Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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अगले दिन सरला सुबह नाश्ता बनाई और बच्चों को स्कूल भेजा और श्याम भी चला गया। अब राकेश ने सरला को देखा तो वो अभी पसीना पोंछ रही थी। उसे माँ पर बहुत प्यार आया। वो बोला: मम्मी लगता है आप थक गयी हो। आओ मैं हाथ पैर दबा देता हूँ। आपको अच्छा लगेगा।

सरला अपना पसीना पोंछते हुए बोली: मुझे पता है तू क्या दबाएगा? बस मुझे कुछ देर आराम से बैठने दे , मैं ठीक हो जाऊँगी।

राकेश: मम्मी आप भी कुछ भी बोलते हो। मैं हाथ और पैर दबाने का बोल रहा हूँ और आप पता नहीं और क्या दबाने की बात कर रहे हो।

अब वो आकर सरला के पास सोफ़े पर बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू किया। फिर वो दूसरा हाथ दबाया और सरला को लगा कि वो उसकी मालिश कर रहा है। वो मस्त होकर अपने हाथ दबवाने लगी। अब वो नीचे आकर फ़र्श पर बैठ गया। अब उसने सलवार के ऊपर से उसके पैर दबाने शुरू किए। उसने सरला की क़ुर्ती ऊपर कर दी और अब वो उसकी पूरी टाँग जाँघ तक दबाने लगा। उसका हाथ सरला को बड़ा आराम दे रहा था। वो बोली: इतनी अच्छी मालिश करना कहाँ से सीखा?

राकेश:ताई जी से ही सीखा है। जब छोटा था तो वो और ताऊ जी मालिश करवाए थे मेरे से।

सरला हँसकर: अच्छा मुझे तो याद नहीं। पर बड़ा अच्छा लग रहा है।

राकेश ने उसकी जाँघों के जोड़ पर गीलापन देखा तो पूछा: मम्मी यहाँ बुर के सामने गीला क्यों है?

सरला: अरे जाँघों के जोड़ में पसीना आता है ना। और मैं पैंटी तो पहनती नहीं, इसलिए पसीने से गीला हो जाता है।

राकेश को पता नहीं क्या सूझा और वो उस जगह अपनी नाक घुसेड़कर सूँघने लगा और बोला: मम्मी उफफफ क्या मस्त गंध है। इसमे आपके पसीने, पेशाब और बुर के सेक्स की मिली जुली गन्ध है। उफ़्फ़्फ़क मैं तो मस्त हो गया। फिर वह उठा और उसकी बाँह उठाकर उसकी गीली बग़ल सूँघा और बोला: मम्मी आप बहुत ही मस्त और मादक गंध वाली औरत हो। मेरा तो खड़ा हो गया।

सरला: मुझे पता था कि इस मालिश का अंत चुदाई में ही होगा । पर अभी मुझे नहाना है। और तुम भी अब कोलेज जाओ। समय हो रहा है।

राकेश: मम्मी मुझे आपके साथ नहाना है।

सरला: फिर कभी । चलो अभी जाओ।

राजेश खड़ा होकर अपने लौड़े को दिखाकर बोला: मम्मी ऐसे जाऊँ कोलेज?

सरला: आह अच्छा चल बैठ और निकाल इसे बाहर। अभी चूस देती हूँ।

वो जल्दी से अपना लोअर और चड्डी नीचे किया और सोफ़े पर अपना लौड़ा निकाल कर बैठ गया। अब सरला नीचे फ़र्श पर बैठ कर उसका लौड़ा सहलाई और उसे चूसने लगी । वो उसके बॉल्ज़ को भी मस्ती से दबा रही थी । जल्दी ही राकेश बोलने लगा: आऽऽहहह मम्मी क्या चूसती हो। हाऽऽयय्य बहुत मज़ा आ रहा है। अब वो नीचे से अपनी कमर उठाकर उसके मुँह में लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब सरला ने अपना हाथ जो उसके बॉल्ज़ पर था थोड़ा सा नीचे की ओर खिसकाया और अब उसकी उँगलियाँ उसके गाँड़ के छेद से खिलवाड़ करने लगीं और उसकी जीभ सुपाडे पर चल रही थी। अब राकेश के लिए अपना स्खलन रोकना असम्भव था।जल्दी ही वह आऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगा और अपने लौड़े से वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगा। सरला मज़े से उसका वीर्य पीते चली गयी। अब वो झड़ कर सोफ़े में पड़ा था। सरला ने उठकर उसे प्यार किया और फिर से कोलेज जाने को कहा। थोड़ी देर बाद वो चला गया। अब सरला नहाने गयी और नहाते हुए थोड़ी देर पहले मिले बेटे के लौड़े और उसके रस के मज़े को याद की। वो सोची कि वो सच में कितनी भाग्यशाली है जो उसका बेटा ही उसे इतना सुख दे रहा है।

उधर सुबह मालिनी चाय बनाके राजीव को आवाज़ दी। वो मोर्निंग वॉक से आया था और बहुत ही स्मार्ट दिख रहा था। उसने आकर मालिनी को अपने आलिंगन में भरकर चूमा और बोला: सिर्फ़ चाय पिलाओगी क्या? फिर उसके दूध दबाकर बोला: मुझे तो दूध भी पीना है।

मालिनी हँसकर: वो तो आपको हमेशा ही पीना रहता है। चलो अभी चाय से काम चला लो और शिवा के जाने के बाद वो भी पी लेना। राजीव उसको और ज़ोर से चिपका कर उसके मस्त चूतरों को दबाया और बोला: चलो ठीक है अभी चाय से ही काम चलाता हूँ। पर इतना तो कर सकती हो कि एक चुम्मी दे दो। ये कहकर वो नीचे ज़मीन में बैठ गया। मालिनी: उफ़्फ़ पापा आप भी ना, बहुत तंग करते हो। ये कहकर उसने अपनी नायटी उठा दी और राजीव की आँखों के सामने मस्त गदराई हुई जाँघों के बीच फुली हुई चिकनी बुर
थी। वो आगे को होकर उसकी बुर को सहलाया और फिर वहीं मुँह डालकर उसकी फाँकों को चूमने लगा। फिर वो उसे घूमने को बोला। पर मालिनी ने कहा: नहीं वहाँ नहीं। आप बीमार पड़ जाओगे। वहाँ सिर्फ़ नहाने के बाद ही चूमिये। अभी वो गंदी रहती है।

राजीव: ठीक है मेरी जान जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।
अब दोनों चाय पी रहे थे तब राजीव बोला: जान रात को शिवा ने ली क्या?

मालिनी: पापा वो क्या है ना कल आपसे करवाने के बाद मेरा भी मन नहीं था और पता नहीं शिवा का भी मन नहीं था। सो हम दोनों ही सो गए।

राजीव: लगता है शिवा को भी कोई मिल गयी है ठुकाई के लिए। वरना तुम कहती थी ना शाम को वो बहुत गरम हो जाता है दुकान से आने के बाद।

मालनी: पापा आप भी बस कुछ भी बोल देते हो। उसको कोई कहाँ से मिलेगी? फिर वो उठी और चाय लेकर शिवा को उठाने गयी।

शिवा करवट से सो रहा था। वो उसे उठाई और बोली: लो चाय ले लो । वो उठकर बैठा और मालिनी को अपनी बाँहों में खींचकर उसके गाल चूमा। फिर बोला: रात को तुम चुपचाप कैसे सो गयी?

मालिनी: आप भी तो सो गए थे।

शिवा: चलो अभी रात की कमी पूरी कर लेते है । मैं अभी फ़्रेश होकर आता हूँ।

मालिनी: अभी? दुकान नहीं जाना क्या?

शिवा: अरे जान दुकान भी जाएँगे। पर तुम्हारी लेने के बाद।

मालिनी समझ गयी कि ये अब बिना चोदे मानेगा नहीं तो वो भी मुस्कुराकर बोली: अच्छा आप फ़्रेश होकर आओ तब तक मैं भी नंगी होकर आपका इंतज़ार करती हूँ । कम से कम कपड़े उतारने का समय तो बचेगा।

शिवा हँसते हुए बाथरूम में घुस गया। वो बाहर आया तो मालिनी पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसकी जाँघें जुड़ी हुई थीं जिसके कारण बुर नज़र नहीं आ रही थी। अब वो उसके ऊपर आया और दोनों के होंठ और बदन चिपक गए। क़रीब १० मिनट चूमने के बाद वो उसकी चूचियों पर भी करींब १० मिनट लगाया। अब मालिनी पूरी तरह गरम हो गयी थी।
वह अब उसके लौड़े को दबाकर बोली: आऽऽऽँहह डाऽऽऽऽऽऽऽऽल दोओओओओओ ना।

शिवा नीचे को होकर उसकी बुर में दो ऊँगली डाला और उसे पूरी गीला पाकर उसके अपना सुपाड़ा उसके बुर के छेद में रखा और एक झटके में लण्ड पेल दिया। फिर जो उसने पलंगतोड़ चुदाई की तो मालिनी को भी मानना पड़ा की जवान मर्द की चुदाई में कुछ और ही बात है। हर धक्के के साथ वो और ज़ोर से नीचे से गाँड़ उछालकर चुदवा रही थी। उसके हाथ शिवा के चूतरों पर थे और वो उनको नीचे की ओर दबाकर चुदवा रही थी। क़रीब २० मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों चिल्ला कर झड़ने लगे। शिवा अब उसके बग़ल में लेट कर बोला: उफफफ क्या मज़ा देती हो जान। मस्त बुर है तुम्हारी। वो उसकी चूचियाँ दबाकर बोला।

मालिनी भी उसको चूमकर बोली: आप भी अब पक्के चुदक्कड हो गए हो। उफफफफ कितना मस्त चोदते हो।

शिवा बड़े भोलेपन से : कभी कभी पापा पर तरस आता है कि वो अभी भी कितने हट्टे कट्टे हैं और दूसरी शादी का सोच रहे हैं । बेचारे बहुत प्यासे हो जाते होंगे बुर के लिए?

मालिनी चौकी : ओह पता नहीं । मुझे तो ऐसा नहीं लगता।

शिवा: अरे क्या नहीं लगता। वो तुमको भी तो घूरते रहते हैं । मैंने देखा है कि वो तुम्हारी चूचियों को घूरते रहते है। बचकर रहना उनसे।

मालिनी: छि आप कुछ भी बोल रहे हो। वो आपके पापा हैं और मेरे ससुर। आप उनके बारे में ऐसा कैसा बोल सकते हो।

शिवा: अरे वो पहले एक मर्द हैं और बाद में पापा या ससुर। तुम्हारे जैसी जवानी को देखकर तो भगवान भी डोल जाए वो तो आदमी हैं।

मालिनी ने सोचा कि ये बात तो लम्बी ही खिंची जा रही है । वो बोली: चलिए अब नहा लीजिए वरना देर हो जाएगी।

शिवा ने भी सोचा कि आज के लिए काफ़ी हो गया है। वो नहाने चला गया । मालिनी नाश्ता बनाते हुए सोच रही थी कि क्या शिवा को शक हो गया है, वो ऐसी बातें क्यों कर रहा था।फिर वो अपने काम में लग गयी।

नाश्ता करते हुए शिवा बोला: मालिनी कल असलम का फ़ोन आया था। वो बोल रहा था कि आयशा तुमसे मिलना चाहती है।

मालिनी ने बुरा सा मुँह बनाया: मुझसे क्यों मिलना चाहती है वो?

शिवा: वो कोई घर से बिज़नेस करती है। anway वगेरह का। उसी सिलसिले में वो तुमसे मिलेगी।

राजीव: ये आयशा कौन है?

शिवा: पापा वो मेरे दोस्त असलम की बीवी है। अच्छा अब चलता हूँ।

शिवा के जाने के बाद राजीव बोला: तुमने आयशा का नाम सुनकर बुरा सा मुँह क्यों बनाया?

मालिनी: पापा वो अच्छे लोग नहीं हैं। शिवा बता रहे थे कि असलम इनको बताया है कि वो वाइफ़ स्वेपिंग़ यानी बिवीयों की अदला बदली में मज़ा लेता है।

राजीव: ओह कमाल है। यानी एक दूसरे की बीवी को चोदेंगे।

मालिनी: जी यही बताया था शिवा ने। अब वो पता नहीं उसको अपने घर क्यों बुलाया है?

राजीव: बेटा उसने नहीं बुलाया है। वो ख़ुद ही आ रही है। मिल लो ना। कौन तुमको उसके पति से चुदवाना है भला?

मालिनी: मैंने तो कभी उनको देखा ही नहीं है पापा।

राजीव: चलो जब आएगी तो देखा जाएगा। पर ये तो बताओ बेटा, आज बड़ी देर बाद शिवा को चाय देकर बाहर आयी। क्या कुछ बात हुई क्या?

मालिनी: वो पापा उनका मूड बन गया था तो ज़बरदस्त चुदाई किए।
 
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राजीव: ओह आख़िर मेरा हो तो बेटा है ना। क्या बहुत मज़ा दिया?
सरला: पापा उनके साथ तो मज़ा आता ही है। आपको बतायी तो हूँ।
फिर वो राजीव से बोली: पापा लगता है कि शिवा को हम पर शक हो गया है। फिर वो पूरी बात बताई जो उसके शिवा के बीच हुई थी। राजीव: अरे कुछ नहीं ऐसा ही गेस मार रहा होगा। चलो जो होगा देखा जाएगा। तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो। पर आज मेरा क्या होगा? वो तो तुमको चोद कर चलता बना। अब मेरे लौड़े का क्या होगा?

मालिनी: ओह पापा आप भी ना, फिर क्या हुआ? अभी नहा लीजिए । मैं भी काम ख़त्म करके नहा लूँगी। फिर जी भर के मज़े लीजिएगा ना, मैं कौन आपका हाथ पकडूँगी।

राजीव मुस्कुराकर: ये हुई ना बात। चलो फिर ठीक है। मैं नहा लेता हूँ। वो उसके गाल चूमकर चला गया।

क़रीब ११ बजे बाई के जाने के बाद मालिनी राजीव के कमरे में आइ तो वो टी वी देख रहा था। वो सिर्फ़ लूँगी लपेटे हुए था। उसकी चौड़ी बालों से भरी छाती मालिनी को बहुत प्यारी लगी। वो उसे देखकर मुस्कुराया और बोला: बेटा बड़ी प्यारी लग रही हो इस सलवार कुर्ता में। फिर वो उसको खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। वो उसके शैम्पू हुए बालों को सूंघकर मस्त हुआ और बोला: उफफफ क्या ख़ुशबू मार रही हो।

मालिनी भी उसकी छाती के बालों से खेलकर बोली: पापा आपको मैं कपड़ों में अच्छी लगती हूँ या बिना कपड़ों के ?

राजीव हंस कर: बेटा तुम मुझे दोनों तरह से अच्छी लगती हो। वो अब उसकी गरदन और कंधों को चूमने लगा। उसके हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे। वो उनको हल्के से दबाए जा रहा था। मालिनी को अपनी गाँड़ पर पापा का खड़ा होता लण्ड महसूस होने लगा था। राजीव ने उसके कुर्ते को नीचे से ऊपर किया और उतार दिया। अब वो ब्रा में अपने ससुर की गोद में बैठी थी। राजीव ने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाया और फिर हुक खोलकर उनको नंगी किया।

अब वो मज़े से उसकी मस्त ठोस चूचियों को दबाकर और निपल्ज़ को मसलकर मज़े से बोला: बेटा दूध पी लूँ?

मालिनी: मैं मना करूँगी तो नहीं पिएँगे क्या?

राजीव हंसा और उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दूध पीने लगा। मालिनी भी मज़े से उसके सिर को अपनी छाती में दबाने लगी। बहुत देर तक वो उनको बारी बारी से चूसा और फिर नीचे जाकर उसकी सलवार उतारा और अपने मुँह को उसकी जाँघों के बीच डालकर उसकी बुर चूसने लगा। मालिनी भी अब आऽऽऽह करने लगी। फिर उसने उसकी टांगों को और ज़्यादा उठाया और उसकी गाँड़ पर ऊँगली फिरा कर बोला: अब तो इसे प्यार कर सकता हूँ?

वो हँसी: पापा आपकी जो मर्ज़ी है अब करो।

वो उसकी गाँड़ को चाटकर उसमें जीभ डालने लगा। मालिनी उइइइइइइइ कर उठी। अब वो उठा और लूँगी निकाला और अपने लौड़ेपर थूक लगाया और उसकी बुर में धीरे से डाल दिया। थोड़ी देर उसके ऊपर आकर वो उसके होंठ चूमकर और उसकी चूचियाँ दबाकर वो उसको चोदने लगा। मालिनी भी प्यार से उसके निपल दबाकर अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। उनकी चुदाई आराम से हो रही थी। कोई जल्दी नहीं थी। वो भी पूरे इत्मिनान से चोदे जा रहा था ।अब मालिनी को बहुत अच्छा लगने लगा, और वो बड़बड़ाने लगी: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा जीइइइइइइ और जोओओओओओर से चोओओओओओओदो। बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽ लग रहा है। हाऽऽऽऽययय मरीइइइइइइइइ। उइइइइइइइ माआऽऽऽऽऽऽ मैं गईइइइइइइइइ। अब वो अपनी जाँघों को भींचकर अपने स्खलन का आनंद लेने लगी। राजीव भी अब रुक नहीं पाया और वो भी आऽऽह करके उसके अंदर गहराई में अपना वीर्य छोड़ने लगा।

थोड़ी देर बाद दोनों की सांसें सामान्य हुई और अब दोनों कपड़े पहनकर वापस सोफ़े मैं बैठ कर बातें करने लगे। तभी घंटी बजी। मालिनी ने दरवाज़ा खोला तो सामने एक बहुत बड़े वक्ष वाली गोरी सी लड़की खड़ी थी। उम्र में उससे वो ४/५ साल बड़ी दिख रही थी। मालिनी: आप आयशा हो?

आयशा: हाँ मैं ही आयशा हूँ। वो मुस्कुराकर हाथ बढ़ाई और दोनों ने हाथ मिलाया। वो दोनों अंदर आइ तो मालिनी ने राजीव का परिचय कराया और बोली: ये मेरे ससुर जी हैं । और पापा ये आयशा जी हैं ।

आयशा मुस्करायी और राजीव को नमस्ते की और बोली: मालिनी तुम मुझे आप तो बोलो ही नहीं। और अंकल जी आपको देख कर तो नहीं लगता कि आप इतने उम्र के हो कि शिवा के पापा हो। बहुत फ़िट हो अभी भी आप? वो उसके मर्दाने बदन को देखती हुई बोली। उसकी आँखें थोड़ी देर के लिए उसके लूँगी में से उभरे हुए उसके बड़े सोए हुए लंड और आँड पर भी रुकी और फिर वो राजीव से बोली: लगता है आप जिम भी जाते हैं?

राजीव: नहीं ऐसा कुछ नहीं है । पर हाँ अपने स्वास्थ्य का ध्यान तो रखता हूँ। वैसे बेटी फ़िगर तो तुम्हारा भी बहुत मस्त है। वो उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को बेशर्मी से घूरकर बोला। उसे याद था कि उसका पति उसको अपने दोस्तों से चुदवाता है, तो वो भी उसके साथ वैसे ही पेश आ रहा था।

मालिनी ने देखा कि राजीव उसमें ज़रा ज़्यादा ही इंट्रेस्ट ले रहा है। तो वो बोली: चलो बैठो आयशा और मुझे बिज़नेस के बारे में बताओ।

आयशा बैठी और मालिनी उसके बग़ल में बैठ गयी। राजीव अब अपने कमरे में चला गया।

आयशा अब उसे बिज़नेस के बारे में बताने लगी। मालिनी को कुछ ज़्यादा इंट्रेस्ट नहीं आया। आख़िर में मालिनी बोली: आयशा मुझे इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं है ।

आयशा: कोई बात नहीं। चलो इसी बहाने तुमसे मुलाक़ात तो हो ही गयी।

मालिनी : हाँ चलो चाय बनाती हूँ।

आयशा: चलो मैं भी किचन में आती हूँ।

किचन में मालिनी से नहीं रहा गया और वो बोली: शिवा बता रहा था कि असलम उसको बोला था कि क्या वो हम दोनों की अदला बदली करेगा? क्या ये सच है कि असलम और तुम इस तरह को अदला बदली का मज़ा लेते हो?

आयशा ने हिचकिचाने का नाटक किया और बोली: हाँ ये सच है कि हमने कुछ जोड़ों से अदला बदली की है। पर इसके पीछे एक लम्बी कहानी है।

मालिनी उत्सुकता से: ओह कैसी कहानी? मैं समझी नहीं।

तभी राजीव की आवाज़ आयी: अरे भई चाय बना रही हो तो हमें भी पिला देना।

आयशा: यहाँ सम्भव नहीं होगा सुनाना। तुम मेरे घर आ जाओ ना।

मालिनी: ना बाबा ना। पता नहीं तुम्हारा पति मुझे पकड़ लिया तो?

आयशा हँसकर: वो खाना खाके ३ बजे वापस काम पर चले जाते हैं। तुम कल ४ बजे आ जाना एक घण्टे के लिए।

मालिनी: ठीक है देखती हूँ।

फिर सब चाय पिए और आयशा अपने घर चली गयी।

राजीव: मस्त माल है। तुम मुझसे चुदवा दो ना।

मालिनी: बस जहाँ लड़की दीखी आपका लण्ड झटके मारने लगता है। कल मैं उसके घर जाऊँगी।

राजीव: क्यों क्या असलम से चुदवाओगी?

मालिनी: छी । मैं उससे कुछ बातें करने जा रही हूँ। बस और कुछ नहीं।

राजीव : अच्छा अब चलें तुम्हारी गाँड़ के छेद को बड़ा करने का अभियान शुरू करें?

मालिनी: पापा अभी?

राजीव: और क्या । आज सुबह मैं वॉक पर गया था तो मेडिकल स्टोर से वो लुब यानी KY jel ले आया था।

मालिनी: ओह ठीक है मैं बाथरूम से होकर आती हूँ। आपका कोई भरोसा नहीं है आप कहाँ कहाँ मुँह डाल दोगे क्या पता।

राजीव: बेटा, वो तो है । मैं तुम्हारी बुर और गाँड़ देखकर अपने आप को नहीं रोक पाता।

मालिनी बाथरूम जाकर अपनी बुर और गाँड़ को अच्छी तरह से धोकर बाहर आकर पापा के कमरे में गयी।

राजीव आलमारी से वो डिब्बा बाहर निकाल कर उसमें से सबसे पतला लण्ड निकाला और उसको लाकर बिस्तर पर जेल के साथ रख दिया। मालिनी आकर बिस्तर पर लेट गयी।

राजीव उसके सलवार का नाड़ा खोला और उसकी सलवार को उतार दिया। अब वो मालिनी की बुर सहलाया और बोला: बेटा पेट के बल हो जाओ। वो उलटी होकर लेटी और अपनी गाँड़ उठायी । अब उसके पेट के नीचे वो एक तकिया रखा जिससे उसकी गाँड़ ऊपर को उठ गयी। वो उसके चूतरों को दबाकर मस्ती से भर गया । वो उसके चूतरों को दबाया और उनको चूमने लगा। अब वो उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ के दरार को देखकर वो मस्ती से वहाँ ऊँगली से सहलाने लगा। उसके भूरे रंग के छेद को अब वो चूमने लगा और जीभ से चाटने लगा।

मालिनी: पापा इसीलिए मैं धो कर आयी हूँ। मुझे पता था कि आप वहाँ मुँह डाल ही दोगे। आऽऽऽऽह क्या कर रहे हो।

राजीव: ये देखकर कौन अपने आप को रोक सकता है। अब वो उसकी गाँड़ के छेद में जेल लगाकर एक ऊँगली अंदर डालने लगा। मालिनी आऽऽऽहहह कर उठी। थोड़ी देर वो जेल से सनी ऊँगली अंदर बाहर करता रहा। मालिनी आऽऽहहह करती रही। दस मिनट के बाद वो ऊँगली निकाला और उसकी गाँड़ थोड़ी खुल सी गयी थी। अब वो इस पतले नक़ली लण्ड को जेल लगाया और फिर धीरे से उसकी गाँड़ के छेद में वो डाला। अब मालिनी हाऽऽऽय्य कहकर मज़े से भर उठी थी। अब वो उस पतले लंड को बड़ी देर तक अंदर बाहर करते रहा।

मालिनी: आऽऽऽह पापा अच्छा लग रहा है ।

राजीव: तुम्हारी सास को भी ऐसा मज़ा मिलता था। वो भी बहुत मस्त हो जाती थी।

मालिनी: उफफफ सच में बहुत अच्छा लग रहा है।उइइइइइइ ।
उफफफ पापा मैं तो नीचे भी गीली हो गयी हूँ।
अब राजीव ने उसे पलटा और अब उसकी बुर की फाँकों को फैलाया और बोला: उफफफ क्या मस्त गुलाबी बुर है। चलो अब अपना लण्ड यहाँ डालकर तुमको मज़ा देता हूँ।
वो पतला सा नक़ली लण्ड अभी भी मालिनी की गाँड़ में घुसा हुआ था। अब राजीव ने उसकी टाँगे चौड़ी करके उसकी बुर में अपना लौड़ा पेल दिया ।फिर वह उसकी चुदाई में मस्त हो गया। मालिनी भी मस्ती से अपने चूतर उछालकर चुदवा रही थी। अब राजीव उसके होंठ चूस रहा था और क़ुर्ती के ऊपर से उसकी चूचि भी दबा रहा था।

मालिनी: उफफफफ पापा क़ुर्ती उतारो ना। आऽऽहहह ।

अब राजीव ने क़ुर्ती उतारी और ब्रा का हुक खोला। अब वो उसकी मस्त चूचियाँ दबाने लगा। वो भी मस्ती से चुदवाने लगी और अब राजीव ने अपना होंठ उसके होंठ पर रखा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। वो उसकी जीभ वैसे ही चूसने लगी मानो उसका लौड़ा चूस रही है। राजीव के धक्के अब उसको मस्त कर रहे थे। चुदाई अपने पूरे यौवन पर थी। मालिनी की गाँड़ में वो नक़ली लंड अब भी घुसा हुआ था। तभी मालिनी चिल्ला कर आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगी।राजीव भी अब जल्दी जल्दी धक्के मारा और झड़ने लगा। राजीव: बेटा ये लण्ड अब गाँड़ से निकाल देता हूँ। वो उसको बाहर निकाला और साफ़ करके वापस डिब्बे में रख दिया। वो उसकी गाँड़ के छेद को देखकर बोला: बेटा ये तो अब काफ़ी खुल गयी है। हफ़्ते भर में ये गाँड़ का छेद मरवाने लायक हो जाएगा।

अब दोनों सफ़ाई किए और राजीव बोला: अच्छा ये बताओ कि आयशा से क्या बात हुई?

मालिनी: वो कल अपने घर शाम को बुलाई है । वह बताएगी कि वो दोनों सवेप्पिंग़ क्यों शुरू किए।

राजीव: यहीं बता देती इसके लिए अपने घर बुलाने की क्या ज़रूरत है।

मालिनी हँसकर: यहाँ आप जो हो ना। बात ही नहीं करने देते।

उस दिन और कुछ नहीं हुआ।

रात को सोने से पहले शिवा ने पूछा : आयशा से क्या बात हुई?

मालिनी: बस वो अपने बिज़नेस के बारे में बतायी है । मैं कल उसके घर जाऊँगी और ज़्यादा समझने।
वो उसको स्वेपिंग़ की बात नहीं बताई।

शिवा को पहले ही आयशा से बात हो चुकी थी। वो इसे बता चुकी थी कि कल मालिनी इसके घर उसकी कहानी सुनने आ रही है। वो ये सोचकर गरम हो गया कि मालिनी अब उससे झूठ भी बोलने लगी है। उसे शायद चुदाई का चस्का लग रहा है। देखो कितना समय लगता है और खुलने में इसको।

अब रात को दोनों ने एक राउंड चुदाई की और सो गए।

उधर रात को राकेश भी सरला के कमरे में ही सोया और दोनों ने बड़े प्यार से एक राउंड चुदाई की।

अगली सुबह पता नहीं उन सबकी ज़िंदगी में क्या बदलाव लाने वाली थी?
 

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