Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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सुबह मालिनी उठी और हमेशा की तरह चाय बनाकर राजीव को आवाज़ दी। चाय पीते हुए आज फिर राजीव पूछा: रात को चुदाई हुई क्या?

मालिनी: आपको बस यही जानना होता है ना। हाँ हुई और ज़ोरदार हुई।

राजीव:बेटा तुम कब मेरे साथ रात को सोओगी?

मालिनी: दिन भर तो चिपके रहते हैं और अब रात को भी चिपका कर रखना है क्या?

राजीव: अरे रात की चुदाई का अपना ही मज़ा है।

मालिनी: ठीक है ये कभी सामान ख़रीदने मुंबई जाएँगे तो रात को भी अपने साथ ही सुला लीजिएगा।

राजीव को उसकी बात सुनकर उस पर प्यार आया और वो उसको चूमा और उसकी चूचियों पर हाथ फेरकर बोला: बेटा वैसे ये अब बड़ी हो रहीं हैं ना?

मालिनी: बाप बेटा दोनों दबाएँगे और चूसेंगे तो बड़ी तो होना ही है। पर आयशा की तो ज़्यादा ही बड़ी हैं ना?

राजीव: अरे वो तो असलम के दोस्तों ने खींच कर बड़ी कर दी होंगी। हा हा ।

मालिनी खड़ी हुई और बोली: चलो आप तय्यार हो जाओ। मैं भी शिवा को उठाती हूँ।

शिवा के जाने के बाद जब बाई भी चली गयी तो राजीव बोला: बेटा गाँड़ में कब लण्ड डलवाओगी? आज सेकंड नम्बर का डालेंगे।

मालिनी: पापा अगर आप वहाँ मुँह नहीं डालने का वादा करो तो अभी डलवा लूँगी। वरना नहा कर आती हूँ और डलवाती हूँ।

राजीव: चलो वादा किया की वहाँ मुँह नहीं डालूँगा। चलो अब मेरे कमरे में।

मालनी पसीना पोंछकर उसके पीछे आयी और अपनी नायटी को पेट तक उठाकर पेट के बल लेट गयी। राजीव ने उसके पेट के नीचे तकिया रखा और उसकी गाँड़ ऊँची हो गयी। वो उसके चूतर सहलाया और बोला: उफफफफ बेटा क्या मस्त चूतर हैं और अब ये भी भर रहे है!। जितना चुदवाओगी उतना ही ये और कामुक हो जाएँगे। फिर वो उसके चूतरों को अलग किया और उसकी भूरि गाँड़ में ऊँगली फिराया और वहाँ नाक ले जाकर सूँघा और बोला: आऽऽऽह बेटा क्या मस्त मादक गंध है। जानती हो इसमे से तुम्हारे पसीने और सेक्स की मिली जुली गंध आ रही है। जब तुम उसे धोकर आती हो तो सिर्फ़ साबुन की गंध आती है।

मालिनी: अगर आप उसे चूमे तो मैं फिर कभी बिना धोए आपके पास नहीं आऊँगी।

राजीव: आऽऽह मन तो बहुत कर रहा है इसे चूमने का। पर चलो नहीं चूमते। तुमको नाराज़ भी तो नहीं कर सकते।

अब वो उसकी गाँड़ में जेल डाला और जेल लगाकर कल वाला लंड ही डाला। मालिनी : आऽऽऽऽह पापा अब भी थोड़ा सा जल रहा है।

राजीव: बस बेटा अभी अच्छा लगेगा। वो क़रीब १० मिनट तक उसको अंदर बाहर किया। फिर वो उसे निकाला और सेकंड नम्बर का थोड़ा मोटा लंड ख़ूब सारा जेल लगाकर अंदर डाला मालिनी: आऽऽऽह पापा । ये तो और मोटा है । उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

क़रीब १० मिनट तक वो इसको अब अंदर बाहर किया। अब मालिनी: आऽऽऽह पापा बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है। मेरी बुर गरम हो गयी है। उइइइइइइइइ पापा अब चोओओओओओओओदो।

राजीव ने उसकी गाँड़ उठाई और उसकी बुर में ३ उँगलियाँ डाली और देखा कि बुर पूरी तरह से पनियायी हुई है। वो अपने लौड़े पर भी जेल लगाया और उसकी बुर में अपना लौड़ा पीछे से पेलने लगा। नक़ली लण्ड अब भी उसकी गाँड़ में फंसा हुआ था। चुदाई शुरू होते ही मालिनी आऽऽऽऽह पपाऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ पीछे करके उसका पूरा लण्ड निगल कर चुदवाने लगी। वो भी अब मस्ती से भर कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और जोओओओओओर से चोओओओओओदो पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा चिल्लाने लगी। वह उसकी क़ुर्ती के ऊपर से ही उसके दूध दबा रहा था। क़रीब २० मिनट की रगड़ाई के बाद दोनों हाऽऽऽय्य कहकर झड़ने लगे।

अब मालिनी पेट के बल गिर गयी। राजीव भी उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड निकाला और देखा कि उसकी गाँड़ का छेद अब भी खुला हुआ था। वो समझ गया था कि जल्दी ही इसकी गाँड़ का उद्घाटन का समय आने वाला है। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा अब तो तुम्हारी गाँड़ ढीली पड़ रही है। जल्दी ही इसे मारूँगा। ठीक है ना?

मालिनी: पापा जब चाहो मार लो। मैंने तो अपना बदन आपको सौंप दिया है।

राजीव उसकी बात से ख़ुश हो कर उसे चूमने लगा।

उधर शिवा को शाम होने का इंतज़ार था । वो आयशा को फ़ोन लगाया : हेलो क्या हाल है?

आयशा: मैं तो ठीक हूँ। आप बड़े बेचैन लग रहे हो?

शिवा: वो क्या है ना, आज मालिनी तुमसे मिलेगी तो तुम्हारी क्या बात होती है क्या मैं सुन सकता हूँ?

आयशा: हाँ सुन तो सकते हो पर फ़ीस लगेगी।

शिवा: बोलो क्या फ़ीस लोगी?

आयशा: मालिनी के जाने के बाद आकर मुझे चोद देना एक बार।

शिवा: इतनी हसीन फ़ीस? ज़रूर मेरी जाँ । पर तुम्हारी बातें कैसे सुनूँगा?

आयशा: बहुत पुरानी ट्रिक है। मैं मालिनी के आने से पहले अपना लैंड लाइन आपके मोबाइल से कनेक्ट कर दूँगी। और उसको ऐसी जगह छिपाऊँगी कि वो मालिनी को नहीं दिखेगी। मगर आप पूरी बात सुन पाओगे।

शिवा: wow ये तो बढ़िया हो जाएगा। ठीक है मैं तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार करूँगा।

आयशा: ठीक है। बाई।

राजीव को खाना खिलाकर मालिनी बोली: पापा मैं थोड़ा आराम करके आयशा के घर जाऊँगी।

राजीव: बेटा मैं तुमको छोड़ आऊँगा।

मालिनी: पापा मैं चली जाऊँगी। मैं ऑटो कर लूँगी।

राजीव ने भी ज़िद नहीं की।

मालिनी तय्यार होकर सलवार कुर्ते में आयशा के घर गयी। वहाँ उसने बेल बजायी। तभी आयशा ने सोफ़े के सामने एक गुलदस्ते के पीछे कॉर्ड्लेस फ़ोन को शिवा के फ़ोन से कनेक्ट की और बोली: वो आ गयी है। ठीक है?

शिवा : हाँ मैं सुन रहा हूँ। बाई ।

आयशा जाकर दरवाज़ा खोली और बोली: सॉरी मैं वाश रूम में थी। तुमको इंतज़ार करवाया।

मालिनी: अरे कोई बात नहीं। आयशा उसे लेकर गुलदस्ते के पास वाले सोफ़े पर बैठ गयी। दोनों कुछ देर इधर उधर की बातें कीं और आख़िरी में मालिनी बोली: वो तुम बोलीं थीं ना कि मुझे वो बताओगी कि तुमने स्वेपिंग़ कैसे और क्यों शुरू की?

आयशा: सॉरी यार मैंने अपना इरादा बदल लिया है। असल में वो बहुत व्यक्तिगत बात है। और मैं तुमको नहीं बताना चाहती। क्या है ना बात फैलते देर नहीं लगती।

मालिनी ने थोड़ा निराश होकर कहा: अरे मुझ पर तुम विश्वास कर सकती हो। मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी।

आयशा: शिवा से भी नहीं?

मालिनी: अगर तुम चाहोगी तो उससे भी नहीं। बस? अब बताओ।

आयशा : ठीक है मैं बताती हूँ, पर ये हमारे बीच ही रहेगा। उसने कहना शुरू किया-------------------

मैं एक मध्यम वर्ग परिवार से हूँ। घर में मेरे अब्बा अम्माँ और मेरा बड़ा भाई ही था । हमारे घर में रिश्तेदार बहुत आते जाते रहते थे । अब्बा की बहने , उनके पति और बच्चे और अम्मी के भी भाई और उनके भी परिवार के सदस्य ।उन सबमे मेरी बड़े मामू से बहुत पटती थी। वो मेरे लिए बहुत सी चोकलेट्स और ड्रेस लेकर आते थे ।एक फूफा भी मुझे बहुत लाड़ करते थे। ये दोनों मर्द क़रीब ४५ के आसपास थे। वो दोनों जब भी आते ( अलग अलग ) मुझे बहुत प्यार करते थे। मुझे भी अब अटेन्शन अच्छा लगता था मानो मैं कोई VIP हूँ। वो दोनों मुझे गोद में बिठाकर प्यार करते और मेरी बाहों को सहलाते। कभी कभी मेरे दूध भी सहला देते जैसे ग़लती से हाथ लग गया हो। जब भी मैं उनकी गोद में बैठा करती मुझे नीचे खूँटा सा गड़ने लगता। मैं अब सेक्स के बारे में समझने लगी थी।
अब मैं ११ वीं में पढ़ती थी, और जवान हो गयी थी। एक दिन अम्मी को नानी के घर जाना पड़ा क्योंकि नाना की तबियत ख़राब हो गयी थी। मेरा भाई भी उनके साथ चला गया। मैं उस समय सलवार कुर्ता में थी और मैं घर में चुन्नी नहीं लेती थी। सिर्फ़ बाहर वालों के सामने ही लेती थी।

(मालिनी सोचने लगी कि ये मुझे इतने विस्तार से कहानी क्यों सुना रही है। ये चाहती तो सिर्फ़ इतना कह सकती थी कि मेरे मामा या फूफा ने मेरी चूत ली थी। पर वो ये सब सुनकर उत्तेजित हो रही थी।

उधर शिवा जानता था कि आयशा का प्लान है उसे इन सब चीज़ों से उत्तेजित किया जाए ताकि वो इन सबमे इंट्रेस्ट ले। और हक़ीक़त तो ये है की वो ख़ुद भी आयशा की कहानी से उत्तेजित होकर अपना लंड दबा रहा था। )

आयशा ने बोलना जारी रखा-------





रात को अब्बा आए और बोले: नाना की कोई ख़बर आयी?

मैं: नहीं अब्बा कोई ख़बर नहीं आयी।

अब्बा: अच्छा चलो कोई बात नहीं। तू मेरे लिए एक गिलास पानी ला और बर्फ़ निकाल कर ला। थोड़ा सा नमकीन भी ला देना।
वो अपने कपड़े बदलने चले गए। वो थोड़ी देर बाद लूँगी और बनियान में आए।

मैं समझ गयी कि आज अब्बा दारू पिएँगे। वो कभी कभी पीते थे। मैंने सब इंतज़ाम कर दिया। अब वो टी वी देखते हुए पीने लगे। मैं भी वहीं बैठकर अपना होम वर्क करने लगी।

उस समय मैंने देखा कि बोतल का पानी ख़त्म हो गया था। मैंने पूछा: अब्बा और पानी लाऊँ क्या?

अब्बा की अब आँखें लाल हो रही थीं । वो बोले: हाँ बेटा लाओ।

मैं पानी लायी और उनके गिलास में डालने लगी। तभी मुझे अहसास हुआ कि वो मेरे बदन को घूर रहे हैं। उनकी नज़र मेरी जवान होती चूचियों पर थीं। मुझे बड़ा अजीब सा लगा।

अब अब्बा ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा: आओ बेटा मेरे पास बैठो। ये कहकर वो मुझे अपनी गोद में खींच लिए। मैं उनकी लाल आँखों से डर रही थी।

वो मुस्कुराकर बोले: अरे डर क्यों रही है? मैं तो तुमको प्यार करना चाहता हूँ। तुम तो अपने मामू और फूफा की गोद में भी बैठती हो ना? तो अब्बा की गोद में कैसा डर?

मैं: वो अब्बा ऐसा नहीं है । मैं भला आपसे क्यों डरूँगी।

तभी मैंने देखा कि वो मेरी कुर्ते के अंदर झाँक रहे थे। वो बोले: अरे बेटा, तुम तो ब्रा भी पहनती हो। मैं तो तुमको बच्ची समझता था। पर तुम तो जवान हो गयी हो। वो मेरी नंगी बाहों को सहलाकर बोले। तभी मैंने महसूस किया कि अब्बा का भी खूँटा मुझे वैसे ही चुभने लगा था जैसे मामू या फूफा का चुभता था।

मैं: अब्बा मैंने तो तीन साल से ब्रा पहनती हूँ।

अब्बा : बेटा मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया। पर अब तो तुम मस्त जवान हो गयी हो।
अब उनकी आँखें और ज़्यादा लाल हो गयीं थीं।

वो: बेटी मामू या फूफा ने कभी इनको सहलाया क्या? वो मेरी चूचियों पर हाथ रख कर बोले।

मैं सिहर उठी और बोली: जी अब्बा कभी कभी सहलाते थे जब कोई आस पास नहीं होता था।

वो: बेटी तुमको अच्छा लगता था ना?

मैं: जी लगता था। फिर वो दबाते हुए बोले: और अभी कैसा लग रहा है?

मैं: अब्बा आप ऐसे क्यों कर रहे हो? आप तो मेरे अब्बा हो ना?

वो: अरे बेटी पहला हक़ तो मेरा ही है। मामू और फूफा को तो बाद में करना चाहिए था । अच्छा ये बता कि वो तेरी चड्डी में भी हाथ डाले थे क्या?

मैं शर्मा कर: हाँ कभी कभी डालते थे। पर मैं उनको मना करती थी।
अब उनका खूँटा मेरी गाँड़ में बहुत चुभने लगा था।

वो: क्या उन्होंने तुमको अपना ये भी पकड़ाया था ? वो अपने लण्ड को मेरी गाँड़ में दबाकर बोले।

मैं: नहीं अब्बा ।

फिर वो मेरी चूचियाँ दबाकर बोले: तो अब तक तुम कुँवारी हो? किसी ने तुम्हारी चुदाई नहीं की है अब तक?

मैं: छी कैसी गंदी बात करते हैं । मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ ।

फिर अचानक मुझे प्यार करते हुए बोले: बेटा, तुम मुझसे स्कुटी माँग रही थी ना, स्कूल जाने के लिए।

मैं मुँह बिसूर कर: आप तो मना कर दिए थे।

अब्बा: अरे बेटा मैं तो समझा था कि तुम बच्ची हो। पर तुम तो जवान हो गयी हो। अब मैं तुमको कल ही स्कुटी ले दूँगा।
 
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मैं ख़ुशी से उनसे चिपक गयी और उनका गाल चूमकर बोली: ओह अब्बा आप कितने अच्छे हो। थैंक यू ।

अब अब्बा अपने पर आए और मुझे अपने कड़े गठिले बदन से सटा लिए और मेरी बाँह सहलाकर बोले: बेटा लेकिन तुमको मेरा भी तो एक काम करना होगा।

मैं: हाँ हाँ बोलिए ना क्या करना होगा?

वो: बेटा मेरा पूरा बदन दुःख रहा है। अगर तुम्हारी अम्मी होती तो मेरी मालिश कर देती। अब तुम कर दोगी क्या।

मैं: हाँ हाँ अब्बा क्यों नहीं। हालाँकि मुझे आता नहीं है पर कोशिश पूरी करूँगी।

अब्बा खड़े हुए तो उनकी लूँगी में सामने से उभार साफ़ दिख रहा था । मैं भी जवान हो चुकी थी और मामू और फूफा ने मुझे ट्रेन भी किया हुआ था । मैं समझ गयी कि आज कुछ होने वाला है । मेरी बुर में भी थोड़ी सी खुजली होने लगी थी।

( इधर मालिनी की भी बुर खुजाने लगी थी, क्या मस्त तरीक़े से कहानी बता रही है- वो सोची। वो अब अपनी जाँघों को आपस में रगड़ने लगी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे। आयशा ने ये सब देखा और अपने प्लान की सफलता पर ख़ुश हुई ।उधर शिवा की भी हालत ख़राब हो रही थी और वो अपने कैबिन का दरवाज़ा बंद करके अपना लंड पैंट से निकाल कर हिला रहा था। )

आयशा बोले जा रही थी-------

अब्बा जाकर अपनी बनियान उतारे और लूँगी को समेट के बिस्तर पर सीधे लेट गए। अब उनका पूरा बदन सिर्फ़ जाँघों के जोड़ को छोड़कर पूरा नंगा था वहाँ भी एक तंबू तना हुआ साफ़ दिख रहा था।

अब्बा ने तेल की शीशी दिखाई और बोले: चलो पैर से शुरू करके मालिश करो। मैंने पैरों से मालिश शुरू की और ऊपर उनकी बालवाली जाँघों तक पहुँची और जैसे ही ऊपर को हुई मेरे सलवार में तेल लग गया।

अब्बा: बेटी, देखो तेल से तुम्हारे कपड़े ख़राब हो जाएँगे। इनको उतार दो।

मैं: छी अब्बा ऐसे कैसे उतार दूँ? मुझे शर्म आएगी।

वो: अरे मैं भी तो ऐसा ही पड़ा हूँ। चल उतार कुर्ता वरना अम्मी ग़ुस्सा होगी कि तेल लग गया और कपड़े ख़राब हो गए । वो मेरा हाथ पकड़े और मेरा कुर्ता उतारने लगे । अब मैंने भी चुप चाप उतार दिया । मेरी ब्रा को देखकर वो बोले: बेटी, ये इतनी टाइट ब्रा क्यों पहनी हो? उफफफ ये तो तुम्हारे साइज़ के हिसाब से बहुत छोटी है। देखो कैसे निशान पड़ गए हैं तुम्हारे दूध पर।

मैं: वो मैंने अम्मी से कहा था कि नई ले दें। पर वो डाँटकर बोली कि तेरे तो हर महीने बड़े हो जाते हैं। कितने पैसे ख़र्च करूँ इन पर?

अब्बा ने बड़े प्यार से मुझे अपने पास खिंचा और कहा: बेटा मैं तेरे लिए नयी ब्रा ला दूँगा । ज़रा साइज़ तो बता। ये कहकर वो मेरी ब्रा का हुक खोल दिए। मेरी ब्रा को हाथ में लेकर उनकी साइज़ चेक किया । मैंने शर्म से अपने हाथ से अपने दूध छिपा लिए थे । वो मुस्कुराकर बोले: बेटा ला दिखा क्या साइज़ होगा तुम्हारा? ये कहकर मेरे हाथ को वहाँ से हटाकर अपने हाथ में मेरा दूध पकड़कर जैसे साइज़ नापे और बोले: अभी तो तेरी अम्मी से काफ़ी छोटी है । तेरा साइज़ अब ३० तो हो गया है और कप साइज़ भी B तो है ही। ये ब्रा तो सच में बहुत छोटी है । देखी कैसे निशान बन ग़एँ हैं तुम्हारे दूध पर। वो मेरे दूध के निशान को सहलाकर बोले।

मैं अब बहुत गरम हो गयी थी। मेरे निपल्ज़ तन गए थे। मेरी बुर भी गीली होने लगी थी। अब अब्बा मेरी निपल्ज़ को मसलने लगे थे । मैं तो पगला सी गयी थी। तभी वो बोले: बेटा सलवार भी उतार दो वरना तेल लग जाएगा। मैं शर्म से कुछ नहीं की तो वो ख़ुद मेरे सलवार का नाड़ा खोलकर उसे निकाल दिए। अब मैं सिर्फ़ एक पुरानी सी पैंटी में थी।

वो: बेटी तुम्हारी पैंटी तो बड़ी पुरानी है और छोटी भी है। वो मेरी पैंटी को छू कर बोले। फिर वो पैंटी के ऊपर से मेरी बुर को दबाए और बोले: बेटा कल नयी पैंटी भी ला दूँगा।
अब वो मुझे अपने बग़ल में लिटाकर मुझे अपनी बाहों में लेकर चूमते हुए मेरी चूचियाँ दबाने लगे। अब वो मालिश का सब नाटक मानो भूल गए थे। वो मुझे नीचे करके मेरे ऊपर आ गए और मेरी चूचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगे। अब मैं भी वासना से पागल हो गयी थी और उनको अपने से चिपका लिया और उनकी पीठ सहलाने लगी ।अब वो नीचे आकर मेरी पैंटी उतारकर मेरी जाँघें फैलाए। वो बोले: बेटा बाल कैंची से काटती हो क्या?

मैं: जी अब्बा । मैंने अम्मी से वीट क्रीम दिलाने को कहा तो कहने लगीं कि अभी छोटी हो कैंची से साफ़ करो ।

वो: बेटा तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो , मैं लाऊँगा क्रीम और कल ही तुम्हारे बाल ख़ुद साफ़ करूँगा। ये कहकर वो मेरी बुर को सहलाए और फिर उसमें एक ऊँगली डाले और मैं चिल्ला उठी। वो ख़ुश होकर बोले: बेटा बिलकुल कोरी कुँवारी रखी हो। आऽऽहहह मज़ा आ जाएगा। कितने दिनों के बाद किसी की सील तोड़ूँगा। अब उनकी ऊँगली मेरी बुर को सहलाने लगी और मेरी खुजली भी बढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर आ गए और मेरी चूचियाँ दबाके अपना मुँह मेरे मुँह पर रखकर चूसने लगे । पता नहीं कब उनका लंड मेरी बुर पर आ गया और उन्होंने लंड दबाना शुरू किया । अचानक मेरी चीख़ निकल गयी और वो अपना मूसल मेरे अंदर धँसाते चले गए। जब पूरा लण्ड अंदर गया तो ही रुके। मेरी आँखों से आँसू निकले जा रहे थे मारे दर्द के।

अब वो क़रीब १० मिनट तक ऐसे ही मेरे ऊपर थे और मेरी चूचियाँ दबाकर चूस रहे थे। अब मुझे भी अच्छा लगने लगा। मैं भी अब थोड़ा सामान्य हुई और अब उन्होंने पूछा: बेटी दर्द कम हुआ क्या?

मैं: आऽऽंह जी अब ठीक है।

वो: तो अब चोदूँ?

मैं: मतलब?

वो: अरे अब धक्का मारूँ क्या? नहीं समझी? अरे अभी तो सिर्फ़ लंड पेला है अब चुदाई होगी , ठीक है?

मैं: जी। अब वो ऊपर होकर आधा लंड निकाले और फिर ज़ोर से वापस डाले। फिर तो वो ऐसे ही चोदने लगे। अब मैं भी मस्त हो चुकी थी। मैंने भी अब जवानी का मज़ा लेना चालू किया । क़रीब दस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद अब्बा और मैं एक साथ झड़ गए। उनका लंड स्खलन के समय बहुत मोटा महसूस हो रहा था। मैं भी उइइइइइइइ आऽऽऽऽऽह कहकर झड़ गयी।

अब वो मेरे पास लेटकर बोले: बेटी ये गोली खा लो। ये तुम्हारी अम्मी भी खाती है गर्भ ना हो इसलिए। मैंने चुपचाप गोली खा ली। फिर वो मेरी बुर का मुआयना किए और एक कपड़े से उसको पोंछकर बोले: थोड़ा सा ख़ून निकला है। बाक़ी सब ठीक है। मैंने भी अपना हाथ अपनी बुर पर फेरा और बोली: अभी भी जलन हो रही है।

अब वो बोले: बस जल्दी ठीक हो जाएगा। चलो बाथरूम में चलो।

मैंने उठने की कोशिश की और लँगड़ा कर चलने लगी दर्द के मारे। वो बोले: कोई बात नहीं बेटा कल तक सब ठीक हो जाएगा।

बाथरूम में उन्होंने मेरी बुर को पानी से धोया और सफ़ाई करके उसको चूम लिया । मैं भी मस्ती से भर गयी। वापस बिस्तर पर आकर वो मुझे लंड चूसना सिखाए। मैं जल्दी ही सीख गई और वो मेरे मुँह में झड़ गए और मुझे पूरा रस पीने को बोले जो मैंने पी लिया।

अगले दिन वो मेरे लिए कपड़े और मेरी स्कुटी भी ले आए।
अब तो मैं घर में अब्बा से जब मौक़ा मिलता चुदवा लेती। ऐसे ही चलता रहा और फिर एक दिन अम्मी ने हमको किचन में देख लिया। मैं आगे की कर झुकी हुई अब्बा से चुदवा रही थी। मेरी सलवार पैरों में गिरी हुई थी। वो पीछे से मुझे चोद रहे थे ।तभी मेरी नज़र अम्मी पर पड़ी जो कि अचानक बाज़ार से जल्दी वापस आ गई थीं। मेरे तो प्राण ही सुख गए। मैं जल्दी से अब्बा से अलग हुई और भाग गई।

पता नहीं क्यों मगर अम्मी ने कुछ भी ऐसा नहीं जताया जैसे वो मेरे से नाराज़ हैं । पर दो दिन बाद वो मुझे बस से पास के शहर में ले के गयीं। वहाँ मैंने पहली बार असलम को देखा और तब मुझे पता चला कि मेरी अम्मी के चचेरा भाई का लड़का था ।और वहीं तब मैंने अपने होने वाले ससुर को देखा। मैं उनको देखते ही समझ गयी कि वो बड़ा ठरकी है । वो बड़े हो वासना भरी नज़रों से मुझे घूर रहा था और मेरी चूचियाँ तो जैसे वो खाने के ही मूड में था।

अम्मी ने मेरे रिश्ते की बात की असलम के बारे में ,और उसके अब्बा एकदम से राज़ी हो गए। उसी दिन मेरी और असलम की बात पक्की हो गयी।

अब आयशा ने देखा कि मालिनी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अब अपनी बुर को खुजा रही थी। वो अपना हाथ उसके हाथ पर रखी और बोली: क्या बहुत खुजा रही है?

मालिनी: आह तुम्हारी कहानी है ही इतनी सेक्सी। कोई भी पागल हो जाए।

आयशा: थोड़ा आराम दे दूँ क्या इसको? वो उसकी बुर की तरफ़ इशारा करके बोली।

मालिनी हँसी और बोली: तुम्हारे पास कहाँ हथियार है?

आयशा: अरे ये तो है । ये कहकर उसने अपनी जीभ और एक ऊँगली दिखाई।

मालिनी: ओह बड़ा अजीब लगता है सोचकर ये सब।

आयशा: अरे मैं बहुत अच्छा चाटती हूँ । एकबार करवा के देखो। मुझे मेरी सास ने ट्रेनिंग दी है। सच में मैं बहुत अच्छा चूसूँगी तुम्हारी बुर, शिवा से भी अच्छा।

( शिवा बुरी तरह से चौंका ,ये सब फ़ोन पर सुनकर । वो हैरान था कि क्या मालिनी लेज़्बीयन सेक्स के लिए मान जाएगी ? और आयशा इस सबसे क्या हासिल करना चाहती है। वो अपना लंड और ज़ोर से हिलाने लगा ? )

मालिनी चौंकी: सास ने ?

आयशा: हाँ अगली बार ये सब बताऊँगी। अभी तो अपनी प्यास बुझा लो। ये कहकर वह मालिनी के कुर्ते को ऊपर की और सलवार के नाड़े को खोलने लगी। मालिनी चाह कर भी उसे मना नहीं कर पाई। और उसकी सलवार आयशा ने नीचे खिंची और मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर सलवार निकालने में उसकी मदद की।

आयशा ने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और बोली: उफफफ ये तो बिलकुल गीली हो गयी है।

मालिनी शर्म से लाल होकर बोली: आपको कहानी थी ही इतनी सेक्सी।

अब आयशा सोफ़े से उठी और नीचे बैठ कर उसकी पैंटी भी निकाल दी। मालिनी ने शर्मा कर अपनी जाँघें भींच ली।

आयशा उसकी जाँघों को सहलाकर बोली: दिखाओ ना अपनी मस्तानी बुर। और वो उनको फैलाई। अब उसकी पनियायी हुई बुर उसकी आँखों के सामने थी। वो वहाँ हाथ फेरी और फिर उसने उसको हल्के से मसला। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी ।
अब आयशा ने अपना मुँह उसकी जाँघों के बीच डाला और उसकी बुर को चूमने और फिर चूसने लगी।

मालिनी: आऽऽऽऽऽऽऽऽहहह उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ ।

आयशा ने अब अपनी जीभ उसकी बुर में डाली और उसकी क्लिट को भी छेड़ने लगी। अब मालिनी अपनी गाँड़ उछालकर और उसका सिर अपनी बुर में दबाकर मस्ती से चिल्लाने लगी: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं मरीइइइइइइइइइइ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

आयशा : बोलो शिवा के लंड से ज़्यादा मज़ा आता है या मेरी जीभ से ?

मालिनी: आऽऽहहह तुम्हारी जीभ तो पागल कर देगी हाय्य्य्य्य्य।

अब आयशा ने फिर से पूछा: अच्छा बताओ ससुर के लंड से ज़्यादा मज़ा आ रहा है ना मेरी जीभ से चुदाई में?

अब आयशा का मुँह उसकी पानी से पूरा गीला हो चला था । वह अब तीन ऊँगली उसकी बुर में अंदर बाहर करने लगी और जीभ से उसके क्लिट को सहलाने लगी।

अब मालिनी: आऽऽऽह क्या कह रही हो। उफफफफ।

आयशा : मैं बोली मुझसे ज़्यादा मज़ा देता है क्या ससुर का लंड ? अब वो जल्दी जल्दी ऊँगलियों से चोद रही थी और उसकी क्लिट के साथ जीभ भी उसकी बुर में चला रही थी।

मालिनी: आऽऽऽह सच में मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽऽ है।

आयशा: पापा के लंड से भी ज़्यादा ?

मालिनी: आऽऽऽह उइइइइइइ है पापा के लंड से भी ज्याआऽऽऽऽऽऽऽऽदा ।

( शिवा को झटका लगा किमालिनी ने मान लिया कि वो पापा का लंड ले रही है, उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो अपने लंड को हिलाकर झड़ने लगा। )



आयशा मुस्कुराई और अपनी स्पीड बढ़ा दी और मालिनी: आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह हाऽऽऽऽय्य मैं गयीइइइइइइइइ कहकर अपना पानी आयशा के मुँह में छोड़ दी और वो पूरा पानी पी गयी।

अब आयशा उठकर बाथरूम गयी और मुँह धोयी। तभी मालिनी भी आकर सीट पर बैठी और मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके वो सलवार पहनी। आयशा उसके लिए पानी लायी और बोली: मज़ा आया मेरी जान? ये कहकर उसने उसकी चूचियाँ दबा दी।

मालिनी हँसकर: हाँ बहुत मज़ा आया। सच में मुझे पता नहीं था कि इसमें इतना मज़ा है।

आयशा: हाँ और तुमने माना भी तो की शिवा और उसके पापा के लण्ड से भी ज़्यादा मज़ा आया। है ना?

मालिनी हँसकर : तुम बहुत बदमाश हो । मेरे मुँह से सब सच निकलवा लिया। पर ये बात किसी को बताओगी तो नहीं।

आयशा : असलम को तो बता सकती हूँ ना ?

मालिनी: नहीं प्लीज़ किसी को नहीं बताना। मेरे मुँह से उत्तेजना में निकल गया । वरना मैं तुमको भी नहीं बताती।

आयशा: कब से चुदवा रही हो ससुर से ?

मालिनी: चक्कर तो हमारा पुराना है पर चुदाई अभी कुछ दिन पहले ही हुई है हमारे बीच।
( शिवा बड़े ध्यान से सुन रहा था। उसका लण्ड ये सुनकर फिर से तन गया था। )

आयशा: चलो ये बढ़िया है कि तुम दिन में ससुर से चुदवाती हो और रात में अपने पति से । शिवा को पता है कि तुम उसके पापा से चुदवाती हो ?

मालिनी: कैसी बात कर रही हो? ये मैं उसे कैसे बता सकती हूँ।

आयशा : अरे इसमें क्या बुराई है। मुझे तो असलम और उसके अब्बा साथ में चोदते हैं।

मालिनी: ओह सच? तुम्हें अजीब नहीं लगता?

आयशा: नहीं बल्कि बहुत मज़ा आता है।

मालिनी: मुझे आगे की कहानी भी सुनना है। पर आज नहीं। फिर आऊँगी सुनने।

आयशा: सिर्फ़ कहानी सुनोगी या इसका भी मज़ा लोगी? वो अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी बुर को सलवार के ऊपर से मसल दी।

मालिनी: उइइइइइइ । आऽऽऽह अब छोड़ो भी ।

आयशा: तुमने मुझे भी गरम कर दिया है। अब मुझे किसी से चुदाई करनी होगी। बुलाती हूँ किसी यार को। वो अपनी बुर खुजा कर बोली ।

मालिनी: सॉरी मैंने कभी चूसी नहीं इसलिए आज मैं तुमको प्यासी छोकर जा रही हूँ। शायद अगली बार मैं तुम्हारे साथ भी वही करूँ जो तुमने मेरे साथ किया है।

आयशा: कोई बात नहीं । फिर मिलेंगे। वह उसकी चूचियाँ दबाकर बोली।

मालिनी उससे लिपट गयी और आयशा ने इस बार फिर से उसे चकित कर दिया । उसने मालिनी के होंठ चूसने शुरू किए । मालिनी सिहर कर बोली: अच्छा अब देरी हो रही है। चलती हूँ। बाई ।

आयशा: बाई मेरी जान।

अब वो अपने घर के लिए ऑटो में निकल गयी।

आयशा ने फ़ोन उठाकर कहा: शिवा आ जाओ मेरी बहुत खुजा रही है।

शिवा: बस अभी आया।
 
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शिवा जब आयशा के घर पहुँचा तो शाम के ६ बज चुके थे। आयशा ने दरवाज़ा खोला और दोनों एक दूसरे से लिपट गए और एक लम्बे चुम्बन में लीन हो गये। आयशा के हाथ उसकी पीठ को दबा रहे थे और शिवा के हाथ उसकी कमर से होकर उसकी मस्त चूतरों पर घूम रहे थे। दोनों बहुत उत्तेजित थे । शिवा ने खड़े खड़े ही अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे वो मस्ती से चूसने लगी।

आयशा हाँफते हुए बोली: आऽऽऽह चलो बेडरूम में और मेरी फाड़ दो। उफफफफ क्या खुजा रही है।

शिवा ने उसकी सलवार के ऊपर से बुर को दबोच लिया और मसलते हुए कहा: हाऽऽऽऽऽंन चलो मैं भी बहुत गरम हूँ।

दोनों बेडरूम में आकर अपने कपड़े उतारने लगे और दो मिनट में ही नंगे होकर एक दूसरे से लिपट कर बिस्तर में एक दूसरे को चूमने लगे।

शिवा ने उसकी चूचियाँ दबाईं और उनको चूसा और फिर नीचे जाकर उसकी फुद्दी चेक किया। उफफफ क्या मस्त गरम और गीली हो रही थी। वो उसको जीभ और होंठों से चूसा और चाटा और फिर अपना लौड़ा उसकी बुर में रखा और अंदर पेलने लगा। जल्दी ही उसकी फुद्दी पूरा लौड़ा निगल गयी और वो उसकी ज़बरदस्त चुदाई में लग गया। आयशा भी गाँड़ उछालकर उसका साथ देने लगी। उसके मुँह से निकलने लगा: आऽऽहहहह और चोओओओओओओओदो फ़ाआऽऽऽऽऽड़ दो मेरी बुर ।

तभी आयशा का मोबाइल बजा और वो चुदवाती हुई उसको चेक की। असलम का फ़ोन था। वो बोली: आऽऽऽऽह हाँआऽऽ बोलो।

असलम: क्या हुआ जान सब ठीक है? चुदवा रही हो क्या?

आयशा: आऽऽऽह उइइइइइइइ हाँआऽऽऽऽ और क्याआऽऽऽऽ। चुदवा रहीं हूँ। हाऽऽऽऽऽऽय्य ।

असलम: वाह जान । कौन है लकी बंदा ।

आयशा: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ फ़ाआऽऽऽड़ दोओओओओओओ ना। आपका दोस्त ही है।

असलम: कौन है बताओ ना जान?

आयशा: आऽऽऽहहहह मैं गयीइइइइइइइइइइ । आऽऽऽऽऽहहहह उन्न्न्न्न्न्न्म्म । फिर हाँफते हुए बोली: शिवा है। आऽऽऽह मस्त चुदाई की है । आऽऽऽह मैं तो झड़ गयी हूँ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो अभी भी आऽऽहहहह चोदे जा रहा है। हाऽऽयय्य बस करोओपोओओओओ ना। तभी वो भी झड़ गया। और हाँफते हुए बग़ल में लेट गया।

असलम: आयशा, ज़रा शिवा को फ़ोन दो ना।

शिवा ने फ़ोन लेकर कहा: आऽऽह हाँ असलम बोलो?

असलम: क्या बात है आज मेरे घर में आकर मेरी बीवी को चोद रहे हो। मुझे बताया तक नहीं।

शिवा: सॉरी यार। मैं इतना उत्तेजित था कि होश ही नहीं रहा।

असलम: ऐसा क्या हो गया?

अब शिवा ने उसे मालिनी के आने से लेकर आयशा को उसको कहानी सुनाने की और फिर यह पता लगने की भी कि मालिनी अपने ससुर से चुदवा रही है। ये सब बातें बता दिया। और ये भी कि वह फ़ोन पर सब कुछ ख़ुद भी सुना था।

असलम: wow तो मालिनी ससुर से चुदवा ही ली। बहुत बढ़िया ख़बर है। अब तुम क्या करोगे?

शिवा: अभी आयशा मालिनी को और बहुत कुछ बताएगी। फिर देखो आगे क्या क्या होता है?

असलम: तुम तो अपने पापा के साथ मालिनी को चोदना चाहते हो ना ?

शिवा : हाँ बिलकुल। मगर इसके लिए मालिनी की मानसिकता बदलनी होगी। वो काम आयशा ही कर सकेगी।

असलम: बिलकुल। फिर मुझे मालिनी कब मिलेगी?

शिवा: देखो समय आने दो। तब तक इंतज़ार करो।

असलम: तुम दोनों की चुदाई हो गयी या एक राउंड और करोगे?

शिवा: नहीं मुझे अब जाना होगा। फिर बात करते हैं।

असलम ने फ़ोन काट दिया। आयशा अब पलट कर पेट के बल लेती और मुस्कुराई: एक राउंड और कर लो ना। चाहो तो रिकोर्ड पलट कर बजा लो।

शिवा उसके मोटे चूतरों को दबाकर मस्ती से बोला: आऽऽह क्या मस्त गाँड़ है तुम्हारी। फिर उनको फैलाकर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को सहला कर बोला: उफफफ क्या मस्त माल हो तुम। देखो मेरा फिर से खड़ा हो गया। आयशा हँसकर अपना मुँह उसके लौड़े पर लायी और उसको चूसने लगी। फिर वह बग़ल के टेबल से जेल निकाली और उसके लौड़े में लगायी। शिवा ने भी जेल लिया और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली से अच्छी तरह से लगाया। फिर वो अपना लौड़ा उसके सुराख़ में लगाकर उसकी कमर को उठाया और वो चौपाया बन गयी। अब वो उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा धीरे से दबाने लगा। आयशा की आऽऽऽहहह निकल गयी। वो बोली: उफफफफ क्या मस्त मोटा है आपका। बिलकुल ससुर जी की याद दिला देता है।

शिवा: ह्म्म्म्म्म मस्त टाइट गाँड़ है तुम्हारी। बहुत मज़ा आता है। अब वो उसकी चुदाई में लग गया। अब पलंग बुरी तरह से हिलने लगा। और कमरा ठप्प ठप्प की आवाज़ से गूँजने लगा। आयशा की सिसकारियाँ भी गूँज रहीं थीं। वो: उन्न्न्न्न्न्न हाऽऽऽऽऽय मरीइइइइइइइ कहकर चिल्ला रही थी और अपनी गाँड़ पीछे करके पूरा लौड़ा निगल रही थी। क़रीब २० मिनट की ज़बरदस्त रगड़ाई के बाद शिवा झड़ने लगा। और अपना पूरा माल उसकी गाँड़ में भर दिया।

आयशा की बुर पूरी तरह से गरम हो गयी थी और वो सीधे होकर उसके अंदर अपनी ऊँगली चलाने लगी। ये देखकर शिवा उठा और उसकी ऊँगली बुर से हटाया और अपनी तीन उँगलियाँ वहाँ डालकर अंदर बाहर करने लगा। और जीभ से उसकी क्लिट के दाने को रगड़ने लगा। अब आयशा अपनी गाँड़ उछालकर चिल्लाई: आऽऽऽह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽ । मैं गयीइइइइइइइइइ। और वो अपना रस उसके मुँह में डालने लगी। शिवा ने अपना पूरा गीला मुँह उठाया और उसको आयशा की सलवार से पोंछा। अब आयशा पूरी तरह संतुष्ट होकर अलसाईं सी पड़ी हुई थी। शिवा उसके होंठ चूमा और उसकी चूचि दबाया और बोला: जान मज़ा आया?

आयशा: आऽऽऽह आज कई दिनों के बाद ऐसी मस्त चुदाई हुई है। थैंक्स वेरी मच।

शिवा हँसकर बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुआ और कपड़े पहन कर बाहर आया। आयशा अभी भी सुस्त सी पड़ी हुई थी, पूरी नंगी। और कमर के नीचे सब जगह काम रस लगा हुआ था।

शिवा: अच्छा चलता हूँ। फिर फ़ोन पर बात करेंगे।

आयशा: ओके बाई। यह कहकर वो पलट कर ऐसे ही सो गयी।

जैसे ही शिवा बाहर जाने के लिए दरवाज़ा खोला सामने असलम खड़ा था।

असलम: अरे तुम अभी तक गए नहीं?

शिवा झेंप कर: वो यार आयशा ने फिर से चुदाई का मूड बना दिया था सो दूसरे राउंड में भी लग गया था।

असलम: वाह भाई वाह । वैसे वो है कहाँ?

शिवा: बेडरूम में अभी भी लेटी हुई है।

असलम: चलो थोड़ी देर रुको ना साथ में चाय पीते हैं।

शिवा : ठीक है जैसा तुम कहो।

असलम शिवा को लेकर बेडरूम में पहुँचा। वहाँ आयशा अब भी करवट लेकर लेटी हुई थी और उसकी गाँड़ का छेद शिवा के मोटे लौड़े की चुदाई से पूरा खुला हुआ साफ़ दिख रहा था। वहाँ सफ़ेद सा रस अभी सुखकर साफ़ दिखाई पड़ रहा था। अब असलम सामने की ओर गया और बोला: आयशा अब उठना नहीं है क्या?

आयशा ने आँख खोली और सीधी होकर लेटी और बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ आप कब आए?

असलम: क्या जानु लगता है अब तक चुदाई की ख़ुमारी नहीं उतरी? वो उसकी बुर को देखकर बोला जहाँ अब भी सूखा हुआ काम रस दिखाई दे रहा था।

आयशा उठाकर बैठी और उसकी मोटे मोटे चूचे हिलकर अपनी अदा दिखाए। तभी वो शिवा को देखी और बोली: अरे आप अब तक गए नहीं?

शिवा: मैं जा ही रहा था कि असलम आ गया और मुझे वापस ले आया चाय पीने का कहकर ।

आयशा: मैं तो अभी चाय नहीं बना सकती। मुझे बाथरूम जाकर फ़्रेश होना हैं।

असलम: कोई बात नहीं जानु, चाय मैं बनाता हूँ । तुम फ़्रेश होकर आओ और चाय पीओ। वो उसकी चूची दबाया और उसकी जाँघों को सहलाया फिर बोला: यार लगता है आज तुमने मेरी बीवी को बहुत मसला है। क्या गाँड़ भी मार दी? पूरी खुली हुई दिख रही थी।

शिवा: हाँ यार वो भी मार ली। आयशा का भी मन था और में भी इसकी गाँड़ का दीवाना हूँ।

अब आयशा खड़ी हुई और थोड़ा सा लड़खड़ाई । असलम उसे सहारा देकर बाथरूम ले गया और टोयलेट की सीट पर बिठाकर बोला: बहुत ज़्यादा ही चुदाई हो गयी है लगता है?

आयशा: हम्म पर मज़ा बहुत आया। मस्त लौड़ा है इसका और बहुत मज़े से चोदता है।

असलम: चलो तुम फ़्रेश हो मैं चाय बनाता हूँ। फिर वो बाहर आकर किचन में गया तो शिवा भी उसके साथ वहीं आ गया और उसकी मदद करने लगा।

असलम: आज तुमने आयशा को बहुत ख़ुश कर दिया।

शिवा: उसने मुझे भी बहुत मज़ा दिया । यार बड़ी मस्त लड़की है पूरे मज़े से चुदवाती है।

असलम: अब मालिनी का क्या करोगे?

शिवा: बताया था ना कि वो परसों शायद आयशा से फिर से मिलेगी। और आयशा उसे और बहुत सी बातें बताएगी। आज वैसे भी आयशा ने उसे लेज़्बीयन सेक्स का मज़ा भी चखाया।

असलम: वाह । वैसे ये हुनर उसने मेरी अम्मी से सीखा है। सास बहु काफ़ी मज़े लेती हैं जब भी मिलती हैं।

शिवा: यार एक बात पूँछूँ , बुरा तो नहीं मानोगे?

असलम: हाँ पूछो ना।

शिवा: क्या तुमने भी अपनी अम्मी को चो- मतलब उनके साथ सेक्स किया है?

असलम: यार इसमें बुरा मानने की क्या बात है। अरे अब भी जब अम्मी और अब्बा यहाँ आते हैं तो अब्बा के साथ आयशा और अम्मी के साथ मैं ही सोता हूँ। और कई बार तो हम एक ही बिस्तर पर सो कर चुदाई करते हैं।
शिवा का लण्ड ये सुनकर अकड़ने लगा था । तो इसका मतलब है कि वो और उसकी सास सरला भी पापा और मालिनी के साथ सेक्स कर सकते हैं।

वो अपना लंड पैंट में एडजस्ट किया ।

चाय बन चुकी थी और वो दोनों चाय पीने बैठे और तभी आयशा आयी और वो एक टॉप और लॉंग स्कर्ट में थी। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। उसके निपल्ज़ साफ़ दिखाई पड़ रहे थे । जब वो उनके पास आयी तो असलम ने उसकी चूची दबाई और उसके होंठ चूमे। तभी उसका पिछवाड़ा शिवा के सामने आ गया। वो भी उसकी गाँड़ को दबाया और नोटिस किया कि वो पैंटी भी नहीं पहनी है। वो मस्ती से उसकी गाँड़ मसलकर रहा। आयशा अब मुड़कर शिवा के भी होंठ चूमी और उनके बग़ल में बैठकर चाय पीने लगी।

असलम: यार तुम कब तक मालिनी को भी शीशे में उतार लोगी?

आयशा हँसकर: क्यों लंड बहुत तंग कर रहा है क्या उसे चोदने के लिए?

असलम: वो तो शिवा पर निर्भर है कि वो उसकी कब दिलाएगा?

शिवा: यार मैं तो ख़ुद बहुत कुछ चाहता हूँ उससे । देखो कब तक बात बनती है?

फिर शिवा वहाँ से वापस दुकान आया और बाद में काम निपटा कर घर के लिए निकला । आज उसे देर हो गयी थी।

उधर मालिनी आयशा के घर से निकली और क़रीब ६ बजे घर पहुँची। राजीव अपने कमरे में था और कुर्सी पर बैठ कर कुछ हिसाब देख रहा था । मालिनी को देखकर वो बोला: बेटा बड़ी देर लगा दी? उसने देखा कि मालिनी की आँखें थोड़ी लाल सी हो रही थी और वो थोड़ा सा अशांत सी दिख रही थी। वो फिर से बोला: बेटा सब ठीक है ना?

मालिनी ने जाकर बेडरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कुर्ते को उतारने लगी। अब वो सिर्फ़ ब्रा में और सलवार में थी। राजीव उसे हैरानी से देख रहा था। अब उसने अपनी सलवार भी निकाल दी। राजीव की आँखें उसकी ब्रा और पैंटी में क़ैद मस्त जवानी पर थी।

वो बोली: पापा आप चलो बिस्तर पर ।

अब वो अपनी ब्रा का हुक अपने हाथ को पीछे ले जाकर खोली और उसे भी निकाल दिया ।

राजीव उसे हैरानी से देखते हुए खड़ा हुआ और तभी मालिनी ने उसकी लूँगी खींचकर उसको कमर के नीचे से नंगा कर दिया और बोली: पापा बनियान भी उतार दीजिए। वो उसके लटकते हुए लम्बे लौड़े और उसके नीचे लटके हुए भारी बॉल्ज़ को देखकर मस्ती से भर गयी। अब वो अपनी पैंटी उतारी और राजीव को बिस्तर पर लिटा दी। अब वो उसके ऊपर आकर चढ़ गयी। राजीव का हाथ उसकी नंगी चिकनी पीठ पर था और वो उसको सहलाकर मस्त हो रहा था। वो कुछ बोलने ही वाला था कि मालिनी ने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगी। उत्तेजना से भर कर वो अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। राजीव उसको मज़े से चूसने लगा। अब राजीव के हाथ उसके मोटे चूतरों को दबाने लगे थे। मालिनी ने अपने आगे का हिस्सा ऊपर उठाया और बोली: पापा मेरी चूचियाँ दबाओ और चूसो।

राजीव अब उसकी चूचियाँ दबाकर चूसने लगा। वो उसके निपल्ज़ भी ऐंठने लगा। अब मालिनी उइइइइइइ कहकर मस्ती से अपनी बुर को उसके कड़े हो रहे लंड पर दबाने लगी। अब मालिनी नीचे जाकर उसके लौड़े को चूसकर पूरा खड़ा कर दी। अब वो अपने दोनों पैर फैलाकर उसके ऊपर आकर उसके लौड़े पर अपनी बुर रखकर नीचे होने लगी। उसका लौड़ा उसकी बुर में समाता चला गया । अब वो उसके ऊपर उछल उछल कर चुदवाने लगी। राजीव भी उसकी चूचियाँ दबाकर नीचे से धक्के लगाने लगा। मालिनी पर पता नहीं क्या भूत सवार था कि वो बहुत तेज़ी से उछलकर चुदाई में लगी हुई थी। वो चिल्लाए भी जा रही थी: आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा फ़ाआऽऽऽऽऽड़ो मेरीइइइइइइइ फुद्दीइइइइइइइइ । आऽऽऽऽऽऽऽऽऽह खा जाओ मेरी चूउउउउउउउचियाँ । आऽऽऽहहहह मरीइइइइइइइइइ उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ। पाआऽऽऽप्पा बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लग रहा है। और चोओओओओओओओदो। और चोओओओओओओदो । कमरा फ़च फ़च की आवाज़ से गूँज रहा था। अब वो चिल्लाई: पाआऽऽऽऽऽऽपा मैं गयीइइइइइइ। और वो ज़बरदस्त क्लाइमैक्स के साथ पानी छोड़ने लगी। उधर राजीव भी अपनी गाँड़ नीचे से उछालकर अपना वीर्य उसकी बुर में छोड़ने लगा। अब मालिनी लस्त होकर लुढ़ककर उसकी बग़ल में लेट गयी।

राजीव उसकी तरफ़ मुँह करके उसको चूमकर बोला: बेटा क्या हो गया था? बड़ी उत्तेजित थी आज? वहाँ आयशा के घर में ऐसा क्या हो गया?

मालिनी: ओह पापा क्या बताऊँ? वो लड़की तो जैसे सेक्स से भरी हुई डायनामाइट है। उसने जिस अन्दाज़ में मुझे अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाई मैं बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी।

राजीव उसकी चूचियाँ सहलाकर : तो इसिसे इतना उत्तेजित हो गयी थी?

मालिनी उसकी छाती के बालों से खेलती हुई बोली: पता है पापा उसकी पहली चुदाई किसने की थी?

राजीव: किसने की थी?

मालिनी: उसके अपने अब्बा ने । वो अभी नयी नयी जवान हुई थी।यह कहकर उसने आयशा की पूरी कहानी उसे सुना दी। और ये भी बता दिया कि वो भी अपने ससुर से चुदवाती है।

राजीव क्या बोलता । वो तो ख़ुद ही बेटीचोद था। उसने महक को कई बार चोदा था और वही उसके बच्चे का बाप भी था। वो सामने से बोला: ओह । तो तुम इसे ग़लत मानती हो?

मालिनी हैरानी से: हाँ बिलकुल। और आप?

राजीव: देखो बेटा मैं तो इसे ग़लत नहीं मानता । मैं सोचता हूँ अगर बाप और बेटी दोनों की इच्छा हो तो इसमें ग़लत कुछ भी नहीं है ।वैसे भी बाप ने उसे पैदा किया है पाला पोसा है। तो वो अगर ख़ुद मज़ा ले भी ले तो इसमें ग़लत क्या है। हाँ इसमें ज़ोर ज़बर्द्स्स्ती नहीं होनी चाहिए।

मालिनी: ओह आप ऐसा सोचते है?

राजीव: अब आयशा की ही बात कर लो। वो अपने अब्बा से चुदी और अब चुदाई का पूरा मज़ा ले रही है ना? इसमें उसका क्या नुक़सान हुआ बोलो? बल्कि मुझे तो लगता है उसके अब्बा ने जो उसे मज़ा दिया है,उसके कारण ही वो इतना खुल कर चुदाई का मज़ा ले रही है।

मालिनी: इसका मतलब है कि आप महक से ये सब करने का सोच सकते हैं?

राजीव थोड़ा सा रुक और बोला: अगर महक अपनी ख़ुशी से चाहेगी तो मैं मना नहीं करूँगा।

मालिनी: पापा मैं तो बहुत कन्फ़्यूज़्ड हूँ । हम जो बचपन में पढ़ते हैं या सीखते हैं जवानी में सब उलटा पुलटा कैसे हो जाता है ? अगर बाप बेटी का हो सकता है तो क्या माँ बेटे का भी सम्भव है?

राजीव : हाँ मैं कई बार ऐसी बात सुनता हूँ जिसमें माँ और बेटे का सम्बंध होता है। असल में बेटा ये बात मान लो कि कोई भी इंसान पहले आदमी है और उसके बाद ही पति ,भाई ,बाप, दोस्त या ससुर है? यही बात औरत पर भी लागू होती है।

मालिनी: ठीक है पापा मैं अब बाथरूम से आती हूँ। आपने चाय भी नहीं पी होगी? बनाकर लाती हूँ।

राजीव ने उसको अपनी बाँहों में भींचकर प्यार किया और उसके चूतरों को सहलाकर बोला: मेरी बेटी चुदाई को लेकर काफ़ी रीसर्च कर रही है? है ना?

मालिनी हँसकर उसके लंड को दबाई और बोली: ऐसा कुछ नहीं है पापा।

फिर वो बाथरूम में घुस गयी।

क़रीब ८ बजे शिवा आया और नहाने चला गया। खाना खाने के बाद वो मालिनी को एक राउंड चोदा। और दोनों सो गए। शिवा अब सोच रहा था कि मालिनी उससे बातें छिपाना सीख गयी है। उधर मालिनी को दुःख हो रहा था कि वो आयशा वाली बात वह शिवा को नहीं बता रही है। दोनों अपने विचारों में उलझे नींद की आग़ोश में समा गए ।

उधर असलम ने रात को आयशा को एक राउंड चोदा और पूछा: अब मालिनी कब आएगी?

आयशा: वो परसों का कह कर गयी है। पर मुझे लगता है कि वो कल ही आएगी। देखते हैं। फिर वो दोनों भी सो गए।

उधर सरला और राकेश अब साथ में ही सोते थे। श्याम को जब आना होता था तो वो पहले ही सरला को बता देता था। उस दिन राकेश श्याम के जाने के बाद आता और अपनी माँ के साथ रात भर रहता था । ज़िंदगी मस्त चल रही थी। पर उस दिन अनहोनी हो गयी। हुआ ये कि श्याम को बहुत देर हो गयी। वो सरला को फ़ोन किया: जान आज मैं बाहर खाना खाकर आऊँगा। मेरा इंतज़ार मत करना। मेरे पास चाबी है कोई दिक़्क़त नहीं होगी। तुम लोग सो जाना।

रात को हमेशा की तरह सब काम निपटाकर सरला सोने के लिए अपने कमरे में आयी । थोड़ी देर बाद राकेश भी आकर उसके साथ सो गया। जल्दी ही वो मस्ती में आकर चुदाई में लग गए। आज सरला राकेश के ऊपर आकर उसे चोद रही थी।राकेश मस्ती से मम्मी की चूचियाँ चूसकर नीचे से अपना लंड उछाल रहा था। मस्त चुदाई चल रही थी।

तभी श्याम घर के अंदर आया। आज पार्टी में उसने चढ़ा ली थी। नशे के सरूर में उसे सरला की बुर का ख़याल आया और वो अपने कमरे की जगह सरला के कमरे की ओर चल पड़ा। अभी वो दरवाज़े के पास पहुँचा ही था कि उसे आऽऽऽऽहहह की आवाज़ सुनाई दी। वो ठिठक गया । अब वो दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया। उसे पक्का हो गया कि सरला अंदर किसी से चुदवा रही है। ये आवाज़ उसी की थी। अब वो हाऽऽयययय आऽऽऽऽह और जोओओओओओर से चोओओओओओदो बोले जा रही थी । श्याम का सिर घूम गया था किआख़िर कौन उसे चोद रहा है? वो बहुत उत्तेजित होंकर अभी कुछ करता इसके पहले ही उसको जवाब मिल गया।

चुदाई करते हुए सरला चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽऽह बेएएएएएएएएटा फ़ाआऽऽऽड़ दो मेरी।

अब राकेश की साफ़ साफ़ आवाज़ आयी: हाऽऽऽऽऽऽऽऽननन माम्मीइइइइइइइ लोओओओओओओओ अपने बेटे का लंड लोओओओओओओओ ।

श्याम सन्न रह गया कि ये अपने बेटे राकेश से चुदवा रही है? उफफफफ क्या ज़माना आ गया है? उसका खड़ा लंड बैठ गया। वो चुपचाप अपने कमरे ने जाकर अपनी बीमार बीवी के साथ लेट गया। बड़ी मुश्किल से उसे नींद आयी ।

उधर मस्त चुदाई के बाद माँ बेटा लिपट कर सो रहे थे।
 

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