Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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मालिनी: मम्मी, शिवा चाहते हैं कि मैं उनके दोस्त असलम से चुदवाऊँ और उसकी बीवी पापा से चुदवाए । और हाँ शिवा आयशा को कई बार चोद चुके हैं।

राजीव: अरे बहु इसमें कोई समस्या नहीं है? वो दोनों भी अपने परिवार में चुदाई कर रहे है। अच्छा ही होगा क्योंकि कुछ वेरायिटी तो हो ही जाएगी।

शिवा: मम्मी वो लोग बहुत सीधे साधे लोग हैं। बहुत मज़ा आएगा। आयशा तो मरे जा रही है पापा से चुदवाने के लिए।

सरला: मुझे क्या करना है ।मेरा काम था चेतावनी देना, आपकी मर्ज़ी मानो या ना मानो।

शिवा: मम्मी चलो ना बिस्तर पर एक राउंड और हो जाए।

राजीव: हाँ चलो । मेरा तो खड़ा हो गया।
जब दोनों बाप बेटा खड़े हुए तो उनका खड़ा लंड भी चलते हुए लहरा रहा था और माँ बेटी की हालत उनको देखकर बहुत उत्तेजना होने लगी। राजीव सरला को चिपका कर उसकी बड़ी गाँड़ सहलाते हुए और शिवा मालिनी की कमर सहलाते हुए बेडरूम में वापस आ गए। सरला को बिस्तर पर बिठाकर राजीव ने अपना लौड़ा उसके मुँह के पास लाकर उसके होंठ पर रगड़ने लगा। सरला ने मुँह खोला और लौड़ा चूसने लगी। उसकी जीभ भी साथ ही उसके सुपाडे को सहला रही थी। उधर शिवा भी मालिनी को बिस्तर पर सरला के बग़ल में बिठाया और अपना लौड़ा चूसवाने लगा। माँ बेटी अग़ल बग़ल बैठ कर बड़े प्यार से लौड़े चूस रहीं थीं।और दोनों मर्द उनकी चूचियाँ दबा रहे थे।

तभी राजीव बोला: बेटा चलो मुँह बदल लेते हैं। शिवा मुस्कुराया और पीछे हुआ तो राजीव अब मालिनी के मुँह में अपना लौड़ा दे दिया। अब शिवा भी आकर अपना लौड़ा सरला के मुँह में देकर चूसवाने लगा। अब फिर से उनकी चूचियाँ दोनों दबाने लगे।
राजीव जाकर जेल ( क्रीम) उठा लाया। अब उसने सरला को चौपाया बन कर लेटने को कहा। सरला बिस्तर पर लेटकर अपनी गाँड़ हवा में उठा दी। अब राजीव झुककर उसकी गाँड़ को जीभ से सहलाया और सरला सीसी करने लगी। फिर उसने दो उँगलियों में जेल लगाया और उसकी गाँड़ में अंदर बाहर करने लगा। उसके बाद वो अपने लौड़े पर भी जेल लगाया और उसने अपने लौड़े का सुपाड़ा उसकी गाँड़ में डालने लगा। जल्दी ही वो पूरा लौड़ा अंदर कर दिया और सरला आऽऽऽऽऽह कर उठी। वैसे राकेश अक्सर उसकी गाँड़ मारता था इसलिए उसे कोई ज़्यादा परेशानी नहीं हुई। वो अब मज़े से गाँड़ मरवाने लगी।

शिवा ने मालिनी को उसकी मॉ के बग़ल में वैसे ही लिटाया जैसे उसकी माँ लेती थी। अब वो भी उसकी उठी हुई गाँड़ में जेल लगाया और और अपने लौड़े पर भी लगाकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा डाला। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके थोड़ा सा परेशान हुई। पर जल्दी ही वह भी अपनी गाँड़ में उसके मोटे हथियार को ऐडजस्ट करके मज़ा लेने लगी। अब माँ बेटी दोनों अपनी गाँड़ पीछे ढकेल कर गाँड़ मस्ती का मज़ा ले रही थीं। कमरे में ठप्प ठप्प की आवाज़ें भर गयीं थीं। अब अचानक राजीव बोला: चल शिवा छेद बदलते हैं। यह कहकर वो अपना लौड़ा बाहर निकाला और शिवा भी मुस्कुराया और वो भी अपना लौड़ा बाहर किया। अब राजीव मालिनी के पीछे खड़ा होकर उसके चूतर दबाया और फिर उसकी पूरी खुली गाँड़ में अपना लौड़ा डाल दिया। वह उइइइइइइइ कर उठी और शिवा ने भी सरला की खुली हुई गाँड़ में अपना लौड़ा पेला और उसके चूतरों को दबाकर उसकी गाँड़ की ठुकाई में लग गया। अब राजीव ने अपना हाथ नीचे लेजाके मालिनी की बुर में डाला और उसकी बुर में ऊँगलियाँ करने लगा। शिवा भी सरला की बुर में ऊँगली डालकर उसको मस्त करने लगा।

दोनों चिल्ला कर चुदवाने लगीं। कमरे में उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ इइइइइइइइइ उन्न्न्न्न्न्न जैसी आवाज़ें गूँज रहीं थीं। चुदाई पूरे ज़ोरों पर थीं । शिवा और राजीव के धक्कों की गति बढ़ती ही जा रही थी और दोनों माँ बेटी चिल्लाए जा रहीं थीं: आऽऽऽऽऽऽऽह और जोओओओओओओओर से फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो नाआऽऽऽऽऽऽ।

फिर सरला चिल्लाकर शिवा की उँगलियों से उत्तेजित होकर चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽह फाऽऽड़ दो मेरी गाँड़। उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेटा क्या मज़ा दे रहे हो।
तभी उसके मुँह से उत्तेजना में जो निकला सब सकते में आ गए।

सरला चिल्लाए जा रही थी और उसकी आँखें आनंद की वजह से बंद थी। वो : आऽऽऽऽऽऽह बेटा और जोओओओओओओर से माआऽऽऽऽर। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेएएएएएएएटा हाय्य्य्य्य्य राकेश फ़ाआऽऽऽऽड़ दे अपनी मम्मी की गाँड़। आऽऽऽऽऽऽऽऽहहह राकेएएएएएएएश बेएएएएएटा मैं गयीइइइइइइइइइइ। अब वो झड़ने लगी थी।

तीनों चौंक कर सरला की ओर देखे। ये राकेश का नाम ले रही थी क्लाइमैक्स के समय। इसका क्या मतलब?

मालिनी हैरानी से अपनी माँ को देखी। शिवा भी थोड़ा सा विचलित हुआ पर अब वो और ज़ोर से धक्के मारने लगा।
अब शिवा भी अब आऽऽऽहहहह करके झड़ गया। उसका रस उसने गाँड़ के अंदर छोड़ दिया।

सिर्फ़ राजीव सरला के मुँह से राकेश का नाम सुनकर मुस्कुराया।

उधर मालिनी ने भी अपने ससुर के पूरे हाथ को झड़ते हुए अपने रस से भिगो दिया और राजीव भी उसकी गाँड़ की गहराइयों में अपना रस छोड़ने लगा। जब दोनों मर्द हटकर बिस्तर पर बैठे और सुस्ताने लगे। तभी वो दोनों माँ बेटी पेट के बल गिर गयीं। उनके बड़े बड़े चूतरों को बाप बेटा सहलाते हुए मज़े से भर गए। उनकी गाँड़ से दोनों का वीर्य अब बाहर आकर उनकी बुर को भी भिगाने लगा था।

राजीव: आऽऽऽह क्या मज़ेदार है तुम दोनों की गाँड़।

शिवा: हाँ पापा सच बहुत मज़ा आया। मालिनी और मम्मी दोनों की गाँड़ बहुत टाइट है। उफफफ क्या मज़ा आया । अब दोनों माँ बेटी सीधा होकर लेटीं और मालिनी ने माँ से कहा: मम्मी ये राकेश का नाम आप क्यों ले रही थी? क्या आप राकेश से भी करवा रही हो?

सरला का मुँह एकदम से सफ़ेद हो गया और वो बोली: मैंने कहाँ उसका नाम लिया?

मालिनी: मम्मी आपने उसका नाम दो बार लिया।

शिवा: हाँ मम्मी आपने दो बार कहा कि राकेश और ज़ोर से चोदो। इसका मतलब है कि आप राकेश से चुदवा रही हो।

राजीव: अरे ये माँ बेटे की चुदाई कब से चल रही है? बताओ ना ?
सरला : वो वो – ये कहकर उसने अपना मुँह अपनी हथेलियों में छुपा लिया।

राजीव मुस्कुराते हुए बोला: अरे सरला इसमें बुराई क्या है? अपना ही बेटा है ना? चुदवा लिया तो क्या हुआ? आख़िर उसके लंड पर पहला हक़ तो तुम्हारा ही है।

मालिनी हैरानी से राजीव को देखकर बोली: ये आप क्या कह रहे हैं पापा? ये कैसी अजीब बात है?

सरला: वो क्या है? पता नहीं मेरे मुँह से कैसे निकल गया ये सब।

राजीव: चलो आज मैं भी एक रहस्य से पर्दा उठाता हूँ । चलो सब लोग फ़्रेश होकर आते हैं। फिर बताऊँगा एक राज की बात।

फिर सब फ़्रेश होकर आए और दोनों औरतें बीच में थीं और शिवा मालिनी की तरफ़ और राजीव सरला की तरफ़ बैठ गया। अब मालिनी बोली: पापा अब बताइए क्या कह रहे थे?

राजीव: आज मैं एक ऐसे राज से पर्दा हटा रहा हूँ जिसके बारे में कोई नहीं जानता ।

शिवा: कैसा राज पापा?

राजीव: जब तुम्हारी शादी हुई थी तो तुम दोनों हनी मून पर गए थे ना। तब मेरे और महक के सम्बंध बन गए थे और वो जिस बच्चे को जन्म देने वाली है वो मेरा ही बच्चा है।

कमरे में ऐसा सन्नाटा खिंच गया था जैसे सबको साँप सूंघ गया हो।

शिवा हकलाते हुए बोला: मतलब आ आ आपने दीदी को चोद दिया और वो आपसे ही प्रेगनेंट हो गयी ?

राजीव: हाँ यही सही है। महक के बच्चे का मैं ही पापा और नाना भी होऊँगा।

मालिनी: पापा ये तो बात गले के नीचे ही नहीं उतर नहीं रही है। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?

राजीव: देखो महक अपनी मर्ज़ी से मुझसे चुदवाई थी। उसका पति उसको माँ नहीं बना सकता था इसलिए उसने मेरी मदद ली। जब तक ये सब रज़ामंदी से होता है इसमें कोई बुराई नहीं है कम से कम मैं तो ऐसा ही मानता हूँ।

शिवा: पापा अगर आप सही हैं तो अगर मम्मी भी अपने बेटे से चुदवा लीं तो क्या ग़लत हुआ?

राजीव: यही तो मैं कह रहा हूँ कि सरला और राकेश की चुदाई में कोई बुराई नहीं है।

मालिनी: उफफफ पापा मेरा तो दिमाग़ ही घूम गया है।

सरला : बेटी सब कुछ इतना जल्दी में हो गया कि मैं कुछ नहीं कर पाई। राकेश मेरे पीछे बुरी तरह से पड़ गया था। और मुझे उसकी बात माननी ही पड़ी।

शिवा: पापा एक बात बोलूँ ? क्या मैं भी दीदी को चोद सकता हूँ?

राजीव हँसकर : ये तो महक पर निर्भर है कि वो तुमसे चुदवाती है या नहीं? और दूसरी बात यह है कि चुदवाने के लिए उसे यहाँ होना चाहिए। वहाँ अमेरिका में रहते हुए तो उसको चोद नहीं सकते ना । वैसे एक और भाई अपनी बहन को चोद सकता है? मेरा मतलब है कि मालिनी अपने भाई राकेश से चुदवा सकती है।

मालिनी: मुझे नहीं चुदवाना है राकेश से ।

शिवा: मम्मी राकेश की और आपकी चुदाई कैसे शुरू हुई?

सरला: ये लम्बी कहानी है।
फिर उसने पूरी कहानी सुनाई। जब उसकी बात ख़त्म हुई तो राजीव और शिवा के लंड खड़े हो चुके थे। रात के १० बज रहे थे।

मालिनी: उफफफ मम्मी राकेश को तो मैं बच्चा समझती थी। वो इतना मस्ती कर रहा है आपसे? मालिनी राजीव के लंड से खेलते हुए बोली। वो भी उसकी कमर सहला रहा था।

सरला: अरे तेरा भाई पक्का चोदू हो गया है। रात में कम से कम दो बार बजाए बग़ैर नींद नहीं आती उसे। सरला शिवा का लंड सहलाते हुए बोली। वो भी उसकी चूचियाँ दबा रहा था।

जल्दी ही सब गरम हो गए और शिवा सरला के ऊपर आकर चुदाई में लग गया। उधर मालिनी ने राजीव को लिटाया और ख़ुद उसके ऊपर आकर चुदाई में लग गयी। शिवा मस्ती से भर गया ये देखकर कि वो सरला को और मालिनी राजीव को चोद रहे हैं। शिवा ने ध्यान दिया कि अब मालिनी पूरे बेशर्मी से चुदवा रही थी। धीरे धीरे उसकी झिझक ख़त्म होती जा रही थी। साथ ही ये माँ बेटे की चुदाई का भेद खुलने के बाद अब सरला भी पूरी तरह से खुल चुकी थी।

आधे घंटे की ज़बरदस्त चुदाई के बाद सब झड़ गए और फिर सफ़ाई करके सो गए।
अगला दिन और मज़े से भरा होगा क्योंकि आयशा और असलम को भी कल आना है-- शिवा ये सोचते हुए नींद की आग़ोश में समा गया।
 
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अगले दिन सुबह राजीव की नींद खुली तो वो देखा कि शिवा और सरला ग़ायब हैं । सिर्फ़ मालिनी अपनी चूचि चादर से बाहर निकाले सो रही थी। राजीव उठकर बाथरूम गया और फिर बाहर आया तो किचन से आवाज़ आ रही थी। वो चुपचाप किचन में झाँका तो अंदर का दृश्य देखकर मस्त हो गया। किचन में सरला नंगी ही चाय बना रही थी और नंगा शिवा उसके पीछे खड़ा होकर उसकी चूचियाँ दबाकर उसकी पीछे से चुदाई कर रहा था। सरला आगे की ओर थोड़ी झुकी हुई भी थी। फ़च फ़च की आवाज़ का मतलब था कि बुर चोदी जा रही थी। राजीव का लंड भी खड़ा होने लगा था।

तभी शिवा बोला: आऽऽऽऽऽऽह मम्मी क्या मस्त बुर है आपकी। उफ़्फ़्क्फ़्फ़्फ़ बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽ रहा है। मैंने अपनी मम्मी को भी ऐसे ही शंकर मामा से चुदते देखा था। आऽऽऽऽऽहहहब वो भी ऐसी चाय बना रही थी। हाऽऽऽऽय्य और मामा उनको चोद रहे थे। ऐसे ही चूचियाँ दबाकर।

सरला: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ धीरे से दबाओ ना। हाऽऽऽऽऽऽय क्या शंकर तुम्हारे सगे मामा थे? उइइइइइइइ।।

शिवा: आऽऽऽह नहीं वो पापा के दोस्त थे जिनको मम्मी ने भाई बनाया हुआ था और उनको राखी भी बाँधती थीं।

राजीव को अपने कानों पर मानो विश्वास ही नहीं हुआ। क्या सच सविता उसकी बीवी दूसरों से चुदवाती थी? उसे कई बार शक तो हुआ था पर सबूत कभी नहीं मिला। आज शिवा ये सब क्या कह रहा है?
तभी शिवा: आऽऽऽऽऽहब मम्मी आऽऽऽहब्ब मैं गया। कहकर झड़ने लगा । सरला भी उइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शिवा हाँफते हुए प्लाट्फ़ोर्म पर बैठ गया और वो बोला: मम्मी आप इसको चाटकर साफ़ करो ना। मेरी मम्मी मामा का ऐसा ही साफ़ करती थीं चुदाई के बाद। फिर सरला ने उसके अब भी पूरे तने हुए लंड को चाटकर साफ़ किया। अब शिवा प्लाट्फ़ोर्म से उतरा और एक तौलिया लेकर सरला की जाँघों और बुर और गाँड़ की जगह को साफ़ किया और बोला: मामा ऐसे ही मम्मी की बुर को साफ़ करते थे जैसे मैं आपकी कर रहा हूँ।

राजीव का सिर घूम गया था। वो अपने आप को बड़ा खिलाड़ी समझता था पर लगता है कि सरिता भी कम खिलाड़ी नहीं थी। वो हमेशा उसे घरेलू औरत ही समझता था। वो सोचा कि उसे अंदर की कहानी शिवा से निकालनी ही पड़ेगी।

वो आवाज़ देकर अंदर आया और बोला : क्या शिवा अपनी सास की बुर साफ़ कर रहा है? सुबह सुबह ही चोद दिया क्या?

सरला: आपका ही बेटा है। सुबह सुबह ही एक राउंड कर लिया ये मेरे साथ।

राजीव ने सरला की गाँड़ सहलाते हुए कहा: अरे तुम्हारी जैसे गरम सास हो तो बेचारे मेरे बेटे का क्या क़सूर है।

सरला ने प्यार से राजीव का गाल चूमा और उसके आधे खड़े लंड को सहलाकर कहा: हाँ आपका बेटा तो बेचारा बहुत भोला है।
सब हँसने लगे।

सब चाय पी रहे थे तभी मालिनी भी नंगी ही बाहर आयी। वो आकर शिवा को गाल में चूमकर प्यार की। फिर वो अपनी माँ से प्यार की । जब राजीव के पास आइ तो उसने खींचकर उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल चूमा और चूचि सहलाने लगा।

मालिनी: उफफफ पापा चाय तो पी लेने दो।

राजीव: उसकी चूचि को चूमा और बोला: देखो शिवा और तुम्हारी मम्मी ने एक राउंड मज़ा ले भी लिया। हम दोनों पीछे रह गए।

मालिनी हँसकर : ओह तो यहाँ कॉम्पटिशन हो रहा है बाप बेटे में?
वो अपनी गाँड़ उठाकर एडजस्ट करते हुए बोली: उफफफ पापा आपका तो खड़ा होकर नीचे चुभ रहा है।

तभी असलम का फ़ोन शिवा को आया: हाँ भाई क्या प्रोग्राम है आज का?

शिवा: वही जो कहा है तुमको? कब तक आ जाओगे?

असलम: अरे यार एक दिक़्क़त हो गयी है। आयशा को बुखार आ गया है। अब बोलो तो मैं अकेला आ सकता हूँ एक दो घंटे के लिए। वरना फिर कभी का प्रोग्राम रख लेते हैं।

शिवा: ओह ऐसा क्या। ठीक है तुम ही आ जाओ १२ बजे के क़रीब । बाई काम करके चली जाएगी। खाना यहीं खा लेना।

असलम: ठीक है मैं आ जाऊँगा २ घंटे के लिए। बाई।

शिवा: पापा आयशा नहीं आ पाएगी वो बीमार हो गयी है। असलम १२ बजे आएगा २ घंटे के लिए ।

सरला: मुझे वापस जाना है १० बजे तक। मैं राकेश को यही बोल कर आयी हूँ।

राजीव: अरे तुम शाम को चली जाना। अभी असलम आएगा। वो मालिनी को चोदने ही तो आ रहा है। तुम मेरा और शिवा का ध्यान रखना। शाम को तुमको भेज देंगे। राकेश को फ़ोन कर दो।

सरला: ठीक है जैसे आप कहते हो वैसा ही करूँगी। मैं उसे बता दूँगी।

सरला: मैं नाश्ता बनाती हूँ। आप लोग नहा लो।

मालिनी: मम्मी मैं भी अपनी मदद करती हूँ।

फिर सब बारी बारी से नहाए और नाश्ता किए अब क्योंकि बाई आने वाली थी इसलिए सबने कपड़े पहन लिए।बाई आकर अपना काम करने लगी।
क़रीब १२ बजे बाई चले गयी और असलम भी आ गया। वो एक जींस और टी शर्ट पहना था और बहुत हैंडसम दिख रहा था। सरला की आँखें उसकी मस्कूलर बदन पर पड़ीं और उसकी बुर में पानी आ गया। वो उसे घूरने लगी।

असलम भी मालिनी और सरला को बारी बारी से घूरे जा रहा था और उसकी पैंट का आगे का भाग फूल सा गया था।

सबसे परिचय के बाद चाय का दौर चला और सबने आयशा की तबियत पूछी। क्योंकि वह पहली बार आया था , इसलिए एक स्वाभाविक झिझक सी थी सबमें।
 

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