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सरला ने अपना मुँह राजीव के लौड़े से उठाया और बोली: ज़रा देखूँ तो कैसा है असलम का लौड़ा ?
असलम ने चड्डी उतारी और अपना खड़ा लौड़ा लाकर सरला के मुँह के पास लाकर लहराया और सरला मज़े से उसको पकड़कर सहलाते हुए बोली: आऽऽऽऽऽह ये तो बहुत मस्त है। यह कहकर वो उसके लौड़े को चूमकर चूसने लगी। अब वो राजीव के लौड़े को मूठिया रही थी और असलम का लौड़ा चूस भी रही थी। शिवा बोला: पापा आप सीधे होकर लेट जाओ और मम्मी आपके ऊपर आ जाएगी। पीछे से असलम मम्मी की गाँड़ मार लेगा।
सरला अब उठी और राजीव के लेटते ही उस पर सवार होकर अपनी फुद्दी में उसका लौड़ा ले ली। अब शिवा उसके पीछे आया और उसकी गाँड़ के छेद में जेल लगाया। असलम ने भी जेल लेकर अपने लौड़े पर लगाया। अब वो सरला की गाँड़ में अपना लौड़ा डालकर चोदने लगा। सरला भी अपनी गाँड़ हिलाकर अपने दोनों छेदों में मोटे लौडों का आनंद ले रही थी सब शिवा भी अपना लौड़ा बाहर निकाल कर सरला के मुँह के पास ले आया। सरला ने उसका लौड़ा चूसना शुरू किया
सरला के तीनों छेदों में एक एक लौड़ा था और वो उन्न्न्न्न उन्न्न्न्न कहकर चुदवा रही थी । राजीव और शिवा उसकी चूचियाँ दबा रहे थे और असलम उसकी मोटी गाँड़ दबाकर मस्ती से उसकी गाँड़ मार रहा था।
तभी कमरे में मालिनी आयी और वो कपड़े पहन चुकी थी । कमरे का दृश्य देखकर उसकी मानो साँस ही रुक गयी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी किसी रँडी से कम नहीं लग रही थी। वो तीन तीन लंडों का भरपूर मज़ा ले रही थीं। नीचे से पापा , पीछे से असलम और सामने शिवा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्ती भरा दृश्य था। मालिनी का हाथ अपने आप बुर पर चला गया और वो ख़ुद ही सलवार के ऊपर से अपनी बुर खुजाने लगी।
तभी शिवा आऽऽऽऽऽह करके सरला के मुँह में पानी छोड़ दिया और असलम भी ह्म्म्म्म्म कहकर उसकी गाँड़ में रस छोड़ा। अब राजीव के ऊपर सरला थी और वो ज़ोर ज़ोर से चुदाई कर रही थी अपनी गाँड़ हिलाकर। आख़िर में सरला भी झड़ने लगी: उइइइइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइइइइइइ। राजीव भी अब अपनी नीचे से कमर उछाल कर अपना रस उसकी बुर में छोड़ने लगा।
अब सब शांत होकर पड़े रहे। मालिनी चुप चाप जाकर सबके लिए पानी लायी। सबने पानी पिया और असलम बोला: मुझे चलना चाहिए। आयशा का ध्यान रखना होगा ना।
असलम के साथ सब खाना खाए और उसके जाने के बाद सब आराम करने लगे।
शाम को सरला को बस स्टैंड छोड़ने तीनों गए। उसके जाने के बाद सब बाहर खाना खाए । दोनों मालिनी को छेड़ते रहे। रात को सब नंगे होकर बिस्तर पर लेटे थे ।मालिनी के एक एक हाथ में उनके लंड थे जो वो सहलाए जा रही थी। राजीव और शिवा उसकी चूचियाँ और जाँघें और बुर सहला रहे थे। तभी राजीव शिवा से बोला: बेटा तुम सुबह कह रहे थे कि सविता को तुमने मेरे दोस्तों से चुदवाते देखा है। बताओ सच क्या है? मुझे उस पर विश्वास था पर तुम्हारी बात ने मुझे हैरत में डाल दिया है।
शिवा ने कहना शुरू किया: ------------
बात उन दिनों की है जब मैं आठवीं में पड़ता था । उन दिनों पापा आपको याद होगा कि आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं रहती थी।
राजीव: हाँ वो एक बार बिज़नेस में बहुत घाटा हो गया था तो मैं डिप्रेशन में चला गया था। सविता ने मेरा इलाज करवाया था डॉक्टर से । दवाई से मैं नींद में रहता था और दुकान से आकर सो जाता था। यह कोई ३ साल चला था।
शिवा: पापा उन दिनों आपकी और मम्मी की सेक्स लाइफ़ गड़बड़ हुई होगी, है ना?
राजीव: गड़बड़ क्या बेटा उन तीन सालों में मैंने शायद तेरी माँ से १० बार ही सेक्स किया होगा।
मालिनी उत्सुकता से : फिर आगे बताओ ना क्या हुआ?
शिवा:---- शायद यही वो समय था जब आपकी और मम्मी की सेक्स लाइफ़ गड़बड़ा गयी थी। उस दिन जब मैं स्कूल से वापस आया तो दरवाज़ा बंद था । पता नहीं मुझे कुछ गड़बड़ लगी। ऐसा कभी नहीं होता था कि मुख्य दरवाज़ा बंद रहे क्योंकि उसके बाद एक और दरवाज़ा भी था जो कि सामने के आँगन के बाद मकान में जाने के लिए था। हम उस समय पुराने घर में रहते थे जो एक मंज़िला था और पीछे भी एक आँगन था। मैं पीछे आँगन से जहाँ एक दीवार थोड़ी टूटी सी थी , उस पर से कूद कर अंदर गया। आँगन से मैंने आपके बेडरूम की खिड़की के पास आहट ली और मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ है। अंदर से मम्मी और एक आदमी की बातें करने और हँसने की आवाज़ें आ रही थी। हालाँकि मैं आठवीं में पढ़ता था पर सेक्स की बात समझने लगा था क्योंकि स्कूल में हम बातें करते थे।
अब मैं सीढ़ी से ऊपर गया और वहाँ जाकर आपके बेडरूम के एक रोशनदान को नोटिस किया। मैं छत पर लेट गया और नीचे को झुका और रोशनदान से आपके बेडरूम में झाँका और जो देखा मेरे तो होश ही उड़ गए। वहाँ शंकर मामा मम्मी को जकड़कर खड़े थे और उनके होंठ चूस रहे थे। मामा के हाथ मम्मी की बड़ी गाँड़ को साड़ी के ऊपर से दबा रहे थे और वो दोनों एकदम चिपके हुए थे। अब मामा पीछे हुए और मम्मी की साड़ी का पल्लू गिरा दिए और उनकी चूचियों को ब्लाउस के ऊपर से दबाकर मस्ती में बोलने लगे: आऽऽऽह सविता, राजीव साला बहुत क़िस्मत वाला है जो जब चाहे इन मस्त चूचियों को दबा सकता है। उफफफफ क्या मस्त चूचे हैं तेरे जानू।
मम्मी: अरे पहले तो वो बहुत मज़ा देते थे पर यह मुई बीमारी के बाद तो वो बिलकुल ही बेकार हो गए हैं।
मामा उनकी साड़ी निकालकर बोला: आख़िर बार कब चोदा था उसने?
मम्मी: २ हफ़्ते तो हो ही गए। और अब उनकी चुदाई में वो बात भी नहीं रही। जल्दी से झड़ जाते है। पहले तो एक एक घंटा रगड़ते थे ।
मामा अब उनका ब्लाउस भी खोलकर निकाले जिसमें मम्मी ने उनकी पूरी मदद की। अब मम्मी ब्रा में थी और वो ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियाँ मसल रहा था। अब मम्मी भी मामा की शर्ट उतारी और उनके बालों से भरी छाती को चूमने लगी। मामा ने मम्मी का पेटिकोट भी उतार दिया और मम्मी अपनी पैंटी और ब्रा में बहुत ही कामुक दिख रही थी। मेरी छोटी सी नूंनी भी खड़ी हो गयी थी ये सब देखकर।
अब मम्मी ने भी मामा की पैंट उतार दी और मैंने चड्डी में खड़ा मामा का लंड देखा। मामा ने मम्मी को बेड पर बिठाया और अपनी चड्डी उतार कर अपना काला मोटा लम्बा लंड उनके मुँह के पास लाए और मम्मी उसे पागलों की तरह चूसने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरे लिए ये बड़ा अजीब दृश्य था। मामा भी मज़े से मम्मी के मुँह में लंड को अंदर बाहर कर रहे थे। थोड़ी देर बाद मामा ने अपना लंड वापस बाहर निकाला और मामी की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उनको लिटा दिया। अब वो उनके ऊपर आकर उनकी नंगी चूचियाँ दबाने और चूसने लगे। मम्मी अब आऽऽऽऽऽह उइइइइओइइइइ चिल्ला रही थीं। फिर मामा नीचे आए और मम्मी की पैंटी उतारे और बड़े देर तक मम्मी की बुर को प्यार से सहलाते रहे और बोले: जानू जितनी बार तुम्हारी बुर देखता हूँ उतना ही ज़्यादा इससे प्यार बढ़ता जाता है।
मम्मी यह सुनकर हँसने लगी और बड़ी बेशर्मी से बोली: भय्या चूसो ना इसको। कल आप बहुत मस्त चूसे थे । उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बढ़िया लगता है।
यह सुनकर मामा ने मम्मी की जाँघों के बीच में अपना मुँह डालकर चूसना शुरू किया। अब मम्मी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽहहह भय्याआऽऽऽऽऽऽ और चूउउउउउउसो। चिल्लाने लगी। आऽऽऽऽऽहहह अब चोओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽ।
यह सुनकर मामा जोश में आ गए और अपना मोटा लंड मम्मी की बुर में लगकर धीरे से दबाने लगे। अब मम्मी और ज़ोर से चिल्लाई और बोली: आऽऽऽऽह पूउउउउउउउउउरा डाआऽऽऽऽऽऽल दो नाआऽऽऽऽऽऽऽऽ। और फिर जो ज़बरदस्त चुदाई हुई उसे देखकर मैं डर गया। मुझे लगा कि मम्मी को कोई चोट ना पहुँच जाए। आधे घंटे की रगड़ाई के बाद दोनों चिल्लाकर शांत हो गए। उस समय तो मैं नहीं समझ पाया पर आज जानता हूँ कि दोनों झड़ गए थे। जब मामा उठे तो मैंने देखा कि मम्मी की बुर से सफ़ेद सा गाढ़ा सा रस बाहर निकल रहा था। उसके बाद मम्मी बोली: भय्या अब आप जाओ क्योंकि शिवा आने वाला होगा।
मामा उठकर तय्यार हुए और बाहर चले गए । मैं भी बाहर आकर वापस दरवाज़े से अंदर आया और तब तक मम्मी तय्यार होकर किचन में आ गयीं थीं ।
मैं अपने कमरे में आकर सोचा कि आज मैंने क्या देख लिया? उफफफ मम्मी नंगी कितनी सुंदर लगतीं थीं । उनके बड़े बड़े दूध और उनकी फूली हुई बुर और मोटे मोटे चूतर मुझे पागल कर दिए थे। पता नहीं मामा के साथ इनका कब से चल रहा है? तभी महक दीदी भी आ गयी पर मैंने उनसे कुछ नहीं कहा।
इधर शिवा ने देखा कि पापा का लौड़ा पूरा तन गया था मालिनी की मूठ्ठी में। वह बोले: आऽऽऽह बेटी चूस इसे । और मालिनी झुक कर उसे चूसने लगी। वो एक हाथ से उसका सिर अपने लौड़े पर दबा रहे थे और दूसरे हाथ से उसकी एक चूचि मसल रहे थे। शिवा भी मालिनी की गाँड़ सहला रहा था और उसकी बुर में पीछे से ऊँगली डालकर गीली बुर से खेल रहा था। उसका एक हाथ अपने ही लंड को मुठियाने में लगा था। तभी राजीव बोला: ये शंकर के साथ सविता का कब से चल रहा था?
शिवा: पापा आपको याद होगा। शंकर मामा आपके साथ कई बार हमारे घर आते थे और क्योंकि वो आपके दोस्त थे इसलिए हम सब ही उनको बहुत मानते थे। तभी एक दिन राखी के त्योहार पर मम्मी ने उनको राखी बांधी थी और भाई बनाया था।
राजीव: आऽऽऽह्हा हाँ याद है। ओह तो इसी के आड़ में वो सविता से मज़े ले रहा था ? कमीना कहीं का। फिर क्या हुआ?
शिवा: पापा इसके बाद मैंने कई बार उन दोनों को मज़ा लेते देखा। और एक बार मम्मी मामा को बोल रही थीं : वो क्या है ना भय्या , आजकल इनका खड़ा ही नहीं होता। कल मुश्किल से मैंने खड़ा किया तो बस दस मिनट में ही टें बोल गए। मैं तो प्यासी ही रह जाती अगर आपका सहारा नहीं होता।
मामा हँसकर: मेरा या इसका? वो अपना लौड़ा हिलाकर बोले।
दोनों हँसने लगे। मामा मम्मी को रोज़ नए नए आसनों में चोदते थे । कभी ६९ कभी मम्मी ऊपर तो कभी साइड में लेटकर और कभी चौपाया बनाकर और कभी बैठे बैठे ही। अगर समय रहता तो वो दो बार भी चुदाई कर लेते थे।
राजीव: तुमने उसे किसी और के साथ भी देखा?
शिवा: हाँ वो आपके मुस्लिम दोस्त थे ना रहमान । वो बाद में मम्मी को लगाने लगे थे। हुआ ये की शंकर मामा मम्मी को अपने एक दोस्त से चुदवाने को बोले, तो मम्मी ने मना कर दिया । इस बात से दोनों का झगड़ा हो गया और मामा ने मम्मी से मिलना छोड़ दिया। फिर वो रहमान अंकल की तरफ़ झुकी। आपको याद है एक दिन जब अंकल का जन्म दिन था तो उनको मम्मी ने राखी बाँध दी ये कहकर कि आज शुभ दिन है इसलिए मैं आपको भाई मानती हूँ।
राजीव: हाँ उसके बाद रहमान ज़रा ज़्यादा ही हमारे घर आने लगा था।
शिवा: मैं उनको मम्मी की चूचि दबाते हुए देखा था जब आप थोड़ी देर के लिए बाथरूम जाते थे जल्दी ही मम्मी ने उनको और उन्होंने मम्मी को पटा लिया और फिर एक दिन मैंने उनकी भी चुदाई देख ली। पापा क्या बताऊँ कितनी मस्ती से चोद रहे थे मम्मी को और वो चिल्ला कर मज़े से सिस कारियाँ भर रहीं थीं। अंकल तो मामा से भी ज़्यादा दबाकर चोदते थे। वो पूछते थे: क्या राजीव ऐसी चुदाई करता है?
मम्मी: आऽऽह पहले मस्त करते थे पर जब से बीमार हुए हैं नहीं कर पाते । आऽऽऽऽह तभी तो आपसे चुदवा रही हूँ।
रहमान अंकल तो उनकी चूचियाँ ऐसे दबाते थे जैसे पूरा दूध ही निकाल लेंगे। उफफफफ पापा ऐसे तो मैं मालिनी की दबा ही नहीं सकता। ये तो दर्द के मारे चीख़ उठेगी ।
राजीव: उफ़्ग्फ़्फ़्फ़ मालिनी क्या चूस रही हो। ह्म्म्म्म्म।
शिवा: वैसे पापा अंकल और मम्मी का ये खेल १ साल से भी ज़्यादा चला।
राजीव: आऽऽऽऽह मुझे याद है तेरी मम्मी ने मेरी बीमारी के दौरान तीन गर्भपात भी करवाए थे। मैंने पूछा कि क्यों करवा रही हो। हो जाने दो और बच्चे । तो वो नहीं मानी थी। अब समझ में आया कि वो मेरे बच्चे थे ही नहीं। इसीलिए वो उनको गिरा दी होगी।
शिवा: हाँ शायद यही कारण होगा। कोई भी मम्मी को कण्डोम के साथ नहीं चोदता था। इसीलिए बेचारी बार बार गर्भ से हो जाती होगी। वैसे रहमान अंकल के साथ भी बहुत दिन चला। वह दोनों बहुत देर तक ओरल सेक्स करते थे फिर ज़बरदस्त चुदाई होती थी , जिसके हर क्षण का मम्मी मज़ा लेती थीं ।
राजीव: उफफफ मुझे शक तो था पर कभी सबूत नहीं मिला। आऽऽऽहहहब बहु अब बस करो नहीं तो मुँह में ही झड़ जाऊँगा।
मालिनी मुँह उठाकर: तो झड़ जायीये ना। मुझे भी बहुत इच्छा हो रही है आपके रस को पीने की। यह बोलकर वो और ज़ोर से चूसने लगी। अब राजीव आऽऽऽऽह और ह्म्म्म्म्म्म्म मेरी जाआऽऽऽऽऽऽऽन लोओओओओओओओ पीयोओओओओओओओओ मेराआऽऽऽऽऽऽऽऽ रस । कहकर उसके मुँह में अपना रस छोड़ने लगा और मालिनी पूरी ताक़त से चूसती हुई एक एक बूँद रस पीती चली गयी।
अब मालिनी ने उसके लंड को चाटा और फिर तौलिए से साफ़ किया। और अब शिवा के खड़े लंड का सहलाते हुए बोली: शिवा आपकी क्या सेवा करूँ ?
शिवा: मैं पूरी बात ख़त्म करता हूँ फिर चुदाई करेंगे । तब तक चूस दो प्लीज़।
असलम ने चड्डी उतारी और अपना खड़ा लौड़ा लाकर सरला के मुँह के पास लाकर लहराया और सरला मज़े से उसको पकड़कर सहलाते हुए बोली: आऽऽऽऽऽह ये तो बहुत मस्त है। यह कहकर वो उसके लौड़े को चूमकर चूसने लगी। अब वो राजीव के लौड़े को मूठिया रही थी और असलम का लौड़ा चूस भी रही थी। शिवा बोला: पापा आप सीधे होकर लेट जाओ और मम्मी आपके ऊपर आ जाएगी। पीछे से असलम मम्मी की गाँड़ मार लेगा।
सरला अब उठी और राजीव के लेटते ही उस पर सवार होकर अपनी फुद्दी में उसका लौड़ा ले ली। अब शिवा उसके पीछे आया और उसकी गाँड़ के छेद में जेल लगाया। असलम ने भी जेल लेकर अपने लौड़े पर लगाया। अब वो सरला की गाँड़ में अपना लौड़ा डालकर चोदने लगा। सरला भी अपनी गाँड़ हिलाकर अपने दोनों छेदों में मोटे लौडों का आनंद ले रही थी सब शिवा भी अपना लौड़ा बाहर निकाल कर सरला के मुँह के पास ले आया। सरला ने उसका लौड़ा चूसना शुरू किया
सरला के तीनों छेदों में एक एक लौड़ा था और वो उन्न्न्न्न उन्न्न्न्न कहकर चुदवा रही थी । राजीव और शिवा उसकी चूचियाँ दबा रहे थे और असलम उसकी मोटी गाँड़ दबाकर मस्ती से उसकी गाँड़ मार रहा था।
तभी कमरे में मालिनी आयी और वो कपड़े पहन चुकी थी । कमरे का दृश्य देखकर उसकी मानो साँस ही रुक गयी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी किसी रँडी से कम नहीं लग रही थी। वो तीन तीन लंडों का भरपूर मज़ा ले रही थीं। नीचे से पापा , पीछे से असलम और सामने शिवा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्ती भरा दृश्य था। मालिनी का हाथ अपने आप बुर पर चला गया और वो ख़ुद ही सलवार के ऊपर से अपनी बुर खुजाने लगी।
तभी शिवा आऽऽऽऽऽह करके सरला के मुँह में पानी छोड़ दिया और असलम भी ह्म्म्म्म्म कहकर उसकी गाँड़ में रस छोड़ा। अब राजीव के ऊपर सरला थी और वो ज़ोर ज़ोर से चुदाई कर रही थी अपनी गाँड़ हिलाकर। आख़िर में सरला भी झड़ने लगी: उइइइइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइइइइइइ। राजीव भी अब अपनी नीचे से कमर उछाल कर अपना रस उसकी बुर में छोड़ने लगा।
अब सब शांत होकर पड़े रहे। मालिनी चुप चाप जाकर सबके लिए पानी लायी। सबने पानी पिया और असलम बोला: मुझे चलना चाहिए। आयशा का ध्यान रखना होगा ना।
असलम के साथ सब खाना खाए और उसके जाने के बाद सब आराम करने लगे।
शाम को सरला को बस स्टैंड छोड़ने तीनों गए। उसके जाने के बाद सब बाहर खाना खाए । दोनों मालिनी को छेड़ते रहे। रात को सब नंगे होकर बिस्तर पर लेटे थे ।मालिनी के एक एक हाथ में उनके लंड थे जो वो सहलाए जा रही थी। राजीव और शिवा उसकी चूचियाँ और जाँघें और बुर सहला रहे थे। तभी राजीव शिवा से बोला: बेटा तुम सुबह कह रहे थे कि सविता को तुमने मेरे दोस्तों से चुदवाते देखा है। बताओ सच क्या है? मुझे उस पर विश्वास था पर तुम्हारी बात ने मुझे हैरत में डाल दिया है।
शिवा ने कहना शुरू किया: ------------
बात उन दिनों की है जब मैं आठवीं में पड़ता था । उन दिनों पापा आपको याद होगा कि आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं रहती थी।
राजीव: हाँ वो एक बार बिज़नेस में बहुत घाटा हो गया था तो मैं डिप्रेशन में चला गया था। सविता ने मेरा इलाज करवाया था डॉक्टर से । दवाई से मैं नींद में रहता था और दुकान से आकर सो जाता था। यह कोई ३ साल चला था।
शिवा: पापा उन दिनों आपकी और मम्मी की सेक्स लाइफ़ गड़बड़ हुई होगी, है ना?
राजीव: गड़बड़ क्या बेटा उन तीन सालों में मैंने शायद तेरी माँ से १० बार ही सेक्स किया होगा।
मालिनी उत्सुकता से : फिर आगे बताओ ना क्या हुआ?
शिवा:---- शायद यही वो समय था जब आपकी और मम्मी की सेक्स लाइफ़ गड़बड़ा गयी थी। उस दिन जब मैं स्कूल से वापस आया तो दरवाज़ा बंद था । पता नहीं मुझे कुछ गड़बड़ लगी। ऐसा कभी नहीं होता था कि मुख्य दरवाज़ा बंद रहे क्योंकि उसके बाद एक और दरवाज़ा भी था जो कि सामने के आँगन के बाद मकान में जाने के लिए था। हम उस समय पुराने घर में रहते थे जो एक मंज़िला था और पीछे भी एक आँगन था। मैं पीछे आँगन से जहाँ एक दीवार थोड़ी टूटी सी थी , उस पर से कूद कर अंदर गया। आँगन से मैंने आपके बेडरूम की खिड़की के पास आहट ली और मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ है। अंदर से मम्मी और एक आदमी की बातें करने और हँसने की आवाज़ें आ रही थी। हालाँकि मैं आठवीं में पढ़ता था पर सेक्स की बात समझने लगा था क्योंकि स्कूल में हम बातें करते थे।
अब मैं सीढ़ी से ऊपर गया और वहाँ जाकर आपके बेडरूम के एक रोशनदान को नोटिस किया। मैं छत पर लेट गया और नीचे को झुका और रोशनदान से आपके बेडरूम में झाँका और जो देखा मेरे तो होश ही उड़ गए। वहाँ शंकर मामा मम्मी को जकड़कर खड़े थे और उनके होंठ चूस रहे थे। मामा के हाथ मम्मी की बड़ी गाँड़ को साड़ी के ऊपर से दबा रहे थे और वो दोनों एकदम चिपके हुए थे। अब मामा पीछे हुए और मम्मी की साड़ी का पल्लू गिरा दिए और उनकी चूचियों को ब्लाउस के ऊपर से दबाकर मस्ती में बोलने लगे: आऽऽऽह सविता, राजीव साला बहुत क़िस्मत वाला है जो जब चाहे इन मस्त चूचियों को दबा सकता है। उफफफफ क्या मस्त चूचे हैं तेरे जानू।
मम्मी: अरे पहले तो वो बहुत मज़ा देते थे पर यह मुई बीमारी के बाद तो वो बिलकुल ही बेकार हो गए हैं।
मामा उनकी साड़ी निकालकर बोला: आख़िर बार कब चोदा था उसने?
मम्मी: २ हफ़्ते तो हो ही गए। और अब उनकी चुदाई में वो बात भी नहीं रही। जल्दी से झड़ जाते है। पहले तो एक एक घंटा रगड़ते थे ।
मामा अब उनका ब्लाउस भी खोलकर निकाले जिसमें मम्मी ने उनकी पूरी मदद की। अब मम्मी ब्रा में थी और वो ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियाँ मसल रहा था। अब मम्मी भी मामा की शर्ट उतारी और उनके बालों से भरी छाती को चूमने लगी। मामा ने मम्मी का पेटिकोट भी उतार दिया और मम्मी अपनी पैंटी और ब्रा में बहुत ही कामुक दिख रही थी। मेरी छोटी सी नूंनी भी खड़ी हो गयी थी ये सब देखकर।
अब मम्मी ने भी मामा की पैंट उतार दी और मैंने चड्डी में खड़ा मामा का लंड देखा। मामा ने मम्मी को बेड पर बिठाया और अपनी चड्डी उतार कर अपना काला मोटा लम्बा लंड उनके मुँह के पास लाए और मम्मी उसे पागलों की तरह चूसने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरे लिए ये बड़ा अजीब दृश्य था। मामा भी मज़े से मम्मी के मुँह में लंड को अंदर बाहर कर रहे थे। थोड़ी देर बाद मामा ने अपना लंड वापस बाहर निकाला और मामी की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उनको लिटा दिया। अब वो उनके ऊपर आकर उनकी नंगी चूचियाँ दबाने और चूसने लगे। मम्मी अब आऽऽऽऽऽह उइइइइओइइइइ चिल्ला रही थीं। फिर मामा नीचे आए और मम्मी की पैंटी उतारे और बड़े देर तक मम्मी की बुर को प्यार से सहलाते रहे और बोले: जानू जितनी बार तुम्हारी बुर देखता हूँ उतना ही ज़्यादा इससे प्यार बढ़ता जाता है।
मम्मी यह सुनकर हँसने लगी और बड़ी बेशर्मी से बोली: भय्या चूसो ना इसको। कल आप बहुत मस्त चूसे थे । उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बढ़िया लगता है।
यह सुनकर मामा ने मम्मी की जाँघों के बीच में अपना मुँह डालकर चूसना शुरू किया। अब मम्मी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽहहह भय्याआऽऽऽऽऽऽ और चूउउउउउउसो। चिल्लाने लगी। आऽऽऽऽऽहहह अब चोओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽ।
यह सुनकर मामा जोश में आ गए और अपना मोटा लंड मम्मी की बुर में लगकर धीरे से दबाने लगे। अब मम्मी और ज़ोर से चिल्लाई और बोली: आऽऽऽऽह पूउउउउउउउउउरा डाआऽऽऽऽऽऽल दो नाआऽऽऽऽऽऽऽऽ। और फिर जो ज़बरदस्त चुदाई हुई उसे देखकर मैं डर गया। मुझे लगा कि मम्मी को कोई चोट ना पहुँच जाए। आधे घंटे की रगड़ाई के बाद दोनों चिल्लाकर शांत हो गए। उस समय तो मैं नहीं समझ पाया पर आज जानता हूँ कि दोनों झड़ गए थे। जब मामा उठे तो मैंने देखा कि मम्मी की बुर से सफ़ेद सा गाढ़ा सा रस बाहर निकल रहा था। उसके बाद मम्मी बोली: भय्या अब आप जाओ क्योंकि शिवा आने वाला होगा।
मामा उठकर तय्यार हुए और बाहर चले गए । मैं भी बाहर आकर वापस दरवाज़े से अंदर आया और तब तक मम्मी तय्यार होकर किचन में आ गयीं थीं ।
मैं अपने कमरे में आकर सोचा कि आज मैंने क्या देख लिया? उफफफ मम्मी नंगी कितनी सुंदर लगतीं थीं । उनके बड़े बड़े दूध और उनकी फूली हुई बुर और मोटे मोटे चूतर मुझे पागल कर दिए थे। पता नहीं मामा के साथ इनका कब से चल रहा है? तभी महक दीदी भी आ गयी पर मैंने उनसे कुछ नहीं कहा।
इधर शिवा ने देखा कि पापा का लौड़ा पूरा तन गया था मालिनी की मूठ्ठी में। वह बोले: आऽऽऽह बेटी चूस इसे । और मालिनी झुक कर उसे चूसने लगी। वो एक हाथ से उसका सिर अपने लौड़े पर दबा रहे थे और दूसरे हाथ से उसकी एक चूचि मसल रहे थे। शिवा भी मालिनी की गाँड़ सहला रहा था और उसकी बुर में पीछे से ऊँगली डालकर गीली बुर से खेल रहा था। उसका एक हाथ अपने ही लंड को मुठियाने में लगा था। तभी राजीव बोला: ये शंकर के साथ सविता का कब से चल रहा था?
शिवा: पापा आपको याद होगा। शंकर मामा आपके साथ कई बार हमारे घर आते थे और क्योंकि वो आपके दोस्त थे इसलिए हम सब ही उनको बहुत मानते थे। तभी एक दिन राखी के त्योहार पर मम्मी ने उनको राखी बांधी थी और भाई बनाया था।
राजीव: आऽऽऽह्हा हाँ याद है। ओह तो इसी के आड़ में वो सविता से मज़े ले रहा था ? कमीना कहीं का। फिर क्या हुआ?
शिवा: पापा इसके बाद मैंने कई बार उन दोनों को मज़ा लेते देखा। और एक बार मम्मी मामा को बोल रही थीं : वो क्या है ना भय्या , आजकल इनका खड़ा ही नहीं होता। कल मुश्किल से मैंने खड़ा किया तो बस दस मिनट में ही टें बोल गए। मैं तो प्यासी ही रह जाती अगर आपका सहारा नहीं होता।
मामा हँसकर: मेरा या इसका? वो अपना लौड़ा हिलाकर बोले।
दोनों हँसने लगे। मामा मम्मी को रोज़ नए नए आसनों में चोदते थे । कभी ६९ कभी मम्मी ऊपर तो कभी साइड में लेटकर और कभी चौपाया बनाकर और कभी बैठे बैठे ही। अगर समय रहता तो वो दो बार भी चुदाई कर लेते थे।
राजीव: तुमने उसे किसी और के साथ भी देखा?
शिवा: हाँ वो आपके मुस्लिम दोस्त थे ना रहमान । वो बाद में मम्मी को लगाने लगे थे। हुआ ये की शंकर मामा मम्मी को अपने एक दोस्त से चुदवाने को बोले, तो मम्मी ने मना कर दिया । इस बात से दोनों का झगड़ा हो गया और मामा ने मम्मी से मिलना छोड़ दिया। फिर वो रहमान अंकल की तरफ़ झुकी। आपको याद है एक दिन जब अंकल का जन्म दिन था तो उनको मम्मी ने राखी बाँध दी ये कहकर कि आज शुभ दिन है इसलिए मैं आपको भाई मानती हूँ।
राजीव: हाँ उसके बाद रहमान ज़रा ज़्यादा ही हमारे घर आने लगा था।
शिवा: मैं उनको मम्मी की चूचि दबाते हुए देखा था जब आप थोड़ी देर के लिए बाथरूम जाते थे जल्दी ही मम्मी ने उनको और उन्होंने मम्मी को पटा लिया और फिर एक दिन मैंने उनकी भी चुदाई देख ली। पापा क्या बताऊँ कितनी मस्ती से चोद रहे थे मम्मी को और वो चिल्ला कर मज़े से सिस कारियाँ भर रहीं थीं। अंकल तो मामा से भी ज़्यादा दबाकर चोदते थे। वो पूछते थे: क्या राजीव ऐसी चुदाई करता है?
मम्मी: आऽऽह पहले मस्त करते थे पर जब से बीमार हुए हैं नहीं कर पाते । आऽऽऽऽह तभी तो आपसे चुदवा रही हूँ।
रहमान अंकल तो उनकी चूचियाँ ऐसे दबाते थे जैसे पूरा दूध ही निकाल लेंगे। उफफफफ पापा ऐसे तो मैं मालिनी की दबा ही नहीं सकता। ये तो दर्द के मारे चीख़ उठेगी ।
राजीव: उफ़्ग्फ़्फ़्फ़ मालिनी क्या चूस रही हो। ह्म्म्म्म्म।
शिवा: वैसे पापा अंकल और मम्मी का ये खेल १ साल से भी ज़्यादा चला।
राजीव: आऽऽऽऽह मुझे याद है तेरी मम्मी ने मेरी बीमारी के दौरान तीन गर्भपात भी करवाए थे। मैंने पूछा कि क्यों करवा रही हो। हो जाने दो और बच्चे । तो वो नहीं मानी थी। अब समझ में आया कि वो मेरे बच्चे थे ही नहीं। इसीलिए वो उनको गिरा दी होगी।
शिवा: हाँ शायद यही कारण होगा। कोई भी मम्मी को कण्डोम के साथ नहीं चोदता था। इसीलिए बेचारी बार बार गर्भ से हो जाती होगी। वैसे रहमान अंकल के साथ भी बहुत दिन चला। वह दोनों बहुत देर तक ओरल सेक्स करते थे फिर ज़बरदस्त चुदाई होती थी , जिसके हर क्षण का मम्मी मज़ा लेती थीं ।
राजीव: उफफफ मुझे शक तो था पर कभी सबूत नहीं मिला। आऽऽऽहहहब बहु अब बस करो नहीं तो मुँह में ही झड़ जाऊँगा।
मालिनी मुँह उठाकर: तो झड़ जायीये ना। मुझे भी बहुत इच्छा हो रही है आपके रस को पीने की। यह बोलकर वो और ज़ोर से चूसने लगी। अब राजीव आऽऽऽऽह और ह्म्म्म्म्म्म्म मेरी जाआऽऽऽऽऽऽऽन लोओओओओओओओ पीयोओओओओओओओओ मेराआऽऽऽऽऽऽऽऽ रस । कहकर उसके मुँह में अपना रस छोड़ने लगा और मालिनी पूरी ताक़त से चूसती हुई एक एक बूँद रस पीती चली गयी।
अब मालिनी ने उसके लंड को चाटा और फिर तौलिए से साफ़ किया। और अब शिवा के खड़े लंड का सहलाते हुए बोली: शिवा आपकी क्या सेवा करूँ ?
शिवा: मैं पूरी बात ख़त्म करता हूँ फिर चुदाई करेंगे । तब तक चूस दो प्लीज़।