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राजीव उसके कंधे और गले को चूमने लगा और उसका हाथ उसकी गदराई हुई बाहों से होता हुआ उसके पेट और नाभि पर आ गए थे। सरला ने अपना मुँह घुमाया और राजीव उसके होंठ चूसने लगा। अब वो अपनी जीभ उसके मुँह में डाला और सरला उसकी जीभ ऐसे चूसने लगी मानो उसका लंड चूस रही हो।
( शिवा कार चलाते हुए पूछा: मालिनी क्या चल रहा है ।
मालिनी मोबाइल देखते हुए बोली: उफफफ मम्मी आकर पापा के खड़े लंड पर बैठ गयी हैं । और अब वो उनकी जीभ चूस रही हैं । आऽऽऽऽह मम्मी भी बहुत गरम चीज़ हैं । मालिनी अपनी सलवार के ऊपर से बुर खुजाकर बोली।
उसकी निगाह शिवा के पैंट के उभार पर थी । शिवा ने उसे दबाकर कहा: मम्मी मस्त चुदवाती हैं । उस रात को बहुत मज़ा दिया था उन्होंने। )
अब राजीव ने उसके पेटिकोट का नाड़ा खोला और उसके अंदर हाथ डालकर उसकी जाँघ सहलाने लगा और फिर उसका हाथ उसकी बुर के ऊपर घूमने लगा। सरला आऽऽऽह कर उठी। फिर उसका हाथ ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर आ गया और वो बोला: रानी ये तो और बड़े हो गए हैं।
सरला: आपका वहम है । मैं अभी भी ब्रा उसी साइज़ की पहनती हूँ। अब राजीव ने पीछे से उसका हुक खोला और सरला ने बाँह उठाकर अपनी ब्रा निकालने में मदद की। राजीव उसकी उठी बाँह में से उसकी चिकनी बग़ल देखा और वहाँ नाक ले जाकर सूँघने लगा। वो वहाँ जीभ से चाटने भी लगा। वो बोला: उफफफ रानी क्या मस्त गंध है तुम्हारी बग़लों की। अब वो उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाने लगा। सरला आऽऽऽऽह करने लगी। अब वो उसके निप्पल भी ऐंठने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी। सरला अपनी गाँड़ हिलाकर उसके पूरे खड़े लंड को महसूस करने लगी। अब राजीव बोला: रानी खड़ी होकर पेटिकोट निकाल दो ना। सरला खड़ी हुई और पेटिकोट को निकालकर अलग कर दी। अब उसके विशाल नितम्ब राजीव के सामने थे । वो उनको दबाने लगा और उन पर चुंबनों की वर्षा करने लगा। वो उसके मांसल चूतरों को दाँतों से हल्के से काटने भी लगा। सरला हाऽऽऽऽऽऽय्य कर उठी। अब वो उसको पलटा और उसकी बुर उसके सामने आ गयी थी। वो उसकी एक टाँग को अपने कंधे पर रखा और उसकी खुली बुर को सूँघा और फिर ह्म्म्म्म्म कहकर चूमने लगा। अब उसकी जीभ उसकी बुर में मज़े से अंदर बाहर हो रही थी। उसके हाथ उसके गोल गोल चूतरों पर थे । वो एक टाँग पर खड़ी थी और उसके हाथ राजीव के सिर पर थे और वो अपनी गाँड़ हिलाकर अपनी बुर उसके मुँह पर दबा कर उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ चिल्ला रही थी।
( शिवा की कार सिगनल पर रुकी तो मालिनी अपनी बुर खुजाते हुए बोली: उफफफ देखो क्या नज़ारा है। मम्मी कैसी अपनी एक टाँग उठाके पापा से मज़ा लेकर बुर चूसवा रही हैं।
शिवा भी मोबाइल देखा और बोला: आऽऽऽह क्या मज़ा ले रहें है दोनों ? वो अपना लण्ड दबाकर मस्ती से भरने लगा ।
मालिनी: हम जब पहुँचेंगे तो दोनों चुदाई चालू कर चुके होंगे ना?
शिवा: हाँ हमको चुदाई के दौरान ही पहुँचना है। यही तय हुआ है पापा के साथ। वो आँख मार कर बोला।
मालिनी थोड़ी से परेशान होकर: पता नहीं मम्मी के सामने कैसे मैं इतना खुल पाऊँगी? आख़िर में मेरी मम्मी है वो।
शिवा: अरे मैं भी तो अपने पापा के सामने पूरा खुल चुका हूँ।)
उधर सरला उइइइइइइइ कहकर अपनी बुर रगड़े जा रही थी राजीव के मुँह पर। वो बोली: आऽऽऽऽह अब चोदिए ना वरना मैं झड़ जाऊँगी।
राजीव उठा और उसके पेटिकोट और ब्रा को भी आलमारी में रख कर बिस्तर पर वापस आया। वह अपनी चड्डी भी उतार दिया।
राजीव ने अपना गीला मुँह पोंछते हुए कहा: आओ मेरे ऊपर आ जाओ। पर थोड़ा लौड़ा भी तो चूस दो मेरी जान।
सरला हँसी और नीचे बैठी और उसके लौड़े को प्यार से चाटी और फिर चूसने लगी। वो बोली: आऽऽऽह क्या मस्त लौड़ा है आपका। म्म्म्म्म्म्म्म । वो अब डीप थ्रोट देने लगी। अब राजीव की आऽऽऽऽऽऽह करने की बारी थी। वो उसके सिर को अपने लौड़े पर दबाए जा रहा था। थोड़ी देर बाद वो बोला: आओ मेरी जान अब चढ़ो मेरे लंड पर।
अब सरला उठी और एक एक पैर दोनों तरफ़ करके उसके लौड़े को पकड़कर अपनी बुर के मुँह में लगायी और नीचे होती हुई पूरा लंड अंदर करने लगी। उसकी सिसकारियाँ निकली जा रहीं थीं। उम्म्म्म्म्म्म्म कहकर वो पूरा लौड़ा निगल ली। अब वो अपनी कमर हिलाकर उसकी लम्बाई और मोटाई को अपने अंदर महसूस की और हाऽऽऽऽऽऽययय कहकर अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई करने लगी। राजीव उसकी चूचियों को दबाकर मज़े से एक एक करके चूसने लगा। सरला आऽऽऽहहह उफ़्फ़्फ़्फ़् कहकर उछली जा रही थी। अब राजीव ने उसे अपने ऊपर करके अपने से पूरा चिपका लिया और पास रखे मोबाइल से शिवा को मिस्ड कॉल दी। अब राजीव के हाथ उसके पीठ और गाँड़ पर घूम रहे थे और सरला अब उसके होंठ चूस रही थी। चुदाई पूरे शबाब पर थी। और राजीव फिर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो उठकर बैठी और अब पूरी ताक़त से अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में लग गयी। वो चिल्ला रही थी: उन्न्न्न्न्न्न आऽऽऽऽऽह उफफफ । राजीव भी ह्न्म्म्म किए जा रहा था। कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ भी गूँज रही थी।
उधर अब शिवा और मालिनी घर के सामने ही थे जब उसे पापा की मिस्ड कॉल आयी। वो दोनों अंदर आए मालिनी की चाबी से । अब मालिनी के पैर काँपने लगे। उफफफ मैं ऐसी हालत में मम्मी के सामने कैसे जाऊँगी वो सोची। पर शिवा उसको पीछे से धक्का देकर आगे बढ़ाए जा रहा था। अब वो दोनों पापा के बेडरूम के सामने थे और अंदर से मम्मी की सिसकारियाँ सुनाई दे रही थीं। साथ ही पलंग की चूँ चूँ और फ़च फ़च की आवाज़ बता रही थी कि चुदाई ज़ोरों पर है।
तभी शिवा ने दरवाज़ा खोला और उनके सामने मम्मी पूरी नंगी होकर पूरे नंगे पापा के ऊपर बैठी हुई पूरी ताक़त से चुदाई में मस्त थीं। राजीव ने शिवा को देखा और हैरानी का नाटक किया और बोला: अरे तुम लोग यहाँ कैसे?
राजीव के लौड़े पर बैठी सरला ने सिर घुमाया और पीछे मुड़कर देखी और हक्की बक्की रह गयी। जब उसको समझ में आया कि उसकी बेटी और दामाद अचानक कमरे में आ गए हैं तो वो हड़बड़ा कर नंगी उठी और कुछ चादर या कपड़ा खोजने लगी। पर राजीव की योजना के अनुसार वहाँ कुछ नहीं पाकर वो बिस्तर पर अपनी टाँगें जोड़कर बैठ गयी और अपनी विशाल चूचियों को अपने हाथ से छुपाने का असफल प्रयास करने लगी। उसकी आँखें अपनी बेटी और दामाद पर थी। राजीव अब उठकर बैठ गया और उसने अपना खड़ा और पूरा गीला लौड़ा छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया। उसका लौड़ा अधूरी चुदाई से ऊपर नीचे हो रहा था। सरला कभी उसके लौड़े को और कभी अपनी बेटी को देखती। उसने नोटिस किया कि मालिनी को राजीव के नगेपन से मानो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था। वो तो बस अपनी मम्मी को हैरानी से देखी जा रही थी।
राजीव: अरे तुम दोनों कैसे वापस आ गए?
शिवा: पापा वहाँ रिज़ॉर्ट में बहुत गड़बड़ हो गयी है कुछ पुलिस का लफड़ा हो गया है तो वहाँ से फ़ोन आया कि हम ना आएँ। तो हम घर वापस आ गए। पर मम्मी यहाँ क्या कर रहीं हैं। वह नंगी सरला की तरफ़ इशारा करके बोला।
राजीव: देखो बेटा तुम लोग नहीं रहोगे सोचकर मैंने सरला को यहाँ मज़ा करने के लिए बुला क्या था। मुझे क्या पता था कि तुम दोनों वापस आ जाओगे।
सरला के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। मालिनी भी शर्म से अपना चेहरा झुकाए हुए खड़ी थी।
सरला: चलो तुम दोनों बाहर जाओ। फिर वो राजीव से पूछी: मेरे कपड़े कहाँ हैं ?
राजीव: अरे जानू क्यों परेशान हो रही हो। अब जब इनको मालूम हो ही गया है तो क्या फ़र्क़ पड़ता है। क्यों शिवा क्या कहते हो?
शिवा मुस्कुराया और आकर सरला के पास आकर बैठा और बोला: मम्मी आपको मैं पहली बार तो नंगी नहीं देख रहा हूँ। हम तो पहले भी मज़े ले चुके हैं । और मालिनी को भी पता चल गया है ये सब ।
सरला बहुत हैरानी से मालिनी को देखी और वो अब भी चुपचाप शर्मिंदा सी खड़ी थी। अब शिवा ने सरला की बाँह सहलाकर कहा: मम्मी आप तो और सुंदर हो गयी हो। पापा आप समझाइए ना इनको कि हमारे आने से कोई परेशानी की बात नहीं है।
सरला: बेटा क्या बोले जा रहे हो। कुछ तो शर्म करो।
शिवा: मम्मी आप क्यों परेशान हो रही हो। आप पापा से चुदवा रही थीं और मुझसे भी चुदवा ही चुकीं हैं। तो अब शर्म किस बात की।
राजीव: अरे बेटा शायद इसे अपनी बेटी के सामने शर्म आ रही है। तो चलो वो परेशानी भी ख़त्म कर देते है। फिर वो मालिनी से बोला: बेटी आओ मेरी गोद में बैठो।
मालिनी ने देखा कि पापा का लंड अब भी खड़ा था और वो उसे बेशर्मी से अपने गोद में बैठने को बोल रहे थे। वो मम्मी के सामने बहुत अजीब सा अनुभव कर रही थी। वो शिवा की तरफ़ देखी तो वो उसको आँख मारकर पापा की गोद में बैठने का इशारा किया। मालिनी आगे बढ़ी और बिस्तर पर चढ़ी। राजीव ने उसकी चुन्नी निकाल दी और वो क़ुर्ती से अपनी क्लीवेज़ दिखाती राजीव के लौड़े पर बैठ गयी। सरला सन्न रह गयी। ये क्या हो रहा है? हे भगवान।
शिवा मुस्कुराता हुआ बोला: देखो मम्मी आपकी बेटी कितने प्यार से पापा के लंड पर बैठी है। क्यों जानू पापा का लंड मस्त लग रहा है ना तुम्हारी गाँड़ के नीचे?
सरला हैरानी से शिवा को देखी मानो पूछ रही हो कि ये क्या बोले जा रहे हो? उधर शिवा ने सरला की जाँघ सहलाना शुरू किया। सरला ने उसके हाथ को हटाने की कोशिश की पर शिवा फिर से अपना हाथ उसकी जाँघ पर रखा। अब सरला ने देखा कि राजीव मालिनी के क़ुर्ती के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वो बोला: देखो सरला कितनी बड़ी हो गयी हैं तुम्हारी बेटी की चूचियाँ । मालिनी का चेहरा शर्म से लाल हुआ जा रहा था ।
शिवा: पापा ये तो शर्माते ही जा रही है। इसका कोई इलाज करो ना।
राजीव : हाँ सही कहा। अच्छा बेटी चलो पापा का लंड चूसो। वो उसे गोद से उठाते हुए बोला।
सरला की जैसे साँस ही रुक गयी। हे भगवान इसका क्या मतलब है? याने कि मालिनी का ससुर उसको उसके पति की जानकारी में उसके साथ ये सब कर रहा है? उफफफफ ।
अब मालिनी राजीव के लंड को मूठ्ठी में भरकर सहलायी और फिर राजीव ने उसका सिर अपने लौड़े पर दबाया और मालिनी का मुँह अपने आप खुल गया और वो उसे चूसने लगी। सरला की आँखें मानो उसके सॉकट से बाहर ही आ रही थीं। उसकी बेटी उसके और अपने पति के सामने अपने ससुर का लंड चूस रही है।
अचानक सरला चौंकी क्योंकि शिवा ने उसका हाथ हटाके उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दी थी। राजीव भी अपना हाथ सरला की जाँघों के बीच डाल रहा था । वह फिर से मालिनी के सिर को देखी जो कि लौड़ा चूसते हुए ऊपर नीचे हो रहा था । सरला अब गरम होने लगी और उसकी जाँघ अलग हो गयी। राजीव का हाथ सरला की बुर में पहुँच गया और वो उसमें तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगा । सरला जैसे किसी मेजिक स्पेल में थी । उसकी आँख मालिनी पर ही थी और शिवा और उसका पापा उसकी चूचियाँ और बुर से खेल रहे थे।
अचानक मालिनी रुकी और सिर उठाई और मम्मी को देखी अब वो सन्न रह गयी थी। उफफफ मम्मी रँडी की तरह दो मर्दों से मज़ा ले रही थी। और वो दोनों बाप बेटा थे ।अब सरला की आऽऽऽऽऽऽऽह निकलने लगी थी। अब उसकी गाँड़ हिलने लगी थी राजीव कि उँगलयों के साथ साथ। शिवा भी उसकी निपल्ज़ को मसलते हुए उसको मज़े से भर गया था।
अब राजीव बोला: बेटी चलो अपने कपड़े उतारो । अब तुम्हारी चुदाई करते हैं। मैं तुमको चोदूंग़ा। और शिवा तुम्हारी मम्मी को चोदेगा।
सरला और मालिनी जैसे शर्म से भर गयीं। ये सब क्या हो रहा है?
( शिवा कार चलाते हुए पूछा: मालिनी क्या चल रहा है ।
मालिनी मोबाइल देखते हुए बोली: उफफफ मम्मी आकर पापा के खड़े लंड पर बैठ गयी हैं । और अब वो उनकी जीभ चूस रही हैं । आऽऽऽऽह मम्मी भी बहुत गरम चीज़ हैं । मालिनी अपनी सलवार के ऊपर से बुर खुजाकर बोली।
उसकी निगाह शिवा के पैंट के उभार पर थी । शिवा ने उसे दबाकर कहा: मम्मी मस्त चुदवाती हैं । उस रात को बहुत मज़ा दिया था उन्होंने। )
अब राजीव ने उसके पेटिकोट का नाड़ा खोला और उसके अंदर हाथ डालकर उसकी जाँघ सहलाने लगा और फिर उसका हाथ उसकी बुर के ऊपर घूमने लगा। सरला आऽऽऽह कर उठी। फिर उसका हाथ ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर आ गया और वो बोला: रानी ये तो और बड़े हो गए हैं।
सरला: आपका वहम है । मैं अभी भी ब्रा उसी साइज़ की पहनती हूँ। अब राजीव ने पीछे से उसका हुक खोला और सरला ने बाँह उठाकर अपनी ब्रा निकालने में मदद की। राजीव उसकी उठी बाँह में से उसकी चिकनी बग़ल देखा और वहाँ नाक ले जाकर सूँघने लगा। वो वहाँ जीभ से चाटने भी लगा। वो बोला: उफफफ रानी क्या मस्त गंध है तुम्हारी बग़लों की। अब वो उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाने लगा। सरला आऽऽऽऽह करने लगी। अब वो उसके निप्पल भी ऐंठने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगी। सरला अपनी गाँड़ हिलाकर उसके पूरे खड़े लंड को महसूस करने लगी। अब राजीव बोला: रानी खड़ी होकर पेटिकोट निकाल दो ना। सरला खड़ी हुई और पेटिकोट को निकालकर अलग कर दी। अब उसके विशाल नितम्ब राजीव के सामने थे । वो उनको दबाने लगा और उन पर चुंबनों की वर्षा करने लगा। वो उसके मांसल चूतरों को दाँतों से हल्के से काटने भी लगा। सरला हाऽऽऽऽऽऽय्य कर उठी। अब वो उसको पलटा और उसकी बुर उसके सामने आ गयी थी। वो उसकी एक टाँग को अपने कंधे पर रखा और उसकी खुली बुर को सूँघा और फिर ह्म्म्म्म्म कहकर चूमने लगा। अब उसकी जीभ उसकी बुर में मज़े से अंदर बाहर हो रही थी। उसके हाथ उसके गोल गोल चूतरों पर थे । वो एक टाँग पर खड़ी थी और उसके हाथ राजीव के सिर पर थे और वो अपनी गाँड़ हिलाकर अपनी बुर उसके मुँह पर दबा कर उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ चिल्ला रही थी।
( शिवा की कार सिगनल पर रुकी तो मालिनी अपनी बुर खुजाते हुए बोली: उफफफ देखो क्या नज़ारा है। मम्मी कैसी अपनी एक टाँग उठाके पापा से मज़ा लेकर बुर चूसवा रही हैं।
शिवा भी मोबाइल देखा और बोला: आऽऽऽह क्या मज़ा ले रहें है दोनों ? वो अपना लण्ड दबाकर मस्ती से भरने लगा ।
मालिनी: हम जब पहुँचेंगे तो दोनों चुदाई चालू कर चुके होंगे ना?
शिवा: हाँ हमको चुदाई के दौरान ही पहुँचना है। यही तय हुआ है पापा के साथ। वो आँख मार कर बोला।
मालिनी थोड़ी से परेशान होकर: पता नहीं मम्मी के सामने कैसे मैं इतना खुल पाऊँगी? आख़िर में मेरी मम्मी है वो।
शिवा: अरे मैं भी तो अपने पापा के सामने पूरा खुल चुका हूँ।)
उधर सरला उइइइइइइइ कहकर अपनी बुर रगड़े जा रही थी राजीव के मुँह पर। वो बोली: आऽऽऽऽह अब चोदिए ना वरना मैं झड़ जाऊँगी।
राजीव उठा और उसके पेटिकोट और ब्रा को भी आलमारी में रख कर बिस्तर पर वापस आया। वह अपनी चड्डी भी उतार दिया।
राजीव ने अपना गीला मुँह पोंछते हुए कहा: आओ मेरे ऊपर आ जाओ। पर थोड़ा लौड़ा भी तो चूस दो मेरी जान।
सरला हँसी और नीचे बैठी और उसके लौड़े को प्यार से चाटी और फिर चूसने लगी। वो बोली: आऽऽऽह क्या मस्त लौड़ा है आपका। म्म्म्म्म्म्म्म । वो अब डीप थ्रोट देने लगी। अब राजीव की आऽऽऽऽऽऽह करने की बारी थी। वो उसके सिर को अपने लौड़े पर दबाए जा रहा था। थोड़ी देर बाद वो बोला: आओ मेरी जान अब चढ़ो मेरे लंड पर।
अब सरला उठी और एक एक पैर दोनों तरफ़ करके उसके लौड़े को पकड़कर अपनी बुर के मुँह में लगायी और नीचे होती हुई पूरा लंड अंदर करने लगी। उसकी सिसकारियाँ निकली जा रहीं थीं। उम्म्म्म्म्म्म्म कहकर वो पूरा लौड़ा निगल ली। अब वो अपनी कमर हिलाकर उसकी लम्बाई और मोटाई को अपने अंदर महसूस की और हाऽऽऽऽऽऽययय कहकर अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई करने लगी। राजीव उसकी चूचियों को दबाकर मज़े से एक एक करके चूसने लगा। सरला आऽऽऽहहह उफ़्फ़्फ़्फ़् कहकर उछली जा रही थी। अब राजीव ने उसे अपने ऊपर करके अपने से पूरा चिपका लिया और पास रखे मोबाइल से शिवा को मिस्ड कॉल दी। अब राजीव के हाथ उसके पीठ और गाँड़ पर घूम रहे थे और सरला अब उसके होंठ चूस रही थी। चुदाई पूरे शबाब पर थी। और राजीव फिर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो उठकर बैठी और अब पूरी ताक़त से अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में लग गयी। वो चिल्ला रही थी: उन्न्न्न्न्न्न आऽऽऽऽऽह उफफफ । राजीव भी ह्न्म्म्म किए जा रहा था। कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ भी गूँज रही थी।
उधर अब शिवा और मालिनी घर के सामने ही थे जब उसे पापा की मिस्ड कॉल आयी। वो दोनों अंदर आए मालिनी की चाबी से । अब मालिनी के पैर काँपने लगे। उफफफ मैं ऐसी हालत में मम्मी के सामने कैसे जाऊँगी वो सोची। पर शिवा उसको पीछे से धक्का देकर आगे बढ़ाए जा रहा था। अब वो दोनों पापा के बेडरूम के सामने थे और अंदर से मम्मी की सिसकारियाँ सुनाई दे रही थीं। साथ ही पलंग की चूँ चूँ और फ़च फ़च की आवाज़ बता रही थी कि चुदाई ज़ोरों पर है।
तभी शिवा ने दरवाज़ा खोला और उनके सामने मम्मी पूरी नंगी होकर पूरे नंगे पापा के ऊपर बैठी हुई पूरी ताक़त से चुदाई में मस्त थीं। राजीव ने शिवा को देखा और हैरानी का नाटक किया और बोला: अरे तुम लोग यहाँ कैसे?
राजीव के लौड़े पर बैठी सरला ने सिर घुमाया और पीछे मुड़कर देखी और हक्की बक्की रह गयी। जब उसको समझ में आया कि उसकी बेटी और दामाद अचानक कमरे में आ गए हैं तो वो हड़बड़ा कर नंगी उठी और कुछ चादर या कपड़ा खोजने लगी। पर राजीव की योजना के अनुसार वहाँ कुछ नहीं पाकर वो बिस्तर पर अपनी टाँगें जोड़कर बैठ गयी और अपनी विशाल चूचियों को अपने हाथ से छुपाने का असफल प्रयास करने लगी। उसकी आँखें अपनी बेटी और दामाद पर थी। राजीव अब उठकर बैठ गया और उसने अपना खड़ा और पूरा गीला लौड़ा छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया। उसका लौड़ा अधूरी चुदाई से ऊपर नीचे हो रहा था। सरला कभी उसके लौड़े को और कभी अपनी बेटी को देखती। उसने नोटिस किया कि मालिनी को राजीव के नगेपन से मानो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था। वो तो बस अपनी मम्मी को हैरानी से देखी जा रही थी।
राजीव: अरे तुम दोनों कैसे वापस आ गए?
शिवा: पापा वहाँ रिज़ॉर्ट में बहुत गड़बड़ हो गयी है कुछ पुलिस का लफड़ा हो गया है तो वहाँ से फ़ोन आया कि हम ना आएँ। तो हम घर वापस आ गए। पर मम्मी यहाँ क्या कर रहीं हैं। वह नंगी सरला की तरफ़ इशारा करके बोला।
राजीव: देखो बेटा तुम लोग नहीं रहोगे सोचकर मैंने सरला को यहाँ मज़ा करने के लिए बुला क्या था। मुझे क्या पता था कि तुम दोनों वापस आ जाओगे।
सरला के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। मालिनी भी शर्म से अपना चेहरा झुकाए हुए खड़ी थी।
सरला: चलो तुम दोनों बाहर जाओ। फिर वो राजीव से पूछी: मेरे कपड़े कहाँ हैं ?
राजीव: अरे जानू क्यों परेशान हो रही हो। अब जब इनको मालूम हो ही गया है तो क्या फ़र्क़ पड़ता है। क्यों शिवा क्या कहते हो?
शिवा मुस्कुराया और आकर सरला के पास आकर बैठा और बोला: मम्मी आपको मैं पहली बार तो नंगी नहीं देख रहा हूँ। हम तो पहले भी मज़े ले चुके हैं । और मालिनी को भी पता चल गया है ये सब ।
सरला बहुत हैरानी से मालिनी को देखी और वो अब भी चुपचाप शर्मिंदा सी खड़ी थी। अब शिवा ने सरला की बाँह सहलाकर कहा: मम्मी आप तो और सुंदर हो गयी हो। पापा आप समझाइए ना इनको कि हमारे आने से कोई परेशानी की बात नहीं है।
सरला: बेटा क्या बोले जा रहे हो। कुछ तो शर्म करो।
शिवा: मम्मी आप क्यों परेशान हो रही हो। आप पापा से चुदवा रही थीं और मुझसे भी चुदवा ही चुकीं हैं। तो अब शर्म किस बात की।
राजीव: अरे बेटा शायद इसे अपनी बेटी के सामने शर्म आ रही है। तो चलो वो परेशानी भी ख़त्म कर देते है। फिर वो मालिनी से बोला: बेटी आओ मेरी गोद में बैठो।
मालिनी ने देखा कि पापा का लंड अब भी खड़ा था और वो उसे बेशर्मी से अपने गोद में बैठने को बोल रहे थे। वो मम्मी के सामने बहुत अजीब सा अनुभव कर रही थी। वो शिवा की तरफ़ देखी तो वो उसको आँख मारकर पापा की गोद में बैठने का इशारा किया। मालिनी आगे बढ़ी और बिस्तर पर चढ़ी। राजीव ने उसकी चुन्नी निकाल दी और वो क़ुर्ती से अपनी क्लीवेज़ दिखाती राजीव के लौड़े पर बैठ गयी। सरला सन्न रह गयी। ये क्या हो रहा है? हे भगवान।
शिवा मुस्कुराता हुआ बोला: देखो मम्मी आपकी बेटी कितने प्यार से पापा के लंड पर बैठी है। क्यों जानू पापा का लंड मस्त लग रहा है ना तुम्हारी गाँड़ के नीचे?
सरला हैरानी से शिवा को देखी मानो पूछ रही हो कि ये क्या बोले जा रहे हो? उधर शिवा ने सरला की जाँघ सहलाना शुरू किया। सरला ने उसके हाथ को हटाने की कोशिश की पर शिवा फिर से अपना हाथ उसकी जाँघ पर रखा। अब सरला ने देखा कि राजीव मालिनी के क़ुर्ती के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वो बोला: देखो सरला कितनी बड़ी हो गयी हैं तुम्हारी बेटी की चूचियाँ । मालिनी का चेहरा शर्म से लाल हुआ जा रहा था ।
शिवा: पापा ये तो शर्माते ही जा रही है। इसका कोई इलाज करो ना।
राजीव : हाँ सही कहा। अच्छा बेटी चलो पापा का लंड चूसो। वो उसे गोद से उठाते हुए बोला।
सरला की जैसे साँस ही रुक गयी। हे भगवान इसका क्या मतलब है? याने कि मालिनी का ससुर उसको उसके पति की जानकारी में उसके साथ ये सब कर रहा है? उफफफफ ।
अब मालिनी राजीव के लंड को मूठ्ठी में भरकर सहलायी और फिर राजीव ने उसका सिर अपने लौड़े पर दबाया और मालिनी का मुँह अपने आप खुल गया और वो उसे चूसने लगी। सरला की आँखें मानो उसके सॉकट से बाहर ही आ रही थीं। उसकी बेटी उसके और अपने पति के सामने अपने ससुर का लंड चूस रही है।
अचानक सरला चौंकी क्योंकि शिवा ने उसका हाथ हटाके उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दी थी। राजीव भी अपना हाथ सरला की जाँघों के बीच डाल रहा था । वह फिर से मालिनी के सिर को देखी जो कि लौड़ा चूसते हुए ऊपर नीचे हो रहा था । सरला अब गरम होने लगी और उसकी जाँघ अलग हो गयी। राजीव का हाथ सरला की बुर में पहुँच गया और वो उसमें तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगा । सरला जैसे किसी मेजिक स्पेल में थी । उसकी आँख मालिनी पर ही थी और शिवा और उसका पापा उसकी चूचियाँ और बुर से खेल रहे थे।
अचानक मालिनी रुकी और सिर उठाई और मम्मी को देखी अब वो सन्न रह गयी थी। उफफफ मम्मी रँडी की तरह दो मर्दों से मज़ा ले रही थी। और वो दोनों बाप बेटा थे ।अब सरला की आऽऽऽऽऽऽऽह निकलने लगी थी। अब उसकी गाँड़ हिलने लगी थी राजीव कि उँगलयों के साथ साथ। शिवा भी उसकी निपल्ज़ को मसलते हुए उसको मज़े से भर गया था।
अब राजीव बोला: बेटी चलो अपने कपड़े उतारो । अब तुम्हारी चुदाई करते हैं। मैं तुमको चोदूंग़ा। और शिवा तुम्हारी मम्मी को चोदेगा।
सरला और मालिनी जैसे शर्म से भर गयीं। ये सब क्या हो रहा है?