Incest ससुर कमीना और बहू नगीना (Completed)

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राजीव का लौड़ा अब पूरा कड़क हो चुका था और अपनी बेटी को अपने दोस्त के साथ मस्ती करते देख वह बहुत उत्तेजित हो रहा था। फिर जब वो दोनों वापस आए टेबल पर तो कर्नल के पैंट का टेंट साफ़ दिखाई दे रहा था। टेबल पर बैठ कर वो फिर से पीने लगे। इस बार कर्नल भी बेशर्म होकर अपने हाथ को उसकी नंगी जाँघों पर फेरने लगा। महक ने भी बेशर्मी से अपनी जाँघें फैला दी और अब उसकी उँगलियाँ उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से छूने लगी। कर्नल धीरे से महक के कान में बोला: बेटी, तुम्हारी पैंटी तो गीली हो रही है । सब ठीक है ना?

वो हँसकर बोली: अंकल सब आपका किया धरा है।

कर्नल ने अब हिम्मत की और उसका हाथ पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से अपने लौड़े पर रखा और बोला: देखो मेरा भी बुरा हाल है। ये तो तुम्हारा ही किया धरा है।

महक भी बेशर्मी से उसके लौड़े को सहलायी और उसकी लम्बाई और मोटाई का अहसास करके बोली: आऽऽह आपका तो बहुत बड़ा है अंकल।

कर्नल: क्यों तुम्हारे पति का छोटा है क्या?

महक: उनका सामान्य साइज़ का है, पर आपका तो बहुत बड़ा है।

ये कहते हुए वह उसका लौड़ा सहलाए जा रही थी। तभी महक का फ़ोन बजा। उसके पति का फ़ोन था। महक: हाय कैसे हो?

वो: ठीक हूँ, तुम्हारी याद आ रही है, अब तो शादी भी हो गयी , अब वापस आ जाओ ना।

महक नशे में थी और उसके आँखों के सामने उसका सामान्य लौड़ा आ गया। अभी भी उसका एक हाथ कर्नल के लौड़े पर था। ओह भगवान मैं क्या करूँ? एक तरफ़ इतना मस्त लौड़ा है और दूसरी तरफ़ पति का सामान्य सा लौड़ा। वो सोचने लगी कि अंकल की चुदाई भी मस्त होगी। उसकी बुर अब पूरी तरह से पनिया गयी थी। वो बोली: बस अभी पापा अकेले हैं, जैसे ही शिवा और मालिनी होनिमून से वापस आएँगे मैं भी आ जाऊँगी।

राजीव का लंड अभी अमिता के हाथ में था और वह यह सुनकर बुरी तरह से मचल गया कि अभी महक बहुत दिन यहाँ रहेगी। वो मस्ती से अपनी उँगलियाँ अमिता की बुर में भी डाला और हिलाने लगा। तभी महक ने मोबाइल बंद किया और टेबल पर रखने लगी तभी वह नीचे गिर गया। वह उठाने के लिए झुकी और उसकी आँखों के सामने उसके पापा की उँगलियाँ अमिता की बुर में हिल रही थीं और उधर अमिता के हाथ उसके पापा के लौड़े पर चल रहे थे। वह ये देखकर बहुत उत्तेजित हो गयी।
फिर मोबाइल उठाकर वह और ज़ोर से उसका लौड़ा दबाने लगी। उधर कर्नल भी उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। फिर कर्नल ने जो अंधेरे में बैठा था अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था। अब अमिता उसके नंगे लौंडे को मसल कर मस्ती से भर उठी थी। उफफफ कितना मोटा कड़ा और गरम लौड़ा है। वो सोची और मज़े से भर उठी।

अब सभी बहुत उत्तेजित हो चुके थे। तभी कर्नल ने एक एस॰एम॰एस॰ लिखा और राजीव को भेजा। राजीव ने एस॰एम॰एस॰ पढ़ा। उसमें लिखा था नीचे झुक कर अपनी बेटी की हरकत देखो।
राजीव ने अपना रुमाल गिराया और उठाने के बहाने नीचे झुका और देखा कि महक की बुर में कर्नल की उँगलियाँ चल रही है और वह कर्नल का लौड़ा मसल रही है, जिसे कर्नल ने पैंट से बाहर निकाल रखा था। राजीव तो जैसे पागल ही हो गया था अपनी बेटी की इस हरकत से।

राजीव: चलो सबका खाना हो गया क्या ? अब घर चलें? दस बज गए हैं।
फिर उसने बिल पटाया और वो चारों अपने कपड़े ठीक करके बाहर आ गए। कार में अमिता राजीव के साथ बैठी और पीछे कर्नल और महक बैठीं। कार के चलते ही कर्नल ने महक का टॉप उठाकर उसकी ब्रा से उसकी एक चूचि बाहर निकाल ली और उसको पहले दबाया और फिर मुँह में लेकर चूसने लगा।

राजीव ने चूसने की आवाज़ सुनी तो पीछे रीयर व्यू मिरर में देखा और महक के बड़े दूध कर्नल के मुँह में देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गया। उसने हाथ बढ़ाकर अमिता के दूध दबाने शुरू किए। पर कोई रीऐक्शन ना देखकर वह उसे देखा तो पाया कि वह लुढ़क गयी है।

राजीव: अरे अमिता तो सो गयी।

कर्नल: अरे वह दारू नहीं पचा पाती । अब वो सुबह तक बेहोश रहेगी। अब हमारे पास बस एक यही महक बची है मज़े लेने के लिए।

राजीव ने शीशे में देखा और पाया कि अब कर्नल का लौड़ा फिर से पैंट से बाहर था और महक अब उसे चूस रही थी। राजीव को लगा कि उसकी पैंट फट जाएगी , उसका लौड़ा इतना कड़क हो चुका था।

घर पहुँचने के पहले कर्नल और महक ने अपने कपड़े ठीक कर लिए थे। अब कर्नल ने अमिता को गोद में उठाया और लेज़ाकर उसको महक के बिस्तर पर सुला दिया। फिर वह बाहर आया और ड्रॉइंग रूम में सोफ़े पर बैठा और महक भी अपना पर्स वगेरह रख कर बाथरूम से वापस आकर सोफ़े में बैठी। तभी राजीव भी आया और सोफ़े पर बैठ गया। एक अजीब सी ख़ामोशी थी कमरे में।

कर्नल ने ख़ामोशी तोड़ी और बोला: यार साली अमिता तो टुन्न हो गयी अब महक का हो सहारा है । क्या बोलते हो?

राजीव : महक ने ही फ़ैसला करना है कि वह क्या चाहती है?

महक: अंकल आप इतनी देर से मुझे तंग कर रहे हो और अब क्या ऐसी ही प्यासी छोड़ दोगे?

कर्नल: बेटी, मैं तेरे पापा की बात कर रहा हूँ। क्या तुम उससे भी चुदवाओगी?

महक: पापा तो मरे जा रहे हैं मुझे चोदने को, मुझे सब पता है। मैंने आजतक अपने पति के अलावा किसी से भी किया नहीं है। पर आज बड़ा मन है आप दोनों से करवाने का। कहते हुए वह मुस्कुराते हुए एक ज़बरदस्त अंगड़ाई ली। उसके बड़े कबूतर टॉप में फड़फड़ा उठे।

कर्नल हँसते हुए बोला: वाह बेटी तुमने तो समस्या ही हल कर दी। और वह उठकर उसके पास आया और उसको अपनी गोद में खींचकर उसके होंठ चूसने लगा। फिर वह राजीव को बोला: आजा यार अब तेरी बेटी का मज़ा लेते हैं। ये कहते हुए उसने महक का टॉप उतार दिया और ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। तभी उसने अगला ऐक्शन किया और ब्रा भी निकाल दी। अब उसकी बड़ी चूचियाँ दोनों के सामने थीं। वह एक चूचि चूसते हुए बोला: आजा यार अब चूस अपनी बेटी की चूचि , देख क्या मस्त मलाई है । अब राजीव नहीं रुक पाया और आकर महक के बग़ल में बैठा और हाथ बढ़ाकर उसकी चूचि सहलाया और फिर वह भी एक चूचि चूसने लगा। महक ने नीचे देखा कि कैसे उसके पापा और अंकल उसकी एक एक चूचि चूस रहे थे। वह दोनों के सिर में हाथ फेरने लगी।

दोनों मर्द अब उसकी निपल को अपने होंठों में लेकर हल्के से दाँत से काट भी रहे थे। महक मज़े से आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह करने लगी। उधर दोनों के हाथ उसके पेट से होकर उसकी जाँघ पर घूम रहे थे। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करने लगी। दोनों की उँगलियाँ उसकी बुर के आसपास घूम रही थीं। वह अब अपनी गीली बुर की असहनीय खुजली को महसूस कर रही थी। तभी राजीव नीचे आकर उसकी स्कर्ट उतार दिया और अब पैंटी का गीलापन देखकर दोनों मर्द मुस्कुरा उठे। फिर राजीव ने उसकी पैंटी भी उतार दी । अब उसकी जाँघों को अलग करके उसकी बुर को देखा और मस्ती से उसको चूमने लगा। फिर वह उसे जीभ से चाटने लगे। फिर उसने उसकी कमर को और ऊपर उठाया और अब उसकी सिकुड़ी हुई गाँड़ भी उसके सामने थी । वह उसे भी चूमा और फिर से जीभ से चाटने लगा। महक पागल सी हो गयी थी। कर्नल उसकी चूचियों पर हमला किए था और पापा उसकी बुर और गाँड़ पर। वह उइइइइइइइइइ हाऽऽऽयय्य चिल्ला रही थी।

अब कर्नल खड़े हुआ और पूरा नंगा हो गया। उसका लौड़ा बहुत कड़ा होकर ऊपर नीचे हो रहा था। वह लौड़ा महक के मुख के पास लाया और महक ने बिना देर किए उसे चूसना शुरू कर दिया। तभी राजीव भी खड़ा हुआ और नंगा होकर अपना लौड़ा महक के मुँह के पास लाया। वह अब उसका भी लौड़ा चूसने लगी। अब वह बारी बारी से दोनों का लौड़ा चूस रही थी।

कर्नल: चलो बेटी, बिस्तर पर चलो और डबल चुदाई का मज़ा लो। अमिता तो कई बार इसका मज़ा ले चुकी है।

अब तीनो नंगे ही बिस्तर पर आकर लेटे। महक पीठ के बल लेटीं थी और दोनों मर्द उसकी चूचि पी रहे थे। उनके हाथ उसकी बुर और जाँघ पर थे। उधर महक ने भी उनका लौड़ा एक एक हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया था। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मोटे और बड़े लौड़े थे। वह सोची कि आज की चुदाई उसे हमेशा याद रहेगी।

अब राजीव बोला: बेटी, पिल्ज़ ले रही हो ना? कहीं प्रेग्नन्सी ना हो जाए।

महक: पापा आज आपको एक बात बतानी है। हमने चार साल फ़ैमिली प्लानिंग की थी। पर पिछल दो साल से हम बच्चे की कोशिश कर रहे हैं, पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है। मैंने अपना चेकअप करवाया है, सब ठीक है। आपका दामाद अपनी जाँच के लिए तय्यार नहीं है।

राजीव: ओह तुमने यह तो कभी बताया नहीं बेटी। उसकी बुर सहलाते हुए वह बोला।

अब कर्नल और राजीव अग़ल बग़ल लेट गए और वह उठकर दोनों के लौड़े चूसने लगी। फिर वह उनके बॉल्ज़ को सहलाते हुए और चाटते हुए बोली: आपके इतने बड़े बड़े बॉल्ज़ में बहुत रस होगा । आप दोनों आज ही मुझे प्रेगनेंट कर दोगे , वैसे भी मेरा अन्सेफ़ पिरीयड चल रहा है।

राजीव: आऽऽह बेटी, ज़रूर आज तुम प्रेगनेंट हो ही जाओगी। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या चूसती हो ह्म्म्म्म्म्म्म।

कर्नल उठा और नीचे जाकर उसकी बुर और गाँड़ चाटा और बोला: यार तू क्या चोदेगा? बुर या गाँड़?

राजीव: पहले बुर फिर गाँड़।

कर्नल: तो फिर चल तू लेट जा और महक तुम उसके ऊपर आकर लौड़े को अपनी बुर में ले लो। मैं पीछे से गाँड़ मारूँगा। यह कह कर वह ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठाकर लाया और अपने लौड़े पर मलने लगा।

राजीव के लौड़े पर अपना बुर रखकर महक बैठी और उसका लौड़ा अपनी बुर में धीरे धीरे अंदर करने लगी। अब वो आऽऽऽऽहहह कहती हुई पूरा लौड़ा अंदर कर ली। अब राजीव उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ दबाने लगा।कर्नल ने उसकी गाँड़ में क्रीम लगाकर अपना लौड़ा वहाँ सेट किया और धीरे से पेलने लगा। महक चिल्लाई: आऽऽऽहहहह दुःख रहा है, अंकल आपका बहुत मोटा है।

कर्नल: बस बेटी बस, देखो पूरा चला गया तुम्हारी टाइट गाँड़ में। आऽऽहाह मज़ा आ गया। फिर वह धक्के मारने लगा। राजीव भी नीचे से कमर उठाकर उसकी बुर फाड़ने लगा । महक इस डबल चुदाई से अब मस्त होने लगी। उसके निपल भी मसलकर लाल कर दिए थे दोनों ने।

अब महक भी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽऽहहह और चोओओओओओओदो आऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ चिल्लाने लगी।

दोनों मर्द अब मज़े से चोदने में लग गए। पलंग ज़ोर ज़ोर से हिले जा रहा था और फ़चफ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ भी गूँज रही थी।

अचानक महक बोली: अंकल आप अपना रस मेरी गाँड़ में नहीं मेरी बुर में ही छोड़ना, मैं आज ही गर्भवती होना चाहती हूँ। आऽऽऽह। हाऽऽऽऽऽय्य।

कर्नल: ठीक है बेटी, जैसा तुम कहो। और वो और ज़ोर से गाँड़ मारने लगा।

अब राजीव चिल्लाया: आऽऽऽऽऽऽह बेटी मैं गया। और वो झड़ने लगा। महक भी पाऽऽऽऽऽपा मैं भी गईइइइइइइइइ। कहकर झड़ गयी। कर्नल ने अपना लौड़ा बाहर निकाला और चादर से पोंछा और महक के राजीव के ऊपर से हटने का इंतज़ार करने लगा। जब महक उठकर लेटी तो वह उसकी टाँगें उठाकर उसकी बुर में अपना लौड़ा डाल दिया। उसकी बुर राजीव के वीर्य से भरी हुई थी। अब वह भी दस बारह धक्के लगाकर झड़ने लगा। उसका वीर्य भी महक की बुर में सामने लगा।

महक आऽऽहहहह करके लेटी रही और बोली: आऽऽऽहब आप दोनों का कितना रस मेरे अंदर भर गया है। आज तो मैं ज़रूर से प्रेगनेंट हो ही जाऊँगी।

फिर सब फ़्रेश होकर लेट कर चूमा चाटी करने लगे। क़रीब एक घंटे के बाद फिर से चुदाई शुरू हुई, बस इतना फ़र्क़ था कि उसकी गाँड़ में इस बार पापा का और बुर में अंकल का लौड़ा था। लेकिन उनका वीर्य इस बार भी उसकी बुर को ही मिला।

बाद में सब नंगे ही लिपट

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राजीव: बेटा तुमने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी ।



मालिनी अब भी उसके बॉल्ज़ से खेल रही थी। वो बोली: पापा मुझे भी बहुत मज़ा आया। फिर वो लौड़े को सहलाकर बोली: पापा अभी तो एक राउंड और होगा तभी आपको खाना मिलेगा।



राजीव हँसकर: क्यों नहीं बेटा। अब इसे चूसकर खड़ा करो और दूसरे राउंड का मज़ा लो।



मालिनी उठकर उसके लौड़े को मुँह में लेकर प्यार से चूसने लगी और पूछी: पापा आपको याद है मेरी सास कैसा चूसती थीं ?



राजीव: हाँ बेटा वो कैसे भूल सकता हूँ। वो और तुम अच्छा चूसती हो पर सबसे ज़्यादा मज़ा तुम्हारी मम्मी देती है, उफफफ क्या डीप थ्रोट देती है।



मालिनी: पापा आप मुझे भी सिखाना कि कैसे डीप थ्रोट देते है। वैसे पापा आपका खड़ा तो मैंने भी कर दिया चूसकर।



राजीव: हाँ बेटा अब चढ़ जाओ इस पर और मस्ती से इसका मज़ा लो।



मालिनी हँसकर : तो पापा मेहनत के मूड में नहीं है। चलो मैं ही मेहनत कर लेती हूँ। यह कहकर वो उसके लौड़े पर अपनी बुर रखकर नीचे को दबाई और लौड़ा उसकी बुर की गहराइयों में घुसता चला गया। अब वो आगे को झुक कर राजीव के होंठ पर अपने होंठ रखी और राजीव उनको चूसने लगा। अब वो राजीव की गरदन चूमते हुए नीचे आयी और उसकी निपल्ज़ चूसने लगी। राजीव आऽऽहाह करके मस्ती से भर गया। वह अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में लग गयी थी।



उधर राजीव के हाथ उसकी गाँड़ की गोलाइयों पर फिर रहे थे। अचानक वो एक ऊँगली उसकी गाँड़ में घुसेड़कर उसे अंदर बाहर करने लगा। अब मालिनी उसकी छाती से मुँह ऊपर की और बोली: पापा जलन हो रही है कम से कम थूक ही लगा लो।



राजीव ऊँगली निकाला और उसे नाक के पास लाकर सूंघकर बोला: आऽऽऽऽऽह बेटा क्या मस्त गन्ध है तुम्हारी गाँड़ की।



मालिनी उसकी ऊँगली को चादर के कोने से पोंछी और बोली: छी पापा आप भी ना । बहुत गंदे हो। फिर वह उसके दोनों हाथों को अपनी चूचियों पर रखकर बोली: इनको दबाइए। क्या ग़लत सलत जगह ऊँगली डालते रहते हैं ।



राजीव उसकी चूचियों को दबाकर चूसने लगा और निपल्ज़ भी ऐंठने लगा। अब मालिनी मस्ती से अपनी गाँड़ उछालकर ज़बरदस्त चुदाई में लग गयी। वो चिल्लाई: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पाआऽऽऽऽऽऽपा क्या मज़ाआऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्य्य कितनाआऽऽऽऽऽऽ अच्छा लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है।


वह अपनी गाँड़ नीचे दबाकर पूरा लौड़ा निगलकर अपनी जवानी को पूरा मज़ा दे रही थी। अब राजीव ने एक ऊँगली उसके मुँह में डाली जिसे वो चूसने लगी। अब राजीव ने वो ऊँगली फिर से उसकी गाँड़ में डाल दी। अब मालिनी आह्ह्ह्ह्ह करके बोली: उफ़्फ़्फ़ । वह और ज़ोर से गाँड़ उठाके उसकी जाँघ पर अपने चूतर दबाने लगी। राजीव भी अब मस्ती से नीचे से लौड़ा उछालकर उसे चोद रहा था।



अब मालिनी बोली: आऽऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा अब अअअअअओ ऊपर आअअअअअअअओ और चोओओओओओदो।



राजीव उसे पकड़े हुए ही पलटा और ऊपर आकर उसके ऊपर चढ़ कर उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा।मालिनी ने नोटिस किया कि राजीव की चुदाई का तरीक़ा शिवा से अलग था। जहाँ शिवा सीधे सीधे ज़ोरदार मर्दाने धक्के मार कर उसे मस्ती से भर देता है वहाँ पापा उसकी बुर में लौड़े को एक विशेष ऐंगल से डालते हैं और ऊपर की ओर करके उसे बुर में धिसते हैं। इस तरह की घिसाई से उसकी क्लिट को भी लौड़ा रगड़ता था और वो बहुत ज़्यादा गरम हो गयी थी। अब वो आऽऽऽहहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽपा क्या चोओओओओओओओओद रहे हो हाऽऽऽऽऽय्य मैं गयीइइइइइइइ। कहते हुए वो झड़ने लगी। अब राजीव भी अपना लौड़ा दबाकर झड़ने लगा।


अब वो फिर से लस्त होकर आराम से नंगे पड़े हुए थे और एक दूसरे को अभी भी चूम रहे थे।



राजीव: चलो बाथरूम चलो।



मालिनी: मुझसे चला नहीं जाएगा। उफफफ बहुत थक गयी हूँ।



राजीव ने हँसकर उसे गोद में उठाया और बाथरूम में लेज़ाकर उसको टोयलेट की सीट पर बिठा दिया। अब वो मूतने लगी और राजीव के कानों में उसकी सीटी सी आवाज़ आने लगी। फिर वो हैंड शॉवर उठाने लगी साफ़ करने के लिए। तो राजीव ने उसे रोका और उठाकर बग़ल में खड़ा कर दिया। अब वो अपना लण्ड सहला कर मूतने लगा। मालिनी ध्यान से उसके लौड़े में से निकल रही मोटी धार को देख रही थी। फिर पेशाब करके उसने अपना लण्ड हिलाया और आख़री बूँद भी निकाली और फ़्लश चलाया।



अब वो एक स्टूल लेकर नीचे बैठा और हैंड शॉवर लेकर मालिनी के पेट से लेकर उसकी बुर और जाँघों पर पानी डाला। अब वो साबुन से उसके बदन के निचले हिस्से को साफ़ किया। वहाँ उसका और मालिनी का काम रस चिपका हुआ था। उसकी जाँघों और बुर को अच्छी तरह से साफ़ करके पानी से धोया। अब वो उसको घुमाया और उसके बड़े मस्त चूतरों पर भी पानी डाला और चूतरों को फैलाके उसकी दरार में भी पानी डाला और सब जगह साबुन लगाया। उसकी गाँड़ के छेद को भी उसने बड़े ध्यान से साफ़ किया ।फिर तौलिए से सब जगह को सुखाया। अब वो चूतरों को फैलाकर उसकी गाँड़ के छेद में जीभ फेरकर बोला: बेटा ये तो अभी तक कुँवारी है ना?



मालिनी: आऽऽऽह हाँ पापा ।



राजीव उसकी बुर को सहलाकर बोला: बेटा, इसकी शिवा ने सील तोड़ी है और इसकी मैं तोड़ूँगा। ठीक है ना, एक एक छेद एक एक पति को देना तोड़ने के लिए।



मालिनी हँसकर: हाऽऽऽऽऽय पापा आप भी ना। आऽऽऽऽह अच्छा आप इसकी सील तोड़ लेना। वैसे सासु माँ की दोनों सील आपने ही तोड़ी था ना?



राजीव: पता नहीं बेटा। गाँड़ की तो मैंने ही तोड़ी थी पर बुर का पक्का नहीं कह सकता।



मालिनी: वो क्यों पापा?



राजीव: बेटा उसकी बुर से पहली चुदाई में ख़ून नहीं निकाला था। हालाँकि उसे दर्द तो बहुत हुआ था। अब मैं पक्का नहीं कह सकता कि वो कुँवारी थी या नहीं। वैसे बेटा गाँड़ मारने के लिए बहुत तय्यारी करनी पड़ेगी जैसे मैंने सविता यानी तुम्हारी सास की थी।



मालिनी: कैसी तैयारी पापा?



अब वो अपना बदन साफ़ करके बाहर आया और आलमारी से एक डिब्बा निकाल कर लाया। उसके अंदर नक़ली रबर के ५ लंड थे जो पतले से लेकर मोटे तक के साइज़ के थे।



वो: बेटा ये मैं यूरोप से लेकर आया था। पहले ये पतला वाला तुम्हारी गाँड़ में दो दिन डालूँगा और उसके बाद उससे मोटा और फिर और मोटा वाला। इस तरह ७/८ दिन में तुम ये सबसे मोटा वाला भी अंदर ले लोगी। तब मैं अपना लौड़ा अंदर डालूँगा। वैसे इसके लिए एक विशेष लूब चाहिए जिसे K Y Jelly कहते है । ये होमों सेक्शूअल लोग गाँड़ मारने के लिए काम में लाते है मै आज शाम को ये जेली लाउँगा और कल से तुम्हारी गाँड़ मारने की प्रैक्टिस चालू करूँगा। ठीक है?



मालिनी: ठीक है पापा। मुझे भी गाँड़ मरवाने की बहुत इच्छा है। मैंने आपको और ताऊजी को मम्मी की गाँड़ मारते हुए देखा था।



राजीव: वैसे मुझे सरला ने बताया था कि शिवा ने भी उसकी गाँड़ मारी है।



मालिनी के चेहरे पर जलन के भाव आए फिर वो बोली: मारी होगी। वो तो भी मेरी भी मारना चाहते हैं पर मेरे दर्द से डरते हैं। पर अब आप मेरी मार ही लेना।



राजीव उसकी चूची दबाकर: हाँ बेटा एक हफ़्ते में तुम्हारे गाँड़ के छेद को बड़ा करूँगा और फिर देखना बिना ज़्यादा दर्द के तुम मेरा लौड़ा अंदर ले लोगी।



अचानक मालिनी को ध्यान आया कि दोनों अब भी नंगे है। वो बोली: पापा अब मैं कपड़े पहन लेती हूँ। और खाना बनाती हूँ।



राजीव: अरे बेटा चलो तय्यार हो जाओ। आज हम लंच बाहर करेंगे। मालिनी ख़ुश होकर उससे लिपट कर बोली: थैंक यू पापा। सच में मेरी हिम्मत नहीं है अभी खाना बनाने की। मैं अभी तय्यार होकर आइ।



राजीव पीछे से आवाज़ लगाया: बेटा जींस टॉप पहनकर आना।



वो मुस्कुरा कर हाँ में सिर हिलाई। अब वो तय्यार हुई जैसे कि राजीव चाहता था। एक टॉप और चुस्त जींस में। उसने पैंटी पहन ली थी। जब वो लिप्स्टिक लगाकर बाहर आयी तो राजीव भी जींस और टी शर्ट में खड़ा उसका रास्ता देख रहा था। वो मस्ती से मालिनी को अपनी बाहों में भरा और बोला: उफफफफ क्या माल लग रही हो।



मालिनी: किस्स नहीं करिएगा वरना आपके होंठ पर लाल लिप्स्टिक लग जाएगी।



राजीव हँसने लगा। वो अब आगे चली और राजीव ने उसके दोनों चूतरों को पंजों में दबा कर कहा: आज तो तुम्हारी गाँड़ को देखकर कई लोग मूठ्ठ मारेंगे । उफफफफ क्या सेक्सी गाँड़ है बेटा। आह पैंटी पहनी हो ?सही कहा ना?



मालिनी ने हाँ में सर हिलाया और बोली: बाहर जाती हूँ तो पहन लेती हूँ।



अब वो भो पैंट के ऊपर से उसके लंड को दबाकर बोली: पापा आप इसको खड़ा मत कर लेना वरना सबको पता चल जाएगा कि आप अपनी बहु पर बुरी नज़र रखते हो। हा हा ।



इस तरह मज़े मस्ती करते दोनों रेस्तराँ के लिए कार से निकल पड़े। मालिनी और राजीव रेस्तराँ से खाना खा कर वापस आए तो तीन बज गए थे। मालिनी: पापा मैं थोड़ा सा सो जाऊँ?



राजीव: हाँ क्यों नहीं, आओ मेरे कमरे में ही सो जाना।



मालिनी: पापा आपके साथ सोऊँगी तो बस चुदवाते ही चली जाऊँगी। मुझे आराम करना है।



राजीव हँसकर : अच्छा चलो अपने कमरे में ही आराम कर लो। मैं भी अब आराम कर लेता हूँ।




उधर शिवा ठीक समय पर असलम के घर पहुँचा।असलम भी अभी अभी घर पहुँचा था। वो बनियान और लूँगी में था। तभी आयशा भी आकर उसे नमस्ते की वो एक सलवार क़ुर्ती में थी।



सब बैठे और असलम बोला: हाँ भाई बोल क्या समस्या है?



शिवा: वही जो फ़ोन पर बताया था ना कि मैं जानना चाहता हूँ कि मालिनी क्या पापा से लगवा रही है?



आयशा : भाई जान आप ये जान कर क्या करोगे?



शिवा बेवक़ूफ़ की तरह उसे देखता रह गया।



आयशा: क्या आप इसका विरोध करोगे? आपको पता है कि मालिनी को भी अब पता लग गया है कि आप अपनी सास को चोद चुके हो। तो किस मुँह से आप उसे रोकेंगे?
 
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अगले दिन सुबह मालिनी सबसे पहले उठी और सबके लिए चाय बनाई । अभी उसने एक नायटी डाल ली थी और उसके नीचे कुछ नहीं पहना था । जब वो दोनों बाप बेटा को जगाने आयी तो शिवा वहाँ नहीं था। उसने राजीव को उठाया और राजीव ने उठते हुए उसको अपने ऊपर खींच लिया और उसके गाल चूमने लगा।



मालिनी ने उसकी नंगी छाती को सहलाकर कहा: पापा आप अप्सेट हो क्या मम्मी के बारे में सुनकर?



राजीव उसकी चूचि दबाकर: नहीं बेटा , अब ठीक है। वो बेचारी तो रही नहीं, उससे क्या नाराज़ होना? और फिर वो समय ही ऐसा था कि बीमारी की वजह से मैं उसकी इच्छा पूरी नहीं कर पाता था। वैसे भी मेरे ठीक होने के बाद वो किसी से नहीं मिली। यही बहुत सही हुआ ना?



मालिनी ने पापा के आधे खड़े लौड़े को सहलाकर कहा: हाँ पापा ये तो है बाद में वो सम्भल गयी। चलिए अब उठिए चाय पी लीजिए।



राजीव उठकर मालिनी की गाँड़ सहलाया और बोला: शिवा कहाँ है?



तभी शिवा अंदर आया और बोला: सुबह सुबह पापा बहु मज़ा ले रहे हैं? वो भी पापा की तरह ही नंगा था और उसका बड़ा लौड़ा नीचे को लटक कर झूल सा रहा था।



मालिनी और राजीव हँसने लगे। फिर सब चाय पीने लगे।



शिवा: पापा आज आयशा को बुला लो, अगर उसकी तबियत ठीक हो तो।



राजीव: मुझे तो मालिनी से परमिशन लेनी होगी। बोलो मालिनी क्या कहती हो?



मालिनी: वाह जैसे मेरे मना करने से आप उसको नहीं बुलाएँगे।



वो सोफ़े पर बैठी थी और शिवा उसके बग़ल में बैठा था। अब राजीव भी उठकर आया और मालिनी के बग़ल में ही बैठ गया। राजीव ने एक हाथ मालिनी की जाँघ पर रखा और नायटी के ऊपर से उसे सहलाने लगा। शिवा भी एक जाँघ पर हाथ फेर रहा था।


अब मालिनी ने मस्ती में आकर एक एक हाथ में दोनों के लंड पकड़ लिए और सहलाने लगी और बोली: सच में मैं बहुत लकी हूँ जो आप दोनों मुझे इतना प्यार करते हो। वो बारी बारी से दोनों के गाल चुमी। अब वो दोनों भी उसकी एक एक चूचि दबाने लगे। कमरे में मस्ती का माहोल बनने लगा था।



राजीव: क्या बेटा सुबह सुबह ही नायटी पहन ली? देखो हमारे लंड कैसे खड़े हैं तुम्हें मज़ा देने के लिए? चलो उतारो इसको और चुदाई करते हैं।



शिवा ने मुस्कुराकर उसकी नायटी उतारनी शुरू की और मालिनी भी खड़ी होकर उसकी मदद की। राजीव ने उसे आगे की ओर झुकाया और दोनों उसकी लटकी हुई चूचियाँ दबाकर चूसने लगे। मालिनी भी उनके लंड सहलाए जा रही थी।



शिवा: आऽऽऽह मेरी जान अब लंड चूसो ना।


मालिनी अब नीचे बैठकर दोनों के लंड बारी बारी से चूसने लगी। शिवा अब उठा और जाकर उसको आधा उठाया और उसकी गाँड़ की दरार में अपना मुँह घुसेड़कर बुर चाटने लगा। मालिनी ह्म्म्म्म्म्म्म आऽऽऽऽऽह करने लगी। अब राजीव बोला: आओ बेटा मेरे लंड पर बैठो। वह उठी और अपने पाँव फैलाकर उसके लंड के ऊपर अपना बुर रखकर बैठ गयी। उसका मोटा लंड उसकी बुर में घुसता चला गया। अब शिवा उसके सामने आया और अपना लंड उसके मुँह के पास ले आया। वो उसे चूसकर अपनी कमर उछालकर चुदवाने लगी। वो उन्न्न्न्न्न्न्न्न आऽऽऽऽऽह ह्म्म्म्म्म्म्म चिल्लाए जा रही थी।


क़रीब दस मिनट के बाद राजीव उसे उठाया और शिवा को बैठने का इशारा किया। अब वो शिवा का लंड बुर में और राजीव का मुँह में लेकर मज़े से चुदवा रही थी। राजीव और शिवा उसकी चूचि और गाँड़ सहला रहे थे। अब मालिनी उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर झड़ने लगी और शिवा भी नीचे से लंड उछालकर झड़ने के करीब आ गया। उधर राजीव भी बहुत गरम हो चुका था। अब वो अपना लंड मुँह से निकालकर अपने हाथ से उसे मुठियाने लगा और शिवा समझ गया कि पापा आज उसको अपना रस पिलाने वाले हैं। पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो भी मालिनी को अपनी गोद से उठाके सोफ़े में बिठाया और वो ख़ुद भी अपने लंड को पापा की तरह ही मूठ्ठी में भरकर ज़ोर से उसके मुँह के पास हिलाने लगा।



मालिनी समझ गयी कि आज उसको दोनों का रस पीने को मिलने वाला है, वो उत्तेजित होकर अपना मुँह खोली ताकि पूरा रसपान कर सके। राजीव ने अब अपने लौड़े का रस छोड़ना शुरू किया। मालिनी के होंठ और गाल में सफ़ेद गाढ़ा रस गिरता चला गया। उधर शिवा भी क्लाइमैक्स पर पहुँचा और झटके से झड़ने लगा। जल्दी ही मालिनी का पूरा मुँह बाप बेटे के गाढ़े सफ़ेद रस से पूरा भर गया। वो भी अब जीभ निकालकर उनका लौड़ा बारी बारी से चाटने लगी। उसने चाटकर दोनों के लौड़े पूरा साफ़ कर दिया। अब शिवा उठा और बोला: आऽऽह मेरी जान चलो उस आइने में देखो क्या रँडी लग रही हो। राजीव भी उसकी गाँड़ दबाकर उसको आइने के सामने ले गया। अब दोनों उसके पीछे खड़े थे । मालिनी अपने आप को देखकर शर्मा गयी। उसके मुँह पर सफ़ेद रस सब जगह चिपका सा था। अब वो बाथरूम की ओर दौड़ गयी।



क्योंकि बाई आने वाली थी इसलिए सबने कपड़े पहन लिए। शिवा नाश्ता करके दुकान जाते हुए बोला: पापा आयशा को बुलाना होगा तो मुझे फ़ोन कर दीजिएगा।



क़रीब १२ बजे अब मालिनी और राजीव बैठे थे अब बाई जा चुकी थी। मालिनी: पापा मैं नहीं चाहती कि आप अभी आयशा पर ध्यान दो। अभी मुझे आप दोनों से ही चुदवाना है एक महीने तक ताकि मैं आपमें से किसी के भी बच्चे की माँ बन सकूँ।



राजीव चौक कर: ओह ऐसा ? तो क्या अब तक तुम कोई पिल्ज़ ले रही थी ?



मालिनी: बस एक दिन ली थी जब असलम ने किया था। मैं आप दोनों से ही बच्चा चाहती हूँ बाहर वाले से नहीं।



राजीव उसे प्यार से देखा और बोला: ठीक है बेटा जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा। अब हमारे घर में तभी कोई बाहर वाला आएगा जब तुम प्रेगनेंट हो जाओगी। ठीक है ना?



मालिनी जाकर प्यार से उसके गोद में बैठी और उसके गले में बाहँ डाली और बोली: थैंक यू पापा। आप बहुत अच्छे हो। शिवा भी ये बात मान जाएँगे ना?



राजीव: वो भी तुमको बहुत प्यार करता है ज़रूर तुम्हारी भावनाओं की क़द्र करेगा। वह उसे चूमते हुए बोला।



तभी शिवा का फ़ोन आया और वो बोला: पापा आयशा का क्या फ़ैसला किया? वो मुझे फ़ोन की थी कि क्या वो आपसे चुदवा सकती है?



राजीव: मेरी बहु नहीं चाहती कि अभी बाहर वाले इस घर में चुदाई के लिए आएँ। आज अगर आयशा आएगी तो फिर असलम भी आयेगा कल को। वो अभी हमारे बच्चे की माँ बनना चाहती है। ठीक है?



शिवा : सच में पापा? वाऽऽह ठीक है मैं मना कर देता हूँ आयशा को। यह कहकर वो फ़ोन रख दिया।



मालिनी: आप सच में अपने बेटे का मन जानते हो। वो एकदम से मान गए आयशा को मना करने के लिए।



राजीव: अरे बेटा सच में हम दोनों तुझे बहुत प्यार करते हैं। और अब आज से तुमको माँ बनाने की कोशिश शुरू । ठीक है ना?



वो हँसती हुई उसको चूम ली। फिर राजीव बोला: बेटा तो फिर ये कोशिश अभी से शुरू कर दें?



मालिनी हँसकर बोली: पापा नेकि और पूछ पूछ। चलिए।



वो दोनों उठकर बेडरूम में आए और राजीव ने बहुत प्यार से मालिनी को नीचे लिटाके चोदा और फिर पूरा रस गहराई तक जा कर उसकी बुर में छोड़ा।


वो बोला: बेटा बस आज से रस अंदर गहराई में ही छोड़ेंगे हम बाप बेटा ताकि तुम जल्दी से जल्दी माँ बन जाओ।



मालिनी मुस्कुरा कर अपनी टाँगें उठायी रखी और बोली: हाँ मैं भी महसूस कर रहीं हूँ कि रस बहुत अंदर तक गया है।



फिर दोनों बाथरूम से आए और लिपट कर आराम करने लगे।


शाम को शिवा आया और डिनर के बाद दो राउंड चुदाई हुई।हालाँकि राजीव ने उसकी गाँड़ भी मारी पर रस उसकी बुर में ही डाला। इस तरह से दोनों ने अपना रस उसकी बुर में ही छोड़ा।



पति और ससुर के लगातार कई दिनो की चुदाई से आख़िर में मालिनी का मासिक धर्म नहीं हुआ और वो राजीव और शिवा को बोली: मेरा प्रेग्नन्सी टेस्ट करवा लीजिए।



शिवा किट लेकर आया और राजीव और शिवा की आँखों के सामने मालिनी बाथरूम में आकर अपनी नायटी उठाई और आधी बैठ कर उस स्ट्रिप पर मूतने लगी। सी सी की आवाज़ से दोनों मर्दों के लौड़े अकड़ने लगे। उफफफ क्या मस्त दृश्य था एक जवान लड़की अपने पति और ससुर के सामने बेशर्मी से मूत रही थी। उसकी बुर से निकालता पिशाब दोनों मर्दों को साफ़ दिखाई पड़ रहा था। शिवा ने स्ट्रिप पकड़ी थी सो उसके हाथ में भी थोड़ा सा पेशाब लगा। फिर शिवा ने स्ट्रिप हटा ली पर मालिनी आधी उठी हुई मूतती रही। दोनों मंत्र मुग्ध से उसकी बुर को देखते रहे। अब वो उठी और अपनी नायटी नीचे की।


अब तीनो उस स्ट्रिप के रंग बदलने का इंतज़ार किए। जैसे ही स्ट्रिप ने रंग बदला तीनों ख़ुशी से भर गए और एक दूसरे से लिपट कर बधाइयों देने लगे। राजीव आगे से और शिवा पीछे से उससे चिपके हुए थे और उसे प्यार किए जा रहे थे। मालिनी भी उन दोनों को चूमे जा रही थी।



शिवा ने उसके पेट को सहलाया और बोला: पापा ये बच्चा आपको दादा कहेगा या पापा?



राजीव हँसकर: मुझे दादा ही कहेगा चाहे मैं उसका सच में दादा ही हूँ या फिर बाप।


मालिकी शर्मा कर उन दोनों से चिपक गयी।


फिर उस दिन सब प्लान बनाते रहे कि बच्चे का क्या नाम होगा ? कौन से स्कूल में जाएगा और ना जाने क्या क्या।



मालिनी बोली: हमको ये ख़ुश ख़बरि महक दीदी को भी देनी चाहिए।



राजीव: हाँ मैं उसे फ़ोन भी करने वाला था कि अब डिलीवरी के लिए यहाँ ही आ जाए। अमेरिका में कौन ध्यान रखेगा उसका?



शिवा: हाँ पापा उसे यहीं बुला लेते हैं। मेरा भांजा यहीं हमारे घर में ही होना चाहिए ।



राजीव उसको फ़ोन लगाया: हेलो बेटा कैसी हो?



महक: पापा ठीक हूँ।



राजीव: बेटा हम तीनों यहाँ बैठे हैं और फ़ोन स्पीकर मोड में है। बताओ कैसी हो? और डिलेवरी के लिए यही आ जाओ ना।



महक: हाँ पापा मैं भी यही सोच रही हूँ।



राजीव : आ जाओ बेटा हम सबको बहुत अच्छा लगेगा । वैसे एक ख़ुश ख़बरी हमें भी देनी है।



महक: वो क्या पापा?



राजीव: बेटा मालिनी भी माँ बनने वाली है।



महक ख़ुशी से : सच पापा? वाह क्या ख़ुश ख़बरी है। मालिनी बहुत बहुत बधाई हो।



मालिनी: थैंक यू दीदी। बस आप जल्दी से यहाँ आ जाओ।



महक: और मालिनी कैसा चल रहा है तुम्हारा डबल मज़ा?



मालिनी चौंकी और राजीव को देखी । राजीव हँसकर: बेटा मैंने हमारे बारे में सब महक को बता रखा है। उससे कोई बात छुपी नहीं है?



मालिनी: ओह पापा आप भी ना? सब बता दिया?



महक: हाँ सब बताया हुआ है। अच्छा ये तो बताओ कि बच्चा पापा का है या शिवा का?



मालिनी: वो तो कभी पता नहीं चलेगा, पर शिवा को वो पापा और पापा को वो दादा ही बोलेगा।



महक हंस पड़ी: क्या फ़र्क़ पड़ता है परिवार का ही बच्चा होगा ना? वैसे तुमको पापा बे बताया या नहीं कि मेरे पेट में भी पापा का ही बच्चा है। ये उसके पापा और नाना दोनों हैं। हा हा ।



शिवा: हाँ पापा बे बताया है और सच में बड़ी ख़ुशी की बात है कि वो मेरा भाई भी होगा और भांजा भी।



राजीव: तुम्हारी डिलीवरी अगले महीने में है ना?



महक: जी पापा मैं बस दस दिन में आती हूँ।



शिवा: और बच्चे को कम से कम पाँच महीने का करके ही भेजेंगे। ठीक है ना?



महक: हाँ ठीक है। हमको यहाँ काफ़ी छुट्टी मिल जाती है।



मालिनी: और जीजा जी ठीक है?



महक: हाँ सब बढ़िया । चलो रखती हूँ।


अब शिवा बोला: पापा आपने कहा था कि मैं भी दीदी को चोद सकूँगा। अब वो आएगी तो डिलीवरी के कितने बाद चुदवा सकेगी?



राजीव: हाँ अभी तो वो चुदवा ही नहीं सकती। और डिलीवरी के बाद भी वो कम से कम एक महीना नहीं चुदवा पाएगी।



मालिनी: तब तक आपको संतोष करना होगा और मेरे से ही काम चलाना होगा।



उसकी इस बात पर सब हंस पड़े।



शिवा: पापा आज इसकी प्रेग्नन्सी को सेलब्रेट करते हैं ना? चलिए बाहर खाना खाते हैं।



राजीव: एक शर्त पर कि कुछ शरारत भी करेंगे।



शिवा: कैसी शरारत?



राजीव: मुझे नहीं पता। पर कुछ तो करेंगे। ऐसा करते हैं कि मालिनी को वो जो एक मैं माडर्न ड्रेस लाया था वो पहनाते हैं। मिनी स्कर्ट और टॉप। और नीचे पैंटी भी नहीं पहनेगी। बस फिर कुछ शरारत करेंगे हम सब।



मालिनी: वाह ये क्या बात हुई? क्या आप मुझे सबके सामने नंगी करना चाहते हो?



राजीव: सबके सामने नहीं बस कोई ख़ास एक दो के सामने।



शिवा : आऽऽऽह पापा बहुत मज़ा आएगा। चलो डार्लिंग तय्यार हो जाओ।



मालिनी: पता नहीं आप लोग क्या करने वाले हो? ठीक है मुझे क्या है।



अब सब तय्यार हुए और जब बाहर बैठे शिवा और राजीव के सामने मालिनी आयी और बोली: आप चाहते हो कि मैं ऐसे बाहर जाऊँ?



शिवा और राजीव का मुँह खुला रह गया। उसका टॉप उसकी आधी चूचियाँ ही ढक रहा था। और पूरा पेट नंगा था। स्कर्ट भी टाइट था और उसके गाँड़ के उभार को और ज़्यादा सेक्सी बना रहा था। स्कर्ट जाँघ के ऊपरी हिस्से तक चढ़ी हुई थी और उसकी गुदाज जाँघें बिजली गिरा रहीं थीं।



राजीव अपने लंड को पैंट के ऊपर से दबाकर बोला: उफफफ जानू क्या दिख रही हो? मस्त माल हो।



शिवा: आऽऽऽह सही में पापा। अच्छा पैंटी पहनी हो क्या? ज़रा स्कर्ट उठाकर दिखाओ ना।



मालिनी ने स्कर्ट उठाकर दिखाया और उसकी चिकनी बुर सामने थी। उफफफ उसने पापा की इच्छा के अनुसार पैंटी भी नहीं पहनी थी।



राजीव: बेटा पिछवाड़ा भी दिखाओ ना।



मालिनी स्कर्ट उठाए हुए ही घूमी और उसकी मस्त गाँड़ देखकर बाप बेटा मस्ती से भर गए।



शिवा: जानू गाँड़ खोलो ना तुम्हारा मस्त छेद देखना है।



मालिनी: उफफफ आप लोग भी ना ? यह कहकर वो अपने दोनों चूतरों को फैलायी और उसके मस्त खुले हुए भूरे छेद को देखकर बाप बेटा मस्त होकर अपना अपना लौड़ा दबाने लगे।


मालिनी अब स्कर्ट ठीक की और बोली: आप सच में चाहते हो कि मैं ऐसे ही जाऊँ?



शिवा : आऽऽह जान बिलकुल ऐसी ही चलो ।



अब मालिनी ने देखा कि दोनों के पैंट में तंबू तना हुआ है तो वह बोली: आप दोनों का खड़ा सामान साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है। आपने भी चड्डी नहीं पहनी है क्या?



राजीव: चड्डी तो पहनी है पर तुम्हारी जवानी का जलवा पागल कर देने वाला है।


फिर दोनों ने अपना लौड़ा पैंट में ठीक किया और सब बाहर आए। राजीव भी शिवा के साथ कार में आगे बैठा और मालिनी पीछे बैठी। अब राजीव पीछे मुड़कर बोला: बेटा ज़रा जाँघों को फैलाओ तो।



मालिनी ने जाँघें फैलाईं और राजीव उसकी बुर देखकर बोला: बेटा बस ऐसे ही बैठना रेस्तराँ में जब मैं बोलूँ। शिवा ने भी पीछे का शीशा ठीक किया और उसकी बुर देखकर बोला: जानू बाल कब बनाए थे? मस्त चिकनी दिख रही है।



मालिनी: दो दिन पहले ही साफ़ किया है।



राजीव: बेटा ज़रा वहाँ हाथ फेरो ना।



मालिनी: उफफफ पापा क्या क्या करवा रहे हो अपनी बहू से? यह कहकर वो अपनी बुर में हाथ फेरकर राजीव और शिवा को मस्ती से भर दी। मालिनी सोच रही थी कि पापा उससे पता नहीं क्या करवाने वाले हैं रेस्तराँ में? वह अब गरम होने लगी थी।



रेस्तराँ में पहुँचकर राजीव ने एक कोने की गोल टेबल पसंद की। वो और शिवा मालिनी को बीच में लेकर बैठे। उनकी बग़ल की टेबल पर दो आदमी बैठे थे जो कोट और टाई में थे किसी कोरपोरेट से लगते थे। वो शराब पी रहे थे और उम्र से ५० के आसपास के लगते थे । राजीव ने मालिनी को ऐसा बिठाया था ताकि वो उन दोनों के सामने पड़ती थी।



अब तक मालिनी अपनी जाँघ मिलाकर बैठी थी। राजीव ने देखा की वो दोनों लगातार मालिनी के टॉप से झाँकती बड़ी बड़ी चूचियों को ताड़ रहे थे। मालिनी की जाँघे उनको वैसे भी नहीं दिख सकती थी क्योंकि वो टेबल के नीचे थीं ।



अब राजीव ने मालिनी को कहा : बेटा वो जो दो आदमी बैठे है उनको थोड़ा सा लाइन मारो।



मालिनी: छी पापा वो क्यों?



शिवा भी उत्तेजित होकर: अरे बस थोड़े मज़े के लिए यार और क्या?



मालिनी चुप रह गयी। अब वो उनको लाइन मारने लगी। वो उनको देखकर अपना टॉप ऐडजस्ट करती और कभी उनको देखकर मुस्कुरा देती। अब वो भी उसमें इंट्रेस्ट लेने लगे। वो उसको देखकर मुस्कुराए । राजीव और शिवा ऐसा दिखा रहे थे मानो उनको कोई ख़बर ही नहीं हो।उनकी भी शराब आ गयी थी और दोनों बाप बेटा पीने लगे।



थोड़ी देर बाद राजीव के कहने पर शिवा और वो दोनों ऐसे दिखाए मानो नशे में हों। अब राजीव ने मालिनी को धीरे से कहा: बेटा अब अपनी कुर्सी घुमाओ और उनको पहले अपनी जाँघ दिखाओ। फिर बुर के भी दर्शन करवा देना। मालिनी भी अब गरम हो चली थी। उसने बातें करते हुए अपनी कुर्सी घुमाई और अब उसकी स्कर्ट उन दोनों के सामने थीं । वो दोनो उसकी जाँघों को घूरने लगे। अब राजीव बोला: बेटा अब अपनी जाँघ पर हाथ फेरों। मालिनी वैसा ही की और वो दोनों आँख फाड़े उसे देखते रहे। अब वो पापा के कहने पर एक टाँग के ऊपर दूसरा टाँग रखी तो उसकी स्कर्ट ऊपर तक चढ़ गयी और अब उन दोनों आदमियों की आँख और बाहर को आ गयीं। शिवा सोचा कि उफफफफ कितनी नंगी दिख रही थी मालिनी। अब मालिनी आगे को झुकी और शिवा को बोली: पापा चाहते क्या हैं?



उसके आगे झुकने से शिवा को उसकी टॉप से उसकी आधी चूचि दिख रही थी। वो थोड़ा सा साइड में हुआ ताकि वो दोनों उसकी आधी नंगी चूचियाँ देख कर मस्त हो जाएँ।


अब वो दोनों आदमी अपनी टाई ढीली किए और कोट उतार कर कुर्सी पर रखे। जब वो खड़े हुए कोट उतारने के लिए तो मालिनी को उनका पैंट का सामने का उठा हुआ हिस्सा साफ़ दिखाई दिया। जब वो बैठे तो उनके हाथ पैंट पर आ गए थे और कोई देखता तो समझ जाता कि वो अपना लौड़ा मसल रहे हैं।



अब राजीव बोला: बेटा चलो अब जन्नत के दर्शन कराओ उनको।



मालिनी शिवा की ओर देखी तो वो भी इशारा किया कि करो। अब वो अपनी जाँघें खोली और उसका मुँह उन दोनों आदमियों की तरफ़ था। राजीव ऐसी शक्ल बनाया था मानो नशे में हो। शिवा भी नशे में होने का नाटक कर रहा था। दोनों आदमी अब जैसे ही उसकी खुली जाँघों के बीच देखे और वहाँ पैंटी ना देखकर मानो पागल से हो गए। क्या दृश्य था मालिनी की बुर साफ़ दिखाई दे रही थी। हर टेबल पर मोमबत्ती रखी थी। उनको मालिनी की चिकनी बुर साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी। अब शिवा के इशारे को समझ कर मालिनी अपनी बुर सहलाने लगी। वह दोनों आँखें फाड़कर देख रहे थे और अपना लंड सहला रहे थे।



अब उन दोनों ने देखा कि शिवा और राजीव क़रीब क़रीब नशे में सोए हुए से थे तो एक आदमी उठा और मालिनी को उसका लंड पैंट के ऊपर से उभरा हुआ साफ़ साफ़ दिखा और वो आकर शिवा के पास वाली सीट पर बैठ गया और अब वो अपनी कुर्सी को घुमाया और अब वो मालिनी की बुर से सिर्फ़ दो फ़ीट पर था। मालिनी थोड़ा सा डरी पर राजीव ने चुपचाप इशारा किया कि होने दो। अब वो आदमी ठीक सामने बैठ कर उसकी बुर देख रहा था। मालिनी अभी भी बुर सहला रही थी। वो अपनी जीभ अपने होंठ पर फेर रहा था। अब मालिनी भी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अपनी दो ऊँगली अंदर डालकर बुर में अंदर बाहर करने लगी। वो आदमी अब खुल कर अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाने लगा। अचानक उसकी उत्तेजना उसके होशोंहवास उड़ा दी और वो शिवा और राजीव को नशे में समझ कर अपना एक हाथ मालिनी की जाँघ पर रख दिया। मालिनी का बदन काँप उठा। उसे लगा कि ज़्यादा ही हो रहा है । वो फिर से पापा को देखी तो वो आँख मार दिए।



अब उस आदमी ने थोड़ी देर उसकी जाँघ सहलाई और फिर अपना हाथ उसकी जाँघों के बीच में ले गया। वहाँ उसका हाथ मालिनी की गीली उँगलियों से टकराया और मालिनी ने अपना हाथ बाहर निकाल लिया। अब वो आदमी अपने हाथ से उसकी बुर को सहलाया और फिर उसने दो उँगलियाँ अंदर डालकर हिलाना चालू किया। मालिनी की घुटी हुई सिसकारियाँ निकल गयीं। उसने इधर उधर देखा तो सब खाना खाने में व्यस्त थे। और शिवा और राजीव के चेहरों पर मंद मंद मुस्कान थी। अब वो आदमी जल्दी से हाथ हिलाकर मस्ती से भरने लगा।



जहाँ ये बैठे थे वो एक तरफ़ किनारे पर टेबल लगी थी। अचानक वो आदमी अपनी उँगलियाँ निकाला और गीली उँगलियाँ चाटने लगा। अब दूसरा आदमी भी मस्त हो चुका था । वो उठा और आकर कुर्सी लेकर मालिनी से सट कर बैठ गया। वो बिना देर किए मालिनी की टॉप के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। जहाँ वो बैठा था उसके कारण मालिनी को कोई नहीं देख सकता था सिवाय राजीव और शिवा के । जो उसे देखकर भी नहीं देखने का नाटक कर रहे थे। अब दृश्य यह था कि एक आदमी उसकी गीली बुर में उँगलियाँ कर रहा था और दूसरा उसकी चूचियाँ दबा रहा था। अब एक आदमी ने मालिनी का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। वो उसको दबाने लगी और ख़ुद ही दूसरे के पैंट के ऊपर से उसका लंड भी दबाने लगी। शिवा और राजीव इतने गरम हो गए थे कि उनको लगा की कहीं वो पैंट में झड़ ना जाए।



उधर मालिनी अब झड़ने वाली थी और वो अपनी जाँघे खोलने और बंद करने लगी। और सीइइइइइइ कर उठी। अब वो अपनी गाँड़ हिलाकर झड़ने लगी। तभी उसके दोनों हाथ भी गीले हो गए। वो दोनों पैंट में ही झड़ गए थे। अब सब शांत हो चुके थे । एक आदमी बोला: मोबाइल नम्बर दो ना बेबी । कल दिन में मिलेंगे।



मालिनी ने शिवा को हिलाया और कहा: चलो घर चलें ?



वो दोनों हड़बड़ा कर अपनी सीटों पर वापस चले गए। उनके पैंट के सामने गीले धब्बे साफ़ दिखाई दिए। बाद में वो अपना कोट उठाकर अपनी पैंट के आगे रखकर चले गए।



शिवा मुस्कुराया: मज़ा आया जान ? तुम तो मज़े से झड़ीं।



राजीव: तो याद रहेगा ना ये अनुभव? हम सब देख रहे थे कि तुमको कितना मज़ा आ रहा है।



मालिनी: अब जल्दी से खाना खाइए और घर चल कर मुझे तबियत से चोदिए आप दोनों। उफफफफ कितना गरम कर दिया है आप सबने मुझे। आऽऽऽऽहहहह ।


दोनों बाप बेटा मुस्कुरा दिए।
Nice super update
 

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