मैं आँगन मे आया तो देखा कि अभी उजाला नही हुवा था हल्का सा अंधेरा सा था मैने पानी भरा और मुँह धोने लगा तभी मुझे भाभी का ध्यान आया मैने सोचा कि शायद वो रसोई मे होंगी चाइ वग़ैरा बना रही होंगी पर वहाँ नही थी मैने उन्हे घर मे ढूँढा पर वो घर मे थी ही नही मैने मैन गेट की ओर चेक किया तो वो बाहर से बंद था टाइम देखा तो 5 :15 ही हुए थे मैं हैरान परेशान हो गया कि हमारी भाभी जान कहाँ गायब हो गयी
खैर मैं बाथरूम मे घुस गया और फ्रेश होने लगा जब मैं वापिस आया तो भी भाभी का कोई आता-पता नही था फिर पोने 6 बजे दरवाजा खुला और वो अंदर आई उनके हाथ मे दूध की बाल्टी थी
उन्होने बताया कि वो बाडे चली गयी थी पशुओ को चारा खिलाने और दूध भी निकालना था और वो मुझे सुबह सुबह उठाना नही चाहता थी
इसलिए वो अकेले ही चली गयी थी वो बोली तुम बैठो मैं चाइ बनती हू पर मैने कहा मेरा मूड तो दूध पीने का है और उनकी चूची को मसल दिया तो भाभी बोली कि सुबह सुबह चालू हो गये
मुझे पता था कि ये अब लास्ट चुदाई होगी क्यों कि आज भाभी के सास-ससुर वापिस आने वाले थे तो फिर मोका मिलना बहुत ही मुश्किल था लगभग नामुमकिन सा ही मुझे और फिर दिन भी होने वाला था मैने देर ना करते हुए उनके ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू किया और ब्रा को थोड़ा उपर करके उनके बोबो को अपनी मुठ्ठी मे भरने लगा भाभी बोली तो फिर जल्दी से कर्लो अभी टाइम नही है
मैं लगातार उनके बोबो को भींच रहा था दो दिन मे ही उनकी चूचिया काफ़ी हद तक फूल गयी थी
और बहुत ही कामुक लग रही थी मैने उनका ब्लाउज ऑर ब्रा को उतार दिया और उनका एक निप्पल को चूसने लगा
भाभी ने मेरे चेहरे को अपनी छातियों मे धसा लिया और उन्हे मेरे मुँह मे देने लगी क्या बताऊ भाभी बिल्कुल मेरे जैसे ही थी बहुत ही कामुक प्रवर्ती की पर उन्हे देखके कोई नही कह सकता था
की दिन मे इतनी संस्कारी रहने वाली औरत बिस्तर पे इतनी हॉट भी हो सकती थी मैं बारी बारी दोनो चूचियों का नंबर लगाते हुए उनमे से दूध निकालने की कोशिश कर रहा था
भाभी भी उत्तेजना से भरती जा रही थी उन्होने मेरे पयज़ामे को थोड़ा नीचे सरकाया और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और हिलाने लगी वो बहुत ज़ोर ज़ोर से लंड को हिला रही थी
ताकि मैं ऐसे ही झाड़ जाउ पर मैने उन्हे रोका और उनकी साड़ी को उतारने के लिए पकड़ा तो उन्होने कहा अभी कपड़े मत उतारो ऐसे ही कर्लो मैं उनकी बात मान गया और बस साड़ी को उपर उठाया और कछि को खींच लिया
अब मैं उनकी साड़ी मे घुस गया और उनकी जाँघ को चूमने लगा भाभी की जांघे बहुत ही ठोस थी
मैने अपने हाथ उनके चुतडो पे रखे और उनको अपने मुँह की ओर खीचा और चूत को मुँह मे भर लिया उनकी चूत बहुत ही छोटी साइज़ की थी
जैसे किसी बच्ची की चूत हो मैं उन्हे बोला कि जान आपकी चूत का रस बहुत ही अच्छा है तो वो ये सुनके खुश हो गयी औरत हर हालत मे अपनी तारीफ ही सुन ना चाहती है भाबी ने मुझे जल्दी जल्दी चाटने को कहा
थोड़ी देर चाट ता रहा चूत अब पूरी तरह से गीली हो गयी थी और उसकी काँपति फांके मुझे लंड घुसाने का निमंत्रण दे रही थी
मैने भाबी को उठा के खाट पे पटक दिया और उनपे छाता चला गया
लंड चूत के दरवाजे पे टिक चुका था मैने हल्का सा झटका दिया और मेरा घोड़ा चिकनी सुरंग की सैर करने लगा भाभी ने अपनी जांघे मेरी कमर पे लपेट दी और चुदाई का मज़ा लेने लगी
मैं उन्हे भोग रहा था वो मेरे प्रति पूरी तरह से समर्पित हो गयी थी
हम दो एक दूसरे के जोश को तोल्ते हुए अपने जिस्मो की भूख मिटा रहे थे
भाभी नीचे से गान्ड उठा उठा के अपनी चुदाई करवा रही थी
अब मैने उनकी चूची को पीना शुरू कर दिया
जिस से वो और भी रोमांचित हो गयी और पूरे जोश से चुदने लगी कमरे मे हमारी साँसे और धप धप की आवाज़ ही गूँज रही थी अब मैने भाभी को खाट से उठाया और कमरे मे रखी मेज पे बिठा दिया और उनकी टाँगो को उठा कर अपने कंधो पे रख लिया और ताबड तोड़ चुदाई करने लगा
अनिता बोली जल्दी करो जल्दी करो दिन निकल आया है तुम्हारी मम्मी आ सकती है मैने दे दना दन धक्के मारने शुरू कर दिए मेरी साँस बुरी तरह से फूल रही थी फिर वो पल भी आया और
मैने अपना पानी छोड़ दिया और उनके उपर ही लुढ़क गया कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद मैं उठा और अपना लंड भाभी के होंटो पे रगड़ते हुए उन्हे सॉफ करने को बोला भाभी ने मेरे लंड को अपने मुँह मे भर लिया
और फटा फट चाटने लगी कोई 5 मिनिट तक मैने लंड को उनके मुँह मे ही रखा
फिर उन्होने उसे निकाला हमने अपने अपने कपड़े सही किए और एक दूसरे की तरफ देखने लगे मैने उन्हे कहा कि घर जा रहा हू और वो भी मेरे पिछे पिछे गेट तक आई
मैने फिर एक जोरदार चुंबन लिया और बाइ कहतेः हुए घर की ओर चल दिया ना जाने क्यों आज सुबह बहुत ही प्यारी लग रही थी
घर पहुच कर मैं नाहया धोया नाश्ता किया और स्कूल की ओर चल दिया आज मैं बिना साइकल के ही जा रहा था मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था गाना गाने को मन कर रहा था स्कूल मे कुछ खास पढ़ाई होती नही थी बस एग्ज़ॅम का वेट था और 11थ क्लास को कोई सीरीयस लेता भी नही था
दोपहर को मैं घर आया कपड़े वग़ैरा चेंज किए फिर सोचने लगा कि भाभी के घर का राउंड मार आउ क्या पता अगर वो अकेली हो तो एक ट्रिप का जुगाड़ हो जाए मैं जाने का सोच ही रहा था कि मेरी चाची ने कटोरी मे परसाद लेके मुझे दिया और बताया कि रवि के ममी-पापा थोड़ी देर पहले ही आए है
ये सुनके मेरा मूड बहुत ऑफ हो गया पर मैने बाहर से कुछ शो नही किया और परसाद खाने लगा फिर चाची बोली कि प्लॉट मे लकड़ी कम हो गयी है तुम कुछ दोस्तो को साथ ले जाओ और जंगल से थोड़ा ईंधन काट लाओ मेरा दिमाग़ और भी खराब हो गया एक तो साला भाभी से मिलने की टेन्षन थी और ये घरवाले भी जब देखो मुझे ही पेलते रहते थे
घर का बड़ा बेटा होना भी एक गुनाह से कम नही होता है खैर जाना तो था ही एक-दो दोस्तो को पूछा पर कोई भी तैयार ना हुआ सब एग्ज़ॅम की तैयारी का बहाना कर के टरक लिए. अपनी साइकल उठाकर मैं जंगल की ओर चल पड़ा जंगल गाँव से कोई 2-3 किमी दूर था पर ग्रामीण वातावरण के कारण पास ही लगता था और कोई डर वाली बात भी नही थी
क्यों कि कोई ना कोई ईंधन लेने के लिए वहाँ जाता ही रहता था रास्ते मे मुझे हमारे ही मोहल्ले की एक लड़की जिसका नाम प्रीतम था वो मिल गयी उसने मुझसे पूछा कि ईंधन लेने जा रहे हो तो मैने हाँ कहा ,मैने पूछा तुम अकेली क्यो जा रही हो तो वो बोली उसकी मा वहाँ पहले से ही लकड़िया काट रही है और वो उसकी मदद के लिए जा रही है तो मैने उनसे अपनी साइकल पे बिठा लिया और हम जंगल की ओर चल पड़े
अब मैं आपको पहले प्रीतम के बारे मे थोड़ा बता दूं उसकी उमर कोई 20-21 होगी, पर वो बहुत ही मोटी थी मोटी से मतलब थुलथुल नही थी बल्कि उसकी चूची और गान्ड तो कई आन्टियो से भी बड़ी थी पढ़ाई उसने कई साल पहले ही छोड़ दी थी घर मे उसकी बूढ़ी मा और एक भाई ही था मैं ज़्यादा उसके बारे मे नही जानता था क्यों कि उनका घर हमारे घर से काफ़ी दूर था
हाँ उनका पशुओ का बाडा हमारे प्लॉट के पास था पर उस से इतना कुछ लेना देना कभी हुवा नही था पर सुना था कि वो थोड़ा चालू टाइप थी और घर से भी दो बार भाग चुकी थी खैर हम जंगल पहुच ने ही वाले थे वो मुझसे बाते करने की कोशिश कर रही थी पर उस टाइम मेरा ध्यान तो भाभी के बारे मे लगा हुआ था ऐसे ही हम जंगल मे पहुच गये मैने सावधानी से अपनी साइकल एक ओर खड़ी कर दी ताकि पंक्चर ना हो जाय
फिर हम पैदल ही अंदर की ओर चल पड़े थोड़ी देर के बाद मुझे उसकी मा मिल गयी मैने उन्हे नमस्ते किया और अपने लिए लकड़ी काटने लगा शाम तेज़ी से घिरती जा रही थी और मैं बहुत ही सुस्ती से लकड़ी काट रहा था तो प्रीतम की मा जिसने अपने लिए बहुत सी लकड़िया जमा करली थी उसने मुझे अपने ढेर मे से कुछ लकड़िया लेने के लिए कहा पर मैने मना कर दिया तो वो बोली बेटा अंधेरा होने वाला है तुम एक काम करो मेरी वाली लकड़ियों को मेरे सर पे रखवा दो और प्रीतम तुम्हारी मदद कर देगी और यह भी थोड़ी और लकड़ी काट लेगी
फिर तुम दोनो साइकल पे अपना गठ्ठर रख के साथ साथ ही आ जाना और ज़्यादा देर मत लगाना अंधेरा घना होने से पहले ही वापिस आ जाना कहीं कोई जानवर ना मिल जाए और वो हमे छोड़ कर घर की ओर चल पड़ी अब मैं तेज़ी से कुल्हाड़ी चलाने लगा और वो लकड़ियों को जमा करने लगी आधे घंटे मे हम ने ठीकठाक ईंधन का जुगाड़ कर लिया अब बस घर चलने की तैयारी थी तभी प्रीतम मुझे बोली तू आगे चल मैं आती हू तो मैने मना करते हुए कहा नही मेरे साथ ही चल तो वो बोली अच्छा तू यही रुक मैं अभी आती हू मैं रोकता रहा और वो पास की झाड़ियों की ओर चल पड़ी झाड़ियाँ थोड़ी कम घनी थी
कुछ सॉफ सॉफ तो नही दिख रहा था
पर पास होने के कारण मैने देखा कि उसने अपनी सलवार का नाडा खोला और नीचे बैठ गयी