Incest Paap ne Bachayaa written By S_Kumar

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Update- 51

बिरजू शेरु की तरह अपनी बेटी नीलम के चौड़े नितंबों को सूंघता हुआ मखमली बूर की तरफ बढ़ा और फिर एकाएक अपना मुँह मनमोहक प्यारी बिटिया की बूर पर रखकर उसको सूंघने लगा, नीलम के बदन में मानो मस्ती की तरंगें उठती जा रही थी, वह सिसकते हुए बोली- आआआआआहहहहहह......मेरे शेरु......मेरे बाबू

बिरजू ने कुछ देर बूर सूंघने के बाद अपनी जीभ निकाली और रिसती बूर की नरम फांकों को चाटने लगा, नीलम झनझना गयी, गांड का छेद तो साफ दिख ही रहा था, बिरजू अपनी बेटी की बूर चाटने के साथ साथ उसकी गांड के छेद पर भी जीभ घुमा दे रहा था और नीलम बार बार कराह जा रही थी, नीलम की वासना बढ़ने लगी, एक बार फिर जबरदस्त चुदाई के लिए वह तड़पने लगी, बिरजू का लंड भी अब अपने पूरे ताव में आ चुका था, बारिश तेज हो रही थी, बादल भी लगातार गरज रहे थे। कुछ देर बिरजू ऐसे ही अपनी सगी बेटी की बूर को पीछे से चाटता, चूमता रहा, बार बार बिरजू जब अपनी जीभ रसीली बूर की छेद में डालता तब नीलम ओह मेरे बाबू, मेरे सैयां.....ऐसे ही करो... सिसकते हुए बोलती।

काफी देर बूर चटवाने के बाद जब नीलम से बर्दाश्त नही हुआ तो वो सिसकारते हुए बोली- बाबू पाप करो न

बिरजू अपनी बेटी के मुँह से ये सुनते ही वासना से भर गया और- मेरी बिटिया पाप का आनंद और लेगी

नीलम- हाँ बाबू, इसका मजा अनमोल है, करो न बाबू मेरे साथ पाप, पेलो न मुझे, चोदो न मुझे, फाड़ो न अपनी बिटिया की प्यासी बुरिया को।

बिरजू ये सुनते ही अपनी बेटी की रसभरी बूर चाटना छोड़ घुटनों के बल उसके नितंबों के पास खड़ा हो गया और उसके मादक गुदाज मखमली बदन को लालटेन की रोशनी में निहारने लगा, कितने मादक और चौड़े नितम्ब थे नीलम के और उसके आगे पतली कमर फिर मदहोश कर देने वाली नंगी पीठ और उसपर बिखरे बाल, न जाने कब नीलम ने बाल खोल दिये थे बिरजू का ध्यान ही नही गया, अपनी सगी बेटी के यौवन को देखकर वो मंत्रमुग्द हो गया, वाकई बेटी बेटी होती है जो नशा और मजा सगी बेटी साथ पाप करने में है वो कहीं नही, तभी नीलम फिर अपने हाथ से अपनी बूर को सहलाते हुए बोली- बाबू डालिये न, देखो न कैसे तरस रही है, देखो कैसे मांग रही है मेरी प्यारी सी बुरिया अपना लंड, डाल दीजिए न बाबू, डाल दीजिए न, पाप का मजा दीजिए न बाबू

नीलम का इस तरह दुलारते हुए आग्रह करना बिरजू का मन मोह गया और उसने बिल्कुल भी देर न करते हुए नीलम का हाँथ पकड़ा और बड़े प्यार से बोला- मेरी बिटिया पहले अपने इस राजकुमार का तिलक लगा के स्वागत तो करो देखो कैसे महल के द्वार तक आके खड़ा है, नीलम समझ गयी और उसने सिसकते हुए झुके झुके ही अपना एक हाथ पीछे ले जाकर अपने बाबू के दहाड़ते लंड की चमड़ी को पीछे करके खोला और फिर बड़ी मादकता से मचलते हुए अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाला और अपने बाबू के लंड के सुपाड़े पर लगाते हुए बोली- ओह मेरा शोना, कितना प्यारा है तू, बाबू अब डालो न क्यों तड़पाते हो अपनी बिटिया को।

बिरजू ने अपना लंड अपनी बेटी की फांक की दरार में कुछ देर रगड़ा, बूर काफी चिकनी हो रखी थी और नीलम कब से तरस ही रही थी, नीलम के दोनों पैर फैलाये होने की वजह से उसकी बूर काफी खुल गयी थी, बीना की तरह तो वो पहले ही बनी हुई थी। बिरजू ने अपना लंड पकड़ा और अपनी बेटी की बूर के मुहाने पर लगा के एक धक्का मारा और लंड सरसराता हुआ बूर की गहराई में उतरता चला गया, तेज दर्द से नीलम की सीत्कार निकल गयी, आआआआहहहहह.....मेरे पिता जी......एक ही बार में न डालो बाबू, दर्द होता है......आपकी सगी बेटी हूँ न......ओह्ह..... वाकई कितना बड़ा है बाबू आपका........हाय

बिरजू की भी नशे में आंख बंद हो गयी, कितनी रसीली बूर थी नीलम की, बिरजू ने नीलम के नितम्ब को अच्छे से पकड़ा और एक तेज धक्का और मारते हुए पूरा का पूरा लंड एक बार फिर से नीलम की बूर की गहराई में अंदर तक उतार दिया। नीलम दर्द और आनंद के मिले जुले मिश्रण से कराह उठी और अपनी गांड को खुद ही मचलते हुए हल्का हल्का गोल गोल घुमाने लगी, बिरजू ने झुककर नीलम की पीठ और कमर को बड़े वासना से चूमना शुरु कर दिया, नीलम हर चुम्बन पर सिसक उठती, बिरजू थोड़ा आगे झुककर अपनी बेटी के मस्त मस्त गालों को चूमने लगा तो नीलम ने भी मस्ती में अपने होंठ काटने शुरू कर दिए, आगे झुकने से लंड औऱ बूर में धंस गया, नीलम मस्ती में मचल गयी, बिरजू नीलम को चूमते हुए बोला- मेरे होने वाले बच्चे की अम्मा, कितनी प्यारी है तू।

नीलम ने आंखें खोल कर बड़ी वासना से अपने बाबू को देखा और बोला- मेरे बच्चे के बाबू, कितने प्यारे हो आप, अब चोदो न बाबू, क्यों तरसाते हो

झमाझम बारिश होती जा रही थी और बिरजू ने भी अपनी सगी शादीशुदा बेटी को झमाझम धक्के मार मार के पीछे से चोदना शुरू कर दिया, साथ ही साथ अपने अंगूठे से वो नीलम के गांड के गुलाबी छेद को भी गोल गोल सहलाये जा रहा था, जिससे नीलम को और भी अनूठा मजा आ रहा था, वो जल्द ही हाय हाय करने लगी, खुद भी अपनी चौड़ी गांड को पीछे को धकेल धकेल के चुदाई का भरपूर आनंद लेते हए अपने बाबू के धक्कों से ताल से ताल मिलाने लगी, बूर रस छोड़ छोड़ के बहुत ही चिकनी हो चुकी थी, बिरजू का पूरा लंड अपनी बेटी की बूर के काम रस से सना हुआ था, जब लंड बूर से बाहर आता तो लालटेन की रोशनी में अपने ही लंड को अपनी सगी बेटी की बूर के रस से सराबोर भीगा हुआ देखकर बिरजू और उत्तेजित हो जाता और इसी उत्तेजना में धक्के और तेज तेज बढ़ते जा रहे थे, थप्प थप्प की आवाज सिसकियों के साथ गूंजने लगी। बिरजू एक हाँथ से नीलम की गांड का छेद सहलाये जा रहा था और दूसरे हाँथ से उसने नीलम की बायीं चूची को थाम कर लगातार मसल भी रहा था जिससे नीलम मस्ती के सातवें आसमान में उड़ने लगी, बड़ी मुश्किल से उसने हाथ बढ़ा कर लालटेन को बुझा दिया और अपना हाँथ नीचे से लेजाकर अपनी बूर और भग्नासे को रगड़ने लगी, ऐसा करते हुए बार बार वो बूर के अंदर बाहर हो रहे लंड को भी छू देती और सिरह उठती, नीलम- और तेज तेज चोदो बाबू........हाँ ऐसे ही. .. ओह बाबू.......मेरी बच्चेदानी को कैसे ठोकर मार रहा है मेरे बच्चे के बाबू का लंड....... हाय

बिरजू- ओह मेरी रानी...... क्या बूर है तेरी...ऐसी बूर तो तेरी अम्मा की भी नही है........हाय इतनी रसीली, इतनी गहरी....... क्यों मैंने तुझे किसी और को ब्याह दिया, मुझे पता होता कि तू अंदर से इतनी रसीली है तो तेरा कुँवारा रस पहले मैं ही पीता..... आआआआआआहहहहहहहहह.....

नीलम- सच बाबू......मेरी बूर अम्मा की बूर से भी अच्छी है.......हाय...... तो चोदिये न बाबू......मेरी बूर तो है ही आपके लिए.......मैं तो आपका ही माल हूँ न बाबू... . ..ओओओओओहहहह......और तेज तेज धक्का मारिये....... हाँ ऐसे ही.....क्यों मुझे ब्याह दिए किसी और को.......बेटी की बूर पर तो पहला हक़ बाप का ही होता है बाबू.........क्यों नही पिये मेरा कुँवारा रस, जिसपर सिर्फ आपका हक़ था......अपना हक किसी को नही देना चाहिए बाबू........न जाने क्यों अपनी प्यारी सी फूल सी बेटी को खुद के पास लंड होते हुए भी दूसरों को दे दिया जाता है उसकी भावनाओं को कुचलने के लिए.......जितने प्यार से एक पिता अपनी फूल जैसी बेटी को हुमच हुमच के चोदेगा वैसा तो कोई नही चोद पायेगा न.........आखिर एक बेटी को पिता के लंड का मजा तो सिर्फ पिता ही दे सकता है न........ये गलत है न अपनी बेटी को किसी और को देना............. बाबू........बोलो न......जब आपके पास इतना प्यारा लंड था तो आपने मुझे पहले ही चोदा क्यों नही?............ओह बाबू....चोदो बाबू ऐसे ही......बोलो न बाबू.....अब तो अपनी चीज़ किसी को नही दोगे न....बोलो बाबू......हाय मेरे राजा......ओओओहहह....दैया

बिरजू- न मेरी बिटिया अब मैं अपना हक किसी को नही देने वाला.......सच अपनी इतनी रसीली चीज़ को मुझे किसी को नही देना चाहिए.......अब नही दूंगा....हाय मेरी बेटी! मुझे माफ़ कर देना।

नीलम- न मेरे बाबू....माफी न मांगिये.....बस आप मुझे अच्छे से चोदिये.......आआआआआआहहहहहह

बिरजू अपनी बेटी की बूर में लगतार घपा घप धक्के मारकर उसकी बूर को चोदने लगा। हर धक्के से नीलम का पूरा शरीर और उसकी मस्त चूचीयाँ तेज तेज हिल रही थी, काफी देर तक लगातार चोदने के बाद नीलम के बदन में ऐंठन होने लगी, तेज गनगनाहट के साथ नीलम का बदन थरथरा गया और वह तेजी से सीत्कारते हुए झड़ने लगी, नशे में आंखें उसकी बंद हो गयी, बदन में सनसनाहट सी दौड़ने लगी और पूरा बदन झटके खा खा के मचल उठा, नीलम से अब झुका नही गया और वह लेट गयी, बूर उसकी थरथरा कर लगतार झड़ रही थी।

बिरजू पूरी तन्मयता से नीलम को उसके ऊपर लेटकर पीछे से चोदे जा रहा था, तेज तेज धक्कों से अब गांड नीलम की उछल उछल जा रही थी और वो जोर जोर सिसकारने लगी, ताबड़तोड़ तेज धक्कों से थप्प थप्प की तेज आवाज होने लगी और तभी बिरजू भी गरजते हुए भरभरा कर अपनी सगी बेटी की बूर में झड़ने लगा, नीलम की बूर एक बार फिर बिरजू के गरम लावे से भरने लगी, बिरजू का पूरा लन्ड तेज तेज झटके खाकर वीर्य की मोटी धार छोड़ने लगा और नीलम अपनी बूर की गहराई में गर्म गर्म वीर्य को महसूस करती रही, मस्ती में उसकी आंखें बंद थी, बिरजू उसके ऊपर ढेर हुआ पड़ा था, लंड पूरा बूर में ठुसा हुआ झड़ रहा था, नीलम हल्का हल्का सिसक रही थी, काफी देर तक बिरजू नीलम के ऊपर चढ़ा रहा फिर धीरे से बगल में लेट गया, लंड पक्क़ से बूर में से निकल गया, लंड बूर में से निकलने से नीलम की तेज से आह निकल गयी, ढेर सारा वीर्य निकलकर जिसमे नीलम का रस भी मिला था, चटाई पर बहने लगा, नीलम की जाँघे बिरजू के वीर्य से सन गयी थी, बिरजू ने अपनी बिटिया को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया, नीलम काफी थक गई थी, दोनों की सांसे अब भी थोड़ी तेज तेज ही चल रही थी, काफी देर तक वो दोनों वहीं चटाई पर लेटे लेटे एक दूसरे को दुलारते सहलाते रहे और दोनों एक दूसरे की बाहों में न जाने कब सो गए। बारिश कभी तेज कभी माध्यम होती रही।
 

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