Incest SINFUL FAMILY

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नामिता चावला :-
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एज :- 18

घमंडी ..झगड़ालु और फूलतू कामिनी लड़की

इसकी और इसके बाप की अयाशियों मे ज़्यादा अंतर नही है

अपने सपने के मुताबिक ये एर होस्टेस्स की पढ़ाई कर रही है ..पर रात को लगभग 3 बजे तक जागना और सुबह 12 से पहले ना उठना ये इसकी सबसे बुरी आदत है

घर मे सबसे छोटी होने की वजह से हर कोई इसकी आदतों को हमेशा से नज़र अंदाज़ करता आया है

अब तक कुँवारी है वजह " बचपन का प्यार ना आर ना पार "

एक दिन मे बात प्यार तक पहुच जाती है और साथ जीने मरने के वादे भी ..लेकिन अगले दिन ही लड़ाई की वजह से सब ख़तम ..लड़ने का मुख्य कारण है इसकी शक़ करने की आदत ..किसका - किसके साथ लफडा है ..कौन कितने पानी मे है ..वगेरा - वगेरा मे ये अपना खून जलाती रहती है

वेस्टर्न पहनावा ..एलेक्ट्रॉनिक गॅडजेट्स ..दोस्तों के साथ घूमना फिरना ..फालतू के खर्च इसकी पहली पसंद हैं

दिखने मे नामिता भी किसी से कम नही सेम अपनी बड़ी बहेन जैसा फिगर

घर के किसी काम मे हाथ नही बटाती बल्कि बिगाड़ने पर आमदा रहती है

आज कल इसके शक्की मन का टारगेट कोई अजनबी नही खुद इसके डॅड हैं
wow very hot intro
 
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पर ये सब हुआ कैसे तो जानने के लिए हमे 10 दिन पिछे जाना पड़ेगा

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" गुड मॉर्निंग डॅड "

निम्मी सीढ़ियों से उतरते हुए दीप को ग्रीट करती है ..दीप सोफे पर आँख बंद किए बैठा था

" गुड मॉर्निंग का समय ख़तम ..दोपहर का एक बज रहा है "

दीप ने अपनी आँखें खोल थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा

" ओह डॅड ..कल से पक्का जल्दी उठ जाया करूँगी "

निम्मी दीप की गोद मे बैठ कर बोली

" ह्म्‍म्म ..आज ये मक्खन किस लिए "

" कहाँ डॅड ..आप तो वर्ल्ड के बेस्ट डॅड हो "

निम्मी ने उसके गाल को चूम कर कहा

" समझ रहा हूँ ..बोल इस किस के बदले मे तेरी क्या डिमॅंड है ? "

दीप जानता था ..वैसे तो निम्मी हर वक़्त कोई ना कोई इश्यू उठाती रहती है पर जब उसे कोई ज़रूरत या काम पड़ता था तब वो गधे को भी बाप बनाने से नही चूकती

" वो डॅड ..मुझे 5000/- चाहिए "

निम्मी दूसरे गाल को चूमते हुए बोली

" नो वे निम्मी ..तूने प्रॉमिस किया था कि पॉकेट मनी के अलावा एक्सट्रा कोई पैसे नही माँगेगी "

दीप ने उसे गुस्से से अपनी उंगली दिखाई

" जानती हूँ डॅड मैं अपना प्रॉमिस तोड़ रही हूँ ..पर ये लास्ट बार है ..दे दो ना प्लीज़ "

निम्मी ने उसकी गोद मे मचलते हुए कहा

" चल ठीक है ..पर तू अब क्या खरीदने के विचार मे है ..अभी 15 दिन पहले ही तो मैने सब को भरपूर शॉपिंग करवाई थी "

दीप ने पिघल कर उसके कान पकड़े ..आख़िर वो अपनी औलादो के लिए ही तो कमा रहा था

" मैने माल मे एक लेदर स्कर्ट देखा था 4000/- का ..बस वही लेने जा रही हूँ "

निम्मी ये बोल कर उसकी गोद से उठी और पैसो के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया

" तुझे ये छोटे - छोटे कपड़े पहेन ने मे शरम नही आती ..निक्की को देख कितनी सभ्यता से रहती है "

दीप ने निम्मी के उस वक़्त पहने कपड़ो को देख कर कहा ..निम्मी ने अभी एक बेहद छोटा टाइट पिंक टॉप पहना था जो उसके कंधो से स्टार्ट हो रहा था ..टॉप के नीचे पहनी वाय्लेट ब्रा के स्ट्रॅप्स विज़िबल थे ..निचले हिस्से मे एक वाइट + ब्लॅक लिनिंग स्कर्ट जो बड़ी मुश्क़िल से उसकी ब्रॉड थाइ तक का हिस्सा कवर कर पा रही थी

" डॅड दिस इस 21स्ट्रीट सेंचुरी और दीदी हैं 18थ की ..अब आप ज़्यादा बातें ना बनाओ ..मुझे लेट हो रहा है "

निम्मी ने भी पलटवार किया

" हां एक तू ही तो है मिस. इंडिया बाकी तो सब पानी कम चाय हैं ..ये ले पकड़ और शाम को जल्दी घर आ जाना "

दीप ने ये कहते हुए अपनी शर्ट की पॉकेट मे हाथ डाल पैसो की गड्डि पकड़ी और उसे बाहर खीचा ..पर अगले ही पल नोटों के साथ एक सिंगल कॉंडम पॅक भी बाहर निकल आया

" ओह शिट "

निम्मी ने अपने मन मे कहा और इसकी वजह थी उसकी जासूसी ..उसे ये पता था कि डॅड - मोम का चुदाई वाला खेल ख़तम हो चुका था ..अक्सर रात देर से सोने की आदत ने उसे दूसरो के कमरो मे ताक झाक करने वाला बना दिया था ..ऐसा नही था वो ये जान कर करती थी ..आक्चुयल बात थी उसके मोबाइल कॉल्स और साथ मे लॅपटॉप पर चाटिंग करना ..जिसके लिए वो पूरी तरह सेक्यूर माहॉल क्रियेट करती ..तभी उसे इतना डीप नालेज था कि हर रात दीप थोड़ा नशे मे आता और अपने बेड पर गिरते ही सो जाता

अब अगर मोम के साथ डॅड के फिज़िकल रीलेशन ख़तम हो गये थे तो फिर ये कॉंडम डॅड ने पॉकेट मे किस लिए रखा था
mast going
 
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निम्मी को सोच मे डूबा देख दीप ने जल्दी से उसे 5000/- पकड़ा दिए ..वो पैसे ले कर दूसरी तरफ मूडी और सोचने के चक्कर मे उसका पैर ज़मीन पर बिछि मॅट के फोल्ड मे अड़ गया ..नतीजा वो आगे की तरफ गिर गयी ..हाथ का सपोर्ट लेने से उसे ज़्यादा चोट तो नही आई पर उसके गिरने से जो नज़ारा दीप की आँखों ने देखा वो बड़ा ही मदहोश कर देने वाला था

निम्मी की स्कर्ट छोटी होने से इतनी ऊपर उठ गयी थी कि अंदर पहनी ब्लॅक नेट पैंटी के दर्शन कुल 5 - 10 सेकेंड के लिए दीप को हुए ..पैंटी साइज़ के क्या कहने गांद की दरार मे फसि हुई थी ..अचानक निम्मी को अपनी पोज़िशन का ध्यान आया ..उसने उठने से पहले डॅड की तरफ अपना चेहरा घुमाया तो दीप की आँखों मे चमक देखी ..उसे समझ आया कि बाप होने के बावजूद बेटी के हुस्न ने ये कमाल किया है और अलगे ही पल वो ठीक से खड़ी हो गयी

" तुझे चोट तो नही आई ना ? "

दईप कॉंडम की बात को ले कर पहले ही परेशान था और अब तो निम्मी ने उसे खुद की गांद घूरते भी पकड़ लिया था ..दीप के माथे पर पसीना देख निम्मी का शक़ और गहरा हो गया

" नही मैं ठीक हूँ "

इतना कह कर निम्मी ने अपनी स्कर्ट को थोडा नीचे खिसकाया और तेज़ कदमो से मैन गेट की तरफ भाग गयी

" अरे कोई लेगी तो पहेन लेती स्कर्ट के नीचे "

दीप के मूँह से निकली बात मे इतना दम नही था कि निम्मी उसे सुन पाती ..भले दीप की अयाशियों मे उसे हर रात नया जिस्म चाहिए होता था पर आज अपनी खुद की बेटी के उभरे यौवन को देख कर वो एक बाप की तरह सोचने मे लग गया था " 100 - 100 चूहे खा कर बिल्ली हज को चली " और रही बात जेब से कॉंडम निकल ने की तो निम्मी की जगह अगर कामिनी होती तो शायद दिक्कत हो सकती थी ..इस घटना ने उसे सजग और सतर्क रहने का संकेत भी दे दिया था

वहीं निम्मी को जासूसी करने की वजह मिली वो भी अपने डॅड की


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very nice
 
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रघु चावला :-
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एज :- 23

( ये चेहरा अभी अजनबी रहे तो अच्छा है )

निकुंज से 2 मिनट. पहले पैदा हुआ उसका जुड़वा भाई और इस कहानी का एक मुख्य पात्र भी

किस्मत का मारा ..एक पागल इंसान

आज से 4 साल पहले एक कार आक्सिडेंट मे इसकी सोचने - समझने की पवर ख़तम हो गयी थी

रघु ने कोई पढ़ाई नही की थी बल्कि उसका इंटेरेस्ट बचपन से ही गुंडा - गार्दी ..लड़ाई झगडो मे रहा

कई पोलिटिकल पार्टीस और यहाँ तक कि अंडर वर्ल्ड से जुड़े लोगो से भी इसके अच्छे संबंध रहे थे ..बाहर और घर मे सभी इस से बहुत घबराते थे ..वजह थी इसका जिगर

हालाकी आक्सिडेंट होने से पहले इसे एक लड़की से प्यार हुआ ..बात लव मॅरेज तक पहुचि पर एक दिन अपने प्यार को किसी गैर मर्द की बाहों मे देख कर इसका खून खौला और ताबड तोड़ 6 गोलियाँ चला इसने दोनो को स्पॉट पर ही मार डाला

अपना प्यार खुद के हाथो मार ने से इसका दिमागी संतुलन खोया और उसी दिन रात को घर लौट ते वक़्त इसकी कार एक ट्रक से जा टकराई ..दीप ने इसके इलाज मे कोई कसर बाकी नही रखी पर होनी ने रघु पर कोई रहम नही किया ..शरीर के घाव तो ठीक हो गये पर दिल और दिमाग़ पर अपने प्यार की हत्या के बोझ तले ये पूरी तरह पागल हो गया

आज पुणे के एक बहुत बड़े मेंटल हॉस्पिटल मे भरती है और महीने मे 1 बार पूरा परिवार इस से मिलने वहाँ जाता है

वैसे तो दीप और कामिनी यही चाहते थे कि रघु उनके पास मुंबई ही रहे पर उसके इलाज के चलते दोनो मजबूर थे

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कहानी मे सारी थीम हैं ..सेक्स ..रोमॅन्स ..थ्रिलर

बस ज़रूरी है आप सब रीडर्स का पेशेंस रखना और मुझे प्यार से सपोर्ट देना

अपडेट्स रेग्युलर होंगे मैं झूठा वादा नही करूँगा पर जब भी वक़्त मिला कहानी आगे ही बढ़ेगी ...
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पापी परिवार--3

वहीं दूसरी तरफ दीप के घर पर तांडव मचा हुआ था ..वजह कोई और नही निम्मी थी

" मोम मेरी सारी फ्रेंड्स जा रही हैं ..तो मुझे भी जाना है "

कॉलेज के फ्रेंड्स ने आज पब मे रात बिताने का फ़ैसला किया था ..जिसके चलते निम्मी काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी ..हलाकी इस वक़्त उसका किसी से रीलेशन नही पर मुंबई ऐसी जगह है जहाँ रात किसी पब या होटेल के बाहर सिंगल चले जाओ तो कपल बनते देर नही लगती

" नही माने नही ..अब मेरा दिमाग़ मत खा मुझे बहुत काम है समझी और हां कितना गंदा कमरा कर रखा है ..फटाफट सफाई मे जुट जा "

कम्मो नाराज़ होते हुए कमरे से बाहर जाने लगी

" सफाई माइ फुट ..मैं जाउन्गि ..मैं जाउन्गि और ज़रूर जाउन्गि "

निम्मी ने उसे जाते देख चिल्ला कर कहा ..वाकाई मे उसके जैसी ज़िद्दी ..बिग्ड्ल और झगड़ालु लड़की किसी दूसरे के घर मे नही होगी

" मुझसे ज़ुबान मत लड़ा ..वरना तेरे पापा को कॉल लगा दूँगी "

कम्मो ने पलट कर उसे दीप का डर दिखाया

" हां हां बोल देना ..कोई डरता है क्या ..' मुझे भी उनकी सारी काली करतूतो का पता है ' "

निम्मी ने इस सेंटेन्स की लास्ट लाइन थोड़े धीमे स्वर मे कही लेकिन कम्मो के कानो मे ये बात चली गयी

" क्या बोली तू ..फिर से बोल ? "

कामो ने उसके वाक्य दोहराने को कहा

" मैने क्या कहा ? "

निम्मी को थोड़ी घबराहट हुई कि कही मोम ने उसकी बात को सुन तो नही लिया

" वही ..कुछ काली करतूत के बारे मे "

कम्मो ने सुना तो था पर अधूरा

" क्या काली करतूत ..मैने तो बोला था कि पापा होते तो मुझे जाने से कभी नही रोकते ..पर तुम हमेशा से ही मुझे हर काम के लिए टोकती रहती हो "

निम्मी ने बात को चेंज करते हुए माहॉल को सेंटी बनाना शुरू किया

" देख निम्मी मेरे लिए सभी बच्चे बराबर हैं ..ये तेरे मन के फितूर ही तुझे मुझसे दूर ले जाते हैं ..अरे मैं मा हूँ तेरी कोई दुश्मन तो नही "

कम्मो को उसकी बात अपने दिल पर एक चोट लगी ..वो चल कर वापस कमरे मे आने लगी

" मैं सही कह रही हूँ मोम ..दीदी ..भैया और यहाँ तक पापा भी मेरे साथ ग़लत बर्ताव करते हैं तो मुझे दुख होता है ..जैसे मैं इस घर का खून ही नही हूँ "

निम्मी अपनी झुटि बातों से कम्मो का दिल पसीजे जा रही थी मगर सच तो ये था कि उसे घर मे जितना प्यार और आज़ादी मिलती थी वो शायद निकुंज को भी नही थी

" सुन बेटी अब तू बड़ी हो गयी है ..इस तरह का बच्पना छोड़ ..तेरे अलावा कोई इस घर मे इतना ज़िद्दी नही ..अब तू कोई 6 महीने की बच्ची तो नही जो तेरी हर बात को माना जाए "

कम्मो ने इस बार उसे प्यार से समझाया ..बचपन से ही उसे निम्मी का नेचर अच्छी तरह से पता था कि वो जो ठान लेती है उसे कर के मानती है ..चाहे इसके लिए उसे कितना भी लड़ना पड़े

" मैं अब बच्ची नही रही मोम ..अपना बुरा भला समझ सकती हूँ ..अब तुम जाओ मुझे नहाना है ..पार्टी मे जाने को देर हो जाएगी "

इतना कह कर निम्मी ने एक झटके मे अपना टॉप और नीचे पहनी कॅप्री को उतार कर डोर उच्छाल दिया और अंडरगार्मेंट्स मे आ गयी

" हाए राम निम्मी ..शरम कर शरम "

वैसे तो ये कोई नयी बात नही थी ..वो अक्सर कम्मो और अपनी बहेन निक्की के सामने पूरी नंगी हो जाया करती थी ..पर आज पहली बार उसकी मा ने उसे इस तरह की बात कही थी

" कैसी शरम मोम ..क्या हुआ ? "

निम्मी ने एक नज़र कम्मो के चेहरे पर डाली ..वो उसकी नज़रों का पीछा करते हुए अपनी पैंटी पर पहुचि ..और अगले ही पल सारा माज़रा उसे समझ आ गया ..अक्चूली बात ये थी कि कुछ दिन पहले की गयी शॉपिंग मे निम्मी ने कुछ ज़्यादा ही मॉर्डन कपड़े खरीदे थे और उसके अंडरगार्मेंट्स तो फैशन की सारी हद पार करने लायक थे

" ये कैसे अन्द्रूनि कपड़े खरीदे तूने ..कुछ छुप सकता है इनमे ..बोल ? "

निम्मी ने मुस्कुरा कर कम्मो के गले मे अपनी बाहें डाल दी

" इसे क्रॉच लेस पैंटी कहते हैं मोम ..इसमे पुसी को छोड़ कर सारा हिस्सा ढका रहता है "


निम्मी के मूँह से पहली बार पुसी शब्द सुन कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ..माना वो उसकी मा थी पर आज तक इस तरह की सिचूएशन कभी नही बनी थी ..कम्मो ने उसे अपने से दूर कर दिया

" बेशरम ..वही तो पूछ रही हूँ ..इस तरह के कपड़े कोई पहेनता है क्या "

कम्मो ने अपनी आँख उसकी चूत पर गढ़ाते हुए कहा ..बात सही थी जो चीज़ ढकने के लिए पैंटी को बनाया गया है अगर वही चीज़ खुली रहे तो पैंटी किसी मतलब की नही

" मोम इसमे मुझे खुला - खुला सा लगता है ..आप भी पहना करो ..रिलॅक्स फील होगा "

निम्मी ने उसे आँख मार कर कहा

" मारूंगी एक ..मैं तेरी तरह कोई पागल थोड़ी हूँ जो ये सब पहनु "

कम्मो ने इस बार उसे मारने के लिए झूठा नाटक किया तो निम्मी उससे थोड़ा दूर जा कर खड़ी हो गयी ..अब पोज़िशन ये थी कि कम्मो कमरे के अंदर और निम्मी कमरे के गेट पर ..जगह चेंज होने की वजह से निम्मी की गांद कुछ सेकेंड के लिए कम्मो की नज़रों के सामने घूमी और पिछवाड़े का हाल देख कर तो कम्मो ने अपना माथा ही ठोक लिया

" ये क्या है ..पीछे तो कुछ है ही नही "

कम्मो की बात सुन निम्मी ने खुद के चूतडो को देखने की कोशिश की तो उसे ज़ोरों से हसी आ गयी ..उसके हस्ने से कम्मो का हाल देखने लायक था

" बेहया एक तो ग़लती करती है और फिर हँसती भी है "

कम्मो ने उसे फिर से डांटा

" ओह मोम ..तुम्हे कुछ पता नही ..इस पैंटी मे पीछे की तरफ एक पतला सा स्ट्रॅप दिया है पर वो अभी मेरे आस क्रॅक्स मे फसा है "

ये कह कर निम्मी ने अपने चूतडो को कम्मो की तरफ घुमाया और थोड़ा झुकते हुए बड़ी अदा के साथ गांद की दरारो मे फसे कपड़े के पतले से स्ट्रॅप को अपनी उंगलियों से टटोल कर बाहर खीच लिया

" हे भगवान ..तू इसे पहेन के भी नंगी ही है ..इस से अच्छा तो इसे पहना ही मत कर ..घूम ऐसे ही बिना कपड़ो के घर मे ..बेशरम कहीं की "

कम्मो ने भले ही कयि बार अपनी छोटी बेटी को पूरा नंगा देखा था पर उसके शरीर पर गौर पहली बार किया ..और आज उसे वो बच्ची नही वाकयि एक गदराए जिस्म की मालकिन लग रही थी ..पैंटी के फटे हिस्से से बाहर झाकति कुँवारी बिना झटों की चूत ..बड़े - बड़े बेदाग चूतड़ और बूब्स किसी से कम नही थे ..आज कम्मो निम्मी के बदन को सोचते हुए निक्की के जिस्म तक पहुच गयी ..वैसे निक्की को उसने 4 - 5 सालो से नंगा नही देखा था ..पर जब छोटी ऐसी है तो बड़ी के क्या कहने यही सोच कर उसकी चूत मे खुजलाहट मचने लगी साथ ही निम्मी के मूँह से निकले सेक्षुयल शब्द और उसकी हरकतें कम्मो पर कहर ढाने के लिए काफ़ी थी

" तो ठीक है अब से मैं पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी ..थॅंक्स फॉर युवर गुड सजेशन मोम "

निम्मी ने बशर्म बन कर एक फ्लाइयिंग किस कम्मो की तरफ उछालि और अगले ही पल पैंटी और ब्रा भी ज़मीन पर पड़े थे

" तुझ जैसी पागल का कोई भरोसा नही ..घर मे तेरे अलावा तेरा भाई और डॅड भी रहते हैं ..शर्म कर शरम ..या तो बोल तुझे पागल खाने भरती करवा दिया जाए ..मैं आज ही तेरे डॅड से बात करूँगी "

कम्मो इतना बोल कर वापस कमरे के गेट की तरफ बढ़ी पर इस बार जो बात निम्मी के मूँह से निकली उसने कम्मो को अंदर तक झकझोर दिया

" हां हां भेज तो मुझे पागल खाने ..तुम सब यही चाहते हो ना कि मैं इस घर से दूर चली जाउ ..तो भरती कर दो मुझे भी उस पागल इंसान के साथ जिसे पैदा कर के पालना भी तुम्हे गवारा नही "

निम्मी ने एक साँस मे अपनी सारी भादास निकाल दी ..कुछ वक़्त पहले तक क्या टॉपिक चल रहा था और अब बात किस मॅटर पर पहुच गयी ये देख कम्मो की आँखों से आँसू बहने लगे ..निम्मी ने लाख बार अपनी मा को सताया हो पर इस तरह के लांछन की उम्मीद कम्मो ने कभी नही की थी ..दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे और एक चीख ने दोनो का ध्यान कमरे के गेट की तरफ मोड़ दिया

" निम्मीईीईईईई.......... "

ये आवाज़ निकुंज की थी जिसने सीढ़ियाँ चढ़ते हुए निम्मी के मूँह से निकली आख़िरी बात सुन कर उसके कमरे का रुख़ किया था ..पर उसे इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नही था कि कमरे मे उसकी छोटी बहेन पूरी तरह से नंगी खड़ी होगी

निकुंज ने गेट पर पहुच कर चिल्लाया तो निम्मी और कम्मो दोनो के होश उड़ गये ..लगभग 5 - 10 सेकेंड तक निकुंज की आँखें बहेन के नंगे जिस्म पर पड़ी और जब तक उसे होश आता निम्मी का नंगा बदन पूरी तरह से उसकी आँखों मे उतर गया ..हालत निम्मी की भी कुछ ऐसी ही थी ..भले ही छोटे कपड़ो मे बाप और भाई ने हमेशा से उसे देखा हो पर इस तरह से बिना गेट लॉक किए नंगा खड़ा होना उसके बेशरम होने का जायज़ सबूत था और तो और जो बात निम्मी ने अपने भाई रघु के लिए कही वो सुन कर निकुंज खुद को रोक नही पाया और आज पहली बार इस तरह से अपनी बहेन पर चिल्ला दिया

" बेशरम अपने कपड़े पहेन ..मैं आज तुझे नही छोड़ने वाला ..सारी चर्बी ख़तम कर दूँगा आज तेरी "

होश मे आते ही निकुंज दरवाज़े से थोड़ा पीछे हो गया और निम्मी घबरा कर बाथरूम के अंदर घुस गयी ..कम्मो भी अब तक खुद को समहाल चुकी थी ..उसे निकुंज के जल्दी घर लौट आने के बारे मे ज़रा भी अनुमान नही था वरना बात बंद कमरे मे होती

" बेटा तू चल मेरे साथ ..बच्ची है ..ज़रा सा भी दिमाग़ नही इसमे "

कम्मो ने पहली बार निकुंज को इतने गुस्से मे देखा था ..हमेशा कूल और प्यार से रहने वाला उसका छोटा बेटा आज इतना नाराज़ इस लिए भी हुआ क्यों कि रघु को उसने दीप से भी बढ़ कर माना था

" नही मा ..आज से ये इस घर मे नही रहेगी ..हमारे लाड - प्यार का ये सिला मिलेगा सोचा ना था ..अरे निक्की भी तो इसी घर का खून है उसे देखो ..शायद ही आज तक उसने किसी का दिल दुखाया हो और ये बेशरम ..छ्हीइ शरम आती है इसे बहेन कहते हुए भी "

ये कह कर निकुंज अपने कमरे की तरफ चला पड़ा ..कम्मो भी उसके साथ थी ....

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वहीं बाथरूम के हालात तो और भी बदतर थे ..निम्मी ने उसके भाई की सारी बातें सुनी लेकिन उसकी आँखों मे रत्ती भर भी नमी नही आई बल्कि उसका नंगा बदन तप कर शोलो मे बदल गया ..उसकी साँसे चढ़ि थी और वो किसी सोच की मुद्रा मे शवर के नीचे खड़ी थी

" आज जो कुछ भी घर पर हुआ वो सही नही हुआ ..याद रखना निकुंज चावला अगर मैने अपनी बेज़्ज़ती का बदला नही लिया तो मेरा नाम निम्मी नही ..अब देखना मैं क्या करती हूँ "

ये कहते हुए उसने शवर का टॅप घुमाया और भर - भर करता पानी उसके तन - बदन मे लगी आग को शांत करने लगा ....

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कॅफेट मे बैठे दीप और जीत अपनी अधूरी बातों को पूरा कने मे लगे थे ..पर दीप का ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उस लड़की मे खोया था जिसने अभी 10 मिनट पहले दीप के लंड का रस चखा था ..कैसे भी कर के दीप को उसे चोदना था और इसके लिए उसने जीत का सहारा चाहा

" तू कहाँ खोया है कमीने ..जब से बड़बड़ा रहा हूँ पर तुझे तो जैसे मेरी बात से कुछ लेना देना ही नही "

जीत ने उसे किसी सोच मे डूबा देख कहा

" यार बुरा मत मान पर मुझे तेरी सेक्रेटरी की चूत चाहिए ..तुझे मंज़ूर हो तब भी और ना हो तब भी "

दीप ने अपनी सोच को आम करते हुए कहा ..उसकी बात से जीत का चेहरा थोड़ा गंभीर हुआ और वो अपनी चेर पर सीधा बैठ गया

" क्या बात है जीत ..क्या तू नही चाहता कि मैं उसे चोदु ..या तुझे उसे मुझसे शेर करने मे कोई तकलीफ़ है ..जो भी बात हो सॉफ - सॉफ बता "

दीप ने उसे शांत देख कहा

" यार अब मैं क्या कहूँ ..अच्छा एक काम करता हूँ उसे भी कॅफेट मे बुला लेते हैं "

जीत की बात सुन दीप का चेहरा खिल उठा

" जानता था तू मेरी बात कभी नही टालेगा ..दोस्त अब दोनो मिल कर उसकी चूत मारेंगे ..साली पक्की रांड़ लगती है ..पर जो भी हो माल काँटा है ..मैने बड़े सालो बाद ऐसा जिस्म देख होगा ..खेर जल्दी बुला उसे जाने से पहले उसकी मंज़ूरी जान लू तो दिल को सुकून आ जाएगा "

दीप तो जैसे पागल हो चुका था उस लड़की के पीछे ..पर जीत का मूँह उसकी असलील बातों से काफ़ी उतर गया ..उसने कॉल कर लड़की को कॅफेट मे बुलाया

थोड़ी देर तक दोनो दोस्त बिल्कुल शांत रहे ..जीत ने 3 कॉफी का ऑर्डर दे दिया और अब दोनो लड़की का इंतज़ार करने लगे ..इंतज़ार की घड़ियाँ ख़तम हुई और वो बंदी अपनी कमर मतकाती हुई उनकी तरफ आती दिखाई दी ..दीप उसकी चाल पर आह भरने लगा जिसे सुन कर जीत ने अपनी नज़रे दोनो से दूर कर ली

" मे आइ सीट हियर "

लड़की ने थोड़ा झुक कर पूछा जिससे उसके रेड टॉप मे बना बूब्स क्लीवेज और भी ज़्यादा विज़िबल हो गया

" या या शुवर "

दीप ने जल्दी से उसे इज़ाज़त दी और तब तक तीनो की कॉफी भी सर्व हो गयी

तीनो की बात स्टार्ट हो पाती कि अचानक से दीप का सेल बजा और उसकी सारी आशाओ पर पानी फिर गया ..निकुंज ने गुस्से मे आ कर दीप को फोन किया और वो सारी बात सुन उन दोनो से ज़रूरी काम का बोल कर घर के लिए रवाना हो गया ....

" बेटा तेरे डॅड नाराज़ होंगे ..तुझे उन्हे कॉल नही करना चाहिए था "

निकुंज और कम्मो बेड पर बैठे बातें कर रहे थे

" क्या करूँ मा आज निम्मी ने सारी हदें पार कर दी ..मैने उसे कितना चाहा है ये तुम भी जानती हो और वो भी ..पर रघु के बारे मे ऐसा गंदा बोलते हुए उसे शरम नही आई "

निकुंज का गुस्सा अभी भी बरकरार था

" छोड़ बेटा अगर इसी तरह डाट - डपट के निम्मी सुधर सकती होती तो कब का सुधर जाती ..मैं तो कहती हूँ उसे प्यार से ही समझाया जा सकता है ..माना थोड़ी ज़िद्दी है पर है तो तेरी बहेन ही ना "

कम्मो ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा

" वैसे मा एक बात कहूँ शायद आप को बुरा लगे ..रघु अगर इस घर मे पैदा ना हुआ होता तो ये जो दो वक़्त चैन की रोटी मिल रही है ना वो भी नसीब नही होती ..आज से 7 - 8 साल पहले था क्या हमारे पास ..एक किराए का कमरा और डॅड के बिज़्नेस के टूटे फूटे बर्तन - भाड़े ..पता है ना आप को जब कोई पार्टी का ठेका मिले महीनो बीत जाते थे तब रघु की ही कमाई से घर चलता था ..ना वो ग़रीबी के चलते गुंडा बनता ना हमारे दिन बदलते ..अरे ये दोनो जो इतनी शान से घूमती हैं वो भी सिर्फ़ रघु के डर की वजह से ..वरना निम्मी जिस हिसाब के फैशोनब्ल कपड़े पेहेन्ति है उन कपड़ो मे मुंबई की सड़को पर रात क्या दिन भी सेफ नही ..लोगो के कानो मे आज भी ये बात पड़ जाए की ये रघु की बहने हैं तो कोई आँख उठा कर भी नही देखता जबकि सब को पता है वो बेचारा किस हाल मे कहाँ भरती है ..लेकिन आज शायद सभी ने उसे अपने दिल से बाहर निकाल दिया ..निम्मी ने कहीं ना कहीं सही भी कहा कि उसे पैदा कर के जहन्नुम मे फेक दिया गया है ..क्या हम उसे घर नही ला सकते मा ..हो सकता है जो रिकवरी वो हॉस्पिटल मे ना कर पाए वो यहाँ हमारे बीच रह के कर ले "

निकुंज के माइंड मे एयूएस. से लौटने के बाद जो बात सबसे पहले आई थी वो उसने कम्मो को बता दी ..वो चाहता था कि रघु को पुणे से घर मे शिफ्ट करवा दिया जाए ताकि वो सबकी नज़रो के सामने तो रहे

" बेटा मन तो मेरा भी यही कहता है ..पर घर मे ऐसा माहॉल देख कर रघु को और भी ज़्यादा तकलीफ़ होगी "

कम्मो ने उसे समझाया

" कुछ भी हो मा उसे यहाँ लाना ही पड़ेगा ..वहाँ हॉस्पिटल मे कौन सा उसका ट्रीटमेंट होता होगा ..सिर्फ़ उस पर रेसेर्च ही करते होंगे सभी ..मैं आज डॅड से इस बारे मे बात करूँगा "

निकुंज इतना बोल कर फ्रेश होने बाथ रूम मे चला गया और कम्मो अपने बचे कामो को पूरा करने किचन मे

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दीप ऑफीस की पार्किंग से कार निकाल कर घर की तरफ लौट रहा था

" साला क्या मस्त माल है ..अगर चुदाई के लिए राज़ी हो जाए तो पटक - पटक के चोदुन्गा ..कितने साल बाद ऐसी आइटम नज़र मे आई ..बस जीत मना ले उसे कैसे भी कर के ..फिर तो मज़े ही मज़े हैं ..वैसे वो हां ही कहेगी क्यों कि पहली बार मे लड़की सिर्फ़ शर्मो - हया दिखाती है ..पर उसने तो मेरा लंड ही चूस लिया ..ऐसा लगता है जैसे अब तक उसके गरम होंठ मेरे लंड से चिपके हों "

ऐसी केयी बातें सोच दीप का बैठा लंड वापस अंगड़ाई लेने लगा ..उसने एक हाथ स्टेरिंग पर और दूसरे से लंड को पॅंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया

" आज बात पूरी हो जाती अगर निकुंज का कॉल बीच मे ना आया होता ..ये निम्मी भी ना ..ज़रूर कोई उल्टी सीधी हरकत की होगी तभी निकुंज ने मुझे घर बुलाया ..क्या करू इस लड़की का ..हर वक़्त सिर्फ़ लड़ाई - झगड़ा ..आज अच्छे से खबर लेनी पड़ेगी इसकी "

दीप अपनी सोच से बाहर निकलता जब तक उसकी गाड़ी घर के मैन गेट पर पहुच चुकी थी ..कार से उतर कर उसने तेज़ कदमो से हॉल कर रुख़ किया और देखा तो घर मे हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था

" कहाँ हो सब ..कम्मो ? "

दीप ने हॉल को खाली देख चिल्ला कर कहा

उसकी आवाज़ मे बेहद नाराज़गी थी जिसे सुन कर परिवार के सदस्य घबरा कर हॉल मे आने लगे ..कम्मो किचन से दौड़ी तो निकुंज और निक्की अपने - अपने कमरो से ..सिर्फ़ निम्मी को छोड़ कर अब सभी हॉल मे थे

" क्या बात थी तो इस तरह मुझे घर बुलवाया ? "

दीप की दहाड़ से निम्मी तक अपने कमरे मे सहम गयी ..वो रूम की खिड़की से हॉल मे हो रही आवाज़ को सॉफ सुन सकती थी ..एक पल तो उसके चेहरे पर चिंता के बादल छाए पर अगले ही पल एक चिर परिचित मुस्कान से उसके होंठ हिलने लगे ..क्यों कि कुछ देर पहले उसने सभी बातों को जोड़ कर इस प्राब्लम का सल्यूशन ढूंड लिया था

" आप फ्रेश हो जाइए बाद मे बात करेंगे "

कामिनी ने दीप के चेहरे पर आते गुस्से को देख कर कहा ..इशारे से उसने निकुंज को भी छुप रहने की सलाह दी

" नही जो भी बात है अभी बताओ ..कब तक ऐसा माहॉल चलता रहेगा घर मे "

दीप ने सोफे पर बैठते हुए कहा

" डॅड मोम ठीक कह रही हैं ..आप फ्रेश हो जाइए मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है आप से "

निकुंज ने हालात समझते हुए कहा ..वो जानता था कि अगर निम्मी वाली बात डॅड को पता चली तो शायद उसे खूब डाट पड़ती ..भले वो अभी नादान है ..पर जो भी हो इस घर की जान भी है ..यही सोच कर निकुंज ने फ़ैसला किया कि मॅटर से निम्मी को बाहर कर डाइरेक्ट रघु को घर लाने की बात की जाए

" निम्मी कहाँ है ? "

दीप ने तेज़ आवाज़ मे कहा ..ये बात सुनते ही निम्मी खिड़की से हट कर बेड पर लेट गयी और बेड-शीट से खुद को कवर कर लिया ..उसने तय किया था कि चाहे कितने भी बुलावे आएँ वो नीचे हॉल मे नही जाएगी ..अगर दीप को उस से बात करनी है तो उसे निम्मी के कमरे मे आना ही पड़ेगा

" वो अपने कमरे मे है "

निक्की ने दीप को 1स्ट फ्लोर का इशारा कर दिया

" मैं निम्मी से अकेले मे बात करना चाहता हूँ ..कोई 1स्ट फ्लोर पर नही आएगा "

दीप ने कहा और अपने कदमो की रफ़्तार 1स्ट फ्लोर पर बने निम्मी के कमरे की तरफ बढ़ा दी ..नीचे खड़ी कम्मो ..निकुंज और निक्की बस यही खेर मना रहे थे कि दीप का गुस्सा शांत हो जाए और निम्मी उसके कहर से बचे

कमरे के बाहर आ कर दीप ने नॉक करना भी उचित नही समझा और तेज़ी से दरवाज़ा खोलते हुए अंदर आ गया ..रूम की ट्यूब लाइट जल रही थी और निम्मी बेड पर चादर ओढ़े लेटी थी ..दीप ने एक नज़र उसे घूरा और आवाज़ दी

" निम्मी ..ये बच्पना कब ख़त्म होगा तेरा ? "

दीप ने कमरे का गेट लॉक कर कहा ताकि वो बंद कमरे मे अपनी छोटी बेटी को समझा सके ..भले ही उसकी नाराज़गी का कोई पार नही था पर वो चाह कर भी अपने बच्चो को डाट नही पाता ..बचपन से ले कर आज तक शायद ही कभी ऐसा हुआ हो तो जब उसने तेज़ आवाज़ मे घर के किसी भी मेंबर से बात की होगी

" निम्मी सो गयी क्या ? "

दीप उसके बेड की तरफ बढ़ते हुए बोला ..शाम के टाइम तो कभी निम्मी सोती नही थी फिर आज क्यों ..बेड पर उसके बगल मे बैठ कर दीप ने महसूस किया कि निम्मी का बदन चादर के अंदर कप - कपा रहा है जिसे देख वो घबराया और तुरंत ही चादर थोड़ा नीचे खीची ..निम्मी के सर पर अपना हाथ रख दिया

" ओह गॉड ..इसे तो तेज़ बुखार है "

निम्मी का माथा बहुत गरम था ..पर अचानक ये सब कैसे हुआ अब इस पर नज़र डालते हैं

[ जब निकुंज ने दीप को घर आने के लिए कॉल किया था तब निम्मी ने उसके रूम मे हो रही सारी बातें छुप कर सुनी और फ्यूचर का सोचते हुए दौड़ कर किचन मे पहुच गयी ..वहाँ से उसने एक प्याज़ उठाया और मुस्कुराती हुई वापस अपने कमरे मे आ गयी

साइन्स की क्लास मे उसने पढ़ा था कि अगर बॉडी टेंपरेचर को हीट देना हो तो प्याज़ को छील कर अपनी आर्म्स के अंदर दबा लेने से बॉडी कुछ ही वक़्त मे बुरी तरह जलने लगती है और सामने वाला फीवर समझ कर घबरा जाता है ..बस आइडिया लगा कर निम्मी ने एक्सपेरिमेंट कर डाला ..शायद डाँट से बचने का इस से अच्छा कोई और सल्यूशन हो नही सकता ]

( अपने बचपन मे जिस - जिस ने इस उपाए को किया होगा ..शायद वो इसकी उपयोगिता से वाकिफ़ होंगे )

दीप ने निम्मी को आवाज़ दी तो उसने गहरी नींद से जागने का बहाना कर धीरे - धीरे अपनी आँखें खोल दी ..कुछ देर पहले तक दीप कितने गुस्से मे था और अब कितना घबराया सा ..ये देख निम्मी मन ही मन मुस्कुरा उठी

" बेटा तुझे तो बहुत बुखार है "

दीप ने एक बार फिर निम्मी की आँखें खुलने पर कहा

" डॅड "

निम्मी ने नाटक करते हुए दीप को पुकारा

" यस बेबी ..आर यू ओके "

दीप ने बड़े प्यार से उससे पूछा

" यस डॅड बाकी सब तो ठीक है ..पर बहुत पेन हो रहा है "

निम्मी ने जवाब दिया

" पेन कहाँ पर ? "

दीप ने बोलते के साथ साथ उसकी चादर को नीचे खिसकाया और अगले ही पल उसकी आँखें बाहर को निकल आई ..निम्मी ने जान कर बॉडी के उपरी हिस्से पर टॉप नही डाला था और केवल एक सिड्यूसिव सी ब्रा पहने ली थी

" द ..द ..डॅड मैने टॉप नही पहना है ..उफ़फ्फ़..... "

निम्मी को तो आक्टिंग का ऑस्कर मिलना चाहिए था ..एक तो उसने लड़खड़ाती ज़ुबान से अपनी पोजीशन बताई और दूसरा आह ले कर दर्द का नाटक भी किया

" सॉरी मुझे पता नही था "

दीप ने अपनी नज़रें दूसरी तरफ करते हुए कहा ..उसने सोचा कि चादर को निम्मी ऊपर खीच लेगी पर वो ज्यों की त्यों लेटी रही ..पहनी हुई वाइट ब्रा नेट वाली थी जिसमे से उसके निपल सॉफ दिख रहे थे

" डॅड एक पेन किल्लर दे दीजिए ..प्लीज़ीयीईयीई "

निम्मी ने दीप को अपनी तरफ़ देखने पर मजबूर करते हुए कहा

" पेन किल्लर ? "

निम्मी का दर्द भरा प्लीज़ सुन दीप पलटा पर नज़ारा वही था ..इस बार निम्मी ने उठने की कोशिश की

" ना ना लेटी रह ..दर्द कहाँ है "

दीप की आँखें उसकी की अधखुली छातियों से चिपक चुकी थी ..दुनिया भर की चूतो का स्वाद लेने के बाद अपनी बेटी का योवन देखना उसे बुरा तो लगा पर क्या करता ' मैं हूँ आदत से मज़बूर ' "

" वो डॅड मैं नहाते वक़्त बाथरूम मे फिसल गयी थी ..मेरी बॅक मे चोट लगी है ..जैसे तैसे जो पहेन पाई पहना और तभी से आराम ही कर रही हूँ "

निम्मी ने बड़े अफ़सोस के साथ अपनी झुटि कहानी उसे सुनाई ..दर्द की वजह से वो इस अध - नंगी हालत मे है ये भी कन्फर्म कर दिया

" रुक मैं तेरी मोम को बुलाता हूँ "

दीप ने देखा कि निम्मी उसे अपनी छातियों को घूरते देख रही है ..तो उसने बेड से उठ कर जाना चाहा

" नो डॅड ..मोम मुझसे पहले से ही नाराज़ है ..अब उन्हे और परेशान नही कर सकती ..आप तो मुझे एक पेन किल्लर दे दीजिए ..मैं ठीक हूँ "

निम्मी ने बड़ा भोला चेहरा बना कर कहा तो दीप वापस उसके बेड पर बैठ गया

" बॅक मे लगी ..कही फ्रॅक्चर तो नही "

दीप ने चिंता जताई

" नो डॅड फ्रॅक्चर होता तो मैं हिल भी नही पाती ..लगता है हल्की सी गुम चोट लगी है "

ये कहते हुए निम्मी ने बची चादर अपने ऊपर से हटाई और करवट ले कर अपने चूतड़ पर हाथ रख दिया ..लोवर बॉडी पर उसने एक टाइट कॅप्री डाली हुई थी जिसमे फसि उसकी बड़ी सी गान्ड को जान कर निम्मी ने और बाहर की तरफ़ निकाल रखा था ..करवट लेने से उसकी थ्रेड ब्रा की एक सिंगल नाट दीप को दिखाई दी और बाकी पूरी पीठ नेकड़

" दर्द ज़्यादा है क्या बेटा ? "

दीप की लड़खड़ाती आवाज़ सुन निम्मी का चेहरा खिल उठा ..उसका प्लान सक्सेस था ..बस अब उसे ये सोचना था कि इतना काफ़ी है या अपने नाटक को कंटिन्यू रखा जाए ....
 

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