Incest SINFUL FAMILY

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Mujhe ek baat samajh nhi aati log incomplete stories ko copy kr k kya sabit karna chahte hn ...... Agar copy hi karna h to complete stories ko Karo Jo k bahut sari hn

Agar incomplete stories ko complete karne ki koshish kar rahe ho to me aise writers ka tahe dil se swagat krta hu or agar story ko incomplete hi chhodne ka irada hai to please reader's ki bhavnaon se khilwad Krna band kr dain.....।
 
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पापी परिवार--3

वहीं दूसरी तरफ दीप के घर पर तांडव मचा हुआ था ..वजह कोई और नही निम्मी थी

" मोम मेरी सारी फ्रेंड्स जा रही हैं ..तो मुझे भी जाना है "

कॉलेज के फ्रेंड्स ने आज पब मे रात बिताने का फ़ैसला किया था ..जिसके चलते निम्मी काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी ..हलाकी इस वक़्त उसका किसी से रीलेशन नही पर मुंबई ऐसी जगह है जहाँ रात किसी पब या होटेल के बाहर सिंगल चले जाओ तो कपल बनते देर नही लगती

" नही माने नही ..अब मेरा दिमाग़ मत खा मुझे बहुत काम है समझी और हां कितना गंदा कमरा कर रखा है ..फटाफट सफाई मे जुट जा "

कम्मो नाराज़ होते हुए कमरे से बाहर जाने लगी

" सफाई माइ फुट ..मैं जाउन्गि ..मैं जाउन्गि और ज़रूर जाउन्गि "

निम्मी ने उसे जाते देख चिल्ला कर कहा ..वाकाई मे उसके जैसी ज़िद्दी ..बिग्ड्ल और झगड़ालु लड़की किसी दूसरे के घर मे नही होगी

" मुझसे ज़ुबान मत लड़ा ..वरना तेरे पापा को कॉल लगा दूँगी "

कम्मो ने पलट कर उसे दीप का डर दिखाया

" हां हां बोल देना ..कोई डरता है क्या ..' मुझे भी उनकी सारी काली करतूतो का पता है ' "

निम्मी ने इस सेंटेन्स की लास्ट लाइन थोड़े धीमे स्वर मे कही लेकिन कम्मो के कानो मे ये बात चली गयी

" क्या बोली तू ..फिर से बोल ? "

कामो ने उसके वाक्य दोहराने को कहा

" मैने क्या कहा ? "

निम्मी को थोड़ी घबराहट हुई कि कही मोम ने उसकी बात को सुन तो नही लिया

" वही ..कुछ काली करतूत के बारे मे "

कम्मो ने सुना तो था पर अधूरा

" क्या काली करतूत ..मैने तो बोला था कि पापा होते तो मुझे जाने से कभी नही रोकते ..पर तुम हमेशा से ही मुझे हर काम के लिए टोकती रहती हो "

निम्मी ने बात को चेंज करते हुए माहॉल को सेंटी बनाना शुरू किया

" देख निम्मी मेरे लिए सभी बच्चे बराबर हैं ..ये तेरे मन के फितूर ही तुझे मुझसे दूर ले जाते हैं ..अरे मैं मा हूँ तेरी कोई दुश्मन तो नही "

कम्मो को उसकी बात अपने दिल पर एक चोट लगी ..वो चल कर वापस कमरे मे आने लगी

" मैं सही कह रही हूँ मोम ..दीदी ..भैया और यहाँ तक पापा भी मेरे साथ ग़लत बर्ताव करते हैं तो मुझे दुख होता है ..जैसे मैं इस घर का खून ही नही हूँ "

निम्मी अपनी झुटि बातों से कम्मो का दिल पसीजे जा रही थी मगर सच तो ये था कि उसे घर मे जितना प्यार और आज़ादी मिलती थी वो शायद निकुंज को भी नही थी

" सुन बेटी अब तू बड़ी हो गयी है ..इस तरह का बच्पना छोड़ ..तेरे अलावा कोई इस घर मे इतना ज़िद्दी नही ..अब तू कोई 6 महीने की बच्ची तो नही जो तेरी हर बात को माना जाए "

कम्मो ने इस बार उसे प्यार से समझाया ..बचपन से ही उसे निम्मी का नेचर अच्छी तरह से पता था कि वो जो ठान लेती है उसे कर के मानती है ..चाहे इसके लिए उसे कितना भी लड़ना पड़े

" मैं अब बच्ची नही रही मोम ..अपना बुरा भला समझ सकती हूँ ..अब तुम जाओ मुझे नहाना है ..पार्टी मे जाने को देर हो जाएगी "

इतना कह कर निम्मी ने एक झटके मे अपना टॉप और नीचे पहनी कॅप्री को उतार कर डोर उच्छाल दिया और अंडरगार्मेंट्स मे आ गयी

" हाए राम निम्मी ..शरम कर शरम "

वैसे तो ये कोई नयी बात नही थी ..वो अक्सर कम्मो और अपनी बहेन निक्की के सामने पूरी नंगी हो जाया करती थी ..पर आज पहली बार उसकी मा ने उसे इस तरह की बात कही थी

" कैसी शरम मोम ..क्या हुआ ? "

निम्मी ने एक नज़र कम्मो के चेहरे पर डाली ..वो उसकी नज़रों का पीछा करते हुए अपनी पैंटी पर पहुचि ..और अगले ही पल सारा माज़रा उसे समझ आ गया ..अक्चूली बात ये थी कि कुछ दिन पहले की गयी शॉपिंग मे निम्मी ने कुछ ज़्यादा ही मॉर्डन कपड़े खरीदे थे और उसके अंडरगार्मेंट्स तो फैशन की सारी हद पार करने लायक थे

" ये कैसे अन्द्रूनि कपड़े खरीदे तूने ..कुछ छुप सकता है इनमे ..बोल ? "

निम्मी ने मुस्कुरा कर कम्मो के गले मे अपनी बाहें डाल दी

" इसे क्रॉच लेस पैंटी कहते हैं मोम ..इसमे पुसी को छोड़ कर सारा हिस्सा ढका रहता है "


निम्मी के मूँह से पहली बार पुसी शब्द सुन कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ..माना वो उसकी मा थी पर आज तक इस तरह की सिचूएशन कभी नही बनी थी ..कम्मो ने उसे अपने से दूर कर दिया

" बेशरम ..वही तो पूछ रही हूँ ..इस तरह के कपड़े कोई पहेनता है क्या "

कम्मो ने अपनी आँख उसकी चूत पर गढ़ाते हुए कहा ..बात सही थी जो चीज़ ढकने के लिए पैंटी को बनाया गया है अगर वही चीज़ खुली रहे तो पैंटी किसी मतलब की नही

" मोम इसमे मुझे खुला - खुला सा लगता है ..आप भी पहना करो ..रिलॅक्स फील होगा "

निम्मी ने उसे आँख मार कर कहा

" मारूंगी एक ..मैं तेरी तरह कोई पागल थोड़ी हूँ जो ये सब पहनु "

कम्मो ने इस बार उसे मारने के लिए झूठा नाटक किया तो निम्मी उससे थोड़ा दूर जा कर खड़ी हो गयी ..अब पोज़िशन ये थी कि कम्मो कमरे के अंदर और निम्मी कमरे के गेट पर ..जगह चेंज होने की वजह से निम्मी की गांद कुछ सेकेंड के लिए कम्मो की नज़रों के सामने घूमी और पिछवाड़े का हाल देख कर तो कम्मो ने अपना माथा ही ठोक लिया

" ये क्या है ..पीछे तो कुछ है ही नही "

कम्मो की बात सुन निम्मी ने खुद के चूतडो को देखने की कोशिश की तो उसे ज़ोरों से हसी आ गयी ..उसके हस्ने से कम्मो का हाल देखने लायक था

" बेहया एक तो ग़लती करती है और फिर हँसती भी है "

कम्मो ने उसे फिर से डांटा

" ओह मोम ..तुम्हे कुछ पता नही ..इस पैंटी मे पीछे की तरफ एक पतला सा स्ट्रॅप दिया है पर वो अभी मेरे आस क्रॅक्स मे फसा है "

ये कह कर निम्मी ने अपने चूतडो को कम्मो की तरफ घुमाया और थोड़ा झुकते हुए बड़ी अदा के साथ गांद की दरारो मे फसे कपड़े के पतले से स्ट्रॅप को अपनी उंगलियों से टटोल कर बाहर खीच लिया

" हे भगवान ..तू इसे पहेन के भी नंगी ही है ..इस से अच्छा तो इसे पहना ही मत कर ..घूम ऐसे ही बिना कपड़ो के घर मे ..बेशरम कहीं की "

कम्मो ने भले ही कयि बार अपनी छोटी बेटी को पूरा नंगा देखा था पर उसके शरीर पर गौर पहली बार किया ..और आज उसे वो बच्ची नही वाकयि एक गदराए जिस्म की मालकिन लग रही थी ..पैंटी के फटे हिस्से से बाहर झाकति कुँवारी बिना झटों की चूत ..बड़े - बड़े बेदाग चूतड़ और बूब्स किसी से कम नही थे ..आज कम्मो निम्मी के बदन को सोचते हुए निक्की के जिस्म तक पहुच गयी ..वैसे निक्की को उसने 4 - 5 सालो से नंगा नही देखा था ..पर जब छोटी ऐसी है तो बड़ी के क्या कहने यही सोच कर उसकी चूत मे खुजलाहट मचने लगी साथ ही निम्मी के मूँह से निकले सेक्षुयल शब्द और उसकी हरकतें कम्मो पर कहर ढाने के लिए काफ़ी थी

" तो ठीक है अब से मैं पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी ..थॅंक्स फॉर युवर गुड सजेशन मोम "

निम्मी ने बशर्म बन कर एक फ्लाइयिंग किस कम्मो की तरफ उछालि और अगले ही पल पैंटी और ब्रा भी ज़मीन पर पड़े थे

" तुझ जैसी पागल का कोई भरोसा नही ..घर मे तेरे अलावा तेरा भाई और डॅड भी रहते हैं ..शर्म कर शरम ..या तो बोल तुझे पागल खाने भरती करवा दिया जाए ..मैं आज ही तेरे डॅड से बात करूँगी "

कम्मो इतना बोल कर वापस कमरे के गेट की तरफ बढ़ी पर इस बार जो बात निम्मी के मूँह से निकली उसने कम्मो को अंदर तक झकझोर दिया

" हां हां भेज तो मुझे पागल खाने ..तुम सब यही चाहते हो ना कि मैं इस घर से दूर चली जाउ ..तो भरती कर दो मुझे भी उस पागल इंसान के साथ जिसे पैदा कर के पालना भी तुम्हे गवारा नही "

निम्मी ने एक साँस मे अपनी सारी भादास निकाल दी ..कुछ वक़्त पहले तक क्या टॉपिक चल रहा था और अब बात किस मॅटर पर पहुच गयी ये देख कम्मो की आँखों से आँसू बहने लगे ..निम्मी ने लाख बार अपनी मा को सताया हो पर इस तरह के लांछन की उम्मीद कम्मो ने कभी नही की थी ..दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे और एक चीख ने दोनो का ध्यान कमरे के गेट की तरफ मोड़ दिया

" निम्मीईीईईईई.......... "

ये आवाज़ निकुंज की थी जिसने सीढ़ियाँ चढ़ते हुए निम्मी के मूँह से निकली आख़िरी बात सुन कर उसके कमरे का रुख़ किया था ..पर उसे इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नही था कि कमरे मे उसकी छोटी बहेन पूरी तरह से नंगी खड़ी होगी

निकुंज ने गेट पर पहुच कर चिल्लाया तो निम्मी और कम्मो दोनो के होश उड़ गये ..लगभग 5 - 10 सेकेंड तक निकुंज की आँखें बहेन के नंगे जिस्म पर पड़ी और जब तक उसे होश आता निम्मी का नंगा बदन पूरी तरह से उसकी आँखों मे उतर गया ..हालत निम्मी की भी कुछ ऐसी ही थी ..भले ही छोटे कपड़ो मे बाप और भाई ने हमेशा से उसे देखा हो पर इस तरह से बिना गेट लॉक किए नंगा खड़ा होना उसके बेशरम होने का जायज़ सबूत था और तो और जो बात निम्मी ने अपने भाई रघु के लिए कही वो सुन कर निकुंज खुद को रोक नही पाया और आज पहली बार इस तरह से अपनी बहेन पर चिल्ला दिया

" बेशरम अपने कपड़े पहेन ..मैं आज तुझे नही छोड़ने वाला ..सारी चर्बी ख़तम कर दूँगा आज तेरी "

होश मे आते ही निकुंज दरवाज़े से थोड़ा पीछे हो गया और निम्मी घबरा कर बाथरूम के अंदर घुस गयी ..कम्मो भी अब तक खुद को समहाल चुकी थी ..उसे निकुंज के जल्दी घर लौट आने के बारे मे ज़रा भी अनुमान नही था वरना बात बंद कमरे मे होती

" बेटा तू चल मेरे साथ ..बच्ची है ..ज़रा सा भी दिमाग़ नही इसमे "

कम्मो ने पहली बार निकुंज को इतने गुस्से मे देखा था ..हमेशा कूल और प्यार से रहने वाला उसका छोटा बेटा आज इतना नाराज़ इस लिए भी हुआ क्यों कि रघु को उसने दीप से भी बढ़ कर माना था

" नही मा ..आज से ये इस घर मे नही रहेगी ..हमारे लाड - प्यार का ये सिला मिलेगा सोचा ना था ..अरे निक्की भी तो इसी घर का खून है उसे देखो ..शायद ही आज तक उसने किसी का दिल दुखाया हो और ये बेशरम ..छ्हीइ शरम आती है इसे बहेन कहते हुए भी "

ये कह कर निकुंज अपने कमरे की तरफ चला पड़ा ..कम्मो भी उसके साथ थी ....

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वहीं बाथरूम के हालात तो और भी बदतर थे ..निम्मी ने उसके भाई की सारी बातें सुनी लेकिन उसकी आँखों मे रत्ती भर भी नमी नही आई बल्कि उसका नंगा बदन तप कर शोलो मे बदल गया ..उसकी साँसे चढ़ि थी और वो किसी सोच की मुद्रा मे शवर के नीचे खड़ी थी

" आज जो कुछ भी घर पर हुआ वो सही नही हुआ ..याद रखना निकुंज चावला अगर मैने अपनी बेज़्ज़ती का बदला नही लिया तो मेरा नाम निम्मी नही ..अब देखना मैं क्या करती हूँ "

ये कहते हुए उसने शवर का टॅप घुमाया और भर - भर करता पानी उसके तन - बदन मे लगी आग को शांत करने लगा ....

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कॅफेट मे बैठे दीप और जीत अपनी अधूरी बातों को पूरा कने मे लगे थे ..पर दीप का ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उस लड़की मे खोया था जिसने अभी 10 मिनट पहले दीप के लंड का रस चखा था ..कैसे भी कर के दीप को उसे चोदना था और इसके लिए उसने जीत का सहारा चाहा

" तू कहाँ खोया है कमीने ..जब से बड़बड़ा रहा हूँ पर तुझे तो जैसे मेरी बात से कुछ लेना देना ही नही "

जीत ने उसे किसी सोच मे डूबा देख कहा

" यार बुरा मत मान पर मुझे तेरी सेक्रेटरी की चूत चाहिए ..तुझे मंज़ूर हो तब भी और ना हो तब भी "

दीप ने अपनी सोच को आम करते हुए कहा ..उसकी बात से जीत का चेहरा थोड़ा गंभीर हुआ और वो अपनी चेर पर सीधा बैठ गया

" क्या बात है जीत ..क्या तू नही चाहता कि मैं उसे चोदु ..या तुझे उसे मुझसे शेर करने मे कोई तकलीफ़ है ..जो भी बात हो सॉफ - सॉफ बता "

दीप ने उसे शांत देख कहा

" यार अब मैं क्या कहूँ ..अच्छा एक काम करता हूँ उसे भी कॅफेट मे बुला लेते हैं "

जीत की बात सुन दीप का चेहरा खिल उठा

" जानता था तू मेरी बात कभी नही टालेगा ..दोस्त अब दोनो मिल कर उसकी चूत मारेंगे ..साली पक्की रांड़ लगती है ..पर जो भी हो माल काँटा है ..मैने बड़े सालो बाद ऐसा जिस्म देख होगा ..खेर जल्दी बुला उसे जाने से पहले उसकी मंज़ूरी जान लू तो दिल को सुकून आ जाएगा "

दीप तो जैसे पागल हो चुका था उस लड़की के पीछे ..पर जीत का मूँह उसकी असलील बातों से काफ़ी उतर गया ..उसने कॉल कर लड़की को कॅफेट मे बुलाया

थोड़ी देर तक दोनो दोस्त बिल्कुल शांत रहे ..जीत ने 3 कॉफी का ऑर्डर दे दिया और अब दोनो लड़की का इंतज़ार करने लगे ..इंतज़ार की घड़ियाँ ख़तम हुई और वो बंदी अपनी कमर मतकाती हुई उनकी तरफ आती दिखाई दी ..दीप उसकी चाल पर आह भरने लगा जिसे सुन कर जीत ने अपनी नज़रे दोनो से दूर कर ली

" मे आइ सीट हियर "

लड़की ने थोड़ा झुक कर पूछा जिससे उसके रेड टॉप मे बना बूब्स क्लीवेज और भी ज़्यादा विज़िबल हो गया

" या या शुवर "

दीप ने जल्दी से उसे इज़ाज़त दी और तब तक तीनो की कॉफी भी सर्व हो गयी

तीनो की बात स्टार्ट हो पाती कि अचानक से दीप का सेल बजा और उसकी सारी आशाओ पर पानी फिर गया ..निकुंज ने गुस्से मे आ कर दीप को फोन किया और वो सारी बात सुन उन दोनो से ज़रूरी काम का बोल कर घर के लिए रवाना हो गया ....

" बेटा तेरे डॅड नाराज़ होंगे ..तुझे उन्हे कॉल नही करना चाहिए था "

निकुंज और कम्मो बेड पर बैठे बातें कर रहे थे

" क्या करूँ मा आज निम्मी ने सारी हदें पार कर दी ..मैने उसे कितना चाहा है ये तुम भी जानती हो और वो भी ..पर रघु के बारे मे ऐसा गंदा बोलते हुए उसे शरम नही आई "

निकुंज का गुस्सा अभी भी बरकरार था

" छोड़ बेटा अगर इसी तरह डाट - डपट के निम्मी सुधर सकती होती तो कब का सुधर जाती ..मैं तो कहती हूँ उसे प्यार से ही समझाया जा सकता है ..माना थोड़ी ज़िद्दी है पर है तो तेरी बहेन ही ना "

कम्मो ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा

" वैसे मा एक बात कहूँ शायद आप को बुरा लगे ..रघु अगर इस घर मे पैदा ना हुआ होता तो ये जो दो वक़्त चैन की रोटी मिल रही है ना वो भी नसीब नही होती ..आज से 7 - 8 साल पहले था क्या हमारे पास ..एक किराए का कमरा और डॅड के बिज़्नेस के टूटे फूटे बर्तन - भाड़े ..पता है ना आप को जब कोई पार्टी का ठेका मिले महीनो बीत जाते थे तब रघु की ही कमाई से घर चलता था ..ना वो ग़रीबी के चलते गुंडा बनता ना हमारे दिन बदलते ..अरे ये दोनो जो इतनी शान से घूमती हैं वो भी सिर्फ़ रघु के डर की वजह से ..वरना निम्मी जिस हिसाब के फैशोनब्ल कपड़े पेहेन्ति है उन कपड़ो मे मुंबई की सड़को पर रात क्या दिन भी सेफ नही ..लोगो के कानो मे आज भी ये बात पड़ जाए की ये रघु की बहने हैं तो कोई आँख उठा कर भी नही देखता जबकि सब को पता है वो बेचारा किस हाल मे कहाँ भरती है ..लेकिन आज शायद सभी ने उसे अपने दिल से बाहर निकाल दिया ..निम्मी ने कहीं ना कहीं सही भी कहा कि उसे पैदा कर के जहन्नुम मे फेक दिया गया है ..क्या हम उसे घर नही ला सकते मा ..हो सकता है जो रिकवरी वो हॉस्पिटल मे ना कर पाए वो यहाँ हमारे बीच रह के कर ले "

निकुंज के माइंड मे एयूएस. से लौटने के बाद जो बात सबसे पहले आई थी वो उसने कम्मो को बता दी ..वो चाहता था कि रघु को पुणे से घर मे शिफ्ट करवा दिया जाए ताकि वो सबकी नज़रो के सामने तो रहे

" बेटा मन तो मेरा भी यही कहता है ..पर घर मे ऐसा माहॉल देख कर रघु को और भी ज़्यादा तकलीफ़ होगी "

कम्मो ने उसे समझाया

" कुछ भी हो मा उसे यहाँ लाना ही पड़ेगा ..वहाँ हॉस्पिटल मे कौन सा उसका ट्रीटमेंट होता होगा ..सिर्फ़ उस पर रेसेर्च ही करते होंगे सभी ..मैं आज डॅड से इस बारे मे बात करूँगा "

निकुंज इतना बोल कर फ्रेश होने बाथ रूम मे चला गया और कम्मो अपने बचे कामो को पूरा करने किचन मे

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दीप ऑफीस की पार्किंग से कार निकाल कर घर की तरफ लौट रहा था

" साला क्या मस्त माल है ..अगर चुदाई के लिए राज़ी हो जाए तो पटक - पटक के चोदुन्गा ..कितने साल बाद ऐसी आइटम नज़र मे आई ..बस जीत मना ले उसे कैसे भी कर के ..फिर तो मज़े ही मज़े हैं ..वैसे वो हां ही कहेगी क्यों कि पहली बार मे लड़की सिर्फ़ शर्मो - हया दिखाती है ..पर उसने तो मेरा लंड ही चूस लिया ..ऐसा लगता है जैसे अब तक उसके गरम होंठ मेरे लंड से चिपके हों "

ऐसी केयी बातें सोच दीप का बैठा लंड वापस अंगड़ाई लेने लगा ..उसने एक हाथ स्टेरिंग पर और दूसरे से लंड को पॅंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया

" आज बात पूरी हो जाती अगर निकुंज का कॉल बीच मे ना आया होता ..ये निम्मी भी ना ..ज़रूर कोई उल्टी सीधी हरकत की होगी तभी निकुंज ने मुझे घर बुलाया ..क्या करू इस लड़की का ..हर वक़्त सिर्फ़ लड़ाई - झगड़ा ..आज अच्छे से खबर लेनी पड़ेगी इसकी "

दीप अपनी सोच से बाहर निकलता जब तक उसकी गाड़ी घर के मैन गेट पर पहुच चुकी थी ..कार से उतर कर उसने तेज़ कदमो से हॉल कर रुख़ किया और देखा तो घर मे हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था

" कहाँ हो सब ..कम्मो ? "

दीप ने हॉल को खाली देख चिल्ला कर कहा

उसकी आवाज़ मे बेहद नाराज़गी थी जिसे सुन कर परिवार के सदस्य घबरा कर हॉल मे आने लगे ..कम्मो किचन से दौड़ी तो निकुंज और निक्की अपने - अपने कमरो से ..सिर्फ़ निम्मी को छोड़ कर अब सभी हॉल मे थे

" क्या बात थी तो इस तरह मुझे घर बुलवाया ? "

दीप की दहाड़ से निम्मी तक अपने कमरे मे सहम गयी ..वो रूम की खिड़की से हॉल मे हो रही आवाज़ को सॉफ सुन सकती थी ..एक पल तो उसके चेहरे पर चिंता के बादल छाए पर अगले ही पल एक चिर परिचित मुस्कान से उसके होंठ हिलने लगे ..क्यों कि कुछ देर पहले उसने सभी बातों को जोड़ कर इस प्राब्लम का सल्यूशन ढूंड लिया था

" आप फ्रेश हो जाइए बाद मे बात करेंगे "

कामिनी ने दीप के चेहरे पर आते गुस्से को देख कर कहा ..इशारे से उसने निकुंज को भी छुप रहने की सलाह दी

" नही जो भी बात है अभी बताओ ..कब तक ऐसा माहॉल चलता रहेगा घर मे "

दीप ने सोफे पर बैठते हुए कहा

" डॅड मोम ठीक कह रही हैं ..आप फ्रेश हो जाइए मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है आप से "

निकुंज ने हालात समझते हुए कहा ..वो जानता था कि अगर निम्मी वाली बात डॅड को पता चली तो शायद उसे खूब डाट पड़ती ..भले वो अभी नादान है ..पर जो भी हो इस घर की जान भी है ..यही सोच कर निकुंज ने फ़ैसला किया कि मॅटर से निम्मी को बाहर कर डाइरेक्ट रघु को घर लाने की बात की जाए

" निम्मी कहाँ है ? "

दीप ने तेज़ आवाज़ मे कहा ..ये बात सुनते ही निम्मी खिड़की से हट कर बेड पर लेट गयी और बेड-शीट से खुद को कवर कर लिया ..उसने तय किया था कि चाहे कितने भी बुलावे आएँ वो नीचे हॉल मे नही जाएगी ..अगर दीप को उस से बात करनी है तो उसे निम्मी के कमरे मे आना ही पड़ेगा

" वो अपने कमरे मे है "

निक्की ने दीप को 1स्ट फ्लोर का इशारा कर दिया

" मैं निम्मी से अकेले मे बात करना चाहता हूँ ..कोई 1स्ट फ्लोर पर नही आएगा "

दीप ने कहा और अपने कदमो की रफ़्तार 1स्ट फ्लोर पर बने निम्मी के कमरे की तरफ बढ़ा दी ..नीचे खड़ी कम्मो ..निकुंज और निक्की बस यही खेर मना रहे थे कि दीप का गुस्सा शांत हो जाए और निम्मी उसके कहर से बचे

कमरे के बाहर आ कर दीप ने नॉक करना भी उचित नही समझा और तेज़ी से दरवाज़ा खोलते हुए अंदर आ गया ..रूम की ट्यूब लाइट जल रही थी और निम्मी बेड पर चादर ओढ़े लेटी थी ..दीप ने एक नज़र उसे घूरा और आवाज़ दी

" निम्मी ..ये बच्पना कब ख़त्म होगा तेरा ? "

दीप ने कमरे का गेट लॉक कर कहा ताकि वो बंद कमरे मे अपनी छोटी बेटी को समझा सके ..भले ही उसकी नाराज़गी का कोई पार नही था पर वो चाह कर भी अपने बच्चो को डाट नही पाता ..बचपन से ले कर आज तक शायद ही कभी ऐसा हुआ हो तो जब उसने तेज़ आवाज़ मे घर के किसी भी मेंबर से बात की होगी

" निम्मी सो गयी क्या ? "

दीप उसके बेड की तरफ बढ़ते हुए बोला ..शाम के टाइम तो कभी निम्मी सोती नही थी फिर आज क्यों ..बेड पर उसके बगल मे बैठ कर दीप ने महसूस किया कि निम्मी का बदन चादर के अंदर कप - कपा रहा है जिसे देख वो घबराया और तुरंत ही चादर थोड़ा नीचे खीची ..निम्मी के सर पर अपना हाथ रख दिया

" ओह गॉड ..इसे तो तेज़ बुखार है "

निम्मी का माथा बहुत गरम था ..पर अचानक ये सब कैसे हुआ अब इस पर नज़र डालते हैं

[ जब निकुंज ने दीप को घर आने के लिए कॉल किया था तब निम्मी ने उसके रूम मे हो रही सारी बातें छुप कर सुनी और फ्यूचर का सोचते हुए दौड़ कर किचन मे पहुच गयी ..वहाँ से उसने एक प्याज़ उठाया और मुस्कुराती हुई वापस अपने कमरे मे आ गयी

साइन्स की क्लास मे उसने पढ़ा था कि अगर बॉडी टेंपरेचर को हीट देना हो तो प्याज़ को छील कर अपनी आर्म्स के अंदर दबा लेने से बॉडी कुछ ही वक़्त मे बुरी तरह जलने लगती है और सामने वाला फीवर समझ कर घबरा जाता है ..बस आइडिया लगा कर निम्मी ने एक्सपेरिमेंट कर डाला ..शायद डाँट से बचने का इस से अच्छा कोई और सल्यूशन हो नही सकता ]

( अपने बचपन मे जिस - जिस ने इस उपाए को किया होगा ..शायद वो इसकी उपयोगिता से वाकिफ़ होंगे )

दीप ने निम्मी को आवाज़ दी तो उसने गहरी नींद से जागने का बहाना कर धीरे - धीरे अपनी आँखें खोल दी ..कुछ देर पहले तक दीप कितने गुस्से मे था और अब कितना घबराया सा ..ये देख निम्मी मन ही मन मुस्कुरा उठी

" बेटा तुझे तो बहुत बुखार है "

दीप ने एक बार फिर निम्मी की आँखें खुलने पर कहा

" डॅड "

निम्मी ने नाटक करते हुए दीप को पुकारा

" यस बेबी ..आर यू ओके "

दीप ने बड़े प्यार से उससे पूछा

" यस डॅड बाकी सब तो ठीक है ..पर बहुत पेन हो रहा है "

निम्मी ने जवाब दिया

" पेन कहाँ पर ? "

दीप ने बोलते के साथ साथ उसकी चादर को नीचे खिसकाया और अगले ही पल उसकी आँखें बाहर को निकल आई ..निम्मी ने जान कर बॉडी के उपरी हिस्से पर टॉप नही डाला था और केवल एक सिड्यूसिव सी ब्रा पहने ली थी

" द ..द ..डॅड मैने टॉप नही पहना है ..उफ़फ्फ़..... "

निम्मी को तो आक्टिंग का ऑस्कर मिलना चाहिए था ..एक तो उसने लड़खड़ाती ज़ुबान से अपनी पोजीशन बताई और दूसरा आह ले कर दर्द का नाटक भी किया

" सॉरी मुझे पता नही था "

दीप ने अपनी नज़रें दूसरी तरफ करते हुए कहा ..उसने सोचा कि चादर को निम्मी ऊपर खीच लेगी पर वो ज्यों की त्यों लेटी रही ..पहनी हुई वाइट ब्रा नेट वाली थी जिसमे से उसके निपल सॉफ दिख रहे थे

" डॅड एक पेन किल्लर दे दीजिए ..प्लीज़ीयीईयीई "

निम्मी ने दीप को अपनी तरफ़ देखने पर मजबूर करते हुए कहा

" पेन किल्लर ? "

निम्मी का दर्द भरा प्लीज़ सुन दीप पलटा पर नज़ारा वही था ..इस बार निम्मी ने उठने की कोशिश की

" ना ना लेटी रह ..दर्द कहाँ है "

दीप की आँखें उसकी की अधखुली छातियों से चिपक चुकी थी ..दुनिया भर की चूतो का स्वाद लेने के बाद अपनी बेटी का योवन देखना उसे बुरा तो लगा पर क्या करता ' मैं हूँ आदत से मज़बूर ' "

" वो डॅड मैं नहाते वक़्त बाथरूम मे फिसल गयी थी ..मेरी बॅक मे चोट लगी है ..जैसे तैसे जो पहेन पाई पहना और तभी से आराम ही कर रही हूँ "


निम्मी ने बड़े अफ़सोस के साथ अपनी झुटि कहानी उसे सुनाई ..दर्द की वजह से वो इस अध - नंगी हालत मे है ये भी कन्फर्म कर दिया

" रुक मैं तेरी मोम को बुलाता हूँ "

दीप ने देखा कि निम्मी उसे अपनी छातियों को घूरते देख रही है ..तो उसने बेड से उठ कर जाना चाहा

" नो डॅड ..मोम मुझसे पहले से ही नाराज़ है ..अब उन्हे और परेशान नही कर सकती ..आप तो मुझे एक पेन किल्लर दे दीजिए ..मैं ठीक हूँ "

निम्मी ने बड़ा भोला चेहरा बना कर कहा तो दीप वापस उसके बेड पर बैठ गया

" बॅक मे लगी ..कही फ्रॅक्चर तो नही "

दीप ने चिंता जताई

" नो डॅड फ्रॅक्चर होता तो मैं हिल भी नही पाती ..लगता है हल्की सी गुम चोट लगी है "

ये कहते हुए निम्मी ने बची चादर अपने ऊपर से हटाई और करवट ले कर अपने चूतड़ पर हाथ रख दिया ..लोवर बॉडी पर उसने एक टाइट कॅप्री डाली हुई थी जिसमे फसि उसकी बड़ी सी गान्ड को जान कर निम्मी ने और बाहर की तरफ़ निकाल रखा था ..करवट लेने से उसकी थ्रेड ब्रा की एक सिंगल नाट दीप को दिखाई दी और बाकी पूरी पीठ नेकड़

" दर्द ज़्यादा है क्या बेटा ? "

दीप की लड़खड़ाती आवाज़ सुन निम्मी का चेहरा खिल उठा ..उसका प्लान सक्सेस था ..बस अब उसे ये सोचना था कि इतना काफ़ी है या अपने नाटक को कंटिन्यू रखा जाए ....
NICE UPDATE
 
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पापी परिवार--2

" क्या मैं मिस्टर. जीत से मिल सकता हूँ "
दीप ने रॉय डेवेलपर्स की रिसेप्षनिस्ट को अपना विज़िटिंग कार्ड देते हुए कहा
" युवर अपायंटमेंट नंबर. सर "
रिसेप्षन पर बैठी लड़की ने उससे सवाल किया
" यू मे कॉल हिम ..इट्स अर्जेंट "
जीत के ज़ोर देने पर लड़की ने अपने बॉस को कॉल किया
" मिस्टर. दीप फ्रॉम चावला & सन्स वांट्स टू मीट यू सर "
" या ऑफ कोर्स ..सेंड हिम इन "
रिटर्न मे आवाज़ आई
" दिस वे सर ..हॅव आ नाइस डे "
लड़की के इशारे पर दीप कॉरिडर के लास्ट मे बने उसके सबसे पुराने दोस्त जीत के कॅबिन की तरफ चल दिया
" ठक - ठक "
दीप ने कॅबिन गेट नॉक किया
" अबे हराम खोर तुझे अंदर आने के लिए पर्मिशन लेनी पड़ेगी क्या ? "
अगले ही पल हँसने की आवाज़ से पूरा कॅबिन गूँज उठा और दोनो बचपन के दोस्त दौड़ कर एक दूसरे के गले लग गये
" साले जीत ..पूरे 1 महीने से इसी शहर मे गान्ड मरवा रहा है और मुझे खबर तक नही की "
दीप ने उसकी कॉलर पकड़ कर कहा
" तो गन्डु तूने कौन सा मुझसे कोई कॉंटॅक्ट रखा ..यूएसए गया था तब से ले कर आज तक तुझे हर दिन याद करता हूँ ..पर तूने शायद पुराने दिन भुला दिए ..बड़ा आदमी जो हो गया है "
जीत ने उसे जवाब दिया ..पर अपनी कॉलर छुड़ाने की कोई कोशिश नही की ..शायद यही उनकी दोस्ती थी
" कहाँ यार ..तेरी दी हुई ज़िंदगी तो जी रहा हूँ भाई ..बस थोड़ी मेहनत ज़रूर लगी ..खेर वो सब छोड़ ..तू कैसा है ? "
दीप ने पास रखी कुर्सी पर बैठते हुए कहा ..जीत भी ठीक उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया
जीत :- " बस तेरे सामने बैठा हूँ "
दीप :- " यहाँ मुंबई कैसे आना हुआ ..ये ऑफीस ..डेवेलपर्स .. ? "
जीत :- " यार बहुत रह लिया विदेश मे ..अपने देश और तेरे जैसे भाई की याद आई तो वापस लौट आया "
दीप :- " मैं नही मानता ..बचपन मे हमेशा तू विदेश मे बसने के सपने देखता था ..पर जब सेट्ल होने का टाइम आया तो वापस इंडिया आ गया ..क्या वजह है बता मुझे ? "
जीत :- " कुछ ख़ास नही यार ..सब अचानक हो गया ..यूएसए की सारी कमाई को समेटा और यहाँ एक ऑफीस डाल लिया "
दीप :- " घर पर सब कैसे हैं ..भाभी ..बच्चे वगेरा ? "
जीत :- " तेरी भाभी को गुज़रे तो 5 साल हो गये ..बस एक बेटी है तनवी और उसी की ज़िद के चलते मैं यहाँ आ गया "
दीप :- " ओह गॉड इतना सब हो गया और मुझे पता भी नही चला "
जीत :- " खेर जाने दे ..जो बीत गया सो गया ..गढ़े मुर्दे उखाड़ कर दुख ही होता है "
दीप :- " मैं समझ सकता हूँ भाई ..मेरा खुद का बड़ा बेटा किस्मत का शिकार हुआ ..आज पूना मेंटल हॉस्पिटल मे अड्मिट है "
जीत :- " यू मीन "
दीप :- " एक कार आक्सिडेंट मे उसके दिमाग़ पर गहरी चोट लगी थी ..देखो कब तक रिकवर करता है "
दीप ने जीत की बात को पूरा किया
जीत :- " सब ठीक हो जाएगा दोस्त ..खेर भाभी और बाकी बच्चे कैसे हैं "
दीप :- " तू तो ऐसे पूछ रहा है जैसे मेरे कितने बच्चे हों तुझे मालूम हो "
जीत :- " तू मर्द है ये मुझे बचपन से पता है ..हर महीने तेरी चूत की जुगाड़ बदल जाती थी ..तो तूने भाभी को कहाँ . होगा ..10 - 12 बच्चे तो निकाल ही दिए होंगे "
जीत की बात पर दोनो ठहाका लगा कर हस्ने लगे ..ये बात 100 % सच थी कि दीप को बचपन से ही चुदाई करने का चस्का था जो आज तक ज़ारी है ..वो तो कामिनी से उसे प्यार हो गया था तभी बात शादी तक पहुचि वरना दीप की लाइफ मे ना जाने कितनी कामिनी आई और चुद कर चली गयी थी
दीप :- " 10 - 12 तो नही पर मेरे 4 बच्चे हैं ..बड़े बेटे के बारे मे बता चुका हूँ ..दूसरा बेटा निकुंज ऑस्ट्रेलिया से एमबीए होल्डर है ..आज कल खुद का बिज़्नेस डेवेलप करने मे लगा है ..बड़ी बेटी निकिता और छोटी नामिता "
जीत :- " ग्रेट यार ..मेरी बेटी तनवी ने भी एमबीए ही किया है और ये ऑफीस भी उसकी की ज़िद का नतीजा है "
दीप :- " बच्चे बड़े हो कर अपने पैरों पर खड़े हो जाएँ इस से ज़्यादा क्या चाहिए मा - बाप को "
जीत :- " सही कह रहा है ..खेर ये सब सेनटी बातें छोड़ और सीधा मुद्दे पर आ जा "
दीप :- " मुड़ा ? "
जीत :- " अबे घोनचू तेरी सेक्स लाइफ की बात कर रहा हूँ ..भाभी चूत देती हैं या आज भी बाहर ही रंगरलियाँ मना रहा है ..ये बात भी पक्की है ' अपना हाथ जगन नाथ तो तू करने से रहा ' "
दीप :- " ह्म्‍म्म अब तुझसे क्या छुपाना यार ..जैसे - जैसे बच्चे बड़े होते गये तेरी भाभी काम से ही इतना थक जाती थी कि सेक्स वगेरा उसके बॅस मे नही रहा "
जीत :- " इसका मतलब आज भी बाहर की कुलफी से अपना जी भर रहा है "
दीप :- " हां यार ..खेर मेरा काम मुझे रोज़ नयी - नयी चूतो की व्यवस्था करवा ही देता है "
जीत :- " रोज़ ? "
दीप :- " हां रोज़ ..ये 8" इंच का लॉडा चैन ही नही लेने देता ..जैसे - जैसे उमर बढ़ती जा रही है ये और भी ख़ूँख़ार होता जा रहा है "
जीत :- " हा हा हा हा ..खेर मैने तेरा नंबर. जंबुलकर से लिया था ..वो मेरा क्लाइंट है ..एक पार्टी मे तेरा ज़िक्र हुआ और मुझे तेरा नंबर. मिल गया "
दीप :- " हां जंबुलकर ने बताया था मुझे कि मेरा कोई बचपन का साथी याद कर रहा था ..पर जब तक तेरा कॉल ही आ गया और मैं सीधा तुझसे मिलने चला आया "
दोनो की बातें चल ही रही थी कि कॅबिन डोर नॉक हुआ
जीत :- " कम इन "

गेट खुला और एक लड़की अंदर आ गयी
" गुड मॉर्निंग यू बोथ ..सर ये फाइल है खन्ना साहब की ..मैने रेडी कर दी है ..आप पढ़ कर साइन कर दें "
लड़की ने दोनो को ग्रीट किया और फाइल जीत के हाथ मे देती हुई कॅबिन के वॉश रूम मे एंटर हो गयी ..जीत फाइल पर एक नज़र मारने लगा
" साले कमीने ..क्या मस्त - मस्त आइटम रख रखे हैं तूने अपने ऑफीस मे ..बाहर रिसेप्षनिस्ट माल और ये शायद तेरी पर्सनल सेक्रेटरी लगती है तभी तेरे वॉश रूम मे बिना किसी इज़ाज़त के घुस गयी "
दीप की बात सुन जीत ने उसके वहशी चेहरे पर गौर किया ..जो लड़की थोड़ी देर पहले उन दोनो के बीच आई थी उसको देखने के बाद तो जैसे दीप पागल सा ही नज़र आने लगा था
जीत :- " अबे ऐसा कुछ नही है "
" गान्डू मुझे चूतिया मत समझ ..तू अपनी जुगाड़ तो बना सकता है ..मेरा भी ख़याल रख ..इससे बात कर ..मैं इसे चोदना चाहता हूँ "
दीप ने अपने दिल की बात अपनी ज़ुबान पर ला दी
जीत :- " अबे सुन तो सही "
जीत की बात पूरी होने से पहले उसका सेल बजने लगा और जब तक वो लड़की भी वॉशरूम से बाहर आ गयी ..लड़की ने इस वक़्त के ब्लू लो वेस्ट जीन्स और रेड लोंग डीप नेक टी-शर्ट पहेन रखी थी ..कॅबिन मे वापस आने पर उसने सबसे पहले दीप के चेहरे को ही देखा ..शायद वॉश रूम मे उन दोनो की बातें उसने सुन ली थी ..दीप ने उसे ऊपर से नीचे घूरा और अपने होंठो पर ज़ुबान फेरने लगा ..लड़की उसकी हरकत पर हल्का सा शरमाई और दोनो की आँखों के इशारे शुरू हो गये
" ओके मीटिंग स्टार्ट करो ..एनीवेस दीप तू बैठ यहाँ मैं ज़रा 1स्ट्रीट फ्लोर पर चल रही मीटिंग अटेंड कर के आता हूँ ..30 मिनट. बाद आराम से बैठ कर बातें होंगी "
जीत इतना बोल कर कॅबिन से बाहर जाने लगा ..अचानक पलटा और उस लड़की से बोला
" ये हमारे सबसे अच्छे दोस्त हैं दीप चावला ..इनका ख़याल रखना "
और जीत फाइनली कॅबिन से बाहर हो गया
उसके जाने के बाद दीप और वो लड़की एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे ..बात कैसे स्टार्ट हो दीप ने ये सोच कर उसे चेर ऑफर की
" थॅंक यू "
लड़की उसी चेर पर बैठ गयी जिस पर थोड़ी देर पहले जीत बैठ हुआ था
" तो जीत ने कहा था तुम मेरा ख़याल रखोगी ..पर कैसे ? "
दीप तो शुरू से ही कमीना था ..लड़की ने थोड़ा सा हरा सिग्नल क्या दिया वो तो जैसे चुदाई की ही सोच बैठा
" वेल ..वो तो आप की पसंद पर डिपेंड करता है ..तो बताइए क्या मँगाऊ ..ठंडा या गरम्म्म्ममम "
लड़की ने गरम शब्द पर ज़्यादा ज़ोर दिया और साथ की अपनी टाँगो की जड़ को काफ़ी ज़्यादा स्प्रेड भी कर लिया ..टाइट जीन्स मे फसि उसकी मस्क्युलर थाइस दीप के दिल पर बिजलियाँ गिराने लगी ..उसे समझते देर नही लगी कि आइटम चालू है
" ठंडे के लिए तो ए/सी काफ़ी है अंड आइ लीके हॉट स्टफ "
दीप ने हिम्मत कर उसकी जाँघ पर हाथ रखा और धीरे - धीरे उसे सहलाने लगा
" बस यही थॉट तो ग़लत है मर्दो की ..बातें बड़ी अच्छी करते हैं पर बात को पूरा करने मे 2 मिनट. से ज़्यादा नही टिक पाते "
लड़की ने उसे आँख मार कर कहा
" तो खुद ही कन्फर्म कर लो कितना जोश होता है मर्दो मे "


दीप ने उसका हाथ पकड़ कर अपने अध खड़े लंड पर रख दिया ..मर्द तो वो था ..एक बार जो भी लड़की उसके नीचे से गुज़री वो हर चुदाई मे उसे ही याद करती होगी
" ह्म्‍म्म ..बात की शुरुआत तो काफ़ी अच्छी है पर एंड का कुछ कह नही सकते "
ये बोल कर लड़की ने लंड पर अपने हाथ कड़क कर दिए
" तो फिर देरी क्यों ..कॅबिन गेट बंद करो और इस गेट को खोल दो "
लड़की के मोटे बूब पर पिच कर दीप मुस्कुरा दिया
" किसी तरह के डर की कोई बात नही ..इस कॅबिन मे मेरी मर्ज़ी ही चलती है "
लड़की की इस बात से दीप कन्फर्म हो गया कि ज़रूर जीत उसे कॅबिन मे चोद्ता होगा
दीप :- " तुम्हारा नाम क्या है ? "
लड़की :- " अजी नाम मे क्या रखा है ..काम देख कर प्यार से जो चाहे रख दीजिएगा "
लड़की ने उसके पॅंट की चैन खोल कर कहा ..सब कुछ इतना जल्दी हो जाएगा दीप को कतयि इसकी कल्पना नही थी ..लड़कियों के मामले मे उस से ज़्यादा एक्सपीरियेन्स शायद ही किसी और को होगा
" ह्म्‍म्म्म ..लाजवाब है ये तो ..इफ़ यू डोंट माइंड शल आइ "
लंड पूरे शबाब पर था ..लड़की की बात पूरी भी नही हो पाई कि दीप अपनी चेर से उठ कर खड़ा हो गया ..अब लंड और मूँह की दूरी इंचस मे थी ..दीप ने फटाफट बेल्ट खोल पॅंट को घुटने से नीचे गिराया और वाइट शर्ट को कमर से ऊपर खीच लिया
" आहह..... "
लड़की ने लंड से निकले प्रेकुं को अपनी जीभ से चाटा तो दीप की आह निकल गयी
ये देख लड़की ने 4- 5 चुम्मे लंड पर चिपका दिए



" आइ लाइक दिस टाइप ऑफ टेस्ट "
लड़की ने उसकी आँखों मे देख कर कहा और दोनो टट्टो को अपने एक हाथ मे पकड़ कर आधे से ज़्यादा लंड होंठो के अंदर कर लिया



" ऊउउउउउउउउउ.......... यू आर इक्विवलेंट टू फाइयर "
शुपाडे पर जीभ की मचलाहट महसूस कर दीप के हाथ अपने आप ही लड़की के सर पर चले गये ..जीत की गैर हाज़िरी मे कॅबिन सिसकियों से गूंजने लगा ..वैसे दीप को लंड चुसवाने मे बड़ा मज़ा आता था और उसके विपरीत बीवी कम्मो को ये बिल्कुल पसंद नही था ..लाख बार इन्सिस्ट करने पर भी कामिनी की ज़ुबान पर एक ही शब्द आता था ' ना ' और सिर्फ़ ' ना ' ..एक ये कारण भी था कि दीप का मंन जल्दी अपनी बीवी से भर गया और कामिनी केवल नाम की बीवी रह गयी "
" यू लाइक ब्लो जॉब मिस्टर. दीप ? "
लड़की ने दो पल को लंड अपने मूँह से बाहर निकाल कर कहा ..कोई लड़की पहली बार मे ही इतना कैसे खुल सकती है ..दीप हैरान भी था और मस्त भी
" ऑफ कोर्स बेबी ..तुम्हारे चूसने का अंदाज़ मुझे पसंद आया "
दीप ने ये बोल कर लंड को वापस उसके मूँह मे ठेल दिया और इस बार लड़की ने पूरे 8" का लॉडा अपने गले तक उतार लिया ..वो कुछ देर ऐसी पोज़िशन मे रुकी और फिर धीरे धीरे लंड बाहर को खीचती गयी ..उसके मूँह से लंड और थूक का मिला जुला रस बहने लगा ..बारी बारी वो लंड की टिप से नीचे टट्टो पर भी जीब घुमाती घूमती रहती

दीप से अब चुदाई का सबर नही हुआ तो उसने अपने हाथो से लड़की की टी-शर्ट को उसके शोल्डर से नीचे खीचा और उसके मोटे - मोटे बूब्स बाहर आ गये


" हॅव पेशियेन्स बेबी ..आज सिर्फ़ ब्रेकफास्ट ..लंच और डिन्नर फिर कभी कर लेना "
ये बोल कर लड़की मुस्कुराइ और कहीं ना कहीं दीप को भी ये सही लगा ..इस तरह खुले कॅबिन मे चुदाई पासिबल नही थी ..तो चूत की कसर मे दीप ने उसके सर को पकड़ा और तेज़ी से उसका मूँह चोदने लगा ..उसके हर धक्के से लंड लड़की के गले तक उतर जाता ..सिसकियों ने कमरे मे एक तूफ़ानी समा बाँध दिया ..चोक होते - होते लड़की की आँखें नम होने लगी थी ..पर दीप को पूरा प्लेषर मिले इस लिए वो हर झटका सहती रही ..उसके फ्री हाथ लगातार दीप के टट्टों को मसले जा रहे थे ..इस दोहरे मज़े ने दीप को मज़े की हद पर ला दिया
" ओह....... आइ थिंक आइ'म कमिंग "
दीप ने अपने जर्क तेज़ करते हुए बोला ..उसने सोचा पहले बता देने से लड़की का रेस्पॉन्स मिल जाएगा कि वो कम मूँह के अंदर निकालना चाहती है या बाहर
लड़की ने हाथ से इशारा कर उसे कंटिन्यू रहने को कहा और अगले ही पल लंड से फवारे छ्छूटने लगे
" आहह....... फुक्कककक....... "
दीप लगभग चीखते हुए उसके मूँह मे झड़ने लगा ..वीर्य की धारो से लड़की का मूँह फुल हो गया था पर वो अपने होंठो और जीभ का कमाल दिखाए जा रही थी ..स्पर्म की मात्रा ज़्यादा होने से वो बहकर मूँह से बाहर निकल आया

जब दीप की साँसे थोड़ा नॉर्मल हुई तो मुस्कुरा कर लड़की ने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाल होंठो से हल्का - हल्का उसे काटना शुरू किया ..दोनो की आँखें स्टार्टिंग से ले कर एंड तक एक दूसरे से मिली हुई थी जिसका मज़ा शायद हर मर्द चाहता है ..आख़िर सेक्स तभी अच्छा लगता है जब कोई शर्मो हया ना हो
लड़की ने बड़े प्यार से उसके लंड पर लगे वीर्य को चाटा और पॅंट को घुटनो से उठा कर ऊपर कर दिया ..दीप फुल सॅटिस्फाइड था ..पर जो आग मूँह से शांत हुई थी उसका अब चुदाई के लिए भड़कना लाज़मी था
" सो मिस्टर. दीप ..ईज़ एवेरी थिंग ओके "
लड़की ने अपनी टी-शर्ट को वापस गले तक खीच कर बूब्स छुपाते हुए कहा
" ओह गॉड ..यू जस्ट अमेज़िंग "
दीप उसके होंठो को चूमने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसकी पॉकेट मे रखा सेल बजने लगा ..बुरा सा मूँह बना कर उसने नंबर. देखा तो वो जीत का था
" हां आ रहा हूँ "
जीत ने उसे कॅफेटीरिया बुलाने के लिए कॉल किया था ..घड़ी मे टाइम देख दीप ने अपने झड़ने का टाइम नोट किया तो वो पूरे 25 मिनट तक झड़ने से खुद को रोक पाया था
" जीत कॅफेट मे मेरा इंतज़ार कर रहा है ..खेर अब लंच कब कर्वाओगि जान मुझसे सबर नही होगा ..और 2 मिनट. से बात पूरी 25 मिनट. तक चली ..तो क्या कहती हो ? "
दीप ने अपनी शर्ट इन की और कॅबिन से बाहर निकलते हुए कहा
" जल्दी ही ..आइ लाइक यू "
लड़की ने उसे फ्लाइयिंग किस दी और दीप कॅबिन से बाहर हो गया ...
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पापी परिवार--4

" डॅड यहाँ दर्द से मेरी जान निकली जा रही है और आप को बातों का मज़ाक सूझ रहा है "

निम्मी ने अपने एक चूतड़ को हाथ के पंजे मे दबोच कर मसल दिया ..उसकी सिसकारियों का तो कोई पार ही नही था

" नो बेटा ..आइ'म नोट किडिंग ..तुझे बेवजह ऐसा लग रहा है "

दीप की लार उसकी हाफ - न्यूड पीठ पर गिरती इस से पहले उसने खुद को समहाला और निम्मी के दर्द को महसूस कर अपने माइंड को डाइवर्ट करने की कोशिश की

" डॅड लगता है आप को भी मेरी कोई फिकर नही ..एक काम करो वहाँ वॉर्डरोब से एक पेन किल्लर निकाल दो ..मैं खा लूँगी "

निम्मी ने दीप को सेंटी डाइयलोग मारा और वापस पीठ के बल लेट गयी ..कहीं ना कहीं उसकी भी हालत बिन पानी की मछ्ली की तरह हो रही थी ..आज अपने भरे योवन मे पहली बार ऐसा मौका आया था जब एक बाप अपनी बेटी को अध - नंगी हालत मे देख रहा था और शायद उत्तेजित भी हो

निक्की के करवट लेने से उसकी थ्रेड नेट ब्रा थोड़ी लूज हुई और उसके एक कंधे पर अटका स्ट्रॅप खिसक कर कप के पॅरलेल आ गया ..वैसे भी ब्रा के अंदर छुपे बूब्स का हर हिस्सा पूरी तरह से विज़िबल था और नुकीले निपल्स नेट से बाहर निकलने को आमदा हो रहे थे ..दीप ने अपने सूख चुके गले को थूक निगल कर राहत पहुचाई ..दोनो की आँखें फिर मिली और दीप ने घबरा कर अपनी नज़रें नीची कर ली

" सिर्फ़ पेन किल्लर खाने से कुछ नही होगा निम्मी ..अक्सर बाथरूम मे गिर कर लगने वाली चोट फ्यूचर तक प्राब्लम देती है ..तो हमे डॉक्टर को बुला लेना चाहिए "

दीप एक तरफ मर्द की तारह सोच रहा था और दूसरी तरफ बेटी के दर्द को ले कर परेशान भी था ..पर सिचुयेशन बहुत हॉट थी निम्मी के दर्द की वजह से लंबी - लंबी साँसे लेना जिस से बूब साइज़ काफ़ी तेज़ी से बढ़ता कम होता जा रहा था

" नो वे डॅड ..डॉक्टर से मुझे बहुत डर लगता है ..प्लीज़ हेल्प मी डॅड ..प्लीज़ "

निम्मी ने अब रोने का नाटक स्टार्ट किया ..छटपताकर उसने ब्रा इतनी ढीली कर दी कि एक निपल लगभग पूरा बाहर निकल आया ..दीप का तो मानो खून जम चुका था और पॅंट के अंदर खड़े लंड ने ऐन्ठ कर रहम की भीख माँगनी शुरू कर दी

" सँभाल अपने आप को निम्मी "

दीप ने ना चाहते हुए अपने हाथ उसके गरमाये सपाट पेट पर रखे और उसे छटपटाने से रोकने लगा ..पर निम्मी तो सोच कर लेटी थी या तो आज अपने बाप को काबू मे करेगी या हमेशा के लिए उसके दिल से उतर जाएगी ..वो और भी ज़्यादा मटकने लगी ..कभी - कभी दीप का हाथ उसके बूब्स से टकराता तो दोनो की आह एक साथ निकल जाती

" डॅड कोई और रास्ता तो होगा ना ? "

निम्मी ने अपनी उखड़ती सांसो को चालू रखते हुए दीप के हाथो को ज़ोर से पकड़ ..अपने पेट पर दबा कर कहा ..दीप के मन मे इलाज को ले कर जो बात आई वो बोलना तो चाहता था पर ज़ुबान कहीं से कहीं तक उसका साथ नही दे रही ही ..यहाँ निम्मी उसके हाथ को पेट से ऊपर लाते हुए कयि बार अपने बूब्स पर दबा चुकी थी

" डोंट वरी सब ठीक हो जाएगा बेटा ..पर उसके लिए .... "

इतना बोल कर दीप छुप हो गया ..निम्मी ने उसकी बात सुन कर अपनी आँखें खोली जिनमे से बहते आँसुओ को दीप देख ना सका और अपने हाथ उसकी पकड़ से आज़ाद करते हुए उसे पेट के बल लिटाने की कोशिश की ..निम्मी को एक पल तो समझ नही आया कि दीप उसे पलटा क्यों रहा है पर फिर भी वो किसी कठपुतली की तरह उसके हाथ के सपोर्ट से उल्टा लेट गयी

" यस डॅड जो भी इलाज हो जल्दी करो "

निम्मी ने अपने हाथ से चूतडो को वापस मसलते हुए कहा ..कसी बेहद टाइट कॅप्री मे फसि उसकी गान्ड किसी नामर्द को भी मर्द बना देने मे सक्षम थी फिर दीप तो जनम से ही मर्द था

" बेटा तुझे मालिश से तुरंत राहत मिलेगी और उसके बाद टॅबलेट खा कर सारा दर्द रफूचक्कर हो जाएगा "

दीप को कहते देर नही हुई कि निम्मी ने उसके एक हाथ को पकड़ा और अपने चूतड़ से सटा दिया ..दीप उसकी लेफ्ट मे अपने घुटनो के बल बैठा था

" तो मालिश कर दो डॅड ..लेकिन जल्दी करो "

निम्मी के द्वारा प्रेशर देने से दीप का हाथ उसके मखमली गोल चूतडो मे धँस गया ..निम्मी ने पहली बार सिड्यूस हो कर आह भरी पर दीप को लगा कि उसने दर्द की दरकार से ऐसा किया होगा ..दीप भोचक्का हो कर निम्मी की नंगी पीठ और कॅप्री मे फसि गांद देखे जा रहा था

" यस डॅड प्लीज़ थोड़ा टाइट्ली दबाओ "

निम्मी के मूँह से रज़ामंदी पा कर दीप अपने आपे से बाहर हुआ और अपना दूसरा हाथ भी गांद दबोचने मे लगा दिया ..अब निम्मी के हाथो की कोई ज़रूरत नही थी तो उसने उन्हे अपने पेट के नीचे डाल लिया ..एक बाप के नज़ररिय से अगर दीप इस घटना को देखे तो वो ग़लत था लेकिन अगर एक मर्द की हैसियत समझ कर सोचे तो निम्मी के मस्त - बदन ने उसके दिल और दिमाग़ पर अपना जादू चला दिया था ..निम्मी कुछ देर ज्यों की त्यों बेड पर पैर सीधे किए लेटी रही पर जब उसकी चूत रस ने बाप के प्रति बुरी भावनाओ से रस छोड़ना चालू किया तो वो सडन्ली बेड पर घुटने मोडती हुई उकड़ू बैठने को हुई और दीप को ना चाहते हुए भी ठीक उसके पीछे आना पड़ा ..हाथ पेट के नीचे ले जाने से निम्मी का प्लान था कैप्रि के बटन को अनलॉक कर उसे लूज करना और अब उकड़ू बैठने से उसकी गांद हवा मे बहुत ज़्यादा ऊपर उठ गयी थी जिसके चलते कॅप्री फिसल कर पैंटी स्ट्रॅप लाइन तक पहुचि और उसकी खूबसूरत गांद की दरार से दीप की आँखों का मिलन हो गया

" ओह डॅड यू आर आ रियल पेन किल्लर "

निम्मी ने मस्त होते हुए अंगड़ाई ली और जान कर अपनी ब्रा के स्ट्रॅप लगभग दोनो कंधो से नीचे उतार लिए

" अच्छा फील हो रहा है ना ? "

दीप ने काम के वशीभूत हो उसके चूतडो की दरार मे अपनी उंगली फिरा कर पूछा

" यस डॅड आप के हाथो मे जादू है ..वैसे मूव भी है मेरे कमरे मे "

इतना बोल कर निम्मी चुप हो गयी ..दीप के लिए ये खुला आमंत्रण था उसकी गांद को कॅप्री और पैंटी से पूरा आज़ाद होते नंगा देखने का

" क ..कहाँ रखी है मूव बता मुझे "

अब दीप वाकई अपने लंड रूपी दिमाग़ से सोचने पर मजबूर हो गया ..जानता था कि निम्मी तो अभी बच्ची है पर उसे तो एक बाप होने के नाते उसके चूतडो को छ्चोड़ देना चाहिए था ..वो बेड से नीचे उतरा पर रूम से जाने की वजाए निम्मी के इशारे पर वॉर्डरोब से मूव लेने

" मिल गयी "

जब मूव ले कर दीप पलटा तो नज़ारा और भी ज़्यादा भड़काने वाला था ..निम्मी ने कॅप्री को पैंटी सहित गांद के कोमल भूरे छेद तक उतार लिया था और ब्रा तो झूल कर बिल्कुल उतरने को थी ..डीप की पलकें तो झपकना ही भूल गयी ..उकड़ू अपनी नंगी गान्ड को हवा मे उठाए उसकी बेटी का जिस्म और छाती से नीचे लटकती बड़ी बड़ी चूचियाँ उसे पागल करने को काफ़ी थी ..दीप निम्मी के सर की साइड मे खड़ा था ..एक पल वो उस नज़ारे को देख कर रुका कि कही ये सब उसकी बेटी का कोई नाटक तो नही लेकिन अगले ही पल उसकी आँखें निम्मी की आँखों से जा टकराई और उनमे छुपि मासूमियत को देख दीप का सारा शक़ कूफर हो गया ..उसे लगा जैसे निम्मी उसकी अपनी बच्ची दुनिया की सबसे इनोसेंट लड़की है

" मिल गया डॅड ..अब जल्दी से मालिश को पूरा कर दो "


निम्मी की आवाज़ सुन दीप का ध्यान भंग हुआ और वो हौले हौले बेड की तरफ बढ़ने लगा ..दोनो बाप बेटी फुल तरीके से रोमांचित थे ..डॅड का खड़ा लंड निम्मी की चूत को और भी ज़्यादा फड़का रहा था पर दीप चाहता था कि उसकी बेटी को उसके सिड्यूस होने का पता ना चले ..8" का लंड था कोई 1" की लुल्ली नही जो छुपायि जा सकती थी ..दोनो ये सोच कर भी पानी - पानी हो रहे थे कि एक बाप की आँखों का सामना अपनी बेटी के गान्ड के छेद से कुछ ही पॅलो मे होने वाला था ..दीप बेड पर चढ़ा और निम्मी के ठीक पीछे बैठ कर अपनी उंगली मे मूव की एक लेयर निकाल ली लेकिन अभी तक उसने एक नज़र भी बेटी के खुले पिच्छवाड़े पर नही डाली थी ..शायद मेच्यूर होना इसी को तो कहते हैं ..निम्मी उसका खून थी फिर आज वो इतना आगे कैसे बढ़ गया ..उसने खुद को इस बात के लिए कोसा और फ़ैसला लिया कि वो अपनी आँखें बंद रख के जल्दी से मालिश निपटाएगा और कमरे से बाहर चला जाएगा ..वहीं निम्मी इस पल के इंतज़ार मे थी कि कब उसके डॅड का हाथ उसकी खुली गांद को सहलाता और क्या रिक्षन होगा दीप का जब उसकी आँखें अपनी ही बेटी के आस होल पर पड़ेंगी

दीप को बिल्कुल शांत बैठा महसूस कर निम्मी ने अपनी गर्दन को पीछे घुमाया तो पाया कि डॅड की आँखें बंद और वो कुछ सोचने की मुद्रा मे बैठे हैं ..निम्मी के तन बदन मे आग लगी थी और दीप का इस तरह से एक दम चुप हो जाना निम्मी को गवारा नही हुआ ..कैसे भी कर उसे डॅड की प्रतिक्रिया नोट करनी थी ..पॅंट के अंदर बने तंबू से उसे ये तो पता लग गया था कि बेटी के जिस्म ने बाप के अंदर का मर्द जगा दिया लेकिन वो तो हर नंगी लड़की कर सकती है ..सही बात तो आँखों से बयान होती तभी कुछ सोच कर निम्मी ने कहा

" डॅड मूव थोड़ा देख कर लगाना कहीं ग़लत जगह ना लग जाए ..आप समझ रहे हो ना ..वहाँ लगा तो जलन होगी "

निम्मी ने सोते दीप की आँखे खुलवाने के लिए जो बात कही उससे दीप कब तक बच पता ..उसने फिर भी बंद आँखो से निम्मी के पिछवाड़े का अनुमान लगाया लेकिन पहली ही बार मे निशाने पर गांद का कुँवारा छेद आ गया ..उंगली मे लगी मूव सीधे आस होल से जा टकराई

" अहह.............. डॅड "

निम्मी ने जो कहा था हुआ उसका बिल्कुल उल्टा ..दीप की उंगली का एहसास अपनी गांद के कुंवारे छेद पर महसूस होते ही निम्मी की टाँगे जवाब दे गयी और वो बेड पर करवट ले कर लेट गयी ..दीप ने हड़बड़ा कर अपनी आँखें खोली तब तक उसकी बेटी ने अपने घुटनो को मोड़ लिया था और टाइट कॅप्री मे फासी गांद की दरार आपस मे चिपकी पड़ी थी

" क्या हुआ निम्मी ..सब ठीक तो है ? "

पता दीप को सब था कि उसकी उंगली कहाँ जा कर टकराई थी पर सीधे स्पस्ट शब्दो मे पूछना उसके बस से बाहर था

" उफफफफ्फ़ डॅड ..मैने आप को बोला था कि मूव देख कर लगाना पर आपने तो मेरी जान ही ले ली "

निम्मी को छेद मे जलन शुरू हो गयी ..अब किया हुआ नाटक ख़तम हो कर सब रियल मे बदल गया

" आइ'म सॉरी बेटा ..इस वक़्त तेरी मा को यहाँ होना चाहिए था "

दीप ने अपने बाप रूपी दिमाग़ से सोच कर कहा ..वो मैने अपनी आँखें बंद रखी थी ..तभी ये ग़लती हो गयी ..दीप की बात से उसकी केर सॉफ झलक रही थी

" मोम होती तो वो जान कर ऐसा करती और शायद आप ने भी वही किया ..डॅड मुझे जलन हो रही है "

ये कह कर निम्मी रुआसी हो गयी ..वाकाई मे जब मूव बॉडी के किसी एक्सटर्नल पार्ट पर लगती है तभी जलन का अनुमान हो जाता है और यहाँ तो बात शरीर के इतने सेन्सिटिव अंग की थी ..जल्दबाज़ी मे दीप ने मूव को मला भी नही था अपने हाथो पर ..उसने सोचा था कि डाइरेक्ट उंगली से चूतडो पर मूव लगा कर मालिश करेगा

" ऐसा नही है निम्मी ..मैं तुझे दुख नही दे सकता ..बच्चो मे सबसे ज़्यादा मुझे तुझसे प्यार है "

दीप ने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा

" प्यार माइ फुट डॅड ..ऊईए मा ..कितना स्ट्रेंज सा लग रहा है "

निम्मी ने करवट ले कर खुद के पेन को और ज़्यादा बढ़ाया था ..अगर वो अपने आस होल के क्रॅक्स को नही जोड़ती तो शायद उसे इतनी जलन महसूस नही होती ..ऊपर से वो मटक भी तो नागिन की तरह रही थी ..बूब्स पर से ब्रा पूरी तरह अलग थी और उसकी हर थिरकन से चूचियाँ इधर - उधर डोले जा रही थी

" दिखा मुझे "

जो काम दीप की ग़लती से बिगड़ा था उसे ठीक करने के लिए उसने निम्मी को वापस उसी पोज़ीशन मे लाना चाहा जैसे वो पहले ओकडू बैठी थी ..शायद अब दीप के दिमाग़ मे छुपा शैतान ख़तम होने की कगार पर था

" नो वे डॅड ..आप जाओ ..हर बार की तरह इस बार भी मैं दर्द बर्दास्त कर लूँगी ..मुझे कुछ नही दिखाना "

निम्मी ने उसकी पकड़ से छूट ते हुए कहा तो दीप को और भी ज़्यादा अफ़सोस हुआ

" बेटा अगर दिखाएगी नही तो इलाज कैसे होगा ..मैं प्रॉमिस करता हूँ तेरा दर्द कम कर दूँगा "

दीप ने इस बार अपने दोनो हाथो के ज़ोर से उसे पेट के बल लिटाया और उसे अपनी तरफ खीचना शुरू किया ..निम्मी के पास भी इस वक़्त हालात से समझोता करने के अलावा और कोई चारा नही बचा था ..एक सोचा - समझा मज़ाक ऐसा दर्दनाक मोड़ ले लेगा उसने कल्पना भी नही की थी ..बस दीप को थोड़ा सा परेशान कर वो अपने कमरे से रुखसत कर देती ..लेकिन बात कहाँ तक पहुच गयी

" ऊपर तो उठा इसे "

जब निम्मी के चूतर उसकी सीध मे आ गये तब दीप ने उन्हे हाथ से थप थपा ऊपर उठाने को कहा ..निम्मी ने पहली बार किसी अग्याकारी बच्चा होने का सबूत दिया और अब उसकी गान्ड ठीक डॅड के चेहरे के सामने थी ..दीप ने एक लंबी साँस ली और अपनी नज़रें उसके दरार बंद चूतडो से जोड़ दी

" डॅड जो भी करो जल्दी करना ..मुझे सच मे बहुत पेन है "

निम्मी की बात पूरी भी नही हो पाई कि दीप की पॉकेट मे रखा सेल बजने लगा ..उसने सोचा तो था कि मोबाइल जेब से बाहर ना निकाले पर निम्मी ने अपनी गर्दन पीछे मोड़ कर उसे इशारे से कॉल पिक करने को कहा ..वो चाहती थी कि इस कॉल के बाद अगली सारी रुकावट ख़तम हो जाएँ और उसे अपने दर्द से जल्दी निजात मिल सके ..दीप ने जल्दी से सेल बाहर निकाला तो कॉल जीत का था ....

" हेलो जीत "

दीप ने कॉल पिक किया

" दीप तेरे लिए एक खुश - खबरी है "

जीत ने हंसते हुए जवाब दिया

" खुश - खबरी ? "

दीप पहले तो हैरान हुआ पर तुरंत ही उसे याद आया कि उसने जीत से उसकी सेक्रेटरी को चुदवाने के लिए राज़ी करने की बात कही थी

" हां साले ..खेर तू कर क्या रहा है अभी ? "

जीत ने उसका सवालिया जवाब सुन पूछा

" कुछ नही एक ज़रूरी मीटिंग मे बिज़ी हूँ ..हम 1 घंटे से बात करें "

दीप उसकी बात को सुन ना तो चाहता था पर उसकी नज़र निम्मी के दरार बंद चूतडो से हट कर उसके चेहरे पर पड़ी जिसमे उसकी बेटी मदद की गुहार लगाती दिखाई दी ..ये सोच कर दीप ने जल्दी कॉल को डिसकनेक्ट करने का मन बनाया

" तू और तेरी मीटिंग ..झूठे ज़रूर किसी चूत को चोदने मे लगा होगा ..खेर कैसी चूत है उसकी ..कभी मुझे भी शामिल कर भाई ..मिल कर चोदेन्गे "

जीत की इस बात ने दीप के अंदर छुपे शैतान को जगाने का काम किया और उसका फ्री हाथ अपने आप निम्मी के एक चूतड़ को मसल्ने के लिए बढ़ गया

" खेर जो भी होगा बता दूँगा ..अभी रख और समझ मेरी बात को ..मैं तुझे 1 घंटे से कॉल करता हूँ "

दीप ने थोड़ी ताक़त से निम्मी का चूतड़ मसला तो उसकी बेटी की दर्द और मज़े से भरी आह जीत के कानो मे भी जा पहुचि

" हा हा हा हा लगा रह ..छोड़ना नही भाई ..रगड़ कर चोदना रांड़ को ..चल मे रखता हूँ "

जीत ने इतना बोल कर हस्ते हुए कर कॉल काट दिया

दीप पर उसकी बातों का इतना गहरा असर पड़ा कि सामने उकड़ू बैठी निम्मी मे उसे रंडी की छवि दिखाई देने लगी

" डॅड अगर बात हो गयी हो तो कुछ करो ..आइ कान'त कंट्रोल अनीमोर "

निम्मी ने उसे नींद से जगाया और दीप अपनी सोच की कयास को पूरा करने मे जुट गया

" निम्मी पहली बात तो जो इस बंद कमरे मे हो रहा है प्रॉमिस मी ..बात सिर्फ़ हम दोनो तक ही रहेगी "

दीप ने सेफ हॅंड खेला

" शुवर डॅड ..प्रॉमिस किया "

निम्मी ने उसकी बात को रज़ामंदी दी और अगले ही पल दीप का दूसरा हाथ भी उसकी गान्ड को सहलाने मे लग गया

" बेटा इस कॅप्री तो थोड़ा और नीचे खीचना होगा "

दीप ने गांद की लकीर पर अपनी उंगली फेर कर कहा

" नीचे क्यों डॅड ? "

निम्मी ने शरम से बहाल होते हुए पूछा अगर कॅप्री और नीचे सरकती तो गांद के छेद के साथ उसकी अन्छुइ कुँवारी चूत भी दीप को दिखाई देती

" मैं जैसा कहता हूँ कर ..तुझे रिलॅक्स फील होगा बेटा "

दीप ने उसकी हां सुन ने से पहले ही अपने हाथ से कॅप्री को काफ़ी नीचे खीच दिया ..निम्मी ने पूरी ताक़ात लगा कर अपनी गान्ड को सिकोडा ताकि दरार ना खुल पाए और दीप चूतड़ो के कड़क पन से उसकी इस हरकत को ताड़ गया

" बेटा इन्हे ढीला छोड़ और पूरी तरह रिलॅक्स हो जा "

उसने हाथ के प्रेशर से चुतडो के पट को खोलते हुए कहा

" डॅड मुझे शरम आ रही है "

निम्मी ने और ज़ोर लगा कर उसके हाथो को ऐसा करने से रोकने की कोशिश की

" डॅड से कैसी शरम बेटा ..वैसे मैं जानता हूँ ये ग़लत है लेकिन मान मैं एक डॉक्टर हूँ और तू मेरी पेशेंट है ..तेरे इलाज के लिए ही मैं ऐसा कर रहा हूँ "

दीप ने उसे समझाया और निम्मी ने अपने पिछवाड़े को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया ..और अलगे ही पल एक बाप की आँखों के सामने खुद की बेटी का सुर्ख भूरा गांद का छेद और कुँवारी बिना झाटों की फूली चूत थी ..कॅप्री काफ़ी नीचे थी जिस से ये सीन और भी ज़्यादा कातिलाना था

" अब मैं तेरे दर्द का इलाज करता हूँ "

दीप ने उसे हल्का सा करवट दिलवाया और खुद का कंट्रोल खोते हुए बहुत सारा थूक गांद के छेद मे उडेल दिया ..इस ठंडे एहसास से निम्मी की जान ही निकल गयी ..वो खुद को संभाल पाती की इस से पहले ही दीप ने अपने होंठ छेद पर रखे और इतनी तेज़ी से थूक को सांसो से ज़रिए मूँह के अंदर खीचा कि निम्मी तड़प उठी ..उसे लगा कि जैसे उसकी आत्मा गान्ड के छेद से बाहर निकल जाएगी ..वो ज़ोर दे कर अपने आप को दीप की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी ..उसकी सिसकारियो से पूरा कमरा गूँझ रहा था ..पर दीप ने उसे कोई चान्स ना देते हुए अपनी जीब बाहर निकाल कर कुत्ते की तरह उस मुलायम छेद को चाटने लगा ..ना चाहते हुए भी निम्मी ने अपने हाथ से चूतडो की दरार को इतनी ताक़त से अलग किया कि उसे अपनी जाँघो मे फसि केप्री से दर्द महसूस होने लगा

" डॅड कॅप्री मेरी जाँघो मे फसि है ..मुझसे इस पोजीसन मे रहा नही जाएगा "

निम्मी ने अपना चेहरा पीछे घुमाया तो देखा दीप फटी आँखों से उसके यौवन को निहार रहा था ..तो क्या ये सिर्फ़ उसकी सोच थी कि डॅड उसके आस होल को बेरहमी से चाटे जा रहे थे ..सपने से बाहर निकल उसे अपने दर्द के ऊपर मदहोशी छाने लगी और लगा जैसे उसकी चूत बहने को तैयार हो

" तो कॅप्री उतार ले बेटा ..ला मैं मदद करता हूँ "

दीप के तो मन की मुरादें पूरी हो रही थीं ..जीत ने उसे जिस खुश - खबरी से रूबरू करना चाहा उससे दीप ने अनुमान लगा लिया था कि दोस्त ने दोस्ती निभाते हुए उस लड़की को चुदवाने के राज़ी कर लिया है और इस बात का असर ये हुआ कि निम्मी मे उसे इस वक़्त उसे वही लड़की दिखाई दी जिसने आज सुबह ही उसका का माल चखा था ..दीप ने आगे हाथ ले जा कर कॅप्री के सारे बटन अनलॉक किए और धीरे - धीरे कॅप्री को उसकी टाँगो के बाहर का रास्ता दिखा दिया ..अब निम्मी के जिस्म पर सिर्फ़ एक छोटी सी पैंटी रह गयी जो उसकी पुसी एरिया से नीचे थी और थ्रेड वाली ब्रा जिसके कप से बूब्स बाहर को लटके थे

" डॅड यहाँ जलन है "

निम्मी को अब दर्द तो नही था पर गान्ड के छेद मे उठ रही जलन उसे काफ़ी मीठा - मीठा एहसास करवा ने लगी और रही - सही कसर उसके सपने ने पूरी कर दी थी ..उसने सोचा जब दीप ने इतना सब देख ही लिया है तो क्यों ना अपने सपने को सच किया जाए ..ऐसा मन मे विचार कर उसने दीप का हाथ पकड़ा और उसकी उंगली को अपने मुलायम छेद से चिपका दिया ..दीप को ऐसा अनुमान कताई नही था और वो खुमारी के चलते उसी हाथ की दूसरी उंगली से अपनी बेटी की कुवारि चूत का ऊपरी हिस्सा खुजलाने लगा

" क्या यही दर्द है बेटा ? "

दीप ने अपनी उंगली को छेद पर घुमाव देते हुए कहा ..उसने छेद पर हल्का सा दवाव भी बना रखा था

" अहह........ यस डॅड "

निम्मी ने मादक सिसकी लेकर कहा

" तो एक काम कर ये पैंटी भी उतार दे ..इलाज करने मे मुझे आसानी रहेगी "

दीप ने बड़ी चालाकी से उसकी थ्रेड ब्रा की ढीली नाट को खोला और अलगे ही पल ब्रा बेड पर पड़ी थी ..हालाकी निम्मी को उसकी उंगलियों का स्पर्श अपनी पीठ पर हुआ ..लेकिन जो दीप कर रहा था कहीं ना कहीं वो भी तो यही चाहती थी

" ओके डॉक्टर "

निम्मी ने मुस्कुरा कर सिर्फ़ इतना कहा और बड़ी कातिल अदा के साथ अपनी पैंटी को टाँगो के बाहर कर दिया ..अब निम्मी पूरी तरह से नंगी थी

" बेटा थोड़ा क्रॅक्स तो फैलाना ..तब तक मैं सोचता हूँ आगे का इलाज कैसे करना है "

निम्मी ने उसकी बात को मानते हुए अपने दोनो हाथो से चूतडो की दरार को चौड़ा लिया ..नज़ारा ऐसा था कि दीप का हाथ खुद - ब - खुद पॅंट के ऊपर से अपना लंड सहलाने मे बिज़ी हो गया

" डॅड इस से ज़्यादा नही खोल सकती "

निम्मी ने फिर से अपना चेहरा पीछे घुमा कर कहा ..दीप को अपना लंड सहलाते देख उसकी चूत से रस की पहली धार बह निकली ..वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी

निम्मी ने फिर से अपना चेहरा पीछे घुमा कर कहा ..दीप को अपना लंड सहलाते देख उसकी चूत से रस की पहली धार बह निकली ..वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी

" नही इतना काफ़ी है "

दीप उसकी आवाज़ सुन होश मे आया और हाथ को तुरंत ही अपने लंड से हटा लिया

" बेटा बुरा ना माने तो एक बात कहूँ ? "

दीप ने उससे सवाल किया

" यस डॅड बोलिए ..आप की बात का बुरा कभी नही मानुगी "

निम्मी ने उसे प्यार से जवाब दिया

" तेरा फिगर बहुत अच्छा है निम्मी "

दीप ने उसकी चूत को बहता देख उसके गरम होने को कन्फर्म किया और शायद अब वो निम्मी को बातों मे भी पूरी तरह खोलना चाहता था ..ताकि तन के साथ मन से भी वो उसका साथ दे

" डॅड ऐसी बात मत करिए मुझे कुछ - कुछ होता है "

निम्मी ने शरमाने का नाटक किया ..मज़े से वो बहाल थी

" क्या कुछ - कुछ होता है बेटा ..अपने डॅड को नही बताएगी "

दीप ने उसे टटोलते हुए कहा और अपना चेहरा झुका कर चूत के ठीक ऊपर एक गहरी चुम्मि जड़ दी ..लगभग 10 सेक तक पूरी ताक़त लगा कर दीप ने उसकी जवानी को अपने अंदर खीच उसे तडपाया ..चूत के रस से उठती मादक खुश्बू से वो वाकिफ़ था

" उफफफफ्फ़ डॅड ..अगर ऐसा करोगे तो जाओ नही बताती ..मुझे शरम आती है "

निम्मी ने अपना चेहरा बेड पर बिछि शीट मे छुपा कर कहा लेकिन जब तक दीप चूत को अपनी जीब से चाट कर उसके रस की पहली धार निगल चुका था

" शरम की कोई बात नही बेटा ..जानता हूँ तू बिल्कुल नंगी अपने डॅड के सामने बैठी है ..पर कभी - कभी हालात ऐसे हो जाते हैं जब सारे रिश्तो को भूल जाना ही ठीक रहता है "

दीप के मूँह से ऐसी बातें सुन निम्मी ताड़ गयी कि अगर अब इस नाटक को यहीं ख़तम नही किया तो उसका अपने डॅड से चुदना तय है और तो और दीप ने अब तक उसके अन्छुए छेदो से छेड़खानी भी शुरू कर दी थी

" छ्हीईइ डॅड कितनी गंदी जगह चाट रहे हो और आप की बात का मतलब क्या है ? "

निम्मी ने गंदा सा मूँह बना कर उससे सवाल किया ..अपनी चूत का चाटा जाना उसे एक अलग ही मज़ा दे रहा था लेकिन बात इससे आगे ही बढ़ती जिसे रोकना भी ज़रूरी था

" मतलब ये कि इस दुनिया मे भले ही इंसान किसी भी रिश्ते से जुड़ा हो ..पर कुछ शारीरिक ज़रूरतें ऐसी होती हैं जो उन रिश्तो से परे हैं ..सॉफ शब्दो मे कहो तो चूत - चूत होती है चाहे अपनी बेटी की हो या किसी पराई औरत की ..रही बात चाटने की तो मेरी बेटी के बदन मे कुछ भी गंदा नही ..मैं अभी इस गांद के छेद को चाट कर तेरा सारा दर्द मिटा दूँगा "

दीप इस बार चूत की जड़ से जीभ फेरते हुए गांद के छेद तक पहुचा

एक पल उसकी खूबसूरती को निहारा और अगले ही पल उस छेद मे अपनी जीब को अंदर तक डाल कर चूसने लगा ..निम्मी इस सुखद छेड़ - छाड़ से लगभग पागल सी हो गयी ..दीप के मूँह से डाइरेक्ट चूत और गान्ड शब्द का इस्तेमाल होता देख उसे ना चाहते हुए भी अपने नाटक का दा एंड करना पड़ा

" डॅड शायद अब मुझे दर्द से राहत मिल गयी है मैं कपड़े पहेन लेती हूँ "

निम्मी ये बोल कर उसकी पकड़ से आज़ाद हुई और बेड से नीचे ज़मीन पर उतरने लगी ..दीप के लिए तो ये खड़े लंड पर धोखा था ..वो सोच नही सकता था कि निम्मी इस कदर अपनी उत्तेजना को शांत कर लेगी

" बेटा दर्द का इलाज होना ज़रूरी है ..वरना फ्यूचर मे दिक्कत हो सकती है "

दीप ने उसे बेड से उतरने से रोका पर निम्मी जब तक ज़मीन पर खड़ी हो चुकी थी

" डॅड अगर कभी दर्द होगा तो मैं आप को बता दूँगी "

निम्मी वॉर्डरोब की तरफ जाती हुई बोली ..उसके बड़े - बड़े तने बूब्स और उभरी गान्ड देख दीप का मन नही माना ..उसने देखा वो वॉर्डरोब से अपने कपड़े बाहर निकाल रही है ..प्लान चौपट होता समझ दीप भी बेड से नीचे उतर कर उसके करीब जा पहुचा

" निम्मी सुन मेरी बात ..मैं तेरा हर दर्द पूरी तरह से ख़तम कर दूँगा ..बिलीव मी बेटा मैं तेरा भला ही चाहता हूँ ..चल वापस बेड पर चलते हैं "

दीप ने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ पलटाया और अगले ही पल निम्मी की आँखें उसके तने लंड से जा चिपकी ..पॅंट के ऊपर का फुलाव देख वो दीप से दो कदम पीछे हट गयी

" डॅड ये क्या है ? "

निम्मी ने एक हाथ अपने खुले मूँह पर रखा और दूसरे से उसके लंड की तरफ इशारा कर पूछा ..दीप ने उसकी बात समझ तुरंत ही लंड को अपने हाथो से कवर किया लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी

" वो ..वो ..बेटा वो "

दीप की तो घिघी बंद गयी ..अगर बेड पर सिड्यूसिशन की हालत मे निम्मी ने ये सवाल किया होता तो दीप बात को संभाल सकता था ..लेकिन अब उसकी बेटी एक दम नॉर्मल दिख रही थी ..उसने ने अपनी गर्दन को नीचे झुका लिया

" वो क्या दद ..सॉफ - सॉफ बताओ मुझे "

निम्मी ने उसे मायूस होता देख अपना दवाब बनाया

" न ..न ..निम्मी वो मैं उत्तेजित हो गया था तो कंट्रोल नही कर पाया "

दीप के मूँह से सच सुन एक पल तो निम्मी के चेहरे पर मुस्कान आई पर अगले ही पल वो किसी सोच मे डूब गयी

" उत्तेजित ..यानी अब तक आप इलाज का बहाना कर मेरी न्यूड बॉडी के मज़े ले रहे थे "

निम्मी ने अपना दूसरा प्लान स्टार्ट किया और उसकी बात सुन दीप की आँखों के आगे अंधेरा छा गया ..निम्मी ने उसकी चोरी पकड़ ली थी

" ओह माइ गॉड डॅड ..मैं कितनी बेवकूफ़ हूँ जो मैने आप की बात मान कर अपने कपड़े उतारे और तो और आप कितनी घिनोनी बातें मेरे सामने कर रहे थे ..पुसी - पुसी होती है चाहे बेटी की हो या किसी दूसरी औरत की ..सीधा - सीधा क्यों नही कहते डॅड ' यू वॉंट टू फक मी ' "

ये बोल कर निम्मी रोने का नाटक करते हुए वॉर्डरोब से सॅट कर ज़मीन पर बैठ गयी ..उसने जान कर अपनी टाँगो की जड़ को पूरा खोल रखा था ..ताकि अभी दीप को और परेशान कर सके

" बेटी "

दीप ने उसे आवाज़ दी

" मत कहो मुझे बेटी डॅड ..आप ने वो हक़ खो दिया है ..मैने इस घर मे सबसे ज़्यादा आप को प्यार किया पर आप की नीयत मे खोट है ..आओ कर लो अपनी हवस पूरी दर्द से बिलखती इस बेटी के साथ ..कम ऑन डॅड फक मी आंड बिकम आ रियल डॉटर फकर "

निम्मी ने रोते हुए अपना चेहरा नीचे झुका लिया ..अब दूसरा प्लान यहीं ख़तम कर वो चुप हो गयी

" आइ'म सॉरी बेटा मुझे माफ़ कर देना "

फर्श पर गिरते आँसू देख कर निम्मी को दीप के रोने का पता चला ..वो अपनी नज़रें ऊपर उठाती इस से पहले ही दीप पलट कर कमरे के गेट पर पहुच गया

" गेट लॉक कर लेना "

दीप ने एक लास्ट बार निम्मी के चेहरे को देखा और अपने आँसू पोंछ कर कमरे से बाहर निकल गया

" लो हो गया बँटा धार "

दीप के कमरे से बाहर जाते ही निम्मी ने अपना माथा ठोक कर कहा

" मैने सोचा नही था डॅड रो देंगे ..शायद कुछ ज़्यादा ड्रामा हो गया ..कोई बात नही कम से कम फ्यूचर के लिए तो डॅड मेरे काबू मे आ ही गये ..अब बारी है उस बस्टर्ड निकुंज की ..जिसका गेम ओवर मैं कल से करूँगी "

इतना सोच कर निम्मी के चेहरे पर एक चिर परिचित हसी लौट आई और वो गेट लॉक करने चल दी ....
 
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Mujhe ek baat samajh nhi aati log incomplete stories ko copy kr k kya sabit karna chahte hn ...... Agar copy hi karna h to complete stories ko Karo Jo k bahut sari hn

Agar incomplete stories ko complete karne ki koshish kar rahe ho to me aise writers ka tahe dil se swagat krta hu or agar story ko incomplete hi chhodne ka irada hai to please reader's ki bhavnaon se khilwad Krna band kr dain.....।
THANKS FOR YOUR SUPPORT
 
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