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पापी परिवार--5

नीचे हॉल मे जाने से पहले दीप 1स्ट फ्लोर पर बने गेस्ट रूम मे एंटर हुआ और वॉश बेसिन के टॅप से अपना चेहरा धोने लगा ..चेहरा धो कर उसने पास के हॅंगर पर टँगे टवल से उसे पोन्छा और तभी उसकी नज़र सामने लगे शीशे से जा टकराई ..शीशे मे खुद का अक्स देख कर उसे अपने चेहरे से नफ़रत सी हो गयी ..एक भूका भेड़िया बन कर थोड़ी देर पहले वो अपनी सबसे प्यारी बेटी के जिस्म से खेल रहा था ..वो बेचारी दर्द से तड़प रही थी और उसका बाप हवस से अँधा हो कर उसे चूसे जा रहा था ..कितना बदल गया था आज दीप ..उसने एक पल भी खुद को इस बात के लिए नही धिक्कारा जब उसके हाथ अपनी ही बेटी के ढके जिस्म को बेपर्दा करने मे लगे थे ..वो कराह रही थी और उसका बाप उसके नाज़ुक अंगो को मस्ती से चाट रहा था ..अपनी कितनी घिनोनी सोच भी बेटी को ज़ाहिर कर दी कि चूत चाहे घर की हो या बाहर की अंतर कुछ भी नही ..जिसकी वजह से निम्मी इस दुनिया मे आई आज उसे ही चोदने निकल पड़ा था उसका बाप

" छ्हीईई लानत है तुझे और तेरी सोच को ..जा मर जा चुल्लू भर पानी मे डूब के "

दीप ने सारी बातें सोच कर खुद को कोसा और तेज़ कदमो से सीढ़िया उतरता हुआ घर के बाहर जाने लगा

हॉल मे अभी भी वो तीन शक्स मौजूद थे जिन्हे थोड़ी देर पहले दीप ने ये बोल कर रोका था कि वो अपनी बेटी से बात करने जा रहा है और उसे इस दौरान किसी भी तरह का कोई डिस्टर्बेन्स नही चाहिए

" कहाँ जा रहे हैं ..चाइ तो पीते जाइए "

कम्मो ने उसे मैन गेट पर रोकते हुए कहा

" एक ज़रूरी काम है ..रात मे लेट हो जाउन्गा "

दीप ने बिना उसकी शकल देखे जवाब दिया और मेन गेट के पार निकल गया ..घर के बाहर खड़ी कार के पहियो ने रफ़्तार पकड़ी लेकिन उनकी मंज़िल का मुकाम तो शायद उन्हे घुमाने वाले मालिक को भी नही पता था

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रात के 11 बज चुके थे पर दीप अब तक घर नही लौटा ..वैसे ये कोई नयी बात नही वो हमेशा 1 के बाद ही वापस आता था लेकिन जिस हाल मे वो आज घर से बाहर गया कम्मो सोच - सोच कर घबराए जा रही थी ..घर की दोनो बेटियाँ अपने कमरो मे और निकुंज हॉल मे बैठा लॅपटॉप पर कुछ काम मे बिज़ी था

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सेल बजने की आवाज़ से दीप की नींद मे खलल पड़ा ..वो इस वक़्त अपने ऑफीस के बेड रूम मे सो रहा था

" हेलो "

उसने नींद मे ही कॉल पिक किया

" जनाब चुदाई से निपटे या अभी भी व्यस्त हो "

लाइन की दूसरी तरफ जीत था

" नही यार थोड़ा आराम कर रहा था "

दीप ने अपनी बंद आँखो को खोल कर जवाब दिया ..सामने की दीवार घड़ी मे 11:30 बज रहे थे

" अभी से नींद आ गयी ..खेर तूने कॉल नही किया ..लगता है खुश - खबरी मे तुझे कोई इंटेरेस्ट नही "

खुश - खबरी शब्द कान मे पड़ते ही दीप की बची नींद भी हवा हो गयी और वो उठ कर बेड पर बैठ गया

" ऐसी बात नही है भाई ..वो थोड़ा आँख लग गयी थी ..सुना क्या सर्प्राइज़ है ? "

दीप ने उसे रिप्लाइ किया

" सुन अगर मैं कहूँ कि हमारी इस दोस्ती को रिश्तेदारी मे बदलना चाहता हूँ तो कैसे रहेगा ? "

जीत ने उससे सवाल किया

दीप :- " रिश्तेदारी !!! "

जीत :- " हां यार "

दीप :- " यू मीन निकुंज और तनवी ? "

" बिल्कुल ..खेर ये तो मेरी सोच है बाकी तुझे जैसा ठीक लगे "

जीत की बात से दीप बहुत खुश हुआ

" यार मुझे तो कोई ऑब्जेक्षन नही ..बल्कि ये तो हमारी ख़ुशनसीबी होगी अगर तनवी मेरे घर की बहू बने ..बस एक बार निकुंज से पूछ लूँ फिर कोई स्पस्ट जवाब दे पाउन्गा "

दीप ने उसे अपनी रज़ामंदी दे कर कहा

" हां ये बिल्कुल सही रहेगा ..बच्चो की हां से ही कुछ बात बन पाएगी "

जीत को भी दीप की बात सही लगी

दीप :- " तनवी की क्या मर्ज़ी है ? "

जीत :- " अभी पूछ लेता हूँ ..तू एक काम कर निकुंज का कोई फोटो मुझे MMएस कर दे ..मैं तुझे तनवी का करता हूँ "

दीप :- " भाई फोटो तो अभी नही है ..मैं घर से थोड़ा दूर हूँ "

जीत :- " तो फिर नींद कहाँ पूरी कर रहा है ? "

दीप :- " ऑफीस मे हूँ "

जीत :- " चल ठीक है कल सुबह कर देना ..पर मैं अभी कर देता हूँ "

दीप :- " ओके ..मैं कल निकुंज का जवाब भी दे दूँगा "

जीत :- " गुड नाइट "

दीप :- " बाइ "

दीप ने ये बोल कर कॉल डिसकनेक्ट कर दिया ..कुछ ही मिनट बाद उसके सेल पर एक MMएस आया ..दीप ने फाइल को ओपन किया ..धीरे - धीरे एक लड़की का धुँधला चेहरा मोबाइल की स्क्रीन पर क्लियर होने लगा ..जब फोटो फुल क्लियर हुई तो उसे देखते ही सेल दीप के हाथ से छूट कर बेड पर गिर पड़ा ..उसने काँपते हाथो से मोबाइल को वापस ऊपर उठाया और झटके से फिर छोड़ दिया

" जिसने आज सुबह मेरा लंड चूसा और जिसको चोदने के लिए मैने जीत से मदद माँगी वो कोई और नही जीत की अपनी बेटी तनवी ही थी "

दीप को फिर कोई होश ना रहा शायद आज लगे दोनो झटके उसे गहरी नीद मे ले जाने के लिए काफ़ी थे

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वहीं दूसरी तरफ जीत के घर मे बाप और बेटी पूरी तरह से नंगे बेड पर लेटे थे

" क्या डॅड ..मेरा फोटो म्‍मस कर आपने मेरे आशिक का लंड फिर से खड़ा कर दिया होगा "

तनवी ने जीत के निपल को अपनी जीभ से कुरेद कर कहा

" नही मेरी जान ..जब उसे पता चला होगा कि तू मेरी बेटी है तो उसकी गांद फट गयी होगी ..साला दिन मे मुझसे कह रहा था कि तुझे चोदने मे मैं उसकी मदद करूँ "

जीत ने प्यार से तनवी के बालो मे अपना हाथ घुमाते हुए कहा

" हां और मैने आपके कॅबिन मे अंकल का लंड भी तो चूसा था ..हे हे हे हे ..वाकई उन्हे झटका लगा होगा "

तनवी चाट ते हुए उसके पेट तक पहुच चुकी थी

" लगता है मेरी बेटी को मेरे दोस्त का लंड काफ़ी पसंद आया जो अब उसके घर बहू बन कर जाना चाहती है "

जीत ने अपना लंड सहला कर कहा जिस से तनवी के मूँह की दूरी मात्र इंचो मे थी

" बिल्कुल डॅड ..अंकल का लंड बहुत बड़ा है ..चुसते हुए मेरे गले से नीचे उतर गया था फिर भी मैने हिम्मत नही हारी और उन्हे पूरा प्लेजर दिया ..वैसे भी आप को तो पता है कि मुझे मिचयोर्ड मॅन कितने पसंद है "

तनवी ने अपने गीले नरम होंठो से लंड का सुपाड़ा चूम कर कहा

" अहह....... मैं ये भी जानता हूँ कि तुझे जितना मज़ा लंड चूसने मे आता है उतना किसी और चीज़ मे नही ..पता नही दीप के घर का क्या हाल करेगी "

जीत तनवी के चूतडो को अपनी तरफ खीचते हुए बोला

" डॅड मुझे मर्द का वीर्य पीना भी अच्छा लगता है ..अब आप खुद को ही देख लो ..जब तक दिन मे 4 - 5 बार मेरे मूँह मे वीर्य नही डालते आप को खुद चैन नही आता "

जीत के इशारे को समझ कर तनवी 69 की पोज़िशन मे आ गयी

" तेरे मूँह मे जादू है बेटी "

इतना कह कर जीत ने उसकी रस छोड़ती चूत को जी भर के सूँघा और अपनी जीब से चाटने लगा

" उफफफफफफ्फ़...... डॅड ज़ोर से ..खा जाओ इसे "

वहाँ जीत ने जीब चूत पर मचलाई और यहाँ तनवी ने उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया

[ भले ही ये बाप - बेटी अभी नंगे लिपटे पड़े हों पर सच तो ये है कि तनवी पूरी तरह से वर्जिन थी ..जीत की पत्नी के मरने के बाद वो दूसरी शादी कर सकता था लेकिन तनवी की खातिर उसने खुद की शारीरिक भूख से समझोता कर लिया ..तो इस ग़लत रिश्ते की शुरूवात कैसे हुई ये जान लेना भी बेहद ज़रूरी है ]

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रश्मि रॉय :- जीत की पत्नी और तनवी की मा

शादी के बाद जीत अपनी बीवी के साथ यूएसए चला गया ..वहाँ पर उसने जी भर के पैसा कमाया ..पर जो ख़ास बात उसमे शुरू से रही वो थी रश्मि के लिए उसका बेशुमार प्यार और जिस के चलते उसने जीते जी रश्मि को कोई दुख नही दिया ..भले ही शादी से पहले उसने इंडिया मे रह कर अपने बचपन के दोस्त दीप के साथ कयि जनाना जिस्म नोचे होंगे लेकिन रश्मि से शादी होने के बाद तो जैसे वो बिल्कुल पत्नी व्रता हो गया ..4 साल बाद तनवी का जनम हुआ और जीत - रश्मि का परिवार पूरा हो गया

15 साल तक दोनो मिया बीवी ने जम कर अपनी लाइफ को एंजाय किया ..फिर चाहे नॉर्मल लाइफ हो या सेक्स लाइफ ..जीत मर्द था तो पहल उसी की होती लेकिन एक बार शुरूवात होने के बाद रश्मि अपना वो रूप दिखाती जो शायद किसी बाज़ारू रंडी के भी बस के बाहर होता ..सेक्स के वक़्त वो इतना ज़ोरो से चिल्लाति थी कि घर के बाहर से गुज़रता हर इंसान उसकी सिसकियों से हैरान रह जाता

दोनो मिया बीवी ने कभी सेक्स को जल्दबाज़ी मे नही किया ..रात बीतने पर रश्मि उसे अपनी कातिल अदाओ से रिझाती ..धीरे - धीरे जीत उत्तेजित हो कर रश्मि को चूमता - चाट ता ..सहलाता ..गरम करता और जब चूत का लंड से असली मिलन होता तब दोनो इतने सिड्यूस्ड हो चुके होते कि झड़ने के बाद उन्हे अगले राउंड की कोई ज़रूरत ही नही पड़ती ..फुल सॅटिस्फॅक्षन उनके चेहरे को और भी ज़्यादा खुशनुमा बना देता

तनवी की उमर छोटी होने तक तो दोनो घर के किसी भी कोने या किसी भी वक़्त चुदाई कर पाते पर जैसे - जैसे उनकी बेटी का शारीरिक और मानसिक विकास हुआ ..उनके क्रिया कलापो मे अंतर आया ..फिर कुछ समाए पश्‍चात बात केवल रात पर पहुचि वो भी एक बंद कमरे मे ..आज़ादी के बन्दो को ऐसी सूं - चट चुदाई रास नही आई और सेक्स का खेल काफ़ी कम हो गया

एक बार जीत को किसी काम से जर्मनी जाना पर वो भी पूरे दो सालो के लिए ..उसने रस्मी और तनवी को अपने साथ ले जाने का फ़ैसला किया लेकिन रश्मि ने ये बोल कर उसे इनकार कर दिया कि तनवी की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा क्यों की अब वो अपनी हाइयर स्टडीस की तरफ बढ़ रही है

रश्मि की बात को समझ जीत अकेला जर्मनी के लिए निकल पड़ा और यहाँ यूएसए मे केवल मा और बेटी रह गये ..एक रात तनवी के साथ उसकी क्लासमेट सिम्मी उनके घर आई और डिन्नर कर रात मे ग्रूप स्टडी का बोल कर दोनो तनवी के रूम मे चली गयी ..रश्मि ने उस रात घर का काम निपटाया और सोने के लिए अपने कमरे की तरफ जा ही रही थी कि उसे तनवी के रूम से कुछ सिसकियाँ और आहें बाहर आती सुनाई दी ..एक एक्सपीरियेन्स्ड औरत को समझते देर नही लगी की उसकी बेटी के बंद कमरे मे आख़िर चल क्या रहा है ..उसने ना चाहते हुए भी डोर के की होल से अंदर झाँका तो उसका शक यकीन मे बदल गया

दोनो लड़कियाँ आपस मे चिपकी एक दूसरे को बुरी तारह से चूम रही थी ..बेड के पास रखे लॅपटॉप पर एक लेज़्बीयन मूवी के चलते सीन को दोनो हक़ीक़त का रूप देने मे व्यस्त थी

इस बात से पूरी तरह अंजान कि कमरे के बाहर खड़ी तनवी की मा बड़े आश्चर्य से उनकी करतूत पर नागाह डाले हुए है ..

रश्मि ने देखा कि कुछ देर बाद दोनो ने अपने कपड़ो को उतार कर दूर फेक दिया ..अब तनवी सिम्मी की गोद मे नंगी बैठी थी और सिम्मी उसके बूब्स बड़ी बेरहमी से चूस रही थी

कुछ देर बाद नज़ारा तेज़ी से बदला और सिम्मी ने तनवी की चूत चाट कर उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया एक हाथ से वो खुद की चूत भी मसल रही थी

दोनो कुवारि कन्याओं ने जी भर कर एक दूसरे की छेड़ - छाड़ का आनंद लिया और ये देख कर रश्मि बड़े भारी मन से अपने बेड - रूम मे एंटर हुई लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी ..विदेशी परिवेश का इतना गहरा असर तनवी पर पड़ेगा रश्मि ने इसकी कल्पना तक नही थी ..उसने तुरंत अपने पति को इस घटना से रूबरू करवाना चाहा लेकिन जीत का परेशान होना ध्यान मे आते ही उसने तनवी को इस तरह के अप्राक्रातिक संबंधो से बाहर लाने का विचार किया ..लेकिन कैसे बस वो इसी सोच मे डूबी थी

अब तनवी हर रात किसी नयी लड़की के साथ घर लौट ती और बेचारी रश्मि घुट - घुट कर अपने बेड - रूम मे रोती रहती ..इसका असर ये हुआ कि तनवी ने खुल कर घर मे नंगा नाच मचा दिया ..वो घर मे ना के बराबर कपड़े पहन्ति और अपनी मर्ज़ी के मुताबिक लड़कियों से यौन संबंध बनाती

एक दिन तनवी को पता चल गया कि उसकी मा छुप - छुप कर उसकी हरकतों को देखती है ..रश्मि की तरफ से कोई ऑब्जेक्षन ना होता जान तनवी की हिम्मत दुगनी हुई और वो पूरी तरह से लेज़्बीयन मे कॉनवर्ट हो गयी ..रह - रह कर होती घुटन से रश्मि ने बिस्तर पकड़ लिया और फिर वो कभी सही नही हो पाई

2 साल पूरे होने पर जीत यूएसए से घर लौटा ..वापस आते ही उसने रश्मि की हालत पर गौर किया लेकिन तब तक काफ़ी वक़्त बीत चुका था ..हर संभव इलाज करवाने पर भी जब रश्मि की मौत का दिन आया तब उसने जीत के सामने तनवी के लेज़्बीयन होने के राज़ को बे परदा किया और जीत से इस बात का वादा लिया कि वो तनवी को सुधार कर धूम - धाम से उसकी शादी करेगा ..ये आख़िरी शब्द थे जिन्हे बोलते हुए रश्मि ने सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर ली ....

रश्मि के गुज़र जाने से जीत की दुनिया तो जैसे बर्बाद ही हो गयी ..वो पूरे दिन शराब के नशे मे रहने लगा यहाँ तक कि तनवी के लिए उसके दिल मे अब सिर्फ़ नफ़रत ही बची थी

वहीं दूसरी तरफ अपनी मा से बिछड़ जाने का तनवी को अफ़सोस तो ज़रूर हुआ लेकिन उसे ये वहज कतई पता नही चल पाई कि आख़िर रश्मि की तबीयत अचानक से खराब क्यों रहने लगी थी ..वैसे भी रश्मि ने एक बार भी अपनी बेटी की निजी ज़िंदगी पर कोई ऑब्जेक्षन नही उठाया था ..अगर वो तनवी को प्यार से समझाती तो शायद उसकी बेटी अपनी नॉर्मल लाइफ मे दोबारा लौट सकती थी ..जीत अपना पूरा दिन घर से बाहर बिताता ..देर रात घर लौट ता तो भी तनवी की मनहूस शकल देखने का मन नही करता ..नशे से बनाया ताल्लुक उसका गम हल्का करने को काफ़ी था

एक दिन शाम को जीत नशे की हालत मे जल्दी घर आ गया ..उस वक़्त तनवी मार्केट गयी हुई थी ..जीत ने घर खाली देख अपनी जेब से बची शराब की बोतल को बाहर निकाला और हॉल मे ही पीने लगा ..30 मिनट बाद दूसरी की से मेन गेट अनलॉक कर तनवी हॉल मे एंटर हुई ..ये पहली मर्तबा हो रहा था कि वो अपने डॅड को लाइव पीते देख रही थी ..खेर तनवी के मन मे उसके के लिए कोई बदलाव नही था और ना ही इस बात का अंदाज़ा कि जीत उसे रश्मि का कातिल मानता है

लगभग 10 दिनो बाद दोनो एक दूसरे के सामने आए थे ..तनवी इस बात से खुश हो कर दौड़ती हुई जीत के करीब पहुचि और सोफे पर उसके बगल मे बैठ गयी ..अब मा के बाद वही उसकी लाइफ मे अहेम रोल रखने वाला था

" डॅड ये बोतल छोड़ो मैं कुछ खाने को ला देती हूँ "

तनवी ने बड़े प्यार से उसे समझाते हुए शराब का ग्लास छीन ने की कोशिश की ..जीत ने एक नज़र उसके मुस्कुराते चेहरे को घूर कर देखा और अगले ही पल वो ज़ोर से चिल्लाया

" दूर हो जा मेरी नज़रो के सामने से "

लाइफ मे पहली बार तनवी अपने डॅड से घबराई ..माना रश्मि के गुज़रने के बाद वो काफ़ी अकेला पन महसूस कर रहा था लेकिन इसका ये मतलब नही कि वो अपनी औलाद को ही भूल जाए

" डॅड आप ने बहुत पी ली है ..अब छोड़ो ग्लास को "

तनवी ने उसकी बात को अनसुना करते हुए ग्लास पर अपनी पकड़ मज़बूत कर दी

" देख तनवी मैं तुझे आख़िरी बार वॉर्न कर रहा हूँ ..मुझे अकेला छोड़ दे "

जीत ने उसे सोफे से धकेल कर कहा और नतीजा ये हुआ कि शराब का ग्लास ज़मीन पर गिर कर टूट गया

" मैने कहा ना जा यहाँ से "

ग्लास फूटने से जीत फिर चिल्लाया

" बस बहुत हुआ डॅड कब तक ऐसी नशे की ज़िंदगी से जुड़े रहेंगे ..मोम के जाने का दुख मुझे भी है लेकिन इसका मतलब ये नही कि मैं सारे काम काज छोड़ कर ..शराब पीती रहूं ..हटो मैं ये बॉटल रख के आती हूँ "

हलाकी ये बात तनवी ने गुस्से का नाटक करते हुए जीत से कही लेकिन उसकी बात सुन जीत अपने आपे से बाहर हो गया ..बाकी बचा काम शराब पूरा करने को काफ़ी थी

" चटाकककककककक.......... "

इस से पहले तनवी के हाथ टेबल पर रखी बॉटल को उठा पाते जीत ने पूरी ताक़त से उसके गाल पर थप्पड़ मार दिया ..थप्पड़ की गूँज पूरे हॉल मे सुनाई दी और तनवी सोफे से नीचे गिर पड़ी ..एक पल को तो जीत भी हैरान हुआ कि ये उसने क्या कर दिया लेकिन अगले ही पल उसे राशि की कही सारी बातें याद आने लगी

" साली कुतिया ..सिर्फ़ तेरी वजह से मेरी बीवी इस दुनियाँ से रुखसत हुई है और हिम्मत तो देखो मुझसे ज़ुबान लड़ाती है "

जीत ने तनवी को ज़मीन से ऊपर उठाने की कोई कोशिश नही की बल्कि ऊपर से एक लात और मारी लेकिन तनवी थोड़ा दूर खिसक कर उस चोट से बच गयी

" व्हाट ..यू मीन मैने मोम को मारा ? "

तनवी ने अपना चेहरा जीत की तरफ घुमाते हुए पूछा ..उसके गाल पर जीत की पाँचो उंगलियाँ उभर आई थी ..लेकिन अपने दर्द की परवाह ना करते हुए वो फिर से जीत के करीब आ गयी

" हां छिनाल तूने मारा मेरी रश्मि को ..बहुत शौक है ना तुझे लौन्डियो से चुदने का ..आज मैं तेरी सारी भूख शांत कर दूँगा "

ये बोल कर जीत ने तनवी के करीब आते ही अपने हाथ से उसकी मुलायम गर्दन को दबोचा और पूरी ताक़त लगा कर दबाने लगा ..इंसान से वहशी बन चुका वो दरिन्दा एक छोटी सी ग़लत फहमी के चलते अपनी फूल सी नाज़ुक बेटी को जान से मारने पर उतारू हो गया था

गला दबने से तनवी बुरी तरह से फड़फड़ाने लगी ..उसकी साँस पूरी बिल्कुल रुक गयी ..मरता क्या ना करता ..जब पुरज़ोर कोशिशों के बाद भी वो छूट नही पाई तो उसने ने अपना घुटना मोड़ कर जीत के टट्टो पर दे मारा ..हलाकी ये बस उसने जीत की पकड़ से आज़ाद होने के लिए किया था ..जीत के हाथ अपने आप उसके गले से हट गये ..वो ज़ोर से चीखा और सोफे पर गिर पड़ा

" तनवीीईईईई....... "

जीत के मूँह से निकली दर्द भरी चीख और हाथो से उसे अपना लंड मसल्ते देख तनवी होश मे आते ही फिर से उसके करीब आने की ग़लती कर बैठी

" डॅड आइ'म सॉरी ..मैने जान कर नही किया "

तनवी ने उसे तड़प्ते देख अपनी ग़लती के लिए माफी माँगते हुए कहा ..जीत की आँखें बंद थी और वो बहुत तेज़ी से साँसे ले रहा था ..उसके चेहरे पर आते दर्द के भाव देख तनवी का दिल पसीज गया और वो रोने लगी

" हाथ हटाओ डॅड ..मुझे देखना है कहीं ज़्यादा तो नही लगी "

तनवी ने बिना कुछ सोचे समझे जीत का हाथ उसके लंड से हटाया और अगले पल एक बेटी के हाथ मे अपने बाप का सोया हुया लंड था ..उसका हाथ अपने लंड पर पड़ने के बाद भी जीत ने कोई हरकत नही की ..शायद चोट के चलते उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था

" अहह....... "

लगातार निकलती दर्द भरी आहों का ये नतीजा हुआ कि तनवी ने उसके सर को सोफे पर टिका कर रिलॅक्स करवाया और अपने मन को मजबूत कर उसकी जीन्स खोलने लगी ..बेल्ट निकाल कर उसने ज़मीन पर फेका और बटन अनलॉक कर जीन्स के अंदर अपना हाथ डाल दिया ..जीत का सोया लंड अब डाइरेक्ट उसके हाथ की गिरफ़्त मे था ..लंड के सुपाडे पर तनवी की उंगलियों की खुरचन से जीत का होश लौटने लगा ..हलाकी तनवी ने ये सिर्फ़ अपने डॅड के प्रति प्यार की खातिर किया था लेकिन उसके कोमल हाथो के स्पर्श से लंड के खून मे उबाल आने लगा

" डॅड आर यू ओके ..ये जीन्स बहुत टाइट है इसे उतारना पड़ेगा "

तनवी ने अपने दूसरे हाथ से जीत का गाल थप - थपा कर कहा

" डॅड आप सुन रहे हो "

तनवी के इतना बोलते ही जीत ने अपनी आँखें खोली और बेटी का हाथ जीन्स के अंदर से लंड को मसलता पाया ..शराब ..बीवी की मौत ..और अब खड़े होते लंड से बढ़ती दिमागी हवस ..तीनो काफ़ी थे उसका कंट्रोल खोने के लिए

" साली अपने बाप को मारती है ..रुक बता ता हू तुझे दर्द क्या होता है "

जीत होश मे आ कर ऐसी बात करेगा तनवी को यकीन नही था ..उसने डर के मारे अपना हाथ जीन्स के बाहर खीच लिया ..कुछ देर पहले मिले मौके का फ़ायदा उठा कर वो अपने कमरे मे खुद को बंद कर सकती थी मगर किस्मत ..अब वो फिर से जीत की पकड़ मे थी

" डॅड लीव मी मैने जान कर नही किया ..लेट मी एक्सप्लेन डॅड "

तनवी की बात को अनसुना करते हुए जीत ने उसे अपने ऊपर खीचा और अगले ही पल वो जीत की जाँघो पर पेट के बल लेटी थी

" आज मैं तेरा वो हाल करूँगा कि तुझे खुद से नज़रत हो जाएगी "

बोलते देर नही हुई कि जीत ने उसके लोंग वाइट टॉप कम स्कर्ट को उसकी कमर के ऊपर चढ़ाया और नीली पैंटी को नीचे खीच कर उतारने लगा

क्रमशः................................................
 

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