Erotica कामुक भिखारी

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UPDATE-9

नेहा भी वहाँ पहुँच चुकी थी, वो छुप कर उन्हे देख रही थी ..पहले जब गंगू और रज्जो मिले थे तो उसकी समझ मे नही आया था की इतनी रात को वो रज्जो के घर क्यो आया है..पर जब दोनो यहाँ पहुँचे और अब एक दूसरे को ऐसे चूम रहे हैं तो उसकी समझ मे सब आ गया...

वो अगर गंगू की असली पत्नी होती या उसकी यादश्त सही होती तो वो उसी वक़्त उनका भांडा फोड़ देती ...पर उसकी समझ से वो सब बाते परे थी ..इसलिए वही छुपकर उनका तमाशा देखने लगी ...

वैसे इस तरह के सेक्स के किस्से उसे उत्तेजित ही करते थे ...पिछले दो दिनों मे जिस तरह से गंगू के साथ रहते हुए और आज रात को उस अंजान आदमी से अपनी चूत मसलवा कर जो मज़े उसे मिले थे,वो उसे अंदर तक रोमांचित कर रहे थे..

इसलिए उन दोनो को प्यार करते देखकर वो फिर से उसी रोमांच से भर उठी और उसका हाथ अपने आप फिर से अपनी चूत की तरफ बढ़ गया.

गंगू और रज्जो से भी सब्र नही हो रहा था ...ख़ासकर रज्जो से..उसकी चूत की आग आजकल इतनी भड़की हुई थी की दिन मे दो-चार बार जब तक वो इधर उधर से चुदवा नहीं लेती थी उसको चैन ही नही पड़ता था...और गंगू से चुदाई तो उन सभी के आगे फीकी थी..इसलिए उसके लंड को लेने का सोभाग्य वो नही छोड़ना चाहती थी ...उसने अपनी चोली और घाघरा एक ही झटके मे उतार फेंका ..नीचे से वो पूरी तरह से नंगी थी ..

हल्की रोशनी मे उसका संगमरमर का जिस्म सोने की तरहा चमक रहा था ..

गंगू ने भी अपनी धोती और कुर्ता उतार फेंका और वो भी पूरी तरह से नंगा हो कर अपने लंड को मसल कर उसके मखमली बदन को देखने लगा..

रज्जो धीरे-2 चलती हुई उसके सामने आकर किसी कुतिया की तरह बैठ गयी और अपनी गांड हवा मे उठा कर , अपना सिर नीचे करते हुए उसने गंगू के लंड को अपने मुँह मे भरकर एक जोरदार चुप्पा मारा

गंगू की सिसकारी पूरे अस्तबल मे गूँज गयी..

कोने मे छुपी हुई नेहा तो जैसे वो सब देखकर कुछ सीखने की कोशिश कर रही थी ..

जिस तरहा से रज्जो लंड चूस रही थी, नेहा के होंठ भी गोल मुद्रा मे आकर हवा मे ही उपर नीचे होने लगे...जैसे वो कोई अद्रिश्य लंड को चूस कर उसका मज़ा ले रही हो ..पर साथ ही साथ उसके हाथ अपनी चूत की मालिश करना भी नही भूल रहे थे ..उनपर भी उसकी उंगलियों की थिरकन उसी अंदाज मे हो रही थी जिसमे उसके मुँह की हरकत..

गंगू ने रज्जो के बॉल पकड़ कर बड़ी ही बेदर्दी से उपर की तरफ खींचे और वो कराहती हुई सी उपर की तरफ चली आई...और दोनो वहशियों की तरह एक दूसरे को चूमने लगे..चूसने लगे

गंगू का घनघनाता हुआ लंड रज्जो के पेट और फिर चूत को टच करने लगा .. रज्जो की तो हालत ही खराब होने लगी जब उसका दहकता हुआ सरिया उसकी चूत की भट्टी के इतने करीब पहुँच गया ..वो अपनी चूत को उसके सरिये पर रगड़ने लगी ..ताकि उसके अंदर की आग थोड़ी शांत हो जाए..पर ऐसी रगदाई से तो उसके अंदर के अंगारे और भी ज़्यादा भड़क कर शोले बन गये ..और वो बावली बंदरिया की तरह उछल -2 कर उसके लंड को अंदर लेने की असफल कोशिश करने लगी..

पर जब तक आदमी ना चाहे औरत उसका लंड किसी भी एंगल से अंदर नही ले सकती ..

उसने लाख कोशिश कर ली पर गंगू अपने लंड को इधर-उधर करके उसे अंदर जाने से रोक रहा था...वो उसे और भी ज़्यादा तडपा रहा था ..क्योंकि औरतें जितनी ज़्यादा तड़पति है वो चुदाई मे उतना ही मज़ा देती है ..ये गंगू अच्छी तरह से जानता था .

अस्तबल मे छाए हुए सन्नाटे मे सिर्फ़ उन दोनो की सिसकारियाँ ही गूँज रही थी ...पर एक हल्की सी सिसकारी दूसरे कोने से भी आनी शुरू हो गयी थी...नेहा की.

जो अपनी चूत को मसलते-2 उसे नंगा कर चुकी थी ..और अब वो भी वहीं ज़मीन पर बैठकर अपनी चूत को खोलकर बुरी तरह से मूठ मार रही थी ..

गंगू ने एक ही झटके मे रज्जो को घांस के बिस्तर पर पटक दिया और उसकी दोनो टांगे पकड़कर उसकी चूत को चूसने लगा...

वो तो उसके लंड के लिए तड़प रही थी...पर जैसे ही अपनी चूत पर उसके गीले होंठ आकर लगे, रज्जो को ऐसा महसूस हुआ की उसकी सुलगती हुई चूत पर किसी ने पानी का छींटा मारकर उसे ठंडक पहुँचा दी है ..वो उसके सिर को अपनी मुनिया के अंदर घुसेड कर ज़ोर से चीत्कार उठी ...

''अहह .......गंगू............. खा जाअ मेरे भोस्डे ......... को ....अहह.......चूऊऊस ले इसको ..............''

और गंगू तो था ही इन मामलो मे उस्ताद .....उसने उसकी चूत की एक-2 परत को अपनी जीभ और दांतो से कुरैद-2 उसके अंदर छुपा हुआ शरबत पीना शुरू कर दिया..

पर अक्सर देखा गया है की औरत की उत्तेजना जब अपने चरम पर पहुँच जाती है तो वो ये नही देखती की वो कैसे और किसके साथ मज़े ले रही है...बस मज़े मिलने चाहिए..

वैसे ये बात आदमी पर भी लागू होती है ...और शायद औरत से ज़्यादा..

गंगू ने रज्जो की चूत की सारी मलाई खाने के बाद उसे पलट कर घोड़ी बनाया और खुद उसके पीछे जाकर अपने लंड को घुसेड़ने लगा..

चूत पूरी तरह से सूख चुकी थी ..इसलिए लंड को जाने के लिए जगह नही मिल पा रही थी ..

रज्जो : "गंगू....मेरे राज्जा ....मुझे लिटा दे और आगे से चोद ले ...ऐसे नही जाएगा आसानी से...या फिर मुझे उपर आने दे ...''

गंगू : "चुप कर साली ....अस्तबल मे आकर तेरी चुदाई घोड़ी की तरह से ना की तो मज़ा ही नही मिलेगा...''

इतना कहकर उसने अपने लंड पर ढेर सारी थूक मली और फिर से उसकी गांड को उचका कर उपर करते हुए उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया...और एक जोरदार झटके के साथ उसके अंदर दाखिल हो गया..

रज्जो जैसी रांड़ भी चिल्ला उठी उसके इस प्रहार से...उसकी चूत की दीवारों की धज्जियाँ उड़ाता हुआ उसका रॉकेट अंदर तक जाकर धँस गया..और फिर उसने उसकी फैली हुई गांड को पकड़ा और ज़ोर-2 से धक्के मारकर उसकी चुदाई करने लगा..

उधर गंगू घोड़े ने भी काफ़ी दूरी तय कर ली थी अपनी घोड़ी रज्जो पर बैठकर... और वो बस अपनी मंज़िल पर पहुँचने ही वाला था...उसने भी घोड़े की तरह से हिनहिनाते हुए अपना सारा रस उसकी चूत के लॉकर मे जमा कर दिया और ओंधा होकर उसपर गिर पड़ा..

बेचारी रज्जो का तो बुरा हाल था...घोड़े जैसे गंगू से चुदाई करवाकर वो हमेशा 2-3 बार तो झड़ ही जाती थी ...आज भी चुदाई करवाते हुए वो 3 बार झड़ चुकी थी ..

नेहा तो कब की निकल चुकी थी ..गंगू और रज्जो भी अपने कपड़े पहन कर अस्तबल से निकल आए..

पूरी कॉलोनी मे किसी को भी पता नही चला की वहाँ क्या हुआ था..

पर नेहा के जीवन मे एक अजीब सी उथल पुथल मच चुकी थी ...उसे अब पता चल चुका था की लंड और चूत से मिलने वाले मज़े ही असली मज़े हैं....किस तरह से उस अंजान इंसान ने उसकी चूत को मलकर उसे उत्तेजित किया था...कैसे गंगू और रज्जो एक दूसरे के अंदर घुस कर मज़े ले रहे थे ...और किस तरह से उसने अपनी चूत मलकर मज़े लिए थे ...

कुल मिलाकर उसकी आँखे खुल चुकी थी अब...वो जान गयी थी की काम क्रिया से मिलने वाले मज़े ही असली मज़े हैं...और अब वो किसी भी हालत मे ऐसे मज़े लेने से पीछे नही हटेगी..

ये सोचते-2 कब उसकी आँख लग गयी उसे भी पता नही चला.
 
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UPDATE-10

अगले दिन सुबह के 9 बजे किसी ने गंगू के झोपडे का दरवाजा ज़ोर-2 से खड़काया... गंगू अपनी देर रात की चुदाई के बाद इतना थक चुका था की वो घोड़े बेचकर सो रहा था..नेहा भी देर से सोई थी , पर औरतों की नींद ज़्यादा कच्ची होती है, इसलिए वो अपनी आँखे मलते हुए उठ गयी और बाहर निकलकर दरवाजा खोला .

बाहर भूरे सिंह खड़ा था..

उसको तो कल रात से ही चैन नही मिल रहा था, जब से उसने नेहा की चूत को मसला था वो अपनी उंगलियों को सूँघकर और चाटकर उसकी चूत की खुश्बू को अपने जहन मे पूरी तरह से उतार चुका था...और उसने कसम खा ली थी की जब तक वो उसकी चूत के अंदर अपना रामपुरिया लंड नही पेल देगा, चैन से नही बैठेगा..

उसने अपने दोस्तो के साथ मिलकर एक योजना बनाई और उसी के अंतर्गत वो इतनी सुबह गंगू की झोपड़ी मे पहुँच गया था.

अपनी रानी को देखकर वो खुश हो उठा..नेहा ने जो टी शर्ट पहनी हुई थी, उसके अंदर ब्रा नही थी, सुबह का वक़्त था, जिस तरह से आदमी का लंड खड़ा होता है , उसके निप्पल खड़े हुए थे..जिन्हे देखकर भूरे की आँखों मे चमक बड़ गयी.

नेहा उसका नाम तो नही जानती थी पर दो दिन पहले जब वो नहाने गयी थी तो उसने जिस तरह के मज़े दिए थे वो उसे अच्छी तरह से याद थे ..वो मज़े याद आते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, आँखों मे गुलाबीपन उतर आया और निप्पल थोड़ा और कड़क हो उठे.

अभी तो उस बेचारी को पता नही था की कल रात को उसकी चूत को मसलकर मज़े देने वाला अजनबी भी वही था, वरना उसकी उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाती ..और निप्पल के साथ -2 उसकी चूत भी गीली हो जाती.

नेहा : "जी कहिए....क्या बात है ...''

भूरे : "नमस्ते भाभी ....मेरा नाम भूरे सिंह है ...वो ....गंगू से कुछ काम था ....''

नेहा : "वो तो अभी सो रहे हैं ....थोड़ी देर बाद मे आ जाना ...''

भूरे : "इतनी देर हो गयी, अभी तक सो रहा है ....आप ज़रा उठा दो ना, ज़रूरी काम है ...''

नेहा असमंजस की स्थिति मे आ गयी...और उसे वहीं खड़ा रहने को कहकर अंदर आ गयी..

उसने गंगू की तरफ देखा, जो खर्राटे मारकर सो रहा था ..उसके पास कोई चारा भी नही था, उसने गंगू को हिलाकर आवाज़ दी और उसे उठा दिया . और कहा की बाहर कोई मिलने आया है ..

गंगू आँखे मलता हुआ बाहर निकला ...और भूरे को वहाँ खड़ा देखकर वो चोंक गया...दोनो की कभी बनती नही थी...कई बार दोनो के बीच लड़ाई की नौबत आ चुकी थी...इसलिए दोनो मे बोलचाल बंद थी .

गंगू : "तू यहाँ क्या कर रहा है ...मुझसे क्या काम आ गया ...''

भूरे : "यार गंगू, तू मुझे हमेशा ग़लत समझता है.... मैं वही ग़लतफहमी दूर करने आया हू...''

गंगू : "एक दम से ऐसी महरबानी करने की क्या वजह है ..''

भूरे : "मेरे पास तेरे लिए एक काम है, और उसको तेरे सिवा कोई और पूरा नही कर सकता ...''

गंगू समझ गया की कोई ग़ैरक़ानूनी काम ही होगा, क्योंकि वो अंडरवर्ल्ड के लिए काम जो करता था ..

गंगू : "क्या काम है ..''

भूरे : "एक पैकेट लाना है ...सेंट्रल मार्केट से ...इसके लिए पूरे दस हज़ार मिलेंगे..''

गंगू : "क्या है उस पैकेट में ..और ये काम तू मुझसे क्यो करवा रहा है...तेरे पास भी तो आदमी है ..''

भूरे : " उस पकेट मे क्या है, ये तो मैं नही बता सकता,तभी इतने पैसे दे रहा हू तुझे...और मेरे सारे आदमियों पर पुलिस की नज़र है, इसलिए मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता ..तुझपर कोई शक भी नही करेगा..भिखारियों की तो तलाशी भी नही लेती पुलिस ..ये ले सारे पैसे एडवांस मे ...''

इतना कहकर उसने सौ के नोट की गड्डी लहरा दी उसके सामने..

इतने पैसे एक साथ देखकर वो इनकार कर भी नही सका...उसने पैसे पकड़ लिए और ज़रूरी जानकारी लेकर वापिस अंदर आ गया..

भूरे काफ़ी खुश था अपनी इस चाल से...वो काम तो उसका कोई भी आदमी कर सकता था..और उसके लिए पैसे भी उतने ही खर्च होते..पर गंगू से वो काम करवाने का उसका मकसद उसके साथ दोबारा दोस्ती करना था ताकि उसके घर आने-जाने का रास्ता उसके लिए खुल सके..

और साथ ही साथ उसके जाने के बाद अकेली नेहा से मज़े लेना का भी प्लान था उसका ...

क्योंकि कहीं ना कहीं वो समझने लगा था की गंगू शायद नेहा जैसी गर्म बीबी को पूरी तरह से संतुष्ट करने मे कामयाब नही है...इसलिए तो उसके साथ हुई दो मुलाक़ातों मे नेहा ने जिस तरह बिना कोई विरोध के उसे अपने शरीर से खेलने दिया है, वो कोई रंडी टाइप की औरत ही कर सकती है..

पर वो ये बात नही जानता था की गंगू के लंड मे इतनी ताक़त है की वो पूरी कॉलोनी की लड़कियों को एक साथ चोद डाले...फिर भी उसके लंड का लोहा ना पिघले..

9 बज रहे थे और वहाँ से पेकेट लेने का समय 12 बजे का था.. जाने में काफी समय लगना था इसलिए गंगू बिना कुछ खाए-पिए और नहाए धोए उसी वक़्त निकल गया.

नेहा को उसने घर पर ही रहने के लिए बोला..और उसे कुछ पैसे देकर ये भी कहा की बाहर से खाने के लिए कुछ लेती आए..

गंगू के जाने के बाद नेहा ने सारे बिस्तर समेट कर सही किए..और फिर अपने कपड़े लेकर वो वहीं नदी पर नहाने के लिए निकल पड़ी..उसने पैसे भी ले लिए थे ताकि वापिस आते हुए कुछ खाने को भी लेती आए.

भूरे तो उसी इंतजार मे था की कब गंगू बाहर निकले और कब वो अपनी योजना के अनुसार फिर से वहाँ जाए..पर नेहा को हाथ मे कपड़े लेकर निकलता देखकर वो समझ गया की वो नहाने के लिए जा रही है ..

उसके दिमाग़ मे उसी वक़्त नयी योजना बन उठी और उसने अपने चेले चपाटो को फोन करके जल्द से जल्द नदी किनारे पहुँचने को कहा..

वो भी अपनी बाइक पर वहाँ पहुँच गया..9:30 बज रहे थे, ज़्यादातर लोग सुबह ही नहा लेते थे,इसलिए भीड़ वैसे भी कम थी .. उसने अपने चेलों के साथ मिलकर, रिवॉल्वर की धोंस दिखाते हुए वहाँ नहा रहे सभी लोगो को पाँच मिनट के अंदर ही अंदर वहाँ से भगा दिया...सभी उससे और उसके साथियों से डरते थे, इसलिए बिना किसी विरोध के सभी अपने-2 झोपड़ों मे भागते चले गये..

उसने अपने आदमियों को थोड़ा दूर खड़ा कर दिया, ताकि वहाँ किसी की भी एंट्री ना हो..और फिर भूरे अपने सारे कपड़े उतार कर जल्दी से पानी मे कूद गया.

तब तक नेहा वहाँ पहुँच गयी..वहाँ फैले सन्नाटे को देखकर वो भी हैरान हो गयी...क्योंकि उसने सोचा नही था की ऐसी वीरानी मिलेगी उसको नहाते हुए ..तभी उसे भूरे सिंह नहाता हुआ दिख गया पानी मे..उसे देखकर उसके दिल की धड़कन फिर से तेज हो उठी ..वो सोचने लगी की ऐसी परिस्थिति मे वो नहाने जाए या वापिस चली जाए..

वो पलटकर जाने ही लगी थी की भूरे ने पीछे से आवाज़ दी : "अरे भाभी जी....बिना नहाए कहाँ चल दी ..मुझसे डर लग रहा है क्या ...''

उसकी बात सुनकर नेहा भी तैश मे आ गयी, और बोली : "मुझे क्यो डर लगने लगा तुमसे ...''

और फिर अपने कपड़ों को किनारे पर रखकर वो पानी मे उतर गई...उसने टी शर्ट और पायजामा पहना हुआ था ... टी शर्ट के नीचे उसकी ब्रा तो नही थी..इसलिए गीली होने के साथ ही उसके हीरे चमकने लगे उसकी टी शर्ट के उपर..जिन्हे देखकर भूरे सिंग की आँखों मे चमक आ गयी..

वो नेहा के आस पास ही तैरने लगा ...नेहा भी उस दिन के बारे मे सोचकर गर्म होने लगी थी की क्या ये आज फिर से उसके साथ वही हरकत करेगा जो उस दिन की थी ...

वैसे भी कल रात को अस्तबल मे हुई घटना ने उसके दिल मे औरत और मर्द के बीच के संबंधों को जिस तरह पूरी तरह से खोलकर पेश किया था, उसे समझ आने लगा था की दोनो का आपस मे क्या और कैसे संबंध होता है..

पर वो बेचारी ये बात नही जानती थी की इस दुनिया मे हर किसी के साथ वो समंध कायम नही किए जाते...
 

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