Incest तीनो की संमति से .....

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पूजा: “क्या मोम इतनी लम्बी कहानी कर रही थी जब मैंने इतना कह रखा था और तुम भी तो नंगी होने का वादा कर चुकी थी”.

मोम: “सही है बेटा पर कभी कभी बोलते वक़्त ऐसा कुछ नहीं होता पर जन वोही बात का सामना करना पड़े तो गांड फट सी जाती है मैंने कहा तो था पर बेटे मुझे नहीं पता था की मुझे डर भी लगेगा तुम को पता नहीं पर मै उस से बात करते हुए कांपती थी”.

पूजा: “हां देखा था मोम तभी कह रही थी की क्यों ???? तुम तो ऐसे डर रही थी की उसका मह फोन से बहार आके तेरी चूत से चिपक जाएगा”.

मोम:” हा हा हा हा चल अब बहोत नंगी हो रही हो तुम “.

पूजा: “गलत है ??”

मोम “नहीं बेटे अब हम एक ही लंड की खूंटी से बंधी है तो अब हमारे बिच क्या नंगा और क्या छुपाना पर स्वभाव भी तो होता है और ये ना भूल की अभी भी मै तुम्हारी मा ही हु जब तक हम बिस्तर पर ना हो जब बिस्तर पर हो तब हम एक दुसरे की शौतन है समजी”.

पूजा: “मुझे तो ये दोहरा नाटक नहीं आएगा इसलिए मै तो जो मन में आएगा बोलूंगी और तुम्हे सहना भी पड़ेगा”.

मोम: “हा मुझे पता है तुजे जो बोलना है बोल मै भी कोई पीछे नहीं हट ने वाली समजी” ???

और मोमने पूजा के स्तनों को दबा दिया और बोली अभी भी कड़क माल है तू और हस दी.

पूजा: “नहीं मोम मजाक नहीं सच कह रही हु अगर तुम्हारी इच्छा नहीं है की तुम रमेश के सामने नंगी हो और वो तुम्हारी चूत में अपना मुह डाले तो मै अभी उसे फोन कर के कह देती हु की मा मना कर रही है “.

मोम: “नहीं बेटा अब फोन मत कर तुम्हे ये पहले करना चाहिये था जब उसने उसकी बात तुम्हे की और तुमने मुझे बताया अब जो होगा देखेंगे वैसे भी”.

पूजा: “मोम देखो दीपू से डरना नहीं है वो तेरा और मेरा पति जरुर है और हमें उसके लंड की जरुरत भी है पर इसका मत्लाब्ये नहिकी हम उस से डर के रहे और हां एक बात दीपू भी पुरुष है उसको मेरा और तेरा खजाने की जरुरत हैऔर कोई भिपुरुष उस खजाने को लूटना चाहेगा और कोई उसे छोड़ना नहीं चाहेगा तो दीपू वो नहीं कर सकेगा जिस से तुम डर रही हो उसे भी तो हमरे छेद की जरुरत है”.

मोम: “सही कहा बेटे इसी खजाने के लिए लोगो राजपाट खो दिए है डीप क्या चीज़ है”.

पूजा: “ह्म्म्म ये बात हुई ना मा स्त्री के पास भगवान ने भी तो ऐसा मादक हथियार दिया है की भलभले उसमे गोटा खा सकते है”

मोम: “हां बेटा सही है वैसे ये बता की रमेश चाटता कैसा है क्या वो पानिनिकाल देता है तुजे तो सब से ज्यादा अनुभव है इसलिए पूछ रही हु”.

पूजा: “इस में भी तुम्हे शक है ??? मा बहोत अच्छे से चाट देता है तुम्हे कुछ नहीं करना पड़ेगा मुझे लगता है की तुम अपनी गांड उछल उछल के तेरा भोसडा उसके मूह में डालोगी और वो तुम्हे कई बार झाड देगा सच में, कुछ क्वोलिटी तो होती ही है सब में वो नपुंसक नहीं है और हां वो नपुंसक नहीं है उसका वीर्य में दम नहीं पर चोद तो सकता है “.

मोम: “मै चुदवाना नहीं चाहूंगी वो तो दीपू चोद ही देगा बस पानी निकाल दे गांड चाट दे जरा सी जो दीपू नहीं करता वो कर ले बस”.

पूजा: “यही तो रमेश वो सब कर देगा मा जो दिप्पू नहीं करता मुझे उस पर पूरा भरोसा है की वो तुम्हारी गांड को पूरी की पूरी खा जायेगा शायद थोडा चोद भी ले”.

मोम: “नहीं नहीं वो सब नहीं”.

पूजा: “जब सेक्स चडेगा तो वो भी करोगी मम्मी”.

मोम: “हा ये बात भी है अगर थोडा चोद भी लेगा तो क्या फर्क पड़ेगा मन ही मन बोली”.



इन दोनों में ये सब बात हो ही रही थी की ऊपर से दीपू निचे उतरा उसने कही बाहर जानेवाले कपडे पहने हुए थे



“पूजा, मंजू मै जरा बहार जा रहा हु कुछ काम याद आ गया है और हां रात को थोडा लेट हो जाऊंगा मेरी राह मत देखना मै डिनर भी बहार ही कर लूँगा”.



मोम: “लेकिन बेटा जा कहा रहा है “?

दीपू: “कुछ नहीं मंजू बस थोडा सा दोस्तों के साथ घुमने जा रहा हु और वो शान्तिलाल के वहा भी हो आता हु लास्ट 2 महीने से भाड़ा नहीं दिया चूतिये ने”.

मोम: “हा पैसा ले ले उस से”.

दीपू: “हा आज तो नहीं दिया तो उसकी मा ही चोदुंगा”.

मोम: “नहीं उसकी मा मत चोदना बेटे हम कहा जायेंगे यहाँ दो दो सौतने बैठी है तुम्हारे लंड के लिए”.

दीपू नज्दीक आया और मा के चेहरे को उठाया और बोला “तेरी तो गांड मारनी है अब”.

मोम: “तो किसने मन किया है कब से तैयार है मेरी गांड अभी मैंने तेल भी लगा के रखा है हम दोनों सौतनो ने”.

दोनों हसी.

दीपू: “ठीक है आज नहीं तो कल जरुर मारूंगा तुम दोनों की गांड”.

पूजा:” नहीं मै तो चूत में ही लुंगी तेरा माल मुझे मा बन न है अब मा की गांड मार लेना वैसे भी साले तुमने मेरी गांड तेरे इस लंड की साइज़ की बना दी है बड़ा होल बना दिया है”.

मा और बेटी जोरो से हसी.

मोम: “जो भी करना है करना पर रात को लेट ना करना”.

दीपू: “हा हा अभी मुझे जाना होगा” कह के दरवाजे की तरफ बढ़ा और मुह फिरा के बोला “हां पूजा जीजू आ रहे है तो जरा उनका भी डिनर बना लेना और जो कहे वो बना लेना मोम एक बेटा नहीं होगा खाने को पर दूसरा बेटा आ ही जाएगा खाने को” ऐसा वो डबल अर्थ में बोला जिस से मा समज गई की रमेश ने उसे बोल दिया है.

ठीक है बेटा जैसा तु कहे.


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दीपू के जाने के बाद दोनों मा बेटी बाते कर रही थी तभ मोमने कहा एक बार र्मेह्स को बता भी दे की वो आ सकता है |
और हां ये ना बताना की मै तैयार हो चुकी हु पर सब उसके आने के बाद कैसा चल रहा है माहोल उस पर निर्भर है |

पूज: “क्या मा कितना तरसाएगी तू उसे “??

मोम: “जितना हो सके उतना” मा हस के बोली “और हां ये स्त्री की आदत है की पुरुरुष के सामने खुल के नहीं बोलती और नाही नंगी होती है वो सब पुरुष को ही करना पड़ता है हलाकि वो जानती है उसे ऐसा करना है फिर भी समजी”?



मोम ने फिर से कहा “रमेश को फोन कर के बता दे”

“क्यों जल्दी है मा अब तुजे” ?

“हा घोड़ी की औलाद” कह के जोर से हस दी और शरमाई भी |

“सच कहू पूजा !!! अब मुझे भी उत्तेजना है”|

“हां मा होनी भी चाहिए मै भी हु तुम्हे उसके सामने नंगी होता देखते”|

“अगर मै कही ना कर सकू तो तू संभल लेना मेरी अच्छी बेटी”|

“हा हा ठीक है मा इसीलिए तो ये सब मेरे सामने करवा रही हु “|



फिर पूजा ने फोन लगाया इस बार उसने वीडियो कोल किया |



“yes डार्लिंग” फोन उठते ही रमेश की आवाज़ आई |

“हां कब आ रहे हो”|

“बस थोड़ी देर में निकल ही रहा हु और हां मोम को बता देना की मैंने दीपू से बात कर ली है ऐऊ वो अब बहार जाएगा “|

“तुम ही बता दो तुम्हारा ही काम है तो तुम मेरे लिये नही अपनी सांस के लिए आ रहे हो उसकी चाट ने तो तुम्हे ही उसे बताना पड़ेगा ना” कह के पूजा ने फोन मा के हाथ में थमा दिया और वो मा के पीछ जाके खड़ी हो गई..........|



“जी मम्मीजी मैंने दीपू से बात कर दी है और वो जाएगा अभी तक नहीं गया है तो “|

मोम: “गया भी वो बाद में फोन लगाया”|

रमेश: “अच्छा जल्दी ही निकल गया ठीक है”|

मोम: “कब आ रहे हो जमाईराज ?”



तभी पीछे से पूजा ने अपनी गरदन आगे की और लाके मोम के चेहरे से सटा के बोली “हा हा जमाईराज कब आ रहे हो अपनी सांस से मिलने””?

“आ रहा हु बस “|

“मम्मीजी आप गभराती तो नहीं ना ?”



पूजा: “अब कैसी गभराहट? बस तुम्हारा wait कर रहे है हम” |



इतना कह के पूजा ने अपने हाथ मोम के स्तनों पर रख दिया और बोली “ आ जाईये अब ये दबाना मुझे है की आपको ?”

मोम: तुरंत उसके हाथ हटाते हुए “नालायक कही की कुछ भी शर्म जैसा नहीं रहा तुम में”|

रमेश हस के बोला “नहीं मम्मजी ये सही कर रही है आपकी भी शर्म दूर करनी है और बेशर्म बनाना है आपको” “चलो मै निकलता हु पूजा मम्मी जी की खातिर भी कर दो थोड़ी तब तक”|

पूजा कुछ बोले उस से पहले मम्मी ने कहा “ हा हा जल्दी आजाओ बस मै फोन काट रही हु”|



और फोन कटा |



मोम: “तू नहि सुधर ने वाली बेशर्म कही की ऐसा करते है किसी के सामने अपनी मा के साथ”?

पूजा: क्या गलत किया जितना डर तुम रही थी वो भी तो डरता होगा न मैंने तुम दोनों का डर निकालने के लिए तेरे स्तनों को थोडा मसला क्या गलत किया ?”

मोम; “नहीं बेटा तू तो कभी कुछ गलत करती ही नहीं सब गलती मेरी ही होती है” कह के उसका हाथ पूजा की गांड की क्रेक पर रखा |

पूजा: “मोम तुमने मेरी गांड को छुआ अब वो कुछ मांगेगी तो” ? “तुम को मैंने बताया था न की मेरी गांड का छेद सब से ज्यादा सेंसिटिव है मेरे लिए”|

मोम: हा हा मुझे पता है थोडा सा टच किया तो क्या हुआ वैसे भी तेरी अकेली की गांड नहीं है मेरी भी है और वो भी तो उतनी ही सेंसिटिव है जितनी तुम्हारी गांड का छेद है” कह के फिर से पूजा की गांड की दरार पे रख के एक ऊँगली अन्दर करने की ना काम कोशिश की क्यों की दोनों पुरे कपडे में थी हालाकि पेंटी में नहीं थी


“चल थोडा नहा लेते है वरना जमाई फिर बोलेंगे की कितनी गन्दी सांस है मेरी”

पूजा मुस्कुराते हुए मोम की साथ चल दी "हा हा अब जमाई को सब अच्छा ही लगाना है मेरी तो कोई वेल्यु ही नहीं रही "

और दोनों ऊपर की ऑर सीडिया चढ़ ने लगी|
 
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दोनों बाथरूम में गई और शावर चालू कर दिया पीछे से मम्मी की पीठ पर अपनी चूचियां रगड़ दीं और मम्मी से चिपक गयी.
तभी मम्मी ने शॉवर चला दिया. मैंने अपना हाथ नीचे करके मॉम की चूत पर रख दिया और पीठ पर किस करने लगी. मम्मी ने कुछ नहीं कहा, तो पूजा की हिम्मत बढ़ गयी. पूजा अपनी उंगली मम्मी की चूत के बीच में फिराने लगी. मेरी मॉम भी मजा लेती रहीं, उन्होंने कुछ नहीं कहा.




पूजा के नजरिये से ..............



मैं कुछ देर ऐसा करती रही.

तभी मम्मी में मेरा हाथ हटा दिया और मेरी तरफ मुड़ गयी और मुझे गले से लगा लिया. मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा लिया. फिर पीछे हाथ ले जाकर मेरे कूल्हों को मसलने लगीं. मैंने भी ऐसा ही किया और मम्मी का साथ देने लगी.

अब हमारे बीच चूमाचाटी चलने लगी. मम्मी मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल देतीं, तो कभी मेरी जीभ को चूसने लगतीं.

तो उनकी चूचियां मेरी चूचियों के ऊपर रगड़ रही थीं.

मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर मम्मी की चूत में बीच वाली उंगली डाल दी. मम्मी के मुँह से जोर की सिसकारी निकल गयी और उन्होंने मेरी उंगली को अपनी चूत में दबा लिया. साथ ही मॉम ने मुझे जोर से अपनी बांहों में भींच लिया.

मैं भी हैरान थी कि जिस औरत को 22 साल की लड़की 21 साल का लड़का हो. उस महिला में इस उम्र में भी इतना सेक्स हो सकता है क्या?

तभी मम्मी ने मेरी उंगली बाहर निकाल दी और साबुन उठा कर मेरे शरीर पर लगाने लगीं. हम दोनों नहाने लगीं. हम दोनों ने एक दुसरे की गांड में ऊँगली कर के अपनी अपनी गांड को भी थोडा सान्तवना दिया, दोनों ने काफी गांड के छेद से खेलने के बाद.

पता नहीं अचानक क्या हुआ, नहाने के बाद मम्मी ने मेरा और अपना शरीर पौंछा. मुझे लगा कि मैंने मॉम की चुत में उंगली डाल कर गलत कर दिया.

मम्मी बाथरूम से बाहर जाने को हुईं और वो अपने कूल्हों को मटकाती हुई बाहर निकल गईं.

इसी बीच मेरी तरफ देख कर मम्मी ने आंख मार दी. मैं भी मम्मी के साथ कमरे में चली गयी.

थोड़ी देर में मम्मी भी मेरे पास आ गईं और आते ही मेरे कूल्हों को सहलाने लगीं. मम्मी ने कपड़े नहीं पहने थे.

तभी मम्मी मेरे ऊपर लेट गईं और गर्दन पर चूमने लगीं. वो अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को मेरी पीठ पर रगड़ने लगीं. मम्मी ने मुझे सीधा किया और मेरे होंठों को चूमने लगीं.

मुझ पर सेक्स का नशा चढ़ने लगा. मैं भी मम्मी का साथ देने लगी. मम्मी मेरी चूचियों को भी मसल रही थीं. मम्मी भी गर्म हो गयी थीं. मम्मी की सांसें तेज हो गयी थीं.

कोई 5 मिनट होंठों पर किस करने के बाद मम्मी मेरी चूचियों को चूसने लगीं और धीरे धीरे नीचे की तरफ किस करते हुए मेरी चूत पर पहुंच गईं. वो मेरी चूत को जीभ से चाटने लगीं. मुझे अजीब सा महसूस होने लगा.

तभी मम्मी ने अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी. मेरी टांगें खुल गईं और मैंने मम्मी के सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया. मेरे मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

तभी मैंने मम्मी को 69 पोजीशन में आने के लिए बोला.

अब मम्मी की चूत मेरे मुँह पर और मम्मी का मुँह मेरी चूत पर था. मैं भी मम्मी की चूत में उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगी और चूत को चाटने लगी.

मुश्किल से दस मिनट ही हुए थे कि मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं झड़ गयी. मेरी चूत का पानी मम्मी के मुँह में चला गया. मैंने भी उंगली तेजी से चला दी. मम्मी भी मेरे साथ ही झड़ गईं. हम दोनों शांत हो गईं. मम्मी मेरे ऊपर ही निढाल हो गईं. और दोनों एकदूसरे की गांड को चाट ते हुए एक दुसरे को शांत कर रही थी जब की मोम चाहती थी की उसकी गांड शांत ना हो विअसे मै भिनाही चाहती थी|

इस तरह से हम माँ बेटी ने लेस्बियन मजा लिया.

थोड़ी देर बाद मम्मी मेरे ऊपर से उठीं और मेरे साथ लेट गईं. मैंने मम्मी की तरफ मुँह किया. मैं मम्मी की एक चूची को चूसने लगी और उनकी नाभि में उंगली घुमाने लगी.

थोड़ी देर बाद मैं उठ कर ऐसे ही बिल्कुल नंगी रसोई में चली गयी.
मैंने चाय बना कर मम्मी को दी और खुद भी पीने लगी.

चाय पीने के बाद मम्मी ने कहा- चल अब मै कपडे पहनू जमाईराजा बस आते ही होंगे

मैंने मोम से कहा “मजा तो आया ना मा मुझे आपके साथ और आपकी गांड चाटने का बहोत मजा है”

मोम: “किस को नहीं आएगा और खास कर तुम जैसा माल हो जिसे जितनी बार चाटो उतनी बार नयी लग रही हो मुझे तेरी गांड और चूत चाटने में में भी उतना ही मजा आया वैसे जब भी तुम मेरे साथ होती हो मुझे अच्छा ही लगता है” मुझे लगता है तभी दीपू तुम से ज्यादा चिपका रहता है तू चीज़ हि अईसी है”

पूजा: ”क्या मोम तुम भी तुम तो ऐसी बात कर रही हो जैसे तू सही माल हो ही नहीं मेरी और दीपू की नजर से देख तू ऐसा माल है की कोई भी तेरे अन्दर उसका लंड पार्क करना चाहेगा, अब तो तुम रमेश से ही पूछ लेना वो भी तो तुम पे पागल है ऐसे ही पागल है वो ??” “तुज में कुछ देखा होगा “|

मोम: “हा पता है उसने बोला की उसने कही मुझे देखा था और मेरी गांड का दीवाना हो गया था “|

पूजा: “सच में मोम तेरी गांड बहोत मजेदार है रमेश को चाट ने में बहोत मजा आएगा और तुम देखना तुम उसे अपनी गांड उठा उठा के चटवाओगी सच में” काश मेरी गांड भी तुम्हारी तरह बड़ी होती



“हो जायेगी बेटे अब दीपू तेरी गांड हर तरीके से मार ही रहा है न तो बड़ी तो होनी ही है और वैसे भी इतने दिनों में काफी बड़ी और चौड़ी हो गई है”

“और आपकी ??”



“मेरी और बड़ी हो जायेगी दीपू कर ही देगा” कह के दोनों हस दी और दोनों एकदूसरे के स्तनों को मसलती हुई बाहर गई|

पूजा: “मोम तुम्हे अब जरुरत है की तुम गरम ही हो “?

मोम: “तुम्हे क्या लगता है? मै गरम हु ?“

“तुम्हे ज्यादा गरम होने की जरुरत है मम्मी”

“नहीं बेटे अब जमाई के लिए भी कुछ रख लेते है मेरा चूत रस अब उनको भी तो पिलाना पड़ेगा” थोडा सा मुस्कुराते हुए बोली|

“और मुझे जानना भी है की उसने आगे क्या क्या सोच रखा है हमारे बारे में तुम सब जानती हो पर कहोगी नहीं है ना?”



पूजा मोम के गले लग गई और बोली yes मोम वो दीवाना है तेरे लिए और तेरे उस चूत रस के लिए मै आज बहोत खुश हु की तुम रेडी हो गई उसे अपना चुतरस देने को और रही बात कहने की तो कुछ बाते ऐसी होती है जो समय पे खुले तो मजा आता है”|

“बेटे विकार और विकृति सब कराती है मुझे दीपू का डर था जो रमेश ने निकल दिया बस अब मै जम के अपना चुतरस मेरे जमाईराजा को दे सकुंगी पर हां थोडा नाटक भी करुँगी तुम साथ देते रहना ऐसे ही कुछ नही मिलता किसी को उसे भी तो मेहनत करनी पड़ेगी ना !!!



तभी डोरबेल बजी |


कहानी जारी है ........
 
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मोम भाग के अपने रम की तरफ गई और बोली “कपडे पहन के आती हु” पूजा ने एक गाउन अपने पर डाल दिया और डोर की ऑर चल दी|



दरवाजा खोलते ही सामने रमेश खड़ा था उसने पूजा को गले लगा के थोडा पीछे से उंगली करते हुए कहा “सब ठीक है ना मेरी जान?”



“हां सब ठीक है और होगा भी आखिर तुमने इतनी मेहनत जो की है” दोनों अन्दर की ऑर चलते हुए |



रामेह्स तुम सोफे पे बैठो मै पानी ले के आती हु और उसके पास आके उसके कानो में फुसफुसाई “तुम्हारा आज का माल एकदम से तैयार है अभी अभी मैने उसे गरम कर के छोड़ा है ऊपर कपडे पहेनने गई है”|



“और हां no पेंटी and नो ब्रा में होगी मस्त माल पकड़ा है तुमने आज तुम्हारे मुह में फुव्वारा उडनेवाला है सच में” कह के रसोई की ऑर चल दी पानी लाने को |



“तुम चाय नाश्ता करोगे डार्लिंग? पूजा किचन में से पानि भरते हुए चिल्लाई|

“नहीं अभी अभी सब पता के ही आया हु”|



ऊपर मंजू ने अपने कबाट से एक Gस्ट्रिंग निकाली और पहन ली, उसने सोचा की ब्रा की जरुर नहीं | बाद में एक सेक्सी मेक्सी निकाली और ऊपर पहन ली और अपने आप को अरिसे में देखने लगी| मेक्सी कुछ ज्यादा ही हॉट थी और उसमे भी उसका शारीर समा के उसो और भी सुन्दर बना रही थी| हां बोबले कुछ ज्यादा ही बहार की और लटकते हुए दिख रहे थे | उसने देखा उसकी निप्पल काफी तानिहुई थी और आगे तीर सामान दिख रही थी उसने अपने मन में कहा “ क्यों ना हो अभी अभी तो पूजा ने मस्त बना दिया है और यशी तने हुए तीर जमाईराजा को आकर्षित करके उसे निचे ले के आना है और मुझे उसे ज्यादा से ज्यादा मेरी भोसरस देना है, सच में दीपू ने मेरी चूत का बहस में रूपान्तर कर दिया है लगता है क्या रमेश को पसंद आएगा?”



“आएगा ही और नहीं आएगा तो फिर कभी नहीं आएगा मुझे क्या फर्क पड़ता है मुझे बस दीपू से लेना देना है और किसी से नहीं ये तो सिर्फ पूजा के वास्ते ही मै रेडी हुई हु”



“चल जूठी साली, तेरी भी तो इच्छा है की जमाईराजा तेरी चूत का दर्शन करे”|



“हा हा मुझे पता है मै भी अब एक से नहीं तो दो से काम चला लुंगी पर मुझे रमेश से ज्यादा दीपू पे ध्यान रखना चाहिए आखिर वो ही ओत है जो मेरी चूत और गांड का छेदन करते रहेगा और हो सकता है मुझे मा बन ने का मौका दे” मा बन ने का सोचते ही शरमा के थोड़ी मुस्कराहट के साथ वो खुद अपने आप समेत गई और जल्दी से कमरे के बहार की ऑर चल दी| जाते जाते उसने कमरे को ठीक किया और एक सेट की बोटम लेके कुछ स्प्रे कर दिया ताकि माहोल सेक्सी बना रहे और मुस्कुराई उसने जाते जाते अपनी चूत पे हाथ रख के बोली “आज तेरे नसीब में और एक जीभ लिखी है मस्त फुव्वारा देना डार्लिंग ताकि वो बार बार यही तुझे चूसने आता रहे”



वो कमरे से बाहर आई और दरवाजा खुला छोड़ दिया ये सोच के अभी ऊपर ही तो आना है| सिधिया उतारते ही उसने देखा पूजा रमेश को पानी देके उस से खाली ग्लास वापिस ले रही थी उसकी पीठ मंजू की तरफ थी लेकिन सामने रमेश था| उसने मंजू के देखते ही उसका मुह खुला रह गया क्यों की जब वो सिधिया उतर रही थी उसके बोबले चारो दिशा की ऑर उछल रहे थे कभी उत्तर से दक्षिण तो कभी पूर्व से पश्चिम| रमेश समज गया की मंजू ब्रा में नहीं है| और उस उछालते हुए गेंदों को सिर्फ देखते ही रह गया जब तक की मंजू उसके पास ना गई|



“कहा खो गए जमाईजी?”



“जी ....जी ...बस मै यही हु अभी आया और बस पानी पिया”|



वो आके रमेश के सामने बैठ गई और पूजा अन्दर किचन में चली गई शायद वो चाय बना रही थी या फिर ये दोनों को कुछ समय दे रही थी | वो जानती थी वो दोनों एक दुसरे से डर रहे है फिर शर्म अपना रोल निभा रहा है| और ये बात सच भी थी की रामेह्स वैसे तो उत्साही था मंजू के लिए पर डर भी रहा था की कही उसका ये खेल ख़राब ना हो जाये क्यों की ये खेल आगे खेल ना बाकि है और अंजाम तक पहुचना है उसी तरह मंजू भी वैसे तो सब तरीके रेडी थी पर पहेल तो नहीं कर सकती थी ना ही रमेश ने कुछ बोला और नाही मंजू कुछ बोल सकी दोनों एक दुसरे के सामने ताकते रहे विअसे रमेश की नजर अभी भी मंजू के बोबले को नाप रही थी|



लेकिन कुछ तो करना ही था तो दोनों अपने अपने नाटक चालु कर दिए



तब रमेशने उनसे कहा: आपकी लड़की वैसे तो बहुत अच्छी है, लेकिन कभी-कभी नाटक करती है। अब मैं मर्द हूं। उसे भी तो समझना चाहिए कि मर्द की जरूरत क्या है।

वैसे मंजू काफी समजदार है और बातें अच्छे से समझ लेती है।

उन्होंने मुझसे कहा: एसा है? मैं पूजा से बात करूंगी, और उसे समझाऊंगी।



तब रमेशने मजू कहा: सेक्स के अलावा मैं आपकी बेटी से बहुत प्यार करता हूं, और उसे कभी छोड़ नहीं सकता। तो आप इस बात से बेफिक्र रहे।

“मै जानती हु रमेश” “वैसे मै सब जानती हु”
 
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हां अप तो सब जानती हो पर मुझे नहीं मालुम की मुझे कैसे बात करना चाहिए शायद मै यहाँ आके फेल हो गया लगता हु और थोडा सा मुस्कुराके अपने हाथ को कास ने लगा|



मंजू के ध्यान में आगया की रमेश को कुछ जल्दी है या फिर वो कामुक है जय वो थी||



“वैसे एक बात पुछू जमाई जी?”



“हां बोलो अब बात ही तो करनी है|”

“आपको कैसी लडकि पसंद है?” इस सवाल से मंजू जान ना चाहती थी की उसे ऊपर जाके कैसा व्यवहार करना है और कैसे पेश आना है

“मुझे लडकियों से ज्यादा औरतो में रूचि है|”



“अच्छा!!!! एसा क्यू?”



रमेश को लगा की सही जगह पे बात हो रही है मौक़ा है तुरंत उसने जवाब दे ही दिया “बड़ी उम्र की औरतों के फायदे ऐसे हैं कि अगर हम उनके साथ सोते भी है, तो वह भविष्य में कभी मेरे गले नहीं पड़ेगी, और दूसरी बात वह इतनी खेली खिलाई होगी कि उसे सब पता होगा कि मर्द को क्या चाहिए।



मंजू: “आपकी नज़र में ऐसी कोई औरत है क्या जो भरोसेमंद हो? और मैं यह आपसे बिना डरे इसलिए पूछ रही हूं कि हमारे बीच में कहने-सुनने के लिए अब कुछ बचा ही नहीं है।



“जी आप की बात सही है मुझे आप जैसे या ये कहो की आप ही”



तभी पूजा अन्दर से बाहरआई और बोली: “इतना बोलने में झिजक किस बात की थी?”



“अरे यार, तुम दोनों एक दुसरे को जानते हो फिर ऐसा क्यों कर रहे हो मुझे नहीं पता चलता”|



“अरे ऐसी कोइ बात नहीं, हां हमें अब छुपाने जैसा कुछ नहीं है सब एक दुसरे के बारे में जानते है फिर” रमेश कामुक नाजोरो से पूजा की ऑर देखते हुए बोला



“तो फिर ऐसा चलेगा तो पूरी रात यही पे जायेगी और कुछ नहीं होगा लगता है मुझे ही पहेल करनी पड़ेगी” कह के रमेश का हाथ थमा और पंजू के पैरो पे रख दिया



मंजू थोड़ी हिचकिचाई और उसने अपने आप को थोडा सिकोडा|



पूजा: “क्या मोम तुम भी अब इनसे क्या शरमा ना ये तो तुम्हारे जमाईबाबू है और जो कुछ भी तुम जानती हो ये सब उनका ही तो खेल रचा रचाया हुआ है”|



मंजू: “बस तू चुप बैठेगी?”



पूजा मोम के नजदीक आई और बोली ज्यादा शरम ना रखो मम्मी और वाही से उसने रमेश की ऑर देख के आँख मारी और बोली “तुम्हारे लिए बस आज का टाइम ही है जानते हो ना? कही ऐसा ना हो की बस मोम के बोबले देख देख के ही समय निकल जाए”



ऐसी भाषा का प्रयोग उसने जान बुज कर किया था जो दोनों को समज में आया था पर अभी भी वो करे वो करे उसमे ही समय निकल जा रहा था वैसे थोड़ी और देर इधर उधर की बाते हुई



मोम: मुझे ये जानना था की आखिर आपने ऐसा खेल क्यों रचा हुआ है और ये खेल कहा तक जानेवाला है?



रमेश अब थोडा और मंकी ऑर खिसकते हुए “मम्मी जी आप उसकी चिंता ना करे तो बेहतर है आप को सब बताके करूँगा जो भी करूँगा”|



“लेकिन कब बताओगे रमेश जी”



बस बहोत हो गया यार, तुम लोगो का ये नाटक मै तंग आ गई जिस काम के लिए यहाँ बैठे है वो काम की बात ही नहीं हो रही” पूजा गुस्से में थोडा ऊँचे स्वरों में बोली|



लेकिन दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ा आखिर पूजा उठी और मम्मी के कानोके पास जाके बोली “कब तक मम्मी?” और फिर उसने मोम के स्तनों पर बहार से हाथ रखा और बोली “करने दो ना अब जो भी करना है डरो मत मेरी मा”|



और उसने रमेश का हाथ अपने हाथो में लेके धीरे धीरे मोम के स्तनों तक ले आई पर रमेश ने थोडा हाथ पीछे कर लिया और उसी समय मंजू ने भी अपने हाथो से अपने स्तोनो पर रख लिया



अब पूजा और निचे झुकी और मोम के होठो से अपने होठ भिड़ा दिए जिसका उत्तर में मोम ने भी उसके होती को कास के अपने होठो से जकड लिया बस यही पहेल की जरुरत थी वह सभी तीनो से एक साथ मन से सोचा|



पूजा ने दुसरे हाथो से रमेश का सीर पकड़ा और उन दो नो की ऑर खिंचा| पूजा को ऐसा करने में ज्यादा महेनत नहीं करनी पड़ी क्यों की रमेश यही तो चाहता था| वो ऑर मोम की तरफ खिसका और उन भिड़े हुए होठो के नजदीक गया और थोडा सा झुक के पूजा के होठो से अपना होठ मिलानी की कोशिश की| और पूजा ने भी मोम को होठो को छोड़ के रमेश के होठो से चिपक गई अब मोम की बारी थी उन दोनों के होठ मिलन देखने की| वाही ओउजा ने भी मोम को खिंचा और फिर से तीनो साथ हुए तभी पूजा ने अपने होठो को दोनों की ऑर से हटा दिए और दोनों के सीर को पकडे हुए उन दोनों के होठो को भिड़ा दिए|
इसी की तो wait कर रहे थे सभी और रमेश मोम मंजू के होठो पे टूट पड़ा और चूसने लगा| मंजू थोड़ी सेकण्ड प्रतिभाव नहीं दिया पर बाद में उसने भी अपने प्रतिभाव देना चालु कर दिया और अब द्रश्य ये था की दोनों के होठ लगातार एकदुसरे को चूस रहे थे| रमेश को तो एसा लग रहा था की मानो वो स्वर्ग में हो और उसकी मनोकामना पूरी हो रही थी| वो मंजू के होठो की चूस रहा था या खा रहा था पूजा तो ये तय ही नहीं कर पायी क्यों की मंजू भी तो उसका साथ दे रही थी| अब पूजा ने दोनों के सीर को छोड़ दिए ताकि मुक्त होक एक दुसरे को चूस सके|



ये काम क्रीडा अब शुरुआत के तबक्के में आ गयी थी| उनको थोडा चूसने का मौक़ा देते हुए हम दीपू के साथ चलते है जहा वो है|


बने रहिये

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ठीक इसी समय जब अमेश घर पहुचा था और डोर बेल बजा रहा था तभी दीपू भी रमेश के घर पहुचा था और वह डोर बेल बजा रहा था |



डोर खुला और मनोरमा का मोहक चेहरा दीपू के सामने आ गया उसने दीपू को देखा और बोली: ”अरे, दीपू बेटे तुम? आओ आओ अन्दर आ जाओ”



दीपू ने अपने आप को अन्दर की ऑर खिसकते हुए कहा “कैसे हो आंटी?”

“मै तो ठीक हु बेटा तुम कैसे हो और घर के सभी लोग कैसे है खास कर हमारी पूजा बेटी???”



“जी मै भी ठीक हु और मम्मी भी ठीक है और पुजादिदी भी ठीक है, सभी ठीक है”|

“कोमल नहीं देखाई देती आंटीजी?”



“अरे बेटा वो अपनी सहेली की जन्मदिन की पार्टी में गई हुई है देर से आएगी”



“वैसे मुझे तो जीजाजी ने कहा था की आपलोगों को मिल आउ इस लिए मै आ गया” दीपू ने सोफे में बैठते हुए कहा|



“अच्छा किया बेटे जो तुम आ गए वैसे रमेश ने मुझे बताया तो था की तुम आ रहे हो| लेकिन जब उसका फोन आया तब कोमल चली गई थी और मैंने सोचा की उसे वापिस बुलाना मुनासिब नहीं होगा, सब लोग पूछेंगे की वापिस क्यों जा रही हो” मनोरमा ने अपनी सिट लेते हुए कहा



“बेटे रुको मै तुम्हारे लिए पानी लेके आती हु तुम बैठो | “क्या मै टीवी चालू करू ? कुछ देखना है”|



हां कोई बात नहीं कोमल नहीं है तो अच्छा ही है आप तो मिल गए आंटी जी” दीपू ने आंटी के शरीर का नजरो से नाप लेते हुए कहा|



“नहीं मुझे टीवी नहीं देखना है बस हां थोडा पानी ला दो बाकि आपसे बात हि करेंगे”|



“ओके” कह के मनोरमा अपनी गांड को मटकाती हुई किचन की ऑर चल दी| वो साडी में मस्त लग रही थी और अपने स्त्रीधन को काफी हद तक खुले छोड़ रखे थे| और तब तक घर की सजावट को देखता रहा जब तक मनोरमा पानी ले के आई|



“बेटे चाय नाश्ता करोगे कुछ बना दू?”

“नही आंटी जी आप तकलीफ ना ले मै सब कर की ही आया हु”

मनोरमा ठीक उसके बगल में बैठी और पूछा “ पूजा बेटी कैसी है अभी हम लोग उसका घर वापिस आने का इंतज़ार कर रहे है?”



“दीदी तो बध्हिया है उनको कोई तकलीफ नहीं है और वो जब चाहे यहाँ आ सकती है”| “वैसे वो आपसे कुछ डर रही है”|



“अरे नहीं बेटे वो सब पहले था अब कुछ नहीं है उसे पता है तुम पहले की बात कर रहे हो शायद!”



“हां जब आई थी तब बात कर रही थी”



“अब ऐसा कुछ नहीं है बेटे हम जानते है वो वह खुश है और खुश रहे बस हमारा काम हो जाए”|



दीपू समजा तो सही पर उसका क्या जवाब दिया जाये वो उसे नहीं पता| खेर उसने फिर बात को दूसरी और ले गया और इधर उधर की बाते होने लगी | जैसे पढ़ाई कोमल के बारे में वगेरा वगेरा



मनोरमा: “ बेटे तुम बताओ तुम भी तो खुश हो ना?”

“जी जी मुझे क्या होना था मै तो हमेशा से खुश ही हु”|



“अरे ऐसे नहीं बेटे मेरे कहने का मतलब था की पूजा तुम्हारे वहा आने से तुम्हे कोई खास तकलीफ तो नहीं है ना ?”



“अरे ये क्या बात करती है आप आंटी जी पूजा मेरी बहन है और उसके घर आने से मुझे क्या तकलीफ होगी भला!”

“वैसे भी पूजा बड़ी ही हमारे यहाँ हुई हम दो नो भाई बहन से ज्यादा दोस्त है आंटी जी और अब तो पक्की दोस्ती हो गई है”| दीपू अब कुछ कुछ समाज रहा था और उसे लगा की शायद एंटी जी को पता है पर वो रिस्क लेना नहीं चाहता था| आखिर बहन का ससुराल था और एक गलती शायद पूजा को बहोत भारी पद सकती है| क्या पता साली ये आंटी मुझे घूमा फिरा के मेरे मुह से कुछ उगलवाना चाहती हो| बहोत ध्यान से बात करनी पड़ेगी|



तभो मनोरमा उठी और उसके बगल में एक फोटो आल्बम लेके बैठी और बोली: “बेटे ये देखो पूजा के शादी के समय की सब फोटो है”

दीपू ने पहेला पेज घुमाया और मनोरमा का खिला हुआ चेहरा उसके सामने अ गया|



“आंटी आप तो बेहद खुबसूरत दिखती हो”



“अच्छा ?मुझे लगता है की तुम्हे मेरी फोटो पसंद आई“|



“ऐसा नहीं है आंटी जी, पर आप इस फोटो में बहोत अच्छी और .....”



“और क्या बेटे”?



“कुछ नहीं एंटी वो बस जरा”

“अब बोल भी दे बेटे यहाँ मेरे और तुम्हारे सिवा और कोई तो है नहीं जो डरना पड़े”|



“जी आंटी आपकी बात सही है पर फिर भी बड़े की आमन्या तो रखनी ही पड़ती है”| दीपू ने दाना दबाना चाहा जो शायद सही भी था|



“अरे बेटा हम दो ही तो है घर में और अकेले फिर क्या सोचना और हां ये आंटी आंटी क्या लगा राज=खा है? तुम्हे पता है रमेश के पिता मुझे मनो ही कहते थे”| मनोरमा भी शायद अब कुछ खुलना चाहती थी या फिर नाटक कर रही थी क्या पता!
 
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“ वो तो सही है पर वो आपके पति थे उनको ये सब नाम से पुकारना अधिकारी थे मै नहीं और मै उनकी जगह नहीं ले सकता”|



मनोरमा ने मुह बिगाड़ते हुए बोला: “हां ये भी सही है उनकी जगह तो कोई नहीं ले सकता पर तुम भी तो पूजा के दोस्त हो तो मेरे भी दोस्त बन ही सकते हो ना मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तुम्हे है क्या?”



“नहीं मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकता है”



“चलो मै पहेल करती हु ओके!” कह के उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और बोली “हम फ्रेंड्स है राईट?”

दीपू ने भी हाथ आगे बढ़ाके उसके हाथ से हाथ मिला के बोला “जी”|

“तो अब बोलो मेरी फोटो में क्या मै तुम्हे कैसी लगी?



“जी सुन्दर हो आप”

“बस? मैंने कहा न अब हम दो ही है इस घर में और कोई शर्म की बात नहीं है तुम को जैसा लगे बोलो”

“जी” आप बहोत कामुक भी हो” कह के दुपुने एक दाव और लगाया



“हां तो उसमे इतना शर्म रखने की क्या जरुरत थी” वैसे एक बात कहू पूजा भी तो बहोत कामुक है |

“हां लेकिन छोडो उसकी बात हम हमारी ही बात करेंगे शायद तुम्हे तुम्हारी दीदी की बात करनी ज्यादा पसंद ना आये”|

“जी आप बिलकुल सही कह रही है”|



“वैसे एक बात कहू मनोरामाजी” उसने दुसरे फ्प्तो पे नजर डालते हुए कहा



“हां हां बोलो”

“आप इस फोटो में माल लग रही हो कोई एसा ना कहे की आप दो वयस्क बच्चो की मा है”|



“माल! अरे वाह क्या सच में ऐसा लग रही हु जैसा तुम कह रहे हो?” कुछ शरमाते हुए

“जी कोई भी आप को देख के....”

“देख के क्या?” देखो गभाराओ मत मै किसी से कुछ नहीं कहूँगी और नाही मुझे खराब लगेगा”|

“जी आपको देख के को इभी अपने आप पे कंट्रोल नहीं कर पायेगा”

अच्छा ? सच में ?

“जी पर तुम तो अभी भी कंट्रोल में हो ऐसा लग रहा है मुझे” कह के उसने अपने एक हाथ दीपू के कंधे पे रखा

दीपू ने अपना कंधा झटकाते हुए बोला: “अभी तक कंट्रोल कर रहा हु पर आप ऐसा ना कीजिये”

“मैंने क्या किया सिर्फ तुम्हारे कंधे पे रखा है और कही तो नहीं रखा?” और मनोरमा ने उसके निचे का उभार देखा जो पेंट में थनथाना रहा था और बहार आज़ादी से मनोरमा को सलामी देना चाहता था|

“अच्छा चलो अपने आप को कंट्रोल में ही रखो बस!” कह के मनोरमा ने वोही हाथ उसकी झांग पर रख दिया |



दीपू: “नहीं रखिये वैसे मुझे कोइप्रोब्लेम नहीं है पर किसी और को प्प्रॉब्लम हो जाती है”



मनूरमा: ”अगर होती है तो मै क्या करू होने दो” कह के ईपू की जांग पे हाथ पसरे रही थी

दीपू अभी अभी कुछ समज रहा था और उसने भी एक ऊँगली उसके चहरे पे दिखाते हुए बोला “ये आपका चेहरा बहोत सेक्सी है और निचे का भी”

मनोरमा ने अपने स्तनों की ऑर नजर डालते हुए “ अच्चा है ना मुझे लोग यही कहते है की मै एक अच्छा माल हु और मेरे माल भी सही है”



अब दीपू कुछ आगे बढ़ते हुए “क्या मै उसे देख सकता हु”

“नो नो तुम नहीं देख सकते ये थोडा प्राइवेट है”|

“अभी आपने मुझे दोस्त बनाया और अभी ना कह रही हो चलो कोई बात नहीं दोस्ती यहाँ तक ही सिमित रखते है बस!” कह के दीपू ने अपना मुह बनाया और इमोशनली ब्लेकमेल करने की कोशिश की| हाला की मनोरमा तो पूरी तरीके से सब जानती थी वो काफी समजदार थी और ये सब काम में निपुण भी तो थी वैसे इस उमार में सब निपुण ही तो होती है|



मनोरमा थोडा लजाते हुए: “देखो ऐसा नहीं है हम दोस्त तो है ओके ओके चलो एक बार ठीक है?”

अपने स्तनो को दीपू के सामने पेश करते हुए और दीपू ने आपना एक हाथ आगे बढ़ाया और सीधा निपल पे रखा और “ ये मार डालनेवाली चीज़ है आपकी”



“अच्छा! तो मै क्या करू? तुम्हे क्या तकलीफ दे रही है वो?”

पता नहीं बस ऐसे ही मन चाहता है की एक हमला करू और तीर को बिठा दू|

“ओह तो ये बात है चलो एक बार करने देती हु अगर तुम्हे इस के नोकीले से तकलीफ है तो” कह के अपने निपल को और ज्यादा दीपू के करीब लायी| अब दीपू से सहन करना असह्य हो गया उसने तुरंत उसके स्तनों पे और खास कर निपल पे एक ऊँगली दबा दी और बोला: “बैठ जा चल अब मुझे तंग ना कर अपने नोकिलेपन से”|



मनोरमा हसी और बोली: “ऐसे वो बैठ जाएगा?” ऐसे नहीं बेठेगा



तो मेरे पास और भी आइडिया है कह के उसने पूरा स्तन को मसल दिया



“oooeeee क्या कर रहे हो ऐसे कोई दबाता है क्या? तुम दबाते हो या मसलते हो? चलो फिर से करो लेकिन इस बार ज़रा आराम से थी कई?”



दीपू ने फिर से एक बार ट्राय मारा और उसके स्तनों को अब मसलना स्टार्ट कर दिया और मनोरमा ने कोई विरोध नहीं किया तो वो और आगे बढ़ा.............



मतलब की यहाँ भी कुछ ना कुछ हो ही रहा है|



चलो अब चलते है वह जहा से हम आये थे|


बने रहिये
 
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इसी की तो wait कर रहे थे सभी और रमेश मोम मंजू के होठो पे टूट पड़ा और चूसने लगा| मंजू थोड़ी सेकण्ड प्रतिभाव नहीं दिया पर बाद में उसने भी अपने प्रतिभाव देना चालु कर दिया और अब द्रश्य ये था की दोनों के होठ लगातार एकदुसरे को चूस रहे थे| रमेश को तो एसा लग रहा था की मानो वो स्वर्ग में हो और उसकी मनोकामना पूरी हो रही थी| वो मंजू के होठो की चूस रहा था या खा रहा था पूजा तो ये तय ही नहीं कर पायी क्यों की मंजू भी तो उसका साथ दे रही थी| अब पूजा ने दोनों के सीर को छोड़ दिए ताकि मुक्त होक एक दुसरे को चूस सके|



ये काम क्रीडा अब शुरुआत के तबक्के में आ गयी थी|

यहाँ से आगे



दोनों होठ एक दुसरे से लड़ रहे थे और अपने झंडे को गाद ने की जिद पे अड़े हुए थे| पूजा ने भी अब उनके सर जो पकडे हुए थे छोड़ दिया था और दोनों की चुसाई का मजा ले रही थी| लेकिन यहाँ से अब आगे कौन ले जाए पूजा ने थोड़ी देर wait किया पर दोनों बस वोही प्रक्रिया से आगे जा नहीं रहे थे हालाकि मंजू अब चाहती थी की रमेश उसके बोबले को खोले और कुछ आगे बढे ताकि ये खेल जल्दी ही ख़तम हो जाए और एक कोमित्मेंट से बहार आ जाये जो की पूजा कर दिया था| पर जैसे जैसे वक़्त निकल रहा था मंजू को अब प्रोमिस से ज्यादा अब खुद को आगे बढ़ें की तीव्र इच्छा थी वो अब काफी गरम हो चुकी थी वैसे भी वो पहले से ही गरम थी क्यों की पूजा और उसने को खले खेल चुकी थी रमेश के आने से पहले और उसका मन भी थो वोही छह रहा थ और वोही सोच रहा था की रमेश अब क्या क्या करेगा|



मंजू की विचारधारा को पूजा ने तोडा और मंजू का एक हाथ पकड़ कर उसने रमेश की झंगो के ऊपर रख दिया और वोही समय पे रमेश का एक हाथ पकड़ कर मंजू के एक स्तन पर रख दिया और क्या चाहिए था दोनों को| रमेश को तो स्वर से सुन्दर लग रहा था सोच रहा था की ये टाइम के लिए उसे क्या क्या किया और आज उसकी साँस अबुसके निचे आएगी ये सोच सोच के उअका लंड ने भी पेंट में बगावत कर राखी हुई थी|



रमेश अब मंजू के होठो को चूस रहा था और उसका एक हाथ मंजू के स्तन को दबा रहा था माजू ने भी कोई विरोध नहीं किया और उसके स्तन को दबवा रही थी| पूजा ने अब दोनों को होठो की लड़ाई से आज़ाद करते हुए अपने होठ मंजू के होठ पर रख दिया और एक हाथ उसने रमेश के पेंट पर उभार पर रखा और वहा से मसल ने लगी| मंजू अब ज्यादा ही तीव्र गति से पूजा को चुसे जा रही थी उसका तन में अब एक अजीब से आग लगी हुई थी ये सोच कर की उसका जमाई ही उसका शरीर का भोग ले रहा है| बहोत ही उत्साहित हो रही थी और ये उत्साह उसे ज्यादा कामुक बना रहा था और पूजा उसमे पेट्रोल डाल रही थी| पूजा ने एक हाथ मंजू के स्तन पर रखा और कास के दबाया जिस से मंजू आएईई जोर से करह उठी और धीरे से बोली “पूजा धीरे से दबा जैसे ये दबा रहा है”



पूजा: “नो मम्मी आज तुम्हारे बोबले अब रुई बन ने वाले है मजे लेने दे और कुछ भी ना बोल रमेश जरा कास के दबाव तेरे सांस के बोबले फिर कभी हाथ आये ना आये”

रमेश को और क्या चाहिए था उसे ने पूरा ध्यान अब मंजू के स्तन पे रख दिया और मसल ने लगा हलाकि मंजू को भी अब दोनों स्तनों पे हमला पसंद आया था फिर भी नाटक करते हुए बोली “जमैजी जरा धीरे से ये अभी तो आपके ही है जरा आराम से”
 
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रमेश: “नहीं मम्मीजी अब नहीं रहा जाएगा”

पूजा: “रमेश अब मम्मीजी नहीं पर मंजू बोला करो अब ये तुम्हारा माल है उसे कैसे भी वापरो (खर्च करो) ये आज के लिए तुम्हारा माल है उसके सभी छेद आज तुम्हारे लिए है और तुम्हे उसने मन से परोसा है अपने सभी छेद कोई परवाह किये बीना टूट पदों उस पर”

मंजू ने एक चीटी भरी पूजा के स्तन पर और बोली “ज्यादा मत करवा पाने पति से मै आखिर एक सांस भी हु” फिर पुका के कान में बोली ठीक है जो करना है कर” औ पूजा के सामने आँख मरते हुए बोली और ऊपर का रास्ता के तरफ इशारा किया|



पूजा भी समज गीकी अब मंजू को जरा जल्दी है ऊपर जाने की और अपने शरीर से खेलवाड़ करने की उसने मंजू की तरफ देख के जवाब में उसने भी आख मारी फिर थोडा wait करने का इशारा किया|



पूजा ने मंजू को छोड़ के मंजू का हाथ पकड़ के रामेश्के लंड के उभर पर रख दिया और बोली “मम्मी आज के लिए ये राजा को भी संभाल और सहला उसे मुझे लगता है की उसे भी तेरे इस प्रेम की जरुरत है और तेरे शरीर की गरमी की उसे भी जरुरत है कब से प्यासा बैठ हुआ है उसे उठा और अपनी करामत दिखा अपने जमाई को भी|



रमेश: “yes मंजू अब उसे तुम्हारी जरुरत है” कह के उसने मंजू को “I Love you मोम बोला”

जवाब में मंजू थोडा हिचकिचाई पर सामने बोली “अब इस लालू को भी मेरी जरुरत है तो मुझे उसकी सेवा करनी ही पड़ेगी और आज सेवा का मौक़ा मिला है तो करुँगी” फिर रमेश के होठो पर किस करते हुए बोली “आज के लिए सिर्फ i love you too”



“बस मंजू आज के लिए? क्या मै तुम्हे पसंद नहीं हुऐसा है क्या मै तुम से जबरजस्ती कर रहा हु?”

“नहीं रमेश ऐसा नहीं है पर तुम जानते हो की तुम मेरे लिए कम के नहीं और मै पहले से ही सभी छेद दीपू को दे चुकी हु मन से उस से शादी कर चुकी हु उसके लंड ने मेरी चूत रूपी मांग भर दी है अब किसी और का मौक़ा या स्थान नहीं है तुम समजो”

“जी मंजू समजता हु पर मै तुम से प्यार करता रहूँगा” उस ने मंजू के स्तन को जोर से दबाते हुए

“आ हह” कह के मंजू ने एक हाथ से अपना स्तन को सवारा और बोली “ जब भी ऐसा मौक़ा आयेगा मै तुम्हे चांस दूंगी बस!”

“और मुझे क्या चाहिए चलो अब हाथ हटाओ और मुझे तुम्हारे बोबले से खेलने दो”

मंजू ने अपना हाथ स्तन से हटाया और रमेश का हाथ उस पर सवारी कर चूका| थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा बाद में पूजा बोली रमेश अब सब कुछ यही सोफे पर करोगे की ऊपर पलंग पे भी जाना है !!!



मंजू तो यही चाहती थी क्यों की अब उसका चूत काफी गरम और चूत रस रिसा रही थी|

रमेश भी शायद यही चाहता थी की मंजू अब कब बिक=न कपड़ो में अपना जिस्म का दर्शन देगी|

हा हा मैंने कब मन किया है ये तो तुम दोनों यहाँ बैठी थी तो मै भी यही पर बैठ गया और चालू हो गया|



तीनो उठे और सीडी की पर चल दिए| पहली मंजू फिर उसके बाद रमेश और लास्ट में पूजा चढ़ रही थी| ऊपर जाते जाते रमेश ने एक हाथ से मंजू के कुल्हे सहलाना चालु कर दिया| जिस का कोइ विरोध नहीं पाया तो उसने मंजू की गांड की दरार से खेल ना चालू कर दिया तब मंजू बोली “काफी टाइम है जमाईराज ये सब मिलने वाला है आप नाहक जल्दी कर रहे है वैसे भी आप ज्यादा उत्तेजित तो रह नहीं सकते” कह के थोडा मुड़ी और मुस्कुराई|

लेकिन रमेश ने कुछ नहीं बोला पर जवाब में मंजू के कुल्हे को मसल डाला

“ऊऊऊऊऊ..ईईईईई...माआआअ” और एक हाथ पीछे लेकर उसके कुल्हे को सहलाते हुए बोली “सोरी मुझे ये नहीं बोलना था इतना गुस्सा मेरे चुतद पे निकालने की क्या जरुरत थी?”



अभी तो आधी सीडिया ऊपर गए की मंजू ने पूजा से कहा “पूजा, जरा जा के दरवाजा तो बंध कर दे और हा पीछे वाली पानी की टेंक नहीं भरी है तो जाके मोटर चालु कर के पानी की टंकी भर दे वर्ना कल सुबह को मुश्किल हो जायेगा, कल क्या शायद आज रात तक चले उतना भी पानी नहीं होगा उसमे”|

पूजा का मन तो नहीं था पर और कुछ वो कर भी नहीं सकती थी क्योकि अगर वो मम्मी को बोलती तो मकसद का कोई फायदा नहीं रहता था इसलिऐ वो वापिस जाने को मुड़ी और बोली “मम्मी क्या यार तुम भी ना ये सब पहले ही कर देना था जब तुम्हे मालुम था आज शाम हम सब बिजी रहनेवाले है”|

“हां बेटा मुझे मालूम तो था पर मै खुद ही भूल गई, वर्ना मै खुद ही कर लेती” ऊपर चढ़ते हुए मंद मंद मुस्कुराई|



पूजा निचे की ऑर मुड़ी तो रमेश को भी खुला मैदान मिल गया उसने मंजू के बड़ी गांड की गहराई नापनी शुरू कर दी तो मंजू ने एक हाथ से पीछे की और रखा और अपनी गांड को छुपाते हुए बोली “अभी तो कहा जमाईजी थोड़ी देर रुक जाईये”

रमेश: “अगर रहा जाता तो रह लेता मम्मीजी लेकिन इस पीछेवाली बड़ी खाई मुझे उत्तेजित कर रही है”|

“ये थरकते कुल्हे मुझे जीने भी देगा या नहीं”|

“छी! ऐसा नहीं कहते बहोत लंबा जीना है आपको” कहते हुए उसने बेडरूम का डोर तक पहोच गई और दरवाजा खोला और साइड में हट के रमेश को अन्दर आने की जगह दी| और पीछे की और देख के सुनिश्चित किया की पूजा नहीं है|



बने रहिये ......


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जैसे ही रमेश अन्दर को आया तो मंजू ने पिछले पाव से डोर को बंध किया और रमेश से चिपक गई| रमेश हक्काबक्का से रह गया और बोला: “मम्मी ये क्या कर रही है एक दम से हमला?”



मंजू रमेश से चिपकी और उसको भिचते हुए बोली: “रमेश मुझे ठंडी करो वरना मै मर जाउंगी”| मंजू ने उसके होठो को ऊपर की और ले जाके रमेश के करीब लेके बोली “i Love You too”|

रमेश: “अब बोली तुम पहले बोलना था”

मंजू: “मै वो पूजा के सामने नहीं बोलना चाहती थी, मुझे उसके सामने शर्म महसूस हो रही थी”|

रमेश: “अब शर्म कैसी मम्मी”|

“बस अब no mummy please, सिर्फ और सिर्फ मंजू बोलो, जब तक हम इस बेडरूम में है तबतक तो सिर्फ मंजू|”

रमेश खुश हुआ और बोला “ओके ओके डार्लिंग” और मंजू को अपनी ऑर खीचा वैसे खीचना क्या था मंजू खुद ही खिचती चली गई और उसकी बाही में समा गई| रमश का एक हाथ अब मंजू की गांड को नापते थे वही दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे|



“मंजू तुम्हे पता है मै आज बहोत खुश हु क्यों की आज मेरी सब से बड़ी इच्छा पूर्ण हो रही है”

मंजू: “कैसे?”

बस मंजू मै तुम से बहोत प्यार करता हु, ये इसलिए नहीं की मुझे तुम अपना चुतरस दे रही हो, बस मै तुमसे प्यार कर रहा था, पूजा से भी करता हु पर मेरा पहला प्यार तुम से हुआ मंजू”|



“ऐसा कैसे हुआ रमेश मुज में ऐसा क्या पाया?” मंजू अब रमेशको अपने दोनों हाथो से प्रेम करी हुई बोली



“मैंने जब तुम्हे कही देखा था तो मुझे तुम सब से ज्यादा अच्छी लगी बस उसी टाइम से मुझे तुम से प्यार हो गया और सोच रहा था की काया मुझे तुम मिल सकोगी कभी!”



“पूजा को देखने आया और तुम्हे देखा तो मै शादी के लिए ना नहीं कह सका बस यही कारण था की मैंने पूजा की बर्बादी कर दी और यही कारण है की आज पूजा खुश भी है सब में बस तुम ही तुम हो मंजू”



“पर ऐसा क्या देखा मै तो वैसे भी बूढी हु तुम से”

“मेरी नजर से देखो मंजू तो तुम रोज ही कुब्सुरत हो रही हो जो पहले थी उस से भी ज्यादा खुबसूरत”

“अच्छा क्या देखा मुज में? जो इतना पागल हो गए और ये सब खेल रचाना पड़ा”



“सच बताऊ?”

“तो क्या अब तुम जुट भी बोलोगे?”

“नहीं मै तुम से जुट कभी नहीं बोलूँगा” कह के उसने मंजू को चुमते हुए|

“तो? अब बताओ भी”

“तुम्हारे ये दो पहाड़ और उन पहाडो की चोटी मुझे पसंद आई थी और पीछेवाली velly मुझे पागल कर गई थी की कितनी गहरी होगी ये पीछेवाली खाई”



“ओह्ह रमेश मै पागल हो जाउंगी ऐसा बोलोगे तो, मुझे ये नहीं पता चला की तुम मुझे इतना प्यार करते होंगे और मेरी इस खाई को और इस पहाडो को” फिर थोडा उदास होते हुए बोली|



“सच रमेश अगर मुझे पहले पता होता तो मै मेरी इस पिछली खाई को कभी दीपू को नहीं देती पर अब बहोत देर हो चुकी है मेरे पास तुम्हे देने को अब कुछ नहीं है”|



“तुम उसकी चिंता मत करो अगर मै चाहता की तुम्हारी खाई मेरे लंड से भरी जाए तो दीपू तुम्हारी गांड कभी नहीं मारता एक तरह से ये समजो की चोदता वो था लेकिन कहता मै था”|



“ओह्ह रमेश तुम्हे ऐसा नहीं करना था मेरी इन गहरी खाई को तुम्हारे लिए अनामत रख लेना था मुझे बहत दुःख है की मै मेरी गांड को सुरक्षित नहीं रख पाई और दीपू ने उसके लंड से मेरी गांड की मांग भिभर दी है”|

“ओह्ह् मुझे ऐसा नहीं करना था मेरे जमाई के लिए कुछ रेख लेना चाहिए था पर सच में रमेश मुझे अब तक ऐसा था की हम सिर्फ और सिर्फ मिल रहे है ये प्यार मै नहीं समज सकी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़” |



“चलो अब छोडो जो हुआ है वो सब मेरी ही इच्छा से हुआ है|”

“पर तुमने ऐसा क्यों किया? जब की तुम तो सब जानते थे?”

“मुझे मेरे प्यार पे भरोसा है और मुझे परवाह नहीं की तुम मुज पे भरोसा रखो या ना रखो|”

“मै मानती हु की पहले मुझे तुम से डर लग रहा था की क्या होगा लेकिन अब मुझे तुम पर पूरा भरोसा है और तुम जैसा कहोगे वैसे ही करुँगी”



रमेश: “तो अब तुम्हारी चूत का पान करने दो”| “और एक वादा चाहिए”|



“वादा? कैसा वादा रमेश?”

“मुझे तुम्हारी चूत का रस कभी भी पीने का हक देदो”|



“नहीं रमेश तुम जानते हो की मै दीपू से शादी कर चुकी हु| अब मन से वप मेरा पति स्वीकार चुकी हु| उसकी मर्जी के बिना मै कुछ नहीं कर सकती”

“लेकिन कभी दीपू एतराज़ ना करे तो?”



“तो तो शायद हो सकता है, लेकिन कोई भी पति ऐसा नहीं चाहेगा की उसके पत्निका माल का रस कोई और पिए”

“वो मेरे हि केहने पे तुम्हे चोद पाया है और मेरे हिकेहने पे आगे भी चोदेगा डार्लिंग वो मेरे काबू में है”|



“अगर ऐसा है तो शायद मुझे कोई एतराज़ नहीं है तुम्हे मेरी चूत देने में रमेश पर मै विश्वासघाती नहीं बनूँगी और नाही मै तुमसे कोई गलत करार करुँगी बाकी मुझे तुम पर पूरा भरोसा है”|



“क्या तुम मन से मेरे साथ में हो? क्या तुम्मन से तुम्हारी चूत दे रही हो मुझे?”



मंजू शरमा के रमेश की छाती में अपना मुह छुपाते हुए “हम्म मन से और तन से भी”

मंजू: “मुझे पूरा भरोसा है की तुम मेरा कभी भी गलत नहीं करोगे, या मेरी बदनामी कभी नहीं होने दोगे”|

रमेश : “जिस दिन तुम्हे ऐसा लगे तो मेरा मुह और तुम्हारा चप्पल रहेगा डार्लिंग मुज पर भरोसा रखो और तुम्हे मै खुश ही देखूंगा और वोही करूँगा जिस में तुम्हारी भलाई हो”|



दीपू की चिंता तुम करना बंध करो, भले हीवो तुम्हारा पति हो लेकिनुसका मालिक मै हु| तो इस तरह से मै भी तुम्हारा मालिक ही हुआ”|



मंजू: “जब नहीं था तब कोई नर मेरे साथ नहीं था और आज दो दो मेरे नर है जो मेरी भुख्शांत करेंगे| मै तुम्हे तुम्हारे इस शब्दों पे विश्वास रखते हुए कह रही हु की जब चाहो तुम मेरी चूत के स्वामी बन सकते हो, अगर दीपू..”



“अब बस मै तुम्हारी रहूंगी मेरी भोस और गांड भी अब तुम्हारे भी हुए| लेकिन पहला हक दीपू का”|

“ऐसा क्यों?” रमेश ने उसके बोबले को कसते हुए कहा|



मंजू धीरे से उसकी कान की ऑर गई और बोली: “सच में वो चोदता बहोत अच्छा है” और हस दी|



“ओके डार्लिंग”



तभी पूजा के ऊपर आने की आहात सुनाई दी तो मंजू थोड़ी रमेश से दूर हो गई और धीरे से बोली “नाटक तो करना पड़ेगा, ऐसे ही ये नहीं मिलने वाला उसके सामने” उसने अपनी चूत की ऑर इशारा करते हुए|



तभी डोर ओपन हुआ और पूजा अन्दर सरक गई| उसके हाथ में बियर के केन और कुछ खाने का सामान था|


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