FunLOVE ji maine ye story dusre forum par padhi hai bahut hi jbrdast story likhi hai aap but waha aapki story ko band karwa diya gya admin dwaraजैसे ही रमेश अन्दर को आया तो मंजू ने पिछले पाव से डोर को बंध किया और रमेश से चिपक गई| रमेश हक्काबक्का से रह गया और बोला: “मम्मी ये क्या कर रही है एक दम से हमला?”
मंजू रमेश से चिपकी और उसको भिचते हुए बोली: “रमेश मुझे ठंडी करो वरना मै मर जाउंगी”| मंजू ने उसके होठो को ऊपर की और ले जाके रमेश के करीब लेके बोली “i Love You too”|
रमेश: “अब बोली तुम पहले बोलना था”
मंजू: “मै वो पूजा के सामने नहीं बोलना चाहती थी, मुझे उसके सामने शर्म महसूस हो रही थी”|
रमेश: “अब शर्म कैसी मम्मी”|
“बस अब no mummy please, सिर्फ और सिर्फ मंजू बोलो, जब तक हम इस बेडरूम में है तबतक तो सिर्फ मंजू|”
रमेश खुश हुआ और बोला “ओके ओके डार्लिंग” और मंजू को अपनी ऑर खीचा वैसे खीचना क्या था मंजू खुद ही खिचती चली गई और उसकी बाही में समा गई| रमश का एक हाथ अब मंजू की गांड को नापते थे वही दूसरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे|
“मंजू तुम्हे पता है मै आज बहोत खुश हु क्यों की आज मेरी सब से बड़ी इच्छा पूर्ण हो रही है”
मंजू: “कैसे?”
बस मंजू मै तुम से बहोत प्यार करता हु, ये इसलिए नहीं की मुझे तुम अपना चुतरस दे रही हो, बस मै तुमसे प्यार कर रहा था, पूजा से भी करता हु पर मेरा पहला प्यार तुम से हुआ मंजू”|
“ऐसा कैसे हुआ रमेश मुज में ऐसा क्या पाया?” मंजू अब रमेशको अपने दोनों हाथो से प्रेम करी हुई बोली
“मैंने जब तुम्हे कही देखा था तो मुझे तुम सब से ज्यादा अच्छी लगी बस उसी टाइम से मुझे तुम से प्यार हो गया और सोच रहा था की काया मुझे तुम मिल सकोगी कभी!”
“पूजा को देखने आया और तुम्हे देखा तो मै शादी के लिए ना नहीं कह सका बस यही कारण था की मैंने पूजा की बर्बादी कर दी और यही कारण है की आज पूजा खुश भी है सब में बस तुम ही तुम हो मंजू”
“पर ऐसा क्या देखा मै तो वैसे भी बूढी हु तुम से”
“मेरी नजर से देखो मंजू तो तुम रोज ही कुब्सुरत हो रही हो जो पहले थी उस से भी ज्यादा खुबसूरत”
“अच्छा क्या देखा मुज में? जो इतना पागल हो गए और ये सब खेल रचाना पड़ा”
“सच बताऊ?”
“तो क्या अब तुम जुट भी बोलोगे?”
“नहीं मै तुम से जुट कभी नहीं बोलूँगा” कह के उसने मंजू को चुमते हुए|
“तो? अब बताओ भी”
“तुम्हारे ये दो पहाड़ और उन पहाडो की चोटी मुझे पसंद आई थी और पीछेवाली velly मुझे पागल कर गई थी की कितनी गहरी होगी ये पीछेवाली खाई”
“ओह्ह रमेश मै पागल हो जाउंगी ऐसा बोलोगे तो, मुझे ये नहीं पता चला की तुम मुझे इतना प्यार करते होंगे और मेरी इस खाई को और इस पहाडो को” फिर थोडा उदास होते हुए बोली|
“सच रमेश अगर मुझे पहले पता होता तो मै मेरी इस पिछली खाई को कभी दीपू को नहीं देती पर अब बहोत देर हो चुकी है मेरे पास तुम्हे देने को अब कुछ नहीं है”|
“तुम उसकी चिंता मत करो अगर मै चाहता की तुम्हारी खाई मेरे लंड से भरी जाए तो दीपू तुम्हारी गांड कभी नहीं मारता एक तरह से ये समजो की चोदता वो था लेकिन कहता मै था”|
“ओह्ह रमेश तुम्हे ऐसा नहीं करना था मेरी इन गहरी खाई को तुम्हारे लिए अनामत रख लेना था मुझे बहत दुःख है की मै मेरी गांड को सुरक्षित नहीं रख पाई और दीपू ने उसके लंड से मेरी गांड की मांग भिभर दी है”|
“ओह्ह् मुझे ऐसा नहीं करना था मेरे जमाई के लिए कुछ रेख लेना चाहिए था पर सच में रमेश मुझे अब तक ऐसा था की हम सिर्फ और सिर्फ मिल रहे है ये प्यार मै नहीं समज सकी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़” |
“चलो अब छोडो जो हुआ है वो सब मेरी ही इच्छा से हुआ है|”
“पर तुमने ऐसा क्यों किया? जब की तुम तो सब जानते थे?”
“मुझे मेरे प्यार पे भरोसा है और मुझे परवाह नहीं की तुम मुज पे भरोसा रखो या ना रखो|”
“मै मानती हु की पहले मुझे तुम से डर लग रहा था की क्या होगा लेकिन अब मुझे तुम पर पूरा भरोसा है और तुम जैसा कहोगे वैसे ही करुँगी”
रमेश: “तो अब तुम्हारी चूत का पान करने दो”| “और एक वादा चाहिए”|
“वादा? कैसा वादा रमेश?”
“मुझे तुम्हारी चूत का रस कभी भी पीने का हक देदो”|
“नहीं रमेश तुम जानते हो की मै दीपू से शादी कर चुकी हु| अब मन से वप मेरा पति स्वीकार चुकी हु| उसकी मर्जी के बिना मै कुछ नहीं कर सकती”
“लेकिन कभी दीपू एतराज़ ना करे तो?”
“तो तो शायद हो सकता है, लेकिन कोई भी पति ऐसा नहीं चाहेगा की उसके पत्निका माल का रस कोई और पिए”
“वो मेरे हि केहने पे तुम्हे चोद पाया है और मेरे हिकेहने पे आगे भी चोदेगा डार्लिंग वो मेरे काबू में है”|
“अगर ऐसा है तो शायद मुझे कोई एतराज़ नहीं है तुम्हे मेरी चूत देने में रमेश पर मै विश्वासघाती नहीं बनूँगी और नाही मै तुमसे कोई गलत करार करुँगी बाकी मुझे तुम पर पूरा भरोसा है”|
“क्या तुम मन से मेरे साथ में हो? क्या तुम्मन से तुम्हारी चूत दे रही हो मुझे?”
मंजू शरमा के रमेश की छाती में अपना मुह छुपाते हुए “हम्म मन से और तन से भी”
मंजू: “मुझे पूरा भरोसा है की तुम मेरा कभी भी गलत नहीं करोगे, या मेरी बदनामी कभी नहीं होने दोगे”|
रमेश : “जिस दिन तुम्हे ऐसा लगे तो मेरा मुह और तुम्हारा चप्पल रहेगा डार्लिंग मुज पर भरोसा रखो और तुम्हे मै खुश ही देखूंगा और वोही करूँगा जिस में तुम्हारी भलाई हो”|
दीपू की चिंता तुम करना बंध करो, भले हीवो तुम्हारा पति हो लेकिनुसका मालिक मै हु| तो इस तरह से मै भी तुम्हारा मालिक ही हुआ”|
मंजू: “जब नहीं था तब कोई नर मेरे साथ नहीं था और आज दो दो मेरे नर है जो मेरी भुख्शांत करेंगे| मै तुम्हे तुम्हारे इस शब्दों पे विश्वास रखते हुए कह रही हु की जब चाहो तुम मेरी चूत के स्वामी बन सकते हो, अगर दीपू..”
“अब बस मै तुम्हारी रहूंगी मेरी भोस और गांड भी अब तुम्हारे भी हुए| लेकिन पहला हक दीपू का”|
“ऐसा क्यों?” रमेश ने उसके बोबले को कसते हुए कहा|
मंजू धीरे से उसकी कान की ऑर गई और बोली: “सच में वो चोदता बहोत अच्छा है” और हस दी|
“ओके डार्लिंग”
तभी पूजा के ऊपर आने की आहात सुनाई दी तो मंजू थोड़ी रमेश से दूर हो गई और धीरे से बोली “नाटक तो करना पड़ेगा, ऐसे ही ये नहीं मिलने वाला उसके सामने” उसने अपनी चूत की ऑर इशारा करते हुए|
तभी डोर ओपन हुआ और पूजा अन्दर सरक गई| उसके हाथ में बियर के केन और कुछ खाने का सामान था|
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Aap yha bhi likh rhi ho to mai chahta hu aap ise aur aage badhaye