Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

Eaten Alive
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Update - 33


रमन के जाते ही रघु की बढ़ी हुई धडकनों की रफ्तार और तेज हों गया। आगे होने वाले घटनाओं को सोच सोचकर रघु का जिस्म सिहर उठा और एक एक रोआ खडा हों गया। हाथ आगे बढ़ाया फिर पीछे खींच लिया दाए बाय नज़र फेरकर एक गहरी सांस लिया कमीज के कोलार को थोड़ा सा खीचकर सही किया फ़िर हाथ बढ़ाकर दरवाज़े को धक्का दिया।

कमला सजी धजी ख्यालों में खोई बेड पर बैठी थीं। धड़कने कमला की भी बढ़ी हुई थीं। रघु के धक्का देकर दरवाज़ा खोलने से दरवाज़ा आवाज करते हुऐ खुल गया। दरवाजे पर हुई आहट से कमला की तंद्रा टूटी और हड़बड़ा कर दरवाज़े की ओर देखा। रघु दो ही कदम अंदर रखा था कि दोनों की नज़र एक दूसरे से मिल गया। दुल्हन की लिवास में सजी सांवरी कमला को देखकर रघु के मुख मंडल पर खिला सा मुस्कान तैर गया। रघु को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्करा दिया। कुछ क्षण तक मुस्कान का आदान प्रदान करने के बाद रघु पलटकर दरवाज़े को बंद कर दिया। दरवाजा बंद होते ही एक बार फिर से कमला की धड़कने बढ़ने लग गईं।

रघु के एक एक कदम आगे बढ़ाना कमला के धड़कनों को और बढ़ा रही थीं। रघु जा'कर कमला के पास बैठा फ़िर बोला…कमला दुल्हन की लिबास में बहुत खूबसूरत लग रहीं हों। तुम्हारा ये गोरा दमकता चेहरा चौदमी के चांद की खूबसूरती को भी फीका कर देगा। दुनियां के सभी खूबसूरत और नायब चीजे तुम्हारी खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं, तुम्हें अर्धांगनी, जीवन संगनी के रुप में पा'कर मैं धन्य हों गया।

कमला के तरीफो के पुल, रघु बांधे जा रहा था। कमला को रघु से तारीफे सुनकर बहुत अच्छा और सुखद अनुभव हों रहा था। जीवन में पहला मौक़ा था जब कोई उसके खूबसूरती की तारीफ सभ्य भाषा में कर रहा था। तारीफ करने वाला कोई ओर नहीं बल्कि उसका पति ही था। जिसके साथ उसे जीवन के बचे सफर को तय करना था। पति से खुद की तारीफे सुनना अच्छा लग रहा था साथ ही शर्म भी लग रहा था इसलिए कमला ने नज़रे नीचे झुका लिया पर रघु अपने धुन में कमला की तारीफे किए जा रहा था। कमला को इतनी शर्म आने लगीं कि गाल गुलाबी हों गया। अंतः कमला नज़रे झुकाए हुए ही बोली... बस भी कीजिए जितना आप तारीफ कर रहे हैं मैं उतनी भी खूबसूरत नहीं हूं।

रघु.. हां तुम ठीक कह रहीं हों तुम खूबसूरत नहीं….।

नहीं बोलकर रघु रूक गया और कमला आंखे मोटी करके रघु की ओर देखने लग गई। उम्मीद कर रहीं थीं कुछ तो बोले लेकिन रघु बोलने के जगह मुस्कुराने लगा। पति को मुस्कुराते देखकर कमला बोली... अधूरा क्यों छोड़ दिया पुरा तो बोलिए

रघु... तुम सुनना चाहती हों तो बोल ही देता हूं। तुम खूबसूरत नहीं बहुत बहुत खूबसूरत हों।

कमला…पहले क्यों नहीं बोला अधूरा क्यों छोड़ा था?

रघु... तुम जानती हों तुम खूबसूरत हों फिर भी मान नहीं रहीं थीं। इसलिए मुझे रुकना पड़ा ये जानने, तुम्हें अच्छा लग रहा था या बुरा।

कमला बस मुस्कुरा दिया। मुस्कुराते हुए रघु जेब में हाथ डालकर एक डब्बा निकाला फिर डब्बे को खोलकर एक अंगूठी निकाला जो दिखने में साधारण था लेकिन नकाशी बेहतरीन तरीके से किया गया था अंगूठी के नग के जगह एक दिल की आकृति बना हुआ था जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था। कमला बस अंगूठी को देख रहीं थीं और मुस्कुरा रहीं थी। अंगूठी को हाथ में लेकर रघु बोला...कमला अपना दायां हाथ आगे बढ़ाना देखूं तो अंगूठी तुम्हारे उंगली में कितना सुंदर लगता हैं।

कमला मुस्कुराते हुए हाथ आगे कर दिया, बीच वाली उंगली में अंगूठी को पहना दिया फिर रघु बोला...कमला तुम्हें दिया हुआ मेरा पहला गिफ्ट हैं तुम्हें पसंद आया।

कमला अंगूठी को चूमते हुए बोली...बहुत खूबसूरत हैं मुझे बहुत पसन्द आया।

रघु...खूबसूरत तो हैं लेकिन मेरी खूबसूरत बीबी से ज्यादा खुबसूरत नहीं।

इतना कहकर रघु ने कमला के हाथ को चूम लिया कमला एक बार फ़िर से शर्माकर नज़रे झुका लिया फिर बोली...आप तो मेरे लिए गिफ्ट लेकर आए लेकिन मैं आप'के लिए कोई गिफ्ट नहीं ला पाई मुझे माफ़ कर देना।

रघु...कमला तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं मुझे देने के लिए तुम्हारे पास जो गिफ्ट हैं वो मेरे जीवन का सबसे बड़ा और मूल्यवान गिफ्ट होगा।

कमला न जानें किया समझी शर्माकर नीचे देखते हुए बोली…आप न बड़े बेशर्म हों सीधे सीधे कोई ऐसा कहता हैं।

रघु... इसमें बेशर्मी वाली बात कहा से आ गईं मैंने जो कहा सच ही कहा रत्ती भर झूठ नहीं बोला।

कमला शर्माकर चेहरे को हाथों से छुपा लिया फिर बोली…बस भी करिए मुझे बहुत शर्म आ रहीं हैं।

रघु.. शर्म आने वाली ऐसा कुछ कहा ही नहीं फिर भी तुम्हें शर्म आ रहीं हैं तो सुनो मैं तुम्हें अच्छे से समझता हूं…।

कमला रघु के बात को बीच में कटते हुए बोली...नहीं नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना अपने आगे बोला तो मैं कमरे से बाहर चली जाऊंगी।

रघु...न मैं तो बोलूंगा ही सुनो…।

रघु वाक्य पूरा बोलता उससे पहले ही कमला बेड से नीचे उतरने लगीं तब कमला का हाथ पकड़कर रोका फ़िर रघु बोला...कहा जा रहीं हों मैं जो कह रहा हूं वो सुनो हम दोनों की शादी हुआ हमारे मिलन से आगे जाकर बच्चे होंगे। मुझे और मेरे परिवार को तुम्हारा दिया हुआ बच्चा किसी अनमोल गिफ्ट से कम कैसे हों सकता हैं। तुम ही बताओं मुझे इससे सुंदर, अदभुत और बहुमूल्य गिफ्ट तुम दे सकती हों।

रघु बोल रहा था और कमला आंखे फाड़े रघु को देख रहीं थीं। रघु का वाक्य खत्म हुआ फिर कमला मन में बोली... मैं किया सोच रहीं थी और ये कुछ ओर ही सोच रहे थे। कितने अच्छे ख्याल हैं मेरे लिए इनसे अच्छा लड़का ओर कौन हों सकता था। अगर मेरी शादी सच में टूट जाती या उस घटना के बाद शादी करने से माना कर देते तो शायद ही मुझे इनसे अच्छा लड़का मिल पाता मैं बहुत खुश नसीब हूं जो मुझे इनके जैसा पति मिला।

कमला को सोच में मग्न देखकर रघु बोला... कमला क्या सोच रहीं हों?

कमला…आप'का ख्याल कितना अनूठा हैं। मैं कुछ ओर ही सोच बैठी थीं। आप ने बोला कुछ ओर बस इसी बारे में ही सोच रहीं थीं।

कमला बोलने को तो बोल दिया पर बोलते ही शर्मा कर नज़रे झुका लिया फिर चेहरे को हाथों से छुपा लिया। मुस्कुराते हुए रघु बोला…कमला जो तुमने सोचा वो भी सच हैं लेकिन मुझे जो ठीक लगा मैंने कहा दोनों अपने अपने जगह ठीक हैं। इसलिए तुम्हें शर्माने की जरूरत नहीं हैं।

इतना कहकर रघु, कमला के हाथ को हटाना चाहा पर कमला हटा ही नहीं रहीं थी बल्कि ओर कश'के हाथ को चेहरे से चिपका लिया। ज्यादा जोर जबरदस्ती करना रघु को ठीक नहीं लगा इसलिए रघु चुप चाप बैठ गया। रघु का छिना झपटी करना कमला को सुहा रही थीं। इसलिए कमला जानबूझ कर हाथ नहीं हटा रहीं थीं। एकाएक रघु के चुप बैठ जाने से कमला को लगा रघु नाराज हों गया होगा। इसलिए धीरे धीरे हाथों को हटाकर नज़रे ऊपर को उठाया फ़िर रघु की ओर देखा।

कमला को हाथ हटाते देखकर रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया। पति को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्कुरा दिया फिर रघु बोला…कमला शर्माना हो गया हों तो आगे बढ़े रात बहुत हों गया हैं ऐसे ही शर्माते रहें तो हमारी पहली रात काली हों जाएगी।

कमला फिर से शर्मा गई और चेहरे को हाथों से छुपा लिया। रघु उठकर गया, लाइट को बुझाकर नाईट लैंप जला दिया फिर आ'कर कमला के सामने बैठ गया। रघु के दुबारा बैठने से कमला के तन बदन में सिरहन दौड़ गई नसे झनझना उठा जिस्म के रोए रोए खड़े हों गए। वैसा ही हल रघु का था। पहल करें की न करें कुछ क्षण सोच विचार करते हुए बीता दिया फिर शर्म हया को तक पर रखकर रघु आगे बढ़ा और कमला के माथे पर चुम्बन अंकित कर दिया। पहल पति से होता देखकर कमला को अच्छा लगा। किंतु शर्म हया को एक नारी होने के नाते इतनी जल्दी कैसे छोड़ सकती थीं इसलिए शर्माते हुए धीरे धीर आगे बढ़ने लगीं। कमला से सहमति मिलते ही रघु खुद को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाया।

दोनों सुहागरात में होने वाले पहले मिलन के अदभुत क्षण में खो गए। जीवन के एक नया अध्याय को अपने तरीके से लिखने की शुरूवात दोनों का हों चूका था। इस अध्याय के कोरे पन्नों को किन किन रंगो से सजाना है कौन से कला कृति कोरे पन्नों में अकना हैं दोनों को अपने सूझ बूझ से ही करना था।

दोनों नव दंपत्ति काम कीड़ा में मग्न थे वहीं दूसरे कमरे में रमन शालू की यादों में खोया हुआ था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था क्या करें क्या न करें। कभी धड़कने बे तरतीब बढ़ जाएं तो कभी समय रुकता सा लगें अजीब अजीब से ख्याल मन में आ रहा था। शालु से बात कर लेता तो कैसा होता क्या उसके मन में भी वैसा ही चल रहा होगा जैसा मेरे मन में चल रहा हैं। उसने हाथ हिलाकर बाय क्यों कहा कुछ तो उसके मन में चल रहा होगा।

जैसे शालू मुझे पसन्द आ गया क्या मैं भी शालू को पसन्द आ गई। हां हां शालू जरूर मुझे पसन्द करती होगी अगर पसन्द नहीं करती तो बार बार नज़रे चुराकर मुझे क्यों देखती। मेरी नज़रे उससे मिलते ही क्यों मुस्कुराकर नज़रे चुरा लेती। क्या ये सिर्फ़ आकर्षण हैं या प्यार की शुरूवात कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करू किस'से पुछु मुझे इतनी बेचनी क्यों हों रहा हैं। क्या शालू भी मेरी तरह बेचैन हों रही होगी? ख्याली पुलाव पकाते पकाते न जानें रमन कब नींद की वादियों में खो गया।

सुबह के समय कमला का नींद टूटा, अंगड़ाई लेकर जकड़न को दूर करना चाहा, पर ले नहीं पाई खुद को बाहों में जकड़ा हुआ अनुभव कर कमला ने आंखे खोल लिया, खुद को पति के बाहों में देखकर मन मोहिनी मुस्कान बिखेर दिया फिर बोली.. सोते हुए कितना हसीन और मासूम लग रहे हैं। रात भर मुझे बाहों में लेकर सोते रहे, कितनी सुहानी रात बिता उठने का मन ही नहीं कर रहा है। मन कर रहा है आप'की बाहों में सोता रंहू लेकिन सो नहीं सकती उठना ही पड़ेगा आज पहला दिन हैं देर से उठी तो कहीं सासु मां ये न कहे बहू बहुत अलसी हैं।

रघु नींद में भी कमला को कस के बाहों में जकड़ा हुआ था। कमला खुद को रघु की बाहों से निकलना चाही लेकिन निकाल नहीं पाई तो मुस्कुराते हुए बोली... इतना कस'के जकड़े हैं जैसे मैं कही भाग जाऊंगी मैं कहीं नही जानें वाली आप'की बाहों में मुझे जिन्दगी बिताना हैं।

रघु को आवाज दे'कर जगाया रघु नींद में कुनमुनाते हुए बोला…क्या हुआ कमला सो जाओ अभी सुबह नहीं हुआ।

कमला…आप'के लिऐ नहीं हुआ मेरे लिए सुबह हों गई हैं आप छोड़िए नहीं तो मुझे देर हों जाएगी।

कहने पर भी रघु छोड़ नहीं रहा था। तो कमला बोली…. छोड़िए न मुझे देर हों रही है।

न चाहते हुए भी रघु को हाथ हटाना पड़ा फिर कमला उठ गई। कपड़े लिया फिर बाथरूम में चली गई। कुछ वक्त में बाथरूम से बाहर निकलकर श्रृंगार किया फिर बाहर जाते हुए एक नज़र रघु को देखा फिर दरवाज़े तक गई। दरवाज़ा खोलते खोलते रुक गई और मुड़कर रघु को एक नज़र देखा फिर दरवाज़ा खोलकर रूम से बाहर चली गई।


आज के लिऐ इतना हैं आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏
Hawas ki aag mein jalti do badan ek ho gaye :D ProfessorPo sahab ki hero heroine karma aur mamta ki tarah tharki ban gaye raghu aur kamla :roflol:

shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan....har shabd ek alag kahani bayaan kar raha tha..
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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Update - 33


रमन के जाते ही रघु की बढ़ी हुई धडकनों की रफ्तार और तेज हों गया। आगे होने वाले घटनाओं को सोच सोचकर रघु का जिस्म सिहर उठा और एक एक रोआ खडा हों गया। हाथ आगे बढ़ाया फिर पीछे खींच लिया दाए बाय नज़र फेरकर एक गहरी सांस लिया कमीज के कोलार को थोड़ा सा खीचकर सही किया फ़िर हाथ बढ़ाकर दरवाज़े को धक्का दिया।

कमला सजी धजी ख्यालों में खोई बेड पर बैठी थीं। धड़कने कमला की भी बढ़ी हुई थीं। रघु के धक्का देकर दरवाज़ा खोलने से दरवाज़ा आवाज करते हुऐ खुल गया। दरवाजे पर हुई आहट से कमला की तंद्रा टूटी और हड़बड़ा कर दरवाज़े की ओर देखा। रघु दो ही कदम अंदर रखा था कि दोनों की नज़र एक दूसरे से मिल गया। दुल्हन की लिवास में सजी सांवरी कमला को देखकर रघु के मुख मंडल पर खिला सा मुस्कान तैर गया। रघु को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्करा दिया। कुछ क्षण तक मुस्कान का आदान प्रदान करने के बाद रघु पलटकर दरवाज़े को बंद कर दिया। दरवाजा बंद होते ही एक बार फिर से कमला की धड़कने बढ़ने लग गईं।

रघु के एक एक कदम आगे बढ़ाना कमला के धड़कनों को और बढ़ा रही थीं। रघु जा'कर कमला के पास बैठा फ़िर बोला…कमला दुल्हन की लिबास में बहुत खूबसूरत लग रहीं हों। तुम्हारा ये गोरा दमकता चेहरा चौदमी के चांद की खूबसूरती को भी फीका कर देगा। दुनियां के सभी खूबसूरत और नायब चीजे तुम्हारी खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं, तुम्हें अर्धांगनी, जीवन संगनी के रुप में पा'कर मैं धन्य हों गया।

कमला के तरीफो के पुल, रघु बांधे जा रहा था। कमला को रघु से तारीफे सुनकर बहुत अच्छा और सुखद अनुभव हों रहा था। जीवन में पहला मौक़ा था जब कोई उसके खूबसूरती की तारीफ सभ्य भाषा में कर रहा था। तारीफ करने वाला कोई ओर नहीं बल्कि उसका पति ही था। जिसके साथ उसे जीवन के बचे सफर को तय करना था। पति से खुद की तारीफे सुनना अच्छा लग रहा था साथ ही शर्म भी लग रहा था इसलिए कमला ने नज़रे नीचे झुका लिया पर रघु अपने धुन में कमला की तारीफे किए जा रहा था। कमला को इतनी शर्म आने लगीं कि गाल गुलाबी हों गया। अंतः कमला नज़रे झुकाए हुए ही बोली... बस भी कीजिए जितना आप तारीफ कर रहे हैं मैं उतनी भी खूबसूरत नहीं हूं।

रघु.. हां तुम ठीक कह रहीं हों तुम खूबसूरत नहीं….।

नहीं बोलकर रघु रूक गया और कमला आंखे मोटी करके रघु की ओर देखने लग गई। उम्मीद कर रहीं थीं कुछ तो बोले लेकिन रघु बोलने के जगह मुस्कुराने लगा। पति को मुस्कुराते देखकर कमला बोली... अधूरा क्यों छोड़ दिया पुरा तो बोलिए

रघु... तुम सुनना चाहती हों तो बोल ही देता हूं। तुम खूबसूरत नहीं बहुत बहुत खूबसूरत हों।

कमला…पहले क्यों नहीं बोला अधूरा क्यों छोड़ा था?

रघु... तुम जानती हों तुम खूबसूरत हों फिर भी मान नहीं रहीं थीं। इसलिए मुझे रुकना पड़ा ये जानने, तुम्हें अच्छा लग रहा था या बुरा।

कमला बस मुस्कुरा दिया। मुस्कुराते हुए रघु जेब में हाथ डालकर एक डब्बा निकाला फिर डब्बे को खोलकर एक अंगूठी निकाला जो दिखने में साधारण था लेकिन नकाशी बेहतरीन तरीके से किया गया था अंगूठी के नग के जगह एक दिल की आकृति बना हुआ था जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था। कमला बस अंगूठी को देख रहीं थीं और मुस्कुरा रहीं थी। अंगूठी को हाथ में लेकर रघु बोला...कमला अपना दायां हाथ आगे बढ़ाना देखूं तो अंगूठी तुम्हारे उंगली में कितना सुंदर लगता हैं।

कमला मुस्कुराते हुए हाथ आगे कर दिया, बीच वाली उंगली में अंगूठी को पहना दिया फिर रघु बोला...कमला तुम्हें दिया हुआ मेरा पहला गिफ्ट हैं तुम्हें पसंद आया।

कमला अंगूठी को चूमते हुए बोली...बहुत खूबसूरत हैं मुझे बहुत पसन्द आया।

रघु...खूबसूरत तो हैं लेकिन मेरी खूबसूरत बीबी से ज्यादा खुबसूरत नहीं।

इतना कहकर रघु ने कमला के हाथ को चूम लिया कमला एक बार फ़िर से शर्माकर नज़रे झुका लिया फिर बोली...आप तो मेरे लिए गिफ्ट लेकर आए लेकिन मैं आप'के लिए कोई गिफ्ट नहीं ला पाई मुझे माफ़ कर देना।

रघु...कमला तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं मुझे देने के लिए तुम्हारे पास जो गिफ्ट हैं वो मेरे जीवन का सबसे बड़ा और मूल्यवान गिफ्ट होगा।

कमला न जानें किया समझी शर्माकर नीचे देखते हुए बोली…आप न बड़े बेशर्म हों सीधे सीधे कोई ऐसा कहता हैं।

रघु... इसमें बेशर्मी वाली बात कहा से आ गईं मैंने जो कहा सच ही कहा रत्ती भर झूठ नहीं बोला।

कमला शर्माकर चेहरे को हाथों से छुपा लिया फिर बोली…बस भी करिए मुझे बहुत शर्म आ रहीं हैं।

रघु.. शर्म आने वाली ऐसा कुछ कहा ही नहीं फिर भी तुम्हें शर्म आ रहीं हैं तो सुनो मैं तुम्हें अच्छे से समझता हूं…।

कमला रघु के बात को बीच में कटते हुए बोली...नहीं नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना अपने आगे बोला तो मैं कमरे से बाहर चली जाऊंगी।

रघु...न मैं तो बोलूंगा ही सुनो…।

रघु वाक्य पूरा बोलता उससे पहले ही कमला बेड से नीचे उतरने लगीं तब कमला का हाथ पकड़कर रोका फ़िर रघु बोला...कहा जा रहीं हों मैं जो कह रहा हूं वो सुनो हम दोनों की शादी हुआ हमारे मिलन से आगे जाकर बच्चे होंगे। मुझे और मेरे परिवार को तुम्हारा दिया हुआ बच्चा किसी अनमोल गिफ्ट से कम कैसे हों सकता हैं। तुम ही बताओं मुझे इससे सुंदर, अदभुत और बहुमूल्य गिफ्ट तुम दे सकती हों।

रघु बोल रहा था और कमला आंखे फाड़े रघु को देख रहीं थीं। रघु का वाक्य खत्म हुआ फिर कमला मन में बोली... मैं किया सोच रहीं थी और ये कुछ ओर ही सोच रहे थे। कितने अच्छे ख्याल हैं मेरे लिए इनसे अच्छा लड़का ओर कौन हों सकता था। अगर मेरी शादी सच में टूट जाती या उस घटना के बाद शादी करने से माना कर देते तो शायद ही मुझे इनसे अच्छा लड़का मिल पाता मैं बहुत खुश नसीब हूं जो मुझे इनके जैसा पति मिला।

कमला को सोच में मग्न देखकर रघु बोला... कमला क्या सोच रहीं हों?

कमला…आप'का ख्याल कितना अनूठा हैं। मैं कुछ ओर ही सोच बैठी थीं। आप ने बोला कुछ ओर बस इसी बारे में ही सोच रहीं थीं।

कमला बोलने को तो बोल दिया पर बोलते ही शर्मा कर नज़रे झुका लिया फिर चेहरे को हाथों से छुपा लिया। मुस्कुराते हुए रघु बोला…कमला जो तुमने सोचा वो भी सच हैं लेकिन मुझे जो ठीक लगा मैंने कहा दोनों अपने अपने जगह ठीक हैं। इसलिए तुम्हें शर्माने की जरूरत नहीं हैं।

इतना कहकर रघु, कमला के हाथ को हटाना चाहा पर कमला हटा ही नहीं रहीं थी बल्कि ओर कश'के हाथ को चेहरे से चिपका लिया। ज्यादा जोर जबरदस्ती करना रघु को ठीक नहीं लगा इसलिए रघु चुप चाप बैठ गया। रघु का छिना झपटी करना कमला को सुहा रही थीं। इसलिए कमला जानबूझ कर हाथ नहीं हटा रहीं थीं। एकाएक रघु के चुप बैठ जाने से कमला को लगा रघु नाराज हों गया होगा। इसलिए धीरे धीरे हाथों को हटाकर नज़रे ऊपर को उठाया फ़िर रघु की ओर देखा।

कमला को हाथ हटाते देखकर रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया। पति को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्कुरा दिया फिर रघु बोला…कमला शर्माना हो गया हों तो आगे बढ़े रात बहुत हों गया हैं ऐसे ही शर्माते रहें तो हमारी पहली रात काली हों जाएगी।

कमला फिर से शर्मा गई और चेहरे को हाथों से छुपा लिया। रघु उठकर गया, लाइट को बुझाकर नाईट लैंप जला दिया फिर आ'कर कमला के सामने बैठ गया। रघु के दुबारा बैठने से कमला के तन बदन में सिरहन दौड़ गई नसे झनझना उठा जिस्म के रोए रोए खड़े हों गए। वैसा ही हल रघु का था। पहल करें की न करें कुछ क्षण सोच विचार करते हुए बीता दिया फिर शर्म हया को तक पर रखकर रघु आगे बढ़ा और कमला के माथे पर चुम्बन अंकित कर दिया। पहल पति से होता देखकर कमला को अच्छा लगा। किंतु शर्म हया को एक नारी होने के नाते इतनी जल्दी कैसे छोड़ सकती थीं इसलिए शर्माते हुए धीरे धीर आगे बढ़ने लगीं। कमला से सहमति मिलते ही रघु खुद को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाया।

दोनों सुहागरात में होने वाले पहले मिलन के अदभुत क्षण में खो गए। जीवन के एक नया अध्याय को अपने तरीके से लिखने की शुरूवात दोनों का हों चूका था। इस अध्याय के कोरे पन्नों को किन किन रंगो से सजाना है कौन से कला कृति कोरे पन्नों में अकना हैं दोनों को अपने सूझ बूझ से ही करना था।

दोनों नव दंपत्ति काम कीड़ा में मग्न थे वहीं दूसरे कमरे में रमन शालू की यादों में खोया हुआ था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था क्या करें क्या न करें। कभी धड़कने बे तरतीब बढ़ जाएं तो कभी समय रुकता सा लगें अजीब अजीब से ख्याल मन में आ रहा था। शालु से बात कर लेता तो कैसा होता क्या उसके मन में भी वैसा ही चल रहा होगा जैसा मेरे मन में चल रहा हैं। उसने हाथ हिलाकर बाय क्यों कहा कुछ तो उसके मन में चल रहा होगा।

जैसे शालू मुझे पसन्द आ गया क्या मैं भी शालू को पसन्द आ गई। हां हां शालू जरूर मुझे पसन्द करती होगी अगर पसन्द नहीं करती तो बार बार नज़रे चुराकर मुझे क्यों देखती। मेरी नज़रे उससे मिलते ही क्यों मुस्कुराकर नज़रे चुरा लेती। क्या ये सिर्फ़ आकर्षण हैं या प्यार की शुरूवात कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करू किस'से पुछु मुझे इतनी बेचनी क्यों हों रहा हैं। क्या शालू भी मेरी तरह बेचैन हों रही होगी? ख्याली पुलाव पकाते पकाते न जानें रमन कब नींद की वादियों में खो गया।

सुबह के समय कमला का नींद टूटा, अंगड़ाई लेकर जकड़न को दूर करना चाहा, पर ले नहीं पाई खुद को बाहों में जकड़ा हुआ अनुभव कर कमला ने आंखे खोल लिया, खुद को पति के बाहों में देखकर मन मोहिनी मुस्कान बिखेर दिया फिर बोली.. सोते हुए कितना हसीन और मासूम लग रहे हैं। रात भर मुझे बाहों में लेकर सोते रहे, कितनी सुहानी रात बिता उठने का मन ही नहीं कर रहा है। मन कर रहा है आप'की बाहों में सोता रंहू लेकिन सो नहीं सकती उठना ही पड़ेगा आज पहला दिन हैं देर से उठी तो कहीं सासु मां ये न कहे बहू बहुत अलसी हैं।

रघु नींद में भी कमला को कस के बाहों में जकड़ा हुआ था। कमला खुद को रघु की बाहों से निकलना चाही लेकिन निकाल नहीं पाई तो मुस्कुराते हुए बोली... इतना कस'के जकड़े हैं जैसे मैं कही भाग जाऊंगी मैं कहीं नही जानें वाली आप'की बाहों में मुझे जिन्दगी बिताना हैं।

रघु को आवाज दे'कर जगाया रघु नींद में कुनमुनाते हुए बोला…क्या हुआ कमला सो जाओ अभी सुबह नहीं हुआ।

कमला…आप'के लिऐ नहीं हुआ मेरे लिए सुबह हों गई हैं आप छोड़िए नहीं तो मुझे देर हों जाएगी।

कहने पर भी रघु छोड़ नहीं रहा था। तो कमला बोली…. छोड़िए न मुझे देर हों रही है।

न चाहते हुए भी रघु को हाथ हटाना पड़ा फिर कमला उठ गई। कपड़े लिया फिर बाथरूम में चली गई। कुछ वक्त में बाथरूम से बाहर निकलकर श्रृंगार किया फिर बाहर जाते हुए एक नज़र रघु को देखा फिर दरवाज़े तक गई। दरवाज़ा खोलते खोलते रुक गई और मुड़कर रघु को एक नज़र देखा फिर दरवाज़ा खोलकर रूम से बाहर चली गई।


आज के लिऐ इतना हैं आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏
rista tay hua, pyar hua, isi bich ek muskil a khadi huyi, muskil ka hal nikal liya, sab kuch thik hua, shadi hui, aur aj vivahit jodi ka pratham milan bhi ho gaya.
Ek romantic story me pratm milan jitna jaruri hai utna hi dikhaya gya haii, jaada dikhane se kahanii ka value nhi reh jata , jo abhi bharkarar hai. udhar aman khoya hai shalu ki yaadon me.
 
R

Riya

Update - 33


रमन के जाते ही रघु की बढ़ी हुई धडकनों की रफ्तार और तेज हों गया। आगे होने वाले घटनाओं को सोच सोचकर रघु का जिस्म सिहर उठा और एक एक रोआ खडा हों गया। हाथ आगे बढ़ाया फिर पीछे खींच लिया दाए बाय नज़र फेरकर एक गहरी सांस लिया कमीज के कोलार को थोड़ा सा खीचकर सही किया फ़िर हाथ बढ़ाकर दरवाज़े को धक्का दिया।

कमला सजी धजी ख्यालों में खोई बेड पर बैठी थीं। धड़कने कमला की भी बढ़ी हुई थीं। रघु के धक्का देकर दरवाज़ा खोलने से दरवाज़ा आवाज करते हुऐ खुल गया। दरवाजे पर हुई आहट से कमला की तंद्रा टूटी और हड़बड़ा कर दरवाज़े की ओर देखा। रघु दो ही कदम अंदर रखा था कि दोनों की नज़र एक दूसरे से मिल गया। दुल्हन की लिवास में सजी सांवरी कमला को देखकर रघु के मुख मंडल पर खिला सा मुस्कान तैर गया। रघु को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्करा दिया। कुछ क्षण तक मुस्कान का आदान प्रदान करने के बाद रघु पलटकर दरवाज़े को बंद कर दिया। दरवाजा बंद होते ही एक बार फिर से कमला की धड़कने बढ़ने लग गईं।

रघु के एक एक कदम आगे बढ़ाना कमला के धड़कनों को और बढ़ा रही थीं। रघु जा'कर कमला के पास बैठा फ़िर बोला…कमला दुल्हन की लिबास में बहुत खूबसूरत लग रहीं हों। तुम्हारा ये गोरा दमकता चेहरा चौदमी के चांद की खूबसूरती को भी फीका कर देगा। दुनियां के सभी खूबसूरत और नायब चीजे तुम्हारी खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं, तुम्हें अर्धांगनी, जीवन संगनी के रुप में पा'कर मैं धन्य हों गया।

कमला के तरीफो के पुल, रघु बांधे जा रहा था। कमला को रघु से तारीफे सुनकर बहुत अच्छा और सुखद अनुभव हों रहा था। जीवन में पहला मौक़ा था जब कोई उसके खूबसूरती की तारीफ सभ्य भाषा में कर रहा था। तारीफ करने वाला कोई ओर नहीं बल्कि उसका पति ही था। जिसके साथ उसे जीवन के बचे सफर को तय करना था। पति से खुद की तारीफे सुनना अच्छा लग रहा था साथ ही शर्म भी लग रहा था इसलिए कमला ने नज़रे नीचे झुका लिया पर रघु अपने धुन में कमला की तारीफे किए जा रहा था। कमला को इतनी शर्म आने लगीं कि गाल गुलाबी हों गया। अंतः कमला नज़रे झुकाए हुए ही बोली... बस भी कीजिए जितना आप तारीफ कर रहे हैं मैं उतनी भी खूबसूरत नहीं हूं।

रघु.. हां तुम ठीक कह रहीं हों तुम खूबसूरत नहीं….।

नहीं बोलकर रघु रूक गया और कमला आंखे मोटी करके रघु की ओर देखने लग गई। उम्मीद कर रहीं थीं कुछ तो बोले लेकिन रघु बोलने के जगह मुस्कुराने लगा। पति को मुस्कुराते देखकर कमला बोली... अधूरा क्यों छोड़ दिया पुरा तो बोलिए

रघु... तुम सुनना चाहती हों तो बोल ही देता हूं। तुम खूबसूरत नहीं बहुत बहुत खूबसूरत हों।

कमला…पहले क्यों नहीं बोला अधूरा क्यों छोड़ा था?

रघु... तुम जानती हों तुम खूबसूरत हों फिर भी मान नहीं रहीं थीं। इसलिए मुझे रुकना पड़ा ये जानने, तुम्हें अच्छा लग रहा था या बुरा।

कमला बस मुस्कुरा दिया। मुस्कुराते हुए रघु जेब में हाथ डालकर एक डब्बा निकाला फिर डब्बे को खोलकर एक अंगूठी निकाला जो दिखने में साधारण था लेकिन नकाशी बेहतरीन तरीके से किया गया था अंगूठी के नग के जगह एक दिल की आकृति बना हुआ था जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था। कमला बस अंगूठी को देख रहीं थीं और मुस्कुरा रहीं थी। अंगूठी को हाथ में लेकर रघु बोला...कमला अपना दायां हाथ आगे बढ़ाना देखूं तो अंगूठी तुम्हारे उंगली में कितना सुंदर लगता हैं।

कमला मुस्कुराते हुए हाथ आगे कर दिया, बीच वाली उंगली में अंगूठी को पहना दिया फिर रघु बोला...कमला तुम्हें दिया हुआ मेरा पहला गिफ्ट हैं तुम्हें पसंद आया।

कमला अंगूठी को चूमते हुए बोली...बहुत खूबसूरत हैं मुझे बहुत पसन्द आया।

रघु...खूबसूरत तो हैं लेकिन मेरी खूबसूरत बीबी से ज्यादा खुबसूरत नहीं।

इतना कहकर रघु ने कमला के हाथ को चूम लिया कमला एक बार फ़िर से शर्माकर नज़रे झुका लिया फिर बोली...आप तो मेरे लिए गिफ्ट लेकर आए लेकिन मैं आप'के लिए कोई गिफ्ट नहीं ला पाई मुझे माफ़ कर देना।

रघु...कमला तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं मुझे देने के लिए तुम्हारे पास जो गिफ्ट हैं वो मेरे जीवन का सबसे बड़ा और मूल्यवान गिफ्ट होगा।

कमला न जानें किया समझी शर्माकर नीचे देखते हुए बोली…आप न बड़े बेशर्म हों सीधे सीधे कोई ऐसा कहता हैं।

रघु... इसमें बेशर्मी वाली बात कहा से आ गईं मैंने जो कहा सच ही कहा रत्ती भर झूठ नहीं बोला।

कमला शर्माकर चेहरे को हाथों से छुपा लिया फिर बोली…बस भी करिए मुझे बहुत शर्म आ रहीं हैं।

रघु.. शर्म आने वाली ऐसा कुछ कहा ही नहीं फिर भी तुम्हें शर्म आ रहीं हैं तो सुनो मैं तुम्हें अच्छे से समझता हूं…।

कमला रघु के बात को बीच में कटते हुए बोली...नहीं नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना अपने आगे बोला तो मैं कमरे से बाहर चली जाऊंगी।

रघु...न मैं तो बोलूंगा ही सुनो…।

रघु वाक्य पूरा बोलता उससे पहले ही कमला बेड से नीचे उतरने लगीं तब कमला का हाथ पकड़कर रोका फ़िर रघु बोला...कहा जा रहीं हों मैं जो कह रहा हूं वो सुनो हम दोनों की शादी हुआ हमारे मिलन से आगे जाकर बच्चे होंगे। मुझे और मेरे परिवार को तुम्हारा दिया हुआ बच्चा किसी अनमोल गिफ्ट से कम कैसे हों सकता हैं। तुम ही बताओं मुझे इससे सुंदर, अदभुत और बहुमूल्य गिफ्ट तुम दे सकती हों।

रघु बोल रहा था और कमला आंखे फाड़े रघु को देख रहीं थीं। रघु का वाक्य खत्म हुआ फिर कमला मन में बोली... मैं किया सोच रहीं थी और ये कुछ ओर ही सोच रहे थे। कितने अच्छे ख्याल हैं मेरे लिए इनसे अच्छा लड़का ओर कौन हों सकता था। अगर मेरी शादी सच में टूट जाती या उस घटना के बाद शादी करने से माना कर देते तो शायद ही मुझे इनसे अच्छा लड़का मिल पाता मैं बहुत खुश नसीब हूं जो मुझे इनके जैसा पति मिला।

कमला को सोच में मग्न देखकर रघु बोला... कमला क्या सोच रहीं हों?

कमला…आप'का ख्याल कितना अनूठा हैं। मैं कुछ ओर ही सोच बैठी थीं। आप ने बोला कुछ ओर बस इसी बारे में ही सोच रहीं थीं।

कमला बोलने को तो बोल दिया पर बोलते ही शर्मा कर नज़रे झुका लिया फिर चेहरे को हाथों से छुपा लिया। मुस्कुराते हुए रघु बोला…कमला जो तुमने सोचा वो भी सच हैं लेकिन मुझे जो ठीक लगा मैंने कहा दोनों अपने अपने जगह ठीक हैं। इसलिए तुम्हें शर्माने की जरूरत नहीं हैं।

इतना कहकर रघु, कमला के हाथ को हटाना चाहा पर कमला हटा ही नहीं रहीं थी बल्कि ओर कश'के हाथ को चेहरे से चिपका लिया। ज्यादा जोर जबरदस्ती करना रघु को ठीक नहीं लगा इसलिए रघु चुप चाप बैठ गया। रघु का छिना झपटी करना कमला को सुहा रही थीं। इसलिए कमला जानबूझ कर हाथ नहीं हटा रहीं थीं। एकाएक रघु के चुप बैठ जाने से कमला को लगा रघु नाराज हों गया होगा। इसलिए धीरे धीरे हाथों को हटाकर नज़रे ऊपर को उठाया फ़िर रघु की ओर देखा।

कमला को हाथ हटाते देखकर रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया। पति को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्कुरा दिया फिर रघु बोला…कमला शर्माना हो गया हों तो आगे बढ़े रात बहुत हों गया हैं ऐसे ही शर्माते रहें तो हमारी पहली रात काली हों जाएगी।

कमला फिर से शर्मा गई और चेहरे को हाथों से छुपा लिया। रघु उठकर गया, लाइट को बुझाकर नाईट लैंप जला दिया फिर आ'कर कमला के सामने बैठ गया। रघु के दुबारा बैठने से कमला के तन बदन में सिरहन दौड़ गई नसे झनझना उठा जिस्म के रोए रोए खड़े हों गए। वैसा ही हल रघु का था। पहल करें की न करें कुछ क्षण सोच विचार करते हुए बीता दिया फिर शर्म हया को तक पर रखकर रघु आगे बढ़ा और कमला के माथे पर चुम्बन अंकित कर दिया। पहल पति से होता देखकर कमला को अच्छा लगा। किंतु शर्म हया को एक नारी होने के नाते इतनी जल्दी कैसे छोड़ सकती थीं इसलिए शर्माते हुए धीरे धीर आगे बढ़ने लगीं। कमला से सहमति मिलते ही रघु खुद को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाया।

दोनों सुहागरात में होने वाले पहले मिलन के अदभुत क्षण में खो गए। जीवन के एक नया अध्याय को अपने तरीके से लिखने की शुरूवात दोनों का हों चूका था। इस अध्याय के कोरे पन्नों को किन किन रंगो से सजाना है कौन से कला कृति कोरे पन्नों में अकना हैं दोनों को अपने सूझ बूझ से ही करना था।

दोनों नव दंपत्ति काम कीड़ा में मग्न थे वहीं दूसरे कमरे में रमन शालू की यादों में खोया हुआ था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था क्या करें क्या न करें। कभी धड़कने बे तरतीब बढ़ जाएं तो कभी समय रुकता सा लगें अजीब अजीब से ख्याल मन में आ रहा था। शालु से बात कर लेता तो कैसा होता क्या उसके मन में भी वैसा ही चल रहा होगा जैसा मेरे मन में चल रहा हैं। उसने हाथ हिलाकर बाय क्यों कहा कुछ तो उसके मन में चल रहा होगा।

जैसे शालू मुझे पसन्द आ गया क्या मैं भी शालू को पसन्द आ गई। हां हां शालू जरूर मुझे पसन्द करती होगी अगर पसन्द नहीं करती तो बार बार नज़रे चुराकर मुझे क्यों देखती। मेरी नज़रे उससे मिलते ही क्यों मुस्कुराकर नज़रे चुरा लेती। क्या ये सिर्फ़ आकर्षण हैं या प्यार की शुरूवात कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करू किस'से पुछु मुझे इतनी बेचनी क्यों हों रहा हैं। क्या शालू भी मेरी तरह बेचैन हों रही होगी? ख्याली पुलाव पकाते पकाते न जानें रमन कब नींद की वादियों में खो गया।

सुबह के समय कमला का नींद टूटा, अंगड़ाई लेकर जकड़न को दूर करना चाहा, पर ले नहीं पाई खुद को बाहों में जकड़ा हुआ अनुभव कर कमला ने आंखे खोल लिया, खुद को पति के बाहों में देखकर मन मोहिनी मुस्कान बिखेर दिया फिर बोली.. सोते हुए कितना हसीन और मासूम लग रहे हैं। रात भर मुझे बाहों में लेकर सोते रहे, कितनी सुहानी रात बिता उठने का मन ही नहीं कर रहा है। मन कर रहा है आप'की बाहों में सोता रंहू लेकिन सो नहीं सकती उठना ही पड़ेगा आज पहला दिन हैं देर से उठी तो कहीं सासु मां ये न कहे बहू बहुत अलसी हैं।

रघु नींद में भी कमला को कस के बाहों में जकड़ा हुआ था। कमला खुद को रघु की बाहों से निकलना चाही लेकिन निकाल नहीं पाई तो मुस्कुराते हुए बोली... इतना कस'के जकड़े हैं जैसे मैं कही भाग जाऊंगी मैं कहीं नही जानें वाली आप'की बाहों में मुझे जिन्दगी बिताना हैं।

रघु को आवाज दे'कर जगाया रघु नींद में कुनमुनाते हुए बोला…क्या हुआ कमला सो जाओ अभी सुबह नहीं हुआ।

कमला…आप'के लिऐ नहीं हुआ मेरे लिए सुबह हों गई हैं आप छोड़िए नहीं तो मुझे देर हों जाएगी।

कहने पर भी रघु छोड़ नहीं रहा था। तो कमला बोली…. छोड़िए न मुझे देर हों रही है।

न चाहते हुए भी रघु को हाथ हटाना पड़ा फिर कमला उठ गई। कपड़े लिया फिर बाथरूम में चली गई। कुछ वक्त में बाथरूम से बाहर निकलकर श्रृंगार किया फिर बाहर जाते हुए एक नज़र रघु को देखा फिर दरवाज़े तक गई। दरवाज़ा खोलते खोलते रुक गई और मुड़कर रघु को एक नज़र देखा फिर दरवाज़ा खोलकर रूम से बाहर चली गई।


आज के लिऐ इतना हैं आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏
Wonderful update. dono ek ho gaye.
aman ko shalu se pehli nazar me pyar ho gaya aur lagta shalu ko bhi usse pyar hai. kyonki puri shadi aur vidayi ke waqt dono ankho se hi ishq farma rahe the.
 
I

Ishani

Update - 33


रमन के जाते ही रघु की बढ़ी हुई धडकनों की रफ्तार और तेज हों गया। आगे होने वाले घटनाओं को सोच सोचकर रघु का जिस्म सिहर उठा और एक एक रोआ खडा हों गया। हाथ आगे बढ़ाया फिर पीछे खींच लिया दाए बाय नज़र फेरकर एक गहरी सांस लिया कमीज के कोलार को थोड़ा सा खीचकर सही किया फ़िर हाथ बढ़ाकर दरवाज़े को धक्का दिया।

कमला सजी धजी ख्यालों में खोई बेड पर बैठी थीं। धड़कने कमला की भी बढ़ी हुई थीं। रघु के धक्का देकर दरवाज़ा खोलने से दरवाज़ा आवाज करते हुऐ खुल गया। दरवाजे पर हुई आहट से कमला की तंद्रा टूटी और हड़बड़ा कर दरवाज़े की ओर देखा। रघु दो ही कदम अंदर रखा था कि दोनों की नज़र एक दूसरे से मिल गया। दुल्हन की लिवास में सजी सांवरी कमला को देखकर रघु के मुख मंडल पर खिला सा मुस्कान तैर गया। रघु को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्करा दिया। कुछ क्षण तक मुस्कान का आदान प्रदान करने के बाद रघु पलटकर दरवाज़े को बंद कर दिया। दरवाजा बंद होते ही एक बार फिर से कमला की धड़कने बढ़ने लग गईं।

रघु के एक एक कदम आगे बढ़ाना कमला के धड़कनों को और बढ़ा रही थीं। रघु जा'कर कमला के पास बैठा फ़िर बोला…कमला दुल्हन की लिबास में बहुत खूबसूरत लग रहीं हों। तुम्हारा ये गोरा दमकता चेहरा चौदमी के चांद की खूबसूरती को भी फीका कर देगा। दुनियां के सभी खूबसूरत और नायब चीजे तुम्हारी खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं, तुम्हें अर्धांगनी, जीवन संगनी के रुप में पा'कर मैं धन्य हों गया।

कमला के तरीफो के पुल, रघु बांधे जा रहा था। कमला को रघु से तारीफे सुनकर बहुत अच्छा और सुखद अनुभव हों रहा था। जीवन में पहला मौक़ा था जब कोई उसके खूबसूरती की तारीफ सभ्य भाषा में कर रहा था। तारीफ करने वाला कोई ओर नहीं बल्कि उसका पति ही था। जिसके साथ उसे जीवन के बचे सफर को तय करना था। पति से खुद की तारीफे सुनना अच्छा लग रहा था साथ ही शर्म भी लग रहा था इसलिए कमला ने नज़रे नीचे झुका लिया पर रघु अपने धुन में कमला की तारीफे किए जा रहा था। कमला को इतनी शर्म आने लगीं कि गाल गुलाबी हों गया। अंतः कमला नज़रे झुकाए हुए ही बोली... बस भी कीजिए जितना आप तारीफ कर रहे हैं मैं उतनी भी खूबसूरत नहीं हूं।

रघु.. हां तुम ठीक कह रहीं हों तुम खूबसूरत नहीं….।

नहीं बोलकर रघु रूक गया और कमला आंखे मोटी करके रघु की ओर देखने लग गई। उम्मीद कर रहीं थीं कुछ तो बोले लेकिन रघु बोलने के जगह मुस्कुराने लगा। पति को मुस्कुराते देखकर कमला बोली... अधूरा क्यों छोड़ दिया पुरा तो बोलिए

रघु... तुम सुनना चाहती हों तो बोल ही देता हूं। तुम खूबसूरत नहीं बहुत बहुत खूबसूरत हों।

कमला…पहले क्यों नहीं बोला अधूरा क्यों छोड़ा था?

रघु... तुम जानती हों तुम खूबसूरत हों फिर भी मान नहीं रहीं थीं। इसलिए मुझे रुकना पड़ा ये जानने, तुम्हें अच्छा लग रहा था या बुरा।

कमला बस मुस्कुरा दिया। मुस्कुराते हुए रघु जेब में हाथ डालकर एक डब्बा निकाला फिर डब्बे को खोलकर एक अंगूठी निकाला जो दिखने में साधारण था लेकिन नकाशी बेहतरीन तरीके से किया गया था अंगूठी के नग के जगह एक दिल की आकृति बना हुआ था जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था। कमला बस अंगूठी को देख रहीं थीं और मुस्कुरा रहीं थी। अंगूठी को हाथ में लेकर रघु बोला...कमला अपना दायां हाथ आगे बढ़ाना देखूं तो अंगूठी तुम्हारे उंगली में कितना सुंदर लगता हैं।

कमला मुस्कुराते हुए हाथ आगे कर दिया, बीच वाली उंगली में अंगूठी को पहना दिया फिर रघु बोला...कमला तुम्हें दिया हुआ मेरा पहला गिफ्ट हैं तुम्हें पसंद आया।

कमला अंगूठी को चूमते हुए बोली...बहुत खूबसूरत हैं मुझे बहुत पसन्द आया।

रघु...खूबसूरत तो हैं लेकिन मेरी खूबसूरत बीबी से ज्यादा खुबसूरत नहीं।

इतना कहकर रघु ने कमला के हाथ को चूम लिया कमला एक बार फ़िर से शर्माकर नज़रे झुका लिया फिर बोली...आप तो मेरे लिए गिफ्ट लेकर आए लेकिन मैं आप'के लिए कोई गिफ्ट नहीं ला पाई मुझे माफ़ कर देना।

रघु...कमला तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं मुझे देने के लिए तुम्हारे पास जो गिफ्ट हैं वो मेरे जीवन का सबसे बड़ा और मूल्यवान गिफ्ट होगा।

कमला न जानें किया समझी शर्माकर नीचे देखते हुए बोली…आप न बड़े बेशर्म हों सीधे सीधे कोई ऐसा कहता हैं।

रघु... इसमें बेशर्मी वाली बात कहा से आ गईं मैंने जो कहा सच ही कहा रत्ती भर झूठ नहीं बोला।

कमला शर्माकर चेहरे को हाथों से छुपा लिया फिर बोली…बस भी करिए मुझे बहुत शर्म आ रहीं हैं।

रघु.. शर्म आने वाली ऐसा कुछ कहा ही नहीं फिर भी तुम्हें शर्म आ रहीं हैं तो सुनो मैं तुम्हें अच्छे से समझता हूं…।

कमला रघु के बात को बीच में कटते हुए बोली...नहीं नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना अपने आगे बोला तो मैं कमरे से बाहर चली जाऊंगी।

रघु...न मैं तो बोलूंगा ही सुनो…।

रघु वाक्य पूरा बोलता उससे पहले ही कमला बेड से नीचे उतरने लगीं तब कमला का हाथ पकड़कर रोका फ़िर रघु बोला...कहा जा रहीं हों मैं जो कह रहा हूं वो सुनो हम दोनों की शादी हुआ हमारे मिलन से आगे जाकर बच्चे होंगे। मुझे और मेरे परिवार को तुम्हारा दिया हुआ बच्चा किसी अनमोल गिफ्ट से कम कैसे हों सकता हैं। तुम ही बताओं मुझे इससे सुंदर, अदभुत और बहुमूल्य गिफ्ट तुम दे सकती हों।

रघु बोल रहा था और कमला आंखे फाड़े रघु को देख रहीं थीं। रघु का वाक्य खत्म हुआ फिर कमला मन में बोली... मैं किया सोच रहीं थी और ये कुछ ओर ही सोच रहे थे। कितने अच्छे ख्याल हैं मेरे लिए इनसे अच्छा लड़का ओर कौन हों सकता था। अगर मेरी शादी सच में टूट जाती या उस घटना के बाद शादी करने से माना कर देते तो शायद ही मुझे इनसे अच्छा लड़का मिल पाता मैं बहुत खुश नसीब हूं जो मुझे इनके जैसा पति मिला।

कमला को सोच में मग्न देखकर रघु बोला... कमला क्या सोच रहीं हों?

कमला…आप'का ख्याल कितना अनूठा हैं। मैं कुछ ओर ही सोच बैठी थीं। आप ने बोला कुछ ओर बस इसी बारे में ही सोच रहीं थीं।

कमला बोलने को तो बोल दिया पर बोलते ही शर्मा कर नज़रे झुका लिया फिर चेहरे को हाथों से छुपा लिया। मुस्कुराते हुए रघु बोला…कमला जो तुमने सोचा वो भी सच हैं लेकिन मुझे जो ठीक लगा मैंने कहा दोनों अपने अपने जगह ठीक हैं। इसलिए तुम्हें शर्माने की जरूरत नहीं हैं।

इतना कहकर रघु, कमला के हाथ को हटाना चाहा पर कमला हटा ही नहीं रहीं थी बल्कि ओर कश'के हाथ को चेहरे से चिपका लिया। ज्यादा जोर जबरदस्ती करना रघु को ठीक नहीं लगा इसलिए रघु चुप चाप बैठ गया। रघु का छिना झपटी करना कमला को सुहा रही थीं। इसलिए कमला जानबूझ कर हाथ नहीं हटा रहीं थीं। एकाएक रघु के चुप बैठ जाने से कमला को लगा रघु नाराज हों गया होगा। इसलिए धीरे धीरे हाथों को हटाकर नज़रे ऊपर को उठाया फ़िर रघु की ओर देखा।

कमला को हाथ हटाते देखकर रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया। पति को मुस्कुराते देखकर कमला भी मुस्कुरा दिया फिर रघु बोला…कमला शर्माना हो गया हों तो आगे बढ़े रात बहुत हों गया हैं ऐसे ही शर्माते रहें तो हमारी पहली रात काली हों जाएगी।

कमला फिर से शर्मा गई और चेहरे को हाथों से छुपा लिया। रघु उठकर गया, लाइट को बुझाकर नाईट लैंप जला दिया फिर आ'कर कमला के सामने बैठ गया। रघु के दुबारा बैठने से कमला के तन बदन में सिरहन दौड़ गई नसे झनझना उठा जिस्म के रोए रोए खड़े हों गए। वैसा ही हल रघु का था। पहल करें की न करें कुछ क्षण सोच विचार करते हुए बीता दिया फिर शर्म हया को तक पर रखकर रघु आगे बढ़ा और कमला के माथे पर चुम्बन अंकित कर दिया। पहल पति से होता देखकर कमला को अच्छा लगा। किंतु शर्म हया को एक नारी होने के नाते इतनी जल्दी कैसे छोड़ सकती थीं इसलिए शर्माते हुए धीरे धीर आगे बढ़ने लगीं। कमला से सहमति मिलते ही रघु खुद को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाया।

दोनों सुहागरात में होने वाले पहले मिलन के अदभुत क्षण में खो गए। जीवन के एक नया अध्याय को अपने तरीके से लिखने की शुरूवात दोनों का हों चूका था। इस अध्याय के कोरे पन्नों को किन किन रंगो से सजाना है कौन से कला कृति कोरे पन्नों में अकना हैं दोनों को अपने सूझ बूझ से ही करना था।

दोनों नव दंपत्ति काम कीड़ा में मग्न थे वहीं दूसरे कमरे में रमन शालू की यादों में खोया हुआ था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था क्या करें क्या न करें। कभी धड़कने बे तरतीब बढ़ जाएं तो कभी समय रुकता सा लगें अजीब अजीब से ख्याल मन में आ रहा था। शालु से बात कर लेता तो कैसा होता क्या उसके मन में भी वैसा ही चल रहा होगा जैसा मेरे मन में चल रहा हैं। उसने हाथ हिलाकर बाय क्यों कहा कुछ तो उसके मन में चल रहा होगा।

जैसे शालू मुझे पसन्द आ गया क्या मैं भी शालू को पसन्द आ गई। हां हां शालू जरूर मुझे पसन्द करती होगी अगर पसन्द नहीं करती तो बार बार नज़रे चुराकर मुझे क्यों देखती। मेरी नज़रे उससे मिलते ही क्यों मुस्कुराकर नज़रे चुरा लेती। क्या ये सिर्फ़ आकर्षण हैं या प्यार की शुरूवात कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करू किस'से पुछु मुझे इतनी बेचनी क्यों हों रहा हैं। क्या शालू भी मेरी तरह बेचैन हों रही होगी? ख्याली पुलाव पकाते पकाते न जानें रमन कब नींद की वादियों में खो गया।

सुबह के समय कमला का नींद टूटा, अंगड़ाई लेकर जकड़न को दूर करना चाहा, पर ले नहीं पाई खुद को बाहों में जकड़ा हुआ अनुभव कर कमला ने आंखे खोल लिया, खुद को पति के बाहों में देखकर मन मोहिनी मुस्कान बिखेर दिया फिर बोली.. सोते हुए कितना हसीन और मासूम लग रहे हैं। रात भर मुझे बाहों में लेकर सोते रहे, कितनी सुहानी रात बिता उठने का मन ही नहीं कर रहा है। मन कर रहा है आप'की बाहों में सोता रंहू लेकिन सो नहीं सकती उठना ही पड़ेगा आज पहला दिन हैं देर से उठी तो कहीं सासु मां ये न कहे बहू बहुत अलसी हैं।

रघु नींद में भी कमला को कस के बाहों में जकड़ा हुआ था। कमला खुद को रघु की बाहों से निकलना चाही लेकिन निकाल नहीं पाई तो मुस्कुराते हुए बोली... इतना कस'के जकड़े हैं जैसे मैं कही भाग जाऊंगी मैं कहीं नही जानें वाली आप'की बाहों में मुझे जिन्दगी बिताना हैं।

रघु को आवाज दे'कर जगाया रघु नींद में कुनमुनाते हुए बोला…क्या हुआ कमला सो जाओ अभी सुबह नहीं हुआ।

कमला…आप'के लिऐ नहीं हुआ मेरे लिए सुबह हों गई हैं आप छोड़िए नहीं तो मुझे देर हों जाएगी।

कहने पर भी रघु छोड़ नहीं रहा था। तो कमला बोली…. छोड़िए न मुझे देर हों रही है।

न चाहते हुए भी रघु को हाथ हटाना पड़ा फिर कमला उठ गई। कपड़े लिया फिर बाथरूम में चली गई। कुछ वक्त में बाथरूम से बाहर निकलकर श्रृंगार किया फिर बाहर जाते हुए एक नज़र रघु को देखा फिर दरवाज़े तक गई। दरवाज़ा खोलते खोलते रुक गई और मुड़कर रघु को एक नज़र देखा फिर दरवाज़ा खोलकर रूम से बाहर चली गई।


आज के लिऐ इतना हैं आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏
कमला का झुनझुना और रघु की लाठी का तकरार
रघु है बेकरार और कमला करे करार . 🤭

चटनी बिना लागे समोसा फीका , चटनी भी आएगी कर लो भरोसा.
शालु अमन कि इडली है तो अमन उसका डोसा
हो जाए फिर गरम एक बोसा. क्योंकि जब तक रहेगा समोसे में आलू ,अमन के दिल में रहगी शालू 🤭
 

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