Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

Active member
943
4,635
125
अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
Last edited:
Eaten Alive
4,118
4,186
143
ye akbar ke jaanne mein priyanka, malaika arora kaha se aa gayi.... aur wo saleem ke kamre ka wifi :roflol:
aur ye kya hero ko anaarkali bana diya 3D ne :roflol: Iske gharwalo dekh liya hota to hungama hona tay tha :D

so subhah chaahate kar bhi manohar ji shaadi ke riste ki baat nahi kar paaye apne bete se... jisse shanti ji ashaant hoke apne pati ko taane maarne lagi.... shanti ji ki pareshaaniya kam thi jo isme sone pe suhaga karne meera ki bua aur bua ki beti unke ghar tapki....

Som mati ne isbaar mann banake aayi hai ki kaise bhi karke apni beti charu ka rista aayush sang tay ho jaaye.... even meera bhi yahin chaahti hai...

Main to meera ko aayush ki achhi bhabhi samajhti thi.... ye lekin ye to kuch aur hi nikli..... Hmm...to thodi bahot matlabi swaarthi meera bhi hai.... so dono milke planning karne lagi ki kaise bhi karke charu ko us ghar ki bahu banayi jaaye..
waise ek kirdaar mere favorite characters ki list mein saamil hone wali hai...
aur wo koi aur nahi balki charu hai...
uski maasoomiyat aur bholepan ne dil jeet liya hai.....
Btw xp se LW tak kuch chuninda kirdaar hi hai jo favorite characters ki list mein jagah bana paaye hai... ab usme se ek ye kirdaar charu bhi favorite one hone wali hai...
so ab jab ye favorite characters category pe aa rahi hai to mujhe yakin hai ki DREAMBOY40 sahab ke aapki is story ke baaki ke kirdaar logis ise hurt na kare... warna ye sabhi kirdaar consequences ke liye taiyar rahe :D


Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi...

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
 
A

Avni

UPDTAE 003


पिछले भाग मे शुक्ला भवन के बारे मे आप सभी ने पढा और यहा कैसे किस किरदार मे लोग है वो भी आप समझ ही गये होगे । नायक की माता को उनके लडके के शादी की चिन्ता है और वही उसके पिता को उसके दुर जाने की और इन सब से अलग हमारे नायक को आज के अपने परफोर्मेंस की चिन्ता है तो चलिये ले चलते है आपको मिस मनोरमा इंटरमिडिएट कालेज नवाबगंज , कानपुर
जहा 3D भैया की अल्बेला ड्रामा कम्पनी आज के अनुवल प्रोग्राम मे एक नाट्य पेश करने जा रही है ।

अब आगे

मिस मनोरमा कालेज का सेमिनार हाल तालियो की गड़गड़ाहट और सिटीयो की आवाज से गूंज रहा था क्योकि अभी अभी कार्यक्रम के संचालक महोदय ने एक हास्य नाट्य प्रस्तुत होने की घोषणा की थी ।

स्टेज का पर्दा खुलता है और सामने दीन-ए-इलाही जलालुद्दीन मुहम्मद बादशाह ए अकबर का सेट लगा हुआ था ।
मन्च पर सामने की तरफ अकबर अपने आसन पर बिराजमान थे और 3 मंत्रीयो और शह्जादे सलीम की तसरिफ भी ऐसे ही लगाई गयी थी की audience को उनका लूक सही से दिखे ।
कुछ पहरेदार भी खडे थे
स्टेज के एक किनारे म्यूज़िक टीम ने अपना तासा बजाया जिससे आभास हो गया कि सभा की शुरुवात हो गयी थी ।

तभी एक गाने की तर्ज पर एक नर्तकी ने बगल से आकर अपना चेहरा ढके हुए एक नृत्य पेश किया और फिर बादशाह सलामत की पैरवी कर पीछे हट गयी ।

अकबर एक तुकबंदी भरे अंदाज मे - दिवान जी ,,, आज इस कनिज से क्यू किया कोटा पुरा ,, आखिर अरे कहा है हमारी मलाइका अरोरा

सेट पर एक बगल का मंत्री खड़ा होता है - माफी हुजूर , लेकिन अनारकली को हो गया है गुरुर


अकबर थोडा रोब मे - अगर हो गया है उसे गुरुर
तो निकाल फेको उसे महल से दुर
और खोजो कोई नयी गीता कपूर
दिवान - जी हुजूर , अभी बजवा देते नगर मे डँका, मिल ही जायेगी कोई प्रियंका

एक तरफ जहा स्टेज पर सामने रंगमच जमा हुआ अपने जोर पर था वही स्टेज के पीछे आयुष बाबू अपने रोल का ड्रेसअप किये नर्वश हुए जा रहे थे और बार बार डायलाग की पर्ची पढ रहे थे ।

तभी 3D भागता हुआ आता है तो आयुष को पसीना बहाते देख - अबे का यार शुक्ला , काहे इतना नरभसाय रहे हो

आयुष झल्ला कर - यार हमसे ना होगा ये ,, एक भी डायलोग हम याद नही कर पा रहे है

3D - यार अब तुम्हाये सीन का समय हो गया है तो तुम अपनी नौटंकी ,,,,,,

तभी बाहर आयुष के सीन के लिए पर्दा गिरता है तो 3D उसका हाथ पकड कर खिच कर स्टेज पर ले जाता है।

3D आयुष को समझाते हुए - बाबू तुम बस अपनी ये अनारकली वाली अदाये दिखाना बाकी डायलोग हम बगल से बोलते रहेन्गे ,,और कोसिस करना की जब डायलोग चले तो अपना मुह छिपा लेना

तबतक सलमान जो सलीम के रोल मे था वो आता है - 3D भैया जल्दी करो रोल का समय होई रहा है

फिर सारे लोग अपने काम पर लग जाते है और एक बगीचे के सीन पर मंच का पर्दा खुलता है ।
अनारकली ( आयुष) एक पेड़ के किनारे खड़ा होती है और सलीम( सलमान) उसके पीछे एक गुलाब लेके खड़ा होता है ।

सलीम - आज तुम दरबार मे क्यू नही आई अनारु

3D के कहे अनुसार आयुष तुरंत मूह फेर लेता है और बगल से 3D अनारकली का डायलोग बोलता है -- हम अब दरबार नही जाना चाहते है शहजादे ,

क्योकि ठीक नही है बादशाह सलामत के इरादे ।।

सलीम एक कदम आगे जाकर अनारकली के कन्धे पकडता है जिससे आयुष थोडा खुद को uncomfortable मह्सूस करता है

सलीम - अब यू ना रुस्वा हो मेरी जान ,
आखिर बुड्ढों के भी होते है अपने अरमान ।


इधर audience मे हसी और तालिया सिटिया जोरो पे होती है

आयुष सलमान से थोडी दुर होकर खड़ा हो जाता है
अनारकली आहे भरने के भाव मे - आखिर कब मुझे सहना पडेगा ,,
थके पैरो मे झन्दू बाम मलना पडेगा ।।


सलमान वापस से आयुष के कन्धे पकड लेता है
सलीम - तुम ही बताओ मै क्या करु ये हसिना ,
जब बाप ही मिला है मुझे कमीना ।।


अनारकली (आयुष ) अपना चेहरा सलीम के तरफ घुमाकर - जीना है साथ मे तो पल पल यू मारना क्या,
और जब प्यार किया है तो डरना क्या ।।



ये डायलोग खतम होते ही आयुष यानी अनारकली सेट से हट जाती है ।

वही सलीम थोडा रोने का नाटक कर निचे बैठते हुए - अगर मैने ये अब्बा को बता दिया तो कयामत आ जायेगी ,
घर से निकलना तो दुर कमरे की वाईफाई भी बन्द हो जायेगी ।।


इधर पर्दा गिरता है और एक नये सीन की फटाफट तैयारी होती है

उधर आयुष पीछे जाकर बैठ जाता है और कपडे निकलता है तब तक 3D हसते हुए - अबे यार मस्त छमिया लग रहे थे बे
और आयुश के गाल खीचता है

आयुष झल्ला कर - अबे हटो बे ,,,साले तुम्हाये चक्कर मे तुम्हारा सलीम हमको सच की अनारकली समझ बैठा था,,,,

3D हसने लगता है
आयुष झल्ला कर - अबे हसो मत 3D ,,,,फट रही थी हमारी यार

आयुष कपड़े बदलते हुए - अब चलो तुम्हारा काम हो गया छोड दो हमे घर

3D उसके कन्धे पर हाथ रख हसते हूए - अबे इतना चौकस परफारमिन्स दिये हो बे थोडा देख तो लो तुम्हारा आशिक का कर रिया है स्टेज पर

फिर वो दोनो वापस मन्च के बगल मे खडे होकर बाकी बचे नाट्य का आखिरी सीन देख रहे होते है । जहा अकबर और सलीम के बीच जुगलबंदी भरे हास्य संवाद चल रहे होते है ।

अकबर - सलीम तुम ऐसा करोगे हमे ज्ञान ना था ,
थोडा भी अपने अब्बा के अरमानो का ध्यान ना था।।


सलीम - अब्बा हुजूर अनारु मेरी है ये जान लो ,
करवा दो निगाह हमारा और अपनी बहू मान लो।।


अकबर रोश मे - हमे ही नही तुम्हारी मा को भी नागवार होगा
जब एक कनिज के लिए बाप बेटे मे मार होगा।।


ये बोलकर अकबर दुसरी से मन्च से हट जाता है
सलीम दुखी होने के भाव मे - ना खुदा मिला ना मिसाले सनम ,
बाप बाप होता है ये समझ गये हम।।


सलीम और अकबर के बीच के संवाद से आयुष भी बहुत हस रहा था वही audience भी फुल जोश मे तालीया सिटिया बजा रही थी ।

तभी मन्च का पर्दा गिरता है और संचालक नाट्य समाप्ति की घोषणा करता है ।

इधर 3D और आयुष भी निकल जाते है घर के लिए
रास्ते मे वो एक रोड साइड ठेले पर छोले भटूरे खाते है और फिर समय से 11 बजे तक घर आ जाते है ।


अगली सुबह
सारे लोग नास्ते के लिए हाल मे इकठ्ठा होते है

शान्ति , मनोहर जी को आयुष की तरफ इशारा करती है तो मनोहर जी उनहे इत्मीनान होने का कहते है ।
इधर नासता खतम होता है और आशिष दुकान के लिये निकलता हुआ --- ठीक है बाऊ जी हम दुकान के लिए निकल रहे है

आयुष - भैया हम भी चले दुकान , यहा घर मे बोर हो जाते है बैठे बैठे

अशीष एक नजर अपने पिता को देखता है लेकिन वो मना भी नही कर सकता था तो मनोहर जी हा मे इशारा करते है

आशिष हस कर - हा हा क्यो नही आओ चलो
फिर आयुष भी आशिष के साथ निकल जाता है दुकान के लिए

इधर इन दोनो के जाते ही शान्ति भडक जाती है
शान्ति भड़के हुए स्वर मे - इ का कर रहे है अशीष के बाऊ जी , हा , बात काहे नाही किये ब्च्चु से

मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे अशीष की अम्मा ,, काहे परेशान हो , आयुष के शहर जाये मा अभी 4 दिन का बख्त है

शांति थोडा गुस्से मे समझाते हुए - अरे इहे 4 दिन के इन्तेजार मे 24 साल बीत गवा ,
मनोहर शान्ति के तानो से चुप हो जाते है और उनको भी शान्ति की बाते सही लगती है। वो तय करते है कि आज किसी भी तरह वो आयुष से बात करेंगे ही ।
इधर मनोहर जी अपनी चिन्ता मे दुबे हुए थे और उधर नवाबगंज बस स्टैंड पर लोहिया बस परिवहन के कानपुर डिपो से कहानी मे नये किरदारो ने एन्ट्री लेली थी ।

सोनमती मिश्रा
images-3
रिश्ते मे ये शुक्ला भवन की इंचार्ज मीरा शुक्ला की सगी बुआ है और फतेहपुर - कानपुर बार्डर के पास एक गाव चौबेपुर से है । स्वभाव से काफी हसमुख और चंचल है लेकिन जहा स्वार्थ सिद्ध हो रहा हो वहा इनका भाव बदल जाते है ।
और आज इनके साथ आई थी इनकी सुपुत्रि

चारु मिश्रा
20211113-191827
उम्र 22 साल हो गयी है लेकिन समय के साथ मेच्योर नही हो पाई है । बचपना और भूलने की आदत से इनकी अम्मा यानी सोनमती मिश्रा बहुत परेशान होती है इसिलिए कोई खास इज्जत मिलती नही है इनको ।


तो मिश्राइन ने बड़ी जद्दोजहद के बाद एक औटो कर लिया जो कम पैसे मे उनको शिवपूरी कालोनी के शुक्ला भवन मे ले जा सके ।

थोडी ही देर मे औटो शुक्ला भवन के गेट पर रुकता है ।
दो भारी भरकम बैग चारु से खिचवाते हुए और एक झोला खुद हाथो मे लेके मिश्राइन शुक्ला भवन मे प्रवेश करती है ।
सोनमती - मिराआ ये मिराआआ

सोनमती मीरा को आवाज देती हुई हाल मे घुस्ती है
मीरा किचन से बाहर आते हुए - अरे सोनमती बुआ आप
मीरा झुक कर सोनमती के पैर छूटी है

वही हाल मे बैठी शान्ति मुह बनाते हुए मनोहर से फुसफुसाती है - अब इ भईसिया की कमी थी जे भी आ गयी
मनोहर - अरे कभी अपने नाम का ही लाज रख लिया करो आशिष की अम्मा ,,,मेहमान है बसने थोडी आये है

शान्ति - देख नाही रहे पुरा बक्सा भर समान पसार दी है आते ही
मनोहर शान्ति की बात पर हस देते है

इधर मीरा चारु से मिलती है और उसका बैग लेके उसको हाल मे बैठने को बोलती है

सोनमती हाल मे लगे चौकी पर बैठते हुए - नमस्ते भाई साब ,, नमस्ते जीजी

शांति भी अपने जज्बात दबा कर - नमस्ते , और आज बडी सुबह सुबह मिश्राइन

सोनमती ह्स कर - अरे ऊ तो हम इ चारु ,,,
सोनमती चारु को डांटते हुए - हे पगली ,, चल नमस्ते कर जीजी और भाईसाब को

चारु बैठे बैठे ही हाथ जोड लेती है
इधर शान्ति देवी अपनी बात फिर से रखती उससे पहले मीरा एक ट्रे मे बिस्कुट और चाय लेके आ जाती है

मीरा वही चारु के बगल मेखडे होते हुए - लेओ बुआ नासता करो , लेओ चारु तुम्हू

मीरा - औ बताओ बुआ , चौबेपुर मे सब कइसे है

सोनमती बिस्किट डुबो कर खाती हुई - चौबेपुर मा तो सब ठीक है
मनोहर - और आने कौनौ तकलीफ तो ना हुई ना चारु की अम्मा

सोनमती हस कर - ना ना भाईसाब , सब ठीक ठाक रहा
मनोहर हाल मे पडे बैग को इशारे से दिखा कर - फिर इधर कैसे आना हुआ

सोनमती थोडा सोच मे पड़ गयी और कुछ जवाब देने मे हिचकने लगी ,उसकी हालत खराब होते देख मीरा बोलती है

मीरा चहक कर - बाऊजी , उ चारु के इही नवाबगंज के उनीभरसिटी मा एडमिशन मिलो हो , तो वही लिया हैगी

चारु इसपे कुछ बोलना चाहती है लेकिन मीरा ने उसका कन्धा दबा कर चुप किया उसे


मनोहर जी ने आगे कुछ नही कहा और शान्ति जी तो बात करने के मूड मे नही थी ।
फिर मीरा , सोनमती बुआ और चारु को लिवा के उन्के समान के साथ उपर गेस्टरूम मे चली गयी ।

गेस्टरूम मे कमरे का दरवाज बन्द होते ही
मीरा सोनमती पर चिल्लाती है - जे का लहभर लेके आ गयी तुम बुआ , , अभी से दहेज का समान उठा लाई का

मीरा गरमाते हुए - जे हम तुमको बोले थे कि ऐसे आना की कुछ अजीब ना लागे ,,,

सोनमती - जे हम तो सोचे कि आयुष हमायी चारु को परसन्द कर लोगो तो लगे हाथ सगुन करवा देबे

मीरा अपने सर पर हाथ रख कर बिस्तर पर बैठ जाती है ।

सोनमती थोडी चिन्ता के भाव मे - का हुआ मीरा ,,कपार दर्द करी रहा है का

मीरा झ्ल्लाते हुए - कपार दर्द तो तुम खुद बन गयी हो बुआ ,,,जे हम तुम को लाख बार समझाये थे

तभी मीरा को चारु नजर नही आती है
मीरा - जे चारु कहा गयी अब ,,,हे भोलेनाथ का करे हम

चारु वही कमरे मे दोनो बैग खोल कर अपने सारे समान निकाल कर फैला रही होती है

सोनमती - हे पगली छोड ऊ सब
मीरा परेशान होकर - जे पगली ऐसी रहेगी तो कैसे आयुष इको परसन्द करोगो

सोनमती मीरा को पालिश लगाती हुई - अच्छा सुन छोड उ सब हम तुम्हारे लिये चौबेपुर से साडी लाये है ।

मीरा थोडा पिघल जाती है और फिर थोडी देर बाद मीरा और सोनमती अपनी प्लानिंग करते है कि कैसे घर मे सबको शादी के तैयार करे और कैसे आयुष हा करे ।
इधर आयुष बाबू हमारे पहली बार दुकान पर बैठे थे तो अशीष शुक्ला ने इनको ओर्डेर वाले काउंटर पर बिठा दिया ।

आयुष बाबू की हिन्दी लिखावट थोडी कमजोर थी तो उनको ओर्डेर लेने मे भी सम्स्या हो रही थी थोडी तो कैसे भी करके मैनेज कर रहे थे ।
ऐसे मे उन्ही की मुहल्ले की दो लड़कीया आती है दुकान पर

अब आयुष बाबू कम हीरो थोडी थे और आज तो दुकान के लिये अलग से अच्छी राउंड नेक वाली नेवी ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहने थे ।

तभी वो लडकीयो मे एक लडकी जिसका नाम मोनी था ।
वो बिना आयुष को देखे अपनी पर्ची पढते हुए - भैया सवा पौवा मोतीचुर के लड्डु ,, पौना पौवा हलुआ सोहन ,, 3 किलो सेव और पपड़ी

हीरो मोनी और उसकी सहेली को देख कर हसी छूट जाती है
तभी मोनी की सहेली उसको रोकते हुए एक नजर सामने देखने को कहती है
मोनी हीरो को देख कर आंखे बड़ी कर लेती है और उसको मुह रोने जैसे हो जाता है ,,, क्योकि वो मोनी आयुष बाबू की मुहल्ले की दिवानीयो मे से एक होती है और आयुष को अनजाने मे भैया बोल कर वो खुद के पैर पर कुलहाडी मार लेती है

आयुष जो कि उसे पता होता है कि मोनी उसके लिये चिपकु है तो आज उसे भी मौका मिल गया छूटकारा पाने का

आयुष उसका मजा लेते हुए - जी बहन जी ये 3 किलो सेव और पापडी तो समझ आ गया लेकिन ये सवा पाव और पौवा पाव क्या होता है ।

मोनी जैसे ही आयुष के मुह से बहन जी सुनती है उसका चेहरा और भी रोने जैसा हो जाता है वही उसकी सहेली हस रही होती

मोनी रोते हुए समान की पर्ची अपनी सहेली को देके भाग जाती है
फिर आयुष और वो दुसरी लडकी हसने लगते है ।

आयुष मजे लेते हुए - वैसे इन्हे क्या हुआ , रो क्यू रही थी
मोनी की सहेली हस्ते हुए - कुछ नही , दिल टूटा है बेचारी का ,,,आप ये ओर्डेर लिख लिजिये और घर भिजवा दिजियेगा मोनी के ,मै चलती हू

आयुष हस्ते हूए उस लड़की से पर्ची ले लेता है
और वो चली जाती है

जारी रहेगी
amazing update. kafi funny tha sabhi ka rawaya. 3D ne ayus ko anarkali bana diya.
to meera ne bua ji aur charu bulava bheja, kyu ki meera chahti hai, kaise bhi karke charu ki shadi ayus ke sath ho jaye, fir dono bahne raj kare ghar par. par iski umid kam hi lagti hai. ayus ki mom ko bua ji waese bhi pasand nahi . aur jis ladke par maholle ki itni ladkiya marti hai, lekin kisko bhao tak nahi deta , wo bhala charu se kyu shadi karne ke liye raji hoga.
 
expectations
23,522
15,522
143
UPDTAE 003


पिछले भाग मे शुक्ला भवन के बारे मे आप सभी ने पढा और यहा कैसे किस किरदार मे लोग है वो भी आप समझ ही गये होगे । नायक की माता को उनके लडके के शादी की चिन्ता है और वही उसके पिता को उसके दुर जाने की और इन सब से अलग हमारे नायक को आज के अपने परफोर्मेंस की चिन्ता है तो चलिये ले चलते है आपको मिस मनोरमा इंटरमिडिएट कालेज नवाबगंज , कानपुर
जहा 3D भैया की अल्बेला ड्रामा कम्पनी आज के अनुवल प्रोग्राम मे एक नाट्य पेश करने जा रही है ।

अब आगे

मिस मनोरमा कालेज का सेमिनार हाल तालियो की गड़गड़ाहट और सिटीयो की आवाज से गूंज रहा था क्योकि अभी अभी कार्यक्रम के संचालक महोदय ने एक हास्य नाट्य प्रस्तुत होने की घोषणा की थी ।

स्टेज का पर्दा खुलता है और सामने दीन-ए-इलाही जलालुद्दीन मुहम्मद बादशाह ए अकबर का सेट लगा हुआ था ।
मन्च पर सामने की तरफ अकबर अपने आसन पर बिराजमान थे और 3 मंत्रीयो और शह्जादे सलीम की तसरिफ भी ऐसे ही लगाई गयी थी की audience को उनका लूक सही से दिखे ।
कुछ पहरेदार भी खडे थे
स्टेज के एक किनारे म्यूज़िक टीम ने अपना तासा बजाया जिससे आभास हो गया कि सभा की शुरुवात हो गयी थी ।

तभी एक गाने की तर्ज पर एक नर्तकी ने बगल से आकर अपना चेहरा ढके हुए एक नृत्य पेश किया और फिर बादशाह सलामत की पैरवी कर पीछे हट गयी ।

अकबर एक तुकबंदी भरे अंदाज मे - दिवान जी ,,, आज इस कनिज से क्यू किया कोटा पुरा ,, आखिर अरे कहा है हमारी मलाइका अरोरा

सेट पर एक बगल का मंत्री खड़ा होता है - माफी हुजूर , लेकिन अनारकली को हो गया है गुरुर


अकबर थोडा रोब मे - अगर हो गया है उसे गुरुर
तो निकाल फेको उसे महल से दुर
और खोजो कोई नयी गीता कपूर
दिवान - जी हुजूर , अभी बजवा देते नगर मे डँका, मिल ही जायेगी कोई प्रियंका

एक तरफ जहा स्टेज पर सामने रंगमच जमा हुआ अपने जोर पर था वही स्टेज के पीछे आयुष बाबू अपने रोल का ड्रेसअप किये नर्वश हुए जा रहे थे और बार बार डायलाग की पर्ची पढ रहे थे ।

तभी 3D भागता हुआ आता है तो आयुष को पसीना बहाते देख - अबे का यार शुक्ला , काहे इतना नरभसाय रहे हो

आयुष झल्ला कर - यार हमसे ना होगा ये ,, एक भी डायलोग हम याद नही कर पा रहे है

3D - यार अब तुम्हाये सीन का समय हो गया है तो तुम अपनी नौटंकी ,,,,,,

तभी बाहर आयुष के सीन के लिए पर्दा गिरता है तो 3D उसका हाथ पकड कर खिच कर स्टेज पर ले जाता है।

3D आयुष को समझाते हुए - बाबू तुम बस अपनी ये अनारकली वाली अदाये दिखाना बाकी डायलोग हम बगल से बोलते रहेन्गे ,,और कोसिस करना की जब डायलोग चले तो अपना मुह छिपा लेना

तबतक सलमान जो सलीम के रोल मे था वो आता है - 3D भैया जल्दी करो रोल का समय होई रहा है

फिर सारे लोग अपने काम पर लग जाते है और एक बगीचे के सीन पर मंच का पर्दा खुलता है ।
अनारकली ( आयुष) एक पेड़ के किनारे खड़ा होती है और सलीम( सलमान) उसके पीछे एक गुलाब लेके खड़ा होता है ।

सलीम - आज तुम दरबार मे क्यू नही आई अनारु

3D के कहे अनुसार आयुष तुरंत मूह फेर लेता है और बगल से 3D अनारकली का डायलोग बोलता है -- हम अब दरबार नही जाना चाहते है शहजादे ,

क्योकि ठीक नही है बादशाह सलामत के इरादे ।।

सलीम एक कदम आगे जाकर अनारकली के कन्धे पकडता है जिससे आयुष थोडा खुद को uncomfortable मह्सूस करता है

सलीम - अब यू ना रुस्वा हो मेरी जान ,
आखिर बुड्ढों के भी होते है अपने अरमान ।


इधर audience मे हसी और तालिया सिटिया जोरो पे होती है

आयुष सलमान से थोडी दुर होकर खड़ा हो जाता है
अनारकली आहे भरने के भाव मे - आखिर कब मुझे सहना पडेगा ,,
थके पैरो मे झन्दू बाम मलना पडेगा ।।


सलमान वापस से आयुष के कन्धे पकड लेता है
सलीम - तुम ही बताओ मै क्या करु ये हसिना ,
जब बाप ही मिला है मुझे कमीना ।।


अनारकली (आयुष ) अपना चेहरा सलीम के तरफ घुमाकर - जीना है साथ मे तो पल पल यू मारना क्या,
और जब प्यार किया है तो डरना क्या ।।



ये डायलोग खतम होते ही आयुष यानी अनारकली सेट से हट जाती है ।

वही सलीम थोडा रोने का नाटक कर निचे बैठते हुए - अगर मैने ये अब्बा को बता दिया तो कयामत आ जायेगी ,
घर से निकलना तो दुर कमरे की वाईफाई भी बन्द हो जायेगी ।।


इधर पर्दा गिरता है और एक नये सीन की फटाफट तैयारी होती है

उधर आयुष पीछे जाकर बैठ जाता है और कपडे निकलता है तब तक 3D हसते हुए - अबे यार मस्त छमिया लग रहे थे बे
और आयुश के गाल खीचता है

आयुष झल्ला कर - अबे हटो बे ,,,साले तुम्हाये चक्कर मे तुम्हारा सलीम हमको सच की अनारकली समझ बैठा था,,,,

3D हसने लगता है
आयुष झल्ला कर - अबे हसो मत 3D ,,,,फट रही थी हमारी यार

आयुष कपड़े बदलते हुए - अब चलो तुम्हारा काम हो गया छोड दो हमे घर

3D उसके कन्धे पर हाथ रख हसते हूए - अबे इतना चौकस परफारमिन्स दिये हो बे थोडा देख तो लो तुम्हारा आशिक का कर रिया है स्टेज पर

फिर वो दोनो वापस मन्च के बगल मे खडे होकर बाकी बचे नाट्य का आखिरी सीन देख रहे होते है । जहा अकबर और सलीम के बीच जुगलबंदी भरे हास्य संवाद चल रहे होते है ।

अकबर - सलीम तुम ऐसा करोगे हमे ज्ञान ना था ,
थोडा भी अपने अब्बा के अरमानो का ध्यान ना था।।


सलीम - अब्बा हुजूर अनारु मेरी है ये जान लो ,
करवा दो निगाह हमारा और अपनी बहू मान लो।।


अकबर रोश मे - हमे ही नही तुम्हारी मा को भी नागवार होगा
जब एक कनिज के लिए बाप बेटे मे मार होगा।।


ये बोलकर अकबर दुसरी से मन्च से हट जाता है
सलीम दुखी होने के भाव मे - ना खुदा मिला ना मिसाले सनम ,
बाप बाप होता है ये समझ गये हम।।


सलीम और अकबर के बीच के संवाद से आयुष भी बहुत हस रहा था वही audience भी फुल जोश मे तालीया सिटिया बजा रही थी ।

तभी मन्च का पर्दा गिरता है और संचालक नाट्य समाप्ति की घोषणा करता है ।

इधर 3D और आयुष भी निकल जाते है घर के लिए
रास्ते मे वो एक रोड साइड ठेले पर छोले भटूरे खाते है और फिर समय से 11 बजे तक घर आ जाते है ।


अगली सुबह
सारे लोग नास्ते के लिए हाल मे इकठ्ठा होते है

शान्ति , मनोहर जी को आयुष की तरफ इशारा करती है तो मनोहर जी उनहे इत्मीनान होने का कहते है ।
इधर नासता खतम होता है और आशिष दुकान के लिये निकलता हुआ --- ठीक है बाऊ जी हम दुकान के लिए निकल रहे है

आयुष - भैया हम भी चले दुकान , यहा घर मे बोर हो जाते है बैठे बैठे

अशीष एक नजर अपने पिता को देखता है लेकिन वो मना भी नही कर सकता था तो मनोहर जी हा मे इशारा करते है

आशिष हस कर - हा हा क्यो नही आओ चलो
फिर आयुष भी आशिष के साथ निकल जाता है दुकान के लिए

इधर इन दोनो के जाते ही शान्ति भडक जाती है
शान्ति भड़के हुए स्वर मे - इ का कर रहे है अशीष के बाऊ जी , हा , बात काहे नाही किये ब्च्चु से

मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे अशीष की अम्मा ,, काहे परेशान हो , आयुष के शहर जाये मा अभी 4 दिन का बख्त है

शांति थोडा गुस्से मे समझाते हुए - अरे इहे 4 दिन के इन्तेजार मे 24 साल बीत गवा ,
मनोहर शान्ति के तानो से चुप हो जाते है और उनको भी शान्ति की बाते सही लगती है। वो तय करते है कि आज किसी भी तरह वो आयुष से बात करेंगे ही ।
इधर मनोहर जी अपनी चिन्ता मे दुबे हुए थे और उधर नवाबगंज बस स्टैंड पर लोहिया बस परिवहन के कानपुर डिपो से कहानी मे नये किरदारो ने एन्ट्री लेली थी ।

सोनमती मिश्रा
images-3
रिश्ते मे ये शुक्ला भवन की इंचार्ज मीरा शुक्ला की सगी बुआ है और फतेहपुर - कानपुर बार्डर के पास एक गाव चौबेपुर से है । स्वभाव से काफी हसमुख और चंचल है लेकिन जहा स्वार्थ सिद्ध हो रहा हो वहा इनका भाव बदल जाते है ।
और आज इनके साथ आई थी इनकी सुपुत्रि

चारु मिश्रा
20211113-191827
उम्र 22 साल हो गयी है लेकिन समय के साथ मेच्योर नही हो पाई है । बचपना और भूलने की आदत से इनकी अम्मा यानी सोनमती मिश्रा बहुत परेशान होती है इसिलिए कोई खास इज्जत मिलती नही है इनको ।


तो मिश्राइन ने बड़ी जद्दोजहद के बाद एक औटो कर लिया जो कम पैसे मे उनको शिवपूरी कालोनी के शुक्ला भवन मे ले जा सके ।

थोडी ही देर मे औटो शुक्ला भवन के गेट पर रुकता है ।
दो भारी भरकम बैग चारु से खिचवाते हुए और एक झोला खुद हाथो मे लेके मिश्राइन शुक्ला भवन मे प्रवेश करती है ।
सोनमती - मिराआ ये मिराआआ

सोनमती मीरा को आवाज देती हुई हाल मे घुस्ती है
मीरा किचन से बाहर आते हुए - अरे सोनमती बुआ आप
मीरा झुक कर सोनमती के पैर छूटी है

वही हाल मे बैठी शान्ति मुह बनाते हुए मनोहर से फुसफुसाती है - अब इ भईसिया की कमी थी जे भी आ गयी
मनोहर - अरे कभी अपने नाम का ही लाज रख लिया करो आशिष की अम्मा ,,,मेहमान है बसने थोडी आये है

शान्ति - देख नाही रहे पुरा बक्सा भर समान पसार दी है आते ही
मनोहर शान्ति की बात पर हस देते है

इधर मीरा चारु से मिलती है और उसका बैग लेके उसको हाल मे बैठने को बोलती है

सोनमती हाल मे लगे चौकी पर बैठते हुए - नमस्ते भाई साब ,, नमस्ते जीजी

शांति भी अपने जज्बात दबा कर - नमस्ते , और आज बडी सुबह सुबह मिश्राइन

सोनमती ह्स कर - अरे ऊ तो हम इ चारु ,,,
सोनमती चारु को डांटते हुए - हे पगली ,, चल नमस्ते कर जीजी और भाईसाब को

चारु बैठे बैठे ही हाथ जोड लेती है
इधर शान्ति देवी अपनी बात फिर से रखती उससे पहले मीरा एक ट्रे मे बिस्कुट और चाय लेके आ जाती है

मीरा वही चारु के बगल मेखडे होते हुए - लेओ बुआ नासता करो , लेओ चारु तुम्हू

मीरा - औ बताओ बुआ , चौबेपुर मे सब कइसे है

सोनमती बिस्किट डुबो कर खाती हुई - चौबेपुर मा तो सब ठीक है
मनोहर - और आने कौनौ तकलीफ तो ना हुई ना चारु की अम्मा

सोनमती हस कर - ना ना भाईसाब , सब ठीक ठाक रहा
मनोहर हाल मे पडे बैग को इशारे से दिखा कर - फिर इधर कैसे आना हुआ

सोनमती थोडा सोच मे पड़ गयी और कुछ जवाब देने मे हिचकने लगी ,उसकी हालत खराब होते देख मीरा बोलती है

मीरा चहक कर - बाऊजी , उ चारु के इही नवाबगंज के उनीभरसिटी मा एडमिशन मिलो हो , तो वही लिया हैगी

चारु इसपे कुछ बोलना चाहती है लेकिन मीरा ने उसका कन्धा दबा कर चुप किया उसे


मनोहर जी ने आगे कुछ नही कहा और शान्ति जी तो बात करने के मूड मे नही थी ।
फिर मीरा , सोनमती बुआ और चारु को लिवा के उन्के समान के साथ उपर गेस्टरूम मे चली गयी ।

गेस्टरूम मे कमरे का दरवाज बन्द होते ही
मीरा सोनमती पर चिल्लाती है - जे का लहभर लेके आ गयी तुम बुआ , , अभी से दहेज का समान उठा लाई का

मीरा गरमाते हुए - जे हम तुमको बोले थे कि ऐसे आना की कुछ अजीब ना लागे ,,,

सोनमती - जे हम तो सोचे कि आयुष हमायी चारु को परसन्द कर लोगो तो लगे हाथ सगुन करवा देबे

मीरा अपने सर पर हाथ रख कर बिस्तर पर बैठ जाती है ।

सोनमती थोडी चिन्ता के भाव मे - का हुआ मीरा ,,कपार दर्द करी रहा है का

मीरा झ्ल्लाते हुए - कपार दर्द तो तुम खुद बन गयी हो बुआ ,,,जे हम तुम को लाख बार समझाये थे

तभी मीरा को चारु नजर नही आती है
मीरा - जे चारु कहा गयी अब ,,,हे भोलेनाथ का करे हम

चारु वही कमरे मे दोनो बैग खोल कर अपने सारे समान निकाल कर फैला रही होती है

सोनमती - हे पगली छोड ऊ सब
मीरा परेशान होकर - जे पगली ऐसी रहेगी तो कैसे आयुष इको परसन्द करोगो

सोनमती मीरा को पालिश लगाती हुई - अच्छा सुन छोड उ सब हम तुम्हारे लिये चौबेपुर से साडी लाये है ।

मीरा थोडा पिघल जाती है और फिर थोडी देर बाद मीरा और सोनमती अपनी प्लानिंग करते है कि कैसे घर मे सबको शादी के तैयार करे और कैसे आयुष हा करे ।
इधर आयुष बाबू हमारे पहली बार दुकान पर बैठे थे तो अशीष शुक्ला ने इनको ओर्डेर वाले काउंटर पर बिठा दिया ।

आयुष बाबू की हिन्दी लिखावट थोडी कमजोर थी तो उनको ओर्डेर लेने मे भी सम्स्या हो रही थी थोडी तो कैसे भी करके मैनेज कर रहे थे ।
ऐसे मे उन्ही की मुहल्ले की दो लड़कीया आती है दुकान पर

अब आयुष बाबू कम हीरो थोडी थे और आज तो दुकान के लिये अलग से अच्छी राउंड नेक वाली नेवी ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहने थे ।

तभी वो लडकीयो मे एक लडकी जिसका नाम मोनी था ।
वो बिना आयुष को देखे अपनी पर्ची पढते हुए - भैया सवा पौवा मोतीचुर के लड्डु ,, पौना पौवा हलुआ सोहन ,, 3 किलो सेव और पपड़ी

हीरो मोनी और उसकी सहेली को देख कर हसी छूट जाती है
तभी मोनी की सहेली उसको रोकते हुए एक नजर सामने देखने को कहती है
मोनी हीरो को देख कर आंखे बड़ी कर लेती है और उसको मुह रोने जैसे हो जाता है ,,, क्योकि वो मोनी आयुष बाबू की मुहल्ले की दिवानीयो मे से एक होती है और आयुष को अनजाने मे भैया बोल कर वो खुद के पैर पर कुलहाडी मार लेती है

आयुष जो कि उसे पता होता है कि मोनी उसके लिये चिपकु है तो आज उसे भी मौका मिल गया छूटकारा पाने का

आयुष उसका मजा लेते हुए - जी बहन जी ये 3 किलो सेव और पापडी तो समझ आ गया लेकिन ये सवा पाव और पौवा पाव क्या होता है ।

मोनी जैसे ही आयुष के मुह से बहन जी सुनती है उसका चेहरा और भी रोने जैसा हो जाता है वही उसकी सहेली हस रही होती

मोनी रोते हुए समान की पर्ची अपनी सहेली को देके भाग जाती है
फिर आयुष और वो दुसरी लडकी हसने लगते है ।

आयुष मजे लेते हुए - वैसे इन्हे क्या हुआ , रो क्यू रही थी
मोनी की सहेली हस्ते हुए - कुछ नही , दिल टूटा है बेचारी का ,,,आप ये ओर्डेर लिख लिजिये और घर भिजवा दिजियेगा मोनी के ,मै चलती हू

आयुष हस्ते हूए उस लड़की से पर्ची ले लेता है
और वो चली जाती है

जारी रहेगी
Mast mast update
 
Member
1,234
3,324
143
UPDTAE 003


पिछले भाग मे शुक्ला भवन के बारे मे आप सभी ने पढा और यहा कैसे किस किरदार मे लोग है वो भी आप समझ ही गये होगे । नायक की माता को उनके लडके के शादी की चिन्ता है और वही उसके पिता को उसके दुर जाने की और इन सब से अलग हमारे नायक को आज के अपने परफोर्मेंस की चिन्ता है तो चलिये ले चलते है आपको मिस मनोरमा इंटरमिडिएट कालेज नवाबगंज , कानपुर
जहा 3D भैया की अल्बेला ड्रामा कम्पनी आज के अनुवल प्रोग्राम मे एक नाट्य पेश करने जा रही है ।

अब आगे

मिस मनोरमा कालेज का सेमिनार हाल तालियो की गड़गड़ाहट और सिटीयो की आवाज से गूंज रहा था क्योकि अभी अभी कार्यक्रम के संचालक महोदय ने एक हास्य नाट्य प्रस्तुत होने की घोषणा की थी ।

स्टेज का पर्दा खुलता है और सामने दीन-ए-इलाही जलालुद्दीन मुहम्मद बादशाह ए अकबर का सेट लगा हुआ था ।
मन्च पर सामने की तरफ अकबर अपने आसन पर बिराजमान थे और 3 मंत्रीयो और शह्जादे सलीम की तसरिफ भी ऐसे ही लगाई गयी थी की audience को उनका लूक सही से दिखे ।
कुछ पहरेदार भी खडे थे
स्टेज के एक किनारे म्यूज़िक टीम ने अपना तासा बजाया जिससे आभास हो गया कि सभा की शुरुवात हो गयी थी ।

तभी एक गाने की तर्ज पर एक नर्तकी ने बगल से आकर अपना चेहरा ढके हुए एक नृत्य पेश किया और फिर बादशाह सलामत की पैरवी कर पीछे हट गयी ।

अकबर एक तुकबंदी भरे अंदाज मे - दिवान जी ,,, आज इस कनिज से क्यू किया कोटा पुरा ,, आखिर अरे कहा है हमारी मलाइका अरोरा

सेट पर एक बगल का मंत्री खड़ा होता है - माफी हुजूर , लेकिन अनारकली को हो गया है गुरुर


अकबर थोडा रोब मे - अगर हो गया है उसे गुरुर
तो निकाल फेको उसे महल से दुर
और खोजो कोई नयी गीता कपूर
दिवान - जी हुजूर , अभी बजवा देते नगर मे डँका, मिल ही जायेगी कोई प्रियंका

एक तरफ जहा स्टेज पर सामने रंगमच जमा हुआ अपने जोर पर था वही स्टेज के पीछे आयुष बाबू अपने रोल का ड्रेसअप किये नर्वश हुए जा रहे थे और बार बार डायलाग की पर्ची पढ रहे थे ।

तभी 3D भागता हुआ आता है तो आयुष को पसीना बहाते देख - अबे का यार शुक्ला , काहे इतना नरभसाय रहे हो

आयुष झल्ला कर - यार हमसे ना होगा ये ,, एक भी डायलोग हम याद नही कर पा रहे है

3D - यार अब तुम्हाये सीन का समय हो गया है तो तुम अपनी नौटंकी ,,,,,,

तभी बाहर आयुष के सीन के लिए पर्दा गिरता है तो 3D उसका हाथ पकड कर खिच कर स्टेज पर ले जाता है।

3D आयुष को समझाते हुए - बाबू तुम बस अपनी ये अनारकली वाली अदाये दिखाना बाकी डायलोग हम बगल से बोलते रहेन्गे ,,और कोसिस करना की जब डायलोग चले तो अपना मुह छिपा लेना

तबतक सलमान जो सलीम के रोल मे था वो आता है - 3D भैया जल्दी करो रोल का समय होई रहा है

फिर सारे लोग अपने काम पर लग जाते है और एक बगीचे के सीन पर मंच का पर्दा खुलता है ।
अनारकली ( आयुष) एक पेड़ के किनारे खड़ा होती है और सलीम( सलमान) उसके पीछे एक गुलाब लेके खड़ा होता है ।

सलीम - आज तुम दरबार मे क्यू नही आई अनारु

3D के कहे अनुसार आयुष तुरंत मूह फेर लेता है और बगल से 3D अनारकली का डायलोग बोलता है -- हम अब दरबार नही जाना चाहते है शहजादे ,

क्योकि ठीक नही है बादशाह सलामत के इरादे ।।

सलीम एक कदम आगे जाकर अनारकली के कन्धे पकडता है जिससे आयुष थोडा खुद को uncomfortable मह्सूस करता है

सलीम - अब यू ना रुस्वा हो मेरी जान ,
आखिर बुड्ढों के भी होते है अपने अरमान ।


इधर audience मे हसी और तालिया सिटिया जोरो पे होती है

आयुष सलमान से थोडी दुर होकर खड़ा हो जाता है
अनारकली आहे भरने के भाव मे - आखिर कब मुझे सहना पडेगा ,,
थके पैरो मे झन्दू बाम मलना पडेगा ।।


सलमान वापस से आयुष के कन्धे पकड लेता है
सलीम - तुम ही बताओ मै क्या करु ये हसिना ,
जब बाप ही मिला है मुझे कमीना ।।


अनारकली (आयुष ) अपना चेहरा सलीम के तरफ घुमाकर - जीना है साथ मे तो पल पल यू मारना क्या,
और जब प्यार किया है तो डरना क्या ।।



ये डायलोग खतम होते ही आयुष यानी अनारकली सेट से हट जाती है ।

वही सलीम थोडा रोने का नाटक कर निचे बैठते हुए - अगर मैने ये अब्बा को बता दिया तो कयामत आ जायेगी ,
घर से निकलना तो दुर कमरे की वाईफाई भी बन्द हो जायेगी ।।


इधर पर्दा गिरता है और एक नये सीन की फटाफट तैयारी होती है

उधर आयुष पीछे जाकर बैठ जाता है और कपडे निकलता है तब तक 3D हसते हुए - अबे यार मस्त छमिया लग रहे थे बे
और आयुश के गाल खीचता है

आयुष झल्ला कर - अबे हटो बे ,,,साले तुम्हाये चक्कर मे तुम्हारा सलीम हमको सच की अनारकली समझ बैठा था,,,,

3D हसने लगता है
आयुष झल्ला कर - अबे हसो मत 3D ,,,,फट रही थी हमारी यार

आयुष कपड़े बदलते हुए - अब चलो तुम्हारा काम हो गया छोड दो हमे घर

3D उसके कन्धे पर हाथ रख हसते हूए - अबे इतना चौकस परफारमिन्स दिये हो बे थोडा देख तो लो तुम्हारा आशिक का कर रिया है स्टेज पर

फिर वो दोनो वापस मन्च के बगल मे खडे होकर बाकी बचे नाट्य का आखिरी सीन देख रहे होते है । जहा अकबर और सलीम के बीच जुगलबंदी भरे हास्य संवाद चल रहे होते है ।

अकबर - सलीम तुम ऐसा करोगे हमे ज्ञान ना था ,
थोडा भी अपने अब्बा के अरमानो का ध्यान ना था।।


सलीम - अब्बा हुजूर अनारु मेरी है ये जान लो ,
करवा दो निगाह हमारा और अपनी बहू मान लो।।


अकबर रोश मे - हमे ही नही तुम्हारी मा को भी नागवार होगा
जब एक कनिज के लिए बाप बेटे मे मार होगा।।


ये बोलकर अकबर दुसरी से मन्च से हट जाता है
सलीम दुखी होने के भाव मे - ना खुदा मिला ना मिसाले सनम ,
बाप बाप होता है ये समझ गये हम।।


सलीम और अकबर के बीच के संवाद से आयुष भी बहुत हस रहा था वही audience भी फुल जोश मे तालीया सिटिया बजा रही थी ।

तभी मन्च का पर्दा गिरता है और संचालक नाट्य समाप्ति की घोषणा करता है ।

इधर 3D और आयुष भी निकल जाते है घर के लिए
रास्ते मे वो एक रोड साइड ठेले पर छोले भटूरे खाते है और फिर समय से 11 बजे तक घर आ जाते है ।


अगली सुबह
सारे लोग नास्ते के लिए हाल मे इकठ्ठा होते है

शान्ति , मनोहर जी को आयुष की तरफ इशारा करती है तो मनोहर जी उनहे इत्मीनान होने का कहते है ।
इधर नासता खतम होता है और आशिष दुकान के लिये निकलता हुआ --- ठीक है बाऊ जी हम दुकान के लिए निकल रहे है

आयुष - भैया हम भी चले दुकान , यहा घर मे बोर हो जाते है बैठे बैठे

अशीष एक नजर अपने पिता को देखता है लेकिन वो मना भी नही कर सकता था तो मनोहर जी हा मे इशारा करते है

आशिष हस कर - हा हा क्यो नही आओ चलो
फिर आयुष भी आशिष के साथ निकल जाता है दुकान के लिए

इधर इन दोनो के जाते ही शान्ति भडक जाती है
शान्ति भड़के हुए स्वर मे - इ का कर रहे है अशीष के बाऊ जी , हा , बात काहे नाही किये ब्च्चु से

मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे अशीष की अम्मा ,, काहे परेशान हो , आयुष के शहर जाये मा अभी 4 दिन का बख्त है

शांति थोडा गुस्से मे समझाते हुए - अरे इहे 4 दिन के इन्तेजार मे 24 साल बीत गवा ,
मनोहर शान्ति के तानो से चुप हो जाते है और उनको भी शान्ति की बाते सही लगती है। वो तय करते है कि आज किसी भी तरह वो आयुष से बात करेंगे ही ।
इधर मनोहर जी अपनी चिन्ता मे दुबे हुए थे और उधर नवाबगंज बस स्टैंड पर लोहिया बस परिवहन के कानपुर डिपो से कहानी मे नये किरदारो ने एन्ट्री लेली थी ।

सोनमती मिश्रा
images-3
रिश्ते मे ये शुक्ला भवन की इंचार्ज मीरा शुक्ला की सगी बुआ है और फतेहपुर - कानपुर बार्डर के पास एक गाव चौबेपुर से है । स्वभाव से काफी हसमुख और चंचल है लेकिन जहा स्वार्थ सिद्ध हो रहा हो वहा इनका भाव बदल जाते है ।
और आज इनके साथ आई थी इनकी सुपुत्रि

चारु मिश्रा
20211113-191827
उम्र 22 साल हो गयी है लेकिन समय के साथ मेच्योर नही हो पाई है । बचपना और भूलने की आदत से इनकी अम्मा यानी सोनमती मिश्रा बहुत परेशान होती है इसिलिए कोई खास इज्जत मिलती नही है इनको ।


तो मिश्राइन ने बड़ी जद्दोजहद के बाद एक औटो कर लिया जो कम पैसे मे उनको शिवपूरी कालोनी के शुक्ला भवन मे ले जा सके ।

थोडी ही देर मे औटो शुक्ला भवन के गेट पर रुकता है ।
दो भारी भरकम बैग चारु से खिचवाते हुए और एक झोला खुद हाथो मे लेके मिश्राइन शुक्ला भवन मे प्रवेश करती है ।
सोनमती - मिराआ ये मिराआआ

सोनमती मीरा को आवाज देती हुई हाल मे घुस्ती है
मीरा किचन से बाहर आते हुए - अरे सोनमती बुआ आप
मीरा झुक कर सोनमती के पैर छूटी है

वही हाल मे बैठी शान्ति मुह बनाते हुए मनोहर से फुसफुसाती है - अब इ भईसिया की कमी थी जे भी आ गयी
मनोहर - अरे कभी अपने नाम का ही लाज रख लिया करो आशिष की अम्मा ,,,मेहमान है बसने थोडी आये है

शान्ति - देख नाही रहे पुरा बक्सा भर समान पसार दी है आते ही
मनोहर शान्ति की बात पर हस देते है

इधर मीरा चारु से मिलती है और उसका बैग लेके उसको हाल मे बैठने को बोलती है

सोनमती हाल मे लगे चौकी पर बैठते हुए - नमस्ते भाई साब ,, नमस्ते जीजी

शांति भी अपने जज्बात दबा कर - नमस्ते , और आज बडी सुबह सुबह मिश्राइन

सोनमती ह्स कर - अरे ऊ तो हम इ चारु ,,,
सोनमती चारु को डांटते हुए - हे पगली ,, चल नमस्ते कर जीजी और भाईसाब को

चारु बैठे बैठे ही हाथ जोड लेती है
इधर शान्ति देवी अपनी बात फिर से रखती उससे पहले मीरा एक ट्रे मे बिस्कुट और चाय लेके आ जाती है

मीरा वही चारु के बगल मेखडे होते हुए - लेओ बुआ नासता करो , लेओ चारु तुम्हू

मीरा - औ बताओ बुआ , चौबेपुर मे सब कइसे है

सोनमती बिस्किट डुबो कर खाती हुई - चौबेपुर मा तो सब ठीक है
मनोहर - और आने कौनौ तकलीफ तो ना हुई ना चारु की अम्मा

सोनमती हस कर - ना ना भाईसाब , सब ठीक ठाक रहा
मनोहर हाल मे पडे बैग को इशारे से दिखा कर - फिर इधर कैसे आना हुआ

सोनमती थोडा सोच मे पड़ गयी और कुछ जवाब देने मे हिचकने लगी ,उसकी हालत खराब होते देख मीरा बोलती है

मीरा चहक कर - बाऊजी , उ चारु के इही नवाबगंज के उनीभरसिटी मा एडमिशन मिलो हो , तो वही लिया हैगी

चारु इसपे कुछ बोलना चाहती है लेकिन मीरा ने उसका कन्धा दबा कर चुप किया उसे


मनोहर जी ने आगे कुछ नही कहा और शान्ति जी तो बात करने के मूड मे नही थी ।
फिर मीरा , सोनमती बुआ और चारु को लिवा के उन्के समान के साथ उपर गेस्टरूम मे चली गयी ।

गेस्टरूम मे कमरे का दरवाज बन्द होते ही
मीरा सोनमती पर चिल्लाती है - जे का लहभर लेके आ गयी तुम बुआ , , अभी से दहेज का समान उठा लाई का

मीरा गरमाते हुए - जे हम तुमको बोले थे कि ऐसे आना की कुछ अजीब ना लागे ,,,

सोनमती - जे हम तो सोचे कि आयुष हमायी चारु को परसन्द कर लोगो तो लगे हाथ सगुन करवा देबे

मीरा अपने सर पर हाथ रख कर बिस्तर पर बैठ जाती है ।

सोनमती थोडी चिन्ता के भाव मे - का हुआ मीरा ,,कपार दर्द करी रहा है का

मीरा झ्ल्लाते हुए - कपार दर्द तो तुम खुद बन गयी हो बुआ ,,,जे हम तुम को लाख बार समझाये थे

तभी मीरा को चारु नजर नही आती है
मीरा - जे चारु कहा गयी अब ,,,हे भोलेनाथ का करे हम

चारु वही कमरे मे दोनो बैग खोल कर अपने सारे समान निकाल कर फैला रही होती है

सोनमती - हे पगली छोड ऊ सब
मीरा परेशान होकर - जे पगली ऐसी रहेगी तो कैसे आयुष इको परसन्द करोगो

सोनमती मीरा को पालिश लगाती हुई - अच्छा सुन छोड उ सब हम तुम्हारे लिये चौबेपुर से साडी लाये है ।

मीरा थोडा पिघल जाती है और फिर थोडी देर बाद मीरा और सोनमती अपनी प्लानिंग करते है कि कैसे घर मे सबको शादी के तैयार करे और कैसे आयुष हा करे ।
इधर आयुष बाबू हमारे पहली बार दुकान पर बैठे थे तो अशीष शुक्ला ने इनको ओर्डेर वाले काउंटर पर बिठा दिया ।

आयुष बाबू की हिन्दी लिखावट थोडी कमजोर थी तो उनको ओर्डेर लेने मे भी सम्स्या हो रही थी थोडी तो कैसे भी करके मैनेज कर रहे थे ।
ऐसे मे उन्ही की मुहल्ले की दो लड़कीया आती है दुकान पर

अब आयुष बाबू कम हीरो थोडी थे और आज तो दुकान के लिये अलग से अच्छी राउंड नेक वाली नेवी ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहने थे ।

तभी वो लडकीयो मे एक लडकी जिसका नाम मोनी था ।
वो बिना आयुष को देखे अपनी पर्ची पढते हुए - भैया सवा पौवा मोतीचुर के लड्डु ,, पौना पौवा हलुआ सोहन ,, 3 किलो सेव और पपड़ी

हीरो मोनी और उसकी सहेली को देख कर हसी छूट जाती है
तभी मोनी की सहेली उसको रोकते हुए एक नजर सामने देखने को कहती है
मोनी हीरो को देख कर आंखे बड़ी कर लेती है और उसको मुह रोने जैसे हो जाता है ,,, क्योकि वो मोनी आयुष बाबू की मुहल्ले की दिवानीयो मे से एक होती है और आयुष को अनजाने मे भैया बोल कर वो खुद के पैर पर कुलहाडी मार लेती है

आयुष जो कि उसे पता होता है कि मोनी उसके लिये चिपकु है तो आज उसे भी मौका मिल गया छूटकारा पाने का

आयुष उसका मजा लेते हुए - जी बहन जी ये 3 किलो सेव और पापडी तो समझ आ गया लेकिन ये सवा पाव और पौवा पाव क्या होता है ।

मोनी जैसे ही आयुष के मुह से बहन जी सुनती है उसका चेहरा और भी रोने जैसा हो जाता है वही उसकी सहेली हस रही होती

मोनी रोते हुए समान की पर्ची अपनी सहेली को देके भाग जाती है
फिर आयुष और वो दुसरी लडकी हसने लगते है ।

आयुष मजे लेते हुए - वैसे इन्हे क्या हुआ , रो क्यू रही थी
मोनी की सहेली हस्ते हुए - कुछ नही , दिल टूटा है बेचारी का ,,,आप ये ओर्डेर लिख लिजिये और घर भिजवा दिजियेगा मोनी के ,मै चलती हू

आयुष हस्ते हूए उस लड़की से पर्ची ले लेता है
और वो चली जाती है

जारी रहेगी
Ladko ki ijjat mitti me mila di kambakht ne :sigh2:
Le ayush
bhool-bhulaiyaa
anaarkali banega sale. :lol:
dekh tere ghar me kitne mast maal ayi hai :sex: kuch to mardanagi jaga :shag:
सोनमती
itne bade bade milk tankers :drool: mast gardai hui maal hai . isko to sapna ya hakikat me hona mangta. idhar kya kar reli hai :sex:
dreamboy bhai , iski koi nudes hai to post kar dena. :D
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
995
1,084
143
UPDTAE 003


पिछले भाग मे शुक्ला भवन के बारे मे आप सभी ने पढा और यहा कैसे किस किरदार मे लोग है वो भी आप समझ ही गये होगे । नायक की माता को उनके लडके के शादी की चिन्ता है और वही उसके पिता को उसके दुर जाने की और इन सब से अलग हमारे नायक को आज के अपने परफोर्मेंस की चिन्ता है तो चलिये ले चलते है आपको मिस मनोरमा इंटरमिडिएट कालेज नवाबगंज , कानपुर
जहा 3D भैया की अल्बेला ड्रामा कम्पनी आज के अनुवल प्रोग्राम मे एक नाट्य पेश करने जा रही है ।

अब आगे

मिस मनोरमा कालेज का सेमिनार हाल तालियो की गड़गड़ाहट और सिटीयो की आवाज से गूंज रहा था क्योकि अभी अभी कार्यक्रम के संचालक महोदय ने एक हास्य नाट्य प्रस्तुत होने की घोषणा की थी ।

स्टेज का पर्दा खुलता है और सामने दीन-ए-इलाही जलालुद्दीन मुहम्मद बादशाह ए अकबर का सेट लगा हुआ था ।
मन्च पर सामने की तरफ अकबर अपने आसन पर बिराजमान थे और 3 मंत्रीयो और शह्जादे सलीम की तसरिफ भी ऐसे ही लगाई गयी थी की audience को उनका लूक सही से दिखे ।
कुछ पहरेदार भी खडे थे
स्टेज के एक किनारे म्यूज़िक टीम ने अपना तासा बजाया जिससे आभास हो गया कि सभा की शुरुवात हो गयी थी ।

तभी एक गाने की तर्ज पर एक नर्तकी ने बगल से आकर अपना चेहरा ढके हुए एक नृत्य पेश किया और फिर बादशाह सलामत की पैरवी कर पीछे हट गयी ।

अकबर एक तुकबंदी भरे अंदाज मे - दिवान जी ,,, आज इस कनिज से क्यू किया कोटा पुरा ,, आखिर अरे कहा है हमारी मलाइका अरोरा

सेट पर एक बगल का मंत्री खड़ा होता है - माफी हुजूर , लेकिन अनारकली को हो गया है गुरुर


अकबर थोडा रोब मे - अगर हो गया है उसे गुरुर
तो निकाल फेको उसे महल से दुर
और खोजो कोई नयी गीता कपूर
दिवान - जी हुजूर , अभी बजवा देते नगर मे डँका, मिल ही जायेगी कोई प्रियंका

एक तरफ जहा स्टेज पर सामने रंगमच जमा हुआ अपने जोर पर था वही स्टेज के पीछे आयुष बाबू अपने रोल का ड्रेसअप किये नर्वश हुए जा रहे थे और बार बार डायलाग की पर्ची पढ रहे थे ।

तभी 3D भागता हुआ आता है तो आयुष को पसीना बहाते देख - अबे का यार शुक्ला , काहे इतना नरभसाय रहे हो

आयुष झल्ला कर - यार हमसे ना होगा ये ,, एक भी डायलोग हम याद नही कर पा रहे है

3D - यार अब तुम्हाये सीन का समय हो गया है तो तुम अपनी नौटंकी ,,,,,,

तभी बाहर आयुष के सीन के लिए पर्दा गिरता है तो 3D उसका हाथ पकड कर खिच कर स्टेज पर ले जाता है।

3D आयुष को समझाते हुए - बाबू तुम बस अपनी ये अनारकली वाली अदाये दिखाना बाकी डायलोग हम बगल से बोलते रहेन्गे ,,और कोसिस करना की जब डायलोग चले तो अपना मुह छिपा लेना

तबतक सलमान जो सलीम के रोल मे था वो आता है - 3D भैया जल्दी करो रोल का समय होई रहा है

फिर सारे लोग अपने काम पर लग जाते है और एक बगीचे के सीन पर मंच का पर्दा खुलता है ।
अनारकली ( आयुष) एक पेड़ के किनारे खड़ा होती है और सलीम( सलमान) उसके पीछे एक गुलाब लेके खड़ा होता है ।

सलीम - आज तुम दरबार मे क्यू नही आई अनारु

3D के कहे अनुसार आयुष तुरंत मूह फेर लेता है और बगल से 3D अनारकली का डायलोग बोलता है -- हम अब दरबार नही जाना चाहते है शहजादे ,

क्योकि ठीक नही है बादशाह सलामत के इरादे ।।

सलीम एक कदम आगे जाकर अनारकली के कन्धे पकडता है जिससे आयुष थोडा खुद को uncomfortable मह्सूस करता है

सलीम - अब यू ना रुस्वा हो मेरी जान ,
आखिर बुड्ढों के भी होते है अपने अरमान ।


इधर audience मे हसी और तालिया सिटिया जोरो पे होती है

आयुष सलमान से थोडी दुर होकर खड़ा हो जाता है
अनारकली आहे भरने के भाव मे - आखिर कब मुझे सहना पडेगा ,,
थके पैरो मे झन्दू बाम मलना पडेगा ।।


सलमान वापस से आयुष के कन्धे पकड लेता है
सलीम - तुम ही बताओ मै क्या करु ये हसिना ,
जब बाप ही मिला है मुझे कमीना ।।


अनारकली (आयुष ) अपना चेहरा सलीम के तरफ घुमाकर - जीना है साथ मे तो पल पल यू मारना क्या,
और जब प्यार किया है तो डरना क्या ।।



ये डायलोग खतम होते ही आयुष यानी अनारकली सेट से हट जाती है ।

वही सलीम थोडा रोने का नाटक कर निचे बैठते हुए - अगर मैने ये अब्बा को बता दिया तो कयामत आ जायेगी ,
घर से निकलना तो दुर कमरे की वाईफाई भी बन्द हो जायेगी ।।


इधर पर्दा गिरता है और एक नये सीन की फटाफट तैयारी होती है

उधर आयुष पीछे जाकर बैठ जाता है और कपडे निकलता है तब तक 3D हसते हुए - अबे यार मस्त छमिया लग रहे थे बे
और आयुश के गाल खीचता है

आयुष झल्ला कर - अबे हटो बे ,,,साले तुम्हाये चक्कर मे तुम्हारा सलीम हमको सच की अनारकली समझ बैठा था,,,,

3D हसने लगता है
आयुष झल्ला कर - अबे हसो मत 3D ,,,,फट रही थी हमारी यार

आयुष कपड़े बदलते हुए - अब चलो तुम्हारा काम हो गया छोड दो हमे घर

3D उसके कन्धे पर हाथ रख हसते हूए - अबे इतना चौकस परफारमिन्स दिये हो बे थोडा देख तो लो तुम्हारा आशिक का कर रिया है स्टेज पर

फिर वो दोनो वापस मन्च के बगल मे खडे होकर बाकी बचे नाट्य का आखिरी सीन देख रहे होते है । जहा अकबर और सलीम के बीच जुगलबंदी भरे हास्य संवाद चल रहे होते है ।

अकबर - सलीम तुम ऐसा करोगे हमे ज्ञान ना था ,
थोडा भी अपने अब्बा के अरमानो का ध्यान ना था।।


सलीम - अब्बा हुजूर अनारु मेरी है ये जान लो ,
करवा दो निगाह हमारा और अपनी बहू मान लो।।


अकबर रोश मे - हमे ही नही तुम्हारी मा को भी नागवार होगा
जब एक कनिज के लिए बाप बेटे मे मार होगा।।


ये बोलकर अकबर दुसरी से मन्च से हट जाता है
सलीम दुखी होने के भाव मे - ना खुदा मिला ना मिसाले सनम ,
बाप बाप होता है ये समझ गये हम।।


सलीम और अकबर के बीच के संवाद से आयुष भी बहुत हस रहा था वही audience भी फुल जोश मे तालीया सिटिया बजा रही थी ।

तभी मन्च का पर्दा गिरता है और संचालक नाट्य समाप्ति की घोषणा करता है ।

इधर 3D और आयुष भी निकल जाते है घर के लिए
रास्ते मे वो एक रोड साइड ठेले पर छोले भटूरे खाते है और फिर समय से 11 बजे तक घर आ जाते है ।


अगली सुबह
सारे लोग नास्ते के लिए हाल मे इकठ्ठा होते है

शान्ति , मनोहर जी को आयुष की तरफ इशारा करती है तो मनोहर जी उनहे इत्मीनान होने का कहते है ।
इधर नासता खतम होता है और आशिष दुकान के लिये निकलता हुआ --- ठीक है बाऊ जी हम दुकान के लिए निकल रहे है

आयुष - भैया हम भी चले दुकान , यहा घर मे बोर हो जाते है बैठे बैठे

अशीष एक नजर अपने पिता को देखता है लेकिन वो मना भी नही कर सकता था तो मनोहर जी हा मे इशारा करते है

आशिष हस कर - हा हा क्यो नही आओ चलो
फिर आयुष भी आशिष के साथ निकल जाता है दुकान के लिए

इधर इन दोनो के जाते ही शान्ति भडक जाती है
शान्ति भड़के हुए स्वर मे - इ का कर रहे है अशीष के बाऊ जी , हा , बात काहे नाही किये ब्च्चु से

मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे अशीष की अम्मा ,, काहे परेशान हो , आयुष के शहर जाये मा अभी 4 दिन का बख्त है

शांति थोडा गुस्से मे समझाते हुए - अरे इहे 4 दिन के इन्तेजार मे 24 साल बीत गवा ,
मनोहर शान्ति के तानो से चुप हो जाते है और उनको भी शान्ति की बाते सही लगती है। वो तय करते है कि आज किसी भी तरह वो आयुष से बात करेंगे ही ।
इधर मनोहर जी अपनी चिन्ता मे दुबे हुए थे और उधर नवाबगंज बस स्टैंड पर लोहिया बस परिवहन के कानपुर डिपो से कहानी मे नये किरदारो ने एन्ट्री लेली थी ।

सोनमती मिश्रा
images-3
रिश्ते मे ये शुक्ला भवन की इंचार्ज मीरा शुक्ला की सगी बुआ है और फतेहपुर - कानपुर बार्डर के पास एक गाव चौबेपुर से है । स्वभाव से काफी हसमुख और चंचल है लेकिन जहा स्वार्थ सिद्ध हो रहा हो वहा इनका भाव बदल जाते है ।
और आज इनके साथ आई थी इनकी सुपुत्रि

चारु मिश्रा
20211113-191827
उम्र 22 साल हो गयी है लेकिन समय के साथ मेच्योर नही हो पाई है । बचपना और भूलने की आदत से इनकी अम्मा यानी सोनमती मिश्रा बहुत परेशान होती है इसिलिए कोई खास इज्जत मिलती नही है इनको ।


तो मिश्राइन ने बड़ी जद्दोजहद के बाद एक औटो कर लिया जो कम पैसे मे उनको शिवपूरी कालोनी के शुक्ला भवन मे ले जा सके ।

थोडी ही देर मे औटो शुक्ला भवन के गेट पर रुकता है ।
दो भारी भरकम बैग चारु से खिचवाते हुए और एक झोला खुद हाथो मे लेके मिश्राइन शुक्ला भवन मे प्रवेश करती है ।
सोनमती - मिराआ ये मिराआआ

सोनमती मीरा को आवाज देती हुई हाल मे घुस्ती है
मीरा किचन से बाहर आते हुए - अरे सोनमती बुआ आप
मीरा झुक कर सोनमती के पैर छूटी है

वही हाल मे बैठी शान्ति मुह बनाते हुए मनोहर से फुसफुसाती है - अब इ भईसिया की कमी थी जे भी आ गयी
मनोहर - अरे कभी अपने नाम का ही लाज रख लिया करो आशिष की अम्मा ,,,मेहमान है बसने थोडी आये है

शान्ति - देख नाही रहे पुरा बक्सा भर समान पसार दी है आते ही
मनोहर शान्ति की बात पर हस देते है

इधर मीरा चारु से मिलती है और उसका बैग लेके उसको हाल मे बैठने को बोलती है

सोनमती हाल मे लगे चौकी पर बैठते हुए - नमस्ते भाई साब ,, नमस्ते जीजी

शांति भी अपने जज्बात दबा कर - नमस्ते , और आज बडी सुबह सुबह मिश्राइन

सोनमती ह्स कर - अरे ऊ तो हम इ चारु ,,,
सोनमती चारु को डांटते हुए - हे पगली ,, चल नमस्ते कर जीजी और भाईसाब को

चारु बैठे बैठे ही हाथ जोड लेती है
इधर शान्ति देवी अपनी बात फिर से रखती उससे पहले मीरा एक ट्रे मे बिस्कुट और चाय लेके आ जाती है

मीरा वही चारु के बगल मेखडे होते हुए - लेओ बुआ नासता करो , लेओ चारु तुम्हू

मीरा - औ बताओ बुआ , चौबेपुर मे सब कइसे है

सोनमती बिस्किट डुबो कर खाती हुई - चौबेपुर मा तो सब ठीक है
मनोहर - और आने कौनौ तकलीफ तो ना हुई ना चारु की अम्मा

सोनमती हस कर - ना ना भाईसाब , सब ठीक ठाक रहा
मनोहर हाल मे पडे बैग को इशारे से दिखा कर - फिर इधर कैसे आना हुआ

सोनमती थोडा सोच मे पड़ गयी और कुछ जवाब देने मे हिचकने लगी ,उसकी हालत खराब होते देख मीरा बोलती है

मीरा चहक कर - बाऊजी , उ चारु के इही नवाबगंज के उनीभरसिटी मा एडमिशन मिलो हो , तो वही लिया हैगी

चारु इसपे कुछ बोलना चाहती है लेकिन मीरा ने उसका कन्धा दबा कर चुप किया उसे


मनोहर जी ने आगे कुछ नही कहा और शान्ति जी तो बात करने के मूड मे नही थी ।
फिर मीरा , सोनमती बुआ और चारु को लिवा के उन्के समान के साथ उपर गेस्टरूम मे चली गयी ।

गेस्टरूम मे कमरे का दरवाज बन्द होते ही
मीरा सोनमती पर चिल्लाती है - जे का लहभर लेके आ गयी तुम बुआ , , अभी से दहेज का समान उठा लाई का

मीरा गरमाते हुए - जे हम तुमको बोले थे कि ऐसे आना की कुछ अजीब ना लागे ,,,

सोनमती - जे हम तो सोचे कि आयुष हमायी चारु को परसन्द कर लोगो तो लगे हाथ सगुन करवा देबे

मीरा अपने सर पर हाथ रख कर बिस्तर पर बैठ जाती है ।

सोनमती थोडी चिन्ता के भाव मे - का हुआ मीरा ,,कपार दर्द करी रहा है का

मीरा झ्ल्लाते हुए - कपार दर्द तो तुम खुद बन गयी हो बुआ ,,,जे हम तुम को लाख बार समझाये थे

तभी मीरा को चारु नजर नही आती है
मीरा - जे चारु कहा गयी अब ,,,हे भोलेनाथ का करे हम

चारु वही कमरे मे दोनो बैग खोल कर अपने सारे समान निकाल कर फैला रही होती है

सोनमती - हे पगली छोड ऊ सब
मीरा परेशान होकर - जे पगली ऐसी रहेगी तो कैसे आयुष इको परसन्द करोगो

सोनमती मीरा को पालिश लगाती हुई - अच्छा सुन छोड उ सब हम तुम्हारे लिये चौबेपुर से साडी लाये है ।

मीरा थोडा पिघल जाती है और फिर थोडी देर बाद मीरा और सोनमती अपनी प्लानिंग करते है कि कैसे घर मे सबको शादी के तैयार करे और कैसे आयुष हा करे ।
इधर आयुष बाबू हमारे पहली बार दुकान पर बैठे थे तो अशीष शुक्ला ने इनको ओर्डेर वाले काउंटर पर बिठा दिया ।

आयुष बाबू की हिन्दी लिखावट थोडी कमजोर थी तो उनको ओर्डेर लेने मे भी सम्स्या हो रही थी थोडी तो कैसे भी करके मैनेज कर रहे थे ।
ऐसे मे उन्ही की मुहल्ले की दो लड़कीया आती है दुकान पर

अब आयुष बाबू कम हीरो थोडी थे और आज तो दुकान के लिये अलग से अच्छी राउंड नेक वाली नेवी ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहने थे ।

तभी वो लडकीयो मे एक लडकी जिसका नाम मोनी था ।
वो बिना आयुष को देखे अपनी पर्ची पढते हुए - भैया सवा पौवा मोतीचुर के लड्डु ,, पौना पौवा हलुआ सोहन ,, 3 किलो सेव और पपड़ी

हीरो मोनी और उसकी सहेली को देख कर हसी छूट जाती है
तभी मोनी की सहेली उसको रोकते हुए एक नजर सामने देखने को कहती है
मोनी हीरो को देख कर आंखे बड़ी कर लेती है और उसको मुह रोने जैसे हो जाता है ,,, क्योकि वो मोनी आयुष बाबू की मुहल्ले की दिवानीयो मे से एक होती है और आयुष को अनजाने मे भैया बोल कर वो खुद के पैर पर कुलहाडी मार लेती है

आयुष जो कि उसे पता होता है कि मोनी उसके लिये चिपकु है तो आज उसे भी मौका मिल गया छूटकारा पाने का

आयुष उसका मजा लेते हुए - जी बहन जी ये 3 किलो सेव और पापडी तो समझ आ गया लेकिन ये सवा पाव और पौवा पाव क्या होता है ।

मोनी जैसे ही आयुष के मुह से बहन जी सुनती है उसका चेहरा और भी रोने जैसा हो जाता है वही उसकी सहेली हस रही होती

मोनी रोते हुए समान की पर्ची अपनी सहेली को देके भाग जाती है
फिर आयुष और वो दुसरी लडकी हसने लगते है ।

आयुष मजे लेते हुए - वैसे इन्हे क्या हुआ , रो क्यू रही थी
मोनी की सहेली हस्ते हुए - कुछ नही , दिल टूटा है बेचारी का ,,,आप ये ओर्डेर लिख लिजिये और घर भिजवा दिजियेगा मोनी के ,मै चलती हू

आयुष हस्ते हूए उस लड़की से पर्ची ले लेता है
और वो चली जाती है

जारी रहेगी
super update.
Salim ki anarkali ayush 🤣 salim uska deewana. acha hua jo stage se nikal liya ayush :roflol:
pan khate hue jis andaj me 3D dialogues bolta hai wo mast lagta hai . sudh kanpuri style.
bua ka andaj bhi kamal hi hai aur utni hi nirali hai charu bitiya. to meera apni bahn ko padhane ke naam pe ayush ke gale bandhna chahti hain.
ayush par mar mitne wali kai ladkiya hai. pure mohlle ki ladkiya deewani. lekin ayush kisiko ghas tak nahi daalta. Kuch jada hi arrogant hai banda. Hotel me moni ji ko rulake bilkul bhi acha nahi kiya ayush ne .
 
Active member
943
4,635
125
Wonderful update. rangmanch me natak kam vyang jada ho rahe the. ayush ko anarkali bana diya.
dusri aur ghar par naye mehman aaye the. par unko dekh santi ji ka mood off ho gaya. ho sakta hai unko meera ki bua se khas lagab na ho. agle kadi me ye dikhaya gaya hai ke meera ki bua charu ke sath ane ki waja kuch alag hi thi. meera charu ko apni devrani banana chahti hai. Par kya wo ya uski bua kamyab hogi.
Bahut bahut shukriya ji

Dekhate h meera bhabhi ke karname agle update me
 
Active member
943
4,635
125
ye akbar ke jaanne mein priyanka, malaika arora kaha se aa gayi.... aur wo saleem ke kamre ka wifi :roflol:
aur ye kya hero ko anaarkali bana diya 3D ne :roflol: Iske gharwalo dekh liya hota to hungama hona tay tha :D

so subhah chaahate kar bhi manohar ji shaadi ke riste ki baat nahi kar paaye apne bete se... jisse shanti ji ashaant hoke apne pati ko taane maarne lagi.... shanti ji ki pareshaaniya kam thi jo isme sone pe suhaga karne meera ki bua aur bua ki beti unke ghar tapki....

Som mati ne isbaar mann banake aayi hai ki kaise bhi karke apni beti charu ka rista aayush sang tay ho jaaye.... even meera bhi yahin chaahti hai...

Main to meera ko aayush ki achhi bhabhi samajhti thi.... ye lekin ye to kuch aur hi nikli..... Hmm...to thodi bahot matlabi swaarthi meera bhi hai.... so dono milke planning karne lagi ki kaise bhi karke charu ko us ghar ki bahu banayi jaaye..
waise ek kirdaar mere favorite characters ki list mein saamil hone wali hai...
aur wo koi aur nahi balki charu hai...
uski maasoomiyat aur bholepan ne dil jeet liya hai.....
Btw xp se LW tak kuch chuninda kirdaar hi hai jo favorite characters ki list mein jagah bana paaye hai... ab usme se ek ye kirdaar charu bhi favorite one hone wali hai...
so ab jab ye favorite characters category pe aa rahi hai to mujhe yakin hai ki DREAMBOY40 sahab ke aapki is story ke baaki ke kirdaar logis ise hurt na kare... warna ye sabhi kirdaar consequences ke liye taiyar rahe :D


Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi...

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
Modern life me logo ko already etna masala milne lga h ki simple khichdi ko bhi tadke k sath khane lge h log ....aise me hme apna khana khajana chalane ke liye bhi kuch nya krna hi pdega na :D


Well apki is manmohak PRATIKRIYA ke liye bahut bahut shukriya
 

Top