Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

.
Moderator
2,376
1,840
143
Ares , HAKIMHAKIM's icon , iMUNISH Akash ⚜️ , Primate , Bella

Aap sabhi staff membar se vishesh agrah hai. Mai aapne se sirf 20 minat mang raha hoon jisme 10 minat read karne me aur 10 minat revo dene me bas itna aap sabhi ko karna hai. Anytha help line :help: number dial karunga :D
mere dost, main apki story zarur parhta agar ye hinglish me hoti, kyuki me dewangri nahi parh sakta islie muhje translate karke parhna pade ga, aur translate karne ke baad maza kharab ho jata hai , i hope aap samajh rahe honge
:smile:
 
Will Change With Time
Moderator
9,437
17,274
143
mere dost, main apki story zarur parhta agar ye hinglish me hoti, kyuki me dewangri nahi parh sakta islie muhje translate karke parhna pade ga, aur translate karne ke baad maza kharab ho jata hai , i hope aap samajh rahe honge
:smile:
Aapki samsya samjh sakta hoon iss par mai kuch kar bhi nahi sakta na hi aap par jor daal sakta hoon. Likhne ko to hinglish me bhi likh sakta hoon par mujhe devnagri lipi me likhne me maza aata hai.
 
expectations
22,953
14,925
143
Update - 46

रघु तो ऑफिस चला गया पर यहां उसकी बीबी को न जानें किया हुआ। बेड पर बैठी बैठी कुछ सोच रहीं थीं और मंद मंद मुस्कुरा रहीं थीं। कमला खुद की ख्यालों में इतना खोई हुई थीं कि उसे सुनाई ही नहीं दे रही हैं। कोई उसे कब से चीख चीख कर बुला रहीं हैं।

कमला को बुलाने वाली कोई ओर नहीं पुष्पा ही थीं। रघु के ऑफिस जाने के बाद भी, जब कमला रूम से बाहर नहीं आई तो पुष्पा खुद भाभी के कमरे में पहुंच गईं। वहां पहुंचकर जो देखा उसे देखते ही पुष्पा खुद मुस्कुराए बिन रह न सकी कुछ पल तक पुष्पा द्वार पर खड़ी खड़ी भाभी को यूं ख्यालों मे खोई मुस्कुराती देखती रहीं फ़िर दो तीन बार द्वार को थप थपाया परंतु कमला पर इस आहट का कोई असर न हुआ। जिऊं की तिऊं कमल ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी को यूं बेसुद हो'कर ख्यालों मे खोया मुस्कुराता देखकर पुष्पा बोली...भाभी को हुआ क्या हैं? किन ख्यालों मे इतनी खोई हुई हैं कि उन्हें इतना भी सूद नहीं हैं कि द्वार पर कोई आया हैं और भाभी को आज हुआ किया जो यूं ख्यालों मे गुम वावलो की तरह मुस्कुरा रहीं हैं।

इतना बोलकर पुष्पा कुछ पल ओर द्वार पर खड़ी रहीं परन्तु कमला में कोई बदलाव नहीं आया। वो तो वैसे ही ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी भाभी बोलकर आवाज देते हुए पुष्पा कमला के पास तक पहुंच गई। किंतु कमला ख्यालों से पल भर के लिए बाहर नहीं आई। तब पुष्पा भाभी के कंधे पर हाथ रखकर हिलाते हुए बोली...भाभी आप'को क्या हुआ? कब से आप'को आवाज दे रहीं हूं। आप सुन ही नहीं रहीं हों।

कमला ख्यालों मे खोई हुई। पुष्पा का हाथ कंधे से हटाते हुए बोली...आप अभी तक ऑफिस नहीं गए। आप'को एक बार बोलने से सुनते क्यों नहीं जाओ जल्दी से ऑफिस जाओ।

पुष्पा... भाभी मै puspaaaa...।

बोलते बोलते रूक गईं फ़िर मन ही मन बोली... अच्छा तो ये बात है रूको अभी बताती हूं।

इतना बोलकर भाभी के कान के पास मुंह ले जा'कर पुष्पा bhabhiiii, जोर आवाज मे चीखते हुए बोली, अचानक तीव्र स्वर कान के पर्दों को छूने का असर यूं हुआ कि oreee bapppp rayyy bhoottt bhoottt तेज आवाज से चीखते हुए कमला ख्यालों से बाहर आई फ़िर इधर उधर देखने लग गई।

इतनी जोर आवाज मे भाभी को चीखते देखकर पुष्पा दो कदम पीछे हट गईं ओर टुकुर टुकुर भाभी को देखते हुए समझने की जतन करने लगीं की अभी अभी क्या हुआ जो भाभी इतनी तेजी से चीखी, पुष्पा आगे कुछ बोलती उससे पहले अंधी की तरह एक के बाद एक सुरभि, सुकन्या और अपश्यु कमरे मे घुस आई, साथ ही महल के नौकर भी आ गए। सुरभि कमला के पास बैठ गई और बोली... बहु क्या हुआ जो इतनी तेज चीखा।

सुकन्या... हां बहु क्या देख लिया जो इतनी तेज चीखा।

कमल से कुछ बोला नहीं गया बस दाएं बाएं नजरे घुमाकर कमरे का जायजा लेने में लगीं रहीं। भाभी को यूं हरकतें करता देखकर पुष्पा बोली... हां हां पूछो पूछो ढंग से पूछो, क्या हुआ जो भाभी इतनी तेज चीखा भाभी ने चीख कर मेरे कान के पर्दे फाड़ दिया।

इतना बोलकर पुष्पा मुस्कुराने लग गईं। बहन को मुस्कुराते देखकर अपश्यू बोला... मुझे लगता हैं भाभी के चीखने के पीछे पुष्पा की कोई शरारत रही होगी। फ़िर पुष्पा की ओर देखकर बोला...pushpaaa बता तूने ऐसा क्या किया जो भाभी इतनी जोर जोर से चीख पड़ी।

सुरभि...pushpaaa बताती क्यों नहीं जल्दी बता तूने ऐसा क्या किया जो बहु चीखने पर मजबूर हों गईं।

पुष्पा... पूछना ही हैं तो भाभी से पूछो, किन ख्यालों मे खोई हुई थी जो मुझे ऐसा कुछ करना पड़ा जिसने भाभी को चीखने पर मजबूर‌ कर दिया।

सुकन्या...मतलब की अभी जो कुछ भी हुआ उसकी वजह तू हैं पर ये तो बता तूने ऐसा क्या किया जो बहू चीख पड़ी कहीं तेरी वजह से बहु को कही चोट तो न लग गई। फ़िर सुरभि की और देखकर बोली... दीदी जरा देखो तो बहु को कहीं चोट तो नहीं लगी हैं।

सुरभि कुछ भी कहती या करती उससे पहले पुष्पा बोली... छोटी मां ऐसा कुछ नहीं हुआ। आप ये ख्याल अपने दिल से निकल दो कि मेरे कारण भाभी को कभी कोई चोट पहुंचेगी।

सुरभि... अच्छा अच्छा ठीक हैं अब ये बता तूने ऐसा क्या किया जो मेरी मासूम सी बहु चीख पड़ी।

पुष्पा मुस्कुराते हुए बोली... भाभी मासूम तो है साथ ही वावली भी, जरा पूछो तो किन ख्यालों मे खोकर ववली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

पुष्पा का इतना बोलना हुआ और कमला का मन मस्तिष्क एक बार फ़िर उन्हीं ख्यालों मे खो गईं। जिन ख्यालों मे खोकर कमला ववालो जैसी मुस्कुरा रहीं थीं। अभी क्या हुआ ये जाने के लिए सुरभी कमला की तरफ देखा तो कमला उन्हें मुस्कुराते हुए दिखा तब सुरभी बोली…बहु ऐसा क्या सोच रहीं थीं? जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं।

कुछ पल के लिए ख्यालों में कोई कमला सास की बाते सुनकर ख्यालों से वापस आ गईं। किंतु सास की बाते वो सुन नहीं पाई इसलिए बोली... मम्मी जी अपने कुछ पूछा।

सुरभि... हां पूछा तो है पर लगता है तुमने ध्यान से सुना नहीं ठीक है एक बार और पूछ लेती हूं। तुम ऐसा क्या सोच रहीं थी जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं

पुष्पा...हां हां बोलो बोलो क्या सोच रहीं थीं जो यूं ववाली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

सुरभि... तू चुप रहेगी तब न बोलेगी। फ़िर कमला के सिर पर हाथ फिरते हुए बोली... बोलों बहु ऐसा किया सोच रहीं थी।


कमला के मुस्कुराने की वजह जानने पर सास को जोर देता देखकर कमला खुद से मन में बोली... अब क्या करूं क्या बोलूं मैं उनकी (रघु की) कहीं बातों के बारे में सोच रहीं थीं ये कैसे बोलूं नहीं नहीं ये नहीं बोल सकती हूं कुछ ओर बोलता हूं।

कमला... मम्मी जी कुछ तो सोच रहीं थी पर क्या ये याद नहीं आ रहीं हैं? सब इस महारानी जी के कारण हुआ। मेरे कानों के पास जोर से नहीं चीखती तो न मैं डरती न ही मैं भूलती कि मैं क्या सोच रहीं थीं।

पुष्पा... वाहा जी वाहा! खुद ही दूध को खुल्ला छोड़ दिया जब बिल्ली सारा दूध पी गई तो दोष बिल्ली को ही दे रहीं हों कि बिल्ली ने दूध पिया ही क्यों था?

इतना बोलकर पुष्पा खिल्ली उड़ने के तर्ज पर हंस दिया। बाकी बचे लोगों में से किसी के पल्ले कुछ न पड़ा तो सभी एक साथ सिर खुजाते हुई। पुष्पा को ताकने लग गए। कुछ पल ताका झाकी चलता रहा फ़िर अपश्यु बोला...क्या दूध बिल्ला की राग अलाप रहीं हैं। कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फ़िर सुरभी की और देखकर बोला... बड़ी मां पुष्पा ने क्या बोला आप'को कुछ समझ आया।

सुरभि...unhuuu कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फिर एक नजर सुकन्या और कमला की ओर देखकर बोली... तुम दोनों कुछ समझ पाए तो जरा मुझे भी बता दो, दूध और बिल्ली की ओर इशारा करके पुष्पा क्या कहना चाह रहीं थीं।

सुकन्या कंधा उचकाते हुई बोली...दीदी मैं ख़ुद नहीं समझ पाई आप'को क्या समझाऊं, जिसने कहा उससे ही पूछ लो, मुझसे न पूछो तो बेहतर होगा। ।

कमला दया हीन भाव से पुष्पा की ओर देखकर बोली... ननद रानी पहेली सुनकर क्या बताना चाह रहीं थीं कुछ समझ नहीं आया। जरा स्पष्ट कहो क्या कहना चाहती हों?

पुष्पा…मेरी बाते आप'के पल्ले नहीं पड़ेगी इसलिए बेहतर होगा आप अपने दिमाग को बेफाजुल ओर न उलझाओ बस आप सभी इतना करो यह से प्रस्थान करो।

सुरभि... हम चले जायेंगे पहले जान तो ले बहू इतनी जोर से चीखी क्यों?

पुष्पा…आप'को जो भी जानना हैं पहले मैं जान लूं फिर आप सभी को बता दूंगा। अब आप सभी जाओ। भाभी से मुलाकात का समय आप सभी के लिए खत्म हुआ।

अपश्यु...बड़ी आई मुलाकात का समय खत्म करने वाली हम तब तक नहीं जायेगे जब तक भाभी बता ना दे, वो चीखी क्यों थी?

पुष्पा... ये महल, महारानी पुष्पा का हैं। इसलिए महारानी पुष्पा आप सभी को हुक्म सुनती हैं आप सभी यहां से बिना विलंब प्रस्थान करो अन्यथा आप सभी सजा के पात्र बन जाओगे।

सुकन्या…maharaniii jiii...।

सुकन्या बस इतना ही बोला था की पुष्पा बीच में रोककर सुकन्या और अपश्यु का हाथ पकड़कर खींचते हुई कमरे से बाहर ले गई। दोनों को बाहर छोड़कर अंदर आई और भौहें हिलाते हुई सुरभि से बोली... मां अब आप'को भी अगल से कहना पड़ेगा।

सुरभि...parrrr...।

सुरभि बस इतना ही बोला थी की पुष्पा मां का हाथ पकड़कर उठाया ओर खींचते हुई बाहर ले गई। पुष्पा को खींचा तानी करते देखकर कमला हंसने से खुद को रोक नहीं पाई। कमरे से बाहर निकलते ही सुरभि बोली... पुष्पा ये तू ठीक नहीं कर रहीं हैं। आने दे तेरे पापा को उसने तेरी शिकायत करूंगी।

सुकन्या…रहने दो दीदी जेठ जी से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं होगा। जेठ जी आप'की एक नहीं सुनने वाले उल्टा वो तो पुष्पा के पक्ष में रहकर आप'को ही डांट लगा देंगे।

पुष्पा खिल्ली उड़ने वाली हसीं हंसते हुई बोलीं... मां आप से समझदार मेरी छोटी मां हैं। इसलिए अब यहां से खिसको ओर हां पापा से जो शिकायत करनी हैं कर देना। उनसे कैसे निपटना हैं मै अच्छे से जानती हूं।

इतना कहकर पुष्पा कमरे के अंदर गई। कमरे का दरवाजा बंद करते हुए बोलीं... अभी ननद और भाभी आपस में बातें करेंगे। इसलिए जब तक मैं और भाभी ख़ुद से बाहर नहीं आ जाते कोई भी हमे परेशान नहीं करेगा।

इतना बोलकर पुष्पा दरवाजा बन्दकर कुंडी लगा दिया और बाहर से तीनों बस मुस्कुराते हुई चले गए। भाभी के पास पहुंचकर पुष्पा बोली... भाभी अब आप वो बताओं जिसे जानने के लिए मां इतना जोर दे रहीं थीं पर अपने वो न बताकर कुछ ओर ही बोल दिया।

कमला... बता तो दिया था अब बताने को रह ही किया गया।

पुष्पा... भाभी कम से कम मुझसे तो झूठ न बोलों, मैं जानती हूं आप भईया के कैसी बात पर सोच सोच कर मुस्कुरा रहीं थीं।

कमला अचंभित भाव से ननद को देखते हुई बोलीं... तुम्हें कैसे पाता मैंने तो कुछ कहा ही नहीं।

पुष्पा…आप बस इतना जान लो जैसे भी जितना भी मुझे पाता चला वो सब आप ने बताया अब ज्यादा नखरे न करो ओर बता दो। हां अगर ज्यादा गोपनीय बाते हैं तो मैं जानने पर जोर नहीं दूंगा।

कमला...umhunnn बताया जा सकता हैं। इतना गोपनीय भी नही हैं।

इतना सुनते ही पुष्पा धाम से भाभी के पास बैठ गई ओर जल्दी जानने की उत्सुक भाव लिए बोली... तो फिर देर किस बात की जल्दी से सुना ढालों।

ननद की उत्सुकता देखकर कमला मुस्कुराते हुई बोलीं... तुम भी न ननद रानी हमेशा जल्दी में रहती हों इतना जल्दी बाज़ी करना ठीक नहीं हैं।

पुष्पा hunhhh करके मुंह बिचका लिए फिर दूसरे ओर नजरे फेर कर रूठने का दिखावा करने लगीं। यह देखकर कमला चीर परिचित अंदाज में मुस्कुरा दिया ओर बोली…यूं रूठने का दिखावा कम से कम मेरे सामने तो न करो। अब मेरी ओर देखो ।

भाभी के बोलने पर जब पुष्पा नहीं मुड़ी तो कमला ननद की ठोड़ी से पकड़कर खुद की ओर गुमाया फ़िर बोलीं...अच्छा बाबा अब ये रूठना छोड़ो ओर मेरी ओर देखो नहीं देखा तो मैं कुछ भी नहीं बताने वाली।

भाभी के इतना कहते ही पुष्पा मंद मंद मुस्कान लावो पर लिए भाभी की ओर पलटी तब कमला बोली... ननद रानी आज तुम्हारे भईया ऑफिस नहीं जाना चाहते थे। वो मुझे कहीं घूमने ले जाना चाहते थे। तुम्हारे भईया कह रहे थे वो मेरी साथ वक्त बिताकर मुझे ओर अच्छे से जाना चाहते हैं पर मैं….।

कमल आगे कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा बीच में रोककर बोली... तो फिर आप गए क्यों नहीं आपको भईया के साथ जाना चाहिए था।

कमला... कैसे चली जाती उनको ऑफिस में कितना काम होगा फ़िर भी इसके साथ घूमने जाती तो लोग क्या कहते कि देखो नई बहू के आए दिन ही कितने हुए ओर पति के साथ घूमने निकल पड़ी। हों सकता है मम्मी जी ख़ुद ही बुरा मान जाती।

भाभी की इतनी बाते सुनते ही पुष्पा उठ खड़ी हुई ओर भाभी का हाथ पकड़कर खींचते हुई बोलीं... आप चलो मेरे साथ।

कमला…रूको तो जरा कहा चलना हैं ये बताओं।

पुष्पा बिना कुछ बोले भाभी का हाथ थामे कमरे से बाहर को चल दिया। "रूको तो जरा, रूको तो जरा" कहते हुए कमला ननद के साथ खींची चली गईं।

इधर पुष्पा द्वारा कमरे से जबरदस्ती निकल दिए जाने पर अपश्यु अपने कमरे में चला गया एवम सुरभी और सुकन्या बैठक में जाकर बैठ गई। बैठते ही सुकन्या बोलीं…दीदी ऐसा किया हुआ होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी?

सुरभि... होना क्या? जरूर पुष्पा ने ही कोई शरारत किया होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी। अगर पुष्पा ने शरारत न किया होता तो हमे ऐसे जबरदस्ती कमरे ने बाहर क्यों भेज देती।

सुकन्या...दीदी पुष्पा बहु के साथ इतनी शरारत करती हैं। कहीं बहु उसकी बातों का बुरा न मान बैठे।

सुरभि... अच्छा एक बात बता पुष्पा की शरारतों का हम में से कोई बुरा मानता हैं।

सुकन्या…हम पुष्पा को अच्छे से जानते हैं इसलिए उसकी बातों का बुरा नहीं मानते पर बहू अभी अभी आई हैं इसलिए मुझे डर सताता हैं कहीं बहू बुरा न मान जाए।

सुरभि... तू बेवजह डर रहीं हैं। तूने शायद ध्यान नहीं दिया होगा। बहू जब से आई हैं बहुत ही कम ऐसा हुआ कि बहु मायके को याद करके उदास हुई हों। ऐसा हुआ हैं तो सिर्फ़ पुष्पा के कारण उसकी यहीं शरारते ही बहू का मन इस घर में लगा कर रखती हैं।

सुकन्या…हां ये तो अपने ठीक कहा।

सुकन्या के इतना बोलते ही एक आवाज आया... छोटी मां, मां ने ऐसा किया कहा जिसे आप ठीक कह रही हों।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏🙏
Hum nanad bhabhi ka masti majaak wala update pushpa ji ka kaaam bemisaal hai gharwale sab pareshan nayi bahu ko kya hua kyu hua ab sabten aise batai bhi nai jata ab dekhna hai pushpa kya karti hai kamaal
 
Member
216
274
63
Update - 46

रघु तो ऑफिस चला गया पर यहां उसकी बीबी को न जानें किया हुआ। बेड पर बैठी बैठी कुछ सोच रहीं थीं और मंद मंद मुस्कुरा रहीं थीं। कमला खुद की ख्यालों में इतना खोई हुई थीं कि उसे सुनाई ही नहीं दे रही हैं। कोई उसे कब से चीख चीख कर बुला रहीं हैं।

कमला को बुलाने वाली कोई ओर नहीं पुष्पा ही थीं। रघु के ऑफिस जाने के बाद भी, जब कमला रूम से बाहर नहीं आई तो पुष्पा खुद भाभी के कमरे में पहुंच गईं। वहां पहुंचकर जो देखा उसे देखते ही पुष्पा खुद मुस्कुराए बिन रह न सकी कुछ पल तक पुष्पा द्वार पर खड़ी खड़ी भाभी को यूं ख्यालों मे खोई मुस्कुराती देखती रहीं फ़िर दो तीन बार द्वार को थप थपाया परंतु कमला पर इस आहट का कोई असर न हुआ। जिऊं की तिऊं कमल ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी को यूं बेसुद हो'कर ख्यालों मे खोया मुस्कुराता देखकर पुष्पा बोली...भाभी को हुआ क्या हैं? किन ख्यालों मे इतनी खोई हुई हैं कि उन्हें इतना भी सूद नहीं हैं कि द्वार पर कोई आया हैं और भाभी को आज हुआ किया जो यूं ख्यालों मे गुम वावलो की तरह मुस्कुरा रहीं हैं।

इतना बोलकर पुष्पा कुछ पल ओर द्वार पर खड़ी रहीं परन्तु कमला में कोई बदलाव नहीं आया। वो तो वैसे ही ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी भाभी बोलकर आवाज देते हुए पुष्पा कमला के पास तक पहुंच गई। किंतु कमला ख्यालों से पल भर के लिए बाहर नहीं आई। तब पुष्पा भाभी के कंधे पर हाथ रखकर हिलाते हुए बोली...भाभी आप'को क्या हुआ? कब से आप'को आवाज दे रहीं हूं। आप सुन ही नहीं रहीं हों।

कमला ख्यालों मे खोई हुई। पुष्पा का हाथ कंधे से हटाते हुए बोली...आप अभी तक ऑफिस नहीं गए। आप'को एक बार बोलने से सुनते क्यों नहीं जाओ जल्दी से ऑफिस जाओ।

पुष्पा... भाभी मै puspaaaa...।

बोलते बोलते रूक गईं फ़िर मन ही मन बोली... अच्छा तो ये बात है रूको अभी बताती हूं।

इतना बोलकर भाभी के कान के पास मुंह ले जा'कर पुष्पा bhabhiiii, जोर आवाज मे चीखते हुए बोली, अचानक तीव्र स्वर कान के पर्दों को छूने का असर यूं हुआ कि oreee bapppp rayyy bhoottt bhoottt तेज आवाज से चीखते हुए कमला ख्यालों से बाहर आई फ़िर इधर उधर देखने लग गई।

इतनी जोर आवाज मे भाभी को चीखते देखकर पुष्पा दो कदम पीछे हट गईं ओर टुकुर टुकुर भाभी को देखते हुए समझने की जतन करने लगीं की अभी अभी क्या हुआ जो भाभी इतनी तेजी से चीखी, पुष्पा आगे कुछ बोलती उससे पहले अंधी की तरह एक के बाद एक सुरभि, सुकन्या और अपश्यु कमरे मे घुस आई, साथ ही महल के नौकर भी आ गए। सुरभि कमला के पास बैठ गई और बोली... बहु क्या हुआ जो इतनी तेज चीखा।

सुकन्या... हां बहु क्या देख लिया जो इतनी तेज चीखा।

कमल से कुछ बोला नहीं गया बस दाएं बाएं नजरे घुमाकर कमरे का जायजा लेने में लगीं रहीं। भाभी को यूं हरकतें करता देखकर पुष्पा बोली... हां हां पूछो पूछो ढंग से पूछो, क्या हुआ जो भाभी इतनी तेज चीखा भाभी ने चीख कर मेरे कान के पर्दे फाड़ दिया।

इतना बोलकर पुष्पा मुस्कुराने लग गईं। बहन को मुस्कुराते देखकर अपश्यू बोला... मुझे लगता हैं भाभी के चीखने के पीछे पुष्पा की कोई शरारत रही होगी। फ़िर पुष्पा की ओर देखकर बोला...pushpaaa बता तूने ऐसा क्या किया जो भाभी इतनी जोर जोर से चीख पड़ी।

सुरभि...pushpaaa बताती क्यों नहीं जल्दी बता तूने ऐसा क्या किया जो बहु चीखने पर मजबूर हों गईं।

पुष्पा... पूछना ही हैं तो भाभी से पूछो, किन ख्यालों मे खोई हुई थी जो मुझे ऐसा कुछ करना पड़ा जिसने भाभी को चीखने पर मजबूर‌ कर दिया।

सुकन्या...मतलब की अभी जो कुछ भी हुआ उसकी वजह तू हैं पर ये तो बता तूने ऐसा क्या किया जो बहू चीख पड़ी कहीं तेरी वजह से बहु को कही चोट तो न लग गई। फ़िर सुरभि की और देखकर बोली... दीदी जरा देखो तो बहु को कहीं चोट तो नहीं लगी हैं।

सुरभि कुछ भी कहती या करती उससे पहले पुष्पा बोली... छोटी मां ऐसा कुछ नहीं हुआ। आप ये ख्याल अपने दिल से निकल दो कि मेरे कारण भाभी को कभी कोई चोट पहुंचेगी।

सुरभि... अच्छा अच्छा ठीक हैं अब ये बता तूने ऐसा क्या किया जो मेरी मासूम सी बहु चीख पड़ी।

पुष्पा मुस्कुराते हुए बोली... भाभी मासूम तो है साथ ही वावली भी, जरा पूछो तो किन ख्यालों मे खोकर ववली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

पुष्पा का इतना बोलना हुआ और कमला का मन मस्तिष्क एक बार फ़िर उन्हीं ख्यालों मे खो गईं। जिन ख्यालों मे खोकर कमला ववालो जैसी मुस्कुरा रहीं थीं। अभी क्या हुआ ये जाने के लिए सुरभी कमला की तरफ देखा तो कमला उन्हें मुस्कुराते हुए दिखा तब सुरभी बोली…बहु ऐसा क्या सोच रहीं थीं? जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं।

कुछ पल के लिए ख्यालों में कोई कमला सास की बाते सुनकर ख्यालों से वापस आ गईं। किंतु सास की बाते वो सुन नहीं पाई इसलिए बोली... मम्मी जी अपने कुछ पूछा।

सुरभि... हां पूछा तो है पर लगता है तुमने ध्यान से सुना नहीं ठीक है एक बार और पूछ लेती हूं। तुम ऐसा क्या सोच रहीं थी जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं

पुष्पा...हां हां बोलो बोलो क्या सोच रहीं थीं जो यूं ववाली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

सुरभि... तू चुप रहेगी तब न बोलेगी। फ़िर कमला के सिर पर हाथ फिरते हुए बोली... बोलों बहु ऐसा किया सोच रहीं थी।


कमला के मुस्कुराने की वजह जानने पर सास को जोर देता देखकर कमला खुद से मन में बोली... अब क्या करूं क्या बोलूं मैं उनकी (रघु की) कहीं बातों के बारे में सोच रहीं थीं ये कैसे बोलूं नहीं नहीं ये नहीं बोल सकती हूं कुछ ओर बोलता हूं।

कमला... मम्मी जी कुछ तो सोच रहीं थी पर क्या ये याद नहीं आ रहीं हैं? सब इस महारानी जी के कारण हुआ। मेरे कानों के पास जोर से नहीं चीखती तो न मैं डरती न ही मैं भूलती कि मैं क्या सोच रहीं थीं।

पुष्पा... वाहा जी वाहा! खुद ही दूध को खुल्ला छोड़ दिया जब बिल्ली सारा दूध पी गई तो दोष बिल्ली को ही दे रहीं हों कि बिल्ली ने दूध पिया ही क्यों था?

इतना बोलकर पुष्पा खिल्ली उड़ने के तर्ज पर हंस दिया। बाकी बचे लोगों में से किसी के पल्ले कुछ न पड़ा तो सभी एक साथ सिर खुजाते हुई। पुष्पा को ताकने लग गए। कुछ पल ताका झाकी चलता रहा फ़िर अपश्यु बोला...क्या दूध बिल्ला की राग अलाप रहीं हैं। कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फ़िर सुरभी की और देखकर बोला... बड़ी मां पुष्पा ने क्या बोला आप'को कुछ समझ आया।

सुरभि...unhuuu कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फिर एक नजर सुकन्या और कमला की ओर देखकर बोली... तुम दोनों कुछ समझ पाए तो जरा मुझे भी बता दो, दूध और बिल्ली की ओर इशारा करके पुष्पा क्या कहना चाह रहीं थीं।

सुकन्या कंधा उचकाते हुई बोली...दीदी मैं ख़ुद नहीं समझ पाई आप'को क्या समझाऊं, जिसने कहा उससे ही पूछ लो, मुझसे न पूछो तो बेहतर होगा। ।

कमला दया हीन भाव से पुष्पा की ओर देखकर बोली... ननद रानी पहेली सुनकर क्या बताना चाह रहीं थीं कुछ समझ नहीं आया। जरा स्पष्ट कहो क्या कहना चाहती हों?

पुष्पा…मेरी बाते आप'के पल्ले नहीं पड़ेगी इसलिए बेहतर होगा आप अपने दिमाग को बेफाजुल ओर न उलझाओ बस आप सभी इतना करो यह से प्रस्थान करो।

सुरभि... हम चले जायेंगे पहले जान तो ले बहू इतनी जोर से चीखी क्यों?

पुष्पा…आप'को जो भी जानना हैं पहले मैं जान लूं फिर आप सभी को बता दूंगा। अब आप सभी जाओ। भाभी से मुलाकात का समय आप सभी के लिए खत्म हुआ।

अपश्यु...बड़ी आई मुलाकात का समय खत्म करने वाली हम तब तक नहीं जायेगे जब तक भाभी बता ना दे, वो चीखी क्यों थी?

पुष्पा... ये महल, महारानी पुष्पा का हैं। इसलिए महारानी पुष्पा आप सभी को हुक्म सुनती हैं आप सभी यहां से बिना विलंब प्रस्थान करो अन्यथा आप सभी सजा के पात्र बन जाओगे।

सुकन्या…maharaniii jiii...।

सुकन्या बस इतना ही बोला था की पुष्पा बीच में रोककर सुकन्या और अपश्यु का हाथ पकड़कर खींचते हुई कमरे से बाहर ले गई। दोनों को बाहर छोड़कर अंदर आई और भौहें हिलाते हुई सुरभि से बोली... मां अब आप'को भी अगल से कहना पड़ेगा।

सुरभि...parrrr...।

सुरभि बस इतना ही बोला थी की पुष्पा मां का हाथ पकड़कर उठाया ओर खींचते हुई बाहर ले गई। पुष्पा को खींचा तानी करते देखकर कमला हंसने से खुद को रोक नहीं पाई। कमरे से बाहर निकलते ही सुरभि बोली... पुष्पा ये तू ठीक नहीं कर रहीं हैं। आने दे तेरे पापा को उसने तेरी शिकायत करूंगी।

सुकन्या…रहने दो दीदी जेठ जी से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं होगा। जेठ जी आप'की एक नहीं सुनने वाले उल्टा वो तो पुष्पा के पक्ष में रहकर आप'को ही डांट लगा देंगे।

पुष्पा खिल्ली उड़ने वाली हसीं हंसते हुई बोलीं... मां आप से समझदार मेरी छोटी मां हैं। इसलिए अब यहां से खिसको ओर हां पापा से जो शिकायत करनी हैं कर देना। उनसे कैसे निपटना हैं मै अच्छे से जानती हूं।

इतना कहकर पुष्पा कमरे के अंदर गई। कमरे का दरवाजा बंद करते हुए बोलीं... अभी ननद और भाभी आपस में बातें करेंगे। इसलिए जब तक मैं और भाभी ख़ुद से बाहर नहीं आ जाते कोई भी हमे परेशान नहीं करेगा।

इतना बोलकर पुष्पा दरवाजा बन्दकर कुंडी लगा दिया और बाहर से तीनों बस मुस्कुराते हुई चले गए। भाभी के पास पहुंचकर पुष्पा बोली... भाभी अब आप वो बताओं जिसे जानने के लिए मां इतना जोर दे रहीं थीं पर अपने वो न बताकर कुछ ओर ही बोल दिया।

कमला... बता तो दिया था अब बताने को रह ही किया गया।

पुष्पा... भाभी कम से कम मुझसे तो झूठ न बोलों, मैं जानती हूं आप भईया के कैसी बात पर सोच सोच कर मुस्कुरा रहीं थीं।

कमला अचंभित भाव से ननद को देखते हुई बोलीं... तुम्हें कैसे पाता मैंने तो कुछ कहा ही नहीं।

पुष्पा…आप बस इतना जान लो जैसे भी जितना भी मुझे पाता चला वो सब आप ने बताया अब ज्यादा नखरे न करो ओर बता दो। हां अगर ज्यादा गोपनीय बाते हैं तो मैं जानने पर जोर नहीं दूंगा।

कमला...umhunnn बताया जा सकता हैं। इतना गोपनीय भी नही हैं।

इतना सुनते ही पुष्पा धाम से भाभी के पास बैठ गई ओर जल्दी जानने की उत्सुक भाव लिए बोली... तो फिर देर किस बात की जल्दी से सुना ढालों।

ननद की उत्सुकता देखकर कमला मुस्कुराते हुई बोलीं... तुम भी न ननद रानी हमेशा जल्दी में रहती हों इतना जल्दी बाज़ी करना ठीक नहीं हैं।

पुष्पा hunhhh करके मुंह बिचका लिए फिर दूसरे ओर नजरे फेर कर रूठने का दिखावा करने लगीं। यह देखकर कमला चीर परिचित अंदाज में मुस्कुरा दिया ओर बोली…यूं रूठने का दिखावा कम से कम मेरे सामने तो न करो। अब मेरी ओर देखो ।

भाभी के बोलने पर जब पुष्पा नहीं मुड़ी तो कमला ननद की ठोड़ी से पकड़कर खुद की ओर गुमाया फ़िर बोलीं...अच्छा बाबा अब ये रूठना छोड़ो ओर मेरी ओर देखो नहीं देखा तो मैं कुछ भी नहीं बताने वाली।

भाभी के इतना कहते ही पुष्पा मंद मंद मुस्कान लावो पर लिए भाभी की ओर पलटी तब कमला बोली... ननद रानी आज तुम्हारे भईया ऑफिस नहीं जाना चाहते थे। वो मुझे कहीं घूमने ले जाना चाहते थे। तुम्हारे भईया कह रहे थे वो मेरी साथ वक्त बिताकर मुझे ओर अच्छे से जाना चाहते हैं पर मैं….।

कमल आगे कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा बीच में रोककर बोली... तो फिर आप गए क्यों नहीं आपको भईया के साथ जाना चाहिए था।

कमला... कैसे चली जाती उनको ऑफिस में कितना काम होगा फ़िर भी इसके साथ घूमने जाती तो लोग क्या कहते कि देखो नई बहू के आए दिन ही कितने हुए ओर पति के साथ घूमने निकल पड़ी। हों सकता है मम्मी जी ख़ुद ही बुरा मान जाती।

भाभी की इतनी बाते सुनते ही पुष्पा उठ खड़ी हुई ओर भाभी का हाथ पकड़कर खींचते हुई बोलीं... आप चलो मेरे साथ।

कमला…रूको तो जरा कहा चलना हैं ये बताओं।

पुष्पा बिना कुछ बोले भाभी का हाथ थामे कमरे से बाहर को चल दिया। "रूको तो जरा, रूको तो जरा" कहते हुए कमला ननद के साथ खींची चली गईं।

इधर पुष्पा द्वारा कमरे से जबरदस्ती निकल दिए जाने पर अपश्यु अपने कमरे में चला गया एवम सुरभी और सुकन्या बैठक में जाकर बैठ गई। बैठते ही सुकन्या बोलीं…दीदी ऐसा किया हुआ होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी?

सुरभि... होना क्या? जरूर पुष्पा ने ही कोई शरारत किया होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी। अगर पुष्पा ने शरारत न किया होता तो हमे ऐसे जबरदस्ती कमरे ने बाहर क्यों भेज देती।

सुकन्या...दीदी पुष्पा बहु के साथ इतनी शरारत करती हैं। कहीं बहु उसकी बातों का बुरा न मान बैठे।

सुरभि... अच्छा एक बात बता पुष्पा की शरारतों का हम में से कोई बुरा मानता हैं।

सुकन्या…हम पुष्पा को अच्छे से जानते हैं इसलिए उसकी बातों का बुरा नहीं मानते पर बहू अभी अभी आई हैं इसलिए मुझे डर सताता हैं कहीं बहू बुरा न मान जाए।

सुरभि... तू बेवजह डर रहीं हैं। तूने शायद ध्यान नहीं दिया होगा। बहू जब से आई हैं बहुत ही कम ऐसा हुआ कि बहु मायके को याद करके उदास हुई हों। ऐसा हुआ हैं तो सिर्फ़ पुष्पा के कारण उसकी यहीं शरारते ही बहू का मन इस घर में लगा कर रखती हैं।

सुकन्या…हां ये तो अपने ठीक कहा।

सुकन्या के इतना बोलते ही एक आवाज आया... छोटी मां, मां ने ऐसा किया कहा जिसे आप ठीक कह रही हों।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏🙏
supreb nanad aur bhabhi ke pyaar wala update nanad badi masoom saitaan ghar ke sab logon ko Kare pareshan lekin sab chaheti sabki hai jaan.
 
Reading
Moderator
395
672
93
Update - 46

रघु तो ऑफिस चला गया पर यहां उसकी बीबी को न जानें किया हुआ। बेड पर बैठी बैठी कुछ सोच रहीं थीं और मंद मंद मुस्कुरा रहीं थीं। कमला खुद की ख्यालों में इतना खोई हुई थीं कि उसे सुनाई ही नहीं दे रही हैं। कोई उसे कब से चीख चीख कर बुला रहीं हैं।

कमला को बुलाने वाली कोई ओर नहीं पुष्पा ही थीं। रघु के ऑफिस जाने के बाद भी, जब कमला रूम से बाहर नहीं आई तो पुष्पा खुद भाभी के कमरे में पहुंच गईं। वहां पहुंचकर जो देखा उसे देखते ही पुष्पा खुद मुस्कुराए बिन रह न सकी कुछ पल तक पुष्पा द्वार पर खड़ी खड़ी भाभी को यूं ख्यालों मे खोई मुस्कुराती देखती रहीं फ़िर दो तीन बार द्वार को थप थपाया परंतु कमला पर इस आहट का कोई असर न हुआ। जिऊं की तिऊं कमल ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी को यूं बेसुद हो'कर ख्यालों मे खोया मुस्कुराता देखकर पुष्पा बोली...भाभी को हुआ क्या हैं? किन ख्यालों मे इतनी खोई हुई हैं कि उन्हें इतना भी सूद नहीं हैं कि द्वार पर कोई आया हैं और भाभी को आज हुआ किया जो यूं ख्यालों मे गुम वावलो की तरह मुस्कुरा रहीं हैं।

इतना बोलकर पुष्पा कुछ पल ओर द्वार पर खड़ी रहीं परन्तु कमला में कोई बदलाव नहीं आया। वो तो वैसे ही ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी भाभी बोलकर आवाज देते हुए पुष्पा कमला के पास तक पहुंच गई। किंतु कमला ख्यालों से पल भर के लिए बाहर नहीं आई। तब पुष्पा भाभी के कंधे पर हाथ रखकर हिलाते हुए बोली...भाभी आप'को क्या हुआ? कब से आप'को आवाज दे रहीं हूं। आप सुन ही नहीं रहीं हों।

कमला ख्यालों मे खोई हुई। पुष्पा का हाथ कंधे से हटाते हुए बोली...आप अभी तक ऑफिस नहीं गए। आप'को एक बार बोलने से सुनते क्यों नहीं जाओ जल्दी से ऑफिस जाओ।

पुष्पा... भाभी मै puspaaaa...।

बोलते बोलते रूक गईं फ़िर मन ही मन बोली... अच्छा तो ये बात है रूको अभी बताती हूं।

इतना बोलकर भाभी के कान के पास मुंह ले जा'कर पुष्पा bhabhiiii, जोर आवाज मे चीखते हुए बोली, अचानक तीव्र स्वर कान के पर्दों को छूने का असर यूं हुआ कि oreee bapppp rayyy bhoottt bhoottt तेज आवाज से चीखते हुए कमला ख्यालों से बाहर आई फ़िर इधर उधर देखने लग गई।

इतनी जोर आवाज मे भाभी को चीखते देखकर पुष्पा दो कदम पीछे हट गईं ओर टुकुर टुकुर भाभी को देखते हुए समझने की जतन करने लगीं की अभी अभी क्या हुआ जो भाभी इतनी तेजी से चीखी, पुष्पा आगे कुछ बोलती उससे पहले अंधी की तरह एक के बाद एक सुरभि, सुकन्या और अपश्यु कमरे मे घुस आई, साथ ही महल के नौकर भी आ गए। सुरभि कमला के पास बैठ गई और बोली... बहु क्या हुआ जो इतनी तेज चीखा।

सुकन्या... हां बहु क्या देख लिया जो इतनी तेज चीखा।

कमल से कुछ बोला नहीं गया बस दाएं बाएं नजरे घुमाकर कमरे का जायजा लेने में लगीं रहीं। भाभी को यूं हरकतें करता देखकर पुष्पा बोली... हां हां पूछो पूछो ढंग से पूछो, क्या हुआ जो भाभी इतनी तेज चीखा भाभी ने चीख कर मेरे कान के पर्दे फाड़ दिया।

इतना बोलकर पुष्पा मुस्कुराने लग गईं। बहन को मुस्कुराते देखकर अपश्यू बोला... मुझे लगता हैं भाभी के चीखने के पीछे पुष्पा की कोई शरारत रही होगी। फ़िर पुष्पा की ओर देखकर बोला...pushpaaa बता तूने ऐसा क्या किया जो भाभी इतनी जोर जोर से चीख पड़ी।

सुरभि...pushpaaa बताती क्यों नहीं जल्दी बता तूने ऐसा क्या किया जो बहु चीखने पर मजबूर हों गईं।

पुष्पा... पूछना ही हैं तो भाभी से पूछो, किन ख्यालों मे खोई हुई थी जो मुझे ऐसा कुछ करना पड़ा जिसने भाभी को चीखने पर मजबूर‌ कर दिया।

सुकन्या...मतलब की अभी जो कुछ भी हुआ उसकी वजह तू हैं पर ये तो बता तूने ऐसा क्या किया जो बहू चीख पड़ी कहीं तेरी वजह से बहु को कही चोट तो न लग गई। फ़िर सुरभि की और देखकर बोली... दीदी जरा देखो तो बहु को कहीं चोट तो नहीं लगी हैं।

सुरभि कुछ भी कहती या करती उससे पहले पुष्पा बोली... छोटी मां ऐसा कुछ नहीं हुआ। आप ये ख्याल अपने दिल से निकल दो कि मेरे कारण भाभी को कभी कोई चोट पहुंचेगी।

सुरभि... अच्छा अच्छा ठीक हैं अब ये बता तूने ऐसा क्या किया जो मेरी मासूम सी बहु चीख पड़ी।

पुष्पा मुस्कुराते हुए बोली... भाभी मासूम तो है साथ ही वावली भी, जरा पूछो तो किन ख्यालों मे खोकर ववली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

पुष्पा का इतना बोलना हुआ और कमला का मन मस्तिष्क एक बार फ़िर उन्हीं ख्यालों मे खो गईं। जिन ख्यालों मे खोकर कमला ववालो जैसी मुस्कुरा रहीं थीं। अभी क्या हुआ ये जाने के लिए सुरभी कमला की तरफ देखा तो कमला उन्हें मुस्कुराते हुए दिखा तब सुरभी बोली…बहु ऐसा क्या सोच रहीं थीं? जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं।

कुछ पल के लिए ख्यालों में कोई कमला सास की बाते सुनकर ख्यालों से वापस आ गईं। किंतु सास की बाते वो सुन नहीं पाई इसलिए बोली... मम्मी जी अपने कुछ पूछा।

सुरभि... हां पूछा तो है पर लगता है तुमने ध्यान से सुना नहीं ठीक है एक बार और पूछ लेती हूं। तुम ऐसा क्या सोच रहीं थी जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं

पुष्पा...हां हां बोलो बोलो क्या सोच रहीं थीं जो यूं ववाली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

सुरभि... तू चुप रहेगी तब न बोलेगी। फ़िर कमला के सिर पर हाथ फिरते हुए बोली... बोलों बहु ऐसा किया सोच रहीं थी।


कमला के मुस्कुराने की वजह जानने पर सास को जोर देता देखकर कमला खुद से मन में बोली... अब क्या करूं क्या बोलूं मैं उनकी (रघु की) कहीं बातों के बारे में सोच रहीं थीं ये कैसे बोलूं नहीं नहीं ये नहीं बोल सकती हूं कुछ ओर बोलता हूं।

कमला... मम्मी जी कुछ तो सोच रहीं थी पर क्या ये याद नहीं आ रहीं हैं? सब इस महारानी जी के कारण हुआ। मेरे कानों के पास जोर से नहीं चीखती तो न मैं डरती न ही मैं भूलती कि मैं क्या सोच रहीं थीं।

पुष्पा... वाहा जी वाहा! खुद ही दूध को खुल्ला छोड़ दिया जब बिल्ली सारा दूध पी गई तो दोष बिल्ली को ही दे रहीं हों कि बिल्ली ने दूध पिया ही क्यों था?

इतना बोलकर पुष्पा खिल्ली उड़ने के तर्ज पर हंस दिया। बाकी बचे लोगों में से किसी के पल्ले कुछ न पड़ा तो सभी एक साथ सिर खुजाते हुई। पुष्पा को ताकने लग गए। कुछ पल ताका झाकी चलता रहा फ़िर अपश्यु बोला...क्या दूध बिल्ला की राग अलाप रहीं हैं। कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फ़िर सुरभी की और देखकर बोला... बड़ी मां पुष्पा ने क्या बोला आप'को कुछ समझ आया।

सुरभि...unhuuu कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फिर एक नजर सुकन्या और कमला की ओर देखकर बोली... तुम दोनों कुछ समझ पाए तो जरा मुझे भी बता दो, दूध और बिल्ली की ओर इशारा करके पुष्पा क्या कहना चाह रहीं थीं।

सुकन्या कंधा उचकाते हुई बोली...दीदी मैं ख़ुद नहीं समझ पाई आप'को क्या समझाऊं, जिसने कहा उससे ही पूछ लो, मुझसे न पूछो तो बेहतर होगा। ।

कमला दया हीन भाव से पुष्पा की ओर देखकर बोली... ननद रानी पहेली सुनकर क्या बताना चाह रहीं थीं कुछ समझ नहीं आया। जरा स्पष्ट कहो क्या कहना चाहती हों?

पुष्पा…मेरी बाते आप'के पल्ले नहीं पड़ेगी इसलिए बेहतर होगा आप अपने दिमाग को बेफाजुल ओर न उलझाओ बस आप सभी इतना करो यह से प्रस्थान करो।

सुरभि... हम चले जायेंगे पहले जान तो ले बहू इतनी जोर से चीखी क्यों?

पुष्पा…आप'को जो भी जानना हैं पहले मैं जान लूं फिर आप सभी को बता दूंगा। अब आप सभी जाओ। भाभी से मुलाकात का समय आप सभी के लिए खत्म हुआ।

अपश्यु...बड़ी आई मुलाकात का समय खत्म करने वाली हम तब तक नहीं जायेगे जब तक भाभी बता ना दे, वो चीखी क्यों थी?

पुष्पा... ये महल, महारानी पुष्पा का हैं। इसलिए महारानी पुष्पा आप सभी को हुक्म सुनती हैं आप सभी यहां से बिना विलंब प्रस्थान करो अन्यथा आप सभी सजा के पात्र बन जाओगे।

सुकन्या…maharaniii jiii...।

सुकन्या बस इतना ही बोला था की पुष्पा बीच में रोककर सुकन्या और अपश्यु का हाथ पकड़कर खींचते हुई कमरे से बाहर ले गई। दोनों को बाहर छोड़कर अंदर आई और भौहें हिलाते हुई सुरभि से बोली... मां अब आप'को भी अगल से कहना पड़ेगा।

सुरभि...parrrr...।

सुरभि बस इतना ही बोला थी की पुष्पा मां का हाथ पकड़कर उठाया ओर खींचते हुई बाहर ले गई। पुष्पा को खींचा तानी करते देखकर कमला हंसने से खुद को रोक नहीं पाई। कमरे से बाहर निकलते ही सुरभि बोली... पुष्पा ये तू ठीक नहीं कर रहीं हैं। आने दे तेरे पापा को उसने तेरी शिकायत करूंगी।

सुकन्या…रहने दो दीदी जेठ जी से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं होगा। जेठ जी आप'की एक नहीं सुनने वाले उल्टा वो तो पुष्पा के पक्ष में रहकर आप'को ही डांट लगा देंगे।

पुष्पा खिल्ली उड़ने वाली हसीं हंसते हुई बोलीं... मां आप से समझदार मेरी छोटी मां हैं। इसलिए अब यहां से खिसको ओर हां पापा से जो शिकायत करनी हैं कर देना। उनसे कैसे निपटना हैं मै अच्छे से जानती हूं।

इतना कहकर पुष्पा कमरे के अंदर गई। कमरे का दरवाजा बंद करते हुए बोलीं... अभी ननद और भाभी आपस में बातें करेंगे। इसलिए जब तक मैं और भाभी ख़ुद से बाहर नहीं आ जाते कोई भी हमे परेशान नहीं करेगा।

इतना बोलकर पुष्पा दरवाजा बन्दकर कुंडी लगा दिया और बाहर से तीनों बस मुस्कुराते हुई चले गए। भाभी के पास पहुंचकर पुष्पा बोली... भाभी अब आप वो बताओं जिसे जानने के लिए मां इतना जोर दे रहीं थीं पर अपने वो न बताकर कुछ ओर ही बोल दिया।

कमला... बता तो दिया था अब बताने को रह ही किया गया।

पुष्पा... भाभी कम से कम मुझसे तो झूठ न बोलों, मैं जानती हूं आप भईया के कैसी बात पर सोच सोच कर मुस्कुरा रहीं थीं।

कमला अचंभित भाव से ननद को देखते हुई बोलीं... तुम्हें कैसे पाता मैंने तो कुछ कहा ही नहीं।

पुष्पा…आप बस इतना जान लो जैसे भी जितना भी मुझे पाता चला वो सब आप ने बताया अब ज्यादा नखरे न करो ओर बता दो। हां अगर ज्यादा गोपनीय बाते हैं तो मैं जानने पर जोर नहीं दूंगा।

कमला...umhunnn बताया जा सकता हैं। इतना गोपनीय भी नही हैं।

इतना सुनते ही पुष्पा धाम से भाभी के पास बैठ गई ओर जल्दी जानने की उत्सुक भाव लिए बोली... तो फिर देर किस बात की जल्दी से सुना ढालों।

ननद की उत्सुकता देखकर कमला मुस्कुराते हुई बोलीं... तुम भी न ननद रानी हमेशा जल्दी में रहती हों इतना जल्दी बाज़ी करना ठीक नहीं हैं।

पुष्पा hunhhh करके मुंह बिचका लिए फिर दूसरे ओर नजरे फेर कर रूठने का दिखावा करने लगीं। यह देखकर कमला चीर परिचित अंदाज में मुस्कुरा दिया ओर बोली…यूं रूठने का दिखावा कम से कम मेरे सामने तो न करो। अब मेरी ओर देखो ।

भाभी के बोलने पर जब पुष्पा नहीं मुड़ी तो कमला ननद की ठोड़ी से पकड़कर खुद की ओर गुमाया फ़िर बोलीं...अच्छा बाबा अब ये रूठना छोड़ो ओर मेरी ओर देखो नहीं देखा तो मैं कुछ भी नहीं बताने वाली।

भाभी के इतना कहते ही पुष्पा मंद मंद मुस्कान लावो पर लिए भाभी की ओर पलटी तब कमला बोली... ननद रानी आज तुम्हारे भईया ऑफिस नहीं जाना चाहते थे। वो मुझे कहीं घूमने ले जाना चाहते थे। तुम्हारे भईया कह रहे थे वो मेरी साथ वक्त बिताकर मुझे ओर अच्छे से जाना चाहते हैं पर मैं….।

कमल आगे कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा बीच में रोककर बोली... तो फिर आप गए क्यों नहीं आपको भईया के साथ जाना चाहिए था।

कमला... कैसे चली जाती उनको ऑफिस में कितना काम होगा फ़िर भी इसके साथ घूमने जाती तो लोग क्या कहते कि देखो नई बहू के आए दिन ही कितने हुए ओर पति के साथ घूमने निकल पड़ी। हों सकता है मम्मी जी ख़ुद ही बुरा मान जाती।

भाभी की इतनी बाते सुनते ही पुष्पा उठ खड़ी हुई ओर भाभी का हाथ पकड़कर खींचते हुई बोलीं... आप चलो मेरे साथ।

कमला…रूको तो जरा कहा चलना हैं ये बताओं।

पुष्पा बिना कुछ बोले भाभी का हाथ थामे कमरे से बाहर को चल दिया। "रूको तो जरा, रूको तो जरा" कहते हुए कमला ननद के साथ खींची चली गईं।

इधर पुष्पा द्वारा कमरे से जबरदस्ती निकल दिए जाने पर अपश्यु अपने कमरे में चला गया एवम सुरभी और सुकन्या बैठक में जाकर बैठ गई। बैठते ही सुकन्या बोलीं…दीदी ऐसा किया हुआ होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी?

सुरभि... होना क्या? जरूर पुष्पा ने ही कोई शरारत किया होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी। अगर पुष्पा ने शरारत न किया होता तो हमे ऐसे जबरदस्ती कमरे ने बाहर क्यों भेज देती।

सुकन्या...दीदी पुष्पा बहु के साथ इतनी शरारत करती हैं। कहीं बहु उसकी बातों का बुरा न मान बैठे।

सुरभि... अच्छा एक बात बता पुष्पा की शरारतों का हम में से कोई बुरा मानता हैं।

सुकन्या…हम पुष्पा को अच्छे से जानते हैं इसलिए उसकी बातों का बुरा नहीं मानते पर बहू अभी अभी आई हैं इसलिए मुझे डर सताता हैं कहीं बहू बुरा न मान जाए।

सुरभि... तू बेवजह डर रहीं हैं। तूने शायद ध्यान नहीं दिया होगा। बहू जब से आई हैं बहुत ही कम ऐसा हुआ कि बहु मायके को याद करके उदास हुई हों। ऐसा हुआ हैं तो सिर्फ़ पुष्पा के कारण उसकी यहीं शरारते ही बहू का मन इस घर में लगा कर रखती हैं।

सुकन्या…हां ये तो अपने ठीक कहा।

सुकन्या के इतना बोलते ही एक आवाज आया... छोटी मां, मां ने ऐसा किया कहा जिसे आप ठीक कह रही हों।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏🙏
Shandar update hai bhai.....
Raghu or kamla ki nayi nayi shadi hui h to dono ka ek dusre ke khayalo me khoye rehna aam si baat hai or dono ke beech hue samvad ne pati patni ke adbhut prem ko darshaya tha....or usi ke karan puspa ko abhi kamla ko chedne ka mauka mila.....nanad or bhabhi ke is pyar ko dekhkar bahut acha laga.....
ab dekhte hai pushpa apni bhabhi ko kaha le kar nikli hai.....
agle update ki pratiksha rahegi bhai.
 
Dramatic Entrance
854
1,308
123
Update - 1


पहाड़ी घटी में बसा एक गांव जो चारों ओर खुबसुरत पहाड़ियों से घिरा हुआ हैं। गांव के चौपाल पर एक जवान लड़का पुलिसिया जीप के बोनट पर बैठा था। लड़के के पीछे दो मुस्टंडे, हाथ में दो नाली बंदूक लिए मुस्तैदी से खड़े थे। दोनों इतने मुस्तैदी से खड़े थे कि थोडा सा भी हिल डोल होते ही तुरंत एक्शन में आ'कर सामने वाले को ढेर कर दे। उनके सामने एक बुजुर्ग शख्स हाथ जोड़े खड़ा था। शख्स के पीछे कईं ओर लोग हाथ जोड़े घुटनों पर बैठ थे। सभी डर से थर थर कांप रहे थें। सबको कांपते हुए देखकर लड़का अटाहास करते हुए बोला…क्यों रे मुखिया सुना है तू कर भरने से मना कर रहा था।

मुखिया जो पहले से ही डर से कांप रहे थे। अब तो उससे बोला भी नहीं जा रहा था। परिस्थिती को भाप कर मुखिया समझ गया कुछ नहीं बोला तो सामने खडे मुस्टंडे पल भर में उसके धड़ से प्राण पखेरू को आजाद करे देंगे और कुछ गलत बोला तो भी पल भार में उसके शरीर को जीवन विहीन कर देंगे। इसलिए मुखिया वाणी में शालीनता का समावेश करते हुए बोला….माई बाप हम'ने अपना सभी कर भर दिया हैं। आप ओर कर मांगेंगे तो हम बाल बच्चों को क्या खिलाएंगे उन्हें तो भूखा रखा पड़ेगा। कुछ रहम करे माई बाप हममें ओर कर भरने की समर्थ नहीं हैं।

मुखिया की बातों को सुनकर लड़का रूखे तेवर से बोला….जो कर तुम लोगों ने भरा वह तो सरकारी कर था। मेरा कर कौन भरेगा? तुम्हारे बाल बच्चे मरे या जिए मुझे कोई लेना देना नहीं, तुम्हें कर भरना ही होगा कर नहीं भरा तो मुझसे रहम की उम्मीद न रखना।

लड़के की बातों को सुन मुखिया सोच में पड गया अब बोले तो क्या बोले फिर भी उसे बोलना ही था नहीं बोला तो उसके साथ कुछ भी हों सकता था। इसलिए मुखिया डरते डरते बोला….माई बाप इस बार बागानों से उत्पादन कम हुआ हैं। सरकारी कर भरने के बाद जो कुछ भी हमारे पास बचा हैं उससे हमारे घर का खर्चा चला पाना भी सम्भव नहीं हैं ऐसे में आप ओर कर भरने को कहेंगे तो हमारे घरों में रोटी के लाले पड़ जायेंगे।

मुखिया की बातों को सुन लड़का गुस्से से गरजते हुए बोला…सुन वे जमीन पे रेगने वाले कीड़े मेरा नाम अपस्यू राना है। मैं कोई तपस्वी नहीं जो मुझ'में अच्छे गुणों का भंडार होगा या मैं अच्छा कर्म करुंगा इसलिए मैं तुम सभी को कल तक का समय देता हूं। इस समय के अदंर मेरा कर मुझ तक नहीं पहुंचा तो तुम्हारे घर की बहू बेटियो के आबरू को नीलाम होने से नहीं बचा पाओगे।

बहु बेटियो के आबरू नीलाम होने की बात सुन मुखिया असहाय महसूस कर रहा था। घर की मान सम्मान बचाने का एक ही रास्ता दिखा, वह हैं अपस्यू की बातों को मान लेना। इसलिए मुखिया दीन हीन भाव से बोला…माई बाप हमे कुछ दिन का मौहलत दे दीजिए हम कर भर देंगे।

मुखिया की बाते सुन अपस्यू हटाहास करते हुए बोला….तुम्हें मौहलात चाहिए दिया, जितनी मौहलत चाहिए ले लो लेकिन जब तक तुम कर नहीं भर देते तब तक अपने घरों से रोज एक लड़की एक रात की दुल्हन बनाकर मेरे डाक बंगले भेजते रहना। फ़िर साथ आए साथियों से बोला…चलो रे सभी गाड़ी में बैठो नहीं तो ये कीड़े मकोड़े मेरे दिमाग़ का गोबर बाना अपने आंगन को लीप देंगे। सुन वे मुखिया कल तक कर पहुंच जाना चाहिए नहीं तो जितना देर करेगा उतना ही अपने बहु बेटियो की आबरू लुटवाता रहेगा और एक बात कान खोल कर सुन ले यह की बाते राना जी के कान तक नहीं पहुंचना चाहिए नहीं तो तुम सभी जान से जाओगे और तुम्हारे बहु बेटियां अपनी आबरू मेरे मुस्टांडो से नुचबाते नुचबाते मर जाएंगे।

अपस्यू साथ आए मुस्टांडो को ले'कर चला गया। उसके जाते ही बैठें हुए भीड़ में से एक बोला….मुखिया जी ऐसा कब तक चलेगा। हमे कब तक एक ही कर को दो बार भरना पड़ेगा। ऐसा चलाता रहा तो एक दिन हमे जमीन जायदाद बेचना पड़ जायेगा।

मुखिया…शायद जीवन भर इस पापी से अपने घरों की मन सम्मान बचाने के लिए एक कर को दो बार भरना पड़ेगा।

"हम कब तक अपश्यु और उसके बाप का जुल्म सहते रहेंगे। हम राजा जी को बोल क्यों नहीं देते।"

मुखिया….अरे ओ भैरवा तू बावला हों गया हैं सुना नहीं ये पापी क्या कह गया। यहां की भनक राजाजी की कानों तक पहुंचा तो दोनों बाप बेटे हमें मारकर हमारे बहु बेटियों के आबरू से तब तक खेलते रहेंगे जब तक हमारी बहु बेटियां जीवित रहेंगी।

भैरवा…मुखिया जी हमने अगर इस पापी की मांग पुरा किया तो हम भूखे ही मर जायेंगे।

मुखिया….ऐसा कुछ भी नहीं होगा। हर महीने महल से राजाजी हमारे भरण पोषण के लिए जो अनाज, कपडे और बाकी जरूरी सामान भिजवाते हैं। उससे हमारा गुजर बसर चल जाएगा। अब तुम सब जाओ और कल इस पापी तक उसका कर पहूचाने की तैयारी करों।

सभी दुखी मन से अपने अपने घरों को चल देते हैं। मुखिया भी उनके पीछे पीछे चल देते हैं। दूसरी ओर पहाड़ की चोटी पर बना आलीशान महल जिसकी भव्यता को देखकर ही अंदाजा लग जाता हैं। यह रहने वाले लोगों का जीवन तमाम सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होगा। महल के अदंर राजेंद्र प्रताप राना बेटे को बुला रहें थें। आवाज में इतनी गरजना था मानो कोई बब्बर शेर वादी को दहाड़ कर बता रहा हों। मैं यह का राजा हूं। बाप की गर्जना भरी आवाज सुन रघु थार थार कांपने लग गया। मन में सोचा जाए की न जाएं, नहीं गए तो पापा कहीं नाराज न हों जाएं इसलिए कुछ साहस जुटा रूम से बाहर आया फिर पापा के सामने जा खडा हों गया। उससे खडा भी नहीं होया जा रहा था हाथ पैर थार थार कांप रहे थे। रघु से बोला भी नहीं जा रहा था फ़िर भी लड़खड़ाते जुबान से बोला….अपने बुलाया पापाजी।

बेटे को कांपते देख और लड़खड़ाती बोली सुन राजेंद्र बोला….हां मैंने बुलाया लेकिन तुम ऐसे कांप क्यों रहे हों। जरूर तुम'ने कुछ गलत किया होगा। बोलों तुमने ऐसा क्या किया जो तुम्हें मेरे सामने आने में इतना डर लग रहा हैं।

रघु कुछ न बोला चुपचाप खड़ा रहा। रघु को बोलता न देख वहां बैठे रघु की मां सुरभि बोली….रघु बेटा तू मेरे पास आ, आप भी न मेरे बेटे को हर बार डरा देते हों। राजपाठ चाली गईं लेकिन राजशाही अकड़ अभी तक नहीं गई।

रघु चुपचाप मां के पास जा'कर बैठ गया। राजेंद्र पत्नी की बात सुन मुस्कुराते हुए बोला…अरे सुरभि राजपाठ भले ही न रहा हों लेकिन राजशाही हमारे खून में हैं। खून को कैसे बदले वो तो अपना रंग दिखायेगा ही।

सुरभि बेटे का सिर सहलाते हुए बोली...खून रंग दिखाना हैं तो घर से बाहर दिखाओ। आप के करण मेरा लाडला बिना कोई गलती किए ऐसे डर गया जैसे दुनियां भर का सभी गलत काम इसने किया हों। आप खुद ही देखो कैसे कांप रहा हैं इससे तो बोला भी नहीं जा रहा था।

सुरभि की बाते सुन राजेंद्र के चहरे पर आया हुआ मुस्कान ओर गहरा हों गया फिर राजेंद्र अपने जगह से उठ, बेटे के पास जाकर बैठते हुए बोला…रघु मैं तेरा दुश्मन नहीं हूं मैं ऐसा इसलिए करता हूं ताकि तू रह भटक कर गलत रस्ते पर न चल पड़े। तुझे ही तो आगे चलकर यह की जनताओं का सुख दुःख का ख्याल रखना हैं। जब तू कुछ गलत करता ही नहीं, तो फिर डरता क्यों हैं। मैं तेरा बाप हूं। अपना फर्ज निभाऊंगा ही। हमेशा एक बात का ख्याल रखना अगर तूने कुछ गलत नहीं किया तो बिना डरे बिना झिजके साफ साफ लावजो में बात करा कर। तेरा डरना ही मेरे मन में शक पैदा करता हैं तूने कुछ तो गलत किया होगा।

रघु कुछ कहा नहीं सिर्फ हां में सिर हिला दिया। बेटे को असहज देख राजेंद्र रघु के सिर पर हाथ फिरा मुस्कुरा दिया। बाप को मुस्कुराता देख रघु भी मुस्कुरा दिया। फ़िर धीरे धीर खुद को सहज कर लिया। रघु को मुस्कुराते देख सुरभि बोली….सुनिए जी आप अभी से मेरे बेटे पर काम का बोझ न डाले अपको कितनी बार कहा हैं आप मेरे लाडले को दहाड़ कर न बुलाया करे। अगली बार अपने मेरे लाडले को दहाड़ कर बुलाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

दुलार और बचाव के पक्ष में बोलते देख रघु पूर्ण सहज होकर मुस्करा दिया। बेटे को मुस्कुराते देख राजेंद्र बोला….मुझे दाना पानी बंद नहीं करवाना हैं। इसलिए रानी साहिबा जी आप'की बातों का ध्यान रखूंगा।

राजेंद्र जी की बाते सुन सुरभि बनावटी गुस्सा करते हुए बोली….अच्छा तो मैं आप'का दाना पानी बंद कर देती हूं। अब आना दाना चुगने दाने के जगह कंकड़ परोस दूंगी।

राजेंद्र ….जो भी परोसो मैं उससे ही अपना पेट भरा लूंगा, पेट भरने से मतलब हैं। क्या परोसा जा रहा हैं क्या नहीं इसकी छान बीन थोडी न करना हैं।

दोनों में प्यार भारी नोक झोंक चलता रहता हैं। मां बाप के झूठी तकरार को देख रघु बोला….मां पापा मैं जान गया हूं यह सब आप मेरे लिए ही कर रहे हैं। अब आप दोनों अपनी झूठी तकरार बंद कीजिए और मुझे बताइए अपने क्यों बुलाया कुछ विशेष काम था?

राजेंद्र….कुछ विशेष काम नहीं था मैं तो तुम्हारे साथ मसकारी करना चाहता था इसलिए बुलाया था।

सुरभि…अपका मसखरी करना मेरे बेटे पर कितना भारी पड़ता हैं आप'ने देखा न, मेरा लाडला कितना सहम गया था। आप को कितना कहा लेकिन आप हों की सुनते नहीं बे वजह मेरे बेटे को डरते रहते हों।

रघु…मां आप फिर से शुरू मत हों जाना मैं बच्चों को पढ़ाने जा रहा हूं। मेरे जानें के बाद आप'को पापा से जितना लड़ना हैं लड़ लेना।

ये कह रघु उठकर चल दिया सुरभि बेटे को आवाज दे रही थीं लेकिन रघु बिना कोई जवाब दिए चला गया। रघु के जाते ही राजेन्द्र बोला….सुरभि रघु को जानें दो हम अपने नोक झोंक को आगे बढ़ाए बेटा भी तो यही कह गया हैं।

सुरभि उठकर जाते हुए बोली… अभी मैं दोपहर की खाने की तैयारी करवाने जा रहीं हूं आप'से बाद में निपटूंगी।

सुरभि उठकर कीचन की और चल दिया। राजेंद्र आवाज दिया, सुरभि मुड़कर राजेंद्र को बोली... अभी नोकझोक करने का मेरा मूड नहीं हैं जब मुड़ होगा बहुत सारा नोक झोंक करूंगा।

राजेंद्र... जब तुम्हारा मुड़ नहीं हैं तो मैं यहां क्या करूंगा मैं भी कुछ काम निपटा कर आता हुं।

सुरभि मुस्कुराते हुई कीचन की और चल दिया फिर राजेंद्र रूम से कुछ फाइल्स लेकर चला गया।



आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। पहला अपडेट कैसा रहा बताना न भूलिएगा।
Ye Apasyu rana to purani Bollywood film ke gunde ki tarah masoom gaon walo ko dhamka raha hai par Bollywood movie mein to hero aake bacha leta hai yahan kaun bachayega agar nahi bachayega to ye story romance ki jagah humari walo category mein aa jayegi
 

Top