ब्रह्मराक्षस का वरदान

आप किस की पत्नी के साथ सैतानासुर का संभोग अगले अपडेट में देखना चाहते है?

  • किसी सामान्य मानव की।

    Votes: 0 0.0%
  • किसी राजा की।

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    0
  • Poll closed .
14
31
13
Update 4

शक्ति की पहचान
यहाँ तरुण घर जा रहा था तभी उसे उसके कनिष्ठ महाविद्यालय की एक अध्यापिका उसे दिखाई दी, उसने उन्हें आवाज लगाई," नयना मैडम! कहा जा रही है आप?"
उन्होंने तरुण को कहा," तरुण, तुम यहां, मै अपने घर जा रही हु" उनका बदन पानी से भीग चुका था।
तरुण ने उनसे कहा,"मैडम, मै भी घर जा रहा हूं, आइए आपको छोड़ देता हूं।" इतना कहकर तरुण ने दरवाजा खोला और वह अंदर आ गई। उन्होंने सफेद रंग कि साड़ी और लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। और बरसात में उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी।
और उनके सीने के उभार उनके ब्लाउज से साफ झलक रहे थे, और तरुण से बात करते वक्त झुकने की वजह से उनके दोनों उरोजों के बीच की गहराई के बीच से जाता बरसात का पानी ऐसे लग रहा था जैसे किसी, दो खूबसूरत पहाड़ों के बीच की खाई से कामुकता की नदी बह रही हो। जब वह अंदर आई तो तरुण तरुण से पूछा,"तरुण क्या तुम्हारे पास टॉवेल या न्यापकीन है?"
तरुण ने कहा,"अभी तो नहीं है, आप चाहे तो मै आपके लिये हीटर अॉन कर देता हूं। तरुण ने हीटर चालू कर दिया, वह थोड़ा सा तरुण की और आई। उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा बाजू में करके, अपनी आँखें बंद करके हीटर से आती गर्मी को महसूस करना शूरू किया। तरुण ने फिर हीटर के पंखे की रफ्तार बढ़ाई, जिससे नयना की साड़ी का पल्लू, उसके कंधे से नीचे गिर गया, मगर उसे उससे और गर्म हवा के झोंके हीटर से निकालकर उसके उरोज और कमर को छूने लगे, जिससे उसे वहाँ ठंड से राहत मिलने लगी। उसी गर्म हवा के कुछ झोंके उसके सीने से टकरा कर उसके उरोजों के बीच की गहराई में जाने लगे, तो कुछ उसके गले से होकर उसके कान तथा उसके मुलायम गालों को सहेला रहे थे। हवा के इस गर्म स्पर्श की वजह से वह बहुत रोमांचीत हो रही थी, और अपने होंठ दांतों तले बडे ही नशिले अंदाज में दबाकर मंद मंद मुस्करा रही थी। थोड़ी ही देर में मैडम का घर आ गया, तरुण ने उन्हें कहा,"मैडम, आपका घर आ गया"
नयना अपना पल्लू वापस कंधे पर लेते हुये बोली,"इतनी जल्दी! ओह, मै चलती हूं, तुम भी आओ कभी।"
तरुण ने कहा," आज मेरी मम्मी(तेजल) नही है।"
नयना ने कहा,"तो आज का खाना यहीं खा के जाना।"
इतना कहकर वह ताला खोलती है, और तरुण गाड़ी क्वार्टर के नजदीक लगाकर बाहर निकलता है, और दरवाजे के पास चला आता है, और वहा पत्रों की शेड वजह से वह नहीं भीग सका। तरुण लगातार नयना की भीगी कमर की कमान और उसके ब्लाउज के उपर से ब्रा की उभरती रेखाएं देख रहा था। नयना ताला खोलकर अंदर गई और तरुण भी उसके पीछे चला गया, नयना का क्वार्टर सिर्फ वन रूम किचन का था। हॉल और रसोईघर के बीच सिर्फ दीवार थी बाथरूम और शौचालय बाहर थे।
नयना फिर रसोईघर में चली गई और परदा लगा लिया, तरुण भी उसके पीछे गया मगर जब वह परदे के पास गया तब उसके होश उड़ गये, नयना वहाँ अपने कपड़े उतार रही थी। नयना ने साड़ी उतार दी, और उसने ब्लाउज उतारा फिर ब्रा, अब उसकी चिकनी पीठ और पतली कमर देखकर तरुण का लिंग खड़ा हो गया, तभी नयना ने अपने लेहंगे का नाडा खोल दिया, और उसका लेहंगा बड़ी सहजता से उसकी कमर से नीचे खिसक कर फर्श पर गिर गया। अब उसके बदन पे सिर्फ पैंटी थी उसके बदन पर जरा भी मांस नहीं था। मगर जहाँ होना चाहिए वहां बहुत था वह एक २५ उम्र की भरे उम्र की जवान लड़की थी, चेहरा तो सामान्य था, मगर उसके नितम्ब पूरी तरह भरे हुये और थे और उसकी पैंटी से बाहर आने को व्याकुल हो रहे थे। नयना ने अपनी पैंटी उतारकर उन्हें भी आझाद कर दिया, अब वह पूरी तरह से नग्न थी। नयना अब पीछे मुड़कर परदे की और मुड़कर देखने लगी, वह ऐसे लग रही थी, जैसे स्वर्ग की कोई अप्सरा आ रही हो उसकी पतली कमर मोटे उरोज, उनपर वह गुलाबी वक्ष। काफी मन मोहक और कामुक लग रहे थे। तरुण यह देखकर उत्तेजित हो गया और थोड़ा दीवार की तरफ हो गया। नयना वहाँ आयी और हाथ बाहर निकालकर तरुण से कहा," तरुण जरा टावेल देना।"
तरुण ने टावेल नयना के हाथ में रखा और जैसे ही नयना ने उसे पकड़ा, तरुण ने अचानक जैसे मछली के चारा पकड़ने के बाद मछवांरा खींचता है वैसे खींच लिया जिस वजह से नयना का संतुलन खराब हुआ और वह तरुण पर आ गिरी, तरुण उनके सामने ऐसे की उनके होंठ सीधे तरुण के होंठों से टकराये। जैसे ही यह हुआ तरुण ने उन्हें अपनी बाहों में जकड़कर चूम्बन ले लिया। इससे नयना चौंककर तरुण को देखने लगी, वह एकदम स्तब्ध हो गई। तरुण इस मौके का फायदा उठाकर उसपर होंठों से लेकर गाल, गर्दन तक चूमने लगा, फिर वह चूमते चूमते उसके स्तनों के बीच की गहराई तक पहुंचा फिर उस खाई से उसके स्तन रूपी पहाड़ों की चढ़ाई करके, उनकी वक्ष रूपी चोटी तक पहुंचकर उसके वक्ष को चूसने लगा। इससे नयना काफी उत्तेजित होने लगी और उस वजह से उसके मुंह से,"अम्म्म्.....म्म्म्..म् म् म् आह!" जैसी सिसकारिया निकलने लगी, तभी तरुण ने उसके वक्ष को हल्के से अपने दांत के नीचे दबा दिया जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ मगर उसके बदन में उत्तेजना एक बिजली के झटके की तरह दौड़ने लगी। तरुण ने उसका दर्द कम करके उत्तेजना बढाने के लिये उसके वक्ष चूसना जारी रखा। नयना की उत्तेजना इतनी बढ़ चुकी थी की, अब वह पानी बनकर उसकी योनी से बहने लगी थी। और नयना भी शर्म के मारे लाल हो रही थी, तरुण ने अब नयना की नाभि पर चूमा और उसकी योनी में अपनी जीभ घुमाने लगा, उसकी गीली जीभ जैसे जैसे नयना की योनी में घूम रही थी वैसे वैसे वह ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। तरुण ने फिर वापिस अपना मुंह उपर ला कर उसका किस ले लिया, और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में उसकी जीभ पर घुमाने लगा, वह इससे उत्तेजित होकर उसका साथ देने लगी, तभी तरुण ने उसकी योनी में अपना लिंग डाल दिया। तरुण के लिंग डालने की वजह से नयना की योनी की सिल टूट गई और उसकी चीख निकल गई, मगर उसके मुंह पर तरुण का मुंह होने से उसकी चीख दब गई। और तरुण ने एक झटके में अपना लिंग उसके गर्भाशय के आखिरी छोर तक पहुंचा दिया। तरुण ने उसे थोड़ा बाहर निकालकर फिर अंदर डाल दिया, जिससे नयना झटके खाने लगी।तरुण ने झटके अब तेज कर दिये ऐसा वह एक घंटा करते रहे तभी कुकर की सीटी बजी, तब तक नयना दो बार झड़ चुकी थी। तरुण अभी भी नहीं झडा था। नयना रसोईघर में गई और तरुण के लिये खाना ले आयी , उसने अभी भी कुछ नहीं पहना था। वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी, इसी अवस्था में उसने तरुण के लिये खाना परौसा और वह भी बैठ गयी। वह नयना अपने पैर तरुण के पैरों में डालकर बैठ गये और दोनों एक ही थाली में खाना खाने लगे। उन्होंने वैसे ही खाना खाया और बर्तन रख दिये। और फिर तरुण ने नयना के स्तनों को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा, और फिर उसके कानों को चूमने लगा, और अपना सिर आगे कर के उसके एक गाल पर चूमने लगा, जैसे ही जवाब में नयना ने अपनी गर्दन उस तरफ घूमा कर देखा उसके होंठों पर तरुण ने अपने होंठ टीका दिये और उसे किस करने लगा। तरुण के होंठ यहां नयना के होंठों से ९० अंश के कोन में लगे हुये थे, अब तरुण ने अपनी जबान नयना के मुंह में डालकर उसकी जबान पर लगायी, और घुमाने लगा और नयना भी उसका साथ देने लगी, दोनों एक दुसरे में सबकुछ भुलाकर खो गये। फिर नयना फिर से उत्तेजित हो उठी, वह पलंग की और चली गई और तरुण की और नितम्ब कर अपने हाथ पलंग पर रखकर झुक गई। तरुण ने अपना लिंग नयना की योनी में डाल दिया और उसके स्तनों को पकड़कर जोरों से दबाने लगा, और उसके साथ उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा। जैसे जैसे तरुण स्तनाग्र मसल रहा था वैसे वैसे नयना," आ!! आ!!" करके चिल्ला रही थी उसके चिल्लाने में थोड़ा दर्द और बहुत सारी कामवासना थी। तरुण उसके स्तन और स्तनाग्रों को पकड़कर पीछे खींच रहा था, जिससे जोरदार धक्के लगा रहे थे, जिस वजह से नयना की योनी ने पानी छोड़ दिया। अब तरुण ने लिंग बाहर निकाल लिया, जिससे नयना बेड पर लेट गई, तभी तरुण ने अपना गीला लिंग अचानक से नयना के गुद्द्वार में डाल दिया, वह जोर से चिल्लाती उसके पहले ही तरुण ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया नयना की चीख वही दब गई और उसकी आँखों से आंसू निकल आये। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा बाहर निकाला और तेजी से उसकी योनी में डाल दिया, जिससे वह एक और बार चिल्लाई मगर हाथ पहले से नयना के मुंह पर होने की वजह से उसकी चीख दब गई। वैसे तरुण लगातार एक घंटा करता रहा अब नयना का गुद्द्वार खुल चुका था, वह दो बार झड़ चुकी थी मगर तरुण का अभी भी खड़ा था। नयना तरुण के लिंग का आकार देखकर चौंक गई, उसका लिंग १८ इंच लंबा और मोटाई में चार इंच था, और अभी भी चट्टान की तरह सक्त था। यह देखकर नयना की आँखों में जैसे चमक आ गई वह उसे चूमने लगी फिर उसे अपने स्तनों के बीच लेकर रगड़ने लगी, जिससे वह एक और बार झड़ गई। अब नयना काफ़ी थक गई थी और अब रात भी बहुत हो चुकी थी। इसलिए तरुण और नयना दोनों एक दुसरे को बाहों में लेकर वही सो गये, तरुण का अभी भी खड़ा था।
तरुण एक सपना देखने लगा जिसमें उसे एक युवती संपूर्ण नग्न अवस्था में दिखाई दी, वह अयाना थी। वह उसकी और पीठ करके खड़ी थी, और तरुण ने जब आसपास देखा तो वह ऋषि कृतानंद के उसी आश्रम में था जहाँ उसे यह वरदान प्राप्त हुआ था। उसने उस युवती के नजदीक जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह पीछे मुड़कर बोली, "बताइये स्वामी क्या आज्ञा है मेरे लिये।"
तरुण बोला," पहले मुझे यह बताओ की, मुझमें कौन कौन सी शक्तियां है और कितनी है?"
अयाना बोली,"सारी शक्तियां, जिन्हें अगर गिने तो युग भी कम पड़ जाये, और आपकी शक्तियां परमेश्वर से भी अनंत गुणा है।"
तरुण ने पूछा," वैसे शक्तियां कहाँ है मेरे अंदर या आयने के अंदर? "
अयाना बोली,"आपके अंदर।"
तरुण ने पूछा," अगर शक्तियां मेरे अंदर है तो आयने और तुम्हारा क्या उपयोग?"
अयाना थोड़ा हिचक कर बोली," हम दोनों आपकी शक्तियों को नियंत्रण में रखते है, अगर आपकी शक्तियाँ नियंत्रण से बाहर हो गई तो वह सारे विश्व में हाहाकार मचा देगी हर मादा आपकी और आकर्षित होगी, फिर वह कोई भी हो सकती है, गाय, भैंस, घोडी, कुतिया, कोई भी!"
तरुण ने एक और सवाल पूछा," वरदान के अनुसार मै तो किसी भी स्त्री को संमोहन से नियंत्रित कर सकता हुं, मगर यहां तो मै कहां संमोहित कर रहा हु?"
अयाना ने जवाब दिया,"तुम कर रहे हो तरुण, संमोहन दो तरह के होते हे, कुदरती संमोहन और यांत्रिकी संमोहन सब लोग सिर्फ यांत्रिकी संमोहन को ही पूरा संमोहन समझते है, पर ऐसा नहीं है, कुदरती संमोहन भी एक संमोहन होता है। तुम जो कुदरती संमोहन का उपयोग कर रहे हो जो परिस्थिति, स्वभाव, पसंद और नारी के संवेदनशील अंगों पर निर्भर करता है। हर नारी के कुछ अंग संवेदनशील होते है, जिन्हें खास तरह से स्पर्श करने पर उसका मन उत्तेजित होता है। सामने वाले को सिर्फ उसके इन अंगों का पता होना चाहिए, और उसकी पसंद ना पसंद और किन परिस्थितियों में वह संभोग करना पसंद करती है। हर नारी की सम्भोग के प्रति कल्पना भिन्न होती है, कुछ स्त्रियों को बलपूर्वक तथा कुछ को प्रेम से करना पसंद होता है, कुछ सहयोग करती है तथा कुछ सिर्फ निष्क्रिय रहकर सिर्फ आनंद लेती है। पुरूषों को सिर्फ यह जानना चाहिए, मगर कुछ पुरूष यह नहीं जान पाते और कुछ अच्छे से जान लेते है। इस वजह से कुछ पुरूषों को तो अपनी पत्नी के साथ तक संभोग करने में कठिनाई होती है, तो कुछ दूसरी स्त्रियों के साथ सहजता से बना लेते है। तुम्हें इस दर्पण से सब पता चल जाता है। इसलिए तुम सहजता से चंद्रमुखी, ज्वालामुखी, तेजल, सरिता, नयना और कोमल को अपने साथ सम्बन्ध बनाने के लिये तैयार कर पाये।"
तरुण चौंककर बोला,"कोमल! वह कब तैयार हुई थी?"
अयाना ने कहां,"जब तुम रेल में उसके साथ थे, उसकी निष्क्रियता ही उसकी हां थी।"
तरुण ने उसे कसकर गले लगाया और कहा,"थँक्यु व्हेरी मच!!" और उसने अयाना को होठों पर किस कर दिया। यहाँ सुबह हो चुकी थी, तरुण की आँखें खुल गई। नयना को लगा की तरुण उसे गले लगाकर थँक्यु कह रहा है, यह देखकर नयना भी बोली,"तुम तो बड़े तमीज वाले हो यार, आज तक मैंने कभी किसी लड़के को सेक्स के बाद लड़की को ऐसे थँक्यु बोलते है।"
नयना तरुण से काफी आकर्षित हो चुकी थी। वह नहाने चली गई और तैयार होकर बाहर आ गई। फिर तरुण ने कपड़े पहने और नयना को किस किया और अपने घर चला गया।
यहां सरिता और राज भी नींद से उठ चुके थे, राज ने सरिता के साथ रात को जो गुद्द्वार सम्भोग किया था उस वजह से सरिता को चलने में तकलीफ हो रही थी। राज सरिता को कंधे का सहारा देकर बाथरूम तक ले गया, दोनों यहां नग्न अवस्था में थे दोनों एक साथ नहाने लगे। दोनों पहले एक दुसरे के बदन पर पानी डालकर साबुन मलने लगे फिर सरिता राज की छाती पर साबुन मल रही थी, और राज के हाथ सरिता के स्तनों पर चल रहे थे,राज अच्छे से रगड़ कर सरिता के स्तनों पर साबुन लगा रहा था। जिससे सरिता उत्तेजित होकर,"राज! अम्!! अम्!! रूक मत करता रह, अम् म् म् म् आहा!" ऐसी आवाजें निकालने लगी। राज ने अब उसकी पीठ मलनी शुरू की, और दोनों एक दुसरे की पीठ मलते हुये किस करने लगे फिर उन्होंने, साबुन लगाते लगाते नितम्ब की और गये यहा दोनों ने एक दुसरे के नितम्बों को अच्छे से धोया। फिर सरिता राज के लिंग पर साबुन लगा रही थी, और राज भी उसकी योनी में साबुन डालकर उंगली अंदर बाहर करने लगा, जिससे दोनों उत्तेजित हो गये और राज ने अपना लिंग सरिता की योनी में डाल दिया। योनी में और लिंग पर साबुन होने की वजह से राज का लिंग सरिता की योनी में बडी सहजता से चला गया राज बड़े जोश में अपने लिंग को सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता भी उत्तेजित होकर अपने मुंह से, "अम्!!!" करके सिसकारिया निकलने लगी।
सरिता की योनी ने पानी छोड़ दिया और यहा राज भी झड़ गया। सारा वीर्य राज ने सरिता की योनी में बहा दिया, फिर सरिता ने हँड शावर से अपनी योनी और अपना बदन धोकर शावर बाथ ले लिया। फिर दोनों ने कपड़े पहन लिये और सरिता ने राज से कहा, "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
राज ने पूछा,"किस के बारेमें ?"
सरिता ने कहा,"कोमल के बारेमें।"
राज ने पूछा,"क्या मम्मी?"
सरिता ने बताया," तुम्हारे भाई पर झूठा रेप केस लगाकर उसकी जिंदगी बरबाद करने वाली लड़की कोई और नहीं बल्कि कोमल थी।"
राज चौंककर बोला ,"क्या ? मगर वह तो बोली थी किसी और लड़की ने यह किया था।"
सरिता बोली," नहीं राज, पहले उसने सतीश से दोस्ती की, फिर दोनों करीब आ गये इतने की दोनों के बीच सेक्स हो गया, फिर वह प्रेगनंट हो गई और सतीश को ब्लैक मेल करने लगी, और जब सतीश नहीं माना तो उसने केस कर दिया, जिससे परेशान होकर सतीश ने खुदखुशी कर ली।"
राज बोला,"पर मम्मी, भैया को भी ध्यान रखना चाहिए था ना।"
सरिता ने उसे कहा,"नहीं राज, सतीश को उसने व्हायग्रा दे रखा था, जिस वजह से वह खुद पर काबू नहीं रख पाया होगा, और अगर तरुण तुम्हें यहा आने के लिये नहीं उकसाता तो तुम भी उसके शिकार बन जाते।"
राज ने कहा,"मतलब आप और तरुण के बीच कुछ नहीं हुआ?"
सरिता ने कहां,"ऐसा नहीं है, उसने मुझे आधे घंटे तक चोदा, फिर भी उसका लिंग सक्त था, वह और कर सकता था, मगर जब उसे कोमल का सच पता चला उसने तुझे कॉल लगाकर बुला लिया।और गाड़ी लेकर चला गया।"
राज ने पूछा," फिर क्या हुआ?"
सरिता ने कहा," और उसने ही मुझे बताया की तुम्हें भी कोमल ने किसी चीज़ में व्हायग्रा मिलाकर पीला दिया है।"
राज ने कहा,"उसने मुझे स्प्राईट पिलाया था, और तब से मुझे उसके बारेमें ऐसे खयाल आ रहे थे।"
सरिता ने फिर उसे कहां," जो हुआ अच्छा हुआ, उसकी वजह से तो तुमने मुझे सारी रात चोदा, थोड़ा अजीब मुझे भी लगा मगर मैने भी इन्जॉइ किया, तीन सालों से तुम्हारे पापा भी नही थे और इसलिए मैरी काफ़ी दिनों से चुदाई नहीं हुई थी, मगर तुमने मेरे अंदर की आग शांत कर दी।"
राज ने कहा,"और आप तरुण के साथ करने के लिये कैसे तैयार हो गई?"
सरिता, "पता नहीं! क्यों? और कैसे? उसने मुझे वैसे ही अप्रोच किया जैसे मै अपने पार्टनर इम्याजीन करती थी।"
राज को अपनी गलती का एहसास हो गया की उसने ज्वालामुखी के साथ कितना गलत किया। मगर सरिता को ऐसा लगा की राज के मन में अपनी माँ के साथ सम्भोग करने की वजह से पश्चाताप है। सरिता ने उससे कहा,"मै जानती हुं तुम क्या सोच रहे हो।"
राज ने चौंककर पूछा, "क्या?"
सरिता ने कहा,"तुम्हें यही लग रहा है ना की तुमने मेरे साथ जो किया वो सही था या गलत?"
राज ने होश में आकर कहा,"हा!हा! मम्मी मै यही सोच रहा था?"
सरिता ने कहा,"नहीं, अगर तुम मेरी मर्जी के बिना करते तो गलत होता, मगर तुमने जो किया वह मैने भी इंजॉय किया तो यह गलत नहीं है।"
फिर थोड़ी देर सोचकर सरिता बोली,"और राज, मै अगर तुम्हारा विरोध करती, तो भी वह गलत होता, क्योंकि तुम्हें व्हायग्रा दिया गया था और तुम्हें उसकी जरुरत थी।"
तब राज सरिता से पूछता है,"मम्मी, अगर हम आज रात को करे तो?"
सरिता बोली," आ! आ! तुम्हें उंगली क्या दी तुमने तो हाथ पकड़ लिया, माना की हमारे बीच सेक्स हुआ है, मगर हम सोच समझकर ही इसी रिलेशन को आगे बढायेंगे।" इतना बोलकर सरिता अपना घर के काम में लग गई।
यहां तरुण अपने घर आ गया, और उसने आयने को उसके असली आकार में लाया। और उसे पूछा की कोमल कहाँ है, तो आयने ने उसे कोमल को दिखाया, आयने में कोमल एक फोन पर बात करते हुये दिखाई दी। कोमल ने फोन पर कहां,"उन्हें कुछ मत करना, मै तुम्हारा काम कर दूंगी, इस बार कोई गड़बड़ नहीं होगी भरोसा करो।" वह काफी डरी हुई थी। तरुण ने आयने को कहा," हे आयने मुझे दूसरी और जो इन्सान बात कर रहा है वह देखना है।" इतना बोलते ही उसके सामने वह दृश्य आ गया, यहां जो आदमी कोमल से बात कर रहा था, असल में वह एक गैर कानूनी संघटन का मुखिया था। वह आदमी फिर एक औरत के पास गया वह औरत एक पिंजरे में कैद थी, और उसके हाथ जंजीरों से बंधे हुये थे, उसकी उम्र ४० के आसपास थी, और उसने एक सफेद साड़ी पहनी थी, उसके उरोज ३५ के थे कमर २६ और नितम्ब ३६, उसके कपड़े बीच बीच से फटे हुये थे जिस वजह से तरुण उसके स्तनों के कुछ हिस्से, । उस मुखिया ने उस औरत से कहा "अगर तुम मेरी हो जाती तो शायद तुम्हारी यह हालत नहीं होती।"
तब उसने कहा," तुम जैसे बेईमान के साथ रहने से अच्छा हम कवारे रहे।"
मुखिया बोला,"आये हाय ! रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया, अब भी प्यार बाकी है रविंदर के लिए।"
फिर मुखिया ने चाबुक निकाला और उसकी पीठ और नितम्बों पर फटकार कर मारने लगा। और उसने कहा,"तूने तो नहीं किया लेकिन जब तेरी बेटी तेरी दर्द से भरी चीखे सुनेगी तो जरूर करेगी।", और उसे चाबुक से मारता रहा। वह चिल्लाती रही और रोती रही। तरुण को अब समझ में आ गया था की कोमल राज को क्यों फंसा रही है।तरुण ने कपड़े, दवाइयां और खाने का सामान एकत्रित किया और अंधेरा होने का इंतजार करता रहा। रात को अंधेरा हो गया सारे लोग सो गये, फिर तरुण गाड़ी के पास गया और आयने की सहायता से गाड़ी के साथ वह वहां पहुंच गया। तरुण सबकी नजरों में आये बिना जिस कमरे में कोमल की माँ रानी मौजूद थी वहां चला गया वहाँ ताला लगा हुआ था, बगल मैं ही एक आदमी पहरा दे रहा था। तरुण ने ताले की और देखा और उसके आँखों से प्रकाश किरण निकली जिससे देखते ही देखते ताला कट गया। तरुण ने फिर कड़ी खोलकर रानी को बाहर निकाला, तभी वह आदमी जाग उठा और तरुण को मारने आया, तरुण ने उसे एक
घुसा मारा जिससे वह दस फुट दूर दीवार से जा टकराया और वही बेहोश हो गया, रानी इसे देखते ही रह गई। तभी तरुण ने रानी का हाथ पकड़ लिया और उसे बाहर खींचकर ले गया, तब रानी होश में आकर उसके साथ बाहर भागी। बाहर जाते ही उन दोनों के सामने सारे आदमी खड़े हो गये वह बीस थे, मगर तभी पुलिस सायरन की आवाज सुनाई दी, तभी उस गिरोह के सारे लोग बेहोश हो गये। तरुण तभी रानी को लेकर पिछले रास्ते से बाहर निकल गया,
असल में तरुण ने आयने की सहायता से पहले से ही सबके खाने और पीने की चीजों में नींद की दवाई मिला दी थी, और पुलिस को सब खबर कर दिया था, वह भी तस्वीर के साथ। पुलिस को इस गिरोह की बहुत दिनों से तलाश थी इसलिए पुलिस ने तुरंत कार्यवाही करते हुये सबको गिरफ्तार कर लिया। तरुण रात में गाड़ी नहीं चलाना चाहता था, और अगर वह अपनी शक्ति का उपयोग करता तो रानी को पता चल जाता और उसे यह सबको पता चल जाता। इसलिए तरुण रानी को लेकर एक सस्ते और पुराने गेस्ट हाउस में गया वहां एक रात के २०० रुपये लगते थे। वहां सिर्फ एक बूढ़ा मालिक था जो उसे चला रहा था, तरुण ने उसे २०० रुपये देकर कमरे की चाबी ले ली और रानी के साथ अंदर चला गया और उसे कपड़े और तौलिया दे दी, रानी वह लेकर नहाने चली गई। और उसने अंदर ही नहा कर कपड़े पहन लिये। और तरुण ने उसे जो कपड़े दिये थे, वह पहनकर वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। तरुण ने रानी को तेजल के कपड़े दिये थे, उसमें उसने स्ट्रीप वाला ब्लाउज था, जिसमें आगे से उनके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी, और यह तेजल का ब्लाउज छोटा होने की वजह से रानी के स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बाहर आने के लिये उत्सुक हो,मगर उन्हें ब्लाउज से बाँध कर रखा गया था। तरुण ने कहा,"आपने उन्हें क्यों बांध रखा है, दो कबूतर बेचारे कब से छूटने को बेताब लग रहे हे।" रानी ने पूछा,"कौन से दो कबूतर?"
तरुण ने उसके ब्लाउज के उपर से हाथ रखकर कहा,"आपके यह दो जिन्हें आपने अपने ब्लाउज में कैद करके रखा है।"
रानी झट से पीछे मूड गई और बोली,"चल हट बेशरम कहीं का! मुझ जैसी बुढ़िया को..."
तभी तरुण को रानी की खुली पीठ दिखाई दी, वहाँ उसे कुछ पुराने और कुछ नये दिखाई दिये। तरुण ने तुरंत ही अपनी थैली से दवाई निकाली और उसकी पीठ पर जहाँ सूजन थी वहां लगाने लगा, रानी उससे दूर जाने लगी, मगर तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, और आराम से और धीरे धीरे उसकी पीठ पर तेल लगाने लगा, रानी ने विरोध करना बंद कर दिया, क्योंकि इससे उसे राहत मील रही थी। तरुण ने अब तेल लगाना जारी रखा, अब वह उसकी पीठ से नीचे उतरकर उसकी कमर के पिछले हिस्से पर तेल लगाकर नर्म मालिश कर रहा था। थोड़ी देर नर्म मालिश करने के बाद तरुण ने उसकी कमर से होते हुये सीधे उपर उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर फिर पीठ से फिर से कमर इस तरह सीधी रेखा में उसकी रीढ़ पर नीचे कमर तक, इस तरह करता रहा, मगर उपर जाते वक्त रानी के ब्लाउज के पिछले हिस्से की पट्टी बाधा डाल रही थी, और वह ब्लाउज छोटा होने की वजह से तरुण का हाथ अंदर जाने के लिये अक्षम था। रानी ने इतनी अच्छी मालिश में आती बाधा देखकर अपने ब्लाउज का हुक जो आगे की तरफ था वह खोल दिया, और अपने दोनों भरे हुये स्तनों को ब्लाउज से आझादि दे दी, वह मानो ऐसे उछलकर बाहर आये मानों, जैसे कई सालों से कैद खरगोश पिंजरे से बाहर आये हो। अब तरुण को मालिश करने में आसानी हो रही थी, तरुण अब तेजी से और अच्छा खासा जोर लगाकर रानी की पीठ की मालिश कर रहा था, इससे रानी को राहत के साथ साथ उत्तेजना भी हो रही थी। रानी कहने लगी,"अम्! अम्! म्! म्! तरुण!! कोमल के पापा भी मेरी ऐसी ही मालिश किया करते थे!आज तुमने फिर से उनकी याद दिला दी।"
तरुण अब अपने दुसरे हाथ से रानी की नाभि के आसपास मालिश करने लगा, जिससे रानी उत्तेजना से सिसकारिया निकालने लगी,"अम्! अम्! म्!!! म्!!!!म्!!!तरुण! रुक मत म्! म्! म्! करता रह म्!!! आहा!!!!", अब तरुण अपना हाथ नाभि के आसपास बड़े विस्तार में गोल गोल घुमा रहा था, जिससे तरुण का हाथ उपर स्तनों के निचले हिस्से तथा नीचे योनी के उपर तक स्पर्श कर रहा था। स्तनों पर हो रहे तरुण के गर्म हाथों के स्पर्श की वजह से रानी और उत्तेजित होने लगी, "म्! म्!! म्!!! आ!!हा!! आ!!!हा!!! आहा!!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तभी तरुण ने पूछा,"कैसा लग रहा है आपको?"
रानी ने कहा,"मस्त! अब उपर भी कर दो।"
तरुण समझ गया, वह अब अपने हाथों से उसके स्तनों की दबाकर मालिश कर रहा था।रानी अब उत्तेजित होने लगी थी, तरुण उसके पीछे खड़ा था इसलिए उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर तरुण के पायजामे का नाडा खोल दिया। तरुण ने जवाब में आगे से उसके लेहंगे का नाडा खोल दिया और उसका लेहंगा सरर् से नीचे फर्श पर गिर गया, वह पैंटी नहीं पहनती थी इसलिए वह पूरी तरह नग्न हो गई । वह उत्तेजित तो थी मगर उसमें थोड़ी शर्म बाकी थी, वह लेहंगा उठाने के लिये जैसे ही झुकी, तरुण ने तुरन्त ही उसके स्तनों को पकड़ कर उसके पैरों के बीच डालकर योनी के उपर चलाना शुरू कर दिया। अब तो रानी की उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी और वह अपने सारे वस्त्रों के साथ साथ अपनी शर्म के सारे कपड़े भी उतार चुकी थी और अब वह तन के साथ साथ मन से भी नग्न हो चुकी थी। वह भी अब तरुण का साथ देने लगी थी,"तरुण! आह! आह! आह! और करो करते रहो मजा आ रहा है मुझे! आ!!हा!!...", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तरुण का लिंग रानी के यौवन रस से भीग चुका था और रानी की योनी भी गीली हो चुकी थी, इसे सही अवसर मानकर तरुण ने अपना लिंग रानी की योनी में डाल दिया। तरुण के लिंग डालते ही रानी के मुंह से," आ!!! ई!!! उ!!ई!!!!!" करके चीख निकल गई। तरुण जैसे ही लिंग बाहर निकालने लगा, तो वह बोली," बाहर मत निकाल तरुण...", इतने में तरुण ने एक और धक्का दिया जिससे तरुण का १८ इंच लंबा और चार इंच मोटा लिंग, रानी की योनी के एक और इंच अंदर चला गया। माना की रानी एक खुली तिजोरी थी, मगर काफी देरी से अनछुई होने की वजह से उसके दरवाजे में जंग लगा हुआ था। तरुण अब उस योनी में अपना लिंग डालकर उसका जंग हटा रहा था। तरुण लगातार धक्के लगा रहा था, और जब तरुण आगे धक्का लगा रहा तब उसका साथ देते हुये रानी पीछे धक्के लगा रही थी। अब तरुण की मेहनत रंग ला रही थी, उसका लिंग रानी के गर्भाशय तक पहुंच रहा था। रानी का दर्द अब काफ़ी हद तक कम हो चुका था, और वह तरुण के टायट्यानियम से ज्यादा सक्त लिंग को अपने अंदर लेकर कड़े संभोग का आनंद ले रही थी, तभी उसका पानी छुट गया और वह झड़ गई। फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया, रानी बेड पर लेट गई और खुद को शाल से ढक लिया। तरुण ने पैंट पहनकर दरवाजा खोला तो वहां गेस्ट हाउस का मुनीम रामलाल था जो खाना देने आया था, तरुण ने उससे पार्सल ले लिया, फिर तरुण और रानी ने साथ में खाना खाया, तरुण का वीर्य पात अब भी नहीं हुआ था, पर रानी झड़ चुकी थी। और कई दिनों से कम खाने की वजह से ज्यादा खाना खा लिया और सो गई और तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
 
14
31
13
Inappropriate content
Update 5:

तरुण ने अपने आप को फीर से उस जगह पाया, जहाँ से उसे यह सारी शक्तियां मिली थी, वही कृतानंद ऋषि का आश्रम वहां उसे अयाना वह ऋषिपत्नी संपूर्ण नग्न अवस्था में मिली। वह जैसे वहाँ खड़ी तरुण का इंतजार कर रही थी उसे इस अवस्था में देख तरुण ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके मोटे मोटे उरोजों को दबाने लगा तब अयाना उसे बोली, “तरुण में यहां तुम्हारी गुलाम हुं और तुम्हारी हर चिंता का समाधान मै करूंगी।”
तरुण ने पुछा, “मेरे ऐसे स्पर्श करने से कोई भी औरत कामोत्तेजित हो जायेगी मगर तुम तो ना ही उत्तेजित हो रही हो, ना ही विरोध कर रही हो, कैसे क्या मुझमें सचमुच ऐसी शक्तियां है? क्या वह सचमुच असीमित है?”
अयाना ने उसे जवाब देते हुये कहा , “तरुण हां! यह बात सच है की तुम्हारे पास परमात्मा से भी अनंत गुणा शक्तियां है, मगर जब तक तुम्हें उनकी जानकारी ना हो तुम उनका उपयोग नहीं कर सकते।”
तरुण ने अयाना से पुछा, “अगर में इतना ही शक्तिशाली हूं तो मुझे तुम्हारी आवश्यकता क्या है?”
अयाना ने जवाब दिया, “मेरा कार्य तुम्हारी शक्तियों को नियंत्रण में रखना है, अगर ऐसा ना किया जाये तो तुम्हारी शक्तियाँ इतनी फैल जायेगी की हर मादा तुम्हारी तरफ आकर्षित होगी चाहे वह मनुष्य हो, पशु हो, पक्षी हो या कीट हो।”
तरुण इससे चौंक गया, उसने एक और सवाल पूछा,“क्या मै किसी भी लड़की को अपने और आकर्षित कर सकता हूँ?”
अयाना बोली, “ तुम्हारी इच्छा पर निर्भर है की तुम्हें क्या चाहिये तुम चाहो तो किसी भी कन्या को अपने लिये उत्तेजित करके उसके योन का फल चख सकते हो, तुम चाहो ताजी कच्ची कलियाँ फूला सकते हो, मगर तुम हो की बासी और जूठे फल तोड़ रहे हो।”
तरुण ने कहा, “तुम तो एक आत्मा हो, तो तुम नग्न कैसे हो?”
अयाना ने कहा, “देह ही आत्मा के वस्त्र होते है, तो बिना वस्त्र की आत्मा तो नग्न ही होगी।”
तरुण, “ तुम क्या मुझे जरुरत के हिसाब से हर शक्ति दे सकती हो?”
अयाना, “हाँ, जितनी तुम चाहो या तुम्हें जितनी आवश्यकता होगी।”
तब तरुण अयाना का हाथ पकड़कर, उसे अपनी और खींचकर उसके स्तन दबाने लगा और पूछा ,“मै कितने समय तक बिना झडे कर सकता हुं?”
अयाना ने कहा, “ तुम अनंत काल तक बिना झडे रह सकते हो, और तुम्हारे वीर्य को भी कोई मर्यादा नहीं है, तुम दुनिया भर की महिलाओं को खुश करके भी तुम्हारा लिंग सक्त ही रहेगा।”
तरुण कुछ पूछता इसके पहले उसकी आँख खुल गई, उसने देखा की वह जिसके स्तन दबा रहा था वह रानी थी। रानी तरुण के सामने पूरी तरह से नग्न थी, वह उसकी योनी का भंग तो कर ही चुका था, मगर उसकी और करने की इच्छा हो रही थी। तरुण के सामने रानी के भरे हुये स्तन थें, जोकि बालों से ढके हुये थें। तरुण ने बालों की लताओं में उंगली डालकर, रानी के स्तनाग्र रूपी फलों को चखने के लिये जैसे ही दबाया, रानी बोली, “तरुण रात भर बहुत हो चुका है, और अब...”, इतने में तरुण के लिंग पर रानी की नजर पड़ी, और उसने जो देखा वह देखकर वह दंग रह गई, तरुण का लिंग अभी भी लोहे की तरह सक्त था। यह देख रानी चौंककर शर्माकर तरुण को देखने लगी, अब शर्म के मारे उसके गाल भी लाल होने लगे थे, वह तरुण को बोली, “अब बस हो गया, बाकी सब घर जाकर करेंगे!” तब तरुण और रानी तैयार हो गये और शहर के लिये निकल गये।
वह कुछ ही घंटों में वापस कोमल के पास पहुंच गये, अपनी माँ रानी को देखकर खुशी से फूली नहीं समा रही थी, वह तो सीधे घर में से भागकर आयी और अपनी माँ को गले लगाकर फुट फुटकर रोने लगी, उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जीस माँ का वह इतने सालों से इंतजार कर रही थी, जिसके लिये उसने जेल की चक्की पीसी थी वह आज खुद उसके सामने थी। तब रानी ने कोमल को बताया की कैसे तरुण ने उसकी जान बचाकर, उसे उस गैंग की चंगुल से आझाद कराया था। कोमल ने माँ(रानी) को अंदर बुलाया और उसे कमरे में ले जाकर आराम करने को कहा। रानी सफर और तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से काफी थकान, महसूस कर रही थी, इसलिए वह एक कमरे में जाकर सो गई। तरुण को एक कमरे में ले जाकर कोमल ने उससे कहा, “तुम सोच भी नहीं सकते तरुण की, आज तुमने मुझ पर कितना बड़ा एहसान किया है, मुझे समझ ही नहीं आ रहा की तुम्हारा यह एहसान कैसे चुकाना है!”
तरुण कोमल को उपर से नीचे देखने लगा, उसने एक टी शर्ट और शॉर्ट पैंट पहन रखी थी, जैसे वह नियमित रूप से घर में पहना करती थी। तरुण ने उसका हाथ कोमल की खुली जाँघ पर रखा, और उसकी पैंट के अंदर हाथ डालकर उसकी जंघाओं को सहलाते हुये कहा, “कोमल तुम जानती हो मुझे क्या चाहिये, यु बनो मत।” कोमल उसका साथ तो नहीं दे रही थी, क्योंकि उसके मन में द्वन्द्व चल रहा था, उसकी दो विचारों के बीच। जहाँ उसका एक विचार कह रहा था, “कोमल यह क्या कर रही हो, वह जो भी करेगा वह तुम उसे करने दोगी, तुम्हारी कोई सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं है क्या?”
फिर उसकी दूसरी विचारधारा उसे कहने लगी, “सेल्फ रिस्पेक्ट है तुम्हारे पास? तुम तो पहले ही एक बच्चा गिरा चुकी हो, और उसके बाप को अपने उपर रेप करने का झुठा केस डालकर अंदर करवाया था।”
फिर पहली विचारधारा ने बोला, “वो तुमने अपनी माँ की जान बचाने के लिये किया था, उसमें शर्म वाली कोई बात ही नहीं थी।”
फिर दूसरे विचारधारा बोली, “अगर तुम अपनी माँ की जान बचाने के लिये, किसी के साथ एक साल राते बीता सकती हो, तो क्या जिसने तुम्हारी उसी माँ की जान बचायी उसके साथ एक रात नहीं बिता सकती, उसके एहसान के बदले उसे एक रात की खुशी नहीं दे सकती?”
इसके दौरान तरुण अपना हाथ उसकी पैंट में डालकर उसके नितम्ब दबा रहा था। कोमल अब उत्तेजित हो चुकी थी, उसके अंदर कामुकता की आग लग चुकी थी, वह अब तक तरुण का साथ तो नहीं दे रही थी, परंतु उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। तरुण तो कोमल के विचार पढ़ सकता था, वह यह बात अच्छी तरह से जानता था की कोमल की तरफ से, उसे पूरी स्वतंत्रता है, मगर वह उसे और उत्तेजित करना चाहता था। तरुण ने कोमल को और उत्तेजित करने के लिये उसके टी शर्ट में हाथ डालकर उसकी कमर सहलाने लगा और अपने दुसरे हाथ से उसके गुद्द्वार और योनी में अपनी उंगलियों को फेर रहा था। इससे कोमल के अंदर लगी वासना की आग को उत्तेजना की हवा मिलने लगी। कोमल, “आह! आह!” करके सिसकारिया देने लगी, तभी तरुण ने अपना हाथ कोमल की पीठ पर घुमाने लगा, तब उसे उसकी पीठ नग्न प्रतीत हुई। उसे पता चला की कोमल ने अंदर से कुछ नहीं पहना है, तरुण ने कोमल को पीछे मोड़कर खड़ा किया। अब तरुण अपना दायां हाथ उसके पेट पर रखकर उसे घुमाकर ऊपर की और ले जाकर उसके स्तन दबाने लगा। तभी उसने नाडा खोलकर उसकी शाँर्ट और टी शर्ट उतार दी। अब कोमल पूरी तरह से नग्न थी, तरुण उसके स्तनों को तरुण दोनों हाथों से दबा रहा था और साथ ही साथ वह उंगलियों से उसके स्तनाग्र मसलने भी लगा था, जिस वजह से कोमल के अंदर वासना की आग ज्वाला की तरह भड़क रही थी, इस वजह से कोमल, “म्! म्! म्!” करके सिसकारिया निकाल रही थी।
अब तरुण ने अपने पैंट भी उतार दी और अपना लिंग कोमल के दोनों पैरों के बीच उसकी योनी पर घुमाने लगा और आगे पीछे करके रगड़ने लगा, तरुण का लिंग किसी वज्र की तरह सक्त था, और २० इंच लंबा और तीन इंच मोटा था। कोमल तरुण को लिंग का आकार महसूस कर सकती थी, मगर इससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी, उसकी योनी ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। कोमल अब पीछे मुड़कर तरुण की तरफ देखने लगी, तरुण उसकी आँखों में आँखें डालकर देखने लगा वह शर्माकर नीचे देखने लगी तभी उसकी नज़र तरुण के विशालकाय लिंग पर पड़ी, वैसे तो वह कई बार संभोग ले चुकी थी मगर उसने इतना बड़ा लिंग नहीं देखा था, इसीलिए उसकी नज़र वही अटक गई। कोमल अब अपने घुटनों पर आ गई और तरुण के लिंग चूमने लगी जिससे वह और सक्त हो गया, फिर वह अपनी जीभ निकालकर उसके लिंग पर घुमाने लगी, थोड़ी देर ऐसा करने के बाद कोमल तरुण का लिंग अपने मुंह में ले रही थी मगर वह पूरा लेने में असमर्थ थी। अब कोमल का खुद पर नियंत्रण नहीं रहा, अब वह स्वयं ही पलंग पर लेट गई और उसने अपने पैर मोड़कर फैला दिये, ताकि तरुण सहजता से अपना लिंग डाल सके, अब तरुण ने कोमल के पास आकर अपना लिंग उसकी योनी पर रखा, और एक जोर का झटका देकर उसकी यॊनी मॆं डाल दिया, कॊमल पहलॆ भी सम्भॊग कर चुकि थी इसलियॆ, तरुण का लिंग उसकी यॊनी मॆं गर्भाषय तक पहुंच गया। कॊमल नॆ इतना बडा लिंग कभी अपनी यॊनी मॆं नही लिया था, उपर सॆ तरुण नॆ दियॆ झटकॆ की वजह सॆ उसॆ इतना दर्द हुआ की वह चिल्ला उठी," आ! तरुण! क्या ? है यह इतना बडा!!! और कडक लंड है या लोहे का डंडा," फिर तरुण ने लिंग बाहर निकाला और बोला, "तेरे लिये कौन सा मुश्किल है? तु तो सतीश से कै बार चुद चुकी है, और सतीश से बच्चा भी कर चुकी है, तो क्या कहूँ तुझे रां...।" इतना बोलते ही तरुण ने कोमल को एक जोरदार धक्का देकर तरुण ने अपना लिंग कोमल की योनी में डाल दिया। भले ही कोमल पहले राज और सतीश से कई बार संभोग कर चुकी हो, मगर तरुण का विशालकाय लिंग अंदर जाने से उसे बहुत तेज दर्द हुआ और वह, "आ! आ! आ! मर गई!!!" करके चीख उठी। उसकी इस चीख की वजह से बगल के कमरे में सो रही रानी की नींद उड़ गई वह उठकर दीवार को कान लगाकर कमरे में क्या हो रहा है यह सुन रही थी। यहां पहला झटका देते ही तरुण ने अपना लिंग कोमल की योनी में डालकर थोड़ा बाहर निकाला और एक झटका दिया, अब वह फिर जोर से, "आ!!हा" करके चीखने लगी, तरुण ने झटके देना चालू रखा। कोमल के अंदर भड़कती वासना की आग अब और ज्यादा भड़क रही थी, और उसकी लपटे रानी तक पहुंचने लगी थी। रानी के मन में तरुण और उसके विशालकाय लिंग के खयाल आने लगे। यहाँ तरुण ने अपने झटके की रफ्तार बढ़ा दी थी, और इसके साथ कोमल की चीखने की आवाज भी तेज हो चुकी थी। वह अपने मुंह से, "आ!!!ह!! आ!!!ह!! की आवाजें लगातार आने लगी, वह आवाजें रानी साफ सुन सकती थी।
कोमल की यह सिसकारिया रानी के लिये उसकी वासना की आग में घी का काम कर रही थी उसने अपना लहंगा उठाया और अपनी उंगली अपनी योनी में डालकर घुमाने लगी। तरुण के पास तो दीवारों के भी आर पार देखने की क्षमता थी, वह उससे यह जान गया था की रानी के अंदर वासना की आग भड़क गई है। वह चाहता तो पहले ही अपने होठों को कोमल के होठों पर रखकर उसकी चीख दबा सकता था, मगर उसका इरादा तो कुछ और ही था। कोमल का वह पतला शरीर, वह भरे हुये स्तन वह एक लय के साथ लहरा रहे थे। उसके अंदर अब शर्म खत्म हो चुकी थी, अब वह भी तरुण के पीठ में हाथ डालकर अपने नाखून गाड़ना चाहती थी मगर तरुण ने उसे हाथों के पंजों को बिस्तर से
सटाकर पकड़ रखे थे। इसलिए कोमल ने अपने पैरों से तरुण की कमर को जकड़ लिया, अब वह अपने चरम पर थी, और उसका जल्द ही पानी निकल गया तरुण का अभी भी नहीं निकला था। पानी निकलते ही तरुण की कमर पर जो कोमल ने अपने पैर लपेट रखे थे, वह पकड़ अब छुट गई। कोमल अब थक चुकी थी मगर तरुण अभी भी जोश में था। वह उसे और उत्तेजित करने के लिये कोमल के स्तनों को दबाने लगा, और उसके स्तनाग्रों को चूसने और मसलने भी लगा कोमल के अंदर इच्छा तो जग रही थी मगर वह थकी हुई भी बहुत थी, इसलिए वह सो गई।
तब रानी को आवाजें आना बंद हो गई, वह उत्सुकता से क्या हुआ यह देखने बाहर निकल आई। तभी तरुण ने उसे देख लिया, अक्सर रानी सोते वक्त अपनी साड़ी उतारकर सोती थी, वह सिर्फ ब्लाउज और लहंगा पहनती थी। वह उसी अवस्था में बरामदे में घूम रही थी। तरुण ने वहाँ जाकर रानी को पीछे से पकड़ लिया तब रानी तरुण के साथ बिताये हुये पल याद आ रहे थे। तरुण के रानी को अचानक पकड़कर उसके अंदर लगी हुई वासना की आग भड़क उठी, वह पीछे मुड़कर तरुण को चूमने लगी। रानी ने अब अपने होंठ तरुण के होठों पर रखे फिर तरुण के चेहरे को दायीं और अपना चेहरा बायीं और झुकाकर अपने होंठ थोड़े खोले, इसी बीच तरुण ने भी उसके होंठ खोलकर थोड़े खोले फिर दोनों अपनी अपनी जुबान एक दुसरे के मुंह में डालकर घुमाने लगे। तरुण ने अपना हाथ रानी की कमर पर घुमाकर उसे उसकी पीठ पर ले गया और उसके ब्लाउज के अंदर डाल दिया, और उसकी पीठ को सहलाने लगा। तब उसे यह पता चला की रानी ने ब्लाउज के अंदर कुछ भी नहीं पहना है और उसका ब्लाउज भी पीछे से खुलता है। तरुण ने एक झटके में उसे खोल दिया और रानी के हाथों को पंजों से पकड़कर उसे खंबे से सटा दिया और उसे होठों से उतरकर उसके गले पर चूमने लगा। फिर वहां से चूमते हुये उसके दायें कंधे तक पहुंचा और उसके ब्लाक की पट्टी उसके कंधे से हटा दी, फिर वहा से चूमते हुये उसके दुसरे कंधे पर पहुंचा और दूसरी पट्टी भी अपने मुंह से उतार दी। अब वह कंधे से चूमते हुये छाती तक आया और उसके दोनों स्तनों के बीच की गहराई से चूमते हुये उसकी नाभि तक आया और नाभि में अपनी जुबान डालकर घुमाने लगा। अब रानी काफी उत्तेजित और गर्म हो चुकी थी, वह उत्तेजना के मारे," आ!!ह, तरुण क्या कर रहे हो आहा!आह!आह!", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तभी तरुण ने थोड़ा सा नीचे जाकर अपने मुंह से ही रानी के लहंगे का नाडा खींचकर उसका लहंगा उतार लिया, अब रानी की योनी तरुण के सामने नग्न थी, वह तरुण से पहले भी संभोग कर चुकी थी इसीलिए वह खुली थी। तरुण ने रानी का हाथ छोड़कर उसकी कमर को पकड़ लिया और उसकी योनी में अपनी जुबान डालकर उसे चाटने लगा। रानी की वासना अब चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी, रानी अपने हाथों से तरुण का सर दबाकर उसे बोल रही थी की,"तरुण आ!ह!!, आह!!,आह!!,आह!!, चाटो और आह!! सब तुम्हारा ही है," तभी उसकी चीख निकली,"आ!!!" और रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया तरुण ने वह पानी पी लिया। अब रानी ने तरुण का सिर भी छोड़ दिया, तरुण अब रानी को उठाकर उसके कमरे में ले गया और उसके पलंग पर लेटा दिया। अब तरुण ने रानी के पैरों को मोड़कर फैलाया और अपने कंधे पर ले लिया और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और एक धक्का दिया जिससे वह लिंग एक झटके में सरिता की योनी के अंदर चला गया। सरिता जोर से चिल्लाकर बोली,"तरुण!!! धीरे करो!! दर्द हो रहा है। आऊ!"
तरुण बोला,"आप तो ऐसे चिल्ला रही है जैसे मेरे साथ पहली बार कर रही है।" इतना कहकर तरुण ने लिंग आधी योनी से बाहर निकाला और एक झटका दिया, जिससे रानी को दर्द हुआ और वस चीखकर बोली ,"आऊच!! हाये में मर गई रे!", तरुण को इससे काफी जोश आया और उसने और झटके जोर के और तेज कर दिये। तरुण बोला,"पहले तो काफी मजा आ रहा था ना, नाटक बंद करो!" तरुण के ऐसा बोलते ही रानी भी उसे कमर से झटके देकर उसका साथ दे रही थी। तरुण ने अब उसके एक स्तनाग्र को चूसना शुरु किया, इससे रानी और उत्तेजित होने लगी और वह, अपने मुंह से,"आ!!!हा, आ!!!ह और!!! तरुण और!!!" कहते हुये अपने पैर तरुण पर लपेट लिये, और अपनी कमर के झटके तेज कर दिये, दोनों एक दुसरे का पूरा साथ दे रहे थे, तभी रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया और वह नीढाल हो गई। तब तरुण ने उसे पलटकर रखा और अपना हाथ उसकी कमर पर घुमाने लगा, यह एहसास रानी को अच्छा लगा। फिर तरुण ने वह हाथ घुमाते हुये उसके नीतम्ब की मालिश करने लगा इससे रानी और उत्तेजित हो गई, और वह उसे बोलने लगी," तरुण वाह! मजा आ रहा है और करो।" तरुण इसे हामी समझकर तैयार हुआ और अपना लिंग उसके गुद्द्वार पर आगे पीछे करने लगा जिससे रानी को मजा आने लगा। फिर तरुण ने नितम्बों के बीच तेल डालकर अपने लिंग की गति बढाने लगा, जिससे तरुण का लिंग चिकना हो गया। अब तरुण को लगा की यह सही अवसर है, उसने अपना लिंग झटका देकर उसके गुद्द्वार में डाल दिया, रानी,"आ!!!! तरुण!!!! मर गई में!! हाय!!! कहाँ डाल दिया!!!, जल्दी बाहर निकाल!!" ऐसे वह चिल्लाने लगी और वह आगे पेट के बल रेंगकर खिसक गई तरुण ने भी अपना लिंग पीछे लिया। तरुण जब लिंग पीछे निकाल रहा था तब उसके स्पर्श से वह राहत से,"हम्!! आहा!!आहा!!आहा!!" करके सिसकारिया ले रही थी। तभी पूरा निकालने से पहले तरुण ने रानी के स्तनों को जकड़ के एक झटका दिया, और अपना लिंग गुद्द्वार में और गहराई में डाल दिया, उससे रानी की,"आ!!!!" करके चीख निकल गई। अब तरुण रानी को झटके दिये जा रहा था और रानी कभी ,"आ!!" "ई!!!" करके चीखकर उसका जोश बढाने लगी थी। अब रानी को भी मजा आ रहा था उसकी चीखे अब सिसकारिया बन गई थी। तभी रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया और वह थकान की वजह से नीढाल हो गई, और सो गई। तरुण तो बिना वीर्य पात के अनंत काल तक रह सकता था, और वह नहीं झडा था। वह और करना चाहता था, मगर रानी थक चुकी थी, और सो गई और तरुण भी उसे लिपट कर सो गया।
यहाँ तरुण ने सपने में देखा की वह उसी जगह ऋषि कृतानंद के आश्रम में है और अयाना नग्न अवस्था में उसके साथ पलंग पर लेटी है। तरुण के मन में सैतानासुर के जन्म को लेकर काफी प्रश्न थे।
तरुण ने अपना हाथ अयाना के स्तनों पर रखा और पूछा की,"सैतानासुर क्यों नहीं मरा, जैसे बाकी असुर मारे गये वैसे?" तब अयाना ने बताया, "सैतानासुर कोई साधारण असुर नहीं था, उसके पीता तो असुर थे मगर माँ एक देवी थी"
चौंककर तरुण ने पूछा,"देवी? कौन सी देवी?"
आयाना ने कहां, "कामदेव की पत्नी देवी रति"
तब तरुण की उत्सुकता बढ़ी और उसने पूछा,"कैसे?"
तब अयाना ने कहा," इसके पीछे एक कहानी है, तुम कहो तो सुनाती हूं?"
तरुण बोला ,"सुनाओ।"
तब अयाना ने उसे कथा सुनाई वह ऐसे:-
एक बार सतयुग में एक असुर हुआ करता था। उसका नाम मण्डूकासुर था, वह रूप से काफी कुरूप था मनुष्य तो छोड़ो असुरकन्या, राक्षसी भी उससे विवाह करने को तैयार नहीं थी, उसका मुख भी देखा पसंद नहीं करती थी। वह कई बार अपमानित हो चुका था, उसने सोचा की वह अब सबको सुन्दर और आकर्षक व्यक्ति बनकर दिखायेगा। उसने सुंदरता की देवी, रति की तपस्या आरम्भ कर दी, उसकी यह तपस्या इतनी घोर थी की, उससे अर्जित तपोबल से देवराज इंद्र का सिंहासन अस्थिर होने लगा।
देवराज इंद्र: यह सब क्या हो रहा है, कौन सा संकट आयेगा अब स्वर्ग पर?
(तभी देव ऋषि नारद वहाँ प्रकट हुये)
इंद्रदेव: आपका स्वागत है, देव ऋषि नारद।
नारद : इस असुर से आपके सिंहासन को कोई संकट नहीं है, देवराज।
इंद्रदेव: परंतु सावधान रहना तो आवश्यक है, और भले इससे ना हो लेकिन इसकी तपस्या से तो है।
तब इंद्रदेव ने अप्सराओं को उसके पास उसकी तपस्या भंग करने भेजा मगर अप्सराओं के लाख प्रयास करने के बाद भी वह उसकी तपस्या करने में बाधा ना डाल सकीं। तब उन्होंने कामदेव और रति को वहां भेजा कामदेव ने अपने पुष्पबाण चलाकर उसकी तपस्या भंग करनी चाही, मगर सौ पुष्पबान चलाने पर भी वह ऐसा करने में आसमर्थ थे। उसकी तपस्या चरम पर पहुंच गई और देवी रति को उसके सामने आने के लिये विवश होना पड़ा।
देवी रति मण्डूकासुर के सामने प्रकट हुई और बोली,"आँखें खोलो मण्डूकासुर, मै तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं, बताओ क्या वरदान चाहिये तुम्हें?"

तब मण्डूकासुर ने बोला,"हे देवी मुझे कुछ ऐसा वरदान दीजिए की जिससे मै जिस स्त्री को चाहू उसे अपनी और आकर्षित कर सकूं, और अपने प्रति उसके मन में कामुकता जगा सकूं।"
स्वर्ग से यह सब देवराज इंद्र देख रहे थे, वह हंसकर बोले,"यह इसलिए तप कर रहा था! हम तो मिथ्या ही चिंता कर रहे थे।"
तब देवी रति ने उसे एक तावीज दिया और कहा," यह लो मण्डूकासुर, तुम इसे दोनों हाथों मे पकड़कर जीस भी स्त्री का नाम लोगे वह तुम्हारे साथ संभोग करने के लिये तत्पर हो जायेगी। वह उनसे लेकर मण्डूकासुर
ने कहा,"धन्यवाद देवी रति!"।
असल में तब मण्डूकासुर ने अपने दोनों हाथों में उसे पकड़कर देवी को प्रनाम किया, और यह कहा था। उस वरदान में देवियां भी आती थी, इससे रति प्रभावित हुई और वह नीचे भूमि पर लेट गई। उन्होंने अपना एक पैर घुटने से मोड़कर अपने दोनों हाथों को अपने सिर के पीछे अपने दोनों हाथों को रखकर एक कामुकता भरी मुद्रा दिखाई। तब मण्डूकासुर पर कामदेव के सौ बाणों का प्रभाव शुरू हुआ, वह अब देवी रति की और बढ़ा, उसने उनके वस्त्र उतारकर उन्हें नग्न किया और अपने होंठ उसके होठों पर रखकर चूमने लगा और अपना लिंग उसकी योनी में डालकर उसके साथ सम्भोग करने लगा और देवी रति भी उसका साथ देने लगी दोनों तीन दिन तक सम्भोग करते रहे। फिर मण्डूकासुर का वीर्य पात हुआ और उससे देवी रति का गर्भाधान हुआ, नौ महीने बाद उन्होंने एक आकर्षक पुत्र को जन्म दिया। जन्म देने के बाद देवी रति स्वर्ग के लिये प्रस्थान करने लगी, तब मण्डूकासुर ने उसे कहा,"देवी आप इसकी माता है, अगर आप नहीं होगी तो इसे दूध कौन पीलायेगा?" तब देवी ने एक अक्षय पात्र प्रकट किया और उसमें अपने स्तन से कुछ बूंद दूध डाला, मगर जैसे ही वह बूंद पात्र में गिरी वह पात्र दूध से भर गया। देवी रति ने कहा, "यह अक्षय पात्र है, इसमें अगर किसी पदार्थ की थोड़ी सी मात्रा भी डाल दी जायें तो उसका अनंत स्त्रोत बन जाता है, यह उसकी माँ के दूध की आवश्यकता को पूरा करेगा।" यह कहकर देवी रति स्वर्ग के लिये निकल गई। फिर बारा दिन बाद उसका नामकरण कराया, वहाँ समस्त असुर संप्रदाय के साथ असुर गुरु शुक्राचार्य भी उपस्थित थे। तब उन्होंने उसकी कुंडली का अभ्यास किया और वह खुश भी हुये और चकित भी हुये। उनके यह भाव देखकर मण्डूकासुर ने उनसे पूछा,"क्या हुआ गुरुदेव? कोई समस्या है क्या?"
तब उन्होंने कहा,"हे मण्डूकासुर, ऐसी कुंडली हमने आज तक नहीं देखी, यह तो मरने के उपरांत भी जीवित रहने की क्षमता रखता हे!"
मण्डूकासुर ने कहा, "मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"
शुक्राचार्य ने कहा," संकोच कैसा? बताओ।"
मण्डूकासुर,"यहां नहीं, एकान्त में।"
शुक्राचार्य ने हाथ से सब को इशारा करके बाहर भेज दिया।
शुक्राचार्य ने कहा ,"अब बताओ।"
मण्डूकासुर, "इसका पीता तो मैं हूं, मगर उसकी माता देवी रति है।"
शुक्राचार्य ने पूछा,"सत्य में! कैसे?"
फिर मण्डूकासुर ने उन्हें सारा सार सुनाया। शुक्राचार्य प्रसन्न होकर बोले,"अरे वाह मण्डूकासुर, तुमने तो वह कर दिखाया जो मेरे, अजय शिष्य भी प्राप्त ना कर सके, तुमने एक देवी से उत्पन्न पुत्र प्राप्त किया है,इसके रक्त में अमृत के अंश है, परन्तु तुम छह मास तक इसकी दूध की आवश्यकता कैसे पूर्ण करोगे?"
तब वह रोने लगा, तब मण्डूकासुर ने उसे अक्षय पात्र से कुछ दूध पिलाया। और शुक्राचार्य से कहा,"देवी रति ने उसे यह अक्षय पात्र दिया है जो अनंत काल तक दूध की धारा प्रदान कर सकता है।"
तब शुक्राचार्य ने कहा,"अगर ऐसा है तो तुम पूरी आयु इसे यह दुग्ध देते रहो, इससे ना केवल उसकी दुग्ध की आवश्यकता पूर्ण होगी, इसके साथ उसे कामदेव की दिव्य शक्तियां और अमृत भी प्राप्त होगा।"
फिर शुक्राचार्य ने सब को भीतर बुलाया और नामकरण विधि संपन्न की उसका नाम सैतानासुर रखा गया। फिर शुक्राचार्य ने वहाँ से प्रस्थान किया।
यहा कथा खत्म करने के बाद अयाना तरुण से बोली, "यह तो है सैतानासुर के जन्म का रहस्य"
 
14
31
13
Update 6

तरुण की यहां नींद खत्म हो गई और वह जाग गया उसने देखा की रानी उसके साथ पूरी तरह नग्न अवस्था में है, और उसने कुछ भी ओढ़े नहीं रखा है। तरुण अब कोमल को भी उत्तेजित करना चाहता था, इसीलिए उसने रानी को वैसे ही नग्न छोड़ दिया और वह कमरे से बाहर आया और कोमल के सामने से ही रानी के कमरे से निकला कोमल उसे देखकर चौंक गई, जब वह अपनी माँ के कमरे में गई तो समझ गई की क्या हुआ है। उसके सामने उसकी माँ नग्न अवस्था में थी, और उसकी योनी और गुद्द्वार काफी फैल चुके थे। तब तक तरुण कपड़े पहनकर तैयार हो गया और कोमल को आवाज लगाई, तब कोमल बोली, "आती हूँ। " इतना कहकर कोमल बैठक में आ गई, तरुण वही मौजूद था। कोमल को देखते ही तरुण ने उसका हाथ पकड़कर जोर से खींचा, और अपने नजदीक सोफे पर बैठा लिया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे जकड़ लिया। तरुण कोमल के स्तनों को दबाकर बोला,"कोमल मै तो तैयार हूं क्या, तुम लेना चाहती हो?"
कोमल बोली,"अभी नहीं, अभी हमें राज के घर जाना है, मै उसे सब कुछ सच सच बता दूंगी अपने बारेमें।"
फिर दोनों बाईक पर बैठ कर राज के घर निकल गये। तरुण ने बाईक पर कोमल की कमर पर हाथ रखा और उसे अपनी बाहों में भिंच लिया, थोड़ी देर बाद वह लोग राज के घर पहुंच गये। कोमल ने दरवाजे की घंटी बजाई सामने सरिता ने दरवाजा खोला, सामने सरिता खड़ी थी और कोमल को देखकर थोड़ी गुस्सा हुई। तब सरिता बोली, "अब क्या लेने आयी है यहां?"
तब तरुण ने कहा ,"यह आपको सच बताने आई है, वैसे राज दिखाई नहीं दे रहा?"
तब राज भी आ गया और सबको सरिता ने सबको अंदर आने के लिये कहा। और अंदर बैठकर तरुण और कोमल ने, क्यों कोमल को राज के परिवार के खिलाफ साजिश में शामिल होना पड़ा था, यह बताया। कोमल की कहानी सुनकर सब हैरत में पड़ गये।
राज ने तरुण से पूछा,"तरुण तुम तो रानी को बचाने के लिये गये थे? तुमने पहचाना या जानते हो वह कौन थे।"
तरुण ने बताया, "यकीन के साथ तो नहीं कह सकता मगर रानी जी का कहना है की वह उनके खानदानी दुश्मन थें।"
तब कोमल ने पूछा,"अगर वह हमारे खानदानी दुश्मनी की वजह से होते तो उन्होंने राज पर ही क्यों निशाना साधा था?"
तब कोमल ने राज को कहा, "राज वैसे मैने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया"
राज बोला, "अरे कोमल! भूल जाओ ऐसा कुछ नहीं है"
कोमल बोली, "मै तुम्हारे लिये एक गीफ्ट लायी हूँ।"
राज, "वैसे गीफ्ट क्या है?"
कोमल बोली,"यहाँ नहीं, रुम में।"
राज कोमल के साथ रूम में चला गया। यहाँ सिर्फ सरिता और तरुण थे, तरुण ने सरिता से पूछा, "वैसे राज और आप की वो रात कैसी थी?"
यह सुन सरिता थोड़ी घबराकर बोली, "कौन सी रात, तरुण ?"
तरुण थोड़ा सरिता के नजदीक आकर बोला,"वैसे, कोमल भी पूछ रही थी की दवा कितनी देर असर करती है? वह कह रही थी की दो घंटे की गैरंटी है।"
सरिता बोली, "नहीं! नहीं! ये तो कम है वह तो छह घंटे बाद ....", सरिता बोलते बोलते रुक गई और उसने अपने जबान दांतों के बीच दबा ली। वह शर्म के मारे उठकर वहाँ से चली गई।
यहाँ कमरे में कोमल और राज के बीच कामुकता का अलग ही मंजर चल रहा था, अंदर जाकर जब राज ने कोमल को पूछा," गिफ्ट कहां है कोमल?"
तब कोमल ने उसे कहाँ की "आँखें बंद करो।"
राज ने पूछा,"क्यों?"
कोमल बोली, "सरप्राईज है!"
राज ने पूछा,"क्या है?"
कोमल बोली, "बताया, तो सरप्राईज कैसा, आँखें बंद करो!"
राज ने आँखें बंद की, और थोड़ी देर बाद उसने अपने होंठोंपर एक अलग सी गर्मी महसूस की, उस गर्मी में उसे अजीब सी राहत मील रही थी। तभी उसने अपनी आँखें खोलकर देखा तो वह देखता ही रह गया, कोमल उसे बडे समर्पण के साथ उसके होठों पर चूम रही थी। उसने सारे कपड़े उतार दिये थे, वह सिर्फ़ एक क्वार्टर कप ब्रा और लेस थाँग पहने हुये थी, उनका रंग गुलाबी था और ब्रा से उसके स्तनाग्र आराम से बाहर आ रहे थे। राज भी अब जोश में आ गया था, वह कोमल को चेहरे पर काफ़ी चूमने लगा फिर वह चूमते चूमते उसकी गर्दन पर अपनी जीभ घुमाने लगा। कोमल अब बहुत कामुक हो रही थी, और जोर जोर से,"आह! राज आह! और करो और करो" बोले जा रही थी, इससे राज का जोश तो बढ़ रहा था, जिससे राज कोमल को अपनी बाहों में और जोर से कसकर चूमने लगा था। कोमल का उद्देश्य राज का जोश जगाना था, मगर उसके साथ साथ तरुण को अपनी सिसकारिया सुनाकर जलाना और कामुक करके तडपाना भी था, क्योंकि तरुण उससे नहीं झड़ सका और उसने उसकी माँ के साथ तो उसने योनी और गुद्द्वार में करने के बाद भी नहीं झडा था, एक सामान्य लड़के के से दस से बारा बार पानी निकलवाकर भी, उसका वीर्यपात करवाने में मिली असफलता के कारण वह अंदर से उसका अहंकार को चोट पहुंची थी। उसपर वीर्य निकालने का जैसे आवेश छा गया था, वह भी जोर जोर से सिसकारिया निकाल रही थी।
कोमल की कामुकता भरी सिसकारिया बाहर तक सुनाई दे रही थी, तरुण और सरिता बातें कर रहे थे, और जब सरिता उठकर जाने लगी तब उसे कोमल की कामुकता भरी सिसकारिया बाहर सुनाई देने लगी और उसके मन में कुतूहल जाग्रत हुआ, वहाँ दरवाजे को एक कि-होल था, सरिता ने उसी कि-होल से अंदर झांक कर देखा तो वह दंग रह गई ।वहाँ कोमल उसके सामने पूरी तरह से नग्न थी, और राज उसके स्तनों को बड़ी जोर से दबा रहा था और स्तनाग्रों को चूस रहा था। अब तरुण सरिता के पीछे आकर खड़ा हो गया, सरिता को इस बात का ध्यान ही नहीं था। अंदर राज ने कोमल की नाभि में जबान डालकर उसे घुमाना शूरू कर दिया, और कोमल, "आह! राज अब बस भी करो, डाल दो अंदर!! और मत तडपाओ!" ऐसे बार बार चिल्ला रही थी। यह देखकर बाहर सरिता के मन में भी वासना की आग भड़क रही थी, वह अंदर तो जा नहीं सकती थी; क्योंकि ताला लगा हुआ था , और अगर वह दरवाजा खटखटाती तो वह दोनों रुक जाते, और उसका इतना अच्छा सम्भोग देखने का आनन्द भी चला जाता। सरिता अंदर का दृश्य देखने मे इतनी व्यस्त थी, की उसे इस बात का भी ध्यान नहीं था की तरुण उसके पीछे खड़ा है। सरिता की उत्तेजना इतनी बढ चुकी थी की, कामुकता के मारे उसके स्तनाग्र सक्त हो चुके थे और जब से व्हायग्रा के प्रभाव में आकर राज ने उसके साथ सम्भोग किया था, तब से वह हर रात उसे साथ संभोग कर रही थी, रोज राज का वीर्य निकलने तक सम्भोग करती थी और उसे सम्भोग की लत लग चुकी थी। सरिता की वासना अब नियंत्रण के बाहर थी, उसने अपनी साड़ी कमर से उपर कर दी, और अपनी उंगली अपनी योनी में डालकर अंदर बाहर करने लगी और घुमाने लगी। अब सरिता उंगली घुमाने के साथ साथ, "आह! आह!" करने लगी।
वह बोल रही थी," ओह! राज! कोई चोदो मुझे! फाड़ दो मेरी चूत!! फाड दो मेरी चूत!!! फाड़ दो मेरी गाँड!!!"
सरिता अपनी धुन में यह भूल गई थी की, पीछे तरुण खड़ा था। तब तरुण ने साड़ी से बाहर आती उसकी चिकनी जंघाओं पर धीरे से हाथ रखा, मगर सरिता को इसका एहसास भी नहीं हुआ। तरुण का साहस अब और बढ गया सरिता ने जो ब्लाउज पहना था, वह बैकलेस था और पीछे नाड़ियों से बंधा हुआ था। तरुण ने धीरे से नाड़ी खोल दी और उसके भरे हुये स्तन खुल गये और जब से उसने राज के साथ सम्भोग किया था, उसने घर में ब्रा पहनना बंद कर दिया था, ज्यादातर बैकलेस पश्चिमी कपड़े पहना करती थी। उसने आज ही साड़ी पहने रखी थी, तरुण को अपनी दिमाग पढ़ने की कला से यह पता चलते देर नहीं लगी की सरिता वासना में इतनी डूब चुकी थी की, उसे इस बात का भी एहसास नहीं था की तरुण ने उसका ब्लाउज खोल दिया है। सरिता को लेहंगे का नाडा कमर की बाजू मे बांधने की आदत थी, तरुण ने फिर धीरे से वह नाडा पकड़कर खींच लिया और सरिता की साड़ी छूटकर नीचे गिर गई।
तब सरिता को एहसास हुआ की उसका ब्लाउज भी खुल चुका है। उसने झट से पीछे मुड़कर अपने स्तनों पर हाथ रखकर ढक लिये, जिससे उसका लेहंगा खिसक कर नीचे गिर गया। जैसे ही सरिता अपनी साड़ी उठाने के लिये नीचे झुकी, तभी तरुण ने उसके स्तनों को जोर से पकड़ कर दबा दिया। सरिता डरकर पीछे हट गई और दीवार से सटकर खड़ी हो गई, तरुण बड़ी फुर्ती से उसकी साड़ी और लेहंगा उठाकर भाग गया।
सरिता बोली,"तरुण! छोड़ मेरे कपड़े, वापस कर मुझे" तरुण उसे छेड़ कर बोला, "चाहिए तो ले लो," इतना कहकर वह भागा। सरिता के कपड़े जिस कमरे में थे वह बंद था, इसीलिए सरिता को तरुण के पीछे ऐसी ही अवस्था में भागना पड़ा। सरिता पीछे थी, तरुण आगे था सरिता के भागने की वजह से उसके भरे हुये स्तन बड़ी कामुक लय के साथ डोल रहे थे। तरुण भागते भागते सरिता के सीने में होती हुई स्तनों के कंपन का आनंद ले रहा था, तरुण सरिता को दौड़ाते हुये घर के बाहर ले आया था। वह घर के आसपास सिर्फ़ खुली जगह थी जहाँ, सिर्फ़ हरी घास उगी हूई थी। आसपास दूर दूर तक कोई घर नहीं था, सिर्फ जंगल था। तरुण कुछ दूर जाकर रूक गया, सरिता भागते भागते थक चुकी थी, वह हांफते हांफते बोली,"तरुण!! बस बहुत भगा लिया, अब वह कपड़े मुझे दे दो।"
तरुण ने साड़ी नीचे डाल दी और सरिता से कहा, "यह लो, ले लो।"
तरुण जान भूजकर सरिता को वही ले आया था जहाँ रबर का टब था।
जैसे ही सरिता आगे बढ़ती है, तरुण उसके ब्लाउज पर एक जोरदार धक्का दे देता है, वह पीछे पानी से भरी रबर की टब में पूरी तरह से नग्न अवस्था में गीर जाती है। उसके अंदर पानी था, जिससे सरिता पूरी तरह भीग गई। वह अब तरुण की और गुस्से में देखने लगी, तभी तरुण ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये और सरिता के साथ टब में उतर गया। सरिता बोली, "बेशरम! अपनी माँ जैसी औरत के साथ ऐसी..."
तरुण उसकी बात पूरी होने से पहले उसको जकड़ कर बोला, "और जो सगे बेटे के साथ सात दिन से कर रही थी, वो क्या था"
यह सुनकर सरिता का मुंह खुला का खुला रह गया, तरुण ने तभी सरिता को नीचे टब में गिरा दिया और स्तनों के बीच में अपना लिंग डाल दिया और उसके स्तनों के बीच अपने लिंग को रगड़ने लगा। सरिता उसके लिंग का विशालकाय आकार और मजबूती देखकर आश्चर्यचकित हो गई, और तरुण से बोली, "तेरा लंड है या, लोहे का मूसल?"
तरुण उसके स्तनाग्रों को उंगलियों से मसलते हुये बोला, "आप तो ऐसे बोल रही है जैसे पहली बार अंदर ले रही हो, तुम्हारी चूत का भोसडा मेरे ही लंड ने बनाया था।"
सरिता की चीख निकल गई और वह बोली, "आ!आ! धीरे दबा में कोई रंडी नहीं हू जो तू इतनी जोर से दबा रहा है।"
तरुण बोला, "जो अपने सगे बेटे से चुदी हो उसे क्या बोलेंगे?"
इतना बोलते ही तरुण ने अपना लिंग सरिता की योनी पर रखा और एक जोर का धक्का दिया जिससे तरुण का लिंग सरिता के गर्भाशय तक पहुँच गया। और सरिता के मुंह से, "आ!!!" करके चीख निकल गई।
तरुण सरिता के स्तनों को जोर से दबाकर बोला,"इतना क्या चीखना, पहले भी ले चुकी हो ना?"
और तरुण जोर जोर से अपना लिंग सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता की योनी पानी छोड़ने लगी थी, मगर वह टब में होने की वजह से पता नहीं चल रहा था।धीरे धीरे सरिता की चीखें सिसकारियों में बदलने लगी थी।
सरिता तरुण को बोल रही थी,"आह! तरुण और करो! मेरे राजा!"
तरुण बोला, "बोल कौन है तू मेरी?"
सरिता चीखकर बोली,"रंडी!!!"
तरुण इससे और उत्साहीत हो रहा था, और सरिता को और जोर से धक्के दे रहा था, यहां सरिता अपने चरम पर थी, और उसने अपनी एक चीख के साथ सारा पानी छोड़ दिया, और वह वही नीढाल हो गई मगर तरुण का अभी तक नहीं हुआ था, और वहां राज ५ बार कोमल के सामने झड़ चुका था, और कोमल राज से निराश हो गई थी क्योंकि वह एक बार भी नहीं झड़ी थी। कोमल का ज्यादातर वक्त राज का लिंग चूस कर उसे खड़ा करने में ही गया था। अब तो राज इतना थक चुका था की वह सो गया अब कोमल जब बाहर आई तो उसने देखा की तरुण ने तो सरिता का पानी निकाल दिया था और वह अब वह सरिता के साथ अँनल करने वाला था, तरुण ने थूक लगाकर अपना लिंग सरिता की योनी में डाला तो सरिता की चीख निकल गई, मगर उसे मजा भी आ रहा था उसकी योनी लगातार पानी छोड़ रही थी, और जैसे जैसे तरुण सरिता के उपर धक्के लगाता गया सरिता भी लगातार उसका साथ दे रही थी, थोड़ी देर में सरिता भी थक गई और वही सो गई वह कई बार झड़ चुकी थी। तब तरुण ने सरिता को नग्न अवस्था में ही वहाँ बगीचे में सुला दिया और अपने कपड़े पहनकर कोमल के साथ स्कूटर पर बैठकर निकल आया।
तरुण कोमल के पीछे बैठा था, और उसने अपने हाथ कोमल की कमर पर रख दिये। कोमल के अंदर की हवस शांत नहीं हुई थी, तरुण ने अपने हाथ उपर ले जाते हुये उसके स्तनों पर ले गया और दबाने लगा। कोमल के मन में कामुकता अभी भी भरी हुई थी, और वह तरुण के छूने से ही उत्तेजित हो रही थी। तरुण भी उसके स्तन दबाये जा रहा था। कोमल ने एक जगह गाड़ी रोक दी और वह नीचे उतरकर एक पेड के पास खड़ी हो गई, और तरुण को देखते हुये उसने बड़े ही कामुक अंदाज में अपने हाथ उपर करके अपने रस के पीछे लिये। तरुण यह समझ गया की, कोमल उसे अपने पास आने के लिये न्योता दे रही है। तरुण उसकी आंखों में देखने लगा और उसकी तरफ बढ़ने लगा, कोमल धीरे धीरे अपने कदम पीछे लेने लगी और वह दोनों जंगल के काफ़ी अंदर चले गये। कोमल के पीछे एक पहाड़ी का सीधा कड़ा था, वहाँ उसने अपनी पीठ टेक दी। तरुण कोमल के और करीब आया और उसका चेहरा कोमल के चेहरे के एकदम करीब आ गया। कोमल ने अपनी आँखें बंद कर ली और उसकी सांसे तेज होने लगी, तरुण कोमल के और करीब आया और उसने अपने होंठ कोमल के होंठों पर रख दिये। तरुण उसे चूमने लगा और कोमल भी उसका साथ देने लगी वह दोनों अपनी जीभ एक दुसरे के मुंह में डालकर घुमाने लगे, कोमल अब तैयार होने लगी उसने अपने हाथ तरुण की पीठ पर रख दिये और जवाब में तरुण ने भी कोमल कोमल का सुट उपर उठाकर अपना हाथ उसकी कमर पर रखा और घुमाने लगा। तरुण उसे होठों पर चूमते चूमते उसकी गर्दन पर चूमने लगा उसने नीचे आते आते उसकी सलवार उसकी नीकर के साथ कमर से नीचे खींच ली। और चूमते चूमते वह उसके स्तनों को कमीज के उपर से ही चूमने लगा, जिससे कोमल के मुंह से, "आह! आह! ओह तरुण!! जल्दी करो" करके सिसकारिया करने लगी। अब कोमल तरुण के सर को अपने उपर दबाने लगी, तरुण अब उसके स्तनों को चूमते चूमते उसके पेट से होते हुये उसकी नाभि और बाद में उसकी योनी, को चूमने लगा।ऐसा करते हुये तरुण ने उसकी सलवार और पैंटी एक साथ उतार दी। तरुण कोमल की योनी चूमते चूमते उसके अंदर अपनी जबान डालकर चाटने लगा, कोमल भी उसके सर को अपनी योनी में दबाते हुये सिसकारिया लेने लगी। तरुण अब उसे चाटते हुये उपर की और जाने लगा, जैसे जैसे वह उपर की और बढ़ने लगा वैसे वैसे वह कोमल की कमीज भी उपर कर रहा था। जब वह कोमल की नाभि पर पहुँचकर उसकी नाभि में जबान डालकर घुमाने लगा, तब उसने कोमल की कमीज के साथ साथ उसकी ब्रा भी उतार दी। वह कोमल के स्तन दबाने लगा, और उसकी नाभि को चाटते हुये उपर जाने लगा। कोमल ने अपने हाथ तरुण के हाथों पर रखकर घुमाने लगी, तरुण ने उपर आते आते उसके हाथ बाजू में कर दिये। और उसके स्तनों से चाटते चाटते उसके होठों को चूमने लगा। तरुण ने अपनी पैंट भी उतार दी थी, और अपना लिंग कोमल की योनी पर रखा और एक जोरदार धक्का दिया, जिससे उसका बीस इंच का लिंग आठ इंच अंदर चला गया, वह सीधे बच्चेदानी(गर्भाशय) के अंत तक चला गया और उससे कोमल को दर्द हुआ और वह "आह!!!" करके चिल्लाने लगी। भले ही यह तरुण और कोमल का पहली बार नहीं था मगर तरुण का लिंग इतना विशालकाय था की किसी की भी चीख निकल जाये। अब कोमल भी तरुण का साथ देने लगी थी, वह अब तरुण के लिंग को उपर नीचे होकर अपनी योनी के अंदर बाहर करती थी। अब कोमल अपने चरम पर थी और थोड़ी ही देर में उसका पानी निकल गया, वह अब झड़ चुकी थी। मगर तरुण अभीभी सक्त था, उसने कोमल को कमर से पकड़कर पास ही में बहते एक झरने के नीचे ले गया। कोमल को उसने पीछे से पकड़कर उसके स्तनों को दबाने लगा और उसकी गांड में अपना लिंग डाल दिया जिससे वह चिल्लाने लगी।और तरुण अपना लिंग आगे पीछे करने लगा, थोड़ी देर बाद कोमल झड़ गई और दोनों अपने कपड़े पहनकर घर निकल गये।

यहां राज की नींद खुल जाती है, और वह अपने पास कोमल को अपने पास ना पाकर थोड़ा परेशान हो जाता है, और वह बाहर निकलकर अपने घर के बगीचे में देखता है तो वह अपनी माँ सरिता को नग्न अवस्था में देखकर हैरान हो जाता है। वह उसके पास जाकर उसे उठाने के लिये जैसे ही उसे छूता है, सरिता बोलती है,"ओह! तरुण , आज तो तुमने खुश कर दिया!"। मगर जैसे ही वह आँखें खोलती है, तो अपने बेटे को सामने देख शर्माकर घर के अंदर भाग जाती है।
यहाँ राज मन में ही सोचता है,"तरुण के बच्चे, मै तुझे छोडुंगा नहीं बदला जरुर लूंगा।"
और वह निकल जाता है।

यहां तरुण और कोमल जैसे ही घर पहुंचते है, तरुण को घर से फोन आता है, वह फोन उठाता है। वह फोन तेजल का था,
फोन पर,
तेजल : तरुण कैसे हो?
तरुण : मै तो ठीक हु, तुम कैसी हो? आखिर मेरे लंड की याद आ ही गई।
तेजल : हाँ , यह सब छोड़ तेरे लिये एक गुडन्युज है, हम करोड़पती बन चुके है।
तरुण : कैसे? कोई लोटरी लगी क्या?
तेजल : ऐसा भी कह सकते है, घर आकर बताऊंगी।
तरुण ने कोमल को बाय बोला और तेजल को लेने स्टेशन पर चला गया। वहाँ उसने अपनी स्कूटी लगाई और जैसे ही स्टेशन के गेट पर देखा तो उसे वहा तेजल दिखाई दी। वह बहुत खुश थी, उसने काली साड़ी और बैकलेस ब्लाउज पहना हुआ था, जो सिर्फ दो पट्टियों से बंधा हुआ। तेजल तरुण को बोली, " तु पीछे बैठ तरुण, मै चलाती हुं।" इतना कहकर वह आगे बैठ गई और तरुण पीछे बैठ गया।
तेजल ने स्कूटी शुरू की और घर की और चलाने कहा,"तरुण कस कर पकड़ मै तेज चलाने वाली हूं।"
तरुण ने कस कर तेजल की कमर को जकड़ लिया।
तेजल ने शर्माकर उसे पूछा," तरुण यह क्या कर रहे हो,छोड़ो!!"
तरुण ने उसके नजदीक आकर उसे लिपट गया और उसके कान के करीब आकर उसके कान में कहा," तुमने ही तो कहा था कसकर पकड़ने को" और उसने उसके कानों पर धीरे से फूंक मारी, जिससे तेजल को कपकपी छुटी और वह गर्माने लगी।
तरुण के हाथों ने तेजल की कमर को सहलानेका काम शुरू किया, वह अपने एक हाथ से तेजल की नाभी तो दुसरे हाथ से उसे स्तनों को नीचे से स्पर्श कर रहा था। तेजल अब तरुण के साथ कामुकता की बाढ़ में डूबना चाहती थी, मगर उससे उसका ध्यान हटकर दुर्घटना होने की संभावना थी। तेजल अपने अंदर की वासना की आग को दबाये हुये थी। अगर कोई और होता तो प्रयास रोक देता, मगर यहाँ तरुण के पास ब्रह्मराक्षस से मिली हुई दो शक्तियां थी,Gspot ढुंडने की और मन की बातें जानने की क्षमता थी, इसलिए तरुण अपना प्रयास लगातार करता गया। इससे तेजल की हालत खराब हो रही थी, लेकिन वह गाड़ी चलाने पर ध्यान देती है। तरुण अब अपने हाथों को तेजल के पेट से उपर की और होते हुये आपने हाथ उसके स्तनों पर ले जाता है। और तेजल के स्तनों को दबाने लगता है, तेजल अब और उत्तेजित होने लगती है तभी वह दोनों घर पहुंच जाते है। वहाँ तेजल घर में जाते ही बाथरूम चली जाती है, और अपने कपड़े उतारकर नहाने लगती है। उसने शावर शुरू करके नहाने लगी, वह जानती थी की उसके अंदर की हवस की आग शावर के पानी से नहीं बूझेगी मगर वह कोशिश तो कर रही थी। तेजल यह बात भूल गई थी बाथरूम का दरवाजा खुला है, तरुण रसोई में खाना बनाने की तैयारी करने जा रहा था। तरुण की नजर अपनी योनी में उंगली चलाती हुई तेजल पर पड़ती है, और उसे यही सही अवसर लगता है। तरुण अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न होकर धीरे से बाथरूम के अंदर घुसकर तेजल को पीछे से पकड़ता है। तेजल की जंघा पर तरुण का लिंग स्पर्श करता है, तेजल उसपर अपना हाथ रखकर उसे पकड़ती है, वह
काफी हैरान हो जाती है, क्योंकि उसका लिंग बीस इंच लंबा और 4 इंच मोटा था। वह उसे आगे पीछे करती रहती है, और तरुण भी उसकी कमर और सपाट पेट पर हाथ घुमाकर उसकी गर्दन को चूमने लगा। और अपने हाथों को पेट से होते हुये उपर लाकर उसके स्तनों को आपने पंजों में लेकर दबाने लगा। तेजल "आह! तरुण और नहीं डाल दो, अंदर अब" ऐसा कहकर उसका साथ देने लगी, वह इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की उसके स्तन पुरी तरह से फुलकर सक्त हो चुके थे और स्तनाग्र सक्त होकर खड़े थे। तरुण ने उसे झुकने को कहा तो वह आगे की तरफ झुककर घोडी बन गई, तरुण ने अपना लिंग तेजल की योनी पर रखा और एक झटका दिया जिससे तरुण का लिंग तेजल की योनी में चला गया। तेजल जोर से चीख पड़ी,"आ!!! मर गई में !!!!" तरुण ने हंसते हुये कहा,"हा!हा!हा! तुम ही तो लेना चाहती थी ना अंदर अब झेलो।"
इतना कहकर तरुण ने एक और झटका दिया, तरुण का लिंग सीधे तेजल के गर्भाशय ( बच्चेदानी) के अंतिम छोर तक पहुँच रहा था और उसे टकरा रहा था इसके बावजूद वह तीन चौथाई बाहर ही था। तरुण ने अब आगे झुककर तेजल की नग्न और चिकनी पीठ पर अपना विशाल सीना सटा दिया और उसके सक्त हो चुके स्तनाग्रों को अपनी उंगलियों से मसलते जा रहा था। तेजल भी चीख चीखकर कह रही थी," तरुण! बसस्!!! तुमने तो मेरी चूत ही फाड़कर रख दी। आ!!!" तरुण अपने धक्के तेज करता जा रहा था और तेजल को गर्दन पर चूमते जा रहा था। थोड़ी ही देर में तेजल झड़ गई मगर तरुण तो युगों युगों तक लगातार कर सकता था, उसने तेजल की एक टाँग आपने कंधे पर ली और उसकी योनी से अपना लिंग निकालकर उसके नितम्बों के बीच रगड़ना शुरू किया, और तेजल अब फिर से उत्तेजित होने लगी और तभी तरुण ने उसकी गाँड में अपना लिंग डाल दिया। तेजल "आ!!!! मर गई !!!!! यह कहा डाल दिया !!!!! निकाल तरुण!!!" करके चिल्लाने लगी। तभी तरुण ने उसकी गांड से अपना लिंग निकालकर उसकी योनी में डाल दिया, और अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में तेजल ने पानी छोड़ दिया। वह दोनों बाहर निकल आये और दोनों ने अपने आप को पोछा। तरुण जाकर नग्न ही पलंग पर लेट गया, तेजल भी नंगी ही उसके साथ बैठ गई वह तरुण का २० इंच लंबा और 4 इंच मोटा लिंग देखकर चौंक गई। तेजल उसे अपने हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी, तब तरुण ने भी अपना एक हाथ तेजल के स्तन पर रखा और वह भी उसके स्तन दबाने लगा और उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा, जिससे तेजल फिर से उत्तेजित हो गई और वह तरुण के विशालकाय लिंग को अपने मुंह में डालने लगी, वैसे तो लिंग का अग्र भाग ही वह अपने मुंह में ले पाई। मगर वह अपना सारा जोर लगाकर तरुण के लिंग को चूस रही थी, फिर वह आकर तरुण के मुंह के उपर बैठ गई जिससे उसकी योनी तरुण के मुंह पर आ गई,वह दोनों 69 की स्थिति में आ गये। तरुण ने अपनी जुबान तेजल की योनी पर चलानी शुरू कर दी, वह अपनी जुबान तेजल की योनी में डालकर घुमाने लगा आगे पीछे करने लगा। तेजल भी उसका लिंग ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी, मगर इतना मोटा उसके लिये मुश्किल हो रहा था। वह किसी भी तरह से चाहती थी की तरुण का वीर्य निकल जाये, इस चक्कर में उसने तरुण के लिंग में अपने दांत गाडने की कोशिश की मगर तरुण का लिंग तो था निहायती फौलाद उससे उसी के दांतों में दर्द हुआ, उपर से तरुण ने उसकी योनी में दांत गाड़ दिये, लेकिन तरुण का लिंग उसके मुंह में होने की वजह से वह चीख नहीं सकी, मगर उसकी आखों के साथ साथ उसकी योनी में पानी आ गया।तरुण उसकी योनी का वह पानी पी लिया। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने शुरु किये, जिससे तेजल को वापस जोश आ गया उसने उठकर तरुण का लिंग अपने मुंह से निकाल लिया।
उसने जो देखा वह देखकर वह चौंक गई, तरुण का जरा भी पानी नहीं निकला था, उसका लिंग एकदम ४ इंच मोटा और २० इंच लंबा फौलाद की तरह खड़ा था।
यह देख तेजल तरुण को बोली
तेजल :तरुण ऐसा कैसे पोसिबल है।
तरुण : मै कैसे बताऊँ, जो है तुम्हारे सामने है।
तेजल: तुम जबरदस्ती क्यों रोक रहे हो, बहता है तो बहने दो।
तरुण: मेरा अभी तक नहीं निकल रहा।
तेजल: यह सचमुच नामुमकिन है, ज्यादा से ज्यादा कोई भी एक घंटा चलता है, और तुम छह घंटों से फौलाद की तरह खड़े हो।
(उसके लिंग को हाथ में पकड़कर आगे पीछे घुमाकर)
हफ्ते भर ऐसे ही थे क्या? हिलाया भी नहीं?
तरुण: नहीं, मैने तो कोमल, उसकी मम्मी रानी, राज की मम्मी सरिता सब को चोदा था, मै तभी भी नहीं झडा।
तेजल:(चौंककर)सच में!
तरुण: हाँ मम्मी, मैने उनकी गांड भी मारी, फिर भी नहीं झडा।
तेजल: तो ठीक है, लेट्स ट्राय शायद काम कर जाये!
तरुण बाजू वाले कमरे में जाकर व्हेसलिन लेकर आया और उसने उसे अपनी उंगली पर लेकर तेजल को अपने पास खिंचा, उस उंगली को तेजल के गुद्द्वार से अंदर बाहर करने लगा, तेजल ने भी थोड़ा व्हेसलिन अपने हाथों में लिया और उसे तरुण के लिंग पर लगाने लगी। तरुण के लिंग लिंग को छूने का मजा तेजल ले रही थी, उसके दिमाग में बार बार यही खयाल आ रहा था की 'इतना बडा उसके अंदर जायेगा तो क्या होगा?'।
तरुण उसकी योनी पर व्हेसलिन लगाना, उसे राहत पहुंचा रहा था और धीरे धीरे वह राहत उत्तेजना में बदल रही थी।
तेजल: (मुस्कराकर तरुण की और देखते हुये।)
तरुण: क्या हुआ?
तेजल ने शर्माकर अपनी आँखें नीचे कर ली। तरुण ने उसके गुलाबी मुलायम होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करना शुरु किया, उसने अपनी गर्दन थोड़ी दाई और टेढी करते हुये तेजल के बाल पकड़कर उसकी गर्दन अपनी बाई और टेढ़ी की, दोनों ने अपना मुंह खोलकर एक दुसरे की जीभ को आपस में घुमाने लगे। तेजल अपनी आँखें बंद करते हुये तरुण के साथ होते चूम्बन में पुरी तरह से खो गई, उसे तरुण की लार का स्वाद भा गया था। अब तरुण धीरे धीरे तेजल को पीछे धकेलते हुये बेड तक ले जाता है, उससे अलग होकर तरुण उसके पैर अपने कंधों पर लेता है। तरुण तेजल के करीब आकार उसे चूमने लगता है, और तेजल भी उसमें डूब जाती है। तेजल का शरीर अभी भी गर्म था इसीलिए वह फिर से तरुण में खो जाती है, तरुण मौका साध कर अपना लिंग सीधे तेजल के गुद्द्वार में डाल देता है, जिसे तेजल झेल नहीं पाती और तुरंत बेहोश हो जाती है। तभी वहां राज आता है और तेजल और तरुण को देखकर हैरान हो जाता है।

राज:-(मन में) साला मादरचोद! इसका तो सचमुच बहुत बड़ा है।

तरुण:-(राज जिस खिड़की से देख रहा था, वहाँ देखते हुये) राज अंदर आओ।

राज:-(तरुण की और डरते हुये देखकर )तरुण वह में

तरुण:-(राज की आँखों में देखते हुये)बताओ क्या इच्छा है तुम्हारी?

राज:-(आखों में अजीब सी चमक लाते हुये) तुम्हारी मम्मी (तेजल) को चोदना चाहता हुँ।

तरुण:-तो कर लो जो करना है, लेकिन तुम्हारा जुस चूत में गीराना।

तब राज बेहोश पड़ी तेजल की योनी में अपना लिंग अंदर बाहर करता है, और थोड़ी ही देर में उसका वीर्य निकल जाता है, और वह वही गिर जाता है। तरुण उसे उठाता है, और उसे भेज देता है।फिर राज को एहसास होता है की वह इतनी देर से तरुण के सम्मोहन में था। थोड़ी देर बाद तेजल को भी होश आ जाता है, और वह अपनी योनी में वीर्य देखकर खुश होती है।
तेजल:-(मन में) आखिर जो चाहिये था वह मील गया।

तरुण:-तो मजा आया?

तेजल:-(शर्माकर)कुछ भी, चल छोड़ कल हम डाक्टर चुतिया के पास जायेंगे। मुझे प्रेग्नंसी टेस्ट करवानी है।

तरुण:- डाक्टर के पास क्यों जाना? कोन्ट्रासेप्टिव ले आता हूँ मेडिकल से।

तेजल:- (थोड़ा हिचक कर) एक्चुअली में माँ बनना चाहती हुँ।

तरुण:-(चौंककर) क्यों? आपको और नहीं करना क्या?

तेजल:-(घबराकर)नहीं बाबा! तुझे करना है तो तू हाथ से कर या कहीं भी मुंह मार, मेरी तरफ से खुली छुट है तुझे।

तरुण :- वैसे कौन सी गुड़न्युज देने वाली थी तुम ?

तेजल:- वह मेरे पापा ने तुम्हारे नाम पर ३००० करोड़ की प्रोपर्टी की थी, और मुझे तुम्हारी कस्टडी दी गई थी और जब तुम १८ साल के हो जाओगे तो वह तुम्हारे नाम होती, और अगर तुम्हें कुछ हो जाता है तो, वह चँरिटी में चली जाती।

तरुण:-(तेजल की आँखों में देखकर) बोलो तुम्हारी इच्छा क्या है।

तेजल:-(आँखों में चमक लाकर)तुम्हारे बच्चे की माँ बनना।

तरुण:-तो ठीक है, मै अपाँइंटमेंट लेकर आता हूँ।

तरुण उसे देख कूटील मुस्कान देता है और वह भी चला जाता है।

वह जब डॉ. चूतिया(डॉ. चमनलाल छत्रीवाला ) के अस्पताल में पहुँचता है तो वहाँ उसे पता चलता है की डॉ चूतीया तो किसी मेडिकल कॉन्फरंस के लिये दिल्ली गये हुये है।

तरुण:- (कम्पाउंडर से) डॉ छत्रीवाला कब तक आयेंगे।

कम्पाउंडर:- क्या काम था?

तरुण:- वह एक प्रेगनन्सी टेस्ट कराना था।

कम्पाऊंडर:- पेशंट का नाम क्या है?

तरुण :- तेजल खन्ना।

कम्पाउंडर:- तो सर, मै आपको मौर्या म्याडम का अपाँइंटमेंट दु क्या? डाक्टर साहब ने अगर आप आये तो यही कहा था।

तरुण:- हाँ ठीक है, दे दीजिए।

कम्पाउंडर:-( लिस्ट में नाम लिखते हुये) सर, आपका अगले सोमवार दस बजे का अपाँइंटमेंट है।

तरुण वहाँ से घर जाने के लिये निकलता है। तभी
कम्पाऊंडर:- आपको डाक्टर साहब ने उनके घर से एक फाइल लेने को कहा था।
तब तरुण सीधे डॉक्टर के घर प्रकट हो गया, उसे वरदान में मिली शक्तियों में यह भी एक शक्ति थी। वहाँ उनकी पत्नी तभी नहा कर निकली थी,वह सिर्फ एक रूमाल में लिपटी हुई थी। जैसे ही उसने तरुण को देखा वह चौंक गई, और इसी हड़बड़ी में उसके बदन से रूमाल नीचे खिसक गया और वह तरुण के सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में आ गई। वरदान के कारण तरुण का बदन अच्छे से कसा हुआ बन गया था और उसका कध ६ फीट 10 इंच था। यहाँ डाक्टर चूतीया की पत्नी काजल के बारेमें बताऊँ तो वह 35 साल की थी लेकिन वह लग 25 की रही थी उसके स्तन ३८ के कमर २४ की और नीतम्ब ३६ के थे। उसका रंग गोरा और कध 5.6 फीट का था, उसे देखते ही तरुण का लिंग खड़ा होने लगा, और उसके ढीले पायजामे पर भी तम्बू बनाने लगा। तरुण का तम्बू देख उसने शर्माकर पूछा, "आपको क्या चाहिए?"
तरुण ने कहाँ," डॉक्टर साहब ने एक फाइल देने के लिये कहीं थी, तेजल को?"
काजल," हाँ, वह मै देती हुं।" ऐसा कहकर वह मुड़कर अलमारी की और गई, और अलमारी खोलते ही, उसमें से एक छिपकली उसपर कूद जाती है। काजल चौंककर पीछे हटकर तरुण के उपर गिर जाती है, तरुण उसे अपनी बांहों में भर लेता है। तरुण का लिंग उसकी योनी से किसी नाग की तरह फुंकारता हुआ बाहर निकलता है और उसकी योनी को स्पर्श करता है। तरुण अपना हाथ काजल के पेट पर रखता है, काजल कहती है,"जल्दी इसे मेरी उपर से हटाओ!"
तरुण काजल के पेट और नाभि को सहलाने लगता है, और आपने दुसरे हाथ से उसकी योनी पर उंगली ले जाकर सहायता है। काजल की सांसे अब तेज हो रही थी,उसके स्तन उसकी सांसो के साथ तेजी से उपर नीचे हो रहे थे। तब तरुण ने हल्के से उस चिपकली को उठाकर बाहर दूर फेंक दिया,और जल्दी से अपना वह हाथ काजल के स्तन पर रखकर दबाने लगा। अपने दुसरे हाथ की उंगली उसने काजल की योनी को सहलाते सहलाते उसकी योनी के अंदर डाल दी और अंदर गोल गोल घुमाने लगा, अपना मुंह उसकी गर्दन पर से जाकर उसे चूमने लगा। काजल अब जैसे हवा में उड़ने लगी थी, उसकी योनी से पानी बहना शुरू हो गया था। तब काजल ने पीछे मुड़कर देखा और तरुण के होंठों पर अपने होंठ रखकर तरुण के अंदर से निकलती गर्म सांसे अपनी चेहरे पर महसूस करने लगी। धीरे धीरे तरुण अपने होंठ उसके होंठों पर घुमाने लगा, और अपना एक हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर कमर से नीचे होते हुये नितम्ब पर ले जाकर उसके गुद्द्वार में डाल दिया जिससे वह और मचल गई, वही हाथ पकड़कर तरुण उसकी मांसल जंघा उठाकर अपनी कमरतक ले आया। काजल से अब रहा नहीं जा रहा था, उसने झट से तरुण का पायजामा उसकी नीकर के साथ नीचे खींच लिया जिससे उसका लिंग बाहर निकलकर उसके सामने आ गया उसका विशालकाय २० इंच लंबा और ५ इंच मोटा लिंग उसके सामने फौलाद की तरह खड़ा था। लिंग का विशाल आकर देख वह एकदम चौंक गई और उसका मुंह खुला का खुला रह गया, उसने अपने हाथ लिंग पर रखे और आगे पीछे करने लगी। काजल अपने घुटनों पर बैठ गई और उसके लिंग पर एक चुम्बन दिया, और उसे चांटने लगी, चाटते चाटते उसने अपना मुंह खोलकर उसके लिंग के अग्र भाग को अपने मुंह में लेने लगी, जिससे एक "कट्" करके आवाज आयी। उसने जल्दी से तरुण का लिंग का अग्र भाग बाहर निकाला तो उसे पता चला की इससे उसके मुंह में एक मसल चटक गया, जिससे उसे मुंह में दर्द होने लगा मगर उसकी योनी में भी खुजली होने लगी। वह खड़ी हुई और उसने तरुण को किस किया तो तरुण ने उसे जोर से धक्का देकर पीछे बेड पर लेटा दिया और उसे चूमते हुये उसकी योनी पर अपने लिंग का अग्रभाग रखा। तरुण अब उसे चूमते हुये उसके स्तनों को दबाने लगता है और अपनी कमर से एक हल्का सा झटका देता है, जिससे तरुण का के लिंग का अग्रभाग काजल की योनी में चला जाता है। तरुण का हल्का सा झटका भी इतना जोरदार था की तरुण का लिंग उसके गर्भाशय को भेदता हुआ उसके पूरे अंदर तक चला जाता है, जिससे काजल की एक तेजी से चीख पड़ती है मगर उसका मुंह बंद होने की वजह से उसकी आवाज वही दब जाती है, मगर उसके आखों के साथ साथ उसकी योनी भी बहुत सारा पानी छोड़ देती है।काजल वहीं थकान के मारे सो जाती है, उसकी योनी का हाल ऐसा था मानों किसी ने बडा सा बंबू डाल दिया हो, उसकी योनी पूरी तरह से सुन्न हो जाती है। तरुण वह फाइल लेकर घर प्रकट(टेलिपोर्ट) हो जाता है। तरुण की सात दिन बाद बाद JEE advance की परीक्षा थी। इसीलिए वह पढ़ने बैठ जाता है, मगर जैसे ही वह पहली किताब हाथ में उठाता है उसे सारा ज्ञान मिल जाता है, इसी तरह वह सारी किताबें कुछ पलों में ही पढ़ता है और उसे सब याद हो जाता है। फिर वह दुकान जाता है जहां उसे नवनीत से लेकर एम टी जी, एस चंद की किताबें मील जाती है।एक घंटे अंदर अंदर वह सब कुछ पढ लेता है, लेकिन रिव्हिजन के लिये वह उन्हें घर ले आता है उसके पास पैसे की तो कोई कमी नहीं थी। वह सात दिन सब पढ़ते रहता है, और सात दिन बाद उसकी Jee advance कि परीक्षा होती है, जिसमें वह 360 में से 360 स्कोअर करता है।उसकी यहाँ भारत में पहली RANK आई थी, इसीलिए उसे उसके इनाम के तौर पर उसकी कोलेज की और से bmw इनाम के तौर पर मिली थी। तेजल उसके ड्राइवर सीट पर बैठ गई, तरुण उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गया।
दोनों डॉ चूतीया के अस्पताल चले गये, वहाँ डॉ चूतीया तो नहीं थे, मगर उनकी सहायक डॉ महिमा मौर्या थी।
उनके बारेमें बता दू तो वह एक २५ साल की कूंवारी लड़की थी। उसकी साइझ सामान्य स्तन 33 इंच कमर 30 इंच और नितम्ब 33 के थे उनका रंग हल्कासा सांवला और लंबाई साडे पांच फीट वैसे वह बहुत पतली थी, जिस वजह से उसका शरीर ज्यादा मादक तो नहीं था।

डॉ महिमा:- चेक अप किसे कराना है?
तेजल :- मेरा।
डॉ महिमा:- (तेजल को)आप अंदर आइए, और(तरुण को) आप बाहर वेट कीजिए।
फिर दोनों अंदर चली गई
बाहर तरुण इंतजार कर रहा था। और अंदर
डॉ महिमा:- (तेजल से)आप जरा साड़ी उपर करें गी
तेजल :- (साड़ी उपर करते हुये) यस डॉक्टर।
डॉ महिमा:- (टेस्ट सैम्पल लेते हुये)वैसे पति कौन है आपके?
तेजल :- मै सिंगल हुं, और एक सिंगल मदर बनना चाहती हुं।
डॉ महिमा:- ओके।
महिमा ने जैसे ही उसकी योनी पर नजर डाली वह चौंककर बोली
डॉ महिमा:- यह क्या हालत है इसकी! अंदर रॉड डाला था क्या?
तेजल :- (शर्माकर) नहीं! नहीं! उसका है ही इतना मोटा।
डॉ महिमा:- क्या? सच में!(चौंककर )
तेजल :-और इतना ही नहीं, उससे लगातार पर डे सिक्स अवर्स पंद्रह दिन तक किया, निकला है।
महिमा को यकीन नहीं हो रहा था, उसकी पढाई के अनुसार कोई भी ज्यादा से ज्यादा एक दो घंटे में वीर्यपात होता है। उसने फिर से होश में आते हुये टेस्ट कीट देखा और कहा
"मुबारक हो, आप माँ बन सकती है"
फिर उसने कुछ दवाइयां लिख दी और तरुण को अंदर बुलाया।
डॉ महिमा:- मुझे आपके कुछ चेकअप करने है।
तरुण :- जी डॉक्टर, कहाँ जाऊ?
डॉ महिमा:- जी, उस बेड पर लेट जाइए।
तरुण :- यस।(इतना कहकर वह बेड पर लेट गया)
डॉ महिमा:- चलिए पैंट उतारिए।
तरुण :- जी...?
डॉ महिमा:- डोन्ट शाय! मै डॉक्टर हुं, मेरे लिये यह आम बात है।
(तरुण ने पैंट उतारकर बाजू में रखी)
डॉ महिमा :- (चौंककर )अन बिलिव्हेबल, इतना बडा!तुमने कुछ बाहर का लिया तो नहीं?
तरुण :- नहीं मैम, मैने कुछ नहीं लिया।
डॉ महिमा :- आर यु शूअर?
तरुण :- हाँ मैम, सच में कुछ नहीं।
क्योंकि तरुण का लिंग भले ही सोया हुआ था, मगर फीर भी वह १६ इंच लंबा और ४ इंच मोटा था, महिमा ने बहुत लोगों का देखा था मगर इतना विशाल किसी का नहीं था।
महिमा ने जांच के लिये उसपर सक्षन पंप लगाया और चलाने लगी, थोड़ी देर बाद जैसे ही तरुण का लिंग खड़ा हुआ सक्षन पंप ने दम तोड़ दिया।
डॉ महिमा:-(तरुण के लिंग पर हाथ घुमाते हुये)कितनी गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?
तरुण :- मै किसी सिरिअस रिलेशन में तो नहीं हुं मगर, यही कुछ आठ-नौ लड़कियों को पेल चुका हुं।
अब महिमा के भी अरमान जाग चुके थे, उसके भी उत्तेजना के मारे स्तन फुल रहे थें और ब्रा टाईट होने लगी थी। वह बार बार अपनी ब्रा कपड़ों के उपर से ठीक कर रही थी।
तरुण :- क्या हुआ मैडम? आप अनकंफरटेबल क्यों है?
डॉ महिमा :- (धीरे से)पता नहीं मेरी ब्रा, टाईट हो रही है?
तरुण :- आप व्हर्जिन है क्या?
डॉ महिमा :- (असमंजस में ) मतलब?
तरुण :- नहीं, आप लग रही थी इसीलिए पूछा ?
डॉ महिमा :- तो इसका इससे क्या लेना देना ?
तरुण :- आपको नहीं पता, की ब्रा कब टाईट होती है?
डॉ महिमा :- क्या मतलब ?
तरुण :- आपके साथ पहले कभी ऐसा हुआ है?
डॉ महिमा :- हाँ, पहले होता था जब मेरा एक्स बॉयफ्रेंड मुझे छूता था।
तरुण :- उसने कभी आपको एप्रोच नहीं किया ?
डॉ महिमा :- हाँ किया था, मगर मै अपनी व्हर्जिनीटी अपने पती को ही देना चाहती थी।
तरुण :- आप गायनेकोलोजिस्ट है, और आपको पता ही नहीं की ब्रा कब टाईट होती है?
डॉ महिमा :-(चौंककर)मतलब तुम्हें लगता है, की मै एक्साइटेड हुं।
तरुण :- अगर आपको लगता है की ऐसा नहीं है तो, आप अपने कम्फर्ट के लिये ब्रा निकालकर रख सकती है।
महिमा ने उपर से निकालने की कोशिश की मगर वह नहीं निकाल पाई, और वह तरुण के सामने अपना बदन नहीं खोलना चाहती थी।
तरुण :- अगर आपको निकालने में तकलीफ हो रही हो तो मै हेल्प करुं?
महिमा :-(तरुण की और पीठ करके बैठकर) तो ठीक है, खोल दो।
तरुण ने अपना हाथ उसकी कमीज में डाला, और अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाते हुये उसके ब्रा के हुक तक ले गया और उसकी ब्रा खोल दी। महिमा ने खुद को पहली बार इतना आझाद महसूस किया, तरुण के छूने से उसके रोंगटे खड़े हो गये। उसने अपनी ब्रा निकालकर अपनी पर्स में रख ली, ब्रा निकालने से उसके फूले हुये स्तनों ने वहाँ उसकी ड्रेस पर एक उभार बना दिया। अगर उसने दूपट्टा ना पहना होता तो, उसके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी। वह वार्ड के बाथरूम में चली गई और उसने अपनी कमीज उतारी, और अपने स्तन देखने लगी और उनपर अपनी उंगलियां घुमाने लगी। तरुण को बाथरूम का दरवाजा खुला दीखा और वह अंदर चला गया, वहाँ उसने जो देखा उसे देखकर उसका लिंग भी खड़ा हो गया, अंदर महिमा अर्धनग्न अवस्था में थी, उसने उपर से कुछ नही पहना हुआ था और वह अपनी ही धुन में अपने स्तनों से खेल रही थी। तभी तरुण ने धीरे से दरवाजा बंद किया, और महिमा की पतली और चिकनी कमर को पीछे से पकड़ लिया लेकिन महिमा ने उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। तरुण फिर अपने हाथों को उसकी कमर पर घुमाते घुमाते उसके पेट पर ले गया, वह अपना द
दायां हाथ उसकी नाभि के आस पास घुमा रहा था, और अपना बायां हाथ उसके उपर ऐसे घुमा रहा था की स्तनों को उसका स्पर्श हो सके। अपना हाथ दायां हाथ घुमाते घुमाते जैसे ही तरुण ने महिमा की नाभि में उंगली की, वह सिसकारिया भरने लगी, उसने तरुण के हाथों पर अपने हाथ रखकर उन्हें अपने स्तनों पर ले आकर घुमाने लगी । तरुण मौके पे चौका मारते हुये उसके स्तनों को दबाने लगा, उसके दबाने से वह और गर्माने लगी और मुंह से "अम्म्म्!! अम्म्म्!?" करके सिसकारिया निकालने लगी। तरुण ने उसके दोनों स्तन बहुत जोर से दबा दिये, जिससे वह जोर से चीख पडी, और उसने पलट कर पीछे देखा और तरुण की और देखकर स्तब्ध हो गई। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उसके मुंह में अपनी जबान डाल दी, महिमा अंदर से इतनी गर्म हो चुकी थी की उसने भी तरुण को अपनी आहोश में भर लिया और उसका साथ देने लगी। महिमा अब पूरी तरह से काम रस में डूब चुकी थी, तरुण ने उसकी कमर को जकड़ लिया और उसपर अपना हाथ घुमाते घुमाते उसे उसकी सलवार के अंदर डाल दिया और उसके नितम्बों पर अपने हाथ घुमाने लगा। महिमा के नितम्ब बहुत चिकने थे और काफी नर्म और मांसल भी, तरुण उन्हें ऐसे दबा रहा था जैसे निचोड़ कर रस निकालेगा। महिमा अब काफी खुल चुकी थी, उसकी योनी ने इतना पानी छोड दिया था की अब उसकी पैंटी के साथ साथ उसकी सलवार पर भी पानी का दाग दिखायी दे रहा था। तरुण ने अलग होकर जैसे ही उसपर नज़र डाली वह शर्माकर नीचे देखने लगी, तरुण ने तेजी से उसकी सलवार का नाडा खींच लिया और उसकी सलवार झट से उसके पैरों से फिसलते हुये नीचे गीर गई। तरुण अब उसके स्तनों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा, वह अब अपने हाथों से इतना ज्यादा जोर लगा रहा की महिमा के मुंह से सिसकारिया निकलने लगी वह अब तड़प ने लगी थी। तरुण इतनी जोर से उसके उरोज निचोड़ रहा था की वहाँ से दूध निकलना शुरु हो गया, तरुण ने अपनी जबान बाहर निकालकर उसके स्तनों का दूध चाट रहा था। महिमा इतनी उत्तेजित हो रही थी की अपने मुंह से,"म्म्म्म् म्म्म्म् म्म्म्म् म्म्म्म्म् हा... म्म्म्... आ.... हा.... तरुण अब नहीं रहा जाता , जल्दी से डालो अंदर म्म्म्...."
तरुण :-( उसे छेड़ते हुये) क्या और कहाँ डालू?
डॉ महिमा :-आआह!!!!आआ!!!ह!!!!आ!!!!आ!!!!आह!!!! तुम्हारा आह!!!! आ!! लं!!! लंड!!!म्म्म्म्म्!!! मेरी आह!!!! आह!!!!!!! आह!!!!!!चूचू!!!!!!चूत आह!!!! में जल्दी!!ईईई!!!
तरुण अभी भी उसे और तडपाना चाहता था, वह उसके स्तनों को चूसने लगा। उसके स्तनों से बहता दूध पी रहा था, उसके स्तनों को इतनी जोर से मसले जा रहा था की वहां से बूंद की जगह धाराएं बहने लगी। तरुण सारा दूध अपने मुंह में ले रहा था, वह सिसकारिया लिये जा रही थी। तरुण अब उसके स्तन भी चूस रहा था, चूसते चूसते वह अब उसकी गर्दन पर चूमने लगा।गर्दन से उपर ले जाकर उसके होंठ गाल सबपर चूम्बन बरसाने लगा, और उसके होंठ अपने होठों में दबाकर उसने एक जोरदार धक्का दिया जिससे तरुण के लिंग की नोक उसकी योनी में चली गई। तरुण के लिंग की नोक किसी सिजन बॉल जितनी बड़ी थी, माही जोर से चीखने लगी मगर उसका मुंह तरुण ने अपने होंठों से दबाकर रखा था, जिसके कारण उसकी चीख अंदर ही दब गई। फिर तरुण ने एक और झटका देकर अपना लिंग उसकी योनी के आखिर तक ले गया, माही ने उसकी पीठ में नाखून गाड़ने की कोशिश की मगर उसके नाखून नहीं घूसे। यहा तरुण का लिंग उसके गर्भाशय तक पहुंचने के बाद भी आधे से ज्यादा बाहर था, इससे माही के आखों से आंसू बहने लगे। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा सा पीछे ले कर एक और झटका दिया, जिससे उसका लिंग माही के गर्भाशय के अंदर घूस गया, वह एक और बार दर्द से कराह उठी। माही की योनी कुवांरी होने के कारण उसका खून बहने लगा, तरुण ने उसे झटके देना शूरू रखा। माही चीख रही थी, अब धीरे धीरे वह चीखें सिसकारिया बन गई। तरुण ने अपने धक्के तेज कर दिये, थोड़ी ही देर में माही की योनी सिकुड़ने लगी, उसने अपने पैर तरुण की कमर पर लपेट लिये, "आ!!!" , की चीख के साथ उसने पानी छोड़ दिया। तरुण का तो झड़ने का सवाल ही नहीं था, उसका खड़ा देखकर माही को तरुण की बात पर यकीन हो गया। तरुण ने कहा," हो गया, या और करना है?"
माही," नहीं, नहीं अब बस" दोनों ने अपने कपड़े पहन लिये, और बाथरूम से बाहर आ गये।
बाहर
तेजल :- इतनी देर?
माही:- वह चेक अप थोड़ा लंबा चला।
तेजल उसकी बदली हुई चाल देखकर समझ गई की क्या हुआ है, तेजल ने शरारत भरी नजरों से तरुण को देखा तो तरुण ने भी उसे थोड़ी अभिमान भरी मुस्कान दी और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे ले गया।

दोनों फिर जाकर गाड़ी में बैठ गये।

यहाँ गाड़ी तेजल चला रही थी, और तरुण गाड़ी के पीछे बैठ गया। तेजल ने बोला, "पीछे क्यों? आगे बैठ।" तरुण बोलता है, " तुम कहती हो तो आज गाड़ी मै चला लु?"
तेजल ने पूछा," तुझे आता है क्या?"
तरुण बोला, "हाँ।"
तो तेजल उठाकर पीछे आ गई, और तरुण आगे बैठ गया, दोनों ने सीट बेल्ट लगा लिये।तरुण ने गाड़ी शूरू की और थोड़ी ही देर में दोनों घर पहुँच गये। तेजल जाकर सो गई, और तरुण जाकर अपने कमरे में चला गया। तरुण ने आयना निकाला और अयाना को पूछा, "मुझे सैतानासुर के जन्म का रहस्य तो तुमने बता दिया, अब मुझे उसकी मृत्यु का रहस्य बताओ।"

अयाना आयने में अपने आत्मा रूप में प्रकट होती है, और तरुण को आगे की कहानी सुनाने लगती है:-
फिर मण्डूकासुर ने सैतानासुर का पालन किया, तब ताडकासुर असुरों के राजा थे। समय के साथ जब वह छह वर्ष का हो गया, तब उसे गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में भेज दिया। जहाँ वह भी बाकी विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई करता था और दिन में दो बार उसी अक्षया पात्रों से दुग्ध पीता था। एक दिन शुक्राचार्य ने प्रश्न पूछा," आप बडे होकर क्या करना चाहते है? कैसे असुर बनना चाहते है?"
तो कोई बोला वजरांग जैसा, तो कोई बोला ताडकासुर जैसा, तो कोई मधु कैटभ तो कोई वृत्रासूर जैसा बनना चाहता था। और जब उन्होंने सैतानासुर से पूछा तो उसने बताया ," गुरुदेव यह सब ऐसे है की, इनकी मृत्यु हो गई तो उनका प्रभाव समाप्त हो जायेगा, मै ऐसा असुर बनना चाहता हूं की जिसका प्रभाव मरने के बाद भी रहे।"
शुक्राचार्य मुस्कराकर बोले," तुम यह कैसे करोगे?"
सैतानासुर बोला,"देवता तब तक शक्तिशाली रहेंगे, जब तक पृथ्वी पर यग्य होंगे, क्या हो अगर लोग यज्ञ करना ही छोड़ दे?"
शुक्राचार्य ने पुछा,"तो जरूर देवता निर्बल हो जायेंगे,परन्तु तुम यह करोगे कैसे? "
सैतानासुर ने बताया ," मनुष्य यज्ञ, पूजन, तप और व्रत किसलिए करता है? उसका जीवन यापन सहज हो इसलिए, अगर हम नास्तिक तथा, असुरों को पूजने वालों को कम भक्तिभाव के बदले अधिक धन दे तो?"
शुक्राचार्य, "इसलिए तुम्हे श्री चक्र उपासना करनी होगी।"
सैतानासुर, "नहीं, हम अगर किसी भी देवता से वरदान प्राप्त करेंगे तो हम देवताओ की दृष्टी में आ जायेंगे, फिर हमारा उद्देश्य पूर्ण नही हो पाएगा, हमें यह कार्य किसी देवता की दृष्टी में आये बगैर करना होगा।"
शुक्राचार्य, "ठीक है, आज की शिक्षा यह समाप्त हुई, सैतानासुर को छोड सभी जा सकते है। "

इस तरह सैतानासुर के गुरुकुल की कथा समाप्त हुई।
 
Will Change With Time
Super-Moderator
25,316
19,145
143
Congratulations for start a New wondar full story
 
Will Change With Time
Super-Moderator
25,316
19,145
143
मित्र जनता हूं बधाई देने बहुत समय बाद हूं। लगभग छ महीने बाद पर जब भी समय मिलेगा आपके इस स्टोरी को पढूंगा और साथ में रोवो भी दूंगा
 
Will Change With Time
Super-Moderator
25,316
19,145
143
यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जिसे, हमेशा लड़कियाँ चिढाया करतीं थीं। उसका नाम तरुण था।

काँलेज के बडे बच्चे उसे बहुत परेशान किया करते थे। वह एक अनाथ बच्चा था जिसे एक बीस साल की जवान लड़की ने आठ साल पहले गोद लिया हुआ था, तब वह एक दस साल का मासूम, और अनजान बच्चा था और अनाथ आश्रम से स्कूल आया करता था। उसकी क्लास में एक टिचर आया करती थी। वह एक कमसीन हसीना थी, तब उसका रंग गोरा,

कध 5 फूट 6 इंच उसका नाम तेजल था।

सीना 33, कमर 24, गांड 34 की थी, लेकिन वह बहुत सक्त लड़की थी वह हमेशा ऐसी साडी पहनती थी जो पूरी तरह उसके बदन को ढक सके, क्योंकि वह ये मानती थी की, बढ़ते रेप का कारण लड़कियों का बदलता पेहराव है। अब आठ साल बाद वह २८ साल की हो चुकी थी और वह लड़का १८ साल का बारवी में चला गया दसवीं में लड़के उसे बहुत चीढाया करते थे। और लड़कियां भी। वह जिस स्कूल में था वहाँ एक लिडर थी।

उसका नाम ज्वालामुखी चौटाला था। वह इनस्पेक्टर चंद्रमुखी चौटाला की बेटी थी, बिलकुल अपनी माँ पर गयी हूई थी। उसकी माँ भी हवलदार से छोटीसी गलती होने पर भी अच्छेसे पिटती थी। वैसे भी वह दिखने में भी माल थी। मगर सब उससे डरते थे।
चंद्रमूखी चौटाला

और एक दिन तरुण की ट्रीप गई। वह भी उसमें गया था,

सभी लड़कियों की एक गँग थी, वैसे कहने के लिये तो वह एक महिला संगठन था, मगर उनका काम सिर्फ, लड़कियों को ट्रेन करना था, वह भी कैसे लड़कों को, हुस्न के जाल में, फसाना और उनको कूछ दिये बिना उनसे अपना काम, निकलवाना और जानभुजकर परीक्षा के समय उन्हें, भटकाना ताकि लडकोंका निकाल कम आये। इस साल उस गँग की हेड ज्वालामुखी थी। वह हर बार लड़कों को चँलेंज करतीं धोकेसे जीतकर, लड़कों की रँगींग करती। अब सभी लड़कों कों एक रस्सी खेच का चँलेंज दिया गया था। अगर लड़के जिते तो, लड़के जिस लड़की को चुनेंगे वह नंगी होकर सबके सामने नाचेगी, और, अगर लड़कियाँ जीती तो वह एक लड़के को नंगा करके नचायगी। यह बात सब लड़कियों को पता थीं, क्योंकि उन्हें सिनीयर लड़कियों ने उन्हें सबकुछ सिखाया हुआ था। मगर हारने की वजह से सिनीयर लड़के लड़कों को नहीं बताते थे। फिर बच्चों के लिडर रोहित ने तरुण को बाहर भेज दिया ताकि वह कुछ फल ला सके, उन्होंने चँलेंज शूरू कर दिया।

वहाँ आगे किसी देवी का एक मंदिर था, आयना देवी उसका नाम। तरुण ने अंदर जाकर देखा तो, वहाँ एक औरत की मूर्ति थी। एकदम कमसीन साडे पांच फूट उचाई। ३६ २४ ३६ का बदन। तरुण ने सोचा की, अगर यह जिंदा होती तो। मै इसे ऐसेही चोद देता। फिर वह थोड़ा आगे गया।

तरुण रास्ता भटक गया। और वह एक पेड़ के पास पहुंच गया और वहाँ एक ब्रह्मराक्षस कहीं कल्पों से वहाँ बैठा इंतजार कर रहा था,


तरुण जैसे ही, वहाँ पहुंचा ब्रह्मराक्षस उसे बोला

ब्रह्मराक्षस:- मै तुम्हें आब तीन प्रश्न पुछुंगा तुम्हें उसके जवाब देने होंगे, अगर दो सही आयेंगे तो तुम यहाँ से सुरक्षित बाहर जा सकते हो। और अगर तीनों सही हुए तो मेरी सारी शक्तियां तुम्हारी। और अगर पहले दों में से अगर एक भी गलत हुआ तो मै तुम्हें खा जाऊंगा।

तरुण :-ठींक है, पूछो।

ब्रह्मराक्षस:-ऐसा कौन सा विकार है, जो एक पुरुषार्थ भी है?

तरुण :-काम।

ब्रह्मराक्षस:- दूसरा सवाल, ऐसा कौन सा पुरुषार्थ है, जो केवल व्यक्ति का अपना होता है। पत्नी या पती को उसका आधा नहीं मिलता?

तरुण :- मोक्ष।

ब्रह्मराक्षस:- सही, तीसरा सवाल देने के लिये तुम्हें एक कहानी सुननी पडेगी। ( फिर कहानी शुरू होती है।)

" बहुत साल पहले, एक राजा था,भानूप्रताप उसका नाम। वह बहुत पराक्रमी था, मगर बेऔलाद था। क्योंकि उसकी जवानी, युद्ध में गई थी। और साठ की उम्र में उसने अपने मित्र की जवान १६ साल की बेटी, श्यामली से विवाह किया था। वह एक सुंदर कन्या थी। मगर राजा के बुढे होने के कारण, वह बे औलाद थीं। वह अब २० साल की हो चुकी थी। उसकी आकृति ३६ २३ ३६ की थी सब कहते थें की, "बूढ़े बंदर के गलेमें मोतीयोंका हार।"

राजा जो की, बूढ़ा हो चला था और अपने राज्य के लिये चिंतित था, राज्य गुरु सदानंद के पास गया और अपनी समस्या रखी। सदानंद ने तब कहा,"महाराज सिर्फ पुत्र होने से कुछ नहीं होगा, राज्य की रक्षा के लिये आपको आपकी भांति एक तेजस्वी पुत्र चाहिए होगा। और किसी सामान्य मनुष्य के संभोग यह नहीं होगा, उसके लिये आपको किसी तपस्वी का संभोग चाहिए होगा।"

राजाने कहां "अब तपस्वी कहां से लायेंगे गुरुदेव"

तब आचार्य ने कहा ,"मेरे मित्र, कृतानंद जी आपके राज्य के बाहर काली पहाड़ियों में चालीस सालों से तपस्या कर रहे है। उन्होंने इतना तपोबल अर्जित कर लिया है, की आठ दस प्रहर तक लगातार स्त्री के साथ संभोग कर सके, मगर इस कार्य के लिये आप बस महारानी को तैयार कीजिए।"

रानी यह सब सुन लेती है, और कहती है,"हम तैयार है, महाराज, आप बस मुझे एक दिन का समय दीजिए, हम कर लेंगे।" तब राजा खुश होता है। फिर महारानी मंत्री को आज्ञा देकर सजावट और मेहेंदी निकालनेवाली लड़कियों को बुलाकर अपने पूरे शरीर पर मेहेंदी निकलवाती है। और दुसरे दिन स्नान करने के बाद वह सोलह श्रृंगार कर सबसे सुंदर वस्त्र और आभूषण धारण करती है। और वहा जाने के लिये निकलती है, उनके जाने के लिये सेनापति ने पहलेसे ही तेज घोडोंके साथ रथ बनाया होता है। और सब पहले प्रहर के अंदर ही वहां पहुंच जाते है।वहां सुरक्षा के लिए सेनापति,सारथी,सैनिक और सदानंद जी होते है। फिर सदानंद जी सैनिक और सेनापति को वहीं ठहरा कर आगे निकल जाते है, और सदानंद जी उन्हें ऋषि कृतानंद तक पहुंचा देते है। वहां कृतानंद के तेज से, रानी अपने आप आकर्षित होती है, और आगे बढ़ती है और राजा आचार्य जी के साथ। वहाँ से दूर चले जाते है। और फिर रानी नृत्य करती है, मगर ऋषि पर उका कोई असर नहीं पड़ता। फिर वह उन्हें स्पर्श करने लगती है, मगर वह भी बेअसर होता है। फिर यह बात उसके अहं पर आ जाती है। और वह अपने सारे वस्त्र उतारकर नंगी होकर ऋषि की जंघा पर बैठ जाती है। इससे ऋषि की तपस्या भंग होती है। और वे आंखें खोल देते है, पर एक सुंदर नंगी स्त्री को देखकर क्रोध करने के बजाय उत्साहीत होकर रानी के स्तन दबाने लगे फिर, रानी के होटों को चुमते है। फिर उसकी जुबान पर जुबान घुमाकर फिर उसे नीचे चुमता हुआ उसकी गर्दन से होकर, उसके वक्ष को चुमते चुसते और दूसरे स्तन और स्तनाग्र को मसल रहे थे। अब रानी भी उत्तेजित हो रही थी, उसके मुंह से,"आह..मं..मं" जैसी सिसकारीया निकल रही थी। उससे ऋषि और ज्यादा उत्तेजित हो गये, और उन्होंने अपना डेड वित(8 इंच) का लिंग उसके योनी के अंदर पुरा डाल दिया । रानी चिल्लाती इसके पहले ऋषि ने उसके मूहपर होट कस दिये। और उनकी चिख दब गई। और ऋषि उन्हें जोर जोर से धक्के लगाते रहे। एक प्रहर बीत गई, इसके साथ रानी चार बार झड़ चुकी थी, मगर ऋषि एक बार भी नहीं झडे। उन्होंने रानी के पीछे आकर, उन्हें झुकाकर उनके स्तन पकड़कर जोर जोर से धक्के लगाने लगे। और जोर जोर से उनके स्तन मसलने लगे। ऐसा आठ प्रहर चलता रहा और आखिरकार ऋषि झड गये। और रानी की योनि वीर्य से भर गई और दोनों वहीं। नीढाल होकर वहीं सो गये। और सुबह उठ कर जब रानी ने ऋषि को कुछ मांगने को कहा, तो ऋषि ने रानी को दासी बनकर सदा उनके साथ रहने की मांग की, मगर रानी लालची थी उसने कहा, की वह कुछ भी मांग ले, मगर मगर राज्य छोड़ने को ना कहे, फिर ऋषि ने उसकी बेटी को मांग लिया, रानी बोली अगर बेटा हुआ तो मै राजमाता बनुंगी, बेटी आपकी हुई। औरा वह कपड़े पहनकर राजा के पास चली गई। और ऋषि ने इस बार एक पैर के अंगूठेपर खड़े होकर तपस्या शुरू कर दी। रानी को नौ महीने नौ दिन बाद एक बेटा और एक बेटी पैदा हुई। बेटे का नाम रोहित और बेटी का नाम अयाना था।सदानंद जी के आश्रम में उनकी शिक्षा पूरी हुई। २० साल बीत गये। और ऋषि वापस आये उनकी तपस्या पूरी हो चुकी थी और विश्वकर्मा से उन्हें वह आयना प्राप्त हो चुका था। वह तब रानी ने अयाना का विवाह ऋषि से कराया, इससे अयाना ज्यादा खुश नहीं थी। क्योंकि ऋषि की उम्र ७० साल थी। ऋषि राजकुमारी को लेकर आश्रम चले गये और आश्रम का सारा कार्यभार अयाना पर डाल कर वरदान में मिला आयना सिद्ध करने चले गये।

यहा पांच साल बीत गये, वहाँ अयाना की हवस, दिन दिन बढ रहीं थी। एक बार राजा उग्रसेन वहां शिकार करने आये। वह बहुत पराक्रमी राजा थे तप करके उन्होंने ईश्वर से भी अनंत गुणा शक्ति,दिव्य, और जब चाहे उतने ब्रम्हांड बनाने और मिटाने की शक्ति थी, अस्र प्राप्त कर लिये थे। उन्होंने अंतरिक्ष में अपना खुद के तारे ग्रह बनाये थे, वहां उनका राज था। चलिए कहानी आगे बढाते है-

तब अयाना नदी पर पानी भरने गयी थी, और वह नदी के किनारे गई, उसने मटके में पानी भरा, और मटका किनारे रख कर अपनी साडी उतारी फिर अपने तरबूज जैसे स्तनों को उस पीले कपड़े से स्वतंत्र कीया, और एक कपडा लपेटकर पानी में स्नान करने उत गई, तभी अचानक पीछे से उसपर एक मगरमच्छ ने हमला कर दिया, वह अपने आप को बचाने के लिये बहार कुद पडी लेकिन उसका कपड़ा मगरमच्छ के मुंह में फंस गया और वह पूरी नग्न हो गई तभी एक बान तेजी से मगरमच्छ के मुंह मे लगा और वह वही ढेर हो गया। अयाना उसे देखती ही रह गयी, और तभी वहा राजा उग्रसेन आ गये। और अयाना का वह सुडौल शरीर, उनके सामने पूरी तरह से नग्न था, अयाना अभी भी झटके में थी। डर के मारे वह जोर जोर से हांफ रही थी, और उसकी सांसो के साथ उसके वह जवानी के साथ भरे हुये उरोज, बडे ही मादक लग रहे थे। उसकी वह नागिन की तरह पतली कमर और भरे हुये नितम्ब मादकता बढा रहे थे, राजा के मन में। उसका वह दूध जैसा गोरा रंग उस कागज़ की तरह था, जिसपर किसी ने दस्तखत नहीं की थी, अब राजा उसपर पूरा निबंध लिखने जा रहा था। राजा ने धीरे धीरे से अपना दायां हात उसके बायें कंधे पर रखा तब अयाना होश में आयी और खडी हो गयी, उसने राजा की आंखों में देखा और राजा ने उसका बायां हाथ अयाना के दायें कंधे पर रखा, तभी होश सम्भाल कर अयाना ने अपने स्तन ढक लिये मगर, अब देर हो चुकी थी, राजा ने अपने हात उसके कंधों से नीचे सरकाते हुये उसकी कोन्ही तक ले आये,और जोर से कोन्ही पर अंगूठा दबाया उससे अयाना उत्तेजित हो उठी और उसके हाथ अपनेआप उसके स्तनों से हट गये। अब राजा ने अयाना के उरोजों पर चूम्बन दिया, जिससे अयाना की उत्तेजना चरम पर पहुंच गयी और उसके यौन के मुख से कामवासना की नदी बहने लगी। वह भी विरोध रोककर राजा का साथ देने लगी थी। और वहाँ कृतानंद ऋषि की सिद्धि पूरी हो चुकी थी। जब देवता जाने लगे तब देवताओं ने कहां, "यही आयना तुम्हें सबसे ज्यादा दुख देगा" तब ऋषि ने आयने से कहा की मुझे मेरी पत्नी दिखाओ तब आयनेने उन्हें वहाँ का माहोल दिखाया। तब ऋषि क्रोधित हो उठे, उन्होंने आयने की मदत से सीधे वहाँ प्रस्थान किया और चिल्लाकर कहा ,"देवी!!! एक ऋषिपत्नी होकर भी आपमें जरा भी संयम नहीं है, मेरे जाते ही आप मार्ग डगमगाने लगी तो जाइए हम आप को श्राप देते है की आप अनंत काल तक पाषाण बनी रहेगी", और देखते ही देखते वह एक पाषाण में परिवर्तित हो गई। और फीर वह राजा से बोले,"राजन!! इस कार्य में आप भी बराबर के भागीदार है, इसीलिये हम आपको भी श्राप देते है की, आप सदा के लिये यही एक ब्रह्मराक्षस बन कर इसी वृक्ष पर निवास करेंगे, और जब भी कोई आप को आपके प्रश्नों का उचित उत्तर देगा उसे आप की सारी शक्तियां और वरदान प्राप्त होंगे और आपको मोक्ष और हर क्षण के साथ आप की शक्तियां जो उसे मिलने वाली है वह अनंत गुणा बढ़ती जायेंगी।"और उसके साथ राजा देखते ही देखते ब्रह्मराक्षस बनकर वृक्ष पर लटक गये। और कहीं कल्प बित गये मगर वह अभीभी इंतजार कर रहे है।"(और इस तरह ब्रह्मराक्षस की कथा समाप्त हुई)

ब्रह्मराक्षस:- क्या उत्तर देने के लिये तैयार हो?

तरुण:- हां।

ब्रह्मराक्षस:- तो बताओ वह राजा और ऋषिपत्नी कौन है।

तरुण:- वह राजा आप है। और ऋषि पत्नी है वह देवी जिसका मंदिर मैंने देखा था।

ब्रह्मराक्षस :- सही आज और इसी समय से मेरी सारी शक्तियां तुम्हारी हुई, अब तुम जो चाहे वह कर सकते हो, जिसे चाहे अपना दास बना सकते हो, जितने चाहे विश्व निर्माण और नष्ट कर सकते हो, अपनी शक्ति से किसी भी स्त्री के मन में वासना भर के उसे संभोग कर सकते हो, पर मेरा एक काम करो मेरी यह माला जिस देवी के मंदिर से तुम आ रहे हो उसे चढा दो।

इतना कहते ही वह राक्षस अदृश्य हो गया और उसके कहे मुताबिक तरुण सीधे मंदिर में चला गया और मूर्ति के गले में हार डाल दिया ऐसा करते ही, मूर्ति जी उठी और वह एक कमसीन औरत में बदल गयी, उसके बदन पर जरा भी जरुरत से ज्यादा मांस नहीं था मगर जहां होना चाहिए वहा भरपूर था, उसका कटिला बदन तरुण को आकर्षित कर रहा था। उसने सिर्फ एक हल्के पीले रंग की साडी पहन रखी थी, जो उसने कमर में कस रखी थी, उसने ब्लाउज नहीं पहना था।उसके तरबूज समान उरोज तरुण के मन मे वासना तब तरुण ने उसे कहा,"आपका बदन तो कामरस की नदी समान है, आज्ञा हो तो कुछ प्याले मै भी पी लू?" तरुण के ऐसा कहते ही ऋषिपत्नी पीछे मुड़कर जाने लगी तभी तरुण ने उसकी साडी का पल्लू पकड़ लिया और उसकी वजह से उसकी कंधे से साडी उतर गई और उसके गोरे दूध जैसे उरोज और उसके साथ उसके गुलाबी स्तनाग्र दिखने लगे, उसने अपने हाथों से उन्हें ढक लिया, पर तभी तरुण ने साडी जोर से खींच ली, जिससे वह गोल गोल घूमते हुये सिधे तरुण के बदन पर आ गिरी, तरुण और वह साथ में फर्श पर गीर पडे और तरुण के होठ उसके होठोंपर लग गये जिससे तरुण का लिंग खड़ा हो गया, उसने पँट उतार दी, वह उसकी योनी पर झटके मारने लगा इससे ऋषिपत्नी उत्तेजित हो उठी और उसने तरुण का लिंग अपनी योनि में डाल लिया और उसकी चीख निकल गई और वह उपर नीचे होकर उछलने लगी, मगर तरुण का लिंग वरदान की बजह से १० इंच का हो चुका था, और उस वजह से वह, "म्म्म् !आहा!" करके कामूक सिसकारीया निकाल रही थी। तब तरुण अपने हातोंसे उसके स्तन मसल रहा था, इसी तरह दोनो साल भर काम के समंदर में गोते लगाते रहे और वहां उन्हें आखिरकार वह चरम सुख का मोती मिल गया दोनों झड गये उनका रस उस दिव्य आयने पर गिरा और वह निले पदार्थ में बदल गया, और बहुत प्यास लगने की वजह से तरुण उसे पी गया इससे जैसे उसे कोई झटका लगा उसका बदन तनने लगा उसे अपने अंदर अजीब शक्ति का अहसास होने लगा उसका लिंग अब तनकर १५ इंच लंबा और ३ इंच मोटा हो चुका था, उसका बदन किसी पहलवान की तरह मस्क्युलर हो चुका था। और जब उसने इस बारे में अयाना से कहा तो उसने बताया की यह नीलनीर था जो अमृत बनाने के लिये उपयोग में लाया जा सकता है। उसकी एक बूंद से अमृत का पूरा सागर बन सकता है। और उस नीलनीर को तुमने नदी भरकर पी लिया। इससे तुम्हारी शक्तियां और दिव्य अस्त्र अनंत गुना शक्तिशाली हो गये है और तुम मृत्यु, शाप, कुदृष्टि, कुदशशा से सुरक्षित हो और इससे ऐसी महक आयेगी की तुम कीसी को, भी अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हो, और उसकी हवस को चरम पर पहुंचा कर संभोग के लिये विवश कर सकते हो। और इसके साथ तुम्हारा विर्यपात भी तुम्हारी इच्छा पर आधारित रहेगा।

ज्वालामुखी चौटाला
navbnp


तेजल
96b162f394d372dc611b7c2aa175c8f0

इतना कहते ही अयाना एक नीली रोशनी में बदल कर आयने में चली गई।
फिर तरुण वहां से भागा मगर, समय सेतु की वजह से वह उसी समय में पहुंच गया जहां से वह आया था।
वहा लेडी गँग ने अपनी चाल शुरू कर दी थी, उन्होंने जो सिरा उनकी तरफ था वह पिछे वाले एक पेड़ को बांध दिया था। जो लड़कियों के बिच में होने के कारण लड़कों को नहीं दिखाई दे रहा था। सब थकने लगे थे लड़कियाँ सिर्फ खडी खड़ी लड़कों के थकने का इंतजार कर रहीं थी, जिसके कारण अब लड़के थकने लगे थे अब लड़कियों ने जोर लगाया और थकान के कारण लड़के हारने लगे की तभी तरुण आ गया और उसने एक हाथ से रस्सी के साथ लड़कियाँ तो खींच ली पर, पेड़ भी जड़ों से उखाड़ दिया जिस वजह से लड़कियाँ हार गई और उनके जितने का रहस्य भी उजागर हो गया। अब सब लड़कियों की पंचायत हो चुकी थी। अब सब लड़के तरुण को सुझाव देने लगे थें की किसे चुने, मगर
मगर तरुण ने सिधे ज्वालामुखी को चुन लिया, जिससे सभी उसका साहस देखकर चौंक गये उसने सीधे पत्थर पर पैर दे मारा,तब ज्वालामुखी ने उससे कहा,"क्या ऐसे बदला लोगे? जाने दो, ना यार! प्लिज, आगे से कभी तंग करेंगे", तभी बीच में पड कर राज ने कहा,"अगर तुम्हारी जगह कोई और आ गई, तो हम तुम्हें छोड़ देंगे मगर शर्त यह है की तुम किसी पर ना तो जबरदस्ती करोगी ना ही कोई लालच दोगी, और यह तुम्हें सिर्फ़ २० मिनीट में करना होगा।", तेजल को यह पहले आसान लगा मगर जब भी वह किसी लड़की की तरफ जाती, वह उससे मुहं मोड लेती,कोई भी इसके लिये तैयार नहीं हुई। जब उसने कहा,"मैने हमेशा तुम्हें लड़कों की बुरी नजरों से बचाया और आज तुम सिर्फ न्युड..." तभी, उसकी बात को काटते हुये कोमल बोली,"तुमने जो किया वह तुम्हारे अहंकार और तुम्हारा कोई BF नहीं, या कोई लड़का नॉर्मल लड़की की तरह तुमसे दोस्ती नहीं करता इसी लिये, हमारी सुरक्षा के लिये नहीं, और जब तुमने कहा था की तुम पर कोई भी संकट आ जाये तुम हम पर कोई आंच भी नहीं आने दोगी। और जब आज सचमुच तुम पर आ गया तो तुम हम पर डालना चाहती हो और न्युड तुम्हें इतना ही नॉर्मल लगता है, तो तुम खुद क्यों नहीं हो जाती।" और सब कोमल के यह शब्द सुनकर सभी चौंक गये, और सभी लड़कियाँ कोमल का साथ देने लगी और कोमल को भी यह पता नहीं चल रहा था की वह ये क्या बोल गई। असल में यह तरुण की मोहिनी शक्ति का कमाल था, जो उसे उस वरदान में मिली थी, उसने कोमल के दिमाग में घुसकर यह बुलवाया था। तो अब सब कुछ ज्वालामुखी पर आ गया वहां करीब ५० से ६० लड़के थे, और उनके सामने उसे नग्न होना था। वह अब अपने कपड़े उतारने लगी, उसने एक नीले रंग का टॉप और एक काले रंग की जिन्स पहनी थी।

उसने अपने टाँप की अगली झिप खोलकर उसे उतार फेंका और क्याब्रे शुरू किया, ऐसे लग रहा था जैसे कोई अप्सरा नाच रही हो। उस वक्त डूबते सूरज की रोशनी में उसका बदन और उभर कर दिख रहा, था उसके गोरे गोरे ३० के स्तनों की गहराई उसके नितम्ब ३० के हो चुके थे, जो उसकी २६ की कमर के साथ बहुत मादक लग रहे थे, फिर उसने अपनी ब्रा उतारी इससे वह पूरी तरह से टॉपलेस हो चुकी थी। उसके गुलाबी स्तनाग्र बहुत ही ज्यादा मादक लग रहे थे। जिस वजह से वह आब आगे बढ कर ये खत्म करने जा रही थी। वह अब पीठ के बल नीचे लेट गई। और टांग हव में लहरा कर उसने अपनी जींस और पैंटी उतार फेकी, फिर पास ही में खड़े एक बांस के पेड़ को जाकर लिपट गयी। और फिर धीरे धीरे उससे अलग हुई, मगर सिर्फ अपना सीना अलग किया पैर बास के पास रखे। और फिर आगे पिछे होकर, दायां पैर उपर उठाते हुये उसी पैर के घुटने से बांस को पकड़ कर उसके आसपास गोल गोल घुमाकर पोल डांस करने लगी। और उसमें उसका पसीना उसके संगमरमर जैसे बदन को चमकदार बना रहा था। फिर ट्रेन आने का वक्त हो गया और ज्वालामुखी का डांस रूक गया, और उसने कपड़े पहन लिये। और सब जाने लगे और तब सभी लड़के तरह तरह के कमेंट करके उससे फ्लर्ट कर रहे थे। और वह विरोध करने के बजाय उसका आनंद ले रही थी। तब तरुण राज के पास गया और धीरे से उससे पूछा,"तूने उसकी पैंटी और ब्रा पर व्हिक्स क्यों लगाया?", तब राज ने उसे बताया की,"वह व्हिक्स नहीं बल्कि एक खास तरह की दवाई है, जो जंगल की खास जडी बुटी यों से बनाई जाती है। यह मुझे मेरे दोस्त मंगल ने बनाना सिखाया था, यह भारत में गैर कानूनी है, क्योंकि इसका असर बहुत तेज होता है। अगर किसी औरत के नाजुक अंगों पर इसे लगा दिया जाये तो वह इतनी गर्म हो जायेगी की, किसी से भी चुदने को तैयार हो जायगी, हाँ और इसका असर तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कोई उसे चोदकर शांत नहीं कर देता।",
तरुण :- इसका मतलब यह है की अब यह बस में भी?
राज:- हां वह बस में भी तैयार हो जायेगी और वह ये भी नहीं देखेगी की कौन है, उसे सिर्फ लंड चाहिए फिर वह कोई भी हो इंसान, कुत्ता या घोडा ही क्यो ना हो।
तरुण :- वैसे इसकी कितनी मात्रा तुने लगाई है?
राज :- असल मै इसका २ ग्राम किसी भी लड़की या औरत को तैयार कर देता है, मगर मैने इसकी पैंटी में पूरा २० ग्राम लगा दिया है।
तरुण:- अबे अगर तुझे उसे चोदना ही था, तो हम फिर कभी प्लान बनाकर चोदते।
राज:- बात अगर सिर्फ हवस की होती तो अबतक मै उसे चोद चुका होता। मगर मुझे मेरा बदला चाहिए।
तरुण :- बदला?
राज:- हाँ, बदला उसकी माँ चंद्रमुखी चौटाला ने मिलकर मेरे बडे भाई की जिंदगी खराब कर के रख दी। मेरा भाई जब निट की तैयारी कर रहा था तब इसकी माँ ने मेरे भाई पर किसी के रेप का झूठा इंझाम लगाकर फंसा दिया, और वह ठीक तरह से अपनी पढाई पर भी फोकस नहीं कर पाया, फिर भी उसने ऐसी तैयारी की थी की, वह जरुर सरकारी कोठे में mbbs के लिये आ जाता, मगर उसे परीक्षा के दिन ही कोर्ट में जाना पडा, और उसकी परीक्षा छुट गई जिस वजह से वह सिलेक्ट नहीं हो पाया, और उस केस से छूटने के बाद भी उसे समाज ने उसे स्वीकार नहीं किया। और एक दिन इस सब से परेशान हो कर उसने आत्महत्या कर ली। फिर बाद में पता चला की चंद्रमुखी चौटाला ने पैसा खा कर
तरुण :- अबे अगर किसी को AIDS या HIV हुआ तो पूरी क्लास में वह सर्दी जुखाम की तरह फैलेगा
राज:- तेरे पास तो जादू है ना, तू चाहे तो दुनिया से HIV और AIDS खत्म कर सकता है।
तब तक ट्रेन स्टेशन तक सब पहुंच चुके थे सब ट्रेन में चढ़ गये। और तरुण टॉयलेट में गया और उसने आयना निकाला और कहा की HIV और AIDS हमेशा के लिये विश्व से नष्ट हो जाये, इतना बोलते ही एक रोशनी आयने से निकली और सारी दुनिया में फैल गयी जिसकी वजह से अब कोई डर नहीं था, वहां ज्वालामुखी के लिये अब खुद को काबू में करना मुश्किल हो रहा था। राज की दवाई अपना असर दिखा रही थी, ज्वालामुखी के अंदर हवस तेजी से बढ रही थी, उसकी सांस तेज हो रही थी, स्तन अकड कर सक्त हो चुके थै, धीरे धीरे वह भी अब पसीना आ रहा था करीब दस मिनट बाद वह पसीने से भीग गई, वह खुद को शांत करने के लिये सब लड़कियों से छुपा कर अपनी योनी पर अपनी टॉर्च का डंडा रगड़ रही थी पर वह कहते है ना की, हाथ लड़कों के लिये काफी नहीं होता , उसी तरह उंगली या डंडा लड़की के लिये काफी नहीं होती, अब ज्वालामुखी चौटाला में हवस किसी ज्वालामुखी फटने को बेताब थी , अब वह बाथरूम के बहाने कुछ हवा खाने के लिये, और पैंटी के अंदर हाथ डालकर अपनी वासना शांत करने बाहर चली गई। वहां राज पहले से ही उसकी प्रतीक्षा कर रहा था, वह जिस बाथरूम में तरुण था उसके, बाजू वाले बाथरूम में छिपकर बैठा था, और एक मौके की प्रतीक्षा में था ताकि वह ज्वालामुखी के अंदर जो बारूद की तरह जमी कामवासना को हल्की सी चिंगारी दे कर उसे ज्वालामुखी के विस्फोट की तरह भड़का सके। और जैसे ही वह वहां आयी राज ने उसे पीछे से जकड़ लिया और उसके स्तन पर उसके टॉप के उपर से दबाने लगा और धीरे धीरे हाथ घुमाने लगा, वह उसका विरोध कर रही थी,"छोड़ो ना!! राज!! क्या कर रहे हो यह? दर्द हो रहा है!! आ!! आ!! म्!म्!", क्योंकि उसमें अभी भी थोड़ी लज्जा बाकी थी। मगर उसके पैंटी में लगी दवाई में मौजूद कपूर के रस की वजह से वह दवाई उसके बदन की बढाती गरमी के कारण ज्यादा भाप बनकर उसकी योनी में जा रही थी। और उसका प्रभाव इतना था की, राज को हो रहा उसका विरोध अब कमजोर होने लगा था अब राज ने अगला कदम बढाने लगा वह अब अपने एक हाथ से उसके टॉप की झीप खोल रहा था। और दूसरे हाथ से उसके जिंस के अंदर, पैंटी के बाहर से हाथ डाल कर खुजली कर रहा था। वह अंदर हाथ डाल सकता था मगर उसे यह अहसास हुआ की उसकी दवाई पूरी तरह से भाफ नही बनी थी, मतलब दवा अभी भी उसकी योनी में पुरी तरह से घुलना बाकी थी, मगर अब उसके खुजली करने से वह दवाई तेजी से उसके अंदर जाने लगी थी। जल्द ही वह दवाई उसके योनी में चली गयी जिस वजह से अब उसके अंदर वासना की ज्वालामुखी का विस्फोट हुआ, अब वह इतनी तप चुकी थी की उसके अंदर बढ़ती गर्मी पसीना बन कर बाहर बह रही थी वह अब बडी ही कामूक आवाज में कहने लगी,"ओह!!!!राज!!! अब बर्दाश्त नहीं!!! हो रहा!!! प्लिज फक मी!!! चोदो मुझे!!! फाड डालो मेरी बूर!! मार दो मेरी गांड, आह..." अब तक राज उसके टॉप की झिप उतार चुका था उसने ज्वालामुखी के सामने आकर कॉलर के पिछले हिस्से को खींचकर ज्वालामुखी की टॉप उतार दी और दुसरे हाथ से उसके जींस की झिप खोल दी। और उसके सपाट पेट और पतली कमर को चूमते चूमते उसकी नाभी से होकर चूमता रहा और उसकी जींस पैरों से होते हुये नीचे गिर गई, जिसके साथ ज्वालामुखी की शर्म के सारे परदे गिर गये, उसके अंदर अब कामवासना के ज्वालामुखी के कै सो विस्फोट हो रहे थे। और वह अब काबू से बाहर जा रही थी। अब राज उसे अपने साथ लड़कों के डिब्बे में ले गया और जोर से घोषणा कर दी,"गाइज, मै आपके सामने ले आया हूं हाँट स्लट ज्वालामुखी चौटाला, आज यह हम सबसे चुदेगी!!", इसके बाद ज्वालामुखी अपनी हवस के नशे में बोली," जल्दी करो!!! चोदो मुझे !!! जल्दी!!! जल्दी!!!" वह सिर्फ नीली ब्रा और पैंटी में थी। अब सारे लड़के तैयार हो गये, दो लड़कों ने कंपार्टमेंट को अंदर से बंद कर लिया, फिर राज ने उस लड़की के ब्रा और पैंटी उतार कर उसे बिलकुल नग्न कर दिया। और फिर राज के दोस्त मंगल ने उसे घोडी बना दी और उसका ८ इंच का हथियार सीधे उसकी योनी पर रखा और उसे योनी के उपर से रगड़ने लगा, आज ज्वालामुखी प्रथम बार अपनी योनी पर किसी लड़के के लिंग को महसूस कर रही थी। अब उसके अंदर वासना की ज्वाला बहुत तेजी से भड़क रही थी। जिससे उसकी योनी भीग रही थी, और वह बहुत चिकनी हो चुकी थी। अब मंगल ने एक जोरदार धक्का मारा, जिस वजह से उसका आधे से ज्यादा लिंग उसकी योनी के अंदर चला गया, अब उसकी एक चीख निकल ने लगी, लेकिन वह चीखने ही वाली थी, तभी मंगल के दोस्त कालू ने अपना लिंग उसके मुहं में डाल कर उसका मुंह बंद कर दिया, जिस वजह से उसकी चीख दब गई। और मंगल के धक्के के वजह से उसकी सील टूट गई और उसके योनी से खून निकलने लगा। अब राज आगे आया, उसने मंगल को नीचे लेटने को कहा मंगल वैसे ही बर्थ पर लेट गया उसपर ज्वालामुखी लेट गई और कालू पिछे आकर उसके मुंह में लिंग चालाता गया , और अपना लिंग
वहां तरुण बाथरूम में वह दवाई बनाने की विधि सिख रहा था। वह अब बाहर निकला वहां उसे कोमल मिली, उसने पूछा,"तुम यहां? ज्वालामुखी कहां है?", तब तरुण ने कहां "मुझे नहीं पता,शायद लड़कों के डिब्बे में होगी?" लेकिन जब वह दरवाजे की और बढे, तब उसने पाया की दरवाजा अंदर से बंद है। तब उसने कहा "जरा सुनो कोमल, यह दरवाजा तो अंदर से बंद है?",तब कोमल वहां आयी और उसने दरवाजा चेक किया तब पाया की जरवाजा तो अंदर से बंद था। उसने वहाँ एक सुराग देखा जो कुंजी के लिये था। कोमल ने उसके अंदर झांक कर देखा तब उसे दिखाई दिया की, अंदर तो ज्वालामुखी एक साथ तीन तीन लड़कों से संभोग कर रही थी, एक का लिंग मुह से चुद रही थी। एक का योनी में । और एक गांड में, तब कोमल ने तरुण को सारी लड़कियों को बुलाने को कहा और तब तरुण ने सब को बुलाया, तब तक वह मोबाइल का कैमरा शुरू कर के उसे सुराग में लगा चुकी थी। उसमें अंदर का सब दिखाई दे रहा था। अंदर एक लिंग उसकी योनी में,एक उसकी गांड में और एक मुंह में था, और दोनों हाथोंसे एक एक लिंग को हस्तमैथुन दे रही थी। यह देख कर सारी लड़कियाँ भड़क उठीं। और उसे भला बुरा कहने लगीं।
लड़की 1:- अरे करमजली, हमारे बॉय फ्रेड को हमसे छीन लिया ।
लड़की 2:-हमे लगा की यह हमें, लड़कों को बस में करना सिखायेगी, मगर यह तो खुद ही लड़कों का खिलौना बन गई।
लड़की 3:- करे तो क्या करे, सारे लड़के एक जैसे ही होते है, उन्हें तो बस चूत चाहिए...
कोमल:- बस भी करो सब और इसमें गलती ना तो तुम्हारे बॉयफ्रेंड की है,और ना ही उसकी, अगर तुम उन्हें इतना तडपाने के बजाय वक्त पे दे देती, तो अब पछताना नहीं पड़ता।
फिर कोमल को छोड़कर सारी लड़कियाँ उनके कंपार्टमेंट में वापस चली गयी।और कोमल जब जाने लगी तब उसने तरुण को कहा,"तुम आ जाओ यहां अकेले अकेले खडे रहने से अच्छा, हम बातें करेंगे समय बीत जायेगा।", तरुण ने बडी शरारत से कोमल की पतली कमर पे उसके कमीज के उपर हाथ रखते हुये कहा,"सिर्फ बातें करेंगे या आग भी बढेंगे..." कोमल,"क्या ?" कहकर और शर्मा कर वहां से अपनी सीट की और भागी। और तरुण भी उसके पिछे भागा और दोनों सीट तक पहुंचकर इधर उधर की बाते करते रहै।
वहाँ अंदर ज्वालामुखी की काम क्रीड़ा तेज हो चुकी थी।अब राज उसकी गांड, मंगल योनी और कालु मुहं मे तेजी से संभोग कर रहे थे, अब तीनों आपने वीर्य पात की चरम सीमा पर पहुंच गये थे। और जिस तरह बंदूक से गोली निकलती है। उस तरह तीनों के लिंग से वीर्य निकला। तीनों झड चुके थे अब वह जिनके मूठ मार रही थी उनके योनी और गांड की बारी थी, मगर वह भी झड़ गये। तब वह बोली," सिर्फ आधा घंटा?", लेकिन उसका यह बोलना सिर्फ एक गलती थी। वह पांच सोने चले गये। और पांच तैयार हो गये, इसी तरह ट्रेन के छह घंटे के सफर में वह साठ लड़कों से पांच पांच के गृप में हर लड़के से एक बार यानी बारा बार संभोग कर चुकी थी। अब उसे थकान हो रही थी। और वह वीर्य से पूरी तरह भीग चुकी थी, उसका सारा शरीर जैसे किसी ने संगमरमर की मूर्ति को किसी ने दूध से नहलाया हो। अब वह बाथरूम में चली गई। और उसने खुद को नहलाकर साफ कर दिया। और उसके कपडे राज ने रख दिये थे। असल में वह रेल "हॉटेल अॉन ट्रेक" कंपनी की थी और उस कंपनी ने उनके महाविद्यालय को ट्रीप के लिये दी थी। और जब यहां यह सब चल रहा था। तब तरुण कोमल के साथ बैठ कर बाते कर रहा था। क्यों की, अगर वह वहां जाता तो किसी को मौका नहीं मिलता। उसके पास तो अनंत काल तक संभोग करने की शक्ति थी।
तरुण:- कोमल वैसे तुम भी कोई कम हॉट नहीं हो, तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है क्या?
कोमल:- (मोबाईल में फोटो दिखाते हुये)यह है मेरा बॉयफ्रेंड।
तरुण:-सतीश, इसने तो आत्महत्या कर ली थी, ना?
कोमल :- हाँ, मै बचपन से मै अनाथ थी। सतीश मेरा बहुत पक्का दोस्त था, हम अपनी सुख-दुख, पसंद नापसंद, सारी बातें एक दूसरे के साथ शेयर किया करते थे। जवानी में मेरी वही दोस्ती प्यार में बदल गयी,मगर यह प्यार एकतर्फा था, वह किसी और से प्यार करता था मगर मैने इसे अपनी बुरी किस्मत समझ कर स्वीकार कर लिया। पर किस्मत तो उसकी बुरी थी, वह एक टाइम डिगर लड़की थी, उसे २४ घंटे उसपर ध्यान देने वाला , और १० १० मिनट में फोन करने वाला लड़का चाहिए था, मगर सतीश एक पढाकू लड़का था, इसीलिये उसने इसे छोड़ दिया, मगर उसने इसे छोड़ दिया, और मेने इसे सहारा दिया था, वह मेरे साथ कंफरटेबल महसूस कर रहा था और उसका पढाई में भी मन लग रहा था, मगर इससे वह लड़की इंसल्टींग फिल कर रही थी, इसीलिए उसने सतीश को अपने ही झूठे रेप केस में अंदर करवाया, और दस महीने उसे अंदर रखा, जिस वजह से उसके केस जितने के बाद भी, समाज की नजर में वह अपराधी रहा और उसने खुदखुशी कर ली, और यह सब कुछ हुआ, चंद्रमुखी चौटाला के अति महिला वादी सोच की वजह से, इसी वजह से मै पागल हो गई और मैने उसपर हमला कर दिया, और मुझे दो साल जेल में गूजारे, वहां मुझे कम्मोबाई नाम की एक दलाल मिली, उसने मुझे एक ड्रग के बारेमें बताया जो वह लड़कियों को धंधे पे लगाने से पहले देती थी।यह औरत के अंदर वासना बढा देती है। और अगर कोई उसकी चुदाई कर दे तो बस उसे उसकी लत लग जायेगी। जब मै बाहर निकली तो, मैंने ग्यारहवीं में अँडमिशन ले लिया, उसकी पढाई में मदद करके उसका भरोसा जीता, और रोज चाय, कोल्डड्रिंक के बहाने उसे वह दवाई देने लगी और उसके अंदर हार्मोन भर दिये, जिससे अगर कोई उसका खाता खोलेगा तो उसे रोज़ चुदनेका मन हुआ।
तरुण :- क्या यह बात सच है की चंद्रमुखी चौटाला ने पैसे लिये थे?
कोमल:- वह और रिश्वत! नहीं, यह तुमसे किसने कहा?
तरुण :- बस, उड़ती उड़ती खबर सुनी थी।
कोमल :- वैसे छोड़ो यह सब, तुम्हारी वजसे मेरी इकट्ठा की बारूद को आग लगादी, मेरी तरफ से तुम्हें आज तुम मेरे बाँल दबा सकते हो।
इतना कहकर उसने अपना कुर्ता सीने से उपर तक उठा लिया और ब्रा भी उपर कर ली। और तरुण के सामने उसके बडे दूध स्तन और उसके गुलाबी स्तनाग्र थे। उसने अपने हाथ रखे और जोर जोर से दबाने लगा। उसका दबाव इतना
इतना कहकर उसने अपना कुर्ता सीने से उपर तक उठा लिया और ब्रा भी उपर कर ली। कोमल एक बीस साल की लड़की थी।जिस वजह से उसके स्तन पूरी तरह से भरे हुये थे,और दो साल जेल में चक्की पिसने की वजह से उसका बदन अच्छी तरह से कसा हुआ था। और तरुण के सामने उसके बडे दूध स्तन और उसके गुलाबी स्तनाग्र थे। उसने अपने हाथ रखे और जोर जोर से दबाने लगा। उसका दबाव इतना था, कोमल की चीख निकल गई, जिसकी आवाज से बगल वाले सीट से लड़की ने पूछा, "कोमल ठीक तो हो ना?" कोमल ने खुद को ठीक कर लिया। और कहा "कुछ नहीं, वह थोडा सा लग गया था उठते वक्त।" तब लड़की ने समलकर उठने को कहा। तब तरुण कहा," वैसे इसका कारण में नहीं, कोई और है।"
कोमल ,"तो कमिने पहले क्यों नहीं बताया?"
तरुण,"बताता तो दबाने देती?"
कोमल पर्स उठाकर गुस्से से उसे मारने के लिये उठी मगर उसका सर छत से टकरा गया , असल में उस ट्रेन के सीट स्लीपर कोच बस की तरह थे। जिस वजह से वह नीचे तरुण पर गिर पडी। उसके होंठ कोमल के होठों से लग गये। और कोमल वही सो गई। और तरुण ने उसके सलवार का नाडा खोल दिया, और और उसकी कमीज के अंदर हात डालकर ब्रा का हूक भी पिछे से खोल दिया लेकिन उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं थीं, वह गहरी नींद में सो गयी थी। इसीलिये तरुण भी उसके साथ वहीं हाथ डालकर सो गया।
सुबह हो गयी, कोमल उठ गई, उसने अपने आप को देखा उसने सलवार का नाडा बांध लिया और वह कोशिश करने लगी, लेकिन उसे उपर से लगना मुश्किल हो रहा था, तभी तरुण ने यह देखा और आगे से उसे हग करते हुये अपने हाथ उसकी कमीज में डाल दिये और उसके ब्रा का हुक लगा दिया। तब वह उसके कान में बोली,"रात को तो अच्छा मौका था, चौका क्यों नहीं मारा?" तरुण के हाथ अभी भी उसके कमीज के अंदर थे उसने पेट के बाजू के हिस्से से कमर पर हाथ घुमाया और जोर से कमर पर हाथ जकड़ के कहा,"इसका हकदार मै नहीं बल्कि राज है,तुम्हारे इकट्ठा किये बारूद में आग उसने लगाई।",कोमल ने चौंककर कहा,"राज!! पर कैसे?मगर जो भी हो, थँक्यू व्हेरी मच!", तब तरुण ने कहा,"और एक बात सुनो जब तुम उसके साथ करोगी, तो थोड़े सनी लिओनी के व्हिडीओ देख लेना, तुम जरा भी को ओपरेटिव नही हो, इस तरह लाश की तरह पडी रहने से वह बोर हो जायेगा।" कोमल को उसका बोलना पसंद आने लगा क्योंकि, पहली बार उसने किसी को बिना स्वार्थ के किसी को सम्भोग के बारे में सलाह देते हुये सुना था।उसने झट से उसे होठों पर एक लंबा चूम्बन दिया और आंखें बंद करके उसमें खो गई, उसे ऐसा करते हुये एक लड़की ने देख लिया और वह हल्के से खाँसी जिससे वह होश में आ गई, उसे छेड़ते हुये रानी ने कहा,
"क्या बात है! आपने तो सीधे हि-मैन को पटा लिया।", कोमल शर्माते हुये बोली,"पगली! ऐसा कुछ नहीं है।" वहां रात भर जागने और लगातार हुये सम्भोग की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी, उसके कदम लडखडा रहे थे। तब तरुण ने उसे सहारा दिया, उसका हाथ अपने कंधे पर रखकर उसके साथ ट्रेन से उतर गया। वहाँ सामने ही उसकी माँ चंद्रमुखी चौटाला खड़ी थी। उसने तरुण को साथ देखकर कहा,"अच्छा हुआ तरुण की तुम यहां मिल गये, तेजल ने मुझे तुम्हें लेने के लिये भेजा है, और वह दो दिन घर पर नहीं है, इसीलिये तुम हमारे घर रह सकते हो।हाँ एक और बात खाना मैने बना कर टेबल पर रखा है, ठंडा होने से पहले खा लेना।", फिर चंद्रमुखी ने उन दोनों को घर छोड़ दिया, और वह थाने चली गयी। वहाँ तरुण ने ज्वालामुखी को बेडरुम में ले जा कर सुला दिया और वहाँ पडी हुई फाइलें पढता रहा तब उसे एक नाम दिखाई दिया डेव्हिल, उसका सिर्फ नाम वहाँ था। उसे देखने वाला या तो फरार था, या मर चुका था। उस फाइल में यह भी लिखा हुआ था, की दाऊद इब्राहीम के डेव्हिल के साथ संबंध है और इतना ही नहीं, ओसामा-बिन-लादेन के मुंह से भी मरते वक्त अमेरिकी कमांडोज द्वारा डेव्हिल का नाम सुना गया था। मगर इसका कोई पक्का प्रमाण, जैसे की कोई ध्वनि मुद्रण या चल चित्र मुद्रण नहीं था, इसीलिए इसपर अधिकृत कार्यवाही करना ना मुमकिन था। उसने फाइल रख दी। और वह सोचने लगा तभी उसे कुछ सूझा, उसने अपने दिव्य दर्पण को स्मरण किया और वह दिव्य दर्पण उसके सामने आ गया, तब उसने उससे डेव्हिल के बारे में पूछा तब दर्पण ने उसे एक आदमी का चेहरा दिखाई दिया, तब उसने दर्पण से डेव्हिल के बारेमें शुरू से पूछा, तब उसे तारकासुर और स्कंद का संग्राम दिखाई दिया, जिसमें स्कंद ने तारकासुर के साथ साथ समस्त असुर सेना का अंत कर दिया। उसी सेना में सैतानासुर नाम का एक असुर सैनिक था उसकी विशेषता यह थी की, जो भी उसका रक्त पियेगा उसके अंदर सैतानासुर की आत्मा आ जायेगी। उसके मरने के बाद उसके सात शिष्य तांत्रिक उसका शव लेकर उसके पुत्र किल्विष और पत्नी कार्कता के पास चले गये, उन्होंने उन्हें एक पत्र दिया, जिसके मुताबिक किल्विष को पहले सैतानासुर का रक्त पीना था और अपनी माँ कार्कता के साथ संभोग करना था। तब दोनों तैयार हो गये और जब किल्विष ने रक्त पिया तब उसके शरीर में तनाव होने लगा, उसके रक्त की गति बढ गई और उसका लिंग मोटा हो कर १२ इंच का हो गया और उसकी मोटाई २ इंच बढ गई। उसने मुड़कर अपनी माँ कार्कता को देखा मगर उसे वह आदर से नहीं मगर हवस से देख रहा था वैसे तो कार्कता ४५ साल की थी, मगर असुर होने की वजह से उसकी योनी उसके सामने खुली पड गई, तब किल्विष ने उसे जोर से धक्का दिया वह पलंग पर गिर पडी। फिर किल्विष ने अपना लिंग जबरदस्ती उसकी योनी में डाल दिया और दर्द के कारण उसकी चीख निकल गई।
मगर इससे किल्विष का जोश और बढ गया, उसने कार्कता के स्तन पर बांधा हुआ कपड़ा इतनी जोर से खींचा की वह टर् टर् .... करके फट गया। उसके दुधारू स्तन उसके सामने खुली अवस्था में थे। अब उसके सावले स्तन और गेहूँ के रंग के स्तनाग्र देखकर उसके अंदर हवस का शैतान जाग उठा। वह उसकी माँ के वह स्तन जोर जोर से दबा रहा था, या नौच रहा था क्या कहे। और जैसे जैसे कार्कता की चीखने की आवाज़ तेज हो रही थी। वैसे वैसे किल्विष का जोश भी बढ़ रहा था, और जोश के साथ साथ वह तेजी और बेदर्दि दोनों बढाने लगा था। और अब उसने कार्कता का दायां स्तन छोड़ दिया और बायां स्तन जोरों से दबाने लगा और दुसरे हाथ से उसके स्तनाग्र को जोरों से मसलने जिससे कार्कता की चीख निकल गई। और वह झड़ गयी। और अब उसकी यौवन के पानी ने उसकी हवस की आग में घी डालने का काम किया, जिससे अब वह और भड़क उठा और वह उसके दुसरे स्तन के स्तनाग्र को चूसने और काटने लगा जिससे कार्कता तड़प उठी, उसकी इस तड़प से उसकी वासना जाग उठी। और उसके स्तनाग्र सक्त हो गये। अब किल्विष ने हाथ दायें स्तन पर और मुंह बाये स्तन पर चलाना शूरू किया। अब दोनों साथ में झड़ गये। कार्कता के इस यौवन रस और किल्विष के वीर्य का मिश्रण कार्कता की योनी से बहने लगा, जमीन पर गिरने से पहले तांत्रिकों ने वह मिश्रण सैतानासुर के रक्त से भरे पात्र में ले लिया। और सात तावीज जो उनके पास थे वह उसमें डाल दिये। और अब सैतानासुर की आत्मा किल्विष के देह से निकल गई, जिस वजह से उसकी सारी कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह बढ़ने लगा, वह इतना बढ़ा की उसकी सारी कोशिकायें फट गई और उसका देह छिन्न-वि-छिन् हो गया। इस झटके से कार्कता की भी मृत्यु हो गई। फिर वहीं तांत्रिकों ने अपने मालिक सैतानासुर को शैतान नाम से पूजा और उसका प्रचार और प्रसार किया। मरने के बाद भी सैतानासुर शैतान के नाम से प्रचलित रहा। और जिन जिन लोगों ने उसके तावीज को धारण किया। वह बुरे होकर भी संपन्न रहे, उन्होंने साम्राज्य चलाया, मगर जब उन्होंने तावीज को छोड़ा उनके साथ साथ उनके साम्राज्य का भी अंत हो गया। चंगेज खान, अॕडोल्फ हिटलर के पास भी इनमें से एक तावीज था। और जब ओसामा-बिन-लादेन ने तावीज छोड़ा वह अमेरिकी कमांडोज द्वारा मारा गया। और डेव्हिल कोई और नहीं बल्कि, सैतानासुर ही था, वह तावीज के माध्यम से अपने लोगों के साथ बात करता था। और उन्हें आज्ञा करता था, और जब तक वह इंसान तावीज पहने रहता था,तब तक उसे पुलिस और सेना जैसी यंत्रणाओं से बचाये रखता था। जब तरुण ने तावीज धारकों का नाम आयने से पूछा तब एक को देखकर वह चौंक गया। तभी उसको अंदर से कुछ आवाज आयी। जब उसने वहाँ जाकर देखा, तब उसे दिखाई दिया की ज्वालामुखी जाग गई थी। तब तरुण ने उसे पूछा,"अब कैसा फील हो रहा है?" वह बोली,"अब अच्छा लग रहा है, भूख बहुत लगी है।" तब तरुण अंदर गया और दोनों ने खाना खा लिया। ज्वालामुखी पढ़ने बैठ गई, और तरुण ने भी एक किताब उठायी। उसके किताब की और केवल देखने से ही सारा ज्ञान उसके दिमाग में चला गया। और अब वह प्रश्नावली ले कर सुलझाने लगा, और उसके सोचने की गति इतनी थी, की उसने वह सारे १००० वस्तुनिष्ठ प्रश्न एक मिनट में खत्म कर दिये। तब उसने दुसरे विषय की किताब उठाई और इसी तरह उसने सभी विषयों की पढाई कुछ ही देर में कर ली। और वह फिर से पढ़ने लगा, तब तक शाम हो गई और चंद्रमुखी चौटाला ड्यूटी से वापस आ गई। और कपड़े बदल कर रात के खाने की तैयारी करने लगी। असल में उसका पति जोश, एक चोर था जो पुलिस दरोगा बनकर पुलिस में घुस गया। और ज्वालामुखी चौटाला के जन्म के बाद इंस्पेक्टर बजरंग पांडे के गुप्त सूत्रों से सच सामने आया। कानून को धोखा देने के जुर्म में उसे गिरफ्तार कर लिया गया, मगर पुलिस की वर्दी में उसने कै अपराधियों को पकड़ा था, उनमें से कुछ उसी जेल में थे जिस जेल में उसे भेजा गया था। उन्होंने एक साजिश रची, जिसके तहत चंद्रमुखी चौटाला को जोश की जान के बदले, सतीश को गिरफ्तार करना था। मगर कोर्ट से उसे छोड़ने पर उन्होंने जोश को जेल में ही मार डाला। यह तरुण को उस दर्पण से तब पता चला, जब उसने पढ़ने के बाद 'सतीश' केस के बारेमें पूछा था। अब वह रसोई में जाकर चंद्रमुखी चौटाला की खाना बनाने में मदद कर रहा था। चंद्रमुखी ने उससे पूछा,"तुम्हें खाना बनाना आता है?"
तरुण ने कहा,"घर पर मैं भी माँ(तेजल) के साथ खाना बनाता हूं।"
चंद्रमुखी ने कहा,"वैसे तुम्हारी होनेवाली बीवी, बडी नसीब वाली होगी।"
तरुण,"अब मुझ जैसे से कोण शादी करेगी?"
चंद्रमुखी,"क्यों? तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?"
तरुण,"नहीं है, क्या आप बनना चाहती हो?"
चंद्रमुखी,"चल हट! कुछ भी!"
तरुण,"सही में, आप तो मुझे २१ की लग रही है, बिल्कुल ज्वालामुखी की बड़ी बहन।"
चंद्रमुखी आंखें दिखाकर बोली,"तू सब्जी काट।", और इतना कहकर वह तड़का देने के लिये मुड़ गई और मंद मंद मुस्कराकर तड़का देने लगी।और तरुण ने कटी हुई सब्जी तड़के के बर्तन में डाल दी। और तरुण की मदद करने से खाना जल्दी बन गया था। इसलिए वह जल्दी खाना खाने बैठ गये। आज ज्वालामुखी चौटाला को अजीब लगा, क्योंकि उसकी माँ के चेहरे पर जरा भी चिंता नहीं थी। उसने पूछा,"क्या हुआ मम्मी आज थाने में?" इस सवाल से वह गंभीर हो गई और कहा,"ऐसा कुछ नहीं, आज MLA के लड़के के साथ, दो और आवारा लड़कों को छेडखानी करते हुये पकड़ कर अंदर डाला और बहुत सुता है।"
तरुण,"क्या आप भी? इतनी खूबसूरत है की किसी का भी मन मचल जायेगा।"
चंद्रमुखी के चेहरे पर वापस मुस्कान आ गई, और बोली,"तुम भी ना! अरे मुझे नहीं, कॉलेज की लड़कियों को छेड़ रहे थे।"
तरुण,"आप जैसी थानेदारणी हो, तो बंदा अपने बाप की जेब काटकर अंदर हो जाये! उन्होंने शायद इसीलिए किया होगा?"
चंद्रमुखी, "तुम भी ना...." ऐसा कहकर वह खाना खत्म करके सोने चली गई। ज्वालामुखी भी रुम में जाकर सो गई। फिर चंद्रमुखी ने कहा,"तरुण, तुम अंदर आकार सो जाओ।" तरुण अंदर चला गया, अंदर एक डबल बेड था। उसपर दोनों के लिये चंद्रमुखी ने गोधाडी निकालकर रखी थी। और फिर दोनों लेट गये। गर्मी बहुत थी, इसलिए चंद्रमुखी ने टी शर्ट और नाइट पैंट पहन रखी थी,अंदर कुछ नहीं था। वह रात को एक करवट ले कर सो गई,उसकी पीठ तरुण की तरफ थी, उसकी टी शर्ट उसकी कमर से उपर आ गई थी, उसकी चिकनी पतली कमर उसके सामने थी। तरुण करवट ले कर सीधे उसके पीछे, एकदम नजदीक आ गया। वह थोड़ी कच्ची नींद में थी, तरुण ने उसकी कमर पर हाथ रख दिया, इससे वह चौंक उठी उसने अब थोड़ा अब वह पीठ के बल होकर तरुण को देखने लगी, उसकी आँखें बंद थी। उसके पीठ के बल होने से तरुण का जो हाथ उसकी कमर पर था, अभी वह हात उसकी नाभि पर आ गया, उसने प्यार से उसपर मारा और करवट बदल कर तरुण की और चेहरा करके सो गई। इससे वह तरुण के इतने नजदीक आ गयी थी,की उसके उरोज जो ३८ के भरे हुये मांसल उरोज तरुण के चट्टान जैसे सक्त सीने को छू रहे थे, और तरुण का लिंग सक्त हो गया था और चंद्रमुखी की योनी को छू रहा था। तरुण ने अपनी एक टांग चंद्रमुखी की कमर पे डाल दी, और उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और सो गया।

अपडेट बहुत ही लंबा चौड़ा दिया गया जो खत्म होने पर नहीं आ रहा था पर लंबा होने के साथ कई सारे रोचक तथ्य का वर्णन किया गया तरुण का अनाथ होना उसे तेजल का लालन पालन कराना ब्रह्मराक्षस जो ऋषि के श्रप से बंधे रहना तरुण का उसके सवालों का जवाज देखकर उसके शक्तियों को हासिल करना। ज्वाला का पारिजात होना मां के किए का बदला चुकाना बहुत से घटनाओं का वर्णन किया गया।

बहुत ही अच्छा लिख रहे हो बस थोड़ी वार्तनी पर ध्यान दो तो कहानी पढ़ने का मजा और बड़ जायेगा। मेरे बातों को दिल पर न लेना जो गलती मुझे दिखा वो मैंने आपको बताया उम्मीद करता हूं आप इन बातों को अन्यथा न लेंगे बाकी ऐसे ही लिखते रहो और पाठकों का मनोरंजन करते रहो
 
Will Change With Time
Super-Moderator
25,316
19,145
143
UPDATE 2

अगले दिन सुबह चार बजे जब तरुण की नींद खुली वह बाथरूम में चला गया और सुबह के काम निपटा कर दर्पण की मदद से उसने सारी वनस्पति प्रकट की।और फिर उसके हाथ जो हीरे जीतने मजबूत थे,उसने उससे सारी वनस्पति को मसला और उसके सार को उसने एक कटोरी में डालकर उसे ढका, और अपने हाथों से अग्नि निकालकर तपाने लगा, थोड़ी देर और ताप देने के बाद उसने जब ढक्कन हटाया। तो उसमें उसे दवाई तैयार मिली। उसने वह दवाई एक शीशी में डाल दी, वह दवाई असल में निम्न द्रव यानी किसी जेली की तरह थी। इसीलिए डालते वक्त उसे अपने हाथ खराब करने पडे। तभी उसे हलचल सुनाई दी। वह पहले ही नहा कर तैयार हो चुका था। वह सारे कपड़े बाथरूम में ही पहन लेता था। जब उसने चंद्रमुखी की आवाज सूनी, तो उसने शीशी जेब में डाल ली और जल्दबाजी में एक साफ पैंटी से अपना हाथ साफ कर लिया और जाकर दरवाजा खोला। वहां चंद्रमुखी टॉवेल लेकर खड़ी थी, वह उससे बोली ,"तुम्हारा हो गया तो, में नहा लूं?"
तरुण,"हाँ, हो गया।"
फिर थोडी देर बाद चंद्रमुखी भी नहा कर निकली। वह सिर्फ टॉवेल मे थीं। इसीलिये उसकी मांसल जाँघे बहुत आकर्षक लग रही थी, जैसे की किसी कुशल कारीगर ने बडी ही, बारीकी से तराशा हो। तरुण उसे देखता ही रह गया। फिर वर्दी पहनकर वह थाने चली गई । थाने जाकर उसने उन लड़कों की अच्छे से खातिरदारी की । यहां तरुण ने कोमल को फोन करके बुला लिया, ताकि वह उसे सच बता सके।और वह ज्वालामुखी के साथ पढाई करने लगा। थोड़ी देर बाद कोमल और राज वहाँ आ गये।
तब राज नाराज लग रहा था, जैसे वह कोई बहुत बड़ी जंग हारकर आया हो। तरुण ने पूछा ,"क्या हुआ राज? ऐसे हारे हुये क्यों लग रहे हो?" तब कोमल ने तरुण के पास आकर कान में कहा,"खड़ा करने में आधा घंटा चला गया, मगर दस मिनट में पानी छुट गया!" तरुण ने कोमल के नितम्ब पर हाथ रखा और कहा,"मेरा अभी भी सक्त है, अभी डालकर देखे?" कोमल शर्माकर वहां से चलीं गई। और टेबल पर जाकर बैठ गई। फिर तरुण ने ज्वालामुखी को कहा की वह छत पर बैडमिंटन खेलने के लिये जाली लगाये। वह छत पर जाकर तैयारी करने लगी। तब राज ने तरुण से पूछा,"तुम हमें क्या सच बताने वाले थे?" तब तरुण ने उन्हें बताया की किस मजबूरी में चंद्रमुखी ने सतीश को गिरफ्तार किया था। तब उन्होंने कहा,"हाँ, माना की हमने जो किया वह गलत था, मगर तुमने भी तो उससे न्युड डांस करवाया?"
तरुण ,"हाँ, मैंने उससे न्युड डांस करवाया मगर, उससे सिर्फ उसकी पॉवर और ईगो खत्म होता। मगर तुम दोनों ने पिल्स और ड्रग दे कर उसमें हवस भर दी, जिस वजह से उसे पुरी क्लास के लड़कों से चूदना पड़ा,जिससे उसका कँरेक्टर एक रंडी का हो गया, और अब हर लड़का उसे ऐसी ही नजर से देखेगा। वह असल में एक सेंसीटीव्ह लड़की है, ऐसी लड़कियाँ आमतौर पर सेक्स से दूर होती है। मगर उनके साथ एक बार भी किसी भी तरह सेक्स किया जाये, तो उसकी आदी हो जाती है। अब यह तो साठ से चूद चुकी है। अगर कोई भी लड़का उसे अँप्रोच करेगा तो भी वह तैयार हो जायेगी। अब वह एक फ्री का खिलौना बन गई है।
तब उन्हें उपर से ज्वालामुखी आवाज देती है। वह तीनों उपर जाते है। और खेल शुरू होता है। थोड़ी देर खेलने के बाद वह नीचे आ जाते है। कोमल और और राज वापस चले जाते है। फिर तरुण और ज्वालामुखी दोनों खाना खाकर पढ़ने बैठ जाते है। ज्वालामुखी पूछती है,"जब सारी क्लास मेरी चुदाई का मजा ले रही थी, तुम कहा थे?"
राज ने कहा,"दरवाजा अंदर से बंद था, और वैसे भी मै आता तो किसी को मौका नहीं मिलता।"
ज्वालामुखी,"कुछ भी!! इतना स्टेमिना किसी का नहीं होता।"
तरुण,"तो आजमा रही है।"
ज्वालामुखी,"अब चोदेगा मुझे?"
तरुण,"तेरी बस का नहीं है, तेरी माँ को भेज।"
ज्वालामुखी ने सीधे उसके लिंग पर लात मारी। मगर,तरुण को कुछ नहीं हुआ, उलटा ज्वालामुखी की टांग पर चोट लग गई। उसे ऐसा अहसास हुआ जैसे उसने गलती से लोहे के मोटे से डंडे पर लात मार दी थी। असल में यह उसके वरदान का भाग था उसका शरीर उरु, हीरा और व्हायब्रेनियम से भी अनंत गुना सक्त और मजबूत हो गया था। अब ज्वालामुखी को डर लग रहा था।
ज्वालामुखी,"तुम मेरी माँ के साथ इतना फ्लर्ट क्यों कर रहे थे, क्या तुम इंटरेस्टेड हो?"
तरुण,"अरे ऐसा कुछ नहीं है।असल में जब लड़की जवान होती है तब, कभी लड़कों का घुंरना, उनपर कमेंट करना, बातों बातों में तरिफ करना या लाईन मारना यह सब उन्हें उन्हें उनकी खूबसूरती का एहसास दिलाता रहता है,लेकिन इससे वह उक् जाती है।मगर, एक उम्र के बाद जब उनकी जवानी कम होने लगती है, तब यह सब भी कम होते होते खत्म हो जाता है, और जो उन्हें उस उम्र में इरीटेशन लगता है, वह इस उम्र में ज्यादा मिस करती है।इसीलिए कहते है कि, जवानी से ज्यादा पार्टनर की जरुरत अधेड़ और बुढ़ापे में होती है।"
फिर रात को चंद्रमुखी चौटाला आ जाती है। तरुण और ज्वालामुखी ने खाना पहले ही खा लिया था। और तरुण ने चंद्रमुखी के लिये खाना लगाया और वह भी उसके साथ बैठ कर बातें करने लगा। ज्वालामुखी एक नाइट पैंट और टी-शर्ट पहन लेती है। और खाना खाने बैठती है।
चंद्रमुखी,"कल तेजल सुबह की गाड़ी से आ जायेगी।"
तरुण,"मै जाकर ले आऊँगा, वैसे आप रात को सिर्फ यही कपड़े पहनती है, या आपने कभी नाइटी ट्राई नहीं की?"
चंद्रमुखी,"हाँ, जब जोश जिंदा था तब पहना करती, फर्स्ट नाइट पर दी थी। मै हर रोज रात को पहना करती थी।"
तरुण,"तो आज ट्राई करके देखें।"
चंद्रमुखी,"क्या कैसा लगेगा इस उम्र में?"
तरुण,"अच्छा लगेगा, करके तो देखिए।"
चंद्रमुखी,"कुछ भी!"
तरुण,"लगी शर्त? अगर आप अच्छी लगी तो मैं जो कहूंगा आपको करना पडेगा।"
चंद्रमुखी,"अगर मै जीती, तो मेरे सारे कपड़े तू धोयेगा।और यह बात हम ज्वालामुखी से कन्फर्म करेंगे, डन?"
तरुण,"डन।"
फिर चंद्रमुखी अंदर गई और एक नीले रंग की पतली नाइटी पहनकर बाहर आ गई।
और अपनी बेटी से पूछा,"ज्वालामुखी, मै कैसी लग रही हूं?"
ज्वालामुखी,"ओ! मम्मी! आप तो बिल्कुल सनी लिओनी और मीया खलीफा जैसी लग रही है।"
चंद्रमुखी,"सही सही बता!"
ज्वालामुखी," सच्ची मम्मी, आपकी कसम।"
वैसे तो जो ज्वालामुखी ने जो कहा वह बिल्कुल सच था। वह सचमुच कमाल लग रही थी। ४३ की उम्र होने के बावजूद वह ३० की लगती थी। उसने रोज कसरत करके खुद को फिट रखा था। उसके उरोज ३८ के थें, कमर २८ की और नितम्ब ३७ की। वह आम तौर पर वर्दी, या टी-शर्ट और नाइट - पैंट में होती थी, मगर यह नाइटी उसके सही नाप में थी, कमर में सही था मगर अब उम्र के साथ उसके उरोज भर गये थे, जिसकी वजह से वह उस नाइटी से बाहर आने को आतुर थे, जिस वजह से उनकी गहराई साफ दिखाई दे रही थी। वह हाल नितम्ब का भी था। अब तरुण रुम में चला गया, और उसके पीछे चंद्रमुखी भी आ गई। तब तरुण ने कहा ,"अपना वादा याद है ना?"
चंद्रमुखी,"हाँ! जल्दी बताओ, क्या है? मेरी हालत खराब हो रही है इस टाइट नाइटी की वजह से।"
तरुण,"हाँ उतार दीजिए, वैसे भी चुदवाते वक्त उतारनी ही पडेगी।"
चंद्रमुखी,"क्या? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?"
तरुण,"वैसे शर्त के मुताबिक आपको जो मै कहूंगा, वही करना पडेगा, और आप जैसी मिल्फ सामने होने पर कोई भी यही चाहेगा।"
इतना कहकर तरुण ने चंद्रमुखी की कमर में हाथ डाले और जोर से जकड़ लिया।
चंद्रमुखी ने हंसते हुये कहा,"समझ नहीं आ रहा है की तुम्हें मुझे छेड़ने के लिये पिट दू, या तुम्हारी हिम्मत के लिये तुम्हें इनाम दू।"
तरुण ने पकड़ और ते की और कहा," एक गेम खेलते है, इसमें आपको मेरी झप्पी से निकल कर दिखाना होगा, अगर आप निकल गई तो केंसल, और हार गई तो आपकी चूत के साथ आपकी गांड भी मेरी होगी, और जबतक आप नहीं छुंटती मै आपको किस करता रहूँगा।"
इतना कहकर उसने चंद्रमुखी के गाल पर किस, और दूसरा किस उसके थोड़ा नीचे, और उसके नीचे एक किस, चंद्रमुखी छूटने की कोशिश कर रही थी। जैसे जैसे वक्त बितता जा रहा था। तरुण का लिंग सक्त हो रहा था। अब तरुण उसे छह किस कर चुका था और वह उतरते उतरते चंद्रमुखी के गले तक आ गया,उसने अब गले से थोड़ा उपर किस किया। और अब वह उसके गले की चढ़ाई करने लगा, वह उसके विरोध में अपना गर्दन पीछे झुका रही थी। मगर तरुण का काम आसान हो गया, उससे चंद्रमुखी के निचले जबड़े का बाहरी हिस्सा उसके सामने था। वह उसे चूमते चूमते उसकी ठुडी तक पहुंच गया और उपर उसके होठों पर एक लंबा किस किया जिस वजह से उसके होंठ खुल गये, उसने अपनी जुबान उसके मुंह में डाल दी। अब वो दोनों एक दुसरे की जीभ से खेल रहे थे। अब चंद्रमुखी का विरोध भी कम हो गया था, अब वह पूरी तरह से अपना आत्मसमर्पण तरुण के सामने कर चुकी थी। उसका बदन अजीब तरह से पसीने से भीग गया था, तब तरुण ने उसकी नाईटी उतार दी और उसे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया। मगर, उसके सामने जो था उसे देख वह चौंक गया, असल में यह वही पैंटी थी जिससे उसने सुबह हाथ साफ किये थे। हुआ यह था की उसके हाथ से वह दवा पैंटी पर चली गई और वह पैंटी चंद्रमुखी ने पहन ली। और दिन भर उसे शारीरिक श्रम हुये जिससे पैदा हुई गरमी की वजह से वह दवाई भाप बन धीरे धीरे उसकी योनी में चली गई। और इसकी वजह से उसकी योनी गीली हो चुकी थी।
अब तरुण ने उसकी दोनों टांगे खोल दी और एक झटके से उसकी पैंटी उतार फेंकी। और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और हाथों में उसके स्तन पकड़े और उसे एक जोरदार धक्का दिया और इससे तरुण का लिंग उसकी योनी में तीन इंच तक घुस गया। असलियत में चंद्रमुखी कुंवारी नहीं थी, मगर अठारह साल से उसका पति जेल में होने की वजह से उसकी योनी तंग थी। अब वह चिल्लाने ही वाली थी की, तभी तरुण ने उसके मुंह पर मुंह रख उसे किस करने लगा और उसकी चीख वही दब गई, अब उसकी योनी ने यौवन रस की धारा बहा दी। अब तरुण को पता चल गया था की, उसे खुशी हो रही है और विरोध उसकी खुशी दिखाने का तरीका है। अब तरुण ने एक और धक्का दिया और उसका आधा लिंग चंद्रमुखी की योनी में चला गया वह, उसके गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया था। अब चंद्रमुखी के अंदर जैसे विद्युत धारा दौड़ने लगी थी, वह अब झटके खाने लगी और अपनी योनी आगे-पीछे कर तरुण का साथ देने लगी। उसके स्तनाग्र तंग हो चुके थे, तरुण उसकी गर्म सांसे महसूस कर सकता था तरुण ने उसे अपने उपर ले लिया।और उसके स्तन पकड़कर उसे अपने लिंग पर उपर नीचे किये जा रहा था।अब वह भी उसका साथ देने लगी थी, और एक बार उसकी योनी ने धारा छोड़ दी। वह उसके उपर ही गिर गयी। मगर तरुण अब तक शांत नहीं हुआ था। उसने चंद्रमुखी को बाजू में कर दिया,और पेट पर लेटा दिया। तरुण ने तेल लाया और अपने लिंग पर लगाया और चंद्रमुखी के गुदें(anus,गांड) में भी डाला, और अपना लिंग उसके गुदे पर रखा,उसके स्तनों को हाथ में पकड़कर एक धक्का दिया, जिस वजह से उसका लिंग चंद्रमुखी की योनी को चीरते हुये अंदर चला गया। वैसे तो उसका गुद्द्वार बहुत तंग था मगर तरुण ने जोश जोश में बहुत जोर लगा दिया, जिसके लिये चंद्रमुखी अभी तैयार नहीं थी। उसकी चीख निकलने ही वाली थी चंद्रमुखी ने,अपने मुंह में तकिया दबा लिया, जिससे उसकी चीख वही दब गई। अब तरुण अपना लिंग आगे पीछे कर रहा था, ऐसा उसने लगातार दो घंटे किया, इसमें चंद्रमुखी बीस बार रस्खलित हो चुकी थी, पर तरुण का अब तक नहीं निकला था। चंद्रमुखी थक कर गहरी नींद में चली गई और तरुण भी सो गया।
अगली सुबह जब तरुण उठा तो सात बज गये थे, उसके साथ चंद्रमुखी भी जाग गई। दोनों बाथरूम में गये और साथ में शॉवर लिया। और बाहर आ गये चंद्रमुखी तैयार हो कर थाने चली गई।
तरुण ज्वालामुखी के कमरे में गया वह दरवाजा लगाना भूल गई थी। उसने एक चादर ओढ रखी थी, तरुण ने चादर थोड़ी नीचे की तो उसे ज्वालामुखी का चेहरा दिखाई दिया, उसका मन अब उसके होंठ चुमने को कर रहा था, मगर उसने अपने आप पर काबू किया और चादर नीचे की, अब उसके सामने ज्वालामुखी के स्तन थे, वह बहुत मादक लग रहे थे। अब उसने पूरी चादर निकाल दी, जिसकी वजह से वह उसके सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी। अब तरुण अपना हाथ उसकी योनी पर घुमाने लगा, इससे नींद में ही ज्वालामुखी मचलने लगी।"अम् म् म् म् आहा", करके उसके मुहं से सिसकारिया निकलने लगी। उसने आखें खोली ही थी की तरुण ने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी जुबान ज्वालामुखी की जबान पर घुमाने लगा, जिससे वह और गर्म होने लगी। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये और अपनी पैंट उतारकर अपना लिंग सीधे उसकी योनी में डाल दिया। अब वह दोनों एक दुसरे को एक लय में धक्के देकर काम के रंग में रंग गये, करीब एक घंटे बाद ज्वालामुखी झड़ गई, मगर तरुण का अभी भी सक्त था। अब तरुण ने उसका उसके स्तनाग्र मसलने शुरू किये अब वह फिर से उत्तेजित होने लगी। और अब तरुण नीचे आ गया और वह उपर अब तरुण जोर जोर से अपनी उंगलियों से, उसके स्तन और स्तनाग्र मसलने लगा। और जवाब में ज्वालामुखी भी उसका साथ देने लगी, वह उसके धक्कों के साथ उछलकर उसके लिंग को अपनी योनी के अंदर ले रही थी। तरुण उसके उरोजों को दोनों हाथों से दबा रहा था। जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और बच्चेदानी के अंत तक, तरुण के लिंग के टकराव के कारण वह एक और बार झड़ गई। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने तथा स्तनाग्र चूसने शुरु कर दिये जिस वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित कर रहा हो रही थी उसके मुंह से," आ आ आहा म् म् म् " जैसी सिसकारीयां निकलने लगी अब वह एक और बार झड़ चुकी थी। ऐसा वह तीन घंटों तक करते रहे, इसमें ज्वालामुखी तीन बार झड़ चुकी थी, और अब वह थकने की वजह से सो गई। मगर तरुण अभी तक नहीं थका था और उसका लिंग भी सक्त था। उसने अपना लिंग उसकी योनी से निकाल कर उसके गुद्द्वार में डाल दिया और उसे कसकर पकड़ा और उसकी गांड मारने लगा। जिस वजह से वह दर्द से चिल्लाने लगी, मगर बहुत जल्दी ही उसकी चीख सिसकारीयों में बदलने लगी। अब वह भी मजा लेने लगी थी। और वह अगले तीन घंटों में छह बार झड़ चुकी थी, लगातार छह घंटे संभोग करने की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी। और उसका मन भी भर चुका था वह मुस्कराकर तरुण को देखने लगी।
तरुण ने पूछा,"क्या हुआ, क्यों मुस्करा रही हो?"
ज्वालामुखी प्यार से बोली,"आज पहली बार इतना एंजॉय किया, इससे पहले कभी इतना स्याटीस्फाइड नहीं हुई, और इतना चोदने के बाद भी तुम सक्त हो, तुम्हारी बीबी हमेशा खुश रहेगी।"
तरुण ने उसके स्तनों को दबाते हुये कहा,"वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही कहना है।"
ज्वालामुखी गुस्से से,"कमीने! तूने तो मेरी मम्मी के साथ...नामुमकिन! वैसे वह किसी मर्द को अपने आसपास आने भी नहीं और तेरे साथ,कैसे ?"
तरुण ने उसके स्तन को और जोर से दबाते हुये,"जब उसे पता चला की मेरी पकड़ से छुटकारा उसके लिये मुमकिन नहीं,तब..."
उसकी बात को काटते हुये,"मतलब मेरी मम्मी के साथ तुमने जबर्दस्ती की?"
तरुण,"नहीं यह सब उनकी मर्जी से हुआ असलियत में उन्हें इसी तरह के सेक्स की जरूरत थी, उन्हें फोर्सड पसंद है।"
तभी दरवाजे की घंटी बजती है।
ज्वालामुखी,"इस वक्त कौन है?"
तरुण," तुम बाथरूम जाओ, मै देखता हूं।"
ज्वालामुखी बाथरूम चली गई और तरुण ने अपना लिंग सही करके पैंट पहन ली, और जाकर दरवाजा खोला वहां तेजल थी। वह दरवाजा खोलने के लिये देर होने की वजह से वह दरवाजे का सहारा ले कर खड़ी थी। जैसे ही तरुण ने दरवाजा खोला उसका संतुलन चला गया और वह नीचे गिरने लगी, तभी तरुण ने उसका दायां हाथ पकड़ लिया और उसे गिरने से बचाया मगर उसकी साड़ी का पल्लू सरक के नीचे गिर पड़ा। तरुण ने कभी तेजल को ऐसे नहीं देखा था, और अब उसके वीर्य पात ना होने की वजह से उसे अभी भी कुछ चाहिए था। जैसे ही तेजल पल्लू उठाने के लिये नीचे झुकने लगी, तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया और ब्लाउज के उपर से ही उसके स्तन दबाने लगा। और तेजल तरुण के लिंग को उसके पैंट के अंदर से ही अपने नीतम्ब पर महसूस कर सकती थी। अब वह अपनी साड़ी के साथ साथ अपनी शर्म और हयात का परदा गिरा चुकी थी, वह अब उसका बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी। तरुण ने उसे जैसे ही उसकी पीठ पर चूमा, उसके शरीर में जैसे तेजी से बिजली की तेज धारा बह गई। वह एकदम झटके खाने लगी। तरुण अब उसे चूमते हुये नीचे आ रहा था अब वह उसकी कमर तक पहुंच चुका था। अब वह अपने मुंह से सिसकारिया निकाल रही थी। अब वह ना तो विरोध कर रही थी, ना ही साथ दे रही थी, वह सिर्फ निष्क्रिय हो कर उसकी काम वर्षा का आनंद ले रही थी, और काम वर्षा में वह भीगे जा रही थी, अब उसके अंदर भी वासना की ज्वाला उबलने लगी थी। तभी,
ज्वालामुखी ने आवाज दी,"आँटी!!",
तेजल सचेत हो गई और उसने अपना पल्लू ठीक कर लिया, और कुछ क्षणों के लिये शर्माकर तरुण को देखा और कहा," ज्वालामुखी, तुम्हारी मम्मी कहा है?"
ज्वालामुखी, "वह तो थाने गई है आँटी,कुछ काम था क्या ?"
इधर थाने में MLA आ गया था, साथ में वकील भी था।
MLA,"मैडम, हमारे छोरे से गलती हो गई है, और इतना क्यों मारा, अगर आपका छोरा होता तो?"
चंद्रमुखी, "इससे ज्यादा सुतती।"
MLA,"मैडम वैसे तो हम भी इसे सुधारना चाहते है, पर बिन माँ के बच्चे तो खराब हो ही जाते है।"
चंद्रमुखी,"हमारी एक छोटी बेटी है, अगर हमें इसकी माँ बना दो तो..."
लड़का,"नहीं! नहीं! पापा, हम कभी भी किसी भी लड़की के तरफ देखेंगे भी नहीं, पर आप ऐसा मत करें प्लीज!"
MLA,मुस्कराते हुये "वैसे, हम भी सोच रहे थे की अब इतने साल रंडवा बनकर जी लिये, और पुलिस वाली साथ रहेगी, तो हमरी सुरक्षा के लिये भी अच्छा होगा।"
लड़का,"नहीं! बापू नहीं! हम अभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे!"
MLA,"अच्छा होगा तुमरे लिये,वर्ना मैडम को तुमरी अम्मा बना देंगे।"
इतना कहकर MLA अपने बेटे के साथ उसकी बेल कराने के बाद वहाँ से चले गये।
MLA तो अपने बेटे को ले कर चला गया मगर उसके दो दोस्त, चंदू और संजू वही लॉकप में थें, चंद्रमुखी वहाँ गई।
उसे देखकर उन दोनों की तो हालत ही खराब हो गई, वह उठकर खड़े हो गये उसने उन्हें कहा,"अरे, डरो मत नहीं मारूंगी, बैठ जाओ।"
दोनों,"पक्का?"
चंद्रमुखी,"हां, पक्का!"
वह दोनो नीचे बैठ गये और चंद्रमुखी ने उनसे पूछा ,"तुम्हारे अम्मा-बाबुजी के करते हे?"
चंदू,"सब्जी बेचते हे।"
संजू ,"दिहाड़ी मजदूर है।"
चंद्रमुखी ,"और तुम यह सब, तुम्हें शरम ना आती? देखो बच्चों उस छोरे का बाप नेता है, वह कुछ ना कर पाया तो नेता जरुर बनेगा, मगर तुम दोनों को कुछ हुआ तो तुम्हारे माता पिता का के होगा सोचा है? "
अब दोनों भावुक हो जाते है।
चंद्रमुखी,"तुम पढाई पर ध्यान दो, IAS-IPS बनो तो जिन लड़कियों को तुम देखने के लिये दिन भर तडपते रहते हो, वही तुम्हारे पिछे पागल हो जायेगी।"
फिर उन्हें चंद्रमुखी ने जाने दिया, और फिर वह लड़कियाँ वापस आई, और बोली," मैडम आपने उन लड़कों को क्यों छोडा?"
चंद्रमुखी ,"अंदर कर देती तो रेपीस्ट बनकर बाहर आते, और ऐसे ही नहीं छोड़ा, पुरी खातिरदारी करके छोड़ा है। अब अगर फिर से तुम्हें तंग किया तो उन्हें अंदर कर दूंगी।"
लड़कियाँ,"थँक्यु मैडम!" कहकर चली गई और उसने सारा दिन ना किसी पर गुस्सा किया ना हाथ उठाया।
शाम को हवलदार गुलगूले आया और मिठाई देकर बोला,"मैडम, आझादि मुबारक हो !"
चंद्रमुखी,"कौनसा कैलेंडर लगा रखा है तूने, मैं के महीने में आझादि कि मुबारक दे रहा है?"
गुलगूले,"मैडम, वह देश की आझादि की नहीं बल्कि आपकी आझादि की मुबारक है।"
चंद्रमुखी,"हमें किसने कैद करके रखा था?"
गुलगूले,"आपके गुस्से ने मैडम! आज आपने बिल्कुल गुस्सा नहीं किया।"
चंद्रमुखी, " थँक्यु!"इतना कहकर घर निकल गई।और थोड़ी देर बाद घर पहुंच गई। वहां तेजल अपने साथ तरुण को भी घर ले गई। यहां ज्वालामुखी घर आ गयी, जब उसने ज्वालामुखी को पूछा तो पता चला की, तरुण घर चला गया। फिर वह बैठकर तरुण के साथ बीते हुये पल याद करने लगी, फिर उसके मन में दुविधा हो रही थी अपनी बेटी को कैसे बताये, मगर उसे यह पता नहीं था कि इस मामले में उसकी बेटी, सब जानती है और उससे काफी आगे बढ चुकी है। उसे अब यह पता चल गया था की, उसके गुस्से का कारण बहुत सालों से उसके अंदर दबी कामवासना थी, जो तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से शांत हुई थी। अशांत कामवासना ही गुस्से का कारण होती है, जिस वजह से उसका गुस्सा भी खत्म हो चुका था।
तरुण का घर असलियत में उनके पडोस में ही था, तरुण तेजल की तरफ अजीब नजरों से देख रहा था। तेजल को लंबे सफर से बहुत थकान आ रही थी, और उपर से मै का महीना होने की वजह से वह पसीने से लतपत हो गई थी। वह सोफे पर आकर बैठ गई, और तरुण ने पंखा चालू कर दिया, मगर पंखा भी गर्म हवा फेंक रहा था। तेजल ने अपनी गर्दन सोफे पर डालकर वहीं लेट गई।एकतर्फा लेटने की वजह से उसका पल्लू ब्लाउज से नीचे सरक गया और उसके स्तनों की गहराई दिखाने लगी थी। तब तरुण को क्या शरारत सूझी पता नहीं? उसने दरवाजा बंद कर दिया, रसोई में जाकर एक कटोरी में फ्रिज से बर्फ के टुकड़े निकाल लिये। और उन्हें बैठक में ले आया। और तेजल की चिकनी पतली कमर पर बर्फ का एक टुकड़ा रखा और घुमाने लगा। इसकी वजह से तेजल को अब गर्मी में राहत मिलने लगी, उसके मुंह से सिसकारिया निकलने लगी। अब तरुण उस टुकड़े को तेजल की कमर पर घुमाकर उसकी नाभि तक ले आया, अब तेजल को राहत का एहसास हो रहा था। लेकिन उसकी आंखें खुल गई अब वह, तरुण के द्वारा होनेवाली बर्फ मालिश का आनंद ले रही थी। उसका सारा बदन जैसे चमक रहा था।
वह बोली,"तरुण, जरा दाई तरफ और ऐसा कहकर उसने अपना पल्लू पूरी तरह से हटा दिया और पीठ के बल लेट गई । अब उसके उरोज भी गर्मी में मिलती राहत भरी ठंड की वजह से फुल रहे थे, और उसके ब्लाउज को फाड़कर बाहर
आने के लिये जैसे बेताब हो रहे थे। और इसी वजह से तरुण का लिंग भी खड़ा होकर पैंट में तम्बू बना रहा था। जब तेजल की नजर उसपर पड़ी तो, उसके काबू से बाहर होकर मन उसका उत्तेजित होने लगा था। अब वह सोफे से उठकर खड़ी हो गई और तरुण को पीठ पर करने को कहा तरुण ने दोनों हाथों में एक एक टुकड़ा लेकर एक उसकी पीठ के निचले हिस्से पर और एक उसकी पीठ उपरी हिस्से पर घुमाने लगा उसकी कमर तो खुली थी, मगर उसकी पीठ का उपरी हिस्सा जो ब्लाउज से ढका हुआ था, तरुण उसमें हाथ डालकर बर्फ घुमाने लगा जिस वजह से तेजल स्तनों पर बहुत ज्यादा दबाव महसूस कर रहा थी। उसने आगे लगे हुक खोलकर ब्लाउज उतार दिया। जब उसने ब्लाउज उतारने के लिये हाथ उपर किये तभी तरुण ने तेजी दिखाकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसकी ब्रा भी उतार दी अब वह तरुण के सामने उपर से नग्न थी। और तरुण ने उसके गुलाबी स्तनाग्र उपर से ही चूसने शुरू कर दिये, पहले
तरुण ने उसके दायें स्तनाग्र को चूसना शुरू किया और उसके बायें स्तन को दबाने लगा। उसकी वासना अब बढ़ने लगी थी। उसने फिर तेजल की साड़ी पूरी तरह से उतार दी। और लेहेंगे का नाडा खींच लिया, जिस वजह से वह लेहेंगा नीचे सरक गया और तेजल की गुलाबी पैंटी में ढकी योनी तरुण के सामने आ गई।अब तरुण ने तेजल पर चुम्बनों की वर्षा शुरू कर दी, अब वह स्तनाग्रों से चूमते चूमते उसके स्तनों की बीच की गहराई में चूमने लगा जिससे तेजल उसका सर अपने स्तनों पर दबाने लगी और तरुण अब उसके पेट पर चूमने लगा, और फीर वहाँ से होते हुये उसकी नाभि की और बढ़कर उसकी नाभि पर दस बारा चुम्बन दे दिये इससे चूम्बन दे दिये। उससे तेजल और ज्यादा उत्तेजित होने लगी और मुंह से,"म् म् आहा!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तरुण ने अपने हाथों को तेजल की कमर पर रखे और उसकी कमर से धीरे धीरे नीचे ले जाकर तेजल की पैंटी उतार दी। अब तेजल की गुलाबी योनी तरुण के सामने थी, वह रोजाना कसरत करने की वजह से बहुत ही कसी हुई थी। अब तरुण तेजल की नाभि पर से चूमते हुये धीरे धीरे तेजल की योनी तक आया, और उसकी योनी पर एक लंबा चुम्बन दिया जीस वजह से उसके अंदर की काममुकता विस्फोट होकर बाहर आ गई।उसकी योनी से पानी बहने लगा, तरुण ने वह खट्टा और थोड़ा नमकीन पानी पी लिया और उसकी योनी पर अपनी जुबान घुमाकर आसपास लगे पानी का स्वाद लेने लगा, उसने योनी का सारा ऊपरी चाट चाट कर साफ कर दिया। अब तरुण ने अपनी जुबान तेजल की योनी में डालकर उसकी योनी के अंदर का स्वाद लेने लगा, अंदर जुबान डालते ही तेजल फिर से उत्तेजित होकर तरुण के सिर को अपनी योनी में दबाने लगी थोड़ी ही देर में वह झड़ गई और उसका सारा रस तरुण की जबान से होते हुये उसके मुंह में चला गया और वह उसे पुरा पी गया जिससे उसे फिर से फुर्ती आ गई। अब तरुण ने तेजल को वही, फर्श पर लेटा दिया,अपनी पैंट और नीकर उतार दी और उसका ४ इंच मोटा और १६ इंच लंबा लिंग तेजल के सामने आ गया वह, उसे अपने हाथ में लेकर उसपर अपनी जबान घुमाने लगी, और उसे अपने मुंह में लेने लगी। मगर वह उसे एक दो इंच से ज्यादा अंदर नहीं ले पा रही थी, तब तरुण उसका सर पकड़कर उसके मुंह में अपना लिंग डालने लगा मगर इससे तरुण को कुछ भी नहीं हुआ, मगर तेजल की सांस रुकने लगी। तरुण ने उसे छोड़ दिया, तब तेजल उससे अलग हो गई और हाँफने लगी। और फिर सांस स्थिर होने के बाद वह तरुण के लिंग को अपने स्तनों में दबाकर उपर नीचे करने लगी, थोड़ी देर बाद उसने अपनी रफ्तार बढाने लगी, उसे लगा तरुण झड़ जायेगा मगर तरुण की जगह उसका पानी निकल गया। अब वह बहुत थक चुकी थी, और उठकर बेड-रूम में चली गई।और वैसी ही नग्न अवस्था में पलंग पर जाकर लेट गई। मगर वह सो जाये उसके पहले तरुण ने अपना लिंग तेजल की योनी पर रखा और एक झटके में वह उसकी योनी में डाल दिया तेजल दर्द के मारें चीखने ही वाली थी की तरुण ने उसके मुंह में अपना मुंह डालकर उसे किस कर दिया, जिस वजह से तेजल की चीख उसके मुंह में ही दब गई,तेजल अब तक कुंवारी थी, इस वजह से उसकी योनी से खून निकलने लगा तरुण ने लिंग थोड़ा पीछे किया और एक धक्का और दिया, जिससे तेजल एक और बार चीखी मगर उसकी यह चीख वही दब गई। अब तरुण धीरे धीरे उसकी योनी में लगातार धक्के लगाकर अपना लिंग उसकी योनी की गहराई में ले जा रहा था, और जैसे जैसे वह अंदर जा रहा था वैसे वैसे तेजल का दर्द उत्तेजना के साथ बढ़ता जा रहा था। तरुण आखिरकार तेजल के गर्भाशय के अंतिम छोर तक पहुंच गया, तब तेजल इतने जोश में आ गई की उसने तरुण को लेटा दिया और खुद उसके उपर आकर उसके लिंग को अपनी योनी में लेने की कोशिश करने लगी, मगर उसकी योनी इतनी गहरी नहीं थी की तरुण के इतने बडे लिंग को अंदर ले सके, और उपर से तरुण का लिंग इतना कठोर जैसे Titanium का बना हो, वह बार बार उसके गर्भाशय में चूभ रहा था । अब तरुण बडे ही जोश में था उसने नीचे से धक्के देने शुरू कर दिये थे। तेजल बहुत कोशिश कर रही थी की, तरुण झड़ जाये, मगर तरुण भी लंबी दौड़ का घोड़ा था। उसका वीर्य पात कराने के लिये तो अरब खरब युगों का संभोग आवश्यक था। यह भी उसे ब्रह्मराक्षस के वरदान का एक हिस्सा था। अब तेजल को थकान के मारे ग्लानि आ गई और वह वही तरुण के बगल में लेट गई और सो गई। तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
वह दोनों रात को उठे उन्होंने नग्न अवस्था में, तेजल ने तरुण की जंघा पर बैठकर खाना खाया, और वापस बेड रूम में आकर एक दुसरे से चुम्बक की तरह चिपक कर सो गये।
चंद्र मुखी के अत्यधिक गुस्से का कारण था उसके अंदर छुपी कामवासना जो पति के जेल में होने के कारण निकाल नही पा रहा था। परन्तु एक रात में ही तरुण ने चंदमुखी की कामवासना को तृप्त कर दिया और उसकी गुस्से को कम कर दिया।

Mla के बेटे की थाने में इतनी पिटाई हुआ की विचार डर गया कहीं चंद्रमुखी उसकी मां बनाकर आ गई तो उसका हाल बाद से बत्तर कर देगी यहां पर जी किस्सा हुआ हसी के साथ सबक दे गया।

खैर बहुत अच्छे अपडेट था
 

Top