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जैसे की कोमल ने बिना जाने भुजे तरुण से शर्त लगा बैठी कोमल तरुण को बीते दोनों वाला लालू समझ रहा था शायद इसीलिए शर्त लगा बैठी पर रिजल्ट सामने आते ही कोमल का चहरा उतार गया।UPDATE 3
अगली सुबह तरुण की नींद खुल गई, सुबह के सात बजे थे। तरुण ने उठकर देखा तो तेजल उसके बगल में नहीं थी। वह उठकर शौचालय चला गया, हल्का होकर बाहर निकला और हाथ धोकर और ब्रश करके रसोई में गया वहां तेजल पहले से ही तैयार होकर खाना बना रही थी। वह उस दिन कुछ अलग लग रही थी। उसने एक बेकलेस स्लिव लेस डीप थ्रोट का नीला ब्लाउज पहन रखा था, उसपर उसने नीले रंग का लेहेंगा नाभि से नीचे और एक नीले रंग की पतली पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। इसमें उसकी कमर के घुमाव बडे ही आकर्षक लग रहे थे।
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तरुण ने पीछे से जाकर उसे कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, तेजल शर्माकर लाल हो गई और बोली,"छोड़ो ना! ये क्या कर रहे हो?"
तरुण, "कल रात को जो हुआ उसके मुकाबले तो यह कुछ भी नहीं है।"
तेजल फिर से तरुण के लिंग तथा उसके अंदर जानेवाले एहसास की कल्पना करने लगी तरुण ने उसके नितम्ब पर एक फटकार चलाकर उसे होश में लाया। वह अब सिर्फ तरुण को मुस्कराकर देख रही थी। तब तरुण की जे ई ई की मेन्स परीक्षा थी। थोड़ी देर बाद तरुण को लेने राज और कोमल आ गये। कोमल गाड़ी चला रही थी, क्योंकि तरुण और राज के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तरुण अपने साथ ज्वालामुखी को भी ले आया था ताकि वह चारों एक साथ जा सके महाविद्यालय एक होने के कारण सभी का नंबर एक ही केन्द्र पर आया था। वह किसकी कितनी पढाई हुई है इसपर बातें कर रहे थे तब,
कोमल ने कहा," तुम्हारी कितनी पढाई हुई है? मेरी सारी हो चुकी है।"
राज,"कुछ खास नहीं, सो सो "
ज्वालामुखी,"मेरी इतनी हुई है की 40% तक मिल सकते है।"
तरुण," मेरी सारी हो चुकी है।"
कोमल," ऐसा क्या ?"
तरुण ," हाँ ।"
कोमल,"कुछ भी मत फेंक?"
तरुण ,"फेंक नहीं रहा हुं, सच में हुई है।"
कोमल," तो फिर लगी शर्त, अगर मुझे ज्यादा मिले तो तुम दस दिनों के लिये मेरे गुलाम।"
तरुण ,"अगर, मुझे ज्यादा मिले तो?"
कोमल,"तो दस दिनों के लिये, मैं तुम्हारी गुलाम,जो तुम कहोगे मै करूंगी, कुछ भी!"
तरुण ,"डन!"
कोमल,"डन!"
वह जल्दी ही वहां पहुंच गये। इस बार परीक्षा अॉनलाईन थी, जिस वजह से पेपर खत्म होते ही रिजल्ट आ गया सब आकर अपना अपना रिजल्ट दिखाने लगे।
राज,"मुझे 80/360 मिले है।"
ज्वालामुखी ," मुझे 83/360 मिले है।"
कोमल,"मुझे 120/360 मिले है, तुम्हें कितने मिले तरुण?"
तरुण,"खुद देख लो।"
तरुण के गुण देखकर सबके होश उड़ गये, उसे सीधे 360/360 मिले थे। तरुण ने कहा,"अपनी शर्त तो याद है ना कोमल तुम्हें?"
तरुण से यह सुनकर कोमल डर गई और कांपती हुई बोली ,"क्या करना होगा अब?"
तरुण,"घर जाते जाते बता दूंगा।"
वह सब अब गाड़ी में बैठ गये, ज्वालामुखी और राज पीछे बैठ गये, तरुण कोमल के साथ आगे बैठ गया, कोमल ने गाड़ी शुरू की, और थोड़ी देर बाद सब तरुण के घर पहुंच गये और तरुण के और ज्वालामुखी के घर पहुंच गये। ज्वालामुखी अपने घर चली गई और चंद्रमुखी ने तरुण को कहा की तेजल कुछ दस ग्यारह दिनों के लिये गांव चली गई है ,और अगर वह चाहे तो रात को उनके घर सो सकता है। इतना कहकर चंद्रमुखी ज्वालामुखी को साथ लेकर चली गई।
तभी राज ने कहा, "चलो कोमल, अब हम भी घर चले।"
तरुण ने कोमल का हाथ पकड़ लिया, और कहा,"तुम जाओ राज, कोमल मेरे साथ रहेगी अगले दस दिनों तक मेरी गुलाम बनकर।"
राज हंसते हुये बोला," क्यों मजाक कर रहा है यार? आने दे उसे।"
तरुण ने कोमल को जोर से अपने नजदीक खींचकर अपना हाथ उसकी कमर में कसकर कहा,"मजाक नहीं कर रहा हूं, इसने शर्त लगाई थी और हार गई।"
तब राज सोचकर बोला,"देख तरुण, मेरे पास लायसन्स नहीं है, कोमल को मेरे साथ आना ही होगा।"
तरुण बोला,"चलो फिर मै भी आता हूं मगर तेरे घर जाने के बाद इसे मेरे साथ मेरे घर आना होगा।"
तब तीनों गाड़ी में बैठकर राज के घर चले गये, राज के घर पहुंचने के बाद सब गाड़ी से उतर गये। राज का घर एक बंगलौ था उसमें एक रसोईघर, पांच कमरे, एक बैठक, और एक गेस्ट रूम था।
वो तीनों दरवाजे पर गये और घंटी बजाई थोड़ी देर बाद राज की माँ सरिता शर्मा ने दरवाजा खोला,
सरिता शर्मा राज शर्मा की माँ थी।
उसका कध पांच फुट चार इंच का था।
उसका सीना ३६
कमर ३०
और नितम्ब ३६
पेट उम्र की वजह से थोड़ा आगे था मगर उसका गोरा रंग उसके रुप को संगमरमर की मूर्ति की तरह दर्शाता था
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सरिता ने सबको अंदर बुलाया, और बैठने को कहा। सब बैठ गये और सरिता टीवी चालू करके रसोई में चली गई। तब कोमल राज से कहने लगी," राज कुछ करो इसका!"
राज," तुम चिंता मत करो, मै कुछ करता हुं।"
तभी सरिता राज को अंदर से आवाज लगाती है,"बेटा राज, जरा यहां आना।"
तभी राज उठकर रसोई में चला जाता है। और अब तरुण और कोमल बैठक में अकेले थे। अब तरुण धीरे से कोमल की और खिसक कर उसके करीब आता है। और कोमल उससे दूर खिसकती है, इससे वह सोफे के हाथ के पास आ जाती है। अब वह ज्यादा दूर नहीं सरक सकती थी। इससे तरुण का काम आसान हो गया अब वह सरक कर कोमल के करीब आकर उससे सटकर बैठ जाता है। अब कोमल चैनल बदलती है, मगर तब कोई सी ग्रेड भोजपुरी फिल्म लगी हुई थी। टीवी पर एक काम उत्तेजित दृश्य शुरू होता है, वहां उसमें नायक नायिका के कपड़े उतार रहा होता है। कोमल को फिल्मों में बहुत ज्यादा रस था, और अक्सर ऐसे दृश्य उसे ज्यादा उत्तेजित करते थे, उसकी कामवासना उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। तरुण को पता चल गया क्या करना है, वह अपना हाथ उसके पीछे सोफे पर रखता है।और धीरे से कोमल के सूट की पिछली चैन खोल देता है, और वह उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर उसे सहलाता है। वह अब थोड़ी थोड़ी उत्तेजित होने लगती है। और तरुण की और देखती है। तरुण उसे वही जकड़ कर उसे चूमने लगता है। और वह उसका विरोध करती है मगर वह उसकी पकड़ के सामने कुछ भी नहीं था। अब उसका विरोध कम हो जाता है और तब तरुण उसके ब्रा का हुक खोल कर, उसके सूट नीचे कर उसके स्तन चूसने लगता है, अब वह उत्तेजित होने लगती है और विरोध छोड़ उसका साथ देने लगती है। तभी राज अंदर से तरुण को आवाज लगाता है, और तब दोनों रुक जाते है। और अपनी काम क्रीड़ा से बाहर आकर अपने कपड़े ठीक करते है।तरुण कोमल के सूट की झिप बंद कर, ब्रा उसके पर्स में छुपा देता है। और तरुण राज के पास चला जाता है। वहां राज तरुण को नल ठीक करने में सरिता की मदद करने कहता है, और कोमल के पास चला जाता है। वहां कोमल राज को लेकर अपने घर चली जाती है। और यहाँ तरुण एक झटके में ही तरुण बंद नल खोल देता है, जिस वजह से पानी की एक तेज धारा निकलकर सरिता पर उड़ती है और उसके सारे कपड़े भीग जाते है। सरिता अपना बदन सुखाने और अपने कपड़े बदलने अपने कमरे में चली जाती है। यहां पानी का दबाव कम हो जाता है क्योंकि मेन नल बंद था और यह सारा पानी पाईप में से ही आया था, तरुण ने जल्दी से नल बदल दिया और सरिता को बुलाने उसके कमरे की और चला गया वहाँ उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। तरुण सीधे अंदर चला गया वहाँ सरिता अपने कपड़े बदल रही थी, उसने अपनी साड़ी उतार के रखी थी और उसके ब्लाउज का पीछे वाला नाडा भी खुला हुआ था।
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सरिता को ऐसे देख तरुण का लिंग फिर से खडा हो गया और उसका अंदर ही तम्बू बन गया।तरुण ने अब सरिता को पीछे से पकड़ लिया, और उसे किस गर्दन पर करने लगा। फिर वह सरिता की कमर से हाथ उसके ब्लाउज के अंदर ले जाता है। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,इसलिए उसका हाथ सीधे उसके खुले स्तनों को स्पर्श करता है। वह थोड़ी गुस्से में तरुण से कहती है," तरुण छोड़! छोड़ ना!"
तभी उसका बड़ा लिंग और बड़ा होकर खड़ा हो जाता है तरुण ने अंदर ढीला कच्छा और उसके उपर एक पायजामा पहना होता है। जिस वजह से उसका लिंग आसानी से ज्यादा उपर आ जाता है,और सरिता की जंघा को पीछे से छूने लगता है। सरिता अब उसे अपनी जंघा पर महसूस करने लगी है, और तरुण का हाथ पकड़ कर उसे दबाने लगती है। सरिता यहा तरुण के लिंग के आकार का जायजा लगती है, तरुण का लिंग उसे काफी बड़ा लगता है। अब बडे लिंग का स्पर्श और तरुण के उसके स्तनाग्र पर मसलने की वजह से अब सरिता के मन में भी लड्डू फूटने लगे थे। अब वह उसका साथ तो नहीं दे रही थी मगर उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। असलियत में उसे भी कई दिनों से संभोग की इच्छा थी मगर उसके पति गिरधारी सिरीया में नौकरी करते थे, और साल में एक बार घर आते थे। और इस बार युद्ध जन्य परिस्थितियों के कारण वह तीन साल से, वही फस गये थे। जिस वजह से उसके मन में कामवासना की ज्वाला दबी हुई थी, आज उसका विस्फोट हो रहा था।
अब तरुण तेजी से अपना लिंग सरिता के नितम्ब पर घुमा रहा था, और स्तन पर मालिश भी तेज कर दी थी। सरिता कहने सिसकते हुये लगी,"तरुण अच्छा लग रहा है, करते रहो! करते रहो!"
तरुण ने अपने हाथ, जो ब्लाउज के अंदर थे तरुण ने उपर कर लिये जिस वजह से सरिता का ब्लाउज अब उतर गया। अब वह उपर से बिल्कुल नग्न थी, तरुण ने अब उसे अपनी और मोड़कर उसकी आंखों में देखा, उसके आंखों में थोड़ी सी शरारत थोड़ी सी शर्म थी, जिसके कारण उसकी आंखें नीचे जा रही थी। आंखें नीचे जाने की वजह से सरिता की नजर तरुण की पैंट पर पड़ी, वहां उसके लिंग ने बडा सा तम्बू बनाया हुआ था। पैंट पर पडे उभार को देखकर सरिता की आंखों खुली की खुली रह गई, वह लगातार तरुण के लिंग के उभार को देखती रही। उसके जो हाथ उसके स्तनों पर रखे हुये थे, वह अपने आप हटने लगे थे। सरिता अब तरुण के नजदीक आयी और वह थोड़ा सा नीचे झुककर अपने दोनों हाथों से तरुण के लिंग की लंबाई और और मोटाई का जायजा उसकी पैंट के उपर से ही लेने लगी। तरुण ने मौके का फायदा उठाकर सरिता के लेहंगे का नाडा खोल दिया, जिस वजह से सरिता का लेहंगा नीचे उतर गया और उसने अपने हाथ फिर से तरुण की पैंट से हटाकर अपनी योनी पर रखकर योनी ढक ली, और फिर एक बार शर्माकर आँखें बंद कर ली। तरुण ने अपने हाथों पर तेल लगाकर सरिता के स्तनों पर मालिश करने लगा। सरिता भी धीरे धीरे पीछे हटने लगी और तरुण उसकी तरफ और आगे बढ़ने लगा, आखिर में वह पलंग पर पीठ के बल लेट गई और तरुण उसके उपर आ गया, और अपने पैरों के बीच सरिता के पैर लेकर अच्छे से तेल लगाकर उसके स्तनों की मालिश कर रहा था, और अब तो उसने मालिश का जोर बढ़ा दिया था। जिससे सरिता अब संभोग के लिये बेताब थी उसने अपनी पैंटी को खुद नीचे कर दिया और अपनी टांगे फैलाने लगी, तरुण ने इशारा समझकर उसकी पैंटी उतार दी और अपनी पैंट और नीकर उतारकर सरिता के पैर खोल दिये, जिससे उसके सामने अब सरिता की योनी और गुद्द्वार आ गया। उसने अब अपने लिंग पर तेल लगाकर सरिता की योनी में डाल दिया सरिता चीखकर बोली,"कमीने! इतना बड़ा और इतना तेज डाल दिया राज के पापा का तो आधा भी नहीं है।"
तरुण बोला," मजा आया की नहीं?"
सरिता ,"पूरी चूत फट गई और..."
सरिता कुछ आगे बोलती इसके पहले तरुण ने सरिता के मुंह में अपना मुंह डालकर उसकी जबान पे अपनी जबान घुमाने लगा। और उसने स्तन की मालिश जारी रखी, और धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब सरिता को भी मजा आने लगा था, वह भी पूरी तरह तरुण का साथ दे रही थी। तरुण ने सरिता को अपने उपर ले लिया, सरिता अब जोश में आकार उछल उछलकर कर तरुण का लिंग अंदर बाहर ले रही थी, तरुण भी उसे नीचे से धक्के दिये जा रहा था। तरुण ने उसके स्तनाग्रों को मसला, और सरिता और उपर चली गई जिसकी वजह से नीचे आते वक्त लिंग और गहराई में चला गया और गर्भाशय के अंत तक चला गया,उसने राज के पिता गिरधारी का भी इतना अंदर नहीं लिया था, वह जोरों से चीखकर बोली,"हाय! मर गई! तरुण धीरे करो! बहुत मोटा है तुम्हारा...आ! आ!ई! ई!!!"
तरुण बोला,"आंटी, अभी तो आधा भी नहीं गया, अभी तो आपको मेरा पूरे दस इंच अंदर लेना है।"
सरिता घबराकर बोली,"नहीं!! इतना और अब तो आधा इंच भी ना जाये!!"
सरिता का इतना कहते ही पानी छूट गया और वह वही लेट गई, और मुस्कराकर तरुण से कहा," वाह! आज तो जैसे मजा ही आ गया।"
तरुण ने उनकी कमर पर हाथ रखकर कहा,"ऐसा है तो, और एक राउंड ले?"
सरिता बोली," नहीं बाबा नहीं! एक में ही हालत खराब हो गई,अब और नहीं।"
तरुण बोला,"वैसे अंकल के साथ कितनी देर करती है आप?"
सरिता बोली,"जवानी में एक दो घंटे आराम से चलता था,मगर अब वह आधा घंटा भी कर दे तो बहुत है।"
तरुण अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर, सरिता के नितम्ब पर ले जाकर दबाने लगता है।
सरिता कहती है,"वह भी साल में एक बार आते है, और अब पंद्रह मिनट में उनका निकल जाता है,और अगर बाहर कुछ किया, तो समाज थुंकेगा।"
तरुण पूछता है,"राज के साथ नहीं किया कभी?"
सरिता चौंककर बोली,"राज! मगर कैसे? वह तो बेटा है मेरा।"
तरुण सरिता के नितम्ब को सहलाकर बोला,"वैसे, मै भी आपके बेटे की उम्र का हुं, मेरे साथ किया तो उसके साथ करने में क्या हर्ज है?"
सरिता बोली,"कैसे पूछु उसे? क्या वह मानेगा?"
तरुण बोला,"जितनी जरुरत आपको है,उतनी उसे भी है। कोमल के साथ वह ट्राय कर रहा है, मगर उसने उसे जरा भी नहीं दिया।"
कोमल का नाम सुनते ही सरिता के होश उड़ गये,वह बोली,"कोण कोमल, जो सुबह आयी थी वह?"
तरुण,"हाँ वही, क्यों क्या हुआ?"
सरिता बोली,"अरे! यह वही लड़की है जिसने मेरे बड़े बेटे सतीश की जिंदगी बरबाद कर दी थी, उसपर झूठा इजांम लगाकर।"
तरुण उन्हें बोला,"राज तो अब उसके साथ अकेला है, हमें उसे अभी बुलाना चाहिए।"
ऐसा कहते हुये तरुण ने राज को फोन लगाया, राज तब कोमल के घर पहुंच चुका था, कोमल गाड़ी से उतरी, और तरुण को अंदर आने के लिये कहकर घर के अंदर चली गई। राज गाड़ी से उतरा ही था की उसे तरुण का फोन आ गया उसने तरुण से पूछा,"क्या बे? क्यों फोन किया?"
तरुण बोला,"तुझे कुछ दिखाना है, व्हीडीऔ कॉल अॉन कर।"
जैसे राज ने व्हीडीओ कॉल चला कर देखा उसके तो होश उड़ गये,उसकी अपनी माँ उसके दोस्त के साथ संभोग कर रही है, वह बोला,"रुक तुझे तो छोडूंगा नहीं।"
इतना कहकर वह गाड़ी लेकर अपने घर आ गया वह इतनी तेजी से आया की, वह पौना घंटे में वहां पहुंच गया। और गुस्से में वह घर के अंदर चला गया, और सरिता के बेड रूम का दरवाजा खटखटाने लगा और चिल्लाने लगा,"मम्मी दरवाजा खोलिये, वह नहीं बचेगा मेरे हाथ से।", जैसे ही सरिता ने दरवाजा खोला राज कमरे के अंदर आ गया। उसने खिड़की, बालकनी, सब छान मारा, मगर तरुण उसे नहीं मिला, तभी उसे घर के बाहर से गाड़ी शूरू होने की आवाज आई, उसने बाहर जाकर देखा तो, तरुण उसकी गाड़ी ले कर भाग गया राज ने भी थोड़ी देर उसका पीछा किया मगर वह उसे पकड़ नहीं पाया, सरिता भी उसके पीछे भागी।असल में तरुण ने संभोग करने के बाद गाड़ी की दूसरी चाबी लेकर नीचे छिपकर, राज की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे राज अंदर गया, तरुण उसकी गाड़ी लेकर भाग गया।
यहाँ राज और उसके पीछे सरिता बाहर आ गयी । वो दोनों घर की तरफ जाने लगे तभी बरसात शूरू हो गई। दोनों घर की तरफ भागने लगे तभी, और घर दूर होने की वजह से और आसपास खुला मैदान होने की वजह से सरिता और राज पूरी तरह से भीग गयें। सरिता ने सिर्फ एक गाउंड पहना हुआ था, जो की सिर्फ उसकी जाँघ तक आता था, उसमें बाहे नहीं थी, गला इतना गहरा था की स्तनों के बीच की गहराई आराम से दिखाई दे रही थी, पीछे से इतना की पीठ से कमर तक का हिस्सा दिखाई दे रहा था।
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अपनी माँ को पहले अपने दोस्त के साथ पूरी तरह से नग्न, और अब इतने काम उत्तेजक कपड़ों में वो भी भीगी हुई देखकर राज के मन में खयाल आया की ,"इधर ही शुरू हो जाऊँ!"
वह सरिता को ताड रहा था, तभी उसका लिंग उसके पैंट में ही तम्बू बना लिया था। जब दोनों भागते हुये घर तक पहुंचे, तब सरिता की नजर राज की पैंट पर आये उस उभार पर पड़ी, जिसे देख वह हंसने लगी और जैसे ही राज ने वह जाना, उसने शर्माकर अपनी नजर घुमाकर दरवाजे का ताला खोल लिया। और वह दोनों अंदर चले गये। सरिता अपने कमरे में चली गई, और राज अपने कमरे में चला गया दोनों कपड़े बदलने लगे। सरिता ने कपड़े उतारकर अपने धड़ पर टॉवेल लपेटकर अपने बालों पर भी एक टॉवेल लपेट लिया।
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उसके बाद उसने तरुण को फोन लगाया और पूछा,"तरुण, वह तो अभी से इतना एक्साइटेड है, लगातार मुझे घुरे जा रहा था, और उसका खडा भी हो गया।"
तरुण ने गाड़ी सड़क के किनारे लगाकर फोन को स्टैंड पे रखकर बात की:-
तरुण ने कहां,"यह तो होना ही था, क्योंकि उस कोमल ने उसे बहुत सारा व्हायग्रा जुस में मिलाकर, पिलाया है।"
सरिता ने कहा,"तभी! बार बार मुझे इतनी हवस भरी नजरों से मुझे देख रहा था मुझे, अब क्या करूं में?"
सरिता ने घबराकर कहा,"अब उसे कैसे कंट्रोल करूंगी में उसे!"
तरुण ने कहा,"राज को शायद पूरी बोतल दि गई है, अगर आप उसका साथ नहीं दे सकती तो उसका विरोध भी मत करना, नहीं तो वह ज्यादा ॲग्रेसीव्ह हो जायेगा।"
तब सरिता ने पूछा,"मेरे पास तो कंडोम ही नहीं है, अगर वह मुझमें झड़ गया और में प्रेग्नंट हो गई तो?"
तरुण ने कहा आप,"आप ड्रावर चेक कीजिए जरा।", इतना कहकर तरुण ने अपना कमाल दिखाया, दिव्य आईने में हाथ डालकर एक मेडिकल से निरोध का डिब्बा निकाला और आयने को सरिता के कमरे का ड्रावर दिखाने को कहा, जैसे ही आयने में तरुण को वह दिखा उसने दो चार निरोध उसके अंदर डाल दिये। आयने की शक्ति ने उन्हें सही जगा प्रकट कर दिया, वह सरिता को ड्रावर में मिल गई।
सरिता ने देखकर कहा,"यह यहां कहां से आये?"
तरुण ने कहा,"मैने रखे थे।"
सरिता ने कहा,"मगर, यह तो लेडीज कंडोम है?"
तरुण ने कहा," शायद राज के आपके सामने आने पर तो आपको वक्त ही ना मिले, वह आते ही शुरु हो जाये।"
तब सरिता ने वह निरोध अपनी योनी में पहन लिया।
तभी सरिता को दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है। वह फोन काटकर दरवाजा खोलती है, तो देखकर चौंक जाती है। राज उसके सामने सिर्फ एक टॉवेल में खडा था, और वह खुद भी टॉवेल में थी, सरिता के स्तन आधे टॉवेल के बाहर थे, उसके स्तनों की गहराई साफ दिखाई दे रही थी। सरिता को ऐसे देख राज का लिंग खड़ा हो गया और रूमाल में तम्बू बनाने लगा। सरिता ने राज के टॉवेल में बने उस तम्बू को देखा और वह चौंक गई। सरिता कुछ समझ पाती, इससे पहले राज ने उसका
टॉवेल खींचकर उसे पूरी तरह से नग्न कर दिया। सरिता ने अपने स्तनों पर हाथ रखकर उन्हें ढकने की कोशिश की, मगर वह सिर्फ स्तनाग्रों को ढक पा रही थी, उसके तरबूज जैसे स्तनों की गोलाई दिखाई दे रही थी। राज ने उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और उसके पैर खोलकर अपना लिंग उसकी योनी में डाल दिया, और तेजी से आगे पीछे धक्का लगाने लगा, सरिता ना विरोध कर रही थी ना ही उसका साथ दे रही थी। वह सिर्फ जो राज कर रहा था उसे करने दे रही थी। राज ने अपने धक्के तेज कर दिये, वह धक्कों की रफ्तार बढ़ाता ही जा रहा था। उसके उन तेज धक्कों की वजह से, सरिता के पुरे बदन में अच्छी तरह से कंपन उत्पन्न हो रहे थे। उन कंपनों के साथ सरिता के स्तन भी झटके खा रहे थे वह बड़े ही मादक अंदाज में उपर नीचे हो रहे थे। अपने शरीर में आ रहे झटके संभालने के लिए सरिता ने अपने हाथ हटाकर जैसे ही सरिता ने बेड की चादर पकड़ी, राज ने सरिता के दायें स्तनाग्र को अपने मुंह के अंदर ले लिया, और बायें स्तन को कभी दबा रहा था, और उसके स्तनाग्र को अपनी उंगलियों से मसला, जिसकी वजह से सरिता की चीख निकल गई," हाय! मर गई मे!"
उसके चीखने की वजह से राज और ज्यादा उत्तेजित होकर उसके स्तनाग्रों को और जोर से मसलने लगा जिस वजह से सरिता झड़ गई। मगर राज का अभी बाकी था इसलिए उसने सरिता को घोडी बनने के लिये कहा। वह घोडी बन गई और राज उसे पीछे से धक्के लगाने लगा। राज ने सरिता की जंघाये पकड़ ली, और उसे आगे पीछे करके धक्के लगाने लगा, उसने फिर से धक्के तेज कर दिये अब उसके लटकते स्तन बड़ी ही तेजी से और कामुकता से मटक रहे थे। ऐसे एक घंटे चलता रहा जिससे सरिता फिर से झड़ गई। राज की नजर अब सरिता के मोटे, भरे हुये नितम्ब पर पड़ी, और उनमें छिपे गुद्द्वार पर पड़ी जिससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। और उसने अपना लिंग सरिता की योनी से निकाला और सरिता के गुद्द्वार पर रखा और एक तेज धक्का दे दिया, जिससे उसका ६ इंच का लिंग आधा सरिता की योनी में चला गया। लिंग अंदर जाने से सरिता को बहुत दर्द हुआ और वह चीख पड़ी,"राज!!! ये कहा डाल दिया!!!! बाहर निकाल जल्दी!!!"
राज ने उसका लिंग थोड़ा बाहर निकालकर एक जोरदार धक्का दिया जिससे उसका पूरा लिंग सरिता के अंदर चला गया। वह चीख उठी," आ!!! आ!!! आ!!!"
जैसे जैसे राज रफ्तार बढ़ा रहा था, सरिता की चीख बढ़ती जा रही थी, और बढ़ती चीख के साथ राज का जोश भी बढ़ता जा रहा था। अब सरिता का गुद्द्वार ढीला हो रहा था। अब उसे दर्द होने के साथ साथ मजा भी आ रहा था, वह मजे से चिल्ला रही थी,"राज!!! आ!!!!!! और !!! और!!! जोर !!! से!! आह!!!!"
राज अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था, वह पूरे जोश के साथ धक्के लगा रहा था, और अचानक वह चीख पड़ा और वही झड़ गया, सरिता चार बार झड़ चुकी थी। राज थक कर वही सरिता की पीठ पर ही लेट गया और वही सो गया, सरिता ने राज का लिंग बाहर निकाला उसके सर को अपने स्तनों के बीच रखा, और उसे बाहों में भरकर सो गई।
इस अपडेट में कुछ राज पाता चला कोमल ने जो भी किया उसके पीछे वजह उसकी मां रानी थी जो किसी मुजरिम के कैद में थी तरुण को पता ला तो वो ख़ुद बचाने चला गया पर एक बात का ध्यान रख की किसी को उसके शक्ति पा पाता न चले और वहा मौजूद मुजरिमों को पुलिस के हवाले कर दिया।Update 4
शक्ति की पहचान
यहाँ तरुण घर जा रहा था तभी उसे उसके कनिष्ठ महाविद्यालय की एक अध्यापिका उसे दिखाई दी, उसने उन्हें आवाज लगाई," नयना मैडम! कहा जा रही है आप?"
उन्होंने तरुण को कहा," तरुण, तुम यहां, मै अपने घर जा रही हु" उनका बदन पानी से भीग चुका था।
तरुण ने उनसे कहा,"मैडम, मै भी घर जा रहा हूं, आइए आपको छोड़ देता हूं।" इतना कहकर तरुण ने दरवाजा खोला और वह अंदर आ गई। उन्होंने सफेद रंग कि साड़ी और लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। और बरसात में उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी।
और उनके सीने के उभार उनके ब्लाउज से साफ झलक रहे थे, और तरुण से बात करते वक्त झुकने की वजह से उनके दोनों उरोजों के बीच की गहराई के बीच से जाता बरसात का पानी ऐसे लग रहा था जैसे किसी, दो खूबसूरत पहाड़ों के बीच की खाई से कामुकता की नदी बह रही हो। जब वह अंदर आई तो तरुण तरुण से पूछा,"तरुण क्या तुम्हारे पास टॉवेल या न्यापकीन है?"
तरुण ने कहा,"अभी तो नहीं है, आप चाहे तो मै आपके लिये हीटर अॉन कर देता हूं। तरुण ने हीटर चालू कर दिया, वह थोड़ा सा तरुण की और आई। उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा बाजू में करके, अपनी आँखें बंद करके हीटर से आती गर्मी को महसूस करना शूरू किया। तरुण ने फिर हीटर के पंखे की रफ्तार बढ़ाई, जिससे नयना की साड़ी का पल्लू, उसके कंधे से नीचे गिर गया, मगर उसे उससे और गर्म हवा के झोंके हीटर से निकालकर उसके उरोज और कमर को छूने लगे, जिससे उसे वहाँ ठंड से राहत मिलने लगी। उसी गर्म हवा के कुछ झोंके उसके सीने से टकरा कर उसके उरोजों के बीच की गहराई में जाने लगे, तो कुछ उसके गले से होकर उसके कान तथा उसके मुलायम गालों को सहेला रहे थे। हवा के इस गर्म स्पर्श की वजह से वह बहुत रोमांचीत हो रही थी, और अपने होंठ दांतों तले बडे ही नशिले अंदाज में दबाकर मंद मंद मुस्करा रही थी। थोड़ी ही देर में मैडम का घर आ गया, तरुण ने उन्हें कहा,"मैडम, आपका घर आ गया"
नयना अपना पल्लू वापस कंधे पर लेते हुये बोली,"इतनी जल्दी! ओह, मै चलती हूं, तुम भी आओ कभी।"
तरुण ने कहा," आज मेरी मम्मी(तेजल) नही है।"
नयना ने कहा,"तो आज का खाना यहीं खा के जाना।"
इतना कहकर वह ताला खोलती है, और तरुण गाड़ी क्वार्टर के नजदीक लगाकर बाहर निकलता है, और दरवाजे के पास चला आता है, और वहा पत्रों की शेड वजह से वह नहीं भीग सका। तरुण लगातार नयना की भीगी कमर की कमान और उसके ब्लाउज के उपर से ब्रा की उभरती रेखाएं देख रहा था। नयना ताला खोलकर अंदर गई और तरुण भी उसके पीछे चला गया, नयना का क्वार्टर सिर्फ वन रूम किचन का था। हॉल और रसोईघर के बीच सिर्फ दीवार थी बाथरूम और शौचालय बाहर थे।
नयना फिर रसोईघर में चली गई और परदा लगा लिया, तरुण भी उसके पीछे गया मगर जब वह परदे के पास गया तब उसके होश उड़ गये, नयना वहाँ अपने कपड़े उतार रही थी। नयना ने साड़ी उतार दी, और उसने ब्लाउज उतारा फिर ब्रा, अब उसकी चिकनी पीठ और पतली कमर देखकर तरुण का लिंग खड़ा हो गया, तभी नयना ने अपने लेहंगे का नाडा खोल दिया, और उसका लेहंगा बड़ी सहजता से उसकी कमर से नीचे खिसक कर फर्श पर गिर गया। अब उसके बदन पे सिर्फ पैंटी थी उसके बदन पर जरा भी मांस नहीं था। मगर जहाँ होना चाहिए वहां बहुत था वह एक २५ उम्र की भरे उम्र की जवान लड़की थी, चेहरा तो सामान्य था, मगर उसके नितम्ब पूरी तरह भरे हुये और थे और उसकी पैंटी से बाहर आने को व्याकुल हो रहे थे। नयना ने अपनी पैंटी उतारकर उन्हें भी आझाद कर दिया, अब वह पूरी तरह से नग्न थी। नयना अब पीछे मुड़कर परदे की और मुड़कर देखने लगी, वह ऐसे लग रही थी, जैसे स्वर्ग की कोई अप्सरा आ रही हो उसकी पतली कमर मोटे उरोज, उनपर वह गुलाबी वक्ष। काफी मन मोहक और कामुक लग रहे थे। तरुण यह देखकर उत्तेजित हो गया और थोड़ा दीवार की तरफ हो गया। नयना वहाँ आयी और हाथ बाहर निकालकर तरुण से कहा," तरुण जरा टावेल देना।"
तरुण ने टावेल नयना के हाथ में रखा और जैसे ही नयना ने उसे पकड़ा, तरुण ने अचानक जैसे मछली के चारा पकड़ने के बाद मछवांरा खींचता है वैसे खींच लिया जिस वजह से नयना का संतुलन खराब हुआ और वह तरुण पर आ गिरी, तरुण उनके सामने ऐसे की उनके होंठ सीधे तरुण के होंठों से टकराये। जैसे ही यह हुआ तरुण ने उन्हें अपनी बाहों में जकड़कर चूम्बन ले लिया। इससे नयना चौंककर तरुण को देखने लगी, वह एकदम स्तब्ध हो गई। तरुण इस मौके का फायदा उठाकर उसपर होंठों से लेकर गाल, गर्दन तक चूमने लगा, फिर वह चूमते चूमते उसके स्तनों के बीच की गहराई तक पहुंचा फिर उस खाई से उसके स्तन रूपी पहाड़ों की चढ़ाई करके, उनकी वक्ष रूपी चोटी तक पहुंचकर उसके वक्ष को चूसने लगा। इससे नयना काफी उत्तेजित होने लगी और उस वजह से उसके मुंह से,"अम्म्म्.....म्म्म्..म् म् म् आह!" जैसी सिसकारिया निकलने लगी, तभी तरुण ने उसके वक्ष को हल्के से अपने दांत के नीचे दबा दिया जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ मगर उसके बदन में उत्तेजना एक बिजली के झटके की तरह दौड़ने लगी। तरुण ने उसका दर्द कम करके उत्तेजना बढाने के लिये उसके वक्ष चूसना जारी रखा। नयना की उत्तेजना इतनी बढ़ चुकी थी की, अब वह पानी बनकर उसकी योनी से बहने लगी थी। और नयना भी शर्म के मारे लाल हो रही थी, तरुण ने अब नयना की नाभि पर चूमा और उसकी योनी में अपनी जीभ घुमाने लगा, उसकी गीली जीभ जैसे जैसे नयना की योनी में घूम रही थी वैसे वैसे वह ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। तरुण ने फिर वापिस अपना मुंह उपर ला कर उसका किस ले लिया, और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में उसकी जीभ पर घुमाने लगा, वह इससे उत्तेजित होकर उसका साथ देने लगी, तभी तरुण ने उसकी योनी में अपना लिंग डाल दिया। तरुण के लिंग डालने की वजह से नयना की योनी की सिल टूट गई और उसकी चीख निकल गई, मगर उसके मुंह पर तरुण का मुंह होने से उसकी चीख दब गई। और तरुण ने एक झटके में अपना लिंग उसके गर्भाशय के आखिरी छोर तक पहुंचा दिया। तरुण ने उसे थोड़ा बाहर निकालकर फिर अंदर डाल दिया, जिससे नयना झटके खाने लगी।तरुण ने झटके अब तेज कर दिये ऐसा वह एक घंटा करते रहे तभी कुकर की सीटी बजी, तब तक नयना दो बार झड़ चुकी थी। तरुण अभी भी नहीं झडा था। नयना रसोईघर में गई और तरुण के लिये खाना ले आयी , उसने अभी भी कुछ नहीं पहना था। वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी, इसी अवस्था में उसने तरुण के लिये खाना परौसा और वह भी बैठ गयी। वह नयना अपने पैर तरुण के पैरों में डालकर बैठ गये और दोनों एक ही थाली में खाना खाने लगे। उन्होंने वैसे ही खाना खाया और बर्तन रख दिये। और फिर तरुण ने नयना के स्तनों को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा, और फिर उसके कानों को चूमने लगा, और अपना सिर आगे कर के उसके एक गाल पर चूमने लगा, जैसे ही जवाब में नयना ने अपनी गर्दन उस तरफ घूमा कर देखा उसके होंठों पर तरुण ने अपने होंठ टीका दिये और उसे किस करने लगा। तरुण के होंठ यहां नयना के होंठों से ९० अंश के कोन में लगे हुये थे, अब तरुण ने अपनी जबान नयना के मुंह में डालकर उसकी जबान पर लगायी, और घुमाने लगा और नयना भी उसका साथ देने लगी, दोनों एक दुसरे में सबकुछ भुलाकर खो गये। फिर नयना फिर से उत्तेजित हो उठी, वह पलंग की और चली गई और तरुण की और नितम्ब कर अपने हाथ पलंग पर रखकर झुक गई। तरुण ने अपना लिंग नयना की योनी में डाल दिया और उसके स्तनों को पकड़कर जोरों से दबाने लगा, और उसके साथ उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा। जैसे जैसे तरुण स्तनाग्र मसल रहा था वैसे वैसे नयना," आ!! आ!!" करके चिल्ला रही थी उसके चिल्लाने में थोड़ा दर्द और बहुत सारी कामवासना थी। तरुण उसके स्तन और स्तनाग्रों को पकड़कर पीछे खींच रहा था, जिससे जोरदार धक्के लगा रहे थे, जिस वजह से नयना की योनी ने पानी छोड़ दिया। अब तरुण ने लिंग बाहर निकाल लिया, जिससे नयना बेड पर लेट गई, तभी तरुण ने अपना गीला लिंग अचानक से नयना के गुद्द्वार में डाल दिया, वह जोर से चिल्लाती उसके पहले ही तरुण ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया नयना की चीख वही दब गई और उसकी आँखों से आंसू निकल आये। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा बाहर निकाला और तेजी से उसकी योनी में डाल दिया, जिससे वह एक और बार चिल्लाई मगर हाथ पहले से नयना के मुंह पर होने की वजह से उसकी चीख दब गई। वैसे तरुण लगातार एक घंटा करता रहा अब नयना का गुद्द्वार खुल चुका था, वह दो बार झड़ चुकी थी मगर तरुण का अभी भी खड़ा था। नयना तरुण के लिंग का आकार देखकर चौंक गई, उसका लिंग १८ इंच लंबा और मोटाई में चार इंच था, और अभी भी चट्टान की तरह सक्त था। यह देखकर नयना की आँखों में जैसे चमक आ गई वह उसे चूमने लगी फिर उसे अपने स्तनों के बीच लेकर रगड़ने लगी, जिससे वह एक और बार झड़ गई। अब नयना काफ़ी थक गई थी और अब रात भी बहुत हो चुकी थी। इसलिए तरुण और नयना दोनों एक दुसरे को बाहों में लेकर वही सो गये, तरुण का अभी भी खड़ा था।
तरुण एक सपना देखने लगा जिसमें उसे एक युवती संपूर्ण नग्न अवस्था में दिखाई दी, वह अयाना थी। वह उसकी और पीठ करके खड़ी थी, और तरुण ने जब आसपास देखा तो वह ऋषि कृतानंद के उसी आश्रम में था जहाँ उसे यह वरदान प्राप्त हुआ था। उसने उस युवती के नजदीक जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह पीछे मुड़कर बोली, "बताइये स्वामी क्या आज्ञा है मेरे लिये।"
तरुण बोला," पहले मुझे यह बताओ की, मुझमें कौन कौन सी शक्तियां है और कितनी है?"
अयाना बोली,"सारी शक्तियां, जिन्हें अगर गिने तो युग भी कम पड़ जाये, और आपकी शक्तियां परमेश्वर से भी अनंत गुणा है।"
तरुण ने पूछा," वैसे शक्तियां कहाँ है मेरे अंदर या आयने के अंदर? "
अयाना बोली,"आपके अंदर।"
तरुण ने पूछा," अगर शक्तियां मेरे अंदर है तो आयने और तुम्हारा क्या उपयोग?"
अयाना थोड़ा हिचक कर बोली," हम दोनों आपकी शक्तियों को नियंत्रण में रखते है, अगर आपकी शक्तियाँ नियंत्रण से बाहर हो गई तो वह सारे विश्व में हाहाकार मचा देगी हर मादा आपकी और आकर्षित होगी, फिर वह कोई भी हो सकती है, गाय, भैंस, घोडी, कुतिया, कोई भी!"
तरुण ने एक और सवाल पूछा," वरदान के अनुसार मै तो किसी भी स्त्री को संमोहन से नियंत्रित कर सकता हुं, मगर यहां तो मै कहां संमोहित कर रहा हु?"
अयाना ने जवाब दिया,"तुम कर रहे हो तरुण, संमोहन दो तरह के होते हे, कुदरती संमोहन और यांत्रिकी संमोहन सब लोग सिर्फ यांत्रिकी संमोहन को ही पूरा संमोहन समझते है, पर ऐसा नहीं है, कुदरती संमोहन भी एक संमोहन होता है। तुम जो कुदरती संमोहन का उपयोग कर रहे हो जो परिस्थिति, स्वभाव, पसंद और नारी के संवेदनशील अंगों पर निर्भर करता है। हर नारी के कुछ अंग संवेदनशील होते है, जिन्हें खास तरह से स्पर्श करने पर उसका मन उत्तेजित होता है। सामने वाले को सिर्फ उसके इन अंगों का पता होना चाहिए, और उसकी पसंद ना पसंद और किन परिस्थितियों में वह संभोग करना पसंद करती है। हर नारी की सम्भोग के प्रति कल्पना भिन्न होती है, कुछ स्त्रियों को बलपूर्वक तथा कुछ को प्रेम से करना पसंद होता है, कुछ सहयोग करती है तथा कुछ सिर्फ निष्क्रिय रहकर सिर्फ आनंद लेती है। पुरूषों को सिर्फ यह जानना चाहिए, मगर कुछ पुरूष यह नहीं जान पाते और कुछ अच्छे से जान लेते है। इस वजह से कुछ पुरूषों को तो अपनी पत्नी के साथ तक संभोग करने में कठिनाई होती है, तो कुछ दूसरी स्त्रियों के साथ सहजता से बना लेते है। तुम्हें इस दर्पण से सब पता चल जाता है। इसलिए तुम सहजता से चंद्रमुखी, ज्वालामुखी, तेजल, सरिता, नयना और कोमल को अपने साथ सम्बन्ध बनाने के लिये तैयार कर पाये।"
तरुण चौंककर बोला,"कोमल! वह कब तैयार हुई थी?"
अयाना ने कहां,"जब तुम रेल में उसके साथ थे, उसकी निष्क्रियता ही उसकी हां थी।"
तरुण ने उसे कसकर गले लगाया और कहा,"थँक्यु व्हेरी मच!!" और उसने अयाना को होठों पर किस कर दिया। यहाँ सुबह हो चुकी थी, तरुण की आँखें खुल गई। नयना को लगा की तरुण उसे गले लगाकर थँक्यु कह रहा है, यह देखकर नयना भी बोली,"तुम तो बड़े तमीज वाले हो यार, आज तक मैंने कभी किसी लड़के को सेक्स के बाद लड़की को ऐसे थँक्यु बोलते है।"
नयना तरुण से काफी आकर्षित हो चुकी थी। वह नहाने चली गई और तैयार होकर बाहर आ गई। फिर तरुण ने कपड़े पहने और नयना को किस किया और अपने घर चला गया।
यहां सरिता और राज भी नींद से उठ चुके थे, राज ने सरिता के साथ रात को जो गुद्द्वार सम्भोग किया था उस वजह से सरिता को चलने में तकलीफ हो रही थी। राज सरिता को कंधे का सहारा देकर बाथरूम तक ले गया, दोनों यहां नग्न अवस्था में थे दोनों एक साथ नहाने लगे। दोनों पहले एक दुसरे के बदन पर पानी डालकर साबुन मलने लगे फिर सरिता राज की छाती पर साबुन मल रही थी, और राज के हाथ सरिता के स्तनों पर चल रहे थे,राज अच्छे से रगड़ कर सरिता के स्तनों पर साबुन लगा रहा था। जिससे सरिता उत्तेजित होकर,"राज! अम्!! अम्!! रूक मत करता रह, अम् म् म् म् आहा!" ऐसी आवाजें निकालने लगी। राज ने अब उसकी पीठ मलनी शुरू की, और दोनों एक दुसरे की पीठ मलते हुये किस करने लगे फिर उन्होंने, साबुन लगाते लगाते नितम्ब की और गये यहा दोनों ने एक दुसरे के नितम्बों को अच्छे से धोया। फिर सरिता राज के लिंग पर साबुन लगा रही थी, और राज भी उसकी योनी में साबुन डालकर उंगली अंदर बाहर करने लगा, जिससे दोनों उत्तेजित हो गये और राज ने अपना लिंग सरिता की योनी में डाल दिया। योनी में और लिंग पर साबुन होने की वजह से राज का लिंग सरिता की योनी में बडी सहजता से चला गया राज बड़े जोश में अपने लिंग को सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता भी उत्तेजित होकर अपने मुंह से, "अम्!!!" करके सिसकारिया निकलने लगी।
सरिता की योनी ने पानी छोड़ दिया और यहा राज भी झड़ गया। सारा वीर्य राज ने सरिता की योनी में बहा दिया, फिर सरिता ने हँड शावर से अपनी योनी और अपना बदन धोकर शावर बाथ ले लिया। फिर दोनों ने कपड़े पहन लिये और सरिता ने राज से कहा, "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
राज ने पूछा,"किस के बारेमें ?"
सरिता ने कहा,"कोमल के बारेमें।"
राज ने पूछा,"क्या मम्मी?"
सरिता ने बताया," तुम्हारे भाई पर झूठा रेप केस लगाकर उसकी जिंदगी बरबाद करने वाली लड़की कोई और नहीं बल्कि कोमल थी।"
राज चौंककर बोला ,"क्या ? मगर वह तो बोली थी किसी और लड़की ने यह किया था।"
सरिता बोली," नहीं राज, पहले उसने सतीश से दोस्ती की, फिर दोनों करीब आ गये इतने की दोनों के बीच सेक्स हो गया, फिर वह प्रेगनंट हो गई और सतीश को ब्लैक मेल करने लगी, और जब सतीश नहीं माना तो उसने केस कर दिया, जिससे परेशान होकर सतीश ने खुदखुशी कर ली।"
राज बोला,"पर मम्मी, भैया को भी ध्यान रखना चाहिए था ना।"
सरिता ने उसे कहा,"नहीं राज, सतीश को उसने व्हायग्रा दे रखा था, जिस वजह से वह खुद पर काबू नहीं रख पाया होगा, और अगर तरुण तुम्हें यहा आने के लिये नहीं उकसाता तो तुम भी उसके शिकार बन जाते।"
राज ने कहा,"मतलब आप और तरुण के बीच कुछ नहीं हुआ?"
सरिता ने कहां,"ऐसा नहीं है, उसने मुझे आधे घंटे तक चोदा, फिर भी उसका लिंग सक्त था, वह और कर सकता था, मगर जब उसे कोमल का सच पता चला उसने तुझे कॉल लगाकर बुला लिया।और गाड़ी लेकर चला गया।"
राज ने पूछा," फिर क्या हुआ?"
सरिता ने कहा," और उसने ही मुझे बताया की तुम्हें भी कोमल ने किसी चीज़ में व्हायग्रा मिलाकर पीला दिया है।"
राज ने कहा,"उसने मुझे स्प्राईट पिलाया था, और तब से मुझे उसके बारेमें ऐसे खयाल आ रहे थे।"
सरिता ने फिर उसे कहां," जो हुआ अच्छा हुआ, उसकी वजह से तो तुमने मुझे सारी रात चोदा, थोड़ा अजीब मुझे भी लगा मगर मैने भी इन्जॉइ किया, तीन सालों से तुम्हारे पापा भी नही थे और इसलिए मैरी काफ़ी दिनों से चुदाई नहीं हुई थी, मगर तुमने मेरे अंदर की आग शांत कर दी।"
राज ने कहा,"और आप तरुण के साथ करने के लिये कैसे तैयार हो गई?"
सरिता, "पता नहीं! क्यों? और कैसे? उसने मुझे वैसे ही अप्रोच किया जैसे मै अपने पार्टनर इम्याजीन करती थी।"
राज को अपनी गलती का एहसास हो गया की उसने ज्वालामुखी के साथ कितना गलत किया। मगर सरिता को ऐसा लगा की राज के मन में अपनी माँ के साथ सम्भोग करने की वजह से पश्चाताप है। सरिता ने उससे कहा,"मै जानती हुं तुम क्या सोच रहे हो।"
राज ने चौंककर पूछा, "क्या?"
सरिता ने कहा,"तुम्हें यही लग रहा है ना की तुमने मेरे साथ जो किया वो सही था या गलत?"
राज ने होश में आकर कहा,"हा!हा! मम्मी मै यही सोच रहा था?"
सरिता ने कहा,"नहीं, अगर तुम मेरी मर्जी के बिना करते तो गलत होता, मगर तुमने जो किया वह मैने भी इंजॉय किया तो यह गलत नहीं है।"
फिर थोड़ी देर सोचकर सरिता बोली,"और राज, मै अगर तुम्हारा विरोध करती, तो भी वह गलत होता, क्योंकि तुम्हें व्हायग्रा दिया गया था और तुम्हें उसकी जरुरत थी।"
तब राज सरिता से पूछता है,"मम्मी, अगर हम आज रात को करे तो?"
सरिता बोली," आ! आ! तुम्हें उंगली क्या दी तुमने तो हाथ पकड़ लिया, माना की हमारे बीच सेक्स हुआ है, मगर हम सोच समझकर ही इसी रिलेशन को आगे बढायेंगे।" इतना बोलकर सरिता अपना घर के काम में लग गई।
यहां तरुण अपने घर आ गया, और उसने आयने को उसके असली आकार में लाया। और उसे पूछा की कोमल कहाँ है, तो आयने ने उसे कोमल को दिखाया, आयने में कोमल एक फोन पर बात करते हुये दिखाई दी। कोमल ने फोन पर कहां,"उन्हें कुछ मत करना, मै तुम्हारा काम कर दूंगी, इस बार कोई गड़बड़ नहीं होगी भरोसा करो।" वह काफी डरी हुई थी। तरुण ने आयने को कहा," हे आयने मुझे दूसरी और जो इन्सान बात कर रहा है वह देखना है।" इतना बोलते ही उसके सामने वह दृश्य आ गया, यहां जो आदमी कोमल से बात कर रहा था, असल में वह एक गैर कानूनी संघटन का मुखिया था। वह आदमी फिर एक औरत के पास गया वह औरत एक पिंजरे में कैद थी, और उसके हाथ जंजीरों से बंधे हुये थे, उसकी उम्र ४० के आसपास थी, और उसने एक सफेद साड़ी पहनी थी, उसके उरोज ३५ के थे कमर २६ और नितम्ब ३६, उसके कपड़े बीच बीच से फटे हुये थे जिस वजह से तरुण उसके स्तनों के कुछ हिस्से, । उस मुखिया ने उस औरत से कहा "अगर तुम मेरी हो जाती तो शायद तुम्हारी यह हालत नहीं होती।"
तब उसने कहा," तुम जैसे बेईमान के साथ रहने से अच्छा हम कवारे रहे।"
मुखिया बोला,"आये हाय ! रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया, अब भी प्यार बाकी है रविंदर के लिए।"
फिर मुखिया ने चाबुक निकाला और उसकी पीठ और नितम्बों पर फटकार कर मारने लगा। और उसने कहा,"तूने तो नहीं किया लेकिन जब तेरी बेटी तेरी दर्द से भरी चीखे सुनेगी तो जरूर करेगी।", और उसे चाबुक से मारता रहा। वह चिल्लाती रही और रोती रही। तरुण को अब समझ में आ गया था की कोमल राज को क्यों फंसा रही है।तरुण ने कपड़े, दवाइयां और खाने का सामान एकत्रित किया और अंधेरा होने का इंतजार करता रहा। रात को अंधेरा हो गया सारे लोग सो गये, फिर तरुण गाड़ी के पास गया और आयने की सहायता से गाड़ी के साथ वह वहां पहुंच गया। तरुण सबकी नजरों में आये बिना जिस कमरे में कोमल की माँ रानी मौजूद थी वहां चला गया वहाँ ताला लगा हुआ था, बगल मैं ही एक आदमी पहरा दे रहा था। तरुण ने ताले की और देखा और उसके आँखों से प्रकाश किरण निकली जिससे देखते ही देखते ताला कट गया। तरुण ने फिर कड़ी खोलकर रानी को बाहर निकाला, तभी वह आदमी जाग उठा और तरुण को मारने आया, तरुण ने उसे एक
घुसा मारा जिससे वह दस फुट दूर दीवार से जा टकराया और वही बेहोश हो गया, रानी इसे देखते ही रह गई। तभी तरुण ने रानी का हाथ पकड़ लिया और उसे बाहर खींचकर ले गया, तब रानी होश में आकर उसके साथ बाहर भागी। बाहर जाते ही उन दोनों के सामने सारे आदमी खड़े हो गये वह बीस थे, मगर तभी पुलिस सायरन की आवाज सुनाई दी, तभी उस गिरोह के सारे लोग बेहोश हो गये। तरुण तभी रानी को लेकर पिछले रास्ते से बाहर निकल गया,
असल में तरुण ने आयने की सहायता से पहले से ही सबके खाने और पीने की चीजों में नींद की दवाई मिला दी थी, और पुलिस को सब खबर कर दिया था, वह भी तस्वीर के साथ। पुलिस को इस गिरोह की बहुत दिनों से तलाश थी इसलिए पुलिस ने तुरंत कार्यवाही करते हुये सबको गिरफ्तार कर लिया। तरुण रात में गाड़ी नहीं चलाना चाहता था, और अगर वह अपनी शक्ति का उपयोग करता तो रानी को पता चल जाता और उसे यह सबको पता चल जाता। इसलिए तरुण रानी को लेकर एक सस्ते और पुराने गेस्ट हाउस में गया वहां एक रात के २०० रुपये लगते थे। वहां सिर्फ एक बूढ़ा मालिक था जो उसे चला रहा था, तरुण ने उसे २०० रुपये देकर कमरे की चाबी ले ली और रानी के साथ अंदर चला गया और उसे कपड़े और तौलिया दे दी, रानी वह लेकर नहाने चली गई। और उसने अंदर ही नहा कर कपड़े पहन लिये। और तरुण ने उसे जो कपड़े दिये थे, वह पहनकर वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। तरुण ने रानी को तेजल के कपड़े दिये थे, उसमें उसने स्ट्रीप वाला ब्लाउज था, जिसमें आगे से उनके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी, और यह तेजल का ब्लाउज छोटा होने की वजह से रानी के स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बाहर आने के लिये उत्सुक हो,मगर उन्हें ब्लाउज से बाँध कर रखा गया था। तरुण ने कहा,"आपने उन्हें क्यों बांध रखा है, दो कबूतर बेचारे कब से छूटने को बेताब लग रहे हे।" रानी ने पूछा,"कौन से दो कबूतर?"
तरुण ने उसके ब्लाउज के उपर से हाथ रखकर कहा,"आपके यह दो जिन्हें आपने अपने ब्लाउज में कैद करके रखा है।"
रानी झट से पीछे मूड गई और बोली,"चल हट बेशरम कहीं का! मुझ जैसी बुढ़िया को..."
तभी तरुण को रानी की खुली पीठ दिखाई दी, वहाँ उसे कुछ पुराने और कुछ नये दिखाई दिये। तरुण ने तुरंत ही अपनी थैली से दवाई निकाली और उसकी पीठ पर जहाँ सूजन थी वहां लगाने लगा, रानी उससे दूर जाने लगी, मगर तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, और आराम से और धीरे धीरे उसकी पीठ पर तेल लगाने लगा, रानी ने विरोध करना बंद कर दिया, क्योंकि इससे उसे राहत मील रही थी। तरुण ने अब तेल लगाना जारी रखा, अब वह उसकी पीठ से नीचे उतरकर उसकी कमर के पिछले हिस्से पर तेल लगाकर नर्म मालिश कर रहा था। थोड़ी देर नर्म मालिश करने के बाद तरुण ने उसकी कमर से होते हुये सीधे उपर उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर फिर पीठ से फिर से कमर इस तरह सीधी रेखा में उसकी रीढ़ पर नीचे कमर तक, इस तरह करता रहा, मगर उपर जाते वक्त रानी के ब्लाउज के पिछले हिस्से की पट्टी बाधा डाल रही थी, और वह ब्लाउज छोटा होने की वजह से तरुण का हाथ अंदर जाने के लिये अक्षम था। रानी ने इतनी अच्छी मालिश में आती बाधा देखकर अपने ब्लाउज का हुक जो आगे की तरफ था वह खोल दिया, और अपने दोनों भरे हुये स्तनों को ब्लाउज से आझादि दे दी, वह मानो ऐसे उछलकर बाहर आये मानों, जैसे कई सालों से कैद खरगोश पिंजरे से बाहर आये हो। अब तरुण को मालिश करने में आसानी हो रही थी, तरुण अब तेजी से और अच्छा खासा जोर लगाकर रानी की पीठ की मालिश कर रहा था, इससे रानी को राहत के साथ साथ उत्तेजना भी हो रही थी। रानी कहने लगी,"अम्! अम्! म्! म्! तरुण!! कोमल के पापा भी मेरी ऐसी ही मालिश किया करते थे!आज तुमने फिर से उनकी याद दिला दी।"
तरुण अब अपने दुसरे हाथ से रानी की नाभि के आसपास मालिश करने लगा, जिससे रानी उत्तेजना से सिसकारिया निकालने लगी,"अम्! अम्! म्!!! म्!!!!म्!!!तरुण! रुक मत म्! म्! म्! करता रह म्!!! आहा!!!!", अब तरुण अपना हाथ नाभि के आसपास बड़े विस्तार में गोल गोल घुमा रहा था, जिससे तरुण का हाथ उपर स्तनों के निचले हिस्से तथा नीचे योनी के उपर तक स्पर्श कर रहा था। स्तनों पर हो रहे तरुण के गर्म हाथों के स्पर्श की वजह से रानी और उत्तेजित होने लगी, "म्! म्!! म्!!! आ!!हा!! आ!!!हा!!! आहा!!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तभी तरुण ने पूछा,"कैसा लग रहा है आपको?"
रानी ने कहा,"मस्त! अब उपर भी कर दो।"
तरुण समझ गया, वह अब अपने हाथों से उसके स्तनों की दबाकर मालिश कर रहा था।रानी अब उत्तेजित होने लगी थी, तरुण उसके पीछे खड़ा था इसलिए उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर तरुण के पायजामे का नाडा खोल दिया। तरुण ने जवाब में आगे से उसके लेहंगे का नाडा खोल दिया और उसका लेहंगा सरर् से नीचे फर्श पर गिर गया, वह पैंटी नहीं पहनती थी इसलिए वह पूरी तरह नग्न हो गई । वह उत्तेजित तो थी मगर उसमें थोड़ी शर्म बाकी थी, वह लेहंगा उठाने के लिये जैसे ही झुकी, तरुण ने तुरन्त ही उसके स्तनों को पकड़ कर उसके पैरों के बीच डालकर योनी के उपर चलाना शुरू कर दिया। अब तो रानी की उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी और वह अपने सारे वस्त्रों के साथ साथ अपनी शर्म के सारे कपड़े भी उतार चुकी थी और अब वह तन के साथ साथ मन से भी नग्न हो चुकी थी। वह भी अब तरुण का साथ देने लगी थी,"तरुण! आह! आह! आह! और करो करते रहो मजा आ रहा है मुझे! आ!!हा!!...", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तरुण का लिंग रानी के यौवन रस से भीग चुका था और रानी की योनी भी गीली हो चुकी थी, इसे सही अवसर मानकर तरुण ने अपना लिंग रानी की योनी में डाल दिया। तरुण के लिंग डालते ही रानी के मुंह से," आ!!! ई!!! उ!!ई!!!!!" करके चीख निकल गई। तरुण जैसे ही लिंग बाहर निकालने लगा, तो वह बोली," बाहर मत निकाल तरुण...", इतने में तरुण ने एक और धक्का दिया जिससे तरुण का १८ इंच लंबा और चार इंच मोटा लिंग, रानी की योनी के एक और इंच अंदर चला गया। माना की रानी एक खुली तिजोरी थी, मगर काफी देरी से अनछुई होने की वजह से उसके दरवाजे में जंग लगा हुआ था। तरुण अब उस योनी में अपना लिंग डालकर उसका जंग हटा रहा था। तरुण लगातार धक्के लगा रहा था, और जब तरुण आगे धक्का लगा रहा तब उसका साथ देते हुये रानी पीछे धक्के लगा रही थी। अब तरुण की मेहनत रंग ला रही थी, उसका लिंग रानी के गर्भाशय तक पहुंच रहा था। रानी का दर्द अब काफ़ी हद तक कम हो चुका था, और वह तरुण के टायट्यानियम से ज्यादा सक्त लिंग को अपने अंदर लेकर कड़े संभोग का आनंद ले रही थी, तभी उसका पानी छुट गया और वह झड़ गई। फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया, रानी बेड पर लेट गई और खुद को शाल से ढक लिया। तरुण ने पैंट पहनकर दरवाजा खोला तो वहां गेस्ट हाउस का मुनीम रामलाल था जो खाना देने आया था, तरुण ने उससे पार्सल ले लिया, फिर तरुण और रानी ने साथ में खाना खाया, तरुण का वीर्य पात अब भी नहीं हुआ था, पर रानी झड़ चुकी थी। और कई दिनों से कम खाने की वजह से ज्यादा खाना खा लिया और सो गई और तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
update 5 और update 6 के बारेमें भी कूछ लिखे।इस अपडेट में कुछ राज पाता चला कोमल ने जो भी किया उसके पीछे वजह उसकी मां रानी थी जो किसी मुजरिम के कैद में थी तरुण को पता ला तो वो ख़ुद बचाने चला गया पर एक बात का ध्यान रख की किसी को उसके शक्ति पा पाता न चले और वहा मौजूद मुजरिमों को पुलिस के हवाले कर दिया।
बहुत खूब लिख रहें हों
Shandaar updet Saitana sur ki utpti kaise हुआ इसका पूरा विवरण दिया पर एक बात आपको बता दूं अपने जितने भी देवी देवताओं का नाम लिया है वो सभी नाम आपको बदलाना पड़ेगा क्योंकि हम नहीं चाहते की किसी के धार्मिक भावना को ठेस पहुंचेUpdate 5:
तरुण ने अपने आप को फीर से उस जगह पाया, जहाँ से उसे यह सारी शक्तियां मिली थी, वही कृतानंद ऋषि का आश्रम वहां उसे अयाना वह ऋषिपत्नी संपूर्ण नग्न अवस्था में मिली। वह जैसे वहाँ खड़ी तरुण का इंतजार कर रही थी उसे इस अवस्था में देख तरुण ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके मोटे मोटे उरोजों को दबाने लगा तब अयाना उसे बोली, “तरुण में यहां तुम्हारी गुलाम हुं और तुम्हारी हर चिंता का समाधान मै करूंगी।”
तरुण ने पुछा, “मेरे ऐसे स्पर्श करने से कोई भी औरत कामोत्तेजित हो जायेगी मगर तुम तो ना ही उत्तेजित हो रही हो, ना ही विरोध कर रही हो, कैसे क्या मुझमें सचमुच ऐसी शक्तियां है? क्या वह सचमुच असीमित है?”
अयाना ने उसे जवाब देते हुये कहा , “तरुण हां! यह बात सच है की तुम्हारे पास परमात्मा से भी अनंत गुणा शक्तियां है, मगर जब तक तुम्हें उनकी जानकारी ना हो तुम उनका उपयोग नहीं कर सकते।”
तरुण ने अयाना से पुछा, “अगर में इतना ही शक्तिशाली हूं तो मुझे तुम्हारी आवश्यकता क्या है?”
अयाना ने जवाब दिया, “मेरा कार्य तुम्हारी शक्तियों को नियंत्रण में रखना है, अगर ऐसा ना किया जाये तो तुम्हारी शक्तियाँ इतनी फैल जायेगी की हर मादा तुम्हारी तरफ आकर्षित होगी चाहे वह मनुष्य हो, पशु हो, पक्षी हो या कीट हो।”
तरुण इससे चौंक गया, उसने एक और सवाल पूछा,“क्या मै किसी भी लड़की को अपने और आकर्षित कर सकता हूँ?”
अयाना बोली, “ तुम्हारी इच्छा पर निर्भर है की तुम्हें क्या चाहिये तुम चाहो तो किसी भी कन्या को अपने लिये उत्तेजित करके उसके योन का फल चख सकते हो, तुम चाहो ताजी कच्ची कलियाँ फूला सकते हो, मगर तुम हो की बासी और जूठे फल तोड़ रहे हो।”
तरुण ने कहा, “तुम तो एक आत्मा हो, तो तुम नग्न कैसे हो?”
अयाना ने कहा, “देह ही आत्मा के वस्त्र होते है, तो बिना वस्त्र की आत्मा तो नग्न ही होगी।”
तरुण, “ तुम क्या मुझे जरुरत के हिसाब से हर शक्ति दे सकती हो?”
अयाना, “हाँ, जितनी तुम चाहो या तुम्हें जितनी आवश्यकता होगी।”
तब तरुण अयाना का हाथ पकड़कर, उसे अपनी और खींचकर उसके स्तन दबाने लगा और पूछा ,“मै कितने समय तक बिना झडे कर सकता हुं?”
अयाना ने कहा, “ तुम अनंत काल तक बिना झडे रह सकते हो, और तुम्हारे वीर्य को भी कोई मर्यादा नहीं है, तुम दुनिया भर की महिलाओं को खुश करके भी तुम्हारा लिंग सक्त ही रहेगा।”
तरुण कुछ पूछता इसके पहले उसकी आँख खुल गई, उसने देखा की वह जिसके स्तन दबा रहा था वह रानी थी। रानी तरुण के सामने पूरी तरह से नग्न थी, वह उसकी योनी का भंग तो कर ही चुका था, मगर उसकी और करने की इच्छा हो रही थी। तरुण के सामने रानी के भरे हुये स्तन थें, जोकि बालों से ढके हुये थें। तरुण ने बालों की लताओं में उंगली डालकर, रानी के स्तनाग्र रूपी फलों को चखने के लिये जैसे ही दबाया, रानी बोली, “तरुण रात भर बहुत हो चुका है, और अब...”, इतने में तरुण के लिंग पर रानी की नजर पड़ी, और उसने जो देखा वह देखकर वह दंग रह गई, तरुण का लिंग अभी भी लोहे की तरह सक्त था। यह देख रानी चौंककर शर्माकर तरुण को देखने लगी, अब शर्म के मारे उसके गाल भी लाल होने लगे थे, वह तरुण को बोली, “अब बस हो गया, बाकी सब घर जाकर करेंगे!” तब तरुण और रानी तैयार हो गये और शहर के लिये निकल गये।
वह कुछ ही घंटों में वापस कोमल के पास पहुंच गये, अपनी माँ रानी को देखकर खुशी से फूली नहीं समा रही थी, वह तो सीधे घर में से भागकर आयी और अपनी माँ को गले लगाकर फुट फुटकर रोने लगी, उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जीस माँ का वह इतने सालों से इंतजार कर रही थी, जिसके लिये उसने जेल की चक्की पीसी थी वह आज खुद उसके सामने थी। तब रानी ने कोमल को बताया की कैसे तरुण ने उसकी जान बचाकर, उसे उस गैंग की चंगुल से आझाद कराया था। कोमल ने माँ(रानी) को अंदर बुलाया और उसे कमरे में ले जाकर आराम करने को कहा। रानी सफर और तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से काफी थकान, महसूस कर रही थी, इसलिए वह एक कमरे में जाकर सो गई। तरुण को एक कमरे में ले जाकर कोमल ने उससे कहा, “तुम सोच भी नहीं सकते तरुण की, आज तुमने मुझ पर कितना बड़ा एहसान किया है, मुझे समझ ही नहीं आ रहा की तुम्हारा यह एहसान कैसे चुकाना है!”
तरुण कोमल को उपर से नीचे देखने लगा, उसने एक टी शर्ट और शॉर्ट पैंट पहन रखी थी, जैसे वह नियमित रूप से घर में पहना करती थी। तरुण ने उसका हाथ कोमल की खुली जाँघ पर रखा, और उसकी पैंट के अंदर हाथ डालकर उसकी जंघाओं को सहलाते हुये कहा, “कोमल तुम जानती हो मुझे क्या चाहिये, यु बनो मत।” कोमल उसका साथ तो नहीं दे रही थी, क्योंकि उसके मन में द्वन्द्व चल रहा था, उसकी दो विचारों के बीच। जहाँ उसका एक विचार कह रहा था, “कोमल यह क्या कर रही हो, वह जो भी करेगा वह तुम उसे करने दोगी, तुम्हारी कोई सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं है क्या?”
फिर उसकी दूसरी विचारधारा उसे कहने लगी, “सेल्फ रिस्पेक्ट है तुम्हारे पास? तुम तो पहले ही एक बच्चा गिरा चुकी हो, और उसके बाप को अपने उपर रेप करने का झुठा केस डालकर अंदर करवाया था।”
फिर पहली विचारधारा ने बोला, “वो तुमने अपनी माँ की जान बचाने के लिये किया था, उसमें शर्म वाली कोई बात ही नहीं थी।”
फिर दूसरे विचारधारा बोली, “अगर तुम अपनी माँ की जान बचाने के लिये, किसी के साथ एक साल राते बीता सकती हो, तो क्या जिसने तुम्हारी उसी माँ की जान बचायी उसके साथ एक रात नहीं बिता सकती, उसके एहसान के बदले उसे एक रात की खुशी नहीं दे सकती?”
इसके दौरान तरुण अपना हाथ उसकी पैंट में डालकर उसके नितम्ब दबा रहा था। कोमल अब उत्तेजित हो चुकी थी, उसके अंदर कामुकता की आग लग चुकी थी, वह अब तक तरुण का साथ तो नहीं दे रही थी, परंतु उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। तरुण तो कोमल के विचार पढ़ सकता था, वह यह बात अच्छी तरह से जानता था की कोमल की तरफ से, उसे पूरी स्वतंत्रता है, मगर वह उसे और उत्तेजित करना चाहता था। तरुण ने कोमल को और उत्तेजित करने के लिये उसके टी शर्ट में हाथ डालकर उसकी कमर सहलाने लगा और अपने दुसरे हाथ से उसके गुद्द्वार और योनी में अपनी उंगलियों को फेर रहा था। इससे कोमल के अंदर लगी वासना की आग को उत्तेजना की हवा मिलने लगी। कोमल, “आह! आह!” करके सिसकारिया देने लगी, तभी तरुण ने अपना हाथ कोमल की पीठ पर घुमाने लगा, तब उसे उसकी पीठ नग्न प्रतीत हुई। उसे पता चला की कोमल ने अंदर से कुछ नहीं पहना है, तरुण ने कोमल को पीछे मोड़कर खड़ा किया। अब तरुण अपना दायां हाथ उसके पेट पर रखकर उसे घुमाकर ऊपर की और ले जाकर उसके स्तन दबाने लगा। तभी उसने नाडा खोलकर उसकी शाँर्ट और टी शर्ट उतार दी। अब कोमल पूरी तरह से नग्न थी, तरुण उसके स्तनों को तरुण दोनों हाथों से दबा रहा था और साथ ही साथ वह उंगलियों से उसके स्तनाग्र मसलने भी लगा था, जिस वजह से कोमल के अंदर वासना की आग ज्वाला की तरह भड़क रही थी, इस वजह से कोमल, “म्! म्! म्!” करके सिसकारिया निकाल रही थी।
अब तरुण ने अपने पैंट भी उतार दी और अपना लिंग कोमल के दोनों पैरों के बीच उसकी योनी पर घुमाने लगा और आगे पीछे करके रगड़ने लगा, तरुण का लिंग किसी वज्र की तरह सक्त था, और २० इंच लंबा और तीन इंच मोटा था। कोमल तरुण को लिंग का आकार महसूस कर सकती थी, मगर इससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी, उसकी योनी ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। कोमल अब पीछे मुड़कर तरुण की तरफ देखने लगी, तरुण उसकी आँखों में आँखें डालकर देखने लगा वह शर्माकर नीचे देखने लगी तभी उसकी नज़र तरुण के विशालकाय लिंग पर पड़ी, वैसे तो वह कई बार संभोग ले चुकी थी मगर उसने इतना बड़ा लिंग नहीं देखा था, इसीलिए उसकी नज़र वही अटक गई। कोमल अब अपने घुटनों पर आ गई और तरुण के लिंग चूमने लगी जिससे वह और सक्त हो गया, फिर वह अपनी जीभ निकालकर उसके लिंग पर घुमाने लगी, थोड़ी देर ऐसा करने के बाद कोमल तरुण का लिंग अपने मुंह में ले रही थी मगर वह पूरा लेने में असमर्थ थी। अब कोमल का खुद पर नियंत्रण नहीं रहा, अब वह स्वयं ही पलंग पर लेट गई और उसने अपने पैर मोड़कर फैला दिये, ताकि तरुण सहजता से अपना लिंग डाल सके, अब तरुण ने कोमल के पास आकर अपना लिंग उसकी योनी पर रखा, और एक जोर का झटका देकर उसकी यॊनी मॆं डाल दिया, कॊमल पहलॆ भी सम्भॊग कर चुकि थी इसलियॆ, तरुण का लिंग उसकी यॊनी मॆं गर्भाषय तक पहुंच गया। कॊमल नॆ इतना बडा लिंग कभी अपनी यॊनी मॆं नही लिया था, उपर सॆ तरुण नॆ दियॆ झटकॆ की वजह सॆ उसॆ इतना दर्द हुआ की वह चिल्ला उठी," आ! तरुण! क्या ? है यह इतना बडा!!! और कडक लंड है या लोहे का डंडा," फिर तरुण ने लिंग बाहर निकाला और बोला, "तेरे लिये कौन सा मुश्किल है? तु तो सतीश से कै बार चुद चुकी है, और सतीश से बच्चा भी कर चुकी है, तो क्या कहूँ तुझे रां...।" इतना बोलते ही तरुण ने कोमल को एक जोरदार धक्का देकर तरुण ने अपना लिंग कोमल की योनी में डाल दिया। भले ही कोमल पहले राज और सतीश से कई बार संभोग कर चुकी हो, मगर तरुण का विशालकाय लिंग अंदर जाने से उसे बहुत तेज दर्द हुआ और वह, "आ! आ! आ! मर गई!!!" करके चीख उठी। उसकी इस चीख की वजह से बगल के कमरे में सो रही रानी की नींद उड़ गई वह उठकर दीवार को कान लगाकर कमरे में क्या हो रहा है यह सुन रही थी। यहां पहला झटका देते ही तरुण ने अपना लिंग कोमल की योनी में डालकर थोड़ा बाहर निकाला और एक झटका दिया, अब वह फिर जोर से, "आ!!हा" करके चीखने लगी, तरुण ने झटके देना चालू रखा। कोमल के अंदर भड़कती वासना की आग अब और ज्यादा भड़क रही थी, और उसकी लपटे रानी तक पहुंचने लगी थी। रानी के मन में तरुण और उसके विशालकाय लिंग के खयाल आने लगे। यहाँ तरुण ने अपने झटके की रफ्तार बढ़ा दी थी, और इसके साथ कोमल की चीखने की आवाज भी तेज हो चुकी थी। वह अपने मुंह से, "आ!!!ह!! आ!!!ह!! की आवाजें लगातार आने लगी, वह आवाजें रानी साफ सुन सकती थी।
कोमल की यह सिसकारिया रानी के लिये उसकी वासना की आग में घी का काम कर रही थी उसने अपना लहंगा उठाया और अपनी उंगली अपनी योनी में डालकर घुमाने लगी। तरुण के पास तो दीवारों के भी आर पार देखने की क्षमता थी, वह उससे यह जान गया था की रानी के अंदर वासना की आग भड़क गई है। वह चाहता तो पहले ही अपने होठों को कोमल के होठों पर रखकर उसकी चीख दबा सकता था, मगर उसका इरादा तो कुछ और ही था। कोमल का वह पतला शरीर, वह भरे हुये स्तन वह एक लय के साथ लहरा रहे थे। उसके अंदर अब शर्म खत्म हो चुकी थी, अब वह भी तरुण के पीठ में हाथ डालकर अपने नाखून गाड़ना चाहती थी मगर तरुण ने उसे हाथों के पंजों को बिस्तर से
सटाकर पकड़ रखे थे। इसलिए कोमल ने अपने पैरों से तरुण की कमर को जकड़ लिया, अब वह अपने चरम पर थी, और उसका जल्द ही पानी निकल गया तरुण का अभी भी नहीं निकला था। पानी निकलते ही तरुण की कमर पर जो कोमल ने अपने पैर लपेट रखे थे, वह पकड़ अब छुट गई। कोमल अब थक चुकी थी मगर तरुण अभी भी जोश में था। वह उसे और उत्तेजित करने के लिये कोमल के स्तनों को दबाने लगा, और उसके स्तनाग्रों को चूसने और मसलने भी लगा कोमल के अंदर इच्छा तो जग रही थी मगर वह थकी हुई भी बहुत थी, इसलिए वह सो गई।
तब रानी को आवाजें आना बंद हो गई, वह उत्सुकता से क्या हुआ यह देखने बाहर निकल आई। तभी तरुण ने उसे देख लिया, अक्सर रानी सोते वक्त अपनी साड़ी उतारकर सोती थी, वह सिर्फ ब्लाउज और लहंगा पहनती थी। वह उसी अवस्था में बरामदे में घूम रही थी। तरुण ने वहाँ जाकर रानी को पीछे से पकड़ लिया तब रानी तरुण के साथ बिताये हुये पल याद आ रहे थे। तरुण के रानी को अचानक पकड़कर उसके अंदर लगी हुई वासना की आग भड़क उठी, वह पीछे मुड़कर तरुण को चूमने लगी। रानी ने अब अपने होंठ तरुण के होठों पर रखे फिर तरुण के चेहरे को दायीं और अपना चेहरा बायीं और झुकाकर अपने होंठ थोड़े खोले, इसी बीच तरुण ने भी उसके होंठ खोलकर थोड़े खोले फिर दोनों अपनी अपनी जुबान एक दुसरे के मुंह में डालकर घुमाने लगे। तरुण ने अपना हाथ रानी की कमर पर घुमाकर उसे उसकी पीठ पर ले गया और उसके ब्लाउज के अंदर डाल दिया, और उसकी पीठ को सहलाने लगा। तब उसे यह पता चला की रानी ने ब्लाउज के अंदर कुछ भी नहीं पहना है और उसका ब्लाउज भी पीछे से खुलता है। तरुण ने एक झटके में उसे खोल दिया और रानी के हाथों को पंजों से पकड़कर उसे खंबे से सटा दिया और उसे होठों से उतरकर उसके गले पर चूमने लगा। फिर वहां से चूमते हुये उसके दायें कंधे तक पहुंचा और उसके ब्लाक की पट्टी उसके कंधे से हटा दी, फिर वहा से चूमते हुये उसके दुसरे कंधे पर पहुंचा और दूसरी पट्टी भी अपने मुंह से उतार दी। अब वह कंधे से चूमते हुये छाती तक आया और उसके दोनों स्तनों के बीच की गहराई से चूमते हुये उसकी नाभि तक आया और नाभि में अपनी जुबान डालकर घुमाने लगा। अब रानी काफी उत्तेजित और गर्म हो चुकी थी, वह उत्तेजना के मारे," आ!!ह, तरुण क्या कर रहे हो आहा!आह!आह!", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तभी तरुण ने थोड़ा सा नीचे जाकर अपने मुंह से ही रानी के लहंगे का नाडा खींचकर उसका लहंगा उतार लिया, अब रानी की योनी तरुण के सामने नग्न थी, वह तरुण से पहले भी संभोग कर चुकी थी इसीलिए वह खुली थी। तरुण ने रानी का हाथ छोड़कर उसकी कमर को पकड़ लिया और उसकी योनी में अपनी जुबान डालकर उसे चाटने लगा। रानी की वासना अब चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी, रानी अपने हाथों से तरुण का सर दबाकर उसे बोल रही थी की,"तरुण आ!ह!!, आह!!,आह!!,आह!!, चाटो और आह!! सब तुम्हारा ही है," तभी उसकी चीख निकली,"आ!!!" और रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया तरुण ने वह पानी पी लिया। अब रानी ने तरुण का सिर भी छोड़ दिया, तरुण अब रानी को उठाकर उसके कमरे में ले गया और उसके पलंग पर लेटा दिया। अब तरुण ने रानी के पैरों को मोड़कर फैलाया और अपने कंधे पर ले लिया और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और एक धक्का दिया जिससे वह लिंग एक झटके में सरिता की योनी के अंदर चला गया। सरिता जोर से चिल्लाकर बोली,"तरुण!!! धीरे करो!! दर्द हो रहा है। आऊ!"
तरुण बोला,"आप तो ऐसे चिल्ला रही है जैसे मेरे साथ पहली बार कर रही है।" इतना कहकर तरुण ने लिंग आधी योनी से बाहर निकाला और एक झटका दिया, जिससे रानी को दर्द हुआ और वस चीखकर बोली ,"आऊच!! हाये में मर गई रे!", तरुण को इससे काफी जोश आया और उसने और झटके जोर के और तेज कर दिये। तरुण बोला,"पहले तो काफी मजा आ रहा था ना, नाटक बंद करो!" तरुण के ऐसा बोलते ही रानी भी उसे कमर से झटके देकर उसका साथ दे रही थी। तरुण ने अब उसके एक स्तनाग्र को चूसना शुरु किया, इससे रानी और उत्तेजित होने लगी और वह, अपने मुंह से,"आ!!!हा, आ!!!ह और!!! तरुण और!!!" कहते हुये अपने पैर तरुण पर लपेट लिये, और अपनी कमर के झटके तेज कर दिये, दोनों एक दुसरे का पूरा साथ दे रहे थे, तभी रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया और वह नीढाल हो गई। तब तरुण ने उसे पलटकर रखा और अपना हाथ उसकी कमर पर घुमाने लगा, यह एहसास रानी को अच्छा लगा। फिर तरुण ने वह हाथ घुमाते हुये उसके नीतम्ब की मालिश करने लगा इससे रानी और उत्तेजित हो गई, और वह उसे बोलने लगी," तरुण वाह! मजा आ रहा है और करो।" तरुण इसे हामी समझकर तैयार हुआ और अपना लिंग उसके गुद्द्वार पर आगे पीछे करने लगा जिससे रानी को मजा आने लगा। फिर तरुण ने नितम्बों के बीच तेल डालकर अपने लिंग की गति बढाने लगा, जिससे तरुण का लिंग चिकना हो गया। अब तरुण को लगा की यह सही अवसर है, उसने अपना लिंग झटका देकर उसके गुद्द्वार में डाल दिया, रानी,"आ!!!! तरुण!!!! मर गई में!! हाय!!! कहाँ डाल दिया!!!, जल्दी बाहर निकाल!!" ऐसे वह चिल्लाने लगी और वह आगे पेट के बल रेंगकर खिसक गई तरुण ने भी अपना लिंग पीछे लिया। तरुण जब लिंग पीछे निकाल रहा था तब उसके स्पर्श से वह राहत से,"हम्!! आहा!!आहा!!आहा!!" करके सिसकारिया ले रही थी। तभी पूरा निकालने से पहले तरुण ने रानी के स्तनों को जकड़ के एक झटका दिया, और अपना लिंग गुद्द्वार में और गहराई में डाल दिया, उससे रानी की,"आ!!!!" करके चीख निकल गई। अब तरुण रानी को झटके दिये जा रहा था और रानी कभी ,"आ!!" "ई!!!" करके चीखकर उसका जोश बढाने लगी थी। अब रानी को भी मजा आ रहा था उसकी चीखे अब सिसकारिया बन गई थी। तभी रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया और वह थकान की वजह से नीढाल हो गई, और सो गई। तरुण तो बिना वीर्य पात के अनंत काल तक रह सकता था, और वह नहीं झडा था। वह और करना चाहता था, मगर रानी थक चुकी थी, और सो गई और तरुण भी उसे लिपट कर सो गया।
यहाँ तरुण ने सपने में देखा की वह उसी जगह ऋषि कृतानंद के आश्रम में है और अयाना नग्न अवस्था में उसके साथ पलंग पर लेटी है। तरुण के मन में सैतानासुर के जन्म को लेकर काफी प्रश्न थे।
तरुण ने अपना हाथ अयाना के स्तनों पर रखा और पूछा की,"सैतानासुर क्यों नहीं मरा, जैसे बाकी असुर मारे गये वैसे?" तब अयाना ने बताया, "सैतानासुर कोई साधारण असुर नहीं था, उसके पीता तो असुर थे मगर माँ एक देवी थी"
चौंककर तरुण ने पूछा,"देवी? कौन सी देवी?"
आयाना ने कहां, "कामदेव की पत्नी देवी रति"
तब तरुण की उत्सुकता बढ़ी और उसने पूछा,"कैसे?"
तब अयाना ने कहा," इसके पीछे एक कहानी है, तुम कहो तो सुनाती हूं?"
तरुण बोला ,"सुनाओ।"
तब अयाना ने उसे कथा सुनाई वह ऐसे:-
एक बार सतयुग में एक असुर हुआ करता था। उसका नाम मण्डूकासुर था, वह रूप से काफी कुरूप था मनुष्य तो छोड़ो असुरकन्या, राक्षसी भी उससे विवाह करने को तैयार नहीं थी, उसका मुख भी देखा पसंद नहीं करती थी। वह कई बार अपमानित हो चुका था, उसने सोचा की वह अब सबको सुन्दर और आकर्षक व्यक्ति बनकर दिखायेगा। उसने सुंदरता की देवी, रति की तपस्या आरम्भ कर दी, उसकी यह तपस्या इतनी घोर थी की, उससे अर्जित तपोबल से देवराज इंद्र का सिंहासन अस्थिर होने लगा।
देवराज इंद्र: यह सब क्या हो रहा है, कौन सा संकट आयेगा अब स्वर्ग पर?
(तभी देव ऋषि नारद वहाँ प्रकट हुये)
इंद्रदेव: आपका स्वागत है, देव ऋषि नारद।
नारद : इस असुर से आपके सिंहासन को कोई संकट नहीं है, देवराज।
इंद्रदेव: परंतु सावधान रहना तो आवश्यक है, और भले इससे ना हो लेकिन इसकी तपस्या से तो है।
तब इंद्रदेव ने अप्सराओं को उसके पास उसकी तपस्या भंग करने भेजा मगर अप्सराओं के लाख प्रयास करने के बाद भी वह उसकी तपस्या करने में बाधा ना डाल सकीं। तब उन्होंने कामदेव और रति को वहां भेजा कामदेव ने अपने पुष्पबाण चलाकर उसकी तपस्या भंग करनी चाही, मगर सौ पुष्पबान चलाने पर भी वह ऐसा करने में आसमर्थ थे। उसकी तपस्या चरम पर पहुंच गई और देवी रति को उसके सामने आने के लिये विवश होना पड़ा।
देवी रति मण्डूकासुर के सामने प्रकट हुई और बोली,"आँखें खोलो मण्डूकासुर, मै तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं, बताओ क्या वरदान चाहिये तुम्हें?"
तब मण्डूकासुर ने बोला,"हे देवी मुझे कुछ ऐसा वरदान दीजिए की जिससे मै जिस स्त्री को चाहू उसे अपनी और आकर्षित कर सकूं, और अपने प्रति उसके मन में कामुकता जगा सकूं।"
स्वर्ग से यह सब देवराज इंद्र देख रहे थे, वह हंसकर बोले,"यह इसलिए तप कर रहा था! हम तो मिथ्या ही चिंता कर रहे थे।"
तब देवी रति ने उसे एक तावीज दिया और कहा," यह लो मण्डूकासुर, तुम इसे दोनों हाथों मे पकड़कर जीस भी स्त्री का नाम लोगे वह तुम्हारे साथ संभोग करने के लिये तत्पर हो जायेगी। वह उनसे लेकर मण्डूकासुर
ने कहा,"धन्यवाद देवी रति!"।
असल में तब मण्डूकासुर ने अपने दोनों हाथों में उसे पकड़कर देवी को प्रनाम किया, और यह कहा था। उस वरदान में देवियां भी आती थी, इससे रति प्रभावित हुई और वह नीचे भूमि पर लेट गई। उन्होंने अपना एक पैर घुटने से मोड़कर अपने दोनों हाथों को अपने सिर के पीछे अपने दोनों हाथों को रखकर एक कामुकता भरी मुद्रा दिखाई। तब मण्डूकासुर पर कामदेव के सौ बाणों का प्रभाव शुरू हुआ, वह अब देवी रति की और बढ़ा, उसने उनके वस्त्र उतारकर उन्हें नग्न किया और अपने होंठ उसके होठों पर रखकर चूमने लगा और अपना लिंग उसकी योनी में डालकर उसके साथ सम्भोग करने लगा और देवी रति भी उसका साथ देने लगी दोनों तीन दिन तक सम्भोग करते रहे। फिर मण्डूकासुर का वीर्य पात हुआ और उससे देवी रति का गर्भाधान हुआ, नौ महीने बाद उन्होंने एक आकर्षक पुत्र को जन्म दिया। जन्म देने के बाद देवी रति स्वर्ग के लिये प्रस्थान करने लगी, तब मण्डूकासुर ने उसे कहा,"देवी आप इसकी माता है, अगर आप नहीं होगी तो इसे दूध कौन पीलायेगा?" तब देवी ने एक अक्षय पात्र प्रकट किया और उसमें अपने स्तन से कुछ बूंद दूध डाला, मगर जैसे ही वह बूंद पात्र में गिरी वह पात्र दूध से भर गया। देवी रति ने कहा, "यह अक्षय पात्र है, इसमें अगर किसी पदार्थ की थोड़ी सी मात्रा भी डाल दी जायें तो उसका अनंत स्त्रोत बन जाता है, यह उसकी माँ के दूध की आवश्यकता को पूरा करेगा।" यह कहकर देवी रति स्वर्ग के लिये निकल गई। फिर बारा दिन बाद उसका नामकरण कराया, वहाँ समस्त असुर संप्रदाय के साथ असुर गुरु शुक्राचार्य भी उपस्थित थे। तब उन्होंने उसकी कुंडली का अभ्यास किया और वह खुश भी हुये और चकित भी हुये। उनके यह भाव देखकर मण्डूकासुर ने उनसे पूछा,"क्या हुआ गुरुदेव? कोई समस्या है क्या?"
तब उन्होंने कहा,"हे मण्डूकासुर, ऐसी कुंडली हमने आज तक नहीं देखी, यह तो मरने के उपरांत भी जीवित रहने की क्षमता रखता हे!"
मण्डूकासुर ने कहा, "मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"
शुक्राचार्य ने कहा," संकोच कैसा? बताओ।"
मण्डूकासुर,"यहां नहीं, एकान्त में।"
शुक्राचार्य ने हाथ से सब को इशारा करके बाहर भेज दिया।
शुक्राचार्य ने कहा ,"अब बताओ।"
मण्डूकासुर, "इसका पीता तो मैं हूं, मगर उसकी माता देवी रति है।"
शुक्राचार्य ने पूछा,"सत्य में! कैसे?"
फिर मण्डूकासुर ने उन्हें सारा सार सुनाया। शुक्राचार्य प्रसन्न होकर बोले,"अरे वाह मण्डूकासुर, तुमने तो वह कर दिखाया जो मेरे, अजय शिष्य भी प्राप्त ना कर सके, तुमने एक देवी से उत्पन्न पुत्र प्राप्त किया है,इसके रक्त में अमृत के अंश है, परन्तु तुम छह मास तक इसकी दूध की आवश्यकता कैसे पूर्ण करोगे?"
तब वह रोने लगा, तब मण्डूकासुर ने उसे अक्षय पात्र से कुछ दूध पिलाया। और शुक्राचार्य से कहा,"देवी रति ने उसे यह अक्षय पात्र दिया है जो अनंत काल तक दूध की धारा प्रदान कर सकता है।"
तब शुक्राचार्य ने कहा,"अगर ऐसा है तो तुम पूरी आयु इसे यह दुग्ध देते रहो, इससे ना केवल उसकी दुग्ध की आवश्यकता पूर्ण होगी, इसके साथ उसे कामदेव की दिव्य शक्तियां और अमृत भी प्राप्त होगा।"
फिर शुक्राचार्य ने सब को भीतर बुलाया और नामकरण विधि संपन्न की उसका नाम सैतानासुर रखा गया। फिर शुक्राचार्य ने वहाँ से प्रस्थान किया।
यहा कथा खत्म करने के बाद अयाना तरुण से बोली, "यह तो है सैतानासुर के जन्म का रहस्य"
बहुत ही शानदार अपडेट इस अपडेट में डॉक्टर चुतिया का जीकर आय हाय साथ ही chutiyadr sir ki story ki sabse fevrate kirdar kajal ka jikr aaya hai. Ye koyi normal baat nahi hai. Kyuki mujhe lagta hai aap khud chutiya dr ho. Mujhe aisa isliye lag raha hai kyuki mane unki likhi kai stori padha hai aur usme dr chuta ka part hota hi hai.Update 6
तरुण की यहां नींद खत्म हो गई और वह जाग गया उसने देखा की रानी उसके साथ पूरी तरह नग्न अवस्था में है, और उसने कुछ भी ओढ़े नहीं रखा है। तरुण अब कोमल को भी उत्तेजित करना चाहता था, इसीलिए उसने रानी को वैसे ही नग्न छोड़ दिया और वह कमरे से बाहर आया और कोमल के सामने से ही रानी के कमरे से निकला कोमल उसे देखकर चौंक गई, जब वह अपनी माँ के कमरे में गई तो समझ गई की क्या हुआ है। उसके सामने उसकी माँ नग्न अवस्था में थी, और उसकी योनी और गुद्द्वार काफी फैल चुके थे। तब तक तरुण कपड़े पहनकर तैयार हो गया और कोमल को आवाज लगाई, तब कोमल बोली, "आती हूँ। " इतना कहकर कोमल बैठक में आ गई, तरुण वही मौजूद था। कोमल को देखते ही तरुण ने उसका हाथ पकड़कर जोर से खींचा, और अपने नजदीक सोफे पर बैठा लिया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे जकड़ लिया। तरुण कोमल के स्तनों को दबाकर बोला,"कोमल मै तो तैयार हूं क्या, तुम लेना चाहती हो?"
कोमल बोली,"अभी नहीं, अभी हमें राज के घर जाना है, मै उसे सब कुछ सच सच बता दूंगी अपने बारेमें।"
फिर दोनों बाईक पर बैठ कर राज के घर निकल गये। तरुण ने बाईक पर कोमल की कमर पर हाथ रखा और उसे अपनी बाहों में भिंच लिया, थोड़ी देर बाद वह लोग राज के घर पहुंच गये। कोमल ने दरवाजे की घंटी बजाई सामने सरिता ने दरवाजा खोला, सामने सरिता खड़ी थी और कोमल को देखकर थोड़ी गुस्सा हुई। तब सरिता बोली, "अब क्या लेने आयी है यहां?"
तब तरुण ने कहा ,"यह आपको सच बताने आई है, वैसे राज दिखाई नहीं दे रहा?"
तब राज भी आ गया और सबको सरिता ने सबको अंदर आने के लिये कहा। और अंदर बैठकर तरुण और कोमल ने, क्यों कोमल को राज के परिवार के खिलाफ साजिश में शामिल होना पड़ा था, यह बताया। कोमल की कहानी सुनकर सब हैरत में पड़ गये।
राज ने तरुण से पूछा,"तरुण तुम तो रानी को बचाने के लिये गये थे? तुमने पहचाना या जानते हो वह कौन थे।"
तरुण ने बताया, "यकीन के साथ तो नहीं कह सकता मगर रानी जी का कहना है की वह उनके खानदानी दुश्मन थें।"
तब कोमल ने पूछा,"अगर वह हमारे खानदानी दुश्मनी की वजह से होते तो उन्होंने राज पर ही क्यों निशाना साधा था?"
तब कोमल ने राज को कहा, "राज वैसे मैने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया"
राज बोला, "अरे कोमल! भूल जाओ ऐसा कुछ नहीं है"
कोमल बोली, "मै तुम्हारे लिये एक गीफ्ट लायी हूँ।"
राज, "वैसे गीफ्ट क्या है?"
कोमल बोली,"यहाँ नहीं, रुम में।"
राज कोमल के साथ रूम में चला गया। यहाँ सिर्फ सरिता और तरुण थे, तरुण ने सरिता से पूछा, "वैसे राज और आप की वो रात कैसी थी?"
यह सुन सरिता थोड़ी घबराकर बोली, "कौन सी रात, तरुण ?"
तरुण थोड़ा सरिता के नजदीक आकर बोला,"वैसे, कोमल भी पूछ रही थी की दवा कितनी देर असर करती है? वह कह रही थी की दो घंटे की गैरंटी है।"
सरिता बोली, "नहीं! नहीं! ये तो कम है वह तो छह घंटे बाद ....", सरिता बोलते बोलते रुक गई और उसने अपने जबान दांतों के बीच दबा ली। वह शर्म के मारे उठकर वहाँ से चली गई।
यहाँ कमरे में कोमल और राज के बीच कामुकता का अलग ही मंजर चल रहा था, अंदर जाकर जब राज ने कोमल को पूछा," गिफ्ट कहां है कोमल?"
तब कोमल ने उसे कहाँ की "आँखें बंद करो।"
राज ने पूछा,"क्यों?"
कोमल बोली, "सरप्राईज है!"
राज ने पूछा,"क्या है?"
कोमल बोली, "बताया, तो सरप्राईज कैसा, आँखें बंद करो!"
राज ने आँखें बंद की, और थोड़ी देर बाद उसने अपने होंठोंपर एक अलग सी गर्मी महसूस की, उस गर्मी में उसे अजीब सी राहत मील रही थी। तभी उसने अपनी आँखें खोलकर देखा तो वह देखता ही रह गया, कोमल उसे बडे समर्पण के साथ उसके होठों पर चूम रही थी। उसने सारे कपड़े उतार दिये थे, वह सिर्फ़ एक क्वार्टर कप ब्रा और लेस थाँग पहने हुये थी, उनका रंग गुलाबी था और ब्रा से उसके स्तनाग्र आराम से बाहर आ रहे थे। राज भी अब जोश में आ गया था, वह कोमल को चेहरे पर काफ़ी चूमने लगा फिर वह चूमते चूमते उसकी गर्दन पर अपनी जीभ घुमाने लगा। कोमल अब बहुत कामुक हो रही थी, और जोर जोर से,"आह! राज आह! और करो और करो" बोले जा रही थी, इससे राज का जोश तो बढ़ रहा था, जिससे राज कोमल को अपनी बाहों में और जोर से कसकर चूमने लगा था। कोमल का उद्देश्य राज का जोश जगाना था, मगर उसके साथ साथ तरुण को अपनी सिसकारिया सुनाकर जलाना और कामुक करके तडपाना भी था, क्योंकि तरुण उससे नहीं झड़ सका और उसने उसकी माँ के साथ तो उसने योनी और गुद्द्वार में करने के बाद भी नहीं झडा था, एक सामान्य लड़के के से दस से बारा बार पानी निकलवाकर भी, उसका वीर्यपात करवाने में मिली असफलता के कारण वह अंदर से उसका अहंकार को चोट पहुंची थी। उसपर वीर्य निकालने का जैसे आवेश छा गया था, वह भी जोर जोर से सिसकारिया निकाल रही थी।
कोमल की कामुकता भरी सिसकारिया बाहर तक सुनाई दे रही थी, तरुण और सरिता बातें कर रहे थे, और जब सरिता उठकर जाने लगी तब उसे कोमल की कामुकता भरी सिसकारिया बाहर सुनाई देने लगी और उसके मन में कुतूहल जाग्रत हुआ, वहाँ दरवाजे को एक कि-होल था, सरिता ने उसी कि-होल से अंदर झांक कर देखा तो वह दंग रह गई ।वहाँ कोमल उसके सामने पूरी तरह से नग्न थी, और राज उसके स्तनों को बड़ी जोर से दबा रहा था और स्तनाग्रों को चूस रहा था। अब तरुण सरिता के पीछे आकर खड़ा हो गया, सरिता को इस बात का ध्यान ही नहीं था। अंदर राज ने कोमल की नाभि में जबान डालकर उसे घुमाना शूरू कर दिया, और कोमल, "आह! राज अब बस भी करो, डाल दो अंदर!! और मत तडपाओ!" ऐसे बार बार चिल्ला रही थी। यह देखकर बाहर सरिता के मन में भी वासना की आग भड़क रही थी, वह अंदर तो जा नहीं सकती थी; क्योंकि ताला लगा हुआ था , और अगर वह दरवाजा खटखटाती तो वह दोनों रुक जाते, और उसका इतना अच्छा सम्भोग देखने का आनन्द भी चला जाता। सरिता अंदर का दृश्य देखने मे इतनी व्यस्त थी, की उसे इस बात का भी ध्यान नहीं था की तरुण उसके पीछे खड़ा है। सरिता की उत्तेजना इतनी बढ चुकी थी की, कामुकता के मारे उसके स्तनाग्र सक्त हो चुके थे और जब से व्हायग्रा के प्रभाव में आकर राज ने उसके साथ सम्भोग किया था, तब से वह हर रात उसे साथ संभोग कर रही थी, रोज राज का वीर्य निकलने तक सम्भोग करती थी और उसे सम्भोग की लत लग चुकी थी। सरिता की वासना अब नियंत्रण के बाहर थी, उसने अपनी साड़ी कमर से उपर कर दी, और अपनी उंगली अपनी योनी में डालकर अंदर बाहर करने लगी और घुमाने लगी। अब सरिता उंगली घुमाने के साथ साथ, "आह! आह!" करने लगी।
वह बोल रही थी," ओह! राज! कोई चोदो मुझे! फाड़ दो मेरी चूत!! फाड दो मेरी चूत!!! फाड़ दो मेरी गाँड!!!"
सरिता अपनी धुन में यह भूल गई थी की, पीछे तरुण खड़ा था। तब तरुण ने साड़ी से बाहर आती उसकी चिकनी जंघाओं पर धीरे से हाथ रखा, मगर सरिता को इसका एहसास भी नहीं हुआ। तरुण का साहस अब और बढ गया सरिता ने जो ब्लाउज पहना था, वह बैकलेस था और पीछे नाड़ियों से बंधा हुआ था। तरुण ने धीरे से नाड़ी खोल दी और उसके भरे हुये स्तन खुल गये और जब से उसने राज के साथ सम्भोग किया था, उसने घर में ब्रा पहनना बंद कर दिया था, ज्यादातर बैकलेस पश्चिमी कपड़े पहना करती थी। उसने आज ही साड़ी पहने रखी थी, तरुण को अपनी दिमाग पढ़ने की कला से यह पता चलते देर नहीं लगी की सरिता वासना में इतनी डूब चुकी थी की, उसे इस बात का भी एहसास नहीं था की तरुण ने उसका ब्लाउज खोल दिया है। सरिता को लेहंगे का नाडा कमर की बाजू मे बांधने की आदत थी, तरुण ने फिर धीरे से वह नाडा पकड़कर खींच लिया और सरिता की साड़ी छूटकर नीचे गिर गई।
तब सरिता को एहसास हुआ की उसका ब्लाउज भी खुल चुका है। उसने झट से पीछे मुड़कर अपने स्तनों पर हाथ रखकर ढक लिये, जिससे उसका लेहंगा खिसक कर नीचे गिर गया। जैसे ही सरिता अपनी साड़ी उठाने के लिये नीचे झुकी, तभी तरुण ने उसके स्तनों को जोर से पकड़ कर दबा दिया। सरिता डरकर पीछे हट गई और दीवार से सटकर खड़ी हो गई, तरुण बड़ी फुर्ती से उसकी साड़ी और लेहंगा उठाकर भाग गया।
सरिता बोली,"तरुण! छोड़ मेरे कपड़े, वापस कर मुझे" तरुण उसे छेड़ कर बोला, "चाहिए तो ले लो," इतना कहकर वह भागा। सरिता के कपड़े जिस कमरे में थे वह बंद था, इसीलिए सरिता को तरुण के पीछे ऐसी ही अवस्था में भागना पड़ा। सरिता पीछे थी, तरुण आगे था सरिता के भागने की वजह से उसके भरे हुये स्तन बड़ी कामुक लय के साथ डोल रहे थे। तरुण भागते भागते सरिता के सीने में होती हुई स्तनों के कंपन का आनंद ले रहा था, तरुण सरिता को दौड़ाते हुये घर के बाहर ले आया था। वह घर के आसपास सिर्फ़ खुली जगह थी जहाँ, सिर्फ़ हरी घास उगी हूई थी। आसपास दूर दूर तक कोई घर नहीं था, सिर्फ जंगल था। तरुण कुछ दूर जाकर रूक गया, सरिता भागते भागते थक चुकी थी, वह हांफते हांफते बोली,"तरुण!! बस बहुत भगा लिया, अब वह कपड़े मुझे दे दो।"
तरुण ने साड़ी नीचे डाल दी और सरिता से कहा, "यह लो, ले लो।"
तरुण जान भूजकर सरिता को वही ले आया था जहाँ रबर का टब था।
जैसे ही सरिता आगे बढ़ती है, तरुण उसके ब्लाउज पर एक जोरदार धक्का दे देता है, वह पीछे पानी से भरी रबर की टब में पूरी तरह से नग्न अवस्था में गीर जाती है। उसके अंदर पानी था, जिससे सरिता पूरी तरह भीग गई। वह अब तरुण की और गुस्से में देखने लगी, तभी तरुण ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये और सरिता के साथ टब में उतर गया। सरिता बोली, "बेशरम! अपनी माँ जैसी औरत के साथ ऐसी..."
तरुण उसकी बात पूरी होने से पहले उसको जकड़ कर बोला, "और जो सगे बेटे के साथ सात दिन से कर रही थी, वो क्या था"
यह सुनकर सरिता का मुंह खुला का खुला रह गया, तरुण ने तभी सरिता को नीचे टब में गिरा दिया और स्तनों के बीच में अपना लिंग डाल दिया और उसके स्तनों के बीच अपने लिंग को रगड़ने लगा। सरिता उसके लिंग का विशालकाय आकार और मजबूती देखकर आश्चर्यचकित हो गई, और तरुण से बोली, "तेरा लंड है या, लोहे का मूसल?"
तरुण उसके स्तनाग्रों को उंगलियों से मसलते हुये बोला, "आप तो ऐसे बोल रही है जैसे पहली बार अंदर ले रही हो, तुम्हारी चूत का भोसडा मेरे ही लंड ने बनाया था।"
सरिता की चीख निकल गई और वह बोली, "आ!आ! धीरे दबा में कोई रंडी नहीं हू जो तू इतनी जोर से दबा रहा है।"
तरुण बोला, "जो अपने सगे बेटे से चुदी हो उसे क्या बोलेंगे?"
इतना बोलते ही तरुण ने अपना लिंग सरिता की योनी पर रखा और एक जोर का धक्का दिया जिससे तरुण का लिंग सरिता के गर्भाशय तक पहुँच गया। और सरिता के मुंह से, "आ!!!" करके चीख निकल गई।
तरुण सरिता के स्तनों को जोर से दबाकर बोला,"इतना क्या चीखना, पहले भी ले चुकी हो ना?"
और तरुण जोर जोर से अपना लिंग सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता की योनी पानी छोड़ने लगी थी, मगर वह टब में होने की वजह से पता नहीं चल रहा था।धीरे धीरे सरिता की चीखें सिसकारियों में बदलने लगी थी।
सरिता तरुण को बोल रही थी,"आह! तरुण और करो! मेरे राजा!"
तरुण बोला, "बोल कौन है तू मेरी?"
सरिता चीखकर बोली,"रंडी!!!"
तरुण इससे और उत्साहीत हो रहा था, और सरिता को और जोर से धक्के दे रहा था, यहां सरिता अपने चरम पर थी, और उसने अपनी एक चीख के साथ सारा पानी छोड़ दिया, और वह वही नीढाल हो गई मगर तरुण का अभी तक नहीं हुआ था, और वहां राज ५ बार कोमल के सामने झड़ चुका था, और कोमल राज से निराश हो गई थी क्योंकि वह एक बार भी नहीं झड़ी थी। कोमल का ज्यादातर वक्त राज का लिंग चूस कर उसे खड़ा करने में ही गया था। अब तो राज इतना थक चुका था की वह सो गया अब कोमल जब बाहर आई तो उसने देखा की तरुण ने तो सरिता का पानी निकाल दिया था और वह अब वह सरिता के साथ अँनल करने वाला था, तरुण ने थूक लगाकर अपना लिंग सरिता की योनी में डाला तो सरिता की चीख निकल गई, मगर उसे मजा भी आ रहा था उसकी योनी लगातार पानी छोड़ रही थी, और जैसे जैसे तरुण सरिता के उपर धक्के लगाता गया सरिता भी लगातार उसका साथ दे रही थी, थोड़ी देर में सरिता भी थक गई और वही सो गई वह कई बार झड़ चुकी थी। तब तरुण ने सरिता को नग्न अवस्था में ही वहाँ बगीचे में सुला दिया और अपने कपड़े पहनकर कोमल के साथ स्कूटर पर बैठकर निकल आया।
तरुण कोमल के पीछे बैठा था, और उसने अपने हाथ कोमल की कमर पर रख दिये। कोमल के अंदर की हवस शांत नहीं हुई थी, तरुण ने अपने हाथ उपर ले जाते हुये उसके स्तनों पर ले गया और दबाने लगा। कोमल के मन में कामुकता अभी भी भरी हुई थी, और वह तरुण के छूने से ही उत्तेजित हो रही थी। तरुण भी उसके स्तन दबाये जा रहा था। कोमल ने एक जगह गाड़ी रोक दी और वह नीचे उतरकर एक पेड के पास खड़ी हो गई, और तरुण को देखते हुये उसने बड़े ही कामुक अंदाज में अपने हाथ उपर करके अपने रस के पीछे लिये। तरुण यह समझ गया की, कोमल उसे अपने पास आने के लिये न्योता दे रही है। तरुण उसकी आंखों में देखने लगा और उसकी तरफ बढ़ने लगा, कोमल धीरे धीरे अपने कदम पीछे लेने लगी और वह दोनों जंगल के काफ़ी अंदर चले गये। कोमल के पीछे एक पहाड़ी का सीधा कड़ा था, वहाँ उसने अपनी पीठ टेक दी। तरुण कोमल के और करीब आया और उसका चेहरा कोमल के चेहरे के एकदम करीब आ गया। कोमल ने अपनी आँखें बंद कर ली और उसकी सांसे तेज होने लगी, तरुण कोमल के और करीब आया और उसने अपने होंठ कोमल के होंठों पर रख दिये। तरुण उसे चूमने लगा और कोमल भी उसका साथ देने लगी वह दोनों अपनी जीभ एक दुसरे के मुंह में डालकर घुमाने लगे, कोमल अब तैयार होने लगी उसने अपने हाथ तरुण की पीठ पर रख दिये और जवाब में तरुण ने भी कोमल कोमल का सुट उपर उठाकर अपना हाथ उसकी कमर पर रखा और घुमाने लगा। तरुण उसे होठों पर चूमते चूमते उसकी गर्दन पर चूमने लगा उसने नीचे आते आते उसकी सलवार उसकी नीकर के साथ कमर से नीचे खींच ली। और चूमते चूमते वह उसके स्तनों को कमीज के उपर से ही चूमने लगा, जिससे कोमल के मुंह से, "आह! आह! ओह तरुण!! जल्दी करो" करके सिसकारिया करने लगी। अब कोमल तरुण के सर को अपने उपर दबाने लगी, तरुण अब उसके स्तनों को चूमते चूमते उसके पेट से होते हुये उसकी नाभि और बाद में उसकी योनी, को चूमने लगा।ऐसा करते हुये तरुण ने उसकी सलवार और पैंटी एक साथ उतार दी। तरुण कोमल की योनी चूमते चूमते उसके अंदर अपनी जबान डालकर चाटने लगा, कोमल भी उसके सर को अपनी योनी में दबाते हुये सिसकारिया लेने लगी। तरुण अब उसे चाटते हुये उपर की और जाने लगा, जैसे जैसे वह उपर की और बढ़ने लगा वैसे वैसे वह कोमल की कमीज भी उपर कर रहा था। जब वह कोमल की नाभि पर पहुँचकर उसकी नाभि में जबान डालकर घुमाने लगा, तब उसने कोमल की कमीज के साथ साथ उसकी ब्रा भी उतार दी। वह कोमल के स्तन दबाने लगा, और उसकी नाभि को चाटते हुये उपर जाने लगा। कोमल ने अपने हाथ तरुण के हाथों पर रखकर घुमाने लगी, तरुण ने उपर आते आते उसके हाथ बाजू में कर दिये। और उसके स्तनों से चाटते चाटते उसके होठों को चूमने लगा। तरुण ने अपनी पैंट भी उतार दी थी, और अपना लिंग कोमल की योनी पर रखा और एक जोरदार धक्का दिया, जिससे उसका बीस इंच का लिंग आठ इंच अंदर चला गया, वह सीधे बच्चेदानी(गर्भाशय) के अंत तक चला गया और उससे कोमल को दर्द हुआ और वह "आह!!!" करके चिल्लाने लगी। भले ही यह तरुण और कोमल का पहली बार नहीं था मगर तरुण का लिंग इतना विशालकाय था की किसी की भी चीख निकल जाये। अब कोमल भी तरुण का साथ देने लगी थी, वह अब तरुण के लिंग को उपर नीचे होकर अपनी योनी के अंदर बाहर करती थी। अब कोमल अपने चरम पर थी और थोड़ी ही देर में उसका पानी निकल गया, वह अब झड़ चुकी थी। मगर तरुण अभीभी सक्त था, उसने कोमल को कमर से पकड़कर पास ही में बहते एक झरने के नीचे ले गया। कोमल को उसने पीछे से पकड़कर उसके स्तनों को दबाने लगा और उसकी गांड में अपना लिंग डाल दिया जिससे वह चिल्लाने लगी।और तरुण अपना लिंग आगे पीछे करने लगा, थोड़ी देर बाद कोमल झड़ गई और दोनों अपने कपड़े पहनकर घर निकल गये।
यहां राज की नींद खुल जाती है, और वह अपने पास कोमल को अपने पास ना पाकर थोड़ा परेशान हो जाता है, और वह बाहर निकलकर अपने घर के बगीचे में देखता है तो वह अपनी माँ सरिता को नग्न अवस्था में देखकर हैरान हो जाता है। वह उसके पास जाकर उसे उठाने के लिये जैसे ही उसे छूता है, सरिता बोलती है,"ओह! तरुण , आज तो तुमने खुश कर दिया!"। मगर जैसे ही वह आँखें खोलती है, तो अपने बेटे को सामने देख शर्माकर घर के अंदर भाग जाती है।
यहाँ राज मन में ही सोचता है,"तरुण के बच्चे, मै तुझे छोडुंगा नहीं बदला जरुर लूंगा।"
और वह निकल जाता है।
यहां तरुण और कोमल जैसे ही घर पहुंचते है, तरुण को घर से फोन आता है, वह फोन उठाता है। वह फोन तेजल का था,
फोन पर,
तेजल : तरुण कैसे हो?
तरुण : मै तो ठीक हु, तुम कैसी हो? आखिर मेरे लंड की याद आ ही गई।
तेजल : हाँ , यह सब छोड़ तेरे लिये एक गुडन्युज है, हम करोड़पती बन चुके है।
तरुण : कैसे? कोई लोटरी लगी क्या?
तेजल : ऐसा भी कह सकते है, घर आकर बताऊंगी।
तरुण ने कोमल को बाय बोला और तेजल को लेने स्टेशन पर चला गया। वहाँ उसने अपनी स्कूटी लगाई और जैसे ही स्टेशन के गेट पर देखा तो उसे वहा तेजल दिखाई दी। वह बहुत खुश थी, उसने काली साड़ी और बैकलेस ब्लाउज पहना हुआ था, जो सिर्फ दो पट्टियों से बंधा हुआ। तेजल तरुण को बोली, " तु पीछे बैठ तरुण, मै चलाती हुं।" इतना कहकर वह आगे बैठ गई और तरुण पीछे बैठ गया।
तेजल ने स्कूटी शुरू की और घर की और चलाने कहा,"तरुण कस कर पकड़ मै तेज चलाने वाली हूं।"
तरुण ने कस कर तेजल की कमर को जकड़ लिया।
तेजल ने शर्माकर उसे पूछा," तरुण यह क्या कर रहे हो,छोड़ो!!"
तरुण ने उसके नजदीक आकर उसे लिपट गया और उसके कान के करीब आकर उसके कान में कहा," तुमने ही तो कहा था कसकर पकड़ने को" और उसने उसके कानों पर धीरे से फूंक मारी, जिससे तेजल को कपकपी छुटी और वह गर्माने लगी।
तरुण के हाथों ने तेजल की कमर को सहलानेका काम शुरू किया, वह अपने एक हाथ से तेजल की नाभी तो दुसरे हाथ से उसे स्तनों को नीचे से स्पर्श कर रहा था। तेजल अब तरुण के साथ कामुकता की बाढ़ में डूबना चाहती थी, मगर उससे उसका ध्यान हटकर दुर्घटना होने की संभावना थी। तेजल अपने अंदर की वासना की आग को दबाये हुये थी। अगर कोई और होता तो प्रयास रोक देता, मगर यहाँ तरुण के पास ब्रह्मराक्षस से मिली हुई दो शक्तियां थी,Gspot ढुंडने की और मन की बातें जानने की क्षमता थी, इसलिए तरुण अपना प्रयास लगातार करता गया। इससे तेजल की हालत खराब हो रही थी, लेकिन वह गाड़ी चलाने पर ध्यान देती है। तरुण अब अपने हाथों को तेजल के पेट से उपर की और होते हुये आपने हाथ उसके स्तनों पर ले जाता है। और तेजल के स्तनों को दबाने लगता है, तेजल अब और उत्तेजित होने लगती है तभी वह दोनों घर पहुंच जाते है। वहाँ तेजल घर में जाते ही बाथरूम चली जाती है, और अपने कपड़े उतारकर नहाने लगती है। उसने शावर शुरू करके नहाने लगी, वह जानती थी की उसके अंदर की हवस की आग शावर के पानी से नहीं बूझेगी मगर वह कोशिश तो कर रही थी। तेजल यह बात भूल गई थी बाथरूम का दरवाजा खुला है, तरुण रसोई में खाना बनाने की तैयारी करने जा रहा था। तरुण की नजर अपनी योनी में उंगली चलाती हुई तेजल पर पड़ती है, और उसे यही सही अवसर लगता है। तरुण अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न होकर धीरे से बाथरूम के अंदर घुसकर तेजल को पीछे से पकड़ता है। तेजल की जंघा पर तरुण का लिंग स्पर्श करता है, तेजल उसपर अपना हाथ रखकर उसे पकड़ती है, वह
काफी हैरान हो जाती है, क्योंकि उसका लिंग बीस इंच लंबा और 4 इंच मोटा था। वह उसे आगे पीछे करती रहती है, और तरुण भी उसकी कमर और सपाट पेट पर हाथ घुमाकर उसकी गर्दन को चूमने लगा। और अपने हाथों को पेट से होते हुये उपर लाकर उसके स्तनों को आपने पंजों में लेकर दबाने लगा। तेजल "आह! तरुण और नहीं डाल दो, अंदर अब" ऐसा कहकर उसका साथ देने लगी, वह इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की उसके स्तन पुरी तरह से फुलकर सक्त हो चुके थे और स्तनाग्र सक्त होकर खड़े थे। तरुण ने उसे झुकने को कहा तो वह आगे की तरफ झुककर घोडी बन गई, तरुण ने अपना लिंग तेजल की योनी पर रखा और एक झटका दिया जिससे तरुण का लिंग तेजल की योनी में चला गया। तेजल जोर से चीख पड़ी,"आ!!! मर गई में !!!!" तरुण ने हंसते हुये कहा,"हा!हा!हा! तुम ही तो लेना चाहती थी ना अंदर अब झेलो।"
इतना कहकर तरुण ने एक और झटका दिया, तरुण का लिंग सीधे तेजल के गर्भाशय ( बच्चेदानी) के अंतिम छोर तक पहुँच रहा था और उसे टकरा रहा था इसके बावजूद वह तीन चौथाई बाहर ही था। तरुण ने अब आगे झुककर तेजल की नग्न और चिकनी पीठ पर अपना विशाल सीना सटा दिया और उसके सक्त हो चुके स्तनाग्रों को अपनी उंगलियों से मसलते जा रहा था। तेजल भी चीख चीखकर कह रही थी," तरुण! बसस्!!! तुमने तो मेरी चूत ही फाड़कर रख दी। आ!!!" तरुण अपने धक्के तेज करता जा रहा था और तेजल को गर्दन पर चूमते जा रहा था। थोड़ी ही देर में तेजल झड़ गई मगर तरुण तो युगों युगों तक लगातार कर सकता था, उसने तेजल की एक टाँग आपने कंधे पर ली और उसकी योनी से अपना लिंग निकालकर उसके नितम्बों के बीच रगड़ना शुरू किया, और तेजल अब फिर से उत्तेजित होने लगी और तभी तरुण ने उसकी गाँड में अपना लिंग डाल दिया। तेजल "आ!!!! मर गई !!!!! यह कहा डाल दिया !!!!! निकाल तरुण!!!" करके चिल्लाने लगी। तभी तरुण ने उसकी गांड से अपना लिंग निकालकर उसकी योनी में डाल दिया, और अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में तेजल ने पानी छोड़ दिया। वह दोनों बाहर निकल आये और दोनों ने अपने आप को पोछा। तरुण जाकर नग्न ही पलंग पर लेट गया, तेजल भी नंगी ही उसके साथ बैठ गई वह तरुण का २० इंच लंबा और 4 इंच मोटा लिंग देखकर चौंक गई। तेजल उसे अपने हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी, तब तरुण ने भी अपना एक हाथ तेजल के स्तन पर रखा और वह भी उसके स्तन दबाने लगा और उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा, जिससे तेजल फिर से उत्तेजित हो गई और वह तरुण के विशालकाय लिंग को अपने मुंह में डालने लगी, वैसे तो लिंग का अग्र भाग ही वह अपने मुंह में ले पाई। मगर वह अपना सारा जोर लगाकर तरुण के लिंग को चूस रही थी, फिर वह आकर तरुण के मुंह के उपर बैठ गई जिससे उसकी योनी तरुण के मुंह पर आ गई,वह दोनों 69 की स्थिति में आ गये। तरुण ने अपनी जुबान तेजल की योनी पर चलानी शुरू कर दी, वह अपनी जुबान तेजल की योनी में डालकर घुमाने लगा आगे पीछे करने लगा। तेजल भी उसका लिंग ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी, मगर इतना मोटा उसके लिये मुश्किल हो रहा था। वह किसी भी तरह से चाहती थी की तरुण का वीर्य निकल जाये, इस चक्कर में उसने तरुण के लिंग में अपने दांत गाडने की कोशिश की मगर तरुण का लिंग तो था निहायती फौलाद उससे उसी के दांतों में दर्द हुआ, उपर से तरुण ने उसकी योनी में दांत गाड़ दिये, लेकिन तरुण का लिंग उसके मुंह में होने की वजह से वह चीख नहीं सकी, मगर उसकी आखों के साथ साथ उसकी योनी में पानी आ गया।तरुण उसकी योनी का वह पानी पी लिया। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने शुरु किये, जिससे तेजल को वापस जोश आ गया उसने उठकर तरुण का लिंग अपने मुंह से निकाल लिया।
उसने जो देखा वह देखकर वह चौंक गई, तरुण का जरा भी पानी नहीं निकला था, उसका लिंग एकदम ४ इंच मोटा और २० इंच लंबा फौलाद की तरह खड़ा था।
यह देख तेजल तरुण को बोली
तेजल :तरुण ऐसा कैसे पोसिबल है।
तरुण : मै कैसे बताऊँ, जो है तुम्हारे सामने है।
तेजल: तुम जबरदस्ती क्यों रोक रहे हो, बहता है तो बहने दो।
तरुण: मेरा अभी तक नहीं निकल रहा।
तेजल: यह सचमुच नामुमकिन है, ज्यादा से ज्यादा कोई भी एक घंटा चलता है, और तुम छह घंटों से फौलाद की तरह खड़े हो।
(उसके लिंग को हाथ में पकड़कर आगे पीछे घुमाकर)
हफ्ते भर ऐसे ही थे क्या? हिलाया भी नहीं?
तरुण: नहीं, मैने तो कोमल, उसकी मम्मी रानी, राज की मम्मी सरिता सब को चोदा था, मै तभी भी नहीं झडा।
तेजलचौंककर)सच में!
तरुण: हाँ मम्मी, मैने उनकी गांड भी मारी, फिर भी नहीं झडा।
तेजल: तो ठीक है, लेट्स ट्राय शायद काम कर जाये!
तरुण बाजू वाले कमरे में जाकर व्हेसलिन लेकर आया और उसने उसे अपनी उंगली पर लेकर तेजल को अपने पास खिंचा, उस उंगली को तेजल के गुद्द्वार से अंदर बाहर करने लगा, तेजल ने भी थोड़ा व्हेसलिन अपने हाथों में लिया और उसे तरुण के लिंग पर लगाने लगी। तरुण के लिंग लिंग को छूने का मजा तेजल ले रही थी, उसके दिमाग में बार बार यही खयाल आ रहा था की 'इतना बडा उसके अंदर जायेगा तो क्या होगा?'।
तरुण उसकी योनी पर व्हेसलिन लगाना, उसे राहत पहुंचा रहा था और धीरे धीरे वह राहत उत्तेजना में बदल रही थी।
तेजल: (मुस्कराकर तरुण की और देखते हुये।)
तरुण: क्या हुआ?
तेजल ने शर्माकर अपनी आँखें नीचे कर ली। तरुण ने उसके गुलाबी मुलायम होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करना शुरु किया, उसने अपनी गर्दन थोड़ी दाई और टेढी करते हुये तेजल के बाल पकड़कर उसकी गर्दन अपनी बाई और टेढ़ी की, दोनों ने अपना मुंह खोलकर एक दुसरे की जीभ को आपस में घुमाने लगे। तेजल अपनी आँखें बंद करते हुये तरुण के साथ होते चूम्बन में पुरी तरह से खो गई, उसे तरुण की लार का स्वाद भा गया था। अब तरुण धीरे धीरे तेजल को पीछे धकेलते हुये बेड तक ले जाता है, उससे अलग होकर तरुण उसके पैर अपने कंधों पर लेता है। तरुण तेजल के करीब आकार उसे चूमने लगता है, और तेजल भी उसमें डूब जाती है। तेजल का शरीर अभी भी गर्म था इसीलिए वह फिर से तरुण में खो जाती है, तरुण मौका साध कर अपना लिंग सीधे तेजल के गुद्द्वार में डाल देता है, जिसे तेजल झेल नहीं पाती और तुरंत बेहोश हो जाती है। तभी वहां राज आता है और तेजल और तरुण को देखकर हैरान हो जाता है।
राज:-(मन में) साला मादरचोद! इसका तो सचमुच बहुत बड़ा है।
तरुण:-(राज जिस खिड़की से देख रहा था, वहाँ देखते हुये) राज अंदर आओ।
राज:-(तरुण की और डरते हुये देखकर )तरुण वह में
तरुण:-(राज की आँखों में देखते हुये)बताओ क्या इच्छा है तुम्हारी?
राज:-(आखों में अजीब सी चमक लाते हुये) तुम्हारी मम्मी (तेजल) को चोदना चाहता हुँ।
तरुण:-तो कर लो जो करना है, लेकिन तुम्हारा जुस चूत में गीराना।
तब राज बेहोश पड़ी तेजल की योनी में अपना लिंग अंदर बाहर करता है, और थोड़ी ही देर में उसका वीर्य निकल जाता है, और वह वही गिर जाता है। तरुण उसे उठाता है, और उसे भेज देता है।फिर राज को एहसास होता है की वह इतनी देर से तरुण के सम्मोहन में था। थोड़ी देर बाद तेजल को भी होश आ जाता है, और वह अपनी योनी में वीर्य देखकर खुश होती है।
तेजल:-(मन में) आखिर जो चाहिये था वह मील गया।
तरुण:-तो मजा आया?
तेजल:-(शर्माकर)कुछ भी, चल छोड़ कल हम डाक्टर चुतिया के पास जायेंगे। मुझे प्रेग्नंसी टेस्ट करवानी है।
तरुण:- डाक्टर के पास क्यों जाना? कोन्ट्रासेप्टिव ले आता हूँ मेडिकल से।
तेजल:- (थोड़ा हिचक कर) एक्चुअली में माँ बनना चाहती हुँ।
तरुण:-(चौंककर) क्यों? आपको और नहीं करना क्या?
तेजल:-(घबराकर)नहीं बाबा! तुझे करना है तो तू हाथ से कर या कहीं भी मुंह मार, मेरी तरफ से खुली छुट है तुझे।
तरुण :- वैसे कौन सी गुड़न्युज देने वाली थी तुम ?
तेजल:- वह मेरे पापा ने तुम्हारे नाम पर ३००० करोड़ की प्रोपर्टी की थी, और मुझे तुम्हारी कस्टडी दी गई थी और जब तुम १८ साल के हो जाओगे तो वह तुम्हारे नाम होती, और अगर तुम्हें कुछ हो जाता है तो, वह चँरिटी में चली जाती।
तरुण:-(तेजल की आँखों में देखकर) बोलो तुम्हारी इच्छा क्या है।
तेजल:-(आँखों में चमक लाकर)तुम्हारे बच्चे की माँ बनना।
तरुण:-तो ठीक है, मै अपाँइंटमेंट लेकर आता हूँ।
तरुण उसे देख कूटील मुस्कान देता है और वह भी चला जाता है।
वह जब डॉ. चूतिया(डॉ. चमनलाल छत्रीवाला ) के अस्पताल में पहुँचता है तो वहाँ उसे पता चलता है की डॉ चूतीया तो किसी मेडिकल कॉन्फरंस के लिये दिल्ली गये हुये है।
तरुण:- (कम्पाउंडर से) डॉ छत्रीवाला कब तक आयेंगे।
कम्पाउंडर:- क्या काम था?
तरुण:- वह एक प्रेगनन्सी टेस्ट कराना था।
कम्पाऊंडर:- पेशंट का नाम क्या है?
तरुण :- तेजल खन्ना।
कम्पाउंडर:- तो सर, मै आपको मौर्या म्याडम का अपाँइंटमेंट दु क्या? डाक्टर साहब ने अगर आप आये तो यही कहा था।
तरुण:- हाँ ठीक है, दे दीजिए।
कम्पाउंडर:-( लिस्ट में नाम लिखते हुये) सर, आपका अगले सोमवार दस बजे का अपाँइंटमेंट है।
तरुण वहाँ से घर जाने के लिये निकलता है। तभी
कम्पाऊंडर:- आपको डाक्टर साहब ने उनके घर से एक फाइल लेने को कहा था।
तब तरुण सीधे डॉक्टर के घर प्रकट हो गया, उसे वरदान में मिली शक्तियों में यह भी एक शक्ति थी। वहाँ उनकी पत्नी तभी नहा कर निकली थी,वह सिर्फ एक रूमाल में लिपटी हुई थी। जैसे ही उसने तरुण को देखा वह चौंक गई, और इसी हड़बड़ी में उसके बदन से रूमाल नीचे खिसक गया और वह तरुण के सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में आ गई। वरदान के कारण तरुण का बदन अच्छे से कसा हुआ बन गया था और उसका कध ६ फीट 10 इंच था। यहाँ डाक्टर चूतीया की पत्नी काजल के बारेमें बताऊँ तो वह 35 साल की थी लेकिन वह लग 25 की रही थी उसके स्तन ३८ के कमर २४ की और नीतम्ब ३६ के थे। उसका रंग गोरा और कध 5.6 फीट का था, उसे देखते ही तरुण का लिंग खड़ा होने लगा, और उसके ढीले पायजामे पर भी तम्बू बनाने लगा। तरुण का तम्बू देख उसने शर्माकर पूछा, "आपको क्या चाहिए?"
तरुण ने कहाँ," डॉक्टर साहब ने एक फाइल देने के लिये कहीं थी, तेजल को?"
काजल," हाँ, वह मै देती हुं।" ऐसा कहकर वह मुड़कर अलमारी की और गई, और अलमारी खोलते ही, उसमें से एक छिपकली उसपर कूद जाती है। काजल चौंककर पीछे हटकर तरुण के उपर गिर जाती है, तरुण उसे अपनी बांहों में भर लेता है। तरुण का लिंग उसकी योनी से किसी नाग की तरह फुंकारता हुआ बाहर निकलता है और उसकी योनी को स्पर्श करता है। तरुण अपना हाथ काजल के पेट पर रखता है, काजल कहती है,"जल्दी इसे मेरी उपर से हटाओ!"
तरुण काजल के पेट और नाभि को सहलाने लगता है, और आपने दुसरे हाथ से उसकी योनी पर उंगली ले जाकर सहायता है। काजल की सांसे अब तेज हो रही थी,उसके स्तन उसकी सांसो के साथ तेजी से उपर नीचे हो रहे थे। तब तरुण ने हल्के से उस चिपकली को उठाकर बाहर दूर फेंक दिया,और जल्दी से अपना वह हाथ काजल के स्तन पर रखकर दबाने लगा। अपने दुसरे हाथ की उंगली उसने काजल की योनी को सहलाते सहलाते उसकी योनी के अंदर डाल दी और अंदर गोल गोल घुमाने लगा, अपना मुंह उसकी गर्दन पर से जाकर उसे चूमने लगा। काजल अब जैसे हवा में उड़ने लगी थी, उसकी योनी से पानी बहना शुरू हो गया था। तब काजल ने पीछे मुड़कर देखा और तरुण के होंठों पर अपने होंठ रखकर तरुण के अंदर से निकलती गर्म सांसे अपनी चेहरे पर महसूस करने लगी। धीरे धीरे तरुण अपने होंठ उसके होंठों पर घुमाने लगा, और अपना एक हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर कमर से नीचे होते हुये नितम्ब पर ले जाकर उसके गुद्द्वार में डाल दिया जिससे वह और मचल गई, वही हाथ पकड़कर तरुण उसकी मांसल जंघा उठाकर अपनी कमरतक ले आया। काजल से अब रहा नहीं जा रहा था, उसने झट से तरुण का पायजामा उसकी नीकर के साथ नीचे खींच लिया जिससे उसका लिंग बाहर निकलकर उसके सामने आ गया उसका विशालकाय २० इंच लंबा और ५ इंच मोटा लिंग उसके सामने फौलाद की तरह खड़ा था। लिंग का विशाल आकर देख वह एकदम चौंक गई और उसका मुंह खुला का खुला रह गया, उसने अपने हाथ लिंग पर रखे और आगे पीछे करने लगी। काजल अपने घुटनों पर बैठ गई और उसके लिंग पर एक चुम्बन दिया, और उसे चांटने लगी, चाटते चाटते उसने अपना मुंह खोलकर उसके लिंग के अग्र भाग को अपने मुंह में लेने लगी, जिससे एक "कट्" करके आवाज आयी। उसने जल्दी से तरुण का लिंग का अग्र भाग बाहर निकाला तो उसे पता चला की इससे उसके मुंह में एक मसल चटक गया, जिससे उसे मुंह में दर्द होने लगा मगर उसकी योनी में भी खुजली होने लगी। वह खड़ी हुई और उसने तरुण को किस किया तो तरुण ने उसे जोर से धक्का देकर पीछे बेड पर लेटा दिया और उसे चूमते हुये उसकी योनी पर अपने लिंग का अग्रभाग रखा। तरुण अब उसे चूमते हुये उसके स्तनों को दबाने लगता है और अपनी कमर से एक हल्का सा झटका देता है, जिससे तरुण का के लिंग का अग्रभाग काजल की योनी में चला जाता है। तरुण का हल्का सा झटका भी इतना जोरदार था की तरुण का लिंग उसके गर्भाशय को भेदता हुआ उसके पूरे अंदर तक चला जाता है, जिससे काजल की एक तेजी से चीख पड़ती है मगर उसका मुंह बंद होने की वजह से उसकी आवाज वही दब जाती है, मगर उसके आखों के साथ साथ उसकी योनी भी बहुत सारा पानी छोड़ देती है।काजल वहीं थकान के मारे सो जाती है, उसकी योनी का हाल ऐसा था मानों किसी ने बडा सा बंबू डाल दिया हो, उसकी योनी पूरी तरह से सुन्न हो जाती है। तरुण वह फाइल लेकर घर प्रकट(टेलिपोर्ट) हो जाता है। तरुण की सात दिन बाद बाद JEE advance की परीक्षा थी। इसीलिए वह पढ़ने बैठ जाता है, मगर जैसे ही वह पहली किताब हाथ में उठाता है उसे सारा ज्ञान मिल जाता है, इसी तरह वह सारी किताबें कुछ पलों में ही पढ़ता है और उसे सब याद हो जाता है। फिर वह दुकान जाता है जहां उसे नवनीत से लेकर एम टी जी, एस चंद की किताबें मील जाती है।एक घंटे अंदर अंदर वह सब कुछ पढ लेता है, लेकिन रिव्हिजन के लिये वह उन्हें घर ले आता है उसके पास पैसे की तो कोई कमी नहीं थी। वह सात दिन सब पढ़ते रहता है, और सात दिन बाद उसकी Jee advance कि परीक्षा होती है, जिसमें वह 360 में से 360 स्कोअर करता है।उसकी यहाँ भारत में पहली RANK आई थी, इसीलिए उसे उसके इनाम के तौर पर उसकी कोलेज की और से bmw इनाम के तौर पर मिली थी। तेजल उसके ड्राइवर सीट पर बैठ गई, तरुण उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गया।
दोनों डॉ चूतीया के अस्पताल चले गये, वहाँ डॉ चूतीया तो नहीं थे, मगर उनकी सहायक डॉ महिमा मौर्या थी।
उनके बारेमें बता दू तो वह एक २५ साल की कूंवारी लड़की थी। उसकी साइझ सामान्य स्तन 33 इंच कमर 30 इंच और नितम्ब 33 के थे उनका रंग हल्कासा सांवला और लंबाई साडे पांच फीट वैसे वह बहुत पतली थी, जिस वजह से उसका शरीर ज्यादा मादक तो नहीं था।
डॉ महिमा:- चेक अप किसे कराना है?
तेजल :- मेरा।
डॉ महिमा:- (तेजल को)आप अंदर आइए, और(तरुण को) आप बाहर वेट कीजिए।
फिर दोनों अंदर चली गई
बाहर तरुण इंतजार कर रहा था। और अंदर
डॉ महिमा:- (तेजल से)आप जरा साड़ी उपर करें गी
तेजल :- (साड़ी उपर करते हुये) यस डॉक्टर।
डॉ महिमा:- (टेस्ट सैम्पल लेते हुये)वैसे पति कौन है आपके?
तेजल :- मै सिंगल हुं, और एक सिंगल मदर बनना चाहती हुं।
डॉ महिमा:- ओके।
महिमा ने जैसे ही उसकी योनी पर नजर डाली वह चौंककर बोली
डॉ महिमा:- यह क्या हालत है इसकी! अंदर रॉड डाला था क्या?
तेजल :- (शर्माकर) नहीं! नहीं! उसका है ही इतना मोटा।
डॉ महिमा:- क्या? सच में!(चौंककर )
तेजल :-और इतना ही नहीं, उससे लगातार पर डे सिक्स अवर्स पंद्रह दिन तक किया, निकला है।
महिमा को यकीन नहीं हो रहा था, उसकी पढाई के अनुसार कोई भी ज्यादा से ज्यादा एक दो घंटे में वीर्यपात होता है। उसने फिर से होश में आते हुये टेस्ट कीट देखा और कहा
"मुबारक हो, आप माँ बन सकती है"
फिर उसने कुछ दवाइयां लिख दी और तरुण को अंदर बुलाया।
डॉ महिमा:- मुझे आपके कुछ चेकअप करने है।
तरुण :- जी डॉक्टर, कहाँ जाऊ?
डॉ महिमा:- जी, उस बेड पर लेट जाइए।
तरुण :- यस।(इतना कहकर वह बेड पर लेट गया)
डॉ महिमा:- चलिए पैंट उतारिए।
तरुण :- जी...?
डॉ महिमा:- डोन्ट शाय! मै डॉक्टर हुं, मेरे लिये यह आम बात है।
(तरुण ने पैंट उतारकर बाजू में रखी)
डॉ महिमा :- (चौंककर )अन बिलिव्हेबल, इतना बडा!तुमने कुछ बाहर का लिया तो नहीं?
तरुण :- नहीं मैम, मैने कुछ नहीं लिया।
डॉ महिमा :- आर यु शूअर?
तरुण :- हाँ मैम, सच में कुछ नहीं।
क्योंकि तरुण का लिंग भले ही सोया हुआ था, मगर फीर भी वह १६ इंच लंबा और ४ इंच मोटा था, महिमा ने बहुत लोगों का देखा था मगर इतना विशाल किसी का नहीं था।
महिमा ने जांच के लिये उसपर सक्षन पंप लगाया और चलाने लगी, थोड़ी देर बाद जैसे ही तरुण का लिंग खड़ा हुआ सक्षन पंप ने दम तोड़ दिया।
डॉ महिमा:-(तरुण के लिंग पर हाथ घुमाते हुये)कितनी गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?
तरुण :- मै किसी सिरिअस रिलेशन में तो नहीं हुं मगर, यही कुछ आठ-नौ लड़कियों को पेल चुका हुं।
अब महिमा के भी अरमान जाग चुके थे, उसके भी उत्तेजना के मारे स्तन फुल रहे थें और ब्रा टाईट होने लगी थी। वह बार बार अपनी ब्रा कपड़ों के उपर से ठीक कर रही थी।
तरुण :- क्या हुआ मैडम? आप अनकंफरटेबल क्यों है?
डॉ महिमा :- (धीरे से)पता नहीं मेरी ब्रा, टाईट हो रही है?
तरुण :- आप व्हर्जिन है क्या?
डॉ महिमा :- (असमंजस में ) मतलब?
तरुण :- नहीं, आप लग रही थी इसीलिए पूछा ?
डॉ महिमा :- तो इसका इससे क्या लेना देना ?
तरुण :- आपको नहीं पता, की ब्रा कब टाईट होती है?
डॉ महिमा :- क्या मतलब ?
तरुण :- आपके साथ पहले कभी ऐसा हुआ है?
डॉ महिमा :- हाँ, पहले होता था जब मेरा एक्स बॉयफ्रेंड मुझे छूता था।
तरुण :- उसने कभी आपको एप्रोच नहीं किया ?
डॉ महिमा :- हाँ किया था, मगर मै अपनी व्हर्जिनीटी अपने पती को ही देना चाहती थी।
तरुण :- आप गायनेकोलोजिस्ट है, और आपको पता ही नहीं की ब्रा कब टाईट होती है?
डॉ महिमा :-(चौंककर)मतलब तुम्हें लगता है, की मै एक्साइटेड हुं।
तरुण :- अगर आपको लगता है की ऐसा नहीं है तो, आप अपने कम्फर्ट के लिये ब्रा निकालकर रख सकती है।
महिमा ने उपर से निकालने की कोशिश की मगर वह नहीं निकाल पाई, और वह तरुण के सामने अपना बदन नहीं खोलना चाहती थी।
तरुण :- अगर आपको निकालने में तकलीफ हो रही हो तो मै हेल्प करुं?
महिमा :-(तरुण की और पीठ करके बैठकर) तो ठीक है, खोल दो।
तरुण ने अपना हाथ उसकी कमीज में डाला, और अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाते हुये उसके ब्रा के हुक तक ले गया और उसकी ब्रा खोल दी। महिमा ने खुद को पहली बार इतना आझाद महसूस किया, तरुण के छूने से उसके रोंगटे खड़े हो गये। उसने अपनी ब्रा निकालकर अपनी पर्स में रख ली, ब्रा निकालने से उसके फूले हुये स्तनों ने वहाँ उसकी ड्रेस पर एक उभार बना दिया। अगर उसने दूपट्टा ना पहना होता तो, उसके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी। वह वार्ड के बाथरूम में चली गई और उसने अपनी कमीज उतारी, और अपने स्तन देखने लगी और उनपर अपनी उंगलियां घुमाने लगी। तरुण को बाथरूम का दरवाजा खुला दीखा और वह अंदर चला गया, वहाँ उसने जो देखा उसे देखकर उसका लिंग भी खड़ा हो गया, अंदर महिमा अर्धनग्न अवस्था में थी, उसने उपर से कुछ नही पहना हुआ था और वह अपनी ही धुन में अपने स्तनों से खेल रही थी। तभी तरुण ने धीरे से दरवाजा बंद किया, और महिमा की पतली और चिकनी कमर को पीछे से पकड़ लिया लेकिन महिमा ने उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। तरुण फिर अपने हाथों को उसकी कमर पर घुमाते घुमाते उसके पेट पर ले गया, वह अपना द
दायां हाथ उसकी नाभि के आस पास घुमा रहा था, और अपना बायां हाथ उसके उपर ऐसे घुमा रहा था की स्तनों को उसका स्पर्श हो सके। अपना हाथ दायां हाथ घुमाते घुमाते जैसे ही तरुण ने महिमा की नाभि में उंगली की, वह सिसकारिया भरने लगी, उसने तरुण के हाथों पर अपने हाथ रखकर उन्हें अपने स्तनों पर ले आकर घुमाने लगी । तरुण मौके पे चौका मारते हुये उसके स्तनों को दबाने लगा, उसके दबाने से वह और गर्माने लगी और मुंह से "अम्म्म्!! अम्म्म्!?" करके सिसकारिया निकालने लगी। तरुण ने उसके दोनों स्तन बहुत जोर से दबा दिये, जिससे वह जोर से चीख पडी, और उसने पलट कर पीछे देखा और तरुण की और देखकर स्तब्ध हो गई। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उसके मुंह में अपनी जबान डाल दी, महिमा अंदर से इतनी गर्म हो चुकी थी की उसने भी तरुण को अपनी आहोश में भर लिया और उसका साथ देने लगी। महिमा अब पूरी तरह से काम रस में डूब चुकी थी, तरुण ने उसकी कमर को जकड़ लिया और उसपर अपना हाथ घुमाते घुमाते उसे उसकी सलवार के अंदर डाल दिया और उसके नितम्बों पर अपने हाथ घुमाने लगा। महिमा के नितम्ब बहुत चिकने थे और काफी नर्म और मांसल भी, तरुण उन्हें ऐसे दबा रहा था जैसे निचोड़ कर रस निकालेगा। महिमा अब काफी खुल चुकी थी, उसकी योनी ने इतना पानी छोड दिया था की अब उसकी पैंटी के साथ साथ उसकी सलवार पर भी पानी का दाग दिखायी दे रहा था। तरुण ने अलग होकर जैसे ही उसपर नज़र डाली वह शर्माकर नीचे देखने लगी, तरुण ने तेजी से उसकी सलवार का नाडा खींच लिया और उसकी सलवार झट से उसके पैरों से फिसलते हुये नीचे गीर गई। तरुण अब उसके स्तनों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा, वह अब अपने हाथों से इतना ज्यादा जोर लगा रहा की महिमा के मुंह से सिसकारिया निकलने लगी वह अब तड़प ने लगी थी। तरुण इतनी जोर से उसके उरोज निचोड़ रहा था की वहाँ से दूध निकलना शुरु हो गया, तरुण ने अपनी जबान बाहर निकालकर उसके स्तनों का दूध चाट रहा था। महिमा इतनी उत्तेजित हो रही थी की अपने मुंह से,"म्म्म्म् म्म्म्म् म्म्म्म् म्म्म्म्म् हा... म्म्म्... आ.... हा.... तरुण अब नहीं रहा जाता , जल्दी से डालो अंदर म्म्म्...."
तरुण :-( उसे छेड़ते हुये) क्या और कहाँ डालू?
डॉ महिमा :-आआह!!!!आआ!!!ह!!!!आ!!!!आ!!!!आह!!!! तुम्हारा आह!!!! आ!! लं!!! लंड!!!म्म्म्म्म्!!! मेरी आह!!!! आह!!!!!!! आह!!!!!!चूचू!!!!!!चूत आह!!!! में जल्दी!!ईईई!!!
तरुण अभी भी उसे और तडपाना चाहता था, वह उसके स्तनों को चूसने लगा। उसके स्तनों से बहता दूध पी रहा था, उसके स्तनों को इतनी जोर से मसले जा रहा था की वहां से बूंद की जगह धाराएं बहने लगी। तरुण सारा दूध अपने मुंह में ले रहा था, वह सिसकारिया लिये जा रही थी। तरुण अब उसके स्तन भी चूस रहा था, चूसते चूसते वह अब उसकी गर्दन पर चूमने लगा।गर्दन से उपर ले जाकर उसके होंठ गाल सबपर चूम्बन बरसाने लगा, और उसके होंठ अपने होठों में दबाकर उसने एक जोरदार धक्का दिया जिससे तरुण के लिंग की नोक उसकी योनी में चली गई। तरुण के लिंग की नोक किसी सिजन बॉल जितनी बड़ी थी, माही जोर से चीखने लगी मगर उसका मुंह तरुण ने अपने होंठों से दबाकर रखा था, जिसके कारण उसकी चीख अंदर ही दब गई। फिर तरुण ने एक और झटका देकर अपना लिंग उसकी योनी के आखिर तक ले गया, माही ने उसकी पीठ में नाखून गाड़ने की कोशिश की मगर उसके नाखून नहीं घूसे। यहा तरुण का लिंग उसके गर्भाशय तक पहुंचने के बाद भी आधे से ज्यादा बाहर था, इससे माही के आखों से आंसू बहने लगे। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा सा पीछे ले कर एक और झटका दिया, जिससे उसका लिंग माही के गर्भाशय के अंदर घूस गया, वह एक और बार दर्द से कराह उठी। माही की योनी कुवांरी होने के कारण उसका खून बहने लगा, तरुण ने उसे झटके देना शूरू रखा। माही चीख रही थी, अब धीरे धीरे वह चीखें सिसकारिया बन गई। तरुण ने अपने धक्के तेज कर दिये, थोड़ी ही देर में माही की योनी सिकुड़ने लगी, उसने अपने पैर तरुण की कमर पर लपेट लिये, "आ!!!" , की चीख के साथ उसने पानी छोड़ दिया। तरुण का तो झड़ने का सवाल ही नहीं था, उसका खड़ा देखकर माही को तरुण की बात पर यकीन हो गया। तरुण ने कहा," हो गया, या और करना है?"
माही," नहीं, नहीं अब बस" दोनों ने अपने कपड़े पहन लिये, और बाथरूम से बाहर आ गये।
बाहर
तेजल :- इतनी देर?
माही:- वह चेक अप थोड़ा लंबा चला।
तेजल उसकी बदली हुई चाल देखकर समझ गई की क्या हुआ है, तेजल ने शरारत भरी नजरों से तरुण को देखा तो तरुण ने भी उसे थोड़ी अभिमान भरी मुस्कान दी और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे ले गया।
दोनों फिर जाकर गाड़ी में बैठ गये।
यहाँ गाड़ी तेजल चला रही थी, और तरुण गाड़ी के पीछे बैठ गया। तेजल ने बोला, "पीछे क्यों? आगे बैठ।" तरुण बोलता है, " तुम कहती हो तो आज गाड़ी मै चला लु?"
तेजल ने पूछा," तुझे आता है क्या?"
तरुण बोला, "हाँ।"
तो तेजल उठाकर पीछे आ गई, और तरुण आगे बैठ गया, दोनों ने सीट बेल्ट लगा लिये।तरुण ने गाड़ी शूरू की और थोड़ी ही देर में दोनों घर पहुँच गये। तेजल जाकर सो गई, और तरुण जाकर अपने कमरे में चला गया। तरुण ने आयना निकाला और अयाना को पूछा, "मुझे सैतानासुर के जन्म का रहस्य तो तुमने बता दिया, अब मुझे उसकी मृत्यु का रहस्य बताओ।"
अयाना आयने में अपने आत्मा रूप में प्रकट होती है, और तरुण को आगे की कहानी सुनाने लगती है:-
फिर मण्डूकासुर ने सैतानासुर का पालन किया, तब ताडकासुर असुरों के राजा थे। समय के साथ जब वह छह वर्ष का हो गया, तब उसे गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में भेज दिया। जहाँ वह भी बाकी विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई करता था और दिन में दो बार उसी अक्षया पात्रों से दुग्ध पीता था। एक दिन शुक्राचार्य ने प्रश्न पूछा," आप बडे होकर क्या करना चाहते है? कैसे असुर बनना चाहते है?"
तो कोई बोला वजरांग जैसा, तो कोई बोला ताडकासुर जैसा, तो कोई मधु कैटभ तो कोई वृत्रासूर जैसा बनना चाहता था। और जब उन्होंने सैतानासुर से पूछा तो उसने बताया ," गुरुदेव यह सब ऐसे है की, इनकी मृत्यु हो गई तो उनका प्रभाव समाप्त हो जायेगा, मै ऐसा असुर बनना चाहता हूं की जिसका प्रभाव मरने के बाद भी रहे।"
शुक्राचार्य मुस्कराकर बोले," तुम यह कैसे करोगे?"
सैतानासुर बोला,"देवता तब तक शक्तिशाली रहेंगे, जब तक पृथ्वी पर यग्य होंगे, क्या हो अगर लोग यज्ञ करना ही छोड़ दे?"
शुक्राचार्य ने पुछा,"तो जरूर देवता निर्बल हो जायेंगे,परन्तु तुम यह करोगे कैसे? "
सैतानासुर ने बताया ," मनुष्य यज्ञ, पूजन, तप और व्रत किसलिए करता है? उसका जीवन यापन सहज हो इसलिए, अगर हम नास्तिक तथा, असुरों को पूजने वालों को कम भक्तिभाव के बदले अधिक धन दे तो?"
शुक्राचार्य, "इसलिए तुम्हे श्री चक्र उपासना करनी होगी।"
सैतानासुर, "नहीं, हम अगर किसी भी देवता से वरदान प्राप्त करेंगे तो हम देवताओ की दृष्टी में आ जायेंगे, फिर हमारा उद्देश्य पूर्ण नही हो पाएगा, हमें यह कार्य किसी देवता की दृष्टी में आये बगैर करना होगा।"
शुक्राचार्य, "ठीक है, आज की शिक्षा यह समाप्त हुई, सैतानासुर को छोड सभी जा सकते है। "
इस तरह सैतानासुर के गुरुकुल की कथा समाप्त हुई।
मै वह नहीं हूं।बहुत ही शानदार अपडेट इस अपडेट में डॉक्टर चुतिया का जीकर आय हाय साथ ही chutiyadr sir ki story ki sabse fevrate kirdar kajal ka jikr aaya hai. Ye koyi normal baat nahi hai. Kyuki mujhe lagta hai aap khud chutiya dr ho. Mujhe aisa isliye lag raha hai kyuki mane unki likhi kai stori padha hai aur usme dr chuta ka part hota hi hai.
Khir bahut acha likh rahe ho aise hi likhte raho