Incest खोई बहन

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अब आगे..

मीरा ने लौड़ा मुँह से निकाल कर उसे अपने हाथों में ले लिया।
मीरा- बस मेरे आशिक अब क्या मुँह में ही पानी निकालोगे.. मेरी चूत गीली हो गई है.. अब अपने इस शैतान को मेरी चूत में घुसा दो न..
राधे- मेरी जान अपने जिस्म को इस कपड़े से तो आज़ाद करो।

मीरा जब बैठी तो उसकी नज़र ममता पर पड़ गई.. वो एकदम चौंक सी गई। उसकी नज़रें दरवाजे पर चिपक गईं और उसकी इस हरकत ने राधे को भी दरवाजे की तरफ़ देखने पर मजबूर कर दिया।
राधे ने जल्दी से पास पड़ी चादर अपने जिस्म पर लपेट ली।

मीरा- अम्म.. म..ममता तुम तो चली गई थी ना.. वापस क्यों आई?
ममता- बीबीजी, जाते वक़्त मुझे याद आया कि मैं अपना फ़ोन रसोई में भूल गई हूँ.. बस वही लेने आई थी.. मगर यहाँ तो नजारा ही अलग हो गया। आपकी बहन का लौड़ा देख कर तो मेरी आँखें चकरा गईं..

राधे- देखो ममता तुम अन्दर आओ और मैं मीरा की बहन नहीं.. पति हूँ.. प्लीज़ तुम किसी को कुछ मत बताना.. तुम्हें जो चाहिए.. हम दे देंगे.. जितने पैसे बोलोगी.. हम देंगे..

ममता- बीबी जी ना ना.. साहेब जी.. मैं गरीब जरूर हूँ.. बेईमान नहीं.. लालची नहीं हूँ.. मुझे बस आप इस उलझन से आज़ाद कर दो.. यह माजरा क्या है?

राधे और मीरा ने ममता को पास बिठाया और शुरू से अब तक की सारी बातें बता दीं।

ममता- साहेब जी.. आप दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी है.. मैं कभी किसी को कुछ नहीं बताऊँगी.. लेकिन..
मीरा- लेकिन क्या ममता?
ममता- बीबी जी आप बुरा मत मानना.. मैंने इतना बड़ा लौड़ा कभी सपने में भी नहीं देखा है.. मेरे पति का तो ना के बराबर है.. बस एक बार मैं साहेब जी का लौड़ा अपनी चूत में लेना चाहती हूँ.. मेरी प्यासी चूत की आग यही बुझा सकते हैं.. मेरी सूनी गोद को यही भर सकते हैं.. भगवान के लिए मुझे ये मौका दे दो.. मैं जीवन भर आपकी आभारी रहूंगी।

राधे- यह तुम क्या कह रही हो?

ममता- ना ना साहेब जी.. मैं आपको कोई धमकी नहीं दे रही.. बस प्रार्थना कर रही हूँ.. अगर आप ना भी करोगे.. तो भी मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी। मैंने इस घर का नमक खाया है.. अब नमकहरामी नहीं करूँगी..

मीरा- देखो ममता.. वैसे तो दुनिया की कोई भी औरत अपने पति को दूसरी औरत के पास नहीं जाने देगी.. मगर तुम्हारे ऊपर बड़ा ज़ुल्म हुआ है और मैं खुद यही चाहती हूँ कि राधे तुम्हें बच्चा दे।

राधे- यह क्या बोल रही हो तुम मीरा.. बच्चा देना कोई मजाक है क्या?
मीरा- हाँ पता है.. आसान नहीं है.. मगर भगवान चाहे तो एक बार में ही बच्चा पेट में पड़ जाता है.. नहीं तो महीनों मेहनत करनी पड़ती है बच्चे के लिए..

राधे- हाँ तो ये बात तुम सोचो.. कैसे होगा ये?
मीरा- अरे मेरे आशिक.. बहुत आसान है.. सुबह जब मैं स्कूल चली जाऊँगी.. तो तुम और ममता अकेले रहोगे.. बस कोशिश करते रहना.. कभी ना कभी तो कामयाब हो जाओगे।

ममता इन दोनों की बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रही थी.. उसकी चूत गीली होने लगी थी।

राधे- दिन में पापा रहेंगे ना.. कैसे होगा सब?
मीरा- अरे मेरे भोले आशिक… जब मैं स्कूल चली जाऊँगी और पापा अपने काम से बाहर होंगे.. तब तुम आराम से ममता के साथ कर सकते हो और अभी तो पापा को आने में दो दिन लगेंगे.. तब तक तो बिना किसी डर के कर सकते हो ना..
ममता- बीबी जी आप बहुत अच्छी हो भगवान आपका भला करेगा.. अभी तो मैं जाती हूँ.. आप मज़ा करो। कल आप स्कूल चली जाओगी.. तब मैं साहेब जी के साथ हो जाऊँगी।

मीरा- कल क्यों.. आज ही कर लो.. थोड़ा मज़ा ले लो..
मीरा की बात से ममता शर्मा गई।

ममता- नहीं बीबी जी.. आज नहीं.. आज आप मज़ा लो.. मैं कल अच्छे से नहा- धो कर आऊँगी।
मीरा- ओये होए.. ममता क्या बात है.. नहा कर आओगी या साफ-सफ़ाई करके आओगी.. हाँ..
ममता- बीबी जी आप बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी बोल देती हो..

मीरा- हा हा हा.. अरे इसमें बेशर्मी की क्या बात है.. जब इतना बड़ा लौड़ा चूत में जाएगा.. तो शर्म अपने आप बाहर आ जाएगी.. तुम छूकर तो देखो.. तुम्हें भी पता चल जाएगा।

इतना कह कर मीरा ने राधे का कपड़ा हटा दिया और उसका आधा खड़ा लौड़ा ममता के सामने आ गया।

राधे- अरे मीरा, ये क्या है?
मीरा- अब तुम ज़्यादा भोले मत बनो मेरे सामने तो बड़ी डींगें हांकते हो.. अब ममता से क्यों शर्मा रहे हो.. कर दो बेचारी की गोद हरी-भरी।

ममता तो बस टकटकी लगाए राधे के लौड़े को निहार रही थी, तभी मीरा ने ममता का हाथ पकड़ कर लौड़े पर रख दिया।

मीरा- मेरे सामने तुम शर्मा रही हो.. लो मैं पापा के कमरे में जा रही हूँ.. थोड़ा मज़ा तुम दोनों भी कर लो।

मीरा के जाने के बाद ममता धीरे-धीरे लौड़े को सहलाने लगी.. अब भी उसमें थोड़ी झिझक थी.. मगर ऐसा तगड़ा लौड़ा देख कर उसकी जीभ लपलपा रही थी।

राधे- ममता ऐसे शरमाओगी तो कैसे चलेगा.. ठीक से मज़ा लो ना..
ममता- साहेब जी, आप बहुत अच्छे हो आपका लौड़ा बहुत तगड़ा है.. हमारी मीरा के तो भाग खुल गए.. जो आपसे उसकी शादी हुई.. बस सारी जिंदगी उसको खुश रखना।

राधे- हाँ ममता.. जरूर खुश रखूँगा.. चलो अब बातें बन्द करो.. तुम्हारे मुलायम होंठों से मेरे लौड़े को सुकून दो।

ममता ने बड़ी ख़ुशी से लौड़े को चूमना शुरू किया और सुपाड़े को जीभ से चाटने लगी।

राधे को मज़ा आने लगा.. ममता का स्टाइल थोड़ा अलग था.. मीरा तो नई खिलाड़ी थी.. मगर ममता एक्सपर्ट की तरह लौड़े को चूसने लगी।

राधे का लौड़ा अपने पूरे आकार में आ गया। अब राधे ममता के सर को पकड़ कर झटके मारने लगा।
ममता ने अपने होंठ भींच लिए.. राधे को कुँवारी चूत के जैसा मज़ा आने लगा।
दस मिनट तक राधे ममता के मुँह को चोदता रहा।

राधे- बस ममता अब क्या मुँह से पानी निकालोगी.. अपनी चूत के दीदार भी करा दो..
ममता ने लौड़ा मुँह से निकाला और कहा- नहीं साहेब जी.. अपना जिस्म तो आपको कल ही दिखाऊँगी.. आज तो बस आपके लौड़े से निकला पानी ही पी लूँगी।

राधे ने हंस कर उसको कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. लो चूसो लौड़े को.. आज पानी पीलो.. कल चूत में डलवा लेना..

ममता ने दोबारा लौड़े को मुँह में भर लिया और मस्ती से चूसने लगी। अब वो कभी राधे की गोटियाँ चूस रही थी.. तो कभी सुपाड़े को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। ऐसी ज़बरदस्त चुसाई के आगे लौड़े की क्या मजाल.. जो पानी ना फेंके।
राधे ने ममता के सर को पकड़ लिया और स्पीड से चोदने लगा.. दो मिनट में उसके लौड़े ने वीर्य की धार ममता के गले में मारनी शुरू कर दी।
ममता ने जीभ से चाट-चाट कर पूरा लौड़ा साफ कर दिया.. आख़िरी बूँद तक लौड़े से निचोड़ कर वो पी गई..

राधे- आह्ह.. ममता.. मज़ा आ गया.. तूने तो मुँह से कुँवारी चूत का मज़ा दे दिया.. तुम बहुत सेक्सी हो यार..
ममता- साहेब जी.. कल देखना मेरी चूत भी कुँवारी ही है.. मेरा पति तो निकम्मा नामर्द है.. आपके जैसा असली मर्द कभी मिला ही नहीं.. कल आपको ऐसा मज़ा दूँगी कि आप याद रखोगे मुझे.. अब मैं चलती हूँ..
राधे- अरे ममता तुम कब से लौड़े को चूस रही हो.. तुम्हारी चूत भी तो गीली हो गई होगी.. ऐसे तड़पती ही घर जाओगी क्या..?
ममता- हाँ साहेब जी.. चूत में बड़ी आग लगी है.. आपके लौड़े को देख कर ही ये फड़फड़ाने लगी थी.. मगर आज नहीं.. इसे और तड़पने दो.. अब तो मैं कल ही इसको शांत करवाऊँगी..

राधे इसके आगे कुछ ना बोल सका और ममता ने राधे का शुक्रिया अदा किया और वहाँ से निकल गई।
 
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अब आगे..

ममता के जाने के बाद राधे जब मीरा के पास गया तो वो गहरी नींद में सो चुकी थी और ममता ने लौड़े को ठंडा कर दिया था.. तो राधे ने सोचा कि वो भी थोड़ा सो ले.. तो अच्छा रहेगा और बस वो वापस आकर कमरे में सो गया।

दोस्तो, उधर रोमा अपने रिश्तेदार के घर तो थी.. मगर उसका पूरा ध्यान बस नीरज पर ही था.. वो उसके बारे में ना जाने क्या-क्या सोच रही थी। उसका दिल नीरज से मिलने क लिए तड़प रहा था। शाम तक वो अपने घर वापस आ गई थी। उसने आकर कपड़े बदले और सीधा नीरज को फ़ोन लगा दिया।

नीरज- हाय रोमा.. कैसी हो..? क्या सगाई से वापस आ गईं?
रोमा- हाँ.. आ गई.. मगर वहाँ मज़ा नहीं आया.. बस आपके बारे में ही सोचती रही।
नीरज- अरे मेरी भोली रोमा.. मेरे बारे में सोच कर अपना मज़ा क्यों खराब किया.. अगर मेरी इतनी याद आ रही थी.. तो एक फ़ोन कर लेतीं।
रोमा- नहीं.. वहाँ से फ़ोन करना ठीक नहीं था और याद तो अभी भी आ रही है।

नीरज- अच्छा.. तो आ जाओ.. मैं हरदम तुमसे मिलने के लिए तैयार हूँ।
रोमा- इस वक़्त कैसे आऊँ.. घर से बाहर आने का.. कोई बहाना भी तो होना चाहिए ना।
नीरज- किसी फ्रेण्ड के घर जा रही हो.. ऐसा बोलकर आ जाओ ना.. यार मेरा भी बहुत मन है तुमसे मिलने का.. प्लीज़.. किसी भी तरह आ जाओ ना यार।

रोमा- किसी सहेली का नाम लेकर आऊँगी.. तो मॉम उसको बाद में पूछ सकती हैं.. और फिर मेरी शामत आ जाएगी.. क्योंकि मेरी मॉम बहुत गुस्से वाली हैं।
नीरज- अरे यार स्कूल में कितनी लड़कियां हैं.. तुम्हारी मॉम सबको तो नहीं जानती होंगी न।
रोमा- बात तो सही है मगर..
नीरज- अब ये ‘अगर-मगर’ करती रहोगी.. तो हो गई मोहब्बत.. यार थोड़ी देर के लिए कोई भी बहाना बना लो.. इसमें क्या है।
रोमा- ओक मैं ट्राइ करती हूँ.. आप वेट करो.. बाय।

रोमा अपनी माँ से डरती थी.. मगर ये प्यार होता ही ऐसा है कि कमजोर से कमजोर दिल की लड़की भी अपने आशिक के लिए बड़ा कदम उठा लेती है और बस रोमा ने भी वही किया। अपनी माँ को झूठ कह दिया कि कल एक्सट्रा क्लास है और टेस्ट भी है.. आज सगाई के कारण उसकी स्टडी भी नहीं हुई है.. तो अपनी फ्रेण्ड के यहाँ पढ़ने जा रही है.. एक घंटे में वापस आ जाएगी।

उसकी माँ ने कई सवालों के बाद उसको जाने की इजाज़त दे दी।

रोमा ने जल्दी से रेड टॉप और वाइट स्कर्ट पहना और कुछ बुक्स लेकर घर से निकल गई और साथ ही साथ नीरज को फ़ोन भी कर दिया कि सुबह जहाँ मिली थी.. वहाँ आ जाओ।

थोड़ी देर बाद रोमा वहाँ पहुँची तो नीरज पहले से वहाँ मौजूद था।

रोमा- वाऊ.. आप बहुत जल्दी आ गए.. क्या बात है।
नीरज- मुझे पता था.. तुम जरूर आओगी इसलिए उस समय बात होने के बाद ही मैं यहाँ आ गया था।
रोमा- ओह्ह.. आप बहुत स्मार्ट हो.. अब यहीं बात करोगे.. या चलोगे भी.. कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी।

दोनों गाड़ी में बैठ गए और गाड़ी चलने लगी।

रोमा- मॉम को झूठ बोलकर एक घंटे के लिए आई हूँ.. अब बोलो हम कहाँ चलें..?
नीरज- तुम बोलो कहाँ जाना पसन्द करोगी.. समुद्र किनारे या किसी मॉल में.. जो तुम कहो.. वहीं चलेंगे।

रोमा- नहीं नहीं.. मैं घूमने नहीं.. आपसे मिलने आई हूँ.. और ये सब जगह तो मैंने कई बार देखी हुई हैं और दूसरी बात कोई पहचान लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.. कोई ऐसी जगह चलते हैं.. जहाँ बस हम दोनों के अलावा कोई ना हो।

नीरज- ऐसी जगह तो मेरा फ्लैट ही है.. आराम से बैठकर बातें करेंगे.. वहाँ पर और कोई आएगा भी नहीं।
रोमा ने नीरज की बात सुनकर ‘हाँ’ में सर हिलाया और दोनों वहीं जा पहुँचे.. जहाँ पहले गए थे।

नीरज- सच रोमा.. अभी भी किस्मत पर यकीन नहीं आ रहा.. तुम जैसी अच्छी लड़की मेरी लाइफ में आ गई।
रोमा- यकीन दिलाने के लिए चींटी काटूँ क्या.. हा हा हा हा।

नीरज ने हँसते हुए रोमा को बाँहों में भर लिया।
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अब दोनों एक-दूसरे को बाँहों में भरे हुए बस खड़े थे.. नीरज के हाथ रोमा की कमर पर घूम रहे थे और रोमा की साँसें तेज़ होने लगी थीं।

रोमा ने काँपते होंठों से धीरे से नीरज के कान में कहा- आई लव यू नीरज.. आज आप मुँह मीठा कर सकते हो।

बस इतना सुनना था कि नीरज ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
अब तो बस नीरज होंठों को ऐसे चूसने लगा जैसे कभी दोबारा रोमा हाथ में नहीं आएगी। उसकी वासना जाग उठी और उसके हाथ रोमा के चूतड़ों पर चले गए, वो उनको दबाने लगा।

रोमा ने जब यह महसूस किया तो जल्दी से नीरज को धक्का देकर उससे अलग हो गई, उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं।

नीरज- अरे क्या हुआ रोमा..?
रोमा- नहीं.. यह ग़लत है.. आपके हाथ कहाँ तक पहुँच गए थे.. हर बात की एक हद होती है।

नीरज- आई एम सॉरी रोमा.. मुझे नहीं पता था.. प्यार की भी कोई हद होती है.. मैं तो बस सच्चे दिल से तुम्हें प्यार कर रहा था.. आई एम सॉरी।
इतना कहकर नीरज मायूस सा होकर एक तरफ़ बैठ गया।

रोमा का दिल भर आया। उसको लगा शायद उसने नीरज को दु:ख पहुँचाया है.. वो नीरज के करीब आ गई।
रोमा- आई एम सॉरी नीरज.. मैं घबरा गई थी.. सॉरी.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने पहली बार ये सब किया.. तो समझ नहीं आया कि मुझे क्या कहना चाहिए।

नीरज- नहीं रोमा.. तुम जाओ.. ग़लती मेरी ही है.. जो मैं तुम्हारे प्यार में बहक गया था।

रोमा- प्लीज़ नीरज.. मुझे और शरमिंदा मत करो.. अब मैं कभी आपको किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी.. प्लीज़ मान जाओ ना।
 
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नीरज मन ही मन मुस्कुरा रहा था.. अब चिड़िया जाल में फंसने लगी थी।
नीरज- नहीं रोमा.. तुम नहीं जानती.. ये प्यार ऐसा ही होता है.. आदमी कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है.. तुम ये सब नहीं समझ पाओगी।

रोमा- मैं सब समझती हूँ.. प्लीज़ मान जाओ.. मुझे एक बार आजमा कर तो देखो.. अब मैं कुछ नहीं कहूँगी।
नीरज- ठीक है.. मान जाता हूँ.. एक बात कहूँ.. मैं तुम्हें खुल कर प्यार करना चाहता हूँ.. क्या तुम मुझे इजाज़त देती हो?
रोमा- हाँ मेरे प्यारे नीरज.. जैसे प्यार करना चाहते हो.. कर लो.. मैं नहीं रोकूंगी.. आ जाओ.. अपनी रोमा को जैसे चाहो आजमा लो..

लो दोस्तो, गई रोमा काम से.. नीरज ने जो जाल फेंका.. बेचारी फँस गई जाल में.. खुद चूत ऑफर कर रही है..

नीरज ने रोमा के कंधे पकड़ लिए और बस उसको देखता रहा.. उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा था। रोमा ने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और बस नीरज की आँखों में देखने लगी।
नीरज ने रोमा को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले जाकर लेटा दिया। रोमा के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थीं।

अरे अरे ये क्या हो गया दोस्तो, सॉरी यह सीन आप बाद में देखना.. वहाँ ममता से थोड़ी गड़बड़ हो गई है.. चलो वहाँ चलते हैं।

शाम को मीरा और राधे बैठे हुए बातें कर रहे थे.. तभी डोर बेल बजी..

मीरा- ओह.. माँ.. कौन आया होगा.. राधे तुम अन्दर चले जाओ.. क्या पता कौन है?

राधे कमरे में चला गया और मीरा ने दरवाजा खोला तो सामने ममता का पति सरजू खड़ा था।

दोस्तों मैं आपको बताना भूल गई.. कभी-कभी सरजू यहाँ दिलीप जी से पैसे माँगने आ जाता था। हालाँकि दिलीप जी हमेशा उस पर गुस्सा करते रहते हैं कि वो दारू ना पिए.. मगर कहते हैं ना कुत्ते की दुम को 100 साल नली में रखो.. सीधी नहीं होती। यह सरजू भी वही कुत्ते की दुम है।

सरजू- नमस्ते मेमसाब।
मीरा- सरजू तुम यहाँ.. इस वक़्त क्यों आए हो… पापा घर में नहीं हैं.. जाओ यहाँ से..

सरजू- मेमसाब मैं आपसे ही मिलने आया हूँ.. वो ममता आज बड़ी खुश लग रही थी। मैंने पूछा तो कहने लगी मेमसाब उसको एक दवा लाकर देगी.. जिससे वो माँ बन जाएगी.. बस इसी लिए आपसे मिलने आया हूँ..

सरजू की बात सुनकर एक बार तो मीरा डर गई कि ये ममता ने क्या कर दिया। सरजू को बताने की क्या जरूरत थी..
मीरा- हाँ मैंने कहा था.. लेकिन तुम यहाँ क्यों आए हो?

सरजू- आपका शुक्रिया अदा करने आया हूँ मेमसाब.. बस जल्दी से वो दवा ला दो.. ताकि मैं बाप बन सकूँ। वैसे एक बात पूछू.. आप बुरा तो नहीं मानोगी ना?
मीरा- हाँ पूछो.. क्या बात है?
सरजू- वो क्या है ना मेमसाब.. मैं अक्सर रात को दारू पीकर टुन्न हो जाता हूँ और घर आकर सो जाता हूँ.. ममता को पति का सुख नहीं दे पाता.. बेचारी खुद ही सब करती है.. मैं तो बस सोया रहता हूँ.. ऐसे में वो दवा काम करेगी ना?

मीरा के चेहरे पर थोड़ी शर्म आ गई हालाँकि सरजू ने शॉर्ट में कहा.. मगर मीरा सब समझ गई।

मीरा- ये तुम मेरे साथ कैसी बातें कर रहे हो.. जाओ यहाँ से.. वो दवा मैं ला दूँगी और वो ऐसे भी काम करेगी.. समझ गए ना.. अब जाओ यहाँ से.. दोबारा मत आना.. नहीं तो पापा को बोल दूँगी।

सरजू घबरा गया और माफी माँगता हुआ वहाँ से चला गया.. मगर उसके दिल में इस बात की ख़ुशी थी कि ममता अब माँ बन जाएगी।

मीरा बड़बड़ाती हुई कमरे में आई.. उसके चेहरे पर थोड़ा गुस्सा भी था।

राधे- अरे मेरी जान क्या हुआ?
मीरा- होना क्या था.. वो ममता के पेट में कोई बात पचती ही नहीं.. जाकर बोल दिया अपने पति को..
राधे- अरे मैंने सब सुना है.. बेचारी ने दवा का नाम लिया है और कुछ तो नहीं कहा ना?

मीरा- क्या जरूरत थी दवा का नाम लेने की.. चुप नहीं रह सकती थी क्या.. और हाँ तुमने बताया नहीं.. दोपहर में मेरे जाने के बाद क्या किया तुम दोनों ने?
राधे- अरे करना क्या था.. बस मेरा लौड़ा चुसवाया उसको.. बड़ा अच्छा चूसती है।
मीरा- बस सिर्फ़ चुसवाया उसको.. और कुछ नहीं किया?

राधे- अरे उसने साफ मना कर दिया.. बोली कल अपनी चूत क साथ जलवा दिखाएगी।
मीरा- ओह.. लगता है.. वो कल चूत को साफ करके आएगी।
राधे- हाँ शायद मुझे भी ऐसा ही लगता है।

मीरा- चलो रेडी हो जाओ.. पिक्चर देख कर आएँगे.. आज खाना भी बाहर खाकर आएँगे।
राधे- मेरी जान.. अगर बुरा ना मानो तो आज थोड़ी ड्रिंक हो जाए.. प्लीज़।
मीरा- ओके मेरे आशिक.. वैसे मुझे शराब से नफ़रत है.. मगर आज तुम्हारे लिए ये भी सही.. अब चलो..

दोनों रेडी होकर बाहर निकल जाते हैं।

दोस्तो, इनको घूमने दो.. चलो वापस आपको रोमा के पास ले चलती हूँ.. वहाँ क्या हो रहा है.. कहीं वहाँ नीरज ने रोमा को चोद तो नहीं दिया ना..

नीरज ने रोमा को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले जाकर लेटा दिया। रोमा के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थीं, रोमा बस नीरज को देख रही थी और नीरज उसके एकदम करीब आ गया था.. रोमा ने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।

नीरज उसके होंठों को चूसने लगा.. अपने नीचे उसे दबा लिया। अब नीरज का लौड़ा ठीक रोमा की चूत पर सैट हो गया था.. बस कपड़े बीच में आ रहे थे।

रोमा की साँसें तेज होने लगी थीं.. उसका जिस्म जलने लगा था.. मगर वो चुपचाप मज़ा ले रही थी.. अब नीरज के हाथ हरकत करने लगे थे। वो रोमा के अनछुए अमरूदों को सहलाने लगा था.. साथ ही अपने लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा था।

करीब 5 मिनट तक ये सब चलता रहा.. रोमा बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गई थी.. मगर वो डर भी रही थी। आज से पहले कभी किसी मर्द ने उसके जिस्म को ऐसे टच नहीं किया था और नीरज तो पक्का चोदू था।

अब उसने अपना हाथ रोमा के टॉप में घुसा दिया और ब्रा के ऊपर से मम्मों को दबाने लगा। दूसरे हाथ को स्कर्ट में डाल कर चूत को मसलने लगा।
रोमा की चूत से पानी रिसने लगा था उसकी पैन्टी पूरी गीली हो गई थी। रोमा को डर था.. कहीं उसके सफ़ेद स्कर्ट पर दाग ना लग जाए..। अब उसकी बर्दाश्त की सीमा पार हो गई थी।

रोमा- आह्ह.. नीरज.. उई सस्स.. प्लीज़ अब बस भी करो.. एयेए.. बहुत देर हो गई आह्ह.. मुझे घर जाना होगा आह्ह..
नीरज- बस थोड़ी देर और मुझे प्यार कर लेने दो.. देखो तुमने वादा किया था.. मना नहीं करोगी.. प्लीज़ बस थोड़ा और मज़ा लेने दो.. तुम्हारे महकते जिस्म ने मुझे मदहोश कर दिया है..
रोमा- आह्ह.. मैं मना नहीं कर रही हूँ कककक.. प्लीज़ आह्ह.. दोबारा आऊँगी आह्ह.. बाकी का तब कर लेना.. आह्ह.. मेरे कपड़े गंदे हो जाएँगे ऐइ…

नीरज समझ गया.. कि रोमा की बातों का क्या मतलब है और उसने ऐसी हरकत कर दी.. जिसका रोमा ने अंदाज़ा भी नहीं लगाया होगा।

नीरज बैठ गया और एक ही झटके में उसने रोमा के स्कर्ट को पकड़ कर खींच दिया। अब रोमा की सफेद पैन्टी में से उसकी गीली चूत साफ नज़र आने लगी.. जिसे देख कर नीरज का दिमाग़ घूम गया।

रोमा- ओह.. माय गॉड.. ये क्या किया आपने.. नहीं ये ग़लत है.. छोड़ो मुझे प्लीज़.. नीरज मुझे शर्म आ रही है।
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नीरज- अरे घबराओ मत.. मैं कुछ नहीं करूँगा.. बस प्यार करूँगा.. ये मैंने इसलिए निकाली है.. ताकि खराब ना हो.. प्लीज़ रोमा.. तुम्हें मेरी कसम है बस.. थोड़ी देर मुझे करने दो.. मैं वादा करता हूँ.. बस होंठों से प्यार करूँगा और कुछ नहीं प्लीज़..
 

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