Incest खोई बहन

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यह बात मुंबई की रात की है.. 11 बजे किसी की शादी हो रही थी और नाच-गाने का प्रोग्राम चल रहा था।
स्टेज लगा हुआ था और एक बेहद खूबसूरत लड़की.. जिसकी उम्र कोई लगभग 20 साल की होगी.. वो नाच रही थी और तमाशा देखने वाले उसे देख कर मज़ा ले रहे थे। कोई उसके चूतड़ों पर हाथ मार देता.. तो कोई उसके मम्मों को दबा देता।
सभी- अरे मेरी राधा.. वाह क्या नाचती है तू.. उम्माह.. मज़ा आ गया.. तेरे जिस्म को तो छूने दे.. अरे भागती कहाँ है तू..
सुनील- अरे अरे.. भाई साहब मेहरबानी करके बैठ जाओ.. देखो आप ऐसा करोगे ना.. तो हम अभी नाच-गाना बन्द कर देंगे।
यह है सुनील.. इस नाटक मंडली का करता-धरता.. दरअसल ये लोग किसी की शादी वगैरह में प्रोग्राम करते फिरते हैं बाकी ऐसा कोई खास नहीं.. बस अपना गुजारा चला लेते हैं।
रात को जब प्रोग्राम ख़त्म हुआ तो यह नाटक मंडली अपने घर की ओर चल दी।
रात के करीब 2 बजे एक छोटे से घर में ये सब दाखिल हुए।
इनके ग्रुप में कुल 6 सदस्य हैं.. एक सुनील जो लगभग 40 साल का है.. उसे आप इन सबका बॉस कह सकते हो.. बाकी 2 हरीश और मनोज.. जो करीब 28 साल के होंगे.. ये महफ़िल में गाना गाते हैं इनके अलावा एक छोटा लड़का है.. कोई 15 साल का अनुज.. तमाशा देखने वाले जब राधा पर पैसे फेंकते हैं यही अनुज सब जमा कर लेता है.. इसका यही काम है।
आखिर में नीरज और राधेश्याम दोनों ही लगभग 20 साल के आस-पास होंगे।
नीरज प्रोग्राम में हीरो बनता है.. और राधेश्याम हीरोइन… जब डांस करना होता है दोनों साथ-साथ सबको खुश कर देते हैं।
अरे अरे नहीं.. आप गलत समझ रहे हो.. 6 सदस्य पूरे हो गए.. इनके यहाँ लड़की नहीं है.. अपना राधेश्याम ही राधा है.. वो लड़की की ड्रेस में रहता है। उसका यही काम है और सही मायने में इस पूरे ग्रुप की जान भी वही है।
अब यह ऐसा क्यों है.. और इस कहानी में ऐसा क्या खास है.. जो मैं लिख रही हूँ.. तो दोस्तों आप अच्छे से जानते हो.. मैं ऐसी-वैसी कहानी नहीं लिखती।
इस कहानी में वो सब कुछ है.. जो आपको मज़ा देगा.. मगर अब मेरी कहानी है.. तो पन्ने धीरे-धीरे ही खुलेंगे ना!
चलिए आगे देखिएगा.. अब क्या होता है..
राधे- हट साली क्या कुतिया जैसी जिंदगी है रंडी बना कर रख दिया है सालों ने.. सोचा था.. मुंबई जाकर कुछ करूँगा.. नाम कमाऊँगा.. मगर साली किस्मत यहाँ खींच लाई।
नीरज- अरे यार.. मायूस क्यों होता है.. अब इतने साल हो गए तुझे यहाँ.. और हर बार प्रोग्राम के बाद तू ऐसे ही गुस्सा हो जाता है।
राधे- तू तो चुप ही रह साला.. तुझे क्या पता मेरे साथ क्या गुजरती है। जब मैं लड़की बनता हूँ.. साला तू बन कर देख कभी.. तब पता चलेगा..
नीरज- यार तू अच्छे से जानता है.. तेरे सिवा कोई भी लड़की नहीं बन सकता.. फिर भी हर बार यही बोलता है.. अब भगवान ने तुझे बनाया ही ऐसा है.. तो हम क्या कर सकते हैं।
दोस्तो, आपको बता दूँ कि राधे के जिस्म की बनावट एकदम लड़की जैसी थी.. उसका चेहरा और बदन एकदम लड़कियों जैसा.. छोटे-छोटे हाथ और हाथ-पाँव पर एक बाल का नाम नहीं.. यहाँ तक कि बचपन से आज तक राधे के चेहरे पर भी बाल नहीं आए.. भगवान ने उसको लड़की बनाते-बनाते लड़का बना दिया.. बस झांटें और लौड़ा दे दिया.. ताकि वो मर्द लगे.. उसके सीने पर भी बाल नहीं थे।
वह ऊपर वाला चूचों को थोड़े बड़े कर देता तो भी चलता.. बेचारा जब प्रोग्राम पर जाता है.. टेनिस की 2 बॉल लगा कर ब्रा पहनता है.. और हाँ आपको एक खास बात बता दूँ।
राधे का लौड़ा करीब 8″ का है.. और मोटा भी ऐसा कि.. हाथ में बराबर ना आए और हाँ मिमिक्री तो ऐसी कमाल की करता है खास कर लड़की की आवाज़ तो ऐसी निकालता है.. कि सुनने वाला 1% भी शक नहीं करता कि यह लड़का है।
इतनी बारीक और मीठी आवाज़ निकालता है कि लड़कों की ही निकल जाती है।
राधे- यार… ये भगवान ने मेरे साथ मजाक सा किया है.. मुझे ऐसा बना दिया और लौड़ा भारी-भरकम दे दिया.. साली वो रंडी शीला भी चुदवाते समय नाटक करती है.. कहती है तू बहुत तड़पा कर चोदता है.. तुझे ज़्यादा पैसे देने होंगे।
नीरज- तो साले सही तो बोल रही थी वो.. तू एक घंटा तक उसे चोदेगा.. तो डबल पैसे ही लेगी ना.. मेरा तो साला 20 मिनट में ही निकल जाता है।
राधे- पता नहीं साला.. मेरा नसीब ही ऐसा है।
नीरज- यार ये तेरे हाथ पर क्या निशान है.. अजीब सा.. मैं रोज सोचता हूँ कि पूछू.. पर भूल जाता हूँ।
राधे- पता नहीं.. बचपन का है ये.. चल सो जा.. सुबह बात करेंगे।
नीरज- यार भगवान ने तुझे ऐसा बनाया है इसके पीछे जरूर कोई वजह होगी.. देख लेना एक दिन तुम्हें समझ में आएगा कि तुम ऐसे क्यों हो.. चल सो जा.. रात बहुत हो गई है।


… सुबह के 7 बजे एक 45 साल का कामजोर सा आदमी कुर्सी पर बैठा अख़बार पढ़ रहा था।
ये हैं दिलीप त्यागी.. अच्छे-ख़ासे पैसे वाले हैं. इनकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं हैं तो बेचारे बस गमगीन से रहते हैं।
मीरा- गुडमॉर्निंग पापा.. ये लो आपकी चाय हाजिर है..
दोस्तो, ये हैं मीरा त्यागी.. इनकी बेटी उम्र 18 साल.. भरा-पूरा जिस्म है.. शरारती बहुत है.. अपने पापा की लाड़ली ये दिखने में एकदम आलिया भट्ट Alia Bhatt जैसी लगती हैं कोई 5 साल पहले माँ की मौत के बाद यह टूट सी गई थी.. मगर दिलीप जी ने इसे इतना प्यार दिया कि इसको कभी माँ की कमी महसूस ही नहीं हुई।
दिलीप- अरे तुम चाय लेकर क्यों आई हो.. मैंने घर में नौकर किस लिए रखे हैं. तुम काम मत किया करो।
मीरा- अरे पापा, यह कोई काम है.. अब आपको चाय तो मैं ही दूँगी.. क्योंकि आप वर्ल्ड के सबसे बेस्ट पापा हो..
दिलीप- और तुम दुनिया की सबसे अच्छी बेटी हो.. जाओ अब तैयार हो जाओ स्कूल नहीं जाना क्या?
मीरा ने आगे बढ़कर दिलीप जी के गाल पर एक पप्पी दी और 'आई लव यू' कहा और वहाँ से अपने कमरे में चली गई।
दस मिनट बाद वो जब वापस आई.. दिलीप जी की आँखों में आँसू थे.. वो अख़बार में देख कर रो रहे थे.. मीरा उनके पास आई और अख़बार में देखने लगी कि ऐसी क्या खबर है.. जो उसके पापा की आँखों में आँसू आ गए।
अख़बार में एक 5 साल के बच्चे का फोटो था.. नीचे लिखा था गुमशुदा की तलाश।
बस यही वो खबर थी.. मीरा समझ गई कि पापा क्यों रो रहे हैं।
उसने जल्दी से अख़बार पापा से छीन लिया और गुस्सा हो गई।
मीरा- पापा हद हो गई.. यह क्या बात हुई.. इतनी सी बात के लिए आप रो पड़े.. ऐसे कैसे चलेगा पापा.. प्लीज़..
दिलीप- मीरा यह इतनी सी बात नहीं है.. ऐसी खबर देखता हूँ तो अपने आपको कोसता हूँ.. मेरी वजह से ये सब हुआ है काश.. मैं वहाँ नहीं जाता तो अच्छा होता काश…
दिलीप जी फूट-फूट कर रोने लगे तो मीरा भी उनसे लिपट कर रोने लगी।
काफ़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही रहे.. तब कहीं उनकी नौकरानी ने आकर उनको समझाया.. तो वो चुप हुए।
फिर मीरा अपने स्कूल चली गई और दिलीप जी वहीं रहे।
इनकी नौकरानी के बारे में भी आपको बता दूँ.. इसका नाम ममता है.. इसकी उम्र कोई 20 साल होगी.. साल भर पहले ही इसकी शादी हुई है.. इसका जिस्म भी बड़ा मादक है। लंबे बाल.. गेहुआ रंग और इसके चूचे एकदम तने हुए.. 34″ के हैं। कमर ठीक-ठाक है और उठी हुई गाण्ड भी 34″ की है.. ये दिखने में बड़ी कामुक लगती है.. मगर ये अपने काम से काम रखती है सुबह आती है शाम का खाना बना कर वापस चली जाती है।
 
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अब आगे..

अब यह क्या हुआ.. क्यों दिलीप जी रोए आपको बाद में बताऊँगी पहले चलिए.. अपने राधे के हाल देख आते हैं।

नीरज और राधे सुबह नहा धोकर अपने कमरे में बैठे बातें कर रहे थे।

राधे- अबे क्या बात है साले.. कहाँ जा रहा है ऐसे चमकीले कपड़े पहन कर?
नीरज- अरे मैंने बताया था ना.. साला ये नौटंकी से पेट थोड़ी भरता है.. महीने में 10 दिन काम रहता है.. बाकी 20 दिन तो बाहर कहीं हाथ-पाँव मारने ही पड़ते हैं ना.. इसी लिए काम की तलाश में जा रहा हूँ यार..

राधे- अबे साले वो तो यहाँ हम सब ऐसे ही करते है.. तू कौन सा नया जा रहा है.. मगर ये ऐसे कपड़े पहन कर तू कौन सा काम करने जा रहा है.. ये तो बता मुझे?
नीरज- यार अब तुझे क्या बताऊँ.. यहीं पास में एक सेठानी रहती हैं.. उसके ड्राइवर ने 2 दिन पहले मुझे एक काम बताया था.. आज मैं वो ही करने जा रहा हूँ।
राधे- अबे साले कहाँ जा रहा है.. मैंने ये नहीं पूछा.. काम क्या है.. वो बता.. साला कब से बात को बस घुमाए जा रहा है..
नीरज- तू अपना काम कर.. सारी बात तुझे बताऊँ.. ये जरूरी है क्या.. साला दिमाग़ चाट गया मेरा..

नीरज वहाँ से निकल गया और अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगा। कुछ ही देर में वो एक बिल्डिंग के सामने जा कर रुका और किसी को फ़ोन लगाया।

दो मिनट उसने किसी से बात की.. शायद वो पता पूछ रहा था और फ़ोन रखने के बाद सीधा उस बिल्डिंग में दाखिल हो गया 8वें माले पर जाकर एक फ्लैट की उसने घन्टी बजाई।

थोड़ी देर में दरवाजा खुला तो एक 21 साल की लड़की.. जो दिखने में एकदम Indian Sexy Bollywood Actress Anushka Sharma जैसी लग रही थी.. काले रंग के मैक्सी टाइप के कपड़े उसने पहने हुए थे।
वो बस सवालिया नजरों से नीरज को देख रही थी।

नीरज- न..नमस्ते.. मेमसाब.. मेरा नाम नीरज है.. आपके ड्राइवर राजू ने मुझे यहाँ भेजा है।

वो लड़की कुछ नहीं बोली नीरज को वहीं रुकने का इशारा करके.. अन्दर चली गई। कुछ देर बाद एक 40 साल की मोटी सी औरत बाहर आई.. जिसका जिस्म एकदम बेढंगा था.. मोटी-मोटी जाँघें.. गाण्ड बाहर को निकली और लटकती हुई सी.. उसका सांवला रंग था।

ये राखी मेहता हैं.. एक हाउस-वाइफ.. और अभी जो आई थी.. वो इसकी बेटी नीतू थी। कोई नहीं कह सकता था कि ऐसी भद्दी औरत की ऐसी खूबसूरत बेटी होगी.. मगर यही सच्चाई थी।

राखी- तो तुम हो नीरज?
नीरज- जी..जी.. मैडम मैं ही हूँ..
राखी- पहले कभी मालिश की है किसी की.. और सब साफ-सफ़ाई भी करनी होगी.. सब पता है ना तुमको.. बाद में कोई झिक-झिक नहीं होनी चाहिए..
नीरज- जी..जी.. सब पता है.. मैं कर लूँगा..

राखी- ठीक है.. आ जाओ.. 1000 रुपये से एक पैसा ज़्यादा नहीं दूँगी… जाओ वो सामने वाला कमरा है.. वहीं हैं बाबूजी और बाथरूम में सब सामान रखा हुआ है.. ले लेना..

दोस्तो, आप समझ रहे होंगे कि अब ये किसी औरत की मालिश करेगा और मज़ा आएगा.. मगर ऐसा नहीं है किसी बूढ़े आदमी की मालिश करने आया है बेचारा.. तभी तो शर्म से इसने राधे को कुछ नहीं बताया था।

जब नीरज उस कमरे में गया.. एक 80 साल का बूढ़ा बिस्तर पर लेटा हुआ था.. उसने बस एक धोती पहनी थी.. वो एक मरियल सा एकदम सा आदमी बुड्डा था।

उसे देख कर नीरज थोड़ा घबरा गया.. मगर हिम्मत करके वो आगे बढ़ा और बूढ़े को नमस्ते किया।
तभी कमरे में नीतू आ गई।

नीतू- वो मैं बताने आई थी कि वहाँ अलमारी में पुराना पजामा रखा है.. वो पहन लेना.. तुम्हारे कपड़े गंदे होने से बच जाएँगे और बाबूजी बोल-सुन नहीं सकते हैं.. इशारे से इनको सब बता देना.. ओके.. अब मैं जाती हूँ.।

उसके जाने के बाद नीरज अपने आप से बड़बड़ाने लगा।

नीरज- साला राजू तेरे चक्कर में यहाँ कपड़े अच्छे पहन कर आ गया.. साले ने बोला था कि अच्छे कपड़े पहन कर आना.. तभी मैडम यहाँ रखेंगी.. साला हरामी.. अब इस बूढ़े की झांटें साफ करो.. साली क्या गान्डू लाइफ है।

वो बड़बड़ाता हुआ अलमारी के पास गया.. वहाँ पुराना सा एक शॉर्ट्स मिला.. उसने अपने कपड़े निकाल कर साइड में रखे और बाथरूम से तेल.. रेजर.. साबुन सब ले आया।

बिस्तर पर साइड में एक चादर बिछा कर बूढ़े को सीधा उस पर लिटा दिया और वो अपने काम में लग गया।

नीरज- साले बूढ़े.. जब हिल-डुल नहीं सकता तो क्यों जी रहा है.. मर क्यों नहीं जाता भोसड़ी के.. तुझे बड़ा मज़ा आ रहा होगा झांटें साफ करवाने में.. तेरा लौड़ा तो एक इन्च का रह गया होगा.. कभी खड़ा भी होता है क्या..?

नीरज बस अपने आप ही बड़बड़ा रहा था.. बूढ़े की उम्र के हिसाब से लौड़ा सिकुड़ कर लुल्ली बन गया था।

नीरज ने बूढ़े के सारे बाल साफ किए.. फिर पानी से साफ किया। अब मालिश की तैयारी में था कि तभी बाहर से आवाज़ आई।

राखी- मैं बाहर जा रही हूँ.. काम हो जाए तो मेरी बेटी से पैसे ले लेना.. सब अच्छे से साफ करके सामान अपनी जगह पर रख कर जाना.. समझे?
नीरज- ज..जी.. मेम.. सब आप बेफिकर होकर जाओ..

उसके जाने के बाद नीरज ने जल्दी-जल्दी अपना काम ख़त्म किया। वो सब साफ-सफ़ाई करके जब अपने कपड़े पहन कर जाने लगा..
तभी नीतू कमरे में आ गई।
उसका तो रूप रंग ही बदल गया था.. उसने कपड़े भी दूसरे पहन लिए थे।

अब नीतू के बाल खुले हुए थे.. उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और एक पतली सी नाईटी उसने पहनी हुई थी। उसके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे।

नीरज- ज्ज..जी.. कहिए.. मेरा काम हो गया है.. अब मैं जा रहा हूँ..
नीतू- अभी कहाँ हो गया.. यहाँ पहले मेरे कमरे में आओ..

नीरज खुश हो गया कि चलो बूढ़े की सेवा का फल शायद अब मिल जाएगा। वो नीतू के पीछे-पीछे चला गया।
कमरे में जाकर नीतू बिस्तर पर बैठ गई और नीरज को देख कर मुस्कुराने लगी।

नीरज- जी कहिए मैडम जी.. क्या काम है?
नीतू- कभी किसी लड़की की मालिश की है तूने?
नीरज- जी की तो नहीं.. मगर कर सकता हूँ..
नीतू- अच्छा क्या लोगे.. अगर मैं मालिश कराऊँ तो?

नीरज की तो बोलती ही बन्द हो गई.. ये बात सुनकर ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. इतनी खूबसूरत लड़की की मालिश करने को मिलेगी..

नीरज- जी.. कुछ भी देना आप..
नीतू- ठीक है मॉम के आने के पहले मुझे खुश कर दो तो 1000 तो तुम्हें देने ही हैं.. 1000 और दे दूँगी.. मगर मुझे खुश कर दोगे तो.. वरना कुछ भी नहीं मिलेगा।

नीरज- आप बे-फिकर रहो.. मैं बहुत अच्छे से मालिश कर दूँगा।
नीतू- अच्छा ये बात है.. तो दिखाओ अपना कमाल.. आ जाओ.. बैठ जाओ यहाँ..

नीरज को कुछ समझ नहीं आया कि वो उसे नीचे बैठने को क्यों बोल रही है।

नीरज- मेरे यहाँ बैठने से क्या होगा मालिश आपकी करनी है आप लेट जाओ तब मालिश होगी ना..

नीतू- बस मुझे मत सिख़ाओ क्या करना है और क्या नहीं.. मुझे जिस्म की नहीं चूत की मालिश करवानी है.. इसे चाट कर मज़ा दो.. मेरा ब्वॉय-फ्रेण्ड 2 दिन के लिए बाहर गया हुआ है.. बड़ी आग लगी है मेरी चूत में.. इसलिए थोड़ा चाट कर ठंडा कर दो।
नीरज- ओह्ह.. क्यों नहीं.. मैं अभी आपकी चूत की आग मिटा देता हूँ.. लाओ मुझे दिखाओ तो अपनी प्यारी सी चूत..

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नीतू- ज़्यादा चूत-चूत कह कर होशियारी मत कर.. बस मुँह से चाटनी है.. हाथ टच नहीं होना चाहिए.. नहीं तो गए तेरे पैसे.. समझा?

नीतू ने अपनी नाईटी ऊपर कर दी तो उसकी पाव-रोटी जैसी फूली हुई चूत सामने आ गई.. जिसे देख कर ये अनुमान लगाया जा सकता था कि इसको बड़ी बेदर्दी से चोदा गया है.. बहुत सूजी हुई भी थी।

ऐसी प्यारी चूत देख कर नीरज की तो लार टपकने लगी.. वो बस शुरू हो गया.. चूत को चाटने लगा।
नीतू सिसकारियाँ भरने लगी.. उसको चूत चटवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था.. इधर नीरज का लौड़ा भी फुंफकार मारने लगा था.. मगर वो कुछ कर भी तो नहीं सकता था ना.. बस चुपचाप चूत चाटता रहा।

नीतू- आईई.. आह्ह.. जीभ की आह्ह.. नोक अन्दर तक डालो.. आह्ह.. चोदो जीभ से.. आह्ह.. ओउह आह्ह.. मज़ा आ रहा है आह्ह.. आईई.. ज़ोर से चाटो आह्ह..

नीरज मज़े से पूरी चूत पर जीभ घुमा कर चूस रहा था.. चूत से कामरस टपकने लगा था.. वो उसे चाट कर मज़ा ले रहा था।

नीतू अब गाण्ड को हिलाने लगी थी.. उसका पानी निकलने वाला था.. वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी।

नीरज भी पूरी ताक़त से जीभ घुसा-घुसा कर उसको चोदने लगा। आख़िरकार नीतू की चूत ने पानी की धार मार ही दी.. जो नीरज पी गया.. उसने पूरी चूत को साफ कर दिया था। अब नीतू ठंडी पड़ गई थी और बिस्तर पर निढाल हो कर सो सी गई.. आनन्द के मारे उसकी आँखें बन्द थीं।

नीरज का लौड़ा बगावत पर उतर आया.. वो ऐसी मस्त चूत में घुस जाना चाहता था।
नीरज ने आव देखा ना ताव.. और नीतू पर टूट पड़ा.. उसके मम्मों को दबाने लगा.. उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ कर चूसने लगा.. मगर ये मज़ा बस कुछ ही सेकण्ड का था.. क्योंकि नीतू ने उसे ज़ोर से धक्का देकर अपने से अलग किया और गुस्से में आग-बबूला हो गई।

नीतू- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई.. मुझे छूने की.. कुत्ते निकल जाओ यहाँ से.. नहीं अभी पुलिस को बुलाकर अन्दर करवा दूँगी..

उसके गुस्से से नीरज डर गया।
नीरज- स..स..सॉरी.. मुझे माफ़ कर दो.. मैं समझा कि अब आप शांत हो गई.. तो मैं भी थ..थ..थोड़ा मज़ा ले लूँ..

नीतू ने उसके गालों पर एक थप्पड़ जड़ दिया और गुस्से से बोली- साले मुझे छूने की तेरी औकात नहीं है तूने ऐसा सोचा भी कैसे? चल अब भाग जा..

नीरज ने अपने पैसे माँगे तो नीतू साफ मुकर गई, उसने कहा- तूने जो हरकत की है.. वो उसके बदले पूरे हो गए.. अब जाओ नहीं तो शोर मचा कर सब को बुला लूँगी।

बेचारा मरता क्या ना करता.. मन में गालियां निकलता हुआ.. वहाँ से निकल गया।
 
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वहाँ से निकल कर नीरज जब जा रहा था तो रास्ते में एक पुरानी सी दुकान की साफ-सफ़ाई हो रही थी.. उसमें से अख़बार का एक बण्डल भी दुकान वाले ने बाहर फेंका.. जो काफ़ी पुराना था.. नीरज ने सोचा खाना खाने के समय अख़बार नीचे रखने के काम आएँगे.. सो उसने वो बण्डल उठा लिया और वहाँ से चला गया।

शाम तक ऐसा कोई खास वाकिया नहीं हुआ.. बस जैसे रोज होता है वही हुआ।

रात को नीरज कमरे में अकेला बैठा बोर हो रहा था.. तो उसने वो पुराने अख़बारों में एक अखबार उठा कर देखना शुरू कर दिया और एक जगह आकर उसकी निगाह रुक गई या यूं कहो.. आँखें फटी की फटी रह गईं।

नीरज ने उस खबर को गौर से पढ़ा और पास की दराज से पेन कागज निकाला और अख़बार से कुछ नोट किया… फिर उस अख़बार को फाड़ कर अपनी जेब में डाल लिया और बाहर निकल गया।

दोस्तो, इसको जाने दो.. हम लोग राधे के पास चलते हैं.. शाम के समय अक्सर वो बाहर पीता है.. और कहीं ना कहीं मुँह काला करता है।

आपको भी कब से ऐसे ही किसी वाकये का इन्तजार होगा.. तो खुद ही देख लीजिएगा।

राधे एक कमरे में बैठा हुआ था.. उसके हाथ में बियर की बोतल थी और सामने एक 25 साल की लड़की.. जो दिखने में ठीक-ठाक सी थी.. एक मैक्सी पहने हुए उसके पास बैठी थी.. उसे देखते ही पता चल रहा था कि यह एक वेश्या है.. इसका नाम शीला है।

राधे- जानेमन… बस 2 घूँट और बाकी है इसको पी लूँ उसके बाद तेरी चुदाई करूँगा।
शीला- अरे मेरे राजा.. मेरी चूत पर डाल कर चाट ले.. ये बाकी की बीयर.. तुझे मज़ा आ जाएगा..

राधे- चल हट साली.. तेरी चूत पर मुँह कौन लगाएगा.. साली दिन में 10 लौड़े खाती है.. हाँ कोई कच्ची कली की चूत मिल जाए तो 2 घूँट क्या पूरी बोतल चूत पर डाल कर पी जाऊँगा..

शीला- हा हा हा.. तुझे कहाँ से मिलेगी ऐसी चूत.. सपने देख मेरे राजा.. अब आ भी जाओ.. धंधे का टैम है.. खोटी मत कर.. जल्दी चोद और निकल यहाँ से.. दूसरा भी आता होगा..

राधे- अबे साली रंडी.. ऐसे ही चुदवाएगी क्या.. कपड़े तो निकाल.. मुझे भी निकालने दे..

शीला ने एक झटके में मैक्सी निकाल फेंकी.. नीचे उसने कुछ नहीं पहना था।
शीला- ले राजा.. रंडी तो नंगी ही होती है.. अब आ जा जल्दी से..

शीला का जिस्म देखने में ठीक-ठाक सा था 38 इन्च के उसके भरे हुए मम्मों को और 36 की बाहर को निकली हुई गाण्ड.. चूत की चमड़ी लटकी हुई थी.. जिसे देख कर पता चल रहा था कि इसको न जाने कितने लौड़ों ने मसला होगा।

राधे ने पैन्ट निकाल दी.. उसका लौड़ा आधा खड़ा हुआ था.. जिसे देख कर शीला ने अपने हाथ से सहलाया।

शीला- अभी खड़ा भी करना होगा साले.. तेरा लौड़ा है तो मज़ेदार.. मगर तू बड़ा बेदर्द है तड़पाता बहुत है मुझे..

राधे- अब ज़्यादा बातें ना बना.. मुँह में लेकर चूस.. तब खड़ा होगा.. यह तू जानती है ना.. यह इसकी आदत है.. बिना मुँह में जाए ये तेरे भोसड़े को चोदने के लिए राज़ी नहीं होता..

शीला ने लौड़े को चूसना शुरू कर दिया.. दो मिनट में वो तनकर फुंफकारने लगा।

अब राधे ने शीला को घोड़ी बनाया और लौड़ा चूत में पेल दिया.. घपा-घप वो शीला को चोदने लगा। वो भी गाण्ड हिला-हिला कर चुदने लगी.. वो अजीब-अजीब सी आवाजें निकालने लगी और निकालेगी भी ना.. आख़िर यही तो उसका पैसा है.. वो तो ऐसे ही लोगों को खुश करती है।

करीब 25 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद दोनों शांत हो गए.. अब वो पत्नी तो थी नहीं.. जो उसकी बाँहों में पड़ी रहती.. पानी निकला नहीं कि उठ कर खड़ी हो गई और वापस अपनी मैक्सी पहन ली।

राधे भी वहाँ क्या करता.. बेचारा वहाँ से अपने घर की ओर निकल गया।

चलो अब आपको मीरा के पास ले चलती हूँ.. देखते हैं वो क्या कर रही है अभी..

मीरा अपने कमरे में बैठी मोबाइल पर गेम खेल रही थी, तभी उसके पापा हाँफते हुए कमरे में आए.. उन्हें ऐसे देख कर मीरा डर गई।

मीरा- पापा क्या हुआ..??? आप ठीक तो हैं ना.. ऐसे हाँफ क्यों रहे हो आप…??

पापा- उम्म में ठीक हूँ.. अभी आह्ह.. एक फ़फ्फ़..फ़ोन आया था.. कोई तुम्हारी बहन के बारे में बात कर रहा था आह अह..

मीरा- क्या पापा.. आप ये क्या बोल रहे हो इतने सालों बाद दीदी के बारे में पता चला.. कहाँ है वो? किसने फ़ोन किया था पापा बताओ?

अपनी बहन की खबर सुनकर मीरा की आँखों में आँसू आ गए थे.. मगर ये ख़ुशी के आँसू थे.. अब क्या हुआ.. क्या नहीं.. ये तो उसके पापा ही उसको बताएँगे.. तभी पता चलेगा ना.. मगर मैं आपको कुछ बता देती हूँ कि आख़िर यह बहन का क्या चक्कर है।

दरअसल बहुत साल पहले एक मेले में मीरा की बड़ी बहन खो गई थी.. तब से लेकर आज तक दिलीप जी गम में थे.. इसी सदमे से उसकी पत्नी बीमार रहने लगी थी और एक दिन उनसे बहुत दूर चली गई थीं।
दिलीप जी ने बहुत कोशिश की.. अपनी बेटी को खोजने की.. मगर वो नाकाम रहे.. पैसे को पानी की तरह बहा दिया.. मगर कोई फायदा नहीं हुआ.. आज बरसों बाद उनकी उम्मीद दोबारा जागी थी। अब ये फ़ोन किसका आया होगा.. चलो आप खुद देख लो।

पापा- अभी किसी का फ़ोन आया था.. वो बोल रहा था कि आपकी बेटी खो गई थी ना.. उसके बारे में कुछ बात करनी है.. मैंने कहा हाँ बताओ प्लीज़ मेरी बेटी कहाँ है? तो बोला कि कल सुबह पूरी बात बताएगा और उसने फ़ोन काट दिया।

मीरा- बस इतना ही बताया.. ओह पापा.. वो कौन था.. कहाँ से फ़ोन किया कुछ नहीं बताया? अब सुबह ही पता चलेगा आज नींद भी नहीं आएगी.. ओह कब सुबह होगी दीदी के बारे में पता लगेगा।

दोनों बाप-बेटी वहीं बैठे बातें करने लगे।

उधर राधे जब कमरे में पहुँचा तो नीरज उसका इन्तजार कर रहा था।

नीरज- अरे मेरे दोस्त आ गया तू.. आजा आजा.. आजतुझे ऐसी खबर सुनाऊँगा कि तू अपने सारे गम भूल जाएगा..

राधे- अबे ऐसी क्या खबर लाया है साले.. कोई लॉटरी लग गई क्या तेरी?

नीरज- अरे ऐसा ही कुछ समझ.. मेरी नहीं हमारी बोल भाई.. अब सारी जिन्दगी मज़े से गुजारने का समय आ गया है.. देख ये अख़बार देख..

राधे अख़बार को गौर से देखने लगा जो काफ़ी पुराना था.. उसमें एक छोटी लड़की की तस्वीर थी और गुम हो जाने की खबर थी.. साथ ही ढूँढने वाले को 5 लाख का इनाम देंगे.. ऐसा कुछ था।

राधे ने सब देखा और गुस्से से नीरज की ओर देखा..

राधे- साले 1999 की खबर है.. जिसमें साफ लिखा है कि यह 6 साल की लड़की है। अब इस लड़की को कहाँ ढूँढ़ता फ़िरेगा तू.. अब तक तो यह जवान हो गई होगी।

नीरज- सही कहा तूने.. अब तक तो ये जवान हो गई होगी.. मगर उसके घर वाले अब भी उसको ढूंढ रहे हैं।

राधे-तुझे कैसे पता बे ये सब?

नीरज- तू चुप रह मेरी पूरी बात सुन पहले.. उसके बाद बोलना ओके..

राधे- चल बता क्या बात है?

नीरज- सुन.. आज ये पुराना पेपर मुझे मिला.. इसमें दिया नम्बर मैंने देखा और एसटीडी से कॉल किया.. मैं बस ये देखना चाहता था.. वो लड़की मिली या नहीं.. जैसे ही मैंने फ़ोन किया.. एक आदमी ने उठाया और मैंने बस इतना कहा कि आपकी बेटी खो गई थी ना.. उसके बारे में बात करनी है.. वो रोने लगा.. कहाँ है मेरी बेटी.. प्लीज़ बताओ.. बरसों बाद आज उसकी कोई खबर आई है.. वो उतावला हो गया.. मैंने कहा कि सुबह बताऊँगा.. बस फ़ोन काट दिया।

राधे- तो लड़की कहाँ है..

नीरज- तूने शायद पूरी खबर को गौर से नहीं देखा.. उस लड़की के हाथ पर निशान देख.. बिल्कुल वैसा ही है.. जैसा तेरे हाथ पर है।

राधे- त..त..तू कहना क्या चाहता है साले.. मुझे लड़की बना कर ले जाएगा क्या साले?

नीरज- हाँ यार.. अब इतने साल बाद वो थोड़े ही पहचान पाएँगे अपनी बेटी को.. तगड़ा माल मिलेगा.. साले ऐश करेंगे हम दोनों।
 
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अब आगे..

नीरज की बात सुनकर राधे कुछ सोचने लगा।

नीरज- अरे सोच मत.. बस हाँ कर दे तू.. कितने साल से लड़की बन रहा है.. बस एक बार कुछ दिनों के लिए लड़की बन जा.. उसके बाद सारी लाइफ इस अभिशाप से छुटकारा मिल जाएगा।

राधे- बात तो सही है.. मगर मैं उनके बारे में कुछ नहीं जानता.. अगर उन लोगों ने कोई सवाल पूछ लिया तो?
नीरज- अरे मेरे भाई भगवान ने इसी लिए तुझे ऐसा बनाया है कोई सवाल पूछे तो कहना याद नहीं और तुम उस समय बहुत छोटी थीं.. याद रहना जरूरी नहीं यार।

राधे- बात तो ठीक है.. चल मान ले वो मुझे अपनी बेटी मान भी लें और तुझे 5 लाख दे दें.. उसके बाद मैं वहाँ से निकलूंगा कैसे?

नीरज- अरे यार 5 नहीं अब हम 10 लेंगे.. सुन तू कुछ दिन वहाँ रहना.. तेरा हिस्सा तुझे दे दूँगा.. डर मत.. उसके बाद कोई गेम बना लेंगे यार.. अभी तो बस पैसे की सोच।

राधे- ओके चल.. अब बता करना क्या है और उस साले मास्टर का क्या करना है उसको क्या बोलेंगे?

नीरज- अरे मास्टर की माँ की आँख.. साले को बोल देंगे गाँव में दादी मर गई हैं.. कुछ दिन के लिए जाना होगा.. तू छोड़ मास्टर को.. वहाँ क्या करना है.. उसकी सुन।

दोनों काफ़ी देर तक बातें करते रहे.. उन्होंने कोई प्लान बनाया.. जिससे दोनों खुश थे कि इस प्लान में कोई कमी नहीं है.. अब पैसे आए ही समझो।

रात को दोनों आराम से सो गए और सुबह जल्दी उठकर नीरज बाहर गया और एसटीडी से दिलीप जी को फ़ोन लगा दिया।

दिलीप- हैलो, कौन हो आप? प्लीज़ मुझे अपनी बेटी के बारे में जानना है.. प्लीज़ पूरी बात बताओ।

नीरज- देखिए मैंने अच्छे से पता लगा लिया है.. वो आपकी बेटी राधा ही है मगर।

दिलीप जी- मगर क्या.. बोलो.. बताओ.. क्या हुआ मेरी बेटी ठीक तो है ना?
नीरज- नहीं.. नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. वो ठीक है.. मगर जिसने उसे पाला है.. अब उसको भी तो कुछ मिलना चाहिए ना.. आप 10 लाख दे दोगे तो राधा आपको मिल जाएगी।

दिलीप- दे दूँगा.. बस तुम मुझे मेरी बेटी से मिलवा दो प्लीज़।
नीरज- ठीक है दोपहर तक मैं राधा को ले कर आ जाऊँगा आप पैसे तैयार रखना।

दिलीप जी ने नीरज को पता दे दिया.. नीरज ने फ़ोन काट दिया।

मीरा वहीं पास खड़ी थी.. दिलीप जी ने ख़ुशी से मीरा को गले लगा लिया और पूरी बात बताई।
मीरा- मगर पापा ऐसे अचानक दीदी का मिल जाना और 10 लाख.. मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा.. कहीं वो आदमी कोई फ्रॉड ना हो?
दिलीप- शुभ-शुभ बोल बेटी.. ऐसा कुछ नहीं होगा.. उसको आने तो दो हम अच्छे से राधा को देख कर उसको पैसे देंगे।

दोनों बाप-बेटी बड़े खुश थे.. दिलीप जी ने पैसों का बंदोबस्त किया और बड़ी बेताबी से नीरज का इन्तजार करने लगे।

उधर नीरज और राधे ने पूरी तैयारी कर ली थी.. सब को ‘बाय’ बोल कर वहाँ से निकल गए।

दोपहर के 3 बजे थे.. मीरा ने जींस और टी-शर्ट पहनी हुई थी.. वो बड़ी ही प्यारी लग रही थी.. दिलीप जी और मीरा हॉल में बैठे राधा के आने का इन्तजार कर रहे थे।
तभी डोरबेल बजी.. मीरा भाग कर गई और दरवाजा खोला तो सामने नीरज खड़ा था.. मगर राधा उसके साथ नहीं थी।

मीरा- हाँ कहिए.. कौन हो आप?

मीरा को देख कर नीरज की जीभ लपलपा गई.. ऐसी सुन्दरता को देख कर वो उस को देखता रह गया।
नीरज- ज्ज्ज..जी.. मैं नीरज हूँ.. फ़ोन पर बात हुई थी ना।

मीरा- ओह आइए.. अन्दर आइए.. राधा दीदी कहाँ हैं?

नीरज कुछ बोलता उसके पहले राधे उर्फ राधा पीछे से सामने आ गई। उसने सिंपल सलवार-कमीज़ पहना हुआ था और हल्का सा मेकअप किया हुआ था। वैसे भी उसका चेहरा लड़कियों जैसा था.. मेकअप से एकदम लड़की लग रही थी।

राधा- मैं यहाँ हूँ..

मीरा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. वो भाग कर राधा से चिपक गई।

मीरा के चिपकते ही राधे का लौड़ा सलवार में तन गया.. मीरा के जिस्म की भीनी भीनी खुश्बू उसकी नाक में जाने लगी.. उसका संतुलन बिगड़ता देख कर नीरज ने उनको अलग किया।

नीरज- अरे अरे.. बाद में आराम से मिल लेना.. अन्दर तो चलो।

तभी दिलीप जी भी आ गए और राधा को सीने से लगा लिया.. उनकी आँखों में आँसू आ गए थे।

जब मिलना-मिलाना हो गया.. तो सब अन्दर चले गए.. अब इतना तो आप भी समझ सकते हो कि ऐसे ही कोई किसी को अपनी बेटी कैसे मान लेगा।

दिलीप जी ने निशान को गौर से देखा और राधा को बचपन की बातें पूछी जो सही निकलीं.. और निकलती भी कैसे नहीं.. नीरज और राधे ने बड़ी शालीनता से ये प्लान बनाया था। आप खुद सुन लो पता चल जाएगा ऐसी बातें तो अक्सर सब के साथ होती हैं। बेचारे दिलीप जी उनके जाल में फँस गए।

दिलीप जी- अच्छा बेटी निशान तो वही है.. ये बताओ उस दिन क्या हुआ था.. कुछ याद है तुम्हें?

राधा- पापा, ठीक से तो कुछ याद नहीं.. मगर जब आप कहीं नहीं मिले.. तो मैं रोने लगी और इधर-उधर भागने लगी.. तब एक आदमी ने मुझे गोद में ले लिया और आपको ढूँढा.. मगर जब आप नहीं मिले तो वो मुझे साथ ले गया और बेटी बना कर पाला।

दिलीप जी- ओह मेरी बेटी.. सॉरी.. मैंने भी तुमको बहुत ढूँढा.. मगर तुम नहीं मिलीं.. अच्छा उस दिन की बात जाने दो.. पहले की कुछ बात याद है?

नीरज और राधे एक-दूसरे को देखने लगे उनको लगा कि कहीं पकड़े ना जाएं.. मगर राधे बोल पड़ा।

राधे- पापा उस समय में बहुत छोटी थी.. ठीक से कुछ याद नहीं.. मगर हाँ मैं ज़िद करती थी.. तो आप गोद में मुझे ले जाते और मैं जो मांगती.. आप दिला देते।

इतना सुनते ही दिलीप जी ने राधा का हाथ पकड़ लिया और खुश हो गए- हाँ सही कहा.. तुम सही बोल रही हो.. तुम ही मेरी राधा हो।

दोस्तो, राधे को पता था ये नॉर्मल सी बात है कि सब पापा ऐसे ही करते हैं और दिलीप जी फँस गए।
अब उनको कोई शक नहीं था।

नीरज- अच्छा अंकल जी.. अब आपकी बेटी आपके हवाले.. मुझे मेरा इनाम दे दो.. मैं जाता हूँ।

दिलीप जी- तुमने अपने बारे में कुछ बताया नहीं और राधा इतने साल कहाँ रही.. कैसे रही?

नीरज- व्व.. वो जिस आदमी ने राधा को पाला.. वो मेरा चाचा है.. मैंने भी राधा को अपनी बहन की तरह माना है.. मगर साहब हम गरीब लोग हैं.. बड़ी मुश्किल से गुजारा होता है.. राधा अब बड़ी हो गई है.. इसकी शादी भी करनी है.. हमारे तो खाने के फ़ाके हैं.. शादी कहाँ से करवाते.. किस्मत से पुराना अख़बार मिल गया था.. उसमें आपका नम्बर मिला और आगे तो आप सब जानते ही हो।

दिलीप जी- ओह हाँ सही किया तुमने बेटा.. लो इस बैग में पूरे पैसे हैं.. मगर एक बात कहूँगा.. तुम लोगों ने मेरी बेटी को बड़े प्यार से पाला वरना.. आजकल की वहशी दुनिया में ना जाने क्या-क्या होता है।

राधा- नीरज ऐसे मत जाओ ना.. इतने साल साथ रहे.. खाना खाकर जाना आप हाँ।
मीरा- हाँ दीदी… आपने सही कहा.. इनको ऐसे नहीं जाने देंगे.. खाना तो आपको खाना ही होगा।

सब के ज़िद करने पर नीरज मान गया और बस सब इधर-उधर की बातें करने लगे। कुछ देर बाद दिलीप जी को किसी काम से बाहर जाना पड़ा और मीरा भी इधर-उधर कुछ काम कर रही थी। तब मौका देख कर दोनों ने बात की।

राधे- अबे साले यहाँ तो एक आइटम भी है अब क्या होगा?
नीरज- होना क्या है भोसड़ी के.. तेरी बहन है.. आराम से साथ रह कर मजे ले.. तब तक मैं जल्दी ही यहाँ से तुझे निकालने का कोई प्लान बनाता हूँ।

राधे- कुत्ते बहन होगी तेरी.. साले ऐसी गजब की आइटम के साथ कैसे रह पाऊँगा.. उससे गले मिल कर तो मेरा तो लौड़ा फड़फड़ा गया था।
नीरज- अबे काबू कर अपने आपको.. नहीं तो हवालात की हवा खानी पड़ जाएगी.. चुप.. वो आ रही है।

मीरा वापस आ गई और दोनों से बातें करने लगी.. दोनों की गंदी नजरें मीरा के जिस्म की बनावट का मुआयना कर रही थीं।
 
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शाम तक सब नॉर्मल रहा.. नीरज को खाना खिलाकर विदा किया। अब तीनों बाप-बेटी ही बातें कर रहे थे।

दिलीप जी- अरे मीरा.. दोपहर से रात हो गई.. बेचारी राधा ने ज़रा भी आराम नहीं किया है.. जाओ अब सो जाओ.. अब राधा यहीं रहेगी.. बातें होती रहेंगी।

मीरा- हाँ पापा.. दीदी खोई थी.. तब तो मुझे होश भी नहीं था.. बहुत छोटी थी ना.. अब दीदी से बहुत बातें करूँगी..
राधा- हाँ मीरा.. अब में यहीं हूँ.. बातें होती रहेंगी..
मीरा- चलो दीदी वो है हमारा कमरा आज तक अकेली सोती थी.. आज आपके चिपक कर सोऊँगी और ढेर सारी बात करूँगी।

मीरा की बात सुनते ही राधे घबरा गया कि यह चिपक कर सोएगी.. तो गड़बड़ हो जाएगी.. इसे पता चल जाएगा कि मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ..

राधा- स..साथ सोएगी तू मेरे.. एमेम मगर मुझे तो अकेले सोने की आदत है..

दिलीप- अरे यह क्या बोल रही हो बेटी.. तुम दोनों बहनें हो.. और बरसों बाद मिली हो.. साथ सो जाओ बेटी.. इससे प्यार बढ़ता है.. जो बातें बचपन में ना कर सकी.. अब कर लो.. अगर शुरू से तुम दोनों साथ होतीं.. तो कितने खेल खेलतीं.. अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है.. दोनों साथ में खेलो-कूदो.. मज़ा लो.. लाइफ का..

राधा- ज्ज..जी पापा.. लगता है.. अब तो खेल खेलना ही पड़ेगा मीरा को मेरे ऊपर कुदवाऊँ या मैं उसके ऊपर कूदूँ..
मीरा- दीदी जैसा आपको अच्छा लगे.. मैं आपके साथ खेलने के लिए हर समय तैयार हूँ.. बड़ा मज़ा आएगा..

दिलीप जी आज बड़े खुश थे और मीरा भी अपनी दीदी को पाकर बहुत खुश थी।

जब दोनों कमरे में चली गईं.. तो मीरा ने दरवाजा बन्द कर लिया और कपड़े उतारने लगी। ये नजारा देख कर राधे की तो सांस अटक गई.. उसको उम्मीद नहीं थी कि अचानक ऐसा होगा.. उसका लौड़ा सलवार में खड़ा हो गया।

मीरा ने अभी टी-शर्ट ही निकाली थी.. अब वो पैन्ट का हुक खोल रही थी।

राधे की नज़र सफ़ेद ब्रा में कैद उसके संतरे जैसे मम्मों पर थीं। ये नजारा देख कर उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर उसने अपने आप पर काबू पाया।
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राधा- मीरा, यह क्या कर रही हो.. कुछ शर्म है कि नहीं तुम्हारे अन्दर?
मीरा- अरे दीदी रात को ये कपड़े पहन कर थोड़ी सोते हैं बस कपड़े बदल रही हूँ..
राधा- हाँ जानती हूँ.. मगर ऐसे मेरे सामने बदल रही हो.. ये सही है क्या?

मीरा- हा हा हा हा दीदी.. आप भी ना.. हा हा हा.. अरे आप मेरी दीदी हो और स्कूल में कोई ड्रामा होता है.. तो हम लड़कियाँ ऐसे ही एक-दूसरे के सामने कपड़े बदली करते हैं इसमें क्या बड़ी बात है?

राधे को अपनी ग़लती का अहसास हो गया अक्सर लड़कियाँ ऐसा ही करती हैं मगर राधे तो लड़का था.. उसे ये बात थोड़ा देर से समझ आई कि मीरा की नज़र में राधे एक लड़की है और ये नॉर्मल सी बात है।

राधा- ओके.. ठीक है.. बदल ले मगर मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता..

मीरा बस हँसती रही और उसने जींस भी निकाल दी.. अब वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थी पैन्टी में उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। गोरी-गोरी जाँघें राधे को पागल बना रही थीं.. उसका लौड़ा इतना अकड़ गया कि उसमें दर्द भी होने लगा।

आपको बता दूँ राधे ने अन्दर एक चुस्त लंगोट फिर पजामा पहना हुआ था.. उस पर सलवार पहनी थी.. जिससे किसी को लौड़े का आभास ना हो.. मगर इस समय अगर कोई गौर से देखे.. तो पता चल जाएगा कि ये लड़की नहीं लड़का है..

अब मीरा ने अपनी ब्रा का हुक खोलना चाहा मगर वो उससे खुल नहीं रहा था।
मीरा- ओह ये हुक भी ना कभी-कभी अटक जाता है दीदी.. आप खोलो ना प्लीज़…

राधे ने काँपते हाथों से मीरा की ब्रा खोल दी।

मीरा ने ब्रा निकाल कर एक तरफ रख दी और अब वो पैन्टी निकालने लगी.. उसकी पीठ राधे की तरफ थी।

अब राधे का बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था। वो घूम कर खड़ा हो गया.. उसको लगा अगर उसकी चूत दिख गई.. तो आज उसका देह शोषण हो जाएगा।

मीरा ने पास से एक लोवर और पतली टी-शर्ट ली और पहन ली।

मीरा- अरे दीदी आप उधर क्या देख रही हो आप चेंज नहीं करोगी क्या? या ऐसे ही सोने का इरादा है।
राधा- हाँ करूँगी ना.. मगर तुम्हारी तरह नहीं.. मैं बाथरूम में जा कर करूँगी समझी..

मीरा ने ज़्यादा बोलना ठीक नहीं समझा और बिस्तर पर बैठ गई..
राधा ने अपने बैग से कपड़े लिए और बाथरूम में चली गई।

वहाँ जाकर उसने कमीज़ और सलवार निकाली.. अन्दर उसने टाइट टी-शर्ट और पजामा पहना हुआ था.. टी-शर्ट में टाइट ब्रा में टेनिस बॉल फंसे थे.. राधे को बड़ी बेचैनी हो रही थी.. मगर मरता क्या ना करता..

राधे ने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए.. उसका 8″ का लौड़ा फुंफकार मार रहा था और होता भी क्यों नहीं ऐसी नंगी जवानी पहली बार जो देखी थी बेचारे ने..

राधे- अबे साले मरवाएगा क्या.. बैठ जा मादरचोद.. मेरे बाप.. अभी मैं लड़की बना हूँ.. तेरा कुछ नहीं हो सकता…

राधे अपने-आप से बड़बड़ा रहा था और लौड़े को सहला रहा था।

मीरा- दीदी क्या हुआ.. आ जाओ ना बाहर.. क्या कर रही हो आप?

राधा- रुक ना थोड़ी देर.. आती हूँ सुबह से बैठी हूँ थोड़ी फ्रेश हो जाने दो.. उसके बाद आती हूँ।

राधे ने पास पड़ी शैम्पू की बोतल से थोड़ा शैम्पू हाथ में लिया और लौड़े पर लगा कर मुठ्ठ मारने लगा- आह्ह.. साले ऐसे खड़ा रहेगा तो मरवा देगा तू.. आह्ह.. उहह.. अब तो तुझे ठंडा करना ही पड़ेगा आह्ह.. उहह..

दस मिनट तक राधे मुठ्ठ मारता रहा.. मगर लौड़ा था कि झड़ने का नाम नहीं ले रहा था और उधर मीरा बार-बार आवाज़ लगा रही थी।
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राधे- साली कुतिया चैन से ठंडा भी नहीं होने देती.. अब तो साली की चूत ही मारूँगा उहह..
राधे ने वापस सारे कपड़े पहन लिए ऊपर से उसने एक टी-शर्ट और पजामा और पहन लिया और बाहर आ गया।

मीरा- क्या दीदी.. कितना समय लगा दिया मुझे आपसे बातें करनी हैं.. आ जाओ यहाँ लेट कर आराम से बात करेंगे।

राधा उसके पास जाकर लेट गई.. मीरा ने उस पर अपना हाथ रख दिया और बातें करने लगी। एक घन्टे तक मीरा चपर-चपर करती रही उसकी बातों से राधे समझ गया कि वो एक बहुत ही भोली-भाली लड़की है।

राधा- कितनी बोलती है तू.. अब सो जा..

मीरा- दीदी हाँ नींद आने लगी है अब.. सोने में ही भलाई है.. नहीं सुबह उठ नहीं पाऊँगी और हाँ दीदी एक बात आपको बता दूँ मैं बहुत गहरी नींद में सोती हूँ.. हाथ-पाँव भी चलाती हूँ.. आप बच कर सोना.. कहीं मैं आपको मार ना दूँ कहीं.. और मुझे उठाना हो.. तो ज़ोर से हिलाना.. तब ही उठूँगी वरना नहीं.. ओके..

मीरा तो नींद की दुनिया में खो गई.. मगर राधे बस उसको निहार रहा था.. उसका लौड़ा उसे परेशान कर रहा था.. वो कुछ कर नहीं पा रहा था..
राधे ने मीरा को हिलाया देखा वो सोई या नहीं.. एक-दो बार आवाज़ भी दी मगर वो गहरी नींद में थी।
 
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जब राधे को पक्का यकीन हो गया कि मीरा सो गई है.. तो राधे बड़बड़ाने लगा।

राधे- साले कहाँ फँसा दिया मुझे.. इतने कपड़े पहन कर आज तक नहीं सोया और ऐसी कमसिन कली मेरे पास सोई.. कुछ कर भी नहीं पा रहा हूँ.. साला लौड़ा भी बेचैन है चल मुठ्ठ तो मार लूँ.. मुझे तो तभी नींद आएगी..

राधे ने सारे कपड़े निकाल दिए अब वो एकदम नंगा था.. उसका लौड़ा अब भी खड़ा फुंफकार रहा था।
मीरा ने करवट ली और उसकी टी-शर्ट ऊपर हो गई.. उसका गोरा पेट राधे को दिखने लगा। उसकी आँखों में चमक आ गई।

राधे ने डरते हुए मीरा के पेट पर हाथ रखा उसका बड़ा मज़ा आया।
अब वो धीरे-धीरे हाथ ऊपर ले जा रहा था और मीरा नींद में आराम से सोई हुई थी।
राधे ने उसकी टी-शर्ट को ऊपर कर दिया अब मीरा के 32 इन्च के गोल-गोल संतरे आज़ाद हो गए थे.. उन पर हल्के भूरे बटन जैसे निप्पल भी गजब ढा रहे थे।

राधे धीरे-धीरे मम्मों को दबाने लगा और एक हाथ से अपने लौड़े को सहलाने लगा।
दस मिनट तक वो ऐसा करता रहा.. अब उसकी आँखों में वासना साफ दिखाई देने लगी थी।

राधे ने धीरे से एक मम्मे को अपने होंठों में ले लिया और चूसने लगा.. मीरा नींद में थी.. मगर इस अहसास से वो सिहर गई।
मीरा थोड़ी हिली.. मगर वापस सो गई। अब राधे का शैतान जाग चुका था।

उसने मीरा का लोवर नीचे सरकाना शुरू किया.. मीरा नींद में थी तो राधे ने उसकी गाण्ड को थोड़ा उठा कर लोवर नीचे खींच लिया।
अब जो नजारा उसकी आँखों के सामने आया.. वो मदहोश सा हो गया।

मीरा की डबल रोटी जैसी फूली हुई बिना झाँटों की चमचमाती चूत उसकी आँखों के सामने थी।

मीरा की चूत एकदम सफेद.. जैसे बरफी हो और फाँकें गुलाबी थीं और उसकी जाँघें ऐसी कि बस क्या बताऊँ.. एकदम भरी-भरी थीं।
राधे का खुद पर से संयम टूट गया.. उसने धीरे से चूत पर एक चुम्बन किया और अपना लौड़ा उस पर रगड़ने लगा।

मीरा को बेचैनी होने लगी.. वो नींद में थी मगर ऐसी हरकत उसको बेचैन कर गई मगर वो उठी नहीं.. बस थोड़ी सी हिली बाद में वापस सो गई।

राधे- उफ़.. साली क्या मस्त चूत है.. दिल तो कर रहा है अभी लौड़ा पेल कर इसका महूरत कर दूँ.. मगर नहीं.. गड़बड़ हो जाएगी.. इस साली को तो दूसरे तरीके से चोदना होगा।

फिलहाल राधे का लौड़ा बहुत ज़्यादा अकड़ गया था.. उसने ज़ोर-ज़ोर से लौड़े को हिलाना शुरू कर दिया और आख़िरकार उसका वीर्य निकल ही गया।

राधे ने मीरा की जाँघ पर सारा वीर्य डाल दिया और चैन की सांस ली।
राधे- चल बेटा राधे.. अब ये साफ कर दे.. नहीं तो तू कल का सूरज जेल में देखेगा..
उसने मीरा की जाँघ से वीर्य साफ किया उसके कपड़े उसे पहनाए और खुद भी अपने लड़की वाले रूप में आ गया और सो गया।
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राधे सो तो गया.. मगर नींद उसे कहाँ आने वाली थी.. ऐसी मस्त हूर पास में सोई हो.. तो कोई लड़का कैसे सो सकता है। वो बहुत देर तक जागता रहा और ना जाने कब उसकी आँख लग गई।

सुबह मीरा जब उठी तो राधे पेट के बल लेटा हुआ था और पैर फैलाए हुए थे.. जिसे देख कर मीरा को हँसी आ गई.. वो कुछ बोली नहीं.. बस उठी और बाथरूम चली गई।

जब मीरा नहाकर बाहर आई.. तो राधा अभी भी वैसे ही सोई पड़ी थी।
मीरा- दीदी ओ दीदी.. उठो सुबह हो गई.. मुझे स्कूल भी जाना है.. अब उठ भी जाओ.. आप कब तक सोती रहोगी।
राधा- उहह.. सोने दो ना.. तुम जाओ स्कूल मुझे नींद आ रही है।

मीरा ने ज़्यादा बहस करना ठीक नहीं समझा और तैयार होने लगी।

दिलीप जी- मीरा बेटी आ जाओ.. नास्ता तैयार है.. क्या अब तक राधा नहीं उठी?
मीरा- पापा दीदी तो उठ ही नहीं रहीं.. मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है.. अब आप ही उठाना दीदी को..

ममता- बीबी जी आप चिंता ना करो.. बड़ी बीबी जी को मैं उठा दूँगी.. कल मैं नहीं आई थी.. पर आज साहब ने बताया कि राधा बीबी जी मिल गई हैं.. सुनकर बहुत ख़ुशी हुई.. आप नाश्ता कर लो।

राधा सुकून से सो रही थी। दिलीप जी और मीरा को नास्ता करवा कर ममता साफ-सफ़ाई में लग गई।
दिलीप जी किसी काम से बाहर गए और ममता को हिदायत दे गए कि राधा को परेशान मत करना.. जब तक वो सोना चाहे सोने देना।

ममता ने भी वैसा ही किया.. कोई 10 बजे राधा उठी.. तो ममता को देख कर चौंक गई या गया.. आप समझ रहे हो ना.!
ममता- नमस्ते बड़ी बीबी जी.. मैं ममता हूँ यहाँ काम करने आती हूँ..
ममता ने पूरी बात राधा को बता दी.. राधा ने ज़्यादा बात नहीं की.. नाश्ता किया और बाहर घूमने का बोल कर निकल गई।

थोड़ी दूर चलने के बाद नीरज सामने से आता दिखाई दिया।
राधे- अबे सालेम कहा फँसा दिया.. कल की रात बड़ी मुश्किल से कटी है.. यार मैं वहाँ पर और नहीं रुक सकता।
नीरज- अरे क्या हो गया यार.. एक ही रात में ऐसा क्या हो गया.. जो तू वहाँ नहीं रहना चाहता?

राधे ने उसे रात की सारी बात बताई तो नीरज का लौड़ा फुंफकार मारने लगा।
नीरज- अरे यार बस कर.. पानी निकल जाएगा मेरा.. साली को कल मैंने देखा.. तभी मेरे लौड़े में झंझनाहट हो गई थी.. अब तू कैसे भी संभाल ले यार..

राधे- मेरे 5 लाख कहाँ है साले.. वो दे मुझे वहाँ नहीं रहना.. कल तो मैंने कैसे भी अपने आप पर काबू कर लिया.. मगर ज़्यादा नहीं रुक पाऊँगा.. कहीं उसका देह शोषण ना कर दूँ..

नीरज- अरे शुभ-शुभ बोल यार.. एक काम कर ना.. उसको पटा ले.. उसके बाद आराम से चोद लेना और रात को ये नकली मम्मों को लगाने का झंझट भी ख़त्म हो जाएगा।

राधे- अबे साले चूतिए.. तू मुझे यहाँ उसकी बहन बना कर लाया है.. अब मैं उसको क्या कहकर पटाऊँ? मीरा देखो तुम्हारी दीदी का लौड़ा.. देखो प्लीज़ अपनी चूत में अपनी दीदी का लौड़ा ले लो.. साला चूतिया…

नीरज- अरे सॉरी यार.. भूल गया था.. लेकिन तुम ऐसे भाग जाओगे तो उनको शक होगा और हम फँस जाएँगे.. कुछ दिन कैसे भी संभाल ले ना यार.. उसके बाद हम कुछ सोच ही लेंगे ना..

राधे- ठीक है.. ठीक है.. चल मेरा हिस्सा दे.. साला कहीं सारे पैसे रंडियो पर उड़ा देगा तो मेरा क्या होगा.. मैं तो हिलाता ही रह जाऊँगा..।

नीरज- अरे यार मुझे ऐसा समझा है क्या.. ले देख ले ये रसीद मैंने तेरे पैसे तेरे खाते में डाल दिए है.. साला कब का खुला हुआ खाता आज काम आया है.. अब मैं जाता हूँ तू संभल कर रहना और हाँ फ़ोन करते रहना.. मैं फ़ोन करूँगा तो किसी को शक हो जाएगा.. तू ही मौका देख कर फ़ोन कर लेना।

राधे- चल ठीक है.. जा साले मज़ा कर.. उस साले मास्टर को क्या कहेगा.. मेरे बिना तो उसका धन्धा ही बंद हो जाएगा।
नीरज- कुछ भी बोल दूँगा.. तू यहाँ का देख.. मैं वहाँ संभाल लूँगा यार..

नीरज के जाने के बाद राधे वापस घर आ गया। उस समय ममता दोपहर का खाना बना रही थी।
ममता- अरे आ गई बीबी जी.. आप कहाँ चली गई थीं?
राधा- कहीं नहीं बस ऐसे ही थोड़ा घूम कर आई हूँ।

ममता की आदत थी ज़्यादा बात करने की मगर राधे ने ज़्यादा बात करना ठीक नहीं समझा और अपने कमरे में जाकर कमरा बन्द करके सारे कपड़े निकाल कर बिस्तर पर लेट गया।

राधे- साला कहा फँस गया.. नाटक के समय लड़की बनना आसान था.. यहाँ तो दिन-रात लड़की की ड्रेस में रहना पड़ेगा.. ऐसे-कैसे काम चलेगा.. कुछ करना पड़ेगा यार.. अब करूँ तो क्या करूँ?

बस राधे इसी सोच में पड़ा रहा कि इस मुसीबत से कैसे पीछा छूटेगा.. तभी ममता ने दस्तक दी।
ममता- बीबी जी सो गईं क्या.. जल्दी बाहर आओ.. हॉस्पिटल से फ़ोन आया था.. साहब की तबियत खराब हो गई है उनको हॉस्पिटल लेकर गए हैं.. जल्दी बाहर आओ।

राधा- बस 5 मिनट में आई.. रूको..
राधे ने फटाफ़ट अपना रूप बदला और बाहर आ गया।
 
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जब राधे बाहर आया.. तब तक ममता ने स्कूल में फ़ोन करके मीरा को भी बता दिया था।
राधा- क्या हुआ पापा को.. किसका फ़ोन था बताओ?

ममता- बीबी जी आप जानती नहीं.. साहब को दिल की बीमारी है.. कभी-कभी उनको सीने में तकलीफ़ हो जाती है तो हॉस्पिटल में भरती करना पड़ता है।
राधा ने ज़्यादा बात करना ठीक नहीं समझा और उसको लेकर हॉस्पिटल के लिए निकल गई।
उधर मीरा भी स्कूल से वहाँ पहुँच गई।

सॉरी दोस्तो, कहानी के बीच में आने के लिए.. आप सोच रहे होंगे.. यह कैसी कहानी है जिसमें सेक्स ही नहीं.. तो दोस्तों कहानी बन रही है.. सेक्स भी आएगा.. थोड़ा सब्र रखो..

मीरा- डॉक्टर क्या हुआ पापा को..? वो ठीक तो है ना? प्लीज़ बताओ मुझे?
डॉक्टर- घबराने की कोई बात नहीं है.. मैंने कहा था ना ज़्यादा टेंशन और कभी-कभी ज़्यादा ख़ुशी भी इंसान के दिल पर असर करती है।
मीरा- अब तो दीदी भी आ गईं.. अब हम दोनों मिलकर इनको एकदम ठीक कर देंगे।

डॉक्टर- हाँ बेटी.. अब इनको घर ले जाओ.. ये ठीक हैं.. मगर ध्यान रखना बड़े सालों के बाद इनके चेहरे पर मुस्कुराहट आई है.. अगर अब कोई बड़ी टेंशन इनके सामने आई तो इनके लिए खतरा भी हो सकता है।
राधा- आप चिंता मत करो.. डॉक्टर हम पापा को हमेशा खुश रखेंगे।

एक घंटा वहीं रहने के बाद सब घर आ गए। दिलीप जी को उनके कमरे में लेटाकर मीरा और राधा उनके पास ही बैठ गई।
ममता ने खाने के लिए पूछा.. मगर दोनों का मन नहीं था.. वो बस वहीं बैठी रहीं। फिर ममता अपने काम में लग गई।

देर शाम तक वो पापा के साथ रहीं.. ममता ने ज़ोर देकर दोनों को खाना खिलाया.. थोड़ा हल्का सा दिलीप जी को भी दिया।

दिलीप जी- बेटी मैं अब ठीक हूँ.. जाओ तुम दोनों सो जाओ.. मुझे कुछ नहीं होगा.. अब मेरी राधा बिटिया आ गई है.. देखना बहुत जल्दी मैं ठीक हो जाऊँगा।
वो दोनों अपने कमरे में चली गईं।

मीरा- दीदी मैं अकेले ही पापा को सम्भालती आई हूँ.. अब आप आ गई हो.. तो हम दोनों मिलकर पापा को खुश रखेंगे।
मीरा की आँखों में आँसू आ गए.. वो राधे के सीने से चिपक गई।

राधे के हाथ मीरा की पीठ पर थे.. वो उसको तसल्ली दे रहा था और उसका लौड़ा मीरा के जिस्म की गर्मी से अकड़ने लगा था।
राधे- अरे रो मत.. कुछ नहीं होगा.. तू कपड़े बदल ले पहले.. बाद में आराम से बैठ कर बातें करेंगे।
मीरा- नहीं बदलने मुझे.. मैं बस आपसे ऐसे ही चिपक कर सोऊँगी.. चलो बिस्तर पर चलते हैं।

राधे- हाँ मीरा.. जैसा तुमको अच्छा लगे.. आ जाओ बिस्तर पर ही चलते हैं। वहाँ आज मैं तुमसे ढेर सारी बातें करूँगी.. मगर यह स्कूल ड्रेस तो निकाल दे.. सुबह से पहनी हुई है।
मीरा- एक शर्त पर कपड़े बदलूँगी..

राधा- कैसी शर्त है बोलो?
मीरा- आप मेरी बड़ी दीदी हैं.. इतने साल मुझे आपका प्यार नहीं मिला.. आज आप मुझे कपड़े बदली करवाओ..
राधा- अरे तू बच्ची है क्या.. जो मैं कपड़े पहनाऊँ?
मीरा- मैं कुछ नहीं जानती.. बस आपको आज मेरे कपड़े बदलने ही होंगे.. प्लीज़ दीदी प्लीज़..

राधे का लौड़ा तो पहले ही बगावत कर रहा था.. अब उसकी बातों से वो फुंफकारने लगा था- ठीक है.. अब तू ऐसे मानेगी तो है नहीं.. जा ले आ अपने कपड़े..

मीरा अलमारी से कपड़े निकालने लगी और राधे धीरे-धीरे बड़बड़ाने लगा।

राधे- साला मैं जितना इससे बच रहा हूँ.. ये मुझे उतना ज़्यादा बहका रही है.. आज साली का महूरत कर ही देता हूँ.. जो होगा देखा जाएगा।

मीरा एक पतली सी पिंक नाईटी हाथ में लेकर आई- लो दीदी आज ये पहनूँगी मैं.. अब चलो निकालो मेरे कपड़े..

राधे कुछ नहीं बोला और मीरा की शर्ट के बटन खोलने लगा।

एक-एक बटन के साथ राधे की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं.. जब सारे बटन खोल दिए तो नीली ब्रा में जकड़े हुए मीरा के सख्त चूचे.. राधे की आँखों के सामने आ गए।

राधे- मीरा तेरे चूचे तो बड़े कड़क हैं आकार भी बहुत प्यारा है इनका..
मीरा- ओह थैंक्स दीदी कल तो आप मुझे बेशर्म बोल रही थीं.. आज खुद ऐसी बातें कर रही हो।
राधे- अरे नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. तुम बहुत अच्छी हो.. मैंने तो ऐसे ही कहा था।

मीरा- अरे दीदी इसमें ‘सॉरी’ की क्या बात है आजकल 3जी का जमाना है.. ये सब आम बात है। मैंने बताया था ना.. स्कूल में कई बार हम लड़कियां एक-दूसरे के सामने नंगी हो जाती हैं।

राधे- हाँ बताया तो था.. चलो अब स्कर्ट भी निकाल देती हूँ।

राधे ने मीरा की स्कर्ट भी निकाल दी.. नीली पैन्टी में उसकी फूली हुई चूत देख कर राधे का मन हुआ कि उसको छू ले.. मगर उसने अपने आप पर काबू रखा।

मीरा- दीदी अब ब्रा और पैन्टी भी निकाल दो.. अपनी छोटी बहन का जिस्म पूरा देखो.. मेरी सहेलियाँ बहुत तारीफ करती हैं।
राधे- अच्छा ऐसी बात है.. चलो कल तो मैंने नहीं देखा था.. आज देख कर बताऊँगी कि तुम्हारा जिस्म कैसा है?

राधे ने ब्रा का हुक खोल कर मीरा के संतरे आज़ाद कर दिए और एक ही झटके में उसकी पैन्टी भी निकाल दी।

जैसा मैंने पहले बताया था मीरा की चूत डबल रोटी जैसी फूली हुई थी, राधे की जीभ लपलपा गई।
 
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अब आगे..

राधे को देख कर मीरा को हँसी आ गई।

मीरा- हा हा हा हा.. दीदी आप तो ऐसे देख रही हो.. जैसे कभी किसी लड़की को देखा ना हो.. हा हा.. अब बताओ मैं बिना कपड़ों के कैसी लगती हूँ?
राधे- मीरा तुम तो ‘सेक्स-बॉम्ब’ लग रही हो.. कोई लड़का तुझे देख ले.. तो खड़ा-खड़ा पानी-पानी हो जाए।
मीरा- ओह थैंक्स दीदी.. अब नाईटी पहना दो.. हम बिस्तर पर बातें करेंगे.. मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।
राधे- हाँ मीरा.. बात तो मुझे भी करनी है.. लो पहन लो ये नाईटी।

मीरा नाईटी पहनते ही खड़ी हो गई और अलमारी के पास जाकर खड़ी हो गई।

राधा- अरे क्या हुआ मीरा.. वहाँ क्यों चली गई.. यहाँ आओ ना?

मीरा कुछ नहीं बोली और अलमारी से एक काली नाईटी निकाल कर ले आई- दीदी आप ये पहन लो.. इन तंग कपड़ों में आपको कैसे नींद आती है.. आज दोनों बहनें चिपक कर सोएंगे.. मज़ा आएगा।

राधे के तो होश उड़ गए.. उसको लगा अब उसका भांडा फूट जाएगा।
राधे- न..नहीं मीरा.. मैं ये नहीं पहन सकती.. तू यहाँ आ.. मैं तुझे आज वो मज़ा दूँगी कि सारी ज़िंदगी याद रखोगी..

मीरा- नहीं दीदी आपको ये पहनना ही होगा.. मुझे भी आपका जिस्म देखना है।
राधे आगे बढ़ा और मीरा को अपनी बाँहों में ले लिया।

राधे- मेरी जान मैं अपना सब कुछ दिखा दूँगी.. तू यहाँ आ तो सही.. चल बिस्तर पर आ जा.. आज तुझे जन्नत के नजारे दिखाती हूँ।

मीरा बेचारी नादान ही तो थी.. जल्दी मान गई और राधे के साथ बिस्तर पर चली गई।

अपना राधे भी एकदम गर्म हो गया था उसका लौड़ा अकड़ा हुआ था, आज उसने सोच लिया था कि वो मीरा की कुँवारी बुर का मज़ा लेकर ही रहेगा।

राधे- अच्छा मीरा.. एक बात बता तू.. इतनी बेशर्म कैसे हो गई..? मेरे सामने नंगी हो जाती है.. क्या तेरा कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड है क्या? सही बताना मुझे..

मीरा- ओह दीदी.. आप कौन सी दुनिया से आई हो.. मैंने बताया था ना.. ये 3जी का जमाना है.. आजकल शर्म कौन जानता है.. अब तो जमाना लड़कों के कन्धों से कंधा मिलाकर चलने का है।
राधे- बस बस ज्ञान मत दे मुझे.. मैंने जो पूछा है.. उसका सीधा जवाब दे बस..

मीरा- ओके दीदी बताती हूँ.. देखो आज से दो साल पहले हमारे स्कूल में एक प्रोग्राम था.. तो मैं और मेरी कुछ सहेलियां उसमें शामिल थीं.. अब हुआ यूं कि जब हम ड्रेसिंग रूम में थे.. तब हमें कपड़े चेंज करने थे.. मुझे शर्म आ रही थी.. तब मेरी फ्रेण्ड मोना ने कहा कि अरे हम सब लड़की हैं तो है शर्माना क्या.. लेकिन मैं नहीं मानी तो सब ने मिलकर मुझे नंगा कर दिया.. कमीनियों ने ब्रा और पैन्टी भी नहीं छोड़ी.. बस उस दिन उन्होंने मुझे इतना छेड़ा कि मेरी सारी शर्म हवा हो गई। अब तो हम अक्सर पिकनिक में एक-दूसरे के सामने नंगे हो जाते हैं.. साथ नहा लेते हैं..

राधे- ओह ये बात है.. अच्छा लड़कों के बारे में क्या ख्याल है.. कोई लव-अव का चक्कर है क्या..?

मीरा- नहीं दीदी.. अभी तक तो ऐसा कोई मिला नहीं.. जो मुझे पसन्द आए.. हाँ पहले लड़के कमेन्ट करते थे.. तो गुस्सा आता था मगर जब से मोना ने नेट पर xxx फिल्म दिखाई है.. तब से लड़कों के कमेन्ट अच्छे लगने लगे हैं। उनका हथियार जब पैन्ट के ऊपर से दिखता है तो मन मचल जाता है।

राधे मन ही मन खुश हो रहा था और अपने आप से बोल रहा था- अबे साले तेरी तो किस्मत खुल गई ये साली तो एकदम तैयार माल है.. इसकी चूत तो खुद लौड़े को तलाश कर रही है.. बोल दे अपने दिल की बात.. दिखा दे अपना लौड़ा इसे..

मीरा- दीदी कहाँ खो गईं आप.. अपने बारे में कुछ बताओ ना?
राधे- अरे बताऊँगी.. पहले मेरी बातों का जवाब तो दे…
मीरा- अच्छा पूछो?

राधे- लड़कों का वो कभी देखा है तुमने?
मीरा- नहीं दीदी.. रियल देखने का कभी मौका नहीं मिला.. बस ब्लू-फिल्म में देखा है।

राधे- ओह अच्छा देखने का मन है तुम्हारा?
मीरा- हाँ दीदी मन तो है.. मगर डरती हूँ आजकल एमएमएस का बड़ा चर्चा है.. इसी डर से मैं किसी लड़के को भाव नहीं देती.. ये हरामी हैं ना.. भोली-भाली लड़कियों का फायदा उठा कर उनका एमएमएस बना कर ब्लैकमेल करते हैं।

राधे- हाँ सही कहा तुमने.. हर किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए.. अच्छा ये बता xxx देख कर क्या होता है.. तूने कभी अपनी दोस्त के साथ लेसबो किया है.. या तूने कभी अपनी फुद्दी में उंगली की है?

मीरा- धत दीदी.. आप भी ना.. मैंने आपके सामने कपड़े बदले तो मुझे अपने बेशर्म कहा.. अब आप तो मुझसे कितनी गंदी बातें कर रही हो।

राधे- अरे शर्मा गई तू तो… मैंने तो इसलिए पूछा क्योंकि अब मैं तुम्हारी दीदी नहीं दोस्त हूँ.. चल मुझे सब सच-सच बता..

मीरा- ओके दीदी.. वी आर फ्रेण्ड.. हाँ दीदी जब xxx देखती हूँ ना.. तो पूरे जिस्म में आग लग जाती है.. हाथ अपने आप नीचे चला जाता है… मोना ने बताया था जब नहाओ तो उंगली किया करो.. मगर मैंने एक बार की तो दर्द हुआ.. तब से बस फुद्दी को ऊपर से ही रगड़ कर मज़ा ले लेती हूँ और उस समय xxx में जो आदमी होता है.. उसके मेन पार्ट को याद करती हूँ

राधे- गुड मेरी मीरा.. ये हुई ना दोस्तों वाली बा
मीरा- दीदी आप भी हमसे कितने सालों तक दूर रहीं.. अपने कभी सेक्स किया है.. या आपका कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड है
राधे- नहीं मीरा.. मैंने ऐसा कुछ नहीं किया मैं एक गरीब घर में थी.. वहाँ ऐसा सोचना भी मुमकिन नहीं था। ये सब जाने दे.. चल आज मैं तुझे मज़ा देती हूँ और ऐसा मज़ा कि तू सोच भी नहीं सकती

मीरा- सच दीदी क्या करोगी आ

राधे- मैं तेरे इन मदमस्त चूचों को चुसूंगी.. तेरे जिस्म के हर एक हिस्से पर अपने होंठों की छाप छोड़ दूँगी.. तेरी कमसिन चूत को चाट-चाट कर पानी निकाल दूँगी

मीरा- छी.. दीदी.. आप तो लड़कों की बोली बोल रही हो.. फुद्दी से सीधे आप च..चूत पर आ गई
राधे- अरे मीरा.. फुद्दी से ज़्यादा चूत बोलना अच्छा लगता है.. चल अब ये नाईटी निकाल दे और अपनी राधा का कमाल देख
मीरा- दीदी आप भी नंगी हो जाओ ना.. प्लीज़ हमें ज़्यादा मज़ा आएगा

राधे- ओके हो जाऊँगी.. मगर एक शर्त पर.. तुमको अपनी आँखों पर पट्टी बांधनी होगी
मीरा- नहीं दीदी.. ये क्या बात हुई? ऐसे में मैं आपको कैसे देख पाऊँगी

राधे- अरे पूरी बात तो सुनो.. पहले तुम पट्टी बाँध लो.. मैं नंगी होकर तुमसे चिपक जाऊँगी.. तुम्हें मज़ा दूँगी.. उसके बाद तुम आँखें खोल लेना और मुझे देख ले

मीरा- ओके दीदी.. ये सही रहेगा.. मज़ा आएगा.. मैं अभी आई मेरे पास अलमारी में काली पट्टी है.. मैं लेकर आती हूँ

 

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