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दूसरे दिन सुबह में कॉलेज गया और दोपरेह 3 बजे कॉलेज से लौटा। देखा मम्मी सोफे पे आराम से बैठ कर टीवी देख रही थी कोई नेटफ्लिक्स का शो देख रही थी। और गोद में एक पतीले में मटर छिल रही थी । मुझे देख कर बोली " आ गया तू "
में बस हा बोल के अपने कमरे में जा कर अपनी यूनीफ्रॉम चेंज कर के बनियान और हॉफपेंट पहन कर मुंह हाथ धो के डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। मम्मी मुझे खाना पोरोचते हुए बोली " तुझसे एक बात करनी थी "
में रोटी तोड़ते हुए बोला " क्या बात मम्मी "
मम्मी सोचती हुई बोली " बेटा में सोच रही हूं एक इससे बड़ा घर ले लूं। तुम क्या कहते हो "
में रुका और सोचने लगा क्या ये सही है " घर । पर आपने तो पार्लर खुलने की बात की थी ...."
मम्मी बोली " हा वो भी हो जायेगा। मैंने एक मल के सामने एक किराए की दुकान देख कर आया है। और पैसों की भी बात कर ली हे । पर मेरे दिमाग में एक और खयाल है की ऐसी जगह एक घर ले लूं ताकि घर के सामने ही अपनी पार्लर भी खोल चकु
और तेरे पापा को भी एक दुकान खोल दूं शायद सुधार जाय कुछ जमीदारी ले। "
में बोला " ये सब तो ठीक है लेकिन इतने पैसा कहा से आयेंगे । मेरे अकाउंट में तो सिर्फ चार लाख रूपए है।"
मम्मी पहले तो मुस्कुराई लेकिन फिर थोड़ा झिझक के बोली " बेटा माफ करना वो मैंने सोचा की लेन देन मुझे ही करना हे तो सोचा की । वो मतलब मैने अपनी अकाउंट लिंक कर दिया । प्लीज बेटा बुरा मत मानना तुम्हे जब भी पैसा चाहिए मेरा atm ले जाना "
कुछ देर के लिए मुझे बुरा लगा लेकिन फिर समझने की कशिश की बात भी सही हे । तो मैंने बोला " अच्छा ही हुआ ना मम्मी इससे आपको जब भी कोई लेन देन करनी हो आपको मुझ से कहना नही पड़ेगा और हो सकता है आपको कभी लेन देन करने जरूरत पड़े और ने तब बाहर राहु "
मम्मी मुस्कुरा के बोली " मुझे अच्छा लगा बेटा तुम समझदार हो ।"
ऐसे ही कुछ इधर उधर की बाते करते हुए मैने खाना खतम किया । मम्मी बर्तन उठा कर सींक पर धोने लगी । में अभी भी कुर्सी पर बैठा था मैने पीछे मुड़ के देखा तो मैंने देखा मम्मी बर्तन माज रही थी और उसकी चूचियां हिल रही थी और थोड़ा नीचे लटकी हुई भी तो मुझे पता चला की मम्मी ब्रा नही पहनी थी । वो सफेद टी शर्ट और टाइट लैगिंग्स पहनी हुई थी जिससे उसकी मोटी उभरी हुई गोल मोटोल गांड का नजारा बोहोत कामुक दिखाई दे रही थी ।
मेरा मन मचल उठा पर मैंने सोचा की थोड़ा बोहोत हग कर के मजा लेने में क्या बुरा हे । आखिर लालच भी बुरी भला है। में उठा और धीरे धीरे चलते हुए मम्मी के पीछे खड़ा हो गया उसे आभास हुई पर उसने कुछ नही कहा ।
में बस हा बोल के अपने कमरे में जा कर अपनी यूनीफ्रॉम चेंज कर के बनियान और हॉफपेंट पहन कर मुंह हाथ धो के डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। मम्मी मुझे खाना पोरोचते हुए बोली " तुझसे एक बात करनी थी "
में रोटी तोड़ते हुए बोला " क्या बात मम्मी "
मम्मी सोचती हुई बोली " बेटा में सोच रही हूं एक इससे बड़ा घर ले लूं। तुम क्या कहते हो "
में रुका और सोचने लगा क्या ये सही है " घर । पर आपने तो पार्लर खुलने की बात की थी ...."
मम्मी बोली " हा वो भी हो जायेगा। मैंने एक मल के सामने एक किराए की दुकान देख कर आया है। और पैसों की भी बात कर ली हे । पर मेरे दिमाग में एक और खयाल है की ऐसी जगह एक घर ले लूं ताकि घर के सामने ही अपनी पार्लर भी खोल चकु
और तेरे पापा को भी एक दुकान खोल दूं शायद सुधार जाय कुछ जमीदारी ले। "
में बोला " ये सब तो ठीक है लेकिन इतने पैसा कहा से आयेंगे । मेरे अकाउंट में तो सिर्फ चार लाख रूपए है।"
मम्मी पहले तो मुस्कुराई लेकिन फिर थोड़ा झिझक के बोली " बेटा माफ करना वो मैंने सोचा की लेन देन मुझे ही करना हे तो सोचा की । वो मतलब मैने अपनी अकाउंट लिंक कर दिया । प्लीज बेटा बुरा मत मानना तुम्हे जब भी पैसा चाहिए मेरा atm ले जाना "
कुछ देर के लिए मुझे बुरा लगा लेकिन फिर समझने की कशिश की बात भी सही हे । तो मैंने बोला " अच्छा ही हुआ ना मम्मी इससे आपको जब भी कोई लेन देन करनी हो आपको मुझ से कहना नही पड़ेगा और हो सकता है आपको कभी लेन देन करने जरूरत पड़े और ने तब बाहर राहु "
मम्मी मुस्कुरा के बोली " मुझे अच्छा लगा बेटा तुम समझदार हो ।"
ऐसे ही कुछ इधर उधर की बाते करते हुए मैने खाना खतम किया । मम्मी बर्तन उठा कर सींक पर धोने लगी । में अभी भी कुर्सी पर बैठा था मैने पीछे मुड़ के देखा तो मैंने देखा मम्मी बर्तन माज रही थी और उसकी चूचियां हिल रही थी और थोड़ा नीचे लटकी हुई भी तो मुझे पता चला की मम्मी ब्रा नही पहनी थी । वो सफेद टी शर्ट और टाइट लैगिंग्स पहनी हुई थी जिससे उसकी मोटी उभरी हुई गोल मोटोल गांड का नजारा बोहोत कामुक दिखाई दे रही थी ।
मेरा मन मचल उठा पर मैंने सोचा की थोड़ा बोहोत हग कर के मजा लेने में क्या बुरा हे । आखिर लालच भी बुरी भला है। में उठा और धीरे धीरे चलते हुए मम्मी के पीछे खड़ा हो गया उसे आभास हुई पर उसने कुछ नही कहा ।
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