Recent content by andypndy

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    Adultery किस्सा कामवती का

    दोस्तों ऐसी ही कामुक कहानी पढ़ने के लिए यहाँ आये. [
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    Adultery किस्सा कामवती का

    अपडेट -89 घुड़पुर मे एक योजना तैयार हो गई थी. और विषरूप के जंगलो मे भी सर्पटा और ठाकुर जलन सिंह हाथ मिला चुके थे. शाम ढल आई थी...सर्पटा और जलन सिंह घुड़पुर कि दहलीज पे आ धमके थे. "ज़ालिम सिंह तुम हवेली के पीछे से अपने आदमियों के साथ घुसो मै,आगे से जाता हूँ आज इस हवेली को ही कब्रिस्तान बना देंगे...
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    Adultery किस्सा कामवती का

    अपडेट -88 इंस्पेक्टर काम्या और बहादुर जब तक घटना स्थल पे पहुंचते, सुबह कि पहली किरण चारों तरफ फैली हुई थी. "मैडम.....ये....ये..तो किसी आदमी कि लाश है सर कटी लाश " बहादुर ने निरक्षण कर बताया. काम्या भी नजदीक गई " खबर तो ठीक ही थी, लेकीन ये दूसरी क़ब्र क्यों खुदी हुई है? लाश तो एक ही है " ये...
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    Adultery किस्सा कामवती का

    अपडेट -87 रूपवती कि हवेली (घुड़पुर ) मे एक मरघाट सा सन्नाटा छाया हुआ था,सब कि निगाहों मे भय साफ दिख रहा था,होंठो पे एक ही सवाल था "अब क्या होगा?" इस चुप्पी को तोड़ा रूपवती ने " वीरा तैयारी करो हमें यहाँ से कहीं दूर निकल जाना चाहिए " "कैसी बात कर रही है ठकुराइन क्या हम कायर है?" वीरा ने आवाज़ मे...
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    अपडेट -86 आज सुबह कि एक नयी किरण निकली थी. रंगा बिल्ला का आतंक हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो चूका था, काम्या लड़खड़ाती बहादुर का सहारा लिए बढ़ी जा रही थी. उसकी छाती गर्व से फूल के दुंगनी हो चली थी. आखिर उसका इन्तेकाम पूरा हुआ " धन्यवाद बहादुर...... मुझे माफ़ करना मैंने तुम्हे गाली दि,हिजड़ा कहाँ "...
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    Adultery किस्सा कामवती का

    दोस्तों ये कहानी अभी यहीं तक लिखी गई है. एक अंतिम अध्याय इस उपन्यास को समाप्त कर देगा. जल्द ही मिलेंगे....निर्णायक युद्ध मे 🥰🤗
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    अपडेट -84 काली पहाड़ी पे साय साय करती हवा,घुप अंधेरा,उल्लू चमकादडो कि चीखे माहौल मे एक भयानकता पैदा कर रही थी. आम मनुष्य का तो खुन ही जम जाता ऐसे खौफनाक माहौल मे. यहीं इसी पहाड़ी क किसी हिस्से मे एक गुफा मे मध्यम रौशनी फैली हुई थी. "आआहहहह.....हरामियों " इंस्पेक्टर काम्या पेट पकड़े जमीन पे कराहा...
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    अपडेट -83 विषरूप पुलिस चौकी मे "बहदुर ओ बहादुर इधर आ" इंस्पेक्टर काम्या अपने केबिन मे बैठी दाँत पीस रही थी चेहरा गुस्से से लाल था बहादुर :- जी मैडम काम्या :- मैडम के बच्चे,ठाकुर को अगवा हुए 3 घंटे बीत गए अभी तक क्या झक मार रहा है? कोई खबर? बहादुर :- मममममम....मैडम...मैडम...वो...वो...... काम्या...
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    अपडेट -82 शराब का नशा सभी के सर चढ़ के बोल रहा था, रामनिवास तो जीत कि खुशी मे ज्यादा ही धुत्त हो चला. सत्तू :- रामनिवास भाई ऐसा क्या जादू है आपके पास कि जीतते ही जा रहे हो. सत्तू कि निगाह रतिवती पे ही टिकी हुई थी "जादू" शब्द बोल के उसका धयान रतिवती के बहार झाँकते स्तन पे ही था. रतिवती खुद जानबूझ...
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    अपडेट - 81 शाम ढल चुकी थी अंधेरा पसरने को था "मालिक मालिक....मालिक....असलम मालिक ह्म्म्मफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ ह्म्म्मफ़्फ़्फ़...." बिल्लू दौड़ता हँफ्ता डॉ.असलम के घर मे दाखिल हुआ. डॉ.असलम :- क्या हुआ बिल्लू क्या हुआ....ऐसे घबराये हुए क्यों हो? आ गए मंदिर दर्शन के के ठाकुर साहेब? बिल्लू :- मालिक वो...
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    अपडेट :-80 ठाकुर ज़ालिम सिंह अपनी नवविवाहित पत्नी के साथ निकल चुके थे,जंगल पार स्थित पहाड़ी पर बने कुलदेवी मंदिर के दर्शन करने. ठाकुर :- तुम्हे अच्छा तो लग रहा है ना कामवती? कामवती जो बाहर के नज़ारे ही देख रही थी "हाँ ठाकुर साहेब हम बहुत दिन बाद घर से निकले है,माँ भी होती तो ज्यादा मजा आता " ठाकुर...
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    अपडेट -79 सूरज सर ले चढ़ आया था. गांव कामकंज रामनिवास और रतिवती अपने घर पहुंच चुके थे. रास्ते मे रामनिवास सारी बाते समझा चूका था,रतिवती ने शुरू मे ना नुकुर किया परन्तु पैसो के लालाच ने उस से हामी भरवा ही ली. लेकिन जुआ रामनिवास अपने घर पे ही खेले उसकी मौजूदगी मे ऐसा उसने मनवा लिया था अब भला राम...
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    अपडेट -78 सुबह कि हलकी रौशनी क्षितिज पे दिखने लगी थी. कामरूपा किसी वहसी पागलो कि तरह गुर्रा रही थी, उठो सालो प्यास बुझाओ मेरी नामर्दो... आस पास सातों काले रक्षस जैसे मुर्दाबाड़ा काबिले के लोग थके हारे हांफ रहे थे,किसी मे भी उठने का साहस नहीं बचा था, कामरूपा पूरी तरह वीर्य और पसीने से भीगी गुर्रा...
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    अपडेट -77 आअह्ह्ह.....आअह्ह्ह....और तेज़ मारो हरामियों नामर्द हो क्या सब के सब. मुर्दाबाड़ा काबिले मे रात के सन्नाटे को चिरती कामरूपा की आवाज़ गूंज रही थी,कामरूपा किसी घायल शेरनी की तरह खूंखार वहांशी हो उठी थी. सेवक के लंड पे अपनी गांड पटकते पटकते उसे काफ़ी समय बीत चूका था परन्तु वो अपने चरम पे...
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    अपडेट -76 रात का अंधेरा छा गया था, विषरूप ठाकुर की हवेली मे सभी लोग खा पी के सोने को तैयारी मे थे. आज शाम से ही कामवती चहक रही थी क्यूंकि ठाकुर साहेब ने उसे अगले दिन घुमाने ले जाने का वादा जो किया था. रतिवती अपने कमरे मे ख़ुश थी, उसने जब से ठाकुर ज़ालिम सिंह से नातेदारी की है तभी से उसके दिन फिर...
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