Adultery आँचल की अय्याशियां

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आँचल
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देर शाम को सुनील ने रूम का दरवाज़ा खटखटाया , आँचल अभी भी सोयी हुई थी. उसने जल्दी से पैंटी पहनी और ऊपर से गाउन पहन लिया.

दरवाज़ा खोलने पर सुनील अंदर आया और आँचल से बोला, “ तुम जल्दी से तैयार हो जाओ .नीचे डिसट्रिब्युटर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं. वो हमें डिनर में ले जाने के लिए आए हैं."

आँचल ने पूछा, “ जाना कहाँ है ? उसी हिसाब से मैं कपड़े पहनूंगी .”

सुनील बोला,” वो हमें 5 star होटेल Sun-n-Sand में ले जा रहे हैं. इसलिए तुम थोड़ी सेक्सी ड्रेस पहन लो.”

सुनील अपनी खूबसूरत बीवी को शो ऑफ करके डिसट्रिब्युटर को इंप्रेस करना चाह रहा था.
आँचल ने एक टाइट फिटिंग वाली वन पीस सेक्सी रेड ड्रेस पहन ली. जो उसके घुटनो से बहुत ऊपर थी. आँचल खुश थी की सुनील खुद उससे सेक्सी ड्रेस पहनने को कह रहा है इसलिए उसने भी रिवीलिंग ड्रेस पहन ली. ड्रेस बहुत टाइट थी इसलिए आँचल ने अंदर से ब्रा पैंटी नही पहनी. पैरो में ऊँची हील वाली सैंडल पहनने से वो चलते समय और भी सेक्सी लग रही थी. आँचल के साथ चलते हुए सुनील बहुत गर्व महसूस कर रहा था क्यूंकी होटेल में सब उसी की ओर देख रहे थे. होटेल की लॉबी में पहुँचकर सुनील ने डिसट्रिब्युटर से आँचल को मिलवाया.

आँचल ने देखा डिसट्रिब्युटर दो भाई थे, बड़ा वाला गुल्मोहर शाह 45 साल का और छोटा भाई अंकुर शाह 35 साल का था. दोनो भाई खूबसूरत आँचल को देखकर सोच रहे थे सुनील की बीवी तो इतनी मादक निकली. उन्हे अपने को घूरते पाकर आँचल के निपल एक्साइट्मेंट से तन गये. दूसरे आदमियों पर अपनी खूबसूरती का जादू चलने से आँचल को बहुत अच्छा लगता था. आँचल को पता था की बिना ब्रा के उस पतली ड्रेस में उसके निपल कड़े होकर दिख रहे हैं.

सुनील भी खूबसूरत आँचल का पति होने से गर्व महसूस कर रहा था. वहाँ खड़े लोगो को जलाने के लिए वो जानबूझकर आँचल की पीठ पर हाथ फिरा रहा था. फिर वो चारों लोग होटेल से बाहर आकर कार में बैठ गये.
डिनर के लिए सुनील और आँचल टेबल के एक तरफ थे और दोनो भाई उनके सामने बैठे थे. आँचल ने देखा की दोनो भाई उससे बहुत इंप्रेस्ड हैं. बड़ा भाई गुल्मोहर थोड़ा मोटा और सावला था लेकिन छोटा भाई अंकुर लंबा , गोरा और हैंडसम था. डिनर करते समय आँचल के बारे में ही बातें हो रही थी.

अंकुर ने पूछा कि आँचल का मुंबई में दिन कैसा बीता और उसे मुंबई कैसा लगा , पसंद आया या नही. आँचल ने बताया की लोकल ट्रेन में उसका सफ़र बहुत खराब रहा. रास्ते भर लोग धक्कामुक्की करते रहे. और कोलाबा में शॉपिंग करते समय भी यही हाल रहा. कुल मिलाकर उसे मुंबई पसंद नही आया.

आँचल की बात सुनकर अंकुर बोला,” भाभी, अगर सुनील भाई साहब ने पहले बताया होता की आपको घूमने जाना है तो मैं अपनी कार और ड्राइवर को आपके पास भेज देता.”

आँचल मुस्कुरायी और बोली, “ थैंक्स, कार से तो मुझे बहुत सहूलियत हो जाती. लेकिन हम लोग कल वापस देल्ही जा रहे हैं इसलिए आपका ऑफर मैं नेक्स्ट टाइम एक्सेप्ट कर लूँगी.”

तभी सुनील बोल पड़ा,”आँचल मैं तुम्हें बताना भूल गया की हम यहाँ एक दिन और रुकने वाले हैं. कल मुझे गुल्मोहर के साथ पुणे जाना है . इसलिए अब हम कल नही बल्कि परसो देल्ही वापस जाएँगे.”

ये बात सुनकर अंकुर खुश हो गया और बोला,” भाभी , कल के दिन भी आप यहीं हो, इसलिए मेरी कार और ड्राइवर कल दिन भर के लिए आपके पास रहेंगे. अब आप मना मत करना.”

फिर बोला,” आपको शॉपिंग के लिए कोलाबा जाने की ज़रूरत नही , मेरा ड्राइवर आपको ब्रीच कैंडी ले जाएगा शॉपिंग के लिए वो बेस्ट जगह है. भाभी , आप मुंबई में और क्या देखना चाहेंगी ? “

आँचल अंकुर के ऑफर से मन ही मन खुश हुई की चलो अब टैक्सी और ट्रेन के सफ़र का झंझट नही रहेगा. वो अंकुर से बोली,” मैं हमेशा से मुंबई में फिल्म शूटिंग देखना चाहती थी.”

उसके ऐसा कहते ही गुल्मोहर बोल पड़ा,” भाभी वो मुझ पर छोड़ दो. जब आप शॉपिंग कर लोगी तो उसके बाद आपको फिल्म शूटिंग भी दिखा देंगे.”

फिर आँचल की चूचियों पर नज़रें गड़ाकर बोला,” भाभी, आप फिल्म हेरोयिन्स से ज़्यादा खूबसूरत हो. आपको तो मॉडलिंग या एक्टिंग करने के बारे में सोचना चाहिए. फिर तो रोज़ शूटिंग ही शूटिंग, है ना.” और अपने जोक पर खुद ही हंस पड़ा.

आँचल को , खुलेआम अपनी चूचियों को घूरते हुए और आँचल पर जोक मारकर हंसते हुए गुल्मोहर को देखकर गुस्सा आया. वो चुप रही और गुल्मोहर की बात का कोई जवाब नही दिया. उसने मन ही मन सोचा की छोटा भाई कितना हैंडसम है और ये मोटा घूरता ही रहता है और बेहूदी बात करके हंसता है. उसने गुल्मोहर को इग्नोर करके अंकुर की तरफ ध्यान दिया.

रात में जब वो दोनो होटेल के कमरे में वापस आए तो आँचल लोगों के सामने सेक्सी ड्रेस में घूमने फिरने से थोड़ी उत्तेजना महसूस कर रही थी. सुनील ने उसकी उत्तेजना को और भड़का दिया,” आँचल तुमने देखा वो दोनो भाई तुमको कैसे देख रहे थे. तुमसे उनकी नज़रें हट ही नही रही थी.”

आँचल बोली,” उग्घ…वो गुज्जु भाई गुल्मोहर तो मुझे बहुत बेशर्मी से घूर रहा था. सुनील अगर तुम वहाँ पर नही होते ना तो वो मेरी ड्रेस फाड़ डालता और मेरा रेप कर देता.” उत्तेजना से आँचल की चूत गीली होने लगी.
आँचल की बातों से सुनील भी उत्तेजित हो गया . उसने फटाफट आँचल के सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया. बिना किसी फोरप्ले के उसने आँचल की टाँगे फैलाई और उसकी गीली चूत में लंड डाल दिया. फिर चूत में तेज तेज धक्के लगाने लगा. जैसे ही आँचल को मज़ा आने लगा वो अपनी गांड ऊपर उछालकर सुनील के धक्कों का जवाब देने लगी, तभी सुनील झड़ गया. आँचल सोचने लगी मज़ा शुरू होते ही खत्म हो गया. सुनील अपनी खूबसूरत बीवी के सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन की परवाह किए बिना ही बगल में आराम से करवट लेकर सो गया.

आँचल 10 – 15 मिनिट तक अपनी किस्मत को कोसते हुए चुपचाप लेटी रही लेकिन फ्रस्ट्रेशन से उसको नींद नही आ रही थी. फिर उसने टीवी ऑन करके वही ब्लू मूवीज वाला चैनल लगा दिया. कुछ देर बाद उसने सुनील को भी उठा दिया. सुनील अपनी आँखे मलता हुआ उठ बैठा. सुनील ने देखा आँचल ब्लू फिल्म देख रही है जिसमे एक आदमी लड़की को डॉगी स्टाइल में पीछे से चोद रहा है और वो लड़की उत्तेजना में चिल्ला रही थी. सुनील भी ये सीन देखकर उत्तेजित हो गया और जल्दी ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.

सुनील ने आँचल को मूवी के जैसे कुतिया बना दिया और उसकी गांड ऊँची करके पीछे से चूत में अपना लंड डाल दिया. आँचल को मूवी में लड़की के जैसे चुदवाने में मज़ा आने लगा लेकिन कुछ ही धक्कों के बाद सुनील फिर झड़ गया और आँचल के बदन के ऊपर बेड में ढेर हो गया.

आँचल ने सुनील को अपने बदन से धक्का देकर बगल में हटा दिया और फ्रस्ट्रेशन से उसके आंसू निकल आए. सुनील जल्दी ही खर्राटे लेकर सो गया. आँचल थोड़ी देर चुपचाप रोती रही. फिर कुछ देर बाद उसने टीवी का वॉल्यूम कम कर दिया और ब्लू फिल्म देखकर मूठ मारते हुए अपनी उत्तेजना शांत करने लगी.

अगली सुबह 5 बजे सुनील ने आँचल से कहा,” डार्लिंग, मैं पुणे जा रहा हूँ. गुल्मोहर की बजाए अब कोई दूसरा आदमी मेरे साथ पुणे जा रहा है. रात 9 बजे तक लौट आऊंगा.” फिर आँचल को किस करके सुनील चला गया.
आँचल देर तक सोती रही . फोन की घंटी बजी तो उसकी नींद खुली. फोन में अंकुर बोला,” भाभी मैंने ड्राइवर को कार लेकर आपके पास भेज दिया है. वो आपको ब्रीच कैंडी शॉपिंग के लिए ले जाएगा. “

फिर बोला,” अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मेरे साथ आज लंच करिएगा.”

अंकुर के साथ टाइम बिताने की बात सुनकर आँचल का मूड ठीक हो गया. वो बोली,” आपके साथ लंच करके मुझे खुशी होगी.”

अंकुर बोला,” ओबेरॉय होटेल के पास कॉफी शॉप में आ जाना लंच के लिए ठीक 1:30 pm पर.”

आँचल बोली,” ठीक है, मैं आ जाऊँगी.”

आँचल खुश होकर नहाने चली गयी. नहाने के बाद उसने बाथिंग गाउन पहन लिया और रिसेप्शनिस्ट को फोन किया की उसको साड़ी और ब्लाउज में फटाफट प्रेस चाहिए.

कुछ देर बाद डोरबेल बजी और एक वेटर उसके कपड़े ले जाने के लिए आया. जैसे ही आँचल कपड़े देने के लिए मुड़ी उसका पैर लंबे बाथिंग गाउन में पड़ गया और एक झटके में गाउन उसके कन्धों से उतर कर फर्श पर गिर गया. वेटर अपने सामने नंगी आँचल को देखकर हैरान रह गया.

आँचल ने शरमाकर झट से अपनी चूचियों और चूत को हाथों से ढकने का प्रयास किया . फिर झुककर अपना गाउन उठाया और बाथरूम में भाग गयी. पीछे मुड़ने से वेटर को आँचल की मस्त बड़ी गांड के भी दर्शन हो गए .
आँचल बहुत एंबॅरस्ड फील कर रही थी. बाथरूम में गाउन पहनकर वो हिचकिचाते हुए बाहर आई और वेटर को कपड़े दिए. वेटर उसको देखकर मुस्कुराया और कपड़े ले लिए. आँचल की गोरी बड़ी बड़ी चूचियां , चिकनी चूत और बड़ी गांड देखने के बाद अपनी किस्मत पर खुश होता हुआ रूम से बाहर जाने लगा.

आँचल हकलाते हुए बोली ,” मुझे कपड़े जल्दी चाहिए.” और दरवाजा बंद कर दिया . वेटर अभी भी मुस्कुरा रहा था.

वेटर के जाने के बाद आँचल ने जल्दी से गाउन के अंदर ब्रा और पेटीकोट पहन लिया. और वेटर के अपने कपड़े लाने का इंतज़ार करने लगी.

वेटर के डोरबेल बजाने पर इस बार उसने थोड़ा सा ही दरवाजा खोला और वहीं पर कपड़े लेकर दरवाजा बंद कर दिया. वेटर को अंदर आने देने की ग़लती वो दोहराना नही चाहती थी.

साड़ी पहनकर जब वो शॉपिंग करने के लिए नीचे होटेल की लॉबी में आई तो उसे लगा की रिसेप्शन में होटेल के स्टाफ वाले उसे देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं.

क्या ये आँचल का वहम था या वेटर ने सबको बता दिया था ?
 
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होटेल से बाहर निकलकर आँचल अंकुर की कार में बैठ गयी. कार ड्राइवर उसे ब्रीच कैंडी ले गया. वहाँ शॉपिंग करने में आँचल को बहुत मज़ा आया. शॉप्स भी अच्छी थी और धक्कामुक्की बिल्कुल नही थी. आँचल ने कुछ इंपोर्टेड ब्रा ,पैंटीज और हैंडबैग्स खरीदे. आँचल ने मन ही मन यहाँ शॉपिंग करने का सुझाव देने के लिए अंकुर को धन्यवाद दिया. जब उसकी शॉपिंग खत्म हुई तो दोपहर के 1 बज गये थे. आँचल कार में बैठकर ओबेरॉय होटेल की तरफ चल दी जहाँ उसे अंकुर के साथ लंच करना था.

कॉफी शॉप में आँचल ने देखा अंकुर अभी नही पहुँचा था. आँचल वहाँ बैठकर उसका इंतज़ार करने लगी. थोड़ी ही देर में अंकुर वहां पहुँचा और आँचल को अपना इंतज़ार करते पाकर, आँचल की ओर देखकर मुस्कुराया. आँचल के पास पहुँचकर अंकुर ने उसके गाल पर किस करके विश किया. आँचल ने उसके पौरुष की गंध को महसूस किया. अंकुर को देखकर आँचल को सुनील के कजिन समीर की याद आती थी. दोनो ही लंबे चौड़े , हैंडसम और कॉन्फिडेंट थे. सबसे पहले आँचल को समीर ने ही सिड्यूस किया था. इसलिए वो उसे भूली नहीं थी.

आँचल के बगल में ना बैठकर अंकुर उसके सामने टेबल के दूसरी तरफ बैठ गया. लंच के दौरान अंकुर उससे एक जेंटलमैन की तरह व्यवहार करते रहा और मुंबई की बातें , ख़ासकर अपनी गुज्जु कम्यूनिटी के हँसी मज़ाक के किस्से सुनाता रहा.

आँचल को महसूस हुआ कि अंकुर की पर्सनालिटी से वो अंकुर की तरफ आकर्षित हो रही है. अंकुर की हल्की फुल्की बातों पर वो खुलकर हंस रही थी. अंकुर का साथ उसे बहुत पसंद आ रहा था.

अंकुर ने बताया कि उसके बड़े भाई गुल्मोहर ने शाम को फिल्म शूटिंग देखने का इंतज़ाम करवा दिया है. एक प्राइवेट बंगले में शूटिंग हो रही थी और आँचल को लेने 6 pm पर कार उसके होटेल आ जाएगी. फिर अंकुर ने कहा की उसको आँचल के साथ लंच करके बहुत अच्छा लगा और जब वो दोबारा मुंबई आएगी तो वो उससे ज़रूर मिलेगा.

आँचल का अंकुर के साथ अच्छा टाइम पास हो रहा था, अंकुर के जाने की बात सुनकर वो उदास हो गयी. वो बाकी दिन भी अंकुर के साथ बिताना चाह रही थी क्यूंकी सुनील तो पुणे गया था और रात को लौटने वाला था. तब तक तो वो होटेल में अकेले बोर हो जाएगी.

आँचल बोली,” मैं जुहू बीच देखना चाहती हूँ, लेकिन अकेले जाकर क्या करूँगी. अगर आप साथ चलो तो….”
अंकुर ने मना करके आँचल का दिल दुखाना ठीक नही समझा और साथ चलने की हामी भर दी. दोनो कार में बैठकर जुहू बीच की तरफ चल दिए.

कार की बैकसीट में अंकुर आँचल से थोड़ी जगह छोड़कर बैठा था. आँचल सोचने लगी इसकी जगह कोई और होता तो अब तक मुझसे सटकर बैठकर, इधर उधर हाथ फिराने लगता. ये उसके लिए नया अनुभव था क्यूंकी अब तक तो सभी मर्द उससे चिपटने को उतावले रहते थे. वो सोचने लगी कहीं ये गे तो नही ? या फिर शर्मीला ? आख़िर ये मुझसे दूरी क्यूँ रख रहा है. कॉफ़ी शॉप में भी बगल की सीट खाली होते हुए भी सामने बैठा , यहाँ कार में भी अलग हटके बैठा है. वो अंकुर की तरफ आकर्षित थी लेकिन अंकुर एक जेंटलमैन की तरह बिहेव कर रहा था.

आँचल ने सोचा अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा. इस हैंडसम बंदे को सिड्यूस करती हूँ. आँचल बहाने से थोड़ा खिसक गयी अब दोनो की टाँगे सट गयी थी. फिर वो अपने हाथ से बाल पीछे को करने लगी जिससे उसकी छाती आगे को तन गयी , वो चाहती थी की ऐसा करने से उसके पतले कपड़े के ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को मचलती चूचियों का हिलना डुलना अंकुर को दिखे.

अंकुर ने आँचल को छूने का कोई प्रयास नही किया लेकिन आँचल ने तिरछी नज़रों से देख लिया की उसके पैंट में तंबू बनने लगा है. आँचल मन ही मन मुस्कुरायी. मादक आँचल के रूप के जादू से कोई मर्द नही बच सकता था.

आँचल ने अपने बालों से हाथ हटाकर नीचे लाते हुए अपनी बाँह अंकुर की बाँह से छुआ दी. फिर बातें करते हुए कार की खिड़की से बाहर किसी बिल्डिंग या किसी और चीज़ की ओर इशारा करते हुए अपना बदन अंकुर के और करीब झुका दे रही थी.

[आँचल को पता नही था लेकिन पहली रात को डिनर के बाद दोनो भाइयों में आँचल की खूबसूरती को लेकर बातें हुई थी.
गुल्मोहर बोला,” सुनील की बीवी इतनी खूबसूरत होगी ये तो मैंने कभी सपने में भी नही सोचा था. इस साली को तो मैं हाथ से जाने नही दूँगा. शाम को शूटिंग दिखाकर आँचल को मैं ज़रूर चोदूँगा.”
फिर उसने सुनील के साथ पुणे जाने का प्रोग्राम बहाना बनाकर कैंसिल कर दिया और अपने मैनेजर को सुनील के साथ पुणे भेज दिया और ये हिदायत भी दे दी की रात 11 बजे से पहले पुणे से लौटना नही. सुनील को पुणे में ही ज़्यादा से ज़्यादा देर तक रोकने की उनकी ये चाल थी.]

लेकिन यहाँ कार में तो उल्टा हो रहा था. अंकुर सोचने लगा ये तो खुद मेरा ही शिकार कर रही है. दोनो भाइयों में हमेशा बड़े की ही चलती थी अंकुर का नंबर गुल्मोहर के बाद ही आता था. इस बार भी गुल्मोहर ने शूटिंग के बाद आँचल को फँसाने का प्लान बनाया था . गुल्मोहर जब आँचल को चोद लेता फिर उसके बाद अंकुर को चांस मिलता. अंकुर सोचने लगा हमेशा मलाई बड़ा भाई खा जाता है मुझे बची खुची जूठन खानी पड़ती है. लेकिन इस बार मैं ऐसा नही होने दूँगा. भाड़ में गया बड़े भाई का प्लान. अभी मेरे पास अच्छा मौका है , इस बार पहले मैं मलाई खाऊंगा .

कुछ देर बाद आँचल ने अंकुर की ओर झुकते हुए एक बिल्डिंग की ओर इशारा किया और उसके बारे में पूछा. अंकुर ने आँचल के कंधों पर हाथ रख दिया और अपना चेहरा आँचल के करीब लाकर उसको बिल्डिंग के बारे में बताने लगा. बताते हुए उसने आँचल के कंधे को पकड़कर थोड़ा अपने और नज़दीक़ कर लिया और आँचल को देखकर मुस्कुराया.

आँचल खुश हो गयी . चलो आख़िर इसने कुछ तो हरकत की. शायद अब लाइन में आ रहा है. वो भी अंकुर को देखकर मुस्कुरायी. फिर नीचे उसकी पैंट में बने तंबू को देखा. हम्म्म ...… इसका भी लंड बड़ा ही लग रहा है.

अंकुर ने देख लिया आँचल बीच बीच में उसके पैंट की तरफ देख रही है. वो सोचने लगा इसका चुदाई का बहुत मन हो रहा है. अब अंकुर की हिम्मत बढ़ गयी . वो आँचल की गर्दन और कंधे सहलाने लगा. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर उसने दूसरा हाथ आँचल की साड़ी के पल्लू के अंदर डाल दिया. और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. अपनी चूचियों पर अंकुर के हाथ के स्पर्श से आँचल के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली.
अंकुर धीरे धीरे चूचियों पर दबाव बढ़ाकर ब्लाउज के बाहर से ही उनको मसलने लगा. आँचल अपने होठ को दाँत में दबाकर सिसकारियाँ रोकने का प्रयास करने लगी.

फिर अंकुर ने आँचल के रसीले होठों का चुंबन ले लिया और बोला,” भाभी आप बहुत ही मादक हो , बहुत ही सेक्सी…”

आँचल उत्तेजित होकर बोली,” अंकुररर..…” और उसे अपने होठों का चुंबन लेने दिया.

अंकुर ने आँचल के होठों का चुंबन लेना जारी रखा. आँचल ने अपना मुँह खोल दिया और उसकी जीभ को अंदर आने दिया. अंकुर अपनी जीभ आँचल के मुँह में घुमाने लगा और दोनो हाथों से आँचल की बड़ी और नरम चूचियों को पतले ब्लाउज के बाहर से मसलने लगा. आँचल के कड़े हो चुके निपल्स को वो महसूस कर रहा था. और उन्हे चूसने के लिए उतावला हो रहा था. सोच रहा था कल रात से ही इस औरत ने मुझ पर जादू कर दिया है.

अंकुर के किस करने और चूचियां मसलने से आँचल की चूत गीली होने लगी. थोड़ी देर बाद अंकुर ने चुंबन खत्म किया , आँचल गहरी साँसे लेने लगी. फिर अंकुर ने ब्लाउज और ब्रा को ऊपर को खींच दिया जिससे आँचल की चूचियां थोड़ी बाहर को आ गयी . और हाथों से चूचियों को पकड़कर निपल को भी बाहर निकाल लिया. ज़ोर से ऊपर खींचने से पतला ब्लाउज फट गया.

ड्राइवर ने रियर व्यू मिरर में आँचल की गोरी चूचियां और तने हुए निपल देखे. उसका ध्यान भंग हो गया और उसने कार की स्पीड कम कर दी. अब उसका इंटरेस्ट कार चलाने में कम और पीछे देखने में ज़्यादा हो गया. आँचल के मादक जिस्म को देखने का मौका वो भी छोड़ना नहीं चाहता था.

अंकुर ने अपना मुँह निपल पर लगाकर उसे चूसना शुरू कर दिया. आँचल अब ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. और उत्तेजना में उसने अंकुर के लंड को पैंट के बाहर से पकड़ लिया. फिर वो उसकी पैंट की ज़िप खोलकर लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगी. तभी मोबाइल की घंटी बज गयी.

अंकुर ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ गुल्मोहर था. अंकुर ने गुजराती में उसको सब बता दिया.

अंकुर बोला,” मैं तुमसे बात कर रहा हूँ और ये मेरा लंड ज़िप से बाहर निकालने की कोशिश कर रही है. आँचल को सिड्यूस करने के लिए बाहर घुमाने फिराने की ज़रूरत नही है, इसको मैं सीधे होटेल के कमरे में ला रहा हूँ वहीं मैं इसकी जमकर चुदाई करूँगा. तुम भी होटेल आ जाओ.”

फिर साथ में ये बताना नही भूला,” जब तक तुम होटेल पहुचोगे मैं इसे चोद चुका होऊंगा ( इस तरह तुमसे आगे निकल जाऊंगा …).”

आँचल गुजराती नही समझती थी , उत्तेजना में उसे मतलब भी नही था कि अंकुर किससे और क्या बात कर रहा है. उसकी आँखे झूम रही थी. उसने देखा ड्राइवर मिरर से उसी को घूर रहा है. आँचल ने भी बेशर्मी से उसको घूरा और सिसकारियाँ लेती रही, अंकुर फोन पर बात करते समय भी उसके निपल मसल रहा था. आँचल उत्तेजना से कांप रही थी और उससे एक सिंपल सी पैंट की ज़िप भी नही खुल पा रही थी.

फोन बंद करने के बाद अंकुर ने अपनी ज़िप खोलकर लंड बाहर निकाल लिया . अंकुर का लंड देखकर आँचल ने सिसकारी ली. उसको एक रगड़कर चुदाई की ज़रूरत थी और अंकुर का बड़ा और मोटा लंड चुदाई के लिए बिल्कुल पर्फेक्ट था. आँचल झुकी और लंड मुँह में ले लिया. दूसरे हाथ से उसकी गोलियों को सहलाती हुई वो मज़े से लंड चूसने लगी. अंकुर आनंद से आहे भरने लगा.

आँचल के नीचे झुकने से ड्राइवर को फ्री शो दिखना बंद हो गया. उसका मूड खराब हो गया. हद है.

आँचल अब तक लंड चूसने में एक्सपर्ट हो चुकी थी. जैसे ही उसे लगता की अब अंकुर झड़ जाएगा वो लंड चूसना बंद कर देती , कुछ पलों बाद फिर चूसने लगती और फिर बंद कर देती. इस तरह उसने लंड चुसाई लंबी खींच दी.

अंकुर मज़े से पागल हुआ जा रहा था, किसी ने मेरा लंड ऐसा नही चूसा जैसा ये साली सेक्सी कुतिया चूस रही है. आँचल के खेल से वो तड़पने लगा और बोला, “ भाभी प्लीज़ मुझे झड़ने दो, रुक मत जाओ, चूसती रहो.”
आँचल मज़े ले रही थी , देखो किसी बच्चे की तरह मेरी खुशामद कर रहा है.

आँचल को रुका हुआ देखकर अंकुर ने खुद ही अपनी गांड उठाकर आँचल के मुँह को चोदना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में उसने आँचल का मुँह अपने वीर्य से भर दिया.

“ भाभीईईईई….” कहते हुए उसने वीर्य की धार आँचल के मुँह में छोड़ दी और लंड से वीर्य निकलता रहा और आँचल के मुँह में जाता रहा.

आँचल जितना वीर्य निगल सकती थी उसने निगल लिया , फिर उसने अपना चेहरा उठाया और लंड से निकलता वीर्य उसके चेहरे , बालों और साड़ी में गिर गया.

ड्राइवर ने आँचल के खूबसूरत चेहरे को वीर्य से सना हुआ देखा , इस नज़ारे से उसका लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को हो गया और कार उसके कंट्रोल से बाहर होकर इधर उधर होने लगी. बड़ी मुश्किल से उसने अपने ऊपर काबू पाया और कार को कंट्रोल किया.

अंकुर ने आँचल के चेहरे पर वीर्य लगा देखकर अपने रुमाल से साफ करने की कोशिश की. आँचल मदहोश थी , उसे अब अपनी चूत में एक मोटा लंड चाहिए था. अंकुर ने आँचल से कहा, की हम तुम्हारे होटेल पहुँचने वाले हैं और उसके फटे ब्लाउज और ब्रा से जैसे तैसे उसकी चूचियां ढक दी. और साड़ी के पल्लू को आगे कर दिया.

होटेल पहुँचकर अंकुर ने आँचल की कमर में हाथ डाला और रिसेप्शनिस्ट से कमरे की चाभी माँगी. होटेल के स्टाफ ने आँचल को उत्तेजित हालत में देखा. वो समझ गये की इसका पति तो पुणे गया हुआ है , आज ये जमकर चुदने वाली है.
 
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आँचल ने होटेल स्टाफ की ललचाई नज़रों को इग्नोर कर दिया.
होटेल के कमरे में पहुंचकर अंकुर ने 2 बॉटल बियर का ऑर्डर दिया.

आँचल ने अपने कपड़े उतार दिए और अंकुर को आलिंगन कर लिया. आँचल को चुदाई के लिए जल्दबाज़ी करते देखकर अंकुर ने भी अपने कपड़े निकाल फेंके और आँचल को बेड पर लिटा दिया. फिर आँचल की टाँगे फैलाकर उसकी चूत में मुँह लगा दिया.

आँचल पहले से ही गीली हो रखी थी , अपनी चूत पर अंकुर की जीभ लगने से सिसकारियाँ लेने लगी ,”ओह……अंकुर, हाँ ………….ऐसे ही चूसो …….मुझे चूसो अंकुर…………..अहह……..”

वो पहले से ही कार में बहुत उत्तेजित हो गयी थी. अंकुर के उसकी चूत चाटने से थोड़ी ही देर में उसको ओर्गास्म आ गया. अंकुर ने उसकी क्लिट को चाटते हुए आँचल का बदन अकड़ता महसूस किया. आँचल ने अपने नितंबों को थोड़ा हवा में उठाया फिर नीचे गिरा दिया. वो झड़ गयी.

चूत चाटते हुए अंकुर ने एक अंगुली आँचल की गांड के छेद में घुसा दी. आँचल को दर्द और आनंद की मिली जुली फीलिंग्स आई ,”ओइईईईई…………ओह………”

आँचल की उत्तेजना देखकर अंकुर अपने को रोक नही पाया और एक हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़कर आँचल की चूत के होठों के बीच फँसा दिया. पहले धक्के में सुपाड़ा अंदर घुस गया. आँचल को अपनी चूत स्ट्रेच होते हुए फील हुई. उसकी सिसकारी निकल गयी,”आअरगघह….”

अंकुर ने दोनो हाथों से आँचल की पहाड़ जैसी उठी हुई गोरी गोरी चूचियां पकड़ी और चूत पर धक्के मारने लगा. लंड के अंदर घुसते ही उसे फील हुआ की आँचल की चूत ने उसके लंड को जकड़ लिया है.
“भाभी आपकी चूत तो किसी कुंवारी की तरह टाइट है.”

“उनन्नज्……उहह……..उन्न्ञन्..” चूत की दीवारों पर लंड रगड़ने से आँचल को बहुत मज़ा मिल रहा था. “आह….चोदो मुझे……चोदोओओओ …..”

अंकुर के धक्कों के जवाब में आँचल अपनी गांड ऊपर को उछालने लगी और फिर अपनी मांसल जांघों के घेरे में अंकुर की कमर को कस लिया जैसे अब जाने ही नही देगी.

अंकुर तेज तेज चोदते हुए चूचियों को मुँह में भरकर काटने लगा , “ भाभिइइइ, सस्साली तू मस्त चीज़ है रे….”

दोनो चुदाई में इतना शोर कर रहे थे की उन्होने डोरबेल नही सुनी.

दरवाज़े के बाहर वेटर बियर लेकर खड़ा था. अंदर से आवाज़ें आने पर वो दरवाज़े पर कान लगाकर आँचल की सिसकारियाँ सुनने लगा.
तभी आँचल को ओर्गास्म आ गया,” उूउउइईईईई……म्म्माआअ….अहह….उन्न्नननगज्गघह…” और वो ज़ोर से सिसकारियाँ लेती हुई झड़ने लगी.

“सस्स्साली चूततततत्त….” मस्ती में अंकुर चिल्लाया और आँचल की चूत को अपने गाड़े वीर्य से भर दिया.

बाहर वेटर का लंड सिर्फ़ आवाज़ सुनकर ही पैंट फाड़ने लगा. वो बियर बॉटल पकड़े हुए ही आँखे बंद करके , अंदर के नज़ारे को इमेजिन करते हुए, अपनी गांड आगे पीछे करने लगा जैसे किसी को चोद रहा हो.

झड़ने के बाद अंकुर आँचल के बदन पर गिर पड़ा. थोड़ी देर तक दोनो अपनी सांसो पर काबू पाने का प्रयास करते रहे. तभी वेटर ने फिर से डोरबेल बजाई.

अंकुर ने झट से टॉवेल अपनी कमर पर लपेट लिया और आँचल ने अपने ऊपर चादर डाल ली. अंकुर ने थोड़ा सा दरवाजा खोला लेकिन वेटर जानबूझकर बियर और स्नैक्स की ट्रे लेकर अंदर आ गया. टेबल पर ट्रे रखते हुए उसने आँचल को अस्तव्यस्त हालत में बेड पर चादर से ढके हुए देखा , उसके बाल बिखरे हुए थे और चेहरे पर पसीना आ रहा था. ट्रे रखने के बाद भी वो बेशर्मी से आँचल को घूरता रहा और अपनी टिप का इंतज़ार करने लगा.

अंकुर ने एक हाथ से अपना टॉवेल पकड़े हुए ही फर्श पर पड़ी अपनी पैंट उठाई और 50 का नोट वेटर को पकड़ा दिया. जा भाई अब यहाँ से , साला घूरे ही जा रहा है. टिप मिलने के बाद वेटर भारी कदमों से ऐसे जा रहा था जैसे बाहर जाने का उसका मन ही ना हो.

वेटर के जाते ही गुल्मोहर आ गया. अंकुर और आँचल की हालत देखकर वो सब समझ गया.
और बोला,” भाभी आप बहुत खूबसूरत लग रही हो और खुश भी…”

आँचल को पता नही था की गुल्मोहर भी वहाँ आने वाला है, वो तो सिर्फ़ अंकुर के साथ मज़े का सोच के आई थी. गुल्मोहर को सामने देखकर आँचल को शरम महसूस हुई और उसका चेहरा फीका पड़ गया.

अंकुर बियर बॉटल से ग्लास में बियर डालने लगा. गुल्मोहर बेड में आँचल के पास जाकर बैठ गया और उसके गाल सहलाने लगा. आँचल के चेहरे के उड़े हुए रंग को देखकर बोला,” भाभी घबराओ मत, तुम्हें मज़ा आएगा.”

फिर उसने एक झटके में आँचल के ऊपर से चादर हटा दी और उसके नंगे बदन को ललचाई नज़रों से देखने लगा.
“भाभी आप बहुत मस्त चीज़ हो, आओ मेरे पास, डरो मत…” कहते हुए उसने आँचल को बेड से उतार दिया और पास में पड़े सोफे में बैठकर आँचल को अपनी गोद में खींच लिया.

आँचल गुल्मोहर को पसंद नही करती थी पर इस समय वो असहाय महसूस कर रही थी और कुछ नही बोली.
गुल्मोहर ने उसकी चूचियों को अपने हाथ से पकड़ा जैसे उनका वजन तौल रहा हो. और फिर उसके निपल्स को मुँह में भरकर चूसने लगा. गुल्मोहर के चूचियों को ज़ोर से मसलने से आँचल के मुँह से एक चीख निकली.
उसका रिएक्शन देखकर गुल्मोहर हंसा और बोला,” भाभी दर्द हुआ क्या ? लगता है भाई ने बहुत मसला है इन्हे..”

गुल्मोहर उसकी चूचियों और निपल को चूसते और मसलते रहा और आँचल के मुँह से आह निकलती रही. वो आँचल के नंगे बदन पर मनमर्ज़ी से हाथ फिराता रहा और उसका खड़ा होता लंड आँचल को अपने नंगे नितंबों के नीचे महसूस हुआ.

अंकुर ये सब देखते हुए ठंडी बियर पी रहा था. अपने बड़े भाई की गोद में नंगी बैठी हुई मादक आँचल की आहें सुनकर उसका लंड फिर खड़ा हो गया.

अंकुर के टॉवेल में बने तंबू को देखकर गुल्मोहर बोला, “ भाभी वो तो छोटा भाई है, इसलिए उसका मुझसे छोटा है. अब तुम बड़े भाई का बड़ा लंड देखोगी..”.

फिर उसने आँचल को सोफे पर बैठा दिया और फटाफट अपने कपड़े उतार दिए.
आँचल ने जैसे ही उसका बड़ा और मोटा लंड देखा वो हिप्नोटाइज हो गयी. ये तो मिस्टर सेठी से भी मोटा है. इतने मोटे लंड से मिलने वाले चुदाई के मज़े के बारे में सोचकर आँचल की चूत के होंठ फड़कने लगे और चूत रस बहने लगा.

अंकुर भी अपने भाई के लंड को देख रहा था . आँचल की टाइट चूत में इतना मोटा लंड घुसेगा कैसे , ये सोचकर उसको भी एक्साइट्मेंट होने लगी.

गुल्मोहर सोफे पर बैठ गया और आँचल को अपनी गोद में बिठा लिया. फिर आँचल की टाँगे फैलाकर उसकी चूत के होठों पर लंड रगड़ने लगा. आँचल को अपनी टांगों के बीच वो लंड ऐसा लगा जैसा वो उसका अपना लंड हो. आँचल ने अपनी अंगुलियां उसके चारो ओर लपेटकर उसकी मोटाई का अंदाज़ा लेने का प्रयास किया लेकिन वो उसकी अंगुलियों में पूरा आया ही नही.

“उन्न्ह….” उसके मुँह से निकला. वो सोचने लगी कितना मोटा लंड है पकड़ में भी नही आ रहा.

“भाभी घबराओ नही…”, आँचल के चेहरे के भाव देखकर गुल्मोहर बोला.

फिर आँचल की क्लिट और चूत की दरार में लंड का सुपाड़ा रगड़ने लगा. क्लिट पर लंड रगड़ने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी चूत फिर से गीली होने लगी. गुल्मोहर ने आँचल के नितंबों को दोनो हाथों से पकड़ा और धीरे धीरे सुपाड़े को चूत के अंदर घुसाने लगा.

“आहह…एयेए….आअहह….आअहह……..” आँचल को लगा जैसा उसका निचला हिस्सा किसी ने चीर दिया है.
जब लंड का तीन चौथाई हिस्सा चूत में घुस गया तो गुल्मोहर ने आँचल की गांड पकड़कर उसे अपने लंड पर उछालना शुरू किया. आँचल की टाइट चूत उसके मोटे लंड से बहुत स्ट्रेच हो गयी. आँचल को लगा जैसे कोई गर्म मोटी रोड उसकी चूत में घुस गयी हो.

“आअहह….ओइईईईईईईई….उफफफफफफफफफफफफ्फ़……..म्म्माआआआ….”

आँचल को इतना चिल्लाते देखकर गुल्मोहर को लगा वो जैसे किसी कुँवारी लड़की की सील तोड़ रहा हो.
“भाभी घबराओ नही…..मज़ा आएगा , तेरी चूत को बहुत मज़ा आएगा…….” आँचल को अपने लंड पर उछालते हुए गुल्मोहर बोला.

अब गुल्मोहर का पूरा लंड आँचल की चूत में घुस चुका था. आँचल की टाइट चूत ने उसके लंड को इतनी बुरी तरह से जकड़ रखा था की कामोत्तेजना से गुल्मोहर पागल हो गया. वो आँचल के बड़े बड़े नितंबों को टाइट पकड़कर उसे तेज तेज अपने लंड पर उछालने लगा.

“आहह….उरररज्ग्घह..उन्न्ननज्ग्घह….ऑहह….चोदो ….मुझे ….और चोदो ……” आँचल चुदाई के मज़े से आनंदित होती हुई बोली.

कुछ देर बाद “आ…ओह….उफफफ्फ़…”करती हुई आँचल को जबरदस्त ओर्गास्म आ गया और वो चूतरस बहाती हुई गुल्मोहर की गोद में झड़ गयी.

आँचल को झड़ते देखकर गुल्मोहर ने उसकी चूत से लंड बाहर निकाल लिया और उसको नीचे कार्पेट पर पेट के बल लिटा दिया. फिर आँचल की गांड ऊपर उठाकर पीछे से चूत में लंड घुसेड दिया.

“आआआआआ…ओइईईईईईईईई…….” एक झटके में लंड घुसने से औंधी पड़ी आँचल चिल्ला पड़ी.

गुल्मोहर ने उसकी बड़ी गांड में एक ज़ोर से थप्पड़ मारा . और नितंबों को हिलते देखकर वो तेज़ी से आँचल की चूत चोदने लगा. आँचल के हिलते नितंबों और धक्कों से आगे पीछे को हिलती बड़ी बड़ी चूचियों को देखकर अंकुर से रहा नही गया और चिल्लाती हुई आँचल के मुँह में उसने अपना लंड डाल दिया.

अब दोनो भाई मादक आँचल के नंगे बदन का मज़ा लेते हुए उसे चोदने लगी. यही सेक्सी कुतिया कल तक हमें टीज़ कर रही थी. आँचल को भी जबरदस्त चुदाई का भरपूर मज़ा मिल रहा था. उसकी टाइट चूत की बहुत दिन बाद जमकर ठुकाई हो रही थी.

एक एक करके दोनो भाइयों ने आँचल की चूत और मुँह को गाड़े वीर्य से भर दिया. और अपने मुरझाए लंड बाहर निकाल लिए. आँचल कार्पेट पर गिर पड़ी. दोनो भाई और आँचल गहरी गहरी साँसे लेने लगे.
फिर उन तीनो ने ठंडी बियर पीकर अपने गरम हो चुके बदन को ठंडक पहुँचाई.

कुछ देर बाद गुल्मोहर ने फिर से आँचल को अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी बाँह ऊपर करके उसकी कांख (armpit) को चाटने लगा . उसको औरतों की कांख बहुत अच्छी लगती थी. आँचल की कांख चाटते हुए उसने अपने दाँत भी गड़ा दिए.

अंकुर उनके सामने आकर बैठ गया और आँचल की चूचियों को मुँह में भरकर चूसने और काटने लगा. कुछ ही देर में उसकी गोरी गोरी चूचियों पर काटने के लाल निशान पड़ गये और अंकुर की लार से वो गीली हो गयीं.
दोनो भाइयों के अपने नंगे बदन को ऐसे मसलने से आँचल उत्तेजना से मचलने लगी और उसकी दर्द कर रही चूत फिर से गीली होने लगी. दोनो भाइयों ने उसके पूरे नंगे बदन को चूम और चाट लिया और इससे आँचल के जिस्म में आग लग गयी.

फिर अंकुर ने आँचल को गुल्मोहर की गोद से खींचकर बेड पर लिटा दिया और उसके पेट में बैठ गया. फिर उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूचियों को आपस में मिलाकर उनके बीच लंड घुसकर चूची-चुदाई करने लगा.
चूचियों पर लंड रगड़ने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी और अंकुर भी कुछ ही देर में झड़ गया और अपना सारा वीर्य चूचियों पर उडेल कर बेड से उतर गया.

अब आँचल ने गुल्मोहर को अपना तना हुआ मोटा लंड हाथ में पकड़े हुए बेड पर चढ़ते देखा. उसने आँचल की टाँगे पकड़कर घुटने मोड़ दिए लेकिन घुटने आपस में मिलाए रखे और चूत के छेद पर सुपाड़ा लगा दिया. गुल्मोहर को मालूम था की ऐसे घुटने मिलाकर चोदने से चूत और भी टाइट फील होगी.

जैसे ही सुपाड़ा अंदर घुसा, आँचल चिल्ला पड़ी,” आरररगज्गघह….उउउर्रणननन्ग्घह…”

गुल्मोहर ने दोनो घुटने मिलाकर ऊपर को मोड़कर पकड़े हुए थे और आँचल की टाइट चूत में लंड घुसाकर चुदाई शुरू कर दी. आँचल की उठी हुई गांड में गुल्मोहर की बड़ी गोलियाँ टकराने से कमरे में ठप ठप ठप………. का चुदाई संगीत गूंजने लगा.

गुल्मोहर चूत पर धक्के मारते रहा और आँचल चिल्लाती रही,”ओइईईईई….माआआ…ओह…आआहह…ओह…”
आँचल झड़ती रही और झड़ती रही और झड़ती रही , ना जाने कितनी बार ……………..

लेकिन गुल्मोहर नही झड़ा वो बेरहमी से आँचल की चूत की ठुकाई करते रहा.

अंकुर भी अपने बड़े भाई का स्टैमिना देखकर दंग रह गया. दोनो भाइयों ने पहले भी साथ में औरतें चोदी थी पर इस बार गुल्मोहर को ना जाने क्या हो गया था. आँचल जैसी मादक और खूबसूरत औरत फिर मिले ना मिले , इस ख़याल से वो रुकने का नाम ही नही ले रहा था और आँचल को चोदते ही जा रहा था.

काफ़ी देर तक चोदते रहने के बाद गुल्मोहर ने अपने वीर्य से आँचल की चूत को भर दिया और फिर लंड को बाहर निकाल लिया. फुचच की आवाज़ के साथ आँचल की टाइट चूत से उसका लंड बाहर आया. और आँचल की चूत ने राहत की सांस ली.

तभी अंकुर की नज़र घड़ी पर पड़ी. उसने भाई से कहा, “ बहुत देर हो गयी भाई, अब हमें यहाँ से निकलना चाहिए. सुनील आता ही होगा.”

गुल्मोहर बोला,” यार आज टाइम का पता ही नही चला.”

और दोनो फटाफट अपने कपड़े पहनने लगे , फिर चुपचाप कमरे से बाहर चले गये.

उन दोनो के जाने के बाद आँचल का बेड से उठने का मन ही नही हो रहा था. आज दोनो ने उसकी इतनी रगड़ कर चुदाई की थी की उसका वैसे ही सो जाने को दिल कर रहा था. लेकिन सुनील किसी भी समय आ सकता था.

आँचल बेड से उठी और दरवाजा लॉक कर दिया. फिर बाथरूम जाकर नहाने लगी और अपनी दर्द कर रही चूत को भी पानी से ठंडा करने लगी.

नहाने के बाद उसने कमरा ठीक ठाक किया और थकान से चूर होकर नंगी ही चादर ओढ़कर लेट गयी. जबरदस्त चुदाई से मिली कामतृप्ति से खुश होकर आँचल जल्दी ही मीठी नींद में सो गयी.
 
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मुंबई ट्रिप से लौटे हुए आँचल को 2 महीने बीत चुके थे. इस बीच बहुत कुछ ऐसा हुआ जो उसकी फैमिली के लिए बुरा साबित हुआ. सुनील का बिज़नेस काफ़ी खराब चलने लगा था. और ये सब मुंबई से लौटने के बाद शुरू हुआ.

मुंबई से तो वो दोनो खुशी खुशी लौटे थे. सुनील इसलिए खुश था क्यूंकी उसको अपने डिसट्रिब्युटर्स गुल्मोहर और अंकुर से बकाया 85 लाख का चेक मिला था और आँचल इसलिए खुश थी की मुंबई में दोनो भाइयों के साथ होटेल में उसने जमकर चुदाई का लुत्फ़ उठाया था, हालाँकि गुल्मोहर के मोटे लंड की रगड़ से उसकी चूत में थोड़ी सूजन आ गयी थी.

लेकिन उनकी खुशी ज़्यादा दिन नही टिकी. 85 लाख का चेक बाउन्स हो गया . आँचल का ससुर गुस्से से पागल हो गया. एक तो वो अपनी मादक बहू को चोद नही पा रहा था उससे फ्रस्टरेट हो गया था. अब उसके बेटे सुनील को डिसट्रिब्युटर्स ने बेवकूफ़ बना दिया था. उसने बेटे को डांटा की तुमसे इतना काम भी नही हो पाया.

ससुर तुरंत मुंबई गया और चेक पेमेंट ना होने पर , गुल्मोहर और अंकुर दोनो भाइयों के खिलाफ FIR करवा दी.

ऑटो इंडस्ट्री रिसेशन में चल रही थी , इससे सुनील की ऑटो पार्ट्स बनाने की फैक्ट्री में भी काम काफ़ी कम हो गया. पैसों की तंगी हुई तो सुनील ने अपना मकान गिरवी रखकर बैंक से फैक्ट्री के लिए बहुत लोन ले लिया. जैसे जैसे दिन गुज़रते गये बिज़नेस के खराब हालात के टेंशन से सुनील का कॉन्फिडेन्स और उसकी सेक्स की इच्छा दोनो ही ख़तम होते गये.

आँचल अपने परिवार की बिगड़ती आर्थिक हालत से चिंतित थी. उसके अपने खर्चे भी कम हो गये और घर में नौकर भी सब हटाने पड़े सिर्फ़ एक आया ही रह गयी. आँचल को ही खाना पकाने और घर के बाकी काम करने पड़ते थे. ऊपर से सुनील तो अब बेड में उसके साथ कुछ करता ही नही था. उसके सेक्सुअल फ़्रस्ट्रेशन बढ़ने लगे. आँचल अंगुली करके थोड़ा काम चला रहा थी लेकिन असली चुदाई के लिए उसका मन तड़प रहा था , मन को शांति तो अच्छी चुदाई से ही मिलती है.

घर के बिगड़े हालात से आँचल की सास टेंशन से बीमार पड़ गयी और उसने बिस्तर पकड़ लिया. आँचल के ऊपर बहुत बोझ पड़ गया. सास को भी देखना है, घर के सारे काम जो उसने पहले कभी किए नही थे वो भी करने पड़ रहे हैं, और अपनी सेक्सुअल फ़्रस्ट्रेशन अलग से. उसे लगा ऐसा ही ज़्यादा दिन चला तो मैं तो पागल हो जाऊँगी.

घर के दमघोंटू माहौल से निकलने के लिए आँचल ने रोज़ शाम को बैडमिंटन खेलने के लिए क्लब जाना शुरू कर दिया. आजकल सुनील शाम को जल्दी घर आ जाता था. उसके घर आने के बाद आँचल को 2 घंटे के लिए खुली हवा में सांस लेने का मौका मिल जाता था क्यूंकी आँचल के क्लब से लौटने तक माँ की देखभाल सुनील कर लेता था. आँचल का ससुर मुंबई में ही रहकर कोर्ट केस अटेंड कर रहा था इसलिए सुनील या आँचल में से किसी एक का बीमार सास के पास रहना ज़रूरी था.

आँचल को क्लब जाते हुए एक हफ़्ता हो गया था , वहाँ विकी और उसके टीन ग्रूप से (अपडेट 15) आँचल घुलमिल गयी थी. वो चार टीनएजर्स थे, विकी की GF करिश्मा और अनिल और सैफ. आँचल रोज़ उनके साथ बैडमिंटन खेलती थी और उनके साथ हँसी मज़ाक से उसका टेंशन दूर हो जाता था. मादक आँचल को अपने साथ वाइट टीशर्ट और स्कर्ट में खेलते देखकर वो टीनएजर्स भी खुश रहते थे और उसकी तारीफ करने का कोई मौका नही गँवाते थे. आँचल उनके बीच अपने को रानी की तरह महसूस करती थी क्यूंकी वो उससे 6-7 साल छोटे थे और उसके आगे पलक पावडे बिछाए रहते थे. विकी उनमे सबसे लंबा और हैंडसम था , आँचल को भी वो अच्छा लगता था लेकिन उसकी GF करिश्मा की वजह से आँचल अपने को कंट्रोल में रखती थी. आँचल को हँसमुख और सुंदर करिश्मा भी अच्छी लगती थी.

सेक्सी आँचल को करिश्मा भी बहुत पसंद करती थी. करिश्मा अभी टीनएजर थी और उसकी बॉडी अभी डेवेलप हो रही थी. चेंजिंग रूम में नहाकर कपड़े बदलते समय आँचल की बड़ी बड़ी गोरी चूचियों की तरफ वो आकर्षित रहती थी. करिश्मा ने ये भी गौर किया था की उसका BF विकी आँचल को इंप्रेस करने की कोशिश में लगा रहता है और डबल्स गेम खेलते समय आँचल की जाँघ या साइड से चूचियों को छूने का कोई मौका नही छोड़ता है. इससे कभी कभी करिश्मा को जलन भी होती थी पर हँसमुख स्वभाव की होने से वो ज़्यादा बुरा नही मानती थी. वैसे भी वो खुद ही आँचल की तरफ आकर्षण महसूस करती थी.

एक दिन बैडमिंटन खेलने के बाद आँचल ने चेंजिंग रूम मे कपड़े उतारे और शावर में नहाने लगी. वो अपनी छाती और कांख में साबुन लगा रही थी , तभी उसने करिश्मा को घूरते पाया.

थोड़ी देर नज़रअंदाज़ करने के बाद आँचल ने पूछ ही लिया,” क्या हुआ करिश्मा ? ऐसे क्या देख रही हो ?”

पकड़े जाने से करिश्मा घबरा गयी और उसने सच सच बोल दिया,” वो …वो ..मैं तुम्हारे बूब्स देख रही थी , कितने बड़े बड़े और सुडोल हैं…”

करिश्मा की फ्रैंक बात से आँचल शरमा गयी और बोली,” उम्म, थैंक्स करिश्मा. तुम भी तो बहुत सुंदर हो.”

आँचल से अपनी तारीफ सुनकर करिश्मा भी खुश हो गयी. उसने अपने कपड़े उतारे और आँचल की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए उसके बगल के शावर में नहाने लगी. आँचल ने नहाती हुए करिश्मा का गोरा क्यूट बदन देखा , उभरे हुए उरोज़ , छरहरी कमर , कसे हुए नितम्ब , लम्बी गोरी चिकनी टाँगें. वो सोचने लगी ये तो सिर्फ़ 18 साल की है , पता नही इसने विकी के साथ सेक्स का मज़ा लिया भी है या नही. दोनो एक दूसरे की तरफ देखते हुए नहा रही थीं. सेक्स के बारे में सोचने से आँचल की उत्तेजना बढ़ने लगी. उसके निपल सख़्त होकर तन गये और चूत में गीलापन बढ़ने लगा.

आँचल अपनी चूत में साबुन लगाने लगी, करिश्मा अभी भी आँचल की तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी.
फिर आँचल अपनी पीठ में साबुन लगाने लगी.

तभी करिश्मा उसके पीछे आ गयी और बोली,” लाओ मैं तुम्हारी पीठ में साबुन लगा दूं” और आँचल के हाथ से साबुन लेकर उसकी पीठ में लगाने लगी.

आँचल इधर उधर देखने लगी की कोई देख तो नही रहा. आँचल को नर्वस देखकर करिश्मा बोली, “ जब मैं तुम्हारी पीठ में साबुन लगा लूँगी तो फिर तुम भी मेरी पीठ में साबुन लगा देना.”

करिश्मा ने पहले आँचल की पीठ के उपरी हिस्से, गर्दन और कंधों में साबुन लगाया . करिश्मा के पीठ मलने से आँचल के मुँह से हल्की सिसकारी निकल गयी. करिश्मा समझ गयी की आँचल एग्ज़ाइटेड हो रही है , वो खुद भी गरम हो रही थी.

पहले करिश्मा गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल में पड़ती थी . वहाँ हॉस्टिल में लड़कियों के साथ उसने बहुत मज़े किए थे. उसका पहला और एकलौता BF विकी था और उसी के साथ वो सेक्स का मज़ा ले चुकी थी.

जबसे करिश्मा ने आँचल को शावर में नहाते हुए देखा था वो तभी से उसके नंगे बदन को छूना चाहती थी. आज कई महीनो बाद ये मौका हाथ लगा था क्यूंकी बीच में आँचल ने क्लब आना छोड़ दिया था. हॉस्टिल में लड़कियों के साथ करिश्मा को अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स हो गया था.

आँचल को हल्की हल्की सिसकारियाँ लेते देखकर करिश्मा अब पीठ में नीचे की तरफ साबुन लगाने लगी. आँचल के बड़े बड़े नितंबों में साबुन लगाते हुए वो नितंबों को पकड़कर दबा भी दे रही थी. फिर उसने एक हाथ से आँचल के बायें नितंब को पकड़ा और नितंबों के बीच की दरार में उंगलियाँ डालकर उसकी गांड के छेद और चूत में साबुन लगाने लगी.

अब आँचल अपने ऊपर काबू नही रख पाई और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.

“अच्छा लग रहा है ?” करिश्मा ने मासूमियत से पूछा.

करिश्मा अब पीछे से ही हाथ डालकर आँचल की क्लिट मसल रही थी और एक उंगली चूत में डालकर अंदर बाहर कर रही थी.

“उम्म्म्म…..ह…” आँचल ने जवाब दिया.

आँचल को लगा अब ओर्गास्म आने ही वाला है , वो आँखे बंद करके मज़े लेने लगी. करिश्मा बड़े प्यार से उसे मज़े दे रही थी. तभी किसी के चलने की आवाज़ आई.

करिश्मा आँचल की चूत से अपनी उंगली निकालकर झट से बगल के अपने शावर में चली गयी.

उस चेंजिंग रूम की इंचार्ज वहाँ आ गयी. आँचल का मज़ा खराब हो गया , उसने करिश्मा की तरफ हैरानी से देखा , क्या हुआ ? . करिश्मा ने उसको इशारे से बताया कोई आ गया है.

आँचल ने पीछे मुड़कर इंचार्ज को देखा. ओर्गास्म ना आ पाने से उसको बहुत फ्रस्ट्रेशन फील हुआ.
आँचल को फ़्रस्ट्रेटेड देखकर करिश्मा बोली,” जानू , कल दोपहर के बाद मेरे घर आओ. उस समय कोई नही होगा वहाँ.”

नहाकर कपड़े बदलने के बाद करिश्मा आँचल के पास आई और उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों में पकड़कर बोली,” जानू , सॉरी आज तुम्हारा मज़ा खराब हो गया. लेकिन कल बहुत मज़ा आएगा तुम्हें , प्रॉमिस.”

फिर उसने आँचल को अपना फोन नंबर दिया और कल दोपहर के बाद फोन करने को कहा.
आँचल जब घर पहुँची तो बहुत हॉर्नी फील कर रही थी. क्यूंकी उसका ओर्गास्म बाहर नही निकल पाया था.

आँचल को करिश्मा का टच करना बहुत अच्छा लगा था और वो फिर से करिश्मा का साथ चाह रही थी पर कल दोपहर तक इंतज़ार करना था.

डिनर के बाद आँचल ने सुनील के लंड को मलते हुए सेक्स के लिए कहा.

सुनील बोला,” आज नही डार्लिंग, आज मैं बहुत थका हुआ हूँ.” और वो उसकी तरफ पीठ करके करवट लेकर सो गया. धन्य हो ! शादी ही क्यूँ की थी इस आदमी ने .

आँचल थोड़ी देर सुनील को खर्राटे लेते देखकर कुढ़ती रही. फिर उठकर बाथरूम चली गयी . बाथटब में गरम पानी में लेटकर करिश्मा के बारे में सोचते हुए उसने मूठ मारी और ओर्गास्म आने से उसकी सेक्सुअल टेंशन रिलीज़ हो गयी.

अगली सुबह आँचल ने सुनील से कहा की दोपहर के बाद उसको कुछ काम से बाहर जाना है तो आया को सास की देखभाल के लिए बोल दूँगी. सुनील के जाने के बाद आँचल से इंतज़ार बर्दाश्त नही हुआ और वो करिश्मा को फोन करने लगी पर कोई फोन नही उठा रहा था. उसने दो तीन बार ट्राइ किया पर कोई फायदा नही हुआ.
आँचल बहुत फ़्रस्ट्रेटेड हो गयी, कैसी है ये करिश्मा , फोन भी नही उठा रही है.

आख़िरकार दोपहर बाद 1 pm पर आँचल ने फिर से करिश्मा को फोन किया , इस बार करिश्मा ने मीठी आवाज़ में हेलो बोला.

आँचल बोली, यार कबसे फोन कर रही हूँ , फोन नही उठा रही हो.

करिश्मा ने उसे अपने घर का एड्रेस बताया और कहा अभी घर में कोई नही है.

आँचल ने तुरंत ऑटो पकड़ा और करिश्मा के बताए एड्रेस पर पहुँच गयी.

आँचल को अपने घर देखकर करिश्मा खुश हो गयी और उसने आँचल के होठों पर किस करके विश किया.
आँचल ने भी जवाब में करिश्मा के होठों को किस किया और अपनी जीभ उसके होठों के बीच से मुँह में घुसा दी. मादक आँचल को पूरे मूड में देखकर करिश्मा मुस्कुरायी और अपने बेडरूम में ले गयी.

करिश्मा मन ही मन सोचने लगी आँचल को टीज़ कर करके मज़ा दूँगी , इस सेक्सी औरत को तड़पकर सिसकारियाँ लेते हुए देखने में ज़्यादा मज़ा आएगा.
 
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करिश्मा आँचल को अपने बेडरूम में ले गयी और धीरे धीरे उसकी साड़ी, ब्लाउज, पेटिकोट और ब्रा उतारने लगी. कपड़े उतारते समय वो आँचल के बदन को छू रही थी जिससे आँचल सिसकारियाँ लेने लगी. फिर आँचल ने भी करिश्मा के कपड़े उतार दिए लेकिन उसको जल्दबाज़ी हो रही थी , इसलिए उसने फटाफट करिश्मा के कपड़े उतार फेंके.

अब दोनो औरतें बिल्कुल नंगी थी. एक दूसरे के बदन पर हाथ फिराते हुए दोनो होठों का चुंबन लेने लगी. आँचल इतनी ज़्यादा सेक्सुअली एग्ज़ाइटेड हो रखी थी की करिश्मा के किस करने और बदन में हाथ फिराने से उसको खड़े खड़े ही जबरदस्त ओर्गास्म आ गया और वो आहह….....ऊऊहह…......उन्न्ञंफफफ़फ़गगगघह करती हुई झड़ गयी. उसने करिश्मा को अपने आलिंगन में जकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. करिश्मा दुबली पतली थी उससे आँचल संभाली नही गयी और उसने जैसे तैसे आँचल को बेड में लिटा दिया.

फिर करिश्मा ने आँचल की मस्त बड़ी बड़ी गोरी चूचियों को हाथों में पकड़कर दबाना शुरू किया. आँचल की चूचियों को मसलने से खुद करिश्मा के मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी. फिर उसने आँचल के बड़े निपल को मुँह में भर लिया और एक एक करके दोनो निपल्स को चूसने लगी. आँचल मदहोशी से सिसकारियाँ ले रही थी. आँचल को करिश्मा की चूत को चाटने का मन हुआ, लेकिन करिश्मा उसकी चूचियों को चूसने और मसलने में मगन थी. आँचल भरी पूरी औरत थी और करिश्मा टीनेजर थी , तो आँचल ने करिश्मा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टाँगें खींचकर अलग कर दी. और फिर करिश्मा की चूत में मुँह लगाकर जीभ से चाटने लगी. करिश्मा अपने से बड़ी आँचल का मुक़ाबला नही कर पाई और लेटे हुए सिसकारियाँ लेने लगी. आँचल ने उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ा और गीली चूत में उंगली घुसाकर अंदर बाहर करने लगी.

करिश्मा अपने हॉस्टिल के लेस्बियन संबंधों में डॉमिनेंट पार्ट्नर रहती थी . आँचल को भी उसने तड़पाते हुए मज़े देने की सोची थी लेकिन यहाँ आँचल के सामने उसकी नही चली और उसे लगा की आँचल उसकी चूत ही खा जाएगी.
“उन्न्ञंह…ऊओह …उफफफफ्फ़… आँचल……” करिश्मा को ओर्गास्म आ गया और वो आँचल के मुँह में चूतरस बहाते हुए झड़ गयी.

फिर आँचल ने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और उसके बूब्स को चूसने लगी. और एक उंगली उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगी. कुछ देर बाद उसने चूत में दो उंगली डाल दी. आँचल अपनी गोद में करिश्मा को मनमर्ज़ी से चोद रही थी. और करिश्मा सिसकारियाँ ले रही थी.
करिश्मा को एक और ओर्गास्म आ गया.

“ऊओ….करिश्मा , मज़ा आ रहा है नाआआ……….” खुद भी सिसकारियाँ लेते हुए आँचल बोली.
करिश्मा को शुरू में दर्द हुआ था क्यूंकी अनाड़ी आँचल ने उत्तेजना में दो उंगलियों से उसकी टाइट चूत में दर्द करवा दिया था लेकिन आँचल की गोद में टाँगे फैलाए हुए बैठने से और आँचल द्वारा डॉमिनेट किए जाने से उसको बहुत कामतृप्ति मिली.

फिर आँचल ने उंगलियाँ करिश्मा की चूत से बाहर निकाली और उसके मुँह में डाल दी. और अपनी उंगलियाँ उससे चटवाकर साफ़ करवाई. फिर गोद में बिठाये हुए ही अपनी चूचियां उसके मुँह में डालती हुई बोली,” तू ये माँग रही थी ना, चूस मेरे मम्मों को. हाथ से देख कितने भारी हैं, चूस करिश्मा चूस…”

करिश्मा उसके मम्मों को चूसती रही और उत्तेजना से आँचल की चूत से रस बहने लगा.
फिर आँचल ने करिश्मा को गोद से उतारा और खुद बेड में लेट गयी. और बोली,” चूस मेरी चूत को …”
करिश्मा ने आँचल की चिकनी चूत के फूले हुए होठों में अपना मुँह लगा दिया और उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ने लगी.
“आहह…ओह…” आँचल ने सिसकारी ली.
फिर करिश्मा ने आँचल की फड़कती चूत के अंदर जीभ डाल दी और उसे अंदर घुमाने लगी.
“उहह…ऑश…उन्न्नह…उननग्ज्ग……एसस्स्सस्स….ज़ोर से और ज़ोर से ….” आँचल बोली और अपने बड़े नितंबों को उछालकर करिश्मा के मुँह में झटका देने लगी.

“उईईईईईईईईई….माआआअ……” आँचल उत्तेजना में सिसकी लेती रही.
फिर करिश्मा ने आँचल के नितंब पकड़े और एक अंगुली उसकी गांड के छेद में डाल दी.
“ऊओह ……..आहह…मैं मर गयी ………..उन्न्नह………आऐईयईईईई..” आँचल मज़े और दर्द से चिल्लाई और ओर्गास्म से झड़ गयी.

आँचल को ओर्गास्म के मज़े लेते देखकर करिश्मा उत्तेजित हो गयी और अपनी टेबल से वाइब्रेटिंग डिल्डो उठा लाई. फिर डिल्डो को ऑन करके आँचल की क्लिट को छेड़ने लगी. अपनी क्लिट पर वाइब्रेशन से आँचल फिर से सिसकारियाँ लेने लगी. करिश्मा ने डिल्डो को आँचल की चूत में घुसाना शुरू किया. डिल्डो बड़ा था तो आँचल को अपनी चूत स्ट्रेच होती हुई महसूस हुई. आँचल ने पहले कभी डिल्डो यूज़ नही किया था और इस डिल्डो का सेन्सेशन उसको अच्छा लग रहा था. अब करिश्मा डिल्डो को आँचल की चूत में तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी.

“उईईईईई …..करिश्मा …….” आँचल अपने नितंबों को ऊपर उछालने लगी.
फिर करिश्मा ने डिल्डो रोक दिया ताकि मज़ा लंबा खिच सके. डिल्डो के रुकने से आँचल तड़पने लगी.
“चोद साली करिश्मा…प्लीज़…….. चोद मुझे … “ आँचल फ्रस्ट्रेशन से चिल्लाई.

आँचल को अपनी खुशामद करते देखकर करिश्मा मुस्कुरायी और मन ही मन बोली, तड़पा तड़पा के मज़े दूँगी तुझे. अब वो डॉमिनेंट पार्ट्नर बन चुकी थी और इसमे उसे मज़ा आ रहा था.

फिर उसने डिल्डो एक तरफ रख दिया और आँचल की टाँगें फैलाकर खुद उनके बीच आ गयी. अब दोनो की चूत एक के ऊपर एक थी. करिश्मा ने अपनी गीली चूत को आँचल की रस टपकाती चूत से रगड़ना शुरू किया. दोनो ही सिसकारियाँ लेने लगी. कुछ देर बाद करिश्मा ने आँचल से पेट के बल लेटने को कहा.

करिश्मा अब आँचल के बड़े बड़े नितंबों को पकड़कर मसलने लगी और बीच बीच में उनपर थप्पड़ मारने लगी. और थप्पड़ मारने से नितंबों को हिलते हुए देखकर मज़े लेने लगी. पीछे से आँचल की चूत में भी किसी किसी समय वो उंगली करने लगी.

फिर करिश्मा ने आँचल की मांसल जांघों को मसलना शुरू किया. करिश्मा के मसलने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी. अब करिश्मा को भी मज़े की ज़रूरत थी.

“ बहुत मज़े कर लिए तूने…अब उठ और चूस मुझे…” आँचल से अपनी चूत चाटने को कहने लगी.

आँचल उठी और करिश्मा की चूत में जीभ लगाकर चाटने लगी. फिर चूत के अंदर जीभ डालकर करिश्मा को मज़े देने लगी. करिश्मा ने आँचल का सर पकड़कर अपनी चूत में दबा दिया और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. थोड़ी देर बाद करिश्मा को ओर्गास्मआ गया और आँचल के सर को चूत में दबाए रखकर उसने उसका मुँह अपने चूतरस से भर दिया. कुछ पलों के बाद जब उसका ओर्गास्म ख़तम हुआ तो उसने आँचल का सर छोड़ दिया. आँचल ने चूतरस और लार से भीगा हुआ अपना मुँह ऊपर उठा लिया.

उसके बाद करिश्मा ने अपनी कमर में डिल्डो बेल्ट से बाँध लिया. और डॉगी पोज़ में आँचल की चूत में डिल्डो डालकर चोदने लगी. सपोर्ट के लिए उसने आँचल के हिलते हुए बूब्स पकड़ लिए. आँचल थोड़ी ही देर में झड़ गयी लेकिन करिश्मा रुकी नही और उसे चोदते रही.

“उहह….आअहह….बस करो करिश्मा…..उन्न्नह….दुख़्ता है …बससस्स…” आँचल दर्द से गुस्से में चिल्लाई.
आँचल को दर्द से चिल्लाते देखकर करिश्मा रुक गयी. और आँचल के चेहरे को अपने हाथों में पकड़कर बोली,” आई ऍम सॉरी, आँचल. मुझे पता नही चला की तुम्हें दर्द होने लगा है.”

फिर उसने आँचल के चेहरे को सब जगह चूमकर प्यार जताया और दिखाया कि उसको कष्ट पहुंचाने का उसका कोई इरादा नही था.
दोनो बहुत थक गयी थीं और कुछ देर तक नंगी ही बेड पर लेटी रहीं.

फिर करिश्मा कपड़े पहनते हुए बोली , चलो अब क्लब चलते हैं.

आँचल बहुत थक गयी थी और उसकी सेक्सुअल फ़्रस्ट्रेशन भी रिलीज़ हो गयी थी. उसका क्लब जाने का मन नही था पर करिश्मा के कहने पर वो राज़ी हो गयी.

क्लब पहुचने के बाद करिश्मा अपने BF विकी और उसके फ्रेंड्स के साथ बैडमिंटन खेलने लगी. आँचल चेयर में बैठकर उनका खेल देखती रही , थकावट से उसने बैडमिंटन नही खेला.
करिश्मा खेलने के दौरान उसकी तरफ देखकर शरारत से मुस्कुराती रही.

कुछ देर बाद आँचल ने कहा की उसे घर जाना है और करिश्मा से अपनी कार में उसे घर छोड़ देने को कहा.
विकी करिश्मा की कार चलाने लगा और बॅक सीट में आँचल करिश्मा और सैफ के बीच में बैठ गयी. दोनो ही आँचल के बदन को छूने लगे. सैफ पीछे से हाथ डालकर उसकी गर्दन और कंधों पर हाथ फिराने लगा और करिश्मा उसकी जांघों पर हाथ रखकर धीरे धीरे रगड़ने लगी. आँचल ने उन दोनो को नही रोका उसे जल्दी से घर पहुँचकर गरम पानी से नहाने की पड़ी थी , उसकी चूत भी डिल्डो की रगड़ से थोड़ी दर्द कर रही थी.

आँचल ने देखा सैफ के पैंट में तंबू बनने लगा है . तभी उसका घर आ गया और सबको मुस्कुराते हुए गुडबाय बोलकर वो कार से उतर गयी.

अपने बाथरूम में बाथटब में बैठकर गरम पानी में नहाते समय आँचल के दर्द से आँसू आ गये , करिश्मा ने बड़ी बेरहमी से डिल्डो से उसे चोदा था और गुस्सा करने पर ही वो रुकी थी. आँचल ने चूत में हाथ लगाकर सूजन को महसूस किया.

उस रात सुनील के साथ सोते समय आँचल चुपचाप करवट लेकर सो गयी , सुनील के लिए ये आश्चर्य की बात थी.


 
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