Erotica आफिस काम सूत्र

Newbie
4
4
1
मैंने बिस्तर पर करवट बदल कर खिड़की के बाहर झाँका तो देखा सूरज देवता उग चुके थे। मैं उठ कर बैठा और एक सिगरेट जला ली। रात भर की चुदाई से सिर एक दम भारी हो रहा था। एक कप स्ट्राँग कॉफी पीने की जबरदस्त इच्छा हो रही थी पर खुद बनाने की हिम्मत नहीं थी। ‘राज ऑफिस चल, कोई लड़की बना के पिला देगी’ मैंने खुद से कहा। घड़ी में देखा सुबह के सात बजे थे। काफी जल्दी थी, पर शायद कोई मेरी तरह जल्दी आ गया होगा।
मैं तैयार होकर ऑफिस पहुँचा। कंप्यूटर चालू करके मैं रिपोट्‌र्स पढ़ रहा था। मैं सोचने लगा कि इन सात सालों में क्या से क्या हो गया। जब मैं पहली बार यहाँ इंटरव्यू के लिये आया था........
मेरा घर यहाँ से हज़ारों मील दूर नॉर्थ इंडिया में था। मेरे पिताजी श्री राजवीर चौधरी एक सादे से किसान थे। मेरी माताजी एक घरेलू औरत थी। मेरे पिताजी बहुत सख्त थे। मेरे दो बड़े भाई अजय २७, शशी २६, और मेरी दो छोटी बहनें अंजू २३, और मंजू २१, और मैं राज २४ इन चारों में तीसरे नंबर पर था। हम सब साथ-साथ ही रहते थे।
मैं पढ़ाई में कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था पर हाँ मैं कंप्यूटर्स में एक्सपर्ट था। साथ ही मेरी मेमरी बहुत शार्प थी। इसलिये मैंने कंप्यूटर्स और फायनेन्स की परीक्षा दी और अच्छे मार्क्स से पास हो गया।
मैंने अपनी नौकरी की एपलीकेशन मुंबई की एक इंटरनेशनल कंपनी में की थी और मुझे ईंटरव्यू के लिये बुलाया था।
दो दिन का सफ़र तय करके मैं मुंबई के मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर उतरा। एक नये शहर में आकर अजीब सी खुशी लग रही थी। स्टेशन के पास ही एक सस्ते होटल में मुझे एक कमरा किराये पर मिल गया।
२७ की सुबह मैं अपने इकलौते सूट में मिस्टर महेश, जनरल मैनेजर (अकाऊँट्स और फायनेन्स) के सामने पेश हुआ। मिस्टर महेश, ४८ साल के इन्सान है, ५ फीट ११ की हाइट और बदन भी मजबूत था। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक परखने के बाद कहा, “अच्छा हुआ राज तुम टाईम पर आ गये। तुम्हें यहाँ काम करके मज़ा आयेगा। और मन लगा कर करोगे तो तरक्की के चाँस भी ज्यादा है। देखता हूँ एम-डी फ़्री हो तो तुम्हें उनसे मिलवा देता हूँ, नहीं तो दूसरे काम में मसरूफ हो जायेंगे।”
मिस्टर महेश ने फोन नंबर मिलाया, “सर! मैं महेश, अपने नये एकाऊँटेंट मिस्टर राज आ गये हैं, हाँ वही, क्या आप मिलना पसंद करेंगे?” मिस्टर महेश ने आगे कहा, “हाँ सर! हम आ रहे हैं।... चलो राज एम-डी से मिल लेते हैं।“
मिस्टर महेश के केबिन से निकल कर हम एम-डी के केबिन में आ गये। एम-डी का केबिन मेरे होटल के रूम से चार गुना बड़ा था। मिस्टर रजनीश जो कंपनी के एम-डी थे और कंपनी में एम-डी के नाम से पुकारे जाते थे, अपनी कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे।
“वेलकम टू ऑर कंपनी राज, मुझे खुशी है कि तुमने ये जोब एक्सेप्ट कर लिया। हमारी कंपनी काफी आगे बढ़ रही है। मैं जानता हूँ कि हम तुम्हें ज्यादा वेतन नहीं दे रहे पर तुम काम अच्छा करोगे तो तरक्की भी जल्दी हो जायेगी मिस्टर महेश की तरह। तुम्हारा पहला काम है कंपनी के अकाऊँट्स को कंप्यूटराइज़ करना, उसके लिये तुम्हारे पास तीन महीने का टाईम है। क्यों ठीक है ना?”
“सर! मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा”, मैंने जवाब दिया।
मिस्टर महेश बोले, “आओ तुम्हें तुम्हारे स्टाफ से परिचय करा दूँ।”
हम अकाऊँट्स डिपार्टमेंट में आये। वहाँ तीन सुंदर औरतें थीं। मिस्टर महेश ने कहा, “लेडिज़ ये मिस्टर राज हमारे नये अकाऊँट्स हैड हैं। और राज इनसे मिलो... ये मिसेज नीता, मिसेज शबनम और ये मिसेज समीना।“
मेरी तीनों असिस्टेंट्स देखने में बहुत ही सुंदर थीं। मिसेज शबनम ४० साल की मैरिड महिला थी। उनके दो बच्चे, एक लड़का १६ और लड़की १५ साल की थी। उनके हसबैंड फार्मा कंपनी में वर्कर थे।
मिसेज नीता, ३५ साल की शादी शुदा औरत थी। उनके भी दो बच्चे थे। उनके हसबैंड एक टेक्सटाइल कंपनी में सेल्समैन थे इसलिये अक्सर टूर पर ही रहते थे। नीता देखने में ज्यादा सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी काफी भरी-भरी थी... एकदम तरबूज़ की तरह।
मिसेज समीना सबसे छोटी और प्यारी थी। उसकी उम्र २७ साल की थी। उसकी शादी हो चुकी थी और उसके हसबैंड दुबई में सर्विस करते थे। उसकी काली-काली आँखें कुछ ज्यादा ही मदहोश थी।
हम लोग जल्दी ही एक दूसरे से खुल गये थे और एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे थे। तीनों काम में काफी होशियार थी और इसलिये ही मैं अपना काम समय पर पूरा कर पाया। मैं अपनी रिपोर्ट लेकर एम-डी के केबिन में बढ़ा।
“सर! देख लीजिये अपने जैसे कहा था वैसे ही काम पूरा हो गया है। हमारे सारे अकाऊँट्स कंप्यूटराइज़्ड हो चुके हैं और आज तक अपडेट हैं”, मैंने कहा।
“शाबाश राज, तुमने वाकय अच्छा काम किया है। ये लो!” कहकर एम-डी ने मुझे एक लिफाफा पकड़ाया।
“देख क्या रहे हो, ये तुम्हारा इनाम है और आज से तुम्हारी सैलरी भी बढ़ायी जा रही और प्रमोशन भी हो रही है, खुश हो ना?” एम-डी ने कहा।
“थैंक यू वेरी मच सर!” मैंने जवाब दिया।
“इस तरह काम करते रहो और देखो तुम कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हो”, कहकर एम-डी ने मेरी पीठ थपथपायी।
मैं काम में बिज़ी रहने लगा। होटल में रहते-रहते बोर होने लगा था, इसलिये मैं किराये पर मकान ढूँढ रहा था।
एक दिन नीता मुझसे बोली, “राज! मैंने सुना तुम मकान ढूँढ रहे हो।”
“हाँ ढूँढ तो रहा हूँ, होटल में रहकर बोर हो गया हूँ”, मैंने जवाब दिया।
“मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो”, नीता ने कहा।
“अरे ये तो अच्छी बात है, मैं जरूर देखना चाहुँगा”, मैंने जवाब दिया।
“तो ठीक है मैं कल उससे चाबी ले आऊँगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे”, नीता ने कहा।
“ठीक है”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन नीता चाबी ले आयी थी, और शाम को हम फ्लैट देखने गये। फ्लैट २-BHK था और फर्निश्ड भी था, मुझे काफी पसंद आया।
“थैंक यू नीता! तुम्हारा जवाब नहीं”, मैंने कहा।
“अरे थैंक यू की कोई बात नहीं... ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है.... एक दूसरे के काम आना, लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ, मुझे भी अपनी दलाली चाहिये”, नीता ने जवाब दिया।
ये सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया। “ओके! कितनी दलाली होती है तुम्हारी?” मैंने पूछा।
“दो महीने का किराया एडवाँस”, उसने जवाब दिया।
“लेकिन फिलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है”, मैंने जवाब दिया।
“कोई बात नहीं, और भी दूसरे तरीके हैं हिसाब चुकाने के, तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा, मुझे रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदना होगा”, इतना कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
“नीता ये क्या कर रही हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गयी हो। तुम्हारे पति को पता चलेगा तो वो क्या कहेंगे”, मैंने कहा।
“कुछ नहीं होगा राज, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ, प्लीज़ मान जाओ”, इतना कहते हुए उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिये और वो मुझे बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
उसके गोरे और गदराये बदन को देख कर मेरा मन भी सैक्स करने को चाहने लगा। मैंने ज़िंदगी में अभी तक किसी लड़की को चोदा नहीं था। मैं उसके बदन की खूबसूरती में ही खोया हुआ था।
“अरे क्या सोच और देख रहे हो? क्या पहले किसी को नंगा नहीं देखा है या किसी को चोदा नहीं है क्या?” उसने पूछा।
“कौन कहता है कि मैंने किसी को नहीं चोदा, मैंने अपने गाँव की लड़कियों को चोदा है।” मैंने उससे झूठ कहा, और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मेरा लंड बाहर निकल कर खड़ा हुआ
“वाओ! तुम्हारा लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है... चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा। आओ अब देर मत करो”, इतना कहकर उसने अपनी टाँगों को और चौड़ा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत और खिल उठी जैसे मुझे चोदने को इनवाइट कर रही थी।
मैंने चुदाई पर काफी किताबें पढ़ी थी, पर आज तक किसी को चोदा नहीं था। भगवान का नाम लेते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। मगर चार पाँच बार के बाद भी मैं नहीं कर पाया।
“रुक जाओ राज, प्लीज़ रुको”, उसने कहा।
“क्या हुआ?” मैंने पूछा।
उसने हँसते हुए मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर रख दिया, और कहा, “हाँ अब करो, डाल दो इसे पूरा अंदर।”
मैंने जोर से धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चिकनी चुपड़ी चूत में पूरा जा घुसा। मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था।
“राज जरा धीरे-धीरे करो”, वो मुझसे कह रही थी, पर मैं कहाँ सुनने वाला था। ये मेरी पहली चुदाई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था। मैं झड़ने के करीब था, मैंने दो चार जोर के धक्के लगाये और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। उसके ऊपर लेट कर मैं गहरी गहरी साँसें ले रहा था।
उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए मुझे किस किया और बोली, “राज तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला, ये तुम्हारी पहली चुदाई थी... है ना?”
“हाँ!” मैंने कहा।
“कोई बात नहीं, सब सीख जाओगे, धीरे-धीरे”, इतना कह कर वो मेरे लंड को फिर सहलाने लगी। मैं भी उसकी छातियों को चूसने लगा। उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को अपनी छाती पर दबाया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी।
मेरे लंड में फ़िर गर्मी आने लगी। मेरा लंड फ़िर तन गया था।
“ओह राज! तुम्हारा लंड तो वाकय बहुत सुंदर है।”
इससे पहले वो कुछ और कहती मैंने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में घुसा दिया।
“राज इस बार धीरे-धीरे चोदो... इससे हम दोनों को ज्यादा मज़ा आयेगा।” उसने प्यार से कहा।
मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। करीब पाँच मिनट की चुदाई में वो भी अपनी कमर हिलाने लगी और मेरे धक्के से धक्का मिलाने लगी। अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने से जोर से भींच लिया और…..
“ओहहहहह राज! बहुत अच्छा लग रहा है। आआआआआहहहहहह जोओओओओर से चोदो... हाँ तेज और तेज ऊऊऊहहहहहह”
“बस दो चार धक्कों की देर है रा..आआ..ज जोर जोर से करो”, वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।
उसकी चींखें सुन कर मैं भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो चली थी। पर मेरी दूसरी बारी थी इसलिये मेरा पानी जल्दी छूटने वाला नहीं था।
वो नीचे से अपनी कमर जोर जोर से उछाल रही थी, “हाँआँआँआँ ऐसे ही करो ओहहहहहह चोदो राज और जोर से... आआहहहहहह... मेरा छूटने वाला है”, उसकी सिसकरियाँ कमरे में गूँज रही थी।
मैं भी धक्के पे धक्के लगा रहा था। हम दोनों पसीने में तर थे।
मैं भी छूटने ही वाला था और दो चार धक्के में मैंने अपना पानी उसकी चूत की जड़ों तक छोड़ दिया। मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया।
“ओह राज! तुम शानदार मर्द हो। काफी मज़ा आया... इतनी जोर से मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा... आज पहली बार किसी ने मुझे इतना आनंद दिया है”, वो बोली।
“क्यों तुम्हारे पति तुमको नहीं चोदते क्या?” मैंने पूछा।
“चोदते हैं पर तुम्हारी तरह नहीं। वो टूर पर से थके हुए आते है, और जल्दी-जल्दी करते हैं। वो ज्यादा देर तक चुदाई नहीं करते और जल्दी ही झड़ जाते हैं”, उसने कहा।
करीब आधे घंटे में मेरा लंड फिर से तनने लगा। मैं एक हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मों से खेल रहा था। कभी मैं उसके निप्पल पर चिकोटी काट लेता तो उसके मुँह से दबी सिसकरी निकल पड़ती। उसमें भी गर्मी आने लग रही थी। वो भी अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी।
“ओह राज तुमने ये मुझे क्या कर दिया है। देखो ना मेरी चूत गीली हो गयी है, इसे फिर तुम्हारा मोटा और लंबा लंड चाहिये, प्लीज़ इसकी भूख मिटा दो ना।” इतना कहकर वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी।
मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसा हो गया था, और मुझसे भी नहीं रुका गया। मैंने उसकी टाँगें फैलायीं और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से चींख नकल पड़ी... “ओह मा...आआआ...र डाला। राज जरा धीरे... तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे।”
“अरे नहीं मेरी जान! मैं इसे फाड़ुँगा नहीं, बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा..., तुम डरो मत।” इतना कहकर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी।
“हाँ इसी तरह चोदो राजा। मज़ा आ रहा है। ओहहहहहह आआहहहहहह डाल दो और जोर से आआआईईईईईईईईईईई”, उसके मुँह से आवाजें आ रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से टकरा रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ-साथ हो गया।
वो पलट कर मेरे ऊपर आ गयी और बोली, “राज तुम बहुत अच्छे हो... ऑय लव यू।”
“मुझे भी तुम पसंद हो नीता”, मैंने कहा।
नीता ने बिस्तर पर से खड़ी होकर अपने कपड़े पहनने शुरू किये।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “थोड़ी देर और रुक जाओ ना, तुम्हें एक बार और चोदने का दिल कर रहा है।”
“नहीं राज, लेट हो रहा है। मुझे जाना होगा। घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। वादा करती हूँ डार्लिंग! वापस आऊँगी।” इतना कहकर वो चली गयी।
उसके जाने के बाद मैंने सोचा कि पिताजी ठीक कहते थे कि मेहनत का फ़ल अच्छा होता है। तीन महीनों में ही मेरी सैलरी बढ़ गयी थी, तरक्की हो गयी, फ्लैट भी मिल गया और अब एक शानदार चूत हमेशा चोदने के लिये मिल गयी। मुझे अपनी तकदीर पे नाज़ हो रहा था। मैंने निश्चय किया कि मैं और मेहनत के साथ कम करूँगा।
अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा कि समीना अपनी सीट पर नहीं है।
“समीना कहाँ है?” मैंने शबनम और नीता से पूछा।
“लगता है वो मिस्टर महेश के साथ कोई अर्जेंट काम कर रही है।” शबनम ने हँसते हुए जवाब दिया।
लंच टाईम हो चुका था पर समीना अभी तक नहीं आयी थी।
“राज चलो खाना शुरू करते हैं। समीना बाद में आकर हम लोगों को जॉयन कर सकती है”, नीता ने कहा।
“राज, तुम्हें वो फ्लैट कैसा लगा जो नीता तुम्हें दिखाने ले गयी थी?” शबनम ने पूछा।
“काफी अच्छा और बड़ा है। मैं तो नीता का शुक्र गुज़ार हूँ कि उसने मेरी ये समस्या का हल कर दिया वर्ना इतना अच्छा और सुंदर फ्लैट मुझे कहाँ से मिलता”, मैंने जवाब दिया।
पता नहीं क्यों शबनम शक भरी नज़रों से नीता को देख रही थी। मुझे ऐसे लगा कि उसे हमारे चुदाई के बारे में शक हो गया है। शबनम कुछ बोली नहीं। फिर हम सब काम में बिज़ी हो गये।
नीता बराबर ऑफिस के बाद मेरे फ्लैट पर आने लगी और हम लोग जम कर चुदाई करने लगे। उसने किचन में खाना बनाने का सामान भी भर दिया और मुझे भी खाना बनाना सिखाने लगी। वो मेरा बहुत ही खयाल रखने लगी जैसे एक पत्नी एक पति का रखती है।
एक दिन हम लोग बिस्तर पर लेटे थे और बड़ी जमकर चुदाई करके हटे थे। वो मेरे लंड से खेल कर उसमे फिर से गर्मी भरने कि कोशिश कर रही थी। उसके हाथों की गर्माहट से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो अचानक बोली, “राज आज मेरी तुम गाँड मारो।”
ये सुन कर मैं चौंक कर बोला, “पागल हो तुम। तुम्हें क्या मैं होमो नज़र आता हूँ।”
“अरे पागल गाँड मारने से कोई आदमी होमो थोड़ी हो जाता है। मानो मेरी बात... तुम्हें मज़ा आयेगा और रोज़ मेरी गाँड मारोगे”, उसने कहा।
मैं मना करता रहा और वो जिद करती रही। आखिर मैंने कहा कि “ठीक है! मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा... पर एक शर्त पर... अगर मुझे मज़ा नहीं आया तो नहीं करूँगा, ठीक है?”
उसने कहा “ठीक है! मुझे मंज़ूर है, तुम्हारे पास वेसलीन है?”
“क्यों वेसलीन का क्या करोगी?” मैंने पूछा।
“वेसलीन अपनी गाँड पर और तुम्हारे लंड पर लगाऊँगी, जिससे मेरी गाँड चिकनी हो जाये और जब तुम्हारा घोड़े जैसा लंड मेरी गाँड में घुसे तो मुझे दर्द ना हो”, उसने कहा।
मैं बाथरूम से वेसलीन ले आया। वेसलीन लेते ही उसने मुझे वेसलीन अपनी गाँड पर और खुद के लंड पर लगाने को कहा। मैंने अच्छी तरह से वेसलीन मल दी। वो बिस्तर पर घोड़ी बन चुकी थी और कहा, “अब देर मत करो, मेरे पीछे आकर अपना मूसल जैसा लंड जल्दी से मेरी गाँड में डाल दो।”
मैं उसके पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रगड़ने लगा।
“ममममम... अच्छा लग रहा है राज, अब तड़पाओ नहीं... प्लीज़! जल्दी से डाल दो।” इतना कह कर वो आगे से अपनी चूत को मसलने लगी।
मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया। “ओहहहहहह राज! जरा धीरे डालो, दर्द होता है, थोड़ा सा प्यार से घुसेड़ो ना”, वो दर्द से करहाते हुए बोली।
मैं धीरे-धीरे उसकी गाँड में अपना लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। किसी की गाँड मारने का मेरा पहला अनुभव था पर मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैं जोर-जोर से अब उसकी गाँड मार रहा था। वो भी घोड़ी बनी हुई पूरा मज़ा ले रही थी, साथ ही अपनी चूत को अँगुली से चोद रही थी।
थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड की पिचकारी उसकी गाँड में कर दी। उसकी गाँड मेरे पानी से भर सी गयी थी और बूँदें ज़मीन पर चू रही थी।
मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर वो बोली, “कैसा लगा? अब कौन से छेद को चोदना चाहोगे?”
“गाँड को”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
समय के साथ साथ नीता और मेरा रिश्ता बढ़ता गया। साथ-साथ ही शबनम का शक भी बढ़ रहा था।
एक दिन शाम को जब मैं नीता के कपड़े उतार रहा था तो उसी समय दरवाजे पर घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो शबनम को वहाँ पर खड़े पाया। मैंने उसे अंदर आने से रोकना चाहा पर वो मुझे धक्का देती हुई अंदर घुस गयी। जब उसने नीता को बिस्तर पर सिर्फ सैंडल पहने नंगी लेटे देखा तो बोली, “अब समझी... तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है, तो मेरा शक सही निकला।”
शबनम को वहाँ देख कर नीता नाराज़ हो गयी, “तुम यहाँ पर क्यों आयी हो, हमारा मज़ा खराब करने?”
“अरे नहीं यार मैं मज़ा खराब करने नहीं बल्कि तुम लोगों का साथ देने और मज़ा लेने आयी हूँ।” ये कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
शबनम का बदन देख कर लगता नहीं था कि वो ४० साल की है। उसकी चूचियाँ काफी बड़ी-बड़ी थी। निप्पल भी काले और दाना मोटा था। उसकी चूत पर हल्के से तराशे हुए बाल थे जो उसे और सुंदर बना रहे थे। उसका नंगा जिस्म और लंबी गोरी टाँगें और पैरों में गहरे ब्राऊन रंग के हाई हील के सैंडल देख कर ही मेरा लंड तन गया था।
“राज! आज इसकी चूत और गाँड इतनी जोर-जोर से चोदो कि इसे नानी याद आ जाये कि मोटे और तगड़े लंड से चुदाने से क्या होता है”, नीता ने कहा।
मैंने शबनम को बिस्तर पर लिटाकर उसकी टाँगों को घुटनों के बल मोड़ कर उसकी छाती पर रख दिया, और एक जबरदस्त झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
“ओहहहहह..... राज.... तुम्हारा लंड कितना मोटा और लंबा है। मेरी चूत को कितना अच्छा लग रहा है। डार्लिंग अब जोर से चोदो, फाड़ डालो इसे”, वो मज़े लेते हुए बोल पड़ी।
मैंने अपना लंड बाहर खींचा और जोर के झटके से अंदर डाल दिया।
“याआआआआआ हाँआँआँआँ ऐसे..... एएएएएए.... चोदो....ओओओ, जोर से”, उसके मुँह से सिसकरी भरी आवाज़ें निकल रही थी।
थोड़ी देर में वो भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरे धक्के से धक्का मिलाने लग गयी। उसकी साँसें मारे उन्माद के उखड़ रही थी।
“ओहहहहहह राज...... जोरररररर...... से जल्दीईईईईईई जल्दीईईईईई डालो.... मेरा अब छूटने वाला है..ऐऐऐऐ। प्लीज़ जोर से चोदो...ओओओओ”, इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल पढ़ गयी।
मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और दो धक्के मार कर उसे कस कर अपने से लिपटा कर अपने पानी की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। लगा जैसे मेरा लंड उसकी बच्चे दानी से टकरा रहा था।
जब हमारी साँसें संभलीं तो उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा, “ओह राज, मज़ा आ गया। आज तक किसी ने मुझे ऐसे नहीं चोदा है, ऑय लव यू डार्लिंग।”
“क्यों क्या तुम्हारा शौहर तुम्हें नहीं चोदता?”
“चोदता है! लेकिन हफ़्ते में एक बार। वो अब बुढा हो गया है, दो मिनट में ही झड़ जाता है और मेरी चूत प्यासी रह जाती है। मुझे जोरदार चुदाई पसंद है जैसे तुम करते हो”, शबनम बोली।
शबनम ने मुझे नीता पर ढकेलते हुए कहा, अब तुम नीता को चोदो.... “हमारी चुदाई देख कर इसकी चूत म्यूंसिपल्टी के नल की तरह चू रही है।”
“नहीं राज, आज शबनम को तुम्हारे लंड का मज़ा लेने दो। मैं तो कईं महीनों से मज़ा ले रही हूँ”, नीता ने जवाब दिया।
“ओह नीता! तुम कितनी अच्छी हो...” ये कह कर शबनम मेरे लंड को सहलाने लगी। मैं भी उसके मम्मे दबा रहा था। उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी।
“ओह राज! अब नहीं रहा जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो”, वो कहने लगी।
मैंने अपना लौड़ा जोर से उसकी चूत में डाल दिया और जोर से उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का पानी छूट गया।
जब हम चुदाई करके अलग हुए तो नीता बोली, “राज! अब शबनम की गाँड मारो।”
“ठीक है! मैं इसकी गाँड भी मारूँगा पहले मेरे लंड को फिर से खड़ा तो होने दो, तब तक तुम जा कर वेसलीन क्यों नहीं ले आती”, मैंने कहा।
“शबनम क्या तुम्हें वेसलीन की जरूरत है?” नीता ने शबनम से पूछा।
“हाँ यार वेसलीन तो लगानी पड़ेगी, नहीं तो राज का मोटा और लंबा लंड तो मेरी गाँड ही फाड़ के रख देगा”, शबनम ने जवाब दिया।
उसकी गाँड और अपने लंड पर वेसलीन लगाने के बाद मैंने जैसे ही अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया वो दर्द के मारे चिल्ला उठी, “राज!!!! दर्द हो रहा है बाहर निकालो!”
मैंने उसकी बात सुने बिना जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया, और जोर- जोर से अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर में उसे भी गाँड मरवाने में मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में मेरे लंड ने अपना पानी उसकी गाँड में उढ़ेल दिया।
वो दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिये तैयार हो गयी। फ़िर आने का वादा कर के दोनों चली गयी। अब नीता और शबनम हफ़्ते में तीन चार दिन आने लग गयी। हम लोग जम कर चुदाई करते थे।
एक दिन मैंने कहा, “तुम दोनों साथ-साथ क्यों आती हो? और अकेले आओगी तो मैं अच्छी तरह से तुम्हारी चुदाई कर सकुँगा और अगली रात मुझे अकेले भी नहीं सोना पड़ेगा।”
“नहीं राज! हम लोग साथ में ही आयेंगे... इससे किसी को शक नहीं होगा”, नीता ने जवाब दिया।
“ठीक है जैसे तुम लोगों की मरज़ी। क्या तुम दोनों संडे को नहीं आ सकती जिससे हमें ज्यादा वक्त मिलेगा।” मैंने पूछा।
“नहीं राज... संडे को हम हमारे परिवार के साथ रहना चाहते हैं।”
मुझे सोचते हुए देख शबनम ने कहा, “तुम समीना को क्यों नहीं बुला लेते, उसका हसबैंड दुबई में है और वो अकेली रहती है।”
मैंने चौंकते हुए पूछा, “तुम्हें क्या लगता है वो आयेगी?”
“क्यों नहीं आयेगी??? जरूर आयेगी!!! अब ये मत बोलना कि तुमने उसे नहीं चोदा है”, शबनम ने कहा।
“चोदा तो नहीं पर चोदना जरूर चाहुँगा, वो बहुत ही सुंदर है।”
“हाँ! सुंदर भी है और हम दोनों से छोटी भी... तुम्हें बहुत मज़ा आयेगा”, शबनम ने हँसते हुए कहा।
“अरे तुम दोनों बुरा मत मानो... मैंने तो ऐसे ही कह दिया था।”
“अरे नहीं!!!! हमें बुरा नहीं लगा। तुम्हें समीना को चोदना अच्छा लगेगा। उसकी चूत भी कसी-कसी है, क्योंकि उसे अभी बच्चा नहीं हुआ है ना। वैसे भी सुना है कि मर्दों को कसी चूत अच्छी लगती है”, नीता ने कहा।
“तुम्हें कैसे मालूम कि वो आयेगी?” मैंने पूछा।
“तो तुम्हें नहीं मालूम???????” शबनम ने नीता की तरफ मुड़ कर पूछा, “तो तुमने राज को कुछ भी नहीं बताया?” नीता ने ना में सिर हिला दिया।
“मुझे क्या नहीं मालूम, चलो साफ साफ बताओ कि बात क्या है”, मैंने कहा।
“ठीक है! मैं तुम्हें बताती हूँ!!!” शबनम ने कहा, “हमारी कंपनी आज से १५ साल पहले मिस्टर संजय ने शुरू की थी। वो इंसान अच्छे थे पर उनकी पॉलिसीज़ गलत थी। इसलिये कंपनी में मुनाफा कम होता था और हम लोगों की सैलरी भी कम थी। मगर मिस्टर संजय की डैथ एक प्लेन क्रैश में हो गयी और सारा भार उनकी विधवा मिसेज योगिता पर आ गया। शुरू में तो वो सब काम संभालती थी पर बाद में उन्हें लगा कि ये उनके बस का नहीं है.... सो उन्होंने अपने रिश्तेदार मिस्टर रजनीश को कंपनी का एम-डी बना दिया।”
“मिस्टर रजनीश काफी पढ़े लिखे हैं और होशियार भी। थोड़े ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट बढ़ने लगा। जैसे मुनाफा बढ़ा हम लोगों की सैलरी भी बढ़ गयी।“
“कम ऑन शबनम!!! ये सब मुझे मालूम है, मुझे वो बताओ जो मुझे नहीं मालूम है।” मैंने कहा।
“ठीक है मैं बताती हूँ”, नीता ने कहा, “अपने एम-डी चुदाई के बहुत शौकीन हैं। जब हम नये ऑफिस में शिफ़्ट हुए तो उन्होंने चूतों की खोज करनी शुरू कर दी। इस काम के लिये उन्हें मिस्टर महेश मिल गये।”
“तुम्हारा मतलब अपने मिस्टर महेश?” मैंने पूछा।
“हाँ वही!!!” नीता ने सहमती में कहा।
“क्या औरतों ने बुरा नहीं माना?” मैंने पूछा।
“शुरू में माना पर एम-डी ने एकदम क्लीयर कर दिया कि नौकरी चाहिये तो चुदाना पड़ेगा। इसलिये वो शादी शुदा औरतों को ही रखता था जिससे किसी को कोई शक ना हो”, नीता ने कहा।
“तुम्हारे कहने का मतलब कि ऑफिस की सभी लेडिज़ चुदवाती हैं?” मैंने पूछा।
“हाँ सभी चुदवाती हैं राज! देखो... एक तो सैलरी भी डबल मिलती है, और काम भी अच्छा है। ऐसी नौकरियाँ रोज़ तो नहीं मिलती ना। और अगर ऐसी नौकरी के लिये एक दो बार चुदवाना भी पड़ गया तो क्या फ़रक पड़ता है”, नीता ने कहा।
“और एक बात तुमने नोटिस की है राज! ऑफिस में काम करने वाली सभी लेडीज़ हमेशा हाई हील्स की सैंडल पहनती हैं... ये भी महेश और एम-डी की रिक्वायरमेंट है... चुदवाते वक्त भी हमें सैंडल पहने रखना होता है... हमारे लिये तो अच्छा ही है... हम औरतों को तो नये कपड़े सैंडल इत्यादि खरीदने का शौक होता ही है और हमारी कंपनी की तरफ से हर महीने दो हज़ार रुपये तक का सैंडलों का खर्च रिएम्बर्स हो जाता है।” शबनम बोली।
“यह हाई हील के सैंडल पहनने की पॉलिसी तो अच्छी है!!! औरतें ज्यादा सैक्सी और स्मार्ट लगती हैं... पर इसका मतलब तुम दोनों भी एम-डी और मिस्टर महेश से चुदवाती हो?” मैंने पूछा।
“हाँ दिल खोलकर और मज़े लेकर”, दोनों ने जवाब दिया।
“तुम्हारा मतलब है ये सब ऑफिस में होता है?” मैंने फ़िर सवाल किया।
“हाँ ऑफिस में भी और होटल शेराटन में भी। वहाँ पर एम-डी ने पूरे साल के लिये एक सूईट बुक कराया हुआ है”, शबनम बोली।
मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था और मैं अजीब नज़रों से दोनों को घूर रहा था।
मुझे घुरते देख नीता बोली, “शबनम इसे तब तक विश्वास नहीं आयेगा जब तक ये अपनी आँखों से नहीं देख लेगा। एक काम करते हैं... संडे को समीना को बुलाते हैं और उसी से सुनते हैं कि वो इस जाल में कैसे फँसी। लेकिन पहले उसे यहाँ आने पर तैयार करना है और उसे राज के लंड का मज़ा चखाना है।”
“ये संडे को मेरा बर्थडे है... तो क्यों नहीं मैं तुम तीनों को दोपहर के खाने पर दावत दूँ?” मैंने कहा।
“ये ठीक रहेगा... इस तरह समीना न भी नहीं बोल पायेगी”, शबनम बोली।
अपनी गर्दन हिलाते हुए मैंने कहा, “मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है, ऐसे लग रहा है जैसे मैं किसी रंडी खाने में काम कर रहा हूँ।”
इतने में शबनम ने मेरा लंड पकड़ते हुए कहा, “तुम्हें तो खुश होना चाहिये राज, रोज़ नयी और कुँवारी चूत मिलेगी चोदने के लिये। और अगर बात फ़ैल गयी कि तुम्हारा लंड इतना लंबा और मोटा है तो थोड़े ही दिनों में तुम ऑफिस की हर लड़की को चोद चुके होगे। सब एक से बढ़ कर एक चुदक्कड़ हैं... तुम्हारे लंड की तो खैर नहीं... मेरी मानो तो वायग्रा का स्टॉक जमा कर लो... बहुत जरूरत पड़ेगी... चलो अब एक बार हम दोनों को और चोद दो।”
संडे के दिन मैं जल्दी उठ गया और खाने का इंतज़ाम करने लगा। ठीक बारह बजे वो तीनों आ गयी। शबनम ने लाल कलर की साड़ी पहनी थी, और नीता ने हरे रंग की। समीना ने स्लीवलेस ब्लाऊज़ के साथ ब्लू कलर की साड़ी पहन रखी थी। शबनम ने काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे और बाकी दोनों ने सफ़ेद रंग के सैंडल पहने थे। तीनों बहुत ही सुंदर लग रही थी।
मैंने उन तीनों को सोफ़े पर बैठने को कहा और खुद उनके सामने बैठ गया। थोड़ी देर बाद तीनों को ठंडी बियर की बोतलें और तीन ग्लास देकर मैंने कहा “तुम तीनों बातें करो, तब तक मैं खाने का इंतज़ाम करके आता हूँ।”
ये हमारे प्लैन के तहत हो रहा था जो हमने पिछले दिन तैयार किया था। इसलिये मैं किचन में ना जा कर बाहर दरवाजे से उनकी बातें सुनने लगा।
वो तीनों बियर पीती हुई बातें करती रही। कुछ देर बाद जब बियर का कुछ असर हुआ तो शबनम ने समीना से पूछा, “अच्छा समीना! तुम्हारी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ?”
“कैसी सैक्स लाइफ? तुम्हें तो पता है मेरे शौहर तो बाहर रहते हैं।”
“हमें पागल मत बनाओ, हम सब जानते हैं, तुम मिस्टर महेश के साथ क्या करती हो, जब अर्जेंट एसाइनमेंट निपटाने होते हैं।”
“क्या मतलब तुम्हारा?” समीना ने जल्दी से कहा।
“अरे पगली तेरे आने से पहले हम ही उसका अर्जेंट एसाइनमेंट निपटाते थे।”
“तो क्या उसने तुम दोनों को भी चोदा है?” समीना ने पूछा।
“आज से नहीं! वो हमें कई सालों से चोद रहा है”, शबनम ने जवाब दिया।
“मैं तो समझती थी कि मैं अकेली ही हूँ” समीना बोली।
“अरे हम तो ये भी जानते हैं कि तू उस स्टोर मैनेजर के साथ क्या करती है”, नीता ने कहा।
“बाप रे! तुम्हें उसके बारे में भी पता है, क्या तुम लोग मेरा पीछा करती रहती हो?” समीना थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली।
“नाराज़ मत हो, हम तेरा पीछा नहीं करते पर ऑफिस में क्या हो रहा इस बात की जानकारी जरूर रखते हैं”, शबनम ने कहा।
“समीना जब महेश तुम्हारी चूत का खयाल रखता है तो तुम उस स्टोर मैनेजर से क्यों चुदवाती हो?” नीता ने पूछा।
“नीता तुम्हें तो पता है कि मिस्टर महेश को सिर्फ़ मम्मे और गाँड मारना पसंद है। पक्का गाँडू है वो। इसलिये मेरी चूत प्यासी रह जाती है। एक दिन मैं स्टोर में कुछ सामान लेने गयी और मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी, बस तभी मैंने इस मैनेजर को देखा और उसे मैंने चोदने के लिये पटा लिया। अब मैनेजर मेरी चूत चोदता है और महेश मेरी गाँड। इस तरह मेरी दोनों भूख मिट जाती हैं। महेश ने तो मुझे ब्रा पहनने को भी मना किया है, देखो इस वक्त भी नहीं पहनी हूँ।” उसने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोल कर दिखाया।
उसकी नाज़ुक और नरम चूचियाँ देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा गो गया।
नीता ने अपने दोनों हाथ उसके ब्लाऊज़ में डाल दिये और उसके मम्मों को दबाने लगी।
“हे! इन्हें इस तरह मत दबाओ नहीं तो गरम हो जाऊँगी।” समीना हँसती हुई अपने ब्लाऊज़ के बटन बंद करने लगी।
“अच्छा एक बात बताओ! तुम यहाँ काम करने के लिये क्यों आयी? तुम्हारे हसबैंड दुबई में काम करते हैं और पैसा भी अच्छा कमाते हैं, तो जाहिर है पैसे के लिये तो तुम नहीं आयी”, नीता ने पूछा।
“नहीं पैसे के लिये नहीं आयी, मैं घर पर बोर होती रहती थी। और अपने मियाँ को मिस करते हुए मैं अपनी चूत में अँगुली भी करने लगी थी। फिर मैंने ये एडवरटाइज़मेंट देखी। मैंने अकाऊँट्स और कंप्यूटर में डिप्लोमा लिया हुआ था तो एपलायी कर दिया, और मुझे जोब मिल गयी।”
“इसका मतलब तुम्हें चुदवाये बगैर जोब मिल गयी?” नीता ने पूछा।
“हाँ! लेकिन बाद में चुदवाना पड़ा”, समीना ने हँसते हुआ कहा, “एक दिन दोपहर को मिस्टर महेश ने कहा एम-डी तुमसे मिलना चाहते हैं तो मैंने चौंकते हुए पुछा कि मुझ जैसी छोटी क्लर्क से, तो महेश ने कहा कि आदमी चाहे छोटा हो या बड़ा, एम-डी अपने स्टाफ का पूरा खयाल रखते हैं, चलो एम-डी ने बुलाया है। फिर उस दिन लंच के बाद महेश मुझे एम-डी से मिलवाने ले गया और उस दिन दोनों ने मेरी खूब चुदाई की।”
“तुमने मना नहीं किया?” शबनम ने पूछा।
“शुरू में किया पर मेरे शौहर बाहर रहते हैं और मेरी भी चुदवाने की इच्छा थी सो मैंने उन्हें चोदने दिया”, समीना हँसते हुए बोली।
“क्या तुम्हें प्रेगनेंट होने का डर नहीं लगता?” नीता ने पूछा।
“नहीं! मेरे शौहर के जाने के बाद मैंने बर्थ कंट्रोल की गोली लेनी शुरू कर दी थी”, समीना बोली।
“महेश तो तुम्हें ऑफिस में चोदता है, पर एम-डी का क्या?” शबनम ने पूछा।
“महेश मुझे बता देता है कि ऑफिस के बाद मुझे हॉटल शेराटन में जाना है, तुम लोगों को होटल शेराटन के बारे में तो मालूम है ना?” समीना ने कहा। नीता और शबनम दोनों ने साथ में कहा, “हाँ मालूम है।”
“अच्छा मेरे बारे में तो बहुत हो गया अब तुम दोनों अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ जबकि महेश तुम लोगों को नहीं चोदता”, समीना ने कहा।
“हमारे हसबैंड हैं हम दोनों के लिये। और...” शबनम ने किचन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा।
“क्या राज तुम दोनों को चोद रहा है?” समीना ने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ! कई महीनों से”, नीता हँसते हुए बोली, “अगर तू चाहे तो राज तुझे भी चोद सकता है।”
“ना बाबा! मैं जैसी हूँ, ठीक हूँ”, समीना ने अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा, “मैंने सुना है कि गाँव वालों का लंड लंबा और मोटा होता है?”
“मुझे नहीं मालूम तुम्हारा मापडंड क्या है पर इतना जानती हूँ कि राज का लंड अपने महेश के लंड से लंबा और मोटा है”, शबनम बोली।
“ओह गॉड, महेश से बड़ा! मुझे विश्वास नहीं होता”, समीना बोली।
“अपनी आँखों से देख कर फैसला कर लेना.... मैं उसे अभी बुलाती हूँ....”
“नहीं! उसे ना बुलाना, मुझे शरम आयेगी”, समीना ने नीता को रोकना चाहा।
समीना के रोकने के बावजूद नीता ने मुझे आवाज़ लगायी, “राज.... यहाँ आओ, समीना तुम्हारा लंड देखना चाहती है।”
मुझे इसी मौके का तो इंतज़ार था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपने खड़े लंड के साथ कमरे में दाखिल हुआ। “किसने मुझे पुकारा?” मैंने पूछा और अपने लौड़े को हिलाने लगा।
दोनों, नीता और शबनम ने, समीना को खड़ा करके मेरी तरफ ढकेल दिया।
मैंने समीना को बाँहों में भरते हुए उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा, “तुम खुद देख लो।”
“हाय अल्लाह! राज तुम्हारा लंड तो सही में काफी तगड़ा और मोटा है।” समीना मेरे कानों में फुसफुसायी और मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और अपने होंठ उसकी चूचियों पर रख दिये। समीना ने मेरा चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। हम दोनों की जीभ एक दूसरे से खेल रही थी। दोनों एक दूसरे की जीभ को मुँह में लेकर चूस रहे थे और शबनम ने समीना की साड़ी खोलनी शुरू कर दी और उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। नीता ने झटके में उसका पेटीकोट भी खींच कर नीचे कर दिया। अब समीना सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई हील सैंडल पहने मेरी बाँहों में थी।
“शबनम देख, समीना ने पैंटी भी नहीं पहनी है, लगता है महेश ने पैंटी पहनने को भी मना किया है”, नीता हँसते हुए बोली।
“नहीं! मुझे लगता है ये स्टोर मैनेजर के लिये है, कि काम जल्दी हो जाये”, शबनम ने भी हँसते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। “राज! किसका इंतज़ार कर रहे हो, समीना को चोदो”, शबनम बोली।
“राज! समीना को चोदते क्यों नहीं?” इतने में नीता भी बोली।
“हाँ राज! मुझे चोदो ना अब रहा नहीं जाता”, समीना ने धीरे से कहा।
मैंने समीना को अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। फिर उसके ऊपर लेट कर मैं उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे धीरे उन्हें भींचने लगा। समीना की सिसकरियाँ तेज हो रही थी। मैं उसके निप्पलों को अपने दाँतों से दबाने लगा। कभी जोर से भींच लेता तो वो उछल पड़ती। उसकी बाँहें मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे भींच रही थी। मैं थोड़ा नीचे खिसका और उसकी जाँघों के बीच आकर उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल देता और जोर-जोर से चूसता।
जैसे ही मैं और जोर से उसकी चूत को चाटने लगा, समीना पागल हो गयी, “ओह राज! ये क्या कर रहे हो, आज तक किसी ने ऐसा नहीं किया, हाय अल्लाह! मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, हाँ जोर-जोर से चाटो हाँआँआँआँ”, वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।
मैंने नीता को कहते सुना, “देख शबनम! राज समीना की चूत चाट रहा है। उसने मेरी तो चूत कभी नहीं चाटी, क्या तुम्हारी चाटी है?”
“नहीं! मेरी भी नहीं चाटी, लगता है समीना की बिना बालों की बिल्कुल चिकनी चूत ने राज को उक्सा दिया”, शबनम बोली।
“बाल तो मैं भी साफ करती हूँ पर मेरी चूत इतनी चिकनी नहीं हो पाती... थोड़े से रोंये रह ही जाते हैं... हमें तुरंत कुछ करना चाहिये”, नीता ने जवाब दिया।
“हाँ कुछ करेंगे, पहले इन्हें तो देख लें”, शबनम बोली।
मैंने समीना के घुटनों को मोड़ कर उसकी छाटी पर कर दिया जिससे उसकी चूत का मुँह ऊपर को उठ गया और अच्छी तरह दिखायी देने लगा। उसकी चूत का मुँह बड़ा जरूर था पर नीता और शबनम जितना नहीं। मैं अपनी जीभ जो-जोर से उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
“ओहहहहहह....... आआआआहहहहहह..... ओहहहहह.... राज!” इतना कहते हुए समीना दूसरी बार झड़ गयी।
“ओह राज अब और मत तड़पाओ, अब सहा नहीं जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो”, प्लीज़! समीना गिड़गिड़ाने लगी।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो वो बोली, “राज! धीरे-धीरे डालना, मुझे तुम्हारे लंबे लंड से डर लगता है।”
नीता और शबनम की तरफ हँस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। “तुम्हारा मतलब ऐसे?” मैंने कहा।
“ओहहहहह म म म मर गयी, तुम बड़े बदमाश हो जब मैंने धीरे से डालने को कहा तो तुमने इतनी जोर से क्यों डाला, दर्द हो रहा है ना!” उसने तड़पते हुए कहा।
“सॉरी डार्लिंग! तुम चुदाई में इतनी एक्सपीरियंस्ड हो तो मैं समझा तुम मजाक कर रही हो, क्या ज्यादा दर्द हो रहा?” यह कहकर मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।
“ओह राज बहुत मज़ा आ रहा है, अब और मत तड़पाओ, जोर-जोर से करो, आआआहहहहह.... राज आज मुझे पता चला कि असली चुदाई क्या होती है। हाँ राजा.... जोर से चोदते जाओ, ओहहहहहह मेरा पानी निकालने वाला है, हाँ ऐसे ही”, समीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कुल्हे उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।
नीता और शबनम ने सच कहा था, समीना की चूत वाकय में कसी-कसी थी। ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी गाँड ही मार रहा हूँ। मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था और अब मेरा भी पानी छूटने वाला था। अचानक उसका जिस्म थोड़ा थर्राया और उसने मुझे जोर से भींच लिया।“ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ राज मेरी चूऊऊत गयी…”, कहकर वो निढाल हो गयी। मैंने भी दो तीन धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों की साँसें तेज चल रही थी।
हम दोनों थक कर लेटे हुए थे कि नीता और शबनम बाहर जाने लगी। मैंने पूछा, “कहाँ जा रही हो?”
“बाज़ार से थोड़ा सामान लेकर आ रहे हैं, तब तक तुम समीना से मज़े लेते रहो”, इतना कह कर नीता और शबनम चली गयीं।
“हाँ! ये अच्छी बात है, राज मुझे फ़िर से चोदो”, समीना ने ये कहकर एक बार फ़िर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया।
जब तक नीता और शबनम लौटीं, हम लोग थक कर चूर हो चुके थे।
“आओ चल कर कुछ खाना खा लो.... फ़िर लंच के बाद करेंगे”, शबनम ये कह कर खाना लगाने लगी। खाना खाने के बाद ड्रिंक्स का दौर चला और हम सब ने दो-दो पैग रम के पी लिये।
“लेकिन नीता और शबनम, ये अच्छी बात नहीं है कि हम दोनों तो नंगे हैं और तुम दोनों कपड़े पहने हुए हो। राज! आओ हम लोग इनके कपड़े उतार दें।” यह कहकर समीना नीता को नंगा करने लगी और मैं शबनम को। अब हम सब पूरे नंगे थे। तीनों औरतों ने सिर्फ अपने-अपने हाई-हील सैंडल पहने हुए थे।
“समीना अब हमें चूत के बाल साफ़ करना सिखाओ, हम बाज़ार से एन-फ्रेंच क्रीम ले आये हैं”, नीता ने कहा।
लाओ सिखाती हूँ, ये कह कर समीना उन दोनों की चूत पर और गाँड की दरार में क्रीम लगाने लगी। मैं उन दोनों के देखते हुए अपनी ड्रिंक ले रहा था।
“राज हमारी बिन बालों की चूत अब कैसी लग रही है?” शबनम ने पूछा।
“बहुत सुंदर और अच्छी”, ये कह कर मैं नीता की जाँघों के बीच आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा। अब मैं बारी बारी से दोनों कि चूत चाट और चूस रहा था। थोड़ी देर में दोनों झड़ गयी।
हम लोग शाम तक चुदाई करते रहे। मुझे नहीं मालूम शराब के नशे में मैं कब सो गया और कब तीनों चुदैल औरतें मुझे सोता छोड़ कर चली गयी।
सुबह मैं तैयार होकर अपने केबिन में किसी सोच में डूबा था कि अचानक किसी की हँसी सुनकर मैंने नज़रें उठायीं तो तीनों को अपने सामने पाया।
“गुड मोर्निंग राज!!!” तीनों ने साथ में कहा।
“इतनी जोर से नहीं, कोई सुन लेगा, इस समय मुझे एक कप कॉफी चाहिये”, मैंने कहा।
“मैं लाती हूँ!” यह कहकर समीना अपनी सैंडल की हील खटखटाती हुई कॉफी लाने चली गयी।
मुझे नीता कुछ अपसेट लग रही थी। “क्या बात है नीता, तुम कुछ परेशान हो?” मैंने पूछा।
“मुझे तुमसे कुछ बात करनी है”, नीता ने कहा।
“मुझसे, कहो क्या बात है?” मैंने कहा।
“राज! अगर आज के बाद जब मैं तुम्हारा लौड़ा चूस रही हूँ तो सो मत जाना वर्ना मैं उस दिन के बाद...” उसने अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया।
“हाँ बोलो ना कि आज के बाद तुम राज से नहीं चुदवाओगी”, समीना ने हँसते हुए कहा।
“नहीं! मैं ये नहीं कह सकती, मैं राज के लंड के बिना नहीं रह सकती। राज! बस इतनी सी बात है कि मैं तुम्हारे लंड को चूस कर उसका पानी पीने को तरस रही थी और तुम... क्या कहूँ... ड्रिंक तो हम लोगों ने भी खूब की थी... हमें भी नशा चढ़ा हुआ था पर इतनी भी तो नहीं पीनी चाहिये कि बेहोश ही हो जाओ, अगर हम में से कोई इतना पी कर सो जाती तो कुछ फर्क नहीं पड़ता था पर तुम्हारे लंड पर तीन-तीन औरतें डिपेंडेंट थीं”, नीता ने कहा।
“अच्छा अब ये सब बातें छोड़ो, ऑय एम सॉरी! मैं आगे से ज्यादा ड्रिंक नहीं करूँगा, अब सब काम पर लग जाओ”, मैंने कहा।
मैं बहुत खुश था, नीता और शबनम हफते में तीन बार आती थी, और समीना सैटरडे को शाम को आती थी और संडे शाम तक मेरे साथ रहती थी। समय मस्ती में कट रहा था।
करीब एक महीने बाद की बात है। मैं सुबह ऑफिस पहुँचा तो देखा कि ऑडिट डिपार्टमेंट में एक नयी लड़की काम कर रही है। वाओ! कितनी सुंदर थी वो। वो करीब ५ फ़ुट ४ इंच की थी पर इस समय हाइ-हील की सैंडल पहने होने की वजह से ५ फ़ुट आठ इंच के करीब लग रही थी। गाल भरे-भरे और आँखें भी तीखी थी। उसने टाइट स्लीवलेस टॉप और टाइट जींस पहन रखी थी। कपड़े टाइट होने की वजह से उसके बदन का एक-एक अंग जैसे छलक रहा था। उसे देखते ही मेरे लंड में गर्मी आ गयी।
मुझे उससे मिलना पड़ेगा मैंने सोचा और उस पर नज़र रखने लगा।
एक दिन लंच से पहले मैंने उसे अपनी सीट से उठ कर जाते हुए देखा तो मैं उसके पीछे-पीछे पैसेज में आ गया। मैंने हिम्मत कर के पूछा, “लगता है... आप यहाँ नयी आयी हैं, इसके पहले कभी नहीं देखा?”
“हाँ! मैं यहाँ पर नयी हूँ, अभी एक हफ्ता ही हुआ है।”
“हाय! मुझे राज कहते है।” मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
मुझसे हाथ मिलाते हुए उसने कहा, “मुझे रजनी कहते हैं। आपसे मिलकर अच्छा लगा।” कुछ देर बात करने के बाद हम अपने काम में लग गये।
उस दिन के बाद मैं अक्सर उससे टकराने के बहाने ढूँढता रहता था। कभी सीढ़ियों पर, कभी स्टोर रूम में। हम लोग अक्सर बात करने लगे थे। काफी खुल भी गये थे। हम इंटरनेट पर भी चैटिंग करने लगे थे। रजनी में बढ़ती मेरी दिलचस्पी तीनों लेडिज़ से छुपी ना रह सकी।
“क्या तुम लोगों ने देखा.... कैसे हमारा राज उस नयी लड़की के पीछे पड़ा हुआ है?” समीना ने एक दिन लंच लेते हुए कहा।
“राज! संभल कर रहना, सुनने में आया है कि एम-डी की भतीजी है”, शबनम ने कहा।
“छोड़ो यार! मुझे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। तुम लोग सिर्फ़ राई का पहाड़ बना रही हो। मैं तो सिर्फ़ उससे हँसी मजाक कर लेता हूँ और कुछ नहीं।” मैंने उनसे झूठ कहा।
एक दिन इंटरनेट पर बात करते हुए मैंने हिम्मत कर के पूछा, “रजनी! शाम को कॉफी पीने मेरे साथ चलोगी?”
“जरूर चलूँगी, क्यों नहीं?” उसने जवाब दिया।
उस दिन शाम को हम लोग पास के रेस्तोरां में कॉफी पीने गये। फिर बाद में एक दूसरे का हाथ थामे पार्क में घूमते रहे। वो शाम काफी सुहानी गुजरी थी।
दूसरे दिन लंच पर नीता ने शिकायत की, “कल शाम को कहाँ थे? मैं और शबनम कितनी देर तक तुम्हारा इंतज़ार करते रहे।”
मैं रजनी के चक्कर में ये भूल गया था कि नीता और शबनम आने वाली थी। “सॉरी! लेडिज़, कल शाम को मैं रजनी को कॉफी पिलाने ले गया था”, मैंने कहा।
“क्या हम दोनों की कीमत पर उसे बाहर ले जाना तुम्हें अच्छा लगा राज?” नीता शिकायत करते हुए बोली।
“सब्र से काम ले नीता, हमें पहले कनफर्म करना चाहिये था राज से। राज को हक है वो अपनी उम्र वालों के साथ घूमे फ़िरे”, शबनम उसे समझाते हुए बोली।
“हाँ! हम नहीं चाहते कि रजनी की कुँवारी चूत चोदने का मौका राज के हाथ से जाये, वैसे राज! आजकल की लड़कियों की कोयी गारंटी नहीं कि वो कुँवारी हो।” समीना शरारत करते हुए बोली।
“दोबारा कब उसके साथ बाहर जा रहो हो?” नीता ने पूछा।
“कल शाम को”, मैंने जवाब दिया।
“ओह वापस हम लोगों की कुरबानी पर नहीं”, नीता नाराज़गी से बोली।
“तुम लोग चाहे तो आज की रात आ सकती हो”, मैंने सुझाव दिया। फैसला होने के बाद हम लोग काम पर वापस आ गये।
मैं और रजनी अब बराबर मिलने लगे। पिक्चर देखते, साथ खाना खाते, पार्क में घूमते। एक महीना इसी तरह गुजर गया। तीनों लेडिज़ चिढ़ाने से बाज़ नहीं आती थी, “रजनी को तुम अब तक चोद चुके होगे, सच बताओ उसकी चूत कैसी है, बहुत टाइट थी क्या?”
“ऐसा कुछ नहीं हुआ है और मुझे इंटरस्ट भी नहीं है... कितनी बार तुम लोगों से बोलूँ?” मैंने गुस्सा करते हुए कहा।
“ठीक है कभी हमारी जरूरत पड़े तो बताना”, कहकर तीनों लेडिज़ अपनी अपनी सीट पर चली गयी।
एक दिन शाम को मैं और रजनी पिक्चर देखने जाने वाले थे। जब सिनेमा हॉल में दाखिल होने जा रहे थे तो मुझे याद आया कि मैं टिकट तो घर पर ही भूल आया हूँ। “तुम यहीं रुको, टिकट मिल रही है... मैं दूसरी दो टिकट ले आता हूँ”, मैंने रजनी से कहा।
“और वो दो टिकट वेस्ट जाने दें? नहीं! अभी वक्त है... चलो घर से ले आते हैं”, इतना कहकर वो मेरे साथ मोटर-साइकल पर बैठ गयी।
हम लोग मोटर-साइकल पर घर जा रहे थे कि जोरदार बारिश शुरू हो गयी। मेरे फ्लैट तक पहुँचते हुए हम लोग काफी भीग चुके थे। रजनी सिर से नीचे तक भीग चुकी थी। उसका टॉप भीगा होने से उसके शरीर से एक दम चिपट गया था और उसके निप्पल साफ दिखायी दे रहे थे। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। उसकी जींस भी चिपकी हुई थी और उसके कुल्हों की गोलियाँ मुझे मादक बना रही थी। मैं अपने लंड को खड़ा होने से नहीं रोक पा रहा था।
“राज मुझे बहुत ठंड लग रही है”, रजनी ने ठिठुरते हुए कहा, “जल्दी से मुझे कुछ पहनने को दो, और तुम भी कपड़े बदल लो नहीं तो तुम्हें भी ठंड लग जायेगी।”
हालात को बदलते देख मैं चौंक उठा और कपबोर्ड में उसके लिये कपड़े ढूँढने लगा, “सॉरी रजनी तुम्हारे पहनने के लायक मेरे पास कुछ नहीं है।”
“क्या बात करते हो? तुम्हारे पास पायजामा सूट नहीं है क्या?” रजनी ने पूछा।
“हाँ है! पर वो बहुत बड़ा पड़ेगा तुम पर।”
“राज! जल्दी करो, शर्ट मुझे दो और पायजामा तुम पहन लो, मुझे बहुत ठंड लग रही है।” रजनी ने काँपते हुए कहा।
मैंने उसे शर्ट दी और वो उसे लेकर बाथरूम में बदलने चली गयी। थोड़ी देर में वो दरवाजे से झाँकती हुई बोली, “राज ये तो बहुत छोटा इससे मेरी चू... मेरा मतलब ही कि पूरा शरीर नहीं ढक पायेगा।”
मैंने उसकी तरफ देखा तो मेरे बदन में आग लग गयी। उसके मम्मे साफ झलक रहे थे। मेरा लंड तन कर खड़ा हो रहा था। मैंने उसे बीच में ही टोक कर पूछा, “क्या तुमने पैंटी नहीं पहनी है क्या?”
“अरे पहनी थी बाबा! पर वो भी तो भीग गयी थी, मैं ये जानना चाहती हूँ कि क्या मैं तुम्हारा बाथरोब पहन लूँ?” उसने कहा।
उसके रूप में मैं इतना खो गया था कि ये भी भूल गया कि मेरे पास बाथरोब भी है। “हाँ ले लो”, मैंने कहा।
थोड़ी देर बाद रजनी मेरे सफ़ेद बाथरोब में लिपटी हुई बाथरूम से बाहर आयी। सफ़ेद बाथरोब उसके शरीर से एकदम चिपका हुआ था। उसके शरीर की एक-एक गोलायी साफ नज़र आ रही थी। मैं अपने लंड को खड़ा होने से नहीं रोक पा रहा था। अपनी हालत छुपाने के लिये मैंने मुड़ कर रजनी से पूछा, “रजनी कॉफी पीना पसंद करोगी या कोल्ड ड्रिंक?”
“राज! अगर ब्रांडी मिल जाये तो ज़्यादा अच्छा रहेगा...” रजनी ने कहा।
“ब्रांडी तो नहीं है पर हाँ रम है मेरे पास”, कहकर मैं किचन में जा कर दो पैग रम बना लाया और उसके साथ सोफ़े पर बैठ गया। मेरे दिमाग में एक ही खयाल आ रहा था -- रजनी को नंगे बदन देखने का -- और ये सोच मेरे लंड को और तगड़ा कर रही थी।
रजनी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर पूछा, “राज तुम अपने बारे में बताओ।” मैंने रजनी को अपने परिवार के बारे में बता दिया। मेरे भाई भाभी और दोनों बहनों के बारे में। “अब तुम अपने बारे में बताओ रजनी।”
“तुम्हें तो मालूम है ये कंपनी मेरे पापा ने शुरू की थी। मम्मी काम नहीं संभाल पायी तो अपने दूर के रिश्तेदार मिस्टर रजनीश को बुला लिया। रजनीश अंकल ने अपने दिमाग और मेहनत से कंपनी को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया।”
“हमारा घर काफी बड़ा है, इसलिये कुछ सालों के बाद मम्मी ने रजनीश अंकल और उनके परिवार को हमारे साथ ही रहने को बुला लिया। रजनीश अंकल और उनकी बीवी और दोनों बेटियाँ अब हमारे साथ ही रहते हैं। उनकी बेटियों से मेरी दोस्ती भी अच्छी है।”
रजनी की बातों से लगा कि उसे अपने अंकल की चुदाई की कहानियाँ नहीं मालूम हैं। इसलिये मैंने भी बताना उचित नहीं समझा।
हम दोनों काफी देर तक बात कर रहे थे। अचानक वो मेरी आँखों में देखने लगी और मैं भी उसकी आँखों को देख रहा था जैसे वो मुझसे कुछ कहना चाहती हो।
उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए अपना चेहरा मेरी तरफ बढ़ाया। मैं भी उसकी और बढ़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये। उसने मेरे चेहरे को कस कर पकड़ते हुए अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर कर दिया और चूसने लगी। हम दोनों के मुँह खुले और दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी। हम दोनों की साँसें उखड़ रही थी।
“ओह राज!” वो सिसकी। “ओह रजनी!” मैं भी सिसका।
मेरा लंड मुझसे कह रहा था कि मैं इस कुँवारी चूत को अभी चोद दूँ और दिमाग कह रहा था कि नहीं! कंपनी के एम-डी की भतीजी है, कहीं कुछ गलत हो गया तो सब सत्यानाश हो जायेगा। मैं इसी दुविधा में उल्झा हुआ सोच रहा था।
“राज मुझे एक बार और किस करो ना”, वो बोली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूसने लगा। अब हम लोग धीरे से खिसकते हुए सोफ़े पर से ज़मीन पे लेट गये थे। मैं उसके ऊपर अध-लेटा हुआ था और अपने हाथ बाथरोब में डाल कर उसके मम्मे सहला रहा था और जोर से भींच रहा था।
“ओह राज! कितना अच्छा लग रहा है!” वो मादकता में बोली।
मेरा लंड भी अब तंबू की तरह मेरे पायजामे में खड़ा था। अब मुझे परवाह नहीं थी कि वो देख लेगी। मैंने उसका बाथरोब खोल दिया और उसका नंगा बदन मेरी आँखों के सामने थे।
“ओह रजनी!! तुम कितनी सुंदर हो। तुम्हारा बदन कितना प्यारा है”, यह कहकर मैं उसके मम्मे चूसने लगा और बीच-बीच में उसके निप्पल को दाँतों से काट रहा था।
उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी, “ओहहहहहहह आआहहहहह राज ये क्या कर डाला तुमने। बहुत अच्छा लग रहा है... हाँ किये जाओओओओ।”
मैं उसे चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ रहा था। उसकी प्यारी चूत बहुत ही अच्छी लग रही थी। उसकी चूत बिल्कुल साफ़ थी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने जोर लगाया तो वो और जोर से सिसकने लगी, “ओहहहहहहहहहहह आआआआहहहहहह राजजजजजज!!!!!”
मैंने उसकी टाँगों को थोड़ा फैला कर उसकी कुँवारी चूत के छेद को पहली बार देखा। काफी छोटा है, मैंने सोचा।
जैसे ही मैं अपनी जीभ उसकी चूत के छेद पर रगड़ने लगा, उसने मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। रजनी ने जोर से सिसकरी भरी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
रजनी ने मेरे बाल पकड़ कर मुझे उसके ऊपर कर लिया और बोली, “राज मुझे चोदो, आज मेरी कुँवारी चूत को चोद दो, मुझे अपना बना लो।”
मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर पूछा, “रजनी तुम वाकय चुदवाना चाहती हो?”
“हाँ!!! अब देर मत करो और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, फाड़ दो मेरी चूत को”, वो उत्तेजना में चिल्लायी।
मैं अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा। उसकी चूत बहुत ही टाइट थी। फिर थोड़ा सा खींच कर एक जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी कुँवारी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया।
“ओह!!! बहुत दर्द हो रहा है राज!” वो दर्द से चिल्ला उठी और उसकी आँखों में आँसू आ गये। उसकी आँखों के आँसू पौंछते हुए मैंने कहा, “डार्लिंग! अब चिंता मत करो, जो दर्द होना था वो हो गया... अब सिर्फ़ मज़ा आयेगा”, इतना कहकर मैं उसे चोदने लगा। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरे धक्के का साथ देने लगी। उसकी सिसकरियाँ बढ़ रही थी।
“हाँ राज! जोर जोर से करो, ऐसे ही करते जाओ, बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज़ रुकना नहीं... आआआआहहहहह और जोर से, लगता है मेरा छूटने वाला है।”
मुझे अभी अपने लंड में तनाव लग रहा था। वो किसी परेशानी में ना पड़ जाये, इसलिये मैं अपने लंड को उसकी चूत से निकालने जा रहा था कि वो बोली, “क्या कर रहे हो? निकालो मत, बस मुझे चोदते जाओ।”
“रजनी तुम प्रेगनेंट हो सकती हो, मुझे निकाल लेने दो”, मैंने जवाब दिया।
“हिम्मत ना करना निकालने की, बस चोदते जाओ, और अपना सारा पानी मेरी चूत में डाल दो। आज इस प्यासी चूत की साऱी प्यास बुझा दो।” ये कहकर वो उछल-उछल कर चुदवाने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी।
उसका शरीर कंपकंपाया, “ओह राज!!!! हाँआँआँआआआ... चोदो लगता है मेरा छूटने वाला है”, वो जोर से चिल्लायी और वैसे ही मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों काफी थक चुके थे। जब मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया तो मैंने उसकी बगल में लेट कर सिगरेट जला ली।
“राज बहुत मज़ा आया, आज मैं लड़की से औरत बन गयी”, रजनी ने कहा।
“हाँ रजनी! काफी आनंद आया”, मैंने जवाब दिया।
मैं उसके मम्मे सहला रहा था, और देखना चाहता था कि अब उसकी चूत कैसी दिखायी दे रही है। मैंने उसकी जाँघें ऊपर उठायीं तो देखा कि उसकी चूत थोड़ी चौड़ी हो गयी थी। उसमें से वीर्य और खून दोनों टपक रहे थे। मेरा बाथरोब भी खून और पानी से सराबोर था।
मैं उसके मम्मे और चूत दोनों सहला रहा था जिससे मेरे लंड में फिर गरमी आ गयी थी।
जैसे ही उसका हाथ मेरे खड़े लंड पर पड़ा वो चिहुँक उठी, “राज ये तो फिर तन कर खड़ा हो गया है, इसे फिर से मेरी चूत में डाल दो।“
“हाँ रानी! मैं भी मरा जरा जा रहा हूँ, तुम्हारी चूत है ही इतनी प्यारी”, ये कह कर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कस कर चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों खलास हो गये।
उस दिन रात तक हम लोगों ने चार बार चुदाई कि और काफी थक गये थे। करीब नौ बजे वो बोली, “राज अब मुझे जाना चाहिये, मम्मी घर पर इंतज़ार कर रही होगी।”
“अभी तो सिर्फ़ नौ बजे हैं, थोड़ी देर रुक जाओ.... फिर मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगा”, मैंने उसे रोकना चाहा।
“नहीं राज! मैंने मम्मी से कहा था कि मैं सहेली के साथ सिनेमा देखने जा रही हूँ और साढ़े नौ तक वापस आ जाऊँगी। अगर टाईम से घर नहीं पहुँची तो मम्मी को मुझपर विश्वास नहीं रहेगा”, ये कहकर वो कपड़े पहन के अपने घर चली गयी।
अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा रजनी का ई-मेल आया था, “राज डार्लिंग! कल कि शाम बहुत अच्छी थी, मुझे बहुत मज़ा आया, क्यों ना हम फिर से करें। आज शाम छः बजे कैसा रहेगा? ऑय लव यू, रजनी।”
मैंने उसे जवाब दिया, “हाँ मुझे भी अच्छा लगा। मैं भी आज शाम छः बजे तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।”
लंच के समय शबनम बोली, “आखिर हमारे राज ने रजनी की कुँवारी चूत फाड़ ही दी।”
“ये तुम कैसे कह सकती हो?” नीता ने पूछा।
“आज सुबह मैं जब ऑफिस में आयी तो, जैसे सब कहते हैं, मैंने भी रजनी से कहा, गुड मोर्निंग रजनी, कैसी हो, मैंने देखा उसके चेहरे पर रोज़ से ज्यादा चमक थी। उसने कहा, गुड मोर्निंग शबनम। और मुझे बाँहों में भर कर बोली ओह शबनम आज मैं बहुत खुश हूँ। उसकी मादकता और चंचलता देख कर मुझे लगा कि वो चुदाई कर चुकी है।”
“क्या सिर्फ़ उसके इस व्यवहार से तुम कैसे अंदाज़ा लगा सकती हो कि वो कुँवारी नहीं रही?” समीना ने कहा।
“एक और बात भी है जो मुझे सोचने पर मजबूर कर गयी, आज राज सुबह जब ऑफिस में आया तो उसके चेहरे पर खुशी की झलक थी और होंठों से गीत गुनगुना रहा था”, शबनम ने कहा।
“क्या ये ठीक कह रही है राज?” नीता और समीना ने पूछा।
“हाँ मेरी जानू! ये ठीक कह रही है, उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे अब भी मेरे लंड पर दर्द हो रहा है”, मैंने खुशी के मारे जवाब दिया।
“देखा! मेरा शक ठीक निकला ना! फ्रैंड्स अब हमको राज के आनंद में बाधा नहीं बनना चाहिये, इसलिये आज से हम उसके घर नहीं जायेंगे”, शबनम ने कहा।
“तो क्या हम राज के लंड का मज़ा नहीं ले सकेंगे?” नीता ने कहा।
“क्यों नहीं ले सकेंगे? स्टोर रूम जिंदाबाद!” समीना ने हँसते हुए स्टोर रूम की चाबी दिखायी।
अगले दिन मैंने कुछ कंडोम खरीद लिये जिससे कोई खतरा ना हो। मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं रजनी प्रेगनेंट ना हो जाये। हम लोग बराबर मिलते थे और जम कर चुदाई करते थे।
एक दिन रजनी बोली, “राज ये कंडोम पहनना जरूरी है क्या? इस रबड़ के साथ मज़ा नहीं आता।”
“तो तुम बर्थ कंट्रोल पिल्स लेना शुरू कर दो”, मैंने कहा।
“मैं कहाँ से लाऊँगी, और मुझे कौन लिख कर देगा, कहीं मम्मी को पता चल गया तो मुझे जान से ही मार डालेगी”, उसने जवाब दिया।
दूसरे दिन ऑफिस में मैंने समीना से कहा, “समीना! तुम्हें मेरा एक काम करना होगा, मुझे बर्थ कंट्रोल की गोलियाँ चाहिये रजनी के लिये।”
“तुम कंडोम क्यों नहीं इस्तमाल करते?” समीना ने पूछा।
“कंडोम इस्तमाल करता हूँ लेकिन रजनी को उसमे मज़ा नहीं आता”, मैंने कहा।
“ठीक है मैं ला दूँगी”, कहकर समीना अपने कम में लग गयी।
अगले दिन समीना ने मुझे पैकेट दिया और कहा, “जाओ ऐश करो।”
अब हम लोगों के दिन आराम से कट रहे थे। दिन में ऑफिस में तीनों को चोदता था और घर पर रजनी को। मन में आता था कि मैं रजनी से शादी कर लूँ, इसलिये नहीं कि मैं उससे प्यार करता था मगर इसलिये कि मैं कंपनी के एम-डी का दामाद बन जाता, और क्या पता भविष्य में कंपनी का एम-डी।
एक दिन रजनी अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिये काम छोड़ कर चली गयी। मैं भी बोर हो रहा था तो सोचा अपने घर हो आऊँ। काफी दिन हो गये थे सब से मिले।
ऑफिस में छुट्टी की एपलीकेशन देकर मैं अपने घर पहुँचा। सब से मिलकर बहुत मज़ा आया, खास तौर पर अपनी दोनों बहनें, अंजू और मंजू से।
एक दिन पिताजी ने कहा, “राज मैंने तुम्हारी शादी फिक्स कर दी है, आज से ठीक पाँच दिन बाद तुम्हारी शादी मेरे दोस्त की बेटी प्रीती से हो जायेगी।”
मैं चिल्ला कर कहना चाहता था कि “नहीं पिताजी! मैं प्रीती से शादी नहीं करना चाहता, मुझे रजनी से शादी करनी है और कंपनी का एम-डी बनना है।” पर हिम्मत नहीं हुई, सिर्फ इतना कह पाया, “आप जैसा बोलें पिताजी।”
आज मेरी सुहागरात थी। मैं अपने दोस्तों के बीच बैठा था और सब मुझे समझा रहे थे कि सुहागरात को क्या करना चाहिये, सैक्स कैसे किया जाता है। उन्हें क्या मालूम कि मैं इस खेल में बहुत पुराना हो चुका हूँ। रात काफी हो चुकी थी। अपने दोस्तों से विदा ले मैं अपने कमरे की और बढ़ गया।
कमरे में घुसते ही देखा कि कमरा काफी सज़ा हुआ था। चारों तरफ फूल ही फूल थे। बेड भी सुहाग सेज़ की तरह सज़ा हुआ था। बेड पे मेरी दुल्हन यानी प्रीती, लाल रंग का जोड़ा पहने, घूँघट निकाले हुए बैठी थी। कमरे में पर्फयूम की सुगंध फैली हुई थी। मेरे कदमों की आवाज़ सुन कर उसने अपना सिर उठाया।
मैंने उसके पास बेड पर बैठते हुए कहा, “प्रीती ये तुमने घूँघट क्यों निकाल रखा है? मम्मी कहती थी कि तुम बहुत सुंदर हो, अपना घूँघट हटा कर मुझे भी तुम्हारे रूप के दर्शन करने दो।” उसने ना में गर्दन हिलाते हुए जवाब दिया।
अगर तुम नहीं हटाओगी तो ये कम मुझे अपने हाथों से करना पड़ेगा। ये कहकर मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसका घूँघट हटा दिया। घूँघट हटाते ही ऐसे लगा कि कमरे में चाँद निकल आया हो। प्रीती सिर्फ काफी नहीं बल्कि बहुत सुंदर थी। गोरा रंग, लंबे बाल। उसकी काली काली आँखें इतनी तीखी और प्यारी थी कि मैं उसकी सुंदरता में खो गया। रजनी, प्रीती के आगे कुछ भी नहीं थी। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं, चेहरे पे शर्म थी। मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा, “प्रीती! तुम दुनिया की सबसे सुंदर लड़की हो, अपनी आँखें खोलो और मुझे इसकी गहराइयों में डूब जाने दो।”
उसने अपनी मादकता से भरी आँखें धीरे से खोली, और मैंने अपने तपते हुए होंठ उसके लाली से भरे होंठों पर रख दिये। उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थी इसके सिवा कि उसकी साँसें तेज हो रही थी। प्रीती ने काफी ज्वेलरी पहन रखी थी। मैं एक-एक कर के उसके जेवर उतारने लगा।
“आओ प्रीती! मेरे पास लेट जाओ”, कहकर मैंने उसे अपने बगल में लिटा दिया। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए हम लोग ऐसे ही कितनी देर तक लेटे रहे। थोड़ी देर बाद मैं अपना एक हाथ उसकी छाती पर रख कर उसके मम्मे दबाने लगा।
“ये क्या कर रहे हो?” उसने धीरे से कहा।
“कुछ नहीं! तुम्हारे बदन को परख रहा हूँ”, मैंने जवाब दिया।
जब मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोलने शुरू किये तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा, “प्लीज़ मत करो ना।“
“मुझे करने दो ना, आज हमारी सुहागरात है और सुहागरात का मतलब होता है दो शरीर और अत्मा का मिलन, और मैं नहीं चाहता कि हमारे मिलन के बीच ये कपड़े आयें”, और मैं उसके कपड़े उतारने लगा।
“अच्छा लाइट बंद कर दो... नहीं तो मैं शरम से मर जाऊँगी।” उसने अपना चेहरा दोनों हाथों में छुपाते हुए कहा।
“अगर लाइट बंद कर दूँगा तो तुम्हारे गोरे और प्यारे बदन को कैसे देख सकुँगा”, मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
अब मैं धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा। उसका नंगा बदन देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “प्रीती! तुम्हारा बदन तो मेरी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर है।” ये सुनकर उसने अपने आँखें और कस कर बंद कर ली।
मैं उसकी दोनों छातियों को सहला रहा था और उसके निप्पल चूस रहा था। जब कभी मैं उसके निप्पल को दाँतों में भींच लेता तो उसके मुँह से सिसकरी छूट पड़ती थी।
मैं उसकी चूत का छेद देखना चाहता था कि क्या वो रजनी के छेद जैसा ही था या उससे छोटा था। मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसकी नाभी को चूमते हुए उसकी चूत के पास आ गया। उसकी चूत बारिकी से कटे हुए बालों से ढकी पड़ी थी।
मैंने उसकी चूत को धीरे से फैला कर अपनी जीब उस पर रख दी और चाटने लगा।
“प्लीज़! ये मत करो”, उसने सिसकते हुए कहा।
उसकी चूत को चूसते और चाटते हुए मैंने उसकी जाँघों को थोड़ा ऊपर उठाया और उसकी चूत के छेद को देखा। प्रीती की चूत का छेद रजनी की चूत के छेद जैसा ही था।
“वहाँ मत देखो मुझे बहुत शरम आ रही है”, उसने कहा।
“इसमे शरमाने की क्या बात है? हमारी शादी हो चुकी है, और हम दोनों को एक दूसरे के शरीर को देखने और खेलने का हक है। तुम भी मेरा लंड देख सकती हो।” उसने शर्मते हुए मेरे लंड की तरफ देखा जो तंबू की तरह मेरे पायजामे में तन कर खड़ा था।
मैं खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतार कर उस पर लेट गया। प्रीती ने अपनी दोनों टाँगें आपस में जोड़ रखी थीं।
“डार्लिंग! अपनी टाँगें फैलाओ और मेरे लंड के लिये जगह बनाओ!”
उसने कुछ जवाब नहीं दिया और अपनी टाँगें और जकड़ ली। जब मेरे दोबारा कहने पर भी वो नहीं मानी तो मैं अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अपनी चूत पर मेरे लंड की गर्मी से उसका बदन हिलने लगा और मैंने अपने घुटनों से उसकी जाँघें फैला दी।
उसकी कुँवारी चूत को चोदने के खयाल से ही मैं उत्तेजना में भरा हुआ था, मगर मैं रजनी की चूत की तरह एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में नहीं डालना चाहता था। बल्कि उसकी चूत के मुँह पर अपना लंड मैंने धीरे से डाला जिससे पूरा मज़ा आ सके।
प्रीती का बदन घबड़ाहट में कंपकंपा गया जब उसे लगा कि मेरा लंड उसकी चूत में घुसने वाला है। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए एक धीरे से धक्का लगाया जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में जा घुसा। उसकी चूत की कुँवारी झिल्ली मेरे लंड का रास्ता रोके हुए थी।
“डार्लिंग थोड़ा दर्द होगा, सहन कर लेना”, कहकर मैंने अपने लंड को थोड़ा सा दबाया। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और अपने होंठ दाँतों में भींच रखे थे जैसे दर्द सहने की कोशिश कर रही हो।
मेरा लंड उसकी झिल्ली पर ठोकर मार रहा था, उसके मुँह से “ऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआआआआआ” की आवाजें निकल रही थी। अब मैंने थोड़ा जोर से अंदर घुसेड़ा और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया, उसके मुँह से जोर की चींख निकली, “ऊऊऊ ईईईई माँ!!! मैं मर गयी!”
मैं रुक गया और देखा कि दर्द के मारे उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े थे। मैंने उसके आँसू पौंछते हुए कहा, “डार्लिंग जो दर्द होना था वो हो गया अब तुम्हें कभी दर्द नहीं होगा”, और मैं अपने लंड को धीरे- धीरे अंदर बाहर करने लगा।
उसकी चूत काफी कसी हुई थी, और जब मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों से रगड़ते हुए अंदर तक जाता तो उसके मुँह से हल्की हल्की दर्द भरी चींख निकल जाती। थोड़ी देर में उसकी चूत भी गीली होने लगी जिससे मुझे चोदने में आसानी हो रही थी। अब मैं थोड़ा तेजी से उसे चोद रहा था।
थोड़ी देर में उसकी चींखें सिसकरियों में बदल गयी। अब उसे भी मज़ा आ रहा था। उसकी भी जाँघें मेरी जाँघों के साथ थाप से थाप मिला रही थी।
एक तो मैंने तीन हफ्तों से किसी को चोदा नहीं था, ऊपर से उसकी कसी चूत मेरे लंड के पानी में उबाल ला रही थी। मुझे अपने आपको रोकना मुश्किल हो रहा था।
इस उत्तेजना में मैंने उसे जोर से अपनी बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। वो भी जवाब देते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी।
“ओहहहहह डार्लिंग!!! मेरा छूट रहा है, अब मैं नहीं रोक सकता”, ये कहकर मैंने अपना सारा वीर्य उसकी फटी हुई चूत में उगल दिया। जैसे ही मेरा पानी उसकी चूत में गिरा, वो भी जोर से “आआहहहहहह” करती हुई बिस्तर पर निढाल पड़ गयी। उसकी चूत भी पानी छोड़ चुकी थी।
हम दोनों का शरीर पसीने से लथपथ था। दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे एक दूसरे की आँखों में इस मिलन का आनंद ले रहे थे। इतने में ही मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल पड़ा।
उस रात मैंने उसे चार बार चोदा। हर चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। अब वो भी मेरे धक्कों का जवाब अपनी टाँगें उछाल कर देने लगी। उन्माद में मेरे होंठों को दाँतों से भींच लेती। मेरे दोनों कुल्हों पर हाथ रख कर मेरे लंड को अपनी चूत के और अंदर लेने की कोशिश करती। उसके मुँह से आनंद की सिसकरियाँ निकलती थी। काफी थक कर हम दोनों सो गये।
अगले दिन मैं सो कर उठा तो देखा प्रीती वहाँ पर नहीं थी और ना ही उसके कपड़े। अब भी मुझे लग रहा था कि रात मैंने कोई सपना देखा था, जिसमें मैंने प्रीती की चुदाई की थी, परंतु बिस्तर पर खून और वीर्य के धब्बे इस बात को कह रहे थे कि वो सपना नहीं था।
“गुड मोर्निंग!” कहते हुए प्रीती हाथ में चाय का कप लिये कमरे में दाखिल हुई।
“इतनी सुबह कहाँ गयी थी?” मैंने पूछा।
“सुबह? राज दस बज रहे हैं और मैं तुम्हारे लिये चाय बनाने गयी थी”, उसने चाय के कप की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“इतना गुलाब की तरह क्यों खिली हुई हो, सब ठीक है ना, या तुम्हें किसी ने कुछ कहा जिससे तुम्हें शरम आ रही है?” मैंने पूछा।
“हाँ! सब ठीक है, किसी ने मुझे कुछ नहीं कहा, बस तुम्हारी दोनों बहनें मुझे तंग कर रही थी जब मैं चाय बना रही थी।”
“ओह अंजू और मंजू!! दोनों ही बहुत शैतान हैं”, मैंने कहा।
“हाँ कुछ ज्यादा ही शैतान हैं”, उसने हँसते हुए कहा।
प्रीती को चोदने की इच्छा फिर से हो रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “आओ प्रीती यहाँ बैठो।”
वो मेरा मक्सद समझ कर बोली, “अभी नहीं!! पहले तुम चाय पियो, ठंडी हो जायेगी। फिर नहा कर तैयार हो जाओ, सब नाश्ते पर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।”
“तुम्हें सिर्फ़ चाय की पड़ी है कि ठंडी हो जायेगी”, मैंने बिस्तर पर से खड़े होकर अपने तने लंड की तरफ इशारा किया, “और इसका क्या? तुम चाहती हो कि ये ठंडा हो जाये।”
मेरे तने लंड को देख कर वो बोली, “ओह! तो ये वाला लंबा डंडा था जो मेरी चूत में घुसा था?”
“हाँ मेरी जान पूरा का पूरा।” उसके चेहरे पर आश्चर्य देख कर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और लंड उसकी चूत में घुसा दिया। “आआआआआआहहहहह ऊऊऊहहहह” वो छटपटायी।
“देखा कैसे पूरा का पूरा तुम्हारी चूत में आसानी से चला गया”, मैंने धक्के लगाते हुए उसे पूछा, “प्रीती जब मैं तुम्हें चोदता हूँ तो तुम्हें मज़ा आता है ना?” वो कुछ बोली नहीं और चुप रही।
“शरमाओ मत, चलो बताओ मुझे?”
उसने अपनी गर्दन धीरे से हिलाते हुए कहा, “हाँ! आता है।”
मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था। वो भी अपने कुल्हे उठ कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से प्यार भरी सिसकरियाँ निकल रही थी। जब भी मेरा लंड उसकी चूत की जड़ से टकराता तो “ओओओओहहहह आआहहहह” भरी सिसकरी निकल जाती। थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ा और एक “आआहहहह” के साथ निढाल पड़ गया। मैंने भी दो चार धक्के मारते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
“ओह रानी! बहुत अच्छा था”, ये कहकर मैं उस पर से उठ गया।
“हाँ राज! बहुत अच्छा लगा”, कहकर वो भी बिस्तर पर से उठ गयी।
हम रोज़ हर रात को कई-कई बार चुदाई करते। मैं उसे अलग-अलग आसनों से चोदता था। वो भी मज़े लेकर चुदवाती थी। एक रात मैंने उसकी चूत चाटते हुए कहा, “प्रीती! तुम अपनी चूत के बाल साफ़ क्यों नहीं कर लेती?” उसने कुछ नहीं कहा।
अगली रात मैंने देखा कि उसकी चूत एक दम साफ़ थी। एक भी बाल का नामो निशान नहीं था। उस रात उसकी चिकनी और सपाट चूत को चाटने और चोदने में काफी मज़ा आया।
एक बात थी जो मुझे सता रही थी। जब भी मैं अपनी तीनों असिसटेंट को चोदता था तो वो इतनी जोर से चिल्लाती थी, और आहें भरती थी कि शायद पड़ोसियों को भी सुनाई पड़ जाती होंगी, पर प्रीती के मुँह से सिर्फ, ऊहह आआहह के सिवा कुछ नहीं निकलता था। मैं सोच में रहता था पर मैंने प्रीती से कुछ कहा नहीं। साथ ही तीनों असिसटेंट चुदाई के समय भी अपने हाई हील के सैंडल पहने रखती थीं जिससे मुझे और अधिक जोश और लुत्फ आता था। हालांकि मैंने नोटिस किया था कि बाहर घुमने जाते वक्त प्रीती भी हाई हील के सैंडल पहनना पसंद करती थी पर मैं चाहता था कि बिस्तर पर चुदाई के समय भी वो अपने सैंडल पहने रहे।
मेरी छुट्टियाँ खत्म होने को आयी थी। पिताजी ने हमारे लिये फर्स्ट क्लास एयर कंडीशन का रिज़रवेशन कराया था। दो दिन के लंबे सफ़र में मैंने उसे कई बार चोदा, और उसकी चूत चाटी थी। मैंने उसे लंड को चूसना भी सिखा दिया। शुरू में तो उसे वीर्य का स्वाद अच्छा नहीं लगा था पर अब वो एक बूँद भी मेरे लंड में छोड़ती नहीं थी। जब तक हम लोग मुंबई पहुँचे, मेरे लंड का पानी एक दम खत्म हो चुका था और उसकी चूत पानी से भरी हुई थी।
मैं और प्रीती मेरे फ्लैट में दाखिल हुए और मैंने पूछा, “प्रीती फ्लैट कैसा लगा?”
“छोटा है, लेकिन अपना है, यही खुशी है”, मुझे उसने जवाब दिया।
“ठीक है! तुम आराम करो... मैं तब तक सबज़ियाँ और सामान लेकर आता हूँ”, ये कहकर मैं सामान लेने बाज़ार चला गया।
मैं वापस आया तो देखा प्रीती किचन में काम कर रही थी। “ये क्या कर रही हो?” मैंने पूछा।
“कुछ नहीं खाने की तैयारी कर रही हूँ, क्यों खाना नहीं खाना है?” उसने पूछा।
“जब इतना अच्छा खाना सामने हो तो ये खाना किसको खाने का दिल करेगा”, मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए कहा।
“इसके लिये रात बाकी है, पहले ये खाना खाकर अपने में ताकत लाओ, फिर इस खाने को खाना।”
“ठीक है मेरी जान! जैसा तुम कहो...” मैंने जवाब दिया।
वो खाना बनाने में लग गयी। अचानक मैंने पूछा, “प्रीती! क्या तुम कुछ पीना पसंद करोगी, मेरा मतलब कुछ बीयर या रम?”
“मैं शराब नहीं पीती, और मुझे नहीं मालूम था कि ये गंदी आदत आपको भी है”, उसने कहा।
“जान मेरी! मुझे सब गंदी आदत है, जैसे शराब पीना, सिगरेट पीना, और तीसरी गंदी आदत का तो तुम्हें मालूम ही है”, मैंने हँसते हुए कहा।
“हाँ! मुझे अपनी पहली रात को ही पता चल गया था”, उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे। मैं बिस्तर पर लेट चुका था, प्रीती बाथरूम में थी। थोड़ी देर बाद वो बाथरूम से बाहर आयी, एक पारदर्शी नाइटी पहने हुए। उसका गोरा बदन पूरा झलक रहा था। उसके बदन को देखते ही मेरा लंड तन गया।
“नहीं मेरी जान! तुम ये कपड़े पहन कर नहीं सो सकती, चलो जल्दी से अपनी नाइटी उतारो और नंगी होकर आ जाओ, मेरी तरह... साथ ही अपने वो सैक्सी हाई हील के गोल्डन कलर के सैंडल पहन लो जो तुमने शादी के दिन पहने थे”, ये कहकर मैंने चादर हटा कर उसे अपना तना लंड दिखाया। उसका चेहरा शरम के मारे खिल उठा और उसने अपनी नाइटी उतार दी और खुश्किस्मती से उसने बिना कुछ सवाल पूछे अपने सैंडल भी पहन लिये।
उसे अपने बाँहों में भरते हुए मैंने बिस्तर पर लिटा दिया और कहा, “डार्लिंग! ये हमारे फ्लैट पर पहली रात है, आओ खूब चुदाई करें और मज़े लें।”
मेरे हाथ उसके शरीर को सहला रहे थे। मेरे होंठ उसके होंठों पे थे और मेरी जीभ उसके मुँह में उसकी जीभ के साथ खेल रही थी। मैंने अपना मुँह उसकी छातियों के बीच छुपा दिया और उसके मम्मे चूसने लगा। एक हाथ से उसके मम्मों को जोर से भींचता तो उसके मुँह से सिस्करी निकल पड़ती, “ओहहहहहह राजजजजज!!!!!!”
उसके मम्मे चूसते हुए मैं नीचे की तरफ बढ़ा और अपना मुँह उसकी गोरी और बिना बालों वाली चूत पर रख दिया। अब मैं धीरे से उसकी चूत को चाट रहा था।
उसके घुटनों को मोड़ मैंने उसकी छाती पर कर दिये जिससे उसकी चूत ऊपर को उठ गयी और मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा।
“ओह राज बहुत अच्छा लगा रह है, आआहहहहहह..... किये जाओ”, कहकर वो अपनी गाँड ऊपर को उठा देती।
मैं और तेजी से उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था। “ओहहहहहहह डार्लिंग किये जाओ... औऔऔऔऔऔर जोर से, मज़ाआआआ आ रहा है, हाँआँआँ ऐसे ही किये जाओ”, कहते हुए उसकी चूत ने मेरे मुँह में पानी छोड़ दिया।
उसकी चींखने की और जोरदार सिसकरियों को सुन कर मैं सकते में आ गया, पर मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर एक जोर का धक्का लगाया। मेरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत में जा घुसा। “आआआआआआआहहहहह मर गयी”, वो चिल्लायी।
अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। जैसे-जैसे मैं रफ़्तार बढ़ाने लगा, उसकी साँसें तेज होने लगी, उसके बदन में अकड़ाव सा आने लगा।
ये देख मैं अब जोर जोर से अपने लंड को उसकी चूत में डाल रहा था। प्रीती सिसकरियाँ भर रही थी, “ओहहहहह राज औऔऔऔऔऔर जोररररर से!!!!!!!! आहहहहहह हाँआंआंआंआं ऐसे ही कियो जाओ!!!! हाँ राजाआआआआआआ आज फाड़ दो मेरी चूत को।”
मेरे लंड के पानी में भी उबाल आ रहा था और वो छूटने को तैयार था। मैंने उसे चोदने की रफ़्तार और बढ़ा दी। वो भी अपनी जाँघें उठा मेरे थाप से थाप मिला रही थी, “ओओओओओहहहहह..... येसससससस... ऊऊऊऊऊहहह राज और जोर से..., मेरा छूटने वाला है हाआआआआआ, मैं...ऐंऐंऐं तो गयी।”
जैसे ही उसकी चूत ने पानी छोड़ा, मैंने भी दो चार करारे धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। दोनों का शरीर पसीने में चूर था, फिर भी हम एक दूसरे को उन्माद के मारे चूम रहे थे और सहला रहे थे।
उसकी पीठ को सहलाते हुए मैंने कहा, “प्रीती तुम तो कमाल की हो।”
“क्यों क्या हुआ, मैंने ऐसा क्या किया?” उसने जवाब दिया।
“तुमने किया कुछ नहीं, पर मैंने आज से पहले तुम्हें इस तरह चिल्लाते, सिसकरियाँ भरते नहीं सुना, मुझे लगा कि तुम्हें चुदाई में मज़ा नहीं आता है”, मैंने कहा।
“राज मुझे तो इतना मज़ा आता है कि मैं उस वक्त भी जोर-जोर से चिल्लाना चाहती थी जब तुमने मेरी चूत का उदघाटन किया था, पर मैंने अपने आप को रोक लिया।”
“ऐसा क्यों किया तुमने?” मैंने पूछा।
“ये सोच कर कि घर में सबको पता लग जायेगा कि उनका लड़का अपनी नयी बहू को जोरों से चोद रहा है”, उसने जवाब दिया।
“हाँ ये तुमने ठीक किया... मैंने तो ऐसा सोचा ही नहीं था”, उसकी गाँड को सहलाते हुए मैंने कहा, “प्रीती चलो अब तुम्हारे दूसरे छेद का उदघाटन करना है।”
“दूसरे छेद का...? मैं समझी नहीं?” वो चौंकी, पर जब उसने मेरी अंगुलियों को अपनी गाँड में घुसते महसूस किया तो वो बोली, “कहीं तुम मेरी गाँड तो नहीं मारना चाहते?”
“तुम सही कह रही हो मेरी जान! यही तो वो दूसरा छेद है जिसे मैं चोदना चाहता हूँ”, मैंने और जोरों से अपनी अँगुली उसकी गाँड में घुसाते हुए कहा।
“नहीं राज! गाँड में नहीं, बहुत दर्द होगा”, उसने रिक्वेस्ट करते हुए कहा।
“अब चुपचाप घुटनों के बल हो जाओ”, मैंने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा, “आज तुम्हारी गाँड को चुदवाने से कोई नहीं रोक सकता।”
मेरी बात मानते हुए वो घुटनों के बल हो गयी। मैंने उसके सिर और कंधों को तकिये पर दबाते हुए उसे अपनी गाँड को चौड़ा करने को कहा। उसने अपने दोनों हाथों से अपनी गाँड को चौड़ा कर दिया। अब मुझे उसकी गुलाबी गाँड का नज़ारा साफ दिखायी दे रहा था, साथ ही उसकी चूत भी ऊपर को उठी हुई थी। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी।
अपनी एक अँगुली पर वेसलीन लगा कर मैं उसकी गाँड के छेद को अच्छी तरह चिकना करने लगा। जैसे ही उसकी चूत चाटते हुए मैंने अपनी अँगुली उसकी गाँड के अंदर डाली तो उसके मुँह से मीठी सी सिसकरी निकल पड़ी। “लगता है तुम्हें अब मज़ा आ रहा है”, मैंने हँसते हुए कहा।
“हाँ! अच्छा लग रहा है”, उसने कहा।
एक, दो, फिर तीन, इस तरह मैंने अपनी चारों अँगुलियाँ उसकी गाँड में डाल दी। “ओह राज निकाल लो... दर्द हो रहा है, वो दर्द के मारे छटपटायी।” मगर उसकी बात ना सुनते हुए मैंने अपनी अँगुलियाँ अंदर बाहर करनी शुरू कर दी।
अब उसे भी मज़ा आने लगा था, “हाँ राज! किये जाओ अब अच्छा लग रहा है”, वो सिसकरी भरते हुए बोली।
जैसे ही मैंने अपनी अँगुली उसकी गाँड के फ़ैले हुए छेद से बाहर निकाली तो वो तड़प के बोली, “तुम रुक क्यों गये, किये जाओ ना..... बहुत मज़ा आ रहा था।”
“थोड़ा सब्र से काम लो प्रीती डार्लिंग! अब मैं अँगुली से भी ज्यादा अच्छी चीज़ तुम्हारी गाँड में डालुँगा”, ये कहकर मैं अपने लौड़े पर भी अच्छी तरह वेसलीन लगाने लगा।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रखा, वो बोली, “राज! क्या तुम्हारा इतना मोटा लंड मेरी गाँड में डालना जरूरी है, मुझे डर लग रहा है कि कहीं ये मेरी गाँड ही ना फाड़ दे और मैं दर्द के मारे मर जाऊँ।”
“डार्लिंग! किसी ना किसी दिन तो डालना ही है तो... आज ही क्यों नहीं? हाँ शुरू में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़ा ही मज़ा आयेगा”, ये कहकर मैंने अपने लंड का दबाव धीरे से बढ़ाया। जैसे ही मेरा लंड उसकी गाँड में घुसा वो दर्द के मरे चिल्ला पड़ी, “राज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।”
उसकी चिल्लाहट पर ध्यान ना देते हुए मैं अपने लंड को उसकी गाँड में घुसाने लगा। जैसे-जैसे मेरा लंड उसकी गाँड में घुसता, मुझे अपने लंड में एक अजीब सा तनाव महसूस होता।
“राज!!! प्लीज़ निकाल लो!!! प्लीईईईज़ निकाल लो!!! बहुत दर्द हो रहा है”, वो छटपता रही थी।
मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाल कर एक जोर का धक्का दिया और मेरा लंड उसकी गाँड की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक समा गया।
“आआआआआआआआआ गयीईईईईईईईई मर गयी!!!!!” वो जोर से चिल्लायी और रोने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गये।
“शशशशश डार्लिंग, रोते नहीं, जो दर्द होना था, हो गया, अब मज़ा ही आयेगा”, कहकर मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।
उसकी गाँड बहुत ही टाइट थी जिससे मुझे धक्के लगाने में तकलीफ हो रही थी। मैं उसकी गाँड में धक्के लगा रहा था और साथ ही साथ उसकी चूत को अँगुली से चोद रहा था।
“ओह प्रीती! तुम्हारी गाँड कितनी टाइट है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है”, कहकर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। कुछ जवाब दिये बिना वो दर्द में छटपता रही थी। करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा “ओहहह राज!!! अब अच्छा लग रहा है।”
मैं जोर-जोर से उसकी गाँड मार रहा था और अपनी अँगुली से उसकी चूत को चोद रहा था। मेरा पानी छूटने वाला था और उसके बदन की कंपन देख कर मुझे लगा कि वो भी अब छूटने वाली है। अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए मैंने अपना पानी उसकी गाँड में छोड़ दिया। उसका भी शरीर कंपकंपाया और उसकी चूत ने मेरे हाथों पर पानी छोड़ दिया।
मैंने अपना लंड उसकी गाँड में से निकाले बगैर पूछा, “क्यों प्रीती डार्लिंग! अपनी गाँड की पहली चुदाई कैसी लगी?”
“कुछ अच्छी नहीं, बहुत दर्द हो रहा है! अच्छा अब अपना लौड़ा मेरी गाँड से बाहर निकालो”, उसने अपनी आँखों से आँसू पौंछते हुए कहा।
“अभी नहीं मेरी जान! मैं एक बार और तुम्हारी गाँड मारना चाहता हूँ”, मैंने अपने लंड को फिर उसकी गाँड में अंदर तक घुसा दिया।
“क्या राज!!!! ये करना जरूरी है क्या? मुझे तुम्हारा लंड मेरी गाँड में घुसते ही कुछ ज्यादा मोटा और लंबा होता लग रहा है”, वो छटपटायी। मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। उसकी गाँड में मेरा पानी होने से इस बार इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी और मेरा लंड आराम से उसकी गाँड की जड़ तक समा जाता।
मैं जोर-जोर से उसकी गाँड मारने लगा और अपनी अंगुलियों से फिर उसकी चूत को चोद रहा था। उसे भी मज़ा आने लगा और वो बोल पड़ी, “हाँ राज!!! जोर-जोर से..., मज़ा आ रहा है।”
जब हम दोनों का पानी छूट गया तो मैंने उसे बाँहों में भरते हुए पूछा, “क्यों अबकी बार कैसा लगा?”
“पहली बार से अच्छा था”, उसने जवाब दिया।
“जैसे-जैसे चुदवाओगी... तुम्हें और मज़ा आने लगेगा। याद है तुम मेरा वीर्य पीना नहीं चाहती थी और अब तुम एक बूँद छोड़ती नहीं हो”, ये कहकर मैं उसे बाँहों में भर कर सो गया।
दूसरे दिन अपनी मोटर-साइकल पर ऑफिस जाते हुए मैं सोच रहा था कि ऑफिस में मेरी तीनों असिसटेंट और रजनी मेरी शादी की बात सुनकर क्या कहेंगी... क्या सोचेंगी।
मेरे केबिन में पहुँचते ही तीनों ने मुझे घेर लिया, “थैंक गॉड! राज तुम आ गये”, शबनम ने मुझे गले लगाते हुए कहा।
“समीना मुझे स्टोर रूम की चाबी दो, मैं तो एक सैकेंड भी अब इंतज़ार नहीं कर सकती”, नीता ने कहा।
“नहीं!! राज से पहले मैं चुदवाऊँगी, मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है”, समीना ने अपनी चूत को सहलाते हुए कहा।
“रुको! तुम तीनों रुको! पहले मेरी बात सुनो, मेरे पास तुम लोगों के लिये एक खबर है”, उनका रियेक्शन देखने के लिये मैं थोड़ी देर रुका फिर बोला, “मैंने शादी कर ली है।”
“ओह नहीं!!!!!” तीनों एक साथ बोली।
उनके चेहरे पर दुख देख कर मैं बोला, “सुनो हम लोगों के रिश्ते में कोई फ़र्क नहीं आने वाला। मैं तुम तीनों का यहाँ ऑफिस में ख्याल रखुँगा और अपनी बीवी का घर पर... समझी! चलो सब अपने काम पर जाओ और मुझे भी सब समझने दो, शाम को स्टोर रूम में मिलेंगे।”
वो तीनों खुश होकर चली गयी पर असली शामत तो रजनी से आने वाली थी। पता नहीं मेरी शादी की बात सुनकर वो क्या कहेगी, क्या करेगी। जो होगा देखा जायेगा।
समय गुजर रहा था। मैं अपने लंड से तीनों एसिस्टेंट्स को ऑफिस में और प्रीती को घर पर मज़े देता था।
हमारी कंपनी हर साल एक बहुत बड़ी पार्टी रखती थी जिसमें हर स्टाफ को उसके परिवार के साथ बुलाया जाता था।
इस बार की पार्टी शहर के सबसे बड़े क्लब, नेशनल क्लब में रखी गयी थी। मैं और प्रीती तैयार होकर क्लब पहुँचे। क्लब में घुसते हुए मैंने प्रीती से कहा, “प्रीती! ये इस शहर का सबसे बड़ा क्लब है और मैं एक दिन इसका मेंबर बनना चाहता हूँ, क्यों सुंदर है ना?”
“हाँ! काफी सुंदर है”, उसने जवाब दिया।
हम लोग लॉन में पहुँचे तो मैंने देखा कि काफी लोग आ चुके थे। “आओ प्रीती! मैं तुम्हें अपने साथियों और दोस्तों से मिलाता हूँ”, मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
जब हम मेरे दोस्तों के बीच पहुँचे तो एक ने कहा, “आओ राज! अरे ये क्या, तुम्हारे हाथ में ड्रिंक नहीं है?”
“मैं अभी तो आया हूँ, जल्दी क्या है आ जायेगी”, मैंने जवाब दिया।
“अरे ये वेटर सब आलसी हैं, जाओ... तुम खुद बार पर से ड्रिंक क्यों नहीं ले आते”, उसने जवाब दिया।
मैं प्रीती को वहीं छोड़ कर बार की तरफ ड्रिंक लेने के लिये बढ़ा तो देखा कि रजनी सेल्स मैनेजर से बात कर रही थी। उससे नज़रें बचाते हुए मैं अपनी ड्रिंक ले कर एक भीड़ में जा कर खड़ा हो गया जिससे वो कोई तमाशा ना खड़ा कर सके।
अचानक मैंने अपने कंधों पर किसी का हाथ महसूस किया। पलट कर देखा तो रजनी खड़ी थी। “हाय राज! कैसे हो?” उसकी आवज़ में दर्द था।
“हाय रजनी! मैं ठीक हूँ, तुम कैसी हो?” मैंने जवाब दिया।
“मुबारक हो”, शबनम कह रही थी कि, “तुमने शादी कर ली”, उसने अपने हाथों से अपने आँसू पौंछते हुए कहा।
“ऑय एम सॉरी रजनी! प्लीज़ शाँत हो जाओ, अपने आप को संभालो”, मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा।
“डरो मत! मैं कोई तमाशा नहीं खड़ा करूँगी। क्या तुम अपनी पत्नी से नहीं मिलवाओगे?” उसने हँसते हुए अपने रूमाल से अपने आँसू पौंछे।
“मेरा विश्वास करो रजनी! मैं लाचार था, पिताजी ने शादी पक्की कर दी और मैं उन्हें ना नहीं कर सका”, मैंने कहा।
“मैं समझती हूँ! शायद यही तकदीर को मंजूर था”, उसने जवाब दिया।
मैं रजनी को लेकर प्रीती के पास आ गया।
“प्रीती इनसे मिलो! ये रजनी है, अपने एम-डी की भतीजी!!”
“और रजनी ये प्रीती है, मेरी पत्नी।”
“मममम तुम्हारी बीवी काफी सुंदर है, इसलिये तुमने फटाफट शादी कर ली”, उसने हँसते हुए कहा। हम तीनों बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं बोला, “तुम लोग बातें करो, मैं एम-डी से मिलकर आता हूँ।”
मैं अपने एम-डी और मिस्टर महेश के पास पहुँचा तो देखा कि वो लोग कुछ डिसकशन कर रहे थे। इतने में एम-डी मुझसे बोले, “हे राज! वहाँ खड़े मत रहो, एक कुर्सी खींचो और यहाँ बैठ जाओ।”
मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।
“सर!! आपने उस औरत को देखा?” महेश ने एम-डी से पूछा।
“किसे??” एम-डी ने नज़रें घुमाते हुए कहा।
“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद सैंडल पहने खड़ी है, वो जिसका अंग-अंग मचल रहा है”, महेश ने अपने होंठों पर जीभ घोमाते हुए कहा।
“हाँ देखा! काफी सुंदर है!” एम-डी ने जवाब दिया।
“सर!! आपने उसके मम्मे देखे, उसके लो कट ब्लाऊज़ से ऐसा लगता है कि अभी बाहर उछाल कर गिर पड़ेंगे....” महेश ने ललचायी नज़रों से देखते हुए कहा।
“हाँ महेश!!!! देख कर ही मेरे लंड से तो पानी छूट रहा है....” एम-डी ने कहा।
“सर! मेरा तो छूट चुका है और अंडरवीयर भी गीली हो चुकी है....” महेश ने कहा।
“महेश! क्या तुम जानते हो वो कौन है?” एम-डी ने पूछा।
“नहीं सर! मैं उसे आज पहली बार देख रहा हूँ”, महेश ने जवाब दिया।
“हमें पता लगाना होगा कि वो कौन है...., राज! जरा पता तो लगाओ कि ये महिला कौन है और किसके साथ आयी है?” एम-डी ने कहा।
“किसका सर?” मैंने घूमते हुए पूछा।
“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद हाई-हील के सैंडल पहने खड़ी है...., और मेरी भतीजी रजनी से बातें कर रही है।” एम-डी ने कहा।
“वो??? सर! वो मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“तुमने हमें बताया नहीं कि तुम्हारी शादी हो चुकी है”, एम-डी ने शिकायत की।
“सर बस.... मौका नहीं मिला”, मैंने जवाब दिया।
“क्या तुम हमारा उससे परिचय नहीं कराओगे?” एम-डी ने कहा।
“जरूर सर!” इतना कह मैं प्रीती को ले आया।
“प्रीती इनसे मिलो! ये हमारी कंपनी के एम-डी, मिस्टर रजनीश हैं और ये मिस्टर महेश हैं।”
“सर! ये मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने उनका परिचय कराया।
“नमस्ते!!!” प्रीती ने कहा।
“तुम बहुत सुंदर हो प्रीती! आओ यहाँ बैठो, हमारे पास...” एम-डी ने प्रीती को कहा।
“नहीं सर! मैं यहीं ठीक हूँ”, कहकर वो सामने की कुर्सी पर बैठ गयी।
थोड़ी देर में रजनी आ गयी, “चलो राज और प्रीती! खाना लग गया है।”
“एक्सक्यूज़ मी सर!!” ये कहते हुए मैं और प्रीती, रजनी के साथ चले गये।
रात को हम घर पहुँचे तो प्रीती ने कहा, “राज! तुम्हारे बॉस अच्छे लोग नहीं हैं, कैसे मुझे घूर रहे थे, लग रहा था कि मुझे नज़रों से ही चोद देंगे।”
“ऐसा कुछ नहीं है जान! तुम हो ही इतनी सुंदर कि जो भी तुम्हें देखे उसकी नियत डोल जायेगी”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
अगले दिन जब मैं ऑफिस पहुँचा तो मुझे महेश ने कहा कि एम-डी ने मुझे रात आठ बजे होटल शेराटन में उनके सूईट में बुलाया है, कोई मीटिंग है।
मैं शाम को ठीक आठ बजे होटल शेराटन में एम-डी के सूईट में पहुँचा, तो वहाँ सिर्फ़ एम-डी और महेश ही थे और कोई नहीं।
“और सब लोग कहाँ हैं?” मैंने महेश से पूछा।
“इस मीटिंग में और कोई नहीं है”, महेश ने हँसते हुए कहा, “एम-डी और मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है, तुम बैठो।”
मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मैं महेश की बतायी सीट पर बैठ गया।
“राज को कुछ पीने को दो महेश”, एम-डी ने कहा।
“क्या लोगे राज?” महेश ने बार की तरफ बढ़ते हुए पूछा।
“स्कॉच विद सोडा”, मैंने जवाब दिया।
महेश ने ग्लास पकड़ाया और मैंने उसमें से सिप लिया, “चीयर्स! काफी अच्छी है”, मैंने कहा।
“हाँ! बीस साल पुरानी स्कॉच है और इससे अच्छी स्कॉच मॉर्केट में नहीं मिलेगी”, महेश ने कहा।
“हाँ लगता तो ऐसा ही है..., पर मैं इसे अफोर्ड नहीं कर सकता, बहुत महंगी है”, मैंने जवाब दिया।
“क्या पता, आज के बाद तुम यही स्कॉच रोज़ पियो”, महेश ने हँसते हुए कहा।
ये सोच कर कि शायद मुझे मेरी तरक्की के लिये बुलाया है, मैंने एक जोर का घूँट लिया।
“महेश बता रहा था कि तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो ऑफिस में, और स्टाफ भी बहुत खुश है तुम्हारे कम से”, एम-डी ने कहा।
“सर! ये बहुत ही होशियार और मेहनती लड़का है”, महेश ने कहा ।
“थैंक यू सर।”
“राज तुम्हारी वाइफ प्रीती बहुत ही सुंदर है, उसका शरीर तो गज़ब का ही है”, एम-डी ने कहा।
“सर! उसके मम्मे मत भूलिये, और उसकी गाँड..., जब हाई-हील के सैंडलों में चलती है तो, दिल ठहर जाता है!” महेश ने कहा।
“सर! मेरे काम और मेरी तरक्की के बीच में ये प्रीती कहाँ से आ गयी?” मैंने हकलाते हुए पूछा।
“देखा महेश! मैं ना कहता था कि राज होशियार और अक्लमंद लड़का है, ये पहले ही समझ गया कि हमने इसे तरक्की के लिये बुलाया है। महेश इसे वो लैटर दो जो तुमने तैयार किया है”, एम-डी ने महेश से कहा।
महेश ने अपनी पॉकेट से लैटर निकालते हुए मुझे दिया, “पढ़ो बेटा।”
लैटर एम-डी का साइन किया हुआ था। मेरी तरक्की कर दी गयी थी और मेरी तनख्वाह जो मैंने सपने भी नहीं सोची थी, उतनी कर दी गयी थी। अपनी उत्सुक्ता में मैंने महेश से भी कहे बिना खुद ही बॉटल उठा ली और अपने लिये एक तगड़ा पैग बना लिया।
“क्या सोच रहे हो? क्या तुम्हें तरक्की और इतना अच्छा वेतन नहीं चाहिये?” महेश ने मेरे हाथ से लैटर वापस लेते हुए कहा।
“हाँ सिर! मुझे चाहिये”, मैंने जवाब दिया।
“तो इस तरक्की को तुम्हें कमाना पड़ेगा”, महेश ने कहा
“मैं कुछ समझा नहीं कि मुझे ये तरक्की कमानी पड़ेगी..., मगर कैसे?” मैंने पूछा।
“राज तुम बहुत ही लक्की लड़के हो कि तुम्हें प्रीती जैसी बीवी मिली। तुम तो रोज़ उसे नंगा देखते होगे, उसके मम्मे दबाते होगे। और उसकी चूत और गाँड भी मारते होगे। मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसकी चूत बहुत ही टाइट होगी”, एम-डी ने कहा।
मैं चौंक गया। ये लोग मेरी बीवी के बारे मैं बात कर रहे थे, पर मैं चुप रहा।
“उसकी गाँड भी प्यारी होगी राज, मैं जानता हूँ तुम खूब कस कर उसकी गाँड मारते होगे”, महेश ने कहा।
मन तो कर रहा था कि उठकर इन दोनों की पिटायी कर दूँ। मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें करने का इन्हें क्या हक है, पर डर रहा था कि कहीं मैं अपनी तरक्की और नौकरी ना खो दूँ, इसलिये मैंने हल्के से ऐतराज़ दिखाते हुए कहा, “प्लीज़ सर! आप मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें ना करें।”
एम-डी ने विषय को बदलते हुए कहा, “राज मैं जानता हूँ कि जिस फ्लैट में तुम रह रहे हो, छोटा है। क्या तुम नियापेनसिआ रोड पर कंपनी के फ्लैट में रहना चाहोगे और तुम्हें किराया भी नहीं देना पड़ेगा। ”
नियापेनसिआ रोड, मुंबई के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट! मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, “हाँ सर! क्यों नहीं रहना चाहुँगा?” मैंने खुशी से जवाब दिया।
“राज! ये तरक्की, ये फ्लैट सब कुछ तुम्हारा हो सकता है, अगर तुम एम-डी पर एक एहसान कर दो”, महेश ने कहा।
“एम-डी पर एहसान? सर अगर मेरे वश में हुआ तो एम-डी के लिये मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ”, मैंने ग्लास में से स्कॉच का बड़ा घूँट भरते हुए कहा।
“महेश! राज का ग्लास भरो”, एम-डी ने कहा “सच तो ये है राज कि जिस दिन से मैंने तुम्हारी बीवी प्रीती को देखा है, मैं रात को सो नहीं पाया हूँ। मैं उसके ही सपने देखता हूँ। तुम्हें अपनी बीवी को तैयार करते हुए उसे हम दोनों को सौंपना है। फिर तुम्हें तरक्की भी मिल जायेगी और फ्लैट भी। हम लोग तुम्हारी दूसरे तरीके से भी मदद करेंगे।”
“हम दोनों को?” मैं समझा नहीं।
“हाँ! हम दोनों को”, एम-डी ने कनफर्म किया।
मैं एक दम सकते की हालत में था। क्या कहूँ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने अपना ग्लास एक ही झटके में खाली कर दिया। ओह गॉड! ये लोग मेरी बीवी पर नज़र रखते हैं, ये दोनों उसे चोदना चाहते है। मुझे लगा सारा आसमान मेरे सिर पर गिर पड़ेगा।
“ये आआआ...प क्या कह रहे हैं सर”, मैंने थोड़ा गुस्से में, पर नीची आवाज़ में कहा, “क्या आप दोनों मेरी बीवी को चोदना चाहते हैं।”
“मैं नहीं कहता था सर! अपना राज समझदार लड़का है, हाँ! राज हम तुम्हारी बीवी प्रीती को चोदना चाहते हैं”, महेश ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।
“नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता”, मैंने सुबकते हुए कहा, “प्रीती बहुत सीधी लड़की है, वो भगवान को बहुत मानती है और डरती है और सबसे बड़ी बात, वो पतिव्रता नारी है। वो नहीं मानेगी।”
“हम भी भगवान से डरने वालों में से हैं”, एम-डी ने कहा।
“राज! ठंडे दिमाग से सोचो, तुम तरक्की के साथ दुनिया का सब सुख और आराम पा सकते हो। कंपनी के साथ रहते हुए तुम कहाँ से कहाँ पहुँच सकते हो”, एम-डी ने कहा।
“ओह गॉड! ये मैं कहाँ फँस गया”, मैं सोच रहा था। मेरे अंदर का शैतान मुझे भड़का रहा था कि राज हाँ कर दे! इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा! कितनी औरतें हैं जो अपने पति के होते हुए दूसरों से चुदवाती हैं। उनके पति को पता भी नहीं चल पाता क्योंकि चूत में तो कोई फ़रक नहीं आता। फिर तुम्हें तो उसकी चूत हासिल रहेगी ही। और सोचो नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में रहना..., वो सब सुख और आराम। मगर मेरे अंदर का इनसान मुझे मना कर रहा था कि ये सब पाप है और मुझे उक्सा रहा था राज मना कर दे...! अभी और इसी वक्त!
“वो नहीं मानेगी सर! मैं जानता हूँ”, मैंने जवाब दिया।
“कैसे नहीं मानेगी? अगर वो पतिव्रता है तो तुम्हारा हुक्म कभी नहीं टालेगी”, एम-डी ने कहा।
“सर आप समझते क्यों नहीं...? मैं जानता हूँ।”
“महेश! तुमने राज को वो फोटो दिखाये कि नहीं?” कहकर एम-डी ने मेरी बात काटी।
महेश ने अपने पॉकेट से एक लिफाफा निकाल कर मुझे पकड़ा दिया। मैंने देखा उस लिफ़ाफ़े में मेरी और मेरी तीनों एसिस्टेंट्स की चुदाई की तसवीरें थी। मुझे नहीं मालूम कि कैसे और किसने ये तसवीरें खींची थीं। मैं सकते का हालत में था। “आपको ये कहाँ से मिली और आपको किसने बताया?” मैंने डरते हुए पूछा।
“किसी ने नहीं! हमारी कंपनी में कौन क्या कर रहा है, ये जानना हमारा फ़र्ज़ है”, एम-डी ने जवाब दिया।
मेरा दिमाग चकरा रहा था। अगर ये फोटो प्रीती ने देख लिये तो वो जरूर मुझे छोड़ के चली जायेगी। “इनका आप क्या करेंगे?” मैंने पूछा।
“ये तुम पर निर्भर करता है, या तो प्रीती को तैयार करो और अपनी तरक्की, फ्लैट और ये सब तसवीरें, नैगेटिव के साथ तुम्हें हासिल हो जायेंगी या फिर कल सुबह ये तसवीरें तुम्हारी बीवी को मिल जायेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। ये फैसला तुम्हें करना है।”
मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने अपना मन पक्का कर लिया और कुर्सी पर से खड़ा होते हुए कहा, “ठीक है सर! मैं प्रीती को तैयार कर लूँगा।”
“तुम काफी समझदार हो राज! बहुत तरक्की करोगे भविष्य में”, एम-डी ने मेरी पीठ थापथपायी।
“तुम्हें विश्वास है... तुम ये काम कर लोगे?” महेश ने पूछा।
“हाँ सर! मैं कर लूँगा, आप मुझे सिर्फ़ समय और तारीख बतायें”, मैंने जवाब दिया।
“ठीक है! शनिवार की शाम हम तुम्हारे घर ड्रिंक्स लेने के बहाने आयेंगे, पर तुम्हारी बीवी का मज़ा लेंगे”, एम-डी ने कहा।
“हाँ सर! ये ठीक रहेगा! प्रीती को होटल में चोदने की बजाये उसी के बिस्तर पर चोदा जाये तो बढ़िया है”, महेश ने कहा।
मैंने उनसे विदा ली और इस दुविधा के साथ अपने घर पहुँचा कि अब प्रीती को कैसे तैयार करूँगा। ड्रिंक्स ज्यादा होने कि वजह से हमारी बात नहीं हो पायी और मैं सो गया।
सुबह प्रीती ने पूछा, “राज कल रात तुम्हारी मीटिंग किस विषय में थी?”
“ऐसे ही ऑफिस की नॉर्मल मीटिंग थी...” मैं चाह कर भी उसे कुछ कह नहीं पाया। “हाँ मैंने सैटरडे को एम-डी और महेश को ड्रिंक्स पर बुलाया है, ध्यान रखना”, मैंने प्रीती से कहा।
“उन्हें घर पर क्यों बुलाया? तुम्हें मालूम है ना वो मुझे अच्छे नहीं लगते”, प्रीती ने नाराज़गी जाहिर की।
“प्रीती! वो मेरे बॉस हैं, और तुम्हें उनसे अच्छे से बिहेव करना है। जब उन्होंने घर आने को कहा तो क्या मैं उन्हें मना कर सकता था?” मैंने प्रीती को समझाया।
बुधवार की शाम कुछ लोग ड्रिंक्स का सामान दे गये, जो महेश ने भिजवाया था।
बास्केट में स्कॉच और कोक देख कर प्रीती ने पूछा, “ये सब क्या है?”
“बॉस के लिये स्कॉच और कोक...” मैंने जवाब दिया।
जब मैंने महेश से पूछा कि कोक क्यों भिजवायी तो महेश ने कहा, “राज ये स्पेशल तरह की कोक है, इसमें उत्तेजना की दवाई मिलायी हुई है। इसे प्रीती को पिलाना, उसका दिमाग काम करना बंद कर देगा।”
पूरा हफ्ता बीत गया और शनिवार आ गया। पर मैं प्रीती को कुछ नहीं बता पाया। मैंने सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ दिया।
ठीक आठ बजे एम-डी और महेश पहुँच गये।
“वेलकम सर, हैव अ सीट”, मैंने उन दोनों का स्वागत किया।
“नमस्ते सर!” प्रीती ने भी स्वागत किया।
“हेलो राज! हेलो प्रीती! आज तो तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही हो”, एम-डी ने जवाब दिया।
प्रीती ने लाइट ब्लू रंग की साड़ी और उसके ही मैचिंग का टाइट ब्लाऊज़ पहन रखा था। साथ ही उसने सफ़ेद रंग के पेंसिल हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे और वो बहुत ही सुंदर लग रही थी।
“थैंक यू सर, आइये बैठिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ”, प्रीती ने किचन कि ओर जाते हुए कहा।
“कोई जल्दी नहीं है, आओ हमारे साथ बैठो”, एम-डी ने कहा।
प्रीती भी मेरे साथ उनके सामने बैठ गयी। मैंने स्कॉच के पैग बनाये और एम-डी और महेश को पकड़ा दिये।
“तुम भी कुछ क्यों नहीं लेती?” एम-डी ने प्रीती से कहा।
“सर! मैं शराब नहीं पीती, हाँ! मैं एक कोक ले लूँगी।” मैंने प्रीती को वो स्पेशल कोक पकड़ा दिया।
प्रीती ने चीयर्स कहकर उस कोक में से एक घूँट भरा। मैं कुछ नाश्ता ले कर आती हूँ, कहकर किचन की ओर चली गयी।
“राज तुमने उसे सब बता दिया?” एम-डी ने पूछा।
“नहीं सर! अभी तक नहीं, पर आप चिंता ना करें मैं उसे तैयार कर लूँगा”, मैंने समझाया।
थोड़ी देर में वो नाश्ते की प्लेट टेबल पर सजाने लगी। नीचे झुकते वक्त उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसकी छाती की गहरायी दिखने लगी। एम-डी और महेश उसके भरे भरे मम्मों को घुरे जा रहे थे। प्रीती को जब एहसास हुआ तो उसने खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक कर ली।
“ओह आज कितनी गर्मी है”, कहकर उसने अपना कोक एक ही साँस में खाली कर दिया।
हम तीनों उस पर कोक का असर होते देख रहे थे। उसकी हालत खराब हो रही थी, “एक्सक्यूज़ में, मैं अभी आयी”, कहकर वो किचन की और बढ़ गयी।
थोड़ी देर बाद उसकी आवाज़ आयी, “राज! जरा यहाँ आना।”
“राज! तुमने मेरे कोक में क्या मिलाया?” उसने अपनी हालत को संभालते हुए पूछा।
“मैंने कहाँ कुछ मिलाया है?” मैंने अंजान बनते हुए कहा।
“मेरे सिर पर कसम खाकर कहो तुमने कुछ नहीं मिलाया, और सच-सच बताओ क्या बात है, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो”, उसने अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
अब समय आ गया था कि मैं प्रीती को सब कुछ सच सच बता दूँ। “ठीक है सुनो! मैं तुम्हें बताता हूँ। तुम्हें याद है लास्ट संडे जब मैं कंपनी की मीटिंग में गया था।” ये कहकर मैंने उसे शुरू से आखिर तक सब बता दिया सिवाय उन तसवीरों के।
“और तुम मान गये, अपनी बीवी को उनसे चुदवाने के लिये?” उसने नाराज़ होते हुए कहा।
“क्या करता मेरे पास कोई चारा नहीं था, इन्होंने मुझे गबन के इल्ज़ाम में जेल जाने की धमकी दे दी थी। तुम ही बताओ मैं क्या करता?”
“मैं जेल नहीं जाना चाहता प्रीती! प्लीज़ मान जाओ और साथ दो”, मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
“नहीं मैं नहीं मानुँगी! क्या तुमने मुझे रंडी समझ रखा है?” कहकर वो अपनी चूत जोरों से खुजलाने लगी।
कोक का असर उस पर चढ़ता जा रहा था। “ठीक है! मत मानो, मैं जेल चला जाऊँगा और तुम आराम करना। पर याद रखना मेरे जेल जाने की वजह तुम ही होगी। अच्छा पत्नी धर्म निभा रही हो तुम। मैं अभी जा कर उनसे कह देता हूँ”, कहकर मैं किचन के बाहर जाने लगा।
उसने मुझे रोका, “ठहरो! तुम यही चाहते हो ना कि मैं रंडी बन जाऊँ? तो ठीक है मैं रंडी बनुँगी और तुम्हारे बॉस से ऐसे चुदवाऊँगी कि वो भी ज़िंदगी भर याद रखेंगे। लेकिन हाँ! मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी, कि, मैं रंडी तुम्हारी वजह से बन रही हूँ”, ये कहकर वो अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगी।
मैं मन ही मन खुश हुआ कि चलो मान तो गयी। क्या करेगी? थोड़े दिनों में सब भूल जायेगी। “ठीक है! मैं उन्हें जा कर बताता हूँ कि तुम तैयार हो गयी हो।”
“नहीं!!! मैं खुद बताऊँगी! तुम जाओ”, उसने कहा।
मैंने कमरे में आकर उन्हें इशारे से बताया कि प्रीती राज़ी हो गयी है। दोनों ही खुश हुए और अपने ड्रिंक्स लेने लगे। दोनों ही बेसब्र नज़र आ रहे थे।
“कितनी देर में आयेगी राज? अब नहीं रहा जाता”, एम-डी ने पूछा।
“सर इंतज़ार करें, अभी पाँच मिनट में आयेगी”, मैंने जवाब दिया।
ठीक पाँच मिनट बाद प्रीती कमरे में दाखिल हुई। उसकी आँखें सुर्ख लाल हो गयी थी। मैं समझ गया कि वो रोती रही थी। वो उनके सामने आकर चेयर पर बैठ गयी और खुद के लिये ग्लास में कोक लिया और उसमें स्कॉच मिलाकर एक ही झटके में पी गयी। मैं प्रीती को शराब पीते देख भौंचक्का रह गया क्योंकि उसे शराब से नफरत थी।
उसका पल्लू नीचे गिर पड़ा मगर उसने उसे वैसे ही रहने दिया। उसके मम्मे नज़र आ रहे थे। एम-डी और महेश की नज़रें उसके मम्मों पर ही गड़ी हुई थीं। उसके ब्लाऊज़ के दो बटन खुले हुए थे।
प्रीती उनकी आँखों में देख कर बोली, “अच्छा तुम दोनों हरामी आज मुझे चोदने आये हो!! तो इंतज़ार किस बात का कर रहे हो? चलो दोनों शुरू हो जाओ।”
वो दोनों चौंक कर मेरी तरफ देखने लगे। मैं भी प्रीती का ऐसा कहते सुनकर चौंक पड़ा था। मुझे नहीं मालूम था कि प्रीती इस भाषा में उनसे बात करेगी।
प्रीती की बात सुनकर एम-डी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने म्यूज़िक लगा दिया। अब एम-डी प्रीती को अपनी बाँहों में भर कर गाने की ट्यून पर थिरक रहा था। जब एम-डी ने उसे किस करना चाहा तो पहले तो उसने ऐतराज़ दिखाया पर बाद में अपने होंठ एम-डी के होंठों पर रख कर चूसने लगी। एम-डी भी उसे-जोर से भींच रहा था। प्रीती की साड़ी खुलती जा रही थी।
मेरे मन में जलान की भावना उठी, पर इस कुरबानी के बदले मुझे जो मिलने वाला था, ये सोच कर मैं खुश हो रहा था।
“अब मुझसे नहीं रहा जाता”, कहकर महेश प्रीती के दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़ कर भींचने लगा और अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ने लगा। महेश प्रीती की नंगी गर्दन और पीठ पर चुम्मे ले रहा था।
नाचते हुए जैसे ही वो मेरे पास से गुजरे, मैंने प्रीती के पेटीकोट के नाड़े को पकड़ा और उसका पेटीकोट खुल गया और उसके साथ ही उसकी साड़ी। उधर महेश ने उसके ब्लाऊज़ के बाकी के बटन खोल कर उसकी ब्रा भी उतार दी।
दोनों ही काफी उत्तेजित हो चुके थे। उन्होंने अपनी पैंटें उतार दी और अपने अंडरवीयर भी उतार दिये। एम-डी का लंड इतना मोटा और लंबा नहीं था पर महेश का लंड काफी लंबा और मोटा था पर मेरे लंड से ज्यादा नहीं। मैंने प्रीती की पैंटी में अपनी अँगुली फँसा कर उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो उन दोनों के बीच में सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई-हील सैंडल पहने बिल्कुल नंगी थी।
उसके मम्मे दबाते हुए महेश अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ रहा था और एम-डी अपना लंड उसकी चूत पर घिस रहा था।
“मममम... कितना अच्छा लग रहा है”, कहकर प्रीती ने अपने दोनों हाथों से दोनों लंड पकड़ लिये। अब वो उन्हें धीरे-धीरे हिला रही थी।
“महेश मुझसे अब रहा नहीं जाता, मैं अब इसे चोदना चाहता हूँ”, एम-डी ने सिसकरी भरते हुए कहा।
एम-डी ने प्रीती को गोद में उठाकर बिस्तर पे लिटा दिया। और खुद उस पर लेट कर पहले उसके मम्मे चूसने लगा और निप्पल पर अपने दाँत गड़ाने लगा। फिर नीचे की ओर खिसक कर उसकी चूत को चाटने लगा।
“ये आप क्या कर रहे हैं सर! मैंने आज तक किसी की चूत नहीं चाटी।” महेश ने आश्चर्य में कहा।
“तुम्हें नहीं पता तुम आज तक क्या मिस करते आये हो”, ये कहकर एम-डी जोर जोर से प्रीती की चूत चाटने लगा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे चोदने लगा।
महेश ने प्रीती के मम्मे खाली देखे तो उन्हें पीने लगा और जोर से भींचने लगा। प्रीती ने दोनों के सिर पर दबाव बढ़ाते हुए कहा, “हाँ इसी तरह मेरी चूत चाटो, पियो मेरे मम्मों को..., भींच डालो मेरी चूचियों को।”
“ओहहहहहह कितना अच्छा लग रहा है हाँआँआँ इसी तरह चोदो... ओहहहहहह गॉड!!!! हाँआआआआआँ और अंदर तक अपनी जीभ डाल दो और जोर से चोदो.... ऊऊऊऊहहहहह मेरा छूटने वाला है.... हाँ और जोर से”, कहकर प्रीती की चूत ने अपना पानी एम-डी के मुँह पर छोड़ दिया।
मगर एम-डी ने उसकी चूत को चाटना बंद नहीं किया बल्कि और तेजी से चाटने लगा। प्रीती में फिर गर्मी बढ़ने लगी। उसने महेश के बाल पकड़ कर अपने मम्मों पर से हटाया और एम-डी के बाल पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, “अब मुझे चोदो, मुझसे रहा नहीं जा रहा।”
उसकी टाँगें चौड़ी कर के एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसेड़ दिया। “महेश क्या शानदार चूत है, काफी टाइट भी लग रही है”, प्रीती की चूत को निहारते हुए एम-डी बोला।
“अरे सालों!!!! ये तुम्हें क्या हो गया है”, प्रीती ने अपनी टाँगें उछालते हुए उत्तेजना में कहा, “क्या अब तुम्हारी माँ आकर बतायेगी मादरचोद!!!!! की चूत में लंड डालने के बाद क्या करना चाहिये, लंड घुसाया है तो चोदो भी।”
प्रीती की बातें सुन कर एम-डी ने उसे चोदना शुरु कर दिया। काफी दिलकश नज़ारा था। मैंने पहले कभी प्रीती का ये रूप नहीं देखा था।
उत्तेजना में महेश से रहा नहीं जा रहा था। उसने अपना लंड प्रीती के मुँह में देने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को हटाते हुए कहा, “थोड़ा सब्र करो... तुम्हारा भी नंबर आयेगा पहले इसके लंड को तो देख लूँ।”
लेकिन महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और फिर अपना लंड उसके मुँह में घुसाने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को जोर से दबाते हुए कहा, “साले हरामी! एक बार बोला तो समझ में नहीं आता क्या? अबकी बार किया तो तेरे लंड को चबा कर नाश्ता समझ कर खा जाऊँगी।”
घबरा कर महेश पीछे हट गया और फिर एम-डी के पीछे प्रीती के पैरों के पास आकर उसके सैंडल के तलवे पर अपना लंड घिसने लगा। एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था। उसका लंड प्रीती की चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। ये देख मुझ में भी गर्मी आने लगी। प्रीती का ये रूप मेरे लिये भी आश्चर्य भरा था। मैं भी अपना लंड बाहर निकाल कर उसे सहला रहा था।
“हूँ... हाँ...” करते हुए एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था।
“हाँ!! इसी तरह चोदो... थोड़ा और जोर से”, प्रीती के मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी।
एम-डी जोर-जोर से अपने लंड को पिस्टन की तरह प्रीती की चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। प्रीती उन्माद के सागर में डूबी हुई थी और अपनी कमर उछाल कर एम-डी की हर थाप का जवाब अपनी थाप से दे रही थी।
“हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और तेजी से इसी तरह चोदते रहो, रुकना नहीं!!!” प्रीती अपनी टाँगें उछालते हुए कह रही थी।
एम-डी की रफ़्तार थोड़ी धीरे पड़ी...
“साले रुकना नहीं, मेरा छूटने वाला है... हाँ!!! चोदते रहो!!! लगता है तुम्हारा छूट गया।”
एम-डी का पानी छूट चुका था पर वो अपना लंड प्रीती की चूत के अंदर बाहर करने की पूरी कोशिश कर रहा था।
“हाँ!! इसी तरह चोदते रहो, मेरा छूटने वाला है अगर रुके तो जान से मार दूँगी... दो तीन धक्कों की बात है... हाँ इसी तरह ऊऊऊऊऊहहहहह..... मेरा छूट गया”, अपना पानी छोड़ कर प्रीती बिस्तर पर निढाल पड़ गयी।
प्रीती एम-डी का चेहरा अपने हाथों में ले कर उसे किस करने लगी। जैसे ही एम-डी उस पर से उठा तो मैंने देखा कि मुट्ठी भर पानी प्रीती की चूत से निकल कर बिस्तर पर गिर पड़ा। प्रीती ने एम-डी को परे ढकेल दिया और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू पाने लगी।
एम-डी ने भी अपनी साँसें संभालते हुए कहा, “महेश अब तुम इसे चोदो! सच कहता हूँ, आज तक इतनी मस्त चूत नहीं चोदी।”
“हाँ सर! चोदूँगा, पर मैं पहले इसकी गाँड मारना चाहता हूँ, इसकी गाँड ने मुझे पहले दिन से ही दीवाना बना कर रखा हुआ है”, जवाब देते हुए महेश ने पलट कर प्रीती से कहा, “रंडी पलट कर लेट!!! अब मैं अपना लंड तेरी गाँड में घुसाऊँगा।”
मुझे आश्चर्य हुआ जब प्रीती बिना किसी आनाकानी के घोड़ी बन गयी। महेश ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाना शुरू किया, “ओईईई माँआआआ!!!!, प्रीती जोर से दर्द के मारे चिल्लायी, हरामजादे!!!! क्या मुझे मार डालेगा???? पहले इस पर कुछ लगा तो ले।”
महेश ने उसकी गाँड पर थूक कर एक जोर का धक्का दिया और अपना पूरा लंड उसकी गाँड में समा दिया। “ओयीईईईईईईई माँआआआआआ बहुत दर्द हो रहा है”, प्रीती चिल्लायी, “साले हरामी!!!!”
महेश थोड़ी देर के लिये रुक गया, “सर! आप भी इसकी गाँड मार के देखिये, मैं सच कहता हूँ इसकी गाँड इसकी चूत से ज्यादा टाइट और मस्त है, लगता है राज इसकी गाँड इतनी नहीं मारता”, महेश ने एम-डी से कहा।
“चुप करो हरामजादों!!! तुम लोग कोई कंपनी की मीटिंग में नहीं हो, दर्द दिया है तो मज़ा भी देना सीखो”, इतना कहकर प्रीती पीछे की और धक्के लगाने लगी, “साले!!! अब मेरी गाँड को चोदना शुरू कर।”
प्रीती की बातें सुन महेश ने अपना लंड जोर से उसकी गाँड में घुसा दिया। “हरामजादी! मुझे हरामी कह रही थी, ले! कितना चुदवाना चाहती है”, महेश अब जोर-जोर से उसकी गाँड को रौंद रहा था, “साली!! आज तेरी गाँड का भुर्ता ना बना दिया तो मुझे कहना।”
करीब पाँच मिनट के बाद प्रीती चिल्लायी, “हाँ!!! ऐसे ही चोदते जाओ, मेरी चूत को रगड़ो.... चूत को रगड़ो।”
प्रीती की बातों को अनसुना कर महेश अपना लंड उसकी गाँड के अंदर-बाहर कर रहा था। उन्हें देख कर मैं भी लंड को हिला रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो रही थी।
“मेरी चूत को रगड़ो ना!!!” प्रीती जोर से चिल्लायी।
महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और जोर से उसे चोदने लगा। उसकी हरकत से लग रहा था कि उसका पानी छूटने वाला है। फिर एक झटके में अपना लंड अंदर तक दबा कर वो ढीला पड़ गया।
प्रीती ने देखा कि जब उसकी बात कोई नहीं सुन रहा है तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को रगड़ना शुरू किया और अपनी अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगी। उसके मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी, “हाँआआआआआँ ऐसे ही चोदो......, हाँआआआआआआँ.... बहुत मज़ा आ रहा है”, कहकर वो शाँत हो गयी।
महेश ने अपना मुरझाया हुआ लंड प्रीती की गाँड से बाहर निकाला। प्रीती की गाँड और चूत से पानी टपक रहा था। ये देख कर मैंने भी अपना वीर्य वहीं ज़मीन पर छोड़ दिया।
“सर! क्या गाँड थी, बहुत मज़ा आया”, महेश ने एम-डी से कहा।
इनकी चुदाई देख कर एम-डी का लंड फिर से तन गया था। महेश के हटते ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसा दिया। “हाँ चोदो!! मेरी गाँड को चोदो, फाड़ दो इसे आज!!” प्रीती जोर से चिल्लायी।
अगले दो घंटे तक एम-डी और महेश प्रीती को अलग-अलग तरह से चोदते रहे। दोनों थक कर चूर हो चुके थे।
“क्या हो गया है तुम दोनों को? अपना लंड खड़ा करो, अभी मेरा मन नहीं भरा... मैं अभी और चुदवाना चाहती हूँ”, प्रीती उनके लंड को हिलाते हुए कह रही थी।
“लगता है.... अब हमारा लंड खड़ा नहीं होगा”, एम-डी ने कहा।
“मैं देखती हूँ... मैं क्या कर सकती हूँ”, कहकर प्रीती ने एम-डी का लंड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसना शुरू किया।
थोड़ी देर में ही एम-डी का लंड फिर से खड़ा हो गया। “आओ!!! अब मुझे चोदो”, प्रीती ने अपनी टाँगें चौड़ी करते हुए कहा।
जैसे ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में डाला, महेश ने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। थोड़ी ही देर में एम-डी और प्रीती झड़ कर अपनी साँसों को संभाल रहे थे।
एम-डी के हटते ही प्रीती ने महेश से कहा, “महेश अब तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदो।”
महेश, प्रीती के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।
“ओहहहहह महेश तुम कितनी अच्छी तरह से चोदते हो!!!!! आआआआआहहहह ओहहहहह।” प्रीती मज़े लेते हुए बोल रही थी।
उसकी उत्तेजनात्मक बातों को सुन कर महेश में और जोश आ गया। वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था।
“हाँआआआआ इसी तरह से चोदते जाओ आआआ और जोर से हाँआँआँआआआ, अपना लंड अंदर तक डाल दो.... खूब मज़ा आ रहा है”, अपनी टाँगें उछाल कर प्रीती महेश के धक्कों का साथ दे रही थी।
अचानक प्रीती चिल्लायी, “साले ये क्या कर रहा है.... मुझे बीच में छोड़ कर मत जाना!!! मेरा भी छूटने वाला है!!!!!”
पर बेचारा महेश क्या करता। उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था और मुर्झा कर प्रीती की चूत से बाहर निकल पड़ा।
“साले हरामी!!!! तू इस तरह मुहे बीच में छोड़ के नहीं जा सकता”, प्रीती चिल्लायी, “अगर लंड से नहीं चोद सकता तो इसे अपनी जीभ से चाटकर मेरा पानी छुड़ा।”
प्रीती की हालत देख कर महेश प्रीती की टाँगों बीच आ गया और अपनी जीभ से प्रीती की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा।
“हाँ इसी तरह चाटते जाओ!!! अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो... हाँ अब अच्छा लग रहा है.... चाटते जाओ आआआआहहहहह ऊऊऊऊऊऊऊहहहहह”, चिल्लाते हुए प्रीती की चूत ने पानी छोड़ दिया।
अपनी साँसों को संभालते हुए प्रीती दोनों से बोली, “अब मुझे कौन चोदेगा?”
“मुझ में तो और ताकत नहीं है...” एम-डी ने कहा।
“...और मुझे भी नहीं लगता कि मेरा लंड फिर खड़ा हो पायेगा”, महेश बोला।
“अगर अब और नहीं चोद सकते तो अपने घर जाओ” प्रीती ने उन दोनों को बेड पेर से धक्का देते हुए कहा, “हाँ जाते हुए अपनी ऐय्याशी की कीमत चुकाना नहीं भूलना!”
क्या नज़ारा था ये। मैंने आज से पहले प्रीती को इस तरह बोलते और गर्माते नहीं देखा था। मेरा खुद का पानी तीन बार छूट चुका था।
जब एम-डी घर जाने को तैयार हुआ तो उसने मुझे नियापेनसिआ रोड के फ्लैट की चाबी देते हुए कहा, “राज, प्रीती वाकय शानदार और कमाल की है, आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया, जब उसकी गंदी-गंदी बातें सुनता था तो मुझ में दुगना जोश चढ़ जाता था।”
मैंने प्रीती की ओर देखा। वो अपने सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी थी और छत को बेजान आँखों से घूर रही थी। उसकी हालत को देख कर मैं डर रहा था।
“हाँ राज! प्रीती वाकय में दमदार औरत है, कईंयों को चोदा पर प्रीती जैसी कोई नहीं थी”, कहकर महेश ने मुझे वो तस्वीरों वाला लिफाफा पकड़ा दिया, “लो राज!! आज तुमने ये सब कमा लिया है।”
“हाँ! प्रीती कुछ अलग ही है, आज पहली बार इसने महेश को चूत चाटने पर मजबूर कर दिया”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
महेश ने हँसते हुए कहा, “सर!! अब चलिये... देर हो रही है।”
“चलिये सर! मैं आप लोगों को कार तक छोड़ आता हूँ”, मैं उनके साथ बाहर की ओर बढ़ा, “सर! प्रीती ठीक हो जायेगी ना?”
“चिंता मत करो राज। बीते वक्त के साथ सब ठीक हो जाती हैं, तुम परेशान मत हो”, एम-डी ने मुझे आशवासन दिया।
तस्वीरों को अपनी मोटर-साइकल की डिक्की में छुपाने के बाद मैं घर में घुसा तो देखा प्रीती बिस्तर पर नहीं थी। मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनी तो वहीं बैठ गया और प्रीती के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा।
थोड़ी देर बाद प्रीती नहाकर बाथरूम से बाहर निकली। उसने पारदर्शी नाइट गाऊन पहन रखा था।
“प्रीती तुम कमाल की थी.... एम-डी और महेश दोनों खुश थे”, मैंने खुश होते हुए कहा।
मेरी बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसने कहा, “ओह गॉड! इतना रगड़-रगड़ कर नहाने के बाद भी मुझे लगता है कि मेरे शरीर का मैल नहीं धुला है।”
“फिक्र मत करो डार्लिंग!! थोड़े दिनों में सब ठीक हो जायेगा”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
“रुक जाओ!!! मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना”, वो बिफ़रते हुए बोली।
उसका गुस्से से भरा चेहरा और उसका बदला रूप देख कर मैं मन ही मन घबरा गया और चुप हो गया।
संभोग की सलवटों और वीर्य के धब्बों से भरी चादर को देख कर वो रोते हुए बोली, “ओह गॉड! मैं तो इस बेड पर आज के बाद सो नहीं पाऊँगी”, और वो रोने लगी।
“लाओ!!! मैं ये चादर बदल देता हूँ”, मैंने उसे कहा।
“कोई जरूरत नहीं!!! आज के बाद हर रात तुम इस बिस्तर पर सोगे और मैं वहाँ सोफ़े पर”, कहकर वो तकिया और नयी चादर ले कर सोफ़े पर चली गयी।
मैं कुछ और कर नहीं सकता था। जो होना था वो हो चुका था। शायद समय प्रीती के घावों को भर दे। मेरा मन दुखी था पर क्या कर सकता था। इन ही सब विचारों में घिरा मैं सो गया।
सुबह मैंने देखा कि प्रीती हाथ में चाय का कप लिये मुझे उठा रही थी, “उठो! कितनी सुबह हो गयी है, क्या ऑफिस नहीं जाना है?” उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि उसने हालात से समझौता कर लिया था। कल रात के किस्से को उसने अपना लिया था। मैं मन ही मन खुश हुआ पर ये मेरी खुशी कितनी गलत थी ये मुझे बाद में पता चला।
मैंने उसे काफी समझाने की कोशिश की पर मेरी हर कोशिश के बावजूद उसने मेरे साथ सोने से साफ इनकार कर दिया।
हम लोग हमारे नये नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में शिफ़्ट हो गये। घर काफी बड़ा था। एक दिन ऑफिस से घर लौटते हुए मैंने देखा कि एक ३०-३५ साल का आदमी घर से बाहर निकल रहा है।
घर में घुस कर मैंने देखा कि प्रीती नाइटी पहने हुए है और बिस्तर काफी सलवटों से भरा पड़ा था।
“वो आदमी कौन था जो अभी यहाँ से गया?” मैंने पूछा।
“अरे वो? वो हमारा बनिया था”, प्रीती ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा।
“वो हमारा बनिया तो था पर वो हमारे घर में क्या कर रहा था, और ये बिस्तर ऐसा क्यों हुआ पड़ा है?” मैंने गुस्से में कहा।
“मुझे उसे तीन महीने का बिल देना था, और मैं उसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकती थी।”
“तो?” मैंने पूछा।
“तो क्या? मैंने उसका हिसाब अपनी चूत देकर चुक्ता कर दिया”, प्रीती ने एक बदमाशी भरी मुस्कान के साथ जवाब दिया।
“तुमने क्या किया?” मैं जोर से चिल्लाया।
“राज! चिल्लाने की जरूरत नहीं है, तुम ही हमेशा कहा करते थे कि पैसा संभाल कर खर्चा करा करो, देखो मैंने अपनी चूत से तुम्हारे कितने पैसे बचा दिये।”
पहली बार मुझे अपने आप पर अफ़सोस हो रहा था कि मैंने उसे एम-डी के साथ क्यों सोने दिया।
जो होना था वो हो गया। अब मुझे इस नयी प्रीती के साथ ही निभाना पड़ेगा। ज़िंदगी रूटीन की तरह चल पड़ी। प्रीती आज भी मुझे उसे चोदने नहीं देती थी, पर हाँ! मेरी तीनों एसिस्टेंट्स मुझसे बराबर चुदवाती रहती थी।
एक दिन शाम को महेश ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और मेरी तरफ एक प्रिंटेड फोर्म बढ़ाते हुए कहा कि “राज! इस भर के दे दो।”
“सर ये क्या है? ये तो नेशनल क्लब का एपलीकेशन फोर्म है”, मैंने आश्चर्य में कहा।
“हाँ! हमारे एम-डी तुम्हारे काम से बहुत खुश हैं, इसलिये वो चाहते है कि तुम इस क्लब के मेंबर बन जाओ।”
मैंने खुश होते हुए फोर्म भर के दे दिया।
करीब एक महीने बाद महेश मुझसे बोला, “राज तुम्हारी क्लब की एपलीकेशन मंजूर हो गयी है और अब तुम उस क्लब के मेंबर हो। और क्लब की परंपरा के अनुसार नये मेंबर्स को एक गेट-टू-गेदर में बुलाया जाता है.... जहाँ उनका सबसे परिचय कराया जाता है। तुम शनिवार को शाम को क्लब पहुँच जाना और प्रीती को लान ना भूलना। पार्टी शाम आठ बजे है।”
मैंने घर पहुँच कर ये खबर प्रीती को सुनायी और पूछा, “क्या तुम चलोगी?”
“क्यों नहीं चलुँगी?” उसने जवाब दिया।
शनिवार को हम लोग पार्टी में पहुँचे, जहाँ एम-डी ने हमारा परिचय सबसे कराया। वहाँ उनकी वाइफ, ’मिसेज मिली’ और हमारे एक्स एम-डी की वाइफ ’मिसेज योगिता’ भी थी। एम-डी और प्रीती काफी घुल मिल कर बातें कर रहे थे और प्रीती ड्रिंक्स में एम-डी का पूरा साथ दे रही थी। पार्टी में बहुत मज़ा आया।
घर लौटते वक्त मैंने प्रीती से पूछा, “पार्टी कैसी लगी?”
“अच्छी थी!” उसने जवाब दिया।
एक दिन महेश ने मुझसे कहा, “राज! इस शनिवार को प्रीती को ठीक आठ बजे क्लब भेज देना। मैं कार भेज दूँगा।”
मैंने प्रीती को बताया और कहा, “प्रीती तुम्हें वहाँ नहीं जाना चाहिये।”
“क्यों नहीं जाना चाहिये? अब मैं बड़ी हो गयी हूँ! एम-डी से कहना, मैं पहुँच जाऊँगी।”
शनिवार को शाम प्रीती काफी सज़ धज़ कर तैयार हो गयी। मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हें अकेले नहीं जाना चाहिये, मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ।”
“नहीं! तुम चल कर क्या करोगे? वैसे भी एम-डी की कार आ चुकी है।” उसने जाते हुए कहा, “हाँ!!! मेरा इंतज़ार मत करना, हो सकता है मुझे लेट हो जाये।”
मैं काफी देर तक जागता रहा। करीब आधी रात को वो नशे में धुत्त हो कर लड़खड़ाती हुई घर आयी। मैं सोने का बहाना करे बिस्तर पे पड़ा रहा। मुझे सोता समझ वो भी सो गयी। सुबह उसने मुझे ढेर सारे रुपये पकड़ाते हुए कहा, “राज। इन्हें संभाल कर रखो, ये तुम्हारी राँड की पहली कमाई है।”
मैं आश्चर्य चकित था। उससे अपने व्यवहार की माफी माँगना चाहता था मगर उसने बीच में ही कहा, “कुछ कहने की जरूरत नहीं है, अब बहुत देर हो चुकी है, तुम अपनी तीनों एसिसटेंट को चोदते हो, इस बात का मैंने तो कभी बुरा नहीं मना।”
“कौन कहता है?” मैंने विरोध करना चाहा।
“रहने दो! मुझे सब पता है। मुझे वो तस्वीरें मिल गयी थी जो तुमने अपनी मोटर-साइकल की डिक्की में छुपायी थीं। तुम्हारे दिल में जो आये उसे चोदो पर मेरे काम में डिस्टर्ब मत करो, जो मेरा दिल चाहेगा मैं करूँगी। मैं जिससे जी चाहेगा चुदवाऊँगी और खुलेआम शराब सिगरेट पीयूँगी... तुम्हें मुझे टोकने का कोई हक नहीं है।”
“राज एक बात बताओ, उस रात मेरे कोक में क्या मिला था जिसकी वजह से उस रात को मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही थी?” उसने पूछा।
अगर मुझे प्रीती को वापस पाना है तो उसे सब सच बताना ही पड़ेगा। मैंने यह सोचते हुए कहा, “क्योंकि उस कोक में उत्तेजना की दवा मिली हुई थी।”
“इसलिये उस रात मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही थी, और चुदवाने के लिये दिल मचल रहा था..., अब समझी मैं, राज! मैं तुम्हारा ये एहसान कभी नहीं भूलूँगी।”
इसके बाद वो हफ़्ते में तीन-चार बार क्लब जाने लगी और हर बार जाने से पहले वो स्पेशल दवा मिली शराब पीकर जाती। रात को लौटती तो शराब के नशे में चूर होकर, ढेर सारा पैसा लेकर लौटती। घर में पैसा बढ़ने लगा।
एक दिन उसने मुझे कहा, “राज मैं चाहती हूँ कि आज तुम मुझे होटल शेराटन लेकर चलो, वहाँ एम-डी और महेश हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।”
मैं प्रीती को लेकर होटल शेराटन पहुँचा। सूईट में एम-डी और महेश इंतज़ार कर रहे थे। हमें देखते ही एम-डी खुशी से बोला, “आओ प्रीती आओ, ये भी अच्छा है तुम राज को साथ ले आयी, पिछली बार की तरह आज मज़ा आयेगा।”
प्रीती ने सीधे बार की तरफ बढ़ कर तीन ड्रिंक्स बनाये और हम लोगों को पकड़ा दिये और खुद के लिये शराब में स्पेशल दवाई मिला कर पीने लगी। हम लोग थोड़ी देर तक बातें करते रहे। फिर एम-डी ने कहा, “प्रीती! मैंने अपने दोस्तों से सुना है कि तुम्हारा एक अलग अंदाज़ है कपड़े उतरने का, हमें भी दिखाओ ना।”
बिना कुछ कहे हुए प्रीती खड़ी हुई और एक झटके में अपना ड्रिंक पी कर उसने म्यूज़िक लगा दिया। फिर एक और बड़ा सा ड्रिंक बना कर एक ही साँस में गटकने के बाद अब वो म्यूज़िक पर थिरक रही थी।
“महेश! इसे जरा ध्यान से देखना, मेरे दोस्त कह रहे थे कि ये बहुत अच्छा करती है, मैं भी देखना चाहता था।”
प्रीती का अंदाज़ जरा ज्यादा ही निराला था। उसका झटक कर अपनी साड़ी का पल्लू गिराना और खुद से कहना, “प्लीज़ ऐसा मत करो ना मुझे शरम आयेगी।”
मैं समझ गया वो नयी दुल्हन की तरह पेश आ रही थी जैसे उसका पति उसे नंगा करना चाहता है। वो पति और पत्नी दोनों की आवाज़ में बोल रही थी।
“प्लीज़ मेरे कपड़े मत उतारो ना।” उसने अपने दांये हाथ से अपना पल्लू ठीक किया।
“प्लीज़ डार्लिंग उतारने दो ना”, और अपने बांये हाथ से फिर पल्लू गिरा दिया।
इसी तरह से अपना उत्तेजनात्मक नाटक करते हुए प्रीती अब सिर्फ़ ब्रा, पैंटी और हाई-हील सैंडल में खड़ी थी।
एम-डी और महेश दोनों गरम हो चुके थे और अपनी पैंट के ऊपर से ही अपना लंड सहला रहे थे।
“प्रीती! बाकी के कपड़े भी उतार दो, रुक क्यों गयी?” एम-डी ने कहा।
“बाकी के मैंने तुम्हारे लिये छोड़ दिये हैं।” ये सुनते ही एम-डी ने खड़े होकर प्रीती को बाँहों में भर लिया और उसकी ब्रा उतार दी। वो उसके मम्मे दबाने लगा।
महेश ने भी घुटनों के बल बैठ कर उसकी पैंटी उतार दी और उसकी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा। तीनों काफी उत्तेजित हो चुके थे और लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे।
“प्रीती अब और मत तरसाओ, हमें चोदने दो ना प्लीज़”, एम-डी ने अपने कपड़े उतारते हुए कहा।
“हाँ प्रीती! देखो मेरा लंड कैसे भूखे शेर की तरह खड़ा है।” महेश ने अपने कपड़े उतार कर अपना खड़ा लंड प्रीती को दिखाया।
“ठीक है! तुम लोग मुझे चोदना चाहते हो?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ! हम तुम्हें चोदना चाहते हैं!!” दोनों ने साथ जवाब दिया।
“और गाँड भी मारना चाहते हो?” उसने फिर पूछा।
“हाँ हाँ!!!” दोनों ने फिर जवाब दिया।
“तो ठीक है पहले पैसे कि बात तय हो जाये”, उसने एक दम प्रोफेशनल की भाषा में बात की।
“क्या तू चाहती है कि हम तुझे चोदने के पैसे दें”, एम-डी ने चौंकते हुए कहा।
“हाँ! याद है तुम्हें? एक दिन अपने दोस्त को तुमने क्या कहा था? दोस्त इस दुनिया में कुछ भी मुफ़्त में नहीं मिलता, अगर तुम इसे चोदना चाहते हो तो इसकी कीमत देनी पड़ेगी, सो नो पैसा, नो चूत!!!” प्रीती ने जवाब दिया।
“पर प्रीती लास्ट बार तो हमने कोई पैसा नहीं दिया था”, एम-डी बोला।
“आपकी याद्दाश्त खराब है शायद, लास्ट बार आपने दूसरे तरीके से कीमत चुकायी थी और वो कीमत आप आज भी हर महीने चुका रहे हैं”, प्रीती ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
“ठीक है!!! कितना पैसा चाहिये?” एम-डी एकदम व्यापारी कि तरह कहा।
“वही जो सब देते हैं, दस हज़ार एक आदमी का!” प्रीती ने जवाब दिया।
“मगर इतना पैसा मेरे पास अभी इस वक्त नहीं है, मैं कल दे दूँगा”, एम-डी ने कहा।
“मेरे पास भी नहीं है, मैं भी कल दे दूँगा, प्रॉमिस!” महेश भी झट से बोला।
“सॉरी फ्रैंड्स, आज पैसा... आज चूत। अगर कल पैसा तो चूत भी कल।” कहकर प्रीती अपने कपड़े उठाने लगी।
“ठहरो! मेरे पास मेरी चेक बुक है, मैं तुझे चेक दे देता हूँ”, एम-डी ने अपनी पॉकेट से चेक बुक निकाली।
“मैं भी तुम्हें चेक दे देता हूँ!” महेश भी चेक निकाल कर लिखने लगा।
“ठीक है! लेकिन एक बात याद रखना कि अगर ये चेक कल सुबह पास नहीं हुए तो मैं तुम दोनों पर मुकदमा करूँगी और देखुँगी तुम दोनों जेल में जाओ..., चाहे इसके लिये मुझे पूरे पुलीस डिपार्टमेंट से क्यों ना चुदवाना पड़े”, प्रीती ने जोर से कहा।
“चिंता मत करो, पास हो जायेंगे”, एम-डी ने अपनी ड्रिंक का घूँट भरते हुए कहा।
“ठीक है!” प्रीती ने भी अपना दवा मिला तीसरा ड्रिंक पूरा किया।
“जब सब तय हो गया तो देर किस बात की है?” एम-डी ने पूछा।
“किसी बात की नहीं, बस मुझे राज से कुछ कहना है”, प्रीती मुझे कोने में ले जाते हुए बोली, “राज! इन दोनों हरामियों को कमरे में लेकर जा रही हूँ, तुम अंदर जो भी हो रहा है, वो सब टीवी चालू कर वी-सी-आर से रिकॉर्ड कर लेना”, मैंने कुछ ना समझते हुए भी हाँ कर दी।
“और हाँ!! ये चेक संभालो”, कहकर प्रीती दोनों को उनके लंड से पकड़ कर कमरे में खींच के ले गयी।
उनके जाने के थोड़ी देर बाद मैंने टीवी चालू किया और देखा कि एम-डी जोर-जोर से अपना लंड प्रीती की चूत में पेल रहा था और प्रीती महेश के लंड को प्रीती मुँह में लेकर चूस रही थी। पिक्चर इतनी क्लीयर थी कि क्या कहूँ। मैं सब रिकॉर्ड करने लगा।
दो घंटे बाद प्रीती कमरे से बाहर निकली और कपड़े पहन कर एक और ड्रिंक बनाकर पीते हुए बोली, “चलो राज! घर चलते हैं।”
वो नशे में चूर लड़खड़ा रही थी। घर जाते वक्त उसने पूछा, “टीवी पर शो कैसा लगा और तुमने सब रिकॉर्ड कर लिया ना? ”
जब मैंने बताया कि बहुत ही क्लीयर पिक्चर थी और मैंने सब रिकॉर्ड कर लिया है तो उसके चेहरे पर संतोष के भाव थे। उसके कहने पर मैंने अपने और उसके लिये एक-एक सिगरेट सुलगा दीं।
“प्रीती! तुमने बिना एम-डी की जानकारी के ये सब इक्यूपमेंट कैसे इंस्टाल कर लिये?” मैंने पूछा।
“राज! तुम औरत की चूत की ताकत का अंदाज़ा नहीं लगा सकते, पहले तो होटल के मैनेजर ने मना कर दिया पर जब मैंने उससे चुदवा लिया तो वो मान गया”, उसने हँसते हुए जवाब दिया।
“लेकिन तुम ये सब क्यों कर रही हो, तुम्हारा मक्सद क्या है?” मैंने उत्सुक्ता से पूछा।
“पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लग रहा है कि भविष्य में ये सब हमारे काम आयेगा। मेरा मक्सद क्या है ये समय आने पर तुम जान जाओगे”, प्रीती ने फिर हँसते हुए कहा।
दो महीने बाद तक, सब कुछ ऐसे ही चलता रहा। प्रीती इसी तरह हफ्ते में तीन-चार बार क्लब जाती और रात को नशे में धुत्त पैसे से भरा पर्स लेकर लौटती। उसने घर पर भी शराब-सिगरेट पीनी शुरू कर दी।
एक दिन प्रीती बोली, “राज! चलो हम कुछ दिन के लिये अपने घर हो आते हैं, तुम्हारी माताजी भी कई बार लिख चुकी हैं।”
ये सुन कर मुझे एक बहाना मिल गया प्रीती को यहाँ से भेजने का। कुछ दिन के लिये तो इस दलदल से बाहर निकलेगी। मैंने कहा, “प्रीती तुम हो आओ, मैं काम की वजह से नहीं जा पाऊँगा।”
हम लोगों ने बहुत शॉपिंग की। मैंने सबके लिये तोहफ़े खरीदे और प्रीती को ट्रेन मैं बिठा कर विदा कर दिया।
एक महीने बाद आज प्रीती लौटने वाली थी। मैं उसे लेने स्टेशन पहुँचा तो देखा कि वो आ चुकी थी और मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैंने माफी माँगते हुए कहा, “सॉरी प्रीती! ट्रैफिक में फँस गया था, आओ चलते हैं।”
इतने में मैंने आवाज़ सुनी, “भैया”, और पीछे मुड़ कर देखा तो मेरी दोनों बहनें अंजू और मंजू हँसते हुए खड़ी थी। मैंने दोनों को बाँहों में भरके चूमा। “प्रीती! अच्छा किया जो तुम इन दोनों को साथ ले आयी, मैं इन्हें मिस कर रहा था”, मैंने कहा।
हम लोग घर पहुँचे। अंजू और मंजू दोनों खुश थी। मेरी नयी कार और फ्लैट की बहुत तारीफ कर रही थी। हम लोग जब खाना खा रहे थे तो मैं उनसे उनके बारे में पूछने लगा। वो दोनों सब बता रही थी: घर के बारे में, अपनी सहेलियों के बारे में।
“तुम दोनों ने एक बात तो बतायी ही नहीं”, मैंने कहा।
“क्या नहीं बताया भैया?” अंजू ने कहा।
“अपने बॉय फ्रैंड्स के बारे में...” मैंने हँसते हुए कहा।
वो दोनों सोच में पड़ गयी और प्रीती की तरफ देखने लगी। फिर मंजू मुँह बनाकर बोली, “भैया आपको मालूम है कि हम ऐसी लड़कियाँ नहीं हैं।”
“फिर तो तुम लोगों के लिये लड़के ढूँढने पड़ेंगे, है ना प्रीती?” मैंने हँसते हुए कहा।
“मैं भी ऐसा ही कुछ सोच रही थी”, प्रीती ने जवाब दिया।
अगले दिन तक मैं अपनी बहनों को घुमाता फिराता रहा, सिनेमा दिखाया। दोनों बहुत खुश थीं, किंतु मेरे और प्रीती में सब कुछ वैसा ही था। शायद उसने मुझे अभी तक माफ़ नहीं किया था।
मैं सुबह रोज़ की तरह ऑफिस पहुँच चुका था। दोपहर के करीब चार बजे प्रीती ने फोन किया और घबरायी आवाज़ में कहा, “राज तुम जल्दी घर आ जाओ, अंजू और मंजू.....।”
मैंने घबरा कर पूछा, “क्या हुआ अंजू और मंजू को?”
“बस तुम जल्दी आ जाओ”, कहकर प्रीती ने लाईन डिसकनेक्ट कर दी।
मैं अपना सब काम छोड़ कर घर पहुँचा और प्रीती से पूछा, “क्या हुआ? कहाँ हैं वो दोनों?”
प्रीती ने शरारती मुस्कान के साथ उन दोनों के बेडरूम की तरफ इशारा किया। मैंने देखा बेडरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था और उसमें से मादक सिसकरियों की आवाज़ आ रही थी।
“क्या हो रहा है वहाँ?” मैंने घबरा के पूछा।
“क्या हो रहा है? अरे यार, चुदाई हो रही और क्या...” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“किसके साथ?” मैं चिल्लाया।
“एम-डी और महेश के साथ और किस के साथ...” प्रीती ने सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए जवाब दिया।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। एम-डी और महेश मेरी बहनों को चोद रहे थे। “उनकी हिम्मत कैसे हुई उन्हें चोदने की। मुझे उन्हें रोकना होगा....” मैं जोर से चिल्लाते हुए खुले दरवाजे की और बढ़ा।
“अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो उन्हें नहीं रोकती”, प्रीती ने कहा।
“क्या मतलब है तुम्हारा? मैं यूँ ही चुपचाप खड़ा रहूँ और देखता रहूँ अपनी बहनों की बरबदी को?” मैंने गुस्से में कहा।
“यह कोई तुम्हारे लिये नयी बात नहीं है, इसके पहले भी तुम चुपचाप खड़े अपनी बीवी को दूसरे मर्दों से चुदवाते देख चुके हो, लेकिन मेरा ये मतलब नहीं है....” उसने मुझ पर ताना कसते हुए कहा।
“तो तुम्हारा क्या मतलब है?” मैंने पूछा।
“ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो, अगर तुमने एम-डी को उसके इस आनंद में बीच में ही रोक दिया तो ना सिर्फ तुम अपनी नौकरी से हाथ धो बैठोगे बल्कि इस नियापेनसिआ रोड का फ्लैट भी हाथ से जाता रहेगा जिसे तुमने अपनी बीवी की चूत कुर्बान कर के पाया है...” प्रीती ने समझाया।
हाँ... प्रीती सच कह रही थी। मैंने सोचा, अगर एम-डी चाहे तो ये सब कर सकता था। हे भगवान! मैं क्या करूँ? क्या ऐसे ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहूँ। अपनी लाचारी देख मुझे रुलाई फ़ूट पड़ी।
“अब तुम कर भी क्या सकते हो...? उन दोनों का लंड तुम्हारी दोनों बहनों कि चूत में घुस चुका है। ये सच्चाई है और इसे बदला नहीं जा सकता, मैं तो कहती हूँ कि उन लोगों का काम खत्म होने तक इंतज़ार करो...” प्रीती ने सलाह दी। प्रीती के हाथ में ड्रिंक का ग्लास था और वो सिगरेट के कश लेते हुए धीरे-धीरे ड्रिंक सिप कर रही थी।
“ओह गॉड ये सब क्या हो रहा है?” मैंने अपने दोनों हाथ हवा में उठाते हुए कहा।
तभी मुझे अंजू की मादकता भरी आवाज़ सुनाई दी, “हाँ डालो.... और जोर से डालो... हाँआंआँआँआँ इसी तरह चोदते रहो.... बहुत अच्छा लग रहा है... हाँ मेरा छूटने वाला है....।”
अपने कानों पर हाथ रखते हुए मैंने प्रीती से कहा, “मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है”, और मैं सोफ़े पर बैठ गया। मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे।
इतनी देर में मुझे अंजू की तरह ही मंजू कि भी आवज़ सुनाई दी। वो भी मादकता में चिल्ला रही थी, “और ज़ोर से चोदो मुझे... हाँ इसी तरह हाँआंआंआं... बहुत अच्छा लग रहा है.... और तेजी से डालो अपना लंड... आआआआआआआआआआहहहह मेरा भी छूटने वाला है।”
“वाह क्या टाईट चूत है.... हाँ! ले मेरे लंड को अपनी चूत में... पूरा समा ले और मेरा सारा पानी पी ले...” कहकर महेश ने उसकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया।
मैं चुपचाप बैठा अपने आप को कोस रहा था। ना मुझे माँ ने जनम दिया होता, ना मैं यहाँ नौकरी करने आता, ना मेरी इच्छायें बढ़ती और ना ही मैं प्रीती के साथ ऐसा व्यवहार करता। इससे तो अच्छा था कि मैं पैदा होते ही मर जाता।
“राज सुना! एम-डी अब अंजू की गाँड मारना चाहता है....” प्रीती चुलबुलाती हुई बोली।
“अंजू! अब तुम घोड़ी बन जाओ..., मैं अब तुम्हारी गाँड मारूँगा”, एम-डी ने कहा।
“नहीं! मैं तुम्हें अपनी गाँड नहीं मारने दूँगी, सुना है बहुत दर्द होता है...” अंजू ने जवाब दिया।
“गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी! हाँ, तुम्हें दर्द होगा तो मैं रुक जाऊँगा”, एम-डी ने उत्तर दिया।
“प्रॉमिस???”
“प्रॉमिस!!! कसम ले लो”, कहकर एम-डी ने अपना लंड अंजू की गाँड में घुसा दिया।
“ओहहहह प्लीज़ रुक जाइये! मुझे बहुत दर्द हो रहा है”, अंजू दर्द से कराही।
“थोड़ी देर की बात है जानू, मेरा लंड तुम्हारी गाँड में घुस रहा है”, कहकर एम-डी ने पूरा लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।
“ऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँ.... मर गयी....” अंजू जोर से चिल्लायी।
“डरो मत! मेरा लंड पूरा का पूरा तुम्हारी गाँड में है, सब ठीक हो जायेगा”, एम-डी जोर से कहकर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।
“राज... डरो मत! अंजू की गाँड तो बहुत पहले फट चुकी थी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“अब तुम्हारी बारी है गाँड में लंड लेने की....” मैंने महेश को मंजू से कहते सुना, “चलो बिस्तर पर पेट के बल लेट जाओ।”
“नहीं मैं तुम्हें अपना इतना मोटा लंड मेरी गाँड में नहीं डालने दूँगी.... बचाओ बचाओ... भाभी!!! मुझे बचाओ.... ” मंजू जोर से चिल्लायी।
“जितना चिल्लाना है जोर से चिल्ला, आज तेरी प्यारी भाभी भी तुझे बचाने के लिये नहीं आ सकती, तुम्हारी भाभी ने तुम्हारी गाँड मारने की पूरी कीमत मुझसे वसूल की है। मैं आज तुम्हारी गाँड मार के रहुँगा, चाहे तुम राज़ी हो या न हो। अगर खुशी से मरवाओगी तो तुझे मज़ा भी आयेगा और दर्द भी कम होगा”, महेश ने कहा।
क्या प्रीती ने इस सब के पैसे लिये हैं? मैं फिर समझ गया कि इन सब में प्रीती का ही हाथ है।
“ठीक है... जरा धीरे-धीरे करना, और जब मैं कहूँ तो रुक जाना”, मंजू ने महेश से विनती करते हुए कहा।
“ठीक है तुम जैसा कहोगी... वैसा ही करूँगा”, कहकर महेश अपना लंड मंजू की गाँड पर रगड़ने लगा।
“देखो राज! अब मंजू की गाँड भी फटने वाली है... ये फटी...... फटी...” प्रीती ड्रिंक पीते हुए मज़े ले-ले कर बोल रही थी।
“ओहहहहह मर गयी.... हरामी साले निकाल ले.... बहुत दर्द हो रहा है”, मंजू जोर से चिल्लायी, पर उसकी आवाज़ ना सुन कर महेश ने एक करारा धक्का मार कर अपना पूरा लंड मंजू की गाँड में घुसा दिया।
अंजू की मादक सिसकरियाँ और मंजू की दर्द भरी चीखों ने मेरा दिमाग सुन्न कर दिया था। मुझे कुछ होश नहीं था कि मैं कब तक यूँ ही बैठा सब सुनता रहा।
जब होश आया तो देखा कि एम-डी अपनी बाँहें फैलाये मेरी तरफ बढ़ रहा था। “ओह मॉय राज! तुम कितने अच्छे हो, तुमने स्पेशियली अपनी बहनों को अपनी बीवी द्वारा बुलवाया जिससे हम उन्हें चोद के मज़ा ले सकें....” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। मैं कुछ कहना चाहता था पर मेरी आवाज़ गले में ही घुट कर रह गयी।
“कुछ कहने की जरूरत नहीं! हमें प्रीती ने सब समझा दिया था। हम उनकी कुँवारी चूत नहीं चोद पाये तो क्या.... पर कुँवारी गाँड तो चोद ही ली। वैसे उनकी चूत बहुत टाइट थी, हमें खूब मज़ा आया। तुम्हारी इस उदारता और नेक काम के लिये तुम्हें इनाम मिलना चाहिये, क्यों महेश क्या कहते हो?”
हमेशा की तरह महेश ने एम-डी की हाँ में हाँ मिलायी और फिर दोनों चले गये।
अब सब कुछ शीशे की तरह साफ़ था। प्रीती ने ही सब किया था किंतु उसने अंजू और मंजू को चुदाई के लिये तैयार कैसे किया? एम-डी ने कहा कि दोनों कुँवारी नहीं थी और उस दिन ही जब मैंने उनसे बॉय फ्रैंड्स के बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा था कि वो वैसी लड़कियाँ नहीं हैं? कई सवाल मेरे दिमाग में रह-रह कर आ रहे थे।
इतने में मेरी सोच टूटी। अंजू और मंजू कमरे से सिर्फ सैंडल पहने ही नंगी ही बाहर आ रही थी और उनकी चूत से पानी टपक रहा था। दोनों हँसते हुए आयी और प्रीती से पूछा, “क्यों भाभी कैसा रहा?” दोनों की चाल और हाव-भाव से साफ पता चल रहा था कि उन दोनों ने भी शराब पी हुई थी।
“शानदार!!! बल्कि मैं कहुँगी लाजवाब”, प्रीती भी खुशी से बोली, “मंजू यहाँ आओ... मुझे तुम्हारी गाँड देखने दो... कहीं इसमें से खून तो नहीं आ रहा, जब गाँड मारने की बात आती है तो महेश का भरोसा नहीं कर सकती।”
मंजू झुक कर अपनी गाँड प्रीती को दिखाने लगी। “शुक्र है!!! कुछ खास नहीं हुआ है, थोड़ी सी सूजन है... वो कुछ घंटों में ठीक हो जायेगी”, प्रीती ने उसकी गाँड को परखते हुए कहा और सिगरेट का धुँआ उसकी गाँड में छोड़ दिया।
“मुझे भी यही लगता है, कि कुछ लगाने की जरूरत नहीं है, इतनी सारी दवाई जो अंदर गयी हुई है”, मंजू ने हँसते हुए कहा, “भैया आपको हमारी चुदाई कैसी लगी?”
ओह गॉड कितनी सुंदर थी दोनों। उनके उभरे और भरे हुए मम्मे और उस पर काले निप्पल गज़ब ढा रहे थे। उनकी बिना बालों की चूत ऐसे निखर रही थी क्या कहना। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि प्रीती के कहने पर ही उन्होंने अपनी झाँटें साफ़ करी होंगी। मुझे शर्म आ रही है ये कहते हुए कि उनका गोरा बदन देख कर मेरा लंड भी एक दम तन कर खड़ा हो गया था।
“चुप रहो और जाके कपड़े पहनो”, मैं चिल्ला कर बोला।
“देखो इसके तने हुए लंड को”, प्रीती ने मेरे खड़े लंड की और इशारा करते हुए कहा, “जाओ जा कर कपड़े पहनो इसके पहले कि तुम्हारे भैया का सब्र टूटे और ये तुम्हें चोदने लगे।”
“मुझे बुरा नहीं लगेगा”, अंजू ने कहा, “आओ भैया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, भाभी ने बताया है कि इन्होंने जितने भी लंड का स्वाद चखा है उसमें तुम्हारा लंड सबसे जानदार और अच्छा है।”
“हाँ भैया! हम दोनों को चोदो... हम तैयार हैं...” मंजू ने भी कहा।
“इससे पहले कि मैं तुम दोनों की पिटायी करूँ, यहाँ से दफ़ा हो जाओ और जा कर कपड़े पहनो...” मैं जोर से चिल्लाया। वो दोनों घबरा कर रूम में भाग गयीं।
थोड़ी देर बाद वो अपने कपड़े पहन कर आ गयी और सोफ़े पर बैठ गयी। मैंने प्रीती की तरफ देखते हुए कहा, “प्रीती!!! अब इनकार मत करना! मैं समझ गया हूँ कि इस सब के पीछे तुम्हारा हाथ है।”
“इनकार कौन कर रहा है, बल्कि मैं तो खुश हूँ कि मैंने अकेले ही ये सब कर दिखाया”, उसने जवाब दिया।
“लेकिन प्रीती तुमने ऐसा क्यों किया? झगड़ा तुम्हारे मेरे बीच था, उसमें मेरी बहनों को घसीटने की क्या जरूरत थी?” मैंने सवाल किया।
“जरूरत थी राज!!! मैं भी तुम्हें उतना ही दुख देना चाहती थी जितना तुमने मुझे दिया था। मुझे मालूम है तुम अपनी बहनों से बहुत प्यार करते हो, इसलिये जो आज हुआ इसी से मेरा बदला पूरा हो सकता था”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन क्यों प्रीती, क्यों?” मैं धीरे से बोला।
“भाभी!!! हम बतायें या आप बतायेंगी?” अंजू ने पूछा।
“नहीं अंजू! मुझे ही इसका आनंद लेने दो, तुम लोग भी बैठ जाओ... इस कहानी को सुनने में थोड़ा वक्त लगेगा...” प्रीती ने कहा और अपने लिये एक ड्रिंक बना कर और सिगरेट सुलगा कर बैठ गयी।
मैंने प्रीती से पूछा कि उसने ऐसा मेरी बहनों के साथ क्यों किया? तो उसने अपनी ज़ुबानी ये दास्तान सुनाई।
प्रीती की कहानी:
“मेरी कहानी उस समय शुरू हुई जब तुमने मेरे जिस्म का सौदा अपने बॉस के साथ, पैसे और तरक्की के लिये किया।”
“पूरी रात मैं सो नहीं सकी। अब मैं क्या करूँ, ये सवाल मुझे खाये जा रहा था। आत्महत्या कर लूँ ये भी ख्याल आया, किंतु आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं है। ये डरपोक लोगों का काम है और मैं डरपोक नहीं थी।”
“फिर ख्याल आया कि तुम्हें छोड़ कर तुमसे तलाक ले लूँ, पर ये तुम्हारी सज़ा नहीं थी। तुम मुझे बदनाम कर दोगे कि मैं गंदे कैरैक्टर की औरत हूँ और तुम दूसरी शादी कर लोगे। और शायद अपनी नयी बीवी के साथ भी वही सब करोगे जो मेरे साथ किया।”
“फिर मुझे ख्याल आया कि मुझे तुमसे बदला लेना है। मैं तुम्हें इतना जलील करना चाहती थी, जितना तुमने मुझे किया है। उस समय मेरे पास कोई उपाय नहीं थी इसलिये सोचा कि हालात को देखते हुए मैं नॉर्मल रहूँ और वक्त का इंतज़ार करूँ।”
“मगर प्रीती! वो तो सिर्फ़ एक समय के लिये था, मैं नहीं चाहता था कि तुम वेश्याओं की तरह अपनी लाइफ गुज़ारो”, मैंने दुख भरे शब्दों में कहा।
“कुछ भी हो, मैं वेश्या बन गयी, तुम चाहो या ना चाहो। राज या तो तुम भोले हो या नदान”, प्रीती ने जवाब दिया, “मैं जानती थी कि तुम्हारे बॉस एम-डी और महेश मुझे एक बार चोद कर छोड़ने वाले नहीं थे, वो फिर मुझे चोदना चाहेंगे और तुम्हें लालच या ब्लैक मेल कर मुझे चुदवाने पर मजबूर कर देंगे।”
“तुम्हें याद है जब एम-डी ने मुझे क्लब पर अकेले बुलाया था? उसने अपने लिये नहीं, बल्कि अपने दोस्तों के लिये बुलाया था। मैं वहाँ पहुँची तो एम-डी ने मुझसे कहा कि प्रीती तुम अभी उम्र में छोटी हो और समझदार भी, मेरे कई दोस्त तुम्हें पाना चाहते हैं। तुम सहयोग दो तो तुम काफी अमीर बन सकती हो। मैं मान गयी, दो चार लंड और चूत में लेने से मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ने वाला था और बाकी की कहानी तुम्हें मालूम है।”
“फिर एक दिन मुझे अंजू और मंजू का खत मिला। उसी समय मुझे अपनी मंज़िल दिखायी देने लगी। तुम अपनी बहनों से बहुत प्यार करते हो, इसलिये मैं इन दोनों को भी अपनी तरह रंडी बनाकर तुम्हें जलील करना चाहती थी। मुझे आगे क्या और कैसे करना है, इसपर सोचना शुरू कर दिया।”
“पर तुम्हें कैसे यकीन था कि तुम अंजू और मंजू को इन सब के लिये तैयार कर लोगी?” मैंने पूछा।
“यकीन तो मौत के सिवा किसी चीज़ का नहीं है राज, पर मैं जानती थी कि मैं कामयाब हो जाऊँगी।”
“तुम्हें इतना यकीन क्यों था?” मैंने वापस पूछा।
“राज! तुम्हें याद है? हमारी सुहागरात के दूसरे दिन सुबह मैंने तुम्हें बताया था कि अंजू और मंजू मुझे तंग कर रही थी.... जब मैं सुबह किचन में चाय बना रही थी।”
“हाँ मुझे याद है”, मैंने जवाब दिया।
“उस दिन सुबह अंजू ने मुझसे पूछा, क्यों भाभी! आपको हमारे भैया का लौड़ा कैसा लगा?”
“मैं शरमा गयी थी पर कुछ जवाब नहीं दिया।”
“फिर मंजू ने कहा, भाभी! भैया ने आपको रात को सोने भी दिया या फिर सारी रात आपको चोदते रहे। ”
“मैं उन दोनों को डाँट कर वापस आ गयी।”
“फिर जब भी हम तीनों अकेले होते तो ये दोनों सवाल करने लगती, कि चुदाई कैसे की जाती है, लंड कैसा होता है। लंड जब चूत में घुसता है तो दर्द होता है क्या। एक दिन मैंने हँसते हुआ कहा, लगता है तुम दोनों को चुदवाने का बहुत मन कर रहा है?”
“पर उनके जवाब ने मुझे हैरान कर दिया, हाँ भाभी! बहुत मन करता है, अगर हमें बच्चा होने का डर ना होता तो कभी का हम लोग चुदवा चुकी होती।”
“राज इससे तुम्हें तुम्हारा जवाब मिल गया होगा। मुझे सिर्फ़ इन्हें चुदवाने के लिये उक्साना था और ये दोनों तो तैयार ही बैठी थी इसके लिये। फिर मैंने प्लैन बनाया कि इन दोनों की कुँवारी चूत मैं अपने दोनों भाई राम और श्याम से चुदवाऊँगी। जब इन दोनों के भाई यानी तुमने मेरी कुँवारी चूत ली है तो मैं भी अपने भाइयों से तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत चुदवाऊँगी। ये एक प्रकार से जैसे को तैसा था।”
“पर प्रीती!!! जब मैंने तुम्हारी चूत चोदी थी तो हमारी शादी हो चुकी थी”, मैंने कहा।
प्रीती ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और अपनी कहानी जारी रखी।
“समय सही होना चाहिये था इसलिये मैं समय का इंतज़ार करने लगी। मेरे भाइयों को भी लंबी छुट्टी मिलने वाली थी। इसलिये मैंने तुम्हें घर चलने को कहा, पर मुझे मालूम था कि काम की वजह से तुम नहीं चलोगे।”
“कुछ भी गलत ना हो इसलिये मैं तुम्हारे वो स्पेशल दवा मिले कोक की चार बोतलें और स्कॉच की चार बोतलें अपने साथ ले कर गयी थी।”
“वहाँ जब मैं पहुँची तो तुम्हारी बहनों को सैक्स के अलावा और कोई टॉपिक नहीं था बात करने का। मैं भी उन्हें सैक्स के बारे में बता कर उनकी चुदवाने की इच्छा और मजबूत करती रही। मैंने उन्हें मुंबई आने को भी कहा।”
“एक दिन दोनों ने मुंबई जाने की इजाज़त तुम्हारे पिताजी से ले ली।”
“मैं अपने घर होते हुए मुंबई आने वाली थी। सो ये दोनों भी मेरे साथ मेरे मायके आ गयी।”
“राम ने हम तीनों को रीसीव किया और हम घर पहुँचे। मैंने देखा कि मेरे दोनों भाई तुम्हारी दोनों बहनों को बहुत ही घूर रहे थे। मैं समझ गयी कि ये दोनों भी इन्हें चोदना चाहते है। माँ और पिताजी को एक शादी में पास के गाँव में जाना था। वो हम सब को छोड़ कर दो दिन के लिये शादी में चले गये। इस बात ने मेरे प्लैन को और मजबूती दे दी।”
“हम पाँचों घूमने जाते, सिनेमा देखते। मैंने जानबूझ कर चारों को ज्यादा समय अकेले बिताने को दिया जिससे ये लोग आपस में करीब आ सके।”
“शाम को मैं उन दोनों के कमरे में गयी और कहा कि मैं तुम दोनों से कुछ बात करना चाहती हूँ? ”
“हाँ दीदी कहो, राम ने कहा।”
“क्या तुम दोनों नाज़िया को अब भी चोदते हो? ये सवाल सुनकर दोनों चौंक गये। राज! मैं तुम्हें बता दूँ नाज़िया हमारी नौकरानी का नाम है।”
“फिर श्याम ने हिम्मत करके के पूछा कि दीदी आपको किसने बताया कि हम नाज़िया को चोदते हैं।”
“मैं पिछले दो साल से जानती हूँ ये बात...! मैंने जवाब दिया, पर नाज़िया कहीं दिखायी नहीं दे रही।”
“नाज़िया अपने गाँव गयी है, दस दिन में वापस आयेगी.... राम ने कहा।”
“मैंने मुद्दे की बात पर आते हुए कहा कि अच्छा एक बात बताओ! क्या तुम दोनों अंजू और मंजू को चोदना चाहोगे, दोनों कुँवारी हैं, और कुँवारी चूत को चोदने में बहुत ही मज़ा आयेगा।”
“अपनी जगह से उछलते हुए राम ने कहा, हाँ दीदी! हमने कई सालों से कोई कुँवारी चूत नहीं चोदी, क्या वो दोनों मान जायेंगी? ”
“ये सब तुम मुझ पर छोड़ दो, वो दोनों तुम लोगों से चोदने की भीख मांगेंगी।”
“ठीक है मैं फिर बाज़ार से कुछ कंडोम खरीद कर ले आता हूँ.... श्याम बोला।”
“कोई जरूरत नहीं है, तुम दोनों अपना पानी उन दोनों की चूत में ही छोड़ देना। उन्हें कुछ नहीं होगा.... मैंने कहा।”
“ठीक है! तुम दोनों ठीक आठ बजे हॉल में आ जाना। राम तुम अंजू को चोदना और श्याम तुम मंजू को। फिर तुम आपस में अदला बदली भी कर सकते हो। एक छोटी सी पार्टी रखी है मैंने, तुम दोनों क्या पियोगे? मैंने पूछा।”
“ओहहहह दीदी! एक रात में दो दो कुँवारी चूत.... दीदी हम लोग बीयर पियेंगे राम ने कहा।”
“मैंने सब इंतज़ाम कर रखा था। राम और श्याम के लिये बीयर और अंजू और मंजू के लिये तुम्हारा स्पेशल कोक और उसमें थोड़ी सी स्कॉच और मेरे लिये सिर्फ स्कॉच। मैंने नाश्ते का भी इंतज़ाम कर रखा था और अपना कैमरा भी जो तुमने मेरे जन्मदिन पर तोहफा दिया था।”
“सबसे पहले अंजू और मंजू एक दम सज धज कर हॉल में दाखिल हुई। भाभी हम दोनों कैसी लग रही हैं, अंजू ने एक मॉडल की तरह अपनी टाँगें हिलाते हुए पूछा। बहुत ही सुंदर और जानदार लग रही हो मेरी जान, मुझे यकीन है तुम दोनों को देख कर लड़कों का लंड खड़ा हो जायेगा।”
“भाभी आप भी ना! दोनों शरमा गयीं।”
“नहीं मैं सच कह रही हूँ! अच्छा तुम दोनों उनके लंड की तरफ देखना वो जब आयेंगे। मैंने कहा।”
“इतने में राम और श्याम कुर्ता पायजामा पहने हुए हॉल में आये, अरे तुम दोनों तो बहुत सुंदर और सैक्सी लग रही हो.... दोनों ने कहा। उन दोनों का लंड तंबू की तरह उनके पायजामे में खड़ा हो गया।
देखो मैंने नहीं कहा था....। दोनों अंजू और मंजू शर्म के मारे लाल हो गयी।”
“चलो पार्टी करते हैं, कहकर मैंने राम और श्याम को उनकी बीयर और दोनों लड़कियों को स्कॉच मिली हुई स्पेशल कोक का ग्लास पकड़ा दिया। खुद भी मैंने अपने लिये स्कॉच का तगड़ा पैग बना लिया।”
“दीदी! तुम.... ये शराब? राम ने चौंकते हुए पूछा। चारों लोग मुझे हैरानी से देख रहे थे।”
“हाँ! क्यों? मैं नहीं पी सकती क्या... मुंबई में कभी-कभी पार्टियों में सोशियलाइज़िंग के लिये पीनी पड़ती है.... मैंने झूठी सफ़ाई दी।”
“हम लोग हँसी मज़ाक और बातें करते रहे। स्पेशल कोक ने और स्कॉच ने अपना असर दिखाना शुरू किया।”
“भाभी बहुत गर्मी है ना.... कहकर अंजू ने अपना ग्लास एक ही झटके में खतम कर दिया।”
“हाँ भाभी! कुछ ज्यादा ही गर्मी है... कहकर मंजू भी अपनी सीट पर मचल रही थी।”
“मैं समझ गयी कि इनकी चूत में खुजली होनी शुरू हो गयी है।”
“तुम चारों डाँस क्यों नहीं करते? कहकर मैंने स्टिरियो पर म्यूज़िक लगा दिया।”
“बीस मिनट तक चारों म्यूज़िक पर डाँस कर रहे थे और मैं उन्हें देख रही थी। मैंने देखा कि दोनों लड़कियाँ मदमस्त होकर डाँस कर रही थीं और अंजू एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। कोक ने और स्कॉच ने अब अपना पूरा असर दिखाना शुरू कर दिया था।”
“पर लगता था कि मंजू की चूत में ज्यादा खुजली हो रही थी, अब मुझसे नहीं रहा जाता..... कहकर उसने श्याम को अपने और नज़दीक कर लिया और अपनी चूत उसके लंड पर रगड़ने लगी।”
“ओह बहुत अच्छा लग रहा है.... कहकर श्याम मंजू को किस करने लगा और अपना लौड़ा ज्यादा जोर से उसकी चूत पर रगड़ने लगा।”
“श्याम और मंजू को देख, राम ने भी अंजू को अपनी बाँहों में भर लिया.... ओह! राम मुझे किस करो ना? अंजू सिसकते हुए बोली।”
“किसिंग करते हुए राम और श्याम दोनों के मम्मे दबा रहे थे। थोड़ी देर में दोनों ने उनके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये थे और ब्रा ऊपर को खिसका दी थी।”
“सच में राज! देखने लायक नज़ारा था। अंजू और मंजू अपने मम्मे उन दोनों से दबवा रही थी, और मेरे भाई अपने लंड को जोर-जोर से तुम्हारी बहनों की चूत पर रगड़ रहे थे। उनके मुँह से मीठी-मीठी सिसकरी निकल रही थी।”
“राज तुम्हें याद है...? उस दिन तुमने क्या किया था? तुम्हें जरूर याद होगा! मैंने तुम्हारी तरह ही उनके पेटीकोट का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया और उनका पेटीकोट खुल कर नीचे गिर गया। फिर मैंने उनकी पैंटिज़ में हाथ डाल कर उन्हें भी उतार दिया। दोनों बहनों ने अब सिर्फ अपने हाई हील के सैंडल्स पहने हुए थे। मेरे दोनों भाई भी कपड़े उतार कर नंगे हो चुके थे। तुम्हारा लंड कितना अच्छा लग रहा है राम! हाँ जोर से रगड़ते जाओ... अंजू ने सिसकरी भरी।”
“जोर-जोर से अपने लंड को मेरी चूत पे रगड़ो श्याम.... मंजू ने मादकता भरी आवाज़ में कहा।”
“अंजू की हालत खराब हो रही थी। राम अब मुझसे नहीं रहा जाता, मेरी चूत की खुजली अब बर्दाश्त नहीं होती, अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोदो... वो बोली। राम तो इसी का इंतज़ार कर रहा था, वो अंजू को बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड अंजू की चूत में घुसा दिया।”
“आआआआआआहहहह मर गयी.... अंजू दर्द से तड़पी।”
“राम रुक गया और बोला, क्या दर्द हो रहा है?”
“तुम मेरे दर्द की परवाह ना करो, बस मुझे जोर जोर से चोदते जाओ.... अंजू की बातें सुन राम ने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और उसे चोदने लगा। अब अंजू कुँवारी नहीं रही थी। मैं मुस्कुरायी।”
“अंजू के मुँह से सिसकरियाँ छूट रही थी। हाँआँआँ.... ऐसे ही.... हाय चोदो...... और जोर से हाँ..... फाड़ दो मेरी चूत को.... आआआहहहह।”
“मुझे भी मज़ा आ रहा था। अब मैंने श्याम और मंजू की और देखा तो पाया कि श्याम को कुछ प्रॉब्लम हो रही थी। मैंने पूछा, श्याम तुम मंजू की चूत में अपना लंड क्यों नहीं डाल रहे हो? ”
“दीदी मैं कोशिश कर रहा हूँ पर नहीं जा रहा। इसने अपनी टाँगें सिकोड़ रखी हैं। उसने कहा।”
“मेरी समझ में नहीं आया कि क्या कहूँ..... क्या करूँ। फिर मुझे याद आया कि मेरी पहली रात में तुमने क्या किया था। मैंने श्याम से कहा, श्याम! इसकी चूत पर जोर-जोर से अपना लौड़ा रगड़ो।”
“श्याम मंजू की चूत पर जोर-जोर से अपना लंड रगड़ने लगा। इस से मंजू में गर्मी भरने लगी, और उसने सिसकरी लेते हुए अपनी टाँगें फैला दी।”
“अब फाड़ दे इसकी चूत... मैं चिल्लायी। मैं भी काफी ड्रिंक कर चुकी थी और नशे में थी। श्याम ने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में समा दिया।”
“ऊऊऊऊऊईईईईई माँआँआँ.... मंजू दर्द में तड़पी, पर श्याम बिना रुके जोर से और तेजी से उसे चोदने लगा।”
“श्याम इतनी जोरों से नहीं! जरा से प्यार से चोदो...... इतना कहकर मैं आराम से अपनी ननदों की मेरे भाइयों द्वारा चुदाई देखने लगी।”
“अंजू को सबसे ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने राम को कस कर भींच रखा था और अपनी टाँगें उछाल कर उसकी थाप से थाप मिला रही थी, ऊऊऊऊऊऊऊऊ राम! कितना अच्छा लग रहा है, हाँआँआँ ऐसे ही...... हाय चोदते जाओ, हाँआंआंआंआं... और जोर से... ओहहहहह आहहहाहह मेरा छूटने वाला है......, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो अपनी उखड़ी साँसें संभालने लगी। राम ने भी दो चार जोर के धक्के मार कर उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया।”
“उधर दूसरी तरफ मंजू भी अपनी पहली चुदाई के आनंद से दूर नहीं थी। श्याम और ज्यादा अंदर घुसाओ, क्या तुम तेजी से नहीं चोद सकते.... हाँ इसी तरह... और तेजी से हाँआँआँ... हाँआँ... मेरा छूटने वाला है... वो सिसकरियाँ भर रही थी।”
“श्याम भी अपना पूरा जोर लगा रहा था उसे चोदने में। हाँआआआआ.... ले मेरे लंड को... अंदर तक ले..... हाँआआआआआआ और ले....। और उसने अपना पानी मंजू की चूत में छोड़ दिया, लेकिन उसने चुदाई चालू रखी। शायद उसका लौड़ा अभी भी तना हुआ था। उसके पानी ने मंजू को भी पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। ओहहहहहह... मेरा पानी छूट रहा है.... कहकर उसका बदन ढीला पड़ गया।
दोनों जोड़े चूमा चाटी करते हुए चुदाई के बाद का आनंद ले रहे थे। सच कहती हूँ राज उस दिन मुझे इतनी खुशी मिली कि मैं क्या बताऊँ।”
“चलो लड़कों! तुम लोग ऐसे नहीं लेटे रह सकते, तुम चारों थोड़ा और डाँस क्यों नहीं करते...., मैंने राम और श्याम को बीयर पकड़ाते हुए कहा। तुम लड़कियों को भी प्यास लग रही होगी? कहकर मैंने दोनों को वो स्पेशल कोक का ग्लास दे दिया। मुझे भी नशे में ध्यान नहीं रहा और मैंने भी स्कॉच की जगह अपने ग्लास में वो स्पेशल कोक डाल लिया।”
“हम पाँचों म्यूज़िक पर डाँस कर रहे थे। इस बार राम ने मंजू को और श्याम ने अंजू को साथ लिया हुआ था।”
“अंजू तुम इतनी दूर रहकर क्यों डाँस कर रही हो, मुझसे सट कर डाँस करो ना? श्याम ने अंजू को अपने करीब खींचते हुए कहा।”
“ना बाबा! मैं नहीं आ सकती, पहले तुम्हारे लंड का कुछ करो, ये मेरे पेट में चुभता है... अंजू ने हँसते हुए कहा।”
“अच्छा तो ये बात है? तो इसका हल अभी कर देते हैं.... कहकर श्याम ने अंजू को कमर से पकड़ नीचे लिटा दिया अपना लंड अंजू की चूत में डाल दिया।”
“श्याम! तुम बदमाश हो, अंजू ने चुलबुलाते हुए कहा, मैंने तुम्हें अपने लंड को मेरी चूत में डालने की इजाज़त नहीं दी थी।”
“जान मेरी! खड़े लंड की सही जगह चूत है और अब ये ऐसे भी तुम्हारे पेट को नहीं चुभ रहा। इतना कहकर श्याम अंजू को बिस्तर पेर लिटा कर चोदने लगा।”
“राम देखो! वो दोनों चुदाई कर रहे हैं! क्या हम दोनों ऐसे ही उन्हें देखते रहेंगे.... मंजू ने प्यासी नज़रों से देखते हुए राम से कहा।”
“नहीं जान हम भी चुदाई करेंगे..., राम ने हँसते हुए कहा। इतना सुनकर मंजू बिस्तर पे लेट गयी और अपनी टाँगें फैला कर बोली, आओ राम! और ये मोटा लंड मेरी चूत में जोर से पेल दो, बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत में।”
“दोनों राम और श्याम कस कर मंजू और अंजू की चुदाई कर रहे थे। हर चुदाई के बाद ये आपस में पार्टनर बदल लेते थे। आखिर में दोनों थक कर चूर हो चुके थे। एक बूँद पानी भी दोनों के लंड में नहीं बचा था, और अंजू मंजू की चूत पानी से भरी हुई थी। उनकी चूत से पानी टपक रहा था। किंतु उनका मन नहीं भरा था। वो और चुदवाना चाहती थी।”
“राम अपने लंड को खड़ा करो...! अंजू ने शिकायत भरे सुर में कहा और उसके लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी।”
“रुको मेरी जान थोड़ा वक्त लगेगा.... राम ने कहा।”
“मगर मैं अभी चुदवाना चाहती हूँ.... अंजू ने जवाब दिया।”
“श्याम अपना लंड जल्दी से खड़ा करो और मुझे चोदो, मेरी चूत की खुजली अभी मिटी नहीं है....! मंजू भी बोली।”
“हाँ मेरी जान जैसे ही ये खड़ा होता है.... मैं तुम्हें चोदूँगा.... श्याम बोला।”
“ओह!!! मैं क्या करूँ? मंजू अपनी चूत को रगड़ते हुए बोली।”
“अगर तुम दोनों लड़कियों को चुदवाने की इतनी ही जल्दी है तो तुम दोनों इनका लौड़ा क्यों नहीं चूसती हो? इससे इनका लंड जल्दी खड़ा हो जायेगा.... मैंने सलाह दी।”
“मेरी बात सुन कर दोनों लड़कियाँ उनके लंड को मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसने लगी। थोड़ी ही देर में दोनों का लंड तन कर खड़ा हो गया। चुदाई के बाद चारों अपने कमरे जा कर गहरी नींद में सो गये।”
“पर मेरी खुद की हालत खराब थी। मैंने अकेले ही स्कॉच की आधी से ज्यादा बोतल पी ली थी अब तक और दो ग्लास स्पेशल कोक भी पी लिये थे। मेरी चूत में इतनी खुजली मची थी कि क्या बताऊँ। ऊपर से नशे में मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। मैंने अपने कपड़े फटफट उतार दिये और कुछ देर अपनी अँगुलियों से चूत को रगड़ती रही। पर चूत को ऐसे ही राहत नहीं मिलने वाली थी। उस समय तो मैं किसी से भी चुदवाने को तैयार हो जाती पर मेरे भाई भी थक कर चूर सो गये थे। उनसे कोई उम्मीद नहीं थी। मैं नशे में, सिर्फ अपने सैंडल पहने लड़खड़ाती हुई पागलों की तरह किचन की तरफ बढ़ी और फिर फ्रिज में से मोटा सा खीरा निकाल कर अपनी चूत चोदी। तब जाकर पंद्रह-बीस मिनट में कुछ चैन पड़ा।”
“दूसरे दिन मेरी आँख खुली तो खुद को किचन के फर्श पर ही सिर्फ सैंडल पहने नंगी लेटे पाया। मैं उठ कर इन लड़कियों के बेडरूम में गयी तो देखा कि अंजू और मंजू गहरी नींद में सोयी पड़ी थी। उन दोनों की फैली टाँगों के बीच उनकी गोरी चूत देख कर मेरे मन में एक ऑयडिया आया और मैं कपड़े पहन कर अपने भाइयों को बुलाने उनके कमरे में गयी। उनको सोते से जगाते हुए कहा.... यहाँ तुम दोनों सोये हुए हो और वहाँ वो दोनों चुदवाने को बेचैन हैं। वो दोनों बिस्तर से उछले और अपना लंड पकड़ते हुए मेरे पीछे चले आये।”
“दीदी! ये दोनों तो अभी तक सो रही हैं....! ”
“तो क्या? इनकी चूत चाट कर इनको उठाओ... मैंने राम को अंजू पर ढकेलते हुए कहा।”
“ये क्या कर रहे हो? अंजू नींद से चौंक कर जागती हुई बोली।”
“कुछ नहीं! अपने लंड के धक्कों से तुम्हारी सोयी हुई चूत को जगा रहा हूँ.... कहकर राम ना अपना लंड अंजू की चूत में घुसा दिया।”
“ओहहहह राम!!! कितना अच्छा लग रहा है... अंजू ने सिसकरी भरी।”
“श्याम अब मुझे और मत तड़पाओ, प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.... मंजू ने श्याम से कहा जो उसकी चूत को चाटे जा रहा था।”
“दोनों चुदाई करने के बाद एक बार फिर पार्टनर बदल कर चुदाई करने लगे। थोड़ी देर बाद मैंने कहा... बस अब तैयार हो जाओ, हमें घूमने जाना है।”
“ओह भाभी! अभी कितनी सुबह है। बाद में चलेंगे ना, मेरी चूत मैं अभी भी खुजली हो रही है। अंजू ने कहा। ”
“हाँ भाभी! जल्दी क्या है जाने की? मैं भी और चुदवाना चाहती हूँ... मंजू भी बोली।”
“नहीं मेरी प्यारी ननदों, हमें जहाँ जाना है वो जगह यहाँ से दो घंटे की दूरी पर है और हमें शाम होने तक वापस भी तो आना है। इसलिये तैयार हो जाओ और रात को जितना मरज़ी हो उतना चुदवा लेना...। मैं दोनों भाइयों को कमरे के बाहर धक्का देने के बाद आयी तो देखा दोनों लड़कियाँ आपस में कानाफ़ूसी कर रही थी।”
“ममममम!!! लगता है तुम दोनों को चुदवाने में बहुत ही मज़ा आया है। अच्छा बताओ किसका लौड़ा सबसे ज्यादा अच्छा लगा? मैंने दोनों से पूछा।”
“दोनों शरमाने लगी। थोड़ा सोचने के बाद अंजू बोली... मुझे राम का लंड अच्छा लगा, कितना लंबा और मोटा है।”
“लेकिन मुझे श्याम का लंड ज्यादा अच्छा लगा, थोड़ा छोटा है पुर उसके चोदने का जो तरीका है, उसमें मज़ा ज्यादा आता है... मंजू बोली।”
“तुम दोनों अपनी जगह सही हो, चलो अब तैयार हो जाओ... मैंने कहा।”
“अभी रुको भाभी!! पहले आपको हमारे एक सवाल का जवाब देना है... अंजू कुछ सोचते हुए बोली, आपने राम और श्याम को हमें चोदने से क्यों नहीं रोका?”
“मैं उन्हें क्यों रोकती। जब तुम दोनों पहले से ही चुदवाना चाहती थी तो मैंने उन्हें करने दिया जो वो करना चाहते थे। फिर तुम दोनों भी तो उन्हें रोक सकती थी, तुमने क्यों नहीं रोका उनको? मैंने सवाल पर सवाल किया।”
“हम नहीं कर सके भाभी! हमारी चूत में इतनी खुजली हो रही थी... अंजू ने कहा।”
“मैं नहीं मानती कि ये सचाई है... मंजू सोचते हुए बोली, भाभी याद है जब हमने कहा था कि हमारा मन चुदाई के लिये करता है तो आपने हमें शादी तक रुकने को कहा था? नहीं भाभी? हमें सचाई बताइये।”
“इन्हें एक दिन तो सचाई बतानी ही थी सो मैंने सोचा कि आज क्यों नहीं । ठीक है मैं बताती हूँ... फिर मैंने इन्हें पूरी कहानी सुना दी कि कैसे तुमने अपने स्वार्थ और तरक्की के लिये मुझे अपने दोनों बॉस से चुदवाने के लिये भेज दिया।”
“पर भाभी आप भी तो मना कर सकती थी? आप क्यों तैयार हो गयी? मंजू ने पूछा।”
“मैं भी तुम दोनों की तरह मना नहीं कर सकी। उस दिन मेरी भी चूत में ऐसे हो खुजली हो रही थी। मेरा भी मन चुदवाने का कर रहा था... चाहे किसी का भी लंड हो। तुम्हारे भैया ने मुझे वही कोक पिलाया था जो मैंने तुम दोनों को पिलाया था। उसमें उत्तेजना की दवाई मिली हुई है। मैंने सचाई बताते हुए कहा।”
“तो आपने ये तरकीब बनायी थी, यहाँ लाकर हमारी कुँवारी चूत अपने भाइयों से चुदवाकर आपने राज भैया का बदला लिया? अंजू ने पूछा।”
“हाँ ये सही है, लेकिन अभी मेरे बदले का पहला चरन ही पूरा हुआ है... मैंने जवाब दिया।”
“पहला चरन? जो हुआ उससे आपका दिल नहीं भरा? अब आपको और क्या चाहिये? मंजू ने पूछा, क्या आप अब ये चाहती हैं कि आपके भाई हमारी गाँड मारें।”
“नहीं मेरे भाई नहीं, मैं चाहती हूँ तुम्हारे भैया के सामने उनके बॉस, एम-डी और महेश तुम दोनों की गाँड का उदघाटन करें... मैंने जवाब दिया।”
“अगर हम दोनों ना करें और यहीं से घर वापस चले जायें तो? अंजू ने पूछा।”
“अगर तुम तैयार नहीं हो और घर वापस जाना चाहती हो तो जा सकती हो, मैं जिद नहीं कर सकती। लेकिन मैं तीन कारण बता सकती हूँ जिससे तुम ये सब करने के लिये तैयार हो जाओगी... मैंने कहा।”
“मैंने चालू रहते हुए कहा... पहला कारण तो ये है कि तुम अपने पिताजी को जल्दी वापस लौटने का क्या कारण बताओगी। दूसरा अगर तुम गर्भवती हो गयी तो मैं ही तुम दोनों को उस परेशानी से बचा सकती हूँ, और तीसरा, क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारे भैया को सबक सिखाना चाहिये। तुम दोनों की चूत चुद चुकी है और दो चार और लंड लेने से कोई फ़रक नहीं पड़ने वाला, मैंने कहा, ठंडे दिमाग से सोच लेना और मुझे अपना फैसला सुना देना।”
“क्या राम और श्याम को मालूम है कि अपने अपना बदला लेने के लिये हमें मोहरा बनाया है? अंजू ने पूछा।”
“नहीं! उन्हें नहीं पता है! सिर्फ़ हम लोगों को पता है, यहाँ तक कि तुम्हारे भैया को भी नहीं.... मैंने जवाब दिया।”
“घूमने जाने से पहले मंजू ने कहा, भाभी हम तैयार हैं! जैसा आप बोलेंगी, हम करेंगे।”
“अच्छा है! अब राम और श्याम से दिल खोलकर मज़ा लो, तुम लोग दोबारा गर्भवती नहीं हो सकती... मैंने हँसते हुए जवाब दिया।”
“कार में बैठते वक्त राम ने कहा, दीदी! गाड़ी आप चलाइये, हम चारों पीछे की सीट पर बैठ जायेंगे।”
“जब कार हाईवे पर पहुँची तो मैंने अंजू को बोलते हुए सुना, नहीं राम! मैं तुम्हारा लंड अपने मुँह में नहीं ले सकती... ”
“क्यों नहीं ले सकती? जब तुम्हें चुदवाना था तो तुमने मेरा लंड चूस कर खड़ा किया नहीं था क्या? राम ने जवाब दिया।”
“नहीं हमने तुम लोगों का लौड़ा नहीं चूसा... मंजू बोली।”
“अगर यकीन नहीं आता तो अपनी भाभी से पूछ लो... श्याम बोला।”
“भाभी!!! इनसे कहिये ना कि हम लोगों ने इनका लंड नहीं चूसा था... अंजू गिड़गिड़ायी।”
“मगर ये सच है कि तुम दोनों ने इनके लंड को जोर-जोर से चूसा था और तुम्हें मज़ा भी आया था। मैंने हँसते हुए जवाब दिया।”
“अब इसे चूसो मेरी जान!!! कहकर राम ने अपना लंड अंजू के मुँह में दे दिया।”
“थोड़ी देर बाद मुझे पीछे से चपर-चपर की आवाजें सुनाई दीं। मैंने रियरव्यू मिरर में देखा कि दोनों लड़कियाँ जोर-जोर से उनके लौड़े को चूस रही थी।”
“ओहहह अच्छा लग रहा है, अंजू ज़रा जोर से चूसो राम ने सिसकरी भरते हुए कहा।”
“ऐसे लगता है मंजू कि तुमने तो लौड़ा चूसने के लिये ही जन्म लिया है! कितने अच्छे तरीके से चूस रही हो, हाँआआआ और जोर से चूसो... कहकर श्याम ने अपना लंड और अंदर घुसेड़ दिया।”
“थोड़ी देर में दोनों ने अपना वीर्य उनके मुँह में छोड़ दिया और दोनों गटक कर उनका पानी पी गयी।”
“जब हम शाम को घर पहुँचे तो मैंने उन चारों को कमरे में अकेला छोड़ दिया। पूरी रात चारों चुदाई करते रहे, उनके सिसकने की, चिल्लाने की अवाज़ें आती रही।”
“एक बात कहूँ राज! तुम्हारी बहनें भी तुम्हारी तरह एक दम गरम हैं। जब तक वहाँ रहीं... मेरे भाइयों की हालत खराब कर दी। हम लोगों के जाने के बाद राहत की साँस ली होगी उन्होंने।”
“फिर हम लोग यहाँ चले आये और अगे की कहानी तुम्हें मालूम ही है।” ये कहकर प्रीती ने अपनी कहानी खत्म करी।
प्रीती की कहानी सुनने के बाद मुझे सही में लगा कि जो कुछ मैंने किया वो गलत किया था। खैर जो होना था सो हो गया, अब वो बदला नहीं जा सकता था। मैंने प्रीती से कहा, “प्रीती! मैंने कुछ दिन बाद ही तुमसे माफ़ी माँग ली थी, उसके बाद भी मैं कई बार तुमसे माफ़ी माँग चुका हूँ, पर तुमने मेरी एक नहीं सुनी। आज फिर मैं दिल से तुमसे माफ़ी माँग रहा हूँ, मुझे माफ़ कर दो।”
“हाँ मुझे मालूम है, और मैं तुम्हें उस दिन भी माफ़ कर सकती थी, पर मैं तुम्हें एक सबक सिखाना चाहती थी। आज वो पूरा हो गया”, प्रीती ने जवाब देते हुए कहा, “राज मैं एक शर्त पर ही तुम्हें माफ़ करूँगी! अगर तुम मुझे एम-डी और महेश से बदला लेने में मेरी मदद करोगे?”
“मेरा वादा है तुमसे! मैं तुम्हारी पूरी मदद करूँगा।” मैंने जवाब दिया। “अब अंजू और मंजू के बारे में क्या करना है? अगर ये दोनों प्रेगनेंट हो गयी तो?”
“इसके बारे में मैंने सोच लिया है, सुबह मैं दोनों को डॉक्टर के पास ले गयी थी, इतनी जल्दी तो कुछ पता नहीं चलेगा किंतु भविष्य के लिये उसने बर्थ कंट्रोल पिल्स दे दी हैं”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन अब इन दोनों का यहाँ क्या काम है, क्या तुम्हारा इनसे मक्सद पूरा नहीं हुआ?” मैंने पूछा।
“भाभी का हो गया होगा पर हमारा नहीं! अभी हम कुछ दिन और यहाँ रुकना चाहते हैं और खूब चुदाई करना चाहते है, क्यों भाभी ठीक है ना?” अंजू ने प्रीती से पूछा।
“क्या तुम लोग भी यहाँ रहकर वेश्या बनना चाहती हो? तुम लोगों का दिमाग खराब हो गया है?” मैंने थोड़ा झल्लाते हुए कहा।
“हाँ भैया! हम लोग पागल हो गये हैं, और एम-डी और उसके दोस्तों से चुदवा कर उनको पागल कर देंगे, जिन्होंने भाभी को उन सबसे चुदवाने पर मजबूर कर दिया था, और साथ ही साथ पैसा भी कमाना चाहते हैं,” मंजू ने कहा।
“पर मैंने तो प्रीती से नहीं कहा था उन लोगों से चुदवाने को!” मैं थोड़ा गुस्से में बोला।
“नहीं भैया! आप गलत हो, जिस दिन आपने एम-डी और महेश को भाभी को चोदने दिया उसी दिन आपने भाभी को दूसरों से चुदवाने के लिये मजबूर कर दिया था”, अंजू ने कहा।
“हाँ भैया और हमारी शादी से पहले चुदाई भी आपके कारण ही हुई है”, मंजू ने कहा।
“पर ये मैंने नहीं, तुम्हारी भाभी ने किया है”, मैंने रोते हुए कहा।
“अगर आपने प्रीती भाभी के साथ ये सब ना किया होता तो ये हमारे साथ इस तरह ना करती”, अंजू बोली।
“प्रीती! तुम ही इन्हें समझाओ ना कि तुम्हारा बदला पूरा हो चुका है”, मैंने मिन्नत करते हुए कहा।
“करने दो इन दोनों को, इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी... मैं हमेशा साथ रहुँगी। आओ पहले मैं तुम्हें इन दोनों की कुँवारी चूत के फटने की कुछ तसवीरें दिखाती हूँ”, प्रीती ने पर्स में से तसवीरें निकालते हुए कहा।
“भाभी! आप ने हम लोगों की तसवीरें कब निकाली?” अंजू ने पूछा।
“भाभी आप बड़ी बदमाश हो, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था”, मंजू बोली।
उनकी अलग-अलग रूप में चुदाई की तसवीरें देख कर मैं पागल सा हो गया, “बस अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता”, कहकर मैंने वो तसवीरें फेंक दीं।
“चलो लड़कियों! अब नहा धो कर तैयार हो जाओ, तब तक मैं फोन करके पास के होटल से खाना मंगवा लेती हूँ, आज मैंने बहुत पी ली है... खाना बनाने की हिम्मत नहीं है मुझमें”, प्रीती ने उन दोनों से कहा।
खाना खाते समय हम लोग बातें कर रहे थे कि प्रीती बोली, “चलो अब तुम लोग भी सोने जाओ और मैं भी सोने जा रही हूँ।”
“इतनी जल्दी भाभी? अभी तो बहुत वक्त पड़ा है,” अंजू बोली।
“हाँ इतनी जल्दी! क्योंकि आज मैं तुम्हारे भैया के लंड की एक-एक बूँद अपनी चूत में ले लूँगी। कई दिन हो गये हैं तुम्हारे भैया के मोटे लंड से नहीं चुदवाया है...” कहकर प्रीती मुझे घसीट कर बेडरूम में ले आयी।
रात भर हम जमकर चुदाई करते रहे। प्रीती ने मुझे एक पल भी साँस नहीं लेने दी।
अगले दिन मैं जब ऑफिस पहुँचा तो महेश मुझे एक नये केबिन की और ले गया। दरवाजे पर नेम प्लेट लगी थी, राज अग्रवाल {फायनेंस और अकाऊँट्स मैनेजर}। “थैंक यू सर”, मैंने खुश होते हुए कहा।
“मुझे नहीं! अपने एम-डी साहिब को थैंक यू बोलो, उन्होंने रातों रात इसे तैयार करवाया है, जाओ अब मजे लो... स्पेशियली इस नये सोफ़े का। तुम्हारी तीनों एसिस्टेंट्स इंतज़ार कर रही हैं...” महेश हँसते हुए बोला।
नया केबिन पहले केबिन से बड़ा था और उसकी खासियत यह थी कि उसमें सोफ़ा-कम-बेड भी था। अपनी तीनों एसिस्टेंट्स को बुला कर मैंने नये सोफ़े पर चुदाई का आनंद लिया।
शनिवार को महेश ने मुझे होटल शेराटन के सूईट में पहुँचने को कहा। शाम को मैंने प्रीती को बताया, तो उसने कहा, “तुम्हारा सही इनाम मिलने का वक्त आ गया है, शायद कोई बिना चुदी चूत हो...”
“मेरा दिल नहीं कर रहा जाने के लिये”, मैंने कहा।
“नहीं राज तुम्हें जाना चाहिये! जाओ और चुदाई का मजा लो, मैं बुरा नहीं मानूँगी, कसम से, वैसे भी हम तीनों बिज़ी हैं...” प्रीती ने कहा।
जब मैं होटल के सूईट में पहुँचा तो एम-डी और महेश को मेरा इंतज़ार करते पाया, “आओ राज बैठो और अपने लिये ड्रिंक बना लो।”
मैं अपने लिये ड्रिंक बना कर सोफ़े पर बैठ गया और शक की निगाहों से उन्हें देखने लगा।
“डरो मत राज! आज हमने तुमसे कुछ लेने नहीं, बल्कि तुम्हें तुम्हारे काम का इनाम देने के लिये बुलाया है, इसलिये निश्चिंत हो जाओ”, एम-डी ने अपने ग्लास में से घूँट भरते हुए कहा।
“राज तुमने सुना तो होगा कि मैंने अपनी ऑफिस की हर औरत को चोदा है?” एम-डी ने मुझसे पूछा।
“हाँ सर! कुछ ऐसी अफ़वाह सुनी तो है...” मैंने जवाब दिया।
“ये अफ़वाह नहीं, हकीकत है राज! मैंने और महेश ने ऑफिस में काम करने वाली हर लड़की या औरत को खूब चोदा है। नयी-नयी लड़कियों को चोदने के बाद यहाँ काम पर लगाया है। आज हम दोनों तुम्हें अपना राज़दार और हिस्सेदार बनाना चाहते हैं”, एम-डी ने गर्व से कहा, मगर मैंने ये नहीं सोच था।
“इसका मतलब है कि तुम ऑफिस की किसी भी औरत को अपने नये केबिन में बुला कर उसे चोद सकते हो, तुम्हें मेरी परमिशन है इस काम के लिये।”
“थैंक यू सर”, मैंने जवाब दिया।
मेरे ऑफिस में कई लड़कियाँ थीं जिन्हें मैं चोदना चाहता था। इस बात ने मेरा काम और आसान कर दिया था। ये सोच मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी।
महेश ने ताली बजाते हुए कहा, “राज... कल का क्यों इंतज़ार करें! आओ आज से ही शुरू करते हैं।”
महेश के ताली बजते ही बेडरूम से दो निहायत ही सुंदर लड़कियाँ बाहर निकल कर आयी। दोनों के हाथों में शराब के ग्लास और सिगरेट थीं। “ये रेहाना है, हमारे डिसपैच डिपार्टमेंट से और ये नसरीन है हमारी ब्राँच ऑफिस से”, महेश ने मेरा उनसे परिचय कराते हुए कहा।
“पहले कभी इन्हें देखा है? मैंने आज की रात सबसे बेहतरीन लड़कियों को अपनी ऑफिस और ब्रन्च ऑफिस से चुना है...” एम-डी ने कहा।
“सर रेहाना को मैंने देखा है, और इसे चोदना भी चाहता था पर नसरीन मेरे लिये नयी है...” मैंने जवाब दिया।
“चिंता मत करो! थोड़े दिनों में सबको जान जाओगे..., लड़कियों! ये राज है और आज से इसे मेरी परमिशन है कि ये तुम सबको जब जी चाहे चोद सकता है, ये बात औरों को भी बता देना, समझ गयी तुम दोनों?” एम-डी ने उनसे कहा।
“हाँ सर! हम समझ गये”, रेहाना ने अपनी गर्दन हिलाते हुए सिगरेट का धुँआ बाहर छोड़ते हुए कहा।
“चलो फिर शुरू हो जाओ और अपना छुपा हुआ खज़ाना राज को दिखाओ”, महेश ने हुक्म दिया।
दोनों अपने कपड़े उतारने लगी। दोनों ही काफी सुंदर थी, भरी-भरी छातियाँ, पतली-पतली कमर, बिना बालों की चूत काफी शानदार लग रही थी, तरबूज जैसी गाँड, लंबी-लंबी सुडौल टाँगें और अंत में गोरे- गोरे पैरों में बहुत ही सैक्सी और ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल। उन्हें नंगा देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
“चलो महेश यहाँ से! और राज को चुदाई का पूरा आनंद लेने दो”, एम-डी ने कहा।
“रुकिये सर, आपने कहा कि मैं आज से आपका पार्टनर और राज़दार हूँ तो क्यों ना हम लोग मिलकर इन्हें चोदें?” मैंने एम-डी से कहा।
“देखा महेश! मैं नहीं कहता था कि अपना राज मतलबी नहीं है, ये सब कुछ शेयर करना चाहता है”, एम-डी खुश होते हुए बोला, “लेकिन राज ये दो हैं और हम तीन...”
“सर औरत के पास तीन छेद होते हैं, मर्द को मज़ा देने के लिये, चूत गाँड और मुँह... और इसके लिये हम तीन हैं।”
“मेरे लिये ये नयी बात होगी”, एम-डी ने कहा, “चलो महेश... कपड़े उतारते हैं और ट्राई करते हैं।”
“सर हम लोग एक-एक कर के तीनों छेदों का मज़ा लेंगे”, मैंने एम-डी को समझाया।
“ओह गॉड!!!” हम तीनों को नंगा देखते हुए एक ही झटके में अपना पैग गटकते हुए रेहाना बोली।
एम-डी की नज़र जब मेरे लंड पर पड़ी तो उसने हँसते हुए कहा, “महेश! देखो राज का लंड तुमसे बड़ा और मोटा है, अब तुम्हारे मोटे लंड के किस्से ही रह जायेंगे।”
रेहाना ने मेरे लंबे लंड को देखते हुए कहा, “सर!!! मैं ये लंबा लंड अपनी गाँड में नहीं लूँगी।”
“रेहाना! तुम्हें पता है मुझे ’ना’ सुनने की आदत नहीं है, इसलिये राज तुम्हारी गाँड में अपना लंड डालेगा।” फिर रेहाना ने विरोध नहीं किया। रेहाना वैसे भी काफी नशे की हालत में थी।
एम-डी बिस्तर पर लेट गया और रेहाना ने एम-डी के ऊपर आकर उसका लंड अपनी चूत में ले लिया और उछलने लगी। एम-डी का लंड जड़ तक उसकी चूत में समा चुका था। रेहाना की गाँड उभरी हुई थी। अपने लंड को सहलाते हुए मैं अपने थूक से उसकी गाँड को चिकना कर रहा था।
“राज ये कोई तरीका नहीं है इतनी सुंदर गाँड मारने का, मैं होता तो एक ही धक्के में पूरा लंड डाल देता...” महेश ने कहा।
“क्या उसे दर्द नहीं होगा?” मैंने कहा।
“हाँ... उसे दर्द तो होगा, पर जब वो दर्द से चींखेगी तो उसके दर्द की आवाज़ मुझे अपने कानों में संगीत की तरह लगती है...” महेश बोला।
“तुम्हें जैसे करना है, वैसे करना, मुझे अपने तरीके से करने दो”, मैंने जवाब दिया। रेहाना मेरी और देख कर मुस्कुरा दी। उसकी आँखें नशे में बोझल थीं। मैंने अपने लंड और उसकी गाँड को चिकना कर अपने लंड को गाँड के छेद पर रख कर थोड़ा अंदर घुसाया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईई प्लीज़ सर!!! रुक जाइये, बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊँगी”, रेहाना दर्द से चिल्लायी।
“राज रुकना नहीं! और जोर से डालो”, एम-डी ने कहा। मैंने अपने लंड को और अंदर घुसाया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईईई....... अल्लाहहहहह मर गयीईईईई...” रेहाना जोर से चींखी।
मैंने रेहाना की गाँड में धक्के लगाते हुए महेश से कहा, “अब तुम अपना लंड रेहाना के मुँह में दे दो।”
मैं ऊपर से गाँड मर रहा था और एम-डी नीचे से धक्के लगा कर उसकी चूत को चोद रहा था। रेहाना जोर-जोर से महेश के लंड को चूस रही थी। करीब पाँच मिनट के बाद हमारे तीनों के लंड ने रेहाना के तीनों छेद मैं पानी छोड़ दिया।
“नसरीन!! अब तुम्हारी बारी है”, महेश ने कहा।
“ठीक है सर! राज सर का लंड अपनी गाँड में लेकर मुझे खुशी होगी”, नसरीन ने जवाब दिया, “लेकिन सर इजाज़त हो तो पहले मैं अपनी डोज़ ले लूँ?”
“जरूर....” लेकिन जल्दी एम-डी ने कहा।
मुझे कनफ्यूज़्ड देख कर महेश ने बाताया कि नसरीन चुदाई के समय ड्रग्स लेती है और फिर बहुत मस्त हो कर चुदवाती है। मैंने देखा कि नसरीन ने अपने पर्स में से एक पैकेट निकाला और एक सफ़ेद से पाऊडर की मेज पर धारी सी बना दी और फिर एक सौ रुपये के नोट को रोल करके उसके द्वारा वो पाऊडर अपनी नाक में खींचने लगी।
“चलिये सर... अब मैं तैयार हुँ, चुदाई के लिये...” नसरीन अपना बाकी का पैग गटकते हुए बोली। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी और उसकी आँखों की पुतलियाँ फैली हुई थीं।
इस बार महेश बिस्तर पर लेट गया और नसरीन उसके लंड को अपनी चूत में लेकर उस पर लेट गयी। एम-डी ने अपना लंड उसके मुँह में दिया। मैंने ऊपर आकर उसकी गाँड में एक ही धक्के में पूरा लंड पेल दिया।
हम तीनों जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उसे चोद रहे थे। नसरीन की गाँड रेहाना की गाँड से कसी थी इसलिये मुझे और मज़ा आ रहा था। नसरीन की सिसकरियाँ भी तेज थी।
हम तीनों ने जम-जम कर धक्के मारते हुए अपना अपना पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद एम-डी ने कहा, “राज तुम मज़े लो, हम लोग जाते हैं, देर हो रही है।”
उनके जाने के बाद मैंने एक-एक बार और उन दोनों की चुदाई की और रात के दो बजे घर पहुँचा।
मैं दूसरे दिन ऑफिस पहुँचा तो मुझे सभी महिला एम्पलोयिज़ की लिस्ट मिल गयी। उनका नाम, उम्र, किस डिपार्टमेंट में काम करती है और कितने साल से। उस दिन के बाद मैं एक-एक करके उनको अपने केबिन में बुला कर उन्हें चोदने लगा।
थोड़े ही दिन में ये बात आग की तरह फ़ैल गयी कि मेरा लंड महेश के लंड से मोटा है।
थोड़े दिन बाद पिताजी की चिट्ठी आयी कि मैं अंजू और मंजू को वापस भेज दूँ। मैंने उन दोनों की टिकट करा दी। जिस दिन वो जा रही थीं, मैंने उनसे कहा, “तुम दोनों वादा करो कि यहाँ से जाने के बाद ये सब छोड़ दोगी?”
“भैया! हम आपसे वादा करते हैं कि अब शादी से पहले किसी से नहीं चुदवायेंगे”, मंजू ने कहा।
उन दोनों को ट्रेन में बिठा कर मैं घर पहुँचा तो प्रीती ने कहा, “राज अब अंजू और मंजू यहाँ से जा चुकी हैं तो क्यों ना हम एम-डी और महेश से अपना बदला लेने का प्लैन बनायें।”
“तुम क्या करना चाहती हो?” मैंने पूछा।
“सबसे पहले मैं उनके बारे में सब कुछ जानना चाहुँगी”, प्रीती ने कहा।
“तुम उन दोनों से इतनी बार चुदवा चुकी हो, और क्या जानना चहोगी?” मैंने कहा।
“मजाक मत करो, मैं उनकी हर बात जानना चाहती हूँ, जिससे उनकी कमजोरियों का पता चल सके, राज! तुम जितना भी जानते हो मुझे बताओ”, प्रीती बोली।
“महेश के बारे में इतना नहीं जानता। पर हाँ एम-डी, मिसेज योगिता के साथ उनके ही बंगले पर रहते हैं, उनकी बीवी का नाम मिली है और उनकी दो बेटियाँ हैं”, मैंने जवाब दिया।
“दो बेटियाँ!” प्रीती के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
“मैं जानता हूँ तुम क्या सोच रही हो पर अभी वो छोटी हैं”, मैंने कहा।
“राज! तुम मिस्टर रजनीश, तुम्हारे एक्स एम-डी के परिवार के बारे में क्या जानते हो?” प्रीती ने पूछा।
“यही कि उनकी विधवा मिसेज योगिता, और उनकी लड़की रजनी साथ में रहती हैं। एम-डी रजनी को अपनी बेटियों से भी ज्यादा प्यार करता है”, मैंने जवाब दिया।
“तुम्हें ये कैसे मालूम?” उसने पूछा।
“मुझे रजनी ने बताया था, उसने छुट्टियों में कुछ दिन कंपनी में काम किया था।” मैंने जवाब दिया।
“क्या तुमने रजनी को चोदा है? मुझे सच- सच बताना”, उसने पूछा।
कुछ देर सोचते रहने के बाद मैंने सच बताते हुए कहा, “हाँ! मैंने उसे चोदा है पर वो हमारी शादी के पहले की बात है।”
“उस समय वो कुँवारी थी! है ना? क्या उसके बाद तुमने उसे चोदा है?” प्रीती ने फिर पूछा।
“नहीं प्रीती! कसम ले लो, मैंने उसके बाद उसे एक बार ही मिला हूँ, वो भी पार्टी में तुम्हारे साथ”, मैंने जवाब दिया।
“राज मैं जानती हूँ तुम सच बोल रहे हो! जब तुम झूठ बोलते हो तो तुम्हारे चेहरे से पता चल जाता है। रजनी तुम्हें प्यार करती है, मैंने उसकी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार देखा है, क्या तुम जानते हो?” प्रीती ने कहा।
“मुझे भी ऐसा कई बार लगा है”, मैंने जवाब दिया।
“क्या पता तुम्हें फिर रजनी को चोदना पड़े”, प्रीती ने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा, “फिलहाल तो रजनी को भूल जाओ, वो यहाँ नहीं है! पर मैं तो हूँ, राज! मुझे चोदो और इतना चोदो कि मेरी चूत माफी माँगने लगे।”
मैं उसे बाँहों में भर कर बेडरूम में ले गया और पूरी रात उसे कस-कस कर चोदता रहा।
दूसरे दिन से प्रीती एम-डी और महेश के घर जाने लगी। वो बराबर उनसे और उनके परिवार से मिलने लगी। अब वो उनके परिवार की एक सदस्या जैसे हो गयी थी। एक दिन मैंने उससे पूछा, “क्या पता लगाया तुमने इतने दिनों में?”
“कुछ खास नहीं, महेश के दो बच्चे हैं! एक लड़की मीना २२ साल की... जो अपना ग्रैजुयेशन कर रही है और एक लड़का अमित १६ का। लगता है महेश घर से ज्यादा बाहर चुदाई करता है, प्रीती ने हँसते हुए कहा, मीना और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं।”
“एम-डी के बारे में क्या पता लगा?” मैंने पूछा।
“वहाँ भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। मिसेज योगिता और मिसेज मिली, अच्छी सहेलियाँ हैं, और हाँ तुमने सच कहा था! उनकी बेटियाँ छोटी हैं। हाँ! रजनी और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं। मैंने हार नहीं मानी है, एक दिन भगवान हमारी मदद जरूर करेगा।”
करीब तीन महीने बाद मुझे पिताजी की चिट्ठी मिली कि अंजू और मंजू की शादी पक्की हो गयी। करीब के गाँव के जमीनदार के लड़कों के साथ। हम दोनों को शादी में बुलाया था।
मैं और प्रीती हमारे घर शादी अटेंड करने पहुँचे। देखा अंजू और मंजू बहुत खुश थीं। शादी के दिन जब हम अकेले में मिले तो प्रीती ने उनसे पूछा, “तुम दोनों को कोई शिकायत तो नहीं है?”
अंजू ने मंजू की तरफ देख कर कहा, “सिर्फ़ एक!”
“और वो क्या है?” प्रीती ने पूछा।
“हम इतने दिन वहाँ रहे पर भैया को हम इतने सुंदर नहीं दिखे कि वो हमें चोद सके”, अंजू ने कहा।
“अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, तुम भी यहीं हो और तुम्हारे भैया भी! जाओ और चुदवा लो उनसे, मैं बुरा नहीं मानुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“प्रीती! अपनी सीमा में रहो”, मैंने अपनी बहनों को बाँहों में भरते हुए कहा, “ऐसी बात नहीं है पगली, जब तुम दोनों का नंगा बदन देखा तो मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था, अगर तुम दोनों मेरी बहनें ना होती तो उसी समय तुम दोनों को चोद देता।”
“मैं भी इस चीज़ को मानती हूँ, रिश्तों की कदर करनी चाहिये”, प्रीती बीच में बोली, “अब तुम दोनों को अपनी सुहागरात का इंतज़ार होगा?”
“हाँ भाभी, तीन महीने हो गये चुदवाये, अँगुली से अपनी चूत चोद-चोद कर देखो हमारी अँगुली भी घिस कर एक इंच छोटी हो गयी है”, मंजू ने अपनी अँगुली दिखाते हुए कहा।
“मैं तो यही प्रार्थना करती हूँ कि सब अच्छी तरह से हो जाये, हमारे पतियों को ये ना पता चले कि हमारी चूत कुँवारी नहीं है”, अंजू थोड़ा सिरियस होते हुए बोली।
“घबराओ मत! सब ठीक होगा”, प्रीती ने उन्हें सांतवना दी।
शादी के बाद हम लोग वापस लौट आये। प्रीती बराबर एम-डी और महेश के घर जाती रही। हमारी चुदाई वैसे ही चल रही थी। मैं ऑफिस में लड़कियों को चोदता और प्रीती को घर पर। प्रीती भी घर पर मुझसे चुदवाती और क्लब में दूसरों से। वो चाहे एम-डी और महेश से कितनी भी गुस्सा हो पर मुझे लगने लगा था कि प्रीती को यह शबाब-शराब से भरपूर ऐय्याश लाइफ स्टाईल रास आ गया था। उसकी चुदाई की आग पहले से बहुत बढ़ गयी थी।
एक दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो देखा प्रीती एक खत फढ़ रही थी, और जोर-जोर से हँस रही थी।
“किसका खत है?” मैंने पूछा।
“लो तुम ही पढ़ के देख लो”, प्रीती ने मेरे हाथ में खत पकड़ा दिया।
मैंने खत लेके पढ़ा.............................
“हमारी प्यारी भाभी,
सॉरी हम दोनों आप को खत नहीं लिख पाये।
हम दोनों बहुत मज़े में हैं। हमारे पति बहुत ही अच्छे इनसान है। हर रात को हमारी जमकर चुदाई करते हैं। मैं शुरू से बताती हूँ।
हाँ हमारी सुहागरात की रात से! हमारे पतियों ने पहले किसी लड़की को चोदा नहीं था, इसलिये जल्दबाज़ी में उन्हें हमारे कुँवारे ना होने का पता नहीं चला। फिर भी हम उन्हें कहते रहे, जरा धीरे-धीरे करो, दर्द हो रहा है।
कुछ महीनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर हमें चुदाई में इतना मज़ा नहीं आता था, क्योंकि हमारे पति बहुत ही सीधे हैं। ना तो वो हमारी चूत चाटते हैं, ना ही हमे अपना लौड़ा चूसने देते हैं। गाँड मारने की बात तो जाने दो।
फिर हम दोनों ने मिलकर इसका उपाय निकाला। हम दोनों ने एक दूसरे के पति को पटाया और उनसे चुदवा लिया। फिर एक बार हमने नाटक करके एक दूसरे को दूसरे के पति के साथ पकड़ लिया। हमारे पति इतने सीधे हैं कि हमसे माफी माँगने लगे। हमने उन्हें माफ़ किया पर एक शर्त पर कि वो हमें साथ-साथ चोदेंगे।
अब हम चारों साथ में ही सोते हैं, जैसे राम और श्याम के साथ सोते थे। हमने उन्हें चूत चाटना भी सिखा दिया है और हम उनका लंड भी मज़े से चूसते हैं। हम चारों का आपके पास आने को बहुत मन कर रहा है।
और आपका क्या हल है? भैया को हमारा प्यार देना।
बाय-बाय!
आपकी रंडी ननदें, अंजू और मंजू।”
“थैंक गॉड! ये दोनों अपने जीवन में सैटल हो गयी”, मैंने खत पढ़कर कहा।
समय गुजरने लगा और प्रीती की एम-डी और महेश से बदला लेने की ख्वाहिश और ज्यादा तेज होने लगी। मैंने उसे सांतवना देते हुए कहा, “प्रीती हिम्मत रखो! कोई रास्ता जरूर निकल आयेगा।” मुझे क्या मालूम था कि रास्ता भविष्य में हमारा इंतज़ार कर रहा है।
एक दिन मैंने ऑफिस से लौट कर प्रीती को बताया कि महेश बरबाद हो गया है।
एक दिन मैंने ऑफिस से लौट कर प्रीती को बताया कि महेश बरबाद हो गया है।
“क्यों कैसे?”
“तुम्हें याद है? उसने बताया था कि वो अपना सारा पैसा शेयर मॉर्केट में लगाता है। मॉर्केट बहुत नीचे गिर गया है और उसे भारी नुकसान लगा है। बेचारा रो रहा था मेरे सामने, कि उसके पास अब कुछ भी नहीं बचा है।”
“भगवान ने अच्छा सबक सिखाया है हरामी को!”
“हाँ प्रीती, वो तो आत्महत्या तक करने की सोच रहा है।”
“नहीं राज! उसे आत्महत्या नहीं करने देना, पहले मेरा बदला पूरा हो जाये, फिर चाहे वो आत्महत्या कर ले। राज तुमने क्या बताया उसे पैसे की तकलीफ है? इससे मेरे दिमाग में एक ऑयडिया आया है”, प्रीती ने कहा।
मैंने प्रीती को बाँहों भरते हुआ पूछा, “जल्दी से बताओ क्या ऑयडिया है?”
“अभी नहीं पहले मुझे सोचने दो, चलो चल कर सैलिब्रेट करते हैं”, कहकर प्रीती ने मुझे बाँहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख कर चूमने लगी।
उसने दो पैग बनाये और ड्रिंक पीने के बाद हम कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गये। “ओह राज! देखो तुम्हारा लंड कैसे तन कर खड़ा है”, प्रीती ने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ते हुए कहा।
“पर मैं तो समझा था कि तुम अपने प्लैन के बारे में बताओगी?”
“ओहहह राज! प्लैन तो वेट कर सकता पर इस समय इस खड़े लंड की ज्यादा चिंता है, आओ और मुझे कस कर चोदो”, प्रीती ने अपनी टाँगें फैला कर कहा।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसाया, “ओहहहहहह राज!!!” उसके मुँह से सिसकरी निकली।
“राज! मैं आज कितनी खुश हूँ, मुझे महेश से बदला लेने का तरीका मिल गया।”
“प्रीती! अब महेश के बारे में सोचना छोड़ो और इस बात पे ध्यान दो कि मैं अब तुम्हारी चूत के साथ क्या करने वाला हूँ”, मैंने अपना लंड तेजी से उसकी चूत के अंदर बाहर करते हुए कहा।
“हाँ राज! मुझे चोदो, बहुत अच्छा लग रहा है”, वो कहने लगी और मैं उसे और तेजी चोद रहा था। मेरा लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
मेरे ध्क्कों की रफ़्तार बढ़ते देख उसने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पे जकड़ लीं और अपने कुल्हे उछाल कर थाप से थाप मिलाने लगी। उसके मुँह सिसकरियाँ निकल रही थी।
“हाँआंआंआं राज!!! और जोर से!!!!!, हाँआँआँ ऐसे ही करते जाओ, हाँ और अंदर तक घुसा दो..... ओहहहहह..... आआआआआआहहहहहह..... मैं तो अपनी मंज़िल के करीब हूँ। मेरा छुटाआआ!!!” कहकर वो निढाल पड़ गयी।
मेरा नहीं छूटा था, इसलिये मैं और तेजी से उसे चोदने लगा। “लगता है तुम्हारा नहीं छुटा”, उसने भी मेरा साथ देते हुए कहा।
“नहीं, पर जल्द ही छूटने वाला है”, और मैं जोर-जोर से अपने लंड को अंदर डालने लगा।
वो फिर मेरा साथ देने लगी, “राज, रुको मत! हाँआँ चोदते जाओ... हाँआंआं लगता है मेरा फिर छूटने वाला है....” उसकी साँसें उखड़ रही थी।
“ओहहहहहहह राज मेरा छूटाआआआ....” वो जोर से चिल्लायी और उसी वक्त मैंने भी अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। इससे मेरे लंड में फिर गर्मी आ गयी और वो खड़ा हो उसकी चूत पर झटके मारने लगा।
वो मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर बोली, “राज अब मेरी गाँड मारो।” मुझे भी गाँड मारने का शौक था, इसलिये उसके कहते ही मैं उसके पीछे आकर अपने थूक से उसकी गाँड को गीली करने लगा। “राज ये मत करो!!! आज मेरी गाँड में ऐसे ही अपना लौड़ा घुसा दो”, वो बोली।
“पागल हो गयी हो? तुम्हें बहुत दर्द होगा!”
“होने दो राज! महेश भी हमेशा मेरी गाँड ऐसे ही मारता आया है। और अब अगर मेरा ऑयडिया काम कर गया तो मैं समझूँगी कि जैसे मैंने महेश की कोरी गाँड मारी है। इसलिये मैं बोलती हूँ वैसा करो”, उसने कहा।
मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँआंआंआं.... मर गयीईईईई”, उसके मुँह से चींख निकली। मैं उसकी गाँड मारने लगा और साथ ही उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल कर उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का काम हो गया और दोनों एक दूसरे को बाँहों में ले कर सो गये।
सुबह मैंने उसे फिर पूछा, “प्रीती! अब बताओ तुम्हारा प्लैन क्या है?”
“राज प्लैन सिंपल है, बस तुम्हारी मदद चाहिये। तुम्हारी मदद के बिना ये पूरा नहीं हो सकता”, प्रीती खुश होती हुई बोली।
“प्रीती! मैं तुम्हें पहले ही बोल चुका हूँ, तुम्हें मुझसे पूरी मदद मिलेगी जिससे तुम एम-डी और महेश से अपना बदला ले सको, अब बताओ।”
“ठीक है! सुनो मेरा प्लैन क्या है....”
“मेरा प्लैन है कि एम-डी महेश की बेटी मीना को उसकी आँखों के सामने चोदें”, प्रीती ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा।
“क्या तुम्हें लगता है कि एम-डी अपने खास दोस्त की बेटी को चोदेगा?” मैंने कुछ सोचते हुए पूछा।
“एम-डी इतना हरामी है कि अगर मौका मिले तो वो अपनी बहन और बेटी को भी चोदने से बाज़ नहीं आयेगा, तुम इस बात की परवाह मत करो, सब मुझपर छोड़ दो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तुम मीना को कैसे तैयार करोगी?”
“कुछ महीने पहले की बात है, मैं मीना से उसके ग्रैजुयेशन के बाद मिली थी और पूछा था कि वो आगे क्या करना चाहती है। तब उसने ‘एम-ए करना है’, कहा था। लेकिन अब वो नौकरी ढूँढ रही है। उसने मुझे तुमसे बात करने के लिये भी कहा है। जबसे महेश ने अपना सब कुछ गंवा दिया है, वो नौकरी कर के पैसा कमाना चाहती है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“इस बात को तुम महेश से कैसे छुपाओगी?”
“मुझे छुपाने की कोई जरूरत नहीं है, मीना ही इस बात को छुपाएगी। क्योंकि जब मैंने उस से कहा कि तुम खुद अपने पिताजी से बात क्यों नहीं करती तो उसने मुँह बनाते हुए कहा कि वो नहीं चाहते कि मैं नौकरी करूँ”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“लगता है तुमने काफी सोच कर ये प्लैन बनाया है, लेकिन तुम ऐसा क्या करोगी कि महेश अपनी बेटी को चुदवाते देखता रहे और कुछ ना कर पाये?” मैंने पूछा।
“उसी तरह जिस तरह तुम खड़े-खड़े अपनी बहनों को चुदवाते देखते रहे और कुछ नहीं कर पाये”, प्रीती ने जवाब दिया।
“ठीक है! फिर मीना का चुदाई दिवस कौन सा है?”
“पाँच दिन के बाद, इस महीने की १९ तारीख को”, उसने जवाब दिया।
“कुछ खास वजह ये दिन तय करने का?”
“हाँ मेरे राजा! वो दिन तुम्हारे एम-डी का जन्मदिन है और मीना की कुँवारी चूत एम-डी को महेश की तरफ से जन्मदिन का तोहफ़ा होगी”, प्रीती जोर से हँसते हुए बोली।
१९ तारीख की सुबह मुझे ऑफिस में प्रीती का फोन आया, “राज! तुम साढ़े तीन बजे तक घर पहुँच जाना। मैंने मीना को यहाँ बुलाया है, वो चाहती है कि हम उसके साथ एम-डी के सूईट में जायें। मैंने एम-डी को बोल दिया है कि हम चार बजे पहुँच जायेंगे इंटरव्यू के लिये।”
मैं ठीक साढ़े तीन घर पहुँचा तो प्रीती और मीना को कोक पीते हुए देखा। मीना को मुँह बनाते देख मैंने पूछा, “तुम क्या पी रही हो मीना?”
“मीना जब यहाँ आयी तो कुछ नर्वस लग रही थी, इसलिये मैंने इसे कोक पीने को दे दिया जिससे ये कुछ शाँत हो जाये और इंटरव्यू देने में आसानी हो”, प्रीती ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।
“तुमने ठीक किया, इससे जरूर आसानी हो जायेगी”, मैंने कहा।
“आपको ऐसा लगता है सर?” मीना ने पूछा।
“अब हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है, मीना तुम अपना कोक फिनिश कर के चलने के लिये तैयार हो जाओ, हमें देर हो रही है?” प्रीती ने बात को बदलते हुए मीना से कहा।
जब हम ठीक चार बजे एम-डी के सूईट में दाखिल हुए तो उसे हमारा इंतज़ार करते पाया, “महेश कहाँ है?”
“महेश रास्ते में हैं और थोड़ी देर में यहाँ पहुँच जायेंगे, तब तक आपको इंटरव्यू स्टार्ट कर देना चाहिये।”
इतने में मीना ने अपना सिर पकड़ते हुए कहा, “प्रीती दीदी मुझे पता नहीं क्यों चक्कर आ रहे हैं।”
प्रीती ने एम-डी को आँख मारते हुए कहा, “सर! आप इसे सोफ़े पर क्यों नहीं लिटा देते।”
एम-डी ने मीना को कंधों से पकड़ कर सोफ़े पर लिटा दिया और उसके मम्मों को दबाने लगा। अब वो उसकी चूत कपड़ों के ऊपर से ही सहला रहा था। जब मीना को इस बात का एहसास हुआ तो एम-डी का हाथ झटकते हुए बोली, “सर ये आप क्या कर रहे हैं?”
“तेरी कुँवारी चूत का इंटरव्यू लेने की तैयारी कर रहे हैं!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तो क्या एम-डी मुझे चोदेंगे?” मीना ने घबराते हुए पूछा।
“हाँ मीना! पहले ये तेरी कुँवारी चूत चोदेंगे और बाद में तेरी गाँड मारेंगे”, प्रीती बोली।
“क्या ये सब जरूरी है?”
“हाँ मीना, एम-डी का इंटरव्यू लेने का यही तरीका है। अब ये तुम पर निर्भर करता है। अगर तुम्हें नौकरी चाहिये तो एम-डी से चुदवाना होगा, क्या तुम्हें नौकरी नहीं चाहिये?” प्रीती बोली।
“प्रीती दीदी! मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है”, मीना अपनी चूत को सहलाते हुए बोली। कोक ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था।
“तो क्या तुम सहयोग देने को तैयार हो?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ दीदी! मैं वो सब करूँगी जो मुझसे करने को कहा जायेगा”, मीना खुले आम अपनी चूत खुजलाते हुए बोली।
“सर! आप मीना को बेडरूम में ले जाइये।” प्रीती ने एम-डी से कहा, “और हाँ सर! जरा संभल कर करना, ये मेरी छोटी बहन की तरह है।” एम-डी ने सिर हिलाया और मीना को बेडरूम में ले गया।
उनके जाते ही प्रीती मुझसे बोली, “राज! जल्दी से महेश को फोन करके बोलो कि वो दस मिनट में यहाँ पहुँच जाये नहीं तो बहुत देर हो जायेगी। मैं चाहती हूँ कि वो अपनी आँखों से एम-डी को मीना की कुँवारी चूत चोदते देखे।”
मैंने महेश को फोन लगाया, “सर! राज बोल रहा हूँ!”
“कहाँ हो तुम, मैं तुम्हें एक घंटे से ढूँढ रहा हूँ।”
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा, “सर! मैं एम-डी के साथ उनके सूईट में हूँ। उनके साथ एक कुँवारी चूत भी है, आपको जल्दी से पहुँचने के लिये कहा है।”
“मुझे पहले क्यों नहीं बताया? एम-डी से कहना मैं दस मिनट में पहुँच जाऊँगा और मेरे आने से पहले वो शुरुआत ना करें”, कहकर महेश ने फोन पटक दिया।
“वो यहाँ दस मिनट में पहुँच जायेगा, और वो चाहता है कि एम-डी उसके आने से पहले शुरुआत नहीं करें”, मैंने कहा।
“ठीक है, आने दो उसे। आओ राज! हम देखते हैं कि एम-डी क्या कर रहा है”, प्रीती ने टीवी ऑन करते हुए कहा।
हमने टीवी पर देखा कि एम-डी मीना को नंगा कर चुका था और उसे बिस्तर पर लिटा कर उसकी छातियाँ चूस रहा था। “एम-डी ने अब तक उसकी चूत क्यों नहीं फाड़ी?” मैंने पूछा।
“पता नहीं क्यों? वरना तो उसे एक मिनट का भी सब्र नहीं है।”
अब एम-डी मीना की चूत चाट रहा था। उसकी दोनों टाँगें हव में उठी हुई थी, और उसकी चूत का छेद साफ दिखायी दे रहा था। इतने में महेश सूईट में दाखिल हुआ, “एम-डी कहाँ है?”
“लो तुम खुद अपनी आँखों से देख लो?” प्रीती ने टीवी की ओर इशारा करते हुए कहा। टीवी की और देखते हुए महेश ने कहा, “मैं सोच रहा हूँ कि मैं भी बेडरूम में चला जाऊँ।”
“नहीं महेश! तुम अंदर नहीं जा सकते, एम-डी बहुत नाराज़ थे तुम्हारे देर से आने पर, इसलिये खास तौर पर बोले कि जब तक मैं ना बोलूँ, कोई अंदर नहीं आयेगा। आओ यहाँ बैठो और व्हिस्की पियो”, प्रीती ने महेश को व्हिस्की का ग्लास पकड़ाते हुए कहा। हम दोनों तो पहले से ही व्हिस्की पी रहे थे।
“मेरा नसीब! राज तुमने मुझे पहले क्यों नहीं फोन किया?” महेश झल्लाते हुए बोला।
“सर! मुझे जैसे ही कहा गया, मैंने आपको फोन किया।”
“महेश वो देखो! इस लड़की की चूत का छेद कितना छोटा है!” प्रीती ने टीवी की और इशारा करते हुए कहा।
“हाँ काफी छोटा है, पर मैं जानता हूँ ये छेद ज्यादा देर तक छोटा नहीं रहेगा”, महेश ने हँसते हुए ग्लास में से बड़ा घूँट लिया।
एम-डी अब मीना के ऊपर लेटा हुआ था और उसकी कुँवारी चूत को फाड़ने को तैयार था। “तुम्हें थोड़ा दर्द होगा संभाल लोगी ना?” एम-डी की आवाज़ आयी।
“सर! प्लीज़ धीरे-धीरे करना, मेरी चूत अभी भी कुँवारी है”, मीना ने जवाब दिया।
“ये... ये आवाज़...... ये आवाज़ किसकी है, मुझे कुछ जानी पहचानी लग रही है”, महेश सोफ़े पर से उछलते हुए बोला। टीवी पर अपनी नज़रें गड़ाते हुए वो जोर से चींखा, “ओह गॉड! ये तो मेरी बेटी मीना है, मुझे अभी और इसी वक्त एम-डी को रोकना होगा”, और एक ही साँस में अपना ग्लास खाली कर दिया। उसी वक्त एम-डी ने जोर से अपना लंड मीना की चूत में डाल दिया।
“ओहहहहहह माँ...आँ मर गयी, वो जोर से चिल्लायी, बहुत दर्द हो रहा सर।”
“क्या रोकोगे?” प्रीती जोर से हँसते हुए बोली, “एम-डी का लंड मीना की चूत में घुस चुका है। महेश, अब मीना कुँवारी नहीं रही, बेहतर होगा कि चुपचाप बैठ कर देखो और व्हिस्की पियो। अपना सब कुछ तो गंवा चुके हो... अब नौकरी से भी हाथ धो बैठोगे।” प्रिती ने कहते हुए उत्तेजना में अपना व्हिस्की का ग्लास एक साँस में पी लिया।
महेश सोफ़े पर ढेर होते हुए बोला, “हे भगवान! ये क्या हो गया! अब मैं क्या करूँ! ये कैसे हो गया।”
प्रीती मजे लेते हुए महेश को और जलाने लगी, “देखो महेश! कैसे एम-डी जोर-जोर से मीना की चूत में अपना लंड डाल रहा है। तुमने देखा राज! कैसे एम-डी ने मीना की कुँवारी चूत फाड़ दी? राज! महेश को एक ग्लास व्हिस्की का और बना के दो, लगता है इसे इसकी जरूरत है”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
मैंने महेश को ग्लास बनाकर दिया। ग्लास लेते हुए महेश गुस्से में बोला, “साली कुत्तिया! मुझे मत सिखा कुँवारी चूत कैसे चोदी जाती है, मुझे मालूम है, पहले ये बता मीना यहाँ कैसे पहुँची।”
“अच्छा वो! मैं उसे नौकरी के लिये इंटरव्यू दिलवाने यहाँ लायी थी।”
“मगर एम-डी ने तो मीना को पहचान लिया होगा और उसके बावजूद एम-डी ने ये सब किया”, महेश थोड़ा शाँत होते हुए बोला।
“तो क्या हुआ? तुम्हें तो मालूम है कि हमारी कंपनी में नौकरी देने का रूल क्या है। मीना तुम्हारी बेटी है तो क्या एम-डी कंपनी के रुल बदल देते? माना एम-डी ने मीना को पहचान लिया था लेकिन कुँवारी चूत चोदने के खयाल ने ही उन्हें इतना बेचैन कर दिया कि वो तुम्हारे बिना ही शुरू हो गये”, प्रीती खिल खिलाते हुए बोली। वो शराब के नशे और खुशी से सातवें आसमान पर थी।
“ओह गॉड! मैं क्या करूँ? उसकी माँ को मैं क्या जवाब दूँगा?” महेश ने अपना सिर दोनों हाथों से पकड़ लिया।
“अब तुम्हें सब याद आ रहा है! जब तुम्हारा कोई अपना तुम्हारे इस गंदे खेल में फँस गया।”
“इसका मतलब तुमने ये सब जानबूझ कर किया?” महेश ने पूछा।
“हाँ! तुम क्या समझते हो?” प्रीती ने जवाब दिया।
“पर क्यों? प्रीती! मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो तुमने मुझे ऐसी सज़ा दी?” महेश की आँखों से आँसू बह रह थे।
“कितने हरामी आदमी हो तुम। कितनी जल्दी सब भूल जाते हो। क्या तुम्हें याद नहीं कि किस तरह तुमने मेरे पति को ब्लैकमेल किया, रिशवत का लालच दिया, जिससे तुम मुझे चोद सको? हाँ महेश! ये मेरा बदला था तुम्हारे साथ। तुम्हारी वजह से मैं एक पतिव्रता औरत से एक ऐय्याश, सिगरेट-शराब पीने वाली वेश्या बन गयी”, प्रीती ने जवाब दिया।
“हे भगवान! मैंने अपने आप को किस मुसीबत में फँसा लिया है।”
“महेश देखो! मीना के चूतड़ कैसे उछल-उछल कर साथ दे रहे हैं, लगता है उसे अपनी पहली चुदाई में कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा है”, प्रीती ने टीवी की तरफ इशारा करते हुए कहा। बदले में महेश ने व्हिस्की की बॉटल उठा ली और नीट पे नीट पीने लगा।
“ओहहहहह सर! अच्छा लग रहा है”, मीना सिसकरी भर रही थी, “हाँ सर! ऐसे ही करते जाइये, और तेजी से ओहहहहहहह आआआहहहहहहह हाँ!!! और तेजी से सर!!!! मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।”
“चूत में खुजली हो रही है? तुमने इस लड़की के साथ क्या किया?” महेश जोर से चिल्लाया।
“वही जो तुमने मेरे साथ किया था”, प्रीती ने जवाब दिया, “मैंने तुम्हारा वो स्पेशल दवाई मिला हुआ कोक इसे इतना पिला दिया है कि ये सारी रात दस-दस मर्दों से भी चुदवा लेगी तो इसकी चूत की खुजली नहीं मिटेगी।”
इससे पहले कि महेश कुछ कहता मीना जोर से चिल्लायी, “ओह सर!!!! जोर से, हाँ और जोर से हाँआंआंआंआं इसी तरह करते रहो...... ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईई माँआंआंआं! हाँआंआं सर!!!! लगता है मेरा छूट रहा है।”
महेश ने दोनों हाथों से अपने कान बंद कर लिये। प्रीती जोरों से हँस रही थी। इतने में ही एम-डी भी चिल्लाया “हाआआआ ये ले.... और ले...” और अपना पानी मीना की कुँवारी चूत में छोड़ दिया। अब दोनों अपनी साँसें संभालने में लगे थे।
कमरे में एक दम खामोशी छायी हुई थी। महेश ड्रिंक पर ड्रिंक ले रहा था। प्रीती भी ड्रिंक पीते हुए ना जाने किस सोच में डूबी हुई थी कि इतने में एम-डी की आवाज़ सुनाई दी, “मीना! अब तुम घोड़ी बन जाओ! मैं तुम्हारी गाँड में अपना लंड डालुँगा।” मीना एम-डी की बात मानते हुए घोड़ी बन गयी।
महेश ने चौंक कर टीवी स्क्रीन की ओर देखा और जोर से चिल्लाया, “नहीं!!! अब ये उसकी गाँड भी मारेगा?”
“मीना तुम्हें पता है? महेश हमेशा मुझसे कहता था कि सर आपको कुँवारी गाँड मारना नहीं आता, आज मैं उसकी बेटी की कुँवारी गाँड मार कर सिखाऊँगा, क्या कहती हो?” कहकर एम-डी ने अपना खड़ा लंड उसकी गाँड के छेद पर रख दिया।
“आप जैसा कहें सर! मेरा जिस्म आपके हवाले है”, मीना ना जवाब दिया।
“नहीं सर प्लीज़ नहीं! मेरी बेटी के साथ ऐसा ना करें... ओह राज! तुम कुछ करो ना प्लीज़!!” महेश मुझसे गिड़गिड़ाते हुए बोला।
“क्यों अब क्या हो गया? याद है, तुमने मुझे बताया था कि गाँड कैसे मारी जाती है। क्या तुम मेरी बहन मंजू को भूल गये..... जब उसने धीरे से डालने को कहा था! तब तुमने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड में डाल कर उसकी गाँड फाड़ दी थी। अब तुम्हारी बेटी की बारी आयी तो चिल्ला रहे हो।”
“राज तुम भी मेरे खिलाफ़ हो रहे हो?” महेश रोते हुए बोला।
उसी समय एम-डी ने जोर से अपना लंड मीना की गाँड में घुसा दिया और मीना के मुँह जोर से दर्द भरी चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईई माँ मर गयीईईईईई, निकालो अपना लौड़ा मेरी गाँड में से...... निकालो! मेरी गाँड फट रही है.... बहुत दर्द हो रहा है।”
उसकी चींखों की परवाह ना करते हुए एम-डी अब और तेजी से अपने लंड को उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था और मीना रो रही थी। “ओह गॉड! मेरी बच्ची”, महेश अब और तेजी से ड्रिंक कर रहा था।
मैं और प्रीती महेश को तड़पता हुआ देख रहे थे। उसी समय एम-डी नंगा ही कमरे में आ गया। प्रीती ने जल्दी से टीवी ऑफ कर दिया।
“गुड प्रीती, मज़ा आ गया!” उसने कहा और जब महेश को देखा तो बोला, “महेश! मेरे दोस्त! तुम शानदार दोस्त हो। मीना कमाल की लड़की है। उसकी चूत इतनी टाइट है कि मैं क्या कहूँ! ठीक उस कॉलेज की लड़की की चूत की तरह जिसे हमने कल चोदा था। मुझे नहीं मालूम था कि तुम मेरा इतना खयाल रखते हो।”
“म...म...म...मैं”, महेश ने हकलाते हुए कहा।
“तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नहीं है! मुझे प्रीती ने सब बता दिया है”, एम-डी ने कहा।
“क्या प्रीती ने सब बता दिया?” महेश ने चौंकते हुए स्वर में कहा।
“हाँ मेरे दोस्त! उसने मुझे बताया कि किस तरह तुम कई दिनों से किसी कोरी चूत की तलाश में थे जिसे तुम मेरे जन्मदिन पर तोहफ़ा दे सको और जब तुम्हें कोई नहीं मिला तो अपनी ही बेटी को ये कहकर भेज दिया कि उसका इंटरव्यू है। तुम बहुत समझदार हो महेश”, एम-डी ने कहा, “महेश! उठो, मीना तुम्हारा इंतज़ार कर रही है, जाओ और मजे लो।”
“प्लीज़ सर! महेश को ऐसा करने को कह कर शर्मिंदा ना करें, आखिर में वो इसकी बेटी है”, मैंने धीरे से एम-डी से कहा।
“तुम नहीं जानते राज! महेश के लिये चूत, चूत है! वो चाहे जिसकी हो। हाँ, एक आम आदमी मेरी और तुम्हारी तरह शायद शर्म से मर जाये, पर महेश नहीं! इसने मुझे एक बार बताया था कि किस तरह इसने अपनी दो बहनों को चोदा था और तब तक चोदता रहा जब तक उनकी शादी नहीं हो गयी।” एम-डी ने हँसते हुए कहा और महेश से बोला, “उठो महेश! क्या सोच रहो हो? एक बहुत ही कसी और शानदार चूत तुम्हारा इंतज़ार कर रही है।”
“अभी नहीं! शायद बाद में”, महेश बड़बड़ाया।
“राज! जाके देखो तो मीना क्या कर रही है?”
मैं मीना को देखने बेडरूम में गया और थोड़ी देर बाद उसे साथ ले कर कमरे में आया। अपने पिताजी को देख कर मीना अपना नंगा बदन ढाँपने लगी और मेरे पीछे छुप कर अपनी चूत छुपानी चाही।
“मीना! तुम्हें अपनी चूत अपने डैडी से छुपाने की जरूरत नहीं है। अगर ये तुम्हें चोदना नहीं चाहता तो कम से कम इसे तुम्हारी चूत तो देखने दो”, एम-डी ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा, “क्या अब भी तुम्हारी चूत में खुजली हो रही है?”
“हाँ सर! बहुत जोरों से हो रही है”, मीना ने कहा।
“शायद ये दूर कर दे”, कहकर एम-डी ने सोफ़े पर बैठ कर मीना का अपनी गोद में बिठा लिया और अपना लंड नीचे से उसकी चूत में घुसा दिया।
“अब तुम ऊपर नीचे हो और चोदो”, एम-डी ने मीना से कहा।
मीना उछल-उछल कर एम-डी के लंड पर धक्के मारने लगी।
“राज! तुम वहाँ अपना खड़ा लंड लिये क्या कर रहे हो? यहाँ आओ और अपना लंड इसे चूसने को दे दो।” मैंने अपने कपड़े उतार कर अपना लंड मीना के मुँह में दे दिया। महेश चुपचाप सब देखता रहा और, और ज्यादा व्हिस्की पीने लगा। प्रीती भी काफी उतीजित हो गयी थी और दूसरे सोफ़े पर बैठी, अपनी साड़ी ऊपर उठा कर अपनी चूत रगड़ रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी।
कमरे में हम चारों कि सिसकरियाँ सुनाई दे रही थी। मीना को भी खूब मज़ा आ रहा था और वो और तेजी से उछल रही थी। “और जोर से उछलो”, एम-डी ने कहा, “हाँ ऐसे ही अच्छा लग रहा, शायद मेरा छूटने वाला है, तुम्हारा क्या हाल है राज?”
“बहुत अच्छा सर! मैं भी ज्यादा दूर नहीं हूँ”, कहकर मैंने मीना का सिर पकड़ कर अपने लंड को और उसके गले तक डाल दिया।
“मीना राज का पानी पीना मत भूलना! तुझे अच्छा लगेगा”, एम-डी ने कहा।
“ओहहहहहह मीना!!!! और तेजी से... मेरा छूटने वाला है”, कहकर एम-डी ने अपना सारा वीर्य मीना की चूत में उढ़ेल दिया।
मैं भी कस कर उसके मुँह को चोदने लगा। मीना तेजी से मेरे लंड को चूसे जा रही थी। “हाँआँआँ चूस...... और जोर से चूस!” और मेरे लंड ने मीना के मुँह में पिचकारी छोड़ दी। मीना भी एक-एक बूँद पी गयी और अपने होंठों पे ज़ुबान फिरा कर मेरे लंड को चाटने लगी।
“मीना! कपड़े पहनो और चलो यहाँ से?” महेश ने नशीली आवाज़ में कहा।
“महेश सुनो! यहाँ रुको और मज़े लो, अगर मज़ा नहीं लेना है तो घर जाओ! मीना कहीं नहीं जायेगी, अभी मेरा दिल इसे चोदने से भरा नहीं है”, एम-डी ने कहा।
“हाँ पापा! आप घर जाइये! मैं यहीं रुकना चाहती हूँ, मेरी चूत में अभी भी खुजली हो रही है”, मीना ने एम-डी के मुर्झाये लंड को चूमते हुए कहा।
“राज! महेश अकेले जाने की स्तिथी में नहीं है। तुम इसे मेरी गाड़ी में बिठा कर आओ और ड्राईवर से कहना कि इसे घर छोड़ कर आये”, एम-डी ने कहा।
मैं महेश को सहारा देकर गाड़ी में बिठाने चला गया। जब वापस आया तो देखा कि एम-डी कस-कस कर मीना को चोद रहा था। प्रीती भी अब बिल्कुल नंगी थी और मीना के चेहरे पर अपनी चूत दबा कर बैठी थी और उससे अपनी चूत चटवा रही थी। उस रात हम दोनोंने कई बार मीना को चोदा और उसकी गाँड मारी। प्रीती ने भी एम-डी से एक-बार चुदवाया। रात को दो बजे मैं, मीना को उसके घर छोड़ते हुए नशे में चूर प्रीती को लेकर घर पहुँचा।
“राज उठो!” सुबह-सुबह प्रीती मुझे जोरों से हिलाते हुए बोली।
“प्लीज़ सोने दो! अभी बहुत सुबह है”, कहकर मैं करवट बदल कर सो गया।
“राज सुनो! मीना का फोन आया था, महेश रात से घर नहीं पहुँचा है, वो बहुत घबरायी हुई थी।” प्रीती मुझे फिर उठाते हुए बोली
मैं भी घबराकर उठा, “ये कैसे हो सकता है, मैंने खुद उसे गाड़ी में बिठाया था।”
एक घंटे के बाद हमें खबर मिली कि महेश की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी है।
दूसरे दिन ऑफिस में हम सभी ने मिलकर महेश की मौत का शोक मनाया। सभी को इस बात का दुख था।
एम-डी ने मुझे अपने केबिन में बुलाकर कहा, “राज! तुम जानते हो कि महेश अब नहीं है, सो मैं चाहता हूँ कि आज से उसकी जगह तुम ले लो।”
“थैंक यू सर”, मैंने कहा।
“और हाँ राज! मैंने मीना को भी नौकरी दे दी है। कल से वो तुम्हें रिपोर्ट करेगी। राज! मैं चाहता हूँ कि तुम उसका खयाल रखो और उसे बड़े कामों के लिये तैयार करो। आखिर वो हमारे पुराने दोस्त की बेटी है। पर इसका मतलब ये नहीं है कि हम उसकी टाइट चूत का मज़ा नहीं लेंगे”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“हाँ सर! पर आप उसकी कसी-कसी गाँड मत भूलियेगा”, मैंने भी हँसते हुए जवाब दिया।
रात को घर पहुँच कर मैंने प्रीती को सब बताया। मेरी तरक्की की बात सुन वो बहुत खुश हो गयी और हमने स्कॉच की नयी बोतल खोल कर सेलीब्रेट किया। फिर प्रीती मुझे बाँहों में पकड़ कर चूमने लगी। मैं भी उसे चूमने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। मेरे दोनों हाथ उसके शरीर को सहला रहे थे।
मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसके मम्मों को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं उसके निप्पल को मुँह में ले कर चूसने लगा।
प्रीती ने भी मेरे कपड़े उतार दिये और अपने हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी। मैंने उसे गोद में उठाया और बिस्तर पे लिटा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
“ऊऊऊऊहहहहह राज!!!” उसने मुझे बाँहों में भींचते हुए कहा, “तुम्हें क्या पता तुम्हारे मोटे और लंबे लंड के बिना मैंने आज पूरा दिन कैसे गुज़ारा है।” कहकर वो भी कमर उछालने लग गयी। थोड़ी ही देर में हम दोनों झड़ गये।
दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मीना को मेरा इंतज़ार करते हुए पाया, “आओ मीना! मैं तुम्हें तुम्हारा काम समझा दूँ”, मीना मेरे पीछे मेरे केबिन में आ गयी।
“मीना! तुम्हारा पहला और इंपोर्टेंट काम समझा दूँ! अपने कपड़े उतार कर सोफ़े पेर लेट जाओ।”
“पर सर! उस दिन तो आपने और एम-डी ने मेरा इंटरव्यू अच्छी तरह से लिया था”, मीना ने शर्माते हुए कहा।
“मेरी जान! वो तो शुरुआत थी! इस कंपनी में ये इंटरव्यू रोज़ लिया जाता है, चलो जल्दी करो, मेरे पास समय नहीं है”, मैंने कहा।
मीना शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी। मीना वाकय में बहुत सुंदर थी, उसके नंगे बदन दो देख कर मैंने कहा, “मीना! कल ऑफिस आओ तो तुम्हारी चूत पर एक भी बल नहीं होना चाहिये, एम-डी को भी बिना झाँटों की चूत अच्छी लगती है।” फिर मैंने उसके गोरे पैरों में ढाई-तीन इंच उँची हील के सैंडल देख कर कहा, “हाँ! और इस ऑफिस में काम करने वाली हर औरत को कम से कम चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहनना जरूरी है और चुदाई के समय इन्हें कभी मत उतारना।” फिर अगले एक घंटे तक मैं उसके हर छेद का मज़ा लेता रहा।
उस दिन से एम-डी मीना को सुबह चोदता था और मैं शाम को मीना की चूत अपने पानी से भर देता था। मेरी तीनों एसिस्टेंट्स को ये अच्छा नहीं लगा और वो मीना को सताने लगी।
एक दिन मैंने उन तीनों को अपने केबिन में बुलाया और पूछा, “तुम लोग मीना को क्यों सताते हो?”
“जबसे वो आयी है, तुम हमें नज़र अंदाज़ कर रहे हो”, शबनम ने कहा।
“आज कल तुम ज्यादा समय उसके साथ गुजारते हो”, समीना ने शिकायत की।
“या तो उसे नौकरी से निकाल दो, या उसे किसी और डिपार्टमेंट में ट्राँसफर कर दो”, नीता ने कहा।
“तुम तीनों सुनो! ना तो मैं उसे ट्राँसफर करूँगा ना मैं उसे नौकरी से निकालूँगा, आया समझ में?”
मेरी बात सुन तीनों सोच में पड़ गयीं। “तो फिर हमारा क्या होगा, हम तुम्हारे लंड के बिना कैसे रहें?” शबनम ने कहा।
“इसका एक उपाय है मेरे पास”, मैंने मीना को अपने केबिन में बुलाया।
“तुम तीनों इसके कपड़े उतारो! आज मैं तुम चारों को साथ में चोदूँगा, जिससे किसी को शिकायत ना हो।”
तीनों ने मिलकर मीना को नंगा कर दिया। मीना के नंगे बदन को देख शबनम बोली, “राज! मीना बेहद खूबसूरत है।”
“हाँ! इसके भरे भरे मम्मे तो देखो... और इसकी चिकनी चूत को! इसलिये राज इसकी चूत को ज्यादा चोदता है... हमें नहीं”, समीना बोली।
“तो क्या तुम इन तीनों को भी चोदते हो?” मीना ने सवाल किया।
“हाँ! सिर्फ तीनों को ही नहीं मेर जान! बल्कि इस कंपनी की हर लड़की या औरत को चोदता है”, कहकर नीता उसके बदन को सहलाने लगी।
चलो तुम सब अपने कपड़े उतारो और मीना का हमारे बीच स्वगत करो, मैंने चारों को साइड-बाय-साइड सोफ़े पर लिटा दिया और खुद भी कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मैं अपने लंड से बारी-बारी चारों को चोदने लगा। तीन चार धक्के लगा कर दूसरी चूत में लंड डाल देता और फिर दूसरी चूत में। वो भी एक-दूसरे की चूचियाँ सहलाती और एक दूसरे के होंठ चूमती। इसी तरह मेरा लंड तीन बार झड़ा।
प्रीती बहुत खुश थी और वो अब एम-डी से बदला लेने का प्लैन बना रही थी।
प्रीती अब बहुत खुश थी कि उसने महेश से अपना बदला ले लिया था। एक दिन उसने मुझसे कहा, “राज! मुझे अब एम-डी से बदला लेना है, लेकिन कोई उपाय नहीं दिख रहा।”
“तुम रजनी को सीढ़ी क्यों नहीं बनाती?” मैंने सलाह देते हुए कहा, “एम-डी उसे अपनी बेटियों से भी ज्यादा प्यार करता है।”
“हाँ!!! मैं भी यही सोच रही थी”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन एक चीज़ ध्यान में रखना, वो पढ़ी लिखी और समझदार लड़की है, मीना और मेरी बहनों की तरह बेवकूफ़ नहीं।”
“क्या तुम उसे प्यार करते हो?” उसने पूछा।
“बिल्कुल भी नहीं! पर हाँ मुझे उससे हमदर्दी जरूर है, वो मेरी पहली कुँवारी चूत थी।” मैंने जवाब दिया।
“ठीक है... मैं चाँस लेती हूँ! लगता है मैं उसे समझाने में और मनाने में कामयाब हो जाऊँगी”, प्रीती ने कहा।
प्रीती के बुलाने पर एक दिन शाम को रजनी हमारे घर आयी। मैंने देखा कि वो बातें करने में झिझक रही थी ।
“रजनी! इसके पहले कि मैं तुम्हें बताऊँ कि मैंने तुम्हें यहाँ क्यों बुलाया है और मैं तुमसे क्या चाहती हूँ, ये जान लो कि मुझे तुम्हारे और राज के बारे में सब मालूम है और मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा।”
रजनी कुछ बोली नहीं और चुप रही।
“लेकिन एक बात मुझे पहले बताओ, क्या राज के बाद तुमने किसी से चुदवाया है?” प्रीती ने पूछा।
रजनी ने झिझकते हुए मेरी ओर देखा और मैंने गर्दन हिला कर उसे सहमती दे दी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“प्रीती, अगर तुम इतने खुले रूप में पूछ रही हो तो मैं बताती हूँ कि मैंने अपने कॉलेज के दो लड़कों से चुदवाया है पर राज जैसा कोई नहीं था।”
“मैं जानती हूँ! राज से चुदवाने में जो मज़ा आता है वो किसी से भी नहीं आता”, प्रीती ने जवाब दिया।
“अच्छा... अब मुझे बताओ तुमने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?” रजनी ने पूछा।
प्रीती भी सीधे विषय पर आते हुए बोली, “रजनी! मैं चाहती हूँ कि तुम एम-डी से चुदवा लो?”
“तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है? तुम चाहती हो कि मैं अपने अंकल के साथ सोऊँ???” रजनी अपनी जगह से उठते हुए बोली।
“रजनी रुको! एक बार हमारी बात तो सुन लो”, मैंने उसे रोकना चाहा।
“ठीक है राज! तुम कहते हो तो मैं रुक जाती हूँ। अब बताओ, तुम क्या कहना चाहते हो?” रजनी अपनी जगह पर बैठते हुए बोली। रजनी के बैठते ही प्रीती ने पूरी दास्तान रजनी को सुना दी और ये भी बता दिया कि किस तरह महेश और एम-डी ने ऑफिस की सभी लड़कियों और औरतों को चोदा है।
सारी बात सुनने के बाद रजनी बोली, “मैं इसमें कुछ गलत नहीं मानती, वो पैसे वाले हैं और उन्होंने इंसान की कमजोरियों का फ़ायदा उठाया है, किसी के साथ जबरदस्ती तो नहीं की। गल्ती उनकी है जो राज़ी हो गये।”
“तुम नहीं जानती हो रजनी! एम-डी ने कैसे कुँवारी चूत को चोदने के लिये कई लोगों को फंसाया और धमकाया है!” प्रीती बोली।
“मैं नहीं मानती कि अपनी हवस मिटाने के लिये मेरे अंकल किसी भी हद तक गिर सकते हैं।”
“ठीक है! मैं तुम्हें विस्तार में बताती हूँ। तुम असलम को तो जानती होगी, हमारे ऑफिस में पियन का काम करता था।”
“वही असलम ना जिसे चोरी के इल्ज़ाम में पकड़ा गया था और फिर छूट गया था?”
“हाँ वही! लेकिन तुम्हें हकीकत नहीं मालूम?” प्रीती ने कहा।
“मैं और माँ जानते थे कि असलम निर्दोष है, इसलिये हमने अंकल से रिक्वेस्ट भी की थी कि उसे छोड़ दें।”
प्रीती रजनी की बात सुन कर हंसने लगी। “मैं तुम्हें हकीकत बताती हूँ”, प्रीती ने कहा, “एक दिन तुम्हारे अंकल ने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया और कहा कि प्रीती, मैं असलम पर से सारे इल्ज़ाम वापस ले लूँगा अगर उसकी बेटी आयेशा चुदवाने को तैयार हो जाये। मुझे बुरा लगा और मैंने एम-डी को मना करना चाहा, तो उन्होंने गुस्से में कहा, तुम्हें ये काम करना है तो करो नहीं तो मैं किसी और से करवा लूँगा। उसकी चूत किसी ना किसी दिन तो फटनी ही है तो मैं क्यों ना करूँ। एम-डी मुझे इन सब काम के लिये पैसे दिया करता था तो मैंने सोचा क्यों ना मैं भी पैसा कमा लूँ”, प्रीती आगे बोली।
“मैं दूसरे दिन आयेशा को समझा बुझा कर और अच्छे कपड़ों और मेक-अप में तैयार करके तुम्हारे अंकल के सूईट, होटल शेराटन में लेकर पहुँच गयी। तुम्हारे अंकल और महेश ने बुरी तरह उसकी चूत को चोदा और उसकी गाँड भी फाड़ दी और वो बेचारी अपने बाप को बचाने के लिये हर ज़ुल्म सहती गयी।”
“प्लीज़ प्रीती! मुझे और नहीं सुनना है”, रजनी ने अपने हाथ अपने कान पर रखते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“नहीं! तुम्हें पूरी बात सुननी होगी। तुम्हें नहीं मालूम महेश और एम-डी ने कितनी लड़कियों को अपने जाल में फंसाया है?”
“नहीं!!! मुझे और नहीं सुनना और मैं तुम पर अब विश्वास करती हूँ, मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूँ, मुझे बताओ मुझे क्या करना है?” रजनी बोली।
“ये मैंने पहले ही सोच रखा है, मैं एम-डी से कहुँगी कि तुम एक गरीब घर की गाँव की रहने वाली लड़की हो और तुम्हें अपनी विधवा माँ के इलाज के लिये पैसे चाहिये, तुम पैसों की तंगी की वजह से अपनी चूत तो दे चुकी हो लेकिन तुम्हारी गाँड अभी भी कुँवारी है।”
“वो तो अब भी है!” रजनी ने हँसते हुए कहा।
“मैं जानती हूँ, इसलिये जानती हूँ कि एम-डी तैयार हो जायेगा। मैं ये भी शर्त रखुँगी कि तुम अंधेरे में चुदवाना चाहती हो”, प्रीती ने कहा।
“ये सब तो ठीक हो जायेगा पर क्या राज ने आयेशा को चोदा था?”
“हकीकत में हाँ! लेकिन ये अलग कहानी है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“बताओ मुझे, मैं जानना चाहती हूँ”, रजनी बोली।
“करीब पंद्रह दिन के बाद आयेशा मेरे घर आयी और बोली कि वो प्रेगनेंट है। मैंने उससे कहा कि अगर वो इस मुश्किल से बचना चाहती है तो उसे राज से चुदवाने पड़ेगा। वो मान गयी क्योंकि उसके पास दूसरा चारा नहीं था”, प्रीती ने कहा, “राज ने उस दिन उसे बड़े ही प्यार से चार बार चोदा। पहले तो वो उसका लौड़ा देख कर डर ही गयी थी, दीदी! इनका लंड तो कितना मोटा और लंबा है..... मैं तो मर ही जाऊँगी? मैं भी तो इनसे रोज़ चुदवाती हूँ और अभी तक जिंदा हूँ मैंने जवाब दिया। राज ने उसे बहुत ही नाजुक्ता और प्यार से चोदा, ऐसा चोदा कि वो इसके लंड कि दिवानी हो गयी। दूसरे दिन मैंने उसे डॉक्टर के पास ले जा कर उसका अबार्शन करा दिया। वो राज के लंड कि इतनी दिवानी हो गयी कि बराबर हमारे घर राज से चुदवाने के लिये आने लगी। इसी बीच राज ने उसकी गाँड का भी उदघाटन कर दिया।”
“क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता कि राज दूसरी लड़कियों को चोदता है?” रजनी ने पूछा।
“नहीं, जब तक वो मुझे बताकर करता है, मैं जानती हूँ वो मुझे भी चुदाई का मज़ा दे सकता है और दूसरों को भी और फिर मैं भी तो दूसरे मर्दों से चुदवाती हूँ”, प्रीती बोली।
“फिर तो मैं भी अपनी गाँड का उदघाटन राज से ही करवाना चाहुँगी!” रजनी उत्सुक्ता से बोली।
“नहीं रजनी! तुम्हारी गाँड तुम्हारे अंकल के लिये ही रहने दो... हाँ तुम राज से अपनी चूत चुदवा सकती हो! एक शर्त पर कि, मेरे सामने चुदवाओ!” प्रीती ने जवाब दिया।
“ये तो बहुत ही अच्छी बात है, हाँ अगर तुम हमारा साथ दो तो और मज़ा आयेगा”, रजनी ने कहा।
थोड़ी ही देर में मैं दो सुंदर औरतों के साथ नंगा बिस्तर पर था जिनकी चूत का उदघाटन मैंने ही किया था।
जैसे ही मेरा लंड रजनी की चूत में दाखिल हुआ, वो कामुक्ता भरी आवाज़ में बोल उठी, “ओहहहहहह राज तुम्हारा लंड कितना अच्छा है।” प्रीती हमें देख रही थी और उसने अपने हाथों को रजनी की चूत के पास रखा हुआ था, जिससे मेरा लंड उसके हाथों से होकर रजनी की चूत में जा रहा था।
थोड़ी ही देर में रजनी मस्ती में आ गयी थी। वो अपने कुल्हे उछाल कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसके मुँह से उन्माद भरी आवाज़ें निकल रही थी, “हाँआँआआआ राज!!! ऐसे ही चोदते जाओ, और तेजी से राआआआजा हाँआँ मज़ाआआआआ आ रहा है...... और जोर से।”
उसकी कामुक्ता भरी बातें सुन कर मेरे लंड में भी उबाल आने लगा। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार धीमी कर दी। तभी उसने कहा, “ओहहहहह राज रुको मत..... मेरा थोड़ी देर में ही छूटने वाला है, हाँआँआँ राजा और जोर से, प्लीज़ और जोर से...... कितना मज़ा आ रहा है।” यह कहते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने भी दो चार धक्के लगा कर अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और हम अपनी अपनी साँसें संभालने लगे।
“तुम दोनों की चुदाई देख कर अब मुझसे रहा नहीं जाता, प्लीज़ राज! मेरी चूत की भी प्यास बुझा दो।” प्रीती ने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा।
“जान मेरी! थोड़ा वक्त तो दो.... फिर मैं तुम्हारी अभी की प्यास तो क्या..... जनमों की प्यास बुझा दूँगा”, मैंने जवाब दिया।
प्रीती मेरा लंड अपने मुँह में लेकर जोर से चूसने लगी। जब मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया तो मैंने इतनी जोर से उसे चोदा कि वो तीन बार झड़ गयी।
हम लोग अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे कि रजनी ने अपने होंठ प्रीती की चूचियों पर रख कर चूसना शुरू कर दिया।
“ऊऊऊऊहहहहह ये क्या कर रही हो?” प्रीती बोली, लेकिन उसकी बातों को अनसुना कर के रजनी नीचे की ओर बढ़ती हुई अपनी जीभ को उसकी चूत पर रख कर चाटने लगी।
प्रीती कि सिसकरियाँ तेज हो रही थी, “हाँआआआआआ ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ माँआँआआआआआआआ ये तुम क्या कर रही हो रजनी...... हाँ और जोर से चाटो”, कहते हुए प्रीती ने अपना पानी रजनी के मुँह में छोड़ दिया। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
इन दोनों की हरकत देख कर मेरा लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया। “तुम में से पहले कौन इसका मज़ा लेना चाहेगा?” मैंने अपना लंड हिलाते हुए कहा।
“पहले प्रीती को चोदो”, कहकर रजनी ने मेरे लंड को प्रीती की चूत के छेद पर लगा दिया।
उस दिन मैंने कई बार बदल-बदल कर दोनों को चोदा।
“तो फिर कब मिलना है?” रजनी ने कपड़े पहनते हुए कहा।
“शनिवार की रात को, क्यों ठीक रहेगा ना?”
“ठीक है! शनिवार को मिलेंगे”, कहकर रजनी अपने घर चली गयी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
शनिवार की शाम को मैंने सूईट के सब बल्ब निकाल दिये और खिड़की पर काले पर्दे चढ़ा दिये जिससे कमरे में अंधेरा हो और एम-डी रजनी को पहचान नहीं पाये।
“सर! आप अपने कपड़े उतार कर रूम में जा सकते हैं, नयी चूत आपका इंतज़ार कर रही है!” प्रीती ने एम-डी से कहा।
अपने कपड़े उतार कर एम-डी बेडरूम में दाखिल हो गया। “राज! मैं सब सुनना चाहती हूँ और रिकॉर्ड भी करना चाहती हूँ”, प्रीती ने अपने लिये एक बड़ा पैग ले कर सोफ़े पर बैठते हुए कहा।
मैंने टीवी का स्विच ऑन किया और देखने लगा। एम-डी अपना लंड रजनी की चूत में घुसा चुका था। “मैं तुम्हारी चूत के भी पैसे दे देता अगर तुम मेरे पास पहले आ जाती”, कहते हुए एम-डी रजनी की चूत को चोद रहा था।
रजनी के मुँह से कामुक सिसकरियाँ निकल रही थी। एम-डी अपना पूरा जोर लगा कर रजनी की चूत को चोद रहा था।
“तुझे चुदाई अच्छी लग रही है ना?” एम-डी ने पूछा।
“हाँआँआआ”, रजनी बोली।
“लगता है रजनी को मज़ा आ रहा है!” मैंने प्रीती से कहा।
“हाँ! एम-डी चुदाई बहुत अच्छे तरीके से करता है”, प्रीती ने सिगरेट का कश लेकर मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही दबाते हुए कहा।
टीवी पर रजनी की सिसकरियाँ गूँज रही थी, “ओहहहहहहह हाँआँआआआआआ जोर से... हाँआँआँ ऐसे ही।”
थोड़ी देर बाद कमरे में एक दम खामोशी सी छा गयी थी। सिर्फ़ उन दोनों की साँसों की आवाज़ आ रही थी।
“लगता है दोनों का काम हो गया है!” प्रीती बोली। प्रीती का तीसरा पैग चल रहा था और वो चेन स्मोकर की तरह लगातार सिगरेट पे सिगरेट फूँक रही थी।
इतने में एम-डी ने कहा, “काश तुम मेरे पास पहले आ जाती तो मैं तुम्हारी कुँवारी चूत चोद पाता, फिर भी तुम्हारी चूत अभी भी कसी हुई है। कोई बात नहीं..... चलो अब घोड़ी बन जाओ, अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा।”
“म....म...म..म...म नहीं!!” रजनी ने थोड़ा विरोध किया।
“तुम डरो मत! मैं धीरे-धीरे करूँगा...... तुम्हें तकलीफ नहीं होगी”, एम-डी ने रजनी की चूचियों को सहलाते हुए कहा।
रजनी घोड़ी बन गयी और एम-डी ने अपना लंड उसकी कुँवारी गाँड में डाल दिया।
“ओहहहहहहह मर गयीईईईईई, निकालो बहुत दर्द हो रहा है, ऊऊऊऊऊऊऊऊ माँआँआआ”, रजनी की चींख सुनाई दी।
“राज! एम-डी ने रजनी की कुँवारी गाँड फाड़ दी लगता है!” अपनी सिगरेट एश-ट्रे में टिका कर और ग्लास टेबल पर रख कर प्रीती मेरे लंड को पैंट में से निकालते हुए बोली। “तुम्हारा लंड कितना तन गया है और मेरी भी चुदाई की इच्छा हो रही है.... मुझे चोदो ना.... देखो मेरी चूत कैसे बह रही है।”
मैं प्रीती को सोफ़े पर लिटा कर, कसके उसकी चुदाई करता रहा।
दो घंटे के बाद एम-डी बेडरूम से बाहर आया और अपने कपड़े पहन लिये। “प्रीती! तुम भी कमाल की औरत हो, कहाँ कहाँ से ढूँढ के लाती हो इतनी कुँवारी चूतों को? मज़ा आ गया!” एम-डी ने कहा, “उससे पूछो कि क्या वो और दस हज़ार कमाना चाहेगी?”
“आप अपने आप क्यों नहीं पूछ लेते?” रजनी ने कमरे में नंगे ही आते हुए पूछा।
“ओह गॉड! ये तुम थीं!” एम-डी ने रजनी को देखते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“हाँ मेरे प्यारे अंकल! ये सुन कर अच्छा लगा कि आपको मुझे चोदने में मज़ा आया.... मैं फिर से चुदवाना चाहती हूँ”, रजनी ने हँसते हुए कहा।
एम-डी धम से सोफ़े पर बैठ गया और अपने आपको कोसने लगा, “ये मैंने क्या किया? अपनी बेटी समान भतीजी को ही चोद दिया, हे भगवान मुझे माफ़ कर देना।” फिर वो प्रीती पर गुस्से से चिल्लाया, “ये सब तुम्हारा किया धरा है.... तुम क्या ये सब मज़ाक समझती हो?”
“हाँ! ये सब मैंने ही किया है। मैंने ही रजनी को तुमसे चुदवाने के लिये तैयार किया। जिस तरह तुमने मुझे चोदने के लिये मेरे पति को ब्लैकमेल किया था.... ये उसका बदला है”, प्रीती जोर जोर से हँस रही थी।
एम-डी प्रीती को गालियाँ दे रहा था, “कुतिया..... रंडी..... साली..... तूने ऐसा क्यों किया?” फिर रजनी की तरफ पलटते हुए बोला, “मैंने तुम्हारे साथ ऐसा क्या किया जो तुम इसके लिये तैयार हो गयी?”
“मेरे साथ नहीं किया, पर दूसरों के साथ तो करते आये हो! असलम को भूल गये? कैसे उसे चोरी के इल्ज़ाम में फँसा कर उसकी बेटी आयेशा को आपने और महेश ने चोदा था”, रजनी खीझती हुई बोली।
“ये सब झूठ है, इन्होंने तुम्हें बहकाया है”, एम-डी ने कहा।
“आप रहने दें, झूठ बोलने से कोई फ़ायदा नहीं है, मुझे सचाई का पता है, आप यहाँ से प्लीज़ जायें, मुझे आपको अपना अंकल कहते हुए भी शरम आ रही है।”
एम-डी चुपचाप उठा और धीमे कदमों से सूईट से बाहर चला गया।
“हम लोगों ने कर दिखाया”, रजनी खुशी से चिल्लाते हुए बोली। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“हाँ कर तो लिया.... पर तुमने देखा एम-डी का चेहरा कैसे उतर गया था, मुझे दुख है लेकिन उसे सबक भी सिखाना जरूरी था”, प्रीती अपना ग्लास हवा में लहराते हुए बोली, “रजनी ये पैसे तुम रख लो... तुम्हारे हैं जो एम-डी ने तुम्हें चोदने के लिये दिये थे।”
“नहीं मुझे इनकी जरूरत नहीं है..... इसे तुम ही रखो”, रजनी ने पैसे लौटाते हुए कहा।
“तो फिर इनका क्या करें, ऐसा करते हैं ये पैसे असलम को दे देते हैं, कहेंगे आयेशा की शादी में काम आयेंगे”, प्रीती ने कहा।
“हाँ! ये ठीक रहेगा! लेकिन अब क्या करें?” रजनी बोली।
“तुम लोगों को जो करना है करो..... मुझे तो एम-डी पर दया आती है, मैं घर जाकर सोना चाहता हूँ।”
“ठीक है”, कहकर प्रीती ने रजनी को भी घर भेज दिया और हम लोग घर आकर सो गये।
दूसरे दिन एम-डी ऑफिस में नहीं आया। घर फोन करने पर पता लगा कि उनकी तबियत खराब है। एम-डी की तबियत दिन पर दिन खराब रहने लगी और उन्हें हॉसपिटल में भरती करना पड़ा।
ऑफिस का काम मैंने संभल लिया था। इसी तरह महीना गुजर गया। सब कुछ वैसे ही चल रहा था। मैं ऑफिस की औरतों को चोदता और प्रीती भी क्लबों और पार्टियों में दूसरे मर्दों से चुदवा कर ऐश कर रही थी।
एक दिन मैंने एम-डी को फोन किया, “सर! मैं राज बोल रहा हूँ, अब आपकी तबियत कैसी है?”
“मैं ठीक हूँ राज! एक काम करो... आज रात आठ बजे तुम मुझे मेरे सूईट में मिलो? ठीक टाईम पर पहुँच जाना, तुम आओगे ना?” एम-डी ने कहा।
“बिल्कुल पहुँच जाऊँगा सर”, मैंने जवाब दिया।
ठीक टाईम पर मैं सूईट में दाखिल हुआ तो क्या देखता हूँ कि एम-डी एकदम नंगा सोफ़े पर बैठा था, और दो औरतें, जो कि बिल्कुल नंगी थीं, उसके लंड को चूस और चूम रही थी।
“आओ राज!” एम-डी ने मेरी तरफ हाथ हिलाते हुए कहा।
एम-डी को बोलते सुन दोनों औरतें अपना नंगा बदन छुपाने के लिये सोफ़े के पीछे जा छुपीं। उनका सिर्फ़ चेहरा दिखायी दे रहा था। मैंने उन दोनों को पहचान लिया। एक एम-डी की पत्नी मिली थी और दूसरी रजनी कि मम्मी, मिसेज योगिता थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“रजनीश! ये कौन है और यहाँ क्यों आया है? इसे फ़ौरन यहाँ से जाने को बोलो!” मिसेज मिली चिल्लाते हुए बोली और मिसेज योगिता ने शरमा कर अपनी गर्दन झुका रखी थी।
उसकी बातों को अनसुना कर के एम-डी ने कहा “राज! तुम इन दोनों से पहले भी मिल चुके हो..... लेकिन फिर भी मैं इनसे तुम्हारा परिचय कराता हूँ। ये मेरी बीवी मिली है और बिस्तर में भी उतना ही मिल जाती है, और ये मेरी दूर की कज़िन योगिता है...... ये थोड़ी शर्मिली है, लेकिन इसकी चूत एक दम आग का गोला है..... योगिता ये मिस्टर राज हैं...... हमारे अकाऊँट्स के जनरल मैनेजर।”
“आप दोनों से मिलकर खुशी हुई”, मैंने कहा।
दोनों औरतों ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप रही।
एम-डी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, “राज! मैंने तुम्हारी पत्नी और बहनों को चोदा है, आज मैं हिसाब बराबर कर देना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि मेरी पत्नी और बहन तुम्हारी बीवी और बहनों जितनी यंग तो नहीं है, लेकिन जैसी हैं तुम्हारी हैं। तुम चाहो जैसे इन्हें चोद सकते हो।”
“तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? तुम अपने नौकर से अपनी बीवी और बहन को चुदवाना चाहते हो?” मिली चिल्लाते हुए बोली। उसकी आवाज से साफ ज़ाहिर था कि उसने शराब पी रखी थी।
“इसके नौकर होने की तुम्हें तकलीफ हो रही है तो ठीक है..... इसे मैं आज से डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त करता हूँ, अब तो तुम्हें तकलीफ नहीं?” एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“नहीं! मैं तैयार नहीं हूँ!” मिली वापस चिल्लायी। इतनी देर योगिता चुपचाप सब सुन देख रही थी।
“तुम तैयार हो कि नहीं...... बाद में देखेंगे।” एम-डी हँसा, “राज जरा इन्हें अपना लंड तो दिखाना!”
दोनों औरतें ४० साल के ऊपर थीं, फिर भी उनका बदन गदराया हुआ था और उन्हें चोदने को मेरा दिल मचल उठ था। मैंने अपने कपड़े उतारते हुए अपना लंड दिखाया।
“ओह गॉड! कितना मोटा और लंबा लौड़ा है तुम्हारा”, मिली ने अब आगे आकर मेरे लंड को अपने हाथों में जकड़ते हुए कहा। “तुम्हारा लंड तो महेश से भी लंबा है।”
“साली कुत्तिया! मेरे पीछे तुम महेश से चुदवाती रही हो?” एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“हाँ... उसी तरह जैसे तुम उसकी बीवी को चोदते रहते थे”, कहकर मिली मेरे लंड को हिलाने लगी।
“योगिता क्या तुम इसके लिये तैयार हो?”
“नहीं! बिल्कुल नहीं!” योगिता बोली।
“योगिता प्लीज़ मान जाओ! नहीं तो मुझे राज के लिये किसी और चूत का इंतज़ाम करना होगा, रजनी की चूत कैसी रहेगी? मुझे मालूम है कि राज को रजनी की कुँवारी चूत चोदने में मज़ा आयेगा।” एम-डी हँसते हुए बोला।
“मेरी बेटी को इन सबसे दूर रखो! समझे?” योगिता जोर से चिल्लायी।
“तुम सोच लो, या तो तुम्हारी चूत या फिर रजनी की चूत, फैसला तुम्हारे हाथ में है।”
एम-डी की बात सुन कर योगिता भी सोफ़े के पीछे से बाहर आ गयी। सिर्फ काले रंग के हाई हील के सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, योगिता बहुत ही सैक्सी लग रही थी। एम-डी उसे देख कर बोला, “अच्छा अब तुम मान ही गयी हो तो राज का जरा अलग अंदाज़ में स्वागत करो।”
योगिता घुटने के बल मेरे पास बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने और चाटने लगी।
“चलो अब बेडरूम में चलते हैं”, एम-डी सोफ़े पर से उठते हुए बोला। हम चारों बेडरूम में आ गये। पहले हम सबने दो-दो पैग पीये और फिर मैंने दोनों को खूब चोदा। इतनी उम्र होने के बाद भी दोनों में सैक्स की आग भरी हुई थी। एम-डी सब कुछ देखता रहा। फिर एम-डी के कहने पर मैंने उन दोनों की गाँड भी मारी।
मैंने रात को घर पहुँच कर प्रीती को सब बताया तो वो खुश हुई और बोली, “अच्छा है! आज से एम-डी तुम्हें अपने बराबर समझेगा..... नौकर नहीं।”
एम-डी जब बिमार था तो रजनी बराबर आती रहती थी और मैं प्रीती के साथ उसकी भी जम कर चुदाई करता था, लेकिन जबसे मैंने उसकी माँ योगिता को चोदा, उसने आना बंद कर दिया था। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
एक दिन मैं घर पहुँचा तो देखता हूँ कि रजनी और प्रीती शराब की चुस्कियाँ लेती हुई बातें कर रही हैं।
“हाय राज! कैसे हो और आज कल क्या कर रहे हो.... मेरी मम्मी को चोदने के अलावा?” रजनी बोली।
“तो तुम्हें पता चल गया”, मैंने कहा।
“तुम्हें कैसे पता चला?” प्रीती ने पूछा।
“वही तो बताने आयी हूँ, राज का ही इंतज़ार कर रही थी”, रजनी बोली।
“अब तो राज आ गया है..... चलो शुरू हो जाओ।”
“कुछ दिनों से मैं देख रही थी कि मम्मी कुछ खोयी-खोयी सी रहती थी। अब ना तो वो पहले के जैसे हँसती थी और ना ही उनका काम में मन लगता था। पहले वो कभी-कभी ही, पार्टी वगैरह में ड्रिंक करती थीं पर अब कुछ दिनों से रोज़ ड्रिंक करने लगी थीं।”
“मेरे बहुत जोर देने पे वो बोलीं, रजनी मेरी बातें सुनकर हो सके तो मुझे माफ़ कर देना..... रजनी! मैं बचपन से ही बहुत सैक्सी थी, मुझे सैक्स हमेशा चाहिये होता था, तुम्हारे पिताजी के मरने के बाद मैं अकेली पड़ गयी और मेरी सैक्स की भूख शाँत नहीं होती थी। एक दिन मेरी एक सहेली ने मुझे रबड़ का नकली लंड खरीद कर लाके दिया।”
“मम्मी! आपके पास क्या नकली लंड है? मुझे दिखाओ ना! मैं बीच में बोली।”
“अभी नहीं बाद में, मम्मी बोली पर मैंने जोर दिया तो मम्मी बेडरूम से नकली लंड ले आयी.... प्रीती! पूरा दस इंच का काला और मोटा लंड है, अच्छा है पर राज के असली लंड जैसा नहीं।”
“आगे क्या हुआ, वो बता”, प्रीती सिगरेट का धुँआ छोड़ती हुई रजनी से बोली।
“मम्मी ने बताया कि एक दिन शाम को वो अपने नकली लंड से मज़े ले रही थी कि मेरी आँटी मिली ने उन्हें देख लिया और बोली, ‘योगिता नकली लंड से कुछ नहीं होगा, मेरे पास आओ मैं तुम्हें असली मज़ा दूँगी।’ उसकी बातें सुन कर मम्मी आगे बढ़ी तो उसने उन्हें बाँहों में भर कर चूमना शुरू कर दिया। मम्मी को भी मज़ा आने लगा और थोड़ी ही देर में दोनों एक दूसरे की चूत चाट रही थीं, जब उनका पानी छूट गया तो मम्मी ने मिली आँटी से पूछा, ‘मिली! तुम्हें भी चुदाई का बड़ा शौक है ना?’ ‘हाँ! योगिता बहुत है लेकिन रजनीश मुझे कभी-कभी ही चोदता है।’ उस दिन के बाद से वो दोनों रोज़ एक दूसरे को नकली लंड से चोद कर मज़ा लेतीं और एक दूसरे की चूत को खूब चाटतीं।”
“एक दिन मम्मी बिस्तर पर आँखें बंद किये लेटी थी। उनकी टाँगें हवा में उठी हुई थी और मिली आँटी के चोदने का इंतज़ार कर रही थी। ‘मिली! अब जल्दी भी करो मेरी चूत में आग लगी हुई है.... मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।’ मम्मी की बात सुन कर मिली आँटी ने नकली लंड उनकी चूत में घुसा दिया, लेकिन जैसे ही लंड घुसा कि मम्मी समझ गयी कि नकली नहीं असली लंड है। मम्मी ने आँखें खोली तो देखा कि रजनीश अंकल अपना लंड घुसाये उन्हें चोद रहे थे। मम्मी ने बिस्तर से उठना चाहा तो अंकल ने उन्हें कस कर बाँहों में पकड़ कर चोदते हुए कहा, ‘योगिता! जब ये असली लंड है तो तुम्हें नकली लंड से चुदवाने की क्या जरूरत है?’ मम्मी ने भी कई दिनों से असली लंड का मज़ा नहीं लिया था। मम्मी भी उनका साथ देने लगी और मस्ती में चुदवाने लगी। बाद में मम्मी को पता लगा कि ये दोनों की मिली भगत थी। मम्मी ने बुरा नहीं माना। उस दिन से रजनीश अंकल मम्मी को अकसर चोदने लगे।”
“एक दिन अंकल मम्मी और मिली आँटी को होटल के सूईट में ले आये और बोले कि आज यहाँ मज़े करेंगे। अंकल ने मम्मी और मिली आँटी को खूब शराब पिलायी। मम्मी ने मुझे आगे बताया कि हम लोग मस्ती कर रहे थे कि हमारी कंपनी से कोई राज आया और तुम्हारे अंकल ने हम दोनों को उसे सौंप दिया.... चोदने के लिये क्योंकि तुम्हारे अंकल ने उसकी बीवी और बहन को चोदा था। मैं साथ नहीं देना चाहती थी लेकिन जब मिली ने राज के लंड को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया। मैंने मना करना चाहा तो तुम्हारे अंकल ने कहा कि या तो मैं मन जाऊँ नहीं तो वो तुम्हारी चूत राज को दे देंगे। फिर मैं भी मान गयी और राज ने एम-डी के सामने ही हम दोनों को चोदा, उसने हमारी गाँड भी मारी। बस उस दिन से मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं रंडी बन गयी हूँ।” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“मम्मी! राज का लंड बहुत मोटा और लंबा है ना? चुदवाने में बहुत मज़ा आता है ना? मैंने मम्मी से कहा। तुमने राज का लंड कब देखा और चखा? मम्मी ने पूछा। तब मैंने मम्मी को पूरी कहानी सुनाई, राज से चुदवाने से लेकर अंकल से चुदवाने तक। मेरी कहानी सुन कर मम्मी बोल पड़ी कि काश मैं भी प्रीती कि तरह तुम्हारे अंकल से बदला ले सकूँ। ‘मम्मी! आप चिंता ना करें..... मैं आपके साथ हूँ’, ‘मगर हम किस तरह बदला लेंगे?’ मम्मी ने पूछा। अंकल की दोनों बेटियाँ है ना! ६ महीने बाद बड़ी बेटी इक्कीस साल की हो जायेगी और छोटी वाली एक साल के बाद। उनके इक्कीस्वें जन्मदिन पर उनका तोहफा होगा..... मोटा और लम्बा लंड उनकी चूत और गाँड में।”
“तुम्हारे दिमाग में कोई इंसान है? मम्मी ने पूछा। हाँ! मैं राज को तैयार कर लूँगी.... अब तुम लोग समझ गये होगे कि मुझे कैसे पता चला और क्या तुम दोनों मेरा साथ दोगे?”
“रजनी! एम-डी से बदला लेने में हम तुम्हारा पूरा साथ देंगे.....” मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
“तुम्हारा प्लैन क्या है?” प्रीती ने पूछा।
“मेरा प्लैन ये है कि....”
रजनी अपना प्लैन बतानी लगी, “राज! तुम्हें मेरी और मेरी मम्मी की हेल्प करनी होगी, हम दोनों एम-डी से बदला लेना चाहते हैं। राज, तुम्हें एम-डी की दोनों बेटियाँ टीना और रीना की कुँवारी चूत चोदनी होगी। दोनों देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं...... बस एवरेज ही हैं।”
“रजनी, तुम्हारी सहायता के लिये मुझे कुछ कुरबानी देनी होगी..... लगता है!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“रजनी! तुम इसकी बातों पे मत जाना, मैं शर्त लगा सकती हूँ कि कुँवारी चूत की बात सुनते ही इसके लंड ने पानी छोड़ दिया होगा”, प्रीती हँसते हुए बोली, “रजनी! राज ऐसा नहीं है! सुंदरता से या गोरे पन से इसे कुछ फ़रक नहीं पड़ता, जब तक उनके पास चूत और गाँड है मरवाने के लिये, क्यों सही है ना राज?”
“तुम सही कह रही हो प्रीती! जब तक उनके पास चूत है मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ता”, मैंने जवाब दिया, “तुम खुद भी तो ऐसी ही हो.... जब तक सामने वाले के पास लंड है चोदने के लिये.... बस चूत में खुजली होने लगती है चुदने के लिये..... फिर वो चाहे एम-डी हो या सड़क पर भीख माँगता भिखारी।”
“ये सब तुम्हारे एम-डी का ही किया-धरा है.... उसने ही मुझे इस दलदल में धकेला है.... और मुझे चुदाई, शराब सिगरेट की लत पड़ गयी.... खैर छोड़ो... तो ठीक है, रजनी! तुम्हें क्या लगता है दोनों लड़कियाँ मान जायेंगी?” प्रीती ने पूछा।
“अभी तो कुछ पक्का सोचा नहीं है पर मैं कोशिश करूँगी कि उनसे ज्यादा से ज्यादा चुदाई की बातें करूँ और फिर बाद में उन्हें चूत चाटना और चूसना सिखा दूँ, फ़िर तैयार करने में आसानी हो जायेगी।”
“हाँ! ये ठीक रहेगा, और अगर मुश्किल आये तो मुझे कहना”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तुम कैसे मेरी मदद कर सकती हो?” रजनी ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“रजनी! तुम्हें याद है जब मैंने तुम्हें बताया था कि किस तरह एम-डी ने मुझे चोदा था.... तुमने कहा कि अगर मैं चाहती तो ना कर सकती थी, पर मैं चाहते हुए भी उस रात ना, ना कर सकी, कारण: एम-डी ने मुझे कोक में एक ऐसी दवा मिलाकर पिला दी थी जिससे मेरे चूत में खुजली होने लगी, मुझे चुदाई के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था।”
“मैं उन दोनों को कोक में मिलाकर वही दवा पिला दूँगी जिसके बाद उनकी चूत में इतनी खुजली होगी कि राज का इंतज़ार नहीं करेंगी बल्कि खुद उसके लंड पर चढ़ कर चुदाई करने लगेंगी”, प्रीती ने कहा।
“मुझे विश्वास नहीं होता”, रजनी ने चौंकते हुए पूछा, “क्या तुम्हारे पास वो दवा की शीशी है?”
“हाँ! मैंने २५ शीशी जमा कर रखी हैं, मैं कई बार खुद अपनी ड्रिंक में मिला कर पी लेती हूँ और फिर बहुत मस्त होकर चुदवाती हूँ”, प्रीती ने जवाब दिया।
“तो फिर मैं चाहती हूँ कि आज की रात हम दोनों वो दवा अपनी ड्रिंक्स में मिलाकर पियें, और जब हमारी चूतों में जोरों की खुजली होने लगे तो राज अपने लंड से हमारी खुजली मिटा सकता है”, रजनी मेरे लंड पर हाथ रखते हुए बोली।
“ऑयडिया अच्छा है..... लेकिन मुझे शक है कि राज में ताकत बची होगी खुजली मिटाने की, लेकिन हम अपनी जीभों और अंगुलियों से तो मिटा सकते हैं”, प्रीती बोली।
“हाँ! जीभ से और इससे!” रजनी ने अपने पर्स में से रबड़ का लंड निकाला।
“ओह! तुम इसे साथ लायी हो”, प्रीती नकली लंड को हाथ में लेकर देखने लगी।
“रजनी! मुझे लगता है कि तुम्हें अपनी मम्मी को फोन करके बता देना चाहिये कि आज की रात तुम घर नहीं पहुँचोगी”, प्रीती ने कहा।
रजनी ने घर फोन लगाया और मैंने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया जिससे उसकी बातें सुन सकें।
“मम्मी! मैं रजनी बोल रही हूँ! मैं प्रीती के घर पर हूँ और आज की रात उसी के साथ सोऊँगी.... तुम चिंता मत करना”, रजनी ने कहा।
“प्रीती के साथ सोऊँगी या राज के साथ?” उसकी मम्मी ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“दोनों के साथ!” रजनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “आपका क्या विचार है?”
“कुछ खास नहीं, आज कि रात मैं अपने काले दोस्त (यानी नकली लंड) के साथ बिताऊँगी।”
“सॉरी मम्मी! आज तुम वो भी नहीं कर पाओगी..... कारण, इस समय प्रीती आपके काले दोस्त को हाथ में पकड़े हुए प्यार से देख रही है”, रजनी ने कहा।
“कितनी मतलबी हो तुम! तुम्हें मेरा जरा भी खयाल नहीं आया?” योगिता ने कहा, “लगता है मुझे राजू {एम-डी} के पास जा कर उसे मिन्नत करके अपनी चूत और गाँड की प्यास बुझानी पड़ेगी। ठीक है देखा जायेगा...... तुम मज़े लो”, कहकर योगिता ने फोन रख दिया।
“प्रीती! मैं तैयार हूँ”, रजनी ने कहा।
“रजनी! मैं चाहती हूँ कि हम पहले अपने कपड़े उतार कर नंगे हो जायें और फिर स्पेशल ड्रिंक पियें जिससे जब हमारी चूत में खुजली हो रही हो तो कपड़े निकालने का झंझट ना रहे”, प्रीती ने सलाह दी।
यही उन दोनों ने किया। अपने हाई-हील सैंडलों को छोड़कर दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उन्होंने व्हिस्की के नीट पैग बनाकर उसमें दवा की एक-एक शीशी मिला ली और पीने बैठ गयीं। मैंने भी बिना दवा का व्हिस्की का पैग बनाया और उन्हें देखने लगा और उनकी चूत में खुजली होने का इंतज़ार करने लगा।
आधे घंटे में ही व्हिस्की और दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया। अब वो अपनी चूत घिस रही थीं। थोड़ी देर में ही वो इतनी गर्मा गयी कि दोनों ने मुझे पकड़ कर मेरे कपड़े फाड़ डाले और मुझे नंगा कर दिया।
प्रीती ने सच कहा था। दो घंटे में ही लंड का पानी खत्म हो चुका था और उसमें उठने की बिल्कुल जान नहीं थी, चाहे डंडे के जोर से या पैसे के जोर से। इस का एहसास होते ही वो एक दूसरे की चूत चाटने लगीं।
मैं थक कर सो गया। रात में मेरी नींद खुली तो मुझे उन दोनों की सिसकरियाँ सुनायी दे रही थी। अभी रात बाकी थी। मैंने देखा कि रजनी नकली लंड को पकड़े प्रीती की गुलाबी चूत के अंदर बाहर कर रही थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
उन्हें देख कर मेरे लौड़े में जान आनी शुरू हो गयी। पर मैंने चोदने कि कोशिश नहीं की और वापस लेट गया और सोचने लगा।
दो साल में ही मैंने काफी तरक्की कर ली थी। आज मैं कंपनी का डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर हूँ, अपना बंगला है, गाड़ी है। सब कुछ तो है मेरे पास। प्रीती जैसी सुंदर और सैक्सी चुदक्कड़ बीवी और साथ में कंपनी की हर महिला करमचारी है चोदने के लिये। मैं भविष्य के बारे में सोचने लगा। आने वाले दिनों में दो कुँवारी चूतों का मौका मिलने वाला था, ये सोच कर ही मन में लड्डू फुट रहे थे। उन दोनों की कुँवारी चूत के बारे में सोचते हुए ही मैं गहरी नींद में सो गया।
सुबह मैं सो कर उठा तो देखा कि मेरी दोनों रानियाँ, सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, एक दूसरे की बंहों में गहरी नींद में सोयी पड़ी थी, और उनका काला दोस्त रजनी की चूत में घुसा हुआ था।
दोनों को इस अवस्था में देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। लेकिन मैंने सोच कि पूरा दिन पड़ा है चुदाई के लिये..... क्यों ना पहले चाय बना ली जाये।
उन्हें बिना सताये मैं कमरे से बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगा। चाय लेकर मैंने उनके बिस्तर के पास जा कर उन्हें उठाया, “उठो मेरी रानियों! गरम चाय पियो पहले, मेरा लंड तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है।”
प्रीती अंगड़ाई लेते हुई बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी, “थैंक यू डार्लिंग, तुम कितने अच्छे हो, सारा बदन दर्द कर रहा है, कल काफी शराब पी ली थी और रात भर चुदाई की हम दोनों ने”, और उसने रजनी के निप्पल को धीरे से भींच दिया, “उठ आलसी लड़की! देख चाय तैयार है।”
“अरे बाबा उठ रही हूँ! उसके लिये मेरे निप्पल को इतनी जोर से दबाने की जरूरत नहीं है”, रजनी ने उठते हुए कहा, “अब बताओ! क्या प्रोग्राम है?”
“प्रोग्राम ये है कि पहले गरम-गरम चाय अपने पेट में डालो और फिर मेरा गरम लंड अपनी चूत में डालो”, मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा।
“राज, मेरी चूत में तो बिल्कुल नहीं! बहुत दर्द हो रहा है”, प्रीती ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
“और मेरी चूत में भी नहीं, देखो कितनी सूजी हुई है”, रजनी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर दिखाते हुए कहा।
“फिर तो तुम दोनों की गाँड मारनी पड़ेगी”, मैंने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“नहीं! गाँड भी सूजी पड़ी है और दर्द हो रहा है, तुम चाहो तो हम तुम्हारा लंड चूस सकते हैं”, रजनी ने कहा।
चाय पीने के बाद उन्होंने मेरे लंड को बारी-बारी से चूसा और मेरा पानी निकाल दिया। उन दोनों को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा।
“गुड मोर्निंग आयेशा, क्या एक कप गरम कॉफी लाओगी मेरे लिये”, मैंने अपनी सेक्रेटरी से कहा।
“गुड मोर्निंग सर! मैं आपके लिये अभी कॉफी बना कर लाती हूँ”, आयेशा ने कहा।
हाँ दोस्तों! ये वो ही आयेशा है जिसे एम-डी और महेश ने उसके बाप की जान बख्शने के एवज में उसे खूब कसके चोदा था। आयेशा मेरी सेक्रेटरी कैसे बनी उसकी कहानी कुछ ऐसी है।
मेरे डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाये जाने के दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मेरे लिये नया केबिन तैयार था। मेरा केबिन ठीक एम-डी के केबिन के जैसा था। मैं एम-डी के केबिन में गया तो देखा कि एम-डी ने अपने लिये सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है। “सर! ये क्या आपने कोई सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है?” मैंने पूछा।
“राज! मैंने पहले नसरीन को अपनी सेक्रेटरी बनाया था, लेकिन मिली ने जलन की वजह से उसे हटवा दिया। मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ा कि चुदाई मेरी सेक्रेटरी की हो या दूसरे डिपार्टमेंट की लड़की की, इसलिये मैंने उसे शिफ़्ट कर दिया, तुम चाहो तो अपने लिये नयी सेक्रेटरी रख सकते हो। हम उसे मिलकर चोदा करेंगे”, एम-डी ने जवाब दिया।
मैंने सेक्रेटरी के लिये पेपर में इश्तहार दे दिया। एक दिन एम-डी का पुराना नौकर असलम मेरे पास आया, “सर मैंने सुना है कि आप नयी सेक्रेटरी की खोज में हैं। सर! मेरी बेटी आयेशा ने अभी सेक्रेटरी कोर्स का डिप्लोमा लिया है। आप उसे रख लिजिये ना।”
उसकी बातें सुन आयेशा का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया। उसकी गुलाबी चूत मेरे खयालों में आ गयी... जब मैंने उसे चोदा था। मेरा उसे फिर चोदने को मन करने लगा। “ठीक है! उसे सब अच्छी तरह समझा देना कि खूब मेहनत करनी पड़ेगी? और उसे सुबह सब सर्टिफिकेट्स के साथ भेज देना..... उसका इंटरव्यू लिया जायेगा?”
“थैंक यू सर”, असलम ये कहकर चला गया।
उसकी जाते ही मैंने एम-डी को इंटरकॉम पर फोन किया, “सर! मैंने सेक्रेटरी रख ली है..... अपने असलम कि बेटी..... आयेशा को।”
“ये तुमने अच्छा किया! मैं भी उसे दोबारा चोदना चाहता था”, एम-डी ने खुश होते हुए कहा, “कल जब वो आये तो मुझे बुला लेना.... साथ में इंटरव्यू लेंगे।”
दूसरे दिन आयेशा अपने सब सर्टिफिकेट लेकर ऑफिस पहुँची। मैंने एम-डी को उसके आने की खबर दी और उसके सर्टिफिकेट चेक किये। सब बराबर थे। “आयेशा! अब तुम्हारा असली इंटरव्यू शुरू होगा, अपने कपड़े उतारो”, मैंने कहा।
“ओ!!! तो अब आप मुझे चोदेंगे, बहुत दिन हो गये जब आपने मुझे चोदा था, है ना?” आयेशा हँसते हुए बोली।
अपने कपड़े उतारते हुए जब उसने एम-डी को अंदर आते देखा तो बोली, “सर! ये भी मुझे चोदेंगे? फिर से दर्द नहीं सहन कर पाऊँगी।”
“तुम डरो मत..... ये तुम्हें दर्द नहीं होने देंगे, तुम अपने कपड़े उतारो”, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
सफ़ेद रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों को छोड़ कर वो अपने बाकी सब कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी तो एम-डी उसका इंटरव्यू शुरू किया।
“ओहहह सर! कितना अच्छा लग रहा है”, आयेशा ने सिसकरी भरी, जैसे ही एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत में डाला।
“हाँआँआँआँ जो...उउ...र से.... और जोर से , मज़ा आ रहा है......... हाँआँआँ किये जाओ...... मज़ा आ रहा है..... मेराआआआ छूट रहा है.......” चिल्लाते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।
“ओह सर! मज़ा आ गया! आप कितनी अच्छी चुदाई करते हैं”, आयेशा ने एम-डी को चूमते हुए कहा, “आपने पहली बार मुझे इतने प्यार से क्यों नहीं चोदा।”
“वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है”, एम-डी ने हँसते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
मैंने और एम-डी ने बारी-बारी से आयेशा को कई बार चोदा। एक बार तो हम ने उसे साथ साथ चोदा। तीन घंटे की चुदाई के बाद हम थक चुके थे। मैंने पूछा, “सर! क्या सोचा इसके बारे में?”
“कुछ फैसला करने के पहले मैं आयेशा से एक सवाल करना चाहता हूँ?” एम-डी ने कहा।
“सर.... मैं आपके सवाल का जवाब कल दूँगी.... अभी मेरी चूत सुज़ चुकी है”, आयेशा बोली।
“नहीं! सवाल का जवाब तो तुम्हें देना ही होगा”, एम-डी ने उसकी बात काटते हुए कहा, “क्या तुम अच्छी कॉफी बनाना जानती हो?”
“दुनिया में सबसे अच्छी सर!” आयेशा ने हँसते हुए कहा।
“ठीक है राज! इसे रख लो और चुदवाना इसका सबसे जरूरी काम होगा!” एम-डी ने कहा।
“ठीक है सर!”
इस तरह आयेशा मेरी सेक्रेटरी बन गयी।
“ये आपकी कॉफी सर!” आयेशा कॉफी लाकर बोली।
“थैंक यू, अब तुम जा सकती हो?” मैंने आयेशा से कहा।
“सर! पक्का आपको कुछ और नहीं चाहिये?” आयेशा ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“नहीं! अभी तो कुछ नहीं चाहिये बाद में देखेंगे”, मैं उसका इशारा समझता हुआ बोला, “हाँ! जरा मीना को भेज दो!”
“मीना को क्यों? उसमें ऐसा क्या है जो मेरे में नहीं?” आयेशा की आवाज़ में जलन की बू आ रही थी।
मैं अपनी सीट से उठा और उसके पास आकर उसके दोनों मम्मों को जोर से भींच दिया। “छोड़िये सर! दर्द होता है!” आयेशा दर्द से बोली।
“दबाया ही इसलिये था, सुनो आयेशा! इस कंपनी में जलन की कोई जगह नहीं है, तुम मुझे पसंद हो इसलिये तुम यहाँ पर हो, समझी? मुझे ऑफिस की दूसरी लड़कियों का भी खयाल रखना पड़ता है...... समझ गयी? अब जाओ और मीना को भेज दो।”
मैंने मीना को एक जरूरी काम दिया और अपने काम में जुट गया। काम खत्म करके मैं एम-डी के केबिन में पहुँचा और उसे रिपोर्ट दी।
“तुमने अच्छा काम किया है राज! आओ सुस्ता लो और एक कप कॉफी मेरे साथ पी लो।” एम-डी ने मुझे बैठने को कहा।
“सर! आपने कभी मिली और योगिता को वो स्पेशल दवा पिलायी है?” एम-डी ने ना में गर्दन हिला दी।
“सर! पिला के देखिये...... सही में काफी मज़ा आयेगा!” मैंने कहा।
“मुझे शक है कि वो दवाई के बारे में जानती हैं.... इसलिये शायद पीने से इनकार कर दें”, एम-डी ने कहा।
“फिर हमें कोई दूसरा तरीका निकालना होगा...” मैंने सोचते हुए कहा, “सर आपके पास वो उत्तेजना वाली दवाई तो होगी ना?”
“हाँ! वो तो मेरे पास काफी स्टोक में है, क्यों क्या करना चाहते हो?” एम-डी ने पूछा।
“सर! आप अपने घर पर शनिवार को एक पार्टी रखें जिसमें मैं और प्रीती भी शामिल हो जायेंगे। मैं प्रीती को प्याज के पकोड़े बनाने को बोल दूँगा और वो इसमें वो दवाई मिला देगी”, मैंने कहा।
“प्याज के पकोड़े? हाँ ये चलेगा! उन्हें पकोड़े पसंद भी बहुत हैं, लेकिन राज तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी। तुम्हें मालूम है कि दोनों कितनी चुदकाड़ हैं, और इस दवाई के बाद मैं तो उन्हें एक साथ नहीं संभल पाऊँगा, दोनों एक दम भूखी शेरनी बन जायेंगी”, एम-डी ने कहा।
“सर! आप चिंता ना करें! मैं उन्हें संभाल लूँगा”, मैंने एम-डी को आशवासन दिया।
शनिवार की शाम को हम एम-डी के घर पहुँचे। प्रीती ने सब को ड्रिंक्स सौंपी और नाश्ते के साथ प्याज के पकोड़े भी स्नैक में टेबल पर रख दिये।
“प्याज के पकोड़े....! ये तो मुझे और योगिता को बहुत पसंद हैं”, इतना कह कर मिली ने प्लेट योगिता की तरफ कर दी। हम सब अपनी ड्रिंक पी रहे थे। योगिता और मिली ड्रिंक्स के साथ मजे से पकोड़े खा रही थी। थोड़ी देर में दवाई और ड्रिंक्स ने अपना असर एक साथ दिखाना शुरू किया और उनके माथे पर पसीने की बूँदें छलकने लगी।
मैंने देखा कि दोनों अपनी चूत साड़ी के ऊपर से खुजा रही थी। “सर! क्यों ना हम वो काम डिसकस कर लें जो आपने ऑफिस में बताया था”, मैंने एम-डी से कहा।
“हाँ! तुम सही कहते हो, चलो सब स्टडी में चलते हैं”, एम-डी अपनी सीट से उठते हुए बोला।
जब तक दोनों औरतें स्टडी में दाखिल होतीं, दोनों जोर-जोर से अपनी चूत खुजला रही थी।
“क्या हुआ तुम दोनों को? चूत में कुछ ज्यादा ही खुजली मच रही लगती है?” एम-डी जोर से हंसता हुआ बोला।
“योगिता! मुझे विश्वास है ये सब इसी का किया हुआ है, जरूर इसने अपनी वो दवाई किसी चीज़ में मिला दी है”, मिली बोली।
“जरूर दवाई पकोड़ों में मिलायी होगी, इसका मतलब राज और प्रीती भी मिले हुए हैं”, योगिता बोली।
“अब इन बातों को छोड़ो! मेरी चूत में तो आग लगी हुई है”, मिली ने बे-शरमी से अपनी सड़ी उठा कर चूत में अँगुली करते हुए कहा, “योगिता! तुम राजू को लो..... मैं देखती हूँ राज क्या कर सकता है।” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
दोनों मिल कर हमारे कपड़े फाड़ने लगीं। “इतनी जल्दी क्या है मेरी रानी?” एम-डी ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा।
“साले हरामी... तूने ही मेरी चूत में इतनी आग लगा दी है और तुझे ही अपने लंड के पानी से इसे बुझाना होगा”, मिली जोर से चिल्लाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुझे सोफ़े पर खींच के ले गयी।
“आआआहहहहह!!!” मिली सिसकी जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश किया। कुछ सैकेंड में एम-डी भी मेरी बगल में आकर योगिता को जोर से चोद रहा था। हम दोनों की रफ़्तार काफी तेज थी और थाप से थाप भी मिल रही थी।
“हाँआँआआआआआआ राज!!!!!!! और जोर से चोदो”, मिली मेरी थाप से थाप मिला रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी।
“रा......आआआआआआ......ज साले....... मैंने कहा ना कि मुझे जोर से चोद......., हाँ ऐसे और जोर से...... हाआँआँआँ ये मेरा छूटा........” कहते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।
थोड़ी देर बाद योगिता भी “ओहहहहहहह आआहहहहहहहहह” करती हुई झड़ गयी। हमने भी अपना लंड उनकी चूतों में खाली कर दिया। तीन घंटे तक हुम चुदाई करते रहे और हमारे लौड़ों में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी।
मगर उनकी चूत की खाज नहीं मिटी थी। “योगिता अब क्या करें! मेरी चूत में तो अब भी खुजली हो रही है”, मिली ने पूछा।
“खुजली तो मेरी चूत में भी हो रही है, आओ मेरे कमरे में चलते हैं, और मेरे काले लंड से खुजली मिटाते हैं,” योगिता ने मिली का हाथ पकड़ कर कहा और दोनों ऊँची हील की सैंडलें खटखटाती दूसरे कमरे में चली गयीं।।
“सर! कैसा रहा?” मैंने एम-डी से पूछा।
“बहुत ही अच्छा, आज पहली बार मैंने एक बार में इतनी चुदाई की है, बिना साँस लिये। दोबारा फिर ऐसा ही प्रोग्राम बनायेंगे”, एम-डी ने जवाब दिया।
जब हम घर जाने के लिये तैयार हुए तो रास्ते में प्रीती ने पूछा, “कैसा रहा राज?”
“बहुत अच्छा रहा..... तुम बताओ क्या खबर है?” मैंने उससे पूछा।
“खबर कुछ अच्छी भी है और कुछ बुरी भी! ये सब तुम्हें रजनी कल बतायेगी... मेरा तो इस समय नशे में सिर घूम रहा है...।”
अगले दिन रजनी घर आयी तो मैंने उससे पूछा, “अब बताओ कल क्या हुआ था?”
“तुम्हारे स्टडी में जाने के बाद मैंने और प्रीती ने सोच क्यों ना थोड़ा समय टीना और रीना के साथ बिताया जाये”, रजनी ने बताना शुरू किया, “इतने में हमें मिली आँटी की चींख सुनाई दी।”
“ये मम्मी इतना चींख क्यों रही है.... टीना ने पूछा।” हम तो उनके चींखने की वजह जानते थे लेकिन प्रीती ने सलाह दी कि चलो चल कर देखते हैं वहाँ क्या हो रहा है।
टीना, प्रीती और मैं खड़े हो गये पर रीना हिली नहीं..... “क्या तुम्हें नहीं चलना है?” टीना ने पूछा। रीना ने जवाब दिया कि “तुम चलो दीदी, मैं आपके पीछे पीछे आ रही हूँ।”
हमने स्टडी की खिड़की में से झाँक कर देखा तो दोनों औरतें सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी होकर तुम लोगों से चुदाई में मस्त थीं। तुम दोनों का लंड दोनों की चूत के अंदर बाहर होता साफ दिख रहा था। ये नज़ारा देख टीना शर्मा गयी और उसके चेहरे पे लाली आ गयी। थोड़ी देर में उसके शरीर में गर्मी भर गयी और उसकी साँसें फूलने लगीं।
इतने में प्रीती ने पीछे से उसकी छाती पर हाथ रख कर उसके मम्मे भींचने शुरू कर दिये। रीना अभी तक आयी नहीं थी, मैं प्रीती को वहाँ अकेले छोड़ कर रीना को बुलाने चली गयी, “प्रीती तुम चालू रखो।”
प्रीती ने बात को चालू रखते हुए कहा: टीना की साँसें फूल रही थीं...... “मैं उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाने लगी।”
“ओह दीदी..... अच्छा लग रहा है”, उसकी सिसकरी निकल पड़ी।
“अच्छा लगता है ना… और करूँ?” मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“हाँ दीदी!!!!! बहुत अच्छा लग रहा है..... और करो।” वो सिसकी, मैं उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगी।
“ओह दीदी !!!!!!” वो जोर से चींखी।
“ज़रा धीरे वरना कोई सुन लेगा.....” कहकर मैं अपनी अँगुली से उसे चोदने लगी और तब तक चोदती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी।
“चुदाई अच्छी लग रही है ना?” मैंने पूछा।
“हाँ दीदी! बहुत अच्छी लग रही है”, उसने शर्माते हुए कहा। मैंने उसकी चूत को रगड़ना चालू रखा।
“चुदवाने को दिल करता है? मैंने पूछा।
“हाँ दीदी!!!! मुझे चुदवाने को बहुत दिल करता है।” टीना ने शर्माते हुए कहा।
उसी समय तुम योगिता की चूत में अपना लंड पेलने जा रहे थे, “दीदी देखो ना राज का लंड कितना मोटा और लंबा है.....” उसने कहा।
“तुम कहो तो तुझे भी राज से चुदवा दूँ....” मैंने उसकी चूत को और रगड़ते हुए पूछा।
“राज जैसा सुंदर मर्द मुझ जैसी साधारण दिखने वाली लड़की को भला क्यों चोदेग?” उसने कहा।
“मैं कहुँगी तो तुम्हें चोदेगा....” मैंने जवाब दिया।
“तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो.....” वो खुश होते हुए बोली।
“इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?”
“छोटी कहाँ दीदी!!!!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी....” उसने जवाब दिया।
“इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो”, मैंने उसे समझाया।
“प्रॉमिस?” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। “प्रॉमिस! मेरी जान, राज का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे........ ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा.......” मैंने उसे चूमते हुए कहा।
रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही रीना आयी थी, “टीना! चलो रजनी और रीना को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं.....” कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।
“रजनी! अब तुम राज को बताओ क्या हुआ”, प्रीती ने कहा।
रजनी ने कहना शुरू किया, “राज!!! जब मैं रीना के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।”
“रीना हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?” मैंने उससे कहा।
“क्या मिस कर दिया?” उसने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और राज हमारी मम्मियों को चोद रहे थे.....” मैंने हँसते हुए कहा।
“दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!” उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।
“चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?” मैंने कहा।
“मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं”, वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ रेप तो नहीं कर दिया।
“तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?” मैंने पूछा।
“नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा..... मैं अभी तक कुँवारी हूँ!” उसने जवाब दिया।
“तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?”
“मेरी इंगलिश टीचर ने!!!” उसने जवाब दिया।
“तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?” मैंने कहा।
“उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है..... मुझे मालूम है”, उसने जवाब दिया।
“तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?” मैंने पूछा।
उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, “हाँ ऐसे ही!”
“क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?” मैंने फिर पूछा।
“नहीं वो मेरी.....” कहते हुए रीना रुक गयी।
“चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?” मैंने उसे दोबारा पूछा।
“हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!” रीना थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।
“क्या ऐसे?” मैंने पूछा।
“ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!” वो कामुक होकर बोली।
“वो और क्या करती है?” मैंने फिर पूछा।
“कभी वो मुझे चूमती है और कभी....” इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।
“ओहहहह दीदीईईई!!!!” उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीती और टीना रूम में आ गये।
“क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?” मैंने रजनी से पूछा।
“आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो रीना की चूचियों को भी चुसती थी और रीना को भी मज़ा आता था और रीना भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। राज!! टीना तो तैयार है पर रीना नहीं मानेगी लगता है।”
“अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है..... तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी”, प्रीती ने कहा।
एक दिन ऑफिस में शाम को जब काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है...... इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।”
“अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।”
“नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।”
“मैं इस बारे में सोचुँगा”, मैंने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”
“तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।
“तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता”, मैंने जवाब दिया, “लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना...... मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।”
मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा।
“सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।”
“ठीक है! तुम उसे कल बुला लो”, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।
शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था.... प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।”
“तुम्हारे लिये भी मेरे पास एक खबर है, लेकिन पहले तुम बोलो!” प्रीती बोली।
“मीना ने सिफ़ारिश की है कि मैं उसकी माँ को काम पर रख लूँ...... एम-डी ने भी हाँ कर दी है।”
“जाहिर है तुम उसे चोदोगे!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“तुम्हें कंपनी की पॉलिसी का तो पता है!”
“राज! मैं देख रही हूँ कि इन दिनो तुम चुदी हुई चूतों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हो, इसमें कहीं मुझे ना भूल जाना”, प्रीती हँसी।
“तुम्हें और तुम्हारी चूत को कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरे लिये स्पेशल हो। तुम तो जानती हो कि मुझे चोदने में कितना मज़ा आता है। अगर मेरे पास साठ साल की बुढ़िया भी काम माँगने आये तो मैं उसे भी बिना चोदे काम नहीं दूँ। हाँ... अब तुम बताओ क्या खबर है?”
“घर से खत आया है.... राम और श्याम की शादी पक्की हो गयी है”, प्रीती खुश होते हुए बोली।
“मुबारक हो तुम्हें! क्या वो दो बहनों से शादी कर रहे हैं?”
“नहीं दोनों अलग परिवार कि लड़कियाँ हैं”, प्रीती बोली।
“तुम कितने दिन के लिये जाना चाहती हो?” मैंने पूछा।
“एक महीना तो लग ही जायेगा।” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“एक महीना! इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकुँगा।”
“ऑफिस में इतनी सारी लड़कियाँ हैं चोदने के लिये, एक महीना कहाँ बीत जायेगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“लड़कियाँ तो आज भी हैं.... पर तुम तो जानती हो कि रात को मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”
“मेरे बिना या मेरी चूत के बिना!” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“प्रीती! अब ये अच्छी बात नहीं है....” मैंने नाराज़गी जाहिर की।
“अरे बाबा! नाराज़ मत हो..... मैं जानती हूँ, इसलिये मैंने रजनी से कह दिया है कि वो रोज़ शाम को तुम्हारे पास आ जाया करेगी और कभी-कभी रात को भी रुकेगी।”
“ठीक है!!! कब जाना चाहती हो?”
“मैंने कल सुबह की फ्लाइट की टिकट बुक करा ली है”, प्रीती ने जवाब दिया।
दूसरे दिन प्रीती को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा तो मिसेज महेश को मेरी वेट करते देखा, “आयेशा!! जरा मिसेज महेश को मेरे केबिन में भेजना?”
मिसेज महेश वाकय काफी आकर्शित महिला थी। उनकी उम्र पैंतालीस के आसपास होने के बावजूद शरीर गठीला था, भरे हुए मम्मे और लंबे बाल। उन्होंने काली रंग की साड़ी, मैचिंग का ब्लाऊज़ और काले ही रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे था। दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।
मैं उनके सर्टिफिकेट्स देखने लगा। इतने में एम-डी ने केबिन में कदम रखा।
“हाय अनिता! कैसी हो? कई दिनों से तुम्हें नहीं देखा”, एम-डी ने कहा। मिसेज महेश एम-डी से मिलने के लिये उठीं तो एम-डी ने उन्हें बाँहों में भर लिया और उनकी छाती दबा दी।
“अनिता! राज तुम्हारे सर्टिफिकेट्स देख चुका है, अब वो तुम्हारी चूत देखना चाहता है। चलो कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ जिससे इंटरव्यू शुरू किया जा सके”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
“क्या आप हर केंडिडेट का इंटरव्यू उसे चोद के लेते है?” अनिता ने मुस्कुराते हुए कहा।
“ये हमारी कंपनी की पॉलिसी है, चलो अब झिझको मत.... वैसे भी तुम बगैर कपड़ों में और ज्यादा सुंदर दिखती हो और मुझे पता है तुम्हारी चूत चुदाई के लिये हमेशा तैयार रहती है”, एम-डी ने कहा। अनिता थोड़ा शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी और अचानक वो रुक गयी।
“तो इसका मतलब है, मीना को नौकरी देने से पहले आप लोग......?” अनिता ने पूछा।
“हाँ अनिता!!! खूब अच्छी तरह चोद-चोद कर ही मीना को काम पर रखा है, चलो अब तुम भी तैयार हो जाओ, आज तुम्हें एक ऐसे लौड़े से चुदवाने को मिलेगा जो तुम्हारे स्वर्गवासी पति के लौड़े से भी बड़ा है।”
“तब तो मैं जरूर देखुँगी!!!” अनिता ने तेजी से अपने कपड़े उतारे और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। थोड़ी देर में हम तीनों ही नंगे हो चुके थे। “ओहहह...ऊऊऊ सर! ये तो वाकय में बहुत मोटा है”, अनिता मेरे लंड को पकड़ सोफ़े पर लेटती हुई बोली।
“सर! ज़रा धीरे से चोदियेगा”, मैंने अपने पति के मरने के बाद इतने बड़े लंड से नहीं चुदवाया है।
“जैसा तुम कहोगी मेरी जान!” कहकर मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक पेल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊ मर गयीईईई... अनिता चींखी, सर धीरे से चोदिये ना।”
मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, “हाँ सर! ऐसे ही...” अनिता भी अपने चूतड़ उछाल कर मज़े लेने लगी।
एम-डी हम दोनों की चुदाई देख रहा था। उसने फोन उठाया और कुछ कहा। थोड़ी देर में मीना केबिन में आयी। एम-डी ने उसे शाँत रहने को कहकर कपड़े उतारने का इशारा किया।
थोड़ी देर में एम-डी ने नंगी मीना को मेरे बगल में लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। “ऊऊऊह सर! थोड़ा धीरे से, मीना सिसकी।”
अपनी बेटी की आवाज़ सुन कर अनिता ने मुँह घुमा कर देखा कि मीना भी उसे ही देख रही थी। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को देख रही थीं और हम दोनों उन्हें चोद रहे थे।
थोड़ी देर में ही वो अपने कुल्हे उछाल कर हमारी थाप से थाप मिला रही थीं। उनके मुँह मादक आवाज़ें निकल रही थी।
“हाँ सर!!!!! मुझे जोर से चोदो”, अनिता ने मुझे जोर से बाँहों में भरते हुए कहा, “हाँआँआँ ऐसे ही!!!!!! हाँ और जोर से!!!!!!!!”
“ओहहहहहह हाँआँआँ....... हाँआँ...... ऊऊऊहहहह....” मीना भी चिल्लाये जा रही थी, “हाँ सर चोदो मुझे!!!!! जोर से!!!!!! मेरा छूटने वाला है!!!!”
एम-डी ने सच कहा था, अनिता की चूत सही में चुदक्कड़ थी, वो एक अनोखे अंदाज़ में अपनी चूत की नसों से लंड को जकड़ लेती थी। मुझे अपने लंड के पानी में उबाल आता दिखा और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
अनिता ने भी महसूस किया और बोल पड़ी, “ओहहहह राज सर! रुकिये मत..... चोदते जाइये!!!!! डाल दो अपना पानी मेरी चूत में.... मैं भी झड़ने वाली हूँ।” मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाया और अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“ओहहहहह कितना अच्छा लग रहा है”, वो सिसकी जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, “मेराआआआआ भी छूट रहा है...... हाँआँआँआँ”, अपना बदन ढीला छोड़ कर वो अपनी साँसें संभालने लगी।
वहाँ बगल में मीना अपने कुल्हे उछाल कर एम-डी का साथ दे रही थी, “ओहहहह..... सर!!! मेरा छूटाआआ!!!!” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। एम-डी ने भी दो चार धक्के लगा कर अपने वीर्य की बरसात उसकी चूत में कर दी। हम चारों अब ढीले पड़े अपनी साँसें काबू में कर रहे थे।
“मम्मी मुझे माफ़ कर दो, मुझे आपको पहले बता देना चाहिये था”, मीना ने अनिता से माफी माँगते हुए कहा।
मुझे समझ में नहीं आया कि वो अपनी चुदाई की माफ़ी माँग रही थी या अपनी माँ की चुदाई पर। “कोई बात नहीं मीना!!! जो होना था सो हो गया”, अनिता ने मीना को बाँहों में भरते हुए कहा।
“ओह मम्मा!!!! मुझे उम्मीद है आपको यहाँ काम करके मज़ा आयेगा”, मीना बोली।
“जरूर मज़ा आयेगा!!!! जब राज जैसा लंड मिल जाये चुदवाने के लिये तो किस औरत को मज़ा नहीं आयेगा”, अनिता ने बेशर्मी से कहा।
“चलो बहुत हो गया”, एम-डी ने कहा, “अब यहाँ आओ और हमारा लौड़ा चाट कर साफ़ करो।”
दोनों रेंग कर हमारे घुटनों के बीच आ कर अपनी जीभ से हमारा लौड़ा चाटने लगीं और फिर मुँह में ले उसे जोरों से चूसने लगी।
अनिता चुदवाने में ही माहिर नहीं थी, बल्कि लंड चूसने में भी उसका जवाब नहीं था। वो अपने मुँह को पूरा खोल कर लौड़े के जड़ तक ले जाती और जोरो से चूसते हुए अपने मुँह को ऊपर उठाती। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। दोनों माँ बेटी का सिर हमारे लौड़े पर हिल रहा था।
मेरा लंड फिर एक बार झड़ने के लिये तैयार था, “अनिता जोर जोर से चूसो........ मेरा छूटने वाला है।” मेरी आवाज़ सुन कर अनिता और जोरों से चूसने लगी। “मेराआआआ छूट रहाआआआ है!!!!!” मैं चिल्लाया।
अनिता मेरे लंड का सारा पानी पी गयी और एक बूँद भी उसने बाहर नहीं गिरने दी। अभी भी वो मेरा लंड चपड़-चपड़ कर के चूस रही थी। उधर एम-डी ने भी अपना पानी मीना के मुँह में छोड़ दिया।
“राज! जरा आयेशा को ड्रिंक्स लाने के लिये बोलना”, एम-डी ने कहा।
थोड़ी देर में आयेशा चार ग्लास, बर्फ और व्हिस्की की बोतल लेकर आयी। एम-डी ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके मम्मे दबाते हुए कहा, “राज! ये तो बहुत चुदासी लग रही है...... लगता है तुम इसे आजकल चोदते नहीं हो?” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“नहीं सर! इसे अपनी चुदाई का हिस्सा बराबर मिलता रहता है, लेकिन ये चुदाई को दवाई समझती है कि खाना खाने के बाद दिन में तीन बार लेनी चाहिये”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“लगता है इसकी चूत की प्यास मुझे ही बुझानी पड़ेगी!” एम-डी ने उसकी सलवार नीचे खिसका कर उसकी चूत में अँगुली डालते हुए कहा।
“सर! ये तो बहुत अच्छी बात है, आप मुझे अभी चोदेंगे या बाद में?” आयेशा खुश होते हुए बोली।
“अभी मुझे कुछ काम है, तुम ऐसा करो... शाम को पाँच बजे आ जाओ”, एम-डी ने कहा।
आयेशा के जाने के बाद मैंने और एम-डी ने बाकी का इंटरव्यू अनिता और मीना की गाँड मार कर पूरा किया। अपने कपड़े पहनते हुए अनिता बोली, “अब मैं समझी कि क्यों महेश इंटरव्यू मिस नहीं करना चाहता था।”
समय गुज़रने लगा, मेरी चुदाई भी हमेशा कि तरह चल रही थी, ऑफिस में लड़कियाँ थी और घर पर रजनी शाम को आ जाती थी। कभी-कभी शबनम और समीना भी घर आ जाती थीं।
एक दिन अनिता ने मुझसे कहा, “सर! क्लर्क की पोस्ट के लिये नयी लड़की रखनी पड़ेगी।”
“क्यों पहले वाली कहाँ गयी?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“दो दिन हुए उसने नौकरी छोड़ दी।”
“मुझे क्यों नहीं बताया कि वो छोड़ के जा रही है, कम से कम आखिरी बार उसकी चूत तो चोद लेता।”
“सर! छोड़ने के पहले वो आपके ही साथ थी।”
“मुझे नहीं मालूम!!! आगे से ये तुम्हारी जवाबदारी है कि कोई लड़की नौकरी छोड़े तो मैं उसकी चूत गाँड और मुँह अपने वीर्य से भर दूँ। अब नयी लड़की के लिये पेपर में इश्तहार दे दो।”
“वो सब मैं कर चुकी हूँ और एक लड़की को सलैक्ट भी कर लिया है। आप सिर्फ़ इतना बता दें कि उसका इंटरव्यू कब लेना है... सो मैं उसे समझा कर ले आऊँ”, अनिता ने आँख मारते हुए कहा।
“ठीक है! कल शाम पाँच बजे उसे बुला लो और एम-डी को भी इंटरव्यू के बारे में बता देना”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन अनिता एक २५-२६ साल की लड़की को साथ लिये ऑफिस में दाखिल हुई। मैंने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा, वो सही में सुंदर थी, गोरा रंग, नीली आँखें, पतली कमर, लंबी टाँगें और उसके मम्मे काफी बड़े थे। ऐसा लग रहा था अभी उसके कुर्ते को फाड़ कर बाहर आ पड़ेंगे।
“सर! ये ज़ुबैदा है!!! अपने एच-आर डिपार्टमेंट में क्लर्क की पोस्ट के लिये...” अनिता ने परिचय कराया।
इतने में एम-डी ने भी केबिन में कदम रखा। “अनिता अब तुम शुरू कर सकती हो!” एम-डी ने कहा।
अनिता ने ज़ुबैदा के सर्टिफिकेट दिखाने शुरू किये। ज़ुबैदा अपने पिछले काम के एक्सपीरियेंस बता रही थी कि इतने में अनिता ने ज़ुबैदा से पूछा, “क्या तुम कुँवारी हो?”
ज़ुबैदा को ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी, “हाँ! मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ।”
“देखो ज़ुबैदा! सच-सच बताना, कारण.... हमारी कंपनी अपने हर एम्पलोयी का मेडिकल चेक अप कराती है...... सो अगर तुम झूठ बोल रही होगी तो तुम्हारा झूठ वहाँ पकड़ा जायेगा”, अनिता ने कहा।
ज़ुबैदा कुछ वक्त सोचती रही और फिर धीमी आवाज़ में कहा, “नहीं!!! मैडम मैं कुँवारी नहीं हूँ।”
“तुमने अपनी कुँवारी चूत को कब और कैसे चुदवाया?” अनिता ने पूछा।
“मैडम, ये मेरा पर्सनल मामला है, इससे आपको क्या करना है?” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“हमारी कंपनी का असूल है कि वो अपने करमचारी की हर बात की जानकारी रखती है..... सो डरो मत...... बताओ!!” अनिता ने कहा।
“ये कुछ साल पहले की बात है, मेरे अम्मी और अब्बा घर पर नहीं थे। मेरा बॉयफ्रेंड उस दिन मेरे घर पर आया और जबरदस्ती मेरी कुँवारी चूत चोद दी”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“क्या तुम्हें चुदवाने में मज़ा आया।”
“पहली बार तो बहुत दर्द हुआ था और मज़ा भी नहीं आया। लेकिन बाद में मज़ा आने लगा। तीन महीने तक हम पागलों की तरह चुदाई करते रहे पर एक दिन वो मुझसे झगड़ा कर के चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने कहा।
“तुमने कभी अपनी गाँड मरवायी है?” अनिता ने पूछा।
“यही तो झगड़े की जड़ थी, एक दिन वो मेरी गाँड मारना चाहता था..... मैंने मना किया तो उसने मेरे साथ जबरदस्ती करनी चाही पर मैंने उसे अपनी गाँड नहीं मारने दी, वो झगड़ कर चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने बताया।
“तुम्हें चुदवाने का दिल करता है?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम! बहुत करता है।” ज़ुबैदा ने शर्माते हुए कहा।
“तो क्या करती हो!” अनिता ने पूछा।
“जी मोमबत्तियों और खीरे-बैंगन से काम चाला लेती हूँ बस!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“तो ठीक है अपने कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ।”
“क्या सर मुझे चोदेंगे?” ज़ुबैदा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
अनिता ने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा, “ज़ुबैदा मैंने तुमसे कहा था ना कि तुम्हें तन मन से काम करना होगा, तो तुम्हारा तन मैनेजमेंट के लिये बहुत स्पेशल है”, इतना कह कर अनिता भी अपने कपड़े उतारने लगी।
ज़ुबैदा अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो अनिता ने उसे रोक दिया। अनिता उसकी झाँटों को पकड़ कर बोली, “ज़ुबैदा! कल ऑफिस आओ तो ये झाँटें तुम्हारी चूत पर नहीं होनी चाहिये, तुम्हारी चूत एक दम चिकनी और सपाट होनी चाहिये मेरी चूत की तरह.... और हमेशा हाई-हील के सैंडल पहने रखना..... जैसे आज पहने हुए हो।”
“हाँ मैडम!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“ठीक है अब बिस्तर पर लेट जाओ!” अनिता ने उसे कहा, और एम-डी की तरफ पलटते हुए बोली, “सर! अब ये अपने फायनल इंटरव्यू के लिये तैयार है।”
“राज! तुम इसकी चूत चोदो..... मैं बाद में इसकी गाँड फाड़ुँगा”, एम-डी ने कहा।
जब ज़ुबैदा सोफ़े पर लेट गयी तो मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मेरे खड़े लंड को देख कर ज़ुबैदा बोली, “मैडम! इनका लंड कितना बड़ा है!”
मैंने उसकी टाँगें उठा कर मेरे कंधों पर रख लीं और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, “आऊऊऊऊ सर!!!! धीरे.... लगता है”, वो सिसकी। मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।
थोड़े धक्कों में उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारी भरने लगी, “ओहहहहहह आआआआहहहहहह।”
“क्यों अच्छा लग रहा है ना?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम!!! बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ”, वो सिसकते हुए बोली।
उसकी बात सुनकर मैं पूरी ताकत से उसे चोदने लगा। मैंने रफ़्तार भी बढ़ा दी।
“हाँआँआँ सर!!!! ऐसे ही चोदो, और जोर से सर!!!! हाँआँआँ आआआहहहहह ऊऊऊओओहहहहह”, वो सिसक रही थी। मैं भी जोर से चोद रहा था और हमारी साँसें फूल रही थीं।
“ओहहहहह मैडम!!!!!! कितना अच्छा लग रहा है........ मैं तो गयीईईईईई”, वो चिल्ला रही थी और मैं अपने आपको ना रोक सका और उसे अपनी बाँहों में भींचते हुए उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी। थोड़ी देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम अलग हो गये।
“क्यों अच्छा था ना?” अनिता ने पूछा।
“हाँ मैडम!!!! बहुत अच्छा लगा, इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“ठीक है... अब घोड़ी बन जाओ और अपनी गाँड मरवाने के लिये तैयार हो जाओ।”
“नहीं मैडम!!!!! प्लीज़ मेरी गाँड में नहीं”, ज़ुबैदा मिन्नत करते हुए बोली।
“मुँह बंद करो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करो”, अनिता ने उसे डाँटते हुए कहा, “अपना सिर नीचे कर और चूतड़ों को थोड़ा उठा दे।” ज़ुबैदा ने बात मान ली। अनिता झुक कर उसकी गाँड चाटने लगी और दो-तीन मिनट तक उसकी गाँड में अपना थूक भर दिया।
“सर!!! इसकी गाँड अब तैयार है”, अनिता ने एम-डी से कहा। ज़ुबैदा का शरीर काँप रहा था। एम-डी ने उसके पीछे आकर उसकी टपकती चूत में अपना लंड डाल दिया। ज़ुबैदा का शरीर थोड़ा संभला तो एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा दबा दिया।
“ओह सर!!!! प्लीज़ नहीं, सर बहुत दर्द हो रहा है, रुक जाइये प्लीज़ वरना मैं मर जाऊँगी।” मगर ज़ुबैदा की बात पे ध्यान ना देते हुए एम-डी ने और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।
“ओओओहहहह मैडम!!!! आआआ...आप ही इन्हें रोकिये ना!!!” ज़ुबैदा चींखती रही और चिल्लाती रही पर एम-डी अब तेजी से उसकी गाँड मारने लगा। और तब तक मारता रहा जब तक उसका पानी नहीं छूट गया। ज़ुबैदा का मुँह दर्द के मारे लाल हो गया था और आँखों से आँसू बह रहे थे।
“बहुत अच्छे!!!! अब तुम कंपनी में काम करने लायक हो गयी हो”, अनिता ने ज़ुबैदा का हाथ पकड़ कर उसे सोफ़े पर से खड़ा करते हुए कहा, “ज़ुबैदा अब तुम राज सर का लंड चूसो और इनका पानी निगल जाना समझी!!!”
ज़ुबैदा मेरे पैरों के बीच आ गयी और मेरा लंड जोर से चूसने लगी।
“सर! मैं ड्रिंक्स मंगा लूँ?” अनिता ने एम-डी से पूछा। एम-डी ने गर्दन हिला कर हाँ कर दी।
“आयेशा! चार ग्लास और व्हिस्की लाना”, अनिता ने इंटरकॉम पर कहा।
“अभी लायी मैडम!” आयेशा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“ओहहहहह ज़ुबैदा..... जोर-जोर से चूसो..... मेरा छूटने वाला है....” मैंने कहा।
जब ज़ुबैदा मेरे लंड से छूटे पानी को पी रही थी उसी समय आयेशा व्हिस्की लिये केबिन में आयी। मैंने देखा कि वो एक दम नंगी थी। आयेशा ने कुछ कहना चाहा तो अनिता ने उसे चुप रहने का इशारा करके केबिन से जाने के लिये कहा।
आयेशा व्हिस्की और ग्लास रख कर केबिन से चली गयी।
“ज़ुबैदा! तुमने देखा आयेशा ने क्या पहन रखा था?” अनिता ने पूछा।
“मैडम!! वो तो बिल्कुल नंगी थी, उसने हाई-हील सैंडलों के अलावा कहाँ कुछ पहन रखा था”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“अच्छा है.... तुमने देख लिया। ये यहाँ का नियम है..... कोई भी हायर मैनेजमेंट से तुम्हें बुलाये तो तुम्हें इसी तरह आना है।”
ज़ुबैदा कुछ देर तक सोचती रही फिर हँसते हुए बोली, “हाँ मैडम, मैं समझ गयी। आप कहें तो मैं ओ~फिस में हर वक्त ऐसे ही बिल्कुल नंगी सिर्फ हाई-हील के संडल पहने रहने को तैयार हूँ!”
“वेरी-गूड! ऑय लाइक योर स्पिरिट!” अनिता हंसते हुए बोली।
हम चारों जब दो-दो पैग व्हिस्की पी चुके तो अनिता ने कहा, “ज़ुबैदा! अब तुम एम-डी के ऊपर लेट कर उनका लंड अपनी चूत में ले लो, और पीछे से राज सर तेरी गाँड मारेंगे।”
“पर मैडम! राज सर का इतना बड़ा लंड मेरी छोटी गाँड में कैसे जायेगा?” ज़ुबैदा बोली। उसकी नीली आँखें नशे में बोझल थीं।
“वैसे ही जायेगा जैसे वो मेरी गाँड में, आयेशा की गाँड में और कंपनी की हर लड़की की गाँड में घुस चुका है। तुम लेकर तो देखो.... दो-दो लंड से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आयेगा।” अनिता ने उसे समझाते हुए कहा।
एम-डी सोफ़े पर लेट चुका था। ज़ुबैदा उसके ऊपर चढ़ कर अपने हाथों से एम-डी का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद पे लगाकर बैठती हुई आगे को झुक गयी। एम-डी का लंड उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।
मैंने ज़ुबैदा के पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा अंदर घुसाया तो वो जोर से चिल्लायी पर मैंने और एम-डी ने उसे दोनों तरफ से चोदना ज़ारी रखा। थोड़ी देर में ही हमारा पानी झड़ गया। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“कुछ और सर?” अनिता ने एम-डी से पूछा।
“नहीं! अभी कुछ नहीं”, एम-डी ने जवाब दिया।
“ठीक है ज़ुबैदा! तुम कपड़े पहन कर बाहर इंतज़ार करना.... मैं तुम्हें ऑफिस का काम समझा दूँगी”, अनिता ने कहा। ज़ुबैदा जब कपड़े पहन कर जाने लगी तो एम-डी ने उससे पूछा, “ज़ुबैदा! अब जबकि तुम दो-दो लंड का स्वाद चख चुकी हो तो अब चाहोगी कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड वापस आ जाये?”
“सर! जब इतने शानदार दो लंड हैं तो मुझे उसके पिद्दु जैसे लंड की कोई जरूरत नहीं है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया और अपनी सैंडल खटखटती बाहर निकल गयी। व्हिस्की के सुरूर के कारण उसकी चाल में थोड़ी सी लड़खड़ाहट थी।
ज़ुबैदा के जाने के बाद एम-डी ने कहा, “अनिता! तुम कमाल की हो, क्या कहते हो राज?”
“हाँ सर! मुझे लगता है कि आज के बाद हर इंटरव्यू में हमें अनिता को शामिल करना चाहिये, और इसे इनाम भी देना चाहिये”, मैंने एम-डी से कहा।
मेरी बात सुनते ही अनिता खुशी से उछल पड़ी और बोली, “सर! मैं अपनी चूत ले कर अपना इनाम लेने कब हाज़िर होऊँ?”
“आज नहीं! कल शाम को आना और ज़ुबैदा को भी साथ में लाना”, मैंने कहा।
दूसरे दिन अनिता ज़ुबैदा के साथ दाखिल हुई। दोनों ने कपड़े नहीं पहन रखे थे, सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए थीं। आज ज़ुबैदा की चूत एक दम चिकनी और सपाट दिख रही थी। बालों का कहीं भी नामो निशान नहीं था। मैं और एम-डी ने दो घंटे तक दोनों की चूत और गाँड मारते रहे।
पंद्रह दिन बाद प्रीती अपने भाइयों की शादी अटेंड कर के वापस आ गयी।
प्रीती के वापस आने के बाद हम लोग खाना खाकर बिस्तर पर लेटे थे, “और बताओ प्रीती शादी कैसी गयी?”
“राज! ये कोई भी वक्त है सवाल करने का, तुम्हें पता है तुम्हारे लंड के बिना मेरी चूत की क्या हालत हो रही है”, प्रीती अपनी चूत को खुजाते हुए बोली।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, “मैं जानता हूँ मेरी जान!” मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
“अच्छा अब चिढ़ाना बंद करो और मेरी कस कर चुदाई करो”, प्रीती अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
मैंने जमकर उसकी चुदाई की और प्रीती इसी बीच चार बार झड़ी। सच कहता हूँ, प्रीती जैसी चूत किसी की भी नहीं थी। जब हम थक कर लेट गये तो मैंने दो सिगरेट जलाते हुआ पूछा, “अब बताओ सब कैसा रहा?” और एक सिगरेट प्रीती को दे दी।
“हाँ..... सब अच्छा रहा, मेरी दोनों भाभियाँ सिमरन और साक्षी बहुत ही सुंदर हैं। सिमरन, राम की बीवी, थोड़ी पतली है और उसकी चूचियाँ भी छोटी नारंगी जैसी हैं और वहीं साक्षी, श्याम कि बीवी, भरी-भरी है और चूचियाँ तो मानो दो खरबूजे लटक रहे हों”, प्रीती ने कहा।
“तुम ये सब मुझे बताकर उकसाने की कोशिश क्यों कर रही हो?” मैंने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“क्यों ना उकसाऊँ? कोई एक बार की चुदाई से तो तुम मुझे छोड़ने वाले नहीं हो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा, “अच्छा अब तुम बताओ पीछे से कैसा रहा...? क्या रजनी बराबर आती रही है?”
“हाँ! रजनी बराबर आती थी और शबनम, समीना और नीता भी अक्सर आ जाया करती थीं।” फिर मैंने उसे अनिता और ज़ुबैदा के इंटरव्यू के बारे में बताया।
“लगता है तुम्हें अनिता के रूप में एक हीरा हाथ लग गया है?” प्रीती ने कहा।
“हाँ! मैं भी ऐसा ही सोच रहा हूँ”, मैंने कहा।
एक दिन प्रीती बोली, “राज! आज कुछ अच्छी खबरें हैं।”
“सबसे पहली बात, मेरे भाई अपनी बीवियों के साथ हमारे पास रहने आ रहे हैं”, प्रीती ने कहा।
“तो वो दोनों चुदकड़ हमसे मिलने आ रहे हैं....” मैंने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम अब भी नाराज़ हो कि मेरे भाइयों ने तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत फाड़ी थी?”
“नहीं! बिल्कुल भी नहीं, उनकी जगह कोई भी होता तो वही करता, उन्हें कुँवारी चूत चोदने का मौका मिला और उन्होंने चोदा”, मैंने कहा, “अच्छा अब दूसरी बात बताओ?”
“बात ये है कि तुम्हारी बहनें अंजू और मंजू भी अपने पति, जय और विजय के साथ उसी समय हमारे पास आ रही हैं”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“क्या इन सब को साथ में इकट्ठा करना ठीक रहेगा? जबकि जो कुछ मेरी बहनों और तुम्हारे भाइयों के बीच हुआ?” मैंने कहा, “और क्या तुम टीना का जन्मदिन भूल गयी। इतनी भीड़ में कैसे उसे चोदूँगा?”
“नहीं! मैं नहीं भूली हूँ!” प्रीती ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा, “विश्वास रखो मेरे राजा! टीना की कुँवारी, सील बंद चूत का उदघाटन तुम ही करोगे।”
प्रीती कुछ सोच में पड़ी हुई थी। उसके होंठों को चूमते हुए मैंने पूछा, “क्या सोच रही हो?”
“कुछ अच्छा और कुछ शरारती”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“मैं भी तो सुनूँ।”
“देखो राज! मैं एक हिसाब बराबर करने की सोच रही थी, जैसे मेरे भाइयों ने तुम्हारी बहनों को चोदा है उसी तरह तुम्हारी बहनों के पति जय और विजय को भी मेरे भाइयों की बीवी सिमरन और साक्षी को चोदने का मौका मिलना चाहिये”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन इससे मेरी बहनों का कुँवारापन तो वापस नहीं आ जायेगा”, मैंने कहा।
“हाँ.... उनका कुँवारापन तो मैं वापस नहीं ला सकती लेकिन कुछ भी नहीं से कुछ तो अच्छा है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन तुम ये सब करोगी कैसे?”
“ये सब मैं उनके आ जाने पर सोचुँगी”, प्रीती ने जवाब दिया, “और दूसरी बात..... तुम भी मेरी दोनों भाभी, सिमरन और साक्षी को चोद सकते हो।”
“और एक बात..” वो कुछ कहती उसके पहले मैंने कहा, “अब ये मत कहना कि तुम अपने भाइयों और मेरी बहनों के पतियों से चुदवाना चाहती हो?”
“नहीं मेरे भाइयों से तो नहीं...... हाँ! जय और विजय से जरूर चुदवाना चाहुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“कब आ रहे हैं ये लोग?”
“सोमवार की सुबह मेरे भाई लोग और उसी दिन शाम को तुम्हारी बहनें”, प्रीती ने कहा।
“क्या तुम जय और विजय को राम और श्याम के बारे में बताओगी?” मैंने पूछा।
“अगर जरूरत पड़ी तो ही बताऊँगी, इसलिये मैंने मेरे भाइयों को और तुम्हारी बहनों को साफ लिख दिया है कि वो आपस में उसी तरह मिलें जैसे पहली बार मिल रहे हों”, प्रीती ने बताया।
“लगता है तुमने सब सोच रखा है”, मैंने कहा, “लेकिन टीना उनके आने के दो हफ़्ते बाद इक्कीस की हो जायेगी, उसे दिया वचन कैसे पूरा करोगी?”
“उसकी तुम चिंता मत करो, तुम्हें एम-डी के सामने ही टीना की कुँवारी चूत चोदने के मौका मिलेगा..... ये मेरा तुमसे वादा है”, प्रीती ने कहा।
सोमवार को राम और श्याम आ गये। उनकी पत्नियाँ सिमरन और साक्षी दोनों खुबसूरत थीं। मेरा लंड तो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया। मुझसे उनका परिचय कराने के बाद प्रीती ने उन्हें उनका कमरा दिखाया और अपने भाइयों को खुद के बेडरूम में आने को कहा, कि उसे कुछ बातें करनी हैं।
थोड़ी देर बाद हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठा हुए। प्रीती ने बात की शुरुआत की, “अच्छा राम और श्याम! मैं तुम लोगों से कुछ पूछना चाहती हूँ, और इसका जवाब मुझे सच-सच देना?”
“हाँ दीदी!” दोनों जवाब दिया।
“राम तुम बताओ, शादी के वक्त क्या सिमरन कुँवारी थी?”
मुस्कुराते हुए राम ने कहा, “हाँ दीदी! एक दम कुँवारी थी।” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“तुम्हें कैसे मालूम कि वो कुँवारी थी? कई लड़कियाँ शादी से पहले चुदवा लेती हैं पर बाद में नाटक करती हैं, जैसे कुँवारी हों”, प्रीती ने पूछा।
“नहीं दीदी! ऐसा नहीं था! जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा था तो उसे सही में दर्द हुआ था और खून भी बहुत गिरा था”, राम ने जवाब दिया।
“ठीक है, और तुम श्याम! साक्षी के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?” प्रीती ने पूछा।
“साक्षी भी कुँवारी थी दीदी! उसकी चूत की झिल्ली भी एकदम मंजू...” श्याम कहते हुए रुक गया और शर्म से गर्दन झुका ली।
“श्याम! शरमाओ मत और बताओ, राज को उसकी बहनों की चुदाई के बारे में सब मालूम है”, प्रीती ने कहा।
“साक्षी का इतना खून नहीं गिरा था, जितना सिमरन का गिरा था, जैसे राम ने बताया।”
“क्या उनकी चूत पर बाल हैं या उन्होंने अपनी चूत एक दम चिकनी बना रखी है?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत बाल हैं दीदी, एक बार मैंने सिमरन से साफ करने को कहा था, तो उसने कहा कि अगर बाल साफ करने की चीज़ होती तो भगवान औरत की चूत पर बाल ना बनाता”, राम ने जवाब दिया। प्रीती ने श्याम की ओर देखा।
“दीदी! तुम्हें पता है.... जब मैंने साक्षी से एक दिन कहा, कि तुम्हारी चूत बिना बालों के और सुंदर और प्यारी लगेगी तो उसने कहा कि चूत चोदने के लिये है ना कि नुमाइश करने के लिये”, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
“क्या तुम दोनों ने एक दूसरे की बीवी को चोदा है?” प्रीती ने अपना प्रश्न जारी रखा।
“मैंने एक बार पूछा था.... लेकिन सिमरन ने साफ़ मना कर दिया था”, राम ने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम एक दूसरे की बीवी को चोदना चाहोगे?”
“हाँ दीदी जरूर! दोनों ने साथ में जवाब दिया।”
“लेकिन दीदी! तुम ये सब सवाल क्यों कर रही हो?” श्याम ने पूछा।
“दो मिनट रुक जाओ! सब बता दूँगी, पहले एक आखिरी सवाल का जवाब और दे दो”, प्रीती ने कहा, “क्या तुमने उनकी गाँड मारी है?”
“गाँड!!! भगवान की तौबा!!! एक बार मैंने उससे कहा तो इतना नाराज़ हो गयी कि पाँच दिन तक मुझे हाथ भी लगाने नहीं दिया”, राम ने जवाब दिया।
“मैंने एक बार कोशिश की थी लेकिन उसके बाद उसने कहा कि अगर मैंने दोबारा गाँड मारने की कोशिश कि तो वो मुझे छोड़ के चली जायेगी”, श्याम ने कहा।
“अच्छा?? क्या तुमने उनकी चूत चाटी है और क्या वो तुम्हारा लौड़ा चूसती हैं?” प्रीती ने फिर पूछा।
“हाँ उसे चूत चटाने में मज़ा आता है और मेरा लौड़ा भी चूसती है.... लेकिन मुझे मुँह में झड़ने नहीं देती है”, राम ने कहा।
“हाँ! उसे बहुत मज़ा आता है और मेरा पानी भी पी जाती है”, श्याम ने जवाब दिया।
“अब आखिरी सवाल...... क्या उन्हें चुदाई में मज़ा आता है?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ! बहुत मज़ा आता है और उसका बस चले तो हर वक्त चुदती रहे”, राम ने कहा।
“हाँ दीदी! साक्षी को तो कुछ ज्यादा ही मज़ा आता है...... ऐसे उछल-उछल कर चुदाती है कि क्या बताऊँ”, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
“तुम दोनों के लिये एक खुश खबर है...... अंजू और मंजू भी तुम लोगों से मिलने आ रही हैं। वो लोग शाम को पहुँचेंगे”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हाँ खबर तो अच्छी है लेकिन....!” राम ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
“उन्हें फिर चोदने का ख्वाबी पुलाओ मत पकाओ...... उनके पति भी साथ में आ रहे हैं”, मैंने कहा।
“क्या तुम उन्हें दोबारा चोदना चाहोगे?” प्रीती ने पूछा पर दोनों हरामी चुप रहे और मेरी तरफ देख रहे थे।
“राज से मत डरो और सच सच बोलो?” प्रीती ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“हाँ! सही में वो दोनों बहुत अच्छी थीं।”
“ठीक है! मैं अब बताती हूँ कि ये सब किस लिये था, जैसे तुम दोनों ने अंजू और मंजू की कुँवारी चूत को चोदा था वैसे ही उनके पति तुम्हारी बीवियों को चोदें और उनकी कुँवारी गाँड भी मारें”, प्रीती ने कहा।
कमरे में अचानक खामोशी छा गयी। कोई कुछ नहीं बोला।
“ज़रा सोचो! अगर ये हो जाये तो तुम लोग एक दूसरे की बीवी को भी चोद सकोगे। उनकी गाँड भी मार सकोगे...... वो तुम्हारे लंड का पानी भी खुशी-खुशी पी जायेंगी”, प्रीती ने कहा, “और दूसरी बात! तुम्हें अंजू और मंजू को भी दोबारा चोदने का मौका मिलेगा और साथ ही दूसरी लड़कियों को भी जिन्हें हम जानते हैं।”
“मुझे मंजूर है, मैं देखना चाहुँगा जब वो सिमरन की गाँड में अपना लंड घुसायेंगे”, राम ने हँसते हुए कहा।
“मुझे भी मंजूर है, पर ये होगा कैसे?” श्याम ने पूछा।
“ये सब मेरे पर छोड़ दो, तुम लोगो सिर्फ़ इतना करना कि जब अंजू और मंजू आयें तो ऐसे मिलना जैसे पहली बार मिल रहे हो... वो भी ऐसा ही करेंगी”, प्रीती ने कहा।
“ठीक है? तुम लोग तैयार रहना.... मैं बता दूँगी तुम्हें”, प्रीती ने कहा।
शाम को मेरी बहनें अपने पति, जय और विजय, के साथ पहुँच गयीं।
“सॉरी अंजू-मंजू! तुम लोगों को हॉल में ही सोना पड़ेगा..... कारण, हमारे यहाँ तीन ही बेडरूम हैं और वो पहले से ही बुक हैं”, प्रीती ने कहा।
“कोई प्रॉब्लम नहीं भाभी! हमें साथ में सोने की आदत है”, अंजू हँसते हुए बोली।
थोड़ी देर बाद प्रीती, अंजू और मंजू को अपने बेडरूम में ले आयी और उन्हें सब बताया तो, अंजू ने हँसते हुए कहा, “अच्छा ऑयडिया है भाभी! और जय-विजय को उन्हें चोदने में मज़ा आयेगा, मैं जानती हूँ।”
“क्या हम लोग उन्हें बता दें?” मंजू ने पूछा।
“नहीं! अभी कुछ मत बताना...... बस कल उन्हें थियेटर में पिक्चर दिखाने जरूर ले जाना”, प्रीती ने कहा।
प्रीती ने अपना प्लैन अपने भाइयों को बताया और कहा कि देखना कल दोपहर में सिमरन और साक्षी मेरे साथ घर में अकेली हों।
प्रीती ने अपना प्लैन कुछ इस तरह से बनाया था: मैं अपनी बहनों और उनके पति, और राम और श्याम को पिक्चर दिखाने ले जाऊँगा। प्रीती सिमरन और साक्षी को घर पर ही रोक लेगी, कारण, दोनों को खाना बनाने का बहुत शौक है।
सुबह जब हम लोग नश्ता कर रहे थे तो मैंने सबसे पूछा, “पिक्चर देखने कौन कौन चल रहा है, बड़ी ही अच्छी इंगलिश पिक्चर चल रही है।”
“भइया हम चारों चल रहे हैं”, अंजू ने जवाब दिया।
“ना बाबा! मैं तो नहीं जाऊँगी, मुझे वैसे भी इंगलिश पिक्चर पसंद नहीं है”, साक्षी ने कहा।
“और मैं तो वैसे भी नहीं जा पाऊँगी क्योंकि प्रीती दीदी ने मुझे प्याज के पकोड़े कैसे बनाये जाते हैं, वो सिखाने का वादा किया है”, सिमरन बोली।
“ठीक है! अगर तुम लोग नहीं जाना चाहती तो मत जाओ..... हम राज के साथ चले जाते है”, राम और श्याम साथ-साथ बोले। जब हम जाने को तैयार हुए तो प्रीती मेरे पास आयी और मुझे समझाया, “तुम अपना मोबाइल ऑन रखना और जब मैं तीन बार बज़ा कर बंद कर दूँ तो जय-विजय को पहले भेज देना और जब दोबारा फोन करूँ तब ही तुम आना।”
हम लोग पिक्चर देखने घर से निकल पड़े। “राम! मैं थियेटर फोन करके पता कर लेता हूँ कि टिकट अवेलेबल हैं कि नहीं।”
“हाँ! वो ठीक रहेगा”, राम ने कहा।
मैंने थियेटर फोन लगा कर बात की। टिकट अवेलेबल होते हुए भी उनसे झूठ बोल दिया कि हाऊज़ फ़ुल है।
“टिकट तो हैं नहीं! फिर क्या करना चाहिये, अंजू?”
“ऊममम अब क्या करें भैया? चलो कहीं चल कर आईसक्रीम खाते हैं”, मंजू ने कहा।
थोड़ी देर में मेरे फोन की घंटी तीन बार बज कर बंद हो गयी। मैं समझ गया कि घर में दोनों चिड़ियाँ चुदवाने को तैयार हो रही हैं। मैंने सबसे कहा, “चलो अब घर चल कर ही कुछ करते हैं?”
“इतनी जल्दी क्या है जीजाजी?” राम ने कहा।
“चलना है तो चलो या आईसक्रीम को साथ ले लो”, मैंने कहा।
“बेवकूफ़! भूल गये क्या?” अंजू उसके कान में फुसफुसायी और मंजू उसे जबरदस्ती उठाती हुई खड़ी हो गयी।
जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय और विजय से कहा, “तुम दोनों फ्लैट पर जाओ.... वहाँ तुम्हें तुम्हारी भाभी प्रीती मिलेगी, अगर वो वहाँ ना हो तो घंटी मत बज़ाना। उसके आने के बाद ही फ्लैट में जाना।”
“लेकिन ये सब क्या है भैया?? मैं कुछ समझा नहीं”, विजय ने पूछा?
“अभी समझाने का वक्त नहीं है, प्रीती तुम्हें सब समझा देगी”, मैंने दोनों को ढकेलते हुए कहा।
आधे घंटे के बाद प्रीती का फोन आया कि हम लोग आ सकते हैं। प्रीती हमें दरवाजे पर मिली।
“क्या हो रहा है?” मैं धीरे से फुसफुसाया।
“चुदाई का पहला दौर खत्म हो चुका है और दूसरे की तैयारी हो रही है”, प्रीती धीरे से बोली।
“क्या सिमरन की गाँड फाड़ दी?” राम ने पूछा।
“अभी तो नहीं.... लेकिन शायद दूसरे राऊँड के बाद!”
“भाभी अपने ये सब कैसे किया?” अंजू ने पूछा।
“मैंने उन दोनों को कोक में एम-डी की स्पेशल दवाई मिला कर दी थी”, प्रीती ने जवाब दिया।
“ऐसे नहीं!!! हमें ज़रा डिटेल में बताइये”, मंजू बोली।
प्रीती ने शुरू से बताना शुरू किया।
तुम लोगों के जाने के बाद हम लोग साथ मिल कर किचन में खाना बनाने लगे, किचन गर्मी में एक दम तप रहा था।
“दीदी बहुत गर्मी हो रही है ना?” सिमरन बोली।
“फ़्रिज में कोक पड़ी है तुम लोग वो ले लो....” मैंने कहा। दोनों फ्रिज से कोक ले के पीने लगी। लेकिन पंद्रह मिनट के बाद भी मुझे उन पर कोई असर होते नहीं दिखा तो मुझे लगा कि आज मेरा प्लैन फ़ेल हो जायेगा..... मैं सोच पड़ गयी।
“लेकिन आप कोक के भरोसे क्यों थी, ऐसा क्या है कोक में?” श्याम ने पूछा।
“वो कोई साधारण कोक नहीं है”, अंजू बोली।
“उस कोक में मिली दवाई को पीने से औरत की चूत में खुजली होने लगती है”, मंजू बोली।
“ऐसी भी कोई दवाई होती है...... पहली बार सुना है”, राम हँसते हुए बोला।
“तुम दोनों क्या समझते हो कि तुम बहुत सुंदर और हैंडसम हो जो अंजू और मंजू ने अपनी कुँवारी चूत तुम्हें चोदने के लिये दे दी, नहीं! ये इसी दवाई का कमाल था जो तुम इनकी जवानी का मज़ा उठा पाये”, प्रीती थोड़ा झल्लते हुए बोली, “इस दवाई से इनकी चूत में इतनी खुजली मच चुकी थी कि अगर तुम्हारा लंड ना होता तो ये किसी गली के कुत्ते से भी चुदवा लेती।”
इतना सब सुनकर दोनों शाँत हो गये।
“भाभी फिर क्या हुआ?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
दवाई का उन पर असर नहीं हो रहा था, मैं सोच में पड़ गयी...... फिर मुझे एक खयाल आया..... मैंने प्याज के पकोड़ों में वो दवा मिला दी और सिमरन के रूम में प्लेट में लगा ले गयी।
“सिमरन! ये पकोड़े टेस्ट करो और बताओ कैसे बने हैं?”
सिमरन ने एक पकोड़ा मुँह में रखा और बोली कि “दीदी ये तो बहुत ही टेस्टी हैं.... अपने लिया कि नहीं?”
मैंने भी एक पकोड़ा टेस्ट किया और उसे और लेने को कहा कि “और खा कर देखो।”
यही मैंने साक्षी के साथ किया। दोनों बड़े चाव से पकोड़े खा रही थीं। तुम्हें फोन किया क्यों कि मुझे विश्वास था कि उनकी चूत में खुजली जरूर मचेगी।
इतनी देर में जय और विजय आ गये, मैं उन्हें अपने बेडरूम में ले आयी, वो दोनों बौखला गये थे और बोले कि “भाभी ये सब क्या है?”
मैंने कहा कि “इसके पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूँ.... तुम दोनों मेरे एक प्रश्न का जवाब दो, क्या तुम दोनों सिमरन और साक्षी को चोदना चाहोगे?”
मेरा सवाल सुनकर दोनों चौंक गये और बोले कि “भाभी ये आप क्या कह रही हैं, वो दोनों आपकी भाभीयाँ हैं।” मैंने कहा कि “वो दोनों मेरी क्या हैं, ये मुझे सोचने दो, तुम जवाब दो कि क्या चोदना चाहोगे?”
“हाँ भाभी! ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।” जय ने अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए जवाब दिया।
अंजू शरारती मुस्कान के साथ बोली, “म...म...म मेरे जय का लंड नयी चूत का नाम सुनते ही खड़ा हो जाता है!”
फिर विजय ने पूछा कि “भाभी! क्या वो तैयार हो जायेंगी?” और जय ने कहा कि “भाभी लेकिन राम और श्याम को पता चलेगा तो वो क्या सोचेंगे।”
“राम और श्याम की चिंता मत करो.... वो सब मुझ पर छोड़ दो और रही सिमरन और साक्षी कि बात तो वो तुमसे भीख मांगेंगी कि आओ मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। सिर्फ़ उतना करो जितना मैं कहती हूँ।”
मेरी बात सुनकर जय ने कहा कि “ठीक है.... आप क्या चाहती हैं हमसे?”
“कुछ नहीं! इंतज़ार करो जब तक वो खुद चल कर तुम्हारे पास चुदवाने के लिये नहीं आती हैं और हाँ! उन्हें तब तक मत चोदना जब तक वो गाँड मरवाने के लिये तैयार ना हो जायें..... ये दोनों बातें बहुत जरूरी हैं।”
जय ने अपना लंड जोर से दबाया और बोला कि, “यार! ये तो बहुत ही अच्छी बात है, चूत के साथ गाँड भी मारने को मिलेगी और वो भी दोनों की।”
मैं ये कहकर रूम के बाहर आ गयी कि “यहीं इंतज़ार करो और ज़न्नत के मज़े लेने के सपने देखो।”
थोड़ी देर में सिमरन कमरे में आयी, उसकी साड़ी का पल्लू जमीन पेर रेंग रहा था, ब्लाऊज़ के तीन बटन खुले हुए थे। उसके माथे पर पसीन चमक रहा था और चेहरे से साफ लग रहा था कि वो कितनी उत्तेजना में थी।
सिमरन अपने एक हाथ से अपनी चूचियाँ भींच रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। वो बोली कि, “दीदी! राम कहाँ है और कितनी देर में आयेगा?”
मैंने धीरे से जवाब दिया कि, “तुम्हें पता है ना कि वो लोग पिक्चर देखने गये हैं?”
उसने अपनी चूत और जोरों से खुजाते हुए पूछा कि “ऐसा मेरे ही साथ क्यों होता है, मुझे जब भी उसकी जरूरत होती है वो मेरे पास नहीं होता..... वापस कब आयेगा?”
मैंने जवाब दिया कि, “करीब तीन घंटे में।”
सिमरन झल्लाते हुए बोली कि, “अब मैं क्या करूँ! मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही है कि मुझसे सहन नहीं हो रहा।”
इससे पहले कि मैं उसको जवाब दे पाती, साक्षी कमरे में आयी। उसकी हालत भी सिमरन के जैसे ही थी। साड़ी ज़मीन पर रेंग रही थी, और दोनों हाथ चूत को खुजला रहे थे। उसने भी पूछा कि, “दीदी! श्याम कब तक आयेगा?”
मैंने कहा कि “मैंने अभी सिमरन को बताया है कि तीन घंटे से पहले नहीं।” वो जोर-जोर से अपनी चूत को भींचते हुए बोली कि, “ओह! गॉड तब तक मैं क्या करूँ?”
मैं अपने दोनों हाथ पीछे से उसकी चूचियों पर रख कर बोली कि, “क्या तुम्हारी चूत में भी सिमरन की तरह खुजली हो रही है?”
उसने कहा कि “हाँ दीदी! बहुत जोरों से और मुझ से सहा नहीं जा रहा।”
मैंने उसके मम्मे और जोर से दबाते हुए कहा कि “फिर तो ऐसी परस्थिति में एक ही सलाह दे सकती हूँ कि तुम दोनों अपनी अँगुली से अपनी चूत चोद लो।”
“दीदी! मैं आपके कहने से पहले तीन बार कर चुकी हूँ लेकिन शांती नहीं पड़ रही?” सिमरन बोली।
“और दीदी मैं तो ब्रश के हैंडल और अपनी सैंडल की हील तक से कर चुकी हूँ लेकिन पता नहीं जितना करती हूँ उतनी ही खुजली और बढ़ रही है।” ये कहते हुए साक्षी की आँखों में आँसू आ गये।
फिर मैंने पूछा कि, “क्या इसके पहले भी तुम्हारी चूत खुजलाती थी?” तो साक्षी बोली कि, “दीदी! खुजलाती तो थी पर आज जैसी नहीं, पता नहीं आज क्यों इतनी खाज मच रही है।”
फिर मैंने कहा कि, “फिर तो इसका एक ही इलाज है कि किसी मोटे और तगड़े लंड का इंतज़ाम किया जाये।”
सिमरन ने कहा कि, “हाँ! हम जानते हैं कि ये खाज लंड से ही बुझेगी, पर इसके लिये हमें राम और श्याम का तीन घंटों तक इंतज़ार करना होगा और तब तक हमारी जान ही निकल जायेगी।”
“मैं उनके लंड की नहीं किसी और लंड की बात कर रही थी।”
सिमरन ने कहा कि, “आप ऐसा कैसे कह सकती हैं।”
“मैं श्याम के साथ बेवफ़ाई नहीं करूँगी”, साक्षी ने कहा।
“ये फैसला तुम दोनों को करना है!” ये कहकर मैं उन दोनों की चूत रगड़ने लगी।
थोड़ी देर दोनों शाँत रहीं, उनकी सिसकरियाँ बढ़ रही थी और उनसे सहा नहीं जा रहा था। साक्षी ने कंपकंपाते हुए पूछा कि, “भाभी! यहाँ पर कोई है क्या?”
“हाँ! जय और विजय हैं ना, मेरे ख्याल से तुम दोनों उन दोनों से चुदवा लो? दोनों दिखने में सुंदर हैं और मैं विश्वास से कहती हूँ कि उनका लंड भी लंबा और मोटा होगा।”
“अगर हमारे पतियों को पता चल गया तो क्या होगा?” सिमरन ने पूछा।
“पहले तो उनको पता नहीं चलेगा, और अगर पता चल भी गया तो कोई खून की नदियाँ नहीं बहेंगी, इसका वादा मैं करती हूँ। अब इसके पहले कि देर हो जाये... जा कर उन्हें पूछो, शायद वो तुम्हारी सहायता करने को तैयार हो जायें....” मैंने कहा।
“दीदी! आप पूछो ना! हमें शरम आती है....” सिमरन बोली।
“ठीक है आओ मेरे साथ!” और मैं उन दोनों का हाथ पकड़ कर मेरे बेडरूम में ले आयी जहाँ जय और विजय थे।
“अरे तुम दोनों कब आये?” मैंने पूछा। विजय बताने लगा पर उसकी बात पूरी हो पाती उसके पहले ही सिमरन जोर से बोली कि “तुम तीनों चुप हो जाओ, दीदी पूछना चाहती है कि क्या तुम दोनों हमें चोदोगे?”
“प्लीज़ हमें चोदो ना!” साक्षी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। मैंने उनका लंड खड़े होते हुए देखा।
जय ने कहा कि, “हाँ! चोदेंगे पर एक शर्त पर....” तो सिमरन ने पूछा कि, “शर्त? कैसी शर्त?”
“शर्त ये है कि तुम्हें हमसे गाँड भी मरवानी होगी!” विजय ने कहा।
साक्षी बोली कि, “नहीं! मैं अपनी गाँड नहीं मरवाऊँगी, मैंने श्याम को भी अपनी गाँड आज तक मारने नहीं दी है।“
प्रीती ने एक सिगरेट सुलगाते हुए आगे बताया: कमरे में सन्नाटा छा गया तो मैं बोली, “तुम दोनों इन्हें अपना लौड़ा दिखाओ..... शायद इनका विचार बदल जाये!” दोनों ने अपने कपड़े उतार दिये और अपना लंड पकड़ कर हिलाने लगे। उनका मोटा ताज़ा लंड देखकर सिमरन और साक्षीके मुँह में पानी आ गया और दोनों सोचने लगी कि गाँड मरवायें कि नहीं।
सिमरन जय की तरफ बढ़ते हुए बोली कि “तुम हमारी गाँड मार सकते हो लेकिन हमारी चुदाई करने के बाद।”
साक्षी भी पीछे कहाँ रहने वाली थी, अपने आपको विजय की बाँहों में धकेल कर बोली कि, “गाँड मारनी है तो मार लेना, लेकिन चूत चोदने में देर मत करो।”
“प्लीज़! इस कमरे में नहीं! मुझे दूसरे कमरे में ले चलो..... यहाँ साक्षी है....” सिमरन ने कहा।
जय ने सिमरन को बेड पर ढकेलते हुए कहा कि, “तो इसमें क्या है? ज्यादा मज़ा ही आयेगा जब हम दोनों भाई तुम दोनों को एक ही बिस्तर पर चोदेंगे।”
मैं रूम के बाहर आ चुकी थी। थोड़ी देर में मुझे सिसकरियों की आवज़ सुनाई दे रही थी। मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि सिमरन और साक्षी अगल बगल लेटी थीं। दोनों की टाँगें हवा में थी और जय विजय उनकी कस कर चुदाई कर रहे थे। थोड़ी देर में उनके कुल्हे भी उछल उछल कर दोनों का साथ दे रहे थे। मैं कुर्सी पर बैठ कर सिगरेट पीते उनकी चुदाई का तमाशा देख रही थी। दोनों अब जम कर चुदवा रही थीं ।
“ओहहहहह और जोर से चोदो ना”, सिमरन सिसकी।
“आँआँआआआआआआ चोदो मुझे.... और जोर से चोदो!!!!!, आहहहहह क्या तुम्हारा लंड है.... और तेजी से आआआओऊऊ!!!” साक्षी भी कामुक्ता भरे शब्द बोल रही थी।
“हाँआँआआआआ इसी तरह से!!!!! तुम्हारे लंड का जवाब नहीं!!!!” सिमरन ताल से ताल मिलाते हुए बोल रही थी। प्रीती ने आँखें नचाते हुए हमें बताया।
प्रीती ने कहानी जारी रखते हुए कहा, “साक्षी सिसक रही थी कि “विजय क्या कर रहे हो? और जोर से चोदो ना, आज मेरी चूत का भोंसड़ा बना दो..... आआआआहहहहह ओहहहहह जोर से हाँआआआआआ!!!”
“ओहहहहह जय!!! जोर से...... हाँआआआआ चोदते जाओ!!!! मेरा छूटाआआआआ!!!!” कहकर सिमरन बेड पर पसर गयी और अपनी साँसें संभालने लगी।
“ऊऊऊऊईईईईईई माँआँआआआआ.... हाँआआआआआ जोर से!!!!! चोदो और जोर से!!!!! मैं गयीईईईई!!!!” और साक्षी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और जोर-जोर से धक्के लगाते हुए जय और विजय ने भी अपना पानी छोड़ दिया। चारों एक दूसरे को बुरी तरह से चूम-चाट रहे थे। प्रीती विस्तार से उनकी कहानी सुना रही थी।
प्रीती आगे बोली: सिमरन जय को बुरी तरह चूमती हुई बोली कि, “थैंक यू जय! मज़ा आ गया..... एक बार और चोदो ना!”
विजय बिस्तर से उठने लगा तो साक्षी उसका हाथ पकड़ कर बोली कि, “तुम कहाँ चले? क्या तुम दोबारा नहीं चोदोगे?”
विजय ने कहा कि, “चोदूँगा लेकिन इस बार तुम्हें नहीं.... सिमरन को! जय तुम साक्षी को चोदो मैं सिमरन को देखता हूँ।”
दोनों ने अपनी जगह बदल ली और अपने खड़े लंड को दोनों की चूत में डाल कर चोदने लगे।
प्रीती ने अपनी सिगरेट को ऐशट्रे में बुझते हुए बात पूरी की। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
हम सब दरवाजे से कान लगाये सुन रहे थे, जहाँ से सिसकरियों की और कामुक बातों की आवाज़ें आ रही थीं। चुदाई इतनी जोर से चल रही थी कि बिस्तर भी चरमरा उठ था। थोड़ी देर बाद एक दम खामोशी छा गयी। लगता था कि उनका दूसरा दौर भी समाप्त हो चुका है। सिर्फ़ उनकी उखड़ी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
“जय! अपना लंड खड़ा करो.... मुझे और चुदवाना है?” साक्षी बोली।
“एक काम करो! मेरे लंड को मुँह में लेकर जोर से चूसो..... जिससे ये जल्दी खड़ा हो जायेगा”, जय ने कहा।
“मैंने आज तक लंड नहीं चूसा है और ना ही चूसूँगी”, साक्षी ने झूठ कहा।
“लंड नहीं चूसोगी तो चुदाई भी नहीं होगी”, जय ने कहा, “देखो सिमरन कैसे लंड को चूस रही है और वो खड़ा भी हो गया है।”
“उसे चूसने दो! मैं लंड खड़ा होने का इंतज़ार कर लूँगी”, साक्षी ने कहा।
थोड़ी देर बाद साक्षी गिड़गिड़ाते हुए बोली, “जय प्लीज़! चोदो ना मुझसे नहीं रहा जाता।”
“चुदवाना है तो तुम्हें पता है क्या करना पड़ेगा?” जय ने कहा।
“तुम बड़े वो हो!” कहकर साक्षी, जय के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
“संभल कर! कहीं मेरे लंड पर दाँत ना गड़ा देना।”
साक्षी अब जोर-जोर से लंड को चूस कर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी। “ममम... देखो! खड़ा हो रहा है ना? और जोर से चूसो!” जय ने अपना लंड उसके मुँह में और अंदर तक घुसा दिया।
“मममम.... देखो ना! खड़ा हो गया है..... अब चोद दो ना!” साक्षी बोली।
“ठीक है! अब घोड़ी बन जाओ, अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा”, जय ने कहा।
“नहीं! पहले चूत की चुदाई करो...... फिर गाँड मारना”, साक्षी बोली।
“गाँड नहीं तो चूत भी नहीं!” जय ने कहा।
“तुम बड़े मतलबी हो”, साक्षी घोड़ी बनते हुए बोली।
“विजय! क्या तुम सिमरन की गाँड मारने को तैयार हो?”
“हाँ! पहले इसे लौड़ा तो चूस लेने दो”, विजय बोला।
“लौड़ा बाद में चूसाते रहना, अब हम साथ-साथ इनकी गाँड का उदघाटन करते हैं”, जय ने कहा।
“ठीक है सिमरन! अब तुम घोड़ी बन जाओ!” विजय ने कहा।
“तुम इसकी बातों पे ध्यान मत दो, मुझे लौड़े को चूसने दो”, सिमरन और जोर से लौड़े को चूसते हुए बोली।
“नहीं सिमरन पहले गाँड!” विजय बोला।
“ओहहहहह धीरे से करो ना!!!! मुझे दर्द रहा है!!!!! ऊऊऊऊऊ मर गयीईईईईई”, साक्षी दर्द से कराह उठी।
“थोड़ा दर्द सहन करो, मेरा लंड बस घुस ही रहा है, क्या तुम्हें महसूस हो रहा है?” जय ने अपना लंड घुसाते हुए कहा।
“ऊऊऊऊहहहहह हाँआआआआ...” साक्षी कराही।
“मेरा घुस गया, विजय तुम्हारा क्या हाल है?”
“मैं इसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसे गीला कर रहा हूँ, कारण इसकी चूत के जैसी ही इसकी गाँड भी टाइट होगी ना!” विजय ने कहा।
“ज्यादा मत सोचो..... और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में पेल दो”, जय बोला!
“तुम उसकी बातों पे ध्यान मत दो, ओहहहहह मर गयीईईईई...... निकाल लो दर्द हो रहा....आआ है!!!!!” सिमरन दर्द में जोर चिल्लायी।
“विजय! और जोर से डालो!” जय जोर से बोला।
“हाय भगवान!!!! मैं मरीईईई, विजय, प्लीईईज़!!!! धीरे करो...... दर्द हो रहा है.....” सिमरन दर्द से छटपटा रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ गये थे।
“अब मेरा भी पूरा घुस चुका है, जय!” विजय बोला।
“ठीक है..... फिर मेरे धक्के से धक्का मिलाओ और साथ में इनकी गाँड मारो!” जय ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
दोनों ताल से ताल मिला कर उनकी गाँड मार रहे थे। कमरे से उनकी कराहने की आवाज़ आ रहा थी। माहोल एकदम गरम हो रहा था। हम सब को भी अपनी हालत पर काबू करना मुश्किल हो रहा था।
“आखिर में विजय ने सिमरन की गाँड मार ही दी!” राम बोला।
“हाँ और जय का लंड साक्षी की गाँड में घुसा हुआ है!!!” श्याम ने मंजू की चूचियों को भिंचते हुए कहा, “अब मैं तुम्हें चोदूँगा।”
“हाँ! अब हम उनकी बीवीयों को उनके सामने ही चोदेंगे”, राम ने अंजू को गोद में उठाते हुए कहा।
“आगो बढ़ो और मज़े करो”, प्रीती ने उन्हें बढ़ावा दिया। “और हाँ! तुम दोनों को एक दूसरे की बीवी को भी चोदना है”, प्रीती राम और श्याम से बोली।
“चलो हम लोग तमाशा देखते हैं”, मैं प्रीती से बोला।
“प्लीज़ राज! मेरे और अपने लिये एक-एक पैग बना दो ना!” प्रीती पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाते हुए बोली।
कमरे में घुसते ही राम ने कहा, “सिमरन ये मैं क्या देख रहा हूँ?”
“ओह गॉड! मेरे पति कि आवाज़ है! मुझे जाने दो”, सिमरन अपने आपको जय से छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
“चुप हो जाओ रानी, मैं तुम्हें तभी जाने दूँगा जब मेरा काम हो जायेगा”, जय ने हँसते हुए अपने लंड की रफ़्तार और तेज कर दी।
“राम मुझे जाने दो! नहीं.... मैं तुम्हें नहीं करने दूँगी!” अंजू ने विरोध करते हुए कहा, लेकिन ज़मीन पर कार्पेट पे लेट कर अपनी टाँगें फैला दी।
“अंजू तुम्हें क्या हुआ?” जय ने पूछा।
“आहहहह!!! राम ने अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया है और मुझे चोद रहा है”, अंजू ने जवाब दिया।
“चोदने दो! मैं भी तो उसकी बीवी की गाँड मार रहा हूँ”, जय ने हँसते हुए कहा।
“ओहहहहहहह नहीं!!! मुझे नंगा मत करो प्लीज़, नहीं.... तुमने तो अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया है”, मंजू सिसकी।
“अब तुम क्यों चिल्ला रही हो?” विजय ने पूछा।
“श्याम मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोद रहा है”, मंजू ने जवाब दिया।
“चढ़ा रहने दे, मैं भी तो उसकी बीवी पर चढ़ा हुआ हूँ, मजे लो!” विजय ने साक्षी की गाँड में धक्का मारते हुए कहा।
चारों जोड़े चुदाई में मस्त थे। दो बिस्तर पर और दो ज़मीन पर। ऐसा सामुहिक चुदाई का नज़ारा देखने लायक था। थोड़ी देर बाद सब थक कर चूर हो चुके थे। जय और विजय खड़े होने लगे।
“तुम कहाँ जा रहे हो? अभी मुझे और चुदाना है!” साक्षी ने विजय का हाथ पकड़ते हुए कहा।
“नहीं, मैं थक चुका हूँ! अब मुझसे नहीं होगा”, विजय ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“तुम्हें अब मैं चोदूँगा”, राम ने कहा।
“हाँ राम! तुम मुझे चोदो”, साक्षी बोली।
“चोदूँगा जरूर! लेकिन तुम्हें नहीं सिमरन को, तुम्हें श्याम चोदेगा”, राम ने कहा।
“हाँ राम! मुझे चोदो प्लीज़....!” फिर दोनों ने अपने-अपने पति के लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।
“अब चलो यहाँ से..... मुझसे सहा नहीं जा रहा है, देखो मेरी चूत कितनी गीली हो गयी है”, प्रीती मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरूम में ले आयी।
वहाँ वो चुदाई में मस्त थे और मैं अपनी प्रीती की जम कर चुदाई कर रहा था। उसके मुँह से सिसकरियाँ फूट रही थीं, “ओहहहहहह हाँ!!!! जोर से!!! ओहहहह तुम्हारे लंड की तो मैं दीवानी हो गयी हूँ!!!! कितने लौड़ों से चुदवा चुकी हूँ पर तुम्हारे लंड का जवाब नहीं।”
थोड़ी देर में हम झड़ कर अलग हुए ही थे कि चुदाई पार्टी हमारे कमरे में आ गयी।
“कैसे रहा तुम लोगों के साथ?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत अच्छा रहा! सिमरन और साक्षी की चूत और गाँड सही में लाजवाब हैं”, जय बोला।
“और तुम दोनों की चूत की खुजलाहट कैसी है?”
“पहले से ठीक है पर अब भी खुजला रही है”, सिमरन ने जवाब दिया।
“जाओ जा कर स्नान कर लो..... ठीक हो जायेगी”, प्रीती ने कहा, “सब लोग तैयार हो जाओ... फिर पिक्चर देखने चलते हैं।”
हम सब लोग तैयार होकर पिक्चर देखने गये और एक अच्छे रेस्तोरां में खाना खाया। घर पहुँचते हुए काफी देर हो चुकी थी। घर पहुँच कर हम सब ड्रिंक्स पीने बैठ गये। बाद में जब सब सोने की तैयारी करने लगे तो प्रीती बोली, “सिमरन और साक्षी तुम आज रात राज के साथ सोओगी, और राम और श्याम, अंजू और मंजू के साथ!” प्रीती ने कहा।
“तो हम लोग किसके साथ सोयेंगे?” जय ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“तुम दोनों आज मेरे साथ सोओगे”, प्रीती बोली। प्रीती की आँखों में वासना भरी थी और उसकी आवाज़ नशे में बहक रही थी।
बेडरूम में मैंने जब अपने कपड़े उतारे तो सिमरन सिसकी, “साक्षी! देख तो जीजाजी का लंड कितना लंबा और मोटा है!”
“हाँ यार! ये तो काफी मोटा और लंबा है, सुना है... मोटा लंड चुदाई में ज्यादा मज़ा देता है”, साक्षी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी, “पहले मैं चुदवाऊँगी।”
“नहीं पहले मैं चुदवाऊँगी, पहले मैंने देखा है”, सिमरन बोली। वो दोनों भी नशे में थीं। उन्होंने पहले कभी शराब पी नहीं थी और आज प्रीती के जोर देने पर दोनों ने एक-एक पैग पिया था और उसमें ही दोनों को अच्छा खासा नशा हो गया था।
“झगड़ा मत करो, पूरी रात पड़ी है”, मैंने दोनों को शाँत करते हुए कहा, “सिमरन बड़ी है इसलिये मैं पहले सिमरन को चोदूँगा।”
पूरी रात मैं दोनों को बारी-बारी से चोदता रहा।
सुबह जब मैं उठा तो दोनों लड़कियाँ गहरी नींद में सोयी पड़ी थी। बिना आवाज़ किये मैं कमरे से बाहर आ गया और देखा कि किचन में प्रीती नंगी ही चाय बना रही थी।
“रात कैसी गयी?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत शानदार, दोनों की चूत वाकय में बहुत टाइट है।”
“हाँ मैं जानती हूँ! उनकी शादी हुए ज्यादा अरसा नहीं हुआ है, और तुम्हारे मोटे लंड के लिये तो चुदी हुई चूत भी टाइट है”, प्रीती बोली।
“गुड मोर्निंग भाभी!” अंजू किचन में आते हुए बोली।
“आप दोनों नंगे क्यों हैं? क्या सुबह-सुबह चुदाई कर रहे थे?” मंजू ने हमें नंगा देख कर कहा।
“नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, हमने वैसे आज से फैसला किया है कि घर में सब नंगे ही घूमेंगे, कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा”, मैंने कहा।
“अगर ऐसी बात है तो ठीक है”, दोनों ने अपने-अपने गाऊन उतार दिये और नंगी हो गयी।
“हाँ... उम्मीद है कि बाकी भी सब मान जायें”, अंजू ने हँसते हुए कहा, “कितना अच्छा लगेगा जब सब मर्द अपना लंड हवा में उठाये घूमेंगे”, अंजू बोली।
“और हम चूज़ भी कर सकते हैं कि किससे चुदवाना है!” मंजू ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“भाभी! आपने हमारे पतियों के साथ क्या किया है जो अभी तक सो रहे हैं?” अंजू ने पूछा।
“कुछ ज्यादा नहीं किया..... सिर्फ़ उनके लंड से उनके पानी की एक-एक बूँद निचोड़ ली!” प्रीती खिलखिलाती हुई बोली, “अब वो आराम से सो रहे हैं।”
“आओ मंजू देखते हैं, उनका लंड कितना सूखा हुआ है”, अंजू उसे बेडरूम की ओर घसीटती हुई बोली।
आधे घंटे बाद वो दोनों लौटीं, “भाभी! उनके लंड में अभी थोड़ा पानी बचा था जो हमने चूस के निकाल दिया”, मंजू जोर से बोली और बाकी सब को उठाने चली गयी।
हम सब लोग नंगे ही नाश्ता कर रहे थे। “जय और विजय कहाँ हैं?” मैंने पूछा।
“हम यहाँ हैं भैया।” दोनों किचन में नंगे आते हुए बोले। फिर जय और विजय ने राम और श्याम की ओर घूरते हुए कहा, “तो वो तुम दोनों ही हो जिन्होंने हमारी बीवियों का कुँवारापन लूटा था।”
“हाँ लूटा था! तो क्या कर लोगे?” राम भी अकड़ कर बोला। मैं घबरा रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाये। मैंने अंजू और मंजू की ओर देखा।
“सॉरी भैया, भाभी! इन्होंने चालाकी से हमारे मुँह से उगलवा लिया”, मंजू बोली।
इतने में जय बोला, “करेंगे क्या!!! हमने भी तो तुम्हारी बीवियों की चूत और गाँड मारी है”, और हंसने लगा।
माहोल शाँत होते देख मेरी जान में जान आयी। अब तो घर में सब नंगे ही रहते और जो मन में आता उसे पकड़ कर चुदाई करने लगते। सारा दिन शराब और चुदाई चलती.... कौन किसे और कहाँ चोद रहा है कोई परहेज नहीं था। ऑफिस से लौटने के बाद मैं भी शामिल हो जाता था।
एक दिन ऑफिस से लौटा तो देखा कि अंजू के बेडरूम से आवाज़ें आ रही है। सभी लोग वहाँ थे सिवाय राम के।
“प्रीती! राम के साथ बेडरूम में कौन है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“तुम्हारी पहली कुँवारी चूत..... रजनी, आयी थी, टीना की बर्थडे पार्टी के बारे में बात करने, लेकिन इतने सारे खड़े लंड देख कर अपने आप को रोक नहीं सकी और पिछले चार घंटे से सबसे बारी-बारी से चुदवा रही है।” प्रीती ने जवाब दिया। थोड़ी देर बाद राम और रजनी बेडरूम से बाहर आये। “प्रीती! अब मैं चलती हूँ, कल मम्मी के साथ आऊँगी, फिर हम सब फायनल कर लेंगे”, रजनी ने कहा।
“मेरी जान! तुम ऐसे कैसे जा सकती हो? राज अभी तो आया है और तुमने उससे चुदवाया भी नहीं है”, प्रीती हँसते हुए बोली।
“सॉरी राज... आज नहीं! आज मेरी चूत और गाँड इतनी सुजी हुई है कि अब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी, फिर कभी!” ये कहकर वो चली गयी।
सभी लोग रजनी और टीना के बारे में जानना चाहते थे। प्रीती ने पूरी डीटेल में सब कुछ उन्हें बता दिया। दो दिन के बाद योगिता और रजनी आयीं। चार नौजवान और खड़े लंडों को देख कर योगिता के मन में चुदवाने की इच्छा जाग उठी।
“मम्मी! जो काम की बात हम करने आये हैं..... पहले वो पूरा कर लेते हैं, बाद में हम दोनों मिलकर इन सबके लंड का पानी निचोड़ लेंगे”, रजनी ने कहा।
मैंने उन दोनों के लिये ड्रिंक्स बनाये और फिर हमने तय किया कि टीना का जन्मदिन कैसे मनाया जाये। तय ये हुआ कि हम लोग एक पार्टी रखेंगे और योगिता की जवाबदारी होगी कि वो टीना और उसके माता-पिता को पार्टी में लेकर आये।
“अगर एम-डी रीना को भी साथ ले आया तो?” मैंने पूछा।
“तुम उसकी चिंता मत करो, रीना नहीं आयेगी! कारण ये कि आज शाम को वो अपनी मौसी से मिलने जा रही है और टीना के जन्मदिन के बाद ही लौटेगी”, प्रीती ने कहा।
“प्रीती! मुझे लगता है कि तुम्हें खुद राजू और मिली को पार्टी में इनवाइट करना चाहिये”, योगिता बोली।
“ठीक है! मैं ही फोन किये देती हूँ!” प्रीती ने फोन उठा कर एम-डी का नंबर मिलाया।
“एम-डी बोल रहा हूँ”, दूसरी तरफ से आवाज़ सुनाई दी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“सर, मैं प्रीती बोल रही हूँ, मैं आपको और मिली को शनिवार की शाम पाँच बजे मेरे घर पर कॉकटेल पार्टी की दावत देने के लिये फोन किया है।”
“शनिवार को हम नहीं आ सकते, उस दिन टीना का जन्मदिन है और मैंने उसे प्रॉमिस किया है कि उसे किसी स्पेशल जगह लेकर जाऊँगा”, एम-डी ने कहा।
“सर! ये तो ठीक नहीं होगा! मेरी दोनों ननदें यहाँ आयी हुई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं”, प्रीती ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा।
“ये तो बहुत अच्छी बात है, मैं भी एक बार फिर उन्हें चोदना चाहता हूँ, लेकिन तुम ये कैसे कर पाआगी?” एम-डी ने कहा।
“सर! उस दिन की पार्टी को आप टीना की बर्थडे पार्टी समझ लिजिये। इससे एक पंथ दो काज़ पूरे हो जायेंगे”, प्रीती ने सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए कहा।
“हाँ! ये ठीक रहेगा। हम लोग शनिवार की शाम ठीक पाँच बजे पहुँच जायेंगे”, एम-डी दूसरी तरफ से बोला।
“तो ठीक है सर! मैं शनिवार को आपका इंतज़ार करूँगी, और हाँ सर टीना और रीना को लाना मत भूलना”, कहकर प्रीती ने फोन रख दिया
“प्रीती! तुम तो कमाल की चीज़ हो, अब अंकल जरूर आयेंगे”, रजनी ने कहा।
“अब काम खत्म हो गया है, चलो अब मस्ती की जाये”, योगिता अपना ब्लाऊज़ उतारते हुए बोली।
“हाँ मम्मी, चलो चुदाई की जाये!” रजनी बोली। दोनों माँ बेटियाँ शराब के नशे में चूर थीं और उनकी आँखों में वासना लहरा रही थी।
“चलो लड़कों इनकी कपड़े उतारने में मदद करो, और इन्हें कमरे में ले जाकर इनकी सामुहिक चुदाई करो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा, “ऐसा कम बार होता है कि माँ बेटी साथ में चुदाई करवा रही हों।”
चारों ने मिलकर उनके कपड़े उतारे और दोनों नंगी माँ-बेटी सिर्फ हा‌ई-हील के सैंडल पहने नशे में झूमति हु‌ईं उन चारों के सहारे बेडरूम में चली गयीं। ।
“क्या सोच रहे हो भैया?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“शनिवर का दिन और टीना की कुँवारी चूत के बारे में ही सोच रहा होगा और क्या सोचेगा”, प्रीती ने अपना ग्लास हवा में झुलाते हुए कहा। वो भी नशे में धुत्त थी।
“तुम हमेशा की तरह सही कह रही हो प्रीती”, मैंने कहा और सिमरन और साक्षी को बाँहों में भर लिया। “आओ तुम दोनों मुझे शनिवार की थोड़ी सी प्रैक्टिस करा दो।”
सिमरन और साक्षी को चोदने के बाद मैं शनिवार का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा। ऐसा लग रहा था कि समय जैसे थम सा गया हो। जैसे तैसे शनिवार का इंतज़ार खत्म हुआ।
शनिवार की सुबह मैं सोकर उठा तो देखता हूँ कि हॉल का सारा फर्निचर फिर से सजाया हुआ था और बीच में एक बेड बिछा दिया गया था। चारों लड़के नंगे उस पर ताश खेल रहे थे।
“प्रीती कहाँ है?” मैंने उनसे पूछा।
“वो किचन में शाम के लिये नश्त बाना रही है”, राम ने जवाब दिया।
मैं किचन में पहुँचा तो देखा कि वो पाँचों भी सिर्फ सैंडल पहने नंगी ही काम कर रही हैं। “क्या हो रहा है?” मैंने पूछा।
“तुम्हारी स्पेशल दवाई से नाश्ता बना रही हूँ, याद है ना आज तुम्हें टीना की कुँवारी चूत फाड़नी है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“वो तो मुझे याद है, पर हॉल के बीच में ये बेड क्यों बिछाया हुआ है, क्या शाम को कोई शो होने वाला है?” मैंने पूछा।
“हाँ! शो ही तो होने वाला है, हम सब तुम्हें टीना की चूत फाड़ते हुए देखना चाहते हैं, तुम्हें अकेले ही मज़ा नहीं लेने देंगे”, प्रीती ने कहा।
“हाँ! हम सब भी देखना चाहते हैं”, सभी ने मिलकर कहा।
“तो तुम सब मुझे टीना की चूत फाड़ते देखना चाहते हो?” मैंने कहा।
“तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?” प्रीती ने पूछा।
“मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है, पर टीना को शरम आयी और वो ना मानी तो?” मैंने कहा।
“टीना अगर नहीं मानी तो उस समय सोचेंगे, अब तुम जा कर तैयार हो जाओ। रजनी टीना को लेकर आती ही होगी”, प्रीती बोली। मैं नहा धोकर तैयार हो बाहर आया कि दरवाजे पर घंटी बजी। प्रीती ने अपना हाऊज़ कोट पहन कर दरवाजा खोल दिया।
दरवाजे पर रजनी और टीना थी। “थैंक गॉड! तुम लोग आ गये, आओ अंदर आओ...... मैं तो समझी कि कहीं एम-डी को भनक तो नहीं लग गयी”, प्रीती ने रजनी से कहा।
प्रीती उन्हें लेकर हॉल में आयी। टीना बहुत ही सुंदर लग रही थी, उसका चेहरा गुलाब की तरह खिला हुआ था और उसके गुलाबी होंठ...... जी कर रहा था कि अभी आगे बढ़ कर उन्हें चूम लूँ।
टीना ने जब सबको नंगा देखा तो शरमा गयी और अपनी गर्दन झुका कर बोली, “रजनी दीदी! ये सब नंगे क्यों हैं? “
“ये नंगे नहीं हैं, आज ये सब जनब अवस्था में तुम्हारा जन्मदिन स्पेशल तरीके से मनायेंगे”, प्रीती बोली, “आओ आज मैं तुम्हें अपने हाथों से तैयार करती हूँ”, कहकर प्रीती टीना को बेडरूम में ले गयी।
“प्रीती इसकी चूत के बाल साफ करना मत भूलना”, रजनी ने कहा।
“मुझे याद है! नहीं भूलूँगी!” प्रीती बेडरूम में जाते हुए बोली।
“इतनी देर कहाँ लगा दी?” मैंने रजनी से पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“शुक्र करो कि हम लोग पहुँच गये, वर्ना अंकल ने तो सब प्लैन चौपट कर दिया था”, रजनी अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
“अच्छा!!! ऐसा क्या हुआ?” मैंने पूछा।
“क्या तुम अपने कपड़े नहीं उतारोगे?” रजनी बोली।
“मैं बाद में उतार दूँगा, मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पहले तुम बताओ क्या हुआ?” मैंने फिर पूछा।
हाई पेन्सिल हील के सैंडलों के अलावा अपने सब कपड़े उतार कर रजनी नंगी हो गयी और उसने बताया:
मैं और टीना तैयार हो कर अंकल के कमरे में पहुँचे और उनसे जाने की इजाज़त मांगी तो वो बोले कि “ऐसी भी क्या जल्दी है, तुम लोग रुको और हमारे साथ ही चलना।”
मुझे काटो तो खून नहीं फिर भी मैं हिम्मत कर के बोली कि “लेकिन अंकल क्यों, हम दोनों जाने के लिये तैयार हैं और आपको अभी कम से कम आधा घंटा लगेगा। हमें जाने दीजिये ना।”
इतने में मिली आँटी हमारे बचाव में आ गयी और बोली कि “जब बच्चे तैयार हैं तो तुम क्यों उन्हें रोक रहे हो, रजनी सही कह रही है हमें अभी आधा घंटा लगेगा, इनके जल्दी जाने में बुराई क्या है?”
अंकल ने कहा कि “तुम राज को नहीं जानती, वो मौका मिलते ही टीना की कुँवारी चूत चोद देगा।”
टीना बोली कि “पापा.... ऐसे कैसे चोद देगा, मैं क्या बच्ची हूँ कि जिसका मन जब चाहा मुझे चोद देगा।”
अंकल ने कहा कि “मुझे यही तो डर है कि तुम अब बड़ी हो गयी हो।”
मेरी मम्मी बोली कि “तुम बेकार ही राज पर शक कर रहे हो..... जब उसका घर उसके मेहमानों से भरा पड़ा है तो वो टीना की चूत कैसे फाड़ेगा? फिर तुम भी तो वहाँ जा ही रहे हो।”
अंकल बोले कि “ठीक है! जाओ बच्चों इंजॉय करो और राज से कहना कि हम ठीक पाँच बजे पहुँच जायेंगे।”
मैंने रास्ते में टीना से पूछा कि “क्या तुम अपनी चूत चुदवाने के लिये तैयार हो”, तो उसने हाँ में जवाब दिया।
रजनी की बात सही थी। प्रीती और टीना ने हॉल में कदम रखा। दोनों ने सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहन रखे थे, बाकी बिल्कुल ही नंगी थीं। टीना ने अपने हाथों से अपनी सफ़ाचट चूत छुपा रखी थी।
“अपनी गोरी और प्यारी चूत को मत छुपाओ टीना, इन सबको तुम्हारी चूत देखने दो”, रजनी बोली।
उसकी गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड में तनाव आ गया। जैसे ही मैं अपने कपड़े उतार कर नंगा हुआ, मेरा लंड तन कर आसमान की तरफ खड़ा हो गया। मेरे लंड का सुपाड़ा एक नयी चूत की तमन्ना में और ज्यादा फूल कर लाल हो गया।
“वाओ!!!! क्या लंड है”, अंजू बोली।
“ये क्या बुरा है?” जय ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा।
“बुरा तो नहीं है पर छोटा है”, कहकर अंजू ने जय के लौड़े को चूम लिया।
प्रीती टीना को ले कर मेरे पास आयी और उसे मेरी और ढकेल कर बोली, “लो अब.... आज की बर्थडे गर्ल को संभालो और इसका अच्छी तरह से जन्मदिन मनाओ।”
मैं टीना को अपनी बाँहों में भर कर चूमने लगा। मेरे हाथ उसकी चूचियों को भींच रहे थे। मैंने उसे धीरे से गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके बगल में लेट गया। अब मैं उसके होंठों को चूस रहा था और हाथों से उसके मम्मे सहला रहा था।
कुछ देर तक तो टीना ने साथ नहीं दिया। फिर वो भी साथ देने लगी और वो भी मेरे होंठों का रसपान कर रही थी। वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरी जीभ से खेलने लगी।
पाँच मिनट बाद मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। उसने अपनी टाँगें इकट्ठी की हुई थी। मैं जोर-जोर से उसके होंठों को चूसते हुए अपना लंड और जोर से रगड़ने लगा। “आआआआआहहहहहहह” कहकर उसने अपनी टाँगें थोड़ी खोल दी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“राज अब प्लीज़!!!! मुझे इस तरह तरसाओ नहीं, मेरी चूत में अब लंड डाल दो ना..... मुझसे नहीं रहा जाता”, कहकर उसने अपनी टाँगें पूरी फैला दीं।
“थोड़ा सब्र करो मेरी जान!!! अभी घुसाता हूँ”, कहकर मैंने चारों तरफ देखा। प्रीती और रजनी हमें देख रही थी और बाकी सब एक दूसरे के शरीर को सहला रहे थे। इतने में दरवाजे की घंटी बजी।
“सब लोग ध्यान दो! अब चूत फटने की घड़ी आ गयी है”, प्रीती बोली और अपना हाऊज़-कोट पहनते हुए दरवाजा खोलने गयी।
मैं देख तो नहीं सकता था पर मुझे सुनाई दिया, “आइये सर, योगिता, मिली जी..... आप सब का हमारे घर में स्वागत है”, प्रीती ने उनका अभिवादन किया।
मैंने अपने लंड को टीना की चूत के छेद पर रख कहा, “थोड़ा सहन कर लेना डार्लिंग! शुरू में थोड़ा दर्द होगा।” उसने हिम्मत दिखते हुए सहमती में ‘हाँ’ कहा।
मैंने अपने लंड का जोर का धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया।
“आआआआआआआआआईईईईईई मर गयीईईई बहुत दर्द हो रहा है.....” टीना दर्द के मारे चींखी। मैंने अपना लंड धीरे- धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया।
“क्या बहुत दर्द हो रहा है?” मैंने उसकी चूचियों को सहलाते हुए कहा।
“हाँ थोड़ा हो रहा है पर तुम रुको मत और मुझे चोदते जाओ”, उसने अपने कुल्हे उठाते हुए कहा।
“ये कौन चींख रहा है?” एम-डी ने पूछा।
“मुझे तो टीना की आवाज़ लग रही है”, मिली बोली।
“हाँ वो टीना की आवाज़ ही है, मुझे लगता है कि राज ने टीना को उसके जन्मदिन का तोहफ़ा दे दिया है”, योगिता हँसते हुए बोली।
“ओह गॉड! राज ने मेरी टीना की चूत फाड़ दी!!!” कहते हुए एम-डी हॉल की ओर लपका। पीछे तीनों औरतें भी आयी।
मैं टीना की चूत में धीरे-धीरे धक्के मार रहा था और वो कमर उचका कर मेरा साथ दे रही थी।
“राज रुक जाओ!!! ये मेरी बेटी है!!!” एम-डी जोर से चिल्लाया।
“राज! ये तुम क्या कर रहे हो?” मिली ने बेवजह पूछा।
“मिली! क्या तुम अंधी हो गयी हो? देख नहीं सकती कि राज टीना की चुदाई कर रहा है”, योगिता जोर से हँसते हुए बोली।
“योगिता, जिस तरह से तुम हँस कर बोल रही हो उससे तो यही लगता है कि तुम पहले से जानती थी कि क्या होने वाला है?” एम-डी गुस्से में बोला।
“हाँ! मैं जानती ही नहीं थी बल्कि ये सब मैंने ही प्लैन किया था।”
“तुमने ऐसा क्यों किया योगिता, मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?” एम-डी बोला।
“अपनी बे-इज्जती का तुमसे बदला लेने लिये”, योगिता बोली।
“तुम्हारी बे-इज्जती? मैंने कब तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार किया?”
“मुझे कब बे-इज्जत किया? भूल गये वो होटल शेराटन की शाम.... जब तुमने मेरी चूत को अपने बाप की जायदाद समझ कर राज को पेश की थी। मुझसे पहले पूछा भी नहीं और जब मैंने मना किया तो तुमने मुझे रजनी की चूत फाड़ देने की धमकी दी जबकि तुम उसको कुछ दिन पहले ही चोद चुके थे....” योगिता ने नफ़रत भरे शब्दों में कहा।
“क्या?? तुमने अपनी बेटी समान भतीजी को चोदा? मैंने तुमसे ज्यादा बेशर्म इंसान नहीं देखा!” मिली उसे घूरती हुई बोली।
“मिली डार्लिंग! इन लोगों ने मेरे साथ छल किया था, मुझे नहीं मालूम था कि वो रजनी है”, एम-डी ने धीरे से कहा।
“अब तुम कुछ भी कहो..... तुम इतने गिरे हुए इंसान हो कि कल अपनी बेटियों को भी चोदना चाहोगे!” मिली पलटते हुए नफ़रत से बोली।
“मेरा विश्वास करो मिली, ये सब प्रीती और राज की चाल थी।”
“ये सही है कि इसे पता नहीं था कि वो रजनी है पर इसे मेरे साथ ऐसा करने का क्या हक है? ” योगिता बोली।
“क्या तुम्हें राज के लंड से मज़ा नहीं आया?” एम-डी ऊँची आवाज़ में बोला।
“मज़ा आया तो क्या, सवाल हक का है”, योगिता भी ऊँचे स्वर में बोली।
इससे पहले कि बात झगड़े का रूप ले लेती, प्रीती बीच में बोली, “तुम लोग सब चुप हो जाओ..... प्लीज़ सब शाँत हो जायें।”
जब सब शाँत हो गये तो उसने पूछा, “क्या आप लोगों ने सुना टीना ने क्या कहा?” उन्होंने ना में गर्दन हिलायी।
“टीना! तुमने क्या कहा था.... जरा दोबारा तो कहना!” प्रीती ने टीना से कहा।
“ओह राज! तुम रुक क्यों गये, कितना अच्छा लग रहा था, और चोदो ना.....” टीना ने सिसकते हुए कहा।
“सॉरी मेरी जान! मैं थोड़ा भटक गया था”, कहकर मैं अपना लंड फिर अंदर बाहर करने लगा।
“जो होना था सो हो गया..... अब झगड़ने से कोई फ़ायदा नहीं है। टीना की चूत फट चुकी है और वो मज़े से चुदवा रही है। उसे मज़ा लेने दो और आप लोग भी मज़ा लो”, प्रीती ने कहा, “लड़कियों! यहाँ आओ।” जब लड़कियाँ नज़दीक आयीं तो उसने उनका एम-डी से परिचय कराया, “सर! ये सिमरन और साक्षी हैं, अंजू और मंजू से तो आप मिल ही चुके हैं।”
टीना और झगड़े को भूल कर एम-डी ने उनकी चूचियाँ दबाते हुए कहा, “काफी सुंदर और मस्त हैं।”
“ऊऊऊऊहहहह!” वे सिसकी।
“तो मेरी तितलियों..... बताओ तुम्हारी चूत कैसी है?” एम-डी ने उनकी चूत को रगड़ते हुए पूछा।
“भट्टी की तरह गरम!” सिमरन ने अपना पैग पीते हुए कहा।
“और आपके लंड की प्यासी......” साक्षी ने एम-डी के लंड को दबाते हुए कहा। बाकियों की तरह दोनों पर शराब का नशा सवार था।
“तो तुम दोनों में पहले कौन चुदवाना चाहेगा?” एम-डी ने पूछा।
“पहले मैं चुदवाऊँगी”, साक्षी एम-डी को पकड़ बोली।
“नहीं मैं बड़ी हूँ...... पहले मैं!” सिमरन बोली।
“अच्छा झगड़ा मत करो, बेडरूम में चल कर तय करेंगे कि कौन पहले चुदवायेगा”, कहते हुए एम-डी उन्हें ले कर बेडरूम में चला गया। नंगी अंजू और मंजू भी ऊँची ऐड़ी की सैंडल खटखटाती और नशे में झूमती उनके पीछे-पीछे चली गयीं।
“योगिता और मिली! ये चार तने-खड़े लंड तुम लोगों के लिये हैं, चाहे जैसे चुदवा सकती हो”, प्रीती ने चारों लड़कों की ओर इशारा करके कहा।
उनके खड़े लंड को देख कर मिली ये भूल चुकी थी कि उसकी बेटी की चूत अभी-अभी चुदी है और वो मज़े से चुदवा रही है। मैंने देखा कि योगिता और मिली ने मिल कर इतनी सी देर में व्हिस्की की एक पूरी बोतल पी ली थी और बाकी औरतों की तरह अपने हाई हील के सैंडलों के अलावा सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थीं।।
जय और श्याम के लंड पकड़ कर मिली बोली, “काफी मोटे और लंबे हैं, योगिता तुम बाकी दो को लेकर बेडरूम में आ जाओ हम दोनों मिलकर इनका सारा रस निचोड़ लेंगे।” मिली की आवाज़ नशे में बहक रही थी।
“ये चार लंड हैं, तुम दोनों भी हमारा साथ क्यों नहीं देती?” योगिता ने प्रीती और रजनी से कहा।
“नहीं हम लोग यहीं ठीक हैं.... राज टीना को चोदने के बाद हमारा खयाल रखेगा”, प्रीती ने कहा।
योगिता राम और विजय को लंड से पकड़ कर नशे में लड़खड़ाती हुई मिली के पीछे बेडरूम में चली गयी।
ये सब तो चल ही रहा था और मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
“ओहहहह राज हाँआंआं आऔर जोर से, चोदो मुझे.....” टीना सिसकी।
मैं और तेजी से धक्के मारने लगा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“हाँआआआआ ऐसे ही....ईईई....... कितना अच्छा लग रहा है!!!!” टीना मेरे धक्कों का साथ देते हुए बोली।
मैं उसे चोदते हुए उसके मम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को चूस रहा था। “ओहहहहहहह राज हाँ!!!!! ऐसे ही!!!!! ओहहहहह मेरा छूटने वाला है..... ओहहहह छूटा...आआआआ।” और इतने में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मुझे लगा जैसे किसी नदी पर बांध को खोल दिया हो।
मैंने अपने स्पीड और तेज कर दी। “ओहहह टीना तुम्हारी चूत कितनी प्यारी है... रानी!!!” कहते हुए मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में उढ़ेल दिया और उसे कस कर बाँहों में जकड़ लिया। मेरे लंड की पिचकारी ठीक उसकी बच्चे-दानी पर गिर रही थी। मैंने उसे चोदना चालू रखा।
“टीना! जब तुम्हारी चूत से पहली बार पानी छूटा तो तुम्हें कैसा लगा?” रजनी ने पूछा।
“दीदी! बहुत अच्छा लगा, ऐसा लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ....” टीना मेरे धक्कों का साथ देते हुए बोली।
“लगता है मेरा फिर छूटने वाला है”, कहते हुए टीना ने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पे जकड़ दीं। उसके सैंडलों की ऐड़ियाँ मेरी कमर पे खरोंच रही थीं। मुझे भी अपने लंड में तनाव सा महसूस हुआ। वो मुझे बाँहों में जकड़ कर जोर-जोर से चिल्ला रही थी, “हाँ हाँ राज!!!! और तेजी से धक्के मारो.....हाँ और जोर से!!!!” और उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया। मेरा भी पानी छूट गया और हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में जकड़े अपनी साँसें संभालने लगे।
“ओह राज!!!! अब मुझे चोदो”, प्रीती बिस्तर पर धड़ाम से गिरते हुए बोली, “रजनी !अंदर से किसी लड़के को बुलाओ जो टीना की चूत को चोद सके।” प्रीती और रजनी भी नशे में धुत्त थीं।
जैसे ही मैंने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसाया तो मैंने देखा कि जय टीना पर चढ़ कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा रहा है।
“क्या ये भी मुझे चोदेगा?” टीना ने फूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“ये ही नहीं बाकी सब भी तुम्हें चोदेंगे!” प्रीती बोली।
प्रीती को चोदने के बाद मैंने रजनी को भी चोदा। इतने में मैंने प्रीती को कहते सुना, “राम! तुम ये क्या कर रहो हो।“
“टीना की गाँड मारने की तैयारी कर रहा हूँ”, राम ने जवाब दिया।
“नहीं! टीना की गाँड मारने का पहला हक सिर्फ़ राज का है, तुम इसकी चूत चोदो जैसे औरों ने चोदा है....” प्रीती ने नशे में लड़खड़ाते से स्वर में जवाब दिया।
मेरे कहने पर राम ने टीना की चूत की चुदाई शुरू कर दी।
मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि एम-डी सिमरन की चुदाई कर रहा था और दूसरे कमरे में श्याम और विजय योगिता और मिली को चोद रहे थे। अंजू और मंजू भी एक दूसरे की चूत चाट रही थीं और कामुक्ता से कराह रही थीं। उन सबकी सिसकरियाँ और मादक चींखें बता रही थी कि उन्हें बहुत मज़ा आ रहा है।
“राज! क्या तुम टीना की गाँड मारने को तैयार हो?” प्रीती ने पूछा।
“एक दम डार्लिंग!” मैंने अपने खड़ा लंड दिखाते हुए कहा।
“तो फिर किसका इंतज़ार कर रहे हो? शुरू हो जाओ!” रजनी बोली।
मैं टीना के पास आकर उससे बोला, “चलो टीना! अब घोड़ी बन जाओ..... मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा।”
“नहीं राज! गाँड में नहीं!!!” टीना ने याचना भरे स्वर में कहते हुए प्रीती और रजनी की ओर देखा।
“गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी!!!!” प्रीती बोली। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“नहीं दीदी! मैं मर जाऊँगी, राज का लंड कितना बड़ा और मोटा है”, टीना बोली।
“क्या मैं और प्रीती मर गये जो तू मर जायेगी, अब जैसा राज बोलता है वैसा कर”, रजनी बोली।
टीना घोड़ी बन गयी और मैंने थोड़ा थूक लेकर उसकी गाँड के भूरे छेद पर रगड़ दिया। अपने लंड को छेद पर रख कर थोड़ा जोर लगाया कि वो जोर से चिल्लायी, “ओहहहहह मर गयीईईई..... राज मेरी गाँड को बख्श दो!!!!”
“छोड़ो मुझे!!! उठो मेरे ऊपर से...... मुझे राज को टीना की गाँड मारने से रोकना है”, एम-डी की चिल्लाने की आवाज़ आयी।
“मारने दो उसकी गाँड!!!! इधर मेरा छूटने वाला है”, सिमरन ने एम-डी को पकड़ते हुए कहा।
एम-डी सिमरन को जबरदस्ती अलग करते हुए हॉल में दाखिल हुआ। उसके पीछे चारों लड़कियाँ भी नशे में झुमती हुई आयी। “रुक जाओ राज!!! टीना की गाँड मत मारना, मैं कहता हूँ रुक जाओ?” एम-डी जोर से चिल्लाया।
उसकी चिल्लाहट पर ध्यान ना देते हुए मैंने पूरे जोर से अपना लंड टीना की गाँड में घुसा दिया। जैसे ही लंड उसकी गाँड को चीरता हुआ अंदर तक गया तो टीना दर्द से छटपटाने और जोर से चिल्लाने लगी, “मर गयीईई, राज निकाल लो!!!! बहुत दर्द हो रहा है.... ऊऊऊऊईईईई माँआआआआ!”
एम-डी ने जब देखा कि मैं उसकी बातों पे ध्यान नहीं दे रहा तो वो दूसरे में कमरे में भागा, “मिली तू यहाँ चुदवा रही है और दूसरे कमरे में राज हमारी बेटी की गाँड मार रहा है।”
“किसे परवाह है..... मारने दो उसे उसकी गाँड, मुझे चुदवाने में मज़ा आ रहा है”, वो अपने कुल्हे उठा कर चुदवाते हुए बोली, “हाँ ऐसे ही.... और जोर से।” साफ ज़ाहिर था कि मिली को शराब और चुदाई के नशे में अपनी मस्ती के अलावा किसी भी बात की परवाह नहीं थी।
“राजू अब कुछ नहीं हो सकता, राज का लंड उसकी गाँड को फाड़ चुका है। जाओ और जा कर चूत के मज़े लो... अगर तुम में ताकत बची हो तो....” योगिता जोर से हँसते हुए बोली।
“टीना की गाँड भी इसे चार चूतों को चोदने से नहीं रोक सकती..... जब तक कि इसमें ताकत ना रहे और ताकत के लिये ये अपनी दूसरी बेटी की चूत को भी चुदवा सकता है”, मिली जोर से बोली, “क्यों ठीक बोल रही हूँ ना डार्लिंग! जाओ और अब चुदाई के मज़े लो और हमें भी मज़े लेने दो...।”
एम-डी बिना एक शब्द कहे कमरे से बाहर आ गया और लड़कियाँ उसे लेकर वापस बेडरूम में घुस गयीं। जब मैं टीना की गाँड मार कर अलग हुआ तो रजनी ने उससे पूछा, “टीना! क्या गाँड मरवाने में मज़ा आया?”
“दीदी! शुरू में दर्द हुआ था लेकिन बाद में मज़ा आया”, टीना बोली।
“चलो लड़कों! अब तुम सब टीना की गाँड मार सकते हो”, प्रीती ने आवाज़ लगायी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
सभी ने फिर बारी-बारी से टीना की गाँड मारी। हम सब आराम कर रहे थे कि एम-डी की आवाज़ सुनाई दी, “बस लड़कियों! अब मेरे लंड में और ताकत नहीं है, मैं घर जाऊँगा।” एम-डी कपड़े पहन बाहर आया और मिली के पास पहुँचा।
“मिली! चलो घर चलो।”
“तुम्हें जाना है तो जाओ मेरा अभी हुआ नहीं है।” मिली अपने कुल्हे उछालती हुई बोली, “हाँआआआ राम और जोर से चोदो..... ओहहहह आआआहहह।”
“मैंने कहा ना कि चलो यहाँ से!!!! राम छोड़ो उसे, हमें घर जाना है”, एम-डी ने थोड़ा गुस्से में कहा।
राम ने उसकी बातों पे ध्यान दिये बिना दो चार धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
“योगिता! तुम भी हमारे साथ क्यों नहीं चलती? राजू के लंड में तो जान नहीं है.... शायद हम दोनों मिलकर कुछ कर सकें”, मिली लड़खड़ाते स्वर में बोली।
“ठीक है! चलती हूँ पर पहले मुझे खलास तो होने दो...” योगिता बोली, “हाँ श्याम चोदो मुझे जोर से..... और जोर से...... मेरा छूटने वाला है।”
श्याम भी छूटने के करीब था और दो चार धक्कों के बाद वो उसके बदन पर निढाल पड़ गया। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“साथ में मिलकर कुछ करेंगे???” टीना ने पूछा।
“थोड़े दिनों में तुम सब जान जाओगी”, रजनी ने कहा।
थोड़ी देर बाद में योगिता और मिली ने नशे में झूमते हुए जैसे-तैसे अपने कपड़े पहने और एम-डी के साथ जाने के लिये तैयार हो गयीं। “टीना! कपड़े पहनो और हमारे साथ चलो”, एम-डी कड़क कर टीना से बोला।
टीना सोच में पड़ गयी और चारों तरफ देखाने लगी पर उसकी मदद में कोई कुछ नहीं बोला। वो ही हिम्मत करके बोली, “पापा! आप लोगों को जाना है तो जाओ.... मुझे यहाँ अच्छा लग रहा है।” उसकी बातों को सुन हम सब ने ताली बजा कर स्वागत किया।
“राजू!!! टीना इक्कीस की हो गयी है और वो जो चाहे कर सकती है, और वैसे भी राज उसकी गाँड और चूत दोनों फाड़ ही चुका है। वो और चुदवाना चाहती है तो उसे रहने दो”, मिली एम-डी को घसीटती हुई बाहर ले गयी।
एम-डी के जाने के बाद प्रीती ने देखा कि लड़कों का लंड फिर खड़ा हो चुका है। “लड़कों लगता है कि तुम लोगों की भूख अभी शाँत नहीं हुई है, शायद और चुदाई करना चाहते हो? तुम लड़कियों को अपने साथ कमरे में ले जाओ और चाहे जैसी चुदाई करो..... लेकिन ये ध्यान रखना कि लेट काफी हो चुका है और हमें खाना भी खाना है”, प्रीती ने कहा।
उनके जाने के बाद प्रीती ने टीना से कहा, “टीना! अब तुम्हारा अगला सबक… चुदाई के मज़े कैसे लिये जाते हैं..... रजनी! क्या तुम पहले अपनी चूत चूसवाना चाहोगी?”
“नहीं प्रीती! तुम्हारा हक पहले बनता है.... मैं बाद में चूसवा लूँगी”, रजनी ने अपने लिये नया पैग बनाते हुए जवाब दिया।
“ठीक है! अगर तुम यही चाहती हो तो! प्रीती बिस्तर पर थोड़ा आराम से लेट गयी और अपनी दोनों टाँगें एक दम फैला दी, टीना! अब तुम मेरी चूत तब तक चूसो और चाटो जब तक कि ये पानी ना छोड़ दे और एक-एक बूँद इसकी पी जाना।”
टीना शर्मा भी रही थी और झिझक भी रही थी कि कैसे करूँ। “अरे चलो चूसो! शरमाओ मत, तुम जानना चाहती थी ना कि तुम्हारी माँ और आँटी साथ-साथ क्या करेंगे, अब आया समझ में?”
टीना झिझकते हुए अपनी ज़ुबान प्रीती की चूत पर घुमा कर उसे चाटने लगी, “हाँ! सही जा रही हो, आधे मन से मत करो, दिल लगा कर चाटो और चूसो..... तुम्हें खूब मज़ा आयेगा”, प्रीती ने उसके सिर पर हाथ रख कर उसे अपनी चूत पर और दबा दिया।
टीना अब थोड़ा और अच्छी तरह चाटने लगी। “क्या अब मैं ठीक कर रही हूँ दीदी?”
“हाँ! अब सही कर रही हो। अब ऐसा करो अपनी अंगुलियों से प्रीती की चूत को फ़ैलाओ और अपनी जीभ से इसे अंदर से चाटो”, रजनी ने उसे सिखाया।
रजनी ने जैसा कहा, टीना वैसा ही करने लगी। “हाँ! अब अच्छा लग रहा है, तुम सही कर रही हो टीना”, प्रीती सिसकी। प्रीती के एक हाथ में सिगरेट थी और टीना से चूत चुसवाते हुए बीच-बीच में कश ले रही थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“टीना! क्या तुम्हें चूत के अंदर चूत का दाना दिख रहा है?” रजनी ने पूछा। टीना ने हाँ में गर्दन हिला दी।
“तो उस पर अपनी जीभ घुमाओ और जैसे अँगुली से अपनी चूत को चोदती हो वैसे ही अपनी जीभ से अब प्रीती की चूत को चोदो”, रजनी ने अपने पैग में से सिप लेते हुए कहा।
टीना अब अपनी जीभ जोर-जोर से प्रीती कि चूत में अंदर बाहर करने लगी। “ओहहहहह टीना...आआआ मज़ा आ रहा है!!!!! तुम्हारी जीभ का जवाब नहीं”, प्रीती अब मस्त हो कर बोल रही थी।
“हाँ! अब इसकी चूत की पंखुड़ी को अपने दाँतों से काटो, पर जोर से नहीं?” रजनी ने आगे सिखाया।
जैसे-जैसे रजनी सिखाती गयी वैसे-वैसे टीना करती गयी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“हाँ आआआआआ.... जोर से अपनी जीभ डालो, ओहहहहह आआआआहहहह हाँआआआ मेरा छूटने वाला है”, प्रीती जोर से चींखी।
“टीना बहुत अच्छे! अब प्रीती की चूत का सारा पानी पी जाओ?” रजनी ने अपना पैग खत्म करते हुए कहा।
“टीना! तुम कमाल की हो”, कहकर प्रीती ने उसे बाँहों में भर लिया और चूमने लगी।
“अब किसकी बारी है?” टीना ने अपनी जीभ बाहर निकालते हुए कहा।
“आओ रजनी! अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ!” प्रीती ने रजनी के लिये जगह बनाते हुए कहा।
कुछ देर बाद जब टीना, रजनी और बाकी सब लड़कियों की चूत चाट चुकी थी तो थक कर बोली, “बस अब और नहीं!!! मेरी जीभ दुखने लगी है।”
“तुम अब अपनी जीभ को आराम दो, अब हमारी बारी है कि हम तुम्हारी चूत को अपनी जीभ से मज़ा दें”, प्रीती हँसते हुए बोली, “इधर आओ और बिस्तर पर लेट कर अपनी टाँगें फैला दो जैसे मैंने फ़ैलायी थी।”
“आओ लड़कियों!!! अब हम टीना को ज़िंदगी का असली मज़ा दें”, इतना कहकर प्रीती ने अपनी सिगरेट को ऐशट्रे में बुझाते हुए अपना मुँह टीना कि जाँघों के बीच छुपा दिया।
“ऊऊऊऊओओओहहहह प्रीती!!!!” टीना सिसकी।
प्रीती अब टीना की चूत को अपनी जीभ घुमा-घुमा कर चाट रही थी और उसे चूस रही थी। “ओहहहहह प्रीती!!!! बहुत अच्छा लग रहा है..... हाँआआआआ चाटते जाओ..... हाँआआआआ ऐसे ही..... काट लो मेरी चूत को...... ओहहहह हे भगवान!!!! मैं तो गयीईईई”, कहते हुए टीना की चूत झड़ गयी और वो गहरी-गहरी साँसें लेने लग गयी।
प्रीती मज़े लेकर उसकी चूत से निकली एक एक बूँद को पीने लगी। जैसे ही प्रीती हटी, रजनी उसकी जगह लेकर टीना की चूत को चूसने लगी। इस तरह बारी-बारी सब लड़कियों ने टीना की चूत को चाटा और चूसा।
“मुझे नहीं मालूम कि मैं कितनी बार झड़ी हूँ, मुझे तो लग रहा है कि मेरे शरीर में जान ही नहीं है...” टीना बोली।
“मैं समझ सकती हूँ, इसलिये मेरे पास एक दवाई है! अब तुम्हें गाढ़े और मजबूत रस की जरूरत है जो तुम्हें लड़कों के लंड से ही मिलेगा”, प्रीती ने कहा।
“ठीक है! तो पहले तुम राज के लंड को चूसो और उसके पानी को पी जाओ और फिर हर लड़के के लंड का पानी पीना है...” रजनी बोली।
टीना मेरी जाँघों के बीच आकर मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। “हाँ ऐसे ही.... हाँ...आआ अपना मुँह ऊपर-नीचे करो, देखना कहीं दाँत ना लगा देना”, मैं उसके सिर को अपने लंड पर दबाते हुए बोला, “ओहहहहह हाँ...आआआ जोर से...... ओहहहहह हाँ...आआआ मेरा तो छूटाआआआ”, कहते हुए मेरे लंड ने उसके मुँह में पिचकारी छोड़ दी। टीना ने सारा पानी पी कर मुँह बनाया।
“क्यों अच्छा नहीं लगा क्या?” रजनी ने पूछा।
“अच्छा था लेकिन थोड़ा नमकीन था”, टीना ने जवाब दिया।
जब टीना सभी लड़कों का लंड चूस कर उनका पानी पी चुकी थी तो रजनी बोली, “टीना! काफी देर हो चुकी है, चलो घर चलना है।”
रजनी इतने नशे में थी कि उसके लिये ड्राईव करना तो मुमकिन ही नहीं था। टीना ने अपने कपड़े पहने और मैंने रजनी को बड़ी मुश्किल से किसी तरह उसके कपड़े पहनाये और फिर उसे सहारा देकर नीचे टैक्सी तक छोड़ने गया। मैं जब रजनी और टीना को टैक्सी में बिठा कर वापस आया तो देखता हूँ कि सिमरन और साक्षी मुँह बनाये सोफ़े पर पसरी हुई थीं।
“तुम दोनों का मुँह उतरा हुआ क्यों है, क्या हुआ?” मैंने पूछा।
“देखो ना! प्रीती दीदी जय और विजय के साथ हैं, और अंजू-मंजू राम और श्याम को अपने साथ ले गयी हैं, सिर्फ़ हमारा ही खयाल रखने वाला कोई नहीं है।” सिमरन थोड़ा मुँह बनते हुए बोली। उसके स्वर से साफ ज़ाहिर था कि उसने भी बहुत शराब पी ली थी।
“अरे तुम दोनों ऐसा क्यों सोचती हो.....? मैं हूँ ना तुम दोनों का खयाल रखने के लिये”, कहकर मैंने दोनों को अपनी बाँहों में भर लिया।
सारी रात मैं दोनों को चोदता रहा, और आखिर में थक कर हम सब सो गये।
अगला दिन और हफ्ता मेरा काफी बिज़ी गया। टाईम ही नहीं मिला काम से कि मैं किसी और चीज़ की ओर ध्यान दे सकूँ। एक रात जब मैं और प्रीती बिस्तर में थे तो प्रीती ने कहा, “राज मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ।”
“हाँ! कहो क्या बात है?” मैंने कहा।
“आज दोपहर में जब मैं सुस्ता रही थी तो विजय मेरे कमरे में आकर मेरे बिस्तर में घुस गया।”
“तो इसमें हैरानी की बात क्या है, तुम उससे कितनी ही बार चुदवा चुकी हो?” मैंने कहा।
“हैरानी की बात नहीं.... मुझे दो बार चोदने के बाद वो पूछता है कि भाभी मर्द अपनी ज़िंदगी में सबसे ज्यादा खुश कब होता है? मैंने उससे कहा कि तुम मर्द हो तुम बताओ?” वो बोला कि, “भाभी! मैंने कॉलेज के दिनों में कई लड़कियों को चोदा, हमें इतना वक्त नहीं मिलता था कि हम बराबर चुदाई कर सकें पर फिर भी मैं सोचता था कि मुझसे खुशनसीब इंसान नहीं है।”
“फिर मेरी शादी मंजू से हो गयी, वो खुद इतनी चुदक्कड़ थी कि उसने मुझे कभी ना नहीं किया, फिर अंजू ने मुझे बहकाया और मैंने उसे चोदा। पता लगा कि जय भी मंजू को चोदता है। अब मेरे पास दो चूत थी चोदने के लिये।“
प्रीती अपनी बात ज़ारी रखते हुए बोली, “मैंने उससे पूछा कि मैं अभी तक समझी नहीं कि तुम कहना क्या चाहते हो? तो उसने जवाब दिया कि “मैं छुट्टियों में यहाँ आना नहीं चाहता था लेकिन ये लोग मुझे जबरदस्ती ले आये। यहाँ आने के बाद मैंने देखा कि मैं सात नयी चूत चोद चुका हूँ और उसमे आप भी शमिल हैं, क्या आपको लगता है कि मैं खुश हूँ?” विजय ने अपनी बात पूरी की।”
“मैंने उससे कहा कि इतनी छोटी सी उम्र में तुम इतनी चूतों को चोद चुके हो.... ये अपने आप में एक मिसाल है, तो विजय बोला कि नहीं “भाभी, मैं खुश नहीं हूँ, आपको पता है ना कि - दिल मांगे मोर” विजय ने हँसते हुए कहा।”
“मैंने पूछा कि इसका मतलब तुम और नये चूतों दो चोदना चाहते हो? तो वो अपने लौड़े को दबाते हुए बोला कि, “हाँ भाभी! मैं जितनी नयी चूत को चोदता हूँ मुझे उतनी ही और चाहत होने लगती है। मुझे नयी चूत चोदने में मज़ा आता है, काश राज भैया नयी चूत का इंतज़ाम कर देते।”
“मैंने कहा कि अगर ऐसी बात है तो तुम राज को क्यों नहीं कहते? विजय बोला कि “मैंने सोचा कि अगर आप उनसे बात करें तो बेहतर होगा।”
“मैंने फिर उसके लंड को दबाते हुए कहा कि, ठीक है मैं उससे बात करूँगी, लेकिन जब तक वो तुम्हारे लिये नयी चूत का इंतज़ाम करें तब तक तुम मेरी चूत की धुनाई कर दो।”
प्रीती हँसते हुए मुझसे बोली, “राज! सही में उसने मुझे इस तरह चोदा कि मेरी चूत भी पनाह माँग गयी।”
“तो तुम चाहती हो कि मैं उनके लिये चूतों का इंतज़ाम ऑफिस से करूँ?” मैंने कहा।
“हाँ राज! फ़िर से एक बार सामुहिक चुदाई का इंतज़ाम करो ना जैसे हमने टीना के जन्मदिन पर किया था”, प्रीती मेरे लंड से खेलते हुए बोली, “मैंने इतना वादा जरूर उससे किया है।”
“ठीक है जब तुमने कह दिया तो मुझे करना ही पड़ेगा”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन ऑफिस में पहुँच कर मैंने आयेशा को पार्टी में आने की दावत दी तो वो बोली, “सर, मैं खुशी से शामिल होती मगर लगता है मैं नहीं आ पाऊँगी।”
“क्यों क्या बात है?” मैंने पूछा।
“सर, मेरे अब्बू शायद नहीं आने देंगे, उन्हें मेरी बहुत चिंता रहती है”, आयेशा ने कहा।
“तुम इसकी चिंता मत करो, तुम्हारे अब्बा से मैं बात कर लूँगा।”
“तो ठीक है सर, मैं आ जाऊँगी”, आयेशा ये कहकर चली गयी।
मैंने आयेशा के अब्बू से बात कर उन्हें मना लिया।
शाम को प्रीती ने मुझसे पूछा कि पार्टी कौन से दिन रख रहा हूँ तो मैंने कहा कि, “शनिवार को! मैंने रजनी से कह दिया है कि वो टीना को साथ ले आये और मैंने एम-डी को भी दावत दे दी है। हमारी नयी साथी आयेशा होगी।”
शनिवार को मैंने आयेशा के अब्बू से इजाज़त लेकर आयेशा को उसके घर से पिक किया। “आज तो बहुत सुंदर दिख रही हो..... क्या बात है..... कहीं कहर बरसाने का इरादा है”, मैंने आयेशा दो देखते हुए कहा।
“नहीं सर! ऐसा कुछ नहीं है, बस अपने बदन पर थोड़ा पर्फ्यूम छिड़का है और ये ड्रेस अपनी सहेली से उधार ली है ताकि मैं पार्टी में तमाशा ना बन जाऊँ”, आयेशा ने जवाब दिया।
“पर ये ड्रेस ज्यादा देर तक तुम्हारे बदन पे नहीं रहेगी।”
“क्यों सर? क्या पार्टी में चुदाई भी होगी?” उसने पूछा।
“हाँ... थोड़ी नहीं, बहुत सारी होगी”, मैंने कहा।
“फिर तो मज़ा आ जायेगा सर”, ये कहकर वो मुझसे चिपट गयी।
मैंने भी उसे अपने नज़दीक कर लिया और उसकी चूचियाँ मसलने लगा। मैं बीच-बीच में उसके निप्पल भींच देता था तो उसके मुँह से जोर से सिसकरी निकल पड़ती थी।
“सर, आपने तो मुझे अभी से गीला कर दिया, मैं अपनी सहेली को कपड़े पर लगे दाग के बारे में क्या बताऊँगी?”
“तुम समझदार हो! कोई ना कोई बहाना ढूँढ ही लोगी”, कहकर मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
जब तक हम घर पहुँचे आयेशा एक बार झड़ चुकी थी। जब हम घर में दाखिल हुए तो आयेशा को देख कर एक दम सन्नाटा छा गया। आयेशा ने जब रजनी और टीना को वहाँ देखा तो चौंक पड़ी, “सर! मिस रजनी और मिस टीना ऐसी पार्टी में यहाँ क्या कर रही हैं?”
“डरो मत! ये हम में से ही एक है, और इनकी चूत मैंने ही फाड़ी थी”, मैंने आयेशा को बाँहों में भरते हुए कहा।
“नसीब वाली हैं ये कि आपने इनकी चूत फाड़ी”, कहकर वो मुझसे चिपक कर खड़ी हो गयी।
“दोस्तों!!! ये आयेशा है!” मैंने उसका परिचय कराते हुए कहा।
“इस परी को तो सबसे पहले मैं ही चोदूँगा”, विजय अपने लंड को सहलाते हुए बोला। आयेशा सिर्फ़ मुस्करा के रह गयी।
“आयेशा! मेरी बाँहों में आ जाओ, हमें समय नहीं गंवाना चाहिये”, विजय अपनी बाँहें फैला कर बोला।
आयेशा अपना पर्स वहीं ज़मीन पर गिरा दौड़ के उसकी बाँहों में समा गयी।
आयेशा को विजय के पास जाते देख मैं रजनी और टीना के पास गया, “अच्छा हुआ रजनी! तुम लोग आ गये।”
“हम आ तो गये पर तुम्हें नहीं मालूम जब अंकल यहाँ पहुँचे और टीना को यहाँ देखा तो हंगामा हो गया”, रजनी बोली।
“ऐसा क्या हुआ.... मुझे बताओ?” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“अपने पापा को यहाँ देख टीना भी चौंक गयी, और जब अंकल जोर से इस पर चिल्लाये कि वो यहाँ क्या कर रही है तो एक बार मैं भी घबरा गयी, पर टीना ने शांती से उन्हें कहा कि वही... पापा जो आप कर रहे हैं, आप यहाँ चोदने आये हैं और हम चुदवाने।”
“आओ देखता हूँ कि तुमने सही जवाब दिया कि नहीं”, मैंने टीना को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा।
सामुहिक चुदाई का दौर शुरू हो चुका था। चारों तरफ गर्मी का माहोल था, जिसके मन में जो आये वो उसे चोद रहा था। सब पर शराब और चुदाई का नशा सवार था और चुदाई का शुमार पूरे जोर पर था। पार्टनर्स बदले जा रहे थे, पूरे घर में सिसकियों और गहरी सांसों के अलावा और कोई आवाज़ नहीं थी।
रात बारह बजे जब सब थक गये तो मैंने आयेशा को उसके घर छोड़ा और घर आकर प्रीती की बाँहों में सो गया।
दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा आयेशा वक्त से पहले ही आ गयी थी। मेरे आते ही उसने सब रिपोट्‌र्स और एक एपलीकेशन मेरी टेबल पर रख दी।
“ये एपलीकेशन किस चीज़ की है?” मैंने पूछा।
“सर, आज मुझे आधे दिन कि छुट्टी चाहिये, जो काम पेंडिंग रह जायेगा वो मैं कल जल्दी आकर पूरा कर दूँगी”, आयेशा ने कहा।
उसके चेहरे को देख कर मुझे लगा कि वो मुझसे कुछ छुपा रही है। “आयेशा! सच-सच बताओ कि बात क्या है, तुम आधे दिन कि छुट्टी क्यों लेना चाहती हो?”
“सर, विजय का फोन आया था और वो चाहता है कि मैं दोपहर में वहाँ आऊँ। वो सब मुझे साथ में चोदना चाहते हैं। सर, कोई बहाना बना दीजिये ना!” वो हँसते हुए बोली।
“लेकिन घर में दूसरी औरतें भी तो हैं.... उनका क्या?” मैंने पूछा।
“सर! विजय ने बताया कि वो सब शॉपिंग पर जा रही हैं, और सर आप ही सोचिये कि जब चार खड़े लंड मेरे साथ होंगे, सर, सिर्फ़ इस खयाल से ही मेरी चूत से पानी टपक रहा है, सर, प्लीज़ मेरी छुट्टी मंज़ूर कर दीजिये”, आयेशा गिड़गिड़ाते हुए बोली।
“ठीक है! लेकिन एक शर्त पर कि तुम पेंडिंग काम कल पूरा कर दोगी”, मैंने हँसते हुए कहा।
मेरा इतना कहने की देर थी कि आयेशा ने जोर से मेरे होंठों पर चुंबन लिया और केबिन के बाहर दौड़ कर चली गयी।
इसके पहले कि मैं आयेशा के चुंबन के असर से बाहर आता एम-डी का इंटरकॉम पर फोन आया, “राज! आज आयेशा कहाँ है..... दिखी नहीं?”
“सर! आज वो छुट्टी पर है”, मैंने जवाब दिया।
एम-डी ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और नसरीन को कॉफी लाने को कहा। कॉफी की घूँट भरते हुए एम-डी ने कहा, “राज! लगता है आयेशा पर काम का बोझ कुछ ज्यादा ही है, इसलिये मैं नसरीन को अपनी पर्सनल सेक्रेटरी बनाना चाहता हूँ।”
“सर, आपका खयाल तो अच्छा है, लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि उसे नियुक्त करने से पहले हमें उसकी काबिलियत को जान लेना चाहिये.....” मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा।
“हाँ! तुम सही कह रहे हो!” एम-डी ने जोर से हँसते हुए कहा।
एम-डी ने नसरीन को अपने केबिन में बुलकर कहा, “नसरीन मैंने फैसला किया है कि मैं तुम्हें अपना पर्सनल सेक्रेटरी एपॉयंट कर दूँ.... लेकिन उसके पहले राज ने बताया कि हम तुम्हारी काबिलियत जाँच लें।”
“सर, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है।” नसरीन ने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुए कहा। मैं आयेशा के ख्यालों में खोया हुआ था कि वो चार मुस्टंडे लंडों के साथ क्या कर रही होगी। इतने में मैंने देखा कि नसरीन बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और इस समय हमेशा की तरह चुदने के पहले कोकेन की डोज़ अपनी नाक में खींच रही थी। फिर दो बार नसरीन की काबिलियत जाँचने के बाद मैंने एम-डी से जाने की विदा माँगी।
“तुम जा सकते हो..... यहाँ सब ठीक है, ओहहहहह नसरीन! हाँ जोर से चूसो......., हाँआआआआ अब ठीक है!!!! ओहहहहह मेरा छूटने वाला है!!!!” एम-डी कामुक्ता भरे स्वर में कह रहा था।
जब मैं घर पहुँचा तो देखता हूँ कि तीन लड़के अपने मुर्झाये लंड को हाथ में पकड़े बैठे थे। “आयेशा कहाँ है और उसका क्या हाल है?”
“आयेशा तो सही कमाल की है, जब से आयी अपनी टाँगें पसारे चुदवा रही है, हमारे ही लंड में अब ताकत नहीं रही”, विजय बोला।
“जय कहाँ है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“जय इस समय आयेशा की चुदाई कर रहा है, पर हमें नहीं लगता कि इस बार झड़ने के बाद वो दोबारा उसे चोद सकेगा”, राम ने कहा।
“राज, तुम ही अब जा कर आयेशा को चोदो!” श्याम ने कहा।
मैंने बेडरूम में झाँक कर देखा कि विजय धीरे-धीरे आयेशा की चुदाई कर रहा है। “हाँ चोदो मुझे!!!!! ओहहहहह हाँआआआआआ आआआआहहहह मेरा छूटने वाला है”, आयेशा सिसकरियाँ ले रही थी। उसका स्वर शराब के नशे के कारण भारी और अस्पष्ट सा था। विजय भी दो तीन धक्के और मार कर उसकी चूत में झड़ गया।
जैसे ही विजय उससे अलग हुआ, मैंने अपने कपड़े उतार कर अपना लंड आयेशा की चूत में डाल दिया, “ओह सर!!! आप कब आये।”
कोई जवाब दिये बिना मैं जमकर उसकी चुदाई करने लगा। जब मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और उससे अलग होने लगा तो वो मुझे बाँहों में जकड़ते हुए हकलाते हुए स्वर में बोली, “स....सर! प्लीज़ एक... एक बार और.... चो...चोदो ना।”
“नहीं अब और नहीं.... तुम्हें घर जाना है.... और तुमने इतनी शराब क्यों पी?” मैंने बिस्तर पर से उठते हुए कहा।
“सर.... आप..आपने सारा मज़... किरकिरा कर...कर दिया”, उसने उठते हुए कहा।
“मैंने मज़ा किरकिरा नहीं किया.... बल्कि तुम्हें तुम्हारे अब्बू से बचा रहा हूँ, अगर तुम्हें ढूँढते हुए वो ऑफिस पहुँच गये और पता चला कि तुम दोपहर में ही चली गयी हो तो तुम्हारी शामत आ जायेगी।”
“हाँ सर... ये.... ये बात तो सही है”, आयेशा बोली। फिर मैंने उसके परों में से उसके ऊँची हील के सैंडल निकाल कर उसे बाथरूम में शॉवर के नीचे बिठा दिया ताकि उसका नशा कुछ कम हो। नहाने के बाद उसने आधा घंटा आराम किया और फिर अपने कपड़े पहन कर जाते हुए चारों लड़कों से बोली, “सही में तुम लोगों के साथ बहुत मज़ा आया..... ऐसा ही कार्यक्रम दोबारा फ़िर रखेंगे।”
“हाँ जरूर!” चारों ने साथ में कहा।
अब अक्सर आयेशा दिन में छुट्टी ले मेरे फ्लैट पर चली जाती और चारों लड़कों से दिल खोल कर चुदवाती।
करीब दस दिन के बाद एक शाम रजनी अपनी एक फ्रैंड फातिमा को ले ऑफिस पहुँची। “राज! ये मेरी कॉलेज की फ्रैंड फातिमा है”, रजनी ने मेरा उससे परिचय कराया।
फातिमा बहुत ही सुंदर थी। पतला बदन, गुलाबी होंठ...... मन करा कि बढ़कर चूस लूँ। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी नहीं थीं पर बनाव अच्छा था। उसने लाइट ब्लू कलर की सलवार कमीज़ और सफ़ेद कलर के बहुत ही ऊँची हील के सैंडल पहन रखे थे। उसकी सुंदरता देखने लायक थी। वो किसी भी टॉप की मॉडल को मात कर सकती थी।
“राज! फातिमा का कहना है कि इसके अंकल चुदाई में तुमसे ज्यादा निपुण हैं और मैं कहती हूँ कि तुम हो...... हमने इसी बात पर शर्त लगायी है”, रजनी ने कहा।
तो मुझे इस सुंदर हूर को चोदने का मौका मिलने वाला है, यही सोच कर मेरा लंड तनने लगा।
“मैं तुम्हें समझाती हूँ कि क्या करना है, सही में मैं जिनकी बात कर रही हूँ वो मेरे अंकल नहीं हैं.... बल्कि वो मेरी अम्मी के प्रेमी हैं और उन्होंने ही मुझे पहली बार चोदा था”, फातिमा बोली। “वो एक हफ़्ते की छुट्टी पर इस शनिवार को आ रहे हैं और मैं चाहती हूँ कि आप भी उसी रोज़ पहुँचें।”
“ठीक है हम लोग पहुँच जायेंगे..... पर मेरी बीवी मेरे साथ होगी”, मैंने कहा।
“बहुत अच्छा, और रजनी ने मुझे बताया कि तुम भी फ़्री सैक्स में विश्वास रखते हो?” फातिमा बोली।
“हाँ! रजनी ने सही कहा है, मैं शनिवार की टिकटों का इंतज़ाम कर लूँगा।”
“एक आखिरी बात! हमारे घर में तुम्हें कईंयों को चोदने को मिलेगा..... जैसे मेरी अम्मी, मैं खुद और हमारी दो नौकरानियाँ। इस हिसाब से तुम चार नई चूतों को चोदोगे और तुम सिर्फ़ प्रीती और रजनी को साथ लेकर आओगे!”
फातिमा थोड़ा हँसते हुए बोली, “इस हिसाब से तुम्हें दो लड़कियों को और साथ लाना होगा.... मेरे अंकल के लिये, जो तुम्हारे लिये कोई मुश्किल काम नहीं होगा।” फातिमा एक दम व्यापारी रीत में बोली।
“ठीक है!!! मैं इंतज़ाम कर लूँगा”, मैंने कहा।
“तो ठीक है..... हम लोग शनिवार को स्टेशन पर मिलेंगे, मैं तुम लोगों के साथ ही चलूँगी”, कहकर फातिमा चली गयी।
रजनी ने पूछा, “किसे साथ लेकर जाने की सोच रहे हो?”
“आयेशा तो पक्की है, और अगर तुम इंतज़ाम कर पाओ तो टीना को लेकर जाना चाहुँगा”, मैंने रजनी की तरफ देखते हुए कहा।
“ठीक है, मैं कोशिश करूँगी”, ये कहकर रजनी भी चली गयी।
बाद में घर पर मैंने प्रीती से बात की तो प्रीती ने घर में सब को हमारे प्रोग्राम के बारे में बताया। “अगर आप इजाज़त दें तो हम सब भी चलना चाहेंगे”, राम ने हमारी बात सुनकर कहा, “इसी बहाने थोड़ा घूमना भी हो जायेगा, जब से आये हैं, घर में ही घुसे हुए हैं।”
“अगर फातिमा को आपत्ति नहीं है तो मैं तैयार हूँ।” मैंने जवाब दिया।
प्रीती ने तुरंत रजनी को फोन लगाकर फातिमा से बात कराने को कहा।
करीब एक घंटे बाद रजनी टीना को लिये घर में दाखिल हुई। टीना की आँखें एक दम सुर्ख लाल हो रही थी।
“ये टीना को क्या हुआ... और ये रो क्यों रही है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“राज तुमसे बात होने के बाद मैंने घर पहुँच कर टीना को सब बताया तो वो खुशी से उछल पड़ी और अपने पापा से इजाज़त लेने गयी, पर अंकल ने एक दम साफ मना कर दिया।” रजनी बोली।
“जब टीना ने पूछा कि पर क्यों पापा!.... तो.... अंकल ने ये कहकर साफ मना कर दिया कि तुम जानना चाहती हो कि मैं क्यों ना बोल रहा हूँ..... जब राज ने तुम्हारी चूत और गाँड मारी तो मैं कुछ नहीं कर पाया और अब तुम चाहती हो कि राज के दोस्त भी तुम्हें चोदें...... नहीं! ये मैं कभी नहीं होने दूँगा।”
“ये सुन टीना बहुत उदास थी और रो रही थी.... इसी लिये मैं इसे यहाँ ले आयी कि कम से कम जाने से पहले एक बार राज से चुदवा लेगी तो इसके मन को ठंडक पड़ जायेगी”, रजनी ने कहा।
“ये तो तुमने ठीक किया पर क्या फातिमा से तुम्हारी बात हो गयी है?” मैंने रजनी से पूछा।
“हाँ! मेरी फातिमा से बात हो गयी है, उसका कहना है कि उनका बंगला काफी बड़ा है और उसे या उसकी अम्मी को कोई परेशानी नहीं होगी”, रजनी ने जवाब दिया।
“रजनी, एक बात बताओ! फातिमा इतनी सुंदर है पर बात करते वक्त इतने ठंडे लहज़े में क्यों बात करती है?” मैंने पूछा।
“ऐसा कुछ नहीं है, बस जब थोड़ा चिंतित होती है तो उसका व्यवहार ऐसा हो जाता है।”
“तब तो ठीक है, नहीं तो मैं तो सोच रहा था कि मुझे बर्फ की सिल्ली के समान चूत में ही अपना लंड पेलना पड़ेगा”, मैंने कहा।
“बर्फ की सिल्ली... मेरी जूती! जब तुम्हारा लंड उसकी चूत में घुसेगा तो तुम्हें लगेगा कि तुम्हारा लंड किसी जलती हुई भट्टी मंू घुस गया है”, रजनी थोड़ा जोर देती हुई बोली।
उसके बाद मैंने दो बार टीना की जम कर चुदाई की और फिर खाना खाकर वो दोनों चली गयीं।
दूसरे दिन मैंने अनिता को अपने प्रोग्राम के बारे में बताया कि मैं आयेशा और वो नयी लड़की ज़ुबैदा को साथ ले जाना चाहता हूँ, तो उसने कहा, “सर! आप फ़िक्र ना करें, आप जायें और इंजॉय करें, मैं पीछे सब संभल लूँगी।”
हम शनिवार की दोपहर को फातिमा के घर पहुँचे। वो तीन मंज़िला बंगला था। फातिमा ने हमारा परिचय उसकी अम्मी, मिसेज रूही, से कराया। मिसेज रूही सही में बहुत ही सुंदर थीं। उनकी उम्र ४५ के आस पास थी पर वो देखने में फातिमा की बड़ी बहन से ज्यादा नहीं लगती थी। अगर मुझसे कोई उन माँ-बेटी में से एक को चुनने को कहता तो मैं माँ को ही चुनता, उसकी सुंदरता देखने काबिल थी।
“आप सब का हमारे घर में वेलकम है”, रूही हमारा स्वागत करते हुए बोली, “और ये.....” उसने अपने पीछे खड़ी हुई दो लड़कियों कि ओर इशारा किया, “ये आबिदा और सलमा हैं, जो आप लोगों का हर तरह से खयाल रखेंगी।” आबिदा और सलमा को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो नौकरानियाँ हैं बल्कि वो दोनों किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थीं। उनका पहनावा और शृंगार, फतिमा और मिसेज रुही से कम नहीं था।
हम सबने दोपहर का खाना खाकर आराम किया। शाम को फातिमा के अंकल कहो या रूही के प्रेमी, मिस्टर रवि आ गये। रवि देखने में अच्छे थे, लंबा कद, चौड़े बाज़ू और सुंदर चेहरा। कोई भी औरत उनकी तरफ आकर्षित हो सकती थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
सब हॉल में इकट्ठे हो जाओ! “ड्रिंक्स पंद्रह मिनट में सर्व की जायेंगी”, रूही आदेश देती हुई बोली, “रवि! बार की कमान तुम संभालो।”
थोड़ी ही देर में सब ड्रिंक्स और माहोल का आनंद ले रहे थे।
“अच्छी भीड़ जमा कर रखी है इस वक्त?” मैंने रवि को रूही से कहते हुए सुना।
“ये सब फातिमा के दोस्त हैं, लेकिन अफ़सोस कि इस बार तुम्हारे लिये कोई कोरी चूत नहीं है”, रूही हँसते हुए बोली।
“इस बार मेरी जान.... मैं तुमसे मिलने आया हूँ ना कि कुँवारी चूत की उम्मीद में”, रवि ने अपने ग्लास से घूँट भरते हुए कहा।
खाने की टेबल पर फातिमा ने रवि को अपनी शर्त की बात बतायी। “तुम्हें नहीं लगता कि तुम बचकाना हरकत कर रही हो?” रवि ने कहा।
“यही बात अम्मी और राज ने भी कहीं थी, लेकिन मैंने फैसला कर लिया है कि मैं जान कर रहुँगी! इसलिये प्लीज़... आप हाँ कर दें”, फातिमा ने कहा।
“रवि! हाँ कर दो ना! तुम्हारा क्या जाने वाला है?” रूही चौथा पैग खतम करती हुई बीच में बोली।
“ठीक है! अगर तुम्हारी अम्मी कह रही है तो मैं तैयार हूँ”, रवि ने कहा, “बताओ कैसे आजमाना चाहोगी।”
“अंकल! आज रात आप रजनी के साथ सोयेंगे और मैं राज के साथ”, फातिमा ने बताया, “रजनी राज के साथ सो चुकी है और मैं आपके साथ.... सो हम दोनों का बयान ही फैसला करेगा।”
जिस तरह उस घर का दस्तूर था, रूही ने फैसला किया कि कौन किसके साथ सोयेगा। रूही ने जोड़ों की घोशना की, “राम, आयेशा और अंजू को चोदेगा, श्याम, मंजू और सलमा को, विजय, सिमरन और आबिदा को, और जय, ज़ुबैदा और साक्षी को।”
“पर आपका और प्रीती का क्या होगा?” फातिमा ने पूछा।
“कुछ नहीं! हम लोग एक दिन बिना मर्द के रह लेंगे, एक दूसरे को सैटिसफायी करने के लिये हम ही काफी हैं”, रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।
उस रात जब मैंने अपना लंड फातिमा की चूत में घुसाया तो वो बोली, “राज! तुम्हारा लंड कितना लंबा और मोटा है, मुझे लगता है कि मेरी चूत तुम्हारे लंड से पूरी भर गयी है।”
उसकी बातों को नज़र अंदाज़ करते हुए मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा। कभी मैं अपनी रफतार तेज कर देता और कभी धीरे से पेल देता और कभी अचानक ही पूरा लंड एक ही झटके में जड़ तक डाल देता। थोड़ी देर में ही उसे भी पूरा जोश आ गया था, और वो अब अपने कुल्हे उठा कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।
“हाँआआआआ राज!!! इसी तरह चोदो!!!, हाय अल्लाह.... कितना अच्छा लग रहा है!!!!, हाँ और जोर से चोदो!!!! हाँआआआआ ओहहहहह”, उसका शरीर अकड़ रहा था और मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है, “हाँआआआआ राज!!! और जोर से!!! हाँ ओहहह मेरा छूटाआआ”, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
दो तीन जोर के धक्के और मारने के बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी।
उस रात मैंने फातिमा को चार बार चोदा और सुबह फातिमा ने मेरे लंड को ऐसे चूसा कि आज तक मैंने ये अनुभव नहीं किया था।
सुबह नाश्ते की टेबल पर सब इस बात का इंतज़ार कर रहे थे कि फैसला किसके हक में जाता है। “राज भी चुदाई कला में माहिर है, मैं फैसला नहीं कर पा रही कि कौन बेहतर है”, फातिमा ने कहा।
“और यही राय मेरी है, मेरे हिसाब से दोनों ही माहिर हैं”, रजनी ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
उस दिन हम सब शहर में घूमने गये और देर शाम तक ही लौटे। खाने के बाद फिर ड्रिंक्स का दौर चला और फ़िर रूही ने तय किया कि कौन किसके साथ सोयेगा। रवि के हिस्से में प्रीती और सिमरन आयी, आयेशा और मंजू जय के साथ, विजय को मिली साक्षी और ज़ुबैदा, फातिमा और रजनी राम के साथ, श्याम के साथ अंजू और रूही और मेरे हिस्से में आयी आबिदा और सलमा।
जब हम अपने अपने कमरे में जाने की तैयारी कर रहे थे तो रवि बोला, “राज इनसे मसाज करवाना नहीं भूलना!”
“मसाज क्यों? मैं तो जमकर इनकी चुदाई करना चाहता हूँ!” मैंने कहा।
“चुदाई तो तुम जब चाहो कर सकते हो, पर मसाज कराकर देखो, तुम्हारी जन्नत की सैर हो जायेगी, इनका मसाज करने का तरीका कुछ अलग ही है”, रवि ने कहा।
“ठीक है! मैं आजमाना चाहुँगा”, मैंने कहा, “लेकिन इसके लिये मुझे क्या करना होगा।”
“कुछ नहीं! बाकी मैं इन्हें समझा दूँगा”, रवि ने जवाब दिया।
रात को बिस्तर पर लेटे हुए मैंने देखा कि आबिदा और सलमा, दोनों, सिर्फ हाई पेन्सिल हील के सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी मेरे कमरे में दाखिल हुईं। उनके हाथों में एक मोमबत्ती थी और एक कटोरी तेल की थी। उन्होंने मेरे कपड़े उतारे और मुझे पेट के बल लेट जाने को कहा।
आबिदा मेरी जाँघों को मसल रही थी और सलमा थोड़ा सा तेल मेरी पीठ पर डाल कर उसे मसल रही थी। उनके हाथ इस अंदाज़ में चल रहे थे कि वो मुर्दे के शरीर में भी जान फूँक सकते थे।
“ओहहहह कितना अच्छा लग रहा है!” मैं सिसका। उन्होंने मुझे फिर पलट कर पीठ के बल कर दिया। तब तक मेरा लंड आधा तन ही चुका था।
बिना कुछ कहे वो मेरी छाती पर झुक गयीं और मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी। ऐसा मेरे साथ पहले किसी ने नहीं किया था।
“ओहहहहहह”, मेरे मुँह से सिसकरी निकली। मेरा लंड भी अब तन कर खड़ा हो चुका था।
आबिदा मेरे निप्पल को चूसते हुए नीचे की ओर बढ़ी और वहीं सलमा ने गरम तेल मेरे निप्पल पर डाल दिया। “ओहहह जल रहा है, तेल गरम है, थोड़ा ध्यान रखो!” मैंने कहा।
आबिदा नीचे होती हुए मेरी जाँघों के भीतरी भाग पर अपनी ज़ुबान से चाट रही थी और वहीं सलमा अपने नाज़ुक हाथों से मेरी छाती की मालिश कर रही थी।
एक की ज़ुबान और दूसरे के हाथ ऐसा मज़ा दे रहे थे कि बयान नहीं कर सकता। थोड़ी देर में सलमा भी मेरी जाँघों के बीच आ कर मेरे लंड के सुपाड़े पर अपनी ज़ुबान घुमाने लगी। वहीं आबिदा मेरी जाँघों के अंदरूनी भाग को चूमे जा रही थी।
वो थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी जगह बदल लेतीं। अब सलमा मेरे लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में ले चूस रही थी और वहीं आबिदा मेरे अंडवों को मुँह में ले चूस रही थी।
“ओहहहहहह सलमाआआआआ चूसती जाओ!!!! ओहहहहह आआआआहहहहह मेरा छूटने वाला है!!!!!” मुझसे अब रुकना मुश्किल हो रहा था और मैंने अपना वीर्य सलमा के मुँह में छोड़ दिया।
उस रात मैंने कई बार आबिदा और सलमा को चोदा और जब मेरे लंड में ताकत नहीं रही तो हम एक दूसरे की बाँहों में सो गये।
सुबह मैंने प्रीती से रवि के बारे मैं पूछा, “कैसा रहा?”
“रवि का लंड वाकय में बहुत लंबा और मोटा है और वो चोदता भी तरीके से है, लेकिन मेरे लिये तुम और तुम्हारा लंड सब से ज्यादा अच्छा है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“तुमने इतना कह दिया.... मेरे लिये इतना ही बहुत है”, मैंने प्रीती को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा।
रीती की बात सुनकर मुझे उस पर नाज़ हो गया। ठीक है जो ज़िंदगी में गुजरा वो कुछ अजीबो गरीब था लेकिन वो सही में मुझसे प्यार करती थी।
रवि भी नाश्ते के लिये हमारे साथ हो गया, “क्यों राज! आबिदा और सलमा के साथ कैसा रहा?”
“रवि! तुम्हारे सुझाव के लिये शुक्रिया”, मैं हँसते हुए बोला, “सही में इतना आनंद मुझे कभी नहीं आया, उन दोनों का जवाब नहीं।”
दिन इसी तरह गुज़ार गया। चुदाई की छूट थी, जिसकी मरज़ी में जो आता उसे रूम में ले जाकर उसकी जम कर चुदाई करता। हम सब शाम को ड्रिंक्स पीने बैठे ही थे कि दरवाजे पर घंटी बजी। “आप सब रुकिये, मैं देखती हूँ”, आबिदा ने उठते हुए कहा।
“मैडम! आर्यन बाबा आये हैं!” आबिदा ने दरवाजा खोलते हुए कहा।
“ये इस समय यहाँ क्या कर रहा है”, रूही अपनी सीट से उठती हुई बोली।
“हाय मम्मी”, इतने मैं एक सत्रह-अट्ठारह साल का गबरू लड़का हॉल में दाखिल हुआ।
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” रूही ने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “तुम्हें तो बोर्डिंग में होना चाहिये था।”
“मम्मी! स्कूल की छुट्टियाँ जल्दी शुरू हो गयी, इसी लिये मैं यहाँ आ गया”, आर्यन ने जवाब दिया।
“अच्छा हुआ तुम आ गये, अपने मेहमानों से मिलो!” रूही ने उसका माथा चूमते हुए कहा।
“आप सब इससे मिलें, ये मेरा बेटा आर्यन है”, रूही ने बारी-बारी हमारा परिचय कराया।
रवि को देख कर वो उनसे हाथ मिलाते हुए बोला, “अरे रवि अंकल! आप कब आये और कैसे हैं?”
रवि ने उससे हाथ मिलाते हुए कहा, “आर्यन तुमसे मिलकर खुशी हुई, आओ बैठो यहाँ। और बताओ कैसी गुजर रही है स्कूल में। तुम सही में सुंदर और जवान हो गये हो, स्कूल की लड़कियाँ तुम पर मरती होंगी।”
“नहीं अंकल! ऐसे नसीब कहाँ हैं हमारे।”
“इसका मतलब तुमने आज तक किसी लड़की की चूत नहीं चोदी है?” रवि ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“नहीं अंकल! कोई लड़की तैयार ही नहीं हुई।”
“ममम... मेरा बच्चा! कोई बात नहीं आज तुम्हारा कुँवारापन जरूर लुटेगा, ये मेरा वादा है”, रवि ने कहा।
“वो ठीक है अंकल! पर क्या मम्मी मानेगी इस बात को?” आर्यन ने पूछा।
“तुम उसकी चिंता मत करो! मैं सब संभाल लूँगा!” रवि ने जवाब दिया।
रात को खाने की टेबल पर रवि ने सब से पूछा, “लड़कियों! क्या तुम ये बर्दाश्त कर सकती हो कि हमारे बीच कोई कुँवारा बैठा हो?”
“नहीं!!!!” सबने जवाब दिया।
“तुम किसकी बात कर रहे हो?” रूही ने पूछा।
“किसकी क्या? मैं तुम्हारे बेटे आर्यन की बात कर रहा हूँ”, रवि ने कहा।
“तो तुम सब में से कौन इसका कुँवारापन भंग करना चाहेगा?” रवि ने पूछा।
“मैं!! मैं!!! नहीं मैं!!!!” चारों तरफ से आवाज़ आ रही थी।
“सब शाँत हो जाओ!” रूही ने अपना हाथ उठाया, “अगर आर्यन का कुँवारापन ही भंग करना है तो मैं तय करूँगी कि वो किसके साथ रात गुज़ारे…. आर्यन! तुम अपने कमरे में जाओ और इंतज़ार करो।”
आर्यन के जाने बाद सबने मिलकर पूछा, “वो नसीबदार कौन है?”
“प्रीती! क्या तुम आर्यन का कुँवारापन लेना चाहोगी?”
“आपने मुझे ही क्यों चुना?” प्रीती ने पूछा।
“वैसे तो तजुर्बे के हिसाब से मैं ही जाती, लेकिन मैं उसकी माँ हूँ, और तजुर्बे के हिसाब से मेरे बाद तुम ही आती हो!” रूही ने जवाब दिया।
ठीक है! अगर ये बात है तो मुझे मंजूर है”, प्रीती ने कहा।
“आँटी मैं बीच में कुछ कहूँ?” अंजू बोली। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“कुछ कहने की जरूरत नहीं है, मैं जानती हूँ तुम्हारी चूत क्या माँग रही है”, रूही हँसते हुए बोली, “आज रात रवि तुम्हें और तुम्हारी बहन को चोदेगा, जाओ और मज़े लो।”
“थैंक यू आँटी, मगर आपको कैसे पता चला कि हम रवि से चुदवाना चाहते हैं?” मंजू बोली।
“मैं समझ सकती हूँ कि जब राज इस चीज़ में यकीन रखता है कि चुदाई में खून के रिश्तों कि इज्जत करनी चाहिये, तो इसका मतलब है कि तुम्हें राज ने नहीं चोदा है और तुम लंबे और मोटे लंड से चुदवाने को मरी जा रही हो”, रूही ने जवाब दिया।
रूही ने फ़िर फैसला किया कि कौन किस के साथ सोयेगा, उसने मुझे अपने लिये बचा के रखा। कुछ देर और शराब का दौर चला और फिर सब अपने-अपने कमरे में चुदाई करने चले गये।
रूही भी ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने नशे में लड़खड़ाती मेरे साथ अपने बेडरूम में आ गयी। बिस्तर में नंगी कुछ ज्यादा ही हसीन लग रही थी। मैं उसे चूम रहा था और उसके बदन को सहला रहा था, उसकी सिसकरियाँ इस बात की गवाह थी कि उसको भी मज़ा आ रहा था। उसकी चूचियाँ और निप्पल चूसने के बाद मैंने उसके पैरों की तरफ बढ़ा। उसके गोरे सुंदर पैर ब्लैक कलर के हाई हील सैंडलों में बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे और मैं उन्हें चूमने से खुद को रोक नहीं सका। उसके बाद जैसे ही मैंने अपनी ज़ुबान उसकी बिना बालों की चूत पर रखी तो रूही सिसकते हुए बोली, “ओहहहह राज!!! तुम्हारी ज़ुबान कितनी अच्छी लग रही है!!!! हाँ....आआआआ इसी तरह मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदते रहो!!!!” मैं उसके ऊपर लेट कर अपने लंड को उसकी चूत पर जोर से रगड़ने लगा तो वो नशे भरे स्वर में बोली “ओहहहह राज अब और मत तरसाओ!!!! प्लीज़ अपने लंड को मेरी चूत में डाल दो ना!!! प्लीज़ज़ज़!!!”
मैंने अपने लंड को उसकी चूत पे रख कर एक ही धक्के में पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक डाल दिया। “हाँ ऐसे ही..... मज़ा आ गया!!! अब चोदो और फाड़ दो मेरी चूत को!!!” रूही फिर नशे में मस्ती से बड़बड़ायी।
अब मैं तेजी से धक्के लगा रहा था। मैंने उसके दोनों मम्मों को अपने हाथों से भींच रहा था। उसकी टाँगें मेरी कमर पे लिपटी हुए थी और वो मेरे धक्कों का जवाब धक्कों से दे रही थी। हम दोनों का शरीर एक लय और एक ताल में उछल रहा था।
“ओहहहहह राज!!!! हाँ चोदो..... हाय!!!! ऊईईईईईईईईईईई अल्लाह..... मेरा तो गया...आआआ”, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो जोर-जोर से साँसें लेने लगी।
मैंने कसके उसे अपनी बाँहों में भींचा और मेरे लंड ने भी उसकी चूत में पानी छोड़ दिया।
“राज! मज़ा आ गया, इतनी कस के मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा”, कहकर रूही ने एक सिगरेट सुलगा ली और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसती हुई बीच-बीच में सिगरेट के कश लेने लगी। एक बार फिर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया।
मैंने रूही को घोड़ी बनने को कहा और उसके पीछे आ अपना लंड उसकी चूत पर घिसने लगा।
“राज! मैं चाहती हूँ कि अब तुम मेरी गाँड में अपना लंड डाल कर चोदो”, रूही धीरे से बोली।
“खुशी से मेरी जान!” ये कहकर मैंने अपना लंड पहले उसकी गीली चूत में डाला और फिर बाहर निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा दबाया।
“ऊऊऊईईईई हाय अल्लाह!!!!” रूही जोर से सिसकी, “राज! थोड़ा प्यार से करो...... तुम्हारा लंड कितना मोटा है।अल्लाह
अब मैं उसकी गाँड में धक्के मार रहा था और साथ ही साथ उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल अंदर बाहर कर रहा था।
“ऊऊ.ऊऊ..ओओहहहह राज!!!! कितना अच्छा लग रहा है, रुको मत करते जाओ...... ओहहहहह मेरा छूटने वाला है!” इसके साथ ही मैंने भी अपना वीर्य उसकी गाँड में छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद हमने एक और बार चुदाई की और एक दूसरे को बाँहों में लेकर सो गये।
दूसरे दिन जब हम सब नाश्ते के लिये जमा हुए तो मैंने देखा कि आर्यन का कहीं अता-पता नहीं था। रूही ने मेरी बहनों से पूछा, “तुम लोगों की रात कैसी गयी, क्या रवि के लंड में मज़ा आया?”
“ओह रूही आंटी!!!! मैं तो स्वर्ग में पहुँच गयी थी..... ऐसा लगा!” अंजू ने जवाब दिया।
“और मुझे तो ऐसा लगा कि एक बार फिर से मैं कुँवारी बन गयी हूँ, रवि का लंड वाकय में जानदार है”, मंजू बोली।
“मुझे खुशी हुई कि तुम दोनों को मज़ा आया”, रूही खुशी से बोली। “प्रीती तुम्हारी रात मेरे शैतान आर्यन के साथ कैसी रही?”
“बहुत अच्छी!!! आर्यन बहुत समझदार है, जल्दी ही चुदाई के सारे गुण सीख जायेगा....” प्रीती हँसते हुए बोली।
“ऐसे नहीं! हम सब को पूरा किस्सा सुनाओ?” रूही बोली।
प्रीती की ज़ुबानी:
जैसा आप सबको मालूम है कि मैंने कल काफी ड्रिंक कर रखी थी। मैं जब सिर्फ हाई-हिल के सैंडल पहने नशे में गिरती-पढ़ती कमरे में पहुँची तो देखा कि आर्यन बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। वो नंगा हो अपने खड़े लंड को हाथों में पकड़े हुए था।
“तो तुम वो मेरी पहली चूत हो जिसकी मैं चुदाई करने वाला हूँ”, उसने मुझे बाँहों में भरकर संभालते हुए कहा। फिर मुझे जोरों से चूमते हुए उसने मुझे बिस्तर पर ढकेल दिया।
“आराम से आर्यन”, मैंने कहा, “मैं यहाँ चुदवाने ही आयी हूँ, कहीं भाग नहीं जाऊँगी, मुझे पहले कपड़े तो उतार लेने दो।”
“सॉरी प्रीती”, शरमाते हुए उसने मुझे छोड़ दिया।
वो मुझे देख रहा था और मैं खड़ी होकर नशे में डगमगाती हुई अपने कपड़े उतार रही थी। वो एक टक मेरे नंगे बदन को निहार रहा था, “क्या पहली बार किसी लड़की की चूत देख रहे हो?” मैंने पूछा
“न.... हाँ...” उसने जोर की साँस लेते हुए कहा।
मैं नंगी होकर, सिर्फ अपने ऊँची हील के सैंडल पहने फिर बिस्तर पर पसर गयी और अपनी टाँगें चौड़ी करके बाँहें फैला कर उससे कहा, “मेरी चूत को बाद में ठीक तरह देख लेना, अब आओ और मुझे चोदो।”
वो मेरे ऊपर गिर पड़ा और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर तेजी से धक्के लगाने लगा। वो पहली बार किसी लड़की को चोद रहा था इसलिये मैंने उससे कुछ नहीं कहा। थोड़ी ही देर में वो अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ कर गहरी साँसें ले रहा था।
मुझे पहले तो बहुत गुस्सा आया पर मैंने ज़ाहिर नहीं किया। आखिर ये उसका पहली बार चुदाई का अनुभव था। मैंने उसे अपने ऊपर से हटाना चाहा तो वो गिड़गिड़ाते हुए बोला, “प्रीती प्लीज़! मुझे एक बार और चोद लेने दो, मेरा लंड थोड़ी देर में ही फिर खड़ा हो जायेगा।”
“वो तो खड़ा हो जायेगा..... मुझे मालूम है, लेकिन चुदाई से पहले मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ?”
वो मेरे ऊपर से उठ कर मेरी बगल में बैठ गया। “क्या तुम्हें अपनी पहली चुदाई में मज़ा आया?” मैंने पूछा।
“प्रीती! पूछो मत..... इतना मज़ा तो मुझे आज तक मुठ मार कर भी नहीं मिला”, उसने जवाब दिया।
“लेकिन मुझे मज़ा नहीं आया”, मैंने कहा।
“तुम्हें मज़ा क्यों नहीं आया? मैंने तो सुना है कि चुदाई में लड़की को भी बराबर का मज़ा आता है।”
“हाँ! मज़ा आता है.... अगर उसकी चुदाई थोड़े प्यार और आराम सी की जाये। तुमने बड़ी जल्दी में चुदाई की और लड़कियों को झड़ने में थोड़ा वक्त लगता है”, मैंने कहा, “अब आओ और मुझे प्यार से और धीरे-धीरे चोदो।”
वो मेरे ऊपर आकर मुझे धीरे-धीरे चोदने लगा। “हाँ! ऐसे ही चोदते जाओ, हाँ! अपने धक्कों का अंदाज़ भी साथ-साथ बदलते रहो, कभी जोर से कभी प्यार से”, मैंने उसे चूमते हुए कहा।
अब वो मुझे अलग अलग-अंदाज़ में धक्के मारता हुआ चोद रहा था। मेरी नसों में खून का उबाल बढ़ने लगा। मुझे भी मज़ा आ रहा था। मैं अपने कुल्हों को उठा कर उसके धक्कों का साथ देने लगी। “आर्यन तुम सही जा रहे हो!!!! ऐसे ही चोदो अब..... और तेजी से हाँ..आआआ ओहहहहह जोर से...... आआआआहहहह मेरा छूटा।” दो चार धक्के और लगा कर उसने भी अपना पानी छोड़ दिया।
“अब कैसा लगा चुदाई करना?” मैंने उससे पूछा।
“पहली बार से बहुत ज्यादा अच्छा!” उसने जवाब दिया।
“एक बात का खयाल रखना आर्यन! कि हर लड़की मेरी तरह चुदाने को तैयार नहीं आयेगी। तुम्हें उसे चुदवाने कि लिये उक्साना पड़ेगा। तुम्हें उससे प्यार करना होगा, इस अंदाज़ में को वो खुद अपनी टाँगें फैला कर तुम्हें चोदने को कहे”, मैंने उसे बताया।
वो मेरी चूचियों से खेलने लगा, मेरे निप्पल को मुँह में ले कर बड़े प्यार से उसने चूसा। मेरी टाँगें, जाँघें और यहाँ तक कि मेरे पैर और सैंडल तक उसने बड़े जोश से चाटे। फिर उसने मेरी चूत भी बड़े प्यार से चाटी और अपनी जीभ से काफी देर तक चोदी।
आर्यन जल्द ही सब कुछ सीखता जा रहा था। हम लोगों ने एक बार फिर चुदाई की।
“एक लड़की अपनी गाँड में किसी मर्द का लंड ले कर भी उसे मज़ा दे सकती है!” मैंने उसे बताया।
“क्या लंड और गाँड में?” उसने चौंकते हुए कहा।
“हाँ गाँड में! तुम राज और रवि से पूछ सकते हो, गाँड मारने में कितना मज़ा आता है, लेकिन हाँ गाँड पे थोड़ा तेल या क्रीम लगाना नहीं भूलना क्योंकि गाँड का छेद छोटा होता है और इससे दर्द ज्यादा होता है”, मैंने कहा।
फिर उसने मेरी गाँड मारी और हम सो गये। सुबह मैं सो कर उठी तो आर्यन गहरी नींद में सोया हुआ था। मैं नहाने चली गयी और जब लौटी तो देखती हूँ कि आर्यन अपने खड़े लंड को पकड़े बैठा था।
मुझे देख कर वो बिस्तर से उठा और मुझे बाँहों में भर कर बिस्तर की ओर घसीटने लगा। “नहीं आर्यन! अभी नहीं! अब मैं नहा चुकी हूँ!” मैंने कहा।
“प्लीज़ प्रीती!! देखो ना मेरा लंड कैसे खड़ा है, इसका तो खयाल करो”, उसने मुझे और जोरों से भींचते हुए कहा।
इसका खयाल मैं दूसरे तरीके से कर देती हूँ, कहकर मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी ही देर में उसके लंड ने पानी छोड़ दिया।
वो मुझे फिर भी चोदने की ज़िद करने लगा। जब मैंने मना किया तो वो गुस्से में कमरे से बाहर चला गया और मुझे नहीं पता अब वो कहाँ है।
प्रीती ने अपनी बात पूरी की।
“थैंक यू प्रीती! मैं जानती थी तुम आर्यन को सही रास्ता दिखाओगी! मैं संभाल लूँगी उस शैतान लड़के को”, रूही बोली, “आबिदा क्या तुमने आर्यन को देखा है?”
“हाँ मैडम!!! जब वो सलमा को चोद रहे थे”, आबिदा थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली।
थोड़ी देर में आर्यन सलमा को अपनी बगल में दबाये हॉल में दाखिल हुआ।
“कुतिया!!! जा मेरे लिये नाश्ता ला!!!” आर्यन ने आबिदा से कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“आर्यन मुझे बदतमिज़ी पसंद नहीं है जरा भी!!! समझे???” रूही ने उसे डाँटते हुए कहा, “फौरन उससे माफी माँगो।”
“रहने दें मैडम! मुझे बुरा नहीं लगा”, आबिदा टेबल पर नाश्ता लगाते हुए बोली, “ये मुझे हमेशा ऐसे ही बुलाते हैं, पहले तो बुरा लगता था पर अब शायद मैं आदी हो गयी हूँ।”
“आबिदा! मुझे सच-सच बताओ कि ये सब कब से चल रहा है और क्यों चल रहा है”, रूही थोड़ा गुस्से में बोली।
“मैडम! दो साल से! जब आप घर में नहीं होती थी तो आर्यन बाबा मुझे अकेले में पकड़ लेते थे। वो मुझे चोदना चाहते थे पर मैंने उन्हें कभी चोदने नहीं दिया। हाँ मैं उन्हें अपनी चूचियों से और चूत से खेलने जरूर देती थी।”
“मेरा भी मन करता था चुदवाने को पर मैं अपने आप पर काबू रखती थी, और मैंने सलमा से भी कह दिया था कि वो आर्यन से ना चुदवाये। बस आर्यन बाबा हमारी चूचियों पर अपना लंड रगड़ कर झड़ जाते थे”, आबिदा बोली।
“हाँ मैडम! आबिदा ठीक कह रही है”, सलमा बोली, “आज भी मैं इन्हें चोदने नहीं दे रही थी पर इन्होंने कहा कि आज से इन्हें इजाज़त है।”
“नहीं! इसने इजाज़त नहीं ली थी”, रूही हँसते हुए बोली, “हाँ माँगता तो मैं जरूर दे देती। आर्यन आज से तुम आबिदा को भी जब जी चाहे चोद सकते हो।”
“मैं और इस कुतिया को चोदूँगा? कभी नहीं!” आर्यन गुस्से में बोला।
“कोई बात नहीं! समय इसका जवाब देगा”, रूही बोली।
आर्यन, आयेशा के पास जाकर बोला, “चलो कमरे में चुदाई करते हैं।”
“पहले मुझे नाश्ता तो खत्म करने दो”, आयेशा नाश्ता करते हुए बोली।
“क्या ये घटिया सा नाश्ता… इस नाश्ते से अच्छा है?” आर्यन अपना गाऊन उठा कर अपने खड़े लंड को दिखाते हुए बोला।
“हाय अल्लाह! क्या खूबसूरत लंड है तुम्हारा!” आयेशा लड़खड़ाते कदमों से उठी और उसके लंड को पकड़ कर बाहर जाने लगी, “सॉरी आँटी! मैं अपना नाश्ता बाद में कर लूँगी।”
आर्यन का लंड भी लंबा और मोटा था, एकदम राम के लंड के जैसा। दरवाजे की और घसीटने के चक्कर में आयेशा हाई-हील सैंडलों में संतुलन नहीं रख पायी और लड़खड़ा कर वहीं कार्पेट पर गिर पड़ी। शायद उसका पिछली रात का नशा पूरा उतरा नहीं था। आर्यन ने थोड़ा भी इंतज़ार किये बिना आयेशा का गाऊन उठा कर अपना लंड उसकी चूत में वहीं सबके सामने डाल दिया।
“शाबाश आर्यन! और जोर से!” जय बोला।
“हाँ... जोर से चोदो उसे!” राम ज़ुबैदा को ज़मीन पर लिटाते हुए बोला। सब लड़कियाँ ताली बज़ा कर आर्यन को उक्सा रही थीं। थोड़ी देर में तो माहोल ऐसा गर्मा गया कि जिसे जो मिला उसे ले वहीं चुदाई शुरू कर दी।
“तुम सब जितना चाहे मज़े लो, मैं अपने कमरे में जा रही हूँ”, रूही टेबल से उठती हुई बोली।
मैं भी रूही के पीछे उठा तो देखा कि अंजू और मंजू रवि के लंड से खेल रही थी।
मैंने रूही को दरवाजे पर ही पकड़ कर कहा, “रूही, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।”
“क्यों नहीं! आओ मेरे कमरे में”, वो बोली।
“कमरे में नहीं! यहीं जमीन पर!” कहकर मैंने रूही को कार्पेट पर लिटाया और उसे चोदने लगा।
जब मैं उसे दो बार चोदकर तीसरी बार चोदने की तैयारी कर रहा था तो विजय अपना लंड सहलाते हुए बोला, “साले सहाब! ये अच्छी बात नहीं है कि आप किसी को अपनी जागीर बना लें।”
सारा दिन यही सब चलता रहा। सबसे ज्यादा आर्यन ने चुदाई की। उसने हर लड़की की चुदाई की, किसी-किसी को तो दो बार चोदा। सबसे ज्यादा वो ही थक गया था और अपने कमरे में सोने चला गया।
रूही ने आबिदा और सलमा को इशारा किया तो दोनों उठीं और अपने हाथों में गरम तेल लेकर आर्यन के कमरे की ओर बढ़ गयी। मैं समझ गया कि आज आर्यन की मालिश होगी और आर्यन खुद आबिदा को चोदने की भीख आबिदा से माँगेगा।
मैंने देखा कि आयेशा रवि की गोद में बैठी थी और उसका लंड अपनी चूत में घुसा रही थी।
थोड़ी देर में फिर सब चुदाई में जुट गये। “ज़ुबैदा! तुम मेरे साथ आओ, मैं तुम्हारी गाँड चेक करना चाहता हूँ”, श्याम बोला।
“श्याम, थोड़ी देर में चलते हैं ना!”
“ज़ुबैदा डार्लिंग! इस घर में कोई चुदवाने को मना नहीं करता”, रूही बोली, “श्याम एक काम करो इसकी गाँड हमारे सामने ही मारो।”
“ज़रा धीरे-धीरे करो ना!” ज़ुबैदा सिसक कर बोली जैसे ही श्याम ने अपना लंड उसकी गाँड में पेल दिया।
जय, रूही की ओर बढ़ कर उसके मम्मे दबा रहा था। मैंने भी फातिमा को अपनी गोद में खींच लिया था। अब सब चुदाई में मस्त हो रहे थे। चारों तरफ चुदाई का माहोल था। जब सब थक गये तो अपने अपने कमरे में जाकर सो गये।
शाम को नाश्ते की टेबल पर सबने आबिदा और सलमा से पूछा कि दोपहर को क्या हुआ तो उन्होंने बताया कि किस तरह मालिश के दौरान आर्यन इतना उत्तेजित हो गया कि वो अपने आपको आबिदा को चोदने की चाह से रोक ना पाया। जब आबिदा ने मना किया तो उसने वादा किया कि वो आबिदा को कुतिया कभी नहीं बुलायेगा और दोपहर भर वो फ़िर आबिदा और सलमा को चोदता रहा।
अब जबकि आर्यन और आबिदा में सुलह गो गयी थी, माहोल और खुशनुमा हो गया था। रात का खाने खाने के बाद हम सब ड्रिंक्स पीते हुए टीवी पर एक ब्लू फिल्म देखने लगे।
फिल्म काफी सैक्सी थी। वो फिल्म एक कुँवारी लड़की की पहली चुदाई की कहानी थी, सब लोग शराब का मज़ा लेते हुए वो फिल्म देख रहे थे।
“वाह क्या पिक्चर है! काश मैं उस लड़के की जगह होता और चूत को फाड़ रहा होता!” राम अपने खड़े लंड को सहलाते हुए बोला।
“हाँ सही कह रहे हो...... देखो तो उसकी चूत का छेद कितना छोटा है!” शाम भी बोला।
“काश हमें भी कोई कुँवारी लड़की की चूत मिल जाती, हमारी बीवियाँ तो पहले इन साले राम और श्याम से चुदवा चुकी थीं, इसलिये ये मौका हमारे हाथ से जाता रहा”, जय और विजय दोनों साथ-साथ बोले।
“तुम सब लोग कुँवारी चूत की बात कर रहे हो, कुँवारी चूत में ऐसा क्या है?” आर्यन ने पूछा।
“आर्यन! तुम्हें नहीं पता कि कुँवारी चूत को चोदने में कितना मज़ा आता है”, राम ने कहा।
“यार! तुम्हें नहीं मालूम जब एक मस्ताना लंड किसी कुँवारी चूत में घुसता है तो उस कुँवारी चूत की झिल्ली उस लंड को अंदर जाने से रोक देती है। तब तुम्हें अंदर बाहर करके उस झिल्ली को फाड़ने के लिये जोर लगाना पड़ता है। और जब जोर लगाते हुए वो लंड चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ और उस झिल्ली को फाड़ता हुआ जड़ तक समाता है तो उसका मज़ा ही कुछ और होता है”, श्याम ने कहा।
“डियर! ये मज़ा ज़ुबान से बयान नहीं किया जा सकता, इसके लिये तो तुम्हें कुँवारी चूत का अनुभव करना होगा”, राम ने फिर जवाब दिया।
“मेरे प्यारे भाई! चिंता मत करो, एक दिन तुम्हें भी कुँवारी चूत चोदने का मौका मिलेगा”, फातिमा ने उसकी पीठ थपाते हुए कहा, “आप क्या कहती हैं मम्मी?” उसने रूही की ओर देखा।
“मैं अभी से कुछ नहीं कह सकती”, रूही ने आबिदा की ओर देख कर कहा, “आबिदा! सायरा के साथ तुम कहाँ तक बढ़ी हो?”
“मैडम! कुछ खास नहीं, हालांकि वो मुझे अपने मम्मे दबाने देती है और चुम्मा भी लेने देती है मगर अपनी चूत को हाथ लगाने नहीं देती”, आबिदा ने जवाब दिया।
“तो इसका मतलब है कि उसके भरोसे नहीं रहा जा सकता?” रूही ने कहा।
“हाँ मैडम! फिलहाल तो नहीं.... लेकिन वो रास्ते पे जरूर आ जायेगी, उसकी चूत बहुत गरम है”, आबिदा ने कहा।
“मम्मी! आप भी कमाल की हो! आपको पहले से ही मालूम था कि एक दिन हालात ऐसे हो जायेंगे और आपने आर्यन के लिये कुँवारी चूत पहले से ही सोची हुई थी?” फातिमा ने कहा।
“सायरा कौन? अपने माली की लड़की?” आर्यन ने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ वही!” आबिदा ने आर्यन की बात की पुश्टी की।
“काश उसकी कुँवारी चूत मुझे चोदने को मिल जाती”, आर्यन ने हताश होते हुए कहा।
“आर्यन इतने निराश मत हो! हो सकता है वो अब भी तुम्हें मिल जाये। आबिदा! ये बताओ कि उसकी उम्र कितनी है?” प्रीती ने पूछा।
“मैडम! वो कोई बच्ची नहीं है, और जहाँ तक मेरा अंदाज़ है उसकी उम्र अपने आर्यन बाबा जितनी ही होगी”, आबिदा ने जवाब दिया।
“ठीक है! आबिदा क्या वाकय में वो बहुत गरम मिजाज़ लड़की है?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ मैडम! वो मुझे अपने मम्मे चूसने देती है, और मेरे मम्मे भी बड़े सैक्सी अंदाज़ में चूसती है, लेकिन वो समाज की बंदिशों से शायद डरती है और इसी लिये इससे आगे नहीं बढ़ती”, आबिदा ने जवाब दिया।
“तब तो ठीक है! रूही आंटी कल आप सायरा को घर पर बुलाओ और मैं देखती हूँ कि वो अपनी चूत में लंड के लिये भीख कैसे नहीं माँगती”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“पर ये सब कैसे होगा?” रूही ने उत्सुक्ता से पूछा।
तब प्रीती ने रूही को स्पेशल दवाई की कहानी सुनाई कि कैसे ये सब हासिल हो सकता है। पर उसने खुद को और मेरी बहनों को पर्दे में ही रहने दिया।
“इसका मतलब है तुम वो दवाई अपने साथ लायी हो?” रूही बोली।
“हाँ! ले के तो आयी थी कि पता नहीं कब इस्तमाल करने की जरूरत पड़े, पर लगता है कि आज उसकी जरूरत पड़ ही गयी”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।
“तब तो ठीक है”, रूही ने कहा, “आबिदा एक काम करो! तुम उसके घर जाओ और उसके घर वालों को कहो कि मेहमान आये हैं और उसे शाम को कुछ देर भी हो सकती है काम पर से वापस आने में। लेकिन उन्हें इस बात का यकीन दिला देना कि कोई भी उसे घर तक छोड़ के जायेगा।”
आबिदा रात के खाने के थोड़ी देर बाद ही आकर बोली, “मैडम! वो सुबह नौ बजे पहुँच जायेगी।”
सुबह नाश्ते के बाद हम सब सायरा के आने का इंतज़ार कर रहे थे। “प्रीती! तुमने आबिदा को सब कुछ समझा दिया है ना?” रूही ने पूछा।
“हाँ! मैंने उसे वो स्पेशल दवाई मिले कोक कि बॉटल भी दे दी है.... और उसे कहा है कि संभल कर यूज़ करे.... ताकि सायरा को शक ना हो”, प्रीती ने कहा।
आर्यन ख्यालों में कहीं खोया हुआ था। “तुम्हें इतना चिंतित होने की जरूरत नहीं है”, प्रीती ने कहा।
“मैं चिंतित नहीं हूँ, बुस अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पा रहा हूँ”, आर्यन ने जवाब दिया।
“सिर्फ़ वैसे ही करना जैसा मैंने तुम्हें समझाया है, कहीं जोश में अपना लंड एक ही झटके में उसकी चूत में ना घुसेड़ देना, वर्ना वो दर्द में चिल्ला पड़ेगी और तुम्हें भी मज़ा नहीं आयेगा।”
“पहले उसे खूब प्यार करके उत्तेजित करना। और अगर वो अपने टाँगें जकड़ी रखे तो अपने लंड को प्यार से उसकी चूत पे इतना रगड़ना कि वो खुद-ब-खुद अपनी टाँगें फैला दे। फिर धीरे से अपना लंड उसकी चूत में डालना और धीरे से धक्के मारते हुए उसकी झिल्ली को फाड़ना, इससे तुम्हें भी मज़ा आयेगा और उसकी भी पहली चुदाई यादगार बन जायेगी”, प्रीती ने उसे समझाते हुए कहा।
इतने में आबिदा ने बताया कि सायरा आ गयी है और वो उसे किचन में लेकर जा रही है जहाँ सलमा उनका इंतज़ार कर रही है।
जैसे ही वो हम लोगों की नज़रों के आगे से गुज़र कर किचन की ओर बढ़ी तो मैंने देखा कि वो देखने में कोई बहुत सुंदर नहीं थी पर उसके शरीर की बनावट बहुत ही जानदार थी। उसकी छातियाँ बहुत ही बड़ी और भरी-भरी थी।
“आर्यन तुम सही में नसीब वाले हो”, जय ने कहा।
“सही में! उसकी चूत में लंड डालने में मुझे तो बहुत ही मज़ा आयेगा”, श्याम ने कहा।
“तुम्हें किसकी चूत में लंड डालने से मज़ा नहीं आता?” अंजू बोली।
किचन में पहुँच कर सायरा बोली, “हाय अल्लाह! इतने कपड़े धोने के लिये हैं, अभी कुछ दिन पहले ही तो मैं सब कपड़े धोकर गयी थी।”
“वो क्या है कि मैडम के कुछ मेहमान आये हैं, इसलिये कपड़े कुछ ज्यादा हो गये हैं, ऐसा करो कुछ चाय नाश्ता कर लेते हैं फिर हम साथ में सब कपड़े धो देंगे”, आबिदा ने उससे कहा।
“हाँ ये ठीक रहेगा”, सायरा ने कहा।
“क्या लेना पसंद करोगी, चाय या कोक?” आबिदा ने पूछा।
“आज मुझे कोक ही दे दो, गर्मी कुछ ज्यादा है”, सायरा ने कहा।
आबिदा ने उसे कोक कि बॉटल पकड़ाई। “तुम्हें पता है कि आज मैं इस घर में दूसरी बार कोक पी रही हूँ”, सायरा ने कहा।
“दूसरी बार? लेकिन हमने तो तुझे हमेशा ही चाय पीते देखा है, पहली बार कोक कब पिया था?” सलमा ने पूछा।
“ठीक है... मैं बताती हूँ लेकिन किसी से कहना नहीं”, सायरा ने कोक का सिप भरते हुए कहा, “पिछले साल जब आर्यन सहाब छुटियों में घर आये थे तो मैं उनके कमरे में उनके कपड़े रखने गयी तो उन्होंने मुझसे अच्छी तरह बात की और कहा कि सायरा आज गर्मी कुछ ज्यादा ही है, क्या तुम कोक पीना पसंद करोगी?”
“मैंने हाँ कर दी और उन्होंने मुझे कोक की बॉटल पकड़ा दी, फिर उन्होंने मुझे बाँहों में भरके चूमने की कोशिश की लेकिन मैं वहाँ से भाग आयी, मुझे लगा कि वो मुझे तभी चोद देंगे। मैं उसके बाद उनके कमरे में कभी नहीं गयी”, सायरा ने कहा।
“तुझे वहाँ रुकना चाहिये था, आर्यन बाबा का लंड सही में जानदार है”, आबिदा ने कहा।
“क्या कह रही हो तुम? इसका मतलब है तुम ने आर्यन से चुदवाया है”, सायरा ने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ!!! हम दोनों चुदवा चुकी हैं और सही में बहुत मज़ा आता है”, सलमा बोली, “क्या तुम्हें चुदवाने का दिल नहीं करता?”
“करता है पर डर लगता है! मैंने पढ़ा है कि चुदवाने में बहुत दर्द होता है”, सायरा बोली।
“तुमने गलत पढ़ा है, पहली बार हल्का सा दर्द होता है पर बाद में मज़ा ही मज़ा है”, आबिदा ने उसके मम्मे दबाते हुए कहा।
“पता नहीं मुझे क्या हो रहा है, ऐसा लग रहा है कि चूत में कीड़ियाँ रेंग रही हैं”, सायरा ने अपनी चूत खुजलाते हुए कहा।
हम समझ गये कि कोक ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।
“लाओ.... मैं देखती हूँ तुम्हें क्या हुआ है”, कहकर सलमा ने सायरा के ब्लाऊज़ के बटन खोलने शुरू किये।
“तू एक बार चुदवा के देख ले, फिर तुझे सब समझ आ जायेगा”, आबिदा ने उसे बिस्तर पर लिटाते हुए कहा।
आबिदा ने उसकी कमीज़ खोल कर उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके मम्मे सहलाने लगी।
“ओहहहह आबिदा तुमने तो मेरी हालत और खराब कर दी है”, सायरा बोली।
“एक काम करो! सलमा को बताओ तुम्हें कहाँ तकलीफ हो रही है, वो तुम्हारी मदद करेगी”, आबिदा ने कहा।
“मुझे नीचे की ओर तकलीफ हो रही है”, सायरा अपनी चूत को और जोरों से रगड़ती हुई बोली।
“इसका मतलब तुम्हारी चूत में खुजली हो रही है?” सलमा ने उसकी चूत पे हाथ फिराते हुए कहा।
“हाँ!!! यहीं खुजली हो रही है...” सायरा अपनी चूत को और रगड़ती हुई बोली।
सलमा ने फिर उसकी सलवार भी निकाल दी और पैंटी भी उतर दी और इस तरह सायरा पूरी नंगी हो गयी।
सायरा को बिस्तर पर लिटा कर आबिदा ने उसकी चूत को चूम लिया और उसकी चूत पर अपनी ज़ुबान फ़िराने लगी।
“ओहहहहहहह तुम ये क्या कर रही हो, अच्छा लग रहा है!!! हाँआआआ, आआआ ऊँऊँऊँआआआआ.....” सायरा सिसकी।
आबिदा अब उसकी चूत को जोरों से चाटने लगी और अपनी ज़ुबान उसकी चूत में डालने लगी।
“हाँ और डाल दो!!!! यहीं खुजली हो रही है”, सायरा ने आबिदा के सिर को दबाते हुए कहा।
“पर मैं इसके आगे नहीं जा सकती! मेरी जीभ ज्यादा अंदर तक नहीं जायेगी”, आबिदा बोली।
“पर खुजली तो अंदर हो रही है, वो कैसे शाँत होगी? प्लीज़!!!! अंदर तक घुसाओ ना!” सायरा तड़पते हुए बोली।
“फिर तो कोई मोटा और लंबा लौड़ा ही तुम्हारी खुजली को शाँत कर सकता है”, आबिदा उसकी चूत को जोरों से चाटती हुई बोली।
कुछ देर सन्नाटा छाया रहा। “ठीक है लौड़ा ही सही.... पर लौड़ा कहाँ से लेकर आयें?” सायरा छटपटाते हुए बोली।
“आर्यन बाबा कैसे रहेंगे? वैसे भी वो तुझे पसंद है!” आबिदा अपनी जीभ उसकी चूत में और अंदर घुसाते हुए बोली।
“क्या आर्यन बाबा यहीं हैं!” सायरा बोली।
बिना उसकी बात का जवाब दिये, आबिदा सलमा से बोली, “सलमा! जाओ और आर्यन को बुला लाओ और बोलो कि सायरा चाहती है कि आप उसकी चूत आज फाड़ दें?”
जैसे ही सलमा ने आर्यन को आकर ये कहा, आर्यन आबिदा के रूम की तरफ भागा और बीच में अपने कपड़े भी खोलता गया। आर्यन कमरे में पहुँचा और सायरा को नंगी देख कर अपने लंड को सहला रहा था।
“इसका लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है, ये मेरी छोटी सी चूत में कैसे घुसेगा?” सायरा ने डर के आबिदा से पूछा।
आर्यन उसके बगल में लेट गया और उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “डरो मत मेरी जान! मैं इतने प्यार से अपना लौड़ा तुम्हारी कुँवारी चूत में घुसाऊँगा कि तुम्हें पता भी नहीं चलेगा।”
आर्यन सायरा के ऊपर लेट कर उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। सायरा ने अपनी दोनों टाँगें सिकोड़ रखी थी। आर्यन प्रीती की बातों को खयाल में रख कर जोर से अपने लंड को रगड़ता जा रहा था।
आर्यन के लंड ने सायरा के शरीर में गर्मी भर दी। उसकी टाँगें अब धीरे-धीरे फ़ैलने लग रही थी। “मेरी जान! अपनी टाँगें और फ़ैलाओ ना!” आर्यन ने उसके होंठों को अपने होंठों में लेते हुए कहा।
आर्यन ने अपनी टाँगें उसकी टाँगों में फंसा कर उसकी टाँगों को और फैला दिया। फिर उसने अपना लंड उसकी चूत के छेद पे रख कर धीरे से अंदर दबाया। “ओहहहह मर गय़ीईई!!!!” सायरा सिसकी।
आर्यन ने अब अपने लंड का दबाव बढ़ाते हुए धीरे से एक और धक्का मारा, “ओहहहहह बहुत दर्द हो रहा है!!!! आर्यान बाबा..... प्लीज़ निकाल लीजिये, ओहहह आहहह... आबिदा इन्हें मुझ पर से हटाओ ना!!!! नहीं सहा जा रहा है”, सायरा दर्द से चिल्ला पड़ी।
आर्यन ने उसकी बातों को अनसुना करके उसके कंधे पकड़े और एक कसके धक्का मारा। “ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईई अल्लाहआआआ मर गयीईईई”, वो जोर से चींखी, और आर्यन का लंड उसकी झिल्ली को फाड़ते हुए उसकी चूत में जड़ तक समा गया।
आर्यन अपनी खुशी को रोक ना पाया कि वो भी आज एक कुँवारी चूत को चोद रहा है, वो रुक कर आबिदा की ओर मुस्करा कर देखने लगा। “बहुत अच्छे आर्यन बाबा! अब सायरा को प्यार से चोदो”, आबिदा ने आँख मारते हुए कहा।
आर्यन बड़े प्यार से सायरा को चोदने में लग गया। उसके हर धक्के के साथ सायरा की आँख से आँसू बह रहे थे।
“मेरी चूत में भी बहुत जोरों की खुजली हो रही है”, आबिदा बोली।
“मुझसे से भी ये नज़ारा देखा नहीं जा रहा है”, सलमा अपने कपड़े खोल कर अपनी बाँहें फ़ैलाते हुए बोली, “आओ हम दोनों एक दूसरे की प्यास बुझाते हैं।”
थोड़ी देर में ही दोनों नंगी हो एक दूसरे की चूत चाटने लग गयी।
थोड़ी ही देर में सायरा को भी मज़ा आने लगा। अब उसकी चींखें सिसकियों में परिवर्तित हो गयी थीं। “अब दर्द कम हुआ और मुझे अच्छा भी लग रहा है”, सायरा ने आर्यन को चूमते हुए कहा।
आर्यन ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी। “हाँ राजा चोदो!!! और जोर से चोदो!!! अब मज़ा आ रहा है”, सायरा अब उसके धक्कों का जवाब देती हुई बोली।
आर्यन अब पूरी ताकत लगा कर सायरा को चोद रहा था। हाँ और जोर से!!!! “ओहहहह आआआहहह चोदो राजा!!!!” सायरा भी अपने कुल्हे उछाल कर आर्यन की ताल से ताल मिला रही थी।
जैसे ही आर्यन ने अपनी रफ़्तार और बढ़ायी, सायरा का शरीर अकड़ने लगा। “ओहहहह और जोर से!!!! ओहहहह मेरा छूटाआआ”, कहकर सायरा ने पहली बार जीवन में झड़ने का मज़ा लिया। दो तीन धक्के और मार कर आर्यन के लंड ने भी अपनी पिचकारी सायरा की चूत में छोड़ दी।
दोनों का शरीर पसीने में लथपथ था और एक दूसरे को चूमे जा रहे थे।
आर्यन और सायरा एक दूसरे को चूमे जा रहे थे कि रूही कमरे में दाखिल हुई। “ये, यहाँ पर सब क्या हो रहा है?” रूही थोड़ा गुस्से में बोली।
“म..... मैडम.... मै... म....” सलमा घबराने का नाटक करते हुए बोली।
“हाय अल्लाह!!! ये तो मैडम हैं..... आर्यन बाबा! उठो मुझ पर से”, सायरा चिल्लाती हुई उसे अपने ऊपर से हटाने लगी।
“नहीं! मैं तुम्हें एक बार और चोदना चाहता हूँ!” आर्यन उसे जोर से अपनी बाँहों में भरते हुए बोला।
“पहले मुझ पर से उतरो...... फिर बताती हूँ!” कहकर सायरा उसे उठाने में अपना पूरा जोर लगने लगी।
“क्या कोई मुझे बतायेगा कि ये सब क्या हो रहा है?” रूही फिर से बोली। सलमा की समझ में नहीं आ रहा था कि रूही के दिमाग में क्या है, इसलिये वो चुप रही।
सायरा उठ कर पलंग पर बैठ गयी और रोने लगी।
“सायरा! मैंने तुम्हें यहाँ कपड़े धोने के लिये रखा है ना कि मेरे बेटे के साथ चुदाई करने के लिये!” रूही थोड़ा गुस्सा करते हुए बोली।
सुबकते और रोते हुए सायरा धीरे से इतना ही कह पायी, “म... म.... मुझे पता नहीं क्या हो गया था मैडम।”
“प्लीज़ मम्मी! मैं इसे एक बार और चोदना चाहता हूँ।” आर्यन बीच में बोला।
“अपना मुँह बंद रखो और चुपचाप बैठे रहो”, रूही ने उसे डाँटते हुए कहा।
आर्यन अपना मुँह खोल कर कुछ कहने जा रहा था कि सलमा ने खींच कर अपने पास किया और कान में फुसफुसायी, “आर्यन बाबा! प्लीज़ आप चुप रहिये।”
“तुम्हारे अम्मी-अब्बा क्या कहेंगे जब मैं उन्हें बताऊँगी कि कैसे तुमने मेरे बेटे की वासना को भड़का कर उससे चुदवाया है”, रूही उसे डराते हुए बोली। सायरा और जोर-जोर से रोने और सुबकने लगी।
तभी सलमा बीच में बोली, “सायरा! मैडम के पैरों पे पड़ कर अपनी गलतियों की माफी माँग लो, ये तुम्हें माफ़ कर देंगी।”
“मैडम! आप मुझे जो चाहे सज़ा दे दीजिये पर मेरे घर वालों को कुछ मत बताइयेगा”, सायरा रूही के पैरों को पकड़ते हुए बोली, “इसके लिये आप जो कहेंगी मैं करने को तैयार हूँ।”
“पहले उठकर खड़ी हो जाओ!” रूही ने धीमे से कहा, “और मुझे ये बताओ कि तुमने ऐसा किया क्यों?”
“मैडम, मुझे सही पता नहीं कि मैंने ऐसा क्यों किया, सलमा तुम क्यों नहीं मैडम को बताती हो। आबिदा तुम तो बताओ..... ओहह मैं अपने आपको संभाल नहीं पायी। पता नहीं क्यों मेरी चूत में जोरों की खुजली हो रही थी”, सायरा अपनी चूत को रगड़ते हुए बोली।
“सलमा! इसे मेरे कमरे में लेकर आओ”, रूही ने हुक्म दिया, “फिर देखते हैं कि इसकी खुजलाती हुई चूत के साथ क्या कर सकते हैं।”
“चलो अपने कपड़े पहन लो”, सलमा ने सायरा से कह
“नहीं! इसे इसी हालत में लेकर आओ। और तुम दोनों भी जिस तरह हो..... उसी तरह इसके साथ आओ,” रूही ने कहा। रूही अपने कमरे में दाखिल हुई और उसके पीछे तीनों लड़कियाँ और आर्यन।
“सायरा अब इन तगड़े और शानदार लंडों को देखो। इनमें से किस लंड से पहले तुम अपनी कसी चूत चुदवाना चाहोगी जिससे तुम्हारी चूत की खुजली मिट सके?” रूही ने पूछा।
“प.....प.... पर मैडम???” सायरा इतने सारे लंडों को निहारते हुए हकलायी।
“मैं कुछ भी नहीं सुनुँगी, तुमने वादा किया है कि जो मैं कहुँगी... तुम करोगी। अब लंड अपनी चूत में लेने को तैयार हो जाओ... विजय तुम पहले इसे चोदोगे”, रूही ने जैसे हुक्म दिया।
फिर जिस तरह हम सब ने टीना के जन्मदिन पर किया था वैसा ही किया। सब मिलकर सामुहिक चुदाई कर रहे थे। कोई चूत में लंड डाले हुए था तो कोई किसी की गाँड में। कोई चूत चाट रहा था तो कोई लंड चूस रही थी। इसी तरह शाम हो गयी।
“अब बताओ तुम्हारा दिन कैसा गया?” रूही ने सायरा से पूछा।
“मैडम! पहले तो मैं बहुत डरी हुई थी पर बाद में बहुत मज़ा आया”, सायरा ने मुसकराते हुए जवाब दिया।
“आज तुमने मुझे खुश कर दिया। ये लो तुम्हारा इनाम”, इतना कहकर रूही ने उसे एक हीरे का पेंडेंट दे दिया और साथ में पाँच हज़ार रुपये।
“मैडम ये क्या मेरा कुँवारापन खोने की कीमत है? मैं कोई वेश्या नहीं हूँ!” सायरा उदास होते हुए बोली।
“तुम वेश्या नहीं हो..... मैं जानती हूँ”, रूही ने नम्रता से कहा, “ये पेंडेंट मैं तुम्हें इसलिये दे रही हूँ कि आज मेरे बेटे ने पहली कुँवारी चूत की चुदाई की है। तुमने उसे लड़के से मर्द बना दिया..... और ये रुपये इसलिये हैं ताकि तुम कुछ अच्छे कपड़े, सैंडल और मेक-अप वगैरह का सामान खरीद सको..... आबिदा और सलमा इसमें तुम्हारी मदद कर देंगी.... अब से इस घर में आओ तो तुम भी इन दोनों की तरह ही टिप-टॉप बन कर आओ।”
“शुक्रिया मैडम! पर ये पेंडेंट तो बहुत कीमती लगता है”, सायरा पेंडेंट को ऊपर से नीचे देखते हुए बोली, “अगर मेरे घर वाले इसे देखेंगे तो समझेंगे कि मैं इसे चुरा के लायी हूँ।”
“तुम इसकी चिंता मत करो! ऐसा नहीं होगा”, रूही हँसते हुए बोली, “आबिदा तुम्हें घर तक छोड़ आयेगी और तुम्हारे घर वालों को बता देगी कि ये रुपये और पेंडेंट मैंने तुम्हें दिया है।”
“चलो सायरा! अब घर चलते हैं”, आबिदा दरवाजे की ओर बढ़ते हुए बोली।
जैसे ही सायरा जाने के लिये मुड़ी, आर्यन ने पूछा, “सायरा! अब हम फिर चुदाई कब करेंगे?”
“शुक्रवार को!” उसने शरमाते हुए कहा और आबिदा के पीछे भाग गयी।
जब आबिदा वापस लौटी तो रूही ने उससे पूछा, “उसके अम्मी-अब्बा से तुमने क्या कहा?”
“यही कि ये आपने उसे आर्यन बाबा के जन्मदिन पर इनाम दिया है”, आबिदा ने जवाब दिया।
“क्या उन्होंने तुम्हारी बात पर विश्वास कर लिया?” रूही ने पूछा।
“हाँ कर लिया... और मुझसे ये भी पूछा कि क्या मुझे भी कोई तोहफ़ा मिला है”, आबिदा हँसी।
“तो तुमने क्या जवाब दिया?” रूही बोली।
“मैंने कहा कि मुझे तो मेरा तोहफ़ा दो दिन पहले ही मिल गया था, है ना आर्यन बाबा?” आबिदा आर्यन की ओर देखते हुए बोली।
दूसरे दिन आयेशा ने प्रीती से वही स्पेशल दवाई माँगी। “तुम्हें क्यों चाहिये?” प्रीती ने पूछा।
“मैं इसे पीकर इसका असर देखना चाहती हूँ”, आयेशा ने जवाब दिया।
“नहीं इसे मत देना! इसकी चूत पहले से ही इतनी भूखी है और अगर इसने ये दवाई पी ली तो ये तो हमारे लंड से चुदवा चुदवाकर हमें मार डालेगी!” सब लड़के चिल्लाये।
“आयेशा! मुझे लगता है कि ये लड़के सही कह रहे हैं। ये दवाई तो लड़की की चूत को गरमाने के लिये है। अल्लाह ने तो तुम्हारी चूत को पहले से ही इतना गरमा रखा है कि तुम्हें इस दवाई की जरूरत नहीं है”, प्रीती ने उसे समझाया।
“तुम लोगों में कोई नहीं चाहता कि मैं भी थोड़ा मज़ा लूँ!” आयेशा ने हँसते हुए शिकायत की।
हमारे अगले दो दिन खूब मौज मस्ती में गुजरे, बल्कि ये कहो कि चुदाई में गुजरे। जब हम सब रूही से विदाई ले रहे थे तो मैंने रूही को हमारे यहाँ आने की दावत दी। “शुक्रिया, मुझे जैसे ही टाईम मिलेगा मैं जरूर आऊँगी”, रूही ने जवाब दिया।
“रूही इस शनिवार को क्यों नहीं आ जाती हो? हम भी सोमवार को अपने घर वापस जाने वाले हैं। अगर आ जाओगी तो आखिरी बार हमारा मिलना हो जायेगा”, जय ने कहा।
“हाँ ये अच्छा रहेगा। फातिमा और आर्यन को भी अपने साथ ले आना”, मैंने कहा।
रूही कुछ देर तक सोचती रही। “ठीक है! रवि भी दो दिन बाद चला जायेगा फिर मैं फ़्री हूँ”, रूही बोली, “ठीक है हम शनिवार कि शाम तक पहुँच जायेंगे।”
जब हमारा सामान गाड़ी की डिक्की में रखा जा रहा था तो मैंने देखा कि आयेशा हम सब के बीच नहीं थी। “ज़ुबैदा! तुम्हें पता है कि आयेशा कहाँ है?” मैंने पूछा।
“वो मुझसे बोली थी कि वो रवि और आर्यन को गुड-बॉय बोल कर आ रही है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।
“गुड-बॉय करके तो मुझे आधा घंटा हो गया”, रवि ने कहा। इतने मैं आयेशा और आर्यन हँसते हुए आ गये। “हरामी साले, लगता है कि तेरा चुदाई से जी नहीं भरा अभी तक?” रूही ने आर्यन को धीरे से एक थप्पड़ लगाते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“ओह मम्मी! मैं आयेशा को कुछ दे रहा था जिससे वो मुझे याद रखे”, आर्यन ने शर्माते हुए कहा।
“कहीं देने के चक्कर में इसे प्रेगनेंट तो नहीं कर दिया..... जिससे ये तुम्हें ज़िंदगी भर याद रखे?” रूही हँसते हुए बोली।
“आर्यन डरो मत! मैं प्रेगनेंट नहीं होऊँगी पर हाँ मैं तुम्हें हर वक्त हर पल याद रखुँगी”, आयेशा ने उसे कहा।
जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय से पूछा, “अच्छा बताओ जब रूही यहाँ आयेगी तो तुम किस तरह की पार्टी करना चाहोगे।”
जय कुछ कहता उससे पहले विजय बोल उठा, “मुझे तो कुँवारी चूत चोदने में मज़ा आता है।”
“विजय तुम चुप बैठो। पिछली बार हम तुम्हारी बात मान चुके हैं। अब जय की बारी है।” मैंने जवाब दिया।
“और हमारा क्या, तुम हमसे नहीं जानना चाहोगे कि हमें क्या पसंद है?” राम और श्याम साथ-साथ बोले।
“नहीं! मैं जरूरी नहीं समझता!” मैंने थोड़ा गुस्से में कहा।
“दीदी! तुम ही जीजाजी को समझाओ ना।”
प्रीती हँसते हुए बोली, “तुम लोग राज का बुरा मत मानो। ये मज़ाक कर रहा है। आखिर जय और विजय इस घर के दामाद हैं, इसलिये उनका स्थान पहले है।”
“तो क्या हुआ? हम भी तो इनके साले हैं।” वो कहावत भूल गयी क्या, “सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ?” राम ने कहा।
“हाँ तुम दोनों ठीक कह रहे हो। मैं तो मज़ाक कर रहा था। ऐसा है पहले जय की पसंद देख लेते हैं, फिर तुम दोनों की”, मैंने कहा।
“मेरा तो सपना है कि एक माँ की चुदाई उसकी बेटी के साथ करूँ!” जय ने कहा।
“अच्छा सपना है.... मैं भी यही ख्वाहिश रखता हूँ”, राम ने कहा।
“और मैं तो विजय की तरह किसी कुँवारी चूत को चोदना चाहुँगा।”
थोड़ी देर सोचने के बाद मैं बोला, “ठीक है! मैं सब इंतज़ाम कर लूँगा। मैं एक जोड़ी माँ बेटी की भी ले आऊँगा जिसे तुम लोगों ने नहीं चोदा होगा।”
आगले दो दिन मैं अपने बचे हुए काम पूरा करने में लगा हुआ था। तीसरे दिन आयेशा ने मुझसे कहा, “सर मैंने सुना ही कि शनिवार की रात को आपके यहाँ एक पार्टी है?”
“हाँ है!” मैंने जवाब दिया, “किसने बताया तुम्हें।”
“विजय ने!” आयेशा ने कहा, “क्या मुझे नहीं बुलायेंगे?”
“नहीं मैं तुम्हें नहीं बुला सकता क्योंकि ये सिर्फ़ माँ-बेटी की पार्टी है”, मैंने जवाब दिया।
मेरी बात सुनकर वो उदास हो गयी। मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा, “आयेशा समझने की कोशिश करो..... वैसे भी तुम्हारी चुदाई तो होती रहती है।”
“कहाँ होती है.... देखिये ना”, कहकर उसने मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
“आयेशा, मेरी जान! पार्टी के अलावा जो तुम कहो मैं करने को तैयार हूँ”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
“आप सच कह रहे हैं? मुकर तो नहीं जायेंगे?” उसने मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच लेते हुए कहा।
“ना नहीं कहुँगा, तुम कह कर तो देखो।”
“तो आज पूरा दिन मुझे इस सोफ़े पर चोदते रहिये!” आयेशा ने कहा।
“मेरा बहुत काम पेंडिंग पड़ा है..... इसलिये पूरा दिन तो नहीं, हाँ! दो बार तुम्हारी चुदाई करूँगा और फिर तुम छुट्टी लेकर विजय और दूसरों से चुदवाने जा सकती हो”, मैंने कहा।
“ठीक है, जब आपकी यही मरज़ी है तो......” उसने थोड़ा निराश होते हुए कहा।
जब मैं दूसरी बार उसकी चूत में अपना लंड डाल रहा था उसी वक्त फोन कि घंटी बजी। मैं फोन उठाना चाहता था पर आयेशा ने मुझे रोक दिया।
“डार्लिंग! जरूरी फोन भी हो सकता है”, मैंने कहा।
“इस समय मेरी चूत से जरूरी कोई काम नहीं है! बस मुझे इसी तरह चोदते जाइये”, आयेशा ने अपने कुल्हे उछालते हुए कहा, “हाँ सर! इसी तरह जोर से अपना लंड घुसाते रहिये।” फोन दो चार बार बज कर बंद हो गया।
ऑफिस के दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई और नसरीन ऑफिस में आ गयी। “सर! आपको डिस्टर्ब करने के लिये माफी चाहती हूँ पर एम-डी आपको अर्जेंटली बुला रहे हैं।”
“कह दो कि ये नहीं आ सकते”, आयेशा ने झल्लाते हुए कहा, “तुम देख नहीं सकती कि ये बीज़ी हैं।”
“नहीं नसरीन! तुम ये मत कहना। कहना कि जैसे ही मुझे काम से फ़ुर्सत मिलेगी मैं आ जाऊँगा”, मैंने कहा। फिर मैंने आयेशा से कहा, “क्या तुम चाहती हो कि मैं अपनी नौकरी से हाथ धो बैठूँ?” बदले में वो शरारत से मुस्कुरा पड़ी।
थोड़ी देर में एम-डी मेरे केबिन में आया। “मुझे पहले ही समझ जाना चाहिये था कि तुम चुदाई में व्यस्त हो, इसलिये समय नहीं मिल रहा”, एम-डी हँसा, “राज! मुझे मिस्टर खोसला के साथ हुई तुम्हारी मीटिंग की डिटेल्स चाहिये।”
“क्या आपने वो रिपोर्ट देखी नहीं?” मैं चौंक पड़ा था। फिर आयेशा की ओर देखते हुए मैंने पूछा, “मैंने तुम्हें मिस्टर खोसला की रिपोर्ट डिकटेट करायी थी, वो कहाँ है?”
“अगर आपने डिकटेट करायी होती तो मैं उसे टाईप ना कर देती। मैं अपने काम में पूरी तरह पाबंद हूँ”, आयेशा अपनी बात पे जोर देती हुई बोली।
करीब दस मिनट के बाद एम-डी ने कहा, “नसरीन इसकी डेस्क पूरी तरह देख चुकी है..... वो वहाँ नहीं है।”
“आयेशा! ये तुमने क्या किया, जरा अपने दिमाग पे जोर दो”, मैंने फिर कहा।
“मैं कैसे सोचूँ.... जब एक लंड मेरी चूत को इतनी जोर से चोदे जा रहा है”, आयेशा ने शिकायत की।
“आयेशा या तो अपने दिमाग पे जोर दो नहीं तो मैं तुम्हारी चूत को चोदना बंद कर दूँगा”, मैंने उसे धमकाते हुए कहा।
“नहीं सर! ऐसा मत करना, मुझे याद आ रहा है..... मैंने वो रिपोर्ट मीना मैडम को दी थी”, आयेशा ने कहा।
“सर आपको तकलीफ हुई..... उसके लिये माफी चाहता हूँ”, मैंने एम-डी से कहा।
“मिस्टर खोसला दो बजे ऑफिस आने वाले हैं, कांट्रैक्ट साइन करने कि लिये, मैं चाहता हूँ कि उस समय तुम भी वहाँ मौजूद रहो”, एम-डी ने कहा और केबिन के बाहर चले गये।
शनिवार कि सुबह ही रूही, फातिमा और आर्यन के साथ मेरे घर पहुँच गयी। एक दूसरे को नमस्ते करने के बाद आर्यन ने लड़कियों को अपनी बाँहों में ले लिया, “आओ मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम लोग पूरे हफ़्ते क्या मिस करती रही हो।” हँसते और खिलखिलाते हुए वो लड़कियाँ आर्यन को बेडरूम में घसीट के ले गयीं।
लड़के भी पीछे नहीं थे। “फ़ातिमा खाने से पहले क्या तुम एक स्पेशल कॉकटेल पीना पसंद करोगी जिसमें हमारे लंड का पानी मिला हो?” उन्होंने दूसरे बेडरूम की ओर इशारा करते हुए कहा। “हाँ फिर तो मज़ा आ जायेगा”, फातिमा चहकते हुए बोली।
“आर्यन को तो अब एक ही शौक रह गया है, चोदना, चोदना और सिर्फ़ चोदना। जबसे तुम लोग गये हो, आबिदा और सलमा, दोनों रात में उसके साथ सोती हैं। वो रात को तो उनको चोदता ही है पर दिन में जब भी मौका मिलता है अपना लंड उनकी चूत में पेल देता है”, रूही ने आर्यन की ओर देखते हुए कहा।
“मज़े करने दो उसे! क्या शुक्रवार को सायरा आयी थी?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ आयी थी। आर्यन उसका इंतज़ार कर रहा था और जैसे ही वो आयी उसे अपने कमरे में ले गया। वो शाम को घर जाने के समय ही बाहर आयी”, रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।
“फिर उसके काम का क्या हुआ?” प्रीती ने पूछा।
“मैं ये बर्दाश्त नहीं करती कि काम बाकी पड़ा रहे। उसका काम आबिदा और सलमा को करना पड़ा”, रूही ने जवाब दिया।
“क्या उन्हें बुरा नहीं लगा?” प्रीती ने पूछा।
“नहीं... वो दोनों आर्यन से बहुत मोहब्बत करती हैं। आबिदा से तो मुझे ये भी पता चला कि सायरा की तीन छोटी बहनें हैं। और जब वो बड़ी हो जायेंगी तो सायरा पहली बार आर्यन से ही उनकी चुदाई करवायेगी”, रूही ने जवाब दिया।
“क्यों ना खाने के पहले ड्रिंक्स और थोड़ी चुदाई कर ली जाये?” मैंने रूही से पूछा।
“मुझे तो लग रहा था कि तुम पूछोगे ही नहीं”, रूही हँसते हुए बोली।
जब हम रूही की चुदाई कर चुके थे तो रूही ने पूछा, “क्या तुम्हारे एम-डी आ रहे हैं?”
“हाँ! वो आ रहे हैं। मैंने उन्हें तुम्हारे बारे में बताया था। वो तुम्हें चोदने की फ़िराक में है”, मैंने जवाब दिया।
“अगर वो तुम्हें चोदे तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?” प्रीती ने पूछा।
“नहीं! बुरा क्यों लगेगा? मैं तुम्हारे एम-डी को बरसों से जानती हूँ। वो कई सालों से मेरे पीछे पड़ा हुआ है। जब भी मैं अपने शौहर के साथ क्लब में उससे मिलती तो वो मुझे छेड़ने से बाज़ नहीं आता था। पर अब जब कि मैं बेवा हो चुकी हूँ तो मैं भी उससे चुदवाना चाहुँगी”, रूही ने जवाब दिया।
“उससे चुदवाकर तुम्हें पछतावा नहीं होगा। एम-डी जानता है कि औरतों को खुश कैसे किया जाता है”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“उम्मीद है ऐसा ही होगा! उसे चुदाई की काफी प्रैक्टिस है”, रूही बोली।
पार्टी रात को सात बजे शुरू होने वाली थी। साढ़े छः बजे दरवाजे की घंटी बजी। “इस समय कौन हो सकता है?” प्रीती ने पूछा।
“आयेशा ही होगी!” मैंने जवाब दिया।
“मैंने तो सोचा था कि तुम उसे नहीं बुलाने वाले हो!” प्रीती ने कहा।
“पहले मैं उसे नहीं बुलाना चाहता था। पर जो खेल आज की रात के लिये मेरे दिमाग में है, उसके लिये एक लड़की कम पड़ रही थी..... सो मैंने उसे बुला लिया”, मैंने प्रीती को समझाया।
“कैसा खेल?” रूही ने उत्सुक्त में पूछा।
“उसके लिये तुम्हें थोड़ा इंतज़ार करना होगा”, मैंने आयेशा को अंदर लेते हुए कहा।
हमेशा की तरह आयेशा बहुत ही सुंदर लग रही थी। उसने बहुत ही अच्छा मेक-अप किया हुआ था और आसमानी नीले रंग का बहुत ही सैक्सी सलवार-कमीज़ और उससे मैचिंग सफ़ेद रंग के हाई-हील के सैंडल पहन रखे थे। “आओ आयेशा! तुम्हारा स्वागत है”, प्रीती ने कहा। “मेरे करीब तो आओ जरा ताकि मैं तुम्हें अच्छी तरह निहार सकूँ।”
एक प्यारी मुस्कान के साथ आयेशा प्रीती के सामने एक मॉडल की तरह खड़ी हो गयी। “बहुत सुंदर लग रही हो...... एक दम किसी अप्सरा की तरह”, प्रीती ने उसे गले लगाते हुए कहा, “लेकिन तुम्हारी आँखें सुर्ख क्यों हैं, क्या तुम रोती रही हो?”
उसकी आँखों में तुरंत ही आँसू आ गये और उसने गर्दन हिला दी, “हाँ!”
“क्या हुआ.....? बताओ मुझे”, प्रीती ने पूछा।
“उन्हें सब मालूम पड़ गया है! ऑफिस में क्या होता है और आपके घर पर क्या-क्या होता है”, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।
“ओह गॉड! फिर तो तुम्हारे अब्बा ने जमकर डाँट लगायी होगी तुम्हें?” मैंने कहा।
“हाँ! उन्होंने जरूर मेरी ठुकाई की होती अगर अम्मी ने उन्हें रोक ना दिया होता”, आयेशा ने नज़रें झुकाते हुए कहा।
“तुम्हारी अम्मी ने उन्हें रोका???” मैं आगे कहना चाहता था कि आयेशा हँस पड़ी, “सर! ये मगरमछी आँसू थे। पर ये सच है कि उन्हें सब पता चल गया है।”
“आयेशा थोड़ा सीरियस होकर सब सच-सच बताओ”, मैं थोड़ा जोर से बोला।
“सर! जब मैंने अब्बा से आज की रात को आने के लिये उनकी इजाज़त चाही तो वो मुझ पर बरस पड़े। कहने लगे कि वो सब जानते हैं कि वहाँ ऑफिस में और आपके घर पर क्या होता है।”
“वो इतना गुस्से में थे कि फिर अम्मी को बीच में आना पड़ा और उन्होंने सब उन्हें शुरू से बता दिया।”
“पर तुम्हारी अम्मी को कैसे पता चला?” प्रीती ने पूछा।
“जब एक महीने मुझे महावारी नहीं हुई थी तो उन्हें शक हो गया था। तब मैंने अम्मी से कहा था कि वो सच कह रही हैं, और मैंने उन्हें बताया कि कैसे प्रीती जी ने मेरा खयाल रखा था। तब अम्मी ने मुझसे कहा कि जो हो चुका है वो वापस नहीं आ सकता..... बस मैं एक बात का खयाल रखूँ कि घर की बदनामी ना हो।”
“बस फ़िर क्या था...... मैं तुरंत तैयार हुई और यहाँ चली आयी। सॉरी मैं थोड़ा जल्दी ही आ गयी।” आयेशा ने अपनी कहानी पूरी करते हुए कहा।
हम लोग बातों को और आगे बढ़ाते कि दरवाजे की घंटी बजी। “रुको मैं देखता हूँ”, कहकर मैं दरवाजे की ओर बढ़ा।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मैंने रूही को प्रीती से कहते सुना, “मैं अभी दो मिनट में आती हूँ।”
मैं एम-डी और उनके परिवार को अंदर लेकर आ गया। साथ ही अनिता और मीना भी आ गये। इस तरह सभी मेहमान आ चुके थे। आपस में परिचय और स्वागत के बाद एम-डी ने मुझसे पूछा, “राज! रूही कहाँ है?”
“हाय राजू! मैं तुम्हारे पीछे खड़ी हूँ”, रूही ने कहा।
“हाय रूही मेरी जान!” एम-डी ने उसे गले लगाते हुए कह।, “तुम पहले से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और जवान लग रही हो।”
“तुम पहले से जरूर थोड़े उम्र में बड़े लग रहे हो पर आज भी कोई भी औरत तुम्हारी ख्वाहिश कर सकती है”, रूही ने जवाब दिया।
“दोस्तों! इससे पहले कि हम बातचीत का दौर आगे बढ़ायें, क्यों ना हम सब अपने कपड़े उतार कर एक दूसरे से घुल मिल जायें”, मैंने घोषणा करते हुए कहा।
सब लोग अपने कपड़े उतार कर नंगे हो गये और ड्रिंक्स पीते हुए आपस में बातें करने लगे। औरतों ने सिर्फ अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे।
रूही के नंगे बदन को अपनी गिरफ़्त में लेकर एम-डी ने उसके मम्मों को मसल दिया। “रूही! आज मैं तुम्हें दिल भर के चोदूँगा। याद है मैंने तुमसे कहा था कि एक दिन मैं तुम्हें जरूर चोदूँगा।” “उन दिनों का तो मुझे पता नहीं कि तुम मुझे चोद पाते कि नहीं....... हाँ! आज जब मैं बेवा हो गयी हूँ तो जिससे मेरा मन करे उससे चुदवा सकती हूँ”, कहकर रूही ने जोर से एम-डी के खड़े लंड को भींच दिया, “आज मैं तुम्हारे लंड से एक-एक बूँद निचोड़ लूँगी।”
“राज कह रहा था कि तुम्हारी चूत काफी कसी हुई और गरम है!” एम-डी ने उसके मम्मों को मसलते हुए कहा।
“चोद कर खुद देख लो!” रूही हँसते हुए उसके लंड को और रगड़ने लगी।
“रूही! क्या तुम उस लड़की को जानती हो जो आयेशा से बात कर रही है?” एम-डी ने पूछा।
“वो मेरी बेटी फातिमा है”, रूही ने जवाब दिया।
“क्या उसकी भी चूत तुम्हारी चूत की तरह गरम है?” एम-डी ने पूछा।
“उसकी भी चूत को चोद के देख लो.....” रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।
“हाँ! मैं चोद के जरूर देखूँगा। लेकिन पहले तुम्हारी चूत को और फिर तुम्हारी बेटी की चूत को”, एम-डी जोर-जोर से उसकी चूचियों को मसलते हुए कहा।
“फातिमा! जरा यहाँ तो आना”, रूही ने आवाज़ लगायी। फातिमा अब तक काफी शराब पी चुकी थी और ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में लड़खड़ाती उनके पास आयी। रूही ने उसका परिचय कराया, “इनसे मिलो! ये हमारे परिवार के पुराने जान पहचान वालों में से हैं और तुम्हारी सहेली रजनी के अंकल भी..... मिस्टर राजू।”
“सलाम सर!” फातिमा ने थोड़ा सा सर झुका कर उसे सलाम किया।
“मेरे पास आओ!” एम-डी ने कहा, “जरा तुम्हारे बदन की गरमाहट को महसूस करने दो।” फिर एम-डी ने फातिमा की चूचियों को जोर से मसलते हुए कहा, “तुम्हारी चूचियाँ कितनी भरी भरी हैं। लगता है कि तुम्हें चोद कर मुझे काफी आनंद आयेगा।”
“उम्मीद करती हूँ कि आपके लंड में इतना पानी हो कि वो हम दोनों की चूत कि प्यास बुझा सके”, कहकर फातिमा ने एम-डी के लंड को जोर से मसल दिया।
“प्लीज़ सब लोग मेरी बात पर ध्यान दें......” मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा, “आज की पार्टी का थीम है माँ-बेटी। पहले मैं आप सबसे उन चूतों का परिचय करा दूँ जो आज की रात माँ-बेटी की जोड़ी बन कर आयी हैं। पहली जोड़ी है मिली और टीना की!” कमरे में जोर की ताली बजने लगी।
“दूसरी जोड़ी है योगिता और रजनी की, तीसरी है अनिता और मीना की, और आखिरी है रूही और फातिमा की। उसके बाद हमारे बीच हैं, दो सगी बहनें, अंजू और मंजू और उनका साथ दे रही हैं मेरे सालों की बीवियाँ सिमरन और साक्षी। और आखिर में है मेरी बीवी प्रीती और और सुंदर आयेशा। प्लीज़ सब इनका जोर से ताली बजा कर स्वागत करें।”
कमरे में जोर की तालियों की गड़गड़ाहट गूँज पड़ी। शराब पानी की तरह पी जा रही थी और सब नशे और मस्ती में चूर थे। “आज की रात हम एक खेल खेलेंगे। हर मर्द अपने पसंद की जोड़ी चुनेगा। वो जोड़ी को अदल-बदल नहीं कर सकता”, मैंने कहा।
“मैं रूही और फातिमा को चुनता हूँ!” एम-डी थोड़े उतावले स्वर में बोला।
“सर! आप थोड़ा सब्र कीजिये। आपकी बारी बाद में आयेगी। पहली बारी जय की है। माँ -बेटी की जोड़ी को इस पार्टी में बुलाया जाये, ये सुझाव उसका था और इसलिये पहला हक उसका बनता है। जय के चुनने के बाद उम्र को महत्व दिया जायेगा। जय तुम किसे चुनना चाहोगे?” मैंने कहा।
“एम-डी को अपनी पसंद लेने दो! मैं अनिता और मीना को चुनता हूँ”, जय ने उन दोनों को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा।
एम-डी के बाद मैं ही उम्र में बड़ा था। सो मैंने मिली और टीना को अपनी बाँहों में भर लिया। उसके बाद पसंद चलती रही और परिणाम ये था कि राम ने योगिता और रजनी को चुना। श्याम ने अंजू और मंजू दोनों बहनों को। विजय ने अपने आपको सिमरन और साक्षी के साथ कर लिया। आर्यन अपनी पुरानी दो प्रेमिकाओं, प्रीती और आयेशा को पाकर खुश था।
“राज तुमने ये नहीं बताया कि खेल क्या है?” अनिता ने जय के लंड को अपने ग्लास में डालकर शराब में नहलाते हुए पूछा।
मेरे लिविंग रूम के कोने में बने बार की तरफ इशारा कर मैंने कहा, “जो भी चाहे बार से ड्रिंक ले सकता है। जी भर कर पीजिये और मैं खेल और उसके नियम आप सबको १५ मिनट बाद बताऊँगा। सो प्लीज़ आप सब इंजॉय करें और १५ मिनट का इंतज़ार।”
राज तुमने ये नही बताया कि खेल क्या है?' अनिता ने ज़य के लंड को प्यार से मसल्ते हुए पूछा.
मेरे लिविंग रूम के कोने मे बने बार की तरफ इशारा कर मेने कहा.'जो भी चाहे बार से ड्रिंक ले सकता है.में खेल और उसके नियम आप सब को 15 मिनिट बाद बताउन्गा.सो प्लीज़ आप सब एंजाय करें और 15 मिनिट का इंतेज़ार.' आज मेरे घर मे एक पार्टी थी.मेने एक खेल रखा था और सब उसके नियम सुनने को बैचेन थे.
15 मिनिट हो चुके थे.दोस्तों अब जो खेल मेने रखा है प्लीज़ सब ध्यान से उसके नियम सुन ले.' में सबका ध्यान अपनी और आकर्षित कर बोला.'दीवार पर लगी घड़ी मे इस समय 7.30 बजे है.ठीक 8.15 पर बार बंद हो जाएगा.और 8.15 से 9.00 के बीच हर मर्द को अपनी औरतों की जोड़ी को एक बार ज़रूर चोद्ना है.ठीक 9.00 बजे औरतों को अपने अपने मर्द का लंड चूसना है.जिस जोड़ी की औरत अपने मर्द का पानी पहले छुड़ाने में कामयाब होगी वो ही इस खेल की विजेता होगी.कोई सवाल है किसी के दिल मे?
'क्या हम औरतों की चुदाई एक बार से ज़्यादा बार नही कर सकते?' संजू ने पूछा.
तुम्हारा दिल चाहे उतनी बार तुम उनको चोद सकते हो पर तुम्हारी जोड़ीदार औरतों को ही तकलीफ़ होगी तुम्हारा पानी छुड़ाने मे.' मेने जवाब दिया.
पहले किसको चोद्ना है मा को या बेटी को?' राम ने पूछा.
इसकी कोई पाबंदी नही है.ये तुम लोग आपस मे तय कर सकते हो.' मेने उसकी बात का खुलासा किया.
नही में इस बात से सहमत नही हूँ.' मिली ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा,उम्र के हिसाब से अहमियत बड़ों को पहले मिलनी चाहिए.क्या सब मेरी बात को मानते है.'सबने उसकी बात का समर्थन किया.
तो ठीक है जो बड़े है पहले वो चुदाई करेंगे.' मेने कहा.
क्या जीतने वाले को इनाम भी मिलने वाला है.अगर हां तो वो क्या है?' निशा ने पूछा.
इनाम ये है कि जीतने वाली आज अपना चुदाई का कोई भी ख्वाब पूरा कर सकती है.' मेने कहा ,और कोई सवाल.
'क्या लंड चूसने के भी कोई नियम है.' अनिता ने पूछा.
नही उसके कोई नियम नही है,सिर्फ़ इतना की लंड चूस्ते वक़्त औरतें अपने हाथों का इस्तेमाल नही करेंगी.' मेने कहा,और कुछ पूछना है किसी को.
'हां बार वापस कब खुलेगा?' विजय ने पूछा.
जैसे ही ये खेल कोई जीत लेगा.' मेने जवाब दिया.
'वैसे बार अभी खुला है.'मम्मी.' संजू रूही के पास पहुँचा.
हां बेटा तुम ड्रिंक ले सकते हो पर ज़्यादा मत लेना.' रूही ने संजू के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.
क्या तुमने पहले कभी शराब पी है?' निशा ने संजू से पूछा.
नहीं आज से पहले कभी नहीं पी पर आज पीने वाला हूँ.' संजू ने कहा.चलो बियर पीते हैं मेरा भी ये पहला मौका है.
' निशा संजू को घसीट कर बार की ओर ले गयी.कितनी अच्छी जोड़ी है दोनो की.' मेने रूही के कान में कहा.
हां मे भी यही सोच रही थी.' रूही ने जवाब दिया.जब हम सब ड्रिंक करते हुए आपस मे बातें कर रहे थे तो एमडी ने कहा,राज में तुम्हे बता सकता हूँ कि आज कौन जीतेगा.
'कौन?' मेने पूछा.
मैं अपने पैसे अनिता पर लगा सकता हूँ.मेरी जिंदगी मे कई औरतों ने मेरा लंड चूसा पर अनिता का लंड चूसने का अंदाज़ ही निराला है.वो एक नपुंसक के लंड मे भी जान डाल सकती है.' एमडी ने हंसते हुए कहा.
पर सर मिली,रूही और प्रीति भी किसी से कम नही है.मुझे लगता है कि स्पर्धा काफ़ी नज़दीकी होगी.' मेने कहा.
अनुभवी इंसान की बात को मानना सीखो हमेशा फ़ायदे में रहोगे.' एमडी ने अपनी छाती पे हाथ ठोकते हुए कहा.
ठीक 8.15 बजे सात खड़े लंड सात गीली हुई चूतो मे घुस गये और एक साथ सात आवाज़े 'आआआआआअहह' की कमरे मे गूँज पड़ी.थोड़ी ही देर मे कमरे का महॉल गरमा गया.चारों तरफ से सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी,ओह हााआआं चूऊऊदो मुझीईई.' कोई कह रहा था,हाआाआअँ जोर्र्र्र्र्र्ररर से और जोर्र्र्र्र्ररर से डाआआअलो हाआआं और जोर्र्र्रर से.'कुछ देर बाद सिसकारिया बड़बड़ाहट मे बदल गयी,रक्क्क्कक्नया मत्त्त्त चोद्द्द्द्द्द जऊऊ और जोर्र्र्ररर से मेरााआ छूटनीईईई वाला है.' और मर्दों ने एक ज़ोर की `आआआआअहह' कहकर अपना पानी उनकी चूत मे छोड़ दिया.जैसे ही सब मर्दों का लंड दुबारा खड़ा हुआ उन्होने बेटियों की चूत मे अपना लंड घुसा चोद्ने लगे.थोड़ी देर मे सब औरतों की चुदाई एक बार हो चुकी थी.सब मर्द अपनी उखड़ी सांसो को संभाले आराम कर रहे थे सिवाई संजू के निशा चलो एक बार फिर से चुदाई करते है.तुम्हारा तो सपना कोई होगा नही.
'सच कहूँ तो एक नही कई है.और में आज उनमे से अपने एक सपने को ज़रूर पूरा करूँगी.' निशा ने जवाब दिया.
निराश होता हुआ संजू प्रीति के पास पहुँचा,प्रीति चलो चुदाई करते है.'अभी नही,में नही चाहती हूँ कि निशा इस खेल में हर जाए.' प्रीति ने जवाब दिया.
जैसे सब बैठे है वैसे ही तुम भी बैठ जाओ और 9.00 बजने का इंतेज़ार करो.' कहकर निशा ने संजू को एक कुर्सी पर बिठा दिया.ठीक 9.00 बजे औरतों की जोड़ी मे सबसे छोटी थी वो अपने मर्दों का लंड चूसने लगी,
निशा ज़रा धीरे चूसो तुम्हारे दाँत मुझे चुभ रहे है.' संजू ने दर्द से सिसकते हुए कहा.
संजू अपना मुँह बंद रखो,मेरे हिसाब से निशा सही ढंग से चूस रही है.' प्रीति ने उसे डाँटते हुए कहा.
नीलम मेरे लंड को चूस रही थी.उसे भी लंड चूसने का अनुभव नही था इसलिए उसके भी दाँत मेरे लंड पर चुभ रहे थे.थोड़ी देर बाद सब बड़ी औरतों ने छोटी लड़कियों का स्थान ले लिया.
'शुक्रिया भगवान' संजू ने एक गहरी सांस ली.'निशा तुमने तो मेरे लंड को चबा ही डाला था.
'मेने अनिता को कहते हुए सुना,मीना कैसा चल रहा है?
'वैसे तो ठीक है पर खड़ा नही हो रहा.' मीना ने जवाब दिया.
लाओ इसके लंड को मुझे चूसने दो.' अनिता ने कहा,में इसके लौडे को थोड़ी देर मे ऐसा कर दूँगी कि ये कमरे के चारों और पिक्खरी मारता रहेगा.' थोड़ी देर में ज़य के मुँह से सिसकारियाँ फुटनी शुरू होगआई,हााआअँ चूऊऊओसो आईसस्स्स्ससे ही ओह हन्णन्न् ज़ोर सीईई उ.'
वैसे तो मिली भी काफ़ी अच्छी तरह चूस रही थी पर ज़य के चेहरे से लग रहा था कि वो लोग बाज़ी मार ले जाएँगे.ओह अनीता मेरााा छोओओओओट्णे वाला हाईईईई.' जाई ज़ोर से चिल्लाया,हााआ ज़ोर सस्स्ससे चूऊवसो हाआआं आईसस्स्स्स्ससे ही हाआाआअँ मेरााआअ छूउटा.' उसका शरीर आकड़ा और उसके लंड ने अपने वीर्य की पिचकारी अनिता के मुँह मे छोड़ दी.खुशी से झूमते हुए अनिता ने ज़य के लंड को अपने से निकाला और मीना और ज़य को अपनी बाहों मे भर लिया,हम जीत गये हम जीत गये.'जब सब मदों का पॅनिक छूट गया तो सभी औरतें अनिता को बधाई देने लगी
.'एमडी सही कह रहा था,लगता है हम सब को तुमसे ट्यूशन लेना पड़ेगा.अब बताओ तुम अपना कौन सा सपना पूरा करना चाहोगी.?'
मेरा एक सपना है जिसके बारे मे में हमेशा सोचती रहती थी किंतु…….' अनिता कहने जा रही थी पर में बीच मे बोला,
अनिता तुम अपना समय लो और सोच कर बोलो.हम खाना खाने के बाद तुम्हारा सपना ज़रूर पूरा करेंगे.तब तक लिए बार खुला है और जो लोग ड्रिंक्स लेना चाहे ले सकते है.
'राज मुझे मालूम है कि में क्या करना चाहती हूँ मुझे सोचने की ज़रूरत नही है.' अनिता हंसते हुए बोली.
खाना खाने के बाद सब ये जानने को उत्सुक थी कि अनिता का वो ऐसा कौन सा सपना है जिसे वो पूरा करना चाहती है.सब अनिता के पास इकट्ठा हो गये,मेरा हमेशा से सपना रहा है कि मुझे 5 मर्द मिल कर चोदे और मेरे शरीर को अपने वीर्य से नहला दे,आज मे अपना ये सपना पूरा करूँगी.' अनिता ने कहा.
क्या 5 मर्द वो कैसे?' अंजू ने पूछा.
सीधी सी बात है,एक मेरी चूत में एक मेरी गांद में और एक मेरे मुँह में.बाकी बचे दो वो या तो मेरे हाथों से या मेरी चुचियों के बीच.' अनिता ने बताया.
ठीक है तुम अपने साथी चुन सकती हो?' मेने अनिता से कहा.
विजय तुम नीचे लेट जाओ में तुम्हारे उपर चढ़ कर तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे लूँगी.ज़य तुम मेरी गान्ड मारोगे और में संजू के लंबे लंड को अपने मुँह से चूसुन्गि.राम और श्याम के लंड को अपने हाथों से.'
जब सब लड़कों ने अपनी जगह ले ली तो अनिता ने कहा,लड़कों मेरा सपना है कि तुम सब आपस मे ताल मेल रखते हुए अपना पानी छोड़ोगे और सब मेरे बदन पर ही छोड़ोगे.इससे सबको ज़्यादा मज़ा मिलेगा.'
हे राम और श्याम ध्यान रखना जब तुम अपना पानी छोड़ो तो अनिता के बदन पर ही छोड़ना कहीं मेरे चेहरे पर मत छोड़ना.' विजय ने उनसे कहा.
राम तुम इसकी बाई आँख पर पिचकारी मारना और में इसकी दाई आँख पर.' श्याम ने हंसते हुए कहा.
इसके पहले की विजय कुछ कहता अनिता ने कहा,विजय ये मज़ाक कर रहे है,और अगर ये ऐसा करते भी है तो तुम चिंता मत करो में तुम्हे चाट चाट कर साफ कर दूँगी.'नज़ारा जो अनिता ने रखा था वो देखने लायक था.ज़य उसकी गान्ड में अपना लंड जड़ तक पेल देता जिससे विजय का लंड भी अंदर तक घुस जाता.राम और श्याम के लंड अनिता की बंद हथेली मे आगे पीछे हो रहे थे.और संजू के लंड को अनिता ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी.
कमरे में सबकी सिसकारियाँ गूँज रही थी.राम उसकी गान्ड मे लंड पेलते हुए बब्बड़ा रहा था,लीईईई साआाअली और्र्र्र्ररर जोर्र्र्र्ररर से लीईई बहोत्त्त्टटतत्ट शौख हाआआआई नाआआआअ पाआांचह मर्डूऊऊ से चूद्द्ददद्वाने का.आाज मेर्रर्र्ररी टर्र्र्र्ररी गणनद्दद्ड ना फ़ाआआद दी तो क़हना.'
वहीं संजू बड़बड़ा रहा था,हााआअँ और्र्र्ररर जोर्र्र्र्ररर सीईए चूऊसो नाआआअ हााआआं अपनीईई गलीईई तक लीईई लो ओह अहह.'
अनिता ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी तो संजू तुरंत बोला 'अनिता आंटी धीरे मेरा छूटने वाला है.' अनिता ने अपनी रफ़्तार धीमी कर दी.
भाई कैसा चल रहा है?' विजय ने पूछा.
मज़ा आ रहा है,ऐसा लग रहा है कि तुम्हारा लंड मेरे लंड को स्पर्श कर रहा है.हां इसी तरह अंदर तक अपने लंड को इसकी गान्ड मे पेलते रहो.' ज़य ने नीचे से धक्का लगाते हुए जवाब दिया.
हााआअँ जोर्र्र्र्र्र्र्ररर से जोर्र्र्र्र्ररर से चूऊऊओदूऊऊ मुझीईई सब्बब्ब्बबब मिल्ल्ल्लकर मेरााआआ छुउऊुउउतने वाला है.'
अनिता ज़ोर ज़ोर से अपने कूल्हे उछाल रही थी.संजू ने अनिता के सिर को अपने हाथों से पकड़ रखा था और अपना लंड उसके गले तक डाल चोद रहा था.बहुत ही दिलकश नज़ारा था.ऐसी सामूहिक और भयंकर चुदाई ना तो मेने देखी थी ना ही मेने की थी.ओह मेरााआआआ छूट्ट्ट्ट्ट्ट्ट्ट्टा.' अनिता का इतना कहना था कि संजू ने भी,ओह मेरााआआ छूटााआअ.' कहकर अपने लंड की बौछार अनिता के चेहरे पर कर दी.
ज़य ने ज़ोर से अनिता को कमर से पकड़ अपने लंड को उपर की और करते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया वहीं विजय ने अपने लंड के दो चार धक्के उसकी गान्ड मे मारे और अपना पानी अनिता की पीठ पर छोड़ने लगा.राम और श्याम ने अपने लंड को ठीक अनिता के चेहरे और छाती का निशाना बना अपनी पिचकारी छोड़ना शुरू किया,आए संभलो.' ज़य कुछ कहता इसके पहले उनके लंड से छूटा वीर्य उसके चेहरे पे गिर पड़ा.
माधुरी ज़ोर से हंस पड़ी और निशा ताली बजाने लगी कि दो और बौछार उसके चेहरे से टकराई.गंदे साले क्या और कोई जगह नही मिली निशाना साधने के लिए.' ज़य गुस्से में बोला.अरे गुस्सा क्यों करते हो,' कहकर अनिता उसके चेहरे पर लगे वीर्य को चाटने लगी.जब उसने जय को अच्छी तरह साफ कर दिया तो निढाल पड़ गयी.जब सब कोई सुस्ता चुके थे तो निशा ने कहा,सर अब मेरी बारी है.'नही तुम्हारी नही अब मीना की बारी है.' मेने कहा.'मालती तुम बताओ तुम्हारा क्या सपना है.'मेरा कोई खास सपना नही है.एमडी और आप मुझे ऑफीस में चोद्ते है में उससे ही खुश हूँ.' मीना ने जवाब दिया.तो फिर दोनो के साथ यहाँ क्यों नही चुद्वाती?' मधुरी ने कहा.दोनो मुझे कई बार एक साथ चोद चुके है इसलिए एक बार और चुद्वाने से मुझे कोई फरक नही पड़ेगा.' मीना ने हंसते हुए कहा.'एमडी सर आप लेट जाएँ और नीचे से मेरी चूत में लंड को डाले और राज सर आप पीछे से मेरी गांद मारे.आपका मोटा और लंबा लंड मुझे अपनी गंद में अच्छा लगता है.'कमरे में फिर एक बार चारों तरफ चुदाई का आलम था.में यहाँ एमडी के साथ मिलकर मीना को चोद रहा था और चारों तरफ कोई ना कोई किसी को चोद रहा था.थोड़ी देर बाद सब तक कर निढाल पड़े थे.पार्टी करीब करीब ख़त्म होने को आ गयी थी,निशा रात काफ़ी हो चुकी है चलो तुम्हे घर छोड़ आऊ.' मेने निशा से कहा.सर मुझे यहीं रहने दे ना वैसे भी घर में सबको पता है कि में यहाँ हूँ.' निशा थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली.वो तो सब ठीक है पर काम ऐसा करना चाहिए कि तुम्हे दुबारा भी यहाँ आने की इजाज़त मिल जाए.' मेने उसे समझाते हुए कहा.ठीक है,पर क्या में सुबह यहाँ आ सकती हूँ? रूही माँ आप संजू कल यही है ना.' निशा ने कहा.हां मेरी लाडो हम यही है.' रूही ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.'तुम कल सुबह आ जाना हम इंतेज़ार करेंगे.'जब में निशा को उसके घर छोड़ कर आया तो देखा कि सब किसी ना किसी को बाहों मे लिए सो गये है.मेने देखा कि प्रीति और रजनी अकेले सो रहे है तो में भी उनके बीच मे जा सो गया.ट्रियीनिग डोर बेल की घंटी बजी.मेने उसे अनसुना कर दिया.ट्र्र्र्र्र्र्रियियैयींग घंटी फिर बजी और देर तक बज रही थी.'इतनी सुबह कौन हो सकता है.' सोचकर मेने घड़ी पर देखा तो सुबह के 7.30 बज चुके थे.
दरवाज़ा खोलते ही में चौंक पड़ा,दरवाज़े पर निशा खड़ी थी.हे भगवान इतनी सुबह पहले तुम यहाँ क्या कर रही हो?'मैं यहाँ पार्टी जाय्न करने आई हूँ.' उसने अंदर आते हुए कहा.'तुम्ही ने तो कहा था कि में आ सकती हूँ.'हां कहा था पर इतनी सुबह पहले आ जाओगी उम्मीद नही थी.सब सोए पड़े है.' मेने कहा.तुम इसकी चिंता मत करो में सबको जगा दूँगी.' कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी.'ये समय चुदाई करने का है ना कि सोकर बर्बाद करने का.'वो संजू को ढूँढने लगी जो अंजू और मंजू के बीच सोया हुआ था.उसने उसके मुरझाए लंड को अपने हाथों में लिया,गुड मॉर्निंग मेरे प्यारे राजा.' कहकर उसके लंड को चूसने लगी.ओह बहुत ही अच्छार लग राहा है.' संजू ने बड़बड़ाते हुए अपनी आँखे खोली,ओह निशा तो ये तुम हो?'हां मेरे राजा तुम्हारी जान निशा,और सिर्फ़ तुम्हारी.' निशा थोड़ा मुस्कुरई,जान आराम से लेटे रहो और मज़े लो.'संजू के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी और वो अंजू और मंजू की चूत को सहलाने लगा.अंजू और मंजू ने आँख खोल जब देखा तो दोनो संजू की छाती में चेहरा छिपा उसके निपल पर अपनी ज़ुबान फिराने लगी.निशा का सुझाव बुरा नही है.' सोचते हुए में भी देखने लगा कि कोई उठा हुआ है कि नही.मेने देखा कि विजय सिमरन और साक्षी के बीच सोया हुआ था.सिमरन अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी.में उसकी टाँगो के बीच आ उसकी चूत को चाटने लगा.ओह प्लीज़ नही,प्लीज़ रुक जाओ ना.' वो चिल्ला पड़ी.क्या तुम्हे मेरा तुम्हारी चूत चाटना अच्छा नही लग रहा?' मेने थोड़ा झल्लाते हुए पूछा.ऐसी बात नही है,मुझे बहोत अच्छा लग रहा है पर मुझे पिशाब जाना है और अगर में जल्दी से नही गयी यही तुम्हारे मुँह पर कर दूँगी.' सिमरन ने जवाब दिया.ठीक है जाओ.' मेने उसे जाने दिया फिर दूसरों की तरफ देखने लगा,मेने अनिता और मीना को उठाया और उन्हे दूसरों को भी उठाने के लिए कहा.इतने में सिमरन टाय्लेट से लौट कर आ रही थी.ओय ये यहाँ क्या चल रहा है,' जब उसने संजू को तीन लड़कियों के साथ मज़े लेते देखा.'किसी को बुरा तो नही लगेगा अगर में भी इसमे शामिल हो जाउ.'
कहकर उसने अपने चूत संजू के मुँह पर रख दी.ये क्या कर रही हो?' संजू ने पूछा.कुछ नही मेरी चूत के पानी के रूप मे तुम्हे सुबह की चाइ पिला रही हूँ.' सिमरन ने हंसते हुए कहा.'चलो अब अपनी चाइ पियो.'राज क्या तुमने ज़य को देखा है?' अनिता ने पूछा.मेने अपनी गर्दन ना मे हिला दी.मेने उसे उस कमरे मे जाते देखा है.' रूही ने जवाब दिया.आओ रूही हम उसे ढूँढते है.' अनिता ने रूही का हाथ पकड़ते हुए कहा.ज़य उन्हे बाथरूम मे नहाते हुए मिला.छोटी बच्चियों की तरह उन्होने ज़य को बाथरूम के बाहर खींचा और बिस्तर पर धकेल दिया.ज़य का पूरा बदन साबुन से भीगा हुआ था.रूही में इसका लंड चूस्ति हूँ और तुम अपनी चूत इसे चाटने के लिए दे दो?' अनिता ज़ोर से चिल्लाई.कमरे के बाहर मेने देखा कि एमडी मधुरी की चूत चाट रहा था वहीं प्रीति उसके लंड को मुँह मे ले जोरो से चूस रही थी.हम पूरे दिन सब कोई चुदाई चटाई गान्ड मराई करते रहे.हालत ये थी कि सब चोद चोद के इतना थक चुके थे कि किसी मे भी ताक़त नही बची थी.दूसरे दिन रूही अपने बच्चों के साथ वापस चली गयी और वादा कर गयी कि वो जल्द ही वापस आएगी.शाम को मेरी बहने अपनी पति के साथ और मेरे साले ने अपनी बीवियों के साथ अपने अपने घर जाने के लिए ट्रेन पकड़ ली.कई महीने गुज़र गये.इसी दौरान हम कई बार रूही के यहाँ हो आए थे और रूही भी कई बार हमारे यहाँ आ चुकी थी.पिंकी के जनमदिन को अब एक हफ़्ता ही रह गया था और हमे उसके जनम दिन की तय्यारियाँ करनी थी.पिंकी के जनमदिन से एक दिन पहले रजनी,योगिता,नीलम,प्रीति और में सब डिसकस कर रहे थे कि हम पिंकी की कुँवारी चूत को चोद्ने के प्रोग्राम को कैसे अंजाम दे.हमे पता था कि इस बार एमडी पूरी सावधानी बरतेगा कि में उसकी बेटी की कुँवारी चूत ना फाड़ पाऊ .हम ये भी जानते थे कि नीलम की तरह वो हमे पिंकी की बर्तडे पार्टी नही करने देगा.योगिता तुम्हे क्या लगता है कि हमे मिली से भी होशियार रहना चाहिए?' मेने पूछा.नही मुझे ऐसा नही लगता.वो बड़ी प्रॅक्टिकल किस्म की औरत है.उसे ये बात मालूम है कि उसकी बेटी की चूत को एक दिन तो फटना ही है,सो कल फटे या आज उसे कोई फरक नही पड़ता.' योगिता ने जवाब दिया.अगर ऐसा है तो क्या हम उसे सारी हक़ीक़त बता कर अपना राज़दार बना सकते है.' मेने पूछा.नही उसे बिल्कुल मत बताना.सारी बात जानने के बाद शायद वो अपनी बेटी की चूत फड़वाने मे हमारी मदद करे पर फटने के बाद शायद वो ऐतराज़ ना करे.' योगिता ने जवाब दिया.क्या उसके जनमदिन की पार्टी होगी?' प्रीति ने पूछा.ज़रूर होगी,पिंकी एमडी की लाडली बेटी है.उन्होने उसे एक बड़ी पार्टी का वादा किया है और वो अपना वादा ज़रूर पूरा करेंगे,बस सवाल ये उठता है कि वो पार्टी कहाँ पर रखेंगे.' नीलम ने जवाब दिया.क्या पिंकी तो अब भी अपनी उस इंग्लीश टीचर की चूत चाट्ती है और अपनी चटवाती है,क्या नाम था उस टीचर का मुझे याद नही आ रहा,हां याद आया मिस ब्रेग़ेंज़ा.' प्रीति ने पूछा.बदक़िस्मती से हां.' रजनी ने जवाब दिया.'और उसका यही शौक हमारे काम को अंजाम देने मे आड़े आ सकता है.'उसी समय फोन की घंटी बज़ी,एमडी लाइन पर था,राज में तुम्हे और प्रीति को मेरी बेटी पिंकी की जनम दिन की पार्टी की दावत देता है.
पार्टी शनिवार की शाम को है सो ज़रूर से पहुँच जाना.'थॅंक यू सर.' मेने जवाब दिया.'पर सर आपने क्यों तकलीफ़ उठाई.मुझसे कह दिया होता मैं पार्टी का सारा इंतेज़ाम कर देता जैसे मेने नीलम की पार्टी का इंतेज़ाम किया था.'राज क्या तुम मुझे बेवकूफ़ समझते हो.' एमडी ज़ोर से हंसते हुए कहा.'तुम्हे क्या लगता है कि में अपनी मासूम बेटी को तुम्हारे फ्लॅट पे आसानी से आने दूँगा जिससे तुम मेरी बेटी की कुँवारी चूत को चोद सको.किसी भी हालत मे नही राज इस बार पार्टी मेरे घर पे होगी.और में तुम्हे सावधान कर रहा हूँ कि अगर तुमने मेरी बेटी की ओर आँख उठा कर देखा तो में तुम्हे जान से मार दूँगा.'सर आप ज़बरदस्ती मुझ पर शक़ कर रहे है.' मेने झूट बोलते हुए कहा.'मेरा ऐसा कोई इरादा नही है.'हो सकता हो तुम्हारा इरादा ना हो.फिर भी में तुम्हे सावधान कर रहा हूँ.' एमडी हंसा,ठीक है शनिवार की शाम को मिलते है.' कहकर उसने फोन रख दिया.एमडी था फोन पर उसने पिंकी के जन्मदिन की पार्टी के लिए शनिवार की शाम की दावत दी है हमें.' मेने सबको बताया.पर तुमने ऐसा क्यों कहा कि तुम्हारा पिंकी की कुँवारी चूत चोद्ने का कोई इरादा नही है.' रजनी ने पूछा.मेने ये इस लिए कहा जिससे वो निसचिंत हो जाए और आखरी वक़्त पर अपना इरादा ना बदल ले.' मेने जवाब दिया.अब जब पार्टी उसके घर पर है तो हम अपने इरादों को कैसे कामयाब बनाएँगे.' योगिता ने पूछा.जब में उससे बात कर रहा था तो एक आइडिया मेरे दिमाग़ मे आया है,हम वही तरीका आजमा सकते है जो हम ने रागिनी की कुँवारी चूत के लिए आजमाया था.' मेने कहा.ये रागिनी कौन है और क्या हुआ था?' योगिता ने पूछा.तब रजनी ने उसे सब बताया कि किस तरह और कैसे हम ने रागिनी की कुँवारी चूत चुद्वाइ थी.ये तो सब समझ मे आता है फिर भी ये बात समझ मे नही आती कि पिंकी अपनी चूत चुद्वाने को कैसे तय्यार होगी?' योगिता ने पूछा.रूको सब कोई.मेरे पास एक प्लान है.' प्रीति ने कहा.'उसकी चूत चूसने की आदत ही उसकी चूत का उधघाटन कराएगी.' फिर प्रीति हमें प्लान समझने लग गयी.हम सब उसकी बात से सहमत हो गये और शनिवार का इंतेज़ार करने लगे.शनिवार की शाम को मे और प्रीति एमडी के घर पहुँच गये.हम ने एक बड़ा सा तोहफा लिया था पिंकी के लिए.केक काटने की रस्म के बाद सबने पिंकी को तोहफे दिए.कमरे में म्यूज़िक चालू था और सब आपस में बात कर रहे थे.सर हम सबने मिलकर काफ़ी समय से मज़ा नही किया क्यों ना आज कर ले.' प्रीति ने एमडी से कहा.क्यों नही वैसे भी मुझे इतनी ज़ोर से म्यूज़िक बजता अच्छा नही लगता.' एमडी अपनी स्टडी रूम की ओर बढ़ता हुआ बोला.' प्रीति उसके पीछे चल पड़ी.'रजनी पिंकी को सिर्फ़ चार बुस्कुट देना खाने के लिए ज़्यादा नही.' प्रीति रजनी के कान मे फुस्फुसाइ.तुम इस बात की चिंता मत करो.' रजनी ने कहा.जब स्टडी रूम मेयोगिता को छोड़ कर हम सब ने अपने कपड़े उतार दिए.'क्या बात है डार्लिंग क्या आज तुम हमे अपनी चूत नही दिखाओगी?' एमडी ने पूछा.
आज में तुम लोगो का साथ नही दे पाउन्गि.मेरी तबीयत ठीक नही है.' योगिता ने जवाब दिया.मेरी जान अगर तुम्हारी चूत बीमार है तो क्या हुआ हम तुम्हारी गांद तो मार ही सकते है.' एमडी ने हंसते हुए कहा.जब कोई मेरी गंद मारना चाहेगा में अपने कपड़े उतार दूँगी.' योगिता ने जवाब दिया.जब एमडी और योगिता ये बात चीत कर रहे थे मेने मिली को रूम मे लगे दीवान पर लिटा दिया और उसे चोद्ने लगा.एमडी ने जब देखा कि योगिता साथ देने को तय्यार नही है तो उसने प्रीति कों खींच कर हमारे बगल में सोफे पर लिटा दिया.'प्रीति जल्दी करो नही तो राज और मिली हमसे आगे निकल जाएँगे.' कहकर वो अपना लंड प्रीति की चूत मे घुसाने लगा.नही ऐसे मज़ा नही आएगा.' प्रीति ने उसे रोकते हुए कहा.'पहले तुम मेरी चूत चूसो और ऐसा चूसो कि में चुद्वाने की लिए भीक माँगने लगू.'ठीक है अगर तुम यही चाहती हो तो.' एमडी ने प्रीति को अपनी बाहों भर लिया फिर उसके टाँगो के बीच आ गया.उधर में ज़ोर के धक्के मार मिली को चोद रहा था.थोड़ी ही देर मे प्रीति के मुँह से सिसकारियाँ फुटनी शुरी हो गयी,`हां सर अच्छा लग राआ' वो और सिसकी,हााआआ और जोर्र्र्रर से चूऊऊऊओसो हाआअँ जोर्र्र्र्ररर से.'मिली भी उत्तेजना में पागल हो रही थी.वो भी अपने कूल्हे उच्छाल मेरे ताल से ताल मिला रही थी.हाआँ सिर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर आनी जीईईभ को मेर्र्र्ररी चूओत के अंदर तक डाल दीजीइई.' प्रीति बड़बड़ा रही थी.'हााआअँ आईसस्स्स्स्स्ससे ही हााआअँ अब अपनी जीईएभ से मेरी चूऊओट को चूऊऊदो.'ओह राआआआज जोर्र्र्र्ररर से……………..हां और ज़ोर से…….कितना अछा लग राहा है.' मिली चिल्ला रही थी और में अपनी पूरी ताक़त से उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था.ओह सिर्र्र्र्ररर बसस्स्स्स्स्सस्स अब मुज्ज़ज्ज्ज्ज्झसे सहन नही हो रहा.' प्रीति चिल्लाई,चूऊओदो मुझे अपना गधे जैसा लुंद्द्द्दद्ड डाल दो मेरी चूत मे और फ़ाआआआद दो मेरिइईई चूऊऊऊओट को.'नही अभी नही.' एमडी हंसते हुए बोला.'पहले तुम भीक माँगो.'ओह प्लीज़ सर में आआआअप से भीक मंगगगगगति हूँ डाल दो अपने लंड को मेर्रर्र्ररी चूऊऊथ मे.' प्रीति मिन्नत करते हुए बोली.प्रीति अब में तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूँगा.' हंसते हुए एमडी ने पूरी ताक़त से अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया.ओह सर मज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ा एयेए गया और्र्र्ररर ज़ोर सीईई.' प्रीति चिल्ला उठी.ओह राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज रूको मत हाआाआअँ बसस्स्स्सस्स कुछ धकक्क्कों की बाआआआआआत ओह राआआआआआअज मेरााआआआ छुउऊुुउउटा.' मिली ज़ोर से सिसकी.उसी समय मेने भी एक ज़ोर की हुंकार भरते हुए अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.
ओह राज आज तो चुदाई मे मज़ा आ गया.' मिली मुझे बाहों मे भरते हुए बोली.'चलो एक बार फिर से करते है.'ज़रूर मेरी जान पर सुस्ता तो लेने दो.' कहकर मेने एक सिगरेट जला ली.उसी समय प्रीति के प्लान के मुताबिक योगिता मेरे पास आई,राज ज़रा मेरे साथ आना तो?' वो धीरे से बोली.ठीक है आता हूँ.' मेने जवाब दिया,डार्लिंग में अभी आता हूँ.' मेने मिली से कहा.जाओ पर ज़्यादा देर मत लगाना,में तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हूँ.' मिली ने कहा.एमडी प्रीति की चूत को भोसड़ा बनाने मे इतना खोया हुआ थी कि उसका ध्यान ही नही गया कि में कमरे बाहर खिसक गया हूँ.योगिता मुझे पिंकी के कमरे में ले आई.पिंकी बिस्तर पर नंगी लेटी हुई अपनी दोनो टाँगे हवा में फैलाए हुए थी.रजनी उसकी टॅंगो के बीच बैठी उसकी चूत को चूस रही थी,ओह डीईईईईयईडी अपनी जीईईईभ को और अंदर तक घुसाआओ ना.मेर्रर्र्ररी चूऊऊथ मे इतनी खुजली हो रही है कि शांत ही नही हो रही ओह और्र्र्र्र्र्र्ररर अंदर तक.' पिंकी सिसक रही थी.पिंकी में इससे ज़्यादा नही कर सकती.जब भी में जीभ अंदर करती हूँ तो तुम्हारी चूत की झिल्ली बीच मे आजाती है.' रजनी ने कहा.बेवकूफ़ फाड़ दो उस झिल्ल्ल्ली को और घुसा दो अपनी पूरी जीईएभ मेरिइई चूओत मे.' पिंकी ज़ोर से मचलते हुए बोली.देखो पिंकी इस झिल्ली को तो मोटा तगड़ा लंड ही फाड़ सकता है मेर जीभ नही.अगर तुम चाहो तो...दीदी तुम जैसा चाहो पर कुच्छ करो.पिंकी देख तो हमारे बीच कौन आया है.' योगिता ने कहा.पिंकी ने अपने गर्दन घुमाई और मुझे कमरे में नंगा खड़ा देखा.में अपने लंड की चमड़ी को उपर नीचे करते हुए उसे देख रहा था.रजनी ने कहा अब तुम ही उसे रिक्वेस्ट करो वो ही कुच्छ कर सकता है.
अछा हुआ राज तुम आ गये.देखो ना मेरी चूत मे इतनी खुजली मच रही है और रजनी की जीभ इतनी लंबी नही है कि उस खुजली को मिटा सके.तुम अपना लंबा लंड मेरी चूत में घुसा कर मेरी खुजली मिटा दो ना.' पिंकी गिद्गिडाते हुए बोली.मेरा लंड तुम्हारी चूत को फाड़ देगा.' मेने जवाब दिया.फॅट जाने दो मेरी चूत को पर मुझे इस खुजली से छुटकारा दिला दो प्लीज़.' पिंकी बिस्तर पर मचलते हुए बोली.जैसा तुम कहो मेरी जान.' कहकर में उसकी टाँगो के बीच आकर उसपर लेट गया और अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा.' योगिता ने नीलम को आँख मारी और धीरे से कहा,अब तुम अपना काम करो?'नीलम दरवाज़े के बीचों बीच खड़ी होकर चिल्लाने लगी,पापा आप वहाँ प्रीति को चोद रहे है और राज यहाँ पिंकी की चूत चोदने की तय्यारी कर रहा है.'ओह राज तुम ये क्या कर रहे हो अपने लंड को मेरी चूत मे डालो ना.' पिंकी अपनी चूत को मेरे लंड पर और रगड़ते हुए बोली.'तुम्हारे लंड रगड़ने से तो खुजली कम होने के बजाए और बढ़ रही है.'मुझे थोड़ा समय दो.' मेने कहा,अभी तुम्हारी चूत की खुजली मिटाता हूँ...'क्कक्या……क्या…..क्या बकवास कर रही हो.राज तो याआहां तुम्हारी मा की चुदाई कर रहा है.' एमडी ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा.'मिली राज कहाँ है?'मिली ने क्या कहा हमे सुनाई नही पड़ा,हरामजादि कुतिया तुमने राज को जाने कैसे दिया? तुझे पता था कि राज पिंकी की कुँवारी चूत के पीछे पड़ा है.' एमडी ज़ोर से मिली पर गुर्राते हुए बोला.'हे भगवान इसके पहले कि राज पिंकी की कोरी चूत फाड़ दे मुझे उसे बचाना चाहिए.'हे रूको तुम इस तरह नही जा सकते.' प्रीति एमडी को रोकते हुए बोली.'तुम्हे पता है कि मेरा छूटने वाला है.'प्रीति मुझे अभी जाने दो.में बाद में आकर तुम्हारी चूत का पानी छुड़ा दूँगा.' एमडी गिद्गिडाते हुए बोला.,अगर पिंकी का कुँवारापन छीन गया तो में बर्बाद हो जाउन्गा.'एमडी प्रीति को लगभग घसीटते हुए कमरे मे दाखिल हुआ.मिली भी उसके पीछे पीछे आ गयी.कमरे में आकर जब एमडी ने देखा कि मेरा लंड अभी भी पिंकी की चूत पर ही था और अंदर नही गया था एमडी चिल्लाया,रुक जाओ राज मेरी बेटी पिंकी की कुँवारी चूत को बक्श दो में तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ.'में थोड़ी देर के लिए हिचकिचाया,राज किसका इंतेज़ार कर रहे हो,घुसा दो अपना लंड पिंकी की चूत मे.' योगिता मुझे जोश दिलाते हुए बोली.राज इसकी बातों पर ध्यान मत देना.में तुमसे पिंकी की चूत की भीक माँगता हूँ.' एमडी अपने दोनो हाथ जोड़ते हुए बोला.राज मेरे पापा की बात मत सुनो तुम मेरी चूत की खुजली मिटा दो फाड़ दो मेरी चूत को.' पिंकी अपने कूल्हे उछाल बोली.जैसे तुम चाहो डार्लिंग,' कहकर मेने पिंकी की दोनो जांघों को पकड़ लिया और धीरे से अपना लंड उसकी चूत मे धकेल दिया.ओह मर गाइिईईईईईई.' पिंकी चीख पड़ी.मेने एक ज़ोर का धक्का लगाया.
मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड पिंकी की चूत की झिल्ली को चीरता हुआ उसकी चूत मे घुस गया है.मेने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और एक ज़ोर का धकका दिया.ओह राआआआअज बहूऊऊऊऊओट दर्द हो रहा हाईईईईईईई मॅर गई. चूऊऊओदूऊव ऊऊऊओ ऊऊऊऊऊफ़ाआआद्डूऊऊऊऊ.उसे कोक का नशा ऐसा चढ़ चुका था कि मेरा मोटा लंड उसकी चूत मे भयानक तूफान मचा रहा था फिर भी वो मेरे लंड से चुद्वा रही थी.दर्द से उसकी आँखे भीग चुकी थी फिर भी वो दर्द भरी सिसकारी के साथ चुद्वा रही थी.' पिंकी दर्द से चिल्ला पड़ी.में धीरे धृीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा.जैसे जैसे पिंकी की चूत ढीली पड़ रही थी वैसे ही मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.राज तुमने ये क्या कर दिया.' एमडी गिद्गिडाते हुए बोला.राज ने पिंकी की चूत फाड़ दी है और उसे चोद रहा है.' योगिता हंसते हुए बोली.उसकी बात पर ध्यान दिए बिना एमडी ने मुझेसे पूछा,राज तुमने तो फोन पर कहा था कि तुम्हारा पिंकी की चूत को चोद्ने का कोई इरादा नही है फिर ये क्या है?'सर मेरााआ….इरादा…' अगर कोई कमसिन चूत मुझे चोद्ने का न्योता दे तो मैं कहाँ रुकने वाला हूँ साले कुत्ते तेरी बेटी ने खुद ही मुझे न्योता दिया है अपनी चूत फडवाने का तो मैं क्या करूँ मैं ज़ोर ज़ोर से उसे चोद्ते हुवे बोला. 'राज में चाहती हूँ कि तुम जमकर मेरी चुदाई करो.'तुम्हारा हुक्म सर आँखों पर.' कहकर में ज़ोर के धक्के लगाने लगा.शाबाश मेरे शेर.' योगिता ताली बजाने लगी.तुम्हे बड़ा मज़ा आ रहा है इस घिनोनी हरकत पर?' एमडी ने घूरते हुए योगिता से कहा.क्यों ना आएगा ये मेरे बदले का हिस्सा है.' योगिता ने जवाब दिया.बदला,में तो समझा था कि अपना हिसाब बराबर हो चुका है.' एमडी ने चौंकते हुए कहा.मेरी बेइज़्ज़ती का हिसाब तो बराबर हो चुका है.पर ये बदला मेरे पति की बनाई हुई कंपनी को रंडी खाना बनाने के लिए है.' योगिता बोली.हे भगवान अगर इन जैसे दोस्त हो तो दुनिया मे इंसान को दुश्मनो की ज़रूरत नही है.' कहका एमडी वहीं सोफे पर ढेर हो गया.ओह राज कितना अच्छा लग रहा है,' पिंकी सिसक रही थी.मुझे भी मज़ा आ रहा था.में ज़ोर ज़ोर से उसकी कसी चूत मे धक्के लगा रहा था.हााआआं अब और अच्छा लग रहा है….हााआ और जोर्र्र्र्ररर से…..हााआआ ऐसे ही चूऊऊओदो मुझीईईई ओह राज्ज्जज्ज्ज लग्गगता है मेरााआआअ छूट्णेएएएएए वाला हाईईईईईई.' कहकर पिंकी बिस्तर पर निढाल पड़ गयी.ये मेरी दूसरी चुदाई थी इसलिए मेरा छूटने में टाइम था.में अब भी उसकी चूत मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था.थोड़ी देर में पिंकी फिर अपने कूल्हे उठा मेरी ताल से ताल मिलाने लगी,ओह राआआआआज लाआआआआआता हाईईईईईईईई मेरााआ फिर्रर चुतत्त्ट्तत्ने वलाआाआआ है.हाआाआअँ और ज़ोर से चूऊऊदो नाआ हाआआआआअ और ज़ोर सीईईई ओह मेरा छुउऊुुुुउउटा.' कहकर उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया.मेने भी ज़ोर के दो चार धक्के लगा अपने वीर्य उसकी चूत मे उगल दिया.पिंकी ने मुझे बाहों में भींच लिया और चूमने लगी,ओह ऱाज कितना अछा लगा.लंड से चुदवाने में सही में मज़ा आया.मिस ब्रेग़ेंज़ा की जीब से तो तुम्हाआआआआरा लंड लाख दर्ज़े अच्छा है.'पिंकी की बात सुन एमडी चौंक उठा,वो शर्म से अपनी नज़रें झुकाए हुवे वहाँ से बाहर गया ऑर व्हिस्की पीने लगा.योगिता ने एमडी के हाथ से सारे पवर्स ले लिए.उसे मिल्कत का कुच्छ हिस्सा देकर उसे वहाँ से निकाल दिया.वो नीलम पिंकी ओर मिली को लेकर कहीं चला गया.मुझे योगिता ने एमडी बना दिया.अंजू ओर मंजू, सिमरन ओर शक्षी अपने अपने घर चले गए.योगिता के कह ने से ओर प्रीति की सहमति से मैने रजनी से भी शादी करली.कभी कभी हम सब ग्रूप चुदाई का मज़ा भी ले लेते. प्रीति का बदला अब पूरा हो चुका था ऑर उसने कसम खाई कि वो मेरे लंड के अलावा किसी ऑर के लंड से नही चुद्वायेगि.रजनी भी अब मेरी हो चुकी थी. कुच्छ समय बाद पता चला कि पिंकी ऑर नीलम किसी के साथ भाग गई ऑर एमडी ऑर मिली दोनो ने सोसाइड करली.
 

Top