Incest बुआ की चुत गांड चोदकर मजा लिया-

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अपडेट १






आज मैं अपनी और अपने एक मित्र की बुआ पूनम की आपबीती आपसे साझा करने जा रहा हूँ. मेरे बचपन के मित्र की बुआ पूनम, सूरत से बहुत खूबसूरत थीं बुआ का इकहरा शरीर … बहुत पतला था. मगर गांड ऐसी थी कि क्या कहूँ.

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अभी सेक्स कहानी लिखनी शुरू ही की है पर मेरे मुन्ना भाई को बुआ की गांड याद आ गई और फुंफकारते हुए तन्नाने लगे हैं. आप इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि पूनम बुआ की गांड क्या खूब होगी.

ये बुआ सेक्स स्टोरी सन 2007 का है, उस समय मेरा आना-जाना पूनम बुआ के घर थोड़ा बढ़ गया था. पूनम के पति, बृज को व्यापार में कुछ नुकसान हुआ था और इसीलिए पूनम बुआ थोड़ी परेशान रहने लगी थीं.

वो मेरे बचपन के मित्र की बुआ थीं, तो अपना भी प्रयास बनता था कि जो सहायता हो सके, वो की जाए.

धीरे धीरे रोज़ाना आना जाना शुरू हुआ और देखते ही देखते पूनम बुआ से मेरी निजी बातें भी होने लगीं.
पूनम बुआ बहुत धार्मिक थीं और बृज फूफा के स्वास्थ्य को लेकर भी परेशान रहती थीं.

बृज फूफा ने कुछ एफएमसीजी का काम शुरू किया था. अपने इस काम के लिए उन्होंने एक लड़की, जिसका नाम लता था, उसको मार्केटिंग के लिए भी रख लिया. लता रोज़ बृज फूफा के साथ बाज़ार जाती थी.

कुछ समय बाद मुझे पूनम बुआ से चला कि बृज के लता से संबंध बन गए हैं.

मैंने बुआ से पूछा कि किस हद तक सम्बन्ध बन गए हैं.
तो पूनम बुआ ने बताया- बृज मेरे सामने ही लता को चोद भी देता है.

बुआ के मुँह से चोदना शब्द सुनकर मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा … पर मैं होता कौन था पति पत्नी के बीच बोलने वाला.

मुझे आज पहली बार ऐसा लगा, जैसे पूनम बुआ का झुकाव मेरी तरफ बढ़ रहा है.
जबकि मेरे मन में पूनम बुआ के प्रति ऐसे कोई विचार नहीं थे.

मैं यहां बता दूं कि पूनम बुआ को एक बेटी और एक बेटा थे, जो उस समय छोटे ही थे.

मैंने बुआ को दिलासा दी और समय का इंतजार करने को कहा.

फिर समय बीता और पूनम बुआ की मुझसे बातें भी बढ़ती गईं. उनसे चुदाई की बातों को लेकर अब मेरी खुली खुली बातें होने लगी थीं.

एक दिन पूनम बुआ को कहीं जाना था, तो उन्होंने मुझसे मेरी कार में लिफ्ट मांगी.

मैंने उन्हें कार में बिठाया और चल दिया.
न जाने क्यों उसी समय एफएम पर गाना बजने लगा 'होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो …' जिसे सुन कर बुआ मुझसे कहने लगीं.

पूनम बुआ- ये गाना तुमने ख़ास चलाया है क्या?
मैं- एफएम चल रहा है बुआ जी.

पूनम बुआ- मुझे लगा, तुमने मेरे लिए चलाया.
मैं- आपको पसंद है क्या ये गाना?
पूनम बुआ- ह्म्म्म … ऐसी कोई बात नहीं है … पर अच्छा लगता है.

फिर बात ख़त्म खुद ही ख़त्म हो गयी.

उस दिन शाम में मुझे ये बात फिर ध्यान आई, तो मुझे लगा जैसे पूनम बुआ के मन में कुछ तो चल रहा है.
अब मेरे मन में बात को पता करने की जिज्ञासा जागी.

मुझे याद आया कि बृज फूफा, लता के साथ दो दिन को मार्केटिंग के लिए शहर से बाहर जाने वाले थे.
तो मैंने भी देर ना करते हुए, गाड़ी को पूनम बुआ के घर की तरफ घुमा दिया और उनके घर पहुंच गया.

उस समय रात के कोई 8 बजे थे और गर्मी के दिन थे तो कूलर चल रहा था.

पूनम बुआ बाहर बैठक में थीं और बेटा पढ़ाई कर रहा था, जबकि बेटी सो चुकी थी.

मुझे आया देख कर पूनम बुआ पानी ले आईं और फिर मेरे साथ ही सोफे पर बैठ गईं.
वो थोड़ी दूर को बैठी थीं मगर मेरा मन बहकने लगा था.

मेरी उनसे बातें शुरू हुई और सिलसिला कुछ यूँ बना.

मैं- आपने बताया नहीं, वो गाना आपको पसंद है?
पूनम बुआ- ऐसा कुछ नहीं. बस लगा कि तुमने शायद मेरे लिए चला दिया है!

मैं- आप चाहती हों, तो मैं दोबारा चला देता हूँ.
पूनम बुआ- क्यों मज़ाक करते हो. मैं वैसे ही बृज को लेकर बहुत परेशान रहती हूँ.

मैं- अब ऐसा क्या कर दिया उन्होंने?
पूनम बुआ- शराब पी पी कर वो पहले ही अपना शरीर बेकार कर चुके हैं. तुम्हें क्या बताऊं, अब तो उनका जल्दी से खड़ा भी नहीं होता … और ऊपर से इन्होंने ये लता नाम की बीमारी और पाल ली.

ये सब सुनकर मैं तो जैसे सन्न सा रह गया था.
मेरे दिमाग में विचार आते देर ना लगी कि आज तो दावत में बुआ की चुत चोदने को मिल सकती है.

फिर भाभियो, आप सब तो जानती ही हो कि मेरे शिकारी को क्या चाहिए? चुत चुत और सिर्फ चुत.

मैंने बात आगे बढ़ाई.

मैं- बुआ आपने अपने सामने कैसे उन दोनों को सेक्स करने दिया? एक बार मना तो किया होता.
पूनम बुआ- मेरा बस चलता कहां है? और वैसे भी, मैं इस आदमी से परेशान हो चुकी हूँ. अब कम से कम बृज को लता की तरफ तो कर दूंगी … जब वो अगली बार मुझसे कोई फालतू की फरमाइश करेगा.

मैं- फालतू की फरमाइश? मैं नहीं समझा.
पूनम बुआ- अरे … तुम्हें सब बताना मैं जरूरी नहीं समझती.

मैं- हां … वैसे भी मैं होता कौन हूँ?
पूनम बुआ मेरे होंठों पर उंगली रखती हुई बोलीं- दोबारा ऐसा मत कहना. तुम नहीं जानते, अगर तुम नहीं होते, तो पता नहीं मेरा क्या होता.

मैं- तो फिर पूरी बात बताने में क्या दिक्कत है?
पूनम बुआ- कुछ नहीं. शराब की वजह से इनका खड़ा तो होता नहीं, पर सर पर हमेशा चढ़ी रहती है. तो कभी कुछ करेंगे तो कभी कुछ. जवानी वाली बात तो अब हो नहीं सकती … पर फिर भी दिन में 2-3 बार छेड़खानी कर देते हैं.

मैंने पूछा- जब खड़ा नहीं होता तो बृज फूफा ने लता को कैसे चोदा?

मैं भी थोड़ा बात को खोलना चाहता था, तो मुझे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ा.
यूँ तो मैं पूनम बुआ के सामने ऐसे पहले भी बात कर चुका था, पर आज मैं पूनम बुआ को चोद कर अपना लंड शांत करने का मन बना चुका था और उसके लिए थोड़ा और खुलना बहुत जरूरी था.

पूनम बुआ- तो बृज कुछ करते थोड़े हैं. उनको तो सिर्फ लता के मुँह में देना होता है. और लता को भी क्या दिक्कत है, थोड़ी देर इनका मन बहला देती है इसके बदले उस रांड को आराम से सिर छुपाने को जगह मिल गयी है.
मैं- सिर्फ मुँह में … ऐसा कब से चल रहा है?

पूनम बुआ- कई साल हो गए राहुल. जब इनकी बदतमीजी हद से ज्यादा होने लगी, तभी मैंने लता को रखा था. मैं जानती थी और चाहती भी थी कि बृज लता के साथ सम्बन्ध बना लें. कम से कम अब मेरे मुँह में तो उनका पानी नहीं डलेगा.

मैं- इसका मतलब आपने पिछले कई सालों से सेक्स नहीं किया? और आप इस जवानी को कैसे काट रही हो?

पूनम बुआ ने हंसी में बात को टालते हुए कहा- कौन सी जवानी? कोई समझता ही कहां है इस बात को? कोई नहीं समझता कि एक औरत की भी जरूरत हो सकती है. औरत कुछ बोल दे … तो उसको बाज़ारू समझती है दुनिया. इसलिए यहां औरत का कुछ नहीं हो सकता.

पूनम बुआ के मुँह से इतना सुन कर मैंने उनका हाथ अपने हाथों में थाम लिया और उनको सांत्वना देने लगा. अभी तक पूनम बुआ सोफे के एक कोने पर बैठी थीं और मैं दूसरे कोने पर.

मैं पूनम बुआ के करीब आ गया और अब हम दोनों शांत हो गए थे.
कमरे में कूलर की आवाज़ के बावजूद हम दोनों के तेज़ी से धड़कते दिलों की धड़कन को आसानी से सुना जा सकता था.
मानो पूनम बुआ इस पल का न जाने कब से इंतज़ार कर रही थीं और मेरा तो आप सबको पता है.

अंधे को क्या चाहिए … दो आंख. और मुन्ना को तो आज दावत मिलने वाली थी.

मैंने भी देर ना करते हुए पूनम बुआ की तरफ बढ़ कर अपने होंठों को पूनम बुआ के होंठों पर रख दिया.
पूनम बुआ ने आंखें बंद कर लीं और पूर्ण समर्पण के साथ मेरे होंठों को चूसने लगीं.

कुछ देर के रसमय चुम्बन के बाद जैसे ही पूनम बुआ को बच्चों की याद आयी, तो उन्होंने खुद को पीछे खींचते हुए मुझे बराबर के कमरे में पढ़ रहे बेटे की याद दिलाई.

पूनम बुआ मुझसे बोलीं- बराबर वाले कमरे में नन्नू पढ़ रहा है और किसी भी आवाज़ को सुनकर वो इधर आ सकता है. बृज आने के बाद नन्नू से हर बात पूछते हैं … और नन्नू उनसे कुछ नहीं छुपाता.

मैंने पूनम बुआ को आश्वस्त किया और बराबर के कमरे में जाकर उनके बेटे को चॉकलेट दी, जो मैंने रास्ते में उसके लिए ही खरीदी थी.

फिर मैंने बच्चे को बोला- बाहर कमरे में एक चूहा आ गया है. तेरी मम्मी उसको बाहर निकाल रही हैं. मैं तेरा कमरा बाहर से बंद कर देता हूँ, जिससे वो घूम कर इस कमरे में ना आ जाए.

चूहे के नाम से नन्नू थोड़ा घबरा गया और बोला- भैया, आप जल्दी से कमरा बंद कर दो. मुझे चूहे से डर लगता है.

मेरा काम हो गया था. मैंने बाहर आकर कमरे की कुण्डी लगायी और वापस आ कर बुआ के बराबर में बैठ गया.

मैंने फिर से पूनम बुआ का हाथ अपने हाथ में थाम लिया था.

मैं- हो गया तुम्हारा नन्नू सैट … तो हम कहां थे?
पूनम बुआ- हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे राहुल?
मैं- गलत और सही के चक्कर में पड़ने से पहले तो आप इस बात को तैयार हो जाओ कि अगर सब सही ही करना है … तो फिर से बृज का लंड चूसना पड़ेगा और उसके लंड का पानी भी पीना पड़ेगा क्योंकि सही के लिए आपको पहले लता को घर से बाहर करने की जरूरत है बुआ जी.

पूनम बुआ कुछ सोच में पड़ गईं.
पर मैंने उनका हाथ हौले हौले से सहलाना शुरू कर दिया था.

बुआ अपने हाथ को अपने तेज़ धड़कते दिल तक ले गईं और कुछ सोचते हुए उन्होंने अपना सिर अपने और मेरे हाथ जुड़े हुए हाथों पर झुका दिया.

देर ना करते हुए मैंने भी अपने हाथ को जैसे उनके सीने से लगाया और दूसरे हाथ से उनके सिर को ऊपर उठा दिया.

मैंने देखा कि बुआ की आंखों में आंसू थे. मैंने उनकी आंखों को दूसरे हाथ से साफ़ किया, पर एक हाथ मैंने अब भी उनके सीने पर ही रखा था.

फिर मैंने अपने हाथ को उनके हाथ से छुड़ाया और सिर्फ उनके हाथ को सीने से नीचे करते हुए अपने एक हाथ को उनके नंगे सीने पर रख हल्के से सहलाना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे अपनी एक उंगली उनके ब्लाउज के अन्दर पहुंचा दी.

मेरी कोशिश थी कि मैं पूनम बुआ के निप्पल को एक बार टच करूं, पर उससे पहले कि मैं वहां तक पहुंच पाता, पूनम बुआ ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे सवालिया नज़रों से देखने लगीं.
मैंने भी अपनी नज़रों से ही उनको जवाब दिया कि वो मेरा हाथ ना रोकें, पर उन्होंने मेरा हाथ नहीं छोड़ा.

अब मैंने अपना हाथ उनके सीने से हटा दिया और उनसे थोड़ी दूर होकर बैठ गया.
वो भी अपना मुँह दूसरी दिशा में करके हो गईं.
ये मेरा अपना गुस्सा दिखाने का तरीका था क्योंकि ये तो मुझे पता था कि आज चाहे जो हो जाए, पूनम बुआ मेरे लंड का पानी अपनी चुत में जरूर लेंगी.

मुश्किल से एक मिनट भी नहीं बीता होगा कि पूनम बुआ मेरे पास आकर मेरे हाथ को थाम कर बैठ गईं.

मेरा गुस्सा अब भी बरकरार था, पर मैंने अपना चेहरा उनकी तरफ किया, तो उन्होंने जैसे अपनी नज़रों से ही समर्पण कर दिया और मेरे हाथ को फिर से अपने हाथों में थामे, दिल पर रख लिया.

मैंने भी देर ना करते हुए फिर से उनके ब्लाउज में उंगली सरका दी.
पर इस बार मेरी दो उंगलियां अन्दर थीं.

मेरी उंगलियां सीधे उनके निप्पल को छूकर ही रुकीं.
पूनम बुआ ने एक आह भरी और आंखें बंद कर लीं. मैंने उनके निप्पल को दोनों उंगलियों के बीच लेकर मसलना शुरू कर दिया और पूनम बुआ की कामुक सिसकारियां भी बढ़ती चली गईं.

मैं समझ चुका था कि पूनम बुआ तैयार हैं और इसलिए मैंने दूसरे हाथ से पूनम बुआ के ब्लाउज के एक बटन को खोल कर गले को थोड़ा नीचे सरकाते हुए उनके निप्पल को बाहर निकाल लिया, ताकि मैं उसको अपने होंठों से चूम सकूं.

पूनम बुआ का रंग यूँ तो साफ़ था … तो छोटे से गोरे चुचे पर हल्के भूरे रंग का उनका निप्पल तन्नाया सा खड़ा था.

बुआ अपनी सुध खो चुकी थीं और जैसे मेरे आलिंगन में आने को बेताब थीं.

मैंने जैसे ही उनके निप्पल को चूमा, पूनम ने अपनी बांहों में मुझे भर लिया और मेरे बालों में अपने हाथ ऐसे फेरने लगीं, जैसे मुझसे कह रही हों कि आज इनको चूस चूस कर इनका सारा रस पी जाओ.

मैंने पूनम के निप्पल को फिर से हल्के से चूमते हुए खींचा, तो बुआ के बदन में जैसे कंपन सी हुई. उसी समय एकाएक मैंने उनके निप्पल को तेजी से चूसना शुरू कर दिया.

क्या अनूठा अनुभव था दोस्तो … मैं आनन्द के समंदर में गोते खा रहा था और पूनम बुआ भी उसी समंदर में डूबती जा रही थीं.

मैंने पूनम बुआ के चुचे को चूसते चूसते काटा भी, सहलाया भी.
इस दौरान बुआ का बदन कांपता रहा और मेरी उत्तेजना बढ़ती रही.

मैंने थोड़ा होश संभाला और इससे पहले देर होती, पूनम बुआ के ब्लाउज के बटन खोल दिए. मैंने उनको झूठा विरोध करने का भी मौका नहीं दिया था. इसलिए उनका चेहरा ऐसा हो गया था जैसे काटो तो खून नहीं.

देखने में तो पूनम बुआ का सीना सपाट था … पर हल्के हल्के चुचे तो सभी महिलाओं के होते हैं और आप सभी ने कभी ना कभी ये अनुभव किया ही होगा.

अब मैंने एक एक करके बुआ के दोनों चुचों को मसलना, चूसना और काटना शुरू कर दिया था.
पूरा कमरा बुआ की सिसकारियों की आवाज़ से गूंज रहा था.

मैंने पूनम को याद दिलाया- नन्नू बराबर कमरे में है और अभी सोया नहीं है. तेज आवाज मत करो.
तब जाकर बुआ की सिसकारियां थोड़ी हल्की हुईं.

पूनम बुआ मुझे पहले ही बता चुकी थीं कि बृज उनको अपना लंड चुसाता है और उनके मुँह में अपना पानी भी डालता है.

आप सबको तो पता ही है कि मुझे लंड चुसाना कितना पसंद है. जब कोई लड़की, भाभी या औरत मेरा लंड चूसती है … तो मैं एकदम से मदहोश हो जाता हूँ, आसमान में उड़ने लगता हूँ, मेरा लंड फूल कर और मोटा हो जाता है.


अब बुआ मेरे लंड को कैसे चूसती हैं या नहीं चूसती हैं. ये सब मैं बुआ सेक्स स्टोरी के अगले भाग में लिखूंगा.
 
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बुआ की चुत गांड चोदकर मजा लिया- 2


पाठको, कहानी के पिछले भाग
दोस्त की बुआ को चुदाई का सुख नहीं मिला
में आपने पढ़ा कि मैं अपने दोस्त की बुआ पूनम के जिस्म के साथ मस्ती कर रहा था. मैंने बुआ के ब्लाउज को खोल कर उनकी दोनों चूचियां चूस चुका था.


अब आगे प्यासी औरत की चुदाई कहानी:

आज तो मैं अलग ही मूड में था. आज रात भर मुझे पूनम बुआ के साथ जीभर कर कामक्रीड़ा जो करनी थी. सबसे अच्छी बात ये थी कि आज हमें रोकने वाला भी कोई नहीं था.

मैंने बुआ के चुचों से खेलते खेलते अपनी जींस को नीचे को सरका दिया और खड़े होकर अपना लंड बुआ के हाथ में दे दिया.

अभी बुआ मेरे लंड को देख नहीं सकती थीं, पर उसको अंडरवियर के ऊपर से हाथ में पकड़ने से ही उनकी आंखों में एक चमक नज़र आने लगी थी.
शायद आज उनका कई सालों का इंतज़ार पूरा होने वाला था. उन्होंने और उनकी चुत ने कई सालों से खड़ा लंड जो नहीं खाया था.

मैंने बुआ से मेरा लंड आज़ाद करने का इशारा किया और उन्होंने इशारा मिलते ही मेरा लंड धीरे धीरे अंडरवियर से बाहर निकालना शुरू कर दिया.

कुछ ही देर में मेरा लंड बुआ के सामने था और वो उसको अपने हाथ में लेकर बहुत खुश नज़र आ रही थीं.

मैंने बुआ से कहा- इसकी मुँह दिखाई भी तो बनती है मेरी जान. जरा इसको अपने मुँह में लेकर थोड़ा गीला तो करो.

बुआ को जैसे मेरे इशारे का ही इंतज़ार था. उन्होंने एक पल भी नहीं गंवाया और मेरा लंड सहलाकर उसको हल्के से चूमा.

पूनम ने अपनी जीभ बाहर निकाली और लंड का टोपा चाटने लगीं.
जब भी बुआ मेरे लंड के छेद को चाटतीं, तो जैसे मेरे बदन में एक बिजली सी कौंध जाती.

पूनम ने कुछ ही पलों बाद मेरा पूरा लंड जीभ से चाटना शुरू कर दिया और देखते ही देखते मेरा पूरा लंड, टोपे से जड़ तक, बुआ के थूक से गीला होकर चमक रहा था.
साथ ही बुआ मेरे टट्टों को अपने हाथ से हल्के हल्के सहला और दबा भी रही थीं, जिससे हल्के मीठे दर्द के साथ एक उत्तेजना मेरे अन्दर भरती जा रही थी.

इतना देख कर मैं समझ गया था कि बुआ लंड चूसने में माहिर हैं.

अब मुझे इंतज़ार था कि कब पूनम मेरे लंड रस को अपने मुँह में निगलेंगी. इस काम में भी बुआ ने कोई देर नहीं की और अपना मुँह खोल कर मेरे लंड को अपने मुँह में अन्दर तक भरना शुरू कर दिया.

मेरा लंड ढाई इंच मोटा होने की वजह से इसको निगलने के लिए अनुष्का शर्मा जितना बड़ा मुँह होना जरूरी है, वरना चूसने वाली के मुँह में जल्दी ही दर्द होने लगता है.

यही पूनम बुआ के साथ भी हुआ.

पूनम चाह कर भी मेरा पूरा लंड अपने मुँह में नहीं ले पा रही थीं और मैं उनकी उत्तेजना को समझ भी रहा था, पर मुझे भी तो पूर्ण आनन्द का हक़ है.

मैंने पूनम बुआ के सिर पर हाथ रख कर उनके मुँह में हल्के दबाव के साथ मर्दन करना शुरू किया. मैंने लंड को उनके मुँह में धीरे धीरे ठूंसना शुरू कर दिया था. इससे उनको हल्का ठसका भी लगने लगा था.

बुआ ने अपने मुँह से लंड बाहर निकालते हुए मुझे घूर कर देखा और कहा- जब ये नहीं जा रहा तो इसको अन्दर ठूंसने की क्या जरूरत है? जितना चूस सकती थी, तुम्हारे बिना कहे चूसा है ना मैंने!

मैं- कोशिश करने में तो कोई दिक्कत नहीं. आप थोड़ी कोशिश करोगी तो पूरा अन्दर चला जाएगा.
पूनम बुआ- यही चीज़ मुझे बृज की पसंद नहीं. उससे होता कुछ नहीं और लंड जाने कहां कहां डालना चाहता है.

मैं- जब मेरे लंड का जलवा देखोगी बुआ … तो सारी प्यास ठंडी हो जाएगी मेरी जान … थोड़ा सब्र तो कर लो.
बुआ- पर तुम इसको जबरदस्ती अन्दर नहीं ठोकोगे. और अब या तो जान कहो या बुआ … एक साथ दोनों रिश्तेदारी नहीं चलेगी.

मैं हंस पड़ा.

अब मैंने बुआ को जान कहना शुरू कर दिया था.


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मैं- मेरी जान, आज आपको इसको चूसना तो इसकी जड़ तक चूसना पड़ेगा … वरना आपकी चुत की प्यास भी नहीं बुझेगी.
बुआ- ठीक है … मैं कोशिश करती हूँ.

मैं- और अभी इसका पानी भी तो पीना है मेरी जान.
पूनम- वो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, पर तुमसे मैं मना कैसे करूं राहुल?

उनके इतना कहने पर मैंने पूनम बुआ को फिर अपने लंड पर झुका दिया. बुआ ने भी फिर से मेरे लंड को निगलना शुरू कर दिया.

मुझे पता था कि अगर बुआ ने लंड को पूरा निगला, तो ये उनके गले में जाकर टक्कर मारेगा और उनको ठसका भी लगेगा. पर अगर चुदाई के समय थोड़ी जबरदस्ती ना हो … तो कुछ कमी सी रह जाती है.

मैंने अब पूनम के सिर पर हाथ रख कर उनके सिर को नीचे धकेलना शुरू किया. बुआ हल्की हल्की खांसती हुई मेरे लंड को निगलने की कोशिश में लगी थीं.

उन्होंने लगभग पूरा लंड अपने हलक तक ले लिया. आखरी डेढ़-दो इंच ही बचा होगा कि मैंने उनके सिर को झटके से ऊपर से दबाया और नीचे से लंड का धक्का लगा दिया.
लंड गले के अंतिम छोर में जाकर अटक गया था.
उसी समय मैंने बुआ के सिर को कस कर पकड़ लिया. जिससे वो मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर ना निकाल सकें.

पूनम को ठसका लगने लगा और वो खांसने लगीं पर उनकी खांसी उनके ही गले में घुट कर रह गयी.

थोड़ी ही देर में बुआ की आंखों से आंसू बहने लगे और आंखें लाल हो गईं; उनके मुँह से गाढ़ी राल बाहर को बहने लगी थी और पूरा बदन जैसे कांपने सा लगा था.

कुछ ही सेकंड में मेरा खून गर्म हो गया था.
हालांकि मैं जानता था कि पूनम बुआ बहुत देर तक मेरी इस बेदर्दी को नहीं सह सकेंगी, तो मैंने उनके सिर को छोड़ दिया.

उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकालने में एक पल की भी देरी नहीं की.

वो उस पल कहना तो बहुत कुछ चाहती थीं पर शायद उनको अभी अपनी सांसें काबू में करनी थी.
तो वो उठ कर साइड में पड़े दीवान पर जाकर लेट गईं.


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मैं भी पीछे पीछे दीवान पर गया और उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया.
अन्दर पूनम बुआ ने पैंटी नहीं पहनी थी. इसलिए उनकी चुत मेरी आंखों के सामने थी.

पूनम बुआ की चुत पर झांटें उगी थीं … शायद कुछ महीनों से काटी ही नहीं गई थीं.
उनकी चुत पर झांटें थोड़ी बड़ी थीं, पर फिर भी मैं पूनम बुआ की चुत का चीरा देख सकता था.

बुआ अभी भी गहरी और लम्बी सांसें ले रही थीं और अपनी पूरी सुध में नहीं थीं इसलिए शायद चाह कर भी कोई विरोध नहीं कर पा रही थीं.
उनके मुँह से थूक ऐसे बह रहा था जैसे वो अधमरी सी हो गयी हों.
उनका पूरा चेहरा लाल हो चुका था और आंखों से आंसू बह रहे थे.
बाल इधर उधर बिखरे पड़े थे और वो कुछ असहाय सी दिख रही थीं.

देखा जाए तो इस वक्त पूनम बुआ मेरे सामने अब करीब नंगी सी ही थीं. ऊपर से उनके चुचे नंगे थे और नीचे से चुत भी साफ़ खुली पड़ी थी.


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मैंने उनकी तरफ देखा तो बुआ का चेहरा साफ़ कह रहा था कि वो मुझसे नाराज़ हैं.

मैं इस मौके को किसी भी वजह से गंवाना नहीं चाहता था, तो मैंने देर ना करते हुए अपने कपड़े उतारे और पूनम बुआ के ऊपर चढ़ गया.
बुआ के पैरों को चौड़ा करते हुए मैं उनकी टांगों में बीच में बैठ गया और अपना लंड उनकी चुत पर सैट कर दिया.


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मैं धक्का लगाने ही वाला था कि पूनम बुआ की चेतना शायद लौट आई, उन्होंने एक बार फिर अपनी बड़ी सी आंखों से मुझे घूर कर देखा और अपनी टांगों को बंद करने का असफल प्रयास किया.

होने को तो ये काम आज होना ही था, पर शायद पूनम थोड़े नखरे करतीं और फिर मुझे अपनी चुत चुदाई की इजाज़त दे देतीं.

पर थोड़ी जबरदस्ती से इस इंकार और इकरार के खेल में मज़ा दोगुना हो जाता है.

इसलिए मैंने पूनम बुआ को समय देना सही नहीं समझा; मैंने देर ना करते हुए लंड पर थोड़ा जोर लगाया और देखते ही देखते मेरा लंड पूनम बुआ की चुत में घुस गया था.

पूनम बुआ ने एक चैन की आह भरी और अपनी आंखें बंद कर लीं.
बुआ के चेहरे पर एक भीनी सी मुस्कान मैं साफ़ देख सकता था.
अब उनका पूरा बदन रोमांचित हो उठा था और मेरा साथ दे रहा था.

मेरा अगला धक्का उनकी चुत में यूँ गया था, जैसे उनकी चुत को चीरते हुए किसी भाले की तरह घुसा हो. इस बार मेरा लंड बुआ की बच्चेदानी से जा टकराया.


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पूनम बुआ की जोरदार चीख 'उम्म्ह … अहह … हय … याह … मर गई …' कमरे में गूंज गई.

मैंने हल्के धक्कों से खेल शुरू कर दिया और पूनम बुआ के ऊपर लेट गया.

नीचे चुत में मेरे लंड के धक्के जारी थे और ऊपर मैंने बुआ के होंठों को चूसना शुरू कर दिया था.
बुआ के चुचों में मर्दन के लिए कुछ नहीं था, पर खाली हाथों का चुदाई के समय और क्या काम था तो मैंने एक हाथ उनके बालों में और दूसरा उनके चुचों पर फेरना शुरू कर दिया.

मैं पूनम के चेहरे पर थोड़ी परेशानी के भाव स्पष्ट देख सकता था, तो मैंने उनसे बात करनी शुरू कर दी- अब परेशान क्यों हो?
पूनम- कई सालों के बाद लंड ले रही हूँ राहुल … कुछ मत बोलो.

मैं- थोड़ी बात करोगी तो और मज़ा आएगा.
पूनम- अभी नहीं. अभी मुझे सिर्फ और सिर्फ इस अहसास का मज़ा लेने दो.

मैंने फिरकी लेते हुए कहा- अगर दर्द हो रहा है, तो रुक जाऊं क्या?
पूनम बुआ फिर से मुझे घूर कर देखती हुई बोलीं- साले रुकने का नाम मत लेना. थोड़ी देर में ये खुल जाएगी. वैसे भी बृज का तुम्हारे से छोटा और पतला था … और कुछ सालों से तो उसका सही से खड़ा ही नहीं हुआ है. शायद इसी लिए मेरी चुत थोड़ी टाइट हो गयी है.

मैं- सिर्फ खुद ही इस अहसास का मज़ा लोगी … या मुझे भी थोड़ा मज़ा दोगी जानेमन!

मेरा इतना कहना था कि पूनम ने अपने पैर मेरी कमर के ऊपर आपस में बांध लिए और अपने पैरों पर ज़ोर देते हुए मुझे ऊपर से अपनी चुत के अन्दर को धकेलने लगीं. बुआ ने साथ ही मेरी पीठ को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया और मेरे कंधों को चूमने चाटने लगीं.

मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी थी और अब मैं बुआ के हर अंग को भलीभांति महसूस कर सकता था.

पूनम ने मेरे कंधों पर अपने दांतों से हल्के से काटना शुरू कर दिया और इसके साथ ही वो अपने नाखूनों से मेरी पीठ को नौंचने भी लगी थीं.

मैं समझ गया था कि पूनम इस खेल की भी माहिर खिलाड़ी हैं. उनकी इस हरकत से मेरे बदन में खून और ज्यादा तेज़ी से दौड़ने लगा था.
जब मैं बुआ की चुत से बाहर आता … तो बुआ अपने पैरों को ढीला छोड़ देतीं … पर जब मैं अन्दर जाता, तो वो अपने पैरों से मेरे लंड पर दबाव बढ़ा देतीं, जिससे मेरा लंड और अन्दर तक वार कर रहा था.

मेरी हर ठाप का जवाब पूनम एक सिसकारी से देतीं क्योंकि मेरा लंड हर धक्के में उनकी बच्चेदानी पर दस्तक दे रहा था.

पांच मिनट की चुदाई में बुआ की चुत मेरे लंड के लिए कुछ अभ्यस्त सी होने लगी थी और उनके चेहरे पर अब मुस्कराहट साफ़ देखी जा सकती थी.

मुझे अब इस खेल में और रूचि आने लगी थी. मैंने अपने लंड को बुआ की चुत से पूरा बाहर निकाला और फिर से एक तेज झटके से वापस अन्दर डालते हुए उनके होंठों पर काट लिया.

इस प्रहार के लिए जैसे पूनम बिल्कुल तैयार नहीं थीं. मेरे इस ताकतवर झटके ने पूनम की आंखों को जैसे फाड़ सा दिया था.

बुआ आखें फाड़े मुझे ऐसे देख रही थीं जैसे कह रही हों कि दोबारा ऐसा मत करना. पर मैं कहां मानने वाला था. अभी तो ऐसे और प्रहार बुआ की चुत को झेलने बाकी थे.

हम दोनों की चुदाई को चलते करीब 10 मिनट हो चुके थे.
मैंने एक बार फिर से लंड को पूरा बाहर निकाल कर जो वापस बुआ की चुत में ठूंसा तो उनके मुँह से एक चीख निकल गयी, जो थोड़ी तेज़ थी.


ohhhh
पूनम- ऐसा मत कर राहुल … इससे दर्द होता है.
मैं- जब मैं झटका लगाता हूँ तो आपकी चुत थोड़ी सिकुड़ जाती है. मुझे बहुत मज़ा आता है जानेमन.

पूनम बुआ- और अगर किसी ने मेरी चीख सुन ली तो?
मैं- कौन सुनेगा जान. यहां बस आप और मैं ही तो हैं.

पूनम बुआ- ओह राहुल … रआआआ … हूउउलल … आई लव यू राहुल …

बुआ का इतना कहना था कि बराबर के कमरे से नन्नू की आवाज़ आने लगी और पूनम बुआ घबरा गईं.
मैंने उनको याद दिलाया कि मैंने उनके कमरे को बाहर से बंद कर रखा है और वो यहां नहीं आ सकता.

पर नन्नू लगातार दरवाज़ा खटखटा रहा था तो हम दोनों को अलग होना पड़ा.

पूनम अपने कपड़े ठीक करके नन्नू के पास चली गईं और मैं उठ कर बाथरूम में चला गया.

बुआ करीब 20 मिनट बाद वापस आईं तो उन्होंने गाउन पहन रखा था.
मेरा अनुमान था कि उन्होंने गाउन के नीचे कुछ नहीं पहना था.

बुआ बोलीं- नन्नू ने मेरी चीख सुन ली थी और वो डर गया था. पर अब मैं उसको सुला आयी हूँ. तुम भी थोड़ा ध्यान रखना. ऐसा ना हो कि हमारी आवाज़ें अड़ोसी पड़ोसी सुन लें.

मैंने देर ना करते हुए बैठक के टीवी को चालू करके उस पर गाने चला दिए, जिससे हमारी आवाज़ें इधर उधर वाले ना सुन सकें.
अभी तो पूनम की जाने कितनी चीखें निकलनी बाकी थीं.

मैंने देर ना करते हुए फिर से बुआ के होंठों पर होंठ रख दिए और उनके चूतड़ों को मसलने लगा. बुआ भी तैयार थीं और उन्होंने जवाब में अपनी जीभ मेरे मुँह में देकर एक लम्बी चुम्मी को अंजाम दे दिया.

इस बार मैंने पूनम में थोड़ा बदलाव महसूस किया. अब वो पहले की तरह संकोच नहीं कर रही थीं. शायद वो मुझसे खुल गयी थीं या बच्चों के सोने की वजह से बेफिक्र हो गयी थीं.

मैंने उनको चूमते चूमते उनके गाउन को ऊपर उठाया तो बुआ ने भी मेरी टी-शर्ट को मेरे बदन से अलग कर दिया. उन्होंने मेरे होंठों को छोड़ कर अब मेरे सीने पर कब्ज़ा कर लिया था.
वो प्यासी औरत मेरे सीने को अपनी जीभ से चाट रही थीं और बीच बीच में मेरी छाती पर काट लेतीं.

चूमते चाटते वो नीचे बढ़ीं और मेरी नाभि में अपनी जीभ गोल गोल घुमाने लगीं.
उनके हाथ मेरी जींस का बटन खोल रहे थे और वो मुझ पर जैसे कोई जादू कर रही थीं.
देखते ही देखते उन्होंने मेरी जींस और अंडरवियर दोनों मेरे बदन से अलग कर मेरे लंड पर अधिकार जमा लिया था.

प्यासी औरत की चुदाई कहानी को अगले भाग में लिखना जारी रखूँगा.
 

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