Adultery बुढ़िया मकान मालकिन कि गांड तोड़ चुदाई का किस्सा

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Hii friends mai yeh ek new story post kar raha hai yeh story nahi balki real incident hai jo ki hua hai mere Roommate ke sath and usne mujhe yeh story likh ke post karne ki ijajat bhi di hai so isliye yeh story mai post kar raha hu

Ye story mere Roommate ke

Jab mera Roommate nahi tha tab ki hai

Abhi usne woh room chod diya hai

Lekin usne waha 2 saal gujare thea jisme kya kya hua woh pata chalega aapko story mai
 
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बुढ़िया मकान मालकिन की गांड तोड़ चुदाई


😈😈😈 अपडेट. ११११११११😈😈😈



👿👿👿मैं सोनू👿👿👿

😤😤😤उमर 19 साल 😤😤😤

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😜😜😜बुढ़िया मकान मालकिन का नाम 😜😜😜

😝😝😝लाजवंती हैं 😝😝😝

😯उसकी उमर 70 साल है😯


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☺☺☺मैं रांची में रहकर अपनी पॉलीटेक्निक की पढ़ाई यही करता हूँ। मेरा परिवार भागलपुर में रहता है। मुझे रांची के एक कॉलेज में एडमिशन मिल गया था। तो मैं यहाँ अकेला रहकर पढ़ाई करता हूँ। मैं एक किराए के मकान में रहता हूँ।
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मैं ऊपर वाले कमरे में रहता था। नीचे मकान मालिक और उनका परिवार रहता है। उनके परिवार में 4 लोग ही रहते है। मकान मालिक ,उनकी माँ और बीवी और एक बच्चा। उनलोगो ने मुझे छत वाले कमरे में रहने दिया। मेरी उनलोगों से अच्छी बनती थी।
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पर मकान मालिक की बूढ़ी माँ मुझे देख बस घूरती ही रहती थीं। मुझे भी अजीब लगता था। मैं भी बुढ़िया से ज्यादा बात नही करता था। एक दिन की बात है। शाम को मैं अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था। अचानक लाइट चली गयी। गर्मी के कारण मैं छत पर चला गया। वो बुढ़िया वही छत पर एक कोने में खड़ी थी।
जब मैंने उसे देखा तो वो थोड़ी कांप रही थी। मुझे समझ नही आ रहा था। कि वो इतनी गर्मी में कांप क्यों रही है। मैं छिपते हुए बुढ़िया के नज़दीक पहुँचा तो मुझे उसके चुड़ियों की खनखनाहट की आवाज आने लगी। लगातार उसकी चुड़ियों की खंखानाने की आवाज आ रही थी।
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वो छत के घेराव वाली दीवार से सटी हुई खड़ी थी। और उसकी पीठ पीछे की तरफ यानी मेरी तरफ थी। मैं धीरे से और आगे गया और दीवार से छिपकर देखा तो मैं भौचक्का रह गया। बुढ़िया की बाई टांग एकदम नंगी थी। बुढ़िया ने अपनी कमर तक अपनी साड़ी उठाकर अपनी बांये हाथ से अपनी चुत में उंगली कर रही थी।
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इसलिए उसकी चुड़ियों की खनखन की आवाज आ रही थी। मैं समझ नही पा रहा था कि 70 साल की बुढ़िया की चुत में कितनी आग है जो अपनी चुत को उँगलियों से सांत कर रही थी। मैं उनकी मस्त मोटी जाँघे देखकर जोश में आने लगा था। वो बुढ़िया थी। मगर उसकी कसी हुई मोटी जाँघे जिसपर थोड़े बाल भी थे।

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जब मैंने उसकी चूतड़ों को देखा तो बुढ़िया के हिलने से उसकी गाँड़ भी हिल रही थी। उसकी चुचियाँ तो बड़ी बड़ी थी। लेकिन पूरी इस्तेमाल होने से उसकी चुचियाँ झूल गयी थी।
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मैं कभी कभी जब ऐसे ही देखता था। तो उसके ब्लाउज के हुक के बीच के फांकों से उसकी चुचियाँ दिखाई देती थी।
मैं आते जाते जब वो दिखती तो बुढ़िया की चुचियों को तड़ता रहता था। वो बूढ़ी हो चुकी थी। तो वो अपने पल्लू से अपनी चुचियों को ठीक से ढका भी नही करती थी। अचानक मैंने देखा कि बुढ़िया ने अपनी चुत में तेज़ी से उँगली करनी शुरू करदी। और आसमान की तरफ देखती हुई। उंगली को तेजी से चुत में घुसाने लगी।
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मैं समझ गया कि अब उसका चुत का पानी निकलने वाला है। तो मैं झट से गाना गुनगुनाते हुए उसके करीब बढ़ने लगा। वो समझ गयी कि छत पर कोई आया है। तुरंत बुढ़िया ने अपनी उंगली को चुत से निकलकर अपनी साड़ी को नीचे करके अपनी टांग को ढक लिया।
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बुढ़िया पीछे मुड़ मुझे देखने लगी। मेरे कारण वो झड़ नही पाई और मैं उसके चुत में उंगली करने में खलल पड़ गया। वो गुस्से से मुझे देखती हुई बड़बड़ाते हुए नीचे चली गयी। मैं समझ चुका था कि उसको चुदाई की आग लगी है।
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मैं सोचने लगा कि यार इस बुढ़िया को शायद 35 सालों से कोई लंड नही मिला। उसके पति को गुजरे 35 साल हो चुके थे। मैं सोचने लगा कि अब तो उसकी चुत भी सिकुड़ कर टाइट हो गयी होगी। यही सब सोचकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया। मेरे लौड़े को भी कई दिनों से कोई चुत चोदने को नही मिली थी।
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अभी भी मैं बुढ़िया को चोदने के इरादे में नही था। वो बुढ़िया मुझे फूटे आंख सही से नही देखती तो चोदने क्या देगी। मैं यही सोचकर छत पर ही जहाँ बुढ़िया खड़ी होकर अपनी चुत में उँगली कर रही थी। वही मैं खड़ा हो कर अपने लंड को हिलाने लगा। थोड़ी ही देर में चुत के सपने देखते देखते मैं वही झड़ गया।
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मैं कुछ करता उससे पहले ही मेरा सारा माल (वीर्य) सामने की दीवार और छत पर फैल गया। मैंने कई दिनों से मुठ नही मारी थी। इसलिए मेरे माल (वीर्य) की मात्रा और गाढ़ापन बहुत था। मुझे कुछ समझ नही आया कि क्या करूँ। वीर्य गाढ़े गोंद की तरह छत पर फैला हुआ छोड़ कर अपने कमरे में आ गया।
मैं फिर अपनी पढ़ाई में लग गया। फिर करीब एक घंटे बाद 6 बजे वो बुढ़िया फिर से छत पर गयी। मैं भी चुप कर उसके पीछे गया। हल्का अंधेरा हो चुका था। वो बुढ़िया फिर उसी दीवार के पास जाकर रुक गई। और चारो तरफ देखकर फिर दीवार से चिपक गयी।
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आगे जो होने वाला था। आप समझ ही गये होंगे दीवार से सटते ही बुढ़िया के पैरों में मेरा गाढ़ा माल (वीर्य) लग गया। वो झुक कर देखने लगी। और उंगली में वीर्य को उठाकर देखने लगी। मैं डर गया कि कही वो अपने बेटे को ना बताए। सहमा हुआ सा मैं अपने कमरे में लौट आया और पढ़ने बैठ गया।
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डर से पढ़ाई में भी मनन नही लग रहा था। और खुदपर गुस्सा भी आ रहा था। कि काश मैंने अपना माल (वीर्य) को छत से साफ कर दिया होता। बुढ़िया तो एक पल में ही समझ गयी होगी। कि छत पर फैली हुई चीज वीर्य ही है। 10 मिनट के बाद मैं फिर चुपके से छत की ओर गया।
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देखा तो बुढ़िया फिर से अपनी चुत में उंगली कर रही थी। रात को छत पर कोई आता जाता नही था। वो निशचिंत होकर अपनी चुत में उंगली मार रही थी। फिर से उसकी चुड़ियों की खनखन की आवाज आ रही थी।
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इस बार बुढ़िया अपनी साड़ी को पूरा ऊपर करके अपनी चुत में उंगली कर रही थी।

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मुझे अब उसकी चर्बी वाली हिलती हुई बड़ी 38 साइज की गाँड़ और मोटी जाँघे पीछे से एकदम नंगी दिख रही थी। मैंने ध्यान से उसकी गाँड़ के नीचे देखा तो दिखा की वो अपनी एक ही उंगली से अपनी चुत की गहराई को कुरेद रही थी। शायद चुदाई नही मिलने से ही बुढ़िया का स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया था।
मैंने भी सोचा इसे भी खुश रहने दो। मैं चुप चाप अपने कमरे में आकर खाना बनाने की तैयारी करने लगा। करीब 20 के बाद बुढ़िया को नीचे की तरफ जाते देखा तो मैं समझ गया कि बुढ़िया अपनी चुत का पानी निकाल कर सांत हो गयी होगी। फिर मेरे मन में आया कि इसने अपनी चुत का माल (वीर्य) कहाँ छोड़ा होगा।
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मैं यही देखने के लिए अंधेरे छत पर गया। अपने फ़ोन की टोर्च जला कर उसी दीवार के पास पहुंचा तो देखा कि ढेर सारा वीर्य दीवार से आगे तक बहा हुआ था। मेरे लंड से निकला हुआ माल(वीर्य) इतना नही था। मैं समझ गया कि इसमें बुढ़िया की चुत से निकला हुआ माल भी है।
मैं वापस आकर खाना खा कर अपने कमरे के दरवाजे को बंद करके सो गया। जब रात के 11 बजे थे। तभी किसी ने मेरे दरवाज़े पर दस्तक दी मैं आलास से नही उठा कुछ देर बाद फिर दरवाजा खटखटाने की आवाज आई।
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मैंने उठकर दरवाजा खोला तो देखा कि मकान मालिक की माँ वही बुढ़िया खड़ी थी। और थोड़े गुस्से में थी मुझे लगा! मैंने पूछा इतनी रात में आप यहाँ तो वो बोली तू अंदर चल तुझसे कुछ बात करनी है। मुझे अंदर धकेलती हुई अंदर आ गयी। मैंने पूछा बात क्या है?
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