Erotica बंगालन भाभी को फ्लैट दिला कर चोदा

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Update - 1
ये घटना कुछ समय पहले की है. मैं एक सोसाइटी के 3 बेडरूम फ्लैट के एक कमरे में रहता था. फ्लैट का मालिक विदेश में रहता था और उसने मुझे ही फ्लैट की देख रेख करने और बाकी के दो कमरों और ड्राइंगरूम को किराए पर देने हेतु पावर ऑफ आटोरनी देकर इंचार्ज बना रखा था.

मैं उन दिनों एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करता था. जब भी कोई फ्लैट को खाली करता था तो मैं दोबारा उस पर टू-लेट (किराये के लिए खाली) लिख कर लगा देता था. मैं अन्य किसी को भी उस फ्लैट को उस फ्लैट के मालिक द्वारा बताए गए किराये पर चढ़ा देता था.

अभी जो लोग फ्लैट खाली करके गए थे वे दो बुजुर्ग पति पत्नी थे, जो रिटायरमेंट के बाद अपने शहर चले गए थे. किराया हर महीने फ्लैट के मालिक के खाते में जमा करवा देते थे.

दो चार लोग किराये पर लेने आये परंतु वे मुझे जमे नहीं. जिस सोसाइटी में मैं रहता था वह उस शहर की प्राइम सोसाइटी थी और वहाँ पर सभी 3 बीएचके के फ्लैट थे जिनका किराया 18000 से 20000 तक था.

दो कमरे वाला सेट तो कोई था ही नहीं, इसलिए जिसको भी लेना होता था वह तीन कमरों का ही लेता था और 18-20 हज़ार रुपये देता था, चाहे उसे तीन कमरों की जरूरत हो या नहीं.

एक संडे के रोज मैं किसी काम से नीचे गया तो मुझे एक बंगाली सा दिखने वाला कपल दिखाई दिया. आदमी तो बिल्कुल साधारण था लेकिन उसके साथ जो लेडी थी वह बला की सुन्दर, दूध जैसी गौरी, हसीन और गजब की सेक्सी लेडी थी.

उसकी लम्बी सुराहीदार सेक्सी गर्दन, बहुत ही सुन्दर नयन नक्श, बड़े बड़े मम्मे, गदराया शरीर, नशीली आंखें यानि कि हर लिहाज से सुंदरता में लाजवाब थी. उसका साइज 38-34-36 के करीब का रहा होगा.

उसने जबरदस्त अच्छे तरीके से बहुत ही नीची अर्थात् नाभि से काफी नीची साड़ी पहन रखी थी. साड़ी इतनी कसी थी कि उसकी गांड बिल्कुल बाहर निकलने को होकर उठी हुई दिखाई दे रही थी.

साड़ी के ऊपर स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जिसमें उसकी 38 के साइज की चूचियाँ ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने को हो रही थीं. लेडी ने बालों के ऊपर पर बहुत ही सुंदर काला चश्मा लगा रखा था.

आदमी मरियल सा था. उसकी आंखों पर चश्मा, मुँह पिचका हुआ, लगभग 5 फुट 5 इंच का होगा जो उस लेडी के साथ चलता हुआ भी अजीब लग रहा था. मैं मन ही मन सोच रहा था कि फ्लैट को किराए पर कोई इस तरह का कपल लेने आ जाये तो मजा आ जाये लेकिन वे आगे निकल गए.

फिर मैं अपने फ्लैट में अंदर आ गया. करीब आधे घण्टे बाद मेरे कमरे की बैल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो देखा वही कपल बाहर खड़ा था. मैं उन्हें देखकर खुश हो गया.

आदमी ने पूछा- आपके पास किराये के लिए फ्लैट खाली है?
मैं- जी हाँ, है.
आदमी- किराये पर दोगे?

मैंने कहा- सर, आप अंदर आ जाएं, आराम से बैठकर बातें करते हैं.
आदमी- नहीं, आप खड़े खड़े ही बताएं, देना है या नहीं?
मैंने फिर कहा- सर आप अंदर तो आइए?

आदमी- नहीं, पहले आप मकान दिखाओ.
लेडी बहुत ही सॉफ्ट आवाज़ में बोली- जब वो कह रहे हैं कि अंदर आओ तो हम बैठ जाते हैं.
आदमी- तुम्हें बीच में बोलने को किसने कहा? जब कुछ नहीं पता हो तो बेवकूफों की तरह नहीं बोलते.

वो लेडी बेचारी चुप रह गई परंतु मुझे यह बहुत बुरा लगा.
मैंने अपने आपको रोकते हुए उनसे कहा- कोई बात नहीं, आप पहले फ्लैट देख लीजिए.

फिर मैंने पूरा फ्लैट खोल कर दिखा दिया. उस फ्लैट में तीन बेडरूम, एक ड्राइंगरूम, एक किचन था. फ्लैट में एंट्री के लिए दो दरवाजे थे. एक तरफ राइट साइड में मेरा रूम था जिसमें अटैच्ड बाथरूम था.

लेफ्ट साइड के गेट में अंदर जाने के बाद ड्राइंगरूम से होते हुए दो बेडरूम थे. उस फ्लैट में दो बड़ी बड़ी बालकॉनी थी. एक बालकॉनी तो ड्राइंगरूम और एक बेड रूम के साथ लगती थी. वह सोसाइटी के अंदर की तरफ थी जिससे दूसरे फ्लैट और ब्लॉक दिखाई देते थे.

एक बालकॉनी पीछे की तरफ थी जो मेरे और बचे पोर्शन के मास्टर बेडरूम के लिए इकट्ठी थी. मैंने बड़े रूखेपन से उनको पूरा फ्लैट दिखा दिया और बोल दिया कि पीछे की बालकॉनी मेरी है, किराएदार का उस पर कोई हक नहीं होगा.

मेरी बालकॉनी से बहुत ही सुन्दर हरा भरा व्यू था. उसके पीछे की ओर गोल्फ रेंज थी. एक ग्रीन पार्क था और दूर पहाड़ियाँ दिखाई देती थीं. मेरी बालकॉनी के सामने पूरा खुला दृश्य होने के कारण पूरी प्राइवेसी भी थी.

फ्लैट उनको बहुत पसंद आया. आदमी ने मुझसे पूछा- इसका किराया कितना है?
मैंने कहा- 10000 रुपये महीना.
दस हज़ार सुनते ही आदमी की बांछें खिल गईं और बोला- हमें ये फ्लैट पसन्द है, आप दे दीजिए.

तभी मेरे मोबाइल की रिंग बजी तो मैं उनसे थोड़ा दूर हट कर पिछली बालकॉनी में जा कर मोबाइल सुनने लगा. वे कमरे में खड़े आपस में खुसर फुसर करते रहे. कुछ देर बातें करने के बाद मैंने फोन बंद किया और उनके पास गया.

आदमी बोला- ठीक है, हम तैयार हैं.
अब मेरी बारी थी.
मुझे एक शरारत सूझी और मैंने कहा- देखिये, आपको तो पसन्द है, लेकिन यह फ्लैट तो मैंने किसी और को दे दिया. आपसे पहले वो लोग ये फ्लैट कल देखने आये थे और टोकन के तौर पर कुछ पैसे भी दे गये थे. अभी उन्हीं का कॉल था.

यह सुनकर वे दोनों एकदम परेशान हो गए और आदमी बोला- ये कैसे हो सकता है? अभी तो हमने हाँ की है.
मैंने कहा- देखिये भाई साहब, आप कोई और फ्लैट देख लें. दरअसल मुझे आप कुछ जंचे नहीं.

आदमी- क्या मतलब जंचे नहीं? हमने क्या किया है?
मैंने कहा- भाई साहब, जब आप अपनी बीवी से इतनी बुरी तरह से पेश आ रहे हैं तो आप मेरे साथ भी ऐसा ही बर्ताव करेंगे, इसलिए मेरी ओर से आपके पहले ही सॉरी.

वह सफाई देते हुए आगे बोलने लगा तो मैंने बीच में टोक कर कहा- अब आप प्लीज जाइये।
ऐसा बोलकर मैं अपने कमरे के अंदर चला गया और दरवाजा बंद कर लिया.

उनका मुंह देखने लायक था. वे मायूस हो कर नीचे चले गए. मैंने थोड़ा सा पर्दा हटा कर नीचे देखा तो वे आपस में बहस कर रहे थे. लेडी उस आदमी से झगड़ रही थी.

मैं यह भी नहीं चाहता था कि इतनी शानदार हसीना हाथ से निकल जाए लेकिन उनके लिए उस सोसाइटी में दस हजार में वह सेट बहुत ही ज्यादा सस्ता था. मैंने देखा उन्होंने कुछ बात की और लेडी अकेली ऊपर आने लगी.

कुछ ही देर बाद मेरे रूम की बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला.
लेडी कहने लगी- सर, मैं अंदर आ सकती हूँ?
मैंने कहा- आइये.

लेडी अंदर आई और बोली- सर, मुझे ये फ्लैट चाहिए और उसने दोनों हाथ जोड़ दिए. मैं कुछ सोचने का नाटक करने लगा.
वो बोली- सर, भगवान ने मुझे पति तो ढंग का नहीं दिया, क्या मेरी किस्मत में अच्छा पड़ोसी भी नहीं है?

उसने मायूस सा चेहरा बनाया और उसकी आंखें नम हो गईं.
मैंने उठकर उसके नर्म हाथों को अपने हाथों में पकड़ा और उसकी ओर देखते हुए कहा- आप ऐसा न कहें, अब ये फ्लैट आपका हुआ.

उसने पर्स से दस हजार रुपये निकाल कर मेरी ओर बढ़ाये तो मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप पहले एक बार अपने हस्बैंड को बुलाओ.
वह खुश हो कर बोली- थैंक्स। मैं अभी बुलाती हूं.

वो बंगालन जल्दी से नीचे जा कर अपने हस्बैंड को बुला लाई. उसका हस्बैंड चुपचाप बैठ गया. लेडी ने मुझे एडवांस दिया. मैंने उन्हें टर्म्स एन्ड कंडीशन्स समझा दीं और दोबारा कहा कि पीछे वाली बालकॉनी पर उनका कोई अधिकार नहीं होगा.

आदमी कहने लगा- ठीक है, जैसा आप कहते हैं वैसा ही होगा. हम अपना पीछे का दरवाजा हमेशा बन्द रखेंगे और यदि मेरी वाइफ उधर आये तो आप मुझसे शिकायत कर देना, मैं इसकी टांगें तोड़ दूंगा.

मैं हंसने लगा और बोला- भाई साहब, अच्छा रहेगा यदि आप कुछ न ही बोलें.
मैंने कहा- आप लोग अपना परिचय देना चाहेंगे?

आदमी अपनी बीवी से कहने लगा- दीपिका आप ही बोलो, क्योंकि मैं बोलूंगा तो हो सकता है सर नाराज हो जाएं।
लेडी बोली- ये मेरे हस्बैंड हैं मि. सुभेन्दु घोष और मैं इनकी बीवी दीपिका घोष. हम कोलकाता से हैं और अभी 10 महीने पहले हमारी शादी हुई है. इस शहर में एक कॉल सेंटर में इन्हें नौकरी मिली है.

उस बंगालन ने बताया कि वह पढ़ी लिखी तो है परंतु हाउस वाइफ ही है, कोई अच्छी जॉब मिली तो कर लेगी.
अपने परिचय में मैंने अपना नाम राजेश्वर शर्मा बताया और संक्षिप्त में अपना परिचय उनको दे दिया.

मैंने कहा- मैं आपके लिए चाय बना देता हूँ.
घोष बाबू मना करने लगे तो दीपिका ने उन्हें इशारे से चुप करवा दिया और कहने लगी- जी सर, हम चाय पीकर ही जाएंगे.

फिर वो कहने लगी- आप मुझे किचन बता दें, मैं खुद बना लूंगी.
मैंने कहा- नहीं दीपिका जी, आज तो आप मेरे मेहमान हैं. चाय तो मैं ही बनाऊंगा, आप बैठें.

मैं डिप डिप वाली तीन चाय बना लाया और कुछ बिस्कुट साथ में रख दिये. हम तीनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.
घोष बाबू मुझसे बोले- मि. राज, आपकी उम्र क्या है?

जवाब में मैंने कहा- 30 साल.
घोष कहने लगा- फिर तो मैं आपको छोटा भाई कह सकता हूँ, क्योंकि मैं 35 का हूँ.
मैंने कहा- ठीक है, आप कह सकते हैं.

घोष- फिर तो दीपिका को आप भाभी बुला सकते हैं. वैसे ये आपसे भी पांच साल छोटी हैं.
मैंने दीपिका की ओर हसरत भरी निगाह से देखा और बोल दिया- यदि दीपिका जी को कोई एतराज़ न हो तो मैं इन्हें भाभी जी बुलाऊंगा.
दीपिका ने मेरी आँखों में देखते हुए अपनी दोनों आंखें बंद करके सहमति दे दी.

जब हम चाय पी रहे थे तो मैंने देखा घोष बाबू की टांगें और कमर बिल्कुल पतली सी लकड़ी जैसी लग रही थीं.

मैंने लोअर और बहुत ही सुंदर टी शर्ट पहन रखी थी. जैसा कि मैं हर बार बताता हूँ कि घर पर मैं कपड़ों के नीचे बनियान और अंडरवियर नहीं पहनता हूँ जिससे हर वक्त मेरा लण्ड कुछ उभरा हुआ दिखाई देता रहता है.

दीपिका कभी मेरे शरीर और सुडौल पटों को निहारती तो कभी घोष की टाँगों को देखती. मैं भाभी की कामुक निगाहों को पहचान गया था. दीपिका के हाथों और पैरों की उंगलियां बहुत ही नाजुक, गोरी और गुदाज थी.

नाखूनों पर दीपिका ने बहुत सुंदर नेल पॉलिश लगा रखी थी. बैठे हुए दीपिका की साड़ी में से उसके सुडौल पट और भरी हुई जाँघें और उसका सुन्दर चिकना, सेक्सी पेट दिखाई दे रहा था.

कुछ देर बाद बैठे हुए दीपिका ने अपनी एक टांग को दूसरी पर चढ़ा लिया जिससे उसकी ऊपर और नीचे वाली टांगों से साड़ी पीछे खिसक गई और उसकी मोटी, सुंदर, गुदाज़, गोरी पिंडली देखकर मेरे लण्ड में कसाव आना शुरू हो गया था.

मैं सोच रहा था कि जिसकी पिंडलियाँ इतनी सुंदर हैं तो पट और जाँघें कितनी सेक्सी होंगी? मेरा ध्यान दीपिका के सेक्सी शरीर की जांच करने में लगा हुआ था जिसे दीपिका अच्छी प्रकार से समझ रही थी.

तभी घोष बाबू कहने लगे- मुझे बाथरूम जाना है.
मैंने उन्हें उनके पोर्शन की चाबी दे दी और कहा- आज से घर आपका है, जो मर्जी करो.
घोष उठकर चला गया.

मैं जब चाय के कपों की ट्रे उठाने लगा तो दीपिका ने मेरे हाथ से ट्रे छीन ली. ट्रे लेते समय मेरे हाथ दीपिका के नर्म हाथों से अच्छी तरह से टच हो गए और हम दोनों के शरीर झनझना उठे.

दीपिका को किचन दिखाने के बहाने मैं उठकर अपनी किचन में जाने लगा तो दीपिका मेरे पीछे आ गई और जब उसने पीछे की बालकॉनी देखी तो बोली- सर, ये तो बहुत ही शानदार बालकॉनी है. मन मोह लिया इस नजारे ने मेरा।

मगर जल्दी ही उसका चेहरा मायूस सा हो गया और वो बोली- लेकिन हम लोग तो यहां पर ये नजारा देखने के लिए आ भी नहीं सकते हैं. आपने सख्त मना किया है हमारे लिये।

मैंने धीरे से कहा- दीपिका जी, आपके लिए कोई भी मनाही नहीं है, आप जहां चाहें वहाँ बैठ सकती हैं, घूम सकती हैं, बालकॉनी तो क्या आप मेरे कमरे को भी अपना ही समझें, लेकिन घोष बाबू?

इतने में ही वो हंसने लगी और बोली- थैंक्स, मुझे आप बहुत अच्छे लगे.

मैंने कहा- लेकिन ये बात आप घोष बाबू को मत बताना.
दीपिका ने मेरी ओर शोखी से देखा और धीरे से बोली- ठीक है, हम दोनों की बात हम तक ही रहेगी.

दीपिका मेरी बालकॉनी के एक कॉर्नर में बने छोटे से किचन में चली गई और मैं बाहर दरवाजे पर खड़ा हो गया.
जैसे ही मैं कुछ बोलने लगा तभी दीपिका धीरे से बोली- वो आ रहे हैं.

फिर मैं बोलते बोलते मैं चुप हो गया.

दीपिका की इतनी सी बात ने मुझे अन्दर तक रोमांचित कर दिया क्योंकि इसी इशारे से हमारे आगे के संबंधों की नींव रखी जा चुकी थी.

उसके बाद हम तीनों मेरे कमरे में आ गए.
दीपिका मुझसे पूछने लगी- हम कब शिफ्ट कर सकते हैं?
मैंने कहा- आज से मकान आपका है, चाहें तो आज ही आ जाएं, मुझे कोई ऐतराज नहीं है।

घोष बाबू बोले- लेकिन आज तो 22 तारीख है, किराया तो पहली तारीख से चालू होगा न?
मैंने कहा- घोष बाबू, किराया पहली से ही चालू होगा, मगर आप जब मर्जी चाहो शिफ्ट कर लो.

मैंने देखा कि मेरी इस बात से दीपिका खुश हो गई. उसने धीरे से कहा- थैंक्स, सर.
मैंने कहा- भाभी जी, आप मुझे सर की बजाए ‘राज’ कह सकती हैं.
दीपिका मुस्करा दी और बोली- ठीक है, आज से राज जी बोलूंगी.

घोष बाबू ने एक बार फिर बात छेड़ दी और बोले- अरे भई, शिफ्ट करना भी तो पूरी मुसीबत है, कौन सा आसान काम है? पूरा एक महीना लग जाता है सैटिंग करने में। कभी प्लम्बर, कभी इलेक्ट्रिशियन और न जाने क्या क्या चाहिये होगा.

दीपिका- वो तो सब कुछ मुझे ही करना है, आप तो चले जाएंगे ऑफिस में.
मैंने कहा- एक बार आप लोग अपना सामान यहाँ ले आइये, फिर मैं हेल्प कर दूँगा.

घोष बाबू ने मुझसे मेरा फोन नम्बर लिया और अपने फोन में सेव कर लिया.
जाते हुए बोले- ठीक है राज जी, हमने जब शिफ्ट करना होगा तब बता देंगे.

मैंने कहा- ठीक है.
वे जाने के लिए मुड़ गए. दीपिका ने दो तीन बार मुझे मुड़ कर देखा. मैंने हल्की सी स्माइल दी तो उसने भी हसरत भरी स्माइल देकर अपनी हथेली और उंगलियों को धीरे से नीचे करके बॉय कर दिया और वे लोग चले गए.

उसके चुपके से ये सब करने से या यूं कहें कि चोरी से बॉय करने के तरीके से मैं रोमांचित हो उठा और मेरे दिल में दीपिका को चोदने की इच्छा एकदम चार गुणा हो गई.

जब वो नीचे गए तो मैंने खिड़की से थोड़ा पर्दा हटा कर देखा तो दीपिका नजरें चुरा कर ऊपर की ओर ही देख रही थी. शायद मेरी आखिरी झलक पाने की इच्छा उसके मन में थी.

दीपिका की चूची और उसकी मोटी गुदाज जांघों के बारे में सोच सोच कर ही मेरे लंड से कुछ कामरस निकल आया था जिसने मेरी लोअर को अंदर से हल्का सा गीला कर दिया था. मेरा मन उसकी चूत मारने को कर गया लेकिन अभी तो हाथ का ही सहारा था.
 
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Update - 2

रात भर मैं दीपिका और उसकी गदराई जवानी और लाजवाब हुस्न के बारे में सोचता रहा और उसे हासिल करने का ताना-बाना बुनता रहा. उस रात बहुत ही मुश्किल से नींद आई. अंत में सोचते सोचेत मेरा लौड़ा अकड़ गया और मुझे मुठ मार कर उसको शांत करना पड़ा.

अगले रोज़ सुबह 8.30 बजे मेरे फोन की घंटी बजी.
मैंने हेलो बोला तो उधर से बहुत ही रसीली मधुर आवाज आई- राज जी, नमस्कार, मैं दीपिका बोल रही हूँ.
मैं- नमस्कार भाभी जी, कहिये कैसी हैं आप?

दीपिका- राज जी, आपसे कुछ पूछना था, वो कामवाली बाई मिल जाएगी क्या?
मैंने कहा- जी, जो कामवाली बाई मेरे यहाँ काम करती है उसी को बोल दूंगा.

उसने पूछा- वो कितने पैसे लेगी? यहाँ तो हम 5000 रुपये महीना देते हैं.
मैंने कहा- मैं उससे कम में ही करवा दूँगा.
दीपिका कहने लगी- आप तो सब कुछ बहुत ही सस्ते में करवा रहे हो.

वो फिर बोली- राज जी, कामवाली बाई से बोलकर मकान साफ करवा दें तो अच्छा होगा, क्योंकि मैं चाहती हूँ कल सांय तक शिफ्ट कर लें.
मैंने कहा- दोपहर तक साफ सफाई हो जायेगी, आप आ जाएं.

दीपिका कहने लगी- एक बात और पूछनी थी?
मैं- जी पूछिये.
दीपिका- आप उस दिन इतने नाराज क्यों हुए थे?

मैंने कहा- दीपिका जी, मैं लेडीज की इज्जत करता हूँ और आपके हस्बैंड आपसे बद्तमीज़ी से पेश आ रहे थे जो मैं सहन नहीं कर सका.
दीपिका- राज जी, आप बहुत अच्छे इंसान हैं, सबको अपना बना लेते हो.

मैं- मैंने किसको अपना बनाया है?
दीपिका इस बात पर कुछ देर चुप रही.
मैंने फिर कहा- आपने बताया नहीं दीपिका जी?

दीपिका धीरे से बोली- मुझे नहीं पता, अब फोन पर कैसे बताऊं?
मैं- चलो, आ कर बता देना. वैसे आपके हस्बैंड घोष बाबू कहाँ हैं?
दीपिका- वो तो 8.00 बजे ऑफिस पहुंच जाते हैं. राज जी, आप जल्दी में तो नहीं हो?

मैं- बस ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था.
दीपिका- वापस कब तक आते हैं?
मैं- 6.00 बजे तक.
दीपिका- ठीक है, सांय को मिलते हैं.
मैं- ओके, बॉय.

दीपिका के उसी दिन शिफ्ट करने की बात सुनकर मैं खुशी से झूम उठा और रह रह कर मैं उन बातों को याद करता रहा जो बातें मेरे और दीपिका के बीच हुई थी.

सांय को जब मैं सोसाइटी में पहुंचा तो उनका सामान ट्रक से उतर चुका था.
मैंने कहा- आप रात को सोने का कुछ सामान ठीक से सेट कर लो, बाकी सुबह देख लेंगें.

उसी समय मैंने सोसाइटी के सुपरवाइजर को तीन चार मजदूर टाइप के लड़कों को लेकर बुलाया और उसको कहा कि आज और कल में जितना सामान सेट हो सकता है कर दें और ध्यान रखें कि मैडम को ज्यादा काम न करना पड़े.

उन्होंने दो-तीन घंटे में सारा घर सेट कर दिया. इस बीच मैं भी दीपिका की हेल्प करवाता रहा. हेल्प करते हुए हमारे हाथ और बदन कई बार आपस में टकराते रहे और हम एक दूसरे का साथ पाकर रोमांचित होते रहे.

दीपिका ने एक लूज़ पाजामा तथा टीशर्ट पहन रखी थी जिसमें से उसके थरथराते चूतड़ और हिलती हुई बड़ी चूचियाँ मेरे लण्ड को भड़काने के लिए काफी थीं. खाना हमने उस सांय होटल से मंगवा कर मेरे कमरे में बैठ कर खा लिया.

अगले रोज मुझे सुबह ही दो दिन के टूर पर जाना था. जब मैंने दीपिका को टूर पर जाने की बात बताई तो वह बोली- आपके कारण दो दिन का काम कल दो घंटों में हो गया, अब ये तो ऑफिस जा रहे हैं और आप टूर पर?

मैंने कहा- आपको जो भी दिक्कत हो आप मुझे फोन पर बताती रहना, मैं सब कुछ कर दूंगा.
दीपिका उदास हो गई.

मैंने कहा- क्या बात है दीपिका जी, मुझ पर विश्वास नहीं है क्या?
दीपिका बोली- वो बात नहीं है, चलो आप जाइये. आपका टूर पर जाना भी जरूरी है.
मैं टूर पर चला गया.

दीपिका मुझे हर घंटे दो घंटे बाद अपनी प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन आदि की दिक्कतें बताती रही और मैं उसकी दिक्कतें दूर करता रहा.

दो दिन में सारा घर सेट हो गया.
तीसरे दिन सांय 7 बजे मैं टूर से अपने कमरे पर पहुंच गया और होटल से खाना मंगवा कर और खाकर सो गया.

अगले रोज दोपहर को दीपिका का फोन आया- राज जी, आप आज दफ़्तर से जल्दी आ जाना, सांय को आपको डिनर पर बुलाने घोष बाबू को भेजूंगी, मना मत करना.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊँगा.

मैं 4 बजे ही आ गया और 4.30 पर घोष बाबू मेरे रूम में आये और बोले- दादा, आज सांय का डिनर हमारे साथ करना है, हमने मेरे कोलकाता के एक फ्रेंड बनर्जी और उसकी वाइफ संजना को भी बुलाया है, आप आएंगे न?
मैंने पूछा- कोई खास बात है क्या?

घोष- नहीं बस मिलकर बैठेंगे, खाना पीना हो जाएगा, आप ड्रिंक्स वैगरह ले लेते हैं या नहीं?
मैंने कहा- दादा, थोड़ी बहुत कभी-कभार ले लेता हूँ, लेकिन आप लोगों के बीच में मैं बैठकर क्या करूँगा, आप एन्जॉय करिये, थैंक्स.

वो बोले- इसका मतलब है कि आप हमें अपना नहीं समझते और अभी तक मुझसे नाराज हैं. ठीक है, कोई बात नहीं, मैं दीपिका को बोल देता हूँ. ये डिनर हमने आपको थैंक्स करने के लिए ही अर्रेन्ज किया था, आप नहीं आएंगे तो मैं बनर्जी और संजना को भी मना कर देता हूँ.

मैंने कहा- ठीक है, बताइये कितने बजे आना है?
घोष- बस आप 6.00 बजे तक आ जाएं, वे लोग तो पहुंचने वाले ही हैं.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊंगा.

घोष चला गया. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि चलो आज संजना से भी मुलाकात हो जाएगी. मैंने चाय पी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया.

नहाने के बाद मैंने बॉडी पर अच्छे से एक खुशबूदार लोशन लगाया, जीन्स और एक बहुत ही सेक्सी, सामने से डीप कट की टीशर्ट पहनी जिसमें मेरे छाती के बाल दिखते थे. मैंने जान बूझकर नीचे अंडरवेयर और बनियान नहीं पहनी.

अंडरवेयर पहनने से मेरा लण्ड मुड़ जाता है और ज्यादा दिखाई नहीं देता लेकिन न पहनने से लण्ड पट की ओर सीधा हो कर अपना साइज ठीक रखता है.

मैंने एक इम्पोर्टेड मस्क डीओ लगाया जिसमें आदमी की बॉडी की स्मेल बहुत सेक्सी हो जाती है.
6.30 पर घोष बाबू फिर आये और बोले- आ जाओ दादा, हम सब आपका इंतजार कर रहे हैं.
मैं घोष बाबू के साथ हो लिया.

जब मैं उनके ड्राइंगरूम में पहुँचा तो सभी ने खड़े हो कर मेरा स्वागत किया. घोष ने उन दोनों से मेरा परिचय करवाते हुए कहा- ये मेरे फ्रेंड बनर्जी और ये इनकी वाइफ संजना.

मैंने संजना को देखा तो मेरी धड़कन तेज हो गई. गजब की सेक्सी लेडी थी. 38-34-36 का साइज, एकदम दूध जैसा गोरा रंग, बहुत ही सुंदर नयन नक्श.

संजना ने बहुत ही छोटा सा स्लीवलेस बिना बाजू का ब्लॉउज पहन रखा था और नीचे उसका आधा सुन्दर, नर्म, गुदाज पेट और सुन्दर गोल अंदर धंसी हुई नाभि दिखाई दे रही थी. संजना ने नीचे बहुत ही सुंदर और बहुत ही टाइट साड़ी पहन रखी थी.

कुछ ही देर में मुझे दीपिका दिखाई दी.

दीपिका ने बहुत सुन्दर स्लीवलेस टॉप पहना था जिसमें से उसकी आधी सुडौल चूचियाँ बाहर निकल रही थीं और चूचियों ने टॉप को छतरी की तरह से उठा रखा था. नीचे उसने बहुत ही टाइट कैपरी पैंट पहनी थी.

अंदर कैपरी में से उसकी सुडौल जांघों के बीच उसकी चूत के दोनों बाहरी मोटे मोटे भगोष्ठ अलग से दिखाई दे रहे थे. पैंट की बीच की सिलाई उसकी चूत की दोनों फांकों के बीच में घुसी हुई थी.

कैपरी के नीचे उसकी नंगी, मोटी, गोरी और सुडौल पिंडलियाँ दिखाई दे रहीं थीं. दीपिका के चूचों, चूत के डिज़ाइन और उसके हुस्न को देखते ही मेरे लौड़े में कसाव आना शुरू हो गया, जिसे दीपिका देखने लगी थी.

हम बैठ गए. बनर्जी से कुछ औपचारिक बातें हुईं. बनर्जी सन्यासी टाइप का आदमी लगा जिसे दीन दुनिया की कोई खास नॉलेज नहीं थी. दीपिका मेरे सामने वाले सोफे पर ही बैठी थी और उसकी नजरें मुझ पर जमीं थीं. उसके और मेरे बीच बस एक सेंटर टेबल थी.

कुछ ही देर बाद बियर के गिलास रखे गए और हम तीनों के गिलासों में बियर डाली गई और दो गिलासों में कोल्डड्रिंक डाली गई. दीपिका उठ कर स्नैक्स ले आई. हम लोग ड्रिंक पीने लगे और हल्की फुल्की बातें करने लगे.
दोनों लेडीज़ ने सॉफ्ट ड्रिंक ले लिए.

दीपिका की नज़र तो मुझ पर से हट ही नहीं रही थी. दरअसल पिछले एक हफ्ते भर से मैंने दीपिका की बहुत मदद की थी. उसको घर दिलवाया, घर सेट करवाया और उसके आराम का भी ख्याल रखा था. इसलिए दीपिका मुझ पर पूरी तरह से आसक्त हो चुकी थी.

दूसरी तरफ़ मैं उसे चोदना तो चाहता था लेकिन जल्दबाजी करके हल्का पड़ना नहीं चाहता था. मेरी नजरें उसकी पैंट में से दिखती चूत पर थीं जो उसकी मोटी सुडौल जांघों के बीच से पकौड़ा सी बनी दिखाई दे रही थी. उससे मेरे लण्ड में तनाव बढ़ता जा रहा था.

मैंने अपने आपको थोड़ा हिलाते हुए अपने लण्ड को नीचे से निकाल कर अपने पट के साथ लगा लिया जिससे लण्ड अपने पूरे आकार में मेरे घुटने की तरफ उभर कर आ गया. दीपिका कभी मेरी ओर देखती तो कभी मेरे उभरे लण्ड की ओर देखती.

दीपिका ने अचानक से अपने एक पांव को दूसरे पर रखा और अपनी जांघों को भींच लिया. मैंने और संजना ने उसका जांघों को भींचना साफ नोटिस कर लिया था. उसकी साँसें उखड़ने लगी थीं. दरअसल, जांघों को भींच कर वह अपनी चूत को भींच रही थी.

मैंने मेरे लण्ड के ऊपर अपना हैंकी डाल लिया जिसे दीपिका और संजना ने देख लिया.

दीपिका की हालत देख संजना बोली- अरे राज जी, कुछ लो न, आप तो कुछ खा ही नहीं रहे हो?
फिर वो दीपिका की ओर देखकर बोली- दीपिका, सर्व करो न!

दीपिका उठी और टेबल के ऊपर से मेरी ओर झुककर मुझे खाने को देने लगी तो ऐसा लगा जैसे उसके मम्मे मेरे ऊपर ही गिर जाएंगे. मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर स्नैक्स उठा लिया.

स्नैक्स लेते समय मैंने धीरे से उसकी उंगली को टच कर दिया और उसकी चूत को देखने लगा. मेरा ध्यान उसकी चूत के नीचे वाली जगह गया तो देखा कि वहाँ एक गीला निशान बन गया था.

उस निशान को संजना ने भी देख लिया था.
संजना बोली- अच्छा, दीपिका तुम बैठो, मैं ही देती हूँ.
संजना ने दीपिका को वापस से बैठा दिया.

तभी घोष बाबू कहने लगे- राज जी, बनर्जी और संजना हमारे खास दोस्त हैं. आप इन्हें भी इसी सोसाइटी में फ्लैट दिलवा दो, क्या आप ये सामने वाला ट्राई नहीं कर सकते?

मैंने कहा- इसका मालिक तो विदेश में रहता है.
तभी संजना बोली- राज जी, यदि आप चाहो तो सब कुछ हो सकता है. अब हमें पक्का विश्वास हो गया है कि आप सब कुछ कर सकते हैं. प्लीज, कुछ करो, मैं और दीपिका बहुत अच्छी सहेलियाँ हैं.

उनको भरोसा दिलाते हुए मैंने कहा- ठीक है, मैं कुछ करता हूँ.
दीपिका बड़ी सेक्सी अदा से बोली- कुछ नहीं, सब कुछ करना है राज जी.
मैंने कहा- ठीक है, हो जाएगा.
बनर्जी और घोष एकदम बोले- इसी बात पर एक एक जाम हो जाये?

हमने ड्रिंक शुरू की और कुछ देर बाद खाना खा लिया. इस बीच दीपिका का बुरा हाल हो चुका था. वह सभी के बीच में बैठी बैठी अपनी जांघों को भींचती रही और उसकी चूत पानी छोड़ती रही.

उसे देख देखकर मेरा भी बुरा हाल हो चुका था. संजना बहुत कुछ देख समझ चुकी थी. दरअसल पैंट और टॉप में दीपिका का रूप अलग ही लग रहा था. दीपिका गजब की हॉट लग रही थी और बिल्कुल चुदासी हो चुकी थी.

खाना खा कर बनर्जी और संजना चले गए और मैं अपने कमरे में आ गया. मैं और दीपिका एक ही फ्लैट में रहते हुए भी मिल नहीं पा रहे थे क्योंकि जब मैं ऑफिस से आता तो घोष बाबू भी आ चुके होते थे.

तीन रोज बाद जब मैं ऑफिस से 8.00 बजे आया तो कमरा खोल कर मैंने चाय पी. उसके बाद नहाया. फिर मैंने कपड़े डाल कर जगजीत सिंह की गजलें लगा लीं और बालकॉनी में ड्रिंक करने के लिए बैठ गया.

मैंने आधा पेग ही लगाया था कि दीपिका के बेडरूम का लकड़ी का दरवाजा खुला. (बालकॉनी की साइड से वे लोग दरवाजा बन्द रखते थे) जाली के दरवाजे पर दीपिका ने नॉक किया तो मैंने मुड़कर देखा.

अंदर से दीपिका की आवाज आई- क्या मैं आपको डिस्टर्ब कर सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ भाभी जी, बताइये?
दीपिका- जनाब, मैं बालकॉनी में आने की इजाज़त मांग रही हूँ?

मैं खड़ा हो गया और अपना गिलास छुपा कर बोला- आइये.
दीपिका बाहर बालकॉनी में आ गई. यहां मैं बता दूं कि मैंने बालकॉनी की लाइट नहीं जला रखी थी और मैं अंदर कमरे में से जो खिड़की और दरवाजों से हल्की सी लाइट आती थी, उसी में बैठता था.

दीपिका आई और बोली- बैठ सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ, भाभी बैठिये.
दो बिना आर्म की इजी चेयर और एक छोटी सेन्टर टेबल बालकॉनी में हमेशा बाहर ही रहती थी.

वो साथ में रखी एक चेयर पर बैठ गई और बोली- आप अपना ड्रिंक जारी रखें, मुझे कोई ऐतराज नहीं है.
मैंने उनसे पूछा- घोष बाबू अभी तक नहीं आये क्या?

दीपिका बोली- अभी गए हैं, आज से उनकी नाईट शिफ्ट है. उनकी 15 दिन सुबह 8 बजे से सांय 8 बजे तक ड्यूटी होती है और 15 दिन रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक होती है, अतः आज से नाईट शिफ्ट शुरू हुई है और वे 7.30 पर यहाँ से चले गए थे.

वो बोली- मैं तो समझी थी कि आप अभी तक आये ही नहीं हो लेकिन फिर ये गजलों की आवाज सुनी तो खिड़की का पर्दा हटा कर देखा तो आप आये हुए हैं. फिर मैंने सोचा कि बहुत दिनों से आपसे न बात हुई है और न मुलाक़ात ही हुई, तो आपसे मिल लूँ.

फिर वो हक सा जताते हुए बोली- राज जी, ज़रा बता दिया करो कि आप आ गये हो. हम आपका यहाँ इंतजार कर रहे थे और आप हैं कि अपने ही घर में चुपके से आ गए. एक बात और कहनी थी राज जी, आप अकेले में मुझे दीपिका कह सकते हैं.

दीपिका ने उस समय घुटनों तक की स्कर्ट और ऊपर बिना ब्रा के स्लीवलेस टॉप पहन रखा था. टॉप दीपिका की बड़ी बड़ी चूचियों के ऊपर टंगा हुआ था. स्कर्ट में से दीपिका के चौड़े और सेक्सी घुटने दिखाई दे रहे थे. बैठने से स्कर्ट थोड़ी घुटनों से सरक कर दीपिका के पटों तक आ गई थी.

उसकी की इतनी सारी बातें सुनकर मैं हैरान और रोमांचित हो उठा और कुछ भी नहीं बोल सका, बस अंदर ही अंदर गर्म होने लग गया.
दीपिका फिर बोली- कुछ खाने के लिए लाऊं?

मैंने कहा- नहीं ये सलाद का कचूमर और चिप्स हैं, थोड़ा पनीर है. मैंने आपसे तो पूछा ही नहीं. रुकिये, मैं आपके लिए कोल्ड ड्रिंक लाता हूँ.
यह कह कर मैं अंदर मेरे छोटे फ़्रिज़ में से दीपिका के लिए एक शीतल पेय ले आया और उसे गिलास में डालकर उन्हें दे दिया.

फिर मैंने पूछा- भाभी, घोष भैया को पता लगेगा तो वे नाराज़ नहीं होंगे?
दीपिका मुस्कराकर अदा से बोली- उनको कौन बताएगा? क्या आप बताओगे?

मैंने मुस्करा कर कहा- नहीं, मैं क्यों बताऊंगा.
दीपिका- अच्छा ये बताओ, क्या आप हर रोज ड्रिंक करते हो?
मैं- नहीं, कभी कभी. महीने में दो तीन बार. बस छोटे छोटे दो पेग.
दीपिका- इसको पीने से ऐसा क्या होता है?

मस्त होकर मैंने कहा- इससे थोड़ा माहौल और मूड बदल जाता है. आदमी की थकान उतर जाती है और थोड़ा रोमांटिक हो जाता है. कुछ समय के लिए आदमी बेकार की बातों को भूलकर सुरूर में आ जाता है.

दीपिका कुछ सोचने लगी.
मैंने पूछा- लेने का मूड है क्या?
दीपिका- कुछ होगा तो नहीं ना? मैंने तो आज तक कभी इसे चखा भी नहीं है, लेकिन आज मैं भी कुछ भूलना चाहती हूँ.

मैंने दीपिका से उसका कोल्डड्रिंक का गिलास लिया और उसमें आधा पेग 30 एम.एल. विहस्की डाल दी और दीपिका को कहा- आप चेयर पर पीछे सिर लगा कर बैठ जाओ और आँखें बंद करके इसे बिल्कुल धीरे धीरे सिप करो.

दीपिका ने एक हल्का सा सिप किया और चेयर पर पीछे सिर टिका लिया. कुछ देर बाद दूसरा और फिर तीसरा सिप लिया.
मैंने कहा- साथ कुछ खाती भी रहो. जैसे ही दीपिका कुछ लेने के लिए सीधी हुई उसे हल्का सरूर लगा और बैठते ही बोली- ओह्ह, मुझे कुछ लग रहा है।

मैंने कहा- क्या लग रहा है?
दीपिका- अच्छा लग रहा है.
यह कहते हुए दीपिका ने वह ड्रिंक जल्दी ही खत्म कर लिया और बोली- ओह माई गॉड, वंडरफुल … अच्छा लगा.

दीपिका की जांघों और उसके स्तनों को टॉप में उठा देख कर मेरा हथियार मेरी लोअर में उभार ले चुका था. कम रोशनी में भी मुझे दीपिका के 38 साइज़ के भारी भारी मम्में और उन मम्मों पर तने हुए तीखे निप्पल साफ साफ दिखाई दे रहे थे. मेरे लौड़े ने मेरी लोअर से बाहर आने की बगावत शुरू कर दी थी।
 
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Update - 3


दीपिका का ड्रिंक खत्म होता देख कर मैंने सोचा कि मैं उसके लिए और कोल्ड ड्रिंक ले आता हूं.

मैंने दीपिका से कहा- मैं आपके लिए कोल्डड्रिंक और लाता हूँ, और जैसे ही मैं उठने लगा तो दीपिका कहने लगी- कोल्डड्रिंक बहुत मीठी है, आप वाली कैसी है, जरा देखूँ तो?

यह कह कर उसने मेरा गिलास उठाया और उसमें से एक सिप कर लिया और बोली- इसका स्वाद भी बढ़िया है.
मैंने कहा- मैं आपका दूसरा पेग बना देता हूँ, यह तो मेरा झूठा है.

दीपिका पर आधे पैग का ही पूरा सरूर हो गया था.
वह बोली- क्या राज जी, आपने भी क्या हल्की बात कर दी? अपनों का भी कभी झूठा होता है?
यह कह कर उसने एक बड़ा सा सिप और ले लिया और कुछ ही मिनट के बाद वो झूमने लगी.

थोड़ी देर हम चुप बैठे रहे. फिर दीपिका अपना सिर पीछे लगाए लगाए बोली- राज, कोई बात करो न.
अब मैं समझ चुका था कि दीपिका चुदने के मूड में आ चुकी है.
मैंने कहा- दीपिका, आपके हाथ बहुत सुंदर हैं.

दीपिका ने अपने हाथ मेरी तरफ बढ़ाये और बोली- पसंद हैं?
मैं- बहुत पसंद हैं.
दीपिका- तो चूम क्यों नहीं लेते?

मैंने दीपिका के दोनों हाथों को पकड़ा और कहा- इतनी दूर बैठी हो, मेरे पास आओ तभी तो कुछ करूंगा.
मैंने उसके हाथों को पकड़े पकड़े ऊपर उठने का इशारा किया और दीपिका जैसे ही उठी, मैंने उसे अपनी ओर खींच कर अपनी गोद में बैठा लिया. दीपिका धम्म से मेरी गोदी में आ गई.

मुझे लगा जैसे मेरी गोदी में जन्नत आ बैठी हो. मेरा 8 इंच लंबा मोटा लौड़ा उसके चूतड़ों की खाई में धंस गया.
गोदी में बैठते ही मैंने दीपिका के होंठों को चूम लिया और उसे एक बाँह में संभालते हुए एक हाथ से पैग उठा कर उसके होंठों से लगा दिया.

दीपिका ने एक सिप ली और उसी गिलास को अपने हाथ से पकड़ कर मेरे होंठों से लगा दिया.
एक मिनट में ही दुनिया की सारी मस्ती हम दोनों में सिमट कर भर गई.

मैंने अपनी दोनों हथेलियों में दीपिका के बड़े बड़े चूचों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा. दीपिका ने अपने गाल मेरे गालों से सटा दिए और लम्बी लम्बी सिसकारी लेने लगी- ऊह्ह … अम्म … राज … आह्ह … ओह्ह।

मैं धीरे धीरे उसके मखमली शरीर पर अपना हाथ घुमाने लगा. मेरा हाथ उसकी बाजुओं और चूचियों से होता हुआ उसके पेट और उसकी जांघों और पटों पर चलने लगा. दीपिका की सांसें लगातार तेज हो रही थीं.

फिर मैंने दीपिका के मुँह में एक पनीर का टुकड़ा डाला तो उसने दोबारा मेरे गिलास से एक बड़ा सिप ले लिया और मुड़ कर मेरी छाती से अपनी छाती लगा दी और मुझे ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैंने दीपिका के टॉप में पीछे से हाथ डाला और उसकी कमर को सहलाने लगा.

कमर के बाद मैंने उसके पटों पर हाथ फिराते हुए उसकी स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी जांघों को सहला दिया. दीपिका ने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी. मेरे हाथ पर कहीं भी उसकी पैंटी का अहसास नहीं हुआ तो मुझे पता चल गया कि चूत नंगी है.

वासना में उत्तेजित हुई दीपिका ने एकदम पोजीशन बदली और उसने बैठे बैठे अपने दोनों घुटनों को चौड़ा करके मेरे दोनों पटों के बाहर से कर लिया और अपनी चूत को मेरे उल्टे मुड़े लौड़े पर टिका कर बैठ गई.

दीपिका मुझसे बुरी तरह से लिपट गई और अपनी जांघों को मेरे ऊपर दबाने लगी. शायद उसको अपनी चूत पर मेरे मोटे गर्म लौड़े का मदमस्त करने देने वाला अहसास मिल रहा था.

मैंने दीपिका के टॉप को ऊपर उठाया और उसके एक बड़े मम्मे को अपने मुँह में भर लिया. दीपिका आनन्द से उई … ईईईई … करने लगी. दीपिका बैठे बैठे मुड़ी और मेरा पैग उठा कर गटागट एक ही सांस में पी गई.

इस पर मैंने कहा- दीपिका, ये तुम्हारे लिए ज्यादा हो जाएगी.
दीपिका नशे में झूमती हुई बोली- आज सब कुछ ज्यादा ही तो करना है. आज मत रोको राज. तुम्हीं तो कह रहे थे कि इसे पीकर आदमी सब कुछ भूल जाता है.

यह कह कर दीपिका अपनी चूत को जोर जोर से मेरे उल्टे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी. मैं दीपिका की चूत का उभरा हुआ नर्म हिस्सा अपने लण्ड और पेट के नीचे वाले हिस्से पर स्पष्ट महसूस कर रहा था. उसने नीचे कुछ नहीं पहना था.

मैंने भी दीपिका का साथ देते हुए उसे जगह जगह से चूमना और उसकी बड़ी बड़ी सुडौल चूचियों को मसलना और पीना चालू रखा. मैंने अपने हाथों को दीपिका के दोनों कोमल और चिकने नितम्बों पर रखा और उन्हें अपनी ओर खींचते हुए नोंचने लगा.

धीरे धीरे मैंने दीपिका की स्कर्ट को पूरा ऊपर उठा कर उसके चूतड़ों को नंगा कर दिया. साथ ही मैं उसके टॉप को भी उसके गले तक उठा कर उसकी भारी और कठोर चूचियों का मर्दन करता रहा.

मौसम हल्की बारिश का हो रहा था और मेरे म्यूजिक सिस्टम से हल्की आवाज़ में प्यार भरे गाने चल रहे थे. हम दोनों उस बालकॉनी में लव बर्ड्स की तरह एक दूसरे की काम वासना को शाँत करने में लगे हुए थे.

बालकॉनी काफी बड़ी थी और दोनों तरफ आगे तक दीवारें होने के कारण पूरी प्राइवेसी थी. दीपिका की हरकतें तेजी पकड़ने लगीं और उसने अपनी चूत को मेरे ऊपर की तरफ खड़े उल्टे लौड़े पर जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया.

मैं भी दीपिका की एक चूची को अपने मुँह में भर कर, एक हाथ से उसकी कमर को संभालकर और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींचता रहा.

दीपिका की स्पीड बढ़ गई और उसके नथुने तेज तेज चलने लगे. आनन्द के चलते दीपिका के मुँह से- आ.आ… आ … ईईई … ओह … ओह्हो … जैसी लगभग चिल्लाने की आवाजें निकलने लगीं और उसने पूरे जोर से अपनी चूत को रगड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया और मेरे गले में दोनों बाहें डाल कर निढाल हो गई.

लगभग आधा घण्टे तक चले इस ओरल सेक्स के बाद दीपिका उठी और बोली- मुझे बाथरूम जाना है.
उठ कर दीपिका अपने बेडरूम में अंदर चली गई. मैं भी अपने बाथरूम में चल गया.

बाथरूम में मैंने देखा कि मेरा लोअर मेरी जाँघों की जगह पर दीपिका की चूत के रगड़ने और डिस्चार्ज से बिल्कुल गीला हो गया था.
दीपिका बाथरूम जाने के बाद बाहर बालकॉनी में नहीं आई और अन्दर बेड पर ही पसर गई.

मैं उसके पास अंदर गया और पूछा- दीपिका, खाना कब खाना है?
दीपिका नशे में बोली- ऊऊं … राज … पहले मुझे प्यार तो करो, खाना बाद में खाएंगे.
इतना कह कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.

कमरे में पूरी लाइट थी. मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी और मेरी चौड़ी बालों वाली छाती नंगी हो गयी और मैं दीपिका के साथ अपनी नंगी छाती निकाल कर बेड पर लेट गया.

फिर उसके ऊपर झुक कर उसके होंठों को चूसने लगा. दीपिका ने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं और अपने मुँह को मेरी छाती के बालों से रगड़ने लगी. मैंने दीपिका के टॉप को ऊपर उठा कर उसके गले में से निकाल दिया.

टॉप निकलते ही उसकी दोनों बड़ी बड़ी 38 साइज की सुडौल चूचियाँ बाहर निकल कर फड़फड़ाने लगीं. दोनों चूचियों की शेप, रंग और उन पर खड़े छोटे छोटे गुलाबी निप्पल कयामत ढहा रहे थे. मैंने उसके दोनों चूचों को अपने हाथों से पकड़ा और जोर जोर से मसलने लगा.

दीपिका के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैं एक एक करके दोनों चूचियों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और एक हाथ से उसके पेट और जांघों को मसलता रहा.

वो रह रहकर अपनी चूत को झटके देती रही और मेरी कमर को नोंचती खसोटती रही. मैंने चूचियाँ छोड़कर दीपिका की स्कर्ट में हाथ डाला और पकड़ कर स्कर्ट को नीचे खींच दिया.

दीपिका ने स्कर्ट निकालने के लिए अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर किया तो मैंने उसे उसकी टाँगों में से निकाल कर पास रखी चेयर पर फेंक दिया. स्कर्ट निकलने के बाद दीपिका मेरे सामने सेक्स की देवी की तरह पूरी नंगी पड़ी थी.

गज़ब की सुन्दर जाँघें, केले के तने के समान सेक्सी पट और टाँगें, उभरा हुआ सुंदर, चिकना, गोरा और मुलायम चूत के ऊपर का हिस्सा जिस पर कोई बाल नहीं थे.

मैंने दीपिका को उसके माथे से लेकर पांव के पंजे तक निहारा तो लगा कि भगवान ने उसके हर अंग को स्पेशल तरीके से बनाया था. दीपिका ने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं और बार बार अपनी जांघों को भींच कर अपनी चूत की कामवासना को शांत करने की कोशिश कर रही थी.

अब मैंने दीपिका के सुंदर शरीर को ऊपर से चूमना शुरू किया. उसका माथा, आंखें, होंठ, ठुड्डी, गर्दन, चूचियों से होते हुए उसका सुंदर पेट, पेट के अंदर धंसी हुई सुंदर गोल नाभि को मैंने प्यार से चूम लिया. जिस भी अंग पर मेरे गर्म होंठ लगते तभी दीपिका के मुंह से गर्म आह्ह निकल जाती थी.

मैंने दीपिका को तड़पाने के लिए उसकी चूत और जाँघों के भाग को छोड़ दिया और उसके पांव की उंगलियों और अंगूठे को अपने मुँह में ले कर चूस लिया. दीपिका तड़प गई.

मेरे होंठ उसके घुटनों से होते हुए उसके सुंदर चिकने पटों पर आ टिके. मैंने उसकी टाँगों को थोड़ा खोला और उनके बीच में आ गया. चूत के सुंदर हिस्से के ऊपर की दो मोटी फांकें उभर कर सामने आ गईं.

मैंने अपने सुलगते होंठ उसकी चूत के ऊपर और पेट के नीचे वाले हिस्से पर रख दिये और वहां थोड़ा दाँतों से काट लिया. इससे दीपिका सिहर उठी.

फिर जैसे ही मैंने अपने होंठों से उसकी चूत की बड़ी फांकों को छुआ तो दीपिका एकदम से जोर से ‘आह्ह्ह … आआ राज … स्सस … आईया …’ करके चिल्लाई और उसने अपने चूतड़ों के हिस्से को ऊपर उठा कर चूत को मेरे होठों से जबरदस्त तरीके से रगड़ दिया.

दीपिका की चूत का नर्म और गुदाज़ हिस्सा मेरे मुँह और नाक पर इस कदर अड़ गया कि एक बार तो मेरी सांस बन्द हो गई थी. उस हिस्से को मैंने जितना आ सकता था, अपने मुँह में भर कर भींच लिया.

मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत के क्लिटोरिस को चाट लिया और जैसे ही मैंने दीपिका के क्लिटोरिस को अपने होंठों में दबाकर चूसा, उसने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ा और जोर देकर उस पर दबा लिया और एकदम से ईईई … आआ … आआ … करके खल्लास हो गई.

कुछ देर बाद उसने मेरे सिर को छोड़ा और मुझसे एक बार के लिए अलग हो गई. अभी तक मैं केवल ऊपर से ही नंगा था. मैंने अभी तक अपना लोअर नहीं निकाला था और दीपिका ने मेरे लौड़े के दर्शन नहीं किये थे.

वो अभी बिना चुदे ही दो बार स्खलित हो चुकी थी.
वह बोली- राज, मेरा तो दो बार डिस्चार्ज हो चुका है. पता नहीं तुम्हारे पास क्या जादू है!
यह कह कर दीपिका करवट लेकर मेरे सीने से फिर से चिपक गई.

मेरा लौड़ा मेरे लोअर में तना हुआ था. दीपिका ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख ली. टांग ऊपर रखने से मेरा लण्ड उसकी चूत को छूने लगा. पहली बार आज उसने लोअर के बाहर से मेरे लौड़े को अपने हाथ से छू कर उसकी लंबाई और मोटाई का जायज़ा लिया.

लौड़ा हाथ में पकड़ते ही दीपिका उठ कर बैठ गई और बोली- कितना बड़ा और मोटा है आपका हथियार! इसे बाहर तो निकालो, क्यों छुपा रखा है?
मैं बेड से नीचे खड़ा हो गया और मैंने दीपिका से कहा- आपने आप निकालो, ये आज से आपकी चीज है.

दीपिका ने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए बहुत ही सेक्सी स्माइल दी और बेड पर पाँव लटका कर बैठ गई. उसने अपनी उँगलियाँ मेरे लोअर के इलास्टिक में डाली और लोअर नीचे करने लगी.

मेरा लोअर मेरे हिप्स पर से तो नीचे हो गया लेकिन आगे से लण्ड खड़ा होने के कारण इलास्टिक में फंस गया. जैसे ही दीपिका ने आगे से जोर लगाकर लोअर नीचे खींचा, मेरा 8 इंच लंबा और मोटा लौड़ा झटके से उसकी ठुड्डी को छूता हुआ झूलकर पटाक की आवाज से मेरे पेट पर लगा.

दीपिका की चीख निकल गई और वो बोल पड़ी- उई माँ!! इत्ता बड़ा और मोटा!! असली है क्या?
मैंने कहा- छू कर देखो.

लण्ड अभी भी झटके और उत्तेजना के कारण थरथरा रहा था.
दीपिका ने धीरे से अपनी दो उंगलियों और अंगूठे से उसे छू कर देखा और बोली- यह तो बिल्कुल असली है.

फिर पूरी मस्ती से उसने लण्ड को अपनी दोनों मुट्ठियों में भींच कर अपनी ओर खींचा और अपनी गर्दन के नीचे लगा कर अपने दोनों हाथों से मुझे मेरे हिप्स से पकड़ कर अपनी ओर खींच कर मुझसे लिपट गई.

दीपिका पूछने लगी- राज, साइज क्या है?
मैंने कहा- पता नहीं, तुम्हीं नाप लो.
दीपिका ने अपना फोन उठाया तो मैंने पूछा- फोन से कैसे नापोगी?
वो बोली- नापने का ऐप है इसमें.

उसने फोन में इंस्टॉल्ड ऐप खोला जिसमें नापने वाला टेप लगा था. दीपिका ने ऊपर नीचे से तीन चार शॉट लिए और देखकर बोली- ओह माई गॉड ऊपर से 8.2 इंच और नीचे से 9 इंच.

मैंने पूछा- क्या अपने हस्बैंड का नापा है?
तो उसने एक फोटो दिखाया जिसमें एक मरियल सा काला लण्ड 4.6 इंच का दिखा रहा था.

फिर मैंने पूछा- ये ऐप तुम्हें कहाँ से मिला?
वो बोली- मेरी सहेली संजना ने दिया था. उसने अपने हस्बैंड का नापा था जो 5.3 इंच का था और उसने मुझे बड़े रौब से दिखाया था.

दीपिका कहने लगी- लेकिन मेरे हस्बैंड का तो उसके हस्बैंड के लण्ड से भी छोटा है. अब मैं उसे दिखाऊंगी कि ये होता है लण्ड!
मैंने कहा- इसे डिलीट कर दो, नहीं तो कोई मुसीबत हो जाएगी.

वो बोली- कुछ नहीं होता, इस पर कौन सा आपका नाम लिखा हुआ है? आप चिंता मत करो.
मैं दीपिका की दिलेरी का कायल हो गया.

फिर दीपिका ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
दीपिका ने अचानक लन्ड को बाहर निकाला और बोली- पता है राज, मेरे हस्बैंड के लाख कहने पर भी मैंने आज तक उनका मुँह में नहीं लिया है, मुझे अच्छा ही नहीं लगता. लेकिन आज तो दिल अपने आप ही चूसने का कर रहा है.

वो कहने लगी- आपकी तो गोलियाँ भी बहुत सख्त और टाइट हैं, मेरे हस्बैंड की तो लण्ड से भी नीचे लटकती हैं, मुझे उनका बिल्कुल अच्छा नहीं लगता.

मैंने दीपिका से कहा- चिंता मत करो, अब मैं तुम्हारी सभी इच्छायें पूरी कर दूँगा.
दीपिका कहने लगी- राज, आज से मुझे घोष से कोई शिकायत नहीं रही क्योंकि उसकी वजह से तुमसे मुलाकात हुई वरना मैं वहीं कोलकाता के आसपास ही घूमती रहती.

दीपिका बहुत ही खुश नजर आ रही थी.
वो बोली- आपके लण्ड का साइज देखकर एक पैग और पीने का दिल कर रहा है.
मैंने कहा- पहले ही दिन तुम्हारे लिए ज्यादा हो जाएगी.

वो बोली- प्लीज, एक बना लाओ ना राज … पिछली का तो अब असर खत्म हो गया है. मैं आज की रात को रंगीन बना कर जिंदगी भर याद रखना चाहती हूँ.

उसके कहने पर फिर मैं नँगा ही बालकॉनी में गया और ड्रिंक का सारा सामान अंदर ले आया. मैंने ड्रिंक बनाया और अपने लण्ड को ड्रिंक के गिलास में डुबोकर लण्ड को दीपिका की ओर कर दिया. उसने झट से लंड को मुँह में भरकर चूस लिया.

उसी वक्त दीपिका ने ड्रिंक में अपनी उंगलियां भिगोकर अपनी चूचियों पर लगा दीं. दीपिका का इशारा समझते ही मैंने दोनों चूचियों को बारी बारी से मुंह में भर कर चूसा और दोनों को ही चूस चूस कर साफ कर दिया.

फिर मैंने एक ड्रिंक का सिप लिया तो दीपिका ने भी एक बड़ा घूँट ले लिया और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. मैं बेड पर आकर दीपिका के पांव की ओर गया और उसके घुटनों को फैला कर मोड़ दिया.

दीपिका की सुन्दर चूत मेरे सामने थी. बाहर पहरेदार की तरह खड़े दोनों भगोष्ठों को मैंने अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे से अलग किया तो अंदर दो कोमल पत्तियों के बीच पानी से चिकना हुआ गुलाबी छेद सामने दिखाई दिया.

मैंने अपनी एक उंगली दीपिका के गुलाबी छेद में डाली तो दीपिका के पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई. उसने मेरी उंगली डले हाथ को अपनी जांघों में भींच लिया. मैंने दीपिका के घुटनों को फिर खोला और उसके सुलगते हुए गुलाबी छेद पर फिर से अपने होंठ रख दिये.

होंठ रख कर मैंने चूत के ऊपर छोटे अँगूर के समान तने क्लिटोरिस को जीभ से कुरेद दिया.
दीपिका की सिसकारी निकल गई और वो ज़ोर से बोली- आईईई … आआह … राज … ये ना करो, ओह्ह … मेरी जान … तुम तो जान ही निकाल दो मेरी … उफ्फ … ओह्हह … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है, मैं फिर झड़ जाउंगी यार।

दीपिका के सीत्कार सुन कर मेरा मन कर रहा था कि उसकी गुलाबी चूत में अपना तपता हुआ लंड झटके से घुसा कर उसे इतनी चोदूं ..इतनी चोदूं कि वो बेहोश हो जाये. मगर एक तरह से उसको तड़पाने में मुझे मजा भी उतना ही आ रहा था.

वो सिसकारते हुए मिन्नतें करने लगी- ओह्ह … राज … प्लीज … मुझे अपने हथियार से चोदो न, प्लीज … डार्लिंग। मैं तुम्हारे लंड का स्वाद चखने के लिए मरी जा रही हूं.

इतना कह कर दीपिका मेरे सिर को पकड़ लिया और चूत पर धकेलने लगी. फिर उसने मेरे कंधों से खींचा और फिर मुझे अपने ऊपर खींचने लगी जैसे मेरे लंड को खुद ही चूत में डलवाना चाह रही हो.
 
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Update - 4

मैंने दीपिका को लौड़े के लिए तड़पते हुए देखा और फिर पीछे हट कर उसके सुन्दर घुटनों को मोड़ा और चूत के अन्दर लण्ड डालने की पोजीशन ली. दीपिका ने लेटे लेटे ड्रिंक का गिलास उठाया और उसमें से दो बड़े घूँट मार लिए और बोली- डालो अंदर, फाड़ दो मेरी चूत को आज मेरे राज.

लण्ड और चूत न जाने कब से अपने को प्री-कम से गीला किये जा रहे थे. मैंने जैसे ही लण्ड का सुपारा चूत के छेद पर लगाया, दीपिका ने अपनी आंखें बंद कर लीं और नीचे का होंठ दाँतों से दबा लिया.

मैंने लण्ड को चूत पर दबाना शुरू किया और सुपाड़ा चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुसने लगा. दीपिका के मुँह से- आ … आ… की आवाज निकलती रही और मैंने धीरे धीरे आधे से ज्यादा लण्ड चूत में उतार दिया.

जब आधे से ज्यादा लण्ड अंदर जा चुका तो दीपिका ने मेरी छाती पर अपना एक हाथ रख लिया. मैं दीपिका के ऊपर छा गया और अपनी दोनों कोहनियों को उसके दाएं बाएं रखकर उसे अपनी बाजुओं में जकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर एक झटके में पूरा लण्ड उसकी टाइट चूत में उतार दिया.

दीपिका एकदम से चिहुंक गई और कसमसाने लगी. मैंने लण्ड को थोड़ा ऊपर खींचा और पूरे जोश के साथ लण्ड को चूत में फिर ठोक दिया. दीपिका ने जोर से- आआआ … आहा … आआई … मां … की और थोड़ा ऊपर उठ कर मुझे चूम लिया.

मैंने उसी पोजीशन में ड्रिंक का एक सिप लिया तो दीपिका ने उसे भी पिलाने का इशारा किया. मैंने दीपिका के लेटे लेटे गिलास उसके मुँह से लगाया तो उसने सारा एक ही बार में खाली कर दिया और बोली- चोदो जोर जोर से … फाड़ दो मेरी चूत को.

गिलास रखकर अब मैंने ज़ोर ज़ोर से चूत में शॉट लगाने शुरू किए और दीपिका के गालों, होंठों और मम्मों को खाने लगा.
दीपिका भी मुझे हर तरह से नोंच खसोट रही थी. कमरा हमारी चुदाई की खच … खच … की आवाजों से भर गया.

मैंने दीपिका के घुटनों को थोड़ा और मोड़ा और लण्ड को जोर से मारा तो लण्ड अंदर बच्चेदानी को जा लगा और दीपिका जोर से मजे में चिल्लाई- हाय … माँ, मार दिया जालिम ने.

तेजी से मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ रहा था. मैंने चोदते चोदते दीपिका के घुटनों के नीचे से अपने हाथ डाले और उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया. उसकी उभरी हुई गुदाज जाँघें और पकौड़ा सी चूत बिल्कुल मेरे लण्ड की टक्कर में आ गई.

अब मैंने उसके टाइट छेद को फाड़ना शुरू किया. मेरे हर शॉट में उसकी चूत की फांकें अंदर की तरफ मुड़ जा रही थीं और लण्ड को बाहर की तरफ निकालते हुए चूत का छल्ला बाहर की तरफ आ रहा था.

दीपिका ज़ोर जोर से आवाजें निकाले जा रही थी और शराब के सुरूर में अपना सिर इधर उधर पटकती जा रही थी. मैं लगातार उसकी दोनों चूचियों और उनके नर्म गुलाबी निप्पलों को अपने हाथों से मसले जा रहा था.

हम दोनों ही अपने चर्मोत्कर्ष की ओर बढ़ रहे थे. लगभग 15-20 जबरदस्त शाट्स के बाद दीपिका का शरीर इकट्ठा होने लगा और उसने आ … आ … आ … करके मुझे जोर से जकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और झड़ गई.

उसकी चूत ने अपना रस बहा दिया और ठीक उसी समय मेरे लण्ड ने भी अपने गर्म वीर्य की पिचकारियों से दीपिका की चूत को गहराईयों तक भर दिया. मेरा लौड़ा उसकी गर्म चूत के अंदर झटके मार मार कर वीर्य की पिचकारी छोड़ रहा था जिसे दीपिका अपने अंदर तक महसूस कर रही थी.

मेरा लण्ड जैसे ही पिचकारी छोड़ता दीपिका वैसे वैसे मुझे अपनी छाती से जकड़ लेती थी. वीर्य की आखिरी बून्द तक दीपिका ने चुदाई का आंनद लिया और अंत में मैं उसकी चूचियों और पेट के ऊपर पसर गया.

वासना का तूफान एक बार के लिए अब थम गया था. दीपिका के चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे. उसने घड़ी की ओर देखा और बोली 10.00 बजने वाले हैं, घोष का फोन आने वाला है, आप चुप रहना.

दो मिनट बाद ही फोन की घंटी बजी और दीपिका ने घोष को बोला कि मैं थक गई थी इसलिए सो रही थी, बॉय.
घोष ने पूछा- राज आ गए या नहीं?
दीपिका- मुझे क्या पता, लाइट तो जल रही थी.

घोष- कोई बात नहीं है, मैं तो इसलिए पूछ रहा था कि नई जगह है कभी अकेले में डर लगे?
दीपिका- ओके, डोन्ट वरी, गुड नाईट.

फोन बंद करने के बाद दीपिका ने मुझे झप्पी डाली और बोली- मेरे दिल के राजा मेरे साथ हैं, अब काहे का डर?
दीपिका उठी और बोली- अब हम सुबह 7 बजे तक फ्री हैं, मैं खाना लाती हूँ.

दीपिका ने एक बहुत ही सेक्सी, छोटी सी, ट्रांसपेरेंट नाइटी पहन ली. नाइटी इतनी छोटी थी कि उसकी आधी गांड ही ढकी थी और आगे से थोड़ी चूत भी दिखाई दे रही थी.

कुछ ही देर में वो खाना ले आई. हमने एक ही प्लेट में खाना खाया.
तभी दीपिका का फोन बजा, उस पर संजना लिखा था. दीपिका ने फोन उठाया और स्पीकर ऑन करके बोली- हाँ संजना, कैसी हो?

संजना- तुम बताओ, सब सेटिंग हो गई?
दीपिका- हाँ, सब हो गई.
संजना- और तुम्हारे राज साहब कैसे हैं?
दीपिका- ठीक ही होंगे, क्यों … तुम्हें पसन्द आ गए क्या?

संजना- यार, उनसे हमारी सिफारिश कर दो, हमें भी वो सामने वाला फ्लैट दिला दें.
दीपिका- तुम आकर खुद ही बात कर लो न?

संजना- तुम राज जी से बात तो करो, तुम्हारे लिए तो वे अपना कमरा भी खुला छोड़ गए थे, हाय, ऐसा पड़ोसी मुझे भी दिला दो यार.
दीपिका- आ जाना और खुद ही बात कर लेना और जब तक फ्लैट न दिलवाएं उनके रूम में ही जमी रहना. सब कुछ ले लेना, हा हा हा! अच्छा यार अब नींद आ रही है, सुबह फोन करती हूँ, ओके बॉय.

मेरे पूछने पर दीपिका ने बताया कि संजना और वो कॉलेज की सहेलियां हैं और अब शादी के बाद दोनों इस शहर में अपने पतियों की जॉब के कारण यहाँ आ गईं, दोनों के हस्बैंड एक ही ऑफिस में हैं.
मैंने दीपिका से पूछा- तुम संजना को लेकर मेरे बेडरूम में बैठी थी?

दीपिका- राज, दरअसल, आप और आपके रूम में से मुझे एक मर्दानेपन की खुशबू आती है, बहुत ही सेक्सी गंध है, आपकी बॉडी स्मेल बहुत ही सेक्सी है, इसलिये जब आप टूर पर गए थे तो मैंने आपकी अलमारी खोली थी. उसमें आपके कपड़ों को सूँघा तो मैं मदहोश हो गई थी और जब भी मुझे मौका मिला तो मैं आपके बेड पर लेट जाती थी और मेरे अन्दर सेक्स जाग जाता था. संजना भी बोल रही थी कि तुम्हारे रूम में बहुत प्यारी मर्दों वाली गंध आ रही है.

मैंने पूछा- घोष बाबू में से कैसी गंध आती है?
दीपिका- सुबह आपके पास भेज दूंगी, सूंघ लेना. बड़ी बेकार स्मैल आती है, और ऐसा ही संजना का हस्बैंड बनर्जी है.

उसकी बात पर मैं हँस पड़ा और मैंने अपने आप को सूंघने की कोशिश की तो दीपिका ने अपना मुँह और नाक मेरी बालों से भरी छाती में लगा दिया और बोली- दिल करता है बस तुम्हारे यहाँ अपना मुँह रखे रहूँ.

दीपिका- राज, आपके रूम में चलें, मुझे वहां और भी अच्छा लगेगा?
मैंने कहा- ठीक है, आओ.
दीपिका- आप चलो, मैं ये बर्तन किचन में रखकर आती हूँ.

मैं अपने कपड़े उठा कर पिछली बालकॉनी से अपने रूम में आ गया.
चूंकि मेरे साथ दीपिका की यह पहली चुदाई थी तो मैं चाहता था कि वह यादगार चुदाई हो इसलिए मैंने कमरे में आकर एक कामवर्धक गोली खा ली.

कुछ देर बाद दीपिका उस छोटी सी नाइटी में मेरे रूम में आ गई. मैंने खड़े हो कर उसे बांहों में भर लिया और खड़े खड़े उसके कान के निचले हिस्से को झुमके समेत अपने होंठों में दबा लिया. दीपिका सिहर उठी और बोली- कितना अच्छी तरह से प्यार करते हो आप … राज … आह्ह! काश आप मुझे पति के रूप में मिल जाते.

मैंने दीपिका को उल्टा घुमाया और अपना खड़ा लण्ड उसके चूतड़ों में फिट करके सामने से उसके दोंनों मम्मों को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा.
दीपिका आ..आ..आ.. करती रही.

मैंने अपने एक हाथ से दीपिका के पेट का निचला हिस्सा सहलाना शुरू किया तो दीपिका बोली- आह्ह … स्सस … आई … फिर … चुदवाने का दिल कर रहा है.

लोअर में मेरा लंड कामवर्धक गोली के असर से लोहे की रॉड बन चुका था. दीपिका नीचे बैठ कर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. वह मेरे लंड से ऐसे खेल रही थी जैसे बच्चा अपने मन पसंद खिलौने से खेलता है. जोर जोर से चूसने से मेरा लंड उसके थूक से लिबड़ गया. मैं उसके मम्मों को दबाता रहा.

वह पूरी तरह उत्तेजित हो गई थी. वह उठी और मुँह मेरी तरफ करके अपनी टाँगें चौड़ी करके मेरे लंड को चूत पर रगड़ने लग गई. मैंने खड़े खड़े ही लंड को उसकी चुदासी चूत में डाल दिया. अचानक उसने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लण्ड को फिर से अंदर ले लिया.

इस पोजीशन में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फंस गया और उसने मजे से मेरी गर्दन को अपने हाथों से जकड़ लिया. उसकी चूचियाँ मेरी छाती से रगड़ने लगीं. वह धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर लंड की सवारी करती रही और चूत के दाने को मेरे लंड पर रगड़ती रही.

करीब 10 मिनट के इस खेल में वह झड़ गई और मुझसे चिपक गई. मैंने उसे उसकी टांगों के नीचे से हाथ डाल कर उठाया और लंड चूत में डाले डाले खड़ा हो गया. वह मेरे लंड के ऊपर लटक गई.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ा और जोर जोर से उन्हें आगे पीछे करके अपने लंड पर मारने लगा. लंड उसकी चूत में सीधा अंदर तक जाकर लग रहा था. उसकी दोनों टांगें मेरे हाथों में झूल रही थी. कुछ देर में वह फिर झड़ गई और टाँगें नीचे लटका दी.

अब मैंने उसे छोड़ दिया और कुर्सी पर बैठ गया. वह नीचे झुक कर अपनी चूत का हाल देख रही थी. बोली- आज तो दुखने लगी है और नीली भी हो गई है.

मैंने जब पूछा- तुम्हारे हस्बैंड के आने का कोई चांस तो नहीं?
तो उसने कहा- आप उसकी चिंता छोड़ दो, वो अपनी सीट नहीं छोड़ सकता.

दीपिका कहने लगी- वैसे तो मेरी चूत दुःख रही है परंतु आपका साथ मुझे अच्छा लगा. शायद मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ.
मैंने उसे घोड़ी बना लिया. उसकी गांड एकदम गोरी और चिकनी थी. घोड़ी बनते ही उसकी प्यारी सी चूत उसके चूतड़ों और पिछले पटों के बीच में दिखाई देने लगी.

मैंने नीचे खड़े हो कर उसकी चूत को दो उँगलियों से अलग किया और उसकी टांगों को थोड़ा चौड़ा करके लंड अंदर घुसाया.
उसने कहा- धीरे धीरे अंदर डालो, बहुत टाइट लग रहा है.

फिर मैंने प्यार से उसके चूतड़ों को पकड़ कर पूरा लंड अंदर डाल दिया. उसने अपने चूतड़ों को थोड़ा आगे पीछे किया और जब लंड उसके मुताबिक चूत में बैठ गया तो बोली- अब करो.

मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये.
उसने कहा- लंड पहले से भी बहुत सख्त लग रहा है, लगता है कि चूत की सिलाई उधेड़ देगा.

उसे नहीं पता था कि मैंने कामवर्धक गोली खा रखी है और मेरा लंड दो घण्टे तक नहीं बैठेगा.
मैंने उसे चोदना चालू रखा, उसने स्पीड बढ़ाने के लिए कहा और बोली- थोड़ा जोर से करो, अब मजा आ रहा है.

उसके कहने पर मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये. उसकी जांघों को पकड़ कर, पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर जोर जोर से चोदने लगा. मेरा कमरा बेड के चरमराने और लण्ड की चूतड़ों पर थाप की आवाजों से गूंजने लगा.

कुछ ही शॉट्स के बाद लगा कि वह फिर झड़ गई. मैंने उसे नहीं छोड़ा. उसने अपनी छाती और मुँह बेड पर टिका दिये और चुदते हुए तरह तरह की आवाजें करने लगी- आह … आह … उम्म्ह … आह … मार दिया जालिम … फाड़ दी मेरी चूत … एक ही दिन में सारी जिंदगी की कसर निकाल दी. असली सुहागरात तो आज मनी है मेरी … आह्हह मेरे राज… मैं तो तेरी दीवानी हो गयी रे!

अंत में वह फिर झड़ गई और बेड पर पसर गई परंतु मेरा तो अभी भी छूटने का नाम नहीं ले रहा था. उसे आराम देने के लिए मैं उसके साथ लेट गया और उसे जगह जगह प्यार से चूमने लगा.

उसने मुझे कहा- जिंदगी में पहली बार इतना प्यार पाया है और सेक्स में ऐसा आनंद आया है. सेक्स में इतना सुख मिल सकता है मुझे तो इसका अन्दाजा ही नहीं था. घोष के साथ तो मेरी जिन्दगी बर्बाद ही हो जाती।

कुछ देर बाद मैंने उसे फिर से अपने ऊपर आने को कहा. मैं बेड पर सीधा लेट गया और वह मेरे ऊपर अपनी टाँगें चौड़ी करके आ गई. उसने मेरा मोटा लौड़ा अपनी चूत में रखा और नीचे बैठने लगी. बैठते ही पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में धंस गया. उसने एक लंबी सांस ली और लंड पर आराम से बैठ गई.

मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ा और हाथों से जोर जोर से मसलने लगा. मैंने उसे नीचे झुकाकर चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा तो वह लंड को अंदर बाहर करने लगी. उसने अपने दोनों नाजुक हाथ मेरी छाती पर रख लिए और लंड को उछल उछल कर अंदर बाहर करने लगी.

15-20 बार उछलने के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वह मेरे ऊपर पसर कर सोने लगी और मेरी छाती पर लेट सी गई. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही घुसा हुआ था.

कुछ देर के लिए हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे. फिर वह मेरी छाती से उतर कर साइड में आ गई. मैंने उसकी एक टांग को उठाया और साइड में लेटे लेटे लंड को चूत के अंदर घुसा कर उसे अपनी जफ्फी में ले लिया. वह कसमसाने लगी. मैंने उसकी एक टांग को ऊपर किया और लंड से उसकी चूत को चोदता रहा.

वह बोली- मैंने आपके लिए बादाम का दूध बनाया था, मैं तो भूल गई थी! एक बार छोड़ो!
वह उठ कर नंगी किचन में गई और एक बड़ा गिलास बादाम का दूध लाकर मुझे दिया.

रात के 12.00 बज चुके थे. दूध पीकर मुझे फिर जोश आ गया और मैंने दीपिका को फिर से बेड पर लिटा लिया और उसकी टांगों के बीच में बैठ कर टांगों को घुटनों तक मोड़ कर, लंड अंदर पेल दिया.

दीपिका पूछने लगी- आपका कितनी देर में छूटता है? अब मैं थक गई हूँ, चूत और शरीर बुरी तरह दुःख रहे हैं, चूत तो देखो, एक दिन में ही गुलाबी से नीली हो गई है.

उसकी बात का जवाब न देकर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और लगभग 15-20 मिनट की पलंग तोड़ चुदाई करके आखिर कार अपने लंड से वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर उसकी चूत को भर दिया.

कुछ देर मैं लंड डाले हुए उसकी चूचियों पर पड़ा रहा. उसके सारे शरीर पर मेरे चूसने और काटने के नीले निशान पड़ गए थे. वह पूर्ण रूप से संतुष्ट हो चुकी थी.

हमने उस रात 3 बजे तक रुक रुक कर चुदाई की. मैं चार बार झड़ा और दीपिका का तो पता ही नहीं वह कितनी बार झड़ी. उसकी चूत हर 10-15 मिनट बाद पानी छोड़ देती थी.

चूत और लण्ड के डिस्चार्ज होने से मेरे बेड की चादर जगह जगह से गीली हो गई थी. 3 बजे के बाद हम दोनों ही एक दूसरे की बांहों में न जाने कब सो गए. सुबह 8 बजे मेरी आँख खुली तो मैं बिल्कुल नंगा अपने बेड पर पड़ा था और दीपिका अपने बेडरूम में जा चुकी थी.

जब घोष की रात की ड्यूटी होती थी तो 15 दिन तक हर रोज रात को मैं दिल लगाकर दीपिका को चोदता था और जब उसके पति की दिन की ड्यूटी होती थी तो मेरी शनिवार और इतवार की छुट्टी होती थी, जबकि शनिवार और इतवार को घोष की ड्यूटी होती थी.

उन दो दिनों में दीपिका दिन में ही मेरे कमरे में आ जाती थी. कई बार तो जब मैं सोया हुआ होता था तो मेरे साथ आकर लेट जाती थी और लोअर में से मेरा लण्ड निकाल कर हाथ से सहलाने लग जाती या चूसने लग जाती थी.

जिंदगी का असली मज़ा लेने के लिए दीपिका और मैंने अभी बच्चा न करने का प्लान बना रखा था इसलिए दीपिका आईपिल खा लेती थी. दीपिका के खुश रहने से उसका हस्बैंड घोष बाबू भी बहुत खुश रहता था.

दीपिका के कहने पर मैंने संजना और बनर्जी को साथ वाला फ्लैट दिलवा दिया और उन्होंने शिफ्ट कर लिया था. चूँकि हमारे सामने के गेट अलग थे इसलिए कोई यह अंदाजा नहीं लगा सकता था कि पिछली बालकॉनी में जन्नत के दो दरवाजे खुले रहते थे.

मगर दीपिका की सहेली संजना को हम दोनों पर सौ प्रतिशत शक था और वह हमेशा मुझे देखकर मुस्करा कर लाइन देती रहती थी.

दोस्तो, ये थी मेरी बंगाली हॉट सेक्स स्टोरी. आपको मेरी यह स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बताइयेगा. मुझे आप सभी पाठकों की प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतजार रहेगा.
समाप्त
 

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