घर की और जाते हुए कालू और में बाते कर रहे थे । कालू बोल रहा था " मान गए गोलू तेरे बाबा को। क्या चोदा हे तेरी मां को "
में बोला" साइड उस दबा का असर होगा । दादाजी के दोस्त ने बाबा को ताकत की दबा दी थी "
कालू बोला " फिर भी यार विश्वास नही हो रहा हे । तेरी मां को इतना क्यू दर्द हुआ कितने सालों से तो तेरे बाबा से चूदते आई हे "
में भी सोच में पर गया " अरे ऐसा होगा साइड मां बाबा ने बोहोत दिन से किया नही होगा । और तूने ही तो कहा है की औरते का मन हो तो उन्हे तकलीफ होती हे और मां का भी खुले में मन नहीं बैठा हो "
कालू बोला " हा हो सकता हे "
हम दोनो अपने अपने घर गए थोरी देर में सो जाता हूं और फिर उठ कर सुबह का नित्य काम कर के कालू और में स्कूल चले जाता हूं । स्कूल में हमारी मन नही लग रहा था दोनो बस मां और बाबा की चूदाई के बारे में बाते करते रहे क्लास के लास्ट बेंच पर बैठ कर ।
दोपहर को ने मै स्कूल से लौटा । उस वक्त दादा दादी और परमानंद घर पर नही थे । मां से पूछने पर पता चला की दादा और दादी परमानंद को गांव घुमाने ले गया है।
मां मुझे खाना पोरस रही थी तो मैंने देखा की मां लंगड़ा कर चल रही है तो मैंने पूछा " मां क्या हुआ आपको "
मां बोली " अरे वो गुशलखाने में गिर गई थी । कमर लचक गई हे "
में मन ही मन बोल रहा था कमर में नही आपकी बूर में लचक हे पता नही कितना दर्द कर रहा होगा आपकी बूर" बोहोत ज्यादा लगी है क्या मां । दबखना ले चलू आपको "
मां बोली " नही नही ठीक हे ज्यादा नही हे मैंने दबाई लगा ली है और तेरे दादाजी की दोस्त ने दवाई दी हैं "
मां अपने कमरे में चली गई । में खाना खा कर मां की कमरे में गया और बोला " लाओ में थोड़ा मालिश कर दूं "
मां बिस्तर पर थी ", नही रहने दे । "
में बोला ", नखरा मत करो लाओ दबा "
फिर मैंने परमानंद की दी हुई तेल से मां की कमर मालिश की । अक्सर में मां की पैर और कमर मालिश कर दिया करता था । पहले तो मां की जिस्म पर कभी इतना ध्यान नही दिया पर आज उसकी हर एक अंग देख कर छू के मजा उठाने का मन कर रहा था और बार बार उनकी गोल नितंभ को देख कर सोचने लगता था कि मां की इसी छुपी हुई बूर में आज बाबा ने कैसे चोदा हे जैसे कोई बूर ना हो साइकिल की पम्पर हो जो पूरे ताकत से दबा दबा के पंप किया हो ।