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It is c/p story
Enjoy karo
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हेलो दोस्तों, मैं मीना आप लोगो को अपनी कहानी आज पहली बार सुनाने जा रही हूँ. मैं नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम की बहुत बड़ी प्रशंशक हूँ. इसलिए मैं अपनी कहानी आप पाठकों को सुना रही हूँ. मैं झांसी की रहने वाली हूँ. मेरा घर यही शहर में है. मैं पास की दुकान से ही मैं अपने लिए ब्रा पेंटी खरीदती हूँ. कुछ दिन पहले ही मेरी पेंटी पूरी तरह से फट गयी थी. मेरी चूत उसने साफ़ साफ दिखती थी. तो मैंने अपने पति के पर्स से ५०० का एक नोट निकाल लिया.
‘सुनिए जी!! चड्ढी फट गयी. चूत बिलकुल साफ़ साफ़ दिख रही है. कहीं मार्किट में आते जाते किसी ने मेरी चूत देख ली तो गदर मच जाएगा. इसलिए ये ५०० रूपए आपके पर्स से ले रही हो!!’ मैंने दहाड़कर कहा. वैसे तो मेरे पति बड़े कंजूस आदमी है, पर जब बात मेरी चूत को ढकने की होती है तो पैसे तुरंत दे देते है. दोस्तों पति से पैसे लेकर मैं पास की दूकान पर गयी. उस दूकान से मैं हमेशा ब्रा पेंटी लेती थी.
‘कैसी हो बहनजी??…बोलो क्या चाहिए??’ दुकानदार बोला
‘ऐ…बहनजी किसको बोलता है. मेरा नाम मीना रानी है …मीना रानी’ मैंने कहा. वो सहम गया. ‘चल पेंटी ब्रा दिखा जिसमे मेरी चूत अच्छे से ढक सके’’ मैंने कहा. दुकानदार हँसने लगा.
‘हँसता क्या है??” मैंने कहा
‘मीना जी!! मैंने आपकी चूत देखी है क्या जो मुझसे आपका साइज़ पता है. अब अगर चूत दिखा दो तो मैं आपको सही साइज़ की पेंटी दे सकता हूँ!’ दुकानदार बोला. वो देखने में बिलकुल पगला लग रहा था. उसने एक मैली लुंगी और बनियान पहन रखी थी. बनियान कभी सफ़ेद रही होगी पर अब तो वो लुंगी की तरह मैली हो चुकी थी. मैं समझ गयी की ये ब्रा पेंटी वाला मेरी पेंटी उठाकर मुझे चोदना चाहता है. मैंने उसकी दूकान में अंदर चली गयी.
‘ऐ छोटू! मैं मैडम को सामान दिखाता हूँ!’ …तू दुकान सम्हाल!!’ ब्रा चड्ढी वाला बोला. छोटू हंस दिया. सायद वो जानता था की मैं उसके मालिक से चुदने वाली हूँ. मैं ब्रा चड्ढी वाले के साथ अंदर दुकान में चली गयी. जैसे ही मैंने अंदर पहुची उनसे मुझे दबोच लिया ‘क्यूँ मीना रानी! कहीं तुम्हारी चूत में खुजली तो नही हो रही??” उसने आँख मारते हुआ पूछा
‘हाँ मामला तो कुछ ऐसा ही है!’ मैं किसी असली पक्की हरामिन छिनाल की तरह बोली. दुकानदार ने मुझे पकड़ लिया और मेरे ओंठ पर पप्पी लेने लगा. चुम्मी देने लगा. बड़े दिनों से मैं सिर्फ अपने पति से ही चुदवा रही थी, इसलिए कुछ ख़ास मजा नही आ रहा था. इसलिए आज मैंने इस ब्रा पेटी वाले से चुदवाने की सोची थी. वो एक के बाद एक मेरे गुलाबी होठो पर चुम्मी लेने लगा. फिर बड़े प्यार से पीने लगा. दुकानदार का नाम मैं नही जानती थी. उसके घर परिवार के बारे में मैं नही जानती थी, पर उससे चुदवाने मैं जा रही थी. कितनी अजीब बात थी. दुकानदार की मैली कुचैली बनियान की बू मेरी नाक में जा रही थी.
‘ऐ भडवे!!….क्या तू नहाता नही क्या रे!!’ मैंने पूछा
‘…मीना रानी! नहाता तो हूँ पर सब पसीना पसीना हो जाता है. उपर से इतना लंड खड़ा होता है की वैसे गर्मी चढ़ जाती है!’ दुकानदार बोला. अंदर एक खाली जगह पर उसने मुझे लिटा दिया.
‘ले !! मेरी साड़ी उठाकर मेरी चूत का साइज़ ले ले!!’ मैंने उससे कहा
‘.. इतनी जल्दी क्या है मीना रानी!! तुम्हारी चूत का नाप आराम से ले लेंगे. पहले तुम्हारे मम्मो का नाप तो ले लूँ!!’ दुकानदार बोला. फिर वो मुझे लिटाकर मेरे ब्लाउस की बटन खोलने लगा. मैंने उसे वो सब करने दिया जो वो चाहता था. आज मैंने ब्रा और पेंटी नही पहनी थी क्यूंकि वो फटकर तार तार हो गयी थी. दुकानदार ने मेरे कयामत जैसी दूध देखे तो पागल हो गया.
‘मीना रानी!! सामान तो तुम मस्त हो!!…आज तो तुमको एक नही २ २ जोड़ी ब्रा पेंटी दूंगा वो भी फ्री में!!’ वो दुकानदार बोला. फिर वो मेरे मम्मे किसी हॉर्न की तरह जोर जोर से बजाने लगा. ‘ऐ!! हरामी!! ये मेरे मस्त मस्त मम्मे है. बड़ी सेवा की है मैंने इनकी बचपन से. और तू इस तरह से इसे बेदर्दी से दबा रहा है!!’ मैंने उसे जोर से डाटा. वो सहम गया और आराम आराम से मेरी छलकती जाम जैसी छातियाँ दबाने लगा. मैं छिनालपन में नया मुकाम बनाना चाहती थी. इसलिए आज मैं इस दुकानदार से चुदवाने आई थी. पिछले कई महीनो से ये मुझे लाइन दे रहा था. मेरी चूत की नाप लेना चाहता था. पर आज मैंने मैंने इसको मौका दिया था. दुकानदार जोर जोर से हुसड हुसड के मेरे दूध पीने लगा. मुझे बड़ा सुकून मिला. क्यूंकि मेरा पति तो सारा दिन मिठाई की दुकान पर बैठके मिठाई के साथ साथ पेलर तौलता रहता है. कभी उसने प्यार से मेरे दूध पिये ही नही.
मैंने नीचे नजर डाली तो ब्रा पेंटी वाला मेरे दूध को घुमा घुमाकर मजे से पी रहा था. वो बिलकुल व्याकुल और बेचैन हुआ जा रहा था. उसे बार बार डर था की कहीं दुकान में कोई कस्टमर ना आ जाए. ‘छोटू!! किसी कस्टमर को अंदर मत आने देना…..कह देना की दुकान बंद है’ मेरा दूध छोड़कर दुकानदार बोला. फिर से वो मेरी छातियाँ पीने लगा. मैंने आज बहुत तगड़ा मेकअप कर रखा था.पुरे लाल रंग में मैं रंगी हुई थी. लाल चूड़ी. बड़ी सी लाल बिंदी, लाल लिपस्टिक. इतना ही नही अपनी लाल चूत में मैंने लाल सिंदूर भी भर लिया था. इसलिए आज सब लाल लाल था. दुकानदार तो मेरे छलकते जाम जैसी मम्मे देखकर पागल हो रहा था. उसकी आँखें बिलबिला रही थी. जैसी उसने कई दिनों से किसी मस्त माल के मम्मे नही देखे थे.
‘पीले राजा…भरपेट आराम से पी ले!!’ मैंने कहा
दुकानदार पहले से जादा खुस लग रहा था. अब वो जोर जोर से मेरे मम्मे पीने लगा.
‘बस बस भडुए!! चल अब मेरी चूत पी!!’ मैंने कहा
दुकानदार किसी पागल कुत्ते की तरह जीभ बाहर निकलने लगा जैसी गर्मियों में कोई आवारा कुत्ता जीभ बाहर निकालकर हांफता है और गर्मी दूर भगाता है. दुकानदार ने मेरी साडी एक बार में उपर की तरह पलट दी. मैंने बिना किसी पेंटी के थी. क्यूंकी पेंटी फट चुकी थी. मेरी लाल लाल चूत देखकर दुकानदार बाँवला हो गया. सीधा मुँह लगाकर मीठे शरबत की तरह पीने लगा. मूझे बहुत मजा आया. आज कितने दिनों बाद किसी मर्द ने मेरी चूत पी थी. जब मेरी नई नई शादी हुई थी तब मेरा हलवाई पति रोज रात में मेरी चूत पीता था. फिर जैसे