Incest बेरहम बेटे ने की बड़ी अम्मा , अम्मा और नानी की चुदाई

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बेरहम

अपडेट 7




बिरजु ने मुड कर देखा तो कांता काकी थी

कांता काकी


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बढ़ई की बीवी थी उनके घर में तीन लोग हैं

1 राजन काका जो एक बढ़ई है उनकी उम्र 40

थोड़ी सी तोंड निकली हुई ।


2 कावेरी


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राजन की और कांता की बेटी उम्र 18 साल

बिलकुल ही मस्त 18 साल की लड़की, बिरजु को भइया कहती है तो बिरजु भी कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा, लेकिन उसके बारे में बिरजु सुना है कई लोगो से कि कावेरी और रोहन (राजू के दोस्त ) को कई बार अकेले में देखा गया है।


ये कावेरी माल भी बहुत मस्त है जिसे देखकर ही लंड खड़ा हो जाए। शरीर बेहद कामुक गेहुआं रंग

बिरजु मन में ---


राजू से मिलना तो रोहन का बहाना था असल में वो तो कावेरी से मिलने के लिए हमारे गांव आता है ।


बिरजु कावेरी के बारे में सोचने लगा

इतनी सी उमर में भी स्तन और गांड बहुत बड़े बड़े हैं..या हो भी क्यों ना अपनी मां पर जो गई है कांता काकी के भी सब कुछ बड़े बड़े हैं...

कांता काकी उम्र 38

एक दम फ्रैंक नेचर सबसे हंस कर बात करना और ये मज़ाक भी बहुत करती है ऐसे वाले... डबल मीनिंग बातें भी करती हैं...

चूचियां ऐसी जो हमेशा ब्लाउज के बाहर आने को बेताब रहती हैं और आएं भी क्यों न पपीते जैसी बड़ी बड़ी उनके नीचे कामुक गदराया हुआ गोरा गोरा पेट, जो साड़ी और ब्लाऊज़ के बीच से हमेशा लुभाता रहता है साड़ी हमेशा नाभी से एक इंच नीचे रहती है जिससे कि कामुक गोल नाभी के भी दर्शन होते रहते हैं नाभी भी ऐसी की देखकर जीभ डालकर चाटने का मन करता है, और फिर थोड़ा नीचे पीछे घूमें तो आते हैं चाची के गोल मटोल और बड़े से चूतड़, हाय चूतड़ ऐसे जो साड़ी को हमेशा उठाए रहते हैं ऐसा लगता है साड़ी के अंदर दो तरबूज़ रखे हैं चाची ने, तो ये हैं बिरजु की कांता काकी)

बिरजु- नमस्ते काकी

कांता- नमस्ते बीटवा.. अच्छा हुआ तू मिल गया.. नहीं तो मुझे इतनी दूर जाना पड़ता...

बिरजु- क्या हुआ काकी कोई परशानी

कांता- अरे नहीं बछुआ कोई परशानी नहीं बस वो मैं तेरे घर जाने वाली ही थी तुमने खीरे उगाय है न तु मेरे लिए खीरे ला दे घर का भी बहुत काम करना है....

बिरजु को समझते देर नही लगी कि काकी क्या करेंगी उस खीरे का

बिरजु- बिलकुल काकी ले आऊंगा कितने खीरे चाहिए...

कांता- 1 किलो ले आओ सुन ज्यादा मोटे मत लाना जो मध्यम आकार के हो उसमें मजा आता है ।

बिरजु - क्या काकी आप को खीरे चाहिए ... और

मुझे तो पक्के आम चाहिए हैं...

ये कहते हुए बिरजु की नज़र कांता के ब्लाउज से बहार दिखते हुए आम पर मेरा मतलब है 😝 👀चुचीयों पर चली गई ....

कांता ने भी शायद ये करते बिरजु को देखा लिया तो बोल पड़ी

कांता- अरे बीटवा तुम आओ तो सही तुमको पक्के आम हम खिला देंगे तुम अभी हमारे लिए बस खीरे ला दो

मैंने जैसा बताया कांता काकी बहुत मजाकिया हैं और डबल मीनिंग बातें करने में इन्हें बड़ा मजा आता है


बिरजु भी बोल दिया

बिरजु- काकी आपके आम मीठे तो होंगे ना...

कांता- बछुआ तूने इतने रसील आम कभी नहीं चखे होंगे तू कभी चखने आ तो सही..

बिरजु- फिर तो बढ़िया है काकी मैं अभी आपके लिए खीरे तोड़कर लाता हूं.. तबी आप अपने आम खिला देना...

इतना सुंकर कांता काकी हंसते हुए कहने लगी...

कांता - हमारा बचुआ बड़ा हो गया है लगता है..अब बातों में मत लग और जा खीरे लेकर आ...

बिरजु- काकी आपके लिए तो मैं छोटा ही हूं, मेरा खीरा कितना भी बड़ा कितना ही मोटा क्यों ना हो जाए... ही ही ही

कांता - अब जा पागल है तू ....

कांता ये कहते हुए चली गई और मैं भी उनकी गांड देख कर लंड खुजाने लगा और अपने घर की ओर निकल गया ...

बिरजु घर में पहुच कर अम्मा को बोला के..

बिरजु- 1 किलो खीरे जो कल बड़ी अम्मा खेत से तोड़ कर लीई थी कांता काकी ने मांगे हैं..

सुशीला - समझ जाती है कि क्यो कांता ने खीरे मांगे है ।


क्यो कि गांव के आधे से ज्यादा लोगो ये बात पता थी कि राजन बढ़ई के लिंग पे चोट लगने कि वजह से अब उसका लिंग खड़ा नही होता है ।


लेकीन बिरजु को और उसकी उमर के लोगो को ये बात नही पता थी ।



फिर सुशीला ने खीरे को एक थाइले में भर दिए और बिरजु कांता काकी के घर की और निकलने लगा तो अम्मा बोली ..

सुशीला - सुन बीटवा तू पैसे वगेरा की बात मत करना

बिरजु- ठीक है अम्मा मैं वैसे भी नहीं करता..

अम्मा - चल ठीक है जा तू...

इतना कहकर बिरजु कांता काकी के घर की ओर निकला गया...
 
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बिरजु ने मुड कर देखा तो कांता काकी थी

कांता काकी


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बढ़ई की बीवी थी उनके घर में तीन लोग हैं

1 राजन काका जो एक बढ़ई है उनकी उम्र 40

थोड़ी सी तोंड निकली हुई ।


2 कावेरी


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राजन की और कांता की बेटी उम्र 18 साल

बिलकुल ही मस्त 18 साल की लड़की, बिरजु को भइया कहती है तो बिरजु भी कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा, लेकिन उसके बारे में बिरजु सुना है कई लोगो से कि कावेरी और रोहन (राजू के दोस्त ) को कई बार अकेले में देखा गया है।


ये कावेरी माल भी बहुत मस्त है जिसे देखकर ही लंड खड़ा हो जाए। शरीर बेहद कामुक गेहुआं रंग

बिरजु मन में ---


राजू से मिलना तो रोहन का बहाना था असल में वो तो कावेरी से मिलने के लिए हमारे गांव आता है ।


बिरजु कावेरी के बारे में सोचने लगा

इतनी सी उमर में भी स्तन और गांड बहुत बड़े बड़े हैं..या हो भी क्यों ना अपनी मां पर जो गई है कांता काकी के भी सब कुछ बड़े बड़े हैं...

कांता काकी उम्र 38

एक दम फ्रैंक नेचर सबसे हंस कर बात करना और ये मज़ाक भी बहुत करती है ऐसे वाले... डबल मीनिंग बातें भी करती हैं...

चूचियां ऐसी जो हमेशा ब्लाउज के बाहर आने को बेताब रहती हैं और आएं भी क्यों न पपीते जैसी बड़ी बड़ी उनके नीचे कामुक गदराया हुआ गोरा गोरा पेट, जो साड़ी और ब्लाऊज़ के बीच से हमेशा लुभाता रहता है साड़ी हमेशा नाभी से एक इंच नीचे रहती है जिससे कि कामुक गोल नाभी के भी दर्शन होते रहते हैं नाभी भी ऐसी की देखकर जीभ डालकर चाटने का मन करता है, और फिर थोड़ा नीचे पीछे घूमें तो आते हैं चाची के गोल मटोल और बड़े से चूतड़, हाय चूतड़ ऐसे जो साड़ी को हमेशा उठाए रहते हैं ऐसा लगता है साड़ी के अंदर दो तरबूज़ रखे हैं चाची ने, तो ये हैं बिरजु की कांता काकी)

बिरजु- नमस्ते काकी

कांता- नमस्ते बीटवा.. अच्छा हुआ तू मिल गया.. नहीं तो मुझे इतनी दूर जाना पड़ता...

बिरजु- क्या हुआ काकी कोई परशानी

कांता- अरे नहीं बछुआ कोई परशानी नहीं बस वो मैं तेरे घर जाने वाली ही थी तुमने खीरे उगाय है न तु मेरे लिए खीरे ला दे घर का भी बहुत काम करना है....

बिरजु को समझते देर नही लगी कि काकी क्या करेंगी उस खीरे का

बिरजु- बिलकुल काकी ले आऊंगा कितने खीरे चाहिए...

कांता- 1 किलो ले आओ सुन ज्यादा मोटे मत लाना जो मध्यम आकार के हो उसमें मजा आता है ।

बिरजु - क्या काकी आप को खीरे चाहिए ... और

मुझे तो पक्के आम चाहिए हैं...

ये कहते हुए बिरजु की नज़र कांता के ब्लाउज से बहार दिखते हुए आम पर मेरा मतलब है 😝 👀चुचीयों पर चली गई ....

कांता ने भी शायद ये करते बिरजु को देखा लिया तो बोल पड़ी

कांता- अरे बीटवा तुम आओ तो सही तुमको पक्के आम हम खिला देंगे तुम अभी हमारे लिए बस खीरे ला दो

मैंने जैसा बताया कांता काकी बहुत मजाकिया हैं और डबल मीनिंग बातें करने में इन्हें बड़ा मजा आता है


बिरजु भी बोल दिया

बिरजु- काकी आपके आम मीठे तो होंगे ना...

कांता- बछुआ तूने इतने रसील आम कभी नहीं चखे होंगे तू कभी चखने आ तो सही..

बिरजु- फिर तो बढ़िया है काकी मैं अभी आपके लिए खीरे तोड़कर लाता हूं.. तबी आप अपने आम खिला देना...

इतना सुंकर कांता काकी हंसते हुए कहने लगी...

कांता - हमारा बचुआ बड़ा हो गया है लगता है..अब बातों में मत लग और जा खीरे लेकर आ...

बिरजु- काकी आपके लिए तो मैं छोटा ही हूं, मेरा खीरा कितना भी बड़ा कितना ही मोटा क्यों ना हो जाए... ही ही ही

कांता - अब जा पागल है तू ....

कांता ये कहते हुए चली गई और मैं भी उनकी गांड देख कर लंड खुजाने लगा और अपने घर की ओर निकल गया ...

बिरजु घर में पहुच कर अम्मा को बोला के..

बिरजु- 1 किलो खीरे जो कल बड़ी अम्मा खेत से तोड़ कर लीई थी कांता काकी ने मांगे हैं..

सुशीला - समझ जाती है कि क्यो कांता ने खीरे मांगे है ।


क्यो कि गांव के आधे से ज्यादा लोगो ये बात पता थी कि राजन बढ़ई के लिंग पे चोट लगने कि वजह से अब उसका लिंग खड़ा नही होता है ।


लेकीन बिरजु को और उसकी उमर के लोगो को ये बात नही पता थी ।



फिर सुशीला ने खीरे को एक थाइले में भर दिए और बिरजु कांता काकी के घर की और निकलने लगा तो अम्मा बोली ..

सुशीला - सुन बीटवा तू पैसे वगेरा की बात मत करना

बिरजु- ठीक है अम्मा मैं वैसे भी नहीं करता..

अम्मा - चल ठीक है जा तू...

इतना कहकर बिरजु कांता काकी के घर की ओर निकला गया...
 
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बिरजु जानता था कि क्यो कांता कि आह्ह्ह निकली लेकिन फिर भी
बिरजु जान बूझ कर कांता से पूछता है
बिरजु --- क्या हुआ चाची..आप ठीक तो है ना... आपको दर्द हो रहा है क्या.. कहां दर्द है आपकी कमर में?
ये कहते हुए बिना उनके जवाब का इंतजार किये बिरजु अब अपना दूसरा हाथ भी कांता की कमर पर लगा दिया और अब दो हाथो से कांता काकी के पेट को मसलने लगा ...
. बिरजु का लंड झटके पर झटके खा रहा था बिरजु को पता था अगर उसने लंड पर हाथ भी लगा दिया तो मैं झड़ जाऊंगा ... वो इतना टाइट हो चुका था ...
कांता काकी की नज़र से लंड से टोपी ही नहीं रही थी बड़ी मुश्किल से उन इतनी देर में लंड से नज़र हटाकर बिरजु चेहरे की तरफ देखा और कहा...
कांता काकी - बीटवा दर्द नहीं है अभी कावेरी आती होगी चाय लेकर...
बिरजु मन में --- अरे यार मैं तो ये भूल ही गया था के कावेरी भी घर पे है चाय लेकर आती ही होगी ...
तब बिरजु अपने हाथ कांता की कमर से ना चाहते हुए भी ।
हटा लिया और अपना लंड भी थोड़ा नीचे की तरफ समायोजित किया.... लेकिन बिरजु को बात की खुशी भी हुई के अगर कावेरी के आने का डर नहीं होता कांता काकी मुझे नहीं रोकती है।
बिरजु - काकी देखलो अगर कमर में दर्द हो तो मैं मालिस कर दूंगा..
कांता. -वो नहीं बीटवा मैं....
कांता काकी इतना ही बोल पाई थी कि कावेरी चाय लेकर आ गई और बिरजु और कांता दोनो को दी और खुद भी चाय लेकर बैठी हमारे पास ....
बिरजु और कांता दोनो में से कोई नहीं बोल रहा था ...
बिरजु कांता और कावेरी की और देख रहा था कावेरी बस चाय पी रही थी
कांता बार बार चोर नजरो से बिरजु के लंड की ओर देख रही थी और कभी कावेरी की ओर देखती की कहीं उसने तो नहीं देख लिया ऐसे ही चाई खतम की तो कावेरी बिरजु और कांता दोनो से चाय के कप लिए और बोली,
कावेरी- मां मैं नहांलू?
कांता -कक्क्य, हं बेटा नहले .....
वो थोड़ा अटके बोली उनका ध्यान अभी भी कहीं और ही था,
कावेरी -ठीक है मां फिर मै नाहकर खाना बनाउंगी।
कांता - ठीक है तू. जा नहाने ...
कावेरी कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गई गेट बंद होने की आवाज आई और बिरजु तुरंत ही कांता से दोबारा चिपक गया..और अपने हाथों से फिर कांता के नंगे सपाट पेट को दबाने मसलने लगा, कांता बिरजु के इस अचानक हमले से चौंक गई
लेकिन शायद उन को ये सब अच्छा लग रहा था इसलिये वो सिसकने लगी अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह करके
बिरजु - काकी..
कांता - आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्म्मम्मम्मम्म.
बिरजु - काकी सुनो न मेरे दर्द हो रहा है...
कांता -कक्क्या?
बिरजु एक कदम बढ़ते हुए कांता का हाथ पजामे के ऊपर से ही अपने लंड पर रख दिया... और बोला
बिरजु- काकी इसमे ।
बिरजु के लंड पर हाथ पढते ही कांता के बदन में एक करंट सा दौड़ गया और उसका बदन भी सिहर गया .... सांसे और भी तेज चलने लगी जिनसे उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे।
बिरजु लगातार उसके पेट को मसले जा रहा था कभी नाभि को छेड़ रहा था ....... ।
बिरजु ने भी अपने आप को कंट्रोल किया और एक लंबी सांस ली उसे पता था अगर वो अभी झड़ गया तो सारा खेल खराब हो जाएगा
बिरजु मन में ---
मुझे ज्यादा से जयादा देर खुद को रोकना होगा ...
कांता जैसे ख्यालो में ही थी बिरजु के लंड को हाथ में महसूस कर रही थी और बस इतना बोली
कांता - .... क्या.... कैसे ....
बिरजु - काकी मुझे नहीं पता लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा है कुछ तो करो..
और बिरजु अपने कमर को आगे पीछे करके उसके हाथ पर दबाव डालने लगा ... अब कांता भी पूरी तरह गरम हो चुकी थी और बिरजु के लंड को सहलाने लगी और बोली
कांता - बहुत दर्द हो रहा है बछुआ को ... लेकिन बीटवा मुझे दर्द सही करने के लिए इसे देखना होगा ....
बिरजु बिना उनका मतलब समझे उनकी नाभी से खेलते हुए बोला
बिरजु - ठीक है काकी
ये सुनते ही कांता ने थोड़ा हाथ ऊपर करके एक ही झटके में पायजामा और अंडरवियर खिसका कर बिरजु का लंड बहार निकला लिया और नंगे लंड को देखते ही कांता की आंखों में एक चमक आ गई और एक आह्ह्ह निकल गई भी बिरजु भी उनके ये करने से चौंक गया कांता के हाथ बिरजु के नंगे लंड पर पढते ही बिरजु कांता के पेट पर अपने हाथ गड़ा दिए ... और वैसा ही उससे चिपक गया .... और बस इतना ही बोल पाया
बिरजु- आह्ह्ह्ह्ह्ह काकी..
कांता -- हाय दैय्या ये तो अब और बड़ा दिख रहा है....
वो बस लंड को घूरे जा रही थी और अपना हाथ चलाये जा रही थी उनकी जीब बार बार उनके होंठों को गीला कर रही थी
बिरजु भी अब अपने होश खो बैठा और अपने हाथ ऊपर बढ़ाए और बड़े बड़े चुचीयों को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा ..
. बिरजु के हाथ से चूचे मसले जाने पर कांता और तेजी से बिरजु का लंड हिलाने लगी ... बिरजु ने भी देर ना करते हुए कांता के ब्लाउज के हुक को खोल दिया और ब्रा को नीचे करके एक चूचे को बाहर निकला और दबाने लगा
बिरजु को तो जैसे जन्नत का मजा मिल रह था ...
कांता सिसकने लगी -- आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्म् करने लगी
बिरजु ने कांता के ब्रा को नीचे करके दोनो चुचे बाहर निकाल लिए, कसम से ... इतने बड़े बड़े ... और टाइट भी ...
बिरजु उन्हे मसलने लगा और कांता की आह्ह्ह और बढ़ गए अब कांता खुल कर बिरजु साथ दे रही थी ... और बोल रही थी ..
कांता काकी - अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
""" तेरा औजार बहुत बड़ा है रे बिरजुवा और तु बड़ा बेरहम है रे बछुवा """
आहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह आह,
बिरजु ने अपने होठ कांता की गर्दन पर रख दिए और चूमने लगा वो हर चुम्बन पर सिस्की ले रही थी फिर बिरजु गर्दन झुकाकर अपना मुह कांता काकी
की एक चुच्ची पर रख दिया और चूसने लगा...।
कांता काकी तो जैसे पागल हो गई और अपना हाथ बिरजु के लंड से हटा लिया और बिरजु के सर को पकड़ कर अपने चुचे पर दबाने लगी..।
बिरजु एक चूचे को दबा रहा था और दूसरे को चूस रहा था ज़ोर से...
कांता- आह्ह्ह बछुवा पी जा सारा दूध अपनी काकी का चूस चुस कर खाली कर दे इनका रस चूस मेरे आमो को....
बिरजु मम्म्म आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्म्म्म करके चुसे जा रहा था ... फिर थोड़ी देर बाद बिरजु दूसरा चूचा मुह में ले लिया कांता फिर से और गरम हो गई ...
बिरजु को बहुत मजा आ रहा था ..।
बिरजु मन में -- . ऐसा रस तो दुनिया में नहीं कहीं होगा जो मुझे चाची के चुचीयो को पीने से मिल रहा हैं ।
. फिर थोड़ी देर और चूसने के बाद बिरजु अचानक से अपना मुह कांता सीने से हटा लिया और अपने होठ कांता के होठों पर रख दिया.... और उनको चूसने लगा। .. कांता पहले तो हड़बदाई लेकिन अगले कुछ ही पलो में बिरजु का साथ देने लगी ...
और बिरजु के होठो को चूसने लगी ..... फिर कांता ने अपनी जीभ बिरजु के मुह में डाली बिरजु उसे चूसने लगा साथ ही हाथों से लगातार उसके चूचे मसल रहा था .... फिर वो बिरजु का जीब चूसने लगी .... सच में एक शदीशुदा औरत के साथ ये सब करने में। बहुत ही मजा आता है उनमे झिझक भी कम होती है और अनुभव से बहुत कुछ सिखाती है।
💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘
..अब बिरजु को लगने लगा कि वो झड़ने वाला हैं।
लेकीन बिरजु ऐसे ही नहीं झड़ना चाहता था बिरजु ने एक कदम और बढ़ने की सोची और कांता के रसीले होंठ से होंठ हटाए और कंधे पकड़ कर नीचे की ओर दबाने लगा ...
. कांता काकी भी समझ गई की बिरजु क्या चाहता है ।
और नीचे बैठ गईं ... बिरजु का लंड उनके चेहरे के सामने था और उसे पकड़ कर वो अपने हाथ आगे पीछे करने लगे फिर कांता बिरजु की आंखाें में देखते हुए अपना मुंह खोला और बिरजु के लंड के टोपे पर अपनी गीली जीभ फिराई ..
बिरजु तो जैसे खो गया .... बिरजु की पूरी बॉडी अकड़ने लगी .... कुछ पल और रुकने के बाद बिरजु ने उसके सर के पीछे हाथ लगा दिया और अपना लंड उसके खुले मुंह में झटके के साथ घुसा दिया और झटके मारने लगा। ..
. वो पहले तो थोड़ा सकपाकाई फिर घु घु करके जितना चूस सकतीं थी चूसने लगी .... बिरजु कांता के मुह को चोदने लगा और कुछ 15-20 झटको के बाद बिरजु ने कांता काकी का मुंह अपने लंड पर दबा दिया और अपने रस उसके मुह में ही छोड़ते हुए लंड की पिचकारी चलाने लगा.... कांता थोड़ा झटपटाई फिर पता नहीं कैसे एडजस्ट करके वो गटक गतक के सारा रस पी गई . थोडा सा रस उनके होंठों से बहकर बाहर आ रहा था वो अब भी बिरजु का लंड चूस रही थी,।
बिरजु का लंड अब धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा था ।
और कांता काकी अब भी बिरजु के लंड को चूस चूस कर साफ कर रही थी ... उन्होनें बिरजु के लंड को चाट कर साफ किया... अपनी जीभ बाहर निकाल कर होठों के आस पास लगे रस को जीब से चाटा ... तबी कांता काकी को जैसे कुछ याद आ गया हो तुरंत खडी हो गईं...
कांता काकी - तू अपने पजामा ऊपर कर कावेरी बहार आती ही होगी...
कांता काकी ने भी अपनी ब्रा ठीक की और ब्लाउज के हुक बंद करने लगी ..
. और बिरजु अभी अपना अंडरवियर और पायजामा ऊपर कियाऔर लंड और अंदर डाल कर बैठ गया ....
बिरजु- काकी आज तो मजा आ गया....
कांता काकी - (कुछ सोचते हुए) पता नहीं बछुवा मैंने सही भी किया या नहीं...
बिरजु - काकी अपने बिलकुल सही किया..आप परेशन मत हो..
कांता काकी कुछ नहीं बोली, और तबी कावेरी भी नाहकर बहार आ गई .... गीले बालों में वो बहुत प्यारी लग रही थी .... उसके स्तन भी टॉप में बहुत कसे हुए लग रहे थे ।
बिरजु का ..मन किया की उसे अभी जाकर चूमलूं ...
तभी बिरजु सोचने लगा मुझे क्या हुआ है मैं हर किसी को बस चोदने का खयाल क्यों आ रहा है ... अभी मां से लंड चुस्वाया है और अभी बेटी को भी उस नजर से देख रहा हूं ... ये सोचते हुए ... बिरजु कांता काकी को फिर कभी आने का बोल कर अपना खाट लेकर उनके घर से निकला गया .....
निकलने से पहले बिरजु ने खाट को ठीक करने के कितने रूपये हुए पुछता है
कांता काकी- 200
बिरजु --- ठीक है काकी अगली बार आउगा तो पैसे लेकर आउगा
कांता काकी -- ठीक है ।
बिरजु कांता के घर निकल जाता है और खेत पे जाकर खाट को छोड़ कर खेत पे शाम तक रूक कर घर आ जाता है ।
बिरजु को रात हो गईं थी घर पहुचते पहुचते ।
बिरजु घर को वही नजारा देखने को मिलता है ।
बिरजु अपने घर के पिछवाड़े पहुचा ही था की उसे एक औरत दिखाइ दी जो अपनी साड़ी उपर कर के शायद मुत रही थी,
बिरजु घर के पिछे झाड़ीयो में फिर से छिप गया और देखने लगा, वो औरत अपनी बड़ी बड़ी गांड लिये अपने बुर से बड़ी मोटी धार निकाल कर मुत रही थी, बिरजु के घर के आंगन मे लगा बल्ब की रौशनी उस औरत की गांड पर पड़ रहा था, उसकी चौड़ी और गोल गांड देखकर बिरजु का लंड खड़ा होने लगता है,
बिरजु मन मे-- आय हाय क्या गांड है, कसम से मिल जाये तो मार मार के फाड़ दू, , बिरजु को लग रहा था कि ये उसकी बड़ी अम्मा सुधिया ही है
वो औरत मुतने के बाद खड़ी हो जाती है
बिरजु इस बारी उसका विडियो रिकार्ड कर लेता है ।
और जैसे ही जाने के लिये घुमती है, तबतक बिरजु वहा से निकल गया था ।
बिरजु घर में आंगन में खाट में लेट कर थोड़ा आराम कर रहा था ।
तभी
सुधिया --- अरे बिरजु बीटवा तु आ गया चल हाथ मुंह धो ले मैं सुशीला से कहकर तेरे लिए खाना लगवाती है ।
बिरजु -- ठीक है बड़ी अम्मा
बिरजु हाथ मुंह धो कर खाने के लिए बैठ गया था ।
सुशीला बिरजु को खाना परोस रही थी बिरजु की नजर कभी सुशीला के नाभी पर तो कभी उसके चुचीयों पर थी ।
सुशीला को पता चल गया था कि बिरजु क्या क्या देख रहा हैं ।
सुशीला ये चाहती थी लेकीन खुद से पहल नही करना चाहती थी ।
वो समाज से डरती थी ।
 
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बेरहम

Update 1

,

तो यही कहानी है, , (बिरजु) की

सुशीला......(42) साल, बिरजु की मां


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सुशीला की शादी 18साल की उम्र में हो गयी थी, 18 साल की उम्र में सुशीला की लम्बाइ करीब 5.6 की थी, लेकीन थोड़ी पतली, खुबसुरत तो वो थी ही, क्यूकीं पूरा गांव जो उसके पिछे मडराता रहता था, तो उसके घरवालो ने उसकी शादी कर दिया

रमेश.....(30) साल सुशीला का पति



रमेश अपने बाप बनने के कारण बहुत खुश था , रमेश एक बहुत ही इमानदार और होनहार आदमी था, दिन भर खेतो में अपने भाइ के साथ काम करता , बिरजु के पैदा होने के 5 साल के बाद ही रमेश की मौत हो गयी

सुधिया.....(48) सुशीला की जेठानी


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मदमस्त हथीनी जैसी चाल, बड़ी बड़ी चुचीयां और गांड तो ऐसी उठी हुइ की गावं वालो का लंड उसके गांड ने ही खड़ा कीया रहता है,


अनन्या...(21) सुधिया की बेटी,


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राजू.....(18) सुधिया का बेटा,


बिरजु......(19) सुशीला का बेटा


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बिरजु के पिता की मौत के बाद पुरे घर की जिम्मेदारी उसके हाथो में थी,

बिरजु के ताऊ रजीन्दर सुधिया का मरद ही बिरजु के साथ काम मे लगा रहता है.......,


बिरजु रात के 9 बजे खेत के बने झोपड़े मे पंपुसेट मे पानी की पाइप लगा कर, खेतो में फैला रहा था....जाड़े के दिन थे और गेहु के खेत की पहली सीचांइ थी, बिरजु खेत में पाइप फैला चुका था, और वो वापस झोपड़े में आया तो देखा उसके बड़े पापा रजिंदर खाट पर बैठे थे,

रजिंदर-- बिरजु बेटा जा तू घर पर खाना खा ले, और आज वही रुक जा, ठंडी बहुत है, मै खेत की सिचाइ कर लूगां ।


बिरजु-- ठीक है, बड़े पापा और बिरजु खेत पर बने मेड़ पर अपने कदम चलाने लगता है।



वो अपने घर के पिछवाड़े पहुचा ही था की उसे एक औरत दिखाइ दी जो अपनी साड़ी उपर कर के शायद मुत रही थी,

बिरजु घर के पिछे झाड़ीयो में छिप गया और देखने लगा, वो औरत अपनी बड़ी बड़ी गांड लिये अपने बुर से बड़ी मोटी धार निकाल कर मुत रही थी,


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बिरजु के घर के आंगन मे लगा बल्ब की रौशनी उस औरत की गांड पर पड़ रहा था, उसकी चौड़ी और गोल गांड देखकर बिरजु का लंड खड़ा होने लगता है,

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बिरजु मन मे-- आय हाय क्या गांड है, कसम से मिल जाये तो मार मार के फाड़ दू, लेकीन ये औरत है कौन? थोड़ी देर रुकता हू पता चल जायेगा,
वो औरत मुतने के बाद खड़ी हो जाती है और जैसे ही जाने के लिये घुमती है, बिरजु उस औरत का चेहरा देख सकपका जाता है,

बिरजु मन मे-- अरे बाप रे ये तो सुधिया (बड़ी मां)


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है, बाप रे बड़ी मां की गांड तो जबरदस्त है, तो बुर कैसा होगा....यही सब सोचते हुए बिरजु झाड़ीयो से उठा और घर पर आ जाता है.....और वैसे भी बिरजु सब का चहेता था.....,

घर के अंदर जैसे ही बिरजु जाता है,


सुधिया-- अरे आ गया मेरा बेटा, आजा मेरे पास
बिरजु जा कर सुधिया के बगल खाट पर बैठ जाता है,
सुधिया-- अरे मेरा बेटा बैठा क्यूं है, इतना काम करता है, थक गया होगा आजा मेरी गोद में सर रख कर थोड़ा लेट जा,
बिरजु खाट पर लेटे लेटे अपना सर सुधिया की गोद में रख देता है,
बिरजु अपना सर बड़ी मां के गोद मे रखे उस दृश्य को याद करने लगता है जो आज उसने घर के पिछवाड़े अपनी बड़ी की बड़ी गांड को देखा था, बिरजु का लंड बेकाबू होने लगा और अपनी औकात पर खड़ा हो गया....॥

सुधिया--हाय रे मेरा बेटा, दिन भर काम करता रहता है, अगर तू ना होता तो हमारा पता नही क्या होता,

बिरजु-- मैं ना होता तो क्या होता बड़ी मां

सुधिया-- तब क्या होता बेटा, सारा काम हम औरतो को करना पड़ता,

बिरजु-- जबतक मै हू बड़ी मां तुम लोग को कोइ दिक्कत नही होने दुगां॥

सुधिया-- हाय रे मेरा बेटा, और झुक कर एक चुम्बन बिरजु के गाल पर दे देती है, झुकने की वजह से सुधिया की बड़ी बड़ी चुचींया बिरजु के छाती पे दब जाती है, जिससे बिरजु को एक अलग ही आनंद का अनुभव होता है,

सुधिया जैसे ही चुम्बन दे के सामान्य अवस्था मे होती है....


सुशीला-- अरे दिदी अब वो बच्चा नही रहा, जो तुम उसे चुम्मीया दे रही हो,


सुधिया-- अरे ये कीतना भी बड़ा हो जाये लेकीन हमारे लिये तो बच्चा ही रहेगा,

तभी सुशीला कहती है, दिदी खाना ले कर आती हू,

सुधिया-- हां ले के आजा , चल बिरजु बीटवा खाना खा ले,

सुशीला खाना ले के आती है, और सब खाना खाते है, खाना खाने के बाद बिरजु वापस खेत पे चला गया ।

रजिंदर बिरजु को देख कर


रजिंदर --- अरे बिरजु बीटवा तु आ गया आ आके बैठ जा यहा खाट पे ।

बिरजु --- नही बड़े पापा आप लेटे रहिये मैं यही खड़ा हू कुछ देर ।


जब थकान होगी तो आ जाउगा ।

रजिंदर --- ठीक है बीटवा ! मैं सो रहा हू ।

अगर तुझे नींद आए तो मुझे जगा देना और तु सो जाना ।

बिरजु --- ठीक है बड़े पापा ।


बिरजु --- खेत के चारो तरफ जा कर देखा


और पानी को देखने ।

अभी तो कुछ ही दूर तक पानी पहुचा था ।

बिरजु ने सोचा अभी तो पानी को पुरा फैलने में बहुत समय है चलो कुछ देर आराम कर लिया जाए ।


ये सोच कर बिरजु जैसे ही अपना कदम झोपड़े की ओर बढ़ाता है बिरजु के पेट में गुड़गुड़ाहट होने लगी ।

बिरजु -- चलो पहले इस समस्या का समाधान करके आया जाए ।

बिरजु अपने खेतो से दूर जाकर अपना काम निपटा के आने लगता है ।

बिरजु के हाथ में एक टार्च थी ।

बिरजु के नजर के सामने बार बार उसकी बड़ी अम्मा सुधिया की गांड आ रही थी ।


बिरजु मन में सोचने लगता हैं कि क्या करू जिससे मैं अपनी बड़ी अम्मा सुधिया की बुर और गांड मार सकु ।


सोचते सोचते बिरजु झोपड़े के पास आ गया और वही खाट के बगल में बैठा रहा ।


कु़छ देर बाद जब रजिंदर की आंख खुली

रजिंदर -- अरे बिरजु बीटवा तुझे नींद आ रही है क्या


बिरजु -- हा बड़े पापा

रजिंदर -- ठीक है तु सो जा मैं अब पानी को देखता हु ।

रजिंदर खाट से उठ कर चला गया ।

और बिरजु खाट पे सो गया ।

और अपनी बड़ी अम्मा सुधिया को चोदने के लिए पटाने के लिए तरीके सोचने लगा और सोचते सोचते न जाने कब उसे नींद आ गई ।


बिरजु की नींद सुबह के 5 बजे टुटी उसके बड़े पापा के जगाने पर ।


रजिंदर -- बिरजु बीटवा मैं तनिक सोना चाहता हु ।


बिरजु --- ठीक है बड़े पापा आईए ।

मैं पानी को देखता हु ।


रजिंदर --: देखने की जरूरत नही है बीटवा रात भर पंप चलने से पुरी तरह पानी फैल गया है ।

अगर तु घर जाना चाहे तो जा सकता है ।


बिरजु --- ठीक है बड़े पापा ।

बिरजु घर के लिए निकल गया ।

घर के पिछवाड़े पर उसे फिर वही नजारा देखने को मिला



बिरजु अपने घर के पिछवाड़े पहुचा ही था की उसे एक औरत दिखाइ दी जो अपनी साड़ी उपर कर के शायद मुत रही थी,

बिरजु घर के पिछे झाड़ीयो में फिर से छिप गया और देखने लगा, वो औरत अपनी बड़ी बड़ी गांड लिये अपने बुर से बड़ी मोटी धार निकाल कर मुत रही थी, बिरजु के घर के आंगन मे लगा बल्ब की रौशनी उस औरत की गांड पर पड़ रहा था, उसकी चौड़ी और गोल गांड देखकर बिरजु का लंड खड़ा होने लगता है,

बिरजु मन मे-- आय हाय क्या गांड है, कसम से मिल जाये तो मार मार के फाड़ दू, , बिरजु को लग रहा था कि ये उसकी बड़ी अम्मा सुधिया ही है लेकिन
वो औरत मुतने के बाद खड़ी हो जाती है और जैसे ही जाने के लिये घुमती है, बिरजु उस औरत का चेहरा देख सकपका जाता है,

बिरजु मन मे-- अरे बाप रे ये तो सुशीला (बिरजु की मां) है, बाप रे अम्मा की गांड तो बड़ी अम्मा की गांड की तरह ही जबरदस्त है, इसकी बुर कैसी होगी....यही सब सोचते हुए बिरजु झाड़ीयो से उठा और घर पर आ जाता है.....और वैसे भी बिरजु सब का चहेता था.....,

घर पे आकर बिरजु मुह हाथ धोकर ब्रश करता है और घर के काम करने लगा लेकिन उसके दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि वो पहले किसको अपने नीचे लेटाये ।


बिरजु खाट पे बैठ कर ये सोच ही रहा था तभी उसकी बड़ी अम्मा सुधिया आंगन में झाड़ु लगाने लगी उसकी गांड बिरजु की तरफ थी ।


बिरजु मन में -- तु मेरे नीचे सबसे पहले लेटेगी बड़ी अम्मा कहकर मन ही मन मुस्कुराने लगा ।


सुधिया बिरजु की तरफ अपना मुह कर देती है जिससे वो बिरजु को मुस्कुराते हुए देख लेती है ।


सुधिया -- क्या हुआ बीटवा काहे मुस्कुरा रहा हैं ।


बिरजु --- वो कुछ नही बड़ी अम्मा ऐसे ही एक बात याद आ गई इसलिए ।


सुधिया -- ओह अच्छा ठीक है बीटवा।

तु जा जल्दी नहा ले फिर खाना खा के खेत पे चले जाना और अपने बड़े पापा को भी खाना खाने के लिए भेज देना



बिरजु -- हा बड़ी अम्मा ।


बिरजु नहाने के लिए तालाब की तरफ निकल जाता है



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Nice
 

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