Adultery भयानक हवस का षडयंत्र by Mohik

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Update - 1






हैलो दोस्तों मेरा नाम अब्दुल अहमद है. मै खोलीपूरा नाम के पिछड़े हुए गांव से हु. मेरी उम्र कुछ 44 साल होगी. दिखने में तो मैं किसी चलते फिरते सांड के जैसा दिखता हू. मेरा निकाह भी अभी अभी ही हुआ है चार साल पहले ही. मेरा निकाह एक रजिया नाम की दो बार की तलाक शुदा औरत से हुआ है. मेरी गरीबी और अनपढ़ होने की वज़ह से निकाह हो ही नहीं पा रहा था और सबसे खास बात मेरी सांड जैसी कसरती बॉडी थी. यहां आप कसरती का मतलब यह मत समझना की बड़े मसल या सिक्स पैक वाली बॉडी होगी. नहीं मेरा तो पेट निकल आया था आगे की और बड़ा सा. देसी मुफ्त की दारू पीने से. मैं भले ही दिखता काले सांड जैसा था पर मे सबसे प्रेम और सम्मान से ही बात करता था. शायद गरीबी और अनपढ़ता करवाती थी.





मैं अपने गांव में निकाह से पहले देसी ठेके पर काम करता था. पर मेरा निकाह ही यही शर्त पर हुआ था कि मुझको निकाह के बाद अपनी बेगम को लेकर शहर जाना होगा और उधर कुछ नोकरी करनी होगी. मै मेरी बीवी को लेकर इंदौर आ गया. और इंदौर आकर मेरी बीवी के नखरे शुरू हो गये उसको झुग्गी झोपड़ी में नहीं रहना था उसको तो किसी बड़े वीआईपी घरों में रहना था या वीआईपी सोसाइटी में. पर मेरी तो इतनी औकात थी नहीं की रह पाउ फिर जैसे तैसे करके एक कमरा खोजा जो किसी वीआईपी नालंदा नाम की सोसाइटी के सामने था. पर वो कमरा सोसाइटी में नही आता था. उसका भाड़ा भी में मुश्किल से दे पा रहा था. फिर मैंने खुद के लिये मुश्किल से एक कॉटन मिल में एक चौकीदार की नोकरी ढूंढी. और वो चौकीदार की नोकरी मिल भी गयी. कॉटन मिल में कुछ वर्कर थोड़ा बहुत कच्चा कॉटन और कपड़ा चुरा कर ले जाते थे उनकी छुट्टी होने के बाद और बाहर सौ या दौसौ में बेच देते थे. मैं भी इनको गेट पर नहीं रोकता था और इनसे दस बीस रुपये की रिश्वत ले लेता था. पर कुछ कहो मैं मेरे गाँव से तो ज्यादा ही रुपया कमा रहा था. भले ही यह कमाई से दो वक़्त का खाना और किराया ही निकल पाता था.





पर कुछ भी कहो मेरे सामने वालीं नालंदा सोसाइटी की औरते काफी सुन्दर और सेक्सी थी. मैंने शहर में आने से पहले कभी ऐसी खूबसूरत औरतों को नहीं देखा था. मादरजात यहां शहरो की और यह वीआईपी नालंदा सोसायटी की औरते कितनी खूबसूरत साड़ी और छोटे ब्लाउज पहनती है और कुछ तो छोटे कपड़े भी पहनती थी. इन छोटे ब्लाउज में इनकी गोरी कमर , खुली सफेद पीठ और बड़े बड़े निप्पल दिखते थे. यहां की औरते हमारे गाँव में लगने वाले सिनेमा की हीरोइन की तरह दिखती थी. कुछ औरतों और ल़डकियों को तो मैं छुप छुप कर देखता भी था.





यही सब में अब तीन महीने निकल गये थे.....................







मेरी चौकीदार की नोकरी भी ऐसी थी कि कभी दिन में जाना होता तो कभी शाम में तो कभी जाना ही नहीं पड़ता. बढ़िया और सुकून की नोकरी थी. मेरी नौकरी ऐसी थी कि रोज़ मुझे सैलरी के अलावा सौ - दौसों की रिश्वत मिल जाती थी। रजिया यानी मेरी बेगम मुझे ठीक से सेक्स नहीं करने देती थी क्योंकि उसे मोटी भेसी को मेरी कम कमाई और खराब शकल से काफी परेशानी थी। हमारी नौकरानी का नाम सबीना था, उसकी उम्र 41 साल के करीब होगी, वह हमारे यहाँ 3 महीने से काम कर रही थी मैंने मेरी बीवी को खुश करने के लिये यह काम वाली को रख रखा था वो भी मेरे रिश्वत के रुपयों से.






सबीना की चूचियाँ तनी हुई और थोड़ी बड़ी-बड़ी संतरे जैसी थीं। अक्सर मैं अपनी बीवी से नज़र बचाकर, जब वो मेरे कमरे में पौंछा लगाती थी तो उसके ब्लाउज से झांकती हुई चूचियों का मज़ा लेता था। एक दो बार उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा भी था और हल्की सी मुस्कुराहट भी दी थी। एक दिन मेरी बीवी रजिया नीचे बाज़ार से कुछ सामान लेने गई तभी सबीना मेरे कमरे में पौंछा लगाने आई और अंगड़ाई लेकर बोली- बाबूजी, आज गर्मी बहुत हो रही है ! और उसने अपने ब्लाउज के तीन बटन खोल लिए। नीचे ब्रा वो नहीं पहने थी पूरी चूचियाँ एकदम से बाहर आ गईं। चुचूक आधे से ज्यादा बाहर थे। पौंछा लगाते लगाते वो मुस्कुरा रही थी। मैं भी अन्दर ही अन्दर खुश होने लगा.







सबीना मुस्कुरा कर बोली- बाबू, आप मुझे 200 रुपए दे दो ! मेरा लौड़ा पूरा टनटना रहा था, मैं बोला- ठीक है, लो ! और मैं उसे रुपए देने लगा तो उसने जानबूझ कर अपना पल्लू नीचे गिरा दिया। पूरी नंगी होती चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी। सबीना कामुक मुस्कान दे रही थी, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसकी चूचियाँ दोनों हाथों से दबा दीं। इतने से उसका आखिरी बटन भी खुल गया। अब पूरी नंगी चूचियां मेरे सामने थी। मैंने कस कर दो तीन बार उन्हें मसल दिया। सबीना मुझे हटाती हुई बोली- बीबी जी आने वाली हैं, जब मायके जाएँ तब पूरे मज़े ले लेना ! आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो। इतना कह कर उसने हल्के से मेरा लण्ड सहला दिया और मेरे होंटों पर एक पप्पी दे दी।







दो हफ़्ते बाद ही मेरी बेगम को दस दिन के लिए अपने घर जाना पड़ा। अब मैं घर में इतने दिन अकेला था। मेरे मन में सबीना को चोदने का ख्याल पलने लगा।







To Be Continued.........
 
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Update - 2





सुबह सात बजे वो आती थी। बड़ी मुश्किल से मुझे रात में नींद आई। सुबह छः बजे दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने सबीना मुस्कुरा रही थी। मैंने उसके अन्दर घुसते ही दरवाज़ा बंद कर दिया और पीछे से उसकी चूचियाँ पकड़ लीं।





सबीना हँसते हुए बोली- बाबूजी, क्यों परेशान होते हो, आज तो पूरा मज़ा ले लो ! भाभीजी बाहर हैं इसलिए ही जल्दी आई हूँ। हम दोनों कमरे में आ गए हँसते हुए उसने अपना ब्लाउज उतार दिया ब्रा में बंद दोनों चूचियाँ मेरा लण्ड खड़ा कर चुकी थीं। उसने कामुक अंगड़ाई ली और बोली- ब्रा का हुक खोलो ना ! मैं पगला रहा था, मैंने उसे बाँहों में भरा और उसकी ब्रा का हुक खोल कर पलंग गिरा दिया। सबीना की दोनों बड़ी बड़ी संतरे जैसी चूचियाँ बाहर आ गई थीं जिन्हें मैं पागल की तरह दबाने लगा। सबीना रोकते हुए बोली- इतने उतावले क्यों हो रहे हो? लो, पहले मेरे चूचियों को चूसो ! और उसने मेरी शर्ट और बनियान उतारकर मेरा सर अपनी गोदी में रख लिया और मेरे मुँह में अपनी चूची की घुण्डी घुसा दी।








एक बच्चे की तरह मैं उसकी चूची चूसने लगा। उसकी काली चूची चूसने में मुझे मज़ा आ रहा था। सबीना का एक हाथ मेरे पजामे के ऊपर लण्ड पर था, एक तरह से वो मेरे लण्ड को सहला रही थी। थोड़ी देर में उसने मेरा पजामा उतार दिया तो मेरा नंगा लण्ड उसके हाथों में था जिसे वो हल्का हल्का अपनी मुट्ठी में दबा कर मसल रही थी। मैं गर्म हो रहा था और उसकी चूची पीते पीते उसके चुचूक पर काट रहा था।







मेरा मन सबीना को चोदने का कर रहा था, सबीना इस बात को समझ गई थी। उसने मुझे उठा कर अपना पेटीकोट उतार दिया। उसकी नंगी बालों वाली चूत पूरी चमचमा रही थी। सबीना मुस्कुराते हुए बोली- आज सुबह पाँच बजे उठकर तुम्हारे लिए धों धों कर साफ़ की है ! अब मस्त चोदना ! उसने अपनी दोनों टाँगे चौड़ी कर दीं और बोली- अब अपना लण्ड इसमें घुसा दो ! सच, बहुत दिनों से तुमसे मरवाने का मन कर रहा है, अब रहा नहीं जा रहा है, इस सुसरी को फाड़ दो मेरा चुतिया बेवफा और शराबि शौहर ने मुझको काफी समय से नहीं चोदा. अब चौदो मुझको जल्दी से.






तीन महीने से मेरी बीवी ने चूत नहीं दी थी, मुझसे रहा नहीं गया, बिना कंडोम पहने मैंने अपना नौ इंची लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। चूत चुदी हुई थी तो लण्ड आराम से अन्दर घुस गया। मैंने सबीना की चुदाई शुरू कर दी थी, सबीना की चूत में लण्ड घुसा हुआ था, अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर टिका दिए और उन्हें की तरह बजाने लगा साथ ही उसके सुन्दर काली चुची को नोच और मसल रहा था। उसकी चूत मेरे लण्ड के झटके खा रही थी, सबीना मज़े लेते हुए मेरे बाल सहला रही थी। करीब दो मिनट ही मैंने उसको चोदा होगा कि लण्ड ने वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।







हाँफते हुए मैं उठ गया, जल्दी झड़ने के कारण मैं शरमा रहा था। सबीना उठी और उसने मुझे एक ग्लास पानी लाकर दिया और बोली- साहब शरमाएँ नहीं ! सात दिन में मैं आपको चूत का खिलाडी बना दूँगी, एक-एक घंटे तक यह औरतों की चूत फाड़े रखेगा और एक बार बुढ़िया या जवान जिसको आपने चोद दिया वो आपकी दीवानी हो जाएगी और बार बार चुदवाएगी, आपके लण्ड में अभी बहुत जान है, लाओ मैं इसे चूसती हूँ। सबीना मेरा लण्ड चूसने लगी, मैं आराम से लेटा हुआ था, अब मुझमें इतनी उत्तेजना नहीं थी लेकिन मुझे मस्ती बहुत आ रही थी, पहली बार किसी ने मेरा लण्ड चूसा था। ......... अलग ही मजा था.........








लेकिन यह क्या दो मिनट से कम में ही मेरा लण्ड फिर झड़ गया। सबीना मेरा लण्ड-रस मुँह में पी गई, मैं आँखें नीचे किये था। सबीना मुझे समझाते हुए बोली- आप शरमाएँ नहीं। आप में कोई कमी नहीं है, आप ने शराफत के कारण चूत का असली मज़ा नहीं लिया है। अगर आप रोज़ रजिया की चूत मारते तो यह इतनी जल्दी खाली नहीं होता। मुझे पता है कि तुम लोग बीवी की रोज़ मार नहीं पाते और तेरे जैसे कि बेगम भी खुलकर चूत नहीं देती है और एसे शौहरो का ख्याल भी नहीं रखती है। अब आप देखना, मैं आपको दस दिन में चूत का खिलाड़ी बना दूँगी। सबीना आगे बोली- अब आपका लण्ड पूरा खाली है। आपको मैं एक ग्लास दूध देती हूँ और साथ में ये मुलेठी और शिलाजीत का पाउडर। उसके बाद नहाते समय सरसों के तेल से लण्ड की मालिश करुँगी। शाम तक यह टनटनाने लगेगा। शाम को एक बार मैं आपका लण्ड फिर चूसूंगी, कल फिर आप देखना कैसे यह चूत में हल्ला मचाता है, 15 मिनट से पहले खाली नहीं होगा और दस दिन बाद यह नौ इंच का लण्ड औरतों की 2-2 घंटे फाड़े रखेगा और उनकी चूत 4-4 बार झड़वा देगा।







सबीना ने मेरा सर अपनी चूचियों में छिपा लिया और मेरे बाल सहलाने लगी। पाँच मिनट बाद सबीना उठी, उसने मुझे एक ग्लास दूध दिया मुलेठी और शिलाजीत का पाउडर मिला कर और बोली- आप अब तली हुई चीज़ मत खाना। मुझे लग रहा था कि सबीना मुझे अब चोदना सिखा देगी। मैंने पूरा ग्लास दूध पि लिया। हम दोनों नंगे बाथरूम में गए, वहाँ सबीना ने मेरे लण्ड की तेल मालिश की और मुझसे चिपक कर फव्वारे में नहाने का मज़ा लिया। मैंने ऐसे मज़े की कभी उम्मीद भी नहीं की थी। शाम को सबीना पाँच बजे आई और काम करने के बाद उसने मुझसे कहा- चलो अब अपना लण्ड चुसवाओ ! मैं पाजामे को उतारने लगा तो मुझे बाँहों में भरती हुई बोली- मेरे शरीफ साहब जल्दी करो और लण्ड बाहर निकालो, उसे मैं चूसूंगी ! कभी पार्क में किसी लड़की या औरत के साथ जाओ तो उसे ऐसे ही लण्ड चुसवाया जाता है। मैंने फटा फट लण्ड निकाल लिया। लण्ड धीरे धीरे टनक रहा था, सबीना ने उसे मुँह में ले लिया और 5-6 बार चूसने के बाद सुपाड़ा चाटने लगी।






मैंने कहा- सबीना, चोदने का मन कर रहा है, एक बार चूत मारने दो ! सबीना ने अपने मुख से लण्ड निकाला और उँगलियाँ सुपाड़े पर फिराती हुई बोली- चूत कल मिलेगी ! अभी मैं चूस कर इसे खाली करुँगी ! और उसने अपने हाथों से लण्ड पकड़ कर मुँह में चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी चूचियाँ धीरे धीरे मसल रहा था। करीब 5 मिनट तक मेरे लण्ड से खेलने के बाद बोली- अब इसका रस निकलने वाला है उसे मेरे मुँह में डाल दो ! मैंने उसके कहे अनुसार लण्ड-रस उसके मुँह में डाल दिया। इसके बाद उसने मुझसे कहा- रात को आप एक ग्लास दूध पाउडर वाला लेना और सुबह लण्ड मालिश करके रखना। कल सुबह एक बार फिर आप मेरी चूत मारना।






अगले दिन सबीना सुबह 6 बजे आई मैंने लण्ड पर उसके कहे अनुसार तेल मालिश कर रखी थी और रात से मेरा लण्ड बुरी तरह से उसकी चूत मारने को फड़फड़ा रहा था। मैंने सिर्फ लूंगी और बनियान पहन रखी थी। सबीना के घुसते ही मैंने दरवाज़ा बंद किया और उसे गोद में उठा कर पलंग पर पटक दिया मेरी लूंगी खुल गई थी और मेरा नौ इंची लण्ड उसके सामने था। उसने अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और बोली- बाबूजी, लण्ड तो आपका बहुत मस्त हो रहा है, मेरी चूत भी इसे खाने के लिए पागल हो रही है लेकिन थोड़ा सब्र करो, इतने उतावले क्यों हो रहे हो? पहले मुझे नंगी तो कर दो। मैं सबीना का दिवाना हो गया था, मैंने एक एक करके उसकी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया। ब्रा आज वो नहीं पहने थी। नंगी सबीना मेरे लण्ड में आग लगाए हुआ थी। लण्ड पूरा टनटना रहा था, ऐसे में तो बुढ़िया भी सुंदरी लगती है फिर सबीना जैसी मोटे और भरे हुए बदन वालीं औरत तो सेक्सी लगनी ही थी। सबीना ने मुझे पलंग पर बैठाया और अपना मुँह मेरे लण्ड पर लगा दिया। मेरे दोनों हाथों में उसने अपने संतरे पकड़ा दिए। सबीना ने बड़े प्यार से धीरे धीरे 3-4 बार मेरा लण्ड चूसा और मेरे लण्ड के अग्र भाग पर जीभ फिराने लगी। मेरी उत्तेजना चरमसीमा पर थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं बोला- सबीना अब चूत मारने दो ! अब रहा नहीं जा रहा है। सबीना मुँह से लण्ड निकालते हुए बोली- बाबूजी, चूत तो आपकी गुलाम है लेकिन कुछ इनाम तो दे दो इस नाचीज़ को। मैंने अपनी जेब से निकाल कर तीन सौ रुपए दे दिए।







मेरे से चिपकती हुई सबीना बोली- आपने मुझे खुश कर दिया, मैं आपको 2-3 दिन में सरप्राइज़ दूँगी। मैं बोला- रानी पहले अपनी चूत मारने दो, अब सब्र नहीं होता। बाद में जो देना हो, दे देना ! सबीना ने मेरी बनियान उतार दी और अंगड़ाई लेती हुई बोली- लो राजा मार लो ! मैंने उसे सीधा लेटा दिया और उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया। अब मैं सबीना के ऊपर चढ़ा हुआ था। आज सच में लण्ड में एक अजीब सी ताकत दिख रही थी। चूची दबाते हुए मैंने उसकी चूत चोदना शुरू कर दी। 2-3 मिनट चोदने के बाद सबीना ने मुझे हटा दिया और बोली- राजा, अब 5 मिनट आराम करो, फिर नई ताकत से चोदना !







उसने मुझे सीधा लेटा दिया और धीरे धीरे मेरी छाती की घुन्डियाँ काटने लगी और बीच बीच में मेरा लण्ड सहला देती। मुझसे बात करते हुए बोली- आपकी बेगम आपको ठीक से चूत मारने नहीं देती अगर औरत की चूत रोज चोदोगे तो तीन महीने बाद एक घंटे तक चूत बीच बीच मैं 4-5 बार 2-3 मिनट का आराम लेते हुए चोद सकते हो।







To Be Continued______________
 
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Update - 3


आपने रजिया की कभी गाण्ड मारी है या नहीं.........?

मैं मुस्कुराते हुए बोला- तू मजाक बहुत करती है ! मैंने आज तक पीछे से चूत नहीं चोदी, तू गाण्ड की बात करती है। तीन महीने में एक बार चोदता हूँ वो भी लाइट बंद करने के बाद और 5 मिनट से कम में ही खेल ख़त्म हो जाता है।




सबीना बोली- आपको चूत चोदने में तो माहिर करूँगी ही, साथ में गाण्ड का भी मज़ा दिलाऊँगी। आप जितना काला, मोटा और लम्बा लण्ड कम ही लोगों का होता है ! उसने मेरा लण्ड एक बार और सहला दिया जो अब सीधा छत को छूने की कोशिश कर रहा था। सबीना उठी, उसने मेरे लण्ड के सुपाड़े पर अपनी चूत छुलाई और टाँगें चौड़ी करके पूरा लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया। अब सबीना मेरे लण्ड पर बैठी थी। उसने मेरे हाथ उठाकर अपनी चूचियों पर रख दिए और बोली- लो राजा, इन्हें दबाओ जितनी जोर से दबाओगे उतना ही उछल उछल कर चुदूँगी। मैं कभी धीरे, कभी तेज उसकी संतरे जैसे चूचियाँ दबाने लगा। वाकई वो भी कभी धीरे कभी तेज मेरे लण्ड पर उछल कर मुझे मजा दे रही थी, ओह आह से कमरा गूंजने लगा।

दो मिनट के बाद शांत होकर सबीना मेरे लण्ड पर बैठ गई और बोली- राजा थक गई ! अब तुम जरा अपने चूतड़ हिला हिला कर मेरी भोंसड़ी को चोद दो। मैं लेटे लेटे ही अपने लण्ड को उसकी चूत में गाण्ड उठा के पेलने लगा।

सबीना चिल्ला रही थी- वाह कुत्ते ! क्या चोद रहा है, मज़ा आ गया ! फाड़ इसे फाड़ हरामजादे ! बहुत मजा आ रहा है ! चोद दे, बना दे इसकी महा भोंसड़ी ! सबीना चुदने में पूरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर में मेरे लण्ड की पिचकारी छूट गई और वो मुझ पर झुक कर चिपक गई मेरा लण्ड उसकी चूत में ख़ाली हो गया था। अब हम दोनों चिपके हुए थे।


सबीना रोज आठ बजे तक काम करके चली जाती थी, आज नौ बज रहे थे। तभी सबीना के फ़ोन की घंटी बजी, उधर से एक सुरीली सी आवाज़ आई- सबीना ताई, मैं रूचि अग्रवाल बोल रही हूँ आपकी मैडम जी !

यह आवाज फोन के बाहर तक सुनाई दे रही थी मैंने अपना नंगा लण्ड सहलाते हुए कहा- यह कोन हैं? कहाँ से बोल रही हैं?

सबीना हँसते हुए बोली- यह नालंदा सोसाइटी तेरे सामने वाली .... में रहती हैं आपके यहाँ से थोड़ी दूर ही हैं,

रुचि - ताई आज तुम आयी नहीं अभी तक !


सबीना बोली- नहीं अभी आ रही आज काम थोड़ा ज्यादा है !


रूचि बोली- नहीं यही बोलने के लिये कॉल किया है आज आना नहीं है !



रुचि की आवाज़ मुझे सुनाई दी, क्या सेक्सी और सुरीली मादक आवाज थी.

सबीना बोल रही थी- अच्छा मेमसाहब तो आज नहीं आना है? ठीक है, शाम को दे दूँगी ! फ़ोन रखने के बाद सबीना मुस्कुरा रही थी।


मैं बोला- यह रूचि जी वही हैं न जो हमारे सामने से आगे नालंदा सोसायटी के एक बड़े घर में रहती है.


सबीना आँखे मटका कर बोली- हाँ जी, यह वही हैं, जब यह अपनी बालकनी में कुछ उठाने आती थीं तो आप फिक्स दस बजे वहां पैड के पीछे छुपकर देखा करते थे और जब कभी घर से बाहर आती थीं तो आप इनकी चूचियाँ घूर घूर कर देखते थे। आजकल मैं इनके यहां ही काम कर रही हूं। शाम को इनकी साड़ी का ब्लाउज लाकर देना है उस रफीक टैलर से. रुचि मैडम स्लम एरिया में नहीं जाती मुझको भेजती है.

अब मेरा लण्ड झुका हुआ था, सबीना ने उसे हिलाया और बोली- आपकी वो किताब कहाँ है जिसमें सुन्दर सुन्दर नंगी लड़कियों की चुदती हुई फोटो लगा रखी हैं?


मैं चौंकते हुए बोला- तुझे कैसे पता? यह बात तो मेरी बीवी को भी नहीं पता !

बाबूजी, आपकी बीवी को तो यह भी नहीं पता कि आप मेरी चूत का रस चख रहे हैं, आप एक दिन बस स्टैंड के पास फ़ुटपाथ की जिस दुकान से नंगी फोटो खरीद रहे थे वो मेरे पड़ोसी की दुकान है, उसी ने बताया था कि आपको नंगी जवान लड़कियों की सेक्सी फोटो खरीदने का शौक है, अब नखरे न करो, मुझे दिखा दो, नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगी।

मैंने कहा- ठीक है, मैं दिखाता हूँ। "

यह हुई न बात !" सबीना बोली और उसने मेरे ठन्डे पड़े लण्ड को मुँह में लेकर दो तीन बार चूस लिया, बोली- आप किताब लाओ तब तक मैं आपके लिए गरम दूध बनाकर लाती हूँ पाउडर वाला।

मैं अपनी सौ पन्नों की फाइल ले आया जिसमें नंगी लड़कियों की हसीन फोटो थीं। उन्हें मैं एक बार देखने लगा जिससे मेरे लण्ड में थोड़ा सा उफान आ गया। सबीना एक ग्लास दूध ले आई थी। मेरी तरफ ग्लास बढ़ाकर बोली- लो साहब दूध पियो ! मैं बोला- मैं ठंडा दूध पीता हूँ ! उसने मेरा दूध मेज पर रख दिया और मेरा लौड़ा सहलाते हुए बोली- राजा, अभी तो एक पारी और हो जाएगी, यह मियां तो फुदकी मार रहें हैं।

मैं बोला- तू ग्लास दे। उसने ग्लास मेरी ओर बढ़ा दिया। ग्लास में बहुत मलाई थी, मैं उसे निकालने लगा तो सबीना बोली- यह क्या कर रहे हो? मैं बोला- रानी, मैं मलाई नहीं खाता !


To Be Continued..........
 
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Update - 4





सबीना बोली- राजा, पहले जाकर दूध के ग्लास रख कर आओ फिर तुम्हें चुदाई का दूसरा पाठ पढ़ाती हूँ। मैं ग्लास रखने गया, तभी मेरी कॉटन मिल से फ़ोन आ गया। मैंने फ़ोन पर बता दिया- आज नहीं आऊँगा।



जब मैं कमरे में घुसा तो सबीना उलटी घुटनों के बल लेटकर नंगी लड़कियों की फोटो देख रही थी, मैं उसकी गाण्ड से चिपक कर चूची दबाने लगा तो सबीना बोली- लड़कियां तो बहुत सुन्दर हैं ! दो-दो लण्डों से भी चुदवा रही हैं। मैं बोला- सबीना जान, मेरा लण्ड तुम्हारी चूत के लिए पागल हो रहा है, जरा सीधी हो जा, एक बार चूत की सैर और करा दे !



सबीना बोली- चोद दो ! पीछे से चोद दो ! लो मैं चूत ढीली छोड़ती हूँ ! तुम घुसाओ ! सबीना थोड़ी उचक गई और उसने टाँगे फ़ैला दीं, बोली- चूत दिख रही है?


मैंने कहा- दिख तो रही है ! सबीना बोली "तो घुसाओ ना ! चूतिया क्यों बने हुए हो?" मैं लण्ड उसकी चूत में लगाने लगा लेकिन लण्ड घुस ही नहीं रहा था। सबीना बनावटी गुस्से से बोली- मादरचोद, ऊपर वाला तुझे अगले जन्म में लण्ड बिना का पैदा करेगा। नौ इंच का रख कर भी चूत में नहीं घुसा पा रहा गाण्डू ? कमर पकड़ ! मैंने सबीना की कमर पकड़ ली, सबीना ने हाथ से लण्ड अपनी चूत के मुँह पर लगा लिया और बोली- अब तेजी से धक्का मार !


मैंने बिना देर किये उसकी कमर पकड़ कर उठाया और एक तेज झटके में लण्ड को चूत में मारा, सफलता मिली और लण्ड चूत में था। वाकई एक अनोखा मज़ा था ! उसकी चूचियां मैंने पकड़ ली।


सबीना बोली- ज्यादा शरीफ मत बनो, गालियाँ बकते हुए चोदो, वर्ना मेरे आलावा किसी की चोद भी नहीं पाओगे। मैंने सबीना को सेक्स का उस्ताद मान लिया था, लण्ड को पेलते हुए मैंने गालियाँ बकनी शुरू कर दीं - ले बहन की लोडी ! रंडी मादरचोद ! भोसड़ी की रांड ! ले मेरा मूसल लंड फिर तो............ आह मदरचोड़ रांड ले मेरा मूसल ............ बहनचोद





थोड़ी देर में हम दोनों पूरे मज़े ले रहे थे,





सबीना चिल्ला रही थी- ऊह आह ! मज़ा आ गया ! क्या मारी है बहन चोद ! तू तो आज से चूत का राजा बन गया है ! मार साली की भोंसड़ी बना ! सच अब तुझसे चुदने का मज़ा आ रहा है ! कुत्ते मार इस हरामिन चूत को ! साली बहुत तंग करती है।



मैं भी वापस अब - कुतिया, रंडी, साली, रंडी की औलाद, तेरी भोंसरी की मारूँ, लोंडी बकता हुआ सबीना को चोदने में लगा हुआ था। 5 मिनट की चुदाई के बाद मैं निढाल होकर लेट गया, सबीना भी मुझसे चिपक गई। चिपके चिपके हम एक दूसरे की चूची, चूत और लण्ड से खेल रहे थे।



करीब एक घंटे बाद उठे तो मैं चौंकते हुए बोला- अरे बारह बज गए? कोई क्या सोचेगा? सबीना मेरे गालों की पप्पी लेते हुए बोली- कोई कुछ नहीं सोचेगा ! किसी के पास यहाँ रिहायशी इलाक़ों में इतना समय नहीं है कि हमारे बारे में सोचेगा।


मैं सबीना को चिपकाते हुए बोला- रानी, तुमने मस्त कर दिया ! अब यह बताओ कि क्या सरप्राइज़ दे रही हो?


सबीना बोली- इतनी मारी है मेरी ! कुछ इनाम तो दो ! मैंने बिना देखे हुए परसों शाम को एक वर्कर से जो दो सौ रुपया लिया था, वो पूरा उसे दे दिया। वो बोली- राजा, आपने मुझे खुश कर दिया ! सच राजा, मज़ा आ गया ! और उसने मेरे गालों पर 5-6 पप्पी दे डाली।





मैं बोला- सरप्राइज़ तो बता दो.................?






वो मेरे कान के पास मुँह लाकर बोली- कुछ दिन बाद मैं आपके लण्ड राजा को रूचि जी की चूत में घुमा कर लाऊँगी। यह सुन कर तो मुझको मेरे कानो पर यकीन ही नहीं हुआ. कहीं ये सबीना मज़ाक तो नहीं कर रही. फिर भी मैं एक बार वापस खुश होते हुए सबीना से पूछा-"सच रानी? मुझे विश्वास नहीं हो रहा है !"



सबीना बोली- कुछ दिन बाद हो जायेगा अगर तुम मेरे कहे चले तो ! लेकिन मर्द बनकर चोदना, शरीफ बनकर नहीं ! कल मैं तुम्हें पूरा प्रोग्राम बताऊँगी। उसके बाद सबीना चली गई। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि जिस रूचि अग्रवाल को सोच सोच कर मैंने कई बार मुठ मार दी, जिस रुचि को मैं सपने में भी नहीं छू पाया था.और जिसकी चूची तक मैंने नहीं दबाई, उसकी चूत में मेरा मूसल लण्ड दो दिन बाद सैर करेगा !!!!!!!!






यकीन नहीं हो रहा था क्या यही शुरुआत है मेरी गरीब किस्मत के अमीर होने की दास्तान की...............






पर अभी भी मुझको यकीन नहीं हो रहा था कि रुचि अग्रवाल तो एक पढ़ी लिखी समझदार और अमीर घर की शादी शुदा *** औरत है वो मेरे जैसे मामूली से **** चौकीदार के साथ सेक्स कैसे करेगी. मेरे जैसे गाँव के पिछड़े आदमी के साथ कैसे.........? जो भी हो यह सबीना ने कहा है तो रुचि के साथ सम्भोग तो मै करूगा ही. सबीना उस्ताद है.........





मैं सोचते सोचते नहाने चला गया और नहाते हुए सरसों के तेल से सबीना के कहे अनुसार लण्ड पर मालिश करने लगा।



अगले दिन सबीना फिर छः बजे आ गई। मैंने सबसे पहले उससे प्रोग्राम पूछा, और कहा यह होगा कैसे.......? ये तो बता रुचि का लेवल कहा और मेरा लेवल कहा..........? यह तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता हो कि मैं वीआईपी नालंदा सोसाइटी में रहने वाली रुचि अग्रवाल को चोद पाउ......!






लेकिन उसने कहा- पहले आप मुझे आठ बजे तक चोदो बिना लण्ड झड़े ! तब मैं रूचि जी की चूत दिलवाने का प्लान बताऊंगी. फिर सबीना हस्ती हुई बोली कि मेरे राजा अब्दुल मिया तुम कितने भोले हो. तुम कबसे एक ही बात पकड़ कर बैठे हो. दरसल मुझको रुचि जी के घर पर ही काम करने वाली एक औरत से पता चला है कि



रुचि के पति रुचि को पाँच मिनट से ज्यादा चोद नहीं पाते और एक महीने में एक या दो बार ही सेक्स करते हैं, और अगर औरत को भरी जवानी में सेक्स नहीं मिले या कम मिले तो उसको किसी भी दूसरे आदमी के लिये तैयार करना थोड़ा आसान होता है. भले ही वो औरत कितनी भी पढ़ी लिखी, समझदार, धनवान और धार्मिक हो.



और वेसे भी रूचि का पति दस दिनों के लिये बाहर रहने वाले हैं। मेरी जान पहचान में तो 10-11 इंच लम्बे लण्ड वाले आदमी है जिनको मैं यह रुचि के नाम का सरप्राइस दे सकती हू पर यह सोभाग्य मैं तुमको दूँगी. और मैं जिन आदमियों की बात कर रही हूं वो औरतों की जो 3 - 4 घंटे तक चूत फाड़े रखते हैं





अब तुम रुचि एक घंटा भी नहीं चोद पाए तो मेरी **** इज्ज़त के साथ-साथ तुम्हारी ***** होने की इज़्ज़त भी मिटटी में मिल जाएगी। अब मुझको यहाँ पर पूरा खेल समझ में आया. इसलिये रुचि जैसी सेक्सी और खूबसूरत औरत को मुजे चोदने का मोका मिलेगा. पर यह मोका मिलेगा कैसे......?


सबीना अब अपना मास्टर प्लान बताती

है............................................!!!!!!!!



मैं उसके पूरे प्लान को ध्यान से सुनता हूँ.



मैंने उसकी मास्टर स्ट्रोक वाले प्लान की बात मान ली और चुदाई शुरू कर दी। सबीना ने मुझे पूरा सहयोग किया और 5-6 आसनों से मेरा लण्ड चूत में डलवाया। डेढ़ घंटे बाद मेरा लण्ड पहली बार झड़ा, इतनी देर तक मैं सबीना को इसलिए चोद पाया क्योंकि सबीना ने हर आसन के बाद मेरे लण्ड को 2-3 मिनट का आराम दिया और इस समय मैं मुझसे अपने संतरे और होंटों को चुसवाया। इसके बाद सबीना ने लण्ड चूसा और उसे दुबारा खड़ा किया। एक बार फिर एक घंटे तक मेरे लण्ड ने उसकी चूत को बजाया।



सबीना मुस्कुराते हुए बोली- अब्दुल मिया, वाकई अब आप चोदना सीख गए हो ! अब कुछ दिन बाद रूचि जी की चूत पर आपका राज रहेगा अगर मेरा प्लान सफल रहा तो.............................!


और हा आप उनकी चूत जम कर बजाना। सबीना ने अपना प्रोग्राम बताया। उसने बताया कि कल दोपहर एक बजे को यूसुफ शेख नाम का एक आदमी अपनी रुचि मैडम के यहां खाना बनाने वाली वो नेहा गुप्ता के साथ आपके कमरे में आयेंगे। जिसे वो 1 से 4 बजे आपके यहाँ चोदेंगे। मैं भी एक बजे तक काम ख़तम करके यहां आऊँगी और आपके साथ रहूँगी।



पर मे आश्चर्य से सबीना देखा और उसको पूछा - ये यूसुफ तो वहीं है ना नालंदा सोसायटी का दिन का चौकीदार जिसको सोसायटी के सेक्रेटरी ने एक महीने पहले धक्के मार कर नोकरी से निकाल दिया था और धमकी दी थी कि फिर कभी सोसायटी में तो क्या ! सोसायटी के आस पास भी मत दिखना वरना पुलिस को कॉल कर दूंगा.


सबीना - हा वहीं यूसुफ शेख है और नेहा गुप्ता इसकी आइटम है. पर एक महीने से दोनों मिल नहीं पाये है.


मैंने पूछा क्यों ऐसा क्या हो गया अगर सोसायटी में नहीं तो सोसायटी के बाहर तो मिल सकते है.....?


सबीना - नहीं मेरे राजा ! क्योंकि नेहा के पति को शक हो गया है उस पर ! इसलिए उसका पति रोज नेहा को लेने भी आता है और छोड़ने भी. भले ही यह नेहा के पास स्कूटी है तो भी......? खुद की बाइक पर लेने आता है.


मैंने पूछा यह सब तो ठीक है पर यूसुफ शेख जैसे खतरनाक आदमी की मदद करके हमारा क्या फायदा होगा और किसी ने देख लिया तो मुझको यह कमरा खाली करना पड़ सकता है.


सबीना बोली - अरे मेरे भोले भोंदु राजा हम यूसुफ की नहीं नेहा की मदद कर रहे. भले ही यह प्लान यूसुफ का है फिर भी.


मैंने पूछा वो कैसे सबीना जान ............?


सबीना बोली - अरे नेहा गुप्ता भले ही रुचि जी के यहां खाना बनाती है. पर नेहा एक शेफ ( बावर्ची ) होने के साथ-साथ रुचि की सहेली भी है....... साली पढ़ी लिखी है इसलिये रुचि और नेहा की काफी अच्छी बनतीं है. वो तो नेहा का पति कम कमाता है इसलिये वो खाना पकाने का काम करती है. छोड़ो यह सब हमको क्या. हमको तो सिर्फ अभी नेहा की जरूरत है.



मै यहां फिर से कुछ कुछ समझने की कोशिश कर रहा था तभी


सबीना बोली - ज्यादा मत सोचो मेरे मिया राजा हम नेहा का इस्तेमाल करके रुचि की चुत तक पहुंचेगे................!






To Be Continued...........
 
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Update - 5


अब मैं रूचि के यहाँ काम करने जा रही हूँ, वहाँ फ़ोन से बात रूचि से करुँगी। जरा कड़क भाषा और ठरकी रंगीन बनकर बात करना, बड़ा मज़ा आएगा। सबीना के जाने के थोड़ी देर बाद मेरे मोबाइल पर घंटी आई, सबीना बोल रही थी-


सबीना - और मेरे राजा मेरे बिना रहा जा है या नहीं.


मैंने बोला नहीं तेरी बात ही कुछ अलग है.


सबीना बोली - देख खबर तो लगता है सही है !!!! ये रुचि का पति लगता है शहर में नहीं है. और इसके पति की कार भी बाहर नहीं खड़ी है.


मैं खुश हो गया यहाँ मैं बोला - मेरी जान तेरी खबर गलत हो सकती है क्या.........


और ऐसी ही प्लान से मिलती जुलती बातें करके मैंने भी अपना फ़ोन बंद कर दिया। मेरा लण्ड इस समय आसमान छू रहा था पर सबीना ने मुझे मुठ मारने के लिए मना किया था इसलिए बात करने के बाद मैं बाहर टहलने निकल गया। सबीना अगले दिन सुबह सात बजे काम पर आई, मैंने उसे पकड़ लिया और उसके गालों को चूमने लगा और बोला- सबीना, तूने तो कमाल कर दिया?


सबीना बोली- देखते जाओ ! आज शाम को यूसुफ की आइटम यूसुफ के साथ-साथ आप से भी चुदेगी।


मैं बोला- लेकिन यूसुफ शेख बुरा तो नहीं मानेगा? नहीं वो यूसुफ बहुत खतरनाक आदमी है उस दिन वो मेरे सामने किसी लड़की को इम्प्रेस करने के लिये बेकसूर सब्जी वाले को मार रहा था. उस दिन के बाद से वो सब्जी वाला आज तक नहीं दिखा.


सबीना मेरे लण्ड को सहलाते हुए मुस्कुराई और बोली- इस खेल में सब जायज़ है नेहा गुप्ता कौनसी उसकी बेगम है. यूसुफ की दोनों बीवीया तो उसके खोली में रहती है.


मुझको तो यकीन नहीं हुआ कि मुझसे तो मेरी एक बीवी रजिया तक नहीं संभाली जा रही यहां पर यह गुंडागर्दी करने वाला यूसुफ दो बीवीया और ऊपर से किसी की पत्नी नेहा गुप्ता को अपनी सेटिंग बना कर बैठा था.


मैंने बोला ऐसा क्या है जो यूसुफ अपनी दो बीवियों को छोड़ नेहा के पीछे पड़ा है .


सबीना बोली हस्ते हुए - खुद ही देख लेना ...... राजा बाबु......!


पर मैंने बोला अगर फिर भी यूसुफ को गुस्सा आ गया तो.....?


सबीना बोली - नहीं आयेगा मेरे भोंपू जैसे राजा. और अगर उसका मूड तुमको लगे ज्यादा ही खराब है या गुस्से में है तो मैं सब सम्भाल लूँगी. हस्ते हुए.........!


अब यह सेक्स तेल लो और हर एक घंटे बाद इसकी मालिश करो ! एक बजे से आपका भी प्रैक्टिस या तैयारी वाला मैच है. रुचि के साथ फाइनल खेलने के लिये नेहा के साथ सेमी फाइनल खेल कर जितना जरूरी है मिया.


आपको कुछ भी करके यूसुफ जैसे मंजे हुए चुत के चटोरे और चुदाई के उस्ताद से हारना नहीं है. मैं नहीं चाहती कि आप फेल हों !



सबीना ने अपनी चूचियों के बीच से निकाल कर सेक्स के तेल की शीशी मुझे दे दी। सबीना तेल निकाल कर मेरे लण्ड की मालिश करने लगी। उसके बाद लण्ड अपने मुँह में घुसाने से पहले बोली- आज चुदवाऊँगी नहीं ! दोपहर को टनटनाए रहना ! नेहा की चूत का बाजा बजाना है।


सबीना ने बताया- एक महीने पहले तो नेहा कई बार यूसुफ शैख से चुदवा चुकी है पर एक महीने से नेहा की चुदाई यूसुफ से तो नहीं हुई है आज मोका है.



यूसुफ का लण्ड भी आठ इंच लम्बा है लेकिन दोनों को एक दूसरे के साथ करने में मज़ा आता है। आज यूसुफ शायद नेहा की गाण्ड मारना चाहता है जिसके लिए मुझे उसकी मदद करनी पड़ेगी। लग तो ऐसा ही रहा है. तुम भी देखना कैसे उसकी गाण्ड मरवाती हूँ और तुम्हारा लण्ड उसकी चूत में भी डलवाऊँगी ! बस तुम जल्दबाजी मत करना !


सबीना ने मुझे एक पप्पी दी और बोली- मैं यूसुफ के साथ आऊँगी, सोच-सोच कर मुठ मत मारना और इतना कह कर सबीना चली गई। मैं एक बजने का इंतजार करने लगा। दोपहर की एक बजने से 10 मिनट पहले ही घंटी बजी। सामने यूसुफ शैख, और उसका माल नेहा गुप्ता खड़ी थी और साथ में सबीना खड़ी थीं। सबीना के हाथ मैं एक बैग था जिसमें कुछ कपड़े थे। हम लोग अन्दर आ गए, सबीना ने मेरा परिचय यूसुफ और नेहा से कराया।



यूसुफ शैख एक 6 फुट का काला और मोटा आदमी था. यूसुफ की उम्र कुछ 46 साल की होगी. यूसुफ शक्ल से ही गुंडा और दो नम्बर के काम करने वाला दिखता था.


पर असली माल तो नेहा थी........


नेहा गुप्ता एक गोरे बदन की 33 साल की बड़ी निप्पल या चूचियों वाली थोड़े भरे हुए बदन की महिला थी।

नेहा को देख कर लग रहा था कि वहां खाते पीते घर की ऊंची कास्ट की महिला है. नेहा गुप्ता दिखने काफी सुन्दर थी मैंने इतनी उम्मीद नहीं करी थी कि एक खाना बनाने वाली भी इतनी सुन्दर होगी. क्या सही में वो यह खाना बनाने का काम करती होगी मुझको नहीं पता चल रहा था देख कर............?


नेहा का शरीर पूरा आकार में था जैसा कि यहाँ शहर की औरतों का होता है. नेहा गुप्ता ना ही ज्यादा पतली थी ना ही ज्यादा मोटी थी. मेरा तो नेहा को ही देख कर दिल खुश हो गया था. मुझको अब समझ में आया कि क्यों यूसुफ मिया नेहा के पीछे पडे थे. नेहा गुप्ता को घूर घूर कर ताकने के बाद सबीना ने एक हाथ मेरे पैर पर मार कर मेरा ध्यान तोडा. सबीना ने अन्दर जाकर कुछ अपने बैग से खाने का निकाल बाहर ले आयी. फिर हमने उसी कोल्ड ड्रिंक और चिप्स का नाश्ता किया

फ़िर सबीना बोली- आप लोग कपड़े बदल लो ! बैग में से दो लुंगी निकाल कर उसने हमें दे दीं। सबीना ने दोनों के कान में कहा- आप अंदर जाकर सिर्फ लुंगी पहन लो ! हम लोग अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर सिर्फ लुंगी पहन कर आ गए।


सबीना बोली- नेहा जी, आप थोड़ी शरमा रही हैं, आप साड़ी उतार दें और मैं आपको पेटीकोट ब्लाउज देती हूँ ! उन्हें पहन लें नहीं तो आपके कपड़े ख़राब हो जाएँगे, थोड़ी देर पेटीकोट-ब्लाउज में रहेंगी तो शर्म भी छूट जाएगी।

नेहा मुझको और सबीना को देख कर थोड़ा शरमा रही थी. और वेसे भी नेहा का शरमाना बनता भी था. नेहा गुप्ता ऊँची कास्ट की शादी शुदा और हम सब से कहीं गुना ज्यादा पढ़ी लिखी महिला थी. कोई बाजारू रंडी या वेश्या नहीं थी. पर अब थोड़ी देर तक थोड़ा ना-नुकुर करने के बाद नेहा ने अंदर जाकर कपड़े बदल लिए।


अब वह गहरे गले के ब्लाउज और पेटीकोट में थी। पेटीकोट नाभि के नीचे बंधा था, नेहा का बदन चिकना और जवान था जिसने मेरा लण्ड खड़ा कर दिया था। मैंने पहली बार किसी *** धर्म की औरत को इतना पास से गहरे गले के ब्लाउज और मादक पेटीकोट में देखा था. इसमें नेहा पहले से भी कई गुना ज्यादा सेक्सी दिख रही थी.


मैं तो ऊपर वाले से यही दुआ या अपील कर रहा था कि मेरी जिंदगी में कुछ नहीं तो रजिया मोटी भैस से पीछा छुड़वा कर नेहा गुप्ता से मेरा निकाह करवा दे. मेरे जैसे गाँव के गँवार सांड के लिये नेहा भी बहुत मायने रखती थीं.

पर ऊपर वाले के पास """मेरी गरीब किस्मत के लिये एक अमीर कामुक दास्तान""" थी. जिससे में अभी अनजान था.


To Be Continued.......
 
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Update - 6






हम लोग अब बेडरूम में आ गए थे। इसके बाद यूसुफ और मुझे सबीना ने एक एक हॉट कोई पाउडर के पानी वाली ड्रिंक दे दी, थोड़ी सी उसने पी ली। हम सब लोगों ने वो पाउडर वाली गरम ड्रिंक पीना शुरू कर दी थी। नेहा ब्लाउज के नीचे ब्रा पहनी थी।


अब अचानक से यूसुफ ने अपनी पाउडर वाली गुनगुने पानी की ड्रिंक ख़तम करी और सीधे नेहा के ब्लाउज में हाथ डाल कर उसकी गोरी बड़ी चूचियाँ 5-5 बार दबा चुका था। नेहा उसका हाथ बार बार हटा देती थी। सबीना नेहा के पास गई और बोली- इतना शरमाओगी तो रंगीन माहौल का मज़ा कैसे लोगी? ब्लाउज उतार लो और इन गोरी बड़ी चुचीयो का जूस यूसुफ जी को पिलाओ तभी तो पूरा मज़ा मिलेगा। सबीना ने पीछे जाकर नेहा के ब्लाउज के बटन खोल दिए और नेहा का ब्लाउज उतार दिया।




नेहा की नरम नरम चिकनी और बड़ी दूधिया चूचियाँ ब्रा के अन्दर से काफी आकर्षित दिख रही थी. मेरी तो हालत ही खराब हो गयी. पहली बार किसी महिला को ब्रा में देखा था अपनी खुली आँखों के सामने. अब सबीना ने नेहा के पीछे से उसके दोनों ब्रा के हूक को खोल दिया. और अब नेहा गुप्ता के गोरे बड़े बूब्स या निप्पल बाहर निकल आई थीं, मेरा और यूसुफ दोनों का मूसल लण्ड उछालें मार रहा था।




यूसुफ लुंगी ठीक से नहीं पहने थे, उनका लण्ड खड़ा हुआ था जो 8 इंच के करीब होगा, मेरा भी 9 इंची तना हुआ लण्ड लुंगी से बाहर निकलने को उतावला हो रहा था। यूसुफ नेहा से चिपक कर उसके गुलाबी होंठ चूमने लगा और साथ ही साथ उसके नंगे बूब्स फिर निप्पल को कस कस कर मसल रहा था। यूसुफ की लुंगी खुलकर हट गई थी अब उसका नंगा लण्ड हम सब देख सकते थे।


सबीना ने आगे बढ़कर नेहा का हाथ यूसुफ के लण्ड पर रख दिया और नेहा से बोली- अब शर्म छोड़ दे और रंडी बन जा ! मजे कर ! शरमा नहीं ! आज दो-दो लण्डों से खेल सकती है ! ऐसा मौका शरीफ औरतों को रोज रोज नहीं मिलता है, तुझे चूत और गाण्ड का ऐसा मज़ा दिलवाऊँगी कि तू जिन्दगी भर याद रखेगी ! बस अब शराफत छोड़ दे और एक रात के लिए वेश्या बन जा।


यूसुफ ने नेहा की एक चूची मुँह में पूरी भर ली और दूसरी का चुची दबाने लगा। उसका मोटा सा 8 इंची लौड़ा नेहा ना चाहते हुए भी मसल रही थी, मेरा लौड़ा तना हुआ था और मैं उसे लुंगी के ऊपर से सहला रहा था। सबीना ने मेरी लुंगी हटा दी थी मेरा 9 इंच लम्बा लण्ड अब सबीना के हाथों में था। सबीना उसे नेहा को दिखाती हुई सहला रही थी। नेहा अपनी तिरछी आँखों से मेरा लण्ड देख रही थी। सबीना नेहा को गर्म करने के लिए मेरा लौड़ा चूसने लगी। मैं सबीना का पेटीकोट ऊपर उठाकर उसके नंगे चूतड़ों को मलने लगा।



कुछ देर लण्ड चूसने के बाद सबीना उठी उसने अपना पेटीकोट और ब्लाउज उतार दिया अब वो पूरी नंगी थी। उसने आगे बढ़कर पलंग पर बेठी हुई नेहा के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसे हाथों से खींचकर उतार दिया। नेहा की नंगी चिकनी साफ़ चूत मेरी आँखों के सामने थी। मैंने पहली बार अपनी आंखों से किसी औरत की इतनी साफ़ चूत को देखा था. मेरा मूसल लण्ड उसकी चूत देखकर कड़ा हुए जा रहा था। यूसुफ उसकी चूचियों से अब भी खेल रहा था। नेहा की नंगी खुली चूत मेरे लण्ड को चोदने का आमंत्रण दे रही थी। सबीना ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और धीरे से बोली- अभी पूरा दिन बाकी है ! तुम भी जमकर इसकी चोदना लेकिन अभी थोड़ा सब्र करो ! और सबीना ने यूसुफ को आँख मारते हुए मेरा लौड़ा दुबारा मुँह में घुसा लिया। यूसुफ उठा और उसने अपना लौड़ा भी नेहा के मुँह पर रख दिया।


सच बोलू दोस्तों मुझको यह देख बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था कि यूसुफ ने नेहा के मुह पर अपना लौड़ा रख दिया है. मुझको पता नहीं क्यों शुरुआत से नेहा गुप्ता से अपनत्व महसूस हो रहा था. मुझको पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था कि नेहा यहां आकर खुश नहीं है या फिर उसको जबरदस्ती लाया गया है. मेरा तो मन कर रहा था कि अभी जाकर नेहा को यह राक्षस यूसुफ शैख से छुड़ा लू. फिर नेहा को लेकर कहीं निकल जाऊँ. पर यह सब करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी मैं यूसुफ के हाथों से बुरी कदर से पीटना नहीं चाहता था. या फिर शायद यह भी हो सकता है कि यह सब नेहा के प्रति मेरी कल्पना मात्र हो.




नेहा यूसुफ की गोद में लेटकर सबीना की देखादेखी उसे लबालब चूसने लगी। यूसुफ मेरे पास बैठा हुआ था, हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए।


मैंने यूसुफ से कहा- यार, थोड़ा अपना माल मुझे भी चखा देना। यह सुन कर तो जैसे नेहा को काफी गुस्सा आया पर वो बोल कुछ नहीं पायी.


यूसुफ बोला- साली की गाण्ड मार लूँ, फिर साथ साथ दोनों कुतियाओं को बजाएँगे।


मैंने कहा- सबीना को अपना लौड़ा चुसवाओ ! बहुत मस्त चूसती है।






To Be Continued.......
 
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Update 7








यूसुफ ने लौड़ा नेहा के मुँह से निकल लिया. सबीना ने भी मुँह से लण्ड निकाल दिया और नेहा को हटाकर यूसुफ का लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैंने नेहा को अपनी तरफ खींच लिया पर वो आना नहीं चाहती थी मेरे पास. सबीना ने मेरी तरफ एक इशारा किया. फिर मैंने दम लगा कर जोर से नेहा को अपनी तरह खींच लिया.



फिर नेहा के मुँह पर अपना लण्ड रख दिया, नेहा बोली- आपका तो बहुत बड़ा है? यह पहली बार था मैंने एक *** ** की शादी शुदा सुन्दर औरत को हाथों में पकडा था फिर उसके मुँह पर अपना मूसल लण्ड रख दिया था.


मैंने उसके कान में कहा- अपने गुलाबी होंठों से मुँह में रखो मज़ा भी बड़ा देगा। नेहा गर्म हो चुकी थी, उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया। अब दोनों औरतें यूसुफ और मेरा लण्ड मस्त होकर चूस रहीं थीं। नेहा की बड़ी चूचियाँ भी अब मेरे हाथों में खेल रही थीं। थोड़ी देर बाद सबीना ने यूसुफ का लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और नेहा के मुँह से भी मेरा लण्ड हटा दिया।




यूसुफ नेहा की चूत पर हाथ फेरते हुए बोला- अब्दुल मिया, वाकई सबीना जी ने तो आज सच में लौड़ा चूसने का असली मज़ा दिया। यह मेरी कुतिया तो चूसना जानती ही नहीं, सिर्फ मुँह आगे पीछे करती है।



यह सुन कर नेहा यूसुफ को तिरछी नजर से गुस्से से देखती है.


सबीना मुस्कुराते हुए बोली- आपकी माल को आज सब सिखा दूंगी। अब इसकी थोड़ी चूत की सेवा कर दीजिये, हरामिन की चुदने को कुलबुला रही है।


यूसुफ उठा और उसने नेहा की टांगें चौड़ी करके उसमें अपना लण्ड घुसा दिया। नेहा की चूत बजने लगी, सबीना ने भी मेरा लण्ड अपनी चूत में डलवा लिया था। अब मेरी खटिया पर दोनों औरतों की चुदाई चल रही थी, कमरा ऊहाह आह ऊहाह आह !!!!! आह की आवाज़ों से गूँज रहा था।


नेहा यूसुफ का वीर्य या गाढ़ा माल नहीं चाहती थी अपनी चुत में.....पर यूसुफ ने नेहा की कोई बात नहीं मानी और अपना पूरा वीर्य नेहा की चुत में भर दिया. थोड़ी देर बाद दोनों की चूतें गाढ़े वीर्य से नहाई हुई थीं।


सबीना नेहा से बोली- अपने यार का लौड़ा चाट ले ! बहुत स्वादिष्ट लगता है वीर्य चोदने के बाद !


नेहा बोली - मुझको यह सब गंदा वीर्य चाटने और अपने अन्दर लेना पसन्द नहीं है यह बात यूसुफ जी को पता है.


सबीना - ओह ओह हो मेरी मल्लिका ए हुस्न यह तेरे सब नखरे तेरे पति को दिखाना मेरे सामने यह सब नहीं चलेगा.


नेहा को दिखाते हुए सबीना ने मेरे सुपाड़े पर अपनी जीभ फिरा दी। फिर थोड़ा डरते हुए नेहा ने भी यूसुफ का लण्ड थोड़ी देर चाटा। इसके बाद 5 मिनट तक हम चारों खटिया पर पस्त हो गए। थोड़ी देर के लिए नेहा कमरे से बाहर गयी. उसको देख कर मैं भी कमरे से बाहर आ गया. नेहा को देख कर लग रहा था कि वो ज्यादा खुश नहीं है शायद. यह भी हो सकता है कि यूसुफ और सबीना के द्वारा नेहा के साथ एक वेश्या की तरह बरताव किया जा रहा था इसलिए वो खुश नहीं थी. मेरी हिम्मत तो हो नहीं रही थी पर फिर भी मैंने नेहा से बात करनी शुरू करी.


मैंने बोला नेहा से - आप काफी सुन्दर हो नेहा जी. वेसे मेरा नाम अब्दुल अहमद है.


नेहा ना मेरी तरफ देखा ना ही कोई जवाब दिया.


मेने फिर बोलना शुरू किया - नेहा जी अगर आपको मेरे द्वारा जबरदस्ती करने से बुरा लगा हो तो उसके लिये मैं आपसे माफ़ी माँगता हू.


नेहा ने अब मेरी ओर देखा पर कोई जवाब नहीं दिया.


फिर मैंने बोला - वेसे नेहा जी एक बात बोलू अगर आप बुरा नहीं माने तो....


नेहा ने थोड़ी देर सोच कर बोला - हा बोलिये !


मैंने बोला - नेहा जी आपको देख कर लगता नहीं है कि आप लोगों के घर जाकर खाना बनती होगी. आप तो बहुत पढ़ी लिखी और समझदार दिखती है.


नेहा - क्या ! आप क्या बोल रहे है अब्दुल जी ! मैं किसी के घर जाकर खाना वाना नहीं बनाती. मेरी खुद की जॉब है. आपको यह सब बकवास किसने बताई.....?


मैं तो यह सुन कर शौकड और आश्चर्यचकित हो गया. मुझको यकीन नहीं हुआ कि सबीना ने मुझको झूठ क्यों बोला.


पर मैंने बोला - पर आप तो वो रुचि मैडम के घर पर खाना बनाती हो.


नेहा के उदास चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आयी और उसने बोला कि रुचि मेरी सहेली है. ना कि मालकिन.


मैं सुन होकर चुप चाप सुनता रहा........


नेहा - और बात रही खाना बनाने की बात तो मैं दरसल रुचि के पति यानी मेरे ऑफिस के बॉस मिस्टर राहुल अग्रवाल के यहां काम करती हू. वो क्या है आज से कुछ तीन चार महीने पहले रुचि और राहुल जी की किसी बात पर डिस्कस ( बहस ) हो गयी थी. इसके बात से ही राहुल जी यानी मेरे बॉस ने मेरी ड्यूटी ऑफिस से हटा कर उनके घर पर लगा दी. अब मैं और रूचि मिलकर अब ऑफिस कुछ काम घर पर बैठ कर करते है.


नेहा की यह सब हाई स्टैंडर्ड की बातें मेरे सर के ऊपर से जा रही थी. मुझको कुछ समझ नहीं आ रहा था. बस मुझको तो यह बात की खुशी थी की नेहा मुझसे बात कर रही है. और साथ ही इस बात का दुख था कि सबीना ने मुझको सब क्यों नहीं बताया.


नेहा बोली - और बात रही खाना बनाने की तो वो क्या है रुचि को खाना बनाने आता नहीं है बराबर से इसलिये ज्यादातर टाइम मैं बना देती हूं. राहुल जी और रूचि को मेरे हाथ से बना खाना अच्छा लगता है.


अब मैं यह सब सुन कर सक पका गया था और वो पूछ ही लिया जो मैं पूछने आया था बाहर खास तौर से मैं बोला - फिर आप नेहा जी आप यह यूसुफ जी के चक्कर में कैसे फस गयी.


यह सुनते ही जो नेहा के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान आयी थी वो गायब हो गयी और फिर हल्की से उदासी भरे चेहरे से बोली - अब्दुल जी मैं यूसुफ के चक्कर में फंसी नहीं मुझको फंसाया गया है. इसके पीछे बहुत लंबी साजिश है आप मुझको ठीक लग रहे है इसलिये मैं आपको बाद में बताऊँगी.


मैं एक दम से डर गया पर अभी तक तो यूसुफ ने मेरे साथ बरताव अच्छे से ही किया था... पर ये यूसुफ से बच कर रहना पड़ेगा.


तभी अन्दर से सबीना की आवाज आयी.... आवाज सुनते ही मैं और नेहा अन्दर चले गये. यूसुफ मुझको नेहा के साथ अन्दर आता देख अजीबोगरीब निगाहों से देखने लगा. फ़िर 5 मिनट बाद सबीना ने दो पाउडर वाली पानी की ड्रिंक बना ली एक उसने यूसुफ को दी और एक मुझको दी। यूसुफ का लण्ड ठंडा हो रहा था। मैंने लुंगी बाँध ली थी।


सबीना बोली- यह लीजिये यूसुफ मिया, आज आपकी पीछे से सवारी की इच्छा भी पूरी हो जाएगी। यूसुफ ने पूरी ड्रिंक ली। थोड़ी सी सबीना ने नेहा को भी पिलाने की कोशिश करी पर नेहा स्पष्ट रूप से मना कर दिया. फिर वो ड्रिंक सबीना ने पी ली .


इसके बाद एक मोटे लंबे डिल्डो पर सबीना ने कंडोम चढ़ाया और यूसुफ से बोली- यूसुफ जी थोडा डिल्डो को नेहा के मुँह में डालिए। ये डिल्डो जैसी चीज मैंने अपनी जिन्दगी में पहली बार देखी थी कि ऐसा भी कुछ मिलता है इन शहरों में.



इसके बाद सबीना ने एक दूसरा डिल्डो लिया और उस डिल्डो को नेहा की गाण्ड में घुसा दीया, नेहा नाह......नाह.... करती हुई बोली- निकालो दर्द हो रहा है। सबीना ने डिल्डो पूरा निकाल लिया और बोली- दर्द तो जब यूसुफ तेरी मारेंगे तब पता चलेगा ! और अब्दुल जी ने घुसा दिया तो दो दिन तक ठीक से नहीं चल पाएगी तू।



यह सुन नेहा मुझको तिरछी गुस्से भरी निगाह से देखने लगी. इस गुस्से में भी क्या हॉट लग रही थी. पर मैं भी उसको लाचार भरी निगाह से देखने लगा.



सबीना के इशारे पर यूसुफ ने दो उँगलियाँ नेहा की गाण्ड में घुसा दीं। सबीना बोली- पूरी अंदर तक गाण्ड में घुसा कर अच्छी मालिश कर दीजिये मेमसाहब की ! नहीं तो गाण्ड नहीं मार पायेंगे। यूसुफ की उँगलियाँ रेखा की गाण्ड में आगे-पीछे होने लगीं।


नेहा को दर्द में कराते देख मुझको बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था. नेहा का दर्द मुझको अब अपने दर्द की तरह लग रहा था.


फिर अचानक क्या हो गया मुझको मैं जोर से चिल्ला पड़ा - "रुको रुक जाओ, बहुत दर्द में है वो बेचारी"


फिर मैं चुप हो गया, मुझको भी नहीं पता मेरे में इतनी हिम्मत कहा से आ गयी.


फिर सबीना मेरी ओर गुस्से से आँख निकाल कर......! पर यूसुफ के गुस्से वाले चेहरे की ओर देख हस्ते हुए बोली - लगता है अब्दुल मिया कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गये है. ये ऐसे बीच बीच में करते है यह इनकी आदत है. हा हा हा ( सबीना नखली हसी निकालते हुए )


अब सबीना वहाँ से उठ कर कर मेरे पास आयी और मुझको एक कोने में ले गयी और बोली - क्या कर रहे हों ये अब्दुल मिया ! क्यों मेरा बना बनाया खेल बिगाड़ रहे हो.


उसकी गुस्से भरी काली शक्ल के सामने मैं कुछ बोल ज्यादा बोल नहीं पाया पर इतना जरूर बोला कि उसको शायद बहुत दर्द हो रहा है.


सबीना हस्ते हुए बोली - मेरे भोलू अब्दुल मिया ! जब किसी लड़की या औरत की पहली बार चुत या गाँड में कुछ घुसता है तो उसको बहुत दर्द होता है पर इसके बाद तो मानो उसकी जिंदगी ही बदल जाती है. एक अलग सुख की प्राप्ति होती है.


फिर अचानक वापस सबीना मुझको देख गुस्से से बोली तुम ये नेहा के प्रति कोई हमदर्दी मत रखो. नेहा को अपने लंड का गुलाम बनाना है. नेहा को बस तुमको जोरदार वाला पेलना है. नेहा गुप्ता की तुमको जबरदस्त चुदाई करनी है. वरना तुम रुचि को भूल जाओ. तुम्हारे जैसे हज़ारों **** आदमी है इस शहर में. मैं ये तोफा किसी को भी दे सकती हूँ.


अब मैं यह समझ चुका था कि मुझको अपने नेहा के प्रति प्रेम और ठंडे भाव को बदलना पड़ेगा और सही मायने में नेहा और सबीना को उसकी औकात दिखानी पड़ेगी की एक ***** मर्द क्या क्या कर सकता है.


अब सबीना वापस चली गयी यूसुफ के पास फिर यूसुफ ने उँगलियाँ नेहा की गाँड में आगे-पीछे की, उसके बाद सबीना ने डिल्डो को यूसुफ के हाथ में दे दिया और बोली- अब डिल्डो से इसकी गाण्ड चोदिये। 2-3 मिनट तक नेहा लेटी हुई चुपचाप लण्ड चूसती रही और यूसुफ डिल्डो से उसकी गाण्ड में आगे पीछे करता रहा। 5 मिनट के बाद यूसुफ ने नेहा के मुह से लण्ड निकाल लिया ओर अब नेहा की गाण्ड लण्ड से गुदनी थी।


सबीना ने खटिया पर एक पतला गद्दा बिछा दिया और नेहा से बोली- अपनी गाण्ड एक बार मरवा ली तो चूत का मज़ा भूल जाएगी तू ! प्यार से मरवाना ! शुरू में दर्द होगा, बाद में तो मज़ा आना है। यूसुफ जी का लण्ड तो बड़ा है, झेल तो लेगी तू के नहीं कर पायेगी, देख जिन भी औरतों की गाण्ड बड़े लण्ड से फटती है वो तो कई बार बेहोश हो जाती हैं। चल अब जरा घोड़ी बन ! और नेहा के बाल सहलाते हुए सबीना ने उसे घोड़ी बना दिया।


नेहा घोड़ी बनने को तैयार नहीं थी. पर सबीना नेहा के बलों को सहलाने के साथ साथ उसके ना नकुर करने के कारण खींच भी रही थी. नेहा के सारे बाल सबीना के द्वारा जोर जोर से सहलाने के कारण उसकी गोरे बांह और पीठ पर आ गए थे. नेहा क्या सेक्सी दिख रही थी. पर बेचारी नेहा क्या करती उसको आखिर कार यूसुफ और सबीना के डर से घोड़ी बन गई और अपनी कोहनी बिस्तर पर लगा ली थी। पर मैं भी अब तैयार था सबीना के इशारे का इन्तेज़ार कर रहा था ..! मैं भी अब कोई नेहा गुप्ता को छोड़ने वाला नहीं था बस सही मोके के इन्तेजार में था....!



नेहा, यूसुफ और मुझको देखकर सबीना के दिमाग में कुछ चल रहा था. अब आगे यही देखना था कि ये सबीना रंडी आगे क्या करती है..............?







To Be Continued.........
 
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Update - 8


अब यहां पर यूसुफ ने नेहा की कमर पकड़ के लण्ड उसकी गाण्ड में छुआ दिया। सबीना ने अपने हाथ से यूसुफ का तीन इंच लण्ड नेहा की गाण्ड में घुसवा दिया।


नेहा की चीख निकल गयी और नेहा बोली - प्लीज यूसुफ जी ऐसा मत करिये. यह आपके पेनिस को निकालिये मुझको बहुत दर्द हो रहा है. मैं आपके सामने हाथ जोड़ती हु.


सबीना बोली - कुछ नहीं होगा मेरी रानी बस थोड़ा सा दर्द होगा उसको तू सह जा इसके बाद तो तुझको इतना मजा आयेगा की जिसकी तू कल्पना भी नहीं कर सकती.


फिर अब सबीना यूसुफ को मुस्कुराते हुए बोली- यूसुफ जी, बचा हुआ लण्ड प्यार से इसकी गाण्ड में डालना और नेहा जी की प्यार से मारिएगा। यूसुफ इसे मामूली बात समझा, उसने गाण्ड को चूत समझते हुआ एक तेज झटका मार दिया। लण्ड नेहा की गाण्ड में तेजी से घुसा तो नेहा बुरी तरह से चीख उठी और उसने तेज झटका गाण्ड को दिया, इस बीच लण्ड गाण्ड से निकल गया। नेहा की आँखों में पानी आ गया था।


सबीना यूसुफ पर हल्के गुस्से से चिल्लाती हुई बोली- आप से मैंने कहा था न कि प्यार से मारिएगा।



नेहा बोली- ना बाबा ना बिल्कुल ना ! मुझे कृपया करके छोड़ दो ! मुझे गाण्ड नहीं मरवानी !


सबीना बोली- नेहा जी, आप थोडा आराम करें ! मैं यूसुफ जी को समझाती हूँ ! अबकी वो आपकी प्यार से मारेंगे। एक बार आपने गाण्ड मरवा ली तो बार बार मरवाना चाहेंगी।



सबीना बोली - यूसुफ जी, आप रेखा जी को सॉरी बोलिए और मेरे साथ आइये, मैं आपको कुछ समझाती हूँ।


यूसुफ ने सबीना से बोला - ऐ रंडी तू पागल हो गयी है क्या !!!!! मेरा नाम यूसुफ शैख है मैं किसी को सॉरी पोरी नहीं बोलता.


सबीना बोली - आप यूसुफ मिया मेरे साथ बाहर आइये.


मुझको यह सब देख कर बहुत ज्यादा अजीब लग रहा था कि ये चुड़ैल सबीना रंडी कबसे ये नेहा के प्रति इतना सॉफ्ट कॉर्नर यानी दयालू पन रखने लगी. अब क्या प्लान है ये रंडी का, मुझको तो सबीना साली भोसड़ी की आकर नेहा की जबरदस्त चुदाई करने का बोल रही थी और यहां ये यूसुफ को नेहा को सॉरी बोलने को कह रही है.....?


अब जैसे ही सबीना और यूसुफ बाहर आये मैं भी दर्द से करा रही नेहा को छोड़ बाहर आ गया।


सबीना यूसुफ से बोली- यूसुफ जी, नेहा को गाण्ड मरवाने के लिये मैं तैयार कर दूंगी पर आप उसकी गाण्ड प्यार से मारिएगा और वेसे भी एक दम नयी गाण्ड है नेहा की आप अकेले तो नहीं मार पाएंगे। नेहा आपकी बीवी तो है नहीं, इसलिए अपने माल का मज़ा अब्दुल मिया को देंगे तभी आप गाण्ड मारने में सफल हो पाएंगे और एक बार आपने औरतों की गाण्ड मारना सीख ली तो आप कई औरतों को खुश कर सकते हैं।


यूसुफ बोला - अबे रंडी भोसड़ी की तु अब मुझको गाण्ड मारना सिखाएगी. सिखाना है तो तेरे इस यार अब्दुल को सिखा. और हा नेहा गुप्ता मेरी बीवी नहीं है पर मैं बहुत जल्द उसको अपनी बीवी बनाने की फ़िराक़ में हू.


यह सुन कर मुझको काफी गुस्सा आने लगा. मैं अपने अन्दर ही अन्दर बोलने लगा कि यूसुफ चुतिये मेरे रहते तो तू नेहा को अपनी बीवी नहीं बना पायेगा.


सबीना बोली - यूसुफ जी पर अभी तो आपकी बेगम नहीं है ना नेहा गुप्ता. आप लगता है भूल गये हमारी डील को..!


यूसुफ - हाँ हाँ तो मैं कहा मना बोल रहा हू पर पहले गाण्ड मैं मरूंगा. पहला उद्घाटन तो मेरे लण्ड से ही होगा.


सबीना - हाँ हाँ बिल्कुल यूसुफ मिया........!



फिर यूसुफ सबीना से कड़क आवाज में बोला- कुतिया को कोई भी चोद दे, मुझे कोई दिक्कत नहीं ! लेकिन मुझे आज गाण्ड मारना है पहले.


सबीना बोली- मैं आपको गाण्ड का खिलाड़ी बना कर भेजूँगी। आप जब नेहा की गाण्ड मारें तब अब्दुल मिया उसे लौड़ा चुसवाएंगे। सबीना ने फिर मुझे कुछ बातें सिखाईं, अब रास्ता साफ़ था, यूसुफ के माल नेहा को अब मैं बजा सकता था।



हम सब लोग कमरे में आ गए। सबीना नेहा से बोली- आप यूसुफ का लण्ड धीरे धीरे चूसें, साथ ही साथ अब्दुल आपकी चूत को चोदेगा। दो-दो लण्डों का मज़ा जब आप लेंगी तो गाण्ड मरवाने में दिक्कत नहीं आएगी।


नेहा ने इस बात से तुरन्त इन्कार कर दिया और बोली - मैं यह सब नहीं करने वाली, मैंने आज तक एक समय मैं दो आदमियों का पेनिस नहीं लिया है. मुझको यह करने से गिन आती है.


सबीना - एक बार करके तो देख नेहा, मैं कई बार कर चुकी हूं. तुझको बहुत मज़ा आयेगा.........


नेहा ना नकुर करने लगी ! तभी सबीना बोली - अरे यूसुफ मिया इसके नखरे कभी ख़तम नहीं होंगे. आप इसके मुँह में लण्ड डालिये और अब्दुल जी आप इसकी चूत सहलाइये.


यूसुफ ने अपना लण्ड रेखा के मुँह में डाल दिया। मैंने नेहा की चूत अपनी 3-4 उँगलियों से सहलानी शुरू कर दी, उसकी चूत के दाने पर मेरी रगड़ तेज होती जा रही थी। मैं और यूसुफ सेक्स का आनन्द ले रहे थे। नेहा का पता नहीं.......







To Be Continued........
 
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Update - 9







( चैजिंग फैस )








अब दोस्तों अपडेट 9 को आगे बढाने से पहले अब स्टोरी में एक बहुत बड़ा बदलाव आयेगा. अब "मैं" यानी अब्दुल अहमद नहीं रहेगा. अब यहाँ "मैं" बदल चुका है. अब स्टोरी में "मैं "अब्दुल अहमद से हट कर स्टोरी अब्दुल अहमद के कॉटन मिल के मैनेजर रोहित गर्ग पर आ गयी हैं।




अब मैं यानि रोहित गर्ग आपको अपने बारे में बताता हूँ. मैं दर-असल बनारस से हूँ. मैं एमबीए करके जॉब की तलाश में इंदौर आया था. इंदौर में रहते रहते पाँच साल हो गये थे. अभी मैं फिलहाल एक कॉटन मिल का सीनियर मैनेजर हूँ. मेरी उम्र कुछ 34 साल होगी. दिखने में ठीक ठाक हू. पहले मे ना ज्यादा मोटा था और ना ही ज्यादा पतला था. अब थोड़ा जीम जाता हू और पूरा दिन मिल में इन चुतिये कामचोर वर्करों के पीछे भागता रहता हूं तो मेरी बॉडी काफी फिट हो गयी है. मिल में आने वाली कई कामवाली और मजदूर महिलाएं मुझको ताकती है मैं भी उनको हवस भरी निगाहों से देखता हूं. पर आजतक मैं उनके साथ कुछ कर नहीं पाया हूँ. मैं



अपने बारे में ओर कुछ बताऊ तो मेरी शादी 3 साल पहले हुई थी बनारस में. शादी होने के आज तक मुझको किसी भी प्रकार का संतोषजनक सेक्स प्राप्त नहीं हुआ है इसलिये मेरी अभी तक कोई औलाद नहीं है. मेरी बीवी मुझसे नफरत करती है. मेरी और मेरी बीवी काव्या गर्ग का शादी के बाद से ही बहुत झगड़ा होने लगा था. हम दोनों की सोच बिलकुल अलग थी. मुझको बाद में यह भी पता चला कि काव्या शादी से पहले किसी वरुण नाम के आदमी से प्यार करती थी और आज भी करती है. मेरा और मेरी पत्नी के झगड़े अब इस लेवल पर आ चुके है कि अब हमारा तलाक कुछ दिनों में होने वाला है.



अब मैं मेरे ऑफिस में बैठा था के तभी मेरे टेबल पर सारे मिल में आने वाले कच्चे स्टॉक की फाइल आयी जिसमें पूरा हिसाब था. तभी मैंने उस कच्चे स्टॉक वाली फाइल को पूरा तैयार हुए रेडीमेड की फाइल से मिलाने की कोशिश करी तभी पाया कि दोनों के हिसाब में बहुत जोल चल रहा है. मुजे शक तो था कि मिल के मजदूर चोरी कर रहे है मेरी अनुपस्थिति में पर आज यह हिसाब को देख कर पक्का भी हो गया. तभी मैंने मेरे नीचे काम करने वाले एक सुपरवाइज़र को बुलाया और उस पर जोर से चिल्लाया और उसको सब कुछ सच सच बताने के लिये बोला.




सुपरवाइज़र - साहब माफ़ कर दो मैं आपको पहले ही बताना चाहता था पर हिम्मत नहीं हुई. क्योंकि मैं भी थोड़ा थोड़ा कमिशन कमा रहा था. पर जब से वो गांव का गँवार चौकीदार अब्दुल अहमद आया है तब से तो चोरी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है.


मैं गालियाँ बकते हुए उस सुपरवाइज़र से बोला कि तू अपना सारा कमिशन अभी के अभी लाकर इधर मेरे टेबल पर रख और उस चुतिये चोर हरामखोर चौकीदार को बुला और तुम दोनों मेरे साथ बॉस के पास चलो.



सुपरवाइज़र - सहाब माफ़ कर दो मुझको. मुझको बड़े सहाब जैल भेज देगे. माफ़ करदो अगली बार ऐसा नहीं होगा.


मेने बोला - तू और तेरा चौकीदार जैल जाये या कहीं ओर मुझको नहीं पता. तू बस उस चौकीदार को बुला ओर मेरे साथ चल.


सुपरवाइज़र - पर सहाब वो चौकीदार अब्दुल तो आज आया ही नहीं है.


मैंने बोला वो सब मुझको नहीं पता वो अभी एक घंटे में यहां होना चाहिये.


सुपरवाइज़र - सहाब उसका फोन नहीं लग रहा. आपको ही अगर उसको लाना है तो उसके कमरे पर जाना होगा. मेरे पास कोई गाड़ी नहीं है.


पहले तो मैं सुपरवाइज़र पर चिल्लाया की - मैं तुम्हारा नौकर और ड्राइवर नहीं हू जो तुम्हारे पिछे भागता रहु.


पर फिर मुझको अहसास हुआ कि अगर इन् दोनों को अभी बॉस के हाथों में नहीं दिया तो बॉस मेरी गाण्ड मार लेगा. हो भी सकता है मुझको मैनेजर की नोकरी से निकल दे. नहीं नहीं ! ये चौकीदार को लेकर आना पड़ेगा मामला काफी गंभीर है.


फिर मैंने सुपरवाइज़र से कहां - मुझको तू उस अब्दुल के कमरे का पता दे. और मैं जब तक वापस आता हूं उसको लेकर तब तक तू इधर ही खड़ा रह.


फिर सुपरवाइज़र ने मुझको पता दिया और मैं अपनी कार लेकर मिल से निकल गया अब्दुल को लेने.


जैसे मैं सुपरवाइज़र के दिये हुए पते पर पहुंचा तो वहां एक टूटी फूटे मकान में कुछ पांच से छह छोटे छोटे कमरे थे. मकान के वो कमरे बनाये ऐसे गये थे कि कोई भी आ जा सकता था. हर कमरे के बाहर एक गेट और एक खुली जाली वाली खिड़की थी जिससे अन्दर कमरे में क्या हो रहा है सब देखा जा सकता था. तभी मैं वो सलीम के कमरे के बाहर गया.


उसके कमरे के गेट को जैसे ही मै नोक या बजाने वाला था तभी ही मुझको अन्दर से तीन से चार लोगों की आवाज आयी. और वो आवाजें काफी कामुक और अजीब थी. तो मैंने सीधा गेट को खड़खडाने के बजाये पास वाली खिड़की मैं जाका और कमरे में क्या हो रहा है देखने लगा.





पहली नजर में मैंने जो कमरे में देखा उसको देख कर तो मुझको शौक लग गया. अन्दर कमरे में 2 काले मोटे सांड जैसे देहाती आदमी वो भी पूरे नंगे. और दो औरते जिसमें एक साधारण काली शक्ल की हट्टी कट्टी औरत और दूसरी सुडोल सेक्सी शरीर की गोरी औरत और वो भी दोनों पूरी नंगी.


मैंने आज तक फोरसम सेक्स पोर्न वीडियो में देखा था कभी अपनी आखों के सामने लाइव होते हुए नहीं देखा था. मुझको लग रहा था कि आज वो भी देखने को मिल जायेगी.


फिर मैं शांति से खिड़की के सहारे देखने लगा कमरे के अंदर बिना कोई आवाज करे चुप चाप.


मैंने अन्दर खडे हाथ में लोडे लिये दो में से एक आदमी को तो पहचान लिया वो चौकीदार अब्दुल ही था. और दूसरे वाले को पहचान नहीं पाया. पर दूसरा वाला देखने में कोई ***** ही लग रहा था. दोनों के क्या बड़े बड़े ** हुए लोडे थे. पर मेरा भी लोडा इनसे थोड़ा ही छोटा था. मैं भी किसी से कम नहीं था.


फिर मैं अन्दर ओर ध्यान से देखने लगा तो पाया कि एक काली वाली औरत दोनों आदमियों को गाइड कर रही थी और खुद भी मजे ले रही थी कुछ ऐसे "



वो काली औरत उस गोरी औरत से बोली- तू यूसुफ का लण्ड धीरे धीरे चूस, साथ ही साथ अब्दुल तेरी चूत को चोदेगा। दो-दो लण्डों का मज़ा जब तु लेंगी तो गाण्ड मरवाने में दिक्कत नहीं आएगी। दूसरे वाले आदमी यूसुफ ने अपना लण्ड उस सेक्सी औरत के मुँह में डाल दिया। फिर वो हरामखोर चौकीदार अब्दुल ने उसकी की चूत को अपनी 3-4 उँगलियों से सहलानी शुरू कर दी, उसकी चूत के दाने पर दूसरे वाले आदमी यानी यूसुफ की रगड़ तेज होती जा रही थी। वो तीनों सेक्स का आनन्द ले रहे थे।


फिर जब मैंने ध्यान से उस गोरी सेक्सी औरत को देखने की कोशिश करी. मैंने जो देखा उसको देख कर मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी ! मेरी आंखे ही बाहर आ गयी ! मुझको तो जैसे कोई 440 वाट का झटका लग गया. क्योंकि वो गोरी सेक्सी औरत ओर कोई नहीं मेरी पड़ोसन नेहा गुप्ता थी. मुझको यकीन ही नहीं हुआ मैं फिर से देखने लगा कि क्या यह सही है पर मैंने जो देखा वो बिलकुल सही था. फिर मैं आश्चर्य चकित होकर बाहर खड़ा रहा और अन्दर का नंगा तमाशा देखता रहा.



एक मिनट के बाद मेरी पड़ोसन नेहा लण्ड मुँह से बाहर निकालते हुए बोली - धीरे से सेक्स कीजिये ना ! मैं मना थोड़ी कर रही हूँ । लग रहा था कि सबीना इसी का इंतजार कर रही थी फिर बोली- अब्दुल मिया, अब इसकी चूत फाड़ दीजिए। अब्दुल ने बिना देर किये नेहा की गीली चूत में अपना लण्ड घुसा दिया।


मुझको तो भरोसा नहीं हो रहा था कि नेहा गुप्ता. मेरी पड़ोसन जो बहुत पतिव्रता और संस्कारी बनतीं थी कॉलोनी में वो इन घटिया वाहियात देहाती लोगों के साथ यह सब कर रही थी. वो दूसरे ***** ** के लोगों के साथ. ऐसी तो क्या मजबूरी आ गई होगी नेहा को. मुझको तो अब नेहा को देख कर उसके पति के लिये दुख हो रहा था कहा वो अपनी पत्नी को सुन्दर, सुशील, समझदार और संस्कारी समझता है. और वेसे भी अगर उसका पति उसको संतुष्ट नहीं कर पा रहा था तो मुझको बोल देती. हम किस लिये बैठे है. पर अब मैंने यानी रोहित गर्ग ने यह ठान ली थी कि मोका मिलने पर मैं नेहा के प्रति अपनी सेक्स की सभी इच्छाओं को पूरा करूगा. पर पहले ये दो सांड तो हटे मेरी प्यारी पड़ोसन नेहा के ऊपर से.


मैं अपना सात इंच का लण्ड मसलते हुए यह सोच रहा था कि ये सांड अब्दुल **** साला देखो कैसे नेहा की चूत मे अपना लण्ड डाल रहा हैं. इस चुतिये को तो मिल कि कोई कामवाली भी नहीं पूछती. और यहां क्या तरक्की करी हैं वाह ! साला जिस नेहा को मेरी पड़ोस में होते हुए मैं नहीं फंसा पाया इतने सालों में ! कैसे किया इस चुतिये ने ?


अब अन्दर सबीना के कहे अनुसार चूचियाँ दबाते हुए तेज धक्कों के साथ अब्दुल ने नेहा को चोदना शुरू कर दिया था। यूसुफ ने सबीना के इशारे पर अपना लण्ड निकाल लिया था। मुझको तो नेहा को देख कर ऐसा लग रहा थी की आज पहली बार नेहा की चुत में नौ इंची मोटा लण्ड घुसा था, नेहा दर्द से बोली - ऊई आह ! मर गई ! फट गई ! ओह फक !नहीं ओह फक ! की आवाज़ करती हुई वो कालिये अब्दुल से चुद रही थी।


सबीना यूसुफ से बोली- अब इसकी चुदाई के बाद आप इसकी गाण्ड में अपना लण्ड पेलना। मोटे लण्ड से चुद रही है अब इसे गाण्ड में दर्द भी कम लगेगा। नेहा को कुछ देर चोदने के बाद अब्दुल ने सबीना के इशारे पर लण्ड बाहर निकाल लिया.


सबीना ने अब यूसुफ का लण्ड नेहा की गाण्ड पर छुआ दिया और बोली- यूसुफ जी थोडा सा इसकी गाण्ड में ठोक कर अपने वीर्य से इसकी गाण्ड भर दो ! और आप अपनी इच्छा अनुसार उद्घाटन कर दो. यूसुफ ने नेहा की गाण्ड में लण्ड घुसा दिया। सिर्फ तीन इंच जाते ही नेहा दर्द से कराइ !!!! यूसुफ प्यार से उसकी गाण्ड ठोंक रहा था पर उसका पूरा लण्ड घुसने के बाद नेहा जोर जोर से दर्द से चिल्लाने लगी थी बड़ी मुश्किल से उसका मोटा लण्ड घुसा होगा। उसके बाद यूसुफ के 5-7 छोटे बड़े धक्कों के बाद नेहा की गाण्ड वीर्य से नहा गई।



इसके बाद सबीना ने एक गीले कपड़े से यूसुफ का लण्ड पौंछा और यूसुफ को अपने पास बैठा दिया । सबीना को देख कर लग रहा था कि यह बहुत पहुंची हुई रंडी है. बहुत लोगों का बिस्तर गरम किया है इसने. इसको सेक्स के बारे में बहुत कुछ पता है.




नेहा बिस्तर पर उल्टी लेट गई थी। मुझको नेहा के चेहरे से गाण्ड ठुकाई का दर्द दिख रहा था। उसकी गाण्ड में अंदर तक यूसुफ शैख का वीर्ये घुसा हुआ था। पाँच मिनट के आराम के बाद सबीना ने नेहा के बालों पर हाथ फिराया और बोली- चलो उठो और अब अपनी गाण्ड अपने नये यार अब्दुल से फटवाओ ! आज के रंगीन माहौल के मज़े लो ! नेहा को कोहनी के बल सबीना ने लिटाया और उसके मुँह में पहले यूसुफ का लण्ड डलवा दिया और नेहा को धीरे धीरे लण्ड के आगे के हिस्से को चूसने को कहा। नेहा बेचारी ना ना मैं सर हिलाते हुई बोली यह बहुत बदबूदार है. पर वो इन हवस के हेवानो के सामने लाचार थी उसको मुँह में ना चाहते हुए भी यूसुफ का लण्ड वापस लेना पड़ा.


फिर कुछ देर बाद सबीना के इशारे पर यूसुफ का लण्ड अंदर तक नेह की सुन्दर मुँह में चलने लगा। अब अब्दुल ने रेखा की गाण्ड पर लण्ड छुआ दिया था। 5 इंच के करीब रेखा की गाण्ड पहले ही फट गई थी और यूसुफ के वीर्ये से नेहा की गाण्ड चिकनी भी हो रही थी इसलिए अब्दुल का नौ इंची लण्ड आधे से ज्यादा घुस गया था।अब नेहा के चिल्लाने पर अब्दुल को थोड़ी देर के लिए लण्ड निकाल लिया और नेहा की चूचियाँ दबाते हुए उसे कस कर पकड़ लिया. अब वापस अब्दुल अपने मूसल लण्ड से धीरे धीरे नेहा की गाण्ड ठोक या मार रहा था, नेहा चिल्ला रही थी, उसकी आँखों से पानी गिर रहा था, अब्दुल की पकड़ मजबूत थी इसलिए वो लण्ड निकाल नहीं पा रही थी।


सबीना अब चिल्ला रही थी- साली रंडी ! अंदर लेने की कोशिश कर ! बाहर क्यों निकाल रही है? सबीना ने उसके बाल कस कर खींचना शुरू कर दिए और अब्दुल पर चिल्लाते हुए बोली- थोड़ा सा बच रहा है, जल्दी घुसा दे। अब्दुल पूरी ताकत से लण्ड अंदर पेलने लगा थोड़ी देर में अब्दुल का नौ इंची लण्ड पूरा गाण्ड में घुसा हुआ था।



सबीना ने नेहा के बाल अब सहलाने शुरू कर दिए और बोली- अब तेरी गाण्ड में पूरा घुसा हुआ है, आराम से गाण्ड मरवा और मज़े कर ! शुरू में सबके दर्द होता है। यूसुफ मिया का लण्ड तेरे मुँह के आगे है मन करे तो चूस लेना, दुगना मज़ा आएगा। अब्दुल ने धीरे धीरे उसकी गाण्ड चोदनी शुरू कर दी थी।


नेहा इधर ....हूँम......नही ......अमह ..... ओह फक... ..की सिसकारी भर रही थी। थोड़ी देर में अब्दुल ने गाण्ड बजाना शुरू कर दिया अब नेहा की गाण्ड अच्छी तरह बज रही थी, नेहा की चिल्लाने की आवाजें गूँज रही थी ! ...... सेव मी......ओह फक.......!




यहां नेहा की कामुक आवाजें सुन कर मेरा भी लोड़ा हुंकारे मार रहा था तेजी से और मुझको भी अब अन्दर जाने का मन तेजी से कर रहा था पर मैं अभी सही समय का इन्तेज़ार कर रहा था.



अन्दर नेहा मस्ती से गाण्ड मरवा रही थी और चिल्ला रही थी। अब दूसरी ओर बैठे अब्दुल शैख का मूसल लण्ड नेहा के मुँह के आगे उछालें मार रहा था। सबीना ने यूसुफ को इशारा किया और बोली- अब साली को मसल दो। यूसुफ आगे बढ़कर लण्ड मुँह में डाल दिया और उसकी बड़ी बड़ी गोरी डार्क गुलाबी चूचियों को कस कस कर हाथों से दबाने लगा। अब नेहा की गाण्ड चुद रही थी और मुँह में यूसुफ का लण्ड चल रहा था। चूचियों की मालिश और बूब्स एवं निप्पल नोचते हुए यूसुफ नेहा को अपना लण्ड चुसवा रहा था, देख कर लग रहा था कि यह शादी शुदा पतिव्रता पत्नी नेहा को बहुत मज़ा आ रहा था। और कहा मैं इसको अपनी बीवी काव्या से सो गुना ज्यादा समझदार, संस्कारी और ईमानदार पत्नी समझता था.....?




पर कुछ भी बोलो देखने में भी मुझको बहुत मज़ा आ रहा था. कैसे ये सभी राक्षस मिल कर मेरी मासूम पड़ोसन को मसल रहे थे.......









To Be Continued.............
 
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Update - 10







अब अन्दर कमरे में अब्दुल ने थोड़ी देर के लिए लण्ड बाहर निकाल लिया और उसके मुँह के आगे खड़ा कर दिया तो नेहा बोली- ऊह ऊहं ! बस अब बहुत हो गया इसको निकालो ! मुझको घुटन हो रही है ! पर वो सांड अब्दुल को फिर उस सबीना ने कोई इशारा किया और अब्दुल ने फिर आगे बढ़कर नेहा के मुँह में लण्ड डाल लिया।


मैंने देखा कि सबीना दूर से नेहा की चुदती गाण्ड और लण्ड चुसाई का मज़ा ले रही थी। सबीना बोली- अब्दुल मिया, इसने लण्ड चूस तो बहुत लिया अब इसके मुँह में प्यार से लण्ड ठोक दो, बेचारी चूस चूस कर थक थक गई होगी।




अब्दुल ने नेहा के बाल पकड़े और धीरे धीरे उसके मुँह में लण्ड पेलना शुरू कर दिया। इधर यूसुफ भी प्यार से धीरे धीरे नेहा की गाण्ड ठोके जा रहा था। बीच में यूसुफ बोला- सबीना मज़ा आ गया।


बेचारी नेहा की गाण्ड और मुँह दोनों में चुदाई चल रही थी ! उम.......आह.........उम.........आह..........!



फिर अचानक क्या हुआ कि सबीना ने अब्दुल की काली गाण्ड में ऊँगली की, तुरंत अब्दुल ने लण्ड बाहर निकाल लिया। सबीना पगला रही थी, बोली- और जोर से करो अब्दुल मिया, मत निकालो इसके मुँह से! लो लो मारो ! लगता है अब इसको दो लण्ड से बहुत मज़ा आ रहा है।


वेसे सबीना सही बोल रही थी भले ही नेहा ज्यादा दिखा नहीं रही थी पर नेहा को देख मुझको भी लग रहा था कि उसको इस हवस के खेल में मजा बहुत आ रहा है.


सबीना ने यूसुफ से कहा- अब साली की फाड़ दो ! पूरी गरम है ! सबीना ने अब यूसुफ को ट्रिगर कर दिया था, यूसुफ ने सबीना के इशारे पर लण्ड पूरी ताकत से नेहा की गाण्ड में ठोंक दिया नेहा बुरी तरह दर्द से चिल्ला रही थी- ऊह, आह ! मर गई ! फट गई मेरी ! एस होल फक ! निकालो निकालो प्लीज यूसुफ जी ! लेकिन गाण्ड नेहा की यूसुफ ने चोदनी जारी रखी। नेहा दर्द से झपटते हुए पलंग पर से फिसल गई पर यूसुफ उसकी कमर कस के पकड़ा हुआ था उसने नेहा की गाण्ड मारने की स्पीड तेज कर दी।


नेहा चिल्लाए जा रही थी- छोड़ो मर गई ! अब नहीं ! फट गई ! एस होलो ! निकालो कोई इस हथोड़े जैसे ब्लैक पेनिस को ओह ! मम्मी आह बचाओ ! कोई है मैं मर जाऊँगी।



सबीना खुश होते हुए बोली- अब कुतिया की सही मायने में गाण्ड गुदी और चुदी है ! यूसुफ की नेहा की गाण्ड पर चोट जारी थीं, कुछ देर बाद सबीना ने यूसुफ से कहा- यूसुफ जी। प्यार से ! अब यूसुफ भी धीरे हो गया था, नेहा के बाल सहलाते हुए सबीना ने कहा- नेहा, तुम एक बार फिर हमारे अब्दुल मिया का लण्ड चूसो ! यह सुनते ही उस अब्दुल ने नेहा के मुँह में लण्ड घुसा दिया।



उधर यूसुफ नेहा की गाण्ड चोद रहा था और नेहा अब्दुल का लौड़ा लोलीपोप की तरह चूस रही थी। दो मिनट बाद यूसुफ ने अपने वीर्य की पिचकारी नेहा की गाण्ड में छोड़ दी और अपना लण्ड कुछ ही देर बाद बाहर निकाल लिया। नेहा बेचारी सिर्फ ना ना ही बोलती रह गयी यूसुफ ने पिचकारी मार ही दी. नेहा की गोरी गाण्ड लण्ड से फट चुकी थी।



यह सब देखकर मैं पूरा उत्तेजित हो गया था, अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मुझको कमरे में जाने का बहुत मन हो रहा था. पर अन्दर कैसे जाऊँ.........?जाऊँ या नहीं मैं यही सब सोचते हुए वापस अन्दर कमरे में देखने लगा.








अब अब्दुल ने भी अपनी पिचकारी नेहा के मुँह में छोड़ दी, नेहा का पूरा मुँह सफेद वीर्य से भर गया I नेहा ने सारा वीर्य जमीन पर थूक दिया और सीधी होकर पलंग पर बेसुध होकर लेट गई। यूसुफ भी अब बेसुध हो रहा था, अब्दुल का लण्ड खाली हो गया था लेकिन उसको लग रहा था कि उसे अभी ओर नेहा की चिकनी चुत और गोरी गाँड चोदनी चाहिए. ताकि वो सबीना की आँखों में यूसुफ से उपर आ जाये. और सबीना खुश होकर उसको सीधे रुचि अग्रवाल के पास ले जाये. सबीना के लिये अब्दुल आज के खेल का विजेता बनना चाहता था. वेसे भी अब्दुल अपने हाथ आयी नेहा को आसानी से जाने नहीं देना चाहता था.




अब अब्दुल का मूसल काला नौ इंच का लण्ड बेचारी चुदी हुई नेहा को देखकर दुबारा खड़ा हो रहा था।


सबीना बोली- नेहा और अब्दुल मिया, आप आराम करिए मैं और यूसुफ जी आपके लिए दूध लाते हैं। यूसुफ और सबीना कमरे के कोने में बनी छोटी सी रसोई में दूध लेने चले गए। सबीना और यूसुफ नंगे थे !


सबीना ने रसोई में आते ही मादरजात यूसुफ का मूसल लण्ड मुँह में ले लिया और चूसते हुए बोली- पहले तुम मुझे चोद दो ! तुम्हारी और नेहा की चूत चुदाई देख देख कर बहुत खुजली हो रही है। किचन के टूटे पत्थर पर टाँगे चौड़ी करके सबीना इस तरह झुक गई कि उसकी चूत में आराम से घुसाया जा सकता था।



यूसुफ सबीना की बालों भरी काली चुत को देख कर बोला कि - मुझको चोदने की बहुत जोर से इच्छा तो अभी नेहा की थी पर सबीना तुझको मैं नाराज नहीं कर सकता । यूसुफ ने अपना आठ इंची लण्ड सबीना की चूत में डाल दिया और सबीना को चोदने लगा। चुदते चुदते सबीना दूध में पाउडर डाल का गरम करने लगी। सबीना को पता था कि कैसे चुदा जाता है। किसी भी मर्द को इस तरह चुदाई की उस्ताद औरत को चोदने में मज़ा खुफ देती है।



मुझे भी अब यहां बाहर खडे खडे सबीना की काली बालों भरी चुत को चोदने की इच्छा हो गयी थी.


और वहां अन्दर यूसुफ को मस्त मज़ा आ रहा था. दूध तैयार होने के पाँच मिनट बाद यूसुफ का लण्ड सबीना की चूत में खाली हो गया। फिर सबीना ने बैठ कर यूसुफ का मूसल लण्ड अपने मुँह में लिया और अच्छे से चाट चाट कर साफ किया. सबीना यूसुफ के लण्ड पर लगा सारा वीर्य चाट कर अपने अन्दर निगल गयी. फिर सबीना और यूसुफ चार ग्लास दूध बना कर कमरे में आ गए। अब कमरे में सब नंगे थे, शर्म सबकी छूट गई थी, शायद नेहा में थोड़ी शर्म अभी भी बची थी. फिर नेहा को छोड़ कर सबने साथ साथ दूध पिया। नेहा ने इस बार फिर दूध या ड्रिंक पीने से मना कर दिया.



सबीना ने उठकर नेहा को बाँहों में भरा और बोली- नेहा, सच बता तुझको बहुत मज़ा आया या नहीं.....!


नेहा बोली - मैंने आजतक ऐसा सेक्स नहीं किया था. अगर आज आप नहीं होतीं तो यह ऑर्गेजम से भरा दर्द कभी नहीं मिलता. सच आज सेक्स का अलग अनुभव मिला जब यूसुफ जी ने मेरी ऐस (गाण्ड) में अपना पेनिस दौड़ाया तो मुझे ऐसा लगा कि ऐस (गाण्ड) मरवाते मरवाते मर ही न जाऊँ !


तभी सबीना अपना मुँह बिगाड़ कर बोली - इसका मतलब तुझको मजा नहीं आया. तूने यह सब अपनी मर्जी के बिना करा.


तभी बेचारी नेहा सबीना और यूसुफ के गुस्से भरे काले चेहरे को देख थोड़ा हडबडाते हुए बोली - नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है मैं सच बता नहीं सकती कि कितना मज़ा आया पर दर्द भी बहुत हो रहा है।


सबीना बोली - नेहा तेरे होने से मुझको भी बहुत मजा मिला है ! फिर सबीना ने नेहा के गुलाबी होठों अपने काले होंठ रख कर चुंबन या किस कर दी. किस करने के बाद नेहा के गुलाबी होठों को अपनी जुबान से चाटते हुए और सबीना नेहा की चूचियाँ सहलाती हुई बोली- अरे रानी, सेक्स में बहुत मज़ा है ऐसे डरा मत कर तू, अभी तो तुने दो ***** लण्डों का स्वाद थोड़ा सा ही चखा है। जब साथ साथ चूत और गाण्ड में घुसेंगे, तब देखना कितना मज़ा आएगा। अभी तो और मज़े करवाऊँगी बस तू रण्डी बन कर मज़े ले।


तभी नेहा थोड़ी ऊँची आवाज करके बोली - नहीं सबीना जी नहीं, अब नहीं हो पायेगा मुझसे. अब मैं इससे ज्यादा सहन नहीं कर पाऊँगी. सॉरी पर अब मुझको जाना होगा.


तभी सबीना बोली - अभी कहा मेरी रानी अभी तो बहुत समय बचा हुआ है. और सेक्स का मजा तो दर्द के साथ ही लिया जाता है नेहा ! जितना दर्द उतना ज्यादा मजा !


तभी यूसुफ बोला- सबीना देख मेरा लण्ड तो इसकी गाण्ड में जब घुस घुस कर चोट खा रहा था और दे रहा था, देख अब पूरा लाल और मस्त हो गया है। सबीना ने एक पप्पी यूसुफ के ** लण्ड के सूपडे या सुपारे पर ली और बोली- राजा, मज़े भी तो खूब लिए हैं। थोड़ी चोट लग भी गई है तो क्या हुआ। अभी तो इसके साथ बहुत देर तक बैटिंग करनी है। कुछ दिनों तक नेहा जब भी चलेंगी तो इसकी गाण्ड दुखेगी. हमारी प्यारी नेहा गुप्ता को भी तो याद रहना चाहिये कि उसकी चुदाई दो सच्चे ***** लण्ड से हुई थी.



अब जट से नेहा के गोरे बूब्स के निप्पल को नोचते हुए सबीना बोली- अब्दुल मिया का लण्ड गाण्ड में ओर डलवा लेना फिर कभी गाण्ड फटवाने में दर्द नहीं होगा।


नेहा बोली- नहीं बाबा नहीं ! अब्दुल जी का लण्ड अगर घुस गया तो मैं तो मर जाऊँगी।


सबीना हँसते हुए बोली- लण्ड से औरतें मरने लगतीं तो दुनिया कब की खत्म हो गई होती, मेरी नाजुक रानी ! चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ !


मैं साला बाहर खड़े खड़े यही सोचता रहा कि ये नेहा गुप्ता तो एक नंबर की माल निकली यार. काश मैंने इसको कभी दबोच लिया होता तो ये आज वो चुतिये चौकीदार अब्दुल की बाहों में नहीं मेरी बाहों में होती.....हट बहनचोद.... पर मैं मेरी गलती सुधारुगा..... आज तो नेहा गुप्ता तो मेरी बाहों में होगी ही................चाहे कुछ भी हो जाये..........!







To Be Continued..........
 

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