Incest बहू के साथ शारीरिक सम्बन्ध

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#8
अब तक आपने पढ़ा कि ससुर ने बहू को चोदा. उसके बाद मैं फ्रेश होने गया था और मेरी बहू सायरा मुझसे मजाक कर रही थी.

अब आगे


फ्रेश होकर आने के बाद मैंने उसके हाथ से रूई ली और उसकी चूत पर लगे अनचाहे बालों को साफ करने लगा. जैसे-जैसे चूत पर से बाल हट रहे थे, पाव रोटी की तरह फूली हुयी गुलाबी चूत मेरी नजरों के सामने आती जा रही थी.
जब पानी से चुत को अच्छे से साफ किया … तो बस मेरा मन कर रहा था कि उस पाव रोटी जैसी फूली हुयी गुलाबी चूत को पाव रोटी ही समझ कर खा जाऊं.
मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और वही कर बैठा, जो मैं सोच रहा था.
मैंने उसकी कोमल चूत पर अपने दांत गड़ा दिए.
“आउच … क्या कर रहे हो पापा!”
“कुछ नहीं, तेरी ये चूत मुझे खुद को खा जाने के लिए बुला रही थी, इसलिए मैं इसे खाने की कोशिश करने लगा.
“पापा अगर आप मेरी चूत को खा लेंगे … तो फिर अपने लंड के लिए आपको नयी चूत ढूंढनी पड़ेगी.” ये कहकर सायरा हंसने लगी.
“बात तो तेरी सही है … तो चल तेरी चूत को खाता नहीं हूं, बस थोड़ा प्यार कर लेता हूँ.” कहते हुए मैंने उस नाजुक चूत पर चुम्बन की बौछार कर दी.
“बस पापा … अब आप खड़े हो जाओ, जिससे मैं आपके लंड को भी चिकना कर दूं.”
मैं उसकी बात मानते हुए खड़ा हो गया. मेरा लंड तना हुआ था. जब वो मेरी झांट साफ करने लिए थोड़ा आगे आती, तो मेरा लंड कभी उसके गालों से तो कभी उसके होंठों से टच हो जाता.
जब वो इससे थोड़ा परेशान हो गयी, तो बोली- उफ पापा, आपका दोस्त मान ही नहीं रहा है.
“तो तुम भी इसे अपना दोस्त बना लो न!”
मेरी तरफ देखते हुए बोली- मतलब!
“बस ज्यादा कुछ नहीं … थोड़ी देर मुँह में ले लो, तो फिर ये कोई शरारत नहीं करेगा.”
“आपकी बात सही है.” कहते हुए उसने सुपारे को चूमा और मुँह में लेकर चूस लिया.
फिर वो सुपारे को ही दांतों के बीच फंसा कर मेरी झांट को साफ करने लगी.
जब उसने अच्छे से झांटें साफ कर दीं … तो बोली- लो पापा हो गया. अब आपका लंड भी मुछ-मुंडा हो गया.
मैं हंस दिया.
वो भी हंसते हुए खड़ी हुयी और मुझसे चिपकर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर चलाने लगी.
मैंने उसे गोदी में उठाया और कमरे में आकर बोला- चल लेट जा, तेरी मालिश कर दूं. इधर घर का काम-काज कुछ ज्यादा हो गया है. चल मैं तेरी मालिश कर देता हूं. आजकल मैं देख रहा हूं कि तुम अपना ध्यान नहीं रख रही हो. चलो पेट के बल लेट जाओ.
मेरी बात मानते हुए सायरा पेट के बल लेट गयी.
मैंने तेल हाथ में लिया और उसकी पीठ से लेकर उसकी कमर तक मालिश की शुरूआत कर दी. अगल-बगल, पीठ में मालिश करने के बाद मैं सायरा का गांड की तरफ आया.
उसके गोल-गोल और उठे हुए कूल्हे को छूते हुए और थोड़ा चिढ़ाने के अंदाज में बोला- क्या बात है सायरा, तुम्हारी गांड तो काफी उठ गयी है.
थोड़ा नखरे करने के अंदाज में सायरा बोली- क्या पापाजी आप भी!
“नहीं नहीं … मैं सही कह रहा हूं, कही … सोनू तो तुम्हारी गांड नहीं मारता है!”
“सही कहा पापा आपने, सोनू ही तो अब मेरे लिए बचा है … जो मेरी गांड मारेगा. पहले सही तरीके से अपना लंड मेरी चूत के अन्दर डाल ले. साला उसका लंड अन्दर जाने से पहले पिघल जाता है … भोसड़ी का नामर्द.”
इसी तरह बातों ही बातों में मैं सायरा की टांगों के बीच में आ गया और सायरा से बोला- बहू!
इस समय मैंने जानबूझकर बहू शब्द बोला.
“हां ससुर जी.”
कम्बखत, मेरी बहू भी बहुत हाजिर जवाब थी.
“जरा अपनी गांड को खोलो, देखूं तो सही.”
सायरा ने अपने कूल्हों को पकड़ा और अपनी गांड खोल कर बोली- लीजिए देख लीजिए.
मैं लंड को पकड़ते हुए उसकी गांड में चलाने लगा.
“ये क्या कर रहे हो पापा जी!”
“कुछ नहीं, मेरा लंड तुम्हारी गांड की महक सूंघना चाहता था, सो वही कर रहा हूं.”
ये कहते हुए सुपारे को सायरा की गांड के छेद से रगड़ने लगा.
सुपारे को इस तरह रगड़ते रहने पर सायरा बोली- लगता है आपके लंड को मेरी गांड की महक अच्छी लगी.
मैंने तुरन्त ही जवाब दिया- पता नहीं, उसने मुझे बताया नहीं … लाओ मैं ही सूंघ लेता हूं कि कैसी महक है तेरी गांड में.
तो मैंने सायरा के कूल्हों को कसकर पकड़ा और उसकी गांड के बीच अपनी नाक लगाकर सूंघने लगा.
सूंघने के बाद मैंने सायरा से कहा- महक तो अच्छी है … थूक लगा-लगा कर चाटने में बड़ा मजा आएगा और मुझे लगता है लंड को भी महक अच्छी लगी और वो अन्दर घुस कर आनन्द लेना चाहता है.
“पापा जी, आग मेरी चूत में लगी है और आप मेरी गांड की प्यास बुझाने में लगे हो.”
“इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि लंड इस समय तुम्हारी गांड की डिमांड कर रहा है.”
मैंने उसके चूतड़ों पर हल्की सी चपत लगायी और एक कूल्हे को भींचने लगा और फिर दोनों कूल्हों को फैलाया, इससे उसकी गांड भी अच्छी खासी खुल गयी थी.
उसके अन्दर मैंने थूक उड़ेल दिया और कुछ थूक अपने लंड के ऊपर उड़ेल कर लंड से गांड की छेद को सहलाने लगा.
मौका देखकर मैंने सुपारे को अन्दर घुसेड़ दिया.
“आह पापाजी दर्द हो रहा है.”
“तो क्या हुआ … होने दे.”
“पापा, ये गलत बात है. आपने मालिश करने की बात कही थी, गांड मारने की नहीं.” दर्द से कहराती हुयी सायरा बोली.
“हां बेटा तू ठीक कह रही है. लेकिन जब से लंड ने तेरी गांड की खुशबू सूंघी है, उसका मन अन्दर जाने को कर रहा था.”
यही सब बात करते-करते मैंने सायरा की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, इससे वो घुटने के बल आ गयी और मैं थोड़ा खड़े होकर उसकी गांड को चोदने लगा.
जिस तरह से मेरे धक्के की ताकत होती, उसी तरह से सायरा के मुँह से आवाज आती.
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. फच-फच की आवाज से कमरा गूंज रहा था और मैं मस्त होकर सायरा की गांड चोद रहा था.
कुछ देर बाद लंड ने हार मान ली और गांड के अन्दर ही मैंने अपना सारा माल छोड़ दिया.
सायरा एक बार फिर पूरी तरह पेट के बल लेट गयी और मैंने उसके ऊपर हल्के से अपना वजन रख दिया.
कुछ देर बाद लंड महराज सिकुड़कर गांड से बाहर आ गए.
लंड बाहर आते ही मैंने सायरा से कहा- तो तुम्हारे पीछे की मालिश हो गयी. अब पलट जाओ तुम्हारे आगे की मालिश कर दूं.
“मान गयी पापा जी, आप में स्टेमिना बहुत है.”
“अरे बेटा. इतने दिन बाद तो तू मिली है. तो सारी बची हुयी एनर्जी अब यूज होगी. अभी 10 मिनट और रूक जा. देखना तेरी मालिश करते-करते यह फिर एक बार तेरी चूत की मालिश करने के लिए हुंकार भरेगा.”
“पापाजी, मैं तो कब से बाट जोह रही थी मेरी चूत की मालिश हो.”
“तो तुम क्यों इतने दिन तक दबायी रही, बोल देती … तो इस तरह तुम्हें उंगली से अपनी चूत की क्षुधा शांत नहीं करनी पड़ती … और तुम्हारी चूत में झांटों का जंगल न हो जाता.”
ये कहते हुए मैंने तेल उसके जिस्म पर डाला और मालिश करने लगा.
कुछ देर चुप रहने के बाद सायरा बोली- पापा कुछ ऐसा करो कि मैं आपके लंड को प्यार कर सकूं.
“ठीक है.” कहते हुए मैंने सायरा को क्रॉस किया और उसके सीने पर उकड़ूँ होकर बैठ गया. इससे मेरा लंड और मेरी गांड सायरा के मुँह के करीब हो गया था. अब जब तक मैं सीधा होकर मालिश करता, तो सायरा मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसती … और जब हल्का से आगे की तरफ झुकता, तो वो अपनी जीभ की टो मेरी गांड में चलाने लगती.
फिर मैं सीधा होकर उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसके पैरों को अपनी जांघ पर रखकर मालिश करने लगा.
इधर मैं उसके पैर की मालिश करता, तो कभी वो उंगली चूत के अन्दर करती … तो कभी अपनी पुत्तियों को मसलती.
फिर जब मेरे हाथ उसकी चूत के ऊपर होते, तो वो अपनी चूची से खेलती और अपने निप्पलों पर अपनी जीभ चलाती.
मैं भी बीच-बीच में उसके निप्पल को अपने मुँह में भरकर चूस लेता था.
खैर … मैं मालिश करते हुए उसकी हर हरकत को बड़े ध्यान से देख रहा था.
सायरा की सिसकारियां निकलने लगी थीं, उसकी आंखें बन्द होने लगी थीं. वो कामुकता से अपने होंठों को काट रही थी. मेरे हाथ रूक गए और रात वाला दृश्य इस समय मेरे सामने था.
उसने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया और भगांकुर को तेज-तेज मसलने लगी. उसकी उंगली चूत के अन्दर बाहर तेज-तेज होने लगी … और सिसकारी बढ़ती जा रही थी.
वो अपनी जवान चूचियों को भी बेहरमी से मसल रही थी. इस समय वो आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी. बीच-बीच में अपनी कमर उठाकर अपनी गांड को भी कुरेद लेती.
कुछ देर बाद सायरा ने पैरों की उंगलियों पर अपने पैर का वजन देकर कमर को उठा लिया और “हम्म-हम्म … आह-आह ..” की आवाज के साथ बहुत तेज-तेज चूत को अपनी उंगली से चोदने लगी थी.
वो शायद चर्मोत्कर्ष पर पहुंच रही थी.
मेरा लंड भी उसकी हरकतों को देखकर टनटना चुका था. मैंने उसके हाथों को पकड़ा और उसकी उंगलियों को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूसने लगा.
उसके पूरे जिस्म का स्वाद उसकी उंगलियों में इस समय था.
मैं उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसाकर उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसने लगा.
इधर लंड भी सायरा की चूत को पुच्ची कर रहा था, पर अन्दर नहीं जा पा रहा था.
इसका हल सायरा ने निकाला, उसने मुझसे अपना हाथ छुड़ाया और वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी कमर को उचकाते हुए लंड को चूत में लेने लगी.
थोड़े ही प्रयासों में मेरा लंड चूत के अन्दर जा चुका था.
एक अजीब सा सुकून मेरे लंड को भी मिला. जिस छेद के अन्दर लंड जाने को मचल रहा था, इस समय वो उसी की गहराई में समाया हुआ था और हिलोरे मार रहा था.
लंड ही नहीं, सायरा की चूत भी इस अहसास से खुश हो रही थी कि उसका साथी उसके पास आ गया है.
इसलिए वो कमर को उचकाकर मेरे लंड को अन्दर की तरफ और भी ज्यादा खींचना चाह रही थी.
शायद आग लगना इसी को कहते हैं. एक तरफ लंड अन्दर जाकर फड़फड़ा रहा था, तो चूत भी उछाल मार-मार कर लंड को अपने में समा लेने की भरपूर कोशिश कर रही थी.
मैंने दोनों को थोड़ा और खुशी देने के लिए अपने ऊपर कंट्रोल किया और सायरा की चूचियों को दबा-दबाकर और निप्पल को मुँह में भरकर उसके अन्दर से दूध निकालने की पूरी कोशिश कर रहा था. पर मेरे लंड की फड़कन और उसकी चूत की कुलाचें मुझे मतवाला बनने पर विवश कर रही थीं.
सायरा तो अपनी कमर को चला रही थी, मैंने भी अपने कमर को चलाना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे चुदाई की हवस हम दोनों पर हावी होती जा रही थी और धक्के लगाने की गति में भी बढ़ोत्तरी होने लगी थी.
चुदाई की गति बढ़ती जा रही थी और फच-फच की आवाज भी तेज हो रही थी.
सायरा ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ रखा था और आंखें बन्द किए हुए अपने होंठों को चबा रही थी.
चुदाई को काफी देर हो चुकी थी. लग रहा था कि कभी भी मैं झड़ सकता हूं, लेकिन मेरा लंड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.
सायरा ने यह महसूस कर लिया था, तभी तो उसने मुझे इशारे से रूकने का इशारा करके खुद मेरे ऊपर आने के लिए कह रही थी.
मैं थक भी रहा था तो मैं लेट गया और सायरा मेरे ऊपर आ गयी.
पहले तो वो मेरे सीने से चिपकी और मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को मुँह में भर लिया और उसके थूक को निगलने लगा. फिर मेरे निप्पल पर जीभ चलाने के साथ-साथ अपनी कमर चलाती जा रही थी.
फाइनली मेरा निकलने वाला था, मैंने सायरा से कहा- बेटा, अब लंड साथ नहीं दे रहा है … कभी भी पिचकारी छूट सकती है.
आह-ओह की आवाज भी मेरे मुँह से आ ही रही थी.
मेर मुँह से इतना सुनते ही वो कुछ देर रूकी, मेरी तरफ देखा … और लंड को अपनी चूत से बाहर करके 69 की अवस्था में आ गयी.
उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी, सफेद तरल पदार्थ बाहर आ रहा था. मैंने जीभ को उसकी फांकों के आस-पास चलाना शुरू कर दिया. इधर मेरा लंड भी पिचकारी छोड़ने लगा था.
मुझे तो सायरा का चुतरस चाटने में मजा आ रहा था, लेकिन जब मैंने बोला- बहू लंड चूसना बन्द कर दे … नहीं तो तेरे मुँह के अन्दर आ जाएगा.
मगर सायरा ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और लंड को चूसती रही. मैं भी उसकी चूत को चाट-चाट कर साफ कर रहा था.
मैंने फिर भी सायरा को मुँह हटाने के लिए कई बार बोला, लेकिन सायरा ने मेरी बात नहीं मानी. नतीजन मेरा वीर्य उसके मुँह के अन्दर जाने लगा.
उसने भी मेरे लंड से निकले वीर्य के बूंद के एक-एक रस को अच्छे से चाट लिया.
फिर वो पलट गई और अपनी जीभ को बाहर कर लिया.
एक बार फिर हम लोग जीभ लड़ाने लगे.
उसके बाद सायरा बोली- जब मेरा पति मेरी चूत का रस पी सकता है … तो मैं पत्नी हूं. मेरा भी अपने पति के वीर्य रस को पीने का अधिकार है. चुदाई के समय हम दोनों पति-पत्नी हैं … तो शर्म कैसी.
ये बात तो उसकी सही थी. फिर हम दोनों उठे और नहाने चल दिए.
नहाने के बाद सायरा ने डोरी नुमा ब्रा और पैंटी को पहन लिया. जबकि मैं अभी भी पूर्ण रूप से नंगा था.
मैंने सायरा को वो कपड़े पहनने को मना किया.
लेकिन सायरा बोली- पापाजी, नंगी से ज्यादा मैं आपको इसमें ज्यादा उत्तेजित करूंगी, ताकि आपका लंड एक बार फिर खड़ा हो जाए और मेरी चूत और गांड का बाजा बजाए.
मैंने कहा- तुम अभी ही कहो तो अभी ही एक राउंड और हो जाए!
“अरे नहीं पापा, घड़ी देखिए, राहुल कभी भी आ सकता है. मैंने अपना गाउन निकाल लिया है और आप भी कपड़े पहन लो. राहुल के आने से पहले तक मैं ऐसी रहकर आपको रिझाऊंगी. अब मैं किचन में चलती हूं. मुझे सबके लिए खाना बनाना है.”
सायरा रसोई की तरफ जाने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ा और बोला- रोज रात को दूध पिला दिया करो.
“ठीक है मेरे पति देव. आज रात से यह सेवा शुरू कर दी जाएगी.”
रात को बहू ने अपना वादा निभाते हुए सोने से पहले दोनों निप्पलों को बारी बारी से मेरे मुँह से लगाती और मैं चूसता.
इस तरह से अब हम दोनों के चुदाई की गाड़ी एक बार फिर चल निकली. जब भी मौका मिलता तो मेरी प्यारी बहू मुझे अपनी चूत देकर मेरी प्यास बुझा देती. मैं अपने खड़े लंड से उसकी चूत की सेवा कर देता.

the end
 
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#7

अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी बहू सायरा ने मेरे बीज से एक बच्चे को जन्म दे दिया था. उसके गर्भ से मेरे पोते के जन्म से लेकर उसके स्कूल जाने तक मैं सायरा से अलग ही रहा था.
अब आगे:
जब से मैंने सायरा से दूरी बना ली थी, तब से उसने सजना संवरना लगभग छोड़ दिया था.
वो मेरे पोते राहुल के साथ अपना समय बिताती थी या फिर उसके स्कूल जाने के बाद घर के काम काज को निपटाती रहती.
उसके बाद अपने कमरे में चली जाती थी.
हां एक बात थी, मेरी सेवा और सम्मान में उसने कोई कमी नहीं छोड़ी थी, लेकिन अब उसमें वो उत्साह नहीं था, जो कुछ समय पहले तक था.
इधर मैंने भी एक तरीके से अपने आपको अपने कमरे में बन्द कर रखा था.
कभी-कभी जब मुझे ज्यादा बैचेनी होती थी, तो मुठ मारकर अपना काम चला लिया करता था.
क्योंकि हम दोनों के बीच एक समझौता था कि जब तक सायरा को अपनी जवानी का मजा चाहिये होगा … तब तक मैं उसे मजा दूंगा, लेकिन बच्चे के बाद मैं उसे नहीं छुऊंगा.
बस इसी वजह से मैं सायरा से दूर रहने की कोशिश करता था … और शायद सायरा भी इसीलिए संयम बरत रही थी.
पर उसके होंठों की मुस्कुराहट के गायब होने के कारण और चेहरे की उदासी के कारण मैं अब बेचैन रहने लगा था.
इन्हीं सब वजह से इधर मैं तीन-चार रात से सो भी नहीं पा रहा था.
इसी क्रम में एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैं यूं ही टहलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया.
मेरी नजर सीधा सोनू के कमरे की अर्ध खुली खिड़की से आती हुयी रोशनी पर गयी. मैं दबे पांव उस तरफ चला गया और खिड़की से झांक कर अन्दर देखने लगा.
मेरी नजर सीधा सोनू के बेड पर थी, जिस पर सोनू सायरा की तरफ पीठ किये हुए सो रहा था और राहुल (मेरा पोता) सोनू के सीने से चिपका हुआ सो रहा था.
पर सायरा … वो पूर्ण रूप से नग्न थी और अपनी चूची को दबाते हुए अपनी चूत में उंगली डालकर अन्दर बाहर कर रही थी.
इस समय उसके दोनों पैर सिकुड़े हुए थे. बीच-बीच में सायरा अपनी जीभ को निप्पल पर चलाने की कोशिश कर रही थी.
उसके मुँह से मादक सिसकारी की आवाज भी निकल रही थी.
उसकी यह कामुक सिसकारी मुझे उन सिसकारियों जैसी नहीं लग रही थी, जब वो मेरे लंड से चुदते हुए निकालती थी.
सायरा अपनी चूत से उंगली निकालती उसको चाटती, फिर जीभ को अपने निप्पल पर चलाती और उंगली को एक बार फिर अपनी चूत के अन्दर डाल देती.
सायरा को इस तरह अपनी चूत की आग को शांत करते देखने से मुझे खुद पर ही बहुत गुस्सा आ रहा था कि मेरी वजह से उसी सायरा को आज अपनी चूत की आग बुझाने के लिए उंगली का सहारा लेना पड़ा रहा है, जिसने मेरी इज्जत बचाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी बिना सोचे समझे दांव पर लगा दी थी.
मैं उसकी इस दबी हुई ख्वाहिश को नहीं जान पाया था. मैं नहीं जान पाया था कि आखिर में वो एक औरत ही है … और उसको भी अपनी आग बुझाने के लिए कुछ न कुछ चाहिए.
इधर मेरा लौड़ा उसकी चूत की गर्मी को शांत कर सकता था … मगर इस समय मैं खुद को कैसे कन्ट्रोल कर रहा था, मैं बता नहीं सकता.
मेरा मन तो कर रहा था कि अभी उसके कमरे को खुलवाकर उसकी कामवासना को शांत कर दूं.
पर अपने बेटे के कमरे में इस तरह जाना भी गैर मुनासिब था, इसलिए मैं खिड़की के बाहर खड़ा होकर अन्दर का नजारा देख रहा था.
उसको इस पोजीशन में देख कर मैं बड़ा विचलित हुआ जा रहा था.
अब सायरा की उंगली और तेज-तेज चलने लगी, फिर वो शांत पड़ गयी. फिर उसने अपनी उंगली चाटी और अपनी उखड़ी हुई सांसों को काबू में करने लगी.
उसके बाद वो उठी और चादर को उसने एक बार फिर से करीने से बिछाया.
जिस समय वो अपने बिस्तर को सही कर रही थी, उस समय उसकी गांड मेरी तरफ थी और जांघों के बीच से झांकती हुयी उसकी चूत जैसे मुझे बुला रही थी कि पापाजी आओ … मेरी प्यास बुझा जाओ.
चादर सही करने के बाद वो अपने कमरे से बाहर की तरफ आने लगी.
मैं जल्दी से एक किनारे हो गया.
वो नंगी ही तेजी से बाथरूम में घुसी और शॉवर ऑन करके नहाने लगी.
उसने दरवाजे को बन्द नहीं किया था, इस वजह से उसका पूरा जिस्म दमकता हुआ दिखायी दे रहा था.
मैं तेज कदमों से बाथरूम में घुस गया और सायरा को पीछे से कस कर पकड़ कर उसकी गर्दन पर चुम्बनों की बौछार कर दी.
इससे पहले सायरा कुछ बोलती, मैंने उसको चुप कराते हुए कहा- कुछ मत बोलो सायरा … ये मेरे लिए शर्म की बात है कि तुम्हें मेरे होते हुए अपनी चूत की गर्मी निकालने के लिए उंगली और ठंडे पानी की जरूरत पड़ रही है.
मैं उसकी पीठ और गर्दन पर चुम्बन की बौछार कर रहा था, लेकिन सायरा मुझे रोकते हुए बोली- अभी नहीं पापा, सोनू जाग रहा है.
इतना कहने के बाद वो तेजी से बाथरूम से बाहर निकली और कमरे में घुस गयी.
अपनी सायरा को थोड़ी देर और नंगी देखते रहने की चाहत से एक बार फिर मैं कमरे में झांकने लगा.
इस बार सोनू ने करवट बदली और सायरा से सॉरी बोलने लगा.
सायरा थोड़ा सा खीझते हुए बोली- तुम्हारा तो अब हर रात को सॉरी बोलकर काम चल जाता है. क्योंकि तुम मेरे अन्दर की सैर करो … उससे पहले ही तुम्हारी सब एनर्जी खत्म हो जाती है.
सोनू ने एक बार फिर सॉरी बोला और इधर सायरा ने कमरे की लाइट ऑफ कर दी.
मैं भी अपने कमरे में आ गया. मैं पूरी रात सायरा के विषय में ही सोचता रहा.
सुबह होते-होते मैंने इतना तय कर लिया कि जब तक मैं जिन्दा हूं, सायरा के जिस्म को इस तरह से परेशान नहीं होने दूंगा.
ठंड के जाते हुए मौसम का महीना था. सायरा अपने प्रतिदिन के काम को करने में लगी हुयी थी.
मैंने वापिस अपने बिस्तर पर लेटकर अपनी आंखें बन्द कर लीं.
मेरी हल्की सी नींद लग गयी थी, इसलिए जब मेरी नींद खुली … तो 10 बज रहे थे.
बाहर गुनगुनी धूप खिली थी. मैं रसोई में गया और सायरा को पीछे से कसकर पकड़ लिया और उसके गालों पर, गर्दन पर चुम्बन की बौछार करने लगा.
थोड़ा सा कुम्लाहते हुए सायरा बोली- पापा, छोड़िये ना प्लीज … थोड़ी देर रूक जाओ.
“मुझे तुम्हारे इस मखमली जिस्म से निकलती हुयी पसीने की गंध को मेरी सांसों में बसा लेने दो.” ये कहते हुए मैंने सायरा के साड़ी का पल्लू एक गिराते हुए साड़ी को उसके जिस्म से अलग कर दिया.
फिर पेटीकोट के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को दबाने लगा.
दो चार चुम्बन उसके चूतड़ों पर देने के बाद मैं खड़ा हो गया. मैं उसके ब्लाउज को और ब्रा को उसके जिस्म से अलग करते हुए उसके उरोजों को कस कस कर भींचने लगा.
सायरा ने भी अपने हाथों को ऊपर उठाकर अपने सिर को मेरे सीने से सटा दिया और मादक सीत्कार के साथ अपने उरोजों और निप्पलों को दबवाने का मजा लेने लगी.
मैं उसके उरोजों और निप्पलों को मींजते हुए उसकी पीठ पर अपनी जीभ फिरा रहा था.
फिर मैंने सायरा को अपनी तरफ किया और उसके दोनों उरोजों को बारी-बारी से मुँह में भरते हुए नीचे की तरफ आने लगा.
मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसकी नाभि पर जीभ फिराने लगा.
कुछ देर बाद एक बार फिर से मैं ऊपर हुआ और उसके उरोजों को, जो अब काफी तन चुके थे, बारी-बारी से मुँह में भरकर चूसने लगा.
फिर सायरा के उरोजों के बीच जीभ चलाते हुए वापस नीचे की ओर बढ़ने लगा. सायरा की चूत देखने के लिए मैंने उसकी पैन्टी उतार दी.
पर यह क्या … उसकी चूत को तो जंगल जैसी झांटों से छुपा रखा था. मैं झांटों पर उंगली फिराते हुए बोला- सायरा, ये तुमने इतनी बड़ी-बड़ी झांटें क्यों उगा रखी हैं?
मुझे लग रहा था कि मैंने जिस दिन सायरा को अन्तिम बार चोदा था, उसके बाद से अपनी झांटें नहीं बनाई थीं.
सायरा बोली- पापा, मैं झांटें किसके लिए बनाती. आप तो मुझसे दूर हो गए और …
इतना कहने के बाद सायरा चुप हो गयी. मैं समझ गया था कि आगे जो वो बोलने वाली थी, वो सोनू की नामर्दी के बारे में था.
औरत को अपनी चूत चिकनी तब अच्छी लगती है, जब उसको चूमने वाला कोई हो.
मैंने सायरा को गोदी में उठाते हुए कहा- चल आज तुझे तेरी झांटों के साथ चोदता हूं. फिर तेरी इस चूत का मुंडन करूंगा.
गोदी में आते ही सायरा मेरे होंठ को चूमते हुए बोली- पापा याद है ना आपको, एक बार आप बोले थे कि आप नंगे हो और मैं तौलिया लपेटे हुए हूं और आज मैं नंगी हूं … और आप लुंगी पहने हो.
“मैं मना कहां कर रहा हूँ. मेरी गांठ खोल दे न … मैंने नीचे कुछ नहीं पहना है. मैं भी नंगा हो जाऊंगा.”
सायरा ने लुंगी की गांठ खोल दी और लुंगी मुझसे अलग हो गयी.
मैं सायरा को लेकर अपने कमरे में आ गया और पलंग पर लेटाकर उसकी टांगों के बीच में आ गया.
मैंने अपनी हथेली में थूक लेकर अपने लंड पर लगाया और सायरा की चूत पर भी चिकने के लिए थूक लगा दिया.
अब मैंने लंड को सायरा की चूत पर सैट किया और हल्का सा धक्का से दिया.
काफी समय से सायरा की चूत प्यासी थी, हालांकि उंगली से चुद तो रही थी, लेकिन लंड और उंगली में फर्क तो होता ही है. इसलिए जैसे ही मेरे लंड का टोपा उसकी धधकती हुयी चूत के अन्दर गया, तो सायरा ‘आह … मर गई ..’ करके कराह उठी.
मैं थोड़ा रूक कर उसके मम्मों को पीने लगा. पहले दिन की तरह उसकी चूत टाईट थी.
मैंने फिर हल्का सा धक्का मारा, एक बार फिर आह की आवाज आयी. सायरा ने अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दिया और अपनी आंखें बन्द कर लीं.
मैं रूक रूक कर स्ट्रोक लगाता और उसके मुँह से आह की आवाज आती. अब चूत में ढीलापन आ चुका था और आह की जगह हम्म की आवाज आ रही थी.
फिर मैंने सायरा को जकड़ लिया और पलटते हुए उसको अपने ऊपर कर लिया.
इस समय सायरा मेरे ऊपर थी और मुझसे चिपके हुए ही अपनी कमर को उचका-उचका कर मुझे चोद रही थी.
रसखलन होने से पहले तक हम दोनों ही इसी अवस्था में एक-दूसरे को चोद रहे थे.
मैंने अपना सायरा रस सायरा के अन्दर ही डाल दिया था और मेरा लंड उसके रस से सराबोर हो चुका था.
जब लंड ढीला होकर चुत से बाहर निकला, तो सायरा अपनी उंगली चूत पर ले जाने लगी.
मैंने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा- नहीं, ऐसे ही रहने दो और अपने और मेरे लिए चाय बना लाओ. तब तक मेरे लंड तुम्हारे रस को अपने से चिपकाए रहेगा और मेरा रस तुम्हारी चूत को अच्छा लगेगा.
“जी पापा जी!” कहते हुए सायरा उठी और बोली- पापाजी, आपने भी अपनी झांटें बनाना छोड़ दी हैं क्या!
मैंने उसके गालों को चिकोटी काटते हुए कहा- हां मेरी प्यारी बहू. जब इसको प्यार करने वाला कोई नहीं रहा, तो झांटें तो उग ही आएंगी ना … अब जाओ जल्दी से चाय बना लाओ.
सायरा हंसते हुए उठी और अपने चूतड़ों को मटकाते हुए चाय बनाने के लिए रसोई में चली गयी.
मैं भी रसोई के सामने डायनिंग हाल में बैठ गया और सायरा को चाय बनाते हुए देखने लगा. मेरी नजरों का निशाना सायरा के चूतड़ों पर ही था. इस समय उसके चूतड़ बहुत टाईट और उभरे हुए थे.
सायरा चाय बनाकर ले आयी.
हम दोनों ने चाय पी और मैं खड़ा हो गया.
मैंने सायरा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- सायरा, मैं हगने जा रहा हूं … अगर तू चाहे तो मुझे शौच करा सकती है. अगर कल को मैं बीमार हो गया और बिस्तर से न उठ पाया, तो तुझे दिक्कत नहीं होगी.
“बीमार पड़ें आपके दुश्मन!” कहते हुए सायरा ने मेरे होंठों पर उंगली रख दी- आपसे पहले अगर मैं बीमार पड़ गयी और बिस्तर पकड़ लिया तो!
“तो जा … तू पहले हग ले, मैं तुझे शौच करा देता हूं.” कहते हुए मैं हंसने लगा.
सायरा मेरे सीने में मुक्के बरसाते हुए बोली- आप बड़े गन्दे हो.
मैंने सायरा की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और सीने से चिपकाते हुए कह- हम दोनों तो पति-पत्नी है न. इतना तो हक है ही मेरा कि मेरे दिल में जो बात है, वो बोल ही दूं.
वो मेरे चूतड़ों में हाथ फेरने लगी और साथ ही उंगली को मेरी गांड के अन्दर डालते हुए और मेरी तरफ देखते हुए बोली- वैसे बात आपकी भी सही है कि जब हम लोगों ने हर जगह का मजा लिया है … तो फिर इससे क्या फर्क पड़ता है. आप जाओ फ्रेश होने, जब फ्री हो जाना, तो मुझे बुला लेना, मैं आपको शौच करा दूंगी.
मैंने उसके गाल थपथपाते हुए कहा- हां अब तुमने बिल्कुल सही बात कही.
मैं सायरा को अपने से अलग करके वाशरूम की तरफ जाने लगा, पर मुझे कुछ याद आया, तो मैं रूक गया और पलट कर सायरा को देखने लगा.
मुझे इस तरह देखने से वो मुझसे इशारे से पूछने लगी- अब क्या हुआ?
मैं सायरा के समीप गया और बोला- रूई, कैंची और हेयर रिमूवर लेकर आ जा. पहले मैं तेरी बुर को चिकना करने का इंतजाम कर दूं, फिर हगने जाऊंगा.
सायरा सब सामान ले आयी. मैं पटली ले कर बैठ गया, जबकि सायरा मेरे सामने खड़ी थी. मैंने पहले उसकी झांटों पर काट-काट कर छोटा किया और फिर बाकी बची हुयी झांटों को रिमूवर से अच्छे से कवर कर दिया.
उसके बाद सायरा ने मेरी झांटों को कुतरना शुरू किया और फिर रिमूवर से मेरे भी बची खुची झांटों पर क्रीम मल दी.
उसके बाद मैं फ्रेश होने चला गया. मैंने वाशरूम का दरवाजा बन्द नहीं किया.
करीब 7-8 मिनट बाद सायरा दरवाजे की टेक लेकर खड़ी हो गयी और होंठों को गोल घुमाते हुए बोली- मियां जी, अगर कर लिया हो तो मैं सुच्ची करा दूं.
मैंने गांड धोते हुए कहा- नहीं ठीक है. मैंने धो लिया है.
“ठीक है … आपने अपने आप अपनी गांड को धो लिया, लेकिन मैं तो अब आपसे ही अपनी गांड धुलवाऊंगी!”
मैंने हाथ धोते हुए कहा- मैंने कब मना किया बेगम, जब तू कहेगी, मैं तुरन्त आ जाऊंगा. अच्छा अब चुपचाप इधर आ कर खड़ी हो जा.
हम दोनों अपनी ही रसभरी इन बातों से हंस पड़े.
फिर मैंने उसे अन्दर आने का इशारा करते हुए कहा, तो वो मेरे सामने आ गई.
Especially story ko sage badham bhai balut badhiya story hai
 

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