Incest बहन की चूत चोद कर बना बहनचोद

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कुछ ही देर में सूर्या मेरे घर आ गया उसको देखते ही सोनाली बहुत खुश हुई और जा कर उससे गले लग गई।

तो मैं भी सोनाली के पीछे उसके गले लग गया.. मतलब सोनाली मेरे और सूर्या के बीच में थी.. तो मैंने उसके बालों को हटा कर उसकी पीठ पर किस किया।
उसकी गाण्ड दबाते हुए बोला- चलो रानी.. शुरू करते हैं तेरी चुदाई..

हम तीनों कमरे में आ गए.. और हम दोनों मर्दों ने मिल कर सोनाली को जहाँ-तहाँ किस करना शुरू कर दिया।
मैं बोला- यार कपड़ों में मजा नहीं आ रहा है..
इतना सुनते ही हम तीनों अपने-अपने कपड़े उतारने लगे और कुछ देर में तीनों पूरे नंगे हो चुके थे।

सोनाली अपने एक-एक हाथ से हम दोनों के लंड को पकड़ कर मसलने लगी.. तो हम दोनों भी उसकी एक-एक चूची को पकड़ कर शुरू हो गए..
दबाना.. पीना.. मसलना.. कुछ देर ये सब चला.. तो मैं अपना लंड लेकर सोनाली के मुँह के पास चला गया।
सोनाली झट से मुँह में मेरा हथियार ले कर चूसने लगी और सूर्या सोनाली की चूत को चाटने लगा।
कुछ देर ये सब चला.. फिर मैं चूत चाटने लगा और सोनाली सूर्या का लंड पीने लगी।

एक-एक बार हम लोग झड़े.. तो सोनाली ने हम दोनों को कन्डोम पहनाया.. मैं तेल की शीशी लाया.. और सोनाली की गाण्ड के छेद पर तेल लगाने लगा।
थोड़ी देर तेल लगा कर उंगली ऊपर से घुमाता रहा.. फिर जब गाण्ड का छेद मुलायम हो गया तो मैंने अपना लंड घुसा दिया।


कुछ देर लौड़े को अन्दर-बाहर करने के बाद जब लगा कि अब गाण्ड में ज्यादा दर्द नहीं होगा.. तो सूर्या बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया।
मैंने सोनाली को बोला- जा कर उसके लंड पर बैठ..

तो वो जैसे ही बैठी.. सूर्या नीचे से झटका मारने लगा.. तो सोनाली के चूतड़ों कि टकराने के बाद जो हिल रहा था सो देख कर मजा आ रहा था।
अब मैं भी पास गया और सोनाली को थोड़ा झुका दिया.. तो उसकी गाण्ड का छेद ऊपर को आ गया।
मैंने भी अपना लंड उसकी गाण्ड के छेद पर रख कर एक जोरदार झटका मारा और पूरा लंड गाण्ड में सटाक से अन्दर चला गया।

सोनाली की गाण्ड फट गई.. वो इतनी तेज चीखी कि उसकी आवाजें पूरा गूँजने लगीं… शायद आस-पड़ोस वालों को भी आवाज़ का पता चल गया होगा और जिस-जिसने चुदाई के समय ऐसी आवाजें निकलवाई होंगी.. वे सब ज़रूर इन आवाजों को पहचान गए होंगे।

खैर.. मैं रुक गया.. जब सोनाली थोड़ी शांत हुई.. तो हम दोनों फिर झटके मारने लगे और इस बार हमने सोनाली के मुँह को हाथ से बंद कर रखा था।
कुछ देर बाद मैं और सूर्या ने अपनी-अपनी अवस्था बदल ली.. मैं सोनाली की चूत और सूर्या उसकी गाण्ड मारने लगा।
 
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उसके बाद एक-दो और आसनों में चुदाई की फिर हम सभी लोग डिसचार्ज हो गए।
सोनाली पसीने से पूरी तरह लथपथ थी। मैंने उससे पूछा- एक और राउंड?
तो बोली- अब नहीं हो पाएगा.. बहुत थक गई हूँ।
हम लोग बाथरूम जाकर फ्रेश हो गए और कुछ देर बाद सोनाली सो गई।

सूर्या- तो अब मैं भी घर जाता हूँ..
मैं- ठीक है जा..
सूर्या- सोनिया की मुझे कब दिलवाओगे?
मैं- मैं क्या करूँ.. तुम खुद ट्राइ करो..
सूर्या- नहीं.. तुम बोलोगे तो शायद मान जाएगी।

मैं- ठीक है.. आज शाम को आता हूँ.. लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा?
सूर्या- जो तू बोल..
मैं- सोनिया की चूत दिलाऊँगा.. तो बदले में मुझे तुम सुहाना से मिलवाओगे।
सूर्या- साले.. अब तुम क्या मेरी दोनों बहनों को चोदोगे?

मैं- कोशिश तो यही है.. अब क्या लिख कर दूँ.. कि सोनिया को चोदना है.. तो सोच लो.. मेरे बिना वो तुमसे चुदने को राज़ी नहीं होगी.. बाकी तू समझ..
सूर्या- ठीक है साले.. सुहाना को भी चोद लियो.. मुझे मंजूर है।
मैं- ठीक है.. तू जा घर.. मैं उसको मना लूँगा।

सूर्या अपने घर चला गया और मैं सोनाली के कमरे में गया तो देखा वो पूरी नींद में औधी पड़ी थी तो मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया।

जब पापा आए तो मेरी नींद खुली.. फ्रेश हो कर मैंने नाश्ता किया और घूमने के बहाने से सूर्या के घर गया।
मैंने देखा सोनिया अपनी चूत में अब भी बर्फ का टुकड़ा डाल कर बैठी हुई थी। तो मैंने बर्फ हटा कर तेल से थोड़ी मालिश कर दी.. तो वो जल्द ही सामान्य हो गई..

अब मैं उसकी चूचियों को दबाते हुए बोला- अब दर्द कैसा है मेरी जान?
सोनिया- ठीक हो गई हूँ..
मैं- तब तो एक राउंड हो जाए?
सोनिया- हाँ अब हो जाएगा।
मैं- नहीं.. रहने दो तुम रेस्ट करो।
सोनिया- ठीक है डार्लिंग..
 
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मैं- एक बात बोलूँ.. बुरा तो नहीं मानोगी।
सोनिया- नहीं.. बोलो?
मैं- वो सूर्या तुमको..
सोनिया- सूर्या मुझे क्या? साफ़-साफ़ बोलो न?
मैं- सूर्या तुम्हारे साथ एक बार करना चाहता है।
सोनिया- क्या?
मैं- हाँ..
सोनिया- लेकिन ये सही नहीं है।

मैं- क्या सही नहीं है.. तुम दोनों एक-दूसरे को नंगे देख ही चुके हो.. एक बार ट्राई कर लो।
सोनिया- ओके.. तुम बोलते हो तो कर लूँगी।
तभी मैंने सूर्या को फोन किया।

मैं- लो साले.. तेरा काम हो गया.. आज पहली बार गाण्ड मार ले साले.. पर अपनी दीदी की चूत को मत छूना.. सोनिया राज़ी हो गई।
सोनिया- एक बात बोलूँ?
मैं- हाँ बोलो न..
सोनिया- मैं अपनी गाण्ड की सील भी तुमसे ही खुलवानी चाहती हूँ।
मैं- ऐसा क्यों?
सोनिया- वैसे ही.. मेरी ये विश पूरी कर दो ना प्लीज़..
मैं- ओके मेरी जान..
 

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