Incest छिनाल बहुरिया

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छिनाल बहुरिया-1

मेरा रंग गोरा है पतली हूँ मगर जादा पतली भी नही 34 नम्बर की पैंटी पहनती हूँ मगर मेरे चुतड देख कर बाप तक मुठ मार देता था बिहार के एक गरीब घर से हूँ नाम मेरा कामनी है, मेरे पति एक दम दुबला जैसे कोई टीवी का मरीज हो उनका नाम ढेला है वो दिल्ली की एक फैक्टरी मे काम करता है सांवला रंग है देखने मे तो ठीक है मगर पतला ऐसा की लोग शादी मे साली ने यहाँ तक कह दिया जीजा जीजी को ले तो जा रहे है मगर तुमसे ना उठेगी देवर ही मजा मारेगे तो इन्होने तपाक से कहा कोई बात नही तीनो भाई जुटकर ही खेत जोतेगे, कोहबर मे मै उनकी बात सुन शर्मा गई, हॉ मेरे दो देवर है सोनू मोनू दोनो ही कसरती देह के मालिक है मोनू जहाँ गोरा तो सोनू एक दम करिया पहलवान, तभी मेरी चचेरी बहन नीलम बोल पड़ी देख जीजी जीजा तेरा खेत देवर से भी जुतावयेगे तु क्या कहती है, मै बोल पड़ी खेत का मालिक जो करे खेत का, नीलम बोल पड़ी हमार जीजी का खेत परती भला पडा है कोई अभी जोता नही सिचाई बहुत करनी पड़ेगी तुम्हारे नल मे पानी है भी जीजा, तभी सोनू बोल पड़ा चिंता ना करो भौजी के खेत के पीछे कुआ है उसे हम खोद कर नल भर लेगे तुम्हारी जीजी बोले तो, तभी मैं बोल पड़ी हाय दईया वो कुँआ नही छोटा सुराख है उसमे पानी वानी कुछ नही उसके फेर ना पड़ो जी, तभी मोनू बोल पड़ा चिंता ना करो भौजी कसम से होलीया मे उसमे से पानी ना निकाला तो हम तुम्हारे देवर नही, कहते हुई उसने जोरदार थप्पड़ मारा मेरे चुतड़ो पर सब हँसने लगे और मै अपने चुतड सहराने लगी, चुतड़ पर पड़ी चोट से जान गई थी पति भले कमजोर है मगर देवर हरामी भेडियो से कम नही
 
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छिनाल बहुरिया -2

तभी सुबह 5 बजे बरात विदा हुई मेरी ससुराल लगभग 10 किलोमीटर दूर है चूँकि पिछड़ा क्षेत्र है तो आज भी लोग अवागमन के लिए बैलगाड़ी का यूज करते है मै लाल रंग का लहगा चोली पहनी थी उस पर लाल चुनरी अभी मेरी उम्र काफी कच्ची थी ढेला चालीस के पास रहा होगा मेरी उम्र से दुगने से जादा, सीने पर घुंडी के दाने उभरे थे सीने पर मात्र थोडा सा ही ऊभार था तो बुर पर अभी रोये उगने ही चालू हुये थे जो अभी सही से निकल भी पाये थे मुझे बैलगाड़ी पर माँ ने रोते हुए बैठाया और कहा बेटा आज तु अपने घर जा रही है यहाँ से तेरा नाता टुटा ससुर की सेवा करना वो घर के मालिक तु नौकरानी समझी हमेशा उनका कहा मानना देवरो को बच्चो जैसा लाड देना कोई शिकायत ना हो कि हमारी नाक कटे, में भी रोते हुये उनके गले लगी कोई शिकायत ना होगी माॅ, मै बैलगाड़ी

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पर गुमशुम एक कोने बैठ गई बैलगाड़ी पर चारों तरफ परदा था सोनू बैलगाड़ी चला रहा था और मेरा एक देवर मोनू मेरे साथ बैठ गया, ढेला और उनके दो दोस्त नीरज धीरज दूसरी बैलगाड़ी पर दहेज के समान के साथ थे हमारे यह रिवाज अनुसार एक गाय और बैल भी दहेज मे दिया हुआ था, जो दूसरी बैलगाड़ी मे जुटे थे
बैलगाड़ी सुनसान रास्तो पर जा रही है
तभी मोनू बोला भैया इस जंगल से जल्दी निकलो पिछली बार अपने भौसड़ा के बरात यह से गुजरी थी, हॉ मै बताना भूल गई मेरी ससुराल का यही नाम है छी बोलने मे भी शर्म आती है भोसड़ा, तो डकैतो ने पूरी बरात लूट ली ऊपर से दस डकैतो ने मिलकर नई दुलहन को जबरदस्त चोदा तभी सोनू हॉ रे साली को डकैतो ने जब छोड़ा दुल्हा रजुआ बता रहा था उसकी महरारू की बुर गांड दोनो से धड़ाधड़ पानी चू रहा था बेचारी ससुराल पहुंचते पहुँचते बुर से सपेद पानी टपकाते गई, इतना सुनते ही जैसे मेरा रोम रोम कॉप गया दोनो घुटने कस के भीच लिये और मेरी बुर ने पानी छोड दिया, सच कहता हूँ भौजी भौसडे मे भौसड़ा ले कर पहुंची बेचारी और दोनो ठहाका लगा हँस दिये, मै भी मुस्कारा दी
 
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छिनाल बहुरिया-3

तभी अचानक सोनू ने गाड़ी रोक दी मोनू क्या हुआ भैया सोनू कुछ नही बडे भैया रुकने को कह रहे है तभी ढेला दौड़ते हुये आया, बोला सोनू जा मै गाड़ी चलाता हूँ तू पीछे देख, सोनू क्या हुआ भैया, ढेला बोला अरे अपना मोती बैल इनकी दी हुई एक बछिया पर चढ गया है बेचारी बहुत छोटी है देख कही मोती मार ना डाले, सोनू नाहक परेशान हो रहे हो भैया लंड कितना बडा हो मगर बुर कभी छोटी नही पड़ती वैसे भी इनके मयके मे सबकी चौड़ी होती है बछिया है मगर पैदाईशी छिनाल है, मै इतना सुनते ही गनगना गई और बुर लसलसा गई, मोनू कंधे पर कंधा टकराते हूँ का भौजी तुम्हारी चौड़ी बाटे की ना बाटे, मै बोली चल हट बेशर्म
ढेला जा जादा बकतई ना फूरको जाकर देखो मै बैलगाड़ी चलाता हूँ जाओ,
फिर सोनू उतर गया और ढेला बैलगाड़ी पर बैठ गया बछिया के रंम्भाने की आवाज साफ आ रही थी मोनू ने पीछे का परदा खोल दिया, हाये दईया क्या गजबे दृश्य था हमारी फूल से प्यारी माला बछिया अभी साल भर भी पूरे ना हुई थे बेचारी पर एक मोटा सांड आधा लाल रंग का लंड डाले थे माला बैठ गई थी और मुँह खुला था तभी अचानक मोती ने एक दोरार धक्का मारा की पुरा लंड माला की बुर फाहता घुस गया माला जोर से रंभाई इधर मेरी बुर से पानी छलका आया और आँख से भी इतनी लाड से पाला था मगर कितनी बेदर्दी से चोदा जा रहा है, भौजी हम भी यही हाल करब तुम्हारा, तभी टेपरिकार्डर ऑन कर दिया मोनू ने जो दहेज मे मिला था गाना बजने लगा
भौजी घंघरा उठा ओ भौजी घंघरा उठा
देवरा मारे घचाघच घचाघच
तभी ढेला बोला क्या मस्त गाना है थोडा तेज कर

साथ मोनू भी गाने
ओ भौजी औ भौजी चोलिया उतार चोलिया उतार
देवरा निचोड निबुआ दबादब दबादब
 
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छिनाल बहुरिया-4
आधे से जादा रास्ता तय हो चुका था उधर गर्मी मे शरीर पसीने से तर तो देवरो की बातो से बुरिया तर हो चुकी थी कोई घघरा थोग सा भी उठा देता तो बुरिया तार छोड़ती साफ नजर आ जाती बता दे गाँव मे ब्रा पेंटी कोई नही पहनता तो मै भी नही पहनी थी पसीने मे चोली भीग चुकी थी और उसमे से घुंडिया साफ नजर आ रही थी

मै भी ओढनी ना ओड देवर राजा को अपने निप्पल के दर्शन कर दे रही थी, गाड़ी पति ढेला चला रहे थे तभी मोनू बोला भौजी के घर से कोई दूधारू गाय आई है या सब बछिया दे दी
ढेला दो है बडी अच्छी किस्म है बताते है एक बार मे 10 लीटर दूध देती है
तब तो मै भौजी गोद मे सर रख दूध पीऊँगा और मोनू ने अपना सर मेरी गोद मे रख दिया अचानक इस हरकत से मेरा रोम रोम कॉप गया सबसे बडी चिंता पति आगे बैठे गाड़ी हाँक रहे थे और कभी कभी मुझसे नजर भी मिला लेते, पिलाओगी ना भौजी, बोलो ना भौजी पिलाओगी ना, देखो भैया भौजी तो कुछ बोल ही नही रही , ढेला बोला अरे कुछ बोल दो घर मे सबसे छोटा और दुलारा है यह बुला का रहेगा इससे ना बच पाओगी, तभी मोनु ने वो हरकर कर दी की मेरा रोम रोम गनगना गया उसने एक हाथ से मेरी चुची दबाने लगा और पूछने लगा पिलाओगी भौजी, ढेला अपनी मगन मे गाड़ी हॉकता उसे पता नही उसकी पत्नी की चुची उसका भाई मसल रहा है, बोल दे कुछ हट हट चल चल हांकते हुये, डर के मारे मेरी गांड फटी जा रही थी उधर मोनू बोले जा रहा था, बोल ना भौजी बोलो, तभी मैने हलके से कहा हाँ पिलाऊगी तभी मोनु ने लस्टीक की लचीली चोली दोनो हाथो से ऊपर कर दी, मेरी दोनों छोटे छोटे ऊभार बैलगाड़ी मे नंगे हो गये मोनू ने एक चुची मुंह मे भर ली तो दूसरी चुची हाथ से दबाने लगा, हाये मेरे मुँह से हलकी सिसकी निकल गई, हाये देवर राजा अभी छोड दो भैया है सामने, आपने भैया मे सामने मुझे रुसवा ना करो, विनती करने पर वो गोद से ऊठ गया मैंने तुंरत चोली ठीक की और राहत की सॉस ली
 
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छिनाल बहुरिया-5

जल्द मे अपने ससुराल पहुंच गई, बराती के नाम पर ढेला दुल्हा और उसके दो संगे भाई सोनू मोनू थे तो दो चचेरे भाई घर मे सास थी गोरी चट्टटी मगर काफी मोटी अक्सर उनके छुटने मे दर्द रहता था एक नंद जो मुझसे छोटी थी अभी कुछ दिन पहले आम के बाग मे आम तोडते गिर गई थी तो पैर मे मोच आ गई महारानी आजकर बिस्तर पर आराम फरमा रही है नखरा अरमान पर रहता है मगर अब मै आ गई इसको कातिक की कुत्तिया ना बनाया तो कहना, कुत्तिया की बुर गांड से दिनभर सपेद पानी टपकेगा, ससुर काले भुजंग बिलकुल सोनु की तरह अंधेर मे खडा कर दो तो केवल आँख दिखे, एक बडी नंद थी राखी वो दूसरे राज्य के एक गांव मे थी इसलिए अक्सर कम ही आना जाना था पता चला वो शादी के चार पाँच दिन बाद ही आयेगी बच्चो के पेपर है, काम के नाम पर ढेला दिल्ली कमाता है, सोनू मोनू खेती देखते है तो ससुर आंगन मे बैठ दिन भर बॉस की टोकरी बनाते है, भौसडे गाँव का माहौल मई महीने का अंत कड़ी धूप मे दूर दूर तक खेत खाली पडे केवल गन्ने की गुड़ाई या पिपरमिंट की गुडाई करने वाले इक्का दुक्का दिख जाये तो दिख जाये वरना आम की बाग पनघट की झाड़ी गन्ने की फसल चरी के खेत मे मर्द भौसड़ा बनाने मे दिन रात जुटे रहते है अक्सर यहाँ की लड़किया व्याह कर ससुराल भोसड़ा ही ले जाती है, ससुराल मे घर कच्चा ही बना था गाँव मे बिजली ना थी एक बडा आँगन जिसके किनारे नल गड़ा था दो कमरे घर, घर से ही सटा गाँव का एक मात्र पक्का मकान था जिसकी छ्त से मेरे घर का पूर आँगन साफ नजर आता था कहते है यह इनके चाचा का घर था जो सउदी कमाते है
ढेला ने घर के आगे बैलगाड़ी रोकी यहा की रस्म है दुल्हा अपनी दुल्हन को गोद मे उठा घर की दहलीज पार करता है
ढेला मेरे पास आया और बैलगाड़ी से गोदी मे उठाने का प्रयास किया मगर असफल रहा दुबली पतली काया पहले अपने को संभाल ले मुझे जमीन पर दे पटका
मेरे मुंह से दर्द मे निकल पड़ा मादरचोद चोदने से पहले गांड तोड दी
ढेला मेरा गुस्सा देख सकपका गया और अपनी गलती मान का माफी माँगने लगा
मोनू बोला भैया तुमसे ना होगा और मोनु ने अपनी मजबूत मसल भरी गोद मे मुझे समेट लिया और ढेला से कहा भैया तुम भौजी के पैर पकड लो और दहरी( चौखट माने घर का मुख्य द्वार) पार करो, तभी मैंने हा जी तुम्हारी यही जगह सही है, मोनू का एक हाथ में चुची के पास था तो दुसरा मेरे चुतडो की नाप ले रहा था चूँकि घघरा पतला था और हम गाँव वाले अंदर कुछ पहनते नही तो उसे चुतडो का एहसास साफ हो रहा था जल्द मै घर के अंदर आ गई एक बडे ऑगन मे सास थाल लेकर खड़ी थी मोनु ने गोद से उतारा तो सास आरती करने लगी वही कोने मे ससुर मात्र धोती पहने बॉस की टोकरी बनाने मे व्यस्त थे सास के बगल छोटी नंद पैरो मे पट्टी बांधे खड़ी थी मुझसे चार पाँच साल छोटी होगी ही बुर पर बाल तो अभी नही आये होगे फ्रांक बता रही थी की छाती सपाट थी अभी केवल थोड़े निप्पड ही उभरे थे, नंद का नाम भी प्यारा था प्यारी, अभी मै नंद की दुगर्त करने के विषय मे सोचने जा रही थी कि सास ने टोक दिया जा बहु ससुर से आर्शिवाद ले ले, मै ससुर की तरफ बढ चली एक कोने मे टोकरी बनाता एक काला बुड्ढा शरीर पर मात्र एक पतली धोती पहने थी भले आज सुखा था पर उसे देख के कोई भी कह सकता था कि वह अपने समय मे जाना माना पहलवान होगा मै जैसे ही पैर छुने को झुकी की शरीर मे एक सिरहन सी दौड पड़ी, पतली महीन छोती मे ससुर का लंड किसी काले अजगर की भाँति छुपा सा बैठा था काला लंड साफ झलक रहा था आठ नौ इंच से कम ना होगा मोटा तो कलाई भर होगा ही धोती से बाहर अंडकोष लटक रहे थे जैसे उनहे हाइड्रोसील हो गया हो इतना खतरनाक दृश्य देख मेरे माथे पर पसीना तो बुर ने पानी छोड दिया था जैसे ही मैंने पैर छुये वो अजगर फनफनाते हुये छोती मे खड़ा हो गया, सास बोली देख रही हो बहु यही घर का मालिक है मै उस विकराल नाग को देख शर्माती बोली जी माँ जी


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छिनाल बहुरिया-6

बैलगाड़ी के सफर ने मेरा पेट खराब कर दिया उसके होते हिचकोले ने पेट मे गुड गुड बढा दी, मैने सास को यह बात बताई तो सास बोली बेटी औरते तो बाहर जाने के लिए सुबह शाम ही इकठ्ठा होती है तेरी नंद जानती है मोच लगी है और मै घुटनो से परेशान ढेला से पूछा तो बोला महरारू को लेकर इतनी दुपरिया बाग ना जावो किसी और को भेज दो अब बता मै क्या करू थोडा बरदास्त कर ले
मै बोली ना माॅ जी बहुत गड़बड हो जायेगी बहुत तेज लग रही है
सासु बोली इतनी दोपहर तो बाग या परती मे जाना होगा रुक ठहर मोनू से बोलती हूँ वो सून ले
मै हाये माँ जी मोनू
सासू तो क्या हुआ पगली तेरा देवर लागे है भौजी देवर से शर्मयेगी तो समाज कैसे चले तो कह तो मै क्या करू
मरती तो क्या करती सासू ही सहमति मानने के अलावा और कोई चारा भी ना था मरद हरामी साथ चलने को तैयार ना था
थोड़ी देर बाद एक बोतल मे पानी लेकर आता मोनू बोल चल भौजी तुझे हलका कर आवे
उसके साथ मै चल दी गॉव से जल्द निकलते ही खेते ही खेते एकदम सुनसान दूर दूर तक कोई नही थोड़ी देर मे हम एक परती( बजर जमीन जहा खेती ना होती थी) पहुंच गये दूर दूर तक कोई नही केवल नीलगाओ के अलावा जगह जगह सरपत के जुट्टे
मै हाये देवर अब नही बरदास्त होता कितना चलाओगे
मोनू आ गये है भौजी सही जगह जा उस ओर नीचे बैठ जा मै इस टीले पर हूँ
मै मोनू की चलाकी समझ गई थी की मै कितना भी आड कर लू वो हरामी इतने ऊपर टीले पर सब नजरा देख सकेगा
मै झुझलाकर ठीक है पानी दे
मोनू ना भौजी यह काम तो अब मै करूगा तेरे मस्त गाड़ तो मै धोऊगा
मै हठ बेशर्म ला मुझे दे पानी देवर इस हाल मे मजाक ना कर
मोनू देख भौजी तेरे चुतड़ मै धोऊंगा या मै फिर चला तू आती रहीओ
मै हाये देवर जी यह जुल्म ना कर अब पेट मे काफी दर्द हो रहा है
मोनू तो ठीक है ले पानी मै जा रहा हूँ घर
उसने मुझे बोतल पकड़ा दी और जाने लगा
मै रुक जा राजा हाये देवर राजा मै अकेले अनजान कैसे घर पहुंचुगी ठीक है तेरी जैसी मर्जी ले बोतल मै नीचे जा रही हूँ
उसे पानी की बोतल पकड़ा झट से नीचे आ गई जल्द से घघरा ऊठा अपने को हल्का करने लगी पीछे मुड़कर देगा बेशर्म देवर मेरी गोरे चुतडो पर ही निगाहे गाढे है
 
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छिनाल बहुरिया-7

मैने देखा मोनू एकटक मुझे हंगते देख रहा है इतना बेशर्म देवर ना देखा ना सुना, थोड़ी देर मे मै फरिंग हुई मगर देवर से कैसे कहूँ समझ ना आ रहा था तभी देवर बोल उठा लागत है भौजी तु हलका हो गई तो आ तेरी गांड धो दू आ इस तरफ
मरती ना तो क्या करती घघरा उठाये कमर तक एक हाथ से बुर छुपाये मे बढ चली देवर की ओर
थोड़ी दूर एक दूब की घास से घिरा मैदान था चारो तरफ सुनसान टीलो से घिरा शायद इस दुपहरिया मे कोई आये एक शीशम के पेड के नीचे देवर खडा था
मोनू आ भौजी चुतड़ उठा दे मै धो दू
मै उसके पास बैठ चुतड़ उठा दी,


मोनू कसम से भौजी बहुत मस्त चुतड़ है उसने दोनो हाथो से मेरे चुतड़ो पकड़ लिया और पीठ को चुमने लगा
मै हाये देवर जी ये क्या कर रहे हो तुम मेरी गांड धोने की जगह यह क्या कर रहे हो
मोनू अरे मेरी रंडी भौजी तेरी गांड ही धोने जा रहा हूँ मगर तु इतनी मस्त है क्या करू
मै हाये देवर जी तो धो ना
तभी देवर का गर्म हाथ मेरे चुतड़ों पर लगा मगर मगर

देवर तो दोनों हाथों से मेरे चुतड पकडे हुये है मैने तुरंत पीछे देखा हाये मईया यह तो एकदम नंगा होके पीछे मेरे चिपटे है तो जो मेरी गांड पर रगड रहा वो हाथ नही देवर का हथियार है
मै हाये देवर जी ये क्या कर रहे है
मोनू प्यारी भौजी तेरे चुतड तो साफ कर रहा हूँ
तभी उसने रगड़ा मारा की लंड का सुपाड़ा गांड के छेद को रगड़ता हुये बुर के छेद को दरेरता हुआ बुर के फांको के बीच समा गया साथ साथ पीछे से बोतल का ठंडा पानी मेरे चुतड़ों पर पड़ने लगा
मै हाये देवर ये कैसी सपाई है तेरी
तभी देवर ने तेजी से धक्के लगाने लगे जो गांड और बुर को कसकर दरेरता हुआ बुर के बीच बीच समाते हुये क्लिट को छेड देता यह क्रिया चुतड़ो को साफ नही कर रही थी साथ ही साथ मुझे गर्म भी कर रही थी इस क्रिया के कारण मेरी बुर चुदने के लिए मचल उठी, जब बोतल का पानी खत्म हुआ तो गांड बुर के छेद के साथ मेरी आँख मुँह भी लाल हो चुके थे
मोनू भौजी तेरी गांड की सफाई हो गई चल तेरी बुर भी साफ कर दूँ पेशाब की होगी तुने उसने मेरी घघरा चोली उतार दी मै ना जाने किस नशे मे सब सुधबुध खो चुकी थी मोनू मेरी सफाचट बूर को ध्यान से देखने लगा

मुझे शीशम के पेड के नीचे लेटा के बुर चाटने लगा उसकी इस हरकत ने मेरा रोआ रोआ खडा कर दिया विश्वास करे मे जन्नत मे थी बुर की क्लिट को किसी बच्चे की भाँति चुसना मुझे एकदम से झनझना दिया वो मेरे ऊपर होकर बुर चाट रहा था उसका आठ इंची लंड मेरे मुँह के ऊपर लहरा रहा था गोरा लंड के आंगे टमाटर की तरह लाल सुपड़ा चमक रहा था उसके सापड़े वा लंड पर मेरा मल के कुछ अंश भी चिपटे थे तभी सुपाडे के मुँह से चमकती एक बूँद तार बनती मेरे होठो पर गिरी जिसे मैंने जीभ से चाट लिया अजीब खारेपान का स्वाद जो शायद कही मिलता हो जो बाध्य कर रहा था उस प्यारे लंड मे मुंह मे भर लू मगर घिन थी मेरा मल उस पर लगा था तभी जोरो से मोनू ने चूत के होठो पर काटा की मै दर्द मे कस कर लंड पकड मुह मे डाल ली और बच्चे जैसे चुभलाने लगी
मेरी बुर एक पानी छोड चुकी थी और दूसरी बार कगार पर थी तभी देवर ने खीच कर मेरे मुंह से लंड छीन लिया मगर तभी मैने कस कर लंड पकड़ हाये देवर जी थोड़ा और चुस लेने दो बस थोडा
मोनू भौजी अब लंड चुसने की नही लंड लेने की बारी है तभी देवर मेरे ऊपर चढ दोनों हाथो से चुची मसलते हुये बोले का रे भौजी चोद दू तुझे
हाये चोद लो अपनी भौजी देवरू इतना चोदना देवरू कि तेरे भाई को पता चले उसकी महरारू देवर से चुदकर आई है
तभी मोनू ने लंड का सुपाड़ा बुर पर लगाते एक करारा धक्का मारा की लंड का सुपाड़ा बुर मे घुस गया तभी मेरी चीख निकल पड़ी मे छटपटा कर देवर को दकेलने लगी तभी देवर ने एक जोरदार शॉट लगाया कि लंड सील तोड़ते हुये आधा बुर मे समा गया, हाय देवर राजा छोड दो मर जाऊंगी बस अब सहन नही होता मगर मोनू के चहरे पर मात्र एक बहशी मुस्कान थी मेरे आँखो से मात्र आँसू थे
हाय राजा कसम से कभी और चोद लेना आज छोड दे हाये अम्मा री मर गई
तभी मोनू से अपनी कमर उठाई एक जोरदार ठाप के साथ पुरा लंड बुर मे समा गया और मेरी चीख परती मे गूंज गई मगर वहा कौन सुनने वाला वो लाया ही था वहाँ जहा केवल चुदाई होती थी
का भौजी अभी तक चुदी नही हम तो समझे थे कोई खेली मनचली भौजी मिलेगी तुम तो चिक्कन माल निकली
मै हरामी मजा ले रहा है हाये दईया फाड दी देवर ने अरे मोरी मईया देवर ने मूसल से अपनी भौजी की डिबिया फाड दी हाये मोरी अम्मा
उधर मोनु ने लंड को आगे पीछे सेट करते हुये धक्को की संख्या बढा
मोनू तो क्या भौजी देवर का कोई हक नही
मै ना रे ये मैने कब कहा देवर भौजी को ना चोद तो देवर ना, तु तो मेरा प्यारा देवर है पहले दिन अपनी भौजी की बुरिया फाड दी, हाय देवरू थोड़ा तेज और तेज
मोनू अपनी गति बढ़ने लगा
उधर मै जैसे गाने सी लगी
देवरू चोदो अपनी भौजीया, खुला है उसका घंघरा
खुला है उसका घंघरा, खुली है उसकी बुरीया
देवरू चोदो अपनी भौजिया, खुला है उसका घंघरा

तभी मैंने मोनू को कस के जकड़ लिया में झड रही है थोड़ी देर मे मोनू भी मेरी बुर मे झड गया ऐसा लगा गर्म तवे पर किसी ने ठंडा पानी डाल दिया हो मैंने कस कर बुर से लंड को जकड़ लिया जिससे वो किमती वीर्य की एक बूँद बाहर ना निकल पाये
 
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छिनाल बहुरिया -8

घर पहुंची तो देवर डब्बा लेकर आगे था तो लगड़ाती हुई मै पीछे चल रही थी चाल कपड़े बाल चेहरे की दशा साफ बता रही है इसे रगड़कर चोदा गया है घर पहुंचते ही सब घर मे थे सोनू ने देखा तो मुझे देख हँस दिया तो शर्म से चहरे झुका दिया तो ढेला का मुँह खुला सा रह गया उसे जैसे विश्वास ही नही पड रहा है असल मै वो पछता रहा था कि नाहक मना किया साथ चलने को तो ससुर ने सास कि तरफ इशारा कि तो सास बोल पड़ी मर्द है तो मर्दानगी दिखायेगा ही फिर देवर ठहरा आज नही तो कल......... चल बहु हाथ धो ले और खाना खा ले कल से रसोई तुझे ही सभलनी है, सब ने खाना खाया, टेपिरिकोर्डर पर गाना बज रहा था


लहंगा मे देवरा का अटग गईल समान
देवरा साला बुर चोदे

मोनु ने हाथ की अगुलियो से चोदने का इशारा किया मै शर्म से सर झुका ली तो ढेला का मुंह अभी भी खुला था उसका चेहरा अब भी हवाई हो रहा था, मै कमरे की तरह जा ही रही थी सोनू ने चुतड़ो सहलाते हुये बोला भौजी हमार नम्बर कब लगाओगी मै बोल चल हल हरामी वो हँस पड़ा, तभी सोनू ढेला से बोल पड़ा अब भैया आज रात आपको भाभी को सभालने मे आसानी होगी और हंसते हुये निकल पड़ा तभी नंदो सासो पड़ोसियों का झुंड आया मुंह दिखाई की रस्म होने लगी
मुंह दिखाई की रस्म हो रही थी तभी मेरी नंद ने इशारा किया किसी चचेरी नंद से तो उसने झट से मेरा लड़गा ऊपर उठा दिया बोली मुंह दिखाई के साथ बुर दिखाई भी पैसा दिया है भौजी, मेरी बुर लाल सुजी हुई किनारी सपेद पानी की सुखी परत चपटी थी तो बुर के सुराख सपेद पानी से सना था
नंद बोली क्या भौजी बैलगाड़ी से आई हो या बैल की सवारी करती हुई आई
चचेरी सास बोली कही इस घर के 10 इंची साड़ ने अपनी बहुरियो को तो नही चोद दिया
मै हाये अम्मा वो काहे चोदने लगे
नंद तो यह सपेद पानी किसका है मेरे बुर मे मझली अँगली डाल पानी दिखाते बोली
उसकी अंगुली बुर मे जाते मै चुहक उठी
मै हाये छोटे देवर ने जबरदस्ती..
नंद हाये हमार भैया पर इलजाम लगा रही हो या बुरीया तोहर गरमयी थी
मै छी सच में देवर जी हगाने गये थे कि जबरदस्ती
नंद और बोलो गरमाई बुर देवर ससुर कुत्ता कुछ नही देखती होश आने पर जबरदस्ती
मै सच बोल रही हूँ
मेरी सास अरे देवर का हक है आज नही तो कल चढता ही तो नखरे काहे बुरचोदी
मै डरते हुये ना माई नखरे नही की अराम से चुदवाया ना मानो तो देवर जी से पूछ लो
चचेरी सास चल हट इस कुक्तिया की बात दिल मे ना ले ये गाँव भर की राड है पहले दिन बेचारी देवर से चुद गई ऐसी बहु मिलेगी
मेरी सास अरे ना दीदी मै तो मजाक मे कह रही थी
तभी सब लोग हँसने लगे
 
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