छिनाल बहुरिया-4
आधे से जादा रास्ता तय हो चुका था उधर गर्मी मे शरीर पसीने से तर तो देवरो की बातो से बुरिया तर हो चुकी थी कोई घघरा थोग सा भी उठा देता तो बुरिया तार छोड़ती साफ नजर आ जाती बता दे गाँव मे ब्रा पेंटी कोई नही पहनता तो मै भी नही पहनी थी पसीने मे चोली भीग चुकी थी और उसमे से घुंडिया साफ नजर आ रही थी
मै भी ओढनी ना ओड देवर राजा को अपने निप्पल के दर्शन कर दे रही थी, गाड़ी पति ढेला चला रहे थे तभी मोनू बोला भौजी के घर से कोई दूधारू गाय आई है या सब बछिया दे दी
ढेला दो है बडी अच्छी किस्म है बताते है एक बार मे 10 लीटर दूध देती है
तब तो मै भौजी गोद मे सर रख दूध पीऊँगा और मोनू ने अपना सर मेरी गोद मे रख दिया अचानक इस हरकत से मेरा रोम रोम कॉप गया सबसे बडी चिंता पति आगे बैठे गाड़ी हाँक रहे थे और कभी कभी मुझसे नजर भी मिला लेते, पिलाओगी ना भौजी, बोलो ना भौजी पिलाओगी ना, देखो भैया भौजी तो कुछ बोल ही नही रही , ढेला बोला अरे कुछ बोल दो घर मे सबसे छोटा और दुलारा है यह बुला का रहेगा इससे ना बच पाओगी, तभी मोनु ने वो हरकर कर दी की मेरा रोम रोम गनगना गया उसने एक हाथ से मेरी चुची दबाने लगा और पूछने लगा पिलाओगी भौजी, ढेला अपनी मगन मे गाड़ी हॉकता उसे पता नही उसकी पत्नी की चुची उसका भाई मसल रहा है, बोल दे कुछ हट हट चल चल हांकते हुये, डर के मारे मेरी गांड फटी जा रही थी उधर मोनू बोले जा रहा था, बोल ना भौजी बोलो, तभी मैने हलके से कहा हाँ पिलाऊगी तभी मोनु ने लस्टीक की लचीली चोली दोनो हाथो से ऊपर कर दी, मेरी दोनों छोटे छोटे ऊभार बैलगाड़ी मे नंगे हो गये मोनू ने एक चुची मुंह मे भर ली तो दूसरी चुची हाथ से दबाने लगा, हाये मेरे मुँह से हलकी सिसकी निकल गई, हाये देवर राजा अभी छोड दो भैया है सामने, आपने भैया मे सामने मुझे रुसवा ना करो, विनती करने पर वो गोद से ऊठ गया मैंने तुंरत चोली ठीक की और राहत की सॉस ली