Incest छोटी कहानियों का संग्रह

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दोस्तों यहां में छोटे छोटे कहानियां पोस्ट करूंगा जो की सीमित अपडेट में पूर्ण होता होगा कहानी net से होगी तो इसका श्रेय उन अज्ञात लेखकों को जायेगा जिन्होंने उसको लिखा है।
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Note : यहां पोस्ट की गई हर कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए है,कृपया वास्तव जीवन में कहानी में घटित कोई भी चित्र प्रयोग करना घातक हो सकता है और इसका जिम्मेदारी कहानी के लेखक या फिर कहानी प्रस्तुतकर्ता नहीं होंगे,तो कृपया इस सबको अपने निजी जिंदगी के साथ मत जोड़ें और अपने बुद्धि,विवेक के साथ काम लें।

धन्यवाद
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मम्मी बन गयी बीवी
कक्षा 12 उत्तीर्ण करने के बाद मैं अपने पापा के साथ दुकान पर बैठने लगा. कानपुर के एक मार्केट में हमारी कपड़े की दुकान थी. घर में तीन प्राणी थे, मैं, मम्मी और पापा. 22 साल का होते ही मेरी शादी तय हो गई.
हमारे परिवार पर ईश्वर की बड़ी कृपा थी, सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था कि तभी एक मार्ग दुर्घटना में पापा चल बसे. डेढ़ महीने बाद मेरी शादी थी. सभी रिश्तेदारों के कहने पर हमने शादी टाली नहीं और सादगी के साथ मेरा विवाह हो गया.

मेरी पत्नी अनु काफी खूबसूरत थी जिसको पाकर मैं खुद को भाग्यवान समझने लगा. मेरी दुल्हन अनु ने मुझे सुहागरात को जन्नत के दीदार करा दिये. शादी के तीन महीने तक मैंने अनु की जमकर चुदाई की.

तभी भाग्य ने एक बार फिर करवट ली और किसी मामूली सी बात पर मम्मी से झगड़ा करके अनु अपने मायके चली गई. मेरे समझाने पर मानना तो दूर, उसने तो तलाक की नोटिस भिजवा दी.
मेरा दिन तो दुकान पर कट जाता था लेकिन रात को बिस्तर पर जाते ही अनु की याद आने लगती और मेरा लण्ड टनटनाने लगता. लगभग रोज ही मैं मुठ मारकर अपने लण्ड को शांत करने लगा.

भाग्य ने एक बार फिर करवट ली.
हुआ यूं कि इतवार का दिन था और दुकान बंद होने के कारण मैं घर पर था. सुबह के घर के काम निपटा कर लगभग 11 बजे मम्मी नहाने चली गईं और मैं टीवी देख रहा था.

तभी मम्मी के फोन की घंटी बजी. मैं फोन उठाता, उससे पहले ही घंटी बंद हो गई.
मैंने देखा, रेखा आंटी का फोन था.

रेखा आंटी मम्मी की बचपन की दोस्त थीं और मुम्बई में रहती थीं. रेखा आंटी की मिस्ड कॉल के साथ व्हाट्सएप पर उनके मैसेज भी दिखाई दिये तो मैंने व्हाट्सएप खोल दिया. व्हाट्सएप खोलते ही मेरी आँखें फटी रह गईं, रेखा आंटी मम्मी को न्यूड सेक्स क्लिप्स भेजती थीं और यह सिलसिला सालों से चल रहा था. चुदाई के क्लिप्स देखकर मेरा लण्ड टनटनाने लगा.

तभी मम्मी नहाकर आ गईं. अब मम्मी मुझे मम्मी नहीं बल्कि चुदाई का सामान दिखने लगीं.

मैंने मम्मी को चुदाई की नजर से देखा तो पाया कि 5 फुट 5 इंच कद, गोरा चिट्टा रंग, भरा बदन, मस्त चूचियां, मोटे मोटे चूतड़. चुदाई के लिए और क्या चाहिए?

मम्मी अपने कमरे में चली गईं और मैं चुदाई का तान बाना बुनने लगा. मैं मम्मी के कमरे में पहुंचा तो मम्मी पेटीकोट, ब्लाउज पहने हुए ड्रेसिंग टेबल के सामने अपने बाल संवार रही थीं. शीशे में दिख रही मम्मी की चूचियां और साक्षात दिख रहे चूतड़ों ने मेरा दिमाग खराब कर दिया. मन में आया कि यहीं बेड पर गिरा कर चोद दूं लेकिन हिम्मत नहीं पड़ी.

मैं थोड़ा सब्र से काम लेना चाहता था इसलिए मैंने मम्मी को सिनेमा चलने के लिए राजी कर लिया. हम लोग दोपहर का खाना घर से खाकर निकले और रात को बाहर खाकर आयेंगे, यह तय हो गया.

अनिल कपूर व श्री देवी की फिल्म मिस्टर इंडिया दो दिन पहले ही रिलीज हुई थी, दो टिकट लिये और हॉल में जा बैठे.

शिफॉन की झीनी सी साड़ी पहने भीगी हुई
‘काटे नहीं कटते ये दिन ये रात’
गाती श्री देवी को देखकर मैंने मम्मी से कहा- मॉम, श्री देवी भी आपकी तरह हॉट है.
मम्मी ने चौंकते हुए गुस्से से कहा- मेरी तरह?

मैंने हंसते हुए कहा- ओह सॉरी, आपसे कम.
और हम दोनों हंस दिये.

फिल्म खत्म होने के बाद हम रेस्तराँ गये और खाना खाकर घर आ गये.

कपड़े चेंज करके मम्मी सोने लगी तो मैंने कहा- मॉम, दो कमरों में रात भर ए.सी. चलता है, क्यों न हम एक ही कमरे में सोया करें.
मॉम ने कहा- सो सकते हैं, आइडिया बुरा नहीं है.

मेरा बेडरूम बेहतर है इसलिए उसमें दोनों लोग सो गये.

मम्मी का तो मुझे पता नहीं लेकिन मुझे रात भर नींद नहीं आई. मम्मी दो बार पेशाब करने के लिए बाथरूम गईं और मैं बाथरूम में उनको पेशाब करने की कल्पना करके, उनकी चूत के बारे में सोचकर अपना लण्ड सहलाता रहा.

दो दिन ऐसे ही चला, तीसरे दिन आधी रात को मैं पेशाब करने के लिए उठा तो मम्मी गहरी नींद में सो रही थीं. कमरे में एक लाइट जलाकर सोना हम लोगों की आदत है.

मैं जब पेशाब करके लौटा तो मम्मी का बदन निहारने लगा. गुलाबी रंग के गाऊन में मम्मी का गदराया बदन मेरी आँखों में नशा भरने लगा.
घुटनों तक उठे गाऊन से बाहर दिखतीं मम्मी की गोरी गोरी टांगें देखकर उनकी जांघों और चूत के बारे में सोचते सोचते मेरा लण्ड टनटना गया.

एक बार मम्मी की जांघें ही देख लूं तो बाथरूम जाकर मुठ मार लूंगा. ऐसा सोचकर घुटनों के बल बैठकर मम्मी की गाऊन उचकाकर अंदर झांका तो सन्न रह गया, मम्मी ने पैन्टी नहीं पहनी थी और उनकी चिकनी चूत देखकर अंदाजा लगा कि दो चार दिन पहले ही मम्मी ने अपनी झांटें साफ की हैं.

मुठ मारने से अच्छा है कि मम्मी के चूतड़ों पर लण्ड रगड़कर डिस्चार्ज कर लूं, ऐसा सोचकर मैं मम्मी के बगल में लेट गया. मम्मी अपनी बायीं ओर करवट लेकर सोई थीं और मैं उनके पीछे. लोअर के अंदर टनटनाता हुआ लण्ड मैंने मम्मी के चूतड़ों से सटा दिया. लण्ड को सेट करते हुए मम्मी के दोनों चूतड़ों के बीच सेट करके हौले हौले से रगड़ने लगा.

मैं जैसे जैसे लण्ड रगड़ रहा था, मेरा जिस्म बेकाबू होता जा रहा था.

तभी मम्मी के शरीर में हलचल हुई, शायद वो जाग गई थीं. मैं नींद का बहाना बनाते हुए सोने का नाटक करने लगा.

मम्मी उठीं और बाथरूम चली गईं. मुझे लगा कि वो पेशाब करने के लिए जगी होंगी. थोड़ी देर बाद मम्मी बाथरूम से निकलीं और कमरे की लाइट बंद करके बेड पर आ गईं. बाहर से स्ट्रीट लाइट की छनकर आती रोशनी में दिख रहा था कि मम्मी फिर से अपनी बायीं ओर करवट लेकर सो गई थीं.

कुछ देर तक कोई हरकत नहीं हुई तो मुझे लगा कि मम्मी सो गई हैं. मैंने धीरे से अपना लण्ड मम्मी के चूतड़ों से सटा दिया. चूंकि लाइट ऑफ थी इसलिए मैंने अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाल लिया था. मुझे अब पहले की अपेक्षा बेहतर लग रहा था क्योंकि पहले लण्ड और चूतड़ों के बीच मेरा लोअर और मम्मी का गाऊन था और अब सिर्फ मम्मी का गाऊन था, वो भी पतला सा.

कुछ देर तक लण्ड को चूतड़ों के बीच सटाये रखने के बाद मैंने सोचा अगर मम्मी का गाऊन ऊपर सरका दूं तो लण्ड सीधे चूतड़ों के सम्पर्क में आ जायेगा. ऐसा करने के लिए मैंने मम्मी का गाऊन धीरे धीरे उनकी कमर तक उठा दिया और अपना लण्ड मम्मी के चूतड़ों से सटा दिया.

ये मन भी कितना हरामी है, कहीं ठहरता नहीं. जब नंगे चूतड़ों पर लण्ड रगड़ने लगा तो मन में आया कि मम्मी तो सो ही रही है, अगर लण्ड और चूत की एक बार चुम्मी हो जाये तो मजा आ जाये. बस यही सोचकर मैं अपना लण्ड चूतड़ों के बीच खिसकाते हुए चूत तक पहुंचाने की कोशिश करने लगा.

तभी मेरे भाग्य ने पलटी मारी और मम्मी ने भी.
करवट में सो रही मम्मी सीधी हो गईं, अपनी टांगें चौड़ी कर दीं और मेरा लण्ड अपनी मुठ्ठी में पकड़कर मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया.

मैं खट से मम्मी के ऊपर आ गया और अपना मूसल सा लण्ड मम्मी की चूत में पेल दिया. मम्मी की चूत भी काफी गीली हो चुकी थी और धक्का मुक्की में मैं भी जल्दी ही डिस्चार्ज हो गया. मेरे लण्ड से निकला वीर्य मम्मी की चूत में भर गया था.
मैंने अपना लण्ड मम्मी के गाऊन से पोंछा और चुपचाप सो गया.

सुबह देर से उठा, मम्मी रसोई में थीं. मैं नहाकर तैयार हुआ और नाश्ता करके दुकान चला गया.

रात को घर लौटा, हाथ मुंह धोकर खाना खाया और चुपचाप टीवी देखने लगा. मम्मी से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी और मम्मी भी नजरें चुरा रही थी.
जो होना था, हो चुका था अब क्या हो सकता था.

कुछ देर तक टीवी देखने के बाद मैं बेडरूम में चला गया और सोने की कोशिश करने लगा, मम्मी रसोई समेट रही थीं. साढ़े ग्यारह बज चुके थे, वही हुआ जिसका मुझे डर था, मम्मी मेरे बेडरूम में नहीं आई.

रात के ठीक बारह बजे मम्मी ने मेरे मोबाइल पर कॉल की और पूछा- नींद नहीं आ रही है ना? आ जाओ, मेरे बेडरूम में. तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा इन्तजार कर रही है.

मैं उठा, मम्मी के बेडरूम में पहुंचा तो दंग रह गया. मम्मी का बेडरूम फूलों से सजा हुआ था. सुहाग की सेज पर मम्मी लाल साड़ी पहनकर बैठी थीं.

मैंने मम्मी का चेहरा देखने के लिए घूंघट उठाया तो मेरी आँखें फटी रह गईं. पूरे मेकअप में मम्मी श्री देवी को मात कर रही थीं. मम्मी का हाथ अपने हाथों में लेकर उसको चूमते हुए मैं बोला- आई लव यू, रेनू.
मम्मी कुछ नहीं बोलीं.

मैंने मम्मी का घूंघट हटाकर उनके माथे को चूमा, और उनके होठों पर अपने होंठ रख दिये. मम्मी के होंठ दहक रहे थे.
मम्मी को अपने आलिंगन में लेकर उनकी चूचियां सहलाते हुए मैंने पूछा- मॉम, मैं आपको रेनू कहकर बुला सकता हूँ?
“हाँ, मेरे सोनू, मेरे राजा.” इतना कहकर मम्मी मेरी बांहों में झूल गईं.

मैंने मम्मी की साड़ी उतारी, फिर पेटीकोट और ब्लाउज उतारा. ब्लैक कलर की ब्रा और पैन्टी में मम्मी और ज्यादा गोरी लग रही थीं.
अपनी टीशर्ट उतारकर बालों से भरी अपनी छाती से मम्मी को सटाकर मैंने अपना हाथ मम्मी की पैन्टी पर रख दिया और पैन्टी के ऊपर से मम्मी की चूत सहलाते हुए मम्मी के होंठ चूसने लगा.
कुछ देर बाद मैंने मम्मी की ब्रा उतार दी और बीस बाईस साल के अंतराल के बाद आज फिर मम्मी की चूची मेरे मुंह में आ गई.
पैन्टी पर हाथ फेरते फेरते मैंने मम्मी की पैन्टी उतार दी. मम्मी ने आज ही अपनी चूत शेव की थी. मम्मी की चूत पर हाथ फेरते फेरते मैंने अपनी ऊंगली मम्मी की चूत में डाली तो मम्मी नजाकत से चिहुंक उठी.
मैंने मम्मी की चूत के होठों को खोलकर अपने होंठ उस पर रख दिये और अपनी जीभ मम्मी की चूत में फेरने लगा. जीभ की चोंच बनाकर मम्मी की चूत के अन्दर डाला तो मम्मी ने मेरा लण्ड अपनी मुठ्ठी में दबोच लिया और फुर्ती से मेरा लोअर नीचे खिसका दिया. अब मैं मम्मी की चूत चाट रहा था और मम्मी मेरा लण्ड सहला रही थी.

जब मेरा लण्ड टनटना कर मूसल जैसा हो गया और मम्मी की चूत भी अच्छी तरह से गीली हो गई तो मैंनें एक तकिया मम्मी के चूतड़ों के नीचे रखा और मम्मी की टांगों के बीच आ गया.

मम्मी की चूत के लबों को खोलकर अपने लण्ड का सुपाड़ा मम्मी के चूत के मुखद्वार पर सेट करके मैं आगे की ओर झुका और मम्मी की दाहिनी चूची अपने दोनों हाथों से पकड़कर चूसने लगा. मम्मी ने चूतड़ उचकाकर जाहिर कर दिया कि वो अब चुदवाने के लिए बेताब हैं.

अपनी मम्मी की चूची चूसते चूसते मैंने अपना लण्ड मम्मी की चूत में धकेला तो धीरे धीरे पूरा लण्ड मम्मी की चूत में समा गया. मम्मी की चूत कल की अपेक्षा आज टाइट लग रही थी. या तो आज मेरा लण्ड ज्यादा टनटनाया हुआ था या चूतड़ों के नीचे तकिया रखने से मम्मी की चूत टाइट हो गई थी.

मेरा लण्ड मम्मी की चूत के अन्दर था और मम्मी की चूची मेरे मुंह के अन्दर.

मेरे बालों में उंगलियां चलाते हुए मम्मी बोलीं- सोनू, मेरे राजा, मेरी जान मुझे रेनू कहकर बुलाओ, मैं तुम्हारी रेनू हूँ. मुझसे अश्लील भाषा में बात करो, मुझे चोदो, मेरी चूत की धज्जियां उड़ा दो, मेरी चूचियां नोचो, काटो. मेरे साथ दरिंदगी करो, मैं बरसों की प्यासी हूँ, तेरे पापा कुछ नहीं कर पाते थे, मैं बहुत तड़पी हूँ. मुझे चोदो, जमकर चोदो, गंदी गंदी बातें सुनाते हुए चोदो.

अपना लण्ड आधा बाहर निकालकर जोर से अन्दर ठोंकते हुए मम्मी की दोनों चूचियां अपनी मुठ्ठियों में दबोचते हुए मैंने कहा- रेनू डार्लिंग, मेरी जान, मेरी गुलो गुलजार मैं तुम्हें जमकर चोदूंगा, मेरा लण्ड जब अपनी रफ्तार पकड़ेगा तो तुम्हारी नाभि के भी परखच्चे उड़ा देगा. तुम मुझसे चुदवाने के लिए ही पैदा हुई हो और तुमने मुझे इसीलिए पैदा किया था कि मैं तुम्हारी चूत की आग बुझा सकूं. लो झेलो, अब मेरे लण्ड की ठोकरें.

इतना कहकर मैंने मम्मी की चूचियां छोड़ दीं, मम्मी की टांगें अपने कंधों पर रख लीं और अपना लण्ड मम्मी की चूत में अन्दर बाहर करना शुरू किया.

दो तीन बार धीरे धीरे करने के बाद जब दो तीन शॉट जोर से मारे तो मम्मी चिल्ला पड़ी.
मैंने हंसते हुए कहा- रेनू मैडम, अब चिल्लाने से कुछ नहीं होगा, चुदाई ऐसे ही होगी और रातभर होगी.

राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से पड़े धक्कों से मम्मी हाँफने लगी और हाथ जोड़कर रुकने का निवेदन किया. मैं रूका तो मम्मी ने अपनी टांगें मेरे कंधों से उतार लीं और अपनी सांस सामान्य करने लगीं.

मैंने मम्मी को पलटाकर घोड़ी बना दिया और उनके पीछे आकर चूत का मुंह फैला कर अपने लण्ड का सुपारा रख दिया. दोनों हाथों से मम्मी की कमर पकड़कर जोर का झटका मारा और पूरा लण्ड पेल दिया.

पैसेंजर ट्रेन की रफ्तार से शुरू हुई चुदाई जब राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड तक पहुंची तो मेरा लण्ड अकड़ने लगा. मम्मी की टांगें दर्द करने लगी थीं. उनके बार बार कहने पर उनको सीधा करके पीठ के बल लिटा दिया.

इस बार उनके चूतड़ों के नीचे दो तकिये रखे जिससे चूत का मुंह आसमान की तरफ हो गया. लण्ड को मम्मी की चूत में डालकर मैं मम्मी के ऊपर लेट गया और मम्मी की चूचियां पकड़कर रेनू रेनू कहते हुए चोदने लगा.

जब डिस्चार्ज का समय नजदीक आया तो मम्मी के होंठ अपने होंठों में दबाकर मैंने लण्ड की स्पीड बढ़ा दी. डिस्चार्ज होने के बाद भी कुछ देर तक मैं मम्मी के ऊपर ही लेटा रहा.

जब मैं हटा तो मम्मी बोलीं- सोनू, तुम लोटा भरकर डिस्चार्ज करते हो, मेरी पूरी चूत भर दी.

उस रात मैंने मम्मी को तीन बार चोदा. अब यह रोज का काम हो गया.

करीब बीस दिन बाद भाग्य ने फिर करवट ली. रात को खाना खाने के बाद हम बेडरूम में आ गये, लेटते ही मैंने अपना हाथ मम्मी की चूचियों पर फेरना शुरू किया तो मम्मी ने मेरा हाथ पकड़कर चूचियों से हटा दिया और अपने पेट पर रखते हुए बोलीं- सोनू, तुम्हारा छोटा सोनू मेरे पेट में पल रहा है.

मैंने मम्मी को बांहों में भरकर चूमते हुए कहा- रेनू, मेरी जान, मेरे बच्चे की मम्मी, आई लव यू.

इसके बाद मैंने अनु से तलाक ले लिया. अपनी दुकान और मकान बेच दिया और हम लोग कानपुर से सैकड़ों किलोमीटर दूर भुवनेश्वर में आकर बस गये, जहां हमें कोई नहीं जानता था. अब इस घर में तीन प्राणी हैं. मैं, मेरी पत्नी रेनू और हमारा बेटा मोनू.

समाप्त
 
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अगली कहानी भाई-बहन का लिव इन रिलेशन
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आजकल युवा पढ़ाई के लिए दूसरे शहरों में जाते हैं. कई बार हालात और जवानी का जोश उनको किसी दूसरी राह पर धकेल देती हैं. इसी पहलू पर प्रकाश डालती एक कहानी...
 
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भाई-बहन का लिव इन रिलेशन
अपडेट १
मेरी यह कहानी लिव इन रिलेशन पर आधारित है.

जिस तरह से शिक्षा के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है उसे देखते हुए देश में एजुकेशन का रेश्यो भी काफी हद तक बढ़ गया है. आज के जमाने में हर इन्सान और हर माता पिता अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने की सोचता है.

इसके लिए सब कोशिश में लगे हुए हैं. मैं इस प्रयास में कोई कमी निकाल कर लोगों के मन में कोई गलत धारणा पैदा करना नहीं चाहता हूं किंतु मुझे लगता है कि हर सिक्के के दो पहलू हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि शिक्षा के उच्च स्तर से लोगों का जीवन स्तर बेहतर होता है लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि किसी चीज का कोई फायदा होता है तो उसका नुकसान भी होता है. इसी को सोच कर मैंने ये कहानी लिखी है ताकि दोनों पहलुओं को आपके सामने रख सकूं.

मैं एक बार बिहार स्टेट में गया हुआ था. शहर के पास शेरघटी के जफर खान साहब जो एक जमींदार की फैमिली ताल्लुक रखते थे. उनके दो बच्चे थे. वो दोनों शहर से दूर थे. एक का नाम आसिफ था जिसकी उम्र 24 साल थी. दूसरी एक बेटी थी जिसका नाम था फिज़ा, जो कि 19 साल की थी.

वो दोनों बच्चे स्टडी के लिए बैंगलोर में चले गये थे. आसिफ एम.टेक करने के बाद इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहा था और फिजा इंटर के बाद मेडिकल की कोचिंग ले रही थी. दोनों ही एक फ्लैट में रहते थे जो कि दो रूम वाला फ्लैट था. फ्लैट काफी छोटा था तो दोनों को थोड़ी परेशानी हो रही थी लेकिन दोनों के बीच की जुगलबंदी और समझदारी इतनी अच्छी थी कि दोनों आराम से मैनेज कर ले रहे थे.

उन दोनों के बीच की बॉन्डिंग इतनी अच्छी थी कि दोनों साथ में ही मिल कर खाना बनाते थे. साथ में ही पढ़ाई करते थे और साथ ही बाइक से यूनिवर्सिटी भी जाया करते थे.

तीन चार महीने तक सब कुछ अच्छा चल रहा था. एक दिन कोचिंग से वापस आते वक्त रास्ते में जोर से बारिश होने लग गयी. वो घर की ओर भागे मगर रास्ते में ही दोनों के दोनों पानी में पूरे तर हो गये थे.

उन्होंने जल्दी से बाइक को बेसमेंट में पार्क किया और फिर सीढ़ियों से ऊपर चढते हुए तेजी से अपने फ्लैट की ओर दौड़े. चूंकि दोनों के कपड़े गीले हो चुके थे और दोनों ही पानी पानी हो रहे थे इसलिए कपड़ों से बहता पानी पैरों में जाकर नीचे टपक रहा था.

इसी जल्दी जल्दी में सीढियां चढ़ते हुए फिजा का पैर सीढ़ियों पर से फिसल गया. पैर फिसलते ही उसके पैर में मोच आ गयी. आसिफ ने उसको उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसके पैर में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था और काफी कोशिश करने के बाद भी वो उठने में कामयाब नहीं हो पा रही थी.

उठने की जल्दी में उसके पैर में दर्द और तकलीफ और ज्यादा बढ़ गया था. आसिफ भी बेबस हो गया था. वो अपनी बहन को इस तकलीफ में नहीं देख सकता था. मगर फिजा से उठा ही नहीं जा रहा था. मजबूरी में आसिफ ने अपनी बहन को अपनी गोद में उठा लिया.

वो उसको उठा कर फ्लैट में अंदर ले गया. आसिफ पहली बार किसी जवान लड़की के इतने करीब आया था. फिजा का बदन उसके गीले बदन से सटा हुआ था. फिजा भी पूरी गीली थी और उसका भरा भरा और गुदाज बदन जब आसिफ के शरीर से टच हो रहा था तो आसिफ को एक अलग ही फीलिंग आ रही थी. ऐसी फीलिंग जो उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं की थी. उसको वो अहसास काफी खूबसूरत लग रहा था.

उधर फिजा की हालत भी कुछ ऐसी ही थी. उसके मन में भी शायद वही सब उथल पुथल चल रही थी जो आसिफ के मन में चल रही थी. आसिफ की मर्दाना बांहों में उसे भी वही मीठी मीठी और मदहोश कर देने वाली फीलिंग आ रही थी.

फ्लैट के दरवाजे के बाहर पहुंच कर आसिफ ने किसी तरह बहुत ही मुश्किल से फिजा को सहारा देकर खड़ी होने में मदद की. फिजा ने दीवार का सहारा लेकर अपने वजन को संभालने की कोशिश की. इतने में ही आसिफ जल्दी से फ्लैट का लॉक खोलने लगा.

ताला खोलकर वो फिजा को सीधा बेडरूम में ले गया और उसको बेड पर लिटा दिया. फिजा पूरी तरह से भीग गयी थी. इस कारण से उसके सफेद रंग के टॉप में जो कि पूरा का पूरा गीला हो गया था, उसके अंदर फिजा ने सफेद रंग की समीज पहनी हुई थी जो गीली होने के कारण उसके बदन से चिपक गयी थी.

उसकी चिपकी हुई समीज के अंदर से फिजा के मस्त से कसे हुए बूब्स और उसके चूचों पर तने हुए गुलाबी से निप्पल साफ साफ झलकी सी दे रहे थे. आसिफ भी तिरछी नजर से अपनी बहन के गुब्बारों को घूर रहा था.

जब फिजा ने देखा कि उसका भाई उसकी चूचियों को इस तरह से घूर रहा है तो वो बुरी तरह से शरमा गयी. उसने अपने दोनों हाथों से अपने बूब्स को छिपा लिया. आसिफ भी ये सब देख रहा था. फिर उसने नजर हटा ली और वो अलमारी से तौलिया निकालने लगा.

तौलिया के साथ में उसने फिजा के कपड़े भी निकाल दिये. उसने फिजा की ओर कपड़े डाल दिये.
फिजा बोली- भाईजान, मुझे सिर्फ मेरी मैक्सी दे दीजिये. मैं इन गीले कपड़ों के ऊपर से ही मैक्सी डाल कर अपने कपड़े चेंज कर लूंगी.

फिजा के कहने पर आसिफ ने अलमारी से उसकी मैक्सी निकाल कर दे दी. फिर वो रूम से बाहर निकल गया. कुछ देर के बाद वो आयोडेक्स लेकर आया. उसको बहन के पैर की मालिश करनी थी.

वो फिजा के पास बैठ कर उसके टखने पर बाम मलने लगा. आसिफ के छूने से फिजा के बदन में हल्का सा सुरूर और गुदगुदी हो रही थी. तभी दोनों की नजरें मिल गयीं. उनकी नजर एक साथ टकराई तो फिजा शरमा गयी.

फिजा ने अपनी नजरें नीचे करके झुका लीं. आसिफ ने भी उसके टखने पर ध्यान दिया. फिजा पहली बार किसी लड़के के इतना करीब आई थी. अब वो कोई छोटी बच्ची नहीं रह गयी थी. उसकी खिलती जवानी में उसके यौनांगों में कुछ कुछ अब महसूस होने लगा था.

काफी देर तक आसिफ ने अपनी बहन के पैर की मालिश की. फिर वो किचन में गया और वहां से हल्दी मिला हुआ दूध लेकर आ गया. उसने वो दूध फिजा को पीने के लिए दिया.

आसिफ के प्यार भरे बर्ताव से वो काफी इम्प्रेस हो गयी. चार दिनों तक आसिफ ने अपनी बहन फिजा का काफी ध्यान रखा. उसने उसका पूरा खयाल रखा. उसको सुबह सुबह बाथरूम में लेकर जाना. उसको ब्रश वगैरह करवाना. ये सब करते हुए वो दोनों काफी करीब आ गये थे.

भले ही वो दोनों रिश्ते में एक दूसरे के भाई बहन लगते थे लेकिन वो दोनों थे तो विपरीत सेक्स वाले. विपरीत सेक्स में आकर्षण हो जाना तो आम सी बात है. मगर यहां पर देखने वाली बात ये भी थी कि प्यार को अक्सर अंधा कहा जाता है. प्यार को दिखाई नहीं देता कि कौन सी राह ठीक है और कौन सी नहीं.

जिस तरह से एक साथ में आग और तेल साथ सुरक्षित नहीं रह सकते, इन दोनों के साथ रहने से दुर्घटना होने का खतरा हमेशा बना रहता है. आसिफ और फिजा के साथ भी ऐसा ही हो रहा था. दोनों के दिलों में एक दूसरे के लिए मोहब्बत की चिंगारी सुलग चुकी थी. दोनों के दिल में प्यार के दीये जल उठे थे.

इसी दौरान एक ऐसी घटना घट गयी कि बाकी जो थोड़ी बहुत कसर रह गयी थी इन दोनों के रिश्ते में वो भी फिर पूरी हो गयी.

आसिफ अपनी बहन फिजा के पैर में सरसों का गर्म तेल लगा रहा था. फिजा बेड के ऊपर बैठी थी और आसिफ नीचे बैठा हुआ था. उस वक्त फिजा अपने फोन में टिकटॉक देखने में बिजी थी. इसी बेखयाली में उसकी मैक्सी उठ गयी.

उस दिन इत्तेफाक भी ऐसा था कि फिजा ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी. उसी वक्त आसिफ की नजर फिजा की जांघों के बीच में ऊपर की ओर चली गयी. आसिफ की नजर सीधी अपनी बहन की छोटी सी और प्यारी सी उभरी हुई चूत पर चली गयी.

ये देख कर उसका दिल धक्क से रह गया. वाह … क्या खूबसूरत नजारा था उसकी आंखों के सामने. उसकी चूत के ऊपर मुलायम से झांट भी आ गये थे. उसकी चूत की अगल बगल में उसकी रेशमी झांटों ने अपना डेरा जमाया हुआ था.

फिजा की चूत की दोनों फांकें आपस में चिपकी हुई थी. उसकी चूत की दोनों फांकें बिल्कुल ही बेदाग थीं. ये देख कर आसिफ के दिल में तूफान सा उठने लगा. वो बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गया था. अब आसिफ जान बूझ कर अपनी बहन की टांग पर तेल मलने में ज्यादा से ज्यादा समय लगाने की कोशिश कर रहा था.

ज्यादा समय लेने का यही कारण था कि वो फिजा के जनकलोक (चूत) का दर्शन इसी तरह से करता रहे. उसको अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बहन की जवानी से यौवन की खुशबू अब आसपास में फैलने लगी है. उसी यौवन का एक फूल, उसकी चूत, के दर्शन करके आसिफ अचम्भे में था.

आसिफ का 7 इंच लम्बा लंड उसकी बरमूडा में उछल-फांद कर रहा था. उसका लंड पूरी तरह से अकड़ कर तन गया था. कुदरत ने भी ये दोनों चीज बहुत ही कमाल बनाई हैं. लंड और चूत ये दो ऐसे अंग हैं जो एक दूसरे की झलक भर भी पा लें तो तुरंत मचलने लगते हैं.

तभी फिजा बोली- अब रहने भी दीजिये न भाईजान, आप काफी थक गये होंगे.
इतना कह कर फिजा ने अपनी मैक्सी को नीचे करके अपने पैरों को मोड़ लिया. आज की इस घटना ने आग में घी का काम किया.

आसिफ भी एक मर्द था. इस छोटी सी घटना ने उसकी सोच को एक दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया था. उसको असमंजस और दुविधा ने ऐसा जकड़ लिया था कि उसको कोई रास्ता दिखाई ही नहीं दे रहा था. उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो आखिर करे तो क्या करे.

फिजा की मदमस्त जवानी हर वक्त उसके दिल पर छुरी चलाती रहती थी. वो भला खुद को काबू में रखने की कोशिश भी करता तो कब तक? फिजा की जवानी उसके धैर्य और संयम की परीक्षा ले रही थी. आसिफ पूरी कोशिश कर रहा था कि वो इन सब बातों को इगनोर कर दे लेकिन उसका मन बार बार विचलित हो रहा था.

वो जानता था कि इस तरह की बातें सोचना उसके लिये पाप था लेकिन दिल पर भला किसका जोर चलता है. आखिर में वो अपने आप से ही हार गया. जब से उसको फिजा की कुंवारी चूत का दर्शन हुआ था तब से ही वो अपनी बहन की चुदाई के लिये बेताब था.

आसिफ को ये भी मालूम था कि इस उम्र में, खासकर कि पीरियड्स के दिनों में लड़कियां सेक्स के लिए काफी एक्साइटेड हो जाती हैं. ऐसे में अगर वो फिजा की सेक्स की ख्वाहिश को जगाने में कामयाब हो जाता है तो उसकी पांचों उंगली घी में होंगी.

आसिफ इस बात से बिल्कुल अन्जान था कि फिजा भी कुछ इसी तरह के ख्यालों से घिरी हुई थी. उसके मन में भी वही हालात पैदा हो गये थे जिनसे आसिफ गुजर रहा था. ये 18-19 की उम्र होती ही ऐसी है कि सब संयम हाथों से छूटता सा नजर आता है. कई बार कदम लडखड़ा जाते हैं.

आसिफ के प्यार और समर्पण की भावना ने फिजा के दिल में एक अलग ही जगह बना ली थी. वो आसिफ की आंखों में अपने लिये प्यार और चाहत के भावों को साफ साफ देख सकती थी.

एक सगे भाई के देखने के तरीके और मर्द के देखने के तरीके में बहुत ज्यादा फर्क होता है. औरतों को कुदरत ने एक कमाल की चीज दी है जिसको छठी इंद्री कहा जाता है.

अगर कोई मर्द किसी औरत को छूता है तो उसके स्पर्श के बारे में औरत तुरंत पता लगा सकती है. यदि स्पर्श साधारण तौर पर या गलती से किया गया होता है तो उसको पता लग जाता है. यदि स्पर्श काम की दृष्टि से किया गया है तो भी औरत को पता लग जाता है.

इतना ही नहीं. महिलाओं को पुरूषों के देखने के नजरिये से भी पता लग जाता है कि सामने वाला उसके बारे में क्या सोच रहा है या उसके मन में किस तरह के विचार चल रहे हैं. जिस तरह से आसिफ फिजा के बदन को देखता था उसकी नजर सीधे फिजा के जिस्म में अंदर तक उतर जाती थी.

फिजा भी अपने भाई की आंखों में एक भाई को नहीं बल्कि एक मर्द को ही देख रही होती थी. वह जानती थी कि आसिफ के मन में उसके लिए प्यार और वासना काफी बढ़ चुकी है.

यह सब देखते देखते फिजा की सोच में भी तब्दीली आ रही थी और उसकी कामेच्छा भी सिर उठाने लगी थी. फिजा को अब अपना बिस्तर जैसे कांटों भरा लगने लगा था. उसके हाव-भाव में अब समाज के प्रति बागी तेवर साफ साफ नजर आने लगे थे.

फिजा इस तथाकथित समाज के बनाये हुए सिद्धांतों और लाज-ओ-शर्म व मान-मर्यादा की दीवार को धवस्त करके आसिफ की बांहों में समा जाने के लिए उत्सुक रहने लगी थी.

आसिफ को देख कर आजकल उसकी धड़कनें तेज हो जाती थीं. उसके जिस्म में एक अलग ही झुरझुरी सी दौड़ने लगती थी जब आसिफ उसके सामने होता था. अपने भाई से उसकी नजर से नजर मिलते ही उसकी नजर का नीचे झुक जाना इस बात की ओर साफ इशारा कर रहा था कि उसको आसिफ से प्यार हो गया है.

जब भी आसिफ अधनंगा होता या बाथरूम से बाहर निकल रहा होता था तो फिजा की नजर उसके कसरती बदन को चोरी चोरी चुपके चुपके से ताड़ने की कोशिश किया करती थी. आसिफ को कई बार उसने तौलिया में भी देखा था. उसके गीले बदन को देख कर और उसके तौलिया में उठे उसके लंड के उठाव को देख कर फिजा की चूत में कामरस बहना शुरू हो जाता था.

धीरे धीरे उन दोनों के बीच की ये कशिश और चाहत दोनों को एक दूसरे के करीब ले आयी. शायद कुदरत भी उनके इस प्यार को आगे ले जाने में उनकी मदद कर रही थी.

एक दिन ऐसे ही शाम को अचानक से मौसम बहुत खराब हो गया. देखते देखते ही तेज आंधी तूफान चलने लगा. साथ में ही बारिश भी आ गयी. रात के 9 बज रहे थे. मगर बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी.

फिजा उस वक्त किचन में खाना बना रही थी. उसको नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है. वो अपनी मस्ती में खाना बनाने में व्यस्त थी कि एकदम से पावर कट हो गया. घर में पूरा अंधेरा हो गया. बाहर से भी कोई रोशनी नहीं आ रही थी.

अंधेरा होने के कारण उसको कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. वह उजाला करने के लिए किचन से निकल कर बाहर आने लगी. वह इमरजेंसी लाइट ढूंढ रही थी.

अब यहां पर किस्मत का खेल देखिये कि उसी वक्त आसिफ बाथरूम में नहा रहा था. वहां भी अंधेरा हो गया तो वो कुछ देख नहीं पा रहा था. एक तरफ से फिजा अंधेरे में पैर जमाती हुई आगे बढ़ रही थी और दूसरी ओर से आसिफ बाथरूम से निकल कर बाहर आ रहा था.

बीच में दोनों कहीं एक दूसरे से टकरा गये और फिजा नीचे गिरते गिरते बची क्योंकि आसिफ ने अपनी बांहों में उसको थाम लिया था. अगर उस वक्त आसिफ ने फिजा को थामा न होता तो उसको अंधेरे में काफी चोट लग सकती थी.

मगर उस चोट से तो वो दोनों बच गये थे लेकिन अब चोट कहीं और लग गयी थी. बाहर की चोट की बजाय अब अंदर की चोट में दर्द होने लगा था. आसिफ की बांहों का सहारा पाकर फिजा के बदन में अलग ही लहरें दौड़ने लगीं.

उधर फिजा के बदन को छूने के बाद आसिफ भी बहकने लगा था. वो तो अभी नहाकर ही बाहर आया था. बाहर बारिश का मौसम और अंदर अंधेरे में दो जवान जिस्म एक साथ चिपके हुए, आप सोच सकते हैं कि दोनों की हालत क्या हो रही होगी.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
 

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