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कहते है एक राजा के उपर उसके पुरी प्रजा का भरोसा होता है....लेकीन जब राजा के उपर ही कीसी चुदक्कड़ चुड़ैल का साया हो तो भला वो राज्य की दशा क्या होगी....मेरी पिछली कहानी बेरहम है तेरा बेटा जो हमारे पाटखो को बहुत पसंद आ रही है।
तो मैने सोचा क्यू ना ऐसी कहानी लीखी जाये जो कहानी हमारे पाटखो का दील जीत ले......तोये एक ऐसी कहानी लीखने की कोशीश है मेरी जो जरुर आप सब को पसंद आयेगी.....क्यूंकी ये कहानी बाकी कहानीयो से हट कर है....
तो शुरु करते है चुदक्कड़ चुड़ैल और राजा का बेटा......
कहानी है एक राज नगरी की जीस नगरी का नाम है सनकपुरी..
घने वनो से घीरा सनकपुरी, फुलो और बेल के पेड़ो के बीच सुशोभीत सनकपुरी राज्य की सुदंरता देखने की लालसा पड़ोस के हर राज्य को होती है...और होगी भी क्यूं नही क्यूकी सनक पुरी के राजा सैन्य जो की एक अच्छे राजा के तौर पर माने जाते है शायद इसलीये क्यूकी वो अपने प्रजा के सुख दुख में हमेशा तत्पर रहते है....
सनक पुरी का राजमहर जीसके अंदर ही बहुत सारे फुलो से सुशोभीत पेड़ और झरने से कल कल करती वो नदी जो शायद ही कीसी राज्य में ऐसा भव्य राजमहल देखने को मीले।
राजमहल में राजा सैन्य अपनी 3 खुबसुरत पत्नीयो के साथ राज पाठ करते थे....।
राजा सैन्य की पहली पत्नी रुपलेखा जीनका नाम ही सीर्फ रुपलेखा नही था बल्की वो खुद कीसी रुप की देवी के समान उज्वलता लीये अपने चेहरे पर कीसी चंद्रमा के समान शीतल सा सुदंर चेहरा और होठ ऐसे जैसे कीसी गुलाब की पंखुड़ी जब अपनी बाहें फैलाये अपनी कलीयो को फुल में परीवर्तीत करती है , उसी तरह जब रानी रुपलेखा अपनी मुस्कान चेहरे पर बीखेरती है तो उनके होठ कीसी गुलाब के प्खुड़ी के जैसे ही फुल मे परीवत्तीत होती हो मानो...।
रानी रुपलेखा के अगं वस्त्रो में कसे उनकी पहाड़ की चोटी के समान बड़ी बड़ी चुचीया उनकी सुदंरता में और चार चादं लगाती है, और रानी रुपलेखा की कीसी सुराही के समान गरदन और कीसी पानी के मटके के समान बड़ी और गोल सुंदर गांड जीसकी तुलना मात्र से ही राज्य के सभी दरबारीयो का लंड खड़ा हो जाता था...
राजा सैन्य की दुसरी पत्नी रानी चंद्रलेखा जो खुबसुरती मे रुपलेखा के समान ही वैद्य थी.......और उनकी तीसरी पत्नी रानी शैल्या जो की काफ़ी बुद्धीमान थी।
राजदरबार में राजा सैन्य अपने दरबारीयो के साथ सभा में बैठे थे...राजदरबार मे बेड़ीयो से जकड़ा एक0शख्श को खड़ा कीया था।
राज सैन्य-- सेनापती कहर ....इस इसानं ने ऐसी क्या गलती की है जो आज ये बंदी बनकर हमारे सामने खड़ाहै।
सेनापती कहर-- महाराज ये इसांन नही हैवान है, ईसने अपने ही बेटे को जीदां मार डाला
हां...हां....मैने अपने ही बेटे के मार डाला क्यूकीं मैं नही चाहता था की उसकी मौत और भयानक हो(इतना क्ह वो बंदी जोर जोर से रोने लगा)
राजा-- और भयानक मौत मैं कुछ समझा नही.।
बंदी-- महाराज....राज्य से दुर करीब 5 कोष एख सजनी नाम का घना जंगल है.....जीसमे एक सजनी नाम की चुड़ैल रहती है...जो हर पुर्ड चंद्रमा की रात में जवान मर्दो को उठा के ले जाती है और फीर वो लोग कभी वापस नही आते आज मेरे बेटे का दीन था...इसलीये मैने अपने ही बेटे का...(और फीर वो बंदी रोनेलगता है)
राजा सैन्य ये सुनकर बहुत क्रोधीत हुए...और वो उचेँ स्वर में बोले
सैन्य--सेनापती कहर हमारे राज्य कीप्रजईतनी तकलीफ में है और आप लोघ क्या कर रहे है।
कहर-- माफ़ करना महाराज हमने कोशीश बहुत की लेकीन वो एक जादुइ चुड़ैल है , जीसे मारना हमइसांनो कीबस की बात नही है।
यये सुन राजा सैन्य अत्यधीक क्रोधीत होते हुए उठे और बोले...
सैन्य-- हमारी राज्य की प्रजा तकलीफ में रहे और हम कुछ ना कर पाये तो मै इस राज सींहासन पर बैठने के लायक नही...मैं खुद उस जादुइ चुड़ैल को मारने उस वन में जाउगां
राजा सैन्य की ये प्रतीक्षा सुन तीनो रानीया घबरा गयी...लेकीन उनको ये पता था की राजा सैन्य जो भी प्रतीग्या करते है उसे वो जरुर करते है।
सभा समाप्त हो चुकी थी....सेनापती कहर अपने घर में बैठा शांत था...जीसे देख उसकी मां चंद्रमुखी बोली
चंद्मुखी-- क्या हुआ बेटा...इतना परेशिन क्यूं हो?
सेनापती कहर ने राजदरबार में हुइ घटना के बारे मेँ अपनी मां चंद्रमुखी को बताया जीसे सुनकर चंद्रमुखी भी भयभीत हो गयी...भोजन की थाली सेनापती कहर के सामने करते हुए चंद्रमुखी अपने ब्लाउज का बटन जो की दो खुले हुए थे उसे बंद करने लगी...जहां अनायास ही उसके बेटे कहर की नज़र पड़ी...जीसे देख कर कहर के लंड में मर्दाना तनाव होने लगा।
सेनापती कहर की उम्र अभी मात्र 25 साल की थी, और वही चंद्रमुखी की उम्र करीब 42 की थी..
इस उम्र में गजब का तनाव लीये चंद्रमुखी की चुचींया उसके ब्लाउज में समा नही पा रही थी।
आज से पहले ऐसा कभी नही हुआ था जब कहर ने अपनी मां को बड़े गौर से देखा हो और खास कर उस अंग को जीस अंग को देखने का हक एक बेटे को शायद नही है।
कहर लगातार अपनि मां चंद्मुखी की चुचीयों को नीहारे जा रहा था...और उसके लंड का तनाव भी होते जा रहा था ....कहर के अंदर एक तुफान सा उठने लगा उसके पजामे में उसका लंड एकदम पुरे तनाव पर था...
कहर खाना खाते हुए भी अपनी मां चंद्रमुखी की चुचींयो को बड़े गौर से देखे जा रहा था...और उसकी मां पंखे डुलारही थी।
कहर ने मन में सोचा की घर में ही मस्तानी पड़ी है और एक मैं हू जो बाहर मुह मारता रहता हूं, अगर मेरी मां की चुचीया मात्र देखने से मेरे लंड में ये तनाव है तो जब मै अपना मुसल लंड इसके बुर में डालुगा तो कीतना आनंद आयेगा।
वाह....रे कहर अपने लंड से अपनी मां की बुर में घर्षण पैदा करना की पुरे कमरे में सीर्फ तेरी मां की चीखे गुंजे...और तब भी तू अपनी मां की बुर को कीसी कुत्ते के भाती चोदता रहना...वाह आनंद ही आनंद,
ये सोचते सोचते कहर का भोजन समाप्त हो चुका था....लेकीनवो अभी भी उसी मुद्रा में बैठा अपनी मां चंद्रमुखी की चुचीयो को देखे जा रहा था....॥
चंद्रमुखी-- बेटा खाना खत्म हो चुका है.।
लेकीन कहर को तनीक भी सुनाइ नही दीया , वो तो अपनी मा के दुध से भरे उस कटोरे को निहारे जा रहा था.....चंद्रमुखी अब तक क इ बार आवाज दे चुकी थी लेकीन जब उसे अपने बेटे के तरफ से कोइ प्रतीक्रीया नही मीला तो उसका ध्यान सीधा अपने बेटे के ध्यान से जुड़ा तो चंद्रमुखी ने पाया की उसके बेटे का ध्यान उसखी ब्लाउज में कसी चुचीयों पर है।
चंद्रमुखी तुरतं वहां से उठ भोजन की थाली ले कर रसोइ घर में चली जाती है...जाते हुए उसकी मस्तानी गांड कभी इधर झुलती तो कभी उधर।
ये देख कहर के मुह से उफ़...की एक मादक आवाज़ नीकली जो चंद्रमुखी के कानो तक पहुचीं॥
तो उसने पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कहर उसकी बड़ी पड़ी गांड को देख रहा था....उसखे बाद चंद्रमुखी रसोइ घर में चली जाती है।
चंद्रमुखी रसोइ घर में जैसे ही पहुचती है, उसकी धड़कने तेज हो गयी थी, उसे समझ में नही आ रहा था और उसने आज जो देखा उस पर विश्वाश भी नही हो रहा था.....वो कभी सोच भी नही सकती थी की उसका बेटा उसे इस नज़र से भी देख सकता है,
वो जैसे ही रसोइ घर से बाहर नीकलने के होती है उसकी नज़र सीधा अपने बेटे के पजामे पर जाती है...जीसे देख कर चंद्रमुखी का मुह खुला का खुला ही रह जाता है।
क्यूकीं कहर का लंड अपने उफान पर खड़ा था...जो कहर के पजामे को काफी उपर तक उठा कर रखा था...ये देख चंद्रमुखी कीवाड़ के आट में खड़ी हो जाती है और मन में सोचती है...हे भगवान कीतना बड़ा है मेरे बेटे का मैने तो आज तक सोचा भी नही था की इतना बड़ा भी होता है...42 वर्षीय चंद्रमुखी का बदन अपने बेटे कहर के लंड को देख कर गरम हो गया था...।
ये बात कहर को पता था की उसकी मां उसे छुप कर देख रही है...कहर ने जानबुझ कर अपना लंड पजामे के उपर से ही अपनी हथेली में पकड़ लीया...ये देख चंद्रमुखी की हालत और खराब हो जाती है क्यूकी मुट्ठी में पकड़ा कहर का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा दीख रहा था।
चंद्रमुखी की हालत खराब हो चुकी थी उसे पसीने आने लगे थे...उसने झट से रसोइ का दरवाजा बंद कीया और वही खड़ी अपनी आखें मुदें हुए अपनी बढ़ चुकी सासों को काबू में करने लगी.।
दरवाजा बंद होते ही कहर घर से बाहर नीकल जाता है...उसे अपने लंड में लगी आग को शांत करने के लीये कोइ तो औरत चाहिए थी....उसने अपना दिमाग लगाना चालू कीया की इस वक्त ऐसी कौन सी औरत है जो उसके साथ काम क्रीडा कर सके....बहुत दीमाग लगाने के बाद भी उसे ऐसी कोइ औरत नही सूझी ॥
कहर राज महल की तरफ नीकल पड़ा...रास्ते में उसे राजकोष की देखभाल करने वाले सौजन्य जी दीखे जो की 50 साल के करीब उनकी उम्र होगी।
कहर-- प्रणाम सौजन्य जी।
सौजन्य-- प्रणाम सेनापती...कहीए राजमहल जा रहे हो।
कहर-- जी सौजन्य जी।
सौजन्य-- मै भी तो राजमहल ही जा रहा हू , लेकीन सोच रहा हू थोड़ा भोजन कर लू फीर चलते है।
कहर-- जी बिल्कूल । आप भोजन कर लिजीए और आराम से आइये तब तक मैं चलता हू।
सौजन्य-- सेनापती , मेरा घर रास्ते में ही है कुछ छंड़ मेरे घर पर बीताइये फीर दोनो साथ चलते है राज महल।
कहर-- जैसा आप उचित समझे, चलिये।
कहर और सौजन्य दोनो उसके घर पर पहुचतें है जहां सौजन्य की पत्नी अंजना घर पर सौजन्य का इतंजार कर रही थी....।
सौजन्य को देखते ही अंजना गुस्से में--- आप को समय का कुछ खयाल वयाल रहता है की नही, जब देखो राज नगरी में घुमते रहते हो । मेरा तो कुछ पड़ी ही नही है आपको केवल राज महल। एक तो आप का काम रात के पहर लगा दीया है महाराज ने और दीन में आते हो की नही सीधा सो जाते हो...मेरे लीये तो आपके पास वखत ही नही है।
अपनी पत्नी के ऐसे बर्ताव से सौजन्य जी को कहर के सामने लज्जीत होना पड़ा। और वैसे भी अंजना सौजन्य को हमेशा डाट फटकार कर ही रखती है...और सौजन्य बेचारे कुछ बोल नही पाते उनकी हालत अपनी पत्नी के सामने कीसी बेजुबान पच्छी कीतरह हो जाती है।
कहर-- अरे काकी तुम भी ना,सौजन्य जी तो अभी अभी आये है उन्हे भोजन कराइये पहले।
अंजना-- अरे सेनापती जी ये सीर्फ भोजन करने के लायक है और कुछ तो होता नही इनसे...।
इतना सुनना था की सौजन्य मुह फुलाये घर से बाहर नीकल जाता है...
अंजना-- हां ...हां जाइये मुझे कोइ फर्क नही पड़ता कह कर वही चारपाई पर बैठ जाती है...।
कहर का शातीर दीमाग घुमा और सोचने लगा की इसकी तो अपने पती से बनती नही, क्यूं ना इसके उपर ही एक आजमा कर देखता हू ॥ क्या पता काम बन जाये,
कहर सोच ही रहा था की तभी अंजना ने बोला॥
अंजना-- अरे सेनापती जी आप खड़े क्यूं है बैठीये ना , मै भी कीतनी पागल हू बैठने के लीये भीनही पूछा।
कहर-- कोई बात नही काकी(और कहते हुए खाट पर बैठ जाता है)
कहर अंजना के मांसल बदन को देख कर मस्त हो जाता है, और मन में ही सोचता है की साली है तो 45 साल की लेकीन इसकी चुचीयां साली कीतनी कठोर लग रही है, गांड तो इतनी बड़ी दीख रही की कसम से मील जाये तो मार मार कर चौड़ी कर दू।
यही सब सोचते हुए वो अंजना के बदन की नुमाईस कर रहा था, जीसे अंजना भांप लीया था।
अंजना ने सोचा की बेटा ऐसे क्या देख रहो हो ये बदन का स्वाद चखने का मन है क्या?
अंजना--(थोड़ा शरमाते हुए) ऐसे क्या देख रहे हो सेनापती जी, जैसे कभी औरत नही देखी हो।
कहर-- नही काकी, औरत तो बहुत देखी लेकीन इस उमर में भी तू मासा अल्लाह कयामत लगती है।
अंजना-- अरे कहा सेनापती जी, अब तो मैं बुड्ढी हो गयी हू...भला इस उमर में मै क्या कमाल दीखुगीं॥
अंजना की बुर आग उगल रही थी, क्यूकीं जब से उसके पती का काम रात के पहर लगा है तब से उसे अपनी उगंलीयो से काम चलाना पड़ रहा था...और सौजन्य भी ये उमर में चुदाइ जैसी चीजो दिलचस्पी नही रखता था...वो तो कभी कभार अंजना के दबाव देने पर दो चार धक्का लंड डालकर लगा देता था...।
कहर-- अरे सच में काकी तू अभी भी 25, 30 साल की क जवान औरत दीखती है...॥
अजंना अपनी तारीफ सुनकर थोड़ा मुस्कुरा देती है...।
अंजना-- सेनापती जी क्या मैं आपको अच्छी लगती हू।
कहर-- अरे काकी तू मुझे क्या सब को अच्छी लगती है।
अंजना(मुस्कुराते हुए)-- जाइए सेनापती जी आप भी ना...मेरे पती तो कभी मेरी तारीफ नही करते...शायद रात के पहर काम करने से उनकी आखें कमजोर हो गयी है...और वैसे भी कल से उनका काम दीन में हो जायेगा तोसब कुछ ठीक हो जायेगा।
कहर-- अब सौजन्य जी का काम दीन में कभी नही लगेगा।
अंजना-- क्यूं ऐसा क्यू...आज से उनका रात के पहर का काम खत्म हो जायेगा। क्यूकीं महाराज ने ही कहा था की राजकोश की दखभाल रात मैं तब तक की जायेगी जब तक राजकोश का मुख्य द्वार की मरम्मत ना हो जाये...और अब तो मरम्मत का काम पुरा भी हो चुका है...फीर क्यू?
कहर(अपने पजामे के उपर से लंड को सहलाते हुए)--- क्यूकीं अब मैं नही चाहता॥
कहर के इस तरह की हरकत देखकर अंजना बुरी तरह शरमा जाती है और पेटीकोट के अंदर उसकी बुर फड़फड़ाने लगती है....।
अंजना(शरमात हुए)-- क्यूं आप क्यूं नही चाहते?
कहर अभी भी अपने लंड को उपर से सहला रहा था जीसे अंजना तीरछी नजरो से देख भी रही थी...कहर का लंड खड़ा हो चुका था ....और अंजना की धड़कने0बढ़ने लगी थी।
कहर(लंड सहलाते हुए))-- क्यूकीं मरम्मत अभी बाकी है...।
कहर को पता चल गया था की अगर आज मौका हाथ से जाने दीया तो कल का कुछ पता नही...।
अंजना-- क...कीस चीज की मरम्मत।
इतना सुनते ही कहर ने अपना लंड पजामे से बाहर नीकालाऔर अपने मोटे लंड को हाथ में लीये बोला ईसका।
अंजना ने जैसे ही कहर कामोटा लंड देखा वो सीधा उठकर दुसरे कमरे मैं भाग गयी...।
कहर अपने हाथ में लंड पकड़े उठा और मुख्य द्वार का सीटकनी लगा दीया...और उस कमरे की तरफ बढ़ा जीस कमरे में अंजना भाग कर गयी थी।
कहर जैसे ही कमरे में घुसा तो देख कर सन्न रह गया अंजना मादरजात नंगी पलंग पर लेटी थी.... उसकी बड़ी बड़ी चुचीयां उपर उठी कहर के हाथो मसलवाने को तैनात थी.. ...उसकी झांटो मे छिपी हुइ बुर को देख कहर का लंड पुरे औकात पर खड़ा हो गया।
कहर-- मैने तो सोचा तू थोड़ा बहुत नाटक करेगी लेकीन तू साली तो पक्की रंडी नीकली।
अंजना अपनी दोनो टागें फैला कर अपनी बुर को सहलाने लगी.....
अंजना-- तू भी कम थोड़ी है, अपना मुसल जैसा लंड दीखा कर पुछता है की थोड़ा बहुत नाटक करुगीं ऐसे लंड के लीये तो मै दीन रात नंगी घुमू।
कहर-- वाह रे साली....फीर आज इसी मुसल लंड से मै तेरी बुर की मरम्मत करुगाँ॥
अंजना-- तो कर जल्दी तड़पा के मार डालेगा क्या, देख कैसे मेरी बुर पानी छोड़ रही हो तेरा मुसल लंड देख कर।
कहर पलंग के पास जाता है और अपना लंड अँजना क मुह के पास करके बोला,
कहर-- पहले मेरा मुसल चुस तो कुतीया।
इतना कहना था की अंजना ने उसका लंड अपने मुह में भर लीया और कीसी कुतीया की तरह चुसने लगती है....
कहर--- आह....... चुस साली....कुतीया , आह मजा आ गया मादरचोद......और अंदर ले हां.....ऐसे ही ....फाट....फाट दो थप्पड अंजना के बड़े बड़े गांड पर जड़ देता है।
अंजना-- आह......और मार कुत्ते मेरे गांड पे थप्पड़ , मार मार के लाल कर दे और फीर से0कहर का लंड मुह में भर कर चुसने लगती है.
फाट......फाट.......फाट........फाट....की आवाज से अंजना के गांड पर जोर जोर के थप्पड़ पड़ने लगे थे,
अंजना उं....उं......उंम्ह...और थप्पड़ो की आवाज पुरे कमरे में गुंज रही थी।
करीब 10 मीनट तक अंजना ने कहर का लंड चुसा और वो 10 मीनट में अंजना की गांड थप्पड़ो से लाल टमाटर हो गया था।
कहर ने अंजना के बाल पकड़े बहुत जोर जोर से अपना लंड उसके मुह में पेलने लगता है...पुरा लंड बीना रहम के उसके हलक मे उतारने लगा खच्च.....खप्प....की आवाज अंजना के मुह से नीकलता उसके गले मे लंड पहुच जाता जीसके वजह से उसकी सासं अटक जाती लेकीन कहर उसका बाल पकड़े अपना लंड खपा खप्प पेले जा रहा था।
कहर-- आह मेरी....रंडी, ले मेरा मुसल लंड ।तुझे रोज मैं अपना लंड चुसाउगां साली...ले....ले...आह, साली गयां.......मुहं खोल के रख आह....पी मेरा पानी......फाट....फाट...आह मजा आ रहा है...ले....फाट....गांड उपर कर.।
अंजना का सकल लंड की चुदाई से लाल हो गया था और उसकी गांड लगातार पड़ रहे थप्पड़ से लाल चटनी हो गयी थी।
कहर का धक्का तेज होने लगा था ....आह ले ...रंडी गया मै....।.और एक जोर का धक्का पुरा लंड गले तक डालकर उसे अपने लंड पर मजबुती से दबा कर उसके हलक में अपना लंड का पानी छोड़ने लगता है।
अंजना को सास लेने में तकलीफ हो रही थी वो छटपटाने लगी और अपना हाथ कहर के पेट पर मारने लगी लेकीन कहर ने उसे तब तक नही छोड़ा जब तक लंड का पुरा पानी नही नीकाल दीया......॥
अंजना-- हां...हां.....जोर जोर से हाफते हुए पलंग पर गीर जाती है...और उसके उपर कहर ॥
दोनो एक दुसरे से चीतके अपनी सांसे काबू में कर रहे थे...।
कुछ समय बाद जब दोनो होश में आये तो कहर अपने पजामें का नाड़ा बंद करने लगा।
अंजना-- बंद क्यू कर रहा है।
कहर-- मेरी रंडी , महाराज उस चुड़ैल को मारने के लीये नीकलने ही वाले होगे। अगर मै समय पर नही पहुंचा तो कहर पर ही कहर टुट पड़ेगा।
अंजना-- साला खुद तो मजे ले लीया ॥ और मुझे अधुरा छोड़ कर जा रहा है।
कहर-- अरे साली, आज रात तेरी बुर का चोद चोद के पानी नीकाल दुगां॥
अंजना-- अच्छा इतना दम है, वो मेरी बुर है मेरा मुह नही जो चोद चोद के कचुम्बर बना देगा।
कहर-- रात होने दे रंडी कुतीया, बना बना कर चोदुगां....और कह कर घर से बाहर नीकल राजमहल की तरफ चल देता है।
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तो मैने सोचा क्यू ना ऐसी कहानी लीखी जाये जो कहानी हमारे पाटखो का दील जीत ले......तोये एक ऐसी कहानी लीखने की कोशीश है मेरी जो जरुर आप सब को पसंद आयेगी.....क्यूंकी ये कहानी बाकी कहानीयो से हट कर है....
तो शुरु करते है चुदक्कड़ चुड़ैल और राजा का बेटा......
कहानी है एक राज नगरी की जीस नगरी का नाम है सनकपुरी..
घने वनो से घीरा सनकपुरी, फुलो और बेल के पेड़ो के बीच सुशोभीत सनकपुरी राज्य की सुदंरता देखने की लालसा पड़ोस के हर राज्य को होती है...और होगी भी क्यूं नही क्यूकी सनक पुरी के राजा सैन्य जो की एक अच्छे राजा के तौर पर माने जाते है शायद इसलीये क्यूकी वो अपने प्रजा के सुख दुख में हमेशा तत्पर रहते है....
सनक पुरी का राजमहर जीसके अंदर ही बहुत सारे फुलो से सुशोभीत पेड़ और झरने से कल कल करती वो नदी जो शायद ही कीसी राज्य में ऐसा भव्य राजमहल देखने को मीले।
राजमहल में राजा सैन्य अपनी 3 खुबसुरत पत्नीयो के साथ राज पाठ करते थे....।
राजा सैन्य की पहली पत्नी रुपलेखा जीनका नाम ही सीर्फ रुपलेखा नही था बल्की वो खुद कीसी रुप की देवी के समान उज्वलता लीये अपने चेहरे पर कीसी चंद्रमा के समान शीतल सा सुदंर चेहरा और होठ ऐसे जैसे कीसी गुलाब की पंखुड़ी जब अपनी बाहें फैलाये अपनी कलीयो को फुल में परीवर्तीत करती है , उसी तरह जब रानी रुपलेखा अपनी मुस्कान चेहरे पर बीखेरती है तो उनके होठ कीसी गुलाब के प्खुड़ी के जैसे ही फुल मे परीवत्तीत होती हो मानो...।
रानी रुपलेखा के अगं वस्त्रो में कसे उनकी पहाड़ की चोटी के समान बड़ी बड़ी चुचीया उनकी सुदंरता में और चार चादं लगाती है, और रानी रुपलेखा की कीसी सुराही के समान गरदन और कीसी पानी के मटके के समान बड़ी और गोल सुंदर गांड जीसकी तुलना मात्र से ही राज्य के सभी दरबारीयो का लंड खड़ा हो जाता था...
राजा सैन्य की दुसरी पत्नी रानी चंद्रलेखा जो खुबसुरती मे रुपलेखा के समान ही वैद्य थी.......और उनकी तीसरी पत्नी रानी शैल्या जो की काफ़ी बुद्धीमान थी।
राजदरबार में राजा सैन्य अपने दरबारीयो के साथ सभा में बैठे थे...राजदरबार मे बेड़ीयो से जकड़ा एक0शख्श को खड़ा कीया था।
राज सैन्य-- सेनापती कहर ....इस इसानं ने ऐसी क्या गलती की है जो आज ये बंदी बनकर हमारे सामने खड़ाहै।
सेनापती कहर-- महाराज ये इसांन नही हैवान है, ईसने अपने ही बेटे को जीदां मार डाला
हां...हां....मैने अपने ही बेटे के मार डाला क्यूकीं मैं नही चाहता था की उसकी मौत और भयानक हो(इतना क्ह वो बंदी जोर जोर से रोने लगा)
राजा-- और भयानक मौत मैं कुछ समझा नही.।
बंदी-- महाराज....राज्य से दुर करीब 5 कोष एख सजनी नाम का घना जंगल है.....जीसमे एक सजनी नाम की चुड़ैल रहती है...जो हर पुर्ड चंद्रमा की रात में जवान मर्दो को उठा के ले जाती है और फीर वो लोग कभी वापस नही आते आज मेरे बेटे का दीन था...इसलीये मैने अपने ही बेटे का...(और फीर वो बंदी रोनेलगता है)
राजा सैन्य ये सुनकर बहुत क्रोधीत हुए...और वो उचेँ स्वर में बोले
सैन्य--सेनापती कहर हमारे राज्य कीप्रजईतनी तकलीफ में है और आप लोघ क्या कर रहे है।
कहर-- माफ़ करना महाराज हमने कोशीश बहुत की लेकीन वो एक जादुइ चुड़ैल है , जीसे मारना हमइसांनो कीबस की बात नही है।
यये सुन राजा सैन्य अत्यधीक क्रोधीत होते हुए उठे और बोले...
सैन्य-- हमारी राज्य की प्रजा तकलीफ में रहे और हम कुछ ना कर पाये तो मै इस राज सींहासन पर बैठने के लायक नही...मैं खुद उस जादुइ चुड़ैल को मारने उस वन में जाउगां
राजा सैन्य की ये प्रतीक्षा सुन तीनो रानीया घबरा गयी...लेकीन उनको ये पता था की राजा सैन्य जो भी प्रतीग्या करते है उसे वो जरुर करते है।
सभा समाप्त हो चुकी थी....सेनापती कहर अपने घर में बैठा शांत था...जीसे देख उसकी मां चंद्रमुखी बोली
चंद्मुखी-- क्या हुआ बेटा...इतना परेशिन क्यूं हो?
सेनापती कहर ने राजदरबार में हुइ घटना के बारे मेँ अपनी मां चंद्रमुखी को बताया जीसे सुनकर चंद्रमुखी भी भयभीत हो गयी...भोजन की थाली सेनापती कहर के सामने करते हुए चंद्रमुखी अपने ब्लाउज का बटन जो की दो खुले हुए थे उसे बंद करने लगी...जहां अनायास ही उसके बेटे कहर की नज़र पड़ी...जीसे देख कर कहर के लंड में मर्दाना तनाव होने लगा।
सेनापती कहर की उम्र अभी मात्र 25 साल की थी, और वही चंद्रमुखी की उम्र करीब 42 की थी..
इस उम्र में गजब का तनाव लीये चंद्रमुखी की चुचींया उसके ब्लाउज में समा नही पा रही थी।
आज से पहले ऐसा कभी नही हुआ था जब कहर ने अपनी मां को बड़े गौर से देखा हो और खास कर उस अंग को जीस अंग को देखने का हक एक बेटे को शायद नही है।
कहर लगातार अपनि मां चंद्मुखी की चुचीयों को नीहारे जा रहा था...और उसके लंड का तनाव भी होते जा रहा था ....कहर के अंदर एक तुफान सा उठने लगा उसके पजामे में उसका लंड एकदम पुरे तनाव पर था...
कहर खाना खाते हुए भी अपनी मां चंद्रमुखी की चुचींयो को बड़े गौर से देखे जा रहा था...और उसकी मां पंखे डुलारही थी।
कहर ने मन में सोचा की घर में ही मस्तानी पड़ी है और एक मैं हू जो बाहर मुह मारता रहता हूं, अगर मेरी मां की चुचीया मात्र देखने से मेरे लंड में ये तनाव है तो जब मै अपना मुसल लंड इसके बुर में डालुगा तो कीतना आनंद आयेगा।
वाह....रे कहर अपने लंड से अपनी मां की बुर में घर्षण पैदा करना की पुरे कमरे में सीर्फ तेरी मां की चीखे गुंजे...और तब भी तू अपनी मां की बुर को कीसी कुत्ते के भाती चोदता रहना...वाह आनंद ही आनंद,
ये सोचते सोचते कहर का भोजन समाप्त हो चुका था....लेकीनवो अभी भी उसी मुद्रा में बैठा अपनी मां चंद्रमुखी की चुचीयो को देखे जा रहा था....॥
चंद्रमुखी-- बेटा खाना खत्म हो चुका है.।
लेकीन कहर को तनीक भी सुनाइ नही दीया , वो तो अपनी मा के दुध से भरे उस कटोरे को निहारे जा रहा था.....चंद्रमुखी अब तक क इ बार आवाज दे चुकी थी लेकीन जब उसे अपने बेटे के तरफ से कोइ प्रतीक्रीया नही मीला तो उसका ध्यान सीधा अपने बेटे के ध्यान से जुड़ा तो चंद्रमुखी ने पाया की उसके बेटे का ध्यान उसखी ब्लाउज में कसी चुचीयों पर है।
चंद्रमुखी तुरतं वहां से उठ भोजन की थाली ले कर रसोइ घर में चली जाती है...जाते हुए उसकी मस्तानी गांड कभी इधर झुलती तो कभी उधर।
ये देख कहर के मुह से उफ़...की एक मादक आवाज़ नीकली जो चंद्रमुखी के कानो तक पहुचीं॥
तो उसने पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कहर उसकी बड़ी पड़ी गांड को देख रहा था....उसखे बाद चंद्रमुखी रसोइ घर में चली जाती है।
चंद्रमुखी रसोइ घर में जैसे ही पहुचती है, उसकी धड़कने तेज हो गयी थी, उसे समझ में नही आ रहा था और उसने आज जो देखा उस पर विश्वाश भी नही हो रहा था.....वो कभी सोच भी नही सकती थी की उसका बेटा उसे इस नज़र से भी देख सकता है,
वो जैसे ही रसोइ घर से बाहर नीकलने के होती है उसकी नज़र सीधा अपने बेटे के पजामे पर जाती है...जीसे देख कर चंद्रमुखी का मुह खुला का खुला ही रह जाता है।
क्यूकीं कहर का लंड अपने उफान पर खड़ा था...जो कहर के पजामे को काफी उपर तक उठा कर रखा था...ये देख चंद्रमुखी कीवाड़ के आट में खड़ी हो जाती है और मन में सोचती है...हे भगवान कीतना बड़ा है मेरे बेटे का मैने तो आज तक सोचा भी नही था की इतना बड़ा भी होता है...42 वर्षीय चंद्रमुखी का बदन अपने बेटे कहर के लंड को देख कर गरम हो गया था...।
ये बात कहर को पता था की उसकी मां उसे छुप कर देख रही है...कहर ने जानबुझ कर अपना लंड पजामे के उपर से ही अपनी हथेली में पकड़ लीया...ये देख चंद्रमुखी की हालत और खराब हो जाती है क्यूकी मुट्ठी में पकड़ा कहर का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा दीख रहा था।
चंद्रमुखी की हालत खराब हो चुकी थी उसे पसीने आने लगे थे...उसने झट से रसोइ का दरवाजा बंद कीया और वही खड़ी अपनी आखें मुदें हुए अपनी बढ़ चुकी सासों को काबू में करने लगी.।
दरवाजा बंद होते ही कहर घर से बाहर नीकल जाता है...उसे अपने लंड में लगी आग को शांत करने के लीये कोइ तो औरत चाहिए थी....उसने अपना दिमाग लगाना चालू कीया की इस वक्त ऐसी कौन सी औरत है जो उसके साथ काम क्रीडा कर सके....बहुत दीमाग लगाने के बाद भी उसे ऐसी कोइ औरत नही सूझी ॥
कहर राज महल की तरफ नीकल पड़ा...रास्ते में उसे राजकोष की देखभाल करने वाले सौजन्य जी दीखे जो की 50 साल के करीब उनकी उम्र होगी।
कहर-- प्रणाम सौजन्य जी।
सौजन्य-- प्रणाम सेनापती...कहीए राजमहल जा रहे हो।
कहर-- जी सौजन्य जी।
सौजन्य-- मै भी तो राजमहल ही जा रहा हू , लेकीन सोच रहा हू थोड़ा भोजन कर लू फीर चलते है।
कहर-- जी बिल्कूल । आप भोजन कर लिजीए और आराम से आइये तब तक मैं चलता हू।
सौजन्य-- सेनापती , मेरा घर रास्ते में ही है कुछ छंड़ मेरे घर पर बीताइये फीर दोनो साथ चलते है राज महल।
कहर-- जैसा आप उचित समझे, चलिये।
कहर और सौजन्य दोनो उसके घर पर पहुचतें है जहां सौजन्य की पत्नी अंजना घर पर सौजन्य का इतंजार कर रही थी....।
सौजन्य को देखते ही अंजना गुस्से में--- आप को समय का कुछ खयाल वयाल रहता है की नही, जब देखो राज नगरी में घुमते रहते हो । मेरा तो कुछ पड़ी ही नही है आपको केवल राज महल। एक तो आप का काम रात के पहर लगा दीया है महाराज ने और दीन में आते हो की नही सीधा सो जाते हो...मेरे लीये तो आपके पास वखत ही नही है।
अपनी पत्नी के ऐसे बर्ताव से सौजन्य जी को कहर के सामने लज्जीत होना पड़ा। और वैसे भी अंजना सौजन्य को हमेशा डाट फटकार कर ही रखती है...और सौजन्य बेचारे कुछ बोल नही पाते उनकी हालत अपनी पत्नी के सामने कीसी बेजुबान पच्छी कीतरह हो जाती है।
कहर-- अरे काकी तुम भी ना,सौजन्य जी तो अभी अभी आये है उन्हे भोजन कराइये पहले।
अंजना-- अरे सेनापती जी ये सीर्फ भोजन करने के लायक है और कुछ तो होता नही इनसे...।
इतना सुनना था की सौजन्य मुह फुलाये घर से बाहर नीकल जाता है...
अंजना-- हां ...हां जाइये मुझे कोइ फर्क नही पड़ता कह कर वही चारपाई पर बैठ जाती है...।
कहर का शातीर दीमाग घुमा और सोचने लगा की इसकी तो अपने पती से बनती नही, क्यूं ना इसके उपर ही एक आजमा कर देखता हू ॥ क्या पता काम बन जाये,
कहर सोच ही रहा था की तभी अंजना ने बोला॥
अंजना-- अरे सेनापती जी आप खड़े क्यूं है बैठीये ना , मै भी कीतनी पागल हू बैठने के लीये भीनही पूछा।
कहर-- कोई बात नही काकी(और कहते हुए खाट पर बैठ जाता है)
कहर अंजना के मांसल बदन को देख कर मस्त हो जाता है, और मन में ही सोचता है की साली है तो 45 साल की लेकीन इसकी चुचीयां साली कीतनी कठोर लग रही है, गांड तो इतनी बड़ी दीख रही की कसम से मील जाये तो मार मार कर चौड़ी कर दू।
यही सब सोचते हुए वो अंजना के बदन की नुमाईस कर रहा था, जीसे अंजना भांप लीया था।
अंजना ने सोचा की बेटा ऐसे क्या देख रहो हो ये बदन का स्वाद चखने का मन है क्या?
अंजना--(थोड़ा शरमाते हुए) ऐसे क्या देख रहे हो सेनापती जी, जैसे कभी औरत नही देखी हो।
कहर-- नही काकी, औरत तो बहुत देखी लेकीन इस उमर में भी तू मासा अल्लाह कयामत लगती है।
अंजना-- अरे कहा सेनापती जी, अब तो मैं बुड्ढी हो गयी हू...भला इस उमर में मै क्या कमाल दीखुगीं॥
अंजना की बुर आग उगल रही थी, क्यूकीं जब से उसके पती का काम रात के पहर लगा है तब से उसे अपनी उगंलीयो से काम चलाना पड़ रहा था...और सौजन्य भी ये उमर में चुदाइ जैसी चीजो दिलचस्पी नही रखता था...वो तो कभी कभार अंजना के दबाव देने पर दो चार धक्का लंड डालकर लगा देता था...।
कहर-- अरे सच में काकी तू अभी भी 25, 30 साल की क जवान औरत दीखती है...॥
अजंना अपनी तारीफ सुनकर थोड़ा मुस्कुरा देती है...।
अंजना-- सेनापती जी क्या मैं आपको अच्छी लगती हू।
कहर-- अरे काकी तू मुझे क्या सब को अच्छी लगती है।
अंजना(मुस्कुराते हुए)-- जाइए सेनापती जी आप भी ना...मेरे पती तो कभी मेरी तारीफ नही करते...शायद रात के पहर काम करने से उनकी आखें कमजोर हो गयी है...और वैसे भी कल से उनका काम दीन में हो जायेगा तोसब कुछ ठीक हो जायेगा।
कहर-- अब सौजन्य जी का काम दीन में कभी नही लगेगा।
अंजना-- क्यूं ऐसा क्यू...आज से उनका रात के पहर का काम खत्म हो जायेगा। क्यूकीं महाराज ने ही कहा था की राजकोश की दखभाल रात मैं तब तक की जायेगी जब तक राजकोश का मुख्य द्वार की मरम्मत ना हो जाये...और अब तो मरम्मत का काम पुरा भी हो चुका है...फीर क्यू?
कहर(अपने पजामे के उपर से लंड को सहलाते हुए)--- क्यूकीं अब मैं नही चाहता॥
कहर के इस तरह की हरकत देखकर अंजना बुरी तरह शरमा जाती है और पेटीकोट के अंदर उसकी बुर फड़फड़ाने लगती है....।
अंजना(शरमात हुए)-- क्यूं आप क्यूं नही चाहते?
कहर अभी भी अपने लंड को उपर से सहला रहा था जीसे अंजना तीरछी नजरो से देख भी रही थी...कहर का लंड खड़ा हो चुका था ....और अंजना की धड़कने0बढ़ने लगी थी।
कहर(लंड सहलाते हुए))-- क्यूकीं मरम्मत अभी बाकी है...।
कहर को पता चल गया था की अगर आज मौका हाथ से जाने दीया तो कल का कुछ पता नही...।
अंजना-- क...कीस चीज की मरम्मत।
इतना सुनते ही कहर ने अपना लंड पजामे से बाहर नीकालाऔर अपने मोटे लंड को हाथ में लीये बोला ईसका।
अंजना ने जैसे ही कहर कामोटा लंड देखा वो सीधा उठकर दुसरे कमरे मैं भाग गयी...।
कहर अपने हाथ में लंड पकड़े उठा और मुख्य द्वार का सीटकनी लगा दीया...और उस कमरे की तरफ बढ़ा जीस कमरे में अंजना भाग कर गयी थी।
कहर जैसे ही कमरे में घुसा तो देख कर सन्न रह गया अंजना मादरजात नंगी पलंग पर लेटी थी.... उसकी बड़ी बड़ी चुचीयां उपर उठी कहर के हाथो मसलवाने को तैनात थी.. ...उसकी झांटो मे छिपी हुइ बुर को देख कहर का लंड पुरे औकात पर खड़ा हो गया।
कहर-- मैने तो सोचा तू थोड़ा बहुत नाटक करेगी लेकीन तू साली तो पक्की रंडी नीकली।
अंजना अपनी दोनो टागें फैला कर अपनी बुर को सहलाने लगी.....
अंजना-- तू भी कम थोड़ी है, अपना मुसल जैसा लंड दीखा कर पुछता है की थोड़ा बहुत नाटक करुगीं ऐसे लंड के लीये तो मै दीन रात नंगी घुमू।
कहर-- वाह रे साली....फीर आज इसी मुसल लंड से मै तेरी बुर की मरम्मत करुगाँ॥
अंजना-- तो कर जल्दी तड़पा के मार डालेगा क्या, देख कैसे मेरी बुर पानी छोड़ रही हो तेरा मुसल लंड देख कर।
कहर पलंग के पास जाता है और अपना लंड अँजना क मुह के पास करके बोला,
कहर-- पहले मेरा मुसल चुस तो कुतीया।
इतना कहना था की अंजना ने उसका लंड अपने मुह में भर लीया और कीसी कुतीया की तरह चुसने लगती है....
कहर--- आह....... चुस साली....कुतीया , आह मजा आ गया मादरचोद......और अंदर ले हां.....ऐसे ही ....फाट....फाट दो थप्पड अंजना के बड़े बड़े गांड पर जड़ देता है।
अंजना-- आह......और मार कुत्ते मेरे गांड पे थप्पड़ , मार मार के लाल कर दे और फीर से0कहर का लंड मुह में भर कर चुसने लगती है.
फाट......फाट.......फाट........फाट....की आवाज से अंजना के गांड पर जोर जोर के थप्पड़ पड़ने लगे थे,
अंजना उं....उं......उंम्ह...और थप्पड़ो की आवाज पुरे कमरे में गुंज रही थी।
करीब 10 मीनट तक अंजना ने कहर का लंड चुसा और वो 10 मीनट में अंजना की गांड थप्पड़ो से लाल टमाटर हो गया था।
कहर ने अंजना के बाल पकड़े बहुत जोर जोर से अपना लंड उसके मुह में पेलने लगता है...पुरा लंड बीना रहम के उसके हलक मे उतारने लगा खच्च.....खप्प....की आवाज अंजना के मुह से नीकलता उसके गले मे लंड पहुच जाता जीसके वजह से उसकी सासं अटक जाती लेकीन कहर उसका बाल पकड़े अपना लंड खपा खप्प पेले जा रहा था।
कहर-- आह मेरी....रंडी, ले मेरा मुसल लंड ।तुझे रोज मैं अपना लंड चुसाउगां साली...ले....ले...आह, साली गयां.......मुहं खोल के रख आह....पी मेरा पानी......फाट....फाट...आह मजा आ रहा है...ले....फाट....गांड उपर कर.।
अंजना का सकल लंड की चुदाई से लाल हो गया था और उसकी गांड लगातार पड़ रहे थप्पड़ से लाल चटनी हो गयी थी।
कहर का धक्का तेज होने लगा था ....आह ले ...रंडी गया मै....।.और एक जोर का धक्का पुरा लंड गले तक डालकर उसे अपने लंड पर मजबुती से दबा कर उसके हलक में अपना लंड का पानी छोड़ने लगता है।
अंजना को सास लेने में तकलीफ हो रही थी वो छटपटाने लगी और अपना हाथ कहर के पेट पर मारने लगी लेकीन कहर ने उसे तब तक नही छोड़ा जब तक लंड का पुरा पानी नही नीकाल दीया......॥
अंजना-- हां...हां.....जोर जोर से हाफते हुए पलंग पर गीर जाती है...और उसके उपर कहर ॥
दोनो एक दुसरे से चीतके अपनी सांसे काबू में कर रहे थे...।
कुछ समय बाद जब दोनो होश में आये तो कहर अपने पजामें का नाड़ा बंद करने लगा।
अंजना-- बंद क्यू कर रहा है।
कहर-- मेरी रंडी , महाराज उस चुड़ैल को मारने के लीये नीकलने ही वाले होगे। अगर मै समय पर नही पहुंचा तो कहर पर ही कहर टुट पड़ेगा।
अंजना-- साला खुद तो मजे ले लीया ॥ और मुझे अधुरा छोड़ कर जा रहा है।
कहर-- अरे साली, आज रात तेरी बुर का चोद चोद के पानी नीकाल दुगां॥
अंजना-- अच्छा इतना दम है, वो मेरी बुर है मेरा मुह नही जो चोद चोद के कचुम्बर बना देगा।
कहर-- रात होने दे रंडी कुतीया, बना बना कर चोदुगां....और कह कर घर से बाहर नीकल राजमहल की तरफ चल देता है।
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