RE: चूतो का समुंदर में डुपकी
(मैं अपने मन मे सोचा कि क्या इसे बताऊ मेरे सपने के बारे मे…फिर सोचा कि नही अभी नही फिर कभी)
मैं- अरे कुछ नही भाई, वो आज रश्मि ने लंड चूसा …वही सोच कर लंड अकड़ रहा था
संजीव- साले अभी तो मत सोच ये स्कूल है
मैं- तो क्या हुआ बे
संजीव- क्या भाई अब यहाँ तेरे खड़े लंड को कौन शांत करेगा
मैं-मन मे(पूनम है ना..)
(पूनम संजीव की सिस्टर थी…मैने उसे चोदा था ….ये कैसे हुआ वो कहानी आगे आयगी…वो हम से 2 साल बड़ी है..लेकिन पढ़ाई मे कमजोर है तो जैसे तैसे 11थ मे पहुचि है इस साल…मतलब हम से 1 क्लास पीछे)
संजीव- भाई तेरे तो मज़े है घर पर चूत ओर गंद खुली मिलती है…मैं क्या करू मुझे तो कभी-2 ही मिल पाती है....
(संजीव के घर उसकी ग्रूप फॅमिली थी…संजीव के मोम डॅड के अलावा दो सिस्टर थी …बड़ी पूनम थी,,,ऑर उससे भी बड़ी थी सोनी…जिसकी शादी हो गई थी…इसके अलावा संजीव की 2 कज़िन सिस्टर भी थी….रक्षा ऑर अनु…रक्षा संजीव से 1 साल छोटी थी ऑर अनु संजीव के बराबर ही थी.....दोनो हमारे ही स्कूल मे पढ़ती है)
मैं-(थोड़ा सोच कर)- संजीव 1 बात कहूँ…लेकिन बुरा मत मानना
संजीव- बोल भाई …तेरी किसी बात का बुरा माना है आज तक
मैं- लेकिन भाई अभी जो मैं बोलने वाला हूँ वो सुनकर शायद तू बुरा मान जाय
संजीव-भाई दिल खोल कर बोल…बुरा नही मनुगा…तू बोल ना भाई
मैं(झिझकते हुए)- भाई तू अपने घर मे किसी को सेट कर ले ना. तेरी प्राब्लम सॉल्व हो जाएगी...
संजीव(थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोला)- भाई क्या बात कर रहा है....???
मैं-मैने पहले ही बोला था कि बुरा मत मानना, मैने तो इसलिए कहा कि अगर तेरे घर मे तुझे कोई चोदने के लिए मिल गई तो तेरा रास्ता सॉफ हो जाएगा ओर तू घर मे ही मज़े करेगा....
संजीव(थोड़ा खुश होते हुए ऑर झिझकते हुए)- भाई….सच कहूँ….तुझसे क्या छिपाना…..चाहता तो मैं भी हूँ...
मैं- पर क्या..???
संजीव(थोड़ा सोचकर)- मैं किसके साथ…मतलब मुझसे कौन ….समझ ना..
मैं- समझा....ये बात है…अच्छा तू एक बात बता
संजीव-हाँ बोल क्या..???
मैं-तुझे तेरे घर पर किसी को देखकर मन करता है चोदने का...सच बताना
संजीव(काफ़ी देर सोचकर)-हाँ... ....हहा...भाई..बट
मैं-बट क्या..??? ..बोल ना
संजीव(झिझक के साथ)- भाई तू हँसेगा मुझ पर
मैं-भाई तू मेरा खास दोस्त है मैं हँसूँगा नही..बल्कि तेरी हेल्प करूगा....ताकि तू भी मज़े कर पाए
संजीव-(झिझकते हुए)-मेरी...म्म्म...मम्मी
मैं(शॉक्ड होकर)- सच में...????
संजीव-हाँ भाई..ऑर नज़रे झुका लेता है
मैं-तो शरमाता क्यो है बोलना...कि तू तू अपनी मम्मी को छोड़ना चाहता है...??
संजीव-हाँ..बट मम्मी...कैसे..???
मैं (कुछ सोच कर)-अच्छा ये बता कि तेरी फीलिंग्स क्या होती है जब तेरी मोम तेरे सामने आती है ..बोल
संजीव-भाई सच बोलू
मैं-हाँ बिल्कुल सच
संजीव-(शरमाते हुए)-भाई जब मम्मी को देखता हूँ..तो मेरा लंड अकड़ने लड़ता है ऑर उनकी गंद को देख कर तो…हहायी….क्या गाड़ है मेरी माँ की...लगता है कि 1 ही झतके मे लंड उसकी गंद मे उतार दूं पर...
संजीव(गुस्से से)- भाई डर लगता है...ओर वो राह चलती रंडी थोड़े ही है जो मैं बोलू ऑर वो चुदने आ जाय...माँ है मेरी...उसकी गंद के चक्कर मे मेरी गंद ना फट जाए
मैं-(हंसते हुए)-भाई तू बस ये पता कर कि तेरी माँ चुदाई की शौकीन है या नही...बाकी आगे हम देख लेगे
संजीव-भाई चुदासी तो बहुत है
मैं- तुझे कैसे पता
संजीव- भाई मैने 1 दिन मोम-डॅड को चुदाई के दौरान बाते करते हुए सुना था
मैं-क्या तूने उनकी चुदाई देखी...??
संजीव- नही भाई सिर्फ़ सुना
मैं- क्या सुना..??
संजीव- भाई मेरी माँ डॅड से बोल रही थी कि आज फिर आप पीछे रह गये...अब मैं क्या करूँ तो डॅड बोले तुम्हे तो बस लंड चाहिए ...मैं थक जाता हू काम करते हुए...मैं इतना ही कर सकता हूँ...तो मेरी माँ ने कहा ठीक है तो ये बताओ मैं अब मेरी चूत को कैसे ठंडा करूँ...
तो डॅड बोले रुक मैं अभी तेरी चूत चाट कर ठंड करता हूँ..
इसके बाद डॅड मोम की चूत चूसने लगे..
मैं- तूने देखा क्या..??
संजीव –अरे नही यार वो माँ की सिसकारियों से समझ आ गया था…
मैं- तो इसमे ये कैसे पता चला कि तेरी माँ चुदासी है
संजीव- भाई डॅड चूत चूस्ते हुए बोल रहे थे…कि साली अभी भी तेरी चूत इतनी तड़पति है चुदने को तो माँ बोली कि मेरा बस चले तो 2-2 लंड 1 साथ ले लूँ…लेकिन मैं तुमसे ही काम चलाना चाहती हूँ…तो डॅड ने भी हंस के बोला कि कोई नही मैं हूँ ना
उसके बाद मैं वहाँ से निकल गया
मैं- फिर भी सवाल वही है कि तेरी माँ चुद कैसे सकती है
संजीव-भाई अगर उसे कोई तगड़ा लंड मिल जाय ऑर उसे लेने मे कोई बदनामी ना हो तो वो ले लेगी…इतना बोल सकता हूँ
मैं-तो तू दिखा दे अपना
संजीव- नही भाई मेरा तो नॉर्मल है...ऑर मैं उसका बेटा हूँ...नही बहकेगी
मैं- तो फिर क्या...???
संजीव-1 आइडिया है भाई
मैं- ऑर वो क्या है साले..??
संजीव- भाई अगर मेरी माँ तेरा लंड ले ले तो…???
मैं- ऑर भैनचोद वो कैसे लेगी
संजीव-भाई तेरा लंड मुझसे तगड़ा है…ऑर अगर तुझसे चुद भी गई तो बदनामी भी नही होगी उसकी…इतना वो जानती है
मैं- चल साले वो नही मानेगी
संजीव-भाई ट्राइ तो कर मान जाएगी
मैं(थोड़ा सोच कर)- अच्छा माना कि मान गई ऑर मेरा लंड ले लिया …तो इसमे तेरा क्या फ़ायदा
संजीव-भाई तू लेगा तो मैं भी ले लुगा उसकी
मैं- कैसे...???
संजीव- भाई मोम तुझसे चुदने लगेगी तो मैं उसकी चोरी पकड़ लुगा ..ऑर उसे चोदने को बोलुगा
मैं-मतलब, ब्लॅकमेल करेगा साले
संजीव-हाँ
मैं-नही भाई जबरन की चुदाई मे मज़ा नही आता…चुदाई वही अच्छी होती है जब पार्ट्नर दिल से चुदवाये…
संजीव-तब तो मेरा कुछ नही होगा
मैं-(कुछ सोच कर)- भाई 1 काम हो सकता है
संजीव- क्या???
RE: चूतो का समुंदर मे डुपकी
घर आते हुए मैने संजीव को प्लान समझा दिया ऑर उसे उसके घर ड्रॉप करके मैं अपने घर आ गया…अंदर आते ही मुझे रेखा मिल गई…वो बोली
रेखा- सर खाना लगा दूं
मैं- नही अभी मूड नही…
रेखा-सर तो मैं मूड बना दूं....रूम मे आउ क्या..??
मैं रेखा के पास गया ऑर अपने हाथ से उसकी गंद दवाकर बोला
मैं-अभी नही मेरी रांड़…मैं सो रहा हूँ…2-3 घंटे बाद मुझे जगाना …तब तेरी गंद पेलुगा….ओके
रेखा-ओके सर
इसके बाद मैं अपने रूम मे गया ऑर कपड़े निकाल कर बेड पर लेट गया…मैं सिर्फ़ अंडरवर मे लेटा हुआ था….तभी मेरा सेल बजने लगा…मैने सेल देखा तो रेणु का कॉल था
( कॉल पर)
मैं-हाई सेक्सी
रेणु-हेलो माइ स्वीट हार्ट
मैं-कैसे कॉल किया
रेणु-क्या मुझे अपनी जान को कॉल करने के लिए काम होना ज़रूरी है
मैं-नही डार्लिंग…मैं थोड़ा सोने जा रहा था…तो पूछ लिया…अच्छा सुना
रेणु-क्या सुनाऊ…तुझे तो मेरी फ़िक्र ही नही भाई….
मैं-ऐसा क्यो बोल रही है…बोल तो अभी आ जाउ
रेणु-नही भाई अभी नही…मैं तो ऐसे ही बोल रही थी…कुछ दिन बाद मोम ऑर भाई रिलेटिव के यहाँ जायगे तब आना
मैं-ओके मेरी जान…तू जब कहे
रेणु-तब तक मैं वेट कर रही हूँ…अच्छा ये बताओ मैने जो कहा था वो किया..??
(रेणु ने मुझे कहा था कि मैं डॅड से पुच्छू कि हमारी प्रॉपर्टी कितनी है ऑर क्या-क्या है और किसके नाम पर है)
मैं-नही जान अभी नही…डॅड टूर पर है..आएगे तो पूछ लुगा
रेणु—ओके…आते ही पूछ कर बताना..ओके अब सो जाओ बाद मे बात करेगे ..बब्यए जान
मैं-बब्यए जान
फोन रखने के बाद मैं सोचने लगा कि रेणु को क्यो पड़ी है मेरी प्रॉपर्टी के बारे मे जान ने की…फिर मेरे दिल ने कहा कि अरे ऐसे ही पूछ रही होगी…प्यार जो करती है तुझे..
मेरा दिल ओर दिमाग़ अलग-2 सोच रहा था…पता नही दिल सही था या दिमाग़…मैने सोचा अभी दिल ऑर दिमाग़ दोनो को चुप करो ऑर सो जाओ….इतना अपने आप से बोलकर मैं सोने लगा
इसके बाद मैं अपने सपनो की दुनिया मे चला गया…लेकिन फिर से मेरे सपनो मे वही आया कि कई हाथ मेरे गले को दवा रहे है ऑर मैं मर रहा हू….आज फिर आख खुलते ही मैने देखा कि मेरे हाथ ही मेरे गले को दवा रहे है…मैं चौक कर बेड से खड़ा हो गया ओर थोड़ी देर शांत खड़ा रहा…जब मैं नॉर्मल हुआ तो बाथरूम मे घुस गया…
मेरे बाथरूम मे जाते ही रेखा मेरे रूम मे एंटर हुई ओर मुझे बेड पर ना देख कर मेरा वेट करने लगी…
अंदर बाथरूम मे मैं पूरा नंगा था ओर अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर देख रहा था जो अवी भी तना हुआ था…मैं सोचने लगा कि ये भी हमेशा चूत मागता है साला..ऑर सोचते ही मुझे हसी आ गई….बाथरूम से मेरी हसी की आवाज़ सुनकर रेखा बोली…
रेखा-क्या हुआ सर…आप अकेले ही हंस रहे है या कोई साथ मे है आपके
मुझे रेखा की आवज़ सुनकर याद आया कि इसे तो मैने ही बोला था जगाने को…आज इसकी गंद मारने को भी बोला था…तो मैने रेखा से कहा
मैं-रेखा आ गई तुम
रेखा-हाँ सर आपने ही तो बुलाया था
मैने बाथरूम का गेट ओपन किया तो रेखा सामने ही खड़ी थी…ओर मैं रेखा के सामने…वो भी पूरा नंगा ऑर मेरा लंड पूरी औकात से खड़ा हुआ था ओर मेरी पूरी बॉडी पर पानी की बूदे चमक रही थी…
मैने देखा कि रेखा की आँखे मेरे लंड पर अटक गई है और रेखा मूह खोले खड़ी हुई थी...
मैने देखा की रेखा मॅक्सी पहने हुए थी…ओर उसमे उसके कबूतर(बूब्स) फड़फदा रहे थे बाहर आने को…क्या बूब्स थे साली के
मैं कुछ देर बाद बोला...
मैं-रेखा मॅक्सी निकाल कर आओ…
रेखा अभी भी लंड को देखकर मूह खोले खड़ी थी…मेरी बात सुनकर बिना कुछ बोले अपनी मॅक्सी निकालने लगी….रेखा की मॅक्सी निकलते ही वो ब्रा-पैंटी मे मेरे सामने थी…अब उसके बूब्स के साथ उसकी गंद भी क़हर ढा रही थी मेरे लंड पर….
रेखा धीरे-2 मेरे पास आई ऑर बाथरूम के गेट पर ही घुटनो के बल बैठकर मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगी ऑर मेरे बॉल्स को अपनी जीब से चाटने लगी
थोड़ी देर की लंड चुसाइ से ही मैं झड़ने की कगार पर था क्योकि...संजीव की माँ-बहिन को चोदने की बातो से ही मेरा लंड भरा था...ओर फिर रेणु के कॉल ने उसे ऑर भर दिया था....तो अब मेरा लंड जल्द से जल्द खाली होना चाहता था...
मैने रेखा के सिर को दोनो हाथो से पकड़ के अपने लंड पर दवा दिया ओर लंड को तेज़ी से रेखा के मूह मे पेलने लगा
रेखा-ग्ग्गहूओ.......ओउउउम्म्म्मम....ग्ग्गूऊूगगघहूऊ......ऊऊऊम्म्म्ममममम
करे जा रही थी ऑर
मैं-आआआहह.....आययययययएसस्स.....ऊऊऊहहूऊ....आआहह....यययययई.....को
करे जा रहा था
2-3 मिनिट मे ही मेरे लंड का लावा फुट कर रेखा के गले से होते हुए उसके पेट मे जाने लगा ओर कुछ हिस्सा उसके होंठो से नीचे उसके गले से होते हुए उसके बूब्स पर ऑर फर्श पर जाने लगा….
जब तक मेरे लंड की आख़िरी बूँद ना निकल गई…मैने रेखा के सिर को छोड़ा नही…जब मेरा लंड रस ख़तम हो गया तो मैने रेखा के सिर को छोड़ दिया
मेरे छोटे ही रेख खाँसते हुए खो-खो करने लगी
ऑर जब नोमाल हुई तो बोली
रेखा- माअर ही…खो-खो …डाला
मैं-अवी कहाँ साली…अभी तो मारना बाकी है
रेखा- तो रोका किसने है….मारो
इतना कह कर रेखा अपने होंठो पर ऑर गले पर लगा हुआ मेरा लंड रस हाथ मे लेकर चाटने लगी
रेखा के बारे मे ये बता दूं कि रेखा को वाइल्ड सेक्स ज़्यादा पसंद है…ओर उसकी 1 फंट्सी भी है …वो बाद मे ,,,,
रेखा ने जब पूरा लंड रस चाट लिया तो मैने कहा
मैं- चल साली नंगी हो जा ...आज तेरी गंद के परखच्चे उड़ाने है
रेखा- फाड़ डालो....लेकिन प्यार से नही.....कुतिया की तरह ....ऑर हंसने लगी
मैं-तो देख आज तुझे कैसे कुतिया की तरह....मज़ा देता हूँ....बहन की लूडी 2 दिन बेड से भी नही उठ पायगी
रेखा – (पैंटी निकालते हुए)-बिल्कुल ऐसे ही मज़ा आता है मुझे....
ऑर रेखा नंगी होकर मेरे पास आ गई...
मैने रेखा के ईक बूब्स को हाथ से पकड़ा ओर दूसरे को मूह मे भर लिया ओर अपना दूसरा हाथ पीछे ले जाकर उसकी गंद को दबोचा ….
तो रेखा की चीख निकल गई
रेखा- आअहह…..मदर्चोद…हाथ से ही फाडेगा क्या
मैं-चुप कर कुतिया ऑर फिर से मैं उसके बूब को चूसने लगा
मैं रेखा की गंद जोरो से दवा रहा था ऑर हाथ से 1 बूब को मसल रहा था….तभी रेखा की चीख निकल गई …पहले से जोरदरर चीख थी
रेखा- आआआहह….म्म्माअररर गग्ग्गाऐइ ….साले काट मत
(मैने रेख के बूब्स को दातों से काट लिया था)
मैं- साली कुतिया की तरह फाड़ना है…तो कुतिया की तरह की खाना होगा तेरे बूब्स को…ओर मैं फिर से बूब्स चूसने लगा…
इधेर रेखा मेरे मुरझाए लंड को हाथ मे लेकर हिला रही थी ऑर मसल रही थी...
थोड़ी देर इसी तरह बूब्स चुसाइ करने के बाद मैने रेखा को पलटा कर अपनी गोद मे उठा लिया....मतलब अब रेखा की चूत मेरे मूह के सामने थी ऑर मेरा लंड रेखा के मूह के सामने...
(मैं डेली जिम करता हू...तो बॉडी दमदार है...)
मेरे ऐसा करते ही रेखा ने मेरे आधे खड़े लंड को मूह मे भर लिया ओर उसे तैयार करने लगी ओर मैं रेखा की चूत की चुसाइ करने लगा
रूम मे बस सिसकारियाँ ही सुनाई दे रही थी…मतलब बाथरूम मे
मैं-साली तेरी माँ को भी ऐसे ही चोदुगा…साली कुतिया की बच्ची
थोड़ी देर बाद रेखा को राहत मिली जब मैने अपनी उंगलिया उसकी गंद से बाहर निकाल ली
मैने उंगली निकालते ही अपना लंड जो अब थोड़ा सूख गया था …रेखा की गंद पर सेट करके 1 ही बाद मे अंदर उतार दिया
रेखा—आआआआअ………….ईईईईईईईईईईईईई
बस इतना ही बोल पा रही थी
मैने फिर ताबड़तोड़ तरीके से अपना लंड रेखा की गंद मे फुल स्पीड से आगे-पीछे करना स्टार्ट कर दिया
सविता कॉफी बनाने चली गई ओर मैने सोच लिया कि अब सविता को उसके बेटे से चुदवा के रहुगा बट अभी फोकस संजीव की घर की तरफ….सविता को बाद मे देखेगे….….
ओर मैं संजीव के घर के लिए प्लान बनाने लगा
कॉफी पीते हुए मुझे कुछ आइडिया आया..अगर ये काम कर गया तो संजीव की मोम के साथ-साथ उसके घर की हर चूत ऑर गंद मैं ही मारूगा…बट इसमे रिस्क है..ऑर मुझे पहले किसी से बात करनी पड़ेगी…अकेले मुस्किल होगा
ये सब सोचते हुए मैने कॉफी ख़त्म की ऑर अपनी कार लेकर संजीव के घर की तरफ निकल गया…..
(संजीव का घर दो फ्लॉर का था
ग्राउंड फ्लॉर पर उसके मोम-डॅड ऑर उसके चाचा-चाची का रूम था ऑर बाकी सब भाई बेहन के रूम 1स्ट फ्लॉर पर थे…
संजीव के डॅड ओर अंकल साथ मे बिज़्नेस करते थे …उनकी स्वीट्स की शॉप थी….ज़्यादा बड़ी तो नही बट अच्छी शॉप थी ऑर पैसा अच्छा था क्योकि…उनकी शॉप की स्वीट्स शहर भर मे फेमस थी…क्वालिटी अच्छी देते थे ना……इसके अलावा अंकल को शेर मार्केट मे ट्रेडिंग करने की आदत थी…वो बेट्टिंग भी करते थे…पैसे की भूख थी उन्हे)
मैने कार बाउंड्री मे पार्क की ऑर मेन गेट पर नॉक किया ही था कि….
एक खूबसूरत माल ने गेट ओपन करते ही बोला…
लड़की-आ गये जनाब
मैं-(अंदर झाँक कर, आस-पास कोई नही था)-हाँ मेरी रानी
(ये लड़की ऑर कोई नही पूनम ही थी…संजीव की बड़ी बेहन ऑर मेरी 1 ऑर रांड़…ये मेरी कैसे बनी ये कहानी आगे आयगी…वेट कीजिए)
पूनम-अब यही रुकने का इरादा है या अंदर आओगे
मैं-क्यो नही…यहाँ अंदर आने के लिए ही तो आया हू,,,ऑर मेरा घौड़ा भी अंदर आयगा
पूनम-(मुस्कराते हुए)-हाँ…वो तो ज़रूर जाएगा…अब कहाँ –कहाँ जा पाएगा..ये तो कह नही सकते
मैं-अगर आप साथ दे तो हर जगह जायगा..इतना बोल कर मैने पूनम को आँख मार दी
तभी मुझे संजीव नीचे उतरकर मेरे पास आता हुआ दिखा ..मैने कहा
मैं-हाई ड्यूड
संजीव- आ गया तू
(संजीव की आवाज़ सुनकर पूनम सरीफ़ बनते हुए...अंदर चली गई ओर मैं संजीव के साथ हॉल के अंदर आ गया)
संजीव-मोम…अक आ गया है
(यहाँ मैं संजीव की मोम को मैं आंटी 1 ऑर संजीव की आंटी को आंटी 2 लिखुगा)
आंटी1-अर्रे …आओ-आओ बेटा(ये कहते हुए आंटी किचन से बाहर आई….
(मैने संजीव की मोम को पहले भी देखा था …माल तो वो थी ही लेकिन आज तो क़हर ही ढा रही थी …ऐसा इसलिए था क्योकि आज मैं उन्हे चोदने का सोच कर आया था)
मैं-हेलो आंटी
आंटी1- ऑर कैसे हो बेटा ..डॅड कैसे है
मैं-अच्छे है आंटी आप बताए
आंटी1-बस बेटा मज़े मे है
मैं आंटी को देख कर खुश हो गया ..क्या माल थी यार…38 के बूब्स होगे शायद …मज़ा आज़ायगा…ऑर गंद तो 40 से भी बड़ी होगी…इसकी गंद मारने मे मज़ा आयगा…यही सब सोच ही रहा था कि मेरे कंधे पर एक हाथ पड़ा...
संजीव- क्या सोच रहा है
मैं(मुस्कुराते हुए)- कुछ नही भाई
आंटी1- बेटा तुम बैठो मैं कॉफी लाती हूँ…तुम्हे कॉफी पसंद है ना…
मैं- हाँ आंटी…आपको याद है
आंटी 1- हाँ बेटा ,,,तुम भूल गये मुझे लेकिन मुझे तो सब याद है
(बचपन मे मैं आंटी के बूब्स देखता रहता था …एक बार आंटी ने मुझे ऐसा करते हुए देख भी लिया था…शायद वही बोल रही थी)
मैं-अरे नही आंटी मैं भी नही भूला….अब यहाँ रुकने वाला हूँ तो सब यादे ताज़ा हो जायगी….ऑर मैने मुस्कुरा दिया
आंटी1- (मुस्कुराते हुए)- हाँ बेटा सब ताज़ा हो जायगी…
इतना बोल कर आंटी1 किचेन मे चली गई तभी….दूसरी तरफ से एक मीठी सी आवाज़ आई…आरीए ..अक…कैसा है तू…मैने आवाज़ की तरफ देखा तो मेरी आँखे बड़ी हो गई
मेरे सामने संजीव की आंटी खड़ी थी….ये भी मस्त माल थी….38-32-40 का दमदार फिगर ऑर वो भी ब्लू कलर की मॅक्सी मे कयामत ढा रही थी…मेरा तो लंड तन ने लगा
आंटी2- क्या हुआ…पहचाना नही क्या
मैं-(होश मे आते हुए)- हाँ आंटी …पहचाना क्यो नही…कैसी है आप
आंटी2- आज टाइम मिला है पूछने का कि कैसी हू मैं…..कभी आता भी नही अब तो
मैं- अर्रे आंटी पढ़ाई ऑर स्कूल मे ही बिज़ी रहता हूँ….सॉरी
आंटी2-कोई बात नही पढ़ाई तो ज़रूरी है…बट कभी-2 आ जाया कर
मैं-हाँ आंटी बिल्कुल
इतने मे आंटी1 कॉफी लेकर आ गई ऑर हम सबने बैठ कर कॉफी विद अक स्टार्ट कर दिया…हाहहहहा…
तभी हॉल मे 2 लड़किया एंटर हुई ऑर आंटी2 से बोली…मोम मुझे मैथ की ट्यूशन करना है कुछ समझ नही आता स्कूल मे…दूसरी लड़की भी साथ देते हुए बोली मोम मुझे भी…
जब मैने मुड़कर देखा तो ये रक्षा ओर अनु थी…मुझे देखते ही
रक्षा-भैया आप….कैसे हो…कब आए
अनु- भैया इतने दिनो बाद …कहाँ रहते हो आप
RE: चूतो का समुंदर,मे डुपकी
वो दोनो मुझसे पूछ रही थी ऑर मैं उन्हे देख कर खो सा गया कि क्या माल हो रही है दोनो….इनकी मिल जाय तो कली से फूल बना दूं…
अचानक अपनी सोच से बाहर आकर मैने कहा
मैं-मैं यही रहता हूँ…घर पर..ऑर इतने दिनो मे आया…मतलब क्या…कभी बुलाया जो ऐसा बोल रही हो...
रक्षा-तो आप बुलाने पर ही आओगे क्या….अपनी बहनो से मिलने भी नही आ सकते
अनु-हाँ भैया बोलो अब
मैं(मन मे सोचते हुए कि मुझे पता होता कि यह माल ही माल बन गये हो तुम सब तो ज़रूर आता…कोई बात नही अब आया हूँ तो आता ही रहुगा)
मैं-अरे ऐसा नही है…अच्छा बाबा सॉरी अब शिकायत का मौका नही दूगा ओके
रखा-ओके भैया…अब आप यही रुकिये कुछ दिन हमारे साथ
अनु-हाँ भैया…हमे मैथ पढ़नी है आपसे…आप तो स्कूल मे मत के टॉपर हो
(मैं चुदाई के पहले पढ़ाई मे भी आगे ही…अपने स्कूल का टॉपर ऑर मैथ मे तो मास्टर हूँ)
अनु ऑर रक्षा की बात सुनकर आंटी1 बोली...
आंटी1- हाँ बेटा अक 15 दिन यही रहेगा हमारे साथ
अनु-वाउ
आंटी-और ये तुमको भी पढ़ा देगा क्यो बेटा(यानी कि मैं)
मैं- हाँ आंटी क्यो नही…..इन्हे तो सिखाना ही पड़ेगा…तभी तो आगे बढ़ेंगी
रक्षा-सच्ची भैया….थॅंक यू
अनु-थॅंक्स भैया
आंटी2-अब तुम दोनो चेंज करके पढ़ने बैठ जाओ ….अक भैया भागे नही जा रहे
रक्षा-ओके मोम
अनु-ओके मोम
मैं संजीव आंटी1 और आंटी2 कुछ देर ऐसे ही बातें करते रहे फिर आंटी बोली
आंटी1-बेटा क्या बनाऊ…आज तुम्हारे मन का खाना बनाउन्गी
मैं-ऑंटी..आप जो बनाए वो ही अच्छा लगेगा मुझे तो
आंटी2-वेरी स्वीट …फिर भी तुम्हे बताना ही होगा
संजीव-मोम अक को तो चिकन ही सबसे ज़्यादा पसंद है
आंटी1- तो आज चिकन ही बनेगा
आंटी2- संजू(संजीव को प्यार से संजू बुलाते है) जाओ तुम मार्केट से चिकन लाओ…आज अक को अपने हाथ से बना के खिलाती हूँ
मैने मन मे कहा …तेरे जैसी मुर्गी मिल जाय तो रात भर दवा कर खाउन्गा
संजीव- अवी जाता हूँ
मैं-अर्रे ..क्या ज़रूरत है…ऑर कुछ बना लो
आंटी1-तू चुप कर…..संजू आ मैं पैसे देती हूँ, चिकन ला…ऑर मेघा(आंटी2) तू तैयारी कर खाने की….अक बेटा तू फ्रेश हो जा …मैं भी नहा लेती हूँ जब तक
(इसके बाद आंटी1 ऑर संजीव आंटी1 के रूम मे गये ऑर आंटी 2 मुझे उपर जाने का बोल कर किचेन मे चली गई)
मैने सीडीयो से उपर पहुचा तो दोनो तरफ 2-2 रूम थे
मैं 1 तरफ जा ही रहा था कि अचानक 1 रूम का गेट खुला ओर 1 हाथ ने मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीच कर रूम के अंदर कर दिया ओर फिर अंदर से गेट बंद कर दिया
मैने पलट कर देखा तो पूनम थी
मैं- क्या कर रही है
पूनम-अब कंट्रोल नही होता…ओर इतना कह कर पूनम मेरे उपर टूट पड़ी ओर मुझे चूमने लगी
मैने उसे पीछे करते हुए कहा
मैं- यार कोई देख लेगा तो
पूनम- कोई नही आयगा …सब बिज़ी है…अनु ऑर रक्षा नहाने गई है…मेरी मोम भी नहाने गई है…भाई (संजीव) चिकन लेने मार्केट गया…आंटी किचेन मे है…डॅड ओर अंकल शॉप पर है..
इतना बोल कर पूनम मेरे पास आई ओर मेरे होंठो को चूसने लगी…मैं भी उसका साथ देने लगा…5 मिनट की किस्सिंग के बाद हम गरम होने लगे कि तभी नीचे से आवाज़ आई
आंटी 1- पूनम मैं नहाने जा रही हूँ…अक को कुछ चाहिए हो तो पूछ लेना
पूनम-हाँ मोम…उसे जो चाहिए वो दे दुगी..आप टेन्षन मत लो…ऑर पूनम मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी….ऑर मैं भी उसका साथ देने लगा
फिर हम किस करने लगे ….ऑर पूनम बोली
पूनम-आज रात को रेडी रहना….
मैं-बट संजीव
पूनम-तुम बस चुप रहना बाकी मुझ पर छोड़ दो
मैं-ओके
इतना बोलकर पूनम रूम से बाहर निकल गई…क्योकि ये रूम संजीव का था ऑर अगले 15 दिनो तक मेरा भी…
मैने भी अपना समान रखा ऑर फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चला गया…..
आज मैं संजीव के बाथरूम मे था….नहाते हुए मैं सोच रहा था कि ऐसा क्या करू कि संजीव की माँ को चुदाई के लिए तैयार करूँ…
मैं सोच रहा था कि पूनम की चुदाई भी करनी है बट संजीव के होते हुए कैसे कर पाउन्गा….
मैं सोच रहा था कि पूनम की चुदाई भी करनी है बट संजीव के होते हुए कैसे कर पाउन्गा….
तभी मुझे 1 आइडिया आया कि क्यो ना मैं पूनम से बात करूँ कि मैं उसकी माँ को चोदना चाहता हूँ….वो मानेगी???....ट्राइ करने मे क्या हर्ज़ है…चलो पहले यही ट्राइ करता हूँ…अगर बात नही बनी तो कुछ ऑर सोचुगा….
बट मुझे मन ही मन लग रहा था कि पूनम तो मेरे लंड की दीवानी है…उसे मनाना ईज़ी होगा…ऑर अगर पूनम ने साथ दिया तो पूनम की मोम के साथ उसके घर की दूसरी गरमा-गरम चूत भी मिल सकती है…चलो देखते है क्या होता है….
ऐसा सोचते हुए मैं नहा लिया ऑर रेडी होकर संजीव के रूम मे टीवी ऑन करके संजीव का वेट करने लगा
तभी अचानक गेट पर नॉक हुई..
मैं- कौन है
तो बाहर से 1 प्यारी सी आवाज़ आई.....क्या मैं अंदर आ सकती हू
मैं- हाँ हाँ क्यो नही...आइए
ये पूनम की आवाज़ थी ……मेरे कहते ही पूनम अंदर आ गई ऑर बोली
पूनम- रेडी हो???
मैं- हाँ…बोलो क्या करना है…
पूनम-(शरमाते हुए)- करना तो है बट अभी….
मैं-अभी क्या
पूनम-(नखरती हुई)-कुछ नही जनाब….नीचे चलिए….डिन्नर रेडी है
मैं-ओके…बट संजीव तो आया नही...डिन्नर रेडी कैसे हो सकता है...चिकन तो वही लाने गया था
पूनम- भाई आ गया है….तभी तो डिन्नर बना…वो नीचे ही है….डॅड से बात कर रहा है
मैं- ओह…अंकल आ गये क्या
पूनम- जी हाँ….अब चलो भी(ऑर पूनम मुझे हाथ से पकड़ कर बेड से उठाने की कोसिस करने लगी)
मैने अपने दूसरे हाथ से पूनम को खीच कर अपनी गोद मे बैठा लिया..
पूनम(डरते हुए)- छोड़ो ना…कोई आ जायगा
मैं-छोड़ने की कीमत चुकानी पड़ती है मेडम(ओर मैने एक सरारती मुस्कान दी)
पूनम-नही अभी नही बाद मे(पूनम डर रही थी कि कही कोई देख ना ले)
मैं-बस एक किस….कुछ नही होगा
पूनम-नही नही…प्लीज़ मान जाओ ना
मैं-बोला ना एक किस
और इतना बोलकर मैने अपने होंठो को आगे ले जाकर पूनम के होंठो पर रख दिया
पूनम-उूउउम्म्म्मम…..एम्म्म(डर के मारे पूनम के चेहरे से पसीना आने लगा)
मैने मौके की नज़ाकत को समझते हुए पूनम को छोटा सा किस कर के छोड़ दिया…मेरे किस ख़तम करते ही पूनम सकपका कर मेरी गोद से निकल गई ऑर बोली
पूनम(तेज साँसे लेते हुए)-आप मरवा डालोगे भाई
मैं-अरे नही मेरी जान …मैं ऐसा कर सकता हूँ क्या..??
पूनम-तो ये क्या है….कोई आ जाता तो(थोड़ा गुस्से मे)
मैं-ओके…सॉरी…कुछ हुआ तो नही ना
पूनम(नॉर्मल होते हुए)-अब मन की कर ली हो तो डिन्नर के लिए चलेगे जनाब
मैं-(मुस्कुराते हुए)-हाँ चलिए…फिर स्वीट डिश भी खानी है…(इतना कह करके मैने पूनम की गंद को कपड़ो के उपर से दवा दिया
पूनम-आअहह….हाँ मुझे भी खानी है(ऑर मुस्कुराने लगी)
इसके बाद मैं पूनम के साथ नीचे डाइनिंग टेबल पर आ गया …बाकी से लोग वहाँ पहले से ही आ चुके थे
मेरे पहुचते ही..अंकल बोले
(मैं यहाँ संजीव के डॅड को अंकल 1 ऑर संजीव के अंकल को अंकल 2 लिख रहा हूँ)
अंकल 1-अरे आओ बेटा बैठो-बैठो
मैं-हेलो अंकल…आप लोग कब आए
तो संजीव के अंकल बोले
अंकल2- बस बेटा थोड़ी देर पहले…कैसे हो तुम
मैं-बस अंकल…एकदम मस्त
अंकल 1-बैठो बेटा पहले खाना…बाते बाद मे
इतना बोल कर अंकल 1 ने मुझे बैठने का इशारा किया 1 चेर की तरफ…
मैं चेर पर बैठ गया
(हम ने खाना ख़त्म किया ओर वही हॉल मे टीवी देखने लगे …हम सब बच्चे हॉल मे नीचे ही बैठे हुए थे…. …संजीव ओर अनु मेरे आगे की तरफ थे ऑर पूनम ऑर रक्षा मेरे आजू बाजू थी…..ऑर हम दीवाल से टिक कर बैठे हुए थे…संजीव मेरे पैर से टिका हुआ था…मैने 1 पैर मोड़ कर ऑर दूसरा सीधा रखा हुआ था…मेरे लेफ्ट साइड रक्षा थी ऑर रक्षा के पैरो से टिक कर अनु लेटी हुई थी…मेरे राइट साइड पूनम थी बट वो सबके सामने मुझसे थोड़ी दूर ही थी….ऐसे ही मस्ती मैं हम सब टीवी देखते हुए गपसप कर रहे थे कि अचानक लाइट चली गई….
हॉल मे आधेरा छा गया…
अंकल1 – कोई टॉर्च .या कॅंडल तो लाओ
आंटी1- अरे अधेरे मे कौन जाय…आप टेन्षन मत लो लाइट आती ही होगी 10 मिनट मे…आज पड़ोसन ने बताया था कि रात मे 10 मिनट के लिए लाइट जानी है..
अंकल 1- ओह हाँ…मैं भूल गया…चलो कोई नही…10 मिनट अधेरे मे ही काट लो बच्चो(ऑर अंकल1 हँसने लगे…साथ मे सब भी हंस दिए)
मैं अंधेरे मे दीवाल से टिका हुआ सोचने लगा कि अब मुझे आगे क्या करना है कि आंटी हाथ मे आ जाय तभी अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी कॅप्री के उपर से मेरा लंड टच किया हो…मैने सोचा शायद किसी का हाथ लग गया होगा अंधेरे मे…ऑर मैं ये भूलकर अपने प्लान के बारे मे सोचने लगा….अचानक…फिर से मेरे लंड पर हरकत हुई ..ऑर इस बार सिर्फ़ टच ही नही हुआ …बल्कि कोई हाथ से मेरा लंड सहला रहा था…मैं कंफ्यूज था…लेकिन हाथ रुका नही ऑर मेरा लंड मसलता रहा ….मैने सोचा ये पूनम होगी…साली मरवा ना दे…लाइट आने से पहले इसे हटाना होगा…
मैं थोड़ा आगे आया ओर उस हाथ को पकड़ लिया…तो उस हाथ वाले ने अपना हाथ झटके से दूर कर लिया…)
मैने सोचा शायद पूनम थी…मान गई साली…वरना फस जाते…ऑर ये सोच कर मैं दीवाल से फिर से टिक गया….1 मिनट बाद ही लाइट आ गई..ऑर सब चाहक उठे…मैने राइट साइड मे नज़रे पूनम की तरफ की..तो पूनम मुझे देखकर शर्मीली मुस्कान देने लगी…मैने सोचा यही थी …ऑर मैने आँखे दिखा दी पूनम को...तो उसने मुँह बना लिया ऑर चली
RE: चूतो का समुंदर मे डूपकी
थोड़ी देर बाद हम अपने रूम्स मे सोने के लिए चले गये….....
मैं ओर संजीव रूम मे जाते ही टीवी ऑन करके ….अपने प्लान की बात करने लगे
बैठने के साथ ही संजीव बोला
संजीव-भाई घर मे तो एंट्री हो गई तेरी..अब आगे क्या???
मैं-भाई सोचने तो दे…मैं क्या जादूँगार हूँ जो जादू से मना लूँ तेरी माँ को..
संजीव –भाई गुस्सा मत कर...मैं बस पूछ रहा था ...करना क्या है..*??
मैं-रुक थोड़ा ...सोचने दे
(हम दोनो थोड़ी देर खामोश रहे ओर सोचते रहे...संजीव बोला)
संजीव-भाई 1 आइडिया है
मैं-क्या
संजीव- भाई मोम को परसो अपनी फ्रेंड के घर शादी मे जाना है...पास वाले गाओं मे
मैं-तो मैं करू
संजीव-सुन तो सही
मैं –हाँ बोल
संजीव-मोम ने डॅड से कहा था बट डॅड नही जा पाएगे काम की वजह से…
मैं-(संजीव की बात आधे मे ही काट कर बोला)-भाई ये मुझे क्यो बता रहा है…मॅटर क्या है ऑर तू क्या बात कर रहा है
संजीव – भाई सुन तो सही पूरी बात
मैं-अच्छा सुना फिर
संजीव-डॅड ने मुझसे कहा कि मैं मोम के साथ जाउ …..
मैं-हाँ तो
संजीव-भाई मैं सोच रहा हूँ कि मैं अपनी जगह तुझे भेज दूं
मैं- उससे क्या फ़ायदा होगा
संजीव-यार तू ऑर मोम 2 दिन साथ रहोगे ऑर वहाँ अकेले पूरी रात ऑर बापसी मे भी अकेले….इतने टाइम मे तू पटा ले
मैं(ज़ोर से हँसते हुए)-साले अकेले होने का मतलब क्या…रेप कर लूँ..भाई उन्हे मन से तैयार करना है….वो कैसे मान जाएँगी इतनी जल्दी
संजीव(थोड़ा सोचते हुए)-भाई अकेले मे सिड्यूस तो कर सकता है ना
मैं- ठीक है…ट्राइ करने मे क्या हर्ज़ है…अच्छा ये बता ये कौन सी फरन्ड है तेरी मोम की ..गाओं की है क्या????
संजीव-मोम की फरन्ड यही रहती है बट वो शादी अपने गाओं से कर रहे है…वो बहुत घमंडी ऑर पैसे वाली है ऑर मोम को सुनाती रहती है कि तू सहर मे रह कर भी गाओं की लगती है…
मैं(संजीव को रोकते हुए)-रुक….ये बता तेरी मोम सुन कर रह जाती है….कुछ नही कहती
संजीव- भाई मोम भी मॉर्डन बन कर रहना चाहती है बट डॅड की वजह से नही रह पाती…उन्हे बहुत शर्मिंदगी होती है अपनी फरन्ड के सामने
मैं-तुझे कैसे पता…तुझसे बोला क्या तेरी मोम ने
संजीव- नही भाई एक बार मैने सुना था ..मोम आंटी से बोल रही थी…जब उनकी फरन्ड उन्हे सुना कर चली गई थी..
मैं-क्या सुना तूने
संजीव-वो बोल रही थी कि मैं भी उस रंडी से ज़्यादा मॉर्डन बनकर रह सकती हू लेकिन संजू के पापा को अच्छा नही लगता इसलिए साड़ी ही पहनती हू....मैं भी मॉर्डन ड्रेस पहन कर घूम सकती हूँ ऑर उससे ज़्यादा हॉट भी लगुगी.......अब देखना उसके घर शादी मे वो फिर से सुनाएगी ऑर मैं कुछ नही कर पाउन्गी...ऑर वो रोने लगी
मैं(कुछ सोचने के बाद)- आ गया आ गया
संजीव- क्या भाई क्या..??
मैं(खुशी से)-भाई आइडिया आ गया….
संजीव- बातायगा भी अब
मैं-देख तेरी माँ जैसा चाहती है मैं उन्हे वैसा बना कर ही शादी मे ले जाउन्गा
संजीव-छोड़ ना वो नही हो सकता
मैं-ये मुझ पर छोड़ दे
संजीव-चल मान लिया कि वो मान जायगी...लेकिन भाई बात तो उनकी चुदाई की है ना...वो कैसे करेगा
मैं(सोच कर)-भाई ये मैं प्लान पूरा होने पर बताउन्गा...अब तू देखता जा...अगर प्लान वर्क कर गया तो परसो शादी तेरी मोम की फ्रेंड के घर होगी ओर वही मैं तेरी मोम के साथ सुहागरात मनाउन्गा....(ऑर मन ही मन मैं खुश होने लगा)
संजीव- ठीक है भाई जो करना है कर बस मोम की चूत दिला देना
मैं – तू टेन्षन ना ले….मैं हूँ ना…अब सो जा
(इसके बाद संजीव ने टीवी ऑफ की ऑर रूम की लाइट भी ऑफ कर दी क्योकि हम दोनो को अंधेरे मे सोने की आदत थी....ऑर हम बेड पर लेट गये...बेड पर लेट ते ही...मेरा सेल बजने लगा…मेसेज आया था)
मैने देखा तो मेसेज पूनम का था
पूनम(मेसेज मे)- क्या हो रहा है
संजीव बोला कौन है भाई…मैने बोल दिया कि मेरी रेणु दी है ओर संजीव ओके बोल कर दूसरी तरफ मुँह करके सोने लगा…मैं पूनम से मेसेज से चॅट करने लगा
(मसेज से चॅट)
मैं- कुछ नही बस लेटा हुआ हूँ …तुम बताओ
पूनम-लेट गये ऑर मेरा क्या
मैं-तुम्हारा….मैं क्या बताऊ(बनते हुए)
पूनम-तो आप नही जानते कि मैं क्या बोल रही हूँ
मैं(अंजान बनते हुए)-नही तो
पूनम (गुस्से से)-तो सो जाओ गुड नाइट
मैं-अरे जान गुस्सा मत हो….बोलो क्या करना है….
पूनम-गुस्सा नही तो क्या करूँ….मेरी चूत मे आग लगा दी ओर अब सोने वालो हो
मैं-मैने कहाँ आग लगाई
पूनम-मेरे घर मे हो मेरे ही रूम के बगल मे हो…ऑर मेरी चूत बिना गरम हुए रह जायगी क्या..???
मैं-ओके जान गुस्सा छोड़ो ये बताओ कि होगा कैसे
पूनम-मैं क्या कहूँ
मैं-ओके मैं संजीव के सोने के बाद तुम्हारे रूम मे आता हूँ
पूनम-नही अभी नही जब मैं मेसेज करू तब आना
मैं-क्यो क्या हुआ
पूनम-अरे वो रक्षा मेरे साथ है पढ़ाई कर रही है….उसके जाते ही मैं मेसेज कर दुगी…
मैं ओके…आइ म वेटिंग…
RE: चूतो का समुंद मे डुपकी
इसके बाद मैने सेल रख दिया …ऑर लेट गया …लेटने के बाद पता ही नही चला कि कब मेरी आँख लग गई…शायद आज सुबह की दमदार चुदाई ऑर मस्त चिकन खाने से बॉडी रेस्ट माँग रही थी….मैं कब सो गया मुझे पता ही नही चला….
रात को मुझे लगा कि मेरे लंड पर हरकत हो रही है…पहले मैने सोचा की सपना देख रहा हूँ….लेकिन थोड़ी देर बाद मेरी कॅप्री ऑर अंडरवर नीचे को सरका दी किसी ने…तब मुझे पता चला कि ये हक़ीक़त मे हो रहा है
मैने सकपका कर आँखे खोल दी…जब तक उस इंसान ने मेरे लंड को हाथ मे लेकर सहलाना सुरू कर दिया था….
अब मैं समझा कि मैं सो गया था तो पूनम ही आ गई है ….लेकिन साली ये क्यो भूल गई कि मेरे साथ उसका भाई सोया हुआ है….फिर मैने सोचा कि संजीव की नीद तो ऐसी है कि नगाड़े भी बजाओ तब भी मुस्किल से खुलती है….शायद पूनम भी जानती है…तभी आ गई साली….मैं सोच रहा था ऑर वो मेरे लंड को सहला के बड़ा कर रही थी …5 मिनट मे मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया…फिर भी वो हाथ से ही मेरी मूठ मारे जा रही थी….
मैने धीरे से बोला—अब क्या हाथ से ही निकालोगी मुँह मे लेकर चूसो ना
वो-सस्शह
मुझे अंधेरे मे दिख तो नही रहा था…मैने सोचा कि उसे डर है कि संजीव जान ना जाय…चलो कोई नही लेने दो मज़े….मुँह मे भी ले लेगी…ऑर यही सोच कर मैं लेट गया ऑर वो मेरे लंड को मूठ मारती रही…जब अगले 5 मिनट के बाद भी लंड उसने मुँह मे नही लिया तो मेरे सबर का बाँध टूट गया ऑर मैं थोड़ा तेज ओर गुस्से मे बोला
मैं-साली करना क्या चाहती है …ऐसे ही झाड़ा देगी क्या मुँह मे ले...
वो-सस्शह....
मैं-अरे नखरे कर रही है जैसे पहली बार कर रही हो...मुँह मे ले कर चूस जैसे चूस्ति है....साली वैसे तो मेरा लंड रस पिए बिना तेरा पेट नही भरता...आज क्यो नखरे कर रही है...
वो फिर भी लंड को हिलाती रही....लेकिन मुँह मे नही लिया
मैं-तेरी माँ को चोदु….लेती है मुँह मे कि नही....
वो फिर भी लंड हाथ मे लिए रही ...हाँ हिलाना बंद कर दिया
मैं-(गुस्से मे)-साली आज मुँह मे नही लिया तो आज के बाद मेरे पास मत आना रंडी…
मैने ऐसा बोलते हुए उसका हाथ लंड से हटाना चाहा पर उसने हाथ झटक दिया ऑर धीरे-2 लंड के टोपे को जीभ से चाट ने लगी
मैं-अब आई ना लाइन पर अब मुँह मे पूरा भरकर चूस जैसे हमेशा चूस्ति है…कुतिया की तरह
वो धीरे-2 लंड को मुँह मे भर रही थी…लेकिन अभी तक ¼ हिस्सा ही उसके मुँह मे था
मैने फ्र्स्टेशन मे उठकर उसके सिर को दोनो हाथो से पकड़ कर लंड पर दवा दिया…ऑर स्ल्लूउप करते हुए पूरा लंड उसके मुँह मे चला गया….वो झटपटाने लगी लेकिन मैं गुस्से मे था तो मैने उसको छोड़ा नही बल्कि उसके सिर को ज़ोर से दवाए रखा ओर बोला
मैं-चल रंडी नखरे बंद कर चूस इसे
लेकिन वो अभी भी लंड को बाहर करने की कोसिस कर रही थी ऑर मेरा गुस्सा बढ़ रहा था…
मैने गुस्से से उसका सिर ऑर ज़ोर से पकड़ा ऑर सिर को अपने लंड पर उपर-नीचे करने लगा ओर बोलने लगा
मैं(गुस्से मे)- ले साली …तू नही मानेगी ना…अब देख मैं क्या करता हूँ
ओर इतना बोल कर मैं उसके सिर को तेज़ी से उपेर-नीचे करने लगा…
अंधेरे मे कुछ दिख तो नही रहा था बट शायद सीन कुछ ऐसा रहा होगा...
करीब 5 मिनट तक मैने ऐसे ही करता रहा
ओर वो झटपटाती हुई आवाज़े निकालती रही
वोकहू…ऊओंम्म्म…..उूउउम्म्म्मम….कक्खहूनन्न…..कककखहूओन्न
मैने उसकी एक ना सुनी ऑर उसके सिर को उपर नीचे करता रहा ..जब मैं झड़ने वाला था तो बोला
मैं-ये ले भर ले तेरा पेट…पी जा कुतिया ...पूरा पी जा..
ओर ये कहते हुए मैं उसके मुँह मे झाड़ गया...ऑर जब तक पूरा लंड रस उसके मुँह मे नही निकल उसका सिर छोड़ा नही
जब मैं खाली हो गया तो मैने उसके सिर को छोड़ दिया ऑर वो झटके के साथ पीछे होकर…कराहने लगी
वो-खो…खूओंन्न…कक्खहूओ…आआहह…कक्ख़्हूओ…कक्ख़्हूओ
मैं-देखा मुझसे पंगा लेने का अंजाम….सराफ़त से मान जाती तो अच्छा होता ना….अब कभी भी पंगा नही लेना मुझसे ..समझी
वो-खो…खूओंन्न्न…(लेकिन कुछ बोली नही)
मैं-अब रुक तेरी गांद मारता हू…ऑर मैं बेड से उठने लगा …लेकिन उसके पहले ही वो उठके भाग गई ऑर मुझे सिर्फ़ गेट खुलने ओर बंद होने की आवाज़ आई
मैं(मन मे)-साली को हो क्या गया…आज कितने नाटक कर रही है साली….वैसे तो मर रही थी चुदवाने के लिए…..शायद गुस्सा हो गई?????
हां….जाने दो आ जायगी थोड़ी देर मे ….चूत खोलकर….जायगी कहाँ
ये सोचते हुए मैं बाथरूम गया ऑर बापिस आकर फिर से लेट गया..इस इंतज़ार मे कि वो आयगी…सोचा कि मेसेज कर दूं…फिर सोचा कि नही…खुद ही आयगी कुतिया
जब आँख खोली तो सुबह हो चुकी थी ओर संजीव मुझे हिलाते हुए जगा रहा था….
संजीव-उठ जा भाई …कब तक सोएगा….9 बज गये
मैं-आँखो को खोलते हुए….क्या???
संजीव-भाई 9 बज रहे है उठ जा
मैं(चौक्ते हुए)-क्या 9 बज गये
संजीव- हां भाई उठ जा
मैं-(आँख मलते हुए बेड पर बैठ गया)
संजीव-क्या हुआ भाई आज 9 बजे तक सोता रहा ….तू तो जल्दी उठ जाता है
(मैं डेली जल्दी ही जागता हूँ सुबह…एक्सरसाइज़ करने के लिए…मेरे घर पर पर्सनल जिम है)
मैं-हाँ यार ये कैसे हो गया…लगता है तेरे घर नीद ज़्यादा आती है(ऑर मैं हँसने लगा)
संजीव-(हँसते हुए)-हाँ शायद यही है…चल फ्रेश हो कर नीचे आजा …नाश्ता करते है
मैं –तू चल …मैं आया
इतना बोल कर मैं फ्रेश होने निकल गया ऑर संजीव नीचे
जब मैं नीचे पहुचा तो नाश्ते के लिए पूनम रक्षा अनु ऑर संजीव भी बैठे थे…सब मेरा ही वेट कर रहे थे
मैं-गुड मॉर्निंग एवेरिवन
अनु,पूनम,संजीव- गुड मॉर्निंग
रक्षा-(चुप रही ऑर मुझे गुस्से से देख कर नज़रें घुमा ली)
मैं(मन मे)-अब इसे क्या हुआ…
आंटी1 किचन से नाश्ता लाते हुए
आंटी1-गुड मॉर्निंग बेटा…नीद अच्छी आई
मैं(आंटी को देखते हुए)-गुड'मॉर्निंग आंटी..हाँ मस्त रात गुज़री…ऑर ये कह कर मैने पूनम की तरफ स्माइल की…पूनम ने भी मुस्कुरा कर जवाब दे दिया
इधर आंटी नाश्ता सर्व कर रही थी ऑर मैं आंटी को देख रहा था ….क्या लग रही थी….ब्लू साड़ी मे दमदार फिगर…बड़े-2 बूब्स…ओर हेवी गंद….साला किसी का भी लौदा खड़ा कर दे उपर से भीगे हुए खुले बाल ऑर उनमे से टपकती हुई पानी की बूंदे….मस्त नज़ारा था….अचानक
आंटी1-बेटा क्या सोचने लगे नाश्ता पसंद नही क्या
मैं(नाश्ते को देखा , आंटी ने आलू के पराठे बनाए थे….फिर हड़बड़ाते हुए बोला)-अरे नही आंटी…ये तो मुझे आसंद है
औनटु1(कातिल स्माइल करते हुए)- तो फिर कहाँ खो गये थे
मैं(चौुक्ते हुए)-वो…वो आंटी अंकल लोग ऑर आंटी2 नज़र नही आ रहे
आंटी1-अंकल लोग शॉप निकल गये ऑर आंटी2 अपनी फ्रेंड के घर गई है ,यही पड़ोसे मे
मैं-ओके(ऑर मैने नज़रे रक्षा की तरफ की….वो अभी भी मुझे गुस्से से घूर रही थी…मेरे देखते ही उसने आँखे झुका ली नाश्ते की तरफ)
उसके बाद मैने पूनम को देखा जो मेरे साइड मे ही थी….पूनम मुझे स्माइल कर रही थी…ओर अचानक मुझे अपनी जाघो पर हाथ का एहसास हुआ…मैं समझ गया कि ये पूनम ही है साली….मैं नॉर्मल होते हुए नाश्ता करने लगा)
क्योकि आज सनडे था तो स्कूल ऑफ थे….तो नाश्ता करने के बाद आंटी1 अपने काम मे लग गई ऑर पूनम, रक्षा ऑर अनु अपने रूम मे चली गई…रह गये मैं ऑर संजीव…हम दोनो हॉल मे टीवी देखने लगे
थोड़ी देर बाद अनु ऑर रक्षा तैयार होकर नीचे आई …दोनो जींस ओर टॉप मे थी…क्या माल लग रही थी….टाइट टॉप ऑर जींस…ऑर टॉप के अंदर कड़क-कड़क बूब्स…हाय..लंड देखते ही फडक उठा मेरा तो…..
मैने पूछा
मैं-तुम लोग कहाँ चल दी…आज तो छुट्टी है ना
अनु-भैया.पड़ोस मे फरन्ड के घर जा रहे है…लेकिन रक्षा ने मुझे फिर से गुस्से मे देखा ऑर कुछ नही बोली
अनु-आंटी(संजीव की मोम) हम थोड़ी देर मे आते है
आंटी1- हाँ बेटा सम्भल के जाना
अनु-ओके आंटी
इतना बोलकर अनु ऑर रक्षा जाने लगी ऑर मैने उन्हे पीछे से देखने लगा …क्या गांद थी दोनो की …जीन्स के अंदर मस्त दिख रही थी….
मैं देख ही रहा था कि रक्षा ने पलट कर मुझे उनकी गंद देखते हुए पकड़ लिया ऑर फिर से गुस्से मे घूर्ने लगी….मैने नज़रे घुमा ली ऑर वो दोनो निकल गई……
मैं सोचने लगा इस साली रक्षा को क्या हो गया है???
मैं सोच ही रहा था कि संजीव बोला
संजीव -भाई अब प्लान सुरू करे
मैं-कौन सा प्लान बे
संजीव-भाई वो ही …तुझे माँ के साथ भेजने का….
मैं-ओह…हाँ..कर बट बोलेगा क्या
संजीव-भाई बोल दूँगा कि तवियत ठीक नही
मैं-साले सिर्फ़ बोलने से क्या होगा…पकड़ा जायगा….तू कही से बीमार नही दिख रहा
संजीव-तो अब क्या करू
मैं-कुछ ऐसा की तू बीमार लगे
संजीव-जैसे
मैं-चल तुझे उपेर ले जाकर नीचे पटक देता हूँ....हाथ पैर टूट जायगे नही तो ऐसा तो हो ही जायगा कि चल ना पाय....हाहहहहाआ
RE: चूतो का समुंदर मे डुपकी
हम थोड़ी देर ऐसे ही सोचते रहे कि क्या किया जाय जिस से संजीव आंटी के साथ ना जा पाय ऑर उसकी जगह मैं चला जौ...मुझे तो कुछ ठीक समझ नही आ रहा था ...तभी संजीव बोला...
संजीव-भाई 1 आइडिया है ...काम बन सकता है
मैं-कैसे
संजीव-भाई मैं बीमार हो सकता हूँ….
मैं- पागल ऐसे कैसे हो जायगा…बता तो
संजीव-भाई मेरे अंकल के पास कई सारी मेडिसिन होती है….क्योकि वो अक्सर बीमार रहते है
मैं-तो साले मेडिसिन से बीमारी दूर होती है ऑर तुझे बीमार होना है
संजीव-भाई जानता हूँ…बट उनके पास ऐसी गोली भी है जिससे पेट मे अगर अकड़ हो तो उसे पानी बना देता है
मैं-मतलब???
संजीव-भाई जो जल्दी से फ्रेश ना हो पा रहा हो तो उसके पेट के खाने को पानी बना देती है
मैं-तो उससे क्या
संजीव-भाई अगर नॉर्मल बंदा खा ले तो वो बीमार पड़ जायगा
मैं-हाँ…बट इतनी बड़ी रिस्क…नही भाई कुछ ऑर सोचते है
संजीव- अरे यार कुछ नही होगा….थोड़ी प्राब्लम होगी तो झेल लुगा ना
मैं-भाई कुछ हो गया तो…नही नही रिस्क नही लेते
संजीव- भाई मोम की चूत के लिए ये रिस्क बहुत कम है…
मैं(हँसते हुए)- ओककक….हाहहहा….भाई मान गये तेरी तड़प
संजीव-हाहहहा…तो चल
हम दोनो संजीव के अंकल के रूम मे गये ऑर मेडिसिन देखने लगे….हम मेडिसिन बॉक्स मैं देख ही रहे थे कि मेरी नज़र 1 टॅबलेट पर पड़ी…..
मैं –भाई ये तो नीद की गोली है ना
संजीव(टॅबलेट हाथ मे लेते हुए)- हाँ भाई….वो क्या है चाचा को नीद ना आने की प्राब्लम है तो कभी-कभीले लेते है….बट साइडिफक्ट नही होता इनसे
मैं-ओह…चल अपने काम की देख…
थोड़ी देर बाद…………
संजीव-मिल गई..ये रही(एक टॅबलेट को हाथ मे लेकर)
मैं-ओके चल अब यहाँ से..
मैं ऑर संजीव अंकल के रूम से बाहर आ गये….ऑर फिर से टीवी देखने लगे
आंटी1-(किचन से)-बेटा कॉफी लोगे
मैं-हां आंटी
संजीव- मैं भी
थोड़ी देर बाद आंटी कॉफी लेकर आई ऑर हमे कॉफी देकर बोली
आंटी1-संजू आज शॉपिंग चलना है…याद रखना
ऑर इतना बोलकर आंटी अपने काम मे लग गई
संजीव- भाई चल अब टॅबलेट का कमाल देखते है….ये काम कर गई तो मोम की शॉपिंग भी तेरे साथ फिक्स
मैं(हँसते हुए)- ओके चल फिर
इसके बाद हम ने अपनी कॉफी ख़त्म की ओर टीवी ऑफ करके उपर संजीव के रूम मे आ
गये….
रूम मे आते ही संजीव ने टॅबलेट खाई ऑर बोला
संजीव-भाई अब मैं लेट जाता हूँ…थोड़ी देर मे इसका असर हो जाना चाहिए
मैं-ओके तू लेट मैं पूनम के साथ बात करता हूँ….जब तेरी तवियत बिगड़ने लगे तो आंटी को ही बोलना सबसे पहले
संजीव- बट तू जा क्यो रहा है
मैं-(बहाना बना कर)-भाई मैं यहाँ रहुगा ऑर तू आंटी के पास पहुचा तो आंटी मेरे बारे मे पूछेगी...ऑर मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे ऑर आंटी के बीच मैं ना रहूं....ताकि तू अकेले मे उनको मेरे साथ जाने की बोल भी दे ओके
(मन मे सोचा कि ये मान जाय…मुझे तो पूनम के पास जाना है…क्योकि जब से नाश्ता करते हुए उसने मेरा लंड सहलाया था …तबसे…मुझे चुदाई की तड़प लगी थी…इसलिए मेरे मन मे जो आया मैने वैसा बहाना बोल दिया संजीव से)
संजीव(कुछ सोच कर)- ओके…ठीक कहता है…मैं मोम को अकेले मैं मना लुगा….तू जा
मैं(चैन की साँस लेते हुए)- ओके भाई
इतना बोल कर मैं संजीव के रूम से बाहर आया ऑर गेट को बाहर से बंद करके पूनम के रूम पर नॉक किया
पूनम(अंदर से ही)- कौन है
मैं-हहुउऊंम्म….मैं हू
पूनम-ऑर कौन है
मैं-मतलब…..मैं ही हू
पूनम-ओके आ जाओ
मैने रूम का गेट ओपन किया तो देखा कि पूनम अपने बेड पर आधी लेटी हुई थी….वो सिर्फ़ लेगी ऑर टॉप मे थी….
पूनम-लॉक कर दो
मैने(सिर हिलाते हुए)---ओके
ओर मैने रूम का गेट अंदर से लॉक कर दिया
मैं गेट लॉक करके पलटा ही था कि अचानक पूनम तेज़ी से आकर मुझसे लिपट गई ओर बेतहासा चूमने लगी मुझे
मैं सोचने लगा साली रात मे इतने नखरे ऑर अब मरी जा रही है
मैं भी पूनम का साथ देने लगा ऑर हम एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे …मैने अपने हाथ पूनम के पीछे ले जाकर उसकी गंद को हाथो मे थाम लिया ऑर दवाने लगा…
थोड़ी देर बाद जब हम एक दूसरे के होंठो को चूस चुके तो पूनम ने अपना हाथ मेरे आधे खड़े लंड पर रखा दिया ऑर उपर से ही लंड मसल्ने लगी…..
मेरा लंड तो तड़प ही रहा था …तो लंड हार्ड होने लगा…
पूनम ने देर ना करते हुए मेरे लंड को बाहर निकाल लिया ऑर हाथ से सहलाने लगी..
थोड़ी देर बाद पूनम घुटनो पर बैठ गई ऑर लंड को हाथ से मुठयाते हुए मेरी बॉल्स को चाटने लगी ओर आँखे उपर करके मुझे देखने लगी
RE: चूतो का समुंदर मे डुपकी
मैने अपनी जीभ को चूत के अंदर तक ले जाकर…घुमा रहा था…मैं लगभग 2 मिनट तक कंटिन्यू जीभ को चूत मे घुमाता रहा…
पूनम---आआहह….ससीईसीई…ब्ब्बभहाऐईयइ…क्क्क्ययय्याअ…क्कार्र…र्राहहीए….हमम्म्म…..आआहह……म्म्म्मा आज़्ज़्ज़्ज़ाअ…..हहाअ….
.कककाररर्त्ततीए…..हमम्म्म…कक्खाअ…..ज्ज्जाआ……आआहह
पूनम भी अपनी गंद घुमा कर अपनी चूत मे जीभ को अंदर घुसाने की पूरी कोसिस मे साथ दे रही थी
इतना कह कर पूनम मेरु मुँह पर अपनी चूत के रस को बरसाने लगी ओर मैं भी प्यासे की तरह…मज़े ले पूरा चूत रस पी गया….ऑर फिर पूनम की चूत मे अंदर जीभ डाल कर बचा हुआ रस चाट गया….
चूत रस पीने के बाद मैने पूनम को साइड किया ऑर वो मेरे साइड मे आ कर लेट गई…
मैं-आहह…मज़ा आया मेरी जान
पूनम-आअहह…भाई क्या कमाल की चुसाइ की है आज….मज़ा आगया
मैं-तेरी चूत है ही ऐसी की देखते ही खा जाने का मन करता है
पूनम-तो रोका किसने है…आपकी है भाई…जब चाहे तब खाओ..
इसके बाद हम किस करने लगे, लेटे हुए……
थोड़ी देर किस करने के बाद…मैने किस छोड़ कर कहा…
मैं-चल आजा…टाइम कम है…तुझे सवारी करवाता हूँ
पूनम-इसके लिए तो हमेशा तैयार हूँ मैं
इसके बाद पूनम बैठ कर मेरे लंड के उपर झुक गई…ऑर लंड को चूसने लगी….लंड को चूस के गीला करने के बाद पूनम मेरी जाघो के दोनो तरफ पैर रख कर घुटनो पर बैठते हुए …अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पर सेट करने लगी ओर धीरे-धीरे बैठने लगी
मैने मौका देखा ऑर उसकी कमर को पकड़ कर झटके के साथ उसे अपने लंड अंदर तक बैठा दिया
ऐसा करने से पूनम की चूत मे मेरा पूरा लंड एक ही झटके मे अंदर तक चला गया…ऑर पूनम के मुँह से चीख निकल गई…बट उसने चीख कंट्रोल कर ली ओर उसका मुँह खुला का खुला रह गया
पूनम-आअहह…म्म्मा अररर गई..
मैं-अभी कहाँ…अब देख
ऑर मैने पूनम की कमर पकड़ कर उसे उपर नीचे करना सुरू कर दिया …
(मैने पूनम को पीछे 5-6 मंत से चोद रहा था…इसलिए…अब उसे ज़्यादा दर्द नही होता…मेरे लंड की आदत लग गई है उसे)
पूनम ने अपनी बॉडी को मेरे उपर झुका दिया ओर मैं उसके बूब्स को मुँह मे भर कर चूसने लगा...….
पूनम थोड़ी देर मे मस्ती मे सिसकने लगी...
पूनम-आअहह….ऑर तेज…आहह…हाँ आईइस्सी हहिि...
मैं-(बूब को मुँह मे भरे हुए)-मम्मूउउहह
पूनम-हाँ ओर तेज…आहह…..आआअहह….तेज..बब्बहाऐईइ
मैं(बूब्स को मुँह से निकाल कर कहा)- तू मुझे भाई क्यो बोलती है चुदाई के टाइम...
पूनम-तू बब्बहाइईइ ही है….भाई का दोस्त भाई...
मैं- तुझे चोदते हुए सैयाँ हूँ तेरा...भैया क्यो बोलती है..???
पूनम-अया भाई....भाई से चुद रही हूँ ये सोच कर चूत ज़्यादा गरम हो जाती है....आअहह...इसलिए...आअहह भाई..चोदो अपनी बहन को...आअहह
मैं(हँसते हुए)-तो तू अपने भाई से चुद रही है
पूनम- हहााअ…बब्बहाऐईयइ……म्म्माहआज़्ज़्ज़ाअ बढ़ जाता है….भाई से चुद्कर..
मैं-(सोचकर)- तो तू संजीव से भी चुद जाएगी...???
पूनम(जो अभी चुदाई के नशे मे थी)-हाअ....उउउस्सी भाई.....बबबीएहंनंन्ककचहूओद्द...हमम्म्म.....बना ......आअहह....दुगी
पूनम(मेरे सिर पर हाथ घूमाते हुए)-आअहह भाई मज़ा आ गया…कल रात की कसर निकल…गई
मैं-(बूब्स चूस्ता रहा)
पूनम- रात मे पता नही कैसी आँख लगी भाई कि सुबह ही खुली
मैं(चौन्कते हुए…बूब्स को मुँह से बाहर निकला ऑर बोला)-क्या???
पूनम- हाँ भाई कल पता नही दूध पीकर सो गई ओर सुबह ही आँख खुली..
(मैं ये सुनकर चक्कर मे पड़ गया की अगर रात मे मेरा लंड चूसने वाली ये नही थी तो कौन थी….मैं तो अभी तक यही सोच रहा था कि पूनम ही थी….
फिर मैने सोचा ….कि इसे बताऊ कि नही….दिल ने जवाब दिया कि मत बता….)
मैं(सोच से बापिस आते हुए)- कोई नही मेरी प्यारी बेहन…अब तो खुश है ना
पूनम-हन भाई…बस ऐसे ही अपनी बेहन को चूत का ख्याल रखना मेरे भाई(ओर पूनम ने मुझे किस कर दिया)
अब हम अलग हुए ऑर मैने कहा
मैं-अब कपड़े पहन ले…तेरा भाई वेट कर रहा होगा…यहाँ ना आ जाय
पूनम –हां(ऑर ये कहकर वो भी अपने कपड़े पहन ने लगी
कपड़े पहन ने के बाद हम ने रूम का गेट अंदर से खोल दिया ऑर बेड पर बैठ गये ओर मैं संजीव के मेसेज का वेट करने लगा...
मैने पूनम से कहा
मैं-पूनम …तू कह रही थी कि भाई से भी चुदवाउन्गी….सच मे
पूनम-अरे वो तो ऐसे ही निकल गया मुँह से(ओर उसने नज़रे घुमा ली)
मैं-सच बोल…
पूनम-(गुस्से से)- बोला ना ऐसा कुछ नही…कुछ ऑर बात करो…हटाओ इसे
(पूनम की आँखे ऑर ज़बान अलग-2 बाते कर रही थी…पर मैने सोचा अभी बात को आगे नही बढ़ाते…इसे फिर कभी देखेगे…ओर वैसे भी अभी ये भी पता करना है कि अगर कल रात मेरा लंड चूसने वाली पूनम नही थी…तो था कौन….??? )
मैं सोच ही रहा था कि मेरे सेल पर संजीव का मेसेज आ गया---
संजीव(मेसेज)-इट्स डन भाई….आज तू ऑर मोम जायगे नीचे आजा…मोम बुला रही है
मैने मेसेज पड़कर सेल पॉकेट मे डाला ऑर पूनम को किस करके जाने लगा
पूनम(पीछे से)-अब कब करोगे
मैं-टेन्षन मत ले जल्दी ही करूगा...वैसे भी गंद की चुदाई बाकी है..हाहहहा.
पूनम(शरारती मुस्कान के साथ)-गंद को इंतज़ार रहहा
मैने पूनम को स्माइल दी ओर नीचे आ गया….वहाँ संजीव ओर उसकी मोम बैठे हुए
मेरे आने का वेट ही कर रहे थे….....
मैने पूनम की चुदाई करके नीचे आ गया , जहाँ संजीव ओर उसकी मोम सोफे पर बैठे हुए थे….संजीव थोड़ा थका सा लग रा था….
मैं- क्या हुआ संजीव…थका सा लग रहा है
संजीव कुछ बोलता उसके पहले उसकी मोम ने कहा
आंटी1- बेटा संजू को लूजमोषन हो गया है….
मैं-क्या यार…ऐसा कैसे हो गया…क्या खा लिया…
संजीव-कुछ नही यार….पता नही कैसे हो गया
मैं-कोई नही चल डॉक्टर के पास चलते है
संजीव-नही भाई…मैं ठीक हूँ…टॅबलेट ले ली है शाम तक ठीक हो जाउन्गा…डॉन'ट वरी
मैं-ओके तो चल तुझे तेरे रूम मे छोड़ देता हूँ…रेस्ट कर
संजीव-हाँ छोड़ देना…पर पहले मेरी बात सुन
मैं-हां बोल
संजीव(अपनी मोम को देखते हुए)-वो यार मोम को शॉपिंग ले जाना था….ओर मैं जा नही सकता इस हालत मे..
आंटी1(बीच मे ही बोल पड़ी)-अरे तुम रेस्ट करो शॉपिंग रहने दो
संजीव(मासूमियत से)-बट मोम आपको शादी मे जाना है ना….
आंटी1-तो क्या हुआ…मेरे पास बहुत सी साड़ियाँ है…शॉपिंग की खास ज़रूरत नही
संजीव-बट मोम आप शॉपिंग जाओ….वैसे भी वो आंटी आपको गाओं की कह कर ताने देती है…मैं नही चाहता कि मेरी मोम को कोई ताने दे
(ये संजीव से मैने ही कहा था कि मेरे सामने अपनी मोम से आंटी के तानो की बात ज़रूर करना …ये मेरे प्लान का हिस्सा था
RE: चूतो का समुंदर मे डुपकी
मैं(अंजान बनते हुए)-क्या..??...आंटी आप को ताने…बट किस लिए
आंटी तो खामोश रही बट संजीव बोला
संजीव-भाई वो क्या है कि मोम सिंपल साड़ी पहन कर ही रहती है….ओर उनकी फरन्ड थोड़ी सी मॉर्डन है…इसलिए…
मैं-ये तो ग़लत है…मॉर्डन ड्रेस से कोई सहर का नही हो जाता ऑर ना ही सिंपल रहने वाला गाओं का….
आंटी अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोली
आंटी-छोड़ो भी वो तो है ही ऐसी…मैं तो वही करूगी जो मुझे पसंद है
संजीव-ठीक है मोम पर आप प्लीज़ शॉपिंग कर आओ….ओके
आंटी-बट बेटा ..तुम…
मैं बीच मे ही आंटी की बात काट कर बोला
मैं-नही आंटी संजीव ठीक कह रहा है….आंटी अब तो आपको शॉपिंग जाना ही होगा…चलो मैं चलुगा आपके साथ….अब देखते है कोई कैसे आपको ताने देता है..
आंटी1(जो ताने की बात सुनकर थोड़ा दुखी ओर गुस्से मे आ गई थी)-कोई कुछ भी कहे कहने दो…क्या फ़र्क पड़ता है…मैं तो अपने मन की शॉपिंग करूगी
मैं-नही आंटी हमारे होते हुए कोई आपको ताने दे ये नही होने देगे…आप चलिए प्लीज़…मेरे साथ चलिए
आंटी1- ओके…चल चलते है ….बट संजू का ख्याल कौन रखेगा
संजीव(बीच मे ही बोल पड़ा)-मोम आप लोग जाओ मैं ठीक हूँ…ओर पूनम दी है ना घर पर…कुछ होगा तो उनसे बोल दूँगा
आंटी1-ओके बेटा ..मैं पूनम से बोल कर रेडी होती हूँ….जब तक खाना खा लो
(इसके बाद आंटी ने पूनम को बुलाकर सब बात बता दी ऑर तैयार होने चली गई….पूनम ने मुझे खाना लगाया ऑर हम ने मिलकर मस्ती के साथ खाना खाया…जब तक संजीव वही सोफे पर बैठा रहा ..पेट पकड़े हुए)
खाना खाने के बाद मैं संजीव को रूम मे लाया ऑर उसे रेस्ट करने का बोल कर ….चेंज करने लगा
मैं रेडी हुआ ही था कि आंटी की आवाज़ आई ….
आंटी1-अक…बेटा रेडी हो
मैं-(उपर से ही)-हाँ आंटी बस 1 मिनट मे आया
मैने संजीव को देखा वो अभी जाग रहा था ऑर बोला
मैं-भाई तेरी माँ की चूत के लिए सफ़र सुरू…..हाहहहा
संजीव ने भी मुस्कुरा दिया ओर हाथ से इशारे से बेस्ट ऑफ लक बोल दिया
मैं नीचे आया तो आंटी को देखता ही रह गया
क्या लग रही थी आंटी….पिंक कलर की साड़ी के साथ मॅचिंग ब्लाउस….इयररिंग….पर्स..ओर होंठो पर शाइन करती हुई पिंक लिपस्टिक भी…
मैं- वाउ …आंटी..लुकिंग ब्यूटिफुल
आंटी-(खुश होते हुए)- थॅंक्स बेटा…चले
मैं ऑर आंटी घर से बाहर आ कर मेरी कार से मार्केट के लिए निकले….मैं कार चलाते हुए आंटी को तिरछी नज़रों से देख रहा था ऑर बाते भी कर रहा था
मैं-आंटी 1 बात बोलूं…
आंटी-हाँ बोल ना
मैं-आंटी ..आप बुरा तो नही मनोगी ना
आंटी-अरे नही बेटा बोल ना
मैं-आंटी..वो…वो आप
आंटी-डर क्यो रहा है …बोल ना…ये क्या वो वो कर रहा है
मैं-आंटी आप आज बहुत हह..हॉट लग रही हो(मैने पहला तीर छोड़ दिया)
आंटी-(शरमाते हुए)-चल,पागल कही का…मैं कहाँ से हॉट लग रही हूँ
मैं-(शरमा गई मतलब अगला तीर छोड़ने का टाइम)- आंटी आप उपर से लेकर नीचे तक हॉट दिख रही हो
आंटी(थोड़ा ज़्यादा शरमाते हुए)-तू पागल हो गया….मैं कहाँ…….
मैं-(बीच मे ही बोल पड़ा)-कसम से आंटी…हॉट हो आप
आंटी(अचानक शांत हो गई)-क्या मतलब???
मैने सोचा साली डान्टेगी बट ये तो मतलब पूछने लगी…शायद इसे उतना बुरा नही लगा
RE: चूतो का समुंदर मे डुपकी
मैं-आंटी, मैं ये बोल रहा हूँ कि आप हॉट ही हो….क्या दिख रही हो….लग ही नही रहा कि आप 2 बड़े बच्चों की मोम हो
आंटी(शरमा गई)-कुछ भी….
मैं-कसम से आंटी
आंटी-अच्छा मान लिया….तुझे हॉट लगी तो हॉट हूँ,,,अब ठीक
मैं-हाँ
(हमारे यहाँ 2 मार्केट है….छोटे वाले मे सामान तो अच्छा मिलता है बट मॉर्डन सामान बड़े मार्केट मे मिलता है जो थोड़ा दूर पड़ता है…मैने छोटे मार्केट को छोड़कर बड़े मार्केट का रास्ता ले लिया )
आंटी-अर्ररे…बेटा मार्केट तो पीछे रह गया…कहाँ ले जा रहा है
मैं(शरारती स्टाइल मे)-अपनी हॉट आंटी को भगा कर ले जा रहा हूँ
आंटी(थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए)-चुप...मुझे भगा ले जायगा....बेटा किसी हॉट लड़की को भगाने की एज है तेरी....हहहही
मैं-(मन मे सोच कर कि ये गुस्सा नही हुई...मतलब काम बन रहा है)- अरे आंटी आपके आगे कोई लड़की क्या लगेगी....ऑर प्यार मे एज डोएसन्थ मॅटर...हाहहाहा
आंटी(हँसते हुए)-अच्छा बाबा मुझे भगा ले जा...पर ये तो बता कि कहाँ ले जा रहा है
मैं-आंटी ...हम बिग मार्केट से शॉपिंग करेगे
आंटी-पर क्यो…यहाँ भी अच्छा समान मिलता है बेटा
मैं-आंटी यहाँ मॉर्डन ड्रेस नही मिलती है…
आंटी-मॉर्डन ड्रेस…किसके लिए चाहिए
मैं-आपके लिए ऑर किसके लिए
आंटी(चौुक्ते हुए)-कयय्या…मैं क्या करूगी मॉर्डन ड्रेस का
मैं-आंटी आप उसे पहन कर अपनी फ्रेंड के घर शादी मे जाएगी
आंटी(डबल शॉक्ड)-क्या…नही बेटा मैं…नही
मैं-क्यो नही आंटी
आंटी-बेटा मोर्डन ड्रेस जवान लोग ही पहने तो अच्छा लगता है
मैं-आंटी…ये क्या कह रही है….आप भी जवान ही हो…..
आंटी-अरे नही बेटा….मैं तो
मैं-आंटी आपकी फरन्ड भी तो आपकी एज की है…वो पहन सकती है तो आप क्यो नही
आंटी-पर…वो तो बेटा..नही ना
मैं-आंटी आप आज भी जवान लड़की से ज़्यादा हॉट दिखती है
आंटी(शरमा कर)-ठीक है बट ड्रेस क्यो
मैं-आंटी आपकी फरन्ड जो आपको सुनाती है ….उसका मुँह बंद करने को
आंटी(उदास हो गई)
मैं-आंटी पूनम ऑर संजीव ने मुझे बताया है….वो समझती क्या है आपको
आंटी(उदास स्वर मे)-अरे बेटा उसके घर आज़ादी है…पति है नही ऑर बेटी उसी की तरह सोचती है तो वो कुछ भी पहन कर घूमती है..ऑर घमंडी भी है तो ताने मारती है
इतना बोलकर आंटी का चेहरा उतर सा गया
मैं-नही आंटी आप ऐसा मत सोचो...मैं बोल रहा हूँ...आप सबसे अच्छी हो...अभी भी आपका फिगर कयामत धाता है(ये बोलने के बाद आंटी मुझे बड़ी-2 खा जाने वाली नज़रो से देखने लगी...ओर मैने सोचा कि क्या बोल गया...जल्दी कर दी क्या...तो बात संभालते हुए बोला)
मैं-मैने कुछ ग़लत कह दिया क्या
आंटी-(कुछ देर चुप रही फिर बोली)-नही बेटा ...पर तू ऐसी बाते कहाँ से सीख गया
मैं-अरे इसमे सीखना क्या आंटी ...जवान हो रहा हूँ....तो सब अपने आप ही आ रहा है...हाहहाहा
आंटी(शरमाते हुए)-बदमाश...बड़ा जवान हो रहा है....मुझे तो पता ही नही चला
मैं(1 तीर ऑर छोड़ा)-अर्रे आंटी कभी मौका दो तो बताउन्गा कि जवान हुआ कि नही…आपने मौका ही नही दिया
आंटी(सकपकाते हुए)-क्या मतलब
मैं(बात घूमाते हुए)-मतलब आपने कभी ध्यान ही नही दिया मुझ पर
आंटी(हँसते हुए)-आगे से ज़रूर ध्यान दूगी…पर बेटा अभी ड्रेस का रहने दो
मैं-क्यो आंटी
आंटी-बेटा संजू के पापा को ये सब अच्छा नही लगता…
मैं-आंटी वो आप मुझ पर छोड़ दो…बस आप गर मुझसे थोड़ा भी प्यार करती हो तो मॉर्डन ड्रेस ही लोगि
आंटी(अंदर से खुश होते हुए)-चाहती तो मैं भी हूँ…लेकिन संजू के पापा
मैं-आंटी बोला ना कि आप बस हां बोलो…….बाकी मैं संभाल लूँगा…ट्रस्ट मी
आंटी-ठीक है बट मैने आज तक ऐसी ड्रेस खरीदी नही…कैसे होगा..???
मैं-आंटी, उसकी टेन्षन भी मत लो मैं हूँ ना…आपको बेस्ट ड्रेस ही दिलवाउंगा
आंटी-ओके…तो चलो देखते है