Adultery Covid ward mai maza

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कोविड वार्ड में मजा - 1


Update 1




अब तक लाकडाउन का अनलॉक शुरू हो गया था और देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से के लिए आवाजाही शुरू हो गई थी.


मेरे ससुर का निधन हो गया ।।


समाज के रीति रिवाजों को पूरा करने के लिए मैंने हवाई जहाज की दो टिकट बुक करवाईं और ससुराल आ पहुंचा.

दाह संस्कार करने के पश्चात तीसरे दिन मंदिर जाने का रिवाज था, इस कारण मुझे पत्नी के साथ ससुराल में ही रुकना पड़ा.

तीसरे दिन मंदिर जाकर आने के पश्चात शाम को खाना खाने की तैयारी हो रही थी.

मुझे हल्का बुखार सुबह से ही था. मैंने पेरासिटामोल टेबलेट शाम को ले ली.
मगर थोड़ी देर में श्वांस में दिक्क्त के साथ खांसी और सर दर्द के साथ सर्दी के मारे दांत किटकिटाने लगे.

बड़े वाले साले साब एक मेरी हालत देख कर एक कंपाउंडर को लेकर आ गए. कंपाउंडर ने मुझे देखते ही कोरोना का संक्रमण बता दिया.

तत्काल मुझे सरकारी अस्पताल ले जाया गया. मेरी जांच हुई और भर्ती कर लिया गया.
रात भर मुझे होश ही नहीं रहा.

दूसरे दिन सुबह देर से आंख खुली, तो पाया कि मुँह पर ऑक्सीजन लगी हुई थी … ग्लूकोज की बोतल लगी हुई थी.

साले का फोन आया- आपका टेस्ट हुआ था और डॉक्टर ने बताया है कि आपको कोरोना हुआ है. इस कारण आप अस्पताल में भर्ती हैं. इधर के नियमों के अनुसार यहां मरीज के अतिरिक्त अन्य कोई नहीं रुक सकता है. आपको जो भी जरूरत हो, तो फोन पर बता देना. बाहर गेट से भेज दूंगा.

उसकी बात पहले तो मुझे कुछ भी गलत नहीं लगी. मगर जब आस पास नजर दौड़ाई तो देखा कि हर दूसरे मरीज के साथ उनके घर का सदस्य हाजिर था.

दरअसल ये कोविड के एल-थ्री दर्जे का वार्ड था, यहां सिर्फ एसिम्प्टोमैटिक मरीज ही रखे गए थे. उनको खतरा कम होता है, इसलिए उनके परिवार के सदस्य साथ रुक सकते थे.

मगर मेरा साला मुझे अकेला छोड़ कर चला गया था. मैं समझ गया कि मेरे साले को कोरोना हो जाने के कारण यहां रुकने से भय बैठ गया था … या उसे कोई गलत सूचना दी गई थी.

अब जो भी था, मैं अकेला था और बाकी के साथ उनके परिजन थे.

तीन दिन तक मुझे ऑक्सीजन लगी रही. इस बीच मेरी हालत काफी ठीक हो गई थी और अब मुझे अपनी पुरानी आदतों की याद आने लगी थी.

पांचवें दिन सुबह सात बजे मेरी जांच की गई. ग्यारह बजे मेरी टेस्ट रिपोर्ट आ गई.
मैं कम संक्रमण वाला मरीज निकला था.

अस्पताल में खाने और चाय आदि की सुविधा बहुत अच्छी थी. मुझे कोई दिक्कत नहीं थी.

मैं बेड पर लेटा हुआ अपनी साले की लड़कियों की चुदाई की याद करता हुआ समय पास कर रहा था.

दोपहर के तीन बजे मेरे बाजू वाले खाली बेड पर एक नौजवान मरीज की आमद हुई. उसकी उम्र 28 साल थी.

उसके साथ तीन औरतें भी आयी थीं. उन सभी उम्र और उस नौजवान के साथ उनका रिश्ता लिख रहा हूँ.

पहली मीनाक्षी थी, जो मरीज की पत्नी थी और 25 वर्ष की थी.



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मीनाक्षी दुबली पतली लम्बी पांच फ़ीट से कुछ ज्यादा की थी. उसने अपने ऊपर साड़ी का मास्क बना कर चेहरा ढक रखा था. सर पर पल्लू खींचा हुआ होने के कारण उसकी खूबसूरती दिखाई नहीं दे रही थी. उसकी साइज 28-24-30 की थी. उसके पति को कोरोना साथ खांसी ज्यादा थी.

दूसरी औरत जो कुछ ज्यादा तू तू करके बोल रही थी, उसकी उम्र करीब 50 वर्ष थी.


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उस औरत का चेहरा ही खूबसूरत नहीं था. मगर बाकी का बदन बड़ा ही जालिम था. उसके बाल एकदम सफेद थे. वो उस मरीज की मां थी. उसकी हाईट सवा पांच फिट थी, रंगत सांवली और साइज 32-28-34 की थी. उसके शरीर में शानदार कसावट थी. दूर से देखने पर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था. अगर उसका चेहरा थोड़ा खूबसूरत होता, तो भगवान कसम उसे किसी हाल में नहीं छोड़ता.

तीसरी औरत का नाम विमला था,


वो मेरे अनुमान से वो 40-45 के बीच की होनी चाहिए थी.
वो मरीज को 'जी ..' लगा कर बात कर रही थी, इससे अन्दाज हुआ कि ये उस युवक की सास होगी.
इसकी पुष्टि जब हुई जब 25 वर्षीय लड़की ने अपनी मां से बात करते समय मम्मी बोला.

अब मैं उस 25 वर्षीय लड़की की मां का हुलिया बता देता हूँ.

उसका रंग एकदम गोरा था. साइज़ 36-34-38 का था. पौने पांच फिट की नाटे कद की गोल मटोल बॉडी, बेहद गोरी, आंखें किसी हिरणी की तरह थीं. मगर न ही उसकी मांग में सिन्दूर था और न ही माथे पर बिन्दिया थी.
ये देख कर मेरा माथा ठनक गया. इससे साफ जाहिर हो रहा था कि वो विधवा थी.

अब वो विधवा थी या सधवा थी … मगर उसमें जो सबसे खास बात थी, वो ये कि वो बहुत ही खूबसूरत थी.
उसने अपनी शारीरिक फिटनेस को बड़ा मेन्टेन कर रखा था. हालांकि उसका थोड़ा सा पेट बाहर निकल आया था.

जब से वो वार्ड में आई थी, उसकी एक नजर मेरे ऊपर पड़ी थी. उसी समय मेरी नजरें उसकी नजरों से लड़ गई थीं.
मैंने उसकी आंखों में एक प्यासी औरत की चमक उभरती हुई देखी थी.

बाद में मुझे नजरअंदाज करते हुए अपने मरीज की तीमारदारी में लगी रही.

दो घंटे बाद वो वहीं रुक गयी. मरीज की पत्नी और मां दोनों वापस चली गईं.

अब मरीज की सास यानि वो कांटा माल मेरी ओर बार बार देखने लगी थी.
जब वो मेरी तरफ देखती, तब मेरी नजरें नीची हो जातीं, जब मैं उसकी ओर देखता, तब उसकी नजरें नीची हो जातीं.

खैर … हम दोनों के मुँह पर मास्क लगा होने के कारण हम नयनों से नयन मिला कर एक दूसरे को समझने की कोशिश करने में लगे थे.
इससे पहले नयनों की भाषा मैंने नहीं सीखी थी, जो मुझे आज सीखने को मिल रही थी.

इस खेल में समय का पता ही नहीं चला.

दो घंटे बाद वे दोनों सास बहु खाना लेकर वापस आ गईं.
पेशेन्ट की मां ने अपने बेटे को उठाया.

मरीज को नशीली दवा दी हुई होने के कारण वो नींद में था. उस उठा कर खाना खिला कर बेटी अपनी मां को लेकर रवाना हो गई. उस समय उस बेटी की मां मुझे जाते जाते बार बार मुड़ कर देख रही थी.

उन दोनों के चले जाने के बाद मरीज की मां ने अपना स्टूल मेरे बेड के पास खींच कर रख दिया. ऐसे उसने इसलिए किया था क्यों मरीज को काफी देर तक ज्यादा खांसी होने के कारण उसे अपनी कुछ चिंता हुई होगी.

फिर जब उसके बेटे को नींद आ गयी, तब वो मुझसे बतियाने लगी.
मैंने काफी देर तक उससे बात की. इस वक्त अंधेरा हो चला था, मुझे शराब की तलब महसूस होने लगी थी.

मैंने उठ कर बाथरूम में जाकर साले को फोन लगाया.

वो बोला- मैं तो अर्जेन्ट काम से गांव आया हुआ हूँ.

उससे निराश होकर मैंने अपनी जेब को टटोला, तो पूरी जेब साफ दिखी.

तभी मुझे याद आया मोबाईल के पीछे मेरा एटीएम कार्ड है. मैंने देखा, तो वो था. मैं वार्ड से बाहर आया. उस समय आठ बज रहे थे. स्टाफ नर्स की नौ बजे ड्यूटी चेंज होने के कारण वो पहले से ही घर जाने को तैयारी में दिखी. उससे आंख बचा कर मैं बाहर आया. तो गेटमैन खड़ा था. उसकी उम्र करीब साठ साल थी.

मैंने गेटमैन से हाय हैलो की और उससे निवेदन किया कि अगर वो मुझे किसी एटीएम तक ले जाकर वापिस यहां ले आएगा, तो मैं उसे दो हजार रूपये दूंगा.

उसने कारण पूछा, तो मैंने उसको रुपये निकालने का बता दिया.

वो लालच में आ गया और उसने कहा- आप एक घंटा और रुक जाइए.

मैं अंधेरे में तीर चला कर बोला- मुझे अभी अर्जेन्ट जाना है … एक घंटे बाद मुझे जरूरत ही नहीं रहेगी.
गार्ड दो हजार की लालच में बोला- आप अपने बेड पर जाइए, तब तक मैं कुछ सोचता हूँ.

मैं बेड पर वापिस आ गया. वो औरत जो मेरे पास के मरीज की मां थी. उसका कल्पित नाम मैं रोहिणी रख देता हूँ.

वो मुझसे पूछने लगी- आप कहां चले गए थे?

मैंने उसे लेटे लेटे ही पास आने को बोला, क्योंकि हम दोनों के मुँह पर मास्क लगा होने के कारण बोलने के लिए जोर से बोलना पड़ रहा था.

रोहिणी ने बैठने का स्टूल मेरे बेड के सिरहाने की तरफ खींचा और मेरे पास आकर बैठ गयी.

मैं बेड पर लेटा हुआ था, उठ कर उसके कान के पास मुँह करके कहने लगा कि मुझे मेरे साले ने यहां एडमिट करवा करवा दिया है और वो यहां से भाग गया है. इस समय मेरी जेब में पैसा नहीं है, एटीएम कार्ड है. मुझे प्रतिदिन शराब लेने की आदत है. मुझे इस समय शराब की तलब हो रही है. इस कारण गार्ड को साथ ले जाकर एटीएम से पैसा निकाल कर शराब लाने के लिए जुगाड़ फिट कर रहा था.

उसने मुस्कुरा कर कहा- क्या मैं इस समय आपकी मदद कर सकती हूँ?
मैंने पूछा- कैसे?

रोहिणी बोली- आप अपने एटीएम से पैसे बाद में निकाल लाना. अभी मुझसे पैसे ले लो … और शराब मंगवा लो.

इतना बोल कर रोहिणी ने अपने ब्लाउज से एक छोटा सा पर्स निकाला. उसमें से उसने दो हजार के दो नोट दिए. मैंने देखा कि उसके पास काफी ज्यादा रुपये थे.

मैंने उससे दो हजार और ले लिए और बाहर जाने के लिए उठ गया.

मेरे जाते समय वो बोली- एक बात बताओ … यहां अस्पताल में पीना तो बिल्कुल मना है. आप कैसे पियोगे?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- सामने बाथरूम है … वो कब काम आएगा!

वो हंस कर बोली- तो एक काम मेरा भी कर देना. वाइन मिनियेचर के दो पैग वाली छोटी बोतल मेरे लिए भी लेते आना.
मैंने हां कर दी.

अब मैं वहां से बाहर आया. सामने गार्ड आता दिखाई दिया.
वो आते ही बोला- सर आप मेरे साथ बाहर चल सकते हैं.

मैंने उससे एक थैला साथ लेने को बोला.

वो नर्स वाले रूम में मुझे भी साथ ले गया. नर्स के रूम में जाते ही एक टेबल लगी हुई थी. उसके पीछे कमरा था.
हम दोनों उस कमरे में पहुंचे. उधर तीन चार बेड लगे हुए और एक अलमारी थी. उस अलमारी से उसने अपना बैग निकाल कर साथ लिया और हम दोनों वापिस नर्स वाले कमरे में आए.

तब एक नर्स ने गार्ड को रोक दिया. गार्ड मुझसे बोला कि आप बाहर मेरा इंतजार करें.

मैं बाहर आकर इंतजार करने लगा.

कुछ ही देर में गार्ड आया. वो मुझे साथ लेकर अस्पताल से बाहर निकलने लगा. अस्पताल की ओर से तीन सुरक्षा चक्र बनाए गए थे. हर सुरक्षा चक्र में गार्ड मुझे अपना रिश्तेदार बता रहा था. बाहर आकर गार्ड ने अपनी एक्टिवा स्टार्ट करके मुझे पीछे बैठाया और एटीएम ले गया.

वहां से मैंने बीस हजार रूपये निकाल कर गार्ड को अपने नजदीक बुलाया और कहा- मुझे कुछ सामान खरीदना है.
वो बोला- ठीक है.

मैंने सबसे पहले एक ऐसा बैग खरीदा, जिसमें मैं ताला लगा सकूं. फिर गार्ड को शराब की दुकान ले चलने को कहा.

गार्ड काफी दूर वाली एक अच्छी दुकान के पिछवाड़े में ले गया. क्योंकि राजस्थान में आठ बजे शराब की दुकान बन्द हो जाती हैं. दुकान के पिछवाड़े जाकर उसने दुकानदार को फोन लगा कर मुझसे पूछा कि किस ब्राण्ड की चाहिए.

मैंने ब्राण्ड बता दिया.
फिर फोन पर दुकानदार ने कहा- आप सामने से आ जाओ.

हम सामने वाले दरवाजे पर पहुंचे, तो दुकानदार ने शटर को थोड़ा ऊंचा करके हम दोनों को दुकान में घुसा लिया.

मैंने दुकान में जाकर देखा, तो मेरी मन पसन्द ब्राण्ड तो थी ही नहीं.
मैंने दूसरी ब्राण्ड पसन्द की और गार्ड को बोला कि आप भी पीने वालों में से हैं. मेरी इच्छा है कि हम दोनों यहीं बैठ कर कुछ पैग बना लेते हैं.

गार्ड दो गिलास के साथ कुछ अतिरिक्त गिलास ले आया. हम दोनों पीने बैठ गए. तीन पैग पीने में हमें आधा घंटे लग गया.

इस दरम्यान मैंने गार्ड से बात की. वो मुझसे काफी खुल गया था. मैं उस गार्ड से उस नर्स के बारे में पूछने लगा.

शराब पीने के बाद आदमी बिंदास हो जाता है और कभी भी झूठ नहीं बोलता है.

गार्ड मुँह से गाली देते हुए बोला- ये साली कुछ नर्सों ने नर्स जाति को बदनाम कर रखा है. जिसने मुझे रोका था, वो साली एक नंबर की रंडी है. पैसे मांग रही थी कुतिया.

मैंने पूछा- किस बात के.
वो गाली देते हुए बोला- साली को एक बार चोद क्या दिया, भैन के लौड़ी जब चाहे पैसे मांगने लगती है.

मुझे गार्ड की बातों में दिलचस्पी होने लगी. मैंने तत्काल चार हजार रुपये निकाल कर गार्ड के सामने रखकर कहा- इसमें दो हजार तो आपकी उस मेहनत के हैं, जो आप मुझे यहां तक लेकर आये हैं, बाकी मैं दो हजार एडवान्स दे रहा हूँ. अगर आज की रात उस नर्स रूम में बने पीछे के कमरे में किसी अच्छी और खूबसूरत नर्स के साथ मेरा टांका भिड़वा दो, तो दो हजार और दूंगा.

गार्ड लालची था, वो रूपए उठाते हुए बोला- हो जाएगा सब इंतजाम … चलो अभी चलते हैं.
मैंने पूछा- क्या उसी को भेजोगे!

वो बोला- नहीं, वो कुतिया तो अब तक चली गई होगी. आज कौन सी नर्स ड्यूटी पर आती है … वो देखता हूँ. अगर कोई मेरे जान पहचान की हुई, तो आप सारी रात मजे कर लेना.

मैंने उठते समय वहां से दो बोतल ले लीं. छह पीस मिनियेचर के खरीदे, कुछ प्लास्टिक की अतिरिक्त गिलास और साथ में नमकीन चखना भी ले लिया.

बाहर आकर मैंने कुछ और नमकीन खरीद लिया और एक सिगरेट की डिब्बी लेकर वापस चलने लगा. एक बार पुनः एटीएम से बीस हजार और निकाल कर अस्पताल पहुंच गया. जब हम वहां से बाजार गए थे, तब वो गार्ड किसी मित्र गार्ड को खड़ा करके गया था. हम दोनों वापिस आए, तब उधर कोई और था, जो उसी गार्ड का दोस्त था.

उसने मेरा परिचय करवाया और बोला- ये अपना सेठ है, इनका कोई नहीं किसी भी प्रकार का काम हो … तो बेहिचक कर देना. तुम्हारा इनाम मैं दे दूंगा … बाकी हर एक बात मेरी गारंटी है. एक बात और ध्यान से सुन लो, कल सुबह तुम्हारी जगह जो भी गार्ड आए, उसे भी बता देना.

इतना कह कर उसने मुझे अपने बेड पर जाने को कह दिया.
मैं बेड की ओर चला गया.

अब अगले भाग में आपको लिखूंगा कि कोविड वार्ड में चुत चुदाई कैसे हुई और कौन कौन लंड के नीचे आया.
 
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कोविड वार्ड में मजा- 2


कोरोना ग्रस्त होकर मैं अस्पताल में था. मैंने दारू का इंतजाम कर लिया था और चूत के जुगाड़ में था. मुझे अस्पताल में चूत कैसे मिली?


पिछले भाग
कोविड अस्पताल में चूत की जरूरत
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं गार्ड को पटा कर अस्पताल से बाहर निकल कर दारू का इंतजाम कर लाया था.

अब आगे की हॉस्पिटल सेक्स कहानी:

मैं जैसे ही बेड के करीब पहुंचा. रोहिणी बोली- बहुत देर लगा दी?
मैं बोला- ऐसा ही है, बाहर जाने के बाद समय का पता नहीं चलता.

मैंने बैग में से दो मिनियेचर के पैक चुपके से उसे दे दिए.
वो खुश हो गई और झट से बाथरूम में लेकर चली गयी.

कुछ मिनट बाद मैं भी बाथरूम के अन्दर पहुंच गया.
वो पक्का किसी लेट्रिन में कमोड कर बैठ कर पी रही होगी.

उस समय हम दोनों के सिवाय बाथरूम में कोई नहीं था. मगर सभी बाथरूम के दरवाजे बंद थे. इसलिए मैंने आवाज लगाई.

उधर बनी छह लेट्रिनों में से एक में आवाज आयी.
मेरी आवाज सुनकर रोहिणी ने लेट्रिन का दरवाजा खोल दिया. मैं उसके पास पहुंचा. उसने मुझसे मिनियेचर लेने की मनुहार की.

मैंने कहा- मैं अपनी लेकर आया हूँ. मगर मुझे फिलहाल कुछ और चाहिए.
वो बोली- क्या?

मैं उससे चिपक कर बोला- मैं तुम्हें चाहता हूँ.
इतना कह कर मैंने उसके मम्मों पर हाथ रख दिया.

बाहर से उसके बूब्स इतने बड़े महसूस नहीं हो रहे थे मगर जब मैं उनको मसलने लगा, तब मालूम पड़ा कि वो भरे हुए थे.

वो अपना एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे डाल कर बोली- मुझे खुद जरूरत है. आज रात को शांति होने पर बाथरूम में आ जाना.

इसी के साथ उसने अपने दूसरे हाथ से पैंट की चैन खोल कर हाथ अन्दर डाल दिया.

मेरे लंड को सहला कर देखा और बोली- बुड्डे हो गए हो … पर सामान अभी भी तगड़ा है.

वो लंड हाथ से जब ये हिलाकर बोली, तो मैं रोहिणी के मन में लंड की चाहत को समझ गया.

मेरे लिए वैसे एक भी दिन ऐसा नहीं होता था कि जब मैंने शराब और शवाब के बिना रात गुजारी हो.
रोहिणी का पेटीकोट ऊपर खींच कर उसकी चुत पर हाथ फेरा; तो पाया कि उसकी चुत एकदम साफ थी; लग रहा था कि चुत की वैक्सिंग अभी कल ही करवाई हुई थी.

इधर मेरा लंड पैंट के बाहर निकला हुआ था ही, मैं रोहिणी से चिपका हुआ होने के कारण उसकी चुत पर ऊपर से नीचे हिला दिया.
इससे रोहिणी की सांसें फूलने लगीं.

मैंने उचित मौका देख कर उसकी बुर में लंड पेल दिया.
लंड चुत के अन्दर जाते ही वो चीख दबा कर बोली- आह मार ही दोगे क्या!

उसको चुदाई किए हुए लम्बा समय बीत गया था … या कोई और कारण था … मगर उसकी चुत एकदम टाइट थी. मन तो चुंबन लेने का था, मगर कोरोना के कारण मैंने लिया नहीं. हालांकि मुझे लग रहा था कि मेरा संक्रमण खत्म हो गया है.

उधर रोहिणी भी मुझे धक्का मार कर बोली- कुछ समय तो सब्र करो. अभी कुछ देर रुक जाओ.

उसकी बातों से मैं सहमत हो गया और वापिस बेड पर आकर लेट गया.

दस मिनट बाद रोहिणी बाथरूम से वापस आयी. उसकी आंखों में गुलाबी डोरे डोलने लगे थे. वो बैठने का स्टूल खींच कर मेरे सिराहने बैठ गयी.

मुझे अपना फोन देकर बोली- आप अपना मोबाईल नंबर टाइप कर दो.

अपना नंबर टाइप करके मैंने उस नंबर से एक घंटी की. मेरे मोबाईल पर उसका नम्बर आ गया.

मैंने जेब से उससे लिए हुए नोट निकाल कर उसे वापिस दे दिए.
बहुत ना-नुकर करने के बाद आखिर उसने रूपए ले ही लिए.

आधा घंटा पश्चात एक खूबसूरत नर्स मुझे इंजेक्शन लगाने को आई.
वो इन्जेक्शन लगाने में देर कर रही थी. साथ में मुझे घूर घूर कर देख रही थी.

उसकी उम्र बत्तीस-चौंतीस साल की रही होगी. उसका साइज 38-34-40 का था. चेहरे से बेमिसाल खूबसूरत थी.

तभी गार्ड के मोबाईल पर घंटी करके मैंने उससे पूछा- आइटम का क्या हुआ?
गार्ड ने बताया- आपके पास अभी जो नर्स आई है, यह आपका काम कर देगी.

ये सुनकर मैंने नर्स को आंख मार दी.
बदले में नर्स ने स्वीकरोक्ति स्वरूप मुस्करा कर गर्दन हिला दी.
मैंने तत्काल फोन बेड पर रख दिया ताकि वो अपना फोन नंबर टाइप कर दे … तो मैं उससे आसानी से बात कर सकूं.

उस नर्स ने फटाफट इधर उधर देखा और मेरे मोबाईल में नंबर टाइप कर दिया.

मैंने जाते जाते उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम कल्पना बताया.

रोहिणी यह माजरा सब देख और समझ रही थी.

नर्स के जाने के बाद अपने बेटे के पास से उठ कर बाथरूम की ओर गयी.
वहां से उसने मुझे फोन किया और बोली- क्या नर्स से सैटिंग कर ली!

मैंने कहा- हां, शराब पीने के लिए इन नर्सों के बैठने का कमरा है. उसके पीछे बेडरूम बना हुआ है. वैसे अभी तो मैंने वाइन पी ही कहां है. बाजार से तो बस उतनी पी थी, जितनी सब्जी में छौंक लगता है.

वो हंस कर बोली- मुझे मत बनाओ.
मैंने कहा- उस कमरे का इस्तेमाल तुम्हारी सवारी करने के लिए भी कर लूंगा.
इस पर वो हंस दी.

रोहिणी से बात करने के उपरान्त पन्द्रह बीस मिनट बाद गार्ड का फोन आया.

वो बोला- सर माफ़ी चाहता हूँ … आज कुछ देर पहले आपको इंजेक्शन लगा कर नर्स गयी. वो तो तैयार है … मगर साथ में स्टाफ की कुछ नर्सें और भी हैं. वे ईमानदार हैं. इस कारण आज रात्रि में आपका काम नहीं हो पाएगा. कष्ट के लिए क्षमा चाहता हूँ.

मैं अब कर भी क्या सकता था. खड़े लंड पर धोखा जैसा हुआ था. ये मुम्बई होता … तो मैं बहुत कुछ कर लेता.

खैर ऊपर वाले की मेहरबानी से रोहिणी तो हाजिर थी ही.

मैंने रोहिणी के पास स्टील की पानी की बोतल देखी, तो मन को कुछ तसल्ली हुई. मैंने रोहिणी से स्टील की बोतल मांगी.

मैंने उसे व्हाट्सैप पर मैसेज करके लिखा कि मुझे बोतल चाहिए … उस बोतल में शराब डाल कर पियूंगा, तो किसी को शक नहीं होगा. लोग यही समझेंगे कि मैं पानी पी रहा हूँ.
वो बोली- इसमें ठंडा पानी है.
मैंने कहा- तब तो और मजा आ जाएगा. आप बस बोतल मुझे दे दो.

रोहिणी ने बोतल मेरे बेड के करीब रख दी. मौका देख कर मैंने बैग से वाइन की बोतल निकाल कर शर्ट ऊंचा करके पैंट के अन्दर डाल कर वापिस शर्ट नीचे खींच ली. फिर बाथरूम में जाकर बोतल में दारू डाल कर वापिस आ गया.

रोहिणी अपने बैठने का स्टूल मेरे सर के पास ले आयी.
हम दोनों सभी की नजर बचा कर वाइन पीने में मस्त हो गए थे.

हमें करीब आधा पौन घंटा लगा. रोहिणी को नशा कुछ ज्यादा ही चढ़ चुका था.

मैंने उसे कुछ देर बेड के नीचे सोने को कहते हुए कहा कि वार्ड में एक बार शान्ति हो जाएगी तो मैं तुम्हें उठा कर बाथरूम ले जाऊंगा.

वो हामी भर कर फर्श पर बिछी हुई दरी पर औंधी होकर सो गई.

इधर मैं वार्ड में शान्ति होने का इंतजार करने लगा.

ये सब करते करते रात का एक बज गया था. एक बजे तक लगभग सब लोग नींद में जा चुके थे. रोहिणी भी बेसुध सो रही थी.
मुझे ही चुत के चक्कर में नींद नहीं आ रही थी.

मैंने उसको उठया. उसने उठ कर चारों तरफ देखा. सभी लोग नींद ले रहे थे.

उसने उठ कर एक बार फिर से बोतल हिला कर देखी, तो वो खाली नजर आयी.

उसने मेरा बैग खोल कर वाइन की बोतल को सीधे मुँह से लगा ली और पीने लगी.

वो अब खुले आम पीने लगी थी क्योंकि उसने देख लिया था कि इस समय कोई नहीं जाग रहा है.

दारू गटकने के बाद वो उठी और आंखों से मुझे बाथरूम में चलने का इशारा किया.
मैंने उसको आगे भेज कर एक बार सभी को गौर से देखा, सब बेसुध सो रहे थे.

बिल्कुल निश्चिन्त होने के बाद एक बार मैंने नर्स रूम में जाकर देखा तो पाया कि वो सब अपने रूम को अन्दर से लॉक करके सोई पड़ी थीं. वापिस आकर मैं बेहिचक बाथरूम के अन्दर चला गया.

अन्दर रोहिणी मेरा इंतजार कर रही थी. मैं उसे लेकर एक कमोड लगी लेट्रिन कम बाथरूम में ले गया.

मैं कमोड पर बैठ गया. अपने दोनों पैर फैला कर रोहिणी को गोदी में अपने लंड पर बैठा लिया. मैंने उसके ब्लाउज को ऊंचा कर दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा.

रोहिणी के दोनों हाथ मेरी गर्दन के पीछे चले गए थे.
पता ही नहीं चला कि उसने कब अपने मुँह से मास्क हटाया और मुझे भूखी शेरनी की तरह मेरे सर पर चुम्बन देने लगी.

उसके चूचे मेरे मुँह में होने के कारण जोर से चूसने के कारण वो आवश्यकता से ज्यादा उत्तेजित लग रही थी.

फिर रोहिणी को कमोड के नीचे बैठा कर उसे लंड की ओर इशारा करके लंड को मुँह में लेकर चूसने का कहा.
वो बिंदास मंजी हुई खिलाड़िन की तरह लंड को चूसने लगी.

पांच मिनट बाद वो उठ कर वापिस मेरी गोदी में लंड को सैट करके अपनी बुर में डाल कर बैठ गयी.

बैठने के दरम्यान जब लंड उसकी बुर में गया, तो उसकी दर्द भरी आह निकल गयी.

उसने मेरे मुँह पर लगे मास्क को हटा कर फेंक दिया. अब वो होंठों से मेरी जीभ को बेतहाशा चूसने लगी. साथ ही अपने पैरों को ऊपर नीचे करती जा रही थी.

जब देखा कि लंड पूरा अन्दर नहीं जा रहा है तो मैंने अपने दोनों हाथ उसके नितम्बों के नीचे रख कर उसे ऊपर नीचे करने लगा.
उसका ज्यादा वजन नहीं होने कारण मुझे ऐसा करने में आसानी हो रही थी.

रोहिणी होंठ और जीभ कान और कान के पीछे गर्दन को चुंबन देने में मग्न थी.
दो चार मिनट में ही रोहिणी का शरीर ऐंठने लगा. उसने दोनों बांहों से मुझे जकड़ कर पकड़ लिया. नीचे से उसकी बुर पानी छोड़ रही थी.

दो तीन मिनट में जब वो शांत हो गई, तो मैंने उसे नीचे फर्श पर लिटा कर चोदने का सोचा.

मगर बाथरूम थोड़ा गीला था. मैंने रोहिणी की साड़ी खुलवाई और उसे लिटा दिया. मैंने अपने कपड़े खोल दिए. नीचे रोहिणी थी, ऊपर मैं चढ़ा था.

मैं चुदाई में लग गया. लगातार की चुदाई से रोहिणी को फिर से सेक्स का ज्वार आ गया … अब वो खुल कर साथ देने लगी.
उसने अपने दोनों हाथ मेरे नितम्बों पर फेरते हुए अपने दोनों पैरों से मेरे दोनों पैरों को जकड़ लिया.

मैं समझ चुका था कि बाथरूम में ज्यादा देर रहने का मतलब है … रंगे हाथ पकड़ा जाना.
इस कारण से, रोहणी कुछ ही देर में एक बार और पानी छोड़े, तब तक मैं भी उस के साथ स्खलित होने के लिए ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.

मुश्किल से तीन चार मिनट लगे होंगे कि दोनों एक साथ स्खलित हो गए.
कुछ देर तक एक दूसरे को बांहों में पड़े रहने के उपरान्त दोनों ने कपड़े पहन लिए.

पहले मैं बाहर आया … बाद में रोहिणी आई.

बाहर आने के बाद एक बार वार्ड को गौर से देखा, कोई भी जागृत अवस्था में नहीं था.
बाहर जाकर नर्स वाला कमरा भी अन्दर से बन्द था.

वार्ड का मुख्य गेट को खोलने की कोशिश की, वो बाहर से ताला लगा हुआ था. मैं वापिस बेड पर आ गया. अब मैं रोहिणी को लेकर बेड में घुस गया. ऊपर से चादर खींच ली.

रोहिणी की इच्छा फिर से चुदने की हुई. इस बार मैं नीचे था और रोहिणी मेरे ऊपर चढ़ गई थी. ज्यादा मोटी नहीं होने के कारण लंड उसकी बुर में समाहित हो गया.

ऊपर से रोहिणी, नीचे से मैं चुदाई में मशगूल हो गए.
एक बार फिर से दीन दुनिया को भूल कर चुदाई में मग्न हो गए.

करीब बीस मिनट बाद हम दोनों फ्री हो गए.

नीचे फर्श पर दरी बिछी हुई थी, रोहिणीउस पर लेट गयी. इस समय रोहिणी बहुत खुश नजर आ रही थी.
हम दोनों एक दूसरे को गुडबाय करके नींद लेने लगे.

सुबह आंख खुली तो नई नर्स आई हुई थी. उसके आने का समय सुबह आठ बजे का था.

वो साढ़े आठ बजे मुझे इंजेक्शन लगाने आई. इंजेक्शन लगवाने के बाद मैं बाथरूम में गया और अपना पानी ले जाकर मुँह धोकर आया.

अब तक रोहिणी भी उठ चुकी थी.

मैंने गार्ड को फोन लगाया. कोई नया गार्ड था. उसने उसे फ़ोन लगाया. वो वार्ड में मेरे पास आया.

मैंने उसको सौ रुपए देकर कहा- कुछ चाय और बिस्कुट ले आओ … रात वाले गार्ड का नाम लेकर उसे बताया.
उसने कहा- हां मुझे उसका मैसेज मिल चुका है. आपको और कुछ चाहिए तो भी बता दें.
मैंने कहा- पहले चाय तो पिलाओ.

कुछ देर बाद वो चाय लेकर आया.

मैंने रोहिणी को भी चाय पीने को दी … और खुद भी पी.
चाय पीने के बाद मेरा शरीर कुछ एक्टिव हुआ.

रोहिणी स्टूल खींच कर मेरे सिराहने आकर बोली- अभी दस बजे मैं घर चली जाऊंगी … शाम को फिर से आऊंगी.
मैंने कहा- रोहिणी तुमसे तो मिल लूंगा, पर तुम्हारे लड़के की सास के साथ मुझे आज रात सेक्स करना है.

वो ये सुनकर हैरान हो गयी. बिना कुछ बोले वो उठ कर वार्ड के बाहर चली गयी. वहां से उसने मुझे फोन किया.

वो बोली- मेरे लड़के की सास ऐसी वैसी होती, तो मैं अपने लड़के की शादी वहां हरगिज नहीं करती.
मैंने कहा- अगर वो आज रात को सैट हो गयी, तो बोलो क्या करोगी?

वो बोली- तुम्हें मुँह मांगा इनाम दूंगी मगर मुझे सबूत भी चाहिए होगा.
मैं बोला- ठीक है … सबूत भी दे दूंगा.

रोहिणी ने वापिस आने में कुछ देर लगा दी.
वो आते ही बोली- मैं घर जा रही हूँ; बहू या उसकी मां को भेज रही हूँ.

रोहिणी जैसे ही बाहर निकलने को हुई वैसे ही उसकी बहु और मां विमला टिफिन लेकर आ गईं.
अब रोहिणी ने विवशता से मेरी ओर देखा. उसकी बहू की मां विमला ने टिफिन निकाल कर अपने दामाद को उठाया और खुश होकर उसे खिलाने लगी.

खिलाने के दौरान उसकी आंखें मेरी ओर थीं.
ये रोहिणी ने नोट कर लिया.

वो बहू से बोली- बेटा एक बार मैं स्नान करके आ जाऊं … उसके बाद दिन भर मैं ही यहीं रहूंगी. फिर आज की रात तेरी मम्मी यहां रह जाएगी.

बहू ने हामी भर दी.

मरीज की सास विमला को वहीं छोड़ रोहिणी अपनी बहु मीनाक्षी को लेकर चली गयी.

विमला आज मेकअप करके आयी थी, वो बहुत ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी.

रात को पी हुई मेरी दारू अभी उतरी नहीं होने के कारण विमला जब मेरी ओर देख रही थी, तो हाथ से अंगूठे और अंगुली को मिला कर मैंने उसे खूबसूरत होने का इशारा कर दिया.

उसने हंस कर मुँह फेर लिया.

आधा पौन घंटा बिना बात के निकल गया.
उसकी नजरें कल की तरह ही आज भी मेरे से नयन लड़ा रही थीं.

मैंने भी साहस करके मोबाईल उसकी ओर दिखा कर नंबर मांगा. काफी देर तक उसने नहीं दिया. तब मैंने उसकी ओर देखना कम कर दिया.

अब अगले भाग में मैं आपको विमला की चुदाई की कहानी लिखूंगा. आप मुझे reply करके बताइए कि आपको ये हॉस्पिटल सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
 
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कोविड वार्ड में मजा- 3

मैंने एक मरीज का मम्मी को दो बार खूब मजे से चोदा. मरीज के साथ उसकी सास भी थी. वो भी मुझे पटती हुई लग रही थी. इसके बाद क्या हुआ?


पिछले अपडेट में

आपने पढ़ा था कि मैंने रात को रोहिणी देवी को बाथरूम में चोद दिया था उसके बाद उसे अपने बिस्तर पर भी चोदा था.

जब सुबह हुई तो रोहिणी की समधन विमला आ गई और वो मुझसे नैन-मटक्का कर रही थी.

अब आगे:

अचानक से उठ कर विमला मेरे पास आई और उसने मुझसे मेरा मोबाईल मांगा.

मैंने देखा कि उसका मोबाईल उसी के हाथ में था.
मगर तब भी वो बोली- मुझे एक फोन करना है.

मैंने दे दिया.
वो मोबाईल लेकर फोन लगाने लगी.
तभी उसके मोबाईल पर घंटी बोल पड़ी.

उसने नंबर देख कर तत्काल फोन काट दिया और बाथरूम में चली गयी.

अन्दर जाकर उसने फिर से फोन किया और बहुत धीमी आवाज में बात शुरू हो गई.

मैं मद्धम स्वर में बोलने लगा- क्यों इतने नखरे कर रही हैं आप … आखिर आपका दिल और मेरा दिल भी धड़कता है. आपकी कसम आपको पूरी रात याद किया और पूरी रात नींद नहीं आई.
वो बोली- मगर ऐसा तो मेरे साथ कुछ भी नहीं हुआ.

तब मैं बोला- जब ऐसा कुछ नहीं हुआ, तो एक तरफा याद करने से क्या फायदा.
इतना बोल कर मैंने फोन काट कर रख दिया.

उसका फोन वापिस आया. उसने मेरा नाम पता मालूम किया. क्या काम करते हो … वो ये सब पूछने लगी.

मैंने सब बताते हुए उससे उसके बारे में पूछा.
उसने बताया कि दो साल पहले मेरे पति की एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी थी. मेरा एक लड़का और एक लड़की है. लड़की की शादी कर दी है. लड़के की शादी करनी है.

बात पूरी होने बाद मैं बोला- अगर आप कृपा कर आज की रात अस्पताल में मेरे लिए रुक जाएं, तो मुझे अच्छा लगेगा.
वो हंस कर बोली- देखूंगी.

इसके ठीक दो घंटे बाद मुंबई से मेरे एक घनिष्ठ मित्र का फोन आया, जो रिटायर्ड आईपीएस था.
उसके साथ महीने में एक दो-बार बार में चला जाता था. वहां फाइव स्टार होटल के बार में सभी स्टेन्डर्ड लोग आते थे. उनमें बहुतों के साथ मेरा परिचय था.

मेरा मित्र राजेश फोन पर बोल रहा था- अबे ओय कहां है बे!
वो गाली गलौच के साथ बोलने की आदत से मजबूर था.

मैंने कहा- आज कैसे याद किया राजेश?
वो बोला- अरे यार, राजस्थान आया हुआ हूँ. इधर एक मेरे मित्र हैं, उनके लड़के को किसी आईटीआई की कम्पनी में लगाना है. साथ में वहां रहने की व्यवस्था भी करनी है. तेरे यहां आईटीआई के आदमी लगे हुए हैं ही, कुछ महीनों तक उनसे कुछ काम भी सीख लेगा. बाद में वो कहीं अपनी जॉब लगा लेगा.

राजेश बोल कर चुप हुआ, तो मैं बोला- इस समय मैं जयपुर के एक सरकारी अस्पताल के एल-थ्री ग्रेड के कोविड वार्ड में एडमिट हूँ.
वो बोला- अबे कब से?

मैं- छह दिन हो गए हैं. आज की दूसरी रिपोर्ट आने पर पता चलेगा कि क्या पोजीशन है. हालांकि मुझे अन्दर से तो सब ठीक लग रहा है.
वो बोला- ठीक है. अभी फोन रखता हूँ और सीधे अस्पताल आ रहा हूँ.

आधा घंटे बाद राजेश अपने साथ बहुत सारे डॉक्टर लेकर आया.

उसके आते ही डॉक्टर ने रिपोर्ट चैक करने में लग गए. अस्पताल का पूरा प्रशासन इस समय मेरे वार्ड में ही था. वरिष्ठ डॉक्टर से मेरा सम्पर्क करवाया गया.

राजेश ने मुझसे कहा- ये डॉक्टर मेरा लंगोटिया यार है … तेरे ही जैसा.

तो राजेश के अन्तिम बोल सुनकर मैं समझ गया कि ये भी एक नम्बर का शराबी और चुतखोर होगा.

राजेश ने उससे मेरी रिपोर्ट मंगवा ली. रिपोर्ट निगेटिव आई थी.
तब भी राजेश के डॉक्टर दोस्त की वजह से मुझे वीवीपीआई कॉटेज वार्ड में शिफ्ट करवा दिया गया.

राजेश बोला- और कुछ कमी रह गयी हो बता?

इस समय अस्पताल प्रशासन वहीं खड़ा होने के कारण मैंने राजेश को बताना उचित नहीं समझा. मैंने राजेश को मात्र इतना ही कहा कि इस कॉटेज वार्ड में एक आदमी ऐसा रखना कि मेरा कोई काम हो, तो वो बिना सवाल जबाव के पूरा कर दे.

ये बात राजेश के साथ डॉक्टर भी सुन रहा था. वो बीच में ही अपने स्टाफ से बोल पड़ा कि यहां इस हैरिटेज वार्ड में बाकी के रूम के मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दो.

सभी खाली होने वाले कमरों को पहले सेनेटाइज करवाओ, दो चार नर्स और दो डॉक्टर यहां कमरे के बाहर सैट दो.
फिर पास में खड़े पीए को इसी समय और इशारा करके सब काम पूरा करने का बोल दिया.

उसने दो अन्य डॉक्टरों के नाम पीए को कहे और बोला कि इन्हें फोन करके बता दो कि ये मेरे विशेष मेहमान हैं.

ये सब हुआ तो सब लोग जाने लगे.

जाते जाते डॉक्टर ने अपना मोबाईल नंबर मुझे देते हुए कहा- कोई कमी हो तो मुझे बिंदास बता देना. अगर कमी रह गयी न … तो मुझे तेरा दोस्त जो एक नंबर का कमीना है, बाद में मेरी हालत खराब कर देगा. एक बार आप इस नम्बर पर फोन करके मुझे अपना नम्बर भेज दो … ताकि मैं उसे सेव कर लूं.

डॉक्टर के नंबर पर मैंने एक रिंग की इसके पश्चात सभी लोग चले गए.
घर जाते वक्त डॉक्टर ने कहा- रात नौ बजे चैक करने मैं फिर से आऊंगा. अब चलता हूँ.

उसके मैं इस वार्ड में स्पेशल बने स्टाफ रूम में गया. वहां का स्टाफ मुझे देख कर खड़ा हो गया. जिस डॉक्टर को मुझे ऑपरेट करने को बोला गया था.

वो डॉक्टर बोला- सर कोई दिक्कत हो तो बताइए.
मैंने देखा कि स्टाफ में तीन नर्सें थीं, एक लेडी डॉक्टर थी. मैंने उस डॉक्टर को मेरे कमरे में आने का इशारा किया.

जब डॉक्टर मेरे कमरे में आया. तो मैंने उसे बताया कि इससे पहले मैं जिस जगह एडमिट था. उस मरीज को इसी वार्ड में ले आओ. उसे मेरे जो सामने कमरा खाली है, उस में सैट कर दो.
मैंने उसे उस बेड का नम्बर बता दिया. मेरा आदेश लेकर डॉक्टर चला गया.

डॉक्टर इस बार बिना किसी ना-नुकर के चला गया.

पन्द्रह मिनट बाद रोहिणी अपने बेटे और बहू मीनाक्षी बेटे की सास विमला के साथ मेरे सामने वाले कमरे में आ गई थी.
उस मरीज को डॉक्टर ने सामने शिफ्ट कर दिया था.

इस समय रोहिणी भी आयी हुई थी. विमला मीनाक्षी को लेकर आयी थी.

तभी विमला का फोन मेरे फोन पर आया. उसने पूछा- यहां पर शिफ्ट आपने करवाया है क्या?
मैंने प्रत्युत्तर में हां कहा.

विमला बोली- अभी रोहिणी मुझे घर भेज रही है. मैं रात को आऊंगी.
मैंने कहा- मैं इंतजार करूंगा.

इतना बोल कर मैंने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया.

रोहिणी ने विमला और बहू को मना कर घर भेज ही दिया था. उन दोनों के घर जाने के बाद जब रोहिणी के बेटे को नींद आ गयी तो वो मेरे कमरे में आ गयी.

वो बोली- यहां पर शिफ्ट करवा कर तुमने अच्छा काम किया … थैंक्स.

रोहिणी ने कमरे को गौर से देखा.

जब उसे मेरा बैग दिखाई नहीं दिया, तब पूछा- आपका बैग कहां है?
मैंने बताया कि पीछे वाले कमरे में एक अलमारी है. उसमें रखा है.

रोहिणी पीछे वाले कमरे में गयी. जब वो कुछ देर बाद आयी तो उसके चेहरे की रंगत बता रही थी कि वो वाइन पीकर आई है.

रोहिणी ने कहा- एक बार और थैंक्स … इस वार्ड में शिफ्ट करने के लिए.

मैंने कहा- इसमें थैंक्स कैसा … सब संयोग से हुआ. मेरे मित्र का फोन आ गया. मेरा मित्र संयोग से इसी शहर में आया हुआ था. उसका मित्र, जो यहां का इस अस्पताल का इंचार्ज है. मेरे मित्र ने उससे कहकर मुझे यहां शिफ्ट कर दिया है. मैं यहां अकेला बोर हो रहा था तो सोचा आपको भी बुला लूं … तो कुछ बोरियत कम हो जाएगी.

रोहिणी मुस्कराई और बोली- क्यों रात को जी नहीं भरा था क्या?
मैं उसे बांहों से पकड़ कर बेड की ओर खींच कर बोला- अगर जी भर जाता … तो यहां बुलाता ही क्यों!

रोहिणी बोली- कोई अन्दर आ जाएगा … मैं उठ कर दरवाजे को अन्दर से बन्द कर देती हूँ.

मैंने उसे छोड़ा, तो वो दरवाजा बंद करके पुनः मेरे बेड पर आकर मेरे सीने पर लेट गई.

अब रोहिणी बोली- सच में मेरा भी मन नहीं भरा रात को … इस समय अब यहां कोई नहीं है. मेरी प्यास बुझा दो.
इतना कह कर वो मेरे कपड़े उतारने लगी.

कपड़े उतारने के बाद उसने अपने कपड़े खोल कर मेरे कपड़े उतार डाले और बेहया रांड की तरह वो मुझ पर टूट पड़ी.
हमने वो सब कुछ किया.

ये एकदम सच है कि जब औरत को मालूम हो जाता है कि अब उसकी कारगुजारी को देखने वाला या रोकने टोकने वाला कोई नहीं है, तब वो बिंदास हो जाती है.
ठीक उसी प्रकार इस समय रोहिणी दीन-दुनिया को भूल कर मेरे संग वो सब कर रही थी जो शांत रात्रि में एक औरत और पुरुष करते हैं.

डेढ़ घंटे बाद जब हम सेक्स से निवृत हुए तो उस समय रोहिणी एक शांत समुद्र की तरह नजर आ रही थी.

वो एक बार पुनः दरवाजा खोल कर अपने बेटे को देख कर आयी.
इस समय वो बहुत सयंत थी. अब उसकी सेक्स की खुमारी उतर चुकी थी.

वो अब विमला के प्रति जिज्ञासा से मुझसे पूछ रही थी.
मैं सब कुछ जानते हुए अनजान बना रहा और उसे यही बतलाता रहा- अभी तक कुछ नहीं हुआ है … आज रात को कोशिश करूंगा.

इस बात पर रोहिणी थोड़ी उत्तेजित होकर बोली- अगर तुम विमला के साथ कामयाब हो जाओ … तो मैं तुम्हें मुँह मांगा इनाम दूंगी.

इस बात से मुझे भी थोड़ी जिज्ञासा हुई कि ये ऐसा क्या इनाम दे सकती है.

मेरे पूछने पर रोहिणी बोली- जो मेरे पास है … वो सब कुछ दे सकती हूँ.
मैंने अनजान बनते हुए कहा- मुझे क्या मालूम कि तुम्हारे पास मेरे लिए क्या खास इनाम हो सकता है.

रोहिणी बोली- अब हमारा सम्बन्ध एक दिन का नहीं रहा. जब जब भी तुम जयपुर आओगे, तब तब मेरा घर तुम्हारे लिए खुला मिलेगा.
मैं समझ गया कि अब रोहिणी मेरे लिए एक परमानेंट छेद के रूप में फिट हो गई है.

इस समय शाम की चाय आ चुकी थी विमला और उसकी बेटी के आने का समय हो चुका था.

रोहिणी भी अपने बेटे के पास बैठ कर चाय के साथ बिस्किट खिला रही थी.

मैं इस समय विमला की चुदाई के ख्वाब में खोया हुआ था. सच में उसे देखने के बाद दिल में बार बार उसी का ख्याल आ रहा था.
रोहिणी तो समय व्यतीत करने का मात्र साधन थी.

अपने इन्हीं ख्वाबों में मैं खोया हुआ था कि तभी मोबाईल की घंटी एक बार बोल कर खामोश हो गयी. मैंने मोबाईल में देखा तो विमला का ही मिस कॉल था. इसका मतलब था कि विमला आ रही है … या आने वाली है.

एक घंटे बाद शाम के छह बजे के बाद मेरे कमरे का दरवाजा खुला.
विमला ने अन्दर झांक कर देखा और बोली- क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ!
मैंने कहा- आपको इस तरह के बोल शोभा नहीं देते. एक तो हम आपके लिए तड़फ रहे हैं. मेरा एक एक मिनट एक एक साल के बराबर हो रहा है और आप अन्दर आने की पूछ रही हैं.

मेरी बात सुनकर विमला ने मुँह से मास्क हटाया और मुस्करा कर बोली- ऐसी मुझमें क्या खास बात देख ली आपने!
मैं बोल पड़ा- हीरे की परख सिर्फ जौहरी ही कर सकता है.

वो मुस्कुरा दी.

मैंने देखा कि जिस तरह की बेचैनी मुझ में थी, वैसी ही बेचैनी विमला में भी दिखाई पड़ रही थी.
आज उसने जानलेवा मेकअप कर रखा था. आज उसके मेकअप में खास बात थी. उसकी आंखों पर मस्कारा लगा था और बालों को उसने स्टाइल से बांध कर रखा था.

वो कल की बजाय आज और ज्यादा अच्छे से तैयार होकर आयी थी.
उसने अपने बालों के पीछे सिर्फ एक क्लिप लगाया हुआ था. सभी बाल एक जैसी अवस्था में दिख रहे थे … ऐसा प्रतीत हो रहा था आज उसने बालों पर मेहनत काफी की है. मेकअप भी बड़ा हॉट किया था.

एक बात सही है कि खराब से खराब चेहरे को मेकअप खूबसूरत बना देता है. फिर विमला तो माल थी.

वो मेरे पास आकर बोली- आज का क्या प्लान है?
मैं बोला- प्लान करना औरत का काम है … मर्द तो रेडी ही रहता है. बस वो औरत को जब तक कुछ नहीं कहता या करता है तब तक वो खुद से हां नहीं करती है.

वो बोली- बातें तो खूब बना लेते हो.
मैं कहा- मैं एक बात कहूँ?

वो बोली- अब कुछ कहना भी बाकी रह गया क्या?
मैं बोला- आप मेरे साथ ड्रिंक लेना पसन्द करेंगी!

वो बोली- सोशयली मैं कभी कभी बियर ले लेती हूँ.
मैं बोला- तो आज अकेले में मेरे साथ भी कुछ ले लेना.

वो हामी भरती हुई बोली- एक बात बताओ कि ये रोहिणी आप में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रही थी?
मैं- यह तो मैं भी नहीं जानता.

विमला बोली- मुझसे झूठ मत बोलो … मैं सब जानती हूँ.
मैंने पूछा- क्या जानती हो?

विमला बोली- मैं कोई दूध पीती बच्ची नहीं हूँ. तुम्हारे और उसके बीच सम्बन्ध बना हुआ है.
इस पर मुझे कहना पड़ा कि अभी बना नहीं है. कल जरूर बन सकता है.

वो बोली- क्या कल नहीं बना?
मैं बोला- कैसे बनता … जगह ही नहीं थी.
विमला बोली- अगर तुम उसके साथ संबंध बना लो, तो मैं तुम्हें मुँह मांगा इनाम दूंगी.

मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि ये दोनों स्त्रियां एक दूसरे के बारे में सबूत चाहती थीं.

कुछ देर बाद एक बार ने आकर डॉक्टर मेरी कुछ जांच करके चला गया. कुछ देर बाद स्टाफ चेंज होने वाला था.

राजेश का फोन आया- भोजन में क्या लोगे?

मैं अस्पताल का खाना खाकर दुखी हो गया था. मैंने राजेश को कहा- अभी सोच कर बताऊंगा.

ये कह कर मैंने फोन काट दिया.
मैंने विमला से पूछा- क्या खाना पसन्द करोगी?
वो बोली- अगर बियर साथ होगी, तो चिकन चलेगा … पर रात ग्यारह बजे खाना गर्म आना चाहिए, तभी मैं खाऊँगी और बियर नौ बजे होगी तो चलेगी, अन्यथा आप अपनी पसन्द का खाना मंगवा लो. मेरे लिए कुछ भी मंगवाने की जरूरत नहीं है.

मैंने गार्ड को फोन लगा कर बियर मंगवा कर विमला को दे दी. मैं जानता था कि अगर राजेश और उसका मित्र डॉक्टर आएंगे, तो वो मेरे साथ सेलीब्रेट नहीं करेंगे. इसलिए मैंने कल लाई हुई वाइन लेकर विमला के साथ ही पीना चालू कर दिया.

अब आज की रात विमला की चुत चुदाई का मजा मिलने की पक्की उम्मीद हो गई थी. उसकी चुदाई की कहानी अगले भाग में लिखूंगा. आप मेरी इस सेक्स कहानी पर अपने reply लिखना न भूलें.
 
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कोविड वार्ड में मजा- 4


अस्पताल के प्राइवेट रूम में मैं एक बढ़िया पर विधवा लेडी की चूत का मजा लिया. साथ में दारू और चिकन भी था. आप भी पढ़ें कि ये सब कैसे हुआ.


पिछले भाग
अस्पताल में चुदाई का बढ़िया जुगाड़
अब तक आपने पढ़ा था कि मैं विमला के लिए बियर और चिकन की व्यवस्था करके उसके साथ ड्रिंक एन्जॉय करके उसे चोदने की तैयारी में लगा था.

अब आगे:

एक बियर पीने में आधा घंटे लगा, दूसरी बियर खोलने से पहले राजेश और डॉक्टर आ गया. डॉक्टर ने आज की सभी रिपोर्ट देखी और कमरे से बाहर निकलते समय मुझे बाहर आने को कहा.

डॉक्टर और राजेश ने मेरे पास बैठी विमला को देखा और बियर की बोतल को देख कर कमरे का नजारा देखा फिर खिसक गए.
विमला भी शर्म के मारे मेरे कमरे से खिसक गयी.

थोड़ी देर रूक कर मैं भी राजेश और डॉक्टर को देखने दूसरे वार्ड की ओर चला गया.

जैसे ही मैं दूसरे वार्ड में पहुंचा, डॉक्टर और राजेश इस समय मौजूद उधर सभी लेडीज स्टाफ के साथ बैठे वाइन सेलीब्रेट करने में मशगूल थे.

राजेश की जैसे ही नजर मेरी पर पड़ी, वो 'वेलकम बॉस ..' बोल कर उठ खड़ा हुआ. उसने मुझे बैठने को कुर्सी दी.

राजेश बोला- तुम्हारे लिए वाइन लेकर आया था .. सोचा था आज सरप्राइज दूंगा. पर तुम हरामी आदमी हो, अपना इंतजाम पहले करके रखते हो.
डॉक्टर बोला- दोस्त कुछ भी हो, तुम्हारी पसन्द बहुत शानदार है.

उसका इशारा विमला की ओर था.
मैं हंस दिया.

वो आगे बोला- जितना तुम्हारे बारे में राजेश ने बताया था, तुम उससे दो कदम आगे हो.
राजेश बोला- एक बार इधर भी देख लो.

वो मेरा उन सभी लेडीज स्टाफ से परिचय करवाने लगा. वो चार लेडीज थीं, उसमें से एक डॉक्टर थी, बाकी तीनों नर्सें थीं. चारों बला की खूबसूरत माल थीं.

डॉक्टर बोला- आओ कुछ हो जाए. आज हमारे और आपके साथ नई दोस्ती को लेकर.

उसने नए गिलास निकाल कर पैग बनाए और हम सभी छहों ने चियर्स किया. दो पैग बाद डॉक्टर ने राजेश की ओर इशारा किया.

राजेश ने बात छेड़ते हुए कहा कि हमने तुम्हारे लिए शराब और शवाब का इंतजाम कर रखा था. ऐसा करो तुम यहां सेलिब्रेट करो .. और हमें तुम्हारी नई दोस्त के साथ आज की रात सेलीब्रेट करने दो.

एक तरफ चार हूर थीं, दूसरी तरफ विमला थी. मैंने मन में सोचा कि जब डॉक्टर अपने घर का है, तब ये चारों कल भी चोदने को मिल जाएंगी. वैसे भी विमला कौन सी मेरी है. वो इनके साथ एन्जॉय करने के लिए तैयार हो ही जाएगी.

मैं राजेश को समझाते हुए बोला- देख राजेश .. तू मुझे आज से तो नहीं जानता है. अभी तो मैं उसको लाइन पर ला रहा हूँ. आज की रात मुझे उसे लाइन पर लाने दे. कल तुम लोग एन्जॉय कर लेना.

डॉक्टर और राजेश समय की गंभीरता समझ कर बोले- ठीक है कोई बात नहीं. तुम आज उसे लाइन पर ले आओ. हम कल एन्जॉय कर लेंगे.

डॉक्टर से मैंने सीरियसली पूछा- सच में कल मुझे छुट्टी दे रहे हो क्या?
तो डॉक्टर बोला- वैसे यहां अब एडमिट की जरूरत तो नहीं है .. आपकी जब तक इच्छा हो, तब तक यहां रह सकते हो.

तभी मोबाईल पर घंटी बजी मैंने मोबाईल पर नाम देखा तो वो विमला का था.
वो मेरा इंतजार कर रही थी.

मैं उन सभी से विदा लेकर अपने कमरे में आ गया. सामने वाले कमरे में विमला ने मुझे कमरे में जाते देख लिया था.

विमला कुछ देर रुक कर मेरे कमरे में आयी और बोली- अभी दामाद जी जाग रहे हैं. मैं कुछ देर बाद आऊंगी.

मैंने राजेश को फोन लगा कर ये दिक्कत बताई, तो राजेश ने डॉक्टर को बताया. डॉक्टर ने सहायक नर्स को भेज कर विमला के दामाद को नींद का इन्जेक्शन लगा दिया.

फिर वापिस राजेश का फोन आया, तो मैंने उसे शुक्रिया अदा किया.

आधा घंटे बाद विमला आ गई. वो हड़ाहड़ाहट में बोली- जल्दी कर लो .. दामाद जी उठ जाएंगे.
जब मैंने उसे नींद के इंजेक्शन के बारे में बताया, तब उसे शान्ति हुई.

मैं अब पीछे वाले कमरे में गया. वहा विमला को बियर खोल कर देने से पूर्व कुछ बीयर मैंने ले ली थी.

मैंने जो आधी बियर पी थी, उसकी जगह वाइन मिक्स करके बोतल बराबर कर दी थी.
एक पैग मैंने अपने लिए अलग से बनाया. फिर वही बियर लाकर विमला को दे दी.

उसकी पहले की पी हुई बियर इस समय उतर चुकी थी.
दामाद के जागने की चिन्ता के मारे विमला बड़े बड़े घूँट भरने लगी. जब कि में बहुत धीमी गति से पी रहा था.

मुझे आज रात वो चारों अपनी आंखों के आगे नाच रही थीं. कल किसने देखा, मैं आज ही उन चारों के साथ कबड्डी खेल लेना चाहता था.

यही सोच कर विमला को टुन्न करके मैं आज ही उसे राजेश और डॉक्टर के हवाले करना चाहता था ताकि चारों से मैं भी मजा ले सकूं. मेरा एक पैग खत्म होने से पहले ही विमला ने बियर खत्म कर दी और बोली- मजा नहीं आया .. बियर गर्म हो चुकी थी.

मैंने उसे पैग लिए ऑफर किया, पहले तो उसने मना कर दिया. मगर जब बहुत समझाया, तब जाकर वो मान गई.

मैं झट से दो लार्ज पैग बना कर ले आया. बियर में मिली वाइन का कुछ असर विमला के चेहरे पर दिखाई देने लगा था. जब मैं कमरे में पहुंचा तो वो मेरे कमरे को अन्दर से लॉक कर चुकी थी और मेरे बेड पर पिलो कवर को दीवार के सहारे करके बेड पर बैठी थी.

मैं उसकी बगल में बैठ गया. गिलास उसे थमा कर बोला- इसे भी बियर की तरह खाली कर दो.

वो बड़ा सा घूंट भर कर बोली- यह बहुत कड़वी है.
तब मैं बोला- अभी कोरोना चल रहा है .. इसलिए नीट ही पीना चाहिए ताकि कोरोना नजदीक नहीं आए .. और हां डॉक्टर ने मुझे बोला है कि वो कल मुझे छुट्टी दे देगा.

इतना कहते ही वो मेरे से चिपक कर बोली- क्या सच में तुम मुझे छोड़ कर चले जाओगे?
मैंने एक बार उसे तसल्ली दी और उससे गिलास खाली करने को बोला.

इस बार मेरा गिलास खाली हो गया था. विमला मेरे से चिपकी हुई थी. मैंने उसके ब्लाउज को ऊपर करके उसके एक दूध को ब्लाउज से बाहर निकाल लिया. उसके मस्त गदराए मम्मे को हाथ में लेकर सहलाने लगा. विमला का चेहरा भावहीन था.

विमला का भावहीन चेहरा देख कर मैं बोला- विमला तुम जब तक चाहोगी … तब तक मैं इसी अस्पताल में रुकूंगा.
इतना सुनते ही वो खुश होकर बोली- क्या सच में?

मैंने कहा- बिल्कुल सच … डॉक्टर ने अनुमति दे दी है कि जब तक इच्छा हो, तब तक आप यहां रुक सकते हैं. पर एक दिक्कत है. इसके बदले डॉक्टर एक रात में कुछ देर के लिए तुम्हें भी पाना चाहता है. तुम डॉक्टर को खुश कर सकती हो, तो वो मुझे तुम्हारी इच्छा अनुसार रुकने देगा.

इतना सुनते ही वो मायूस होकर बोली- आपकी और मेरी बात और थी. शादी के बाद आप मेरे लिए दूसरे मर्द हो. मैं किसी और की कामना नहीं कर सकती.

मामला उलझता देख कर मैं चुप था. उसके हाथ में गिलास खाली था.
अब तक जितनी भी मैं पी थी, वो सब विमला की बात से उतर चुकी थी.

मैं कमरे के पीछे जाकर वाइन की बोतल ले आया … साथ में चखना भी ले आया.
मैंने दोनों के गिलास में दो दो पैग बना कर एक गिलास विमला के हाथ में दे दिया.

विमला गहरी सोच के साथ चिन्ता में थी. उसने पानी के माफिक वाइन को पीना चालू कर दिया.
जब कि मैं धीमे धीमे पी रहा था.

हालांकि चाहता तो मैं भी यही था कि विमला आज मदहोश हो जाए.

मैंने विमला के साथ बातें करने का विषय बदल दिया. अब मैं उसके और उसके परिवार के बारे में पूछने लगा.

उसने बताया कि जयपुर में ही बेटी की शादी की हुई थी. बेटा कुंवारा है. बेटे को एक छोटी सी रेडीमेड की दुकान करवा रखी है. बेटे की भी शादी करनी है.

इन बातों के दरम्यान मुझे सिगरेट की तलब हुई. मैं जब भी सिगरेट पीता हूँ, तो वाइन सिर पर चढ़ कर बोलने लग जाती है. समय बीता जा रहा था और मैं अभी तक कुछ नहीं कर पाया था. मैं अन्दर जाकर सिगरेट और लाइटर लेकर आया.

एक सिगरेट मैंने सुलगाई .. विमला को भी ऑफर की. उसने भी बिना किसी नानुकर के एक सिगरेट लगा ली.
विमला आगे बोलने लगी- बेटे की दुकान में पैसे की कमी की वजह से घर बार चलाने में दिक्कत आती है.

अब छोर पकड़ में आ गया था.

सही समय देख कर मैंने उससे पूछा- कितना पैसा और लगाया जाए, तो तुम्हारे बेटे की दुकान अच्छी चल पड़ेगी?
वो बोली- दो लाख पर्याप्त होंगे.

मैंने कहा- अस्पताल से फ्री होते ही मुझसे ले लेना.
मेरी बात पर वो चहकते हुए बोली- इतना विश्वास हो गया है मेरे ऊपर?
मैंने जवाब दिया- विमला इस दुनिया में मैं बहुत सी औरतों से मिल चुका हूँ. सभी की फितरत जानता हूँ. तुम उनसे अलग हो.

सिगरेट ने आखिर अपना काम कर दिया था. गिलास भी खाली हो चुका था.

अब विमला बहकने लगी थी.
मैं इसी अवसर की तलाश में था.

विमला को बेड पर गिराकर उसकी छाती पर लेट कर होंठों पर पहला चुंबन दिया.
प्रत्युत्तर में उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरे होंठों को अपने मुँह में ले लिया.

वो अपने दोनों हाथ कमर के पीछे से मुझे आलिंगन करते हुए सहलाने लगी. वो कभी गालों पर .. तो कभी कान पर चुंबन करते हुए उसने चुम्बनों की झड़ी लगा दी.

विमला के ब्लाउज के बटन जरा टाइट थे. मुझसे नहीं खुले, तो उसने मदद की.

उसके चूचे जितने बाहर से दिखाई दे रहे थे .. अन्दर उससे डबल थे. मैं उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से मुँह में लेकर बुरी तरह चूसने लगा.
विमला के दोनों हाथ मेरे सिर को सहला रहे थे.

जब उससे रहा नहीं गया तो वो अपने एक हाथ से मेरे पैंट को खोलने का प्रयास करने लगी.

सही वक्त देख कर मैंने पहले विमला को बाथरूम जाने को बोला.
विमला बाथरूम गयी, तब तक मैंने मेरे मोबाईल को ऐसी जगह शिफ्ट कर दिया, जहां से सिर्फ बेड की वीडियो बन जाए.

जब विमला वापस आयी, तो मैंने उसे कपड़े खोलने का बोल दिया.
मैं तब तक बाथरूम जाकर आया. आते ही अपने कपड़े उतार कर विमला को बेड पर लेकर चढ़ गया.

मैंने नंगी पड़ी विमला के पैरों से चुंबन देना प्रारम्भ किया. धीरे धीरे उसे चूमते हुए पेट की नाभि तक आकर रुक गया.
नाभि में जीभ को घुमाने लगा.

विमला सिहर उठी, उसने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर खींचने लगी.

अब मैंने विमला को उल्टा कर दिया और उसकी पीठ पर चुंबन की झड़ी लगा दी.
जब औरत शराब पिए हुए हो, तब वो दुनिया की लोकलाज छोड़ कर सब भूल जाती है. यही विमला का हाल था.

विमला ने अपनी गांड को ऊपर उठा लिया था. मैं समझ चुका था और झट से अपनी जीभ निकाल कर मैंने विमला की गांड पर रख दी.
अगले ही पल मैं अपनी जीभ को उसकी गांड पर घुमा रहा था.

कुछ ही देर में विमला 'उन्ह आह मर गयी ..' जैसे शब्द निकालने लगी.

फिर विमला ने करवट बदल कर सामने आने का निमन्त्रण से दिया.
एक बार मैंने फिर से उसकी सफाचट बुर को देखा. उसकी बुर पानी छोड़े हुए थी.

मैंने विमला के पेटीकोट से ही उसकी बुर को अच्छी तरह से साफ किया. साफ़ चुत देख कर मैंने एक बार अपना मुँह विमला की बुर में डाल दिया और जीभ को उसकी बुर में चारों तरफ घुमाने लगा.

अब विमला की सहन शक्ति जवाब दे चुकी थी. उसकी बुर ने एक बार और पानी छोड़ दिया.

मैंने फिर से पेटीकोट से उसकी बुर को साफ कर दिया. वो मेरा लंड पकड़ कर अपनी कसी हुई बुर में डालने का इशारा कर रही थी.
विमला की भावना को समझते हुए मैं उसके ऊपर आकर चुत की फांकों पर लंड के सुपारे को रगड़ने लगा.

विमला की मादक आवाज में गाली निकली- पेल दे न मां के लौड़े … चोदता क्यों नहीं है.
मैंने कहा- पहले तुम मुझसे वादा करो?

वो बोली- पहले लंड अन्दर डालो.
मैंने कहा- तुम मेरी खातिर मेरे दोनों दोस्तों को भी मजा दोगी .. ये बोलो.

विमला- तुम न भी कहते तब भी मैं तुम्हारी ये बात मानने को तैयार थी.
मैंने उसी पल लंड चुत में पेल दिया.

विमला की टाईट बुर में मेरा मोटा लंड आधा घुस गया था.
उसकी तेज चीख निकलने को हुई.

मगर मैंने उसका मुँह दबा दिया और पूरा लंड अन्दर घुसेड़ दिया. वो छटपटा रही थी. मगर मेरे सहलाने से दो मिनट बाद सामान्य हो गई.

धकापेल चुदाई का मंजर चलने लगा. उसकी चुदाई की वीडियो बन रही थी और मैं उसे ताबड़तोड़ चोद रहा था.
करीब बीस मिनट बाद विमला झड़ गई और इसके कुछ देर बाद मैं भी उसी की चुत में झड़ गया.

थक कर चूर विमला मेरे साथ अपनी सांसें नियंत्रित करने लगी.

अब मैंने उससे कहा- मैं अपने दोनों दोस्तों को बुला लेता हूँ.
वो एक बार को चुप हुई और बोली- मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है.

मैंने कहा- बेफिक्र रहो. तुम अपने कपड़े पहन को और एक बार अपने दामाद को देख आओ.

वो उठ कर कपड़े पहनने लगी और अपने कमरे में चली गई.
मैंने मोबाइल उठाया और एक बार वीडियो को चैक किया.

बस अब विमला को राजेश और उसके डॉक्टर दोस्त के हाथों में सौंप कर मैं उन चारों को भोगने की कामना करने लगा.

दोस्तो, आपसे इस सेक्स कहानी के अगले भाग को लेकर जल्दी ही मिलता हूँ.
 

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