Adultery दूधवाले ने मुझे दुह लिया

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दूधवाले ने मुझे दुह लिया


मेरा नाम उर्मि है और मै एक ३२ साल की शादी शुदा महिला हूँ. मेरे पति आर्मी में है और उनकी उम्र ३६ साल की है हमारी शादी के ८ साल हो गए है और शुरू के सालो के बाद से ससुराल के रवैये को लेकर हम दोनों में मन मुटाव कुछ हो गया था इसलिए जब मेरे पति की फील्ड पोस्टिंग आई तो मैंने ससुराल में न रहकर लखनऊ में ही, जहां मेरे पति पोस्टेड थे ,कुछ समय के लिए, किराये के मकान में चली गयी, क्यों की सेप्रटेड फैमिली क्वाटर्स अभी खाली नही थे
एक बच्चा था, १ स्टैण्डर्ड में पढ़ता था, इसलिए दिन तो कट जाते थे पर रात नहीं काटी जाती थी. अपने भी गुस्सा आता क्यों अपने पति रमेश से लड़ के अकेले रही हूँ. उसकी बाँहों की याद आती थी. रात में मै टी वी देखती और जब अंग्रेजी फिल्मो में सेक्सी सीन आते तो, मेरी साँसे गर्म हो जाती थी.मेरे अकेलेपन ने मेरे अंदर वासना को और भड़का रक्खा था. रात में जब कंप्यूटर पर कोई पोर्न देखती तब मै अपनी चूंचियां सहलाती रहती और अपनी चूत को रगड़ रगड़ के अपना पानी निकाल देती.मेरे पास वाईब्रेटर भी था , उसको मै अपनी चूत में डाल कर अपनी वासना को कुछ हद तक शांत कर लेती थी.
रात इसी तरह कटती थी और सुबह दूधवाले की घंटी से मेरी नींद खुलती थी . मै दूध लेने ऐसे ही नाइटी में बाहर आ जाती थी. मेरे दूधवाले का नाम प्रशांत था , खुले रंग का तगड़े बदन का था और उम्र होगी लगभग ४० साल की , सुबह सुबह ६ बजे के करीब आ जाता था. मै कीहोल से इत्मीनान कर लेती थी की प्रशांत ही है तब दरवाजा खोल के उससे दूध लेती थी. ऐसे ही एक दिन मै कीहोल से देख रही थी और दूधवाला मुझसे अंजान, अपनी लुंगी खोल के बांधने लगा था.
वो कभी कभी ही लुंगी पहनता था , लेकिन आज जब उसने लुंगी खोली तो मै सिहर गयी थी. उसकी जांघे और उन जांधों के बीच अंडरवियर में बंद हथियार दिखाई दे गया था.
रात को ही एक पोर्न देखी थी जिसमे एक अंग्रेज औरत अपने गुलाम से चुदाई करवाती है, वही सब मेरे मन में भरा था, जब मैंने दूधवाले को लुंगी खोले और बंधते देखा था. मै टकटकी लगाये कीहोल से उसको देखती रही और दरवाजा ही खोलना भूल गयी.पता नही क्यों मेरी साँसे गहरी चलने लगी थी और मेरे अंदर एक हलचल सी पैदा होगयी थी. तभी उसने दोबारा घंटी बजा दी और मैंने हडभड़ाहट में, बिना अपनी अस्त व्यस्त नाइटी को ठीक किये दरवाजा खोल दिया.
मुझे देख के दूधवाला बोला," मेमसाहब आज बड़ी देर कर दी आपने दरवाजा खोलने में."
मैंने कहा,"रात भर सोई नही , अभी अभी ही आँख लगी थी और तुमने आकर मुझे जगा दिया."
मेरा जवाब सुन कर वो दूध का बर्तन खोलने लगा और मुझे मेरी नाइटी में घूरते हुए बोला," रात को क्यों नही सोई मेम साहब?"
मै, जो उससे कभी बात नही करती थी, उसको जवाब दिया," क्या करे घर खाली खाली है और साहब का भी न होना खल जाता है.'
मेरे जवाब पर वो मुस्कराने लगा और कहा,"हाँ यह तो सही कह रही है मेम साहब, ज्यादा दिन अकेले ठीक नही है."
उसकी बात सुनके अनायास मै मुस्करा बैठी. यह देख दूधवाले ने कहा," मेम साहब जब घर पर साहब नही है तो आप मेरा दूध लेकर पियोगी या फिर आज बिना दूध पिए ही सो जाओगी?"
उसके इस सवाल से मै हिल गयी थी, उसके दोअर्थी बात का मतलब मै समझ गयी थी.
मैंने भी उसको जवाब दिया," वो नही तो क्या , इसका मतलब यह थोड़े ही है की मै दूध नही पियूंगी , तुम्हारा दूध गाढ़ा होगा तो उसी को ही पियूंगी."

उस पर उसने हँसते हुए कहा," मेम साहब पूरा ले लो मेरा , मतलब है पूरा दूध मेरा ले लो. एक किलो ही लोगी न?"
मुझे यह दुअर्थी बाते मजा देने लगी थी और मैंने भी मुस्कराते हुए कहा," हाँ पूरा लुंगी" और मै खिलखिलाते हुए अंदर दूध के लिए बर्तन लेने चली गयी और उसके लंड का सोंच के मुस्कराने लगी.

तभी उसकी आवाज़ आई,"मेम साहब जल्दी से ले आओ में जल्दी से आपकी में डाल देता हूँ मुझे आगे भी दूध देने जाना हैं."
ये सुन कर में और भी पागल होने लगी. मैंने अपने मन में सोचा की ये तो अब पीछे ही पड़ गया है और अंदर से एक घबराहट होने लगी थी. मेरे अंदर दबी हुयी वासना हिलोले मारने लगी और दिमाग शून्य होने लगा था. मैंने उससे कहा,"मुझे बर्तन नहीं मिल रहा अगर तुम्हे जल्दी जाना है तो पहले मेरा बर्तन ढूंढने में मेरी मदत करो."

ये सुनकर वह जल्दी से अंदर आया और मुझे ढूंढने लगा, बोला," कहा हो आप?"
तब मैंने कहा की," रसोई में हूँ इस तरफ."
उसने मुझे पलट कर देखा तो मैंने उससे मुस्कुराते हुए कहा ," मेरा बर्तन मुझे नहीं मिल रहा है, तुम ही ढून्ढ लो." और जोर से हसने लगी. उसके लिए मेरा हँसना ही काफी था .काफी समझदार था.
बिना डरे उसने मेरी टांगो की तरफ इशारा करते हुए कहा,"वोह तो रहा बर्तन?"
मैंने अपने पैरों की तरफ देखा और नादान बनते हुए कहा," कहा हैं मुझे तो नहीं दिख रहा है?"
तब वोह बोला," आपने उसे अपनी नाइटी में छुपा रखा हैं और मुझसे मज़ाक कर रही हैं! आप खुद ही निकाल दीजिये वरना में निकाल लूंगा!"
तब मैंने कहा,'हमने नहीं छुपाया है, अगर तुम्हें दीखता हैं तो तुम ही निकाल लो."
बस फिर क्या था उसने बिना इधर उधर देखे मेरी नाइटी ऊपर कर दी और मेरी चूत को रगड़ते हुए बोला,
"ये रहा आपका बर्तन, अब इसमें अपना दूध डालता हूँ."
तो मैंने कहा,"तो जल्दी डालो ना! आपको आगे भी तो जाना है ."
मेरे यह कहते ही उसने मेरे होंठ को अपने मुहं में दबोच लिया और उसे बेतहाशा चूसने लगा





उसने इस कदर चूमा की मेरी तो साँसे ही उखड़ने लगी थी. मै तो नंगी चूत किचेन में उसकी बाहों में जकड़ी हुयी थी. इतने महीनो के बाद मुझे किसी ने इस हालत में किया था. उसने मुझे अपनी बलिष्ट भुजाओ में कैद कर दोनों हाथो से मेरे शरीर को रगड़ रहा था. फिर क्या था हम दोनों की चुदाई का समां बनने लगा था.में बिलकुल बेहया हो गयी थी और उससे कहा,
"अरे दूध तो बाद में दे देना प्रशांत, पहले दरवाजा तो बंद कर आयो."
उसने यह सुनकर गेट बंद कर दिया और मैं उसको ड्राइंगरूम में ले गई, क्यों की बच्चा बेडरूम में सो रहा था. वोह मुझे चूमने लगा और मेरे होंठ चाटने चूसने लगा. एक ही झटके में उसने मेरी नाइटी मेरे सर के ऊपर से निकाल दी और मेरी चूचियों पर टूट पड़ा. उसने मेरी चूचियों की जो चुसाई की वह बहुत लाजवाब थी. मेरी चूची एक दम लाल हो गयी थी. वोह मेरी चूची को बड़ी बेदर्दी से भींच रहा था, पर वासना के कारण मुझे कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा था बल्कि मेरी चूची चुसाई मुझे और गर्म कर रही थी. उसने चूची चूसते वक़्त एक हाथ से मेरी चूत रगड़नी चालू कर दी. उसका हाथ बड़ा ही टाइट था चूत पर उसके हाथ की रगड़ बड़ी ही मस्त कर देने वाली थी. मैने भी धीरे धीरे अपना हाथ उसके लंड की तरफ बढ़ा दिया. जैसे ही उसका लंड मेरे हाथ में आया, में पागल हो उठी और ख़ुशी से "आह" निकाल गयी
.वोह बोला," क्या हुआ?"
तब मैंने कहा," तुम अपने कपडे तो उतारो, मेरे निकाल दिए है!





पहले उसने अपनी लुंगी खोली और उसका फनफनया हुआ लंड मेरी आँखों के सामने आगया,उसका लंड देखते ही मेरे मन उसे मुहं में लेने की इच्छा हुई. उसका लंड वाकई में बहुत अच्छा था मेरे पति के लंड से भी बढ़िया था. उसका लंड पूरे ज़ोर पर था मेरे मुहं में पूरा समा देना चाहता था.
में उसे गप गप चूस रही थी उधर वोह मेरी चूची भींच रहा था. तभी मैंने उससे कहा की," प्रशांत तुम लेट जाओ." और में उसके मुहं की तरफ अपनी चूत को करके लेट गयी और ६९ की पोजीशन बना ली. अब वो भी मेरी चूत चाट रहा था उसकी जीभ के पहले स्पर्श से ही में तिलमिला उठी. उसकी गरम जीभ मुझे जला रही थी. मेरी चूत में इतनी आग लगने लगी की में उसका लंड अपने मुहं से निकाल कर अपनी चूत को उसके मुहं पर रगड़ने लगी और बोली ,"भइया अब बर्दाश्त नही होता , अब मेरी चूत में अपने लंड का दूध पिला दो प्लीज़!"
उसने मेरी चूत से मुह हटाकर कहा,"मेम साहब मेरा लंड का दूध तो आपकी चूत को मिल जायेगा , लेकिन किस तरह दूध पियोगी?"
मै उसकी यह बात सुन कर तड़प उठी और मैं एकः,"प्रशांत भइया मुझे तुम सांड की तरह चोदो!"




बस उसको जैसे उसे इस बात का इंतज़ार था , वो जल्दी से उठा और मुझे अपने नीचे लिटा दिया. फिर अपना लंड मेरी चूत रख कर अपने सुपारे से मेरी चूत को सहलाने लगा. बहुत दिनों बाद मुझको लंड का एहसास मेरी चूत पर हुआ था , उसके सुपारे की गर्मी से मेरी चूत की फांके अपने आप खुलने और सिकुड़ने लगी और उसके लंड को अपने अंदर आने का निमंत्रण देने लगी थी.
मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसको अपनी चूत पर ज़ोर डालने को मज़बूर करने लगी की अचनक उसने एक धक्का मार और पूरा की पूरा लंड मेरी चूत को फैलाता हुआ मेरी चूत में घुस गया. मेरी चूत भले गीली थी लेकिन की महीनो से चुदि नही थी इसलिए जब उसने एक झटके में अपन लंड मेरी चूत में डाला, तो हल्का सा दर्द हुआ.उसका लंड ,मेरी चूत में एक दम कसा हुआ था और उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए.
मै उस वक्त इतनी चुदासी हो चुकी थी की मैंने एक छिनाल की तरह उससे कहा," पहली बार लंड का दूध पिला रहे हो तो कस के पिलाओ!"
मुझसे यह सुनकर उसने मुझे तेजी से चोदना चालू कर दिया. मै अपने होशो हवास खो चुकी थी. जैसे जैसे उसका लंड अंदर जाता मै ऊपर हो जाती और जैसे उसका लंड चूत की गहराई से निकलता मै नीचे हो जाती.
मै उसके हर धक्के का साथ देने लगी थी. मेरी चूचियाँ भी धक्के से हिल रही थी. मैंने अपनी चूचियों को ऊपर की तरफ हिला कर प्रशांत को उनको चूसने के लिए उकसाने लगी थी. वो समझ गया और उसने मेरी चुचियो को अपने मुह में भरकर चूसने लगा. अब मै सम्पूर्ण रूप से चुद रही थी और वो मुझे खुल के चोद रहा था.






उधर रमेश मुझसे मुँह फुलाए अपनी यूनिट के साथ था और मै यहाँ उसकी बीवी दूधवाले के लंड से अपनी चूत चुदवा रही थी.
अचानक दूधवाले की रफ़्तार बहुत तेज हो गयी, जिससे मेरी चूत की गर्मी बढ़ गयी और मै भी तेजी से नीचे से धक्के मारने लगी . मै अपनी गांड उठा उठा के उसके लंड के धक्के झेल रही थी. उत्तेजना में मेरी उंगलियां उसके बालू को नोचने लगी और अपने नाख़ून मैंने उसकी पीठ पर गड़ा दिए थे
मेरे मुँह से सिस्याने की आवाज लगातार निकाल रही थी और मै बड़बड़ा भी रही थी,
" चोद कस के चोद!".
"पूरा लंड का दूध पिला दे भईया!"
"भूखी है कई महीनो से ग्वाले!"
"चोद दे अपनी मेम साहब को!"
वो भी कम नही था हर धक्के में कुछ न कुछ कहता,
" मलकिन मजा आया!"
" इस सांड का दूध पीले , प्यासी नही रहेगी"
" लौड़ा मेरा तुझे पक्की गरमायी गाये बना देगा."
"छिनाल हो मेम साहब!"
" रंडी की तरह चुद रही है!"
मै उसकी हर बात पर "हाँ ...हाँ" कहती.
तभी उसका बदन कड़ा होगया और बोला,"मेम साहब लौड़ा दूध देने वाला है! मै गया !"
उसकी बात सुनते ही मुझे उसका गरम गरम वीर्य अपनी चूत में पड़ता महसूस हुआ और मैंने भी अपना पानी छोड दिया. मैंने उसको कस के जकड रक्खा था , मेरे नाख़ून उसकी पीठ में धस गये थे. वो झड़ता जा रहा था और ताबड़तोड़ धक्के मारते जा रहा था. हम दोनों ही हांफने लगे थे और उसका लंड सिकुड़ के मेरी चूत के ऊपर आगया था. मेरी चूत से पानी मेरी जांघो में फ़ैल गया था. मेरी चूत से उसका वीर्य और मेरी झाड़न आपस में मिल कर बह रही थी.
उसने मुझे चूमा और बोला,"मेम साहब आपका बर्तन तो मेरे दूध से भर गया."


मै उसकी बात पर छिनालो ऐसी मुस्कराई और कहा," भईया जी तुम्हारा दूध कम पड़ जायेगा लेकिन मेरा बर्तन नही भरेगा. कल थोड़ा जल्दी से आना बच्चे को ७ बजे स्कुल के लिए उठाना होता है, तब मै तुम्हारा दूध काढूंगी."
वो मेरा इशारा समझ गया और अगले दिन सुबह ५ बजे ही गया और फिर हमने जबरदस्त चुदाई की थी. इतने मुह अँधेरे में मैंने उससे चुदवा तो लिया लेकिन पड़ोसियों की निगाह में न चढ़े इस लिए मैंने उसे देर से दूध लाने को कहा. वो फिर ११ बजे मेरी नौकरानी के जाने के बाद आता और मै उससे अपने बेडरूम में चुदवाती थी.
कुछ समय तक ऐसा ही चला लेकिन फिर मुझे सेप्रटेड ऑफिसर्स कॉलोनी में मकान मिल गया और मै वहां चली गयी लेकिन दूधवाले को वहां दूध के लिए नही बुलाया. वो वहां आना भी चाहता था लेकिन उसकी हिम्मत बढ़ती देख कर उससे चुदने से मैंने अपने आपको रोक दिया था.
मुझे आज भी उस दूधवाले की याद आती है और उससे चुदने की याद कर के अपनी चूत में वाईब्रेटर डाल कर पानी निकालती हूँ.
 

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