Adultery धर्म से धारा बनने तक का सफर- (Completed)

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शीमेल सेक्स कहानी में पढ़ें कि दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट से एक जवान हैण्डसम लड़के में लड़कियों के गुण आने लगे. वो लड़कियों जैसी दिखने लगा. फिर उसने क्या किया?

दोस्तो … मेरा नाम धर्म है. वैसे तो यह शीमेल सेक्स कहानी बड़े अजीब किस्म की है मगर है एकदम सच.
ये मेरे साथ आज से करीब पांच साल घटी थी.

यह तब की बात है, जब मैं कॉलेज में पढ़ता था और भाड़े पर एक रूम लेकर अकेले ही रहता था.

मुझे सेक्स या हस्तमैथुन में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी किन्तु कभी कभार मन हो जाने पर हस्तमैथुन कर लेता था.

मेरी ऊंचाई 5 फ़ीट 9 इंच, कमर 28 की और वजन 65 किलो का था.
रेग्युलर जिम जाने की वजह से मेरा बदन काफी गठीला था. गोरा चिट्टा रंग, एकदम मांसल जांघें, कसे हुए हाथ और लंबे घने बाल, जिन्हें बांधकर रखने की वजह से मैं अपने आपमें एक मदमस्त मर्द लगता था.

कॉलेज में स्मार्ट होने की वजह से मैं सभी लड़कियों की रातों का राजकुमार था.
मेरे पास कई सारी लड़कियों के प्रपोजल भी आए … पर जैसा कि मैंने बताया कि मुझे सेक्स में ज्यादा लगाव नहीं था.

किन्तु मीना मेरी पक्की दोस्त थी.
उसकी हाइट मेरे से थोड़ी ही कम थी.

उसका बदन बहुत ही गोरा था, लचीली बड़ी बड़ी जाघें, रसीले हाफुस आम से भी बड़े बड़े स्तन और बड़े गोलाकार नितम्बों की मालकिन थी वो!

एक दिन सुबह जब मैं उठा तो मेरे सिर में काफी दर्द हो रहा था.
दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाने पर मैं डॉक्टर के पास पहुंचा.

उन्होंने कई प्रकार की जाँच करके 2-3 दिन बाद मुझे बताया कि तुम्हें ऐसी बीमारी हुई है, जिससे तुम्हें कभी छुटकारा नहीं मिल सकता … पर दर्द से राहत पाने के लिए तुम्हें हर रोज ये तीन दवाइयां खानी पड़ेंगी.

मैं वो दवाइयां लेकर अपने रूम पर वापस आ गया.
मैंने उन तीनों दवाइयों का एक डोज तुरंत ही खा लिया.
उसे खाने के बाद मुझे राहत हुई और मैं कॉलेज चला गया.

फिर रोज सुबह उठकर सबसे पहले मैं वो दवाइयां खाता, बाद में जिम जाकर कॉलेज चला जाता.

दो महीने तक उन दवाइयों को खाने के बाद मेरे पैर, छाती, हाथ और दाढ़ी-मूंछ के सारे बाल झड़ गए.
मेरा बदन एकदम गोरी चिकनी लड़की जैसा होने लगा.
मेरी छाती पर छोटे छोटे लेकिन नजर में आ जाएं, ऐसे स्तन आकर लेने लगे थे.

मेरे नितम्बों की साइज भी पहले से 6 इंच बढ़ गई थी. मेरी कमर अब 27 की हो गई थी, मेरे सारे कपड़े, अब मुझे जांघों, स्तनों और नितम्बों से बहुत ही टाईट होने लगे थे.

ये सब मेरे साथ क्या हो रहा था, ये जानने के लिए मैं उसी डॉक्टर के पास फिर से पहुंच गया.

चैकअप के बाद उन्होंने बताया कि मैं जो सिरदर्द की दवाई खा रहा था, उसी की वजह से मेरे हॉर्मोन बदल रहे थे और मैं एक लड़की शीमेल बन रहा था.

मैंने अपने रूम पर लौटने के बाद ये सब मीना को बताया तो पहले तो वो काफी उदास हो गई … मगर बाद में मुझे और अपने आपको संभालते हुए मेरे पास सोफे में बैठ गई.

उसने मुझसे कहा- अब ठीक है धर्म, जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है. तुम अपने आपको उदास और अकेला मत समझो, मैं हूँ न तुम्हारे साथ!
यह कह कर उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.

मेरे नर्म नर्म स्तन उसके बड़े से स्तनों की गर्मी लेकर बहुत ही आनन्द ले रहे थे.
उसकी सांसें मेरे कानों में पड़ने के कारण मेरा रोम रोम खड़ा हो गया.

अब तक हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब कभी नहीं आए थे. उसका फिगर मेरे ख्याल में आते ही मेरा लंड भी धीरे धीरे बड़ा होने लगा.

वो जैसे जैसे अपनी बांहों की पकड़ बढ़ा रही थी, वैसे वैसे मेरा लंड बढ़ रहा था.

उसने मेरे पैंट में हुई हलचल को देखा और बोली- अरे धर्म, तुम्हारे लिंग के बारे में तो तुमने मुझे बताया ही नहीं, क्या इस दवाई का उस पर कोई असर पड़ा है?

मैंने उसे अपने आप से थोड़ा दूर करके कहा- नहीं, दवाई का मेरे लंड पर कोई असर नहीं हुआ है. ये पहले जैसा ही है, मगर हां वहां के बाल झड़ गए हैं.
मीना बोली- दिखाओ तो ज़रा!

मैंने उसे मना किया लेकिन वो बोली- अरे बाबा शर्माओ मत, दिखाओ भी. मैं तुम्हारी पक्की दोस्त हूँ, तुम्हारा बुरा नहीं चाहूंगी. चलो अच्छे दोस्त की तरह पैंट की चैन खोलो.

मैंने आधे अधूरे मन से अपने पैंट की आधी चैन खोली तो वो थोड़ी नजदीक आ गई.

अब उसने मेरी चैन अपने हाथों से ही खोल ली, अन्दर चड्डी के सिरे को नीचे करती हुई अपने हाथों से मेरे तने हुए बड़े लंड को चैन से बाहर किया.

मेरे तने हुए मूसल ब्रांड के लंड देखकर वो हैरान ही रह गई और बोली- अरे धर्म ये क्या है … तुम्हारा लंड तो बहुत ही बड़ा और मोटा है. ऐसा बड़ा लंड मैंने ब्लू फिल्म में भी नहीं देखा है.

बड़ी हैरानी और घबराहट से मैंने जल्दी से अपने विशाल लंड को अपनी चड्डी में कैद किया और बोला- ये तो पहले से ही इतना ही है.
उसने मुझसे कहा- अब ऊपर वाला यही चाहता है कि तुम एक बड़े लंड वाली लड़की यानि शीमेल बन कर रहो, तो उसमें फिर हम क्या कर सकते हैं.

मैंने भी सोचा कि लंड अपना काम कर रहा है … तो जिस्म का क्या?

मैंने फटाक से मीना को कहा- मुझे ये कपड़े फिट नहीं हो रहे हैं.
तो वो बोली- कैसे होंगे? ये सब लड़कों के कपड़े हैं, तुम्हें अब ये नहीं ही होंगे, तुम्हें लड़कियों के कपड़े आज़माने चाहिए.

मैंने बड़ी बेसब्री से कहा- क्या?
मुझे समझाते हुए मीना बोली- देखो तुम्हारे स्तन बड़े हो रहे हैं … और नितम्ब भी लड़कियों जैसे फैल रहे हैं, तो तुम्हें लड़कियों की ब्रा पैंटी और मेरे जैसी सलवार कमीज ट्राय करने होंगे.

उसकी बात को जल्दी से नकारते हुए मैंने कहा- ये क्या कह रही हो तुम? मुझे यह सब पसंद नहीं है.
उसने कहा- तुम्हारे बाल भी लंबे हैं, दाढ़ी-मूंछ भी नहीं हैं और फिगर भी लड़कियों जैसा हो गया है, तो फिर लड़कियों के कपड़े पहनने में हर्ज ही क्या है? कोई तुम्हें पहचान ही नहीं पाएगा.

जैसे तैसे मैंने उसकी बात मान ली, पर कहा- मेरे पास कोई कपड़े नहीं है. क्या तुम कपड़े खरीदने में मेरी मदद करोगी?
वो मुस्कुराती हुई बोली- ये हुई ना लड़कियों वाली बात, लव यू धारा.

मैं भी मन में हंसा और सोचा कि 2 ही महीनों में कैसे में धर्म से धारा बन गयी(या).

मीना अपने घर से मेरे लिए ब्लू कलर की अपने साइज की ब्रा पैंटी और लाल कलर का सलवार और कमीज़ लेकर आ गयी.

उसने मुझसे कहा- जल्दी करो, शाम हो जाएगी.

मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और उसके सामने नंगी ही खड़ी हो गई.

वो मुझे देखकर थोड़ी सी हंसी तो मैं शर्मा गया और मैंने अपना सिर नीचे की ओर झुका दिया.

मुझे ऐसे करते देख उसने कहा- शर्माओ मत … मैं तो तुम्हारे फिगर को देख कर हंस पड़ी. बहुत नसीब वाले हो तुम … जो ऊपर वाले ने तुम्हें मुझसे भी मादक बदन दे दिया. दो नर्म नर्म स्तन और उसमें चार चांद लगाने वाला तुम्हारा ये चिकना, लंबा, मोटा सिकुड़ा हुआ, फिर भी 6 इंच का लंड भेंट में दे दिया.

ये सुन कर मुझे थोड़ा अच्छा लगा और मैं भी उसके साथ हंस पड़ी.

जल्दी से मैंने उससे ब्रा मांगी और उसे पहनने लगा, पर मुझसे उसका पीछे का हुक बंद नहीं हो पा रहा था तो मैंने मीना की मदद से हुक को लगाया.

ब्रा का सुहाना स्पर्श मेरे स्तनों से होते ही मेरे पूरे शरीर में एक सिरहन सी दौड़ गई. मेरे रोंगटों के साथ साथ मेरा लंड भी तन गया.

मीना मेरे पीछे की ओर होने की वजह से मैं अपने लंड को छिपाने में में सक्षम रहा.

उसकी पैंटी लेकर मैंने पहनी तो वो मुझे बिल्कुल फिट आ गयी.
फिर सलवार और कमीज़ पहनकर में तैयार हो गई.

मीना मुझे देख खुशी से पागल हो गई और कहने लगी- धारा, तू तो मुझसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही है.

मीना ने मुझे हल्का सा मेकअप कर दिया और मेरे बाल खोल कर लड़कियों की तरह मेरे बाल बना दिए.

इतना करने के बाद उसने मुझसे कहा- जाओ और अपने आपको आईने में देख लो, कैसी लग रही है तू?

मैं जल्दी उत्सुकता से आईने के सामने खड़ी हो गई और अपने आपको निहारने लगी.
रेशम से मुलायम बाल, मेरे ललाट में लगी नन्ही सी लाल बिंदी, पतली सी मेरी सुतवां सी नाक, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी रस से भरे मेरे होंठ, नर्म नर्म स्तन, पतली सी कमर, बड़े भरावदार और सही जगहों से गोल मेरे नितम्ब और गठीली-मांसल भारी जाघें … ये सब देखकर मैं तो ठगी सी रह गई और एक पल को खुद को देखती ही रह गई.

मुझे अपने आपको ही चोदने की इच्छा होने लगी थी.

मीना ने मुझे सपने से जगाते हुए कहा- धारा … चलो अब खरीददारी करने चलते हैं.

हम दोनों सहेलियां अब एक मॉल में चले गए.
मैंने स्लीपर चप्पल पहनी थी तो उस वजह से हम दोनों सबसे पहले सेक्सी सी चप्पल खरीदने गए.
सिल्वर कलर की मेरे नाप की चप्पल ले ली, जो मैंने वहीं से पहन ली.

बाद में हम लेडिज स्टोर में आ गए. मीना की बताई हुई कई कलर की नेल पॉलिश, लिपस्टिक, आई लाइनर, फाउंडेशन, काजल, पावडर, लड़कियों की परफ्यूम, बिंदिया, कंगन, पायल सब ले ली.

फिर एक जेवर की दुकान पर आ पहुंचे, उधर नाक की कील वाले के पास आए, उसने मेरी नाक और कान में बहुत ही बेरहमी से छेद कर दिए और वहीं से हमने मेरे लिए नन्ही सी नथनी और कान के झुमके ले लिए.

बाद में उसने मेरे लिए लगभग सभी कलर की ब्रांडेड ब्रा और पैंटी के सैट लिए.

उसके बाद तीन रेग्युलर वियर के लिए साड़ियां और मैचिंग के ब्लाउज़, मैचिंग पेटीकोट ले लिए.
फिर वहीं नाप देकर सिलवाने दे दिए. उसने होम डिलीवरी की सुविधा भी दे दी.

सब तरह के महिलाओं के कपड़े लेकर और खाना खाकर हम दोनों मेरे रूम पर वापिस आ पहुंचे.

मीना शुभ रात्रि कहकर अपने घर चली गई.
मैं भी थकान की वजह से बेड पर गिरते ही सो गई.

मुझे अब लड़कियों की तरह सजने संवरने का शौक चढ़ने लगा था.
मैं घंटों तक सजती रहती और अपने अन्दर ही अन्दर खुश होने लगती.

सुबह उठकर मैं तैयार होने लगी.

कॉलेज में फंक्शन होने की वजह से मैंने और मीना ने डांस की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था.

मैं जाने के लिए रेडी हो गई थी और मीना का इन्तजार कर रही थी कि वो आए और मेरा मेकअप कर दे.

उतने में डोरबेल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो मीना आई हुई थी.
उसने गुडमॉर्निंग कहते हुए मेरे गालों को चूम लिया.

मीना अपने घर से ही तैयार होकर आई थी.
हरे रंग की भरावदार साड़ी में वो बला की सुंदर माल लग रही थी.

उसने मुझे देखा और जल्दी से तैयार कर दिया.
मैंने भी हरे कलर की साड़ी पहनी थी और इसमें मैं भी बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

फिर हम दोनों सहेलियां कॉलेज के लिए निकल गईं.
वहां पर डांस प्रतियोगिता खत्म होते ही चारों और तालियां बजने लगीं.
हमारे डांस को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था.

हम दोनों बहुत ही खुश थीं.

सब लड़के हमारी लेने के लिए चांस मार रहे थे किंतु दीपक और प्रकाश हमसे ज्यादा प्रभावित थे.

दीपक और प्रकाश दोनों ही कबड्डी प्लेयर होने के कारण काफी भरावदार मादक शरीर के धनी थे.

फंक्शन की रात ही कॉलेज में शानदार पार्टी का आयोजन था.
मैं, मीना, दीपक और प्रकाश हम चारों एक ही टेबल पर खाने के लिए बैठे थे.

दीपक मेरे सामने और प्रकाश मीना के सामने बैठा था. दीपक ने मुझ पर लाइन मारना शुरू किया और अपने पैर से मेरे पैर को हल्के से सहलाने लगा.

मेरे शरीर में चिंगारी सी भड़क गई. मेरी वासना की भूख जग गई.
कई दिनों से मैंने हस्तमैथुन भी नहीं किया था और सेक्स तो मैंने केवल ब्लू फिल्म में ही देखा था.

उसने मेरे पैर को सहलाना शुरू रखा.
मुझसे अब रहा नहीं गया तो मैंने अपना एक हाथ से मीना के हाथ को कसके पकड़ लिया.

उसने भी मेरी तरफ देखा और मेरे कान में आकर कहा- धारा, ये क्या कर रही हो?
मैंने भी अपनी इच्छा उसको बताई, तो उसने कहा- अरे वो तो मर्द है, उसके साथ तुम क्या करोगी?

मैंने कहा- क्यों, उनके पास कसी हुई गांड तो है ना?
यह सुनकर मीना जरा मुस्कुराई और हैरानी से बोली- पर वो इसके लिए राज़ी थोड़े ही होंगे, वो तो तेरी चुत के चक्कर में हैं?

मैंने कहा- फिर भी वो क्यों नहीं होंगे? उन्हें भी तो तेरी रसीली चूत का रसपान करना है.
मेरे इतना बोलने पर ही मीना शर्माकर बोली- बस भी कर, मरवाएगी क्या. ये दोनों तो मुझे मसल कर रख देंगे.

मैंने कहा- सुन ना, क्या तुझे अपनी आग बुझाने के लिए गर्म लौड़ा नहीं चाहिए?
उसने कहा- ठीक है, पर मैं सिर्फ तुझसे चुदना चाहती हूँ. इन गधों के लिए मैंने अपनी जवानी नहीं बचाकर रखी है.

मैंने कहा- चल ठीक है, तू सिर्फ मेरे लिए चारा बन जा.
वो मेरी तरफ असमंजस से देखने लगी.

मैंने मीना से कहा- मेरी बात गौर से सुन … पहले तू प्रकाश को लाइन पर ले, मैं प्रकाश को राज़ी करती हूं.

ये सुन के मीना ने अपनी दाहिनी मांसल टांग उठा कर प्रकाश की टांगों के बीच रख दी.

ये होते ही प्रकाश का लंड अपने बड़े से आकार में आने लगा. उसका लौड़ा जींस के ऊपर से ही साफ दिखने लगा.

अब हम चारों उत्तेजित हो रहे थे इसलिए मैंने कहा- चलो मेरे रूम पर चलते हैं.

सबको यही चाहिए था, इसलिए सबने मेरी हां में हामी भर दी.

हम सब दीपक की गाड़ी से मेरे घर आ पहुंचे.

मैं और मीना, दीपक और प्रकाश को ड्राइंगरूम में बिठाकर मेरे किचन में चले गए.

वहां मीना ने सबके लिए चाय बनाई और तब तक मैं फ्रेश होकर मेकअप ठीक कर करके आ गई.

मैंने सबके लिए चाय सर्व की, तब तक मीना भी फ्रेश होकर आ गई.

ड्राइंगरूम में बातें चल रही थीं. दीपक मेरे बगल में बैठा था और प्रकाश मीना के.

दीपक- आज तो तुम दोनों ने कमाल ही कर दिया … क्यडांस किया वाकयी काबिले तारीफ.
प्रकाश- हां ठीक कहा, मीना तो हूबहू माधुरी दीक्षित लग रही थी.

मैं- तो मैं क्या कम लग रही थी?
प्रकाश- नहीं नहीं मेरा वो मतलब नहीं था, तुम भी ऐश्वर्या राय से कम थोड़ी हो?

मीना- वैसे देखा जाए तो तुम दोनों भी आजकल काफी फिट लग रहे हो? मैच की तैयारी चल रही है क्या?
दीपक- नहीं, मैच तो एक महीने बाद है, अभी तो मस्ती का मूड है.

इतना कहते वो मेरे नंगे हाथ पर अपनी उंगलियां फेरने लगा.
मैंने भी शर्माती हुई अपनी नजर नीचे कर ली.

मैं- बस भी करो दीपक, तारीफ करके ही मारोगे क्या? या इरादा कुछ और ही है?
प्रकाश- उसका जी चले तो वो तो तुम्हारी कब से लेना चाहता है.

मीना- दीपक … यह मैं क्या सुन रही हूँ?
दीपक (घबराते हुए)- अरे नहीं नहीं, मुझे धारा बहुत अच्छी लगती है.

प्रकाश- अच्छी … बस इतना ही? और वो क्या था, जो तुम बता रहे थे?
मैं- क्या?

दीपक- कुछ नहीं यार … वो तो मैं ऐसे ही मस्ती कर रहा था.
प्रकाश- सुन धारा, प्रकाश दो दिन पहले ही कह रहा था कि यार ये धारा बड़ी कमाल लगती है, सुडौल मांसल बांहें, बेहद गुदाज बदन, तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियां, कमर पतली पर केले के खम्भों जैसी मोटी भरी भरी मांसल जांघें, भारी बड़े बड़े उभरे हुए नितंब, उसकी मनमोहक गांड. जब वो चलती है, तो आय हाय क्या बताऊं … मन करता है कि अभी के अभी मसल दूँ उसको. और उसके आम जैसे बड़े बड़े उरोज क्या गजब ढाते हैं यार … मेरा मन तो करता है कि अभी ही उन रसभरे आमों को चूस लूं.

मैं- अरे इतनी सी बात … पगले .. आ जा ना.
 
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दोस्तो … मेरा नाम धर्म है. वैसे तो यह शीमेल सेक्स कहानी बड़े अजीब किस्म की है मगर है एकदम सच.
ये मेरे साथ आज से करीब पांच साल घटी थी.

यह तब की बात है, जब मैं कॉलेज में पढ़ता था और भाड़े पर एक रूम लेकर अकेले ही रहता था.

मुझे सेक्स या हस्तमैथुन में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी किन्तु कभी कभार मन हो जाने पर हस्तमैथुन कर लेता था.

मेरी ऊंचाई 5 फ़ीट 9 इंच, कमर 28 की और वजन 65 किलो का था.
रेग्युलर जिम जाने की वजह से मेरा बदन काफी गठीला था. गोरा चिट्टा रंग, एकदम मांसल जांघें, कसे हुए हाथ और लंबे घने बाल, जिन्हें बांधकर रखने की वजह से मैं अपने आपमें एक मदमस्त मर्द लगता था.

कॉलेज में स्मार्ट होने की वजह से मैं सभी लड़कियों की रातों का राजकुमार था.
मेरे पास कई सारी लड़कियों के प्रपोजल भी आए … पर जैसा कि मैंने बताया कि मुझे सेक्स में ज्यादा लगाव नहीं था.

किन्तु मीना मेरी पक्की दोस्त थी.
उसकी हाइट मेरे से थोड़ी ही कम थी.

उसका बदन बहुत ही गोरा था, लचीली बड़ी बड़ी जाघें, रसीले हाफुस आम से भी बड़े बड़े स्तन और बड़े गोलाकार नितम्बों की मालकिन थी वो!

एक दिन सुबह जब मैं उठा तो मेरे सिर में काफी दर्द हो रहा था.
दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाने पर मैं डॉक्टर के पास पहुंचा.

उन्होंने कई प्रकार की जाँच करके 2-3 दिन बाद मुझे बताया कि तुम्हें ऐसी बीमारी हुई है, जिससे तुम्हें कभी छुटकारा नहीं मिल सकता … पर दर्द से राहत पाने के लिए तुम्हें हर रोज ये तीन दवाइयां खानी पड़ेंगी.

मैं वो दवाइयां लेकर अपने रूम पर वापस आ गया.
मैंने उन तीनों दवाइयों का एक डोज तुरंत ही खा लिया.
उसे खाने के बाद मुझे राहत हुई और मैं कॉलेज चला गया.

फिर रोज सुबह उठकर सबसे पहले मैं वो दवाइयां खाता, बाद में जिम जाकर कॉलेज चला जाता.

दो महीने तक उन दवाइयों को खाने के बाद मेरे पैर, छाती, हाथ और दाढ़ी-मूंछ के सारे बाल झड़ गए.
मेरा बदन एकदम गोरी चिकनी लड़की जैसा होने लगा.
मेरी छाती पर छोटे छोटे लेकिन नजर में आ जाएं, ऐसे स्तन आकर लेने लगे थे.

मेरे नितम्बों की साइज भी पहले से 6 इंच बढ़ गई थी. मेरी कमर अब 27 की हो गई थी, मेरे सारे कपड़े, अब मुझे जांघों, स्तनों और नितम्बों से बहुत ही टाईट होने लगे थे.

ये सब मेरे साथ क्या हो रहा था, ये जानने के लिए मैं उसी डॉक्टर के पास फिर से पहुंच गया.

चैकअप के बाद उन्होंने बताया कि मैं जो सिरदर्द की दवाई खा रहा था, उसी की वजह से मेरे हॉर्मोन बदल रहे थे और मैं एक लड़की शीमेल बन रहा था.

मैंने अपने रूम पर लौटने के बाद ये सब मीना को बताया तो पहले तो वो काफी उदास हो गई … मगर बाद में मुझे और अपने आपको संभालते हुए मेरे पास सोफे में बैठ गई.

उसने मुझसे कहा- अब ठीक है धर्म, जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है. तुम अपने आपको उदास और अकेला मत समझो, मैं हूँ न तुम्हारे साथ!
यह कह कर उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.

मेरे नर्म नर्म स्तन उसके बड़े से स्तनों की गर्मी लेकर बहुत ही आनन्द ले रहे थे.
उसकी सांसें मेरे कानों में पड़ने के कारण मेरा रोम रोम खड़ा हो गया.

अब तक हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब कभी नहीं आए थे. उसका फिगर मेरे ख्याल में आते ही मेरा लंड भी धीरे धीरे बड़ा होने लगा.

वो जैसे जैसे अपनी बांहों की पकड़ बढ़ा रही थी, वैसे वैसे मेरा लंड बढ़ रहा था.

उसने मेरे पैंट में हुई हलचल को देखा और बोली- अरे धर्म, तुम्हारे लिंग के बारे में तो तुमने मुझे बताया ही नहीं, क्या इस दवाई का उस पर कोई असर पड़ा है?

मैंने उसे अपने आप से थोड़ा दूर करके कहा- नहीं, दवाई का मेरे लंड पर कोई असर नहीं हुआ है. ये पहले जैसा ही है, मगर हां वहां के बाल झड़ गए हैं.
मीना बोली- दिखाओ तो ज़रा!

मैंने उसे मना किया लेकिन वो बोली- अरे बाबा शर्माओ मत, दिखाओ भी. मैं तुम्हारी पक्की दोस्त हूँ, तुम्हारा बुरा नहीं चाहूंगी. चलो अच्छे दोस्त की तरह पैंट की चैन खोलो.

मैंने आधे अधूरे मन से अपने पैंट की आधी चैन खोली तो वो थोड़ी नजदीक आ गई.

अब उसने मेरी चैन अपने हाथों से ही खोल ली, अन्दर चड्डी के सिरे को नीचे करती हुई अपने हाथों से मेरे तने हुए बड़े लंड को चैन से बाहर किया.

मेरे तने हुए मूसल ब्रांड के लंड देखकर वो हैरान ही रह गई और बोली- अरे धर्म ये क्या है … तुम्हारा लंड तो बहुत ही बड़ा और मोटा है. ऐसा बड़ा लंड मैंने ब्लू फिल्म में भी नहीं देखा है.

बड़ी हैरानी और घबराहट से मैंने जल्दी से अपने विशाल लंड को अपनी चड्डी में कैद किया और बोला- ये तो पहले से ही इतना ही है.
उसने मुझसे कहा- अब ऊपर वाला यही चाहता है कि तुम एक बड़े लंड वाली लड़की यानि शीमेल बन कर रहो, तो उसमें फिर हम क्या कर सकते हैं.

मैंने भी सोचा कि लंड अपना काम कर रहा है … तो जिस्म का क्या?

मैंने फटाक से मीना को कहा- मुझे ये कपड़े फिट नहीं हो रहे हैं.
तो वो बोली- कैसे होंगे? ये सब लड़कों के कपड़े हैं, तुम्हें अब ये नहीं ही होंगे, तुम्हें लड़कियों के कपड़े आज़माने चाहिए.

मैंने बड़ी बेसब्री से कहा- क्या?
मुझे समझाते हुए मीना बोली- देखो तुम्हारे स्तन बड़े हो रहे हैं … और नितम्ब भी लड़कियों जैसे फैल रहे हैं, तो तुम्हें लड़कियों की ब्रा पैंटी और मेरे जैसी सलवार कमीज ट्राय करने होंगे.

उसकी बात को जल्दी से नकारते हुए मैंने कहा- ये क्या कह रही हो तुम? मुझे यह सब पसंद नहीं है.
उसने कहा- तुम्हारे बाल भी लंबे हैं, दाढ़ी-मूंछ भी नहीं हैं और फिगर भी लड़कियों जैसा हो गया है, तो फिर लड़कियों के कपड़े पहनने में हर्ज ही क्या है? कोई तुम्हें पहचान ही नहीं पाएगा.

जैसे तैसे मैंने उसकी बात मान ली, पर कहा- मेरे पास कोई कपड़े नहीं है. क्या तुम कपड़े खरीदने में मेरी मदद करोगी?
वो मुस्कुराती हुई बोली- ये हुई ना लड़कियों वाली बात, लव यू धारा.

मैं भी मन में हंसा और सोचा कि 2 ही महीनों में कैसे में धर्म से धारा बन गयी(या).

मीना अपने घर से मेरे लिए ब्लू कलर की अपने साइज की ब्रा पैंटी और लाल कलर का सलवार और कमीज़ लेकर आ गयी.

उसने मुझसे कहा- जल्दी करो, शाम हो जाएगी.

मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और उसके सामने नंगी ही खड़ी हो गई.

वो मुझे देखकर थोड़ी सी हंसी तो मैं शर्मा गया और मैंने अपना सिर नीचे की ओर झुका दिया.

मुझे ऐसे करते देख उसने कहा- शर्माओ मत … मैं तो तुम्हारे फिगर को देख कर हंस पड़ी. बहुत नसीब वाले हो तुम … जो ऊपर वाले ने तुम्हें मुझसे भी मादक बदन दे दिया. दो नर्म नर्म स्तन और उसमें चार चांद लगाने वाला तुम्हारा ये चिकना, लंबा, मोटा सिकुड़ा हुआ, फिर भी 6 इंच का लंड भेंट में दे दिया.

ये सुन कर मुझे थोड़ा अच्छा लगा और मैं भी उसके साथ हंस पड़ी.

जल्दी से मैंने उससे ब्रा मांगी और उसे पहनने लगा, पर मुझसे उसका पीछे का हुक बंद नहीं हो पा रहा था तो मैंने मीना की मदद से हुक को लगाया.

ब्रा का सुहाना स्पर्श मेरे स्तनों से होते ही मेरे पूरे शरीर में एक सिरहन सी दौड़ गई. मेरे रोंगटों के साथ साथ मेरा लंड भी तन गया.

मीना मेरे पीछे की ओर होने की वजह से मैं अपने लंड को छिपाने में में सक्षम रहा.

उसकी पैंटी लेकर मैंने पहनी तो वो मुझे बिल्कुल फिट आ गयी.
फिर सलवार और कमीज़ पहनकर में तैयार हो गई.

मीना मुझे देख खुशी से पागल हो गई और कहने लगी- धारा, तू तो मुझसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही है.

मीना ने मुझे हल्का सा मेकअप कर दिया और मेरे बाल खोल कर लड़कियों की तरह मेरे बाल बना दिए.

इतना करने के बाद उसने मुझसे कहा- जाओ और अपने आपको आईने में देख लो, कैसी लग रही है तू?

मैं जल्दी उत्सुकता से आईने के सामने खड़ी हो गई और अपने आपको निहारने लगी.
रेशम से मुलायम बाल, मेरे ललाट में लगी नन्ही सी लाल बिंदी, पतली सी मेरी सुतवां सी नाक, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी रस से भरे मेरे होंठ, नर्म नर्म स्तन, पतली सी कमर, बड़े भरावदार और सही जगहों से गोल मेरे नितम्ब और गठीली-मांसल भारी जाघें … ये सब देखकर मैं तो ठगी सी रह गई और एक पल को खुद को देखती ही रह गई.

मुझे अपने आपको ही चोदने की इच्छा होने लगी थी.

मीना ने मुझे सपने से जगाते हुए कहा- धारा … चलो अब खरीददारी करने चलते हैं.

हम दोनों सहेलियां अब एक मॉल में चले गए.
मैंने स्लीपर चप्पल पहनी थी तो उस वजह से हम दोनों सबसे पहले सेक्सी सी चप्पल खरीदने गए.
सिल्वर कलर की मेरे नाप की चप्पल ले ली, जो मैंने वहीं से पहन ली.

बाद में हम लेडिज स्टोर में आ गए. मीना की बताई हुई कई कलर की नेल पॉलिश, लिपस्टिक, आई लाइनर, फाउंडेशन, काजल, पावडर, लड़कियों की परफ्यूम, बिंदिया, कंगन, पायल सब ले ली.

फिर एक जेवर की दुकान पर आ पहुंचे, उधर नाक की कील वाले के पास आए, उसने मेरी नाक और कान में बहुत ही बेरहमी से छेद कर दिए और वहीं से हमने मेरे लिए नन्ही सी नथनी और कान के झुमके ले लिए.

बाद में उसने मेरे लिए लगभग सभी कलर की ब्रांडेड ब्रा और पैंटी के सैट लिए.

उसके बाद तीन रेग्युलर वियर के लिए साड़ियां और मैचिंग के ब्लाउज़, मैचिंग पेटीकोट ले लिए.
फिर वहीं नाप देकर सिलवाने दे दिए. उसने होम डिलीवरी की सुविधा भी दे दी.

सब तरह के महिलाओं के कपड़े लेकर और खाना खाकर हम दोनों मेरे रूम पर वापिस आ पहुंचे.

मीना शुभ रात्रि कहकर अपने घर चली गई.
मैं भी थकान की वजह से बेड पर गिरते ही सो गई.

मुझे अब लड़कियों की तरह सजने संवरने का शौक चढ़ने लगा था.
मैं घंटों तक सजती रहती और अपने अन्दर ही अन्दर खुश होने लगती.

सुबह उठकर मैं तैयार होने लगी.

कॉलेज में फंक्शन होने की वजह से मैंने और मीना ने डांस की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था.

मैं जाने के लिए रेडी हो गई थी और मीना का इन्तजार कर रही थी कि वो आए और मेरा मेकअप कर दे.

उतने में डोरबेल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो मीना आई हुई थी.
उसने गुडमॉर्निंग कहते हुए मेरे गालों को चूम लिया.

मीना अपने घर से ही तैयार होकर आई थी.
हरे रंग की भरावदार साड़ी में वो बला की सुंदर माल लग रही थी.

उसने मुझे देखा और जल्दी से तैयार कर दिया.
मैंने भी हरे कलर की साड़ी पहनी थी और इसमें मैं भी बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

फिर हम दोनों सहेलियां कॉलेज के लिए निकल गईं.
वहां पर डांस प्रतियोगिता खत्म होते ही चारों और तालियां बजने लगीं.
हमारे डांस को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था.

हम दोनों बहुत ही खुश थीं.

सब लड़के हमारी लेने के लिए चांस मार रहे थे किंतु दीपक और प्रकाश हमसे ज्यादा प्रभावित थे.

दीपक और प्रकाश दोनों ही कबड्डी प्लेयर होने के कारण काफी भरावदार मादक शरीर के धनी थे.

फंक्शन की रात ही कॉलेज में शानदार पार्टी का आयोजन था.
मैं, मीना, दीपक और प्रकाश हम चारों एक ही टेबल पर खाने के लिए बैठे थे.

दीपक मेरे सामने और प्रकाश मीना के सामने बैठा था. दीपक ने मुझ पर लाइन मारना शुरू किया और अपने पैर से मेरे पैर को हल्के से सहलाने लगा.

मेरे शरीर में चिंगारी सी भड़क गई. मेरी वासना की भूख जग गई.
कई दिनों से मैंने हस्तमैथुन भी नहीं किया था और सेक्स तो मैंने केवल ब्लू फिल्म में ही देखा था.

उसने मेरे पैर को सहलाना शुरू रखा.
मुझसे अब रहा नहीं गया तो मैंने अपना एक हाथ से मीना के हाथ को कसके पकड़ लिया.

उसने भी मेरी तरफ देखा और मेरे कान में आकर कहा- धारा, ये क्या कर रही हो?
मैंने भी अपनी इच्छा उसको बताई, तो उसने कहा- अरे वो तो मर्द है, उसके साथ तुम क्या करोगी?

मैंने कहा- क्यों, उनके पास कसी हुई गांड तो है ना?
यह सुनकर मीना जरा मुस्कुराई और हैरानी से बोली- पर वो इसके लिए राज़ी थोड़े ही होंगे, वो तो तेरी चुत के चक्कर में हैं?

मैंने कहा- फिर भी वो क्यों नहीं होंगे? उन्हें भी तो तेरी रसीली चूत का रसपान करना है.
मेरे इतना बोलने पर ही मीना शर्माकर बोली- बस भी कर, मरवाएगी क्या. ये दोनों तो मुझे मसल कर रख देंगे.

मैंने कहा- सुन ना, क्या तुझे अपनी आग बुझाने के लिए गर्म लौड़ा नहीं चाहिए?
उसने कहा- ठीक है, पर मैं सिर्फ तुझसे चुदना चाहती हूँ. इन गधों के लिए मैंने अपनी जवानी नहीं बचाकर रखी है.

मैंने कहा- चल ठीक है, तू सिर्फ मेरे लिए चारा बन जा.
वो मेरी तरफ असमंजस से देखने लगी.

मैंने मीना से कहा- मेरी बात गौर से सुन … पहले तू प्रकाश को लाइन पर ले, मैं प्रकाश को राज़ी करती हूं.

ये सुन के मीना ने अपनी दाहिनी मांसल टांग उठा कर प्रकाश की टांगों के बीच रख दी.

ये होते ही प्रकाश का लंड अपने बड़े से आकार में आने लगा. उसका लौड़ा जींस के ऊपर से ही साफ दिखने लगा.

अब हम चारों उत्तेजित हो रहे थे इसलिए मैंने कहा- चलो मेरे रूम पर चलते हैं.

सबको यही चाहिए था, इसलिए सबने मेरी हां में हामी भर दी.

हम सब दीपक की गाड़ी से मेरे घर आ पहुंचे.

मैं और मीना, दीपक और प्रकाश को ड्राइंगरूम में बिठाकर मेरे किचन में चले गए.

वहां मीना ने सबके लिए चाय बनाई और तब तक मैं फ्रेश होकर मेकअप ठीक कर करके आ गई.

मैंने सबके लिए चाय सर्व की, तब तक मीना भी फ्रेश होकर आ गई.

ड्राइंगरूम में बातें चल रही थीं. दीपक मेरे बगल में बैठा था और प्रकाश मीना के.

दीपक- आज तो तुम दोनों ने कमाल ही कर दिया … क्यडांस किया वाकयी काबिले तारीफ.
प्रकाश- हां ठीक कहा, मीना तो हूबहू माधुरी दीक्षित लग रही थी.

मैं- तो मैं क्या कम लग रही थी?
प्रकाश- नहीं नहीं मेरा वो मतलब नहीं था, तुम भी ऐश्वर्या राय से कम थोड़ी हो?

मीना- वैसे देखा जाए तो तुम दोनों भी आजकल काफी फिट लग रहे हो? मैच की तैयारी चल रही है क्या?
दीपक- नहीं, मैच तो एक महीने बाद है, अभी तो मस्ती का मूड है.

इतना कहते वो मेरे नंगे हाथ पर अपनी उंगलियां फेरने लगा.
मैंने भी शर्माती हुई अपनी नजर नीचे कर ली.

मैं- बस भी करो दीपक, तारीफ करके ही मारोगे क्या? या इरादा कुछ और ही है?
प्रकाश- उसका जी चले तो वो तो तुम्हारी कब से लेना चाहता है.

मीना- दीपक … यह मैं क्या सुन रही हूँ?
दीपक (घबराते हुए)- अरे नहीं नहीं, मुझे धारा बहुत अच्छी लगती है.

प्रकाश- अच्छी … बस इतना ही? और वो क्या था, जो तुम बता रहे थे?
मैं- क्या?

दीपक- कुछ नहीं यार … वो तो मैं ऐसे ही मस्ती कर रहा था.
प्रकाश- सुन धारा, प्रकाश दो दिन पहले ही कह रहा था कि यार ये धारा बड़ी कमाल लगती है, सुडौल मांसल बांहें, बेहद गुदाज बदन, तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियां, कमर पतली पर केले के खम्भों जैसी मोटी भरी भरी मांसल जांघें, भारी बड़े बड़े उभरे हुए नितंब, उसकी मनमोहक गांड. जब वो चलती है, तो आय हाय क्या बताऊं … मन करता है कि अभी के अभी मसल दूँ उसको. और उसके आम जैसे बड़े बड़े उरोज क्या गजब ढाते हैं यार … मेरा मन तो करता है कि अभी ही उन रसभरे आमों को चूस लूं.

मैं- अरे इतनी सी बात … पगले .. आ जा ना.
Wah BAhut hi badhiya story bhai keep it up Nadeem21
 
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अब तक आपने पढ़ा था कि किसी वजह से मर्द से औरत बनने लगा था और उसी के बाद मैं अपनी सहेली मीना के साथ प्रकाश और दीपक को लेकर अपने कमरे में आ गई थी.
अब हम चारों के बीच सेक्स को लेकर चर्चा करने लगे थे.

अब आगे शीमेल पोर्न स्टोरी:

प्रकाश को अपने दूध दबाने का निमंत्रण देकर मैंने दीपक को अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर खुल्ला निमंत्रण दे दिया.

पहले वो थोड़ा डरा, पर मैंने उसके हाथ को अपने बाएं स्तन पर ब्लाउज़ के ऊपर रख दिया.

थोड़ा डरते डरते उसने मेरे दूध को थामा और उसको ऊपर से ही सहलाने लगा.

मीना प्रकाश के पास बैठी थी.
प्रकाश भी निडर होकर मीना की साड़ी में से दिख रहे उसके खुले पेट को छूने ही जा रहा था कि मीना ने प्रकाश को रोक लिया.

उसने कहा- पहले तुम धारा के स्तनों का रसपान करो, बाद में मैं तुम्हें अपने आम चूसने का मौका भी दूंगी.

प्रकाश तेजी से से उठ कर मेरे बगल में आ गया.
वो मेरे दाहिने स्तन को सहलाने लगा.

मैं भी अब सेक्स में पूरी तरह से डूब रही थी.
वो दोनों ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरे नर्म नर्म स्तनों को अपने मर्दाना हाथों से बड़ी बेरहमी से मसल रहे थे.

मेरा लौड़ा घाघरे में ही अब धीरे धीरे अपना असर दिखा रहा था.

मेरी लेडीज़ पैंटी उसे ज्यादा देर तक अन्दर नहीं रख पाएगी, यह सोच कर मैंने अपने पैरों को क्रॉस कर लिया.

दीपक अब मुँह से मेरे स्तन का रसपान करने लगा.

इस बीच मीना की चूत भी गीली हो चुकी थी.

प्रकाश मेरी पतली सेक्सी साड़ी को हटाकर मेरी गहरी नाभि में उंगली करने लगा, तो मेरे मुँह से सीत्कार निकलने लगी- आह … ओह … अहम्म!

मेरी वासना में डूबी हुई मादक आवाजें निकलने लगीं.
मुझे इतना उत्तेजित देख कर मीना ने मेरे करीब आकर मेरे ब्लाउज़ के बटन खोल दिए.

मेरी भूरी उभरी हुई बड़ी बड़ी चुंचियां मेरी ब्रा में से बाहर झांक रही थीं.

दीपक ने जल्दी से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. मेरी चूचियां अब दीपक के सामने खुल गई थीं.

मीना और दीपक दोनों ही मेरे मम्मों पर झपट पड़े. एक चूची को दीपक चूस रहा था और एक चूची मीना.

प्रकाश अभी भी मेरी नाभि से ही खेल रहा था. हम चारों सेक्स में डूबे हुए थे.

दीपक मेरी चूची को कभी कभी काट भी रहा था, तो मुझे दर्द और आनन्द दोनों की मिश्रित अनुभूति होने लगी.

अब मुझसे रुका नहीं गया, मैंने मीना और दीपक दोनों को बांहों से भर लिया और खड़ी होकर दोनों को बेडरूम की ओर घसीटने लगी.
साथ में दीपक भी अपने आप चला आया.

इस बीच मेरी साड़ी का एक सिरा, जो मेरे घाघरे से बंधा हुआ था, वो खुलने लगा और साड़ी घिसटती हुई हमारे पीछे छूट गई.

मैंने बेड पर एक बड़ा गद्दा लगाया और छोटे गद्दे अपनी बांहें रखने के लिए अगल बगल में लगा दिए.

फिर मैंने अपने पैर ऐसे सिकोड़ कर रखे कि मेरा लंड मेरी मांसल जांघों के बीच ही दबा रहे.
मैं अपनी दोनों बांहें फैलाकर लेट गई.

मेरी बड़ी बड़ी चुंचियों का रसपान करते हुए मीना और दीपक थक ही नहीं रहे थे.
प्रकाश भी मेरी नाभि और पेट को अपनी जीभ से चाटने लगा था.

मेरा पूरा शरीर काम वासना की आग में जल रहा था.
मैं पसीने से पूरी भीगी हुई थी.

मीना मेरे होंठों पर अपने गुलाबी होंठ रखते हुए लंबे चुम्बन लेने लगी थी.
दीपक भी अपना मुँह मेरे दोनों स्तनों के बीच दबाकर कामुक सिसकारियां भरने लगा.

कुछ ही पलों बाद प्रकाश और दीपक अपने अपने कपड़े उतारने लगे.
दोनों ने अपनी अपनी शर्ट उतारी और उसके बाद पैंट उतारने लगे.

तभी मीना बोली- रुको.
वो दोनों रुक गए.

मीना ने कहा- मैं उसी से मेरी चुदवाऊंगी, जिसका लंड इस कमरे में सबसे बड़ा होगा.

वो दोनों यह सोच कर राजी हो गए कि चलो जिसका लौड़ा बड़ा होगा, वो मीना को चोदे लेगा और दूसरा मुझे!
पर उनको कहां पता था कि खेल कुछ और ही है.

मीना बोली- चलो खोलो अपनी अपनी पैंट.

इतना कहकर वो अलमारी में रखा मेजरमेंट करने वाला टेप ले आई.
प्रकाश ने अपना पैंट खोलकर नीचे उतारा.

उसका लंड पूरी तरह से तना हुआ था और किसी लोहे की रॉड से कम नहीं था. मीना ने इंची टेप से नापा तो उसका लंड 5.5 इंच का निकला.

उसने कहा- चलो दीपक, अब तुम्हारी बारी … अपना लंड दिखाओ.

दीपक ने अपने लंड का दर्शन कराए, उसका लंड नापने पर 6 इंच हुआ.

दीपक खुशी के मारे उछल पड़ा और कहने लगा- चलो मेरी प्यारी मिन्नू … अब तो अपनी चूत के दर्शन करा दो मेरे मोटे लंड को.
इतना कहकर वो मीना को अपनी ओर खींचने लगा.

तभी मीना उससे छूटती हुई बोली- रुको मेरी जान, खेल अभी बाकी है.
वो मेरी तरफ देखने लगी.

उसके मेरी तरफ देखते ही मैंने अपने पैर फैला दिए.

पैर फैलाने की वजह से मेरा लंबा, मोटा विशालकाय लौड़ा मेरे मुलायमी पेटीकोट के अन्दर से ही बड़ा सा आकार बनाने लगा.

दीपक और प्रकाश ये देखकर हैरान रह गए कि आखिर ये है क्या?

दीपक मेरे पैरों के नजदीक आया और उसने मेरे पेटीकोट के अन्दर अपना सर डाल दिया.

मैंने भी उसके सर के बालों को पकड़ कर उसको अन्दर पेटीकोट में ही ले लिया.

मेरा लंबा, चिकना, लंबा, मर्दाना लंड देखकर वो अचंभित ही रह गया और धीरे धीरे बोलने लगा- नहीं, नहीं, ये नहीं हो सकता … ये नहीं हो सकता.

प्रकाश हड़बड़ी में आकर उससे पूछने लगा- दीपक, बताओ क्या हुआ?

दीपक कुछ बोले, उससे पहले ही मीना ने मेरी पेटीकोट का नाड़ा ढीला करके उसे नीचे सरका दिया.

और ये क्या … चुत की जगह पर हल्की हल्की सुनहली झांटों से भरा चिकना लंबा मोटा लंड देखकर वो दोनों हैरान रह गए.

दोनों अपने आंखें मलने लगे कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रहे हैं.

फिर मीना ने इंची टेप से मेरा बड़े अंडकोषों से चिपका लंड अपने मुलायम हाथों में लेकर सहलाया तो लंड अकड़ उठा. उसने लंड नापा, तो वो 7.5 इंच का निकला.

मीना खुशी से उछल पड़ी और उसने अगले ही पल मेरी फैली हुई बांहों में खुद को गिरा दिया.
उसने अपने आपको मुझे समर्पित कर दिया.
वो मुझे फिर से चूमने लगी और दांतों से मेरे होंठ को काटने लगी.

दीपक और प्रकाश नजदीक आने से डर रहे थे.

मैंने उन्हें अपने पास बुलाया.

दीपक को अपनी गदरायी हुई, गठीली, मांसल मुलायम एक जांघ पर और प्रकाश को अपनी दूसरी जांघ पर बिठा दिया.

मैंने कहा- चलो अब चूसो मेरे स्तनों को.
फिर उन दोनों का सर अपनी मजबूत बांहों से मैंने अपने स्तनों पर दबा दिया.

मीना मेरे हल्की झांटों भरे लंड को मेरी दोनों टांगों के बीच नजदीक बैठकर प्यार से सहला रही थी.
मैंने कहा- चल मीना, अब मेरे लौड़े की प्यास तो बुझा दे.

वो तुरंत से मेरे लंड के सुपारे को नीचे करके अपनी रसभरी जीभ उस पर फेरने लगी.

‘आह … ओह … अहम्म … ओय मां …’
मैं पूरी तरह मदहोश हो गयी थी.

धीरे धीरे प्रकाश और दीपक का भी डर दूर हो गया. वो दोनों अब अपने अपने लौड़े के साथ खेलते हुए मेरे स्तनों का पान करने लगे.

मीना ने अपनी गति थोड़ी बढ़ा दी.

तभी मेरे मुँह से ‘ओह मां मर गईईई …’ की चीख निकल गई. मेरा लंड अब पूरी तरह से तन चुका था.

प्रकाश और दीपक को दूर करते हुए मैंने मीना की साड़ी को खींच दिया.
वो अपना ब्लाउज और ब्रा खुद उतारने लगी.

तब तक प्रकाश उसके पेटीकोट में ही घुस गया.

मैंने प्रकाश और दीपक को एक तरफ बैठने का इशारा किया और वो दोनों बेड के एक कोने पर बैठ गए.

मीना के दोनों गुलाबी रंग के स्तन और उस पर भूरे रंग की लंबी लंबी चुंचियां गजब ढा रही थीं.

उसका हरे रंग का मुलायम पेटीकोट नाड़ा खोलते ही नीचे सरक गया.
उसने लाल रंग की पैंटी पहन रखी थी.

मैंने प्रकाश से कहा- जाओ मीना की पैंटी हटा दो.

उसे तो मानो बस इसी पल का इंतजार था … वो जल्दी से अपने पैरों के बल बैठ गया और धीरे से मीना की पैंटी नीचे करने लगा.
पैंटी नीची करते ही मैं चकित रह गया.

अरे बाप रे यह जन्नत मेरे हर रोज साथ थी, फिर भी मैं उसे महसूस नहीं कर पाया. घनी काली झांटों से भरी गुलाबी पंखुड़ी वाली, पसीने और अन्दर से निकले पानी की वजह से चिकनी हरी-भरी चुत देखकर मैं वाकयी हैरान रह गया.

मेरा लौड़ा सांप की तरह फुंफकार मारने लगा.

मैंने दीपक को अपने पास बुलाते हुए कहा- चल दीपक, अब तू मेरा लौड़ा पकड़ हाथ में.
उसने मना कर दिया.

लेकिन मैं बोली- क्यों बे भोसड़ी के … मेरी चुचियाँ चाट सकता है तू … उन्हें मसल भी सकता है … तो साले मेरे लंड को क्यों नहीं पकड़ सकता?

मेरी बात सुनकर उसने पहले तो आना-कानी की, पर फिर मान गया.
उसके हां कहते ही मैंने उसके सर को मेरे लंड के सुपारे पर ही पटक दिया और उसके बालों को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे लंड को उसके मुँह में दे दिया.

उधर प्रकाश मीना की झांटदार चुत में उंगली घुसाने का नाकाम प्रयत्न कर रहा था.

मीना भी ‘आह … उह … ओई … उफ़्फ़ …’ की कामुक सिसकारियां भर रही थी.

मैंने मीना को अपने पास बिठाया और प्रकाश को नीचे जमीन पर कर दिया.
वहां दीपक भी जमीन पर नीचे बैठा मेरा लंड चूस रहा था.

ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था तो मुझे बहुत ही आह्लादित करने वाले आनन्द की अनुभूति हो रही थी.

प्रकाश के सर को मीना ने अपनी गदराई जांघों के बीच ले लिया और वो उसे अपनी चुत का रसपान कराने लगी.

मीना और मैं एकदूसरे को होंठ से होंठ चिपका कर सहला रहे थे.

करीब दस मिनट ऐसा करने के बाद मैं और मीना दोनों पूरे गर्म हो गए थे.

मैंने मीना से कहा- चल अब आ जा.

बस फिर क्या था, मेरे लंड को दीपक के मुँह से अलग करके एकदम सटा कर उसकी चूत के गुलाबी होंठ मेरे लंड के सुपारे पर रख दिए और उसे मेरे लंड के ऊपर ही दबाने लगी.

इस दौरान प्रकाश और दीपक दोनों मेरे और मीना के स्तनों से खेल रहे थे और अपने अपने लौड़े सहला रहे थे.

पूरे बेडरूम में गर्मी का माहौल छा गया था.
मीना के दबाव के कारण मेरे लंड का सुपारा उसकी चुत में घुस गया था.

मेरा लंड चुत में जाते ही वो चीख पड़ी- ओई मां आह … मर गयी!

मैंने उसका मुँह अपने हाथों से दबाया ताकि बाहर कोई हमारी आवाज सुन ना ले.

फिर उसको मैंने नीचे पीठ के बल लेटा दिया और टांगें फैलाकर उसकी टांगों के बीच मैं लंड हिलाती हुई बैठ गई.

मीना की चुत पर मैंने अपना लंड रगड़ा तो वो फिर से रोमांचित्त हो गई और कहने लगी- धारा, अब तड़पाना बंद भी करो … मेरी आग को बुझा दो रानी, मेरी चुत को चरमसुख दिला दो … उहहहह … आह … ओई … हाय … उम्म!

वो लौड़े को अन्दर लेने के लिए तड़पने लगी.
मैंने भी तुरंत ही झटका दे मारा और पूरा सुपारा उसकी चुत में पेल कर फंसा दिया.

दीपक मेरे गोरे नितम्बों के बीच में से दिख रहे बादामी रंग के गांड के छेद को उंगली और जीभ से चाट रहा था.

उसके ऐसा करने पर मैं भी एकदम से सिहर सी गई और हल्की हल्की ‘आह … उह … उफ्फ् …’ की सिसकारियां भरने लगी.

ऐसा करती हुई मैंने अपने लंड को दम देती हुई पेलना शुरू कर दिया, एक के बाद के दो तीन चार धक्के लगा दिए.मीना की चुत भी बहुत कसी हुई थी, वो मेरे लंड को अन्दर लेने के लिए गांड उछाल कर ऊपर नीचे हो रही थी.

मैंने इस बार प्रकाश को बुलाया और अपना लंड उसके मुँह से गीला करने को कहा.

उसके ठीक ऐसे ही करने पर 2 मिनट के बाद मीना की चूत पर मैंने लंड फिर से रख दिया.
मीना ने टांगें फैला दीं और उसी पल मैंने जोर से धक्का दे दिया.

मेरा आधा लंड उसकी चुत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया. वो फिर से चीख पड़ी- ओई मां आआ आह … मर गई मैं … आह … उह … उफ्फ्फ … अम्म … म्मह!

मैंने जोर से दूसरा धक्का लगा दिया और इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चुत में समा गया.

वो चीख कर और बांहें फैलाकर मुझसे चिपक गई. वो मुझे कसके उसके ऊपर दबाने लगी. उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर से लगा दिए और पीछे की ओर कर दिए, ताकि मैं कहीं दूर न जा पाऊं.
उसने मुझे अपने दांतों से मेरे होंठों को दबा दिया.

दीपक मेरी गांड की छेद में उसकी बड़ी उंगली डाल कर अन्दर बाहर कर रहा था.
मुझे भी मजा आ रहा था.

प्रकाश मीना के बगल में लेट कर अपना लंड हाथ में लिए हस्तमैथुन कर रहा था.

इस वक्त मीना की चूत इतनी गर्म थी कि क्या बताऊं.
मुझे भी इतना ज्यादा मजा आ रहा था और लग रहा था कि यह पल कभी खत्म ही न हो.

मीना और मेरे स्तन एक दूसरे से टकरा रहे थे.
मैं अब धीरे धीरे पूरा लंड बाहर निकालती, फिर पूरा लंड चुत के अन्दर पेल देती.

ऐसा करने से मीना को भी बड़ा आनन्द प्राप्त हो रहा था. यह मुझे उसकी बांहों की पकड़ से ही पता चल रहा था.

लंड चुत के अन्दर बाहर अन्दर बाहर करते करते मैं 20-25 मिनट तक मीना को चोदती रही.
कभी मैं धीरे धीरे लंड पेलती, तो कभी काफी स्पीड में पेलने लगती.

पूरे रूम में मीना और मेरी जांघों, गांड और स्तनों की टकराहट से गच्च, गच्च, गच्च, पच,पच …’ आवाजें आने लगी थीं.

मैं सेक्स में मंत्रमुग्ध हो गई थी. चुदाई में और कुछ मिनट तक सटासट करने के लंबे समय बाद मेरे लौड़े ने उसकी चुत में ही पानी छोड़ दिया और मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटी रही.

दो मिनट ऐसे रहने के बाद मैं उठी और फिर से गद्दे पर पीठ के बल सो गई.

शीमेल पोर्न स्टोरी के अगले भाग में आपको मेरे लंड से गांड चुदाई का मजा मिलेगा
 
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आपने पढ़ा कि मैं धर्म से धारा बन चुकी थी और आप सभी को बता रही थी कि मेरे कमरे में मैं अपनी सहेली मीना की चुदाई कर चुका था.
प्रकाश और दीपक भी मेरे जिस्म से खेल रहे थे.

अब आगे शीमेल Xxx कहानी:

अभी मेरा लौड़ा आधा तना हुआ था. मैंने मीना से कहा- जा फ्रेश हो जा.
वो बाथरूम की ओर चली गई.

अब दीपक और प्रकाश कहने लगे कि हमें भी तो दिखाओ जन्नत का मजा!

दीपक मेरे गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म … और लाल पड़ गयी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था.
वह मेरी निप्पल को अपने मुँह में लेकर चुभलाने और अपनी जीभ से खेलने लगा.

मैंने अपनी नंगी नर्म चिकनी संगमरमरी जांघों को अलग किया और अपने तने लंड को मुठियाती हुई बोली- आजा प्यारे दीपक … मेरा लंड तैयार है.

तब मैंने दीपक को चित लिटा दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गयी.

मैंने दीपक की जांघों को फैला दिया … इससे उसकी गांड का छेद मुझे साफ़ दिखने लगा.

उसकी गांड के छेद में मैंने एक उंगली लगा दी. उंगली लगाते ही दीपक के बदन में सिरहन दौड़ गई.
मैंने धीरे से उसकी गांड के छेद में उंगली डाली और चारों तरफ घुमाने लगी.

इससे दीपक की गांड का छेद कुछ खुल सा गया.
दीपक दर्द और मस्ती से चिल्लाने लगा पर मैंने उसकी एक ना सुनी और गिनती बढ़ाती हुई उसकी गांड में लगभग अपनी चार उंगलियों को थूक लगाते हुए डाल कर आगे-पीछे करने लगी.

उसकी गांड अब लंड लेने लायक हो गई थी तो मैंने अपने लंड के चमड़ी को नीचे किया और लाल सुपारे को बाहर निकाल कर अपने सुपारे पर ढेर सारा थूक लगा दिया.

अब मैंने अपने दोनों अंगूठों से दीपक की गांड के छेद को फैलाया और अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिका दिया.

दीपक की गांड के छेद के ऊपर मैं अपने लंड के सुपारे को रखकर रगड़ने लगी.

थोड़ी देर में मैं अपनी उत्तेजना के आपे से बाहर हो गई और सिसकारियां भरने लगी.

दीपक समझ गया, उसने झपटकर नीचे से दोनों हाथों में मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों को दबोच लिया.
लेकिन दीपक बहुत घबरा रहा था क्यूंकि मेरा लंड बहुत ही लंबा और मोटा था.

मैं उसके ऊपर झुक गई और अपने गुलाबी होंठों को दीपक के होंठों पर रखकर लंड का सुपारा गांड में धकेल दिया.

सुपारा गांड के अन्दर जाते ही मेरे मुँह से निकला- ओहहह … शाबाश दीपक … मजा आ गया … आंह तेरी गांड तो बहुत ज्यादा टाईट है.

दीपक मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों को जोर-जोर से दबाते हुए मेरे गुलाबी होंठों को चूसने लगा. दीपक की गांड का छेद बेहद गर्म था.

मेरा पूरा लंड अन्दर जाते ही मेरे मुँह से निकल गया- आहह … मादरचोद … आह शाबाश दीपक … अब लगा धक्का नीचे से भोसड़ी के!

ये कहने के साथ ही मैंने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और अगले ही पल वापस धक्का दे मारा.

दो तीन बार ही मैंने धीरे-धीरे ऐसा किया था कि दीपक के मुँह से निकला- आंह धारा थोड़ा धीरे से कर मेरी जान … आह.

“शाबाश … लगा धक्के पर धक्का मेरे लंड पर … दीपक … मेरे लंड से गांड मरवा ले आंह … और मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस ले!”

दीपक को अब मेरे लंड से गांड मरवाने में मजा आने लगा था.
उत्तेजना के मारे वो अपने आपे से बाहर होकर जोर-जोर से मेरे लंड में अपनी गांड पेलता हुआ चुदने लगा.

वो मेरे गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को अपने दोनों हाथों में दबोचकर और मुझे अपने ऊपर झुकाकर मेरी बड़ी-बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने लगा.
मेरे सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जहां-तहां मुँह मारते हुए अपनी गांड मरवाने लगा.

हर धक्के लगाने के बाद मेरे मुँह से आवाजें आ रही थीं- आह आहह उम्म्म … आह हहह उम्म्म्ह!

मेरी उछलती संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को पीछे लगे शीशे में देखते हुए दीपक पागल हो रहा था.

दीपक ने अपनी दोनों टांगों को हवा में फैला दिया था जिससे मेरा लंड उसकी गांड की जड़ तक धंस धंस कर जा रहा था.

फिर मैंने दीपक की दोनों टांगें उठाकर अपनी कंध़ों पर रख लीं.
इस पोजीशन में हर धक्के पर मेरी चिकनी संगमरमरी जांघें दीपक की गांड से टकराकर मुझे गुदगुदे गद्दे का मजा दे रही थीं.
इससे फट-फट की आवाज भी आ रही थी.

तभी अचानक मैंने दोनों हाथों में दीपक के चूतड़ों को दबोचकर उसे गोद में उठा लिया और खड़ी हो गई.

न जाने कितनी ताकत छिपी थी मेरी बाजुओं में.

दीपक मेरी सख्त बांहों में दबा हुआ था और मेरी बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों को अपने होंठों और दांतों में दबा चूसने में लगा था.

अब मैं भी नीचे से अपनी गुदगुदे गद्देदार चूतड़ उछाल उछाल कर अपने लंड को दीपक की गांड में जड़ तक घुसा कर उसे चोदने लगी थी.

करीब आधे घंटे तक पागलों की तरह मैंने दीपक के नंगे जिस्म को दोनों हाथों में दबोचकर चोदा.
इसके बाद मुझे ऐसा लगा कि अचानक हम दोनों के जिस्म ऐंठ रहे हों.

तभी मैंने दीपक को नीचे गद्दे पर लिटा दिया और हुमच हुमच कर गांड में लंड पेलने लगी.

अचानक तभी मैंने जोर से अपने उभरी हुई गांड को उछाला और अगला धक्का ऐसे दे मारा कि मेरे जिस्म से जैसे लावा फूट पड़ा.

मेरे मुँह से जोर से निकला- आहहहह … उईईई!

मैं ऊपर से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपने लंड से दीपक की गांड में जड़ तक धंसाकर झड़ रही थी

दीपक भी एक हाथ से अपना लंड और दूसरे हाथ से मेरे भारी चूतड़ों को दबोचकर लगा हुआ था.

कुछ ही पलों में उसने मेरे पेट पर पिचकारी छोड़ दी.
मैं निढाल होकर दीपक के ऊपर लुढ़क गई.

थोड़ी देर में मैं उठी और दीपक की गांड से अपनी लंड निकालती हुई बोली- हाय प्रकाश … मैं तो बहुत थक गयी हूँ, अब मैं गर्म पानी से स्नान करूंगी … तभी मेरी थकान उतरेगी.

प्रकाश ने कहा- ठीक है धारा, चलो मैं भी तुम्हारी मदद करता हूँ.

वो देख रहा था कि मेरा लंड डबल चुदाई की थकान से निढाल हो गया था.

उसने मेरी दोनों बगलों में हाथ डाल सहारा देकर मुझे उठने में मदद की.
बगलों में हाथ डालकर उठाने में मेरी बड़ी-बड़ी चूचियां भी प्रकाश के हाथों में आ गईं.

वो मेरी तरफ़ देखने लगा.
प्रकाश को अपनी तरफ़ देखता पाकर मैं बोली- क्या देख रहा है प्रकाश … मेरे लंड को देख रहा है क्या …. अरे तू चिंता मत कर. अभी ये तीसरे राउंड के लिए तैयार हो जाएगा.

प्रकाश ने जवाब दिया- कुछ नहीं धारा … मैं देख रहा था कि साले दीपक की गांड बहुत टाईट है. कैसा रगड़कर तेरे लंड को लाल कर दिया है.
मैंने मुस्कराते हुए अपने मुरझाए हुए मोटा लंड को थामकर सहलाती हुई बोली- तू घबरा मत, अभी मेरे अन्दर बहुत दम है. गर्म पानी से स्नान करने के बाद तीसरे राउंड में पूरा का पूरा मजा दूँगी तुझे. अगर उसके बाद भी दम बचे, तो सारी रात अपनी है.

प्रकाश मान गया कि एक जबरदस्त गांड चोदने के बाद भी मेरा लंड दूसरे को चोदने का दम रखती है और एक मर्द से किसी तरह कम नहीं है.

मैं आगे-आगे और वो मेरे पीछे-पीछे बाथरूम की तरफ़ जाने लगा.
प्रकाश बाथरूम की तरफ जाते मुझे देख रहा था. मैं पूऱी तरह नंगी थी. मेरी गोरी गुलाबी भरी हुई चिकनी पीठ उभरी हुई थी और मेरी कमर, भारी चूतड़ों के चलने पर थिरक रही थी.

बाथरूम में पहुँचकर मैं टब का फव्वारा चलाने के लिए झुककर उसकी टौंटी घुमाने लगी.झुकी हुयी होने से मेरे बड़े-बड़े गुलाबी चूतड़ों के बीच में से लम्बा मोटा लंड और बड़े-बड़े आंड प्रकाश को दिख रहे थे, जिससे मैं उसे चोदने वाली थी.

मैं टब में घुस गयी और प्रकाश एक हाथ में हाथ वाला फव्वारा लेकर आ गया.
वो दूसरे हाथ से मेरा संगमरमरी गदराया बदन मलमल कर नहलाने लगा.

प्रकाश के मर्दाने हाथ मेरे बड़े बड़े उरोजों पर फिसल रहे थे.
मर्दाने हाथों के स्पर्श से मैं फिर से उत्तेजित होने लगी थी.

प्रकाश मुझे होंठों से पकड़कर चूसने लगा निप्पलों को बारी बारी से होंठों में लेकर चुभलाने चूसने लगा.

प्रकाश के मर्दाने हाथ मेरी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों पर फिर रहे थे.

उसके हाथ मेरी जांघों के बीच में आधे तने हुए लंड व अंडकोष से होते हुए भारी नितंबों सुन्दर टांगों पर फिसल रहे थे.

प्रकाश के होंठ मेरे बड़े-बड़े उरोजों, गदराए पेट, गोल नाभि से फिसलकर काले हल्के बालों से भरे मेरे मूसल लंड पर आ पहुंचे.

प्रकाश ने मेरे लंड को अपने होंठों में दबाकर चूसते हुए कहा- हाय धारा, मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि औरतों की टांगों के बीच में भी इतना बड़ा लंड होगा.

“अरे … तुमने क्या सोचा था कि लंड केवल मर्द के पास होता है? … हम लोगों के पास भी लंड है … और मैं पूरी तरह से चुदाई कर सकती हूँ.”
यह कहकर मैं टब से उठ गई.

मैंने प्रकाश को टब में धकेल दिया और अपने साढ़े सात इंच के मूसल लंड को थाम कर उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगी.

मैंने अपना एक पैर टब की दीवार पर जमाया और उस पर प्रकाश ने अपनी जांघ को चढ़ा दिया.

अब मेरे लंड का सुपारा ठीक उसकी गांड के छेद के मुँह पर था.
प्रकाश ने अपने दोनों हाथों की उंगलियां मेरे भारी चूतड़ों पर जमाकर गांड को उचकाया तो सट से मेरा पूरा लंड उसकी गांड के अन्दर चला गया.

पूरा लंड अन्दर जाते ही मैंने सिसकारी भरी- उम्म्म्म आंह.
वो भी दर्द से मचल रहा था.

मैंने भी तीन चार कस कसके झटके लगा दिए.

फिर मैंने लंड को गांड के अन्दर ही रहने दिया और प्रकाश को वैसे ही गोद में उठा लिया.

प्रकाश ने अपनी दोनों टांगें मेरी उभरी गुदाज गांड के ऊपर लपेट लिया और अपनी दोनों बांहें मेरे गले में डाल दीं.

मेरी बड़ी-बड़ी चूचियां प्रकाश की छाती से टकरा रही थीं.
मैं अपने दोनों हाथ प्रकाश के चूतड़ों पर जमाये हुए उसे कमरे की तरफ़ ले चली.

चलने से लगने वाले हिचकोलों से मेरा लंड प्रकाश की गांड में थोड़ा अन्दर बाहर हो रहा था.

कमरे में पहुँचकर हम दोनों ने देखा कि मीना और दीपक बेड वाले गद्दे से उठकर पलंग पर सो रहे थे.

मुझे हंसी आ गयी और बोली- काफ़ी समझदार हैं साले … हमारे चुदायी के खेल के लिए पूरा ही गद्दा खाली कर दिया.

मैंने हंसते हुए प्रकाश को गोद से उतार दिया जिससे मेरा लंड प्रकाश की गांड से झटके से निकल गया और मेरे मुँह से भी आंह निकल गयी.

मैंने एक तौलिया प्रकाश को दिया क्योंकि वो भी भीग गया था.
दूसरे टॉवल से मैं अपना बदन पौंछने लगी.

बदन पौंछकर दोनों गद्दे पर आ गए.

मेरा लंबा मोटा लंड मीनार की तरह खड़ा था.
मैंने और प्रकाश ने एक दूसरे की तरफ करवट ली.

प्रकाश मेरे बड़े-बड़े उरोजों और निप्पलों को टटोलते हुए बोला- हाय मेरी जान धारा … अब शुरू करें?

मैं प्रकाश के पीछे लेट गई और पीछे से उसे अपनी बांहों में भर कर उसकी पीठ पर स्तनों को रगड़ने लगी.
प्रकाश भी गर्दन पीछे करके मेरे रसीले होंठों को चूमने लगा.

मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया था और प्रकाश की गांड पर रगड़ खा रहा था.

तभी मैंने अपनी एक उंगली प्रकाश के मुँह में घुसा दी.
प्रकाश ने मेरी उंगली को चूस कर पूरा गीला कर दिया.

फिर मैंने अपनी गीली उंगली को प्रकाश के मुँह से निकाल कर सीधे उसकी गांड छेद में डाल दी और गोल-गोल घुमाने लगी.

प्रकाश को मेरी हरकतों से मजा आने लगा था.

कुछ देर उसकी गांड में उंगली अन्दर-बाहर करने बाद मैंने प्रकाश की एक टांग ऊपर उठा दी.
इससे उसकी गांड का छेद फैल गया.मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर सुपारा ठिकाने पर लगाया और धक्का दे मारा.
मेरा पूरा का पूरा लंड अन्दर चला गया और मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई- ओह हहहह … भई वाह … मजा आ गया!

मैं प्रकाश की पीठ पर अपनी चुचियों के निप्पलों को दबाती हुई धीरे-धीरे कमर चलाती हुई उसे रगड़ कर चोदने लगी.

प्रकाश अपने एक हाथ की उंगलियों से मेरी मोटी-मोटी संगमरमरी चिकनी जांघों को सहलाकर गद्देदार भारी नितंबों को दबा रहा था.

करीब आधे घंटे तक दोनों पूरे गद्दे में लेटे हुए चुदायी करते रहे.

तभी मैंने अपनी टांग ऊपर उठा ली और प्रकाश की टांग पर चढ़ा दी. इससे मेरे चौड़े चूतड़ और फैल गए. अब मैं आराम से नितम्ब उछाल उछाल कर अपना लंड प्रकाश की गांड में अन्दर-बाहर करती हुई चोदने लगी.

तभी प्रकाश ने दाऐं हाथ में मेरी उभरी हुई गांड को दबोच लिया और अपनी गांड को मेरे लंड पर दबाने लगा.

मैंने भी प्रकाश की पीठ पर उभारों को दबाती हुई उसे कसके बांहों में भर लिया.

मैं उसकी गांड में जड़ तक लंड पेल कर झड़ने लगी और जोर से कराहने लगी- उम्म … आहह!

फिर प्रकाश भी लंड को मुठियाते हुए झड़ने लगा.
मैं प्रकाश को दबोच कर हांफ रही थी.

हम दोनों एक दूसरे की बांहों में लिपटे-लिपटे वैसे नंगे ही सो गए.

सुबह जब मैं उठी तो मीना मुझसे पहले उठ चुकी थी.
मैंने दीपक और प्रकाश को उठाया और उन दोनों को अपने अपने घर चलता किया.

जाते जाते दोनों कह रहे थे कि दोबारा कब मिलेंगे?
मैंने उनसे जान छुड़ाने के लिए कह दिया- बाद में बात करते है … ठीक है अब जाओ.

इतना कह कर मैंने उन दोनों को रवाना किया.

मीना चाय बना रही थी, नहाकर आने की वजह से वो बहुत ही सेक्सी और सुंदर लग रही थी.

मैं हाथ मुँह धोकर आयी तो उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और कहने लगी- धारा, तेरा लंड वाकयी में बड़ा कमाल का है. मुझे कल रात पूरा मजा करवाया तूने … आई लव यू धारा!

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Hello Everyone :hi: ,
We are Happy to present to you The Exclusive story contest of Lustyweb "The Exclusive Story Contest" (ESC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne ESC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat aka discussion thread toh pehle se he Hindi section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 2000 words and maximum 8000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Lustyweb dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki ESC Ki stories ko pure Lustyweb k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.


Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Lustyweb k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.


Entry thread aaj yaani 5th February ko open hogaya hai matlab aap aaj se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 25 February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.


Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Lweb Staff.
 

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