Incest गांव का मौसम ( बड़ा प्यारा )

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और जैसे तैसे करके वह दिन भी आ गया जब मंगल और सूरज दोनों मिलकर दोपहर को नानी को उसे रेलवे स्टेशन ट्रेन पर बिठाने के लिए ले जाने जाने वाले थे,,,,

सुबह का समय सूरज बाथरूम में नहाकर धोती लपेट रहा था और मंगल किचन में खाना बना रही थी,, नानी आंगन में बैठी थी,,,।

( तभीे केवल धोती लपेटकर सूरज बाथरुम से बाहर आ गया,, बाथरुम से बाहर आकर उसकी नजर सीधे सिढ़ीयों के पास खड़ी होकर नानी से बात कर रही मंगल पर पड़ी,,,,, खुले खुले बाल और बालों से टपक रहे पानी की वजह से गीली हो चुकी उसके ब्लाउज मे से साफ साफ नजर आ रही काली रंग की ब्रा की काली पट्टी नजर आ रही थी जो कि गोरे बदन पर और भी ज्यादा जच रही थी,,,, सूरज की नजर मंगल के बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ बराबर घूम रही थी,,, खास करके सूरज अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड को घूर रहा था जिसमें कि बेहद थिऱकन हो रही थी। सूरज से रहा नहीं गया और वह अपने कमरे में जाने की वजाय सीढ़ियों से नीचे उतर कर सीधे अपनी मामी के करीब पहुंच गया,, जोकि बाहर बैठी पर अपनी मा से बातें कर रही थी,,,,

सूरज पीछे से अपनी मामी को अपनी बाहों में भर लिया एक तो पहले से ही अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा था जो कि इस तरह से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा हो गया,,, इस तरह से एकाएक सूरज के द्वारा बाहों में भरने की वजह से मंगल चौंक उठी,,,,

छोड़ मुझे छोड़ पागल हो गया है क्या तू देख नहीं रहा है कि मां बाहर बैठी हुई है। ( अपनी मामी की बात सुनते ही उसका ध्यान नानी पर गया तो वह भी हड बढ़ाते हुए नानी की तरफ देखने लगा नानी रसोईघर के बाहर आंगन में बैठी थी,,,

सूरज ने नानी को देखते ही तुरंत अपनी बाहों के घेरे से अपनी मामी को आजाद करते हुए दूर खड़ा हो गया,,,
मंगल यह देख कर मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए सब्जी चलाने लगी और सब्जी चलाते हुए बोली।

तुझे अभी नशा चढ़ा है।

क्या करूं मामी तीन दिन हो गए ही तुम्हारी चुदाई की नही है और तुम्हारा पिछवाड़ा देख कर मुझसे रहा है जाता न जाने मुझे क्या होने लगता है । देखो तो सही(लंड की तरफ ईशारा करते हुए) मेरी हालत कैसे हुए जा रही है। मुझसे इस समय सब्र करना नामुमकिन सा हूआ जा रहा है।

हां वह तो दिख ही रहा है तेरा तो यही हाल रहता है न जाने मुझ में क्या देख लेता है कि तु अपना सब्र खो बैठता है।

मामी ये तुम्हारी भरावदार बड़ी-बड़ी गांड, जिसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है और फिर तुम्हारी रसीली बुर मे लंड डालके चोदने की तड़प बढ़ जाती है।


तेरी बातों से तो मेरा भी मन बहकने लगा है। ( सब्जी में मसाला डालते हुए)

तभी तो कह रहा हूं कुछ करो ना ताकी हम दोनों का काम बन जाए।

क्या करूं कैसे करूं मा बाहर बैठी हे,,,,

तो फिर कैसे होगा मामी (सूरज के लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था।)

मन तो मेरा भी बहुत करने लगा है,, पर दोपहर तक सब्र करो आज मां अपने गांव जाने वाली है,,, मामी अब सब्र नहीं हो रहा कुछ करो,,,तभी मंगल रुक जा कोई उपाय ढुंड़ती हुं,,
( वह सब्जी चलाते-चलाते उपाय ढूंढने लगी तभी उसके चेहरे पर एक चमक आई और वह बाहर घर के दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाते हुए बोली। )
बाहर बैठी अपनी मां से कहती है,,,

मा उस दिन की तरह आज भी दरवाजा ठीक से बंद नहीं हो रहा है।( दरवाजे को बंद करते हुए)
बेटी फिर से इसे ठीक कर लो ,,
( सूरज की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए आंख मारी सूरज रसोई में छुप कर मामी की सारी हरकत देख रहा था) मैं तो इस दरवाजे से तंग आ गई हूं।
( सूरज अपनी मामी का इशारा पूरी तरह से समझ गया था, उस दिन की तरह आज भी नानी के सामने दरवाजे का बहाना बनाकर अपनी प्यास बुझाने का पूरा जुगाड़ बना चुकी थी। सूरज खुशी से धीरे से अपनी मामी को बाहों में भरते हुए बोला।)

ओहह मामी तुम बहुत अच्छी हो बड़ी शातिर की तरह तुम्हारा दिमाग चलता है।

( मंगल भी सूरज को अपनी बाहों में कसते हुए बोली)

चल अब बिल्कुल भी देर मत कर समय बहुत कम है।
( घर का दरवाजा मंगल ने एक बहाने से बंद कर दी थी ताकि उसकी मां को यही लगेगी दरवाजे में प्रॉब्लम की वजह से बंद किया हुआ है। मंगल का रोमांच बढ़ता जा रहा था क्योंकि आज पहली बार वह इस तरह से संभोग सुख का आनंद उठाने जा रही थी उसके भांजे और नानी के बीच में बस यह दरवाजा ही था। मंगल भी इस रोमांच के चलते की घर में वह अपने भांजे से चुदने जा रही हे जबकि उसकी मां घर के बाहर आंगन में बैठी थी। इतना सोच कर ही वह रोमांचित हुए जा रही थी । सूरज के साथ-साथ मंगल भी पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी,,

सूरज पहले दरवाजे की सिटकनी को थोड़ा नीचे की तरफ सरका के ठीक से देख ले ताकि कुंडी बराबर अंदर जा सके,,

बाहर बैठी नानी अपनी बेटी को दरवाजा ठीक करते देख रही थी,,,
पर उसे क्या पता था दरवाजा ठीक करने के बहाने उसकी बेटी अपने भांजे से चुदने वाली थी,,,

मंगल अपनी मां की तरफ देखते हुए बोली मां तुम थोड़ी देर बाहर ही बैठी रहो तब तक में और सूरज दरवाजा ठीक करते है,,
उसकी मा ने हा में सर हिलाया,,,,
दरवाजा बंद करते ही सूरज ने मंगल को अपने बाहों में भर लिया,,
तभी मंगल के मुंह से आउच निकल गया,,,, तभी बाहर से उसकी मा बोली,,,,

क्या हुआ बेटी ईस तरह से चौकी क्यों?,,,

कककक,,, कुछ नहीं मा चूहा आ गया था,,,, ( तब तक सूरज अपनी मामी की गर्दन को चूमने लगा,,,,)

बेटी है दामाद कहा हैं,,,

दामाद जी भी ठीक है बाहर गए हैं,,,,।( तभी सूरज उत्तेजित होने लगा,,, वह अपनी मामी की गोरी गर्दन को चूमते चूमते अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबोच लिया वह उत्तेजना में इतनी जोर से चुचियों को मसला था कि मंगल के मुंह से फिर से आह निकल गई,,,।)
आहहहहह,,,,

क्या हुआ बेटी तू चीख क्यों रही है,,,,

कुछ नहीं मा वही चुहा है बार-बार परेशान कर रहा है,,,,


यह चूहा भी ना ठीक से हम दोनों को बाते नहीं करने दे रहा है,,,(मंगल दरवाजा ठीक करने के बहाने अपनी मा से भी बात कर रही थी ताकि उसके मां की शक ना हो) अच्छा तो सूरज को बुला लो ना मदत करने के लिए,,,
नहिं मां अभी सूरज सो रहा है में अकेली कर लूंगी,,

( सूरज की हरकतें बढ़ती जा रही थी वहां ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को दबाते दबाते धीरे-धीरे ब्लाउज के बटन भी खोल दिया,,,, मंगल को भी सूरज कि इस तरह की हरकत में बेहद आनंद मिल रहा था वरना उसे वह कब से रोक दी होती,,, सूरज जल्दी से ब्रा की स्ट्रेप को पकड़कर उपर की तरफ कर दिया और अपनी मामी की नंगी चूचियों को हथेली में भर भर कर मसलने लगा,,,।)

( सूरज अपनी हरकतों की वजह से मंगल के बदन मेभी कामाग्नि को भड़काने लगा,,, वह चूचियों को मसलते मसलते एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,
मंगल उसे रोकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसकी बुर में खुजली होने लगी थी,,, और वैसे भी आज घर पर सूरज और उसके सिवा कोई नहीं था,, इसलिए वह सूरज को वह जो करता था उसे करने दे रही थी और साथ में खुद भी मजे ले रही थी,,,।)

( तभी सूरज उत्तेजना की वजह से साड़ी को पूरी तरह से कमर तक चढ़ाकर,,, पेंटिं को साईड में करके अपने एक ऊंगली को बुर के अंदर डाल दिया,,,,)

आहहहहहह,,,,,,, ( मंगल के मुख से फीर से चीख निकल गई,,,।)

अब क्या हुआ बेटी,,,,

क्या बताऊं मा चूहा बार-बार परेशान कर रहा है,,,,।( सूरज के साथ-साथ मंगल भी पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी थी क्योंकि सूरज और जोर से अपनी उंगली को बुऱ के अंदर बाहर कर रहा था,,,, और साथ में अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही गांड की दरार में धंसा रहा था। मंगल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे बहुत मजा आ रहा था खास करके ऐसी अवस्था में अपनी मा से बात करने में उसे अजीब प्रकार की सुख की अनुभूति हो रही थी,,,,। तभी सूरज अपनी धोती भी निकाल फेंका और पूरी तरह से नंगा हो गया,,, नंगे लंड को सूरज साड़ी को और ऊपर की तरफ उठा कर ऊसकी मदमस्त गोरी गांड पर रगड़ने लगा,,, नंगे लंड की रबड़ को अपनी नंगी गांड पर महसुस करके मंगल पीछे की तरफ देखने लगी,,, मंगल की नजर अपने भांजे के खड़े लंबे लंड पर अटकसी गई तभी सामने से उसकी मा बोली,,।)

बेटा इतना परेशान कर रहा है तो उसे पकड़ क्यों नहीं लेती,,,

क्या करूं मा मेरी हिम्मत नहीं हो रही है यह चूहा कुछ ज्यादा ही बड़ा है,,,,।( मंगल मुस्कुराते हुए अपने भांजे के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,।,,, सूरज लगातार अपनी मामी की बुर को अपनी उंगली से पेल रहा था,,) क्या करूं मुझे डर भी लग रहा है क्योंकि इधर-उधर काट ले रहा है,,,।

तो हिम्मत करके पकड़ ले बेटा वरना ज्यादा परेशान करेगा,,,

तुम कहती हो तो मा मैं ट्राय करती हूं,,,,।( इतना कहने के साथ ही मंगल अपना एक हाथ पीछे की तरफ ले जा कर के अपने भांजे के लंड को पकड़ी थी की तभी उसकी गर्माहट महसूस करते ही उसे झट से छोड़ दी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी गरमा गरम नली को छु ली हो,,,)

आऊच्च,,,,,


अब क्या हुआ?

बड़ा चुहा है मा काटने दौड़ता है,,,।

अरे तू कैसी औरत है कितनी हड्डी करती हो कर के एक छोटे से चूहे से डरती है,,,

मा दूर रहकर बातें करने से कुछ नहीं होता अगर आप इधर होती तो आप भी ऊसे नहीं पकड़ पाती इतना बड़ा चूहा, है ।
( सूरज उत्तेजना के परम शिखर तक पहुंच गया था और साथ ही उस शिखर पर अपनी मामी को भी लिए जा रहा था दोनों की हालत खराब हुए जा रही थी,,, मंगल का मन ललच अपने भांजे के लंड को पकड़ने के लिए,,,, इसलिए वह फिर से अपने हाथ को पीछे ले जाकर एक बार फीर से अपने भांजे के लंड को पकड़ लि और उसे आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाने लगी,,,, और उसे मुट्ठीयाते हुए बोली,,,।)

पकड ल़ी हूं मा ,,,

सच बेटी,,,

हां मा बड़ी मुश्किल से पकड़ी हूं,,,

देखना बेटी संभाल कर पकड़ना कहीं तुझे काट ना ले,,

मा काटने की तो बहुत कोशिश कर रहा है लेकिन मैंने इसका मुंह अपनी हथेली में दबोच रखी हूं,,,,

बहुत अच्छे बेटा ऐसे ही पकड़े रहना,,,,
( मंगल अपनी मा से बातें करते हुए अपने भांजे के लंड को पकड़कर और भी ज्यादा गर्मा गई थी,,, ऊसे भी चुदने की खुजली मची हुई थी,,,, दोनों के बदन में कामाग्नि की तपिश बराबर तप रही थी,,, सूरज पूरी तरह से तैयार था अपनी मामी को चोदने के लिए और मंगल भी पूरी तरह से अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदने के लिए तैयार थी,,,, सूरज अपनी मामी को इशारा करके झुकने के लिए कह रहा था ताकी वह अपनी मामी को पीछे से चोद सके,,, लेकिन मंगल झुकने की बजाए अपनी मां से बात करते हुए बोली,,,

रुको मा मैं इसे छोड़ आऊं वरना फिर से परेशान करेगा,,,

हां-बेटी तू जा जल्दी से छोड़ कर आ,,,,,
( मंगल को आज बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था मामी अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए ही सीढ़ीयो की तरफ आगे बढ़ी,, सूरज को समझ पाता इससे पहले ही सीढ़ियों पर बैठकर पीछे की तरफ लेट गई,,, और अपनी दोनों टांगो को फैला कर अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए उसके सुपाड़े को अपनी बुर के मुहाने पर रख दी,,, और अपने भांजे को हाथ से इशारा करते हुए लंड को बुर में डालने के लिए बोली,,,, सूरज एक पल भी गवाए बिना अपनी कमर का दबाव बुर की तरफ बढ़ाने लगा और देखते ही देखते उसका पूरा समुचा लंड बुर में उतर गया,,, जैसे ही उसने देखी थी सूरज का पूरा लंड ऊसकी बुर में समा गया है,,, वह फिर अपने मां से बोली,,,

बोलो मा ,,,,( उत्तेजना की वजह से उसकी आवाज में थोड़ी थरथराहट थी।)

छोड़ दी बेटा,,,

हां मा मैंने उसे इसकी बिल में छोड़ दी,,,

आराम से चला गया ना,,,

हां मा अपने काम से चला गया आखिरकार बिल भी तो उसी ने बनाया था इसलिए तो उसे जाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई,,,,

चलो अच्छा हुआ कि तूने ऊसे रास्ता दिखा दी वरना और ज्यादा परेशान करता,, ।

हां मा खुद भी परेशान हो रहा था और मुझे भी परेशान कर रहा था,,,,( तब तक सूरज अपनी मामी की बुर में लंड को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से मंगल की सांसे उखड़ने लगी थी,,, मंगल लंबी लंबी सांसे भरने लगी और उसकी गहरी सांसों की आवाज सुनकर उसकी मा बोली,,,,।)

क्या हुआ बेटा तुम इतना हाफ क्यों रही है।

कुछ मा और क्या है थोड़ा जल्दी-जल्दी गई थी ना इसलिए आने जाने में सांस चढ़ गई।

तो इतनी जल्दी भी क्या थी आराम से उसे छोड़ दी होती,,,

अरे मा मैं तो आराम से ले जा रही थी लेकिन वह चूहा जल्दबाजी में था अगर जल्दी नहीं करती तो ना जाने कहां का कहां घुस जाता,,,
( सूरज को अपनी मामी की दो अर्थ वाली भाषा को सुनकर बहुत ही आनंद आ रहा था,,,, और अपनी मामी की बात सुनकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित होकर के जोर जोर से धक्के लगा रहा था जिसकी वजह से मंगल की सिसकारी छूट जा रही थी और वह बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू करके उस सिसकारी की आवाज को दबाए हुए थी,,, लेकिन तभी सूरज ने इतनी तीव्र गति से अपने लंड ऊसकी बुर के अंदर बाहर करना शुरू किया कि कितना भी दबाने के बावजूद भी उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकल ही गई,,,,

सससहहहहहह आहहहहहहह,,,,,,

यह केसी आवाज़ थी बेटा तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,
( अब मंगल क्या बोलती उसके मुंह से सिसकारी की आवाज फुट पड़ी थी लेकिन फिर भी बहाना बनाते हुए बोली)

मा जल्दी-जल्दी जाने में मेरा हाथ दीवाल से लग गया और थोड़ा सा छिल गया जिसकी वजह से दर्द होने लगा है,,,।

ज्यादा तो नहीं लगी,,,

नहीं मा ज्यादा नहीं लगी,,,,( मंगल इस तरह से अपने भांजे से चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी उसके हर धक्के के साथ उसकी सांसे उखड़ने लग रही थी,,,

सूरज पूरी तरह से मदहोश हो चुका था। उसके बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी वह मस्ती के साथ अपनी मामी की दोनों नंगी चूचियों को अपनी हथेली में जोर जोर से दबाते हुए,, जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, सूरज के हर धक्के के साथ मंगल का लावा पिघलता जा रहा था। बड़ी मुश्किल से मंगल अपनी सांसो को संभाले हुए थी,,, अपनी गहरी चल रही सांसो को वह अपने काबु में करना चाहती थी लेकिन उससे हो नहीं रहा था,,,,,, तभी उसकी मा बोली,,,

अरे बेटी उमर के साथ मेरी यादस्त बहोत कमजोर हो गई है और तेरे चूहे के चक्कर में मैं तुझे अपनी बात बताना तो भूल ही गई,,,

( मंगल अपनी मा की बात सुन कर कुछ बोल पाती इससे पहले ही सूरज ने इतनी जोर जोर से धक्के लगाना शुरु कर दिया कि उसके मुंह से आखिरकार सिसकारी की आवाज फुट ही पड़ी,,,।,,,,

ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहह,,,,,,


यह कैसी आवाज़ है बेटी,,, तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,,?

कुछ नहीं मा जल्दी-जल्दी आने जाने की वजह से मेरी सांसे भारी हो चली थी,,,,

अरे तो इसमें जल्दी करने वाली क्या बात है आराम से ले जा कर के छोड़ती तू,,,,

मैं तो आराम से ही ले जा रही थी मामी लेकिन चूहे को जल्दबाजी मची हुई थी इसलिए जल्दी करना पड़ा,,,,

अच्छा पहले तू जा करके पानी पी ले,,,

मा बस निकलने ही वाला है,,,,( मंगलके मुंह से ऊत्तेजना के कारण एकाएक निकल पड़ा और वह अपनी गलती को जानकर अपने ही जीभ को अपने दांत से दबा ली,,, )

क्या निकलने वाला है यह तू क्या कह रही है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,


ऐसी कोई भी बात नहीं है मा लेकिन आप कौनसी असली बात बताना चाह रहीे थी,,,

अरे वही बात बताने के लिए तो मैं यहा गांव आइ थी, बेटी तेरे छोटे भाई की शादी तय हो गई है,,, आज से १० दिन बाद की तारीख रखी हुई है,,,,

अरे वाह मा यह तो तुमने बहुत ही अच्छी खबर सुनाई,,,पर इतनी अच्छी कबर इतनी देर से क्यों सुना रही हो,,,
बेटी बुढ़ापे की वजह से कुछ याद नहीं रहता,,, ठीक है मां में समझ सकती हू,,

( तभी सूरज २,४ धक्के और बड़ी तेजी से लगा दिया,,,)


आहहहह आहहहहह,,,,

अरे यह कैसी आवाजें तू निकाल रही है,,,,

कुछ नहीं मा खुशी की वजह से वाह-वाह कह रही थी,,,,

तुझे जल्दी आना है कोई बहाना नहीं चलेगा आखिर मेरे छोटे भाई की शादी है पहले आएगी तभी ना रंगत जमेगी,,,

कोई बात नहीं मा मैं पहले आ जाऊंगी,,,
( कभी सूरज अपनी चरम शिखर की तरफ पहुंचते हुए जोर जोर से धक्के लगा कर चोदने लगा,,,, और दो चार धक्कों के बाद ही झड़ गया,,, साथ में मंगल भी अपना मदन रस छोड़ दी,,, जैसे ही उसे महसूस हुआ कि सूरज के लंड नें पिचकारी छोड़ दिया है,,,, तभी राहत की सांस लेते हुए उसके मुंह से निकल गया,,,,।)

हो गया,,,

क्या हो गया,,,
दरवाजा ठीक करके हो गया,,

अच्छा ठीक है चल दरवाजा खोल दे मुझे अभी नहाने जाना है,,

( दोनो के बीच बातें चल ही रही थी की सूरज मंगल के ऊपर से उठ कर खड़ा हो गया मंगल भी अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली,,,।)


मंगलमन ही मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे गांव जाना था बहुत साल बाद उसे अपने गांव जाना था,,,, अक्सर वह गांव कभी कबार ही जा पाती थी जब कभी सादी विवाह का अवसर आता था तब,,,,,, और अब अवसर आया था कि जब उसे गांव जाना पड़ रहा था,,, ऐसे तो वह बहुत खुश थी लेकिन तभी उसे इस बात का ख्याल हुआ कि यहां तो वह जब जाती थी तब अपने बदन की प्यास अपने ही भांजे से बुझवा लेती थी,, लेकिन यह दूसरे गांव में कैसे मुमकिन होगा क्योंकि वहां तो पूरा परिवार इकट्ठा रहता है,,,, यह ख्याल आते ही वह चिंतित हो गई लेकिन फिर कभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि इधर रह कर भी कभी कभार उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिलता था लेकिन उसका भांजा कैसे भी करके चोदने का जुगाड़ बना ही लेता था तो उधर भी वह कोई ना कोई जुगाड़ जरूर बना लेगा यह ख्याल आते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई,,,, तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि सूरज के लंड से निकला सारा माल धीरे-धीरे करके उसकी बुर से नीचे टपक रहा था जोंकि उसकी जांघों को भिगो रहा था,,,, वह कुछ देर पहले के पल को याद करके संतुष्ट होने लगी आज पहला मौका था कि जब वह अपनी मा से बात करते हुए अपने ही भांजे से चुदवा रही थी,,,, जिसका एहसास बेहद सुखद था,,,,। मंगल को अपनी बदली हुई जिंदगी पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था बहुत बिल्कुल भी यकीन नहीं कर पा रही थी कि वह पहले वाली ही मंगल है क्योंकि हमेशा पर्दे में रहती थी और किसी भी प्रकार की अश्लील बातों से या ऐसे कोई कर्म जिससे खुद की और खानदान की बदनामी हो कोसों दूर रहा करती थी लेकिन अब उसमें इतना ज्यादा बदलाव आ गया है कि,,,, वह खुद अपने आप पर विश्वास नहीं कर पा रही थीे कि वह वही मंगल है,, जो अब घर में अपने ही भांजे से चुदकर एकदम संतुष्ट होती आ रही थी,,, और वह भी चोरी छिपे एकदम बेशर्मों की तरह,,,, मंगल मुस्कुराते जल्दी बाथरूम की ओर चल दी क्योंकि उसे अपनेी बुर को धोकर साफ करना था,,,।
कुछ देर बाद वह बाथरुम से बाहर और दरवाजा खोलने बाहर चली गई,, आई तब तक सूरज तैयार हो चुका था मंगल बेहद खुश थी,,,,
दरवाजा खोलते ही मंगल अपने मां से कहती हे,,,

अब देख इसकी कड़ी बिल्कुल सटीक अंदर बाहर हो रही है अब बराबर हो गया है,,

बेटी दरवाजा ठीक हो गया।

हां बेटा अब दरवाजा बिल्कुल ठीक हो गया है (इतना कहने के साथ ही सूरज बाहर आ रहा था तो मंगल सूरज की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी)

दरवाजा ठीक करने के बहाने दोनों ने अपनी के उपस्थित होने के बावजूद भी अपनी काम प्यास को बुझाने में सफल रहे।
मंगल की मां नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चली गई,,
तभी मंगल सूरज से कहती हे,,

मैं तुझे एक बात तो बताना भूल ही गई,,,, जब तुम मुझे मां से बात करते हुए चोद रहा था,, तब तुम्हारा ध्यान हमारी बातो पर नहीं था,,, तुझे पता है मेरे छोटे भाई की शादी फिक्स हो गई है और हमें अगले हफ्ते ही गांव जाना है,,,

वाहहहह मामी तुमने तो मुझे बहुत अच्छी खबर सुनाई मुझे भी गांव जाने में बहुत मजा आता है,,,

लेकिन एक बात की टेंशन है,,,

टेंशन किस बात की टेंशन,,,

अरे सूरज यहां पर तो हम दोनों को यह सब करने के लिए मौका मिल ही जाता है लेकिन वहां पूरा परिवार होगा वहां कैसे मौका मिलेगा और मुझे तो जब तक तेरा लंड नहीं ले लुं तब तक मुझे चैन की नींद नहीं आती,,,,

कोई बात नहीं मामी तुम फिकर मत करो वहां भी मैं कोई ना कोई जुगाड़ ढूंढ ही लूंगा,,,

मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है (मंगल मुस्कुराते हुए बोली)

दोपहर को सूरज और मंगल बैलगाड़ी निकलकर अपनी मां को छोड़ने के लिए स्टेशन की तरफ निकल पड़े,,,
सूरज तो खुश था ही उसकी मामी और भी ज्यादा खुश थी।,,, प्लेटफॉर्म पर थोड़ी ही देर में ट्रेन आ गई और मंगल ने अपनी मा को ट्रेन में बिठा कर उन से विदा कर दिया,,,
 
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यह पल उनके लिए बेहद खुशी का पल था इस पल के लिए वह दोनों ना जाने कितने समय से इंतजार कर रहे थे। दोनों को अब खुला दौर मिल चुका था एक दूसरे में समाने के लिए सूरज और मंगल रेलवे स्टेशन से वापस लौटते समय बैलगाड़ी में बैठे बैठे एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे,,,, सूरज बहुत खुश था क्योंकि आज उसकी प्यास दुबारा बुझने वाली थी,,,
शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था मंगल को अच्छी तरह से मालूम था कि बिलास तीन-चार दिनों के लिए बाहर गया हुआ है और घर पर उसके और सूरज के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था,,,, मंगल के मन में ढेर सारी भावनाएं जन्म ले रही थी और वह सारी भावनाएं शारीरिक सुख से जुड़ी हुई थी,,,,, उसे वह दिन याद आने लगा जब वह शादी करके नई-नई घर में आई थी,,,, उस समय उसका पति बिलास उसे बेहद प्यार करता था खासकर के बिस्तर पर,,,, शादी से पहले भी मंगल को जुदाई के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था अपनी सहेलियों के मुंह से एकाद दो बार वह चुदाई की बातें सुन चुकी थी,,, लेकिन वह संभोग को शारीरिक नहीं जानती थी शादी होने के पश्चात जब वह अपने ससुराल आई तो उसका पति बिलास उस से बेहद खुश था वह हर तरह की सुख मंगल को देने लगा बिस्तर में मंगल को वह कभी भी कपड़े पहनने नहीं देता था,,, अक्सर जब वह बिलास के साथ कमरे में होती थी तो वह संपूर्ण रूप से वस्त्र विहीन एकदम नंगी ही होती थी। अशोक उसे कपड़े पहनने ही नहीं देता था हालांकि वह कपड़े खुद अपने ही हाथों से उतारकर मंगल को पूरी नंगी कर देता था,,, वैसे भी औरत से प्यार करने का यही एक उत्तम तरीका भी था जब तक औरत के बदन से संपूर्ण रूप से कपड़े अलग नहीं हो जाते तब तक उसके सौंदर्य रस का पान ठीक तरह से नहीं किया जा सकता। एक पति को उसकी पत्नी या एक मर्द को एक औरत बिस्तर में संपूर्ण तरह से नंगी ही भाती है। शुरु शुरु में मंगल के लिए यह एक अजीब सी बात लगती थी उसे अपने पति पर गुस्सा भी आता था लेकिन जब वह मंगल को नंगी करने के बाद अपनी बाहों में जकड़ता था,,, तो मंगल का सारा गुस्सा सारा विरोध हवा में फुर्र हो जाता था। आखिरकार वह भी तो थी एक औरत ही उसके भी बदन के कुछ जरूरते थी कुछ चाहती थी,,,। उस समय वह अपने पति की हर हरकत को दिल से स्वीकार कर लेती थी बिलास उसके चुचियों को मुंह में भर कर चूसने के साथ-साथ दांतों से काट भी लेता था जगह-जगह दांत गड़ा देता था लेकिन यह सब मंगल को उस समय बेहद आनंददायक लगता था,,,, मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि एक मर्द को औरत को इस तरह से प्यार करता है। उसकी सहेलियों से जो बात है वह सुनती थी उससे उसे बस इतना ही ज्ञान था कि मर्द अपने लंड को जो कि वह लंड शब्द को कभी भी खुले शब्दों में अपनी जबान पर नहीं आने दी थी,,,, मर्द अपने लंड को औरत की बुर में डालकर अंदर बाहर करते हुए उसे चोदता है बस इतना ही,,,
मंगल को संभोग के अध्याय में ज्ञान था। लेकिन जब ऊसका वास्तविकता से सामना हुआ तो उसके मन की सारी धारणाएं धरी की धरी रह गई ऐसा नहीं था कि अपनी धारणाओं को गलत साबित होता देख कर उसे दुख पहुंचा हो,,, बल्कि मर्द द्वारा इस तरह किए जाने वाले प्रेम से तो वह एकदम से आनंदित हो उठी,,,, उसकी सांस चलना बंद हो गई थी जिस समय उसके पति ने अपने होठो को उसकी बुर की गुलाबी पंखुड़ियां से सटाया था,,,,। मंगल को,, उस समय तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ कि वह सपना देख रही है या हकीकत है,, उसका संपूर्ण बदन इस तरह से गनगना रहा था कि मानो उसे बिजली के झटके लग रहे हो,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका पति अपनी जीभ को उस स्थान पर इतनी गहराई तक उतार देगा कि जहां तक उसने उसकी कल्पना भी नहीं की थी,,,, एक पल तो उसे अपने पति द्वारा इस तरह की हरकत करने पर बुरा लगने लगा कि इतनी गंदी जगह पर वह अपनी जीभ अपने होंठ लगाकर कैसे चाट सकता है,,,, लेकिन अगले ही पल जीभ के द्वारा बुर कीे गुलाबी पंखुड़ियों पर उसके पति के जीभ की थपथपाहट उसके बदन में उत्तेजना की लहर भर दी,,, मंगल उससे में उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुकी थी और मात्र अपने पति के जीभ से ही वह इतना जबरदस्त पानी छोड़ने लगी कि बिलास यह देखकर एकदम से हैरान हो गया,,,, पहली बार में ही वह अनगिनत अत्यधिक स्खलन होकर वह एकदम से मस्त हो गई,,,,, उसी में यकीन नहीं हो पा रहा था की औरत के जीवन में इस तरह का भी सुख होता है। लेकिन अगले ही पल जब उसके पति ने अपने लंड को उसके मुंह में डालकर उसे चूसने के लिए बोला तो वह मारे गिन्न के उल्टी कर दी,,,
शायद औरतों को पहली बार ऐसा पसंद नहीं होता यह सोच कर बिलास ने उससे मैं उसे कुछ नहीं बोला था और अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर पहली बार उसे चुदाई के सुख से मुखातिब किया था। मंगल भी अपनी जिंदगी में पहली बार अपनी बुर में लंड को ले रही थी इसलिए उसकी भी उत्तेजना और उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ चुकी थी,,,,
इसलिए वह मस्त होकर अपने पति से चुदवा रही थी और ऐसा लगभग एकाद साल तक चला,,,, लेकिन इन सालों के दरमियान उसने कभी भी अपने पति के लंड को मुंह में लेकर नहीं चूसी,,

धीरे-धीरे बिलास को इस बात का ज्ञान हो गया कि उसकी पत्नी मंगल कभी भी जैसा वह चाहता है उस तरह से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चुसेगी,,,,। बिस्तर में वह अपनी पत्नी से जिस तरह का सहकार की कामना रखता था उस तरह का सहकार वह नहीं दे पाती थी। इस बात को लेकर दोनों में कहासुनी भी हो जाती थी। बिलास जैसा चाहता था वैसा करने में मंगल कोई एतराज नहीं था लेकिन वह जिस माहौल में पली बढ़ी हुई थी,,, संस्कार और मर्यादा का पालन करना उसके धर्म में निहित था,,,, वह अपने संस्कार से परे नहीं जा सकती थी एक तरह से संस्कार की मर्यादा में वह बंध़ी हुई थी,,,, ऐसे में वह अपने पति के लिंग को मुंह में लेकर मुखमैथुन नहीं कर सकती थी और ना ही दूसरी औरतो की तरह खुलकर बिस्तर पर अपना जलवा दिखा सकती थीै,,, ईस तरह से मंगल अपने संस्कार की वजह से खुल नहीं पाती थी उसे बेहद शर्म सी महसूस होती थी और वही बात बिलास को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।
बिस्तर में मंगल अपनी तरफ से कोई भी हरकत नहीं कर पाती थी और ना ही करने को तैयार थी लेकिन बिलास द्वारा की गई सारी हरकत उसे बेहद आनंदित कर देती थी।
इसी वजह को लेकर धीरे-धीरे बिलास का प्यार मंगल के लिए कम होता गया और जब सूरज का जन्म हुआ तब से तो बिलास लगभग उससे दूर ही रहने लगा,,, वह मंगल के पास अभी आता था जब उसे उसकी जरूरत पड़ती थी और अपना काम निपटाकर करवट लेकर फिर सो जाता था,,, बरसों से इसी प्रकार का दुख झेल रही मंगल के जीवन में सूरज की वजह से एक बार फिर से हरियाली आई थी,,, अपने पति के लंड को मुंह में लेने से उसे गिन्न आती थी,, लेकिन जब से वह अपने भांजे के लंड को देखी थी उसके लंड से चुदी थी तब से वह अपने भांजे के लंड को मुंह में लेने के लिए आतुर थी लेकिन अभी भी ऐसा कोई मौका नहीं मिला था कि वह अपने भांजे के लंड को मुंह में ले सके अब तक तो सिर्फ बुर के अंदर डालना और निकालना ही लगा हुआ था,,,
जिस तरह से उसका पति पहली बार उसकी बुर पर अपने होठ रखकर और जीभ को अंदर डालकर उसे चाटा था,,, और उस समय जिस प्रकार का उसे आनंद मिला था उसी प्रकार के आनंद के लिए तड़प रही थी वह भी है चाहती थी कि उसका भांजा भी उसकी बुर पर अपने होठ रखें उसे अपनी जीभ से चाटे,,, उसकी बुर से बेहद प्यार करे उसे मस्त कर दे और ऐसा मौका उसे आज ही मिला था आज वह अपने भांजे के साथ खुलकर मस्ती करना चाहती थी। घर पर उसे कोई रोकने वाला नहीं था कोई टोकने वाला नहीं था,,,, वह बहुत खुश नजर आ रही थी और यही सोचते हुए वह धीरे-धीरे बैलगाड़ी चलाते hहुए अपने घर की तरफ बढ़ती चल रहे थे, कि तभी एक हलवाई के आगे सूरज को बैलगाड़ी रोकने को बोली,,,


क्या हुआ मामी यहां बैलगाड़ी क्यों रोकने को बोला,,,।

सूरज अब घर पर चलकर कौन खाना बनाएं इस से अच्छा है कि मैं यही से कुछ खाने के लिए ले लेती हूं,,,

ठीक है मामी मैं यहीं इंतजार करता हूं आप लेकर आओ,,
( मंगल दुकान की तरफ जाने लगी और सूरज बैलगाड़ी में बैठे बैठे अपनी मामी को जाते हुए देख रहा था मंगल सीढ़ियां चढ़ते हुए आगे बढ़ रही थी और मैं जिस तरह से सीढ़ियां चढ़ रही थी साड़ी के अंदर उसकी भरावदार गांड की लचक कुछ ज्यादा ही कामुक लग रही थी,,, मंगल की मटकती हुई गांड को देख कर सूरज का लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया,,, वह तब तक अपनी मामी को देखता रहा जब तक वह दुकान में दाखिल नहीं हो गई,,,, वह मन ही मन सोच लिया था कि आज घर पहुंचते ही अपनी मामी की मस्त गांड से जी भर के खेलेगा,,,, थोड़ी ही देर बाद हाथों में खाने का सामान लेकर वहां दुकान से बाहर निकलती हुई नजर आई,,,,
और दोनों बैलगाड़ी में बैठकर अपने घर की तरफ जाने लगे,,, दोनों को घर पर जल्दी पहुंचने का इंतजार था,,,,,

थोड़ी ही देर बाद सूरज ने बैलगाड़ी घर के पास आकर खड़ी हुई और सूरज एक पल की भी देरी किए बिना बैलगाड़ी से नीचे उतर कर जल्दी से जोपाड़ी का दरवाजा खोल दीया। बैलों को खोलकर उन्हें खूटे से बांध कर चारा डालकर दरवाजा बंद कर बाहर आ गया,,,
मंगल जल्दबाजी में थैली में से घर के ताले की चाबी निकलते समय उसकी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिर गया और उसके दोनों बड़े बड़े खरबूजे सूरज की आंखों के सामने अपना नृत्य दिखाने लगे,,, मंगल लो छोटा ब्लाउज पहन रखी थी इसलिए दोनों खरबूजे ऐसा लग रहा था कि अभी ब्लाऊज से कूदकर बाहर आ जाएंगे,,, सुरज से रहा नही गया और वह हांथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही चुचियों को दबा दिया,,,,

आाऊच्च,,,, क्या कर रहा है दरवाजे को खोलने दे तुझसे तो जरा भी सब्र नहीं होता,,,( इतना कहते हुए वह दरवाजे का ताला खोलने लगी,,) अरे मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं,,,,
( दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश करते हुए) अब तो दिन भी अपना है और रात भी अपनी है,,,,


क्या करूं मामी तुम्हारी चुचियों है इतनी खूबसूरत और बड़ी-बड़ी कि इन्हें देखते ही दबाने का मन करने लगता है।
( सूरज की बात सुनकर मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए दरवाजा बंद करके)
दबाने का मन करता है तो दवा भी लेना और पी भी लेना लेकिन आराम से इतना कि जल्दबाजी दिखाएगा तो ना तो तू ही ठीक से मजा ले पाएगा ओर ना मैं ही,,,, चल अब जल्दी से हाथ मुंह धो कर तरोताजा हो जाते हैं भूख भी बहुत लगी है,,,,
( इतना कहकर वह दोनों हाथ पैर धोने चले गए और थोड़ी ही देर में दोनों रसोई में जमीन पर आकर बैठ गए,, जमीन पर मंगल और सूरज दोनों आमने सामने बैठे हुए थे।
मंगल दुकान से लाई खाने हथेली को खोलने लगी और उसमें से समोसे और कचोरी बाहर निकाल कर प्लेट में रखने लगी तभी सूरज पास में ही रखें सेव के प्लेट मैसे एक सेव निकाल कर खाने लगा यह देख कर मंगल मुस्कुराते हुए बोली,,,

लगता है तुझे सेव काफी पसंद है,,,,

हां मामी से वो तो मुझे बहुत पसंद है लेकिन इन छोटे-छोटे से उसे मेरा मन नहीं भरता जब से मैंने तुम्हारे खरबूजों का स्वाद चखा हूं तबसे उनके सामने यह सेव भी फीकी पड़ने लगी हैं ।

( मंगल खाना परोस चुकी थी और मुस्कुराते हुए सेव के बगल में पड़े केले के गुच्छों में से एक केला तोड़कर उसे छीलने लगी,,, और छिलने के बाद ऊसे मुंह मे डालते हुए बोली,,,)

मुझे तो केला पसंद है,,,
( अपनी मामी की यह बात सुनते ही वह तपाक से बोला)


किसका?

तेरा और किसका,,,, मेरा अब इन छोटे-छोटे केलों से मन नहीं भरता,,,, छोटे केले कब अंदर जाकर कब खत्म हो जाते हैं इस बात का पता ही नहीं चलता लंबा केला होता है तो इसका एहसास होता रहता है कि तुमने कुछ खाया है,,,
( मंगल की बात सुनकर सूरज को बहुत मजा आ रहा था वह फिर बोला,,,।)

उस छोटे से पहले से क्यों पेट भर रही होै तुम्हारे सामने बड़ा बड़ा केला पड़ा है।,,,

वह केला भी खाऊंगी लेकिन समय आने और इत्मीनान से,,,


लेकिन मामी मेरा केला तो पूरी तरह से तैयार हो चुका है,,,

तू अब बहुत शैतान हो गया है,, मुझसे इस तरह की बातें करने में तुझे शर्म नहीं आती,,

नहीं पहले आती थी लेकिन अब तो बिल्कुल नहीं आती,,, तुम्हें आती है क्या,,,?

हां मुझे तो आती है,,,, (मंगल मुस्कुराते हुए प्लेट को सूरज की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,।)

अच्छा,,,,,, जब अपनी दोनो टांगे फैलाकर मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाती हो तब तो नहीं आती,,,
( सूरज की इस बात पर वह उसे आंखें तैर्ते हुए देख कर बोली,,,)

हां,,, तब नहीं आती,,,
( इस तरह की अश्लील बातें करने में दोनों को बेहद मजा आ रहा था बल्कि मंगल तो मैं तो कभी सोची नहीं थी कि उसका भांजा या वह खुद ही इस तरह की बातें आपस में करेंगे लेकिन,, हालात और माहौल और दोनों के बीच का रिश्ता ही इस तरह का कुछ हो गया था,,की इस तरह की अश्लील बातें आपस में करना दोनों के लिए एकदम सहज होने लगा था।
और दोनों को इस तरह की अश्लील गंदी बातें करने में बेहद आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी। और इस तरह की बातें आपस में करना दोनों के लिए अच्छी बात भी थी। क्योंकि जिस तरह से मंगल अपने भांजे के साथ खुलकर मजा करना चाहती थी उसके लिए आपस में बातचीत के दौरान इतना खुलना उचित था। मंगल और सूरज दोनों एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुरा भी रहे थे और खा भी रहे थे,,। मंगल खाना खाते समय मन-ही-मन इरादा बना चुकी थी कि आज की रात वह अपने भांजे को अपनी रसीली बुर का स्वाद चखा कर ही रहेगी,,। वह आज पूरी तरह से अपनी भांजे के साथ मजा लेना चाहती थी अपने पति के लंड को मुंह में लेने से गिन्न का अनुभव करने वाली मंगल मन ही मन यह भी ईरादा बना रही थी कि आज वहां अपने भांजे के खड़े मोटे और लंबे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस कर देखेगी कि क्या सच में औरतों को लंड चूसने में आनंद की अनुभूति होती है।
कैसा लगता होगा जब मोटा लंड मुंह में जाता होगा वह कैसे हरकत करेंगी जब सच में वह अपने भांजे के मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर लॉलीपोप की तरह चुसेगी,,,, खाना खाते समय यह सब सोचकर उस की उत्सुकता और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी और साथ ही इस तरह के मादक ख्यालात की वजह से,,, उस की रसीली बुर से नमकीन रस का स्राव हो रहा था। जिसको वह साफ-साफ महसूस कर पा रही थी हर निवाले के साथ उसके बदन में उत्सुकता के साथ-साथ कामोत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी,,, वह लगातार अपने भांजे की तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और उसकी मुस्कुराहट में कामुकता छलक रही थी। अपनी मामी की एक सीमा तक मुस्कुराहट को देखकर सूरज की ऊत्तेजना बढ़ने लगी थी जिसका सीधा असर उसके धोती में हो रहा था। जिसे वह बार-बार दूसरे हाथ से एडजस्ट कर ले रहा था और इस हरकत को मंगल भी बखूबी पहचान रही थी। मंगल से अपने भांजे का इस तरह से कसमसानाऔर उत्तेजित होना देखा नहीं गया और वह बोली,,,।

लगता है तुम्हें केला खिलाने का मन कर रहा है,,,,

हां मामी और वह भी पूरा,,,( इतना कहने के साथ ही वह अपने एक पेऱ को आगे बढ़ाकर अपनी मामी के पैरों की एड़ियां से रगड़ने लगा,,,, सूरज पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डुबकी लगा रहा था और उसका साथ उसकी मामी बराबर दे रही थी क्योंकि वह भी दूसरे पर से सूरज के पैर को रगड़ना शुरू कर दी,,, दोनों बेहद उत्तेजित नजर आ रहे थे,,,


क्या मैं तेरा केला पूरा खा पाऊंगी,,,,,


खां जाओगीे और पूरा पेट भर के खाओगी,,,, ( सूरज निवाला मुंह में डालते हुए बोला)


तुझे शायद पता नहीं जब मैं पहली बार तेरे मोटे लंबे लंड को देखेगी तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह तेरा लंड है,,
( मंगल इतना कहने के साथ ही पानी का गिलास लेकर उसे पीने लगी,,)


तुम्हें ऐसा क्यों लगा था मामी,,,


क्योंकि तेरे मामा का लंड तेरे से पतला और तेरे लंड की लंबाई से आधा ही होगा,,,,,( मंगल अफसोस जताते हुए बोली)

तब तो मामी सच में तुम्हें कभी भी मजा नहीं आता होगा,,


हां ऐसा ही है लेकिन तब मुझे संतुष्टि थी मुझे यह नहीं पता था ना कि लंड इतना बड़ा भी होता है क्योंकि मैंने तो अपनी जिंदगी में तो तेरे मामा का हीं देखी थी,,,,,।


सिर्फ मामा का तुम सच कह रही हो मामी,,,,


हां रे मैं बिल्कुल सच कह रही हूं लेकिन तू ऐसा क्यों पूछ रहा है,,,।

नहीं बस ऐसे ही,,,( वह बात को बदलते हुए दूसरा निवाला मुंह में डालने लगा,,)

नहीं तू ऐसे ही नहीं पूछ रहा है कुछ तो बात है,,,। ( मंगल आशंका जताते हुए बोली वह कुछ कुछ समझ रही थी कि वह क्या कहना चाह रहा है लेकिन वह खुद उसके मुंह से सुनना चाहती थी।)

नहीं मामी ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो बस यूं ही पूछ लिया था।


नहीं मैं मान ही नहीं सकती तेरे मन में जरूर कुछ आया है तभी तू मुझसे यह पूछ रहा है,,, देखा सच सच बता दे तेरे और मेरे बीच में कोई भी ऐसी बात नहीं होनी चाहिए कि तु मुझसे ना कर सके और मैं तुझसे कुछ ना कह सकु अब तो हम दोनों के बीच कुछ भी छुपा नहीं रहना चाहिए तेरे मन में जो आए वह मुझे बोल सकता है इसलिए डर मत और बोल दे,,,।
( मंगल सूरज के मन से डर निकाल रही थी वह जानती थी कि सूरज जरूर ऐसा कुछ बोलने वाला है जिसे बोलने में उसे शर्म महसूस हो रही है या तो वह डर रहा है,,, इसलिए तो उसकी बात सुनने की उत्सुकता मंगल के मन में भी बढ़ती जा रही थी,,, अपनी मामी से इस तरह के तसल्ली भरे शब्द सुनकर उसके मन का डर निकलने लगा और वह भी अपने मन की बात बताते हुए बोला।)

मामी मैं बताता हूं लेकिन तुम गुस्सा मत करना मेरे मन में बस यूं ही आ गया था,,,।

सूरज तू बिल्कुल चिंता मत करो अब हम दोनों के बीच कुछ भी छुपाने जैसा नहीं है इसलिए तू बिंदास बोल,,,
( इतना बोलते हुए मंगल ने आखिरी में वाला भी अपने मुंह में डालकर उसे चलाने लगी लगभग दोनों ने खाना खा चुके थे,,, सूरज खाना खाकर पानी पीते हुए बोला,,,।)

मामी तुम इतनी ज्यादा खूबसूरत हो कामुक हो तुम्हारा बदन एकदम खूबसूरत है,,( अपने भांजे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर मंगल मुस्कुरा रही थी) तुम इस उम्र में भी इतनी ज्यादा कामुक और खूबसूरत लगती हो तो अपने गांव के दिनों में तो तुम और भी ज्यादा खूबसूरत लगती होगी,,,


हां लेकिन तेरे कहने का मतलब क्या है,,


मेरा मतलब यही है कि जब तुम्हें देखकर मेरा मन मचलने लगता है तब तो उस समय तुम्हारे साथ में गांव में रहने वाले लड़कों की तो हालत खराब हो जाती होगी जरूर वह तुम्हारे पीछे पड़े होंगे,,,,
( सूरज की यह बात सुनकर उसके चेहरे की रौनक बढ़ने लगी क्योंकि वह जो भी कह रहा था वह बिल्कुल सच था वह अपनी जवानी के दिनों में और भी ज्यादा कामुक लगती थी और लड़के भी उसके पीछे अक्सर घूमते रहते थे लेकिन वह सूरज के मुंह से असली बात जानना चाहती थी जोंकि वह गोल गोल घुमा रहा था।)

हां सूरज जो तू कह रहा है वह बिल्कुल सच है लड़के अक्सर मेरे आगे पीछे घूमा करते थे लेकिन तू कहना क्या चाहता है।


मामी मैं यही कहना चाहता हूं कि गांव में तुम्हारा कोई लड़का दोस्त होगा,,,,
तुम्हें,,,मेरा मतलब है,,,,


तू इतने पर ही अटके रहेगा या आगे भी कुछ बोलेगा मैं तुझसे पहले भी कह चुकी हूं कि तू डर मत बोल दे जो बोलना है,,,
( मंगल अपने भांजे के मुंह से सुनना चाहती थी लेकिन वह हड़बड़ा रहा था इसलिए उसकी हड़बड़ाहट दूर करने के लिए वह उसका हौसला बढ़ाने लगी,,।)

मामी मैं यह कह रहा था कि तुम्हारा दोस्त है तो तुम्हारी चुदाई जरूर की होगी,,,, और तुम उसका लंड जरूर देखी होगी,,,,,

( इतना सुनते ही मंगल जोर-जोर से हंसने लगी सूरज को क्या समझ में नहीं आया कि आपकी बात सुनकर उसकी मामीक्यों हंस रही है,,, आश्चर्य और उत्सुकता से अपनी मामी की तरफ देख रहा था तभी वह हंसते हुए बोली,,,,।)

मुझे मालूम था कि तेरे मन में यही खुराफाती शैतानी ख्यालात चल रहा है।,,,, ऐसा कुछ भी नहीं है मैं जानती हूं कि बहुत लोगों के दिमाग में यही सब ख्याल आता है।,, ऐसा नहीं है कि, मेरे पीछे लड़के ना पड़े हो लगभग गांव के सभी लड़के मेरे पीछे पड़े थे लेकिन,, उनमें से किसी को भी मैंने अपनी करीब नहीं आने दी,,,, इसलिए तो मैं जो कह रही हूं आप बिल्कुल सही है,,, मैं अपने जीवन में सिर्फ दो लोगों के ही लंड को देख चुकी हूं। तेरे मामा का और तेरा,,,।
( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे दोनों खाना खा चुके थे,,,, तभी मंगल बर्तन को समेटते हुए बोली,,,)

बस अब मुझे यूं बातों में वक्त जाया नहीं करना है और यह बर्तन में सुबह साफ कर लूंगी,,, मैं अपने कमरे में जा रही हुं तु जल्दी आ जाना।
( इतना कहकर वह अपने कमरे की तरफ चल दी)

मंगल जा चुकी थी सूरज कुछ देर तक वहीं बैठा रहा और खुद देख कर और अपनी मामी के बीच हुई गंदी बातों के बारे में सोचता रहा,,,। वह मन ही मन सोचने लगा कि उसकी मामी पूरी तरह से बदल चुकी है वाह पहले कभी भी अपनी मामी के मुंह से इस तरह के अश्लील शब्दों को भूल से भी नहीं सुना था लेकिन अब तो वह खुले तौर पर उससे खुलकर बातें कर रही थी। लेकिन वह अपनी मामी के इस व्यवहार और रवैये से बेहद खुश और आनंदित था । क्योंकि वह तो खुद ही अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था और उसे ऊसकी जवानी को मांजने का पूरा साधन उसे मिल चुका था। सूरज के नजरिए में मंगल अब उसकी मामी नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवानी से भरपूर मदमस्त बदन वाली औरत थी। जिसे पाने के लिए गांव के सारे मर्द हमेशा लालायित रहते हैं और तो और खुद उसके दोस्त भी उसकी मामी को भोगने की कल्पना करके ना जाने कितनी बार अपने ही हाथों से अपना लंड हिलाकर पानी भी निकाल चुके हैं। सूरज की आंखों के सामने हमेशा उसकी मामी का खूबसूरत बदन किसी बेहद स्वादिष्ट पकवानों से भरी हुई थाली के समान घूमती रहती थी। वह मंगल को पूरी तरह से प्राप्त कर चुका था,,, उसके बेहद खूबसूरत बदन को भाग चुका था लेकिन फिर भी मंगल के बदन की कशिश इतनी गहरी थी कि,,, सूरज को सोते जागते उठते बैठते हमेशा उसकी आंखों के सामने मंगल के खूबसूरत बदन की झलक नजर आती रहती थी। मंगल के खूबसूरत बदन के हर एक अंग के बारे में सोचते हुए सूरज घंटों गुजार देता था,,,। सूरज की किस्मत जोरों पर थी तभी तो मंगल खुद आगे चलकर उसके साथ बिना किसी दबाव के बिना जोर जबरदस्ती के उसके साथ संबंध बनाई थी,,,। और दोनों के बीच का यह शारीरिक संबंध पूरी तरह से गहरा हो चुका था लेकिन अभी तक दोनों,,, सिर्फ किनारे पर तेर कर ही मजा ले रहे थे अभी तो उन दोनों को समुद्र के बीचो-बीच जाकर असली तैराकी का मजा लेना बाकी था,,, मंगल की खूबसूरत बदन की बाल्टी जवानी के रस से एकदम छलक रही थी जिसमें से सूरज के ऊपर तो मात्र कुछ छींटें ही पड़े थे। मंगल की जवानी के रस में पूरी तरह से सूरज को अभी भीगना बाकी था। और भीगने का सही समय आ चुका था।,,,, कमरे के अंदर उसके सपनों की रानी है उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी।सूरज के धोती मे उसका लंड पूरी तरह से तनकर तंबू बनाए हुए
था।,,, सूरज भी अब वहां रुक कर अपना कीमती वक्त जाया नहीं करना चाहता था इसलिए वह जमीन पर से उठा और सीढ़ियां चढ़ता हुआ अपनी मामी के कमरे की तरफ जाने लगा चलते समय उसका लंड पूरी तरह से तन कर किसी लोहे की रोड की तरह धोती में तंबू बनाए हुए था। कोई और समय होता तो वह धोती में बने इस तंबु को छुपाने की पूरी कोशिश करता लेकिन घर में,,, उसके और उसकी मामी के सिवा दूसरा कोई भी नहीं था और उसकी मामी से छुपाने जैसा उसके पास सब कुछ भी नहीं था इसलिए वह बिंदास हो करके अपना धोती के ऊपर से ही मसलते हुए अपनी मामी के कमरे की तरफ चला जा रहा था। अपनी मामी के कमरे के करीब पहुंचा तो देखा कमरे का दरवाजा पूरी तरह से खुला हुआ था और अंदर लालटेन कि पीली रोशनी पूरे कमरे को रोशन किए हुए थी,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे आज अपनी मामी के कमरे में जाने से थोड़ा सा घबराहट महसूस हो रही थी और साथ में उत्सुकता भी बनी हुई थी,,,,
इस तरह का डर घबराहट और उत्सुकता के साथ साथ उत्तेजना का अनुभव हर मर्द को अपनी सुहागरात के दिन ही महसूस होती है और ऐसा अनुभव सूरज को भी हो रहा था लेकिन उसकी सुहाग़रात नहीं थी क्योंकि वह अभी तक पूरी तरह से कुंवारा ही था। हालांकि वह सामाजिक तौर पर कुंवारा था लेकिन,,, और शारीरिक तौर पर वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था,,, लेकिन संपूर्ण तौर पर मर्द बनने की परिपक्वता अभी भी बाकी थी लेकिन इसका सुचारु रुप से ट्रेनिंग चालू थी। और वैसे भी कहा जाए तो आज सूरज की खास तौर पर सुहागरात ही थी भले ही बिस्तर पर,,, उसकी पत्नी ना होकर उसकी मामी ही थी। क्योंकि मंगल भी इसी पल का बेसब्री से इंतजार कर रही थी जिस तरह का विरोध उसे अपनी सुहागरात के दिन अपने बदन में महसूस हो रहा था,,, जिस तरह की घबराहट और जिस तरह की उत्सुकता उसे पुरुष संसर्ग से मिलने वाला था उसी तरह का अनुभव आज वह कर रही थी।,,
सूरज का दिल जोरों से धड़क रहा था अभी तक वह दरवाजे पर ही खड़ा होकर कमरे के अंदर का जायजा ले रहा था,,, उसकी नजर बिस्तर पर गई तो आंखें एकदम से चमक उठी क्योंकि उसकी मामी बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी एक टांग घुटनों से मुड़ी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी जांघो के नीचे तक सरक गई थी और उसकी सुडौल मोटी मोटी मांसल दूधिया रंग की चिकनी चांद है लालटेन की रोशनी में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। सूरज की नजर मिलते ही मंगल की मोटी मोटी जांघों पर पड़ी तो उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा मंगल कोई का आभास हो चुका था कि सूरज दरवाजे पर खड़ा है इसलिए वह छत की तरफ नजरें गड़ाए मुस्कुरा रही थी बड़ा ही कामुक नजारा देखने को मिल रहा था,,,,,। यह नजारा देखकर तो सूरज के हांथ पैर ऊत्तेजना के मारे कांपने लगे थे।
सूरज की स्थिति खराब होने लगी थी इस तरह का उत्तेजक नजारा देखकर उसके वजन में उत्तेजना कि बाहर भी दौड़ रही थी जिसकी वजह से उससे वहां रुका भी नहीं जा रहा था और एक अजीब सी घबराहट दिमाग में बनी हुई थी जिसकी वजह से वह अंदर भी नहीं जा पा रहा था काफी देर तक वह दरवाजे पर ही खड़ा होकर अंदर के नजारे का रसपान अपनी आंखों से कर रहा था,,,, मंगल उत्तेजना के मारे गहरी गहरी सांसे लेते छत को ही देख रही थी,,, ऊसके नथुनों मे से अंदर बाहर हो रही उसकी सांसो के साथ साथ ब्लाउज में केद ऊसी बड़ी बड़ी छातियां ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देख कर सूरज का दिल और जोरों से धड़क रहा था। अपनी मामी की सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रही बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर उससे रहा नहीं गया और वह कमरे में प्रवेश कर गया,,, कमरे में प्रवेश करते ही वह सबसे पहले दरवाजे को लॉक करना ही ठीक समझा वैसे तो पूरे घर में मंगल और सूरज के सिवा कोई भी नहीं था वह दोनों चाहते तो दरवाजा खुला रखकर भी सब कुछ खुले तौर पर कर सकते थे लेकिन,,, फिर भी शायद बंद कमरे के अंदर कुछ ज्यादा ही मस्ती छा जाती है इस वजह से जरूरत ना होने के बावजूद भी सूरज दरवाजे को लॉक करते हुए अपनी मामी को ही देखे जा रहा था,,,, बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई,,, हुस्न की मल्लिका,, मंगल जब अपने भांजे को दरवाजा लॉक करते हुए देखेी तो उसका बदन मारे उत्तेजना के कसमसाने लगा और वह अपने भांजे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी,,,, सूरज फिर से दरवाजा लॉक करके वहीं खड़ा होकर फिर से अपनी मामी की तरफ देखने लगा और उसकी मादक मुस्कान देखकर उसके धोती का तंबू और ज्यादा तन गया।,, वह वहीं खड़ा हो कर के अपनी मामी को कसमसाते हुए देख रहा था,,, मंगल के बदन में उत्तेजना की थी तैयारी में रही थी उसके बदन का पोर पोर सूरज की बाहों में समा जाने के लिए आतुर था। वह अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं रख पा रही थी और अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर के अंगड़ाई लेते हुए,,, अपने बदन में बेहद कामुक तरीके से हरकत कर रही थी अंगड़ाई लेते हुए वह कभी अपने नितंबों को बिस्तर से ऊपर की तरफ हल्के से उठा देती तो कभी अपनी छातियों को ऊपर उठाकर ऐसा जताने की कोशिश करती मानो वह,,, अपनी दोनों बड़ी बड़ी छातियों को छत से सटा देगी,,, अंगड़ाई लेती हुई मंगल बिस्तर पर एकदम खुली किताब की तरह लग रही थी जो कि अपने किताब के हर पन्ने को खोलने के लिए बेहद बेसब्र नजर आ रही थी। सूरज का हाथ खुद-ब-खुद पजामे के ऊपर से उसके लंड पर आ गया था और यह नजारा देखकर मंगल उसकी तरफ करवट लेकर घूमते हुए बोली,,,।

अब वहीं खड़े ही रहोगे या मेरे करीब आओगे,,,,,
( यह मंगल का बेसब्र निमंत्रण था,,,, और उसका निमंत्रण पाकर सूरज अपने कदम आगे बढ़ाते हुए बिस्तर के करीब जाने लगा,,,, मंगल को ऊसकें धोती में मे बना उसका खुंटा,,, किसी बेहद नुकीला हथियार की तरह नजर आ रहा था जौकी उसकी बेहद नाजुक बदन को भेदने के लिए एकदम तैयार था,,,। धोती में तना हुआ तंबू देखकर मंगल के मुंह में पानी आ गया। जिसे वह मुंह में लेकर चूसने का पूरा मन बना चुकी थी वह उस के बेहद करीब था। जी मैं तो आ रहा था कि वह आगे बढ़कर के धोती को खींचकर नीचे सरका दे और उसके खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर सीधा मुंह में उतार कर उसे चूसना शुरू कर दें,,। लेकिन उसके पास समय बहुत अच्छा अभी तो पूरी रात बाकी थी इसलिए जो भी करना था धीरे-धीरे करना था ताकि वह जैसे फूलों में से भंवरा रसों को चूस चूस कर उसके मीठे रस का मजा लेता है उसी तरह वह भी सारी रात अपने भांजे के दमदार लंट मे से सारा रस चूस कर मस्त हो जाए। सूरज बिस्तर के करीब कदम बढ़ाते हुए कभी वह अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखता तो कभी उसकी ऊजली नंगी दूधिया जांघों को देखकर मस्त होता जाता,,, वह बिस्तर के बिल्कुल करीब पहुंच गया था उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,वह अपना एक हाथ बढ़ाकर अपनी हथेली को उसकी मांसल नंगी जांघों पर रख दिया,,, और हथेली को जांघों पर रखते ही उसे कस कर अपनी हथेली में दबोच लिया,,,, सूरज की इस हरकत पर मंगल के मुंह से उत्तेजनात्मक सिसकारी निकल गई,,,,

सससससस,,,,,, हहहहहहहह,,,,,, सूरज,,,,

( मंगल के मुंह से इतना निकलना था कि वह अपनी मामी की नंगी जांघों को चूमना शुरू कर दिया,,,,, वह लगातार अपनी मामी की गोरी गोरी मक्खन जैसी जांघों पर अपने होंठ घुमाने लगा,,, लगभग वाह जांघों को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया था सूरज के बदनं में पूरी तरह से उत्तेजना भर चुकी थी। अपने भांजे की इस हरकत की वजह से मंगल भी कामोत्तेजना का अनुभव कर रही थी और उसका बदन कसमसा रहा था धीरे धीरे जिसकी वजह से उसकी साडी और ज्यादा ऊपर सरकने लगी,

सूरज पागलों की तरह अपनी मामी के मांसल जांघों को ही चुमे जा रहा था। और चुमता भी क्यों नहीं मंगल का बदन का हर एक पोर, हर एक अंग बेहद मांसल और मक्खन की तरह चिकना था। सूरज इतना ज्यादा उन्मादक स्थिति में पहुंच चुका था कि वह अपनी मामी की जांघों को चूमते हुए दोनों हाथों से ऊसकी मोटी चिकनी जांघो को भी जोर जोर से दबा रहा था।,,, मंगल की उत्तेजना हर पल बढ़ती ही जा रही थी उसके मुंह से गरम सिसकारियों की आवाज आना शुरू हो गई थी।,,, अपने भांजे की चाहत और उसका पागलपन देखकर मंगल के मन में उसके मन में दबी ख्वाहिश जगने लगी वह चाह रही थी कि उसका भांजा खुद उसकी पैंटी को नीचे सरका कर उसकी रसीली बुर पर अपने तपते होठ रखकर उसे खूब चाटे।,,, यह ख्याल और ख्वाइश उसके मन में आते ही उसके शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी वह उत्तेजना के मारे अपने बदन को खासकर के बड़े-बड़े भारी नितंबों को बिस्तर से ऊपर की तरफ उचका ले रही थी,,, खास करके वहां यह हरकत अपने भांजे को उस रसीली बुर की तरफ आकर्षित करने के लिए कर रही थी लेकिन वह तो उसकी जांघो को ही चुमने चाटने में व्यस्त और मस्त हो रहा था।,,,, मंगल की धड़कनें बढ़ने लगी थी उसकी सांसो की गति के साथ साथ उसकी ब्लाउज के अंदर कैद बड़े-बड़े खरबूजे भी ऊपर नीचे हो रहे थे जो कि बड़े ही उन्मादक लग रहे थे। सूरज पागलों की तरह अपनी हथेलियों को की मामी की जांघो के चारों तरफ घुमा रहा था रह रह कर वह अपनी हथेली मैं जानू को कब का दबोच भी ले रहा था जिसकी वजह से मंगल की सिसकारी और ज्यादा तेज हो जाती थी


सससहहहह,,,, आहहहहहह,,,, सूरज तेरी ईन हरकतो ने मुझे आज अपनी सुहागरात की रात याद दिला दिया।,,,,,

ऐसा क्यों मामी,,,,, (वह अपनी मामी की जांघों को जीभ से चाटता हुआ बोला।)

तुझे इस तरह से मेरी जांघो को चूम चाट रहा है मेरे बदन में अजीब सी खलबली मची हुई है,,,, तेरी इन हरकतों से मुझे मेरी सुहागरात याद आ गई,,, ऐसी ही घबराहट उत्तेजना और कसमसाहट मुझे उस दिन महसूस हुई थी जब तेरे मामा ने पहली बार मेरे बदन को छुआ था,,, कसम से ऊस पल की कसमसाहट मुझे आज अपने बदन में महसूस हो रही है।,,,
( मंगल जानबूझकर अपने भांजे से यह बात बोल रही थी क्योंकि वह चाहती थी कि किसी भी तरह से उसका भांजा उसकी रसीली बुर को अपनी जीभ से चाटे,,, बरसो गुजर गए थे उसकी बुर पर किसी मर्द की जीभ का स्पर्श,,, उसके होंठों का स्पर्श नहीं हुआ था,,,, )

कैसी कसमसाहट मामी,,,, क्या किया था उस दिन मामा ने,,,
( सूरज अपनी मामी की नजरों से नजरें मिलाता हुआ बोला,,
मंगल के लिए भी यही सही मौका था अपने दिल की बात को सूरज से बताने के लिए वह , बातों ही बातों में सूरज से बता देना चाहती थी कि उसे क्या अच्छा लगता है,,,और वह क्या करवाना चाहती है इसलिए वह बोली,,,।)

जाने दे सूरज अब पिछली बातों को याद करके क्या फायदा उस समय का कुछ और था अब वह समय लौटकर तो आने वाला नहीं है,,,( मंगल बात को घुमाते हुए बोली वह जानती थी कि उसके सा बोलने पर सूरज जरूर उससे पूछेगा इसलिए वह उसकी उत्तेजना को बढ़ाते हुए हल्के से अपनी टांग को थोड़ा सा खोल दी,,, जिसकी वजह से उसकी साड़ी पूरी तरह से नीचे से कमर तक पहुंच गई और उसकी मरून रंग की मखमली पैंटी नजर आने लगी,,,, मंगल के बदन में कोई इस हरकत की वजह से सूरज की नजर मंगल के ठीक जांघों के बीच ऊसकी मरुन रंग कीे पैंटी पर पड़ी,,, और उसके बाद देने में यह नजारा देखकर उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,, एक बार फिर से उसके खुद के ऊपर उसका कंट्रोल नहीं रहा और वहां अपनी दोनों हथेलियों में अपनी मामी की नंगी जांघों को दबोच ते हुए बोला,,,,।)

बोलो ना मामी क्या किया था मामा ने उस दिन,,,,

तू क्या करेगा जानकर सूरज, बेवजह मेरी भी प्यास बढ़ जाएगी,,,,

नहीं मामी तुम को बताना ही होगा आखिर मैं भी तो सुनूं कि मामा ने उस दिन ऐसा क्या किया था कि जो आपके बदन में अजीब अजीब सी कशमशाहट होने लगी थी,,,
( अपने भांजे की यह बात सुनकर मंगल मन ही मन में सोचा कि यही सही मौका है अपने मन की बात बताने का इसलिए वह अपने भांजे की आंखों में बड़े ही नशीली और कामुक अदा से देखते हुए बोली,,।)

सूरज उस दिन जैसे ही तेरे मामा कमरे में आए आते ही मुझे अपनी बाहों में दबोच लिया और अपने होठों को मेरे गुलाबी होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिए,,,( सूरज बड़े ध्यान से सुन रहा था।) जिस तरह से तेरे मामा ने पूरे जोश के साथ मुझे अपनी बाहों में भरा था मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मेरी हड्डियां चटक जाएंगी,,,

क्या सच में मामी,,,( सूरज आश्चर्य के साथ बोला)

हां सूरज,,,, शुरु-शुरु में तेरे मामा ऐसे ही थे और उस दिन तो उनकी पहली रात थी इसलिए कुछ ज्यादा ही जोश में थे,,

फिर क्या हुआ मामी,,,( सूरज मक्खन जैसी जांघो को हल्के-हल्के सहलाता हुआ बोला,,)

फिर क्या तेरे मामा ने तो ब्लाउज के ऊपर से मेरी दोनो चुचियों को पकड़कर दबाना शुरु कर दिए,,,, मुझे बहुत दर्द कर रहा था लेकिन वह नहीं माने और अगले ही पल मेरे बदन से ब्लाउज और मेरी ब्रा दोनों उतर चुकी थी और वह मन लगाकर मेरी
चूचियों को पी रहे थे,,,,( अपनी मामी की यह सब बातें सुनकर उत्तेजना के मारे सूरज का गला सूखने लगा था और सूरज के चेहरे पर बदलते हाव भाव को मंगल अच्छी तरह से देख रही थी और समझ रही थी,,,,।)
 
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तो तुम क्या करी मामी ,,,

मैं क्या करती,,,, भला मर्दों के आगे औरतों का जोर चलता है वह तो अपनी मनमानी करने में लगे हुए थे मेरी चूचियों को चूसते चूसते वह काट भी ले रहे थे,,,,

क्या ऐसा करने में उन्हें मजा आ रहा था,,,

मजा तो आता ही होगा तभी तो एकदम पागलों की तरह मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे थे,,

और तुम्हें मामी ,,, (उत्तेजना के मारे अपनी सूखे गले को अपने थुक से गीला करता हुआ बोला,,,।)

मुझे तो शुरु-शुरु में दर्द हो रहा था,,,, लेकिन तेरे मामा बिल्कुल बच्चे की तरह मेरी चूचियों को पी रहे थे,,, धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा,,,,, और मेरी भी इच्छा यह कह रहे थे कि वह मेरी चूची को और जोर-जोर से पिए,,,,
( मंगल ने यह बात सूरज को उकसाने के लिए बोली थी अब उसे देखना था कि यह तीर ठीक निशाने पर बैठा है या नहीं इसलिए वह सूरज के चेहरे की तरफ देखने लगी जो कि अपनी मामी की यह बात सुनकर एकदम से खुश होता हुआ बोला,,,,।)

सच में मामी,,,
( सूरज आश्चर्य और उत्तेजना के साथ बोला मंगल उसकी उत्सुकता देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

तो क्या तुझे क्या लग रहा है कि मैं झूठ बोल रही हूं,,( इतना कहने के साथ ही मंगल अपने दोनों हाथों को अपनी चुचियों पर जोकि ब्लाउज के अंदर कैद थे उस पर रखकर जोर से दबाते हुए ) तेरे मामा ने जो मेरी चुचियों का हाल दबा दबा कर किए थे कि पूछ मत,मेरी गोरी गोरी दूध सी गोरी चुचीयां एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी।,,,
( मंगल अपनी बातों की गर्माहट का असर अपने भांजे के चेहरे के बदलते हावभ़ाव को देखकर अच्छी तरह से समझ रही थी। वह समझ चुकी थी कि उसकी अश्लील बातें सुनकर सूरज पूरी तरह से गर्म आ चुका है और उसके मन में उन बातों को लेकर के उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है और ऐसा सच में था सूरज को भी चूची पीने का मजा लेना था वह भी देखना चाहता था कि चूची को मुंह में ले कर पीने से और दबाने से क्या वास्तव में बेहद आनंद की प्राप्ति होती है। मंगल बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।) और देखने और सोचने वाली बात यह है कि तेरे मामा के इस तरह की हरकत की वजह से मेरी चूचियों का आकार थोड़ा सा बढ़ गया था और मेरी नरम नरम चुचीया एकदम कड़क हो चुकीे थी।


फिर क्या हुआ मामी ,,,,, (सूरज उसी तरह से अपनी मामी की जांघों को अपनी हथेली में दबोचने हुए और सहलाते हुए बोला अपनी मामी की बातों को सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की झाड़ियां फूट रही थी धोती के अंदर उसका लंड पूरी तरह से गदर मचाई हुए था वह बाहर आने के लिए तड़प रहा था जिसे वह बार-बार हाथ लगा कर दबा देने की कोशिश कर रहा था लेकिन यह कोशिश बिल्कुल नाकाम साबित हो रही थी और अपने भांजे की इस हरकत को देखकर मंगल मन ही मन मुस्कुराते हुए उत्तेजना का भी अनुभव कर रही थी।)

फिर क्या था तेरे मामा ने तो मेरे पूरे बदन पर चुंबनों की झड़ी बरसाने लगे जैसे जैसे वह मेरे बदन को चूमते जा रहे थे वैसे वैसे उधर का वस्त्र अपने आप हट़ते जा रहा था। उन्होंने मेरे बदन से धीरे-धीरे करके साड़ी को उतार फेंका,,,,,( मंगल की बात सुनकर सूरज की उत्तेजना बढ़ने लगी थी और उसकी सांसे तेज गति से चल रही थी। ) उसके बाद तो वह मेरे पेटीकोट की डोरी को एक झटके से खोल दिए,,,,( मंगल बताते-बताते अपनी चूचियों को भी अपने ही हाथ से दबाए जा रही थी।)


इसके बाद क्या हुआ मामी ,,,,( सूरज फिर से उतसुक्ता बस पूछा)

उसके बाद तो सूरज उन्होंने कब मेरे बदन से मेरी पेटीकोट भी निकाल कर बाहर फेंक दिया मुझे पता ही नहीं चला उनकी आंखों के सामने में बस एक छोटी सी पैंटी पहने बिस्तर पर कसमसा रही थी और अपने हाथों से अपनी पैंटी में छिपे खजाने को छुपाने की कोशिश कर रही थी। ( यह बोलते हुए मंगल जानबूझकर सूरज की आंखों के सामने अपनी पैंटी पर हाथ रखकर बुर को छुपाने की कोशिश करने लगी अपनी मामी की हरकत पर सूरज एकदम से कामोत्तेजीत हो गया,,, वह आंख भाड़े अपनी मामी को हाथों से बुर छुपाते देख रहा था।)

फिर,,,,( इस बार उसके मुंह से उत्तेजना के मारे बस इतना ही निकल पाया)

फिर वह धीरे-धीरे मेरी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकारी लगे मैं अपना हाथ आगे बढ़ा कर उनके हाथ को पकड़ कर उन्हें रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन वह कहां मानने वाले थे वह एक झटके में खींचकर मेरी पेंटी को मेरे पैरों से बाहर निकाल दिए,,,,

अब बिस्तर पर मैं तेरे मामा की आंखों के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी मेरे बदन पर कपड़े के नाम पर एक रेशा भी नहीं था,,,, मेरा दूधिया गोरा बदन लालटेन की रोशनी में और भी ज्यादा चमक रहा था। तेरे मामा मेरे रूप यौवन को देखकर एकदम उत्तेजित हो गए वह भी झट से अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गए,,,, उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,( अपने मामा के लंड के नाम पर सूरज आश्चर्य से अपनी मामी की तरफ देखने लगा तो शायद मंगल को अपने भांजे के हाव भाव से उसके मन में क्या चल रहा है यह पता चल गया और वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)
हां उस समय पहली बार में तेरे मामा के लंड को देख रही थी और अपनी जिंदगी में पहली ही बार किसी मर्द के लंड को देख रही थी इसलिए मुझे तेरे मामा का लंड बेहद बड़ा लग रहा था। लेकिन जब से मुझे तेरे लंड का दीदार हुआ है तब से तेरे मामा कर लंड तो तेरे लंड के सामने एकदम बच्चों के लंड की तरह नुन्नु की तरह लगता है,,,,।
( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई और वह बोला,,,।)

फिर क्या हुआ,,,,


फिर तो तेरे मामा ने वह काम किया जो मैं कभी सपने में भी सोच नहीं सकती थी और ना ही मुझे कभी भी इस बात का ज्ञान था कि ऐसा भी होता है,,,

( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज के मन में एकदम से उत्सुकता बढ़ने लगी है और वहां आगे की बात जानने के उद्देश्य से बोला,,,।)

ऐसा क्या हो गया मामी जो तुमने कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,,

बताते हुए मुझे तो शर्म आ रही है लेकिन तेरे और मेरे बीच में कोई भी अब बात छुपी नहीं रहना चाहीए इसलिए मैं तुझे बता रही हूं,,, तेरे मामा ने अपने हाथों से मेरी टांगों को खोलते हुए,,, मेरी बुर पर नजरें गड़ाते हुए,,, मेरी बुर की तरफ झुकने लगे जिसमें से मेरा रसीला नमकीन रस बह रहा था।,,, और मैं कुछ समझ पाती इससे पहले ही देखते ही देखते उन्होंने अपने होंठ को मेरी बुर पर रख दिए,,,, और मेरी बुर पर जीभ लगा कर चाटना शुरू कर दीए,,,,( अपनी मामी कि इस तरह की बातें सुनकर सूरज का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया क्योंकि उसे भी अपनी मामी की यह बात सुनकर बेहद आश्चर्य हुआ और उसके मुंह से अचानक ही निकल गया।)

पर,,,,

हां मैं जानती हूं तू क्या कहना चाहता है,,, उधर से तो पेशाब की जाती है यही ना,,,( और सूरज भी हां में सिर हिला दिया)
मेरी तेरे मामा से यही कहती रही लेकिन वह मेरी एक नहीं माने और अपनी मनमानी करते रहे लेकिन धीरे-धीरे जिस तरह से वह अपनी जीभ लगा लगा कर मेरी बुर चाट रहे थे मेरे बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी थी,,,, मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और इस तरह से करते हुए उन्होंने तो अपनी जीभ से ही मेरी बुर से पानी निकाल दिया,,,,, ओर सूरज उस दिन जो मुझे सुख मिला था वैसा सुख तो मुझे आज तक नहीं मिल पाया क्योंकि तेरे मामा कुछ महीनों बाद मेरी बुर को चाटना ही बंद कर दिए,,, ( मंगल के चेहरे पर बनावट उदासी के भाव तैरने लगे जिसे देख कर सूरज समझ गया कि उसकी मामी उदास है इसलिए वह कुछ देर शांत रहने के बाद बोला,,,।)

मामी तो,,,, तुम,,,,,,,( सूरज रुक रुक कर बोला,,, कुरवाई से आगे कुछ बोल पाता इसके पहले ही मंगल बोल पड़ी,,,।)

हां सूरज मैं यही चाहती हूं कि तू भी उसी तरह से मुझे प्यार करें जिस तरह से मेरी पहली रात को तेरे मामा ने प्यार किया था,,,, आज तुम मुझे इतना प्यार कर कि मुझे एकदम से मस्त कर दे,,
( सूरज के लिए अपनी मामी द्वारा यह खुला आमंत्रण था अपनी मामी की बात सुनकर जिस तरह से वह बता रही थी कि उसके मामा को बुर चाटने मैं और उन्हें चटवाने में आनंद की प्राप्ति हो रही थी इस बात से सूरज के मन में भी उत्सुकता पूरी तरह से बढ़ चुकी थी।,,, वह भी अपनी मामी की बूर पूरी चाट कर देखना चाहता था कि उसमे कितना मजा मिलता है,,, दोनों के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित और उत्तेजित लग रहे थे और दोनों के मन में उत्सुकता पूरी तरह से बढ़ चुकी थी ,,, मंगल अपने मन की बात कह कर एकदम खामोश हो चुकी थी और अपनी प्यासी आंखों से अपने भांजे की तरफ देख रही थी कि वह क्या बोलता है,,,, सूरज भी उत्तेजना के मारे अपनी मामी की नशीली आंखों में डूबता चला जा रहा था वह मन ही मन तय कर लिया था कि जिस तरह से वह चाहती है उसी तरह का सुख उसे पूरी तरह से वह देगा,,,, इसलिए वह अपनी मामी की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

मैं भी तुमसे उसी तरह से प्यार करना चाहता हूं,,,
( अपने भांजे की यह बात सुनकर मंगल के गुलाबी होठों पर मादक मुस्कान फैल गई,,, सूरज धीरे-धीरे अपनी मामी के चेहरे की तरफ झुकता चला गया और अगले ही पल अपने प्यासे होठों को अपनी मामी के गुलाबी होठों पर रखकर चूसने लगा,,,)

सूरज अपनी मामी के गुलाबी होठो पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया,
लाल लाल गुलाब की पंखुड़ियों से भी नरम स्पर्श सूरज को पूरी तरह से अपनी मस्ती में डूबने के लिए मजबूर कर दिया,,,

वह पागलों की तरह अपनी मामी के लाल लाल होठों को अपने होठों के बीच रख कर किसी चूसनीे की तरह चूसना शुरू कर दिया,,,, सूरज को आज पहली बार ऐसा लग रहा था कि वह है वास्तव में चुंबन की वास्तविकता से मुखातिब हुआ है। इससे पहले उसे इस बात का एहसास तक नहीं था कि औरतों के खूबसूरत होठो को चुमने से चुसने से बदन में अजीब प्रकार के सुख की अनुभूति होने लगती है । वह अपनी मामी के होठों के मदन रस में डूबता चला जा रहा था,,, उसकी मामी भी एक चुंबन में बराबर का साथ देते हुए उसके होठों को भी अपने होठों में भरकर चूसना शुरू कर दी थी,, इस बेहतरीन लजीज चुंबन के आदान-प्रदान में सूरज को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं चला कि कब उसकी मामी की जीभ उसके मुंह में घुस कर उसकी जीभ को अंदर से चाटना शुरू कर दी है,,, मंगल की हरकत पर सूरज को बेहद मजा आ रहा था और उसने भी अपनी जीभ को अपनी मामी के मुंह में डालकर चूसना शुरु कर दिया दोनों के चुंबनों के आदान-प्रदान के साथ-साथ दोनों के लार का भी आदान प्रदान हो रहा था। मंगल को भी बेहद उत्तेजना के साथ साथ रोमांचकारी अनुभव हो रहा था,,, इस तरह से तो आज तक उसके पति ने भी उसका चुंबन नहीं लिया था। दोनों दोनों पहली बार चुंबन की क्रिया से और उसके आनंद से अवगत हो रहे थे। सूरज तो पागलों की तरह से लगभग अपनी मामी के होठों को दांतो से काटते हुए चबा रहा था। और अपने भांजे की इस हरकत में मंगल को मज़ा भी बहुत आ रहा था वो खुद अपने भांजे को होंठ को दांत से दबा दे रही थी,,,, सूरज होटों को चूसते हुए एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही मंगल के खरबूजों को दबाना शुरु कर दिया,,,, मंगल एकदम गर्म होने लगी थी होठो सें होंठ सटे होने के बावजूद भी उसके मुंह से घुटी घुटी सी सिसकारी की आवाज़ आ रही थी,,,,,होठो को चूसते हुए और साथ ही स्तन मर्दन में सूरज के साथ-साथ मंगल को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,

यह गाढ़ चुंबन दोनों के मिलन का प्रतीक था। दोनों के होठ एक दूसरे के थुक में सने हुए थे। पूरे कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्मा चुका था। धीरे धीरे सूरज अपनी मामी की चुचियों को दबाता हुआ आगे की तरफ बढ़ रहा था और एक हाथ से ब्लाउज के बटन को भी खोलना शुरू कर दिया था। ब्लाउज के सारे बटन बेहद टाइट थे क्योंकि मंगल की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम खरबूजे की तरह गोल गोल थी जोकि उसके ब्लाउज में ठीक से संमा नहीं पा रही थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे मंगल ने जबरदस्ती अपने दोनों खरबूजाे को छोटे से ब्लाउज में ठुंसकर कैद किया हो। सूरज ऐसा लग रहा था कि जैसे अपनी मामी के लाल लाल होठों को अपने होठों से अलग होने ही नहीं देगा और उसकी मामी भी एक हाथ ऊपर की तरफ ले जाकर अपने भांजे के सिर पर रखी हुई थी और उत्तेजना के मारे कसके उसके बालों को अपनी मुट्ठी में भीेचकर जबरदस्त होठों की चुसाई कर रही थी और करवा भी रहीं थी। कुछ देर तक सूरज की उंगलियां ब्लाउज के बटन से उलझी रही लेकिन उसे खोलने में सूरज को जरा भी कामयाबी हासिल नहीं हुई,,,, मंगल इस बात को अच्छी तरह से समझ गई और वह यह भी जानती थी की वह अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को बड़ी मुश्किल से उस ब्लाउज के अंदर कैद करके रखी थी इसलिए तो ब्लाउज के सारे बटन एकदम टाइट थे जो कि जिस तरह से एक हाथ से सूरज ब्लाउज के बटन खोलने की कोशिश कर रहा था,,, ऊससे एक भी बटन खुलना नामुमकिन था। जिस तरह से सूरज मस्ती के साथ उसके होठों की चुसाई भी कर रहा था और उसके ब्लाउज के बटन खोल देने के लिए जूझ भी रहा था,,, जो देखकर मंगल मन ही मन बेहद खुश हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका भांजा उसकी चूचियों को नंगी करके उसे मुंह में भर कर पीना चाहता है। मंगल भी यही चाहती थी कि जल्दी से ब्लाउज के बटन खुल जाए और उसकी नंगी बड़ी बड़ी चूचियां सूरज के हाथों में हो और वह उसकी चॉकलेटी रंग की निप्पल को अपने मुंह में भर कर चुसनी की तरह चूस डालें,,, लेकिन अपने भांजे को इस तरह से तड़पता हुआ देखकर उसे मजा आ रहा था साथ ही वह भी अपने होठो में उसके होंठ को भरकर बड़ी लिज्जत के साथ होठ की चुसाई कर रही थी।

लेकिन जिस तरह से सूरज रह रह कर उसकी चूचियों को हथेली में जितना हो सकता था ऊतना भर कर जोर जोर से दबा रहा था जिसकी वजह से मंगल की उत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी हो रही थी। उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी थी उसके मुंह से गर्म सिसकारियों कि आवाज बढ़ती जा रही थी जिससे पूरा कमरा गूंज रहा था उससे बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह खुद ही अपने दोनों हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और अगले ही पल वहां अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर,,,, अपने भांजे को सांसो की गति के साथ उठ बैठ रही भारी भरकम छाती के दर्शन कराने लगी,,,, पेंटी के साथ हाथ मंगल ने ब्रा भी मरून रंग की पहन रखी थी,,, जो भी उसके गोरे दूधिया रंग पर बेहद जंच रही थी। दोनों बेहद उत्तेजित हो चुके थे। मंगल अपने भांजे के होठों को चूसते हुए का एक अपने होंठ को उसके होंठ से अलग कर ली और उसके चेहरे को अपनी हथेली में भर कर उसकी आंखों में बड़ी ही नशीली अंदाज में देखने लगी,,,, सूरज की सांसे बड़ी तेज चल रही थी,,, उसके मुंह से ढेर सारी लार टपक रही थी,,, उसके चेहरे के हाव भाव को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मामी का इस तरह से होठो को अलग करना उसे अच्छा नहीं लगा और इस बात को शायद मंगल भी समझ गई थी,,, इसलिए वह बड़े ही मादक स्वर में बोली,,,,,

ब्लाउज के बटन खुल गए हैं,,,,

( इतना सुनते ही अपने आप ही सूरज की नजर उसकी मामी की छातियों की तरफ चली गई,,, यह कहना कि ब्लाउज के सारे बटन खुल गए हैं यह पूरी तरह से खुला निमंत्रण था कि अब चूचियों की बारी है,,,,,, सूरज भी अपनी मामी की बात सुनकर अपनी मामी की चुचियों की तरफ देखने लगा जो कि अभी भी यह बेशकीमती खजाना पर्दे के पीछे छुपा हुआ
था,,, बड़ी बड़ी चूचियां ब्रा में भी नहीं समा पा रही थी इसलिए तो आपस में इतनी ज्यादा सटि हुई थी कि उसके बीच की लकीर बहुत ही ज्यादा गहरी हो चुकी थी,,, गहरी लकीर और बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर सूरज का लंड ठुनकी मारने लगा,,,, सूरज भौचक्का सा कभी अपनी मामी की बड़ी बड़ी छातियों को ऊपर नीचे होता हुआ देखता तो कभी उसके चेहरे की तरफ देखता,,,, मंगल शायद अपने भांजे के मन की बात को भाप गई,,, और वहां अपने दोनों हाथों को अपनी छातियों पर ले जाकर नरम नरम उंगलियों को ब्रा की निचली पट्टी में अंदर की तरफ डालकर ब्रा कों ऊपर की तरफ उठा कर सरकाने लगी,,,, और देखते ही देखते मंगल ने अपनी ब्रा को गले तक सरका दी जिसकी वजह से उसकी दोनों चूचियां छलक कर बाहर आ गई यह देख कर तो सूरज की आंखों मैं उत्तेजना की चमक फैल गई चूचियों का दूधिया पन और उसका ऊछाल देख कर मारे आश्चर्य के उसकी आंखें चौंधिया गई,,,, वह आंखें फाडे अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूचियो को देखता ही रह गया,,,,

सूरज आश्चर्य के साथ कभी अपनी मामी की तरफ देखता तो कभी उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजों के जैसे चुचियों की तरफ देखता,,, कुछ पल के लिए तो उसे समझ में नहीं आया कि उसे करना क्या है। लंड में रक्त का प्रवाह इतनी तेज गति से हो रहा था कि, इस बात का उसे डर लगने लगा था कि कहीं उत्तेजना के मारे उसके लंड की नसें ना फट जाए। मंगल को अपने भांजे की हालत पर तरस आ रहा था और हंसी भी आ रही थी उसकी हालत को देखकर इतना तो समझ ही गई थी कि अभी थी सूरज को बहुत कुछ सीखना बाकी था,, उसे एक मजे हुए खिलाडी के रूप में मैदान में उतरना बाकी था।

अब तक तो सिर्फ प्रैक्टिस मैच ही चल रही थी खरी कसौटी तो उसकी आज थी अब देखना यह था कि वह मैदान पर अपनी कला का जौहर किस तरह से दिखाता है,,,, क्योंकि मंगल के बदन रुपी पीच का रुख कब और कैसे बदल जाए यह कहना बहुत मुश्किल था। पिच पर काफी नमी फैली हुई थी जिसकी वजह से पीच पूरी तरह से गीली हो रही थी,,, और ऐसी पीच पर एक मजा हुआ खिलाड़ी ही अपनी कला का जौहर पूरी तरह से दिखा सकता है। सूरज तो अभी नया नया ही था उसने अभी बहुत कुछ सीखना बाकी था फिर भी मंगल की उम्मीदें ईस खिलाड़ी पर पूरी तरह से टिकी हुई थी। सारी संभावनाओं की उम्मीदों पर खरा उतरना सूरज के लिए बेहद जरूरी था। अब देखना यह था कि कितनी देर तक एक खिलाड़ी मैदान पर बैठा रहता है लेकिन इस बात का डर भी बराबर बना हुआ था कि नया नया होने की वजह से कहीं यह पत्ते के महल की तरह ढह ना जाए अगर ऐसा हो गया तो मंगल फिर से एक हारे हुए खिलाड़ी की तरह प्यासी ही रह जाएगी,,,,

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी दोनों की आंखों में एक दूसरे को अपने अंदर सामा लेने की प्यास बढ़ती ही जा रही थी,,,, मंगल बड़े गौर से अपने भांजे की तरफ देख रही थी सांसो की गति मद्धम चल रही थी जिसकी वजह से उसके बड़े बड़े खरबूजे ऊपर नीचे होते हुए अपने करतब दिखा रहे थे,,, मंगल की चुचियों कुछ ज्यादा ही बड़ी थी इसलिए ऊपर नीचे होते हुए ऐसा लग रहा था कि चूचियों के अंदर भरा हुआ दूध हिलोरे ले रहा है जौकी साफ तौर पर चुचियों के ऊपर उपसता हुआ नजर आ रहा था। सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है कभी मंगल अपने भांजे को निर्देश देने के उद्देश्य से अपने हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को पकड़कर दबाना शुरु कर दी और साथ ही गरम गरम सिसकारी उसके मुंह से निकलने लगी,,, अपनी मामी की उन्मादक की स्थिति को देखकर सूरज भी पूरी तरह से कामोत्तेजित हो गया,,, और अपनी मामी की आंखों में देखते हुए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर जल्दी से बड़ी बड़ी चूचियां को अपनी हथेली में थाम लिया,,, नरम नरम और बड़ी बड़ी चूचियां हथेली में आते हीवह तुरंत उत्तेजना की स्थिति में जोर-जोर से अपनी मामी की चुचियों को दबाना शुरु कर दीया,,,


गजब का सुख, अद्भुत एहसास सूरज के पूरे बदन में फैलने लगा था साथ ही मंगल की हालत खराब होती जा रही थी जितनी ताकत लगाकर वह चूचियों को मसलता उतनी ही ज्यादा आनंदमय मंगल हुए जा रही थी। उसके मुंह से बेहद गर्माहट भरी सिसकारी की आवाज़ आ रही थी।

सससससहहहहहह,,,, आहहहहहह,,,, सूरज बस ऐसे ही जोर-जोर से मसलता रेह,,,, बहुत मजा आ रहा है,,,,आहहहहहह,,,,,

,,,, देख तो सही तेरे हाथों में कितना जादू है तू जिस तरह से दबा रहा है मेरी निप्पल एकदम टाइट हो गई है,,,,ऊमममम,,,

इसे भी चूस सूरज मुंह में भर कर जोऱ जोर से पी,,,,,ससससहहहहह,,,,, तूने तो मेरी हालत खराब कर दिया जिस तरह से तू दबा रहा है इस तरह की ताकत तो तेरे मामा ने भी कभी इस पर नहीं लगाएं,,,,,, तेरे हाथों में बहुत ताकत है बस ऐसे ही जोर-जोर से दगा करे पर मेरी चूचियों को मुंह में भरकर जोर-जोर से पी,,,,

( मंगल की प्यास बढ़ती जा रही थी जिस तरह से जोर जोर से सूरज अपनी मामी की चुचियों को दबा रहा था ऐसा लग रहा था कि वह सारे रस को निचोड़ डालेगा,,, सूरज की नजर चूचियों के बीच की कड़क हो चुकी निप्पल पर ही टिकी हुई थी आज पहली बार वह निप्पल को इतने गौर से देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निप्पल भी इतनी टाइट हो सकती है मंगल के बदन में उत्तेजना की वजह से उसकी चूचियों के आकार में तो बढ़ोतरी हुई ही थी साथ ही दुबकी हुई निप्पल भी तनंकर एकदम टाइट हो चुकी थी लगभग एक छोटी सी उंगली की तरह हो गई थी,,,, सूरज भी उसकी मामी की बात सुनकर चूची को मुंह में भरने के लिए लालायित हुआ जा रहा था,,,, इसके बाद वह तुरंत चूचियों पर झुकने लगा और अगले ही पल जितना हो सकता था उतना निप्पल सहित अपनी मामी की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,, सूरज की इस हरकत पर तो मंगल का पूरा बदन एकदम से गनगना गया। जिस तरह से वह चाहती थी उसी तरह से सूरज ने चूची पीने का शुरूआत किया था। मंगल तो उत्तेजना में एकदम सरोबोर हो गई,,, एकदम से वह चुदवासी हो चुकी थी और अपने चुदास पन को बिल्कुल भी दबा नहीं पा रही थी और बिस्तर पर अपनी एड़ियां रगड़ रही थी।,,, सूरज पागलों की तरह चूचियों पर ही टूट पड़ा था वह तो ऐसे लगा हुआ था जैसे मानो चुचिया ना होकर के पका हुआ आम का फल हो,,,, और वह उसे दबा दबा कर उसमे का सारा रस निकाल कर पी जाना चाहता हो,,, वह कभी इस चूची को मुंह में भर कर पीता तो कभी दूसरी चुची को,,, मंगल की सिस्कारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, वह पागलों की तरह सूरज के बालों को भींचकर ऊसके मुंह को अपनी चुचियों पर दबाए हुए थीे ताकि वह अपना मुंह ऊपर ना उठा सके। और लगातार गर्म सिसकारियों के साथ सूरज को बोले जा रही थेी,,,।

आहहहहहह,,,, सूरज बस ऐसे ही चूस,,,, नीचोड़ डाल सारे रस को,,, मेरी चूचियों को जोर जोर से दबा कर पी, निकाल डाल सारा दूध इसमें से,,,आहहहह,,, सूरज बस ऐसे ही हां ऐसे ही,,,,,ओहहहहहह सूरज,,,,,, क्या गजब का चुसता है रे तू, मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि इतनी बेरहमी से भी इसे चूसा और दबाया जाता है। तु तो मुझे एकदम से मस्त कर दे रहा है,,,,,

( मंगल एकदम से चुदवासी होकर मन में जो आ रहा था बड़बड़ाए जा रही थी,,,। और उसकी खुली बातों का सूरज पर भी बहुत गहरा असर पड़ रहा था वह तो अपनी मामी की ऐसी बातें सुनकर एकदम से मस्त हो गया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मामी इस तरह से भी बातें कर सकती है मंगल पूरी तरह से चुदाई के रंग में रंग चुकी थी। सूरज अपनी मामी की बातें सुनकर और जोर-जोर से चूचियों को दबाता हुआ पूरा का पूरा मुंह में भरकर पी रहा था अपनी उत्तेजना को काबू में ना रख सकने की वजह से वह चूचियों पर अपने दांत भी गड़ा दे रहा था,,, जिसकी वजह से चुचीयों पर दांत के निशान पड़ गए थे। अपने भांजे द्वारा इस तरह से चुचियों पर दांत गड़ा देना,,, उसे बहुत आनंदित और कामोत्तेजित कर दे रहा था। उसका पूरा बदन कसमसा जा रहा था और उत्तेजना के मारे वह अपनी पूरी छातियो को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी,,, और सूरज भी उत्तेजित अवस्था में जैसे ही उसकी मामी अपनी छातियों को ऊपर की तरफ उठाई वह अपने दोनों हाथों से और ज्यादा दबाव देते हुए चुचियों को दबाकर ऊपर की तरफ उठाने लगा जिससे मंगल का बदन पूरा धनुष की तरह हो गया,,,,, अपनी मामी की तरह की एक दम से उत्तेजन आत्मा की स्थिति को देखकर सूरज से रहा नहीं गया रहा तुरंत अपने दोनों हाथ को उसकी पीठ की तरफ ले जा कर के उसे कस के अपनी बांहों में भींजते हुए चूची को पीने लगा,,,, वह इतनी जोर से अपनी मामी को अपनी बांहों में भीेचे हुए था कि मंगल को ऐसा लगने लगा कि उसकी हड्डियां तक चटका देगा,,,, उसके मुंह से किस कार्य के साथ साथ हल्की कराहने की आवाज़ भी निकलने लगी,,,

आहहहहहह,,,, सूरज हड्डियां तोड़ देगा क्या,,?

मामी तुम ही तो बोली थी कि मामा इस तरह से मुझे अपनी बाहों में भरे थे कि हड्डिया तक चटका दिए थे।,,,
( सूरज चूची को मुंह में भरे हुए ही बोला,,,,)

ओहहह,,, सूरज सच में तू एकदम तेरे मामा की ही तरह कर रहा है बल्कि मैं तो यह कहूंगी कि तेरे मामा ने भी इस तरह से मुझे प्यार नहीं किया था जिस तरह से तू कर रहा है। बस ऐसे ही करता रहे।

( मंगल पूरी तरह से काम वासना में लिप्त हो चुकी थी,,, वह अपने भांजे से एकदम अश्लील शब्दों में बातें कर रही थी जो कि, सूरज की उत्तेजना को ज्यादा बढ़ा दे रही थी। पूरा कमरा चुदासमय हो चुका था पूरे कमरे में मंगल की सिस्कारियां गूंज रही थी,,,। जिस बिस्तर पर उसे अपने पति के साथ होना था उस बिस्तर पर वह अपने भांजे के ही साथ रंगरेलियां मना रही थी। दोनों को किसी बात का डर रहेगा और ना ही उन्हें कोई रोकने वाला और ना ही कोई रोकने वाला था इसलिए तो दोनों आज बिस्तर पर खुलकर मजा ले रहे थे। मंगल अर्धनग्न अवस्था में बिस्तर पर मचल रही थी सूरज के बदन पर अभी भी सारे कपड़े थे लंड बाहोत टाइट हो चुका,,,,
सूरज जी जान से अपनी मामी की चुचियों को पी रहा था करीब एक-आध घंटा तक चुचियो का रस निचोड़ने के बाद वह अपने हाथ को मंगल की जांघों के बीच घुमाने लगा,,, और अगले ही पल वह अपनी हथेली को अपनी मामी की बुर पर पैंटी के ऊपर से ही घुमा रहा था,,,, बुर पर पैंटी के ऊपर से ही हाथ का स्पर्श होते ही मंगल का बदन कसमसाने लगा,,, उसकी बूर से लगातार मदन रस का स्राव हो रहा था जिसकी वजह से पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। जिसका एहसास सूरज को जल्द ही हो गया क्योंकि उसकी उंगलियां चिपचिपा रही थी वह पैंटी के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी मामी की बुर पर रगड़ना शुरु कर दिया। मंगल के मुंह से आ रही सिसकारियों की आवाज और ज्यादा तेज होने लगी,,,, मंगल की बुर मचल रही थी सूरज की जीभ का स्पर्श पाने के लिए,,, मंगल को इस बात का एहसास हो गया कि जिस तरह का जादू उसने उसकी चूचियों पर किया है उसी तरह का जादू उसकी बुर भी चाह रही है।। अबे तो सूरज की भी इच्छा हो गई थी कि वह अपनी मामी की रसीली बुर को बड़े इत्मीनान से देखें,,, इसलिए वह बड़ी बड़ी चूचीयो पर से अपना मुंह हटाया, उसकी सांसे बड़ी तेज गति से चल रही थी। वह अपनी मामी की प्यासी आंखों में कुछ देर तक देखता रहा,,, हालांकि उसकी हथेलि अभी भी पेंटी के ऊपर से हो बुर को टटोलने में लगी हुई थी। मंगल चाहती थी कि उसका भांजा अब सारा ध्यान उसकी बुर पर ही केंद्रित करें और ऐसा हुआ भी। वह दोनों हाथों से पेटीकोट की दूरी खोलने लगा वह अपनी उंगलियों में पेटीकोट की रोशनी डोरी को पकड़ कर उसे खोल रहा था। अंगुलियों का स्पर्श उसके चिकने पेट पर हो रहा था जिसकी वजह से उसका पूरा बदन कसमसा रहा था और उसकी सांसे तेज चल रही थी उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी। जिसकी वजह से डोरी खोलते समय बार-बार मंगल के नितंब ऊपर की तरफ ऊठ जा रहे थे,, जिसे देखकर सूरज की भी हालत खराब हो रही थी,, अगले ही पल पेटिकोट की डोरी को खोल दिया जिंदगी में पहली बार वह पेटीकोट की डोरी खोल रहा था,, और इसी वजह से उसके बदन में सुरसुराहट बढ़ती जा रही थी।,, अपने भांजे की इस हरकत और उसकी इस अदा पर तो उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी। वह धड़कते दिल के साथ अपने भांजे की हर हरकत को बड़े गौर से देख रही थी उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल टमाटर की तरह तमतमा रहा था। सूरज की भी हालत खराब हो रही थी क्योंकि अब जो नजारा उसकी आंखों के सामने आने वाला था वह बेहद ही हसीन बेहद अतुल्य और बेहद अद्भुत था। उसे मालूम था कि उसकी मामी का बेहद खूबसूरत और बेशकीमती खजाना पेटीकोट और पेंटिं के परदे के पीछे छिपा हुआ है,,। पेटिकोट की डोरी खुल चुकी थी और सूरज आश्चर्य और उत्तेजना ललित होकर कभी खुली हुई पेटीकोट को देखता तो कभी अपनी मामी के चेहरे को देखने लगता जो कि वह भी उत्सुकता के साथ उसको ही देखे जा रहीे थी। दोनों की सांसें इतनी तेज चल रही थी कि कमरे के धुप्प सन्नाटे में सिर्फ दोनों की गहरी सांसो की ही आवाज सुनाई दे रही थी,,, आगे क्या करना है यह सोचकर ही सूरज की सांसे बहुत तेज चल रही थी, ऊसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी। उसे अजीब सी घबराहट महसूस हो रही थी। पेंटिं का वह हिस्सा जिस जगह पर मंगल की बूर थी वह पूरी तरह से मदन रस में भीग कर गीली हो चुकी थी। उत्तेजना के मारे सूरज का गला सूखता जा रहा था,,,, २ घंटे यूं ही बीत चुके थे,,, सूरज ने इन दो घंटों में अपनी मामी की खूबसूरत बदन का पूरी तरह से जायजा भी नहीं ले पाया था।,,, अब आगे क्या करना है इतना तो वह अच्छी तरह से जानता था और इसी इंतजार में उसकी मामी भी प्यासी नजरों से उसी को ही देख रही थी,,,, सूरज अपने हाथ को आगे बढ़ाकर पेटीकोट के दोनों छोर को अपने हाथों से पकड़ लिया,,,, सूरज अब ऊसकी पेटीकोट को नीचे सरकाने वाला है यह जानकर मंगल का पूरा बदन कसमसाने लगा,,,,
 
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उत्तेजना की अजीब सी सुरसुराहट उसके पूरे बदन पर अपना कब्जा जमाने लगी सूरज अपने दोनों हाथों से पेटीकोट के दोनों छोर को पकड़े हुए था लेकिन उत्तेजना और डर के मारे उसके हाथ कांप रहे थे। सूरज जैसे ही पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ खींचा ही था कि उसका पूरा सहकार देते हुए मंगल अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी, ताकि सूरज उसकी पेटीकोट को आराम से निकाल सके,, मंगल की यह अदा सूरज को बेहद कामुकता से भरपूर आनंददायक लगी,,, धीरे-धीरे करके पेटीकोट को उसके लंबे पेर में से निकाल कर बाहर फेंक दिया। पेटीकोट के बाहर निकलते हैं मंगल खुद ही अपनी ब्लाउज के साथ साथ अपनी ब्रा को भी उतार फेंकी,,,, उसके बदन पर मात्र एक छोटी सी पेंटिं ही रह गई थी जोंकि, अपने अंदर बेशकीमती अनमोल खजाने को छुपाए हुए थी। मंगल की बुर उत्तेजना से सराबोर हो चुकी थी और वह फूल कर एकदम गरम रोटी की तरह ऊपस आई थी,,, जो की पैंटी के ऊपर से भी साफ-साफ फूली हुई झलक रही थी। सूरज उत्तेजित अवस्था में बड़े ध्यान से अपनी मामी की पेंटिं की तरफ देख रहा था। उसके देखने के अंदाज से ऐसा ही लग रहा था कि वह अपनी नजरों से ही भेंद कर अपनी मामी की बुर तक पहुंच जाना चाहता है। मंगल सूरज से बड़े ही मादक स्वर में बोली।,,,

अब देखता ही रहेगा या इसे भी उतार कर मुझे पूरी नंगी करेगा,,,,,
( अपनी मामी कि इस तरह की बातें सुनकर सूरज का दिल उत्तेजना के मारे और जोर से धड़कने लगा अपनी मामी की तरफ से खुला निमंत्रण पाकर सूरज ने अपने कांपते हाथों से पेंटिं के दोनों छोर को पकड़ लिया,,,, पेंटी को पकड़ते ही मंगल की हालत खराब होने लगी वह गहरी गहरी सांसे लेने लगी। उसकी नंगी छातियां अंदर बाहर हो रही सांसो के गति के साथ ही हिलोरे मार रही थी।,,, मंगल बड़ी बेसब्र हुए जा रही थी, उसे इंतजार था कि कब उसका भांजा उसकी पेंटिं को उतार कर उसे संपूर्ण रूप से नंगी करेगा,,,, सूरज भी बेहद उत्सुक नजर आ रहा था क्योंकि आज मैं पहली बार अपनी मामी की बुर को एकदम गौर से और बड़ी बारीकी से उसका निरीक्षण करते हुए देखेगा,,, यह बात तो बिल्कुल अजीब थी लेकिन एकदम सही थी क्योंकि अभी तक भले ही सूरज ने अपनी मामी की बुर में बहुत बार लंड डालकर उसे चोद चुका था,,, लेकिन अभी तक उसने अपनी मामी की बुर को ठीक तरह से देखा नहीं था उसकी भौगोलिक रचना से संपूर्ण अवगत नहीं था। उसने अब तक उसे एक बेहद खूबसूरत छंद के रुप में ही जाना था जिसके अंदर वह अपने लंड को डाल कर चोदता था,,,। आज उसे मौका मिला था उसे अच्छी तरह से देखने का और समझने का इसलिए वह अपने कांपते हाथों की उंगलियों में पेंटिं की इलास्टिक को फंसाकर धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगा लेकिन पेंटिं बस थोड़ी सी ही नीचे की तरफ हर किसी की कहीं रुक गई क्योंकि मंगल ने इस बार अपनी गांड उचका कर पेंटिं निकालने में उसका साथ नहीं दी,,, तो सूरज अपनी मामी की तरह देखकर अपने मन की लाचारी दर्शाने लगा,,,, उसकी मामी भी अपने भांजे की लाचारी है अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके सहकार के बिना उसकी पैंटी निकलने वाली नहीं है। इसलिए वह फिर से अपनी कातिल अदा दिखाते हुए अपनी मतवाली भरावदार गांड को बिस्तर से थोड़ा ऊपर की तरफ कुछ कहा थी ताकि उसका भांजा आराम से उसकी पैंटी को निकाल सके, जैसे ही मंगल ने अपनी गांड को ऊचकाई वैसे ही तुरंत सूरज अपनी मामी की पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगा जैसे-जैसे पैंटी नीचे की तरफ सरक रही थी,,, वैसे वैसे बेशकीमती खा जाने का रास्ता साफ होता जा रहा था,,, सूरज के मन में बहुत ज्यादा उत्सुकता भरी हुई थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था साथ ही मंगल भी बड़े ही बेसब्र हो कर अपने भांजे की हरकत को देख रही थी वह देखना चाहती थी कि उसकी नंगी बुर को देखकर उसके हाव भाव में कैसा परिवर्तन आता है।,, सूरज की आंखों की चमक बता रही थी कि वह अंदर ही अंदर बेहद उत्तेजित और प्रसन्न नजर आ रहा है। धीरे-धीरे करके सूरज ने अपनी मामी की पैंटी को जांघो तक सरका दिया,,,, अपनी मामी की जांघों के बीच का वह अद्भुत अविस्मरणीय कामुक नजारे को देखकर वह अपना सुध-बुध खो बैठा,, वह आंख फाड़े बस ऊस नजारे को ही देखे जा रहा था,,,, किसी कुछ भी सूझ नहीं रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका दिमाग एकदम सन्न् हो गया है। एक हाथ से जागो में अपनी पैंटी को नीचे की तरफ ले जाने लगा और जैसे ही उसकी पैंटी जांघो के नीचे घुटनों तक आई मंगल खुद ही अपने पैर का सहारा लेकर,,,, अपनी पैंटी को अपनी लंबी गोरी चिकनी टांगों से बाहर निकाल दी अब मंगल पूरी तरह से नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी,,, मंगल के सामने भी इस तरह की स्थिति पहली बार ही आई थी कि वह अपने भांजे के सामने संपूर्ण तौर पर एकदम नंगी उसकी आंखों के सामने लेटी हुई थी लेकिन फिर भी मंगल को जरा सी भी शर्म का एहसास नहीं हो रहा था,,,, वह अपने मन से और तन से पूरी तरह से शरमाया को त्याग चुकी थी। उसे तो बस मजा लेना था बल्कि सूरज की हालत खराब हुए जा रही थी। क्योंकि आज वह भी पहली बार इतने करीब से अपनी मामी को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख रहा था उसकी नजरें ऊपर से लेकर के नीचे पैरों तक बराबर घूम रही थी मक्खन जैसा चिकना बदन खूबसूरत लालटेन की चमकती रोशनी में और भी ज्यादा दमक रही थी। सूरज की नजर खास करके जांघों के बीच ही टिकी हुई थी आज वह पहली बार अपनी मामी की बुर की बनावट को देख रहा था और वैसे भी मंगल की बुर थी भी बेहद खूबसूरत,,, इस उम्र में भी मंगल की बुर की बनावट एकदम कुंवारी लड़कियों की तरह ही थी। क्योंकि उसके पति ने भी उसको पूरी तरह से नहीं भोगा था,,,, सूरज बड़े गौर से अपनी मामी की बुर की तरफ देख रहा था पर हल्के हल्के रोयेंदार मखमली बाल उगे हुए थे जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था। बुर एकदम कचोरी की तरह फूली हुई थी उसमें से मदन रस का रिसाव बराबर हो रहा था। मंगल की बुर क्या थी बस एक हल्की सी लकीर ही नजर आ रही थी और उसके बीच में हल्का हल्का गुलाबी पत्तियां दिखाई दे रही थी ऐसा लग रहा था कि मानो कोई गुलाब का फूल अभी अभी ही खीेलना शुरु हुआ है। बुर की खूबसूरती और उसकी चमक दमक देखकर सूरज की तो आंखें आश्चर्य से चौंधिया सी गई थी,,,

उत्तेजना के मारे उसकी सांसे फुल रही थी। उसका अब सब्र करना बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और भला सब्र हो भी कैसे जब एक भूखे इंसान के सामने स्वादिष्ट व्यंजनों से भरी थाली पड़ी हो तो भला वह अपने आप को कैसे रोक पायेगा वह तो उस पर टूट ही पड़ेगा यही हाल सूरज का भी हो रहा था उससे रहा नहीं गया और वह उत्सुकतावश अपने हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी उंगलियों से अपनी मामी की फूली हुई बुर को स्पर्श करने हेतु छु लिया,,, और जैसे ही मंगल को इस बात का एहसास हुआ कि उसके भांजे ने अपनी उंगली से ऊसकी बुक़ को स्पर्श किया है तुरंत उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,,, वह पूरी तरह से गंनगना गई और उसके मुख से गर्म सिसकारी निकल पड़ी,,,
सिससससईईईईई,,,,,,,

सूरज अपनी मामी की फूली हुई कचोरी जैसी बुर पर उंगली का स्पर्श करते ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी खास करके उसके लंड का तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया,,,
उत्तेजना के मारे सूरज का गला सूखे जा रहा था,,, सूरज हल्के हल्के से अपनी ऊंगलियों को बुर के इर्द-गिर्द घुमाना शुरु कर दिया। मंगल को अपने भांजे की यह हरकत बेहद आनंदित कर रही थी कि बदन में उत्तेजना के साथ-साथ गुदगुदी का भी एहसास हो रहा था।,,,,, सूरज एक हाथ से अपनी मामी की मक्खन जैसी चिकनी जांघों को सहलाता हुआ उसकी फूली हुई बुर को हल्के-हल्के उंगलियों से सहला रहा था। मंगल का बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था। मंगल के नस नस में चुदास पन की लहर दौड़ रही थी। उसके मुख से गर्म सिसकारियां नींकल रही थी और वह अपनी उत्तेजना को किसी भी हाल में दबा पाने की स्थिति में नहीं थी इसलिए वह अपने दांत से अपने गुलाबी होठों को काट रही थी। सूरज अपनी मामी की स्थिति को देखकर और भी ज्यादा कामोत्तेजना का अनुभव कर रहा था वह बुर के इर्द-गिर्द घूमा रहे उंगलियों को आहिस्ता आहिस्ता बुर की पतली लकीर पर ले जाने लगा,,,, इस हरकत करके मंगल की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसकी उत्तेजना सामाए नहीं समा रही थी,,, उस बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था,, तभी सूरज ने उंगली से बुर की पतली लकीर से झांक रही गुलाबी पत्तियों को कुरेदना शुरू कर दिया,,, इतने में तो मंगल के मुंह से हल्की सी चीख के साथ गर्म सिसकारियों का गुबार फूट पड़ा,,,

ऊूूूहहहहह,,,,, ऊहहहहहह,,,,, सूरज औह,,,,,,,,, सूरज तूने तो मुझे पागल कर दिया रे,,,,,,,, क्या जादू है तेरे हाथों में,,,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है सूरज,,,,,,,
( ऐसा कहते हुए मंगल अपने दोनों हाथों से बिस्तर पर बिछी हुई चादर को मुट्ठी में भींच ली,,)
बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,,, मेरे बदन में आग लगी हुई है,,,,, चाट मेरी बुर को सूरज चाट,,,,,,, मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है पूरी कर दे मेरी ख्वाहिश को,,,, मैं तड़प रही हूं तुझसे अपनी बुर चटवाने के लिए,,,,,( मंगल बदहवास सी अपने भांजे से बोले जा रही थी,,,,)
सूरज तो अपनी मामी की गंदी बातें सुनकर एकदम से मस्त हुए जा रहा था। पहली बार किसी औरत के मुंह से इस तरह की बातें सुन रहा था,,,, पहले तो उसे यही लगता था कि सिर्फ लड़के ही गंदी बातें करते हैं लेकिन अब अपनी मामी की बातें सुनकर उसे यकीन हो गया कि लड़कों की तरह औरतें भी इस तरह की बातें करती हैं।
लेकिन अपनी मामी के मुंह से गंदी बातें सुनकर उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी। अपनी मामी के मुंह से बुर चाटने वाली बात को सुनकर उसे तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई,,, वह भी अपनी मामी की बुर को जीभ से चाटना चाहता था हालांकि इससे पहले उसे नहीं मालूम था कि औरतों की बुर को भी चाटा जाता है लेकिन जब से उसकी मामी ने अपनी सुहागवाली रात की बात उसे बताई,,, तब से उसके मन में भी बुर चाटने की बात से उत्सुकता बढ़ गई थी।,,,, अपनी मामीकी बुर देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया था वह अपनी मामी की बुर चाटने के लिए लालायित था। लेकिन पहल करने में उसे डर लग रहा था और यहां तो खुद ही उसके मन की बात उसकी मामी ही अपने मुंह से बोलकर उसे अपनी बुर चाटने का निमंत्रण दे रही थी,,, तो भला इस तरह का लुभावना निमंत्रण पाकर दुनिया का कौनसा मर्द होगा जो इंकार करेगा,,,,, और वह भी मंगल जैसी खूबसूरत औरत की रसीली बुर,,,,,
ऊफ्फ्फ्फ,,,,, गांव के लड़के बुढ़े सभी सिर्फ कल्पना में ही मंगल की बुर के बारे में सोच कर ना जाने कितनी बार अपना पानी निकाल देते हैं पर यहां तो सूरज को पूरी तरह से मंगल की बुर चाटने को मिल रही थी उसके मुंह में तो पानी आ गया था। सूरज अभी भी उंगली से हल्के हल्के बुर को कुरेद रहा था,,,, और बुर से लगातार मदन रस का रिसाव हो रहा था जो कि उसकी उंगलियों पर भी लग चुका था।,,, मंगल अपने भांजे को इस तरह से सिर्फ ऊंगलियो से ही मजा लेता देख कर फिर से बोली,,,।

क्या देख रहा है सूरज,,, आना मेरी बुर पर अपनी जीभ रखकर चाट कर देख तुझे कितना मजा आता है लोग तो तरसते रहते हैं बुर चाटने के लिए इतनी खूबसूरत और रसीली बुर सब के नसीब में नहीं होती,,,,, आज अब बिल्कुल भी देर मत कर,,,,

( अपनी मामी का खुला आमंत्रण और उसकी बातें सुनकर सूरज पूरी तरह से मस्त हो गया और वह भी अच्छी तरह से जानता था कि वास्तव में ऐसी खूबसूरत रसीली बुर सबको नहीं मिलती,,,, इसलिए वह अपने आपको ऐसा अवसर और मौके मिलने का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी मामी की बात मान कर वह अपनी मामी की बुर पर झुकने लगा,,,
मंगल भी अपनी भांजे को इस तरह से बुर पर झुकता हुआ देखकर अपनी टांगो को फैला कर उसके लिए जगह बना दी,,, ताकि वह खुली बुर को अच्छी तरह से अपनी जीभ से चाट सकें,,,,
धीरे धीरे सूरज बुर के एकदम करीब पहुंच गया वह इतना करीब पहुंच गया कि बुर से जाती हुई गर्मी का एहसास उसे अपने चेहरे पर होने लगा और साथ ही उसमें से आ रही मादक खुशबू उसके नथुनों में समाने लगी,,, उस मादक खुशबू को अपने अंदर महसूस करते हैं उसके उत्तेजना का पारा एकदम सातवें आसमान पर पहुंच गया,,, सूरज गहरी गहरी सांसे ले रहा था, जिसकी गर्माहट का एहसास मंगल को भी अपनी बूर पर अच्छी तरह से हो रहा था अब तो मंगल का सब्र टूटने लगा, उसका धैर्य जवाब देने लगा,,,,, वह अधीर होकर अपना एक हाथ आगे बढ़ाइए और उसे अपने भांजे के सिर पर रखकर उसके बालों को हल्के हल्के से सहलाने लगी साथ ही उस पर दबाव बनाते हुए ऊसे नीचे की तरफ ले जाने लगी,,, मंगल बड़ी आतुर हो चुकी थी,,, वह अपने भांजे के सिर पर दबाव बनाते हुए उसे जल्द से जल्द अपनी पूरी चटवाना चाहती थी,,, और अगले ही पल सूरज का होंठ उसकी मामी की रसीली बुर के गुलाबी पत्तियों पर स्पर्श हुआ,,,

सससससहहह,,,,,, सूरज,,,,,,,( इतना कहने के साथ ही मंगल ने और दबाव देकर उसके पूरे होंठ को अपनी बुर से चिपका दी,,,, सूरज के दो बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगे उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सच है उसे सब कुछ सपना की तरह लग रहा था। वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा इसकी मामी खुद उसके सिर को पकड़कर अपनी बुर से चिपकाए हुए थी।,,, और उत्तेजित स्वर में बोली,,,

ससससहहहहह,,,, सूरज चाट मेरी बुर को,,, बस चाट तु बिल्कुल भी देर मत कर,,,, मेरी बुर तड़प रही है तेरी जीभ का स्पर्श पाने के लिए,,,,आााााहहहहहहह,,,, सूरज,,,


( आखिरकार सूरज अपनी मामी की तड़प और उसकी चाह देख कर अपनी जीभ को होटो से बाहर निकालकर अपनी मामी की बुर पर रख दिया,,,, और बुर की ऊपरी सतह पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया,,, मंगल को इसका एहसास होने लगा कि उसके भांजे ने बुर को चाटना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारीया फूट पड़ी,,,, वह हल्के हल्के बुर की गुलाबी पत्ती पर अपनी जीभ से चाट रहा था,,,, मंगल की रसीली बुर किसी रसमलाई की तरह पूरी तरह से रस में डूबी हुई थी,,,, सूरज की उत्तेजना का कोई ठिकाना नहीं था उसका बदन भी कसमसा रहा था बेहद आनंद की अनुभूति उसका मन मस्तिष्क और पुरा तन कर रहा था,,,, धीरे-धीरे उसे बुर चाटने में मज़ा आने लगा,,,, लेकिन अभी असली मजा से तो वह वंचित ही था क्योंकि अभी तक वह बुर के ऊपरी सतह पर ही जीभ से चाट रहा था,,, असली मजा तो बूर की गहराई में उतर कर चाटने में था। जिसका सूरज को अंदाजा तक नहीं था वह ऐसा समझ रहा था कि बुर की ऊपरी सतह पर ही जीभ से चाटा जाता है।,,, इसमें सूरज की कोई गलती नहीं है उसे तो अब तक यह भी ठीक से नहीं मालूम चल पाया था कि औरत को पूरी तरह से भोगा कैसे जाता है,,,। सूरज पूरी तरह से मासूम और नादान था। भले ही वह संभोग सुख की प्राप्ति कर चुका था लेकिन वास्तव में वह अभी नादान ही था दूसरी तरफ मंगल की प्यास बढ़ती ही जा रही थी,,, जिस तरह से सूरज बुर को मात्र कुरेद कुरेद कर ही चाट रहा था उससे उसकी प्यास बढ़ना लाजमी ही था। वह ऊत्तेजना के मारे अपना सिर इधर उधर पटक रही थी। उससे बुर की खुजली बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,, उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी मंगल भी यह अच्छी तरह से समझ गई कि उसका भांजा बुर में जीभ डाल कर नहीं चाटेगा,, क्योंकि वह शायद यह नहीं जानता कि बुर के अंदर जीभ डाल कर चाटा जाता है इसलिए वह मन में ही सोची की उसे निर्देश देना बेहद जरूरी है,,,, उसकी सिसकारियां लगातार पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, और वह गरम सिसकारी लेते हुए बोली,,,,

सससहहहहहहह,,,, सूरज,,,,, बस ऊपर ऊपर ही चाटेगा कि अपनी जीभ को अंदर भी डालेगा,,,,,आााहहहहहह,,,, मुझे तड़पा मत अपनी जीभ को मेरी बुर के अंदर डाल कर चाट, मुझे मस्त कर दे सुरज,,,,,
( अपनी मामी की बात सुनकर उसे इस बात का पता चला कि बुर के अंदर भी जीभ डाल कर चाटा जाता है,,,, और वह तुरंत अपनी मामी के निर्देश का पालन करते हुए जीभ को अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,, लेकिन इस तरह से जीभ का अंदर जाना मुमकिन नहीं था,,,, इस बात का पता मंगल को चल गया और वह सिसकारी लेते हुए बोली,,,,।


ओहहहहहह सूरज ऐसे नहीं अपनी उंगलियों से मेरी बुर को थोड़ा सा फैला कर जीभ को अंदर डाल आराम से चली जाएगी,,,,,,

( सूरज तो पहले ही जीभ को अंदर डालने की पूरी कोशिश कर चुका था लेकिन अंदर जा नही रही थी,,, सही मौके पर अपनी मामी से दिशा निर्देश पाकर सूरज तुरंत दूसरे हाथ के अंगूठे और उंगली का सहारा लेकर रसीली बुर को फेलाने लगा,,, सच में बुर की फांके अलग हो रही है,, यह देख कर सूरज की खुशी का ठिकाना ना रहा,, उसे अब अपनी मंजिल आंखों के सामने नजर आ रही थीे और वह तुरंत अपनी जीभ को बुर की गहराई में उतारता चला गया,,,,

मंगल की रसीली बुर किसी झरने की भांति झर झर करके बह रही थी,,,, और उसने इसे झर रहा नमकीन पानी बुरनुमा तालाब में ईकट्ठा हो रहा था,,, जिसने सूरज अपना मुंह डालकर अपनी जीभ से उस नमकीन पानी के स्वाद को चख रहा था। पहले तो सूरज को बुर की नमकीन पानी का स्वाद एकदम कसैला लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे वही दूध का नमकीन पानी उसे अमृत की बूंद की तरह एकदम मधुर लगने लगा,,, सूरज अपनी उंगलियों से बुर की गुलाबी पत्तियों को बराबर फैलाए हुए था और उसने जहां तक हो सकता था वहां तक अपनी जीभ को डालकर बुर की गहराई में उतर जाना चाहता था। यही तो मंगल को बेहद आनंदित कर रहा था आज वर्षों के बाद उसकी बुर में भी किसी मर्द की जीभ का स्पर्श हो रहा था। प्रसन्नता और उत्तेजना के मिले-जुले असर में मंगल पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी। जिस तरह से सूरज चप्प,,,,,,,,, चप्प करके अपनी मामी की बुर को चाट रहा था यह देखकर मंगल की तो हालत खराब हुए जा रही थी। वह एक हांथ से अपनी गोल गोल चूचियों को पकड़ कर दबा भी रही थी और एक हाथ से अपने भांजे के बाल को अपनी मुट्ठी में भेींचकर उसे बराबर अपनी बुर के ऊपर दबाए हुए थी।,,,

ससससहहहहह,,,औहहहहह,,,,,, सूरज क्या गजब का चाट रहा है तु,,,,, ऐसे तो तेरे मामा ने भी पहली रात को भी नहीं चाटा था,,,,, तूने तो मुझे सुहागरात की हर बात को याद दिला दिया मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तू मेरा भांजा है,,,,, मैं खामखा बरसों से यूं ही प्यासी पडी थी,,,आहहहहह,,,, और जोर-जोर से चाट पूरी जीभ अंदर डाल दे,,,, ओह मेरे राजा तू तो मुझे पूरी तरह से बर्बाद किए जा रहा है,,,,,आहहहहहहहह,,,,,
( मंगल के मन में जो आ रहा था वह बोले जा रही थी सूरज भी अपनी मामी के मुंह से अपने लिए राजा शब्द सुनकर और ज्यादा जोश में आ गया और जीभ को जोर-जोर से बुर के अंदर बाहर करने लगा जिसकी वजह से उसमें से चप्प,,,, चप्प,,,,, कि कामुक ध्वनि बहुत ही तेजी से आने लगी जो कि पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,, बुर चटाई में भी इतना ज्यादा मजा आता है यह सूरज को आज ही पता चल रहा था और मंगल के लिए भी है कुछ हद तक बिल्कुल नया ही था क्योंकि जिस अदा और तड़प के साथ उसका भांजा उसकी बुर को चाटकर ऊसका पानी निकाल रहा था,,,, ऐसी बुर चटाई तो उसके पति ने भी कभी नहीं किया था। इसलिए तो मंगल एकदम से मदहोश और बदहवास हो चुकी थी उसकी आंखें उत्तेजना के मारे मदहोशी के आलम में बंद हो चुकी थी। मंगल की बुर से ढेर सारा मदन रस रहरहकर बाहर निकल जा रहा था। जिसकी वजह से मंगल का पूरा बदन,,,, झटके के साथ बुरी तरह से हचमचा जा रहा था।,,,, सूरज का पूरा मुंह बुर के मदन रस में भीग चुका था।,,, मंगल का बदन झटके पर झटका खा रहा था ।उत्तेजना के मारे बार-बार वह अपने भारी नितंबों को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी,,, और सूरज भी मौके का फायदा उठाते हुए नीचे अपना हाथ डालकर अपनी मामी की मदमस्त गांड को दबाते हुए बुर चटाई का मज़ा ले रहा था। सूरज के बदन में पूरी तरह से उत्तेजना ने अपना कब्जा जमा दिया था। लंड की नसों में रक्त का प्रवाह इतनी तेजी से हो रहा था कि जान पड़ता था कि लंड की नसें फट जाएगी।,,, दोनों की हालत खराब हुए जा रही थी इस दौरान मंगल दो बार झड़ चुकी थी,,, जबकि मंगल के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था इस तरह से तो वह अपनी पहली रात में भी नहीं झढ़ी थी जिस तरह से आज उसके भांजे ने उसकी बुर चाट चाट कर दो बार झाड़ चुका था।

पलंग पर बिछाई हुई चादर पर सिलवटें पड़ चुकी थी। मंगल पूरी तरह से पूरे बिस्तर पर अपने बदन को कस मसाते हुए इधर उधर झटक रहीे थेी। मंगल के बदन के उत्तेजना का पारा पूरी तरह से थर्मामीटर को पार कर गया था। चुचियों का आकार कुछ ज्यादा ही बढ़ चुका था। उसका चेहरा उत्तेजना के मारे सुर्ख लाल टमाटर की तरह दमक रहा था। अब तो आलम यह था कि मंगल से यह उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह हल्के हल्के से अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर अपने भांजे के मुंह पर मार रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी बुर से अपने भांजे के मुंह को चोद रही हो,,,, अपनी मामी की यह हरकत सूरज को भी बेहद कामोत्तेजित कर रही थी,,, धोती के अंदर उसका लंड बाहर आने के लिए तड़प रहा था,,,, उसके लंड को अब उसकी खुराक चाहिए थी,, वह अब बुर के अंदर घुसना चाहता था ।सूरज खुद अपनी मामी को चोदना चाहता था लेकिन वह अपने मुंह से बोल नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी मामी को बुर चटवाने में बेहद मजा आ रहा था,,,, लंड की तड़प तो उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।,,, मंगल अपनी बुर चटवाते हुए उत्तेजना के मारे सिसक रही थी। उससे भी जब अपनी बुर की खुजली बर्दाश्त नहीं हुई तो वह खुद सिसकारियां लेते हुए बोली।

सससससहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहहहहहहब,,,,, सूरज मेरे राजा,,,,,,, अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।। अपनी जीभ निकालकर अब मेरी बुर में अपना लंड डाल दे मेरी बुर तड़प रही है तेरी मोटे लंड को लेने के लिए,,,, बस मेरे राजा बिल्कुल भी देर मत कर,,,, डाल दे मेरी बुर मैं तेरा लंड,,,,,, ओहहहहहह,,,, शुभम,,,,

( सूरज अपनी मामी की रसीली और बेहद कामुक बातें सुनकर उसकी बुर चाटते चाटते रुक गया,,, रुकता भी कैसे नहीं उसकी मामी ने बड़े ही कामुकता भरे स्वर में जो उससे चोदने के लिए आमंत्रण किया था। सूरज अपनी मामी की मस्त बातों में खो सा गया,,, वह भी तो यही चाह रहा था,,,, उसका लंड धोती में फटने की स्थिति में हो गया था,,,, वह तो ठीक समय पर उसकी मामी ने उसे चुदाई करने के लिए आमंत्रित कर दिया वरना आज उसे ऐसा लग रहा था कि बिना चोदे ही उसका पानी निकल जाएगा,,, सूरज अपनी मामी की बुर की कटोरी में से अपना मुंह निकाल दिया था और हांफते हुए अपनी मामी की तरफ देख रहा था,,,, जो कि मंगल भी खुद बेहद लालायित थी अपने भांजे के लंड को लेने के लिए।,, वह लंबी लंबी सांसे लेते हुए अपने भांजे से बोली,,,

सूरज अब अपने असली कार्यक्रम पर आते हैं ।तु मुझे तो पूरी तरह से नंगी कर दिया लेकिन अभी भी तू पूरे कपड़ों में ही है तू भी जल्दी से अपने कपड़े उतारकर मंगा हो जा मैं भी तेरे लंबे मोटे लंड को देखना चाहती हूं उसे चूमना चाहती हूं,,,,तु जल्दी से अपने कपड़े उतार,,,,

( अपनी मामी की जल्दबाजी देखकर सूरज से भी रहा नहीं गया और झट से बिस्तर से नीचे उतर गया,,,, सूरज अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया शर्ट उतारने के बाद वह अपने धोती की तरफ देखा तो पूरी तरह से तंबू बना हुआ था मंगल भी उसी तंबू को देख कर मन ही मन उत्तेजित और प्रसन्न हुए जा रही थी सूरज अपने धोती को उतारता इससे पहले ही मंगल अपना हाथ आगे बढ़ा कर धोती के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ ली। जिस मजबूती के साथ उसने धोती के ऊपर से लंड को पकड़ी थी सूरज की आह निकल गई,,,, मंगल खुद ऊसके धोती को नीचे उतारने लगी और अगले ही पल उसके भांजे का टनटनाया हुआ खड़ा लंड उसकी आंखों के सामने झूल रहा था,,,, मंगल भी शायद पहली बार ही अपने भांजे के लंड को इतनी नजदीक से और इतने गौर से देख रही थी इसलिए आश्चर्य के मारे उसकी आंख फटी की फटी रह गई,,,, मंगल से रहा नहीं गया और वह अपनी सूरज के खड़े लंड को अपनी नंगी हथेली में पकड़कर एक दो बार उसे आगे पीछे करते हुए उसकी मजबूती को भांपने लगी,,, अपनी मामी की ईस अदा पर सूरज की सिसकारी निकल गई,,,,, अपनी मामी की नरम नरम और गरम हथेली में लंड का स्पर्श होते ही उसकी उत्तेजना में कई गुना की बढ़ोतरी हो गई। अपने भांजे के मजबूत लंबे लंड को देखकर मंगल के मुंह में पानी आ गया और उससे रहा नहीं गया तो वह अपने भांजे के लंड को पकड़कर आगे की तरफ खींची जिससे सूरज भी उसकी तरफ बढ़ गया सूरज समझ नहीं पा रहा था कि उसकी मामी क्या करने वाली है उसका लंड मंगल के होठों से बस दो अंगुल ही दूर था वह आंख फाड़े बड़े गौर से लंड की बनावट को देख रही थी। उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूख रहा था आधी रात से भी ज्यादा समय गुजर गया था लेकिन अभी तक वह दोनों अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाए थे क्योंकि रास्ता ही इतना सुहावना और कामुकता से भरा हुआ था कि मंजिल तक पहुंचने मैं दोनों को जल्दबाजी नहीं थी। मंगल अपने प्यारे होठों को अपनी जीभ से चाट कर गीला करने की कोशिश करने लगी और यह देख कर सूरज की हालत खराब होने लगी वह देखना चाहता था कि उसकी मामी क्या करने वाले हैं तभी वहां कुछ और सोच पाता इससे पहले ही मंगल अपना मुंह आगे बढ़ा कर,अपने तपते प्यासे होंठ को अपने भांजे के लंड के मोटे सुपाड़े पर रख दी,,,, जैसे ही अपनी मामी के गुलाबी होठों को आपने मोटे लंड के मोटे सुपाड़े पर महसूस किया उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन झनझना गया,,, सूरज तुरंत उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया उसे अपनी मामी से यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी वह तो कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी मामी इस तरह की भी हरकत कर सकती है वह हल्के हल्के से लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ घुमा रही थी। और सूरज के बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़ रही थी देखते ही देखते मंगल धीरे-धीरे करते हुए लंड़ के मोटे सुपाड़े को पूरी तरह से अपने मुंह में भर ली,,,, सूरज को इस तरह से लंड को अपने मुंह में लेना अच्छा नहीं लग रहा था वह अपनी मामी को रोकना चाहता था लेकिन क्या करें उसे भी इस तरह के आनंद में गोते लगाने को मिल रहा था इसलिए आनंद के वशीभूत होकर वह अपनी मामी को रोक नहीं पाया,,,,,
मंगल जो कि आज तक अपने पति के लंड को मुंह में नहीं ली थी अगर लीं भी थी तो उसे दो ४ सेकंड से ज्यादा मुंह में रख नहीं पाई थी और वह आज वासना में लिप्त होकर अपने ही भांजे के लंड को बड़े मजे लेकर चाट रही थी,,,,, सूरज अपने दोनों हाथ को अपनी कमर पर रखकर मजे लेकर यह नजारा देख रहा था। आज उसे उसकी मामी एकदम कामदेवी लग रही थी जो की उसके ऊपर बहुत ही गहरा असर करते हुए मस्ती के सागर में उसे डुबोए ले जा रही थी।

सूरज की हालत खराब हुए जा रही थी,,, उसके कमर अपने आप ही आगे पीछे हिलने लगी और वहां अनजाने में ही अपनी मामी के मुंह में लंड डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया मंगल को भी अपने भांजे की इस हरकत पर बेहद आनंद की अनुभूति होने लगी और वह खुद अपने मुंह को आगे पीछे करते हुए जोर जोर से उसके लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी,,,, दोनों अपने अपने ढंग से पूरी तरह से मजा लेना चाहते थे। मंगल को भी आज पहली बार लंड चूसने में बेहद मजा आ रहा था वह बता नहीं सकती थी कि आज अपने भांजे के लंड को चूस कर उसे कैसा महसूस हो रहा है वह तो बेहद प्रसन्न थी।उसकी बुर से लगातार मदन रस का रिसाव हो रहा था। कुछ देर तक यूं ही दोनो मजा लेते रहे मंगल की बुर में चीटियां रेंगने लगी थी ।जिस तरह से वह अपने भांजे के लंड को मुंह में गले तक उतार कर ले रही थी उसी तरह से वह अब अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवाना चाहती थी ,,, । सूरज की भी हालत खराब हो रही थी वह भी अपनी मामी की बुर में लंड डाला जाता था अगले ही पल मंगल ने अपने मुंह में से अपने भांजे के लंड को बाहर निकाल दी और बुरी तरह से हांफने में लगी,,,

सच सूरज मैं तुझे बता नहीं सकती हूं कि लंड चुसने में मुझे आज कितना मजा आया है,,, मैंने जिंदगी में कभी भी इतना मजा लेकर लंड को कभी भी मुंह में नहीं ली थी,,, लेकिन तेरे लंड की बात ही कुछ और है,,,,।

( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज कुछ बोल नहीं पाया हालांकि वह भी कुछ बोलना चाहता था क्योंकि उसे भी बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी लेकिन वह तो खुद अपनी मामी की हरकत पर बेहद आश्चर्यचकित हो गया था इसलिए वह अपनी मामी की बात सुनकर कुछ भी नहीं बोला बस खामोश खड़ा रहा,,,,)

बहुत दम है रे तेरे लंड में (मंगल एक बार फिर से अपने भांजे के खड़े लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,)
बस अब बिल्कुल भी देर मत कर आजा अपना असली खेल शुरू करते हैं,,,
( इतना कहते हुए मंगल बिस्तर पर पीठ के बल टांगे फैलाकर लेट गई यह देख कर सूरज से भी रहा नहीं गया और वह अपना लंड हाथ में पकड़ कर बिस्तर की तरफ आगे बढ़ा,,,, गजब का कामुकता से भरा हुआ नजारा कमरे में देखने को मिल रहा था तकरीबन रात का १:०० बज रहा था पूरा गांव नींद की आगोश में सो रहा था जग रहे थे तो बस मंगल और सूरज जो कि दोनों एक दूसरे के बदन में समाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। मंगल अपने भांजे के लंड की तरफ ही देख रही थी क्योंकि वह जानती थी कुछ ही सेकंड बाद उसका पूरा लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा होगा,,, इसलिए उत्तेजना और उत्सुकता के मारे उसका गला सूख रहा था। अगले ही पल सूरज अपनी मामी की टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया,,,, और वह एक हाथं से अपने लंड को पकड़कर बुरके गुलाबी पत्तियों के बीच रखने के लिए आगे बढ़ा लेकिन इस तरह से उसे कुछ कमी सी महसूस होने लगी,,, तो वह दोनों हाथों से अपनी मामी की मखमली मक्खन जैसी जांघों को पकड़कर अपनी जांघों पर चढ़ा लिया और ऐसा करते ही उसकी मामी की बुर ठीक उसके लंड के टोपे से स्पर्श करने लगी,,, सूरज के लंड का सुपाड़ा जैसे ही उसकी बुर की गुलाबी पत्ती पर स्पर्श हुई उसकी बुर में चीटियां रहने लगी,,,, वह लंड को बुर में लेने के लिए तड़प उठी,,,, सूरज भी अपनी मामी की तड़प को अच्छी तरह से समझ गया और लंड के मोटे सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर हल्के हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाना शुरू किया,,, बुर पूरी तरह से गिली थी इसलिए लंड का मोटा सुपाड़ा आराम से बूर के अंदर उतरना शुरू कर दिया,,,, जैसे जैसे लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे मंगल के चेहरे का हाव भाव बदलता जा रहा था वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए वह अपने होंठ को दांतों से कुचल रही थी,,,, तो ठीक है अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और अपने दोनों हाथों से अपनी दोनो चुचियों को पकड़कर दबाना शुरु कर दी धीरे-धीरे सूरज अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा था,, बुर के अंदर का सारा रास्ता साफ करते हुए वह आगे बढ़ रहा था।,,, सूरज बड़े गौर से अपनी मामी की तरफ और उस की रसीली बुर की तरफ देख रहा था जिसमें उसका मोटा लंड धीरे-धीरे करके घुसता चला जा रहा था। आधे से भी ज्यादा लंड बुर के अंदर समा चुका था,,,, मंगल की तो सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, वह बड़ी मस्ती और मदहोशी के साथ अपनी बड़ी बड़ी छातियों को अपने हाथों से मसले जा रही थी। आधा से भी ज्यादा लंड बुर में घुसने की वजह से अब उसे बूर के अंदर दर्द का एहसास होने लगा था। अब उसकी गरम सिसकारी के साथ-साथ दर्द से कराहने की भी आवाज आ रही थी,,, जो कि वह आवाज भी पूरे कमरे में कामोत्तेजना फैला रही थी।

आहहहह,,,,, सूरज,,,,,,ऊूूहहहहहहह,,,, सूरज बहुत दर्द कर रहा है,,,,,ओहहहहह,,, सूरज,,,,,, हीसससससस,,,,,,,
( सूरज अपनी मामी के कराहने की आवाज की परवाह किए बिना ही आगे बढ़ता चला जा रहा था वह अपने दोनों हाथ से अपनी मामी की मदमस्त बलखाती कमर को थाम लिया,,,, क्योंकि वह भी समझ गया था कि आगे का रास्ता थोड़ा कठिन है इसलिए वह अपनी मामी की कमर को थामे कस के कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगा, जैसे-जैसे व कमर पर दबाव बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसका मोटा लंड सब कुछ चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था और इस वजह से मंगल को दर्द का एहसास हो रहा था,,,, मंगल को आज उसके भांजे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा महसूस होने लगा था, क्योंकि वह पहले भी उसके लंड से चुद चुकी है और इस वजह से लंड आराम से चले जाना चाहिए था,,,, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था फिर भी धीरे-धीरे करके सूरज ने अपने लंड को बुर की गहराई तक पहुंचा ही दिया,,, वह अपनी मामी की कमर को थामे एक जबरदस्त प्रहार किया और लंड सब कुछ मिलता होगा बुर की गहराई में जाकर टकरा गया,,,, मंगल अपने आप को रोक नहीं पाई और उसके मुंह से जबरदस्त चीख निकल पड़ी,,,,

ओहहहहहह, मां,,,,, मर गई रे,,,, आहहहहहहहहह,,,, सूरज तूने तो मार डाला रे ऐसे भी भला कोई करता है क्या,,,,
( मंगल दर्द से कराहने लगी थी दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,,, मंगल दर्द से छटपटा रही थी वह दर्द के मारे अपना सिर इधर उधर पटक रही थी,,,और जिस तरह से वह चीखी थी अगर घर में कोई और मौजूद होता तो उसकी चीथने की आवाज उसके कानों तक जरूर पहुंचती,,,, लेकिन इस बात का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि घर में तीसरा कोई भी मौजूद नहीं था।
मंगल को बहुत दर्द हो रहा था लेकिन सूरज उसके दर्द की परवाह किए बिना ही एक बार और उसकी कमर को बराबर से पकड़ लिया,,,, कोई और वक्त होता तो शायद वहां रुक जाता लेकिन इस समय वह पूरी तरह से जोश से भरा हुआ था और यही मंगल भी चाहती थी कि वह बिना रुके उसकी चुदाई करता रहे,,, मंगल को इसी तरह की चुदाई से बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी पहले वह दर्द से छटपटा रही थी लेकिन वह मन में यही सोच रही थी कि उसका भांजा बिना रुके की चुदाई करे,,, सूरज भी जैसे उसकी मामी के मन की बात जान रहा हो इस तरह से,, बिना रुके आहीस्ता से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और सिर्फ एक झटके के साथ बुर के अंदर डाल दिया,,, लंड सीधे जाकर बच्चेदानी से टकरा गया,,,, और एक बार फिर से मंगल की चीख पूरे कमरे में गूंजने लगी,,,, अब सूरज बिना रुके अपनी मामी को चोदना शुरू कर दिया,,, सूरज का लंड काफी मोटा और लंबा था, इस वजह से हर धक्के के साथ लंड मंगल की बच्चेदानी को छु रहा था। मंगल को भी इसमें काफी मजा आ रहा था क्योंकि उसके पति के लंड ऊस जगह को कभी छु तक नहीं पाया था।
सूरज की रफ्तार धीरे धीरे बढ़ने लगी और साथ ही मंगल की सिसकारीया भीे बढ़ती जा रही थी। सूरज अपनी कमर को एक पल के लिए भी नहीं रोक रहा था बल्कि वह और जोर-जोर से अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए हिला रहा था।बुर से आ रही फच्च फच्च की आवाज से पुरा कमरा गुंज रहा था। सूरज का हर धक्का इतना तेज था की हर धक्के के साथ पूरा पलंग मचर मचर कर रहा था। मंगल के बदन के साथ साथ पूरा पलंग हचमचा जा रहा था। कुछ देर पहले मंगल की चीखें और कराहने की आवाज आ रही थी जो की अब गरमा गरम संतुष्टि भरी सिसकारियों में बदल गई थी,,, मंगल को आज चुदवाने में काफी मजा आ रहा था क्योंकि आज वह खुल कर चुदाई का मजा ले रही थी आज उसे किसी बात का डर नहीं था ना किसने के द्वारा देखे जाने का और ना ही पकड़े जाने का इसलिए उसे आनंद की अनुभूति भी बहुत ही ज्यादा हो रही थी। वह बल्कि जोर जोर से बोल कर अपने भांजे का हौसला और जोश दोनों बढ़ा रहेी थी।

और तेज और तेज सूरज और तेज चोद मुझे,,,, आहहहहहह सूरज तूने तो मुझे मस्त कर दिया,,,, देख कितनी तेजी से तेरा लंड मेरी बुर में अंदर बाहर हो रहा है ।सूरज तु बड़ी मस्ती के साथ चुदाई करता है,, बस ऐसे ही मुझे चोदता रहे,,,, आहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,,,
( मंगल अपनी बात पूरी कर पाती इससे पहले ही सूरज जोश में आकर लगातार धक्के धक्के देना शुरू कर दिया जिसकी वजह से ही मंगल की सिसकारियां गु्ंजने लगी,,,
थोड़ी देर बाद जबरदस्त चुदाई की वजह से मंगल का बदन अकड़ने लगा उसकी सिसकारियां तेज हो गई,,,, सूरज का भी यही हाल था वह भी समझ गया कि वह किनारे पर पहुंचने वाला है और वहं अपनी मामी के ऊपर झुककर उसे अपनी बाहों में कस कर दबोच लिया,,, और जोर जोर से अपने लंड को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए झटके लगाने लगा,,,, और दो-चार झटकों के बाद ही मंगल के साथ बात सूरज भी झड़ने लगा,,,।

सूरजके लंड से,, गरम गाढ़े पानी की पिचकारी बड़ी तेजी से निकली और मंगल की कटोरी नुमा बुर को भरने लगी,,,
मंगल अपने भांजे के लंड से निकली पिचकारी को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों में साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी।
अपने भांजे की पिचकारी अपनी बुर के अंदर महसूस कर के मंगल उत्तेजना के मारे गदगद हुए जा रही थी। मंगल इसी दौरान तीसरी बार झड़ी थी दो बार तो वहां बुरी चटाई में ही अपना पानी छोड़ चुकी थी। मंगल लंबी लंबी सांसे भरते हुए रह रह कर पानी का फुहारा छोड़ रहे थे और उसके ऊपर नीचे हो रही बड़ी बड़ी छातियों के साथ साथ सूरज भी ऊपर नीचे हो रहा था। सूरज पूरी तरह से अपनी मामी के बदन पर ढह चुका था उसका चेहरा उसकी बड़ी बड़ी छातियों के बीच,,, दाबा पड़ा था,,, दोनों इतना ज्यादा पानी छोड़े थे कि दोनों का नमकीन गाढ़ा पानी मिश्रित होकर मंगल की बुर के बाहर बह रहा था,,, और मंगल की मांसल चिकनीं जांघो को भिगो रहा था। थोड़ी ही देर में दोनों की सांसे पहले की तरह सामान्य हो गई मंगल हल्के हल्के अपनी हथेली को अपने भांजे की नंगी पीठ पर फिरा रही थी। दोनों ने पहली बार कुछ ज्यादा ही अद्भुत और उन्मादक तरीके से अपने चरम सुख को प्राप्त किया था। मंगल का गल़ा अभी भी सुखा हुआ था जिसे वह अपने थुक से गिला कर रही थी।,,, कुछ देर तक दोनों यूं ही एक दूसरे के बदन को अपनी बाहों में लेकर पड़े रहे,,, सूरज का लंड अभी भी ऊसकी मामी की बुर में समाया हुआ था जो कि अब धीरे-धीरे सिकुड़ने की वजह से अपने आप ही बाहर आ रहा था। मंगल ने इससे पहले कभी भी चुदाई का इतना उन्मादक आनंद की प्राप्ति नहीं की थी।
थोड़ी देर बाद सूरज अपनी मामी के बदन के ऊपर से उठ कर अलग हुआ और उसके करीब ही पीठ के बल लेट गया उसकी सांसे बहुत ही गहरी चल रही थी,,,, दोनों एक दूसरे को देखने लगे मंगल मादक मुस्कुराहट लिए अपने भांजे की आंखों में देख रही थी सूरज भी बड़े प्यार से अपनी मामी की तरफ देख रहा था उसे लग रहा था कि कार्यक्रम समाप्त हो चुका है क्योंकि समय भी कुछ ज्यादा हो चुका था तकरीबन ३:०० बज रहे थे,,,, उसका लंड पूरी तरह से सिकुड़ कर उसके पेट पर लेट कर आराम कर रहा था,,,, । लेकिन सूरज का यह सोचना बिल्कुल गलत था क्योंकि मंगल के मन में अभी बहुत कुछ चल रहा था एक प्यासी औरत की प्यास इतने से ही बुझ जाए तो औरत इस हद तक कभी भी नही पहुंचतीं,,, वह अपने भांजे की तरफ मुस्कुरा कर देख रही थी सूरज को उसका मुस्कुराना बेहद उन्मादक लग रहा था,,, मंगल मुस्कुराते हुए अपने भांजे से बोली,,,,
सूरज तु सच में जादूगर है तूने जो मेरे ऊपर ऐसा जादू किया है कि मैं तेरी दीवानी हो गई हूं,,,, जिस तरह का मजा तूने मुझे याद किया है इस तरह के मजे के बारे में तो मैंने कभी जिंदगी में कल्पना भी नहीं की थी,,, सच सूरज जिस तरह से तुने मुझे आज रगड़कर चोदा है तूने आज मुझे मेरी सुहागरात याद दिला दिया,,, और सच बताऊं तो पहली बार जब तेरे मामा के साथ में सुहागरात मनाई थी तब भी मुझे इस तरह का आनंद नहीं मिला था जिस तरह का आनंद की अनुभूति तूने मुझे कराया है।( सूरज अपनी मामी के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर बेहद खुश हो रहा था। एक मर्द के लिए और क्या चाहिए कि जब एक औरत खुद उसकी मर्दानगी की तारीफ करें,,,, हर मर्द यही तो चाहता है कि उसकी चुदाई की तारीफ औरतं अपने ही मुंह से करें,,,,,
औरत के द्वारा किसी भी मर्द की मर्दानगी को अपने ही शब्दों में पुरस्कृत करना,,, मर्द के लिए दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार होता है और मंगल भी अपने भांजे की मर्दानगी को अपने ही शब्दों में पुरस्कृत कर रही थी,,, जिससे सूरज की छाती और भी ज्यादा चौड़ी हो रही थी,,,, वह बहुत खुश था रात ज्यादा हो जाने की वजह से,,,, वह सोच रहा था कि अब उसकी मामी सोने की तैयारी करेगी लेकिन मंगल उसकी तरफ करवट लेते हुए बोली,,,,

सूरज तूने तो मेरा पसीना ही निकाल दिया,,,,( उसका इतना कहना था कि उसकी नजर सूरज की सोए हुए लंड पर पड़ी तो वह मुस्कुराने लगी,,, वह हाथ आगे बढ़ा कर अपने भांजे के ढीले लंड को पकड़ते हुए बोली,,,)

देख सूरज,,मेरा ये शेर अपना शिकार करके लगता है थक गया, है,,,, देख कैसे आराम कर रहा है,,, इसे लगता है फिर से जगाना पड़ेगा,,,,( इतना कहते हुए वह अपने भांजे के ढीले लंड को मुट्ठी में भर ली,, जो कि ढीला होने के बावजूद भी किसी भी औरत का पानी निकाल दे इतनी स्थिति में तो था ही,,।मंगल सूरज के ढीले लंड को मुट्ठी में भरकर हिलाने लगी जो कि नरम नरम अंगुलियों और हथेली का स्पर्श पाते ही एक बार फिर से उसमे जैसे जान आ गई हो,, और उसके नसों में रक्त का प्रवाह फिर से गतिमान होने लगा,,, ढीले लंड में हो रही हरकत को देखकर उसकी मामी बोली,,,

अरे इसमें तो फिर से जान आ गई देख तो सही कैसे मुंह उठाने को लपक रहा है।,,,
(सूरज अपनी मामी की हरकत की वजह से लंड में आए तनाव को बारीकी से देखने लगा,,, वह समझ गया कि उसकी मामी इतनी आसानी से उसे छोड़ने वाली नहीं थी और ना ही वह खुद छुटना चाहता था।,,, वह तो खुद ही बेताब था अपनी मामी की बुर में लंड डालकर सारी रात ऐसे ही पड़े रहने के लिए
कुछ ही देर में मंगल की गरम हथेलियों का जादू उसके लंड पर पूरी तरह से छा गया, उसका ढीला लंड एक बार फिर से अपनी औकात में आ गया,,, जिसको देखकर मंगल की बुर में फिर से पानी की बूंदे इकट्ठा होने लगी,,

आाहहहहह सूरज तेरा लंड तो फिर से तैयार हो गया है और कितनी जल्दी तैयार हो गया इसको देखकर तो मुझे यकीन ही नहीं हो पा रहा है,,,।

क्यों मामी,,,?


तेरे मामा का लंड मेरी बुर के अंदर पानी छोड़ता था तो ढीला होने के बाद घंटे लग जाते थे उसे दोबारा खड़े होने में कभी-कभी तो, उनके लाख कोशिश के बावजूद भी खड़ा नहीं हो पाता था,,,, और एक यह तेरा लंड है कि अभी अभी पानी छोड़ कर गिरा हुआ ही था कि मेरे हाथ लगाते ही दोबारा खड़ा होकर मोर्चा संभालने लगा,,, तेरे मे और तेरे लंड में बहुत दम है,,,।

शुक्रिया मामी,,,, (अपनी मामी के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर सूरज खुश होते हुए बोला)

इसमें शुक्रिया यू कहने की कोई जरूरत नहीं है सूरज बल्कि शुक्रिया तो मुझे तुझे कहना चाहिए था क्योंकि तेरी वजह से ही मुझे आज इतनी ढेर सारी खुशियां वापस मिली है। वरना मैं तुझे चुदाई की कला और उसके सुख को बिल्कुल भी भूल चुकी थी,,,( लंड को मुठीयाते हुए बोली,,,।)


एक बात कहूं मामी (मंगल की हरकत की वजह से उसके बदन में एक बार फिर से सुरसुराहट होना शुरू हो गया था)

बोल तुझे अब कुछ भी मुझ से बोलने के लिए मेरी इजाजत लेना जरूरी नहीं है तेरे मन में जो आए वह सब बोल दिया कर,,,


मामी मुझे तुम्हारे मुंह से यह लंड,, बुर,,, चुदाई यह सब बहुत अच्छा लगता है।

ऐसा क्यों लगता है तुझे,,?( लंड को मुट्ठी में कसते हुए)

क्योंकि मैंने आज तक किसी लड़की या औरत को इस तरह के शब्दों का उपयोग करते हुए ना हीं देखा हूं ना हीं सुना हूं।
इसलिए तुम्हारे मुंह से यह शब्द सुनकर ना जाने मेरे बदन में कैसी हलचल मचने लगती है।
( अपने भांजे की यह बात सुनकर मंगल बहुत खुश हो रही थी वह जानती थी कि सूरज के मन में क्या चल रहा था और जो वह बोल रहा था वह ठीक भी था,,, उसने आज तक ऐसे शब्दों का उपयोग अपनी जिंदगी में भी कभी नहीं किया था,, वाक्यांश सूरज के साथ इस तरह के रिश्ते हो जाने की वजह से उसके मुंह से इस तरह की अश्लील शब्द बार-बार निकल रहे थे,, और उसे खुद यह सब बातें बोलने में बहुत मजा मिल रहा था। वह अपने भांजे की बात सुनकर बोली,,,।)

क्या सच में तुझे मेरी यह सब बातें अच्छी लगती है या तो मुझे यूं ही बना रहा है।

नहीं मामी कसम से मुझे यह तुम्हारी बातें बहुत अच्छी लगती हैं। लेकिन मामी क्या औरतें भी इस तरह की बातें गंदी बातें लंड बुर की चुदाई,,, चोदना,,, यह सब बातें करती हैं,,,,


हां तुम लड़कों की तरह औरतें और लड़कियां भी इस तरह की बातें करती हैं,,,( मंगल अपने भांजे के लंड को बराबर हिलाते हुए बोल रही थी जो कि उसकी हथेली में एकदम कसता चला जा रहा था,,,, बाहों के दरमियान मंगल की उत्तेजना भी फिर से पूरे बदन को अपने वश में करती जा रही थी।,,,)

लेकिन मामी मैंने तो कभी भी लड़कियों के मुंह से और ना ही औरतों के मुंह से इस तरह के शब्द सुने हैं,,,,।


मैं जानती हूं कि तेरे लिए ऐसा बिल्कुल नया है क्योंकि तू यह सब मामले में बिल्कुल भी नहीं पड़ता और तेरी दोस्ती भी लड़कियों से नहीं है इसलिए तो उन लोगों की बातें नहीं सुन पाता और यह भी नहीं जानता कि वह लोग कैसी बातें करती हैं,,।


मामी क्या तुम भी अक्सर ऐसी ही बातें करती हो?

नहीं रे मैंने आज तक ऐसी बातें कभी भी नहीं की लेकिन तेरे और मेरे बीच में जो इस तरह का नया रिश्ता बना है तब से मेरे मन में यह सब बातें बोलने की इच्छा जागरुक हो गई और मैं तुझसे ही यह सब बातें करने लगी,,,,, क्या तुझे मेरा इस तरह से बातें करना अच्छा नहीं लगता,,,,


नहीं मामी मुझे तो बहुत अच्छा लगता है तभी तो मैं कह रहा हूं,,,,


क्योंकि मैंने आज तक किसी लड़की या औरत को इस तरह के शब्दों का उपयोग करते हुए ना हीं देखा हूं ना हीं सुना हूं।
इसलिए तुम्हारे मुंह से यह शब्द सुनकर ना जाने मेरे बदन में कैसी हलचल मचने लगती है।
( अपने भांजे की यह बात सुनकर मंगल बहुत खुश हो रही थी वह जानती थी कि सूरज के मन में क्या चल रहा था और जो वह बोल रहा था वह ठीक भी था,,, उसने आज तक ऐसे शब्दों का उपयोग अपनी जिंदगी में भी कभी नहीं किया था,, वाक्यांश सूरज के साथ इस तरह के रिश्ते हो जाने की वजह से उसके मुंह से इस तरह की अश्लील शब्द बार-बार निकल रहे थे,, और उसे खुद यह सब बातें बोलने में बहुत मजा मिल रहा था। वह अपने भांजे की बात सुनकर बोली,,,।)

क्या सच में तुझे मेरी यह सब बातें अच्छी लगती है या तो मुझे यूं ही बना रहा है।

नहीं मामी कसम से मुझे यह तुम्हारी बातें बहुत अच्छी लगती हैं। लेकिन मामी क्या औरतें भी इस तरह की बातें गंदी बातें लंड बुर की चुदाई,,, चोदना,,, यह सब बातें करती हैं,,,,


हां तुम लड़कों की तरह औरतें और लड़कियां भी इस तरह की बातें करती हैं,,,( मंगल अपने भांजे के लंड को बराबर हिलाते हुए बोल रही थी जो कि उसकी हथेली में एकदम कसता चला जा रहा था,,,, बाहों के दरमियान मंगल की उत्तेजना भी फिर से पूरे बदन को अपने वश में करती जा रही थी।,,,)

लेकिन मामी मैंने तो कभी भी लड़कियों के मुंह से और ना ही औरतों के मुंह से इस तरह के शब्द सुने हैं,,,,।


मैं जानती हूं कि तेरे लिए ऐसा बिल्कुल नया है क्योंकि तू यह सब मामले में बिल्कुल भी नहीं पड़ता और तेरी दोस्ती भी लड़कियों से नहीं है इसलिए तो उन लोगों की बातें नहीं सुन पाता और यह भी नहीं जानता कि वह लोग कैसी बातें करती हैं,,।


मामी क्या तुम भी अक्सर ऐसी ही बातें करती हो?

नहीं रे मैंने आज तक ऐसी बातें कभी भी नहीं की लेकिन तेरे और मेरे बीच में जो इस तरह का नया रिश्ता बना है तब से मेरे मन में यह सब बातें बोलने की इच्छा जागरुक हो गई और मैं तुझसे ही यह सब बातें करने लगी,,,,, क्या तुझे मेरा इस तरह से बातें करना अच्छा नहीं लगता,,,,


नहीं मामी मुझे तो बहुत अच्छा लगता है तभी तो मैं कह रहा हूं,,,,
 
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( अपने भांजे की बात सुनकर मंगल मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

मैं तो अभी-अभी ऐसी बातें करने लगी और वह भी तुझसे ही लेकिन अपनी मंजू है ना,,,,( मंजू मौसी का जिक्र आते ही सूरज अपनी मामी की बातों को और गौर से सुनने लगा,।) वह तो हमेशा इसी तरह की बातें करती रहती है।
( मंजू मौसी के बारे में अपनी मामी की बातें सुनकर सूरज के मन में वह क्या बातें करती थी यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी इसलिए वह बोला।)

कैसी बातें करती थी मामी,,,,

अरे यही चुदाई,,,, लंड,,,, बुर,,,,, यही सब बातें उसके मन में हमेशा घूमती रहती हैं,और अक्सर वह मुझसे ऐसी बातें करती थी।( मंगल सूरज के खड़े लंड को मुट्ठीयाते हुए बोली,,,,। अपनी मामी की बातें सुनकर सूरज के मन में यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी,,
कि मंजू मौसी उसकी मामी से कैसी बातें करती थी और किस बारे में बातें करती थी इसलिए वह अपनी मामी से बोला,,।


बताओ ना मामी मंजू मौसी मेंम आपसे कौन सी बातें करती थी और किस बारे में,,,,
( मंगल का मुड पूरी तरह से बन चुका था लंड की गर्माहट उसकी हथेलियों से होते हुए उसकी जांघों के बीच की पतली दरार तक पहुंच गई थी ।जहां पर उत्तेजना के मारे उसकी बुर का नमकीन पानी धीरे धीरे धीरे करके नीचे टपकने लगा था।,,, मंगल अब दूसरे प्लान में ही जुड़ी हुई थी, वह अब फिर से अपनी भांजे से चुदना चाहती थी इसलिए अपने भांजे की बात को टालते हुए बोली,,,।)

अरे सूरज जाने देना वह क्या बातें करती थी उससे क्या लेना-देना हम अपने खेल को आगे बढ़ाते चलते हैं,,,,।
( अपनी मामी की टालने वाली बात सुनकर सूरज झट से बोला।)

नहीं मामी प्लीज बताओ ना वह कैसी बातें करती हैं क्योंकि मुझे यकीन नहीं हो रहा है किसी मंजू मौसी भी इस तरह की बातें कर सकती हैं।

सूरज तुझे मुझ पर भी भरोसा था कि मैं इस तरह की बातें नहीं कर सकती हूं,,, लेकिन फिर भी कर रही हूं ना,,,, वैसे उसी तरह से मंजू मौसी भी इस तरह की बातें करती हैं। जिस तरह से तुम लड़कों कामन गंदी बातें करके संतुष्ट होता है उसी तरह से औरतों का भी मन गंदी बातें करके संतुष्ट होता है।

लेकिन मामी यह तो बताओ कि वह बातें क्या करती थी,,,

( मंगल समझ गई कि उसका भांजा मंजू मौसी की बातें सुनकर ही मानेगा इसलिए वह बोली,,,,।)

बस ऐसे ही मुझसे मजाक किया करती थी की आज तो भाई साहब तुझे सोने नहीं दिए होंगे,,, रात भर तेरी चुदाई किए होंगे तेरी बुर से लंड निकाले ही नहीं होंगे,,,,,,( अपनी मामी के मुंह से मंजू मौसी की बातें सुनकर सूरज आश्चर्यचकित हो गया)
तू है ही इतनी खूबसूरत कि तुझे देखते ही किसी का भी मन तुझे चोदने के लिए करने लगता है,,,, और तो और वह यह भी कहती थी कि लंबे लंड से औरतों को ज्यादा मजा आता है।,,,,

सच मामी,,,,, (सूरजआश्चर्य के साथ बोला)


हां सूरज मैं बिल्कुल सच कह रही हो और तो और वह तेरे बारे में भी गंदा ही सोचती है,,,,,
( इस बार अपनी मामी की बात सुनकर सूरज एकदम से दंग रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मामी जो बोल रही है वह सच कह रही है इसलिए अपनी मामी की बात कंफर्म करने के लिए वह बोला,,,।)


क्या बात कर रही हो मामी ऐसा नहीं हो सकता भला वह मेरे बारे में क्या बातें करेंगी,,,, तुम मुझे सिर्फ बहका रही हो,,,।


देख सकता हूं कोई और समय होता तो शायद मैं तुझसे यह बोलती भी नहीं लेकिन तेरे और मेरे बीच में ऐसी कोई भी बात नहीं सीखनी चाहिए इसलिए मैं तुझे सब बता रही हूं। मैं सच कह रही हूं वह तेरे हट्टे-कट्टे शरीर पर एकदम फिदा हो गई है।
( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज का दिमाग सन्न रह गया और वह बोला।)

क्या कह रही थी मामी वह मेरे बारे में,,,।
( सूरज बेहद उत्सुक नजर आ रहा था अपनी मामी के मुंह से मंजू मौसी के मन की बातें जानने के लिए मंगल इस समय बेहद कामातुर हो चुकी थी इसलिए इस तरह की बातें करने में उसे बिल्कुल भी असहज नहीं लग रहा था इसलिए वह बोली।)

सूरज तू शायद यकीन नहीं करेगा,,,
( मंगल के हाथ में अभी भी सूरज का खड़ा लंड था इसलिए वह ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी) तेरे मजबूत शरीर को देखकर वह मन ही मन तेरे लंड के बारे में कल्पना करती है,,, और वह भले ही मजाक में यह बात कही हो लेकिन वह तुझसे चुदना चाहती है,,,,
( यह सुनकर तो सूरज की हालत खराब होने लगी वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि मंजू मौसी उसके बारे में इस तरह के ख्यालात रखती है मन ही मन प्रसन्न हो रहा था और यह बात का जिक्र होते ही उसे जोपाड़ी वाली बात याद आने लगी जिस अदा से वह उससे बातें करते हुए ब्लाउज के अंदर छिपे अपने बड़े-बड़े चुचियों को दिखा रही थी,,, और तो और चम्मच उठाने के बहाने जिस तरह से उसने अपने भारी भरकम नितंबों को जान बूझकर उसके लंड से सटाया था,,, इससे साफ तौर पर तय था कि मंजू सचमुच उसी से चुदवाना चाहती है। सूरज एक पल के लिए मंजू मौसी के ख्यालों में खो गया यह देख कर मंगल बोली,,,।


क्या हो गया कहां खो गया,,,,, कही मंजू मौसी की तो याद आने नहीं लगी,,

नहीं मामी ऐसी कोई बात नहीं है,,,,


हां देखना कहीं मेरी सौतन मत रख लेना,,,,( इतना कहकर वह हंसने लगी,,, सूरज आश्चर्य से अपनी मामी की कही बात और उसे देखकर हैरान हो गया,,, क्योंकि सोतन वाली बात से उसके बदन में भी सुरसुरी सी मच गई,,, मंगल की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसने कहा कि अपनी मुट्ठी में अपने भांजे के लंड को भींच ली इसकी वजह से सूरज के मुंह से आह निकल गई,,,,, मंगल से बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था,,,, एक बार फिर से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और वह बिना कुछ बोले अपने भांजे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, जैसे ही लंड का सुपाड़ा मंगल उसके मुंह में घुसा तुरंत सूरज के मुंह से सिसकारी की आवाज आ गई,,,

ससससहहहहह मामी,,,,,,

( आज तो मंगल अपने भांजे के लंड को बिल्कुल भी छोड़ नहीं रही थी कभी मुंह में तो कभी अपी बुर,,,, में,,,, जैसे लग रहा था कि आज वह अपने भांजे के लंड से सारा रस निचोड़ डालेगी,,,, देखते ही देखते धीरे-धीरे वह अपने भांजे कें मोटे लंबे लंड कोे गप्प से मुंह में निगल गई,,,,, एक अद्भुत एहसास सूरज के पूरे बदन में दौड़ने लगा उसके मुंह से लंबी सिसकारी निकल गई मस्ती के आलम में उसकी आंखें मूंदने लगी,,, और देखते ही देखते मंगल अपने भांजे के लंबे लंड को क्रीम रोल की तरह पुरा मुंह मे भरकर चूसना शुरू कर दि,,, सूरज का एक हाथ अपने आप मंगल के सिर पर चला गया और वह अपने हाथों से बालों में लगा हुआ बक्कल खोल दिया जिसकी वजह से मंगल की रोशनी बालों का गुच्छा खुल गया,,, और मंगल के रेशमी मुलायम बाल हवा में लहराने लगे,,,, मंगल बड़े मजे लेकर अपने भांजे के लंड को चूस रही थी,,, जिंदगी में पहली बार उसे लंड चुसाई करने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। अपने भांजे के लंड को पूरा गले तक उतारकर वह बड़े ही कामुक तरीके से लंड को चूसने का मजा ले रही थी,,, कि तभी उसे अपने पति का वह तरीका याद आ गया जब वह बेमन से कभी उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और वह उसके पूरे बदन को अपने ऊपर चढ़ा कर,, उसकी भारी भरकम गांड को अपने मुंह पर रखकर उसकीे बुर को चाटना शुरू कर दिया था,,, इस अवस्था में मंगल को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी वही दमा दम मस्त हो चुकी थी लेकिन यह ज्यादा देर तक नहीं कर पाया क्योंकि मंगल को लंड चूसने में दिक्कत होती थी उसे लंट चुसाई मैं बिल्कुल भी मजा नहीं आता था और ना ही उसका मन करता था,,,, उस दिन वाली बात जो कि उस बात को भी बरसों बीत गए थे आज कमरे में अपने भांजे के साथ एक ही बिस्तर पर उसके लंड को चूसते हुए उस दिन की बात याद आते हैं उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी और वही तरीका आजमाने का मन उसका करने लगा,,,, वह अपने भांजे के लंड को चूसते हुए धीरे से अपने पूरे बदन का वजन अपने भांजे पर रख दी सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मामी क्या कर रही है और देखते ही देखते मंगल पूरी तरह से अपने भांजे के ऊपर चढ़ गई हालांकि अभी भी उसके मुंह में उसके भांजे का लंड पूरी तरह से घुसा हुआ था। मंगल एकदम सही स्थिति में आ गई थी उसकी भारी भरकम गांड ठीक सूरज के मुंह के ऊपर थी जिसे वह तिरछी नजर से बराबर देख रही थी सूरज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि यह उसके लिए बिलकुल भी नया तरीका था लेकिन अपनी आंखों के ठीक सामने अपनी मामी की भारी-भरकम गांड और उसकी गुलाबी बुर को देखकर उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई,,,, मंगल उसे अपने मुंह से कुछ बताना नहीं चाहती थी वह देखना चाहती थी कि उसका भांजा क्या करता है वह सिर्फ उसे इशारा करके निर्देश देना चाहती थी जिसके लिए वह अपनी भारी भरकम गांड को हल्के से नीचे झुका कर,, अपनी रसीली बुर को अपने भांजे के चेहरे पर रगड़ने लगी,,,, बुर की गर्माहट और रगड़ाहट चेहरे और होठो पर पड़ते ही सूरज की हालत खराब होने लगी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मामी क्या कर रही है लेकिन जो भी कर रही थी उससे मंगल की उत्तेजना तो बढ़ ही रही थी साथ ही सूरज भी बेहद कामोत्तेजित हो चुका था। अपनी मामी की रसीली बुर को अपने होंठों के इतने करीब पाकर सूरज बुर चाटने की लालच को दबा नहीं पाया और वह अपनी जीभ से बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, मंगल के बदन में तो सनसनी की लहर दौड़ गई जो वह चाहती थी वही उसका भांजा कर रहा था,,, उत्तेजना के आवेश में आकर मंगल और जोर-जोर से अपने भांजे के लंड को मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दी,,, सूरज को भी इस पोजीशन में अपनी मामी की बुर चाटने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ ले जाकर के पीछे से अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड को पकड़ लिया और जोर लगा कर खुद ही उसकी गांड को ऊपर नीचे करते हुए बुर चाटने का मजा लेने लगा,,,, यह पल सूरज और मंगल के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजित कर देने वाला था,,, अपने पति के साथ यही क्रिया करने में मंगल को खास उत्तेजना का अनुभव नहीं हुआ था लेकिन उसके बदन में सुरसुराहट जरूर हुई थी,,, लेकिन आज की बात कुछ और थी वहीं क्रिया को आज अपनी भांजे के साथ करने में मंगल कामोत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गई थी,, अनजाने में जिस पोजीशन में दोनों एक दूसरे के अंगों को एक साथ मुंह में ले कर मजा ले रहे थे,,, ऊन दोनों को उस पोजीशन को संभोग की क्रिया में कौनसी उपनाम से नवाजा गया है इस बारे में थोड़ा सा भी ज्ञान नहीं था वैसे भी उस पोजीशन को किस नाम से जाना जाता है यह जानना उन दोनों के लिए बिल्कुल भी जरूरी नहीं था,, और ना ही किसी भी प्रकार की उत्सुकता ही थी बस दोनों को मजा लेना था और दोनों अपने आप मजा ले रहे थे,,मंगल की बुर से लगातार रिसाव हो रहा था जो कि सूरज के चेहरे को पूरी तरह से भिगो दिया था। सूरज खूब मजे ले लेकर अपनी मामी की बुर को चाट रहा था जितना हो सकता था वह उतनी गहराई तक अपनी जीभ को अंदर तक घुसेड़ कर अंदर से मदन रस को जीभ से निकाल निकाल कर चाट रहा था। दोनो की सांसे तीव्र गति से चल रही थी कमरे में बिल्कुल सन्नाटा फैला हुआ था बस दोनों की गहरी चल रही सांसो की ही आवाज गूंज रही थी। कुछ देर तक दोनों इसी तरह से एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते रहे,, सूरज तो बेहद उत्तेजित होकर के अपनी मामी की बुर की गुलाबी पत्ती को दांतों के बीच मे भर कर दबा दे रहा था जिससे मंगल की सिसकारी निकल जा रही थी,,,, मंगल को इतना ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी कि वह एक बार फिर से झढ़ गई और भलभलालाकर ढेर सारा पानी अपने भांजे के चेहरे पर ही ऊगल दी,,, सूरज भी काफी देर से उत्तेजना को दबाए हुए था। उसे लगने लगा कि उसके लंड से भी पानी निकल जाएगा दूसरी तरफ मंगल को जोरो से पेशाब लग गई,,, उसका बाथरूम में जाना बेहद जरूरी था इसलिए वह अपनी भांजे के लंड को अपने मुंह में से जल्दी से बाहर निकाल दि,,, यह सूरज के लिए भी अच्छा ही था क्योंकि वह भी झड़ने के ही कगार पर था। मंगल तुरंत अपने भांजे के ऊपर को उठ कर बिस्तर के नीचे खड़ी हो गई,,


क्या हुआ मामी,,,

कुछ नहीं सूरज मुझे जोरों से पेशाब लगी है,,,( मंगल के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनते ही सूरज का लंड ठुनकी मारने लगा,,, मंगला इधर-उधर बिस्तर पर कपड़े ढुंढ रही थी ताकि वह पहनकर बाहर जा सके,,, मंगला को इस तरह से इधर-उधर ढुंढ़ते हुए देखकर सूरज बोला,,,।)

क्या हुआ मामी क्या ढूंढ रही हो,,,

अरे कपड़े ढूंढ रही हुं ताकि उसे पहन कर बाथरूम जा सकूं,,


लेकिन मामी मेरे और तुम्हारे सिवा यहां तीसरा है ही कौन जो तुम्हें देख लेगा इसलिए कपड़े पहन कर जाना जरूरी नहीं है,,,
तुम नंगी भी जा सकती हो बाथरूम,,,( अपने भांजे की बात सुनकर मंगला सोचने लगी कि उसका भांजा सही कह रहा है आज बिल्कुल नंगी होकर बाथरूम जाने का अनुभव भी वह महसूस करके देखना चाहती थी,,,,। इसलिए वह कमरे से बाहर संपूर्ण नग्नावस्था में जाने के लिए तैयार हो गई,,,,

मंगल पूरी तरह से तैयार थी इसलिए वह हाथ में आई चादर को वापस बिस्तर पर फेंक दी,, वह अपने भांजे की तरफ कामुक मुस्कान फेंकते हुए दरवाजे की तरफ जाने लगी,, बिस्तर पर बैठा सूरज अपनी मामी को गांड मटकाते हुए जाता देखकर वह भी बिस्तर पर से खड़ा होता हुआ बोला,,,

रुको मामी मुझे भी पेशाब लगी है मैं भी चलता हूं।( इतना कहकर वह भी पीछे-पीछे आ गया उसे भी नग्नावस्था में आता देखकर मंगल मुस्कुरा दी,,, दरवाजा खोलकर मंगल कमरे से बाहर आ गई उसे मालूम था कि घर में तीसरा कोई भी मौजूद नहीं है फिर भी वह आदत के अनुसार चारों तरफ देखने लगी,, सूरज ठीक उसके पीछे ही खड़ा था जिसकी नजर मंगल की बड़ी बड़ी गांड पर ही टिकी हुई थी। मंगल बड़े ही कामुक अदा सै आगे बढ़ने लगी,, बड़ी-बड़ी मटकती हुई गांड को देखकर सूरज की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी एक तो पहले से ही उसकी मामी ने उसके लंड को मुंह में लेकर दोबारा लंड की हालत खराब कर दी थी और ऊपर से यह मटकती हुई गांड,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,,, सूरज पर कयामत बरसा रही थी। मंगल इस तरह से अपने घर में तो क्या अपने कमरे में भी पूरी तरह से नंगी होकर चहल-कदमी नहीं की थी पूरी तरह से लगना वस्था में घर में इधर-उधर घूमने का यह पहला अनुभव था,,, और इस अनुभव ने तो उसके बदन में उत्तेजना की गजब की सुरसुरी मचा रखी थी,,,, यह पल उसके लिए बेहद आनंदित कर देने वाला था,,,, कमरे में इस तरह से बिंदास होकर के एकदम नंगी घूमने का अनुभव उसे बेहद रोमांचित कर रहा था। वह बार-बार पीछे पलटकर सूरज की तरफ देख रही थी जोकि उसके ही नंगे बदन का रसपान कर रहा था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था।,,, अगले ही पल वह बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर घुस गई और उसके पीछे-पीछे सूरज भी बाथरूम में चला गया,,,, यह दूसरा मौका था जब दोनों एक साथ बाथरूम में थे इसके पहले भी एक बार बाथरूम में दोनों स्थित होने पर उस पल का फायदा उठाते हुए एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर चुके थे लेकिन ऐन मौके पर ही मंगल की मा के आ जाने पर सारे किए कराए पर पानी फिर गया था,,, लेकिन आज उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं थी क्योंकि आज उन्हें कोई भी रोकने वाला नहीं था और ना ही कोई बात रूम में बिना बताए घुस आने वाला था क्योंकि घर में दोनों के सिवा कोई भी नहीं था इसलिए तो सूरज बाथरूम में प्रवेश करते ही दरवाजा ना बंद करके दरवाजा खुला छोड़ दिया था,,,, बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ देना यह दोनों की मानसिकता को उजागर करती थी ।
यही इस बात की प्रतीति कराता था की अब इन दोनों को किसी बात का न तो डर है और ना ही किसी की परवाह है,,,।
घर का बाथरूम भी काफी बड़ा था,,,दोनों मामी भांजा उस बाथरूम में संपूर्ण नग्नावस्था में एक-दूसरे को मुस्कुराते हुए देख रहे थे लेकिन मंगल इस समय कुछ असहज हो रही थी क्योंकि उसे पेशाब का प्रेशर कुछ ज्यादा ही तेज आया हुआ था और वह अपने भांजे के सामने थोड़ा सा शर्मा रही थी
तभी सूरज अपनी मामी के करीब आगे बढ़ता हुआ बोला,,,

मामी उस दिन भी हम दोनों इसी तरह से एक ही बाथरुम में थे उस दिन दे हम दोनों के बीच बहुत कुछ हो चुका होता अगर नानी एन मौके पर ना गई होती तो,,,

आ भी गई थी तो क्या हो गया था हम दोनों उस दिन भी अपने इस कार्यक्रम को आगे बढ़ा सकते थे,,,( मंगल बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
तू जानता है सूरज उस दिन बाथरूम में मेरी बहुत इच्छा हो रही थी तेरे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,, मैं तुझसे चुदने के लिए एकदम तड़प रही थी,,, लेकिन मेरा पानी निकलता है इससे पहले ही तेरी नानी ने पूरा काम बिगाड़ दिया,,,,

तुम अब कह रही हो मामी ,,,( इतना कहते हुए सूरज अपनी मामी के बेहद करीब आ गया,,, इतना करीब कि उसका खड़ा लंड मंगल के पेट पर रगड़ खाने लगा। और मंगल एकदम से उत्तेजित हो गई और हाथ आगे बढ़ा कर अपने भांजे के लंड को पकड़ ली।

ससहहहहहहह,, मामी मेरा लंड तुम्हारे हाथ में आते ही ना जाने मुझे क्या होने लगता है,,,,( सूरज सिसकते हुए बोला,,, अपने भांजे की बात सुनकर मंगल मुस्कुराते होंगे और लंड को पकड़कर अपने पेट पर उसके सुपाड़े को रगड़ते हुए बोली,,,।)

क्या होने लगता है मेरे सूरज,,,,,


ऐसा लगता है कि मैं पूरा लंड तुम्हारी बुर में डालकर चोद डालूं,,,


तो डालकर चोदता तो है तू और तुझे मना भी किसने किया है,,,,,,
( इतना कहते हुए मंगल जोर-जोर से लंड के सुपाड़ें को अपनी मक्खन जैसे चिकने पेट पर रगड़ने लगी,,,, वह इतनी गरम हो चुकी थी कि उसकी सिसकारी निकल जा रही थी,,
दोनों के बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था दोनों बेहद गर्म हो चुके थे,, मंगल से रहा नहीं जा रहा था उसके हाथ में सूरज का मोटा तगड़ा लंबा लंड था और उसका मन बार-बार उसे मुंह में लेकर चूसने को कर रहा था,, उसे प्रेशर भी बड़ी तेजी से आई थी लेकिन वह लंड़ को अपने मुंह में लेकर चूसने के लालच को दबा नहीं पाई और नीचे झुकते हुए अपने भांजे के खड़े लंड को गप्प से अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, सूरज तो अपनी मामी के इस अदा पर जैसे हवा में उड़ रहा हो ऐसा अनुभव करने लगा,,, उत्तेजना और बदन में चढ़ रहे ऊन्माद की वजह से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,, धीरे-धीरे करके मेरे मौला अपने भांजे के लंबे लंड को पूरी तरह से मुंह में निगल गई जोकि उसके गले तक पहुंच रहा था फिर भी बिना किसी तकलीफ के वह उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, और लंड को चूसते हुए वह अपनी टांगो को फैला कर बैठ गई,,, उसे अपन भी बड़े जोरों से लगी थी इसलिए वह अपनी पेशाब को ज्यादा देर तक रोक नहीं पा रही थी,,, इसलिए लंड को मुंह में लेकर चुसते हुए वह पेशाब करना शुरु कर दी,,,,
बुर से बड़े प्रेशर के साथ निकल रही पेशाब की धार की आवाज बेहद सुरीली लग रही थी जो कि सिटी के रूप में सुनाई दे रही थी और उस आवाज को सूरज के कानों तक पहुंचते ही,,,, सूरज की हालत खराब होने लगी वह बेहद कामातुर हो गया,,, मंगल उसकी टांगों के बीच में ही पेशाब कर रही थी सूरज ने अपने टांग को थोड़ा और फैला दिया,,,
सूरज अपनी नजरों को नीचे करके अपनी मामी की बुर से निकल रहे पेशाब के तेज बहाव को देखकर बेहद कामोत्तेजित हो गया,, वह चुदास पन से एकदम व्याकुल होने लगा, और हल्की हल्की अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए अपनी मामी के मुंह में ही लंड को अंदर बाहर करने लगा,,, एक तरह से वह अपनी मामी के मुंह को चोदना शुरू कर दिया।,, मंगल लंड को चुस्ती हुई बड़ी तेजी से अपनी पेशाब को बाहर निकाल रही थी जिसमें से आ रही सीटी की आवाज पूरे बाथरूम में गूंज रही थी और यह आवाज दोनों को चुदवासा बना रही थी,,,, मंगल बड़ी तेजी से अपने भांजे का लंड चूस रही थी और सूरज भी बड़ी तेजी से अपनी कमर को आगे पीछे करता हुआ हिला रहा था।
थोड़ी ही देर में मंगल पेशाब करके हो गई थी,,, उसका मन अपने भांजे के लंड को बुर में डलवा कर चुदवाने को कर रहा था,,,, इसलिए वह कुछ देर तक और अपनी भांजे के लंड को चुसकर उसे अपने मुंह से बाहर निकाल दी,,,, वह खड़ी होते हुए बोली,,,

बस सूरज अब डाल दे अपने लंड को मेरी बुर में क्योंकि मुझ से रहा नहीं जा रहा है उस दिन जो काम बाथरूम में अधूरा छूट गया था उसे आज पूरा कर दें,,,,
( इतना कहते हुए वह खड़ी हो गई और अपनी मद मस्त भराव दार गांड को अपने भांजे की तरफ परोश कर जैसे ही दीवार की तरह मुंह करने को हुई कि,,,, सूरज जल्दी से अपने दोनों हाथ से अपनी मामी की कमर को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए बोला,,,,।)

रुको तो सही मामी मुझे भी तो मलाई चाप लेने दो,,,
( मंगल कुछ समझ पाती इससे पहले ही सूरज अपने घुटनों के बल बैठ कर अपना मुंह अपनी मामी की गुदाज जांघों के बीच डालकर बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, अपने भांजे की जीभ़ अपनी बुर पर महसूस करते ही एक बार फिर से मंगल की हालत खराब होने लगी और वह एकदम से तड़प उठी,,, एक बार फिर से वहां कामातुर होकर के अपने भांजे से अपनी बुर चटवाने लगी,,,, दोनों इस पल का बेहद भरपूर फायदा उठा रहे थे मंगल एकदम बेशर्म हो चुकी थी और वैसे भी इस तरह का मजा लेने के लिए हर औरत को बेशर्म बनना ही पड़ता है अगर वह बेशर्म ना बने शर्म के पर्दे में रहे तो इस तरह का अद्भुत आनंद की प्राप्ति उसे कभी भी नहीं हो सकती,,,, इसलिए तो मंगल भी बरसों से ओढ़ रखी शर्मा हया की चादर को निकाल फैंकी थी। क्योंकि अब तक संस्कार और पुराने खयालात में उसे इस तरह के अतुल आनंद से कोसों दूर रखे हुए था, संभोग के अद्भुत सुख से वह अब तक वंचित ही रही थी,,,। इसलिए तो आज वह बेहद खुलकर अपनी भांजे के साथ आनंद के सागर में गोते लगा रही थी। सूरज बड़े मजे ले लेकर अपनी मामी की बुर के अंदर जीभ डाल डाल कर ऊसकी मलाई को गले के अंदर गटक रहा था।
कसैला नमकीन रस उसे किसी अमृत की बूंदों से कम नहीं लग रहा था,,, कुछ देर तक सूरज ऐसे ही हम अपनी मामी की मलाई को जीभ से चाटता रहा,,,, लेकिन अब उसका लंड बेहद विस्फोटक स्थिति में आ गया था,,,, इसका लावा कभी भी पिघल कर बाहर आ सकता था,,, इसलिए सूरज में जरा भी देर करना उचित नहीं समझा और जांघो के बीच से अपना मुंह बाहर निकाल कर खड़ा हो गया,,,, मंगल कामातुर हो कर सूरज को ही देखे जा रही थी और सूरज अपनी मामी की कमर को थाम कर वापस उसी दीवार की तरफ घुमाते हुए खड़ा कर दिया,,, परिपक्वता और बेशर्मी से भरपूर हो चली मंगल को समझते देर नहीं लगी कि उसे अब क्या करना है,,, वह भी जल्दी से दीवार के सहारे खड़ी होकर के अपनी भरावदार मस्त गांड को उभार कर किसी स्वादिष्ट व्यंजन की थाली की तरह अपने भांजे के सामने परोश दी,,,, सूरज अपनी मामी की बड़ी-बड़ी और गोलगोल गांड देखकर एकदम कामातुर हो गया उसकी आंखों में चमक नजर आने लगी,
सूरज से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथों से अपनी मामी की गोल-गोल गांड की दोनों फांकों पर चपत लगाने लगा,,,, देखते ही देखते सूरज ने दो चार चपत जड़ दिए,,, मंगल के मुख से कराहने की आवाज आ गई,,,

आहहहह,,, आहहहहह,,, आहहहहहहह,,,,, क्या कर रहा है सूरज मुझे दर्द हो रहा है,,,,,,

क्या करूं मामी तुम्हारी गांड ही इतनी मस्त है कि मुझ से रहा नहीं जा रहा है,,,,


तो डाल देना अपना लंड इसीलिए तो तेरी तरफ उठा कर रखी हूं,,,, ( मंगल मदमस्त होते हुए बोली गांड पर चपत लगने की वजह से भले ही उसे दर्द का एहसास हो रहा हो लेकिन सूरज की इस हरकत से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई उसे बहुत ही आनंददायक लग रहा था,,बस उसे यह इंतजार था कि कब उसके भांजे का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर के अंदर समाता है,,,सूरज भी तड़प रहा था,,, वह एक हांथ से अपनी मामी की मदमस्त गांड को पकड़ते हुए,,, अपने लंड के मोटे सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटाकर लंड के मोटे सुपाड़े को आहिस्ते आहीस्ते बुर के अंदर सरकाने लगा,,,, बुर पहले से ही ढेर सारा पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी,,, लंड का मोटा सुपाड़ा बड़े आराम से बुर के अंदर प्रवेश कर गया,,, जैसे-जैसे बुर के अंदर लंड जा रहा था वैसे वैसे मंगल आनंद के सागर में डूबती चली जा रही थी। धीरे-धीरे करके सूरज ने अपना आधा लंड अपनी मामी की बुर में डाल दिया,,,, मंगल की तो सिसकारी फूटने लगी थी,,, वह मदमस्त होकर अपनी हथेली को बाथरूम की दीवार पर रगड़ रही थी। सूरज अब अपनी मामी की कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और कचकचा कर एक जबरदस्त धक्का मारा कि उसका पूरा लंड बुर की गहराई नापने लगा,,, मंगल के मुंह से चीख निकल गई,,,,

आाााहहहहहह,,, सूरज इतनी जोर से क्यों डाला रे अंदर,,,ऊहहहहहह. मर गई रे,,,,,, सूरज तू बड़ा नालायक हे रे इतनी तेज कहीं डाला जाता है।,,,आहहहहह,,,,, कितना दर्द कर रहा है सच में तू बड़ा बेदर्द है,,,,आहहहह,,,,, आहहहहहह,, सूरज,,,,,, ( मंगल और कुछ कह पाती इससे पहले ही सूरज लंड को बाहर की तरफ खींच कर तीन-चार धक्के और लगा दिया,,,, सूरज रुकने वाला नहीं था और पूरा जोश से भर चुका था वह अब बुर को चोदना शुरू कर दिया था।,,, थोड़ी ही देर में मंगल के मुंह से आ रही दर्द से कराहने की आवाज सिसकारी में बदल गई,,,, वह बेहद आनंदित हो उठी,,,, बाथरूम में चुदवाने का इसका पहला मौका था पहली बार तो वह सफल नहीं हो पाई थी लेकिन इस बार बार पूरा मजा लेकर के खुले तौर पर अपने भांजे से बाथरूम में चुदवाने का आनंद लूट रही थी,,,, सूरज भी बहुत कामोत्तजीत नजर आ रहा था तभी तो वह गांड पर बार-बार चपत भी लगाता जा रहा था,ऐसा नहीं था कि मंगल को गांड पर थप्पड़ पड़ने की वजह से दर्द ना हो रहा है उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन इस दर्द में उसे बेहद आनंद की अनुभूति भी हो रही थी। मंगल इतनी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी कि वह पीछे की तरफ अपनी बड़ी बड़ी गांड को ठेलकर जल्द से जल्द अपने भांजे के लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार लेना चाहती थी,,, अपनी मामी का उतावलापन देखकर सूरज से भी रहा नहीं गया और वहां बड़ी तेज गति से जबरदस्त प्रहार करते हुए धक्के पर धक्का लगाने लगा,,, सूरज का हर प्रहार इतना तेज था कि हर धक्के के साथ मंगल सीधे बाथरूम की दीवार से सट जाती थी। मंगल नरम गरम मांसल जांघों से सूरज की जांघ जब भी टकरा रही थी,,,चप्प चप्प की बेहद उन्मादक आवाज पूरे बाथरूम में गूंज रही थी,,,, सूरज की कमर बड़ी तेजी से हिल रही थी इस तरह की चुदाई के लिए मंगल बरसों से तड़प रही थी,,, आज उसकी यह तड़प शांत हो रही थी बहुत मजा आ रहा था दोनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,,, तकरीबन एकाध घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद,,, मंगल का बदन अकड़ने लगा उसकी सिसकारी और ज्यादा तेज हो गई,,,, सूरज समझ गया कि उसकी मामी का पानी निकलने वाला है और वह भी बेहद करीबी था इसलिए उसके धक्कों की रफ़्तार और ज्यादा तेज हो गई,, थोड़ी देर बाद दोनों एक साथ तेज सिसकारी लेते हुए झडने लगे,,,, दोनों एक बार फिर से संतुष्टि पूर्वक अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिए थे,। इसके बाद तो कमरे में आकर भी दोनों ने सुबह ५:००बजे तक जबरदस्ती चुदाई का कार्यक्रम जारी रखा,, दोनों बहुत थक चुके थे इसलिए बिस्तर पर पड़ते ही नींद की आगोश में चले गए,,,,, जब उन दोनों की नींद खुली तो सुबह के तकरीबन १०:०० बज रहे थे।

गजब के सुखमय और अद्भुत दौर से दोनों गुजर रहे थे उन दोनो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी जिंदगी में इस तरह के हालात पैदा होंगे कि,,, दोनों मामी भांजे के पवित्र रिश्ते को भूलकर सारी मर्यादा लांग जाएंगे। इसमें दोनों का कसूर था भी और नहीं भी हालात ही कुछ ऐसे पैदा हो गए थे कि कुछ और सोचने समझने का समय ही नहीं था हालांकि ज्यादातर गलती इसमें मंगल की ही थी अगर वह चाहती तो यह सब होता ही नहीं लेकिन बरसों की प्यास ने उसे मजबूर कर दिया था,,, पति का प्यार ना पाकर अतृप्त मंगल मैं मजबूर हूं अपने भांजे से अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए एक मर्द का काम ली,,, सूरज तो नया-नया जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था उसके बदन में जोश के साथ साथ औरतों के बदन की खुशबू और उनकी बनावट के बारे में जानने की उत्कंठा भरी हुई थी और इसी उत्कंठा का फायदा उठाते हुए मंगल ने अपने भांजे से शारीरिक संबंध स्थापित कर ली,,, जो कि समाज की नजरों में बहुत बड़ा पाप था लेकिन यह पाप,, मंगल के लिए किसी नई जिंदगी से कम नहीं थी। दोनों खुलकर इस पल का फायदा उठा रहे थे।
रात भर की घमासान चुदाई के बाद दोनों की नींद दूसरे दिन देर से खुली जिसकी वजह से दोनों खेतों में नहीं जा पाए।,,, खेतों ना जाने का फायदा उठाते हुए दोनों दिन भर अपने चुदाई कार्यक्रम को आगे ही बढ़ाते रहें,,,,।
 
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खेतो में सूरज को नहीं आया देखकर मंजू की बेचैनी बढ़ने लगी थी। सूरज के धोती में बना तंबू उसके बदन की गर्मी को बढ़ा देता था मंजू की तड़प और बेचैनी इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह अपने कमरे में रात भर उसके धोती में बने तंबू को लेकर के और उसमें के दमदार हथियार की कल्पना कर कर के ही वहं अपने हथेली के अपनी रसीली बुर को रगड़ रगड़ कर ना जाने कितनी बार ऊसका पानी निकाल चुकी थी।,,,
एक लड़के की मर्दानगी कि दो ओरते दीवानी हो चुकी थी,, एक ने तो उसके मर्दानगी का स्वाद चख ली थी,,, और उसकी पूरी तरह से कायल हो चुकी थी,,,, और दूसरी ने तो अभी तक केवल कल्पना में ही सपनों की सेज सजा रखी थी,,,, जिस पर वह सूरज के साथ ना जाने कैसे कैसे काम क्रीडांगण का अद्भुत खेल खेल भी डाली थी,,,, लेकिन उसे अपनी अपनी कल्पना को हकीकत का स्वरूप देना था जिस के जुगाड़ में वह पूरी तरह से लगी हुई थी सूरज को भी उस पल का बेचैनी से इंतजार था जब मंजू की गोरी गोरी बाहों में वह खुद को संमाता हुआ देखेगा,,,, जब से सूरज ने अपनी ही मामी के मुंह से यह सुना है कि वह उससे चुदना चाहती है तब से सूरज के भी कल्पना का घोड़ा बड़ी रफ्तार से दौड़ रहा था,,,,,,, वह भी मंजू को भोगना चाहता था। सूरज ज्यादा अच्छी तरह से समझ गया था कि वह किसी भी औरत को अपने लंड की ताकत से मस्त कर सकता है और उसे पूरा यकीन था कि जिसे समय मंजू की बुर में अपना लंड डालकर अपनी ताकत का परिचय उसे कराएगा तो वह भी उसकी पूरी तरह से दीवानी हो जाएगी,,
दूसरी तरफ,,,,
अपनी खूबसूरत हसीन पत्नी को नजर अंदाज करके बिलास अपनी ही दुनिया में मस्त था अपनी पद्मा के साथ शारीरिक संबंध बनाकर वह उसे अपनी रखेल की तरह रखता था उसके लिए उसने ना जाने कितने पैसे खर्च कर डाले थे अपने ही पैसों का उसे घर बनवा दिया था उसका पति तो कुछ करता नहीं था सारा दिन शराब के नशे में चूर रहता था जिसका फायदा हुआ अच्छी तरह से उठाते हुए उसके साथ रोजाना संबंध बनाता था। बिलास इन सब चीजों में बहुत माहिर था मजबूर औरतों खूबसूरत औरतों को वह किसी भी तरह से हासिल करके उनसे अपनी प्यास बुझाता था,,,, लेकिन उसकी यह पद्मा कुछ ज्यादा ही चालाक थी समय-समय पर वह बिलास से पैसे की मांग करती थी और बिलास उसके मोहजाल में उसके रूपयौवन के रस के प्यास में,, कामांध होकर सब कुछ लुटा रहा था ऐसा नहीं था कि वह मंगल से बेहद खूबसूरत थी वह मंगल की खूबसूरती के आगे उसकी जुति बराबर थी। लेकिन बिस्तर पर बंद कमरे के अंदर जिस तरह कि वह हरकत करती थी किसी कामदेवी से कम नहीं थी और यही हरकत तो बिलास चाहता था जो कि उसकी पद्मा पूरी तरह से बिलास को खुश करने में अपने सारे कामी दाव पेंच लगा देतीे थी।,,,

ऐसे ही एक दिन बिलास अपनी गोदाम में बैठकर ब्याज का खाता चेक कर रहा था कि तभी पद्मा का गोदाम दरवाजा बिना खटखटाए गोदाम में दाखिल हुई और दरवाजे को बंद कर दी,,,, बिलास अभी अपनी नजरें उठाकर उसे देख भी नहीं पाया था कि वह तुरंत उसके पीछे पहुंचकर,, उसके गले में अपनी नंगी बाहें डाल दी वह,,, इसलिए मैं ब्लाउज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी नंगी बदले आराम से नजर आती थी,,,, बिलास उसे कुछ कहता इससे पहले ही वह उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दी अपने दांत के बीच उसके काम को हल्के से भरकर काटते हुए बोली,,,

बिलास मैं तुम्हारे प्यार की दीवानी हो चुकी है मैंने आज तक तुम्हारे जैसा खूबसूरत आदमी नहीं देखा और ना ही तुम्हारे जैसी किसी में मर्दानगी है।
( इतना कहने के साथ ही वह बिलास के चेहरे को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, जैसे ही बिलास का मुंह छत की तरफ हुआ,,, वैसे ही वह सीधी खड़ी हो गई जिसकी वजह से उसके बड़े-बड़े खरबूजे बिलास के चेहरे पर स्पर्श करने लगे और वह खुद अपने ही हाथों से अपनी चुचियों को पकड़कर बिलास के चेहरे पर ब्लाउज के ऊपर से ही रगड़ने लगी इतने में तो बिलास एक दम मस्त हो गया और अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठाकर ब्लाउज के ऊपर से ही ऊसकी चुचीयो को दबाना शुरु कर दिया,,,

ओहहहह बिलास और जोर-जोर से दबाओ तुम्हारे हाथों में आते ही इसके भी भाग्य खुल जाते हैं मेरा पति तो किसी काम का नहीं है, बस सारा दिन शराब के नशे में धुत रहता है अगर तुम ना होते तो ना जाने मेरी यह जवानी कहां पर बारबाद हो रही होती।,,,,( वह अपनी बातों के यादों में बिलास को पूरी तरह से दीवाना बना रही थी और बिलास भी मदहोश होता हुआ जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था। और वह गरम सिसकारी लेते हुए,,,,।


ससससहहहहह,,, ओहहहहहह, बिलास मेरे राजा और जोर-जोर से दबाओ,,,,आहहहहहह,,, बिलास ,,,,
( गोदाम के अंदर बिलास की मजदूर औरत ने बिलास को एकदम कामातुर कर दी थी,,, पद्मा गर्म सिसकारी लेते हैं बिलास को अपनी चुचियों के मर्दन का आनंद प्रदान कर रही थी। तभी वहां अपने ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोली,,,।)

रुको बिलास नंगी चूची को दबाने में और ज्यादा मज़ा आएगा ( इतना कहने के साथ ही अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपने हाथ से अपनी ब्रा को ऊपर चढ़ा दी,,, ऐसा करते ही उसकी नंगी बड़ी बड़ी खुशियां बिलास के चेहरे पर थिरकन करने लगी,,, बिलास तो एक दम से पागल हो गया और वह तुरंत अपनी हथेली में जितना हो सकता था ऊतनी चुचियों को पकड़कर दबाना शुरु कर दिया,,,, पीछे से ठीक तरह से दबाने का मजा ना तो बिलास ले पा रहा था और ना ही वह खुद आनंद ले पा रही थी इसलिए वह आगे आ गई जहां से बिलास उसकी चूचियों को पकड़कर अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दिया,,,, तभी वह अपना एक हाथ धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले जाने लगी और पेंट के ऊपर से ही बिलास के खड़े लंड को दबोच ली,,,, उसकी इस हरकत पर बिलास की आह निकल गई और पैंट के ऊपर से ही जोर जोर से लंड को मसलते हुए वह बोली,,,,।

बिलास तुम्हारा तो एकदम खड़ा हो गया है बहुत जल्दी तैयार हो जाते हो,,,,

मेरी जान तुम्हारे हाथ का जादू ही कुछ इस तरह से है कि मेरे बदन पर लगते ही सबसे पहले मेरा एंटीना खड़ा हो जाता है।

ओहहहहह,,,,, बिलास तभी तो मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हूं।
( इतना कहने के साथ ही वह नीचे बैठ गई और लकड़ी की कुर्सी को अपनी तरफ घुमा कर बिलास की पेंट को खोलने लगी,,, उसकी इस हरकत से बिलास के बदन में रोमांच फैल गया उसके बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़ने लगी,,, वहं समझ गया कि अब वहं उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने वाली है,,,
बस यही अदा तो बिलास को बहुत अच्छी लगती थी और मैं यही चाहता भी था जिस तरह से वह गंदी गंदी बातें करके उसे मजा देती थी और एक रण्डी की तरह सब कुछ करती थी,, उसकी गंदी गंदी बातें बिलास की उत्तेजना में बढ़ोतरी करते थे,,,, वह खुद ही उसके लंड को पकड़ कर मुंह में लेकर तब तक चुसती जब तक कि उसका पानी नहीं निकल जाता था और उसके लंड से निकली पिचकारी को वह पूरा मुंह में गटक जाती थी। यही सब हरकतों का तो वह दीवाना था । उसकी नरम नरम ऊंगलियों के स्पर्श से ही उसके बदन में गुदगुदी होने लगी,,,, अगले ही पल उसने उसके पेंट को ढीला करके पैंट को खोल दी और चड्डी में से उसके लंड को बाहर निकाल ली,,,, बिलास के लंड को हाथ में पकड़कर उसे हल्के हल्के मुठ्ठीयाने लगी,,, बिलास के बदन में पूरी तरह से शुरूर चढ़ने लगा था। वह बिलास के बदन में पूरी तरह से आग लगा देना चाहती थी इसलिए बिलास को दिखाते हुए अपनी जीभ से अपने लाल-लाल होठों को चाटते हुए आगे बढ़ी,, और लंड के बेहद करीब पहुंचकर अपनी जीभ से उसके सुपाड़े को चाटना शुरु कर दी,,,, उसकी हरकत से बिलास पूरी तरह से कामातुर हो गया,,, वह चाहता था कि वह उसके पूरे लंड को मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दे इसलिए तो वह बार-बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दे रहा था ताकि वह पूरे लंड को मुंह में भर ले,,, लेकिन वह बिलास को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी इसलिए बार-बार अपनी जीत को पीछे की तरफ खींच कर बस उस पर हल्के हल्के स्पर्श कर रही थी,,,,,, जिससे बिलास की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी,,,, उसको रहा नहीं गया तो वह बोला,,,

ओ मेरी रानी ऐसे नहीं बस पूरा लंड मुंह में लेकर चूसो,,,,
( ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बिलास के कुछ बोलने का इंतजार ही कर रही थी,,,, बिलास की बात सुनते ही वहां बड़े ही मादक स्वर में बोली,,,,।)

मेरे राजा मेरे सरकार तुम्हारे लंड को तो मैं मुंह में लेकर चूस ही लुंगी,, लेकिन कुछ दिनों से मेरे हाथ बहुत तंग है मुझे कुछ पैसों की जरूरत है,,,,

वह इतना कहते हुए बार-बार लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ से हल्के हल्के स्पर्श करा रही थी जिससे बिलास के बदन की गर्मी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,, उससे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,, वह जल्द से जल्द चाहता था कि वह उसके मुंह में लंड. भरकर चुसना शुरु कर दे इसलिए ऊसकी बात मानते हुए बोला,,,


मेरी जान मेरे रहते हुए तुम्हारे हाथ कभी तंग नहीं रहेंगे बोलो ना तुम्हें कितना पैसा चाहिए,,,,,

( बिलास की बात सुनते ही उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई वह समझ गई कि अब वह पूरी तरह से मस्तीया चुका है,, इस हालत में उससे अपने मन की कोई भी बात मनवाना कोई मुश्किल काम नहीं था इसलिए वह एक बार फिर से अपनी जीभ का स्पर्श लंड की सुपाड़ो के चारों तरफ कराते हुए बोली,,,,।

ज्यादा नहीं चाहिए,,,,, बस १ हजार रुपए चाहिए मेरे राजा,,,,,
( वह अच्छी तरह से जानती थी कि १ हजार की बात सुनते ही वह मुंह बनाने लगेगा इसलिए वहं १ हजार का जिक्र करते ही झट से उसके पूरे सुपाड़े को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी,,,, और उसकी इस हरकत पर बिलास की गर्म सिसकारी निकल गई,,,,,।)

ससहहहहहहह,,,, मेरी जान बस ऐसे ही चूसो,,,,

दोगे ना मुझे १ हजार,,,,

( बिलास क्या कहता इसी का तो है दीवाना था और वह भी अच्छी तरह से जानती थी उसकी कमजोरी को इसलिए तो आप उसकी कमजोरी का पूरा फायदा उठा रही थी और बिलास में मस्ती में डूबते हुए हां कह दिया।)

हां मेरीे जान मैं दूंगा तुम्हें १ हजार रुपए बस तुम पूरा मुंह में भरकर चुस्ती रहो।( पद्मा जानती थी की बिलास इस अवस्था में आकर कभी भी किसी भी बात के लिए इनकार नहीं कर पाता,,, और पद्मा बिलास को इसी अवस्था में लाकर ना जाने कितनी बार अपनी बात मनवा चुकी थी। बिलास के हामी भरते हैं पद्मा बिना देरी किए लंड के सुपाड़े के साथ-साथ उसका आधा लंड भी मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दी,,,
बिलास तो जैसे हवा में उड़ रहा हो पद्मा पूरी तरह से उसके ऊपर छा़ चुकी थी,,, कुछ देर तक,, यूं ही उसके लंड को मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने के बाद,,, पद्मा खड़ी हुई और अपनी साड़ी को कमर तक उठा ली,,,, बिलास समझ गया कि उसे अब क्या करना है इसलिए वह कुर्सी पर से उतरना चाहता था कि तभी पद्मा ने अपने एक पैर को उसकी जान पर रखकर उसे कुर्सी पर बैठे रहने का इशारा कि,,, बिलास इसका मतलब समझ नहीं पा रहा था तो पद्मा उसे बोली,,,

बिलास मेरी जान आज तुम कुछ नहीं करोगे जो करना है मुझे ही करना है इसलिए तुम सिर्फ बैठे रहो,,, बस थोड़ा सा आगे की तरफ आकर बैठ जाओ,,,,,,
( बिलास पद्मा के कहे अनुसार थोड़ा सा आगे आकर बैठ गया जिसकी वजह से उसका लंड कुर्सी के किनारे तक आकर खड़ा हो गया पद्मा अपने हुस्न का जादू बिलास के ऊपर पूरी तरह से चला चुकी थी,,, वह हांथ से अपनी गुलाबी रंग की पैंटी को,,,, नीचे नहीं उतारी बल्कि उसे थोड़ा सा अपनी फुली हुई बुर के किनारे सरकादी ताकि उसकी बुर की गुलाबी रंग की गुलाबी छेद नजर आने लगे,,,, बिलास एकदम कामातुर होकर पद्मा की हर हरकत को देख रहा था पद्मा पूरी तरह से तैयार थी वह बिलास की तरफ अपनी पीठ करके खड़ी हो गई और अपनी साड़ी को बराबर कमर के ऊपर पकड़ कर अपनी गांड को पीछे की तरफ झुकाने लगी बिलास को समझते देर नहीं लगी कि पद्मा क्या करने वाली है इसलिए वह बेहद रोमांचित हो गया रीता धीरे-धीरे करके अपनी गांड को बिलास के लंड के ऊपर रगड़ना शुरु कर दी,,, बिलास की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,, पद्मा खुद ही अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर बिलास के लंडं को पकड़कर उस के सुपाड़े को अपनी बूर के मुहाने पर लगा दी,, और धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी अगले ही पल बिलास का पूरा लंड पद्मा की बुर के अंदर समाया हुआ था।
बिलास को कुछ भी नहीं करना था पद्मा खुद ही उसके लंड पर उठना बैठना शुरु कर दी,,,, बिलास को बेहद आनंद की अनुभूति होने लगी बिलास पद्मा से जिस तरह की उम्मीद रखता था,वह उसकी उम्मीद पर पूरी तरह से खरी ऊतरती थी। बिलास से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पद्मा की बड़ी गांड को थाम लिया,,,

ओहहहहह,,, पद्मा मेरी जान तुम्हारी ईसी अदा का तो मैं दीवाना हो चुका हूं। तुम मुझे एकदम मस्त कर देती हो इससे तो मुझे स्वर्ग की अप्सरा भी नहीं दे सकती और पद्मा मेरी जान ऐसे ही करती रहो,,,,,
( दोनों मस्त हुए जा रहे हैं बिलास तो पागल हो चुका था पद्मा भी एकदम मदहोश हो चुकी थी तुम की बुर में लंड का सुख उसे मिल रहा था और ऊपर से वह बिलास को १ हजार देने के लिए मनवा चुकी थी इस बात की डबल खुशी की वजह से वह और जोर-जोर से बिलास के लंड पर अपनी गांड पटक कर रही थी। पूरे गोदाम में दोनों की गर्म सिसकारी की आवाज गूंज रही थी,,,,
बाहर बाकी मजदूर बैठकर अपना-अपना काम कर रहा थे,, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लग पा रही थी कि अंदर उनके बिलास पद्मा के साथ संभोगरत हैं। पद्मा पूरी तरह से अपनी मदमस्त गांड को बिलास के लंड पर पटक पटक कर उसके लंड का पानी निकाल दी और खुद भी झड़ गई,,,, सब कुछ शांत होने के बाद बिलास ने उसे १ हजार रुपए हाथो में थाम दिए,,जिसे वह लेकर गोदाम से बाहर आकर बैठ कर अपना काम करने लगी।,,, इसी तरह से रहता बिलास से आए दिन पैसे ऐंठते रहती थी,,, और बिलास जो की वासना का पूरी तरह से पुजारी हो चुका था बिलास की हर एक अदा पर पैसे लूटाता रहता था। लेकिन धीरे-धीरे बिलास को अब इस बात का एहसास होने लगा कि पद्मा ने उससे ढेर सारे पैसे एंड चुकी है और आए दिन उससे पैसे लेते ही रहती थी,,,, धीरे धीरे बिलास अब पद्मा को पैसे दे देकर तंग आ चुका था और पद्मा मैं भी उसका मन लगना अब कम हो चुका था पद्मा आप उसे गले में फंसी किसी हड्डी की तरह लगने लगी थी,,,,, अब उससे पीछा छुड़ाना चाहता था लेकिन कैसे यह उसे समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि बिलास ने उसके साथ कुछ ज्यादा ही समय बिता लिया था,,,,
 
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दूसरी तरफ मंगल और सूरज को जब भी मौका मिल रहा था तो वह मौके का फायदा उठाने से बिल्कुल भी चूक नहीं रहे थे। मंगल और सूरज आपस में पूरी तरह से खुल चुके थे। सूरज अब अपनी मामी की हर काम में हाथ बताने लगा था यहां तक कि घर के साथ सफाई को लेकर कपड़े धोने में भी वह अपनी मामी की मदद करने लगा था। यहां तक कि अब तो वह बाजार में साथ ही जाकर खरीदी भी करने लगा था।
ऐसे ही १ दिन दिन था मंगल सभी गंदे कपड़े करो इकट्ठा कर रही थी क्योंकि उसे वह धोना था,,,, सूरज नाश्ता कर चुका था अपनी मामी को इस तरह से गंदे कपड़े ईकट्ठे करते हुए देखकर वह बोला,,,,

मामी क्या कर रही हो,,,

देख नहीं रहा है आज इन्हें धोना है ,, ईसे धोते धोते ही शाम हो जाएगी और मुझे शाम को खरीदी करने भी जाना है।,,,

खरीदी करने,, क्या खरीदी करने जाना है मामी ,,,,


अरे जो भी खरीदना है वह बाद मै,,, पहले ईन कपड़ो को तो धो लुं, । चल तू भी कपड़े धोने में मेरी मदद करा।

मामी आज चलो आज घर के पीछे कपड़े धोते हैं,,,,

मैं भी यही सोच रही थी क्योंकि वहां खुला हुआ है,,, कपड़े धो कर सुखाने में अभी काफी आसान रहता है,,,, चल वहीं चलते हैं।
( इतना कहकर दोनो घर के पीछे कपड़े धोने चले गए वहां पहुंचते ही मंगल ने सारे,कपड़ों को बड़े से बर्तन में भिगो दी ताकि धोने में आसानी रहे:। कपड़ों को धोते समय मंगल के सारे कपड़े गीले हो गए,,, सूरज अपनी मामी के ठीक सामने ही बैठकर कपड़ों को धो रहा था मंगल ने साड़ी को ऊपर जांघो तक चढ़ा रखी थी,,, जिसकी वजह से ऊसकी जांघों के अंदर काफी कुछ नजर आ रहा था। जिसमें नजर पड़ते ही,, सूरज कपड़े धोते हुए अपनी मामी से बोला,,,

मामी तुम्हारा सब कुछ नजर आ रहा है,,।
( अपने भांजे की बात सुनकर लेकिन वह मुस्कुराने लगी उसे मालूम था कि क्या नजर आ रहा है इसलिए वह भी बात को बनाते हुए मुस्कुरा कर अपने भांजे से बोली,,।)

क्या नजर आ रहा है तुझे,,,?

तुम्हारी बुर,,,


क्यों उसे देख कर तुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,

मामी मुझे तो बहुत अच्छा लगता है बल्कि मैं तो हमेशा तुम्हारी बुर को देखना चाहता हूं,,,,

तो देखना तेरे लिए ही तो मैं इस तरह से बैठी हूं ताकि तू मेरी बुर को देख सके,,,


सच मामी ,,,,

हां रे तुझे नहीं दिखाऊंगी तो किसे दिखाऊंगी तू ही तो है जो इसकी इतनी कदर करता है वरना तेरे मामा की चलती तो अभी तक सूख रही होती,,,,
( अपने भांजे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली और वैसे भी वह सच ही कह रही थी सही समय पर मंगल ने अपनी बुर को सही हाथों में सौंपी थी वरना,,, आज तक वह सूखे जमीन की तरह सावन की बूंदों को तरसती रहती,,,।)

मामी मामा पागल है जो इतनी खूबसूरत बीवी के होते हुए भी वह उस पर ध्यान नहीं देते,,,, अगर मेरी ऐसी बीवी,,,( इतना कहते ही वह एकदम से अटक गया,,, मंगल उसकी तरफ देखने लगी,, वह इतना चाहती थी कि वह आगे क्या बोलता है लेकिन वह एकदम खामोश होकर कपड़े धोने लगा,,, उसको इस तरह से खामोश देखकर मंगल बोली,,,।)

क्या कहां तुने,,, अगर तेरी होती तो,,,,,, क्या करता तू,,,
( मंगल जानना चाहती थी कि वह क्या कहना चाहता है इसलिए इस बात पर कुछ ज्यादा ही जोर दे रही थी।) बोलना क्या कह रहा था तु,,,,

मामी मैं यह कह रहा था कि अगर मेरी ऐसी बीवी होती तो मैं उसे बहुत प्यार करता हूं उसे इतना प्यार करता कि वह सारी दुनिया को भूल कर बस मेरी बाहों में ही खोई रहती।,,,
( सूरज इतना कहकर कपड़े धोने लगा लेकिन अपने भांजे की यह बात सुनकर मंगल सोच में पड़ गई उसके मन में ढेर सारी उमंगे जगने लगी,,,, अपनी मामी को इस तरह से उदास होता देखकर सूरज उसका मन बहलाने के लिए बोला,,,।)

मामी ,,, एक काम करो अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी होकर कपड़े धो बहुत मजा आएगा वैसे भी यहां पर हम दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं है और ना ही यहां कोई देख सकता है।

अपने भांजे की यह बात सुनकर मंगल मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,

मैं तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जांऊगी लेकिन तुझे भी अपने सारे कपड़े उतारने होंगे,,,

ठीक है मुझे मंजूर है,,,,
( थोड़ी देर में दोनों ही पूरी तरह से नंगे हो गए,, दोनों एकदम नंगे होकर कपड़े धोने लगे सूरज का लंड तनकर एकदम लोहे की रोड की तरह हो गया,,, मंगल अपनी गांड मटकाते हुए कपड़े ले जाकर रस्सी पर डाल रही थी,,, यह देख कर सूरज का लंड जोर मारने लगा,,,,, सूरज से रहा नहीं गया और वहां जल्दी से जाकर अपनी मामी को पीछे से पकड़कर बाहों में भर लिया खड़े लंड की रगड़ गांड पर महसूस होते ही मंगल भी कामातुर हो गई,,, घर के पीछे होने की वजह से यहां पर किसी के देखने का डर बिल्कुल भी नहीं था इसलिए दोनों बिंदास नग्नावस्था में कपड़े धो रहे थे सूरजvएकदम से चुदवासा हो गया था,,, और वहीं दीवार से सटाकर अपनी मामी की बुर में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया,,, सूरज के साथ-साथ मंगल का भी यह पहला अनुभव था कि वह दोनों खुले में इस तरह से चुदाई का आनंद ले रहे थे। कुछ देर तक सूरज अपनी मामी की बुर में जोर जोर से धक्के लगाते रहा,,, और उसके बाद वह अपने मामी की बुर में ही झड़ गया,,,,।
दोनों वहीं नहा भी लिया क्योंकि मंगल ने सूरजसे बोली थी कि शाम को बाजार चलना है।,,,,दूसरी तरफ मंगल और सूरज को जब भी मौका मिल रहा था तो वह मौके का फायदा उठाने से बिल्कुल भी चूक नहीं रहे थे। मंगल और सूरज आपस में पूरी तरह से खुल चुके थे। सूरज अब अपनी मामी की हर काम में हाथ बताने लगा था यहां तक कि घर के साथ सफाई को लेकर कपड़े धोने में भी वह अपनी मामी की मदद करने लगा था। यहां तक कि अब तो वह बाजार में साथ ही जाकर खरीदी भी करने लगा था।
ऐसे ही १ दिन दिन था मंगल सभी गंदे कपड़े करो इकट्ठा कर रही थी क्योंकि उसे वह धोना था,,,, सूरज नाश्ता कर चुका था अपनी मामी को इस तरह से गंदे कपड़े ईकट्ठे करते हुए देखकर वह बोला,,,,

मामी क्या कर रही हो,,,

देख नहीं रहा है आज इन्हें धोना है ,, ईसे धोते धोते ही शाम हो जाएगी और मुझे शाम को खरीदी करने भी जाना है।,,,

खरीदी करने,, क्या खरीदी करने जाना है मामी ,,,,


अरे जो भी खरीदना है वह बाद मै,,, पहले ईन कपड़ो को तो धो लुं, । चल तू भी कपड़े धोने में मेरी मदद करा।

मामी आज चलो आज घर के पीछे कपड़े धोते हैं,,,,

मैं भी यही सोच रही थी क्योंकि वहां खुला हुआ है,,, कपड़े धो कर सुखाने में अभी काफी आसान रहता है,,,, चल वहीं चलते हैं।
( इतना कहकर दोनो घर के पीछे कपड़े धोने चले गए वहां पहुंचते ही मंगल ने सारे,कपड़ों को बड़े से बर्तन में भिगो दी ताकि धोने में आसानी रहे:। कपड़ों को धोते समय मंगल के सारे कपड़े गीले हो गए,,, सूरज अपनी मामी के ठीक सामने ही बैठकर कपड़ों को धो रहा था मंगल ने साड़ी को ऊपर जांघो तक चढ़ा रखी थी,,, जिसकी वजह से ऊसकी जांघों के अंदर काफी कुछ नजर आ रहा था। जिसमें नजर पड़ते ही,, सूरज कपड़े धोते हुए अपनी मामी से बोला,,,

मामी तुम्हारा सब कुछ नजर आ रहा है,,।
( अपने भांजे की बात सुनकर लेकिन वह मुस्कुराने लगी उसे मालूम था कि क्या नजर आ रहा है इसलिए वह भी बात को बनाते हुए मुस्कुरा कर अपने भांजे से बोली,,।)

क्या नजर आ रहा है तुझे,,,?

तुम्हारी बुर,,,


क्यों उसे देख कर तुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,

मामी मुझे तो बहुत अच्छा लगता है बल्कि मैं तो हमेशा तुम्हारी बुर को देखना चाहता हूं,,,,

तो देखना तेरे लिए ही तो मैं इस तरह से बैठी हूं ताकि तू मेरी बुर को देख सके,,,


सच मामी ,,,,

हां रे तुझे नहीं दिखाऊंगी तो किसे दिखाऊंगी तू ही तो है जो इसकी इतनी कदर करता है वरना तेरे मामा की चलती तो अभी तक सूख रही होती,,,,
( अपने भांजे की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली और वैसे भी वह सच ही कह रही थी सही समय पर मंगल ने अपनी बुर को सही हाथों में सौंपी थी वरना,,, आज तक वह सूखे जमीन की तरह सावन की बूंदों को तरसती रहती,,,।)

मामी मामा पागल है जो इतनी खूबसूरत बीवी के होते हुए भी वह उस पर ध्यान नहीं देते,,,, अगर मेरी ऐसी बीवी,,,( इतना कहते ही वह एकदम से अटक गया,,, मंगल उसकी तरफ देखने लगी,, वह इतना चाहती थी कि वह आगे क्या बोलता है लेकिन वह एकदम खामोश होकर कपड़े धोने लगा,,, उसको इस तरह से खामोश देखकर मंगल बोली,,,।)

क्या कहां तुने,,, अगर तेरी होती तो,,,,,, क्या करता तू,,,
( मंगल जानना चाहती थी कि वह क्या कहना चाहता है इसलिए इस बात पर कुछ ज्यादा ही जोर दे रही थी।) बोलना क्या कह रहा था तु,,,,

मामी मैं यह कह रहा था कि अगर मेरी ऐसी बीवी होती तो मैं उसे बहुत प्यार करता हूं उसे इतना प्यार करता कि वह सारी दुनिया को भूल कर बस मेरी बाहों में ही खोई रहती।,,,
( सूरज इतना कहकर कपड़े धोने लगा लेकिन अपने भांजे की यह बात सुनकर मंगल सोच में पड़ गई उसके मन में ढेर सारी उमंगे जगने लगी,,,, अपनी मामी को इस तरह से उदास होता देखकर सूरज उसका मन बहलाने के लिए बोला,,,।)

मामी ,,, एक काम करो अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी होकर कपड़े धो बहुत मजा आएगा वैसे भी यहां पर हम दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं है और ना ही यहां कोई देख सकता है।

अपने भांजे की यह बात सुनकर मंगल मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,

मैं तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जांऊगी लेकिन तुझे भी अपने सारे कपड़े उतारने होंगे,,,

ठीक है मुझे मंजूर है,,,,
( थोड़ी देर में दोनों ही पूरी तरह से नंगे हो गए,, दोनों एकदम नंगे होकर कपड़े धोने लगे सूरज का लंड तनकर एकदम लोहे की रोड की तरह हो गया,,, मंगल अपनी गांड मटकाते हुए कपड़े ले जाकर रस्सी पर डाल रही थी,,, यह देख कर सूरज का लंड जोर मारने लगा,,,,, सूरज से रहा नहीं गया और वहां जल्दी से जाकर अपनी मामी को पीछे से पकड़कर बाहों में भर लिया खड़े लंड की रगड़ गांड पर महसूस होते ही मंगल भी कामातुर हो गई,,, घर के पीछे होने की वजह से यहां पर किसी के देखने का डर बिल्कुल भी नहीं था इसलिए दोनों बिंदास नग्नावस्था में कपड़े धो रहे थे सूरजvएकदम से चुदवासा हो गया था,,, और वहीं दीवार से सटाकर अपनी मामी की बुर में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया,,, सूरज के साथ-साथ मंगल का भी यह पहला अनुभव था कि वह दोनों खुले में इस तरह से चुदाई का आनंद ले रहे थे। कुछ देर तक सूरज अपनी मामी की बुर में जोर जोर से धक्के लगाते रहा,,, और उसके बाद वह अपने मामी की बुर में ही झड़ गया,,,,।
दोनों वहीं नहा भी लिया क्योंकि मंगल ने सूरजसे बोली थी कि शाम को बाजार चलना है।,,,,
 
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पीली साड़ी में मंगल बेहद खूबसूरत लग रही थी ऊसकी खूबसूरती की परिभाषा मैं दुनिया की किसी भी तुलनात्मक वस्तु को आंकना मंगल की खूबसूरती पर प्रश्न उठाने के बराबर था।,,, मंगल के कमरे में दाखिल होता हुआ सूरज अपनी मामी को देखा तो देखता ही रह गया । मंगल स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी,,, कमरे में दाखिल होते ही सूरज की नजर मंगल के भरदार नितंबों पर पड़ी जो कि इस समय साड़ी कुछ ज्यादा उसके पतली होने की वजह से गांड का उभार कुछ ज्यादा ही उत्तेजनात्मक असर दिखा रहा था।,, नंगी चिकनी पीठ के बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही गहरी नजर आ रही थी जोकि नीचे कमर तक अपने कामुकता का असर दिखा रही थी,,, कमरे में दाखिल होता हुआ वह अपनी मामी से बोला,,,

मामी तुम तैयार हुई कि नहीं,,,

अरे देखना सूरज मेरे ब्लाउज की डोरी मुझसे बांधी नहीं जा रही है जरा तू मेरी मदद कर देना,,
( सूरज तो पहले से ही लालायित हो रहा था अपनी मामी के करीब जाने के लिए इसलिए मंगल की बात सुनते ही वह झट से अपनी मामी के बेहद करीब पहुंच गया,,, मंगल के बदन से हल्की हल्की लेकिन बेहद ही मादक खुशबू आ रही थी,,, जिसकी वजह से सूरज पर उत्तेजना का असर होने लगा पेट पर कसी हुई पीले रंग की ब्रा की डोरी को अपनी उंगलियों में फंसाकर हल्के से नीचे की तरफ खींचा जिसकी वजह से मांसल बदन पर पीले रंग की पट्टी फिसलते हुए दो अंगूल नीचे आ कर रुक गई,,, ब्रा की पट्टी कसी होने की वजह से मंगल के खूबसूरत बदन पर लीटी पड़ जा रही थी,,, जिसकी वजह से मंगल की खूबसूरती में चार चांद लग जा रहा था ।सूरज अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर ब्लाउज की डोरी को थाम लिया और ऊसे कस कर बांध दिया इस तरह की मदद लेकर मंगल को भी बेहद खुशी हो रही थी सूरज से रहा नहीं गया और वहां अपनी मामी की नंगी पीठ को चूम लिया और बोला,,,,


तुम बहुत खूबसूरत हो मामी ,,,

सूरज तू बहुत अच्छा है कि मेरी खूबसूरती की तारीफ तो करता है तेरे मामा से तो यह लब्ज सुनने को मैं तरस गई हूं,,,।


कोई बात नहीं करनी मामा नहीं करते तो क्या हुआ मैं तो तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ करता हूं,,,


तभी तो मुझे फिर से जीने की उमंग मिल रही है चल अच्छा बहुत देर हो गई हमें बाजार भी चलना है,,,
( इतना कहकर मंगल और सूरज दोनों बैलगाड़ी में बैठकर बाजार की तरफ निकल गए,,,, मंगल बैलगाड़ी में बैठे मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि सूरज उसकी अब हर तरह से मदद करने लगा था एक पति और एक प्रेमी को जिस तरह से व्यवहार करना चाहिए था उसी तरह का व्यवहार वह उसके साथ कर रहा था जिसको लेकर मंगल के मन में ढेर सारी भावनाएं जन्म ले रही थी। बार-बार उसके मन में यह भावना जन्म ले रही थी कि काश सूरज उसका प्रेमी होता या उसका पति होता तो उसकी जिंदगी कितने आराम से और कितनी खुशी खुशी कट जाती वह उसे कितना प्यार देता,,,
मंगल यह सब सोच कर बड़ी दुविधा में पड़ी हुई थी,,। मंगल मन ही मन सोच रही थी कि सूरज उसे हमेशा एक पत्नी या प्रेमिका की तरह प्यार करें,,, उसके साथ उसका व्यवहार जिस तरह से एक प्रेमी या पति का होता है उसी तरह से वह उसके साथ व्यवहार करें,,, समाज की नजरों में घर के बाहर भले ही वह दोनों मामी भांजा हों लेकीन घर की चारदीवारी के अंदर दोनों एक पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिका की तरह ही पेश आ रहे थे क्योंकि दोनों के बीच के मामी भांजे की दीवार न जाने कब से गिरकर धराशाई हो चुकीे थी,,, वह मन ही मन अपने भांजे को अपना प्रेमी या पति बनाने की ठान चुकी थी,,, और आज मार आने का उसका मकसद यही था क्योंकि आज रात कामदेव पोर्निमा की रात थी, और इस रात वह अपने भांजे के सामने वह अपने प्यार का इजहार करना चाहती थी लेकिन यह सब सूरज के लिए एकदम सरप्राइस था इसलिए उसने उसे कुछ भी नहीं बताई थी। मंगल अच्छी तरह से जानती थी कि उसके प्रस्ताव को सूरज अच्छे से मान लेगा बल्की वह तो मंगल के इस प्रस्ताव से बेहद प्रसन्न हो जाएगा। यह सब सोचकर मंगल बेहद उत्सुक हो चुकी थी और यह ख्यालात कि अपने ही भांजे को अपना प्रेमी बनाएगी इस बात को लेकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई जिसकी वजह से उसकी रसीली बुर से मदन रस का रिसाव होने लगा,,,,
थोड़ी ही देर में दोनों बाजार पहुंच चुके थे,,,,, एक जगह पर बेलगाड़ी खड़ी कर के दोनों बाजार दाखिल हो गए,,,,

दोनों कुछ देर में खरीदी कर चुके थे,,,,शाम ढल चुकी थी, अंधेरा हो रहा था। इसलिए मंगल और सूरज घर जल्दी वापस लौट आए।

मंगल ने बाजार से लाया सब सामान को अपने कमरे में रख दी सूरज बार-बार अपनी मामी से यह जानने की कोशिश करता रहा कि आप फिर वह क्या खरीदी है लेकिन वह बात को टालतीे रही,,, वह सूरज को सरप्राइस देना चाहती थी। सूरज ने बाजार से अपने लिए कुछ कपड़े खरीदे थे। आज रात में उसे कुछ मालूम नहीं था,,( कामदेव पोर्णिमा की रात जो सच्चे दिल से प्यार से मिलन करते हे वह पूरे जीवन भर साथ रहते है )


आज रात को घर पर मंगल बेताब थी अपने दिल की बात सूरज को बताने के लिए लेकिन वह अपने मुंह से अपने प्यार का इजहार नहीं करना चाहती थी इसलिए वह कागज पर अपने दिल की बात लिख चुकी थी,,,, और वहां उसे सूरज के कमरे में रख दी थी ताकि सूरज आराम से उसके लिए लिखा हुआ कागज उसके प्यार का इजहार को पढ़कर उसके प्यार को स्वीकार कर सकें। वह रसोई में खाना बना रही थी,,, सूरज रसोई में आकर पानी पीने लगा,, पानी पीने बाद अपने कमरे में चला गया,

मंगल बहुत खुश थी वह बड़े चाव से रसोई का काम कर रही थी, उसने बड़े प्यार से,,, अपने दिल की बातों को शब्दों में ढालकर कागज पर लिख डाली थी अब देखना यह था कि उन शब्दों का असर सूरज पर किस तरह से पड़ता है वैसे तो मंगल को पूरा यकीन था कि उसके प्रस्ताव को सूरज जरूर खुशी खुशी मान जाएगा वैसे भी उसे दोनों के बीच के रिश्ते को लेकर के कोई भी दिक्कत नहीं थी वह तो बहुत खुश था,,,, मंगल अच्छी तरह से जानती थी कि आज की रात बिलास घर नहीं आने वाला था,,, उसे लगता था कि वह काम के सिलसिले मैं कहीं बाहर गया हुआ है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह अपनी रखैल पद्मा के साथ गांव के बाहर गया हुआ था। वैसे भी वह कहीं भी गया हो इस समय उसके पास भरपूर मौका था यही बात उसके लिए बेहद खास थी।


रात को खाना खाते-खाते रात के करीब १०:०० बज गए मंगल अपने कमरे में चली गई वैसे तो मंगल के साथ-साथ सूरज उसके कमरे में जाना चाहता था क्योंकि घर पर उसके मामा नहीं थे लेकिन वह अपनी मामी की तरफ से मिला सरप्राइज़ भी देखना चाहता था इसलिए पहले वह अपने कमरे में चला गया,, कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नजर टेबल पर रखे कागज पर पड़ी,, उस कागज पर नजर पड़ते हैं उसकी दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी मामी ने उस कागज में ऐसा क्या लिखा है जिसे वह खुद नहीं बता सकती धड़कते दिल के साथ वह टेबल की तरफ आगे बढ़ा,,,

सूरज ने कागज हात में लिया उसके ऊपर लिखा हुआ था,,

मेरे प्यारे प्रेमी....

( कागज के ऊपर लिखे इन तीन शब्दों को पढ़कर उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, उसके हाथ कांपने लगे थे और अपनी प्रति अंगुलियों से कागज को खोलकर देखा तो अंदर भी कुछ लिखा हुआ था वह मन ही मन में पढ़ने लगा,,,

प्यारे सूरज,,,,
मैं बहुत दिनों से तुझसे यह बात कहना चाहती थी लेकिन अपने मुंह से कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी मैं बरसों से सच्चे प्यार के लिए तरसती आ रही हूं इससे पहले मैंने कभी भी इस तरह का पत्र ना तो लिखी हूं और ना ही किसी को लिखकर दी हूं,,, सूरज मैं जानती हूं कि जो हम दोनों कर रहे हैं या समाज की नजरों में पाप है लेकिन तु भी अच्छी तरह से जानता था कि मैं अपने हालात के आगे मजबूर हो चुकी थी ऐसे में मुझे सहारे की जरूरत थी जो कि वह सहारा मुझे तुझसे मिला मैं तुझसे प्यार करने लगी हूं जो प्यार मुझे अपने पति से मिलना चाहिए था वह प्यार मुझे तुझसे मिल रहा है इसलिए मैं तुम्हारे अंदर अपने लिए एक प्रेमी और पति देखने लगी हूं। दुनिया की नजर में भले ही हम कुछ और हो लेकिन घर की चारदीवारी के अंदर मैं चाहती हूं कि तु मेरा प्रेमी और पति बन कर रहे,,, यह फैसला मैंने तुझ पर छोड़ रखी हूं अगर तुझे मेरा यह प्रस्ताव स्वीकार है तो मेरे कमरे का दरवाजा तेरे लिए खुला है चले आना मैं तेरा इंतजार करूंगी,, में तुमसे बहोत प्यार करती हू,,,,
तुमरी प्यारी मंगल,,,,,

कागज पर लिखा हुआ यह खत पढ़कर सूरज का पूरा वजूद कहां पर गया उसके पूरे बदन में उत्तेजना की लहर दोनों में लगी चेहरे पर मंद मंद मुस्कान तैरने लगी उसे भला इस बात के लिए क्यों इंकार होने लगा था वह भी यही चाहता था कि घर की चारदीवारी के अंदर मंगल भी उसकी प्रेमिका या पत्नी बन कर ही उसे प्यार दे,,, अपनी मामी के दिए इस सर प्राइज से उसके बदन में उत्तेजना की लहर अपना असर दिखाने लगी, धोती मैं ऊसका मोटा लंड तनकर एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था। सूरज का मन चुदाई के लिए तड़प उठा,,, वह अपनी मामी की कमरे की तरफ जाने लगा जहां पर मंगल बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी,,,,,

वह अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज उसके प्रस्ताव को जरूर स्वीकार करेगा इसलिए तो वह एकदम बन ठनकर बिस्तर पर लेटी हुई थी लेकिन बिस्तर पर लेटने का अंदाज भी उसका बड़ा ही कामुक था वह पीठ के बल लेटी हुई थी अपने लाल-लाल होठों पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी बाल छोटे से रिबन में बैठे हुए थे ब्लाउज के दो बटन जानबूझकर वह अपने हाथों से ही खोल रखी थी साड़ी का पल्लू बदन से दूर बिस्तर पर फैला हुआ था जिसकी वजह से उसका चिकना मांसल पेट और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था और उसकी खूबसूरती को बढ़ाते हुए उसकी गहरी नाभि किसी छोटी सी बुर की तरह नजर आ रही थी वह एक टांग को घुटनों से मोड़ रखी थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी जांघो के नीचे तक सऱक आई थी। और उसकी मोटी मोटी चिकनी केले के तने की सामान मदमस्त कर देने वाली नंगी जांघे लालटेन की रोशनी में फिर से अपना जलवा बिखेर रही थी। यह कामुक नजारा देख कर तो दुनिया का कोई भी मर्द अपने होशो हवास खो बैठे सच में मंगल के बदन का पोर पोर कामुकता से छलक रहा था मंगल ने दरवाजा खुला छोड़ रखी थी,,, अपने आशिक अपने महबूब के इंतजार में वह अपनी पलके बिछाए हुए थी कि तभी,,, खुले दरवाजे पर दस्तक हुई वह समझ गई कि उसका सरताज दरवाजे पर खड़ा है उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई जब तक की आवाज सुनकर वह अंगड़ाई लेते हुए बोली,,,,

खुले दरवाजे पर दस्तक देने की क्या जरूरत है,,,, अंदर आ जाओ।
( अंदर से मंगल की आवाज सुनकर सूरज दरवाजे को खोलकर कमरे में प्रवेश किया,,,, और कमरे में घुसते ही वह दरवाजे को बंद कर दिया,,, मंगल उसे कमरे में आता देखकर उसकी तरफ करवट लेकर अपना हाथ अपने सिर पर टिका कर उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखने लगे और मुस्कुराते हुए बोली,,,,

मुझे पूरा यकीन था कि तू मेरे प्रस्ताव को जरूर स्वीकार करेगा और मेरे प्यार के शुरुआती प्रकरण पर अपनी हामी का हस्ताक्षर करके मुझे अपना बनाएगा,,,,

मैं कोई पागल नहीं हूं कि इतनी खूबसूरत औरत का प्रस्ताव ठुकरा दूंगा बल्कि मैं तो तुम्हारे इस प्रस्ताव से एकदम खुश हूं,,,( सूरज मुस्कुराते हुए बोला,,)

सच सूरज,,,, तू बिल्कुल नहीं जानता कि मैं आज कितनी खुश हूं।,,, मेरे मन में बस यही एक तमन्ना दबी हुई थी,,, कि मेरा भी कोई प्रेमी हो मुझे भी दिलो जान से कोई प्यार करने वाला हूं जो मेरी जरूरत का ख्याल रखें मुझे अपना बनाकर रखें मुझे बहुत प्यार करें मेरी वह दबी हुई तमन्ना अब जाकर पूरी हो रही है,,,,( इतना कहते हुए मंगल अपना एक हाथ आगे बढ़ा दी,,, और उसे सूरज ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके हाथ को थाम लिया,,,) में बहोत प्यार करती हू तुमसे सूरज,,,,,,,,,,,,,,,,,

(इतना कहकर वह सूरज को अपनी तरफ खींची,,, सूरज भी उसकी तरफ खींचता चला गया,,,, दोनों की धड़कनें तेज चल रही थी बंद कमरे के भीतर दो बदन फिर से एक होने के लिए तड़प रहे थे अपने भांजे से अपने प्यार का इजहार करके मंगल के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़नें लगी थी,, वह सूरज को अपनी बाहों में समा लेना चाहती थी,,,, सूरज भी यही चाहता था कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नजर मंगल पर पड़ी थी और किसकी हालत को देख कर उसके बदन में काम भावना प्रज्वलित होने लगी थी मोटी मोटी नंगी जांघों को देखकर उसका लंड ठोकरें मार रहा था,,, ब्लाउज के दो बटन खुले होने की वजह से आधे से ज्यादा चुचिया बाहर को छलक रही थी,,, अपनी मामी के मुंह से प्यार की बाते सुनकर वह भी जवाब में बोला,,,,।)

में भी तुमसे बहोत प्यार करता हू मामी ,,,,,,
( अपने भांजे के मुंह से यह शब्द सुनकर वहां एक झटके से सूरज को अपनी तरफ खींची जिसकी वजह से वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और सीधे जाकर मंगल के ऊपर ही गिरते गिरते बचा लेकिन अपने आपको मंगल के ऊपर गिरने से बचाते बचाते वह अपनी मामी के चेहरे के इतना करीब पहुंच गया कि उसकी मामी के गुलाबी होंठ और उसके होठों के बीच बस एक अंगूल का फासला रह गया,,,, दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले गए दोनों की गर्म सांसे एक दूसरे के चेहरे पर गर्माहट फैला रही थी,,,, मंगल अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर,, सूरज के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए बोली,,,,,,,

मामी नहीं सूरज मंगल बोलो अब से तुम मुझे घर के अंदर सिर्फ मंगल कह कर ही पुकारोगे,,,,
( इतना कहने के साथ ही मंगल ने अपने गुलाबी होठों को सूरज के होठों पर रखकर उसे चूमना शुरू कर दी,,, कुछ ही सेकंड में एक दूसरे की जबान को दोनों चाटते हुए मजा लेने लगे,,,,, सूरज से रहा नहीं गया और वह अपना एक हाथ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मामी की चूची को दबाना शुरु कर दिया,,,, मंगल सूरज के होठों को चूसते हुए सीसीयाने लगी,,,, दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी सूरज अपनी मामी को नाम लेने वाली बात का आग्रह सुनकर और ज्यादा उत्तेजित हो चुका था,,,, उससे रहा नहीं गया और वह चुंबन लेने के दौरान बोला,,,,

ओह मंगल मेरी जान,,,,, तुम बहुत अच्छी हो तुम बहुत प्यारी हो तुम्हारी जैसी औरत मैंने आज तक नहीं देखा (इतना कहने के साथ बहुत फिर से पागलों की तरह अपनी मामी के गुलाबी होठों पर ही टूट पड़ा और उसे जितना हो सकता था उतना मुंह में भर कर चूसने लगा,,,, मंगल की अपने भांजे की इस तरह की बात सुनकर कामोत्तेजना से चूर हो गई,, उसकी काम भावना जो कि पहले से ही प्रज्वलित थी सूरज के द्वारा उसका नाम लेकर उससे प्यार करने की चेष्टा को देख कर और भी ज्यादा भड़क उठी,,, वह भी अपने दोनों हाथ को सूरज के सिर पर रखकर उसके बालों को उत्तेजना वश भींचकर कर वह भी होंठ के रस पीने का आनंद लेने लगी। कुछ देर तक दोनों यूं ही एक दूसरे के होठों का रस निचोड़ डालने कि होड़ में होठो का रस पान करते रहे,,,, दोनों जब एक दूसरे से अलग हुए तो दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे। मंगल बहुत खुश नजर आ रही थी,,,,, वह लगभग हांफते हुए सूरज से बोली,,,,

बस ऐसे ही,,,, ऐसे ही मुझे पुकारा कर,,, प्यार करते समय ऐसे ही मेरा नाम लेकर मुझे प्यार किया कर,,,, तुझे शायद पता नहीं है कि तेरे नाम लेकर मुझे प्यार करने से कितनी खुशी मिलती है मुझे ऐसा लगता है कि मेरा पति मेरा प्रेमी मुझे प्यार कर रहा है यही चाहती हूं मै।,,,, तू बोल एैसा ही करेगा ना मेरे साथ मेरी ख्वाइश पूरी करेगा ना,,,, सूरज मेरे राजा,, बोलना खामोश क्यों हैं,,,,,

जो आप कह रही हो मुझे अच्छा ही लगेगा,,,,,


ऐसे नहीं देखा उसे तो मुझे ऐसे बोलना कि जैसे तू अपनी प्रेमिका या पत्नी से बात कर रहा है तो मुझे अपनी पत्नी की तरह ही प्यार करना,,,, मेरी यही ख्वाहिश है,,,।

हां मामी मेरा मतलब मंगल अब से तुम मेरे लिए मेरी पत्नी ही हो और मैं तुम्हारा पति होने के नाते जब चाहूं तब तुम्हें चोद सकता हूं (इतना कहने के साथ ही हुआ मंगल की मखमली जांगो पर हाथ फेरने लगा,,, बदलते हुए माहौल को देखकर सूरज की ऐसी हरकत की वजह से उत्तेजना के मारे मंगल के मुंह से सिसकारी छूट गई,,,)
ससससससहहहहहहह,,,,, सूरज मेरे राजा,,,,, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है आ जाओ मेरी बाहों में और अपनी पत्नी को अपने लंड से चोदकर तृप्त कर दो,,,,, ( मंगल की आंखों में मदहोशी का नशा छाने लगा था और सूरज उसकी चिकनी मखमली जांघों को सहला रहा था उसके लंड कि नशे इतनी ज्यादा कड़क हो चुकी थी की थोड़ा सा भी दबाव पड़ने पर वह फट सकती थी। सूरज से भी रहा नहीं गया रहा था आतुरता और उत्कंठा की प्रतीक्षा अब खत्म हो चुकी थी,,, वह उठकर खड़ा हो गया और उसके खड़े होते ही धोती में जबरदस्त तंबू नजर आने लगा जिसे देखकर मिलाकर मुंह में पानी आ गया,,,, मंगल भी अपनी प्यास बुझ़ाने के लिए आतुर थी, । वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर धोती के ऊपर से ही लंड को मुट्ठी में भरते हुए बोली,,,

ओहहहहह,,,,,, मेरे राजा,,,,, सूरज मेरे राजा,,, तेरे इसी मोटे लंड ने तो मुझे पागल कर दिया है ।इसी लंड की तो मैं दीवानी हो चुकी हूं तेरे लौंडे को देखती हूं तो ना जाने मुझे क्या होने लगता है एक नशा सा पूरे बदन में छाने लगता है। सससससहहहहह आज जी भर कर तेरे लंड से इतनी प्यास बुझाऊंगी,,,,
( अपनी मामी के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर सूरज एकदम उत्तेजित हुए जा रहा था अपने लंड की तारीफ सुनकर उससे रहा नहीं गया और वह धोती को पकड़कर खोलकर नीचे सरका ते हुए बोला,,,,)
तो चुस मेरी रानी,,,,,, ले चूस पूरा मुंह में भर कर चुस,,,, मेरी जान मेरी मंगल अब तो मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है मेरे लंड को पूरा मुंह में भर कर चुस,,, पूरा गले में उतार ले,,,, पी जा पूरे रस को मेरी जान मेरी रानी,,,,,आहहहहहह,,,,
( सूरज की बातों ने उसे और ज्यादा चुदवासी कर दिया और,, वह पागलों की तरह,,, अपने भांजे के लंड को मुट्ठी में भरकर उसे अपने मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दी सूरज की तो हालत खराब हुए जा रही थी क्योंकि जिस तरह से आज वह उसके लंड को चूस रही थी ऐसा लग रहा था कि उसके सारे रस को निचोड़ डालेगी,,,,,गुु गु गु गु ऊऊऊ,,,,, कि घुटी हुई आवाज मंगल के गले से आने लगी और सूरज पागलों की तरह अपनी कमर हिलाता हुआ ऐसा लग रहा था कि अपनी मामी के मुंह को ही चोद रहा हो,,,, ले और चूस पूरा मुंह में भर कर चूस मेरी जान पूरा बहुत मजा आ रहा है,,,,,
 

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