और जैसे तैसे करके वह दिन भी आ गया जब मंगल और सूरज दोनों मिलकर दोपहर को नानी को उसे रेलवे स्टेशन ट्रेन पर बिठाने के लिए ले जाने जाने वाले थे,,,,
सुबह का समय सूरज बाथरूम में नहाकर धोती लपेट रहा था और मंगल किचन में खाना बना रही थी,, नानी आंगन में बैठी थी,,,।
( तभीे केवल धोती लपेटकर सूरज बाथरुम से बाहर आ गया,, बाथरुम से बाहर आकर उसकी नजर सीधे सिढ़ीयों के पास खड़ी होकर नानी से बात कर रही मंगल पर पड़ी,,,,, खुले खुले बाल और बालों से टपक रहे पानी की वजह से गीली हो चुकी उसके ब्लाउज मे से साफ साफ नजर आ रही काली रंग की ब्रा की काली पट्टी नजर आ रही थी जो कि गोरे बदन पर और भी ज्यादा जच रही थी,,,, सूरज की नजर मंगल के बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ बराबर घूम रही थी,,, खास करके सूरज अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड को घूर रहा था जिसमें कि बेहद थिऱकन हो रही थी। सूरज से रहा नहीं गया और वह अपने कमरे में जाने की वजाय सीढ़ियों से नीचे उतर कर सीधे अपनी मामी के करीब पहुंच गया,, जोकि बाहर बैठी पर अपनी मा से बातें कर रही थी,,,,
सूरज पीछे से अपनी मामी को अपनी बाहों में भर लिया एक तो पहले से ही अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा था जो कि इस तरह से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा हो गया,,, इस तरह से एकाएक सूरज के द्वारा बाहों में भरने की वजह से मंगल चौंक उठी,,,,
छोड़ मुझे छोड़ पागल हो गया है क्या तू देख नहीं रहा है कि मां बाहर बैठी हुई है। ( अपनी मामी की बात सुनते ही उसका ध्यान नानी पर गया तो वह भी हड बढ़ाते हुए नानी की तरफ देखने लगा नानी रसोईघर के बाहर आंगन में बैठी थी,,,
सूरज ने नानी को देखते ही तुरंत अपनी बाहों के घेरे से अपनी मामी को आजाद करते हुए दूर खड़ा हो गया,,,
मंगल यह देख कर मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए सब्जी चलाने लगी और सब्जी चलाते हुए बोली।
तुझे अभी नशा चढ़ा है।
क्या करूं मामी तीन दिन हो गए ही तुम्हारी चुदाई की नही है और तुम्हारा पिछवाड़ा देख कर मुझसे रहा है जाता न जाने मुझे क्या होने लगता है । देखो तो सही(लंड की तरफ ईशारा करते हुए) मेरी हालत कैसे हुए जा रही है। मुझसे इस समय सब्र करना नामुमकिन सा हूआ जा रहा है।
हां वह तो दिख ही रहा है तेरा तो यही हाल रहता है न जाने मुझ में क्या देख लेता है कि तु अपना सब्र खो बैठता है।
मामी ये तुम्हारी भरावदार बड़ी-बड़ी गांड, जिसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है और फिर तुम्हारी रसीली बुर मे लंड डालके चोदने की तड़प बढ़ जाती है।
तेरी बातों से तो मेरा भी मन बहकने लगा है। ( सब्जी में मसाला डालते हुए)
तभी तो कह रहा हूं कुछ करो ना ताकी हम दोनों का काम बन जाए।
क्या करूं कैसे करूं मा बाहर बैठी हे,,,,
तो फिर कैसे होगा मामी (सूरज के लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था।)
मन तो मेरा भी बहुत करने लगा है,, पर दोपहर तक सब्र करो आज मां अपने गांव जाने वाली है,,, मामी अब सब्र नहीं हो रहा कुछ करो,,,तभी मंगल रुक जा कोई उपाय ढुंड़ती हुं,,
( वह सब्जी चलाते-चलाते उपाय ढूंढने लगी तभी उसके चेहरे पर एक चमक आई और वह बाहर घर के दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाते हुए बोली। )
बाहर बैठी अपनी मां से कहती है,,,
मा उस दिन की तरह आज भी दरवाजा ठीक से बंद नहीं हो रहा है।( दरवाजे को बंद करते हुए)
बेटी फिर से इसे ठीक कर लो ,,
( सूरज की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए आंख मारी सूरज रसोई में छुप कर मामी की सारी हरकत देख रहा था) मैं तो इस दरवाजे से तंग आ गई हूं।
( सूरज अपनी मामी का इशारा पूरी तरह से समझ गया था, उस दिन की तरह आज भी नानी के सामने दरवाजे का बहाना बनाकर अपनी प्यास बुझाने का पूरा जुगाड़ बना चुकी थी। सूरज खुशी से धीरे से अपनी मामी को बाहों में भरते हुए बोला।)
ओहह मामी तुम बहुत अच्छी हो बड़ी शातिर की तरह तुम्हारा दिमाग चलता है।
( मंगल भी सूरज को अपनी बाहों में कसते हुए बोली)
चल अब बिल्कुल भी देर मत कर समय बहुत कम है।
( घर का दरवाजा मंगल ने एक बहाने से बंद कर दी थी ताकि उसकी मां को यही लगेगी दरवाजे में प्रॉब्लम की वजह से बंद किया हुआ है। मंगल का रोमांच बढ़ता जा रहा था क्योंकि आज पहली बार वह इस तरह से संभोग सुख का आनंद उठाने जा रही थी उसके भांजे और नानी के बीच में बस यह दरवाजा ही था। मंगल भी इस रोमांच के चलते की घर में वह अपने भांजे से चुदने जा रही हे जबकि उसकी मां घर के बाहर आंगन में बैठी थी। इतना सोच कर ही वह रोमांचित हुए जा रही थी । सूरज के साथ-साथ मंगल भी पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी,,
सूरज पहले दरवाजे की सिटकनी को थोड़ा नीचे की तरफ सरका के ठीक से देख ले ताकि कुंडी बराबर अंदर जा सके,,
बाहर बैठी नानी अपनी बेटी को दरवाजा ठीक करते देख रही थी,,,
पर उसे क्या पता था दरवाजा ठीक करने के बहाने उसकी बेटी अपने भांजे से चुदने वाली थी,,,
मंगल अपनी मां की तरफ देखते हुए बोली मां तुम थोड़ी देर बाहर ही बैठी रहो तब तक में और सूरज दरवाजा ठीक करते है,,
उसकी मा ने हा में सर हिलाया,,,,
दरवाजा बंद करते ही सूरज ने मंगल को अपने बाहों में भर लिया,,
तभी मंगल के मुंह से आउच निकल गया,,,, तभी बाहर से उसकी मा बोली,,,,
क्या हुआ बेटी ईस तरह से चौकी क्यों?,,,
कककक,,, कुछ नहीं मा चूहा आ गया था,,,, ( तब तक सूरज अपनी मामी की गर्दन को चूमने लगा,,,,)
बेटी है दामाद कहा हैं,,,
दामाद जी भी ठीक है बाहर गए हैं,,,,।( तभी सूरज उत्तेजित होने लगा,,, वह अपनी मामी की गोरी गर्दन को चूमते चूमते अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबोच लिया वह उत्तेजना में इतनी जोर से चुचियों को मसला था कि मंगल के मुंह से फिर से आह निकल गई,,,।)
आहहहहह,,,,
क्या हुआ बेटी तू चीख क्यों रही है,,,,
कुछ नहीं मा वही चुहा है बार-बार परेशान कर रहा है,,,,
यह चूहा भी ना ठीक से हम दोनों को बाते नहीं करने दे रहा है,,,(मंगल दरवाजा ठीक करने के बहाने अपनी मा से भी बात कर रही थी ताकि उसके मां की शक ना हो) अच्छा तो सूरज को बुला लो ना मदत करने के लिए,,,
नहिं मां अभी सूरज सो रहा है में अकेली कर लूंगी,,
( सूरज की हरकतें बढ़ती जा रही थी वहां ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को दबाते दबाते धीरे-धीरे ब्लाउज के बटन भी खोल दिया,,,, मंगल को भी सूरज कि इस तरह की हरकत में बेहद आनंद मिल रहा था वरना उसे वह कब से रोक दी होती,,, सूरज जल्दी से ब्रा की स्ट्रेप को पकड़कर उपर की तरफ कर दिया और अपनी मामी की नंगी चूचियों को हथेली में भर भर कर मसलने लगा,,,।)
( सूरज अपनी हरकतों की वजह से मंगल के बदन मेभी कामाग्नि को भड़काने लगा,,, वह चूचियों को मसलते मसलते एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,
मंगल उसे रोकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसकी बुर में खुजली होने लगी थी,,, और वैसे भी आज घर पर सूरज और उसके सिवा कोई नहीं था,, इसलिए वह सूरज को वह जो करता था उसे करने दे रही थी और साथ में खुद भी मजे ले रही थी,,,।)
( तभी सूरज उत्तेजना की वजह से साड़ी को पूरी तरह से कमर तक चढ़ाकर,,, पेंटिं को साईड में करके अपने एक ऊंगली को बुर के अंदर डाल दिया,,,,)
आहहहहहह,,,,,,, ( मंगल के मुख से फीर से चीख निकल गई,,,।)
अब क्या हुआ बेटी,,,,
क्या बताऊं मा चूहा बार-बार परेशान कर रहा है,,,,।( सूरज के साथ-साथ मंगल भी पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी थी क्योंकि सूरज और जोर से अपनी उंगली को बुऱ के अंदर बाहर कर रहा था,,,, और साथ में अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही गांड की दरार में धंसा रहा था। मंगल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे बहुत मजा आ रहा था खास करके ऐसी अवस्था में अपनी मा से बात करने में उसे अजीब प्रकार की सुख की अनुभूति हो रही थी,,,,। तभी सूरज अपनी धोती भी निकाल फेंका और पूरी तरह से नंगा हो गया,,, नंगे लंड को सूरज साड़ी को और ऊपर की तरफ उठा कर ऊसकी मदमस्त गोरी गांड पर रगड़ने लगा,,, नंगे लंड की रबड़ को अपनी नंगी गांड पर महसुस करके मंगल पीछे की तरफ देखने लगी,,, मंगल की नजर अपने भांजे के खड़े लंबे लंड पर अटकसी गई तभी सामने से उसकी मा बोली,,।)
बेटा इतना परेशान कर रहा है तो उसे पकड़ क्यों नहीं लेती,,,
क्या करूं मा मेरी हिम्मत नहीं हो रही है यह चूहा कुछ ज्यादा ही बड़ा है,,,,।( मंगल मुस्कुराते हुए अपने भांजे के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,।,,, सूरज लगातार अपनी मामी की बुर को अपनी उंगली से पेल रहा था,,) क्या करूं मुझे डर भी लग रहा है क्योंकि इधर-उधर काट ले रहा है,,,।
तो हिम्मत करके पकड़ ले बेटा वरना ज्यादा परेशान करेगा,,,
तुम कहती हो तो मा मैं ट्राय करती हूं,,,,।( इतना कहने के साथ ही मंगल अपना एक हाथ पीछे की तरफ ले जा कर के अपने भांजे के लंड को पकड़ी थी की तभी उसकी गर्माहट महसूस करते ही उसे झट से छोड़ दी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी गरमा गरम नली को छु ली हो,,,)
आऊच्च,,,,,
अब क्या हुआ?
बड़ा चुहा है मा काटने दौड़ता है,,,।
अरे तू कैसी औरत है कितनी हड्डी करती हो कर के एक छोटे से चूहे से डरती है,,,
मा दूर रहकर बातें करने से कुछ नहीं होता अगर आप इधर होती तो आप भी ऊसे नहीं पकड़ पाती इतना बड़ा चूहा, है ।
( सूरज उत्तेजना के परम शिखर तक पहुंच गया था और साथ ही उस शिखर पर अपनी मामी को भी लिए जा रहा था दोनों की हालत खराब हुए जा रही थी,,, मंगल का मन ललच अपने भांजे के लंड को पकड़ने के लिए,,,, इसलिए वह फिर से अपने हाथ को पीछे ले जाकर एक बार फीर से अपने भांजे के लंड को पकड़ लि और उसे आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाने लगी,,,, और उसे मुट्ठीयाते हुए बोली,,,।)
पकड ल़ी हूं मा ,,,
सच बेटी,,,
हां मा बड़ी मुश्किल से पकड़ी हूं,,,
देखना बेटी संभाल कर पकड़ना कहीं तुझे काट ना ले,,
मा काटने की तो बहुत कोशिश कर रहा है लेकिन मैंने इसका मुंह अपनी हथेली में दबोच रखी हूं,,,,
बहुत अच्छे बेटा ऐसे ही पकड़े रहना,,,,
( मंगल अपनी मा से बातें करते हुए अपने भांजे के लंड को पकड़कर और भी ज्यादा गर्मा गई थी,,, ऊसे भी चुदने की खुजली मची हुई थी,,,, दोनों के बदन में कामाग्नि की तपिश बराबर तप रही थी,,, सूरज पूरी तरह से तैयार था अपनी मामी को चोदने के लिए और मंगल भी पूरी तरह से अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदने के लिए तैयार थी,,,, सूरज अपनी मामी को इशारा करके झुकने के लिए कह रहा था ताकी वह अपनी मामी को पीछे से चोद सके,,, लेकिन मंगल झुकने की बजाए अपनी मां से बात करते हुए बोली,,,
रुको मा मैं इसे छोड़ आऊं वरना फिर से परेशान करेगा,,,
हां-बेटी तू जा जल्दी से छोड़ कर आ,,,,,
( मंगल को आज बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था मामी अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए ही सीढ़ीयो की तरफ आगे बढ़ी,, सूरज को समझ पाता इससे पहले ही सीढ़ियों पर बैठकर पीछे की तरफ लेट गई,,, और अपनी दोनों टांगो को फैला कर अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए उसके सुपाड़े को अपनी बुर के मुहाने पर रख दी,,, और अपने भांजे को हाथ से इशारा करते हुए लंड को बुर में डालने के लिए बोली,,,, सूरज एक पल भी गवाए बिना अपनी कमर का दबाव बुर की तरफ बढ़ाने लगा और देखते ही देखते उसका पूरा समुचा लंड बुर में उतर गया,,, जैसे ही उसने देखी थी सूरज का पूरा लंड ऊसकी बुर में समा गया है,,, वह फिर अपने मां से बोली,,,
बोलो मा ,,,,( उत्तेजना की वजह से उसकी आवाज में थोड़ी थरथराहट थी।)
छोड़ दी बेटा,,,
हां मा मैंने उसे इसकी बिल में छोड़ दी,,,
आराम से चला गया ना,,,
हां मा अपने काम से चला गया आखिरकार बिल भी तो उसी ने बनाया था इसलिए तो उसे जाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई,,,,
चलो अच्छा हुआ कि तूने ऊसे रास्ता दिखा दी वरना और ज्यादा परेशान करता,, ।
हां मा खुद भी परेशान हो रहा था और मुझे भी परेशान कर रहा था,,,,( तब तक सूरज अपनी मामी की बुर में लंड को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से मंगल की सांसे उखड़ने लगी थी,,, मंगल लंबी लंबी सांसे भरने लगी और उसकी गहरी सांसों की आवाज सुनकर उसकी मा बोली,,,,।)
क्या हुआ बेटा तुम इतना हाफ क्यों रही है।
कुछ मा और क्या है थोड़ा जल्दी-जल्दी गई थी ना इसलिए आने जाने में सांस चढ़ गई।
तो इतनी जल्दी भी क्या थी आराम से उसे छोड़ दी होती,,,
अरे मा मैं तो आराम से ले जा रही थी लेकिन वह चूहा जल्दबाजी में था अगर जल्दी नहीं करती तो ना जाने कहां का कहां घुस जाता,,,
( सूरज को अपनी मामी की दो अर्थ वाली भाषा को सुनकर बहुत ही आनंद आ रहा था,,,, और अपनी मामी की बात सुनकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित होकर के जोर जोर से धक्के लगा रहा था जिसकी वजह से मंगल की सिसकारी छूट जा रही थी और वह बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू करके उस सिसकारी की आवाज को दबाए हुए थी,,, लेकिन तभी सूरज ने इतनी तीव्र गति से अपने लंड ऊसकी बुर के अंदर बाहर करना शुरू किया कि कितना भी दबाने के बावजूद भी उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकल ही गई,,,,
सससहहहहहह आहहहहहहह,,,,,,
यह केसी आवाज़ थी बेटा तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,
( अब मंगल क्या बोलती उसके मुंह से सिसकारी की आवाज फुट पड़ी थी लेकिन फिर भी बहाना बनाते हुए बोली)
मा जल्दी-जल्दी जाने में मेरा हाथ दीवाल से लग गया और थोड़ा सा छिल गया जिसकी वजह से दर्द होने लगा है,,,।
ज्यादा तो नहीं लगी,,,
नहीं मा ज्यादा नहीं लगी,,,,( मंगल इस तरह से अपने भांजे से चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी उसके हर धक्के के साथ उसकी सांसे उखड़ने लग रही थी,,,
सूरज पूरी तरह से मदहोश हो चुका था। उसके बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी वह मस्ती के साथ अपनी मामी की दोनों नंगी चूचियों को अपनी हथेली में जोर जोर से दबाते हुए,, जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, सूरज के हर धक्के के साथ मंगल का लावा पिघलता जा रहा था। बड़ी मुश्किल से मंगल अपनी सांसो को संभाले हुए थी,,, अपनी गहरी चल रही सांसो को वह अपने काबु में करना चाहती थी लेकिन उससे हो नहीं रहा था,,,,,, तभी उसकी मा बोली,,,
अरे बेटी उमर के साथ मेरी यादस्त बहोत कमजोर हो गई है और तेरे चूहे के चक्कर में मैं तुझे अपनी बात बताना तो भूल ही गई,,,
( मंगल अपनी मा की बात सुन कर कुछ बोल पाती इससे पहले ही सूरज ने इतनी जोर जोर से धक्के लगाना शुरु कर दिया कि उसके मुंह से आखिरकार सिसकारी की आवाज फुट ही पड़ी,,,।,,,,
ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहह,,,,,,
यह कैसी आवाज़ है बेटी,,, तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,,?
कुछ नहीं मा जल्दी-जल्दी आने जाने की वजह से मेरी सांसे भारी हो चली थी,,,,
अरे तो इसमें जल्दी करने वाली क्या बात है आराम से ले जा कर के छोड़ती तू,,,,
मैं तो आराम से ही ले जा रही थी मामी लेकिन चूहे को जल्दबाजी मची हुई थी इसलिए जल्दी करना पड़ा,,,,
अच्छा पहले तू जा करके पानी पी ले,,,
मा बस निकलने ही वाला है,,,,( मंगलके मुंह से ऊत्तेजना के कारण एकाएक निकल पड़ा और वह अपनी गलती को जानकर अपने ही जीभ को अपने दांत से दबा ली,,, )
क्या निकलने वाला है यह तू क्या कह रही है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,
ऐसी कोई भी बात नहीं है मा लेकिन आप कौनसी असली बात बताना चाह रहीे थी,,,
अरे वही बात बताने के लिए तो मैं यहा गांव आइ थी, बेटी तेरे छोटे भाई की शादी तय हो गई है,,, आज से १० दिन बाद की तारीख रखी हुई है,,,,
अरे वाह मा यह तो तुमने बहुत ही अच्छी खबर सुनाई,,,पर इतनी अच्छी कबर इतनी देर से क्यों सुना रही हो,,,
बेटी बुढ़ापे की वजह से कुछ याद नहीं रहता,,, ठीक है मां में समझ सकती हू,,
( तभी सूरज २,४ धक्के और बड़ी तेजी से लगा दिया,,,)
आहहहह आहहहहह,,,,
अरे यह कैसी आवाजें तू निकाल रही है,,,,
कुछ नहीं मा खुशी की वजह से वाह-वाह कह रही थी,,,,
तुझे जल्दी आना है कोई बहाना नहीं चलेगा आखिर मेरे छोटे भाई की शादी है पहले आएगी तभी ना रंगत जमेगी,,,
कोई बात नहीं मा मैं पहले आ जाऊंगी,,,
( कभी सूरज अपनी चरम शिखर की तरफ पहुंचते हुए जोर जोर से धक्के लगा कर चोदने लगा,,,, और दो चार धक्कों के बाद ही झड़ गया,,, साथ में मंगल भी अपना मदन रस छोड़ दी,,, जैसे ही उसे महसूस हुआ कि सूरज के लंड नें पिचकारी छोड़ दिया है,,,, तभी राहत की सांस लेते हुए उसके मुंह से निकल गया,,,,।)
हो गया,,,
क्या हो गया,,,
दरवाजा ठीक करके हो गया,,
अच्छा ठीक है चल दरवाजा खोल दे मुझे अभी नहाने जाना है,,
( दोनो के बीच बातें चल ही रही थी की सूरज मंगल के ऊपर से उठ कर खड़ा हो गया मंगल भी अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली,,,।)
मंगलमन ही मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे गांव जाना था बहुत साल बाद उसे अपने गांव जाना था,,,, अक्सर वह गांव कभी कबार ही जा पाती थी जब कभी सादी विवाह का अवसर आता था तब,,,,,, और अब अवसर आया था कि जब उसे गांव जाना पड़ रहा था,,, ऐसे तो वह बहुत खुश थी लेकिन तभी उसे इस बात का ख्याल हुआ कि यहां तो वह जब जाती थी तब अपने बदन की प्यास अपने ही भांजे से बुझवा लेती थी,, लेकिन यह दूसरे गांव में कैसे मुमकिन होगा क्योंकि वहां तो पूरा परिवार इकट्ठा रहता है,,,, यह ख्याल आते ही वह चिंतित हो गई लेकिन फिर कभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि इधर रह कर भी कभी कभार उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिलता था लेकिन उसका भांजा कैसे भी करके चोदने का जुगाड़ बना ही लेता था तो उधर भी वह कोई ना कोई जुगाड़ जरूर बना लेगा यह ख्याल आते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई,,,, तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि सूरज के लंड से निकला सारा माल धीरे-धीरे करके उसकी बुर से नीचे टपक रहा था जोंकि उसकी जांघों को भिगो रहा था,,,, वह कुछ देर पहले के पल को याद करके संतुष्ट होने लगी आज पहला मौका था कि जब वह अपनी मा से बात करते हुए अपने ही भांजे से चुदवा रही थी,,,, जिसका एहसास बेहद सुखद था,,,,। मंगल को अपनी बदली हुई जिंदगी पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था बहुत बिल्कुल भी यकीन नहीं कर पा रही थी कि वह पहले वाली ही मंगल है क्योंकि हमेशा पर्दे में रहती थी और किसी भी प्रकार की अश्लील बातों से या ऐसे कोई कर्म जिससे खुद की और खानदान की बदनामी हो कोसों दूर रहा करती थी लेकिन अब उसमें इतना ज्यादा बदलाव आ गया है कि,,,, वह खुद अपने आप पर विश्वास नहीं कर पा रही थीे कि वह वही मंगल है,, जो अब घर में अपने ही भांजे से चुदकर एकदम संतुष्ट होती आ रही थी,,, और वह भी चोरी छिपे एकदम बेशर्मों की तरह,,,, मंगल मुस्कुराते जल्दी बाथरूम की ओर चल दी क्योंकि उसे अपनेी बुर को धोकर साफ करना था,,,।
कुछ देर बाद वह बाथरुम से बाहर और दरवाजा खोलने बाहर चली गई,, आई तब तक सूरज तैयार हो चुका था मंगल बेहद खुश थी,,,,
दरवाजा खोलते ही मंगल अपने मां से कहती हे,,,
अब देख इसकी कड़ी बिल्कुल सटीक अंदर बाहर हो रही है अब बराबर हो गया है,,
बेटी दरवाजा ठीक हो गया।
हां बेटा अब दरवाजा बिल्कुल ठीक हो गया है (इतना कहने के साथ ही सूरज बाहर आ रहा था तो मंगल सूरज की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी)
दरवाजा ठीक करने के बहाने दोनों ने अपनी के उपस्थित होने के बावजूद भी अपनी काम प्यास को बुझाने में सफल रहे।
मंगल की मां नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चली गई,,
तभी मंगल सूरज से कहती हे,,
मैं तुझे एक बात तो बताना भूल ही गई,,,, जब तुम मुझे मां से बात करते हुए चोद रहा था,, तब तुम्हारा ध्यान हमारी बातो पर नहीं था,,, तुझे पता है मेरे छोटे भाई की शादी फिक्स हो गई है और हमें अगले हफ्ते ही गांव जाना है,,,
वाहहहह मामी तुमने तो मुझे बहुत अच्छी खबर सुनाई मुझे भी गांव जाने में बहुत मजा आता है,,,
लेकिन एक बात की टेंशन है,,,
टेंशन किस बात की टेंशन,,,
अरे सूरज यहां पर तो हम दोनों को यह सब करने के लिए मौका मिल ही जाता है लेकिन वहां पूरा परिवार होगा वहां कैसे मौका मिलेगा और मुझे तो जब तक तेरा लंड नहीं ले लुं तब तक मुझे चैन की नींद नहीं आती,,,,
कोई बात नहीं मामी तुम फिकर मत करो वहां भी मैं कोई ना कोई जुगाड़ ढूंढ ही लूंगा,,,
मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है (मंगल मुस्कुराते हुए बोली)
दोपहर को सूरज और मंगल बैलगाड़ी निकलकर अपनी मां को छोड़ने के लिए स्टेशन की तरफ निकल पड़े,,,
सूरज तो खुश था ही उसकी मामी और भी ज्यादा खुश थी।,,, प्लेटफॉर्म पर थोड़ी ही देर में ट्रेन आ गई और मंगल ने अपनी मा को ट्रेन में बिठा कर उन से विदा कर दिया,,,
सुबह का समय सूरज बाथरूम में नहाकर धोती लपेट रहा था और मंगल किचन में खाना बना रही थी,, नानी आंगन में बैठी थी,,,।
( तभीे केवल धोती लपेटकर सूरज बाथरुम से बाहर आ गया,, बाथरुम से बाहर आकर उसकी नजर सीधे सिढ़ीयों के पास खड़ी होकर नानी से बात कर रही मंगल पर पड़ी,,,,, खुले खुले बाल और बालों से टपक रहे पानी की वजह से गीली हो चुकी उसके ब्लाउज मे से साफ साफ नजर आ रही काली रंग की ब्रा की काली पट्टी नजर आ रही थी जो कि गोरे बदन पर और भी ज्यादा जच रही थी,,,, सूरज की नजर मंगल के बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ बराबर घूम रही थी,,, खास करके सूरज अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड को घूर रहा था जिसमें कि बेहद थिऱकन हो रही थी। सूरज से रहा नहीं गया और वह अपने कमरे में जाने की वजाय सीढ़ियों से नीचे उतर कर सीधे अपनी मामी के करीब पहुंच गया,, जोकि बाहर बैठी पर अपनी मा से बातें कर रही थी,,,,
सूरज पीछे से अपनी मामी को अपनी बाहों में भर लिया एक तो पहले से ही अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा था जो कि इस तरह से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा हो गया,,, इस तरह से एकाएक सूरज के द्वारा बाहों में भरने की वजह से मंगल चौंक उठी,,,,
छोड़ मुझे छोड़ पागल हो गया है क्या तू देख नहीं रहा है कि मां बाहर बैठी हुई है। ( अपनी मामी की बात सुनते ही उसका ध्यान नानी पर गया तो वह भी हड बढ़ाते हुए नानी की तरफ देखने लगा नानी रसोईघर के बाहर आंगन में बैठी थी,,,
सूरज ने नानी को देखते ही तुरंत अपनी बाहों के घेरे से अपनी मामी को आजाद करते हुए दूर खड़ा हो गया,,,
मंगल यह देख कर मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए सब्जी चलाने लगी और सब्जी चलाते हुए बोली।
तुझे अभी नशा चढ़ा है।
क्या करूं मामी तीन दिन हो गए ही तुम्हारी चुदाई की नही है और तुम्हारा पिछवाड़ा देख कर मुझसे रहा है जाता न जाने मुझे क्या होने लगता है । देखो तो सही(लंड की तरफ ईशारा करते हुए) मेरी हालत कैसे हुए जा रही है। मुझसे इस समय सब्र करना नामुमकिन सा हूआ जा रहा है।
हां वह तो दिख ही रहा है तेरा तो यही हाल रहता है न जाने मुझ में क्या देख लेता है कि तु अपना सब्र खो बैठता है।
मामी ये तुम्हारी भरावदार बड़ी-बड़ी गांड, जिसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है और फिर तुम्हारी रसीली बुर मे लंड डालके चोदने की तड़प बढ़ जाती है।
तेरी बातों से तो मेरा भी मन बहकने लगा है। ( सब्जी में मसाला डालते हुए)
तभी तो कह रहा हूं कुछ करो ना ताकी हम दोनों का काम बन जाए।
क्या करूं कैसे करूं मा बाहर बैठी हे,,,,
तो फिर कैसे होगा मामी (सूरज के लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था।)
मन तो मेरा भी बहुत करने लगा है,, पर दोपहर तक सब्र करो आज मां अपने गांव जाने वाली है,,, मामी अब सब्र नहीं हो रहा कुछ करो,,,तभी मंगल रुक जा कोई उपाय ढुंड़ती हुं,,
( वह सब्जी चलाते-चलाते उपाय ढूंढने लगी तभी उसके चेहरे पर एक चमक आई और वह बाहर घर के दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाते हुए बोली। )
बाहर बैठी अपनी मां से कहती है,,,
मा उस दिन की तरह आज भी दरवाजा ठीक से बंद नहीं हो रहा है।( दरवाजे को बंद करते हुए)
बेटी फिर से इसे ठीक कर लो ,,
( सूरज की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए आंख मारी सूरज रसोई में छुप कर मामी की सारी हरकत देख रहा था) मैं तो इस दरवाजे से तंग आ गई हूं।
( सूरज अपनी मामी का इशारा पूरी तरह से समझ गया था, उस दिन की तरह आज भी नानी के सामने दरवाजे का बहाना बनाकर अपनी प्यास बुझाने का पूरा जुगाड़ बना चुकी थी। सूरज खुशी से धीरे से अपनी मामी को बाहों में भरते हुए बोला।)
ओहह मामी तुम बहुत अच्छी हो बड़ी शातिर की तरह तुम्हारा दिमाग चलता है।
( मंगल भी सूरज को अपनी बाहों में कसते हुए बोली)
चल अब बिल्कुल भी देर मत कर समय बहुत कम है।
( घर का दरवाजा मंगल ने एक बहाने से बंद कर दी थी ताकि उसकी मां को यही लगेगी दरवाजे में प्रॉब्लम की वजह से बंद किया हुआ है। मंगल का रोमांच बढ़ता जा रहा था क्योंकि आज पहली बार वह इस तरह से संभोग सुख का आनंद उठाने जा रही थी उसके भांजे और नानी के बीच में बस यह दरवाजा ही था। मंगल भी इस रोमांच के चलते की घर में वह अपने भांजे से चुदने जा रही हे जबकि उसकी मां घर के बाहर आंगन में बैठी थी। इतना सोच कर ही वह रोमांचित हुए जा रही थी । सूरज के साथ-साथ मंगल भी पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी,,
सूरज पहले दरवाजे की सिटकनी को थोड़ा नीचे की तरफ सरका के ठीक से देख ले ताकि कुंडी बराबर अंदर जा सके,,
बाहर बैठी नानी अपनी बेटी को दरवाजा ठीक करते देख रही थी,,,
पर उसे क्या पता था दरवाजा ठीक करने के बहाने उसकी बेटी अपने भांजे से चुदने वाली थी,,,
मंगल अपनी मां की तरफ देखते हुए बोली मां तुम थोड़ी देर बाहर ही बैठी रहो तब तक में और सूरज दरवाजा ठीक करते है,,
उसकी मा ने हा में सर हिलाया,,,,
दरवाजा बंद करते ही सूरज ने मंगल को अपने बाहों में भर लिया,,
तभी मंगल के मुंह से आउच निकल गया,,,, तभी बाहर से उसकी मा बोली,,,,
क्या हुआ बेटी ईस तरह से चौकी क्यों?,,,
कककक,,, कुछ नहीं मा चूहा आ गया था,,,, ( तब तक सूरज अपनी मामी की गर्दन को चूमने लगा,,,,)
बेटी है दामाद कहा हैं,,,
दामाद जी भी ठीक है बाहर गए हैं,,,,।( तभी सूरज उत्तेजित होने लगा,,, वह अपनी मामी की गोरी गर्दन को चूमते चूमते अपने दोनों हाथ को आगे की तरफ लाकर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबोच लिया वह उत्तेजना में इतनी जोर से चुचियों को मसला था कि मंगल के मुंह से फिर से आह निकल गई,,,।)
आहहहहह,,,,
क्या हुआ बेटी तू चीख क्यों रही है,,,,
कुछ नहीं मा वही चुहा है बार-बार परेशान कर रहा है,,,,
यह चूहा भी ना ठीक से हम दोनों को बाते नहीं करने दे रहा है,,,(मंगल दरवाजा ठीक करने के बहाने अपनी मा से भी बात कर रही थी ताकि उसके मां की शक ना हो) अच्छा तो सूरज को बुला लो ना मदत करने के लिए,,,
नहिं मां अभी सूरज सो रहा है में अकेली कर लूंगी,,
( सूरज की हरकतें बढ़ती जा रही थी वहां ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को दबाते दबाते धीरे-धीरे ब्लाउज के बटन भी खोल दिया,,,, मंगल को भी सूरज कि इस तरह की हरकत में बेहद आनंद मिल रहा था वरना उसे वह कब से रोक दी होती,,, सूरज जल्दी से ब्रा की स्ट्रेप को पकड़कर उपर की तरफ कर दिया और अपनी मामी की नंगी चूचियों को हथेली में भर भर कर मसलने लगा,,,।)
( सूरज अपनी हरकतों की वजह से मंगल के बदन मेभी कामाग्नि को भड़काने लगा,,, वह चूचियों को मसलते मसलते एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,
मंगल उसे रोकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसकी हरकत की वजह से उसकी बुर में खुजली होने लगी थी,,, और वैसे भी आज घर पर सूरज और उसके सिवा कोई नहीं था,, इसलिए वह सूरज को वह जो करता था उसे करने दे रही थी और साथ में खुद भी मजे ले रही थी,,,।)
( तभी सूरज उत्तेजना की वजह से साड़ी को पूरी तरह से कमर तक चढ़ाकर,,, पेंटिं को साईड में करके अपने एक ऊंगली को बुर के अंदर डाल दिया,,,,)
आहहहहहह,,,,,,, ( मंगल के मुख से फीर से चीख निकल गई,,,।)
अब क्या हुआ बेटी,,,,
क्या बताऊं मा चूहा बार-बार परेशान कर रहा है,,,,।( सूरज के साथ-साथ मंगल भी पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी थी क्योंकि सूरज और जोर से अपनी उंगली को बुऱ के अंदर बाहर कर रहा था,,,, और साथ में अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही गांड की दरार में धंसा रहा था। मंगल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे बहुत मजा आ रहा था खास करके ऐसी अवस्था में अपनी मा से बात करने में उसे अजीब प्रकार की सुख की अनुभूति हो रही थी,,,,। तभी सूरज अपनी धोती भी निकाल फेंका और पूरी तरह से नंगा हो गया,,, नंगे लंड को सूरज साड़ी को और ऊपर की तरफ उठा कर ऊसकी मदमस्त गोरी गांड पर रगड़ने लगा,,, नंगे लंड की रबड़ को अपनी नंगी गांड पर महसुस करके मंगल पीछे की तरफ देखने लगी,,, मंगल की नजर अपने भांजे के खड़े लंबे लंड पर अटकसी गई तभी सामने से उसकी मा बोली,,।)
बेटा इतना परेशान कर रहा है तो उसे पकड़ क्यों नहीं लेती,,,
क्या करूं मा मेरी हिम्मत नहीं हो रही है यह चूहा कुछ ज्यादा ही बड़ा है,,,,।( मंगल मुस्कुराते हुए अपने भांजे के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,।,,, सूरज लगातार अपनी मामी की बुर को अपनी उंगली से पेल रहा था,,) क्या करूं मुझे डर भी लग रहा है क्योंकि इधर-उधर काट ले रहा है,,,।
तो हिम्मत करके पकड़ ले बेटा वरना ज्यादा परेशान करेगा,,,
तुम कहती हो तो मा मैं ट्राय करती हूं,,,,।( इतना कहने के साथ ही मंगल अपना एक हाथ पीछे की तरफ ले जा कर के अपने भांजे के लंड को पकड़ी थी की तभी उसकी गर्माहट महसूस करते ही उसे झट से छोड़ दी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी गरमा गरम नली को छु ली हो,,,)
आऊच्च,,,,,
अब क्या हुआ?
बड़ा चुहा है मा काटने दौड़ता है,,,।
अरे तू कैसी औरत है कितनी हड्डी करती हो कर के एक छोटे से चूहे से डरती है,,,
मा दूर रहकर बातें करने से कुछ नहीं होता अगर आप इधर होती तो आप भी ऊसे नहीं पकड़ पाती इतना बड़ा चूहा, है ।
( सूरज उत्तेजना के परम शिखर तक पहुंच गया था और साथ ही उस शिखर पर अपनी मामी को भी लिए जा रहा था दोनों की हालत खराब हुए जा रही थी,,, मंगल का मन ललच अपने भांजे के लंड को पकड़ने के लिए,,,, इसलिए वह फिर से अपने हाथ को पीछे ले जाकर एक बार फीर से अपने भांजे के लंड को पकड़ लि और उसे आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाने लगी,,,, और उसे मुट्ठीयाते हुए बोली,,,।)
पकड ल़ी हूं मा ,,,
सच बेटी,,,
हां मा बड़ी मुश्किल से पकड़ी हूं,,,
देखना बेटी संभाल कर पकड़ना कहीं तुझे काट ना ले,,
मा काटने की तो बहुत कोशिश कर रहा है लेकिन मैंने इसका मुंह अपनी हथेली में दबोच रखी हूं,,,,
बहुत अच्छे बेटा ऐसे ही पकड़े रहना,,,,
( मंगल अपनी मा से बातें करते हुए अपने भांजे के लंड को पकड़कर और भी ज्यादा गर्मा गई थी,,, ऊसे भी चुदने की खुजली मची हुई थी,,,, दोनों के बदन में कामाग्नि की तपिश बराबर तप रही थी,,, सूरज पूरी तरह से तैयार था अपनी मामी को चोदने के लिए और मंगल भी पूरी तरह से अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदने के लिए तैयार थी,,,, सूरज अपनी मामी को इशारा करके झुकने के लिए कह रहा था ताकी वह अपनी मामी को पीछे से चोद सके,,, लेकिन मंगल झुकने की बजाए अपनी मां से बात करते हुए बोली,,,
रुको मा मैं इसे छोड़ आऊं वरना फिर से परेशान करेगा,,,
हां-बेटी तू जा जल्दी से छोड़ कर आ,,,,,
( मंगल को आज बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था मामी अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए ही सीढ़ीयो की तरफ आगे बढ़ी,, सूरज को समझ पाता इससे पहले ही सीढ़ियों पर बैठकर पीछे की तरफ लेट गई,,, और अपनी दोनों टांगो को फैला कर अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए उसके सुपाड़े को अपनी बुर के मुहाने पर रख दी,,, और अपने भांजे को हाथ से इशारा करते हुए लंड को बुर में डालने के लिए बोली,,,, सूरज एक पल भी गवाए बिना अपनी कमर का दबाव बुर की तरफ बढ़ाने लगा और देखते ही देखते उसका पूरा समुचा लंड बुर में उतर गया,,, जैसे ही उसने देखी थी सूरज का पूरा लंड ऊसकी बुर में समा गया है,,, वह फिर अपने मां से बोली,,,
बोलो मा ,,,,( उत्तेजना की वजह से उसकी आवाज में थोड़ी थरथराहट थी।)
छोड़ दी बेटा,,,
हां मा मैंने उसे इसकी बिल में छोड़ दी,,,
आराम से चला गया ना,,,
हां मा अपने काम से चला गया आखिरकार बिल भी तो उसी ने बनाया था इसलिए तो उसे जाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई,,,,
चलो अच्छा हुआ कि तूने ऊसे रास्ता दिखा दी वरना और ज्यादा परेशान करता,, ।
हां मा खुद भी परेशान हो रहा था और मुझे भी परेशान कर रहा था,,,,( तब तक सूरज अपनी मामी की बुर में लंड को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया था जिसकी वजह से मंगल की सांसे उखड़ने लगी थी,,, मंगल लंबी लंबी सांसे भरने लगी और उसकी गहरी सांसों की आवाज सुनकर उसकी मा बोली,,,,।)
क्या हुआ बेटा तुम इतना हाफ क्यों रही है।
कुछ मा और क्या है थोड़ा जल्दी-जल्दी गई थी ना इसलिए आने जाने में सांस चढ़ गई।
तो इतनी जल्दी भी क्या थी आराम से उसे छोड़ दी होती,,,
अरे मा मैं तो आराम से ले जा रही थी लेकिन वह चूहा जल्दबाजी में था अगर जल्दी नहीं करती तो ना जाने कहां का कहां घुस जाता,,,
( सूरज को अपनी मामी की दो अर्थ वाली भाषा को सुनकर बहुत ही आनंद आ रहा था,,,, और अपनी मामी की बात सुनकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित होकर के जोर जोर से धक्के लगा रहा था जिसकी वजह से मंगल की सिसकारी छूट जा रही थी और वह बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू करके उस सिसकारी की आवाज को दबाए हुए थी,,, लेकिन तभी सूरज ने इतनी तीव्र गति से अपने लंड ऊसकी बुर के अंदर बाहर करना शुरू किया कि कितना भी दबाने के बावजूद भी उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकल ही गई,,,,
सससहहहहहह आहहहहहहह,,,,,,
यह केसी आवाज़ थी बेटा तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,
( अब मंगल क्या बोलती उसके मुंह से सिसकारी की आवाज फुट पड़ी थी लेकिन फिर भी बहाना बनाते हुए बोली)
मा जल्दी-जल्दी जाने में मेरा हाथ दीवाल से लग गया और थोड़ा सा छिल गया जिसकी वजह से दर्द होने लगा है,,,।
ज्यादा तो नहीं लगी,,,
नहीं मा ज्यादा नहीं लगी,,,,( मंगल इस तरह से अपने भांजे से चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी उसके हर धक्के के साथ उसकी सांसे उखड़ने लग रही थी,,,
सूरज पूरी तरह से मदहोश हो चुका था। उसके बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी वह मस्ती के साथ अपनी मामी की दोनों नंगी चूचियों को अपनी हथेली में जोर जोर से दबाते हुए,, जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, सूरज के हर धक्के के साथ मंगल का लावा पिघलता जा रहा था। बड़ी मुश्किल से मंगल अपनी सांसो को संभाले हुए थी,,, अपनी गहरी चल रही सांसो को वह अपने काबु में करना चाहती थी लेकिन उससे हो नहीं रहा था,,,,,, तभी उसकी मा बोली,,,
अरे बेटी उमर के साथ मेरी यादस्त बहोत कमजोर हो गई है और तेरे चूहे के चक्कर में मैं तुझे अपनी बात बताना तो भूल ही गई,,,
( मंगल अपनी मा की बात सुन कर कुछ बोल पाती इससे पहले ही सूरज ने इतनी जोर जोर से धक्के लगाना शुरु कर दिया कि उसके मुंह से आखिरकार सिसकारी की आवाज फुट ही पड़ी,,,।,,,,
ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहह,,,,,,
यह कैसी आवाज़ है बेटी,,, तुझे दर्द हो रहा है क्या,,,,?
कुछ नहीं मा जल्दी-जल्दी आने जाने की वजह से मेरी सांसे भारी हो चली थी,,,,
अरे तो इसमें जल्दी करने वाली क्या बात है आराम से ले जा कर के छोड़ती तू,,,,
मैं तो आराम से ही ले जा रही थी मामी लेकिन चूहे को जल्दबाजी मची हुई थी इसलिए जल्दी करना पड़ा,,,,
अच्छा पहले तू जा करके पानी पी ले,,,
मा बस निकलने ही वाला है,,,,( मंगलके मुंह से ऊत्तेजना के कारण एकाएक निकल पड़ा और वह अपनी गलती को जानकर अपने ही जीभ को अपने दांत से दबा ली,,, )
क्या निकलने वाला है यह तू क्या कह रही है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,
ऐसी कोई भी बात नहीं है मा लेकिन आप कौनसी असली बात बताना चाह रहीे थी,,,
अरे वही बात बताने के लिए तो मैं यहा गांव आइ थी, बेटी तेरे छोटे भाई की शादी तय हो गई है,,, आज से १० दिन बाद की तारीख रखी हुई है,,,,
अरे वाह मा यह तो तुमने बहुत ही अच्छी खबर सुनाई,,,पर इतनी अच्छी कबर इतनी देर से क्यों सुना रही हो,,,
बेटी बुढ़ापे की वजह से कुछ याद नहीं रहता,,, ठीक है मां में समझ सकती हू,,
( तभी सूरज २,४ धक्के और बड़ी तेजी से लगा दिया,,,)
आहहहह आहहहहह,,,,
अरे यह कैसी आवाजें तू निकाल रही है,,,,
कुछ नहीं मा खुशी की वजह से वाह-वाह कह रही थी,,,,
तुझे जल्दी आना है कोई बहाना नहीं चलेगा आखिर मेरे छोटे भाई की शादी है पहले आएगी तभी ना रंगत जमेगी,,,
कोई बात नहीं मा मैं पहले आ जाऊंगी,,,
( कभी सूरज अपनी चरम शिखर की तरफ पहुंचते हुए जोर जोर से धक्के लगा कर चोदने लगा,,,, और दो चार धक्कों के बाद ही झड़ गया,,, साथ में मंगल भी अपना मदन रस छोड़ दी,,, जैसे ही उसे महसूस हुआ कि सूरज के लंड नें पिचकारी छोड़ दिया है,,,, तभी राहत की सांस लेते हुए उसके मुंह से निकल गया,,,,।)
हो गया,,,
क्या हो गया,,,
दरवाजा ठीक करके हो गया,,
अच्छा ठीक है चल दरवाजा खोल दे मुझे अभी नहाने जाना है,,
( दोनो के बीच बातें चल ही रही थी की सूरज मंगल के ऊपर से उठ कर खड़ा हो गया मंगल भी अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली,,,।)
मंगलमन ही मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे गांव जाना था बहुत साल बाद उसे अपने गांव जाना था,,,, अक्सर वह गांव कभी कबार ही जा पाती थी जब कभी सादी विवाह का अवसर आता था तब,,,,,, और अब अवसर आया था कि जब उसे गांव जाना पड़ रहा था,,, ऐसे तो वह बहुत खुश थी लेकिन तभी उसे इस बात का ख्याल हुआ कि यहां तो वह जब जाती थी तब अपने बदन की प्यास अपने ही भांजे से बुझवा लेती थी,, लेकिन यह दूसरे गांव में कैसे मुमकिन होगा क्योंकि वहां तो पूरा परिवार इकट्ठा रहता है,,,, यह ख्याल आते ही वह चिंतित हो गई लेकिन फिर कभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि इधर रह कर भी कभी कभार उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिलता था लेकिन उसका भांजा कैसे भी करके चोदने का जुगाड़ बना ही लेता था तो उधर भी वह कोई ना कोई जुगाड़ जरूर बना लेगा यह ख्याल आते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई,,,, तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि सूरज के लंड से निकला सारा माल धीरे-धीरे करके उसकी बुर से नीचे टपक रहा था जोंकि उसकी जांघों को भिगो रहा था,,,, वह कुछ देर पहले के पल को याद करके संतुष्ट होने लगी आज पहला मौका था कि जब वह अपनी मा से बात करते हुए अपने ही भांजे से चुदवा रही थी,,,, जिसका एहसास बेहद सुखद था,,,,। मंगल को अपनी बदली हुई जिंदगी पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था बहुत बिल्कुल भी यकीन नहीं कर पा रही थी कि वह पहले वाली ही मंगल है क्योंकि हमेशा पर्दे में रहती थी और किसी भी प्रकार की अश्लील बातों से या ऐसे कोई कर्म जिससे खुद की और खानदान की बदनामी हो कोसों दूर रहा करती थी लेकिन अब उसमें इतना ज्यादा बदलाव आ गया है कि,,,, वह खुद अपने आप पर विश्वास नहीं कर पा रही थीे कि वह वही मंगल है,, जो अब घर में अपने ही भांजे से चुदकर एकदम संतुष्ट होती आ रही थी,,, और वह भी चोरी छिपे एकदम बेशर्मों की तरह,,,, मंगल मुस्कुराते जल्दी बाथरूम की ओर चल दी क्योंकि उसे अपनेी बुर को धोकर साफ करना था,,,।
कुछ देर बाद वह बाथरुम से बाहर और दरवाजा खोलने बाहर चली गई,, आई तब तक सूरज तैयार हो चुका था मंगल बेहद खुश थी,,,,
दरवाजा खोलते ही मंगल अपने मां से कहती हे,,,
अब देख इसकी कड़ी बिल्कुल सटीक अंदर बाहर हो रही है अब बराबर हो गया है,,
बेटी दरवाजा ठीक हो गया।
हां बेटा अब दरवाजा बिल्कुल ठीक हो गया है (इतना कहने के साथ ही सूरज बाहर आ रहा था तो मंगल सूरज की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी)
दरवाजा ठीक करने के बहाने दोनों ने अपनी के उपस्थित होने के बावजूद भी अपनी काम प्यास को बुझाने में सफल रहे।
मंगल की मां नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चली गई,,
तभी मंगल सूरज से कहती हे,,
मैं तुझे एक बात तो बताना भूल ही गई,,,, जब तुम मुझे मां से बात करते हुए चोद रहा था,, तब तुम्हारा ध्यान हमारी बातो पर नहीं था,,, तुझे पता है मेरे छोटे भाई की शादी फिक्स हो गई है और हमें अगले हफ्ते ही गांव जाना है,,,
वाहहहह मामी तुमने तो मुझे बहुत अच्छी खबर सुनाई मुझे भी गांव जाने में बहुत मजा आता है,,,
लेकिन एक बात की टेंशन है,,,
टेंशन किस बात की टेंशन,,,
अरे सूरज यहां पर तो हम दोनों को यह सब करने के लिए मौका मिल ही जाता है लेकिन वहां पूरा परिवार होगा वहां कैसे मौका मिलेगा और मुझे तो जब तक तेरा लंड नहीं ले लुं तब तक मुझे चैन की नींद नहीं आती,,,,
कोई बात नहीं मामी तुम फिकर मत करो वहां भी मैं कोई ना कोई जुगाड़ ढूंढ ही लूंगा,,,
मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है (मंगल मुस्कुराते हुए बोली)
दोपहर को सूरज और मंगल बैलगाड़ी निकलकर अपनी मां को छोड़ने के लिए स्टेशन की तरफ निकल पड़े,,,
सूरज तो खुश था ही उसकी मामी और भी ज्यादा खुश थी।,,, प्लेटफॉर्म पर थोड़ी ही देर में ट्रेन आ गई और मंगल ने अपनी मा को ट्रेन में बिठा कर उन से विदा कर दिया,,,