मंजू आगे चल रही थी,,, सूरज पीछे-पीछे उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी आंखों के सामने गांव की खूबसूरत औरत अपनी गांड मटका कर चल रही थी कसी हुई साड़ी में उसकी कार्रवाई ज्यादा बड़ी लग रही थी जिसे वह थोड़ी देर पहले,, वह नंगी देख चुका था उसकी नंगी नंगी गांड सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर को और ऊंची उठा रही थी,, धोती में बवाल मचा हुआ था,,, सूरज को मंजू का उसे पेशाब करते हुए देख लेने के बावजूद भी सूरज के प्रति साहजिक रहना खुद सूरज को हैरान कर देने वाला लग रहा था,,,,,, उसे लगने लगा था की इस आम के बगीचे में आज जरूर गुल खिलने वाला है,,,।
थोड़ी देर बाद मंजू झोपड़ी के आगे आ गई थी,,,, और हेड पंप के करीब खड़ी हो कर के सूरज की हेडपम्प चलाने के लिए बोली,,, सूरज उसकी बात सुनते ही तुरंत हेड पंप के पास पहुंच गया और उसे चलाना शुरु कर दिया,,,,।पंप में से पानी निकलते ही सारी नीचे की तरफ झुका कर अपने हाथ पैर धोने को हुई तो उसका साड़ी का पल्लू उसके कंधे पर से सरक कर नीचे गिर गया जिससे उसकी भारी भरकम छातियां सूरज को एकदम साफ नजर आने लगी,,, सूरज की आंखें फटी की फटी रह गई चुचियों की बीच की गहरी दरार ईतनी गहरी थी कि सूरज को उसमें डूब जाने का मन कर रहा था,,, दोनों चूचियां आपस में सटकर एक छोटे से नितंब का निर्माण कर रही थी,,,, क्योंकि जिस तरह से नितंबों में दो फांके होती हैं उसी तरह से चूचियों के बीच की पतली दरार भी नितंबों की तरह दोनों चूचियों की दो फांके बना रही थी,,,, जिसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था,,,, साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही मंजू बोली,,,
धत्,,, जब देखो तब नीचे गिर जाती है,,,,
संभाल कर रखा करिए मौसी,,,,
अरे संभाल कर ही रखती हूं लेकिन संभाले नहीं संभलती,,, अब हाथ मुंह धोने के बाद ही उठाऊंगी,,,,(इतना कह कर वह हाथ मुंह धोने लगी,,,,वह जानबूझकर अपने साड़ी के पल्लू के ऊपर नहीं उठा रही थी वह सूरज को पूरी तरह से अपनी दोनों चूचियों के बीच संमा लेना चाहती थी वह चाहती थी कि सूरज उसकी चूचियों की बीच की गहरी नहर में डूब जाए और ऐसा हो भी रहा था सूरज की प्यासी नजरें उसकी दोनों चूचियों के बीच की गहरी दरार पर टिकी हुई थी,,,, सूरज की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी पागल हैंडपंप चला रहा था धोती के अंदर बवंडर सा उठ रहा था जो कि मंजू की नजर से बच नहीं पा रहा था,,,
मंजू अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बाद में तो जवानी देख कर सूरज के तन बदन में तूफ़ान सा उठ रहा है,,, और वह उस तूफान में खो जाना चाहती थी,,,,,मंजू हाथ में पानी लेकर उसे अपने चेहरे पर मार रही थी और चेहरे से पानी की बूंदे गिर कर नीचे उसकी चूचियों के साथ-साथ उसके ब्लाउज को भीगो रही थी,,, और यह देख कर सूरज की हालत खराब हो रही थी,,,,,,, हाथ मुंह धो लेने के बाद सोने खड़ी हुई और अपने साड़ी के पल्लू से अपने चेहरे को पोछने लगी और चेहरे को पोछते हुए बोली,,,
सूरज मैं देख रही हूं कि बार-बार तुम्हारे धोती में तंबू बन जा रहा है ऐसा क्यों हो रहा है,,,,?
(मंजू की इस तरह की बातें सुनकर सूरज एकदम से सकपका उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें,,,, फिर भी बात को संभालते हुए बोला,,,)
नहीं-नहीं मंजू मौसी ऐसी कोई भी बात नहीं,,, है,,, यह तो ऐसे ही इसकी आदत है,,,(सूरज कि इस तरह की मासूम बात सुनकर मंजू मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)
मुझसे झूठ नहीं बोल सकते बच्चु,,,,मुझे सब पता है बार-बार मुझे देखकर तुम्हारे धोती में तंबू बन जा रहा है,,,, जब यहा लकड़ी का हल उतारने के लिए तब भी तुम्हारे धोती में इसी तरह से उठा हुआ था,,,
(उंगली से उसके धोती के तंबू की तरफ इशारा करते हुए) और ईस समय भी मुझे पेशाब करते हुए देख कर उठा हुआ है,,,, इसका मतलब तुम भी अच्छी तरह से जानते होंगे जब किसी लड़के के मन में गंदे विचार आते हैं तो इसी तरह की हालत हो जाती है मुझे लग रहा है कि मुझे देखकर तुम्हारे मन में गंदे विचार आ रहे हैं मैं इसीलिए तुम्हें समझाया था लेकिन फिर से तुम्हारी यही हालत है,,,,
नहीं नहीं मंजू मौसी मेरा ऐसा कोई भी इरादा नहीं है,,,(सूरज थोड़ा घबराते हुए बोला,,,)
ऐसा कोई इरादा नहीं है,,, मुझे बुद्धू बना रहे हो ,,,झोपड़ी के अंदर तुम्हारी हरकत को मैं अच्छी तरह से समझ रही थी मेरी कमर को कैसे अपने दोनों हाथों से थाम कर नितंबों को मेरे पीछे सटा रहे थे,,,, मैं खूब समझती हूं,,,(मंजू जानबूझकर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोल रही थी,,,और उसके चेहरे के बदलते हाव-भाव को देखकर सूरज को भी डर लगने लगा इसलिए वह फिर से डरते हुए बोला,,,)
तुम क्या कहना चाह रही हो मौसी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,
समझ जाओगे अच्छी तरह से समझ जाओगे जब मैं यह बात तुम्हारे मामी से बताऊंगी ना तो सब कुछ समझ जाओगे,,,(मंजू जानबूझकर मंगल मामी का जिक्र कर रही थी,,,,सूरज का डर और ज्यादा बढ़ गया था वह इस बात से डर रहा था कि कहीं मंजू ने मंगल मामी को सब कुछ बता दी तो उसकी मामी टूट जायेगी उस पर गुस्सा करेगी बड़े विश्वास के साथ मंगल ने सूरज को अपना शरीर सोपा था यह विश्वास टूट जायेगा भले ही उसके मामी ने उसे बताया था कि मंजू उसकी दीवानी हो चुकी है लेकिन अब उसे डर लगने लगा था,,, इसलिए सूरज घबराते हुए बोला,,,)
नहीं नहीं मौसी अपने मामी को कुछ मत बताना,,, जो कुछ भी हुआ था अन जाने में हुआ था इसमें मेरी कोई गलती नहीं है,,,, वह तो आपकी खूबसूरती और खुद मेरे बाहों में आ गई थी इसलिए इसका यह हाल हो गया था,,,,
(सूरज की बातें सुनकर मंजू अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी,,,, और बोली,,,)
फिर भी ऐसा नहीं होना चाहिए था तेरे मन में मेरे लिए गलत ख्याल आ गया तभी तेरा खड़ा हुआ,,,
(मंजू के मुंह से खड़ा हुआ शब्द सुनते ही उसके मदमस्त एहसास से सूरज पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था लेकिन उसे डर भी लग रहा था,,, मंजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
देख कर जो तुम मुझे सच सच बता देगा तो मैं मंगल से कुछ नहीं कहूंगी मैं सिर्फ जानना चाहती हूं कि तेरे मन में मुझे लेकर के गंदे ख्याल आए थे कि नहीं,,,
आए थे मौसी,,,(कुछ देर खामोश रहने के बाद नजरें नीचे झुकाए हुए ही वह बोला उसका जवाब सुनकर मंजू अंदर ही अंदर खुश हो रही थी)
अच्छा यह बता कि तेरे मन में यह ख्याल आया कैसे,,,?
वह मौसी जब तुम ऊपर से नीचे गिरी और सीधे मेरी बाहों में आ गई तुम्हारी साड़ी कमर तक उठ गई,,,, और तुम्हारी गांड मेरे से एकदम से सट गई और ना चाहते हुए भी मेरा खड़ा हो गया,,,,(इतना कहकर वह खामोश हो गया ,,, मंजू के कहे अनुसार वह सच सच बता दिया था और मंजू उसकी मासूमियत और उसके भोलेपन पर पूरी तरह से आकर्षित हो गई थी,,,, मंजू का दिमाग बड़ी तेजी से काम कर रहा था ,,,, वह आज सूरज से पूरी तरह से मजा लेना चाहती थी,,,, इसलिए वह बोली )
मैं तुम्हारी सच्चाई से खुश हूं अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी मामी से यग सब कुछ ना बताउंं तो,,, जैसा मैं कहूंगी वैसा तुमहे करना होगा,,,,,,,(होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए वह बोली,,, सूरज के पास कोई रास्ता नही था,,, कहीं ना कहीं सूरज को लगने लगा था कि जो कुछ भी हो रहा है उसमें उसका फायदा ही है,,, इसलिए हां में सिर हिला दिया,,,,,,, उसकी हामी होते ही वह सूरज से बोली,,,)
चल झोपड़ी में चलते हैं जहां पर मुझे देख कर तेरी हालत खराब हो गई थी,,,,
(सूरज कुछ बोला नहीं और उसके पीछे पीछे चलने लगा,,, झोपड़ी के अंदर मंजू उसके साथ क्या करेगी यह सोचकर ही उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, लेकिन थोड़ा-थोड़ा वह औरतों के मन की बात को समझने लगा था,,, उसे इतना तो समझ में आ ही गया था कि भले ही मंजू गुस्सा दिखा रही लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा है,,,, खूबसूरत औरत का एक जवान लड़के के साथ आम के बगीचे के सुनसान स्थल पर कीसी झोपड़ी में जाने के मतलब को सूरज अच्छी तरह से समझ रहा था,,
थोड़ी ही देर में मंजू और सूरज दोनों झोपड़ी के अंदर थे,,, गांव से दूर आम के बगीचे में दोनों झोपड़ी के अंदर खड़े थे अगर इस बात का आभास गांव में किसी को भी हो जाता तो हड़कंप मच जाता बदनामी हो जाती अगर दोनों के बीच कुछ ना अभी हुआ हो तो भी लोग गलत ही समझते लेकिन यहां किसी को कहां खबर होने वाली थी यहां कोई आता जाता भी नहीं था,,, इसलिए मंजू को यही जगह ठीक लगी थी काम के बहाने अपनी कामलीला रचाने के लिए,,,
मंजू की पेंटी काम रस से भीगी जा रही थी,,, तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी मदहोशी का मीठा मीठा दर्द पूरे शरीर में फैल रहा था,,,, एक जवान मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करने के लिए मंजू पूरी तरह से तड़प रही थी,,,,,, सांसो की गति सूरज की भी दुरुस्त नहीं थी,,, जानलेवा सामान जो उसकी आंखों के सामने था,,,, मंजू खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,
सूरज हल उतारते समय जो कुछ भी हुआ था क्या तुम्हें अच्छा लगा था,,,,
(सूरज की मौके की नजाकत को समझने लगा था उसे अच्छी तरह से आभास हो गया था कि एक औरत तभी इस तरह की बातें करती है जब उसके मन में भी कुछ-कुछ हो रहा हो इसलिए अपने मन में सोचने लगा कि डरने वाली कोई भी बात नहीं है अगर ऐसी वैसी बात होती है तो पहले ही बहुत डांट कर भगा दी होती,, इसलिए मंजू के सवाल का जवाब देते हुए सूरज बोला हालांकि वह अपनी नजरों को जानबूझकर नीचे किए हुए था ताकि उसे ऐसा ही लगे कि वह अभी भी डरा हुआ है,,,)
बहुत अच्छा लगा मंजू मौसी अच्छा नहीं लगता तो वह खड़ा होता क्या,,,
क्या खड़ा होता जरा खुल कर बोल,,,
वही मौसी जिसके बारे में तुम बोल रही थी,,,(सूरज उसी तरह से नजरे नीचे किए हुए बोला,,,)
तो खुल कर बोलना किसके बारे में बोल रही थी शर्मा क्यों रहा है जवान लड़का होकर शर्माता है,,,
(सूरज को अब लगने लगा था कि उस के नसीब में मंजू मौसी की बुर चोदना लिखा है,,, उसे मंजू mके इरादे स्पष्ट होते मालूम हो रहे थे,,,,,,, जब सामने से पकवान की थाली आगे बढ़ाई जा रही हो तो भला खाने से इंकार किसको था,,, इसलिए सूरज कि अपने मन में सोचने लगा कि जिस भाषा में वह सुनना चाहती हैं क्यों ना उसी भाषा में बात करु,,, इसलिए वह जवाब देते हुए बोला,,,)
वही मौसी आप जानती तो हैं,,,,
अरे मैं तो जानती हूं लेकिन तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती हूं,,,,(मंजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी क्योंकि उसकी नजर उसकी धोती पर ही टिकी हुई थी क्योंकि इस समय अपनी पूरी औकात में था,,,, दोनों तरफ उत्तेजना का सैलाब उठ रहा था,,,)
लललल,,,लंड के बारे में मौसी,,,(जानबूझकर सूरज थोड़ा घबराते हुए बोला,,, सूरज के मुंह से लंड शब्द सुनते ही मंजू की बुर गीली होने लगी,,,ऐसा नहीं था कि वह इन शब्दों को पहली बार सुन रही थी लेकिन आज सूरज के मुंह से लंड शब्द सुनकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी,,,,को सामान उसके जीवन में आकर गुजर चुके थे लेकिन जैसे कि वह इसी सावन की चाह में थी ईसी सावन की फुहार के इंतजार में थी,,, जो कि बरस कर उसे पूरी तरह से अपनी आगोश में ले लेगा,,, मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, हालात काबू से बाहर जा रहे थे,,,उसे इस बात का आभास हो गया था कि इस झोपड़ी के अंदर तूफान आने वाला है,,,,सूरज के मुंह से उसके मर्दाना अंग का नाम सुनते ही उसे देखने की तड़प उसके अंदर जागने लगी इसलिए वह व्याकुल होते हुए बोली,,,)
मुझे दिखाओ,,, कैसा है तुम्हारा जो तुम्हारे धोती में इतना बवाल मचाए हुए हैं जो तुम्हें इतना परेशान कर रहा है,,,,
(मंजू एकदम मदहोशी भरे स्वर में बोली उसके होंठों से निकल रहे एक एक शब्द कामुकता बरसा रहे थे मदहोशी भरे शब्द सूरज के कानों में घूमते ही उत्तेजना का प्रसारण पूरे बदन में बड़ी तेजी से कर रहे थे,, सूरज अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए बोला,,,)
यह क्या कह रही हो मौसी मैं भला कैसे,,,,?
शरमाओ मत सूरज,,,, आखिर तुम एक मर्द हो पर एक औरत के सामने ही अपने अंग का उपयोग करोगे उसे दिखाओ गए किसी जानवर के सामने नहीं इसलिए घबराओ मत मैं जैसा कह रही हूं वैसा ही करो नहीं तो जानते हो ना मंगल को बता दी तो तुम्हारी खैर नहीं,,,
(मंजू m की अधीरता उसकी व्याकुलता उसके शब्दों में साफ झलक रही थी सूरज उसके मन की मनसा को अच्छी तरह से समझ रहा था और उसके मनसा में अपनी खुशी भी देख रहा था लेकिन फिर भी वह जानबूझकर सिर्फ नाटक कर रहा था बल्कि वह तो खुद अपने लंड को उसे दिखाना चाहता था,,, मंजू के एक-एक शब्द ऐसा लग रहा था कि उसके अंगों को सहला रहे हैं,,, पल-पल सूरज उत्तेजना के समंदर में गोते लगाते हुए आगे बढ़ रहा था,,,,,, सूरज मंजू की बात सुनकर बोला,,,)
नहीं नहीं मौसी ऐसा मत करना लेकिन मुझे शर्म आ रही है इसलिए मैं तुम से गुजारिश करता हूं कि अपने हाथ से ही देख लो,,,,(सूरज शेर पर सवा सेर साबित हो रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि मंजू अपने हाथों से उसके पहचाने को नीचे करके उसके लंड को देखें इसमें भी एक अद्भुत सुविधा अपने हाथ से कपड़े उतारने में और औरतों के द्वारा कपड़े उतारने में जमीन आसमान का फर्क होता है जब एक मर्द खुद कपड़े उतारता है तो उसकी अधीरता और उतावलापन होता है लेकिन जब एक औरत मर्द के कपड़े उतारती है तो इसमें उस औरत की प्यास,,, उसकी वासना उसकी संभोग करने की कामेच्छा छुपी होती है इसीलिए वह मंजू को अपना धोती उतारने के लिए कह रहा था,,,
उसके इस आमंत्रण पर मंजू भला कैसे पीछे रह सकती थी,,, इसलिए सूरज की बात सुनते ही मुस्कुराते आगे बढ़ी और तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गई उसके इस तरह से बैठने पर सूरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,, झोपड़ी के अंदर चारों तरफ घास फुस का ढेर लगा हुआ था इसलिए घुटने टेक कर बैठने में उसे बिल्कुल भी परेशानी नहीं हुई मंजू अपने दोनों हाथों से बढ़ाकर उसके धोती के ऊपर रख दी और उसे खोलकर ओर उसे धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, सूरज की हालत खराब हो रही थी साथ ही मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था महीनों पहले वह झोपड़ी में नीचे झुकी थी तब सूरज के लंड को धोती सहित अपने बुर पर महसूस कर कर पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गई थी और उसे पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो गई थी और आलम यह था कि आज उसी सूरज के साथ वहां आम के बगीचे की झोपड़ी में एकांत में उसकी धोती खोल रही थी,,,,,
अच्छा खासा भरा हुआ तंबू देखकर मंजू की बुर लप-लपाने लगी थी उसमें से काम रस झड़ रहा था,,, धीरे धीरे मंजू उसके धोती को खोलकर नीचे कर रही थी,,,, लंबा और मजबूत लंड होने की वजह से धोती नीचे की तरफ नहीं आ रहा था तो मंजू धोती में हाथ डालकर सूरज के मोटे तगड़े लंड को हाथ से पकड़ ली और उसे बाहर की तरफ खींचने लगी,,,, लंड की गर्माहट पाते हैं मंजू की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पिघलने लगी जो कि पहले से ही पानीयाई हुई थी,,,
बरसों बाद मंजू को इस तरह का अनुभव हुआ था कि वह पहली बार किसी मर्द के लंड को पकड़ रही है,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी हालत खराब हो रही थी,,,, मंजू उसे धोती से बाहर निकाल ली थी,,, और बाहर निकालते ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,,,, उसका सुपाड़ा एकदम दमदार था आलू बुखारे की शक्ल का,,, कुछ पल के लिए तो सुपाड़े की गोलाई देखकर मंजू अंदर ही अंदर सिहर उठी उसे इस बात का शंका थी कि उसका सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के छेद में घुस पाएगा कि नहीं,,,
लेकिन एक औरत होने के नाते उसे इतना तो अंदाजा था कि वह किसी भी तरह से उसे अंदर लेगी लेगी यह ख्याल मन में आते ही उसके चेहरे पर चमक आ गई और घुटनों में फंसे धोती को सूरज खुद अपने आंखों का सहारा लेकर उसे अपनी टांग से बाहर निकाल दिया कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगा हो चुका था,,, और खूबसूरत औरत के हाथों में अपना दमदार लंड का एहसास उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,,।
तो यही था,,,, जो मुझे देख कर खड़ा हो गया था,,,
हां मंजू मौसी यही था इसमें मेरी कोई गलती नहीं है,,,
तुम सच कह रहे हो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी,,, सारी गलती इसी की ही थी और इसे गलती की सजा जरूर मिलेगी,,,(सूरज की तरफ नजर उठा कर देखते हुए,,) सूरज इस झोपड़ी में मैं तुम्हारे साथ कुछ भी करूं उस बारे में खबर बाहर नहीं जानी चाहिए अगर इस बारे में किसी को भी भनक लगी तो याद रखना तुम्हारी खैर नहीं,,,,
जी जी ,,,, ज़ी मौसी किसी को कानों कान खबर नहीं होगी,,,
बहुत अच्छे काफी समझदार हो,,,(सूरज के लंड को मुठीयाते हुए मंजू बोली,,, उसके मुंह में पानी आ रहा था साथ में बुर की हालत खराब होती जा रही थी उसने अब तक अपने पति का ना जाने कितने बार लंड़ कों अपने मुंह में ले कर चुस चुकी थी,,, लेकिन उसे इस बात का अहसास था कि मुझे का लंड मुंह में लेने का मजा ही कुछ और होगा,,, इसलिए मंजू बिना कुछ बोले अपने होठों को सूरज के लंड पर रखकर उसे अपने होंठों के बीच अंतर ले ली और उसे जीप का सहारा देकर चाटना शुरू कर दी सूरज के लिए यह जबरदस्त हमला था वह अपने आप को संभाल सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी मामी की सहेली इस तरह की हरकत करेगी हालांकि उसे पता ही था कि मंजू आम के बगीचे में उसे वापस बुलाकर कुछ तो अलग करना चाहती है लेकिन इस तरह का कार्यक्रम का उसका मन होगा इस बारे में कभी सोचा नहीं था लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उसे तो जैसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो गया था आज वह अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझ रहा था,,, और वैसे भी वह सबसे खुशनसीब था भी,,,
सूरज की मस्ती का कोई ठिकाना ना था मंजू पूरी तरह से उसे मस्त कर रही थी,,,, और खुद ही मस्त हुए जा रही थी,,, राजु के लंड से उसका पुरा मुंह भरा हुआ था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि किसी का लंड ईतना मोटा होता होगा,,,, वह पूरी तरह से मस्ती में आकर सूरज के लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रहे थे और आज भी पूरी तरह से स्वर्ग का सुख प्राप्त करता हुआ अपने दोनों हाथों को उसके रेशमी बालों में उलझा कर हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया था,,,, अद्भुत नजारा था अतुल्य जिसकी किसी से तुलना नहीं कर सकते थे,,,मंजू से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था वह जितना हो सकता था उतना अपने गले के अंदर तक लेकर सूरज के लंड को खा जाने की इच्छा रख रही थी,,,, पूरा गले तक उतार लेने के बावजूद भी डेढ़ इंच जितना रह जाता था,,, यह देखकर मंजू की बुर में खलबली होने लगती थी,,,।
कुछ देर तक इसी तरह से मंजू सूरज के लंड को मुंह में लेकर चुसती रही,,, सूरज खड़े-खड़े अपना ऊपर का कपड़ा भी निकाल कर पूरी तरह से नंगा हो गया था,,,थोड़ी देर बाद मंजू ने सूरज के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दि,,,, और हांफने लगी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, मंजू के चेहरे को देखकर आभास हो रहा था कि उसे बहुत मजा आ रहा था अपनी सांसों को दुरुस्त करके और आगे की तरफ देखते हुए बोली,,,
बाप रे तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है,,,,
(मंजू की बात सुनकर सूरज खुश हो गया और अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हीलाने लगा ,, सूरज की हरकत को देखकर मंजू समझ गई थी कि यह उसका पहली बार नहीं है यह पहले भी मजा ले चुका है,,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
तुम अनाड़ी नहीं हो खिलाड़ी लग रहे हो तुम्हारी हरकत से लग रहा है कि मैं तुम्हारे लिए पहली बार नहीं है इससे पहले भी औरत की चुदाई कर चुके हो,,,
(मंजू के मुंह से चुदाई जैसे शब्दों को सुनकर सूरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसकी बात सुनकर हुआ है समझ गया था कि छुपाने से कोई फायदा नहीं है इसलिए वह बोला)
जी मौसी,,,, पहले भी मैंने चुदाई किया हूं,,,( सूरज झूठ बोलते हुए अपने मामी का जिक्र नहीं किया ) गांव की एक दोस्त की मां है वह हमेशा मेरे पीछे पड़ी रहती थी और एक दिन अपने घर बुलाकर जो तुम कर रही हो वह भी मेरे साथ सब कुछ करी,,,
(सूरज की बात सुनते ही मंजू मुस्कुराते हुए बोली)
बहुत अच्छे तब तो मुझे सिखाना नहीं पड़ेगा,,,, पर तू बाहर मुंह मारता फिरता है पर अपने घर की खूबसूरत गदराई माल पर तेरी नजर नही गई,,,
सूरज जान गया था की मंजू किसकी बात कर रही है फिर भी अनजान बनते हुए सूरज बोला कोनसा माल,,,
अरे भूदू तुम्हारी मामी वह गांव की सबसे खूबसूरत औरत है उसे चोद कर तू धन्य हो जाएगा,,
यह क्या बात कर रही हो मामी मेरे मां जैसी है ( मन में सूरज बहोत खुश था क्योंकि वह अपनी मामी की बुर चोदकर ध्यन हो गया था )
अरे सूरज मेने उसके आंखो में प्यास देखी है उस प्यास को सिर्फ तुम्हारा दमदार लंड ही बुझा सकता है,,,
सूरज अनजान बनते हुए पर केसे..?
पर वर कुछ नही इसमें में तुम्हारी मदत करूंगी पर अभ तू मेरी प्यास बुझा,,,
(इतना कहते ही वह खड़ी हो गई और सूरज की आंखों में देखी सूरज मंजू की आंखों में डूबता चला जा रहा था दोनों के होंठ आपस में टकराए और मंजू पागलों की तरह उसके होंठों को काटना शुरु कर दी,,, सूरज भी जवाबी कार्रवाई करते हुए मंजू के गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर कर,,, चूसना शुरू कर दिया काटना शुरू कर दिया दोनों उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुके थे,, सूरज के हाथ उसकी चिकनी पीठ पर घूमना शुरू हो गई थी,,, मखमली चिकनी पीठ मक्खन की तरफ चल रही थी उत्तेजना के मारे सूरज अपनी हथेलियों को कसके उसकी पीठ पर इधर से उधर घुमा रहा था जिससे दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी मंजू भी उसकी नंगी चिकनी पीठ पर अपनी हथेलियां घूम रही थी सूरज अपनी दोनों हथेलियों को उसकी चिकनी पीट से होती उसकी कमर पर ले आया और उस पर दोनों हथेलियां रखकर जोर से दबोच लिया जिससे उत्तेजना के मारे मंजू उछल पड़ी लेकिन वह अपनी हथेली के दबाव में उसे दाबे हुए था,,,,,
सूरज की हरकतों से मंजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी उसके बदन की गर्मी और ज्यादा अपना असर दिखा रही थी सूरज का लंड उसकी दोनों टांगों के बीच से होता हुआ साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मार रहा था जिसकी वजह से मंजू की बुर उत्तेजना के मारे फुदक रही थी,,, मंजू को अपनी बाहों में लेकर सूरज अपने आप को राजा समझने लगा था मंजू उसकी रानी थी इसकी जवानी के रस को अपने होठों से पीने के लिए व्याकुल था,,,,
मंजू अपनी कमर को अपनी गांड को गोल-गोल घुमा रही थी इस तरह से वह अपनी बुर को रांची का लंड पर रगड़ रही थी भले ही वह साड़ी के ऊपर से ही क्यों ना इस तरह की हरकत कर रही थी लेकिन मजा उसे बहुत आ रहा था,,,, सूरज पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूबता चला जा रहा था वह अपनी हथेलियों को उसके कमर से हटाकर नीचे के उभार की तरफ आगे बढ़ने लगा और अगले ही पल उसकी मद भरीबड़ी बड़ी गांड पर अपनी हथेली रखकर उसे जोर-जोर से बताने लगा जिससे मंजू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज आना शुरू हो गई थी,,,,
सूरज पागलों की तरह उसके गुलाबी होठों को खा रहा था दोनों के मुंह से लार का आदान-प्रदान हो रहा था जिसे अपने गले के नीचे गटकने में दोनों को किसी भी प्रकार की बाधा महसूस नहीं हो रही थी,,,, मंजू खेली खाई थी तो सूरज भी कम नहीं था अपनी दुआ के साथ-साथ अपनी मामी की बुर का भी मजा ले चुका था इसलिए उसे अच्छी तरह से मालूम था कि औरत को कैसे संतुष्ट किया जाता है वह मंजू की साड़ी को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया था,,, और देखते ही देखते वह मंजू की साड़ी को एक बार फिर से उसकी कमर तक उठा दिया था,,,
मंजू को इसमें किसी भी प्रकार की आपत्ति महसूस नहीं हो रही थी उसे तो मजा आ रहा था उसे पहले लग रहा था कि सूरज को सब को सिखाना पड़ेगा लेकिन वह अनाड़ी नहीं खिलाड़ी निकला था इसलिए मंजू मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि अनाड़ी के साथ इतना मजा नहीं आता जितना खिलाड़ी के साथ संभोग करने में आता है,,,, मंगल मामी ने उसे औरतों के दोनों टांगों के बीच का रास्ता दिखाई थी और बाकी का कसर अभ मंजू अब पूरी कर रही थी,, इसलिए वह अनाड़ी से खिलाड़ी हो गया था,,,
सूरज मंजू की साड़ी को कमर तक उठा लेने के बाद उसकी बड़ी-बड़ी गांड़ को अपने दोनों हाथों में लेकर दबोच रहा था लेकिन उसकी छोटी सी पेंटी की वजह से वह पूरी तरह से मस्ती कर लुत्फ नहीं उठा पा रहा था,,,लेकिन फिर भी बिना कुछ बोले हो आज पेंटी के ऊपर से ही उसकी बड़ी बड़ी गांड को रगड़ रहा था,,
और आगे से अपने लंड को उसकी बुर पर बराबर दबाव बनाए हुए था,,, सूरज कि इन सभी हरकतों की वजह से मंजू चटनी बनी हुई थी जिसे वह पूरी तरह से पीसकर और भी ज्यादा स्वादिष्ट बना रहा था,,,, मंजू की बुर से लगातार काम रस झर रहा था,,, जिसे सूरज को पिलाने के लिए मंजू व्याकुल हुए जा रही थी,,, ऊपर और नीचे से सूरज पूरी तरह से मंजू के रस को निचोड़ रहा था मंजू की मस्ती को और ज्यादा बढ़ा रहा था मंजू चुदवाने के लिए व्याकुल हुए जा रही थी,,,,मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर छोटी सी पेंटी उसके बदन पर ना होती तो शायद सूरज अपने लंड को अब तक उसकी बुर की गहराई में डाल दिया होता,,,,
दोनों एक दूसरे के होंठों को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थे होंठों की मस्ती का असर नीचे देखने को मिल रहा था,,,।नीचे से दोनों का नाजुक और कड़क अंग पिघल रहा था,,,अपनी उत्तेजना को बर्दाश्त ना कर सकने की स्थिति में सूरज अपने दोनों हाथों की उंगलियों का उसकी पेंटी के अंदर डाल कर जोर जोर से मसल रहा था,,,,।
ओहहहह,,, सूरज बहुत मजा आ रहा है ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं आया,,,
मुझे भी मौसी बहुत मजा आ रहा है तुम बहुत खूबसूरत हो तुम्हारे अंग कितनी खूबसूरत है,,, खास करके तुम्हारी गांड कितनी मस्त है,,,,आहहहहहह,,,, जी करता है की तुम्हारी गांड में घुस जाउ,,,,
तो घुस जाओ सूरज रोका किसने है,,,,( मंजू मद भरी आवाज में बोली,,)
घुस तो जाऊ मंजू मौसी,,, लेकिन तुम्हारी पेंटी बीच में आ रही है,,,,
पेंटी,,,,,
(राजु और मंजू अभी भी एक दूसरे की बाहों में थे,, सूरज अभी भी अपनी हथेली में भर भर कर उसकी गांड को दबा रहा था और मंजू अपनी बुर पर उसके लंड के ठोकर को बराबर महसूस कर रही थी और उसकी पीठ को सहला रही थी,,, सूरज को अभी भी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
मंजू सूरज से अलग होकर उसकी आंखों के सामने अपने हाथों से अपनी साड़ी उतारने लगी,,,,और देखते ही देखते वह अपनी सारी उतार कर घास फूस के ढेर पर रख दी,,, सूरज के लिए यह मौका पहली बार था जब उसकी आंखों के सामने कोई औरत अपने कपड़े उतार रही थी अपनी साड़ी उतार रही थी,,, हालांकि वह अपने हाथों से अपनी मामी की साड़ी और पेंटी उतार चुका,,लेकिन जो सुख उसे अपनी आंखों से एक औरत को अपनी साड़ी उतार कर नंगी होते हुए मिल रहा था वह उसके लिए बेहद अद्भुत था,,, देखते ही देखते मंजू के बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट रह गई,,,ऐसा नहीं था कि मंजू को मजा नहीं आ रहा था सूरज के सामने अपने कपड़े उतारने में उसे भी असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी खास करके उसे सूरज को इस तरह से तड़पाने में मजा आ रहा था,,,,
साड़ी उतर जाने के बाद सूरज की नजर है उसकी घटादार छातियों पर टिकी हुई थी,,, जिसमें से बाहर आने के लिए उसके दोनों जंगली कबूतर अपने पंख फड़फड़ा रहे थे,,,चिकना पेट और उसके बीच की गहरी नाभि सूरज को उसकी छोटी सी बुर से कम नहीं लग रही थी,,, उसकी नाभि को लंड से चोदने का मन कर रहा था लेकिन अभी वह मंजू को केवल पेंटी में देखना चाहता था वह देखना चाहता था कि मंजू पेंटी में अपनी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती है,,,
मंजू सूरज की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी और धीरे से एक हाथ से अपने पेटीकोट की डोरी को पकड़ ली और उसे खींच दी डोरी को खींचते ही नितंबों पर कैसी हुई पेटिकोट एकदम ढीली हो गई और डोरी को हाथ से छोड़ते ही उसकी पेटीकोट भरभरा कर उसके कदमों में जा गिरी,,,
और जो नजारा सूरज की आंखों के सामने नजर आने लगे उसकी तो कभी उसने कल्पना भी नहीं किया था,,, मंजू के कहे अनुसार वाकई में छोटी सी पेंटी में मंजू की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी जिसे देखकर सूरज मदहोश हुआ जा रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी,,,
अपने आप पर काबू कर पाना उसके लिए मुश्किल हुआ जा रहा था,,, उसकी छातियों पर अभी भी ब्लाउज टंगा हुआ था जिसे वह दूर करने के लिए मुस्कुराते हुए अपने ब्लाउज के बटन खोल रही थी,,,, एक-एक करके मंजू ने अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और ब्लाउज को अपनी बाहों में से निकाल कर उसी घास फूस के ढेर पर रख दी,,
सूरज की तो आंखें फटी की फटी रह गई सौंदर्य की देवी उसकी आंखों के सामने खड़ी थी और वह भी छोटी सी पेंटी में,,,, छातियों की शोभा बढ़ा रही उसकी दिनों खरबूजे को देखकर सूरज के मुंह में पानी आ रहा था,,,, मदमस्त जवानी से भरपूर एक खूबसूरत औरत उसकी आंखों के सामने पेंटी को छोड़कर बाकी पूरी तरह से नंगी खड़ी थी उसके बदन पर केवल एक छोटी सी पेंटी थी जिसमें वाकई में वह सुंदरता की मूरत लग रही थी,,,
सूरज की तो जैसे सास ही अटक गई थी एक तक उसकी भरपूर जवानी को ऊपर से लेकर नीचे तक अपनी आंखों से पी रहा था,,,, पल भर में ही सूरज को ४ बोतलों का नशा होने लगा मंजू उसकी हालत को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,,सूरज को लगने लगा कि शराब से ज्यादा नशा औरत की मदमस्त जवानी में होता है जिसे पीकर आदमी मस्त हो जाता है,,, मंजू की चूचीयों में कसाव बरकरार था जोकि उसकी चूचियों पर कुछ ज्यादा ही मेहनत हुई थी लेकिन फिर भी वह अपनी रंगत और शानो शौकत को नहीं छोड़ी थी उसी तरह से पहाड़ की तरह सीना ताने,,,, भाले की नोक कि तरह अपनी जवानी का जलवा बिखेर रही थी,,,
सूरज की नजर कभी चूचियों पर तो कभी उसकी छोटी सी पेंटी पर चली जा रही थी जिसमें उसने अनमोल खजाना छुपा कर रखी थी जिसे पाने के लिए सूरज तड़प रहा था,,,,सूरज अपने मन में सोचने लगा कि सुनने जो कुछ भी कह रही थी वाकई में वह एकदम सच कह रही थी इस हाल में उसने अभी तक किसी भी औरत को देखा नहीं था अपने मामी के सिवा,,,,,,सूरज की हालत को देखकर मंजू समझ गई थी कि उसकी जवानी का जादू उस पर पूरी तरह से छा चुका है एक तरह से वह उसकी अंगड़ाई लेती जवानी के आगे घुटने टेक दिया था,,, सूरज की हालत को देखकर मंजू बोली,,
अब बताओ मैं सच कह रही थी या गलत,,,
तुम बिल्कुल सच कह रही थी छोटी सी पेंटी में तुम्हारी खूबसूरती और ज्यादा निखर रही है,,,।(सूरज आपने लंड को मसलते हुए बोला सूरज की हरकत मंजू के लिए एक इशारा थी कि उसकी हालत खराब हो रही है जो कि मंजू सूरज की इस हरकत से अच्छी तरह से समझ गई थी इसलिए वह बोली,,,)
इसलिए तुम्हारा और ज्यादा खड़ा हो गया है,,,
अब क्या करूं मौसी आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत एकदम नंगी खड़ी हो तो इंसान कर भी क्या सकता है,,,।
अभी नंगी कहा हुं,,,, अभी भी मेरे बदन पर यह छोटी सी पेंटी है,,,,
इसे भी उतार तो मौसी मैं तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखना चाहता हूं,,,,(सूरज एकदम से मदहोश होता हुआ बोला)
अब सब कुछ मैं हीं करूंगी,,,, यह शुभ काम तो अपने हाथों से कर बहुत अच्छा लगेगा,,,,।
क्या मौसी सच में यह शुभ काम में अपने हाथों से करु,,,
तो क्या अपने हाथों से उतारकर ही ना देखेगा की पेंटी के अंदर कीतना अनमोल खजाना छुपा हुआ है,,,
सच कह रही हो मौसी मैं भी देखने के लिए तड़प रहा हूं तुम्हारे खजाने को,,,,
तो वहां क्यों खड़ा है आकर उतार दे इसे,,,
(आंखों के इशारे से उसे अपने पास बुलाते हुए बोली,,,,सूरज आप कहां पीछे हटने वाला था उससे तो खुला आमंत्रण मिल रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आज दूसरी बार किसी खूबसूरत औरतें कि वह पेंटी अपने हाथों से उतारने जा रहा था,,,,
इसलिए मंजू की बात सुनते ही वह धीरे-धीरे उसके करीब पहुंच गया और जिस तरह से मंजू उसके आगे घुटने टेक कर बैठ गई थी वैसे ही वह उसके सामने घुटने टेक कर नीचे बैठ गया,,,, सूरज के साथ साथ मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, वह अपने पति के साथ इस तरह के अनुभव से गुजर चुकी थी लेकिन आज की बात कुछ और थी आज ऐसा लग रहा था कि उसकी जिंदगी की यह पहेली घड़ी थी जिसने वह किसी की आंखों के सामने नंगी हो रही थी और किसी जवान लड़के के हाथों से अपनी पेंटी उतरवा रही थी,,, यह सब मंजू के लिए बेहद उत्तेजनात्मक पल था जिसमें वह पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी,,,,।
सूरज उसके बेहद करीब घुटने टेककर नीचे बैठा हुआ था उसकी आंखों के ठीक सामने मंजू की पेंटी नजर आ रही थी जो कि उसके काम रस से गीली हो चुकी थी,,,उत्तेजना के मारे मंजू का गला सूखता जा रहा था सूरज के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि अपने हाथों से एक खूबसूरत औरत की पेंटी उतार कर उसे नंगी करने वाला था,,,,,, अपने दोनों हाथों के बढ़ाकर मंजू की पेंटी पर रख दिया,,,,, सूरज की उंगलियों का स्पर्श अपनी चिकनी कमर पर होते हैं वह एकदम से उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,, ऊपर नीचे हो रही सांसों के साथ साथ मंजू की चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखकर सूरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,,
धीरे-धीरे सूरज मंजू की पेंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, सूरज के लिए अनुभव बिल्कुल नया था और एकदम कामोत्तेजना से भरा हुआ जिसका वह पूरा फायदा और मजा ले रहा था धीरे-धीरे वह पेंटी को नीचे की तरफ करने लगा और जैसे-जैसे पेंटी नीचे की तरफ आ रही थी वैसे वैसे पेंटी के अंदर छुपा खजाना उजागर होता जा रहा था दोनों टांगों के बीच की हुआ वह जगह के ऊपरी भाग काफी उपसा हुआ नजर आ रहा था जिससे जाहिर हो रहा था कि मंजू कितनी उत्तेजित हो चुकी है,,,,,,,
देखते-देखते सूरज मंजू की पेंटी को उसकी जांघों तक ले आया और उसकी रसीली मद भरी बेशकीमती बुर नंगी हो गई जिसे देखते ही सूरज के तन बदन में वासना की लहर दौड़ने लगी उसकी आंखों की चमक बढ़ गई जवानी का नशा बढ़ने लगा,,,बुर को देख कर सूरज ऊपर नजर करके मंजू की तरफ देखा तो मंजू भी उसी को ही देख रही थी आपस में दोनों की नजरें टकराई,,,,
आंखों ही आंखों में इशारा हो गया था मंजू ने आंखों के इशारों में ही मंजू ने उसे अपनी पेंटी उतारने के लिए बोल दी थी,,,,
सूरज भी मंजू के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए उसकी पेंटी नीचे घुटनों तक ला दिया,,, लेकिन अब उसमें सब्र बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखों के सामने बेशकीमती खजाना पड़ा हुआ था जिसे लूटने के लिए वह ललाईत हुए जा रहा था,,,, मंजू कुछ कहती इससे पहले ही सूरज अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी उंगलियों से मंजू की बुर को स्पर्श करने लगा,,, और एक दम मस्त होने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे वह वाकई में बेशकीमती खजाना पा गया हो और उस पर अपनी हथेली पर कर अपने आपको विश्वास दिला रहा हो कि अब यह सब तेरा है,,,सूरज की उंगलियों का स्पर्श पाकर मंजू की बुर से भी सब्र का बांध टूटता हुआ महसूस होने लगा था क्योंकि उसमें से मदन रस की बूंदे अमृतधारा बनकर चुने लगी थी,,, उस अमृतधारा को सूरज जमीन पर गिर कर जाया नहीं होने देना चाहता था इसलिए तुरंत अपने होठों को आगे बढ़ा कर मंजू की तख्ती हुई बुर पर रख दिया,,,
मंजू सूरज के इस अद्भुत कार्य शैली को देखकर एकदम से सिहर उठी,,,, पर तुरंत अपने दोनों हाथों को उसके सर पर रख कर उसे अपनी बुर से चिपका दी,,,,, सूरज मंत्रमुग्ध मदहोश हुआ जा रहा था,,, वह अपनी प्यासी जीभ निकालकर,,, तुरंत उसकी रसीली बुर के गुलाबी छेद में डाल दिया और उसे चाटना शुरू कर दिया,,,, उसकी मामी ने हीं उसे बुर चाटने की कला में से पारंगत कर दिया था,,, जिसका वो मंजू के साथ सही उपयोग कर रहा था,,,।
मंजू पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी बरसों बाद कोई इस तरह से बुर चाट कर उसे मस्त कर रहा था वह पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी बुर को उसके होंठों पर रगड़ रही थी,,, जिससे मंजू के साथ-साथ सूरज की भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,।
ओहह सूरज पुरी जीभ अंदर डालकर चाट,,,, आहहहहह सूरज बहुत मजा आ रहा है मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि तू कितना कुछ जानता होगा शक्ल से तो तु एकदम मासूम लगता है लेकिन बहुत शैतान,,, है,,,,आहहहहहह,,,,,आहहहहहहह,,,(आंखों को बंद करके मंजू मस्ती की फुहार में नहा रही थी उसकी बुर बार-बार काम रस छोड़ रही थी,,, जिसका स्वाद वह अपनी जीभ से ले रहा था,,,। मंजू की गरम सिसकारियों की आवाज को सुनकर सूरज पूरी मस्ती के साथ उसकी बुर की चटाई कर रहा था,,, सूरज को मंजू की बुर का स्वाद बेहद मधुर लग रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था,,, सूरज अपनी जीभ के साथ साथ अपनी उंगलियों से उसकी गुलाबी बुर के छेद को कुरेद कुरेद कर उसकी मलाई को चाट रहा था,,, संभोग के असली सुख को प्राप्त करने के लिए मंजू ने बहुत कुछ की थी लेकिन अभी तक उसे उस अद्भुत सुख की प्राप्ति नहीं हुई थी लेकिन आज उसे लगने लगा था कि उसकी जिंदगी में सावन की बहार आने वाली है उसे संभोग का अद्भुत सुख प्राप्त होने वाला है क्योंकि सूरज ने तो शुरुआती दौर में अपनी हरकतों से उसे पूरी तरह से मत कर दिया था और उसका पानी भी झाड़ चुका था,,,
मंजू को लगने लगा था कि जब शुरुआत इतनी जबरदस्त है तो चरम कितना आनंददायक होगा,,,,
उसकी बुर लंड के लिए तड़प रही थी सूरज के मोटे तगड़े लंड को अपने अंदर लेने के लिए मचल रही थी,,, बुर के अंदर की संकरी दीवारें,,, सूरज के मोटे तगड़े लैंड की रबड़ को अपने अंदर महसूस करने के लिए उतावली हुए जा रही थी इसलिए बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,,
मंजू की मदहोशी देखकर सूरज की समझ गया था कि अब उसे लंड की जरूरत है,,,, इसलिए अपने तृप्त होठों को उसकी प्यासी बुर से अलग करते हुए वह मंजू की तरफ देखने लगा उसके होठों से मंजू की बुर से निकला काम रस टपक रहा था जिसे देखकर मंजू की काम भावना हो ज्यादा भड़क रही थी क्योंकि इतने प्यार से और जो उसके साथ किसी ने भी उसकी बुर को इस कदर चाटा नहीं था,,,,।
कैसा लगा मौसी,,,,
मजा आ गया सूरज तूने तो मुझे मस्त कर दिया,,,,
अब क्या करना है मौसी,,,,(सूरज एकदम से मासूम बनता हुआ बोला)
करना क्या है मेरे राजा अब अपने हल को मेरी बुर में डाल और जी भर कर इसकी जुदाई कर के इसे हरा भरा कर दे,,,(मंजू एकदम मदहोशी भरे स्वर में बोली)
चिल्लाओगी तो नहीं मौसी,,,,
बिल्कुल नहीं चिल्लाऊगी मेरे राजा,,,, अगर दुखेगा तो भी तू बिल्कुल भी मत रुकना मुझ पर रहम मत करना,,,,
औहह मौसी तुम कितनी अच्छी हो ,,,,(इतना कहने के साथ ही वह मंजू की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर हुआ उठ खड़ा हुआ और अपनी आंखों के सामने उसकी मदद से चूचियों को देख कर उसे अपने मुंह में भरने के बाद उसको रोक नहीं पाया और अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर उसकी चुचियों को थाम लिया और से मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, पूरी तरह से साड़ी में लिपटी हुई मंजू की चूचियां सर्वप्रथम आकर्षण की केंद्र बिंदु बनी रहती हैं और उस पर नजर राजु की पहले से ही थी लेकिन उसकी बुर से मजा लेने के चक्कर में उसकी चूची उसको भूल गया था लेकिन अब वह सारी कसर निकाल लेना चाहता था वह जोर-जोर से उसकी चूची को दबा कर उसका रस पी रहा था मानो जैसे कि उसके हाथों में दशहरी आम आ गया हो,,,,
मंजू भी कामवासना से ग्रस्त होकर सूरज के लंड को पकड़ कर उसे अपनी गुलाबी बुर पर रगडना शुरू कर दी थी,,, मंजू की यह हरकत सूरज के होश उड़ा रही थी उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी जब तक वह उसकी चुचियों से खेलता रहा तब तक मंजू उसके लंड को अपनी बुर के छेद में डालने की नाकाम कोशिश करती रही,,,, लेकिन उसकी इस ख्वाहिश को सूरज पूरी करने के उद्देश्य से अपने दोनों हाथों को उसकी बड़ी बड़ी गांड पर रखकर अपनी तरफ खींच दिया जिससे उसके लंड का हल्का सा भाग उसकी बुर के अंदर प्रवेश करने की कोशिश करने लगा जिससे मंजू एकदम से मचल उठे और अपनी एक टांग उठा कर सूरज के कमर में डाल दी जिससे लंड को बुर में घुसने की जगह मिल गई,,, और बुर पूरी तरह से गिली होने की वजह से,,, लंड के सुपाड़े को अपने अंदर की तरफ खींचने लगी मंजू से यह उतेजात्मक पल बर्दाश्त नहीं हुआ और वह अपने होठों को उसके होठों पर रखकर चूसना शुरु कर दी एक तरह से वाह सूरज को और ज्यादा उकसा रही थी आगे बढ़ने के लिए और सूरज भी कम नहीं था वह एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को पकड़ कर उसे सहारा देते हुए उसकी बुर में लंड डालने का प्रयास करने लगा और उसका यह प्रयास सफल होने लगा,,, धीरे-धीरे सूरज के लंड का सुपाड़ा उसकी बुर के अंदर प्रवेश कर गया,,,, और जब हाथी घुस जाए तो पूछ को घुसने में कौन सी तेरी लगती है,,, इसलिए सूरज अपने दोनों हाथों को मंजू के बड़ी बड़ी गांड पर रखकर उसे जोर से दबाते हुए अपनी तरफ खींच लिया और अपने लंड को धीरे धीरे अंदर की तरफ डालना शुरू कर दिया और देखते ही देखते हैं उसका लंड पूरी तरह से मंजू की बुर के अंदर खो गया,,,, सूरज की खुशी का ठिकाना ना था जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं था आज उसकी चुदाई कर रहा था धीरे-धीरे सूरज अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,
मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करते हैं मंजू पूरी तरह से मस्त हो गई थी और अपनी बाहें उसके गले में डाल दी थी,,,,,
मंजू के लिए यह पल बेहद अद्भुत और अविश्वसनीय था क्योंकि कभी उसने कल्पना भी नहीं की थी कि उसकी सहेली का भांजे के साथ संभोग करेगी,,, लेकिन सूरज के मोटे तगड़े लंड को देखकर उसकी इच्छा इतनी ज्यादा प्रबल हो गई थी कि आज वह अपनी इच्छा के बल पर उसे पा चुकी थी,,,,होठ में होठ भीड़े हुए थे,,,दोनों की सांसो की गति तेज हुए जा रहे थे सूरज धीरे-धीरे मंजू की चुदाई कर रहा था मंजू की बुर चोदने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, सूरज के मोटे तगड़े लंड की रगड़ मंजू अपनी बुर की अंदर बहुत अच्छे से महसूस कर रही थी,,, और यह एहसास उसकी मस्ती को और ज्यादा बढ़ावा दे रहा था,,,,
दोनों में किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए बस चुदाई के कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे थे,,,।
आम के बगीचे में मंगल का भांजा और उसकी मंगल की सहेली संभोग सुख प्राप्त करने में जुटे हुए थे कोई सोच भी नहीं सकता था कि आम के बगीचे में इस तरह का कार्यक्रम भी चल रहा होगा,,,आम के बगीचे में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दोपहर में भी इधर रात की तरह ही सन्नाटा छाया रहता था बस पंछियों के कलरव की आवाज ही सुनाई देती थी,,,धीरे-धीरे धक्के मारते हुए सूरज मंजू से बोला,,,
अब कैसा लग रहा है मंजू ,,,,
(लंड को बूर में डालते हैं सूरज के लिए मंजू मौसी अब केवल मंजू रह गई थी वैसे भी संभोग करते समय उस औरत के प्रति मर्दों का देखने का रवैया बदल जाता था उस औरत में उसे बीवी प्रेमिका के साथ-साथ एक रंडी भी नजर आने लगती थी जिसके साथ वह चुदाई का सुख प्राप्त करता है,,, लेकिन मंजू को इस बात का जरा भी बुरा नहीं लगा था वह तो और ज्यादा आनंदित हुए जा रही थी और आनंदित होते हुए बोली,,,)
बहुत मजा आ रहा है सूरज अपने पति के सिवा आज़ तुम्हारा मोटा लंड आज मैं अपनी बुर में ली हुं,,,
अभी तो तुम्हें और मजा आएगा मेरी जान,,,,(सूरज के बोलने का तरीका उसके तर्कों के साथ बदलता जा रहा था जिससे मंजू की मदहोशी भी बढ़ती जा रही थी,,,, उसे और ज्यादा मजा देने का वादा करके सूरज अगले ही पल उसकी दूसरी टांग को भी अपनी कमर में लपेटते हुए अपने दोनों हाथों को उसकी बड़ी गांड पर रखकर उसे अपनी गोद में उठा दिया और उसे गोद में उठाए हुए उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया,,,, मंजू हैरान ठीक से समझ में नहीं आ रहा था कि पल भर में यह क्या हो गया सूरज की ताकत उसकी हिम्मत उसके उसको देखकर मंजू पानी पानी हुए जा रही थी मंजू को यकीन नहीं हो रहा था कि सूरज जैसा एक जवान लड़का उसे अपनी गोद में उठाकर उसकी चुदाई कर रहा है क्योंकि उसे उम्मीद भी नहीं थी कि उसे सूरज इतने आराम से उठा लेगा और गोद में लिए हुए ही उसकी चुदाई करेगा,,,,
शायद चोदने की वजह से इंसान की ताकत और उसका जोश और ज्यादा बढ़ जाता है और यही जोश सूरज दिखा रहा था इस तरह की हरकत इस तरह से मंजू के साथ उसके पति ने भी नहीं किया था,,,
सूरज उसके ऊपर पूरी तरह से हावी हो चुका था उसके बदन के साथ हुआ मनमानी कर रहा था लेकिन ऐसा नहीं कहा कि मंजू को इसमें मजा नहीं आ रहा था उस की मनमानी से मंजू का मजा दुगुना होता जा रहा था इसलिए वह उसे कुछ नहीं बोल रही थी,,,,
गोद में उठाए हुए वह उसकी बुर में लंड पेले जा रहा था,,, मंजू के मन में कोई भी गिला शिकवा नहीं था,,, कुछ देर तक सूरज इसी तरह से गोद में उठाए हुए उसके होठों का रसपान करते हुए उसकी चुदाई करता रहा लेकिन वह अपनी रफ्तार को बढ़ाना चाहता था जो कि इस आसन में बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था इसलिए वह अच्छी सी जगह देखकर जहां ढेर सारी घास रखी हुई थी वहां पर अपनी गोद में उठाए हुए ही वह मंजू को लेकर आगे बढ़ा और धीरे-धीरे उसे उसी खास पर ले कर दिया बिना अपने लंड को उसकी बुर से निकाले,,,,
यह आसन सूरज और मंजू दोनों के लिए ठीक था क्योंकि इस आसन में सूरज पूरी तरह से अपना दम दिखा पाने में सक्षम रहता था और इस आसन में मंजू को भी अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो जाएगी इस बात का सूरज को पूरा विश्वास था इसलिए वह तुरंत उसकी चूची को मुंह में भर कर अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया गर्म शिकारियों से पूरी झोपड़ी गूंजने लगी थी लेकिन उसकी सीसकारियों को सुनने वाला वहां पर कोई भी नहीं था क्योंकि दूर-दूर तक कोई भी दिखाई नहीं देता था सिर्फ पंछियों की आवाज ही सुनाई देती थी जिसका फायदा उठाते हुए मंजू भी दिल खोलकर गर्म सिसकारीयो की आवाज अपने मुंह से निकाल रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,।
मेरी रानी आज तेरी ऐसी चुदाई करुंगा की तू जिंदगी भर याद रखेगी,,,(सूरज की यह सभ्यता और उसकी भाषा बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन उसके अंदर भी वासना का शैतान आ चुका था जिसके चलते वह पूरी तरह से बस्ती के सागर में गोते लगाते हुए जो मन में आ रहा था वह बकरा था,,,,,,,मंजू पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूब चुकी थी वह सूरज को अपनी बाहों में लेकर ऊपर से नीचे तक उसके बदन पर जहां हो सकता था वहां तक अपनी हथेली को उसके नंगे बदन पर रगड रही थी,,,,वह थोड़ा नीचे से उठाना चाहती थी ताकि वह अपनी तरफ से कुछ धक्के लगा सके लेकिन सूरज बड़ी मजबूती से उसे अपनी आगोश में लिए हुए था जिससे उसे हिलने का भी मौका नहीं मिल रहा था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड बार-बार उसके बच्चेदानी में ठोकर मार रहा था जिससे मंजू एकदम मस्त हो जा रही थी क्योंकि इधर तक अभी तक उसका पति भी नहीं पहुंच पाया था और सूरज के लंड की लंबाई उसके पति की अपेक्षा ज्यादा ही थी जो कि बड़े आराम से उसके बच्चेदानी तक पहुंच रही थी,,,
जवानी की गर्मी पिघल कर दोनों के बदन से पसीना बनकर टपक रही थी,,,, सूरज के धक्के कम होने का नाम ही नहीं ले रहे थे वहीं कई रफ्तार में आगे पीछे हो रहे थे,,, मंगल मामी की चुदाई करने के बाद उसे मंजू जेसी औरत मिली थी जिसे चोदने का सुख उसकी जिंदगी में सबसे अधिक उत्सुक था जो कि वह कभी भी भूलने वाला नहीं था खूबसूरत अंगों से खेलने का सुख उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,,मंजू उसके जबरदस्त तेज धक्कों को सहन नहीं कर पा रही थी इसलिए उसकी हर एक धक्के के साथ उसकी आह निकल जा रही थी,,,,कुछ देर बाद मंजू का बदन फिर से अकड़ने लगा,,, वह चरम सुख के करीब पहुंचती जा रही थी,,,,
आहहह आहहहह मेरे राजा मेरा निकलने वाला है और जोर से धक्के लगाओ मेरा पानी निकलने वाला है,,,
चिंता मत करो रानी मैं भी तुम्हारे बेहद करीब हूं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सूरज उसकी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाते हुए अपनी कमर की रफ्तार बढ़ा दिया,,,,उसका लंड बड़ी तेज़ी से मंजू के बुर अंदर बाहर हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर में कोई मोटर चल रही हो,,, सूरज के धक्के और ज्यादा तेज हो गए,,,, और कुछ देखो के बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,,,
जबरदस्ती चुदाई करते हुए सूरज पहली बार झड़ा था लेकिन मंजू तीन बार अपना पानी निकाल कर मस्त हो गई थी ऐसा सुख उसने कभी भी प्राप्त नहीं की थी कि एक ही बार कि चुदाई में तीन बार झढ़ी हो,,,,ऐसा उसके साथ पहली बार हुआ था सूरज उसकी उम्मीदों पर बिल्कुल खरा उतरा था वह बहुत खुश थी सूरज अपना पानी उसकी बुर में निकालते हुए उसके ऊपर ढेर हो चुका था,,,