Incest गांव का मौसम ( बड़ा प्यारा )

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उत्तेजना के मारे सुधियां मामी की उठी हुई गांड को देखकर सूरज के भी मुख से सिसकारी छूट गई,, जिस काम भावना के अधीन होकर सूरज ने उंगली को सुधियां की बुर की गुलाबी पक्तियों के बीचो-बीच घुमाया था,,, ठीक वैसे ही काम भावना सुधियां मामी के बदन में अपना उन्मादक असर दिखाना शुरू कर दिया था। उत्तेजना के मारे सुधियां मामी का गला सूख गया था,,,
वह एकदम से हैरान हो गई थी सुधियां भांजे की हरकत को देखकर,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह लड़का इस तरह की हरकत कर सकता है,,,
एक ही वार में उसने सुधियां मामी को पूरी तरह से गर्म कर दिया था,,, सुधियां मामी ने अपने हथियार नीचे डाल दिए थे, अब वह पूरी तरह से तैयार थी कि सूरज उसके साथ कुछ भी करें बस वह उसका साथ देंगी,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मर्दों के इस तरह से बदन पर उनके हाथों की हरकत की वजह से भी शरीर में इतनी ज्यादा कामोत्तेजना उत्पन्न होती है, आज जिंदगी में पहली बार वह स्पर्श मात्र से ही बार बार झड़ रही थी।,,,

कुछ सेकेंड तक एकदम से काम विह्यल होकर,, सुधियां मामी की उठी हुई गांड को देखकर सूरज के जी में आ रहा था कि बस ऐसे ही कमर थाम ले और पीछे से अपने मोटे लंड को बुर में धंसा दे। क्योंकि जिस तरह की स्थिति में सुधियां मामी आ गई थी ऐसी स्थिति में पीछे से लेने मे हीं मजा आता है,,,,
अभी तक सूरज की हथेली उसकी बुर की गुलाबी छेद को ढकी हुई थी,,, जान बुझकर सूरज नैं सुधियां हथेली को सुधियां मामी की बुर पर से हटाया नहीं था। वह जानता था कि इस तरह से हथेली हल्के हल्के रगड़ने की वजह से सुधियां मामी एकदम से चुदवासी हो जाएगी और वह सब करने देगी जो कि एक मर्द औरत के साथ करता है। इसलिए तो सूरज बिना डरे हल्के हल्के बीच वाली उंगली को सुधियां मामी की गुलाबी बुर पर रगड़ते हुए बोला,,।

क्या हुआ मामी कुछ तो तकलीफ हो रही है क्या,,,?

( साला हरामी एक तो मेरी हालत खराब कर दिया मेरी बुर से पानी का फव्वारा छुट़ रहा है और यह हरामजादा जानबूझकर अनजान बनते हुए मुझसे ऐसे सवाल कर रहा है जैसे इसें कुछ पता ही ना हो,,,, सुधियां मामी मन ही मन में बुदबुदाते हुए बोल रही थी,,,, सूरज को क्या जवाब दे इस बारे में उसे बिल्कुल भी पता नहीं था। अभी यह कहना तो उसके लिए बिल्कुल भी उचित नहीं था कि ऐसे ही मेरी बुर पर उंगली घुमाता रह मुझे अच्छा लग रहा है,,,। क्यों कि इस तरह से जवाब देने पर सुबह ना जाने उसके बारे में कैसे-कैसे ख्यालात करने लगेगा फिर भी वह जवाब देते हुए बोली,,,,)


पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे बदन का दर्द एकाएक बढ़ गया हो,,,,( सुधियां उठी हुई गांड को बिस्तर पर रखते हुए बोली,,,, सूरज जानता था कि, सुधियां मामी मस्त हुए जा रही है। ऐसी हरकत कर बड़े से बड़े संस्कारी औरत भी चुदवासी होकर चुदवाने के लिए तैयार हो जाए यहां तो सुधियां मामी थी जो कि बरसों से लंड के लिए तरस रही थी। सूरज सुधियां मामी का दर्द समझ सकता था क्योंकि वह जानता था कि ऐसे ही दर्द से बरसों तक मंगल मामी पर गुजरी थी और उसका दर्द भी उसके ही हाथों दूर हुआ था,,, वह मन ही मन सोचने लगा कि,, आज एक बार फिर से उसे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि सुधियां मामी के दर्द को वह अपने हाथों से दूर कर सकें इसलिए वहं बोला,,,,

कोई बात नहीं मामी दर्द निकलने से पहले एक बार पूरे बदन की मालिश जरूर करता है लेकिन उसके बाद दर्द ऐसा दूर होता है जैसे कि गधे के सिर से सींग,,,,
( सूरज की ऐसी बात सुनकर वह हंसने लगी और हंसते हुए बोली)

बातें तो तू बहुत अच्छी करता है,,,

मैं काम भी वैसा ही करता हूं की सामने वाले को जरा सी भी शिकायत का मौका नही देता।,, ( इतना कहते हुए वह फिर से सरसों के तेल की कुछ बूंदें इस बार अपने हथेली में गिरा कर,,, एक हाथ से सुधियां मामी का पेटीकोट पकड़कर ऊपर की तरफ उठा दिया इस बार सूरज ने पेटीकोट को कमर की तरफ उठाने लगा,,, पेटिकोट के नीचे वाला हिस्सा सुधियां मामी के बदन से लगा हुआ था जिसकी वजह से ऊपर की तरफ उठ नहीं पा रहा था ।सूरज ने दो तीन बार कोशिश किया लेकिन भारी भरकम गांड के नीचे दबी पेटीकोट सरकने का नाम नहीं ले रही थी,,,

जैसे ही सूरज की मामी को इस बात का अंदाजा हो गया की सूरज उसकी पेटीकोट को पूरी तरह से ऊपर उठाना चाहता है तो वह,, तुरंत किसी बेशर्म औरत की तरह सुधियां गांड को ऊपर की तरफ उठा दी जिससे कि सूरज को पेटीकोट कमर तक उठाने में आसानी हो और ऐसा हुआ भी जैसे ही उसने सुधियां कमर को हल्के से ऊपर की तरफ उठाईं सूरज ने तुरंत पेटिकोट को कमर तक खींचकर कर दिया,,,
अब सुधियां मामी संपूर्ण रूप से कमर के नीचे एकदम नंगी थी की बड़ी-बड़ी गांड सूरज की आंखों की चमक को बढ़ा रही थी। सुधियां मामी की गदराई गांड को देखकर सूरज हक्का-बक्का रह गया,,, गोल गोल गांड गोरी नजर आ रही थी,, सूरज मन ही मन में बोला,,, वाहं मामी तेरी गांड कितनी हंसीन है जी करता है कि जीभ से चाट जाऊं,,,, इतना कहते हुए वह अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ कर अपनी हथेली को गर्म करने लगा बड़ा ही रोमांचक और कामोत्तेजना से भरपूर नजारा था।,,, सूरज के लिए बेहद उत्तेजनात्मक और उन्माद से भऱी बात यह थी की सुधियां मामी ने उसकी मदद करने हेतु सुधियां कमर को,, ऊपर की तरफ उचका दी थी ताकि वह आराम से सुधियां पेटीकोट को ऊपर उठा सके,, सच में वह पल बेहद उन्मादक होता है जब कोई औरत खुद ही अपना पेटीकोट उतरवाने के लिए अपनी कमर उठाएं,,, ताकि उसका साथी आराम से उसकी पेटीकोट उतार कर उसे नंगी कर सके,, वह पल उसकी जीवन के लिए बेहद उत्तेजनात्मक पल कि तरह याद रह जाता है,,,

उत्तेजना में तो सुधियां मामी ने अपनी कमर उठा दी थी लेकिन इसके बाद इस बात को सोचकर बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही थी कि वह खुद ही अपने भांजे के हाथों नंगी होने के लिए उसका साथ दे रही थी,,,
लेकिन एक तरफ से शर्मिंदगी भी हो रही तो तो दूसरी तरफ उसके बदन में रोमांच भी हो रहा था,,,,, इस तरह की हरकत तो उसने अपने पति के साथ भी नहीं की थी इस तरह का साथ वहं अपने भांजे को दे रही थी।,, यह सोच कर उसका बदन और भी ज्यादा कसमसा रहा था कि ईस समय कमर से नीचे वह बिल्कुल नंगी थी और उसका भांजा ललचाई आंखों से उसकी बड़ी-बड़ी और चौड़ी गांड को देख रहा होगा,,,,

उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर था इसलिए पसीने की कुछ बूंदें उसकी उभरी हुई नितंबों पर फिसल रही थी जो कि किसी बेश कीमती मोती की तरह चमक रही थी,,,, वैसे भी मोती की कीमत चाहे जितनी हो ऐसी खूबसूरत गांड पर फिसलने से मोती की भी कीमत बढ़ जाती है,,
सूरज फटी आंखों से सुधियां मामी की गांड देख रहा था जो कि कसमसाने की वजह से गांड के उभरे हुए हीस्से में एक लहर सी उत्पन्न हो रही थी।। सुधियां अच्छी तरह से जानती थी कि जब उसके भांजे ने उसकी गांड को पूरी तरह से नंगी किया है तो जरूर कुछ ना कुछ करेगा ही। सूरज बड़े गौर से सुधियां मामी की गांड को देख रहा था,,, अजीब प्रकार का आकर्षण सुधियां के नितंबों में था जो कि अपने सूरज को उसके तरफ आकर्षित कर रहा था। वैसे सूरज की मंगल की गांड बेहद खूबसूरत और लाखों औरतों की गांड में से एक थी।
इस समय तो सूरज के लिए उसकी सुधियां मामी की गांड ही दुनिया की सबसे खूबसूरत गांड थी वैसे भी मौके मौके वाली बात होती है। इस समय,, समय और मौका कुछ और था। तभी तो फटी आंखों से वह सुधियां मामी की गांड के दर्शन किए जा रहा था। आपस मे हथेली रगड़ने की वजह से उसकी हथेली बहुत गर्म हो गई थी। बेहद खूबसूरत बड़ी-बड़ी नंगी गांड देखने की वजह से अब अपने आप पर सब्र कर पाना सूरज के लिए मुश्किल हुए जा रहा था। इसलिए वह बिल्कुल भी देर किए बिना अपनी दोनों हथेली को सुधियां मामी की नंगी गांड के दोनों फांकों पर रखकर मालिश करने की गांड जगह मसलने लगा क्योंकि अब वह समझ चुका था कि मामी को मालिश करवाने से नहीं बल्कि मसलवाने से मजा आएगा।

इसलिए वहां गांड के दोनों भागों को किसी खरबूजे की भांति पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे कि वह सच में किसी फल को पकड़कर उस का रस निचोड़ डालना चाहता हो,, कुछ ही देर में सुधियां की बड़ी बड़ी गांड एकदम लाल लाल हो गई,,,। वह देखना चाहता था कि सुधियां मामी क्या बोलती है,,। लेकिन भला सुधियां मामी क्या बोलती वह तो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।,,, सूरज सुधियां मामी की बड़ी बड़ी गांड को जोर जोर से मसलते हुए उसके जवाब का इंतजार करने लगा। लेकिन वह कुछ नहीं बोली बस उत्तेजना के मारे कसमसाती रही,,,, सूरज समझ गया कि वह शर्म आ रही है कुछ बोलेगी नहीं लेकिन उसकी कसमसाहट देखकर इतना तो समझ गया था कि उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है,,,

सूरज उसी तरह से अपना सारा जोर उसकी बड़ी बड़ी गांड पर ऊतार रहा था,,, कसमसाने के बावजूद उसने सुधियां टांगों को जरा सा भी १ इंच भी नहीं फैलाई थी जिसकी वजह से आती थी खुली आंखों से उसके बुर के दर्शन कर पाना नामुमकिन सा लग रहा था,,,, सूरज की बुर को देखना चाहता था इसलिए वह गांड को जोर-जोर से मसलते हुए बोला,,,,
 
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अब कैसा लग रहा है मामी तुम्हें,,,

अब तो बहुत ही अच्छा लग रहा है बेटा लेकिन यह कैसी मालिश है यह तो तु मसल रहा है जोर जोर से दबा रहा है,,,

जानता हूं मामी लेकिन इससे पूरे बदन का दर्द एक झटके में निकल जाता है। देखना है इसके बाद तुम्हारे बदन में जरा सा भी दर्द नहीं रह जाएगा,,,,( सूरज बातो के दरमियान हल्के से उसकी जांगो को पकड़कर फैलाने का इशारा करते हुए जांघो को थोड़ा फैलाने की कोशिश किया था, लेकिन सुधियां मामी ने ताकत लगाकर दोनों टांगों को आपस में सट़ाई हुई थी जिसकी वजह से उस का प्रयास असफल रहा,,,, लेकिन वह समझ गई कि उसका भांजा है क्या चाहता है इसलिए वह अपने भांजे से बोली,,,

सूरज मेरा बदन बरसों से टूट रहा है लेकिन आज ऐसा लग रहा है कि तेरे हाथों का जादू पाकर सारा दर्द दूर हो जाएगा (और इतना कहते हुए उसे बातों में उलझाकर हल्के से सुधियां टांगो को २ इंच जितना खोल दी,,,

वह नहीं चाहती थी कि सूरज को ऐसा लगे कि वह जानबूझकर सुधियां बुर उसे दिखाना चाहती है। लेकिन केला खाया सूरज इतना नादान नहीं था कि,,, सुधियां मामी की ऐसी हरकत की वजह के वह समझ नहीं पाए,,, सुधियां मामी कि इस तरह की हरकत से वह बेहद रोमांचित हो गया वह समझ गया कि सुधियां मामी के बदन में बराबर की आग लगी हुई है,,,
और इस तरह की हरकत की वजह से उसके बदन में उत्तेजना का संचार तीव्र गति से होने लगा। और जोर-जोर से सुधियां मामी की गांड को दबाने लगा। जांघों के बीच की दूरी २ इंच जितनी बढ़ जाने की वजह से सूरज जो देखना चाहता था पूरी तरह से साफ तो नहीं लेकिन अब दिखने लगा था।झांटो की झुरमुट मैं छिपी हुई पतली सी वह रसीली लकीर साफ साफ नजर आने लगी। जोकी नमकीन रस से पूरी भीगी हुई थी।जिसे देखते ही ऊसके मुंह के साथ साथ ऊसके खड़े टनटनाए लंड मे भी पानी आ गया।

सूरज के दोनों हाथों में उसकी मस्ताई मामी की बड़ी बड़ी गांड की दोनों फांके किसी पके हुए फल की तरह लग रही थी जिसे वह जोर जोर से दबा कर उसका रस निचोड़ना चाहता था,, अब तो २ इंच तक ऊसकी टांग खुल जाने की वजह से सुधियां मामी की रसीली बुर उसे साफ साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर उसके लंड में गर्माहट बढ़ती जा रही थी। सूरज उत्तेजना से सराबोर हो चुका था पूरी ताकत लगाकर वह सुधियां मामी की गांड को जोर जोर से दबा रहा था साथ ही अपनी उंगलियों को गांड की फांकों के बीच रगड़ता हुआ ऊपर नीचे कर रहा था जिसकी वजह से सुधियां मामी के बदन में उत्तेजना की सुरसुराहट बढ़ती जा रही थी। बार-बार सूरज अपनी उंगली को गांड की फांकों के बीच की गहराई में धसाते हुए,,
अपनी बीच वाली उंगली के पोर को उसकी गांड की भूरे रंग के छेद पर धंसा दे रहा था,,, जिसकी वजह से सुधियां मामी भी अपने आप को असहज महसूस कर रही थी, क्योंकि आज तक ऊस छेद पर उसके पति ने भी कभी हाथ नहीं लगाया था,,,, इसलिए अपने भांजे के द्वारा उस छोटे से छेद पर हाथ लगाने से उसका बदन पूरी तरह से गनगना जा रहा था। जब जब उसे छेद पर सूरज की उंगली का स्पर्श होता उसके बदन में कसमसाहट बढ़ने लगती थी,,,

दोनों के बीच कोई वार्तालाप नहीं हो रहा था दोनों खामोश थे पर दोनों के मुंह उत्तेजना के मारे खुले हुए थे क्योंकि दोनों की सांसे भारी चल रही थी। सूरज की मामी बेहद उत्तेजना का अनुभव करते हुए पानी-पानी हुए जा रही थी। सूरज की भी हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि यह सब इतनी जल्दी हो जाएगा हालांकि पहले दिन से ही उसकी नजर सुधियां मामी पर थी लेकिन इतनी जल्दी उसकी मम्मी उसकी गोदी में आ गिरेगी इस बात की उससे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।
जो कुछ भी हो रहा था उसने दोनों को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी घर के सभी लोग बाजार गए हुए थे और उन दोनों के पास काफी समय भी था इसलिए सूरज अपने दोनों हाथों से आराम आराम से लेकिन बेहद उत्तेजना दिखाते हुए सुधियां मामी की गांड को दबा रहा था। कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही बस दोनों की गरम सांसो की आवाज से ही कमरा गूंज रहा था,,,, दोनों के बीच की चुप्पी को तोड़ते हुए सूरज बोला,,,

मामी एक बात बोलूं बुरा मत मानना (अपनी बीच वाली उंगली को गांड की फांकों के बीच धंसाते हुए खास करके बुर के ऊपरी वाले सतह पर जहां पर ऊसकी गांड का भुरे रंग का छेंद था। जिसकी वजह से सुधियां मामी की सिसकारी निकल गई,,,,,।)

ससससहहहहहह,,,,,, क्या बोलना चाह रहा है बता,,,

मामी तुम पेंटी क्यों नहीं पहनती हो, पेटीकोट के अंदर एकदम नंगी हो,,,,( इस बार अपने बीच वाली उंगली को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर हल्के से दबाते हुए बोला।)

आहहहहहहहह,,,,,,, पपपपप,,,,, पेंटी,,, ( आश्चर्य के साथ कुछ सोचते हुए) अच्छा कच्छी,,,,,,, नहीं मैं कभी नहीं पहनी।

क्या कह रही हो मामी सच में कभी नहीं पहनी,,,,

नहीं रे मैं सच कह रही हूं मैंने कभी भी नहीं पहनी कच्छी पहनने में बड़ा अजीब महसूस होता,,,

कच्छी हम लोग तो पेंटी कहते हैं,,

क्यों तुझे कच्छी कहना अच्छा नहीं लगता,,

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मामी बल्कि यह शब्द तो बहुत ही रोमांच से भरा हुआ लगता है। लेकिन क्या मामी आपके गांव की सभी औरतें पेटीकोट के अंदर नंगी ही रहती है या वह लोग पेंटी पहनती हैं।( सूरज जानबूझकर सुधियां मामी से खुले शब्दों में वार्तालाप कर रहा था वह देखना चाहता था कि उसके द्वारा इस तरह के खुले शब्दों का प्रयोग करने पर उसकी मामी पर क्या प्रभाव पड़ता है,,,)

तुझे सच कहूं तो मैं किसी भी औरत को झांकने नहीं जाती कि वह लोग पेटीकोट के अंदर क्या पहनती हैं। लेकिन फिर भी तुम्हें जानती हूं कि हमारे गांव की अधिकतर औरतें में पेटीकोट के अंदर नंगी ही रहतीे हैं,,,
( सुधियां मामीें भी नंगी जैसे शब्दों का खुलकर प्रयोग कर रही थी जिससे सूरज के लिए रास्ता और आसान होता जा रहा था क्योंकि उसे भी खुले शब्दों से बिल्कुल भी एतराज नहीं था।,,, सूरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि औरतों के मन में क्या चल रहा है अगर इस बात को जानना है तो उन्हें धीरे-धीरे सुधियां बातों में उलझाते हुए पूछना चाहिए जिससे वह लोग उनके मन में क्या चल रहा है सब कुछ बता देती है क्योंकि इसका ताजा उदाहरण सुधियां मामी ही थी बातों-बातों में ही उसने सुधियां मामी के मन में क्या छिपा हुआ है सब कुछ जान लिया था तभी तो आज वह,,, बेहद खूबसूरत औरत को भोगने का सुख भोग रहा था।,,, इसलिए वह सुधियां मामी को भी भोगने का पूरा मन बना चुका था इसलिए बोला,,

अभी तो आप कह रहे हो कि मैं कहां देखने जाती हूं कि कौन क्या पहना है और कह रही हो कि पेटीकोट के अंदर अधिकतर औरतें नंगी रहती हैं हमारे गांव में तो ऐसा नहीं होता वहां तो सब पैंटी पहनती है।

पर तुझे कैसे पता कि तुम्हारे गांव की सारी औरतें कच्छी पहनती हैं। तू क्या देखता है या देखा है किसी को,,, कही ऐसा तो नहीं कि तू मंगल को ही कच्छी पहनते हुए देखा है।,,, ( मंगल मामी का जिक्र आते ही सूरज थोड़ा सा शक पका गया लेकिन बात को संभालते हुए बोला)

नहीं कैसी बातें कर रही हो सुधियां मामी मैं भला मंगल मामी को क्यों देखने लगा,,, लेकिन हां २,३ औरतों को जानता हूं और देखा हूं,, कि वहां पर सारी औरतें पेंटी पहनती हैं।
( सूरज जानबूझकर अपनी बातों में दूसरी औरतों का जिक्र कर रहा था ताकि उन औरतों की बातों को वह नमक मिर्च लगाकर इतनी चटपटी बना सकें ताकि उन औरतों की बातों को सुनकर सुधियां मामी खुद ही अपनी टांग फैलाकर उसके लंड को लेने के लिए तैयार हो जाए,,, इसलिए तो कच्छी पहनने के बारे में दो-तीन औरतों का जिक्र आते ही सुधियां मामी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव नजर आने लगे और वह आश्चर्यचकित होकर बोली।),,

क्या तू दो-तीन औरतों को जानता है वह भी कच्छी पहनने के मामले में,,, इसका मतलब तू उन दो तीन औरतों को देखा भी होगा कपड़े पहनते हुएैं या तो वह लोग खुद तुझे दिखाई होंगी,,, इसका मतलब तू जैसा दिखता है वैसा बिलकुल भी नहीं है अब तु सच मे बड़ा हो गया है,,, )

नहीं मामी ऐसी कोई भी बात नहीं है । (इस बार अपनी बीच वाली उंगली को बुर के अंदर हल्के से घुसाते हुए,, जिससे कि सुधियां मामी एकदम कामावेश में आकर बिस्तर पर बिछी हुई चादर को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए हल्की सी सिसकारी लेने लगी,,, जिसे देख कर सूरज को समझते देर नहीं लगी की सुधियां मामी लंड लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है, अगर वह इस समय भी अपने लंड को ऊसकी बुर में डाल दे तो वह इनकार बिल्कुल इनकार नहीं करेगी लेकिन उसे धीरे-धीरे मजा लेना था,,, इसलिए वह सुधियां मामी को पूरी तरह से उत्तेजित कर लेना चाहता था।) अब औरतें हैं उनका दिल ना जाने कब किस पर आ जाए यह कोई कहां बता सकता है।
( सूरज की गोल गोल बातें उसके बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी इसलिए वह उससे बोली,,,)

तू बातों को गोल गोल घुमा कर मत बोल मुझे समझ में नहीं आ रहा है सीधे-सीधे बोल तू बोलना क्या चाहता है,,,
( सूरज सुधियां मामी की उत्सुकता देखकर अपना पासा फेंकते हुए बोला,,।)

सब बता दूंगा लेकिन पहले तुम मुझे यह बताओ कि तुम्हें कैसे मालूम है कि तुम्हारे गांव की सभी औरतें पेटीकोट के अंदर एकदम नंगी रहती है कच्छी नहीं पहनती,,,
( इस बार उसे कच्छी शब्द पर ज्यादा जोर देते हुए बोला और सुधियां मामीं ने भी सूरज के मुंह से कच्छी शब्द सुनकर नजरें उठाकर उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी,,)

अब तू मुझे अपनी बातों में उलझा रहा है लेकिन,,, तेरी बात मानते हुए मैं तुझे बताती हुं। देख यहां पर सभी औरतें हेडपंप के नीचे या कुएं पर इकट्ठे होकर नहाती हैं और नहाते समय हम लोग एक दूसरे के अंगों को उनके बदन को देख ही लेते हैं आज तक मैंने ऐसी कोई भी औरत नहीं देखी जो कि नहाने के बाद,,,, अपने बदन पर से कच्छी निकालती हो,,, हां नवी नवेली दुल्हन या तो लड़कियां ही कच्छी पहनती है,,, शादीशुदा औरतें तो बिल्कुल वैसे ही रहती है एकदम नंगी,,, मेरा मतलब है कि पेटीकोट के नीचे नंगी,,,,
( इतना कहकर वह हंसने लगी सूरज भी सुधियां मामी की बात सुनकर हंसने लगा,,,।)

अच्छा तू बता तेरा क्या मामला है,,,,
( सूरज की मामी बेहद उत्सुक थी उन औरतों के बारे में सूरज के मुंह से सुनने के लिए,,, लेकिन सूरज सुधियां मामी को थोड़ा और तड़पाना चाहता था उनकी उत्सुकता को और ज्यादा बढ़ाना चाहता था इसलिए वह बात को पलटते हुए बोला।)

जाने दो ना मामी ऐसी कोई भी बात नहीं है खामखाह आप मेरे बारे में कुछ उल्टा सोचने लगेंगी,,,,
( इतना कहने के साथ ही सूरज बात को घुमाते हुए बोला।)
चलिए यहां तो आप की मालिश हो गई,,,
(सुधियां मामी की गोल-गोल गांड पर नजरें टिकाए हुए वह बोला)
एक बात कहूं मामी आप बुरा मत लगाना मेरे मन में यह बात आपको देखते ही उठ रही थी,,, इसलिए बोले बिना नहीं रहा जा रहा है अगर आपकी इजाजत हो तो मैं बोल दूं,,,
( सूरज की ऐसी बात सुनकर उसके मन में बड़ी तीव्र उत्सुकता होने लगी यह जानने के लिए कि सूरज क्या बोलना चाहता है नजरें तिरछी करके वह इतना तो जान ही गई थी कि सूरज इस समय सुधियां नजरें उस के कौन से अंग पर टीकाया हुआ है इसलिए वह बोली)

देख सूरज ने तुझे पहले ही कह दी हो कि तेरे मन में जो भी है वह बोल दे इस तरह से बार-बार मेरी इजाजत मत लिया कर,,,

ठीक है मामी आप कहती हैं तो मैं बोल देता हूं वरना मेरी कहां इतनी हिम्मत है कि कुछ बोल सकूं,,,
( सूरज के इस तरह से चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर वह मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)

चल अब बातें मत बना क्या बोलना चाहता है वह बोल दे,,,,

मामी कैसे कहूं मेरी तो हिम्मत ही नहीं हो रही है लेकिन
( अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी हथेली की उंगलियों को हल्के से सुधियां मामी की बड़ी-बड़ी गोल नितंबों पर फीराते हुए,,,)

मामी आपकी गांड बहुत खूबसूरत है मैंने आज तक ऐसी खूबसूरत और गोल गोल गांड नही देखी,,,,

उसे इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सूरज इस तरह का कुछ बोल देगा वह अपनी गांड की तारीफ अपने भांजे के मुंह से सुनकर उत्साह में एकदम गदगद हो गई थी,,,, उत्तेजना में आकर उसके बदन में कसमसाहट होने लगी अपने भांजे की बात सुनकर वह क्या बोले उसके मुंह से तो एक शब्द नहीं फुट रहे थे।
सूरज ऊसी तरह से हल्के हल्के अपनी उंगलियों को सुधियां मामी की बड़ी-बड़ी और चौड़ी गांड पर फिरा रहा था जिसकी वजह से उसके बदन में गुदगुदी हो रही थी और वह अपनी कमर को हल्के हल्के ऊपर नीचे करते हुए सूरज की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी।,,,, सूरज अपने बीच वाली उंगली को गांड के बीच की गहराई में हल्के से ऊपर से नीचे की तरफ घुमाते हुए बोला।

सच में तुम बुरा मत मानना मैंने आपकी खूबसूरती की तारीफ किया हूं कुछ गलत नहीं बोला हुं। अगर आपको मेरी बात गलत लगी हो तो उसके लिए कान पकड़कर माफी मांगता हूं,,,,
( मंगल मामी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर और मंजू मौसी की जवानी को महसूस करके सूरज औरतों को पटाने में ज्यादा ही माहीर हो गया था वह जानता था कि उसकी बातें सुनकर सुधियां मामी कभी बुरा नहीं मानेंगी क्योंकि वह अपनी बात इस तरह से औरतों के सामने रखता था ताकि वह लोग उसकी बात की कायल हो जाती थी और यही सुधियां के साथ भी हुआ। एक तो पहले से ही वहां अपने भांजे को अपने नितंबों की तारीफ सुनकर खुशी से गदगद हो चुकी थी और इस तरह की बातें उसके मन में सूरज के प्रति और झुकाव होने लगा वह सूरज की बात सुनकर तुरंत बोली,,,)

नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है मुझे गुस्सा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है हां लेकिन तेरी जगह कोई और होता तो उसके गाल पर अभी तक एक थप्पड़ जड़ दि,, होती,,,
( सूरज सुधियां मामी की बात सुनकर खुश हो गया धीरे-धीरे उसे रास्ता साफ नजर आ रहा था उसके मन में अब उसकी बुर को पूरी तरह से नजरों के सामने देखने के लिए होने लगा। वह सुधियां मामी की रसीली बुर को एकदम नंगी देखना चाहता था अभी तक तो उसे बस बुर का हल्का सा छेंद ही नजर आ रहा था,,, जिसे वहां उंगली से टटोलकर ही उसका जाएजा ले पा रहा था,। लेकिन अब उसका मन बस टटोलल कर ही नहीं भरने वाला था। ( इसलिए वह सुधियां मामी की कमर को हल्के से थामते हुए बोला,,,, )
मामी अब सीधे लेट जाओ मैं तुम्हारी जाघो पर मालिश कर देता हूं।

( इतना सुनते ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ गई क्योंकि जो करने के लिए सूरज बोल रहा था वैसा करने पर उसकी बुर सीधे उस की आंखों के सामने आ जाती,,, इसलिए वह सूरज की बात सुनते एकदम पानी पानी हुए जा रही थी हालांकि उसके बदन में उत्सुकता भी बनी हुई थी क्योंकि अजीब सी हलचल उसके बदन को झकझोर कर रख दे रही थी। वह यह भी देखना चाहती थी कि किसी गैर मर्द के सामने अपनी बुर दिखाने पर औरतों को किस तरह का महसूस होता है।
सूरज तो उसको पलटी मारने के लिए उसके कमर पर अपने दोनों हाथ रख दिया था और हल्के से उसे उठाने की कोशिश भी कर रहा था लेकिन यह देखना चाह रहा था कि उसकी मामी क्या करती है,,,
लेकिन यह देख कर उसको हैरानी के साथ-साथ रोमांच का भी अनुभव हुआ क्योंकि वह तो हल्के से सिर्फ कमर पर हाथ ही रखा था और उसकी बात सुनते ही कुछ ही सेकंड में सुधियां मामी ने अपने आप खुद ही पलटी मार कर पीठ के बल लेट गई,, हालांकि शर्म महसूस करते हुए उसने एक हाथ से अपनी पेटीकोट को हल्का सा नीचे की तरफ करके मात्र अपने २ इंच की बुर को ढक ली थी।,,,
 
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सुधियां मामी पीठ के बल लेटी हुई थी लेकिन शर्म से पानी-पानी हो जा रही थी इसलिए अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमा ली थी,,,,, सूरज की आंखों के सामने जवानी से भरी मदहोश कर देने वाली औरत बिस्तर पर लेटी हुई थी जो कि अर्धनग्न अवस्था में सुधियां जवानी का जलवा बिखेर रही थी।,,, सूरज तो फटी आंखों से बस देखे जा रहा था उसे क्या मालूम था कि सच में सुधियां मामी हुस्न की मल्लिका है। लेकिन एक बात का मलाल उसके मन में था कि सुधीय मामी ने पीठ के बल लेटते समय अपनी बुर को ढक ली थी और उसे ही तो वह देखने के लिए मरा जा रहा था। फिर भी वहां एकटक सुधियां मामी की खूबसूरत जांघो को देखता हुआ फिर से शीशी से तेल निकाल कर जांघों पर मालिश करना शुरू कर दिया। मामी की नरम नरम मक्खन जैसी जांघों को अपनी हथेली से मलते हुए सूरज उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था।

जांघ पर मालिश करते हुए उसकी नजर जांघों के बीचोबीच ही टिकी हुई थी जहां पर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था क्योंकि बुर के ऊपर ही पेटीकोट था,, सुधियां मामी तो एकदम से चुदवासी हो चुकी थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था बहुत मजा आ रहा था,,,
वह हल्के हल्के से अपनी हथेलियों को ऊपर की तरफ ले जा रहा था। पर बुर को स्पर्श नहीं रहा था सूरज इस समय पेटीकोट को हटाने में असमर्थ लग रहा था। वह सुधियां मामी की खूबसूरत बदन के आकर्षण में पूरी तरह से बंध चुका था। उसकी हथेली धीरे-धीरे ऊपर की तरफ जा जरूर रही थी लेकिन इस समय सूरज ना जाने किस कारण से सुधियां मामी की बुर को स्पर्श नहीं कर पा रहा था और सुधियां मामी इस इंतजार में थी कि कब सूरज उसकी दोनों को चूचियों हथेली में लेकर दबोचेगा, दबाएगा,,,,
इसलिए उत्तेजना के मारे उसका बदन कसमसा रहा था। और उसकी कसमसाहट सूरज के बदन में उत्तेजना की चिंगारी भड़का रही थी। एक बार फिर से कमरे में दोनों के बीच खामोशी छा गई,,, जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव सूरज की मामी इस समय कर रहे थे इस तरह का अनुभव तो वहां अब तक नहीं कर पाई थी ना तो सुधियां जवानी के दिनों में और ना ही इस तरह से प्यासी जीवन निर्वाह कर रही थी तब,,, और वह इस उत्तेजना को कम नहीं होने देना चाहती थी। इसलिए दोनों के बीच की खामोशी को तोड़ते हुए बोली,,,,

अरे तू बताया नहीं ऊन दो तीन औरतों के बारे में जिसको देख कर तु यह दावे के साथ कहता है कि तुम्हारे गांव की सभी औरते के पेंटिं मेरा मतलब है कि कच्छी पहनती है,,,,
( सुधियां मामी की बात सुनकर सूरज समझ गया कि मामी की प्यास बढ़ती जा रही है जो कि उसके लिए खुद ही उसकी टांगों के बीच जाने का रास्ता दिखा रही थी सूरज मनगढ़ंत कहानी बनाते हुए बोला।)

जाने दो ना मामी उन तीनों औरतों के बारे में सुनकर आप क्या करोगी,,,,

अरे मुझे भी तो पता चले आखिर वहा तीन औरतें थी कौन जिसने तुझे इस बात का ज्ञान दी की क्या पहनना चाहिए क्या नहीं पहनना चाहिए,,,,

नहीं जाने दो मामी आप मेरे बारे में गलत सोचने लगोगी,,,

देखने कुछ भी गलत नहीं समझूंगी बस तू मुझे सच सच बता दे,,,,( वह सूरज को जोर देते हुए बोल भी रही थी और साथ ही अपनी नजरें उससे मिला भी नहीं पा रही थी,,,, सूरज को देखकर शर्म और उत्सुकता नजर आ रही थी। सूरज ज्यादा आनाकानी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह जल्द से जल्द सुधियां मामी को चोदने की फिराक में था इसलिए वह बोला।)

देखो मामी जो कुछ भी है मैं सच-सच बता देता हूं लेकिन आप बुरा मत मानना,,,

नहीं मानूंगी,,,,

तो सुनो,,, मेरा एक दोस्त था जो कि मेरे ही हम ऊम्र का था मैं रोज उसके घर जाता था,,, उसकी मां बहुत खूबसूरत है लेकिन मैंने कभी भी उन्हें गलत निगाह से कभी नहीं देखा था, मैं ऊन्हे मौसी कहकर बुलाया करता था,,,
( वहां लेटे लेटे बड़े ध्यान से सूरज की बातें सुन रही थी,,, उसके मन में उत्सुकता बनी हुई थी। सूरज भी कम नहीं था वह जानबूझकर मनगढ़ंत कहानी बनाते हुए सुधियां मामी को गर्म करना चाहता था।)

मामी में १ दिन उसके घर पहुंचा तो मौसी ने मुझे बताई कि वह घर पर नहीं है। वह नहाने जा रही थी और मुझे वहीं रुकने को बोल कर बाथरुम मे घुस गई मैं वहीं बैठ कर इंतजार करने लगा लेकिन तभी २ मिनट भी नहीं हो गए थे कि बाथरुम में से मौसी की आवाज आने लगी जो कि मुझसे टावल मांग रही थी। मैं टावर लेकर बाथरूम पर पहुंचा और दरवाजे पर दस्तक देने लगा लेकिन अंदर से मौसी की आवाज आई जिसे सुनकर मैं एकदम आश्चर्य से भर गया,,,,
( सूरज की बातें सुनकर सूरज की सुधियां की हालत खराब होने लगी और वह उत्सुकतावश बोली।)

ऐसा क्या बोली दी उसने जो तू हैरान हो गया,,,

क्या बताऊं मामी मेरा तो पूरा बदन गनगना गया,,,,
( मालिश करते करते दोनों जांघों को अपनी दोनों हथेलियों में कस कर दबाते हुए जिसकी वजह से उसकी सिसकारी निकल गई।) वह मुझे बोली कि दरवाजा खुला है अंदर आ जाओ,,,

ससससहहहहह,,,, बाप रे उसने ऐसा कहा उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आई तुम्हें बाथरुम में बुलाते हुए,,
( सुधियां मामी उत्तेजना के मारे अपने सूखे गले के अंदर थूक को निगलते हुए बोली,,,)

मामी मैं भी यही सोच रहा था कि मौसी इस तरह से बात करनी मुझे बुला रही है उन्हें शर्म नहीं आती होगी इसलिए मैं कुछ देर तक यूं ही रुका रहा लेकिन बाद में फिर आवाज आई और मुझे जोर देते हुए अंदर बुलाई,,,
( सूरज जोर-जोर से सुधियां मामी की जांघों को दबा रहा था और उनके चेहरे पर उनके भाव को भी देख रहा था जो कि उत्तेजना के मारे उनका चेहरा लाल होता जा रहा था,,, जो कि सूरज की बातें सुनकर हल्की सिसकारी लेते हुए बोली।)
फिर क्या हुआ?

होना क्या था मुझे अंदर जाना ही पड़ा और अंदर जाते ही जो नजारा मैंने देखा ऊसे देखकर तो मेरे होश उड़ गए,,,

कककक,,,, क्या देखा,,, ( उत्तेजना के मारे हकलाते हुए बोली।)

मैं देखा कि मौसी एकदम नंगी उनके बदन पर केवल उनकी पैंटी भर थी। मेरे तो एकदम होश उड़ जाए जिंदगी में पहली बार में किसी नंगी औरत को देख रहा था कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या देखूं क्या ना देखूं,,,
( सूरज की गरम बातें सुनकर मंगल उत्तेजना के लहर में गोते लगाने लगी,, सूरज से नजरें मिलाकर उसकी बातों को सुनना चाहती थी, लेकीन उनमें इतनी हिम्मत नहीं हुई, वह दूसरी तरफ नजरें फेरे हुए ही उसकी बातें सुनती रहीं,,,।)

फिर क्या हुआ?

फिर क्या मामी मेरे तो होश उड़ गए थे मेरे हाथों से टावल भी नीचे गिर गई,,,, उसके बाद मेरे शरीर में ना जाने क्या होने लगा,,,, मौसी मुझको देख कर मुस्कुरा रही थी।
 
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फफफ,, फिर क्या हुआ सूरज,,,,

नहीं मामी जाने दो अब नहीं बताऊंगा आगे क्योंकि जो हुआ बहुत गंदा हुआ,,,,
( इतना कहते हुए उत्तेजना के मारे उसकी हथेली,,,जांघो के ऊपर तक पहुंचने लगी और उसकी उंगलियां बुर के इर्द-गिर्द दस्तक देने लगी,,, एक तू सूरज की गरम बातें और ऊपर से उसके हाथों की हरकत उसे एकदम से चुदवासी बना रही थी और इस तरह से उसे बीच में रुकता हुआ देखकर वह बोली,,

तू बोल भले ही चाहे कितना भी गंदा हो तो मुझे बता कि उस दिन क्या हुआ था तो किसी बात की फिक्र मत कर और बिल्कुल भी डर मत,,,
( सूरज सुधियां मामी की बात सुनकर मन ही मन में बोला कि मैं कहां जा रहा हूं मैं तो बस यह देखना चाहता था कि तुम्हारे मन में क्या चल रहा है,। और सुधियां मामी को सुनने के लिए तैयार देखकर वह बोला।)

इसके बाद मैंने मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था वह मौसी करने लगी,,

क्या करने लगी?

वह मेरे खड़े लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी,,,,
( इतना सुनते ही सुधियां एकदम हैरान हो गई और हैरान होते हुए बोली।)

क्या,,,,, उसने तुम्हारे साथ ऐसा किया, लेकिन इतना गंदा काम कैसे,,,
( सुधियां को तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि आज तक उसने किसी के मुंह से यह भी नहीं सुनी थी कि लंड को मुंह में लेकर चूसा जाता है,, इसलिए तो वह बेहद हैरान थी।)

हां मामी में भी ऊनसे यही कहा,,, लेकिन वह नहीं माने वह जोर जोर से चूसना शुरू कर दी और मालूम है तुम्हें वह क्या बोली,,,,

क्या बोली बेटा,,,, ( वह एकदम मदहोश होते हुए बोली)

वह बोली कि तुझे क्या पता कि लंड चूसने में कितना मजा आता है,, जब से तुझे पेशाब करते हुए देखी हूं तेरा खड़ा लंड मेरी आंखों में बस गया है,,,

क्या उसने कब तुझे पेशाब करते हुए देख ली,,,

पता नहीं मैं यह सब नहीं जानता हो सकता है खेतों में ही छुपके से देख ली होगी क्योंकि मैं अधिकतर खेतों में ही होता था,,, उसके बाद तो मामी वह मेरे सामने ही अपनी पैंटी उतार कर एकदम नंगी हो गई,,,
( लंबी लंबी सांसे भर्ती हुए सुधियां यह सब बातें सुनकर एकदम से गरम हुई जा रही थी।)
औरत की खूबसूरत बदन को मैं जिंदगी में पहली बार देख रहा था इसलिए मैं एकदम से हक्का-बक्का रह गया था। उसके बाद उसने मुझसे जो करने को कहीं मुझे कुछ समझ में नहीं आया।

क्या करने को कही?,,

वह अपनी दोनों टांगों को फैलाली और उसके बाद,,,
वह अपनी छेद की तरफ इशारा करते हुए मुझे उसके अंदर मेरे लंड को डालकर अंदर बाहर करने के लिए बोलिए मैं तो उसकी बात सुनकर कुछ समझ में ही नहीं पा रहा था,,,

( सूरज की यह बात सुनते ही सुधियां एक दम से चौंक गई क्योंकि जो करने के लिए बोल रही थी उसे चुदाई कहते हैं,, वह एकदम से उत्सुक हो गई आगे की बात जानने के लिए इसलिए वह बोली )

फिर तूने क्या किया?

मैं क्या करता मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था वो खुद मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी टांगो के बीचो-बीच रख दीें और उस में डालने के लिए बोली,,, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं बोला इतने से छोटे से छेद में कैसे जाएगा तो वह मुझे दिलासा देते हुए बस धक्का लगाने को बोली,,, और देखते ही देखते मेरा पूरा लंड उसके छोटे से छेद में समा गया,,
( इतना कहते हुए सूरज अपनी हथेली को ऊसकी बुर पर रखकर सहलाना शुरु कर दिया क्योंकि वह समझ चुका था कि सुधियां मामीं एकदम उत्तेजित हो चुकी है।
और वह सिसकारी लेते हुए आनंदित स्वर मे बाेली,,,

जानता है जो तू उस औरत के साथ कर रहा था उसे क्या कहते हैं,,,।
सूरज पूरी तरह से सुधियां मामी की खूबसूरत बदन पर उत्तेजना का जाल बिछा चुका था। अपने भांजे की मनगढ़ंत चुदाई की कहानी को सुनकर वह एकदम मदहोश होती जा रही थी,,, सूरज ने जिस तरह से उसे कहानी सुनाया था वह सुनकर ऊसकी बुर की कटोरी में नमकीन रस छल छला उठा था,,,
वैसे तो सूरज के पास मनगढ़ंत कहानी से भी बेहद रसीला अनुभव मंगल मामी के साथ का था,,, लेकिन वह मंगल मामी के बारे में तो सुधियां मामी को नहीं बता सकता था इसलिए उसे दुसरां रास्ता अपनाना पड़ा,,,
धीरे-धीरे अपनी हथेली का जादू सुधियां मामी के बदन पर दिखा रहा था कहानी सुनाते हुए वह सुधियां मामी को इतना ज्यादा गर्म कर दिया था कि,,, जांघों पर फिर रही हथेली अब उसकी बुर पर हरकत कर रही थी।,,,

सूरज की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी। क्योंकि जिस अंग पर उसने अपनी हथेली रखा हुआ था वह भट्टी से भी ज्यादा तप रही थी। और उसमें से निकल रहा नमकीन रस उसकी पूरी हथेली को और भी ज्यादा गर्माहट प्रदान कर रहा था वह आहीस्ता आहीस्ता से अपनी हथेली को बुर के आकार पर रगड़ रहा था। जिसकी वजह से सुधियां मामीें भी मदहोश हुए जा रही थी,, अपने भांजे के मुंह से उसके अनुभव को सुनकर सुधियां मामी बोली,,,

तू जानता है जो काम वह औरत तुझसे करवा रही थी उसे क्या कहते हैं,,,
 
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( सुधियां मामी के इस सवाल का सूरज किसी भी प्रकार से जवाब नहीं दे सका क्योंकि वह सुधियां मामी की बुर पर हथेली रखकर पूरी तरह से गर्म हो चुका था जिसकी वजह से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,, इसलिए वह लंबी लंबी सांसे भरते हुए सिर्फ सुधियां मामी की तरफ देखता रहा इस उम्र के पड़ाव तक पहुंच चुकी सुधियां अपने भांजे के चेहरे के भाव को देखकर इतना तो समझ ही गई होगी कि उसके बदन में किस प्रकार की हलचल मच रही है तभी उसकी नजर सूरज के धोती पर गई तो वह दंग रह गई,,,, इस समय पहले से भी ज्यादा भयानक उसके धोती में तंबू बना हुआ था। और वहं एक टक बस धोती मैं बने तंबू को देखते हुए सूरज के जवाब का इंतजार भी नहीं की और वह खुद ही बोली,,,)

उसे चुदाई करते हो जो तू उस औरत के साथ कर रहा था तू उसे चोद़ रहा था,,,
( एकदम मदहोशी के आलम में गरम सिसकारी भरते हुए बोली, सूरज भी सुधियां मामी के मुंह से खुले शब्द सुनकर एकदम से उत्तेजना से भर गया और जोश मैं आकर कस के सुधियां मामी की बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया,,, जिससे उसकी सिसकारी निकल गई,,,,

ससससहहहहहह,,,,,,,, क्या कर रहा है रे,,
( सुधियां मामी कि सिसकारी और उसकी बात सुनकर एक दम से चौंक गया,,, और बोला,,,)

ककककक,,,कुछ नहीं मामी बस ऐसे ही मालिश कर रहा था।

मालिश कर रहा था कि उसका कचुंबर बना रहा है अरे आराम से वह बहुत ही कीमती चीज है,,

सूरज अभी भी हल्के-हल्के बुर के पर अपनी हथेली घुमा रहा था और सुधियां मामी की बात सुनकर आश्चर्य से उसकी तरफ देखते हुए बोला,,,,,,

कीमती चीज मैं,,,, मैं समझा नहीं मामी,,,,

तू समझेगा भी नहीं अभी बच्चा है लेकिन बच्चा होने के बावजूद भी तू ने उस औरत के साथ बड़ा काम कर दिया,,,,,,


मैंने कौन सा बड़ा काम कर दिया मामी,,,,
( माहौल को देखते हुए सूरज से रहा नहीं गया और वह धीरे-धीरे करके सुधियां मामी की पेटीकोट को एकदम कमर तक उठा दिया जिसकी वजह से आप उसकी आंखों के सामने उसकी मामी का बेहद खूबसूरत और बेशकीमती खजाना नजर आने लगा,,,, इतने करीब से सूरज की नजर सुधियां मामी की बुर पर गईे तो बस वह देखता ही रह गया,,,, रोऐेदार बालों का झुरमुट,,, उसमे अजीब सी चमक नजर आ रही थी जो कि अमृत की तरफ सूरज को पूरी तरह से आकर्षित की हुई थी,,,
सूरज की प्यासी नजरें उस छोटे से गुलाबी लकीर को ढूंढ रही थी जिसके लिए वह इतना व्याकुल हुआ जा रहा था,, सुधियां मामी भी अपने भांजे की हरकत देखकर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी वह सब कुछ भूल कर बस सूरज की तरफ शर्म से देख रही थी और उसकी अगली हरकत का इंतजार कर रही थी,,,, सूरज आकर्षित होकर बालों के झुरमुट को अपनी उंगलियों से हल्के हल्के इधर-उधर घुमा कर ऊस गुलाबी छेद को ढूंढने लगा,,, और सुधीया सूरज के इस तरह की हरकत से एकदम रोमांचित हुए जा रही थी उसके तन-बदन में उत्तेजना की चिटिया चिकोटी काट रही थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर सूरजकर क्या रहा है और सूरज इस बार बिल्कुल भी शर्म ना करते हुए। जानबूझकर अपनी ऊंगलियो से उस तूफान के बवडंर को छेड़ना चाह रहा था जो कि बरसों से दबी पड़ी थी,,, थोड़े से ही प्रयास में सूरज को गुलाबी पत्तियों से बनी वह लकीर साफ साफ नजर आने लगी जिसे वह अपनी उंगली के पोर से कुरेदना शुरू कर दिया,,,, इस हरकत पर सुधियां की सिसकारी छूट गई,,,,

सससससहहहहहहह,,,,,, सूरज यह क्या कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है मेरे साथ ऐसी हरकत करते हुए,,,
(अगर वह यह बात थोड़ी गुस्से में बोलती तो शायद सूरज रुक जाता लेकिन वह मदहोशी के आलम में एकदम सिसकारी लेते हुए बोल रही थी जिसका साफ मतलब था कि,,, वह उसे रोकना नहीं बल्कि उसे और भी ज्यादा आगे बढ़ने देना चाह रही थी इसलिए तो वह सुधियां मामी की बात सुनकर रूके बिना ही लगातार अपनी उंगलियों से बुर की गुलाबी पत्ती को कुरेदता हुआ बोला,,,,


मामी वह यही अंग है जिसके अंदर उस मौसी ने मुझे मेरे लंड को डालने को बोली थी,,,,

इसे बुर कहते हैं ( वह एकदम गरम आहें भरते हुए बोली,,,)

पर मामी वह मौसी तो मुझे इस अंग का नाम चूत बता रही थी,,,,

हां,,,, जो तू बोल रहा है वह भी कहते हैं लेकिन हम लोग इसे बुर ही कहते हैं,,, क्या कहते हैं जरा तू बोल कर बता तो,,,,

बबबबब,,,,, बुर,,, ( सूरज जानबूझकर हकलाते हुए बोला ताकि सुधियां मामी को ऐसा लगे कि शायद वह पहली बार इस नाम से अवगत हो रहा है बुर शब्द बोलते हुए उसके चेहरे पर आई घबराहट को देखकर वह मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली।)

अच्छा तुम एक बात बताओ तुझे बुर शब्द बोलने में अच्छा लगता है या चूत,,,,

ऊममममम,,,, ( सोचते हुए),,,, बुर,,,,,, ( चहकते हुए जवाब दिया,,,)

हैं ना मुझे मालुम था,,,, तू यही जवाब देगा क्योंकि बुर शब्द एकदम देसी लगता है ऐसा लगता है कि कोई कटोरी एकदम देसी घी से बनी हुई है और उसमें से देसी घी की नदी बहती है,,,,
( सुधियां मामी मदहोशी के आलम में बोले जा रही थी जिसका फायदा उठाते हुए अपनी उंगली को उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्ती के बीच प्रवेश करा दिया,,, जिससे उसकी हल्की सी चीख निकल गई,,,


आहहहहहहहह,,,,,,, ( चीख निकलने के बावजूद भी वह सूरज को कुछ नहीं बोली बस वैसे ही लेटी रही और उसकी उंगली का आनंद लेती रही,,,, सुधियां मामी की तरफ से कोई हरकत और खामोशी छाई हुई देखकर सूरज समझ गया कि इस समय ईसकी बुर मे मेरा लंड डाल दु तो भी कुछ नहीं बोलेगी,,, और वह भी बिना रोके अपने बीच वाली उंगली को हल्के हल्के अंदर बाहर करने लगा वह जानता था कि औरतों को इस तरह से उंगली से आनंद देने में उन्हें बहुत कामोत्तेजना का अनुभव होता है और यही सुधियां मामी के साथ भी हो रहा था। उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था वह कुछ बोल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी तभी सूरज हल्के हल्के से सुधियां मामी की बुर मे उंगली पेलते हुए बोला,,,

मामी तुम क्या कह रही थी की मैं अभी छोटा हूं लेकिन बड़ा काम कर दिया मैं कुछ समझा नहीं,,,,
( सुधियां मामी तो इस समय एकदम से चुदवासी हो गई थी उसकी लंबी लंबी सांसो के साथ साथ उसकी चूचियां भी जो कि ब्लाउज में कैद थी,,, ऊपर नीचे हो रही थी जिस पर सूरज की नजर पड़ते ही उसके मुंह में पानी आ गया वह उसकी चूचियों को ब्लाउज से बाहर निकालकर मुंह भरकर चुसना चाहता था लेकिन अभी इसके लिए समय था। सुधियां मामी तो अपने भांजे की उंगली का मजा ले रही थी। अपने भांजे के सवाल का जवाब देते हुए वह मदहोश हुए जा रही थी,,, सुधियां मन ही मन में यह सोच रही थी कि इतना कुछ हो गया है तो अब शर्म करने से कोई फायदा नहीं था इसलिए वह बोली,,,

बेटा मैं इसलिए तुझे बच्चा कह रही हूं क्योंकि जिस काम के लिए उस औरत ने तुझे बोली थी उस काम को करने के लिए तेरी उम्र अभी बहुत छोटी है मुझे तो यह समझ में नहीं आता कि तू आखिर उसे चोद केसे लिया,,,,

तुम क्या कह रही हो मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं आखिर उस काम को करने के लिए मैं छोटा कैसे हुआ,,,,
( अपनी बीच वाली ऊंगली को बराबर बुर के अंदर पेलते हुए बोला,,,)

अब तुझे कैसे समझाऊं तो शायद नहीं जानता कि औरत को चोदने के लिए मुजबुत तगड़े लंड की जरूरत होती है और तेरी उम्र को देखते हुए तू अभी बच्चा है,,, मुझे तो पता नहीं चल रही है कि उसे मजा आया भी था या नहीं,,
( यह बात वह जानबूझकर बोल रही थी क्योंकि जो नजारा उसने कमरे के अंदर देख चुकी थी उसे देखते हुए वह किसी भी औरत का पानी निकाल सकने में सक्षम था तभी तो आज वह उसके सामने नंगी होकर इस तरह से लेटी हुई थी। वह तो बस इस बहाने से ऊसके लंड का दीदार करना चाहती थी,,, )

अच्छा तुम मुझे यह बताओ कि जब तू उसकी बुर में अपना लंड डाल रहा था तो वह क्या बोल रही थी,,,,
( सूरज एकदम से चुदवासा हो गया था वह जानता था कि उसकी मामी जानबूझकर यह सब बोल रही है जबकि वह खुद उसके लंड को देखकर मस्त हो चुकी है,,
वह भी मनगढ़ंत कहानी के बात को बढ़ा चढ़ाकर बताते हुए बोला,,,।)

मामी उसे तो बहुत मजा आ रहा था,,,, वह तो बोल रही थी कि बस बेटा ऐसे ही चोदता रह बहुत मोटा और लंबा है तेरा,,,, आज तक मैंने ऐसा लंड नहीं देखी ओर ना ही ऐसे लंड से चुदी हूं,,,,,
( सूरज की बातें सुनकर सुधियां मामी को इसमें कोई आश्चर्य नहीं लगा क्योंकि वह जानती थी कि उसका लंड लेने पर सभी औरतें ऐसा ही जवाब देंगी फिर भी वह बहाना बनाते हुए बोली।)

मुझे तो सूरज सच में यकीन नहीं हो रहा है कि जो तू बोल रहा है वह बिल्कुल सच है क्या तू मुझे एक बार अपना वह दिखा सकता है,,,।
( सुधियां मामी की बात सुनते ही सूरज समझ गया कि उसकी मांमी उसके लंड को देखने के लिए तड़प रही है। और वह भी तो खुद ही सुधियां मामी को अपना मोटा तगड़ा लंड दिखाना चाहता था ताकि वह खुद ही उसके लंड को अपने हाथ से पकड़कर अपनी बुर पर रखकर चोदने के लिए बोले,,,, लेकिन फिर भी वह सुधियां मामी को तड़पाने के उद्देश्य से बोला,,,।)

लेकिन मामी तुमने तो मुझे कमरे के अंदर पूरी तरह से नंगा देख तो ली थी,,,

अरे तुझे नंगा देखी थी ना लेकिन उस समय मैंने तेरे लंड को ठीक से देख नहीं पाई,,,, इसलिए तो कह रही हूं कि मुझे दिखा दो मुझे भी तसल्ली हो जाएगी।
( आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी,,, कोई और आग होती तो शायद पानी छांटने पर बुझ जाती लेकिन लेकिन यह तो वासना की आग थी जो कि पानी से नहीं बल्कि मदन रस की बौछार से ही बुझने वाली थी,,, सूरज भी अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था सुधियां मामी को अपने लंड के दर्शन कराने के लिए।
 
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क्या मामी तुम भी अभी सुबह-सुबह तो देखी थी फिर से देखने की बात कर रही हो,,,,( सूरज हलके हलके से अपनी हथेली को फूली हुई बुर पर फिराते हुए बोला,,,)

अरे ठीक से कहां देख पाई थी,,,,

तो इतनी देर से टकटकी लगाए क्या देख रही थी,,,

अरे बुद्धू वह तो मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम इस हाल में कमरे में होगा इसलिए मैं एक दम से चौंक गई थी,,,

तो क्या तुमने सच में कुछ भी नहीं देख पाई,,,

सच कह रही हूं मैं कुछ भी नहीं देख पाओगी बस इतना ही समझ पाई थी कि तू कमरे में पूरी तरह से नंगा है,,
( वह अपने तरफ से सफाई पेश करते हुए बोली लेकिन सूरज जानता था कि सुधियत मामी झूठ बोल रही है वह तो टकटकी लगाए बस उसके लंड को ही देखे जा रही थी। कभी तो आज वहां इस हालात में लेटी हुई है।,, लेकिन फिर भी सूरज को इसमें कोई एतराज नहीं था काम को चाहे यहां से पकड़ो या हाथ घुमाकर पकड़ो कोई फर्क नहीं पड़ता उसे तो बस सुधियां मामी को अपने मुसल जैसे लंड का दर्शन करा कर उसकी बुर पर कब्जा जमाना था। और वह पल ज्यादा देर तक दूर नहीं था,,, इसलिए वह सुधियां मामी की बात सुनकर बोला।)

ठीक है मामी तुम कहती हो तो मैं तुम्हें दिखा सकता हूं लेकिन इस समय दिखाने जैसा नहीं है,,।( सूरज बुर की गुलाबी पत्तियों को उंगली से कुरेदता हुआ बोला, जिसकी वजह से सुधियां मामी के मुख से गरम सिसकारी लगातार निकल रही थी। और माहौल पूरी तरह से मदहोशी के आलम में खोता चला जा रहा था।)

अभी क्यों नहीं दिखा सकता है इसमें क्या दिक्कत है।

नहीं मामी नहीं अभी बिल्कुल भी नहीं दिखा सकता मुझे शर्म आ रही है।

अच्छा मेरे सामने तुझे शर्म आ रही है और तेरी मौसी को दिखाता था तो तुझे शर्म नहीं आती थी।

अरे मैं कहां दिखाता था वह लोग तो खुद ही देख ली थी।

तू चल मुझे भी दिखा दे वरना मैं समझूंगी कि तू सिर्फ मुझे बेवकूफ बनाने के लिए सब बोल रहा था जैसा तू बोल रहा है वैसा कुछ भी नहीं हुआ था।

नहीं मामी कसम से जैसा मैं बताया हूं वैसा ही हुआ था।
( इस बार सूरज से रहा नहीं गया और वह एक बार फिर से अपनी बीच वाली उंगली को बुर के अंदर प्रवेश करा दिया जिसकी वजह से सुधियां मामी के मुख से हल्की सी चीख निकल गई लेकिन वह उसे कुछ भी नहीं बोली।,, सूरज की हरकतों ने सुधियां मामी को पूरी तरह से चुदवाती बना दिया था और साथ में खुद भी मस्ती का आनंद लेते हुए सुधियां मामी की बुर पर पूरी तरह से कब्जा जमाते जा रहा था,,,)

तततत,,,, तु,,,,, झुठ बोल रहा है, वैसा कुछ भी नहीं हुआ था जैसा तु बोल रहा है अगर ऐसा होता तो तो मुझे जरूर दिखा दिया होता,,

मामी मैं सच कह रहा हूं,, ( इस बार सूरज इतना बोलते हुए अपनी बीच वाली ऊंगली को धीरे-धीरे करके पूरी तरह से बुर के अंदर घुसा दीया। बुर के अंदर की गर्माहट सूरज को बेचैन कर रही थी और सुधियां बुर के अंदर एक जंवा मर्द की पूरी की पूरी उंगली को लेकर वह मदहोश हुए जा रही थी उसके बदन की कसमसाहट बढ़ती जा रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि किसी गैर मर्द की उंगली उसकी बुर को अंदर तक पहुंच जाएगी। सूरज की मामी दोनों तरफ से तड़प रही थी। तो उसके मन में सूरज के मोटे तगड़े लंड को देखने की ईच्छा प्रबल होती जां रही थी। और एगकदम से चुदवासी होकर चुदवासपन मे बोली,,,

अरे तुझे दिखाने में क्या जाता है,,,,

नहीं दिखा सकता मामी क्योंकि इस समय मेरा वह सामान्य स्थिति में नहीं है,,,

तो कैसी स्थिति में है?

मामी वो,,, वो,,,,,( इतना कहते हुए सूरज हल्के-हल्के से अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करते हुए एक तरह से उंगली से ही सुधियां मामी की बुर को चोद रहा था,,, जिसकी वजह से उसकी मामी एकदम व्याकुल हुए जा रही थी। और व्याकुल हो भी क्यों नहीं बरसों से जिसकी बुर को उसके पति ने ही स्पर्श तक ना किया हो ओर ऐसी बुर पर कीसी जवान लड़के की हथेली स्पर्श होती हो और उसकी पूरी की पूरी उंगली बुर में समाई हुई हो तो उस औरत की हालत क्या होगी,,, ऐसा ही हाल कुछ सूरज की मामी का था वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी।,,, एक तो अपने भांजे के मोटे तगड़े लंड को देखने की ललक और ऐसे में उसका नखरा उसे और भी ज्यादा व्याकुल कर रहा था। इसलिए वह परेशान स्वर में बोली,,,

दिखाता क्यों नहीं,,, अगर तुझे ऐसा ही नखरा करना है तो तू चला जा, मैं अपने हाथों से मालिश कर लूंगी,,,


अरे नहीं मामी आज बरसों के बाद तो तुम्हारी सेवा करने का मौका मिला है और वह तुम ऐसे ही छीन लेना चाहती हो तुम जिद करती हो तो मैं दिखा देता हूं लेकिन तुम समझ सकती हो मेरी हालत इस समय क्या हो रही है,,
( ऐसा कहते हुए वह जानबूझकर सुधियां की नजर को अपने तने हुए तंबू पर लेने के लिए ताकि उसकी मामी भी उस दिशा में देखने लगे और ऐसा हुआ भी,, सुधियां मामी की भी नजर उसके तने हुए तंबू पर चली गई, और उसका उठा हुआ भाग को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया,,,,
अब तो उसकी व्याकुलता और ज्यादा बढ़ने लगी और ऐसे मौके की नजाकत को समझते हुए सूरज थोड़ा जोर जोर से अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करने लगा,,, सुबह की इस तरह की हरकत से तो सुधियां मांमीे एकदम से मदहोशी के आलम में डुबती चली जा रही थी,,, ऊसे तो जैसे कोई होश ही नहीं था,,, बदन की कसमसाहट पल-पल उत्तेजना के परम शिखर पर बढ़ रही थी,,,

उसके कमर हल्के हल्के से आगे पीछे हो रही थी जिसे देख कर सूरज समझ गया था कि,,, जो औरत इतनी मस्ती के साथ अपनी बुर में ऊंगलि डलवाने दे रही है वह कितनी मस्ती के साथ पूरा लंड अपनी बुर मे लेगी,,, पूरी उंगली एकदम चिपचिपी हो गई थी। सुधियां भी कुछ पल के लिए एकदम से खो गई और अपनी कमर को हल्की हल्की इधर-उधर घूमाते हुए अपने भांजे की उंगली की पेलाई का मजा लेने लगी,,, कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही सूरज ऐसा लग रहा था कि अपनी उंगली से हीलाते सुधियां मामी को झाड़ देगा,,, कमरे का वातावरण पूरी तरह से मदहोश हो चुका था सूरज कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि सुधियां मामी के साथ वह इस हद तक पहुंच जाएगा।,, कुछ भी हो दोनों को बहुत मजा आ रहा था सुधियां मामी तो एकदम मस्त होकर बिस्तर पर लेटी हुई थी और और सूरज जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करने लगा था,,,।तबी उसे ऐसा ही कुछ याद आया हो इस तरह से सुधियां बोली,,
क्या कर रहा है दिखाना,,,

दिखा रहा हु मामी,,, ( इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी उंगली को सुधियां मामी की बुर से बाहर निकाला,, और बिस्तर पर से नीचे उतर कर खड़ा हो गया। उसकी धोती आगे से पूरी तरह से तना हुआ थी,,,,
जिस पर नजर पड़ते ही सुधियां की बुर की कुलबुलाहट बढ़ने लगी,,,अब उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द सूरज के लंड का दीदार कर लेना चाहती थी।
 
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सूरज पूरी तरह से तैयार हो चुका था सुधियां मामी को अपने लंड के दर्शन कराने के लिए,, वह सुधियां मामी की रसीली बुर में से अपनी उंगली को बाहर खींच लिया था जिस पर उसकी मामी की बुर का मदन रस पूरी तरह से लगा हुआ था। बुर से निकल रहा यह मदन रस मर्दों के लिए किसी अमृत से कम नहीं था,,,, इसके स्वाद का जरा भी पता नहीं चलता लेकिन फिर भी मर्दों को यह बेहद स्वादिष्ट ही लगता है। नारियल पानी से भी कहीं ज्यादा स्वादिष्ट और मीठा, लगता है बुर का पानी ऐसा लगता है कि मानो आसमान से कुदरती ओस बुर नुमा कटोरी में इकट्ठी हो गई हो। वैसे भी बुर के ऊपर उसकी खूबसूरती के बारे में उसकी बनावट के बारे में जितना भी लिखा जाए उतना कम है क्योंकि ऐसे ही नहीं पूरी दुनिया इसके आकर्षण से आकर्षित है। जिससे सूरज भी बच नहीं सका,,,
तभी तो उसने रिश्तो के बीच में ही इस तरह के शारीरिक संबंध कायम कर लिया है और आगे बढ़ता ही जा रहा है और आज जाकर सुधियां मामी के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है और इसी जुगाड़ में वह बिस्तर से नीचे उतर कर सुधियां मामी को अपना लंड दीखाने पर उतारू हो चुका था।
सूरज के धोती में उसका तंबू जोर मार रहा था सुधियां प्यासी नजरों से उसके तंबू को ही देखे जा रहीे थी। उसने आज तक इस तरह का उठाव अपने पति के धोती में भी नहीं देखी थी इसलिए तो वह पूरी तरह से आश्चर्य मे थी।,, अधनंगी होकर वह अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसकी पेटीकोट उसकी कमर तक चढ़ी हुई थी जिसकी वजह से उसकी कमर के नीचे का पूरा भाग नंगा हो चुका था उसकी बालों से भरी हुई बुर साफ नजर आ रही थी जिस पर उसके नमकीन रस की बूंदे इस तरह से चमक रही थी जैसे हरी हरी घास पर ओस की बूंद चमक रही हो।

सूरज ने उंगलियों पर लगे सुधियां मामी के मदनरस को साफ करने की बिल्कुल भी दरकार नहीं किया था। वह जानता था कि उसका हथियार देख कर तो अच्छी-अच्छी औरतें घुटने टेक दे रही थी तो मामी क्या चीज़ थी। आज तक उसके लंड को देखकर दो औरतें पूरी तरह से आकर्षित होकर अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार हो गई थी उनमें से एक तो उसकी मंगल मामी थी जिसने,,,
सारे रिश्ते नाते को एक तरफ रख कर अपने भांजे के साथ शारीरिक संबंध बना ली थी और उस का भरपूर आनंद उठा रही थी और दूसरी थी,,, उसकी मामी की सहेली मंजू मौसी जो कि अपना तन बदन पूरी तरह से सूरज को सौंप चुकी थी और तीसरी सूरज की सुधियां मामी जो इस समय उसके सामने अध नंगी लेटकर,,
अपनी प्यासी जवानी को लुटाने के लिए तैयार हो गई थी और वैसे भी प्यासी औरतों को सिर्फ लंड से काम नहीं चलता है।। मजबूत तगड़ा लंड देखते ही उनके मुंह के साथ-साथ उनकी बुर में भी पानी का सैलाब उठने लगता है। और सूरज इस समय जवानी से भरपूर तगड़े लंड का मालिक था,,, सूरज अपने परिजनों के दोनों छोर को अपने दोनों हाथ से पकड़ लिया यह देखते ही बिस्तर पर लेटी सुधियां मामी की सांसे तेज गति से चलने लगी उसके मन में उत्सुकता के साथ साथ मदहोशी भी बढ़ते जा रही थी,,,,

सूरज धीरे-धीरे अपनी धोती खोलकर को नीचे की तरफ सरकाने लगा और साथ ही सुधियां मामी की प्यासी नजरों से अपनी नजरें मिलाकर उनका हौसला भी बढ़ाने लगा और अगले ही पल सूरज ने एक झटके से अपने धोती को अपने घुटनों तक सरका दिया ,,, एकाएक अपने धोती को नीचे सरकाने की वजह से उसका लंड पूरी तरह से आजाद होकर हवा में झूलने लगा,,,,
यह देखते ही सुधियां मामी की तो सिटी पीटी गुम हो गई,,, आज सुबह तो वहां थोड़ा दूर से ही देखी थी लेकिन आज बिल्कुल करीब से इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड झूलते हुए देख रही थी उसकी बुर की फांके फुदकने लगी,,, उसके मुंह से तो उत्तेजना के मारे गरम आह निकल गई वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना तगड़ा लंड भी होता है,,,
सुधियां मामी के चेहरे पर बदलते भाव को सूरज अच्छी तरह से पहचानता था क्योंकि इस तरह के ही भाव वह मंगल मामी के चेहरे पर देख चुका था इसका मतलब साफ था, कि सुधियां भी उसके लंड को लेने के लिए व्याकुल हुए जा रही है। सूरज जानबूझकर लंड को अपने हाथ में पकड़कर उसे हिलाते हुए बोला,,,,

देख लो अच्छे से देख लो और बताओ अब क्या कहती हो , ?
( वह क्या कहती उसकी तो हालत ही खराब हो गई थी उसकी आंखों के सामने ऊसकी प्यास बुझाने वाला,,,ऊसकी ओखली को कुटने वाला तगड़ा मुसल झूल रहा था। और ऐसे हालात में कुछ कहने को नहीं बल्कि उसे महसूस करने को होता है। इसीलिए उसके पास भी बोलने के लिए कुछ भी नहीं था लेकिन फिर भी सूरज को जवाब देना जरूरी था इसलिए वह धीरे से बिस्तर पर उठते हुए बोली,,,

बाप रे बाप यह है क्या,,,( इतना कहने के साथ ही अपना हाथ आगे बढ़ा कर धीरे से,, अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों को लंड पर फिराने लगी, उस की गर्माहट सुधियां उंगली पर महसूस होते ही उसकी तपन उसे सुधियां बुर पर महसूस होने लगी। लंड की गर्माहट को उसने आज तक इतनी शिद्दत से महसूस नहीं की थी इसलिए तो उसके तन-बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी उससे रहा नहीं जा रहा था वाह हल्के हल्के अपनी उंगलियों को सुपाडे से लेकर के उसकी उत्पत्ति के किनारे तक फिराने लगी। इस तरह से ऊंगलिया फीराने से सूरज को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, वह आगे कुछ बोल नहीं पा रही थी उसे कोई शब्द नहीं सूझ रहा था। इस समय वह कामाग्नि से तप रही थी। धीरे-धीरे उसके अंदर की शर्म गायब होने लगी थी,,, इसलिए तो वह उंगलियों से स्पर्श करते करते,,, धीरे से लेकिन कस के वह सूरज के लंड को अपनी मुट्ठी में भर ली और जैसे ही वह लंड अपनी मुट्ठी में भरी मदहोशी में उसकी आंखें बंद हो गई और उत्तेजना के मारे वह अपने निचले होंठ को अपने दांतो से काटने लगी।
यह देख कर सूरज मन ही मन प्रसन्न होने लगा। क्योंकि धीरे-धीरे वह सुधियां मुट्ठी में लंड को भर कर आगे पीछे करते हुए मुठ मारने लगी थी। सूरज तो सुधियां मामी की ऐसी हरकत से एकदम आनंद विभोर हो गया।,, सुधियां मामी भी सब कुछ भूल चुकी थी इस समय उसे केवल सूरज का मोटा तगड़ा लंड दिख रहा था लंड के पीछे खड़े भांजे के पवित्र रिश्ते को वह भूल चुकी थी,,, कामांध होकर वहां मामी भांजे के रिश्ते की डोरी को पूरी तरह से तार-तार करने के लिए आगे बढ़ती चली जा रही थी।
वह कुछ मिनट तक आंखें बंद किए हुए सूरज के लंड को मुठीयाने मे व्यस्त हो गई। उसकी तंद्रा तब भंग हुई जब मस्ती के सागर में गोते लगाते हुए सूरज के मुंह से सिसकारी निकलने लगी,,,,

सससससहहहह,,,,,,, आहहहहहहहहह,,,,,
( जैसे ही सूरज के मुंह पर इस तरह की सिसकारी निकली वैसे ही उसकी मामी ने तुरंत लंड पर से हाथ हटा ली।,,, वह एकदम से शर्मिंदा हो गई,,, लेकिन सूरज पीछे हटने वाला नहीं था,,, वह ऐसे ही गर्म सिसकारी देते हुए बोला,,,

ओहहह मामी हाथ क्यों हटा ली बहुत मजा आ रहा था।

धत्त,,,, मुझे शर्म आ रही है।

अरे मामी इसमें शर्म की क्या बात है। अच्छा आप बताओ मैं झूठ बोल रहा था या सच बोल रहा था।

तू सच ही कह रहा था ।(कुछ देर सोचने के बाद मुस्कुरा कर बोली)

अच्छा तुम यह बात कैसे कह सकती हो,,,


तेरा बहुत तगड़ा है।

तुम्हें अच्छा लगा मामी,,,
( सूरज की यह बात सुनकर वह कुछ देर तक खामोश हो गई आखिर सूरज के सवाल का क्या जवाब देते उसे अच्छा तो लग रहा था लेकिन इस तरह से बोलना ठीक नहीं था। फिर भी सूरज उसकी खामोशी देखकर फिर से पूछा लेकिन इस बार वह अपने ही हाथ से अपना लंड पकड़ कर हीला रहा था। जिसकी वजह से सुधियां मामी के तन बदन में मस्ती की लहर दौड़ने लगी,,,)

बोलो ना मामी तुम्हे अच्छा लगा या नहीं? शरमाओ मत सच-सच बताना,,,

अच्छा लगा (शरमाते हुए दूसरी तरफ नजर फेर कर बोली)

सूरज यह बात जानता था कि सुधियां मामी को उसका लंड बहुत ही भा गया है। और वहां उसके लंड से खेलना चाहती है लेकिन शर्म के मारे आनाकानी कर रही है ओर ईसलिए शर्म को सूरज को ही निकालना था। इसलिए सूरज बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,

को छोड़ क्यो दी मामी पकड़े रहो ना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था,,,,

तुझे तो अच्छा लगेगा ही लेकिन मुझे शर्म आ रही है।
( सुधियां उसी तरह से बिस्तर पर बैठे हुए दूसरी तरफ शर्म से नजरें फेर कर बोली।)

तुम्हें भी बहुत मजा आएगा बस एक बार मेरा कहा मान लो,,

नहीं मानूंगी तेरा क्या भरोसा किसी को बता दिया तो,, जैसे उस औरत के बारे में मुझे बता रहा है।( नजरें झुकाए हुए ही वह बोली।)

अरे मामी वह औरत मेरी क्या लगती थी कुछ भी नहीं इसीलिए तो बता दिया लेकिन तुम तो मेरी मामी हो भला मैं घर की औरतों के बारे में इस तरह की बातें दूसरों के साथ कैसे कर सकता हूं क्या तुम को मुझ पर जरा सा भी भरोसा नहीं।
( सूरज की बातें सुनकर वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी और रह-रहकर सुधियां नजरों को तिरछी करके सूरज के लंड की तरफ देख ले रही थी,,,, लेकिन इस बार सूरज के सवाल का जवाब नहीं दी,,, इसलिए सूरज अपने लंड को अपनी हथेली में लेकर हिलाते हुए बोला।)

अच्छा मामी यहां देख तो लो एक बार,,, बस एक बार,
( सूरज अपने लंड को जोर-जोर से खिलाते हुए बोल रहा था वह जानता था कि अगर एक बार सुधियां मामी की नजर उसके झुलते हुए लंड पर पड़ गई तो उसकी बुर पानी फेंक देगी और वह जो बोलेगा वो वह करने को तैयार हो जाएगी,,, तिरछी नजरों से देखते हुए सुधियां भी समझ गई कि वह क्या दिखाना चाहता है। ईस तरह से झुलते हुए लंड को देखने की ललक उसके मन में और ज्यादा बढ़ गई थी,,,
इसलिए वह सूरज की बात मानते हुए उसकी तरफ देखने लगी,,, इस तरह से झुलते हुए लंड को देखकर उसका मुंह फिर से आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,, वह कुछ बोलना चाह रही थी लेकिन उसके मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे। सूरज जानबूझकर अपने लंड को जोर जोर से हिला रहा था। सुधियां मामी तो बस देखती ही रह गई,,, सुधियां मामी को इस तरह से देखता हुआ पाकर सूरजबोला,,,

देख क्या रही हो मामी एक बार फिर से पकड़ लो बहुत मजा आएगा,,,( इस बार वह सूरज की बात तुरंत मान ली,,,।)
 
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सूरज के मोटे तगड़े और लंबे लंड ने सुधियां मामी पर सम्मोहन कर लिया था वह पूरी तरह से अपने भांजे के लंड के प्रति आकर्षित हो चुकी थी। और जिस तरह से सूरज बिस्तर से नीचे खड़े होकर के अपने लंड को हिलाते हुए सुधियां मामी को उसे पकड़ने के लिए बोल रहा था मदहोशी ग्रंस्त सुधियां सूरज की ईस बात को इनकार नहीं कर पाई,,,
और फिर से अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके लंड को थाम ली एक बार फिर से सुधियां मामी की नरम नरम हथेलियों का स्पर्श पाकर सूरज का लंड और ज्यादा ताव में आ गया,,, जिस तरह से अपने लंड पर सूरज को सुधियां मामी के हाथों का स्पर्श बेहद रोमांचकारी और उत्तेजना से भरपूर लग रहा था,, उसी तरह से सुधियां को भी मोटे तगड़े लंड का स्पर्श अपनी हथेली में बेहद उन्मादक लग रहा था जिंदगी में पहली बार उसने आज किसी गैर मर्द के लंड को स्पर्श की थी,,, इसलिए उसका पूरा बदन अजीभ सिं रोमांच का अनुभव करते हुए पूरी तरह से गनगना गया और कस करके अपनी मुट्ठी में सूरज के लंड को दबाना शुरु कर दी। उत्तेजना का अनुभव और बेहद उन्मादक ढंग से लंड को दबाने की वजह से सूरज मस्ती के सागर मे हिलोरे भरने लगा और उसकीे आंखे मुंदने लगी। अभी तक सुधियां मामी केवल लंड को दबा ही रही थी,,, इसलिए सूरज शिसकारी भरते हुए बोला,,

ओहहहहहहह मामी,,, धीरे-धीरे आगे पीछे करते हुए मेरे लंड को मुठीयाना शुरू कर दो,,,मामी,,,
( सूरज मदहोशी से तर्र होकर बोला,, सुधियां मामी भी जैसे यही चाहती हो सूरज की बात सुनते ही तुरंत वहां सूरज के मोटे लंड को अपनी मुट्ठी में आगे पीछे करते हुए उसे मुठियाना शुरू कर दी,,,, सूरज के साथ साथ सुधियां को भी बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी।
यह नजारा बेहद उन्मादक और उत्तेजना से भरपूर था।
ऐसा ही होता है जब एक प्यासी औरत ओर एक जवान मर्द इस तरह का एकांत पाते हैं तो। घर के सभी लोग शादी की खरीदी करने बाजार गए हुए थे और घर की एक औरत जोकी बेहद प्यासी और जवानी से भरपूर थी वह एक बहाने से रुक गई थी और वह भी इसलिए कि घर पर एक जवान हो रहा गठीले बदन का मालिक उस का भांजा घर पर अकेला ही था,,,

और सुबह सुबह ही उसने उस गठीले बदन वाले लड़के का मजबूत मोटा तगड़ा लंड का दर्शन प्राप्त कर ली थी जिसकी वजह से वह काफी बेचैन हो गई थी और उसी लंड की प्राप्ति के लिए बाजार ना जाकर घर पर रहना ही मुनासिब समझी और उसका घर पर रहना उसे फल रहा था। तभी तो अपने ही कमरे में सुधियां भांजे को बुलाकर अर्धनग्न अवस्था में अपने बेटे समान भांजे के लंड को पकड़कर मुठीया रही थी। इस कदर सूरज पर मदहोशी छाई हुई थी कि वह सुधियां मामी की हथेली को ही बुर समझकर हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,, धीरे धीरे सुधियां मामी की शर्म दूर होते जा रही थी तभी तो वह सूरज की आंखों में झांकते हुए बोली,,

सच रे मुझे तो अब बिल्कुल यकीन हो चला है कि जो तू कह रहा है वह बिल्कुल सच है तूने तो उस औरत की बुर के परखच्चे ऊड़ा दीया होगा,,
( सूरज को उसकी बातें सुनकर मजा आ रहा था और जान बूझकर ना समझने का नाटक करते हुए बोला।)

परखच्चे,,,, मैं कुछ समझा नहीं मामी,,,,

इतना बड़ा काम कर दिया और इतना भी नहीं समझता,, ( लंड को उसी तरह से धीरे-धीरे हिलाते हुए बोली ।)

नहीं समझता तभी तो मैं तुमसे पूछ रहा हूं तुम तो समझदार हो बता दो,,,

अरे मेरे कहने का मतलब है कि तेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और तगड़ा है और लंबा भी है,,, और जिसकी भी बुर में जाएगा तो उसे एकदम चोड़ी कर देगा,,, तुने तो उस औरत की बुर को एकदम फैला दिया होगा अपने लंडं से चोदकर,,

मुझे अब यह तो नहीं पता लेकिन इतना जरूर पता है कि जब मैं अपने लंड को उसके बुर के अंदर बाहर कर रहा था तो वह जोर जोर से चिल्ला रही थी,,
( सूरज मस्ती के हिलोरे लेता हुआ बोला वह जानता था कि इस तरह की बातें सुनने के लिए औरतें हमेशा लल़ाईत रहती है और उस वक्त तो और भी ज्यादा उनके कान खड़े हो जाते हैं क्या बात मर्दानगी की आती है क्योंकि तगड़ा मर्द की कामना हर औरत को होती है जो कि उन्हें अपनी बाहों में भर कर एकदम पीस डाले,,,
इसलिए तो सुधियां मामी भी एकदम आतुर हो गई उसकी बात को सुनने के लिए क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की चुदाई के समय औरतों का जोर जोर से चिल्लाना इसका मतलब औरतों को परम आनंद की अनुभूति होना और जैसा आनंद केवल एक असली मर्द ही दे सकता है,, इसलिए उत्सुकतावश वह बोली,,,।)



क्या तू सच कह रहा है सूरज वह चिल्लाते समय क्या बोल रही थी।( इतना कहते हुए उत्तेजना के कारण उसकी हथेली का दबाव लंड पर और ज्यादा बढ़ने लगा,, इतना ज्यादा कि सूरज के मुंह से सिसकारी निकल गई और वह समझ गया कि सुधियां मामी उसकी बात सुनने के लिए एकदम व्याकुल हुए जा रही है और सूरज भी नमक मिर्च लगाकर मनगढ़ंत बातें बताने लगा,,,,


मामी जब मैं उसके बुर में अपना लंड पेल रहा था तो वह एकदम पसीने-पसीने हो गई,,, जब जब मैं जोर से धक्के लगा था तो उसके मुंह से,,,आााहहहहह,,, आहहहहहहहह,,,, मर गई रे,,,,,,ऊईईईईीईी मा,,, तेरा लंड है कि गधे का लगता है कि मेरी बुर फाड़ ही डालेगा,,,,, ओहहहहहहहह सूरज बहुत मजा आ रहा है ऐसा मजा मैंने आज तक नहीं ली। बस ऐसे ही पेलता रह चोद मुझे और जोर जोर से चोद मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,
इस तरह से वह औरत चिल्लाते हुए मुझसे चुदवा रही थी,,,,

( इतना कहते हुए सूरज सुधियां मामी के चेहरे का हाव भाव देखने लगा जो कि उसकी बातों को सुनकर पल-पल बदलता जा रहा था उसके चेहरे को देखकर सूरज समझ गया कि उसकी बातों ने उसे पूरी तरह से मस्त कर दिया है।,, सूरज की बातें सुनकर वह इतना तो जरूर समझ गई थी कि सूरज बेहद तगड़ा मर्द है जिस की चुदाई से उम्र दराज औरतों की भी चीख निकल जाती हो तो वह उसका क्या हाल करेगा यह सोचकर ही उसकी बुर पानी फेंकने लगी,, वह कुछ बोल नहीं रही थी केवल मस्ती से सूरज के लंड को हिला रही थी।,,, सूरज यह जानने के लिए उत्सुक था कि वह क्या बोलती है लेकिन वह बिल्कुल खामोश हो गई थी इसलिए खुद ही सूरज बोला,, )



क्यों कहती हो मामी क्या तुम बता सकती हो कि वह इस तरह से क्यों चिल्ला रही थी?

अरे मैं क्या बताऊं मैं थोड़ी चिल्ला रही थी यह तु ऊससे ही पूछ कि वह क्यो चिल्ला रही थी,,,,( इतना कहते हुए वह बड़ी मस्ती के साथ सूरज के लंड को हिला रही थी।,, वह शर्म के मारे जवाब नहीं देना चाहती थी लेकिन फिर भी सूरज जानना चाहता था कि उसकी मामी क्या बोलती है इसलिए फिर से पूछा।

क्या मामी,, एक औरत होने के नाते तुम्हें इतना तो पता होगा कि वह औरत इस तरह से क्यों चिल्ला रही थी,,,

हां पता तो है,,, लेकिन तू ना जाने विश्वास करेगा या नहीं,,,,


अरे इसमें ऐसी कौन सी बात है कि विश्वास ना करने की बात आ गई,,,

शायद तू नहीं जानता सूरज,,, जितना मोटा और लंबा लंड औरत की बुर में जाता है उतना ही ज्यादा मजा औरत को आता है,,, वह औरत भी इसीलिए चिल्ला रही थी,,
( सूरज सुधियां मामी की बातें सुनकर मस्त हुआ जा रहा था। वह जानता था कि औरतें तभी चिल्लाती है जब उन्हें ज्यादा मजा आता है क्योंकि जब वह अपने लंड को मंगल मामी की बुर में डाल के चोदता था तो मंगल मामी भी इसी तरह चिल्लाती थी,,,)

सुधियां के हाथों का जादू उसे सम्मोहित किए जा रहा था हल्के हल्के चला रही अपने हाथ को सुधियां मंत्रमुग्ध सी बस सूरज के लंड को ही देखे जा रही थी जो कि उसकी हथेली में आगे पीछे होता हुआ अपने दमदार होने का सबूत पेश कर रहा था ।

क्या सच में मामी जब औरतों को मजा आता है तो इसी तरह से चिल्लाती है।

हारे बिल्कुल सच है जब चुदवाते समय औरतों को ज्यादा मजा आता है तो वह लोग इसी तरह से चिल्लाती है।

तो क्या तुम भी इसी तरह से कभी चिल्लाई हो,,( सूरज झट से बोला,,)

धत्त,,, तू बड़ा शैतान होता जा रहा है।

अरे इसमें शैतान वाली कौन सी बात है,,, तुम ही तो कह रही हो कि चुदवाते समय औरतो को मजा आता है तो वह ऐसे ही चिल्लाती है, तुम भी तो मामा से चुदवाई होगी,,,
( सूरज अब बेशर्मी की हद पार कर रहा था वह जानता था कि इस तरह की बातों से ही सुधियां मामी पूरी तरह से खुलेगी,, सूरज के मुंह से अपने लिए एसी बात सुनकर वह एकदम से झेंप गई,,, लेकिन सूरज की यह बातें सुनकर उसके तन-बदन में सुरसुराहट दौड़ने लगी जिसकी वजह से उसने अपनी हथेली का दबाव लंड पर और ज्यादा बढ़ा दी,,, वह कुछ बोल नहीं रही थी बस बड़ी तीव्रता से सूरज के लंड को मुठीयाने लगी थी,,,, उसे कुछ बोलता ना देखकर सूरज फिर बोला,,,।

बोलो ना मामी खामोश क्यों हो?

क्या बोलूं मैं तू क्या पूछ रहा है तुझे कुछ पता भी है भला ऐसी बातें कोई अपनी मामी से करता है।

हां मैं जानता हूं मामी की ऐसी बातें नहीं की जाती,,, लेकिन बात ही कुछ ऐसी निकल गई है कि मुझे पूछना पड़ रहा है अब बोल भी दो शर्माने की जरूरत नहीं है।
( सूरज सुधियां मामी को भी अपनी बातों के जाल में फंसा रहा था,,, और सुधियां मामी भी उसकी बात में आकर बोली,,)

हां यह बात सच है कि जब औरतों को मजा आता है तो वह लोग उस औरत की तरह ही चीखती-चिल्लाती हैं लेकिन मेरे साथ आज तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ मैंने कभी भी न चीखी न चिल्लाई,,,,

तो क्या मामी तुम्हें कभी भी मजा नहीं आया,,,
( सूरज अपनी कमर को हल्के हल्के आगे पीछे करते हुए बोला।)

अब यह तो मुझे नहीं मालूम लेकिन शायद ऐसा ही है,,,
( वह सूरज के लंड को हिलाते हुए विचारमग्न होते हुए बोली। सूरज को समझते देर नहीं लगेगी सुधियां मामी भी मंगल मामी की तरह ही प्यासी है,,, और शायद उसकी प्यास बुझाने का सौभाग्य भी उसी के हाथों लिखा है। सूरज सुधियां मामी को पूरी तरह से वश में कर लेना चाहता था इसलिए अपना अगला पासा फेंकते हुए बोला,,,

अच्छा मामी यह सब तो ठीक है लेकिन क्या औरतों को लंड चूसने में भी मजा आता है,,,
( सूरज के मुंह से इतना सुनते ही सुधियां मामी मुंह बनाते हुए सूरज की तरफ देखें तो सूरज बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
मैं इसलिए कह रहा था कि जब मौसी मेरा लंड चूस रही थी तो,,,
 
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सूरज का लंड अभी भी सुधियां मामी के हाथ में था जो कि वह जोर-जोर से उसे मुठिया रही थी,, सूरज बहुत ही जोश से भरा हुआ था ना जाने कैसे वह अपने आप पर इतना काबू किया हुआ था नहीं तो अब तक तो उसका मोटा लंड सुधियां मामी की बुर में होता,,, लेकिन वहां अपने मोटे लंड को उसकी बुर के अंदर बिठाने का प्रयास मैं लगा हुआ था। इसलिए तो वह सुधियां मामी से बोला।

क्या सच में औरतों को लंड चूसने में मजा आता है,,
(इतना सुनना था कि सुधियां मामी तिरछी नजरों से उसे घूरने लगी,, और वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

नहीं मैं तो इसलिए पूछ रहा था कि उस औरत ने तो मेरा पूरा लंड अपने मुंह में लेकर किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और मुझे तो अजीब लग रहा था लेकिन वह खुद बोली थी उसे बहुत मजा आ रहा है,,, तो क्या सच में औरतों को लंड चूसने मे मजा आता है।,,
( सूरज सुधियां मामी से पूछ रहा था लेकिन वह तो सूरज की ऐसी बात सुनकर एकदम से सन्ल हो गई थी आखिरकार वह क्या जवाब देती क्योंकि इस बारे में उसे बिल्कुल भी कोई अनुभव नहीं था लेकिन उसके मुंह से लंड चूसने वाली बात सुनकर उसकी भी उत्सुकता बढ़ गई थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी,,,सूरज को इन मामलों में औरतों के मन में क्या चल रहा है इस बारे में बखूबी अनुभव हो गया था इसलिए वह सुधियां मामी के चेहरे के बदलते हाव भाव को देखकर इतना तो समझ ही गया था कि इस बारे में जानने के लिए वह भी बहुत उत्सुक हैं। लेकिन फिर भी वह सुधियां मामी के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए दुबारा बोला,,,)

बोलो ना सुधियां मामी क्या यह सच है?
( सूरज की बात सुनकर ही उसकी बुर कि दोनों पंखुड़ियां फुदकने लगी थी।,, और रह-रहकर उसमें से मलाई नुमा नमकीन रस बाहर निकल रहा था। लंड चूसने की बातें सूरज उसके साथ कर रहा था इस तरह की बातें वह आज तक अपने पति के मुंह से नहीं सुन पाई थी और ना ही इस तरह अश्लील बातें वह खुद ही की थी लेकिन सूरज के साथ उसे भी इस तरह की अश्लील बातें करने में मजा आ रहा था,,,, इसलिए वह भी कस के सूरज के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए बोली,,,,

तू तो मुझसे ऐसे पूछ रहा है कि जैसे उस औरत की तरह मैंने भी ऐसा काम कि हूं,,,,

अरे तुम भी तो एक औरत हो तो जिंदगी में कभी ना कभी तो उस औरत की तरह काम की होगी,,,

धत्त,,,,, मैंने आज तक ऐसा काम कभी नहीं की और ना कभी इस बारे में सोची भी होंगी कितना गंदा लगता है सोच कर ही।

पर सुधियां मामी जब ये गंदा काम है तो वह औरत क्यों ऐसा कर रही थी,,,

मुझे क्या पता कि वह क्यों कर रही थी तुझे ही पता होगा तेरे साथ ही तो कर रही थी,,,

( सूरज बेहद चालाक हो गया था वह जानता था कि ओरतों को किस तरह से लाइन पर लाया जाता है,,, इसलिए वह बोला,,,।)

मेरे साथ कर रही थी लेकिन क्यों कर रही थी यह तो मुझे नहीं पता ना,,,,
( इतना कहकर सूरज शांत हो गया वह जानता था कि सुधियां मामी में इस बारे में जानने के लिए बेहद उत्सुक है और वह खुद ही जरूर पूछेगी इसलिए वह आराम से खड़े होकर हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाते हुए सुधियां मामी के हाथों से मुठ मरवा रहा था। उसे बहुत मजा आ रहा था साथ में सुधियां भी मस्त हुए जा रही थी।,, इसलिए तो उसकी हाथों की गति बढ़ती जा रही थी लेकिन वह इस बात से भी बेहद हैरान थी कि काफी समय से वह अपने भांजे के लंड को हिला रही थी लेकिन अभी तक उसमें से पानी नहीं निकला था।
दोनों के बीच कुछ देर तक खामोशी छाई रही कमरे का वातावरण गर्मी के मौसम में और भी ज्यादा तपने लगा था। वैसे कमरे में वातावरण की गर्मी से कहीं ज्यादा सुधियां मामीे की खूबसूरत बदन की गर्मी अपना असर दिखा रही थी।,,, जब सूरज कुछ नहीं बोला तो वह खुद ही चुप्पी तोड़ते हुए बोली,,,

क्या सूरज जो तू कह रहा है क्या वह बिल्कुल सच है,,,

कसम से सुधियां मामी (अपने गले पर हाथ रखते हुए ),, मैं जो कह रहा हूं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,,

तो क्या सच में वह औरत तेरे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी।
( सुधियां मामी भी गंदे शब्दों का प्रयोग रह-रहकर एकदम खुलकर कर रही थी,।)

हां सुधियां मामी मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि वह औरत इस तरह की हरकत कर सकती हैं,,,

उसे कैसा लग रहा था?

जिस तरह से वह आवाज निकाल रही थी उस हिसाब से तो उसे अच्छा ही लग रहा था और वह तो बोल भी रही थी कि उसे लंड चूसने में बहुत मजा आता है। और जब मैं उसे बोला कि यह तो गंदा काम है ऐसा क्यों करती हो,,, तो वह क्या बोली तुम्हें मालूम है,,,
( सूरज की बातें सुनकर सुधियां की उत्तेजना से भर चुकी थी इसलिए उसके मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे वह केवल सिर हिला कर सूरज कोे वह क्या बोली यह इशारे में बताई,,,, सुधियां मामी की उत्सुकता देखकर सूरज बोला,,।)

वह बोली की ( हल्के हल्के अपनी कमर हिलाते हुए)
तू अभी बुध्दु है तुझे नहीं पता कि लंड चूसने में औरतों को कितना मजा आता है। और सच तो यही है कि चुदवाने से पहले अगर औरत लंड चूस कर खड़ा कर दे दो आदमी उसे और मस्ती के साथ चोदता है जिससे उसका मजा दोगुना हो जाता है,,,
( सूरज की रसीली बातें सुनकर वह किसी कल्पना में जैसे खोने लगी हो,, इस तरह से उसके हाव-भाव बदल रहे थे। वह बोल कुछ नहीं रही थी बस केवल जोर-जोर से सूरज के लंड को हिलाए जा रही थी।,,, सूरज सुधियां मामी को ख्यालों में खोया हुआ देखकर फिर से बोला,,,
 
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सच में सुधियां मामी तुमने कभी भी ऐसा नहीं की,,,
( बोली कुछ नहीं केवल ना में सिर हिला कर जवाब दि,,,)

क्या सुधियां मामी,,,, जिस तरह से वह औरत बता रही थी मुझे तो ऐसा लगता है कि सारी औरतें चुदवाने से पहले आदमी के लंड को जरूर चुस्ती है,,,

लेकिन मैंने कभी नहीं चुसी (वह तपाक से बोली),,,

मुझे तो लग रहा था कि आप भी उस औरत के कहे अनुसार जरूर लंड चूसती होंगी,,,

अच्छा यह बता तुझे कैसा लग रहा था।( चेहरे पर उत्तेजना के भाव लिए हुए वह बोली,,,)

सुधियां मामी सच कहूं तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि औरते इस तरह की भी हरकत करती होंगी,,,, लेकिन एक अजीब प्रकार का सुख मुझे मिल रही था। जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता,,
( सूरज की रसीली बातों की चोट उसकी बुर के गुलाबी पत्तियों पर ठोकर मार रही थी,,, उसे तो इस तरह की बातें सुनकर ही परम सुख की अनुभूति हो रही थी तभी तो उसकी बूर से निकल रहे मदन रस की वजह से उसका बिस्तर गीला होने लगा था,,, वहल सूरज के मुंह से और ज्यादा सुनना चाहती थी इसलिए बोली,,,।)

कैसा सुख तुझे मिल रहा था मुझे भी बताएगा,,,

सुधियां मामी अब मै तुम्हें कैसे बताऊं कि किस तरह का सुख मुझे मिल रहा था मैं कह तो रहा हूं जिंदगी में पहली बार वैसे सुख का एहसास मुझे हुआ था इसलिए बता पाना बिल्कुल ही मुश्किल है। कुछ इस तरह का सवाल तुम मुझसे पूछ रही हो यही सवाल मैं उस औरत से पूछा तो उसने भी मुझे इसी तरह का जवाब दी थी तो इतना तो तय है कि लंड चूसने में ओर चुसवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति होती है,,,,
( इतना कहकर सूरज एकदम शांत हो गया पूरे कमरे में सन्नाटा पसर गया ना तो सुधियां मामी कुछ बोल रही थी और ना ही सूरज,,,
सूरज अपने मन में आगे का प्लान बना रहा था वैसे भी कमरे का नजारा उत्तेजना से भरपूर था उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी सुधियां मामी बिस्तर पर इस तरह से अर्धनग्न अवस्था में बैठी होगी और ठीक उसके करीब वह अपना लंड उसके हाथ में दिए हुए खड़ा होगा,,, सूरज सुधियां मामी के चेहरे पर के हाव भाव को पढ़ रहा था जिस पर से साफ मालूम पड़ रहा था कि लंड को मुंह में लेकर चूसने की उत्सुकता उसके मन में भी बढ़ रही है,,, इसलिए वह बात को आगे ना बढ़ा कर सीधे सीधे बोल दिया,,

एक काम क्यों नहीं करती सुधियां मामी,,, अब देखो मैं तुम्हें बता नहीं पा रहा हूं कि मुझे लंड चुसवाने में कितना मजा मिल रहा था और यह भी बयां नहीं कर पा रहा हूं कि उस औरत को कितना ज्यादा मज़ा आ रहा था,,, तो क्यों ना ऐसा करें कि,,
( थोड़ा सोच कर)
अब पता नहीं तुम्हें मेरी बात कैसी लगेगी हो सकता है तुम नाराज भी हो जाओ लेकिन,,,,लेकीन,,, ( इतना कहकर सूरज फिर से खामोश हो गया,,, सूरज जिस तरह से बोल रहा था उसकी सुधियां मामी को थोड़ा बहुत शंका जरूर हो रहा था कि वह क्या कहना चाहता है,, और जो वह कहना चाहता है इस बारे में सोच कर ही उसकी बुर से पानी की बूंदे टपकने लगी,,, और वह बोली,,,)

तू कहना क्या चाहता है जरा खुल कर बोल,,,

सुधियां मामी मैं यह कहना चाहता हूं कि,,, पहले यह बताओ कि तुम्हें अगर बुरा लगेगा तो तुम मुझे डांटोगी नहीं,,,

अच्छा चल मैं तुझे कुछ भी नहीं बोलूंगी (कुछ सेकंड तक सोचने के बाद बोली।)

देखो सुधियां मामी तुम वादा की हो इसलिए मुझे कुछ बोलना नहीं यह बात मेरे मन में आई इसलिए बोल रहा हूं,,,
उस औरत को कितना मजा आया अगर यह जानना है तो,,,,,, तो क्यों ना सिर्फ एक बार ज्यादा नहीं बस एक बार,, तुम मेरे लंड को (लंड की तरफ देखते हुए) मुंह में ले कर देख लो,,,
( इतना सुनते ही जैसे कि उसकी फूली हुई बुर जोर जोर से सांस ले रही हो इस तरह से फुदकने लगी,,, उसे खुद के द्वारा लंड चूसने के बाद से ही इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होने लगा कि वह झड़ गई,,, उसका तनबदन एक दम से कसमसा गया। उसकी मुट्ठी एकाएक सूरज के लंड पर कसती चली गई,,, और इतना ज्यादा करती चली गई थी कुछ देर में ही सूरज के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और अगर वह मुंह से चीख नहीं निकालता तो शायद उसकी सुधियां मामी और ज्यादा दबाती चली जाती,,, सूरज की चीख सुनकर जैसे उसका ध्यान टूटा हो इस तरह से वह सूरज की तरफ देखने लगी,,, सुधियां मामी को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर वह बोला,,,

क्या करती हो सुधियां मामी कितना दर्द करने लगा था,,,
( सूरज की बात सुनकर वह शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाई,, वह बातों का मोड़ घुमाते हुए बोली,,,)

लेकिन सूरज मैंने कभी भी जिंदगी में जो तू बोल रहा है वैसा नहीं की हूं।

मैं जानता हूं सुधियां मामी लेकिन हर काम जिंदगी में पहली बार ही किया जाता है अब देखो ना मुझे क्या मालूम था कि वह औरत मेरे साथ उस तरह का काम करेगी वह भी तो मेरे साथ पहली बार ही कर रही थी,,

सूरज सुधियां मामी को अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से बहला रहा था। और सुधियां भी अपनी ऊफान मारती जवानी पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। वह मन ही मन सोच रही थी कि अगर सुबह जो कह रहा है सच है तो उसे भी एक बार आजमा ही लेना चाहिए हो सकता है औरतों को इसमें कुछ ज्यादा ही सुख मिलता हो,,,,
वह अपने आप को सूरज के लंड को अपने मुंह में लेने के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी।,,, वह तो एक झटके में ही सूरज के लंड को पूरी तरह से अपने गले में उतार लेना चाहती थी लेकिन शर्म की दीवार उसे रोक रही थी,,, वह चाह रही थी कि सूरज खुद अपने लंड को उसके मुंह में डालें ताकि उसे खुद पर शर्मिंदा ना होना पड़े,,, इसलिए वह उत्तेजना से भर कर सूरज के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़कर आगे की तरफ खींच रही थी जिसकी वजह से सूरज को बहुत मजा आ रहा था लेकिन सुधियां मामी को कुछ भी जवाब देता हुआ ना देख कर एक बार फिर से वह बोला

क्या हुआ मामी,,, तुम खामोश क्यों हो गई आखिरकार तुम्हें भी अनुभव ले लेना चाहिए औरत होकर अगर औरतों वाली हरकत और औरतों के हक़ का सुख ना मिल पाए तो ऐसी जिंदगी किस काम की,,,

लेकिन सूरज मुझे बहुत शर्म आ रही है मैंने कभी भी ऐसा नहीं की और अगर किसी को पता चल गया तो,,,
( सुधियां मामी सूरज की बात सुनकर बोली,,, यह उसका पहली बार ही था इसलिए मन में थोड़ा डर बना हुआ था लेकिन औरतों के मुंह से यह कहना कि अगर किसी को पता चल गया कोई देख लिया कुछ हो गया इन सब बातों का एक ही मतलब होता है कि औरत पूरी तरह से तैयार है और एक बात को सूरज भी अच्छी तरह से समझ गया था और यह भी समझ गया था कि उसे खुद ही आगे बढ़ना होगा,,, इसलिए वह बोला।)

क्या सुधियां मामी बेवजह डर रही हो किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा,,, बस तुम एक बार हां कर दो बाकी सब मैं संभाल लूंगा,,,

( सूरज की बात सुनकर उसे थोड़ी हिम्मत आई लेकिन जवाब मे वह कुछ भी नहीं बोली,,, बस हल्का सा इशारा रुपी हामी भरते हुए वह अपने बंद होठों को सूरज की नजरों में झांकते हुए हल्के से खोल दी,, सूरज सुधियां मामी का इशारा समझ गया,, वह समझ गया था कि सुधियां मामी को शर्म महसूस हो रही है लेकिन वह भी अपने मुंह में लेना ही चाहती है,,, अब उसे समझाने में अपना वक्त जाया नहीं करना चाहता था इसलिए बिना कुछ बोले,,, एक हाथ से सुधियां मामी का हाथ पकड़कर अपने लंड के ऊपर से हटाया और धीरे धीरे अपनी कमर वाला भाग आगे की तरफ बढ़ाने लगा सुधियां मामी सूरज की इस हरकत का मतलब समझ गई थी,,,
उत्तेजना और उत्सुकता के मारे उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, अब हालत यह हो गई थी कि वह चाहती तो भी सूरज को आगे बढने से रोक नहीं पाती धीरे धीरे सूरज का मूसल जैसा लंड उसके मुंह के बिल्कुल करीब आ गया था। इतना करीब कि सुपाड़े की गर्मी उसे अपने होठों पर महसुस हो रही थी कामोत्तेजना से भरी हुई सुधियां की बुर फुदकने लगी थी।,,, सूरज का दिल भी जोरों से धड़क रहा था।
 

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