सूरज की जिंदगी में अब तक यह तीसरी औरत थी जो उसके लंड को चूसने जा रही थी। इससे पहले सूरज ने अपने लंड को दो औरतों को चुसवा चुका था। एक उसकी खुद की सगी मामी थी और दूसरी थी उसकी सहेली मंजू औरत तीसरी औरत सुधियां मामी,,, जिसके तपते गुलाबी होठों के बिल्कुल करीब अपने मोटे तगड़े लंड को ला चुका था जिसकी तपीश सुधियां अपने रसीले होठों पर महसूस कर रही थी,, जिंदगी में पहली बार आज वह लंड को अपने होटों के इतने करीब तक महसूस की थी वरना उसने तो लंड को अगर पकड़ी भी थी तो अंधेरे में ही,,,
और वह भी अपनी जांघो के बीच तक ही,,, इसलिए तो अजीब सी हलचल उसके बदन में मच रही थी देखते ही देखते सूरज ने अपने लंड के मोटे सुपाड़े को सुधियां मामी के गुलाबी होठों से सटा दिया,,,,
जैसे ही लंड को मोटा सुपाड़ा उसके होठों से स्पर्श हुआ एकाएक उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर पूरी तरह से अपने वश में करते हुए जकड़ ली,,, उसे तो जैसे कुछ पता ही नहीं चला वह तों वैसे ही जड़वंत होकर अपने होठों को हल्के से खोले हुए सूरज की आंखों में ही देखती रह गई,,,
सूरज उत्तेजना की लहर में बहने लगा था सुधियां मामी के गुलाबी नरम नरम होठों पर अपने मोटे लंड के गर्म सुपाड़े को स्पर्श करा कर ऐसा महसूस कर रहा था कि जैसे बोले कोई बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो अपनी खुशी को वह जाहिर नहीं कर सकता था,,, केवल उसे महसूस कर पा रहा था वह पहले तो अपने लंड के सुपाड़ेे को हल्के हल्के से उसके गुलाबी होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया,,, जिसकी वजह से उत्तेजना के मारे ऊसके मोटे लंड में रक्त का संचार बड़ी तीव्र गति से होने लगा और उसकी नशे लंड की ऊपरी सतह पर ऊभरना शुरू हो गई। उसे लगने लगा कि कहीं उसकी नसें फट ना जाए वह कुछ देर तक वैसे ही होठों से लंड का सुपाड़ा रगड़कर खेलता रहा,,,
सुधिया भी इस अद्भुत एहसास को अपने अंदर उतारते हुए मदहोशी का अनुभव करते हुए आनंदित होकर अपनी आंखों को मूंद ली और इस एहसास को अपने तन बदन मैं हल्के हल्के उतारने लगे उसे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि वह कुछ बोल नहीं पा रही थी बस उसकी सांसों की गति तीव्र होने लगी थी। होठो पर जेसेे उसका बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं रह गया था,,, सूरज अपने मोटे से लंड के जरिए जिधर चाहे उधर उसके नरम नरम होठों के रुख को मोड़ दे रहा था,,, मदहोशी के आलम के बीच हल्के से खुले होठों पर अपने कठोर लंड को रगड़ते रगड़ते इतना ज्यादा मदहोश हो गया कि वह धीरे से मोटे कपड़े को गुलाबी होठों के बीच प्रवेश कराने लगा,,,
सुधियां के होंठ बस इतने ही खुले थे कि उसमें सिर्फ एक उंगली भर जा सकती थी लेकिन जैसे ही सूरज ने सुपाड़े को अंदर डालने का प्रयास किया वैसे ही खुद-ब-खुद उसके गुलाबी होंठ खुलते चले गए,,, क्योंकि सुधियां भी यही चाहती थी जो कि सूरज चाहता था। उत्तेजना और उत्सुकता इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि जल्द से जल्द उसकी मामी लंड के अद्भुत स्वाद को चख लेना चाहती थी इसलिए तो सूरज जैसे-जैसे अपने लंड को सुपाड़े को अंदर की तरफ ठेलता गया वैसे ही वैसे उसके गुलाबी होठों का रास्ता अपने आप चौड़ा होता चला गया,,,,
जो कि इस बात को जाहिर कर रही थी कि सुधियां मामी भी उसके लंड को मुंह में लेने के लिए आतुर है। सूरज का पूरा सुपााड़ा उसके गुलाबी होठों के बीच फंसा हुआ था। अब क्या करना है सुधियां को इस बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन सूरज जानता था कि सुधियां मामी से कैसे काम निकलवाना है,, सुधियां तो शर्म के मारे अभी भी अपनी आंखों को मूंदे हुए बस वैसे ही लंड को अपने होंठों के बीच फसाए हुए बैठी थी। सूरज की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी,,, वह तो सूरज था कि इतनी देर तक टिका हुआ था वरना उसकी जगह कोई और होता तो ना जाने कब से पानी फेंक दिया होता। अपनी उत्तेजना को अपने वश में कर कर औरत को किस तरह से मुक्त किया जाता है सूरज पूरी तरह से सीख चुका था और यही हुनर तो औरतों को उसका दीवाना बना देती थी। कुछ देर तक यूही नरम-नरम होठों के एहसास को अपने मोटे सुपाड़े पर महसूस करके सूरज मदहोश होने लगा,,,। और दूसरी तरफ सुधियां भी पूरी तरह से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस ना चाहती थी लेकिन उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह खुद आगे बढ़ना नहीं चाहती थी।,,, सूरज समझ गया कि सुधिया मामी में शर्म आ रही है और वह खुद आगे बढ़ने से कतरा रही हैं,,, इसलिए वह खुद ही बोला,,,
क्या हुआ मामी अब चुसो ना,,,,, देखो पहले अपनी जीभ को सुपाड़े पर गोल गोल इधर-उधर घूमाओ,,,,
( सूरज की यह बात सुनते ही जैसे उसे दिशा निर्देश मिला हो और वह सब कुछ समझ गई और धीरे-धीरे अपने जीभ को लंड के सुपाड़े के इर्द-गिर्द घुमाना शुरू कर दी।,,,,
बस ऐसे ही सुधियां मामी,, ऐसे ही अपनी जीभ को फिराती रहो, जैसे कि आइसक्रीम पर घुमाती हो,,,,,आहहहहहहहह,,,,, सुधियां मामी,,,, तुम तो बहुत अच्छा कर रही हो बस ऐसे ही करती रहो,,,
( सूरज मदहोश है क्या हुआ उसकी तारीफ कर रहा था ताकि वह और मस्ती के साथ उसके लंड को चुसे,,, और जैसा वह चाह रहा था वैसा हो भी रहा था। देखते ही देखते वह इतनी मस्ती के साथ उसके लंड के सुपाड़े को चूसना शुरू कर दी कि लग ही नहीं रहा था कि यह पहली बार चूस रही है। सूरज तो एकदम मदहोशी के झूले में झूलने लगा था उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह उसकी सुधियां मामी है। अब तक सुधियां मामी केवल सुपाड़े को ही चुस रही थी। सूरज अब सुधियां मामी के मुंह में अपना पूरा लंड डालकर चुशवाना चाहता था।,,,
लेकिन पहले यह जानना जरूरी था कि उसे मजा आ रहा है कि नहीं लेकिन अनुभवी सूरज को इतना तो ज्ञात हो चुका था कि लंड चूसने में सुधियां मामी को भी मजा आ रहा है। फिर भी यह बात वहां उसके मुंह से यही सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,।
ओहहहहहह,,, सुधियां मामी अब बताओ तुम्हें कैसा लग रहा है,,,?
( इतना सुनते ही उसकी सुधियां मामी सक पका गई,, अब अच्छा तो उसे भी लग रहा था लेकिन ऐसे कैसे बोल दे कि उसे मजा आ रहा है वैसे भी मर्दों को अक्सर शर्मीली औरतों के कुछ ज्यादा ही नखरे उठाने पड़ते हैं। इसलिए वह बोली कुछ नहीं बस उसी तरह से अपनी जीभ को लंड की गोलाई पर गोल गोल घुमाती रही।,, जो बात सूरज अपने मन में सोच रहा था वही हुआ इसलिए वह बोला,,,,।
सुधियां मामी अगर बोलने में शर्म आ रही हो तो कुछ इशारा ही कर दो ताकि मुझे भी तो लगे कि तुम्हें मजा आ रहा है,,
( इस बार सूरज नहीं उसका काम आसान कर दिया इसलिए वह मुंह में सुपाड़े को भरे हुए अपने सिर को हां में हिला दी बस फिर क्या था उसकी तरफ से सूरज के लिए यह एक खुली छूट थी,, इसलिए वह बिना समय गवाएं ही अपनी कमर को आगे की तरफ करते हुए धीरे-धीरे अपने लंड को,,, उसके मुंह में उतारने लगा,, वह भी समझ गई थी सूरज क्या करना चाहता है इसलिए वह उत्तेजनात्मक रूप से सांसे भरते हुए धीरे-धीरे अपने मुंह में अपने भांजे के लंड का स्वागत करते हुए अंदर लेने लगी। कुछ ही सेकंड में सूरज ने अपना बड़ा लंड अपनी सुधियां मामी के मुंह में डाल दिया,,,,
उसकी सुधियां मामी को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि लंड चूसने में इतना ज्यादा मजा आता है।,,, मन में यह बात भी उसे परेशान कर रही थी कि उसके पति ने इस तरह का सुख उसे कभी भी नहीं दिया।,,, इसलिए तो वह मजे ले लेकर सूरज के लंड को चुसना शुरू कर दी,, सूरज की तो हालत पल पल खराब होने लगी,, उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि सुधियां मामी इतने अच्छे तरीके से लंड को चूसेगी,, जब-जब उसकी जीभ ऊपर से नीचे की तरफ गोलाई में घूमती थी तो सूरज को ऐसा महसूस हो रहा था कि वह हवा में झूल रहा हो।,,, सूरज से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी उंगलियां उसके रेशमी बालों में उलझाकर हल्के हल्के सहलाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,, सूरज की इस तरह की हरकत से सुधियां एकदम से मस्त होने लगी,,,, उत्तेजना से भरपूर सूरज कभी-कभी तो अपने बड़े लंड को उसके गले तक उतार देता जिसकी वजह से उसकी सांसे रुँधने लगती,,, लेकिन फिर भी वह लंड को बाहर निकालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,,, कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था। गर्मी के मौसम में बदन की तपिश दोनों से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रही थी जिसकी वजह से दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।
जिस तरह का माहौल बन चुका था उसे देखते हो एकदम पूरी तरह से छूट ले रहा था तभी तो वह अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियो को दबाना शुरु कर दिया था,,,
सुधिया भी उत्तेजना से परिपूर्ण हो चुकी थी इसलिए तो उसे बिल्कुल भी नहीं रोकी और देखते ही देखते सूरज ने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया वैसे भी सुधियां ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनती थी इसलिए ब्लाउज के बटन खोलते ही उसके दोनों चूचियां पके हुए पपीते की तरह लटकने लगे,,,,
चुचियों का आकार पपीते की ही तरह था जिसे देखते ही सूरज के मुंह में पानी आने लगा,,, सूरज उन चूचियों को अपने मुंह में भर कर पीना चाहता था लेकिन इस समय वह लंड चुसाई में उलझा हुआ था जिसकी वजह से सुधियां मामी की चुचियों तक सिर्फ उसके हाथ ही पहुंच पा रहे थे। फिर भी अपनी प्यास बुझाते हुए वहां सुधियां मामी की बड़ी बड़ी चूचियां को जोर-जोर से दबाता हुआ हल्के-हल्के अपनी कमर भी हीला रहा था। सूरज के साथ साथ सुधियां मामी का भी मजा दोगुना होता जा रहा था,,,, कुछ देर तक ऐसे ही सूरज सुधियां मामी को अपना लंड चुसाकर और उसकी चूचियों को दबा दबा कर मजा लेता रहा और उसे मजा भी देता रहा,,, जितनी मस्ती के साथ सूरज चुचीयों को दबा रहा था, शायद ही उसके पति ने दबाया हो,,,, सूरज को ऐसा लगने लगा था कि कुछ देर तक अगर उसका लंड सुधियां मामी ने चुसा तो उसका पानी निकल जाएगा और सूरज ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था।
इसलिए सूरज ने अपने लंड को मुंह में से बाहर खींच लिया जो कि जिसकी उम्मीद सुधियां को बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि ऊसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह चाहती थी कि ऐसे ही उसका लंड चूसती रहे।,,,,
जैसे ही उसके मुंह से मोटा तगड़ा लंड बाहर निकला वह जोर जोर से सांसे लेते हुए हांफने लगी। मुंह से लंड बाहर निकल जाने के बावजूद भी वह ललचाई नजरों से सूरज के लंड की तरफ ही देख रही थी जोकि उस के थुक ओर लार से पूरी तरह से सना हुआ था,,
सुधियां मामी का मुंह खुला का खुला रह गया था। उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया था। सूरज अपनी सुधियां मामी की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था और हांफते हुए बोला,,,
अब बोलो सुधियां मामी कैसा लगा,,,,
( जवाब में उसकी सुधियां मामी मुस्कुराने लगी लेकिन बोली कुछ नहीं तभी उसका ध्यान उसके खुले हुए ब्लाउज पर गया तो वह आश्चर्य भरी नजरों से सूरज की तरफ देखने लगे सूरज भी अपनी सुधियां मामी के चेहरे पर आए भाव को समझ रहा था,,, इस बार वह थोड़ी गुस्से में देख रही थी क्योंकि मन ही मन सोच रही थी कि ईसकी इतनी हिम्मत हो गई कि अपने आप ही ब्लाउज के बटन खोलकर अपनी मनमानी करने लगा,,,
सूरज को भी ऐसा लगने लगा कि वह उसे गुस्से मे हीं देख रही है इसलिए थोड़ा सा भयभीत हो गया,,, लेकिन तभी हालात और माहौल को देखते हुए सुधियां भी हंसने लगे अपनी सुधियां मामी को हंसते हुए देखकर सूरज को राहत हुई,,, हंसते हुए हैं अपने ब्लाउज के बटन को वापस बंद करते हुए बोली,,,
यह तूने कब खोल दिया,,,,
( उसका इतना कहना ही था कि सूरज ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,।)
रहने दो ना सुधियां मामी ये वैसे ही बहुत खूबसूरत लगते हैं,,
( सूरज का इतना कहना था कि उसके हाथ खुद-ब-खुद रुक गए और वहां एक बटन को बंद कर चुकी थी लेकिन सूरज की बात सुनकर वह तुरंत उस बटन को भी खोल दी,, सूरज की आंखों में छाई खुमारी को वह साफ साफ पढ़ पा रही थी,,, उसकी आंखों में छाई मस्ती को देखकर वह मन ही मन सोचने लगी थी इस तरह का प्यार उसका पति क्यों नहीं दे पाता,,, वह सब सोच ही रही थी कि तभी सूरज अपना हाथ आगे बढ़ा कर पपाया सामान चूची को पकड़कर दबाने लगा,,, उसकी हरकत से ईस बार उसके मुंह से सिसकारी छूट गई,।
ससससहहहहह,,,, सूरज यह क्या कर रहा है । (मस्ती भरी आवाज में बोली।,, जो कि उसे रोकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रहे थे सूरज भी उसकी आवाज में छुपी हुई मदहोशी को भांप गया था,,, और रुके बिना ही दोनों हाथ से जोर जोर से चुचियों को दबाते हुए बोला,,,
दबा रहा हूं सुधियां मामी,,, ना जाने मुझे क्यों इन्हें दबाने में बहुत मजा आता है। मैं उस मौसी के चुचीयों को भी जोर-जोर से घंटो दबाता रहता था।
दबाता ही रहता था या और कुछ भी करता था,,,,
( सूरज अपनी सुधियां मामी की बात सुनकर इतना तो समझ ही गया था कि उनका इरादा कुछ और भी है क्योंकि यह सवाल में सवाल कम हिदायत ज्यादा नजर आ रही थी जो कि सूरज अच्छी तरह से समझ गया था,,इसलिए
वह भी बोला,,,।)
सच कहूं तो सुधियां मामी दबाने में तो मजा आता ही है लेकिन मुंह लगाकर पीने में और भी ज्यादा मजा आता है।
( सूरज का जवाब सुनकर सुधियां की बांछे खिल गई,,, क्योंकि उसे अपनी शादी वाली रात याद है जब उसके पति ने पहली बार और आखरी बार ही उसकी चूची को मुंह में लेकर खूब पिया था,,, सूरज की बातों में उसकी यादों को ताजा कर दी और वह भी चाहने लगी कि सूरज भी उसकी चूची को मुंह में लेकर खुब पीए,,, इसलिए तो सूरज की बात सुनकर बिना कुछ सोचे समझे ज्यादा विचार ना करके वह सीधे बोली,,,।)
तो तो मेरे साथ भी अपनी इच्छा पूरी कर ले दबाने के साथ-साथ इसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पी,,,,
( फिर क्या था उसी पल का तो वह भी इंतजार कर रहा था और इसकी इजाजत मिलते ही सूरज तो जैसे चुचीयो पर टूट ही पड़ा,,, वह जोर-जोर से दबाते हुए जितना हो सकता था उतना चुची के निप्पल वाला हिस्सा अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,। सुधियां तो एकदम मदहोश हो गई,, पागलों की तरह एकदम कामोत्तेजित होकर सूरज को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी चूची पीने के लिए और ज्यादा उत्साहित करने लगी,,, सूरज भी जोर-जोर से चूची को दबाते हुए स्तन मर्दन करते हुए चुची के रस को पीना शुरू कर दिया।,, सूरज इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि थोड़ी ही देर में उसकी बड़ी-बड़ी पपीते समान चुचीया एकदम लाल लाल हो गई है ऐसा लग रहा था कि पापैया पक गया हो।,,, सूरज जिस तरह से मुंह में भरकर उसके निप्पल को,, चूस रहा था सुधियां को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। वैसै भी चुची को दबाने और उसे चुसने पर औरतों की उत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी होती रहती है। सूरज की सुधियां मामी भी उसी तरह से मजे लेते हुए एकदम चुदवासी होती जा रही थी,,,। तभी वह स्तन चूसाई का मजा लेते हुए बोली,,,
अच्छा मुझे यह बता कि तूने उस औरत के साथ और क्या-क्या करके मजा लिया,,,,
और वह भी अपनी जांघो के बीच तक ही,,, इसलिए तो अजीब सी हलचल उसके बदन में मच रही थी देखते ही देखते सूरज ने अपने लंड के मोटे सुपाड़े को सुधियां मामी के गुलाबी होठों से सटा दिया,,,,
जैसे ही लंड को मोटा सुपाड़ा उसके होठों से स्पर्श हुआ एकाएक उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर पूरी तरह से अपने वश में करते हुए जकड़ ली,,, उसे तो जैसे कुछ पता ही नहीं चला वह तों वैसे ही जड़वंत होकर अपने होठों को हल्के से खोले हुए सूरज की आंखों में ही देखती रह गई,,,
सूरज उत्तेजना की लहर में बहने लगा था सुधियां मामी के गुलाबी नरम नरम होठों पर अपने मोटे लंड के गर्म सुपाड़े को स्पर्श करा कर ऐसा महसूस कर रहा था कि जैसे बोले कोई बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो अपनी खुशी को वह जाहिर नहीं कर सकता था,,, केवल उसे महसूस कर पा रहा था वह पहले तो अपने लंड के सुपाड़ेे को हल्के हल्के से उसके गुलाबी होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया,,, जिसकी वजह से उत्तेजना के मारे ऊसके मोटे लंड में रक्त का संचार बड़ी तीव्र गति से होने लगा और उसकी नशे लंड की ऊपरी सतह पर ऊभरना शुरू हो गई। उसे लगने लगा कि कहीं उसकी नसें फट ना जाए वह कुछ देर तक वैसे ही होठों से लंड का सुपाड़ा रगड़कर खेलता रहा,,,
सुधिया भी इस अद्भुत एहसास को अपने अंदर उतारते हुए मदहोशी का अनुभव करते हुए आनंदित होकर अपनी आंखों को मूंद ली और इस एहसास को अपने तन बदन मैं हल्के हल्के उतारने लगे उसे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि वह कुछ बोल नहीं पा रही थी बस उसकी सांसों की गति तीव्र होने लगी थी। होठो पर जेसेे उसका बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं रह गया था,,, सूरज अपने मोटे से लंड के जरिए जिधर चाहे उधर उसके नरम नरम होठों के रुख को मोड़ दे रहा था,,, मदहोशी के आलम के बीच हल्के से खुले होठों पर अपने कठोर लंड को रगड़ते रगड़ते इतना ज्यादा मदहोश हो गया कि वह धीरे से मोटे कपड़े को गुलाबी होठों के बीच प्रवेश कराने लगा,,,
सुधियां के होंठ बस इतने ही खुले थे कि उसमें सिर्फ एक उंगली भर जा सकती थी लेकिन जैसे ही सूरज ने सुपाड़े को अंदर डालने का प्रयास किया वैसे ही खुद-ब-खुद उसके गुलाबी होंठ खुलते चले गए,,, क्योंकि सुधियां भी यही चाहती थी जो कि सूरज चाहता था। उत्तेजना और उत्सुकता इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि जल्द से जल्द उसकी मामी लंड के अद्भुत स्वाद को चख लेना चाहती थी इसलिए तो सूरज जैसे-जैसे अपने लंड को सुपाड़े को अंदर की तरफ ठेलता गया वैसे ही वैसे उसके गुलाबी होठों का रास्ता अपने आप चौड़ा होता चला गया,,,,
जो कि इस बात को जाहिर कर रही थी कि सुधियां मामी भी उसके लंड को मुंह में लेने के लिए आतुर है। सूरज का पूरा सुपााड़ा उसके गुलाबी होठों के बीच फंसा हुआ था। अब क्या करना है सुधियां को इस बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन सूरज जानता था कि सुधियां मामी से कैसे काम निकलवाना है,, सुधियां तो शर्म के मारे अभी भी अपनी आंखों को मूंदे हुए बस वैसे ही लंड को अपने होंठों के बीच फसाए हुए बैठी थी। सूरज की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी,,, वह तो सूरज था कि इतनी देर तक टिका हुआ था वरना उसकी जगह कोई और होता तो ना जाने कब से पानी फेंक दिया होता। अपनी उत्तेजना को अपने वश में कर कर औरत को किस तरह से मुक्त किया जाता है सूरज पूरी तरह से सीख चुका था और यही हुनर तो औरतों को उसका दीवाना बना देती थी। कुछ देर तक यूही नरम-नरम होठों के एहसास को अपने मोटे सुपाड़े पर महसूस करके सूरज मदहोश होने लगा,,,। और दूसरी तरफ सुधियां भी पूरी तरह से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस ना चाहती थी लेकिन उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह खुद आगे बढ़ना नहीं चाहती थी।,,, सूरज समझ गया कि सुधिया मामी में शर्म आ रही है और वह खुद आगे बढ़ने से कतरा रही हैं,,, इसलिए वह खुद ही बोला,,,
क्या हुआ मामी अब चुसो ना,,,,, देखो पहले अपनी जीभ को सुपाड़े पर गोल गोल इधर-उधर घूमाओ,,,,
( सूरज की यह बात सुनते ही जैसे उसे दिशा निर्देश मिला हो और वह सब कुछ समझ गई और धीरे-धीरे अपने जीभ को लंड के सुपाड़े के इर्द-गिर्द घुमाना शुरू कर दी।,,,,
बस ऐसे ही सुधियां मामी,, ऐसे ही अपनी जीभ को फिराती रहो, जैसे कि आइसक्रीम पर घुमाती हो,,,,,आहहहहहहहह,,,,, सुधियां मामी,,,, तुम तो बहुत अच्छा कर रही हो बस ऐसे ही करती रहो,,,
( सूरज मदहोश है क्या हुआ उसकी तारीफ कर रहा था ताकि वह और मस्ती के साथ उसके लंड को चुसे,,, और जैसा वह चाह रहा था वैसा हो भी रहा था। देखते ही देखते वह इतनी मस्ती के साथ उसके लंड के सुपाड़े को चूसना शुरू कर दी कि लग ही नहीं रहा था कि यह पहली बार चूस रही है। सूरज तो एकदम मदहोशी के झूले में झूलने लगा था उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह उसकी सुधियां मामी है। अब तक सुधियां मामी केवल सुपाड़े को ही चुस रही थी। सूरज अब सुधियां मामी के मुंह में अपना पूरा लंड डालकर चुशवाना चाहता था।,,,
लेकिन पहले यह जानना जरूरी था कि उसे मजा आ रहा है कि नहीं लेकिन अनुभवी सूरज को इतना तो ज्ञात हो चुका था कि लंड चूसने में सुधियां मामी को भी मजा आ रहा है। फिर भी यह बात वहां उसके मुंह से यही सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,।
ओहहहहहह,,, सुधियां मामी अब बताओ तुम्हें कैसा लग रहा है,,,?
( इतना सुनते ही उसकी सुधियां मामी सक पका गई,, अब अच्छा तो उसे भी लग रहा था लेकिन ऐसे कैसे बोल दे कि उसे मजा आ रहा है वैसे भी मर्दों को अक्सर शर्मीली औरतों के कुछ ज्यादा ही नखरे उठाने पड़ते हैं। इसलिए वह बोली कुछ नहीं बस उसी तरह से अपनी जीभ को लंड की गोलाई पर गोल गोल घुमाती रही।,, जो बात सूरज अपने मन में सोच रहा था वही हुआ इसलिए वह बोला,,,,।
सुधियां मामी अगर बोलने में शर्म आ रही हो तो कुछ इशारा ही कर दो ताकि मुझे भी तो लगे कि तुम्हें मजा आ रहा है,,
( इस बार सूरज नहीं उसका काम आसान कर दिया इसलिए वह मुंह में सुपाड़े को भरे हुए अपने सिर को हां में हिला दी बस फिर क्या था उसकी तरफ से सूरज के लिए यह एक खुली छूट थी,, इसलिए वह बिना समय गवाएं ही अपनी कमर को आगे की तरफ करते हुए धीरे-धीरे अपने लंड को,,, उसके मुंह में उतारने लगा,, वह भी समझ गई थी सूरज क्या करना चाहता है इसलिए वह उत्तेजनात्मक रूप से सांसे भरते हुए धीरे-धीरे अपने मुंह में अपने भांजे के लंड का स्वागत करते हुए अंदर लेने लगी। कुछ ही सेकंड में सूरज ने अपना बड़ा लंड अपनी सुधियां मामी के मुंह में डाल दिया,,,,
उसकी सुधियां मामी को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि लंड चूसने में इतना ज्यादा मजा आता है।,,, मन में यह बात भी उसे परेशान कर रही थी कि उसके पति ने इस तरह का सुख उसे कभी भी नहीं दिया।,,, इसलिए तो वह मजे ले लेकर सूरज के लंड को चुसना शुरू कर दी,, सूरज की तो हालत पल पल खराब होने लगी,, उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि सुधियां मामी इतने अच्छे तरीके से लंड को चूसेगी,, जब-जब उसकी जीभ ऊपर से नीचे की तरफ गोलाई में घूमती थी तो सूरज को ऐसा महसूस हो रहा था कि वह हवा में झूल रहा हो।,,, सूरज से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी उंगलियां उसके रेशमी बालों में उलझाकर हल्के हल्के सहलाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,, सूरज की इस तरह की हरकत से सुधियां एकदम से मस्त होने लगी,,,, उत्तेजना से भरपूर सूरज कभी-कभी तो अपने बड़े लंड को उसके गले तक उतार देता जिसकी वजह से उसकी सांसे रुँधने लगती,,, लेकिन फिर भी वह लंड को बाहर निकालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,,, कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था। गर्मी के मौसम में बदन की तपिश दोनों से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रही थी जिसकी वजह से दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।
जिस तरह का माहौल बन चुका था उसे देखते हो एकदम पूरी तरह से छूट ले रहा था तभी तो वह अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियो को दबाना शुरु कर दिया था,,,
सुधिया भी उत्तेजना से परिपूर्ण हो चुकी थी इसलिए तो उसे बिल्कुल भी नहीं रोकी और देखते ही देखते सूरज ने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया वैसे भी सुधियां ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनती थी इसलिए ब्लाउज के बटन खोलते ही उसके दोनों चूचियां पके हुए पपीते की तरह लटकने लगे,,,,
चुचियों का आकार पपीते की ही तरह था जिसे देखते ही सूरज के मुंह में पानी आने लगा,,, सूरज उन चूचियों को अपने मुंह में भर कर पीना चाहता था लेकिन इस समय वह लंड चुसाई में उलझा हुआ था जिसकी वजह से सुधियां मामी की चुचियों तक सिर्फ उसके हाथ ही पहुंच पा रहे थे। फिर भी अपनी प्यास बुझाते हुए वहां सुधियां मामी की बड़ी बड़ी चूचियां को जोर-जोर से दबाता हुआ हल्के-हल्के अपनी कमर भी हीला रहा था। सूरज के साथ साथ सुधियां मामी का भी मजा दोगुना होता जा रहा था,,,, कुछ देर तक ऐसे ही सूरज सुधियां मामी को अपना लंड चुसाकर और उसकी चूचियों को दबा दबा कर मजा लेता रहा और उसे मजा भी देता रहा,,, जितनी मस्ती के साथ सूरज चुचीयों को दबा रहा था, शायद ही उसके पति ने दबाया हो,,,, सूरज को ऐसा लगने लगा था कि कुछ देर तक अगर उसका लंड सुधियां मामी ने चुसा तो उसका पानी निकल जाएगा और सूरज ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था।
इसलिए सूरज ने अपने लंड को मुंह में से बाहर खींच लिया जो कि जिसकी उम्मीद सुधियां को बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि ऊसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह चाहती थी कि ऐसे ही उसका लंड चूसती रहे।,,,,
जैसे ही उसके मुंह से मोटा तगड़ा लंड बाहर निकला वह जोर जोर से सांसे लेते हुए हांफने लगी। मुंह से लंड बाहर निकल जाने के बावजूद भी वह ललचाई नजरों से सूरज के लंड की तरफ ही देख रही थी जोकि उस के थुक ओर लार से पूरी तरह से सना हुआ था,,
सुधियां मामी का मुंह खुला का खुला रह गया था। उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया था। सूरज अपनी सुधियां मामी की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था और हांफते हुए बोला,,,
अब बोलो सुधियां मामी कैसा लगा,,,,
( जवाब में उसकी सुधियां मामी मुस्कुराने लगी लेकिन बोली कुछ नहीं तभी उसका ध्यान उसके खुले हुए ब्लाउज पर गया तो वह आश्चर्य भरी नजरों से सूरज की तरफ देखने लगे सूरज भी अपनी सुधियां मामी के चेहरे पर आए भाव को समझ रहा था,,, इस बार वह थोड़ी गुस्से में देख रही थी क्योंकि मन ही मन सोच रही थी कि ईसकी इतनी हिम्मत हो गई कि अपने आप ही ब्लाउज के बटन खोलकर अपनी मनमानी करने लगा,,,
सूरज को भी ऐसा लगने लगा कि वह उसे गुस्से मे हीं देख रही है इसलिए थोड़ा सा भयभीत हो गया,,, लेकिन तभी हालात और माहौल को देखते हुए सुधियां भी हंसने लगे अपनी सुधियां मामी को हंसते हुए देखकर सूरज को राहत हुई,,, हंसते हुए हैं अपने ब्लाउज के बटन को वापस बंद करते हुए बोली,,,
यह तूने कब खोल दिया,,,,
( उसका इतना कहना ही था कि सूरज ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,।)
रहने दो ना सुधियां मामी ये वैसे ही बहुत खूबसूरत लगते हैं,,
( सूरज का इतना कहना था कि उसके हाथ खुद-ब-खुद रुक गए और वहां एक बटन को बंद कर चुकी थी लेकिन सूरज की बात सुनकर वह तुरंत उस बटन को भी खोल दी,, सूरज की आंखों में छाई खुमारी को वह साफ साफ पढ़ पा रही थी,,, उसकी आंखों में छाई मस्ती को देखकर वह मन ही मन सोचने लगी थी इस तरह का प्यार उसका पति क्यों नहीं दे पाता,,, वह सब सोच ही रही थी कि तभी सूरज अपना हाथ आगे बढ़ा कर पपाया सामान चूची को पकड़कर दबाने लगा,,, उसकी हरकत से ईस बार उसके मुंह से सिसकारी छूट गई,।
ससससहहहहह,,,, सूरज यह क्या कर रहा है । (मस्ती भरी आवाज में बोली।,, जो कि उसे रोकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रहे थे सूरज भी उसकी आवाज में छुपी हुई मदहोशी को भांप गया था,,, और रुके बिना ही दोनों हाथ से जोर जोर से चुचियों को दबाते हुए बोला,,,
दबा रहा हूं सुधियां मामी,,, ना जाने मुझे क्यों इन्हें दबाने में बहुत मजा आता है। मैं उस मौसी के चुचीयों को भी जोर-जोर से घंटो दबाता रहता था।
दबाता ही रहता था या और कुछ भी करता था,,,,
( सूरज अपनी सुधियां मामी की बात सुनकर इतना तो समझ ही गया था कि उनका इरादा कुछ और भी है क्योंकि यह सवाल में सवाल कम हिदायत ज्यादा नजर आ रही थी जो कि सूरज अच्छी तरह से समझ गया था,,इसलिए
वह भी बोला,,,।)
सच कहूं तो सुधियां मामी दबाने में तो मजा आता ही है लेकिन मुंह लगाकर पीने में और भी ज्यादा मजा आता है।
( सूरज का जवाब सुनकर सुधियां की बांछे खिल गई,,, क्योंकि उसे अपनी शादी वाली रात याद है जब उसके पति ने पहली बार और आखरी बार ही उसकी चूची को मुंह में लेकर खूब पिया था,,, सूरज की बातों में उसकी यादों को ताजा कर दी और वह भी चाहने लगी कि सूरज भी उसकी चूची को मुंह में लेकर खुब पीए,,, इसलिए तो सूरज की बात सुनकर बिना कुछ सोचे समझे ज्यादा विचार ना करके वह सीधे बोली,,,।)
तो तो मेरे साथ भी अपनी इच्छा पूरी कर ले दबाने के साथ-साथ इसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पी,,,,
( फिर क्या था उसी पल का तो वह भी इंतजार कर रहा था और इसकी इजाजत मिलते ही सूरज तो जैसे चुचीयो पर टूट ही पड़ा,,, वह जोर-जोर से दबाते हुए जितना हो सकता था उतना चुची के निप्पल वाला हिस्सा अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,। सुधियां तो एकदम मदहोश हो गई,, पागलों की तरह एकदम कामोत्तेजित होकर सूरज को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी चूची पीने के लिए और ज्यादा उत्साहित करने लगी,,, सूरज भी जोर-जोर से चूची को दबाते हुए स्तन मर्दन करते हुए चुची के रस को पीना शुरू कर दिया।,, सूरज इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि थोड़ी ही देर में उसकी बड़ी-बड़ी पपीते समान चुचीया एकदम लाल लाल हो गई है ऐसा लग रहा था कि पापैया पक गया हो।,,, सूरज जिस तरह से मुंह में भरकर उसके निप्पल को,, चूस रहा था सुधियां को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। वैसै भी चुची को दबाने और उसे चुसने पर औरतों की उत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी होती रहती है। सूरज की सुधियां मामी भी उसी तरह से मजे लेते हुए एकदम चुदवासी होती जा रही थी,,,। तभी वह स्तन चूसाई का मजा लेते हुए बोली,,,
अच्छा मुझे यह बता कि तूने उस औरत के साथ और क्या-क्या करके मजा लिया,,,,