Incest गांव का मौसम ( बड़ा प्यारा )

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सूरज की जिंदगी में अब तक यह तीसरी औरत थी जो उसके लंड को चूसने जा रही थी। इससे पहले सूरज ने अपने लंड को दो औरतों को चुसवा चुका था। एक उसकी खुद की सगी मामी थी और दूसरी थी उसकी सहेली मंजू औरत तीसरी औरत सुधियां मामी,,, जिसके तपते गुलाबी होठों के बिल्कुल करीब अपने मोटे तगड़े लंड को ला चुका था जिसकी तपीश सुधियां अपने रसीले होठों पर महसूस कर रही थी,, जिंदगी में पहली बार आज वह लंड को अपने होटों के इतने करीब तक महसूस की थी वरना उसने तो लंड को अगर पकड़ी भी थी तो अंधेरे में ही,,,

और वह भी अपनी जांघो के बीच तक ही,,, इसलिए तो अजीब सी हलचल उसके बदन में मच रही थी देखते ही देखते सूरज ने अपने लंड के मोटे सुपाड़े को सुधियां मामी के गुलाबी होठों से सटा दिया,,,,
जैसे ही लंड को मोटा सुपाड़ा उसके होठों से स्पर्श हुआ एकाएक उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर पूरी तरह से अपने वश में करते हुए जकड़ ली,,, उसे तो जैसे कुछ पता ही नहीं चला वह तों वैसे ही जड़वंत होकर अपने होठों को हल्के से खोले हुए सूरज की आंखों में ही देखती रह गई,,,
सूरज उत्तेजना की लहर में बहने लगा था सुधियां मामी के गुलाबी नरम नरम होठों पर अपने मोटे लंड के गर्म सुपाड़े को स्पर्श करा कर ऐसा महसूस कर रहा था कि जैसे बोले कोई बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो अपनी खुशी को वह जाहिर नहीं कर सकता था,,, केवल उसे महसूस कर पा रहा था वह पहले तो अपने लंड के सुपाड़ेे को हल्के हल्के से उसके गुलाबी होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया,,, जिसकी वजह से उत्तेजना के मारे ऊसके मोटे लंड में रक्त का संचार बड़ी तीव्र गति से होने लगा और उसकी नशे लंड की ऊपरी सतह पर ऊभरना शुरू हो गई। उसे लगने लगा कि कहीं उसकी नसें फट ना जाए वह कुछ देर तक वैसे ही होठों से लंड का सुपाड़ा रगड़कर खेलता रहा,,,
सुधिया भी इस अद्भुत एहसास को अपने अंदर उतारते हुए मदहोशी का अनुभव करते हुए आनंदित होकर अपनी आंखों को मूंद ली और इस एहसास को अपने तन बदन मैं हल्के हल्के उतारने लगे उसे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि वह कुछ बोल नहीं पा रही थी बस उसकी सांसों की गति तीव्र होने लगी थी। होठो पर जेसेे उसका बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं रह गया था,,, सूरज अपने मोटे से लंड के जरिए जिधर चाहे उधर उसके नरम नरम होठों के रुख को मोड़ दे रहा था,,, मदहोशी के आलम के बीच हल्के से खुले होठों पर अपने कठोर लंड को रगड़ते रगड़ते इतना ज्यादा मदहोश हो गया कि वह धीरे से मोटे कपड़े को गुलाबी होठों के बीच प्रवेश कराने लगा,,,

सुधियां के होंठ बस इतने ही खुले थे कि उसमें सिर्फ एक उंगली भर जा सकती थी लेकिन जैसे ही सूरज ने सुपाड़े को अंदर डालने का प्रयास किया वैसे ही खुद-ब-खुद उसके गुलाबी होंठ खुलते चले गए,,, क्योंकि सुधियां भी यही चाहती थी जो कि सूरज चाहता था। उत्तेजना और उत्सुकता इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि जल्द से जल्द उसकी मामी लंड के अद्भुत स्वाद को चख लेना चाहती थी इसलिए तो सूरज जैसे-जैसे अपने लंड को सुपाड़े को अंदर की तरफ ठेलता गया वैसे ही वैसे उसके गुलाबी होठों का रास्ता अपने आप चौड़ा होता चला गया,,,,
जो कि इस बात को जाहिर कर रही थी कि सुधियां मामी भी उसके लंड को मुंह में लेने के लिए आतुर है। सूरज का पूरा सुपााड़ा उसके गुलाबी होठों के बीच फंसा हुआ था। अब क्या करना है सुधियां को इस बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन सूरज जानता था कि सुधियां मामी से कैसे काम निकलवाना है,, सुधियां तो शर्म के मारे अभी भी अपनी आंखों को मूंदे हुए बस वैसे ही लंड को अपने होंठों के बीच फसाए हुए बैठी थी। सूरज की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी,,, वह तो सूरज था कि इतनी देर तक टिका हुआ था वरना उसकी जगह कोई और होता तो ना जाने कब से पानी फेंक दिया होता। अपनी उत्तेजना को अपने वश में कर कर औरत को किस तरह से मुक्त किया जाता है सूरज पूरी तरह से सीख चुका था और यही हुनर तो औरतों को उसका दीवाना बना देती थी। कुछ देर तक यूही नरम-नरम होठों के एहसास को अपने मोटे सुपाड़े पर महसूस करके सूरज मदहोश होने लगा,,,। और दूसरी तरफ सुधियां भी पूरी तरह से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस ना चाहती थी लेकिन उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह खुद आगे बढ़ना नहीं चाहती थी।,,, सूरज समझ गया कि सुधिया मामी में शर्म आ रही है और वह खुद आगे बढ़ने से कतरा रही हैं,,, इसलिए वह खुद ही बोला,,,

क्या हुआ मामी अब चुसो ना,,,,, देखो पहले अपनी जीभ को सुपाड़े पर गोल गोल इधर-उधर घूमाओ,,,,
( सूरज की यह बात सुनते ही जैसे उसे दिशा निर्देश मिला हो और वह सब कुछ समझ गई और धीरे-धीरे अपने जीभ को लंड के सुपाड़े के इर्द-गिर्द घुमाना शुरू कर दी।,,,,

बस ऐसे ही सुधियां मामी,, ऐसे ही अपनी जीभ को फिराती रहो, जैसे कि आइसक्रीम पर घुमाती हो,,,,,आहहहहहहहह,,,,, सुधियां मामी,,,, तुम तो बहुत अच्छा कर रही हो बस ऐसे ही करती रहो,,,

( सूरज मदहोश है क्या हुआ उसकी तारीफ कर रहा था ताकि वह और मस्ती के साथ उसके लंड को चुसे,,, और जैसा वह चाह रहा था वैसा हो भी रहा था। देखते ही देखते वह इतनी मस्ती के साथ उसके लंड के सुपाड़े को चूसना शुरू कर दी कि लग ही नहीं रहा था कि यह पहली बार चूस रही है। सूरज तो एकदम मदहोशी के झूले में झूलने लगा था उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह उसकी सुधियां मामी है। अब तक सुधियां मामी केवल सुपाड़े को ही चुस रही थी। सूरज अब सुधियां मामी के मुंह में अपना पूरा लंड डालकर चुशवाना चाहता था।,,,
लेकिन पहले यह जानना जरूरी था कि उसे मजा आ रहा है कि नहीं लेकिन अनुभवी सूरज को इतना तो ज्ञात हो चुका था कि लंड चूसने में सुधियां मामी को भी मजा आ रहा है। फिर भी यह बात वहां उसके मुंह से यही सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,।

ओहहहहहह,,, सुधियां मामी अब बताओ तुम्हें कैसा लग रहा है,,,?
( इतना सुनते ही उसकी सुधियां मामी सक पका गई,, अब अच्छा तो उसे भी लग रहा था लेकिन ऐसे कैसे बोल दे कि उसे मजा आ रहा है वैसे भी मर्दों को अक्सर शर्मीली औरतों के कुछ ज्यादा ही नखरे उठाने पड़ते हैं। इसलिए वह बोली कुछ नहीं बस उसी तरह से अपनी जीभ को लंड की गोलाई पर गोल गोल घुमाती रही।,, जो बात सूरज अपने मन में सोच रहा था वही हुआ इसलिए वह बोला,,,,।

सुधियां मामी अगर बोलने में शर्म आ रही हो तो कुछ इशारा ही कर दो ताकि मुझे भी तो लगे कि तुम्हें मजा आ रहा है,,

( इस बार सूरज नहीं उसका काम आसान कर दिया इसलिए वह मुंह में सुपाड़े को भरे हुए अपने सिर को हां में हिला दी बस फिर क्या था उसकी तरफ से सूरज के लिए यह एक खुली छूट थी,, इसलिए वह बिना समय गवाएं ही अपनी कमर को आगे की तरफ करते हुए धीरे-धीरे अपने लंड को,,, उसके मुंह में उतारने लगा,, वह भी समझ गई थी सूरज क्या करना चाहता है इसलिए वह उत्तेजनात्मक रूप से सांसे भरते हुए धीरे-धीरे अपने मुंह में अपने भांजे के लंड का स्वागत करते हुए अंदर लेने लगी। कुछ ही सेकंड में सूरज ने अपना बड़ा लंड अपनी सुधियां मामी के मुंह में डाल दिया,,,,
उसकी सुधियां मामी को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि लंड चूसने में इतना ज्यादा मजा आता है।,,, मन में यह बात भी उसे परेशान कर रही थी कि उसके पति ने इस तरह का सुख उसे कभी भी नहीं दिया।,,, इसलिए तो वह मजे ले लेकर सूरज के लंड को चुसना शुरू कर दी,, सूरज की तो हालत पल पल खराब होने लगी,, उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि सुधियां मामी इतने अच्छे तरीके से लंड को चूसेगी,, जब-जब उसकी जीभ ऊपर से नीचे की तरफ गोलाई में घूमती थी तो सूरज को ऐसा महसूस हो रहा था कि वह हवा में झूल रहा हो।,,, सूरज से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी उंगलियां उसके रेशमी बालों में उलझाकर हल्के हल्के सहलाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,, सूरज की इस तरह की हरकत से सुधियां एकदम से मस्त होने लगी,,,, उत्तेजना से भरपूर सूरज कभी-कभी तो अपने बड़े लंड को उसके गले तक उतार देता जिसकी वजह से उसकी सांसे रुँधने लगती,,, लेकिन फिर भी वह लंड को बाहर निकालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,,, कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था। गर्मी के मौसम में बदन की तपिश दोनों से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रही थी जिसकी वजह से दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।
जिस तरह का माहौल बन चुका था उसे देखते हो एकदम पूरी तरह से छूट ले रहा था तभी तो वह अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियो को दबाना शुरु कर दिया था,,,
सुधिया भी उत्तेजना से परिपूर्ण हो चुकी थी इसलिए तो उसे बिल्कुल भी नहीं रोकी और देखते ही देखते सूरज ने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया वैसे भी सुधियां ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनती थी इसलिए ब्लाउज के बटन खोलते ही उसके दोनों चूचियां पके हुए पपीते की तरह लटकने लगे,,,,

चुचियों का आकार पपीते की ही तरह था जिसे देखते ही सूरज के मुंह में पानी आने लगा,,, सूरज उन चूचियों को अपने मुंह में भर कर पीना चाहता था लेकिन इस समय वह लंड चुसाई में उलझा हुआ था जिसकी वजह से सुधियां मामी की चुचियों तक सिर्फ उसके हाथ ही पहुंच पा रहे थे। फिर भी अपनी प्यास बुझाते हुए वहां सुधियां मामी की बड़ी बड़ी चूचियां को जोर-जोर से दबाता हुआ हल्के-हल्के अपनी कमर भी हीला रहा था। सूरज के साथ साथ सुधियां मामी का भी मजा दोगुना होता जा रहा था,,,, कुछ देर तक ऐसे ही सूरज सुधियां मामी को अपना लंड चुसाकर और उसकी चूचियों को दबा दबा कर मजा लेता रहा और उसे मजा भी देता रहा,,, जितनी मस्ती के साथ सूरज चुचीयों को दबा रहा था, शायद ही उसके पति ने दबाया हो,,,, सूरज को ऐसा लगने लगा था कि कुछ देर तक अगर उसका लंड सुधियां मामी ने चुसा तो उसका पानी निकल जाएगा और सूरज ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था।

इसलिए सूरज ने अपने लंड को मुंह में से बाहर खींच लिया जो कि जिसकी उम्मीद सुधियां को बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि ऊसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह चाहती थी कि ऐसे ही उसका लंड चूसती रहे।,,,,
जैसे ही उसके मुंह से मोटा तगड़ा लंड बाहर निकला वह जोर जोर से सांसे लेते हुए हांफने लगी। मुंह से लंड बाहर निकल जाने के बावजूद भी वह ललचाई नजरों से सूरज के लंड की तरफ ही देख रही थी जोकि उस के थुक ओर लार से पूरी तरह से सना हुआ था,,
सुधियां मामी का मुंह खुला का खुला रह गया था। उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया था। सूरज अपनी सुधियां मामी की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था और हांफते हुए बोला,,,

अब बोलो सुधियां मामी कैसा लगा,,,,

( जवाब में उसकी सुधियां मामी मुस्कुराने लगी लेकिन बोली कुछ नहीं तभी उसका ध्यान उसके खुले हुए ब्लाउज पर गया तो वह आश्चर्य भरी नजरों से सूरज की तरफ देखने लगे सूरज भी अपनी सुधियां मामी के चेहरे पर आए भाव को समझ रहा था,,, इस बार वह थोड़ी गुस्से में देख रही थी क्योंकि मन ही मन सोच रही थी कि ईसकी इतनी हिम्मत हो गई कि अपने आप ही ब्लाउज के बटन खोलकर अपनी मनमानी करने लगा,,,
सूरज को भी ऐसा लगने लगा कि वह उसे गुस्से मे हीं देख रही है इसलिए थोड़ा सा भयभीत हो गया,,, लेकिन तभी हालात और माहौल को देखते हुए सुधियां भी हंसने लगे अपनी सुधियां मामी को हंसते हुए देखकर सूरज को राहत हुई,,, हंसते हुए हैं अपने ब्लाउज के बटन को वापस बंद करते हुए बोली,,,

यह तूने कब खोल दिया,,,,
( उसका इतना कहना ही था कि सूरज ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,।)

रहने दो ना सुधियां मामी ये वैसे ही बहुत खूबसूरत लगते हैं,,

( सूरज का इतना कहना था कि उसके हाथ खुद-ब-खुद रुक गए और वहां एक बटन को बंद कर चुकी थी लेकिन सूरज की बात सुनकर वह तुरंत उस बटन को भी खोल दी,, सूरज की आंखों में छाई खुमारी को वह साफ साफ पढ़ पा रही थी,,, उसकी आंखों में छाई मस्ती को देखकर वह मन ही मन सोचने लगी थी इस तरह का प्यार उसका पति क्यों नहीं दे पाता,,, वह सब सोच ही रही थी कि तभी सूरज अपना हाथ आगे बढ़ा कर पपाया सामान चूची को पकड़कर दबाने लगा,,, उसकी हरकत से ईस बार उसके मुंह से सिसकारी छूट गई,।

ससससहहहहह,,,, सूरज यह क्या कर रहा है । (मस्ती भरी आवाज में बोली।,, जो कि उसे रोकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रहे थे सूरज भी उसकी आवाज में छुपी हुई मदहोशी को भांप गया था,,, और रुके बिना ही दोनों हाथ से जोर जोर से चुचियों को दबाते हुए बोला,,,

दबा रहा हूं सुधियां मामी,,, ना जाने मुझे क्यों इन्हें दबाने में बहुत मजा आता है। मैं उस मौसी के चुचीयों को भी जोर-जोर से घंटो दबाता रहता था।

दबाता ही रहता था या और कुछ भी करता था,,,,
( सूरज अपनी सुधियां मामी की बात सुनकर इतना तो समझ ही गया था कि उनका इरादा कुछ और भी है क्योंकि यह सवाल में सवाल कम हिदायत ज्यादा नजर आ रही थी जो कि सूरज अच्छी तरह से समझ गया था,,इसलिए
वह भी बोला,,,।)

सच कहूं तो सुधियां मामी दबाने में तो मजा आता ही है लेकिन मुंह लगाकर पीने में और भी ज्यादा मजा आता है।
( सूरज का जवाब सुनकर सुधियां की बांछे खिल गई,,, क्योंकि उसे अपनी शादी वाली रात याद है जब उसके पति ने पहली बार और आखरी बार ही उसकी चूची को मुंह में लेकर खूब पिया था,,, सूरज की बातों में उसकी यादों को ताजा कर दी और वह भी चाहने लगी कि सूरज भी उसकी चूची को मुंह में लेकर खुब पीए,,, इसलिए तो सूरज की बात सुनकर बिना कुछ सोचे समझे ज्यादा विचार ना करके वह सीधे बोली,,,।)

तो तो मेरे साथ भी अपनी इच्छा पूरी कर ले दबाने के साथ-साथ इसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पी,,,,
( फिर क्या था उसी पल का तो वह भी इंतजार कर रहा था और इसकी इजाजत मिलते ही सूरज तो जैसे चुचीयो पर टूट ही पड़ा,,, वह जोर-जोर से दबाते हुए जितना हो सकता था उतना चुची के निप्पल वाला हिस्सा अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,। सुधियां तो एकदम मदहोश हो गई,, पागलों की तरह एकदम कामोत्तेजित होकर सूरज को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी चूची पीने के लिए और ज्यादा उत्साहित करने लगी,,, सूरज भी जोर-जोर से चूची को दबाते हुए स्तन मर्दन करते हुए चुची के रस को पीना शुरू कर दिया।,, सूरज इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि थोड़ी ही देर में उसकी बड़ी-बड़ी पपीते समान चुचीया एकदम लाल लाल हो गई है ऐसा लग रहा था कि पापैया पक गया हो।,,, सूरज जिस तरह से मुंह में भरकर उसके निप्पल को,, चूस रहा था सुधियां को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। वैसै भी चुची को दबाने और उसे चुसने पर औरतों की उत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी होती रहती है। सूरज की सुधियां मामी भी उसी तरह से मजे लेते हुए एकदम चुदवासी होती जा रही थी,,,। तभी वह स्तन चूसाई का मजा लेते हुए बोली,,,

अच्छा मुझे यह बता कि तूने उस औरत के साथ और क्या-क्या करके मजा लिया,,,,
 
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( इतना सुनते ही सूरज अपने मुंह में से सुधियां मामी की चूची को बाहर निकालते हुए और उसकी आंखों में झांकते हुए धीरे से अपने एक हाथ को उसकी बुर पर रखते हुए बोला,,,,

सुधियां मामी अगर मैं कहूंगा तो तुम्हें यकीन नहीं होगा
(उस की रसीली बुर पर हल्के हल्के ऊंगलियों से कुरेदते हुए बोला जिसकी वजह से उसकी सुधियां के मुंह से सिसकारी निकल रही थी,,, और सिसकारी लेते हुए ही बोली,,,,

तू बोल मैं जरूर यकीन करूंगी,,,,,

सूरज की मनोकामना धीरे-धीरे पूर्ण होती नजर आ रही थी और हर ख्वाहिश के पूरी होने के बाद एक नई ख्वाहिश जन्म ले रही थी उसकी ख्वाहिश को पूरी करने के कगार पर सूरज धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था ऐसा नहीं था कि यह ख्वाहिश सिर्फ सूरज की हुई थी बरसों से दबी हुई ख्वाहिश को पूर्ण रूप देने के लिए उसकी सुधियां मामी भी पूर्णत: तैयार थी,,
वह कहावत है ना कि ताली एक हाथ से कभी नहीं बजती ताली बजाने के लिए दोनों हाथों को आपस में दिलाना जरूरी होता है उसी तरह से सिर्फ सूरज सोच भर लेने से सुधियां मामी को भोग नहीं सकता था। उसे भोगने के लिए सुधियां मामी की संपूर्ण स्वीकृति बेहद जरूरी थी,, और सूरज का साथ उसकी सुधियां मामी बराबर दे रही थी तभी तो,,, वह बिस्तर पर अधनंगी अवस्था में बैठकर सूरज के हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को मसलवा रही थी।,,, यह पूछे जाने पर कि उस औरत के साथ तूने और क्या-क्या किया इस बात का जवाब देते हुए सूरज ने चूची पर से एक हाथ हटाकर सीधे उसकी जांघों के बीच झांटों के झुरमुटों के ऊपर से उसकी रसीली बुर को सहलाने लगा,, जिसके कारण सुधियां के बदन में उत्तेजना जोर करने लगी,,, हल्की-हल्की उंगलियों का सहारा लेकर सूरज बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेदने लगा,,, जिसकी वजह से आनंदित होते हुए सुधियां के मुख से सिसकारी निकलने लगी,,,और सूरज बोला,,,

सुधियां मामी मैं अगर तुम्हें सच बताऊंगा तो तुम यकीन नहीं करोगी,,,
( सूरज अपना दांव फेकते हुए बोला,,, और सुधियां भी तो पहले से ही एकदम मदहोश हो चुकी थी सूरज की बातों के साथ साथ उसकी हरकतों ने उसके बदन में कामज्वर को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था। ऐसे हालात हो गया था कि सूरज की हर बात पर यकीन करना सुधियां मामी के लिए मुनासिब हो चुका था इसलिए वह बोली,,।)

सूरज मुझे तेरी कोई बात से ईनंकार नहीं है इसलिए तू बेझिझक बोल दे।,,,
( सूरज को क्या था धीरे-धीरे वह बातों के पुल बनाने में माहिर हो चुका था इसलिए अपनी मनगढ़ंत बातों को नमक मिर्च लगाते हुए बोला,,,।)

मैंने मौसी की बुर को जीभ लगा कर चाटा था,,,
( इतना कहते हुए वह उसकी उत्तेजना को और बढ़ाने के उद्देश्य से अपने बीच वाली उंगली को हल्कै से गुलाबी पत्तियों के बीच में प्रवेश करा दिया,, जिससे वह एकदम से मदहोश हो गई और सिसकारी भरने लगी,,,,

ससससहहहहहह,,,, ( आंखों को मुंदते हुए) यह क्या कह रहा है तू कहीं तू मुझे बना तो नहीं रहा,,,

सुधियां मामी मैं कहा था ना,,की तुम यकीन नही करोगी,,,,
( ईसलिए बार वह अपनी बीच वाली ऊंगली को पूरी की पूरी बुर में घुसेड़ दिया जिसकी वजह से इस बार उसकी चीख निकल गई,,,,।)

आहहहहहहहहह,,,,, मैं कैसे तेरी बात पर यकीन कर लूं तू बोल ही कुछ ऐसा रहा है कि जिसमें यकीन करने जैसा कुछ भी नहीं है,,,
( वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली लेकिन पूरी उंगली डालने की वजह से वह दर्द के बारे में जरा सा भी जिक्र नहीं की क्योंकि संपूर्ण उंगली प्रवेश कराने पर उसे भी दर्द के साथ साथ मजा आ रहा था। और वैसे भी सूरज जो बात कह रहा था उस पर उसकी सुधियां मामी को रत्ती भर भी यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि उसने ना तो कभी बुर चाटने वाली बात सुनी ही थी और ना ही कभी चटवाई थी,,, क्योंकि वैसे भी वह छोटे गांव सीधी साधारण औरत के सेक्स का ज्ञान बस दो टांगो को खोलकर बुर में लंड लेने जितना ही था,,, इससे ज्यादा ज्ञान ना तो उसे और ना ही उसके पति ने कभी इससे ज्यादा ज्ञान उसे दिया था,,, इसलिए तो वहां सूरज की बात सुनकर एकदम अचंभित हो चुकी थी।,, फिर भी सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,

सुधियां मामी मैं जो बोल रहा हूं वह एकदम शत प्रतिशत सच है। ( वह हल्के हल्के अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला)

लेकिन यह कैसे मुमकिन है तु अच्छी तरह से जानता है कि जिस चीज को तू चाटने की बात कर रहा है वहां से पेशाब किया जाता है तो उस गंदे स्थान को कोई किस तरह से अपनी जीभ लगाकर चाटेगा,,,,

सुधियां मामी तुम बिल्कुल भी यकीन नहीं कर रही हो लेकिन मैं जो बोल रहा हूं कसम से वह झूठ नहीं है हां किसी और के मुंह से मैं सुना होता तो शायद मुझे भी ऐसा ही लगता जैसे कि तुम्हें लग रहा है, लेकिन यह तो मैं खुद कर चुका हूं इसलिए इसमें रत्ती भर भी झूठ नहीं है (इस बार बहुत तेजी से अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर चलाते हुए बोला जिसकी वजह से उत्तेजना के मारे उसकी सुधियां की सांसे ऊपर नीचे होने लगी)

आहहहहहहहह,,,,, जो तू बोल रहा है सच में मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है मैं कैसे तेरी बात पर यकीन करु,,,
( आंखों को मूंदे हुए वह सूरज की उंगली का मजा लेते हुए बोल रही थी उसे सूरज की बात पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि सूरज जो बोल रहा है वह सच ही होगा क्योंकि उसे पहले लंड चूसने वाली बात भी झूठ ही लग रही थी,,,,
सूरज सुधियां मामी की फूली हुई बुर में उंगली को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए उसे चोद़ रहा था। अब जल्दी से जल्दी अपनी सुधियां मामी की बुर के नमकीन स्वाद को चखना चाहता था इसलिए वह कोई रास्ता ना देख कर अपनी बात मनवाते हुए बोला,,,,


अच्छा सुधियां मामी सुनो अपनी आंखों को खोलो और देखो,,
( सूरज की बातों को सुनकर वह धीरे से अपनी आंखों को खोलकर सूरज की तरफ देखने लगी,, सूरज भी उसकी तरफ देखते हुए अपनी नजरों को उसके बुर की तरफ नीचे झुका लिया जिसकी वजह से उसे भी अपनी नजरों को नीचे बुर की तरफ झुकाना पड़ा,,,
अपनी बालों से भरी बुर के अंदर सूरज की उंगली को बड़ी तेजी से अंदर बाहर होता हुआ देखकर वह उत्तेजना से भर गई। पहली बार वह अपनी आंखों से यह सब देख रही थी और पहली बार ही कोई असली मर्द था जो कि अपनी ऊंगलि से ऊसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे उंगली से चुदाई का असली सुख दे रहा था। एकदम मंत्रमुग्ध से सूरज की उंगली को अपनी बुर के अंदर बाहर होता हुआ देख रही थी और एकदम से मदहोश होती जा रही थी,,, सूरज उसकी आंखों में बढ़ती प्यास को अच्छी तरह से देख रहा था और मौका देख कर बोला,,,,
 
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तुम्हें यकीन नहीं हो रहा है ना सुधियां मामी,,,
( जवाब में वह मुंह से कुछ बोले बिना ही सिर्फ ना में सिर हिलाते हुए अपनी बुर की तरफ ही देखे जा रही थी)

तो तुम कहो तो मैंने जो उस मौसी के साथ किया वह तुम्हारे साथ भी करके दिखा सकता हूं।
( वह एक बहाने से अपनी मामी के सामने अपने मन की बात को प्रस्तावित कर रहा था,,, प्रस्तावित क्या कर रहा था एक तरह से वह अपनी सुधियां मामी को उकसा रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि जिस काम को एक औरत जिंदगी भर नहीं की ना तो उस उसके बारे में कुछ ज्ञान ही रहता है ऐसी बात को अगर उसके सामने नमक मिर्च लगाकर बताई जाए तो वह उस काम को करने के लिए मन ही मन बेहद उत्सुक हो जाती हैं और वही हाल सुधियां का भी हो रहा था,,,
भले ही बुर चाटने वाली बात उसके लिए समझ के परे थी,, लेकिन मन ही मन वह बेहद उत्साहित भी होती जा रही थी तभी तो वह सूरज की बात को सुनकर थोड़ा सा हैरान होते हुए बोली,,,।)

क्या,,,,,, क्या कहा तूने कहीं तू पागल तो नहीं हो गया है तुझे क्या लगता है कि मैं तेरे इस पागलपन में तेरा साथ दूंगी,,,,

कैसा पागलपन सुधियां मामी मैं तो हकीकत बयां कर रहा हूं।
( जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए बोला)

तू जो कह रहा है वह सच है या झूठ यह तो मैं नहीं जानती लेकिन जो तू करने के लिए कह रहा है वह पागलपन हीं है,,, तो कैसे सोच भी सकता है कि मैं तुझे उस गंदे स्थान पर मुंह लगाने दूंगी वहां से पेशाब किया जाता है
( वह जानबूझकर उसे मना करने का नाटक कर रही थी लेकिन मन ही मन वह चाह रही थी कि सूरज ऊसकी बुर को चाटे,,,
सुधियां मामी की बात सुनकर सूरज उसे समझाते हुए बोला।)

सुधियां मामी इसमें क्या हुआ जरूरी तो नहीं कि जहां से पेशाब किया जाता है वह स्थान गंदा ही हो मुझे भी शुरू शुरू में ऐसा ही लग रहा था अगर वह मौसी मुझ पर जोर नहीं देती तो शायद मैं भी उस सुख से वंचित रह जाता जिस सुख से आप वंचित रह जाना चाह रही हैं,,,,
( सूरज का इस तरह से मनाना और जिद करना उसकी बुर को चाटने के लिए यह बात सुधियां को बेहद आनंदित कर दे रही थी।,,, सूरज को उसकी बुर चाटने के लिए लालायित देखकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। फिर भी अपने चेहरे पर नाराजगी के भाव दर्शाते हुए बोली,,,।)

नहीं सूरज तू समझता क्यों नहीं कितना गंदा लगता है सोच मुझे तो सुनकर ही बड़ा अजीब लग रहा है सबको उसे चाटेगा तो शायद,,, नहीं जाने दे मुझे ऐसा शौक नहीं लेना किसी को कुछ पता चल गया तो आफत आ पड़ेगी,,,,

सुधियां मामी यहां कहां किसी को कुछ पता चलने वाला है घर में कोई है भी तो नहीं और वैसे भी मुझे तो ऐसा लगता है कि सच में तुम्हें मेरी बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है और तुम्हें यकीन दिलाने के लिए मुझे वह करके दिखाना पड़ेगा,,,
( एक बार सूरज अपनी सुधियां मामी को और ज्यादा उत्तेजित करने के तरीके उसकी बुर में से अपनी उंगली को बाहर खींच लिया और उसे सुधियां मामी को दिखाते हुए उस पर लगे नमकीन रस को अपनी जीभ बाहर निकालकर चाटते हुए बोला।)
अब बोलो सुधियां मामी क्या कहती हो मैं जो कह रहा हूं बिल्कुल सच कह रहा हूं बस एक बार मुझे अपनी बात रखने का मौका दो आप जिंदगी भर याद रखोगी,,,,

( सूरज को इस तरह से अपनी बूर के रस को चाटते हुए देखकर वह एकदम से दंग रह गई,,, उसे तो अपनी आंखों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो रहा था कि जो हुआ देख रही है वह सच है या कोई सपना,,, लेकिन जो वह देख रही थी वह बिल्कुल सच था। वह तुमसे मंत्रमुग्ध हो चुकी थी उसका मुंह खुला का खुला था और वह सूरज को देख रही थी जो कि बार-बार उस उंगली को जिस पर उस का मदनरस लगा हुआ था,, उसे चाटे जा रहा था,,, अब तो उसकी और भी ज्यादा उत्सुकता बढ़ गई हो जल्द से जल्द सूरज की जीभ को अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी।,,, सूरज उसी तरह से उंगली को चाटते हुए बोला,,,

बोलो सुधियां मामी अब क्या ख्याल है चाट कर दिखाऊं क्या?
( सूरज की हरकत देख कर तो वह एकदम स वह कुछ बोल नहींपा रही थी )

सूरज की बात का क्या जवाब देना है इस बात का उसे बिल्कुल भी ख्याल नहीं रहा वह बस आश्चर्यचकित होकर सिर्फ सूरज को ही देखे जा रही थी।, सूरज समझ गया कि उसकी हरकत को देखकर उसकी सुधियां मामी उन्माद से भर चुकी है,,, अब उसके लिए अपनी मंजिल पाना कोई मुश्किल काम नहीं था इसलिए सूरज अब बिना कुछ बोले सुधियां मामी के दोनों कंधों पर हाथ रखकर उसे बिस्तर पर लिटाने की कोशिश करने लगा जिसमे उसे कुछ ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी क्योंकि जैसे जैसे वह कंधों पर दबाव देता जा रहा था वैसे वैसे सुधियां मामी नीचे की तरफ लेटती चली जा रही थी,,,
जो कि उसकी तरफ से पूरी मंजूरी दर्शा रहा था अगले ही पल वह बिस्तर पर लेटी हुई थी,,, सूरज की नजर उसकी जांघों के बीच झाटों के झुरमुटो पर ही टीकी हुई थी। जिसे वह ललचाई नजरों से देख रहा था उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बालों से भरी बुर का भी स्वाद उसे चखने को मिलेगा। वह मदहोशी के आलम में लेती हुई थी उसकी आंखें हल्की-हल्की खुली थी जिससे वह सूरज की हरकत को देख रही थी सूरज तो ललचाई नजरों से उसकी कोई देखे जा रहा था और उसके हल्के हल्के अपनी उंगलियों से सहला भी रहा था जिससे उसका उन्माद निरंतर बढ़ता जा रहा था। उसकी सांसो की गति तेज होने लगी थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पके हुए पपीते की तरह ऊपर नीचे होकर झूल रही थी। वह अब संपूर्ण रूप से नंगी नजर आ रही थी उसके बदन को ढकने के लिए वस्त्र तो थे लेकिन वह खुले हुए थे ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे और उसकी पेटीकोट कमर तक चढ़ी हुई थी,, इसलिए जिस अंग को छुपाने के लिए वस्त्र उसके बदन पर थे वह अब किसी काम के नहीं थे। सूरज की सुधियां मामी का बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था और सूरज उसकी कसमसाहट को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपनी उंगली से उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेद रहा था ।

सुधियां के बदन में पूरी रूप से उत्तेजना का काम ज्वर अपना असर दिखा रहा था। सूरज से आप अपने आप को रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हुए जा रहा था इसलिए वह धीरे-धीरे अपने होठों को ऊसकी जांघो के बीच बढ़ाने लगा। और अगले ही पल उसके होंठ उसकी रसीली फुली हुई कचोरी समान बुर पर थी। सूरज के होठों पर उसकी झांट के बाल महसूस हो रहे थे,,

जिसकी वजह से उसकी भी उत्तेजना बढ़ रही थी। सुधियां भी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसकी बुर किसी पावरोटी की तरह फुल चुकी थी। अभी सूरज अपनी जीभ का स्पर्श उस पर नहीं कराया था खाली अपने होठों को उस पर रखकर उसकी तपिश को महसूस कर रहा था। इतने में ही तो उसकी सांसो की गति एकदम तीव्र हो गई अपनी उत्तेजना को वह दबा नहीं पा रही थी इसलिए बिस्तर पर लंबी लंबी सांसे लेते हुए अपनी कमर को हल्के उसके ऊपर नीचे कर रही थी। उत्तेजना के मारे सूरज का भी बुरा हाल था। उससे भी रहा नहीं जा रहा था और वह धीरे से अपनी जीभ को बाहर निकालकर बुर की पतली लकीर पर फिराने लगा,, इतने में तो उसकी सुधियां की सिसकारी छूट गई।

सससससहहहहहहहह,,,, आहहहहहहहहहह,,,,,, सूरज,,,
( उसके मुंह से मात्र सूरज का नाम फुटा भर था कि सूरज ने धीरे-धीरे अपनी जीभ को गुलाबी पत्तियों के बीच घुसेड़ना शुरू कर दिया,,, अब तो उसकी और भी ज्यादा हालत खराब होने लगी।)
 
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सुधियां कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस हालत तक पहुंच जाएगी,,, उम्र के दूसरे पड़ाव तक पहुंच चुकी थी लेकिन अभी तक उसने गैर मर्द के बारे में कभी कल्पना भी नहीं की थी लेकिन आज उसकी कल्पना के परे बिस्तर पर अपने भांजे के सामने नग्नावस्था में लेट कर उसकी हरकतों का मजा ले रही थी। बुर चाटने वाली बात से वह बिल्कुल भी अनजान थी कभी सोची भी नहीं थी कि इस तरह से भी कोई मजा लेता है जब उसे इस बात का एहसास हो गया कि उस का भांजा भी उसकी बुर चाटने के लिए उत्सुक हैं तो इस बारे में सोच कर ही उसके तन बदन में कामाग्नि भड़क उठी, उसके मन में भी उस एहसास को महसूस करने की उत्सुकता बढ़ने लगी।
उस का भांजा सूरज आज तीसरी बार किसी औरत की बुर का स्वाद चखने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था इसलिए तो वहां अपनी जीभ को हल्के हल्के बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए अंदर की तरफ ले जाने लगा। और उसकी जीभ को अपनी बुर के अंदर घुसता हुआ महसुस करके सुधियां एकदम से मदहोशी के समंदर में डूबने लगी,,,

उसे अजीब प्रकार के सुख की अनुभूति हो रही थी और वह इस सुख को बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी क्योंकि पहली बार उसे इस तरह के सुख का अनुभव हो रहा था उसका बदन पूरी तरह से कसमसा रहा होगा उत्तेजना को वह सहन नहीं कर पा रही थी, इसलिए बिस्तर पर छटपटा रही थी और सूरज उसकी दोनों जांघों को अपनी हथेली से भींच कर पकड़े हुए था और देखते ही देखते उसने उसकी गुलाबी बुर के अंदर अपनी पूरी जीभ जहां तक हो सकती थी वहां तक डालकर चाटना शुरू कर दिया, सुधिया इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसके शरीर में कंपन शुरू हो गया,,, उसका खूबसूरत बदन कामोत्तेजना का अनुभव करते हुए थरथरा कर कांपने लगा। सूरज उसकी जांघों को कस के पकड़े हुए पागलों की तरह उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया। उसकी बुर से भलभलाकर मदन रस बह रहा था। जिसे लपालप सूरज अपनी जीभ लगा कर चाटे चला जा रहा था। हल्का नमकीन और कसैला स्वाद भी गुलाब जामुन की चाशनी की तरह लग रहा था।

जैसे जैसे सूरज की जीभ चल रही थी वैसे वैसे उसका बदन कसमसा रहा था और उत्तेजनावस वह अपनी कमर को हल्के हल्के ऊपर की तरफ उचका दे रही थी, जिससे सूरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी और वह अपने दोनों हाथ को उसकी जांघो पर से हटाकर उसके नीचे ले जा कर उस की बड़ी-बड़ी गांड को थाम लिया और जोर-जोर से चाटना शुरू कर दिया।,,,
सुधियां मामी की बड़ी बड़ी गांड को हांथो से दबाते हुए बुर को चाटने मे ऊसे बहुत मजा आ रहा था,, और सूरज की ऐसी हरकत की वजह से सुधिया के बदन में हलचल मची हुई थी, हालांकि सूरज के हाथों में उसकी बड़ी-बड़ी गांड पूरी तरह से नहीं आ पा रही थी, लेकिन जितनी भी आ रही थी उसे पूरे जोश के साथ दबा दबा कर मज़े ले रहा था। सूरज बुर को ऐसे चाट रहा था जैसे कि कटोरी में रसगुल्ले की चाशनी को चाट रहा हो,,,, अभी तो मुश्किल से २ मिनट ही गुजरे थे कि सुधियां के मुंह से गरम-गरम सिसकारियों की आवाज आने लगी।,,और ऊसकी सिसकारीया ईतनी मादक थी की ऊसकी मस्ती भरी शिकारियों की आवाज सुनकर सूरज को इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पहले ही पानी ना फेंक दे।

ससससहहहहह,,,,,,सूरज,,,,, आहहहहहहहह,,,,, ये क्या कर रहा है तुम,,,, मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है,,,,,ऐसा लग रहा है जैसे कि मेरी सांसे अटक जाएंगी,,,,, आहहहहहहहह सूरज,,,,
( सूरज उसकी बातों पर ध्यान दिए बिना ही केवल उसकी सिसकारियों की आवाज सुनकर एक दम मस्त होकर उसकी बुर का पानी पिए जा रहा था। उसे मालूम था कि सुधियां मामी को मजा आ रहा है और वह,,,
उनके मजे को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपने बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर फिर से डाल दिया और इस वजह से उसके मुख से हल्की सी चीख निकल गई,,,। दोनों एकदम से एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे सूरज की मामी तो उत्तेजना ग्रस्त होकर इधर-उधर अपना सिर पटक रही थी।,,, इतनी ज्यादा काम उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि बार-बार ना चाहते हुए भी वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल दै रही थी और जब जब वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछालती तो ऐसा प्रतीत होता कि वह अपनी बुर को और ज्यादा चटवाने के लिए एकदम बेचैन हुए जा रही है। और सूरज भी उसकी बेचैनी को समझते हुए जोर-जोर से अपनी जीभ का वार उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों पे करते हुए अंदर तक डाल दे रहा था,,
सुधियां से अब अपने आप पर सब्र कर पाना बेहद मुश्किल हुए जा रहा था ।और उत्तेजना के परम शिखर तक पहुंच कर सिसकारीयो के साथ-साथ पूरे माहौल को उसकी गर्म बातों ने और भी ज्यादा उत्तेजना से भर दिया।

आहहहहहहहहह,,, सूरज,, तूने तो मुझे पागल कर दिया है रे जिस तरह का सुख तू दे रहा है शायद मैं सपने में भी ऐसा सुख प्राप्त नहीं कर पाती।सससहहहह,,,, आहहहहहहहहह,,,, बस ऐसे ही,,,,, ऐसे ही मेरी बुर को चाट,,,, जीभ को अंदर डाल डाल कर चाट,,, चाट जा सारी मलाई को,,,आहहहहहहहहहहहह। ऊहहहहहहहह,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है मुझे ना जाने क्या हो रहा है ऐसा लग रहा है कि मेरा पूरा बदन हवा में झूला झूल रहा है।,,,( इतना कहते हुए उत्तेजना के मारे उसने अपने दोनों हाथ को आगे लाकर सूरज के बाल को कसकर अपनी मुट्ठी में भींच ली और उसके मुंह को जोर से अपनी बुर पर दबाते हुए,,,।)

ओोहहहहहहहह,,,, मेरे सूरज बस ऐसे ही चाट,, ववववववबहुत मजा दे रहा है तू,,,,,आहहहहहहहह,,,

सुधियां मामी मैं ना कहता था कि उस औरत को भी बहुत मजा आ रहा था तभी तो मे तुम्हें यह कराने के लिए बोल रहा था,,( सूरज कुछ सेकंड के लिए अपना मुंह उसकी बुर पर से हटाया और इतना कहने के बाद फिर से अपना मुंह बुर नुमा कटोरी में जमा दिया,,,।)


हारे तू बिल्कुल सच कह रहा था वरना मैं कभी यकीन नहीं कर पाती तू सच कह रहा था कितना मजा आता है मैंने आज तक इस तरह के मजा लेने की कल्पना भी नहीं की थी,,,, बस बेटा ऐसे ही चाटते रहे,,,,,आहहहहहहहह,,, आहहहहहहहह,,,
( सुधियां मामी की बात सुनकर सूरज बुर की अंदरूनी दीवारों के अंदर अपने लंड के लिए जगह बनाने हेतु अपनी दूसरी उंगली भी बुर के अंदर डालकर जोर-जोर से अंदर बाहर करते हुए चाटने लगा। और जैसे ही सूरज की दूसरी उंगली उसकी बुर में प्रवेश हुई वह चीखने चिल्लाने लगी,,, क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसे अपनी बुर में लंड लिए और उसके पति का लंड पतला ही था जो कि शायद सूरज की उंगलियों से कम ही मजा देता था)
 
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ओहहह,,, सूरज बहुत दर्द कर रहा है रे,,,,( इतना सुनते ही सूरज समझ गया कि सुधियां मामी ने अब तक शायद उसके मोटे लंड जेसा कुछ भी अंदर नहीं ली है और मामा का लंड शायद पतला ही है तभी तो दो उंगली जाने में ही दर्द करने लगा।,, इसलिए वह बुर पर से अपना मुंह हटाकर बोला,,)

क्या सुधियां मामी बस दो उंगली जाते ही इतना छटपटाने लगी,,,

तू समझ नहीं रहा है सूरज,,, मुझे तो तेरी एक उंगली से भी दर्द हो रहा था लेकिन तू इतनी अच्छी तरीके से मेरी बुर को चाट रहा था कि, मैं अपना सारा दर्द भूल गई लेकिन तेरी दूसरी उंगली मुझे कुछ ज्यादा ही दर्द दे रही है।

कुछ नहीं सुधियां मामी अभी बस थोड़ी ही देर में तुम्हें मजा आने लगेगा (सूरज अपनी दोनों उंगली को अंदर बाहर करते हुए बोला,,,।)

लेकिन अभी तो मुझे दर्द कर रहा है।

बस थोड़ी देर और मामी उसके बाद मजा ही मजा है।
( इतना कहते हुए सूरज अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर मस्ती से लहरा रही एक चूची को थाम कर दबाना शुरु कर दिया,,, सूरज को इतना ज्ञान तो हो चुका था कि औरत के साथ अगर मजा लेना है तो सबसे पहले उन्हें मजा देना बेहद जरूरी होता है और उस के दर्द को मज़े में बदलने के लिए उसका स्तन मर्दन करना बेहद जरूरी था,,, और इस कार्य में तो सूरज माहिर था वह अपनी सुधियां मामी की बड़ी बड़ी चूची को दबाते हुए बोला।)

सुधियां मामी तुम्हें बस दों उंगली में इतना दर्द करने लगा अगर पूरा लंड तुम्हारी बुर में घुसेगा तब क्या होगा
(सूरज जानबूझकर इस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहा था,,, जिसे सुनकर सुधियां के बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी और वह सूरज की बात का जवाब देते हुए बोली,,,,)

इससे मोटा कभी जा ही नहीं सकता क्योंकि तेरे मामा का,, पतला है,,,,

क्या बात कर रही हो सुधियां मामी क्या सच में पतला है,,( बुर मे लपालप उंगली डालते हुए बोला)

सससहहहहह,,,,, अब तुझसे कुछ भी छुपाने जैसा बचा ही नहीं है।

इसका मतलब है कि मामा ने तुम्हारी जवानी को पूरी तरह से मैं नीचोड़ ही नहीं पाए,,, तभी तो तुम्हारा बदन अभी भी खिला-खिला सा है ।
( सूरज अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों का सहारा लेकर,,, अपने मंसूबे पार करने में लग गया,,, सूरज की बातें सुनकर सुधियां को भी अच्छा ही लगा क्योंकि एक तरह से वह उसकी तारीफ ही कर रहा था,,, फिर भी वह जानबूझकर एतराज जताते हुए बोली,,,।)

तू ऐसा क्यों कह रहा है तेरे मामा ने भी तो मुझे बहुत प्यार दिया है।

हां,,,, तभी देख रहा हूं कि सिर्फ दो उंगली डालने में ही चिल्लाने लगी,,,, (सूरज बातों ही बातों में उसे ताने कसते हुए बोला)

तू कहना क्या चाहता है, (तभी सूरज अपनी दोनों उंगलियों को जोर से अंदर की तरफ घुमा दिया,,जिसकी वजह।से ऊसकी चीख निकल गई।) आहहहहहहहह,,,,, ऊंगली जाने ना जाने से प्यार की क्या संबंध,,,,, ?

संबंध है सुधियां मामी तभी तो मैं कह रहा हूं,,,,।

कैसा संबंध,,,?

सुधियां मामी,,, अगर मामा तुमसे जी भर कर प्यार करते हो तुम्हारी जवानी का रस निचौड़े होते तो आज उंगली जाने से ना चिल्लाती बल्की अगर गधे का लंड भी जाता तो उसे भी मस्त होकर अंदर ले लेती,,,
( सूरज मस्ती के साथ अपनी दोनों उंगली को बुर के अंदर गोल-गोल घुमाते हुए अंदर-बाहर कर रहा था,,, एैसा भी कह सकते हैं कि वह अपनी उंगलियों का सहारा लेकर सुधियां मामी की बुर में अपने लंड जाने के लिए जगह बना रहा था।,,
सूरज की बात सुनकर सुधियां आश्चर्य में पड़ गई,, वह क्या कहना चाह रहा था उसे ठीक से समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह बोली।

तू कहना क्या चाह रहा है यह मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है।

देखो सुधियां मामी बात बिल्कुल सीधी है
(इस बार वह बुर की गुलाबी पत्तियों को उंगलियों के बीच ज़ोर से दबाते हुए जिसकी वजह से सुधियां की उत्तेजना और बढ़ने लगी)
तुम्हारे जैसी औरत और वह भी जवानी से भरपूर जिसके अंग अंग से मदन रस टपक रहा हो ऐसी औरत के लिए मोटा और तगड़ा लंड चाहिए जो कि तुम्हारी बुर में जाकर उसकी पूरा रस निचोड़ सकें,,,, और जैसा कि तुम बता रही हो अभी तक तुम्हारी बुर में ऐसा मोटा तगड़ा लंड गया ही नहीं जो तुम्हें जवानी और चुदाई के मजे से वाकिफ करा सकें,,,,

( सूरज की बातें सुनकर और उसकी उंगलियों की हरकत की वजह से हल्की सी सिसकारी लेते हुए मन ही मन में वह सूरज की बातों पर गौर करने लगी जो कि उसे सच ही लग रहा था।)
बताओ सुधियां मामी क्या तुम्हारी बुर में मोटा तगड़ा लंबा लंड गया है।,,,,

नहीं (थोड़ी देर सोचने के बाद बोली)

तभी तो चुदवाते समय तुम उस मौसी की तरह चीखती चिल्लाती नहीं हो जो कि मजे से चीखते चिल्लाते हैं।
( सूरज की बातें सुनकर वह सोच में पड़ गई क्योंकि जो वह कह रहा था वह बिलकुल सच था यह बात उसी ने सूरज को बताई थी कि उसने कभी भी उस औरत की तरह चीखी चिल्लाई नहीं इसका मतलब साफ था कि उसे चुदाई में उतना मजा नहीं मिल पाया है जितना कि मिलना चाहिए था।,,, वह कुछ देर मन ही मन में सोचते हुए सूरज की तरफ आशा भरी नजरों से देखी जो कि अभी भी उसकी बुर में उंगली अंदर-बाहर कर रहा था। और सूरज उसकी खामोशी को देखकर समझ गया कि वह क्या सोच रही है इसलिए बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अगर तुम्हारी बुर में मेरा मोटा लंड( अपने लंड की तरफ देखते हुए जिसकी वजह से सुधियां की नजर भी उस पर चली गई जोंकि पूरी तरह से टनटनाया हुआ था,, जिसे देखते ही उसकी बुर में हलचल होने लगी,,)
जाएगा तभी तुम उस औरत की तरह चीखती-चिल्लाती हुए मजा ले पाओगी। वरना ऐसे ही प्यासी की प्यासी रह जाओगी।,,,
( बातों ही बातों में सूरज उसे चोदना चाहता है यह बता दिया था और उसे अपनी प्यास बुझाने का रास्ता भी दिखा दिया था अब सुधियां मामी को ही तय करना था कि वह क्या चाहती है लेकिन इतना तो तय था कि सूरज ने अपनी बातों से और अपनी हरकतों से उसके तन-बदन की कामाग्नि को इतनी ज्यादा प्रज्वलित कर दिया था कि उसे बुझा ना बेहद जरूरी था और उसे बुझाने के लिए सुधियां को सूरज का साथ देना ही था इसलिए कुछ देर खामोश रहने के बाद वहं हल्की सी सिसकारी लेते हुए बोली,,,

क्या तेरा चला जाएगा,,,,
( इतना सुनते ही सूरज मन ही मन खुश होने लगा क्योंकि उसकी मामी का यह सवाल उसके तरफ से पूरी तरह से रजामंदी का इशारा था और सूरज ने जो बातों के पुल को बुना था,, उस पर तो सुधियां मामी को चलना ही था क्योंकि उस पर चले बिना उसकी प्यास बुझने वाली नही थी।,,, सूरज उत्तेजना के मारे उसकी बुर में
जोर-जोर से उंगली पेलते हुए बोला।)

सुधियां मामी यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा,,,। तुम्हारी छोटी सी रसीली बुर के गुलाबी छेद मे मुझे मेरा मोटा लंड कैसे डालकर तुम्हारी प्यास बुझाना है यह मैं अच्छी तरह से जानता हूं,,
( इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी ऊंगली को बुर के अंदर से बाहर निकाल दिया क्योंकि अब उस के मंसूबे पुरे होने वाले थे,,, इस खुशी में वहा एक बार फिर से अपने प्यासे होठों को अपनी सुधियां मामी की तरसती बुर पर रख दिया और उसे चाटना शुरु कर दिया,,, एक बार फिर से सुधियां के मुंह से गर्म सिसकारी छूट पड़ी,,, सूरज जोर-जोर से अपनी जीभ उसकी बुर के अंदर घुमाना शुरू कर दिया क्योंकि अब इसी बुर ने उसे अपना मोटा लंड डालकर उसे चोदना था।
 
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सुधियां सूरज को अपनी बुर के अंदर उसके लंड को डालने की इजाजत दे दी थी। इस रजामंदी के लिए वह तैयार तो हो गई थी लेकिन इसकी इजाजत देने के बाद उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि,, रजामंदी देने का मतलब था कि अपना सर्वस्व सूरज को सौंप देना अपनी इज्जत अपना तन मन सब कुछ। अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द की कल्पना जिसने अभी तक नहीं की थी आज वह अपने भांजे को चोदने की इजाजत दे दी थी यह अपने आप में ही उसके लिए बेहद अद्भुत और अहम फैसला था पर इस फैसले को लेकर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर जोरों पर उछाल मार रही थी। जिस तरह से उसने सूरज को चोदने की इजाजत दे दी थी उसने उसका कोई भी दोष नहीं था,,,
क्योंकि उसके सामने हालात ही कुछ इस तरह से प्रकट हो गए थे कि वह ना भी नहीं कर सकती थी और इंकार भी नहीं कर सकती थी। महीनों से प्यासी औरत के लिए उसके हालात और वक्त को देखते हुए सूरज जेसे जवान लंड ही काम रूपी आंधी में तिनके का सहारा नजर आते हैं और जिस तरह से सूरज ने उसे चुदाई के सुख की कल्पना उसे अपने शब्दों में कह कर बताया था। उसे सुनने के बाद वह तो क्या कोई भी औरत चुदने की रजामंदी से ईंकार नहीं कर सकती थी। और सुधियां तो गदराई जवानी की मालकिन की जो कि इस समय एकदम से बेलगाम हो गई थी।

सूरज सुधियां मामी की बुर में लंड डालने से पहले उसकी बुर के स्वाद को चख कर अपनी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा देने के उद्देश्य से अपनी जीभ को उसकी बुर की कटोरी में डालकर लपालप मदन रस को गटक रहा था। सूरज अब अपने आप को बिल्कुल भी रोक नहीं सकता था क्योंकि माहोल ही ईस तरह का बन चुका था। इसलिए वह बुर पर से अपना मुंह हटाया तो वह उत्तेजना के मारे हांफ रहा था। सुधियां मामी सूरज को हांफते हुए और अपनी बुर के मदन रस को उसके होंठों से टपकते हुए देखकर एक दम से चुदवासी हो गई,,
एक अजीब सी हलचल उसके तन-बदन में फैल गई,, शर्म के मारे वह अपनी नजरों को नीचे झुकाई तो सीधे उसकी नजर सूरज क मोटैं तगड़े खड़े लंड पर. गई,, लंट को पूरी तरह से तैयार देखकर उसकी बुर का दाना फुदकने लगा,,, वह लंड की मोटाई को देखकर एकदम हैरान थी वह जानती थी कि कुछ ही देर में अब वह उसकी बुर के अंदर लंड आने वाला है लेकिन कैसे घुसेगा इस बारे में सोचकर उसके पसीने छूट रहे थे क्योंकि हल्की सी एक उंगली डालने पर भी उसे दर्द का अनुभव होता था उसके मुकाबले तो यह गधे के लंड के बराबर ही था,,,

यह सब सोचकर उसके चेहरे पर हैरानी के भाव नजर आ रहे थे सूरज भी पूरी तरह से तैयार हो चुका था संपूर्ण रूप से नंगी होने के बावजूद भी उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट था जिस की डोरी को हाथ बढ़ाकर एक झटके में खोलकर उसे ढीला कर दिया,,, और उसे उसकी कमर से नीचे उतारने के लिए अपने दोनों हाथों में पेटीकोट के छोर को पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, भारी भरकम गोलाई लिए हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड के वजन के नीचे पेटीकोट तभी होने की वजह से वह ठीक से उतार नहीं पा रहा था,,, इसलिए वह उसका सहकार देते हुए अपने भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ हल्के से उचका दी और,,, सूरज भी मौके का फायदा उठाते हुए ऊसकी पेटीकोट को खींचकर ऊसके चिकनी पेर से बाहर कर दिया,,,,
मदहोशी का उन्माद इतना ज्यादा बढ़ गया था कि सुधियां भी खुद ही अपने ब्लाउज को निकाल कर बाहर फेंक दि, उसके उतावलेपन को देखकर सूरज की लंड ठुनकी मारने लगा सूरज की आंखों के सामने उसकी मांमी पूरी तरह से नंगी निकली हुई थी। उत्तेजना के मारे सुधियां मामी की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी और सांसों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे होते हुए माहौल को और ज्यादा गर्म कर रही थी।,, सूरज अपनी सुधियां मामी की खूबसूरती को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोला,,,

वाह सुधियां मामी तुम तो कितनी खूबसूरत लगती हो इस उम्र में भी तुम जवान लड़की को फेल कर सकती हो,,( इतना कहते हुए वह अपना शर्ट उतारने लगा,, सुधियां कामुकता भरी नजरों से सूरज को अपना टीशर्ट उतारते हुए देखने लगी,,,
शर्ट के उतरते ही सूरज का चौड़ा गठीला सीना नजर आने लगा और सूरज का गठीला जवान बदन देख कर सुधियां की बुर की गुलाबी पत्तियों में थिरकन होने लगी,,, वह सूरज को अपने सीने से लगा लेना चाहती थी और अपनी बड़ी बड़ी छातियों को उसकी छातियों पर रगड़ने का आनंद अपने तन बदन को महसूस कराना चाहती थी लेकिन वह सामने से ऐसा करने में असमर्थ थी।,,,वह एकटक बस सूरज को देखे जा रही थी,,, सूरज जानता था कि उसकी गठीले बदन को देखकर प्यासी औरतों का क्या हाल होता है इसलिए वह सुधियां मामी की प्यास को और ज्यादा बढ़ाने के उद्देश्य से अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया,,, और हिलाते हुए बोला,,,


ओहहहह,,, सुधियां मामी देखना जब यह मेरा मोटा लंबा लंड तुम्हारी छोटी सी बूर मे जाएगा तो कैसा रगड़ता हुआ जाएगा तुम्हारी बुर की गुलाबी पत्तियों को कैसे फैलाता हुआ अंदर घुस जाएगा,,,
( ऐसा कहते हुए सूरज जानबूझकर अपने लंड को हिला रहा था और सूरज की बातें और उसकी हरकत को देखकर सुधियां शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,, उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह के दृश्य को वह कैसे खुली आंखों से देख पा रही है क्योंकि उसके अंदर शर्म की भावना बेहद जोर मार रही थी लेकिन उत्तेजना का बवंडर उसे अपने अंदर खींचे लीए जा रहा था। इसलिए बात ना कर दी अपनी नजरों को हटाने में असमर्थ हुए जा रही थी सूरज धीरे से बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गया,, और सुधियां मामी की टांगों के बीच जगह बनाते हुए,

सूरज सुधियां मामी की कमर को दोनों हाथों से थाम कर उसे अपनी तरफ खींचा ऐसा करने पर सुधियां मामी की गुदाज जांघे सूरज की जांघों पर चढ़ गई,,, सूरज अब पूरी तरह से तैयार था अपनी सुधियां मामी की बुर में लंड डालने के लिए,,, उत्तेजना के मारे सुधियां लंबी लंबी सांसे ले रही थी। उसका बदन रह रह कर इस इंतजार में कसमसा रहा था कि किसी भी पल सूरज का लंड ऊसकी बुर में प्रवेश करने वाला था। सूरज की नजर उसकी रसीली बुर पर ही टिकी हुई थी जो कि बालाे से लगभग ढकी हुई थी। सूरज से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह अपनी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसकी जांघो को अपनी हथेली में भर भर को दबा रहा था।,,,

ससससहहहहहहह,,,,, सूरज क्या कर रहा है मुझे दर्द हो रहा है।( सिसकारी लेते हुए बोली)
 
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सुधियां मामी चिंता मत करो बहुत ही जल्द ही यह दर्द तुम्हें मस्त कर देगा,,,( इतना कहते हुए सूरज अपने लंड को हाथ में पकड़कर उसकी बुर के मुहाने के करीब ले जाने लगा,,, और अगले ही पल सूरज अपनेे लंबे मोटे सुपाड़े को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो बीच रख दिया,,, लंड के मोटे से सुपाड़े का हिस्सा अपनी प्यासी बुर पर होते ही एक दम से मचल उठी और मस्ती के सागर में गोते लगाते हुए खुद-ब-खुद उसकी आंखें मूंद गई,,,,
और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,

सससससहहहहहह,,,,,,

( सुधियां मामी की सिसकारी की आवाज सुनकर सूरज समझ गया कि इस खेल में बहुत मजा आने वाला है। वह धीरे से लंड के सुपाड़े को एडजस्ट करते हुए बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच हल्के-हल्के सरकाने लगा,,, बुर नमकीन पानी की चिकनाहट की वजह से एकदम तरोतर हो चुकी थी। इसलिए सुपाड़े को बुर के अंदर सरकाने में ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं थी लेकिन,,,
बुर गीली और चिकनी होने के बावजूद भी जैसे-जैसे सूरज सुपाड़े को अंदर की तरफ सरका रहा था वैसे वैसे सुधियां के चेहरे का हाव भाव बदलते जा रहा था,,, उसके चेहरे पर दर्द के भाव साफ नजर आ रहे थे लेकिन फिर भी वह अपने आप को संभाले हुए थी, सूरज के मोटे लंड के साथ-साथ उसका सुपाड़ा भी कुछ ज्यादा ही मोटा था। इसलिए उसे अंदर सरकाने मे दिक्कत पेश आ रही थी और वह भी दिक्कत सुधियां मामी को पेश आ रही थी सूरज के लिए तो कुछ भी नहीं था वह तो एक झटके में ही अपना लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर उतार देता लेकिन ऐसा करने से उसका काम बिगड़ जाता है इसलिए वह धीरे-धीरे अपने काम मेे आगे बढ़ रहा था,,, धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग ला रही थी। सूरज ने आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के अंदर प्रवेश करा दिया था। सुधियां की हिम्मत की दाद देनी पड़ रही थी क्योंकि वह अपने दर्द को अपने अंदर ही अंदर छुपाए हुए थी।,, बस घुटी घुटी जीसके साथ उसके मुंह से केवल आह आह ही निकल रही थी,,, और वैसे भी सूरज के लिए एक रास्ता आसान हो चुका था क्योंकि किसी भी बिल में अगर मुंह घुस जाए तो पूरे शरीर को जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता,,, सूरज अपनी सुधियां मामी का हौसला बढ़ाते हुए बोला,,,

वाह सुधियां मामी बहुत मजा आ रहा है, मै तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हारे जैसी औरत की बुर इतनी ज्यादा टाइट होगी पता ही नहीं चल रहा है कि किसी लड़की की बुर है या औरत की,,,,आहहहहहहहह,,,, तुम तो मेरी भी सिसकारी निकाल दे रही हो (सूरज उसी तरह से अपने सुपाडे को बुर में लटकाए हुए उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फेरते हुए बोल रहा था,,,)

तुझे तो मजा आ रहा है लेकिन मुझे बहुत दर्द कर रहा है वह तो ना जाने मैं कैसे इस दर्द को बर्दाश्त कर ले रही हूं।,,,,

सुधियां मामी बस थोड़ा सा और सहन कर लो उसके बाद तो मस्ती के सागर में गोते लगाओगी,,,, ( इतना कहते हुए सूरज इस बार हम जैसे अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का लगा और धक्के के साथ ही m सुधियां मामी की चीख निकल गई और लगभग १ इंच तक,,,उसका लंड बुर मे घुस गया।,,, दर्द के मारे उसकी मांमीें झटपटाने लगी,,,

ओहहहहहहह,,,,, मां,,,,, यह क्या डाल दिया तूने मुझे बहुत दर्द कर रहा है मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा (इतना कहते हुए वह अपने सिर को दाएं-बाएं पटक रही थी,,, सूरज जानता था कि अब क्या करना है वह दोनों हाथ अपने आगे बढ़ाकर उसकी मस्ताई चूचियों को थाम लिया,,, और उन्हें दबाते हुए बोला।

बस सुधियां मामी कुछ देर और कुछ देर और दर्द सहन कर लो मेरी खातिर अपनी जवानी की खातीर थोड़ा सा और दर्द सहन कर लोगी तो उसके बाद ही,,,

कुछ देर और दर्द सहन कर लोगी तभी तुम्हें चुदाई के असली सुख के बारे में पता चलेगा,, अभी तो दर्द से छटपटा रही हो उसके बाद उस औरत की तरह मस्त होकर चीखेगी चिल्लाएगी की ओर डाल ओर डाल,,,,,
( सूरज पूरी चुचियों को हथेली में भर-भरकर दबाते हुए बोल रहा था,,,,)

लेकिन सूरज यह दर्द तो मेरी जान ले लेगा मुझसे नहीं लग रहा है कि मैं यह दर्द सहन कर पाऊंगी,,,,( दर्द के भाव अपने चेहरे पर लाते हुए बोली)

चुदाई का मजा लेना चाहती हो तो इतना तो दर्द सहन करना पड़ेगा तुमको मामी,, वरना तुम समझ नहीं पाओगी कि असली चुदाई का सुख क्या होता है,,,
( इतना कहते हुए सूरज दोनो चुचियों को हाथ में भरकर जोर-जोर से दबाते हुए एक और जबरदस्त धक्का मारा बुर पहले से ही पानी कि चिकनाहट की वजह से गीली हो चुकी थी,,, इसलिए इसके साथ ही सूरज का मोटा और मजबूत लंड बुर की गुलाबी पत्तियों को लगभग चीरता हुआ जैसे कि किसी ककड़ी को चीरते हैं वैसे ही गुलाबी पत्तियों को फैलाता हुआ बुर की जड़ में जाकर समा गया।,,, इस बार सूरज के इस जबरदस्त धक्के को उसकी सुधियां मामी सहन नहीं कर पाई और बहुत रोकने के बावजूद भी उसके मुख से चीख निकल गई,,,,

आहहहहहहहहह,,,,,, मर गई रे,,,,,, निकाल हरामी साले हरामजादे ऐसे भी कोई करता है क्या,,,,,,,ओहहहहहहहह,,,, मां,,,, बहुत दर्द कर रहा है,,,,,,
( सूरज जानता था कि इस तरह की कसीली बुर मे धीरे-धीरे लंड प्रवेश कराना बहुत मुश्किल होता है और ऐसे में मौका देखकर अगर एक साथ ही धक्का मार कर पूरा लंड बुर में उतार दिया जाए तो भले ही दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी उतना आता है और वही काम सूरज ने किया था,,,
लेकिन जिस तरह से उसके मुंह से चीख निकली थी उसे डर था कि कहीं कोई सुन ना ले और जल्दी से उसने अपने होंठ को उसके होठों पर रख कर चुसना शुरु कर दिया,,,, वह जानता था कि अगर वह उसके होठों को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू नहीं करेगा तो वह इसी तरह से चीखती चिल्लाती रहेगी और कहीं ऐसा ना हो जाए कि उसकी चीज़ों को कोई सुन ले और सारा काम बिगड़ जाए,,,,
इसलिए सूरज उसके होठों को चूसते हुए उसकी चूचियों को भी दबाना शुरु कर दिया और अपने मोटे लंड कों ज्यो का त्यो उसकी बुर की गहराई में ठहराया रहा। हालांकि सुधियां छटपटाते हुए अपने होंठ को उसके मुंह से छुड़ाना चाह रही थी लेकिन सूरज ने इतने कस के उसे अपने मुंह में लेकर चूस रहा था कि,,, वह छुड़ा नहीं पाई। और वहां लगातार उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो को दबाते हुए मसलते हुए उसके होठों का रसपान करते जा रहा था। नतीजन यह हुआ कि थोड़ी ही देर में उसकी छटपटाहट बंद हो गई,, और वह भी सूरज का साथ देते हुए सूरज के होठों को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी ऐसा कैसे हो गया यह उसे भी पता नहीं चला बस मस्ती के सागर में अपने आपको डुबोए ले चली जा रही थी।

सूरज एकदम पागलों की तरह उसके बड़े-बड़े पपीते सामान सूचियों को दबा दबा कर मजा ले रहा था और साथ ही उसके होठों के रस को पीकर एकदम नशे में हो गया था,,,, सुधियां मामी को जोश में आता देख कर वह एक बार फिर से अपनी कमर को हलके के ऊपर उठाते हुए अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा,,, और फिर से जोरदार धक्का मारा लेकिन इस बार उसकी सुधियां मामी के मुख से पहले की तरह चीख ना निकल कर हल्की सी सिसकारी की आवाज आई,,,

सससससहहहहहह,,,,,,,,

सूरज समझ गया कि अब यह पूरी तरह से तैयार है,,, इसलिए धीरे-धीरे अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में सूरज की कमर लय आ गई वह अपनी सुधियां मामी को बराबर चोदे जा रहा था। उसकी मम्मी मस्ती के सागर में डूबते हुए मजे लेते हुए अपने भांजे की होठ को अपने होटो से अलग ही नहीं कर रही थी,,,, वह सूरज को अपनी बांहों में भीचे हुए थे और अपनी हथेली को उसकी नंगी पीठ पर इधर-उधर घूमाते हुए रह-रहकर उसकी नितंबों को दबोचने रही थी। सूरज की तो जैसे लॉटरी लग गई थी उसे सुधियां मामी की बालों वाली बूर को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। उसकी कमर एक पल का भी थकान महसूस नहीं कर रही थी बल्कि रह-रहकर उसकी गति और ज्यादा बढ़ती जा रही थी पुरे कमरे में चप्प चप्प की आवाज गूंज रही थी,,,,, सूरज अपने होठों को सुधियां मामी के होठों से अलग करता हुआ उसकी बुर में लंड अंदर बाहर करके चोदते हुए बोला,,,

अब बोलो सुधियां मामी कैसा लग रहा है?

कुछ मत पूछ कैसा लग रहा है मैं बता नहीं सकती,,,, जिंदगी में पहली बार चुदवाने का मजा आ रहा है।


मैं बोला था ना मामीे मेरा मोटा लंड जिसकी बुर में जाता है वह मस्त हो जाती है। सच कहूं तो मुझे भी तुम्हें चोदने में बहुत मजा आ रहा है, ऊस मौसी से ज्यादा मजा तो तुम्हारी बुर मुझे दे रही है।

( सूरज अपनी मामी से बातें करते हुए उसे बराबर चोद रहा था उसका लंड बड़ी तीव्र गति से उसकी बुर के अंदर बाहर हो रहा था। सूरज के मुंह से अपनी बुर की तारीफ सुनकर सुधियां मन ही मन प्रसन्न होने लगी और वहां उत्तेजना वस नीचे से अपनी कमर उछालने लगी।
सुधियां मामी की उत्तेजना को देख कर सूरज से रहा नहीं गया और वह जोर-जोर से अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगा,,,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे उसकी मांमीे तो एकदम मदमस्त हो गई थी,,, बदन की प्यास ने उसे रिश्ते की मर्यादा तोड़ने पर मजबूर कर दी जिस्म की प्यास उसके तन बदन उसके मन पर भारी पड़ गया था लेकिन जिस तरह से उसे भांजे से चुदवाने का मजा मिल रहा था उस मज़े के आगे मर्यादा की दीवार गिर जाना ही बेहतर उसे लग रहा था।
सूरज का क्या था वह तो खुद अपनी मंगल मामी की चुदाई कर करके रोज मस्त होता जा रहा था इसलिए उसे अब रिश्तो के बीच मर्यादा का कोई मतलब नजर नहीं आता था बस उसे चोदने को मिलना चाहिए था। इसलिए तो आज वहां सुधियां मामी के साथ भी वही कर रहा था जो मंगल मामी के साथ करता आ रहा था,,, लेकिन दोनों ही सूरते हालात में ना तो सुधियां मामी को इस बात से ऐतराज था और ना ही मंगल मामी को क्योंकि दोनों अपनी अपनी जगह पर बेहाल हो चुकी थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए सूरज से बेहतर जुगाड़ उन्हें कहीं नहीं नजर आया।

सूरज आज सुधियां मामी को हर तरह से चोद लेना चाहता था क्योंकि क्या पता दुबारा यह मौका मिले ना मिले,,, इसलिए वहं सुधियां मामी की बुर में से अपने लंड को बाहर निकाल दिया इस तरह से जबरदस्त चुदाई के दौरान लंड को ऐसे बाहर निकलता देखकर सुधियां बोली,,,

क्या हुआ सूरज अपना लंड क्योे बाहर निकाल लिया?

सुधियां मामी अब घोड़ी बन जाओ,,,,

( इतना सुनते ही सुधियां मामी अपनी मस्ती से जाग गई क्योंकि उसे कुछ पता नहीं चल रहा था कि सूरज क्या बोल रहा है इसलिए वह आश्चर्य से बोली,,,)

क्या?

सुधियां मामी अब तुम घोड़ी बन जाओ मैं तुम्हारी पीछे से लूंगा,,,


तो यह क्या कह रहा है सूरज मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है (वह वैसे ही अपनी टांगें फैलाए हुए बोली)

सुधियां मामी मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूं तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर तुम्हें चोदना चाहता हूं तब तुम्हें भी और मुझे भी बहुत मजा आएगा,,,

लेकिन मैं समझ नहीं पा रही हूं कि मुझे करना क्या है?

तुम्हें बस अपने घुटनों और हाथ के बल बैठकर अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा लेना है जैसे कि कुत्तिया चुदवाती है बस वैसे ही,,, और मैं तुम्हें पीछे से चोदूंगा,,,

( सूरज की बात सुनते ही उसके तन-बदन में हलचल सी मच गई क्योंकि जिस तरह से वह चुदवाने के लिए बोल रहा था उस तरह से उसके पति ने कभी भी जिक्र तक नहीं किया था,,, इसलिए सूरज की बात सुनकर उसके मन में उत्सुकता बढ़ने लगी लेकिन वह खुद से उस पोजीशन में नहीं आ पा रही थी इसलिए सूरज ने ही उसकी मदद करते हुए,,, उसे घोड़ी बना दिया और इस अवस्था में उसे चोदना शुरू कर दिया इस अवस्था में चुदवाते हुए सुधियां तो एकदम पागलों की तरह मस्त होने लगी। सूरज तो बार-बार उसकी बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए उसे चोदने का मजा ले रहा था,,,
सूरज इतना ज्यादा जोश में आ गया था कि अपने लंड को पूरा का पूरा बाहर की तरफ खींच कर केवल अपने लंड के सुपाड़े को ही बुर में हल्का सा अटकाया रहता था और इतना जोरदार धक्का मारता कि सुधियां आगे की तरफ लुढ़क जाती थी लेकिन उसे वह कमर से कस के पकड़े हुए था इस तरह की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था साथ ही सुधियां मामी भी एक दम मस्त हुए जा रही थी,,,,

सूरज के हर धक्के का जवाब देते हुए सुधियां भी अपनी बड़ी-बड़ी गांड को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी जिससे दोनों का मजा दुगना होता जा रहा था।। ऐसे ही एक बार एक लंड को बाहर की तरफ खींच कर धक्का मारने में उसका लंड से चलकर उसकी बुर के नीचे वाले छेद में घुस गया उसका धक्का ईतना करारा था की,,, सूरज का पूरा सुपाड़ा जो कि बुर के मदन रस में भिगकर एकदम गीला हो चुका था,,, वह पूरा सुपाड़ा उसकी गांड की भूरे रंग के छेद में समा गया,,

सुधियां तो दर्द से बिलबिला उठी उसे समझ में ही नहीं आया कि यह क्या हुआ,,, एक बार फिर से उसके मुंह से चीख निकल गई लेकिन इस बार की चीख पहले वाली चीख से कई गुना ज्यादा थी,,। लेकिन जिस छेद में सूरज का लंड घुसा था,,, उस छेंद में
सूरज अपने लंड को डालने के लिए ना जाने कब से तड़प रहा था और इसके लिए वह मंगल मामी से भी कई बार बोल चुका था। लेकिन मंगल अनजाने डर और दर्द से भयभीत होकर उसकी यह बात नहीं मान रही थी, और आज अनजाने में ही उसका लंड सुधियां मामी की गांड के छेद में घुस गया था।,,,
छोटे से छेंद मे ऊसके लंड का मोटा सुपाड़ा घुस गया था, और इस अनजाने में हुए हमले की वजह से सुधियां मामी दर्द से बिलबिला उठी थी,, उसकी चीख बहुत तेज थी वह तो अच्छा था कि घर में कोई भी मौजूद नहीं था वरना आज दोनों रंगे हाथ पकड़े जाते,, वह दर्द से तड़पते हुए सूरज को गांड के छेद में से अपना लंड बाहर निकाल लेने के लिए कह रही थी,,,,

ओहहहह मां,,,,,, आहहहहहहहहह,,, हाय रे मार दीया जालीम,,,, सूरज क्या किया रे तूने कहां डालने की जगह कहां डाल दिया मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,

मुझे अंदर बहुत जलन हो रही है तू जल्दी से निकाल ले नहीं तो मेरी जान चली जाएगी तु नही जानता कि कितना दर्द हो रहा है।,,,,
( सुधियां मामी दर्द से तड़प रही थी लेकिन सूरज को एक अद्भुत एहसास का अनुभव हो रहा था,, उसकी मनोकामना आज थोड़ी बहुत पूरी हुई थी आज ऊसका लंड गांड के छेद में घुस गया था। और इस अद्भुत एहसास नहीं उसे कुछ पल मे ही बेहद आनंद की अनुभूति करा दीया। उसके जी में तो आ रहा था कि अंदर बाहर करते हुए वह सुधियां मामी की गांड मारने लगे लेकिन ऐसा करने में बना काम बिगड़ सकता था क्योंकि सुधियां मामी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था।,,, लेकिन फिर भी वह सुधियां मामी को मनाने के उद्देश्य से उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हथेली से सहलाते हुए बोला,,,

सुधियां मामी बस थोड़ी देर और रुको तो इसमें भी बहुत मजा आएगा,,,

हरामजादे क्या उसने मजा आएगा कितना दर्द हो रहा है तुझे क्या मालूम,,,,

मुझे मालूम है सुधियां मामी की बहुत दर्द करता है।

तुझे कैसे मालूम क्या तू भी गांड मराता है क्या,,,,
( दर्द से सिसकते हुए बोली)

अरे सुधियां मामी (गांड को अपनी दोनों हथेलियों में भरकर मसलते हुए) मैं जानता हूं कि उसने भी मुझसे यह काम भी करवाई थी शुरु-शुरु में वह भी तुम्हारी तरह ही चीख रही थी चिल्ला रही थी,,, लेकिन उसके बाद तो वह अपने गांड को उछाल उछाल के पीछे की तरफ मेरे लंड पर पटक पटक कर गांड मरवाने का मजा लूट रही थी,,,

( ऐसा कहते हुए वह जितना लंड घुसाया था उतना ही हलके से बाहर निकाल कर धीरे से एक बार फिर से अंदर की तरफ सरका दिया लेकिन इस बार भी सुधियां मामी के मुंह से चीख निकल गई। सूरज समझ गया कि इतनी जल्दी वह अपनी गांड देने वाली नहीं है लेकिन इतने से ही बहुत तेज दर्द के परम शिखर पर पहुंच गया था,,, सूरज को समझाने के बावजूद भी उसके दूसरे प्रयास की वजह से वह थोड़ा गुस्सा हो गई और वह चिल्लाते हुए बोली,,,।)

सूरज तू पागल हो गया है क्या तुझे इतना समझा नहीं कि मुझे दर्द हो रहा है फिर भी नहीं मान रहा है निकाल ले वर्ना में कुछ भी नहीं करने दुंगी।,,,

( सुधियां मामी के गुस्से को देखते हुए वह ईतना ताै समझ ही गया की अगर वह नहीं माना तो शायद सारा मजा धरा का धरा रह जाएगा वह मन ही मन सोच कर उदास होने लगा कि लगता है कि उसकी गांड मारने वाली इच्छा कभी भी पूरी नहीं हो पाएगी इसलिए वह अपने लंड को उसकी गांड से बाहर निकालते हुए बोला,,,

ठीक है सुधियां मामी निकाल रहा हूं इतना नाराज क्यों हो रही हो वह तो तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड मुझे बेहद पसंद आ रही थी इसलिए ऐसा हो गया,,,

ऐसा हो गया ( मुंह बनाते हुए) तेरे ऐसा हो गया मै तो मेरा न जाने क्या क्या हो गया था ,,,,

ठीक है सुधियां मामी अब चिंता मत करो देखना तुम्हें और ज्यादा मज़ा आएगा,,( इतना कहते हुए सूरज एक बार फिर से अपने लंड को उसकी गीली बुर के अंदर डाल दिया और दोनों हाथों से उसकी बड़ी बड़ी गांड को थाम कर चोदना शुरू कर दिया,,, और थोड़ी ही देर में सुधियां को भी मजा आने लगा,,,, जांघ से जांघ टकरा रही थी जिससे एक मादक आनंदित कर देने वाला शोर पूरे कमरे में गूंज रहा था कमरे के अंदर का वातावरण एक बार फिर से गर्म हो चुका था। सुधियां मामी अपने भांजे से चुदवाने का भरपूर मजा ले रही थी,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि ऐसा कुछ होगा और इतनी जल्दी होगा आज सुबह ही तो वह सूरज के लंड के दर्शन करके मस्त हो गई थी,और दोपहर में ही उसके मस्त लंड को अपनी बुरं में लेकर मदहोश होते हुए चुदाई का आनंद लूट रही थी। सूरज अब जोर जोर से धक्के लगा रहा था और उसके हर धक्के के साथ सुधियां आगे की तरफ लुढ़क जा रहीे थी।,,, सूरज उसे चोदते हुए उसके पूरे बदन पर अपनी हथेली या फिरा रहा था।


ओहहहहहह,,,,, सुधियां मामी मेरी जान तुम कितनी मस्त हो,, तुम्हें चोदते हुए मुझे इतना मजा आ रहा है कि मैं बता नहीं सकता,,,
( सूरज जानबूझकर उसे जान कह कर संबोधित कर रहा था ताकि चुदवाते समय और वह भी ज्यादा खुल जाए,,, सूरज की यह बात सुधियां को भी बेहद अच्छी लगी थी इसलिए तो वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। फिर भी जानबूझकर एतराज जताते हुए बोली)

सससहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहह,,,,, तू ऐसा कैसे कह रहा है जानता है ना कि मैं मामी जेसी हूं फिर भी तुझे बिल्कुल भी समझ नहीं है और मुझे जान कह कर बुला रहा है।,,,

तो क्या कहूं मेरी रानी मैं तो यही कहूंगा और सच कहूं तो अगर समाज का डर नहीं रहता तो मैं तुम्हें अपनी प्रेमिका बना लेता,,,,

धत्त कितनी गंदी बातें करता है तु,,,,, ( वह जानबूझकर इस तरह का बोल रही थी जबकि उसे सूरज की बातें सुनकर बहुत मजा आ रहा था और वह मस्त होकर बार-बार पीछे की तरफ अपनी बड़ी बड़ी गांड को ठेल दे रही थी।)

यह गंदी बातें नहीं है सुधियां मामी यह तो प्यार की बाते है,,,,

लेकिन तू ऐसी बातें मत कर मुझे शर्म आती है।

एकदम नंगी होकर मुझसे चुदवा रही हो तब शर्म नहीं आ रही है और मेरी बातें सुनकर तुम्हें शर्म आती है।,,,
( सूरज की यह बात सुनकर वह शर्मिंदा हो गई और शर्मिंदगी जताते हुए बोली,,,।)

तु यह कह रहा है तो मैं चली जाती हूं (इतना कहने के साथ ही वह आगे की तरफ बढ़ी हुई थी कि सूरज ने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से कसके पकड़ते हुए बोला)

अरे कहां जा रही हो मेरी जान तुम्हें तो मै अब कहीं नहीं जाने दूंगा जब तक आज मैं तुम्हारी जवानी के रस को चख ना लूं तब तक तुम्हें इस कमरे से बाहर भी जाने नहीं दूंगा
(और इतना कहने के साथ ही सूरज धकाधक तीन चार धक्के दे मारा इतने में तो एकदम से मस्त हो गई और सब कुछ भूल कर फिर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ऊछालने लगी,, और गरम सिसकारी लेते हुए बोली,,,)

ससससहहहहहह,,,,,, तू बहुत हारामी है रे,,,, मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि तू इस तरह का लड़का होगा देखने में कितना भोला लगता है लेकिन है बहुत शैतान,,,,
( सूरज की जबरदस्त धक्कों का मजा लेते हुए बोली)

तुम भी तो मामीे एकदम छिनाल है मैं भी तो कभी नहीं सोचा था कि तुम इस कदर प्यासी हो कि अपने भांजे का लंड अपनीे बुर में लेकर चुदवाओगी,,,,,( सूरज आगे की तरफ झुक कर दोनों हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबाते हुए बोला)

आहहहहहहहह,,,,, अरे हरामजादे कितना गंदा बोलता है के तु,,, बहुत हरामी है।

सुधियां मामी तभी तो तेरी जैसी औरत को चोदने में मजा आता है।,,,सच सच बताना,,,, तुम्हे मजा आ रहा है की नही,,,
( जोर जोर धक्के लगाते हुए बोला)

ऊूूूहहहहहहहह,,,,,, सससससहहहहहहहह,,,, मजा तो इतना आ रहा है कि पूछ,,,,मत ऐसा लग रहा है कि मैं हवा में उड़ रही हूं,,,

तो बस चुदाई का मजा ले मेरी जान ले संभाल अपने आपको मेरा मोटा लंड तेरी बुर की गहराई नाप रहा है,,,
( इतना कहते हुए सूरज जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया और सुधियां ने भी उसके लंड का स्वागत करते हुए जोर-जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेलना शुरु कर दी,,, सूरज के धक्कों की गति तेज हो गई,,, सुधियां जोर-जोर से सांसे लेते हुए चुदाई का मजा ले रही थी। दोनों की मेहनत रंग ला रही थी दोनों को अद्भुत सुख का एहसास हो रहा था दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। दोनों धीरे-धीरे चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रहे थे। तभी उसकी सुधियां कि सांसे एकदम से तेज हो गई और वह सिसकारी लेते हुए बोली,,,,

ससससहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,, सूरज मुझे कुछ हो रहा है ऐसा लग रहा है मैं कहीं बही जा रही हूं। मै समझ नहीं पा रही हूं लेकिन जो भी हो रहा है मुझे बहुत सुख दे रहा है।

तेरा पानी निकलने वाला है सुधियां मामी चिंता मत कर मेरा भी निकलने वाला है,,,


( और इसी के साथ ही सूरज जोर जोर से धक्के लगाने लगा,, सुधियां की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी सांसे फूल रही थी बिस्तर पर भी छाई हुई चादर अस्त-व्यस्त हो गई थी जिसे वह अपनी मुट्ठी से भींचे हुए थी,,,, और थोड़ी सी देर में दोनों सुखद चीख के साथ अपना अपना पानी फेंक दिए। सूरज को सुधियां मामी को चोदने में बेहद आनंद की अनुभूति हुई थी और सुधियां जिंदगी में पहली बार चुदाई की असली सुख से वाकिफ हो रही थी। कुछ देर तक सूरज उसकी पीठ पर हीं लेटा रहा।
 
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दोनों झड़ चुके थे और दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में एक दूसरे को अपनी बाहों में भींचेलहुए बिस्तर पर लेटे हुए थे।,, सूरज अभी भी सुधियां मामी की चूची को मुंह में भरकर पी रहा था,,, और वह एक हाथ से उसके बालों को सहलाते हुए सूरज के लंड को हल्की हल्की सहला रही थी।,,, दोनों के पास अभी भी अच्छा खासा समय बचा हुआ था,,, सूरज सुधियां मामी की चूचीें पीते-पीते उसे फिर से उत्तेजित करने लगा,,, उधर सूरज का लंड फिर से तैयार हो चुका था इतनी जल्दी फिर से लंड को खड़ा होते देख उसकी बुर में गुदगुदी होने लगी,, फिर क्या था सूरज तो हमेशा तैयार ही रहना था और सुधियां प्यासी औरत थी जोकी जितनी बार मिले उतनी बार उसकी प्यास और ज्यादा बढ़ जाती । फिर क्या था एक बार फिर से सुधियां ने अपनी टांगो को फैला दी और सूरज फिर से एक बार उसके अंदर समा गया।
एक बार फिर से दोनों एकाकार हो गए इस बार भी सुधियां मामी मस्त होकर सूरज के लंड से चुदवाने का मजा लूटने लगी,,, तकरीबन ३५ मिनट चुदाई के बाद एक बार फिर से दोनों अपना अपना माल गिरा दिए,,,
सुधियां एक दम मस्त हो चुकी थी,,,, लेकिन सूरज ने इतना ज्यादा रगड़ा था कि उसकी बुर दर्द कर रही थी,,,,, अभी भी दोनों बिल्कुल नंगे थे सुधियां का तो पता नहीं लेकिन सूरज की यही तो कमजोरी थी बड़ी बड़ी गांड और नंगी औरत काे देखकर चाहे जितनी बार भी उसका पानी गिरा हो उसका लंड तुरंत खड़ा हो जाता था,,,, और यही हुआ भी क्योंकि सुधियां बुर में दर्द के कारण खड़ी होकर इधर उधर टहल रही थी और इसी दौरान वह सुधियां मामी की बड़ी बड़ी गांड को मटकते हुए देख रहा था,,, उससे और उसके लंड से रहा नहीं गया और उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया यह देखकर सुधियां भी हैरान हो गई,,, और वह मुस्कुरा कर के करीब आते हुए बोली,,,

तू इंसान है कि जानवर जब देखो तब तेरा खड़ा हो जाता है,,,।

मेरे सामने इतनी खूबसूरत मस्त औरत है तो मेरा लंड तो खड़ा होगा ही,,, चल मामी अब बिल्कुल भी देर मत कर एक बार फिर से मुझे दे दे,,,

पागल हो गया है क्या कितनी बार मैं तुझे दूं, अब मैं तुझे नहीं दे सकती मेरी बुर दर्द कर रही है,,,।( वह सूरज की ताकत को देखकर हैरान होते हुए बोली)

कोई बात नहीं मेरी जान एक बार गांड मारने दे( उसकी बड़ी बड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला)

धत्त,,,, पागल हो गया है क्या तू (उसका हाथ हटाते हुए) बहुत दर्द करती है।

क्या मामी यह दर्द करती है वह दर्द करती है मजा लेना है कि नहीं (सूरज अपने लंड को हीलाता हुआ बोला,, जिसे देख कर उसका मन मचलने लगा)

नहीं सूरज मुझे दर्द करता है और किसी भी वक्त वह लोग आ जाएंगे,,,

अभी बहुत समय है सुधियां मामी तब तक तो अपना काम हो जाएगा (इतना कहते हुए वह सुधीया मामी को बाहों में भर कर उसके होठों को चूसने लगा ताकि वह और ज्यादा उत्तेजित हो जाए उसके होठों को चूसते चूसते ऊसके बड़े-बड़े नितंबों पर भी हाथ फेऱते हुए उसे दबाने लगा,,, जिससे वह भी उत्तेजित होने लगी,, अब तो उसका भी मन करने लगा एक बार फिर से चुदवाने का लेकिन उसकी बुर दर्द कर रही थी,,, और गांड में लेने से उसे डर लग रहा था लेकिन उसे सूरज पर विश्वास था इसलिए वह बोली,,,।)

मुझे डर लग रहा है कहीं बहुत दर्द किया तो,,,
( सुधियां मामी की यह बात सुनकर सूरज समझ गया कि सुधियां मामी पूरी तरह से तैयार हो चुकी है बस थोड़ा सा झिझक रही है। और वह उसकी झिझक को को खत्म करते हुए बोला,,,)

अरे मामी तुम चिंता मत करो वह तो अनजाने में ही हो गया था इसलिए दर्द कर रहा था मैं तुम्हें ऐसे प्यार से करूंगा कि तुम खुद हीै बार-बार मुझसे अपनी गांड मरवाने के लिए करोगी,,,
( इतना कहते हुए सूरज अपनी उंगलियों को उसकी बड़ी-बड़ी गांड की फांकों की बीच की गहराई में उतार कर अंगुलियों से टटोलकर ही उसकी गांड की भूरे रंग के छेद का जायजा लेने लगा,,, सूरज की इस हरकत से वह और भी ज्यादा मस्त हो गई और गांड मराने की उत्सुकता बढ़ने लगी।
सूरज कुछ देर तक वैसे ही उसके होठों का रसपान करते हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड को मसलते रहा जिससे कि उसकी भी उत्तेजना बढ़ने लगी,,, उसका लंड जांघों के बीच रगड़ खाने लगा जिससे सुधियां मामी के बदन में और ज्यादा शुरुर छाने लगा,,, अब तो आलम यह हो गया था कि सुधियां मामी खुद घोड़ी बनकर चुदवाना चाहती थी,,, धीरे धीरे शाम ढलने को हो रही थी इसलिए ज्यादा समय नहीं बचा था,,, और जिस तरह से सूरज अभी भी चाटने सहलाने में लगा हुआ था उससे ओर समय ज्यादा गुजर जाता, इसलिए सुधियां को चिंता होने लगी और वह खुद ही बोली,,,।

क्या कर रहा है सूरज ऐसे तो समय और ज्यादा बीत जाएगा वह लोग कभी भी आ सकते हैं तुझे जो करना है वह जल्दी कर,,,
( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज समझ गया कि सुधियां मामी काफी उतावली हो चुकी है गांड मराने के लिए इसलिए समय बर्बाद करना ठीक नहीं था,,, वह भी जल्दी से सुधियां मामी से अलग हुआ और सुधिया मामी खुद ही बिस्तर पर घोड़ी बन गई,,, सूरज तो अपनी मामी की इस अवस्था में बड़ी-बड़ी गांड को देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया था। वह बेहद उत्तेजित नजर आ रहा था क्योंकि उसकी मनोकामना आज पूरी होने वाली थी।,,, वह सुधियां मामी के करीब पहुंचकर अपनी उत्तेजना को दबा ना सकने की स्थिति में दो चार चपत उसकी गोरी गोरी गांड पर लगा दिया,,,

आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है,,,

कुछ नहीं मामी मजा आ रहा है,,,,।

जो करना है जल्दी कर अगर वह सब आ गए तो,,,
( इतना कहकर वह अपनी नजरें पीछे फेरकर सूरज की तरफ देखने लगी जोकि अपना मुंह उसकी जांघों के बीच ले जाकर के उसकी गांड के भुरे रंग के छेद को चाटना शुरू कर दिया था। यह देख कर वह एकदम से चुदवासी हो गई और ऊसके मुंह से सिसकारी निकल गई,,,।
 
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ससससहहहह,,,,,,,ओहहहहहहहहह,,,,,, सूरज,,,,, तू तो मुझे पागल कर देगा रे,,,,
( सूरज अपनी हरकतों से सुधियां मामी को और ज्यादा तड़पा रहा था और वह खुद से उनकी हरकतों से इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी की अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और एक हाथ से खुद ही अपनी चूची को दबाने लगी थी,,, कुछ देर तक सूरज ऐसे ही उसकी गांड को चाट़ता रहा,,, अब वह समय आ गया था जब वह किसी औरत की गांड मारने जा रहा था वह खड़ा हो चुका था वह जानता था कि गांड का छेद कुछ ज्यादा ही टाइट है,, जिसे वह चाट चाट कर गीला कर चुका था,,, लेकिन सूरज उसे और ज्यादा लसीला करना चाहता था ताकि उसका लंड आराम से चला जाए,,,, इसलिए वह बोला,,,

मामी तेल की शीशी कहां है,,,,

( सूरज ने अपनी हरकतों से सुधियां मामी को इतनी ज्यादा कामाग्नि से भड़का चुका था की उत्तेजना के मारे उसके मुंह से कोई शब्द नहीं फुट रहे थे और वह इशारे से ही अलमारी की तरफ उसे बता दी,,, सूरज जी जल्दी से जाकर अलमारी से तेल की शीशी ले आया और तेल की शीशी से तेल निकाल कर थोड़ा अपने लंड पर और उसकी गांड के छेद पर लगा दिया,,, यह एक तरह से सूरज के लिए होमवर्क था। क्योंकि सूरज मन में सोच रहा था कि आज उसकी मामी से वह सीख भी जाएगा कि गांड मारने में कितना मजा आता है और कैसे मारा जाता है क्योंकि उसकी दिली ख्वाहिश इच्छा ऐसी थी कि वह सुधियां मामी की गांड मारने के लिए बेहद उत्सुक था।
इसलिए वह सुधियां मामी की गांड मारने से पहले अपने आप को पूरी तरह से इस अध्याय से पूरी तरह से अवगत करा लेना चाहता था। सुधियां बार-बार पीछे की तरफ देख रही थी उसे इस बात का इंतजार था कि कब सूरज अपने लंड को उसके छोटे से छेद में डालकर उसे चोदता है,,,
तभी सूरज अपने लंड के सुपाड़े को उसके छेद पर रखकर हल्के से धक्का मारना शुरू किया,,, तेल की चिकनाहट पाकर उसका सुपाड़ा धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकने लगा लेकिन सुधियां मामी को दर्द का एहसास भी होने लगा इसलिए वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार करते हुए चादर को अपनी मुट्ठी में भींच ली थी,,, धीरे-धीरे करके सूरज ने अपने पूरे लंड को उसकी गांड में उतार दिया लेकिन सुधियां मामी दर्द से बिलबिला रहे थे लेकिन फिर भी अपने दर्द को अपने दांत भींचकर दबाए हुए थी। लेकिन सूरज ने अपनी सूझबूझ से अपनी हरकतों की वजह से धीरे-धीरे उस के दर्द को दूर कर दिया,,,
और अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुएं उसकी गांड मारना शुरू कर दिया,,, सुधियां भी आज इस तरह का नया अनुभव लेकर एकदम मदहोश हो चुकी थी वहां भी अपनी गांड को पीछे ठेल-ठेल कर उसका साथ दे रही थी। दोनों में जैसे होड़ लगी हो वह अपनी गांड को पीछे की तरफ दे मारती और सूरज आगे से धक्के पर धक्के लगाया जा रहा था,,, सूरज इतनी तीव्र गति से अपनी कमर हिलाते हुए उसकी गांड मार रहा था कि सुधियां एकदम से हिल गई थी,,, एक बार फिर से गर्म सिसकारी से उसका कमरा गूंजने लगा था दोनों फिर से पसीने से तरबतर हो चुके थे,,,

सुधियां तो इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि एक हाथ से अपनी चूची दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी बुर की गुलाबी पत्ती को मसल रही थी जिसकी वजह से वह भी झड़ने के कगार पर पहुंच चुकी थी,,, एक बार फिर से दोनों ही एक साथ अपना अपना पानी का फव्वारा फेंक दिए।
जिंदगी में पहली बार सुधियां ने चुदाई की असली सुख का अनुभव की थी और सूरज के लिए जिंदगी में तीसरी औरत है जिसके साथ वह चुदाई का मज़ा ले रहा था और।वह भी उसकी मामी थी। दोनों कमरे से बाहर आ गए थे शाम ढल चुकी थी तभी दूर अंधेरे में बेलगाड़ी की आकृति नजर आने लगी और वह लोग समझ गए कि घर के सभी लोग वापस आ रहे हैं दोनों बहुत खुश थे।
 

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