सूरज गांव में आकर पूरी तरह से अपने परिवार में ही मस्ती कर रहा था।सूरज धीरे-धीरे अपने घर की औरतों पर पूरी तरह से छा चुका था उसके लंड की दीवानी उसकी छोटी मामी वैशाली भी हो चुकी थी। जहां एक तरफ सूरज लगा हुआ था और दूसरी तरफ उसका मामा बिलास अपनी चचेरी बहन के साथ पूरी तरह से काम वासना में लिप्त होकर उसकी रोज चुदाई कर रहा था। उसकी बहन की मजबूरी थी इस वजह से अपने भाई से रोज चुद रही थी,
हालांकि उसे बिलास के छोटे लंड से जरा भी मजा नहीं आ रहा था। लेकिन क्या करें मजबूरी थी एक तो उसके पास सिर छुपाने को ना तो जगह थी न खाने को भोजन का प्रबंध था नाही कपड़ों का,,,,,
ऐसी हालत में वह बिलास कीे पास आई थी कि,, बिलास को अपनी मनमानी करने से रोकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं थी अगर ऐसी स्थिति में बिलास है की जगह कोई और भी होता तो भी वह उसकी मनमानी को हंसी-खुशी झेल लेती,,,। बिलास की बहन अपने हाथों मजबूर हो चुकी थी ना तो वह मनमानी करती और ना ही आज ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है बिलास जो कि खुद उसका चहेरा बड़ा भाई होने के बावजूद भी वासना में लिप्त होकर अपनी बहन के जिस्म की बोटी-बोटी रोज-नोच रहा था,,,
बदले में उसे भी पहनने को कपड़े खाने को भोजन और खर्चा पानी मैं जा रहा था लेकिन यह भी एक समस्या थी कि यह कब तक चलता,,, अच्छी तरह से जानती थी की जब तक उसकी भाभी घर पर नहीं है तब तक ही उसे ऐसो आराम है और उसके आने के बाद वह इस घर में कैसे रह पाएगी लेकिन इसका भी इंतजाम बिलास ने पहले से ही सोच रखा था लेकिन जब तक मंगल नहीं आ जाती तब तक वह दिन-रात काम बंद करके अपनी बहन के जिस्म से अपनी प्यास बुझाने में जुटा हुआ था,,,
गांव का माहौल धीरे-धीरे सूरज को और भी ज्यादा अच्छा लगने लगा केवल रहने की बात होती तो शायद वह ऊब जाता,,, लेकिन यहां घर में ही नई नई रसीली बुर का स्वाद उसे चखने को मिल रहा था इसलिए उसका दिन बड़ी मुश्किल से गुजर रहा था,,। घर में उसके नाना जिसका गांव में काफी नाम था और काफी ऊंचा घराना भी था उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनकी घर की बहूए अपने ही भांजे के साथ चुदाई का वासना युक्त खेल खेल रही है।,,,
दोनों के पतियों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनके सामने सती सावित्री बनी रहने वाली उनकी बीवीयां मौका मिलने पर मोटा मोटा लंड अपनी बुर में गटक जा रही थी,,,, अच्छा ही था कि उन दोनों को इस बात का जरा भी खबर नहीं थी वरना वह लोग शर्म से ही मर जाते हैं क्योंकि वालों की अपनी बीवी को एकदम सती सावित्री समझते थे इसलिए तो उन्हें कहीं भी आने जाने की छूट दे रखे हैं और वैसे भी पता चल जाता तो भी यह उन दोनों के लिए एक सबक के समान ही था,,
और यह सबक दुनिया के हर उस मर्द के लिए है जो कि,,, कामकाज मे लिप्त होकर अपनी बीवी पर जरा भी ध्यान नहीं देते,,,
उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि भले ही उनकी बीवियां मुंह खोल कर उन्हें चोदने के लिए ना कहती हो पर जिस तरह से समय-समय पर भूख और प्यास का एहसास होता है उसी तरह से समय-समय पर औरतों को अपनी जिस्मानी जरूरत पूरी करने की भी भूख ऊठती है। सामाजिक तौर पर और अपनी मान मर्यादा का ख्याल रखकर औरतें कुछ समय तक इस बात को मर्दो की नजरअंदाजीगी को देखकर टालती रहती है,,,,
लेकिन कब तक जिस्म की भूख एक चिंगारी के तनखे की तरह होती है। और उसे बस जरा सी हवा की जरूरत होती है और यह वासना मई हवा कहीं से भी चल सकती है बाहर से या घर से कहीं से भी क्योंकि चारों तरफ वासना युक्त आंखें वैसे ही औरतों को तलाश करती रहती हैं जिन्हें सही मायने में मर्द की जरूरत होती है। और ऐसी हवा कामाग्नि से जलती हुई बदन को स्पर्श करते ही,,,
वह स्त्री अपनी मान मर्यादा सामाजिक बंधनों को तोड़कर वासना युक्त शीतल हवा का आनंद पूरी तरह से लेने लगती है।,,, जिस्म की प्यास पूरी करने की चाहत ही हवस और वासना का रुप ले लेती है। जब इस हवस ने मंगल मामी भांजे के पवित्र रिश्ते को नहीं बख्शा तो मामी और भांजे का रिश्ता कौन सा बड़ा मायने रखता था।,,,,,
सूरज की दोनों मामिया सूरज के लंड से तृप्त होकर मदहोश हो चुकी थी। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी पश्चाताप नहीं था कि जो कुछ भी हुआ वह बहुत गलत था उन्हें बस इस बात से संपूर्ण रूप से संतुष्टि थी कि उन्होंने अपने तन बदन को किसी असली मर्द के हाथों सौंप दी थी और जिसने उन के भरोसे पर खरा उतरते हुए उन्हें,, स्वर्ग के सुख का एहसास कराया,,
सूरज की बहुत अच्छे से कट रही थी। घर में शादी की तैयारी जोरों शोरों से चल रही थी सब अपने-अपने काम में लगे हुए थे,,,,।सूरज अपने छोटे सुनील मामा के साथ खेतों की तरफ निकल गया था जहां पर खेतों में पानी देना था यह तो उसके मामा का रोज का काम था लेकिन सूरज पहली बार ही खेतों में पानी देते हुए देख रहा था,, ट्यूबवेल से पानी भलभलाकर पाइप से निकल रहा था,,, और जो कि खेतों में,,, पगडंडी पर ही मिट्टी के ढेर दोनों तरफ लगाकर बीच में से पानी गुजरने का रास्ता दिया जाता था और उसी में से पानी खेतों में जा रहा था।सूरज और उसका छोटा मामा बातें करते हुए और पानी का बहाव देखते हुए चले जा रहे थे जगह जगह पर पगडंडी पर मिट्टी का ढेर उखड़ जाता था जिसकी वजह से पानी दूसरी तरफ निकलने लगता था जिसे उसका छोटा मामा वापस मिट्टी का ढेर उठाकर उस जगह को बंद कर देता था ताकि पानी सहीं खेत में जा सके,,, बातों ही बातों में सूरज ने होने वाली छोटी मामी का जिक्र छेड़ दिया,,,
क्या बात है मामा अब तो तुम्हारी शादी होने जा रही है आप तो बहुत खुश होगे,,,
भांजे खुश क्यों ना हुं शादी होने पर दुनिया का हर आदमी को जाता है तुम्हारी जब शादी होगी तो तुम्हें भी बहुत खुशी होगी,,,,
अच्छा यह बताओ मामा मामी से कभी बात कि नहीं,,,
नहीं यार अभी कहां बात होती है, जब उसके घर रिश्ता लेकर गए थे तब बात करने गया था लेकिन तुम्हारी मामी शरम के मारे नजरे जुकाई खड़ी थी इस वजह से बात नहीं हो पाई,,,
क्या मामा आप भी ना बात करनी चाहीए थी,,,
यार सूरज सच कहूं तो मैंने अब तक एक शब्द तक नहीं बोल पाया हूं,,,,
क्या मतलब मामा मैं कुछ समझा नहीं,,,,
( इतना कहते हुए दोनों पगडंडी के किनारे खड़े हो गए,,सूरज अपने मामा की बात सुनना चाहता था वह जानना चाहता था कि वह होने वाली मामी से क्या बातें करते हैं लेकिन उसके छोटे मामा के हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि वह बहुत शर्मिला है। वह शर्माते हुए बोला।।)
सूरज अब देख तुझसे कुछ नहीं छुपाऊंगा,,, गांव में तो जानते हो शादी होने तक कोई बात नही होती,,,
इसका मतलब है मामा की मामी ने अब तक तुम्हारी आवाज तक नहीं सुन पाई है।,,,
हां सच कहा तूने क्योंकि मैं अब तक उससे बात ही नहीं किया हूं ना तो आवाज क्या सुन पाएगी।
( अपने छोटे मामा की यह बात सुनकर सूरज का शैतानी दिमाग घूमने लगा वह मन ही मन प्रसन्न हो रहा था,, और अपने मामा की बेवकूफी पर तरस भी आ रहा था।,,, तभी सूरज बोला,,,।)
अच्छा मामा मेरी होने वाली मामी का मुझे तस्वीर तो दिखाओ मैं भी तो देखूं कैसी लगती है मेरी छोटी मामी,,,
(सूरज जानबूझकर अपनी छोटी मामी को देखना चाहता था वह यह देखना चाहता था कि उसकी छोटी मामी कैसी दिखती है,,,सूरज की बात सुनकर उसका छोटा मामा जौकी पगडंडी पर मिट्टी का ढेर डाल रहा था वह सीधे खड़े होते हुए बोला,,,।)
ले तू ही निकाल ले,, मेरे हाथों में मिट्टी लगी है इतना कहकर अपने शर्ट की जेब सूरज की तरफ बढ़ा दिया सूरज भीे झट से उसकी शर्ट की पकित में हांथ डालकर उसमें से एक तस्वीर बाहर निकाल लिया,,,,,)
तुम्हारी छोटी मामी का फोटो है,,
( इतना कहकर वह फिर से मिट्टी का ढेर उठाकर पगडंडी पर डालने लगा,,,सूरज तस्वीर पर नजर डाला तो देखकर एकदम दंग रह गया,,, बला की खूबसूरत नजर आ रही थी उसकी छोटी मामी,,, गोरा चिकना बदन बेहद खूबसूरत लग रही थी उसे तस्वीर में देखते हैं उसके लंड में हरकत होने लगी,,,, उसे तो यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसे लंगूर को हुर मिलने वाली थी,,।सूरज उसे देखकर मन ही मन में सोचने लगा कि काश ऊसकी बुर का उद्घाटन उसके द्वारा हो तो कितना मजा आ जाए।,,,, तभी वहां तस्वीर पर ही अपनी उंगली को उसके खूबसूरत चेहरे पर घुमाते हुए अपनी वासना का परिचय देने लगा और वह अपने मामा से बोला,,,।
वाह मामा तुम्हारी तो लॉटरी लग गई मामी बेहद खूबसूरत है,, अच्छा इनका नाम तो बताओ,,,।
निर्मला इसका नाम निर्मला है,,,,।
आहहहहहहहह,,,, नाम सुनते ही सूरज के लंड ने करवट लिया। यह उसके लंड का निर्देश था कि वह निर्मला की भरपुर जवानी का रस पहले चखना चाहता था ।
वाह जैसी खूबसूरत हैं वैसा खूबसूरत नाम भी है,,,।
(सूरज के शैतानी दिमाग में कुछ और ही चल रहा था वह अपने मामा की तरफ देखा और बोला क्या मामा तुम भी तुम्हे शादी से पहले मामी से बात करनी चाहिए थी,,,
पर सूरज ये मुमकिन नहीं है,, तस्वीर की छोटे मामा के जेब में डाल दिया,,,
क्या मामा तुम भी शादी से पहले बात करनी चाहिए थी,, पर अब दो चार दिन में शादी होने वाली है उससे पहले केसे बात हों सकती है,,,,
हो सकती है मामा पर उसके लिए हमे मामी के घर जाना होगा,,
(सुनील सूरज की तरफ देखते हुए,,,अपना सारा काम छोड़कर उसके पास आ जाता है)
शादी से पहले हम उनके यह नहीं जा सकते,,
( सूरज अपने दिमाग में खुरापाती विचार सोचते हुए,,)
मामी का घर हमारे गांव से कितनी दूर है,, यही करीब ३० मिनट लगते है,, तो हम दोनो साइकल से उनके घर जाएंगे और चोरी छुपे मामी को मिलके उनसे बाते करके वापस आ जाएंगे,,
नहीं तभी सुनील सूरज से कहता है अगर गांव वालों पकड़ा तो लेने के देने पड़ जाएंगे,, नही मामा ऐसा कुछ नही होगा,, (सुनील थोड़ा मन ने सोचकर)
ठीक है लेकिन हमे जल्दी वापस आना है खेतों का पानी चालू हे,,
(सूरज के चहरे पर मुस्कान आ जाती है होने वाली मामी से मिलने की कल्पना से उसका लंड धोती में हिचकोले लेने लगता है,)
सूरज जल्दी खेतों के बाजू में खड़ी साइकल लेके आता है,,ओर सुनील मामा को थमा देता है, सुनील साइकल चलाने लगता है ओर सूरज पीछे बैठ जाता हे,,
कच्चे रास्तों से साइकल अपनी मंजिल की तरफ निकल पड़ती है,,( मामा जल्दी जल्दी चलाओ साइकल कितना धीरे चला रहे हो)
सूरज मुझे ज्यादा तुझे जल्दी पड़ी है अपने मामी से मिलने की,,
नही मामा ऐसी बात नहीं है ( ओर अपने मन में निर्मला मामी को पाने की कल्पना करने लगा )
थोड़ी देर में वह गांव के बाहरी सीमा तक पहुंच जाते है, वहा पर दो रास्ते थे एक रास्ता गांव की तरफ जाता था और एक रास्ता गांव के बाहर खेतो की तरफ वहापार एक दो ही घर थे,, सुनील उस दूसरे रास्ते की तरफ साइकल के जाता हे,, दोपहर का समय होने की वजह से रास्ता प्यारा सुनसान था गरमी के कारण सभी अपने अपने घरों में आराम कर रहे थे,,थोड़ी दूर जाने के बाद सुनील साइकल रोक देता हे,, साइकल को रोकता देख सूरज सुनील मामा से कहता है,,
मामा साइकल क्यों रोक दी,, क्योंकि तुमारी मामी का घर आ गया है, सूरज तुरंत साइकल से नीचे उतर जाता है,, करीब २०० मीटर की दूरी पे एक घने पेड़ के नीचे एक मकान था,, आजू बाजू में कोई मकान नही था,, घर के बाजू बड़े बड़े पेड़ लंबी लंबी झाड़ियां और घर के पीछे हरा भरा खेत लहरा रहा था,,
मामा हमे साइकल यही खड़ी करके चुपके से झाड़ियों के रास्ते घर की पीछे की तरफ जाना चाहिए,,
सूरज मुझे डर लगा रहा है हम वापस चलना चाहिए,, अरे मामा घबराओ मत में हुना तुम बस मेरे साथ चलो,,
सूरज सुनील का हात पकड़ कर धीरे धीरे झाड़ियों से होते हुए घर के पीछे चले जाता है,, ओर झाड़ियों से छुप कर घर की तरफ देखने लगते है,, घर के पीछे एक कमरा बना हुआ था और उसके बाजू में हैंड पंप था,,
वहापर घर की औरते कपड़े दो रही थी,, (उन औरतों भरा हुआ बदन और बड़ी बड़ी गांड देख कर सूरज का लंड धोती में सलामी देने लगता है,, लेकिन उन औरतों में सूरज की नजर अपनी निर्मला मामी को ढूंढ रही थी,, लेकिन उन औरते में निर्मला नजर नही आ रही थी,,,)
थोड़ी देर उन औरतों की चुचियों और गांड को निहारें से सूरज का लंड की नसे फुसलने लगी,, पर उसकी निर्मला मामी कही नजर नही आइ,,
(तभी उनमे से एक औरत कहती है ) रत्ना चार दिन बाद हमारी निर्मला बेटी शादी करके चली जायेगी,, उसके बाद घर सुना सुना लगेगा,,
( जैसे ही सूरज ने उस औरत पर नजर डाली सूरज का लंड झड़ते झड़ते बचा,, उसे अपने आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था,, दूध जैसा गोरा बदन बड़ी गांड पपीते की तरह चूचियां दिखने मनमोहक लग रहे थे,, रत्ना मंगल जैसे भरे बदन की मालकिन थी,,)
( तभी रत्ना उस औरत से कहती है) हा तुमने सही कहा शादी के वजह से घर में चहल पहल है,, शादी के बाद बिटिया अपने घर चली जायेगी,, और इतना कहके
( साड़ी को ब्रश से रगड़ने के बाद उसे पानी में डूबा के पत्थर पर पटकें लगातीं है,, पत्थर पर साड़ी पटकने की वजह से रत्ना की चूचियां ब्लाऊज़ में उछलने लगती है,, कपड़े धोते वक्त ब्लाउज पूरा गीला हो गया था जिससे पीले ब्लाउज में उसके चूचे साफ नजर आ रहे थे,,)
सूरज धोती के ऊपर से अपने लंड को दो तीन बार मसल देता है,, ओर मन में ये सोचने लगा ( अगर मां इतनी खूबसूरत है तो बेटी कितनी खूबसूरत होगी)
रत्ना जोर जोर से पत्थर पर साड़ी पटक रही थी जिसके वजह से पानी की बूंदे उसके बदन को भिगो रहे थे,, पानी की बूंदे उसके बदन पर समंदर के मोती की तरह लग रहे थे,,
अब यहां आए अन दोनो को बहोत देर हो गई थी,, सुनील को बहुत डर लग रहा था,,
सूरज चलो बहुत देर हो गई है निर्मला कही नजर नही आ रही है यहां पर घर की औरतें हे इनमें से किसी की नजर हम पे पड गई तो,, हमारी खैर नहीं,,,हमे चलाना चाहिए,,
(सामने का नजारा देख कर सूरज का यहां से जाने का बिल्कुल भी मन भी कर रहा था,, सूरज यहा आया तो देखने अपनी नई मामी को पर उसकी मां को देख कर उसका लंड झटके मारने लग गया था,,) बहोत देर से अपनी नई मामी की वजह से सूरज ने भी यह से चलाना ठीक समझा,, ओर दोनो वापस साइकल के पास आ गए,,
सूरज साइकल के पीछे बैठ गया,, ओर सुनील साइकल को अपने गांव की तरफ लेके चले गए,,
( रास्ते भर सूरज का मन उदास था क्योंकि उसकी निर्मला मामी को उसे देखना नसीब नहीं हुआ,, घर की बाकी औरतों को देखने से खास कर रत्ना की देख कर उसका लंड अब शांत होने का नाम नही ले रहा था,, लंड को शांत करने के लिए सूरज को अभ चुदाई की जरूरत थी इस लिए सूरज रास्ते में ही उतर कर घर की तरफ निकल पड़ा,,) ओर सुनील साइकल लिए खेतो की तरफ अकेला चला गया,,,
सूरज घर में दाखिल हो कर अपने कमरे में जाकर मंगल मामी के साथ बिस्तर पर लेट जाता हे,,, दोपहर का समय था जिसकी वजह से गर्मी कहर ढा रही थी घर के सभी लोग अपने अपने कमरे में दुबक कर आराम कर रहे थे।,, मंगल और सूरज दोनों बिस्तर पर पीठ के बल लेटकर छत की तरफ देखते हुए बातें कर रहे थे,,,।
मंगल मामी यहां गांव में कितना मजा आ रहा है,, किसी बात की टेंशन बिल्कुल भी नहीं है। बस खाओ पियो और मौज करो,,
अरे तुझे ऐसा लग रहा है ना लेकिन शादी का माहौल होने पर मुझे यहां कितना काम करना पड़ रहा है कभी यह काम करो कभी यह काम करो इधर उधर भागते भागते एकदम थक गई हूं,,,
लेकिन मंगल मामी तुम्हें तो आराम करना चाहिए ना यहां तुम्हें काम करने को कौन कहता है
(इतना कहने के साथ ही वह अपनी मंगल मामी की तरफ करवट लेते हुए उसकी तरफ देखने लगा,,, क्योंकि बला की खूबसूरत लग रही थी बालों की लट खिड़की से आ रही ठंडी हवा के साथ साथ उसके चेहरे पर बिखर जा रही थी, जिसे वह बार-बार अपनी नाजुक उंगलियों से हटा दे रही थी और साथ ही लेटने की वजह से उसकी छातियों से साड़ी का पल्लू नीचे लुढ़क गया था और उसकी बड़ी बड़ी विशाल छातिया सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,,,सूरज खूबसूरत वक्षस्थल को देख कर कामुकता से भरने लगा और मंगल उसकी बात का जवाब देते हुए बोली,,,।)
हां मैं जानती हूं कि मुझे यहां कोई काम करने नहीं देता लेकिन ऐसे बैठे रहने से भी तो काम नहीं चलने वाला है घर में शादी का माहौल है सब का हाथ बंटाती रहेंगी तो मेरा भी समय अच्छे से गुजर जाएगा वरना दिन भर आराम कर कर के और भी ज्यादा थकान महसूस होने लगती है,,
( वह उसी तरह से छत की तरफ देखते हुए बोली लेकिन इतना समझ गई थी कि सूरज की नजर उस की विशाल छातियों पर घूमने लगी है जिसकी वजह से उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी क्योंकि जब से वह गांव आई थी ठीक से चुदने का आनंद नहीं लूट पाई थी।.. इसलिए थोड़ासा सूरज को उत्तेजित करने के उद्देश्य से छत पर नजरें गड़ाए हुए ही अपना एक हाथ चूची पर रखकर उसे खुजलाने लगी। यह देख कर सूरज पहलेसे ही गरम था,, अभी दूसरे गांव में जाकर कपड़े धो रही औरतों की चूचियां देख कर उसकी लंड की नसे फुल गई थी,, सूरज जरा भी देर ना करते हुए अपना हाथ अपनी मंगल मामी के हाथ पर रखकर हल्के से चूची के ऊपर दबाने लगा और बोला,,,
क्या सच में थक गई हो मंगल मामी,,,,?
हा रे दर्द के मारे मेरा बदन टूट रहा है थोड़ा आराम कर लु तो ठीक हो जाएगा,,,( इतना कहते हुए बाद दूसरा हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपनी बुर को खुजलाने लगी,,,, यह देखकर सूरज बोला,,,
क्या हुआ मंगल मामी तुम्हारे बदन में लगता है कुछ ज्यादा ही दर्द और खुजली दोनों हो रही है,,,।
हारे पता नहीं क्या हुआ,,, शायद गर्मी की वजह से,,,
सच कहूं तो तुम्हारी खुजली देखकर मेरे में भी खुजली होने लगी (और इतना कहने के साथ ही वह धोती में पहले से बने तंबू को खुजलाने लगा)
हां तो खुजला ले रोका किसने है।,,,
लेकिन यह खुजली हाथों से नहीं मिटती,,,,(सूरज अपने होठों पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बोला)
तो कैसे मिटती है,,,?( मंगल भी इतराते हुए बोली,,, क्योंकि वह जान गई थी कि सूरज क्या बोलने वाला है।)
यह खुजली तो मेरी जान तेरी रसीली बुर में जाकर ही मिटेगी,,,( इतना कहने के साथ ही सूरज ने अपने धोती को नीचे की तरफ सरका कर अपने खडे लंड को धोती के बाहर कर दिया,,, इतनी देर में ही उसका लंड पूरी तरह से तैयार होकर छत की तरफ देखने लगा था और यह देखकर मंगल की बुर में सुरसुराहट होने लगी लेकिन वह अपने भांजे को तड़पाने के उद्देश्य से करवट दूसरी तरफ लेते हुए बोली,,,,,
नहीं आज कुछ भी नहीं मैं थक चुकी हूं मुझे आराम करने की जरूरत है,,।( इतना कहते हुए वह दूसरी तरफ करवट ले ली और उसकी बड़ी-बड़ी मदहोश कर देने वाली विशाल गांड सूरज की तरफ अपना उठान लिए,,सूरज पर कहरं ढाने लगी,,,सूरज की नजर अपनी मंगल मामी की बड़ी बड़ी गांड पर पड़ते ही उससे रहा नहीं गया और वह जोर से एक चपत गांड पर लगा दिया,,,
आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है । (वह अपनी गांड को सहलाते हुए बोली)
कुछ नहीं मेरी जान तेरी नशीली गांड को देखकर ना जाने मुझे क्या हो जाता है,,,।( गांड की ऊपरी फांक को हाथों में भरकर दबाते हुए बोला,,,।)
अरे इसे देखकर तुझे कुछ हो जाता है तो क्या इस में घुसने का इरादा है क्या,,,,(सूरज की तरफ बिना देखे ही बोली,,,।)
गांड में लंड डालने तो देती ही नहीं हो तो घुसने कहां से दोगी,,,,(सूरज भी अपनी मंगल मामी की तरफ करवट लेकर अपने खड़े लंड को साड़ी के ऊपर से ही गांड पर रगड़ते हुए बोला,,, खड़े लंड की रगड़ अपनी गांड पर महसूस करते ही मंगल के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़नें लगी। और उससे रहा नहीं गया और वह अपना एक हाथ पीछे की तरफ लाकर बिना देखे ही सूरज के खड़े लंड को पकड़ कर खुद ही अपनी गांड पर रगड़ने लगी,,,,।)
ऐसे नहीं मेरी जान साड़ी तो ऊपर उठा लो तभी तो तुम्हारी नंगी गांड पर लंड रगड़ने का मजा ही कुछ और आएगा।,,,,
मेरे बदन में दर्द है मुझसे कुछ होगा नहीं तुझे मजा लेना है तो तु खुद ही ऊपर उठा लै।,,,,,
बोल तो ऐसे रही हो जैसे मेरी ही गरज है तुम्हें तो मजा आएगा नहीं,,,,
तो क्या तुझे करना है तू ही सब कुछ कर मैं कुछ नहीं करूंगी,,,(सूरज की तरफ बिना देखे ही इस तरह से बोल कर वह मुस्कुरा रही थी,,,,।)
अच्छा मुझे मालूम है तुम्हारी बुर में भी खुजली हो रही है मेरे मोटे लंड को लेने के लिए जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर में रगड़ रगड़ कर जाएगा ना,,,, तब खुद ही मजा लेते हुए अपने मुंह से आहहहहहहहह,,, आहहहहहहहह,,, ओहहहहहहहहह मां,,,, की आवाजें निकालोगी।( इतना कहते हुए सूरज जांघों ऊपर से साड़ी को पकड़कर ऊपर की तरफ खींचने लगा,,,, लेकिन सूरज की बात सुनकर मंगल अपनी हंसी रोक नहीं पाई और जोर-जोर से हंसने लगी,,,, उसको हंसता हुआ देखकर सूरज बोला,,,,।
क्या हुआ मेरी जान इतना हंस क्यों रही हो,,,,।( इतना कहते हुए सूरज अपनी मंगल मामी की साड़ी को जांघो तक उठा दिया था लेकिन उसके बड़े-बड़े नितंबों के भार के नीचे दबी साड़ी ऊपर की तरफ नहीं उठ रही थी,, इस बात का एहसास मंगल को भी हो गया था इसलिए वह खुद ही अपनी गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी ताकि सूरज उसकी साड़ी को कमर तक उठा सके,,, अपनी मंगल मामी को अपनी बड़ी बड़ी गांड को उठाए देख कल सूरज भी जल्दी से पूरी साड़ी को कमर तक खींचकर कर दिया,,, पलभर में ही सूरज को अपने बिस्तर पर चांद नजर आने लगा गोल गोल गांड चमकते हुए चांद से कम नहीं लग रहा था,,,,सूरज से रहा नहीं गया और वो फिर से एक चपत गोरी गोरी गांड पर लगाते हुए बोला,,,
वाह मेरी जान तुमने तो मेरे हाथों में चांद थमा दी,,,
चांद थमा दी तो ठंडक ले ले बहुत तड़प रहा था ना तु इसके लिए,,,
क्या करूं मेरी जान यही तो मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है,,, तेरी खूबसूरत नंगी गांड मुझे आसमान के चांद से भी बेहद खूबसूरत लगती है,,।(सूरज हौले हौले से अपनी हथेली को अपनी मंगल मामी की नंगी गांड पर फिर आ रहा था कि तभी उसका ध्यान किस बात पर गया कि उसकी मंगल मामी ने पेंटी नहीं पहनी थी और यह बात सूरज को बेहद हैरान करने वाली लग रही थी क्योंकि आज तक उसने अपनी मंगल मामी को साड़ी के नीचे कभी भी पेंटी के बगैर नहीं देखा था इसलिए वह बोला,,,,।
अरे वाह मंगल मामी तुम तो यहां पर एकदम इस गांव वाली बन गई हो,,,
क्यों क्या हुआ (आश्चर्य के साथसूरज की तरफ देखते हुए बोली,,)
तुम भी साड़ी के अंदर पेंटी नहीं पहनी हो,,,,
क्या करूं सूरज यहां गर्मी है कि नहीं पड़ती है कि मन तो करता है कि सारे कपड़े उतारकर नंगी ही घूमा,,,,
लेकिन तुझे कैसे मालूम कि गांव की औरतो साड़ी के अंदर पैंटी नहीं पहनती है?
( इस बार वह अपनी मंगल मामी की बात सुन कर चोंक गया)
मंगल अपने भांजे की इस बात को सुनकर कि वह भी गांव वाली औरतों की तरह साड़ी के अंदर पेंटिं नहीं पहनती है यह बात सुनते ही वह चौक गई थी। क्योंकि वह जानते हैं ठीक है सूरज इस गांव पहली बार आया था और उसे कैसे मालूम हो गया कि इस गांव की औरतें अधिकतर साड़ी के अंदर कुछ भी नहीं पहनती हैं,,, और इसी बात का खुलासा करवाने के लिए वह सूरज से पूछ रही थी जो कि सूरज भी पूरी तरह से चौक गया था,,,
सूरज के पास कोई भी जवाब नहीं था लेकिन अभी भी वह अपनी मंगल मामी की बड़ी बड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए मजा भी ले रहा था और अंदर ही अंदर जवाब ढूंढने की कोशिश भी कर रहा था जो कि इस बात से मुकरने का उसके पास कोई भी रास्ता नहीं बचा था और मंगल जिद पर आई थी उसके मुंह से सुनने के लिए कि वह कैसे जानता है कि गांव की औरतें साड़ी के अंदर कुछ भी नहीं पहनती है। मंगल को इस बात का अहसास हो गया था कि वह जरूर यहां पर किसी न किसी को ऐसी स्थिति में देखा होगा तभी वह ऐसा कह रहा है,,,
चल अब बता देते कि तुझे कैसे मालूम है वरना मैं तुझे आज कुछ भी करने नहीं दूंगी (और इतना कहने के साथ ही मंगल अपनी बड़ी बड़ी गांड पर से सूरज का हाथ हटाते हुए बोली,,,,)
क्या मंगल मामी तुम तो एक ही बात पर अड़ चुकी हो,,,, ऐसा कुछ भी नहीं है,,,।( इतना कहने के साथ बहुत तेरे से अपनी मंगल मामी की बड़ी बड़ी गांड पर हाथ रख दिया जिसे मंगल फिर से दूर झटकते हुए बोली,,,।)
नहीं तो बातें मत बना और मुझसे तो बिल्कुल भी मत बना क्योंकि मैं जानती हूं कि तू कितने पानी में है जरूर कहीं ना कहीं नजारा मार के आया होगा कभी मुझसे इस तरह से बोल रहा है वरना तुझे कैसे मालूम कि इस गांव की औरतें चड्डी नहीं पहनती है।,,,,
(सूरज एकदम परेशान हुआ जा रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसकी मंगल मामी की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी नंगी गांड बिस्तर पर लुभावने स्थिति मे तबले की मानिंद थिरकट कर रही थी। जिसे देखकर सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी और उसके मुंह में पानी आ रहा था लेकिन इस समय वह एक अजीब स्थिति का सामना कर रहा था क्योंकि उसकी मंगल मामी वह जानने के लिए जिद्द पर अड़ी थी,, जिसे वह अब तक राज रखते हुए रोज उस दृश्य को देखकर उत्तेजित हुआ करता था। और यह उसका रोज का हो गया था,, सुबह वह कमरे से अपनी मंगल मामी के चले जाने का इंतजार करता था और जैसे ही कमरे से बाहर ऊसकी मामी जाती थी,, वैसे ही वह तुरंत उठ कर बैठ जाता था और खिड़की से चोरी छुपे बाहर म्हारे घर की औरतों के खूबसूरत बदन को अपनी आंखों से देखकर उनका रसपान किया करता था,,। अब वह यह बताने में एकदम शर्म का अनुभव कर रहा था कि वह रोज़ खिड़की से उन्होंने लोगों को नहाते हो और वह क्या पहनती है क्या नहीं पहनती है यह देखा करता था,,,,
सूरज बहुत ही अजीब सी कशमकश में फंसा हुआ था। वैसे तो जिस तरह के संबंध सूरज के उसकी मंगल मामी के साथ से उसे देखते हुए सूरज को बिल्कुल भी शर्म का एहसास नहीं होना चाहिए लेकिन उसकी मंगल मामी थी तो एक औरत ही,,, और प्रकृति के अनुसार एक औरत भला कैसे बर्दाश्त कर सकती है कि जिस पर उसका पूरी तरह से हक है वहां किसी और औरत के नंगे जिस्म को देखकर खुश होता है। और यही बात सूरज को परेशान कर रही थी की कहीं उसकी मंगल मामी नाराज ना हो जाए,,, उसकी नजर उसकी मंगल मामी की बड़े-बड़े गांड पर ही टिकी हुई थी जिस पर वह फिर से हाथ रखने चला तो मंगल फिर से तुरंत हटा दी,,,
जब तक तू मुझे नहीं बताएगा कि तुझे कैसे पता चला तब तक मैं तुझे हाथ भी नहीं लगाने दूंगी,,,,
( मंगल वैसे ही दूसरी तरफ मुंह किए हुए बोली इधर सूरज की आदत खराब होते जा रही थी क्योंकि उसकी मंगल मामी की बड़ी-बड़ी मचलती गांड उसके तन-बदन में खलबली मचा रही थी,,,,सूरज समझ गया कि बिना उसके मुंह से सुने उसकी मंगल मामी उसे हाथ लगाने नहीं देगी और वह इतना अच्छा मौसम यूं ही नहीं गवाना चाहता था,,, इसलिए वह बोला,,,
क्या मंगल मामी तुम भी,,,, अगर मैं यह जान गया कि इस गांव की औरतें साड़ी के अंदर कुछ नहीं पहनती तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई,,,।
बड़ी बात क्यों नहीं है,,, क्यों नहीं है बड़ी बात,,,( इतना कहते हुए मंगल उसकी तरफ गुस्से में घूम गई लेकिन अभी भी उसने अपनी साड़ी को कमर से नीचे खींच कर अपनी नंगी जवानी को ढकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं की थी,, और वहां उसकी तरफ देखते हुए बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
तेरा यह जानने का मतलब यही है कि तूने इस तरह का नजारा जरूर देखा होगा और एक औरत को नहीं बल्कि १ से ज्यादा औरत को देखा होगा तभी तुझे इस बात का पता है,,,,। और तेरा इस तरह से औरतों को देखना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता,,,
नहीं मंगल मामी ऐसा कुछ भी नहीं है । ( ऐसा कहते हुए सूरज ने एक बार फिर से अपनी हथेली को मंगल की दुधिया जांघो पर रख दिया जिसे मंगल फिर से अपने हाथ से हटाते हुए बोली,,,।
ऐसे कैसे बड़ी बात नहीं है तेरा एक तरफ से दूसरी औरतों को देखने का मतलब है कि मुझ में कोई कमी आ रही है या तो फिर तेरा मुझसे मन भर गया है,,,
( मंगल न जाने क्यों आज गुस्से में आ गई थी सूरज बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि आज तक उसने अपनी मंगल मामी को इस तरह से उस पर चिल्लाते हुए नही देखा था। इसलिए उसे भी बहुत अजीब लग रहा था और वह अपनी मंगल मामी को समझाते हुए बोला,,,)
मंगल मामी यह तुम क्या कह रही हो इस तरह से तुम मुझसे क्यों बात कर रही हो आखिरकार मैंने कौन सी बड़ी गलती कर दी है। (सूरज अपनी मंगल मामी को शांत कराते हुए बोल रहा था लेकिन मंगल थी की कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थी और वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
गलती कैसे नहीं है सूरज मैंने तुझे तेरी मामी होने के बावजूद भी अपना तन मन सब कुछ तुझे सौंप दि,, मेरे बदन के हर एक अंग पर तेरा ही हक है,,,, और तू भी पूरी तरह से मेरा है यही सोच कर मैं तुझे अभी भी खुश करती रहती हो लेकिन तू है की यहां वहां मुंह मारता फिर रहा है,,। क्या कमी है मुझमें,,, क्या तुझे मेरी जवानी कम पड़ने लगी है,,,। की मेरे बदन के अंगों से तेरा मन भरने लगा है,,,,।
बता सूरज क्या कमी पड़ने लगी है मुझ में (इतना कहने के साथ ही वह अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी, देखते ही देखते वह बड़ी ही फुर्ती के साथ अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी,,, और एक झटके से ही ब्लाउज की ब्रा की नीचे की पट्टी को पकड़कर ऊपर को खींच दी झटके से ही उसकी दोनों चूचियां ब्रा से निकलकर बाहर की तरफ झांकने लगी,,, जिसे देख कर और उसकी मंगल मामी की इस हरकत पर सूरज पूरी तरह से कामातुर होकर मंगल पर मोहित हो गया,,,, उसे कुछ सूझ नहीं रहा था वह फटी आंखों की अपनी मंगल मामी की खूबसूरत जवानी को घुरते जा रहा था। वह तो आवाक होकर आंखें फाडे बस अपनी मंगल मामी को ही देखे जा रहा था।,,, और मंगल इस समय एकदम गुस्से में अपनी दोनो चुचियों को अपने हाथों में पकड़ कर सूरज को दिखाते हुए बोली,,,।
देख सूरज इसे अच्छे से देख ले,,, पकड़ कर देख क्या लगता है तुझे यह मेरी चूचियां लटक गई है क्या इनका कड़कपन खत्म हो चुका है,,,,
( मंगल जिस तरह से गुस्से में बोल रही थी उसे देखते हुए सूरज उसकी बात मानते हुए अपने हाथों को आगे बढ़ाकर हल्के से अपनी मंगल मामी की दोनो चुचियों को पकड़ लिया वह समझ गया कि उस समय उसकी मंगल मामी को शांत कराना बेहद जरूरी है,,,। इसलिए वह बोला,, लेकिन अभी भी उसकी दोनों हथेलियों में उसकी मंगल मामी की बड़ी बड़ी चूचियां थी और वह बोला,,,,।
नहीं मंगल मामी,, ऐसी कोई भी बात नहीं है मैं किसी दूसरी औरत को इस तरह से नहीं देखता हूं जैसे कि तुम्हें देखता हूं तुम जाना चाहती हो तो मैं बताता हूं कि मुझे कैसे पता चला यह सब अनजाने में ही हुआ।
(सूरज अपनी मामी की दोनो चुचियों को दोनों हाथों से जोर जोर से दबाते हुए) तुम्हें पता हे ना हम जिस दिन आए थे उस के दूसरे दिन,,,, सुबह सुबह तुम कमरे में से चली गई मैं सो ही रहा था लेकिन मेरी आंख खुली,,, तो मुझे औरतों की आवाज और उनकी हंसी सुनाई दे रही थी,।(सूरज लगातार अपनी मंगल मामी की दोनों गोलाईयों से खेल रहा था,,, जिसकी वजह से तुझे मेरे यार मंगल के चेहरे का रंग सुर्ख लाल होने लगा और वह बड़े ध्यान से अपने भांजे की बात सुन रही थी।) मैं उठकर खिड़की से देखा तो,,, वहां पर तुम और दोनों मामिया नहां रही थी,,, तुम तीनों के बदन पर कपड़े मात्र कहने के लिए ही थे,,,, तुम तीनों का सब कुछ नजर आ रहा था,,,
( मंगल बड़े ध्यान से अपने भांजे की बात चल रही थी और उसके चेहरे के हाव भाव उसकी बात सुनकर बदलते जा रहे थे उसे याद आ रहा था साथ ही सूरज अपनी हरकतों की वजह से अपनी मंगल मामी के बदन मे उत्तेजना की गर्मी को बढ़ा रहा था,,,,।) और तुम भी हो एक दूसरे की बुर को देखने के लिए जिस तरह से तड़प रहे थे। मुझे हंसी आ रही थी और तुम्हारी पेंटी को देखकर ही,,,, बड़ी वाली सुधियां मामी नहीं बताई थी की हमारे गांव में अधिकतर औरतें साड़ी के नीचे कुछ नहीं पहनती हैं और छोटी मामी भी कुछ नहीं पहनी थी जब तुम दोनों जबरदस्ती उनकी पेटीकोट ऊतार रहीं थी। बस मुझे तुम तीनों की बातों से ही इस बारे में पता चला था बाकी ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा कि तुम सोच रही हो,,,
( तभी सूरज अपनी मंगल मामी की दोनो चुचियों को छोड़कर बिस्तर के करीब वाली खिड़की को खोलते हुए)
देख लो यही वह खिड़की है,,,, ( इतना कहकर सूरज वही बिस्तर के नीचे खड़ा हो गया और उसका मोटा लंबा लंड अपना तनाव खोकर झूल रहा था लेकिन फिर भी उसे देखकर किसी भी औरत का पानी निकल जाए,,, मंगल अपने भांजे के झूलते लंड को देखकर अंदर ही अंदर सीहरते हुए सारा मामला समझ गई,,,, वह समझ गई कि सूरज को जिस तरह से वह बता रहा था उसी तरह से गांव की औरतों के बारे में पता चला था इसलिए उसके मन से सारी शंकाएं दूर हो गई।,,, वह बिस्तर पर बैठी मुस्कुरा रहीे थी,,,,सूरज अपनी मंगल मामी के बदले इस रूप को पहचान नहीं पाया, शायद उसकी कच्ची उम्र होने के नाते औरतों के मनोमंथन के बारे में उसे जरा भी ज्ञान नहीं था।
सूरज मंगल का सगा भांजा होने के बावजूद जिस तरह के संबंध में दोनों के बीच स्थापित हो चुके थे उसे देखते हुए मंगल यही चाहती थी कि सूरज पूरा का पूरा उसका ही होकर रहे,,, वह हरगिज नहीं चाहती थी कि उसका भांजा किसी और औरत के पीछे घूमे,,,
क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं अगर ऐसा हो गया तो उसका प्यार बँटकर रह जाएगा,,, और जिस तरह से वह अभी अपनी भांजे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसका मजा पूरी तरह से लूट रही थी फिर इस तरह का मजा वह कभी भी नहीं ले पाएगी। इसलिए तो वह नहीं चाहती थी कि सूरज का ध्यान इधर उधर भटके,,,
इसलिए उससे इस तरह की शख्ति अपनाते हुए बोल रही थी,,, लेकिन अब सब कुछ साफ हो चुका था मंगल को अपने भांजे के साथ किए गए इस तरह का व्यवहार की वजह से अंदर ही अंदर दुख महसूस हो रहा था इसलिए वह सूरज का मूड बदलने के उद्देश्य से अपनी दोनो चुचियों को अपने हाथों में भरकर उसकी तरफ आगे बढ़ाते हुए अपने मादक अधरों को अपने चमकीले मोतियों से दातों से दबाकर उसे अपनी तरफ लुभाने लगी,,, कुछ बोलने लायक मंगल के पास कुछ भी नहीं बचा था इसलिए वह बिना बोले ही इतनी खूबसूरत बदन का सहारा लेकर वह अपने भांजे से किए गए बदसलू की की वजह से माफी मांगे बिना ही अपनी गलती का इजहार कर रही थी और सूरज तो वैसे भी अपनी मंगल मामी की खूबसूरत बदन का दीवाना था और अपनी मंगल मामी को इस तरह से अपनी मदमस्त जवानी को अपने हाथों में लेकर उसके सामने परोसता हुआ देखकर सूरज से रहा नहीं गया और वह बिना कुछ बोले आगे बढ़कर अपनी मंगल मामी की दोनों चुचीयों को दोनों हाथों से थाम लिया,,,
मंगल अपने भांजे के इस कदम से खुश हो गई और मुस्कुराने लगी क्योंकि सूरज का इस समय उसकी चूचियों का पकड़ना यही दर्शाता था कि वह अपनी मंगल मामी से नाराज नहीं है और इस बात से मंगल बेहद खुश थी,,,,सूरज अपनी मंगल मामी की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चुचीयो को हाथों में भरकर दबाते हुए बोला,,,।
मंगल मामी तुम मुझ पर इतना चिल्ला क्यों रही थी,
क्या करूं बेटा मैं नहीं चाहती कि तू किसी दूसरी औरतों के चक्कर में पड़े मैं चाहती हूं कि तू सिर्फ मेरा ही बन कर रहे,,,
तुम तो ऐसा बोल रही हो मंगल मामी कि जैसे कि मैं तुम्हारा प्रेमी हूं और तुम मेरी प्रेमिका,,,
बस ऐसा ही समझ और जो मैं आज तुझसे कही हूं वह जिंदगी में हमेशा याद रखना,,,
( अपनी मंगल मामी की बातों से वह सिर्फ इतना ही समझ पाया कि दूसरी औरतों के साथ के संबंध के बारे में अगर उनकी मंगल मामी को पता चला तो उसके लिए अनर्थ हो जाएगा,,,
सूरज बातों के दरमियान लगातार अपनी मंगल मामी की चुचियों को दबा दबा कर एकदम से टमाटर की तरह लाल कर दिया था।सूरज की हरकतों की वजह से मंगल की सिसकारी छुटने लगी थी।,,, मंगल से अपनी जवानी का बंधन,,, इस समय फूटी आंख नहीं भा रहा था इसलिए वह तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपना ब्लाउज उतार कर बिस्तर पर फेंक दिया और साथ ही अपनी ब्रा के हुक को खोलकर तुरंत अपने बदन से ब्रा को अलग कर दी।,,,
सूरज तो अपनी मंगल मामी का ऊतावलापन देखकर एकदम से
चुदवासा हो गया और जांघों के बीच झूल रहा उसका लंड एकदम से तान में आ गया।,,, वह अत्यधिक दबाव देते हुए अपनी मंगल मामी की दोनों खरबूजों से खेलने लगा वह तो मंगल थी वरना कोई और औरत होती तो उसके मुंह चीख निकल गई होती।,,, मंगल भी पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी अपने बेटे के खड़े लंड को देखात कर उसकी बुर से पानी की बूंदे अमृत की बूंद बनकर टपक रही थी,,,
जो की बेकार मै हीं जाया होकर बिस्तर को भिगो रही थी,,,।,,, अपनी टपकती हुई बुर की तड़प देखकर मंगल जल्द से जल्द अपनी बुर को अपने भांजे से चटवाना चाहती थी।,,,, लेकिन जिस तरह से सूरज उसकी चूचियों से खेल रहा था उस खेल में मंगल को भी मजा आ रहा था बेहद कामुकता से भरा हुआ वातावरण होता जा रहा था सूरज बिस्तर के नीचे खड़ा होकर अपनी मंगल मामी की चुचियों को दबा रहा था और मंगल थी कि घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर अपने भांजे से स्तन मर्दन का भरपूर मजा ले रही थी।
सूरज दोनों हाथों से एक साथ अपनी मंगल मामी की बड़ी बड़ी चूचीयो को दबाने के साथ-साथ उसे मुंह में भर कर पीने का भी आनंद ले रहा था,,,। अपने भांजे की, कामोत्तेजना को देख कर मंगल की बुर उत्तेजना के मारे फुलने पिचकने लगी। क्योंकि वह जानती थी कि सूरज जब भी ईस तरह की कामोत्तेजना का अनुभव करता था तब वह कुछ ज्यादा ही चुदवासा होकर उसकी जमकर चुदाई करता था। मंगल स्तन मर्दन का पूरी तरह से आनंद उठाते हुए गरम-गरम सिसकारियां छोड़ रही थी,
आहहहह सूरज आहहहगग,,,,, बहुत मजा आ रहा है रे, ले और पूरा मुह मे भरकर पी मस्त कर दे मुझे,,,
(सूरज तो अपनी मंगल मामी की उत्तेजना वर्धक और उकसाने वाली बात सुनकर एक दम से कामातुर होकर दोनो चुचियों को पके हुए आम की भांति बारी-बारी से मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया और मंगल की सिसकारियां और ज्यादा बढ़ने लगी,,,, मस्ती के एहसास में डूबकर मंगल की आंखें खुद-ब-खुद बंद होने लगी सूरज चारों तरफ से उसे मस्त करने के उद्देश्य से एक चूची को मुंह में भरकर पी रहा था और एक हाथ से उसकी चूची को पकड़कर जोर-जोर से मसल रहा था सूरज अपनी मंगल मामी की,,, मस्ती को देखकर दूसरे हाथ को तुरंत नीचे की तरफ ले गया और अपनी हथेली में अपनी मंगल मामी की बुर को भरकर बुर कीे गुलाबी पत्तियों को उंगलियों के बीच रखकर मसलने लगा,,,,
सूरज की यह हरकत आग में घी डालने का काम कर रही थी मंगल इस हरकत की वजह से पूरी तरह से चुदवासी हो गई और खुद ही अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी बुर को उसकी हथेली पर रगड़ने लगी,,,, और साथ में बोले जा रही थी।
सूरज मुझसे अब रहा नहीं जा रहा ह मेरी बुर अपने मुंह सेे चाट,,, मेरी प्यास बुझा सूरज मेरी बुर में आग लगी हुई है।,,,सूरज,, सहहहहहहह,,,,,,
( मंगल पूरी तरह से कामातुर होकर सूरज की हरकतों का आनंद लुट रही थी लेकिन इसे में उसकी प्रबल इच्छा हो रही थी कि उसका भांजा ऊसकी बुर कि गुलाबी पत्तियों को अपनी जीभ से छेड़ता हुआ उसकी मदन रस को चाटे,, सूरज भी जो कि अपनी मंगल मामी की बुर को अपनी हथेली से मसल रहा था और उसमें से निकलने वाला मदन राय उसकी हथेली को पूरी तरह से गीला कर चुका था इसलिए वह भी जल्द से जल्द उसकी बुर को चटना चाहता था।,,,,, इसलिए वह भी अपने प्यासे होठों के बीच से उसकी नुकीली निप्पल को निकालते हुए मंगल की मदभरी आंखों में झांकते हुए बोला,,,,
मेरी रानी तुमने भी तो मेरे बदन में आग लगा दी हो, जब तक मैं भी तुम्हारी रसीली बूर से तुम्हारा नमकीन पानी नहीं पी लूंगा तब तक यह आग नहीं बुझेगी,,,,,
तो देर किस बात की है राजा मेरी रसीली बुर तेरे लिए तैयार है तेरे बदन की प्यास बुझाने के लिए,,,, अब आजा मुझसे सहन नहीं हो रहा है इतना कहने के साथ ही मंगल सूरज के बाल पकड़कर उसके सिर को अपनी जांघों के बीच ले जाने के लिए नीचे की तरफ खींचने लगी,,,,सूरज भी तड़प रहा था जल्दी से जल्दी बुर की गुलाबी पत्तियों को मुंह में भरकर चूसने के लिए,,, इसलिए तो वह भी अपना मुंह जांघो के बीच डालने के लिए नीचे की तरफ झुकने लगा,,,,
कमरे का माहौल पूरी तरह से कामोत्तेजना से भर चुका था एक मंगल मामी अपने भांजे को उसकी बुर चाटने के लिए उकसा रही थी और सूरज भी अपनी मंगल मामी की बुर की रेसीली गुलाबी पत्तियों को मुंह में भरकर चूसने के लिए लालायित था,,,, मंगल मामी भांजे दोनों अर्धनग्न अवस्था में एक दूसरे के अंगों से आनंद ले रहे थे मंगल बिस्तर पर घुटनों के बल बैठी हुई थी और अपनी मुठ्टी में उत्तेजना के मारे सूरज के बाल को भींचते हुए,,, उसे अपनी मोटी मोटी सुडोल चीकनी जांघो के बीच,, खींच रह़ी थी। जहां पर नमंकीन रस का समंदर लहर मार रहा था। मंगल की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम तनाव में आ चुकी थी उसमे जरा भी लचक पन नहीं था,,,
मंगल की बड़ी-बड़ी और कड़क चूचियों को देखकर कोई भी उसकी उम्र का अंदाजा नहीं लगा सकता था क्योंकि उसके बदन की खूबसूरती और चूचियों का कसाव पर उसकी उम्र से उसे १० साल और छोटा बना देता था,, बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ कर मंगल सूरज को अपनी बुर चटाने के उद्देश्य से उसे अपनी बुर की तरफ खींच रही थी उसका अर्ध नग्न शरीर इस अवस्था में बेहद कामुकता से भरा हुआ था कमर के ऊपर का भाग और कमर के नीचे का भाग पूरी तरह से निर्वस्त्र था,,,
उसने अपनी साड़ी और पेटिकोट को कपड़ों का गुच्छा बनाकर कमर में लपेटे हुए थी,,, अगर मंगल का यह रूप कोई देख भर ले फिर भी यह नजारा देखकर सत प्रतिशत ना चाहते हुए भी उसका लंड पानी फेंक दे ईस समय मंगल पूरी तरह से काम देवी लग रही थी,।सूरज पूरी तरह से अपनी मंगल मामी की खूबसूरती की आगोश में खो चुका था वह बिस्तर के नीचे खड़ा था और उसका खड़ा लंड अपने पूरे शबाब मैं खड़ा हुआ था जिसे देखकर किसी की भी बुर गीली हो जाए और उसे अपने अंदर समाने के लिए तड़पने लगे,,,सूरज जितना ज्यादा व्याकुलता अपने मंगल मामी की रसीली बुर पर अपने प्यासे होठ रखकर उस का रसपान करने के लिए,,,
ऊतना ही लालायित उसका मोटा लंड था बुर के अंदर समाने के लिए इसलिए तो बार-बार ठुनकी ले रहा था। शायद उसे बुर की मादक खुशबु महसूस हो गई थी,,, तभी तो जैसे स्वादिष्ट व्यंजन को देख कर मुंह में पानी आ जाता है उसी तरह से उसके लंड में भी पानी आ गया था और उसमें से दो चार बूंदे नीचे टपक गई थी।
मंगल जैसे-जैसे सूरज के सिर को नीचे की तरफ दबाते हुए अपनी जांघों के बीच ले जा रही थी वैसे वैसे उसकी सांसो की गति और भी ज्यादा तीव्र होती जा रही थी,,,,
सूरज और मंगल दोनों की अधीरता बढ़ती जा रही थी। जैसे ही सूरज का चेहरा मंगल की मंगल की मोटी जांघों के बीच पहुंची तुरंत मंगल की रसीली बुर से उसकी मादक खुश्बू हवा में फैलने लगी,,, और सूरज के नथुनो से होकर उसकी छातीयो में पहुंचकर उसके बदन में खलबली मचाने लगी,,,,सूरज इस मादक खुशबू से पूरी तरह से मचल गया। उसकी आंखों के सामने भर के गुलाबी पत्तियां उत्तेजना के मारे फुदक रही थी,,, और मंगल जी अपने भांजे के दहकते होठों को अपनी बुर के इतने करीब पाकर उत्तेजना को मारे कसमसा रही थी। मंगल से अब बिल्कुल भी बर्दाश्त के बाहर था,,, उसे होठो और बुर की दूरी बर्दाश्त नहीं हुई और वह खुद ही अपने भांजे के सिर को अपनी बुर पर दबा दी,,, जैसे ही सूरज का होंठ उसकी बुर से स्पर्श हुआ वैसे ही मंगल के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई
ससससहहहहह,,, ओहहहहहहहसूरज,,,
( मंगल मस्त होकर गरम सिसकारी अभी भरी ही थी कि,,, तभी दरवाजे के खटखटाने की आवाज सुनकर दोनों चौक गए।)
दरवाजे पर दस्तक की आवाज सुनते ही दोनों चौंक गए,,, दोनों का मजा किरकिरा हो गया था बस एक सेकंड की भी देरी हुई होती तो,, मंगल इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि वह पानी फैंक देती। लेकिन अचानक दरवाजे को खटखटाने की आवाज सुनकर मंगल चोेंक गई और उसका सारा नशा काफूर हो गया,,, दोनों आश्चर्य से एक दूसरे की तरफ देखने लगे क्योंकि इस समय दोनों पूरी तरह से नग्नवस्था मे थे,,, ऐसी हालत में दोनों के पास अपने कपड़े पहनने का पूरा समय भी नहीं था,,,, दोनों एक दूसरे की तरफ तो कभी दरवाजे की तरफ आश्चर्य से देख रहे थे उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी दोपहर में कौन आ गया था और वह भी कुछ बोले बिना ही सिर्फ दरवाजा खटखटाए जा रहा था।,,,, दोनों का सारा मजा किरकिरा हो गया था,,, तभी मंगल घबराते हुए धीरे से बोली,,,
कककक,,,, कौन है?
मैं हूं शालू,,,,,
क्या हुआ कुछ काम है क्या बेटा,,,,
हां पहले दरवाजा तो खोलो तब मैं बताती हूं,,,,
( इतना सुनते ही मंगल और सूरज दोनों के होश उड़ गए,,, क्योंकि मंगल समझ गई थी कि यह लड़की दरवाजा खुलवाए बिना नहीं मानेगी,,, इसलिए वह जल्दी से सूरज को चादर ओढ़ के सोने का इशारा कि,सूरज भी वक्त गंवाए बिना बिस्तर पर लेट कर कपड़ों को सही करने का उसके पास समय नहीं था इसलिए वैसे ही चादर ओढ़ कर सोने का नाटक करने लगा,,,
क्या कर रही हो बुआ दरवाजा खोलने में कितना समय लगाओगी,,,,,,
हां हां रुको तो आ रही हु,,,
( मंगल पूरी तरह से घबरा चुकी थी क्योंकि कमर के ऊपर का भाग उसका पूरी तरह से नंगा था बाकी का तो साड़ी और पेटिकोट को तो अच्छा ही था की उतारी नहीं थी,,, इसलिए बिस्तर से उतरते ही उसे सही करली लेकिन ब्रा और ब्लाउज हड़बड़ाहट में उसे मिल नहीं रहा था,,, क्योंकि सूरज के साथ मजे लेने के उत्साह में वह जोश में आकर ब्रा और ब्लाउज को उतार कर फेंक दी थी,,, लेकिन कहां फेंकी थी उसे इस समय नजर नहीं आ रहा था। और लगातार शालू दरवाजे के बाहर से उसे आवाज लगा रही थी,,,,
मंगल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और बाहर से शालू को भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी बुआ कमरे में इतनी देर से कर क्या रही है दरवाजा खोलने में इतना समय तो नहीं लगता,,,,
सूरज भी चादर मै से मुंह निकालकर अपनी मंगल मामी की हड़बड़ाहट और उसकी परेशानी देख रहा था उससे भी रहा नहीं जा रहा था और वह फुसफुसाकर उसे कुछ सलाह दे रहा था,,,, और दूसरी तरफ शालू जोकि बेहद व्याकुल होकर दरवाजा खुलने का इंतजार कर रही थी उससे रहा नहीं जा रहा था और वह दरवाजे पर कान लगाकर अंदर के हालात को समझने की कोशिश करने लगी और लगातार अंदर मंगल और सूरज के बीच हो रही फुसफुसाहट की आवाज उसके कानों में पड़ते ही उसे बड़ा अजीब सा लगने लगा वैसे तो अंदर क्या बातें हो रही है उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था,,,
लेकिन जिस तरह से दोनों के बीच फुसफुसाहट भरी आवाज में बातचीत हो रही थी वह शालू को बड़ा अजीब और हैरान कर देने वाला लगा। क्योंकि कमरे के अंदर अच्छी तरह से जानती थी किसू रज और मंगल ही थे जो कि एक मंगल मामी भांजे के बीच में इस तरह से फुसफुसाहट भरी आवाज मे बातचीत होने का मतलब उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसे इतना तो समझ में आ गया कि दरवाजा खोलने में इतना जो समय लग रहा है और कमरे के अंदर से जिस तरह की फुसफुसाहट भरी आवाज आ रही है अंदर कुछ गड़बड़ ह़ी हो रहा है।,, लेकिन क्या गड़बड़ हो रहा है यह इस समय शालू को समझ में नहीं आ रहा था,,,,
शालू हैरान परेशान थी कि दरवाजा खोलने में आखिर बुआ को इतना समय क्यों लग रहा है इसलिए एक बार फिर से वह आवाज लगाते हुए बोली,,,
अंदर क्या हो रहा है बुआ तुम इतना समय क्यों लगा रही हो दरवाजा खोलने में भी कहीं इतना समय लगता है,,।
( जिस तरह से शालू नहीं अंदर क्या हो रहा है बोली थी इस बात को सुनकर मंगल और सूरज बुरी तरह से चौंक गए थे। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे कोई उनकी चोरी पकड़ लिया हो,,, मंगल के पास अब दरवाजा खोलने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था और सूरज ने जैसा उसे बताया था, मंगल ने वैसे ही ब्रा और ब्लाउज पहने बिना ही नंगी चूचियों को अपनी साडी से ही ढककर साड़ी को कंधे पर डाल दी,,, लेकिन इस तरह से भी वह अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को दूसरे की नजरो में आने से रोक नहीं पा रही थी। लेकिन उसके सामने हालात ही ऐसे थे कि वह अपनी स्थिति को इससे ज्यादा सुधार नहीं सकती थी इसलिए वह साड़ी को थोड़ा ठीक करके दरवाजे की तरफ बढ़ते हुए बोली,,,।
आ रही हूं बेटा,,, थोड़ी नींद लग गई थी (और इतना कहने के साथ ही मंगल ने दरवाजे की कुंडी निकाल कर दरवाजा खोल दी,,,,
क्या बुआ आप भी दरवाजा खोल,,,,,( शालू इतना ही कही थी कि आगे के शब्द जैसे उसके गले में ही अटक कर रह गए,,,, शालू की नजर मंगल की झिर्री नुमा साड़ी में से झांक रही उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर. पड़ी,,,, वह यह नजारा देखकर एकदम से हैरान रह गई। सबसे पहले तो कुछ क्षण के लिए औरत जात होने के बावजूद भी मंगल भी बड़ी-बड़ी गौरी चूचियों को देखकर शालू भी उसके प्रति अपने आकर्षण को रोक नहीं पाई,,, लेकिन तुरंत उसे एहसास हुआ की आखिर उसकी बुआ कमरे में जवान लड़का होने के बावजूद भी इस स्थिति में क्यों है,,,। मंगल भी शालू की नजरों को भाप गई वह समझ गई कि वह क्या देख रही है,,,। इसलिए शालू कुछ पूछती इससे पहले ही वह बोली,,,।
वह क्या है ना बेटा की गर्मी इतनी ज्यादा पड़ रही थी कि इसे निकालना ही पड़ा,,,
( शालू आश्चर्य से मंगल की बातें सुन रही थी लेकिन कमरे में झांककर अंदर का जायजा भी लेने की कोशिश कर रही थी जिसे देखते हुए,, मंगल पहले ही बोल पड़ी,,,
सूरज सो रहा है,,,( मंगल यह बात शालू का ध्यान भटकाने के लिए बोली थी जो कि शालू भी अच्छी तरह से देख रही थी कि वह चादर ओढ़ कर दूसरी तरफ करवट लेकर सोया हुआ था लेकिन उसे इतना तो साफ पता चल गया था कि अंदर जिस तरह की फुसफुसाहट हो रही थी सूरज सोया नहीं है बल्कि सोने का नाटक कर रहा है लेकिन वह ऐसा क्यों कर रहा है यह शालू के समझ के बिल्कुल परे था,,,,।)
वैसे तुम्हें क्या काम था शालू जो इस तरह से मुझे नींद से जगाने आ गई,,,।
कुछ खास नहीं बुआ मां ने,,, कही थी कि अगर वह जाग रही हो तो उन्हें बुला लाओ थोड़ी इधर उधर की बातें भी हो जाएंगी और समय भी कट जाएगा,,,
( इतना कहते हुए वह लगातार कमरे के अंदर अपनी नजरें जुड़ा रही थी कि तभी उसकी नजर बिस्तर के नीचे पड़ी ब्लाउज और ब्रा पर गई,,,, इस तरह से नीचे पड़े हुए ब्रा और ब्लाउज पर नज़र पड़ते ही शालू का माथा पूरी तरह से ठनक गया,,,, उसी इतना तो समझ में आ ही गया की कमरे में कुछ तो गड़बड़ जरूर हो रहा है। वह जल्दी से अपनी नजरों को बिस्तर के नीचे से हटा दी ताकी मंगल को यही लगे कि वह बिस्तर के नीचे पड़ी ब्लाउज और ब्रा को नहीं देख पाई है। शालू की बात सुनकर मंगल मुस्कुराते हुए बोली।)
नहीं बेटा मैं इस समय नहीं आ सकती मैं बहुत थक गई हूं मुझे आराम करना है मैं बाद में आ जाऊंगी,,,
( शालू अपनी बुआ की बात सुनकर ज्यादा जोर नहीं देना चाहती थी इसलिए बोली।)
कोई बात नहीं हुआ आप आराम करिए मैं मंगल मामी से कह दूंगी की बुआ सो रही है,,,।
आप आराम करिए (और इतना कहकर शालू वहां से चल दी,, उसे जाता हुआ देखकर मंगल को राहत हुई और वजह से दरवाजा बंद करके बिस्तर पर आकर बैठ कर लंबी लंबी सांसे भरने लगी दरवाजे के बंद होने की आवाज सुनते ही सूरज भी उठ कर बैठ गया,,।)
यह मामी की लड़की भी ना बहुत परेशान कर दी,,, अच्छा मंगल मामी कहीं उसे शक तोे नहीं हुआ,,,
नहीं बेटा सब तो नहीं हुआ अच्छा हुआ बला टली वरना वह मुझे लिए जाए बिना नहीं मानती,,,,
( इतना कहने के साथ ही साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर से नीचे गिरा दी एक बार फिर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां सूरज की आंखों के सामने उछलने लगी जिसे देख कर सूरज अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर दोनों से जियो को फिर से थाम लिया और अपनी मंगल मामी को आंख मारते हुए बोला,,,
ओह बेटा गर्मी बहुत है ना इसके लिए निकाल दि,,,
( इतना कहते ही सूरज हंसने लगा और साथ में मंगल भी। )
अच्छा खासा मूड खराब कर दि इस लड़की ने,,,
इसमें कौन सी बड़ी बात है मंगल मामी आओ फिर से तुम्हारा मूड बना देता हूं (इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मंगल मामी का हाथ पकड़कर बिस्तर पर लिटा दिया और इस बार एक झटके में ही उसकी साड़ी और पेटिकोट खोलकर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,, हुस्न की मल्लिका मंगल का गोरा बदन एक बार फिर से सूरज की आंखों के सामने अपना कहर बरसाने लगा,,, अपनी मंगल मामीका गोरा बदन देखते ही सूरज उस पर टूट पड़ा और पूरे बदन पर चुंबनों की बौछार करने लगा ऊपर से चुमते हुए वह नीचे की तरफ बढ़ रहा था,,, और जैसे ही वह मंगल की रसीली बूर-के करीब पहुंचा,,, ऊसके होंठ अपने आप लपलपाने लगे,,,, मंगल की बुर भी कुलबुलाने लगी,,, और अगले ही पल सूरज अपनी मंगल मामी की रसीली बुर पर अपने होंठ रख कर उसे चाटना शुरू कर दिया,,,,,
पूरे कमरे में मंगल की गर्म सिसकारी गूंजने लगी,,,, दोनों पूरी तरह से चुदवासे हो गए।,,,,सूरज अपनी मंगल मामी की मोटी मोटी जांघों के बीच पोजीशन ले लिया था उसकी मंगल मामी पूरी तरह से तैयार थी अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,,,सूरज अपने खड़े लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए बोला,,,।
शालू ने आकर सारा मजा बिगाड़ दिया वरना अब तक तो मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर में होता,,,,
सच कह रहा है तू कितना मजा आ रहा था मैं तो एक दम पागल हुए जा रही थी लेकिन शालू ने वाकई में सारा मजा किरकिरा कर दिया।,,,
( इधर दोनों मंगल और सूरज संभोग सुख प्राप्त करने की पूरी तैयारी कर चुके थे दोनों संभोग सुख का मजा लेने के लिए तड़प रहे थे,,, वहीं दूसरी तरफ शालू पूरी तरह से हत प्रत थी उसे कमरे के अंदर जरूर कुछ गड़बड़ हो रही है इस बात की आशंका हो रही थी।
वह इस बात से ज्यादा परेशान हुए जा रही थी कि,, भला एक औरत कैसे एक जवान लड़के की उपस्थिति में अपने ब्लाउज और ब्रा को निकाल कर रह सकती है।सूरज पूरी तरह से जवान था और कमरे में मौजूद होने के बावजूद भी उसकी बुआ ने, कैसे अपना ब्लाउज निकाल कर अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को दिखाते हुए अपने जवान भांजे की मौजूदगी में रहती होंगी,,, शालू को यह बात परेशान कर दे रही थी क्योंकि बुआ अभी बुढी नहीं थी,,, अभी तो वह पूरी तरह से खिल रही थी,,
और सूरज भी छोटा बच्चा नहीं था। वह पूरी तरह से जवान हो चुका था,,,,। शालू बार-बार अपने मन को यह समझाने की कोशिश कर रही थी कि जो कुछ भी हुआ देखी वह सब उसकी आंखों का भ्रम था ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा वह सोच रही है लेकिन फिर भी उसके मन में बार-बार यही सवाल उठता था कि अगर सबकुछ सही है तो बिस्तर के नीचे बुआ की ब्रा और ब्लाउज के ऊपर की पड़ी थी अगर वह सच में निकाल कर रखी होती तो वह अलमारी या बिस्तर पर होती नीचे ना फेंकी होती। अब शालू का बेसब्र मन व्याकुल होने लगा उसे हकीकत जानना था और वह अपनी मां के कमरे की तरफ जाने की वजह वापस घूम गई अपनी बुआ के कमरे की तरफ जहां पर सूरज और मंगल संभोगरत होकर मजे लूटने जा रहे थे,,,,, जहां पर मंगल सूरज को उकसाते हुए बोल रही थी।
तो देर किस बात की है मेरे राजा मेरी बुर भी तेरे लंड के सामने है, और तेरा लंड भी पूरी तरह से खड़ा हो चुका है। तू अब अपने मोटे लंड को मेरी बुर मे डालकर चोद मेरी प्यास बुझा दे,,,
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी ना तो मंगल से रहा जा रहा था और ना ही सूरज से,,, अपनी आंखों के सामने अपनी मंगल मामी की रसीली गुलाबी बुर को देखकर सूरज की आंखों में चमक आ गई और वह एक हाथ से अपनी मंगल मामी की जांघों को थोड़ा सा फेलाकर,, दूसरे हाथ में पकड़े लंड को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच भीढ़ा दिया,,,
इसके बाद सूरज ने कचकचाकर ऐसा धक्का मारा कि,,,सूरज का मोटा लंड मंगल की कसीली टाइट बुर के अंदरूनी सारे अवरोधों को दूर करते हुए सीधे जाकर बच्चेदानी से टकरा गया,,,सूरज के इस तरह के जबरदस्त हमले को मंगल सहन नहीं कर पाई और उसके मुख से चीख निकल गई,,,,
लेकिन वह अपने होठो को आपस में भींच कर अपनी चीख को अंदर ही अंदर दबा ले गई,,,,सूरज बेहद खुश नजर आ रहा था और ऐसी खुशी,,, इंसान के चेहरे पर तभी नजर आती है जब वह किसी चीज पर जीत प्राप्त कर लेता है,,,,सूरज के चेहरे पर भी उसी प्रकार की जीत की खुशी में जरा रही थी क्योंकि उसने अपनी मंगल मामी की बुर पर पूरी तरह से फतेह प्राप्त कर लिया था,,,, वह अपना मोटा लंबा लंड अपनी मंगल मामी की बुर नुमा जमीन पर गाड़ दिया था।,,, अपनी मंगल मामी की कमर को दोनों हाथों से थाम कर अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया था,,,,,
दूसरी तरफ शालू मंगल बूआ के कमरे तक पहुंच चुकी थी और अंदर की हलचल को सुनने के लिए दरवाजे से कान लगा दी,,,, कमरे से आ रही आवाजों को सुनकर शालू को अपने कानों पर भरोसा नहीं हुआ वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिरकार यह हो क्या रहा है कमरे के अंदर की मादक आवाज उसके तन-बदन में ना जाने किस तरह की लहर पैदा कर रही थी यह खुद उसे भी समझ में नहीं आ रहा था,,,,। वह इस तरह की आवाज को पहली बार सुन रही थी
ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहहहहह,,,,, व,ऊहहहहहहहहहहहह,,,,,,ओहहहहहह म्मा,,,,,,,,,,,( शालू पूरी तरह से हैरान हुए जा रही थी आखिरकार यह आवाज में किस तरह की है वह दरवाजे के बराबर सुन लगाकर अंदर की आवाज को सुन रही थी,,,, लेकिन तभी जो आवाज उसके कानों में सुनाई दी,,, उसे सुनकर वह पूरी तरह से हिल गई,,, उसके पूरे बदन में सनसनी की लहर दौड़ गई)
ओहहहसूरज मेरे राजा तेरा लंड बहुत मोटा और लंबा है रे मेरी बुर का सारा रस निचोड़ डाल रहा है,, बस ऐसे ही और तेज धक्के लगा कर चोद मुझे और जोर से चोद फाड़ दे मेरी बुर को,,,,
( जैसे ही शालू के कानो में मंगल की यह बात सुनाई दी उसके तो होश उड़ गए शालू अभी अभी जवान हो रही थी इसलिए उसके कानों में पड़ने वाले यह शब्द पहली बार ही उसे सुनाई दिए थे वह तो समझ ही नहीं पाई कि वह क्या करें अंदर की बातों को सुनकर उसके तन-बदन में ना जाने कैसी हलचल मचने लगी,, उसकी जांघों के बीच के भाग में रक्त का प्रभाव बड़ी तेजी से होने लगा उसे जांघों के बीच का वह अंग फुदकता हुआ महसूस हो रहा था। अब उसके बर्दाश्त के बाहर था,,, क्योंकि अंदर से उसे आप सूरज की आवाज़ आ रही थी जो की कह रहा था कि,,,
ओ मेरी रानी तेरी रसीली बुर में तो मैं पूरी जिंदगी गुजारने को तैयार हूं,,, सच कह रहा हूं जब तक तेरी बुर में मैं अपना मोटा लंड डालकर तुझे चोद ना दु तब तक मुझे चैन नहीं मिलता,,,, तू ऐसे ही मुझसे चुदवाया कर मैं जिंदगी भर तुझे ऐसे ही चोदूंगा,,, मेरी रानी,,,
( अब शालू के सामने सब कुछ साफ हो चुका था वह समझ चुकी थी कि अंदर क्या चल रहा है लेकिन इस समय उसे अंदर का नजारा दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए वह बेचैन हो रही थी,,,, वह अंदर देखने के लिए जुगाड़ ढुंढने लगी,, और जल्द ही उसे दरवाजे की कुंडी के पास एक छोटा सा छेद नजर आया जिस मे आंख सटाते ही उसे किसी पिचर की तरह पर्दे पर पूरा दृश्य नजर आने लगा,,,,
अंदर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से चौंक. गई उसका शक हकीकत में बदल गया था। वह जो अपने दिमाग में सोच रही थी वही नजारा उसकी आंखों के सामने बिस्तर पर हो रहा था उसे पहले तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि सूरज मंगल के बेटे समान था और वह अपनी मां समान मंगल मामी को इस तरह से चोद सकता है और मंगल अपने बेटे समान भांजे से पूरी नंगी होकर उसका लंड अपनी बुर में डलवा कर चुदवा सकती है।,,, अंदर का नजारा देखकर तो शालू पसीने-पसीने हो गई सूरज अपनी मंगल मामी पर चढ़ा हुआ था और उसकी मंगल मामीखुद ही अपनी टांगे फैलाकर अपने भांजे के धक्के का मजा ले रहीे थी। दोनों पूरी तरह से नंगे थे,, शालू को आपकी समझ में आ गया कि उसकी बुआ दरवाजा जिस हालत में खोली थी क्यों खोली थी,,,
वह समझ गई कि उसके आने से पहले से ही वह दोनों कार्यक्रम में लगे हुए थे और सूरज भी सो नहीं रहा था जाग रहा था। यह सब सोचते हुए वहां अंदर का नजारा देख रही थी अंदर का गर्म दृश्य उसके शालू मन पर भारी पड़ रहा था। वह वहां से हट जाना चाह रही थी लेकिन ना जाने किस प्रकार का आकर्षण उसे वही खींच कर स्थिर किए हुए था।,,
सूरज की कमर जोर-जोर से हिलती हुई उसे नजर आ रही थी हालांकि उसने अभी भी उन दोनों के संभोगरत अंगों को नहीं देख पाई थी,,,, लेकिन इतना तो जानती थी कि उन दोनों के बीच क्या हो रहा है।सूरज भी गरम सिसकारी लेते हुए जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, मंगल भी अपनी नंगी बांहों में उसे जकड़ कर चुदाई का मजा लूट रहीे थी वह दोनों इस बात से बिल्कुल अनजान थे की कोई और भी है जो कि दरवाजे के बाहर खड़े होकर दरवाजे के छेद से उन दोनों के काम लीला को देख रही थी।,, शालू के बदन में उत्तेजना के सुरसुराहट हो रही थी जिसको वह बिल्कुल भी पहचान नहीं पा रही थी।,,,,
आखिरकार सूरज के तेज झटकों की बदौलत मंगल का मदन रस भलभलाकर बहने लगा,,, साथ ही वह भी झड़ गया,,, लेकिन शालू को कुछ भी समझ में नहीं आया कि उन दोनों के बदन में ऐसा कौन सी हरकत हुई कि दोनों एकदम से थक गए दोनों शांत एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले पड़े थे।,, दोनों का काम निपट चुका था लेकिन शालू यह नहीं जानती थी इसलिए वह अभी भी उस छेंद मे आंख गड़ाए अंदर के दृश्य को देख रही थी,,, लेकिन जैसे ही सूरज अपनी मंगल मामी के ऊपर से उठा शालू तुरंत वहां से चली गई।