अध्याय 7
सभी शहर वाले घर आ जाते है ,सोनल और रानी बहुत खुस थे की रेणुका की शादी लग गयी है और वो घर में ही रहेगी ,तीनो बहन मिलकर समान की लिस्ट बनाते है,अजय का शहर वाला घर भी काफी अच्छा था,अजय किशन या विजय को वहा भेजना चाहता था ,ताकि शहर का कारोबार भी देखा जा सके पर दोनों को गाव से ही प्यार था ,और उनकी मस्तिय भी गाव में ही चल सकती थी ,अजय अपने भाइयो पर बेवजह का बोझ भी नहीं डालना चाहता था,आखिर सब खाना खाने बैठे,सोनल और रानी ने अपने हाथो से खाना बनाया था,
“भाई कैसा है खाना ,”सोनल बड़े ही प्यार से अजय से पूछ रही थी,
“हम्म बढ़िया है,”अजय थोडा गंभीर लग रहा था जैसा वो हमेशा ही लगता था,
“हमें भी पूछ लिया करो मैं भी तो तेरा भाई हु,”विजय ने हलके से कहा सोनल उसे आँखे दिखने लगी
“तुझे तो जो भी दे दो बस रेणुका के हाथ का ही अच्छा लगता है “सोनल धीरे से उसे कह गयी ,विजय जैसे उछल गया और चुप रहने का इशारा किया रानी और सोनल दोनों हस पड़े वही निधि एक अजनबी निगाहों से उन्हें देखने लगी,अजय ने सुना तो सब और समझा भी सब पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं दि ,
“सोनल तुम पड़ी लिखी हो और समझदार भी हो गयी हो ,पर मैंने सोचा नहीं था की तुम यु डिस्को में बैठी शराब पीती हुई मिलोगी,और वो लड़के लडकिया तुम्हारे दोस्त है ,कैसे कपडे पहने थे उन सबने ,देखो मैं तुम्हे डाट नहीं रहा हु बस तुम लोग अब बड़ी हो गयी हो और अपना अच्छा बुरा समझती हो मुझे कहने का यु तो कोई हक़ नहीं है पर ,…”अजय का इतना बोलना था की सोनल फफक कर रो पड़ी वही रानी की भी सुबकिया अजय को सुनाई दि ,उसे इस बात का इल्म ही नहीं था की वो कुछ गलत बोल गया है ,उसने सर उठा कर अपनी बहनों को देखा सोनल तो रो रही थी और निधि उठकर उसके पास जा चुकी थी और उसे दिलशा दे रही थी,सोनल सुबकते हुए बोल पायी
“भईया आप ऐसे क्यों बोल रहे हो की हम पर आपका कोई हक़ नहीं है,क्या हम शहर में रहकर पढाई करते है तो हम आप के लिए पराये हो गए ,भईया आप हमारे लिए भगवन हो ,आपने हमें पाला पोसा है ,आप ही हमारे बाप हो और माँ भी आप ने हमें कोई भी दुःख नहीं होने दिया ,अपनी हर खुशियों को हमारे बाद ही समझा है ,आपको क्या लगता है की हम पढ़ लिख कर ये सब भूल जायेंगे ,हम जाहिल नहीं है भईया जो आपने किया उसे भूल जाय ,और आप ऐसे क्यों बोल रहे हो ,आपको बुरा लगा तो हमें डाटो मरो पर पराया मत करो भईया ,”सोनल बड़ी मुस्किल से ये बोल पायी की अजय को भी ये अहसास हो चूका था की वो कुछ गलत बोल गया है,वो उठा और सोनल और रानी को एक साथ अपनी बांहों में भर लिया दोनों मोम की गुडिया जैसे उसके तरफ खिसकती चली गयी और उसके सीने में समां गयी ये देखकर निधि भी अपने को नहीं रोक पायी और दौड़कर उनसे लिपट गयी ,ऐसे तो विजय का भी बड़ा मन कर रहा था पर अजय के कारन वो वही खड़ा रहा पर सोनल ने अपने हाथो से उसे इशारा किया और वो भी दौड़कर सोनल के पीछे से ही उन्हें अपने बांहों में भर लिया ,थोड़ी देर में जब सब सामान्य हुआ तो सभी अलग हुए लेकिन सोनल अभी भी अजय को जकड़े हुई थी ,अजय सोनल से पहले कभी ऐसे प्यार नहीं जताया था ,असल में रानी और सोनल,किशन और विजय के बहुत ही करीब थे और चारो अजय से थोडा डरते भी थे वही निधि को बस अजय ही समझ आता था बाकियों से वो उतनी घुली मिली नहीं थी ,निधि कभी भी अजय से नहीं डरी,सारे भाई बहान उसे भईया की चमची कहते थे,लेकिन आज अजय की बांहों में सोनल को बहुत सुकून मिल रहा था,वो इसे छोड़ना नहीं चाहती थी,अजय भी अपना हाथ सोनल के सर पर ले गया ,
“सॉरी बहन गलती हो गयी ,मुझे लगा की मेरी बहने शहर आकर बदल गयी होंगी और जैसा वह का माहोल था और जैसे तुम लोग लडको के साथ बैठे थे मुझे सच में तुम लोगो का वह होना अच्छा नहीं लगा ,पर क्या करू बहन मैं एक भाई हु ना वो भी एक जाहिल गाव का लड़का,”सोनल अजय के मुह पर अपना हाथ रख दिया ,
“मेरे भाइयो से जादा अच्छा वहा कोई भी नहीं था,वहा जो लोग थे वो अपने बाप की दौलत उड़ने वाले थे ,पर मेरे भाई तो कई लोगो को आश्रय देने वाले है,भईया हमें माफ़ कर दीजिये हम वहा कभी नहीं जायेंगे ,और भईया हम शराब नहीं पि रहे थे वो एक दोस्त का बर्थ डे था इसलिए चले गए ,और वो सभी लड़के लडकिय मेरे कॉलेज के दोस्त है ,सॉरी भईया ,और आप मेरे भाई सबसे बेस्ट है ,:सोनल अजय के गाल पर एक किस देकर उससे अलग हुई ,रानी भी दौड़कर आई और अजय को किस कर दि ,अजय हलके से मुस्कुरा दिया वही विजय ने सोनल को अपने गाल पर उंगली रखते हुए इशारा किया ,सोनल ने जीभ दिखा के इशारे में हलके से रेणुका कहा और हसने लगी ,ये देखकर निधि ने जाकर विजय को एक किस दे दिया ,विजय बहुत खुश हुआ और सोनल को चिढाने लगा ,तभी निधि बोली
“हमारे भईया सबसे बेस्ट है तभी तो आपकी सब फ्रेंड्स इन्हें लाइन मार रही थी ,और खासकर वो खुसबू कैसे अजय भईया को घुर रही थी ,”निधि ने मुह बनाते हुए कहा ,लेकिन सब थोड़े असहज हो गए जिसे अजय ने महसूस कर लिया था ,
“कौन खुसबू ,”
“वही पिंक कपड़ो वाली “निधि ने फिर चिड़ते हुए कहा ,
“भईया वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त है ,वो अपने परिवार के साथ यही रहती है ,”सोनल ने बात सम्हाला
“कौन कौन है उसके परिवार में “अजय ने यु ही पूछ लिया
“उसके माता पिता तो यहाँ नहीं रहते ,उसने बताया की वो विदेश में रहते है यहाँ उसके दो भाई और उसकी एक बहन है,एक भाई अभी छोटा है स्कूल में है वो अपने दादा जी के पास गांव में रहता है ,”अजय सब धयान से सुन रहा था ,
“अच्छा कोण से गांव के है वो ”
“वो तो मुझे नहीं पता भईया ”
“ह्म्म्म ठीक है ,दोस्तों का चयन हमेशा सम्हाल के करना, जानती हो ना हमारे कितने दुसमन है ,चलो अब सो जाओ कल मुझे किसी से काम है ,पापा के पुराने दोस्त है उनसे मिलाना है ,मैं सोने जा रहा हु और तुम लोग भी जादा बाते मत करना ठीक है ना ,”सब ने सर तो हिला दिया पर वो कहा सोने वाले थे ये तो उन्हें भी पता था ,और अजय को भी ,अजय के जाने के बाद उनकी मस्ती चालू हो गयी लेकिन पहले निधि के जाने का वेट कर रहे थे ,थोड़ी देर में निधि भी बोर होकर अजय के कमरे में चली गयी ,और उसके जाते ही ,
“कैसे रे कमीने अपनी महबूबा की शादी करा रहा है ,”सोनल ने विजय का कॉलर पकड़कर कहा,विजय और सोनल जुड़वाँ थे वही किशन और रानी भी इनके हमउम्र इसलिए इनके बीच कुछ भी छिपा हुआ नहीं था ,खासकर सोनल और विजय के बीच ,
“क्या करू यार मौसी और भईया की बात कोई टाल सकता है क्या ,लेकिन एक चीज तो अच्छी है कि वो अपने पास ही रहेगी ”
“यानि तेरी तो ऐश है ,कमीना साला बहुत ही लक्की है तू “सोनल ने हस्ते हुए कहा यु तो रानी को सब कुछ पता था पर वो थोडा असहज महसूस कर रही थी अगर किशन होता तो अलग बात थी ,उसे किशन की बहुत याद आ रही थी,
“दीदी मैं चली सोने आपलोग को शर्म तो है नहीं की छोटी बहन बैठी है,और ऐसे बात कर रहे हो “रानी ने बुरा सा मुह बनाया ,सोनल हस पड़ी वही विजय ने उसे ऊपर से निचे तक घुर के देखा
“ऐसे हमारी छोटी बहन अब बहुत बड़ी हो गयी है ,है ना सोनल “और सोनल को आँख मार दिया ,रानी उसका मतलब समझ कर शर्मा गयी विजय को एक मुक्का मार कर झूठा गुस्सा दिखाते हुए वहा से चली गयी वही सोनल की हसी छुट गयी ,रानी के जाते ही सोनल विजय की बांहों में आ गयी ,विजय सोफे में बैठा था और सोनल उसपर झुक बैठ गयी थी विजय ने उसे अपने बांहों में भर लिया ,और उसके सर को किस किया ,
“निधि कितनी लकी है ना विजय की घर में ही रहती है ,और एक हम है जो अपने भाइयो से मिलने के लिए भी तडफते रहते है ,कितने दिन हो गए तेरी बांहों में नहीं सोयी हु,मुझे तो निधि से जलन होती है कभी-कभी, हमेशा भईया से चिपकी रहती है और हम है भाई के गले लगने के लिए भी सोचते है ,और उनसे डरते है ,
विजय उसके सर को सहलाता है
“भईया से गले लगने को तो मैं भी तडफता हु मेरी जान ,वो देवता है उनकी पूजा करो पर प्यार ना दिखाओ ,और निधि तो बच्ची है ,प्यारी सी गुडिया “सोनल उसे कस लेती है
“हा वो तो अब भी तुम्हारी प्यारी सी गुडिया है ,तुम्हारी प्यारी गुडिया के हर चीज बड़े हो रहे है कभी देखा भी है “विजय उसे एक चपात उसके सर में मार देता है की सोनल आऊ कर जाती है ,
“मैं अपनी गुडिया के देखूंगा ,कामिनी कही की “सोनल फिर हस देती है
“हा हा मेरा राजा भाई तो बहुत शरीफ है ना ,जैसे उसे कुछ पता ही नहीं गाव की ना जाने कितनी लडकियों को तुमने ,….और अभी सरीफ बन रहा है ,हां अब तो तू रेणुका का ही देखता होगा मैं तो भूल गयी थी ,”विजय उसे जोर से जकड लेता है की सोनल के मुह से आह निकल जाती है और वो छूटने के लिए छटपटाने लगती है ,
“आजकल बहुत बोल रही है ,और वो आयटम कौन थी मस्त थी क्या नाम था हा खुसबू ,”सोनल अपना सर उठा के देखती है
“कमीने वो भाभी है तेरी समझे ,”
“अच्छा जैसे भईया उसे घास भी डालेंगे ”
“क्यों नहीं डालेंगे ,मैं उसकी मदत करुँगी ना भईया को पटाने में,कब तक मेरे भईया हमारी जिम्मेदारियों के बोझ में दबे रहेंगे हमें भी तो उनके लिए कुछ करना चाहिए ना,और खुसबू से अच्छी कोई हो सकती है क्या ,और मैंने खुसबू की निगाहों में देखा है वो तो बस पगला गयी है भाई को देखकर ,”
“अरे हमारे भईया किसी हीरो से कम है क्या ,चल ठीक है हम भी मदद करेंगे और उसके चरण धो के पियूँगा अगर भईया ने उसे हमारी भाभी मान लिया तो ,चल जान अब सोना है कल भाई जल्दी उठा देंगे पापा के किसी दोस्त से मिलने जाना है ,”
“ओके पर मेरे और रानी के साथ ही सोयेगा तू ,कितने दिन हो गए तुझसे लिपट के सोये हुए ,और जबसे ये रेणुका जवान हुई है मेरे भाई को ही छीन ली “सोनल हलके गुस्से से बोली
“अरे मेरी जान रेणुका क्या कोई भी लड़की मेरे बहनों की जगह नहीं ले सकती समझी चल अब चलते है ,”सोनल मुस्कुरा कर अपने भाई के बांहों से निकलती है और उसके गालो में प्यारी सी पप्पी दे देती है ,विजय भी मुस्कुरा देता है ,
“और ये कोण दोस्त है पापा के जिससे मिलने जाना है ,”
“अरे है कोई बड़ा अजीब नाम है ,बाली काका ने कहा है की मिलके आ जाना ,क्या नाम है ….
हा डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले “सोनल आँखे फाडे देखती है
“डॉ चुतिया ”
“डॉ चुतिया ये कैसा नाम है ”
“अरे बहुत नाम है उनका इस शहर में उन्हें सब चुतिया डॉ कहते है ,कल मिल लेना तुम्हे भी पता चल जायेगा …”सोनल मुस्कुराती हुई विजय का हाथ पकडे अपने रूम में जाती है ….