Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

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" हैप्पी बर्थ डे "

साजन ,सजनी



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झुक कर उनकी आँखों में झांकते मैंने धीमे से पूछा ,


" बोल ,कैसे लगा। "

वो झेप गए।

" अरे मेरा मतलब है , आम खाने में , मैंगो जूस पीने में , था न मजेदार। "


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अब मुस्कराकर वो बोले , हाँ बहुत अच्छा।

"चल तो अबकी तेरे मायके में तेरी उस बहना कम माल के सामने खिलाऊँगी , खाओगे न "



पहले तो उन्होंने सर हिलाया फिर साफ साफ कबूल कर लिया ,


" हाँ "

" पहले उसके सामने ,तुझे आम खिलाऊँगी ,


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फिर उसके कच्चे टिकोरे तुझे "




मैं बोली।

वो मुस्करा रहे थे।


" बहनचोद , बहुत मन कर रहा हैं न तेरा अपनी उस बहन कम माल को चोदने का, .... "


मैंने छेड़ा ,और झुक के एक जोर का चुम्मा , मेरी जीभ उनके मुंह के अंदर। ,डीप फ्रेंच किस।

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और उनके मुंह में अभी भी आमरस का स्वाद था।


टन टन टन टन , घड़ी ने १२ बजाये।

एक पल के लिए होंठ हटा के मैं बोली ,


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" हैप्पी बर्थ डे "

और दुबारा मेरे होठ ,उनके होंठों से चिपक गए ,


,उनके होंठों , मुंह में घुले आम रस ,काम रस का स्वाद लेते।
………………………………………………………………

अगर उनकेमायकेवाले उन्हें इस तरह देखा होता तो फट के हाथ में आ जाती उनकी।


"मेरे भैय्या ऐसे है , आप मुझसे ज्यादा मेरे भइया को थोड़े जानती हैं। "


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मैंने सर झटक के इस ख्यालको हटाया , कुछ ही दिन की बात है फिर तो इनके मायकेवालों के सामने भी , …



और थोड़ी देर में हम दोनों साथ बैठे हुए थे , मैं उनकी गोद में ,


जोर से हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भींचे हुए , बड़ी देर तक बिना कुछ बोले ,


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न हमारे बीच कोई कपड़ा था न लाज , न अतीत की याद ,डर ,झिझक ,न भविष्य की आशंका , न क्या अच्छा क्या बुरा।

सिर्फ साजन ,सजनी।





उनके चेहरे पे एक नयी चमक , एक नया कांफिडेंस था और ख़ुशी एकदम टपक रही थी।




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जोरू का गुलाम भाग १४

रात बाकी , बात बाकी





अगर उनकेमायकेवाले उन्हें इस तरह देखा होता तो फट के हाथ में आ जाती उनकी।


"मेरे भैय्या ऐसे है , आप मुझसे ज्यादा मेरे भइया को थोड़े जानती हैं। "




मैंने सर झटक के इस ख्यालको हटाया , कुछ ही दिन की बात है फिर तो इनके मायकेवालों के सामने भी , …



और थोड़ी देर में हम दोनों साथ बैठे हुए थे , मैं उनकी गोद में , जोर से हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भींचे हुए , बड़ी देर तक बिना कुछ बोले ,

न हमारे बीच कोई कपड़ा था न लाज , न अतीत की याद ,डर ,झिझक ,न भविष्य की आशंका , न क्या अच्छा क्या बुरा।

सिर्फ साजन ,सजनी।




उनके चेहरे पे एक नयी चमक , एक नया कांफिडेंस था और ख़ुशी एकदम टपक रही थी।

contd.....



और उनकी ललचाई निगाहें बार बार मेरे गदराये उन्मुक्त जोबन को सहला रहीं थीं , दोनों उभारों के बीच मेरा मंगलसूत्र क्लीवेज के अंदर धंसा था। मेरे सुहाग की निशानी , उनका प्रतीक , उसे निकाल के उन्हें दिखा के मैंने चूम लिया।





उनकी आँखों की ख़ुशी देखते बनती थी।

मैंने प्लेट उठा के उनकी ओर बढ़ा दी , लम्बी लम्बी रस से भरी ,सुनहली ,फांके ,अल्फांसो,केसर ,दसहरी ,…





और अबकी खुद उन्होंने अपने हाथ से उठा के एक गप कर लिया।


क्यों अकेले अकेले ? मैंने उन्हें छेड़ा।

और अगली फांक मेरे मुंह में थी उनके हाथों से।

लेकिन उसके बाद खाने खिलाने का काम होंठों ने संभाल लिया ,कभी उनके होंठों ने कभी मेरे होंठों ने।


थोड़ी ही देर में प्लेट खाली थी।

और अब मैंने एक चॉकलेट निकाली , उनकी 'स्पेशल बर्थडे गिफ्ट ' एक खूब बड़ी सी एनर्जी चॉकलेट।








और जब उन्होंने उसे हाथ से अनरैप करने की कोशिश की तो मैंने उसे पीछे कर लिया ,

और उनके आधे सोये आधे जागे खूंटे की ओर इशारा किया , कैसे मैंने उसका घूंघट अपने होंठों से हटाया था।


और मुस्करा के उन्होंने अपने होंठो से एक तिहाई खोल दिया ,

तो मैंने फिर इशारा किया ,

अपने होंठों के बीच लेके उसे धीमे धीमे चुभलाओ , सक आईटी स्लोली डोंट बाइट , एकदम जैसे मैंने किया





और उन्होंने वही किया ,करीब तीन इंच इंच मोटा सा चॉकलेट का टुकड़ा उनके मुंह में था , और वह चूस चुभला रहे थे जैसे थोड़ी देर पहले मैं उनका सुपाड़ा चूस रही थी।


और इस चॉकलेट में मेरी और बर्थडे गिफ्ट भरी थी , सॉफ्ट सियालिस टैब्स , चाकलेट फ्लेवर की।

इसका असर दूनी तेजी से होता था।


और जब तक वह चाकलेट चूस रहे थे





मैंने एक रेड वाइन का गॉब्लेट उनके होंठों से लगा दिया ,


और जब तक वह कुछ समझें एक तिहाई उनके होंठों से होते पेट में

और यह भी उनके लिए फर्स्ट टाइम था , एक अच्छे बच्चे वाली प्योरिटैनिकल अपब्रिंगिंग के बाद ,


अगली सिप मेरे होंठों ने ली , खूब बड़ी सी और फिर मेरे होंठो से उनके होंठों में,





और उसके बाद अगले दस -पंद्रह मिनट तक जिन उरोजों को वो ललचाते हुए देख रहे थे ,





उनसे होक मैंने वाइन सीधे उनके होंठों पे ,




तीन चौथाई बॉटल खाली हो गयी थी और उसकी दो तिहाई से ज्यादा उनके पेट में ,

साथ साथ सियालिस से भरी एनर्जी चॉकलेट ,






मेरी उंगलियां भी साथ कभी 'उसे ' छूती ,छेड़तीं , कभी हलके हलके मुठियाने लगती।


और वो अब तनतना गया था , एकदम कड़ा बेकाबू।





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टनाटन


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मेरी उंगलियां भी साथ कभी 'उसे ' छूती ,छेड़तीं , कभी हलके हलके मुठियाने लगती।




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और वो अब तनतना गया था , एकदम कड़ा बेकाबू।


asian dp pics

बस।




अब आ गया था मौका ,मैंने उन्हें हल्का सा धक्का दिया और वो डबलबेड पर पीठ के बल ,

उनकी दोनों कलाइयां मेरे हाथों में ,

मैं उनके ऊपर ,


मेरी कड़ी कड़ी ,गोरी गोरी गोलाइयाँ उनके भूखे होंठों के ठीक ऊपर लेकिन इंच भर दूरी पर ,



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" बोल चाहिए , "


मैंने उनकी आँखों में झांकते पूछा।

" हाँ ,हाँ "

वो बेताब थे , उचक रहे थे।

" ऐसे थोड़ी मिलेगा , पहले बोलो मेरी सब बातें मानोगे ,थोड़ा गिड़गिड़ाओ , ठीक से मांगो ,"


मैंने तड़पाया।


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" हाँ हाँ ,मानूंगा , सारी बाते मानूंगा , प्लीज दो न , अपना अपना रसीला गदराया जोबन , प्लीज बस एक बार चूस लेने दो। "


वो बोले।

लेकिन मैं अब उनके ऊपर बैठ गयी थी , सीधे।





" चल मनभर कर देख ले "




और नशीले मस्ताये अंदाज में मेरी उँगलियों ने कड़े कड़े ३४ सी उभारों को पहले तो उचकाया ,उन्हें दिखा दिखा के ललचाया ,


फिर दोनों हाथ इस तरह सहला रहे थे मेरे उभारों को कि क्या कोई मर्द सहलाएगा ,


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और अचानक मैंने अंगूठे और तर्जनी से निप्स को जोर से पिंच कर लिया ,



मैंने कनखियों से देखा , 'वो;' बुरी तरह टनटनाया था।


और मैंने फिर से उन्हें ब्लाइंडफोल्ड कर दिया।



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इस बार दोनों हाथ जकड़ दिए गए थे हैंडकफ में , मेरे डबल बेड के हेड पोस्ट के साथ।


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मेरे होंठों ने बहुत हलके से ,उनके प्यासे तड़पते होंठों पे एक हलकी सी चुम्मी ली , और फिर मेरे होंठ नीचे की ओर मुड़ लिए।

पहले ठुड्डी , फिर सीने पे , तितली की तरह उड़ते मेरे होंठ कभी यहाँ कभी वहां चूम रहे थे ,


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और उनका साथ दे रहे थे मेरे उरोज।


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कभी उनके प्यासे होंठों पे मैं अपने मतवाले जुबना रगड़ देती तो कभी अपने खड़े ,कड़े निप्स वहां छुला के हटा देती।

मेरे होंठ सीने से हटते ,तो गदराये उभार जोर जोर से वहां रगड़ने लगते ,





और इन सबका सबसे ज्यादा असर हुआ उनके निप्स पे ,


एकदम उनके माल की तरह थे ,छोटे छोटे ,लेकिन टनाटन्न। किसी लौंडिया के निप्स से भी ज्यादा सेंसिटिव।




और पहले तो मेरी जीभ ने उनके निप्स को फ्लिक किया , ऊपर से नीचे तक लिक किया ,




और फिर होंठों की बारी आई जोर जोर से चूसने की। जब वो मस्ती में चूर थे , तो दाँतो ने हलके से बाइट ले लिया

फिर तो क्या चीखे वो ,दर्द से ज्यादा मस्ती से।

आँखे बंद थी , हाथ बंधे थे दोनों ,लेकिन मुंह और कान तो खुले थे।


और जब होंठ नीचे बढे , उनके गोरे गोरे एकदम चिकने पेट पे हलके हलके जीभ से लिक करने ,


तो भी निप्स को कोई राहत नहीं मिली , मेरे लाल नेल पालिश लगे नाख़ून , उन्हें जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे।



 
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टनाटन


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मेरी उंगलियां भी साथ कभी 'उसे ' छूती ,छेड़तीं , कभी हलके हलके मुठियाने लगती।




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और वो अब तनतना गया था , एकदम कड़ा बेकाबू।


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बस।




अब आ गया था मौका ,मैंने उन्हें हल्का सा धक्का दिया और वो डबलबेड पर पीठ के बल ,

उनकी दोनों कलाइयां मेरे हाथों में ,

मैं उनके ऊपर ,


मेरी कड़ी कड़ी ,गोरी गोरी गोलाइयाँ उनके भूखे होंठों के ठीक ऊपर लेकिन इंच भर दूरी पर ,



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" बोल चाहिए , "


मैंने उनकी आँखों में झांकते पूछा।

" हाँ ,हाँ "

वो बेताब थे , उचक रहे थे।

" ऐसे थोड़ी मिलेगा , पहले बोलो मेरी सब बातें मानोगे ,थोड़ा गिड़गिड़ाओ , ठीक से मांगो ,"


मैंने तड़पाया।


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" हाँ हाँ ,मानूंगा , सारी बाते मानूंगा , प्लीज दो न , अपना अपना रसीला गदराया जोबन , प्लीज बस एक बार चूस लेने दो। "


वो बोले।

लेकिन मैं अब उनके ऊपर बैठ गयी थी , सीधे।





" चल मनभर कर देख ले "




और नशीले मस्ताये अंदाज में मेरी उँगलियों ने कड़े कड़े ३४ सी उभारों को पहले तो उचकाया ,उन्हें दिखा दिखा के ललचाया ,


फिर दोनों हाथ इस तरह सहला रहे थे मेरे उभारों को कि क्या कोई मर्द सहलाएगा ,


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और अचानक मैंने अंगूठे और तर्जनी से निप्स को जोर से पिंच कर लिया ,



मैंने कनखियों से देखा , 'वो;' बुरी तरह टनटनाया था।


और मैंने फिर से उन्हें ब्लाइंडफोल्ड कर दिया।



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इस बार दोनों हाथ जकड़ दिए गए थे हैंडकफ में , मेरे डबल बेड के हेड पोस्ट के साथ।


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मेरे होंठों ने बहुत हलके से ,उनके प्यासे तड़पते होंठों पे एक हलकी सी चुम्मी ली , और फिर मेरे होंठ नीचे की ओर मुड़ लिए।

पहले ठुड्डी , फिर सीने पे , तितली की तरह उड़ते मेरे होंठ कभी यहाँ कभी वहां चूम रहे थे ,


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और उनका साथ दे रहे थे मेरे उरोज।


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कभी उनके प्यासे होंठों पे मैं अपने मतवाले जुबना रगड़ देती तो कभी अपने खड़े ,कड़े निप्स वहां छुला के हटा देती।

मेरे होंठ सीने से हटते ,तो गदराये उभार जोर जोर से वहां रगड़ने लगते ,





और इन सबका सबसे ज्यादा असर हुआ उनके निप्स पे ,


एकदम उनके माल की तरह थे ,छोटे छोटे ,लेकिन टनाटन्न। किसी लौंडिया के निप्स से भी ज्यादा सेंसिटिव।




और पहले तो मेरी जीभ ने उनके निप्स को फ्लिक किया , ऊपर से नीचे तक लिक किया ,




और फिर होंठों की बारी आई जोर जोर से चूसने की। जब वो मस्ती में चूर थे , तो दाँतो ने हलके से बाइट ले लिया

फिर तो क्या चीखे वो ,दर्द से ज्यादा मस्ती से।

आँखे बंद थी , हाथ बंधे थे दोनों ,लेकिन मुंह और कान तो खुले थे।


और जब होंठ नीचे बढे , उनके गोरे गोरे एकदम चिकने पेट पे हलके हलके जीभ से लिक करने ,


तो भी निप्स को कोई राहत नहीं मिली , मेरे लाल नेल पालिश लगे नाख़ून , उन्हें जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे।



 
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बहनचोद





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और जब होंठ नीचे बढे , उनके गोरे गोरे एकदम चिकने पेट पे हलके हलके जीभ से लिक करने ,

तो भी निप्स को कोई राहत नहीं मिली , मेरेलाल नेल पालिश लगे नाख़ून , उन्हें जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे।



खूंटा एकदम तना था ,



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और कुछ पल में होंठ वहां पहुँच भी गए , और सिर्फसुपाड़े पर ८-१० चुम्बन ले डाला।


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और जब वो सोच रहे थे अब मैं 'उनका ' चूसूंगी , चाटूंगी , मैंने उससे छोड़ के नीचे का रुख किया

और दोनों बाल्स ,बारी बारी से आराम से चूसती रही।




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उसके बाद थोड़ा और पीछे , उनके चिकने नितम्ब उचका के ,

मेरी जीभ लिंग और और गुदा के बीच की जगह पर आराम से आगे पीछे होती रही।


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जोश से लंड फटा पड़ रहा था।

मैंने भी , अपने दोनों होंठों से हलके से दबा कर दुल्हन का घूंघट हटा दिया ,




सुपाड़ा ,खूब बड़ा , लाल ,गुस्से में फूला ,मस्त।


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लेकिन इस समय मेरी जीभ ने न उसे छेड़ा न चूसा न चाटा।




मैं उठ के चल दी।

बिचारे पलंग पे जल बिन मछली की तरह तड़प रहे थे।


यही तो मजा है , जो मजा देने लेने में है ,उससे ज्यादा इन्तजार कराने ,तड़पाने में है।


वार्डरोब से मैं एक तेल की शीशी लेकर आई , चार पांच बूँद अपनी हथेलियों में लेकर पहले मला ,


फिर सीधे लिंग के बेस से लेकर ऊपर तक मालिश करना शुरूकर दिया।

पांच छ बार ऊपर से नीचे तक, और फिर जैसे कोई मथानी मथे ,





मोटे कड़े लिंग को अपनी दोनों हथेलियों के बीच लेकर।

कुछ ही देर में वो तेल से चमकने लगा था।

ये कोई ऐसा वैसा तेल नहीं असली सांडे का तेल था ,





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जिसे मेरी एक भाभी ने दिया था ,लेकिन इनके मायके में तो मौक़ा मिला नहीं , ....

सुपाड़े के नीचे से लेकर एकदम बेस तक अच्छी तरह मैंने 'उसे ' तेल पिला दिया , और अब सुपाड़े की बारी थी।

अंगूठे और तरजनी के बीच उसे मोटे ,लाल गरम सुपाड़े को मैंने हलके से दबाया और , सुपाड़े की आँख ,पी होल खुल गयी।

बस ठीक उसी के अंदर , एक के बाद एक पांच छ बूंदे सांडे के तेल की सीधे अंदर ,


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छनछनाकर , चूतड़ उठा के वो जोर से उचके , ( भाभी ने ठीक यही रिएक्शन बताया था ).


और अब दो चार बूंदे मैंने सुपाड़े के बाहरी हिस्से पे भी डाल दी और

अपने कोमल कोमल अंगूठे से फैला दिया।



बस उसके बाद मैं उनके उपर सवार थी ,आलमोस्ट।

मेरे भगोष्ठ उनके सुपाड़े को छू के , सहला के ऊपर उठ जाते थे।



वो तड़प रहे थे , बेताब हो रहे थे।


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और वो जैसे अपना ' वो' उचकाते , मैं अपनी सहेली दूर कर लेती।


"प्लीज करनेदो न ,बस थोड़ा सा ,दो न"


वो तरस रहे थे।

" बोल मानेगा न सब बाते मेरी , बोल "


जोर से अपने दोनों हाथों से उनके कंधे को पकड़ के , अपने होंठ आलमोस्ट उनके कान के पास ले जाके मैंने पूछा।

" हाँ हाँ हाँ एकदम मानूंगा , हरदम मानूंगा ,जो कहोगी वो , प्लीज फक मी। "

" पहले मातृभाषा में बोल अपने , सिर्फ हिंदी वो भी देसी "


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मैंने उनके गाल पे लाल खूनी रंग में रंगे नाखूनों से हलके खराेचते बोला ,

" हाँ , हाँ प्लीज चोदो न , "

अब वो कुछ भी कहने को तैयार थे।

मेरी जीभ उनके कान में सुरसुरी कर रही थी , कान में फुसफुसा के मैंने पूछा ,

" पहले बोल , तू उसको चोदेगा न , अपने उस माल को "


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और साथ में मेरी उँगलियाँ जोर जोर से उनके कड़े निपल को रगड़ रही थीं।


" हाँ , हाँ, पर प्लीज ,हाँ चोदूंगा। "


थूक घोटते , रुक रुक के हलके से बोले।

मैंने कचकचा के उनका गाल काट लिया और अब जोर से बोली ,




" अरे किसको चोदेगा , जोर से बोल , नाम क्या है उस तेरे चुदासी माल का "

" हाँ चोदूंगा , जिसको बोलोगी , गुड्डी को "

अबकी उनकी आवाज में जोर था।

और उसी के साथ मैंने पूरी ताकत से अपन कमर पे जोर लगाया और



उनका मोटा तीन चौथाई सुपाड़ा, मेरी कसी गीली चूत में और उतने ही जोश से मैंने उसे भींच दिया।


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" गुड्डी को ,मेरी ननदिया को चोदेगा न "


मैंने पूछा और कस के उनके निपल बाइट कर लिए।

"उईइइइइइइइइइ उईईई हाँ हाँ चोदूंगा , चोदूंगा गुड्डी को , तेरी ननद को "


दर्द और मजे की सिसकी के साथ वो बोले और मैंने फिर एक जोर का धक्का मारा ,


और अबकी पूरा सुपाड़ा मेरी चूत में था।




अबकी प्यार से हलके हलके उनके होंठो को चूम के बोली मैं

" चल मुन्ने जल्द ही तुझे बहनचोद बना के रहूंगी , तू भी क्या याद करेगा , बहनचोद। "

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जोरू ऊपर ,...



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" चल मुन्ने जल्द ही तुझे बहनचोद बना के रहूंगी , तू भी क्या याद करेगा , बहनचोद। "


…….

और मेरी इस बात का ये असर हुआ उन्होंने पूरी तेजी से कमर उचकाई और , अबकी आधा लंड मेरी चूत में।




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यही तो मैं चाहती थी। मैंने भी उतनी ही जोर से अपनी चूत में उनके लंड को निचोड़ना,दबोचना ,सिकोड़ना शुरू दिया।





उनके दोनों हाथ बंधे थे , लेकिन न ताकत में कोई कमी थी न जोश में।



" बोल कैसा है तेरा माल , बोल बहनचोद " मैंने उन्हें और उकसाया।





" मस्त है बहुत मस्त "




उन्होंने फिर एक धक्का लगाया।


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" हाँ ऐसे ही पूरी ताकत से पेलना होगा उस की चूत में अभी कच्ची कली है , बोल चूंचियां कैसी हैं उसकी "



उनके निपल हलके हलके दबाते सहलाते मैंने पूछा , जैसे उन के माल के ही कच्चे टिकोरे सहला रही होऊं।



" एकदम मस्त , छोटी छोटी हैं लेकिन हैं मस्त। " उन्होंने कबूला।



और फिर हचक के चुदाई चालू हो गयी।


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मेरे हर धक्के का जवाब वो दूने ताकत से लगाते ,









मैं कभी कमर गोल गोल घुमाती तो वो भी उसी तरह से , जड़ तक मेरे अंदर घुसा हुआ था उनका वो ,



खूब मोटा खूब कड़ा।



मेरी हालत ख़राब हो रही थी ,जिस तरह से उनका खूंटा रगड़ता ,दरेरता घुसता।



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लेकिन मैं भी साथ में , कोई उनकी मायकेवाली शायद ही बची हो जिसे ,एक से एक गाली न दिलवाई हो मैंने।



और हर गाली के बाद दुगुने धक्के से चुदाई वो शुरू कर देते वो।



बीस मिनट तक अनवरत



( ये कहने की बात नहीं की उनकी हर बात रिकार्ड हो रही थी , आडियो रिकारिडंग मुझे मम्मी के पास व्हाट्सएप्प जो करनी थी और आगे भी काम आनी थी ,उन्हें चिढ़ाने के लिए )



और उन धक्को का असर ये हुआ , मेरी देह में बिजली सी लहर दौड़ने लगी , मेरी आँखे बंद होने लगी , जांघे थक गयी ,मैं धीमे पड़ गयी और अब पतवार सिर्फ वो खे रहे थे ,थोड़ी देर में मैं किनारे पर लग गयी।

कुछ देर उन्होंने भी रफ्तार मंद कर दी लेकिन वो अभी ऐसे ही तना था तो ,





और मैंने भी चार पांच मिनट में हम दोनों



और अबकी मैंने सब कुछ इस्तेमाल करना शुरू किया , जब मुझे लगा की वो नजदीक है



मेरी तरजनी हचाक से सीधे उनकी गांड में , जोर जोर से ,गोल गोल






और साथ में गालियों की बारिश ,



साले बहनचोद ,गुड्डी के भंडुवे ,चोद और जोर से चोद



मजा आ रहा है न गांड में ऊँगली का न ,गांडू ,






तेरी बहना की भी गांड बहुत मस्त है ,




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उसकी गांड भी मरवाउंगी तुझसे बहनचोद।
 
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रात अभी बाकी थी



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और थोड़ी देर में हम दोनों साथ झड़े।



खूब देर तक झड़ते रहे वो।


मेरी चूत में कम से कम दो मुट्ठी मलाई भरी होगी उनकी खूब गाढ़ी थक्केदार।


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और मैं सीधे उनके मुंह के ऊपर थी , मेरी चूत उनके होंठो से चिपकी और सारी मलाई अब उनके मुंह के अंदर।


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खूब स्वाद से अंदर जीभ डाल डाल कर वो चूस ,चाट रहे।

चल यार तुझे पक्का कम स्लट बनाउंगी , देख तेरे उस माल की कुप्पी से भी ,

और सिर्फ तेरी ही नहीं , ऐसे स्वाद ले ले के खाना मेरे राज्जा।




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मैं धीमे धीमे बोल रही थी ,लेकिन उन्हें सुनाई सब पड़ रहा था।




जोश में चाटने की रफ्तार उन्होंने दूनी कर दी।

और जब वो मेरा अगवाड़ा चाट चुके तो मैंने अपना पिछवाड़ा भी उनकेमुंह के सामने कर दिया।

जब मैंने उनकी हथकड़ी खोली तो भी वो मेरी गांड चाट रहे थे।





आँखों पर मेरी ब्रा और पैंटी की पट्टी अभी बंधी थी।

उनका हाथ पकड़ के मैं कमरे के कोने में ले गयी ,


ड्रेसिंग टेबल के सामने और स्टूल पर बैठा दिया।


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रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी।
 
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जोरू का गुलाम भाग १५

श्रृंगार


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आँखों पर मेरी ब्रा और पैंटी की पट्टी अभी बंधी थी।


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उनका हाथ पकड़ के मैं कमरे के कोने में ले गयी , ड्रेसिंग टेबल के सामने और स्टूल पर बैठा दिया।




रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी।


स्टूल पर वो बैठे हुए थे , ड्रेसिंग टेबल के सामने।


' हिलना मत ,ज़रा सा भी "



मैंने बोला और हामी में उन्होंने सर हिलाया।


नख शिख ,मैंने सर से शुरू किया , पहले तो उन के घुंघराले बालों के बीचोबीच चौड़ी सी सीधी मांग निकाली।


और उसके बड़ा उनका प्यारा ,गोरा चेहरा ,


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बिंदी ,

काजल ,

मस्कारा ,

आईलैशेज,

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आइब्रो ,


लिपस्टिक ,


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हल्का सा फाउंडेशन फिर गालों पर थोड़ा सा रूज ,

नेलपालिश ,

महावर ,

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वो झिझक रहे थे , कुछ अटपटा भी लग रहा था उन्हें लेकिन मजा भी आरहा था उन्हें।


अब खड़े हो जाओ मैं बोली , और वो खड़े हो गए।

' वो ' अभी भी थोड़ा खड़ा था।



जबरन उसे उनकी जांघ के पास दबा कर ,एक टेप से उसे चिपका के बांध दिया।

गुलाबी लेसी पैंटी उनके ऊपर मस्त लग रही थीं।



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और,' वहां' लेस का टच ,एकदम मस्ती से उनकी हालत ख़राब हो रही थी।

और उसकी चुगली उनके निप्स कर रहे थे , जो एकदम टनाटन थे।

(हमारी और उनकी साइज अब लगभग एकजैसी हो गयी थी , जब से उनके 'खान पान ' में कुछ बदलाव हुआ और मेरी ट्रेनर ने उनकी एक्सरसाइज रेजीमेन तय की थी , सिवाय एक जगह के , मैं ३४ सी थी और वो ३६ बी। )

लेसी पैडेड ब्रा , जिसके अंदर टेनिस बाल्स थे , उन्हें पहनाते हुए , मुझसे नहीं रहा गया और


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मैंने उनके कड़े ,खड़े निप्स पिंच कर लिए।

अब वो थोड़ा हिचक रहे थे , कुछ ना नुकुर भी कर रहे थे , लेकिन मैंने थोड़ी कड़ी आवाज में बोला ,

पैर उठाओ ,

और वो पेटीकोट केअंदर थे।

बेबी ,नाउ यू हैव इंटरड माई पेटीकोट ,यू आर गोइंग टू बी देयर।


मैं मुस्करा के हलके से बोली।



साटन के पेटीकोट का टच उनकी जाँघों पे , हालत खराब हो रही थी उनकी ,


लेकिन तबतक रेशमी साडी की छुअन , उनके पेटीकोट में फंसा के मैंने लपेटना शुरू कर दिया ,

उनके चेहरे का ब्लश देखने लायक था।

चोली उनकी एकदम टाइट फिट थी ,

( जैसे वो अपने चैट में डिसक्राइब करते थे ,बिलकुल वैसी , रेड लो कट , आलमोस्ट कम्प्लीट बैकलेस , पुशिंग बूब्स अप , वेरी थिन ).

और अब बारी थी गहनों की।
 
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रसिया को नार बनाउंगी , रसिया को ,...





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और अब बारी थी गहनों की।


बिछुआ , पायल ,दोनों घुंघरू वाले , करधन ,




फिर मैंने बैंगल बॉक्स खोला , कुहनी तक चूड़ियाँ , मेरे जड़ाऊ कंगन,



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और फिर अपने गले का हार उतार कर मैंने उनके गले में पहना दिया।


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मेरे पास कुछ इयर रिंग्स , नोज रिंग्स थे , जो बिना छेद के भी पहने जा सकते थे ,


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और वो डायमंड स्टडेड , इयर रिंग ,


छोटी सी नथुनी ,


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और फिर मैंने उनका ब्लाइंड फोल्ड खोल दिया।



क्या कोई नयी दुल्हन पहली रात को ब्लश करेगी ,

जबरदस्त , एकदम हाय मैं शर्म से लाल हो गयी , जैसा।

उनकी ठुड्डी पकड़ कर मैंने उनकी आँखें ड्रेसिंग टेबल की ओर की और साथ ही ,





स्विच आन किया , पूरा कमरा रौशनी में नहा गया।


एक बार उन्होंने उपर से नीचे तक अपने को देखा , और फिर जबरदस्त शरमा गए।

मस्त माल लगती हो ,

मैंने छेड़ा



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और उनके लजाते टटकी खिली गुलाब की कली ऐसे गालों को जोर से पिंच कर लिया ,


एक बार मैंने ऊपर से नीचे तक उन्हें देखा और बोली ,

परफेक्ट , लेकिन ,.... बस एक कसर लगती है इस दुलहन में ,


मैंने अपनी सिन्दूर की डिबिया उठायी ,




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खोली और एक हाथ से उनके सर पर से साडी का पल्ला जरा सा सरकाया ,और,


भरी हुयी मांग में सिन्दूर खूब दमक रहा था।



अब तुम सिर्फ जोरू के गुलाम ही नहीं ,बल्कि मेरी जोरू भी हो , मैंने हलके से बोला।

और मेरे कानों को विश्वास नहीं हुआ ,

अपनी बड़ी बड़ी पलकें उन्होंने जरा सा उठायीं ,

इट वाज अ फेंट व्हिस्पर , बट देयर इट वाज , … यस।



और मैंने उन्हें खूब प्यार से जोर से गले लगा लिया।

मेरे जोबन उन्हें क्रश कर रहे थे थे।

पहले तो मैंने एक हलकी सी चुम्मी ली , फिर कचकचा के उनके भरे भरे गाल काट लिए।



ज़रा के बार मेरी इस मस्त दुल्हन को देख तो ,

झिझकते हुए अबकी उन्होंने ड्रेसिंग टेबल में उपर से नीचे तक पूरा देखा।


क्या जोबन है , रज्जा एकदम मस्त , मैंने कमेंट किया तो उनकी निगाहें फिर उनके 'न्यू फाउंड बूब्स ' की ओर ,

लो कट चोली में पुश अप ब्रा , एक नेचुरल क्लीवेज भी निकल आया था।


और एक बार फिर वो बीर बहुटी हो गए लाज से।

मेरा तो मन कर रहा था की अगर मेरे पास ,.... होता तो आज मैं बिना चोदे , लेकिन उसका ,… भी सुना है होता है जुगाड़ , चलो एक दिन वो भी होगा।

फिर उनके हाथ पकड़ के मैं फिर उन्हें पलंग तक ले आयी।

पायल और बिछुए उनके रुनझुन रुनझुन करते रहे



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' नयी नयी दुल्हन'




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पायल और बिछुए उनके रुनझुन रुनझुन करते रहे ,


और फिर हाथ पकड़ कर अपने पलंग पे बैठा के उन्हें समझाना शुरू किया , उनका रोल ,काम धाम।

" अब तो तुम नयी दुल्हन हो न , तो समझ लो , अब घर का सारा काम काज , सब कुछ तो औरत की ही जिम्मेदारी होती है न "

वो कान खोले सब कुछ सुन रहे थे ,

" सुन , जब तुम आये थे तो दरवाजे पे एक इंस्ट्रक्शन की लिस्ट लगी थी न "

उन्होंने सर हिला के हामी भरी।

" मैं वहीँ खड़ी थी , तेरे अंदर जाने के बाद मैंने बाहर से ताला बंद कर दिया , और पिछवाड़े से अंदर आगयी। और वो भी बंद। अगले तीन दिनों के लिए बर्तन वाली ,मंजू को भी मैंनेछुटटी दे दी ,दूधवाले को , सबको बोल दिया है , पड़ोस में भी की तीन दिनों के लिए हम बाहर जा रहे हैं बस। तो नो डिस्टरबेंस है ना "

मैंने सब बात साफ की।


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उनके चेहरे की चमक से उनकी ख़ुशी साफ दिख रही थी।

" बस थोड़ा सा काम , मंजू नहीं आएगी तो बर्तन , झाड़ू पोंछा , कर लोगे न ," मैंने थोड़ा और पुश किया।

उनकी गर्दन थोड़ी सी हिली और मैंने उसे हाँ समझ के आगे की लिस्ट खोली ,

"और बेड टी , नाश्ता ,खाना , घबड़ाना मत , मैं हूँ ना , मैं जानती हूँ तेरे मायकेवालियों ने कुछ नहीं सिखाया ,लेकिन मुन्ना मैं हु ना सब सिखा दूंगी। "


अबकी उन्होंने धीरे से हामी भरी।

" घबड़ाने की कोई बात नहीं है , मैं हूँ न। बस जैसे जैसे मैं कहूँ , बस वैसे वैसे , सब सीख जाओगे। बहू को जवाब नहीं देना चाहिए, उसकी आवाज नहीं सुनाई देनी चाहिये , सब तौरतरीका… सब काम घर का , जिम्मेदारी से ,कल सुबह से , … बेड टी मुझे कैसी पसंद है तुझे तो मालूम ही है ,"


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हाँ , बड़ी हलकी सी आवाज सुनाई पड़ी उनकी।


"लेकिन नयी दुल्हन का जानते हो असली काम क्या है , सिंदूर दान के बाद , …पहले सिंदूर डलवाया अब कुछ और ,… "

गौने की रात क्या कोई नयी दुल्हन लजाएगी , जिस तरह वो ,....

" अरे साडी तो उतार दो , वरना क्रश हो जायेगी। "

मैंने हंस के बोला।

वो बिचारे उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था , क्या करें। कभी अपनी रेशमी साड़ी देखते ,कभी मुझे ,

" तुझे न , बहुत सिखाना पडेगा "

मैंने बोला , उनकी प्लीट्स खोलीं , और फिर एक चक्कर में , जैसे कोई स्ट्रिपटीज कर रही हो ,



आफ कोर्स , उपर मैं ही थी , लेकिन क्या टन टना टन उनका हथियार हो रहा था।

साटन के पेटीकोट और पैंटी का टच , उनके लिए किसी वियाग्रा से भी ज्यादा उनके औजार को पागल करने वाली दवा थी।

और उससे भी ज्यादा कामोत्तेजक चीज थी , उनके मायकेवालों को शुद्ध देसी गालियां.


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