Adultery काजल, दीवाली और जुए का खेल(completed)

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अपडेट 11

काजल ने अगली ब्लाइंड नही चली और अपने पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखकर उसे एक बार फिर से विश्वास हो गया की उसकी हर बार टोटके को बड़ चड़कर करना इस बार भी सफल हो गया है...क्योंकि इस बार उसके पास ऐसे पत्ते आए थे जिनका शायद ही कोई तोड़ होता...बादशाह की ट्रेल..यानी 3 बादशाह आए थे उसके पास..

उसने एक ही बार में 4 हज़ार की चाल चल दी..राणा तो पहले से ही लूटने के लिए बैठा था..इसलिए उसने अपने पत्ते नही देखे बल्कि अपनी ब्लाइंड को भी डबल करते हुए 4 हज़ार कर दिया और लंड से रगड़कर फिर से पैसे नीचे फेंक दिए..

काजल तो पूरे कॉन्फिडेंस में थी..उसने भी चाल को डबल किया और आठ हज़ार बीच मे फेंक दिए..और इस बार उसने हर नोट को ऐसे अपनी चूत पर रगड़ा जैसे उसपर अपने रस की परत चड़ा देना चाहती हो...गीले-2 नोटों का अंबार सा लगता जा रहा था बीच में ..किसी पर काजल की चूत का रस था तो किसी पर राणा के लंड का पानी...

अब तो राणा के पास सिर्फ़ 2 हज़ार ही थे...इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..और अपने पत्ते देखकर वो भी दंग रह गया..उसके पास सीक़वेंस आई थी, और वो भी सुच्ची , पाने के पत्तो की, 8,9,10 नंबर...

ऐसे पत्ते तो कभी कभार ही आते हैं..पर उसके पास चलने के लिए पैसे ही नही थे...सिर्फ़ 2 हज़ार थे और शो माँगने के लिए भी कम से कम उसे 8 हज़ार चाहिए थे...पर ऐसे पत्तों के साथ वो शो नही माँगना चाहता था, बल्कि गेम को आगे खेलकर जीतना चाहता था, और जीते हुए पैसों को वापिस करके वो काजल से मज़े लेना चाहता था..इसलिए उसने काजल से 20 हज़ार उधार माँग लिए..काजल ने भी दे दिए क्योंकि वो जानती थी की उससे अच्छे पत्ते राणा के पास हो ही नही सकते..
राणा ने पैसे लिए और 8 हज़ार की चाल चली..काजल ने 14 हज़ार की चाल चली ...क्योंकि अब राणा के पास उतने ही पैसे बचे थे...राणा ने भी ना चाहते हुए शो माँग ही लिया..वैसे तो उसे विश्वास ही था की वही जीतेगा..पर जैसे ही काजल ने अपने पत्ते उसके सामने रखे तो काजल के 3 बादशाह देखकर उसका सिर ही चकरा गया...उसने अपनी कल्पना में भी ऐसा नही सोचा था की काजल के पास ट्रेल आएगी...

राणा बेचारा सिर झुका कर बैठ गया..

काजल ने हंसते हुए सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..

काजल ने राणा के उदास चेहरे को देखा और बोली : "ऐसे मुँह लटका कर क्यो बैठ गये...मैने कहा था ना की जब मैं खुश होउंगी तब भी तुम्हारा ही फायदा है...''

राणा की आँखे चमक उठी...उसने ललचाई हुई आँखों से काजल को देखा..

काजल बड़े स्टाइल में बोली : "कब तक मेरे जूस को नोटों के उपर से चाटते रहोगे...सीधा ही आ जाओ...''
राणा को तो जैसे इसी बात का इंतजार था...वो उछलकर काजल के पास पहुँचा और एक ही झटके में उसे बेड पर लिटाकर उसकी जांघों के बीच झुक गया...और एक गहरी साँस लेने के बाद अपनी पेनी जीभ निकाल कर उसकी गुल्लक के छेद जैसी चूत में डाल दी...


आआआआआआआआहह ....... ओह .......... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ... कब से तरस रही थी इसके लिए ................... अहहssssssssssssssssssssssss ...और अंदर तक डालो जीभ ............... और अंदर ............. उम्म्म्ममममममममममममम ....''
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दूसरी तरफ राणा ऐसी कुँवारी चूत को चाट कर काफ़ी खुश था...ऐसी महक और स्वाद सिर्फ़ कुँवारी चूत का ही हो सकता था...वो ज़ोर-2 से अपनी जीभ के ब्रश से उसकी चूत की दीवारों की पुताई करने लगा...उसकी जीभ के हर प्रहार से काजल की गांड उछल जाती और वो अपनी तरफ से झटके देकर उसके मुँह पर और ज़ोर से अपनी चूत का दबाव डालती...


काजल ने काफ़ी देर से अपने आप को संभाला हुआ था...और आख़िरकार वो झड़ ही गयी...और झड़ी भी तो ऐसे की उसके रस को अपने मुँह में समेटना राणा के लिए काफ़ी मुश्किल हो गया..और इधर-उधर से रिसकर चादर पर गिरने लगा...

''अहहssssssssssssssssssssssssssssss ...... आई एम कमिंग ......................... उम्म्म्मममममममममममम .....


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राणा ने घड़ी देखी ...1 बजने वाला था... उसके पास ज़्यादा समय नही था...उसने काजल को अपनी तरफ खींचा और अपने खड़े हुए लंड को उसके मुँह के हवाले कर दिया...

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काजल तो अपनी खुमारी से अभी तक निकली भी नही थी...इसलिए राणा के लंड को मुँह मे रखकर लेटी रही...राणा ने उसके नर्म मुलायम मुँह के अंदर धीरे-2 झटके देने शुरू कर दिए...और फिर धीरे-2 अपना पूरा लंड अंदर उतार दिया.

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और जब काजल को अपनी हलक तक उसका लंड महसूस हुआ तो वो होश में आई और उसने अपनी आँखे खोली ...
वो भी इस काम को जल्द से जल्द निपटाना चाहती थी..क्योंकि केशव कभी भी उपर आ सकता था...अपनी चुदाई करवाने का उसका कोई इरादा नही था अभी...क्योंकि वो अपना कुँवारापन अपने भाई को देना चाहती थी आज... इसलिए उसने राणा के लंड को ज़ोर-2 से चूसना और चुभलाना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ वो उसके अंडकोष को भी सहला रही थी...और फिर अचानक बिना किसी वॉर्निंग के राणा ने अपने लंड से उसके चेहरे को सींचना शुरू कर दिया..
गरमा गर्म गाड़े पानी की बूंदे उसके चेहरे पर पड़ने लगी और वो उन्हे महसूस करती हुई आनंद सागर मे गोते लगाने लगी..

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काजल : "अब जल्दी से अपने कपड़े पहनो और निकलो यहाँ से...''

राणा : "पर....वो .... कुछ और नही करना क्या ...''

काजल समझ गयी की वो क्या कहना चाहता है...वो बोली : "तुम मरवाओगे मुझे ....मेरे ही घर में ये सब कैसे पॉसिबल है...इसके बारे में बाद में बात करेंगे..''

इतना कहते-2 वो अपनी टी शर्ट और पायजामा पहन चुकी थी और टावल से अपना चेहरा भी सॉफ कर लिया उसने..

राणा ने भी मन मसोस कर अपने कपड़े पहन लिए...और नीचे उतर आया..
नीचे भी बाजी ख़त्म हो चुकी थी, बिल्लू ने जीत लिए थे सारे पैसे...केशव भी अपने 10 हज़ार हार चुका था ...और गणेश भी कंगला हो चुका था..अब वो आराम से बैठकर दारू पी रहे थे..

केशव ने राणा का लटका हुआ चेहरा देखा तो वो समझ गया की वो अपने सारे पैसे हार चुका है...भले ही वो खुद नीचे बैठकर 10 हज़ार हार गया था पर वो ये जानता था की उपर बैठकर उसकी बहन ने काफी रूपए जीते है आज, वो करीब 90 हज़ार जीत गयी थी ...कुल मिलाकर वो काफ़ी फायदे में था...

रात काफ़ी हो चुकी थी...इसलिए सभी अपने-2 घर चल दिए...अगले दिन दीवाली थी, इसलिए सबने जम कर जुआ खेलने की बात कही...

केशव ने भी सब कुछ समेटा और दरवाजा बंद करके उपर चल दिया...

वो सीधा अपनी माँ के रूम में गया पहले..वो सो रही थी...पर काजल वहाँ नही थी...वो शायद उसके कमरे में ही थी अब तक..

वो झूमता हुआ सा अपने कमरे की तरफ चल दिया..

और जैसे ही वो अंदर पहुँचा, काजल उसके पीछे से आई और अपनी बाहें उसके गले मे डालकर उसकी कमर पर झूल गयी...

केशव ने उसका भार संभालने के लिए जैसे ही अपने हाथ पीछे करके उसे पकड़ा तो उसका नशा एक ही बार मे उड़ गया..

वो पूरी नंगी थी...केशव के हाथ सीधा उसके नंगे चूतड़ों पर जा लगे...

और काजल तो बदहवास सी होकर उसकी गर्दन को अपने होंठों से चूस रही थी..उसे चूम रही थी...
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केशव समझ गया की आज की रात वो अपनी बहन के साथ वो सब करने वाला है, जिसके लिए वो ना जाने कब से तरस रहा था...

उसकी चुदाई..

उसने काजल को लेजाकर अपने बिस्तर पर पटक दिया...और वो बिस्तर पूरा नोटों से ढका पड़ा था..जो काजल ने आज जुए में जीते थे...और वो उन्ही नोटों के बिस्तर पर अपने कुंवारेपन को लुटाना चाहती थी...

गरमा गरम करारे नोटों के उपर काजल का नंगा जिस्म मचल रहा था...वो पूरी तरह से सुलगी हुई थी...उसने बदन से उठ रही गर्मी ने बेड पर पड़े नोटों की गर्मी को और बड़ा दिया था...उसके अंदर से निकल रही गर्मी से वो नोट और करारे हो गये थे..

काजल बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देखने लगी..आज वो बड़ी ही बेशर्मी से इस तरह से खुल कर अपने भाई के सामने लेटी थी...शायद जो थोड़ी बहुत शुरूवाती शरम थी वो राणा के साथ जुआ खेलते हुए नंगी होकर निकल चुकी थी...वो राणा की हवस भरी आँखो के सामने अपने आपको रखकर उतनी खुश नही थी, जितनी अब केशव के सामने रखकर हो रही थी.
काजल ने अपनी दोनो टांगे फेला दी...उसकी गुलाबी चूत की फांके रस से भरी होने की वजह से आपस मे चिपकी हुई थी...पर फिर भी अंदर का गुलाबीपन देखकर केशव की आँखे उबल कर बाहर आने को हो गयी..

उसने अपनी बाहें भी उपर करते हुए उसे अपनी तरफ बुलाया : "आओ ना केशव...और कितना तड़पाओगे ...आज कर लो मुझे अपना...समा जाओ मुझमे...''

केशव ने उसके नंगे बदन को देखते हुए अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए

और कुछ ही देर मे वो पूरा नंगा होकर खड़ा था काजल के सामने..अपनी तोप की सलामी देता हुआ ..

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और केशव जंप मारकर सीधा काजल के उपर कूद गया..

पर उसके कूदने से पहले ही काजल बेड से फिसलकर साइड में हो गयी..और खड़ी होकर हँसने लगी..

अब केशव की जगह पर वो खड़ी थी और काजल की जगह पर केशव लेटा हुआ था..

काजल (उसको चिड़ाते हुए) : "हा हा हा ... बड़ी जल्दी हो रही है तुझे ... ह्म्*म्म्म ...''

उसने अपने दोनो हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे..और एक पैर उठा कर उसने बेड पर रख दिया..ठीक केशव की टाँगो के बीच..

केशव : "मुझे पता है दीदी,आप भी यही चाहती है...कल से तड़प रहा हू मैं भी...अब और ना तरसाओ...''

काजल : "तरस तो मैं भी रही हू ना केशव...और साथ ही मेहनत भी कर रही थी..देख ले, जिन नोटों पर तू लेटा हुआ है वो मैने जीते है...''

केशव : "वो तो है...पर आप शायद ये भूल रही है की ये खेल भी मैने ही सिखाया है आपको..''
काजल : "अपनी किस्मत की भी बात होती है...मुझसे अच्छा तो तू खेलता है, फिर भी तू हमेशा हारता ही है...और साथ ही साथ मेरे हुस्न का भी कमाल है ये...इसके बिना भी ये पैसे कमाने मुश्किल थे....''

केशव उसकी ये बात सुनकर चोंक गया..और बोला : "कहीं आपने अपने इसी हुस्न का इस्तेमाल करके ही तो ये पैसे नही कमाए ना...मतलब कहीं आपने राणा के साथ कुछ...''

काजल : "अरे मेरे लल्लू भाई...तू इतना क्यो सोचता है...अगर थोड़े बहुत मज़े ले भी लिए तो तेरे पेट मे क्यो दर्द हो रहा है...''

केशव की नज़र सीधा उसकी चूत पर जा टिकी .शायद वो सोच रहा था की कहीं राणा ने उसकी कुँवारी चूत तो नही फाड़ डाली..और काजल भी उसको अपनी चूत की तरफ देखती हुई समझ गयी की वो क्या सोच रहा है..

वो बोली : "फ़िक्र मत कर...वहाँ तक बात नही पहुँची...यहाँ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का हक है...''

केशव ने राहत की साँस ली...पर वो इतना तो समझ ही चुका था की चाहे पूरे ना सही पर कुछ तो मज़े लिए ही है राणा ने उसकी बहन के साथ..तभी वो नीचे आकर इतना खुश सा लग रहा था..अपने सारे पैसे हारने के बाद भी..

काजल ने अपना पैर खिसका कर और आगे किया और सीधा उसके लंड पर रख दिया , केशव तड़प उठा...उसके पैर के नाख़ून चुभ रहे थे उसके लंड पर..

वो समझ गया की काजल उसको देगी ज़रूर पर तडपा-2 कर..

काजल बेड पर चढ़ गयी और उसके मुँह पर अपने पैर का पंजा रख कर बोली : "चाटो इसको...''

केशव के लिए ये पल इतना उत्तेजना से भरा था की उसका दिमाग़ तक सुन्न हो गया...वो हमेशा से यही चाहता था की उसका पार्ट्नर बेड पर अपना हुक्म चलाए और वो किसी गुलाम की तरह उसका पालन करता रहे, बिना कुछ बोले..

और यहा इस वक़्त काजल उसपर अपना हुक्म चला रही थी...अपना स्लेव बना कर ..

उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके पैर के अंगूठे को चाट लिया...काजल पहले से ही ये सब सोच कर आई थी, इसलिए उसने अपने पैरों को अच्छी तरह से धो रखा था...उसके पैर की गुलाबी उंगलियाँ तड़प उठी जब उनके साथी अंगूठे को केशव ने चूसना शुरू किया..

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और फिर धीरे-2 केशव ने उसके पैर की हर उंगली को चूसा...उनका रस पिया..और वहां से मिल रही गुदगुदी से काजल का पूरा शरीर ऐंठ रहा था...वो हर चुस्के से सिसक उठती...तड़प उठती..


'अहहssssssssssssssssssssss ...... ऑश केशव .................. ज़ोर से चूसो इन्हे ....''

और धीरे-2 करते हुए वो नीचे बैठ गयी....केशव ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया...और अपने दहकते हुए होंठ उसके लबों पर रख दिए..

'उम्म्म्मममममममममममम पुचहssssssssssssssssssssssssssssssssssss ''

और एक लंबे चुंबन मे डूब गये दोनो...

केशव ने उसको बेड पर लिटा दिया...और उसकी टाँगो को फेला कर उसकी चूत को चूम लिया...

काजल ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया...और उसके गीले-2 होंठों ने काजल की रसीली चूत को अपने कब्ज़े मे ले लिया..

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'ओह केशव ..................... सकक्क मी ....हार्डरsssssssssssssssssssssssssssssss ..... अहह ..... ओह ....... जैसे सारिका की चूस रहा था.... वैसे ही कर ................. अहह .... ओह ...मेरी क्लिट ..................अहह ....हन ..............उसको चूस ....सही से ..............अंदर ले उसको ....................उम्म्म्मममममममममम ..अहह ....ओह केशव .............. मेरी जानsssssssssssssssssssssss ....''


उसे अपने भाई पर एकदम से बड़ा प्यार आ गया...वो इतनी अच्छी तरह से सेवा जो कर रहा था उसकी..

केशव बीच-2 मे खड़ा हो जाता और काजल से अपने लंड को मसलवा कर
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फिर से उसकी चूत को चूसने मे लग जाता.

वो बड़े ही मज़े ले-लेकर उसकी चूत का रस पी रहा था.... अपनी जीभ से उसे चुभलाता...उसकी फांको को खोलता और उनके बंद होने से पहले ही अपने होंठ अंदर रखकर उसकी उभरी हुई क्लिट को दबोच लेता और चूस लेता..



काजल भी अपने भाई की कलाकारी देखकर तड़प रही थी नोटों से भरे बिस्तर पर..

काफ़ी देर तक चूसने के बाद जैसे ही वो झड़ने के करीब पहुँची, केशव ने उसको चूसना छोड़ दिया...और उसे घोड़ी बना दिया...क्योंकि उसके मन मे शुरू से ही ये इच्छा थी की जब भी वो काजल की कुंवारी चूत पहली बार मारेगा, ऐसे ही मारेगा, उसको घोड़ी बनाकर...



काजल भी अपना सिर नीचे टीका कर और अपनी गांड को हवा मे लहरा कर लेट गयी...उसका दिल जोरों से धड़क रहा था...पहली बार जो था उसके साथ...उसे डर भी लग रहा था की केशव का लंबा लंड उसकी चूत में जाएगा भी या नही....उसने बेड की चादर को मुँह मे ठूस लिया , ताकि उसकी चीख भी निकले तो दब कर रह जाए..

पर केशव जानता था की ऐसा कुछ नही होगा, उसने चूसा ही इतना था उसे की उसकी चूत बुरी तरह से रस मे डूब चुकी थी...ऐसे मे उसके लंड को अंदर जाने मे कोई परेशानी नही होनी चाहिए थी...

केशव ने उसके भरे हुए कुल्हों को पकड़ा और अपने लंड को धीरे से उसकी चूत के होंठों पर लगाया...और एक जोरदार झटका दिया....काजल ने भी उसी वक़्त अपनी कमर को पीछे की तरफ झटका मार दिया...ताकि जो भी होना है एक ही बार में हो जाए...और वो हो भी गया एक ही बार में ...

केशव का लंबा साँप उसकी सुरंग मे सरसरता हुआ घुसता चला गया....


''आआआआआआआआआआआआआआअहह ................ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ......... आआआआआआआआअहह ..... ओह केशव ................... म्*म्म्ममममममममममममममममममममम ''
और केशव का मोटा लंड उसकी चूत मे आधे से ज़्यादा फस जाता है और उसकी चूत का छेद किसी छल्ले की तरह फेल जाता है,
काजल अपने पेरो को इधर उधर पागलो की तरह
फेकने लगती है और उसकी आँखे छलक आती है केशव उसकी यह हालत देख कर उसको अपनी बाँहो मे भर कर उसके होंठो को चूमने लगता है और काजल उसकी छाती मे मुक्के मारने लगती है, केशव जब उसके दूध को कस कर दबाता है तो काजल अपने नखुनो से उसकी पीठ नोचने लगती है और केशव की पीठ उसके नखुनो से छिल जाती है और केशव को थोड़ा गुस्सा आ जाता है और वह कचकचा कर अपने खड़े लंड को थोड़ा सा बाहर खीच कर एक तगड़ा धक्का जब काजल की चूत मे मारता है तो काजल एक दम अकड़ जाती है और उसकी साँसे एक पल के लिए रुक जाती है और उसके हाथ ढीले पड़ जाते है और केशव उसकी
गान्ड के नीचे अपना हाथ ले जाकर उसको अपनी और दबोच कर उसकी चूत मे कस-कस कर अपना लंड पेलने लगता है

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काजल की चूत केशव के लंड से पूरी फॅट जाती है और वह आह आह करती हुई तड़पने लगती है केशव उसके चुतडो को कस कर पकड़े हुए कस-कस कर उसकी चूत मारने लगता है उसका लंड काजल की चूत मे बहुत कसा-कसा अंदर बाहर होने लगता है,
करीब 30-40 धक्को के बाद काजल की चूत मे कुछ चिकनाहट आती है और उसकी गान्ड भी केशव की गान्ड के साथ हिलने लगती है

हल्का दर्द भी हुआ काजल को...आख़िर उसकी सील जो टूटी थी अंदर से...और खून की दो बूँद भी टपक गयी बाहर...जो सीधा जाकर गिरी जीते हुए हज़ार के नोट पर...

ये घिसाई का एहसास काजल को अंदर तक हिला गया....ऐसा सेंसेशन तो उसने आज से पहले कभी महसूस नही किया था....ऐसा लग रहा था की उसके अंदर रेशम से बनी कोई चीज़ फिसल रही है...उसकी गुदगुदाहट को महसूस करके वो अपना वो थोड़ा बहुत दर्द भी भूल गयी...और फिर से अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी...

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'उम्म्म्ममममममममममम येस्स्स्स ............ ओह केशव ...... बहुत अक्चा लग रहा है ............ अहहsssssssssssssssssssssss ...क्या फीलिंग है .......... आई एम लविंग इट ................ उम्म्म्मममममममम .....करते रहो .... ऐसे ही ....''

पहली बार में ही जैसे काजल को चस्का लग गया चुदाई का...उसका मन कर रहा था की वो जिंदगी भर ऐसे ही लेटी रहे और केशव पीछे से उसकी चूत मारता रहे...


पर ऐसा हो सकता तो दुनिया के सारे लड़के-लड़कियाँ इसी काम मे लगे रहते...उपर वाले ने आख़िर झड़ने का भी रूल बनाया है...अगर सेक्स करने के बाद कोई झड़े नही तो कितने भी घंटे या दिनों तक लगे रहते ये कोई नही जानता...

और इस समय अपने लंड पर झड़ने का दबाव केशव महसूस कर रहा था...क्योंकि काजल की करारी चूत थी ही इतनी कसी हुई की वो उसके लंड को निचोड़ सा रही थी...

इसलिए वो हर एंगल से मज़े लेना चाहता था....उसने काजल की चूत से लंड बाहर खींच लिया...काजल को तो लगा जैसे किसी ने उसकी जान ही निकाल ली है...वो उसको वापिस अंदर लेने के लिए तड़प सी उठी...


केशव ने उसको पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनो टांगे खोल दी...और अपने लंड को बीच मे रखकर उसके उपर झुक गया...केशव का लंड एक बार फिर से सरसराता हुआ उसके अंदर प्रवेश कर गया...और आनंद मे भरकर काजल की आँखे अपने आप बंद हो गयी...उसने अपनी दोनो टांगे फेला दी..और अपने हाथ भी दोनो दिशा मे फेला कर अपने आप को केशव के सामने पूरा खोल कर रख दिया..




केशव भी उसके सेक्स से भरे चेहरे को देखता हुआ, उसे चूमता हुआ, ज़ोर-2 से झटके मारने लगा...
ऐसी कामुक चुदाई तो उसने सारिका के साथ भी नही की थी...काजल के हिलते हुए मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे..इसलिए वो एक झटका धीरे और दूसरा तेज मारता जिसकी वजह से वो मुम्मे थोड़ा रुकते और फिर उपर उछलते...

केशव : "ओह दीदी ................... सच मे ................. कमाल हो आप........... ऐसा मज़ा तो मुझे सारिका के साथ भी नही मिला आज तक ................ आई लव यू दीदी ..............

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अपनी ऐसी तारीफ सुनकर काजल भी खुश हो गयी और उसने उपर होकर केशव को चूम लिया, चूम क्या लिया उसे चूस सा लिया..

और फिर काजल ने उसको नीचे पटका और खुद उसके लंड पर चढ़ गयी....उसका चेहरा इस बार केशव के पैरों की तरफ था...इसलिए केशव के सामने उसकी भरी हुई गांड थी....जिसे हाथ मे लेकर वो उसे अपने लंड जोरों से पटक रहा था ...

और काफ़ी देर से चुदाई करने की वजह से अब वो झड़ने के बिल्कुल करीब था...अब वो खुद को रोकना नही चाहता था...इसलिए उसने काजल को पीछे करते हुए अपना लंड बाहर निकालना चाहा...पर काजल ने उसे रोक दिया और बोली : "नही ......मत निकालो ...अंदर ही करो ...... मैं गोली ले लूँगी ..... पहली बार मे मैं तुम्हे पूरा महसूस करना चाहती हू .....''

वो भी झड़ने के बिल्कुल करीब थी.....इसलिए वो ज़ोर-2 से उसके लंड पर कूदने लगी...


और फिर उसे अपने अंदर एक गोली सी छूटती हुई महसूस हुई...जो केशव के लंड से निकली थी....उसके लंड का रस किसी गोली की तरह महसूस हुआ उसे अपने अंदर...और उसे महसूस करते ही उसकी चूत की दीवारों ने भी नमी छोड़नी शुरू कर दी...और वो भी केशव के साथ-2 झड़ने लगी..

''अहह ..... ओह केशव ............. वॉट ए फीलिंग ................ उम्म्म्मममममममममममममममम .....मज़ा आ गया ................... अहह


केशव के लंड से मिलकर उसका रस भी इतना अधिक हो गया की झटके के साथ-2 वो भी बाहर निकलने लगा....

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सारा का सारा रस निकल कर उसी वक़्त केशव की जांघों पर आ गिरा....और वो भी हाँफती हुई सी उसके पैरों पर गिर पड़ी...

थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद वो पलटी और खिसक कर उसकी छाती से लग गयी...और कुछ ही देर में सो भी गयी...

केशव के लंड से और उसकी चूत से रस निकल कर ना जाने कितनी देर तक नीचे पड़े नोटों पर गिरता रहा.
सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी..और उसने अपने कपड़े पहने, और अपनी माँ के पास जाकर लेट गयी..

दीवाली का दिन था, इसलिए सोई नही वो उसके बाद...पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई की...केशव के कमरे में गयी और उसे नहाने के लिए भेजा...बिस्तर की हालत देखकर उसे खुद ही बड़ी शर्म आई...काफ़ी नोट फट चुके थे..कई नोटों पर खून की बूंदे और कई पर उनके प्यार की मिली जुली निशानी चमक रही थी...उसने उन ख़ास नोटों को अलग रख लिया निशानी के तोर पर और बाकी नोटों को समेट कर अलमारी में रख दिया...
अब दोनो को शाम का इंतजार था..और वो शाम कितनी कामुक होने वाली थी ये तो काजल को भी नही पता था..

दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के साथ... काजल ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी उसको भी पता नही चला..केशव घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था.

शाम को जब तक काजल घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर काजल घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी, केशव अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...

प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसी
काजल ने टाइम देखा, राणा और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने केशव को फोन किया, उसने काजल को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और काजल के साथ सारिका भी थी, इसलिए केशव ने बिना डरे उसे आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज काजल की किस्मत ने साथ दिया तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..काजल के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..

खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात काजल अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे..

आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.
बत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , केशव ने कहा की वो उनके साथ ही रुकेगा..और काजल को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने सारिका को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि काजल को वो अकेला नही छोड़ना चाहता था.

काजल करीब 9 बजे घर वापिस पहुँची..और थोड़ी ही देर मे सारिका भी आ गयी..उसकी माँ छोड़ने आई थी उसको..दोनो ने मिल कर खाना खाया..
 

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