और अपने हाथ में लंड लेकर ज़ोर-2 से हिलाने लगा..वो चाहता नही था की इस समय उसकी बहन काजल का ख़याल भी आए..इसलिए वो अपनी आँखे बंद करके सारिका के बारे में सोचने लगा..उसके नंगे शरीर के बारे मे सोचने लगा..उसे कैसे चोदा था वो याद करने लगा..पर अपने ऑर्गैस्म के करीब जाते-2 कब सारिका का चेहरा काजल मे बदल गया, वो भी समझ नही पाया...और अंत मे आकर जब उसके लंड से पिचकारियाँ निकली तो उस सफेद पानी के साथ -2 उसके मुँह पर भी काजल का ही नाम था..
'
'अहह ....ओह काजल...... उम्म्म्मममममममममम''
फिर वो सब कुछ साफ़ करके सो गया...ऐसे ही नंगा.
अगली सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी...जो उसकी हमेशा की आदत थी...भले ही उसे आज ऑफीस नही जाना था पर नहा धोकर वो 8 बजे तक तैयार हो गयी...घर की सफाई भी कर ली...वो रोज 8 बजे तक निकल ही जाती थी घर से..और केशव घर पर सोता रहता था...वो 10 बजे उठता और करीब 12 बजे तक हॉस्पिटल पहुंचता था रोज...यही था दोनो का नियम पिछले एक महीने से...
काजल नीचे किचन मे अपने लिए चाय बना ही रही थी की बाहर का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई...उसने बाहर भी झाड़ू लगाया था इसलिए दरवाजा खुला ही रह गया था..वो किचन से निकल कर जब तक बाहर निकली तो उसने देखा की सारिका जल्दी से अंदर घुसी और उसने दरवाजा अंदर से बंद किया और हिरनी की तरह छलाँगें लगाती हुई वो उपर केशव के कमरे की तरफ चल दी..
उसने एक टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी , जिसमे वो बड़ी सेक्सी लग रही थी
काजल के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान तैर गयी...सारिका को शायद नही पता था की आज काजल घर पर ही है...और शायद उसके ऑफीस चले जाने के बाद पीछे से घर पर आना उसका रोज का नियम था...
काजल ने सोचा 'अच्छा, तो ये कारण है केशव के रोज इतनी लेट हॉस्पिटल पहुंचने का, सारिका कभी मेरे सामने तो घर पर आ नहीं सकती , इसलिए मेरे ऑफिस जाने के बाद के टाइम पर ही आई है ,अब मज़ा आएगा...उपर का सीन देखने लायक होगा'
उसने जल्दी से गैस को बंद किया और दबे पाँव उपर चल दी..
अपनी पुरानी सहेली और अपने प्यारे भाई को रंगे हाथों पकड़ने.
सारिका भागती हुई सी केशव के रूम मे पहुँची..वो चादर तान कर सो रहा था..
सारिका : "गुड मॉर्निंग जानू...देखो मैं आ गयी...''
पर वो जाग रहा होता तो जवाब देता न...रात को वो ना जाने कितनी देर तक अपनी बहन और जुए के बारे मे सोचता रहा था..
सारिका : "अब ये नाटक छोड़ो...मुझे पता है तुम जाग रहे हो...नीचे का दरवाजा तुमने मेरे लिए ही खोलकर रखा था ना आज...''
पर फिर भी कोई जवाब नही मिला..
सारिका आगे बड़ी और उसने एक ही झटके मे केशव की चादर खींच कर अलग कर दी..
और जो उसने सामने देखा , उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ..
केशव मादरजात नंगा होकर सो रहा था...और उसका 8.5 इंच का लंड पूरा खड़ा होकर हुंकार रहा था..अब ये मॉर्निंग इरेक्शन था या फिर वो कोई सपना देखा रहा था, ये अलग बात थी.
पर सारिका की आँखो मे एक अजीब सी चमक आ गयी..वो तो वैसे भी उसके लंड की दीवानी थी और अभी भी चुदवाने के लिए ही आई थी..उसने केशव को ऐसी गहरी नींद मे सोते हुए आज तक नही देखा था..और ना ही कभी नंगा सोते हुए..वो हमेशा शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर ही सोता था..
पर उसे क्या पता की कल रात को क्या-2 हुआ केशव के साथ...और अपनी बहन काजल के बारे मे सोचकर मूठ मारने के बाद उसने कपड़े पहनने की जहमत भी नही उठाई और ऐसे ही सो गया..ये भी बिना सोचे समझे की सुबह किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा..
सारिका के होंठ सूख गये उसके लंड को देखकर..पर नीचे के होंठ गीले हो गये..उसका एक हाथ अपनी चूत पर चला गया...और दूसरे से वो अपनी ब्रेस्ट को मसलने लगी...और धीरे-2 चलती हुई वो केशव के पलंग पर बैठ गयी..
इसी बीच काजल भी उपर आ चुकी थी...और दरवाजे के बाहर छुपकर वो उनकी रासलीला देख रही थी.
पर जब उसने अंदर देखा तो उसके होश ही उड़ गये...उसका भाई पलंग पर नंगा लेटा हुआ था..यानी सो रहा था...और उसका लंड बिल्कुल उपर की तरफ मुँह करके हुंकार रहा था...ये काजल की जिंदगी का पहला लंड था जो उसने अपनी आँखो से देखा था...और वो भी अपने खुद के भाई का...उसकी भी हालत सारिका जैसी हो गयी...उपर के होंठ सूख गये और नीचे के गीले हो गये.
सारिका तो निश्चिंत थी की उन दोनो के अलावा कोई भी घर पर नही है...और किसी और के एकदम से आने की भी आशा नही है..क्योंकि दरवाजा वो खुद बंद करके आई है.
काजल ने देखा की सारिका के होंठ थरथरा रहे हैं...जैसे वो केशव के लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसना चाहती हो...वो बाहर खड़ी होकर खुद इतनी उत्तेजित हो रही थी, अंदर खड़ी हुई सारिका का पता नही क्या हाल हो रहा होगा..
अचानक काजल ने देखा की अपने दोनो हाथ उपर करके सारिका ने अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया...नीचे उसने एक सेक्सी सी ब्रा पहनी हुई थी...जिसमे उसके 32 साइज़ के बूब्स क़ैद थे...फिर काजल के देखते ही देखते सारिका ने अपनी स्कर्ट भी उतार दी...
और अब वो उसके भाई के कमरे मे सिर्फ़ ब्रा-पेंटी मे खड़ी थी..पेंटी की हालत देखकर काजल समझ गयी की वो कितनी ज़्यादा उत्तेजित है...क्योंकि वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
आज पहली बार काजल ने अपनी सहेली को ऐसी हालत मे देखा था...कपड़ो में तो वो साधारण सी ही लगती थी...पर अब उसका कसा हुआ बदन किसी लिंगरी मॉडेल से कम नही लग रहा था...बिल्कुल सही आकार के बूब्स थे उसके...सपाट पेट और भरी हुई सी गांड ...
वो उसकी सुंदरता का अवलोकन कर ही रही थी की सारिका ने एक और दुसाहसी कदम उठाते हुए पहले अपनी पेंटी और फिर ब्रा भी खोल कर नीचे गिरा दी.
.और अब वो पूरी नंगी होकर खड़ी थी उस छोटे से कमरे मे...जहाँ उसका भाई गहरी नींद मे सोया हुआ था..
काजल समझ गयी की अब ये क्या करने वाली है...वैसे भी कल रात को ही केशव ने बता दिया था की वो उसके साथ फकिंग कर चुका है...इसलिए उसे अभी चुदाई के लिए तैयार होते देखकर काजल को ज़्यादा आष्चर्य नही हुआ.
सारिका ने अपना हाथ अपनी चूत पर रगड़ा और ढेर सारा शहद निकाल कर केशव के लंड पर मल दिया...और फिर अपना मुँह नीचे करके उसने उस शहद से डूबे भुट्टे को अपने मुँह मे लिया
और ज़ोर-2 से चूसने लगी...
केशव का शरीर कुछ देर के लिए कसमसाया...पर शायद गहरी नींद में था वो..इसलिए कुछ और नही किया...पर उसका सिर इधर-उधर होने लगा था...क्योंकि नींद मे ही सही, उसे ये एहसास हो रहा था की उसका लंड चूसा जा रहा है...
फिर सारिका ने एक मिनट तक चूसने के बाद उसे बाहर निकाला और केशव के पलंग पर चढ़ गयी ..उसके दोनों तरफ टांगे करते हुए उसने उसके लंड को ठीक अपनी चूत के उपर रखा और धप्प से उपर बैठ गयी..
'अहह....... उम्म्म्मममममममममम ............ ओह .... केशव .............. ''
और अपने लंड पर दबाव का एहसास और सारिका की चीख सुनकर केशव की नींद एकदम से खुल गयी..और सोते हुए वो ये सपना देखा रहा था की उसका लंड काजल चूस रही है..और चुदाई भी वो करवा रही है...इसलिए आँखे खुलने से पहले उसके मुँह से एक उत्तेजना से भारी आवाज़ निकली : "ओह ..... काजल ..........''
और फिर जब उसने आँखे खोलकर देखा की असल मे उसके उपर सारिका है तो उसके तो जैसे होश ही उड़ गये...
केशव : " ये...ये क्या ..... सारिका ...... तू ....यहाँ ....और ये क्या है ..... श तेरी ......''
और सारिका उसे शक भारी नज़रों से देखते हुए ,गुस्से मे भरकर बोली : "क्या बोला तू अभी....काजल बोला था न ...''
तब तक केशव की नज़र बाहर छुपकर उनकी चुदाई देख रही काजल पर जा चुकी थी..और उसे समझते देर नही लगी की असल मे हो क्या रहा है वहाँ...
वो एकदम से बोला : "अरी बेवकूफ़...अपने पीछे देख...काजल दीदी खड़ी है..उन्हें देखकर बोला था मैं ''
और इतना कहते हुए उसने नीचे गिरी हुई चादर अपने और सारिका के नंगे जिस्म पर खींच ली..
काजल भी समझ गयी की अब छुपने का कोई फायदा नही है...वो बाहर निकल कर अंदर आ गयी..
और सारिका की हालत तो ऐसी हो रही थी जैसे कोई चोर चोरी करते हुए पकड़ा गया हो...एक तो उसकी पुरानी सहेली , उपर से उससे बोलचाल बंद...और साथ ही वो उसके घर पर ही उसके भाई से चुदवाती हुई पकड़ी गयी..इससे ज़्यादा शरम की और क्या बात हो सकती है...
काजल के लिए ऐसे केशव के कमरे मे खड़े रहना थोड़ा अजीब सा था...कल रात को उनके बीच वो बात चीत न हुई होती तो शायद केशव के देख लेने के बाद वो भागकर नीचे चली जाती और बाद मे इस घटना के बारे मे कोई बात भी नही करती...पर अब दोनो के बीच हालात बदल चुके थे..
दूसरी तरफ केशव को भी ज़्यादा डर नही लगा...क्योंकि इतनी अंडरस्टैंडिंग तो हो ही चुकी थी उनमें कल रात , जब वो अपनी बहन को देखकर और उसकी बहन उसको देखकर और वैसी बाते करके कितने उत्तेजित हो रहे थे...
काजल : "तो ये सब होता है रोज मेरे जाने के बाद...''
सारिका ने अपना चेहरा चादर के अंदर छुपा लिया...बेचारी अपना मुँह तक नही दिखा पा रही थी अपनी पुरानी सहेली को..
काजल ने एकदम से हंसते हुए कहा : "इट्स ओके सारिका ..... ऐसे शरमाने की या डरने की कोई ज़रूरत नही है... मुझे केशव ने सब बता दिया है तुम दोनों के बारे में ...''
सारिका ने एकदम से अपना सिर चादर से बाहर निकाला...और केशव के चेहरे को घूरने लगी..
केशव : "अरे .... कल रात ही बात हुई थी तुम्हे लेकर...इसलिए बताना पड़ा...डोंट वरी ... दीदी से डरने की कोई बात नही है..''
काजल : "हाँ ...सारिका ....और मै किचन मे ही थी...जब तुम उपर आई...इसलिए मैने जब तक उपर आकर देखा की तुम क्या कर रही हो तो.....आधे से ज़्यादा मामला निपट चुका था....''
उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी..
उसकी बात सुनकर सारिका के साथ-2 केशव भी शरमा गया.
काजल : "अब जल्दी से बाकी का काम निपटा लो केशव ...और तैयार हो जाओ...हॉस्पिटल भी जाना है...में नीचे नाश्ता बना रही हू...''
इतना कहकर वो नीचे उतर गयी...उन दोनों को उसी हालत मे छोड़कर..
पर काजल ने नीचे उतरने के 5 मिनट बाद ही सारिका भी नीचे उतरी और काजल से बिना कुछ बोले बाहर निकल गयी.शायद उन्होंने काजल के घर पर रहते चुदाई के इरादे को त्याग दिया था
आधे घंटे बाद केशव भी तैयार होकर नीचे आ गया...और दोनो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े..
रास्ते मे दोनो के बीच सारिका वाले मामले को लेकर कोई बात नही हुई...बस नॉर्मल बातें होती रही..और जुए के बारे में भी बातें हुई.
शाम तक दोनो अपनी माँ को डिसचार्ज करवाकर घर ले आए...और उन्होने संभलकर उन्हे उपर वाले कमरे मे भी पहुँचा दिया..डॉक्टर्स के परामर्श के अनुसार अब उन्हे अगले 5 दीनो तक वो इंजेक्शन लगना था..आज का वो लगवा कर ही आए थे....इसलिए 8 बजते-2 काजल ने खाना भी बना दिया और उन्हे खाना खिला कर सुला भी दिया..
केशव बाहर गया हुआ था...काजल नीचे ड्रॉयिंग रूम मे बैठकर टीवी देख रही थी की बाहर की बेल बजी..
उसने दरवाजा खोला तो बाहर केशव अपने 2 दोस्तों के साथ खड़ा था.
केशव : "आ जा भाई ....अपना ही घर समझ .... ''
और काजल को उनका परिचय करवाते हुए बोला : "दीदी ...ये मेरे दोस्त है .... ये बिल्लू, इसको तो आप जानती ही हो.... और ये है गन्नू ...मतलब गणेश ...''
दोनो ने काजल को नमस्ते की और अंदर आकर बैठ गये.
दोनो भाई बहन ने पहले से डिसाईड कर लिया था की कैसे वो योजना के अनुसार खेलने के लिए मैदान में उतरेगी..
सो अंदर आते ही केशव शुरू हो गया : "दीदी ....अब आपके कहने पर ही में आज घर पर आकर खेल रहा हू...थोड़ा बहुत शोर शराबा हुआ तो आप बुरा मत मानना ..''
काजल : "अब तेरी दीवाली के दिनों मे जुआ खेलने की जिद्द है तो में क्या कर सकती हू ... जब तूने खेलना ही है तो घर पर ही खेल ना... माँ की तबीयत खराब हुई तो में अकेली कहाँ भागूँगी .तू घर पर रहेगा तो मुझे तसल्ली रहेगी..''
ये सब बातें वो अपनी बनाई योजना के अनुसार कर रहे थे..
उसके बाद वो तीनों वहीं टेबल के चारो तरफ बैठ गये...और पत्ते बाँटने लगे..
काजल भी केशव के पास जाकर बैठ गयी और बोली : "अब मैने बोर तो होना नही है....में भी तुम्हारे पास बैठकर ये खेल देखूँगी..''
केशव कुछ बोल पता, इससे पहले ही बिल्लू बोल पड़ा : "हां ...हां ..काजल ..क्यों नही ...ज़रूर बैठो ....''
उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो काजल को ऐसे पत्तो के खेल मे इंटरस्ट लेते देखकर कितना खुश हो रहा था...अब उसकी खुशी के पीछे मंशा क्या थी,ये तो वो ही जाने, पर उसकी बात सुनकर काजल भी हँसती हुई सी केशव के साथ बैठ गयी..
और फिर शुरू हुआ..जुआ.